You are on page 1of 4

माला में प्राण प्रतिष्ठा

माला में प्राण संस्कार के सरलतम और श्रेष्ठतम प्रयोग

प्राण प्रततष्ठा से तात्पयय है कक ककसी वस्तु में प्राणों का संचार करना । बिना प्राणों के ककसी भी वस्तु में स्वयं
की न तो कोई ऊर्ाय होती है और, न ही वह ककसी अभीष्ट प्राप्तत में सहायक ही ससद्ध हो सकती है ।

हम लोग बहुधा गुरुधाम से माला और यंत्र सामग्री मंगाकर तिश्चंि हो जािे हैं कक हमें प्राण प्रतिशष्ठि सामग्री
पहले से ही िैयार की हुयी ममल गयी है । बाि सच भी है कक हमें इस कायय में ज्यादा परे शाि िहीं होिा पड़िा
और हमारे हहस्से का कायय सदगुरुदे व स्वयं करके भेज दे िे हैं ।

कुछ पररशस्ितियों में ये उचचि है पर, हमेशा ऐसे ही करिे रहें , ये उचचि िहीं है ।

कारण ये है कक सदगुरुदे व िे अपिे मशष्यों को सभी प्रकार का ज्ञाि बहुि पहले से प्रदाि ककया हुआ है । और,
वो हमसे ये भी उम्मीद करिे हैं कक हम उस ज्ञाि को ि मसर्य प्रयोग करें गे बशकक, उस ज्ञाि को संरक्षिि करके
आगे आिे वाली पीह़ियों के मलए भी धरोहर स्वरुप प्रदाि भी करें गे ।

प्राण संस्कार भी उिमें से ही एक बेहद महत्वपण


ू य किया है । अब िक हमिे प्राण प्रतिष्ठा के कुछ प्रयोगों को
पपछली कई पोस्ट के माध्यम से दे खा और सीखा है शजसमें शाममल हैं -

1. आसि मसद्चध
2. पवजय मसद्चध माला का तिमायण
3. ककसी भी यंत्र या चचत्र की प्राण प्रतिष्ठा

ये सभी प्रयोग बहुि दल ु भ


य हैं और ये हम लोगों का सौभाग्य है कक हम सदगुरुदे व के श्री चरणों में रहकर इि
प्रयोगों को प्राप्ि कर पािे और उिको संपन्ि कर पािे में सर्ल हुये हैं । आप ये कदापप ि सोचचये कक ये सब
प्रयोग आपको हम दे रहे हैं, ये प्रयोग िो सदगुरुदे व हमारे माध्यम से आप सब िक पहुंचा रहे हैं । ये िो
आपकी अपिी प्रबल भाविाएं हैं कक सदगुरुदे व कृपालु होकर इस ज्ञाि की वर्ाय से हम सबको मभगो रहे हैं ।

पर ये भी सोचचए कक क्या हो जब हम पवजय मसद्चध माला ि बिा पाये हों ? िब एक साधारण रुद्राि, मूंगा या
कमलगट्टे की माला को ही कैसे प्राण प्रतिशष्ठि करें कक वह भी एक पवशेर् िांत्रत्रक माला बिकर हमें हमारे
अभीष्ट की प्राशप्ि में सहयोगी मसद्ध हो ।

आज की यह पोस्ट इसी महत्वपूणय पवर्य पर है ।


1
Page

https://nikhiljyoti.in
#89 79 480617
आप जाििे हैं कक पवमभन्ि प्रयोगों के मलए पवमभन्ि मिकों की माला का उपयोग होिा है , कभी 51 िो कभी 31
पर अचधकांश प्रयोगों और साधिाओं में 108 मिकों से यक्
ु ि माला का प्रयोग होिा है ।

पर १०८ ही क्यों?

यूं िो सभी का एक पवशेर् अिय हैं पर सदगुरुदे व िे कई जगह स्पष्ट ककया है कक मािव शरीर में 7 िहीं
बशकक 108 चि होिे हैं, और उन्होंिे इस संदभय में पवमभन्ि उदाहरण भी हदए हैं । साि ही साि इस हे िु एक
बार एक पवमशष्ट दीिा १०८ चक्र र्ागरण दीक्षा भी उन्होंिे प्रदाि की िी, िो जब भी हम 108 मिकों की माला से
मंत्र जप करिे हैं िब हर मिके के माध्यम से एक पवशेर् चि पर स्पंदि होिा ही है । कर्र उसे हम महसूस कर
सकें या ि कर सकें । यही एक गोपिीय िथ्य है इि मिको का 108 होिे का, िभी िो 108 मिको वाली माला
सवायर्य ससद्धध प्रदायक कही जािी है ।

और यह माला ही िो इस साधिा का एक पवशेर् उपकरण है । सदगरु


ु दे व िे स्पष्ट कहा है कक क्यों एक छोटी
से छोटी बाि के मलए अपिे सदगरु
ु दे व पर भी तिभयर रहिा ...! उन्होंिे ही िो अिेक बार माला और यंत्रों को
प्राण प्रतिशष्ठि करिे की पवचधयां बिाई हैं, उस समय के अिेक साधक इस बाि के प्रमाण हैं ।

आप ही सोचचये कक हम लोग साधिाओं के माध्यम से ससद्धाश्रम िक जािे की बाि करिे हैं और स्वयं एक
सामान्य सी माला को भी प्राण प्रतिशष्ठि िहीं कर पािे हैं । िो आप स्वयं ही सोच सकिे हैं कक हम कहां पर
खड़े हैं ।

माला में प्राण प्रततष्ठा

प्रर्म तरीका

सवायचधक सरल िरीका िो यह है कक आप ककसी भी माला अिवा मालाओं को ककसी भी ज्योतिमलिंग या शशक्ि
पीठ के मुख्य पवग्रह से स्पशय करा दें । उिकी प्राण ऊजाय से माला स्विः ही प्राण प्रतिशष्ठि हो जािी है ।

द्ववतीय तरीका

यहद आप रुद्रामभर्ेक कर सकिे हैं अिवा आपके घर में ककसी व्यशक्ि अिवा पंडड़ि द्वारा रुद्रामभर्ेक ककया जा
रहा हो िो, उस काल में ककसी भी पात्र में यह माला, शजसे प्राण प्रतिशष्ठि ककया जािा है , उसे रख दें , यह स्वयं
ही प्राण प्रतिशष्ठि हो जािी है । रुद्रामभर्ेक की पवचध आप गीिा प्रेस की ककिाबों से प्राप्ि कर सकिे हैं ।

तत
ृ ीय तरीका
2

आपके जो भी गरु
ु हों, उिके हािों के स्पशय मात्र से भी यह प्रकिया सग
ु मिा पव
ू क
य संपन्ि हो जािी है :-)
Page

https://nikhiljyoti.in
#89 79 480617
चतर्
ु य तरीका

माला को गंगा जल से स्िाि करायें और तिम्ि मंत्र उसी माला से 108 बार जप लें । यह भी एक सुगम िरीका
है -

माले माले महामाले सवय तत्व स्वरुवपणी । चतव


ु ग
य स्
य त्वतय न्यस्त स्तस्मंमे ससद्धधदा भव ।।

(Male Male Mahaamale Sarv Tatva Swarupini, chaturvargastwayi Nyasta Stasmame Sidhhida Bhav)

पंचम तरीका (शास्रीय प्रकक्रया)

पीपल के िौ पत्ते इस प्रकार से रखें कक एक पत्ता बीच में रहे और बाकी अन्य पत्ते उसे केन्द्र माििे हुये इस
प्रकार रखें जैसे कक एक अष्ट दल कमल बि जाए । बीच के पत्ते पर अपिी माला रखे दें और हहंदी वणय माला
के वणय ॐ अं से लेकर िं िक सभी का उच्चारण करिे हुए उस माला को पंचगव्य से स्िाि करायें ।

कर्र सद्योजाि मंत्र का उच्चारण करें -

ॐ सद्योर्ातं प्रपद्यासम सद्योर्ाताय वै नमो नमः । भवे भवे नातत भवे भवस्य मााँ भवो द्वावाय नमः ।।

तिम्ि वामदे व मन्त्र से चन्दि माला पर लगायें

िलाय नमो िल प्रमर् नाय नमः सवय भूतदहनाय नमो मनोन्मर्ाय नमः ।।

धप
ु बत्ती अघोरमंत्र से हदखाएं

ॐ अघोरे भ्योSर् घोरे भ्यो घोर घोर तरे भ्य: सवेभ्य: सवय सवेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्य:

कर्र ित्पुरुर् मंत्र से लेपि करे

ॐ तत्परु
ु षाय ववद्महे महादे वी धीमहह तन्नो रुद्रः प्रचोदयात ।।

कर्र इसके एक-एक दािे पर एक बार या सौ-सौ बार ईशाि मंत्र का जप करें

ॐ ईशान: सवय ववद्यानासमश्वर: सवय भत


ू ानां ब्रह्माधधपततर ब्रह्मणोSधधपततब्रयह्मा सशवो में अस्तु सदासशवोSम ।।

अब बाि आिी है कक कैसे दे विा की स्िापिा की जाए िो यहद आप इस माला को शशक्ि कायों में उपयोग करिा
चाहिे हैं िो "ह्ीं " इस मंत्र के पहले लगा कर और लाल रं ग के पुष्पों से इसका पूजि करें .
3
Page

https://nikhiljyoti.in
#89 79 480617
और वैष्णवों के तिम्ि मन्त्र का उपयोग करें

ॐ ऐं श्रीं अक्षमाला यै नमः ।।

कर्र हर वणय मिलब अं से लेकर िं िक लेकर इिसे संपहु टि करके १०८-१०८ बार अपिे इष्ट मन्त्र का उच्चारण
करें ।

कर्र यह प्राियिा करे

ॐ त्वं माले सवयदेवानां सवय ससद्धधप्रदा मता । तें सत्येन में ससद्धधं दे हह मातनायमोSस्तुते ||

आपको जो भी पवचध उचचि लगे उसका उपयोग करके एक प्राण प्रतिशष्ठि माला का तिमायण आप कर सकिे हैं
और उसे साधिा में प्रयोग कर सकिे हैं और, अब इस माला को हर ककसी के सामिे हदखाए िहीं ।

ववशेष शप्तत युतत तांबरक माला का तनमायण

अब िक की प्रककया मणण माला को संस्काररि करिे की हैं पर पवशेर् शशक्ि युक्ि िांत्रत्रक माला का तिमायण कैसे
ककया जाए , यह पवधाि पहली बार ही सामिे आ रहा हैं, िो इसमें आपको -

।। ॐ सवय माला मणण माला ससद्धध प्रदारतय शप्तत रुवपंयै नमः ।।

(Om sarv mala mani mala siddhi pradatrayi shakti rupinyai namah)

इस मंत्र का १०८ बार उच्चारण करिा है । इस दौराि माला हाि में घुमािे रहें ।

इस पवधाि के माध्यम से हम ककसी भी प्रकार की माला को प्राण संस्काररि कर सकिे हैं जैसे कक रुद्राि
माला, कमलगट्टे की माला (लक्ष्मी साधिाओं के मलए सवोत्तम माला), स्र्हटक एवं मंग
ू ा माला इत्याहद । हमिे
ये भी सीखा है कक हम एक प्राण संस्काररि माला को पवशेर् शशक्ि यक्
ु ि िांत्रोक्ि माला में भी बदल सकिे हैं
। आप सब अपिे जीवि में प्राण संस्कार की इस किया को ि मसर्य आत्मसाि करें बशकक, प्राण संस्काररि माला
के प्रयोग से अपिी साधिाओं में भी सर्लिा प्राप्ि करें ।

ऐसी ही सदगुरुदे व से प्राियिा है :-)

अस्िु ।
4
Page

https://nikhiljyoti.in
#89 79 480617

You might also like