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प्राण प्रततष्ठा से तात्पयय है कक ककसी वस्तु में प्राणों का संचार करना । बिना प्राणों के ककसी भी वस्तु में स्वयं
की न तो कोई ऊर्ाय होती है और, न ही वह ककसी अभीष्ट प्राप्तत में सहायक ही ससद्ध हो सकती है ।
हम लोग बहुधा गुरुधाम से माला और यंत्र सामग्री मंगाकर तिश्चंि हो जािे हैं कक हमें प्राण प्रतिशष्ठि सामग्री
पहले से ही िैयार की हुयी ममल गयी है । बाि सच भी है कक हमें इस कायय में ज्यादा परे शाि िहीं होिा पड़िा
और हमारे हहस्से का कायय सदगुरुदे व स्वयं करके भेज दे िे हैं ।
कुछ पररशस्ितियों में ये उचचि है पर, हमेशा ऐसे ही करिे रहें , ये उचचि िहीं है ।
कारण ये है कक सदगुरुदे व िे अपिे मशष्यों को सभी प्रकार का ज्ञाि बहुि पहले से प्रदाि ककया हुआ है । और,
वो हमसे ये भी उम्मीद करिे हैं कक हम उस ज्ञाि को ि मसर्य प्रयोग करें गे बशकक, उस ज्ञाि को संरक्षिि करके
आगे आिे वाली पीह़ियों के मलए भी धरोहर स्वरुप प्रदाि भी करें गे ।
1. आसि मसद्चध
2. पवजय मसद्चध माला का तिमायण
3. ककसी भी यंत्र या चचत्र की प्राण प्रतिष्ठा
पर ये भी सोचचए कक क्या हो जब हम पवजय मसद्चध माला ि बिा पाये हों ? िब एक साधारण रुद्राि, मूंगा या
कमलगट्टे की माला को ही कैसे प्राण प्रतिशष्ठि करें कक वह भी एक पवशेर् िांत्रत्रक माला बिकर हमें हमारे
अभीष्ट की प्राशप्ि में सहयोगी मसद्ध हो ।
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आप जाििे हैं कक पवमभन्ि प्रयोगों के मलए पवमभन्ि मिकों की माला का उपयोग होिा है , कभी 51 िो कभी 31
पर अचधकांश प्रयोगों और साधिाओं में 108 मिकों से यक्
ु ि माला का प्रयोग होिा है ।
पर १०८ ही क्यों?
यूं िो सभी का एक पवशेर् अिय हैं पर सदगुरुदे व िे कई जगह स्पष्ट ककया है कक मािव शरीर में 7 िहीं
बशकक 108 चि होिे हैं, और उन्होंिे इस संदभय में पवमभन्ि उदाहरण भी हदए हैं । साि ही साि इस हे िु एक
बार एक पवमशष्ट दीिा १०८ चक्र र्ागरण दीक्षा भी उन्होंिे प्रदाि की िी, िो जब भी हम 108 मिकों की माला से
मंत्र जप करिे हैं िब हर मिके के माध्यम से एक पवशेर् चि पर स्पंदि होिा ही है । कर्र उसे हम महसूस कर
सकें या ि कर सकें । यही एक गोपिीय िथ्य है इि मिको का 108 होिे का, िभी िो 108 मिको वाली माला
सवायर्य ससद्धध प्रदायक कही जािी है ।
आप ही सोचचये कक हम लोग साधिाओं के माध्यम से ससद्धाश्रम िक जािे की बाि करिे हैं और स्वयं एक
सामान्य सी माला को भी प्राण प्रतिशष्ठि िहीं कर पािे हैं । िो आप स्वयं ही सोच सकिे हैं कक हम कहां पर
खड़े हैं ।
प्रर्म तरीका
सवायचधक सरल िरीका िो यह है कक आप ककसी भी माला अिवा मालाओं को ककसी भी ज्योतिमलिंग या शशक्ि
पीठ के मुख्य पवग्रह से स्पशय करा दें । उिकी प्राण ऊजाय से माला स्विः ही प्राण प्रतिशष्ठि हो जािी है ।
द्ववतीय तरीका
यहद आप रुद्रामभर्ेक कर सकिे हैं अिवा आपके घर में ककसी व्यशक्ि अिवा पंडड़ि द्वारा रुद्रामभर्ेक ककया जा
रहा हो िो, उस काल में ककसी भी पात्र में यह माला, शजसे प्राण प्रतिशष्ठि ककया जािा है , उसे रख दें , यह स्वयं
ही प्राण प्रतिशष्ठि हो जािी है । रुद्रामभर्ेक की पवचध आप गीिा प्रेस की ककिाबों से प्राप्ि कर सकिे हैं ।
तत
ृ ीय तरीका
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आपके जो भी गरु
ु हों, उिके हािों के स्पशय मात्र से भी यह प्रकिया सग
ु मिा पव
ू क
य संपन्ि हो जािी है :-)
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चतर्
ु य तरीका
माला को गंगा जल से स्िाि करायें और तिम्ि मंत्र उसी माला से 108 बार जप लें । यह भी एक सुगम िरीका
है -
(Male Male Mahaamale Sarv Tatva Swarupini, chaturvargastwayi Nyasta Stasmame Sidhhida Bhav)
पीपल के िौ पत्ते इस प्रकार से रखें कक एक पत्ता बीच में रहे और बाकी अन्य पत्ते उसे केन्द्र माििे हुये इस
प्रकार रखें जैसे कक एक अष्ट दल कमल बि जाए । बीच के पत्ते पर अपिी माला रखे दें और हहंदी वणय माला
के वणय ॐ अं से लेकर िं िक सभी का उच्चारण करिे हुए उस माला को पंचगव्य से स्िाि करायें ।
ॐ सद्योर्ातं प्रपद्यासम सद्योर्ाताय वै नमो नमः । भवे भवे नातत भवे भवस्य मााँ भवो द्वावाय नमः ।।
िलाय नमो िल प्रमर् नाय नमः सवय भूतदहनाय नमो मनोन्मर्ाय नमः ।।
धप
ु बत्ती अघोरमंत्र से हदखाएं
ॐ अघोरे भ्योSर् घोरे भ्यो घोर घोर तरे भ्य: सवेभ्य: सवय सवेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्य:
ॐ तत्परु
ु षाय ववद्महे महादे वी धीमहह तन्नो रुद्रः प्रचोदयात ।।
कर्र इसके एक-एक दािे पर एक बार या सौ-सौ बार ईशाि मंत्र का जप करें
अब बाि आिी है कक कैसे दे विा की स्िापिा की जाए िो यहद आप इस माला को शशक्ि कायों में उपयोग करिा
चाहिे हैं िो "ह्ीं " इस मंत्र के पहले लगा कर और लाल रं ग के पुष्पों से इसका पूजि करें .
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और वैष्णवों के तिम्ि मन्त्र का उपयोग करें
कर्र हर वणय मिलब अं से लेकर िं िक लेकर इिसे संपहु टि करके १०८-१०८ बार अपिे इष्ट मन्त्र का उच्चारण
करें ।
ॐ त्वं माले सवयदेवानां सवय ससद्धधप्रदा मता । तें सत्येन में ससद्धधं दे हह मातनायमोSस्तुते ||
आपको जो भी पवचध उचचि लगे उसका उपयोग करके एक प्राण प्रतिशष्ठि माला का तिमायण आप कर सकिे हैं
और उसे साधिा में प्रयोग कर सकिे हैं और, अब इस माला को हर ककसी के सामिे हदखाए िहीं ।
अब िक की प्रककया मणण माला को संस्काररि करिे की हैं पर पवशेर् शशक्ि युक्ि िांत्रत्रक माला का तिमायण कैसे
ककया जाए , यह पवधाि पहली बार ही सामिे आ रहा हैं, िो इसमें आपको -
(Om sarv mala mani mala siddhi pradatrayi shakti rupinyai namah)
इस मंत्र का १०८ बार उच्चारण करिा है । इस दौराि माला हाि में घुमािे रहें ।
इस पवधाि के माध्यम से हम ककसी भी प्रकार की माला को प्राण संस्काररि कर सकिे हैं जैसे कक रुद्राि
माला, कमलगट्टे की माला (लक्ष्मी साधिाओं के मलए सवोत्तम माला), स्र्हटक एवं मंग
ू ा माला इत्याहद । हमिे
ये भी सीखा है कक हम एक प्राण संस्काररि माला को पवशेर् शशक्ि यक्
ु ि िांत्रोक्ि माला में भी बदल सकिे हैं
। आप सब अपिे जीवि में प्राण संस्कार की इस किया को ि मसर्य आत्मसाि करें बशकक, प्राण संस्काररि माला
के प्रयोग से अपिी साधिाओं में भी सर्लिा प्राप्ि करें ।
अस्िु ।
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