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Michael’s School

Grade 10 पाठ- पतझर की टू टी पत्तियाँ

(गिन्नी का सोना) (Notes)

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए|

1. पतझर में टू टी पत्तियों में दो प्रसं ग ो के माध्यम से िे िक ने ककस बात की प्रे रणा
दी है ?

उत्तर:- सकिय नागररक बनने की |

2. समाज को शाश्वत मू ल् य ककसने ददए हैं ?

उत्तर:- आदशशवादी िोगों ने |

3. हमे श ा सजग कौन रहता है ?

उत्तर:- व्यवहारवादी लोग |

4. शु द् ध सोना ककस बात का प्रतीक है ?

उत्तर:- आदशशवादी िोगों का |

5. िे ि क के अनु सार कु छ िोग गााँध ी जी को क्या कहते हैं ?

उत्तर:- प्रै क् क्टकि आइडियालिस्ट |


I.ननम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्क्तयों में दीक्जए-

1.शुद्ध सोना और गगन्नी का सोना अिग क्यों होता है ?


उत्तर-शुद्ध सोना और गगन्नी का सोना अिग होता है, क्योंकक गगन्नी के सोने में
थोडा-सा तााँबा लमिाया जाता है इसलिए वह ज़्यादा चमकता है और शुद्ध सोने से
मज़बूत भी होता है। शुद्ध सोने में ककसी भी प्रकार की लमिावट नहीं होती।

2.प्रैक्क्टकि आइडियालिस्ट ककसे कहते हैं ?


उत्तर-”प्रैक्क्टकि आइडियालिस्ट” उन्हें कहते हैं जो आदशों को व्यावहाररकता के साथ
प्रस्तुत करते हैं। इनका समाज पर गित प्रभाव पडता है क्योंकक ये कई बार आदशों
से पूरी तरह हट जाते हैं और केवि अपने हानन-िाभ के बारे में सोचते हैं। ऐसे में
समाज का नैतिक स्तर गगर जाता है।

3.पाठ के सं द भश में शु द् ध आदशश क्या है ?


उत्तर-पाठ के संदभश में शुद्ध आदशश वे हैं, क्जनमें व्यावहाररकता का कोई स्थान न
हो। केवि शुद्ध आदशों को महत्त्व ददया जाए। शुद्ध सोने में तााँबे का लमश्रण
व्यावहाररकता है, तो इसके ववपरीत शुद्ध सोना शुद्ध आदशश है।

II. ननम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए –

1.शुद्ध आदशश की तु ि ना सोने से और व्यावहाररकता की तु ि ना तााँबे से क्यों की


गई है ?
उत्तर-यह स्पष्ट है कक जीवन में आदशशवाददता का ही अगधक महत्त्व है। अगर
व्यावहाररकता को भी आदशों के साथ लमिा ददया जाए, तो व्यावहाररकता की
साथशकता है। समाज के पास जो आदशश रूपी शाश्वत मूल्य हैं, वे आदशशवादी िोगों
की ही दे न हैं। व्यवहारवादी तो हमेशा िाभ-हानन की दृक्ष्ट से ही हर कायश करते हैं।
जीवन में आदशश के साथ व्यावहाररकता भी आवश्यक है, क्योंकक व्यावहाररकता के
समावेश से आदशश संद
ु र व मजबत
ू हो जाते हैं।

2 .गांधी जी में ने तृ त् व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सदहत इस बात की पु क् ष्ट


कीक्जए।
उत्तर- वास्तव में गांधी जी के नेतृत्व में अद्भुत क्षमता थी। वे व्यावहाररकता को
पहचानते थे, उसकी कीमत पहचानते व जानते थे। वे कभी भी आदशों को
व्यावहाररकता के स्तर पर उतरने नहीं दे ते थे, बक्ल्क व्यावहाररकता को आदशों पर
चिाते थे। वे सोने में तााँबा नहीं, बक्ल्क तााँबे में सोना लमिाकर उसकी कीमत बढाते
थे। गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोिन, भारत छोडो आंदोिन, असहयोग आंदोिन व
दांिी माचश जैसे आंदोिनों का नेतृत्व ककया तथा सत्य और अदहंसा जैसे शाश्वत
मूल्य समाज को ददए। भारतीयों ने गांधी जी के नेतृत्व से आश्वस्त होकर उन्हें पूणश
सहयोग ददया। इसी अद्भुत क्षमता के कारण ही गांधी जी दे श को आज़ाद करवाने
में सफि हुए थे।

3. आपके ववचार से कौन-से ऐसे मू ल् य हैं जो शाश्वत हैं ? वतश म ान समय में इन
मू ल् यों की प्रासं गगकता स्पष्ट कीक्जए।
उत्तर- आज व्यावहाररकता का जो स्तर है, उसमें आदशों का पािन ननतांत आवश्यक
है। व्यवहार और आदशश दोनों का संतुिन व्यक्क्तत्व के लिए आवश्यक है। सत्य,
अदहंसा, परोपकार जैसे मूल्य शाश्वत मूल्य हैं। शाश्वत मूल्य वे होते हैं, जो
पौराखणक समय से चिे आ रहे हों जो वतशमान व भववष्य दोनों में उपयोगी हों|
शांनतपण
ू श जीवन बबताने के लिए परोपकार, त्याग, एकता, भाईचारा तथा दे श-प्रेम की
भावना का होना अत्यंत आवश्यक है। ये शाश्वत मूल्य युगों-युगों तक कायम रहें गे।

4. शु द् ध सोने में तााँबे की लमिावट या तााँबे में सोना’, गांध ी जी के आदशश और


व्यवहार के सं द भश में यह बात ककस तरह झिकती है ? स्पष्ट कीक्जए।
उत्तर- शुद्ध सोना आदशों का प्रतीक है और तााँबा व्यावहाररकता का प्रतीक है। गााँधी
जी व्यावहाररकता को ऊाँचा स्तर दे कर आदशों के स्तर तक िेकर जाते थे अथाशत ्
तााँबे में सोना लमिाते थे। वे नीचे से ऊपर उठाने का प्रयास करते थे न कक ऊपर से
नीचे गगराने का। इसलिए कई िोगों ने उन्हें प्रैक्क्टकि आइडियालिस्ट’ भी कहा ।
वास्तव में वे व्यावहाररकता से पररगचत थे, िोगों की भावनाओं को पहचानते थे
इसलिए वे अपने आदशश चिा सके और पूरे दे श को अपने पीछे चिाने में कामयाब
रहे।

( झे न की दे न ) (Notes)

I.ननम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पं क् क्तयों में दीक्जए-

1. िे ि क ने जापाननयों के ददमाग में ‘स्पीि’ का इं ज न िगने की बात क्यों कही है ?


उत्तर:- जापानी िोग उन्ननत की होड़ में सबसे आगे हैं। इसलिए िेिक ने जापाननयों
के ददमाग में स्पीि का इंजन िगने की बात कही है।

2. जापानी में चाय पीने की ववगध को क्या कहते हैं ?


उत्तर:- जापानी में चाय पीने की ववगध को “चा-नो-य”ू कहते हैं क्जसका अथश है –
‘टी-सेरेमनी’ और चाय वपिाने वािा ‘चाजीन’ कहिाता है।

3. जापान में जहााँ चाय वपिाई जाती है , उस स्थान की क्या ववशे षता है ?
उत्तर:- जापान में जहााँ चाय वपिाई जाती है, वहााँ की सजावट पारं पररक होती है।
प्राकृनतक ढं ग से सजे हुए इस छोटे से स्थान में केवि तीन िोग बैठकर चाय पी
सकते हैं। वहााँ अत्यंि शांनत और गररमा के साथ चाय वपिाई जाती है। शांनत उस
स्थान की मुख्य ववशेषता है।

4. चाजीन ने कौन-सी कियाएाँ गररमापण


ू श ढं ग से पू र ी कीं?
उत्तर:- चाजीन ने टी-सेरेमनी से जड
ु ी सभी कियाएाँ गररमापण
ू श ढं ग से की। यह
सेरेमनी एक पणशकुटी में पूणश हुई। चाजीन द्वारा अनतगथयों का उठकर स्वागत
करना, आराम से अाँगीठी सुिगाना, चायदानी रिना, दस ू रे कमरे से चाय के बतशन
िाना, उन्हें तौलिए से पोंछना व चाय को बतशनों में िािने आदद की सभी कियाएाँ
गररमापूणश ढं ग अथाशत ् बडे ही आराम से, अच्छे व सहज ढं ग से की।

(ि) ननम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50- 60 शब्दों में ) लिखिए -


5. ‘टी-सेरेमनी’ में ककतने आदलमयों को प्रवे श ददया जाता था और क्यों?
उत्तर:- टी-सेरेमनी में केवि तीन ही िोगों को प्रवेश ददया जाता है। इसका कारण
यह है कक भाग दौड से भरी ज़ ंदगी से दरू कुछ पि अकेिे बबताना है और साथ
ही जहााँ इंसान भूतकाि और भववष्यकाि की गचंता से मुक्त हो कर वतशमान में जी
पाए। अगधक आदलमयों के आने से शांनत के स्थान पर अशांनत का माहौि बन जाता
है| इसलिए यहााँ तीन ही िोगों के प्रवेश की अनुमनत है।

6. चाय पीने के बाद िे ि क ने स्वयं में क्या पररवतशन महसू स ककया?


उत्तर:- चाय पीने के बाद िेिक ने महसूस ककया कक जैसे उनके ददमाग की गनत
मंद पड गई हो। धीरे -धीरे उसका ददमाग चिना भी बंद हो गया |यहााँ तक कक उन्हें
कमरे में फैिे
हुए सन्नाटे की आवाज़ें भी सुनाई दे ने िगीं। उन्हें िगा कक मानो वे
अनंतकाि से जी रहे हैं। वे भत
ू और भववष्य दोनोँ का गचंतन न करके वतशमान में
जी रहे हो।

7. िे िक के लमत्र ने मानलसक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों


से कहााँ तक सहमत हैं ?
उत्तर:- िेिक के लमत्र ने मानलसक रोग का मुख्य कारण अमेररका से आगथशक
प्रनतस्पधाश को बताया। क्जसके पररणामस्वरूप दे श के िोग एक महीने का काम एक
ददन में करने का प्रयास करते हैं | इस कारण वे शारीररक व मानलसक रूप से
बीमार रहने िगे हैं। िेिक के ये ववचार सत्य हैं क्योंकक शरीर और मन, मशीन की
तरह कायश नहीं कर सकते और यदद उन्हें ऐसा करने के लिए वववश ककया तो
मानलसक संति
ु न बबगड जाना स्वाभाववक है।

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