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बेरोजगारी
(Unemployment)
Lecture & Notes Made by Rajveer ( Nitin Arora)

Chapter-6
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अगर आपको लग रहा है की नोट्स मिल जाने से लेक्चर नहीीं दे खने पढ़े गे तो आप गलत सोच रहे है , लेक्चर
िें हर टॉपपक को गहराई से उदाहरण के साथ सिझाया गया है जो सींभव नहीीं की हि वो उदाहरण नोट्स िें दे
...बाकी सिझदार के मलए इशारा काफी है ...

बेरोजगारी (unemployment)
• बेरोजगारी उस सिय पवद्यिान कही जाती है , जब प्रचमलत िजदरू ी की दर पर काि करने के
मलए इच्छुक लोग रोजगार नहीीं पाते है ।
• या इसे इस तरह से भी सिझा जा सकता है कक एक शारीररक एवीं िानमसक रूप से सक्षि
व्यक्क्त जो काि करने का इच्छुक है लेककन उसे काि नहीीं मिल पाता है ।
• बेरोजगारी को सिझने के मलए श्रि बल और कायय बल के बीच अन्तर सिझना अतत आवश्यक
है ।
• श्रि बल- दे श िें 15 वर्य की आयु से लेकर 60 वर्य की आयु तक के लोग श्रि बल के अींतगयत
आते है ।
• कायय बल- श्रि बल िें से वे लोग क्जनको कायय/रोजगार मिल जाता है राष्ट्र का कायय बल
कहलाते है ।
• अतः बेरोजगारी को तनम्न रूप िें भी सिझा जा सकता है ।
बेरोजगारी = श्रिबल – काययबल
• जब ककसी दे श िें पण
ू य श्रि बल को रोजगार प्राप्त हो जाए अथायत पण
ू य श्रि बल, कायय बल िें
बदल जाये तब दे श िें पण
ू य रोजगार होगा।
पण
ू य रोजगार = श्रिबल = काययबल

बेरोजगारी का िापन (Measurement of Unemployment)


• बेरोजगारी को िापने के मलए वर्य 1970 िें भगवती समितत बनायी गयी थी। इस समितत की
मसफाररशों के आधार पर बेरोजगारी को िापने के मलए तीन तरीके बनाये गये।
1. दीर्यकामलक बेरोजगारी

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• यदद ककसी सवेक्षण वर्य िें ककसी व्यक्क्त को 183 ददन(8 र्ींटे प्रतत ददन) रोजगार नहीीं मिलता
है तो वह व्यक्क्त दीर्यकामलक बेरोजगारी के अींतगयत आता है । वतयिान िें इस 183 ददन के
िानक को बदल कर 273 ददन कर ददया गया है ।
2. साप्तादहक बेरोजगारी
• यदद ककसी व्यक्क्त को सप्ताह िें 1 ददन(8 र्ींटे) का काि न मिले तो उसे साप्तादहक बेरोजगारी
के अींतगयत रखा जाता है ।
3. दै तनक बेरोजगारी
• यदद ककसी को प्रतत ददन आधे ददन(4 र्ींटे) का काि न मिले तो उसे दै तनक बेरोजगारी के
अींतगयत रखा जाता है ।

भारत िें बेरोजगारी (unemployment in India)

शहरी बेरोजगारी (Urban Unemployment)


• औद्योगगक बेरोजगारी (Industrial Unemployment): औद्योगगक बेरोजगारी िें वे लोग शामिल
होते हैं जो लोग तकनीकी एवीं गैर-तकनीकी रूप के अन्तगयत कायय करने की क्षिता तो रखते
है परन्तु बेरोजगार है ।
• दे श िें औद्योगगक बेरोजगारी िें वद्
ृ गध के कारणों िें औद्योगीकरण की धीिी प्रकिया तथा
अनुपयुक्त तकनीकी का प्रयोग शामिल है ।
मशक्षक्षत बेरोजगारी (Educated Unemployment): पढ़े -मलखे लोगों द्वारा रोजगार न प्राप्त कर पाना
मशक्षक्षत बेरोजगारी कहलाती है । भारत िें मशक्षक्षत वगय िें बेरोजगारी की सिस्या अत्यगधक गींभीर है ।
इसका िख्
ु य कारण है
• दे श िें मशक्षण सींस्थाओीं जैस-े पवश्वपवद्यालय, कॉलेजों, स्कूलों आदद की सींख्या िें वद्
ृ गध होने
के कारण मशक्षक्षत लोगों की सींख्या िें वद्
ृ गध होना।
• भारत िें मशक्षा प्रणाली रोजगारपरक नहीीं बक्कक उपागधपरक है अथायत ् भारत िें मशक्षा व्यवस्था
दोर्पूणय है ।

ग्रािीण बेरोजगारी (Rural Unemployment)

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प्रच्छन/अवश्ृ य बेरोजगारी (Disguised unemployment) : जब ककसी काि िें जरूरत से ज्यादा व्यक्क्त
शामिल रहते हैं जबकक उतने लोगों की जरूरत नहीीं होती है , तो यह क्स्थतत प्रच्छन्न बेरोजगारी कहलाती
है ।
• इसिें सीिाींत उत्पादकता शन्
ू य या ऋणात्िक होती है।
• यह जनसींख्या के अगधक दवाव और रोजगार के वैकक्कपक अवसरों की किी के चलते प्रािीण
क्षेत्रों िें बनी रहती है ।
• इसे पूींजी तनिायण, गैर-कृपर् गततपवगधयों के पवकास के द्वारा ककया जाता है
• इस बेरोजगारी का िाप सींभव नहीीं है ।
िौसिी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment) : एक वर्य के ककसी िौसि या कुछ िहीनों के मलए
ककसी व्यक्क्त को रोजगार मिलना तथा शेर् िहीनों या िौसि िें कायय नहीीं मिलना िौसिी बेरोजगारी
कहलाती है ।

बेरोजगारी के अन्य प्रकार (Other types of unemployment)

पण
ू य बेरोजगारी तथा अद्यध बेरोजगारी
• यदद ककसी व्यक्क्त के पास 35 कायय ददवस से भी कि ददनों का रोजगार हो तो वापर्यक स्तर
पर उसे पूणय बेरोजगार िाना जाता है ।
• यदद उसके कायय ददवस 35 से ज्यादा एवीं 135 ददनों से कि हो तो उसे अद्यध बेरोजगार िाना
जायेगा।
• 135 ददनों से अगधक के रोजगार की क्स्थतत िें उसे पण
ू य रोजगार िाना जाता है

सींरचनात्िक बेरोजगारी (Structured Unemployment)


• यह एक दीर्यकालीन सिस्या है । यदद दे श की उत्पादक सींस्थाओीं की सींख्या िें किी, तकनीकी
पररवतयन आदद के
• कारण रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं तो श्रिशक्क्त का एक बडा वगय बेरोजगार हो जाता
है । तो इस प्रकार की सिस्या को सींरचनात्िक बेरोजगारी कहते हैं। यह अकपपवकमसत एवीं
पवकासशील दे शों िें पायी जाती है ।
• यह आपूततय पक्ष िें किी एवीं पवसींगतत के कारण उत्पन्न होता है ।
• आधारभूत सींरचनाओीं के पवकास, बचत, तनवेश, कौशल पवकास आदद पर ध्यान केक्न्ित कर
इसे दीर्यकाल िें कि ककया जा सकता है

खल
ु ी बेरोजगारी (Open Unemployment)
• खल
ु ी बेरोजगारी उस क्स्थतत को कहते हैं क्जसिें यद्यपप श्रमिक काि करने के मलए उत्सक
ु हैं
और उसिें काि करने की आवश्यक योग्यता भी है तथापप उसे काि प्राप्त नहीीं होता। वह परू ा
सिय बेकार रहता है

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चिीय बेरोजगारी (Cyclic Unemployment)


• यह बेरोजगारी अकपकामलक होती है । वैक्श्वक स्तर पर पवकमसत दे शों िें चिीय बेरोजगारी
अगधक दे खने को मिलती है । यह बेरोजगारी अथयव्यवस्था िें चिीय उतार-चढ़ावों के कारण
उत्पन होती है ।
• यह पूींजीवारी दे शों िें िाींग की किी के कारण उत्पन्न होती है ।
• इसे िौदिक एवीं राजकोर्ीय नीतत द्वारा आसानी से पूरा ककया जा सकता है

ऐक्च्छक बेरोजगारी (voluntary unemployment)


• जब लोग स्वयीं अपनी इच्छा से कायय नहीीं करना चाहते हैं तो इस प्रकार की बेरोजगारी को
ऐक्च्छक बेरोजगारी करते हैं।

अनैक्च्छक बेरोजगारी (Involuntary unemployment)


• जव कोई वयक्क्त प्रचमलत दर पर किा करने की इच्छा रखता हो ककन्तु कायय को उपलब्धता
न हो तो उस क्स्थतत को अनैक्च्छक बेरोजगारी कहा जाता है ।

र्र्यणात्िक बेरोजगारी (Frictional Unemployment)


• बाजार िें वस्तुओीं की िाींग एवीं पूततय िें पररवतयन आने से र्र्यणात्िक बेरोजगारी उत्पन्न होती
है जैसे कक, द्पवतीय पवश्व युद्ध की सिाक्प्त के पश्चात ् हुआ था।
• भारत िें बेरोजगारी का अनि
ु ान लगाने की पवगध |

भारत िें बेरोजगारी िापने की तनम्नमलखखत तीन पवगधयों का प्रयोग ककया जाता है -
1. सािान्य क्स्थतत बेरोजगारी (UPSS)
2. चालू साप्तादहक क्स्थतत बेरोजगारी (cws)
3. चालू दै तनक क्स्थतत बेरोजगारी (CDS)

1.सािान्य क्स्थतत बेरोजगारी


• इससे पूरे वर्यभर की क्स्थतत का पता लगाया जाता है । इसके मलए रोजगार के ददनों तथा
बेरोजगारी के ददनों की
• आपस िें तुलना की जाती है । यदद एक वर्य िें रोजगार के ददनों की सींख्या बेरोजगारी के ददनों
से अगधक पायी जाती है तो उस व्यक्क्त को क्स्थतत रोजगार की िानी जाएगी। इसके पवपरीत
क्स्थतत को बेरोजगार िाना जाएगा। खल
ु ी बेरोजगारी का पत लगने के मलए इसका प्रयोग ककया
जाता है ।

2.चालू सप्तादहक क्स्थतत बेरोजगारी (Current Weekly Unemployment)

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• इस पवगध के अनुसार, यदद ककसी व्यक्क्त को सींदभय सप्ताह िें एक र्ींटे का भी रोजगार नहीीं
मिलता है तो उसे बेरोजगार िाना जाता है

3.चालू दै तनक क्स्थतत बेरोजगारी (Current Daily unemployment)


• इसिें सींदभय सप्ताह के स्थान पर प्रततददन की क्स्थतत को दे ख जाता है ।
• यदद सींबगीं धत व्यक्क्त को सींदभय सप्ताह िें 1 र्ींटे से अगधक और चार र्ींटे से कि का रोजगार
मिलता है , तो यह आधे ददन का, तथा चार र्ण्टे अथवा अगधक का रोजगार मिलता है . तो
एक ददन का रोजगार िाना जाता है ।
• यह प्रकिया सप्ताह के सभी ददनों पर लागू की जाती है और बेरोजगारी के ददन तनकाल मलए
जाते है ।
• यह एक सिय दर (Time Rate) है और तुलनात्िक रूप से श्रेष्ट्ठ िानी जाती है ।

भारत िें बेरोजगारी के कारण


• जनसींख्या िें तीव्र वद्
ृ गध
• दोर्पूणय मशक्षा प्रणाली
• भारतीय कृपर् का पपछडापन
• स्वरोजगार की इच्छा का अभाव
• बचत एवीं तनवेश का तनम्न स्तर
• लर्ु एवीं कुटीर उद्योग का हास
• श्रमिकों िें गततशीलता का अभाव

क्यों बढ़ रही है बेरोजगारी?


• भारत ने स्वतींत्रता के बाद से नब्बे के दशक तक कृपर् क्षेत्र पर ध्यान ददया ताकक दे श की
पवशाल आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा ककया जा सके। 1990 िें उदारीकरण के आने के
पश्चात दे श िें पवतनिायण और सेवा क्षेत्र ने गतत पकडी ककीं तु सेवा क्षेत्र इतना तेजी से पवकमसत
हुआ, क्जससे लगा कक दे श की अथयव्यवस्था ने कृपर् से सीधे सेवा क्षेत्र की ओर छलाींग लगा दी
और पवतनिायण क्षेत्र बीच िें ही छूट गया जबकक पवतनिायण क्षेत्र ही श्रि गहनता का क्षेत्र होता
है । अतः हिारे नीतत तनधायरकों ने पवतनिायण क्षेत्र को गतत प्रदान करने हे तु पक्श्चिी दे शों की
तरह पूँूजी प्रधान उद्योगों की ओर रुख ककया जबकक दे श की अथयव्यवस्था को श्रि प्रधान
उद्योगों की आवश्यकता है । इस प्रकार गलत नीततयों ने बेरोजगारी की क्स्थतत को और गम्भीर
बना ददया, क्जसकी छाप वतयिान सिय िें भी दे खी जा सकती है ।
• भारत िें बेरोजगारी बढ़ने का एक िख्
ु य कारण तनवेश का कि होना रहा है । दरअसल आज
भी दे श िें औपतनवेमशक कालीन श्रि कानन
ू अक्स्तत्व िें है ।
• बेरोजगारी की एक वजह श्रि बल िें आधतु नक जरूरतों के अनरू
ु प कौशल पवकास न हो पाना
है ।

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• ऑटोिेशन की वजह से भी रोजगार के अवसर कि हो रहे हैं। आज कींपतनयाूँ बडी तेजी से


सॉफ्रटवेयर पवकमसत कर रही हैं क्जसके द्वारा काि को व्यक्क्त के बबना ही तनपटाया जा सके
अथायत िशीन के सहयोग से। ऑटोिेशन की वजह से अगले तीन साल िें भारत के आईटी
सेक्टर िें नौकररयों िें 20-25 फीसदी की किी आने की आशींका जताई गई है ।
• कुछ पवशेर्ज्ञों का िानना है कक जीएसटी (वस्तु एवीं सेवा कर) बेरोजगारी बढ़ने का कारण रहा
है ।
• इसके अलावा आदटय कफमशयल इींटेमलजेंस, इींटरनेट ऑफ गथींग्स आदद ऐसे तकनीक पवकमसत हुए
हैं क्जसने भारत िें बेरोजगारी को बढ़ाया है । पवददत हो कक उद्योग जगत िें रोबोट के बढ़ते
इस्तेिाल के चलते 2030 तक पूरे पवश्व िें 80 करोड लोग प्रभापवत होंगे क्जसका असर भारत
पर भी पडेगा।
• नवींबर 2016 िें पविुिीकरण के तुरींत बाद भारत की िय भागीदारी दर 45% तक गगर गई।
काययशील आयु वगय जनसींख्या का 2% यानी लगभग 13 मिमलयन श्रि बाजारों से बाहर तनकल
गया। ये वे लोग थे जो काि करने के इच्छुक थे और श्रि से जुडे कायय के अलावा कोई और
काि नहीीं करना चाहते थे।

बेरोजगारी का प्रभाव
• बेरोजगारी भारत की अत्यींत गींभीर सिस्या रही है जो सिय के साथ-साथ बढ़ती जा रही है ।
कोई क्षेत्र या वगय इससे िक्
ु त नहीीं रहा है । यह बेरोजगारी ग्रािीण क्षेत्र एवीं शहरी क्षेत्र दोनों िें
नजर आ रही है । इसी प्रकार यह मशक्षक्षत व अमशक्षक्षत वगों के बीच िें दे खने को मिल रही है ।
• बेरोजगारी के अनेक आगथयक एवीं आगथयकेत्तर दष्ट्ु पररणाि आज सिाज िें दे खने को मिल रहे हैं,
जो व्यक्क्त और सिाज दोनों के मलए बहुत गींभीर और र्ातक प्रकृतत के साबबत हुए हैं। इन
दष्ट्ु पररणािों का वणयन तनम्न बबींदओ
ु ीं के अींतगयत ककया जा सकता है-
• व्यापक बेरोजगारी के हालात िें राष्ट्रीय उत्पादन की िात्र कि हो जाती है , क्जसका पूँूजी-
तनिायण, व्यापार, व्यवसाय आदद पर बहुत गहरा प्रभाव पडता है । गरीबी इसका प्रत्यक्ष प्रिाण
है ।
• मशक्षक्षत बेरोजगारी के सींबींध िें अततररक्त बबायदी उन सींसाधनों की भी होती है जो उनके कौशल
और प्रमशक्षण िें लगे होते हैं।
• सािाक्जक सुरक्षा के अभाव िें बेरोजगार व्यक्क्त प्रायः चोरी, डकैती, बेईिानी, शराबखोरी आदद
बुराइयों का मशकार हो जाते हैं।

भारत िें रोजगार की क्स्थतत


• जब से आवगधक श्रि बल सवेक्षण (पीएलएफएस) 2017-18 के पररणाि सावयजतनक हुए- उन्होंने
ददखाया कक भारत िें बेरोजगारी 45 साल के सबसे बरू े स्तर पर है ।
• इस ररपोटय के बाद से दे श िें बेरोजगारी की वास्तपवक क्स्थतत के बारे िें जोरदार सावयजतनक
बहस दे खने को मिल रही है।

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• श्रि बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate): एलएफपीआर को कुल आबादी


िें श्रि बल के अींतगयत आने वाले व्यक्क्तयों (अथायत कहीीं काययरत या काि की तलाश िें या
काि के मलए उपलब्ध) के प्रततशत के रूप िें पररभापर्त ककया जाता है ।
• कािगार-जनसींख्या अनप
ु ात (Worker Population Ratio):डब्कयूपीआर को कुल आबादी िें
रोजगार प्राप्त व्यक्क्तयों के प्रततशत के रूप िें पररभापर्त ककया जाता है ।
• बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) :इसे श्रि बल िें शामिल कुल लोगों िें बेरोजगार
व्यक्क्तयों के प्रततशत के रूप िें पररभापर्त ककया जाता है ।
बेरोजगारी को लेकर प्रिाण
• जेएनयू के प्रोफेसरों के एक नए अध्ययन ने 2004 और 2018 के बीच भारत िें रोजगार के
मलए व्यापक रुझानों पर प्रकाश डाला है ।
• इस अध्ययन की एक प्रिुख पवशेर्ता यह है कक यह बेरोजगारी पर ध्यान केंदित करने के
बजाय केवल “रोजगार” डेटा पर केंदित है ।
• इस सवे िें तीन सवे की तुलना की गई है , क्जसिें 2004-05 और 2011-12
के NSSO रोजगार-बेरोजगारी सवेक्षण (EUS) और 2017-18 के PLFS द्वारा ककए सवे
शामिल है ।
रोजगार का वगीकरण
• NSSO सवेक्षण पूरी आबादी को तीन कैटे गररयों िें पवभाक्जत करता है ।
• कैटे गरी 1 िें उन लोगों को रखा गया है , जो सवे अवधी के दौरान आगथयक गततपवगधयों (Work)
िें शामिल थे।
• इस श्रेणी िें शामिल लोगों को काययरत (Employed) कहा जाता है । साथ ही इस कैटगरी को
तीन भागों िें बाींटा गया है- स्व रोजगार (Self-employed), वेतनभागी कियचारी (Salaried
employees) और सािान्य िजदरू ों (Casual labourers)
• कैटे गरी 2 िें उन लोगों को शामिल ककया गया है , जो ककसी भी प्रकार के आगथयक गततपवगधयों िें
शामिल नहीीं थे, लेककन उनके पास काि होने के बाद भी वे काि की तलाश िें थे। ऐसे लोगों
को ‘बेरोजगार’ की श्रेणी िें रखा गया है ।
• कैटगरी 1 और 2 िें शामिल लोग ही श्रि शक्क्त का दहस्सा है ।
• कैटे गरी 3 िें उन लोगों को शामिल ककया गया है , जो न तो काि िें लगे हुए हैं और न ही
इसके मलए उपलब्ध हैं।
• इस कैटगरी िे लोगों को “श्रि शक्क्त िें नहीीं” शामिल ककया गया है । इस कैटे गरी िें बडी
सींख्या िें उन लोगों को शामिल ककया गया है , क्जसिें सेवातनवत्त
ृ होने वाले, पढ़ाई करने
वाले, पवकलाींगता के कारण काि करने िें असिथय लोग और “केवल” र्रे लू कतयव्यों का दहस्सा
हैं।
• यह नई स्टडी ‘रोजगार’ के स्तर पर फोकस करते है - जो कैटे गरी 1 है ।
स्टडी की िख्
ु य बातें

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• स्टडी िें पाया गया कक ईयूएस 2004-05 और पीएलएफएस 2017-18 के बीच 13 वर्ों िें दे श
िें कुल रोजगार 5 करोड बढ़ा है ।
• यह मसफय 8 प्रततशत की वद्
ृ गध है - क्जस पर कुल जनसींख्या िें वद्
ृ गध दर आधी से भी कि
थी, जो 1.7 प्रततशत थी।
शहरी-ग्रािीण िें रोजगार की क्स्थतत
• रोजगार िें 4.5 करोड की वद्
ृ गध िें से 4.2 करोड शहरी क्षेत्रों िें है , जबकक 2011 और 2017
के बीच ग्रािीण रोजगार या तो अनुबींगधत या क्स्थर रहा।
परु
ु र्-िदहला रोजगार की क्स्थतत
• पपछले 13 सालों िें परु
ु र् रोजगार िें 6 करोड की वद्
ृ गध हुई, लेककन िदहला रोजगार िें 5
करोड की गगरावट आई।
• दस
ू रे शब्दों िें कहा जाए, तो जब 2004 िें 15 करोड िदहलाएीं नौकरी करती थीीं, तो 13 साल
बाद केवल 9.67 करोड िदहलाएीं ही रोजगार कर पाने िें सक्षि है ।
• 2004 िें िदहलाओीं की दहस्सेदारी 08% थी, जो 2017 िें र्टकर अब 21.17 प्रततशत हो गई।
यव
ु ा रोजगार
• भारत दतु नया के सबसे युवा राष्ट्रों िें से एक है , लेककन आयु सिूहों के अनुसार रोजगार के
आींकडों से पता चलता है कक युवा रोजगार (15 से 24 साल के बीच के) 2004 िें 14 करोड से
गगरकर 2017 िें 5.34 करोड हो गए हैं।
• हालाींकक, 25-59 आयु वगय और 60 वर्य और उससे अगधक आयु वगय िें रोजगार बढ़ गया है ।
• तनरीं तर स्कूली मशक्षा सध
ु ारों ने 14 साल से कि उम्र के बच्चों के रोजगार पर अपना प्रभाव
2004 िें 61 लाख से र्टाकर 2011 िें 27 लाख, और 2017 िें मसफय 11 लाख िें ददखाया
है ।
मशक्षा स्तर पर रोजगार
• उभरती अथयव्यवस्था तनरक्षरों और अधूरी प्राथमिक मशक्षा वाले लोगों को पीछे छोडती हुई प्रतीत
होता है ।
• इस श्रेणी िें रोजगार 2004 िें 20.08 करोड से र्टकर 2017 िें 14.2 करोड हो गया, और
तनयोक्जत लोगों िें उनका दहस्सा 2004 िें 48.77 प्रततशत से र्टकर 2017 िें 31.09
प्रततशत हो गया।
• प्राइिरी, सेकेंडरी से लेकर पोस्टग्रेजुएट और उससे ऊपर तक की अन्य सभी श्रेखणयों के मलए
रोजगार बढ़ गया है ।
सींगदठत क्षेत्र
• सींगदठत क्षेत्र उन फिों का प्रतततनगधत्व करता है जो तनयािक प्रागधकरणों के साथ पींजीकृत हैं
और पवमभन्न श्रि कानन
ू ों द्वारा बाध्य हैं।
• यहाीं रोजगार वद्
ृ गध की दर सबसे तेज रही है , और कुल तनयोक्जत िें इसकी दहस्सेदारी 2004
िें 9 प्रततशत से बढ़कर 2017 िें 14 प्रततशत हो गई है ।

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• वास्तव िें , जबकक इसकी पवकास दर धीिी रही है , अथयव्यवस्था िें इसकी सिग्र दहस्सेदारी
2004 िें 37.1 प्रततशत से बढ़कर 2017 िें 47.7 प्रततशत हो गई है ।
• हालाींकक, 2011 के बाद से असींगदठत क्षेत्र के पवकास की गतत िें किी आई है ।
• इन दोनों क्षेत्रों िें कृपर्-फसल क्षेत्र की कीित पर वद्
ृ गध हुई है , जहाीं रोजगार 2004 िें 9 प्रततशत
से गगरकर 2017 िें 17.4 प्रततशत हो गया है ।
• सींक्षेप िें , पररणाि बताते हैं कक जो लोग गरीब, तनरक्षर और अकुशल हैं वे तेजी से नौकररयाीं
खो रहे हैं।
कफमलप्स वि के बारे िें

• इसे 1958 िें अथयशास्त्री पवमलयि कफमलप्स द्वारापवकमसत ककया गया।


• यह बेरोजगारी दर और िि
ु ास्फीतत के बीच व्युत्िि सींबध
ीं दशायता है ।
• िहीं गाई के उच्च स्तर पर ही रोजगार उच्च स्तर हामसल ककया जा सकते हैं।
• मसद्धाींत बताता है कक िि
ु ास्फीतत की दर क्जतनी अगधक होगी और इसके पवपरीत होगी, उतने
ही किरोजगार दर होगी। इस प्रकार, उच्च स्तर की िि
ु ास्फीतत के उच्च स्तर पर ही रोजगार
प्राप्त ककया जा सकता है । अथयव्यवस्था िें वद्
ृ गध को प्रेररत करने के मलए, रोजगार िें वद्
ृ गध
और तनरीं तर पवकास के मलए कफमलप्स वि के तनष्ट्कर्ों पर बहुत अगधक तनभयर हैं ।
• हालाूँकक, कफमलप्स वि के तनदहताथय अकपावगध िें ही सही पाए गए हैं।कफमलप्स वि विता की
क्स्थततयों को सही ठहराने िें पवफल रहता है , जब िि
ु ास्फीतत और बेरोजगारी दोनों गचींताजनक
रूप से अगधक होती है ।

ओकुन का तनयि (Okun's law)


• ओकुन के तनयि के अनुसार, ककसी दे श की पवकास दर और बेरोजगारी बर के बीच िजबूत
सम्बींध होता है । इन
• दोनों िें पवपरीत सम्बींध Inverse Relation) पाया जाता है ।

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• ओकुन के तनयिानुसार यदद ककसी दे श के सकल र्रे लू उत्पाद िें 3% की वद्


ृ गध होती है तो
उस दे श की बेरोजगारी दर िें 1% की किी होगी।
• इसी प्रकार यदद ककसी दे श िें बेरोजगारी की दर िें 1% की वद्
ृ गध होती है तो उस दे श के
सकल र्रे लू उत्पादन िें लगभग 3% की किी होगी

सरकारी प्रयास
• भारत िें बेरोजगारी की सिस्या की गींभीरता को दे खते हुए सभी सरकारों द्वारा इससे तनपटने
के कई प्रयास ककए गए हैं। उन प्रयासों िें कुछ िहत्वपूणय प्रयासों का वणयन तनम्नमलखखत
बबींदओ
ु ीं के अींतगयत ककया जा सकता है -
• केन्ि सरकार ने उद्योगों की िाूँग के अनुरूप श्रि बल को पवकमसत करने के मलए सन ् 2015
िें क्स्कल इींडडया प्रोग्राि की शुरूआत की।
• केन्ि सरकार द्वारा रोजगार के अवसर बढ़ाने हे तु प्रधानिींत्री रोजगार सज
ृ न काययिि की
शुरूआत की गई क्जसके तहत पवतनिायण क्षेत्र के मलये 25 लाख रुपए एवीं सेवा क्षेत्र के मलए
10 लाख रुपए िेडडट या ऋण सीिा की व्यवस्था की गई है ।
• केन्ि सरकार द्वारा कौशल पवकास काययिि के तहत 2022 तक 500 मिमलयन कुशल कामियक
तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है ।
• दे श िें अगधक से अगधक रोजगार के अवसर पवकमसत करने हे तु ‘स्टै ण्डअप तथा स्टाटय अप
इींडडया प्रोग्राि’ की शुरूआत की गयी है ।
• केन्ि सरकार ने औद्योगगक इकाइयों के पवकास के मलए ‘िेक इन इींडडया’ काययिि शुरू ककया
है क्जसके द्वारा व्यापार सग
ु िता, सरल लाइसेंमसींग, तकनीकों का बेहतर प्रयोग आदद पर बल
ददया जा रहा है ।
• स्वयीं का व्यवसाय शुरू करने हे तु सरकार िुिा योजना के तहत सूक्ष्ि ऋण उपलब्ध करा रही
है ।
• दे श के लॉक्जक्स्टक क्षेत्र, श्रि सुधार, मसींगल पवींडो मसस्टि, ऊजाय उपलब्धता इत्यादद िें सुधार
करके सरकार ने सन ् 2016 से लगातार पवश्व बैंक के ईज ऑफ डूईंग बबजनेस इींडेक्स िें अपनी
रैंक को उन्नत ककया है ।
• ठीक इसी तरह सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय ‘श्रिेव जयते काययिि’ के तहत रोजगार के
सहज अवसर उपलब्ध कराने के मलए कायय ककया है। यह श्रि सुपवधा पोटय ल, आकक्स्िक
तनरीक्षण, यूतनवसयल खाता सींख्या, प्रमशक्षु प्रोत्साहन योजना, पुनगयदठत राष्ट्रीय स्वास््य बीिा
योजना सींबींधी पवर्यों पर केंदित है ।
• सरकार ने बेरोजगारी दरू करने के मलए एक अन्य काययिि के रूप िें प्रधानिींत्री यव
ु ा रोजगार
योजना शरू
ु की है । इसका लक्ष्य 2016 से 2021 तक की अवगध िें 7 लाख से अगधक प्रमशक्षुओीं
को उद्यिशीलता प्रमशक्षण और मशक्षा उपलब्ध कराना है ।
• ग्रािीण क्षेत्र िें बेरोजगारी को सीमित करने के मलए सरकार ने सन ् 2005 िें ‘िहात्िा गाूँधी
राष्ट्रीय ग्रािीण रोजगार गारण्टी अगधतनयि’ के तहत िनरे गा योजना की शरू
ु आत की। यह

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योजना ककसी पवत्तीय वर्य िें प्रत्येक ग्रािीण पररवार के सभी वयस्क सदस्य जो अकुशल श्रि
के मलए तैयार हों, के मलए 100 ददनों के रोजगार की गारीं टी प्रदान करता है तथा लाभागथययों
िें कि से कि 33% िदहलाओीं के होने की व्यवस्था करता है ।
• सरकार द्वारा श्रि बल िें िदहलाओीं की भागीदारी बढ़ाने हे तु स्वयीं सहायता सिूहों का पवकास
ककया जा रहा है और उन्हें सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है ।
• इसी तरह सरकार राष्ट्रीय ग्रािीण आजीपवका मिशन द्वारा ग्रािीण पररवार की कि से कि
एक िदहला सदस्य को स्वयीं सहायता नेटवकय सिूह िें लाया जा रहा है ।
• स्िरणीय हो कक जम्िू कश्िीर के युवाओीं के मलये ‘दहिायत’ तथा वािपींथी उग्रवाद से प्रभापवत
युवाओीं के मलये ‘रोशनी’ योजना शुरू की गई है । क्जससे कक वहाूँ के युवाओीं को रोजगार मिल
सके।

आगे की राह
• बेरोजगारी की सिस्या के मलए सरकार द्वरा ककए गए प्रयास सराहनीय हैं लेककन रोजगार के
सीमित होते अवसर पर ध्यान नहीीं ददया गया तो भारत के भपवष्ट्य पर गहरा सींकट छा सकता
है । साथ हीीं पवश्व के सबसे युवा दे श होने का अथय तनरथयक हो जाएगा। इस सींदभय िें कुछ
सुझावों को अिल िें लाया जा सकता है -
• व्यापार के बींद होने और अथयव्यवस्था िें आए पररवतयन के कारण छूटने वाले नौकररयों को ही
बेरोजगारी का एकिात्र कारण नहीीं िाना जा सकता। बेरोजगारी का एक अन्य िहत्त्वपूणय कारण
नौकररयों के मलये आवश्यक कौशल की किी भी है । अतः जरूरत इस कौशल के पवकास की
है ।
• सेवा क्षेत्र िें रोजगार के अनेक अवसर बढ़ाये जा सकते हैं। भारत के टे क्क्नमशयन, नसय, होटल
कियचाररयों आदद की पवश्व के अनेक दे शों िें िाूँग है । सरकार की ओर से इनको बढ़ावा ददया
जाना चादहए।
• सरकार को चादहए कक वह श्रिबल िें िदहलाओीं की भागीदारी बढ़ाने के साथ-साथ दे श िें
रोजगार, व्यावसातयक प्रमशक्षण और िानव सींसाधन की गुणवत्ता के पवकास पर भी ध्यान दे ।
• भारत िें रोजगार के अवसर बढ़ाने के मलए सरकार को दरू गािी नीततयाूँ अपनाने की जरूरत
है , जैसे कृपर् क्षेत्र को लाभदायी बनाने के मलए ककसानों को परीं परागत खेती से हटकर अच्छी
कीित ददलाने वाली सक्ब्जयों, फल एवीं अनाज के उत्पादन का प्रमशक्षण ददया जाना चादहए।
• िनरे गा जैसी योजनाओीं को और िजबूत करके भी इस सींकट को कुछ हद तक दरू ककया जा
सकता है ।
• िध्य एमशया, पक्श्चि एमशया से लेकर अफ्रीका तक िें भारत के कुशल श्रमिकों की बहुत िाूँग
है । अभी तक यह रोजगार व्यक्क्तगत स्तर पर प्राप्त ककया जा रहा है जबकक चीन जैसे दे श
िें सरकार की सहायता से अनेक लोग अफ्रीका से लेकर एमशया िें रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।
चीन ने ऐसे 65 दे शों की पहचान की है , जहाीं चीनी तनवेश के बहाने चीनी लोगों को रोजगार
उपलब्ध कराया जा सके। भारत को भी ऐसी दीर्यकामलक नीतत अपनानी होगी।

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कोपवद -19 िहािारी

• सींयुक्त राष्ट्र के श्रि तनकाय ने चेतावनी दी है कक भारत िें अनौपचाररक अथयव्यवस्था िें काि
करने वाले लगभग 400 मिमलयन लोगों को कोरोनोवायरस सींकट के कारण गरीबी िें गगरने का
खतरा है और यह भी उम्िीद है कक पवश्व स्तर पर इस वर्य की दस
ू री ततिाही िें 195 मिमलयन
पूणक
य ामलक नौकररयाीं खत्ि हो जाएींगी या काि के र्ींटों का 6.7 प्रततशत सिाप्त हो जाएगा ।

अींतरायष्ट्रीय श्रि सींगठन की ररपोटय (ILO):

• स्वास््य सींकट और पवश्व िें वायरस की चपेट िें आने के सिय िें कोपवद -19 ILO ने ररपोटय
जारी की।
• अींतरायष्ट्रीय श्रि सींगठन (ILO) ने अपनी ररपोटय िें क्जसका शीर्यक “ILO िॉतनटर द्पवतीय सींस्करण:
COVID-19 और काययरत दतु नया’ है , िें कोरोनावायरस िहािारी को“ द्पवतीय पवश्व यद्
ु ध के बाद का
सबसे खराब वैक्श्वक सींकट ”बताया है ।
• पवकमसत और पवकासशील दोनों अथयव्यवस्थाओीं िें श्रमिकों और व्यवसायों को तबाही का सािना
करना पड रहा है। हिें तेजी से, तनणाययक रूप से और एक साथ आगे बढ़ना होगा। सही, जरूरी,
उपाय, अक्स्तत्व और पतन के बीच अींतर कर सकता है ।
• दतु नया भर िें , दो अरब लोग अनौपचाररक क्षेत्र िें काि करते हैं (ज्यादातर उभरती और
पवकासशील अथयव्यवस्थाओीं िें ) और पवशेर् रूप से जोखखि िें हैं, ररपोटय िें कहा गया है कक
COVID-19 सींकट पहले से ही लाखों अनौपचाररक श्रमिकों को प्रभापवत कर रहा है ।
• भारत िें , अनौपचाररक अथयव्यवस्था िें काि करने वाले लगभग 90 प्रततशत लोगों के
साथ, अनौपचाररक अथयव्यवस्था िें लगभग 400 मिमलयन श्रमिकों के सींकट के दौरान
गरीबी गगरने का खतरा है । ररपोटय िें कहा गया है कक भारत िें वतयिान लॉकडाउन के
उपाय, जो ऑक्सफोडय पवश्वपवद्यालय के “COVID-19 सरकारी सख्त प्रततकिया
सूचकाींक” के उच्च अींत पर हैं, ने इन श्रमिकों को काफी प्रभापवत ककया है , क्जससे
उनिें से कई शहरों को िजबूरन छोडकर ग्रािीण क्षेत्रों िें वापस आने के मलये पववश
हुए हैं।

ररपोटय के िहत्वपण
ू य तनष्ट्कर्य:

• पहले ILO िॉतनटर के बाद से, COVID-19 िहािारी ने तीव्रता के िािले िें और तेजी ला दी है और
वैक्श्वक पहुींच िें पवस्तार ककया है।
• कोपवड -19 िहािारी ने दतु नया के 81% काययबल को प्रभापवत ककया है – 2.7 बबमलयन (कुल3
बबमलयन िें से)।
• इस वर्य की दस
ू री ततिाही िें वैक्श्वक स्तर पर 195 मिमलयन पूणक
य ामलक नौकररयों या
6.7% कािकाजी र्ींटों के सिाप्त होने की उम्िीद है।
• इसने हिें द्पवतीय पवश्व यद्
ु ध के बाद से बेरोजगारी के सबसे बुरे दौर िें लाकर खडा कर ददया
है ।

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• “भारत, नाइजीररया और ब्राजील िें , लॉकडाउन और अन्य तनयींत्रण उपायों से प्रभापवत अनौपचाररक
अथयव्यवस्था िें श्रमिकों की सींख्या बडी है ,” ILO ने कहा।

भारत िें हालत:

• भारत िें , अनौपचाररक अथयव्यवस्था िें लगभग 90% लोग कायय करते हैं,
• क्जनिें से सींकट के दौरान अनौपचाररक अथयव्यवस्था िें लगभग 400 मिमलयन श्रमिकों के गरीबी
िें धकेले जाने का खतरा है ।
• सरकार के सख्त उपायों ने इन श्रमिकों को काफी प्रभापवत ककया है , क्जससे उनिें से कई को
शहरों को छोड ग्रािीण क्षेत्रों िें लौटने के मलये पववश होना पडा है।

दतु नया भर िें हालत:

• 2020 के दौरान वैक्श्वक बेरोजगारी िें अींतति वद्


ृ गध भपवष्ट्य के पवकास और नीततगत उपायों पर
काफी हद तक तनभयर करे गी। एक उच्च जोखखि है कक अींत-वर्य का आींकडा 25 मिमलयन के
प्रारीं मभक ILO प्रक्षेपण की तुलना िें काफी अगधक होगा।
• ररपोटय िें कहा गया है कक COVID-19 िहािारी के कारण दतु नया की अथयव्यवस्थाओीं िें व्यवधान
के कारण इस साल की दस
ू री ततिाही िें दतु नया भर िें कािकाजी र्ींटों का 6.7 प्रततशत नष्ट्ट हो
जाएगा जो दतु नया भर िें 195 मिमलयन नौकररयों के बराबर है ।
• अरब राज्यों िें बडी कटौती (8.1 प्रततशत, 5 मिमलयन पूणक
य ामलक श्रमिकों के बराबर), यूरोप (7.8
प्रततशत, या 12 मिमलयन पूणक
य ामलक काययकताय) और एमशया व प्रशाींत क्षेत्र (7.2 प्रततशत, 125
मिमलयन पूणक
य ामलक) किी)।
• 2020 के दौरान वैक्श्वक बेरोजगारी िें अींतति वद्
ृ गध भपवष्ट्य के पवकास और नीततगत उपायों पर
काफी हद तक तनभयर करे गी। एक उच्च जोखखि है कक अींत-वर्य का आींकडा 25 मिमलयन के
प्रारीं मभक ILO प्रक्षेपण की तुलना िें काफी अगधक होगा।
• ररपोटय िें छीं टनी और िजदरू ी िें किी और काि के र्ींटों िें होने वाली किी िें बडी बढ़त बताई
गई है । कई कि वेतन वाले, कि-कुशल नौकररयों िें हैं, जहाीं आय का अचानक नुकसान

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पवनाशकारी है क्योंकक यह बताता है कक 1.25 बबमलयन श्रमिक “कठोर और पवनाशकारी” जैसे उच्च
जोखखि के रूप िें पहचाने जाने वाले क्षेत्रों िें काययरत हैं।

अब कहाीं अगधक ध्यान केंदित ककया जाना चादहए?

• चार स्तींभों पर ध्यान केंदित करते हुए बडे पैिाने पर, एकीकृत, नीततगत उपायों की आवश्यकता
थी: सहायक उद्यि, रोजगार और आय; अथयव्यवस्था और नौकररयों का उत्पादन करना; काययस्थल
िें श्रमिकों की रक्षा करना; और, सिाधान खोजने के मलए सरकार, श्रमिकों और तनयोक्ताओीं के बीच
सािाक्जक सींवाद का उपयोग करना।
• चार स्तींभ नीचे गचत्र िें ददए गए हैं-

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