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श्री वै दि क ब्रा ह्म ण ग्रु प , गु ज रा त Page 1

धममसम्राट करपात्रीजी महाराज


(महाराज जी की सभी बक्
ु सकी पीडीएफ़ ल क
िं पेज नम्बर १२ से)

वह केवल आठ वर्म का बालक था उसकी प्रवत्तृ ि कुछ त्तवलक्षण थी।ककसी से


अधधक नही बोलता था।कभी उं चे पवमतों पहाडों पर चढ़कर घंटों एकान्त बैठकर
कुछ सोचता त्तवचारता रहता था।एक दिन वह घर से भाग गया ।त्तपता और बडे
भाईयों नें ढं ढकर पकडकर वापस लाया।कुछ समय पश्चात किर भाग गया ।त्तपता
और भाई ढं ढकर लाये।डांटा,िटकारा अगर किर से भागा तो तझ ु े बहुत पीटें गे
समझा!वह बोला -मझु े सत्य की खोज करनी है त्तपताजी मझ
ु े जाने िीजजऐ।त्तपता
ने उसकी प्रवत्तृ ि जानकर घर पर ही पढ़ाना शरु
ु कर दिया।कहीं किर से न भाग
जाऐ इसललऐ त्तपता ने िस वर्ीय बालक का त्तववाह करने का त्तवचार
ककया।नववर्ीया सौभाग्यवती नाम की कन्या से बालक का त्तववाह सम्पन्न
हुआ।ककन्तु त्तववाह के बाि भी उसकी प्रवत्तृ ि न बिली। पजन अचमन नामस्मरण
ग्रन्थों का पाठन यही उसकी चयाम रहती।एक दिन भाग ही रहा था कक कभी
वापस न आऊंगा तो त्तपताजी ने पकड ललया।वह बोला -"त्तपताजी मेरी िे ह-गेह में
आसजतत नही होती मझ
ु े जाना है ।"ठीक है बेटा लेककन मेरी एक इच्छा है कक
वंशपरम्परा का उच्छे ि न हो इसललए हम तम्
ु हारी एक सन्तान चाहते है ।उसके
बाि मै तम्
ु हे रोकं गा नही-त्तपताजी नें कहा।वह बोला;ठीक है त्तपता जी लेककन वचन
िीजजए उसके बाि आप मेरा मागम नही रोकेंगे।हां बेटा मैं वचन िे ता हं ।अब वह
ककशोर गह
ृ स्थ हो गया लेककन दिनचयाम पहले जैसी ही रही।१७ वर्म की अवस्था
में उसके घर मे भगवती स्वरूपा कन्या नें जन्म ललया।अब ककशोर जाने की
उद्यत हुआ।त्तपता सामने खडे थे। माता िौडकर गले से ललपट पडी बेटा त मझ
ु े
छोडकर नही जा सकता।वह बोला अपने आंस रोक िे मां आज मैं नही रुकं गा
।लेककन तेरे बबना मैं कैसे रहं गी?"जैसे आचायम शंकर के बबना उनकी मां रही थी
वैसे त भी रहना मां। सनातन धमम पर संकट छाया है मझ
ु े भारतभलम का ऋण
चुकाना है ।मैने तेरे गभम का आश्रय ललया तेरी छाती का रतत त्तपया है तझ
ु े वचन
िे ता हं तेरा िध कलंककत न होने िं गा।"उतने मे नवजात बाललका को गोि में
ललऐ पत्नी ने चरण पकड ललए नाथ मत जाईऐ सती स्त्री का प्राण केवल उसका
पतत होता है !वह बोला -यह तम्
ु हारे भी माता त्तपता है इनकी सेवा करो।त्तपता का
वात्सल्य भाईयों का स्नेह मां की ममता पत्नी का प्रेम सन्तान का मोह सब को
ततनके के समान त्यागकर वह ककशोर चला गया।२४ वर्म की अवस्था में वह यव
ु ा
"#धममसम्राटकरपात्रीजी_महाराज" के नाम से त्तवख्यात हुआ।
जब भारतवर्म यरोपीय साम्राज्यवाि के खनी पंजों से जकडा हुआ था।सनातन
मल्यों और संस्कृतत का ह्रास हो रहा था तब उिरप्रिे श के प्रतापगढ़ जजला ग्राम
भटनी में सरयपारीण वेिपाठी ब्राह्मण श्री रामतनधध ओझा तथा परमधालममक
लशवरानी के आंगन में सम्वत ्१९६४ में श्रावण शत
ु ला द्त्तवतीया सन ् १९०७ को
एक महापरु
ु र् का अवतरण हुआ।इनका बचपन का नाम '#हरनारायण_ओझा' था।ये
रामतनधध के तीन पत्र
ु ों मे सबसे छोटे थे।१७ वर्म की अवस्था में हरनारायण
गह
ृ त्यागकर प्रयाग से होकर गज
ु र रहे थे।कुछ िरी पर हरनारायण ने िे खा कक

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वटवक्ष
ृ के नीचे एक कोपीनमात्रधारी अवधत आंखे बंि ककए बैठे हैं।हरनारायण
पास आकर उनके तेज को तनहारने लगे।अवधत ने अन्तचमक्षु से ककशोर को िे ख
ललया और चममचक्षुओं को उन्मीललत करते हुऐ कहा;"आओ मेरे बच्चे मैं तम्
ु हारी
ही प्रतीक्षा कर रहा था।तम
ु नरवर जाओ और अध्ययन करो उसके पश्चात तम ु
मेरे पास आना।तम
ु पर सरस्वती की त्तवशेर् कृपा रहे गी।"
यही अवधत लशरोमणण कुछ काल पश्चात १६५ वर्ों से बंि पडी आदिशंकर द्वारा
स्थात्तपत ज्योततष्पीठ का उद्धार कर
"#उिराम्नायज्योततष्पीठोद्धारकश्रीमज्जगद्गरू
ु शंकराचायमब्रह्मानंि_सरस्वती"कहलाऐ

हरनारायण पण् ु यतोया गंगा के ककनारे ककनारे आगे बढे ।नरवर पहुंचकर उन्होनें
वहां िे खा कक #तपोमततमजीवनििब्रह्मचारी जी की अध्यक्षता में प्राचीन गरू
ु लशष्य
परम्परा के अनस
ु ार अध्यापन हो रहा है ।एक िण्डी सन्यासी भी वहां त्तवराजजत
है ।वह थे #तकमवाचस्पततर्ड्िशमनाचायमत्तवश्वेश्वराश्रम_स्वामी।इन्होनें हरनारायण को
लशष्य बनाकर व्याकरण शास्त्र,साङ्गोपाङ्ग वेि व र्ड्िशमन का गढ़ अध्ययन
करवाया और इनका नाम "हररहर चैतन्य"रखा।हररहर की स्मरण शजतत
#िोटोग्रैकिक थी।
एक बार जजस चीज को पढ़ लेते वर्ों बाि भी बता िे ते कक इस ग्रंथ में इतने
पष्ृ ठ पर है ।
इसके बाि हररहर ने अच्यत
ु मतु न से संस्कृतसादहत्य व परु ाणों का अध्ययन
ककया।अब हररहर चैतन्य का तप की तरि आकर्मण हुआ।
अध्ययन से त्तवरत हो वह तरूण तपस्वी उिराखंड की दहम से आच्छादित
दहमालय की तलहदटयों में तीव्र योगश्चयाम करने लगे।
कौपीनमात्र धारण करना तनरावरणचरण से यात्रा करना शीतोष्ण भयंकर द्वंिों को
सहन करना १९ वर्म की अवस्था में ही इनका स्वभाव बन गया था।
कुछ समय पश्चात२४वर्ीय हररहर चैतन्य ने ब्रह्मानंि सरस्वती जी के पास
आकर उनसे वेिान्त का गढ़तम अध्ययन कर #लशखासत्र का त्यागकर त्तवधधवत
#िण्ड ग्रहणकर #नैजष्ठकब्रह्मचयमपवमक सन्यास की िीक्षा ली।अब हररहर चैतन्य
"#परमहं सपररव्राजकाचायमहररहरानंिसरस्वती #करपात्र_स्वामी"कहलाए।
वह #शंकराचायमब्रह्मानंिसरस्वती जी से िण्डग्रहण कर प्रयाग पहुंचे।सवमप्रथम
लोगों में यह चचाम िैली कक "गंगातट पर एक कौपीनमात्रधारी यव ु ा महात्मा
त्तवचरण करते हुए आ रहे हैं।
मस्तक पर ऐसा ब्रह्मतेज मानो साक्षात भव
ु नभास्कर ही उदित हो गऐ हों।उन्हे
िे खकर ऐसा प्रतीत होता है मानो साक्षात सन्यास ही मततममान होकर आया
हो।वह केवल हाथ पर ही लभक्षा ग्रहण करते हैं वह भी केवल ब्राह्मणों के घर
से।नमक और चीनी ग्रहण नही करते।
कर को ही पात्र बना लभक्षा ग्रहण करते हैं इसीललऐ वह '#करपात्रीजी'के नाम से
प्रलसद्ध है ।(#करःएवपात्रंयस्यसः)कोई संग्रह-पररग्रह नही परमतनष्काम
परमत्तवरतत।वह केवल संस्कृत में ही सम्भार्ण करते है ।वह तनरावरण चरणों से
पैिल यात्रा करते हैं कभी सवारी नही करते।वह हरे क त्तवर्य का #वेिप्रामाण्य से

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यजु ततयत
ु त सन्
ु िर समाधान करते हैं।सस्
ु पष्ट प्रखरवाणी अगाध पाजण्डत्य से यत
ु त
वेिपद्धतत के पणमसमथमक हैं।वह नरवर के #त्तवश्वेश्वराश्रमस्वामी से लशक्षक्षत व
ब्रह्मानंिसरस्वती से िीक्षक्षत हैं।"
किर तो सन्तसमि
ु ाय और जनसमि
ु ाय उनके िशमनाथम उमड पडा।महान ब्रह्मवेिा
#उडडया_बाबा स्वयं उनके िशमनाथम चलकर आऐ।उनको आते िे ख करपात्री जी ने
गरु
ु दृजष्ट रखने के कारण उडडया बाबा को िण्डवत ककया।

इस तरह उनके अगाध िशमनशास्त्र के पाजण्डत्य, ब्रह्मत्तवद्या व अद्भत


ु प्रवचन
कुशलता से सन्तसमाज मे बौद्धधकवगम में क्राजन्त का प्रसार हो गया।
आगरा जजला मे एक #ब्रह्मसत्र का आयोजन हुआ जजसमे िण्डीस्वामी
त्तवश्वेश्वराश्रम जी,उडडया बाबा,#अखण्डानन्ि_सरस्वती प्रभतृ त त्तवभततयां तथा
भारतवर्म के हजारों धरु न्धर त्तवद्वान एकत्र हुऐ।वहां िस हजार के लगभग
जनसमि ु ाय एकत्र होता था।
उडडया बाबा ने वेिान्त पर प्रवचन कर त्तवद्वत्समाज को मंत्रमग्ु ध कर दिया।
करपात्री जी को गीता के पन्रहवें अध्याय पर प्रवचन करने को कहा गया।परन्तु
करपात्री जी मस्ती में आ गऐ और "#श्रीभगवान ्उवाच"केवल इस पि पर सात
दिन तक प्रवचन करते रहे ।समग्र ऐश्वयम,धमम,श्री,यश,ज्ञान तथा वैराग्य श्रीकृष्ण में
ककस प्रकार है ।त्तवलभन्न मतों के अनस
ु ार इसका ही सप्तदिवस पयमन्त वणमन करते
रहे ।
उनकी िे खा िे खी अखण्डानंि सरस्वती ने भी पंचिशी
के"#आत्मानम्चेजत्वजानीयात ्"इस वचन सात दिनों तक व्याख्यान
ककया।सप्ताहव्यात्तप यह एक ऐततहालसक ब्रह्मसत्र था।
धममशास्त्रों में इनके अगाध पाजण्डत्य को िे खकर इन्हें '#धममसम्राट' की उपाधध से
त्तवभत्तर्त ककया गया।#शारीरकमीमांसा के अद्भत
ु व्याख्याता होने के कारण
यह"#अलभनव_शंकर"के नाम से अलभदहत हुऐ।
#श्रीत्तवद्या में िीक्षक्षत होने के कारण इनको '#र्ोडशानंिनाथ'कहा गया।अब यह
"धममसम्राट करपात्री जी महाराज"के नाम से अणखल भारतवर्म में प्रततजष्ठत हो
गए।
ज्योततममठ शंकराचायम ब्रह्मानंि सरस्वती ने इन्हे अगला शंकराचायम घोत्तर्त करना
चाहा परन्तु करपात्री जी ने यह कहकर अस्वीकार कर दिया कक इस पि के सीमा
में रहकर मैं सनातन मल्यों का प्रकाश स्वच्छं ि होकर नही कर पाऊंगा।तब
ब्रह्मानंि सरस्वती जी ने '#कृष्णबोधाश्रमजी_महाराज' को अपना उिराधधकारी
बनाया।कृष्णबोधाश्रम जी महान ज्ञानी थे।
करपात्री जी ने धमोद्धार की भावना से अणखल भारतवर्म में हजारों महायज्ञों के
आयोजन ककए।गंगातट पर घास िं स की झोपडी डालकर रहते थे। प्रातः एक बजे
उठकर िो घंटा भ्रमण तिन्तर शौचादि से तनवि
ृ हो 3 घण्टा ध्यान पश्चात
रुराष्टाध्यायी से रुरालभर्ेक,शालग्रामादि का श्रीयन्त्रादि का पजन व अढ़ाई घंटे में
शीर्ामसन में जस्थत होकर सम्पट
ु सप्तशती का पाठ तिन्तर स्वाध्याय तिनन्तर
लशष्यों को पढ़ाना व जजज्ञासओ
ु ं की जजज्ञासाओं का समाधान,बत्रकाल स्नान व

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ध्यान तथा २४घण्टे में एक बार लभक्षाटन सांय सयामस्त से पवम।
यह थी धममसम्राट करपात्र स्वामी की दिनचयाम।
उनके साथ सत्संगाथम संतजन पधारते रहते ितकडों का सत्संग चला रहता।
बाि में उन्होंने तनयम और कठोर कर दिया सात दिन तक गंगाजल पर आधश्रत
रहकर आठवें दिन लभक्षाटन करते।
👉#शास्त्राथम=
करपात्र स्वामी वेित्तवरुद्ध मतावलजम्ब आचायों की चन
ु ौती को कभी सहन नही
करते थे।एकबार वह िे वास से हररद्वार आऐ तो सन
ु ा कक
#मध्वाचायमत्तवद्यामान्यतीथम ने #अद्वैतमत को आसरु ी मत घोत्तर्त ककया है तो
करपात्र स्वामी लसंहगजमना करते हुऐ बोले इतने बडे बडे त्तवद्वानों ने सबने
अद्वैतमत का पराभव कैसे स्वीकार कर ललया ककसी ने कुछ कहा तयं नही?
उनकी गजमना सन
ु कर सभी बोले महाराज हम शास्त्राथम के ललऐ तैयार है आप
मध्यस्थ हो जाइऐ। करपात्र स्वामी बोले मध्यस्थ होके तया प्रयोजन अब तो
शास्त्राथम केवल हम करें गे आप लोग बस व्यवस्था कर िें ।
शास्त्राथम का समय और स्थान तनणीत हुआ।प्रथम दिवस तो करपात्र स्वामी
त्तवद्यामान्यतीथम का मत शाजन्तधैयप
म वमक सन
ु ते रहे ।द्त्तवतीय दिवस तनणमय होना
था जैसे ही करपात्र स्वामी बोलने को उद्यत हुऐ तो त्तवद्यामान्यतीथम को मौन
साधके वहां से प्रस्थान करने के अलावा कोई त्तवकल्प न दिखा।
महान जन समि
ु ाय के "धममसम्राट करपात्री जी महाराज की जय हो"के नारों से
आकाश गज
ं उठा" करपात्र स्वामी ने सबको शान्त करते कहा हमारी जय न
कदहऐ धमम की जय कदहऐ तयोंकक धमम की ही #जयतत होती है ।
हररद्वार के सन्तों और मण्डलेश्वरों ने करपात्र स्वामी को बडी ही सन्
ु िर
#महधमरुराक्ष माला और िल भें टकर तनवेिन ककया कक यदि आपकी अनम
ु तत हो
तो हम #त्तवजयोत्सवयात्रा तनकालना चाहते हैं और आपको हाथी पर चढ़ाकर
नगरयात्रा करवाऐंगे।करपात्री जी ने स्पष्ट शब्िों में कहा यह कथमत्तप उधचत नही
है ।शास्त्राथम तत्वबोध के ललऐ होता है ।"#वािे वािे जायतेतत्वबोधः"ककसी के पराभव
या तनरािर के ललऐ नही।#त्तवद्यात्तववािकेललऐकभीनहीहोती।अब इस बात को यहीं
रोक िीजजऐ।
आयमसमाज के संस्थापक ियानन्ि सरस्वती के तनवामण शताब्िी समारोह पर
आयमसमाज के त्तवद्वान कहलाने वाले तथाकधथत त्तवद्वानों ने काशी में घोर्णा की
कक हम यहां मततमपजा,अवतारवाि,जन्मना वणमव्यवस्था मरणश्राद्धादि का खण्डन
करें गे कोई भी हमारे साथ शास्त्राथम हे तु उपजस्थत हो सकता है ।करपात्र स्वामी इस
चुनौती को भला कैसे स्वीकार कर सकते थे।उन्होनें तरु न्त काशी त्तवद्वतपररर्द्
को आज्ञा िी सनातन धमम मे कोई त्तवरोधी हस्तक्षेप करने का अधधकारी नही
है ,सनातन लसद्धान्त की रक्षा की जाऐगी अतः उधचत व्यवस्था की जाऐ।
यह बात आग की तरह िैल गई किर तो दिग दिगन्तर से जन सैलाब उमडने
लगा।आयमसमाजजयों ने असिल प्रयास ककया परन्तु जजस तरह सयम के सामने
अन्धकार कभी नही दटक सकता वैसे ही अधकचरों की करपात्री जी के समक्ष
तया वाताम। इसीतरह तकमधुरन्धर #मिनमोहनमालवीय जी ने भी करपात्री जी से

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शास्त्राथम में भल की ।कारण था कक मालवीय भी गान्धी की तरह वणामश्रम मयामिा
का उल्लंघन कर सभी लोगों का िे वालयों में प्रवेश व प्रणवमन्त्र की िीक्षा
स््यादिकों को व अन्त्यजादिकों को िे ना प्रारम्भ कर दिया। करपात्री जी ने त्तवरोध
ककया तो मालवीय ने परु ाणों का प्रमाण बताकर अपने को सही लसद्ध करना
चाहा और शास्त्राथम की चुनौती िे डाली बेचारे मालवीय को अन्त में नतमस्तक
होना पडा व प्रणवमन्त्र की िीक्षा सभी को िे ने से हट गऐ।करपात्री जी उनका बडा
आिर करते थे उन्हे महान त्तवभतत बताते थे।परं तु जब वेिोतत सनातन
वणामश्रमधमम मयामिा पर कोई कुठाराघात करे तो सहन नही कर पाते थे।
करपात्री जी ने अपना अधधकांश जीवन काशी में व्यतीत ककया।काशी से उन्हे
बहुत लगाव था।काशीवास उन्हे अत्यन्त त्तप्रय था।महाराज की मान्यता थी कक
काशी मे भगवान त्तवश्वनाथ द्वारा मजु तत का सिाव्रत चलता रहता है
#मङ्गलंमरणंयत्र........।

👉#गोरक्षाआन्िोलनतथाइजन्िरावंशकोशाप:
बात 1966 की है ।उस समय भारत में गोवंश की हत्या तनभीक रूप से की जा रही
थी।सनातन धलममयों ने आंिोलन इत्यादि कर सरकार से आग्रह ककया कक गोहत्या
पर पणम प्रततबन्ध हो और गोवंश की रक्षा की जाऐ।इजन्िरा गान्धी की नीततयों से
जनता में आक्रोश था।उसका जीतना लगभग असंभव था।इजन्िरा ने कटनीतत का
सहारा लेकर करपात्र स्वामी से तनवेिन ककया कक मझ
ु े जीताने का जनता से
आग्रह करें चन
ु ाव के बाि गोहत्या पर पाबन्िी लगा िी जाऐगी और सभी
कत्लखानों को बन्ि कर दिया जाऐगा जो अंग्रेजों के समय से चले आ रहे
हैं।।करपात्री जी के आशीवामि से इजन्िरा जीत गई लेककन सिालोलप
ु अिरिशी
इजन्िरा मस
ु लमानों और कम्यतु नस्टों के िबाव मे आकर अपने वािे से हट
गई।िे श के तमाम सन्तों-महापरु
ु र्ों व जनता ने संत्तवधान मे संशोधन कर सम्पणम
िे श में गोहत्या पर पाबन्िी लगाने व कत्लखानों को बन्ि करने का आग्रह कर
संसि भवन के सामने 7 नवम्बर1966को महान्िोलन प्रारम्भ कर दिया।दहन्ि
पंचांगानस
ु ार उस दिन सम्वत ् 2012काततमक शत
ु ला अष्टमी थी जजसे गोपाष्टमी भी
कहा जाता है । इस आन्िोलन में चारों पीठों के शंकराचायम िे श के सभी सन्त
आयमसमाजी जैनधमी आदि सभी समि
ु ायोंने बढ़चढ़कर दहस्सा ललया।महान संत
प्रभि
ु ि ब्रह्मचारी,परु ी शंकराचायम तनरं जनिे वतीथम तथा सन्त रामचन्र वीर ने
आमरण अनशन घोत्तर्त कर आन्िोलन मे प्राण िं क दिए।शाजन्तपवमक बैठे हुऐ
सन्त समि
ु ाय पर इजन्िरा नें पलु लस द्वारा िायररंग करवा िी।भयंकर भगिड मच
गई।इस कांड में 250 साधओ ु ं की हत्या हुई।तत्कालीन गहृ मंत्री गल
ु जारीलालनंिा ने
क्षुब्ध होकर त्यागपत्र िे दिया।तनरञ्जनिे वतीथम को पांडडचेरी जेल में बन्ि कर
दिया गया।करपात्री जी को ततहाड जेल मे बन्ि कर दिया तथा कई अन्य सन्तों
को बलात जेल मे ठं स दिया गया।72 दिन अनशन के होने पर तनरञ्जनिे वतीथम
का स्वास्थय धगरने लगा तो करपात्री जी ने पत्र भेजा;
"महाराज आप धमम के प्रहरी है अतः आप का रहना आवश्यक है अनशन तोड
िीजजए।"करपात्री जी के आग्रह पर तनरञ्जनिे वतीथम तथा प्रभि
ु ि जी ने अनशन

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तोड दिया परन्तु #संतरामचन्रवीर आमरण अनशन पर डटे रहे ।लगातार 166दिनों
तक अनशन कर दहन्ि सन्त रामचन्र वीर ने गोरक्षा के ललऐ अपने प्राणों का
बललिान दिया।इस अनशन ने ितु नया के सारे ररकाॅडम तोड दिऐ।
ततहाड जेल में ही सन्तों ने करपात्री जी से सत्संग के ललऐ आना जाना प्रारम्भ
कर दिया।इजन्िरा ने ततहाड जेल के खंखार आतंककयों को करपात्री जी को मारने
व गायों की हत्या करने को मत
ु त कर दिया।हाथों मे लोहे की छडडयां लेकर
कैदियों का िल करपात्री जी पर टट पडा।करपात्री जी #आलभचाररक_मन्त्रों से
अपनी रक्षा कर लेते परन्तु यह सब इतना शीघ्र हुआ कक उन्हे सोचने का मौका
भी न लमला।तीन साधओ ु ं ने करपात्री जी को ढक दिया।तीनो साधु लोहे की
छडडयों से बबन्ध गऐ करपात्री जी बच गए ककन्तु एक छडी बीच से घस
ु कर
उनकी बायीं आंख में जा घस
ु ी।िायीं आंख पर भी चोटें आई।इजन्िरा के इस
कुकृत्य को िे खकर करपात्री जी ने लहुलह
ु ान साधओ
ु ं की लाशों को गोि मे
उठाकर इजन्िरा को भयंकर शाप िे डाला-
"#यद्यत्तपतनेतनिोर्साधओ
ु ंकीहत्याकरवाईकिरभीमझ
ु ेइसकािःु खनहीहै लेककनतनेआज
#गोपाष्टमीकेदिनगोहत्यारोंकोगोहत्याकीछटिीयहसवमथाअक्षम्यहै जामैंतझेआजशापिे ता
हूँ।#अष्टमीकोहीतेरेवश
ं कासमलत्तवनाशहोजाऐगा।#तेरेवश
ं जचाहे आकाशमें होपातालमें होिे
शमें होयात्तविे शमें मेराशापउनकापीछानहीछोडेगा।
"किर करपात्री जी ने मानस की यह पंजतत लोगों को
सन
ु ाई:'#सन्तअवज्ञाकररिलऐसा।
#जारदहनगरअनाथकररजैसा।।'
प्रभि
ु ि ब्रह्मचारी जी इस घटना के साक्षी थे।
इजन्िरा के भय ककसी भी समाचारपत्र ने इस घटना को प्रकालशत नही ककया
लेककन 'आयामवतम'और 'केसरी'नामक मालसक पबत्रकाओं मे यह घटना सत्तवस्तार
छापी गई।करपात्री जी ने कल्याण के सम्पािक को अपनी भत्तवष्यवाणी छापने को
कहा ।तब कल्याण के 'गोअंक'मे यह घटना अक्षरक्षः छापी गई।कुछ समय बाि
अंग्रेजी पबत्रकाओं मे करपात्री जी प्रिि शाप का उल्लेख इस प्रकार हुआ-"l speak
out your clan too will get destroyed on days of Ashtami tithi".

अब बद्
ु धधजीवी स्वयं त्तवचार करें संजय गान्धी की हवाई िघ
ु ट
म ना में
मत्ृ य2
ु 3जन1980 अष्टमी ततधथ को हुई।
दिल्ली में 31अततबर1984 को इजन्िरा की हत्या हुई उस दिन भी अष्टमी थी।
21मई1991को बमत्तवस्िोट मे राजीव गांधी की हत्या हुई उस दिन भी दहन्ि
पंचाग के अनस ु ार अष्टमी ततधथ थी।
तो तया #कुकलममयों का यह वंश करपात्री जी के शाप के व्यह में है अथवा तया
यह करपात्री जी के शाप का प्रभाव है ?
इस सिी के महान ज्योततर्ी #श्रीकोट्टमराजनारायण_राव अपनी पस्
ु तक "ज्यौततर्
प्रारब्ध तथा कालचक्र"(#Astrology_Destiney_and_the_Wheel_of_time )में
ललखते हैं-'जवाहरलाल नेहरू उडीसा में भव
ु नेश्वर गऐ थे।तभी उनको लकवे का
आघात हुआ जो बाि मे उनकी मत्ृ य का कारण बना।उनकी सप
ु त्र
ु ी इजन्िरा की भी

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भव
ु नेश्वर से आने के िसरे दिन 31अततबर 1984 को हत्या हो गई।इजन्िरा के
पत्र
ु संजय हवाई िघ
ु ट
म ना में मारे गऐ तो इजन्िरा के िसरे पत्र
ु राजीव भी हवाई
जहाज से भव
ु नेश्वर से सीधे मरास आऐ थे जहां उसी दिन21 मई 1991को
बमत्तवस्िोट से उनकी मत्ृ यु हुई।प्रारब्ध कुछ रहस्यात्मक तरीके से इस पररवार के
साथ खेल रहा है ।"

करपात्री जी की बायीं आंख की ज्योतत परी तरह समाप्त हो चक


ु ी थी तथा िसरी
की खत्म होने की कगार पर थी।करपात्र स्वामी ने कोई धचककत्सा न करवाकर
द्वािशनमस्कार तथा चाक्षुर्ोपतनर्द् से भगवान सयम की उपासना कर नेत्रज्योतत
सयम से पन
ु ः प्राप्त की।
👉#दहन्िकोडबबल-:
अंग्रेजों ने सनातन वैदिक दहन्ि वणामश्रमव्यवस्था को तोडने के ललऐ
'दहन्िकोडबबल'की रूपरे खा तैयार की थी। इसकी सारी बातें दहन्ि धममशास्त्रों के
त्तवपरीत थी।करपात्री जी ने कट्टर त्तवरोध ककया जगह-जगह दहन्ि कोड त्तवरोधी
सलमततयां बनाई।नेहरू ने दहन्ि कोड बबल को पास करने का अथक पररश्रम
ककया।यहां तक कक त्यागपत्र की धमकी भी िी।ककन्तु करपात्री जी के महत्प्रयासों
से यह पास न हो सका।अगर दहन्ि कोड बबल पणमतः पास हो गया होता तो आज
दहन्ि अपने ही िे श में अपने अजस्तत्व के ललए भीख मांग रहे होते।भारतत्तवभाजन
का सबसे पहले त्तवरोध करने वाले करपात्री जी थे।यह बात ककतने लोगो को ज्ञात
है यह हम नही जानते।गाधीं,नेहरू तथा त्तवनोबा भावे की नीततयों के वह प्रबल
त्तवरोधी थे।तथाकधथत संत्तवधान तनमामताओं अम्बेडकरादि की त्तवचारधाराओं से वह
अत्यन्त असंतष्ु ट थे।तनलममत संत्तवधान भारत के दहत मे नही है यह उन्होने कई
बार कहा।
वह कहते थे संत्तवधान का अथम है '#सनातन_त्तवधान' और वह सनातन त्तवधान
केवल वेिों में वणणमत है वेित्तवदहत त्तवधान मनु याज्ञवल्तयादि महत्तर्मयों ने अपनी
स्मतृ तयों मे गजु म्ित ककया है अतः भारतीय संत्तवधान धममशास्त्रों के अनक
ु ल
धममसापेक्ष पक्षपातत्तवहीन व शोर्णत्तवतनमत
ुम त होना चादहऐ।
करपात्र स्वामी नें काशी में धममसघ
ं तथा 1948 में #रामराज्यपररर्ि की स्थापना
की।काशी में ही शास्त्रों मे वणणमत हजारों वर्ों से लप्ु त सम
ु ेरूपीठ की स्थापना की।
👉करपात्री जी द्वारा ललणखत ग्रन्थ व सादहत्य=
करपात्री जी ने अनेक दिव्य ग्रन्थों की रचना की आधे से अधधक ग्रन्थ अभी
अप्रकालशत ही है ।कुछ प्रकालशत सादहत्य इस प्रकार है -
👉वेिाथमपाररजात-शत
ु लयजव
ु ि
े पर भाष्य इसका नाम 'करपात्र भाष्य'भी है ।इसमे
ियानंि सरस्वती की आपत्तियों का तनराकरण भी महाराज ने ककया है ।
ऋग्वेि पर भी भाष्य ललखा है पर आज तक उसका प्रकाशन नही हुआ।
👉भजततरसाणमवः-यह करपात्री द्वारा संस्कृत मे ललणखत भजततयोग पर उत्कृष्ट
ग्रन्थ है ।इसका दहन्िी अनव
ु ाि अभी तक नही ककया जा सका।करपात्री जी ने कहा
था कक जो अद्वैत लसद्धान्त और भजततलसद्धान्त िौनो का ज्ञाता होगा वही
इसका अनव
ु ाि कर पावेगा।

श्री वै दि क ब्रा ह्म ण ग्रु प , गु ज रा त Page 8


👉वेिस्वरूपत्तवमशमः-वेि के अपौरूर्ेयत्व पर शास्त्रीय त्तववेचन केवल संस्कृत मे
ललणखत।
👉श्रीत्तवद्यारत्नाकरः-संस्कृत मे ललणखत इस ग्रन्थ में श्री त्तवद्या का सांगोपांग
त्तववेचन ककया गया है ।
👉रामायणमीमांसा-कालमक बल्
ु के द्वारा राम व सीता पर व रामायण की
ऐततहालसकता पर गम्भीर आक्षेपों का प्रततकार करने के ब्याज से करपात्री जी ने
सभी पाश्चात्य महामखमचक्रचडामणण आलोचकों के सनातन संस्कृतत को त्तवकृत
करने के उद्िे श्य से उठाऐ गऐ गऐ आक्षेपों का तनराकरण ककया है ।यह दहन्िी मे
ही उन्होने ललखा।कालमक बल्
ु के बैजल्जयम से भारत आया हुआ लमशनरी पािरी
था।इसने 'रामकथा'नामक पस्ु तक ललखी।1974 मे भारत की मखम सरकार ने इस
मखम को पद्मभर्ण से सम्मातनत ककया।
👉चातव
ु ण्म यसंस्कृततत्तवमशमः-वणामश्रमव्यवस्था पर संस्कृत में ललणखत उत्कृष्ट प्रबन्ध।
👉धममकृत्योपयोधगततथ्यादितनणमयः-कुम्भादि महापवों की ततधथयों का लसद्धान्त
ज्योततश्शास्त्रीय तनणमय।यह उनके अगाध ज्यौततर्ीय पाजण्डत्य का पररचायक
है ।केवल संस्कृत मे ललखा गया है ।इसके अततररतत
कालमीमांसा,त्तवचारपीयर्,भागवतसध
ु ा,भजततसध
ु ा,राधासध
ु ा,गोपीगीत,भ्रमरगीत
आदि दिव्याततदिव्य ग्रन्थों का सज
ृ न करपात्र स्वामी ने ककया है ।इसके अततररतत
राजनीतत व सामाजजक िशा पर उनकी लघकु ाय पस्
ु तकें ललखी हुई है ।आधे से
अधधक सादहत्य उनका अप्रकालशत है ।
एक बार उनसे ककसी ने पछा कक महाराज आप इतने ग्रन्थों की रचना करते हैं
पररश्रम तो लगता होगा ।करपात्री जी बोले -"हां भई पररश्रम तो लगता है
जजतना कुछ मेरी बद्
ु धध मे है वह एक जीवनकाल मे नही ललखा जा सकता।यदि
मेरे पास आठ सब
ु द्
ु ध ललखने वाले पजण्डत हों तो शायि कुछ ग्रन्थों का तनमामण
हो सके।"
वीरसावरकर, गोवलकर आदि वैसे तो िे शभतत थे परन्तु उनकी भी शास्त्रीय
लसद्धान्तों के त्तवपरीत िे शभजतत,राष्रवाि सम्बजन्ध नीततयों को वे स्वीकार नही
करते थे।
धममसम्राट करपात्री जी महाराज ने िे शरक्षा के ललऐ अनेकों महायज्ञों का आयोजन
ककया।भारत के कोने कोने मे जाकर शास्त्रीय व्याख्यान दिए।जब वह
रासपञ्चाध्यायी पर प्रवचन करते तो हजारों सन्तों त्तवद्वानों व श्रद्धालओ
ु ं का
सागर उमड पडता।
उन्हें लसद्धान्ततः अद्वैत और भावतः भजतत का प्रततपािन अत्यन्त भाता
था।उनके पाजण्डत्य पर कोई मग्ु ध हुऐ बबना नही रह पाता था।
अखंडानन्ि सरस्वती जी ने कहा है कक
"#वेवेिोंसेलेकरअवकहडाचक्रतककेजानकरथे।"
हजारों वर्ों तक वैिेलशक आक्रान्ताओं के आक्रमणों से जजमर होने,पराधीन रहने
और ऋत्तर्यों द्वारा स्थात्तपत गरु
ु लशष्यपरम्परा,पजापद्धततयों,उपासनापद्धततयों
को म्लेच्छों और िस्यओ
ु ं के द्वारा भङ्ग ककऐ जाने पर भी भारत आज तक
जीत्तवत तयं है जरा सोधचए!इसके पीछे एक ही शजतत ने काम ककया है वह है

श्री वै दि क ब्रा ह्म ण ग्रु प , गु ज रा त Page 9


'#वेिोततवणामश्रमधममयामिा'।
इस एक मयामिा में श्रद्धा होने के कारण आयमदहन्ि सारे जुल्मों को सह गऐ।और
यह मयामिा नही रहे गी तो भारत स्वतः नष्ट हो जाऐगा।इसके न रहने से
कममसक
ं रता,वणमसक
ं रतादि िग
ु ण
ुम ों की उत्पत्ति हो जाऐगी और सच्चररत्रता,पाततव्रत्य
आदि सभी सद्गण
ु ों का लोप हो जाऐगा।किर ककसी मां के गभम से महापरू
ु र् का
जन्म नही होगा।सारा संसार म्लेच्छप्रायः हो जाऐगा। अंग्रेज इस बात को जानते
अतः उन्होने गरु
ु कलों को तड
ु वाकर अंग्रेजी काॅलेजों की स्थापना करवाई।लाॅडम
मैकाले ने 6नीततयां भारतीय लशक्षा पद्धतत को नष्ट करने के ललऐ बनाई।तयकं क
अंग्रेजों को कम्यतु नस्टों को और तथाकधथत पाश्चात्य िाशमतनकों को खतरा तो
केवल मनु की नीततयों से है न।वो मनु जजनके त्तवर्य में श्रुतत स्वयं कहती
है "यद्यद् मनरु ब्रवीत ् तित ् भैर्ज्यम ्"जो जो कुछ मनु ने कहा वह सब महौर्ध है ।
जब तक मनु के संस्कार दहन्िओं की रगों में है तब तक तो इन असरु ों के सारे
प्रयास त्तविल ही रहें गे।
करपात्री जी ने सनातनसंस्कृतत की रक्षा ललए अनेकों गरु
ु कुलों व त्तवद्यालयों का
तनमामण करवाया।प्राचीन उपासना पद्धततयों को पन
ु ः प्रारम्भ करवाया।आज भारत
मे थोडी बहुत जो भी पजोपासना पद्धततयां शेर् है वह करपात्री जी तथा उनके
जैसे कई महापरु
ु र्ों के तप का वरिान है अन्यथा हमें ये भी मालम नही होता कक
हम सनातन धमी दहन्ि है और हम तपःपत ऋत्तर्यों की सन्तान है ।
अपने शरीर का प्रिशमन करके धन कमाने वाले समाज को अश्लीलता व नग्नता
परोसने वाले,चररत्रहीनता िैलाने वाले बोलीवड
ु -होललवड
ु के भांड-भडुओं को तो हम
खब जानते है परन्तु अपने पवमजों महापरु
ु र्ों और महित्वों को हम ककतना जानते
हैं जजनके बललिानों से भारत भलम का कण-कण आप्लात्तवत है जरा सोधचए....।
अब तो धालममक मंचो पे भी भांड-भडुओं के जैसे आलाप होने लगे है ।त्तवधलममयों की
कही अश्लील शेरो-शायरी,गन्िे किल्मीगीत धचत्रत्तवधचत्र भावभंधगमाएं इन सबने
पत्तवत्र व्याख्यानो प्रवचनों वणमनों ओर कथाओं की जगह ले ली है ।यह कैसी
त्तवडम्बना है ?
धममसम्राट करपात्री एक यग
ु परु
ु र् थे।वह पवमजन्म की त्तवद्या और तप लेकर
अवतररत हुऐ थे अन्यथा इतना महत्कायम ककसी साधारण व्यजततत्व की बात
नही।रामराज्य के त्तवर्य पर जब वह कुछ बोलते तो सिै व मानस की इन
पंजततयों को िोहराया करते-
#अलपमत्ृ यन
ु हीकबनेउपीरा।
#सबसन्
ु िरसब_तनरुजसरीरा।।
#नदहंिरररकोउिःु खीन_िीना।
#नदहकोउअबध
ु नलच्छनहीना।।
#सबउिारसबपरउपकारी।
#त्तवप्रचरनसेवकनरनारी।।
#एकनाररव्रतरतसब_झारी।
#तेमनबचक्रमपतत_दहतकारी।।
उनसे ककसी ने पछा कक अगर समग्र भारतीय संस्कृतत व मयामिा का एकत्र िशमन

श्री वै दि क ब्रा ह्म ण ग्रु प , गु ज रा त Page 10


करना हो तो कौन सा ग्रन्थ पढ़ना चादहऐ?करपात्री जी बोले;"रामचररतमानस
सकलतनगमागमसम्मतं ग्रन्थ है ।इसकी एक चौपाई पर भी कोई प्रश्नरे खा नही
खींच सकता।यह सवमथा तनरापि ग्रन्थ है ।"मानस के प्रतत उनकी अत्यन्त श्रद्धा
थी।उन्होनें भारतीय समाज को यह चतःु सत्री प्रिान की:
धमम की जय हो,
अधमम का नाश हो,
प्राणणयों में सद्भावना हो,
त्तवश्व का कल्याण हो।
बाि मे उन्होनें िो बाते और जोडीं ;
गौमाता की जय हो,
गौ हत्या बन्ि हो।
करपात्री जी ने दहन्िधमम पर जो उपकार कर दिया है उससे भारत भलम कभी भी
उऋण नही हो पाएगी।आज महानभ
ु ावों मे जो कुछ सनातन धमम के प्रतत अखण्ड
श्रद्धा िे खी जाती है तो वह उनके व उनकी श्रेणी के महनीय यग
ु रष्टाओं के
महत्प्रयासों का पररणाम है । कालान्तर मे करपात्री जी की आंखों में असह्य ििम
रहने लगा।काशी के केिारघाट मे वह रहते थे।अब वह७५वर्म के थे।एक दिन माघ
शत
ु लाचति
ु म शी सम्वत ्२०३८ तिनस
ु ार७िरवरी१९८२को वह एकान्त कक्ष मे चले
गऐ।तनत्य की पजासाधना करने के बाि वह अपना एक त्तप्रय कीतमन करते थे।उस
कीतमन को तीन बार िोहराने के बाि वह सहसा समाधधस्थ हो गऐ और योगमागम
का आश्रय लेकर स्वेच्छा से अपने प्राणों को महाप्राण में त्तवलीन कर दिया।उनके
कथनानस
ु ार उनकी िे ह को भगवती भागीरथी की गोि में जलसमाधध िे िी
गई।आज भारत किर से एक हररनारायण की प्रतीक्षा कर रहा है । वह संकीतमन
था---
#हे आशत
ु ोर्जगिीशहरे जयप्रभप
ु ावमतीनाथ_हरे ।
#गोत्तवन्िहरे गोपालहरे श्रीकृष्णद्वारकानाथहरे ।।
जय महािे व

पीडीऍफ़ बक्
ु स

धममसम्राट जीवन दर्मन

श्री वै दि क ब्रा ह्म ण ग्रु प , गु ज रा त Page 11


ग्रन्थ : श्री करपात्री जी संक्षक्षप्त जीवनी
त्तवर्य : महाराज श्री का जीवन
ग्रंथकार : वेिांती स्वामी

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ग्रन्थ : अलभनव शंकरा


त्तवर्य : महाराज श्री का जीवन
ग्रंथकार : धममसंघ प्रकाशन
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भाग – १ भाग – २ भाग – ३ भाग – ४


भाग – ५ भाग – ६ भाग – ७

वेद आधाररत ग्रन्थ


ग्रन्थ : वेिाथम पाररजात
त्तवर्य : वेिों का यथाथम ममम
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज
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भाग – १ भाग – २ हाडमकोपी

ग्रन्थ : वेि स्वरूप त्तवमशम


त्तवर्य : वेिों का यथाथम स्वरूप
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : वेिों का स्वरूप और प्रामाण्य
त्तवर्य : वेिों स्वरूप की प्रमाणणकता
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

डाउनलोड ललंक : भाग – १ भाग – २

ग्रन्थ : यजुवेि भाष्य


त्तवर्य : यजुवेि भाष्य आठ भागो में
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज
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भाग – १ भाग – २ भाग – ३ भाग – ४


भाग – ५ भाग – ६ भाग – ७ भाग – ८

श्री वै दि क ब्रा ह्म ण ग्रु प , गु ज रा त Page 12


आधनु नक राजनीनत और समाज व्यवस्था के ववश् ेषणात्मक ग्रन्थ
ग्रन्थ : मातसमवाि और रामराज्य
त्तवर्य : अंतरराष्रीय राजनीतत व ् पाश्चात्य त्तवचारको की
समीक्षा
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज
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तलीक करे - हाडमकोपी


ग्रन्थ : त्तवचार त्तपयर्
त्तवर्य : भारतीय वैदिक कल से आधुतनकता का धचन्तन
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज
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तलीक करे - हाडमकोपी

ग्रन्थ : राजष्रय स्वयं सेवक संघ और दहन्ि धमम


त्तवर्य : आरएसएस की कायमशैली की समीक्षा
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : संघर्म और शांतत


त्तवर्य : जीवन मागमिशमन
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : चातव
ु मण्यं संस्कृतत त्तवमशम
त्तवर्य : सामाजजक व्यवस्था
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : संकीतमन मीमांसा एवं वणामश्रम मयामिा
त्तवर्य : सामाजजक व्यवस्था
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : समन्वय साम्राज्य संरक्षण
त्तवर्य : राजनैततक व्यवस्था
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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समीक्षात्मक ग्रन्थ
ग्रन्थ : रामायण मीमांसा
त्तवर्य : रामायण पर लगे आक्षेपों का खंडन
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज
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तलीक करे - हाडमकोपी

ग्रन्थ : काल मीमांसा


त्तवर्य : वैदिक काल तनधामरण
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज
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ललंक १ – ललंक २

श्रीववद्या ग्रन्थ
ग्रन्थ : श्रीत्तवद्या रत्नाकर
त्तवर्य : श्रीत्तवद्या
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : श्रीत्तवद्या वररवस्या


त्तवर्य : श्रीत्तवद्या
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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वेदािंत आधाररत ग्रन्थ


ग्रन्थ : अह्माथम और परमाथम सार
त्तवर्य : वेिांत
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज
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भाग – १ भाग – २ भाग – ३ भाग – ४

श्री वै दि क ब्रा ह्म ण ग्रु प , गु ज रा त Page 14


भक्क्त रस
ग्रन्थ : भागवत सुधा
त्तवर्य : भजतत रस
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : भजतत सुधा


त्तवर्य : भजतत रस
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : राधा सुधा


त्तवर्य : भजतत रस
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : गोपी गीत


त्तवर्य : भजतत रस
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : भ्रमर गीत


त्तवर्य : भजतत रस
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : भजतत रसाणमव


त्तवर्य : भजतत रस
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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अन्य ग्रन्थ
ग्रन्थ : तया सम्भोग से समाधी
त्तवर्य : ओशो मत समीक्षा
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : नाजस्तक और आजस्तक वाि


त्तवर्य : नाजस्तक और आजस्तक वाि
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : त्तविे श यात्रा शास्त्रीय पक्ष


त्तवर्य : त्तविे श यात्रा की शास्त्रोतत समीक्षा
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

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ग्रन्थ : गौ – एक समग्र धचन्तन


त्तवर्य : गौमाता महत्व
ग्रंथकार : धमंसम्राट करपात्री जी महाराज

डाउनलोड ललंक : तलीक करे

ग्रन्थ : करपात्र धचन्तन


त्तवर्य : महाराज श्री के त्तवचारो पर धचंतन
ग्रंथकार : वेिांती महाराज

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ग्रन्थ : करपात्र धचन्तन


त्तवर्य : महाराज श्री के त्तवचारो पर धचंतन
ग्रंथकार : वेिांती महाराज

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श्री वै दि क ब्रा ह्म ण ग्रु प , गु ज रा त Page 16


र्ास्र अध्ययन के ल ए केव दो ववधा है ।

१. वेि पवम(कममकांड आदि) भाग के ललए ब्राह्मण परं परा से अथवा पारं पररक सम्प्रिाय(शंकर परम्परा
आदि से) अथवा आधतु नक संस्था से मत
ु त पाठशाला में जाना चादहए।

२. वेिान्त अध्ययन के ललए केवल ६ मागम ही मान्य है


क. शंकराचायम - अद्वैत
ख. मध्वाचायम - द्वैत
ग. रामानज
ु ाचायम - त्तवलशष्ठद्वैत
घ. वल्लभाचायम - शद्
ु धाद्वैत
च. चैतन्य महाप्रभु - अधचंत्यभेिाभेि
छ. तनम्बाकामचायम - द्वैताद्वैत

बाकी सब संस्थाए है उसमें से अधधकतर संस्थाए वामपंथी है । जजसमे


समाज/पररवार/लमशन/सम्प्रिाय/बबज़नेस बाबा/कधथत आध्याजत्मक गरु
ु /अनाधधकृत मंत्र िीक्षा िे ने
वाले आदि धमम के नाम पर केवल िक
ु ान चला रहे है ।

सत्य को जाने,अपनी परिं परा और ौटे ।


आज ऑनलाइन डाउनलोड हो रहे पस्
ु तको में लमलावटी होने की पणम शंका है । अतः ऑनलाइन बक

भरोशे लायक नहीं है ।

वरिंटेड ऑथेंटटक धालममक पस्


ु तक कहािं लम ते है ?

१. गीता प्रेस,गोरखपरु
२. चौखम्बा, वाराणसी
३. वें कटे श्वर स्टीम प्रेस,मब
ुं ई
४. सत सादहत्य प्रकाशन,वि
ं ृ ावन
५. िक्षक्षणामततम मठ प्रकाशन,वाराणसी
६. स्वजस्त प्रकाशन, गोवधमन मठ,परी
७. शारिा मठ, द्वारका
८. आनंि आश्रम, बबलखा(गज
ु राती)

बाकी संस्थाकीय व सम्प्रिाय/लमशन/समाज/पररवार आदि की पस्


ु तक आप न ही खरीिे तयोंकक उनमें
सब ने अपनी अपनी संस्था व संस्था को फ़ायिा कराने के ललए अपनी संस्था के अनय
ु ायी बढ़ाने के
ललए मनघडंत अथमघटन ककए है ।।

दहन्ि धमम को जानना है तो संस्था के चश्मे उतारो।।

श्री वै दि क ब्रा ह्म ण ग्रु प , गु ज रा त Page 17


श्री वैदिक ब्राह्मण टे लीग्राम प्रकल्प

धममसम्राट श्री करपात्री जी महाराज


चैनल ललंक : https://t.me/kapatriji
शंकराचायम श्री तनश्चलानंि सरस्वती जी
चैनल : https://t.me/purimath
शंकराचायम श्री स्वरूपानंि सरस्वती जी
चैनल : https://t.me/dwarkapith
पज्य डोंगरे जी महाराज(ગુજરાતી)
चैनल : https://t.me/dongrejimaharaj

कृपया चैनल को अपने ग्रप


ु सकमल बंधओ
ु ं में शेयर एवं सब्सक्राइब करे ।।

हर हर शंकर जय जय शंकर 👉
हर हर महािे व। 👉
- क्षेत्रज्ञ
(श्री वैदिक ब्राह्मण ग्रप
ु ,गज
ु रात)

श्री वै दि क ब्रा ह्म ण ग्रु प , गु ज रा त Page 18

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