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राजव्यवस्‍था से संबधं धत महत्वपूणण शब्दावसलियााँ

Most Important Terms of Polity

By - नननतन गुप्ता

Hello Friend , I am नननतन गुप्ता From – Nitin-Gupta.com

दोस्तो , आज की PDF में हम आपको राजव्यवसस्था से संबंधधत महत्वपूणण


शब्दावसलियााँ उपिब्ध कराने जा रहे हैं लजनमें से बहुत से Question आपके Exams
में आ सकते हैं !

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Most Important Terms of Polity
नालजज्म :
द्वितीय नवसश्वसयु्ध के दौरान हहटिर की पाटी के सद्‍य जमणनी में ”नाजी” के नाम से जाने जाते थे
और नालजयों के िारा प्रचाररत नवसचारधारा पूणण रूप से राष्‍टरवसादी थी जो ”फालसज्म” में नवसश्वसास
करती थी और अपनी आयणन जानत का सवसणश्रष्‍टे ठ मानकर संसार में सवसोपरर घोनषत करती थी।
फालसज्म वस जानत का संयुक्त रूप ”नालजज्म” (Nazism) कहिाता है।

न्यूक्लियर अम्‍बरेिा :
परमाणु बम िारा यु्ध िडे जाने की स्थिनत में “Nuclear Umbrella” संरक्षा की गारं टी सहृश
है !

नक्सिवसादी (Naxalites)
हहिं सा िारा समाज वस राजनीनत में आमूि-चूि पररवसतणन िाने (जैसा द्वक चीन के माउत्से तुंग की
नवसचारधारा थी) की मंशा से सवसणप्रथम नक्सिवसाडी, पश्चिम बंगाि में 1967 में चारू मजुमदार के
नेतृत्वस में द्वकसानों वस मजदूरों ने प्रयत्न द्वकया था। यहीं से इस प्रकार का प्रयत्न करने वसािों को
”नक्सिवसादी” तथा इस व्यवस्‍था में नवसश्वसास रखने की नीनत को नक्सिवसाद कहा जाता है।
इनका नवसश्वसास है द्वक –”क्ांनत का अभ्युदय बंदूक की निी से होता है।”

न्याधयक नवसधध ननमाणण :


नवसधाधयका िारा बनाए गए कानूनों से धभन्न, ऐसे कानून जो द्वकसी मामिे नवसशेष की सुनवसाई के
दौरान न्यायाधीश िारा हदए गए व्यवस्‍था के आधार पर बन जाते हैं।

ननन्दा प्र्‍तावस :
व्यवस्‍थानपका के सद्‍यों को यह अधधकार होता है द्वक वसो द्वकसीभीमंत्री के कायोंको अ्‍वसीकृत
करने या ननन्दा करने का प्र्‍तावस (Vote of Censure) सदन में प्र्‍तुत करें और बहुमत धमिने
पर पाररत कर सकें। इससे मंद्वत्रयों या प्रशासन पर ननयंत्रण ्‍थानपत करने में सरिता रहती है।

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पॉलिरटकि सैबोटेज :
जब एक दि या सरकार दूसरे दि या सरकार को गुप्त रूप से नष्‍टट करने का प्रयत्न करती है, तो
उसे “Political Sabotage” कहते हैं।

पंचायती राज :
्‍थानीय ्‍वसराज िाने के लिए, अपना नवसकास ्‍वसयं करने के लिए तथा अपना न्याय ्‍वसयं करने
के लिए जो व्यवस्‍था प्र्‍तुत की गई, उसे पंचायती राज कहते हैं।

प्रजातंत्र (Democracy)
अराहम लििं कन के शब्दों में “Government of the People, by the People, for the
People” प्रजातंत्र है। यह वसह राजनीनतक व्यवस्‍था है लजसमें मतदाता चुनावस के िारा अपने
प्रनतननधध को चुनते हैं तथा चुने हुए प्रनतननधध नवसधाधयका में कानून बनाते हैं। इन ननधमि त कानूनों
िारा ही शासन चिाया जाता है।

नपिं ग पोंग हडप्िोमैसी :


यह कूटनीनत साम्‍बयवसादी चीन से संबंधधत है। इसके अंतगणत चीन बाहरी देशों को लजनसे उसके
संबंध अच्छे नहीं हैं, ”टेबि टेननस” टू नाणमेंट के लिए आमंद्वत्रत करता है और धमत्रता संबंधों को
बढाता है। दूसरे शब्दों में, खेिों िारा राजनीनतक उद्देश्यों की पूनति की कूटनीनत को “Ping Pong
Diplomacy” कहते हैं।

प्रोटोकॉि :
दो देशों के बीच कूटनीनतक आचरण के ननयम को ”प्रोटोकॉि” कहते हैं।

नप्रवसीपसण :
्‍वसतंत्रता के पश्चात देशी ररयासतें प्राप्त हुई थीं, तो उनके शासकों को सरकार िारा कुछ नवसशेष
सुनवसधाएं तथा अनुदान देना ्‍वसीकार द्वकया गया था। इन सुनवसधाओं तथा अनुदानों को “Privy
Purse” कहा जाता है।

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प्र्‍तावसना :
द्वकसी भी राष्‍टर के संनवसधान का आरं धभक पररचय प्रदान करने वसािे भाग को प्र्‍तावसना
(Preamble) कहते हैं। इसमें उस संनवसधान की भावसना तथा उद्देश्यों का संलक्षप्त नवसवसरण होता
है।

प्रत्ययानुदान :
द्वकसी राष्‍टरीय आपात के लिए धन की अप्रत्यालशत मांग को पूणण करने के लिए (लजसका नवस्‍तृत
ब्यौरा नहीं हदया जा सकता) सदन प्रत्ययानुदान के रूप में एकमुश्त धनरालश दे सकता है।

प्रभुत्वस :
इस शब्द का प्रयोग अथाणत् “Hegemony” का प्रयोग नेतत्ृ वस के संदभण में द्वकया गया है। इसका
आशय होता है द्वक द्वकसी राष्‍टर का अन्य राष्‍टरों पर प्रबि प्रभावस।

प्रनतषेध :
प्रनतषेध (Prohibition) िेख सवसोच्च या उच्च न्यायािय िारा अपने अधीन्‍थ न्यायाियों को
जारी की जाने वसािी एक ननषेधाज्ञा है, लजसके अंतगणत यह आदेश हदया जाता है द्वक वसे अपने
अधधकार क्षेत्र के बाहर जाकर या कानून की प्रद्वक्या के नवसरू्ध कारणवसाई न करें। प्रनतषेध केवसि
न्याधयक और न्याधयक प्राधधकाररयों के नवसरू्ध जारी द्वकया जा सकता है, प्रशासननक प्राधधकाररयों
के नवसरू्ध नहीं।

प्रनतननहहत नवसधान :
संसद के पास समय तथा नवसशेषज्ञता के अभावस के कारण वसह केवसि नवसधधयों की मूि रूपरेखा
बनाकर अन्य सीमाओं के भीतर नवस्‍तृत ननयम-नवसननयम सरकार पर ही छोड देती है। इसे
प्रनतननहहत नवसधान अथवसा अधीन्‍थ नवसधान कहते हैं।

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प्रत्यायुक्त नवसधान :
वसह नवसधान लजसे अधधननयधमत करने के लिए संसद िारा कायणपालिका को अधधकार प्रदान द्वकया
हो, प्रत्यायुक्त (Delegated Legislation) कहिाता है।

पाटीिेस प्रजातंत्र :
वसह प्रजातंत्रीय व्यवस्‍था लजसमें एक राजनीनतक दि हो, ”पाटीिेस प्रजातंत्र” (Partyless
Demicracy) कहिाता है।

पोलित ब्यूरो :
साम्‍बयवसादी दि की सवसोच्च सत्ता जो नीनत ननधाणररण का कायण करती है, “Polit Bureau”
कहिाती है।

प्रजातांद्वत्रक समाजवसाद :
उस व्यवस्‍था को प्रजातांद्वत्रक समाजवसाद होता है, द्वकन्तु सरकार की नीनतयां, कायण वस नवसचारधारा
समाजवसाद पर केन्द्रित होती हैं। इस व्यवस्‍था में राजनीनतक न्याय, आधथि क न्याय वस सामालजक
न्याय प्रत्येक व्यनि को हदिाने का प्रयत्न प्रजातांद्वत्रक प्धनत से द्वकया जाता है।

प्रत्यक्ष िोकतंत्र :
इस राजनीनतक व्यवस्‍था में प्रनतननधधत्वस िोकतंत्र का ननषेध द्वकया जाता है। इस व्यवस्‍था में कोई
भी कानून पाररत करने अथवसा द्वकसी नवसषय पर ननणणय करने का अधधकार जनता को प्राप्त होता है
न द्वक प्रनतननधध को।

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परमादेश :
परमादेश (Mandamus) का शान्द्रब्दक अथण होता है – ”हम आज्ञा देते हैं।” यह िेख द्वकसी
सावसणजननक या अ्धण सावसणजननक ननकाय के लिए जारी द्वकया जाता है , जब वसह अपने िोक प्रवसृनि
के द्वकसी वसैध कतणव्य का पािन नहीं करता है। यह आदेश केवसि सावसणजननक पद पर कायण करने
वसािे अधधकाररयों या अन्य व्यनियों के नवसरू्ध ही नहीं अनपतु ्‍वसयं सरकार तथा अधीन्‍थ
न्यायाियों न्याधयक सं्‍थाओं के नवसरू्ध भी जारी द्वकया जा सकता है।

प्रादेलशक समुद्र :
द्वकसी राज्य की मुख्य भूधम से िगा हुआ और अंतराणष्‍टरीय कानून िारा मान्य समुद्री क्षेत्र प्रादेलशक
समुद्र कहिाता है, लजस पर तटीय राज्य को कर, मत््‍य उद्योग, सुरक्षा, नौ संचािन आहद की हृधि
से पूणण आधधपत्य होता है।

पॉवसर पॉलिरटक्स :
उस राजनीनत को ”पॉवसर पाॅलिरटक्स” (Power Politics) कहते हैं जो कुछ व्यनियों िारा
सत्ता हधथयाने के लिए उपयोग में िाई जाती है।

प्रेशर ग्रुप :
दबावस (Pressure) या हहत समूह से तात्पयण शासकीय व्यवस्‍था के बाहर द्वकसी भी ऐसे ऐच्छिक
संगरठत समूह से है जो शासकीय अधधकाररयों की ननयुनि या मनोनयन, सावसणजननक नीनतयों के
ननधाणरण, उनके प्रशासन एवसं ननवसाणचन तथा समझौता व्यवस्‍था को प्रभानवसत करने का प्रयास
करता है।

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पूरक बजट :
यहद चािू नवसत्तीय वसषण के दौरान संसद िारा प्राधधकृत (Sanctioned) धनरालश अपयाणप्त मािूम
पडे अथवसा वसषण के दौरान पूरक अनतररक्त खचण के लिए कोई ऐसी आवसश्यकता उत्पन्न हो जाए,
लजसके बारे में बजट के समय नवसचार न द्वकया गया हो या द्वकसी सेवसा पर नवसत्तीय वसषण के दौरान
्‍वसीकृत धनरालश से अधधक खचण हो गया हो, तो इन पररस्थिनतयों में खचण हेतु राष्‍टरपनत ”पूरक
बजट” (Supplementary Demand for Grants) संसद के दोनों सदनों में प्र्‍तुत कर
सकता है।

प्रत्याव्हान :
कायण-नवसधध से पूवसण असंतुष्‍टट मतदाताओं की ननश्चित संख्या िारा प्राथणना-पत्र के आधार पर
ननवसाणधचत सद्‍यों के कायणकाि को समाप्त करने को प्रत्याव्हान (Re-call) कहा जाता है।

फ्लोर क्ॉलसिं ग :
द्वकसी राजनीनतक दि के सद्‍य जब संसद या नवसधानसभा में अपना दि त्याग कर नवसरोधी दि
अथवसा सत्तारूढ दि में शाधमि हो जाते हैं, तो इसे “Floor Crossing” कहा जाता है।

फोथण वसर्लडण (Forth World)


”फोडण वसर्लडण” उन देशों को कहा जाता है, जो पेरोि ननयाणत करने वसािे देशों िारा कीमतें बढाने के
कारण ”आधथि क संकट” में पड गए हैं। इनमें अधधकतर तृतीय नवसश्वस (Third World) के अ्धण
नवसकलसत या नवसकासशीि देश शाधमि है। ये देश अब इस आधथि क संकट के कारण अपने नवसदेशी
ऋण चुकाने में करठनाई का अनुभवस कर रहे हैं।

द्वफफ्थ कॉिम :
द्वकसी देश में अन्य देश के नागररक गुप्त सूचनाएं प्राप्त करने अथवसा नागररकों में असंतोष उत्पन्न
कर नवसद्रोह के लिए प्रेररत करते हैं। उन व्यनियों को ”द्वफफ्थ कॉिम” (Fifth Column) कहते
हैं।

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फोथण ्‍टे ट :
”फोथण ्‍टे ट” (Fourth State) शब्द का सवसणप्रथम प्रयोग एडमण्ड बकण िारा द्वकया गया था।
इसका आशय ”प्रेस” (Press) से है।

फेनबयन :
फेनबयन (Fabian) एक प्रकार का नवसकासात्मक समाजवसादी दशणन है, जो 1884 में प्रत्यक्ष हुआ,
जब कुछ बुध्धजीनवसयों िारा ”फेनबयन सोसाइटी” का ननमाणण द्वकया गया। फेनबयनवसाद के
अनुसार, प्राकृनतक संसाधनों के िाभों को प्राप्त करने का अधधकार समान एवसं सबके लिए है।
इस लस्धांत के अनुसार भूधम एवसं पूंजी पर राज्य का अधधकार होना चाहहए। उनका मत था द्वक धन
का नवसतरण समान हो, लजससे आय की असमानता दूर द्वकया जा सके। यह व्यनिगत ्‍वसतंत्रता का
भी पक्षधर था।

द्वफलिब्‍टर :
मतदान के प्र्‍तुत द्वकसी मुद्दे को ननिंनबत करने के लिए आवसश्यकता से अधधक समय तक भाषण
करने (जो िगभग अप्रासंनगक होता है) को “Filibuster” कहते हैं।

फालसज्म :
वसह व्यवस्‍था या नवसचारधारा लजसमें राज्य को व्यनि से बडा माना जाता है और राज्य की रक्षा के
लिए उसकी सब शनियां एक व्यनि में ननहहत कर दी जाती हैं, तो यह “Fasicism” कहिाती
है।

बन्द :
सम्‍त शहर या राज्य या देश के व्यापाररक, औद्योनगक एक अन्य सम्‍त सं्‍थाओं को बंद करने
का जो आव्हान द्वकया जाता है।

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बुजआ
ण :
व्यापारी वसगण, उद्योगपनत वसगण, जमींदार वसगण जो द्वक सामंतों के बाद आते थे, मध्यम वसगण के कहिाते
थे, बुजुणआ (Bourgeoise) कहिाते हैं। मजदूर वसगण के साथ-साथ साम्‍बयवसादी भी इनसे घृणा
करते रहें हैं।

बूट िेनगिं ग :
गैर-कानूनी तरीके से शराब बनाने तथा बेचने के कायों को “Boot Legging” कहा जाता है।

रेन वसालशिं ग :
जब कोई समुदाय, राज्य अपने िोगों में वसही नवसचार भरता है, जो उसकेहैं और िोगों के ्‍वसतंत्र
नवसचारों को नष्‍टट कर हदया जाता है, तब उसे “Brain Washing” कहते हैं।

बांस का पदाण :
चीन की साम्‍बयवसादी सरकार के ननयंत्रणें तथा प्रनतबंधों को बांस का पदाण (Bamboo Curtain)
कहते हैं। इसके चिते वसहां के नागररकनवसदेशोंमें आ-जा नहीं सकते हैं तथा अपनीवस देश की कोई
बात बाहर नहीं कह सकते हैं।

बंदी प्रत्यक्षीकरण :
बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) का शान्द्रब्दक अथण है द्वक ”शरीर को हमारे समक्ष प्र्‍तुत
करो।” यह ”ररट” एक आदेश के रूप में होता है लजसमें उस व्यनि को लजसने द्वकसी अन्य व्यनि
को बंदी बनाया है, यह आदेश हदया जाता है द्वक वसह उसे न्यायािय के समक्ष सशरीर प्र्‍तुत करे
लजससे न्यायािय यह जान सके द्वक उसे क्यों बंदी बनाया गया है तथा यहद बंदी रखने का नवसधधक
औधचत्य नहीं है तो उसे मुक्त कर सके। इस िेख की (Writ) अवसज्ञा पर न्यायािय की
अवसमानना माना जाएगा।

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बायकॉट :
द्वकसी व्यनि, सभा, दि, सरकार का बहहष्‍टकार करना “Boycott” कहिाता है।

बोर्लशेनवसज्म :
रूस की क्ांनतकारी साम्‍बयवसादी नवसचारधारा लजसके प्रभावससे रूस में िेननन के नेतृत्वस में 1917 की
”बोर्लशेनवसक क्ांनत” हुई थी, “Bolshevism” कहिाती है।

मध्यम मागीय :
अनत उग्र नवसचारों का न होकर जब कोई व्यनि या दि उसकेनवसपरीत नवसचारधारा का पोषण करते
हैं, तो मध्यम मागीय (Centrist) कहिाते हैं। फ्ांसीसी क्ांनतकाि में व्यवस्‍थानपका के उग्र एवसं
उदार नवसचारों वसािे सद्‍यों के मध्य में और अध्यक्ष के सामने बैठने वसािे सद्‍यों को भी यह संज्ञा
दी जाती थी।

माक्सणवसाद (Marxism)
कािण माक्सण (1818-83) िारा प्रनतपाहदत वसैज्ञाननक समाजवसाद के लस्धांत को माक्सणवसाद कहते
हैं। इसके अंतगणत माक्सण ने यह प्रनतपाहदत द्वकया द्वक समाज के नवसकास में आधथि क संबंध
सवसाणधधक महत्वसपूणण भूधमका का ननवसाणह करते हैं। माक्सण के अनुसार अब तक ये सम्‍त मानवस
समाज का इनतहास ”वसगण संघषण” का इनतहास रहा। माक्सण के अनुसार पूंजीवसादी व्यवस्‍था में एक
ननश्चित सीमा तक शोषण बढ जाने के पश्चात् श्रधमक क्ांनत के िारा पूंजीवसादी व्यवस्‍था को उखाड
फेंकते हैं।

मास कम्‍बयूननकेशन :
सामूहहक संचार अथवसा जनसंपकण वसह प्रद्वक्या है लजसके माध्यम से सूचनाएं अथवसा जानकारी
संचार माध्यमों जैसे रेहडयो, दूरदशणन, प्रेस आहद के िारा जनता (Mass) तक पहुंचाई जाती है।

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मोनाकी :
इस शासन व्यवस्‍था में सरकार का प्रमुख वसंशानुगत होता है। ऐसे राज्य का राज्याध्यक्ष
जीवसनपयंत शासन करता है और उसकी मृत्यु के बाद उसकी संतानों का ही उस पद पर अधधकार
होता है।

मैनीफे्‍टो :
द्वकसी राजनीनतक दि िारा चुनावस के पूवसण अपने कायों तथा कायणक्मों का घोषणा-पत्र मैनीफे्‍टो
कहिाता है।

मैन्डेट :
प्रथम नवसश्वस यु्ध के पश्चात् राष्‍टर संघ िारा औपननवसेलशक प्रदेशों के प्रशासन हेतु अपनाई गई
व्यवस्‍था लजसके अंतगणत नवसकलसत राष्‍टरों को उपननवसेशों के प्रशासन और नवसकास का उत्तरदाधयत्वस
सौंपा गया।

युवसा तुकणस् :
द्वकसी दि के उन युवसकों को कहते हैं जो दि की नपछडी नीनतयों के नवसरू्ध नवसद्रोह करते हैं।

यूथन
े ले शया :
द्वकसी व्यनि को द्वकसी ठीक न होने वसािे रोग, दु:ख वस ददण से मुनि हदिाने के लिए जानबूझकर
मार देने के ननयम, कानून या व्यवस्‍था को यूथेनेलशया कहा जाता है।

राष्‍टरीयकरण :
द्वकसी राष्‍टर की सरकार कोई सेवसा या उद्योग ननजी क्षेत्र से छीनकर अथवसा कोई उद्योग प्रारंभ करके
सावसणजननक हहत में ्‍वसयं चिाती है, तो सरकार को ऐसा करना उस सेवसा या उद्योग का
राष्‍टरीयकरण करना कहिाता है।

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ररप्रैररएशन :
्‍वसदेश वसापसी की प्रद्वक्या को “Repatriation” कहा जाताहै, नवसशेषतया यु्धबंहदयों का ्‍वसदेश
वसापस आना ”ररप्रैररएशन” कहिाता है।

राइरट्‍ट :
ऐसे रूढऺढवसादी िोग जो समाजवसादवस साम्‍बयवसाद में नवसश्वसास नहीं करते हैं तथा राष्‍टरवसादी होते
हैं,”Rightist” कहिाते हैं। इनको ”प्रनतद्वक्यावसादी” भी कहा जाता है।

िाि फीताशाही :
जब द्वकसी सरकारी कायाणिय िारा द्वकसी कायण के कायाणन्वसयन में नबना वसजह देरी की जाती है,
लजससे उस कायण का मूि उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है, तो इसे ”िाि फीताशाही” (Red
Tapism) कहा जाता है।

िेम डक सेशन (Lame Duck Session)


यह व्यवस्‍थानपका का वसह सत्र है जब नई व्यवस्‍थानपका का चुनावस हो गया हो, द्वकन्तु पुरानी
व्यवस्‍थानपका अपनी अंनतम बैठक कर रही हो। वस्‍तुत: ”िेक डक” व्यवस्‍थानपका के उन सद्‍यों
को कहते हैं जो नई व्यवस्‍थानपका में पुनननवसाणधचत न हो सके हों।

िेखानुदान :
िोकतांद्वत्रक व्यवस्‍था में सरकार द्वकसी बजट प्रावसधान या कर प्र्‍तावस पर बहस के लिए संसद को
पूणण अवससर प्रदान करती है। बजट पाररत होने के पहिे यह आवसश्यक है द्वक सरकार देश को
चिाने के लिए अपने पास पयाणप्त धन रखे। यह एक नवसशेष प्रावसधान के अंतगणतद्वकया जा सकता
है।, लजसे ”िेखानुदान” (Vote on Account) कहा जाता है। संनवसधान के ”अनुच्छे द 116” के
अंतगणत ”िेखानुदान” िोकसभा को यह अधधकार प्रदान करता है द्वक वसह बजट न पाररत होने तक
के लिए अनग्रम धन िे सकता है। सामान्यतया िेखानुदान दो माह की अवसधध के लिए पाररत
द्वकया जाता है। परन्तु , चुनावस वसषण में यह अवसधध 4 माह तक हो सकती है। यह िेखानुदान सरकार
के ”संधचत ननधध” से लिया जाता है।

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िोक कर्लयाणकारी राज्य :
िोक कर्लयाणकारी राज्य (Welfare State) अथवसा सरकार का मूि उद्देश्य िोक कर्लयाण
करना होता है। इसकी सभी नीनतयां संपण
ू ण वसगण के नवसकास के उदेद्शश्य से ननधमि त होती हैं।

नवसभनि :
जब एक ही दि के िोग मतभेदों अथवसा हहतों के आधार पर अिग होकर दो या अधधक भागों में
बंट जाते हैं तो नवसभाजन या नवसभनि (Split) कहते हैं।

व्यनित्वस की िहर :
द्वकसी देश के िोग जब द्वकसी व्यनि का अत्यधधक सम्‍बमान वस पूजा करने िगते हैं तो उसे व्यनि
की िहर या ”Personality Cult” कहते हैं।

वसय्‍क मताधधकार :
िोकतांद्वत्रक शासन व्यवस्‍था में उस देश के प्रत्येक वसय्‍क नानगरक का सद्वक्ययोगदान अननवसायण
माना जाता है। इस व्यवस्‍था के अंतगणत देश के वसय्‍कों को मताधधकार का अधधकार प्राप्त होता
है। इसमें जानत, धमण, वसणण एवसं लििं ग के आधार पर कोई भेदभावस नहीं द्वकया जाता अथाणत् वसे नबना
द्वकसी भेदभावस के मताधधकारका प्रयोग कर सकते हैं और एक ्‍वस्‍थ सरकार के ननमाणण में सद्वक्य
भूधमका ननभा सकते हैं। भारत तथा अमेररका में वसय्‍क आयु 18 वसषण ननधाणररत है।

नवसधध का शासन :
इसका अथण होता है द्वक संबंधधत राज्य में कोई व्यनि या सं्‍था सवसोच्च नहीं है अनपतु नवसधध
सवसोच्च है। इस प्रकार के शासन में सभी व्यनि कानून के समक्ष समान होते हैं तथा उन्हें कानून
का समान संरक्षण प्राप्त होता है।

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संसद का आवसहान करना :
जब द्वकसी ननश्चित नतधथ तथा समय पर राष्‍टरपनत संसद को बुिाना या संसद का आह्वान करना
(Summoning of Parliament) कहते हैं। संसद के सभी सद्‍यों को उसका आदेश भेजा
जाता है और उन्हें अधधवसेशन में भाग िेने के लिए आमंद्वत्रतद्वकया जाता है।

सत्रावससान :
राष्‍टरपनत के एक आदेश िारा संसद के अधधवसेशन के समापन को सत्रावसास (Prorogation)
कहते हैं। राज्यपाि िारा नवसधानमण्डि के अधधवसेशन को समाप्त करना भी सत्रावससान कहिाता
है।

सदन का ्‍थगन :
संसद के प्रत्येक सदन के अध्यक्ष को सदन को अननश्चित काि तक ्‍थनगत करने की शनि प्राप्त
है। ्‍थगन के बाद सदन की पुन: बैठक बुिाने की शनि भी अध्यक्ष को है।

सचेतक (Whip)
एक प्रकार का अवसाश्यक ननदेश है, जो दिीय अनुशासन के लिए प्रयुक्त होता है। द्वकसी भी
संसद अथवसा नवसधानमण्डि या अन्य समानांतर सं्‍था में जब द्वकसी दि नवसशेष का नेता अपने दि
के सभी सद्‍यों को द्वकसी नवसशेष का नेता अपने दि के सभी सद्‍यों को द्वकसी नवसशेष पररस्थिनत
में एकद्वत्रत होने के लिए आदेश जारी करता है तो उसे ”व्हिप” कहा जाता है। ”व्हिप” जारी करने
पर संबंधधत दि का सद्‍य उसका उर्लिंघन करता है तो वसह ”दि बदि ननरोधक कानून” के तहत
दि से ननष्‍टकालसत भी द्वकया जा सकता है।

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समाजवसाद (Socialism)
व्यनिवसाद तथा पूंजीवसाद के नवसपरीत व्यवस्‍था समाजवसाद है। लजस राजनीनतक-प्रशासननक
लस्धान्त के अंतगणत व्यनि की अपेक्षा संपण
ू स
ण माज के नवसकास का आधार बनाया जाता है उसे
समाजवसाद कहते हैं। इसका आदशण है – समाज मे समानता उत्पन्न करना, द्वकन्तु यह वसगों के
अच्छस्तत्वस को भी ्‍वसीकार करता है। यह राजनीनतक और प्रशसननक लस्धान्तों में सवसोत्तम है ,
क्योंद्वक इसमें न तो पूंजीवसाद व्यवस्‍था की भांनत व्यनि हावसी रहता है और न ही साम्‍बयवसाद की भांनत
व्यनि हावसी रहता है और न ही साम्‍बयवसाद की भांनत आधथि क नवसकास पर सरकार का पूणणननयंत्रण
रहता है।

सावसणभौधमक मताधधकार :
जब द्वकसी िोकतांद्वत्रक देश में एक ननश्चित आयु प्राप्त करने वसािे व्यनियों को जानत, धमण, भाषा,
सं्‍कृनत, लििं ग आहद के भेदभावस के नबना मनदान का अधधकार हदया जाता है, तो उसे सावसणभौधमक
मताधधकार कहते हैं।

संधचत ननधध :
भारतीय संनवसधान के ”अनुच्छे द 266” के अंतगणत भारत की ”संधचत ननधध” (Consolidated
Fund) का उपबंध है। इस ननधध में करों, ऋणों, अनग्रम रालशयों आहद िारा सराकर को प्राप्त
सभी राज्‍वस(Revenue) जमा द्वकये जाते हैं। इस ननधध से धनरालश संसद िारा पास द्वकए जाने
वसािे नवसननयोग अधधननयम िारा ही ननकािी जा सकती है।

सांनवसधाननक सरकार :
संनवसधान के उपबंधों िारा सीधमत तथा संनवसधान के प्रावसधानों के अनुकूि चिाई जाने वसािी
सरकार को संनवसधाननक सरकार कहते हैं।

समाजवसादी ढं ग का समाज :
समाज के उस ढांचे को ”समाजवसादी ढं ग का समाज” (Socialistic Pattern Of Society)
कहते हैं, लजसमें समाजवसाद अपनाया जाएगा और प्रत्येक व्यनि वस वसगण में समानता िाई जाएगी

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सवसोदय (Sarvodaya)
सबके कर्लयाण के दशणन को ”सवसोदय” कहते हैं। अधभप्राय यह है द्वक कोई राजनीनतक मान्यता
्‍थानपत की जाती है, लजसमें द्वकसी भी देश या समाजके सभी िोगों के कर्लयाण को आधार
बनाया जाता है। समाज में अहहिं सा और शांनत पर आधाररत आधथि क और सामालजक पररवसतणन
िाना सवसोदय का लस्धान्त है।

्‍टासण एण्ड ्‍राइप्स :


यह अमेररकी झण्डे का नाम है।

शनि पृथक्करण :
शासन की शनियों का व्यवस्‍थानपका, कायणपालिका तथा न्यायपालिका के मध्य सु्‍पष्‍टट
नवसभाजन और द्वकसी इकाई के िारा अन्य के कायों में ह्‍तक्षेप न द्वकया जाना शनि पृथक्करण
(Separation Of Powers) कहिाता है।

श्रम संघवसाद :
समाजवसाद का एक प्रकार लजसके अनुसार सभी उघोगों का ्‍वसाधमत्वस और ननयंत्रण संघों के पास
होना चाहहए। प्रारं धभक रूप से यह नवसचारधारा 19वसीं शताब्दी के उत्तरा्धण में फ्ांस में नवसकलसत हुई।
प्िूरटयर तथा सोरेि इसके मुख्य प्रनतपादक थे।

्‍नैप पोि :
जब राष्‍टरपनत िारा संसद को अथवसा राज्यपाि िारा नवसधानमण्डि को अचानक भंग कर हदया
जाता है और थोडे समय के नोरटस पर ही चुनावस करा हदए जाते हैं, तो ऐसे चुनावसों को ”Snap
Poll” कहते हैं। 1971में िोकसभा का भंग होना तथा नवसधानसभाओं का अक्सर मुख्यमंत्री की
सिाह पर भंग द्वकया जाना और चुनावस कराना ”्‍नैप पोि” के उदाहरण हैं।

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सीधमत राजतंत्र :
यह शासन की वसह प्रणािी है, लजसमें सम्राटया सम्राज्ञी केवसि नाममात्र का शासक रह जाए। इसे
”सांनवसधाननक राजतंत्र” भी कहते हैं। इसमें वसा्‍तनवसक शासन जनता के प्रनतननधधयों के हाथ रहती
है।

सह-अच्छस्तत्वस :
जब दो देशों की शासन व्यवस्‍था, धमण, सभ्यता, नवसचारधारा, अथणव्यवस्‍था, ननहहत ्‍वसाथणआहद
धभन्न हों और वसे पर्‍पर एक-दूसरे देश का अच्छस्तत्वस ्‍वसीकार करते हों तो उसे सह-अच्छस्तत्वस
(Co-existance) कहा जाता है।

संकर्लप :
सावसणजननक हहत से जुडा हुआ मामिा द्वकसी सद्‍य िारा सदन में चचाण के लिए संकर्लप एक
प्रद्वक्यागत उपाय है। संकर्लप मूि प्र्‍तावस के रूप में लसफाररश की घोषणा संदेश देन,े स्थिनत की
ओर आकृष्‍टट करने तथा ननवसेदन के रूप में होता है।

समग्र क्ांनत (Total Revolution)


जय प्रकाश नारायण िारा समाज में नई चेतना िारा हर ्‍तर पर तेजी से सुधार करना है। दूसरे
शब्दों में, ऐसे प्रयत्न करने होंगे लजनके िारा राजनीनतक ्‍वसतंत्रता, आधथि क न्याय तथा सामालजक
सम्‍बमान हर व्यनि को समाज में प्राप्त हो सके।

साम्राज्यवसाद :
जब द्वकसी देश िारा अपने राज्य क्षेत्र के नवस्‍तार की नीनत अपनायी जाती है, तो वसह नीनत
”साम्राज्यवसाद” (Imperialism) की नीनत कहिाती है। इस नीनत के अंतगणत वसह द्वकसी अन्य
देश को आक्मण िारा परा्‍त करता है। उस देश की राजनीनतक, सामालजक, आधथि क
पररस्थिनतयों में ह्‍तक्षेप कर उस देश का शोषण करता है।

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सामंतवसाद :
इस राजनीनतक व्यवस्‍था के अंतगणत राजा अपने वसफादार राजभक्तों को राज्य की सेवसा के बदिे में
राज्य की भूधम को अनुदान ्‍वसरूप देता था। अनुदान प्राप्त करने वसािे राजभक्त अपने वसफादारों के
लिए भूधम ननधाणररत करते थे। राजा बडे सामांतों से भूधम के लिए िगान वससूिी करता था, जबद्वक
बडे सामंत छोटे सामंतों से तथा छोटे सामंत द्वकसानों का ननदणयता से शोषण करते थे।

संघीय राज्य :
जब छोटे -छोटे इकाई राज्य धमिकर एक इकाई राज्य की ्‍थापना इस प्रकारकरते हैं द्वक कुछ
सम्मिलित कायण नवसननधमि त राज्य को सौंप देते है तथा शेष कायों के लिए वसे ्‍वसतंत्र रहते हैं, तो इसे
”संघीय राज्य” (Federal State) कहा जाता है।

सवसणहारा :
वसह वसगण लजसके पास वसैयनि संपनि नबर्लकुि नहीं है तथा जो अपने श्रम को बेचकर जीवसन यापन
करता है, ”सवसणहारा वसगण” (Proletariat Class) कहिाता है।

सामूहहक उत्तरदाधयत्वस :
संसदीय शासन प्रणािी की यह एक महत्वसपूणण नवसशेषता है। मंद्वत्रमंडि के सभी सद्‍य सामूहहक
रूप से सरकार के प्रत्येक ननणणय और कायण के लिए उत्तरदायी होते हैं। यहद उनकी नीनतयों को
संसद का समथणन प्राप्त नहीं होता तो संपूणण मंद्वत्र पररषद को त्याग पत्र देना पडता है।

हं ग पालिि यामेंट :
ऐसी संसद लजसमे द्वकसी भी राजनीनतक दि को ्‍पष्‍टट बहुमत प्राप्त न हो िंनबत अथवसा ”हं ग
पालिि यामेंट” (Hung Parliament) कहिाती है। ऐसी स्थिनत में दि-बदि को बढावसा धमिने
की संभावसना रहती है तथा ्‍थायी सरकार नहीं बन पाती।

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हॉट िाइन :
जब दो देशों के नेता आपस में प्रत्यक्ष रूप से संपकण करके बातचीत करते हैं या उच्च ्‍तरीय
बातचीत का प्रबंध करते हैं, ताद्वक एक-दूसरे की भावसना या नीयत समझने में त्रुरट न हो लजससे
भनवसष्‍टय में भयंकर पररणाम न हों, इस दूरभाषा व्यवस्‍था को ”हॉट िाइन” कहते हैं।

अध्यक्षीय व्यवस्‍था :
ऐसी िोकतंत्रीय शासन प्रणािी, लजसमें राज्य का प्रधान अथाणत् ”Head of the state” और
शासन का प्रधान ”Head of the Government” एक ही होता है, उसे अध्यक्षीय
व्यवस्‍था(Presidential system) कहा जाता है। इस व्यवस्‍था में अध्यक्ष(राष्‍टरपनत) का
कायणकाि ननश्चित होता है और लजसमें अध्यक्ष (राष्‍टरपनत) अपने कायों के लिए व्यवस्‍थानपका के
प्रनत नहीं, अनपतु जनता के प्रनत उत्तरदायी होता है।

अधधनायक तंत्र :
इस तंत्र में सारी सत्ता शनि व्यनि नवसशेष में केन्द्रित होती है। इसे ननरंकुश शासन तंत्र से भी
अधभहहत द्वकया जाता है। यह द्वकसी व्यनि अथवसा दि या सेना िारा सत्ता संभािने की
राजनीनतक प्रद्वक्या है, इसमें नागररकों के अधधकार सीधमत कर हदए जाते हैं। अधधनायक तंत्र को
अग्रेंजी में ”Dictatorship” कहा जाता है।

अराजकता एवसं अराजकता वसाद :


अराजकता का सवसणसामान्य अथण ”अव्यवस्‍था” है। ऐसे देश में जहां कोई सरकार नहीं होती अथवसा
होने पर भी कानूनका शासन नहीं होता, अराजकता की स्थिनत पैदा हो जाती है। अराजकतावसाद
(Anarchism) एक ऐसा राजनीनतक लसध्दांत है, लजसके समथणक राज्य नवसहीन समाज की
्‍थापना करना चाहते हैं। इस लसध्दांत को अराजकता की संज्ञा दी जाती है।

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अिगावसवसाद :
अंतराणष्‍टरीय ्‍तर पर ”अिगावसवसाद” (Isolationism) का तात्पयण है – अन्य देशों से राजनीनतक
और कूटनीनतक मसिों पर द्वकसी देश िारा( प्रथम नवसश्वस युध्द के पूवसण संयक्
ु त राज्य अमेररका िारा
इस नीनतका अनुसरण द्वकया गया) अपने को अिग या पृथक रखने की नीनत। दूसरी ओर,
राष्‍टरीय ्‍तर पर इसका तात्पयण- राष्‍टर की एकता वस अंखण्डता के नवसरूध्द जाने का प्रयत्न करना है।

अर्लटीमेटम :
जब द्वकसी पक्ष िारा दूसरे पक्ष को यह चेतावसनी दी जाती है द्वक यहद ननश्चित अवसधध में उसकी मांग
पूणण न की गई तो अगिा कदम उठाया जा सकता है। इसे ही ”अर्लटीमेटम”(Ultimatum) कहा
जाता है।

ऑ्‍टोपोलिरटक :
यह नीनत पश्चिमी जमणनी िारा अपनाई गई। इस नीनत के अंतगणत पहिे उसने साम्‍बयवसादी देशों से
शीत युध्द छे डा। तत्पश्चात् उनसे धमत्रवसत् संबध
ं कायम करने की हदशा में कदम बढाए।

प्रश्नकाि (Question Hour) :


साधारणतया नवसधाधयका का सत्र प्रश्नकाि से प्रारं भ होता है। संसद के दोनों सदनों की प्रत्येक
बैठक के आरं भ में एक घण्टे तक सद्‍यों िारा मंद्वत्रयों से प्रश्न पूछे जाते हैं तथा उनके उत्तर हदए
जाते हैं, उसे प्रश्नकाि कहा जाता है। भारत में 11 बजे से 12 बजे दोपहर तक के एक घण्टे का
समय प्रश्नकाि का होता है।

पूरक प्रश्न (Supplementary Questions) :


प्रश्नकाि में लजस समय कोई मंत्री उत्तर देता है, उसी के तुरंत बाद सद्‍यगण मुख्य प्रश्न से
संबंधधत अन्य प्रश्न पूछ सकते हैं, लजन्हें पूरक प्रश्न कहा जाता है।

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तारांद्वकत प्रश्न (Starred Questions) :
संसद सद्‍यों िारा सदन में मंद्वत्रयोंसे पूछे गए इस श्रेणीके प्रश्नों का उत्तर मंद्वत्रयों िारा ”मौव्हखक”
रूप से हदया जाता है तथा सद्‍य िारा उस संबंधमें पूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं।

अतारांद्वकत प्रश्न :
संसद सद्‍यों िारा सदन में मंद्वत्रयों से पूछे गए इस प्रकार के प्रश्नों का ”लिव्हखत” उत्तर हदया
जाता है तथा लजनके संबंध में पूरक प्रश्न नहीं पूछे जा सकते।

अध्यादेश –
जब व्यवस्‍थानपका का अधधवसेशन न चि रहा हो तथा द्वकसी आपात स्थिनत का मुकाबिा करने के
लिए राज्य प्रमुख िारा जारी द्वकयागया संनवसधाननक आदेश ”अध्यादेश” (Ordiance) कहिाता
है। यह ननश्चित अवसधधके लिए होता है तथा इसे मानने के लिए बाध्यता होती है।

आयरन करटेन –
यह शब्द प्राय: साम्‍बयवसादी देशोंके लिए प्रयुक्त होता है, क्योंद्वक इन देशों में अनेक प्रनतबंध जैसे
द्वक, नागररक ्‍वसतंत्रता पर रोक आहद होती है।

ऑम्‍बबुड्समसमैन :
इस शब्द का प्रयोग ्‍वसीहडश राज व्यवस्‍था में प्रयोग उस सतकणता अधधकारी के लिए द्वकया जाता
है, जो सरकार की गनतनवसधधयों पर ननगरानी रखने के अनतररि सरकार के नवसरू्ध जन-सामान्य
की लशकायतों पर सुनवसाई करता है।

अधधहनन :
एक देश जब द्वकसी अन्य देश की भूधम अथवसा द्वकसी ऐसे क्षेत्र पर लजस पर द्वकसी का अधधकार न
हो, अपना आधधपत्य कर िेता है तो यह प्रद्वक्या अधधहनन (Annexation) कहिाती है। यह
तात्कालिक वस एकपक्षीय कायणवसाही के अंतगणत आती है।

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अधधकार-पृच्छा :
यह प्रिेख (आदेश) न्यायािय िारा ऐसे व्यनि के नवसरू्ध जारी द्वकया जाता है जो द्वकसी
सावसणजननक पद का दावसा करताहै अथवसा उसे हडप िेता है। इसके माध्यम से न्यायािय यह जााँच
करता है द्वक व्यनि द्वकस अधधकार के अंतगणत अपने दावसे का समथणन करता है।

अनुषग
ं ी प्र्‍तावस :
नवसधभन्न प्रकार के कायों की आगे की कायणवसाही के लिए ननयधमत उपाय के रूप में सदन की प्रथा
िारा मान्यता दी जाती है। ये सहायक प्र्‍तावस के रूप में नवसधेयक पर चचाण, प्रवसर या संयुक्त सधमनत
को सौंपने, नवसधेयक पाररत द्वकए जाने के संबधं धत होते हैं, इन्हें अनुषंगी प्र्‍तावस (Anciliary
Motions) कहा जाता है।

अननधाणररत प्र्‍तावस :
अध्यक्ष िारा लजस प्र्‍तावस को बहस के लिए ्‍वसीकार द्वकया जाता है, द्वकन्तु बहस के लिए कोई
हदन या नतधथ ननधाणररत नहीं द्वकया गया है, वसह अननधाणररत प्र्‍तावस (No Day-yet-Named
Motion) कहिाता है।

अर्लपसूचना प्र्‍तावस :
संसद का कोई सद्‍य सावसणजननक महत्तवस तथा अनवसिम्‍बबनीय मामिे पर मौव्हखक उत्तर हेतु 10
हदन से कम समय की सूचना दे सकता है। सामान्यतया प्रश्न पूछने हेतु सूचना की न्यूनतम अवसधध
10 हदन होती है।

अनुदान मांग:ें
संधचत ननधध पर भाररत व्यय से संबंधधत अनुमान संसद में मतदान के लिए नहीं रखे जाते। अन्य
अनुमानों को िोकसभा के सामने अनुदानों की मांगों के रूप मे रखा जाता है और िोकसभा
द्वकसी मांग को ्‍वसीकार या अ्‍वसीकार कर सकती है।

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अनुपरू क, अनतररक्त या अधधक अनुदान :
नवसननयोग नवसधेयक के अंतगणत द्वकसी नवसलशष्‍टट सेवसा पर चािू नवसत्तीय वसषण के लिए व्यय द्वकए जाने
हेतु प्राधधकृत कोई रकम अपयाणप्त पायी जाती है या उस वसषण के वसानषि क नवसत्तीय नवसवसरण में छूट
गयी द्वकसीनई सेवसा पर अनुपूरक या अनतररक्त व्यय की चािू नवसत्तीय वसषण के दौरान आवसश्यकता
पैदा हो गयी हो अथवसा द्वकसी नवसत्तीय वसषण के दौरान द्वकसी सेवसा पर, उस वसषण और उस सेवसा के
लिए अनुदान की गयी रकम से अधधक कोई धन व्यय हो गया हो, तो ऐसी मांगों को अनुपरू क,
अनतररक्त या अधधक अनुदान की मांगों के रूप में रखा जाता है।

ग्िासनो्‍त और प्रेरे्‍त्रोइका (Glasnost and Perestroika)


सोनवसयत संघ में 1985 से 1990 का काि ग्िासनो्‍त और प्रेरे्‍त्रोइका का काि था। तत्कािीन
सोनवसयत राष्‍टरपनत धमखाइि गोबाणच्योवस िारा प्रयुक्त ”ग्िा्‍नो्‍त” का अथण होता है – खुिापन
(Openness) इस शब्द का प्रयोग प्रनतबंधधत सोनवसयत समाज और अथव्यवस्‍था को
ज्यादाअंत:द्वक्यात्मक (Interactional) ्‍वसतंत्रता हदए जाने के संदभण में द्वकया गया। तत्कािीन
सोनवसयत नेता गोबाणच्योवस िारा प्रयुक्त ”प्रेरे्‍त्रोइका” का शन्द्रब्दक अथण होता है – पुनरणचना
(Restructuring)। इसका प्रयोग सोनवसयत समाज में खुिापन िाकर पुनरणधचत करने के संबंध
में द्वकया गया।

अपवसादानुदान :
अपवसादानुदान नवसत्तीय वसषण के साधारण खचण का भाग नहीं होता। यह सरकार को नवसशेष प्रयोजन
हेतु अपवसादानुदान के रूप में ननश्चित धनरालशसदन िारा जाती है।

आकस्मिकता ननधध :
भारतीयसंनवसधान के ”अनुच्छे द-267” के अंतगणत ”भारत की आकस्मिकता ननधध” के नाम से एक
कोष ्‍थानपत करती है, लजसमें नवसधध िारा अवसधाररत रालशयां समय-समय पर जमा की जाती है।
इस कोष को आकस्मिक व्यय हेतु राष्‍टरपनत के व्ययाधीन रखा जाता है।

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अंत:्‍थ राज्य :
दो बडे राष्‍टरों के बीच जब एक छोटे राष्‍टर को ्‍थानपत वस परररलक्षत द्वकया जाता है , जो द्वक दोनों
राष्‍टरों के प्रत्यक्ष टकरावस को सुरक्षा कवसच प्रदान करता है। इस प्रकार का राष्‍टर अंत:्‍थ राज्य
(Buffer State) कहिाता है।

आधे घण्टे की चचाण:


संसद का कोई सद्‍य जब ऐसा महसूसकरता है द्वक तारांद्वकत प्रश्न या अतारांद्वकत प्रश्न या
अर्लपसूचनाप्रश्न पर प्राप्त उत्तर में अपेलक्षत जानकारी नहीं है या तथ्यों के ्‍पष्‍टटीकरण की
आवसश्यकता है तब अध्यक्षससभापनत सदन के सद्‍यों को आधे घण्टे चचाण करने की अनुमनत
प्रदान कर सकता है।

अर्लपकािीन चचाणएं :
द्वकसी गैर-सरकारी सद्‍य िारा उठाए गए अनवसिम्‍बबनीय सावसणजननक महत्वस के केन्द्र सरकार से
संबंधधत मामिे पर अध्यक्ष अर्लपकािीन चचाण के लिए बैठक की समानप्तपर या उसके पूवसण एक
घण्टे का समय ननयत कर सकता है। इस प्रकार की सूचना ग्राह्य करेन के बाद हदन ननश्चित कर
चचाण के लिए उसे कायण सूची में दजण कर लिया जाता है।

आनुपानतक प्रनतननधधत्वस (Proportional Representation)


आनुपानतक प्रनतननधधत्वस एक प्रकार की ननवसाणचन प्धनत है, लजसमें प्राप्त मतों के अनुपात में द्वकसी
राजनीनतक दि को व्यवस्‍थानपका में ्‍थान प्रदान द्वकए जाते हैं। इस प्धनत में यह भी सुननश्चित
द्वकसी जाता है द्वक ननवसाणधचतव्यनियों की संख्या मतदान में उनके सवसाणधधक मतों के अनुपात में
रहे। भारत में राष्‍टरपनत और उपराष्‍टरपनत का चुनावस इसी प्धनत िारा द्वकया जाता है।

अधधरोध िगाना :
अधधरोध (Embargo) के अंतगणत यहद कोई देश अंतराणष्‍टरीय कानून का उर्लिंघन करता है तो
उसके नवसरू्ध नवसश्वस समुदाय िारा दण्डात्मक कायणवसाही के रूप में व्यापाररक प्रनतबंध िगा हदया
जाता है।

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ओिीगॉकी :
जब वसगीय हहत के हृधिगत कुिीन तंत्रीय शासन कायण करता है, तो उसे ओिीगॉकी
(Oligarchy) कहा जाता है।

उपननवसेशवसाद :
इसकी प्रकृनत प्राय: साम्राज्यवसादी होती है तथा जब द्वकसी देश िारा द्वकसी देश पर अधधकार वस
शासन एवसं इस प्रकार शालसत देश के अधधकारों का हनन, ्‍वसतंत्रता का दमन, इसकी उत्पादकता
का शोषण तथा उसकी सभ्यता वस सं्‍कृनत की परतंत्रता आहद उपननवसेशवसाद (Colonialism) के
अंतगणत आते हैं।

उत्तरदायी सरकार :
उत्तरदायी सरकार(Responsible Government) को संसदीय या मंत्रीमंडिीय सरकार भी
कहा जाता है। शासन की इस प्धनत में कायणपालिका अपने कृत्यों के लिए व्यवस्‍थानपका के प्रनत
उत्तरदायी होती है।

उदारवसाद :
मानवसतावसादी िोगों या दिोंकी नवसचारधारा उदारवसाद कहिाती है। ये मध्यम मागण अपनाना चाहते
हैं। ये राज्य का अधधक ननयंत्रण नहीं चाहते। एकाधधकार का नवसरोध करते हैं, धमश्चश्रत अथणव्यवस्‍था
पसंदकरते हैं तथा शांनत के पक्षमेंहोते हैं वस िोकतंत्रीयप्धनत में नवसश्वसास करते हैं।

उपचुनावस :
जब द्वकसी ्‍थान के लिए मृत्यु, त्याग-पत्र या अयोग्यता के कारण ररक्त होने पर नवसशेष चुनावस
होता है, तो उसे उपचुनावस (By-election) कहते हैं।

उत्प्रेषण :
जब कोई न्यायाधधकरण नबना अधधकाररता के या उसका उर्लिंघन करकेकायण करताहै और कोई
अवसैध आदेश जारी करता है, तो उत्प्रेक्षण की ररट िाराउसे उद्द द्वकया जा सकता है।

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एकि संक्मणीय मत प्रणािी (Single transferable Vote System)
यह एक प्रकार की ननवसाणचन प्धनत है, लजसमें प्रत्येक मतदाता को सभी उम्‍बमीदवसारों के नाम के
आगे अपनी पसंद का क्म व्यक्त करना होता है। ननवसाणधचत द्वकए जानेके लिए मतों की न्यूनतम
संख्या ननधाणररत की जाती है। इसकेअंतगणत मतदाता उतने मत दे सकता है लजतने द्वक उम्‍बमीदवसार
हैं।

इस प्रणािी में नवसजयी घोनषत करने का तरीका :


कुि प्राप्त मतों की संख्या को दो से नवसभालजतकर भागफि में एक जोडने से प्राप्त संख्या न्यूनतम
संख्या मानी जाती है। मतों की नगनती में यहद प्रथम पसंद की नगनती में ही कोई उम्‍बमीदवसार
ननधाणररत मत के बराबर मत प्राप्त कर िेता है , तो वसह नवसजयी घोनषतकर हदयाजाता है वस अन्यथा
प्रथम पसंद में सबसेकम मत प्राप्त करने वसािे उम्‍बमीदवसार को मतगणना से अिग कर हदया जाता
है और उस ननष्‍टकानषत उम्‍बमीदवसार को धमिे मत पत्रों में द्वितीय पसंद के आधार पर लजन-लजन
उम्‍बमीदवसारों को लजतनी संख्या अंद्वकत की गई है, उतने मत उनकी प्रथम पसंद के मतों की संख्या
में जोड हदए जाते हैं। इस प्रकार का संक्मण द्वकसी एक व्यनि िारा ननधाणररत कोटा प्राप्त कर िेने
तक चिता रहता है। यही एकि संक्मणीय मत प्रणािी में प्रत्याशी को नवसजयी घोनषत करने का
तरीका है।

एन्वसाय :
एक देश के अधधकाधधक प्रनतननधध जब अन्य देश को मनोनीत द्वकए जाएं तो उसे “Envoy” कहा
जाता है। इसे नवसलशष्‍टट कायण के लिए भी भेजा जा सकता है।

एक््‍राहडक्शन :
एक देश या सरकार िारा दूसरे देश या सरकार को उसके अपराधी को न्याधयक जााँच त्था दण्ड के
लिए सौंप देना “Extradition” कहिाता है।

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एमने्‍टी :
जब कोई सरकार नवसद्रोहहयों या कैहदयों को सामान्य रूप से क्षमा कर देती है तथा छोड देती है, तो
उसे ”एमने्‍टी” (Amnesty) कहते हैं।

कॉन्फेडरेशन :
दो या दो से अधधक देशों का आपस में द्वकसी नवसशेष उद्देश्य की प्रानप्त के लिए धमि जाना
“Confederation” कहिाता है। यह पररसंघ (Federation) से इस मायने में धभन्न होता है,
द्वक पररसंघ की ्‍थापना ”लिव्हखत संनवसधान” के अंतगणत होती है, शनियों का नवसभाजन होता है,
न्यायािय ्‍वसतंत्र होता है। पररसंघ इकाई राज्यों से सीधा संपकण रखती है। कॉन्फेडरेशन में ऐसा
नहीं होता है। संबंध इकाई ्‍तर पर होते हैं तथा इकाइयां कभी भी पृथक नहीं हो सकती हैं, जबद्वक
पररसंघ का सीधी नागररकों से कोई संपकण नहीं हो सकता।

कॉन्डोमीननयन :
द्वकसी देश के ऊपर अन्य दो बाहरी देशों या ताकतों िारा प्रभुसत्ता का उपयोग करना
“Condominium” कहिाता है। उदाहरण के लिए नरटेन तथा धमश्र का पूवसण में सूडान पर
”कॉन्डोमीननयन” था।

कन्वसेंशन :
द्वकसी नवसशष्‍टट नवसषय पर वसाताण करने हेतु जो सम्‍बमेिन आहुत द्वकए जाते हैं, उन्हें “Convention”
कहा जाता है। उर्लिेखनीय है द्वक नरटेन में शासन प्रणािी परम्‍बपराओं पर आाधाररत (इसे
“Constitutional Convention” कहा जाता है) है। यद्यनप इसका राजनीनतक महत्वस है,
तथानप न्यायािय िारा इन्हें मान्यता नहीं हदया जाता।

कन्टे नमेंट :
द्वकसी देश या नवसचारधारा के प्रभावस को राजनीनत में फैिने से रोकनेको “Containment” कहा
जाता है।

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कर्फ्ूण :
द्वकसी ननश्चित ्‍थान या क्षेत्र में द्वकसी ननश्चित अवसधध के लिए जन सामान्य की आवसाजाही पर
सरकार या प्रशासन िारा प्रनतषेध िगाया जाना “Curfew” कहिाता है।

कूप :
जब द्वकसी सरकार को द्वकसी नवसद्रोही गनतनवसधध, सैन्य कायणवसाही या गुट िारा गुप्त रूप से अचानक
गैर-कानूनी तरीके से उखाड फेंका जाता है तथा उसकी जगह नई सरकार ्‍थानपत की जाती है तो
इस घटना को “Coup” (तख्ता पिटना) कहते हैं।

कोरम :
द्वकसी सं्‍था की द्वकसी सभा की कायणवसाही के लिए औपचाररक रूप से कम से कम सद्‍यों की
उपस्थिनत की आवसश्यकता को “Quorum” कहते हैं। इसके अभावस में कायणवसाही नहीं चिाई जा
सकती है।

गणराज्य :
लजस देश में राज्य के प्रधान का पद वसंशानुगत (Hereditary) न होकर ननवसाणधचत (Elected)
होता है, उसे गणराज्य (Republic) तथा व्यवस्‍था को गणतंत्रात्मक व्यवस्‍था कहा जाता है।

गुिोटीन (Guillotin)
संसद की कायण मंत्रता सधमनत बजट सहहत सभी अनुदान मांगों को ्‍वसीकृत करने के लिए समय
सीमा ननधाणररत करती है। अंनतम हदन लजन मांगोंपर चचाण नहुईहो उन्हें भी मतदान के लिए रख
हदया जाता है। इस प्रद्वक्या को लजसमें अधधकांश मांगें नबना चचाण के पाररत हो जाती है। गुिोटीन
कहा जाता है।
गुिोटीन लसर काटने का एक उपकरण था : 18वसीं तथा 19वसीं शताब्दी में फ्ांस में ”गुिोटीन”
फांसी पर चढने वसािों के लसर काटने का एक उपकरण था। वसतणमान में यह प्रचिन में नहीं है।
इसका आनवसष्‍टकार फ्ांसीसी क्ांनतकाि में शीघ्रता से वसध करने की हृधि से गुिोटीन नामक व्यनि
ने द्वकया था। सवसणप्रथम उपकरण के ननमाणता को ही उस पर फांसी दी गई थी।

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गुरूभार :
द्वकसी नवसशेष अर्लपसंख्यक समुदाय को उसकी जनसंख्या से अधधक संसद में प्रनतननधधत्वस प्रदान
द्वकया जाना गुरूभार (Weightage) कहिाता है।

गन बोट हडप्िोमैसी :
जब कोई देश दूसरे देश को अपने राजनीनतक उद्देश्य पूणण करने के लिए अपनी शनि का भय
हदखाता है, तो इस कूटनीनत को “Gun Boat Diplomacy” कहा जाता है।

गेिप पोि :
यह एक ऐसी प्रद्वक्या है, लजसमें द्वकसी भी सम्‍या के लिए संपूणण जनसंख्या के नवसचारों का
मूर्लयांकन द्वकया जाता है। इसमें प्रनतननधध िारा पूछे गए प्रश्नों का नमूना बनाकर संपूणण जनसंख्या
से अधभमत कराया जाता है। एक प्रकार से यह ”ओनपननयन पोि” की प्रणािी के समतुर्लय है।
ज्ञातव्य है द्वक अमेररका स्थित (नप्रिंसटन न्यूजसी) उस सं्‍था का नाम है, जो जनमत का सवसे
करती है। इसका नाम डॉ. जॉजण गेिप के नाम पर रखा गया।

गैरीमैढन्रं ग :
अमेररकी राज व्यवस्‍था के नवसशेष संदभण में प्रयुक्त होने वसािे “Gerrymandering” का आशय
ननवसाणचन क्षेत्रों के इस प्रकार पुनगणठन से है, लजससे द्वकसी दि नवसशेष के अधधकतम समथणक एक
ही ननवसाणचन क्षेत्र की पररधध में आ जाए तथा उस दि के प्रत्याशी के नवसजय की संभावसना बढ जाए।

गुररर्लिा वसारफेयर :
यु्ध करने के इस तरीके में एक पक्ष धछपकर पीछे से या एक ओर से दूसरे पक्ष पर हमिा करने के
पश्चात् धछप जाता है। मराठों ने मुगि सेना के नवसरू्ध इसी यु्ध शैिी का प्रयोग द्वकया था।

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घेरावस :
जब द्वकसी मजदूर दि या राजनीनतक दि िारा द्वकसी उद्योगपनत या अधधकारी का घेरावस द्वकया
जाता है या अनुधचत तरीके से उसे दबावस देकरमांग पूरी कराने की कोलशश की जाती है, तो उसे
घेरावस (Picketing) कहते हैं।

घाटबंदी :
द्वकसी नवसदेशी शनि के पातों को अपने क्षेत्र या बंदरगाहों में प्रनवसष्‍टट न होने देने की नीनत घाटबंदी
(Embargo) कहिाती है।

चाजण डी. अफेयसण :


राजदूत के ्‍थान पर जो व्यनि अर्लपकाि के लिए काम करता है, उसे “Charge “d” Affairs”
कहते हैं।

चोनवसननज्म :
एक व्यनि या समूह िारा द्वकसी देश या समाज या वसगण के लिए जो व्यथण वस झूठी वसफादारी प्रदलशि त
की जाती है, उसे “Chuvinism” कहा जाता है। इसमें दूसरे देश, समाज या वसगण के लिए घृणा
का प्रदशणन भी द्वकया जाता है।

लजओननज्म :
19वसी शताब्दी के अंनतम चरण में यहूहदयों से संबंधधत यह आंदोिन प्रारं भ हुआ था। इस आंदोिन
का (Zionism) उद्देश्य यहूहदयों को द्वफलि्‍तीन में ”नेशनि होमिैण्ड फॉर ज्यूस” बनाने का
अवससर देना था।

जनमत :
द्वकसी राजनीनतक प्रश्न को सुिझाने हेतु राज्य के सम्‍त नागररकों की राय जानना और उसी के
अनुसार ननणणय करना जनमत (Plebiscite) कहिाता है।

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जुटं ा :
“Junta” एक ्‍पेननश शब्द है, लजसका अथण है – पररषद्श। सामान्यतया इसका प्रयोग सैननक
सत्ता के संदभण में द्वकया जाता है। इस पररषद्श में एक समान पद के सभी नवसभागों के अधधकारी
होते हैं जो सैननक सत्ता की सभी प्रशासननक इकाइयों को संतुलित रखने का उत्तरदाधयत्वस
संभािते हैं। ”जुंटा” में द्वकसी एक व्यनि का प्रभुत्वस नहीं रहता।

जीनोसाइड :
जान-बूझकर द्वकसी देश में द्वकसी धमण, जानत वस देश के िोगों का संहारकरना अथवसा उनके लिए
अत्यन्त भेदभावसपूणण नीनतयां पाररत कर उनके अधधकारों को सीधमत करना “Genocide”
कहिाता है।

तानाशाही :
लजस शासन व्यवस्‍था में राज्य की संपूणण शनियां एक ही व्यनि के हाथ में केन्द्रित कर दी जाती हैं
और वसह नबना दूसरों की परवसाह द्वकए अपने अनुसार कायण करता है, तो वसह व्यवस्‍था ”तानाशाही”
(Dictatorship) कहिाती है।

तट्‍थता :
दो राष्‍टरों के मध्य यु्ध में द्वकसी प्रकार की सहभानगता न करना तट्‍थता कहिाता है। तट्‍थ राष्‍टर
न ही द्वकसी का समथणन करता है, न ही द्वकसी का नवसरोध और न ही उनकी गनतनवसधधयों के लिए
अपनी भूधम का उपयोग करता है।

तनावस शैधथर्लय :
दो राष्‍टरोंकेमध्य तनावसपूणण संबंधोंमें नरमी या लशधथिता आने की नीनतगत स्थिनत को तनावस
शैधथर्लय (Detente) कहते हैं (इस शब्द का प्रयोग 70 के दशक के प्रारं भ में चीन-अमेररका एवसं
अमेररका-सोनवसयत संघ के पररप्रेक्ष्य में द्वकया गया)।

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द्विपक्षीय समझौता :
जब दो पक्ष, दो दि या सरकारें आपस में कोई समझौता करते हैं तो वसह द्विपक्षीय समझौता
(Bilateral Pact) कहिाता है।

िै ध शासन :
शासन का वसह प्रकार लजसमें कायणपालिका को दो भागों में नवसभक्त द्वकया जाता है। इसमें एक
भाग अपने कायों के लिए व्यवस्‍थानपका के प्रनत उत्तरदायी होता है, जबद्वक दूसरा भाग नहीं होता
है। इस प्रकार का शासन प्रांतों में नररटश सरकार िारा ”भारत शासन अधधननयम, 1919” के
अंतगणत िागू द्वकया गया था।

देशीकरण :
यह वसह प्रद्वक्या है लजसके िारा नवसदेश में जन्में व्यनि को कुछ शतों के साथ देश की नागररकता
(अथाणत् उसे नागररक के सभी िाभ) प्रदान कर दी जाती है।

िन्ित्मक भौनतकवसाद (Dialectical Matcrialism)


कािण माक्सण िारा समाज के नवसकास के क्म के आधथि क हृधिकोंण से नवसश्िेषण हेतू अपनाई गई
प्धनत को दवसन्दवसात्मक भौनतकवसाद कहते है। इसके अनुसार इस जगत में एकमात्र वसा्‍तनवसकता
”पदाथण”(Matter) है जो ननरं तर गनतशीि है। इसका नवसकास सीधी रेखा में न होकर दो-नवसपरीत
स्थिनतयों में दवसन्द के माध्यम से टेढी-मेढी रेखा में होता है।

हदव्सदनात्मक व्यवस्‍थनपका :
लजस व्यवस्‍थनपका : लजस व्यवस्‍थानपका में दो सदन अथाणत उच्च सदन वस ननम्‍बन सदन होते हैं , उसे
द्विसदनात्मक व्यवस्‍थानपका कहते है।

ध्रुवसीकरण :
एक नवसचारधारा के िोगों का एक दि या समूह के नीचे एकद्वत्रतहोना ध्रुवसीकरण
(Polarization) कहिाता है।

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धाधमि क राज्य :
एक ऐसा राज्य लजसमें धमण नवसशेष के ननयमों के अनुसार शासन का संचािन द्वकया जाता है , उसे
धाधमि क राज्य (Theocratic State) या धमण सापेक्ष राज्य कहा जाता है।

धमण ननरपेक्षता(Secularism)
धमण ननरपेक्षता का तातपयण उस लस्धान्त से है, लजसके अंतगणत देश के सभी नागररकों को पूणण
धाधमि क ्‍वसतंत्रता प्रदान की जाती है। धमण के आधार पर कोई भेदभावस नहीं द्वकया जाता है। इसमें
प्रत्येक नागररक को अपना धमण चुनने का या उसकी रक्षा करने का पूणण अधधकार प्राप्त होता है।
रटप्पणी : भारतीय संनवसधान की उद्देलशका(Preamble) में ”Secular” शब्द का हहन्दी पयाणय
”पंथननरपेक्ष” हदया गया है।

ध्यानाकषणण सूचनाएं :
इसके तहत अनवसिम्‍बबनीय सावसणजननक महत्वस के नवसषय की ओर कोई सद्‍य अध्यक्ष से पूवसण
अनुमनत िेकर द्वकसी मंत्री का ध्यान हदिाता है तथा वसक्तव्य की मांग करता है। मंत्री संलक्षप्त
वसक्तव्य देता है अथवसा बाद में द्वकसी नतधथ नवसशेष को वसक्तव्य देने हेतु समय मांग सकता है।

धन नवसधेयक :
ऐसे सभी ”नवसत नवसधेयक” धन नवसधेयक होते है जो संनवसधान के ”अनुच्छे द 110” में उक्लिव्हखत
मामिों से संबंधधत हों तथा लजन्हें िोकसभा अध्यक्ष इस आशय का प्रमाण दे दे।

नॉन-एग्रेशन पैक्ट :
जब दो या उससे अधधक देश यह समझौता करें द्वक वसे एक-दूसरे पर आक्मणनही करेंग,े तो उसे
”अनाक्मण सीधे”(Non-Aggression Pact) कहते है।

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नौकरशाही :
ऐसी सरकार जो नागररक (िोक) सेवसकों िारा चिाई जाती है या लजसमें सरकारी कमणचारी और
अधधकाररयों पर हर बात के लिए ननभणर रहना पडता है, उस व्यवस्‍था को नौकरशाही
(Bureaucracy) कहते है। इस व्यवस्‍था में सरकारी अधधकाररयों का वसचण्‍वस हो जाता है।

ननषेधाधधकार :
यह ननयमानुमोहदत अधधकार है। द्वकसी सं्‍था िारा लिए गए ननणणय को अमान्य करके ननणणय को
ननर्‍त करने की व्यनि या सं्‍था में ननहहत शनि ननषेधाधधकार (Veto) कहिाती है।

न्यूनतम चुनावस कोटा :


इसे ननकािने की यह नवसधध है द्वक सवसणप्रथम अवसैध मतों को ननर्‍त करके शेष वसैध मतों का मत
मूर्लय ननकािा जाता है और ननकािे गए मत मूर्लय को दो से नवसभालजत करके भागफि में एक
जोड हदया जाता है।

ननणाणयक मत :
पक्ष और नवसपक्ष में बराबर मत होने पर अध्यक्ष िारा हदया जाने वसािा मत ननणाणयक मत कहिाता
है।

ननवसाणचक मण्डि :
ऐसे व्यनियों का समूह या ननकाय जो द्वकसी सं्‍था के प्रमुखया राष्‍टर प्रमुख या राष्‍टर प्रमुख चुने
जाने के लिए ननयुक्त, मनोनीत अथवसा ननवसाणधचत द्वकया गया हो, उसे ननवसाणचक मण्डि (Electrol
College) कहते हैं।

ननयंत्रण वस संति
ु न:
सरकार के नवसधभन्न अंगों की शनियों को इस व्यवस्‍था िारा उनके ननधाणररत कायणक्षेत्र के अंतगणत
रखा जाता है।

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नवस उपननवसेशवसाद :
राजनीनतक उपननवसेशवसाद के प्राय: समाप्त हो जाने के पश्चात् आधथि क उपननवसेशवसाद का जो युग
प्रारं भ हुआ है, उसे नवस उपननवसेशवसाद (Neo-Conlonialism) कहा जाता है। इसके मुख्यतया
दो प्रकार हैं – 1. धनी वस शनिशािी राष्‍टर अ्धण नवसकलसत देशों को आधथि क सहायता देकर उन पर
राजनीनतक दबावस डािकर अपना प्रभावस ्‍थानपत कर रहे हैं, द्वकसी देश पर अपना प्रभावस ्‍थानपत
कर उसकी आंतररक वस बाह्य नीनत को प्रभानवसत करना।

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