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Kabir Ki Sakhiya
Kabir Ki Sakhiya
अथ: कबीर दास जी कहते ह क अपने मुख से ऐसी वाणी का इ तेमाल क िजये जो दस
ू र
को शीतलता का अहसास कराये और िजससे वयं को भी शीतलता का अनुभव हो।
अथ: कबीर दास जी कहते ह क जब म इस संसार म बुराई ढूंढने नकला तो मुझे कोई बुरा
नह ं मला। जब मने अपने अंदर झांककर दे खा तो पाया क मुझसे बुरा कोई नह ं है।