'पंचालाइट' कहानी के लेखक फणीश्वरनाथ 'रेणु' जी हिन्दी-जगत् के सुप्रससद्ध
आंचसलक कथाकार िैं। 'पंचालाइट' भी बििार के आंचसलक पररवेश की किानी िै। इस किानी के द्वारा 'रेणु' जी ने ग्रामीण अंचल का वास्तबवक चचत्र खींचा िै। गोधन के द्वारा पेट्रोमैक्स जला देने पर उसकी सभी गलबतयााँ माफ कर दी जाती िैं; उस पर लगे सारे प्रबतिन्ध िट जाते िैं तथा उसे मनचाहा आचरण करने की छूट भी ममल जाती िै।
इससे स्पष्ट िोता िै कक आवश्यकता िडे-से-िडे रूह़िगत संस्कार और
परम्परा को व्यथथ साबित कर देती िै। इसी केन्द्रीय भाव के आधार पर किानी के एक मित्त्वपूणथ उद्देश्य को स्पष्ट ककया गया िै।
इस प्रकार 'पंचलाइट' जलाने की समस्या और उसके समाधान के
माध्यम से किानीकार ने ग्रामीण मनोबवज्ञान का सजीव चचत्र उपस्थित कर हदया िै। ग्रामवासी जाबत के आधार पर ककस प्रकार टोसलयों में बवभक्त िो जाते िैं और आपस में ईर्ष्ाथ-द्वे ष युक्त भावों से भरे रिते िैं, इसका िडा िी सजीव चचत्रण इस किानी में हुआ िै। रेणु जी ने यि भी दशाथया िै कक भौबतक बवकास के इस आधुबनक युग में भी भरतीय गााँव और कुछ जाबतयााँ ककतने अमधक बपछडे हुए िैं। किानी के माध्यम से 'रेणु' जी ने अप्रत्यक्ष रूप से ग्राम- सुधार की प्रेरणा भी दी िैं।