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रस

शा

इ हास वेश जय व लंकार

तान प यसा नागा न

राज तरं णी क ण

क र मंजरी राज शेखर

नाथ स दाय हजारी साद वेदी / म नाथ & गौरखनाथ

सं ह बल भ प त

e
मालती माधव नवभू

or
व र कर शेखरान र

धू पा न ह भ सूरी (षड् द न समु )


रसेक

मा पयो
मु
द चेर संगतः |
वपरम योजन
th
यगदं जगत् | र.र.स. (आमय जगत् - नागा न)
त | स द न सं ह / रसे
मारो दा द औषधे
रद न
s कोरस || र.सा.स.
Ra
पुराणः गुणे आसवा धातवोरसा | र.सा.स. / शा.
मा पुला गुणा सा त पनपाचन | र.चु.
मम होरसोय त् रस नायमु ते | रसा व
al

कुल – पा ती

अकुल – व
m

आनशोग – 7th cent.

अलब नी – 11th cent.


Ka

ईबन बतुना – 14th cent.

मा पोलो – 13th & 14th cent.

रसशा का उ – जीवन मु

कुल – 84

चा – 27 र.र.स.

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भ्यो
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रस शा

• याँ 8 कार होती तथा के साधन मं ( ) & तं ( व) |

• कौल शा नुसार प मकार से मो – म , मांस, मीन, मु & मैथुन |

• शा मतानुसार – वै क, वै व, शैव तथा शा त से 4 धान आचार |

वामाचार, द णाचार, ताचार तथा कौलाचार (

e
• )|

सलोनी – कं राख, इ का चू , सांअर नमक, क तैल – रजत शु

or
|

• हरगौरी सृ संयोग – तनु – स द न सं ह |

• बौ
का

के 10वे गु नागा न तथा 24 वे गु च टीनाथ थे |


पार स बाजार मे होता उसका नाम –

th खा
Ra
• नागा न – सातवाहन के गु , शु वाद के व क, मायूरी के ता, आ योग माला के र यता |

• रसर कर (15th ) – नाथ – 5 ख – रस, रसे , वादी, रसायन तथा मं ख |

• रसप (15th ) – आचा – शा ल तछ मे खा गया |


al

• रस कामधेनु – चुणाम – 4 प – उपकरण, धातुसं ह, रसक तथा पाद


m

• गौर सं ता (12th) – गौर नाथ (1 लाख क) – 2 ख – का तथा भू करण |

रसराजमहोद भगवान दास रसे पुराण राम साद श


Ka

रसे स व नाथ वेदी रस द ण भजनदास

रसे स दाय हजारीलाल शु खेचरी गु का गौर सं ता

वादी ख रस र कर खेचरी जारणा रासा व

Hg व भेद रसे सार सं ह मु आधार रसे चुणाम

रसे न रामाद ह उ रस र समु य

सुत – सूत, पारद, क

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रस शा

Quick silver, Hg, Hydrogerum

पारद
पारद उ को जानने वालो को 4 – आरो , दी यु, रसक तथा संतानवृ |

प य–अ , बुध, शा , खेचर, हरतेज, श म , चपल, रज ल, गलरौ भं,

e
क का क, वबीज|

or
पारद प ध पूजा (महापातकना नी) – भं ण, न, दानं, नं & प पुजन |

मु – जाहर

बंधन – मु
मृतपारद – अमरीकरो th
Ra
पारद का न– ह पापनुत |

1. पारद का शोधन मारण का दान – तुलादान मेधानाम् |

2. पारद का नैवेध – अ क का स ना |
al

3. पारद का पूजन – कृतुज फल |


m

4. पारद & गंधक का व ग पर लेप – पू ज कृत पाप का स नाश

Atomic no. – 80
Ka

Atomic wt – 200.6
Mel ng - -35.870C
Boiling – 357.250C
Speci c gravity – 13.56
Rela ve density – 12.59
Freezing - -360C
पारद का तन – संसार का दा & रोगमु |

5. उदर मे पारद के रहते मृ – परमपद |

6. पारद का ण – मा क| एक टी अ क जारण – शतकृतुजफल |

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रस शा

7. पारद से व ग पूजा का फल – तीनो लोक के व ग पूजा |

8. न के साधन (6) – य , दान, तप, वेदा यन, दम & सदाचार |

9. पारद रा मो – रसे र द न|

शा प पदा – व , व , वै , भुनाग, टंकण & का पाषाण |

भेद से पारद के 5 भेद –

e
1. रस – जरा डमृ नाशाय – र व

or
2. रसे – रसोपरस राज द–क लव

3. सूत – हलोहमयी - पीत व

4. पारद – रोगपंका

5. क – स धातुगत तेजो – मयूरच th म नां – तव

का या (18 सं रप त्)
Ra
पारद के ख ज – Hg mainly obtained from Spain (Alma don mine)

1. गुल – Cinnebar HgS (6:1)


al

a. हंसपाद – जपाकुसुम संकाशं Rhombahedral Crystal

b. यकृताकार – Hepa c Cinnebar


m

c. च र – कृ पः द Meta Cinnebar

d. वालाभं – Coral Ore


Ka

e. रस – Estahlerz Steel Ore (क राज ताप ह)

Highest % of Hg (75-78%)

f. री र – Ziegelerz (Brick Ore) – Red Oxide of Hg.

2. कैलोमल – रसपु (Hg2Cl2) – हीरक त संकाशं, गलतरौ भं |

3. यडायट – HgO

पारद द न का फल – 100 अ मेध य का फल, करोड़ो गौ के दान के बराबर, हजारो मु का दान के बराबर
|

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रस शा

महादोष आयु. काश

1 ष – मृ
2व – ताप वृ
3 मल – जड़ता
4 नाग- ण
5 वंग – कु
6 चाप – शु दोष
7 अस – मोह

e
8 दोष – ट

or
पारद उ –प श – अथ वेद

• कूट वहारी – य व ल


सुव मेदकथन – कौ

व के शु th
बीज से – का केय
अ शा (325 ई.पु.)
Ra
• व के शु रस से – पारद

• व के शु मल से – धातुये
al

चाप – कृ धतुर
m

अस – गो र
दोष – क
Ka

उ न of पारद - शतयोजन कृ कुपाँ प च |(र.र.स.)

पारद के दोष

नैस क दोष 3 Total 12 दोष र.र.स. र.त.

1 ष – मृ क फला
2व – दाहसंताप फला क
३ मल – मू , म कुमारी अर धफलम

यौ क दोष 1 नाग – जा ता गृहधूम, ई का चू , ह , ऊन


2( ) 2 वंग – आ न, कु इ यन, अंकोल, ह

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रस शा

औपा क दोष 7 1 प टी – भू ज कु
(अ ) 2 पाटनी – ज जा ता
स कंचुक 3 भेदी – वा ज वात
4 वी – नाग दोष कोप
5 मलकारी – नाग दोष कोप
6 अंधकारी – वंग दोष कोप
7 शी – वंग दोष कोप (काकवत र)

e
➢ इं ना से व( ) ने पारद को दोष यु या |

or
सामा शोधन – रोग वारणा

पारद का शोधन – आ
शेष शोधन – रसायना
नाशा
th
Ra
सामा शोधन – चुना (सम) + रसोन (सम) + सै व (अ )

पारद सं र तु मा – ½ - 2000 पल (र.र.स.) या 1 – 100 पल (र.त.)

पारद का ल ण– ( )अ सु लो व लो म न सू म काश |
al

(अ ) धू प पा न यो |

पारद के सं र – 18 थम 8 – ह तथा धातु वाद


m

अं म 10 – धातु वाद (अनुवासन मे 3 न दन)


Ka

• एक अ सं र अनुवासन सं र (9th) - रसे चूड़ाम तथा आयु. काश ने माना

• वण सं र रसा व तथा रस कामधेनु ने माना | मेलन सं र रसा व ने माना

• अ सं त पारद – मूल पारद का 1/8 शेष तथा महारस कहलाता |

• थम 5 सं र पारद शोधन के ए तथा next 3 बुबु उ तु |

1. दन – मल शै कारकम इन दोलायं

2. म न – ब ल नाशनम इन त ख यं

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रस शा

3. मु न – न कारकम, दोष य नाशनम, नैस क दोष नाशनम |

4. उ पन – प आपादन, मू नाशनम इन दोलायं

5. पातन – वंगा स कंचुक म्, नागवंग य तुनां कृ मदोष नाशनम |

स दोष जाय ना संसयं |

पातन के 3 कार 1. उ – सकल दोष |

e
2. अधो – रसायने यो भवेत शेष |

or
3. क – क कारी भवेत धुवूं ( )|

6. रोधन/बोधन – ष वारणा , वी मम्, मुखकरो भवेत |

by सृ य (मू ,शु ,शो


th
त,सै व) or सै व यु जल से 3 न दन in दोलायं ,
Ra
7. यामन – चपल वृ ये इन दोला यं |

8. दीपन – सा , दीपन वी तेजवृ , ले हानवुभु in दोलाय |

9. समान – गगन भ ण सं र|
al

10. संचारण – रस जठ स पणे |


m

11. ग -

12. बा – के भेद 2
Ka

ल ण–5– प , त , तेज , लघुता तथा असंयोगा सुतेन |

को कुसु तेल मे सुर त रखते |

13. जारणा – त सप णामो | 3 step – स, तथा प णाम |

2 division – स ख तथा ख जारणा |

मुख – पारद + 1/64 भाग बीज (बीज = शु र लौह)

र क वकृवान पारद = स धातु भ ण वाला |

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रस शा

14. रंजन -

15. सारण – वेधा (Sho ness)

16. सं मण – सुव दक श को बढ़ाने वाला by नाग or वंग |

17. वेध – वा भेषजोपेतो रसः खलु in धातुक |

भेद – 5 – लेप, प, कु , धूम तथा श |

e
18. भ ण/शरीर योग

or
पारद ग – (5) – अ (1) – जीव ग –म पूजा रा यं त |

(4) – जल, हंस, मल तथा धूम |

जारणा/जारण – थम उ
अ क औष को जी क व पू
ख रस दय तं |
th प मे बना र |
समे पारद गालन पाटना यायो के ना स ए ए
Ra
जारणा ही नाम गालनपाटन केन मा रस पू व प म् |

भेद – 1. भूचरी – अ क प जारणा 2. खेचरी – र जारणा


al

2. बाल तथा वृ 3. स ख, ख तथा वासानुमुख

जारणा म – गंधक – अ क – मा क– – नाग/वंग – र


m

गंधकजी पारद
Ka

जारणा रस र समु य रस तरं णी आयु. काश

समगुण रोगनाशक सामा रोग नाशक 100 गुना लाभ

गुण राजय महारोग नाशक स कु नाशक

गुण वाजीकरण पुंस वृ स जा नाशक

चतु ण तेज , स शा उ ह मेधा वृ ब प त नाशक

प गुण स ण, धातु ण गद संताप य नाशक

षडगुण मृ नाशक अदभुत का स रोग हर

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मू ना – अथा च त धातक मू नाः || (आ. .)

पारद मे गंधक or गंधक के ना नाशक श उ करना मू ना |

यः ल दोषशमनी रोगाहरो मु तः | (र.र.स.)

ह त हर सकल रोगान मु तो यो नराणाम् | (रस मंजरी)

e
भेद – (2) 1. सगंध (ब म, अंत म तथा म) 2. ध

or
मू ना से पारद सेवन यो तथा रोग शां योग होता |

सगंध मू ना ध मू ना सा मू ना रा मू ना

1. क ली 1. मु
th रस 1. सगंध except क ली 1. क ली
Ra
2. मकर ज 2. रसपु 2. रसपु 2. मु रस

3. समीरप क 3. रसक र 3. रस क र

4. आरो व नी 4. स शाली
al

5. रस प टी गंधक –क ली
m

6. म र गंधक बंध – प टी

7. ताल र गंधक जी – रस र
Ka

8. ला र

प टी क ना – (पोठ बंध – मृ अ 115 – 1200C)

• थम व न च पाणी रा च द मे 11th Cent गृहणी मे या था |

• खरपाक प टी होती except प टी |

• प टी सेवन के प त् शीतल जल का सेवन षेध except लौह प टी |

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र्गं
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रस शा

पाक पाककालीन परी पाक प त् परी

मृ पाक मयूरच काकार मृ पाके न भंगे

मा म पाक तैलाभं म म भंग रो वत

खरपाक ( षवत जयेत) र व ख चू लोहीतम्

e
1. योगर कर – बोल तथा ता प टी

or
2. भैष र वली – जय, रस, तथा प मृत प टी

3. रस तरं णी - मु रस

4. योग सं ह - स मृत, कालमेध, नवायस


th त, गगन, शुधा प टी etc
Ra
1. रस प टी – पारद तथा गंधक – सं हणी

2. लौहप टी – पारद गंधक तथा का लौह – सं हणी

3. प टी – पारद गंधक तथा – सं हणी


al

4. ता प टी - पारद गंधक ता तथा व नाभ – र.र.स. कु योग. कास


m

5. जय प टी – पारद (4) गंधक (2) रजत (1) (½) मु (¼) वै त (¼)- सं हणी

• गंधक – भृंगराज रा शो त, बदरांगार का योग|


Ka

• क योग – (1 – 10 र , 10 – 1 र ) न 1 बढ़ाना र घटाना |

6. प मृत प टी – गंधक (8) पारद (4) का लौह (2) व क (1) ता (1/2) – गृहणी

क योग – 2 र से रंभ कर न2र बढ़ाते ए 8 र तक |

7. गगन प टी – पारद (1) गंधक (2) अ क (1) – सं हणी

8. बोल प टी – पारद (1) गंधक (1) बोलचू (2) – सं हणी

9. त( र) प टी – कलमीशोरा (16) टकरी (2) नवसादर (1) – मू कृ

10. म प टी – केवल सं या (As2O3) – र


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स्व
वि
श्वे
सि
क्त
ध्य
ञ्चा
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ल्क
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दु
दु
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म्र
त्र

च्छ

ग्र

रस शा

11. सुधा प टी – no test & smell

12. मु रस – ख का (2) पारद (1) – रंग तथा बालरोग (1 व बालक 1/8 – ¼ र )

उदरामयनुत, बालानाम सार, सहजो रंग कुरंगह | {मा – ½ से 2½ र }

13. स र प टी –

14. म प टी – नासारोग

e
15. भैरवान प मृत प टी – तृ

or
प टी का अनुपान – त तथा जीरक चू {क योग – 1 माह तथा त सेवन}

बालुका यं का योग |

SO2 गैस
अ , जल तथा लवण
कलती |
षेध | th
Ra
कूपीप क ना – 2 भेद – सगंध तथा ध

मृ अ – 200-250 – क ली त
al

मा म - 250-450 – यौ क ण
ती अ – 450-650 – उ पातन
m

रस रक ना का थम उ ख यशोधर भ ने रस काश सुधाकर ने उदरभा र नाम या |

• रस क र ण – घनसार रस के नाम से |
Ka

• अन व सूरी (रस ताम ) – रस पा व रस |

• रस कौमुदी तथा आयु द काश – रनामा |

• रस दय त – गंधक जारण

1. सगंध – पारद तथा गंधक – रस र, सुगम र|

a. पारद तथा गंधक तथा धातु – ता र, रजत र|

b. पारद तथा गंधक तथा अधातु – म र, ताल र, ला र|

c. पारद तथा गंधक अधातु तथा – पू च दय, ताल च दय

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है

रस शा

2. ध – रसपु तथा रस क र

कंठ – मकर ज, रस र, म र, रस क र, रस पु |

उभय – पू च दय रस, मा रस |
तल – समीरप ग रस, वंग |

मुखमु ण – मदनमु , हठमु

1. कूपी के मुख से ला का कलना बंद हो जाय|

e
2. अंधे मे तल लाल व का हो जाय |

or
3. काश ने पर पारद का कण उपर आता तीत हो |

4. शीतल शलाका मे धुए का कण न लगे |

1. रस
5. ताँबे के को मुख पर रखने पर पारद के कण

र (Red Sulphide of Mercury HgS) – पारद (6) गंधक (1) – रस th पक जाये |

र|
Ra
• रसयोग सागर ने रस र मे पारद तथा गंधक सामन मा बताई |

• 100 gm पारद तथा 100 gm गंधक -270-116 (theori cally) तथा 110 (prac cally).
al

• भावना – वटांकुर रस – रसयोग सागर – त णा स भम् |

▪ रस तरं णी - अ णो ल काशम् |
m

2. मकर ज ( र या च दय रस) – (1) पारद (8) गंधक (16) – कंठ

भावना –र का स, कुमारी, वटांकुर etc {बाल स रोग – ½ - 2 र }


Ka

3. मकर ज – (4) पारद (8) गंधक (16) – कंठ – रस तरं णी |

चन – 2½

रंग – ¼
कास – 1/8

रसपु – Calomel (Hg2Cl2) – पारद (1) गंधक (1) कसीस (1) हीरक संकाशं

कंठ , SO2 gas कलती | जल परी जाती |

Water + Par cal on Iron ------- no black spot (लवणाश र त)

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रस शा

हर, मू ल, चक etc.

4. रस क र – Corrosive Sublimate – perchloride of mercury (HgCl2)

• पारद (2) गंधका (3) तथा लवण (2) – कंठ तभ |

• कृ , म लकु , सहज तथा ज रंगरोग मे योग |

मा – 1/64 – 1/32 र

e
वपीतमलोपेतम सार नाशयेत |

or
• भा भु मा त अ सार मे यु |

• 16 गुना ताल जल मे धुल जाता |


नौसादर 5 र
तर योग – नौसादर अथवा दालचीनी |

रसक र 5 र th cold water 60 तोला – dose 30-60 बूंद |


Ra
• दालचीनी 5 माषा रसक र 1 र रस – dose 1 र |

6. स ग सुंदर रस – Yellow colour of Hg compound (पारद तथा गंधक) – पीत भ |

भावना –ह शु रस, भू मल रस | मा –1र


al

7. वंग – (no Gold) – पारद, गंधक, वंग, नौसादर तथा कलमीशोरा – पीतकेश या व |
m

8. समीर प ग रस – पारद, गंधक, सोमल, हरताल, मनः ला |

भावना – तुलसी रस | स पातज र, स etc


Ka

9. रस मा – Main contains – हरताल & ता क – VK र

10. पारद कृ भ – पारद + धा क इन कं क यं – 1-2 र – शु ल

रसबंध – पारद बंध सं – 25 जलौका बंध 26th

1. हठ बंध – अशु पारद का योग \

2. आरोट बंध – करण शनै नाशनः |

3. आभास बंध – योगंमु भावाताम्, भा तो धातु मुला राभासो गुण वैकृतै ||

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ति

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ति
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स्म
र्ण

रस शा

4. याहीन बंध -

5. का बंध – नवनीत पा, संदीपनः पाचनकृ शेषात् |

6. र बंध – शंख शु वराट.......दी पु कृ लनाशनः |

7. खोट बंध – तो तः यं जेत, शी स गदापहः |

a. बाल – समभाग अ क

e
b. कुमार – गुण अ क

or
c. त ण – चतु ण अ क
d. वृ – षड् गुण अ क
पोट बंध – बाला लरोगनुत् |

8. क

9. सजीव बंध – जरा


बंध – योगो फलदायक |
th
नाशनः |
Ra
10. व बंध – शेषरोगात्, ह स |

11. ज बंध – सकलाभय |


al

12. सबीज बंध – पुल भाव, अ क, , रजत,ता लौह जारण

13. खला बंध – हलोक धायक |


m

14. बंध – रा कापाद तो, ह सा रोगात |


Ka

1 तं ल 21 न तक योग करते |

सूतबंध कारक – र

क ज नाशन – मा
मू बंध – प फल द | without mica with help of Veg. – सहन |

15. जल बंध – लातोय, जरारोग क फलदायक |

16. अ बंध – खेचरी श ता |

17. सूसं त बंध – क + कुमारी गोमू के क ------- पारद म न |

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च्छु
म्र
ल्क

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ति
व्रा
ग्नि

रस शा

18. महाबंध – व रजत से धुपन कर पारद को लाना |

9 गुण – एक , अ ण, ड़ो, गु , गु का, दी वल, चू प या ,

घृ न मुंचेतमल, धो व णात

19. जलूका बंध – पारद + ½ या नाग ¼ का जारण-------------------त ख मे म न

बाला – 8 अंगुल

e
त णी – 10 A

or
ग – 12 A

मदद ना नी

आकर के आधार पर 3 कार – ल , वलय तथा गु का

• पारदीय योग को कां पा मे रखना


th षेध |
Ra
• पारदीय योग को ता ल मे रखकर सेवन करना चा ए |

• पारदीय योग के सेवन कल मे ककारा क का सेवन षेध |

• पारदीय योग के सेवनोपरा बड़ी क री तथा का योग क |


al

रसशाला तथा मौ क प भाषा करण


m

रसशाला का थम व न रसा व मे आया |


Ka

शा म प वेदी वता क

पू , रजत रसभैरव उपकरण क

प म वंग, का लौह जल/वा ण लन क

उ र मु , ती लौह कुबेर वेधन क

द ण ता , शीशा यम पाषाण क

आ य रस ग अ क

नैऋ रा स शा क

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प्त
ल्व
ति

र्द

रस शा

वाय वायु शोषण क

ईशान ई र औषध सं ह

रस ग–9 पारद + 3 प --- अ रस भावना दोलाय – रस ग|

रस ग पूजन का फल – (1 हज़ार करोड़ * 1 करोड़) व ग के पूजा का फल |

अ दशभुजं शु पंचव लोचन |

e
ता ढ लकंठ रस ग येत ||

or
चलनी के कार –

1. वेणु शलाका – no. 40 दी |

2. वेणु शलाका – no. 80 सू

3. क का सेमल ह ताज etc – no 120 – अ सू th |

|
Ra
1. वरलौह – Fe + Cu – प in गंधक यु लकुच रस |

2. मर – वरलौह + --- र व
al

मर + त --- व धा नी, तार रंजनी, बीजराग धा नी

3. च दल – वृ or मृत पारद रा धातुऔ को त करना |


m

4. अनलदल – धातुऔ को पीत व करना |

5. शु नाम पारद - with help of मा क and नीलांजन |


Ka

1. 1 माह गु का धारण – मेह नाशक |

2. 1 व गु का धारण – ब , प त, , आरो ता |

6. गुलाकृ पारद – with help of आ क रस in धर / डम यं |

7. घोषाकृ पारद – with help of हरताल by व नाल |

8. नाग स व चपल – 30 पल नाग + अ ------ पुट ---- 1 क (अ य)

9. वंग स व चपल – same as above – मा से पारद ब होता |

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रस शा

10. जरी – लोहं लोहा तं तं वे | पा पीत भं जातं..... (in मुषा)

11. पण / हण – सा लौ s लोहं चे वंकनालतः | (सा लौ मे अ लौ को व नाल


रा धमन कर लाना) |

12. प/ पन/ षेक – लौ को औष के क , रस या जल मे बुझाने को प कहते |

13. आवाप/ वाप/आ दन – ते तर पो लोहा यते यः | ( त लो मे अ का प


करना आवाप कहलाता ) |

e
14. कोयला – र, पावको , अंगार को ला |

or
15. उपल – क, छगण, उ ल, , साठी, वराटी |

16. बोतल – कूपीका, , गोला, का |

17. कठोरी – चषक, वा का, ख का, क

18. मुषा – का, कुमुदी, करहा का,पाचनी, व


th ली, का |
Ra
|

19. सं लेप – बंधन, सं लेपन, सं , रं ण, अ ण, सं बंधन |

20. ध री भाग – रोगी वैध को ता |(aco.to R.T.अ ,आसव & भ – ¼ भाग)


al

1. रस, तेल, घृत – ½ भाग

2. चू , वटक, भ – 1/7 भाग


m

3. अवलेह – 1/8 भाग


Ka

21. भाग – पारी से वैध रा या गया भाग (1/11भाग) अ क मा – सघा

22. ध वै –

i. प ह –ध , स वाक न, वकेशवपूजक |

ii. अमृत ह – पाताका कु कमल म , आनामाध खाः |

iii. द ह –अ काः कृपामु लु गु व त कृ खाकरोवैध |

23. क ली – पारद + गंधक ( वे) – कृ चू |

24. रसपंक - पारद + गंधक (स वा) |

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25. नवनीत – पारद 12 (अ श तु त) + गंधक ½ = |

26. पातन – पारद 4 + 1=उ म दा

27. कृ – पारद, गंधक तथा /रजत – पुनः /रजत को उ त करना |

a. कु को के अंदर लाने से का व न न होता |

b. कु रा बनाया गया बीज पारद का भलीभाती रंजन करता |

e
28. अ षेक – अ रा त लौह – 8 मेष क कर जो जल का प प या जाता

or
ते व ते लो र मेषकम |

29. ढालन – सी लो को आग मे त कर व मे बुझाने से घन हो जाता |

30. धौत - भुनाग के


ते व

से th पो वे तद्ढालनं मतम |

कृ चू |
Ra
31. न – म न तथा धमन से दो को लाना |

32. अनुव – मा से अ क मा |

33. भंजनी – ती आं च को व से कम करना |


al

34. पतंगी – क भाव से सी लो मे पैदा करना |


m

35. चं – रजत 16 तथा ता 12 के अनुपात मे संयोग धातु |

36. उ पन – भ को वक गण औष के साथ धमन करने से उसका कृ क प मे आना उ पन


Ka

कहलाता | (भ --- लोह)

37. उ टन – सं त पारद से सी के उ त व को कट करने या को उ टन कहते


|

38. सं स – पारद्को औष के साथ पा मे रखकर और उसका मुख बंद कर मंद आं च वाले चू पर


चढ़ाना सं स कहलाता |

39. एकको सक – को का को कोयले से भरकर च मे मुषा को रख धमन करने से मुषा के कंठ तक


जब कोयला बचा र |

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क्षे

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ति
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है

ध्दा
ल्हे
त्था
हि
है
रस शा

पारद सं ता रंजन गु 45

आनंद क मंथन भैरव 41

e
रस र समु य रस वा ट 32

रसे चूड़ाम सोम व 30

or
रस तरं णी सदान श 20

य करण
• यं मेकं परंम – रसा व
th
Ra
• जलपू पा म द घटख र सु रम = क प यं

• तुला यं = 2 वृ कार मुषा लेते |

• ना यं = म जारणा by नंदी |
al

• घट यं = आ पन यं |

बालुका यं मे 5 आढक बालू लेते |


m

ख यं – 3 कार (made up of simak stone का लौह का ख = को गुणा )


Ka

1. अ चं कार – 16 X 10 X 10 अंगुल (घ णी – 12 अंगुल)

2. व ल – 12 X 4 अंगुल

3. त ख – 9 X 6 अंगुल (म क – 8 अंगुल)

दोला यं दन आकाश पाताल यं अ सना

क प यं षड् गुण ग क पाताल यं गंधक तेल भ तक

दी का यं अधः पातन दनी यं गंधक शोधन

यं क पातन ली यं दन

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नि
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स्वे
डे
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र्ष

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टि
धि
क्य

रस शा

धर यं गुल से पारद द का यं नाग वंग शोधन

ग यं पारद भ जलकु यं र ग यं

सोमानल यं अ क जारण नाल यं उ पातन

हंसपाक यं डपाक/जराना बालुका यं गंधक जारण

को यं धातु स पाता ना का यं गंधक जारण

वलभी यं उ पन भूधर & पा का यं गंधक जारण

e
यं पारद बंधन ई का यं गंधक जारण

or
धूप यं जारणोपयोगी उलुखन यं चू कु नकयल

कं क यं दन (तेल न) तुला यं 2 वृ कार गंधक जारण

मृदंग यं कृ म गुल

th लवण यं राज मृगांग रस etc


Ra
मुषा
al

• सं – 17 “मु दोषा षा य स मुषेती” |


m

• प य– का, कुमुदी, करहा का, पाचनी, व तथा मुषा |

• उपादान – मृ का तथा लौह |


Ka

“मृ का पा र ला श रा शोण पा रा | तदाभावे च वा कौलाली” ||

1. महामुषा – क राकार मात उप ता, लवृ कव ला, लौह & अ क स |

2. व मुषा – स पातना |

3. गो नी मुषा – खायु धानका, स वण & शु करण |

4. वृ क मुषा – धतुरपु व , 12 अंगुल lenght, ख र स |

5. म मुषा – प टी आ का दन |

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हिं
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द्धि
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ल्मी
त्व
कि

भ्र

त्व

रस शा

6. योग मुषा – पारद तु |

7. व मुषा – व (पाषाण र तता & खेचर ले ता) |

8. ड मुषा – ह लोहा योगा |

9. प मुषा – पोटली आ का पाचन (कुलाल भांड पा)

10. मुषल मुषा – च ब पारद , प मुले व ल, 8 अंगुल lenght |

e
11. गार मुषा – 2 याम तक अ सहन |

or
12. वर मुषा – 1 याम तक अ सहन |

13. म क मुषा – 6 X 6 X 6 अंगुल size (पृ मे गाड़कर उपर से अ )|

14. रौ

15. गोल मुषा –


मुषा – व

|
तु |

th
Ra
16. व वणी मुषा – use of भुनाग घौत भावना–म ष (मु टर ), 4 याम अ |

को (4 aco. RRS)
al

स नां पातना पा तानां शु ये |

1. अंगार को – राजह समु धा, खराणाम् स पा नी, अ याम चोडा & दरवाज़ा 12X2,
m

स पातनगोला पंच पंच पुनः पुनः | (30X15X15X अंगुल) |

2. पाताल को – मृ नां स पा नी, 1X1 त (4X4 अंगुल) given by Nandi |


Ka

3. गार को – मृ लौह (सृ लौह) नाशनी, वलय यु , 12 अंगुल गहरा |

4. मुषा को – also called as क धमन को , रस तु, मृ शोधन |

पुट
रसा पाकानां माण पनं पुटम् |

ने ना कः पाकः सुप तमौषधनं ||

• पुट का फल – भ भुत लौह के गुण वृ |

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वि

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र्ण
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क्व
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क्त
दु
द्र

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वि
ग्नि

रस शा

• अन म नं तथा खापू ता वृ |

• लघुता, शी प , दीपन गुण वृ |

1. महा पुट – ह माण 91 cm, 1500 उपल (शा. स. 30 उपल)

2. गज पुट - राजह माण, 57 cm, 1000 उपल, महागुण धायक, स कोपयोगी |

3. वराह ( ड़) पुट – अर माण, 22 अंगुल, 42 cm, 500/150 उपल |

e
4. कु ट पुट – 2 त माण, 46 cm, 100/10 उपल, रजत भ |

or
5. कपोत पुट – 1 त माण, 8 उपल, सुता भ |

6. गो र पुट – गोमय चू used, व रससाध |

7. भांड (कु /मृढारंड)पुट – तुषा का योग, हरताल, सोमल भ

8. बालुका पुट – गंधक जारणा | th |


Ra
9. भूधर पुट – पारद सोमल के पाका , 2 अंगुल जमीन के चे |

10. लावक पुट – 1 षोड का/1 पल – धान भूसी, मृ साधने |

के आधार पर – 3 भेद – सू , च
al

तथा अ पुट (सू तथा च – वाल व मु )|

सामा पुट – 10-100 शु ,कप – 3


m

अ क वाजीकरण- 10-500 व – 14

अ क रसायन – 100-1000 ,रजत - 40


Ka

का तु कोयला –

• मधुर & ख र – वण & स पातन |

• बदर – दन |

• बांस का कोयला – वे |

भ परी –

बीजाव – भे ला, व खता |

शु व – शु न सम त, स मे |

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प्र

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स्मा
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र्थ

न्द्र
र्वा
स्म

धि
प्र

क्ता

रस शा

उ रण/बीज – 2 धातुओ को त कर –- पन – मृ च त
सं र|

वा तर – अन म नम (अवलेह) |

1. खापू – मृतलौह परी |

2. अपुन व – with help of गु लु (नाया कृ ) |

3. उनम – हंसव यते वा |

e
4. - with help of silver coin |

or
• का नी का व न – प या य in RRS, 3 weak तक 1 क गंधक+ घी |

• परी – अ क, मा क, रजत, क ली |

• अमृतीकरण – अ क, ता ,
th |
Ra
• अ करण – ता |

• वा क – धातु तथा ख ज का ता |

• साधक – भुत शाच आ को र करने मे मं को जानने वाले पु षो को औष के सं ह


al

को सुर त रखने के काम मे यु करना चा ए |

• ब साधक – र कृ व , बलवान, स वान |


m

1. मधुर य – मधु, गुड, घृत |

2. पंचामृत – द , , घृत, मधु, श रा |


Ka

3. प ग – , द , घृत, गोमय, गौमू |

4. वक गण – गुड, गु लु, गूंजा, टंकण, घृत, मधु |

5. पंचक - गु लु, गूंजा, टंकण, घृत, मधु |

6. प मृ का – इ का, गै क, लवण, भ , वा क|

7. र य – यव र, स र|

8. र य - यव र, स र, टंकण |

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नि
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सि
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धि
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ग्र
रस शा

9. प र - यव र, स र, लनाल, पलाश, मु ल|

10. रा क - यव र, स र, तीलनाल, पलाश, से , अपामा , इमली, अ |

चणका – स षाभेक श ते |

अ वेतस – स षामु मो म |
लौह – , रजत, ता |

e
11. प लौह - , रजत, ता , नाग, वंग |

or
12. महांग लौह - , रजत, ता , वंग, कृ यस |

13. गंधक – गंधक, हरताल, मनः ला |

14. अंजन य – पु

15. पीतव – शुक, क


जंन, कालांजन, रसांजन |

कार, ह th , दा ह |
Ra
16. त व – तगर, कुटज, कु , गूंजा, जीव , तकमल, क |

17. कृ व – कदली, कारवे क, फला, नी का, नल, पंक, कासीस, बला |

18. शु व – सुधा, कु पृ , शंख, शु , वरा का |


al

19. मृ कारक व – म षी, मेष गी, क ग, धनबीज, शशका |


m

20. बालपंचामृत – सौफ, हरीत , गू, शु , ली |

21. षव - क, कालकूट, व नाभ, स क, |


Ka

22. उप ष व – लांगली, षमु , करवीर, जया, भ तक, धतुर, अ |

23. राज घं – 2 कार के अ व का व न या |

लौहव
• यह लौह श धातु के ए यु आ |

3 कार =

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ष्क

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न्द
र्ग

र्क

भ्र
र्क

रस शा

1. शु लौह – , रजत, ता , का लौह |

2. पू लौह – नाग, वंग, यशद |

3. लौह – ल, काँ , व लौह |

धातु वता ह व लाव भ व MP SG शोधन मारण य

ता सू सू र ल कृ 1057 9.7 गंधक 5%

e
रजत च च त त कृ 960 10.5 अग प मा क 2%
मा

or
मंग पीत ह +
ल ल
नाग वासु बुध कृ धूम पारावत 325 11.5 मनः ला 8%

अ गु पीत पीत च क 1064 19.5 प मृ का नाग not

वंग

ती
इं

यम
शु

श कृ
त कपोत

क ल
th शु

जा लफ 1520 7.7
233 7.3

अजमू /अ
रस हरताल

गुल
8%

10%
Ra

कां रा त धूसर गोमू +सै व

का यम केतु क ल 1520 7.7 अज/अ मू गुल 10%

यशद 410 7.1 रस


al

सं = या व ल, रसा व – 6 | कौ , शारंगधर – 7 |
m

o रस दय तं – 8 | RRS, रसे चूड़ाम –9|


Ka

• धातुओ उ रस कामधेनु ने बताई |

• अ संयोग से धातुओ का य या व ल ने बताया |

• धातुओ ला का व रसा व ने बताया |

धातुये (A रजत(A ता (C लौह(F नाग(P वंग(S यशद(Z पारद(H आ क(A


u) g) u) e) b) n) n) g) s)
परमाणु 79 47 29 26 82 50 30 80 33
सं
परमाणु भार 197 108 64 56 207 118.7 65 200.6 75

धातुओ का सामा शोधन – तैले त गवामु अरनाल कुल जे | (RRS)

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हिं
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ल्क
क्रे
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स्मृ
है

ति
न्द्र

त्रे
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णि
है

त्य
ठि

ल्य

रस शा

▪ अरनाल, कांजी, त , कुल थ गौमू लतैल (RT)

▪ शशक र भावना RRS ने बताई |

▪ कदली रस रा 7 बार प RT ने बताया |

धातुओ का शोधन तथा मारण

धातु शोधन मारण{रसे मंगल}(ना स ग मन हर)

e
पंचमृ का, गै क+सै व, रस नाग

or
रजत अग प , /चंगेरी रस, ती तैल मा क

ता अ +सै व लेप – मे प, गौमू दोलायं गंधक

लौह

नाग

वंग
रस, चू

रस, चू
दक by

दक by
th ठर यं

ठर यं
गुल

मनः ला

हरताल
Ra
ल ह चू + रस मे 5 प 1. पारद – रा, उपलौह – गंधक

काँ गौमू तथा सै व चू का योग 2. धातु का अरीलौह - नाग

व लौ अजामू or अ मू 3. रजत का अरीलौह - वंग


al


यशद रस, चू दक by ठर यं 4. ता का अरीलौह – यशद
m

धातु भ के कार 4 – लौहानां मारणं स षा रस भ ना | मूली म मं क


Ka

ग का || अ लौ न लोह मारणं ण दम् ||

धातुओ के भ का व – च कव भं कृ तार ता यो: | कां धूसर व त नागः पारावत भः ||


वंग शु भाया ती जा कफलोपमम् |

अ कं चे काभं तुनां व य: ||

धातुओ के प य –

1. – ण, र ,क णक, कांचन, गार, मांगलक, चाभीकर, हाटक, कालधोत, , जा व,


अ वी , महारजत |

2. रजत – तार, महाशुभ, च लौह, च हास, पक, व क, ध|


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हिं

स्व
स्व
स्व
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स्व
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त्र

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स्व
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म्बू
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भ्र

त्र
र्णा
त्र
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ति
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ष्टि
श्रृं
स्त्र

प्र

ष्ण
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दु
त्र
ष्ठं
र्ण
स्या
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ध्दा

र्वे
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म्र

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स्म
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स्यं

भि
ध्य
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स्या
प्रा
रु
क्म
हुः
नि
म्ब
ष्ठं
प्र
रस शा

3. ता – औ र, मुख, क, र क, लो तायस, सू लौह, अ , शु , नैपा क, ,


उ शु, सह शु, अ र, अर |

4. नाग – कुरंग, भुजंग, आशी ष, रकारक, कृ यसी, अ , भोगे |

5. वंग – रंग, शु लौह, कु , पुष, कु ल, पू गंध |

6. काँ – ता पुष, धोष, सौरा ज, दी लौह, व लौह |

ल– का, आरकूट, क ला, गला, सुव क, शीतकनक, रीती, क लौह |

e
7.

8. यशद – री तु, नै रोगारी, रंगसंकाश, ता रंजक |

or
9. व लौह – प लौह, व ल, प रसा |

1.
a. ख ज – na ve गो th (Au), Calvarite (AuTe2), Sylvenite (AuAg)Te2.
Ra
b. भेद – 5 भेद

i. कृत – रजोगुण यु , त, 16 कला यु |

ii. सहज – मे पता, जरायु, 16 कला यु |


al

iii. अ संभव – ववी प, 16 कला यु |


m

iv. ख ज – स रोगहर, 14 कला यु |

v. रसो वेध – रसायनं महा प |


Ka

c. सेवन काल मे अप तथा अनुपान – फल, काली तथा घृत |

d. घृ का गुण – ग पनमु मम्, ददौ हरं परम |

e. सुव म प का गुण – वी वृ करं परम |

f. लवण का गुण – पु वरोध, रंतनs रंगरोगम् (1/50 to 1/20 र ) |

2.रजत
a. ख ज – Argen te/Silver glance 87% (Au2S), Cerargyrite/Horn Silver (AgCl),
Polybasite, Prus te, Pyrargyrite, Pearcite, Telurite.
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पिं
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स्व
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स्व
स्व
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ष्ट्र
रस शा

b. भेद – 3 {कृ म रौ – वंग + पारद}

i. सहज ( ) – कैलाशप त समु , से रोगमु |

ii. ख ज (म म) – मालयो , परम रसायन |

iii. कृ म (हीन) – रामपा को , स रोगनुत |

c. maximum obtained from Maxico ( व का ने अ ), शुमा परम श म् |

e
d. ग शय शोधन, को गतवातनाशक, आ पनादौ सु रं रतानां यूनां |

or
e. Mac Aurther Forest Bresses (Cynide process) = AgCl

3.ता (भुनाग स पातन = ता )


a. भेद – 2

i. – th तं च पुनः कृ |
Ra
ii. नैपालक ( ) – घनाघात मं गु , र व in रास व |

1. 8 ष दोष – म,मू , दाह, द, द,वा ,अ , संताप |


al

b. ता भ को द पर डालने पर नीलांजन बनता (का केय का शु ) |


m
Ka

c. अमृतीकरण – गंधक तथा पंचामृत – 8 गजपुट

1. सुरणक or मीक के म – गजपुट |

2. कुमारी रस भावना – 7 वराह पुट |

3. उपरो या मे ता : गंधक = 2 : 1 |

d. ता भ मा – 1/8 to 1 र {2 ब } (अनुपान – ली, मधु) |

e. सोमनाथी ता भ – ता 1, पारद1, गंधक1, हरताल1/2, मनः ला1/4 – ग यं

f. ता भ से उ कार शा तु – मुनी ही + , धा क + |
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मि

श्री
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त्र
स्त

रस शा

4. लौह (अयस, ती क, श क) -ख ज – Red heama te (Fe2O3), Magna te


(Fe2O4). Silderite (FeCO3), Grey heama te (2 FeO3.3H2O), Iron pyrite (Fe2S3).

a. भेद – 3

i. मु लौह (Cast iron/ Pig iron – 2-4% Carbon)

1. मृ – , त वम टम् |

e
2. कु –म म| कड़ार - अधम |

or
ii. ती लौह (Wrought/ Steel iron) – highest MP

1. खरलौह – गर र त, भंगेपारदव , नमने भंगुर |

2. सारलौह – वेग भंगुधारं,


th लौह – चंचुबीज तु
गराभासकं, पां भू ज |

पोगरम् |
Ra
3.

4. ताराव ( गर) – अंग, छाया, वंग |

5. वा र– ग व संकाशै सू खे सा कै |
al

6. काललौह – ल कृ भ, पीटने से भी धार न |


m

iii. का लौह (Natural Magnet) Fe2O4, Carbon 0.12 - 0.25%

1. 5 कार – भामक, चु क, क क, वक तथा रोचक |


Ka

2. व नुसार 3 – पीत ( वेधी), कृ ( रसायान), र (रसबंध)

गर – लौह को तोड़ने पर खाई ने वाली खा |

रसा व ती लौह के तीन कार – रोहण, बाजार तथा चपलालय |

ती लौह परी – By कसीस व आँ वला |

का लौह परी – जल मे तैल का न फेलना, ग गंध का समा होना,


ता का समा होना, जल उबालने पर ग गंध ना, उफान खराकार गा
न , सफेद चना काला हो जाता |

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हिं
हिं
ह्र
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ति
हीं
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रे
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रस शा

लौह के 7 दोष होते वेशेष शोधन – फला थ7 प, फला, गौमू , इमली पा रस |

ध लौह पाक –

• भानुपाक – समभाग फला |

• लीपाक – गुण फला |

• पुटपाक – 1 पुट (रसक ), 100-1000 पुट (रसायन,वाजीकरण), 10-100 पुट (रोगहर) |

e
प ज फल या – का लौह |

or
• अशु लौह सेवन से हा याँ – डा, आमशूल, म रोग |

• भ सेवन मे अप – कु ड, तैल, माष, राई, अ

5. नाग - ख ज – Galena (PbS), Cerrusite (PbCO3), Anglesite, Litharge, metalocite.


th etc |
Ra
त वं महाभारं कृ समु वलम |

मेह तोयदोष दीपनं च आमवातनुत ||

नाग भ – रामोभवेत वं |
al

भेद – 2
m

i. कुमार – ( )

ii. समल
Ka

• TEL बनाने मे, र बनाने मे, बलदायक |

• नाग रसायन – 80 कार वात यो का नाश करता especially धनु त |

उप व – भ + हरीत |

6. वंग - ख ज – Casseterite/Tin stone – SnO2

a. भेद – 2 {मारण – हरताल तथा पलाश र}

i. खुरक – त वं सगौरवं श |

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र्वा

त्र

रस शा

ii. क - मशु कम |

हो यथा ह गणं तथैव वंगोs लमेहव म् |

स षा लोहानां बलवान भनं च रसा तु ||

• वंगरसायन – अ क + का लौह + वंग (मा 4व )|

• वंग भ – ग शय त हरं, सकृ णाशनम, स मेहहरं | (शंखकुं धवल - व )

e
उप व – मेष गी + |

or
7. ल
a. भेद – 2

i. री का – ता भं, कृमीनाशक |

ii. काकतु – कृ
th भं, यकृत हाहर |
Ra
b. ल ण – गु मृदवी च ताभां सारंगी ताडन मा |
al

8.काँ
m

a. भेद – 2

i. पु काँ त|
Ka

ii.तैल काँ –क श भ|

b. अ ल ण – धनस , मंदनाद, गत etc (7 ल ण) |

c. ल ण – ती श , ल, दाहर etc (6 ल ण) |

9. व लौह
a. भेद – 5 काँ , नाग, ल, लौह तथा ता का ण|

b. शोधन – अजामू / अ मू

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र्ण

रस शा

c. मारण – हरताल + गंधक + अ | {अ व तं चा दीपनं पाचनं तम} |

10.यशद - ख ज – Zinc blande (ZnS), Calamine (ZnCO3), Zincite (ZnO)

• शा द व णम, कला संकोचक, क वातपहं, काल यक धातु |

• उप व मे – बला + हरीत | { वंग भ – नाग, वंग, यशद} {वरलौह – लौह, ता } |

• काँ पा मे घृत रखना षेध, व पा मे अ रखना षेध |

e
• भुनागस =व वण मे, भुनाग स मृ का = षनाशक |

or
• करण – 40 तोला भ + 10 तोला गंधक + 10 तोला घृत |

Bell metal – Cu:Sn (5:1) Solder metal – Sn:Pb (2:1)

Gun metal – Cu:Sn (9:1)


Monel metal – Cu:Ni
Germal silvar – Cu:Zn:Ni
Rose metal – Bi:Sn:Pb (211)
Britania metal – Sn:Sb:Zn
Type metal – Pb:Sn:Sb
th
Ra
(311)

लौह -
a. ल (Brass) – Cu:Zn (2:1)
al

b. काँ (Bronz, Bell) – Cu:Sn (8:2)

c. व लौह – काँ ल,लौह,ता |


m

,नाग,

• यशद को पू लौह मे व न – आढ़मल दी का का, मदनपाल घं |


Ka

• आयु द काश मे (17 वी) यशद को 7th धातु माना |

• शारंगधर सं ता = धातु (7) – , रजत, ल, ता , नाग, वंग तथा ती लौह |

• उपधातु – मा क, तु , अ क, नीलांजन, हरताल, रसक, लाजतु |

12.मं र – (बालानां अ श ते)


• लौह 3 भेद acording to लौह, ती अंजन तरह, शोधन- गोमू , मारण- फला |

• 100 yrs स , 70-80 yrs म म, 60 yrs अधम तथा <60 yrs षतु |

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रस शा

महारस
अ वै मा क मला जस कम् |

चपलोरसक s सं सान् ||

e
महारसो सं – रसा व – 8, रसोप षद – 7, रसप – 6, रसराजल – 15, AP – 1 |

or
प य–

1. अ क – व , ज, ब प , गौरीतेज, वीशु , मेध, अन क,अ र,भृंग, आकाश के प य

2. वै

3. मा क – मधुधातु, त ज, तारज, ता
– कुव क,

th
कू श, चू व , रसराज शोभाम

|
|
Ra
4. मल – गंधायस |

5. लाजतु – ज, अ ,अ ज, अ ज, अ र, गै य |
al

6. स क– व, अमृतासंग, ता ग , तु क, मयूरतु क |

7. चपल – रसराजसहाय, रसबंध धायक |


m

8. रसक – नै रोगरी, ता रंजक, , री , रसो व, यशदकारण, लौहरंजक |

अं जी नाम तथा रासाय क सू –


Ka

1. अ क – ता क – Muscovite/Paragonite (White Mica)

र क – Pholgopite - Amber Mica (Mg)

ता क – Lepidolite – Ruby Mica (Li)

कृ क – Bio te (Fe)

2. वै – Tourmaline – K2.Al2O3.6SiO2 (शोभाम )

Flurospar - K2.Al2O3.6H2O

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र्या

रस शा

3. मा क– मा क – ता गंधायस – Chalcopyrite – Cu2S Fe2S3

रो मा क – गंधायस - Fe2S3

4. मल – Ironpyrite - Fe2S3

5. लाजतु – गौमू – Black Bitumine, क र – Indian Salt Pi er (KNO3)

6. स क– Blue vitriol/Copper Sulphate – CuSO4.5H2O.

e
Bornite, Peacock ore – Cu5FeS4.

or
7. रसक - acording to रसा व - Zinc Blenda – ZnS (गुड प)

Zinc ore – ZnO (मृ का प)

8. चपल – Bismuth ore


Calamine – ZnCO3 (पाषाण प)

th
Ra
शोधन तथा मारण

महारस शोधन मारण भ व पुट

अ क कांजी, गौमू , फला etc कासम इ काभं गजपुट


al

वै हयमू 21 बार, रलवण 2 बार, कुल थ र व


m

मा क भृंगराज, मातुलुंग, कदली, बदर, एर तैल मातुलुंग राभं वराहपुट

मल आट ष, मेष गी, ज र लकुच र व


Ka

लाज भृंगराज, रा गोमू , कांजी, यव रगु लु (क र - एला) मातुलुंग कपोतपु


तु ट
स क र व औष रा (मं , कुसु , ख र) लकुच

चपल ज री, क टक, गवेर

रसक क कालाबु स, नरमू कुमारी र व

1. अ क – hardness 2.5 – 3

a. भेद – 4 भेद ( त, र , पीत तथा कृ लकर कुल 16 भेद)

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क्वा
र्पु
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र्पु
रू

tt

रस शा

i. नाक – मु दलो यम् – मलब ता, मृ |

ii. नाग – नागवत कु त –म ल कु |

iii. म क–म कं तं पत –अ री |

iv. व – शेष वैकृतम् – |

b. धा करण – अ क : शालीध = सममा – RRS. (पादांशशा संयु = र.सा.स.)

e
अ क = 500 पुट (वाजीकरण) तथा 100 - 1000 पुट (रसायन)

or
c. अमृतीकरण – 10 भाग अ क भ , 16 भाग फला थ तथा 8 भाग गोघृत |

व हा गुण वृ

d. स पातन – प
लो करण – गंगे क, वट

जा प th मा ष प
र etc.

ग , मुसलीरस with टंकण–Fe (अ क:टंकण 4:1) |


Ra
बो , सु बं , वृ मायु म यम्, हलोहकरं त स रोगहरं परम |

राजह दध दय मानीतं धनं खने |

ल ण–
al

e. पृथु दलं व संयु भरतोs कम् | सुख प ... ||

f. च कायु अ क सेवन से – मेह, म ( षव समान) = उमाफल 3 न तक


m

मृ कृद् रोमवत | (प क – कालकूट ष समान)

g. अ क स – के मायु मं दोष रसायन |


Ka

2. वै – 7 भेद () {Hardness – 7.7}

a. भेद – त, पीत, कृ , ल, पारावत, मरकत तथा र (RRS & रचु 8 extra क र) |

अ फलकः षट् को म गु : | व कारं महारस कृ य लोहा ||

दः सकलदोषगदापहारी ||

b. स – मेष गी रस, इ गोप के व का – Al.

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पि
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र्मु
त्व
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क्ता
श्रं
ष्ट
ध्र
स्ता
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च्च
स्नि
ण्डु
द्र
ञ्चा
द्धि
स्व
भ्र
श्य
ध्मा
र्या
ति
ग्धं
धि

रु
ष्ण
स्स
ध्व
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ष्य
ञ्च
नि
नि
च्च
न्द्र
भ्र
ति
त्रा
क्षी
णों
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हि
ष्य
ष्ठ
र्णं
ण्ड
स्म

श्म
स्र
ग्र
न्य
ध्नं

णों
ञ्च
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क्तं

न्दा
ध्द
ष्ठ

व्य
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ग्नि
दे

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वि
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त्यु
ज्रा

धि

ज्रा

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क्वा
च्च
ग्नि

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च्च
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भ्र
क्त

दि

र्बु
नि

रस शा

3. मा क–( उपधातु – आयु द काश)

a. भेद – मा क – ता गंधायस – का कु – नवव तथा प व सुव वत् |

रो मा क – गंधायस – तप र संभूतो |

ण गु घृ क का मा, रसे , रात नेषु यवनेषु च तः |

ल लोह य मेलन , माधवे मा ते, स रसायना यः, त वं च शीतलं |

e
b. स पातन – गुंजाबीज सम या शु भं – Fe + Cu |

or
आयु द काश ने मा क को उपधातु कहाँ |

4. मल - भेद – (3) – ण( )

a. व ल कोण संयु
रजत – रजत

th फलका
ण|

तम् | (Fools Gold –


काँ – औष

मल तथा

मा क)
Ra
b. स पातन – शीशस भं चं संकाशं – Fe |

5. लाजतु – भेद – RRS 2, चरक 4, सु त 6 (गौमू ग तथा क रग )

a. गौमू ग
al

– संस ( ), तथा स

b. शु लाजतु – व भवेत गाकारमधूमकम्, स लेs अ नं ||


m

c. वन लाजतु – स धार से ड (स ला) |

d. लाजतु - गु ल संकाशं गौमु ग |


Ka

6. स क – {Hardness - 2.5}

a. भेद – भा क तथा कृ म ( कंठसम या) { त तथा र ( )}

b. तु मु का – शूल नाशक {भुनाग स मु का – वर जांगम ष, भूत त नाशक}

c. स – इ गोपाकृ |

7. चपल – रसकामधेनु 6 भेद (गौर, त– शेषा सब नम) (अ ण,कृ – ला वत शी )

a. भेद – 4 – गौर, त, अ ण तथा कृ (वंगवद् वते व ) | {Hardness - 2.5}

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लिं
नि
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र्वे
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स्व

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रे
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न्नि
स्नि
श्च
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क्षि

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ग्ध
प्त
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सि
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स्व
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र्पु
ष्ण
श्रे
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नि
ष्ठ
र्मि
न्धि
प्रे
र्ण
स्व

क्षा

र्ण
र्ण

क्षि

घ्र

द्र
वों

रस शा

b. क या ष : रसबंध धायक |

8. रसक – (रसा व 3 भेद) भेद – द र – दल यु – स पातन – Calamine |

करवे क– ल – औष के ये – Smithsonite |

a. रस तथा रसक का अ सह होने पर – हलोहम |

उपरस

e
गंधा गै कासीसकां ताल लांजनम् | कंकु चे परसा पारदक |

or
• प य–

1. गंधक – शु री, कु , , गौरीपु , वीरज, ब वसा, ले तक, नवनीत,

2. गै क – र
पामा , रसगंध |

धातु, ज, र
th पाषाण, लौहधातु, मृ का |
Ra
3. कासीस – खग, खेचर, क , अयोगग संभूतं, पांशुक |

4. तुवरी – का, कां , सौरा , पी का, आढ़ , सुरमृ का, ढ़रंगा, रंगदा, शु ,


al

महा ता |

5. हरताल – नटभूषण, म गंधज, रोम त, जर, पीतनक, नटम ल, वंशप क, डालक,


m

वंगा , गंध, शैलूषभूषण, ख र, गोद |


Ka

6. मनः ला – कुनटी, क का, नागमाता, रोग ला, ष , मनो , ता का,

मनोगु , रसगंधक, गोला, नाग का, रसने का |

7. अंजन

a. सौ रांजन - कृ अंजन |

b. तांजन – यामुनेय |

c. नीलांजन – शु भू ज, वा स व, सुव , लौहमा वकर |

d. पु जन – कौ भ, री ज, पु केतु, कुसुमांजन, री पु क |

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श्म
न्त

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दे

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त्ति
त्व

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धि
श्चा

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ष्टौ
ज्ञा
त्र
म्र
र्मा
जि
वि
णि

व्हि
भ्रा

रस शा

e. रसांजन – रसा ज, रसग , ता , ता शैल, कतक, अ सार, बालभैष ,

दा थोदभव |

8. कंकु – कोलबालुक, तालका , ती का, रंगदायक, चक, वरांग, रंग,

स, मवती, शोधन |

• रासाय क सू –

e
1. गंधक – S | hardness – 1.5-2.5 | S.G. – 1.9-2.1 | MP – 119 | BP – 444 |

or
2. गै क – Heama te or Ochre or Red Oxide of Iron (Fe2O3) |

3. कासीस – Green Vitriol or Ferrous Sulphate (FeSO4 7H2O) |

4. तुवरी – Potash Alum – K2SO4Al2(SO4)3 24H2O |

5. हरताल – Arsenic trisulphide, Orpiment, Arsenical gold, Yellow Arsenic th


Ra
(As2S3)

6. मनः ला – Arsenic disulphide, Red Arsenic, Realger (As2S2) |

7. अंजन – सौ रांजन तथा तांजन – Sb2S3 |


al

a. पु जन – ZnO |
m

b. नीलांजन – PbS |

c. रसांजन – HgO |
Ka

8. कंकु – Rubharb – Obtained from Mysora gambosa – Garcinia Morella |

• भेद तथा ल ण

1. गंधक – रसा व तथा ररस – 3 भेद माने |

a. शुकचंचु भं – र व – |

b. पीतव – म म |

c. शु व – हीन |
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स्व
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र्वी
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ष्ट
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ष्ठ
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ष्ट

क्ष्ण
र्क्ष्य
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दु
ग्धि

स्त्र

ग्नि
रे

ज्य
वि

रस शा

• रसे चूड़ाम ने 4 भेद –

a. र – शुकतु भं – धातुवादा |

b. पीत – शुक भं – रसायन क |

c. त – ख काकार – लोहमारणा |

d. कृ – भ – जरामृ नाशा |

e
• Again 2 भेद – आवलासार (ह तपीत - ) तथा ख का ( तपीत व ) |

or
• गंधक मधुर पाक वाला होता तथा इस मा 1-8 र |

• आयु द काश ने इस क पाक बताया |


गंधक सेवन काल मे प

गंधक सेवन काल मे अप th – जांगल मांस, छागल मांस |

–अ , लवण तथा दाला |


Ra
• गंधक उप व – गौ तथा गौघृत का सेवन |

• सुते वी द, कृ हर स कसूत त, राजा ब वसा |

गृद
al

• तु कुरतेs यु |

• गंधक रसायन – शु गंधक मे भावना ते मशः – चतु त, गु ची, आमल आ 8-8


m

बार रअ मे गंधक के बराबर श रा लाकर वटी बनाते |

गंधक रसायन मा – ½ - 1 तोला तथा कु मे योग करते |


Ka

• गंधक – कलांश ष संयु गंधक – 1/16 भाग क – ल तैल |

3 बूंद नागव तथा 1 व शु पारद के साथ सेवन |

– जल मे इस बूंद न फेले |

योग – य, पा , स, कास, शूल, गृहणी आ |

2. गै क –

a. रसर समु य – 2 भेद

Page 39
श्वे

प्र
क्त
रि
ष्ण
द्मा
न्द्र
न्द्र
फि
त्न
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क्षि
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ल्ली
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च्छ
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द्ध
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दु
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ग्ध
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त्ती

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श्वे
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है

है
ति
है

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र्ण

की

दि
की
रस शा

i. – , मसृण, र व तथा होता |

ii. पाषाण – क न, ता व का होता |

b. रसा व – 3 भेद – र , म तथा केवल |

c. आयु द काश 3 भेद – गै क, सामा गै क तथा पाषाण गै क |

• अ क हरं तथा मुद नुत | इ मेदा तैल – मुख रोग |

e
3. कासीस –

or
a. रसर समु य – 2 भेद

i. बालुका कासीस – धूमाभं |

b. रसा व – 3 भेद – शु
ii. पु कासीस – पीताभं – औष

th , कृ तथा पीत |
ण (नयनौषधम्) |
Ra
c. आयु द काश – 3 भेद – कासीस, धातुकासीस तथा पु कासीस |

d. रसजल – 4 भेद – त, पीत, ह त तथा म|


al

e. यामल त – 3 भेद – कासीस, पु कासीस तथा हीराकासीस |

• कासीस व – कासीस 5 र तथा जल 2½ तोला |


m

गुद लन – गुद श |

ण लन – स |
Ka

• ही ण मे कासीस का योग या जाता |

• कासीस स – कासीस + ¼ र य --- रस भावना ----- Fe स

4. तुवरी – रसर समु य – 2 भेद

i. फुट – ईषतपीत व गु तथा होती |

ii. फु का – शु व – लेपाता च यम् |

b. रसा व – 2 – त (ख ) तथा कृ (चू पा) |

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स्व
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द्र
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ग्ध
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की

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श्वे

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क्त
त्ती

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ष्ण
धि
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नि
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र्मा
रे
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ष्ठ

ष्ण
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स्व
श्या
र्ण
दि
है
रि
है
है

रू

ष्प

रि

त्व

प्रा
प्त

रस शा

• सौरा शस ता, मं राग बं नी |

• दोष शा दा पारदजारणी |

• स पातन – र तथा अ के साथ, गो से 100 बार भावना |

5. हरताल – (मा –¼-½र )|

रस र समु य – 2 – भेद –

e
i. प ताल – – रसायना |

or
ii. ताल – पु हर |

• मारण – पलाशमूल क तथा म ष मू – 10 उप का 12 पुट |


स पातन – अ

रसमा –2अ कप th + लतैल --- कूपीप

के च मे शु हरताल चू --- र
--- तल मे त|

व (VK र) |
Ra
6. मनः ला –

a. रसर समु य – 3 भेद –


al

i. मांगी – र भं |

ii. कण रका – ता भं |
m

iii. ख –अ र – |

b. आयु द काश – 3 भेद – मा, कण रका ( ) तथा ख |


Ka

• ल ण– लाख शु र त भा |

• स पातन – मनः ला + 1/8 भाग गुड, गु लू, लौह व घृत |

• शु मनः ला मा – 1/32 – 1/16 र |

7. अंजन

a. सौ रांजन – धू व – ष रोग , णशोधनरोपणम् |

b. तांजन – नीलव – व क खराकारम, भंगे नीलो ल |

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त्रि
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श्या
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स्रो
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त्व
त्व
त्व
द्ध
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क्य
शि
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च्च

ष्ठ
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क्षा
क्ता
प्र
त्रा
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शि
ष्प
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दु
ग्ध
र्ण
क्तं
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भ्र

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जि

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वि
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म्ल
श्रै

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र्थ

श्या
त्ती
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त्प
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स्त्र
श्रै

लों

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ट्ट
त्प
श्वे
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द्मु
क्त
ति

ण्ड

र्ण

ज्व

रस शा

घृ म् तु गै क यां |

c. पु जन – तव – स रोगनुत, प क नाशनम् |

d. नीलांजन – नीलव – सुव लोहमा वकरम्, दोष यनाशनम् |

e. रसांजन – पीतव – षव गदापहम्, दा ह का घन स |

• स पातन – मनः ला के समान तांजन का राजाव के समान करते |

e
8. कंकु – (स जात द व )

or
a. 2 भेद –

i. ना का – – पीतव तथा गु |

• मव
ii. णुका –

द ख , कठोदर जलोदरम्, नाशयेदामवातम् चयेत णमा तः | th कृ – स तथा लघु |


Ra
• चन के ए – 1 यव ही के साथ योग करते |

• ती चन के ए ता ल के साथ योग करते |

उप व मे
al

• – ब लमूल थ मे टंकण तथा जीरा लाकर पान कृते |

• कुछ योग – ध री घृत, उदाव घृत |


m

• शोधन
Ka

उपरस शोधन

गंधक गो , गौघृत, भृंगराज रस, काँजी, पला , एर आ |

गै क गौ (RRS), गौघृत (AP) |

कासीस भृंगराज, रजसः याँ, ज री |

तुवरी काँजी (उ करण रा) |

हरताल कु रस, ल र|

मनः ला अग प रस, आ क, (जयंती, भृंगराज, र अग - दन) |

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रे
हि
वि
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ष्पां
ष्ट
त्व
ष्मा
लि
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दु
दु
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ग्ध
शि
ष्ट
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रे
द्र

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स्व
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ल्ली
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श्च
न्व
ष्ट
च्छा
त्सा
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रे
र्ण
न्त
ति
शि
र्ण
र्ण
र्द्र
र्थ
निः
वि
क्षा
न्ति
व्दा
म्बु
स्त्रि

स्व
ग्रा
त्व
र्ण
र्वा
ब्बु
र्ण
क्त्र
र्च
क्षि
ध्न
द्र

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र्त
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रु
क्वा
न्तु
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प्र
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हि
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नि
स्रो

क्का
म्बू
क्त
रु
प्र
स्त्र
ण्डू
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ञ्च
द्रा

है
स्त
ण्ड
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रे
स्वे
है
दि
र्त

मि
त्व
क्ष

त्र

है
है

रस शा

अंजन भृंगराज रस |
तांजन – गोशकृ समू षु घृत वसा – शी ब सूतकम् |
रसांजन – सू व योग |

कंकु शु थ|

o नयनौषधम् – पु कासीस |

o स रोगनुत – पु जन |

e
o लोचनाभय – गुल |

or
o नयनांतक हा णी – कप |

o रस मा मे त अ क का योग करते |

o कंकु , री
th
र तथा चपल सं |
Ra
o पारद जारण – तुवरी तथा नौसादर |

o पु जनन तथा मूढ़ग व न – टंकण |

o कासीस भ – लाल व होती |


al

o तुवरी स का योग मण सं र मे करते |


m
Ka

साधारण रस |
क sप गौरीपाषा नवसादरकः |

कप व जार री र गुलो ||
Page 43
हिं
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र्य
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ष्प
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द्र
गि
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र्ण
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प्र

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न्दू
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र्त
प्र
क्षो
दि
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ग्ध

द्र
व्य

है
है

है
स्त्र

घ्रं

ध्ना
ति

रस शा

मृ र ग इ रस कराः ||

• प य–

1. क क–र चू क, चन, क श, रोचन, र ग, च , इ काचू संकाशं |

2. गैरीपाषाण – शंख ष, दा मुष, दा मोच, म ,म क, फेना , स ल, आखुपाषाण,

कट, हतचू क, ह, सोमल, मू का, स लखार, कटी |

e
3. नवसादर – न सार, नरसार, सार, चु कालवण, इ कालवण, डलवण |

or
4. कप – चर, चराचर, बाल ड़नक, वरा का, रा का |

5. अ जार – अ ज, अ ग ,अ स, धुफला, व जार, अ वो व,

6. री र–र
अजुनो व

णु, रसग th र, रसग , रसांजन |


Ra
7. गुल – चू पारद, रसग , लोह , लांग, शुकतु , , हंसपाद, र ,

क शी क, र काय, दरद, रंजन, रस न,रसो व, सुरग


ं |

रासाय क सू –
al

1. क क – Mallotus Phillipinensis – Euphorbieceae family |


m

Ro lerine and Isoro lerine, Kamla seed oil present |

2. गौरीपाषाण – As2O3 – White arsenic or Vitrious oxide |


Ka

3. नवसादर – NH4Cl – Amonium Chloride, Indian salt pi er |

4. कप – CaCO3 – Merino Shell |

5. अ जार – Ambergris |

6. री र – HgO – Red oxide of mercury |

7. गुल – HgS – Red sulphide of mercury (Cinnabar – Hg : S 6 : 1) |

8. मृ र ग – PbO – Litharge (complete external use) |

Page 44
हिं
हिं
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गि
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द्दा
ग्नि
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र्द
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न्दू
न्दू
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ष्टौ
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क्त
ग्नि
क्त
क्त

रे
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सि
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ग्नि
द्धि
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र्भ
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रु
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र्भ
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ट्ट
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ग्नि
न्दू
रु
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चि
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स्था
र्या
टि
ल्लि
र्भ

ल्ल
स्त्र
वि
म्बु
क्तां

द्भ
टि
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ल्ल

म्ले
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न्द्र

न्हि
च्छ
त्रि

tt

श्म

ष्टि

र्ण
म्ब
र्ण
वि

क्त
द्भ

रस शा

e
• भेद तथा ल ण

or
1. क क – फलरज का योग करते |

सौरा शे चो , दरा कृ गु हारी, मुलामशोफ़ रशूलहारी, गदापहारी,

उ मकृ

परी –ठ
, पीत खा परी

जल मे न th ,इ

घुलता, ग जल मे अ
का चू संकाशं, कृ घातनी गु का |

घुलता |
Ra
मे मृ होता , जल के उपर तैरता , अ संयोग होने पर ट

के साथ जलता |
al

भीगी अंगुली मे लगाकर कागज़ पर रगड़ने पर कागज़ ला हो जाता |


m

2. गौरीपाषाण – सु त ने थम व न या |

भेद – RRS – आकृ अनुसार – 3 – काभं – तम – तव |


Ka

(Speci c geavity – 5.6-5.8) शंखाभं – तर – पा रव |

(Hardness – 3-4) ह भं – – पीत व |

AP व अनुसार – 2 – त – शंखाभं – कृ म |

पीत – दा माभं – प तज |

रस तरं णी – 2 भेद – त तथा र |

रसबंधकरो दोष रसवी कृत | रसबंधकृत |

Page 45







त्त
म्पि
क्षा


ष्ट्र
ल्ल
मि
दे
ध्नं
र्ण
क्ष
गि
ण्डे
fi
स्प

त्प

है
स्नि
र्श
श्रु
न्ने
रे
ति

ग्धो
श्ले

प्र
हीं
ष्मो

दु
क्षा
प्र

श्वे
ध्नो
र्ण
है
र्ति

श्वे

ष्टि
कि
मि

र्म

र्य
है
क्त
स्फ

ल्म
है
र्ण

टि

स्त्र
त्य

ड़ि
श्रै
ल्प
रि
त्रि
ष्ठ
द्रा
है
पि
श्रै
मि
ष्ठ

ग्नि

श्रै
र्व
ज्व
है
ष्ठ
श्वे

ण्डू
टि

है
र्ण
र्ण

र्ण

रे

च्य
वि

स्फो

रस शा

E ect of using one month – दा ण स, कु , पदो र शी,

काभं कामव न, बा योगेण रक परं,

अ सार ह शु भु मा समु तं |

3. नवसादर – करीर लुका षु प मानेषु चोदभव, रसे जारण तथा लौह वण |

e
मांसाजी वारण, वृ क ष नाशक होता |

or
4. कप –

भेद – रस तरं णी – 3 – पीत (उ म),

RRS – 2 भेद – करा का – पीताभां


th त (म म) तथा धूसर (अधम) |

का पृ दी वृ |
Ra
वराट – कफ व क, गु |

भार के अनुसार भेद – 1½ ( ), 1 (म म) तथा ¾ (अधम) |

ल ण – दी वृ व पृ च ला |
al

प णामा शूल गृहणी यनाशनी | (शर भं भ का व ) |


m

रसे जारण तथा ड णा | नयनांतक हा णी, क वहर |

5. अ जार – रसा व मे थम व त | अ क जारण के संद मे |


Ka

मछली आं त मे त मोम स पदा , ल मछली का शु मल

धनु ता वातनुत्, तु मय , व नोरसवी पनो जारण था |

वेधी भवेतरस |

याकुती रसायन तथा धा रसायन का मु घटक अ जार |

6. री र – पारद का ख ज |

महा षु चा यः पाषाणा तो, दोषशमनं भेदी रसबंधनम मम् |


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ग्रा
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गि
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स्व
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नि
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क्ष
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ष्क
न्तः
वि
र्मा
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र्णि


र्णा
च्य
त्त
स्थि
श्रै
र्ध
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ष्ठ
र्थ
श्य
रु
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ष्ठे
श्वे
प्र
ख्य
त्रि
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र्थ
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ष्क
स्य
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त्त
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नि
न्दुनि
र्ध
ष्ठ

ध्य

रि
ष्ठे
ग्नि
न्त्या
न्द्र
र्ध
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रु
र्घ
है
ह्य
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है
र्ण
त्ता
क्त
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त्य
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स्त्रा

नि
ष्क
ज्व
र्ण

ष्क
भ्रि
त्र
ध्वं

क्षा

त्थि

द्रा

र्म

रस शा

हलोहकरं ने |

भेद – रसजल –2– री र ( भा क) तथा नाग र (कृ म) |

7. गुल – थम कौ अ शा मे व त|

गुल से काला गया पारद गंधक जारण ये पारद के समान लाभकारी होता |

e
गुल अनुपान – म च + गुड या ली + गु ची |

or
जपाकुसुमव भः पेषणे सुमनोहरः |

भेद – उ भेद – 2 – ख ज – तीन कार (AP) |

आयु द काश – 3 भेद – th कृ म – Hg + S = 6 : 1 |

च र – कृ व या र व |
Ra
शुकतु – पीत व |

हंसपाद – जपाकुसुम व |

रसर समु य – 2 भेद – शुकतु –च र–अ गुण यु |


al

हंसपाद – त खा वाला |
m

अ भेद – चू प तथा पारद प |

स दोष दीपनोs रसायन, लोचनामयहर |


Ka

अशु गुल भाव – अं , , मं, म आ |

8. मृ र ग – रसे चूड़ाम मे थम व त|

अ दा पा सीसस , पीताभं सदलं लं, पीत पा र ज गु र म ले |

भेद – 2 – ख ज तथा कृ म, पीत तथा पा र, सदल तथा ल|

RT – रंग ण णरोपणमु मम्, भ संधानजनन, कदोषशमन |

RRS – पुंगदापहम, रसबंधनमु , केशरंजमु मम् |


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हिं
हिं
हिं
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द्दा
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त्रि
गि
नि
र्थ

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पि
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र्ण
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न्दू

नि

त्रि
र्ज

ण्ड
है

रस शा

• शोधन – सामा शोधन – मातुलुंग + आ क रस (3 भावना) |

1. क क - जल रा |

2. गौरीपाषाण – कारवे कफल म दन, मे नाद रस मे दन |

गौ या अजा या मांसरस मे दन, टंकण जल मे दन |

e
3. नवसादर – उ जल, उ पातन in डम य |

or
4. कप – अ व मे दन |

5. अ जार – अ र|

6. गुल – मेष

रस या आ क
रत त

th रस या लकुच
रस 7 भावना |

रस 7 भावना (पातन य मे) |


Ra
7. मृ र ग – 1 प तक जल मे म न |

• मारण
al

1. गौरीपाषाण – लाजव क , ही र, अ रआ |
m

मा – 1/120 – 1/30 र (मारक मा –1र )|

स पातन – हरताल के समान |


Ka

1र शंख ष + 15 माषा काली ---- आ क रस भावना – 3 न

तक म न ---- 1-1 र गो याँ |

2. कप – अ पर धमन, शराव स ट कर गजपुट मे पाक | - तभ |

3. गुल – स – सूतसंकाशं, शु गुल – कुंकुम भं |

4. मृ र ग – स – Pb बा योग |

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हिं
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स्व
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स्वे

स्म
न्त्र

दि

रस शा

e

or
मा मु फल मा ता च पु रंच नीलं |

• र नाम, ह, का
गौमेदक

तथा formula

th रक मेण र नव हाणाम् ||
Ra
र ह का english formula

मा सू 9 Ruby Al2O3
al

मु च 3.5 Pearl CaCO3


m

वाल मंगल 3.5 Coral CaCO3

प बुध 7-8 Emerald, Aquamarine BeO.Al2O3 6Sio2


Ka

पुखराज गु 8 Topaz Al(FeOH)2 SiO4

व शु 10 Diamond C

नीलम श 9 Saphire Al2O3

गौमेद रा 7.5 Zircon, Agate, Cinnamom CaAlSiO2 (ZrSO4)

वै केतु 8.5 Cat’s eye BeOAl2O3

• र AP के अनुसार – वै , सू का , हीरा, मो , म , च का , राजाव , प |

• र के उपयोग – RRS – 5 – रसे, रसायने, दाने, धारणे तथा वता ने |


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र्च
न्त

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न्ना

रस शा

• र के दोष – RRS – 5 – स, स, , खा, जलग ता |

• कु व – मा , नीलम तथा प |

• व दोष – 5 – , काकपद, यव, मल तथा खा |

• गोमेद दोष – 5 – , काकपद, स, मल तथा खा |

• मु दोष – महादोष – 4 – शु ख ,म , जठर तथा मछाया |

e
सामा दोष – 6 – वृत, आव , ट, कृश, य तथा पा कृश |

or
लघु दोष – 5 |

गु दोष – 4 | इतर दोष – 6 |

• Rela ve Density – वाल तथा मु

th
हीरा तथा पुखराज – 3.5 |
– 2.7 |
Ra
मा तथा नीलम – 4 |

वै – 3.5 – 3.8 |
al

गोमेद – 4 - 4.7 |

• र जा याँ – 3
m

1. ख ज (प तज) – मा , ता , पुखराज, व , नीलम तथा गौमेद |

2. ज (जलज) – मु तथा वाल |


Ka

3. वान ज (औ ज) – तृणका तथा संगेयमुषा |

• र का शोधन

1. सामा शोधन – दोला य मे 1 हर दन या 7 बार पन क |

जय रस, कुमारी, त लीय, नारी ,अ , र, गौमू आ |

2. शेष शोधन

a. मा –अ व | मु – जय रस |

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वि
स्व
रे
द्रु
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रस शा

b. वाल – रव | प – गौ |

c. पुखराज – काँजी तथा कुल रस | व – त लीय तथा कुल रस |

d. नीलम – नीली रस | गौमेद – गोरोचन |

e. वै – फला |

• र का मारण –

e
1. थम व – मा ,प , पुखराज, नीलम, गौमेद तथा वै |

or
लकुच वे सं : लागंधक तालकैः | - 8 बार गजपुट मे पाक |

2. तीय व – वाल तथा मु | वाल – कुमारी रस – 3 बार गजपुट मे पाक |

3. तृतीय व – व |
मु

th – गुलाब जल भावना – 3 बार कु ट पुट मे पाक |


Ra
व + पारद + गंधक + मनः ला -- रस भावना – 14 बार गजपुट मे पाक |

• AP के अनुसार – मू वान र का मारण न करना चा ए इसका मारण करने से घोर नरक


होती | (तु वधे रोरवमृ )|
al

• शारंगधर ने मु तथा वाल का मारण मा कवत करना बताया |


m

• सभी र भ का व त होता अपवाद – गौमेद भ का व – क ई होता

• र – र तु भाव हलोहकरी शुभा | Storage in कुसु तैल |


Ka

• र के प य

1. मा – र राट, कु , र र , शोणर , सौगं क, प राग |

2. मु – अ सार, श य, शौ कैय |

3. वाल – अ ज शेषो , लताम , भौमर , अ प व, म, अ लता |

4. प – रौ णेय, ग दगार, ह , ता , मरकत, सौप , अ ग ज|

5. पुखराज – म म , वाच व भ, पीतम |

6. व – कु श, भा व य, प , र, अभे , अ धन, भृगु य, रसकौतु |


Page 51
प्र
प्र
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स्व

र्भ
द्रु
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त्थ
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है

की
प्रा
प्ति
रस शा

7. नीलम – तृण ही, नीलो ल, शु नील, श र , महानील |

8. गौमेद – ग क, तपोम , रा र |

9. वै – वायज, वृ , केतुर , डाला , मा रनै |

• र के भेद तथा ल ण

1. मा – भूत वैताल पाप क ज नाशनम् |

e
भेद – 2 प राग – – कुशेशयदल यं , वृ यत् सम् |

or
नीलगं – गंगा स तं नीलग ण |

व नुसार भेद – 4 – त, पीत, ह ताभ (अशोकप स ), र भ (तु या) |

मा

मा
– गुलाबी रंग

तथा भ th मा
होती |

–¼-½र |
Ra
2. मु – बालासुर का टा दांत – पौरा कउ |

भेद – 8 – शु ज, शंखज, ह ज, वराहज, स ज, म ज, द रज तथा वेणुज |

गुण – 9 – र
al

व ल तोय भं | , त, लघु आ 9 गु वाली |

, व, ता व लवण के आभावाली कट, क–अ |


m

छाया – 3 – मधु, तथा ख ( )|

दोष – 10 |
Ka

3. वाल – कृ म ण रस काश सुधाकर ने या |

भेद – 4 – त, कृ , धूसर तथा र ( )|

ल ण– प फल यां वृ यतं अवकृकम् |

णकं लं वालं स धा शुभम || (RRS)

बाला रणर , सागर स लोदभवत |

आयु द काश – न ज ज कणे घृ s ||

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ष्ठी
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च्छा
त्न
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च्छा
ग्ध
धि
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रू
ष्ठ
च्छा
है
है

रस शा

अ ल ण– रम् शु व नम् कोटरा तम् |

गुण – रोग षुदनम्, यकासहर, र णाशनम्, दोषशामक,

दा महर, रा दहरं परम्, ष भूतशमन वी व व नम् |

4. प – स ष का ANTIDOTE |

भेद – 3 - त, नील तथा ह त ( )|

e
ल ण– म पा शोफ़ ता मोजो व नम् | षड णीय ख वत |

or
5. पुखराज – क काकार सुनाभो |

भेद – 2 – प रागवत (यु क त रा), मरकतवत |

6. व

भेद – 3 भेद – नपुंसक – अधम – कु th कोणा व लं गु |


Ra
नारी – टाकारम् व लायतम् |

नर – उ म – अ चाs फलकं षडकोणम भासुरम्, अ धनुवा तं

व नुसार भेद – 4 – त– ण – रसायन एवं स द|


al

र – य– नाशक, जरामृ हर |
m

पीत – वै – धन द तथा हदाढ कर |

कृ – – नाशक तथा वय पक |
Ka

गुण – 5 – अ , लघुता, अ फलता, षट् कोणता तथा ती ता |

दोष – 5 – – ता का धन नाश |

काकपद – मृ कारक |

यव – तयव के अ त|

मल – अ तथा पशु का भय |

खा – वाम खा के अ कारक |

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श्वे
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ग्नि
ष्ण
ल्प
र्क्ष्य
श्रै
रे
ष्ठ

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क्ष
रु
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द्र
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धि

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क्त

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नि


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दु
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र्व
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की
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सि
वि
न्द्र
र्य

द्ध
त्यु
स्था
र्ध
प्र

रि
ण्ड

रस शा

व भ मा – 1/32 – 1/16 र |

व मारण – मु टर (खटमल) |

अनुपान – रस र, मकर ज, अ क, मधु आ |

7. नीलम - आयु द काश – सु री र पु तम् |

भेद – 2 – जलनील तथा इ नील ( )|

e
आन क ने व के अनुसार 11 व का नीलम माना |

or
अ ल ण–र गत छाया |

भ तथा मा – 1/8 – ¼ र |

8. गौमेद – गोमेद समराग

कफ नाशक, यपा th
द् गोमेदं र मु ते | (RRS) |

यंकरम्, बु बोधनम् |
Ra
ल ण – मधु सम या गौमू सम भम् | अणुध ता पाया जाता |

गोमेद + सोना – अ वृ |
al

9. वै - भेद – व नुसार – 4 भेद – त, कृ , धूम तथा त|


m

2 भेद – Alexandride (Cat’s eye) and Quartz group (Crysoberyl) |

ल ण – वेणुपलाषपेशल चा मायूक गला छ |


Ka

गुण – गु भृ रोग भू जं च शुभावहम् |

उपर
• उपर के सं रस तरं णी ने 6 तथा रसजल ने 7 बताई |

• रस तरं णी – , सू का , च का , राजाव , पैरोजक तथा कम |

उपर ह का English name

सू का सू 5.5-6 Sun stone (Aventurine digoclass)

Page 54
पिं
ग्रा

ग्रा
ग्र
ज्र
ज्र
स्म
र्य
र्य
ग्रा
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ह्य
डू
ठि
र्य
त्न

त्न
न्द
ह्य
पि
न्य
स्म
की
गि
न्त
त्त
क्ष
क्ष
त्न
ल्म
न्द
क्ष
की
पि
पि
प्र

ख्याँ
ष्ठी
ष्ठी
र्वे
सि
ति
त्कु
वि
र्ण
त्रा
र्णा
की
प्र
क्रा
क्ष
क्ता
बि
न्दू
न्त
क्त
ध्न
र्ध
त्वा
न्दु
त्रा
गि
र्क
वि
न्द्र
र्य
मि
ध्व
च्छा
ण्डू
क्ष
न्द
रु
ति
न्त
क्षी
श्रै
भ्र
ष्य
र्ण
त्न
श्वे
ष्ठ

न्द्र
त्ती
त्रा

त्ती
द्धि
च्य

रि
ज्य

प्र

ण्ठ
न्त

ष्ण
स्त्र
यि

नि

दि
त्वा
प्र

धि

र्त

है

मि
श्रि
वि
र्मि
है

स्फ
टि
णि
है

रस शा

च का च 6 Moon stone (Perthite)

राजाव श 6.5 Lapis Lazuli (Ultramarine Lasurite)

पैरोजक केतु 5-6 Turquosie, Al, Cu, Phosphate, Limonite

क 7 Pebal, Quartz, Rock crystal (SiO2)

मा /संगेयसव 7 Jade, Jadite, NaAlSi2O6

तृणका /कह वा 2.5 Resinfossil, Amber (Succinum)

e
or
• प य

1. सू का –अ पल, अ ग , तपनम , वसु, दी पल |

2. च का

3. राजाव – आव , नृपाव ,
– सं वोपल, इ का ,
th ला
ता |
Ra
|

4. पैरोजक – ह ता ,ह |

5. मा – यशव ला, ह , ह ता |
al

6. तृणका – तृण ही |

7. कम – शा , धौत ला, वर , पल, अमलम , षर ,


m

य, लोपल, म |
Ka

• भेद तथा ल ण

1. राजाव – आकृ के अनुसार – 2 – चू तथा गोला |

व के अनुसार – 3 – र , नील तथा त|

ल ण– क समं काश |

दीपनः पाचनो वृ राजाव रसायनः |

राजाव भ का रोगा कार – मदा य |

2. पैरोजक –

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व्यो
स्फ
शि
ग्रा

स्फ
व्यो
र्ण
र्या
न्द्र
न्द्र
न्द्र
र्य
नि
ह्य
खि
टि
टि
श्म
श्म

प्रि
र्त
र्त
र्त
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ष्ठ
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न्म
रि
च्छ
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नि
न्म
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प्र
णि
न्त
णि

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श्मा
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शि
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रि

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र्ण
णि

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श्मा
श्रि
श्म

र्तो
त्न
स्त्र

सि
प्तो
द्धो

णि
नि
ष्तु
त्न

रस शा

आयु द काश – 2 भेद – भ ग तथा ह त ( )|

ल ण– वरं जंगमं चैव संयोगा | ......मूलभूता दोषजम् ||

3. मा (Green colour) –

2 भेद – Jadite – ह ज (from china)

Nephrite – वृ ज (from newzeeland) |

e
Its used in Pep c ulcer |

or
4. तृणका – यादवजी कमजी मे थम व त | MP – 280-375०C |

कप पर रगड़ने से गंध आती |

शोधन तथा मारण का

मालाधारण करने से ग
धान न

thव का भय न रहता |
बनाई जाती |
Ra
5. च का – व करः हाल नाशनः |

6. सू का – FeO |

7. प – इसका green colour Chromic oxide के कारण |


al

8. नीलम – इसका नील colour Titanic oxide के कारण |


m

9. गौमेद – Mg |

• का म – हीरा > मा > नीलम > प > च का > राजाव |


Ka

• र नपुंसक ग तथा म पु ग या ग होती |

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ष्ठ

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न्द्र

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न्त
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