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सामाजिक विज्ञान

(इतिहास)
अध्याय-3: नाज़ीवाद और हिटलर का उदय

Foundation Classes- IV to X || JEE( Main+Adv.) || NEET || XI & XII || Sainik School || R.K. Mission || RMS || JNV || BHU
03 नाज़ीिाद और हहटलर का उदय

वाइमर गणराज्य की स्थापना

• जर्मनी ने ऑस्ट्रियाई साम्राज्य के साथ और मर्त्र राष्ट्िों (इंग्लैंड, फ्ांस और रूस) के खिलाफ
प्रथर् विश्व युद्ध (1914-1918) लडा।
• जर्मनी ने शुरू र्ें फ्ांस और बेल्जियर् पर कब्जा करके लाभ कर्ाया। हाला ाँकक, मर्त्र राष्ट्िों
ने 1918 र्ें जर्मनी और केंद्रीय शल्जियों को हराकर जीत हाससल की।
• िीर्र र्ें एक नेशनल असेंबली की बैठक हुई और एक संघीय ढांचे के साथ एक लोकतांत्रत्रक
संविधान की स्थापना की।
• जून 1919 र्ें िसामय की संमध पर हस्ताक्षर हुए जजसर्ें जर्मनी के ऊपर मर्त्र शल्जियों ने कई
अपर्ानजनक शतें थोपी जैसे :-
1. युद्ध अपराध बोध अनुच्छेद के तहत छह अरब पौंड का जुमर्ाना लगाना।
2. युद्ध र्ें हुए क्षतत के जलए ससफम जर्मनी को जजम्मेदार र्ानना।
3. जर्मनी को सैन्यविहीन करना।
4. सारे उपतनिेश 10% आबादी 13% भू – भाग, 75% लौह भंडार और 26% कोयला भंडार
का मर्त्र राष्ट्िों र्ें आपस र्ें बा ाँट लेना आकद।
• िसामय की संमध द्वारा जर्मनी र्ें िाइर्र गणराज्य की स्थापना हुई।

वाइमर गणराज्य के सामने आई समस्याएँ

वाइमर संधि :-

• िसामय र्ें हुई शांतत – संमध की िजह से जर्मनी को अपने सारे उपतनिेश, तकरीबन 10
प्रततशत आबादी, 13 प्रततशत भूभाग, 75 प्रततशत लौह भंडार और 26 प्रततशत कोयला भंडार
फ्ांस, पोलैंड, डेनर्ाकम और जलथुआतनया के हिाले करने पडे।
• मर्त्र राष्ट्ों ने उसकी सेना भी भंग कर दी। यद्ध अपराधबोध अनुच्छेद के तहत युद्ध के कारण
हुई सारी तबाही के जलए जर्मनी को ज़िम्मेदार ठहराकर उस पर छः अरब पौंड का जुर्ामना
लगाया गया। ितनज संसाधनों िाले राईनलैंड पर भी बीस के दशक र्ें ज़्यादातर मर्त्र राष्ट्िों
का ही क़ब्जा रहा।

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वसााय की संधि :- प्रथर् विश्वयुद्ध के बाद पराजजत जर्मनी ने 28 जून 1919 के कदन िसामय की
सस्ट्ि पर हस्ताक्षर ककये। इसकी िजह से जर्मनी को अपनी भूमर् के एक बडे हहस्से से हाथ
धोना पडा, दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबन्दी लगा दी गयी, उनकी सेना का आकार
सीमर्त कर कदया गया और भारी क्षततपूर्तत थोप दी गयी।
िसामय की सस्ट्ि को जर्मनी पर जबरदस्ती थोपा गया था। इस कारण एडोल्फ हहटलर और अन्य
जर्मन लोग इसे अपर्ानजनक र्ानते थे और इस तरह से यह सस्ट्ि द्वद्वतीय विश्वयुद्ध के कारणों
र्ें से एक थी।

आर्थिक संकट :-

• युद्ध र्ें डू बे हुए ऋणों के कारण जर्मन राज्य आर्थथक रूप से अपंग हो गया था जजसका
भुगतान सोने र्ें ककया जाना था। इसके बाद, सोने के भंडार र्ें कर्ी आई और जर्मन तनशान
का र्ूल्य मगर गया। आिश्यक िस्तुओ ं की कीर्तें आसर्ान छूने लगीं।

राजनीतिक संकट :-

• राष्ट्िीय सभा द्वारा िाडर्र गणराज्य का विकास तथा सुरक्षा के रास्ते पर लाने के जलए एक
नये जनतांत्रत्रक संविधान का तनर्ामण ककया गया, ककन्तु यह अपने उद्देश्य र्ें असफल रहा।
संविधान र्ें बहुत सारी कर्जोररया ाँ थीं। आनुपाततक प्रतततनमधत्व संबंधी तनयर्ों तथा
अनुच्छेद 48 के कारण एक राजनीततक संकट पैदा हुआ जजसने तानाशाही शासन का रास्ता
िोल कदया।

युद्ध के प्रभाव

• युद्ध से र्नोिैज्ञातनक और आर्थथक रूप से पूरे र्हाद्वीप पर विनाशकारी प्रभाि पडा।


• यूरोप कल तक कजम देने िालों का र्हाद्वीप कहलाता था जो युद्ध ित्म होते – होते कजमदारो
का र्हाद्वीप बन गया
• पहले र्हायुद्ध ने यूरोपीय सर्ाज और राजनीततक व्यिस्था पर अपनी गहरी छाप छोड दी
थी।
• ससपाहहयों को आर् नागररकों के र्ुकाबले ज्यादा सम्मान कदए जाने लगा।

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• राजनेता और प्रचारक इस बात पर जोर देने लगे कक पुरुषों को आक्रार्क, ताकतिर और


र्दामना गुणों िाला होना चाहहए।

राजनीतिक रैडिकलवाद और आर्थिक संकट

• राजनीततक रैकडकलिादी विचारों को 1923 के आर्थथक संकट से और बल मर्ला जर्मनी ने


पहला विश्वयुद्ध र्ोटे तौर पर कजम लेकर लडा था।
• युद्ध के बाद तो उसे स्वणम र्ुद्रा र्ें हजामना भी भरना पडा। इस दोहरे बोझ से जर्मनी के स्वणम
भंडार लगभग ित्म होने की स्थस्थतत र्ें पहुं च गए थे।
• आखिरकार 1923 र्ें जर्मनी ने कजम और हजामना चुकाने से इंकार कर कदया। इसका जिाब
र्ें फ्ांसीससयों ने जर्मनी के र्ुख्य औद्योमगक इलाके रूर पर कब्जा कर जलया।
• यह जर्मनी के विशाल कोयला भंडारों िाला इलाका था। जर्मन सरकार ने इतने बडे पैर्ाने
पर र्ुद्रा छाप दी की उसकी र्ुद्रा र्ाकम का र्ूल्य तेजी से मगरने लगा।
• अप्रैल र्ें एक अर्ेररकी डॉलर की कीर्त 24,000 र्ाकम के बराबर थी। जो जुलाई र्ें
3,53,000 र्ाकम और अगस्त र्ें 46,21,000 र्ाकम तथा कदसंबर र्ें 9,88,60,000 र्ाकम हो
गई।

अति – मुद्रास्फीति :-

जैसे – जैसे र्ाकम की कीर्त मगरती गई, जरूरी चीजों की कीर्त आसर्ान छूने लगी जर्मन
सर्ाज दुतनया भर र्ें हर्ददीी का पात्र बनकर रह गया इस संकट को बाद र्ें अतत – र्ुद्रास्फीतत
का नार् कदया गया। जब कीर्तें बेहहसाब बढ़ जाती है तो उस स्थस्थतत को अतत र्ुद्रास्फीतत का
नार् कदया जाता है ।

मंदी के साल

• 1924 से 1928 तक जर्मनी र्ें कुछ स्थस्थरता रही लेककन यह स्थस्थरता र्ानि रेत के ढे र पर
िडी थी।
• जर्मन तनिेश और औद्योमगक गततविमधयों र्ें सुधार र्ुख्यत : अर्ेररका से जलए गए
अल्पकाजलक कजो पर आजित था।
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• जब 1929 र्ें शेयर बाजार धराशाई हो गया तो जर्मनी को मर्ल रही यह र्दद भी रातों –
रात बंद हो गई।
• कीर्तों र्ें मगरािट की आशंका को देिते हुए लोग धडाधड अपने शेयर बेचने लगे 24
अक्टू बर को केिल 1 कदन र्ें 1.3 करोड शेयर बेच कदए गए।
• यह आर्थथक र्हार्ंदी की शुरुआत थी फैक्ट्क्टियां बंद हो गई थी, तनयामत मगरता जा रहा था,
ककसानों की हालत िराब थी, सट्टेबाज बाजार से पैसा िींचते जा रहे थे।
• अर्ेररकी अथमव्यिस्था र्ें आई इस र्ंदी का असर दुतनयाभर र्ें र्हसूस ककया गया और सबसे
बुरा प्रभाि जर्मन अथमव्यिस्था पर पडा।
• र्जदूर या तो बेरोजगार होते जा रहे थे या उनके िेतन काफी मगर चुके थे बेरोजगारों की
संख्या 60 लाि तक जा पहुं ची।

नात्सीवाद

यह एक सम्पूणम व्यिस्था और विचारों की पूरी संरचना का नार् है । जर्मन साम्राज्य र्ें यह एक


विचारधारा की तरह फैल गई थी जो िास तरह की र्ूल्य – र्ान्यताओ ं, एक िास तरह के व्यिहार
सम्बंमधत था।
ना़िीिाद, जर्मन तानाशाह एडोल्फफ हहटलर की विचार धारा थी। यह विचारधारा सरकार और आर्
जन के बीच एक नये से ररश्ते के पक्ष र्े थी। इस के अनुसार सरकार की हर योजना र्े पहल हो
परंतु कफर िह योजना जनता-सर्ाज की भामगदारी से चले। कट्टर जर्मन राष्ट्ििाद, देशप्रेर्, विदेशी
विरोधी, आयम और जर्मन हहत इस विचार धारा के र्ूल अंग है ।

नाजीयों का तवश्व दृतिकोण

• राष्ट्िीय सर्ाजिाद का उदय।


• सक्षर् नेतत्व
ृ ।
• नस्ली कल्पनालोक (यूजोद्वपया)
• जीिन पररमध (लेबन्स
े त्राउर्) अपने लोगों को बसाने के जलए ज्यादा से ज्यादा इलाकों पर
कब्जा करना।

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• नस्लीय िेष्ठता शुद्ध और नार्डडक आयो का सर्ाज।

जमानी में हिटलर के उदय के कारण

• िसामय की संमध शते।


• िाइर्र ररपक्ट्िक की कर्जोररयों।
• आर्ूल पररितमन िाकदयों और सर्ाजिाकदयों र्ें आपसी फूट।
• नात्सी प्रोपेगैंडा।
• सिमघटाकारण का भय।
• बेरोजगारी।
• आर्थथक र्हार्ंदी।

हिटलर का उदय

हहटलर का जन्म 1889 र्ें हुआ था और उसकी युिािस्था गरीबी र्ें बीती थी। प्रथर् विश्व युद्ध र्ें
उसने सेना की नौकरी पकड ली और तरक्की करता गया। युद्ध र्ें जर्मनी की हार से िह दुिी था
लेककन िसामय संमध द्वारा जर्मनी पर लगाई शतों के कारण उसका गुस्सा और बढ़ गया था।

• हहटलर ने 1919 र्ें िकमसम पाटीी की सदस्यता ली और धीरे – धीरे उसने इस संगठन पर
अपना तनयंत्रण स्थाद्वपत कर जलया।
• कफर उसे सोशजलर पाटीी का नार् दे कदया।
• यही पाटीी बाद र्ें नात्सी पाटीी के नार् से जाना गया।
• र्हार्ंदी के दौरान जब जर्मन अथमव्यिस्था जजमर हो चुकी थी कार् धंधे बंद हो रहे थे।
• र्जदुर बेरोजगार हो रहे थे।
• जनता लाचारी और भुिर्री र्ें जी रही थी तो नास्थत्सयों ने प्रोपेगैंडा के द्वारा एक बेहतर
भविष्य की उम्मीद कदिाकर अपना नात्सी आन्दोलन चर्का जलया।
• और इसी के बाद चुनािों र्ें 32 फीसदी िोट से हहटलर जर्मन का चांसलर बना।

हिटलर के उदय के कारण

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• आर्थिक संकट: 1929 की र्हार्ंदी ने जर्मनी की अथमव्यिस्था को नुकसान पहुाँ चाया।


बेरो़िगारी र्ूल्य िृजद्ध, व्यापार ि िाजणज्य का पतन हुआ।
• हिटलर का व्यक्तित्व: हहटलर का प्रभािशाली व्यल्जित्व, उसका बद्वढ़या ििा होना तथा
बद्वढ़या संगठन कताम होना, हहटलर के उदय र्ें सहायक बना।
• राजनैतिक उिल पुिल: जर्मनी के लोगों का लोकतंत्र से विश्वास उठ गया था।

हिटलर की राजनैतिक शैली

• िह लोगों को गोल बंद करने के जलए आडंबर और प्रदशमन करने र्ें विश्वास रिता था।
• िह लोगों का भारी सर्थमन दशामने और लोगों र्ें परस्पर एकता की भािना पैदा करने के जलए
बडे बडे रैजलया ाँ और सभाएाँ करता था।
• स्वस्थस्तक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्यूट का प्रयोग ककया करता था और भाषण िास अंदाज
र्ें कदया करता था।
• भाषणों के बाद ताजलया ाँ भी िास अंदाज ने नात्सी लोग बजाया करते थे।
• चू ाँकक उस सर्य जर्मनी भीषण आर्थथक और राजनीततक संकट से गुजर रहा था इसजलए िह
िुद को र्सीहा और रक्षक के रूप र्ें पेश कर रहा था जैसे जनता को इस तबाही उबारने के
जलए ही अितार जलया हो।

जमानी में नात्सीवाद को लोकप्रप्रयिा

• 1929 के बाद बैंक कदिाजलया हो चुके, कार् धंधे बंद होते जा रहे थे, र्जदुर बेरोजगार हो
रहे थे और र्ध्यिगम को लाचारी और भुिर्री का डर सता रहा था।
• नात्सी प्रोपेगैंडा र्ें लोगों को एक बेहतर भविष्य की उम्मीद कदिाई देती थी। धीरे – धीरे
नात्सीिाद एक जन आन्दोलन का रूप लेता गया और जर्मनी र्ें नात्सीिाद को लोकद्वप्रयता
मर्लने लगी।
• हहटलर एक जबरदस्त ििा था। उसका जोश और उसके शब्द लोगों को हहलाकर रि देते
थे। िह अपने भाषणों र्ें एक शल्जिशाली राष्ट्ि की स्थापना, िसामय संमध र्ें हुई नाइंसाफी
जर्मन सर्ाज को िोई हुई प्रततष्ठा िापस कदलाने का आश्वासन देता था।

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• उसका िादा था कक िह बेरोजगारों को रोजगार और नौजिानों को एक सुरजक्षत भविष्य देगा।


उसने आश्वासन कदया कक िह देश को विदेशी प्रभाि से र्ुि कराएगा और तर्ार् विदेशी ‘
साजशशों ‘ का र्ुाँहतोड जिाब देगा।

नात्सत्सयों ने जनिा पर पूरा ननयंत्रण करने के िरीके

• हहटलर ने राजनीतत की एक नई शैली रची थी। िह लोगों को गोलबंद करने के जलए आडंबर
और प्रदशमन की अहमर्यत सर्झता था।
• हहटलर के प्रतत भारी सर्थमन दशामने और लोगों र्ें परस्पर एकता का भाि पैदा करने के जलए
नास्थत्सयों ने बडी – बडी रैजलया ाँ और जनसभाएाँ आयोजजत कीं।
• स्वस्थस्तक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्यूट और भाषणों के बाद िास अंदाज र्ें ताजलयों की
गडगडाहट।ये सारी चीजे शल्जि प्रदशमन का हहस्सा थीं।
• नास्थत्सयों ने अपने धूआाँधार प्रचार के जररये हहटलर को एक र्सीहा, एक रक्षक, एक ऐसे
व्यल्जि के रूप र्ें पेश ककया, जजसने र्ानो जनता को तबाही से उबारने के जलए ही अितार
जलया था।
• एक ऐसे सर्ाज को यह छवि बेहद आकषमक कदिाई देती थी जजसकी प्रततष्ठा और गिम का
अहसास चकनाचूर हो चुका था और जो एक भीषण आर्थथक एिं राजनीततक संकट से गुजर
रहा था।

लोकिंत्र का ध्वंस

• 30 जनिरी 1933 को राष्ट्िपतत हहिं डनबगम ने हहटलर को चांसलर का पदभार संभालने का


न्योता कदया यह र्ंत्रत्रर्ंडल र्ें सबसे शल्जिशाली पद था सत्ता हाससल करने के बाद हहटलर
ने लोकतांत्रत्रक शासन की संरचना और संस्थाओ ं को भंग करना शुरू कर कदया।
• फरिरी र्हीने र्ें जर्मन संसद भिन र्ें हुए रहस्यर्य अस्ट्िकांड से उसका रास्ता और आसान
हो गया। इसके बाद हहटलर ने अपने कट्टर शत्रु कम्युतनरो पर तनशाना साधा ज्यादातर
कम्युतनरों को रातो रात कंरि क्शन कैंपों र्ें बंद कर कदया गया।

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• र्ाचम 1933 को प्रससद्ध विशेषामधकार अमधतनयर् (इनेबजलिंग एक्ट) पाररत ककया गया। इस
कानून के जररए जर्मनी र्ें बाकायदा तानाशाह स्थाद्वपत कर दी गई। नात्सी पाटीी और उससे
जुडे संगठनों के अलािा सभी राजनीततक पार्टटयों और टि ेड यूतनयनों पर पाबंदी लगा दी गई।
• ककसी को भी तबना कानूनी कारमिाई के देश से तनकाला जा सकता था या मगरफ्तार ककया जा
सकता था।

प्रििीय तवश्व युद्ध का अंि

द्वद्वतीय विश्व युद्ध िषम 1939-45 के बीच होने िाला एक सशस्त्र विश्वव्यापी संघषम था।

इस युद्ध र्ें दो प्रर्ुि प्रततद्वंद्वी गुट धुरी शल्जिया ाँ (जर्मनी, इटली और जापान) तथा मर्त्र राष्ट्ि (फ्ा ाँस,
ग्रेट तिटेन, संयुि राज्य अर्ेररका, सोवियत संघ और कुछ हद तक चीन) शामर्ल थे।

यह इततहास का सबसे बडा संघषम था जो लगभग छह साल तक चला था।

इसर्ें लगभग 100 मर्जलयन लोग शामर्ल हुए थे और 50 मर्जलयन लोग (दुतनया की आबादी का
लगभग 3%) र्ारे गए थे।

जब द्वद्वतीय विश्व युद्ध र्ें अर्ेररका कूद पडा। तो धूरी राष्ट्िों को घुटने टेकने पडे, इसके साथ ही
हहटलर की पराजय हुआ और जापान के हहरोजशर्ा और नागासाकी शहर पर अर्ेररका के बर् मगराने
के साथ द्वद्वतीय विश्व युद्ध का अंत हो गया।

नात्सी जमानी में युवाओ ं की स्थस्थति

• जर्मन और यहूकदयों के बच्चे एक साथ बैठ नहीं सकते थे।


• जजप्सयों, शारीररक रूप से अक्षर् तथा यहूकदयों को स्कूल से तनकाल कदया गया।
• स्कूली पाठ्य पुस्तक को कफर से जलिा गया जहा ाँ ‘ नस्लीय भेदभाि को बढ़ािा कदया गया।
• 10 साल की उम्र के बच्चों को ‘ युगफोंक ‘ र्ें दाखिल करा कदया जाता था जो एक युिा
संगठन था।
• 14 साल की उम्र र्ें सभी लडकों को ‘ हहटलर यूथ ‘ की सदस्यता अतनिायम कर दी गई।

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महिलाओ ं की स्थस्थति

• लडककयों को अच्छी र्ा ाँ और शुद्ध रि िाले बच्चों को जन्म देना उनका प्रथर् कतमव्य बताया
जाता था।
• नस्ल की शुद्धता बनाए रिना, यहूकदयों से दूर रहना और बच्चों का नात्सी, र्ूल्य र्ान्यताओ ं
की जशक्षा देने का दातयत्व उन्हें सौंपा गया।
• 1933 र्ें हहटलर ने कहा – र्ेरे राज्य की सबसे र्हत्वपूणम नागररक र्ा ाँ है ।
• नस्ली तौर पर िांजछत बच्चों को जन्म देने िाली र्ाताओ ं को अस्पताल र्ें विशेष सुविधाएाँ ,
दुकानों र्ें ज्यादा छूट मथयेटर और रेलगाडी के सस्ते हटकट और ज्यादा बच्चे पैदा करने िाली
र्ाताओ ं को कांसे, चा ाँदी और सोने के लगाये कदए जाते थे।
• लेककन अिांजछत बच्चों को जन्म देने िाली र्ाताओ ं को दंकडत ककया जाता था। आचार संहहता
का उल्लंघन करने पर उन्हें गंजा कर र्ुाँह पर काजलि पोत पूरे सर्ाज र्ें घुर्ाया जाता था।
न केिल जेल बस्ट्ि उनसे तर्ार् नागररक सम्मान और उनके पतत ि पररिार भी छीन जलए
जाते थे।

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NCERT SOLUTIONS

प्रश्न (पृष्ठ संख्या 74)

प्रश्न 1 िाइर्र गणराज्य के सार्ने क्या सर्स्याएाँ थीं?

उत्तर - प्रथर् विश्व युद्ध के अंत र्ें साम्राज्यिादी जर्मनी की हार के बाद सम्राट केजर विजलयर्
द्वद्वतीय अपनी जान बचाने के जलए हॉलैण्ड भाग गया। इस अिसर का लाभ उठाते हुए संसदीय दल
िाइर्र र्ें मर्ले और निम्बर, 1918 ई. र्ें िाइर्र गणराज्य नार् से प्रससद्ध एक गणराज्य की
स्थापना की। इस गणराज्य को जर्मनों द्वारा अच्छी तरह से स्वीकार नहीं ककया गया क्योंकक प्रथर्
विश्व युद्ध र्ें जर्मनों की हार के बाद मर्त्र सेनाओ ं ने इसे जर्मनों पर थोपा था। िाइर्र गणराज्य की
प्रर्ुि सर्स्याएाँ इस प्रकार थीं प्रथर् विश्वयुद्ध के उपरान्त जर्मनी पर थोपी गई िसामय की कठोर
एिं अपर्ानजनक संमध को िाइर्र गणराज्य ने स्वीकार ककया था इसजलए बहुत सारे जर्मन न
केिल प्रथर् विश्वयुद्ध र्ें हार के जलए अद्वपतु िसामय र्ें हुए अपर्ान के जलए भी िाइर्र गणराज्य
को ही जजम्मेदार र्ानते थे। िसामय की संमध द्वारा जर्मनी पर लगाए गए 6 अरब पौंड के जुर्ामने को
चुकाने र्ें िाइर्र गणराज्य असर्थम था। जर्मनी के सािमजतनक जीिन र्ें आक्रार्क फौजी प्रचार
और राष्ट्िीय सम्मान ि प्रततष्ठा की चाह के सार्ने िाइर्रे गणराज्य का लोकतांत्रत्रक विचार गौण हो
गया था। इसजलए िाइर्र गणराज्य के सर्क्ष अस्थस्तत्व को बचाए रिने का संकट उपस्थस्थत हो गया
था। रूसी क्रास्ट्न्त की सफलता से प्रोत्साहहत होकर जर्मनी के कुछ भागों र्ें साम्यिादी प्रभाि तेजी
से बढ़ रहा था। िाइर्र गणराज्य द्वारा 1923 ई. र्ें हजामना चुकाने से इनकार करने पर फ्ांस ने
जर्मनी के प्रर्ुि औद्योमगक क्षेत्र ‘रूर’ पर कब्जा कर जलया जजसके कारण िाइर्र गणराज्य की
प्रततष्ठा को बहुत ठे स पहुाँ ची। 1929 ई. की विश्वव्यापी आर्थथक र्ंदी के कारण जर्मनी र्ें र्हाँ गाई
बहुत अमधक बढ़ गई। िाइर्र सरकार र्ूल्य िृजद्ध पर तनयंत्रण करने र्ें असफल रही। कारोबार
ठप्प हो जाने से सर्ाज र्ें बेरोजगारी की सर्स्या अपने चरर् पर पहुाँ च गई थी।

प्रश्न 2 इस बारे र्ें चचाम कीजजए कक 1930 तक आते-आते जर्मनी र्ें नात्सीिाद को लोकद्वप्रयता क्यों
मर्लने लगी?

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उत्तर - 1930 तक आते-आते जर्मनी र्ें नात्सीिाद को लोकद्वप्रयता तनम्नजलखित कारणों से मर्लने
लगी-

1. 1929 के बाद बैंक कदिाजलया हो चुके थे। कार् धंधे बंद होते जा रहे थे। र्जदूर बेरोजगार
हो रहे थे और र्ध्यिगम को लाचारी और भूिर्री का डर सता रहा था। नात्सी प्रोपोगैंडा ने
लोगों को एक बेहतर भविष्य की उम्मीद कदिाई देती थी। 1929 र्ें नात्सी पाटीी को जर्मन
संसद-राइटख़राग के जलए हुए चुनािो र्ें र्ह़ि 2.6 फीसदी िोट मर्ले 1932 तक आते-
आते यह देश की सबसे बडी पाटीी बन चुकी थी और उसे 37 फीसदी िोट मर्ले।
2. हहटलर जबरदस्त ििा था। उसका जोश और उसके शब्द लोगों को हहलाकर रि देते थे।
िह अपने भाषाणों र्ें एक शल्जिशाली राष्ट्ि की स्थापना िसामय संमध र्ें हुई नाइंसाफी के
प्रततरोध और जर्मन सर्ाज को िोई हुई प्रततष्ठा िापस कदलाने का आश्वासन देता था। उसका
िादा था कक िह बेरोजगारों को रोजगार और नौजिानों को एक सुरजक्षत भविष्य देगा। उसने
आश्वासन कदया कक िह देश की विदेशी प्रभाि से र्ुि कराएगा तर्ार् विदेशी 'साज़िशों'
का र्ुंहतोड जिाब देगा।
3. हहटलर ने राजनीतत की एक नई शैली रची थी। िह लोगों को गोलबंद करने के जलए आडंबर
और प्रदशमन की अहमर्यत सर्झता था। हहटलर के प्रतत भारी सर्थमन दशामने और लोगों र्ें
परस्पर एकता का भाि पैदा करने के जलए नास्थत्सयों र्ें बडी-बडी रैजलयों और जनसभाएाँ
आयोजजत की। स्वास्थस्तक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्युट और भाषणों के बाद िास अंदाज र्ें
ताजलयों की गडगडाहट की सारी चीजें शल्जि प्रदशमन का हहस्सा थी।
4. नास्थत्सयों ने अपने धुआध
ं ार प्रचार केसरी हहटलर को एक र्सीहा, एक रक्षक, एक ऐसे व्यल्जि
के रूप र्ें पेश ककया। जजसने र्ानो जनता को तबाही से उभारने के जलए ही अितार जलया
था। एक ऐसी सर्ाज को यह छवि बेहद आकषमक कदिाई देती थी जजसकी प्रततष्ठा और गिम
का अहसास चकनाचूर हो चुका था और जो एक भीषण आर्थथक और राजनीततक संकट से
गु़िर रहा था।

प्रश्न 3 नात्सी सोच के िास पहलू कौन-से थे?

उत्तर - नात्सी सोच के िास पहलू इस प्रकार थे-

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03 नाज़ीिाद और हहटलर का उदय

1. नाजजयों की दृत्रष्ट् र्ें देश सिोपरर है । सभी शल्जिया ाँ देश र्ें तनहहत होनी चाहहएं। लोग देश
के जलए हैं न कक देश लोगों के जलए।
2. नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओ ं को सर्ाप्त करने के पक्ष र्ें थी और एक र्हान
नेता के शासन र्ें विश्वास रिती थी।
3. यह सभी प्रकार के दल तनर्ामण ि विपक्ष के दर्न और उदारिाद, सर्ाजिाद एिं कम्युतनर
विचारधाराओ ं के उन्मूलन की पक्षधर थी।
4. इसने यहूकदयों के प्रतत घृणा का प्रचार ककया क्योंकक इनका र्ानना था कक जर्मनों की आर्थथक
विपदा के जलए यही लोग जजम्मेदार थे।
5. नाजी दल जर्मनी को अन्य सभी देशों से िेष्ठ र्ानता था और पूरे विश्व पर जर्मनी का प्रभाि
जर्ाना चाहता था।
6. इसने युद्ध की सराहना की तथा बल प्रयोग का यशोगान ककया।
7. इसने जर्मनी के साम्राज्य विस्तार और उन सभी उपतनिेशों को जीतने पर ध्यान केस्ट्ित ककया
जो उससे छीन जलए गए थे।
8. ये लोग शुद्ध जर्मनों एिं स्वस्थ नोर्डडक आयों के नस्लिादी राष्ट्ि का सपना देिते थे और उन
सभी का िात्मा चाहते थे जजन्हें िे अिांजछत र्ानते थे।

प्रश्न 4 नाससयों का प्रोपेगैंडा यहूकदयों के खिलाफ नफरत पैदा करने र्ें इतना असरदार कैसे रहा?
उत्तर – हहटलर ने 1933 ई. र्ें तानाशाह बनने के बाद सभी शल्जियों पर तनयंत्रण स्थाद्वपत कर
जलया। हहटलर ने जर्मनी र्ें एक शल्जिशाली केिीय सरकार का गठन ककया। उसने लोकतांत्रत्रक
व्यिस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर कदया। एक दल, एक नेता और पूरी तरह अनुशासन उसके शासन
का आधार था। हहटलर ने यहूकदयों के विरुद्ध विद्वेषपूणम प्रचार शुरू ककया जो यहूकदयों के प्रतत जर्मनों
र्ें नफरत फैलाने र्ें सहायक ससद्ध हुआ। यहूकदयों के खिलाफ नाजजयों के प्रोपेगैंडा के सफल होने
के प्रर्ुि कारण इस प्रकार थे-

1. हहटलर ने जर्मन लोगों के कदलो-कदर्ाग र्ें पहले ही अपना र्हत्त्वपूणम स्थान बना जलया था।
जर्मन लोग हहटलर द्वारा कही गयी बातों पर आाँि र्ूंदकर विश्वास करते थे। हहटलर के
चर्त्कारी व्यल्जित्व के कारण यहूकदयों के विरुद्ध नाजी दुष्प्रचार सफल ससद्ध हुआ।

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2. नाजजयों ने भाषा और र्ीकडया का बहुत सािधानी से प्रयोग ककया। नाजजयों ने एक नस्लिादी


विचारधारा को जन्म कदया कक यहूदी तनचले स्तर की नस्ल से संबंमधत थे और इस प्रकार िे
अिांजछत थे।
3. नाजजयों ने प्रारम्भ से उनके स्कूल के कदनों र्ें ही बच्चों के कदर्ागों र्ें भी यहूकदयों के प्रतत
नफरत भर दी। जो अध्यापक यहूदी थे उन्हें बिामस्त कर कदया गया और यहूदी बच्चों को
स्कूलों से तनकाल कदया गया। इस प्रकार के तरीकों एिं नई विचारधारा के प्रजशक्षण ने नई
पीढ़़ी के बच्चों र्ें यहूकदयों के प्रतत नफरत फैलाने और नाजी प्रोपेगैन्डा को सफल बनाने र्ें
पूणमतः सफलता प्राप्त की।
4. यहूकदयों के प्रतत नफरत फैलाने के जलए प्रोपेगैन्डा कफल्मों का तनर्ामण ककया गया। रूद्वढ़िादी
यहूकदयों की पहचान की गई एिं उन्हें मचखन्हत ककया गया। उन्हें उडती हुई दाढ़़ी और कफ्तान
पहने कदिाया जाता था।
5. उन्हें केंचुआ, चूहा और कीडा कह कर संबोमधत ककया जाता था। उनकी चाल की तुलना
कुतरने िाले छछं दरी जीिों से की जाती थी।

ईसा की हत्या के अमभयुि होने के कारण ईसाइयों की यहूकदयों के प्रतत पारम्पररक घृणा का
नाजजयों ने पूरा लाभ उठाया जजससे जर्मन यहूकदयों के प्रतत पूिामग्रह से ग्रस्त हो गए।

प्रश्न 5 नात्सी सर्ाज र्ें औरतों की क्या भूमर्का थी? फ्ांसीसी क्रांतत के बारे र्ें जानने के जलए
अध्याय 1 देि।
ें फ्ांसीसी क्रांतत और नात्सी शासन र्ें औरतों की भूमर्का के बीच क्या फकम था?
एक पैराग्राफ र्ें बताएाँ।

उत्तर - नाजी सर्ाज र्ें र्हहलाओ ं की भूमर्का एक बडे पैर्ाने पर द्वपतृसत्तात्मक या पुरुष प्रधान
सर्ाज के

तनयर्ों का पालन करने की थी। हहटलर ने र्हहलाओ ं को उसके जर्मनी की सबसे र्हत्त्वपूणम
नागररक कहा था ककन्तु यह केिल उन आयम र्हहलाओ ं तक ही सच था जो शुद्ध एिं िांजछत आयम
बच्चे पैदा करती थी। उन्हें अच्छी पत्नी बनने और पारंपररक रूप से घर को संभालने ि अच्छी पत्नी
बनने के अततररि एकर्ात्र र्ातृत्व लक्ष्य की प्रास्ट्प्त की ही जशक्षा दी जाती थी। नाजी जर्मनी र्ें
र्हहलाएं पुरुषों से र्ूलतः मभन्न थी। उन्हें अपने घर की देि-रेि करनी पडती और अपने बच्चों को

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नाजी र्ूल्य पढाने होते थे। जो र्ाताएं नस्ली तौर पर िांजछत कदिने िाले बच्चों को जन्म देती उन्हें
इनार् कदए जाते और कई प्रकार की सुविधाएं पाती। दूसरी और िे औरतें जो यहूदी, पोजलश और
रूसी पुरुषों से शादी करके नस्ली तौर पर अिांजछत कदिने िाले बच्चों को जन्म देती, उन्हें बुरी तरह
दंकडत ककया जाता और ऐसा र्ाना जाता जैसे कक उन्होंने कोई दंडनीय अपराध ककया हो। इस प्रकार
नाजी सर्ाज र्ें र्हहलाओ ं के साथ बराबरी का व्यिहार नहीं ककया जाता था।

यह फ्ांसीसी क्रांतत र्ें र्हहलाओ ं की भूमर्का के र्ुकाबले सिमथा उलट था जहा ाँ र्हहलाओ ं ने
आंदोलनों का नेतृत्व ककया और जशक्षा एिं सर्ान र्जदूरी के अमधकार के जलए लडाई की। उन्हें
राजनैततक क्लब बनाने की अनुर्तत थी और फ्ांसीसी क्रांतत के बाद उनका स्कूल जाना अतनिायम
कर कदया गया था।

प्रश्न 6 नास्थत्सयों ने जनता पर पूरा तनयंत्रण स्थाद्वपत करने के जलए कौन-कौन से तरीके अपनाए?

उत्तर - हहटलर ने 1933 ई. र्ें जर्मनी का तानाशाह बनने के बाद शासन की सर्स्त शल्जियों पर
अमधकार कर जलया। उसने एक शल्जिशाली केिीय सरकार का गठन ककया। उसने लोकतांत्रत्रक
विचारों को हाससए पर डाल कदया। उसने अमभव्यल्जि की स्वतंत्रता पर पूणमत: प्रततबि लगा कदया।

नात्सत्सयों ने जनिा पर ननयंत्रण स्थाप्रपि करने के ललए ननम्न िरीके अपनाए-

1. जनसंचार माध्यमों का उपयोग- शासन के जलए सर्थमन हाससल करने और नात्सी विश्व
दृत्रष्ट्कोण को फैलाने के जलए र्ीकडया का बहुत सोच-सर्झ कर इस्तेर्ाल ककया गया। नात्सी
विचारों को फैलाने के जलए तस्वीरों, कफल्मों, रेकडयो, पोररों, आकषमक नारों और इश्तहारी
पयों का िूब सहारा जलया जाता था। नात्सीिाद ने लोगों के कदलोकदर्ाग पर गहरा असर
डाला, उनकी भािनाओ ं को भडका कर उनके गुस्से और नफरत को ‘अिांजछतों पर केस्ट्ित
कर कदया। इसी अमभयान से नासीिाद को सार्ाजजक आधार पैदा हुआ।
2. युंगफोक- युंगफोक 14 िषम से कर् आयु के बच्चों का नात्सी युिा संगठन था। 10 साल
की उम्र के बच्चों का युग
ं फोक र्ें दाखिला करा कदया जाता था। 14 साल की उम्र र्ें सभी
लडकों को नास्थत्सयों के युिा संगठन हहटलर यूथ की सदस्यता लेनी पडती थी। इस संगठन
र्ें िे युद्ध की उपासना, आक्रार्कता ि हहिंसा, लोकतंत्र की तनिंदा और यहूकदयों, कम्युतनरों,
जजस्ट्प्सयों ि अन्य ‘अिांजछतों से घृणा को सबक सीिते थे। गहन विचारधारात्मक और
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शारीररक प्रजशक्षण के बाद लगभग 18 साल की उम्र र्ें िे लेबर सर्विस (िर् सेिा) र्ें शामर्ल
हो जाते थे। इसके बाद उन्हें सेना र्ें कार् करना पडता था और ककसी नासी संगठन की
सदस्यता लेनी पडती थी।
3. तवशेष ननगरानी एवं सुरक्षा दस्तों का गठन- पूरे सर्ाज को नास्थत्सयों के हहसाब से तनयंत्रत्रत
और व्यिस्थस्थत करने के जलए विशेष तनगरानी और सुरक्षा दस्ते गठठत ककए गए। पहले से
र्ौजूद हरी िदीीधारी पुजलस और रॉर्म टू पसम (एस.ए.) के अलािा गेरापो (गुप्तचर राज्य
पुजलस), एस.एस. (अपराध तनयंत्रण पुजलस) और सुरक्षा सेिा (एस.डी.) का भी गठन ककया
गया। इन निगठठत दस्तों को बेहहसाब असंिध
ै ातनक अमधकार कदए गए और इन्हीं की िजह
से नात्सी राज्य को एक बूंिार आपरामधक राज्य की छवि प्राप्त हुई। गेरापो के यंत्रणा गृहों
र्ें ककसी को भी बंद ककया जा सकता था। ये नए दस्ते ककसी को भी यातना गृहों र्ें भेज
सकते थे, ककसी को भी तबना कानूनी कारमिाई के देश तनकाला कदया जा सकता था या
मगरफ्तार ककया जा सकता था। दण्ड की आशंका से र्ुि पुजलस बलों ने तनरंकुश और
तनरपेक्ष शासन का अमधकार प्राप्त कर जलया था।
4. कम्युननस्टों का दमन- अमधकांश कम्युतनरों को रातों-रात कंसन्ट्ि ेशन कैम्पों र्ें बन्द कर
कदया गया।
5. िानाशािी की स्थापना- र्ाचम, 1933 ई. को प्रससद्ध विशेषामधकार अमधतनयर् की सहायता
से जर्मनी र्ें तानाशाही की स्थापना की गई।
6. राजनीतिक दलों पर प्रतिबंि- नात्सी दल के अततररि अन्य सभी राजनीततक दलों और
टि ेड यूतनयनों को प्रततबंमधत कर कदया गया।

7. रैललयाँ और जनसभाएँ - नाससयों ने जनसर्थमन प्राप्त करने के जलए तथा जनता को


र्नोिैज्ञातनक रूप से तनयंत्रत्रत करने के जलए बडी-बडी रैजलया ाँ और जनसभाएाँ आयोजजत
कीं।
8. अत्सि अध्यादेश- सत्ता प्रास्ट्प्त के पश्चात् अस्ट्ि अध्यादेश के जररए अमभव्यल्जि, प्रेस एिं
सभा करने की आजादी जैसे नागररक अमधकारों को अतनजश्चतकाल के जलए स्थमगत कर कदया

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03 नाज़ीिाद और हहटलर का उदय

गया। हहटलर के जर्मन साम्राज्य की िजह से नात्सी राज्य को इततहास र्ें सबसे िूिार
आपरामधक राज्य की छवि प्राप्त हुई। नाजजयों ने जर्मनी की युद्ध र्ें हार के जलए यहूकदयों को
जजम्मेदार ठहराया। यहूदी गततविमधयों पर कानूनी रूप से रोक लगा दी गई और उनर्ें से
अमधकांश को या तो र्ार कदया गया या जर्मनी छोडने के जलए बाध्य ककया गया।

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