You are on page 1of 4

E-Learning material prepared by Dr.

Dhananjay Vasudeo Dwivedi, Assistant Professor,


Department of Sanskrit, Dr. Shyama Prasad Mukherjee University, Ranchi

कुमारस,भव
डा० धन य वासुदेव ि वेदी
सहायक ोफेसर, सं कृत वभाग,
डा० यामा साद मुखज# व$ व%ालय, राँ ची
क वकुलगु) का*लदास का सु स+ ‘कुमारस-भव’ शृ0ार रस धान का1य है। कुमारस-भव
वषय क5 व वधता, उ77वल क8पना और दी;ततर भाव< के कारण आधु?नक ) च के अ धक अनुकूल
है।
कुमारस-भवBमCB िहमालयBक5BपुDीBपावEतीB ाराBघोरBतप याBकेBफल वGपBवरBGपBमCB *शवBकोB
ा;तBकरनेB तथाBउनसेB काIतकेयB( कKद, कुमार) क5BउMप NBकाBवणEनBहै।BसगाEनुसारBकथाBसं OेपBमCB
इसB कारBहै: सगE B१B- िहमालयBवणEनBतथाBपावEतीBक5BउMप N; सगE B२B-BतारकासुरBसेBपी?ड़ तBदेव<BकाB
WXाBकेBपासBजानाBऔरB*शव-पावEतीBकेBपुDB कKदB ाराBतारकासुरBकेBवधBकाBउपायBWXाBकेB ाराB
बतायाB जाना; सगE B ३B - कामदेवB ाराB *शवB क5B तप याB काB भं गB ?कयाB जानाB औरB [ु+B *शवB ाराB
कामदेवBकोBभ मसात्B करना; सगE B ४- प तBकेBनाशBपरBर तBकाB वलाप; सगE B ५B-BपावEतीBक5BघोरB
तप याB काB वणEनB औरB WXचारीB वेशधारीB *शवB सेB पावEतीB काB सं लापB औरB समागम; सगE B ६B -
ववाहे`छु कB*शवBकाBपावEतीBकेBयाचनाथEB स;तbषय<BकोBिहमालयBकेBपासBभेजना; सगE B ७ -B*शवBक5B
वरयाDाBऔरBपावEती-पdरणय; सगE B ८- *शव-पावEतीBकाBदा-पMयBजीवन, के*ल- वहार-वणEनB।B(कुछB
व ान्BकेवलB८BसगE BहीBका*लदासBक5BरचनाBमानतेBहै)।BसगE B९ -Bदा-पMयBसुखानुभवBकरतेBgएB व वधB
पवEत<Bआ?दBपरBघूमकरBकैलासBपवEतBपरBवापसBआना; सगE B १०BकाIतकेयB(कुमार, कKद) काBगभEB मCB
आना; सगE -B११Bकुमार-जiBतथाBकुमारBकाBबा8य-वणEन; सगE-B१२BकुमारBकाBसेनाप तMव, सगE १३-B
कुमारB ाराBसैKय-सं चालन, सगE B१४-Bदेव-सेनाBकाBआ[मणाथEB याण; सगE B१५-Bदेवासुर-सैKय-सं घषE,
सगE B१६-Bयु+-वणEन, सगE B१७-BतारकासुरBवधB|

1
E-Learning material prepared by Dr. Dhananjay Vasudeo Dwivedi, Assistant Professor,
Department of Sanskrit, Dr. Shyama Prasad Mukherjee University, Ranchi

कुमारसं भवBका*लदासBक5B तमाBकाBसुKदरB?नदशEनBहै।BइसमCB भाव-पOBऔरBकला-पOBकाB


सुमधुरBसमKवयBहै।Bअलं कार<Bक5BसुKदरBछटा, वणEन<BमCBसजीवता,B1यापकताBऔरB वाभा वकता, भाषाB
काBपdरlकार, क8पनाBक5BउदाNता, भाव<Bक5Bमनोmता, रस<BकाBसुKदरBपdरपाक, रसराजBशृं गारBकाB
सवाnगीणB वणEन, तपोमूलकB पdरlकृतB ेमB काB महoवB तपादनB तथाB छKदोयोजनाB मCB स+ह तताB
कुमारसं भवBक5B मुखB वशेषताएँ Bहp।BइसBदृ ?qBसेBकुमारसं भवBएकBसफलBमहाका1यBहै।B
क तपयB व ान<B काB मतBहैB ?कB कुमारसं भवB केB थमB आठB सगE B हीBका*लदासB क5B कृ तB हp।B
आगेB केB६BसगE B ?कसीBअKयBक वBक5BरचनाBहै।BइसकेB*लएBभाव, भाषा, शैली, 1याकरणBऔरBछKदB
स-बKधीBदोषBएवं B पाद-पूMयEथEकBशsदB योगBकारणBबताएBगएBहp।BआठBसगtBपरBहीBमu8लनाथBक5B
टीकाBकाBहोनाBभीBएकBकारणBमानाBगयाBहै।BअqमBसगE B मCB *शव-पावEतीBक5Bर त[5ड़ ाBकाBवणEनBभीB
आप NजनकBमानाBगयाBहै।B अतःB कहाB जाताB हैB ?कB इनB कटु B आलोचनाओBx केB कारणB का*लदासBनेB
आगेB*लखनाBछोड़ B?दयाBथा। परKतु यहBमKत1यBअपुqBएवं Bअ पqBआधार<BपरB?नभEरBहै।B(१) मu8लनाथB
क5BटीकाBव तुतःB७BसगtBपरBहीBहै।B८वCBसगE Bक5BटीकाBअMयKतBदोषपूणEBहै, अतःBमu8लनाथBक5Bकृ तB
नहीxB मानीBजातीBहै। टीकाकारBसीतारामBक वBकाBभीBयहीBमतBहै।B(२) टीकाकारBसीतारामBक वBनेB ८B
से १७B सगtB कोB का*लदासB क5B कृ तB मानकरB उनक5B टीकाB क5B है।B (३) वामनB (८००B ई०) नेB
आOेपा पदBअqमBसगE B सेB उ+रणB?दयाBहै।B(४) कुमारBकेBजiBकाBवणEनB११वCB सगE B मCB है।BउससेB पूवEB
zKथBक5Bसमा{;तBकाBकोईBकारणBनहीxB है।B(५) अ|KतमB६BसगtBकेB बनाBकुमारसं भवBकाBमहाका1यMवB
अपूणEB रहताBहैB ।B(६) भाव, भाषा, शैलीBआ?दBक5BहीनताBकेBदोषBसवEथाBअ पqBऔरBअपुqBहp।B(७)
अ|KतमB ६B सगtB मCB भीB भावB औरB भाषाB क5B पु?q, ौढ़ ताB एवं B आलं काdरकB चमMकारB पग-पगB परB
दृ ?qगोचरBहोतेB हp।B(८) य?दBभाषा, अलं कारBआ?दBहीBइसकाBआधारBमानाBजाएBतोBरघुवंशBकेBअ|KतमB
सगtBमCBभीBयेBKयूनताएँ BसवEथाBसुलभBहp। अतःBपूरB• १७BसगtBकोBका*लदासBक5Bकृ तBमाननाBउ चतBहै।
प€मB सगE B इसB महाका1यB काB •े‚B सगEB है।B इसमCB *शवB कोB सƒB करनेB केB *लएB पावEतीB क5B
तप याBतथाBWXचारीBकेBवेशBमCB समागतB*शवBकेB ाराBपावEतीBकेB ेमBक5BपरीOाBकाBवणEनBहै।BअKयB

2
E-Learning material prepared by Dr. Dhananjay Vasudeo Dwivedi, Assistant Professor,
Department of Sanskrit, Dr. Shyama Prasad Mukherjee University, Ranchi

सभीBउपाय<BसेB असा„यB*शवBकोBतप याBहीB… वतBकरतीBहै।B*शव-पावEतीBकाBरमणीयBसं वादB?दयाB


गयाBहैB*जसमCB*शवBकेBएक-एकBतकEBकाBउNरBपावEतीBदे तीBजातीBहै।B
क वता-का मनी-काKतB का*लदासB नB केवलB सं कृत-वा†यB के, अ?पतुB व$-वाङमयB केB
x
मुकुटालं कारBहp।Bउनक5BसूˆBदृ ?qBबा‰-जगत्B औरBअKतजEगत्B क5Bता|oवकB वधाओBकाBसाOाMकारB
करतीBgईBमनोरमBपदावलीBमCBउनकोBअनु यूतBकरतीBहै।Bउनक5BकलाMमकBतू*लकाBनीरसBमCBसरसता,
ककEशB मCB कोमलता, कठोरB मCB सुकुमारता, सामाKयB मCB वलOणता, Šब‹धB मCB सुबोधता, का1यB मCB
सवाEMमकताBऔरB सादBमCB माधुयEB काBसं चारBकरतीBहै।Bउनक5BकलाMमकB) चBक5BछापBपग-पगBपरB
दृ ?qगोचरBहोतीBहै।BभाषाBपरBउनकाBअसाधारणBअ धकारBका1यBकोB„वKयाMमकBबनाBदे ताBहै।Bभाव<B
क5B अगाधताB औरB व वधताB उनकेB का1याकाशB मCB इK…धनुषB क5B छटाB तुतB करतीB हp।B उनक5B
माषाGपीB का*लKदीB औरB भावGपीB भागीरथीB केB म„यB सालं कृत-पदावलीB GपीB सर वतीB सं गमB काB
महनीयBवैभवBउप|ŒतBकरतीBहै।Bउनक5BशैलीBमCBŠGहताBमCBसुबोधता, का1यBमCBनाटक5यता, नैसIगकB
सुषमाB मCB सालं कारता, सरलताB मCB सरसता, सहजB भावा*भ1य •B मCB क8पनाB ाचुयEB औरB शृं गारBमCB भीB
क)ण-रसा;लावनB जैसBे वरोधीB गुण<B काB समKवयB मलताB है।B उनक5B शैलीB मCB भाषा-सौ‚व, मनोरमB
भावा*भ1य •, अलं कार<BकाBसहज- वKयास, अKतःBऔरBबा‰B कृ तBकाBचा)B चDण, रस<BकाBसुKदरB
पdरपाक, जीवन-दशEनBक5B) चरBŒापना, व वधB व%ा-?नधानताBऔरBमनोभाव<Bक5BमाIमकBअनभू तB
मनोmB म*णकां चन-सं योगB उप|ŒतB करतीB है।B कृ तB केB साथB तादाM-यB क5B अनुभू तB उनकेB का1य-
गौरवB कोB अ धकB समुƒतB करतीB है।B इनक5B शैलीB मCB कहीxB उपमाओBx काB ला*लMयB है, तोB कहीxB
े ाओBx क5B ऊँ चीB उड़ ानB हैB तोB कहीxB ां जलB पदावलीB काB
अथाEKतरKयासB का अथE-गा-भीयE; कहीxB उM O
सौकुमायE; कहीxB सादBहैBतोBकहीxBमाधुयE; कहीxBकलाB धानBहैBतोBकहीxBक8पना।
का*लदास का युग भारतीय सं कृ त का वणEकाल था। इस युग मC वै?दक आयt के परा[म
और कमE•यता तथा महाभारत और रामायण युग के अ*भ?नवेश के पुनजाEगरण के साथ ही कला वलास
का सव‹पdर चमMकार दृ ?qगोचर होता है।

3
E-Learning material prepared by Dr. Dhananjay Vasudeo Dwivedi, Assistant Professor,
Department of Sanskrit, Dr. Shyama Prasad Mukherjee University, Ranchi

कुमारस-भव महाका1य का औदाoय ार-भ से ही इसक5 अलौ?कक भू मका से 1य• होता है।
थम लोक मC ही *जस िहमालय क5 चचाE है, उसका भौ तक Gप अि तीय गdरमा से मिहमशाली है।
का*लदास का कहना है ?क यह देवाMमा है, पवEत< का राजा है और पृ थवी का मानद•ड है।
कुमारस-भव महाका1य मC देवताओ x के आदशE को मानव-समाज मC चाdरत करने के *लए
का*लदास ने उKहC आचार-1यवहार मC मनुlयता के अ तशय ?नकट ला ?दया है।
का*लदास क5 रस?नlप N वषयक सव‹`च स-प N को दे खकर उKहC रसे$र क5 उपा ध दी गई
है। राजशेखर ने का*लदास के शृ0ारMमक ल*लतो•ार क5 शं सा ही है। का*लदास क5 अKय रचनाओ x
क5 भाँ त कुमारस-भव का शsद-चयन वैदभ# री त और सादगुण से म|•डत है। का*लदास क5 शैली
1य नामयी है। का*लदास क5 दृ ?q मC सवE थम आकषEण क5 व तु Gप-सौKदयE है, *जसका
सवाE तशायी अ‘युदय नायक-ना यका के *लए यौवन मC और कृ त के *लए वसKत ऋतु मC स-भव
होता है। क व का यह दृ ?qकोण सवEसाधारण क5 शा$त माKयता को दे खकर ही आता है।
का*लदासीय सौKदयE के तमान कृ त मC वराजमान हp।
कुमारस-भव मC क व ने अपने जीवन-दशEन को बgत बड़ी पट-भू मका पर रखकर 1य• करने
का यास ?कया है। Mयाग के साथ ऐ$यE का और तप या के साथ ेम का मलन होने पर ही •ी और
पु)ष का ेम धKय होता है। Mयाग और भोग के साम य से ही जीवन चdरताथE होता है।

You might also like