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अभ्यास पस्ु तिका

कक्षा-नौ

2023=24
प्रतिावना

प्रप्रय छात्रों! शिक्षा आपका अधिकार है; आपकी शिक्षा हमारा कर्त्तव्य है। प्रवद्यार्तन में
सफलिा प्राप्ि करने के शलए आप और हम सस्ममशलि रूप से उर्त्रदायी हैं। इस अभ्यास
पुस्तिका के माध्यम से आपकी शिक्षा की प्रगति को सुतनस्चिि करने हेिु प्रयास ककया
गया है। अभ्यास-पुस्तिका के उपयोग के शलए कुछ मागतदितक िरण बिाए र्ा रहे हैं:-

‘तपित’ के गद्य अथवा काव्य खंड के पाठ का गृह में पठन, वािन एवं मनन करें ।
नए िब्दों के अथत समझिे हुए अपने िब्द भंडार में वृद्धि करें ।
प्रत्येक पाठ की समास्प्ि पर पाठािाररि अभ्यास को उर्त्र-पुस्तिका में हल करें ।
अपने उर्त्र का अन्य साधथयों से शमलान करें , कफर अध्यापकों से ििात करें ।
‘संियन’ की कथाओं को समार्-सापेक्ष समझने का प्रयत्न करें । उनमें तनहहि संदेि
पर अशभभावकों के साथ प्रविार-प्रवमित करें । सामास्र्क प्रवडमबनाओं पर मूल्यपरक
धिंिन करिे हुए तनदानात्मक उपायों पर अध्यापकों से पररििात में भाग लें।
अभ्यास हेिु हदए गए मूल्यपरक प्रचनों का उर्त्र दें ।
व्याकरणणक तनयमों का पुनरावलोकन करिे हुए अधिक से अधिक अभ्यास करें ।
रिनात्मक लेखन अभ्यास के प्रचनों का प्रारूपतनहहि व तनदे िबद्ि अभ्यास करें ।
अपहठि बोिात्मक अभ्यास द्वारा अपनी समझ को प्रवकशसि करें ।
परीक्षा पूवत प्रतिदित प्रचन-पत्र की सहायिा अवचय लें। तवाध्याय व तवमूल्यांकन में
सहायिा प्राप्ि होगी।
हाहदतक िुभकामनाओं सहहि !!!
डॉ. तनिेि िाह
हहन्दी प्रवभागाध्यक्ष
डी.पी.एस. िारर्ाह
अभ्यास-पुस्तिका िब्दसंग्रह (Glossary)

चिह्न प्रकार (Type) प्रकृति (Nature)

सरल (Simple) अवधारणात्मक (Conceptual)

साधारण (Average) बोधात्मक (Understanding)

जटिल (Above average) अनुप्रयोगात्मक

(Application based)

रुचिकर (Interesting) अन्वेषणात्मक

(Research based)

वविारोत्तेजक उच्ि स्िरीय चििंिनात्मक

(Brain storming) (High order thinking)

बहु-ववषयक बहु-आयामी

(Multi disciplinary) (Multi dimentional)


वाप्रषतक पाठ्यक्रम
प्रथम सत्र -2023-24
मास तपित गद्य तपित पद्य संियन व्याकरण िथा
खंड खंड रिनात्मक लेखन
अप्रैल दुख का रैदास के ---- शब्द और पद,
अचधकार पद अनुस्वार, अनुनाससक
उपसगग, प्रत्यय,
मई एवरे स्ि मेरी रहीम के ---- उपसगग, प्रत्यय,
सशखर यात्रा दोहे अर्ग के आधार पर
वाक्य
अनौपिाररक पत्र
चित्र वणगन
वैज्ञातनक धगल्लू ववराम चिन्ह
िेिना के तमतृ ि उपसगग और प्रत्त्यय
वाहक अनुच्छे द लेखन
ििंद्रशेखर सिंवाद लेखन
वेंकि रमन

अगस्ि- कल्लू कुमहार


ससििंबर की उनाकोटी
द्प्रविीय सत्र 2023-24
तपित पद्य खंड तपित गद्य संियन व्याकरण िथा
खंड रिनात्मक लेखन
अक्िूबर अग्ननपर् 1. िुम कब स्वर सिंचध
जाओगे उपसगग और
अतिचर् प्रत्त्यय
नविंबर - कीिड़ का मेरा तनजी अनौपिाररक पत्र
काव्य पस्
ु िकालय चित्र वणगन
अनुच्छे द लेखन
सिंवाद लेखन
टदसिंबर नए इलाके में शब्द – पद
खुशबू रििे हैं उपसगग और
हार् प्रत्त्यय अनुस्वार-
अनुनाससक
अनौपिाररक पत्र
चित्र वणगन
जनवरी गीि- अगीि शुक्रिारे के ववराम चिन्ह
(कवविा) समान अनौपिाररक पत्र
चित्र वणगन
अनुच्छे द लेखन
सिंवाद लेखन

प्रथम सत्र-अनुक्रमणणका

क्रमािंक माह ववषय


अप्रैल
1 अपटिि गदयािंश (बहुववकल्पीय प्रश्न)
2 शब्द और पद (बहुववकल्पीय प्रश्न)
3 अनुस्वार, अनुनाससक(बहुववकल्पीय प्रश्न)
4 उपसगग–प्रत्यय, (बहुववकल्पीय प्रश्न)
5 दुुःख का अचधकार (बहुववकल्पीय प्रश्न)
6 काव्य खिंड ‘रैदास के पद’ (बहुववकल्पीय प्रश्न)
7 भाषा प्रयोगिाला (लैंगवेज़ लैब) -1
मई
1 अपटिि गदयािंश (बहुववकल्पीय प्रश्न)
2 शब्द और पद, अनुस्वार, अनुनाससक, उपसगग–प्रत्यय, (बहुववकल्पीय प्रश्न)
3 अर्ग की दृग्टि से वाक्य भेद
4 पाि-‘एवरेस्ि मेर ी सशखर यात्रा’ (बहुववकल्पीय प्रश्न)
5 पाि- काव्य खिंड ‘रहीम के दोहे’ (बहुववकल्पीय प्रश्न)
6 अनौपिाररक पत्र
7 चित्र वणगन
8 भाषा प्रयोगिाला–(लैंगवेज़ लैब)-2
ज ून
1 अपटिि गदयािंश (बहुववकल्पीय प्रश्न)
2 शब्द और पद, अनुस्वार, अनुनाससक, उपसगग–प्रत्यय, (बहुववकल्पीय प्रश्न)
3 ववराम चिन्ह
4 पाि- वैज्ञातनक िेिना के वाहक ििंद्रशेखर वेंकि रमन (बहुववकल्पीय प्रश्न)
5 अनुच्छे द लेखन
6 सिंवाद लेखन
7 ग्रीटमकालीन कायग
5 वािन कौिल परीक्षण
6 श्रवण कौिल परीक्षण
7 पुनरावृवत्त प्रर्म साप्िाटहक और सिंकसलि परीक्षा-प्रतिदशग पत्र
कुल अंक : 35
प्रथम साप्िाहहक परीक्षा-2023-24

खण्ड प्रचन प्रवषयवतिु


संख्या
‘क’ 1. अपटिि गदयािंश (बहुववकल्पीय प्रश्न)
‘ख’ 2. शब्द और पद
3. अनुस्वार, अनुनाससक
4. उपसगग-प्रत्यय
‘ग’ 5. दुख का अचधकार (बहुववकल्पीय प्रश्न)
6. रैदास के पद (बहुववकल्पीय प्रश्न)
7. दुख का अचधकार, रैदास के पद (वस्िुतनटि प्रश्न)
8. अनौपिाररक पत्र लेख न

कुल अंक : 80
अितवाप्रषतक परीक्षा - अंक प्रवभार्न (2023-24)
खण्ड प्रश्न ववषयवस्िु
सिंख्या
खिंड- अ वस्िुपरक प्रश्न
’क‘ 1. अपटिि गदयािंश (बहुववकल्पीय प्रश्न)

‘ख’ 2. शब्द और पद (बहुववकल्पीय प्रश्न)


3. अनुनाससक/ अनुस्वार (बहुववकल्पीय प्रश्न)
4. उपसगग-प्रत्यय, (बहुववकल्पीय प्रश्न)
5. ववराम चिन्ह
6. अर्ग की दृग्टि से वाक्य भेद
‘पाठ्यपुस्िक स्पशग भाग-1 (गदयािंश व पदयािंश)
7. पदय खिंड से पाि पर आधाररि बहुववकल्पीय प्रश्न
‘ग’ गदय खिंड से पाि पर आधाररि बहुववकल्पीय प्रश्न
8. 1 पटिि गदयािंश - गदय खिंड से
(बहुववकल्पीय प्रश्न)
9. पदय खिंड से 1 पटिि पदयािंश - रैदास के पद, रहीम के दोहे
(बहुववकल्पीय प्रश्न)
खिंड- ब वणगनात्मक प्रश्न
10. स्पशग गदय खिंड पर तनधागररि पािों के आधार पर 3 में से 2 प्रश्न (60
शब्दों में)
11. स्पशग पदय खिंड पर तनधागररि पािों के आधार पर 3 में से 2 प्रश्न (60
शब्दों में)
12. सिंियन पाि पर आधाररि प्रश्न
लेखन
13. अनुच्छे द लेखन (3 में से कोई एक) (100 शब्दों में)
14. अनौपिाररक पत्र (100 शब्दों में) ववकल्प सटहि
15. सिंवाद लेखन(100 शब्दों में) ववकल्प सटहि
16. चित्र वणगन (100 शब्दों में) बबना ककसी ववकल्प के
अप्रैल
I तनमनशलणखि गद्यांि को पढ़कर पूछे गए प्रचनों के उर्त्र शलणखए-
लघर्त्
ू रीय (SA)
भसू म, जन और जन की सिंस्कृति को राटर कहिे हैं। प्रत्येक नागररक पर राटर के प्रति
िीन प्रकार के ऋण हैं- दे व ऋण, वपिृ ऋण िर्ा ऋवष ऋण। प्रत्येक नागररक को
अपने-अपने ऋणों को िुका कर राटर के प्रति अपने किगव्यों का तनवागह करना िाटहए।
राटर हमारा पालन-पोषण एविं सिंवदगधन करिा है, अि: उसे मािा के समान माना गया
है। हमें राटर को मााँ के समान सम्मान दे ना िाटहए। राटर की सुख-समृदचध और प्रगति
में प्रत्येक नागररक की सािंझेदारी है। ऐसा प्रयास करना ही राटर-विंदना है, राटर-पज
ू ा
है। यही उसके राटर-प्रेम, दे श-भग्क्ि िर्ा मात्तभूसम के प्रति सवगस्व समपगण की भावना
को प्रकि करिा है। विगमान समय में हमारा राटर अनेक जटिल समस्याओिं से तिरा
हुआ है। आििंकवाद एविं ववििनकारी शग्क्ियों ने राटर की एकिा एविं अखिंडिा को खिरे
में डाल रखा है। कश्मीर, असम, नागालैंड आटद राज्यों में अशािंति का वािावरण है।
हमारा किगव्य हो जािा है कक इन सािंप्रदातयक एविं ववििनकारी ित्वों के बहकावे में न
आएाँ एविं इनसे सिंिषग से पीछे न हिें । राटर कक एकिा सवोपरर है। हमें यह याद रखना
िाटहए कक राटर होगा िो हम भी रहें गे और राटर के ववनाश होने पर हम कहीिं के न
रहें गे। राटर के प्रति हमारा किगव्य है कक हम इसकी प्रगति में पूरा-पूरा सहयोग दें।
राटर को स्वालिंबी बनाने में हमारी भूसमका तनणागयक ससदध होगी। औदयोचगक एविं कृवष
की दृग्टि से राटर को आत्मतनभगर बनाना अत्यिंि आवश्यक है। ऐसा िभी सिंभव है जब
हम अपने-अपने क्षेत्र मे पूरी लगन एविं मेहनि सार् कायग करें । आचर्गक दृग्टि से राटर
को सबल बनाना भी हमारा किगव्य है। हमें करों का भग
ु िान परू ी ईमानदारी के सार्
करना िाटहए। कर-विंिक राटर की आचर्गक दशा को खोखला करिे हैं।
1) कर्न- “हमें राटर को मााँ के समान सम्मान दे ना िाटहए।”
िकग-i क्योंकक राटर हमारा मािा के समान पालन-पोषण एविं सिंवदगधन करिा है
िकग-ii क्योंकक हम राटर के तनवासी हैं
(क) टदए गए कर्न के सलए िकग-i बबल्कुल सही है
(ख) टदए गए कर्न के सलए िकग-ii बबल्कुल सही है
(ग) टदए गए कर्न के सलए दोनों िकग सही नहीिं हैं
(ि) टदए गए कर्न के सलए दोनों िकग सही हैं
2) “कर-विंिक राटर की आचर्गक दशा को खोखला करिे हैं।” गदयािंश के आधार पर इस
कर्न में ‘विंिक’ शब्द के सलए कौन-सा शब्द-समह
ू सबसे उपयक्
ु ि रहेगा।
(क) आलसी, सस्
ु ि, काटहल (ख) साहसी, वीर, बहादरु
(ग) धूिग, िोर, िग (ि) िपल, ििुर िालाक
3) “आििंकवाद एविं ववििनकारी शग्क्ियों ने राटर की एकिा एविं अखिंडिा को खिरे में
डाल रखा है।”- इस कर्न में प्रयुक्ि ‘अखिंडिा’ शब्द के समान अर्ग वाला कौन-सा
ववकल्प सही है?
(क) भाईिारा (ख) सिंपूणगिा
(ग) अनेकिा (ि) अपनापन
4) राटर के प्रति हमरा क्या किगव्य है ?
(क) राटर की प्रगति में पूरा-पूरा सहयोग दे ना
(ख) सािंप्रदातयक एविं ववििनकारी ित्वों के बहकावे में न आना
(ग) करों का भुगिान पूरी ईमानदारी के सार् करना
(ि) उपयगक्
ु ि सभी
5) राटर ककसे कहिे हैं?
(क) भसू म को (ख) जन को
(ग) सिंस्कृति को (ि) भूसम, जन और जन की सिंस्कृति को

II िब्द और पद-
शब्द- एक से अचधक वणों के मेल से बने सार्गक वणग समूह शब्द कहलािे हैं; जैसे –
सोहन, खीर, मीरा, खेलिा, शिरिंज इत्याटद |
पद-जब कोई शब्द स्वििंत्र न रहकर व्याकरण के तनयमों में बाँध जािा है , िब वह
शब्द ‘पद’ बन जािा है|
जैसे-
सीिा खेल रही है|
शब्द व पद में अिंिर
शब्द पद
1. शब्द वणों की स्वििंत्र एविं सार्गक इकाई 1. पद वाक्य में प्रयुक्ि शब्द है।
है।
2. शब्द का मात्र अर्ग पररिय होिा है। 2. पद का व्याकरणणक पररिय होिा है।
3. शब्द सार्गक और तनरर्गक दोनों होिे हैं। 3. पद वाक्य में अर्ग का सिंकेि दे िा है।
4. शब्द का सलिंग, विन, कारक िर्ा कक्रया 4. पद का सलिंग, विन, कारक िर्ा कक्रया
से कोई सम्बन्ध नहीिं होिा। से सम्बन्ध होिा है।
िब्द व पद के आिार पर पूछे गए तनमनशलणखि प्रचनों के उर्त्र सही प्रवकल्प िुनकर दीस्र्ए-
1) वाक्य में प्रयुक्ि सार्गक शब्द कहलािे हैं –
क) पद ख) सवगनाम ग) कक्रया ि) सिंज्ञा
2) िेज दौड़िी हुई बच्िी को उसने पकड़ सलया | रे खािंककि पद है–
क) सवगनाम पद ख) कक्रया पद
ग) कक्रयाववशेषण पद ि) ववशेषण पद
3) गीिा पुस्िक पढ़िी है | रे खािंककि है–
क) पद ख)शब्द ग) अनुस्वार ि)अनुनाससक
4) पद पररिय में मुख्य िा क्या करना होिा है ?
क) पद का भावार्ग बिाना ख) पद का सरलार्ग बिाना
ग) शब्द का व्याकरणणक पररिय बिाना ग) पद पर तनयुग्क्ि बिाना
5) कर्न- “सीिा, कलम, वपिा, मेज़, पेंससल”..आटद सभी शब्द हैं।
िकग- i क्योंकक ये सभी वणों का सार्गक मेल हैं।
िकग- ii क्योंकक ये सभी शब्द व्याकरण का पररिय दे िे हैं।
क) टदए गए कर्न के सलए िकग- i सही है
ख) टदए गए कर्न के सलए िकग- ii सही है
ग़) टदए गए कर्न के सलए दोनों िकग सही हैं
ि) टदए गए कर्न के सलए दोनों िकग गलि हैं
III अनुतवार-अनुनाशसक
अनुस्वार -अनुस्वार के उच्िारण में ‘अिं’ की ध्वतन मुख से तनकलिी है। टहिंदी में सलखिे
समय इसका प्रयोग सशरोरे खा के ऊपर बबिंदु लगाकर ककया जािा है। इसका प्रयोग ‘अ’ जैसे
ककसी स्वर की सहायिा से ही सिंभव हो सकिा है ; जैसे – सिंभव।
इसका वणग-ववच्छे द करने पर ‘स ् + अिं(अ + म ्) + भ ् + अ + व् + अ’ वणग समलिे हैं।
जैसे
सिंिरण = स ् + अिं(अ + न ्) + ि् + अ + र् + अ + ण् + अ
अनुनाससक-(ँाँ)
ग्जन स्वरों के उच्िारण में मुख के सार्-सार् नाससका की भी सहायिा लेनी पड़िी है।
अर्ागि ् ग्जन स्वरों का उच्िारण मुख और नाससका दोनों से ककया जािा है वे अनुनाससक
कहलािे हैं।
अनुतवार और अनुनाशसका में अंिर-
1) अनुनाससका स्वर है जबकक अनुस्वार मूलि: व्यिंजन। इनके प्रयोग के कारण कुछ शब्दों
के अर्ग में अिंिर आ जािा है।जैसे –
हिंस (एक जल पक्षी), हाँस (हाँसने की कक्रया)।
2) अनुनाससका का प्रयोग केवल उन शब्दों में ही ककया जा सकिा है, ग्जनकी मात्राएाँ
सशरोरे खा से ऊपर न लगी हों।
उदाहरण के रूप में – हाँस, िााँद, पूाँछ
3) सशरोरे खा से ऊपर लगी मात्राओिं वाले शब्दों में अनुनाससका के स्र्ान पर अनुस्वार अर्ागि
बबिंदु का प्रयोग ही होिा है। जैसे – गोंद, कोंपल
अनुतवार-अनुनाशसक के आिार पर पूछे गए तनमनशलणखि प्रचनों के उर्त्र सही प्रवकल्प िुनकर
दीस्र्ए-
1) तनम्नसलणखि में से ककस शब्द में अनुस्वार का उचिि प्रयोग ककया गया है?
क) अिंगूिी ख) बािंसुरी ग) आिंिल ि) शिरिंज
2) तनम्नसलणखि में से ककस शब्द में अनुनाससक का उचिि प्रयोग नहीिं ककया गया है?
क) गााँि ख) हाँसना ग) भाँवरा ि) िराँग
3) कर्न- “बछें द्री, सिंसार, कािमािंडू” में अनुस्वार का प्रयोग ककया गया है-
िकग- i अनस्
ु वार के उच्िारण में ‘अिं’ की ध्वतन मख
ु से तनकलिी है।
िकग- ii इसका प्रयोग सशरोरे खा के ऊपर बबिंदु लगाकर ककया जािा है।
िकग- iii जब ककसी वणग से पहले अपने ही वगग का पााँिवााँ वगग (पिंिमाक्षर) आए िो
उसके स्र्ान पर अनुस्वार का प्रयोग होिा है।
क) टदए गए कर्न के सलए िकग-i सही है
ख) टदए गए कर्न के सलए िकग-ii सही है
ग) टदए गए कर्न के सलए िकग-iii सही है
ि) टदए गए कर्न के सलए िीनों ही िकग सही हैं
4) तनम्नसलणखि शब्दों में से उस शब्द को िुतनए, ग्जसमें उचिि स्र्ान पर अनुस्वार का
प्रयोग हुआ है –
क) गणित्र ख) ध्वतनया
ग) गणििंत्र ि) ध्वतनयािं
5) ‘दण्ड’ में उचिि स्र्ान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप सलणखए –
(क) दिंड (ख) दन्ड
(ग) दडिं (ि) दण्ढ
IV उपसगत-प्रत्यय
उपसगत-जो शब्दािंश मूल शब्दों के आगे लग कर उनके अर्ग में पररविगन कर दे िे हैं,
वे उपसगग कहलािे हैं। जैसे-
प्र + हार = प्रहार – िोि
वव + हार = ववहार – भ्रमण करना
प्रत्यय- ‘प्रत्यय’ वह अववकारी शब्दािंश हैं जो मूल शब्दों के बाद में जोड़े जािे हैं और
उनको नया अर्ग प्रदान करिे हैं।जैसे-
पवगि + ईय = पवगिीय
कीमि + िी = कीमिी
लेख + इि = सलणखि
1) ‘तनरूपण’ शब्द में प्रयुक्ि उपसगग है -
क) तन ख) तनर् ग) तनरु ि) तनरग
2) ‘अवलोकन’ शब्द में प्रयुक्ि उपसगग है -
क) अ ख) अव ग) आग ि) अव्ल ्
3) ‘सदगति’ शब्द में प्रयक्
ु ि उपसगग है -
क) सद ख) सि ् ग) स ि) सुः
4) शब्दािंश जो ककसी शब्द के अिंि में जुड़कर उसके अर्ग में पररविगन ला दे िे हैं उन्हें
……… कहिे हैं।
क) प्रत्यय ख) उपसगग ग) दोनो ि) कोई भी नहीिं
5) ‘रसीला’ शब्द में ककस प्रत्यय का प्रयोग हुआ है?
क) ला ख) सीला ग) लड़ ि) रस

पाठ- दख
ु का अधिकार
यिपाल
पाठ का सार -लेखक यशपाल दवारा रचिि 'दुख का अचधकार'
पाि में दे श में फैले अिंधववश्वास, अमीर और गरीब में िर्ा
ऊाँि-नीि के भेदभाव का पदागफाश करिे हुए यह दशागिा है कक
दुख की अनुभूति सबको एक समान होिी है। इस पाि में
एक पुत्र ववहीन मािं वणगन है, ग्जसका 23 साल का जवान बेिा
सााँप के डसने से मर जािा है। गरीब दणु खया मािं मजबरू ीवश बाजार में जाकर खरबज
ू े
बेिने जािी है िो कोई भी उसके पास खरबज
ू े लेने को िैयार नहीिं होिा क्योंकक बेिे
की मत्ृ यु हुई र्ी और वह सूिक में खरबूजे बेिने आ गई र्ी। अिंधववश्वास में जीने
वाले लोग बाजार में उसे गासलयााँ दे िे हैं, पर जब लेखक को वास्िववक ग्स्र्ति का
पिा िला िो उसे अपने पड़ोस में रहने वाली इस मटहला की याद आ गई जो
अढाई माह से बेिे का शोक मना रही र्ी और पलिंग से उि न सकी र्ी। ककिं िु यह
दुखी और अभागी मािा पुत्र का ववयोग भी नहीिं कर सकिी क्योंकक दुखी होने का
अचधकार एविं अवकाश केवल धनी व्यग्क्ियों को है। बेिारे गरीब को िो केवल पेि
भरने की चििंिा होिी है। तनधगनों की मजबरू ी को दशागना ही इस पाि का उददे श्य है।
इसके अलावा लेखक इस पाि के माध्यम से अपने पािकों को यह समझाना िाहा है
कक मनुटय की पहिान उसकी पोशाक से होिी है। यही पोशाक मनुटय को अलग-
अलग श्रेणणयों में बााँििी है िर्ा समाज में उसका अचधकार िर्ा दजाग तनग्श्िि करिी
है । हमारे जीवन में कभी-कभी ऐसे भी अवसर आिे हैं कक हम दीन-हीन, तनधगन,अछूि
आटद के दुख की अनुभूति िो करिे हैं उनका दुख अिंदर िक िो हमें छू जािा है, पर
हम पोशाक की अड़िन होने के कारण रुक जािे हैं । इसीसलए खास पररग्स्र्तियों में
ऐसे वगग की सहायिा नहीिं कर पािे यही ग्स्र्ति लेखक की भी र्ी, िभी िो लेखक
उस पत्र
ु ववयोचगनी िर्ा दख
ु ी मटहला के पास फुिपार् पर बैि नहीिं सका केवल पोशाक
उसके सामने रुकावि बन कर खड़ी हो गई।
V पाि- दुख का अचधकार के आधार पर पूछे गए बहुववकल्पीय प्रश्नों
के उत्तर दीग्जए-
1 समाज में मनुटयों का अचधकार और उसका दजाग कैसे सुतनग्श्िि होिा है?
(क) रहन-सहन से (ख) खान-पान से
(ग) पोशाक से (ि) क, ख दोनों
2 पुत्र की मृत्यु के अगले टदन ककसे बाज़ार आना पड़ा?
(क) लेखक को (ख) पडोसी को
(ग) बुटढ़या को (ि) इन में से ककसी को नहीिं
3 बुटढ़या के बच्िे की मृत्यु कैसे हुई?
(क) दुिगिना से (ख) बबमारी से
(ग) सााँप के कािने से (ि) खेि में चगरने से
4 कहानी में लोगों ने ककसे ‘पत्र्र टदल’ कहा है?
(क) लेखक को (ख) बटु ढ़या को
(ग) भगवाना को (ि) पड़ौससन को
5 बाज़ार में लोग बटु ढ़या को ककस दृग्टि से दे ख रहे र्े?
(क) प्रेम की (ख) िण
ृ ा की
(ग) नफ़रि की (ि) ईटयाग की
6 सााँप के कािने पर बुटढ़या ककसको बुला लाई?
(क) डॉक्िर को (ख) पड़ोसी को
(ग) ओझा को (ि) गााँव वालों को
7 ककसके दुुःख को दे खकर लेखक को सिंभ्रािंि मटहला की याद आई?
(क) बुटढ़या को (ख) पड़ोसी को
(ग) दुकानवालों को (ि) इनमे से कोई नहीिं
8 लेखक के अनुसार ककसे दुुःख मनाने का अचधकार नहीिं है?
(क) बुटढ़या को (ख) पड़ोसी को
(ग) गरीबों को (ि) बच्िों को
9 बुटढ़या का हाल पूछने में लेखक को ककस के कारण परे शानी र्ी?
(क) पोशाक के (ख) पड़ोसी के
(ग) दुकानदार के (ि) बच्िों के
10 लेखक के अनुसार बुटढ़या को कोई क्यों उधार नहीिं दे िा?
(क) वह गरीब र्ी (ख) उसका पति नहीिं र्ा
(ग) उसके बेिे की मत्ृ यु हो गई र्ी (ि) इनमे से कोई नहीिं

पाठ ‘रैदास के पद’ (पाठ्यपुतिक–तपित)

कप्रविा का मूलभाव
पहले पद में कवव ने अपने आराध्य की आराधना करिे हुए स्पटि ककया है कक
उसे राम नाम की रि लग गई है ग्जसे वह छोड़ नहीिं सकिा। कवव ने अपने प्रभु
को ििंदन, िन, िािंद, दीपक, मोिी, स्वामी के समान मानिे हुए स्वयिं को पानी,
मोर, िकोर, बािी,धागा व दास के समान माना है िर्ा इस प्रकार उनकी भग्क्ि
करिे हुए अपना दास्य भाव प्रकि ककया है ।
दूसरे पद में कवव ने प्रभु को सबका रक्षक माना है। उनके अनुसार दुणखयों पर
दया करने वाला परमात्मा रूपी स्वामी ऐसे व्यग्क्ि को भी महान बना दे िा है,
जो अछूि है। वह ककसी से नहीिं डरिा और नीि को भी समाज में ऊाँिा स्र्ान
दे िा है। कवव कहिे है कक उसके परमात्मा की कृपा से नामदे व, कबीर, बत्रलोिन,
सधना जैसे व्यग्क्ियों का भी उदधार् हो गया र्ा।
प्रचनोर्त्र-अभ्यास
VI लिूत्तरीय (SA)
तनमनशलणखि पहठि पंस्तियााँ पढ़कर पूछे गए प्रचनों के उर्त्र शलणखए
अब कैसे छूिे राम नाम रि लागी।
प्रभुजी, िुम ििंदन हम पानी, जाकी अाँग- अाँग बास समानी।
प्रभुजी, िुम िन बन हम मोरा, जैसे चििवि ििंद िकोरा।
प्रभुजी, िुम दीपक हम बािी, जाकी जोति बरै टदन रािी।
प्रभुजी, िुम मोिी हम धागा, जैसे सोनटहिं समलि सुहागा।
प्रभुजी, िुम स्वामी हम दासा, ऐसी भग्क्ि करै रैदासा॥
ऐसी लाल िुझ बबनु कउनु करै।
गरीब तनवाजु गुसईआ मेरा मार्ै छत्रु धरै।।
जाकी छोति जगि कउ लागै िा पर िह
ु ीिं ढरै।
नीिहु ऊि करै मेरा गोबबिंदु काहू िे न डरै॥
नामदे व कबीरु तिलोिनु सधना सैनु िरै।
कटह रववदासु सुनहु रे सिंिहु हररजीउ िे सभै सरै॥
1 कर्न- प्रभु जी, िुम ििंदन हम पानी, जाकी अाँग-अाँग बास समानी। प्रभु जी, िुम
िन बन हम मोरा, जैसे चििवि ििंद िकोरा।
िकग-I इन िकों दवारा रैदास ईश्वर व भक्ि का ररश्िा बिा रहें हैं |
िकग-ii ग्जस िरह भक्ि के हृदय में ईश्वर है वैसे प्रकृति में भी ईश्वर है|
क) िकग-i सही है
ख) िकग-ii सही है
ग) दोनों िकग ही सही हैं िर्ा कर्न की उचिि हैं
ि) उपयगक्
ु ि दोनों िकग गलि हैं
2 यटद भगवान ् ििंदन है िो भक्ि क्या है ?
क) पानी ख) मोर
ग) िकोर ि) बत्ती
3 भगवान ् ककसका कल्याण बबना भेदभाव के करिे है ?
क) अमीरों का ख) मोर भक्िों का
ग) अछूि मनुटयों का ि) इनमें से ककसी का नहीिं
4 प्रभु जी, िुम मोिी हम धागा, जैसे सोनटहिं समलि सुहागा। प्रभु जी, िुम स्वामी हम
दासा, ऐसी भग्क्ि करै रैदासा॥ पदयािंश के आधार पर बिाइये कक इन पदों में ककस
भाव की भग्क्ि है?
क) शिंग
ृ ार भाव की भग्क्ि
ख) दास्य भाव की भग्क्ि
ग) साख्य भाव की भग्क्ि
ि) उपयुगक्ि सभी कर्न सत्य हैं
5 कवव ककसे अपना सब कुछ मानिे है?
क) भगवान ् को ख) सिंिों को
ग) अछूि मनुटयों को ि) भक्िों को
6 रैदास के ईश्वर क्या-क्या कर सकिे हैं?
क) नीि से नीि व्यग्क्ि को ऊिंिा उर्ा सकिे हैं
ख) सब पर अपनी दया कर सकिे हैं
ग) रिंक के ससर पर भी िाज रख सकिे हैं
ि) उपयुगक्ि सभी कर्न सत्य हैं
7 रैदास ने “ऐसी लाल----सभै सरै” पद मे उस समय की ककस समस्या को उिाया है ?
क) ववधवा वववाह ख) बाल वववाह
ग) असशक्षा ि) छुआछूि
8 रैदास ने अपने दूसरे पद में ककसका उल्लेख नहीिं ककया है?
क) कबीर ख) मीरा
ग) नामदे व ि) तिलोिन
9 कर्न- ऐसी लाल िुझ बबनु कउनु करै।गरीब तनवाजु गुसईआ मेरा मार्ै छत्रु धरै।।
िकग-I ईश्वर गरीबों पर कृपा करने वाले हैं|
िकग-ii ईश्वर गरीबों को खाना दे ने वाले है|
क) दोनों िकग ही सही हैं िर्ा कर्न की उचिि हैं
ख) िकग-ii सही है
ग) िकग-i सही है
ि) उपयुगक्ि दोनों िकग गलि हैं
10 रैदास अपने आप को ईश्वर रूपी दीपक का काया बिािे हैं ?
क) बािी ख) लौ
ग) िेल ि) बिगन

माह अप्रैल

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Remark :
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मई
एवरे तट : मेरी शिखरयात्रा (लेणखका-बिेंद्री पाल)
पाठ का सार -एवरे स्ि मेरी सशखर यात्रा प्रस्िुि पाि बिेंद्री
पाल दवारा रचिि है। इस पाि में एवरे स्ि पर ववजय प्राप्ि
करने वाली प्रर्म भारिीय मटहला का यात्रा सिंस्मरण िर्ा
बड़ा ही रोमािंिकारी वणगन है। यात्रा के दौरान आने वाली
कटिनाइयों का वणगन अत्यिंि सजीव है। अपनी पवगिारोहण
यात्रा का सिंपूणग वववरण बिेंद्रीपाल ने स्वयिं कलमबदध ककया है। वह 23 मई
1984 को दोपहर 1:00 बजकर 7 समनि पर अपने अिंतिम पड़ाव से एवरे स्ि की
महान िोिी पर पहुिंि गई र्ी। वहााँ पहुिंिने वाली वह प्रर्म भारिीय मटहला र्ी।
सागरमार्ा की बफग को उन्होंने मार्े से लगाकर धरिी के िाज टहमालय की
एवरे स्ि िोिी का िुिंबन सलया र्ा। दुगाग मािं का चित्र और हनुमान िालीसा को
लाल कपड़े में लपेिकर बफग में दबा टदए। अपने मािा वपिा को याद ककया र्ा।
अपने रज्जु नेिा अिंगदोरजी के प्रति आदर से झक
ु ी र्ी। कनगल खल्
ु लर ने उनकी
इस अनूिी सफलिा पर उन्हें बधाई दी र्ी ।इस यात्रा सिंस्मरण को पढ़कर लगिा
है कक मानो हम भी बिेंद्रीपाल के कदम से कदम समलािे हुए सभी खिरों को
झेलिे हुए एवरे स्ि के सशखर पर जा रहे हैं।
प्रचनोर्त्र-अभ्यास

I उपसगत व प्रत्यय अलग कीस्र्ए- लिूत्तरीय (SA) स्िर


A
िब्द उपसगत मूलिब्द प्रत्यय
1 महत्त्वपूणग
2 प्रगति
3 ऊाँिाई
4 सपाि
5 रिंगीन
6 सुकोमलिा
II तनमनशलणखि गद्यांि पढ़कर पूछे गए प्रचनों के उर्त्र शलणखए स्िर
A
A टहमपाि अपने आपमें एक िरह से बफग के खिंडों का अव्यवग्स्र्ि ढिं ग से चगरना ही
र्ा। हमें बिाया गया कक नलेसशयर के बहने से अकसर बफग में हलिल हो जािी र्ी,
ग्जससे बड़ी-बड़ी बफग की िट्िाने ित्काल चगर जाया करिी र्ीिं और अन्य कारणों
से भी अिानक प्रायुः खिरनाक ग्स्र्ति धारण कर लेिी र्ीिं। सीधे धरािल पर दरार
पड़ने का वविार और इस दरार का गहरे -िौड़े टहम-ववदर में बदल जाने का मात्र
खयाल ही बहुि डरावना र्ा। इससे भी ज्यादा भयानक इस बाि की जानकारी र्ी
कक हमारे सिंपण
ू ग प्रवास के दौरान टहमपाि लगभग एक दजगन आरोटहयों और कुसलयों
को प्रतिटदन छूिा रहेगा। दस
ू रे टदन नए आनेवाले अपने अचधकािंश सामान को हम
टहमपाि के आधे रास्िे िक ले गए। डॉ मीनू मेहिा ने हमें अल्यूसमतनयम की
सीटढ़यों से अस्र्ायी पुलों का बनाना, लठ्िों और रग्स्सयों का उपयोग, बफग की
आड़ी-तिरछी दीवारों पर रग्स्सयों को बााँधना और हमारे अचग्रम दल के असभयािंबत्रकी
कायों के बारे में हमें ववस्िृि जानकारी दी।
1 कर्न- टहमपाि के कारण अिानक प्रायुः खिरनाक ग्स्र्ति भी उत्पन्न हो सकिी
है।
िकग-i क्योंकक नलेसशयर के बहने से बफग में हलिल होिी है
िकग-ii टहमपाि और नलेसशयर के बहने से बड़ी-बड़ी बफग की िट्िाने भी ित्काल
चगर सकिी हैं
क) टदए गए कर्न के सलए िकग -I सही है
ख) टदए गए कर्न के सलए िकग -ii सही है
ग) टदए गए कर्न के सलए दोनों िकग सही हैं
ि) टदए गए कर्न के सलए कोई भी िकग सही नहीिं है
2 ‘नलेसशयर के बहने से अकसर बफग में हलिल हो जािी र्ी।’ टदए गए कर्न में
‘नलेसशयर’ शब्द ककसके सलए प्रयक्
ु ि ककया गया है?
क) बड़े से िालाब को ख) टहमालय पवगि को
ग) बफ़ग की नदी को ि) सागर को
3 डॉ मीनू मेहिा ने लेणखका और उसके समत्रों को कई प्रकार के कायो की ववस्िि

जानकारी क्यों दी?
क) ग्जससे वे पुल बनाना सीख सके
ख) लठ्िों और रग्स्सयों का महत्व समझ सकें
ग) बफग की दीवारों पर रग्स्सयों को बााँधने का काम कर सकें
ि) िाकक यात्रा के दौरान आवश्यकिा पड़ने पर इन िकनीकी और कायों का प्रयोग
कर अपनी यात्रा को सफल बना सकें
4 ‘दूसरे टदन नए आनेवाले अपने अचधकािंश सामान को हम टहमपाि के आधे रास्िे
िक ले गए।’ ये कर्न ककसने कहे?
क) डॉ. मीनू ने ख) बछें द्री पाल ने
ग) कनगल खल्
ु लर ने ि) कुसलयों ने
5 “इससे भी ज्यादा भयानक इस बाि की जानकारी र्ी कक हमारे सिंपण
ू ग प्रवास के
दौरान टहमपाि लगभग एक दजगन आरोटहयों और कुसलयों को प्रतिटदन छूिा
रहेगा।” टदए गए कर्न में प्रवास के समान अर्ग वाला शब्द क्या है िर्ा यहााँ
ककस प्रकार के प्रवास का ग्जक्र ककया गया है...?
क) यात्रा, एवरे स्ि के सशखर पर िढ़ने का ख) िम्बू, एवरे स्ि पर िम्बू लगाकर
रहने का
ग) टहमपाि, नलेसशयर पर बााँध बनाने का ि) कुली, कुसलयों की टहमपाि से
सुरक्षा करने का
B पाि-‘एवरे स्ि मेरी सशखर यात्रा’ के आधार पर टदए गए अन्य ववकल्पी प्रश्नों के
उत्तर दीग्जए-
1 26 मािग को पैररि पहुाँििे ही लेणखका को कौन सा दुुःख भरा समािार समला।
(क) बफग से रास्िा बिंद होने का
(ख) असभयान स्र्चगि होने का
(ग) शेरपा कुली के िायल होने का
(ि) एक शेरपा कुली की मत्ृ यु का
2 बिेंद्री पाल और उनके साचर्यों के ििंबू का रास्िा साफ़ करने में कौन सफ़ल हो
गए र्े?
(क) लोपसािंग
(ख) िशाररिंग
(ग) एन.डी. शेरपा
(ि) लोपसािंग व् िशाररिंग
3 ‘पृथ्वी पर बहुि अचधक किोर’ जगह के नाम से क्या प्रससदध है?
(क) ईस्ि कोल
(ख) वेस्ि कोल
(ग) नार्ग कोल
(ि) साउर् कोल
4 बबना ऑक्सीजन के कौन िढ़ाई करने वाला र्ा?
(क) की
(ख) जय
(ग) अिंगदोरजी
(ि) बिेंद्री
5 लेणखका- बिेंद्रीपाल एवरे स्ि पर िढ़ाई करने वाली कौन सी मटहला बनी?
(क) दूसरी
(ख) पााँिवी
(ग) पहली
(ि) िीसरी

III अथत के आिार पर वातय-


वाक्य- पदों के सार्गक समूह को वाक्य कहिे हैं। वाक्य के सलए एक उददे श्य और
एक ववधेय का होना आवश्यक है। जैसे- आशा ववदयालय जा रही है।
वाक्य को दो आधारों पर बााँिा गया है -
(क) अर्ग के आधार पर
(ख) रिना के आधार पर

(क) अर्ग के आधार पर वाक्य के आि भेद हैं -


1 - ववधानवािक वाक्य
2- आज्ञावािक वाक्य
3- तनषेधवािक वाक्य
4 - प्रश्नवािक वाक्य
5- ववस्मयाटदवािक वाक्य
6- इच्छावािक वाक्य
7- सिंदेहविक वाक्य
8- सिंकेिवािक वाक्य
IV अथत के आिार पर पूछे गए तनमनशलणखि वातयों के उर्त्र सही प्रवकल्प िुनकर
दीस्र्ए-
1 – ‘ िुम कहााँ जाओगे। ‘ इस वाक्य में उददे श्य और ववधेय छााँि कर सलणखए –
(क) उददे श्य – िुम , ववधेय – कहााँ जाओगे
(ख) उददे श्य – िुम , ववधेय – जाओगे
(ग) उददे श्य – कहााँ जाओगे , ववधेय – िुम
(ि) उददे श्य – वहााँ , ववधेय – जाओगे
2 ‘ग्जन वाक्यों में कोई प्रश्न ककया जाए या ककसी से कोई बाि पूछी जाए ‘ वहााँ अर्ग
की दृग्टि से कौन सा वाक्य भेद होिा है –
(क) सिंदेह वािक वाक्य
(ख) सिंकेि वािक वाक्य
(ग) ववस्मयाटदबोधक वाक्य
(ि) प्रश्न वािक वाक्य
3 ‘अभी भी गरीबी और भटिािार का खोफ दे शवाससयों में शायद नहीिं है। ‘ यह वाक्य
ककस प्रकार का वाक्य है –
(क) आज्ञा वािक वाक्य
(ख) सिंदेह वािक वाक्य
(ग) इच्छा वािक वाक्य
(ि) ववस्मयाटदबोधक वाक्य
4 ‘िुम्हारी बहन शादी में नहीिं आई र्ी।’ इस वाक्य को प्रश्न वािक वाक्य में बदसलए

(क) िुम्हारी बहन शादी में क्यों नहीिं आई र्ी?
(ख) शायद िुम्हारी बहन शादी में नहीिं आई र्ी।
(ग) अरे ! िम्
ु हारी बहन शादी में नहीिं आई र्ी।
(ि) िुम्हारी बहन शादी में आई हुई र्ी।
5 ‘ आज वपिा जी हम सभी को बागीिे में िुमाने लाए र्े। ‘ इस वाक्य को तनषेध
वािक वाक्य में कैसे सलखा जाएगा –
(क) क्या आज वपिा जी हम सभी को बागीिे में िुमाने लाए र्े?
(ख) अरे ! आज वपिा जी हम सभी को बागीिे में िुमाने लाए र्े।
(ग) शायद आज वपिा जी हम सभी को बागीिे में िुमाने लाएाँगे।
(ि) आज वपिा जी हम सभी को बागीिे में िुमाने नहीिं लाए र्े।

पाठ-रहीम के दोहे
कप्रविा का मूलभाव–
रहीम के नीति के दोहे जगि प्रससदध है। इन दोहों में रहीम ने लोक व्यवहार की
सशक्षा दी है। धैयग और समझदारी का पाि पढ़ाया है। ये दोहे जहााँ दस
ू रों के सार्
कैसा व्यवहार करना िाटहए, इसकी सशक्षा दे िे हैं, वहीिं मानव मात्र को सदािरण
की भी नसीहि दे िे हैं।
पहले दोहे में रहीम के अनुसार प्रेम रूपी धागा अगर एक बार िूि जािा है िो
दोबारा नहीिं जुड़िा। यटद इसे जबरदस्िी जोड़ भी टदया जाए िो पहले की िरह
सामान्य नहीिं रह जािा, इसमें गािंि पड़ जािी है।
दूसरे दोहे में अपने मन की पीड़ा/व्यर्ा को मन में ही रखने के सलए कहा है,
क्योंकक उस पीड़ा को कोई बााँििा नहीिं है बग्ल्क लोग उसका मज़ाक ही उड़ािे हैं।
िीसरे दोहे में रहीम के अनुसार अगर हम एक-एक कर कायों को पूरा करने का
प्रयास करें िो हमारे सारे कायग पूरे हो जाएिंगे, सभी काम एक सार् शुरू कर टदए
िो कोई भी कायग पूरा नहीिं हो पाएगा जैसे ससफग जड़ को सीिनें से ही पूरा वृक्ष
हरा-भरा, फूल-फलों से लदा रहिा है।
िौथे दोहे में चित्रकूि का महत्त्व बिाकर यह बिाया हैं कक चित्रकूि में अयोध्या के
राजा राम आकर रहे र्े। जब उन्हें 14 वषों का वनवास प्राप्ि हुआ र्ा। इस स्र्ान
की याद दु:ख में ही आिी है,ग्जस पर भी ववपवत्त आिी है वह शािंति पाने के सलए
इसी प्रदे श में णखिंिा िला आिा है।
पााँिवे दोहे में दोहे के महत्त्व के बारे में बिाया हैं। दोहे में शब्द कम होिे हैं ककन्िु
उसका अर्ग गिंभीर होिा है। ग्जस प्रकार कुशल बाजीगर अपने शरीर को ससकोड़ कर
ििंग मुाँह वाली कुिंडली के बीि में से कुशलिापूवगक तनकल जािा है उसी प्रकार कुशल
दोहाकार दोहे के सीसमि शब्दों में बहुि बड़ी और गहरी बािें कह दे िे हैं।
छठे दोहे में कीिड़ के जल को धन्य कहा हैं क्योंकक वह छोिे जीव-जिंिुओिं की प्यास
बुझािा हैं, जबकक समुद्र के ववशाल होने से कोई लाभ नहीिं है क्योंकक लोग उसके पास
प्यासे ही रह जािे हैं अर्ागि महान वही है जो ककसी के काम आए।
सािवें दोहे में रहीम कहिे हैं कक सिंगीि की िान पर रीझकर टहरन सशकारी के दवारा
अपने प्राण गाँवा दे िा है उसी प्रकार मनटु य भी प्रेम में खो कर अपना िन मन और
धन लुिा दे िा है परिंिु रहीम उन लोगो को पशु से भी बदिर मानिे है जो ककसी की
कला पर प्रसन्न होकर भी दान नहीिं करिे।
आठवें दोहे में कवव रहीम का मानना है कक बबगड़ी हुई बाि लाख बनाने पर भी नहीिं
बनिी इससलए मनुटय को सोि समझ कर व्यवहार करना िाटहए क्योंकक ककसी
कारणवश यटद बाि बबगड़ जािी है िो कफर उसे बनाना कटिन होिा है , जैसे यटद एक
बार दूध फि गया िो लाख कोसशश करने पर भी उसे मर्कर मक्खन नहीिं तनकाला
जा सकेगा।
नवें दोहे में कवव कहिे हैं कक बड़ों के आगे छोिों को िुच्छ नहीिं मानना िाटहए, उनका
अनादर नहीिं करना िाटहए उनका भी अपना महत्त्व होिा है। जैसे छोिी-सी सई
ू का
काम बड़ी िलावार नहीिं कर सकिी।
दसवें दोहे में कवव का कहना है कक ववपवत्त के समय अपनी पूाँजी ही सहायक बनिी
है। ग्जस प्रकार पानी का अभाव होने पर सूयग, कमल की ककिनी ही रक्षा करने की
कोसशश करे , कफर भी उसे बिाया नहीिं जा सकिा,उसी प्रकार मनुटय को बाहरी सहायिा
ही क्यों न समले ककिं िु उसकी वास्िववक रक्षक िो तनजी सिंपति ही होिी है।
ग्यारहवें दोहे में कवव ने आत्मसम्मान को बनाए रखने की बाि की है। इसके बबना
मनुटय का जीवन व्यर्ग है। रहीम कहिे हैं कक पानी का बहुि महत्त्व है। इसे बनाए
रखो। यटद पानी समाप्ि हो गया िो न िो मोिी का कोई महत्त्व है , न मनटु य का
और न आिे का। पानी अर्ागि िमक के बबना मोिी बेकार है। पानी अर्ागि सम्मान
के बबना मनुटय का जीवन व्यर्ग है और जल के बबना रोिी नहीिं बन सकिी, इससलए
आिा बेकार है।

V कवविा- रहीम के दोहे के आधार पर पूछे गए बहुववकल्पीय प्रश्नों के तिर U


उत्तर दीग्जए-
1 रहीम ने प्रेम के बिंधन को ककसकी िरह कहा है?
(क) िार
(ख) धागे
(ग) डोरी
(ि) सूि
2 रहीम दूसरों से क्या छुपा कर रखने को कहिे है?
(क) दुुःख
(ख) धागा
(ग) मजाक
(ि) इनमें से कोई नही
3 रहीम के दोहे कैसे होिे है?
(क) लम्बे
(ख) बबना अर्ग के
(ग) कम शब्द के
(ि) कम शब्दों में अचधक अर्ग बिाने वाले

4 ककसके जल को धन्य कहा गया है?


(क) कीिड़
(ख) सागर
(ग) नदी
(ि) िालाब
5 टहरण ककससे खुश होकर अपना शरीर न्यौछावर कर दे िा है?
(क) सिंगीि
(ख) इिंसान
(ग) गाना
(ि) इनमें से कोई नहीिं

6 दूध के फिने पर उसका क्या नहीिं बनिा?


(क) लस्सी
(ख) िी
(ग) मक्खन
(ि) खीर
7 बड़ी िीज को दे खकर ककसी छोिी िीज की उपेक्षा नहीिं करनी िाटहए, इसका क्या अर्ग
है?
(क) बड़ी िीज़ काम की होिी है
(ख) छोिी िीज़ काम की होिी है
(ग) हर िीज़ का अपना महत्त्व है
(ि) इनमें से कोई नहीिं
8 मनुटयों के सलए पानी का क्या अर्ग है?
(क) ववनम्रिा
(ख) िमक
(ग) जल
(ि) जीवन
9 मोिी के सलए पानी का क्या अर्ग है?
(क) ववनम्रिा
(ख) िमक
(ग) जल
(ि) जीवन
10 पेड़ को फल-फूल दे ने लायक बनाने के सलए हमें कहााँ पानी डालना िाटहए?
(क) उसकी जड़ में
(ख) उसके पत्तों में
(ग) उसकी शाखा में
(ि) उसके िने पर
11 कर्न- रटहमन पानी राणखए, बबनु पानी सब सून। पानी गए न ऊबरै, मोिी, मानुष,
िून॥
िकग-i रहीम कह रहे हैं कक मनुटय में हमेशा ववनम्र (पानी) होना िाटहए।
िकग-ii मोिी का मूल्य उसकी आभा के बबना नहीिं हो सकिा है|
क) टदए गए कर्न के सलए िकग -I सही है
ख) टदए गए कर्न के सलए िकग -ii सही है
ग) टदए गए कर्न के सलए दोनों िकग सही हैं
ि) टदए गए कर्न के सलए कोई भी िकग सही नहीिं है
12 धतन रहीम जल पिंक को लिु ग्जय वपयि अिाय। उदचध बड़ाई कौन है, जगि वपआसो
जाय॥ दी गई पिंग्क्ि में उदचध शब्द का अर्ग है ?
क) कीिड़ ख) छोिे जीव
ग) बड़प्पन ि) समुद्र
13 रहीम जी ने कीिड़ में पाये जाने वाले र्ोड़े से पानी को ही धन्य कहा है क्यों?
क) क्योंकक उस पानी से न जाने ककिने छोिे -छोिे जीवों की प्यास बुझिी है।
ख) क्योंकक उस पानी से न जाने ककिने बड़े जीवों की प्यास बझ
ु िी है।
ग) क्योंकक उस जल से कोई भी जीव अपनी प्यास नहीिं बुझा पिा।
ि) कोई नहीिं
14 अयोध्या के राजा को ववपवत्त के समय कहााँ जाना पड़ा र्ा?
(क) दूसरे दे श में (िीन) (ख) वन में जाना पड़ा(चित्रकूि)
(ग) िीर्गस्र्लों पर जाना पड़ा(हररदवार) (ि) उपयुगक्ि सभी
15 कवव प्रेम का धागा न िोड़ने की बाि क्यों कहिे हैं ?
(क) धागा कच्िा होिा है (ख) प्रेम नहीिं करना िटहए
(ग) अववश्वास और सिंदेह से प्रेम नहीिं रहिा (ि) कोई नहीिं

VI चित्र वणगन कीग्जए-

VII आप स्वामी वववेकानिंद छात्रावास, जयपुर रोड कोिा, राजस्र्ान के छात्र हैं। पढ़ाई के
सलए लैपिॉप और इिंिरनेि की उपयोचगिा बिािे हुए इसे खरीदने का अनरु ोध करिे
हुए अपने वपिा जी को पत्र सलणखए।
माह मई

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र्ून
I तनमनशलणखि गद्यांि को पढ़कर पूछे गए प्रचनों के उर्त्र स्िर
शलणखए- लघर्त्
ू रीय (SA) U
मनटु य जीवन कमग-प्रधान है। मनटु य को तनटकाम भाव से सफलिा-असफलिा की चििंिा
ककए बबना अपने किगव्य का पालन करना है। आशा या तनराशा के िक्र में फाँसे बबना
उसे तनरिंिर किगव्यरि रहना है। ककसी भी किगव्य की पूणगिा पर सफलिा अर्वा असफलिा
प्राप्ि होिी है। असफल व्यग्क्ि तनराश हो जािा है , ककिं िु मनीवषयों ने असफलिा को भी
सफलिा की कुिंजी कहा है। असफल व्यग्क्ि अनुभव की सिंपवत्त अग्जगि करिा है, जो
उसके भावी जीवन का तनमागण करिी है। जीवन में अनेक बार ऐसा होिा है कक हम ग्जस
उददे श्य की प्राग्प्ि के सलए पररश्रम करिे हैं, वह पूरा नहीिं होिा है। ऐसे अवसर पर सारा
पररश्रम व्यर्ग हो गया-सा लगिा है, और हम तनराश होकर िुपिाप बैि जािे हैं। उददे श्य
की पूतिग के सलए दुबारा प्रयत्न नहीिं करिे। ऐसे व्यग्क्ि का जीवन धीरे -धीरे बोझ बन
जािा है। तनराशा का अिंधकार न केवल उसकी कमग-शग्क्ि, वरन ् उसके समस्ि जीवन को
ही ढक लेिा है। तनराशा की गहनिा के कारण लोग कभी-कभी आत्महत्या िक कर बैििे
हैं। मनुटय जीवन धारण करके कमग-पर् से कभी वविसलि नहीिं होना िाटहए। ववघ्न-
बाधाओिं की, सफलिा-असफलिा की िर्ा हातन-लाभ की चििंिा ककए बबना किगव्य के मागग
पर िलिे रहने में जो आनिंद एविं उत्साह है , उसमें ही जीवन की सार्गकिा है।
1. मनुटय के किगव्य-पालन में कैसा भाव होना िाटहए?
(क) सफलिा का भाव (ख) सकाम भाव
(ग) तनटकाम भाव (ि) पररश्रम का भाव
2. सफलिा कब प्राप्ि होिी है?
(क) आशा-तनराशा के िक्र में फाँसे रहने पर (ख) तनरिंिर किगव्यरि रहने पर
(ग) पररश्रम करने पर (ि) किगव्य की पण
ू गिा पर
3. मनटु य के सलए असफलिा भी सफलिा की किंु जी बन जािी है, क्योंकक वह :
(क) तनग्टक्रय हो जािा है। (ख) अनभ
ु व अग्जगि करिा है।
(ग) आशा-तनराशा के िक्र में नहीिं फाँसिा। (ि) दुबारा प्रयत्न नहीिं कर पािा।
4. जीवन बोझ कब नहीिं बनिा -
(क) पररश्रम व्यर्ग हो जाने पर (ख) असफल हो जाने पर
(ग) तनराश हो जाने पर (ि) उददे श्य पूरा हो जाने पर
5. जीवन की सार्गकिा है :
(क) लक्ष्य से वविसलि न होना (ख) किगव्य मागग पर िलिे रहना
(ग) हातन-लाभ की चििंिा करना (ि) सफलिा के सलए दुबारा प्रयत्न करना

पाि- वैज्ञातनक िेिना के वाहक ििंद्रशेखर वेंकि रामन


लेखक- धीरिंजन मालवे

पाठ-सारांि
प्रस्िुि पाि ‘वैज्ञातनक िेिना के वाहक रामन ्’ में नोबेल पुरस्कार ववजेिा प्रर्म भारिीय
वैज्ञातनक के सिंिषगमय जीवन का चित्रण ककया गया है। वेंकि रामन ् कुल नयारह साल की
उम्र में मैटरक, ववशेष योनयिा के सार् इिंिरमीडडएि, भौतिकी और अिंग्रेशी में स्वणग पदक
के सार् बी.ए. और प्रर्म श्रेणी में एम.ए. करके मात्र अिारह साल की उम्र में कोलकािा
में भारि सरकार के फाइनेंस डडपािगमेंि में सहायक जनरल एकाउिं िें ि तनयुक्ि कर सलए
गए र्े। इनकी प्रतिभा से इनके अध्यापक िक असभभूि र्े।
ििंद्रशेखर वेंकि रामन ् भारि में ववज्ञान की उन्नति के चिर आकािंक्षी र्े िर्ा भारि की
स्वििंत्रािा के पक्षधर र्े। वे महात्मा गािंधी को अपना असभन्न समत्रा मानिे र्े। नोबेल
परु स्कार समारोह के बाद एक भोज के दौरान उन्होंने कहा र्ा:
मुझे एक बधाई का िार अपने सवागचधक वप्रय समत्र (महात्मा गािंधी) से समला है , जो इस
समय जेल में हैं। एक मेधावी छात्र से महान वैज्ञातनक िक की रामन ् की सिंिषगमय जीवन
यात्रा और उनकी उपलग्ब्धयों की जानकारी यह पाि बखूबी करािा है।
II पाि- वैज्ञातनक िेिना के वाहक ििंद्रशेखर वेंकि रामन तिर U
के आधार पर पछ
ू े गए बहुववकल्पीय प्रश्नों के उत्तर दीग्जए-
1 ववशालकाय समद्र
ु के नील रिंग की िमक के पीछे तछपे रहस्य को ककसने समझा र्ा?
(क) लेखक ने
(ख) न्यूिन ने
(ग) ििंद्रशेखर वेंकि रामन ् ने
(ि) इनमें से ककसी ने नहीिं
2 ककस सवाल का जवाब ढूाँढ़ने के कारण रामन सिंसार में प्रससदध हो गए?
(क) पेड़ से सेब नीिे ही क्यों चगरिा है ?
(ख) प्रकाश की ककरणों में ककिने रिंग होिे हैं?
(ग) समुद्र का पानी खरा क्यों होिा है?
(ि) आणखर समद्र
ु का रिंग नीला ही क्यों होिा है? कुछ और क्यों नहीिं?
3 इिंडडयन एसोससएशन फॉर द कल्िीवेशन ऑफ़ साइिंस’ प्रयोगशाला की स्र्ापना ककसने
की र्ी?
(क) लेखक ने
(ख) न्यूिन ने
(ग) ििंद्रशेखर वेंकि रामन ् ने
(ि) डॉक्िर महें द्रलाल सरकार
4 इिंडडयन एसोससएशन फॉर द कल्िीवेशन ऑफ़ साइिंस’ सिंस्र्ा का उददे श्य क्या र्ा?
(क) अनुसन्धान करना
(ख) खोजे करना
(ग) वैज्ञातनक िेिना का ववकास करना
(ि) वैज्ञातनकों को प्रोत्साटहि करना
5 एकवणीय प्रकाश की ककरण ककसी िरल या िोस रवेदार पदार्ग से गज
ु रिी है िो
गज
ु रने के बाद क्या होिा है?
(क) उसके वणग में पररविगन
(ख) प्रकाश की ककरणें बबखर जािी है
(ग) प्रकाश गायब हो जािा है
(ि) िरल या िोस रवेदार पदार्ग की िरह हो जािा है
6 रामन ् की खोज की वजह से ककसका ज्ञान आसान हो गया?
(क) पदार्ों के अणओ
ु िं का
(ख) पदार्ों के अणुओिं और परमाणुओिं की आिंिररक सिंरिना का अध्ययन
(ग) परमाणुओिं की आिंिररक सिंरिना का
(ि) इनमें से ककसी ने नहीिं
7 रामन ् की खोज की वजह से ककसका ज्ञान आसान हो गया?
(क) पदार्ों के अणुओिं का
(ख) पदार्ों के अणुओिं और परमाणुओिं की आिंिररक सिंरिना का अध्ययन
(ग) परमाणुओिं की आिंिररक सिंरिना का
(ि) इनमें से ककसी ने नहीिं
8 रामन ् की खोज की वजह से ककसका ज्ञान आसान हो गया?
(क) पदार्ों के अणओ
ु िं का
(ख) पदार्ों के अणुओिं और परमाणुओिं की आिंिररक सिंरिना का अध्ययन
(ग) परमाणुओिं की आिंिररक सिंरिना का
(ि) इनमें से ककसी ने नहीिं
9 रामन ् की खोज की वजह से ककसका ज्ञान आसान हो गया?
(क) पदार्ों के अणुओिं का
(ख) पदार्ों के अणुओिं और परमाणुओिं की आिंिररक सिंरिना का अध्ययन
(ग) परमाणुओिं की आिंिररक सिंरिना का
(ि) इनमें से ककसी ने नहीिं
10 रामन ् की खोज की वजह से ककसका ज्ञान आसान हो गया?
(क) पदार्ों के अणुओिं का
(ख) पदार्ों के अणओ
ु िं और परमाणओ
ु िं की आिंिररक सिंरिना का अध्ययन
(ग) परमाणओ
ु िं की आिंिररक सिंरिना का
(ि) इनमें से ककसी ने नहीिं
पाि- चगल्लू
लेणखका – महादे वी वमाग

पाि सारािंश
इस पाि में लेणखका ने अपने जीवन के एक अनभ
ु व को हमारे सार् सािंझा ककया है। यहााँ
लेणखका ने अपने जीवन के उस पड़ाव का वणगन ककया है जहााँ उन्होंने एक चगलहरी के
बच्िे को कौओिं से बिाया र्ा और उसे अपने िर में रखा र्ा। लेणखका ने उस चगलहरी
के बच्िे का नाम चगल्लू रखा र्ा। यह पाि उसी के इदग-चगदग िूम रहा है इसीसलए इस
पाि का नाम भी ‘चगल्लू’ ही रखा गया है। लेणखका ने जो भी समय चगल्लू के सार्
बबिाया उस का वणगन लेणखका ने इस पाि में ककया है ।
III पाि- चगल्लू के आधार पर पूछे गए बहुववकल्पीय प्रश्नों के उत्तर दीग्जए-
तिर U
1 लेणखका को जूही की लिा को दे ख कर ककसकी याद आई?
(क) अपने दोस्ि की
(ख) चगल्लू की
(ग) अपने पालिू पशु-पक्षक्षयों की
(ि) कॉलेज की
2 लेणखका ने एक सब
ु ह क्या दे खा?
(क) अपने दोस्ि को
(ख) कौवों दवारा चगलहरी के बच्िे को जख्मी करना
(ग) चगलहरी के बच्िे को खेलिे हुए दे खा
(ि) जूही के पीले सुिंदर फूल
3 हमारे बेिारे पुरखों को वपिरपक्ष में हमसे कुछ पाने के सलए क्या बनकर प्रकि होना
पड़िा है?
(क) गरुड़ के रूप में
(ख) मयूर के रूप में
(ग) हिंस के रूप में
(ि) कौवे के रूप में
4 चगलहरी का बच्िा कैसे िायल हो गया र्ा?
(क) कुत्ते के कािने से
(ख) कौवे की िोंि के िाव से
(ग) लेणखका की लापरवाही से
(ि) उछल-कूद करने के कारण
5 सलफ़ाफ़े में बिंद पड़े-पड़े भख
ू लगने लगिी िो चगल्लू क्या करिा र्ा?
(क) सलफ़ाफ़े को फाड़ दे िा र्ा
(ख) उछल-कूद करिा र्ा
(ग) चिक-चिक की आवाज
(ि) इनमें से कोई नहीिं
6 चगल्लू को जाली के पास बैिकर अपनेपन से बाहर झााँकिे दे खकर लेणखका ने क्या
ककया?
(क) णखड़की बिंद कर दी
(ख) जाली की कीलें तनकालकर जाली का एक कोना खोल टदया
(ग) कुछ नहीिं ककया
(ि) णखड़की पर परदे लगा टदए
7 जब चगल्लू लेणखका के ससरहाने से हििा िो लेणखका को कैसा लगिा र्ा?
(क) लेणखका को ऐसा लगिा र्ा जैसे कोई अपना िला गया हो
(ख) लेणखका को बुरा लगिा र्ा
(ग) लेणखका को अच्छा लगिा र्ा
(ि) जैसे उसकी कोई सेववका उससे दूर िली गई हो
8 चगलहररयों के जीवन का समय ककिना होिा है ?
(क) लगभग दो वषग
(ख) लगभग ढाई वषग
(ग) लगभग एक वषग
(ि) लगभग िीन वषग
9 लेणखका को कैसे लगा कक चगल्लू का अिंतिम समय तनकि है?
(क) क्योंकक वह उछल-कूद नहीिं कर रहा र्ा
(ख) क्योंकक उसने कुछ खाया-वपया नहीिं र्ा
(ग) क्योंकक वह कही बाहर भी नहीिं गया र्ा
(ि) उपरोक्ि सभी
10 सोनजुही की लिा के नीिे चगल्लू को क्यों दफनाया गया?
(क) िाकक उसे शािंति समल सके
(ख) िाकक वह महादे वी वमाग जी की आाँखों के सामने रह सके
(ग) लेणखका को ववश्वास र्ा कक ककसी वासिंिी के टदन वह जुही के पीले फूल के रूप
में अवश्य णखलेगा
(ि) िाकक उसकी खाद बन सके

पाि- स्मृति
लेणखका – श्रीराम शमाग

पाि सारािंश-
इस पाि में लेखक अपने बिपन की उस ििना का वणगन करिा है जब वह केवल नयारह
साल का र्ा और उसके बड़े भाई ने उससे कुछ महत्वपूणग चिट्टियों को डाकिर में डालने
के सलए भेजा र्ा और उसने गलिी से वो चिट्टियााँ एक पुराने कुऍ िं में चगरा दी र्ी। उन
चिटियों को उस कुऍ िं से तनकालने में लेखक को क्या-क्या कटिनाइयााँ हुई उन सभी का
ग्जक्र लेखक ने यहााँ ककया है। लेखक यहााँ यह भी समझाना िाहिा है कक बिपन के वो
टदन ककिने खास र्े और वो उन टदनों को बहुि याद करिा है।
IV पाि- स्मतृ ि के आधार पर पूछे गए बहुववकल्पीय प्रश्नों के उत्तर दीग्जए-
1 लेखक शाम के समय क्या कर रहा र्ा?
(क) खेल रहा र्ा
(ख) बेर िोड़ कर खा रहा र्ा
(ग) पढ़ रहा र्ा
(ि) आम िोड़ कर खा रहा र्ा
2 िण्ड से बिने के सलए लेखक और उसके छोिे भाई ने क्या ककया?
(क) कानों में धोिी बााँध ली
(ख) ऊनी कपडे पहने
(ग) आग के पास बैि गए
(ि) इनमें से कोई नहीिं
3 कुऍ िं में कौन र्ा?
(क) पानी
(ख) सााँप
(ग) कीिड़
(ि) कोई नहीिं
4 सााँप को छे ड़ने के सलए बच्िे क्या करिे र्े ?
(क) आवाजें करिे र्े
(ख) बेर फेंकिे र्े
(ग) पत्र्र फेकिे र्े
(ि) आम फेंकिे र्े
5 िोपी तनकालिे हुए क्या हुआ?
(क) िोपी चगर गई
(ख) चिटियााँ कुऍ िं में चगर गई
(ग) िोपी फि गई
(ि) उपरोक्ि सभी
6 कुएाँ में िस
ु कर चिटियों को तनकालने का तनश्िय भयानक तनणगय क्यों र्ा?
(क) वह बहुि गहरा र्ा
(ख) उसमे बहुि पानी र्ा
(ग) उसमे भयिंकर काला सााँप र्ा
(ि) वह कीिड़ से भरा पड़ा र्ा
7 लेखक ने अपने छोिे भाई को क्या आश्वासन टदया?
(क) सााँप को मारने का
(ख) चिटियााँ लाने का
(ग) बेर लाने का
(ि) मार न पड़ने का
8 लेखक और उसके भाई ने रस्सी कैसे बनाई?
(क) धोतियों को बााँध कर
(ख) कुऍ िं की रस्सी से
(ग) पेड़ों की लिाओिं से
(ि) इनमें से कोई नहीिं
9 िक्षुुःश्रवा का क्या अर्ग है?
(क) आाँखों से सुनना
(ख) आाँखों का अाँधा
(ग) कानों का बहरा
(ि) सााँप
10 खक के छोिे भाई के कोमल हृदय को धक्का क्यों लगा?
(क) उसे लगा लेखक को सााँप काि सलया है
(ख) उसे लगा चिटियााँ नहीिं समली
(ग) उसे लगा अब बड़े भाई साहब खूब मारें गे
(ि) इनमें से कोई नहीिं
संचयन- कल्लू कुमहार की उनाकोटी

कल्लू कु म्हार की उनाकोिी में लेखक के . ववक्रम ससिंह ने अपनी यात्रा का वणगन करा है। एक बार
काम के ससलससले में लेखक बत्रपुर ा गए र्े। वहााँ अपने कायगक्रम के सलए उन्होंने अनेक स्र्ानों की
यात्रा करी। उनाकोिी उन स्र्ानों में से एक र्ा। लेखक ने इस स्र्ान का ववशेष रूप से वणगन करा
है और बिाया है कक वहााँ सशव की एक करोड़ से एक कम मूतिगयााँ हैं। बत्रपुर ा में कल्लू नाम का
एक कु म्हार रहिा र्ा। वह सशव जी के सार् रहना िाहिा र्ा। भगवान सशव ने शिग रखी कक उसे
एक राि में सशव जी की एक करोड़ मूतिगयााँ बनानी होंगी। कल्लू जाने के सलए बहुि उत्सुक्ि र्ा
इससलए िुर िंि मूतिगयााँ बनाने लगा। परन्िु एक मूतिग रह गयी और सुबह हो गई। इससलए वह सशव
जी के सार् नहीिं जा सका और वहीीँ रह गया। उसी के नाम से बत्रपुर ा के उस स्र्ान का नाम
उनाकोिी पड़ा। उनाकोिी का अर्ग है एक करोड़ से एक कम। लेखक को यह स्र्ान बहुि रमणीय
लगा। इस स्र्ान पर लेखक ने अपने कायगक्र म की शूटििंग भी करी। इसके अतिररक्ि लेखक ने
बत्रपुर ा की सिंस्कृ ति, सभ्यिा, धमग, वहााँ का जन जीवन और जनजातियों के बारे में बिाया है।
बत्रपुर ा बहुधासमगक समाज का उदाहरण है। वहााँ पर लगािार बाहरी लोग आिे रहे हैं। बत्रपुरा में
उन्नीस अनुसूचिि जनजातियााँ हैं। वहााँ ववश्व के िारों बड़े धमों का प्रतितनचधत्व मौज ूद है। अगरिला
के बाहरी टहस्से पैिारर्ल में एक सुिंदर बौध मिंटदर है। बत्रपुर ा के उन्नीस कबीलों में से िकमा और
मुि महायानी बौध हैं। ये कबीले म्यािंमार से आये र्े। इस मिंटदर की मुख्य बुदध प्रतिमा 1930
में रिंगून से लाई गयी र्ी। िीसलयामुर ा में लेखक का पररिय समाज सेववका मिंज ू ऋवषदास और
लोकगायक हेमिंि कु मार जमातिया से हुई। बत्रपुर ा में अगरबत्ती बनाना, बााँस के णखलौने बनाना
और गले में पहनने की मालायें बनाना आटद िरेलू उदयोग िलिे हैं।

V अतिलिूत्तरीय (VSA) अिंक 2 स्िर


U
1 बत्रपुर ा ‘बहुधासमगक समाज’ का उदाहरण कै से बना?
2 उनाकोिी’ का अर्ग स्पटि करिे हुए बिलाएाँ कक यह स्र्ान इस नाम से
क्यों प्रससदध है?
V लिूत्तरीय (SA) अिंक 4 स्िर
U
1 ध्वतन ककस िरह व्यग्क्ि को ककसी दूसरे समय-सिंदभग में पहुाँिा देिी है?
पाि के आधार पर सलणखए।
2 बत्रपुर ा में आटदवाससयों के मुख्य असिंिोष की वजह पर प्रकाश डासलए।
VI दीघोर्त्रीय / तनबंिात्मक (LA) अिंक 4 स्िर
A
1 िीसलयामरु ा कस्बे में लेखक का पररिय ककन दो प्रमख
ु हग्स्ियों से
हुआ? समाज-कल्याण के कायों में उनका क्या योगदान र्ा?
2 बत्रपुर ा के िरेलू उदयोगों पर प्रकाश डालिे हुए अपनी जानकारी के कु छ
अन्य िरेलू उदयोगों के ववषय में बिाइए?
3 लेखक को अपनी यात्रा में शटू ििंग के सलए क्या-क्या खिरे उिाने पड़े?
इस िरह की पररग्स्र्तियों का ववकास पर क्या प्रभाव पड़िा है ? ऐसी
पररग्स्र्तियों को रोकने के सलए कु छ सुझाव दीग्जए।
4 लेखक को ऐसा क्यों लगा कक बत्रपुर ा स्वच्छिा के नाम पर उत्तर
भारिीय गााँवों से अलग है? इससे आपको क्या प्रेर णा समलिी है?

VII प्रवराम धिन्ह


प्रवराम का अथत है रूकना िथा धिन्ह का अथत है तनिान अथाति भाषा के शलणखि रूप में
रुकने के शलए स्र्न धिह्नों या संके िों का प्रयोग ककया र्ािा है , उन्हें प्रवराम-धिह्न कहिे हैं।
टहिंदी भाषा में मख्
ु य रूप से तनम्नािंककि ववराम-चिह्नों का प्रयोग ककया जािा है –

प्रवराम-धिहन का नाम और धिह्न

• पूणग ववराम (।)


• अधग ववराम ( ; )
• अल्प ववराम ( , )
• प्रश्नवािक चिह्न (? )
• ववस्मयवािक चिह्न (!)
• योजक या ववभाजक (–)
• तनदेशक ( –)
• उदधरण चिह्न ( ‘ ’,“ ” )
• वववरण चिह्न ( :- )
• कोटिक ( )
• हिंस पद [^]
• लािव चिह्न (०)
1 ककस वाक्य में ववराम चिह्र का उचिि प्रयोग नही है ?
[क] सुनो! सुनो! वह गा रही है |
[ख] यह दूर से, बहुि दूर से आ रहा है |
[ग] वप्रय महाशय, मै आपका आभारी हूाँ |
[ि] मै मनुटय में मानविा देखना िाहिी हूाँ, उसे देविा बनाने की मेर ी इच्छा नही
2 तनम्मसलणखि में से कौन ववराम चिह्र का प्रकार नही है ?
[क] तनदेशक
[ख] लािव
[ग] उपदेशक
[ि] वववरण
3 जहााँ वाक्य की गति अिंतिम रूप से ले , वविार के िार िूि जाएाँ, वहााँ ककस चिह्र का प्रयोग
ककया जािा है?
[क] योजक
[ख] अल्पववराम
[ग] उदधरण चिह्र
[ि] पूणग ववराम
4 'आशीष राहुल राजा शुक्ल और वैभव अपने कायग में सिंन लन है|' इस वाक्य में कौन सा
उचिि ववराम चिह्र होगा?
[क] ,
[ख] :
[ग] ;
[ि] |
5 'आनद िर आया र्ोड़ी देर रुका और िला गया' इस वाक्य में उचिि ववराम क्या होगा |
[क] '
[ख] !
[ग] ,
[ि] |

VIII सिंवाद लेखन- अभय पसु लस सेवा में जाना िाहिा है जबकक उसका समत्र उमिंग

इिंजीतनयर बनना िाहिा है। दोनों के बीि होने वाली बाििीि को सिंवाद के

रूप में सलणखए।

IX अनुच्छे द लेखन- ववदयालय का टहिंदी टदवस समारोह

सिंकेि बबिंदु

• टहिंदी टदवस की िारीख एवम ् मनाने का कारण


• समारोह / कायगक्रम की रूपरे खा

• मख्
ु य अतिचर्

• आपका योगदान व कायगक्रम की सफलिा

माह- र्ून

Work Well Done and Presented

Work Adequately Attempted

Work Requires More Practice and Effort

Remark :
______________________________________________________
______________________________________________________
______________________________________________________
_____

Signature ________________ Date__________


अितवाप्रषतक परीक्षा प्रचन पत्र (2022-23)
प्रवषय – हहन्दी कक्षा– नवमीं
अधिकिम अंक - 80 समय– 3 घंटे
सामान्य तनदेि:
• इस प्रचन पत्र में दो खंड हैं, खंड अ , और ब
• हदए गए प्रचनो के उर्त्र तनदेिानुसार शलणखए।
खंड अ
1. हदए गए गदयांि को ध्यानपूवतक पढ़कर और उस पर आिाररि प्रचनों के सही उर्त्र शलणखए- 1X5
सिंिषग के मागग में व्यग्क्ि को सदैव अके ला ही िलना पड़िा है। कोई बाहरी शग्क्ि आपकी
(अ)

सहायिा नहीिं करिी है। पररश्रम, दृढ़ इच्छा शग्क्ि व लगन आटद मानवीय गुण व्यग्क्ि को
सिंिषग करने और जीवन में सफलिा प्राप्ि करने का मागग प्रशस्ि करिे हैं। जीवन में दो
महत्त्वपूणग िथ्य स्मरणीय है पहला- प्रत्येक समस्या अपने सार् सिंिषग लेकर आिी है और दूसरा
प्रत्येक सिंिषग के गभग में ववजय तनटहि रहिी है। एक अध्यापक ने अपने छात्रों को यह सिंदेश
टदया र्ा कक– िुम्हें जीवन में सफल होने के सलए समस्याओिं से सिंिषग करने का अभ्यास करना
होगा। जीवन में हम कोई भी कायग करें , सवोच्ि सशखर पर पहुाँिने का सिंक ल्प लेकर िलें िो
सफलिा हमें कभी तनराश नहीिं करेगी। समस्ि ग्रिंर्ों और महापरु
ु षों के अनभ
ु वों का तनटकषग यह
है कक सिंिषग से डरना अर्वा उससे ववमुख होना अटहिकर है, मानव धमग के प्रतिकू ल है और
अपने ववकास को अनावश्यक रूप से बाचधि करना है। आप जाचगए, उटिए दृढ़-सिंकल्प, उत्साह
एविं साहस के सार् सिंिषग रूपी ववजय रर् पर सवार होकर और अपने जीवन के ववकास की
बाधा रूपी शत्रुओिं पर ववजय प्राप्ि कीग्जए|
I व्यग्क्ि को ककस मागग पर अके ला िलना पड़िा है ?
II कौनसे गुण सफलिा प्राग्प्ि का मागग प्रशस्ि करिे हैं?
III जीवन में कौन से महत्त्वपूणग िथ्य स्मरणीय है?
IV सिंिषग रूपी ववजय रर् पर िढ़ने के सलए क्या आवश्यक है ?
V समस्ि ग्रिंर्ों और महापुरुषों के अनुभवों का तनटकषग क्या है?
(ब) सशशु को यटद हम राटर की अमल्
ू य तनचध के रूप में देखना िाहिे हैं िो उसे एक आदशग 1x5
वािावरण प्रदान करना पड़ेगा, ग्जसमें तनबागध गति से उसका िहुाँमुखी ववकास हो सके । स्वच्छ,
शािंि, भयमक्
ु ि और स्वास्थ्यप्रद वािावरण में ही सशशु की कोमल भावनाएाँ! सरु क्षक्षि रह सकिी
है| सशशु की सक
ु ोमल भावनाओिं को आिाि पहुाँिाना सामाग्जक अपराध है| राटर व समाज का
यह किगव्य है कक वह बालक को ऐसा वािावरण उपलब्ध करवाए कक उसमें हीन भावना न
पनपने पाए । हीन भावना से ग्रससि बालक समाज के प्रति अपने किगव्यों का सही रूप से तनवागह
नहीिं कर सकिा। ऐसे बालक अपना जीवन सामाग्जक बुर ाइयों में नटि कर देिे हैं, िर्ा राटर
के सलए भी िािक होिे हैं।
I सशशु को राटर की अमूल्य तनचध ककस प्रकार बनाया जा सकिा है?
II सशशु की कोमल भावनाएाँ कै से वािावरण में सुर क्षक्षि रह सकिी है?
III इस गदयािंश में ककसे सामाग्जक अपराध माना गया है?
IV राटर व समाज का क्या किगव्य है?
V हीन भावना से ग्रस्ि बालक क्या करिे हैं?
2. व्यावहाररक व्याकरण (16 अंक)
I तनम्नसलणखि िीन प्रश्नों में से ककन्हीिं दो के उत्तर दीग्जए -
(क) वाक्य और भाषा में- ------- पाए जािे हैं। ररक्ि स्र्ान की पतू िग उपयक्
ु ि ववकल्प दवारा 1
कीग्जए।
A) स्वर B) पद
C) वाक्य D) शब्द
(ख) शब्द जब िक वाक्य में प्रयुक्ि नहीिं ककए जािे िब िक --------------- होिे हैं। ररक्ि स्र्ान 1

की पूतिग उपयुक्ि ववकल्प दवारा कीग्जए।


A) अर्गहीन होिे है B) स्विन्त्र होिे है
C) सरल होिे हैं D) कटिन होिे हैं
(ग) तनम्नसलणखि ववकल्पों में से शब्द िुनकर सलणखए। 1

A) बिंदर आम खा रहे हैं। B) बिंदर


C) बिंदर आम खा रहे र्े। D) सभी सही हैं।
II टदए गए अनुस्वार व अनुनाससक प्रश्नों के िीन में से दो प्रश्नों के उत्तर सलणखए
(क) अनुस्वार वह व्यिंज न है जो ------------- के बाद आिा है। 1

A) स्वर B) वणग
C) अनुनाससक D) शब्द
(ख) ‘अलकनदा’ में उचिि स्र्ान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप छााँटिए- 1

A) अलिंकनदा
B) अलकनिंदा
C) अिंलकनदा
D) अलकिं नदा
(ग) मासपेसशया (अनन
ु ाससक का सही प्रयोग है।) 1
A) मााँसपेसशया B) मासपेसशयााँ
C) मााँसपेसशयााँ D) इनमें से कोई नहीिं
III टदए गए उपसगग व प्रत्यय के पााँि प्रश्नों में से ककन्हीिं िार के उत्तर सलणखए-
(क) ‘उपकरण’ शब्द में ककस उपसगग का प्रयोग हुआ है? 1

A) अप B) उ
C) करण D) उप
(ख) ‘नगरीय’ शब्द में सही प्रत्यय है- 1

A) रीय B) य
C) ईय D) इय
(ग) ‘तनस्सिंकोि’ शब्द में सही उपसगग व मल
ू शब्द है? 1

A) तनस्स + सिंकोि B) तनस ् + सिंकोि


C) तनस्सा + सिंकोि D) तनस + सिंकोि
(ि) ‘वैज्ञातनक’ शब्द में सही उपसगग व प्रत्यय है? 1

A) वव, इक B) ववज्ञान, इक
C) वै, इक D) कोई नहीिं
(ड़) ‘व्यग्क्ित्व’ शब्द में सही मल
ू शब्द व प्रत्यय है 1

A) व्यग्क्ि + ित्व B) व्यग्क्ि + िव


C) व्यग्क्ि + त्व D) व्यग्क्ि + व
IV टदए गए ववराम चिन्हों के पााँि प्रश्नों में से ककन्हीिं िार के उत्तर सलणखए-
(क) सदैव आगे बढ़िे रहो रुकना मृत्यु का नाम है - इस वाक्य में प्रयोग हवन वाले उचिि ववराम 1

चिन्ह का नाम बिाइए ।


A) अल्प ववराम B) ववस्मयाटदबोधक
C) अदगधववराम D) लािव चिह्न
(ख) ककस वाक्य में अल्प ववराम का सही प्रयोग होगा। 1

A) क्या आप सब खेल रहे हैं B) हे ईश्वर यह क्या हो गया


C) मैंने टहिंदी अिंग्रेजी व गणणि ववषय पढ़े D) इनमें से कोई नहीिं
(ग) ग्जन वाक्यों में प्रश्न पुछ ने का भाव हो उनमें ककस ववराम चिह्न का प्रयोग होिा हैं ? 1

A) तनदेशक B) ववस्मयाटदबोधक
C) वववरण D) प्रश्नवािक
(ि) भाषा में ववराम चिह्न का प्रयोग क्यों ककया जािा है ? 1

A) शब्दों में परस्पर सिंबिंध स्पटि करने के सलए


B) भाषा के लेखन में शुदधिा प्रकि करने के सलए
C) भाषा को सिंक्षक्षप्ि रूप में सलखने के सलए
D) इनमें से कोई नहीिं
(ड़) अरे__वह अनुत्तीणग हो गया।– ररक्ि स्र्ान में उचिि ववराम चिन्ह भररए। 1

A) ? B) ;
C) :- D) !
V तनम्नसलणखि अर्ग के आधार पर वाक्यों के पााँि प्रश्नों में से ककन्हीिं िार के उत्तर सलणखए-
(क) आकाश अपनी मेडडकल की पढ़ाई के सलए अमेररका जा रहा है। इस वाक्य के सलए 1

तनषेधवािक वाक्य है।


A) क्या आकाश अपनी मेडडकल की पढ़ाई के सलए अमेररका जा रहा है ?
B) आकाश अपनी मेडडकल की पढ़ाई के सलए अमेररका जा रहा है!
C) आकाश अपनी मेडडकल की पढ़ाई के सलए अमेररका नहीिं जा रहा है।
D) शायद आकाश अपनी मेडडकल की पढ़ाई के सलए अमेररका जा रहा है।
(ख) ग्जन वाक्यों में ककसी कायग के करने या होने की सिंभावना प्रकि हो उन्हें अर्ग की दृग्टि से 1
कौन-सा वाक्य कहिे हैं?
A) सिंदेहवािक वाक्य B) ववधानवािक वाक्य
C) ववस्मयवािक वाक्य D) प्रश्नवािक वाक्य
(ड़) तनम्न वाक्यों में से ‘इच्छावािक’ वाक्य छााँिकर कर सलणखए– 1

A) ईश्वर िम्
ु हें लिंबी उमर दे।
B) अरे! िुम कब आए?
C) क्या पढ़ाई करने पर अच्छे अिंक आिे हैं?
D) यटद पढ़ाई कर लेिे, िो अच्छे अिंक आिे।
(ि) ‘प्राि: काल पूवी क्षक्षतिज पर सूयग की लाली बहुि ही सुिंदर प्रिीि होिी है।’ इस वाक्य में अर्ग 1
के आधार पर वाक्य का कौन-सा वाक्य भेद है?
A) आज्ञावािक वाक्य B) सिंकेिवािक वाक्य
C) ववधानवािक वाक्य D) प्रश्नवािक वाक्य
(ड़) ‘सिंभवि: वपिाजी कल टदल्ली से वापस आ जाएाँगे |’। इस वाक्य में अर्ग के आधार पर वाक्य 1

का कौन-सा वाक्य भेद है?


A) आज्ञावािक वाक्य B) सिंके िवािक वाक्य
C) ववधानवािक वाक्य D) प्रश्नवािक वाक्य
3 (पाठ्यपत
ु िक) (14 अिंक )

(ब) तनमनशलणखि पदयांि को पढ़कर प्रचनों के उर्त्र दीस्र्ए।


ऐसी लाल िुझ बबनु कउनु करै।
गरीब तनवाज ु गुसाईआ मेर े मार्ै छत्रु धरै।।
जाकी छोति जगि कउ लागै िा पर िुहीिं ढरै।
नीिउ ऊि करै मेर ा गोबबिंदु काहू िे न डरै।।
I रैदास के अनुसार इस सिंपूणग जगि में प्रभु से बड़ा कृ पालु और कोई क्यों नहीिं ? 1

A वे मनुटय-मनुटय के बीि कोई भेदभाव नहीिं करिे।


B) वे छु आछू ि में ववश्वास नहीिं करिे हैं
C) वे गरीब एविं टदन- दुणखयों को समान भाव से देखने वाले हैं।
D) उपयुगक्ि सभी
II रैदास ने गरीब तनवाज ु ककसे कहा है? 1

A) स्वयिं को B) गरीबों को
C) ईश्वर को D) दसलिों को
III जाकी छोति जगि कउ लागै िा पर िुहीिं ढरै। पिंग्क्ियों के आधार पर बिाइए कक ईश्वर 1

ककसका कल्याण बबना भेदभाव के करिे है?


A) धनवान का B) ग्जसके छू ने से सिंसार डरिा है।
C) अचधक िढ़ावा िढ़ाने वालों का D) जो उच्ि कु ल के हैं।
IV रैदास के पदों के अनुसार उनके प्रभु ने सहज-भाव से ककन भक्िों को अपनाया है? 1

A) उच्िकु लीन भक्िों को B) पैसेवाले भक्िों को


C) तनम्नकु लीन भक्िों को D) सगण
ु भक्िों को
V ईश्वर से बढ़कर इस सिंसार में सभी लोगों को एक बराबर सम्मान देने वाला कोई नहीिं है।पद 1

के आधार पर बिाइए कक-


A) पिंग्क्ि सत्य है B) पिंग्क्ि असत्य है
C) पिंग्क्ि आिंसशक सत्य है D) इनमें से कोई नहीिं
(ब) काव्य खंड पर आिाररि तनमनशलणखि बहुप्रवकल्पीय प्रचनों के उर्त्र िुनकर शलणखए।
I रहीम ने कीिड़ के जल की क्या ववशेषिा बिाई है ? 1

A) उसमें कमल णखलिा है B) वह जल पववत्र होिा है


C) अनेक छोिे जीव-जिंिु इसके जल से अपनी D) ककसान कीिड़ के जल से अपने खेि
प्यास बुझािे हैं सीिंििा है
II बड़ी िीज को देखकर ककसी छोिी िीज की उपेक्षा नहीिं करनी िाटहए, इसका क्या अर्ग है? 1

A) छोिी िीज़ काम की होिी है B) हर िीज़ का अपना महत्त्व है


C) बड़ी िीज़ काम की होिी है D) इनमें से कोई नहीिं
(स) तनमनशलणखि गदयांि को पढ़कर प्रचनों के उर्त्र दीस्र्ए।
रामन की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रािंति के समान र्ी। इसका पहला पररणाम िो यह
हुआ कक प्रकाश की प्रकृ ति के बारे में आइन्स्िाइन के वविारों का प्रयोचगक प्रमाण समल गया ।
आइन्स्िाइन के पूवगविी वैज्ञातनक प्रकाश को िरिंग के रूप में मानिे र्े , मगर आइन्स्िाइन ने
बिाया कक प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की िीव्र धारा के समान है। अति सूक्ष्म कणों की िीव्र धारा
के समान है। इन अति सूक्ष्म कणों की िुलना आइन्स्िाइन ने बुलेि से की और इन्हें ‘फोिोन’
नाम टदया। रामन के प्रयोगों ने आइन्स्िाइन की धारणा का प्रत्यक्ष प्रमाण दे टदया, क्योंकक
एकवणीय प्रकाश के वणग में पररविगन यह साफ़िौर पर प्रमाणणि करिा है कक प्रकाश कक ककरण
िीव्र गामी सूक्ष्म कणों के प्रवाह के रूप में व्यवहार करिी है।
I रामन की खोज ककस क्षेत्र में एक क्रािंति के समान र्ी? 1

A) ववज्ञान
B) प्रकाश
C) भौतिकी
D) प्रकृ ति
II अति सूक्ष्म कणों की िुलना आइन्स्िाइन ने ककस से की है? 1

A) फ़ोिोन B) प्रकाश
C) बुलेि D) इनमें से कोई नहीिं
III आइन्स्िाइन ने अति सूक्ष्म कणों को क्या नाम टदया ? 1

A) प्रोिोन B) फोिोन
C) ववकल्प ‘A’ और ‘ब’ दोनो सही हैं D) न्यूिोन
IV आइन्स्िाइन के पव
ू गविी वैज्ञातनकों का मानना र्ा कक? 1

A) प्रकाश सूक्ष्म कणों की धीमी धारा के B) प्रकाश नीले रिंग में प्रवाटहि होिा है।
समान है।
C) प्रकाश रोशनी के रूप में प्रवाटहि होिा D) प्रकाश िरिंग के रूप में प्रवाटहि होिा है।
है।
V ‘प्रमाणणि’ शब्द में मूल शब्द व प्रत्यय है? 1

A) प्र+माणणि B) प्रमाण+ ि
C) प्रमाण+इि D) प्रमा+इि
(द) गद्य खंड पर आिाररि तनमनशलणखि बहुप्रवकल्पीय प्रचनों के उर्त्र िन
ु कर शलणखए।
I सशखर पर पहुाँिकर लेणखका ने अिंगदोरजी के प्रति ककस प्रकार सम्मान व्यक्ि ककया? 1

A) उन्होने पूज ा-अिगना की


B) अपने मािा-वपिा का आदर ककया
C) झुक कर रज्ज ू नेिा का आभार प्रकि ककया
D) हनुमान िालीसा का पाि ककया।
II कौन-सी जगह पृथ्वी पर ‘बहुि किोर जगह’ के नाम से प्रससदध है? 1

A) साउर् कोल
B) टहमालय
C) एवरेस्ि
D) पवगि
4 खंड ब वणतनात्मक प्रचन 40 अंक
(क) टदये गए गदय खिंड पर आधाररि िीन प्रश्नों में से ककन्हीिं दो प्रश्नों के उत्तर सलणखए 2x3
I रामन ् को समलनेवाले पुर स्कारों ने भारिीय-िेिना को जाग्रि ककया। ऐसा क्यों कहा गया है?
II लोपसािंग ने ििंबू का रास्िा कै से साफ़ ककया? पाि एवरेस्ि मेर ी सशखर यात्रा के आधार पर
बिाइये|
III पोशाक हमारे सलए कब बिंधन और अड़िन बन जािी है ? पाि दुख का अचधकार के आधार
पर बिाइए|
(ख) टदये गए काव्य खिंड पर आधाररि िीन प्रश्नों में से ककन्हीिं दो प्रश्नों के उत्तर सलणखए 2x3
I व्यग्क्ि को अपने पास सिंपवत्त क्यों बिाए रखनी िाटहए? ऐसा कवव ने ककसके उदाहरण दवारा
कहा है?
II ‘जाकी छोति जगि कउ लागै िा पर िुहीिं ढरै’ इस पिंग्क्ि का आशय स्पटि कीग्जए।
III ‘बबगरी बाि क्यों नहीिं बन पािी है? इसके सलए रहीम जी ने क्या उदाहरण टदया है ? सलणखए
(ग) हदये गए कहानी संियन पर आिाररि िीन प्रचनों में से ककन्हीं दो प्रचनों के उर्त्र शलणखए 2x3
I चगल्लू को जाली के पास बैिकर अपनेपन से बाहर झााँक िे देखकर लेणखका ने इसे मुक्ि
करना आवश्यक क्यों माना? स्पटि कीग्जए।
II लेणखका ने लिु जीव की जान ककस िरह बिाई? उसके इस कायग से आपको क्या प्रेर णा
समलिी है?
III ‘स्मृति’ पाि के आधार पर सलणखए। सााँप का ध्यान बाँिाने के सलए लेखक ने क्या-क्या
युग्क्ियााँ अपनाईं?
5 रिनात्मक लेखन
I टदए गए सिंके ि बबन्दुओिं के आधार पर ककसी एक ववषय पर 120 शब्दों में अनुच्छे द सलणखए- 6

(क) समय का सदुपयोग


सहायक बबिंदु- समय का अचधकाचधक उपयोग, प्रकृ ति से सीख, समय तनयोजन का महत्त्व,
आलस्य समय के सदुपयोग में बाधक।
(ख) बढ़िे वाहन िििा जीवन
सिंकेि-बबिंदु- ववज्ञान की देन वाहन, वाहनों की बढ़िी सिंख्या और प्रदूषण, वाहनों के कारण–
हातन, उपसिंहार।
(ग) राटरभाषा टहन्दी
सिंकेि-बबिंदु- राटरभाषा का महत्त्व, देश के ववकास में राटरभाषा की भूसमका, राटरीय एकिा में
टहन्दी का योगदान, तनज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
II तनम्नसलणखि ववषयों में से ककसी एक ववषय पर 120 शब्दों में अनौपिाररक पत्र सलणखए। 6
ववदयालय में तनयसमि रूप से उपग्स्र्ि रहने िर्ा ववदयालय में अनुशासन व तनयमों का पालन
करने की सलाह देिे हुये अपने छोिे भाई को पत्र सलणखए।
अथवा
कल्पना कीग्जये की आपने अपने ग्रीटमावकाश में रेल यात्रा की है , जो बहुि ही यादगार रही है।
अपने समत्र को पत्र सलखकर अपनी यात्रा का अनुभव बिाइये।
III तनम्नसलणखि ववषयों में से ककसी एक ववषय पर 100 शब्दों में सिंवाद सलणखए। 5
आपने राटरीय कक्रके ि प्रतियोचगिा में भाग सलया है। प्रतियोचगिा की िैयारी के ववषय में अपने
प्रसशक्षक के सार् वािागलाप करिे हुये सिंवाद सलणखए।
अथवा
स्वस्र् व पौग्टिक भोजन खाने से शरीर को समलने वाले लाभ पर अपनी मािाजी से ििाग करिे
हुये सिंवाद सलणखए।
IV टदए गए चित्र का वणगन लगभग 100 शब्दों में कीग्जए। 5

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