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दशराज्ञ युद्ध - विकिपीडिया
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दशराज्ञ युद्ध या दस राजाओं का युद्ध या दशराजन युद्ध एक युद्ध था जिसका उल्लेख ऋग्वेद के सातवें मंडल में ७:१८, ७:३३ और ७:८३:४-८ में मिलता है। इस युद्ध में
एक ओर क़बीला और उनका मित्रपक्ष समुदाय था, जिनके सलाहकार ऋषि विश्वामित्र थे। दूसरी ओर भारत नामक समुदाय था, जिसका नेतृत्व तृत्सु नामक क़बीले के राजा
सुदास कर रहें थे और जिनके प्रेरक ऋषि वशिष्ठ थे।[1] इस युद्ध में सुदास के भारतों की विजय हुई और उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप कें आर्य लोगों पर उनका अधिकार बन
गया। आगे चलकर पूरे देश का नाम ही 'भारत' पड़ गया। कई इतिहासकारों के अनुसार यह वर्णन एक वास्तविक युद्ध पर ही आधारित हो सकता है।[2][3] यह संभव है कि
ऋग्वेद में वर्णित दस राजाओं की लड़ाई ने कु रुक्षेत्र युद्ध की "कहानी का" नाभिक "बनाया हो, हालांकि यह महाभारत के खाते में बहुत विस्तारित और संशोधित किया गया था।
दशराज्ञ युद्ध (दस राजाओं का युद्ध) परुष्णी नदी (वर्तमान में रावी) के तट पर लड़ा गया, जिसमें भरतो के राजा सुदास ने दस राजाओं के एक संघ को हराया। इस संघ में
[4]
आर्यों के प्रमुख जन (अनु, दुह, यदु, पुरू, तुर्वसु) तथा 5 लघु जनजातियों का समूह सम्मिलित था, जिसके पुरोहित विश्वामित्र थे।दशराज्ञ युद्ध (दस राजाओं का युद्ध) परुष्णी
नदी (वर्तमान में रावी) के तट पर लड़ा गया, जिसमें भरतो के राजा सुदास ने दस राजाओं के एक संघ को हराया। इस संघ में आर्यों के प्रमुख जन (अनु, दुह, यदु, पुरू, तुर्वसु)
तथा 5 लघु जनजातियों का समूह सम्मिलित था, जिसके पुरोहित विश्वामित्र थे।
योद्धा दल
इस युद्ध का विजयी राजा सुदास तृत्सु नामक समुदाय का था। विरोधी दल इस प्रकार थे:
अलीन : यह शायद आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान के नूरिस्तान क्षेत्र से पूर्वोत्तर में रहते थे क्योंकि चीनी तीर्थयात्री हुएन त्सांग ने उस जगह पर इनकी गृहभूमि होने का उल्लेख
किया था।[5][6]
अनु : कु छ इतिहासकारों के अनुसार यह क़बीला परुष्णि नदी (रावी नदी) क्षेत्र में बसा हुआ था।[7]
भृगु : यह लोग शायद प्राचीन कवि भृगु के वंशज थे। बाद में इनका सम्बन्ध अथर्व वेद के भृग्व-आंगिरस विभाग की रचना से किया गया है।
भालन : कु छ विद्वानों के अनुसार यह बोलन दर्रे के इलाक़े में बसने वाले लोग थे।[8]
द्रुह्यु : यह शायद गान्धार प्रदेश के निवासी थे (ऋग्वेद ७:१८:६)।
मत्स्य : इनका वरणन के वल ऋग्वेद ७:१८:६ में हुआ था लेकिन कालांतर में इनका शाल्व के सम्बन्ध में भी उल्लेख मिलता है।[9]
परसु : यह सम्भवतः प्राचीन पारसीयों (ईरानियों) का गुट था।[10]
पुरु : यह ऋग्वेद काल का एक महान क़बीलियाई परिसंघ था जिसे सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ बताया जाता है।
पणि : यह दानवों की भी एक श्रेणी का नाम था। कालांतर के स्रोत इन्हें स्किथी लोगों से सम्बन्धित बताते हैं।
इन्हें भी देखें
सुदास (ऋग्वेद)
कु रुक्षेत्र युद्ध
महाभारत
महाजनपद
सन्दर्भ
1. Tribal Fusion and Social Evolution (http://books.google.com/books?id=852HGVbfwJIC) , Sushant Kumar,
pp. 21, Strategic Book Publishing, 2000, ISBN 9781606930359, ... The Bharats invaded them under the
leadership of king Sudas and thus the ten- kings' war started. One more fact should be considered. The
Bharat tribe followed the system of kingship while almost all the opposing tribes were republicans ...
योद्धा
तृत्सु (हिन्द- अलीन
आर्य) अनु
भृगु (हिन्द-
आर्य)
भालन
दस (दहए)
द्रुह्यु
(गान्धारी)
मत्स्य राज्य
(हिन्द-आर्य)
परसु
(ईरानी)
पुरु (हिन्द
आर्य)
पणि (पर्णि)
सेनानायक
सुदास
दस राजा
वशिष्ठ विश्वामित्र
शक्ति/क्षमता
अज्ञात ६,६६६ से
(लेकिन अधिक
विरोधी-पक्ष
से कम)
मृत्यु एवं हानि
अज्ञात ६,६६६
(लेकिन (ऋग्वेद