हैं रानी लक्ष्मी बाई का,लेकिन लक्ष्मी बाई के मनु से झाँसी की रानी तक के सफर में साथ देने वाले उनके पति के नाम को अब तक काफी भुलाया जा चूका है. लेकिन झांसी पहुँचने पर महाराजा गंगाधर राव की छतरी के बारे में पता चलता हैं, जिससे लक्ष्मीबाई के पति के बारे में जिज्ञासा जागृत होना स्वाभाविक हैं. यह छतरी लक्ष्मीबाई द्वारा बनवाई गयी हैं. यह झांसी के महत्वपूर्ण तोहासिक स्थलों में से एक हैं. वास्तव में रानी लक्ष्मी बाई से पहले महाराजा गंगाधार राव नेवलकर झांसी के महाराजा थे, झांसी जो की अभी उत्तर प्रदेश में है, तब बुंदेलखंड का हिस्सा हुआ करता था, महाराजा गंगाधर राव एक न्यायप्रिय,जनप्रिय और कुशल शासक थे.
श्री नारद बड़े ही तपस्वी और ज्ञानी ऋषि हुए जिनके ज्ञान और तप की माता पार्वती भी प्रशंसक थीं। तब ही एक दिन माता पार्वती श्री शिव से नारद मुनि के ज्ञान की तारीफ करने लगीं। शिव ने पार्वती जी को बताया कि नारद बड़े ही ज्ञानी हैं।