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काशक : नमो तु शासन सेवा स म त (रिज.) संपादक : पी. के.

जैन “ द प”
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जय िजने .
आपके सम यह च तन पु प, नमो तु चंतन पु प पेश करने का मेरा यह लघु यास
ह और यह पु प प ल वत हो सका ह तपल मरणीय मेरे भगवन, मेरे गु दे व के आशीवाद
से ह और आप सभी के नेह सहयोग के कारण ह असीम बल को ा त कर सका. मेरे इस
यास म जो भी ु टयाँ, मेरे अ प ान के कारण हुई ह उन सभी के लए म आप सभी से
दोन हाथ जोड़कर आप सभी से मा चाहता हूँ.
द प कुमार जैन (पी. के. जैन ‘ द प’)
31 माच 2018
वासी मेलबन, ऑ े लया.
नवासी क याण, मंब
ु ई, भारत.
सबके दन एक से नह ं होते और सब दन भी एक से नह ं होते
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जलने से पहले जलना छोडो !


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आचाय ी अ य

चैत य तीथ के नमाता,


तुम भगव ा बतलाते हो |
मेरा भगवन तो मझ
ु मे ह,
तम
ु नज स ा बतलाते हो ||
आ गया काल फर से चौथा,
या फर बसंत लहराया है |
न थ दगंबर मु ा म,
यह शु ध संत अब पाया ह ||
तन से वशु ध मन से वशु ध,
चेतन वशु ध करने वाले |
मन से वशु ध संचार से,
जग वपदाएँ हरने वाले ||
तुम हो अनघ, चया अनघ,
चया अनघ मंगलकार |
म अघ चढ़ाता हूँ तुमको,
तुम तीथकर सम उपकार ||

ॐ ं णमो आइ रयाणं ीम
आचाय परमे वशु सागर
मु नरे यो अनघ पद ा ये अघ
नवपामी त वाहा ||

आ मं वभावं पर भाव भ नं, आ मं वभावं पर भाव भ नं


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सभी को सादर जय िजन !

आचाय ी का चातुमास म सोलापुर म हुआ था तभी से आचाय ी क सेवा म लगा


हुआ हूँ । म अ भयां क पूण होने पर मेर नौकर पुणे, महारा म लग गई थी।
आचाय ी के ान और चया से तो म पहले से ह भा वत था. मुझे लगा क य न आचाय
ी क वाणी को घर-घर पहुंचाया जाए. पुणे के ह मा णकबाग मं दर म वा याय शु करने
का वचार कया गया और आचाय ी के आशीवाद से हर काय क स ध हो गई । से
ह ने तक पु षाथ स ध उपाय ंथ का वा याय कया गया और कराया गया. धम क बहुत
महती भावना हुई । उसके बाद वहां से मुझे नौकर के लए मुंबई आना पड़ा । वहां पर भी
मने ड बवल , क याण, कुला, घाटकोपर, वल , एरोल आ द अनेक िजन मं दर म आचाय ी
के ंथ का वा याय कया । मुंबई के लोग क वा याय म च बढ़ने लगी । मेरे साथ
रो हत भैया (वतमान म मु न ी स भाव सागर जी संघ थ आचाय ी ) का बड़ा योगदान
रहा. बहुत से युवा लोग क वा याय म च होने से वह हम लोग से जुड़ने लगे. क याण
मं दर के पूव सं थापक अ य द प कुमार जी (पी. के. जैन ‘ द प’) क वा याय म च
होने से हमारे संपक म आए । हमने एक संघ क थापना के बारे म सोचा ता क पूरे दे श म
आचाय ी क वाणी को घर-घर पहुंचाया जाए । उसके बाद द प जी के मागदशन म नमो तु
शासन सेवा स म त क थापना क गई । शु शु म जब डिजटल मी डया जोर पर नह ं
था तब SMS के वारा मोबाइल फोन से हर दन हजार लोग को वशु ध वचन भेजे जाते थे
। इसके आगे धीरे -धीरे आचाय ी के वचन ऑ डयो और वी डयो के वारा घर-घर पहुंचाने
का काय कया गया तथा ई-सा ह य को भी ी द पजी ने वयं उपल ध कराया ।

उसके बाद द प जी के मागदशन म ह नमो तु शासन सेवा स म त का पंजीकरण अथात


रिज े सन म कया गया । उसके बाद म ऐरोल समाज के सहयोग से जैन माइनॉ रट
का ो ाम रखा गया । हंद , गुजराती, क नड़ ंथो का काशन कया गया । आचाय क
वेबसाइट का लोकापण भी कया। इसके अलावा जो धम भावना के प अनेक काय अभी भी
कए जा रहे ह।
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आचाय ी जो च र म गंभीर ह, मो माग के उपदे शक ह, जो मूल गुण का पालन
नरातीचार पूवक पालन करते ह, जो पंचाचार का पालन वयं करते ह और अपने श य से
भी करवाते ह, ऐसे आचाय भगवन शता धक द ाएं दान कर, अं तम ुत केवल भ बाहु
वामी जी जैसा उनका संघ व तार को ा त हो और म चं गु त जैसे उनके चरण क सेवा
करता रहूं ।

आचाय वशु ध सागर महाराज क बारहवीं आचाय पदारोहण दवस पर उनके चरण म
अनेक भवो म िजतने भाव कए उन भाव के बराबर आचाय ी के चरणो म नमो तु नमो तु
नमो तु ।

ी द प कुमार जैन, क याण, मुंबई जो क नमो तु शासन सेवा स म त के


रा य/अंतररा य अ य भी ह, के वारा आचाय ी के आचाय पदारोहण दवस पर इस
ई-प का के काशन का काय कया गया जो अ हंसा मक प से भी धम भावना म सहरानीय
है ।

इसके अलावा इस सं करण म िजन भी सद य ने य या अ य प से अपना


सहयोग दान कया है । उनका भी म दय से आभार हूं, जो एड मन सं था के हर काय
म कंधे से कंधा मलाकर के तन-मन और धन से सहयोग कर रहे ह उनका भी म बहुत दय
से आभार हूं और भावना भाता हूं क आगे भी आचाय ी के आशीवाद से नमो तु शासन को
सदा जयवंत रखगे और नरं तर उ न त करगे।

इ त शुभम अलाप!!

बाल मचार अ य कुमार जैन,

महामं ी

नमो तु शासन सेवा स म त

जो है सो ह
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दादा गु दे व गणाचाय ी 108 वराग सागरजी महाराज

क चैत य कृ तयाँ नमो तु नमो तु नमो तु गु वय

वीतरागी बनो, व रागी मत बनो.


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आचाय ी र चत का य:
।। अकत व भाव।।
अहो हंसा मन !
येक य का प रणमन है पथ
ृ क, पथ
ृ क,
व व, प रणामो के कता सब वयं ह है ।
प रणाम के कता य है ।
प रणाम उन य का कम है ।
परमाथ से, नह कसी का कसी म कता संबंध है
इस लए भत
ू ाथ त व को जान,
जीव का कसी अ य से कता कम संबंध नह है ।
।। जो है सो है ।।

- वा याय भावक आचाय 108 ी वशु द सागर जी.


ेषक : बाल मचार
ी अ यकुमार जैन
महामं ी : नमो तु शासन सेवा स म त (रिज.),क याण,मुंबई
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राज लला क बनौल संयम क ओर बढ़ते कदम

ु लक यशोधर जी वारा वा याय व धम भावना

कम स धांत से बड़ा कोई इमानदार नह ं ह


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मु न ी वशु ध सागरजी क आहार चया के लए जाते हुए


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मु न ी वशु ध सागरजी को आचाय पद के ऐ तहा सक ण


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" दल म नाम तेरा है , तु भगवान मेरा है ”


॥आचाय भगवन वशु दसागरजी॥
िज़ दगी म कसी को खुबसूरत तन मलता है ,
तो कसी को पवन सा तेज मन मलता है,
जंहा म बड़े भा यशाल है वो लोग,
िजनक क मत म गु वर का चातुमास मलता है।।
गु वर तेरे गुण को हमसे गाया नह जाता।
तेर साधना का अंदाजा कभी लगाया नह जाता।।
तेरे गण
ु का गण
ु गान करे तो कैसे करे ।
क द ु नया म ऐसा पैमाना कह पाया नह जाता ।।
!!जो है सो है !!
!!नमो तु शासन जयवंत हो!!
!!जयवंत हो वीतराग मण सं कृ त !!
जय गु दे व प.पू. गु भगवंत अ या मयोगी मणाचाय १०८ ी
वशु धसागरजी महाराज के चरण म
शत ् -शत ् नमन एवं काल नमो तु

poooooo

नमनकता: नवीन जैन, इंदौर, म य दे श


संचालक (एड मन), नमो तु शासन सेवा स म त प
ु नं 08
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नमो तु शासन सेवा स म त


(पंजीकृत सं था)

ट मंडल :
ी पी. के. जैन ‘ द प’
अ य
बा. .अ यकुमार जैन
महामं ी
ीमती त ठा जैन
उपा य ा
ी अिजत जैन
सह मं ी
ी वीन जैन
कोषा य

सद य:
ीमती मंजू पी. के. जैन
ी सुशांत कुमार जैन

!!जो है सो है !!
!!नमो तु शासन जयवंत हो!!
!!जयवंत हो वीतराग मण
सं कृ त !!
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अहो ानी ! समय यानी आ मा. उस आ मा को का शत करनेवाला यह


समयसार दे शना: व उतरे ! तो ऐसे उतारे जैसे उन मु नराज के उतरे
थे. िजनके सामने डाकुओं का गरोह आया था. डाकुओं ने अपने सरदार से
कहा था इन साधु को भगा दो. सरदार कहता ह - यह तो धरती के
दे वता न थ तपोधन ह. इ ह कंचन व का मनी से कोई योजन नह ं
होता ह. माता- पता पु आ द से कोई राग नह ं रहता है . इनको मत
भगाओ. ये अपने काय म व न नह ं करगे और और उनको नम कार
करके कहा क आज मेरा काम हो जाये. वे न थ योगी वर वह यान
म ल न खड़े थे. इसी बीच होनहार तो दे खो. होनहार के बना कुछ होता
नह ं और काय हुए बना होनहार होती नह ं. जो मु नराज वहां खड़े थे, वे
जब मु न बने थे तो उनक ब हन छोट थी. आज शाद के यो य हो चक ु
थी और माँ रा यदल के साथ अपनी क या क शाद करने जा रह थी.
र ते म साधु दख जाये तो लोग अहोभा य मानते ह. जंगल म रथ गुजर
रहा था माँ ने बेटे को पहचान लया. अरे यह तो मेरा पु ह. माँ का पु
होना कोई दोष नह ं पर पु क माँ नह ं थी य क पु मु नराज थे.
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जय हो गु वशु ध आपके आशीष से जीवन मेरा खल जाता है ,


भटक हुए मंिजलो को कनारा मल जाता है |
बस एक भावना मेर गु वर! पण
ू आप कर दे ना,
मेर आ था का द पक कभी बझ
ु ने ना दे ना ||
राह क ठन गु आप सहारे छाँव हमेशा रखना,
गलती हो जो मझ
ु से गु वर माँफ उ ह कर दे ना,
चाहे सजा दे ना मगरचरण से अलग मत करना ||

नमनकता:
ीतेश जैन, बरायठा, म य दे श
संचालक (एड मन), नमो तु शासन सेवा स म त प
ु नं 22
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।। मेरे गु वर।।
संसार पी समु म जब डूब रहा म, सहारा दया मेरे गु ने ।।
वषय चाह क आकां ा म डूब रहा, नज से मलाया मेरे गु ने।।
चारो तरफ वप से जब म गरा, समता से जीना सखाया मेरे गु ने।।
कभी रोना कभी हँसना,कभी हार कभी जीत,
सब दन एक से नह होते यह बताया मेरे गु ने।।
इ ट का वयोग और अ न ट के संयोग म, जो है सो है कहना सखाया मेरे गु ने।।
न कसी मे राग न कसी मे वेष,मा जानो दे खो जाने दो सखाया मेरे गु ने।।
जग म पर के साथ रहते हुए भी, नज के भगवान आ मा से मलाया मेरे गु ने।।
म वत हूं म कसी का कता नह ं,ऐसे िजनवाणी सू को सखाया मेरे गु ने।।
न थ क सेवा करना जबतक न थ बन न सको,
ऐसे नमो तु शासन को जयवंत करना सखाया मेरे गु ने।।
नमनकता:
सश
ु ांत जैन, उदयपरु , राज थान
ट एवं संचालक (एड मन), नमो तु शासन सेवा स म त ुप
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ाभत
ृ शा : यह समयसार थ ह और यह अरहंतदे व के वचन
का अंग ह, अवयव ह, इस लए मुझे वीकार ह. यान दे ना, ये
अरहं त के वचन का अवयव ह, इसम अपने मन का नह ं जोड़
दे ना. अपने मन का जोड़ दोगे तो अरहंत का अंग अ वशु ध हो
जायेगा. इनको वशु ध ह रहने दो, इसम अपना मत नह ं जोड़ो.
आपको अपना मत (अंग) जोड़ना हो तो अपने नाम का थ
बनाओ. उसे आचाय कु दकु द या आचाय अमत
ृ च वामी का
मत कहो. िजनको आपको सुनना या पढ़ना हो वो सुनगे, पढगे.
िजसे नह ं सुनना ह,वह आपका नह ं सुनगे,कु दकु द को ह सुनगे.

--आचाय ी क कृ त समय दे शना से उदधत



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वण बेलगोला म आचाय भगवंत का अ भुत मलन

चेहरे पर अजब गजब मु कान,


वा स य क कह रह दा तान,
दे खो हाथ है मले हुए और झुके हुए नयन,
र न यधार ओं का स ध व क ओर गमन,
दशन कर गुलजार हुआ मेरा चमन,
ऐसे मेरे गु वर को बारं बार नमन ।
नमो तु नमो तु नमो तु गु दे व।

गु चरण म – पी. के. जैन ‘ द प’


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नमो तु शासन सेवा स म त क उपलि ध


वतमान के पू य १०८ मु न ी स भाव सागरजी महाराज
और पूव के नमो तु शासन सेवा स म त के तीन सं थापक म
सबसे छोटे ी रो हत कुमार जैन
*****

छोटे होने पर भी आज संपूण नमो तु शासन सेवा स म त प रवार क


तरफ से नमो तु
*****

यह है वशेषता गुण क ,
नमो तु शासन क ,
ीजी के चरण म भी हम भावना भाते ह “तव गण
ु ल ये”
*****

नमो तु शासन जयवंत हो |

जयवंत हो वीतराग मण सं कृ त ||
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नमो तु शासन सेवा स म त प रवार (रिज.)

-: कायका रणी मंडल :-

चार सार मं ी : ी राहुल जैन, व दशा, ी अनुराग पटे ल, व दशा


दे शा य : ी गौरव कुमार जैन, बंगलु , कनाटक.
ीमती क त पवनजी जैन, द ल , द ल दे श.
ी नंदन कुमार जैन, छंदवाडा, म य दे श.
ी गौरव कुमार जैन, बंगलु , कनाटक.
नै तक ान को ठ मं ी : ी राजेश जैन, झाँसी, उ र दे श
पाठशाला संचा लका: ीमती क त जैन, द ल ,
हा सएप ु स : कुल 50 ु स के सभी एड मन/संचालक
गौरव,मुंबई; शुभम, आगरा;नवीन,बानपुर; पं.मुकेश शा ी,गुडगाँव;
डॉ. द प,है दराबाद; कुसुम छाबड़ा, कोलकाता; राजेश काला,कोलकाता; रतनलाल
गंगवाल, कोलकाता; न वन लह
ु ा डया,कोटा; गौरव, मौरे ना; द पक जैन, मंब
ु ई;
अतुल जैन, िज मी जैन, पं. राजेश “राज’ भोपाल; मतेश बाकल वाल, रायपुर;
राजकुमार चौगुले,सांगल ; भि त हुले यवहारे , पथ ऑ े लया, मीनू, भीलवाडा;
अ य पाटनी, बड़ा म हे रा; रजनी, बड़ा म हे रा; संजय, रािजम; महे श, है दराबाद;
दनेशजी गोधा,इंदौर; भरथराज, मुंबई; रोहन जैन, उमर ; काश संघवी, मुंबई;
ाची जैन; अभय जैन, उमर ; मला, कोटा; सौरभ, रानीपुर; मांगीलाल जैन,
रतलाम; राहुल नां े , सांगल ; धा यवहारे , सोलापुर; अशोक ि तकार ,
ट कमगढ़; अ वनाश, बैतल ू ; ीतेश, बरायठा; नवीन, इंदौर; राजकुमार बाकल वाल,
इंदौर. रतु, द ल , वपुल, सकंदराबाद उ. .; बी, सकंदराबाद उ. .; रि म
गंगवाल, इंदौर. एवं अ य सभी कायक ागण.
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गु के चरण मे शत शत वंदन, शत शत वंदन बारं बार नमन


बड़ा शभ
ु है अवसर, महान आचाय पद का पाया स मान
बड़े सौभा य से मला हम सब को ये अवसर,
ये पावन दवस मनाये धम
ू धाम से सब मलकर,
जब से गु वर तेर अ धभुत शरण हम को मल है ,
अ ान क मुरझायी हुई कल ान बन के खल है ,
दय से चाहे , बने रहे आपके साये, होता रहे उ धार,
रोज़ मनाये रोज़ ह आये, पदारोहण दवस ये बारं बार।
पु य उदय है , ध य भा य है, और सौभा य क बात है ।
आचाय ी भगवन गु वर का मल रहा हमे साथ है ।।

नमनकता:
क त जैन, द ल , द ल दे श अ य ा
एवं संचा लका नमो तु शासन सेवा स म त पाठशाला ुप

ि ट को बदलो, सिृ ट बदल जाएगी


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वशु ध संधु ी संत क ,म हमा अगम अपार।


व द ु गु वर पद वमल, वशु ध ान-भि त दातार।।
वीतराग छ व यार सौ य प सुखकार , गु वर,दशन सुख उपजाय।
परम ् तपो न ध वामी पूजहुँ पद अ भरामी, व दत पाप-ताप मट जाय।।
ध य र ीबाई-रामनारायण िजन सेवी, गु के माता- पता सुखदाय।।
बालयती को याऊँ, ी राजे गुण गाउँ , साधक, मण,संत च लाय।।
ध य र ाम ज मे ी गु नामा, प रजन, नर ख- न र ख सुख पाय।।
ु लक द ा धार भंड, ऐलक प ना, मु न ेयांस ग र,
और आचाय पद औरं गाबाद सुखकार , साधक सन
ु ी-गन
ु ी मंगल गीत गाय।।
सरल सरस शु च वानी यादवाद िजनवाणी, गु वर अनेकांत समझाय।।
शरण म जो भी आते, त व ान सुख पाते, गु वर जीवन मम बताये।।

गु चरणो म को ट को ट नमन
नमनकता:
राजेश जैन द नदयाल नगर झाँसी
मं ी: नै तक ान को ठ; नमो तु शासन सेवा स म त

लोभ, बना ईधन क आग


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उपयु त का य ी नहाल चं जी जैन ‘चं े श’ ने परम पू य आचाय ी वशु ध


सागरजी के जीवन वत
ृ ांत पर लखी गयी का यांज ल “ वसंवेद मण” से उ धत

क गयी ह. इस महान थमानुयोग के ंथराज का ई-सं करण ज द ह आपके
लए नमो तु शासन सेवा स म त वारा उपल ध होगा.
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वनयांज ल

परम येय मणाचाय अ या म योगी चया शरोम ण ी १०८ वशु ध सागरजी


महाराज के 12 व आचाय पदारोहण दवस पर चरण म शत शत नमन

हे गु वर ! जब जब आपके दशन का सौभा य ा त हुआ ह मन को एक अ भत



शीतल अनुभू त का अहसास हुआ ह | आपके ी मुखार वंद से ावक के लए अ भुत
संबोधन “ भो ानी! ” सुनकर येक ावक को लगता ह क या सचमुच हम ानी ह
? आगम म आया है क मु न के वचन स याथ ह होते ह तो सच म लगता ह क हम
ानी ह तो फर हम ान को पाना ह चा हए. आप के ीमुख से “ हे मुमु ओ
ु ं ”
सन
ु कर मन म मो को पाने क तरं गे उठने लगती ह तो आप मो माग को सग
ु म
अथ म बताकर लोगो को मो माग पर ले ह जाते हो. आपक सरल ओज वी वाणी का
भाव अ या म के मम को सभी के दल और दमाग म पण
ू पेण इस तरह हो जाता
ह क आपक वचन सभा से और दे शना पढ़कर यह सोचने को ववश कर दे ता ह क
हम यह संसार के वषय भोग से वर त होकर ज म मरण से छुटकारा पाना ह होगा.
सच म आप ने अपनी चया से और अ या म क साधना से “ नमो तु शासन जयवंत हो
रहा ह और वीतराग मण सं कृ त क जय जयकार हो रह ह. आचाय भगवन ी १०८
कंु द कंु द वामीजी ने रयणसार थ म लखा ह क :-

"गु भि त वणा तव-गुण-च र ं ण फ़लम ् जाण"

अथात गु के बना तप-गण


ु -चा र सब न फल ह जानो |

आचाय भि त म कहा गया ह :-

गु भि त संजमेण य, तरं त संसार-सायरं घोरं |

छ ण त अ ठ क मं ज मण मरणं ण पावती ||
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गु भि त और संयम से घोर संसार सागर से तर जाते ह, अ ट कम को छे द दे ते ह
और ज म मरण को ा त नह ं होते.

दशन तु त मे भी आया ह _

“दशनेन िजने ाणां साधूनां व दनेन च


न चरं त ते पापं छ ह ते यथोदकमं ||”

िजने दे व के दशन और साधु क वंदना से पाप हाथ म से पानी क तरह


नकल जाते ह.

हमने ी जी को तो नह ं दे खा पर तु आपक चया दे खकर आपक दे शना सुनकर


लगता है क ी िजने दे व आपक तरह ह ह गे तो यथाथ म आप स चे गु हो और
वीर भु के लघुनंदन ह हो. हम तो ध य हो गए आपके दशन करके.

नमो तु शासन जयवंत हो !


काल बार नमो तु आचाय ी .
मंजू द प कुमार जैन,
वासी मेलबन, ऑ े लया.
नवासी क याण मुंबई.
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वदे श से समाचार
जय िजने .
आप सभी को सू चत करते हुए हष हो रहा है क मेलबन, ऑ े लया म ि थत ी
दगंबर जैन चै यालय को 15 मई 2018 को 5 साल पणू होने जा रहे ह. इस ी चै यालय
म दे वा धदे व ी 1008 आ दनाथ भगवान क तमाजी था पत ह एवं हर माह के दस
ु रे
र ववार को सामू हक अ भषेक, पज
ू न अचना होती ह िजसमे लगभग 20 से 25 प रवार
सि म लत होते ह.
मेलबन, ऑ े लया पछले 7 साल से व व क थम नंबर पर रहने यो य सट का
अवाड ा त कर रह ह. यह हम सभी का यह पु य उदय रहा ह क ी चै यालयजी म परम
पू य आचाय ी 108 वशु ध सागरजी मु नवर वारा ति ठत ीजी क मू त वराजमान
ह. यह ीजी क मू त मई-2013 म रानीपरु (िजला झाँसी), उ र दे श म
ति ठत हुई थी.
इस ीजी क मू त के पंच क याणक महो सव 1-5 मई 2013 म रानीपुर म संप न हुए थे.
ीजी क तमाजी वरािजत करने का एक मा कारण (संयोग) ी अयन जैन के पता ी
कोमलचंद जी जैन (भोपाल म. .) का तमा धार ावक होना रहा. वे मेलबन म चै यालय
था पत करके वा पस भारत चले गए. चै यालय जी म ीजी का अ भषेक व पज
ू न ी अयन
जैन जी वारा यथायो य र त के अनस
ु ार त दन कया जाता ह. मेलबन जैन समाज क
इ छानस
ु ार हम सभी ने दगंबर जैन सं थान, मेलबन ट क थापना भी कर ल गई ह.
जो क भ व य म एक शखर स हत मं दरजी के नमाण क प रे खा बना रहा ह. हमारे
ट का पंजीकरण (रिज े शन) नंबर 219010187011 है व थानीय कानून के अनुसार टै स
फाइल नंबर 495224757 ह यह ट नॉन ो फटे बल एंड चै रटे बल (धमादाय) ट ह. इस
उपरो त ीजी के शखरब ध मं दरजी के नमाण म आप सबका सहयोग वांछनीय ह.

-: ट गण :-
ी अयन जैन ी अ वनाश जैन ी अं कत पी. जैन ी नवीन जैन
अ य उपा य महामं ी कोषा य

ी चै यालयजी का पता :- 60 Hillside Avenue, Dandenong North, Melbourne.


Contact Mobile : +61 406 066 108
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तज:-कोयल बोल द ु नया डोल

गु वर ी न धयां मल , समझो गु क वाणी


नमो तु शासन जयवंत वत, ी गु वर क वाणी
हो गु वर ी----
कतना सुंदर समवशरण है, मुि तमहल का पहला चरण है
शत इं ने म हमा है गाई, आतम रमण क बेला है आई
ओम व न वैरा य जगाए, तीथकर क वाणी
गु वर ी-----
नज को याओ शवसुख पाओ, सोहम हूँ तुम ऐसा ान जगाओ
सुख का सागर आतम हमारा, िजनवाणी माँ का राजदल
ु ारा
दे व गु आगम धरम ह, भव
ु न मंगलकार
गु वर ी --------

✍श द रचनाकार
नंदन जैन छ दवाड़ा
म य दे श दे शा य , नमो तु शासन सेवा स म त
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इस क लकाल म भी हमारे सम महावीर के लघुनंदन क


अ ुण परं परा से हम अवगत करानेवाले सद के थामाचाय को
को ट को ट वंदन : नमो तु नमो तु नमो तु
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हे गु दे व तु ह णाम,
हे आगम ानमू त तु ह णाम,
मन से “ वशु ध”, तन से “ वशु ध”,
कहते सबको ानी,
इसी लए तम
ु सम-रस-धार को
सब जग कहता क याणी,
द प “मंजूषा” लेकर कहता-
हे परम उपकार
द प के मन मं दर
को “अं कत” कर डाला,
हे लला मनहार !

नमो तु शासन जयवंत हो !

पी.के.जैन ( द प) एवं मंजू, अं कत एवं अं कता


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“य द भूलवश कसी का नाम छूट गया हो तो उ म मा”


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-: हमसे जड़
ु ने के लए संपक करे :-
पी. के. जैन ‘ द प’
बा. . अ यकुमार जैन
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आप सभी का आभार
नमो तु शासन सेवा स म त प रवार

जय िजने

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