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HINDI CHAPTER-13(जहााँ पहहया हैं)

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प्रश्न-अभ्यास
Question 1:
“…उन जंजीरों को तोड़ने का जजनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-
कोई तरीका लोग ननकाल ही लेते है ..”
आपके ववचार से लेखक ‘जंजीरों’ द्वारा ककन समस्याओं की
ओर इशारा कर रहा है ?
Solution:-लेखक जंजीरों द्वारा रूहिवादी प्रथाओं की ओर
इशारा कर रहा है ।
Question 2:
“…उन जंजीरों को तोड़ने का जजनमें वे जकडे हुए हैं, कोई-न-
कोई तरीका लोग ननकाल ही लेते है ..”
क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का
कारण भी बताइए।
Solution:-“…उन जंजीरों को तोड़ने का जजनमें वे जकडे हुए
हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग ननकाल ही लेते है .. लेखक के इस
कथन से हम सहमत हैं क्योंकक मनुष्य स्वभावानुसार अधिक
समय तक बंिनों में नहीं रह सकते। समाज द्वारा बनाई गई
रूहियााँ अपनी सीमाओं को लााँघने लगे तो समाज में इसके
ववरूद्ि एक क्ांनत अवश्य जन्म लेती है । जो इन रूहियों के
बंिनों को तोड़ डालती है । ठीक वैसे ही तममलनाडु के
पुडुकोट्टई गााँव में हुआ है । महहलाओं ने अपनी स्वािीनता व
आजादी के मलए साइककल चलाना आरं भ ककया और वह
आत्मननभभर हो गई।

Question 3:-
‘साइककल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महहलाओं के जीवन में
कौन-कौन से बदलाव आए हैं?
Solution:-‘साइककल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महहलाओं के
जीवन में ननम्नमलखखत बदलाव आए –

1. महहलाएाँ अपनी स्वािीनता व आजादी के प्रनत जागृत


हुई।
2. कृवि उत्पादों को समीपवती गााँवों में बेचकर उनकी
आधथभक जस्थनत सुिरी व आत्मननभभर हो गई।

3. समय और श्रम की बचत हुई।

4. स्वयं के मलए आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई।

Question 4:-
शुरूआत में पुरुिों ने इस आंदोलन का ववरोि ककया परं तु
आर. साइककल्स के मामलक ने इसका समथभन ककया, क्यों?
Solution:-शुरूआत में पुरुिों ने इस आंदोलन का ववरोि
ककया क्योंकक उन्हें डर था इससे नारी समाज में जागृनत आ
जाएगी। आर. साइककल्स के मामलक गााँव के एकमात्र लेड़ीज
साइककल डीलर थे, इस आंदोलन से उसकी आय में वद्
ृ धि
होना स्वभाववक था। इसमलए उसने स्वाथभवश आंदोलन का
समथभन ककया।

Question 5:-
प्रारं भ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बािा
आई?
Solution:-फानतमा ने जब इस आंदोलन की शुरूआत की तो
उसको बड़ी कहठनाइयों का सामना करना पड़ा। उसे लोगों की
फ़जततयााँ (गंदी हटप्पखणयााँ) सुननी पड़ी। फानतमा मुजस्लम
पररवार से थी। जो बहुत ही रूहिवादी थे। उन्होंने उसके
उत्साह को तोड़ने का प्रयास ककया। पुरुिों ने भी इसका बहुत
ववरोि ककया। दस
ू री कहठनाई यह थी कक लेड़ीज साइककल वहााँ
पयाभप्त संख्या में उपलति नहीं थी।

Question 6:-
आपके ववचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहााँ पहहया है ’
क्यों रखा होगा?
Solution:-तममलनाडु के रूहिवादी पुडुकोट्टई गााँव में
महहलाओं का पुरुिों के ववरूद्ि खड़े होकर ‘साइककल’ को
अपनी जागृनत के मलए चुनना बहुत बड़ा कदम था। पहहए को
गनतशीलता का प्रतीक माना जाता है और इस साइककल
आंदोलन से महहलाओं का जीवन भी गनतशील हो गया।
लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहााँ पहहया है ’ तममलनाडु के
पुडुकोट्टई गााँव के ‘साइककल आंदोलन’ के कारण ही रखा
होगा।

Question 7:-
अपने मन से इस पाठ का कोई दस
ू रा शीिभक सुझाइए। अपने
हदए हुए शीिभक के पक्ष में तकभ दीजजए।
Solution:-‘साइककल करें गी-महहलाओं को आत्मननभभर’ भी इस
पाठ के मलए उपयुक्त नाम हो सकता था चाँूकक साइककल
आंदोलन से महहलाएाँ अपनी स्वािीनता व आजादी के प्रनत
जागृत हुई। कृवि उत्पादों को समीपवती गााँवों में बेचकर
उनकी आधथभक जस्थनत सुिरी व आत्मननभभर हो गई।

Question 8:-
फानतमा ने कहा,”…मैं ककराए पर साइककल लेती हूाँ ताकक मैं
आजादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूाँ।”
साइककल चलाने से फानतमा और पुडुकोट्टई की महहलाओं को
‘आजादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?
Solution:-फानतमा के गााँव में पुरानी रूहिवादी परम्पराएाँ थीं।
वहााँ औरतों का साइककल चलाना उधचत नहीं माना जाता था।
इन रुहियों के बंिनों को तोड़कर स्वयं को पुरुिों की बराबरी
का दजाभ दे कर फानतमा और पुडुकोट्टई की महहलाओं को
‘आजादी’ का अनुभव होता होगा।

भािा की बात

Question 1:-
उपसगों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ
में आए उपसगभयुक्त शतदों को छााँहटए। उनके मूल शतद भी
मलखखए। आपकी सहायता के मलए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ
‘उपसगभ’ और ‘प्रत्यय’ इस प्रकार हैं – अमभ, प्र, अनु, परर,
वव(उपसगभ), इक, वाला, ता, ना।
Solution:-

उपसगभ:-

अमभ – अमभमान

प्र – प्रयत्न

अनु – अनुसरण
परर – पररपक्व

वव – ववशेि

प्रत्यय :-

इक – िाममभक (िमभ + इक)

वाला – ककस्मतवाला (ककस्मत + वाला)

ता – सजीवता (सजीव + ता)

ना – चिना (चि + ना)

नव – नव + साक्षर (नवसाक्षर)

गनतशील – गनतशील + ता (गनतशीलता)

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