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जीवन में सम्प्रेषण का महत्व
जीवन में सम्प्रेषण का महत्व
संप्रेषण जीवन का एक अभिन्न अंग है । जिस प्रकार रक्त धारा , हवा , पानी के
बिना जीवन संभव नहीं उसी प्रकार सम्प्रेषण के बिना भी मानव जीवन असंभव है
। संप्रेषण ही वह माध्यम है जिसके उपयोग से हम अपने विचारो, भावनाओ तथा
संदेश को एक दस
ू रे तक पहुंचा सकते है , और इसी क्रिया के कारण एक समाज का
निर्माण भी होता है ।जैसे ही एक शिशु जन्म लेता है उसी वक्त सम्प्रेषण उसकी
आवश्यकता बन जाती है जो जीवन भर उससे जड़
ु ी रहती है । जीवन में सम्प्रेषण
की शुरुवात होती है अपनी भावनाएं व्यक्त करने से फिर नई नई चीजे सीखना
और ज्ञान की प्राप्ति करना , और यह निरं तर चक्र जीवनभर चलता रहता है ।
संप्रेषण एक सकारात्मक तत्व है , यह हमे एक सार्थक एवं सकारात्मक विचारधारा
की ओर ले जाता है जो की विकास के लिए महत्वपर्ण
ू है । सम्प्रेषण संबध
ं स्थापित
करने में एक अहम भूमिका निभाता है और इन संबंधों को सुचारू रूप से चलाने
के लिए भी सम्प्रेषण की जरूरत पड़ती है । भारत की इस विविधिता में एकता का
कारण भी सम्प्रेषण ही है , सम्प्रेषण विभिन्न संस्कृतियों , भाषाओं, समाजों एवं
जातियों के मध्य निकटता लाने में अहम भूमिका निभाता है और केवल दे श में ही
नही , अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी दे शों के मध्य यह समान भूमिका निभाता है । इतने
बड़े प्रांत को सच
ु ारू रूप से चलाने के लिए कार्य एवं विभाग का विभाजन जरूरी है
और उससे भी जरूरी है इन सभी के मध्य समन्वय स्थापित करके इन्हे सफल
बनाना , और इसकी लिए प्रभावी सम्प्रेषण अति आवश्यक है । सम्प्रेषण प्रबंधक
कार्यों की नींव है । नियोजन, नेतत्ृ व,संगठन आदि का आधार सम्प्रेषण ही है । इन्ही
प्रबंधक एवं कार्यालयों में अनेक निर्णय लिए जाते है , लिए गए निर्णय एवं सच
ू नाओं
को आम जनता व कर्मचारियों तक प्रेषित करने का आधार सम्प्रेषण ही है । कभी
कभी सच
ू नाओं व विचारो के आदान प्रदान में हम सही अर्थ समझने एवं उसकी
व्याख्या करने में चक
ू कर दे ते है जिसके कारण प्रेषित किया गया संदेश विकृत
रूप ले लेता है , इसका निवारण अति आवश्यक होता है जो केवल सम्प्रेषण के
द्वारा ही संभव है । अतः हम कह सकते है के संप्रेषण वह जीवात्मा है जो मानव
को जीवन का उपहार दे मानव जीवन मैं रं ग भरती है ।