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ददडिप्रेशन से पीड़ित लोग जल्दी आहत हो जाते हैं। हर बात को अपने ऊपर लेने की सोच बन
जाती है।
रीर में दर्द, मन दुखी रहना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, थकान महसूस होना और आंखों की रोशनी
कमजोर होने लगती है।
काएंशि
मनुष्यों का मस्तिष्क अखरोट मेवा की तरह होता है, इसमें बादाम जैसी कुछ को काएं
होती हैं। इसलिए यह दोनों खाने से दिमाग तेज होने लगता है।
अवसाद के कारण पीठ दर्द, कमरदर्द, थायराइड, नींद न आना, क्रोध जैसी समस्याओं का
अम्बार लगने लगता है।
आलस्य, कुछ न करने का मन, मनोबल गिर जाना, नकारात्मक विचारों से घिरे रहने के
कारण डिप्रेशन की उत्पत्ति होती है। अवसाद को खुद के प्रयास से, ध्यान, कसरत, व्यायाम आदि
ही दूर किया जा सकता है
अवसाद होने पर पेट दर्द, शरीर में सूजन, भूख न लगना, ठन, मतली से मन बने रहना।
मानसिक कमजोरी का भी लक्षण हो सकता है।
जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजिकल साइंस 2015 में एक बहुत ही जबरदस्त खोज हुई। इस शोध से पता
लगा कि आयुर्वेद की जड़ीबूटियां जैसे- ब्राह्मी, शंखपुष्पी, मॉलकांगनी, स्मृतिसागर रस, स्वर्ण
भस्म, जटामांसी, अवगंधा गंधा , शतावर, चन्दन, रक्तचन्दन, भृङ्गराज, मॉलकांगनी, केशर, अर्जुन,
श्व
नागरमोथा, मुलेठी, अगर, आंवला मुरब्बा, सेव मुरब्बा, हरीतकी , गुलकन्द, द्राक्षावलेह, गुलाब,
त्रिकटु, सारस्वतारिष्ट, ब्राह्मी वटी, बादाम, अखरोट आदि कुछ वि षशे ष ओषधियों से निर्मित
दवाएं मस्तिष्क एवं मनोरोगों में अत्यन्त प्रभाव ली लीशा
है।