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बटुक भैरव स्तोत्र PDF

बटुक भैरव स्तोत्र Batuk Bhairav Stotra

श्री बटुक-भैरव-अष्टोत्तर-शत-नाम-स्तोत्र

(क) ध्यान

वन्दे बालं स्फटिक-सदृशम ्, कुन्तलोल्लासि-वक्त्रम ्।

दिव्याकल्पैर्नव-मणि-मयैः, किंकिणी-नप
ू रु ाढ्यैः।।

दीप्ताकारं विशद-वदनं, सप्र


ु सन्नं त्रि-नेत्रम ्।

हस्ताब्जाभ्यां बटुकमनिशं, शल
ू -दण्डौ दधानम ्।।

(ख) मानस-पज
ू न

उक्त प्रकार ‘ध्यान’ करने के बाद श्रीबटुक-भैरव का मानसिक पज


ू न करे -

ॐ लं पथ्
ृ वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्रीमद् आपदद्
ु धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।

ॐ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पष्ु पं श्रीमद् आपदद्


ु धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।

ॐ यं वाय-
ु तत्त्वात्मकं धप
ू ं श्रीमद् आपदद्
ु धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये घ्रापयामि नमः।

ॐ रं अग्नि-तत्त्वात्मकं दीपं श्रीमद् आपदद्


ु धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये निवेदयामि नमः।

ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बल
ू ं श्रीमद् आपदद्
ु धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।

(ग) मल
ू -स्तोत्र

ॐ भैरवो भत
ू -नाथश्च, भत
ू ात्मा भत
ू -भावनः।

क्षेत्रज्ञः क्षेत्र-पालश्च, क्षेत्रदः क्षत्रियो विराट्।।१


श्मशान-वासी मांसाशी, खर्पराशी स्मरान्त-कृत ्।

रक्तपः पानपः सिद्धः, सिद्धिदः सिद्धि-सेवितः।।२

कंकालः कालः-शमनः, कला-काष्ठा-तनःु कविः।

त्रि-नेत्रो बहु-नेत्रश्च, तथा पिंगल-लोचनः।।३

शल
ू -पाणिः खड्ग-पाणिः, कंकाली धम्र
ू -लोचनः।

अभीरुर्भैरवी-नाथो, भत
ू पो योगिनी-पतिः।।४

धनदोऽधन-हारी च, धन-वान ् प्रतिभागवान ्।

नागहारो नागकेशो, व्योमकेशः कपाल-भत


ृ ्।।५

कालः कपालमाली च, कमनीयः कलानिधिः।

त्रि-नेत्रो ज्वलन्नेत्रस्त्रि-शिखी च त्रि-लोक-भत


ृ ्।।६

त्रिवत्त
ृ -तनयो डिम्भः शान्तः शान्त-जन-प्रिय।

बटुको बटु-वेषश्च, खट्वांग-वर-धारकः।।७

भत
ू ाध्यक्षः पशप
ु तिर्भिक्षुकः परिचारकः।

धर्तो
ू दिगम्बरः शौरिर्हरिणः पाण्डु-लोचनः।।८

प्रशान्तः शान्तिदः शद्


ु धः शंकर-प्रिय-बान्धवः।

अष्ट-मर्ति
ू र्निधीशश्च, ज्ञान-चक्षुस्तपो-मयः।।९

अष्टाधारः षडाधारः, सर्प-यक्


ु तः शिखी-सखः।

भध
ू रो भध
ू राधीशो, भप
ू तिर्भूधरात्मजः ।।१०
कपाल-धारी मण्
ु डी च, नाग-यज्ञोपवीत-वान ्।

जम्
ृ भणो मोहनः स्तम्भी, मारणः क्षोभणस्तथा ।।११

शद्
ु द-नीलाञ्जन-प्रख्य-दे हः मण्
ु ड-विभष
ू णः।

बलि-भग्ु बलि-भङ्
ु -नाथो, बालोबाल-पराक्रम ।।१२

सर्वापत ्-तारणो दर्गो


ु , दष्ु ट-भत
ू -निषेवितः।

कामीकला-निधिःकान्तः, कामिनी-वश-कृद्वशी ।।१३

जगद्-रक्षा-करोऽनन्तो, माया-मन्त्रौषधी-मयः।

सर्व-सिद्धि-प्रदो वैद्यः, प्रभ-विष्णरि


ु तीव हि ।।१४

।।फल-श्रति
ु ।।

अष्टोत्तर-शतं नाम्नां, भैरवस्य महात्मनः।

मया ते कथितं दे वि, रहस्य सर्व-कामदम ् ।।१५

य इदं पठते स्तोत्रं, नामाष्ट-शतमत्त


ु मम ्।

न तस्य दरि
ु तं किञ्चिन्न च भत
ू -भयं तथा ।।१६

न शत्रभ्
ु यो भयं किञ्चित ्, प्राप्नय
ु ान्मानवः क्वचिद्।

पातकेभ्यो भयं नैव, पठे त ् स्तोत्रमतः सध


ु ीः ।।१७

मारी-भये राज-भये, तथा चौराग्निजे भये।

औत्पातिके भये चैव, तथा दःु स्वप्नजे भये ।।१८

बन्धने च महाघोरे , पठे त ् स्तोत्रमनन्य-धीः।

सर्वं प्रशममायाति, भयं भैरव-कीर्तनात ्।।१९


।।क्षमा-प्रार्थना।।

आवाहनङ न जानामि, न जानामि विसर्जनम ्।

पज
ू ा-कर्म न जानामि, क्षमस्व परमेश्वर।।

मन्त्र-हीनं क्रिया-हीनं, भक्ति-हीनं सरु े श्वर।

मया यत ्-पजि
ू तं दे व परिपर्णं
ू तदस्तु मे।।

श्री बटुक-बलि-मन्त्रः Shree Batuk Bhairav Bali Mantra

घर के बाहर दरवाजे के बायीं ओर दो लौंग तथा गड़ु की डली रखें । निम्न तीनों में से किसी एक
मन्त्र का उच्चारण करें –

१॰ “ॐ ॐ ॐ एह्येहि दे वी-पत्र ु , श्री मदापद्धद्


ु धारण-बटुक-भैरव-नाथ, सर्व-विघ्नान ् नाशय नाशय,
इमं स्तोत्र-पाठ-पज
ू नं सफलं कुरु कुरु सर्वोपचार-सहितं बलि मिमं गह्
ृ ण गह्
ृ ण स्वाहा, एष बलिर्वं
बटुक-भैरवाय नमः।”

२॰ “ॐ ह्रीं वं एह्येहि दे वी-पत्र


ु , श्री मदापद्धद्ु धारक-बटुक-भैरव-नाथ कपिल-जटा-भारभासरु
ज्वलत्पिंगल-नेत्र सर्व-कार्य-साधक मद्-दत्तमिमं यथोपनीतं बलिं गह् ृ ण ् मम ् कर्माणि साधय साधय
सर्वमनोरथान ् परू य परू य सर्वशत्रन
ू ् संहारय ते नमः वं ह्रीं ॐ ।।”

३॰ “ॐ बलि-दानेन सन्तष्ु टो, बटुकः सर्व-सिद्धिदः। रक्षां करोतु मे नित्यं, भत


ू -वेताल-सेवितः।।”
भैरव स्तोत्र

किन लोगों की बटुक भैरव स्तोत्र का जप करना चाहिए ?


व्यापार में बाधाओं का सामना कर रहे व्यक्तियों, शत्रत
ु ा का सामना कर रहे व्यक्तियों, अदालती मामलों का
सामना करना आदि समस्याओं के आसान उन्मल ू न के लिए बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं को दरू करने के लिए बटुक भैरव की पज
ू ा आराधना को बहुत विशेष
मन गया है । बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ करके आप जीवन में हर बाधा को दरू कर सकते है और मनचाह परिणाम
हासिल कर सकते है |

भैरव अष्टमी के दिन या किसी भी शनिवार को श्री बटुक भैरव अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ करें , तो निश्चित ही
आपके सारे कार्य सफल और सार्थक हो जाएंगे, साथ ही आप अपने व्यापार, व्यवसाय और जीवन में आने वाली
समस्या, विघ्न, बाधा, शत्र,ु अदालती कामों और मक
ु दमे में सफलता प्राप्त करें गे |

बटुक भैरव स्तोत्र के लाभ

● बटुक भैरव स्तोत्र के पाठ से निश्चित रूप से आपके सभी कार्य सफल और सार्थक होंगे, और आपको अपने
व्यवसाय में समद् ृ धि मिलेगी, व्यवसाय और जीवन में पर्ण
ू सफलता, परे शानियाँ दरू होंगी, बाधाएँ मार्ग से
है ट जाएँगी , शत्रु पर विजय प्राप्त होगी, अदालत के चक्करों से छुटकारा भी मिलेगा |
● बटुक भैरव के स्तोत्र से व्यक्ति अपने जीवन में सांसारिक बाधाओं को दरू कर सांसारिक लाभ उठा सकता
है ।

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