Professional Documents
Culture Documents
Brahatsaam 1
Brahatsaam 1
बृहत्साम
बृहत्साम ..................................................................................................... 3
सामिेद में अनेक मनोहारी गीत हैं , वजन्हें ‘साम' कहा जाता है । इनका गायन एक
विवशष्ट परम्परागत िैवदक पिवत से वकया जाता है , जो अत्यन्त मनोहारी होता है ।
गीता में भगिान् श्री कृष्ण ने ्वरयां को सामोां में बृहत्साम कहा है -'बृहत्साम तथा
साम्नाम्' (गीता १०/३५)। सामिेद में सबसे श्रे ् होने के कारण इस ‘बृहत्साम’ को
अपनी विभूवत बताया है । यह सामिेद के उत्तरावचवतक में अध्याय तीन के अन्तगवतत
है । इस सामके दे िता इन्द्र, िष्टा-ऋवष शयु बाहवत स्पत्य तथा छन्द बाहवत त-प्रगाथ
(विषमा बृहती, समा सतोबृहती) है ।
हे अतुि पराक्रमी, हाथ में विवचत्र िज्र धारण करने िािे , ्वरयां के तेज से प्रकावशत
इन्द्ररूप परमेश्वर! आप हमें गोधन, रथ के योग्य कुशि अश्व, अन्न तथा ऐश्वयवत प्रदान
करें २
www.shdvef.com