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Namostu Chintan 10 Jan19
Namostu Chintan 10 Jan19
-: मंगलाचरण :-
( : )
कहाँ पर या है ? उ धत
ृ : आचाय ी १०८ वशु सागरजी
भि तरस से अ भ सं चत क व क भगवान ् से 21
मु य आवरण :
सीधी बात : मणाचाय ी १०८ वभवसागर
मानव क मानवता : परम धम
जी
नजा म सख
ु ह नजानंद : वचन भा से 20
मंगलाशीष
,
सव वाणी व व क याणी है . जो क
या वाद, अनेकांत त व से मं डत है . ऐसी वीतराग
वाणी सव व व के क याण का कारण बने, इस
उ दे य को लेकर “नमो तु चंतन” प का प रवार
जो उप म कर रहा है , वह अनुकरणीय है . ी
जो है सो है िजन वा वा दनी, ी िजन शासन, नमो तु शासन
क भावना हे तु मंगलाशीष.
नमो तु शासन जयवंत हो
आचाय ी 108 वशु सागरजी महाराज
जयवंत हो वीतराग मण परभणी, महारा .
11 जल
ु ाई 2018.
सं कृ त
अहो ! अ त दल
ु भ मानव जीवन मला, अ त भा य
से जैन कुल मला और आज इस पंचमकाल म
भी न थ मु नराज के दशन मल रहे ह. और
या चा हए ? कुछ वष पहले तक तो मु नराज
के दशन भी दल
ु भ थे. पं डत बनारसीदासजी ने
अपनी एक रचना म अपने मन क यथा को
य त भी कया ह. इस सबसे हम लगता ह क
हम सभी बहुत ह भा यशाल ह जो हम धरती के
दे वता, तपोधन, न थ मु नराज के ससंघ दशन
का लाभ मल रहा ह.
आचाय ी अ य
सार वत ् क व नय च वत मणाचाय
ी 108 वभवसागरजी महाराज
ट मंडल : दग
ु : सजल जैन, गड
ु गाँव : पं.मक
ु े श शा ी
हैदराबाद : डॉ. द प जैन
अ य ी पी. के. जैन ‘ द प’
इंदौर : दनेशजी गोधा, ीमती रि म गंगवाल
उपा य ा ीमती त ठा जैन जयपरु : डॉ. रं जना जैन
महामं ी बा. .अ यकुमार जैन कोलकाता : सरु े गंगवाल, राजेश काला,
सह मं ी ी अिजत जैन ीमती कुसम
ु छाबड़ा,
समा ध भि त शतक
दादा गु दे व परम पू य गणाचाय ी वराग
अथात ् मानव जीवन क मानवता और उसक
सागर जी महाराज कहते ह – “पावन पुनीता बो ध
सफल साधना का फल ह समाधी ह”. इस
( ान) के फल व प र न य मि डत, वीतराग
कालजयी अमर-भ -का य रचना शायद ह कोई
न वक प धम यान ह समाधी है िजसे साधू जन
ऐसा ावक होगा िजसने इसे पढ़ा न हो या सुना
अह नश करते है और अपनी आ मा क शु चत ्
न हो. वैसे तो इसके थम अ धकार तो कई ावक
चम कार प शु ा म क अनुभू त को ा त करते
को कंठ थ ह है .
हुए जीवन के अं तम दन म एवं ण म काय
कषाय का लेखन करते हुए मरण को ह महा
महो सव बनाते ह.” यह आशीवचन दादा गु दे व
भि त से अनमोल अमर पद, शवपद ा त होता मेरा अं तम मरण समा ध, तेरे दर पर हो ||46||
य चलनी म नह ं ठहरता, भरा हुआ पानी | चंचल मन है पवन वेग सा, कौन दशा जाये ?
चार आराधन भी नमल, कैसे आराधूँ || त ृ णा-स रता म डूबा मन, हत ना कर पाया ||
मेरा अं तम मरण समा ध, तेरे दर पर हो ||49|| मेरा अं तम मरण समा ध, तेरे दर पर हो ||52||
नजा म सख
ु ह नजानंद
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uke i;kZ; gSA xq.kksa d¢ fodkj dk uke i;kZ; gSA ( आचाय ी १०८ वशु सागर जी क अनप
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रचना वचन भा से साभार उ धत
ृ )
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सबसे बड़ा धम
साथ दे गा या नह . फर ओर क तो बात ह या
? मानवता खोती जा रह है , ऐसा नह है क
आज का यग
ु व- वनाश क दशा म जा
रहा है . अपनी भत
ु ा स करने के लए येक
रा दस
ू रे रा म हंसा और आतंकवाद जैसी
बरु ाइयां फैला रहा है जो सवथा अनु चत है . ऐसे-
ओ मानवता के सौदागर !
ऐसे घातक ह थयार बना लए गये ह क संपूण
मानव जा त ह नह ं संपूण सिृ ट आज खतरे म
है .
मानव ह मानवताका सौदागर,
इस वनाशकार होड़ को केवल मानव ह मानवता य छोड़ी तुमने ?
लगाम लगा सकता है , य क सफ और सफ हर मानव से यार करो,
ेम के ारा ह सार द ु नया को वश म कया जा नफ़रत ह य पाल तम
ु ने ?
सकता है . हर मानव का स मान करो |
मानव और मानवीय मू य
रोट छनकर भी ओर क
नह ं पेट भर खाया तुमने
काँटे ह काँटे िजस पथ पर
मानववाद या मनु यवाद दशनशा म उस
खद
ु को मत बरबाद करो
वचारधारा को कहते ह जो मनु य के मू य और
नफ़रत ह य पाल तम
ु ने
उनसे स बं धत मसल पर यान दे ती है .
हर मानव का स मान करो
अ सर मानववाद म धा मक ि टकोण और
इधर-उधर सब भाग रहे हो
अलौ कक वचार-प तय को ह न समझा जाता
कतनी रात से जाग रहे हो
है और तकशि त, या यक स ा त और
कहाँ तु ह आराम मलेगा ?
आचारनी त पर ज़ोर होता है .
कहाँ तु हारा दद बंटेगा ?
ओरो से चाहे करो ना करो आज के इस भौ तक युग म य द मानव या
खद
ु से तो तुम यार कर मनु य, मनु य के साथ स यवहार करना नह ं
मानवता य छोड़ी तुमने सीखेगा, तो भ व य म वह एक-दस
ू रे का घोर
हर मानव से यार कर वरोधी ह होगा. यह कारण है क वतमान म
नफ़रत ह य पाल तम
ु ने ? धा मकता से र हत आज क यह श ा मनु य को
हर मानव का स मान करो | मानवता क ओर न ले जाकर दानवता क ओर
लए जा रह है . जहाँ एक ओर मनु य, आण वक
ीमती सुषमा जैन
श का नमाण कर मानव धम को समा त
डूग
ं रपुर
करने के लए क टब हो रहा है , तो वह ं दस
ू र
(राज थान)
ओर अ य घातक बम का नमाण कर अपने
दानव धम का दशन करने पर आमादा हो रहा
है . ऐसी ि थ त म वचार क िजए क वसुधव
ै
ीमती सष
ु मा जैन
कुटु बकम ् वाला हमारा नेहमय मल
ू मं कहाँ चला
डूग
ं रपरु
गया ? हम कस दशा म जा रहे ह. सफ एक
(राज थान)
दस
ु रे से आगे बढ़ने क होड़ म ववेकह न होकर
सद य:
अंधी दौड़ लगा रहे ह.
नमो तु शासन सेवा
स म त पाठशाला व व के सभी मनु य जब एक ह वधाता
के पु ह और इसी कारण यह संपूण वशाल व व
एक वशाल प रवार के समान है , तो पुन: पर पर
जैन दशन म
संघष य ? आपस म ह एक दस
ु रे को नीचा
दखाने वाल तयो गता य ? इस पर रोक
लगनी ह चा हए.
यह वचार केवल आज का ह नह ं है .
मानव, मानवतावाद,
समय-समय पर संसार म व तत अनेक मुख मानव और मानवतावाद क नेभर से जैन
धम म इस यापक और परम उदार वचारकण दशन कट हो जाता ह. इस दशन को बहुत ह
का सामंज य पुंजीभूत है . मानवता मनु य का वशाल सोच या ि टकोण वाला धम कहा गया
थम और अनमोल धम है . ह. इसके मूल स ा त वशेष प से अनेकांत,
यादवाद, कम स ा त और व तु वाभाव ह ह.
सभी मनु य म नेह करने का मूल पाठ
इस वशेषांक को मानव और मानवतावाद पर ह
मानव धम ह सखाता है . जा त, सं दाय, वण,
केि त कया गया ह इस लए हम इसम सफ
धम, दे श आ द के व भ न भेदभाव के लए यहां
मानव और मानवतावाद पर ह चचा करगे.
कोई थान नह ं है . मानव धम का आदश और
इसक मनोभू म अ यंत ऊंची है और इसके पालन मानवतावाद मानव का वशेषण ह. मू य
म मानव जीवन क वा त वकता न हत है . मानव और चंताओं पर यान क त करने वाला
धम स यता और सं कृ त क एक कार क र ढ़ अ ययन, दशन या अ यास का एक ि टकोण
क ह डी है । इसके बना स यता व सं कृ त का है , िजसे जैन दशन म बहुत ह सु दर तर के से
वकास क पना मा ह है . तपा दत और स कया गया ह. मानव, इस
श द के कई मायने हो सकते ह पर तु जैन
ीमती बबीता वण जैन रावत स ा त के अनुसार येक जीव क चार ग तयाँ
सरसागंज होती ह जैस-े मनु य ग त, तयच ग त, नरक
ग त और दे व ग त. मनु य ग त वाला जीव मानव
ीमती बबीता
भी कहलाता ह.
वण जैन
सरसागंज दशन और सामािजक व ान के े म कई
(उ. .) तरह के ि टकोण जो 'मानव वभाव' के कुछ
सद य : नमो तु भाव क पुि ट करता है वह ह मानवतावाद ह.
शासन सेवा स म त जैन दशन के अनुसार “व तु वभावो ध मो”
(रिज.) पाठशाला अथात कसी भी व तु का गुण ह उसका धम ह.
यह ह एक धम नरपे वचारधारा ह
आपने जीवन दान दया, यह कोई छोट बात नह ं 21 क र हर श आशा फूलचंद कोठार जैन
वभव सागर जी महाराज का आशीवाद भी ा त 23 कुदाल ममता राखी सरु े शाह जैन
24 केलादे वी दे वाशीष रो हणी गौरव जैन
हो गया ह. आपने अपने माता- पता क बात को
25 कौशा बी जगद श कृ तका अ भिजत जैन
ह नह ं माना बि क उनका मान भी बढाया है .
26 खतोल िजते वनीता संयम जैन
सभी जानते भी है क माँ ह पहल पाठशाला ह.
27 गढ़ाकोटा तभा तनज
ू ा आशीष जैन
28 गया मनीषा माया महावीर जैन
आगामी अंक का
चं कांत चंदना िजतेश म लैया
90 राजापरु जैन
91 रानीगंज मु कान सपना रो हत जैन
92 रामनगर
93 रामपरु
त वी ऋतू सरु े श जैन
अनज
ु अमत
ृ ा कशोर जैन
वषय होगा :
94 रायपरु आ द प मनी बसंत जैन
95 वाराणसी
व ालय, दे वालय और
वैभव आनंद राज जैन
96 शंकरगढ़ पाल मला स दे श जैन
सवाई महावीर बरखा हमांशु पहा ड़या
97 माधोपरु जैन औषधालय/ च क सालय
98 सापत
ू ारा सव
ु णा शालू मेहता जैन
सोमनाथ
99 परू ा रमेश स रता सय
ू कुमार जैन
100 हुगल शव कमलेश संजय जैन
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क वता उपयु त वषय पर ह
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१५ जनवर २०१९ तक
हा सप कर :-
स म त पाठशाला से जु ड़ये और
बा. . अ यकुमार जैन
क िजये अपना आ म क याण.
संपक कर :-
(रिज टड सं था)
E-mail : namostushasangh@gmail.com
: pkjainwater@gmail.com
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आप सभी का आभार
नमो तु शासन सेवा
स म त प रवार
“जय िजने ”
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धा मक प का नःशु क वतरण के लए
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