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हहिंदी अर्य: सि रव्यों में ववद्यारुपी रव्य सवोत्तम है , क्यों कक वह ककसी से हरा नहीीं जा सकता; उसका
मूल्य नहीीं हो सकता, और उसका कभी नाि नहीीं होता ।
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पाठ- 1 (अकारान्ि पुस््लिंग) अभ्यास कायय
प्र-1 (क) उच्चारणिं कुरुि। (उच्चारण करो)
कृषकः (ककसान) वष
ृ भः(िैल) भल्लूकः(भालू)
च ् + अ + ष ् + अ + क् + अः = चषकः
स ् + औ + च ् + इ + क् + अः = सौचचकः
ि ् + उ + न ् + अ + क् + औ = िुनकौ
ध ् + आ + व ् + अ + त ् + अः = धावतः
व ् + ऋ + द् + ध ् + आः = वद्
ृ धाः
ग ् + आ + य ्+ अ + न ् + त ् + इ = गायन्न्द्त
सीव्यतत = स् + ई + व् + य् + त् + इ
वरायः = व ् + अ + र् + र ् + आः
कुक्कुरौ = क् + उ + क् + क् + उ + र् + औ
मयरू ाः = म ् + अ + य ् + ऊ + र् + आः
िालकः = ि ् + आ + ल ् + क् + अः
प्र-3 उदाहरणिं दृष्ट्वा ररक्ितर्ानानन पूरयि- (उदहारण दे खकर ररक्ि तर्ान पूरें कीस्िए)
यर्ा-
चषकः चषकौ चषकाः
मग
ृ ः मग
ृ ौ मग
ृ ाः
प्र-4 चचत्राणण दृष्ट्वा सिंतकृिपदानन ललखि- (चचत्र दे खकर सिंतकृि पदों को ललणखए )
प्र-6 पदानन सिंयोज्य वाक्यानन रचयि-( पदों को सिंयोिन करके वाक्य की रचना करो )
गजाः चलन्न्द्त
शसींहौ गजयतः
गायकः गायतत
िालकौ पठतः
मयरू ाः नत्ृ यन्न्द्त
क) हाथी चलत रहे हैं ।
ख) िेर गरजते हैं।
ग) गायक गाता है ।
घ) दो िालक पढ़ते हैं ।
ङ) मोर नाचते हैं ।
प्र-7 मञ्िूषािः पदिं चचत्वा ररक्ितर्ानानन पूरयि-(मञ्िूषा से पद चुनकर ररक्ि तर्ान की पूनिय
करो)
प्र- 8 सः, िौ, िे इत्येिेभ्यः उचचििं सवयनामपदिं चचत्वा ररक्ितर्ानानन पूरयि-( सः, िौ, िे इन में
उचचि सवयनाम पद चन
ु कर ररक्ि तर्ानों की पनू िय करो)