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अध्याय 2

संसाधन के रूप में लोग


अतुल जैन
प रचय

● जनसँख्या + शक्षिा, प्र शक्षिण, च कत्सा = मानव पूँजी


● सकल घरे लू उत्पाद में योगदान करने की क्षिमता
● जनसँख्या को एक िज़म्मेदारी की तरह दे खा जाता है , अवसर की
तरह नहीं
● उत्पादन के अन्य कारकों से श्रे ठ यूं क उनका उपयोग करने के
लए ये ज़रूरी
प रचय

● सकल और वलास की कहानी - एक स्कूल गया दूसरा नहीं - जीवन


में बहु त फकर्ष
● श क्षित लोग आने वाली पी ढ़यों की शक्षिा को महत्त्व दे ते हैं
● जापान के पास कोई ख़ास प्राकृ तक संसाधन नहीं
● तब भी लोगों में नवेश कर के वह वक सत दे श बना
आ थर्षक क्रयाकलाप के क्षिेत्रक

● प्राथ मक -कृ ष, वा नकी, पशुपालन, मत्स्य पालन


● द् वतीयक - व नमार्षण
● तृतीयक - व्यापार, प रवहन, संचार, बैं कं ग, स्वास्थ्य, पयर्षटन आ द
● सभी ग त व धयां उत्पादन या मूल्य वधर्षन करती हैं
वगर्षीकरण

● बाजार क्रयाएं - वो जो लाभ कमाने और बेचने के उद्दे श्य से


● गैर बाजार क्रयाएं - वो जो स्व उपभोग के लए हो
म हलाओं और पुरुषों में श्रम वभाजन

● पुरुष अ सर बाजार ग त व धयां करते हैं


● म हलाओं को गैर बाजार ग त व धयां - वेतन नहीं
● ये बटवारा ऐ तहा सक और सांस्कृ तक
लैं गक भेदभाव

● म हलाओं को कम वेतन
● शक्षिा के कम अवसर
● स्वास्थ्य पर कम ध्यान
जनसँख्या की गुणवत्ता

● शक्षिा - सामािजक सुधार, आय और सांस्कृ तक वकास


● सुगमता ज़रूरी
● पहली पंचवषर्षीय योजना में 151 करोड़ का व्यय, अब बढ़कर 1 लाख
करोड़
● 1951 में साक्षिरता दर 18%, अब 85%
जनसँख्या की गुणवत्ता

● सवर्ष शक्षिा अ भयान, मड डे मील, सेतु पाठ्यक्रम, स्कूल लौटो


श वर का आयोजन
● उच्च शक्षिा में वृद् ध
स्वास्थ्य

■ बीमारी नयंत्रण
■ पौि टक आहार
■ जन्म दर, मृत्यु दर, शशु मृत्यु दर, जीवन प्रत्याशा
बेरोज़गारी

● श्रम शि त - 15 से 59 वषर्ष
● काम करने की इच्छा ले कन काम नहीं
● मौसमी बेरोजगारी - हर समय काम नहीं
● प्रच्छन्न बेरोजगारी - आवश्यकता से अ धक लोग संलग्न
● श क्षित बेरोजगारी - योग्यता के बावजूद बेरोजगारी
अध्याय 3

नधर्धनता - एक चुनौती
अतुल जैन
प रचय

● वश्व में सवार्ध धक नधर्धन भारत में


● 2011-12 के हसाब से 27 करोड़
● ग्रामीण और शहरी, दोनों तरह की नधर्धनता
● नधर्धन के साथ ग रमापूणर्ध व्यवहार नहीं
प रचय

● स्वच्छता आ द की भी कमी
● मापन के अनेक सामिजक माध्यम - कुपोषण, अ शक्षा, स्वास्थ्य,
रोजगार, पेयजल, स्वच्छता की कमी आ द
सामािजक अपवजर्धन

● कुछ लोगों की मुख्यधारा में शा मल न करना


● नधर्धनता का कारण और प रणाम दोनों हो सकता है
● जा त व्यवस्था एक उदाहरण
असुरक्षा

● जो लोग अभी नधर्धन नहीं हैं ले कन होने की संभावना है


● प्राकृ तक आपदा, स्वास्थ्य चुनौती, सामािजक िस्थ त
नधर्धनता रे खा

● काल्प नक रे खा िजसके नीचे आय होने पर व्यि त अपनी


आवश्यकताएं पूरी नहीं कर सकता
● हर दे श और काल में अलग अलग
● भारत में खाद्य आवश्यकता, कपडे, जूत,े ईंधन, प्रकाश, शक्षा,
स्वास्थ्य आ द पर आधा रत
● इनकी आवश्यकताओं को रुपये में प रव तर्धत करके नधर्धनता रे खा
नधर्धनता का वतरण

● नधर्धनों में भी अनुसू चत जनजा त, अनुसू चत जा त का अ धक


प्र त न धत्व
● राज्यवार वतरण भी अलग अलग दशा
नधर्धनता का वतरण
नधर्धनता का वतरण
नधर्धनता का वतरण
नधर्धनता के कारण

● औप नवे शक इ तहास
● बड़ी जनसँख्या
● 80 के दशक तक धीमा आ थर्धक वकास
● रोजगार का कम सृजन
● आय का असमान वतरण
नधर्धनता वरोधी उपाय

● 2 कारक - आ थर्धक संवद्


ृ ध, ल क्षत नधर्धनता रोधी कायर्धक्रम
● 80 के दशक तक संवद्
ृ ध नहीं, उसके बाद काफी तेज़
● आ थर्धक संवद्
ृ ध से अवसर बढ़ते हैं, िजससे नधर्धनता कम होती है
● कृ ष में संवद्
ृ ध कम - प रणाम दखाई दे ते हैं
● ल क्षत कायर्धक्रम - मनरे गा - 100 दन के रोजगार की गारं टी
नधर्धनता वरोधी उपाय

● अगर मांग के 15 दन में काम न मले तो गारं टी कोष से भत्ता


● 2004 में राष्ट्रीय काम के बदले अनाज योजना
● 150 सबसे पछड़े िजलों में
● रोजगार के लए अनेक योजनाएं
भ वष्य की चुनौती

● नधर्धनता की प रभाषा को व्यापक करना होगा


● उसमें अनेक संकेतक जैसे शक्षा, स्वास्थ्य, आवास, स्वच्छता
आ द शा मल करने होंगे

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