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सतम ् एवं केन्तुम वर्ग -

भारोपीय परिवार की भाषाओं को ध्वनि के आधार पर

'सप्तम ्' और 'केतुम ्' दो वर्गों में रक्खा गया है । पहले

पहल अस्कोली ने 1870 ई. में विद्वानों के समक्ष यह

विचार रखा कि मल
ू भारोपीय भाषा की कंठस्थानीय

ध्वनियाँ कुछ भाषाओं में ज्यों का त्यों अर्थात

कंठस्थानीय ही रही परन्तु कुछ भाषाओं में वे ऊष्म या

संघर्षी हो गई। अस्कोली महोदय के इसी सिद्धांत को

सामने रखकर वान ब्रैडके ने इस परिवार के 'सतम ्' और

'केन्तुम' दो वर्ग बनाये। इन दोनों शब्दों का अर्थ 100 है ।

यह नाम इसलिए रखे गये कि 'सौ' के लिए पाये जाने

वाले शब्दों में यह भेद स्पष्ट है । 'सतम ्' अवेस्ता का शब्द

है और ''केन्तुम' लैटिन का। स्पष्टता के लिए दोनों वर्ग

की भाषाओं में 'सौ' के लिए पाये जाने वाले शब्दों को यहाँ


दे ख लेना ठीक होगा -

सतम वर्ग केन्तम


ु वर्ग

अवेस्ता - सतम ् लैटिन - केन्तुम

फारसी - सद ग्रीक - हे क्टोन

संस्कृत - शतम ् इटे लियन - केन्तो

हिन्दी - सौ फ्रेंच - केन्त

रूसी - स्तो ब्रीटन - कैन्ट

बल्गेरियन - सत
ु ो गेलिक - क्यड

लिथआ
ु नियन - स्ज़िम्तास तोखरी - कन्त

इन उदाहरणों को दखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि एक

वर्ग (सतम ्) में 'स' ध्वनि सर्वत्र है , और दस


ू रे वर्ग (केंतम
ु )

में वह सर्वत्र 'क' ध्वनि हो गई है ।


उपर्युक्त लक्षण के अतिरिक्त निम्नलिखित दो अन्य

भेदक लक्षण भी केन्तुम ् यथा सतम ् वर्ग की भाषाओं में

मिलते हैं जो इस प्रकार हैं -

(1) मूल भारोपीय भाषा के शब्दों में जहाँ अन्त में न्' या
'म्' ध्वनि है , केन्तुम् वर्ग' में उसके पूर्व एक स्वर आ जु ड़ता
है तथा न या 'म्' ध्वनि सुरक्षित बनी रहती है ।

दस
ू री तरफ सतम ् वर्ग' में न ्' या 'म ्' का लोप होकर,

केवल इनके पूर्व आकर जुड़ा हुआ स्वर ही शेष रहता है ।

उदाहरणार्थ--

मूल भारोपीय - दे क्म्

केन्तम
ु ् वर्ग सतम ् वर्ग

लैटिन - दे क + एम संस्कृत - दश
= दे केम ् अर्थात दस = दश ् + अ

अर्थात दस

( 2 ) मूल भारोपीय भाषा की कं ठोष्ठ्य ध्वनियां (क्व् , ख्व्


, ग्व् , घ्व् ) केन्तुम् वर्ग में तो ज्यों की त्यों सुरक्षित रही
किन्तु सतम् वर्ग में केवल कण्ठय् ध्वनि रह गयी और
ओष्ठ्य ध्वनियों का लोप हो गया। उदाहरणार्थ :-

मूल भारोपीय भाषा ( अज्ञात )

केन्तुम् वर्ग सतम् वर्ग

लैटिन - क्विस ् = कौन संस्कृत = क:

हित्ती - क्विस ् = कौन लिथआ


ु नी = कस ्

इस प्रकार उपयक्
ु त सभी लक्षणों से स्पष्ट है कि भारोपीय

भाषाओं को जिन केन्तुम ् और सतम ् वर्ग मे विभाजित

किया गया है वह नितांत वैज्ञानिक है ।

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