Professional Documents
Culture Documents
Hindi
1. निी का सकनारनिं े कुछ कहते हुए बह िाने पर गु िाब क्या नच रहा है? इ े
िंबिंसधत पिं खियनिं कन सिखिए।
उत्तर:- नदी का ककनार ों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब यह स च रहा है कक-
तट पर गुलाब स चता
उत्तर:- शु क जब अपने खुशी क कदखाने के कलए गीत गाता है त उसके द्वारा गाए गीत के
स्वर ों से पूरा िन गूोंज उठता है । शु कक अपने प्रेम के कारण चुप रह जाती है जब उसका मन
गाना गाने के कलए करता है । शु की मौन ह ने के पश्चात भी बहुत अकधक खुश कदखाई दे ती है
मान उसके पोंख खुशी से फूल उठे ह ।
उत्तर:- प्रेमी जब गीत गाता है ,तब प्रेकमका की यह इच्छा ह ती है कक काश िह भी अपने प्रेमी
के साथ कमलकर गीत गा पाए | िह अपने घर से बाहर कनकलकर नीम के पेड़ के पीछे छु पकर
बैठ जाती है और अपने प्रेमी का मधुर गीत सुनती है |
उत्तर:- प्रथम छों द में ककि ने प्रकृकत का जीकित रूप से कचत्रण ककया है । प्रथम छों द में नदी के
ककनारे गुलाब का पौधा ज की शान्ति से खड़ा है । नदी ते जी से बहती हुई मान ककनार ों से
अपने दु ुः ख क दु ख क प्रकट करते हुए बही जा रही ह ।
उत्तर:- प्रकृकत के साथ पशु -पकिय ों का बड़ा गहरा सम्बन्ध है । सभी पशु -पिी अपने जीिन
कनिाा ह कलए पूरी तरह से प्रकृकत पर आकित रहते हैं । भ जन एिों रहने के कलए स्थान सभी प्रकार
से प्रकृकत पर आकित है ।प्रकृकत का सौोंदया रूप पशु पकिय ों क गाने गुनगुनाने के कलए भी
उत्साकहत करता है । सभी प्रकार के दै कनक कायों के कलए िह प्रकृकत पर ही कनभार रहते हैं । िह
एक दू सरे से प्रेम करते हुए अपने इन प्यारे सोंबोंध ों क आगे ले जाते हैं और एक दू सरे के प्रेम
में ख ए रहते हैं ।
6. मनुष्य कन प्रकृसत सक रूप में आिं िनसित करती है ? अपने शब्निं में सिखिए।
उत्तर:- मनुष्य क प्रकृकत अनेक रूप ों में आों द कलत करती है । प्रकृकत का अपनी तरफ
आककषात करने िाला रूप उसे गाने के कलए मजबूर कर दे ता है । शाम के समय मन क म ह
ले ने िाली प्रकृकत कक यह अदा प्रेमी क अपने प्रेम के प्रकत गीत गाने के और प्रेकमका क उसे
सुनने के कलए अपने घर से बाहर कनकलने पर मजबूर कर दे ती है ।
7. भी कुछ गीत, अगीत कुछ नही िं हनता। कुछ अगीत भी हनता है क्या? स्पष्ट कीसिए।
उत्तर:- गीत- अगीत का सम्बन्ध मन में उठने िाले भाि ों से ह ता है । जब मन में उठ रही
भािनाओों क स्वर ना कमले त िहाों अगीत कहलाता है और जब उन्ीों भािनाओों क स्वर कमल
जाए त िह भािनाएों गीत का रूप धारण कर लेती है । अगीत के अन्तित्व क नकारा नहीों जा
सकता भले ही उसे प्रकट करने का मौका ना कमले । प्रकट न ह ते हुए भी िह अपने आप में
पूणा है इसकलए ककि ने कहा है कक कुछ अगीत भी ह ता है ।
व्याख्या - नदी के ककनारे खड़ा गुलाब का पेड़ स चता है कक यकद भगिान मुझे भी स्वर दे दे ते
त मैं भी अपने पतझर के दु ुः ख की कहानी क सुनाता।
व्याख्या - जब शु क्र के अोंग ों क सूरज की सुनहरी धूप की ककरणे पत्त से कनकलकर उसे
छूती है त मान िह खुश ह कर गा उठता है ।
व्याख्या - यहााँ पर अपने प्रेमी के द्वारा गाए गीत क कछपकर सुनने पर प्रेकमका भगिान से
कहती है काश मैं भी इस गीत की कड़ी बन पाती।
उिाहारण-
तट पर गु िाब नचता
एक गु िाब तट पर नचता है ।
उत्तर:-