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Class - 7 (Shlok 11-20) With Meaning
Class - 7 (Shlok 11-20) With Meaning
गतासन
ू गतासंश्ू च नानश
ु ोचन्न्त ऩन्डडता्॥२-११॥
तभ
ु शोक न कयने मोग्म भनष्ु मों के लरए शोक कयते हो औय ऩन्डडतों जैसी फात बी कयते हो, ऩयन्तु
फुद्धधभान रोग न्जनके प्राण चरे गए हैं, उनके लरए औय न्जनके प्राण नह ं गए हैं उनके लरए शोक नह ं
कयते हैं॥11॥
अव्मक्तोऽमभधचन््मोऽमभ ववकामोऽमभच्
ु मते।
तस्तभादे वं ववहद्वैनं नानश
ु ोधचतभ
ु हालस॥२-२५॥
जातस्तत हह ध्रव
ु ो भ्ृ मध्र
ु व ुा ं जन्भ भत
ृ स्तम च।
तस्तभादऩरयहामेऽथे न ्वं शोधचतभ
ु हालस॥२-२७॥
अव्मक्ताद तन बत
ू ातन व्मक्तभध्मातन बायत।
अव्मक्ततनधनान्मेव तत्र का ऩरयदे वना॥२-२८॥