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NCERT Solutions for Class 9

Hindi

Chapter 13 – रामधारी स िंह सिनकर [कसिता]

1. सनम्नसिखित प्रश्निं के उत्तर िीसिए

1. निी का सकनारनिं े कुछ कहते हुए बह िाने पर गु िाब क्या नच रहा है? इ े
िंबिंसधत पिं खियनिं कन सिखिए।

उत्तर:- नदी का ककनार ों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब यह स च रहा है कक-

तट पर गुलाब स चता

"दे ते स्वर यकद मुझे किधाता,

अपने पतझर के सपन ों का

मैं भी जग क गीत सुनाता"

2. िब शुक गाता है , तन शुकी के हृिय पर क्या प्रभाि पड़ता है ?

उत्तर:- शु क जब अपने खुशी क कदखाने के कलए गीत गाता है त उसके द्वारा गाए गीत के
स्वर ों से पूरा िन गूोंज उठता है । शु कक अपने प्रेम के कारण चुप रह जाती है जब उसका मन
गाना गाने के कलए करता है । शु की मौन ह ने के पश्चात भी बहुत अकधक खुश कदखाई दे ती है
मान उसके पोंख खुशी से फूल उठे ह ।

3.प्रे मी िब गीत गाता है , तब प्रे समका की क्या इच्छा हनती है ?

उत्तर:- प्रेमी जब गीत गाता है ,तब प्रेकमका की यह इच्छा ह ती है कक काश िह भी अपने प्रेमी
के साथ कमलकर गीत गा पाए | िह अपने घर से बाहर कनकलकर नीम के पेड़ के पीछे छु पकर
बैठ जाती है और अपने प्रेमी का मधुर गीत सुनती है |

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4. प्रथम छिं ि में िसणित प्रकृसत-सचत्रण कन सिखिए।

उत्तर:- प्रथम छों द में ककि ने प्रकृकत का जीकित रूप से कचत्रण ककया है । प्रथम छों द में नदी के
ककनारे गुलाब का पौधा ज की शान्ति से खड़ा है । नदी ते जी से बहती हुई मान ककनार ों से
अपने दु ुः ख क दु ख क प्रकट करते हुए बही जा रही ह ।

5. प्रकृसत के ाथ पशु-पसियनिं के म्बन्ध की व्याख्या कीसिए।

उत्तर:- प्रकृकत के साथ पशु -पकिय ों का बड़ा गहरा सम्बन्ध है । सभी पशु -पिी अपने जीिन
कनिाा ह कलए पूरी तरह से प्रकृकत पर आकित रहते हैं । भ जन एिों रहने के कलए स्थान सभी प्रकार
से प्रकृकत पर आकित है ।प्रकृकत का सौोंदया रूप पशु पकिय ों क गाने गुनगुनाने के कलए भी
उत्साकहत करता है । सभी प्रकार के दै कनक कायों के कलए िह प्रकृकत पर ही कनभार रहते हैं । िह
एक दू सरे से प्रेम करते हुए अपने इन प्यारे सोंबोंध ों क आगे ले जाते हैं और एक दू सरे के प्रेम
में ख ए रहते हैं ।

6. मनुष्य कन प्रकृसत सक रूप में आिं िनसित करती है ? अपने शब्निं में सिखिए।

उत्तर:- मनुष्य क प्रकृकत अनेक रूप ों में आों द कलत करती है । प्रकृकत का अपनी तरफ
आककषात करने िाला रूप उसे गाने के कलए मजबूर कर दे ता है । शाम के समय मन क म ह
ले ने िाली प्रकृकत कक यह अदा प्रेमी क अपने प्रेम के प्रकत गीत गाने के और प्रेकमका क उसे
सुनने के कलए अपने घर से बाहर कनकलने पर मजबूर कर दे ती है ।

7. भी कुछ गीत, अगीत कुछ नही िं हनता। कुछ अगीत भी हनता है क्या? स्पष्ट कीसिए।

उत्तर:- गीत- अगीत का सम्बन्ध मन में उठने िाले भाि ों से ह ता है । जब मन में उठ रही
भािनाओों क स्वर ना कमले त िहाों अगीत कहलाता है और जब उन्ीों भािनाओों क स्वर कमल
जाए त िह भािनाएों गीत का रूप धारण कर लेती है । अगीत के अन्तित्व क नकारा नहीों जा
सकता भले ही उसे प्रकट करने का मौका ना कमले । प्रकट न ह ते हुए भी िह अपने आप में
पूणा है इसकलए ककि ने कहा है कक कुछ अगीत भी ह ता है ।

8. गीत- अगीत' के केन्द्रीय भाि कन सिखिए।

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उत्तर:- प्रिुत ककिता का केंद्रीय भाि यह है कक प्रकट न ह ने िाले अगीत का भी अपना ही
अलग महत्त्व है । ।भले ही हम अपने मन के भाि ों क सुन नहीों पाते परों तु उन्ें मन ही मन
महसूस करना भी अपने आप में एक अकधक सुोंदर है । अतुः मुख से कनकलने िाला गीत और
मुख से ने कनकलने िाला गीत द न ों ही गीत अपने आप में सुोंदर ह ते हैं ।

.2 िंिभि सहत व्याख्या कीसिए-

1. अपने पतझर के पननिं का

मैं भी िग कन गीत ुनाता

उत्तर:- िंिभि - प्रिुत काव्य पोंन्तियााँ ककिता 'गीत-अगीत' से ली गई हैं ।ज कक पाठ्यपुिक


स्पशा भाग-1 में सोंककलत है इसके ककि रामधारी कसोंह कदनकर है ।

व्याख्या - नदी के ककनारे खड़ा गुलाब का पेड़ स चता है कक यकद भगिान मुझे भी स्वर दे दे ते
त मैं भी अपने पतझर के दु ुः ख की कहानी क सुनाता।

2. गाता शुक िब सकरण ि िंती

छूती अिंग पणि े छनकर

उत्तर:- िंिभि - प्रिुत काव्य पोंन्तियााँ ककिता 'गीत-अगीत' से ली गई हैं ।ज कक पाठ्यपुिक


स्पशा भाग-1 में सोंककलत है इसके ककि रामधारी कसोंह कदनकर है ।

व्याख्या - जब शु क्र के अोंग ों क सूरज की सुनहरी धूप की ककरणे पत्त से कनकलकर उसे
छूती है त मान िह खुश ह कर गा उठता है ।

3. हुई न क्यनिं मैं कड़ी गीत की सबधना यनिं मन में गु नती है ।

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उत्तर:- िंिभि - प्रिुत काव्य पोंन्तियााँ पाठ्यपुिक स्पशा भाग-1 में शाकमल ककिता गीत-
अगीत' से ली गई हैं ।इसके ककि रामधारी कसोंह कदनकर है ।

व्याख्या - यहााँ पर अपने प्रेमी के द्वारा गाए गीत क कछपकर सुनने पर प्रेकमका भगिान से
कहती है काश मैं भी इस गीत की कड़ी बन पाती।

3. सनम्नसिखित उिाहारण में 'िाक्य- सिचिन' कन मझने का प्रया कीसिए। इ ी


आधार पर प्रचसित िाक्य सिन्या सिखिए-

उिाहारण-

तट पर गु िाब नचता

एक गु िाब तट पर नचता है ।

क) िे ते स्वर यसि मुझे सिधाता

ि) बैठा शुक उ घनी डाि पर

ग) गूिं ि रहा शुक का स्वर िन में

घ) हुई न क्यनिं मैं कड़ी गीत की

ङ) शुकी बैठ अिंडे है े ती

उत्तर:-

िाक्य- सिचिन िाक्य सिन्या

िे ते स्वर यसि मुझे सिधाता यकद किधाता मुझे स्वर दे ते।

बैठा शुक उ घनी डाि पर शु क उस घनी डाल पर बैठा।

गूिं ि रहा शुक का स्वर िन में शु क का स्वर िन में गूोंज रहा।

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हुई न क्यनिं मैं कड़ी गीत की मैं गीत की कड़ी क् ों न हुई।

शुकी बैठकर अिंडे है े ती शु की बैठकर अोंडे सेती है ।

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