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पाठ- सपन( के से +दन

!"नो%र:-
!. पीट, साहब क2 ‘शाबाश’ फ़ौज के तमग़=- सी ?य= लगती थीं? FपGट क2िजए।
उ. पीट' साहब बहुत ह' अनश ु ासन12य व स5त अ6यापक थे। ;कूल के >कसी भी छाA ने उCहD म;ु कराते नह'ं
दे खा था। बJचे उनके डर से काँप उठते थे। ;काउOटंग का अQयास करते समय यOद सीधी क़तार न हो तो वे
बJचU को कठोर सज़ा दे ते थे। अनश
ु ासनबWध पंिYत मD खड़े बJचे जब कोई ग़लती नह'ं करते , तो पीट' साहब
खश
ु हो जाते और बJचU को शाबाशी दे त।े इसaलए बJचU कc कम 2शंसा करने वाले पीट' सर कc शाबाशी बJचU
को पदक याdन तमग़ा( मैडल) जीतने जैसी ख़श
ु ी दे ती थी।

!.नई Mेणी मO जाने और नई काQपय= और परु ानी Sकताब= से आती Qवशेष गंध से लेखक का बालमन ?य=
उदास हो उठता था?
उ.अYसर होaशयार बJचU को नई iेणी मD aमलने वाल' का1पयU व >कताबU कc गंध उkसाOहत करती थी। नई
iेणी मD जाने और नई का1पयU परु ानी >कताबU से आती 1वशेष गंध से लेखक का बालमन उदास हो उठता था।
इसके dनnनaलoखत कारण थे:-
• नई iेणी कc मिु qकल पढ़ाई का भय लेखक के बालमन को भयभीत करता था।
• नए मा;टरU कc मारपीट का भय भी इस अstच का एक कारण था।
• नए अ6यापकU के साथ- साथ परु ाने अ6यापकU कc भी छाAU से अपेuाएँ बढ़ जाती थीं और उनकc आशाओं
पर खरा न उतरने पर वे चमड़ी उधेड़ने को तैयार रहते थे।
!.हे डमाFटर शमा\ जी ने पीट, साहब को ?य= मअ
ु %ल कर ^दया?
उ.एक Oदन मा;टर 2ीतमचंद ने कuा मD बJचU को फ़ारसी के शyद zप याद करने के aलए Oदए। परं तु बJचU से
ये शyद zप याद नह'ं हो सके। इस पर मा;टर जी ने उCहD मग़
ु ा{ बनने कc सज़ा द'। बJचे इसे सहन नह'ं कर
पाए और कुछ ह' दे र मD tगरने लगे। उसी समय न| }दय हे डमा;टर शमा{ जी वहाँ से dनकले और बJचU कc
हालत दे खकर हे डमा;टर शमा{ जी ग़;
ु से से लाल हो उठे व इस 2कार कc ~ूरता को बJचU के 2dत सहन नह'ं
कर पाए और इसी कारण उCहUने पीट' सर को तkकाल मअ
ु •ल कर Oदया।

!.लेखक के अनस
ु ार Fकूल ख़श
ु ी से भागे जाने क2 जगह न लगने पर भी कब और ?य= उसे Fकूल जाना अbछा
लगने लगा?
उ. लेखक को बचपन मD मा;टरU कc 1पटाई और 1वWयालय कc मिु qकल पढ़ाई के कारण कभी भी ;कूल ख़श
ु ी
से जाने कc जगह नह'ं लगी।ले>कन कुछ- कुछ ि;थdतयU मD ;कूल जाना उCहD अJछा लगता था।जब ;कूल मD
रं ग- €बरं गी झं‚डयाँ लेकर गले मD sमाल बाँधकर मा;टर 2ीतमचंद ;काउOटंग कc परे ड करवाते थे, तो लेखक
को बहुत अJछा लगता था। सब बJचे ठक- ठक करके राइट- टन{, लेƒट -टन{ या अबाऊट-टन{ करते और मा;टर
जी उCहD शाबाश कहते तो लेखक फ़ौजी जवान कc तरह कोई महkवपण
ू { आदमी जैसा महसस
ू करने लगते।

!. पाठ मO वdण\त घटनाओं के आधार पर पीट, सर क2 चाhरijक Qवशेषताओं पर !काश डाkलए।
उ.पीट' सर कc चा†र€Aक 1वशेषताएँ dनnन ह‡:-
अनश
ु ासनQ!य :- वे एक अनश
ु ासन12य अ6यापक थे। परे ड मD गलती नह'ं करने वाले बJचU को ‘शाबाशी’ दे ना
नह'ं भल
ू ते थे। 2ाथ{ना सभा मD यOद कोई लड़का एक पैर से अपने दस
ू रे पैर कc 1पंडल' खज
ु ा लेता तो वे खाल
उधेड़ दे ने कc कहावत को aसWध कर दे त।े
सlत mयवहार:- पीट' सर का बJचU के 2dत कठोर Šयवहार होता था। वे बJचU को सज़ा दे ते व‹त ~ूरता कc
हद तक पहुँच जाते थे। उनकc कठोरता ह' उनके dनलंबन का कारण बनी।
डरावना mयि?तnव :-पीट' सर का क़द Oठगना और शर'र गठŒला था। चेहरे पर माता के दाग थे, पर आँखD बाज
कc तरह चमकcल' थीं। कुल aमलाकर उनका ŠयिYतkव बJचU को भयभीत कर दे ता था।


!.Qवoयाpथ\य= को अनश
ु ासन मO रखने के kलए पाठ मO अपनाई गq यिु ?तय= और वत\मान मO Fवीकृत माsयताओं
के संबंध मO अपने Qवचार !कट क2िजए।
उ.लेखक के बचपन मD ;कूलU मD अनश
ु ासन बनाए रखने के aलए स5ती व कठोर सज़ा का मा6यम अपनाया
जाता था । छाA अपने अ6यापकU के डर से काँपते थे। उनके अ6यापकU Wवारा aमले दं ड खाल खींचने , चमड़ी
उधेड़ने के मह
ु ावरे का वे 2kयu zप होते थे।
ले>कन आज के समय मD इसे €ब•कुल ग़लत व dनंदनीय माना जाता है । शार'†रक यातनाओं से कई कमज़ोर –
}दयी छाA , लाइलाज बीमा†रयU , मानaसक रोगU आOद का aशकार हो जाते ह‡। >कसी भी 2कार का मानaसक
व शार'†रक शोषण बJचU के साथ अCयाय है । बJचे के बालमन को सह' राह Oदखाने के aलए एक सQय और
2ेमयY
ु त तर'क़ा अपनाना चाOहए। बरु ' आदतD छोड़ने के aलए उCहD परु ;कार का लालच भी Oदया जा सकता है ।
बJचU मD पढ़ाई के बोझ को कम करने के aलए भी अनेक 2यास >कए जा रहD ह‡। प†रयोजना- काय{ व 2ायोtगक
कuा जैसे अनेक 2यासU Wवारा छाAU मD पढ़ा• के 2dत stच 1वकaसत कc जाती है ।

अtतhर?त !"न:-
!. पाठ के आधार पर हे डमाFटर शमा\ जी क2 चाhरijक Qवशेषताओं पर !काश डाkलए।
उ. हे डमा;टर शमा{ जी कc चा†र€Aक 1वशेषताएँ dनnन ह‡:-
Fने^हल mयि?तnव:- हे डमा;टर iी मदन मोहन शमा{ जी का ;वभाव अkयंत कोमल व ;नेह से भरा हुआ था।
वह बJचU के साथ हमेशा •यार से पेश आते थे। ;कूल कc 2ाथ{ना के समय जब वे सीधी क़तारU मD क़द के
अनस
ु ार खड़े लड़कU को दे खते तो उनका गोरा चेहरा oखल उठता था।
कठोर दं ड के Qवरोधी:- वे 1वWयाtथ{यU को ग़लdतयाँ होने पर भी कठोर दं ड दे ने के €ब•कुल भी पuधर नह'ं थे ।
यह' कारण था >क उCहUने मा;टर 2ीतमचंद को बJचU को कठोर दं ड दे ने के अपराध मD dनलं€बत कर Oदया था।
मददगार:- लेखक कc आtथ{क ि;थdत ठŒक न होने के कारण वह aशuा पर अtधक धन खच{ नह'ं कर सकते थे
इसaलए हे डमा;टर शमा{ जी ने उनकc सहायता करते हुए उCहD परु ानी >कताबD लाकर द' । हे डमा;टर शमा{ जी
का सहारा न aमलता तो लेखक भी अपनी पढ़ाई जार' नह'ं रख पाते।

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