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04. शतम् एवं केन्तुम् वर्ग
04. शतम् एवं केन्तुम् वर्ग
विचार रखा कि मल
ू भारोपीय भाषा की कंठस्थानीय
बल्गेरियन - सत
ु ो गेलिक - क्यड
ु
लिथआ
ु नियन - स्ज़िम्तास तोखरी - कन्त
(1) मूल भारोपीय भाषा के शब्दों में जहाँ अन्त में न्' या
'म्' ध्वनि है , केन्तुम् वर्ग' में उसके पूर्व एक स्वर आ जु ड़ता
है तथा न या 'म्' ध्वनि सुरक्षित बनी रहती है ।
दस
ू री तरफ सतम ् वर्ग' में न ्' या 'म ्' का लोप होकर,
उदाहरणार्थ--
केन्तम
ु ् वर्ग सतम ् वर्ग
लैटिन - दे क + एम संस्कृत - दश
= दे केम ् अर्थात दस = दश ् + अ
अर्थात दस
इस प्रकार उपयक्
ु त सभी लक्षणों से स्पष्ट है कि भारोपीय