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के
48 िनयम
Contents
ावना
िनयम 1: कभी बॉस से े न िदख
िनयम 2: िम ों पर कभी ादा भरोसा न कर, श ुओं से काम लेना सीख
िनयम 3: अपने इरादे िछपाकर रख
िनयम 4: हमेशा ज़ रत से कम बोल
िनयम 5: ित ा पर ब त कुछ िनभर करता है -हर क़ीमत पर इसकी र ा कर
िनयम 6: हर क़ीमत पर सबका ान आकिषत कर
िनयम 7: काम दू सरों से करवाएँ , लेिकन ेय खुद ल
िनयम 8: दू सरों को अपने पास बुलाएँ -ज़ रत पड़ने पर दाना भी डाल
िनयम 9: बहस से नहीं, अपने कामों से जीत
िनयम 10: सं मण - दु खी और बदिक़ त लोगों से बच
िनयम 11: लोगों को अपने पर िनभर बनाना सीख
िनयम 12: िशकार को िनर करने के िलए थोड़ी सी ईमानदारी और उदारता का
इ ेमाल कर
िनयम 13: मदद माँ गते समय दया या कृत ता की नहीं, ब ाथ की दु हाई द
िनयम 14: िम की तरह िदख, लेिकन काम जासूस की तरह कर
िनयम 15: अपने दु न को पूरी तरह से िमटा द
िनयम 16: स ान पाने के िलए दू री बनाएँ
िनयम 17: दू सरों को दु िवधा म रख - अिन य का माहौल बनाएँ
िनयम 18: अपनी सुर ा के िलए िकले न बनाएँ एकाकीपन ख़तरनाक है
िनयम 19: यह जान िक आपके सामने कौन है , ग़लत को नाराज़ न कर
िनयम 20: िकसी के िपट् ठू न बन
िनयम 21: मूख बनाने के िलए मूख बनने का नाटक कर-सामने वाले से ादा मूख
िदख
िनयम 22: समपण की चाल का योग कर - कमज़ोरी को श म बदल
िनयम 23: अपनी श यों को कि त कर
िनयम 24: आदश दरबारी की भूिमका िनभाएँ
िनयम 25: खुद को नए साँ चे म ढाल
िनयम 26: अपने हाथ साफ़ रख
िनयम 27: अनुयायी बनाने के िलए लोगों के िव ास का लाभ उठाएँ
िनयम 28: बहादु री के साथ काम करने उतर
िनयम 29: अंत तक पूरी योजना बनाएँ
िनयम 30: अपनी उपल यों को आसान िदखाएँ
िनयम 31: िवक ों पर िनयं ण कर - दू सरों को ताश के उन प ों से खलाएँ , जो
आपने बाँ टे ह
िनयम 32: लोगों की फंतािसयों के साथ खेल
िनयम 33: हर की कमज़ोर नस पहचान
िनयम 34: शहं शाहों की तरह रह : स ाट जैसा स ान पाने के िलए स ाट की तरह
काम कर
िनयम 35: टाइिमंग की कला म मािहर बन
िनयम 36: जो चीज आप पा न सक, उनका ितर ार कर-उ नज़रअंदाज़ करना
ही सव े ितशोध है
िनयम 37: चकाचौंध का आभामंडल बनाएँ
िनयम 38: जैसा चाहे सोच, लेिकन वहार सबके जैसा कर
िनयम 39: मछली पकड़ने के िलए पानी िहलाएँ
िनयम 40: मु लंच का ितर ार कर
िनयम 41: महान का अनुसरण न कर
िनयम 42: गड़ रए को मार द, भेड़ िततर-िबतर हो जाएँ गी
िनयम 43: दू सरों के िदल और िदमाग पर काम कर
िनयम 44: दपण िदखाकर िनर और ोिधत कर
िनयम 45: प रवतन की आव कता का भाषण द, लेिकन एकदम ब त ादा
सुधार कभी न कर
िनयम 46: ब त आदश नज़र न आएँ
िनयम 47: ल से आगे न जाएं , सीख िक जीतने के बाद कहाँ कना है
िनयम 48: िनराकार बन
ावना
श हीन होना हमम से िकसी को भी पसंद नहीं होता है । असहाय या अश होने
पर हम दु खी हो जाते ह। कोई भी अपनी श घटाना नहीं चाहता है ; सभी अपनी
श बढ़ाना चाहते ह। बहरहाल, लोगों को यह नहीं लगना चािहए िक हम श के
भूखे ह। श पाने के हमारे दाँ व-पच िकसी को नज़र नहीं आने चािहए। हम हमेशा
ायपूण और नेक िदखना चािहए ) इसीिलए हम श पाने के सू दाँ व-पचों की
ज़ रत होती है । सफलता का सू यह है िक चालाक होने के बावजूद हम नेक और
जातां ि क िदख |
सतत छल-कपट का यह खेल श के उसी खेल की तरह है , जो पुराने जमाने के
सामंती दरबारों म खेला जाता था। पूरे इितहास म श शाली -महाराजा,
महारानी या स ाट-के चारों तरफ़ हमेशा एक दरबार लगा रहता था। दरबारी अपने
ामी के िनकट आने की कोिशश तो करते थे, लेिकन वे जानते थे िक अगर वे
खुलकर चापलूसी करगे या श पाने की कोिशश करगे, तो बाकी दरबा रयों का
ान उनकी तरफ़ चला जाएगा और वे उनके इरादों को नाकामयाब कर दगे। यही
वजह थी िक वे सू तरीकों से अपने ामी का िदल जीतने की कोिशश करते थे।
जो दरबारी इस सू कला म समथ और कुशल थे, उ भी अपने साथी दरबा रयों
से सतक रहना पड़ता था, ोंिक वे उ दरिकनार करने की योजनाएं बनाते रहते
थे।
दरबार स ता और सुसं ृ ित की पराका ा माना जाता था, इसिलए वहाँ श की
िहं सक या खुली चालों को पसंद नहीं िकया जाता था। जो दरबारी श का खुला
योग करते िदखते थे, दू सरे दरबारी गोपनीय प से उनके िख़लाफ़ काम करने
लगते थे। यह दरबारी की दु िवधा थी। एक तरफ़ तो उसे शालीनता की मूित िदखना
था और दू सरी तरफ़ उसे अपने िवरोिधयों को दबाकर आगे िनकलना था। सफल
दरबारी ने समय के साथ अपनी चालों को िछपाना सीख िलया। अपने िवरोधी की
पीठ म छु रा भोंकते समय भी उसके हाथ पर मखमल का द ाना और उसके चेहरे
पर मधुर मु ान होती थी। खुले िव ासघात या बल- योग के बजाय आदश दरबारी
लोभन, स ोहन, धोखे और सू रणनीित से अपना उ ू सीधा करता था। वह
हमेशा कई कदम आगे तक की योजना बनाता था। दरबारी जीवन एक अंतहीन खेल
था, िजसम सतत सावधानी और रणनीितक िचंतन की ज़ रत होती थी। यह स
यु था।
आज हम भी दरबा रयों जैसे ही िवरोधाभास का सामना कर रहे ह। हर चीज़ स ,
नेक, जातां ि क और ायपूण िदखनी चािहए। लेिकन अगर हम सचमुच इन गुणों
के िहसाब से चलगे, तो हमारे आस-पास के ादा समझदार लोग हम कुचल दगे।
जैसा पुनजागरण काल के कूटनीित और दरबारी िनकोलो मैिकयावली ने िलखा
है , जो हमेशा अ ा बनने की कोिशश करता है , ब सं क बुरे लोगों की
दु िनया म उसका िवनाश तय है ।
दरबार को सुसं ृ ित की पराका ा माना जाता था, लेिकन इसकी चमकती सतह के
नीचे ाह भावनाओं ई ा, लालच, नफ़रत-का अलाव धधकता रहता था। आज
हमारी दु िनया भी खुद को ाय और स ता की पराका ा मानती है , लेिकन वही
िनकृ भावनाएं हमारे अंदर अब भी घुमड़ती ह। खेल वही है । बाहर से तो आपको
अ ा िदखना होगा, लेिकन अंदर से आपको समझदारी सीखनी होगी और वही
करना होगा, िजसकी सलाह नेपोिलयन ने दी थी : अपने लोहे के हाथ को मख़मल के
द ाने के भीतर रख। अगर पुराने जमाने के दरबारी की तरह आप भी अ
और सू कलाओं म महारत हािसल कर सक, अगर आप लोभन, स ोहन, धोखे
और चतुर योजनाओं से अपने िवरोिधयों को दबाना सीख सक, तो आप श की
ऊंचाइयों पर प ं च जाएं गे। आप दू सरे लोगों को अपनी मज से चलाएं गे, लेिकन उ
इसका एहसास तक नहीं होगा और अगर उ यह एहसास ही नहीं होगा, तो वे
आपसे े ष नहीं रखगे या आपका िवरोध नहीं करगे।
'श के 48 िनयम' को अ कलाओं की मागदिशका समझ। इस पु क को
पढ़ने के बाद आप श और इसकी कुंजी को समझ जाएं गे तथा यह सीख लगे िक
नेक छिव बनाकर ाथ िस कैसे की जा सकती है । अगर आप इन िस ां तों पर
अमल करते ह, तो आप आधुिनक दु िनया म काफ़ी सफल हो सकते ह।
िनयम 1: कभी बॉस से े न िदख
िवचार
अपने से व र लोगों को यह महसूस करने द िक वे आपसे े ह। उ खुश और
भािवत करने के िलए अपनी यो ताओं का ज़ रत से ादा दशन न कर।
अगर आप ऐसा करगे, तो प रणाम ठीक उलटा होगा वे भयभीत और असुरि त
महसूस करगे। इसके बजाय अगर आप अपने बॉस को ादा ितभाशाली बताते
रहगे, तो आप बुलंिदयों को छू लगे।

श की कंु जी
हर इं सान म असुर ा की भावनाएँ होती ह। जब आप लोगों के सामने अपने गुणों का
दशन करते ह, तो उनम े ष, ई ा और असुर ा की भावनाएँ जाग जाती ह। यह
ाभािवक है और इसका कोई इलाज नहीं है । दू सरों की ओछी भावनाओं की िचंता
करके आप अपनी िजंदगी बबाद नहीं कर सकते। बहरहाल, अपने से ऊपर बैठे
लोगों के ित आपको एक अलग नीित अपनाना चािहए। बॉस से े िदखना या
उससे ादा भावशाली िदखना श हािसल करने की राह म शायद सबसे बड़ी
गलती होती है ।
यह सोचने की मूखता न कर िक दु िनया लुई चौदहव और मेिडसी के युग के बाद
ब त बदल चुकी है । ऊँचे पद पर बैठे लोग राजाओं और रािनयों की तरह होते ह। वे
अपने पद पर सुरि त महसूस करना चाहते ह। बु , वाकचातुय और आकषण के
मामले म वे अपने आस-पास के लोगों से े िदखना चाहते ह। आप भूल से भी इस
आम धारणा पर न चल िक ितभा और गुणों का दशन करके आप बॉस की
स ावना हािसल कर लगे। हो सकता है बॉस ऊपर से तो आपकी शंसा करने का
नाटक करे , लेिकन मौका िमलते ही वह आपकी जगह पर िकसी कम बु मान,
कम आकषक और कम ख़तरनाक लगने वाले को िनयु कर दे गा।
आपको यह जान लेना चािहए िक इस िनयम के दो पहलू ह। पहली बात, हो सकता
है िक आप कोिशश िकए िबना ही अपने बॉस से े या ादा दै दी मान िदखते
हों। बहरहाल, कुछ बॉस दू सरों से ादा असुरि त महसूस करते ह। हो सकता है
िक अपने आकषण और गुणों की बदौलत आप िबना कुछ िकए ही उनसे ादा
भावशाली िदखते हों। अगर आप अपने आकषण को कम न करना चाह, तो भी
कम से कम आपको आ - दशन के इस दै से बचना चािहए और बॉस के साथ
रहते समय अपने अ े गुणों को दबाने का तरीका खोजना चािहए।
दू सरी बात, यह कभी न मान िक चूंिक बॉस आपसे ेम करता है , इसिलए आप
अपनी मनमज का हर काम कर सकते ह। ऐसे कई ि य पा ों या मुँहचढ़े लोगों पर
िकताब िलखी जा सकती ह, िज ोंने यह मान िलया था िक वे हमेशा बॉस की नज़रों
म चढ़े रहगे, लेिकन बॉस से ादा चमकने के कारण वे उसकी नज़रों से िगर गए।
अपने बॉस से े िदखने के खतरे को जानने के बाद आप इस िनयम से लाभ उठा
सकते ह। सबसे पहले तो आपको अपने मािलक की चापलूसी करना चािहए और
उसे चने के झाड़ पर चढ़ाना चािहए। या सीधी चापलूसी असरदार होती है ,
लेिकन इसकी कुछ सीमाएँ भी ह। चापलूसी ब त होती है और साफ़
िदख जाती है । इसके अलावा यह दू सरे दरबा रयों को भी चुभ जाती है । इसके बजाय
अ या िछपाकर की गई चापलूसी ब त श शाली होती है । उदाहरण के
िलए, अगर आप अपने बॉस से ादा बु मान ह तो इसके िवपरीत दशन कर।
उसे अपने से ादा बु मान नज़र आने द। मूखता का अिभनय कर। ऐसा िदखावा
कर, जैसे आपको उसकी िवशेष तापूण सलाह की ज रत है । ऐसी हािनरिहत
ग़लितयाँ कर, िजनसे आपको आगे चलकर नुकसान न प ं चे, लेिकन िजनके कारण
आपको उसकी मदद मां गने का अवसर िमले। हर बॉस को अपने ान का दशन
करना अ ा लगता है । अगर आप अपने बॉस के अनुभव के ख़ज़ाने से सलाह नहीं
मां गगे, तो वह आपके ित आ ोश और दु भावना रख सकता है ।
अगर आपके िवचार अपने बॉस के िवचारों से ादा रचना क ह, तो सबके सामने
उनका ेय उसे ही द। सबको यह बता द िक आपकी सलाह दरअसल बॉस
की सलाह की ित िन मा है ।
अगर आप अपने बॉस से ादा सामािजक और उदार ह, तो आपको सावधान रहना
चािहए। इस बात का ान रख िक आपका बॉस सूय है और आपको उसकी चमक
रोकने वाला बादल नहीं बनना चािहए। सबके सामने हमेशा बॉस को सूय सािबत
करते रह, िजसके चारों तरफ़ हर हों की तरह च र लगाता है । उसे
श और काश का पुंज बना द। उसे ान का क बना द।
इन सभी मामलों म अपने गुणों को िछपाना कमज़ोरी नहीं है , ोंिक इसके
प रणाम प आपको श हािसल होती है । जब आप बॉस को अपने से ादा
चमकने दे ते ह, तो बागडोर आपके हाथ म होती है । आप उसकी असुर ा के िशकार
नहीं बनते ह। यह उस िदन काम आएगा, जब आप िनचले पद से ऊपर उठने की
कोिशश करगे। अगर आप बॉस को खुद से ादा चमकने दगे, तो वह आपको
ई र का िदया वरदान मानेगा और त ाल आपकी तर ी कर दे गा।
त ीर : आसमान म िसतारे । एक समय म िसफ एक ही सूय रह सकता है । कभी भी सूरज की रोशनी म बाधा
न डाल या उसकी चमक से मुक़ाबला न कर। इसके बजाय आसमान म खुद को धुंधला बनाकर और सूय की
रोशनी को अिधकतम बनाने के तरीके खोज।
िवशेष की राय : अपने मािलक से ादा तेज़ी से चमकने से बच। िकसी भी तरह की े ता लोगों को नापसंद
होती है और वे उसकी िनंदा करते ह, लेिकन अपने बॉस से ादा े िदखने की कोिशश तो मूखतापूण ही नहीं,
ब घातक भी हो सकती है । आसमान के िसतारे हम यही सबक िसखाते ह-हो सकता है वे सूय िजतने ही
चमकदार हों, लेिकन सूय के चमकते समय वे नज़र नहीं आते ह। ( वा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 2: िम ों पर कभी ादा भरोसा न
कर, श ुओ ं से काम लेना सीख
िवचार
िम ों से सावधान रह। िम ब त ज ी से ई ा करने लगते ह, इसिलए वे आपको
ब त ज ी धोखा भी दगे। िम भिव म क का कारण बन सकते ह। इसके
बजाय अगर आप िकसी पुराने श ु को काम पर रखगे, तो वह िम से ादा
वफ़ादार होगा, ोंिक उसे ब त कुछ सािबत करना है । दरअसल आपको श ुओं
से नहीं, ब िम ों से डरना चािहए। अगर आपका कोई श ु नहीं है , तो श ु बनाने
के तरीके खोज।

श की कंु जी
यह ाभािवक है िक ज़ रत पड़ने पर हम अपने िम ों को काम पर रखना चाहते
ह। यह दु िनया िनमम है और आपके िम उसकी िनममता को कम करते ह। इसके
अलावा, आप उ अ ी तरह जानते भी ह। िम ों के होते ए िकसी अजनबी पर
िनभर ों रह?
िद त यह है िक अ र आप अपने िम ों को उतनी अ ी तरह से नहीं जानते ह,
िजतना आपको लगता है । िम अ र बहस टालने के िलए आपकी हाँ म हाँ िमला
दे ते ह। आपको क न प ं चे, इसिलए वे अपने अि य गुण िछपा लेते ह। आप जब
मज़ाक़ करते ह, तो वे थोड़ा ादा हँ सते ह। चूंिक ईमानदारी और स ाई से िम ता
की नींव मज़बूत नहीं होती है , इसिलए वा व म आपको यह पता ही नहीं होता िक
आपके बारे म आपके िम ों की असली भावनाएँ ा ह। िम आपके मुँह पर तो यही
कहगे िक उ आपकी किवता ब त अ ी लगती है , आपका गाना-बजाना बेहद
पसंद है , आपके कपड़ों का चयन बेहद सुंदर लगता है -हो सकता है वे सचमुच
आपकी तारीफ़ कर रहे हों, लेिकन ायः ऐसा नहीं होता है ।
अपने श ुओ ं से लाभ लेना | स ाट िहएरो को एक बार उनके एक श ु ने बताया िक उनके मुंह से बदबू आती
है । स ाट को यह बात ब त बुरी लगी और महल म प ं चते ही उ ोंने रानी को फटकारा, “ तुमने मुझे कभी
इसके बारे म ों नहीं बताया? " रानी च र वान, पित ता और भोली थी। उसने कहा, " ामी, मुझे लगा िक

ी ों े ँ े ी ी ी ो ी े ो ैि ो ो
शायद सभी मदों के मुँह से इसी तरह की बदबू आती होगी। " इस तरह से यह हो जाता है िक जो दोष
िदखाई दे ते ह, उनके बारे म हमारे श ु हमारे िम ों या प रिचतों से ादा जानते ह। ूटाक, 46-120 ई ी
िकसी के िदए लाभ के बजाय नुकसान का बदला चुकाने के िलए लोग ादा त र होते ह, ोंिक कृ त ता बोझ
है और ितशोध आनंद है । टै िसटस, 55-120 ई ी
जब आप अपने िकसी िम को नौकरी पर रखने का िनणय लेते ह, तो आपके सामने
वे गुण धीरे -धीरे सामने आते ह, िज उसने अब तक िछपा रखा था। अजीब बात यह
है िक आपकी उदारता के इस काम से संबंधों का संतुलन िबगड़ जाता है । सभी लोग
यह महसूस करना चाहते ह िक उ यह अवसर अपने दम पर िमला है । इसिलए
आपका एहसान उ बोझ की तरह लगता है । वे जानते ह िक उ यो ता के
कारण नहीं, ब िम ता के कारण नौकरी िमली। िम ों को नौकरी दे ने म एक
एहसान िछपा होता है , िजससे वे मन ही मन परे शान हो जाते ह।
िम ों का योग करने या उ नौकरी पर रखने म सम ा यह है िक इससे आपकी
श िनि त प से सीिमत हो जाएगी। ब त कम मामलों म ही ऐसा होता है िक
िम िकसी काम के िलए सबसे यो हो और आपकी मदद करने म सबसे
ादा स म हो। अंितम िव ेषण म, यो ता और मता िम तापूण भावनाओं से
ादा मह पूण होती ह।
कामकाज की सभी थितयों म लोगों के बीच थोड़ी दू री होना चािहए। आप िम
बनाने की नहीं, ब कोई काम करने की कोिशश कर रहे ह और िम ता चाहे
स ी हो या झूठी, इस त को ढं क लेती है । श की कुंजी यह है िक आपम यह
मू ां कन करने की मता होनी चािहए िक आपको सबसे ादा फायदा कौन
प ं चा सकता है ।
दू सरी ओर, आपके श ु सोने की ऐसी अनछु ई ख़ान ह, िजसका दोहन करना
आपको सीखना चािहए। नेपोिलयन का िवदे श मं ी टै लीरड 1807 म इस िन ष पर
प ँ चा िक नेपोिलयन ां स को बबादी के रा े पर ले जा रहा है , इसिलए उसके
खलाफ़ िव ोह करना चािहए। टै लीरड स ाट के िख़लाफ़ ष ं करने के खतरों
को अ ी तरह जानता था। उसे साथी की ज़ रत थी। उसने सोचा, इस तरह के
अिभयान म वह िकसी िम पर भरोसा नहीं कर सकता। उसने खुिफ़या िवभाग के
मुख फ़ोके को चुना, जो उसका सबसे बड़ा श ु था और िजसने उसकी ह ा
करवाने की भी कोिशश की थी। वह जानता था िक उन दोनों की पुरानी नफ़रत के
कारण भावना क समझौते का अवसर िमलेगा। वह जानता था िक फ़ोके उससे
कोई आशा नहीं रखेगा और यह सािबत करने के िलए जीतोड़ मेहनत करे गा िक
टे लीरड ने उसे चुनकर कोई ग़लती नहीं की है । जो कुछ सािबत करना
चाहता है , वह आपके िलए ज़मीन-आसमान एक कर दे गा। अंत म टै लीरड यह
जानता था िक फोके के साथ उसका संबंध आपसी ाथ पर आधा रत होगा और
िम ता की गत भावनाओं ारा दू िषत नहीं होगा। उसका चुनाव सही सािबत
आ, हालाँ िक वे नेपोिलयन को िसंहासन से उतारने म सफल नहीं ए। जब इतने
श शाली और पर र-िवरोधी दो यों ने िमलकर स ाट के िख़लाफ़ मुिहम
छे ड़ी, तो जनता ने भी इसम उ ुकता िदखाई और धीरे -धीरे स ाट के ित िवरोध
बढ़ने लगा। टै लीरड और फ़ोके के बीच सुखद कायकारी संबंध बने रहे । इसिलए
जब भी मौका िमले, अपने दु न के ित दु नी को दफ़न कर द और उसे अपनी
सेवा म रखने की कोिशश कर।
श ुओं की मौजूदगी से िवचिलत या दु खी न हों। आप िम के बजाय श ु के साथ
बेहतर थित म होते ह, ोंिक िम ों के मामले म आपको यह मालूम ही नहीं होता
है िक आपके िछपे ए कौन से िम दरअसल आपके श ु ह। श शाली
संघष से लाभ उठाता है और अपने श ुओं का इ ेमाल करता है । ऐसा करके वह
उस आ िव ासी यो ा की छिव-बना लेता है , िजस पर अिनि तता के समय म
िव ास िकया जा सकता है ।
त ीर : कृत ता का जबड़ा। आप जानते ह िक अगर आप शेर के मुँह म उँ गली रखगे, तो इसका प रणाम
ा होगा। इसिलए आप ऐसा नहीं करते ह। िम ों के साथ आप इस तरह की सतकता नहीं रखते ह, इसिलए
अगर आप उ नौकरी पर रखगे, तो वे कृ त ता से आपको क ा चबा जाएँ गे।
िवशेष की राय : यह सीख िक अपने लाभ के िलए दु नों का इ ेमाल कै से िकया जाता है। आपको
धार की तरफ़ से तलवार नहीं पकड़नी चािहए, वरना आपका हाथ कट जाएगा। इसके बजाय आपको मूठ की
तरफ़ से तलवार पकड़नी चािहए, तािक आप खुद की र ा कर सक। बु मान अपने श ुओं से भी लाभ
लेता है , जबिक मूख अपने िम ों से भी हािन उठाता है । ( बा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 3: अपने इरादे िछपाकर रख
िवचार
आप िकस उ े से काम कर रहे ह, यह ज़ािहर न होने द। इससे लोग अँधेरे म
रहगे और अपनी योजना नहीं बना पाएँ गे। अगर उ इस बात का अंदाज़ा ही नहीं
होगा िक आप ा करना चाहते ह, तो वे अपनी र ा की योजना नहीं बना सकते।
इस तरह आप उ ग़लत िदशा म काफ़ी दू र तक ले जा सकते ह और काफ़ी समय
तक गुमराह कर सकते ह। जब तक उ आपके इरादों का एहसास होगा, तब तक
ब त दे र हो चुकी होगी।

श की कंु जी
ादातर लोग खुली िकताब की तरह होते ह। वे अपने मन की बात त ाल कह दे ते
ह। वे मौका िमलते ही अपने िवचार कट कर दे ते ह। वे अपनी योजनाओं और
इरादों के बारे म लगातार बोलते रहते ह। वे ऐसा कई कारणों से करते ह। पहली
बात, अपनी भावनाओं और भावी योजनाओं के बारे म बात करने की इ ा ब त
आम और ाभािवक होती है । अपनी जुबान पर लगाम कसना और अपनी बातों पर
िनयं ण रखना मु ल होता है । दू सरी बात, कई लोग यह मानते ह िक ईमानदारी
और तावािदता से वे लोगों का िदल जीत लगे और अपनी भलमनसाहत को
मािणत कर दगे। वे ब त मुगालते म रहते ह। ईमानदारी दरअसल एक भौथरा
हिथयार है , िजससे कटता कम है , खून ादा बहता है । आपकी ईमानदारी से लोगों
को चोट प ं चने की संभावना ादा होती है । इसिलए समझदारी इसी म है िक
श ों को नाप-तौलकर बोल। बु मानी इसम है िक लोगों से वही कह, जो लोग
सुनना चाहते ह। यह समझदारी नहीं है िक आप उ वह कटु स ाई बता द, जो
आप महसूस करते या सोचते ह। इससे भी मह पूण बात यह है िक जब आप अपने
इरादों और भावी योजनाओं के बारे म खुलकर बता दे ते ह, तो आपके बारे म कुछ
भी िछपा नहीं रह जाता है । ऐसी थित म लोग न तो आपका स ान करगे, न ही
आपसे डरगे। ान दे ने वाली बात यह है िक िजसका लोग स ान नहीं करते ह या
िजससे लोग डरते नहीं ह, उस के पास श कभी नहीं आती है ।
अगर आप श चाहते ह, तो ईमानदारी को एक तरफ़ रख द और अपने इरादों
को िछपाने की कला सीख। अगर आप इस कला म पारं गत हो जाएँ गे, तो आप
हमेशा फ़ायदे म रहगे। इरादों को िछपाने की यो ता के पीछे मानवीय भाव की
यह साधारण सी स ाई है ायः हम िदखने वाली चीज़ों पर भरोसा करते ह। हम जो
दे खते और सुनते ह, उसकी स ाई पर हम संदेह नहीं करते ह। अगर हम िदखने
वाली चीज़ों के पीछे दू सरी चीज़ों के िछपे होने की क ना करगे, तो हम न िसफ़
ब त थक जाएँ गे, ब दहशत म भी रहगे। इस कारण इरादों को िछपाना
तुलना क प से ादा आसान हो जाता है । ऐसा ल या उ े बताएं , िजससे
लोग भािवत हो जाएँ । ज री नहीं है िक आपका असली ल वही हो। जब आप
उस ल को लोगों की आँ खों के सामने बार-बार रखते रहगे, तो वे उसे ही आपका
असली ल मान लगे।
इरादों को िछपाने का एक तरीका यह है िक आप अपनी इ ाओं और ल ों के बारे
म लगातार बात कर, लेिकन वे आपकी असली इ ाएँ और ल नहीं होने चािहए।
इस तरह आप एक प र से तीन िशकार करगे : आप दो ाना, िन पट और
िव सनीय नज़र आएं गे; आप अपने इरादों को िछपा लगे; और आप अपने
ित ं ि यों को गलत िदशा म भेज दगे, िजससे उनका समय बबाद होगा।
लोगों को गुमराह करने का एक और सश औज़ार है , झूठी िन पटता (
sincerity )। लोग ग़लती से िन पटता को ईमानदारी मान लेते ह। जब लोगों को
ऐसा लगता है िक आप जो कह रहे ह, उसम आप िव ास करते ह, तो इससे आपके
श ों का वज़न ब त बढ़ जाता है । इयागो ने इसी तरह ओथेलो को धोखा िदया था
और उसे बबाद िकया था। ऐसा लग रहा था िक इयागो की भावनाएँ स ी ह। ऐसा
लग रहा था िक डे डे मोना की बेवफ़ाई के बारे म उसकी िचंता िन पट है । ऐसे म
ओथेलो उस पर अिव ास कैसे कर सकता था?
अगर आप यह मानते ह िक धोखेबाज़ लोग हवाबाज़ होते ह, जो बड़े -बड़े झूठों और
अितशयो पूण कहािनयों से गुमराह करते ह, तो आप ब त गलत सोचते ह। सबसे
अ े धोखेबाज़ वे होते ह, जो उदासीन और अ मुखौटे का इ ेमाल करते ह,
िजस वजह से उनकी तरफ़ िकसी का ान नहीं जाता है । वे जानते ह िक
अनाव क श ों और हरकतों से लोगों का संदेह त ाल जाग जाएगा। इसिलए वे
अपने ल को सामा , जाने-पहचाने और मासूम श ों के पीछे िछपा लेते ह।
एक बार जब आप जाने-पहचाने श ों का इ ेमाल करके लोगों की सतकता को
दबा दगे, तो िफर उनका ान इस तरफ़ नहीं जाएगा िक इन श ों के पीछे धोखा
दे ने के इरादे ह। आपका नक़ाब िजतना एक प होगा, आपके इरादे उतनी ही
अ ी तरह िछपे रहगे।
नक़ाब का सबसे आसान प है चेहरे के भाव। उदासीन और भावहीन चेहरे के
पीछे हर तरह की िवनाशकारी योजना बनाई जा सकती है , िजसकी िकसी को भनक
भी नहीं लगेगी। इितहास के सबसे श शाली लोग इस हिथयार का इ ेमाल करने
म िनपुण थे। कहा जाता है िक किलन डी . जवे के चेहरे को दे खकर कोई भी
उनके िदल की बात नहीं समझ सकता था। बैरन जे रॉ सचाइ ने तो पूरी
िज़ंदगी इस बात का अ ास िकया िक वे नक़ली मु राहटों और भावहीन चेहरे के
पीछे अपने असली िवचार िछपा लेते थे |
याद रख : अपनी भावशाली वाकपटु ता को िछपाने और भावहीनता का नक़ाब
पहनने म धैय और िवन ता की ज़ रत होती है । इस तरह के नीरस नकाब को
लगाकर िनराश न हों। अ र भावहीनता से लोग आपकी तरफ़ आकिषत होते ह
और आप श शाली नज़र आने लगते ह।
हालाँिक आज की दु िनया म चालाक बने िबना काम नहीं चल सकता, लेिकन चालाकी की छिव न बनाएँ ।
आपकी सबसे बड़ी चालाकी यह होना चािहए िक आप अपनी चालाकी को िछपा ल। बा ेसर ेिशयन ,
1601-1658
भरी दोपहर म समु पार कर
इसका मतलब यह है िक अपने चेहरे के सामने जाना-पहचाना मुखौटा लगा ल। चूंिक सब लोगों को जानी-
पहचानी चीज दे खने की आदत पड़ जाती है , इसिलए रणनीित बनाने वाला नज़र आए िबना आराम से अपनी
योजना बना सकता है । " द थट िस ै टजीज़, " थॉमस यरी ारा उद् धृत, द
जापानीज़ आट ऑफ वार, 1991
त ीर। भेड़ की खाल। भेड़ कभी अचानक हमला नहीं करती है, भेड़ कभी धोखा नहीं दे ती है, भेड़
ब त ही सीधी और आ ाकारी होती है । भेड़ की खाल पहनकर लोमड़ी बड़े आराम से मुिगयों के दड़बे म घुस
सकती है ।
िवशेष की राय : जो यो सेनापित श ु पर अचानक हमला करने का इरादा रखता है, वह अपने श ु
को अपने इरादे की भनक भी नहीं लगने दे ता है । अपने उ े और अपनी गित को िछपाएँ । अपनी योजनाओं
को तब तक कट न कर, जब तक िक उनका िवरोध करना असंभव न हो जाए, जब तक िक यु पूरा ही न हो
जाए। यु की घोषणा करने से पहले ही िवजय हािसल कर ल। सं ेप म, उन सेनापितयों का अनुसरण कर,
िजनकी योजनाएँ िसफ उ ीं बबाद इलाक़ों को मालूम होती ह, जहाँ से वे अपनी सेना लेकर गुज़रे ह। ( िननॉन
डे ला " ए ोस, 1623-1706 )
िनयम 4: हमेशा ज़ रत से कम बोल
िवचार
लोगों को श ों से भािवत करने की कोिशश न कर। आप िजतना ादा बोलगे,
उतने ही ादा साधारण नज़र आएँ गे और आपका िनयं ण उतना ही कम होगा।
अगर आप अपनी बात को अ , गोलमोल और अजीब रखगे, तो आपकी नीरस
बात भी मौिलक लगेगी। सश लोग कम बोलकर भािवत करते ह और रौबदार
िदखते ह। इस बात की ादा संभावना होती है िक ादा बोलते समय आपके मुंह
से कोई न कोई मूखतापूण बात िनकल ही जाएगी।

श की कंु जी
श कई मायनों म िदखावे का खेल है । जब आप ज़ रत से कम बोलते ह, तो
आप हमेशा वा िवकता से ादा महान और श शाली नज़र आते ह। आपकी
चु ी से दू सरे लोग परे शान हो जाएं गे। इं सान िव ेषण और ीकरण करने वाली
मशीन ह। वे यह जानने की िफराक म रहते ह िक आप ा सोच रहे ह। जब आप
अपने श ों को सावधानी से िनयंि त करते ह, तो वे आपके इरादों या आपकी मंशा
को नहीं समझ पाते ह।
आपके संि जवाब या ख़ामोशी से वे र ा क हो जाएं गे और बीच म कूद पड़गे।
आपकी ख़ामोशी के खाली थान को भरने की हड़बड़ी म वे घबराकर कुछ भी
बोलने लगगे, िजससे आपको उनके और उनकी कमजो रयों के बारे म ब मू
जानकारी िमलेगी। आपसे िमलकर जाने के बाद उ ऐसा लगेगा, जैसे वे लुट गए
हों। घर जाकर वे आपके हर श पर गहराई से िवचार करगे। आपकी संि
िट िणयों पर जब लोग अित र ान दगे, तो इससे आपकी श तो बढ़नी ही
है ।
पटकथा लेखक माइकल आतेन 1944 म ूयॉक गए। उनके िसतारे गिदश म चल रहे थे। अपना ग़म गलत
करने के िलए उ ोंने मश र रे रां " 21 " म जाने का फैसला िकया। यहाँ पर वे लॉबी म सैम गो िवन से
टकरा गए, िज ोंने उ रे सहॉस खरीदने की अ ावहा रक सलाह दी। बार के अंदर प ं चने पर आलन की
मुलाकात लुइस बी . मेयर से हो गई, जो उनके पुराने प रिचत थे। लुइस ने आलेन से पूछा िक भिव के िलए
उनकी ा योजना है । इस पर आलन ने इस तरह से जवाब दे ना शु िकया, “ म अभी सैम गो िवन से बात
कर रहा था ... " मेयर ने बीच म बात काटते ए कहा, “ उसने तु ारे सामने िकतने का ाव रखा? " आलन
ने असली बात को िछपाते ए कहा, “ मुझे जमा नहीं। " मेयर ने पूछा, " तीस स ाह के िलए पं ह हज़ार का
ाव तो तु जम जाएगा? " इस बार आलन ने कोई िहचिकचाहट नहीं िदखाई और " हाँ " कह िदया। द
िलिटल ाउन बुक ऑफ़ एने डोट् स से, फ़टन फैिडमैन, संपादक
युवाव था म िच कार, एं डी बारहोल को यह समझ म आ गया िक लोगों से बात
करके उनसे अपना मनचाहा काम करवाना असंभव है । बातों से लोग आपके
िख़लाफ़ हो जाएं गे, आपकी इ ाओं के िवपरीत काम करगे और अपने दु भाव
की वजह से आपकी अव ा करगे। उ ोंने एक िम से एक बार कहा था, "मने यह
सीखा है िक जब आप चुप रहते है , तो दरअसल आपके पास ादा श होती है ।
बाद के जीवन म वारहोल ने इस तकनीक का इ ेमाल ब त अ ी तरह िकया।
इं टर ू म वे भिव वाणी ( oracle ) की तरह ब त संि वा बोलते थे। वे कोई
जिटल और रह मयी बात कह दे ते थे और इं टर ू लेने वाला इस उधेड़बुन म रहता
था िक इसका न जाने ा मतलब होगा। वह सोचने लगता था िक वारहोल के
अथहीन िदख रहे वा ों के पीछे कोई गहरी बात िछपी होगी। वारहोल अपनी
पिटं के बारे म कभी बात नहीं करते थे। वे इसके िव ेषण का काम दू सरों पर
छोड़ दे ते थे। वे अपने काम के बारे म िजतना कम बोलते थे, दू सरे लोग उसके बारे म
उतनी ही ादा बात करते थे और लोग उसके बारे म िजतनी ादा बात करते थे,
वारहोल की पिटं स उतनी ही ादा महं गी िबकती थीं।
ज रत से कम बोलकर आप अपनी श का नाटकीय को ब त ादा बढ़ा लेते
ह। इसके अलावा, आप िजतना कम बोलगे, आपके मुँह से कोई मूखतापूण या
ख़तरनाक बात िनकलने का जो खम भी उतना ही कम होगा। 1825 म िनकोलस
थम स के िसंहासन पर बैठे। उनके िसंहासन पर बैठते ही उनके िख़लाफ़ िव ोह
होने लगा। यह िव ोह उदारवादी कर रहे थे, जो आधुिनकीकरण की मां ग कर रहे
थे। वे चाहते थे िक स म यूरोप के बाकी दे शों की तरह उ ोग-धंधे और इमारत
बन। िदसंबर के िव ोह के नाम से मश र इस िव ोह का िनममता से दमन करते
ए िनकोलस थम ने िव ोही नेता कोंदरे टी रयेलेयेव को मृ ुदंड दे ने का आदे श
िदया। रयेलेयेव को फाँ सी दी जाने के त े पर खड़ा िकया गया और उसके गले म
र ी बाँ ध दी गई। िफर नीचे से त ा हटा िलया गया। लेिकन रयेलेयेव जैसे ही
र ी से झूला, र ी टू ट गई और वह ज़मीन पर िगर गया। उस व इस तरह की
घटनाएँ ई र का इं साफ़ मानी जाती थीं और जो मृ ुदंड से इस तरह बचता
था, उसे आम तौर पर माफ़ कर िदया जाता था। जब रयेलेयेव अपने पैरों पर खड़ा
आ, तो उसे चोट तो लगी थी, लेिकन उसे यक़ीन था िक उसकी जान बच गई है ,
इसिलए वह भीड़ से िच ाकर बोला, " तुम लोगों ने दे खा, स वाले कोई भी काम
ठीक तरह से नहीं कर सकते। उ तो र ी बनानी भी नहीं आती है !"
एक संदेशवाहक त ाल यह ख़बर लेकर स ाट के पास गया िक मृ ुदंड नहीं
िदया जा सका। इस िनराशाजनक ख़बर से िचंितत होने के बावजूद िनकोलस थम
िव ोही नेता रयेलेयेव के माफ़ी नामे पर ह ा र करने लगे,लेिकन तभी उ ोंने
संदेशवाहक से पूछा, “ ा इस घटना के बाद रयेलेयेव ने कुछ कहा था? "
संदेशवाहक ने जवाब िदया, “ उसने कहा था िक स वालों को तो र ी बनानी भी
नहीं आती है ।"
स ाट ने माफीनामे को फाड़ते ए कहा, " अगर ऐसी बात है , तो हम उसकी बात
को गलत सािबत करके िदखा दगे। " अगले िदन रयेलेयेव को दोबारा फां सी के फंदे
पर लटकाया गया और इस बार र ी नहीं टू टी।
यह सबक सीख ल। एक बार बाहर िनकल जाने के बाद आप श ों को दोबारा नहीं
लौटा सकते। उ िनयं ण म रख। ं के ित खास तौर पर सावधान रह। आपके
ं -बाणों से आपको िणक संतुि तो िमल सकती है , लेिकन बदले म आपको
उनकी ब त ादा कीमत चुकानी पड़ती है ।
त ीर : डे ी की भिव वाणी। जब आगंतुक डे फ़ी की भिव वाणी सुनने जाते थे, तो पुजा रन कु छ
जिटल श बोल दे ती थी, जो अथपूण और मह पूण लगते थे। भिव वाणी के श ों की अव ा कोई नहीं
करता था ोंिक उनम िज़ंदगी और मौत की श होती थी।
िवशेष की राय : अधीन थों के बोलने से पहले कभी अपने होंठ न िहलाएँ । मै िजतनी ादा दे र तक
चुप रहता ँ , दू सरे उतनी ही ज ी बोलने लगते ह। जब वे बोलते ह, तो म उनके श ों से उनके असली इरादे
समझ सकता ँ ... अगर स ाट रह मय न हो, तो मंि यों की तो चाँदी ही हो जाएगी। ( हान फ़ेई ू, चीनी
दाशिनक, तीसरी सदी ईसा पूव )
िनयम 5: ित ा पर ब त कुछ िनभर
करता है -हर क़ीमत पर इसकी र ा कर
िवचार
ित ा श की नींव है । िसफ ित ा के मा म से ही आप दबदबा कायम कर
सकते ह और िवजय पा सकते ह। एक बार भी िफसल जाने पर आप असुरि त हो
जाएं गे और आप पर सभी िदशाओं से हमला होने लगेगा। ऐसी ित ा बनाएँ िक उस
पर कोई हमला न कर सके। हमेशा संभािवत हमलों के बारे म सचेत रह और उनके
होने से पहले ही उ ख़ कर द। इस दौरान अपने श ुओं की ित ा म सध
लगाकर उ न करना सीख। िफर दू र खड़े हो जाएं और जनता को उनकी
आलोचना करने द।

श की कंु जी
हमारे चारों तरफ के लोग, भले ही वे हमारे सबसे प े दो हों, हमेशा कुछ हद
तक रह मय और अबूझ रहते ह। उनके च र म ऐसे खुिफ़या गिलयारे होते ह,
िज कट नहीं करते ह। अगर हम इस बारे म ादा सोचगे, तो हम परे शान हो
जाएं गे, ोंिक जब तक हम उ पूरी तरह से नहीं जानते ह, तब तक हम उनका
मू ां कन कैसे कर सकते ह। इसिलए हम इस त को नज़रअंदाज़ कर दे ते ह और
िसफ िदखावे के आधार पर ही लोगों का मू ां कन करते ह। हमारे मू ां कन का
आधार वह होता है , जो हमारी आँ खों को साफ़ नज़र आता है -कपड़े , मु ाएँ , श ,
काय। समाज म दशन ही हमारे सारे मू ां कनों का पैमाना होता है । आप िकसी
दू सरे तरीके से िव ास उ नहीं कर सकते। आपकी एक ग़लती या आपके िलये
म एक भी अजीब या अक ात प रवतन िवनाशकारी सािबत हो सकता है |
इस वजह से यह बेहद मह पूण है िक आप खुद अपनी ित ा बनाएँ और उसे
बनाए रख।
यह ित ा िदखावे के ख़तरनाक खेल म आपकी र ा करे गी। यह ित ा लोगों की
पैनी आँ खों को यह पता नहीं चलने दे गी िक आप सचमुच कैसे ह। इससे आप दु िनया
से अपनी शत पर अपना मू ां कन करवाते ह-यह थित सचमुच सश है ।
जैसा िससरो ने कहा है , जो लोग शोहरत के खलाफ बहस करते ह, वे भी इसके िवरोध म ऐसी िकताब िलखना
चाहते ह, िजनके कवर पर उनका नाम हो। शोहरत का िवरोध करते ए भी ये मश र होना चाहते ह। हर चीज़
का आदान- दान होता है । हम अपने दो ों को अपना -सामान दे सकते ह, ज रत पड़ने पर उनके िलए जान
भी दे सकते ह, लेिकन अपनी शोहरत बाँटने के मामले म दू सरों को अपनी ित ा का उपहार दे ने का उदाहरण
मु ल से िमलेगा। मॉ े न, 1533-1592
शु आत म आपको िकसी एक िवशेष की ित ा बनाने के िलए मेहनत करना
चािहए, चाहे यह उदारता हो या ईमानदारी या चतुरता। यह गुण आपको दू सरों से
अलग कर दे ता है और इसके कारण दू सरे आपके बारे म बात करने लगते ह। इसके
बाद आप अपनी ित ा का चार ादा से ादा लोगों म कर ( हालाँ िक यह काम
ब त समझदारी से करना चािहए। धीरे -धीरे ित ा बनाएँ और इसकी नींव मजबूत
बनाएँ । ) कुछ समय बाद जंगल म लगी आग की तरह तेज़ी से फैल जाएगी।
ठोस ित ा आपके वज़न को बढ़ाती है और आपकी मेहनत के िबना आपकी
श यों को बढ़ा-चढ़ाकर िदखाती है । यह आपके चारों तरफ़ आभामंडल भी बना
सकती है , िजससे लोगों के मन म आपके ित स ान, यहाँ तक िक भय भी जाग
जाए। ि तीय िव यु के दौरान उ र अ ीकी रे िग ान म लड़ते समय जमन
सेनापित अितन रोमल ने चालाकी और धोखेबाज़ी की ित ा बना ली थी, िजससे
उनसे लड़ने वाली हर सेना दहशत म आ जाती थी। हालां िक उनकी सेना मु ी भर
बची थी और ि िटश टकों की सं ा उनसे पाँ च गुना ादा थी, लेिकन रोमल के
आने की ख़बर सुनते ही पूरे के पूरे शहर खाली हो जाते थे।
अपनी ित ा को िकसी एक िवशेष गुण पर आधा रत कर। यह इकलौता गुण-चाहे
कायकुशलता हो या आकषण की तरह आपका प रचय दे ता है और लोगों पर जादू
कर दे ता है ।
ित ा िकसी ख़ज़ाने की तरह कीमती है , इसिलए इसे सावधानीपूवक हािसल कर
और सुरि त रख। खासकर शु आत म आपको ढ़ता से इसकी र ा करनी चािहए
और इस पर होने वाले हमलों का पहले से ही अनुमान लगा लेना चािहए। ठोस
ित ा बनने के बाद अपने श ुओं की आलोचना क िट िणयों से नाराज़ या
र ा क होने से ऐसा लगेगा िक आपको अपनी ित ा पर भरोसा नहीं है और आप
असुरि त महसूस कर रहे ह। इसके बजाय उ माग अपनाएँ और कभी अपना
बचाव करने की हड़बड़ी न िदखाएँ । दू सरी तरफ़, िकसी दू सरे की ित ा पर हमला
करना ब त कारगर अ है , ख़ास तौर पर जब वह आपसे ादा श शाली हो।
इस तरह के यु म नुकसान उसी का होता है , ोंिक खोने के िलए उसी के पास
ादा होता है । अगर वह आप पर पलटकर हमला करे गा, तो उसके सामने एक
छोटा ल होगा, ोंिक आपकी ित ा अभी कम है ,लेिकन इस रणनीित का योग
ब त सूझ-बूझ से करना चािहए। यह नहीं लगना चािहए िक आप ओछे ितशोध म
उलझ रहे ह। अगर आप चतुराई से अपने दु न की ित ा को धूिमल नहीं कर
पाए, तो अनजाने म ही आप अपनी ित ा को धूिमल कर लगे।
कभी भी िकसी पर हमला करते समय ादा दू र तक न जाएं , ोंिक इससे लोग
उसकी ग़लितयों पर कम और आपके ितशोध पर ादा ान दे ने लगगे। अगर
आपकी ित ा ठोस बन चुकी हो, तो अपने िवरोधी को कमज़ोर करने के िलए
अिधक सू रणनीितयों का योग कर, जैसे ं या मखौल, इससे लोग आपको
मज़ेदार मसखरा मानने लगगे। श शाली शेर अपने रा े म आने वाले चूहे के साथ
मज़े लेता है अगर वह कोई दू सरी िति या करने लगे, तो उसकी भयावह ित ा ही
ख़ हो जाएगी।
त ीर : हीरों और मािणकों से भरी खान। आपने इस खान को खोजा खुदाई की थी और अब आपकी
दौलत सुिनि त है । इसकी र ा अपने ाणों से ादा कर। हर िदशा से डकै त और चोर इसे लूटने के िलए
आएँ गे। अपनी दौलत के बारे म असावधान न रह और लगातार इसे चमकाते रह | समय जवाहरातों की चमक
फीकी कर दे गा और उ ओझल करके दफ़न कर दे गा।
िवशेष की राय : इसिलए म यह चा ंगा िक हमारा दरबारी चतुराई और िनपुणता से अपने आं त रक
मू को बढ़ाए और यह सुिनि त कर िक जब वह नए अनजान दे शों म जाए, तो उसकी अ ी ित ा उससे
पहले ही वहाँ प ँ च जाए ... ब मत की राय पर आधा रत शोहरत ब त मह पूण होती है । इससे म
िव ास जागता है । साधारण लोग बड़ी आसानी से ऐसे पर िव ास कर लेते ह, ोंिक उनके िलए ब मत
की राय मह पूण होती है । ( बा सेर का जोन, 1478-1529 )
िनयम 6: हर क़ीमत पर सबका ान
आकिषत कर
िवचार
हर चीज़ का मू ां कन िदखने के आधार पर िकया जाता है । जो नज़र नहीं आता है ,
उसका कोई मू ही नहीं होता है । इसिलए भीड़ का िह ा न बन और गुमनामी म
दफ़न होकर न रह। सबसे अलग हटकर िदख। हर कीमत पर लोगों की नज़रों म
रह। नीरस और भी जनता से ादा महान, ादा िदलच और ादा रह मय
िदखकर ऐसा चुंबक बन जाएँ , जो सबका ान अपनी तरफ़ खींचे।

श की कंु जी
अपने आस-पास के लोगों से ादा चमकदार िदखना एक ऐसी कला है , जो
ज जात नहीं होती है । आपको लोगों का ान आकिषत करना सीखना पड़ता है ।
अपने कै रयर की शु आत म ही आपको अपना नाम और ित ा िकसी एक गुण या
छिव से जोड़ लेना चािहए, तािक आप दू सरे लोगों से अलग नज़र आ सक। यह छिव
कुछ भी हो सकती है , जैसे कपड़ों की िवशेष शैली या की कोई अनूठी
बात, िजससे लोगों की िच जागे और वे आपके बारे म बात कर। एक बार जब
आपकी ित ा थािपत हो जाती है , तो आपके पास एक िदखावे का आसमान तैयार
हो जाता है , िजसम आपका ही िसतारा जगमगाता रहता है ।
यह सोचना ग़लत है िक आपका यह अनुठा प िववादा द नहीं होना चािहए या
लोगों की आलोचना बुरी बात है । स ाई इसके िबलकुल िवपरीत है । आलोचना से
बचने की कोिशश न कर। िकसी दू सरे को अपने से ादा कु ात न बनने द।
आपको इस बात की परवाह नहीं होना चािहए िक आपकी तरफ़ ान ों दे रहे ह।
लोगों का ान चाहे िजस कारण से आपकी ओर आकिषत हो रहा हो, आपको
फायदा ही होता है ।
ततैया और राजकुमार
िपनटे ल नाम का एक ततैया था। वह लंबे समय से कोई ऐसा काम करना चाहता था, जो उसे हमेशा के िलए
मश र कर दे इसिलए एक िदन वह राजमहल म घुसा और उसने िव र पर सो रहे न े राजकु मार को काट
िलया। दद के मारे राजकु मार जाग गया और जोर-जोर से रोने लगा। राजा और दरबारी भागकर यह दे खने अंदर
आए िक ा आ था। राजकु मार लगातार रो रहा था, ोंिक ततैया उसे बार-बार काट रहा था। दरबा रयों ने
ततैये को पकड़ने की कोिशश की, लेिकन उसने उ भी काट िलया। पूरा राजमहल वहाँ इक ा हो गया। यह
खबर आग की तरह फैल गई और लोग झुंड बनाकर महल की तरफ़ आने लगे। पूरे शहर म ह ा मच गया और
सारा कामकाज ठ हो गया। ततैये ने अपनी कोिशशों के कारण मरने से पहले सोचा, " जो नाम मश र नहीं है ,
वह िबना लपटों वाली आग की तरह है । हमेशा लोगों का ान आकिषत करना चािहए, चाहे उसकी कोई भी
कीमत ों न चुकानी पड़े । "भारतीय दं तकथा’’

लुई चौदहव के दरबार म ब त से यो लेखक, कलाकार, सुंद रयाँ और च र वान


ी-पु ष थे। लेिकन ूक डक ले लॉजन के बारे म िजतनी बात होती थीं, उतनी
िकसी और के बारे म नहीं होती थी। ूक नाटे थे और ब त ही बदतमीजी का
वहार करते थे। वे राजा की ेिमकाओं के साथ सोते थे और खुलेआम न िसफ
दू सरे दरबा रयों के साथ बदतमीज़ी करते थे, ब स ाट का भी अपमान करते
रहते थे। बहरहाल, लुई को ूक का अनूठापन इतना मोहक लगता था िक वे
दरबार म उनकी अनुप थित बदा नहीं कर पाते थे। इसका कारण है :
ूक के च र की िविच ता सबका ान आकिषत करती थी। उनसे मं मु होने
के बाद लोग हर कीमत पर उ अपने आस-पास रखना चाहते थे।
समाज हमेशा ऐसे लोगों को पसंद करता है , जो औसत लोगों से बड़े या अलग हों।
इसिलए ऐसे गुण िवकिसत कर, िजनके कारण आप दू सरों से अलग िदख और
आपके ित लोगों का ान आकिषत हो। इसिलए िववाद को गले लगाएँ , यहाँ तक
िक डल को भी। लोग आपको नज़रअंदाज़ कर, इससे तो बेहतर है िक वे आपकी
आलोचना कर। कम से कम आप चचा म तो रहगे।
सवाल यह है िक अगर आप िकसी छोटे पद पर ह, जहाँ आपके पास दू सरों का
ान आकिषत करने के ब त कम अवसर ह, तब ा कर? इस थित म कारगर
तरीक़ा यह है िक अपने आस-पास के सबसे मश र और श शाली पर
हमला कर द। जब सोलहवीं सदी का युवा रोमन दास िपये ो अरे िटनो किव के प
म मश र होना चाहता था, तो उसने पालतू हाथी के ित पोप के ेम का मखौल
उड़ाते ए कई ं किवताएँ िलखीं। इस हमले से अरे िटनो त ाल लोगों की
नज़रों म चढ़ गया। िकसी ऊंचे पद पर बैठे की आलोचना करने का भी यही
भाव होता है । बहरहाल इतना याद रख िक जनता का ान आकिषत होने के बाद
इस रणनीित का योग कभी-कभार ही कर, ोंिक बार-बार ऐसा करने पर लोग
इसे गंभीरता से नहीं लगे।
एक बार लोगों की नज़रों म चढ़ने के बाद आपको उनका ान आकिषत करने के
नए-नए तरीके खोजने चािहए। अगर आप ऐसा नहीं करगे, तो लोग आपसे ऊब
जाएँ गे, आपकी तरफ़ ादा ान नहीं दगे और िकसी नए िसतारे की तरफ
आकिषत हो जाएं गे। इस खेल म िनरं तर सावधानी और रचना कता की ज़ रत
होती है । पा ो िपकासो ने खुद को कभी पृ भूिम म गुम नहीं होने िदया। वे हमेशा
जान-बूझकर जनता के सामने पिटं की एक नई ृंखला रख दे ते थे, जो सबकी
अपे ाओं के िवपरीत होती थी। वे यह मानते थे िक लोग उनकी पिटं ग की शैली से
ादा प रिचत हों, इससे पहले ही कुछ बुरी और िवचिलत करने वाली पिटं
बनाकर उ है रान कर दे ना चािहए। यह अ ी तरह से समझ ल लोग खुद को उस
से े मानते ह, िजसके काम के बारे म वे पहले से भिव वाणी कर सकते
ह। अगर आप उनकी अपे ाओं के िवपरीत जाकर उ यह बता दे ते ह िक िनयं ण
की बागडोर आपके हाथ म है , तो आपको उनका स ान भी िमलेगा और आप लंबे
समय तक उनका ान भी आकिषत कर पाएं गे।
जब मेरी आलोचना होती है , तब भी म मश र तो होता ही ँ । िपयं ी अरिटनो, 1492-1556
त ीर : लाइमलाइट। जो अिभनेता इस चमकदार रोशनी म कदम रखता है, उसकी उप थित ादा,
बल हो जाती है । सबकी आँ ख उसी पर िटकी रहती ह। लाइमलाइट के सँकरे दायरे म एक बार म िसफ एक
अिभनेता के खड़े होने की ही जगह होती है । खुद को लाइमलाइट म रखने की पूरी कोिशश कर। अपने काय
को ब त बड़ा, िदलच और िववादा द बनाएँ , तािक रोशनी हमेशा आप पर ही रहे और बाक़ी सब अिभनेता
अँधेरे म रह।
िवशेष की राय : यं को दिशत कर और सबकी नज़रों के सामने रह ... जो िदखता नहीं है, एक
तरह से उसका अ ही नहीं होता है ... रोशनी के कारण ही दु िनया िदखाई दे ती है । दशन से कई खाली
थान भरते ह, कई किमयाँ ढकती है और नया जीवन िमलता है , ख़ासकर तब जब इसके पीछे स ी यो ता
होती है । ( बा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 7: काम दूसरों से करवाएँ , लेिकन
ेय खुद ल
िवचार
अपने ल ों तक प ँ चने के िलए दू सरों की समझदारी, ान और मेहनत का
इ ेमाल कर। इस तरह से आप न िसफ अपना ब मू समय और ऊजा बचाएँ गे,
ब इससे यह छिव भी बनेगी िक आप ब त कायकुशल और ती ह। लोग
आपको याद रखगे और आपके सहायक गुमनामी के अँधेरे म खोकर रह जाएं गे।
दू सरों से जो काम करवा सकते हों, उसे खुद कभी न कर।
अंधी मुग - एक मुग की आँ खों की रोशनी चली गई थी। अंधी होने के मेहनत से भोजन की तलाश म जमीन
खोदती रहती थी। इस मेहनती मूख को ा फायदा होना था। दू सरी तेज आँ ख वाली मुग अपने कोमल पैरों की
श को बचाकर रखती थी। वह हमेशा अंधी मुग के पास ही रहती थी और उसकी मेहनत का फल चखती
रहती थी। जब भी अंधी मुग अनाज का दाना खोदकर िनकालती थी, तो उसकी तेज आँ ख वाली सहे ली उस दाने
को खा जाती थी| े व , गॉटहो लेिसंग, 1729-1781

श की कंु जी
ताकत की दु िनया जंगल की दु िनया की तरह है । कुछ जानवर खुद िशकार करके
जीते ह, जबिक ादातर जानवर ( गीदड़, िगद ) दू सरों के िशकार पर जीते ह। बाद
वाली ेणी के जानवरों म क नाशीलता कम होती है और वे अ र श की
ज़ रत वाले काम को नहीं कर सकते ह। वे ज ी ही यह बात समझ लेते ह िक
अगर वे इं तज़ार करगे, तो उ कोई न कोई ऐसा जानवर िमल जाएगा, जो उनके
िलए िशकार कर दे गा। नादान न बन : इस समय जब आप िकसी गधे की तरह काम
कर रहे ह, तो आपके ऊपर भी िग मँडरा रहे ह और आपकी रचना कता से
फ़ायदा उठाने का तरीका सोच रहे ह। इसके बारे म िशकायत करना या आगबबूला
होना बेकार है । बेहतर यह है िक आप खुद की र ा कर और इस खेल को िनपुणता
से खेल। श का आधार थािपत करने के बाद आप िग बन जाएँ । इस नीित पर
चलने से ब त सा समय और मेहनत बच जाएगी।
कलाकार पीटर पॉल रयूबे के कै रयर के उ रा म उनकी पिटं की माँ ग ब त
बढ़ गई। उ ोंने एक िस म बना िलया : वे अपने बड़े ू िडयो म दजनों अ े पटस
को नौकरी पर रखते थे। उनम से एक कपड़े बनाने म मािहर था, तो दू सरा पृ भूिम
बनाने म और इसी तरह बाक़ी े ों के िवशेष भी थे। उनके इस ू िडयो म एक
साथ ब त से िच ों पर काम चलता था। जब कोई मह पूण ाहक ू िडयो दे खने
आता था, तो यूवे उस िदन नौकरी पर रखे पटस को भगा दे ते थे। जब ाहक
बालकनी से दे खता था, तो उसे वे अिव सनीय तेज़ी और ऊजा से कई पिटं पर
एक साथ काम करते िदखाई दे ते थे। ाहक है रान रह जाता था िक यह
िकतना असाधारण है , जो इतने कम समय म इतने सारे मा रपीस पट कर सकता
है ।
यही इस िनयम का सार है : काम दू सरों से करवाना सीख और ेय खुद ल, तािक
लोगों को यह लगे िक आपम अनूठी श है । अगर आप हर काम खुद करना
चाहगे, तो आपकी ऊजा ख़ाम ाह बबाद होगी और आप थकान के मारे िनढाल हो
जाएं गे। ऐसे लोगों को ढू ँ ढ, िजनम वे यो ताएँ और रचना कता हो, िजनकी आपम
कमी हो। या तो उ नौकरी पर रख ल और उनके काम पर अपने नाम का लेबल
लगाना शु कर द या िफर उनके काम पर अपना नाम िचपकाने का कोई और
तरीक़ा खोज। इस तरह से उनकी रचना कता लोगों के सामने आपकी
रचना कता बन जाती है और आप जीिनयस नज़र आने लगते ह। इस िनयम का
इ ेमाल आप एक और तरीके से भी कर सकते ह। इसम आपको परजीवी की तरह
अपने समकालीनों की मेहनत का फायदा उठाने की ज़ रत नहीं होती। इस तरीके
का सार यह है िक ान और बु के वृहद कोण यानी अतीत का इ ेमाल कर।
अगर कोई िशकारी घोडागाड़ी पर सवार होकर छह घोड़ों के पैरों का इ ेमाल करता है और बग िलयांग को
उनकी वागडोर थामने दे ता है , तो वह िबना के तेज जानवरों से आगे िनकल जाएगा। अब यह मान ल िक वह
घोडागाड़ी के लाभ को छोड़ दे , घोड़ों के उपयोगी पैरों तथा बग िलयांग की िनपुणता का इ ेमाल न करे और
पैदल ही जानवरों के पीछे भागने लगे, तो उसके पैर भले ही िलऊ ची िजतने तेज़ हों, लेिकन वह जानवरों से आगे
नहीं िनकल पाएगा। सच तो यह है िक अ े घोड़े और मज़बूत घोड़ागाड़ी का इ ेमाल करके साधारण से
साधारण आदमी भी जानवरों को पकड़ सकता है । है न फेई ू, चीनी दाशिनक, तीसरी सदी
ई.पू.
आइसैक ूटन ने इसे “ क ावर लोगों के कंधों पर खड़े होने " की सं ा दी थी।
उनका मतलब यह था िक अपनी खोज करते समय उ ोंने अतीत के लोगों की
सफलताओं का सहारा िलया था। ूटन ने ाचीन, म युगीन और रै नेसा युग के
वै ािनकों के ान का भरपूर लाभ उठाया था और वह यह बात जानते थे।
शे िपयर ने दू सरों की कहािनयों पर नाटक िलखे। उ ोंने ूटाक से कथानक,
यहाँ तक िक संवाद भी चुरा िलए, ोंिक वे जानते थे िक सू मनोिव ान को
समझने और चुटीले संवाद िलखने म ूटाक का कोई सानी नहीं था। बाद के िकतने
सारे लेखकों ने शे िपयर से सीखा या चुराया है ?
चाहे वे रणनीित के ाचीन महारथी हों, मानवीय मूखता के इितहासकार या मानवीय
च र की गहराइयों म डूबे लेखक हों सभी का ान धूल खा रहा है । यह ान इं तज़ार
कर रहा है िक आप आएँ और उनके कंधों पर खड़े हो जाएँ । उनका वाक-कौशल
आपका वाक-कौशल बन सकता है , उनकी िनपुणता आपकी िनपुणता बन सकती है
और वे सभी क़ से उठकर कभी लोगों को यह बताने नहीं आएं गे िक आपने उनका
ान चुराया है । आपके पास दो रा े ह : या तो मौिलक काम करने की कोिशश म
िजंदगी भर मेहनत कर, लगातार ग़लितयाँ कर, अपना समय और ऊजा बबाद कर।
या िफर अतीत की सेनाओं का इ ेमाल करके िकला फ़तह कर ल। जैसा िब ाक
ने एक बार कहा था, " मूख कहते ह िक वे अपने अनुभव से सीखते ह। म दू सरों के
अनुभव से लाभ उठाना पसंद करता ँ ।
त ीर : िग । जंगल के सभी जीवों म उसका काम सबसे आसान होता है। दू सरों की कड़ी मेहनत से
उसका काम आसान बन जाता है । उनके मरने से उसे भोजन िमलता है । िग पर िनगाह जमाए रख जब दू सरे
कड़ी मेहनत करते ह, तो वह उनके ऊपर मँडराता रहता है । उसे बुरा न मान, ब उसके साथ जुड़ जाएँ ।
िवशेष की राय : जीवन म सीखने को ब त कु छ है और ान के िबना िज़ंदगी अथहीन है। इसिलए
सबसे ान हािसल करना एक उ ृ तकनीक है । दू सरों की जीतोड़ मेहनत के बल पर आप महानता की
ित ा हािसल करना सीख। ( वा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 8: दूसरों को अपने पास बुलाएँ -
ज़ रत पड़ने पर दाना भी डाल
िवचार
जब आप दू सरे को कोई काम करने के िलए मजबूर करते ह, तो िनयं ण
आपके हाथ म होता है । हमेशा ादा अ ा यही होता है िक आपका िवरोधी
आपके पास आए और इस ि या म अपनी योजनाएँ छोड़ दे । ब त बड़ा लोभन
दे कर उसे ललचाएँ -िफर उस पर हमला कर द। तु प के सारे प े आपके हाथ म
होते ह।
जब म िहरण के िलए दाना डालता ँ , तो म दाना सूंघने आने वाले पहले िहरण को गोली नहीं मारता ँ , ब
तब तक इं तज़ार करता ँ , जब तक िक पूरा का पूरा झुंड वहाँ नहीं आ जाता । ओटो वॉन िब ाक,
1815-1898
श की कंु जी
यह नाटक इितहास म ब त बार खेला गया है : कोई आ ामक लीडर ब त से
साहिसक कदम उठाता है , िजससे वह ब त श शाली बन जाता है । कुछ समय
बाद वह श के िशखर पर प ं च जाता है । लेिकन इसके कुछ समय बाद ही हर
चीज़ उसके िख़लाफ़ होने लगती है । उसके असं दु न आपस म गठबंधन कर
लेते ह। अपनी श को बनाए रखने की कोिशश म वह हर िदशा म लड़ता है ,
िजससे वह थक जाता है और अंततः उसका पतन हो जाता है । ऐसा होने का कारण
यह है िक यह आ ामक कभी भी पूरे िनयं ण म नहीं होता है । वह दो-चार
कदमों से ादा आगे तक नहीं दे ख पाता है । वह अपने साहिसक काय के
प रणामों को नहीं दे ख पाता है । चूंिक उसे हमेशा अपने श ुओं के क़दमों और अपने
ज बाज़ी के कामों पर िति या करनी पड़ती है , इसिलए उसकी आ ामक ऊजा
ही उसकी दु न बन जाती है ।
श के संसार म आपको खुद से पूछना चािहए, अगर िनयं ण मेरे हाथ म नहीं है ,
तो यहाँ से वहाँ भागने, सम ाएँ सुलझाने और श ुओं को हराने की कोिशश करने
का ा फ़ायदा है ? म घटनाओं को िनयंि त करने के बजाय उन पर िति या
करने म ही ों उलझा रहता ँ ? जवाब आसान है : श की आपकी प रभाषा ही
ग़लत है । आपने ग़लती से आ ामक काम को ही भावी काम मान िलया है । अ र
सबसे भावी काम होता है पीछे गाते रहना, शां त बने रहना और दू सरों को अपने
िबछाए जाल म फंसाना। त ाल िवजय पाने के बजाय दीघकालीन श का खेल
खेलना असरदार होता है ।
याद रख। श का मूल आधार है करने की यो ता, अपने काय पर दू सरों से
िति या करवाना, अपने िवरोिधयों और अपने आस-पास के लोगों को र ा क
होने पर मजबूर करना। जब आपकी रणनीित के कारण दू सरे लोग आपके पास
आने लगते ह, तो अचानक थित का िनयं ण आपके हाथ म आ जाता है और
िजसके पास िनयं ण होता है , उसी के पास श होती है । इस थित तक प ं चने
के िलए आपके पास दो चीज होनी चािहए। आपको अपनी भावनाओं पर काबू रखना
सीखना चािहए और कभी नाराज़ नहीं होना चािहए | आपको लोगों की ाभािवक
वृि का लाभ उठाना चािहए, िज जब उकसाया या लोभन िदया जाता है , तो वे
भड़क जाते ह। दू सरों को अपने पास आने के िलए मजबूर करने की यो ता
दीघकालीन रणनीित के िलहाज़ से आपका सबसे श शाली अ है ।
जब िवरोधी मजबूर होकर आपके पास आएगा, तो इसका एक लाभ यह भी होगा िक
वह आपके इलाके म होगा। श ु के े म आने की वजह से वह घबरा रहा होगा,
इसिलए वह अ र हड़बड़ी म काम करे गा और उससे गलितयाँ होंगी। समझदारी
इसी म होती है िक बातचीत या बैठकों म दू सरे आपके इलाके म या कम से
कम आपकी पसंद के इलाके म आएँ । इस तरह से आप जाने-पहचाने माहौल म
होते ह, जबिक सामने वाला अनजान माहौल म होता है और उसे मजबूरन र ा क
बनना पड़ता है ।
ाथ-साधन एक खतरनाक खेल है । जब िकसी को यह शक हो जाए िक उससे
मतलब िनकलवाया जा रहा है , तो उसे िनयंि त करना ादा मु ल हो जाता है ।
लेिकन जब आप अपने िवरोधी को अपने पास आने के िलए मजबूर करते ह, तो उसे
यह म हो जाता है िक थित को वही िनयंि त कर रहा है ।
उ ीसवीं सदी के मश र िनवेशक डे िनयल ड शेयर बाजार के मंजे ए खलाड़ी थे।
जब वे यह चाहते थे िक बाकी लोग िकसी खास कंपनी के शेयर को ख़रीद या बेच
और उसके भाव को ऊपर या नीचे धकेल, तो वे कभी सीधी नीित का इ ेमाल नहीं
करते थे। वे चालाकी से काम लेते थे। उनकी एक चाल यह थी िक वे वॉल ीट के
रा े म पड़ने वाले एक ब म जाकर कहते थे िक उ ज ी ही ॉक ए चज
प ँ चना है । िफर वे अपना पसीना पोछने के िलए लाल माल िनकालते थे। इस
माल से एक काग़ज़ िगरता था, लेिकन वे उसके िगरने पर ान नहीं दे ते थे। ब
के सद हमेशा ड के क़दमों को भां पने की कोिशश करते थे, इसिलए उनके जाने
के बाद वे लपककर उस काग़ज़ को उठा लेते थे। उस कागज़ म िकसी कंपनी के
शेयर के बारे म गोपनीय जानकारी िलखी रहती थी। बात फैल जाती थी और सद
उस जानकारी के आधार पर धड़ाधड़ वह शेयर ख़रीदने-बेचने लगते ये और इस
तरह ड के हाथों का खलौना बन जाते थे।
हर चीज़ इस बात पर िनभर करती है िक आप जो दाना डाल रहे ह, वह िकतना
मीठा है । अगर आपका जाल आकषक है , तो आपके दु नों की इ ाओं और
भावनाओं की उलझन उ स ाई नहीं दे खने दे गी। उनका लोभ िजतना बढ़े गा,
उ उतना ही घुमाया जा सकता है ।
त ीर : शहद लगा भालू का फंदा। भालुओं का िशकारी अपने िशकार के पीछे दौड़ नहीं लगाता है। अगर
भालू को यह पता चल जाए िक उसका पीछा िकया जा रहा है , तो उसे पकड़ना लगभग असंभव होता है । और
मान लीिजए, अगर िकसी ने उसे पकड़ भी िलया, तो वह िहं सक हो जाएगा। इसिलए िशकारी भालू का पीछा नहीं
करता है । इसके बजाय वह फंदे म शहद लगा दे ता है । वह भालू का पीछा करके खुद को थकाता नहीं है । वह
भालू के पीछे भागकर अपनी जान जो खम म नहीं डालता है । वह तो बस फंदा तैयार कर दे ता है और िफर
इं तजार करता है ।
िवशेष की राय : अ े यो ा कभी दू सरों के पास नहीं जाते ह, ब दू सरों को अपने पास आने के
िलए मजबूर कर दे ते ह। यह दू सरों के ख़ालीपन और खुद के भरे होने का िस ांत है । जब आप अपने िवरोिधयों
को अपने पास आने के िलए े रत करते ह, तो उनकी श हमेशा ख़ाली होती है । जब तक आप उनके पास
नहीं जाते, तब तक आपकी श हमेशा भरी होती है । ख़ालीपन पर हमला करना अंडे पर प र मारने की तरह
है । ( सँग यू, द आट ऑफ़ वार पर 11 वी ं सदी के िट णीकार )
िनयम 9: बहस से नही ं, अपने कामों से
जीत
िवचार
बहस से िमलने वाली िणक िवजय दरअसल खोखली होती है । इससे सामने वाले
के िवचार नहीं बदलते ह। इसके बजाय उसके मन म े ष और दु भावना उ होती
है , जो काफ़ी समय तक कायम रहती है । कुछ बोले िबना अपने काय से दू सरों को
भािवत करना ब त ादा असरदार होता है । बोल नहीं, ब काम करके िदखा
द।
अमेिसस के काय : जब एि यस को ग ी से उतार िदया गया, तो अमेिसस िसंहासन पर बैठा। वह सईस
िजले का या और िसअफ़ े का िनवासी था। पहले तो िम के नाग रक उसका स ान नहीं करते थे, ोंिक
वह गरीब घर से आया था और उसने अपना कै रयर ब त िनचले र से शु िकया था। िम के नाग रकों का
स ान पाने के िलए उसने स कदम नहीं उठाए, ब चतुराई से उ अपने प म कर िलया। उसकी ब त
सी संपि यों म से एक था पैर धोने का वह ण पा , िजसम वह और उसके अितिथ ख़ास अवसरों पर अपने पैर
धोते थे। उसने इसे तुड़वाकर इससे एक दे वता की सोने की मूित बनवाई और उसे शहर की सबसे अ ी जगह
पर लगवा िदया। िम के नाग रक मूित का स ान करने लगे। जैसे ही अमेिसस ने यह सुना, उसने एक सभा
आयोिजत की। सभा म उसने यह बताया िक यह स ािनत मूित कभी उसके पैर धोने का पा थी, िजसम लोग
अपने पैर धोते थे, कु ा करते थे और गंदगी साफ़ करते थे। उसने कहा िक उसका हाल भी मूित की तरह ही है ,
ोंिक वह भी कभी एक साधारण था और अब स ाट बन गया है । उसने कहा िक अ ा यही रहे गा िक
िजस तरह लोग पैर धोने के पा का स ान करने लगे ह, उसी तरह वे उसका भी स ान करने लग। इस तरह
से िम के नाग रक उसे अपना ामी मानने के िलए तैयार हो गए । द िह ीज, हे रोडोटस, पाँचवी ं
सदी, ई.पू.
श की कंु जी
श के े म आपको अपने कदमों का मू ां कन इस बात से करना चािहए िक
दू सरों पर उनका दीघकालीन भाव कैसा पड़ रहा है । बहस करके अपनी बात
मनवाने या जीतने की कोिशश करने म िद त यह होती है िक आप यकीन से कभी
भी यह नहीं कह सकते ह िक सामने वाले पर इसका ा भाव पड़ा है : हो सकता
है वह आपसे सहमत तो िदख रहा हो, लेिकन अंदर ही अंदर आपसे े ष कर रहा
हो। या िफर शायद आपने अनजाने म कोई ऐसी बात कह दी हो, जो बुरी लग गई
हो। ान रहे िक सामने वाला अपने मूड और असुर ा के आधार पर आपके कहे
श ों का मतलब िनकालता है । अ े से अ े तक की भी कोई ठोस नींव नहीं होती
है , ोंिक हम सब श ों की छलावे भरी कृित से वािक़फ़ होने के कारण उन पर
अिव ास करते ह। िकसी के साथ बहस करने के कुछ ही िदन बाद हम िसफ आदत
की वजह से अपने पुराने िवचारों पर वापस लौट आते ह।
इस बात को समझ ल : श चव ी के सौ िमलते ह। हर कोई जानता है िक बहस
करने के आवेश म हम अपनी बात के समथन म कुछ भी कह सकते ह। हम
बाइबल का हवाला दे सकते ह या ऐसे आँ कड़ों का िज कर सकते ह, िजनकी पुि
नहीं की जा सकती। इस तरह की हवाबाज़ी से कौन हम पर िव ास कर सकता है ?
काय इससे कहीं ादा श शाली और अथपूण होते ह। वे हमारी आँ खों के सामने
होते ह और हम उ दे ख सकते ह। काय म चुभने वाले श नहीं होते ह और
ग़लत िन ष की कोई संभावना सबूत भी नहीं होती है । सामने िदखाई दे ने वाले के
साथ कोई भी बहस नहीं कर सकता। जैसा वा ेसर ेिशयन कहते ह, " स आम
तौर पर सुनाई नहीं, िदखाई दे ता है ।
सर ि ोफर रे न इं ड के पुनजागरण काल म इस बात के जीते-जागते उदाहरण
थे। उ ोंने गिणत, खगोल शा , भौितक शा और जीव-िव ान म महारत हािसल
कर ली थी। वे इं ड के सबसे मश र वा ुिवद थे। इस े म उनके लंबे कै रयर
म उनके ाहकों ने उ िडज़ाइन बदलने के बारे म ब त से अ ावहा रक सुझाव
िदए। उ ोंने कभी ाहकों से बहस नहीं की या चुभने वाले श नहीं कहे । उनके
पास अपनी बात सािबत करने के दू सरे तरीके थे।
1688 म रे न ने वे िमं र शहर के िलए एक शानदार टाउन हॉल िडज़ाइन िकया,
लेिकन मेयर उससे संतु नहीं था। उसने रे न से कहा िक दू सरी मंिज़ल सुरि त नहीं
है और यह पहली मंिज़ल पर बने उसके ऑिफ़स पर कभी भी िगर सकती है । उसने
रे न से कहा िक वह अित र सहारे के िलए प र के दो खंभे और लगा दे । रे न
ब त ही कुशल इं जीिनयर थे। वे अ ी तरह जानते थे िक खंभे लगाने का कोई
मतलब नहीं है और मेयर का डर िनराधार था। लेिकन उ ोंने खंभे लगा िदए, िजससे
मेयर ब त खुश हो गया। कुछ साल बाद जब कुछ मजदू र साफ़-सफाई करने के
िलए ऊँची नसेनी पर चढ़े , तब जाकर पता चला िक खंभे छत को सहारा नहीं दे रहे
थे, ब उससे थोड़ी दू र पर ही ख हो गए थे।
खंभे िसफ़ िदखने के िलए लगाए गए थे। लेिकन इससे दोनों ही लोगों को वह िमल
गया, जो वे चाहते थे। मेयर को तस ी हो गई और रे न जानते थे िक भावी पीिढ़याँ
समझ लगी िक उनकी मूल िडज़ाइन सही थी और खंभों की ज रत नहीं थी।
काम के मा म से अपने िवचार कट करने से आपके िवरोधी र ा क नहीं होते
ह, इसिलए वे आसानी से आपकी बात मान जाते ह। बहस के बजाय काय से
शा क और भौितक दोनों पों म अपनी बात मनवाना ादा कारगर होता है ।
अगर आपका ल श पाना या उसे सुरि त रखना है , तो हमेशा अ माग
खोज और यु का मैदान सावधानी से चुन। अगर दीघकालीन ि से इस बात से
कोई फ़क नहीं पड़ता है िक सामने वाला आपसे सहमत है या नहीं या अगर समय
और उनका अनुभव उ आपका मतलब समझा दे गा तो सबसे अ ा यही रहे गा
िक आप उ समझाने की कोिशश ही न कर। अपनी ऊजा बचाएँ और वहाँ से चल
द।
त ीर : सी-सॉ। बहस करने वाले ऊपर-नीचे होते रहते ह और कहीं भी नहीं प ंच पाते ह। सी-सॉ से नीचे
उतर और लोगों को लात मारे या ध ा िदए िबना उ अपना मतलब िदखा द। उ िशखर पर छोड़ द,
गु ाकषण श उ अपने आप धरती पर ले आएगी।
िवशेष की राय : कभी बहस न कर। समाज म िकसी भी चीज़ पर बहस नहीं होनी चािहए। िसफ
प रणाम दे ने पर अपना ान कि त कर। ( वजािमन िडजराइली, 1804-1881 )
िनयम 10: सं मण - दुखी और
बदिक़ त लोगों से बच
िवचार
आप िकसी दू सरे के दु ख से मर सकते ह भावना क अव थाएँ बीमा रयों की तरह
ही सं ामक होती ह। हो सकता है आपको लगे िक आप डूबते आदमी की मदद
कर रहे ह, लेिकन यह याद रख िक ऐसा करके आप िसफ अपनी मु ल बढ़ा रहे
ह। बदिक त लोग बदिक ती को अपनी तरफ आकिषत करते ह। अगर आप
उनकी मदद करगे, तो बदिक ती आपकी तरफ़ भी आकिषत हो जाएगी। इसिलए
सुखी और खुशिक त लोगों के साथ रह।
बीज और घंटाघर | एक कौवा एक बीज को अपनी चोंच म दबाकर घंटाघर के ऊपर से जा रहा था | तभी
वह बीज उसकी चोंच से िफसल गया और घंटाघर के नीचे िक दरार म िगर गया | बीज मरते-मरते बच गया।
उसने घंटाघर की दीवार से आ ह िकया िक वह उसकी र ा करे । उसने ई र की कृ पा का वा ा िदया और
दीवार की ऊँ चाई, सुंदरता तथा उसके घंटे की आवाज की तारीफ़ के पुल बांधने लगा। उसने कहा, “ अफ़सोस
िक म अपने िपता के पेड़ों की हरी शाखाओं के नीचे नहीं िगरा। अफ़सोस िक म ऐसी जमीन पर नहीं िगरा, जो
पि यों से ढकी हो। लेिकन कम से कम आप तो मुझे सहारा दो। जब मै उस ू र कोए की चोच म था, तो मने
कसम खाई थी िक अगर म बच गया, तो अपनी बाकी िजंदगी एक छोटे से छे द म गुजार दू ं गा। ये श सुनकर
दीवार को तरस आ गया और उसने उस बीज को वहीं पर शरण दे दी, जहाँ वह िगरा था। कु छ ही समय म बीज
की जड़ िनकल आई। ये जड़ नीचे प रों की दीवार के बीच म सध लगाने लगी और उ दू र खसकाने लगीं।
पेड़ की शाखाएँ भी आसमान की तरफ बढ़ने लगीं। ज ी ही वह पेड़ उस घंटाघर से ादा बड़ा हो गया और
उसकी गुंथी ई जड़ इतनी मोटी हो गई िक वे दीवार को खसकाने लगी और पुराने प रों को उनकी जगह से
दू र हटाने लगीं। ब त दे र बाद जाकर दीवार को होश आया िक दया के कारण उसने अपने ही िवनाश को
आमंि त कर िलया है , लेिकन अब अफ़सोस करने से कोई फायदा नहीं था, ोंिक कु छ ही समय बाद दीवार
िगर गई। िलयोनाड द िवंशी, 1452-1519

श की कंु जी
कुछ लोग दु भा शाली होते ह। ये लोग अपनी गलितयों के कारण नहीं, ब
प र थितयों के कारण दु भा का िशकार होते ह। ये हमारी मदद और सहानुभूित
के हकदार है । लेिकन कई लोग दु भा या दु ख के िशकार नहीं होते ह, ब अपने
िवनाशकारी कामों और दू सरों पर बुरे भाव के कारण दु भा को यं आमंि त
करते ह। इन लोगों की मदद करने के बारे म हम सतक रहना चािहए। हम यह
सोचते ह िक उ मुसीबत से उबारना या उनकी आदत बदलना नेकी का काम
होगा, लेिकन अ र उनकी आदत हमम आ जाती ह और उनकी बजाय हम बदल
जाते ह। इसका कारण समझना आसान है इं सान िजन लोगों के साथ रहता है , उनके
मूड, भावनाओं और सोचने के तरीकों का उस पर ब त भाव पड़ता है ।
इस बात को समझ ल : श के खेल म यह बेहद मह पूण है िक आप कैसे लोगों
के साथ जुड़ते ह। बुरा भाव डालने वालों के साथ जुड़ने म जो खम यह है िक आप
अपना ब मू समय और ऊजा बबाद करगे। इसके अलावा लोग जब आपको ऐसे
लोगों के साथ उठता-बैठता दे खगे, तो आपके बारे म उनकी राय अ ी नहीं होगी।
कभी भी बुरे भाव के खतरों को कम न आँ क।
बुरे भाव का िसफ एक ही समाधान है : बचकर रहो। ख़तरा यह है िक बुरे भाव
डालने वाले ये लोग अ र ऐसा अिभनय करते ह िक दोष उनका नहीं, ब
प र थितयों का है । इसिलए शु आत म यह दे खना मु ल होता है िक उ ोंने
दु खों को खुद आमंि त िकया है । जब तक आप सम ा की हकीकत जान पाते ह,
तब तक अ र ब त दे र हो चुकी होती है । आप इस तरह के ख़तरनाक सं मण से
खुद को कैसे बचा सकते ह? जवाब यह है िक आप लोगों का मू ां कन इस बात से
न कर िक वे अपनी सम ाओं के ा कारण बताते ह, ब इस बात से कर िक
दु िनया पर उनका ा भाव पड़ता है । बुरा भाव डालने वालों को इन बातों से
पहचाना जा सकता है िक वे दु भा को आमंि त करते ह, उनका अतीत ब त
उथल-पुथल वाला होता है , ब त से लोगों से उनके संबंध टू ट जाते ह, उनके कै रयर
अ थर होते ह और उनके च र म एक ख़तरनाक श होती है , िजससे भािवत
होकर आप अपनी तकश खो दे ते ह। बुरा भाव डालने वाले की इन िवशेषताओं
को दे खकर पहले से ही सचेत हो जाएँ । उनकी आँ खों म असंतुि के भाव को दे खना
सीख। सबसे मह पूण बात यह है िक उन पर तरस न खाएँ और उनकी मदद करने
की कोिशश म खुद न उलझ जाएँ । बुरा भाव डालने वाले के पास से दू र भाग जाएँ ,
वरना आपको इसके प रणाम भुगतने पड़गे।
बुरे भाव का दू सरा पहलू भी उतना ही सही है और इसे समझना शायद ादा
आसान है । कुछ लोग अपने खुशनुमा भाव, ाभािवक उ ाह और बु म ा के
ारा खुशी को आकिषतकरते ह। वे सुख का ोत होते ह और आपका उनके साथ
संबंध जोड़ना चािहए, तािक आर भी उनके सुख म िह ेदार बन सक।
िवशेष की राय : खुशिक त लोगों को पहचान, तािक आप उनके साथ रहने का िनणय ले सक।
बदिक त लोगों को भी पहचान, तािक आप उनसे बच सक। दु भा आम तौर पर मूखता के कारण आता है
और इसके िशकार लोगों से ादा सं ामक और कोई नहीं होता। अपने दरवाज़े को छोटे से छोटे दु भा के
िलए भी न खोल, ोंिक अगर आप ऐसा करते ह, तो उसके पीछे -पीछे ब त से दु भा चले जाएँ गे ... दू सरे के
दु ख से न मर। ( बा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 11: लोगों को अपने पर िनभर
बनाना सीख
िवचार
अपनी तं ता बनाए रखने के िलए आपको ऐसा बनना चािहए, तािक लोगों को
हमेशा आपकी ज़ रत पड़े और वे आपको चाह। आप पर िजतना ादा भरोसा
िकया जाएगा, आपके पास उतनी ही ादा तं ता होगी। कुछ ऐसा कर, तािक
दू सरे अपनी सुख-समृ के िलए आप पर िनभर बन जाएँ । ऐसा करने के बाद
आपको िकसी चीज़ का डर नहीं रहे गा। लोगों को इतना न िसखाएं िक आपके िबना
उनका काम चल जाए।
दो घोड़े : दो घोड़े अपनी पीठ पर एक-एक ग र लादकर ले जा रहे थे। आगे वाला घोड़ा अ ी तरह चल रहा
था, लेिकन पीछे वाला घोड़ा आलसी था। उनके मािलक ने पीछे वाले घोड़े का ग र भी सामने वाले घोड़े पर लाद
िदया। ग र का वजन हटने के बाद पीछे वाला घोड़ा आसानी से चलने लगा और आगे वाले घोड़े से बोला, " तुम
मेहनत करो और पसीना बहाओ ! तुम िजतनी ादा मेहनत करोगे, तु उतना ही ादा क उठाना पड़े गा। "
जब वे सराय तक प ं च गए, तो मािलक ने कहा, " जब म एक घोड़े पर सारा सामान लाद सकता ँ , तो िफर म
दो घोड़ों को खलाने-िपलाने का खच ों उठाऊँ ? इससे अ ा तो यह रहे गा िक म एक घोड़े को भरपेट
खलाऊँ और दू सरे की खाल उतरवा लूँ। कम से कम मुझे उसकी चमड़ी तो िमल ही जाएगी। " और उसने ऐसा
ही िकया | े ब , िलयो टॉ ॉय, 1828-1910
श की कंु जी
आपकी श का सबसे बड़ा सबूत यह है िक आप लोगों से अपनी इ ा के
अनुसार काम करवा सकते हों। जब आप लोगों को मजबूर या आहत िकए िबना
ऐसा कर, यानी जब वे अपनी मज से आपकी इ ा के अनु प काम कर, तो
आपकी श कोई छू भी नहीं सकता है । इस थित म आने का सव े तरीका
िनभरता के संबंध बनाना है । मािलक को आपकी सेवाओं की ज़ रत है । वह
कमज़ोर है या आपके िबना काम नहीं कर सकता है । आप इतनी गहराई तक उसके
काम म डूब चुके ह िक आपको हटाने से उसे ब त मु ल आएगी या आपकी
जगह पर िकसी अ को िश ण दे ने म उसका ब त सा कीमती समय
बबाद होगा। एक बार जब इस तरह का संबंध थािपत हो जाता है , तो आपकी
थित सश हो जाती है और आप मािलक से अपना मनचाहा काम करवा सकते
ह। आप िसंहासन के पीछे बैठे राजा के उस सेवक की तरह होते ह, जो दरअसल
राजा को िनयंि त करता है ।
उन लोगों जैसे न बन, जो ग़लती से यह मान लेते ह िक आ िनभरता सबसे बड़ी
श है । श संप बनने के िलए लोगों से संबंध बनाना ज़ री है । आपको
समथकों, ादों या कमज़ोर मािलकों की ज़ रत हमेशा पड़े गी।
अगर आप खुद को अिनवाय नहीं बना पाते ह, तो पहला मौका िमलते ही आपको
बाहर िनकाल िदया जाएगा। आपकी जगह पर िकसी कम उ वाले, कम महं गे और
कम जो खम वाले नए को िनयु कर िदया जाएगा। यह जो खम न ल और
लोगों को अपने पर िनभर बनाएँ । जब सब कुछ आप पर िनभर होगा, तो आपको
िनकाला नहीं जा सकता। आपको िनकालने का मतलब तबाही है , इसिलए आपका
मािलक यह जो खम कभी नहीं ले सकता। इस तरह की थित म आने के ब त से
तरीके ह। उनम सबसे मह पूण है िकसी ऐसी यो ता या रचना क ितभा का
होना, िजसका कोई िवक ही न हो।
आपको जीिनयस होने की ज़ रत नहीं है । आपको तो बस एक ऐसी यो ता की
ज रत है , जो आपको भीड़ से अलग कर दे । आपको ऐसी थित बनाना चािहए,
िजसम आप तो दू सरा मािलक या संर क आसानी से खोज सकते हों, लेिकन
आपका मािलक आपके िजतनी िवशेष यो ता वाला दू सरा सेवक आसानी से नहीं
खोज सकता हो और अगर आप वा व म अप रहाय न हों, तो भी आपको
अप रहाय होने का नाटक करना चािहए। िवशेषतापूण ान और कुशलता का ढोंग
करने से ऊपर बैठे लोग यह सोचगे िक आपके िबना उनका काम नहीं चल सकता।
जब िन न ने ाइट हाउस म बैठने के बाद ब त से लोगों को िनकाला, तो हे नरी
िकिसंजर बच गए। इसिलए नहीं, ोंिक िन न की नज़र म िकिसंजर से ादा
अ ा कूटनीित नहीं था-कई कूटनीित िकिसंजर से ादा िनपुण थे- इसिलए भी
नहीं, ोंिक दोनों म अ ी पटती थी। उनके िव ास और राजनीितक िवचार भी
अलग-अलग थे। िकिसंजर इसिलए बच गए, ोंिक उ ोंने राजनीितक तं के इतने
सारे े ों म घुसपैठ कर ली थी िक उ हटाने से भारी अ व था का माहौल बन
जाता। शासन के इतने सारे पहलुओं और िवभागों म उनका दख़ल था िक यह
उनका ट काड बन गया। इससे उनके कई समथक बन गए। अगर आप इस तरह
की थित म आ जाते ह, तो आपसे पीछा छु ड़ाने म ब त बड़ा जो खम होता है -
ोंिक सभी सभी आप पर िनभर ह।
आिख़री चेतावनी : यह न सोच िक अगर आपका मािलक आप पर िनभर है , तो वह
आपसे ेम भी करे गा। सच तो यह है िक वह आपसे े ष करे गा और डरे गा, लेिकन
जैसा मैिकयावली ने कहा था, ेम के बजाय लोगों म डर उ कर। डर को तो आप
िनयंि त कर सकते ह, लेिकन ेम को आप कभी िनयंि त नहीं कर सकते ह। ेम
या िम ता जैसे सू और बदलने वाले भाव पर िनभर रहने से आप असुरि त बनते
ह। लोकि य बनने से अ ा तो यह है िक लोग आप पर िनभर रह और इस बात से
डर िक आपके चले जाने के िकतने बुरे प रणाम होंगे।
समझदार राजा हर थित म अपने नाग रकों को यं पर और रा पर िनभर रखता है , तभी उन पर भरोसा
िकया जा सकता है | िनकोलो मैिकयावली, 1469-1527
त ीर : काँ टेदार बेल। नीचे जड़ गहरी और चौड़ी बढ़ती ह। ऊपर बेल पेड़ों, खंभों और खड़िकयों के
चारों तरफ िलपटती रहती है । बेल से पीछा छु ड़ाने म ब त मेहनत लगेगी इतना खून-पसीना बहाना पड़े गा, िक
उसे बढ़ने दे ना ही ादा आसान लगता है ।
िवशेष की राय : लोगों को अपने पर िनभर बनाएँ । इस तरह की िनभरता से ऐसा ब त कु छ हािसल हो
सकता है , जो िश ाचार से नहीं हो सकता। जो अपनी ास बुझा लेता है , वह त ाल कु एँ की तरफ़ पीठ कर
लेता है , ोंिक अब उसे उसकी ज़ रत नहीं है । जब िनभरता ख़ हो जाती है , तो िश ता और स ता भी ख़
हो जाती है , और उसके बाद स ान भी। अनुभव से आपको पहला सबक़ यह सीखना चािहए िक आशा को
जीिवत तो रख, लेिकन पूरी तरह संतु न कर। स ाट को हमेशा आपकी ज़ रत होनी चािहए। ( बा ेसर
ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 12: िशकार को िनर करने के
िलए थोड़ी सी ईमानदारी और उदारता का
इ ेमाल कर
िवचार
एक स ा और ईमानदार क़दम बेईमानी के दजनों क़दमों को ढं क लेगा। संदेह
करने वाले लोगों के र ाकवच आपकी ईमानदारी और उदारता के कामों से िशिथल
हो जाते ह। जब आपकी थोड़ी सी ईमानदारी उनके कवच म छे द कर दे , तो इसके
बाद आप उ इ ानुसार धोखा दे सकते ह और उनसे मतलब िनकाल सकते ह।
सही समय पर िदया गया उपहार यानी टोजन हॉस भी इसी उ े को पूरा करता
है ।
ांिस ो बोरी, धोखेबाज दरबारी : िमलान का ािस ो िगसेपीर बोरी, िजसकी मौत 1695 म
ई थी ... दरबारी या " अ ारोही " धोखेबाजी का पूवज या ... उसकी शोहरत का स ा समय एम डम म
प ं चने के बाद शु आ। वहाँ पर उसने मेिडको युिनवसल की पदवी ली और ब त से लोगों को नौकरी पर
रखा। वह छह घोड़ों वाली ब ी म या ा करता था ... उसके पास घर पर मरीजों का तांता लगा रहता था। कु छ तो
उसे िमलने के िलए पे रस से िवशेष ब यों म बैठकर एम डम तक आते थे। बोरी बीमारों के इलाज के बदले
म उनसे एक भी पैसा नहीं लेता था। वह गरीबों को ब त दान दे ता था और वह िकसी तरह से भी पैसा नहीं लेता
था। वह इतनी शानोशौकत से रहता था िक लोगों ने यह मान िलया िक उसके पास पारस प र होगा। अचानक
यह परोपकारी एम डम से गायब हो गया। तब जाकर यह पता चला िक वह अपने साथ ब त सा धन
और हीरे लेकर भाग गया था, जो लोगों ने उसके पास अमानत के तौर पर रखे थे । ेट हे ांिस ो। द
पॉवर ऑफ द कालटन, 1939 |

श की कंु जी
धोखा दे ने का मूल मं है ान भटकाना। िजन लोगों को आप धोखा दे ना चाहते ह,
उनका ान भटकाने से आपको धोखा दे ने का समय और मौका िमल जाता है ।
दयालुता, उदारता काम से लोगों का ान अ ी तरह से भटकाया जा सकता है ,
ोंिक इससे उनकी शंका ख हो जाती है । इससे वे ब े बन जाते ह और हर तरह
की ेमपूण मु ा या ईमानदारी को ीकार करने के उ ुक रहते ह।
ाचीन चीन म इसे “ लेने से पहले दे ना " कहा जाता था। पहले दे ने से सामने वाले का
ान इस बात पर नहीं जाता था िक आप उससे लेने वाले ह। इस तरकीब के अनंत
ावहा रक योग ह। िकसी से खुलेआम कुछ लेना ख़तरनाक है , श शाली लोगों
के िलए भी। िशकार ितशोध की योजना बनाएगा। ज रत की चीज़ मां गना भी
ख़तरनाक है , भले ही आप िकतनी भी िवन ता से माँ ग। जब तक सामने वाले
को अपना फायदा नहीं िदखेगा, तब तक वह आपकी ज़ रत पर ान नहीं दे गा, हो
सकता है वह इससे िचढ़ भी जाए। लेने से पहले दे ना सीख। इससे ज़मीन नम हो
जाती है , भावी आ ह का आघात धीरे से लगता है और ान भटकता है । कुछ दे ने
के कई प हो सकते ह : वा िवक उपहार, उदारतापूण काय, एहसान, “स ी"
ीकारो ।
थोड़ी सी ईमानदारी िकसी से पहली बार िमलते समय सबसे अ ी तरह
काम करती है । हम सब आदतों के गुलाम ह और हमारी पहली छिव लंबे समय तक
चलती है । अगर कोई संबंध की शु आत म ही यह भरोसा करने लगता है िक आप
ईमानदार ह, तो बाद म इस भरोसे को बदलने के िलए ब त कोिशश करनी पड़ती
है । इससे आपको रणनीित बनाने का काफ़ी मौका िमल जाता है ।
अ र ईमानदारी का एक ही काम पया नहीं होता है । ज रत है ईमानदारी की
ित ा की। यह ित ा ब त से कामों से बनती है , जो मह हीन भी हो सकते ह।
एक बार यह ित ा बन जाए, तो पहली छिव की तरह ही इसे िहलाना भी आसान
नहीं होता है ।
ाचीन चीन म चग के ूक वू ने यह फैसला िकया िक वह सश बन रहे रा पर
क ा कर लेगा। उसने अपनी योजना िकसी को भी नहीं बताई और के राजा से
अपनी बेटी की शादी कर दी। िफर उसने एक सभा बुलाई और अपने मंि यों से
पूछा, " म िकसी दे श पर आ मण करने के बारे म सोच रहा ँ । हम िकस दे श पर
हमला करना चािहए? " जैसी उसे उ ीद थी, एक मं ी ने जवाब िदया, " हम रा
पर हमला करना चािहए। " ूक गु ा िदखाते ए बोला, “ अब हमारा िम
रा है । तुम उस पर हमला करने का सुझाव कैसे दे सकते हो? " इस ग़लत बात के
िलए उसने मं ी का िसर कलम करवा िदया। के राजा ने इस बारे म सुना। उसने
सोचा िक उसके पास वू की ईमानदारी के ब त से सबूत भी तो ह। इसके अलावा वू
ने उसके अपनी पु ी की शादी भी की है । इसिलए उसने वू से खुद को बचाने के िलए
कोई सावधानी नही बरती। कुछ स ाह बाद वू की सेनाएँ के रा म घुस गई
और उ ोंने पूरे दे श पर क ा कर िलया।
ईमानदारी सावधान लोगों को िनर करने के सबसे अ े तरीकों म से एक है ,
लेिकन यह इकलौता तरीका नहीं है । कोई भी महान या िनः ाथ िदखने वाला काम
ऐसा ही कर सकता है । शायद इस तरह का सबसे अ ा काम उदारता िदखाना है ।
ब त कम लोगों को उपहार नापसंद होता है , भले ही वह उनके सबसे प े दु न
ने िदया हो, इसीिलए यह लोगों को िनर करने का सबसे अ ा तरीका होता है ।
उपहार से हमारे अंदर िछपा ब ा जाग जाता है और हमारा र ाकवच ढीला पड़
जाता है । हालाँ िक हम अ र दू सरों के काय को आलोचना की ि से दे खते ह,
लेिकन हम तोहफे के पीछे िछपी कुिटलता को शायद ही कभी दे खते ह, िजसके
पीछे अ र बड़े उ े िछपे होते ह। तौहफा अपनी चालबाज़ी को िछपाने का
सबसे अ ा तरीका है ।
इस रणनीित का योग सावधानी से करना चािहए, अगर लोग इसे भाप लगे, तो
कृत ता और ेह की उनकी कुंिठत भावनाएँ नफरत और अिव ास म बदल
जाएँ गी। जब तक आप स े और िदल से िनकलने वाले उपहार का अिभनय न कर
सके, तब तक आग से न खेले।
त ीर। टोजन हॉस। आपका कपट एक बेहतरीन तोहफे म िछपा आ है, िजसके लोभन से आपका
िवरोधी बच नहीं सकता। दीवार खुल जाती ह। भीतर प ँ चने के बाद कहर बरपा द।
िवशेष की राय : जब िचन के ूक हवेन यू पर आ मण करने वाले थे, तो उ ोंने उसे घोड़ों की टीम
उपहार म दीं। जब अल ची चाऊयू पर आ मण करने वाला था, तो उसने उ िवशाल रथ तोहफ़े म िदए।
इसीिलए यह कहा जाता है : “ कु छ लेने से पहले आपको दे ना चािहए। "( हान फे ू, चीनी दाशिनक, तीसरी
सदी ईसा पूव। )
िनयम 13: मदद माँगते समय दया या
कृत ता की नही ं, ब ाथ की दुहाई द
िवचार
अगर आपको िकसी साथी की मदद चािहए, तो उसे यह याद न िदलाएं िक आपने
पहले उसकी िकतनी मदद की है या उसके िलए िकतने अ े काम िकए ह। अगर
आप ऐसा करगे, तो वह आपको नजरअंदाज करने का कोई न कोई तरीका खोज ही
लेगा। इसके बजाय अपने आ ह म िकसी ऐसी चीज़ की तरफ़ इशारा कर द, िजससे
उसे लाभ होगा। इस लाभ को बढ़ा-चढ़ाकर ज़ोर-शोर से बताएं । जब उसे यह लगेगा
िक आपकी मदद करने के कारण उसका भला हो सकता है , तो वह पूरे उ ाह से
आपकी मदद करे गा।
दे हाती और सेब का पेड़ | एक दे हाती के बगीचे म सेब का एक पेड़ था, िजसम फल नहीं लगते थे।
उस पर िसफ गौरै या और िट े ही बैठते थे। उसने पेड़ काटने का फैसला िकया और हाठ म कु ाड़ी लेकर
इसकी जड़ों पर हार करने लगा। िट ों और गौरै या ने उससे आ ह िकया िक वह उस पेड़ को न काटे , ोंिक
वह उ शरण दे ता है । उ ोंने कहा िक वे गीत गाकर उसकी थकान कम कर दगे, लेिकन उस दे हाती ने उनके
आ ह पर कतई ान नहीं िदया और पेड़ पर हार करता रहा। जब वह पेड़ के कोटर तक प ं चा, तो उसे वहाँ
मधुम यों का एक छ ा िदखा, िजसम ब त सा शहद था। शहद चखने के बाद उसने अपनी कु ाड़ी दू र
फक दी और पेड़ की ब त अ ी दे खभाल की। ाथ से ही ब तेरे लोग े रत होते ह । े ब , ईसप,
छठवी ं सदी ई.पू.

श की कंु जी
श की खोज म आपको बार-बार अपने से ादा श शाली लोगों से मदद
मां गनी पड़े गी। मदद मां गना भी एक कला है । यह कला इस बात पर िनभर करती है
िक आपम सामने वाले को समझने की िकतनी मता है और यह भी िक आप अपनी
और उसकी ज़ रतों के फ़क को समझते ह।
ादातर लोग मदद माँ गने म सफल नहीं हो पाते ह, ोंिक वे अपनी ही इ ाओं
और ज़ रतों म खोए रहते ह। वे यह मान बैठते ह िक वे िजन लोगों से मदद मां ग
रहे ह, वे िनः ाथ भाव से उनकी मदद करगे। वे इस तरह आ ह करते ह, जैसे
उनकी ज़ रत दू सरों के िलए मह पूण हों, जबिक शायद उ उनकी कतई
परवाह नहीं होती है । कई बार वे बड़े मु ों का हवाला दे ते ह : कोई महान ल या
ेम और कृत ता जैसे महान भाव। वे बड़ी त ीर िदखाने लग जाते ह, जबिक
रोज़मरा की बातों म भािवत करने की ादा श होती है । उ यह एहसास ही
नहीं होता है िक सबसे श शाली भी अपनी खुद की ज़ रतों म उलझा
रहता है और अगर आप उसके ाथ का वा ा नहीं दे ते ह, तो वह आपकी मदद
करने को अपने समय की बबादी मानेगा।
इस ि या म मुख कदम सामने वाले के मनोिव ान को समझना है । ा वह
घमंडी है ? ा वह अपनी ित ा या सामािजक ओहदे के बारे म िचंितत है ? ा
उसके ऐसे दु न है , िज परा करने म आप उसकी मदद कर सकते ह? ा
वह िसफ धन और श से ही े रत होता है ?
जब बारहवीं सदी म मंगोलों ने चीन पर आ मण िकया, तो दो हजार साल पुरानी
चीनी सं ृ ित और स ता खतरे म पड़ गई। मंगोलों के सेनापित चंगेज़ खान की
नज़र म चीन िसफ एक ऐसा दे श था, जहाँ उसके घोड़ों के िलए पया चारा नहीं
था। उसने पूरे दे श को मिटयामेट करने और इसके शहरों को तहस-नहस करने का
फैसला िकया, ोंिक उसने सोचा “ बेहतर यही रहे गा िक चीन को िम ी म िमला
िदया जाए, तािक यहाँ हमारे घोड़ों के िलए घास उग सके। " चीनी स ता को न
होने से िजसने बचाया, वह कोई सैिनक, सेनापित या राजा नहीं, ब येलू ाई
नाम का सामा आदमी था। ाई खुद एक िवदे शी था, लेिकन वह चीनी सं ृ ित से
भािवत था। वह चंगेज़ खान का िव ासपा सलाहकार बनने म कामयाब हो गया
और उसने उसे यक़ीन िदला िदया िक अगर चीन को न करने के बजाय वह वहाँ के
नाग रकों पर टै लगा दे गा, तो इससे उसे ादा फायदा होगा। चंगेज़ खान को
इसम ादा समझदारी िदखी और उसने ाई की सलाह मान ली।
जब चंगेज़ खान ने कैफग शहर पर लंबी घेराबंदी के बाद क ा िकया और इसके
नाग रकों को मौत के घाट उतारने का फैसला िकया ( जैसा उसने उन बाक़ी शहरों
म िकया था, जहां उसका िवरोध आ था ), तो ाई ने उसे बताया िक कैफग म चीन
के सबसे अ े कारीगर और इं जीिनयर रहते ह और उनके नर का लाभ उठाना
ादा अ ा रहे गा। कैफग को ब िदया गया। इससे पहले चंगेज खान ने कभी
ऐसी दया नहीं िदखाई थी, लेिकन सच तो यह था िक कैफ़ेग दया के कारण नहीं बचा
था। ाई चंगेज़ खान को अ ी तरह से जानता था। चंगेज़ खान एक बबर दे हाती
था, िजसे सं ृ ित की क़तई परवाह नहीं थी। सच कहा जाए तो उसे यु और
ावहा रक प रणामों के अलावा िकसी बात की परवाह नहीं थी। ाई ने उस
इकलौते भाव को जा त िकया, जो इस तरह के आदमी पर सफल हो सकता था :
लोभ।
आ - िच या ाथ ही वह लीवर है , जो लोगों को घुमाता है । एक बार जब आप
उ यह िदखा दे ते ह िक आप िकस तरह से उनकी आव कताओं को पूरा कर
सकते ह या उनके ल तक प ं चने म उनकी मदद कर सकते ह, तो आपके आ ह
को पूरा करने की िदशा म सारी बाधाएँ जादू से गायब हो जाएँ गी। श हािसल
करने की राह म हर क़दम पर आपको यह सीखना होगा िक आप दू सरे की
तरह सोच, उसकी ज़ रतों और िचयों को भां प। आप अपनी भावनाओं के परदे
को हटा द, ोंिक इससे स ाई धुंधली हो जाती है । अगर आप इस कला म पारं गत
हो जाते ह, तो िफर आपकी सफलता की कोई सीमा नहीं रहे गी।
ादातर लोग खुद म इतने ादा डू बे रहते ह िक उ अपने अलावा िकसी चीज़ म स ी िच नहीं होती है ।
जब भी कोई बात करता है , तो ये हमेशा इस बारे म सोचते ह िक इस बात से उ िकस तरह लाभ हो सकता है ।
अगर उ अपना कोई फायदा नज़र आता है , तो वे पूरे ान से सुनने लगते ह, चाहे उस बात से उनके लाभ का
ब त दू र का ही संबंध हो । आयर शोपेनहॉर, 1788-1860
त ीर : बाँधने वाली र ी। दया और कृ त ता की र ी कमज़ोर होती है और पहले ही झटके म टू ट जाती
है । इस तरह की लाइफलाइन न फके । आपसी ाथ की र ी ब त मज़बूत होती है और इसे आसानी से नहीं
तोड़ा जा सकता। यह बरसों तक आपकी सेवा करती रहे गी।
िवशेष की राय : अपनी िक त चमकाने का सबसे आसान और अ ा तरीक़ा लोगों को यह ता से
िदखाना है िक आपकी तर ी म ही उनकी तर ी िछपी ई है । ( ाँ डे ला ूअर, 1645-1696 )
िनयम 14: िम की तरह िदख, लेिकन
काम जासूस की तरह कर
िवचार
अपने ित ं ी के बारे म जानना ब त मह पूण है । ब मू जानकारी इक ी करने
के िलए जासूसों का इ ेमाल कर, तािक आप एक कदम आगे रह सक। इससे भी
अ ा तरीका यह है िक आप खुद जासूस की भूिमका िनभाएँ । सौहादपूण
सामािजक मुलाक़ातों म यह काम करना सीख। अ सवाल पूछे, तािक लोग
अपनी कमजो रयों और इरादों को उजागर कर द। चतुर जासूसों के िलए इस बात
का अवसर हर जगह और हर समय होता है ।
अगर आपको यह शक हो रहा हो िक कोई आपसे झूठ बोल रहा है , तो इस तरह का नाटक कर, जैसे
आपको उसके हर श पर भरोसा है । इससे उसे आगे बोलने का साहस िमलेगा और वह ादा बढ़ा-चढ़ाकर
बताने के च र म अंत म धोखा खाएगा। इसी तरह, अगर आप दे ख िक कोई आपसे िक कु छ िछपाने
की कोिशश कर रहा है , तो इस तरह का नाटक कर, जैसे आपको उसकी बातों पर यकीन नहीं है । आपके
िवरोध से वह उ ेिजत हो जाएगा और आपको भरोसा िदलाने के िलए स ाई उगल दे गा। आथर
शॉपेनहार, 1788-1860
श की कंु जी
श के े म आपका ल है भिव की घटनाओं पर िनयं ण पाना। इसम एक
बाधा यह है िक लोग आपको अपने सभी िवचार, भावनाएँ और योजनाएँ नहीं बताते
ह। अ र वे सावधानीपूवक बोलते ह और अपने च र के िछपे ए सबसे मह पूण
िह ों यानी अपनी कमजो रयों, अपने उ े ों तथा ाथ िछपा लेते ह। प रणाम
यह होता है िक उनकी चालों का अनुमान नहीं लगा सकते ह और हमेशा अँधेरे म
रहते ह। इसकी कुंजी यह है िक आप ऐसा कोई तरीका खोज, िजससे आप उनकी
जाँ च कर सक, उनके रह ों और िछपे ए इरादों का पता लगा सक, लेिकन ऐसा
करते समय उ आपकी योजना मालूम न हो पाए।
यह काम उतना मु ल नहीं है , िजतना आप सोचते ह। दो ाना वहार से आप
िम ों और श ुओं दोनों से ही गोपनीय जानकारी पा सकते ह। बाकी लोगों को
ज प ी और टे रो काड दे खने द : आपके पास भिव जानने के ादा ठोस तरीके
ह।
जासूसी करने का सबसे आम तरीका दू सरों का इ ेमाल करना है । यह तरीक़ा
आसान और श शाली तो है , लेिकन इसम जो खम भी है । िनि त प से आपको
जानकारी तो िमलेगी, लेिकन आप अपने जासूसों पर िनभर रहगे। हो सकता है िक वे
अयो तावश आपको जासूसी को उजागर कर द या गोपनीय प म आपके
िख़लाफ़ हो जाएँ । इससे ादा अ ा तो यह है िक आप खुद जासूस बन जाएँ और
दो ी का नकाब ओढ़कर गोपनीय जानकारी इक ी कर ल।
ां सीसी राजनीित टे लीरड इस कला म ब त िनपुण थे। उनम सामा चचा म
लोगों से रह उगलवाने की अद् भुत यो ता थी। लोगों का कहना था िक टै लीरड
बातचीत म ब त िनपुण थे-जबिक सच तो यह था िक वे ब त कम बोलते थे। वे
अपने िवचारों के बारे म कभी बात नहीं करते थे, ब सामने वाले के िवचार
उगलवाने की कोिशश करते थे। वे ऐसी बात कह दे ते थे, जो गोपनीय लगती थी (
जबिक दरअसल वह मनगढ़ं त होती थी ), िफर वे अपने ोताओं की िति या को
गौर से दे खते थे।
सामािजक समारोहों जैसे मौकों पर सतक रह। इस समय लोगों का र ातं कमज़ोर
होता है , इसिलए लोगों से बातचीत करके आप उनसे बात उगलवा सकते ह। यह
रणनीित इतनी ज़बद है िक वे आपकी िच को ग़लती से आपकी दो ी मान
लगे। इस तरह आपको न िसफ सामने वाले के भेद मालूम चलगे, ब आप उसे
अपना समथक भी बना लगे।
बहरहाल, आपको इस रणनीित का योग सावधानी से करना चािहए। अगर लोगों
को यह शक हो जाए िक आप बातचीत के बहाने उनसे भेद उगलवा रहे ह, तो वे
आपसे कतराने लगगे। इसिलए मू वान जानकारी पर नहीं, ब दो ाना बातों
पर ज़ोर द। जानकारी के र ों की तलाश को ब त न होने द, वरना आपके
सवालों से सामने वाला आपके इरादे भां प लेगा और आपको आपकी मनचाही
जानकारी नहीं िमल पाएगी।
जासूसी के बारे म ला रोशको ने इस चाल की सलाह दी है , “ स ाई ब त कम लोगों
म होती है और यह अ र सबसे छलावा होती है -दू सरे का िव ास और रह
हािसल करने के िलए इं सान स ा बन जाता है । "अगर आप िकसी के सामने अपने
िदल की भावनाएँ उजागर करने का नाटक करते ह, तो इस बात की संभावना बढ़
जाती है िक वह भी आपके सामने अपने रह उगल दे गा। अगर आप उसे कोई
झूठा रह बताएं गे, तो बदले म वह आपको स ा रह बता दे गा। दाशिनक
आथर शॉपेनहार ने एक और चाल का सुझाव िदया है । उनका कहना है िक बातचीत
म आप लोगों का बल िवरोध करके उ इतना िचढ़ा द और इतना उ ेिजत कर द
िक वे अपने श ों पर िनयं ण न रख पाएँ । उ भावना क िति या म वे अपने
बारे म हर तरह के सच को उजागर कर दगे, िजनका आप बाद म उनके िख़लाफ़
इ ेमाल कर सकते ह।
िजस तरह से गाय गंध को भाँप लेती है , ा ण धम ंथों को और बाक़ी के लोग अपनी आँ खों से िदखने वाली
चीज़ों को, उसी तरह शासक जासूसों को भाँप लेते ह । कौिट , भारतीय दाशिनक, तीसरी
सदी ई.पू.
त ीर : जासूस की तीसरी आँ ख। दो आँ ख वालों की इस धरती पर तीसरी आँ ख आपको ई र की तरह
िवराट ि दे ती है । आप दू सरों से ादा दू र तक दे खते ह और आप उनके भीतर ादा गहराई तक दे खते ह।
आपकी इस आँ ख से आपके अलावा और कोई नहीं बच सकता।
िवशेष की राय : यो शासक और बु मान सेनापित दु न को जब चाहे जीत लेते ह और उनकी
उपल याँ सामा लोगों से ब त ादा होती ह। इसका कारण यह है िक उ दु न की थित का पहले से
ही ान होता है । यह " पूव ान " आ ाओं या दे वी-दे वताओं या अतीत की घटनाओं या ोितष से हािसल नहीं
होता है । यह तो जासूसों से हािसल होता है , जो श ु की असली थित को जानते ह। ( सुन- ू, द आट ऑफ़
वार, चौथी सदी ई.पू. )
िनयम 15: अपने दु न को पूरी तरह से
िमटा द
िवचार
मोजेस से लेकर आज तक के सभी महान लीडस जानते ह िक िजस श ु से भय हो,
उसे पूरी तरह से कुचल दे ना चािहए। ( कई बार उ ोंने यह सबक़ क उठाकर
सीखा था। ) अगर एक भी िचंगारी बची रही, तो चाहे यह िकतनी ही म म हो,
अंततः आग भड़क उठे गी। श ु को पूरी तरह िमटाने के बजाय आधा कुचलने से
ब त नुकसान होता है । श ु िफर से श शाली बन जाएगा और ितशोध लेगा।
उसे पूरी तरह कुचल डालो, शरीर से ही नहीं, ब आ ा से भी।
दु न के अवशेष भी बीमारी या आग के अवशेषों की तरह सि य बन सकते ह। इसिलए उ पूरी तरह न
कर दे ना चािहए ... हम कभी दु न को िसफ इसिलए नज़रअंदाज़ नहीं करना चािहए, ोंिक वह कमज़ोर हो
गया है । घास के पूले म छू टी आग की िचंगारी की तरह ही वह भी कु छ समय बाद ख़तरनाक बन सकता है ।
कौिट , भारतीय दाशिनक, तीसरी सदी ई.पू.
श की कंु जी
श के संघष म आपके ब त से ित ं ी और दु न बनगे। कुछ लोग आपके
दु न ज र बनगे, भले ही आप कुछ भी कर ल। इस तरह के दु न आपका बुरा
चाहगे। उनके इरादे आपको ख़ करने के होते ह। अगर उनसे जूझते समय आप
दया या समझौते की आशा म या तीन-चौथाई रा े पर ही क जाते ह, तो इससे
आपको कोई फायदा नहीं होगा। उलटे इसकी बदौलत उनका संक और नफ़रत
बढ़ जाएगी और वे िकसी न िकसी िदन आपसे बदला लेकर ही रहगे। हो सकता है ,
आपसे परािजत होने के बाद वे कुछ समय तक दो ाना वहार का ढोंग कर।
लेिकन ऐसा िसफ इसिलए होगा, ोंिक उनके पास कोई दू सरा िवक नहीं है और
वे सही व का इं तज़ार कर रहे ह।
समाधान : अपने दु नों पर दया न कर। उनकी नफ़रत को गत प से न
ल। अपने दु नों को उसी तरह से पूरा कुचल डाल, िजस तरह मौक़ा िमलने पर वे
आपको कुचल डालते। दु नों के िमट जाने के बाद ही आपको शां ित और सुर ा
िमल सकती है ।
माओ े-तुंग इस िनयम के मह को जानते थे। 1934 म सा वादी नेता माओ े-
तुंग और उनके लगभग 75,ooo सैिनक पि मी चीन के वीरान पहाड़ों म िछप गए। बे
ां ग काई शेक की िवशाल सेना से बचने के िलए वहाँ िछपे थे।
पूण िवजय पाने के िलए आपको बेरहम बनना होगा । नेपोिलयन बोनापाट 1769-1821
ां ग सा वािदयों को पूरी तरह से ख़ करने पर आमादा था। नतीजा यह आ िक
कुछ साल बाद माओ के सैिनकों की सं ा 10,000 से भी कम रह गई। 1937 जब
जापान म चीन पर हमला िकया, तो ां ग ने सोचा िक अब सा वािदयों की श
ीण हो चुकी है , इसिलए उनसे उसे कोई खतरा नही है । उसने सा वािदयों का
पीछा छोड़ जापािनयों पर ान कि त करने का िवक चुना। लेिकन यह उसकी
भूल थी। दस साल बाद सा वादी इतने श शाली बन गए, िक उ ोंने ां ग की
सेना पछाड़ िदया। ां ग दु न को िमटा दे ने की बु म ा को भूल गया था, माऔ
नहीं भूले थे। माओ ने ां ग की सेना का तब तक पीछा िकया, जब तक िक वह और
उसकी पूरी सेना ताईवान के टापू पर नहीं भाग गई। आज तक मु चीन पर ां ग
के शासन का कोई िच नहीं है ।
आधुिनक यु कला का सू है पूण िवजय का ल । यु के मुख दाशिनक काल
बॉन ॉजेिवट् ज़ ने इसे अ ी तरह से प रभािषत िकया है । नेपोिलयन के अिभयानों
का िव ेषण करते ए वॉन ॉजेिवट् ज़ ने िलखा है , " हमारा दावा है िक दु न की
सेनाओं का पूरा िवनाश ही हमेशा सबसे मुख ल होना चािहए ... बड़ी िवजय
हािसल करने के बाद आराम करने की या सु ाने की कोई चचा नहीं होना चािहए
.... इसके बजाय लगे रहने, दु न का पीछा करने, उसकी संपि पर क ा
करने,उसके संसाधनों को न करने और हर उस चीज़ को ख़ करने की ज रत
है , िजससे दु न को सहायता और राहत िमल सके। " इसका कारण यह है िक यु
के बाद हमेशा समझौता होता है और दोबारा े का बँटवारा होता है । अगर आप
िसफ आधी-अधूरी जीत हािसल करगे, तो आप यु म जीती लगभग सभी चीज
समझौते म हार जाएँ गे।
समाधान आसान है । अपने दु नों के सामने कोई िवक न छोड़। उ पूरी तरह
िमटा द। इसके बाद उनका इलाका आपका हो जाएगा, िजस पर आप अपनी
मनचाही योजनाएँ लागू कर सकते ह। श का ल दु नों को पूरी तरह से
िनयंि त करना और अपनी इ ा का पालन करवाना है । आप आधे रा े तक
प ं चकर यह हािसल नहीं कर सकते। अगर दु नों के पास कोई िवक नहीं
होगा, तो उ मजबूरन आपकी बात माननी पड़े गी। यु के मैदान के अलावा भी
इस िनयम के कई उपयोग ह। समझौता वह ख़तरनाक नाग है , जो आपकी िवजय
को डं स लेगा, इसिलए अपने दु नों को समझौते का, उ ीद रखने का, रणनीित
बनाने का कोई मौका ही न द। उ िमटा द और झंझट ख कर।
यथाथवादी बन : अगर आप अपने श ुओं के ित िनमम नहीं ह, तो आप कभी
सुरि त नहीं रहगे। अगर आप उ िमटाने या अपनी नज़रों से दू र रखने की थित
म नहीं ह, तो आप कम से कम इतना तो समझ ही ल िक वे आपके िख़लाफ़ सािजश
कर रहे ह। उनकी दो ी के नाटक पर ज़रा भी ान न द। इस तरह की थित म
सतकता ही आपका इकलौता हिथयार है ।
त ीर : घायल नाग : अगर आप नाग को अपने पैरों से दबाने के बाद िजंदा छोड़ दगे, तो वह दोबारा फ़न
तान लेगा और आपको दोगुने ज़हर से काट लेगा। हारा आ श ु भी अधमरे नाग की तरह -होता है , िजसे आप
दोबारा श शाली बनने का मौक़ा दे ते ह। समय के साथ-साथ उसका ज़हर बढ़ता जाता है ।
िवशेष की राय : इस बात पर ान द िक लोगों को या तो पुचकारा जाना चािहए या पूरी तरह िमटा दे ना
चािहए। छोटी चोटों के िलए तो वे ितशोध लगे, लेिकन बड़े आघातों के िलए वे ितशोध नहीं ले सकते, इसिलए
मनु को इस तरह से चोट प ँ चाना चािहए तािक हम उसके ितशोध से डरने की ज़ रत ही न पड़े । (
िनकोलो मैिकयावली, 1469-1527 )
िनयम 16: स ान पाने के िलए दूरी
बनाएँ
िवचार
कहीं भी ब त ादा आने-जाने से कीमत घटती है । आप िजतना ादा िदखते और
बोलते ह, आप उतने ही साधारण नज़र आते ह। अगर आप िकसी समूह म थािपत
हो चुके ह, तो कुछ समय के िलए उससे दू र रह। आपके अनुप थत रहने पर
आपके बारे म ादा बात होंगी और आपकी ादा तारीफ़ भी होगी। आपको बस
यह सीख लेना चािहए िक दू र कब रहना है । अभाव से हर चीज़ का मू बढ़ जाता
है ; इस िस ां त का लाभ ल।
ऊंट और लकिड़याँ | ऊं ट को सबसे पहले िजस आदमी ने दे खा, वह भाग खड़ा आ। दू सरा आदमी
िह त करके ऊं ट के पास गया। तीसरे ने उसके गले म र ी का फंदा डालने का जो खम िलया। इस दु िनया म
प रचय से सभी चीज पालतू बन जाती है , ोंिक जब हमारी आँ खों को भयंकर या अजीब चीजों की आदत हो
जाती है , तो वे सामा लगने लगती ह। म आपको कु छ संत रयों के बारे म बताना चाहता ँ . जो समु तट पर
तैनात थे। जब पहली बार उ ोंने िकसी चीज़ को समु की लहरों म दू र तैरते दे खा, तो वे िच ाने लगे " जहाज़ !
जहाज़ ! यु का बेड़ा ! " पाँच िमनट बाद उ एक पैके ट बोट िदखी, िफर एक छोटी नाव और अंत म कु छ
छिड़याँ तैरती िदखीं। म ऐसे ब त से लोगों को जानता ँ , िजन पर यह कहानी लागू होती है -दू र से जो लोग ब त
आकषक िदखते ह, पास आने पर वे सामा लगने लगते ह | ला फो े न, 1621-1695

श की कंु जी
इस दु िनया म सब कुछ अनुप थित और उप थित पर िनभर करता है । आप अपनी
बल उप थित से श और ान को आमंि त करते है . आप अपने आस-पास
के लोगों से ादा खरता से चमकते ह। लेिकन अंततः वह िबंदु आ ही जाता है ,
जब ज रत से ादा उप थित का िवपरीत भाव पड़ने लगता है : आप िजतना
ादा िदखते और बोलते ह, आपका मह उतना ही कम होता जाता है । लोगों को
आपकी आदत पड़ जाती है । चाहे आप िविवधता या िदलच होने की िकतनी ही
कोिशश कर, लोग आपका कम स ान करने लगते ह। इससे पहले िक लोग
आपको अचेतन प से दू र कर द, आपको सही समय पर दू र हटना सीखना
चािहए। यह लुका-िछपी का खेल है ।
इस िनयम की स ाई को ेम- संगों म सबसे आसानी से दे खा जा सकता है । ेम-
संगों की शु आत म ेिमका की अनुप थित से आपकी क ना की उड़ान उसे
मिहमा मंिडत कर दे ती है । लेिकन जब आप उसके ब त करीब रहने लगते ह, तो
यह आभामंडल धुंधला पड़ने लगता है , ोंिक अब आपकी क ना को उड़ने की
जगह ही नहीं िमलती। इस थित म ेिमका भी सामा लगने लगती है , इसिलए
आप उसकी उप थित को ादा मह नहीं दे ते ह। इसे रोकने के िलए आपको
चािहए िक आप सामने वाले से दू र हट जाएँ । अगर उ इस बात की आशंका रहे गी
िक आप हमेशा के िलए उनसे दू र जा सकते ह, तो वे आपका स ान करने के िलए
मजबूर हो जाएं गे।
नेपोिलयन उप थित और अनुप थित के इस िनयम को अ ी तरह पहचानते थे।
उ ोंने कहा था, “ अगर म अ र िथयेटर म िदखने लगूंगा, तो लोग मेरी तरफ़ ान
दे ना बंद कर दगे। "आज त ीरों की बाढ़ के कारण दु िनया म उप थित बढ़ गई है ,
इसिलए दू र हटने का यह खेल ादा भावशाली बन गया है । हम यह नहीं जानते ह
िक कब पीछे हटा जाए और हमारी कोई भी चीज़ िनजी नहीं रह पाती है । इसिलए
हम उन लोगों का स ान करते ह, जो अपनी मज से गायब होने म मािहर होते ह।
कब ग़ायब होना है , यह जानने के कारण उप ासकार जे.डी. सेिलंजर और थॉमस
िपंचॉन के ब त से शंसक हो गए ह।
इस िनयम का एक और रोज़मरा का उदाहरण है , जो इसकी स ाई को और भी
ता से बताता है । यह है अथशा म दु लभता का िनयम। बाज़ार से िकसी चीज़
को हटा दीिजए, उसका मू त ाल बढ़ जाएगा। स हवीं सदी म हॉलड का शाही
प रवार चाहता था िक ूिलप के फूल का मह बढ़े और यह े टस िसंबल बन
जाए। उ ोंने उस फूल की इतनी कमी पैदा कर दी, उसे हािसल करना इतना
मु ल बना िदया िक ूिलप की दीवानगी शु हो गई। कुछ ही समय म ूिलप
के एक फूल की कीमत उसके वज़न के बराबर सोने से ादा हो गई।
दु लभता के िनयम को अपनी यो ताओं पर लागू कर। आप दु िनया को जो दे रहे ह,
उसे दु लभ और दु ह बनाएँ । इससे आपका मह त ाल बढ़ जाएगा।
हमेशा एक न एक ऐसा पल आता है , जब श शाली लोग ज़ रत से थोड़ी ादा
दे र तक आस-पास रहते ह। ऐसा होने पर हम उनसे ऊब जाते ह, उनके ित स ान
खो दे ते ह, उ बाक़ी इं सानों की तरह ही मानने लगते ह। इसका मतलब यह होता
है िक हम उ सामा से भी थोड़ा कमजोर मानते ह, ोंिक हम उनके वतमान
े टस की तुलना उनके पुराने े टस से करते ह। दू र कब होना है , यह जानना एक
कला है । अगर यह काम सही तरीके से िकया जाए, तो आप अपने खोए ए स ान
को दोबारा हािसल कर सकते ह और अपनी श को बरकरार रख सकते ह।
अगर आप ादा समय तक लोगों के आस-पास रहगे, तो आपने अपने चारों तरफ़
श का जो आभामंडल बनाया है , वह गायब हो जाएगा। खेल को पलट द : खुद
को दु लभ बनाएँ । इससे आपकी उप थित का मह बढ़ जाएगा।
त ीर : सूय। सूय का मह इसकी अनुप थित से ही होता है। बा रश के िदन िजतने लंबे होते ह, सूय का
उतना ही ादा इं तज़ार होता है । लेिकन लगातार गम पड़ने पर सूय चुभने लगता है । अगर आप खुद को
अनुप थत रखना सीख लगे, तो लोगों म आपकी मांग बढ़ जाएगी।
िवशेष की राय : स ान उ करने के िलए दू री बनाएँ । लगातार आस-पास रहने से शोहरत कम
होती है , दू र रहने से यह बढ़ती है । दू र रहने पर िजस को शेर माना जाता है , सामने होने पर वही सामा
और मूखतापूण लगता है । ादा प रिचत होने पर गुण अपनी चमक खो दे ते ह, ोंिक लोग आं त रक गुणों के
बजाय बाहरी चीज़ों को दे खने लगते ह। उ ृ जीिनयस भी अपनी अनुप थित या रटायरमट का योग इसिलए
करता है , तािक लोग उसका स ान कर सक और उसकी दु लभता से आदर उ हो। ( बा ेसर ेिशयन,
1601-1658 )

दरबार का जीवन शतरं ज का दु खद खेल होता है , िजसम मोहरों को ज़माना पड़ता


है , योजना बनानी पड़ती है , चाल चलनी पड़ती ह और दु न की योजना को नाकाम
करना पड़ता है । बहरहाल कई बार सबसे अ ा यही होता है िक हम जो खम ल
और सबसे अ ािशत और िविच चाल चल द । जीन डे ला एर, 1645-1696
िनयम 17: दूसरों को दुिवधा म रख -
अिन य का माहौल बनाएँ
िवचार
इं सान आदतों के िहसाब से चलते ह। उनके मन म इस बात की गहरी चाहत होती है
िक दू सरों के काम उ प रिचत लग। आपके लीक पर चलते रहने से उ यह
एहसास होता है िक वे िनयं ण म ह। पां सों को पलट द। जान-बूझकर अनपेि त
काम कर। अगर आपके वहार म कोई िनरं तरता, तारत या उ े नहीं
िदखेगा, तो उनका संतुलन गड़बड़ा जाएगा और वे आपके कदमों का मतलब
समझने की कोिशश म थककर चूर हो जाएं गे। ब त आगे तक ले जाने पर यह
रणनीित आतंक उ कर सकती है ।

श की कंु जी
अचानक, अक ात या अनसोची चीज़ सबसे डरावनी होती है । इसीिलए हम भूकंपों
और तूफानों से डरते ह। हम यह पता नहीं होता है िक वे कब आएँ गे। जब एक
भूकंप आ जाता है , तो हम अगले भूकंप का दहशत से इं तज़ार करते ह। अ ािशत
मानवीय वहार का हम पर इसी तरह का भाव पड़ता है ।
जानवर िनि त तरीके से वहार करते ह, इसीिलए हम उनका िशकार करके उ
मार पाते ह। िसफ इं सान म ही अपने वहार को बदलने, नया काम करने और
िदनचया तथा आदतों को छोड़ने की मता होती है । बहरहाल, ादातर लोगों को
इसकी श का एहसास ही नहीं होता है । वे िदनचया के आराम को ादा पसंद
करते ह। इस तरह वे जानवरों की लीक पर चलते ह और बार-बार वही काम करते
ह। वे ऐसा इसिलए करते ह, ोंिक इसम कोिशश नहीं करनी पड़ती है और
इसिलए भी, ोंिक वे गलती से यह मान लेते ह िक अगर वे दू सरों को िवचिलत नहीं
करगे, तो दू सरे भी उ िवचिलत नहीं करगे। यह बात समझ ल श शाली
जान-बूझकर अपने आस-पास के लोगों को िवचिलत करके भय उ करता है
और पहल करने की श अपने पास रखता है । कई बार तो िबना चेतावनी के वार
करना पड़ता है , तािक िबना उ ीद के हमला होने पर लोग थरा जाएँ । इस तरकीब
का इ ेमाल श शाली लोग सिदयों से कर रहे ह।
पं हवीं सदी म इटली म िमलान के वाइकॉ ी के आ खरी ूक िफ़िलपो मा रया
जान-बूझकर लोगों की उ ीद के िवपरीत काम करते थे। उदाहरण के िलए, वे
अचानक िकसी दरबारी पर ान दे ने लगते थे और जब वह पदो ित की उ ीद
करता था, तो वे उसे दु ारने लगते थे। दु िवधा होकर वह आदमी दरबार से
चला जाता था। लेिकन तभी ूक उसे अचानक वापस बुलवा लेते थे और उससे
दोबारा अ ा वहार करने लगते थे। अब वह दरबारी और भी दु िवधा म पड़ जाता
था। वह यह सोचने लगता था शायद ूक को यह भनक लग गई होगी िक वह
पदो ित के बारे म सोच रहा है । दरबारी यह सोचने लगता था िक शायद ूक को
यह बात बुरी लगी होगी। इसिलए वह इस तरह से वहार करने लगता था जैसे उसे
पदो ित की आशा ही न हो। यह दे खने पर ूक उसे मह ाकां ा की कमी के िलए
फटकारता था और अपने से दू र कर दे ता था।
ूक िफ़िलपो के साथ तालमेल बैठाने का रह सीधा सा था : यह अनुमान लगान
का जो खम न ल िक वह ा चाहता है । यह अनुमान लगाने की कोिशश न कर िक
वह िकस चीज़ से खुश होता है । अपनी इ ा बताएँ न िसफ उसकी इ ा के सामने
समपण कर द। िफर इं तज़ार कर। इस तरह से ूक ने दु िवधा और अिनि तता
उ करके िबना िकसी चुनौती के और पूरी शां ित के साथ रा िकया था।
लोग हमेशा आपके काय के पीछे िछपे उ े ों को समझाने की कोिशश करते ह,
तािक आपके खलाफ रणनीित बनाई जा सके। इसिलए िबलकुल अ ािशत कदम
उठाएँ , और उ सुर ा क होने पर मजबूर कर द।
कुछ समय तक पा ो िपकासो ने अपनी पिटं पॉल रोजेनवग नाम के एक आट
डीलर को बेचीं। िफर एक िदन िबना िकसी कारण के िपकासो ने उससे कहा िक
अब वे उसे अपनी कोई पिटं ग नहीं बेचगे। िपकासो ने इसके कारण को करते
ए मन ही मन सोचा, " रोजेनवग अगले अड़तालीस घंटों तक यह अनुमान लगाने
की कोिशश करे गा िक ऐसा ों आ। कहीं ऐसा तो नहीं िक म अपनी पिटं िकसी
दू सरे आट डीलर को बेचना चाहता ँ ? म अपना काम करता र ँ गा और चैन की
नींद सोऊँगा, जबिक रोज़ेनवग हर पल िचंता करता रहे गा। दो िदन बाद वह मेरे पास
परे शान हालत म आएगा और कहे गा, ' दे खो दो , म तु िजतने पैसे दे ता ँ , अगर
म तु उससे ादा पैसे दू ँ ( काफ़ी ऊँची रक़म ) दू ं , तब तो तुम मुझे मना नहीं
करोगे, है ना?
अ ािशत वहार िसफ दहशत फैलाने का ही हिथयार नहीं है । हर िदन वहार
के तरीके को बदलने से आपके चारों तरफ़ उथल-पुथल होगी और लोगों की िच
जा त होगी। लोग आपके बारे म बात करगे, ऐसे उ े और ीकरण सोचगे,
िजनका स ाई से कोई लेना-दे ना ही नहीं है । वे लगातार आपके ही बारे म सोचते
रहगे। प रणाम यह होगा िक आप िजतने ादा मूडी िदखगे, आपको उतना ही
ादा स ान हािसल होगा। िसफ अधीन थ लोग ही िनि त तरीके से वहार
करते ह।
त ीर : हवा | िजसके बारे म पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता। बैरोमीटर म अचानक प रवतन,
िदशा और वेग के अबूझ प रवतन। कोई सुर ा नहीं है : आँ धी-तूफ़ान से दहशत और दु िवधा का माहौल बनता
है ।
िवशेष की राय : बु मान शासक इतना रह मय होता है िक ऐसा लगता है वह अबूझ है। वह इतना
अ होता है िक कोई उसे जान नहीं पाता है । वह िन यता से िसंहासन पर बैठा रहता है , जबिक उसके मं ी
नीचे खड़े होकर काँपते रहते ह। ( हान फेई ू, चीनी दाशिनक, तीसरी सदी, ई.पू.)
अगर संभव हो, तो हमेशा दु न को धोखा द, है रान कर और ग़लत जानकारी द। इस तरह की रणनीितयाँ
हमेशा कामयाब होती ह और इस तरह से एक छोटी सेना भी बड़ी सेना को न कर सकती है । जनरल
ोनवॉल जैकसन, 1824-1863
िनयम 18: अपनी सुर ा के िलए िकले न
बनाएँ एकाकीपन ख़तरनाक है
िवचार
दु िनया खतरनाक है और दु न हर जगह ह-हर एक को अपनी र ा करनी पड़ती
है । िकला सबसे सुरि त नज़र आता है । लेिकन िकले म अलग-अलग रहना आपको
िजतने खतरों से बचाता है , उससे ादा ख़तरों को उ करता है यह आप तक
ब मू जानकारी नहीं प ं चने दे ता, यह आपको सबकी नज़रों म लाता है और
नतीजा यह होता है िक आप आसान िनशाना ल बन जाते ह। बेहतर होगा िक
लोगों से िमले-जुले, साथी खोज, सबसे जुड़। भीड़ के कारण आप अपने श ुओं से
सुरि त रहगे।
एकाकीपन तक की ि से खतरनाक है और इससे कोई भला नहीं होता है ... याद रख िक एकाकी मनु
िनि त प से िवलासी, शायद अंधिव ासी और संभवतः पागल भी होता है । डॉ . सै ुअल जॉनसन,
1709-1784
श की कंु जी
मैिकयावली का तक है िक सै ि से िकला बनाना एक गलती है । यह श के
एकाकीपन का तीक होता है और दु नों के िलए आसान िनशाना भी। आपकी
सुर ाके िलए बनाया गया यह िकला दरअसल आप तक मदद नहीं प ं चने दे ता है
और आपकी गितिविधयों को सीिमत कर दे ता है । हो सकता है यह िकला अभे हो,
लेिकन सब जानते ह िक आप उसके भीतर ह और घेराबंदी करने से आपका िकला
एक तरह की जेल बन जाता है । अंदर कम जगह होने के कारण िकलों म अ र
ेग जैसी महामा रयाँ भी फैल सकती ह। िकला बनाने से सुर ा नहीं िमलती है और
इससे िजतनी सम ाएं सुलझती ह, उससे ादा सम ाएँ उ होती ह।
चूँिक इं सान भाव से सामािजक होता है , इसिलए श सामािजक आदान- दान
और वहार पर िनभर होती है । खुद को श शाली बनाने के िलए आपको चीज़ों
के क म रहना होगा। हर गितिविध आपके चारों तरफ़ घूमनी चािहए। आपको
सड़क पर होने वाली हर चीज़ की जानकारी होनी चािहए और हर उस आदमी की
भी, जो आपके िख़लाफ़ सािज़श रच सकता हो। ादातर लोग तब ख़तरे म पड़
जाते ह, जब वे जो खम का सामना करते ह। ऐसे समय वे पीछे हट जाते ह और िकले
म सुर ा खोजने की कोिशश करते ह। बहरहाल, ऐसा करने पर उ सीिमत
यों से ही जानकारी िमल पाती है और वे अपने आस पास की घटनाओं के बारे
म सही नज रया नहीं रख पाते ह। वे रणनीितयों को बनाने की मता गवा दे ते ह और
दु नों के िलए आसान िनशाना बन जाते ह। उनका एकाकीपन उ अिमट कर
दे ता है । पु और रणनीित के ादातर खेलों म एकाकीपन का प रणाम पराजय
और मौत ही होती है ।
अिनि तता और ख़तरे के णों म आपको िबल के भीतर घुसने की इस इ ा से
बचना चािहए। इसके बजाय लोगों से मेल-जोल बढ़ाएँ , पुराने सहयोगी खोज, नए
साथी बनाएँ और अलग-अलग समूहों म जाएँ । श शाली लोग सिदयों से इसी
तकनीक पर चल रहे ह।
रोमन राजनेता िससरो एक कमः कुलीन प रवार म ज े थे और उनके श शाली
बनने की संभावना ब त कम थी। वे श शाली तभी बन सकते थे, जब वे शहर को
िनयंि त करने वाले सामंतों के बीच म जगह बना ल। इस काम म वे अद् भुत प से
सफल ए। उ ोंने सभी भावशाली यों के बारे म जानकारी हािसल की और
यह भी पता लगाया िक उनके तार एक-दू सरे से िकस तरह जुड़े ह। वे हर जगह
घुलते-िमलते थे, हर एक को जानते थे और उनके संबंधों का जाल इतना बड़ा था िक
यहाँ के एक दु न को वहाँ के एक साथी से संतुिलत िकया जा सकता था।
चूंिक इं सान सामािजक ाणी है , इसिलए इसका यह मतलब है िक हमारे वहार
को सुखद बनाने वाली सामािजक कलाएं लगातार िमलने-जुलने से िवकिसत की जा
सकती ह। आप दू सरों के िजतने, ादा संपक म रहगे, आप उतने ही ादा शालीन
और सहज बनगे। दू सरी तरफ़ एकाकीपन से आपका वहार अजीब हो जाता है ।
इसका प रणाम यह होता है िक लोग आपसे कतराने लगते ह और आप, और भी
ादा एकाकी हो जाते ह।
िकले की मानिसकता रखने के बजाय संसार को एक बड़े महल की तरह दे ख,
िजसका हर कमरा दू सरे कमरे से जुड़ा है । आपको अलग-अलग समूहों म रहने और
अलग-अलग तरह के लोगों से िमलने-जुलने की ज़ रत है । इस तरह के सामािजक
संपक से आप सािज़श करने वालों से बच जाएँ गे, ोंिक वे आपसे अपनी योजना
िछपाकर नहीं रख पाएं गे। आप अपने दु नों से भी बच जाएँ गे, ोंिक आपके
समथक आपका साथ दगे। हमेशा आगे बढ़ते रह और महल के कमरों म आते-जाते
रह। कभी भी एक ही जगह पर के या बैठे न रह। कोई भी िशकारी तेज़ी से भागते
जानवर पर िनशाना नहीं साध सकता।
लुई चौदहवा इस बात पर पूरा ान दे ता था िक उसके दरबार म सभी सामंत मौजूद रहे । उठते-बैठते समय,
भोजन के समय, वसाय के बगीचे म -हर समय वह अपने आस-पास दे खता था और हर चीज़ पर ान दे ता था।
अगर जाने-पहचाने सामंत थायी प से दरबार म नहीं रहते थे, तो वह िचढ़ जाता था। जो लोग वहाँ पर कभी
नहीं िदखते थे या शायद ही कभी िदखते थे, उनसे वह ब त गु ा रहता या। अगर उनम से कोई उससे िकसी
तरह का एहसान चाहता था, तो स ाट गव से कहता था। " म आपको जानता ही नहीं ँ , " और यह िनणय
अका होता था । डक हे सट साइमन, 1675-1755
त ीर : िकला। पहाड़ी की ऊँ चाई पर बना िकला कू मत का तीक और नफ़रत का क बन जाता है।
शहर के नाग रक आ मण करने वाले पहले श ु से िमलकर आपको धोखा दगे। अगर सं ेषण और बु से
आपका नाता ख़ हो जाएगा, तो आपका िकला आसानी से ढह जाएगा।
िवशेष की राय : जो अ ा और समझदार राजा अपने बेटों को दमनकारी नहीं बनने दे ना चाहता, वह
कभी िकले नहीं बनाएगा, तािक उसके बेटे िकले की श पर िव ास करने के बजाय अपनी जा की स ावना
पर िव ास कर सक। ( िनकोलो मैिकयावली, 1469-1527 )
तलवारबाज़ से िमलने पर अपनी तलवार िनकाल। जो किव न हो, उसे किवता न सुनाएँ । एक बौब ंथ
से, िजसका उबरण यंडर इन द ाई म िदया गया है , थॉमस यरी ारा
अनूिदत, 1993
िनयम 19: यह जान िक आपके सामने
कौन है , ग़लत को नाराज़ न कर
िवचार
दु िनया म कई तरह के लोग होते ह। आपको यह कभी नहीं सोचना चािहए िक हर
आपकी रणनीितयों पर एक ही तरीके से िति या करे गा। कुछ लोगों के
साथ जब धोखा या चालबाज़ी की जाती है , तो वे बदला लेने की तलाश म अपनी
बाकी की िजंदगी िबता दे ते ह। वे भेड़ की खाल म भेिड़ए होते ह। अपने िशकारों
और िवरोिधयों को सावधानी से चुन, लेिकन कभी भी ग़लत को धोखा न द या
उस पर हमला न कर।

िवरोधी, मूख और िशकार


श की सीढ़ी पर चढ़ते समय आपका सामना कई तरह के िवरोिधयों, मूखों और
िशकारों से होगा। श हािसल करने की कला का सव प यह पहचानना है
िक कौन भेिड़या है और कौन भेड़, कौन लोमड़ी है और कौन ख़रगोश, कौन बाज है
और कौन िग । अगर आप इस फ़क को आसानी से पहचान लेते ह, तो आप िकसी
पर ादा दबाव डाले िबना ही सफल हो जाएं गे। लेिकन अगर आप अपने रा े म
आने वाले हर से एक सा वहार करगे, तो आपका जीवन दु ख भरा रहे गा,
बशत आपका जीवन उतना लंबा चले। लोगों की कृित पहचानने और उसके
अनु प वहार करने की यो ता ब त मह पूण है । नीचे जंगल के पाँ च अलग-
अलग ािणयों के सबसे खतरनाक और मु ल कार िदए गए ह।
घमंडी । हालाँ िक वह शु आत म इसे िछपा सकता है , लेिकन इस का
घमंड इसे ब त ख़तरनाक बना दे ता है । अगर यह िकसी भी तरह से अपमािनत
महसूस करता है , तो यह पूरी उ ता से बदला लेता है । हो सकता है आप यह सोच, “
लेिकन मने तो यह एक पाट म कहा था। उस समय तो सब लोग नशे म थे ... "
बहरहाल, इससे कोई फक नहीं पड़ता है । उसकी अित- िति या के पीछे कोई
समझदारी नहीं होती, इसिलए उसका अनुमान लगाने म समय बबाद न कर। अगर
आपको लगता है िक कोई अित संवेदनशील और बेहद घमंडी है और आपने
उसे चोट प ँ चा दी तो त ाल भाग खड़े हों | आप उससे चाहे िजस चीज की आशा
कर रहे हों, वह चीज इतनी मू वान नहीं है िक आप कने का जो खम ले।
ब त असुरि त । यह घमंडी से संबंिधत है , लेिकन उससे
कम िहं सक है । ऐसे का पता लगाना ादा मु ान होता है । उसका ईगो
नाजुक होता है , यह बात असुरि त होता है और अगर उसे लगता है िक उसे धोखा
िदया जा रहा है या उस पर हमला िकया जा रहा है , तो यह मन ही मन सुगबुगाता
रहे गा। वह छु टपुट हमले करता रहे गा, जो इतने बड़े नहीं होंगे िक आपको नज़र
आएँ । अगर आपको लगता है िक आपने िकसी ऐसे को धोखा िदया है या
नुकसान प ँ चाया है , तो लंबे समय के िलए गायब हो जाएँ । उसके आस-पास न रह,
वरना वह कुतर-कृतर कर आपको न कर दे गा।
शंकालु । ऊपर दी गई िक ों का एक प भावी जोसेफ़ ािलन है ।
शंकालु दू सरों म वही दे खता है जो वह दे खना चाहता है , जो आम तौर पर
सबसे बुरा पहलू होता है । वह यह क ना करता है िक हर उसके पीछे पड़ा
है । शंकालु दरअसल इन तीनों म सबसे कम ख़तरनाक है । चूंिक वह सचमुच
असंतुिलत होता है , इसिलए उसे धोखा दे ना आसान होता है , िजस तरह ािलन को
लगातार धोखा िदया जाता था। दू सरे लोगों के खलाफ उसे उकसाने के िलए उसकी
शंकालु कृित का इ ेमाल कर। लेिकन अगर आप उसके शक का िनशाना बन
जाएँ , तो सावधान रह।
लंबी याददा वाला सांप। अगर इसे चोट प ं चाई गई या धोखा िदया गया, तो
यह आदमी ऊपर से तो कोई गु ा नहीं िदखाएगा, लेिकन अंदर ही अंदर यह
योजना बनाता रहे गा और इं तजार करता रहे गा। िफर जब वह हमला करने की
थित म होगा, तो वह ठं डे िदमाग की चालाकी से बदला लेगा। इस तरह के आदमी
को उसकी चालाकी और योजना बनाने की िनपुणता से पहचान, जो वह िजंदगी के
दू सरे े ों म िदखाता है । आम तौर पर वह भावहीन होता है और िमलनसार नहीं
होता है । इस साँ प के ित दोगुना सावधान रह, और अगर आपने उसे िकसी तरह
का नुकसान प ं चाया है , तो उसे पूरी तरह से न कर द या िफर उसे अपनी नज़रों
से दू र कर द।
सामा , िवन और अ र बु हीन । आह, इतने अ े िशकार
के बारे म सुनकर आपके कान खड़े हो गए होंगे। लेिकन इसे धोखा दे ना उतना
आसान नहीं है । अ र िकसी लोभन का िशकार होने के िलए बु और क ना
की ज रत होती है । िजसम क ना या बु नहीं है , उसे संभािवत पुर ारों का
एहसास ही नहीं होगा। अ ानी आदमी चारा नहीं िनगलेगा, ोंिक वह इसे
पहचानेगा ही नहीं। वह ब त बु हीन होता है । इस के साथ ख़तरा यह नहीं
है िक वह आपको नुकसान प ं चाएगा या बदला लेगा, ब िसफ यह है िक उसे
धोखा दे ने की कोिशश म आप अपना समय, ऊजा, संसाधन और यहाँ तक िक
बु म ा भी बबाद करगे। इस तरह के आदमी को पहचानने के िलए एक योग
कर-कोई चुटकुला या कहानी तैयार रख। अगर उसकी िति या लचर हो, तो
आपके सामने इसी तरह का खड़ा है । अपने जो खम पर ही आगे बढ़।
त ीर : िशकारी। वह भेिड़ए और लोमड़ी के िलए एक सा जाल नहीं िबछाता है। वह वहाँ पर जाल नहीं
िबछाता है , जहाँ िशकार के फँसने की संभावना न हो। वह अपने िशकार को अ ी तरह से जानता है । वह
उसकी आदत और िछपने के िठकाने जानता है और वह इ ीं को ान म रखकर िशकार करता है ।
िवशेष की राय : यह जान ल िक चाहे िकतना ही मह हीन या छोटा हो, वह कभी न कभी
आपके काम आ सकता है , लेिकन अगर आपने उसका कभी अपमान िकया है , तो वह आपके काम नहीं
आएगा। ग़लितयों को अ र माफ़ कर िदया जाता है , लेिकन अपमान को कभी माफ़ नहीं िकया जाता। हमारा
गव इसे हमेशा याद रखता है । ( लॉड चे रफ़ी , 1694-1773 )
कौआ और भेड़ : एक परे शान करने वाला कोआ एक भेड की पीठ पर बैठ गया। भेड़ मजबूरन उसे
काफी समय तक इधर-उधर ढोती रही और िफर बोली, “ अगर तुम िकसी कु े के साथ इस तरह करते, तो वह
तु अपने तेज़ दांतों से मजा चखा दे ता। " इस पर कौए ने जवाब िदया, " मै कमजोर लोगों को सताता ँ और
श शाली लोगों की चापलूसी करता ँ । म जानता ं िक मै िकसे सता सकता ं और मुझे िकसकी चापलूसी
करनी चािहए। मुझे आशा है िक इस नीित पर चलने से म काफ़ी समय तक िजदा र ं गा और अ े बुढ़ापे का
आनंद लूंगा । " े व , ईसप, छठवी ं सदी ई.पू.
ई ा की कीमत : जब एक गरीब औरत बाज़ार म पनीर बेचने के िलए खड़ी थी, तो एक िब ी आई और
पनीर का एक टु कड़ा उठाकर ले गई। यह दे खकर एक कु े ने िब ी से वह टु कड़ा छीनने की कोिशश की।
िब ी भी अड़ गई। दोनों म घमासान लड़ाई होने लगी। कु ा भौंकने और काटने लगा। िब ी थूकने और
खरोंचने लगी, लेिकन उनके यु का कोई नतीजा नहीं िनकला। आिख़रकार िब ी ने सुझाव िदया, “ हम
लोमड़ी के पास चलते ह और उससे यह मामला सुलझवाते ह। " कु े ने कहा, " ठीक है । " वे दोनों लोमड़ी के
पास गए। लोमड़ी ने िकसी ायाधीश की तरह उनके तक सुने। उसने उ फटकारते ए कहा "मूख जानवरों !
तुम दोनों लड़ते ों हो? अगर तुम दोनों चाहो, तो मै इस पनीर को दो िह ों म बाँट दे ती ँ । इससे तुम दोनों
संतु हो जाओगे। िब ी और कु े ने इस बात पर कहा, " ठीक है । " लोमड़ी ने अपना चाकू िनकाला और पनीर
को दो िह ों म काट िदया, लेिकन लंबाई की तरफ़ से काटने के बजाय उसने इसे चौड़ाई की तरफ से काटा।
कु े ने िवरोध करते ए कहा, “ मेरा िह ा छोटा है ! " लोमड़ी ने ायपूण ढं ग से अपने च े से कु े के िह े
को दे खते ए कहा, " तुम ठीक कह रहे हो, िबलकु ल ठीक कह रहे हो। " इस पर उसने िब ी के िह े म से
एक टु कड़ा खा िलया और कहा, " अब दोनों िह े बराबर हो गए ! " जब िब ी ने लोमड़ी की हरकत दे खी, तो
वह िच ाने लगी, " जरा इधर दे खो ! अब मेरा िह ा छोटा हो गया है । " लोमड़ी ने दोबारा अपना च ा पहना
और ायपूण ढं ग से िब ी के िह े को दे खते ए बोली, " तुम ठीक कह रही हो ! एक िमनट को, म इसे
ठीक कर दे ती ँ । " और उसने कु े के पनीर म से एक कौर खा िलया। यह िसलिसला काफ़ी समय तक चला
और लोमड़ी कभी कु े का, तो कभी िब ी का िह ा खाती रही। अंत म उसने उनकी आँ खों के सामने ही
उनका पूरा चीज़ खा िलया। ए टे जरी ऑफ़ ुइश फोकलोर, नैथन आसुबेल ारा
संपािदत, 1948
िनयम 20: िकसी के िपट् ठू न बन
िवचार
मूख ही हमेशा िपट् ठू बनने के िलए दौड़ लगाता है । खुद के अलावा िकसी भी
के पाले म न जाएँ । अपनी तं ता कायम रखकर आप दू सरों के ामी बन
जाते ह, उनम मनमुटाव फैलाते ह और उ अपनी तरफ़ दौड़ाते ह।

श की कंु जी
चूंिक श काफी हद तक िदखावे पर िनभर करती है , इसिलए आपको ऐसी
तरकीब सीखना चािहए, िजनसे आपकी ित ा बढ़े । िकसी या समूह का
िपट् ठू न बनना एक ऐसी ही तरकीब है । जब आप िपठू नहीं बनते ह, तो इससे सामने
वाले को गु ा नहीं आता है , ब उसके मन म आपके ित स ान उ होता
है । आप त ाल श शाली बन जाते ह, ोंिक आप उस समूह या के
लोभन या बंधन से दू र रहते ह, जो ादातर लोग नहीं कर पाते ह। श का यह
आभामंडल समय के साथ बढ़ता जाता है : जब तं होने की आपकी छिव बढ़ती
है , तो ऐसे लोगों की सं ा बढ़ती जाती है , जो आपको अपना िपठू बनाना चाहते ह
और आपसे िन ा की उ ीद रखते ह। इ ा वायरस की तरह होती है अगर हम
दे खते ह िक दू सरे लोग िकसी को अपने साथ जोड़ना चाहते ह, तो हम भी उसे अपने
साथ जोड़ना चाहगे।
िजस पल आप िपठू बन जाते ह या समिपत हो जाते ह, यह जादू ख़ हो जाता है ।
आप भी बाकी सबकी तरह बन जाते ह। लोग आपसे समपण करवाने के िलए सभी
तरह के उिचत-अनुिचत उपाय आज़माएँ गे। वे आपको तोहफे दगे, आप पर एहसानों
की बौछार करगे, िसफ इसिलए तािक आप उनके एहसानों के बोझ तले दब जाएँ ।
दू सरे आप पर ान द, इस बात को ो ािहत कर। उनकी िच को े रत कर,
लेिकन िकसी भी कीमत पर उनके िपट् ठू न बन। अगर आप चाह तो तोहफों और
एहसानों को ीकार कर सकते ह, लेिकन इस बारे म सतक रह िक आप अपने मन
म िकसी का प न ल। आप खुद को कृत मानने की ग़लती हिगज न कर।
बहरहाल याद रख : आपका ल लोगों को दू र रखना नहीं है या ऐसा िदखना नहीं है
िक आप िकसी के हो ही नहीं सकते। महारानी एिलजावेथ थम की तरह आपको
भी लगातार हवा दे ते रहना चािहए, िच जगाते रहना चािहए और लोगों को लोभन
दे ते रहना चािहए, तािक वे आपको अपना बनाने की कोिशश करते रह। िफर
आपको उनके ान को कभी-कभार मोड़ना भी चािहए, लेिकन ब त ादा दू र
नहीं।
ीक सेनापित ए बायडे स इस खेल को बखूबी खेलते थे। ए बायडे स ने एथे
की उस िवशाल जलसेना का नेतृ िकया था, िजसने 414 ई.पू. म िससली पर
आ मण िकया था। जब ई ालु एथे वािसयों ने यु के बाद उन पर झूठे आरोप
लगाकर उनका अपमान करने की कोिशश की, तो वे घर लौटकर झूठे मुकदमे का
सामना करने के बजाय दु नों यानी ाटावािसयों से जाकर िमल गए। िफर जब
एथे वासी िसरे कस म हार गए, तो ए बायडे स ाटा छोड़कर फ़ारस चले गए,
हालां िक ाटा अब श शाली बन रहा था। बहरहाल, एथे और ाटा दोनों ही
ए वायडे स को लोभन दे ते रहे , ोंिक फारस म उनका काफ़ी भाव था।
फ़ारस म उन पर स ानों की बा रश इसिलए होती थी, ोंिक एथे और ाटा
पर उनका काफ़ी भाव था। उ ोंने हर प से वादा िकया, लेिकन िकसी के साथ
नहीं जुड़े और अंत तक सारे प े अपने हाथ म ही रखे।
अगर आप श शाली और भावशाली बनना चाहते ह, तो ए बायडे स की
रणनीित को आज़माकर दे ख : खुद को ितयोगी श यों के बीच म रख। िकसी
एक प को अपनी मदद के वादे से ललचाएँ । दू सरा प , जो हमेशा अपने दु न से
आगे िनकलना चाहता है , अपने आप आपका पीछा करने लगेगा। जब दोनों ही प
आपका ान खींचने के िलए आपस म जूझगे, तो आप ब त भावशाली और यो
िदखने लगगे। िकसी एक प म ज ी से शािमल हो जाने के बजाय अधबीच की
थित म आपके पास ादा श होगी। 1830 म ां स की जुलाई ां ित म तीन
िदन के दं गों के बाद वृ राजनेता टै लीरड पे रस म अपनी खड़की के पास बैठे थे।
उ घंटी बजने की आवाज़ सुनाई दी, जो इस बात का संकेत थी िक दं गे ख़ हो
चुके ह। उ ोंने एक सहयोगी की तरफ़ मुड़ते ए कहा, “ वाह, घिटयाँ बज रही ह !
हम जीत रहे ह। " सहयोगी ' हम ' से आपका ा मतलब है , महाशय? " उसे चुप
रहने का इशारा करते ए टै लीरड ने जवाब िदया, “ अब आगे एक श भी मत
बोलना ! म तु कल बताऊँगा िक हम का ा मतलब है । ये अ ी तरह जानते थे
िक िसफ मूख ही ज बाजी म िकसी थित म उतरते ह और ब त ज ी
िपट बनकर अपनी रणनीितक कुशलता गवा दे ते ह। इस थित म लोग आपका
स ान भी कम करते ह : वे सोचते ह िक चूंिक आप उनके साथ इतनी आसानी से
जुड़ गए ह, इसिलए आप कल िकसी दू सरे के साथ भी इतनी ही आसानी से जुड़
जाएँ गे। एक प के िप बनने से आप समय का लाभ नहीं उठा पाते ह और इं तज़ार
की दौलत से वंिचत रह जाते ह। दू सरों को इस या उस समूह के ेम म पड़ने द, आप
न तो भाग, न ही अपना िदमागी संतुलन खोएँ ।
त ीर : ान, इ ा और आराधना का क । िकसी भी प म शािमल न होना, ब उ आपस म
लड़ाकर मामला सुलझाने के िलए ो ािहत करना। महारानी एिलज़ाबेथ अपने चारों तरफ़ घूमने वाले दरबा रयों
को हों की तरह रखती थीं। वे उनकी क ा म घूमना छोड़ नहीं सकते थे, लेिकन वे उनके और क़रीब भी कभी
नहीं प ँ च सकते थे।
िवशेष की राय : िकसी भी के प म रहने का वायदा न कर, ोंिक यह िकसी दू सरे का
गुलाम बनना है । तं ता िकसी भी तोहफ़े से ादा मू वान होती है । आपको यह कोिशश नहीं करनी चािहए
िक आप िकसी एक पर ही िनभर रह, ब आपको यह कोिशश करनी चािहए िक कई लोग आप पर
िनभर रह। सबसे बढ़कर, खुद को सभी वायदों और एहसानों से मु रख ये सामने वाले की चाल ह, तािक वह
आप पर कू मत कर सके ... ( वा ेशर ेिशयन, 1601 -1658 )
िनयम 21: मूख बनाने के िलए मूख बनने
का नाटक कर-सामने वाले से ादा मूख
िदख
िवचार
कोई भी यह पसंद नहीं करता िक वह सामने वाले से ादा मूख िदखाई द।
बहरहाल, इस नीित का लाभ यह है िक इससे आपके िशकार खुद को आपसे ादा
बु मान मान लेते ह। जब उ इस बात का िव ास हो जाएगा, तो वे कभी यह शक
नहीं करगे िक आप जैसे मूख का कोई िछपा आ उ े भी हो सकता है ।
इं सान को अपनी बु पर िजतना गव होता है , उतना िकसी और चीज़ पर नहीं होता, ोंिक इसी की बदौलत
उसे ाणी जगत म सव े थान िमला है । िकसी को भी यह एहसास न कराएं िक आप बु के मामले म उससे
े ह। अपनी बु का िडं डोरा पीटना मूखता है । हालािक पद और संपि हमेशा समाज म ऊं चा थान पा
सकते ह, लेिकन बौ क मता यह पाने की कभी आशा नहीं कर सकती। बौ क मता को नज़रअंदाज
करना ही सबसे अ ा होता है और लोग इस पर ान िसफ इसिलए दे ते ह ोंिक वे या तो इसे अस ता मानते
ह या िफर ऐसी चीज़ िजस पर इसके मािलक का कोई उिचत अिधकार नहीं है और िजस पर वह खाम ाह गव
करने का दु ाहस करता है । इसका बदला लेने के िलए लोग गोपनीय प से उसे िकसी दू सरे तरीके से
नुकसान प ँ चाने या अपमािनत करने की कोिशश करते ह और िकसी उपयु अवसर का इं तज़ार करते ह।
िवन वहार करने वाला भी अगर अपनी वौिदक े ता का दावा करता है , तो लोग उसे भी
नज़रअंदाज़ नहीं करगे। गाडन ऑफ रोजेस म सादी ने कहा है " आपको यह जान लेना चािहए िक समझदार
लोग मूखों के साथ रहने से िजतना बचते ह, . मूख लोग समझदारों से िमलना उससे सौ गुना ादा नापसंद करते
ह। दू सरी तरफ़, मुख बनना एक स ी अनुशंसा है , ोंिक िजस तरह ठं ड के मौसम म शरीर को गम अ ी
लगती है । उसी तरह म को अपनी े ता अ ी लगती है और हर ऐसे का साथ पसंद
करे गा, िजससे उसे अिधक बु मान होने का एहसास हो, ठीक उसी तरह िजस तरह वह जाड़े के मौसम म आग
के पास बैठना या धूप म घूमना पसंद करे गा, लेिकन इसका मतलब यह भी है िक े ता िदखाने के कारण उसे
नापसंद िकया जाएगा। अगर कोई यह चाहता है िक लोग उसे पसंद कर, तो उसे बु के मामले म खुद
को हीन िदखाना चािहए। "आथर शोपेनहार, 1788-1860

श की कंु जी
यह बदा करना ब त मु ल होता है िक कोई दू सरा हमसे ादा बु मान है ।
हम आम तौर पर इसे दू सरे तरीकों से तकसंगत सािबत करने की कोिशश करते ह :
“ उसके पास िसफ िकताबी ान है , जबिक मेरे पास असली ान है । उसके माता-
िपता ने उसकी अ ी िश ा के िलए इतना ादा ख़च िकया है । अगर मेरे माता-
िपता के पास इतना पैसा होता, अगर मुझे इतनी अ ी िश ा िमली होती ... वह
उतना ाट नहीं है , िजतना वह सोचता है ।
चूंिक ादातर लोगों के आडं बर के िलए बु म ा का िवचार इतना मह पूण है ,
इसिलए यह ब त मह पूण है िक हम िकसी की मानिसक श का धोखे
से भी कभी अपमान न कर या उस पर संदेह दिशत न कर। यह एक अ
अपराध है ,लेिकन अगर आप इस कठोर िनयम का पूरी तरह पालन कर सकते ह,
तो आप धोखा दे ने के ब तेरे रा े खोल लेते ह। चतुराई से लोगों को यह िव ास
िदलाएँ िक वे आपसे ादा बु मान ह या आप उनसे थोड़े मंदबु ह। इस तरह से
आप उ जंजीर से बाँ ध दे ते ह। आपके ारा जगाई गई बौ क े ता की भावना
उनकी शंका की मां सपेिशयों को िशिथल कर दे गी।
1865 म िशया के शासक ओ ो वॉन िब ाक चाहते थे िक ऑ या एक संिध पर
ह ा र कर दे । यह संिध पूरी तरह से िशया के िहत म थी और ऑ या के िहतों
के िव थी। िब ाक जानते थे िक ऑ या वालों से ह ा र करवाने के िलए
उ कोई चाल चलनी पड़े गी। ऑ या का कूटनीित काउं ट ोम ताश के प ों
का चतुर खलाडी था। उसका िवशेष ि य खेल ं ज था और वह अ र कहता था
िक िकसी के भी ं ज खेलने का तरीक़ा दे खकर वह उस का च र जान सुन
सकता है । िब ाक ने ोम के बारे म सुन रखा था।
संिध पर चचा के एक रात पहले िव ाक ने ोम के साथ ं ज खेलने का ाव
रखा। िव ाक ने बाद म िलखा है , " म इतने मूखतापूण ढं ग से खेला िक हर
है रान रह गया। म कई हज़ार िस े हार गया, लेिकन म ोम को मूख बनाने म
सफल हो गया, ोंिक उसे िव ास हो गया था िक म ब त ही दु ाहसी ँ । "
दु ाहसी िदखने के अलावा िब ाक ने मूख होने का भी नाटक िकया, मूखतापूण
बात कहीं और घबराहट का अिभनय करते ए बेिसर पैर की बात करते रहे ।
इस सबसे ोम को ऐसा लगा िक उसने ब मू जानकारी इक ी कर ली है । वह
जानता था िक िब ाक आ ामक ह- िशया म उनकी पहले से ही ऐसी छिव बनी
ई थी और िजस तरीके से वह खेले थे, उससे इस बात की पुि ई थी और ोम
जानता था िक आ ामक लोग मूख और ज बाज़ होते ह। उसने सोचा िक िब ाक
जैसा असावधान मूख ठं डे िदमाग़ से योजना बनाने और धोखा दे ने म अ म होगा,
इसिलए उसने समझौते पर एक उड़ती नज़र डाली और उस पर ह ा र कर िदए।
जैसे ही ाही सूखी, िव ाक ने खुश होते ए उससे कहा, " दे खए, मुझे यकीन
नहीं था िक ऑ या का कोई भी राजनेता इस द ावेज़ पर ह ा र कर सकता है ।
चीन म एक कहावत लोकि य है , " शेर को मारने के िलए सुअर बनने का नाटक
करना पड़ता है । यह कहावत पुराने जमाने की िशकारी तरकीब से उ ई है ,
िजसम िशकारी सुअर की खाल ओढ़ लेता है और उसकी आवाज़ की नकल करता
है । श शाली शेर सोचता है िक कोई सुअर उसकी तरफ़ आ रहा है , इसिलए वह
उसे करीब आने दे ता है । शेर इस बात पर खुश होता है िक उसका िशकार खुद
चलकर उसके पास आ रहा है । लेिकन अंत म िशकारी ही खुश होता है ।
सुअर का नाटक करना उन लोगों के साथ वहार म चम ारी प रणाम दे ता है , जो
शेर की तरह अित-आ िव ासी और दं भी होते ह। उ आप िजतने आसान िशकार
लगगे, आप उतनी ही आसानी से बाज़ी पलट सकते ह।
बु एक ऐसा गुण है , िजसका कम से कम दशन करना चािहए, लेिकन यहीं पर
ही ों क? पसंद और अिभ िचयाँ भी दं भ के पैमाने पर बु के आस-पास ही
होती ह। अगर आप लोगों को यह महसूस कराते ह िक उनकी िचयाँ आपसे ादा
अिभजा ह, तो उनका र ाकवच िशिथल हो जाएगा। वे आपको अपने आस-पास
रखगे, ोंिक आपके करीब रहने पर वे े महसूस करते ह, और आप िजतनी
ादा दे र तक उनके पास रहगे, आपको उ धोखा दे ने के उतने ही ादा मौके
िमलगे।
त ीर : ओपोसम नामक जानवर। मरने का नाटक करते समय ओपोसम मूखता का अिभनय करता है।
ब त से िशकारी जानवर इसे इसीिलए नहीं खाते ह। कौन िव ास कर सकता है िक इतना बदसूरत, बु हीन,
डरपोक और छोटा जानवर इतना बड़ा धोखा दे सकता है ?
मूखता का इ ेमाल करना सीख : समझदार से समझदार
िवशेष की राय : भी
कई बार यह प ा चलता है । ऐसे मौके होते ह, जब सबसे ादा समझदारी यह
िदखाने म होती है िक आप कु छ नहीं जानते ह। आपको अ ानी नहीं होना चािहए,
लेिकन इसका नाटक करने म िनपुण होना चािहए। मूो ं के बीच म समझदार बनना
उतना ही लाभकारी है , िजतना िक पागलों के बीच म बु मान बनना। जो
मूख बनने का नाटक करता है , वह मूख नहीं होता है । सवािधक लोकि य होने का
सव े तरीका सबसे मूख की खाल ओढ़ना है । ( बा ेसर ेिशयन, 1601-
1658 )
जब बड़ा जमींदार गुजरता है , तो समझदार दे हाती ब त नीचे झुक जाता है और चुपचाप हवा िनकाल दे ता है ।
ईथोिपया की कहावत
िनयम 22: समपण की चाल का योग कर
- कमज़ोरी को श म बदल
िवचार
जब आप कमज़ोर हों, तो स ान के िलए कभी न लड़। इसके बजाय समपण करने
का िवक चुन। समपण से आपको दोबारा उठकर खड़े होने का समय िमल जाता
है । इससे आपको अपने िवजेता श ु को सताने और परे शान करने का समय भी
िमल जाता है । इससे आपको उसकी श के घटने का इं तज़ार करने का समय
िमल जाता है । उसे यु म जीतने न द-इससे पहले ही उसके सामने समपण कर द।
दू सरा गाल आगे करके आप उसे परे शान और िवचिलत कर दे ते ह। समपण का
योग श के औज़ार के प म कर।

श की कंु जी
श के े म हम अ र इस कारण मु ल म फंस जाते ह, ोंिक हम अपने
दु नों की चालों पर ज रत से ादा िति या कर दे ते ह। इस अित- िति या
की वजह से ऐसी सम ाएँ उ हो जाती ह, िजनसे हम बच सकते थे। इसकी
उतनी ही ती िति या भी होती है , ोंिक तब हमारा दु न भी अित- िति या
करता है । हमारी पहली इ ा हमेशा िति या करने की होती है । जब हम पर
आ मण होता है , तो हमारे मन म भी पलटकर आ मण करने की इ ा होती है ,
लेिकन अगली बार जब कोई आपको धकाए और आप िति या करने लग, तो इसे
आज़माकर दे ख : िवरोध न कर या पलटकर हमला न कर, ब समपण कर द,
दू सरा गाल भी आगे कर द, झुक जाएँ । आप पाएं गे िक इससे अ र आपके श ुओं
का वहार अिनि त हो जाता है । वे उ ीद कर रहे थे िक आप पलटकर बार
करगे, श से िति या कर, लेिकन आपके िवरोध न करने से वे िवचिलत हो
जाएं गे और उनकी आशाओं पर पानी िफर जाएगा। समपण करके आप दरअसल
थित को िनयंि त कर रहे ह, ोंिक आपका समपण एक बड़ी योजना का िह ा
है । आप उ यह िव ास िदलाना चाहते ह िक उ ोंने आपको हरा िदया है ।
समपण की तरकीब का सार यह है : अंदर से आप ढ़ रहते ह, लेिकन बाहर से
आप झुक जाते ह। गु ा होने का कारण नहीं िमलने के कारण आपके िवरोधी
अ र बौखला जाते ह और इस बात की संभावना नहीं है िक वे इसके बाद आप पर
और आ मण करगे | इस तरह से आपको इतना समय और जगह िमल जाती है ,
िजसम आप उ नीचे िगराने की योजना बना सकते ह। बु मान जब ू र
और आ ामक के खलाफ़ लड़ता है , तो समपण की तकनीक ही सव े
हिथयार है ।
कई मामलों म लड़ने के बजाय समपण करना बेहतर होता है । अिधक श शाली
िवरोधी के सामने जब आपकी हार तय हो, तो अ र भागने के बजाय समपण
करना ादा अ ा होता है । भागने से आप कुछ समय के िलए तो बच सकते ह,
लेिकन आपका िवरोधी अंततः आपको पकड़ ही लेगा। इसके बजाय अगर आप
समपण कर दे ते ह, तो आपको अपने दु न के आस-पास रहने का मौका िमलेगा
और आप मौक़ा िमलते ही उस पर अपने ज़हरीले दाँ त गड़ा सकते ह।
473 ई.पू. म ाचीन चीन म फूिजयो के यु म वू के शासक ने यू के राजा गूिजयन
को बुरी तरह हरा िदया। गूिजयन भागना चाहता था, लेिकन उसके सलाहकार ने
उसे यह सलाह दी िक वह समपण कर दे और वू के शासक की सेवा करे , तािक वह
सोच-िवचार करके बदला लेने की योजना बना सके। उसकी सलाह पर अमल करते
ए गूिजयन ने वू के शासक को अपनी सारी संपि दे दी और राजा के अ बल म
सेवक का काम करने लगा। तीन साल तक वह वू के शासक के सामने झुकता रहा।
आ खरकार वू के शासक को उसकी वफ़ादारी पर भरोसा हो गया और उसने उसे
घर लौटने की इजाजत दे दी। बहरहाल गूिजयन ने इन तीन सालों म ब त सी
जानकारी इक ी कर ली थी और बदले की योजना बना ली थी। जब वू रा म
भयंकर सूखा पड़ा और आं त रक उथल-पुथल के कारण रा कमज़ोर पड़ गया, तो
गूिजयन ने सेना इक ी की और वू पर हमला करके उसे आसानी से जीत िलया।
समपण म श होती है । इससे आपको ज़बद ितशोध की योजना बनाने का
समय िमल जाता है । अगर गूिजयन भाग गया होता, तो उसे यह मौक़ा कभी नहीं
िमलता।
श हमेशा प रवतनशील होती है चूंिक इस खेल की कृित ही गितशील और
संघषमयी है , इसिलए श शाली लोग अंततः नीचे की तरफ़ आते ह। अगर आप
पाएँ िक आप अ थायी तौर पर कमज़ोर हो गए ह, तो दोबारा श शाली बनने के
िलए समपण की तकनीक आदश है । यह तकनीक आपकी मह ाकां ा को िछपा
दे ती है । यह आपको धैय और आ -िनयं ण भी िसखाती है , जो खेल के मुख गुण
ह। इसके अलावा, इसके कारण आप अपने िवरोधी के अक ात पतन का फायदा
उठाने की सव े थित म रहते ह। अगर आप भाग जाते ह या पलटकर लड़ते ह,
तो लंबे समय म आप नहीं जीत सकते ह। अगर आप समपण कर दे ते ह, तो लगभग
हमेशा जीत आप ही की होती है ।
त ीर : बलूत का पेड़। बलूत का जो पेड़ तेज हवाओं से लड़ता है, उसकी शाखाएं एक-एक करके टू ट जाती
ह। जब इसकी र ा के िलए कु छ नहीं बचता है , तो इसका तना भी टू ट जाता है । दू सरी ओर, बलूत का जो पेड़
झुक जाता है , वह ादा समय तक िजंदा रहता है , उसका तना ादा चौड़ा होता है , उसकी जड़ ादा गहरी
होती ह और वह ादा श शाली होता है ।
िवशेष की राय : तुमने यह कहावत सुनी होगी, आँ ख के बदले आँ ख, दाँत के बदले दाँत। लेिकन म
तुमसे कहता ँ िक तुम बुराई का ितरोध मत करो, ब जो तु ारे दाएं गाल पर मारे , उसकी तरफ बायाँ गाल
भी कर दो और अगर कोई आदमी तुम पर मुकदमा करके तु ारा कोट ले ले, तो तुम उसे अपना दु शाला भी दे
दो। और अगर कोई तु एक मील चलने के िलए मजबूर करे , तो तुम दो मील तक चलो। ( ईसा मसीह, मे ू 5
: 38-41 )

जब लंदन म ांस-िवरोधी भावना चरम सीमा पर थी . तब वो े यर वहाँ िनवािसत जीवन गुजार रहे थे। एक िदन
सड़क पर उ गु ैल भीड़ ने घेर िलया। लोग िच ाने लगे, " इस ांसीसी को फांसी पर लटका दो। फाँसी पर
लटका दो। " वो े यर ने शांित से भीड़ को संबोिधत करते ए कहा : " इं ड के वािसयों ! आप मुझे इसिलए
मारना चाहते ह ोंिक म ांसीसी ँ । ा मेरे िलए यही सज़ा काफ़ी नहीं है िक म इं ड के बजाय ांस म
पैदा आ ँ ? " भीड़ ने उनके श ों पर तािलयाँ बजाई और उ सुरि त उनके घर तक प ं चाया । द
िलिटल ाउन बुक ऑफ़ एने ोट् स, 1985, संपावक न े िडमेन
िनयम 23: अपनी श यों को कि त कर
िवचार
अपनी श यों और ऊजा को सबसे मजबूत िबंदु पर कि त कर। ब त सी खानों
को थोड़ा-थोड़ा खोदने की कोिशश करने के बजाय एक ही समृ द खान को गहराई
तक खोदने से ादा फायदा होता है । के त यासों की जीत होती है और िनखरे
ए यासों की हार होती है । अपनी गित के िलए श के ोतों की तलाश करते
समय एक मु संर क खोज-ऐसी मोटी गाय, जो आपको लंबे समय तक दू ध दे ती
रहे ।
सबसे श शाली बनना ही सबसे अ ी रणनीित है । पहले तो सामा प से श शाली बन, िफर िनणायक
िबंदु पर ... अपनी श यों को कि त रखने से ादा अ ा और आसान रणनीितक िनयम दू सरा नहीं है . :
सं ेप म, पहला िस ांत यह है पूरी एका ता से काम कर । ऑन वार, काल वॉन ॉजेिवट् ज़
1780-1831
अपनी श यों की बबादी करने के बारे म सावधान रह। अपनी श यों को हमेशा एका करने की कोिशश
कर। जीिनयस जब दू सरों को कु छ करते दे खता है , तो यह सोचने लगता है िक वह हर काम कर सकता
है , लेिकन ब त से काम करने पर ब त सी ग़लितयाँ भी होंगी, िजस पर उसे प ाताप होना तय है ।
जोहानन गेटे, 1749-1832

श की कंु जी
दु िनया िवभािजत है । यह िवभाजन महामारी की तरह फैला है -दे शों म, राजनीितक
समूहों म, प रवारों म, यहाँ तक िक यों म भी। हम सब पूरी तरह से िवभािजत
अव था म ह और अपने म को िकसी एक िदशा म थर नहीं रख पाते ह,
ोंिक हमारा ान हज़ारों िदशाओं म भटकता रहता है । आधुिनक दु िनया के संघष
का र पहले से ब त ऊँचा है और हमने इसे अपने जीवन म उतार िलया है ।
समाधान है खुद के भीतर वापस लौटना, अतीत म िवचार और काय के अिधक
एका पों की तरफ़ वापस लौटना। नेपोिलयन जानता था िक अपनी श यों को
दु न के सबसे कमज़ोर िह े पर कि त करना िकतना मह पूण है -यही यु के
मैदान म उसकी सफलता का रह था। उसकी इ ाश और उसका म
दोनों ही इस अवधारणा के अनु प ढले ए थे : एक उ े के ित पूरी तरह
समिपत मानिसकता, एक ही ल पर पूरी एका ता िवचिलत मनोदशा वाले और
कम एका लोगों के िख़लाफ़ इन गुणों का योग उसी तरह का भाव डालता, िजस
तरह कोई तीर हर बार अपने िनशाने पर प ँ चता है और दु न घबरा जाता है ।
कैसेनोवा ने जीवन म अपनी सफलता का राज़ यह बताया था िक उनम एक ल
पर कि त रहने की यो ता थी। वे एका ता अपने ल का तब तक पीछा करते थे,
जब तक वे उसे हािसल न कर ल। िजन मिहलाओं को वे पाना चाहते थे, वे पूरी तरह
से उनके पीछे पड़ जाते थे। इसी वजह से वे इतने मनमोहक लगते थे और सफल
होते थे। जब कोई मिहला कुछ ह े या महीने तक उनके भाव े म रहती थी, तो
वे िकसी दू सरी चीज़ के बारे म सोचते तक नहीं थे। जब उ वेिनस की एक जेल म
बंद कर िदया गया, जहाँ से कोई कैदी पहले कभी नहीं भागा था, तो उ ोंने हर िदन
अपने म को वहां से भागने के ल पर कि त िकया। उ ोंने महीनों तक
सुरंग खोदी, लेिकन तभी उनकी कालकोठरी बदल दी गई। उनकी सारी मेहनत
बेकार चली गई, लेिकन इससे वे हताश नहीं ए। वे लगन से अपने ल की िदशा म
मेहनत करते रहे और अंततः भागने म कामयाब हो ही गए। उ ोंने बाद म िलखा है ,
" मेरा हमेशा यह िव ास रहा है िक जब कोई इं सान अपने िदमाग म कोई चीज़ ठान
लेता है और उसकी योजना पर अमल करने म पूरी तरह से जुट जाता है , तो वह
अव सफल होता है , चाहे राह म िकतनी ही बाधाएँ ों न हों। वह इं सान चाहे तो
महामं ी या पोप भी बन सकता है ।
श की दु िनया म आपको लगातार अपने से ादा श शाली लोगों की मदद
की ज़ रत होगी। मूख आदमी एक से दू सरे की तरफ भटकता रहता है और
यह मानता है िक वह ादा लोगों से संपक करके सफल हो जाएगा। बहरहाल
अगर आप श के िकसी एक अ े ोत से जुड़ जाएँ , तो एका ता के िनयम से
ब त सी ऊजा बचती है और ादा श भी हािसल होती है । वै ािनक िनकोलाई
टे सला इसी कारण बबाद हो गए, ोंिक उ ोंने िकसी एक संर क की सेवा न
करके अपनी तं ता बनाए रखी। जब जे.पी. मॉगन ने उनके सामने एक ब त
बिढ़या ाव रखा, तो उ ोंने उसे ठु करा िदया। अंततः टे सला की “ तं ता " का
प रणाम यह आ िक वे िकसी एक संर क पर िनभर नहीं रह सकते थे, ब उ
हमेशा दजन भर संर क खोजने पड़ते थे। अपनी िजंदगी के आ खरी दौर म उ
अपनी ग़लती का एहसास आ। एक संर क आपकी वफ़ादारी की सराहना करता
है और आपकी सेवाओं पर िनभर हो जाता है । आगे चलकर मािलक सेवक की सेवा
करने लगता है ।
अंितम िव ेषण म, श हमेशा एका ता म िनिहत होती है । हर संगठन म एक
छोटा समूह ही श का संचालन करता है और अ र वे ऐसे लोग होते ह, िजनके
पास पदनाम नहीं होते ह। आपको यह पता लगाना चािहए िक बागडोर िकसके हाथ
म है , पद के पीछे असली िनदशक कौन है । रचिलऊ स हवीं सदी की शु आत म
ां स के राजनीितक प र म तर ी करना चाहते थे। उ यह पता चला िक
मह पूण िनणय स ाट लुई तेरहव नहीं, ब उनकी माँ लेती थीं। इसिलए वे लुई
तेरहव की माँ के साथ जुड़ गए और दरबा रयों की जमात को भेदते ए सबसे ऊपर
प ं च गए। एक जगह की खुदाई म ही पया तेल िनकल आएगा-इससे आप िजंदगी
भर दौलतमंद और श शाली बन जाएं गे।
त ीर : तीर। आप एक तीर से दो िनशाने नहीं लगा सकते। अगर आपके िवचार भटकते रहगे, तो आपका
िनशाना दु न के दय पर नहीं लगेगा। म और तीर को एक बन जाना चािहए। मानिसक और शारी रक
श की एका ता से ही आपका तीर िनशाने पर लगेगा और श ु के दय के पार िनकल जाएगा।
िवशेष की राय : एका ता को िबखराव से ादा ब मू मान। पूणता सं ा म नहीं, ब गुणव ा
म होती है । ब त से काम करने म लगने वाला कभी औसत से ादा ऊपर नहीं उठ पाता है । ब त
ादा िचयों वाले लोगों का दु भा यह होता है िक वे हर मामले म हाथ तो डालते ह, लेिकन उनकी पकड़
िकसी पर नहीं होती है । एका ता से ऊँ चा थान िमलता है और इससे इं सान ब त ऊँ चाई पर प ँ च जाता है । (
बा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
दरबार को जानने वाला अपने हाव-भाव, आँ खों और चेहरे का ामी होता है । वह गंभीर और अबूझ होता
है । वह बुरी थितयों म नाटक करता है , अपने दु नों से मु राकर बात करता है , अपनी िचढ़ को िनयंि त
करता है , अपनी भावनाओं को िछपाता है , अपने मन की बात उजागर नहीं करता है और अपनी भावनाओं के
िव बोलता तथा काम करता है । ाँ डे ला ूअर, 1645-1696
िनयम 24: आदश दरबारी की भूिमका
िनभाएँ
िवचार
आदश दरबारी एक ऐसे संसार म गित करता है , जहाँ हर चीज़ श और
राजनीितक कौशल के इद-िगद घूमती है । उसने परो ता की कला म महारत
हािसल कर ली है । वह चापलूसी करता है , े लोगों के सामने झुकता है और
बािकयों पर अपनी श का योग ब त ही अ और शालीन अंदाज़ म करता
है । दरबारी बनने के िनयम सीख और उनका इ ेमाल कर। इसके बाद आप
दरबार म िकतनी ऊँचाई तक प ँ चगे, इसकी कोई सीमा नहीं है ।
दरबार की राजनीित के िनयम दशन से बच। इसम समझदारी नहीं है िक आप
अपने बारे म डींग हॉकते रहे या अपने कामों का बखान करते रह। आप अपने कामों
के बारे म िजतना ादा बोलते ह, लोग आपके उ े के बारे म उतना ही ादा
शक करते ह। इससे आपके साथी भी आपसे जलने लगते ह। इस कारण वे पीठ
पीछे आपकी आलोचना करते ह और आपको नीचे िगराने की कोिशश करते ह।
उदासीनता का अ ास कर। कभी भी ादा मेहनत करते न िदख। ऐसा लगना
चािहए िक आपकी ितभा सहजता से वािहत हो रही है । ऐसा लगना चािहए िक
आप उस काम को बड़ी आसानी से कर दे ते ह। मेहनती के बजाय
ितभाशाली की छिव बनाएँ । लोगों को इस बात पर है रानी नहीं होनी चािहए
िक इस काम म इतनी मेहनत ों करनी पड़ी, ब इस बात पर है रानी होनी
चािहए िक आपने इतना बड़ा काम िकतनी आसानी से कर िदया।
चापलूसी म कंजूसी कर। ऐसा लग सकता है िक आपके ऊपर बैठे लोग चापलूसी
के भूखे ह और उनकी भूख कभी ख़ नहीं होती है , लेिकन िकसी भी चीज़ के
ादा होने पर उसका मू कम हो जाता है । अ चापलूसी करना सीख-
उदाहरण के िलए, अपने योगदान को कम मह द, तािक आपके बॉस की छिव
ादा अ ी िदखे।
लोगों की नजरों म रहने की कोिशश कर । यह एक िवरोधाभास है । आप
दु ाहसी तरीके से ऐसा नहीं कर सकते ह, लेिकन आपको सबकी नज़रों म भी
रहना है । अगर शासक दरबा रयों के झुंड म आपको नहीं पहचान पाता है , तो
आपकी तर ी की कोई संभावना नहीं है । इस काम म ब त कला की ज रत
होती है । शु आत म अ र इसका मतलब यह होता है िक आपका शरीर शासक
की नजरों के सामने रहे । अपने शारी रक िलये की तरफ़ ान द और इसके बाद
एक िविश शैली और छिव बनाने का तरीका खोज।
सामने वाले के िहसाब से अपनी शैली और भाषा बदल। समानता म छ िव ास
एक भयंकर गलती है । यह सोचना गलत है िक हर के साथ एक ही तरह से
बात और वहार करना चािहए, चाहे उसका पद कोई भी हो। यह सोचना तो और
भी ग़लत है िक ऐसा करके आप स ता के िनयमों का पालन कर रहे ह। आपके
नीचे के लोग यह मानगे िक ऐसा करते समय आप अपने र से नीचे उतर रहे ह
और उनका यह सोचना सही है । यही नहीं, आपके ऊपर के लोगों को यह बात बुरी
लगेगी, हालाँ िक हो सकता है वे ऐसा न मान। आपको हर के िहसाब से
बोलना सीखना चािहए और अपनी शैली बदलने का अ ास करना चािहए। यह झूठ
बोलना नहीं है , यह तो अिभनय है और अिभनय ई र ारा द गुण नहीं है ; यह तो
एक ऐसी कला है , िजसे हम इसी दु िनया म सीखते ह।
बुरी खबर न सुनाएँ । राजा पुरी खबर लाने वाले संदेशवाहक को मरवा दे ता है । यह
कहावत पुरानी है , लेिकन इसम स ाई है । आपको यह सुिनि त कर लेना चािहए
िक बुरी ख़बर आप नहीं, ब आपका कोई सहकम सुनाए। यह सुिनि त करने
के िलए आपको संघष करना चािहए और अगर ज रत पड़े , तो झूठ बोलना या
धोखा भी दे ना चािहए।
कभी अपने बॉस के साथ दो ी और अंतरं गता न िदखाएँ | बॉस अधीन थ को
िम नहीं बनाना चाहता है , वह तो अधीन थ को उसकी जगह पर रखना चाहता है ।
अंतरं ग या दो ाना तरीके से उससे पेश न आएँ । ऐसा न जताएँ िक आप उसके
दो बन गए ह उसे करने द।
अपने से ऊपर बैठे लोगों की बुराई न कर। यह बात है , लेिकन कई
बार ऐसे मौके आते ह, जब िकसी तरह की आलोचना ज़ री होती है । उस दौरान
चुप रहने या कोई सलाह न दे ने के दू सरी तरह के जो खम उ होते ह। बहरहाल
आपको अपनी सलाह या आलोचना अ तरीके से और यथासंभव िवन ता से
दे ना चािहए।
अपने से ऊपर बैठे लोगों से एहसान मांगने म िकफायत बरत। मािलक को
सबसे ादा बुरा इस बात से लगता है िक वह िकसी के आ ह को अ ीकार कर
दे । इससे अपराधबोध और े ष उ होता है । कम एहसान मां ग और कब कना
है , यह जान ल। सबसे मह पूण बात : िकसी दू सरे के िलए एहसान न माँ गे,
कम से कम िकसी िम के िलए तो हिगज़ न माँ गे।
कभी भी िलये या िच के बारे म मजाक न कर। चुलबुला वाकचातुय और
हा पूण भाव अ े दरबारी के अिनवाय गुण ह, और ऐसे समय आते ह, जब
हँ सी-मज़ाक़ अ ा तथा मनोरं जक होता है । लेिकन िलये या िच के बारे म िकसी
भी तरह के मज़ाक़ से बच, ोंिक ये दोनों े ब त ही संवेदनशील ह, ख़ास तौर
पर आपसे ऊपर बैठे लोगों के िलए।
दरबार के आलोचक न बन। दू सरों के अ े काम की तारीफ़ कर। अगर आप
लगातार अपने समक ों या अधीन थों की बुराई करते रहगे, तो उस आलोचना का
कुछ िह ा आपसे भी िचपका रह जाएगा और आप जहाँ भी जाएँ गे, वह आपके
ऊपर एक भूरे बादल की तरह मँडराता रहे गा। लोग आपकी हर नई आलोचना क
िट णी पर कसमसाने लगगे और िचढ़ जाएँ गे। दू सरों की उपल यों की छु टपुट
शंसा करके आप िवरोधाभासी प से अपनी उपल यों की तारीफ़ ान
आकिषत करते ह।
खुद को दे खते रह। दपण एक चम ारी आिव ार है । यह न हो, तो आपसे सौंदय
और सजावट के िख़लाफ़ कई बड़े अपराध हो सकते ह। आपको अपने कामों के
िलए भी एक दपण की ज रत होती है । कई बार तो इसका मतलब दू सरों से अपने
बारे म राय लेना है , लेिकन यह सबसे िव सनीय तरीका नहीं है । आपको अपना
दपण खुद होना चािहए और अपने म को खुद को उसी तरह दे खने का
िश ण दे ना चािहए, िजस तरह दू सरे लोग दे खते ह। ा आप ब त ादा
चाटु का रता से काम कर रहे ह? ा आप खुद काम करने की ब त ादा कोिशश
कर रहे ह? अगर आप खुद को दे खते रहगे, तो आप गलितयों के पहाड़ से बच
जाएं गे।
अपनी भावनाओं के ामी बन। िकसी महान अिभनेता की तरह आपको मौके के
िहसाब से सही समय पर रोना और हं सना सीखना चािहए। आपको अपने गु े और
कुंठा को िछपाना तो आना ही चािहए, अपनी संतुि और सहमित को िछपाना भी
आना चािहए। आपको अपने चेहरे के भावों का ामी होना चािहए।
समय के साथ चल। अतीत की ह ी सी झलक लोगों को आकिषत कर सकती है ,
बशत आप कम से कम बीस साल पहले का समय चुन। दस साल पहले के फैशन के
कपड़े पहनना हा ा द हो सकता है , जब तक िक आप दरबार के मसखरे न
बनना चाह। आपकी मनोदशा और िचंतन समय के साथ चलना चािहए, भले ही
समय आपकी संवेदनाओं के अनु प न हो। बहरहाल अगर आप ब त ादा आगे
की सोचगे, तो कोई भी आपको नहीं समझ पाएगा।
आनंद का ोत बन। यह बेहद मह पूण है । मानवीय भाव का यह िनयम
है िक हम अि य और बुरी चीज़ों से दू र भागते ह, जबिक आकषण और आनंद की
तरफ़ उसी तरह खंचे चले आते ह, िजस तरह पतंगे दीये की लौ की तरफ़ खंचे चले
आते ह। इसकी भी अलग-अलग सीमा होती है । हर ि य नहीं बन सकता है ,
ोंिक सबको आकषण और हािजरजवाबी का वरदान नहीं िमलता है । लेिकन हम
सब अपने अि य गुणों को िनयंि त कर सकते ह और ज रत पड़ने पर उ िछपा
भी सकते ह।
िवन होने मे समझदारी है । इसी तरह अस ता मूखता है । अनाव क अस ता से दु न बनाना उतना ही
बड़ा पागलपन है , िजतना िक अपने घर म आग लगाना। िवन ता एक झूठा िस ा है , िजसम कं जूसी बरतना
मूखता है । समझदार आदमी इसका योग उदारता से करता है मोम कृ ित से कठोर और भंगुर होता है , लेिकन
थोड़ी गम से उसे नरम बनाकर मनचाहा आकार िदया जा सकता है । इसी तरह िवन और दो ाना बनकर
आप लोगों को अपने साँचे म ढाल सकते ह और उनसे काम िनकलवा सकते ह, भले ही वे भाव से दु और
दु भावना रखने वाले हों। िवन ता इं सान के भाव पर वही असर डालती है , जो गम मोम पर डालती है ।
आथर शोपेनहार, 1788-1860
िनयम 25: खुद को नए साँचे म ढाल
िवचार
समाज ारा लादी गई भूिमकाओं को ीकार न कर। एक नई पहचान बनाकर खुद
को नए साँ चे म ढाल। अपनी एक ऐसी पहचान बनाएँ , िजसकी तरफ़ लोगों का ान
जाए और वे आपसे कभी न उब। दू सरों की बनाई छिव के िहसाब से जीने से बेहतर
यह है िक आप अपनी छिव खुद बनाएँ । अपने सावजिनक काय और मु ाओं म
नाटकीय तरीकों का योग कर इससे आपकी श बढ़े गी और आपका क़द
िजंदगी से बड़ा नज़र आएगा।
जो िव की इस ाचीन राजधानी रोम म अपनी िक त चमकाने का इरादा रखता है , उसे िगरिगट जैसा
होना चािहए। उसे अपने आस-पास के माहौल के िहसाब से रं ग बदलना आना चािहए। उसे हर प, हर आकार
म ढलना आना चािहए। उसे फुत ला, लचीला, चालाक और अबूझ होना चािहए। उसे अ र दोगला होना
चािहए, कई बार संजीदा, तो कई बार िव ासघाती होना चािहए, लेिकन उसे हमेशा अपने ान का एक िह ा
िछपाना चािहए, एक ही सुर म बोलना चािहए, धैय रखना चािहए, अपने चेहरे का पूरा ामी होना चािहए। जब
सामने वाला आगबबूला हो जाए, तब भी उसे बफ की तरह ठं डा होना चािहए, और अगर वह िदल से
धािमक न भी हो ( ऊपर िदए गए गुणों वाले का धािमक होना ज री नहीं है ), तब भी उसके चेहरे पर,
उसके होंठों पर और उसके हाव-भाव म धम का दशन होना चािहए। उसे चुपचाप क उठाना चािहए। उसे
अ ी तरह मालूम होता है िक दरअसल वह पाखंडी है । िजस की आ ा 1311 इस तरह की िजंदगी से
नफरत करती है , उसे रोम छोड़कर चला जाना चािहए और िकसी दू सरी जगह पर अपनी िक त चमकाने की
कोिशश करनी चािहए। म यह नहीं जानता ँ िक म अपनी तारीफ़ कर रहा ँ या बहाना बना रहा ँ , लेिकन
ऊपर िदए गए सारे गुणों मुझम िसफ एक गुण है और वह है लचीलापन। कैसेनोवा मेमोयस,
िगयाकोमो कैसेनोवा, 1725-1798

श की कंु जी
िजस च र के साथ आप पैदा होते ह, ज री नहीं है िक वह िजंदगी भर बरकरार
रहे । जो गुण आपको आनुवंिशक प से िमले ह, उनके अलावा माता-िपता, िम
और सहकम आपके को आकार दे ने म मदद करते ह। श शाली
का सबसे मु ल काम इस ि या की बागडोर थामना है और इस बात से
बचना है िक दू सरे लोग अपने मनचाहे साँ चे म ढाल। अपने च र को श शाली
बनाएँ । खुद पर उसी तरह काम कर, िजस तरह कु ार गीली िम ी पर करता है ।
यह िजंदगी का सबसे महान और आनंददायक काम होना चािहए। इससे आप
दरअसल एक कलाकार बन जाते ह एक ऐसा कलाकार, जो खुद का िनमाण करता
है ।
यं के िनमाण की ि या का पहला कदम है आ – चेतना, यह जानना िक आप
एक अिभनेता ह और आपको अपने िलये तथा भावनाओं का िनयं ण अपने हाथ म
रखना है । जैसा िददरो ने कहा है , बुरा अिभनेता वो है , जो हमेशा संजीदा होता है ।
समाज म जो लोग अपने िदल को आ ीन पर लेकर चलते ह, वे ऊब और परे शानी
का कारण होते ह। उनकी स ाई भले ही सबके सामने हो, लेिकन उ गंभीरता से
लेना मु ल होता है । जो लोग जनता म रोते रहते ह, उ कुछ समय के िलए तो
सहानुभूित िमल सकती है , लेिकन ज ी ही यह सहानुभूित िचढ़ और आलोचना म
बदल जाती है ।
अ े अिभनेता खुद को ादा अ ी तरह से िनयंि त करते ह। वे स ी भावनाओं
का अिभनय कर सकते ह, इ ानुसार आँ सू बहाने और सहानुभूितपूण िदखने का
नाटक कर सकते ह, हालाँ िक िदल म कोई भावना ही नहीं होती है । वे अपने भाव
इस तरीके से कट करते ह, तािक दू सरे भािवत हों। अिभनय न करना असली
दु िनया म घातक होता है । अगर कोई शासक या नेता अपनी स ी भावनाएँ बता दे ,
तो वह ादा समय तक शासन नहीं कर सकता। इसिलए खुद पर काबू करना
सीख। अिभनेता की तरह लचीले बन, जो अपने चेहरे पर मनचाहा भाव ला सकता
है ।
खुद को नए साँ चे म ढालने की ि या का दू सरा कदम है एक यादगार च र का
िनमाण-एक ऐसा च र जो ान आकिषत करे , जो मंच पर खड़े बाक़ी अिभनेताओं
से अलग और ऊपर िदखे। अ ाहम िलंकन ने यही खेल खेला था। दे हात से आए
िलंकन जानते थे िक अमे रका उनकी तरह के रा पित को चुनकर खुश होगा।
हालाँ िक कई गुण उनम पहले से थे, लेिकन उ ोंने इनका अिभनय करके इ
उभारा भी था-है ट, कपड़े और दाढ़ी ( उनसे पहले िकसी रा पित की दाढ़ी नहीं थी।
) बहरहाल अ े नाटक म रोचक िदखने या एक पल के अिभनय से ादा की
ज़ रत होती है । यह नाटक लंबे समय तक चलता है , यह एक सतत चलने वाली
ि या है । लय और टाइिमंग अ ंत मह पूण है । नाटक की लय का एक ब त
मह पूण त है स स। दशकों को अपनी सीट के कोने पर रखने की कुंजी यह है
िक घटनाओं को धीमे-धीमे होने द और िफर सही समय पर उनकी गित बढ़ा द।
आप अपनी इ ा के अनुसार गित घटा-बढ़ा सकते ह, ोंिक िनयं ण आपके हाथ
म होता है । नेपोिलयन से लेकर माओ े-तुंग तक सभी िद ज शासकों ने नाटक
की टाइिमंग का योग करके जनता को है रान िकया है और उसका ान भटकाया
है ।
याद रख, ओवरए ं ग का उलटा असर होता है -इससे ान तो आकिषत होता है ,
लेिकन मह नहीं िमलता है । अिभनेता रचड बटन ने अपने कै रयर म ज ी ही
यह जान िलया िक जब वे मंच पर पूरी तरह थर खड़े रहते थे, तो वे बाक़ी
अिभनेताओं से हटकर िदखते थे और दशकों का ान आकिषत करते थे। आप ा
करते ह यह उतना मह पूण नहीं है , मह पूण तो यह है िक आप उसे कैसे करते
ह। आपकी शालीनता और सामािजक मंच पर आपकी भावशाली थरता ादा
मह पूण है , जबिक ज़ रत से ादा डायलॉग बोलना या घूमना-िफरना कम
मह पूण है ।
अंत म : समय की मां ग के अनुसार भूिमका िनभाना सीख। अपने नकाब को थित
के अनुसार ढाल-जो चेहरा आप ओढ़, उसे हर पल बदलने का अ ास कर।
िब ाक ने इस खेल को आदश तरीके से खेला था। उदारवािदयों के साथ वे
उदारवादी बन जाते थे और धोखेबाज़ों के साथ धोखेबाज़। वे पकड़ म नहीं आते थे,
और िजसे पकड़ा नहीं जा सकता, उसे चबाया भी नहीं जा सकता।
त ीर : ीक समु ी दे वता ोिटयस। उसकी श यह थी िक वह अपनी इ ानुसार अपना आकार बदल
सकता था। वह थित के अनुसार आकार बदल लेता था। जब एगामेमनॉन के भाई मेनीलॉस ने उसे पकड़ने की
कोिशश की, तो ोिटयस ने पहले शेर, िफर साँप, िफर चीते, िफर जंगली सुअर, िफर बहते पानी और अंततः
प ेदार वृ का प धारण कर िलया।
िवशेष की राय : यह जान िक सब लोगों के सामने िविभ साँचों म कै से ढला जाता है। समझदार
ोिटयस बन-िव ानों के बीच म िव ान बन, संतों के बीच म संत। यह सबका िदल जीतने की कला है । समान
लोग समान लोगों को आकिषत करते ह। भावों पर ान द और िजससे भी िमल, उसके अनु प ढल जाएँ -
गंभीर या मज़ािकया यों की बातों का उ ीं के अंदाज़ म जवाब द-अपने मूड को समझदारी से बदल ल। (
बा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 26: अपने हाथ साफ़ रख
िवचार
आपको कायकुशलता और िश ता की मूित िदखना चािहए। आपके हाथ कभी
गलितयों और बुरे कामों से सने नहीं िदखने चािहए। अपने हाथ साफ़ रखने के िलए
दू सरों का ादों की तरह इ ेमाल कर और खुद को बेदाग रख।
सुखद काम खुद कर, दु खद काम दू सरे लोगों से करवाएँ । पहला क़दम उठाने के कारण लोग आपका एहसान
मानगे। दू सरा क़दम उठाने के कारण आप दु भावना से बचगे। मह पूण मामलों म अ र पुर ारों और दं डों
की ज रत होती है । खुद िसफ पुर ार द और सजा दू सरों के हाथ से िदलवाएँ । बा ेसर ेिशयन,
1601-1658
श की कंु जी
कभी-कभार ग़लितयाँ होना अप रहाय है दु िनया के बारे म सटीक भिव वाणी नहीं
की जा सकती। बहरहाल श के खलाड़ी अपनी गलितयों की वजह से बबाद नहीं
होते ह, ब उन गलितयों का ग़लत तरीके से सामना करने की वजह से बबाद
होते ह। ऑपरे शन करने वाले डॉ रों की तरह उ भी ूमर को तेजी से और पूरी
तरह से बाहर िनकाल दे ना चािहए। इस नाजुक ऑपरे शन के िलए बहाने और माफ़ी
ब त भोथरे औज़ार ह, इसिलए श शाली लोग उनसे बचते ह। माफ़ी माँ गने से
लोग आपकी यो ता या इरादों के बारे म शक करने लगते ह और यह सोचने लगते
ह िक आपम और भी किमयाँ होंगी, िजनका आपने िज़ नहीं िकया है । बहाने से
कोई संतु नहीं होता है और माफ़ी माँ गने से हर असहज हो जाता है । माफ़ी
से गलती ख़ नहीं होती है ; यह तो गहरी होती है और फैलती है । ग़लती होने पर
त ाल खुद पर से ान हटा द। उसका दोष िकसी सुिवधाजनक बिल के बकरे पर
डाल द। यह इतनी ज ी होना चािहए िक लोगों को आपकी िज़ ेदारी या अयो ता
के बारे म सोचने का मौक़ा ही न िमले।
समझदारी इसी म है िक बिल के बकरे के िलए आप यथासंभव सबसे बेकसूर
िशकार को चुन। इस तरह के लोग इतने श शाली नहीं होंगे िक आपसे संघष
कर। उनके मासूम ीकरणों को दे खकर लोगों को लगेगा िक वे कुछ ादा ही
ीकरण दे रहे ह। इस तरह से उनके ीकरण उनके अपराधबोध की िनशानी
बन जाते ह। बहरहाल सावधान रह और िकसी को शहीद का दजा न िदलवाएं । यह
मह पूण है िक आपको परे शान नज़र आना चािहए। आप उस कुशल लीडर की
तरह िदख, जो अपने आस-पास के लोगों की अयो ता का िशकार आ है । अगर
बिल का बकरा ब त कमज़ोर नज़र आता है और आपका दं ड ब त ादा ू र
िदखता है , तो आपका दाँ व उलटा पड़ सकता है । इसिलए कई बार आपको थोड़ा
श शाली बिल का बकरा खोजना चािहए, तािक उसे आगे चलकर कम सहानुभूित
िमले। इितहास म ब त से उदाहरण है िक करीबी सहयोगी को बिल का बकरा
बनाना िकतना मह पूण होता है । इसे " ि य के पतन " के प म जाना
जाता है ।
लीडर के प म आपको कभी अपने हाथ भ े कामों या खून से गंदे नहीं करना
चािहए। आपको बुरी रोशनी म नहीं िदखना चािहए। ऐसा नहीं लगना चािहए िक
आप अपने उ पद को कलंिकत कर रहे ह। लेिकन अपनी श को बनाए रखने
के िलए आपको दु नों को कुचलना पड़े गा और कई गंदे काम करने पड़गे।
आपको ऐसे मोहरों की ज रत है , जो आपके िलए वे गंदे और ख़तरनाक काम कर
द। बिल के बकरों की तरह मोहरे भी आपकी छिव को बेदाग बनाए रखने म मदद
करगे।
मोहरा आम तौर पर ऐसा होना चािहए, जो आपके करीबी समूह के बाहर का
हो। उसे यह समझ म ही नहीं आना चािहए िक उसका इ ेमाल हो रहा है । आपको
ऐसे भोले लोग हर जगह िमल जाएँ गे, जो आपका काम खुशी-खुशी करगे, ख़ास तौर
पर तब जब आप उ बदले म इनाम द। उ लगता है िक वे मासूम और उिचत
काम कर रहे ह, जबिक दरअसल वे आपके िलए मैदान साफ़ कर रहे ह, आपकी दी
गई जानकारी को फैला रहे ह और आपके ित ं ि यों को नुकसान प ं चा रहे ह।
इस तरह वे अनजाने म ही आपके उ े की पूित म अपने हाथ गंदे कर रहे ह,
जबिक आपके हाथ िबलकुल साफ़ ह।
मोहरे का इ ेमाल करने का सबसे आसान और भावकारी तरीक़ा यह है िक उसे
ऐसी जानकारी दे दी जाए, िजसे वह आपके चुने ए आदमी के सामने फैलाए। झूठी
या ग़लत जानकारी एक सश औज़ार है , ख़ासकर तब जब कोई ऐसा आदमी इसे
फैलाता है , िजस पर कोई शक नहीं करता है । इसकी वजह से आपके िलए
मासूिमयत का ढोंग करना ब त आसान हो जाता है और कोई भी यह शक नहीं
करता है िक वह जानकारी आपने ही वहाँ तक प ँ चाई है ।
ज ाद की भूिमका िनभाने या बुरी ख़बर सुनाने के िलए हमेशा िकसी दू सरे का
इ ेमाल करना चािहए, जबिक आपको िसफ खुशी और आनंद की ख़बर ही सुनानी
चािहए।
त ीर : बेगुनाह बकरी। ायि त के िदन मुख पुजारी बकरी को मंिदर म लाता है और उसके िसर
पर हाथ रखकर लोगों के पाप ीकार करता है । िफर वह उन लोगों के गुनाहों को उस बेगुनाह जानवर पर लाद
दे ता है और उसे ले जाकर जंगल म छोड़ दे ता है । लोगों के पाप और दोष उस बकरी के साथ ही चले जाते ह।
िवशेष की राय : मूखता करने म मूखता नहीं है, ब उसे न िछपा पाने म है। ग़लितयाँ सब करते ह,
लेिकन समझदार लोग अपनी ग़लितयों को िछपा लेते ह। ित ा इस बात पर इतनी िनभर नहीं करती िक ा
िदखता है , िजतनी िक इस बात पर िनभर करती है िक ा िछपाया गया है । अगर आपसे गलती हो गई हो, तो
सावधान रह। ( बा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 27: अनुयायी बनाने के िलए लोगों
के िव ास का लाभ उठाएँ
िवचार
लोगों की बल इ ा होती है िक िकसी चीज़ म िव ास कर। उ अनुसरण करने
के िलए कोई नया उ े या नई आ था दे कर इस इ ा का लाभ उठाएँ । अपने
श ों को अ लेिकन सुनहरी संभावनाओं से भरपूर रख। तक और िचंतन
के बजाय उ ाह पर जोर द। अपने नए अनुयािययों को कमकां ड की कुछ परं पराएँ
द। उ अपने िलए ाग करने को कह। संगिठत धम और महान उ े ों के अभाव
म आपका नया आ था तं आपको असीिमत श दान करे गा।
िकसी नए धम का सं थापक बनने के िलए इं सान को आम लोगों के मनोिव ान का अ ा ान होना चािहए, जो
अब तक इस बात को नहीं पहचान पाए ह िक वे एक साथ जुड़ सकते ह। े ड रक नी शे, 1844-
1900

पाँच आसान क़दमों से पंथ की शु आत कर


ूनतम कोिशश से सवािधक श हािसल करने के तरीकों की खोज करते समय
आप पाएँ गे िक पंथ बनाना ऐसा करने का ब त ही अ ा तरीका है । ब त ादा
समथक होने धोखा दे ने की संभावनाएँ ब त बढ़ जाती ह। आपके समथक न िसफ
आपकी पूजा करगे, ब वे आपके दु नों से आपकी र ा भी करगे और दू सरों
को आपके समूह म शािमल होने के िलए लोभन भी दगे। इस तरह की श
आपको एक अलग ही ऊँचाई तक उठा दे ती है । अब आपको अपनी इ ा पूरी
करवाने के िलए संघष करने या छल-कपट करने की ज़ रत नहीं होती है । आपकी
पूजा होती है और आप कोई ग़लत काम नहीं कर सकते ह।
आपको ऐसा लग सकता है िक इस तरह का समथन हािसल करना ब त बड़ा या
मु ल काम है , लेिकन दरअसल यह ब त आसान है । लोग हमेशा िकसी न िकसी
पर भरोसा करने की हड़बड़ी म रहते ह, इसिलए अनाव क प से संत और पंथ
का िनमाण करते ह। इस िव ास करने की आदत का लाभ उठाएँ : खुद को पूजनीय
बना ल।
इन पाँच आसान क़दम ारा अपना पंथ बनाएँ । पहला कदम : इसे अ
लेिकन आसान रख। पंथ बनाने के िलए सबसे पहले आपको लोगों का ान खींचना
होगा। आपको यह अपने कामों के मा म से नहीं करना चािहए, जो ब त होते
ह और आसानी से समझने जा सकते ह। आपको तो यह काम श ों के मा म से
करना चािहए, जो अ और धोखेबाज़ होते ह। आपके शु आती भाषण, बातचीत
और सा ा ारों म दो त शािमल होने चािहए। एक तरफ़ तो िकसी महान व
कायापलट करने वाली चीज़ का वादा और दू सरी तरफ़ थोड़ी सी अ ता। दोनों के
संयोग से आपके ोताओं के मन म हर तरह के धुंधले सपने तैर जाएँ गे। वे आपकी
बातों को मनचाहे ढं ग से समझगे और अपनी मनचाही चीज़ दे खगे।
अपने पंथ के िवषय को नया बनाने की कोिशश कर, तािक ब त कम लोग इसे
समझ पाएँ । सही तरह से करने पर अ वादों, धुंधली लेिकन आकषक
अवधारणाओं और बल उ ाह का संयोग ब त श शाली होता है । सही तरह से
इसका इ ेमाल करने पर आप लोगों के िदलों की जीत लगे और आपके चारों तरफ़
एक पंथ खड़ा हो जाएगा।
दू सरा कदम : िदखने वाली चीज़ों को बौ क बातों से ादा मह द । जब
लोग आपके आस-पास एकि त होने लग, तो दो खतरे सामने आएँ गे : बो रयत और
संदेह। बो रयत की वजह से लोग दू सरी जगह चले जाएं गे। संदेह की वजह से वे इस
बारे म तािकक ढं ग से सोचने लगगे िक आप ा दे रहे ह। आपने िजस धुंध को
कलाकारी से बनाया है , वे उसे हटाने की कोिशश करगे और आपके िवचारों के
मा म से आपकी असिलयत को जान लगे। आपको इस बात की ज रत है िक
आप बोर हो चुके लोगों को रोचक अनुभव दान कर और शक करने वालों को दू र
रख।
ऐसा करने का सबसे अ ा तरीका नाटकीय भाव डालना है । खुद को िवलािसता
से घेरे रख। चकाचौंध से अपने समथकों को चौंिधया द। उनकी आँ खों के सामने
भ ता की त ीर पेश कर। इससे वे आपके िवचारों की मूखता पर ान नहीं दगे
और आपके िव ास-तं के िछ ों को नहीं दे ख पाएं गे। इसके अलावा, ऐसा करने से
आपकी तरफ़ ादा लोगों का ान आकिषत होगा और आपके ादा अनुयायी
बनगे।
तीसरा कदम : समूह को बनाने के िलए धम जैसा तं बनाएँ । आपके
अनुयािययों की सं ा बढ़ रही है । अब उ संगिठत करने का समय आ गया है ।
ऐसा तरीक़ा खोज, जो आपको ऊपर भी उठाए और तस ी भी दे । धम ने युगों-
युगों से लोगों को अनुयायी बनाया है और आज के धमिनरपे युग म भी वे ऐसा कर
रहे ह। अपने अनुयािययों के िलए कुछ िनयम बनाएँ , उ तं के प म संगिठत
कर, उ धािमक झलक वाले पदनाम द, उ ऐसे ाग करने को कह, िजनसे
आपकी ितजोरी भरे और आपकी श बढ़े ।
चौथा कदम : अपनी आय के ोत को िछपाएँ । आपका समूह बढ़ गया है और
आपने इसे चच जैसा प दे िदया है । अब आपके अनुयािययों के धन से आपकी
ितजोरी भरने लगी है । लेिकन ऐसा कभी नहीं लगना चािहए िक आप धन या इससे
िमलने वाली श के भूखे ह। इस समय आपको अपनी आय के ोत को िछपाना
चािहए।
आपके अनुयािययों को यह िव ास होना चािहए िक अगर वे आपका अनुसरण
करगे, तो उ हर तरह की अ ी चीज िमल जाएं गी। िवलािसता से खुद को घेरकर
आप अपने िव ास तं के पु ा होने का जीता-जागता सबूत बन जाते ह। यह कभी
उजागर न कर िक आपकी दौलत दरअसल आपके अनुयािययों की जेब से आती है ।
इसके बजाय ऐसा जताएँ , जैसे आपके िव ास तं की श के कारण आप
दौतलमंद बन रहे ह।
पाँचवाँ कदम : हम-बनाम-वे का तं थािपत कर। समूह अब बड़ा गया है और
समृ हो रहा है । यह िकसी चुंबक की तरह लोगों को आकिषत कर रहा है , लेिकन
अगर आप सावधान नहीं रहगे, तो अकम ता हावी हो जाएगी और समय तथा
बो रयत आपके समूह की चुंबकीयता को ख़ कर दे गी। अपने अनुयािययों को
एकजुट रखने के िलए आपको अब वह करना चािहए, जो सभी धम ने िकया है :
हम-बनाम-वे का तं थािपत कर।
सबसे पहले तो यह सुिनि त कर ल िक आपके अनुयािययों को यह िव ास हो िक वे
साझे ल ों के एक सू म बँधे ह और एक िविश समूह का िह ा ह। िफर इस
बंधन को मज़बूत बनाने के िलए एक चालाक दु न की ओर इशारा कर, जो
आपको बबाद करना चाहता है । अगर आपका कोई दु न न हो, तो दु न ईजाद
कर ल।
िनयम 28: बहादुरी के साथ काम करने
उतर
िवचार
अगर आपको िकसी काम म सफलता िमलने का यकीन नहीं है , तो उसे करने की
कोिशश न कर। आपकी शंका और िडबक इसकी सफलता म बाधा डालगी।
संकोच खतरनाक है । बेहतर यह है िक बहादु री से मैदान म उतरा जाए। साहिसक
ग़लितयों को ादा साहस िदखाकर सुधारा जा सकता है । हर बहादु र
की शंसा करता है । कोई भी कायर का स ान नहीं करता है ।
ेम म िवजय कैसे पाएँ लेिकन मने दे खा है। िक तु ारा िदल िजन पर आ जाता है, उनके ित तुम
संकोच करते हो। यह गुण अिभजा मिहला को तो भािवत कर सकता है , लेिकन दु िनयादार मिहला के िदल
पर तु दू सरे हिथयारों से हमला करना चािहए ... म तु मिहलाओं की ओर से एक बात बता, हमम से कोई भी
ऐसी नहीं है , जो ब त परवाह के बजाय थोड़ी-ब त अ ड़ता को ादा पसंद न करे । इं सान अपनी गलती से
िजतने ेम- संगों म असफल होता है , उनम सद् गुण उसे बचा नहीं पाते ह। ेमी हमारे ित िजतना ादा
संकोच िदखाता है , हमारा गव उसे उसी िदशा म ादा े रत करता है और वह हमारे ितरोध का िजतना
स ान िदखाता है , हम उससे उतना ही ादा स ान मांगती चली जाती ह। हम तुम पु षों से यही कहना
चाहती ह : " आह, हम इतनी पाकसाफ़, इतनी नैितक मत समझो। तु ी हम ऐसा िदखने के िलए मजबूर कर
रहे हो ... " हम लगातार यह स ाई िछपाने के िलए संघष करती ह िक हमने तु ेम करने की अनुमित दे दी
है । िकसी औरत को ऐसी थित म रखो, तािक वह यह कह सके िक वह िसफ िहं सा या है रानी के कारण समिपत
ई है , उसे यह िव ास िदला दो िक तुम उसे कम मह पूण नहीं मानते हो और म कहती ँ िक तुम उसका िदल
जीत लोगे ... तु ारी थोड़ी बहादु री से तुम दोनों ही खुश हो जाओगे। ा आप जानते ह िक एम . डे ला रोशको
ने ा कहा था : “ एक तािकक ेम म पागल जैसे काम कर सकता है , लेिकन वह मूख जैसे काम नहीं
कर सकता और उसे करना भी नहीं चािहए । "लाइफ, लेटस, एं ड एिप ू रयन िफलॉसफी
ऑफ़ िननोन हे ला एन ोस, िननोन हे ला ए ोस, 1623-1706

श की कंु जी
हमम से ादातर लोग भी होते ह। हम तनाव और संघष से बचना चाहते ह। हम
चाहते ह िक सब लोग हम पसंद कर। साहिसक कामों के बारे म हम सोच तो सकते
ह, लेिकन हम शायद ही कभी उ करते ह। हम प रणामों से आतंिकत हो जाते ह
और दहशत म आ जाते ह िक दू सरे लोग हमारे बारे म जाने ा सोचगे। हम यह
सोचकर क जाते ह िक अगर हम अपने ाभािवक थान से दू र जाने का दु ाहस
करगे, तो हम जाने िकतनी श ुता झेलनी पड़े गी।
हालाँ िक हम अपनी भी ता को यह कहकर िछपा सकते ह िक हम दू सरों की
परवाह करते ह, हम दू सरों को चोट नहीं प ं चाना चाहते या उ दु खी नहीं करना
चाहते, लेिकन स ाई इसके िवपरीत होती है । हम अपने ही बारे म िचंितत रहते ह
और इस बारे म लगातार सोचते रहते ह िक दू सरे हम जाने कैसा समझगे। दू सरी
तरफ़ बहादु री बिहमुखी होती है और अ र इससे लोग ादा सहज महसूस करते
ह, ोंिक यह ख़ुद के बारे म ादा िवचार नहीं करती है और इसम दमन का त
कम होता है । बहादु री के कारण कोई भी शम या परे शानी महसूस नहीं करता है ।
इसीिलए हम बहादु रों की शंसा करते ह और उ अपने आस-पास रखना पसंद
करते ह, तािक उनका आ -िव ास हमम भी आ जाए और हम अपने आ -कि त
िचंतन के जाल से बाहर िनकल सके।
ब त कम लोग साहसी पैदा होते ह। यहाँ तक िक नेपोिलयन को भी यु के मैदान
म यह आदत डालनी पड़ी, ोंिक वह जानता था िक यह िजंदगी और मौत का
मामला है । सामािजक माहौल म वह अंतमुखी और भी था, लेिकन उसने इस
आदत को दू र िकया और िजंदगी के हर े म साहिसकता का अ ास िकया।
उसने साहिसकता की जबद श को पहचान िलया था और यह समझ िलया था
िक यह को बड़ा बना सकती है ( चाहे वह नेपोिलयन की तरह नाटा ही ों न
हो )।
आपको अपनी साहिसकता का अ ास और िवकास करना चािहए। आपको इसके
ब त से मौके िमलगे। शु करने की सबसे अ ी जगह अ र समझौते की
चचाओं का नाजुक संसार है , खासकर ऐसी चचाएँ िजनम आपसे अपनी खुद की
कीमत तय करने को कहा जाता है । अ र हम अपनी ब त कम कीमत लगाते ह।
जब ि ोफर कोलंबस ने ाव रखा िक ेन का दरबार अमे रका खोजने की
या ा के िलए धन दे , तो उ ोंने यह ब त बड़ी साहिसक मां ग रखी िक उ “ समु
के ां ड एडिमरल " का िख़ताब िदया जाए। दरबार सहमत हो गया। जो कीमत
कोलंबस ने तय की थी, वह उसे िमल गई उसने मां ग की िक उसका स ान िकया
जाए और उसका स ान आ। हे नरी िकसंजर भी जानते थे िक समझौते म
साहिसक माँ ग छु टपुट माँ गों से बेहतर होती ह और दू सरे से भाव-ताव करने
से ादा अ े प रणाम दे ती ह। अपनी क़ीमत ादा तय कर और िफर उसे और
ादा बढ़ाएँ ।
दू सरों की कमजो रयों को भाँ पने के बारे म लोगों म छठी इं ि य होती है । अगर
पहली मुलाकात म ही आप समझौता करने, पीछे हटने और भागने की इ ा िदखाते
ह, तो आप उन लोगों के अंदर िछपे शेर को भी बाहर िनकाल दे ते ह, जो खून के
ासे नहीं होते ह। सब कुछ अनुभूित पर िनभर करता है । अगर एक बार आपकी
ऐसी छिव बन गई िक आप त ाल र ा क हो जाते ह और समझौते म हर शत
मान लेते ह, तो आपको बेरहमी से चारों तरफ से धकाया जाएगा। इसिलए यह
हमेशा सबसे अ ा होता है िक आप बहादु री की छिव बना ल।
साहिसक कदम से आप वा िवकता से ादा बड़े और श शाली िदखते ह।
अगर आप साँ प की तरह चोरी और तेज़ी से हमला कर दे ते ह, तो इससे और ादा
डर पैदा होता है । साहिसक काम करके आप एक परं परा डाल दे ते ह : बाद की
मुलाक़ातों म लोग आपके अगले वार की दहशत म र ा क रहगे।
त ीर : शेर अपने काम म कोई चूक नहीं करता है, उसकी हरकत ब त तेज़ होती ह, उसका जबड़ा ब त
श शाली होता है । कायर खरगोश ख़तरे से बचने के िलए चाहे कु छ भी कर ले, लेिकन भागने की ज ी म यह
उसके जाल म फँस जाता है और अपने श ु के जबड़े म प ँ च जाता है ।
िवशेष की राय : म िनि त प से सोचता ँ िक सावधान होने के बजाय साहसी होना बेहतर है, ोंिक
तक़दीर एक मिहला है और अगर आप उसके ामी बनना चाहते ह, तो यह ज़ री है िक आप उसे श ारा
जीत। साफ़ िदखता है िक तक़दीर बहादु र लोगों के अधीन रहती है , जबिक कायर लोगों के पास भी नहीं
फटकती है । इसिलए मिहला की तरह तक़दीर भी हमेशा युवाओं की ेयसी होती है , ोंिक वे कम सावधान
और ादा उ ाही होते ह तथा वे ादा साहस िदखाकर उसके ामी बन जाते ह। ( िनकोलो मैिकयावली,
1469-1527 )
िनयम 29: अंत तक पूरी योजना बनाएँ
िवचार
अंत ही सब कुछ है । अंत तक प ं चने की पूरी योजना बनाएँ । उन सभी संभािवत
प रणामों, बाधाओं और िक त के उतार-चढ़ावों पर िवचार कर, जो आपकी कड़ी
मेहनत पर पानी फेर सकते ह और उसका ेय दू सरों को दे सकते ह। अंत तक की
योजना बनाने से आप प र थितयों के िशकार नहीं होंगे और यह जान जाएं गे िक
कब कना है । िक त को धीरे से राह िदखाएँ और ब त आगे तक िवचार करके
अपने भिव को तय कर।
दो मढक | दो मढक एक ही पोखर म रहते थे। पोखर गम के कारण सूख गया था, इसिलए वे उसम से
िनकलकर दू सरे िठकाने की तलाश म चल पड़े । वे एक गहरे कु एं के पास से गुज़रे , जहाँ काफ़ी पानी था। यह
दे खकर एक मढक दू सरे से बोला, " हम कू दकर इस कु एँ म रहने लगते ह। इसम हम आ य और भोजन
िमलेगा। " दू सरे ने सावधानी से जवाब िदया : " लेिकन मान लो इसका पानी सूख गया, तो ा होगा? हम इतने
गहरे कु एँ से बाहर कै से िनकल पाएं गे? " प रणामों के बारे म सोचे िबना कु छ भी न कर । े व , ईसप,
छठी सदी ई.पू.

श की कंु जी
ाचीन यूनािनयों की मा ता के अनुसार दे वताओं को भिव का पूरा ान होता था।
वे हर आने वाली चीज़ को पूरे िव ार से दे ख सकते थे। दू सरी तरफ़ इं सानों को
िक त का िशकार माना जाता था, ोंिक वे वतमान म ही उलझे रहते थे और
भिव के ख़तरों को दे खने म असमथ होते थे। ओिडिसयस जैसे हीरो वतमान से
आगे तक दे ख सकते थे और कई कदम आगे की योजना बना सकते थे। उस जैसे
लोगों को दे वता जैसा माना जाता था, िजनम भिव तय करने की यो ता थी। यह
तुलना आज भी तकसंगत है -जो लोग आगे तक सोचते ह और अपनी योजनाओं पर
धैयपूवक काम करके ल तक प ं चते ह, वे दै वी श से संप नज़र आते ह।
चूंिक ादातर लोग वतमान म कैद रहते ह, इसिलए वे इस तरह की दू रदिशता पूण
योजना नहीं बना पाते। इसी कारण जब कोई ता ािलक ख़तरों और आनंदों को
नज़रअंदाज़ करता है , तो वह श शाली बन जाता है । घटनाएँ होने पर िति या
करना ाभािवक मानवीय गुण है । घटनाओं को पहले से भापकर योजना बनाना
श की िनशानी है । वतमान से आगे तक प ं चकर बड़ी चीज़ों का अनुमान लगाना
या क ना करना मानवीय नहीं, दे वी काम लगता है ।
415 ई.पू. म एथे ने िससली पर हमला कर िदया। एथे वािसयों का िव ास था
िक इससे उ दौलत, श और सोलह साल के पेलोपोनेिसयन यु को जीतने की
ाित िमलेगी। उ ोंने घर से इतनी दू र आ मण करने के खतरों के बारे म नहीं
सोचा। उ ोंने यह नहीं भौंपा िक िससली के लोग ादा अ ी तरह लड़गे, ोंिक
यु उनके मैदान पर होगा या एथे के सभी दु न उसके िख़लाफ़ इक े हो
जाएँ गे या यु के कई मोच खुल जाएँ गे और उनकी श याँ बँट जाएँ गी। िससली
पर आ मण पूरी तरह असफल रहा और उससे दु िनया की एक महान स ता के
न होने के बीज पड़े । एथे वािसयों का यह दु भा िदमाग के कारण नहीं, ब
िदल के कारण आया था। उ ोंने िसफ ाित का मौका दे खा, दू र मंडराने वाले
खतरों के बारे म नहीं दे खा।
कािडनल डे रे ट् ज़ के अनुसार, “लोगों की ग़लितयों का सबसे आम कारण यह होता
है िक वे वतमान के ख़तरों से ब त ादा डरते ह और दू र के ख़तरों से ज़रा भी नहीं
डरते ह। " जो ख़तरे दू र होते ह या दू र िदखते ह अगर हम उ पहले से ही भाँ प ल,
तो हम ब त सारी ग़लितयों से बच सकते ह। अगर हम यह एहसास हो जाए िक हम
एक छोटे ख़तरे से बचकर एक बड़े ख़तरे की तरफ़ जा रहे ह, तो हम अपनी
योजनाओं को त ाल बदल सकते ह। श की अवधारणा म िसफ़ यही शािमल
नहीं है िक आप ा करते है , ब यह भी शािमल है िक आप ा नहीं करते ह।
ज बाज़ी और मूखतापूण कामों से बचना ब त मह पूण होता है , िजनके कारण
आप मु ल म फंस सकते ह। काम करने से पहले िव ार से योजना बना ल,
योजनाओं के कारण मु ल म न फंस। ा उनके ऐसे प रणाम होंगे, जो आप नहीं
चाहते ह? ा म नए दु न बना लूंगा? ा कोई दू सरा मेरी मेहनत का लाभ ले
लेगा? आम तौर पर अंत सुखद कम, दु खद अिधक होता है अपने म म सुखद
अंत की छिव के कारण राह न भटक।
जब आप कई क़दम आगे तक दे खगे और अंत तक की योजना बना लगे, तो आप
भावनाओं के लोभन म नहीं फँसगे और त ाल िति या करने की इ ा से भी
बचगे। आपकी ता से आपको तनाव नहीं होगा और आप उलझन म भी नहीं
रहगे, िजस कारण इतने सारे लोग अपने कामों म असफल रहते ह। आप अंत दे खते
ह और आप राह म िकसी तरह का प रवतन बदा नहीं करते ह।
त ीर : माउं ट ऑलंपस के दे वी-दे वता। बादलों के पार से इं सान के कामों को दे खते ए वे पहले से ही उन
बड़े सपनों का अंत दे ख लेते ह, जो िवनाश और ासदी की तरफ़ ले जाते ह और वे इस बात पर हँ सते ह िक हम
वतमान से आगे नहीं दे ख पाते और हम खुद को िकस तरह धोखा दे ते ह।
िवशेष की राय : खुद को मुसीबत से बाहर िनकालने के बजाय यह ादा आसान है िक मुसीबत के
अंदर जाया ही न जाए ! हम सरकं डे के िवपरीत वहार करना चािहए। सरकं डे का तना पहले तो सीधा और
लंबा होता है , लेिकन बाद म इसम गाँठ पड़ जाती ह। ऐसा लगता है जैसे यह थक गया हो और अब इसम पुराना
उ ाह या उमंग नहीं बची हो। हम काम ठं डे पन से धीरे -धीरे शु करना चािहए, संघष के िलए अपनी साँस
बचाकर रखना चािहए और अपने सबसे उ ाहपूण हारों को अंत के िलए बचाकर रखनी चािहए। जब हम कोई
काम शु करते ह, तो ायः शु आत म हम उ िदशा दे ते ह और वे हमारे वश म होते ह, लेिकन एक बार
शु होने के बाद वे हम िदशा दे ने लगते ह और हम अपने वश म कर लेते ह। ( मॉ े न, 1533-1592 )

िनयम 30: अपनी उपल यों को आसान


िदखाएँ
िवचार
आपके काम सहज नज़र आने चािहए, जैसे आपने उ आसानी से कर िदया हो।
आपके काम म िजतनी मेहनत, कोिशश और चतुर चाल लगी ह, उ िछपाया जाना
चािहए। जब ऐसा लगता है िक आपने िबना खास कोिशश के काम कर िदया है , तो
यह छिव बनती है िक आप अगर कोिशश कर, तो ब त ादा काम कर सकते ह।
आप िकतनी कड़ी मेहनत करते ह, यह बताने के लोभन से बच, ोंिक इससे
िसफ सवाल उठते ह। िकसी को भी अपनी चाल न िसखाएँ , वरना उनका योग आप
ही के िख़लाफ़ िकया जाएगा।
किवता की एक प िलखने म हम भले ही घंटों लग जाएँ ; लेिकन अगर यह एक पल का िवचार नहीं िदखती है ,
तो हमारे बुने और उधेड़े ए ताने-बाने की सारी मेहनत बेकार है । एड कस, िविलयम बटलर
येट्स, 1865-1939
अपनी यो ताओं की सीमा को िछपाकर रख। समझदार अगर सबका स ान पाना चाहता है , तो वह
उ अपने ान और मताओं की तलहटी तक नहीं प ँ चने दे ता है । आप उसे जान तो सकते है , लेिकन समझ
नहीं सकते। िकसी को भी उसकी यो ताओं की सीमा पता नहीं लगना चािहए, वरना वह िनराश हो जाएगा।
िकसी को भी उसका पूरी तरह आकलन करने का अवसर नहीं िमलना चािहए, ोंिक उसकी यो ताओं के बारे
म अनुमान और शंकाएँ सटीक ान के बजाय ादा स ान जगाते ह, भले ही सटीक ान िकतना ही सही हो।
बा ेसर ेिशयन, 1601-1658

श की कंु जी
श की पहली अवधारणा कृित के साथ आिदकालीन मुठभेड़ों से उ ई थी
आसमान म िबजली चमकना, बाढ़, जंगली जानवर आिद। इन श यों के िलए
िकसी िचंतन या योजना की ज़ रत नहीं थी वे अचानक सामने आकर डरा दे ती थीं,
िजंदगी और मौत पर उनका अिधकार था और इसी तरह की श हम हमेशा पाना
चाहते ह। िव ान और ौ ोिगकी के मा म से हमने कृित की गित और श को
िनयंि त कर िलया है , लेिकन कोई चीज़ अब भी बाकी है हमारी मशीन आवाज़
करती ह और झटके से चलती ह। उनकी कोिशश िदखती है । ौ ोिगकी के सबसे
अ े आिव ारों के बावजूद हम उन चीज़ों की शंसा करते ह, जो आसानी से और
िबना कोिशश के चलती ह। ब ों म हमसे अपनी बात मनवाने की श होती है ।
ऐसा उस बल आकषण के कारण होता है , जो हर उस ाणी म होता है , जो हमसे
कम िचंतनशील और ादा सुकुमार होता है । हम दोबारा ब े तो नहीं बन सकते
ह, लेिकन अगर हम िबना कोिशश िकए सफलता पाने का दशन कर सक, तो हम
दू सरों म वही ा जगा सकते ह, जो कृित ने हमेशा इं सानों म जगाई है ।
इस िस ां त का िव ेषण करने वाले पहले यूरोपीय लेखकों म से एक पुनजागरण
काल के दरबारी थे। 1528 म कािशत पु क द बुक ऑफ़ द कोिटयर म बा ासेर
का योन ने आदश दरबारी के ब त जिटल और वग कृत वहार का वणन
िकया है । उनका कहना है िक दरबारी को ये काम इस तरह से करने चािहए, तािक
मु ल काम भी आसान लगे। उ ोंने दरबारी को े रत िकया िक वह “ अपनी
कला को िछपाने के िलए सभी काम थोड़े उदासीन ढं ग से करे , और श ों या कामों
को अिनयोिजत व यासरिहत लगने दे । " हम सब असाधारण काम की शंसा करते
ह, लेिकन अगर उसे सहजता और सुंदरता से िकया गया हो, तो हम दस गुना ादा
शंसा करते ह।
मु ल काम आसानी से करने का िवचार श के सभी पों के िलए उिचत है ,
ोंिक श िदखावे और आपके ारा पैदा िकए गए म पर िनभर करती है ।
आपके सावजिनक काय कलाकृितयों की तरह होते ह : उ दे खने म आनंद आना
चािहए। जब आप अपनी रचना की ि या को उजागर करते ह, तो आप दू सरों की
तरह बन जाते ह। जो समझा जा सकता है , उससे ा नहीं उपजती है -हम यह सोच
लेते ह िक अगर हमारे पास धन और समय होता, तो हम भी वह कर सकते थे।
अपनी चतुराई िदखाने के लोभन से बच- ादा चतुरतापूण यह है िक आप अपनी
चतुराई के ोतों को िछपा ल।
अपने शॉटकट और चालों को िछपाने का एक और कारण है : जब आप अपनी
जानकारी उजागर कर दे ते ह, तो दू सरों को ऐसे िवचार िमल जाते ह, िजनका
इ ेमाल वे आपके िख़लाफ़ कर सकते ह। आप खामोशी के लाभ गवां दे ते ह। हम
सबम आ - दशन की वृि होती है । हम सभी दु िनया को बताना चाहते ह िक
हमने ा िकया है । हम सब अपनी मेहनत और चतुराई की तारीफ़ सुनकर अपने
गव को संतु करना चाहते ह। हम उस मेहनत के िलए भी सहानुभूित पाना चाहते ह,
जो हम अपनी कला के चरम िबंदु तक प ं चने म लगी। अपने रह उजागर करने
की इस आदत पर काबू रख, ोंिक इसका भाव अ र आपकी आशा के
िवपरीत होता है । याद रख : आपके काम िजतने रह मय होंगे, लोग उतनी ही
ादा अदा करगे। ऐसा नज़र आएगा जैसे आप ही वह काम कर सकते थे और
अनूठी ितभा का धनी िदखना ब त श शाली होता है । अंत म, चूंिक आपने
सहजता और आसानी से उपल हािसल की है , इसिलए लोगों को यह िव ास होता
है िक अगर आप ादा मेहनत करते, तो आप ादा सफलता हािसल कर सकते
थे। इससे न िसफ शंसा िमलती है , ब एक तरह का डर भी उ होता है ।
आपकी श यों का पूरी तरह दोहन नहीं आ है , इसिलए िकसी को भी उनकी
सीमाओं का पूरी तरह अंदाज़ा नहीं होता है ।
त ीर : रे सहॉस। अगर हम करीब खड़े हों तो हम घोड़े को िनयंि त करने का तनाव और यास दे ख
सकते ह, उसकी उखड़ी ई साँस और दद भरी कराह सुन सकते ह। लेिकन दू र से दे खने पर हम सब कु छ
ब त सुंदर नज़र आता है और ऐसा लगता है , जैसे घोड़े हवा म उड़ रहे हों। अगर आप दू सरों को दू री पर रखगे,
तो वे िसफ यही दे ख पाएँ गे िक आप िकतनी आसानी से आगे बढ़ते ह।
िवशेष की राय : उदासीनता से िकया गया काम चाहे िजतना छोटा हो, उससे न िसफ इसे करने वाले
की यो ता िदखती है , ब अ र उदासीनता की वजह से वह काम वा िवकता से ादा बड़ा नज़र आता
है । ऐसा इसिलए है , ोंिक दे खने वाले यह मानते ह िक जो इतनी आसानी से इतना अ ा काम कर
सकता है , उसम उनसे ादा यो ता होगी। ( बा े सर का योन, 1478-1529 )
िनयम 31: िवक ों पर िनयं ण कर -
दूसरों को ताश के उन प ों से खलाएँ , जो
आपने बाँटे ह
िवचार
सव े धोखा वह होता है , िजसम आप सामने वाले को िवक दे ते ह। इससे आपके
िशकार को यह लगता है िक िनयं ण उसके हाथ म है , जबिक वह दरअसल आपके
हाथों की कठपुतली होता है । लोगों को ऐसे िवक द, तािक उनके ारा कोई सा भी
िवक चुनने पर आपको लाभ हो। उ दो बुराइयों म से कम बुरी बात को चुनने के
िलए िववश कर, जबिक दोनों ही बात आपके उ े को पूरा कर। उ दु िवधा के
सींगों पर बैठा द : िजधर मुड़, उ घायल होना ही है ।
जे. पी. मॉगन सीिनयर ने एक बार अपने एक प रिचत जौहरी से कहा िक वे मोती की ाफ िपन खरीदना चाहते
ह। कु छ स ाह बाद जोहरी को एक शानदार मोती िमल गया। उसने इसे जड़वाकर मॉगन के पास भेज िदया।
साथ म उसने 5,000 डॉलर का िबल भी भेज िदया। अगले िदन उसका पैके ट वापस लौट आया। मॉगन उसके
साथ एक िच ी भी भेजी थी, िजसम यह िलखा था : " मुझे िपन पसंद है , लेिकन मुझे इसकी कीमत पसंद नहीं है ।
अगर आप इस िच ी के साथ लगे 4,000 डॉलर के चेक को ीकार कर ल, तो कृ पया बॉ की सील खोले िबना
उसे वापस भेज द। "जौहरी तैश म आ गया। उसने चेक लेने से इं कार कर िदया और गु े म संदेशवाहक को
वहाँ से भगा िदया। उसने ब े को खोला, तािक उसम से िपन िनकाल ले, लेिकन उसने दे खा िक िपन वहाँ नहीं
है और उसकी जगह पर 5,000 डॉलर का चेक रखा आ है | द िलिटल ाउन बुक ऑफ़
एने डोट् स, 1985, संपादक न फैिडमेन
श की कंु जी
" त ता," "िवक " और "चुनाव" जैसे श ों से संभावनाओं की ऐसी जबद
श उ होती है , जो उनसे ा लाभों की वा िवकता से आगे तक जाती है ।
गौर से दे ख, हमारे पास बाज़ार म, चुनाव म, नौकरी म जो िवक होते ह, उनकी
िनि त सीमाएँ होती ह। अ र हम ए और बी म से िकसी एक को चुनना होता है ,
बाकी सभी अ र त ीर से बाहर होते ह,लेिकन जब तक िवक चुनने की ह ी
सी भी मृगमरीिचका रहती है , तब तक हम छु टे ए िवक ों पर शायद ही कभी
ान कि त करते ह।
इस वजह से चतुर और चालाक आदमी धोखा दे ने के ब त से अवसर बना लेता है ।
जो लोग िवक चुन रहे ह, उ यह िव ास ही नहीं होगा िक उ धोखा िदया जा
रहा है या उनका शोषण हो रहा है । वे यह नहीं दे ख पाते ह िक आप उ थोड़ी सी
तं ता िसफ इसिलए दे रहे ह, तािक बदले म वे आपकी इ ा पूरी करने के िलए
काम कर। इसिलए िकसी को धोखा दे ते समय आपको इस बात का ान रखना
चािहए िक आप उसे ब त ही सीिमत िवक द।
नीचे " िवक ों पर िनयं ण ” के कुछ आम प िदए गए ह
िवक ों म रं ग भर। यह हे नरी िकिसंजर की ि य तकनीक थी। रा पित रचड
िन न के रा मं ी के प म िकिसंजर खुद को अपने बॉस से ादा जानकार
मानते थे, लेिकन वे जानते थे िक अगर उ ोंने नीित तय करने की कोिशश की, तो
इससे िन न को गु ा आ जाएगा, जो ब त ही असुरि त के प म मश र
थे। इसिलए िकिसंजर हर थित के िलए तीन-चार िवक काय सुझाते थे और उ
इस तरह से ुत करते थे, तािक वही िवक सबसे अ ा नज़र आए, जो वे
सुझाना चाहते थे। हर बार िन न िकिसंजर के जाल म फँस जाते थे, लेिकन उ
कभी यह शक भी नहीं आ िक वे उसी िदशा म जा रहे ह, िजस िदशा म िकिसंजर
उ ले जा रहे ह।
हमेशा िवरोध करने वाले को अपनी इ ा पर चलने के िलए मजबूर कर द।
यह एक ब त अ ी तकनीक है , िजसका इ ेमाल ब ों और दू सरे िज़ ी लोगों पर
िकया जा सकता है , जो हमेशा आपकी कही बातों के िवपरीत चलने म आनंद का
अनुभव करते ह। आप उनसे जो करवाना चाहते ह, उसकी िवपरीत बात कह।
अपनी आदत के मुतािबक़ वे उलटा काम करगे और इस तरह वे वही काम करगे,
जो आप उनसे करवाना चाहते ह।
खेल के मैदान को बदल द। 1860 के दशक म जॉन डी . रॉकफेलर ने क े तेल
पर एकािधकार करने का ल बनाया। अगर वे छोटी तेल कंपिनयों को खरीदने की
कोिशश करते, तो वे उनके इरादे भाँ प लेती और संघष करतीं। इसके बजाय उ ोंने
चुपचाप रे लवे कंपिनयाँ ख़रीद ली, जो तेल का प रवहन करती थीं। रॉकफेलर ने
खेल के मैदान को बदल िदया, िजससे छोटे तेल-उ ादकों के पास िसफ वही
िवक रहे , जो रॉकफेलर ने उ िदए थे।
िसमटते िवक । हर बार जब ख़रीदार िझझके और एक िदन बीत जाए, तो अपनी
कीमत बढ़ा द। अिनणय के िशकार पर आजमाने के िलए यह ब त अ ी
नीित है , जो यह सोचकर त ाल िनणय ले लेगा िक आने वाले कल के बजाय आज
उसे ादा अ ा सौदा िमल रहा है ।
खाई की कगार पर खड़ा कमजोर आदमी। यह तकनीक “ िवक ों म रं ग भरने
" जैसी ही है , लेिकन कमज़ोर और अिनणय के िशकार लोगों के साथ आपको ादा
आ ामक होना पड़े गा। उनकी भावनाओं को उ ेिजत कर उनसे काम करवाने के
िलए डर और दहशत का योग कर। अगर आप तक का हवाला दगे, तो वे हमेशा
टालमटोल करने का तरीका खोज लगे।
उनके सामने हर तरह के खतरों का वणन कर। आप ख़तरों को ादा से ादा
बढ़ा-चढ़ाकर बताएँ । इसका प रणाम यह होगा िक हर िदशा म खाई िदखने लगेगी,
िसवाय उस िदशा के, जहाँ आप उ ले जाना चाहते ह।
दु िवधा के सी ंग। यह मुकदमा लड़ने वाले वकीलों की आदश तकनीक है : वकील
गवाह को िकसी घटना के दो संभािवत ीकरणों म से िकसी एक को चुनने को
कहता है , जब दोनों म ही कोई न कोई पच होता है । उ वकील के सवालों का
जवाब दे ना होता है , लेिकन चाहे वे कुछ भी जवाब द, नुक़सान उ ीं को होता है ।
इस क़दम की सफलता की कुंजी त ाल वार करना है : अपने िशकार को बचाव के
बारे म सोचने का समय न द। जब वे दु िवधा के सींगों के बीच म छटपटाते ह, तो वे
अपनी खुद की क़ खोद लेते ह।
त ीर : बैल के सींग। बैल अपने सींगों से आपको कोने म धकेल दे ता है । एक
अकेले सींग से नहीं, िजससे आप बच सकते ह, ब दो सींगों से, जो आपको फंसा
लेते ह। आप दाएं दौड़ या बाएँ , दोनों ही तरफ़ आप उन सींगों म फंस जाएँ गे और
घायल हो जाएं गे।
िवशेष की राय : अंततः दू सरों ारा िदए गए घाव और बुरी बातों से ादा
ददनाक वे घाव और बुरी बात होती ह, िज इं सान खुद िवक चुनकर मोल लेता
है । ( िनकोलो मैिकयावली, 1469-1527 )
िनयम 32: लोगों की फंतािसयों के साथ
खेल
िवचार
स ाई से लोग अ र बचते ह, ोंिक यह बदसूरत और अि य होती है । स ाई
और यथाथ का आ ह कभी न कर, जब तक िक आप उस ोध के िलए तैयार न हों,
जो िवर से उ होता है । िजंदगी इतनी कठोर और दु खद है िक जो लोग रोमां स
िनिमत कर सकते ह या फंतासी ( fantasy ) की उड़ान भर सकते ह, वे रे िग ान म
नख़िल ान की तरह ह-हर उनकी तरफ़ भागेगा। लोगों की फंतािसयों का
दोहन करने म बल श होती है ।
अगर आप ऐसे झूठ बोलना चाहते ह, िजन पर यकीन कर िलया जाए, तो ऐसे सच कभी न बोल िजन पर यक़ीन न
िकया जा सके । जापान के स ाट तोकुगावा आइयेस, स हवी ं सदी

श की कंु जी
फंतासी कभी अकेले काम नहीं कर सकती। इसके िलए नीरसता के नेप की
ज रत होती है । स ाई के दमन की वजह से ही फंतासी जड़ जमाती है और
फलती-फूलती है ।
जो दमनकारी स ाई के बीच फंतासी बुन सकता है , उसके पास ब त
श होती है । जब आप जनता को बाँ धने वाली फंतासी की खोज करते ह, तो आप
उन सां सा रक स ाइयों पर िनगाह रख, जो सब पर भारी पड़ती है । लोग अपने या
अपने जीवन के बारे म जो कपोल-क त भ त ीर बताते ह, उससे अपना ान
न भटकने द। इसके बजाय उस चीज़ को खोज, िजसने उ सचमुच कैद कर रखा
है । जब आपको वह चीज़ िमल जाएगी, तो आपके पास एक ऐसी जादु ई कुंजी होगी,
जो आपको ब त श शाली बना दे गी। हालाँ िक लोग और समय बदलते रहते ह,
लेिकन हम कुछ थायी दमनकारी स ाइयों की जाँ च करते ह। हम यह भी दे खगे
िक वे श हािसल करने के अवसर कैसे दान करती ह :
वा िवकता : प रवतन धीमा और िमक होता है । इसके िलए कड़ी मेहनत, थोड़ी
सी िक त, ब त ादा ाग और ब त से धैय की ज रत होती है ।
फंतासी : अचानक कायापलट हो जाएगी, िजससे इं सान की िक त पूरी तरह से
बदल जाएगी। फंतासी को सच करने के िलए मेहनत, िक त, ाग और समय की
ज रत नहीं होगी।
जािहर है यह धोखेबाज़ों की ज़बद फंतासी है । एक महान और पूण प रवतन का
वादा कर गरीब से लेकर अमीर तक, बीमार से लेकर तक, दु ख से परम सुख
तक। इस वादे से लोग आपके जाल म फंस जाएँ गे और आपके अनुयायी बन जाएँ गे।
वा िवकता : समाज के कुछ ढ़ िस ां त और सीमाएँ ह। हम इन सीमाओं को
समझते ह और जानते ह िक हम हर िदन इ ीं के बीच घूमना है ।
ं तासी : हम अलग िस ां तों और रोमां च के वादों के साथ एक िबलकुल नई दु िनया
म वेश कर सकते ह।
अठारहवीं सदी की शु आत म पूरा लंदन एक रह मय युवक के बारे म बात कर
रहा था, िजसका नाम जॉज सालमैनेजार था। वह एक ऐसी जगह से आया था, जो
ादातर अं ेजों की नज़र म ब त रोमां चक थी। वह फ़ोरमोसा ( अब ताईवान ) के
टापू से आया था, जो चीन के समु तट के समीप था। ऑ फ़ोड यूिनविसटी ने
सालमैनेजार को उस टापू की भाषा िसखाने के िलए अपने यहाँ रखा। कुछ साल बाद
उसने एक पु क िलखी, जो त ाल बे सेलर बन गई। यह पु क फ़ोरमोसा के
इितहास और भूगोल के बारे म थी। अं ेज सामंतों ने उस युवक को दावतों म
आमंि त िकया और जहाँ भी वह गया, उसने अपने मेज़बानों को अपने टापू के बारे
म िदलच कहािनयाँ सुनाईं।
बहरहाल सालमैनेजार की मौत के बाद उसकी वसीयत म यह रह खुला िक वह
तो दरअसल एक ां सीसी था, िजसके पास बल क नाश थी। उसने
फ़ोरमोसा के बारे म जो कुछ भी कहा था, वह सब मनगढं त था। उसने एक िव ृत
कहानी गढ़ी थी, िजससे अं ेज जनता की रह मय और रोमां चक साम ी की भूख
संतु ई। ि िटश सं ृ ित के लोगों के ख़तरनाक सपनों पर कठोर िनयं ण से उसे
उनकी फंतासी का दोहन करने का आदश अवसर िमला।
वा िवकता : मौत। मुदा लोगों को िजंदा नहीं िकया जा सकता, अतीत को बदला
नहीं जा सकता।
फंतासी। इस असहनीय त को अचानक उलट दे ना।
विमयर की कला की सुंदरता और मह के बारे म सब जानते ह, लेिकन उनकी
पिटं की सं ा ब त कम है और उ दु लभ माना जाता है । बहरहाल, 1930 के
दशक म विमयर की कई पिटं कला बाज़ार म नज़र आने लगीं। उनकी स ाई
की जाँ च करने के िलए िवशेष ों को बुलाया गया, िज ोंने उ असली घोिषत कर
िदया। यह लैज़ारस को दोबारा िज़ंदा करने की तरह था। एक अजीब तरीके से
विमयर को दोबारा िज़ंदा कर िदया गया। अतीत बदल गया था।
बाद म यह स ाई सामने आई िक विमयर की नई पिटं दरअसल एक अधेड़ डच
जालसाज ने बनाई थी, िजसका नाम हस वान मीगेरन था और उसने अपनी
धोखाधड़ी के िलए विमयर को इसिलए चुना, ोंिक वह फंतासी को समझता था
पिटं इसिलए असली िदखगी, ोंिक जनता और िवशेष िदल से उ मानना
चाहते थे।
याद रख : फंतासी की कुंजी दू री है । दू र की चीज आकिषत करती ह और लुभाती
ह। वे आसान और सम ारिहत िदखती ह। आप जो दे ने का ाव रख रहे ह, वह
पकड़ म नहीं आना चािहए। उसे कभी िचर-प रिचत न बनने द। वह तो दू र की
मृगमरीिचका होना चािहए, जो पास प ं चते ही और दू र हो जाए। फंतािसयों
जालसाज़ के प म आप अपने िशकार को इतना करीब आने द िक वह दे ख सके
और उसका मन ललचाए, लेिकन उसे इतना दू र रख, तािक वह उसके सपने दे खता
रहे और उसकी इ ा करता रहे ।
त ीर : चाँ द। उसे हािसल नहीं िकया जा सकता। वह हमेशा आकार बदलता है। कभी िदखता है, कभी
िछप जाता है । हम उसकी तरफ दे खते ह, क ना करते ह, सोचते ह और उसकी इ ा रखते ह। वह हमेशा
नया लगता है , लगातार सपने जगाता है । कभी चीज़ का ाव न रख। चाँद का वायदा कर।
िवशेष की राय : झूठ एक आकषण है, एक जालसाज़ी है, िजसे फंतासी म सजाया जा सकता है। इसे
रह मयी अवधारणा के पद म रखा जा सकता है । स भावहीन और गंभीर होता है , िजसे झेलना आरामदे ह
नहीं होता। झूठ ादा ािद होता है । दु िनया म सबसे ितर ृ त वह है , जो हमेशा सच बोलता है और
िजसके पास क नाशीलता नहीं होती है ... मने पाया है िक क ना की उड़ान सच से ब त ादा रोचक और
लाभदायक होती है । ( जोसेफ़ वील, द यलो िकड, 1877-1976 )
िनयम 33: हर की कमज़ोर नस
पहचान
िवचार
हर की एक न एक कमज़ोरी होती है , हर महल की दीवार म एक न एक छे द
होता है । यह कमज़ोरी आम तौर पर कोई असुर ा, कोई अिनयंि त भाव या
आव कता होती है । यह कोई छोटा रह मय सुख भी हो सकता है । चाहे यह जो
भी हो, एक बार िमल जाने पर आप इस कमज़ोर नस का इ ेमाल अपने लाभ के
िलए कर सकते ह।
शेर, साँभर और लोमड़ी | एक घाटी म एक शेर साँभर का पीछा कर रहा था। वह उसे पकड़ने ही
वाला था और हसरत भरी आँ खों से िनि त व संतुि दायक भोजन का सुख ले रहा था। ऐसा लग रहा था, जैसे
िशकार के िलए बचकर िनकलना असंभव है , ोंिक एक गहरा दरा िशकार और िशकारी के सामने था, लेिकन
तेजी से भाग रहे साँभर ने अपनी पूरी ताक़त बटोरी और कमान से िनकले तीर की तरह दर के पार कू द गया तथा
दू सरी तरफ़ की च ान पर खड़ा हो गया। शेर उसी जगह पर क गया। लेिकन उसी समय उसकी िम लोमड़ी
उसके पास आई। लोमड़ी बोली, " आप इतने ताकतवर और तेज होते ए कमज़ोर साँभर से हार जाएं गे। आपम
िसफ़ इ ाश की कमी है , वरना आप चम ार कर सकते ह। हालांिक दरा गहरा है , लेिकन अगर आप
सचमुच गंभीर है , तो मै य ीन के साथ कह सकती ं िक आप इसे पार कर जाएं गे। आप मेरी िन ाथ दो ी पर
भरोसा कर सकते ह। अगर मुझे आपकी श और ती ता पर िव ास नहीं होता, तो म आपकी िजंदगी को
खतरे म कभी नहीं डालती। " शेर का खून गम होकर िशराओं म उबलने लगा। उसने अपनी पूरी ताकत से
छलांग लगाई, लेिकन वह दर को पार नहीं कर पाया। वह िसर के बल नीचे िगर गया और मर गया। िफर उसकी
ि य िम लोमड़ी ने ा िकया? वह सावधानी से दर के नीचे गई। वहाँ पर खुले आसमान के नीचे खुली हवा म
प ँ चकर उसने दे खा िक अब शेर की चापलूसी करने की कोई ज़ रत नहीं है । वह त ाल अपने िम का
ि याकम करने लगी और एक महीने म ही उसने उसकी हि याँ तक साफ़ कर दी । फ़ेब ऑफ़
रिशया, इवान ि लोफ़, 1768-1844

कमज़ोर नस खोजना :
रणनीित की काययोजना | हम सबम ितरोध होता है । हम अपने चारों तरफ़ एक
र ाकवच बना लेते ह, जो प रवतन के खलाफ़ सुर ा दान करता है । यह
र ाकवच हमारे िम ों व दु नों की घुसपैठ को रोकता है । बहरहाल यह जान लेना
ब त मह पूण होता है िक हर इं सान के मनोवै ािनक र ाकवच का कोई न कोई
िह ा कमजोर होता है , जो घुसपैठ का ितरोध नहीं करता। अगर आप इस
कमज़ोर िह े को खोज लेते ह और इसका इ ेमाल करते ह, तो आप उस
को अपनी इ ा के अनुसार ढाल लगे। कुछ लोग अपनी कमजो रयों का खुलेआम
इज़हार करते ह, जबिक बाक़ी उ िछपाते ह। जब कोई र ाकवच को भेद लेता है ,
तो अपनी कमज़ो रयाँ िछपाने वाले लोग ही ादा ग ा खाते ह।
अपने आ मण की योजना बनाते समय इन िस ां तों का ान रख :
मु ाओं और अचेतन संकेतों पर ान द। जैसा िसगमंड ॉयड ने कहा था, "कोई
भी इं सान अपने रह नहीं िछपा सकता है । अगर उसके होंठ नहीं बोलगे, तो
उसकी उँ गिलयाँ बोलगी। उसका रोम-रोम िच ा-िच ाकर रह बता दे गा।"
िकसी की कमज़ोरी खोजते समय इस मह पूण िस ां त को हमेशा याद रख-
कमज़ोरी मह हीन िदखने वाली मु ाओं और श ों से कट होती है ।
कमजोरी खोजते समय सफलता की कुंजी िसफ यह नहीं है िक आप िकसकी तलाश
करते ह, ब यह भी है िक आप कहाँ और कैसे तलाश करते ह। हर िदन की
बातचीत म कमजो रयों का सबसे समृ भंडार िमलता है , इसिलए सुनने की कला
सीख।
अगर आपको शक है िक िकसी की कोई ख़ास नाज़ुक जगह है , तो इसकी जाँ च
अ तरीके से कर। अपनी आँ ख को िव ृत जानकारी पाने के िलए िशि त
कर वह वेटर को कैसे िटप दे ता है , उसे िकस चीज़ से खुशी िमलती है , उसके
कपड़ों म कौन सा संदेश िछपा है । लोगों के आदश यों के बारे म पता लगाएँ ।
वे िकन चीज़ों को बलता से चाहते ह और उ पाने के िलए वे कुछ भी कर सकते
ह-शायद आप उनकी फंतािसयों को पूरा कर सकते हों। याद रख : चूँिक हम सब
अपनी कमजो रयों को िछपाने की कोिशश करते ह, इसिलए हमारे सचेतन वहार
से ब त कम बात पता चल सकती ह। हमारे सचेतन िनयं ण के बाहर की छोटी
चीज़ों से ही असली बात पता चलती ह और आपको उ ीं का पता लगाना है ।
असहाय ब े को खोज। अिधकां श कमज़ो रयाँ बचपन म शु होती ह, ोंिक
अपना र ाकवच बचपन के बाद ही बनाना शु करता है । शायद ब े को
िकसी ख़ास े म िवशेष दु लार िदया गया हो या उसकी कोई िवशेष भावना क
ज़ रत पूरी नहीं ई हो। बड़े होने पर यह दु लार या कमी दफन तो हो सकती है ,
लेिकन कभी ख नहीं होती है । बचपन की ज रत का पता लगाने से आपको हर
की कमजोरी के बारे म एक सश कुंजी िमल जाती है ।
इस कमज़ोर नस की एक िनशानी यह है िक जब आप इसे छूते ह, तो वह
अ र िकसी ब े की तरह वहार करने लगता है । इसिलए िकसी ऐसे वहार
की तलाश कर, िजसे बचपन म ही छोड़ दे ना चािहए था।
िवरोधाभास को खोजते रह। कट गुण के पीछे अ र इसका िवपरीत गुण िछपा
होता है । जो लोग अपना सीना ठोंकते रहते ह, वे ायः डरपोक होते ह। जो लोग
परं परावादी होने का नाटक करते ह, वे अ र रोमां च के भूखे होते ह। उनके
िदखावे पर न जाएँ , असिलयत खोजने पर आप अ र पाएँ गे िक लोगों म उनके
कट गुणों के िवपरीत कमजो रयाँ होती ह।
खाली जगह भर। दो मु भावना क ख़ालीपन होते ह : असुर ा और दु ख।
असुरि त लोग िकसी भी तरह की सामािजक मा ता पाने के िलए लालाियत रहते
ह। जो लोग दु खी ह, उनके दु ख की जड़ खोज। असुरि त और दु खी लोग अपनी
कमजो रयों को सबसे कम िछपा पाते ह। उनके भावना क ख़ालीपन को भरने की
मता श का ब त बड़ा ोत होती है और लंबे समय तक लाभ दे ती है ।
अिनयंि त भावनाओं की जाँच कर। अिनयंि त भावना िकसी मनोवै ािनक डर
का संकेत होती है -एक ऐसा डर जो थित के अनुपात म न हो या वासना, लोभ, दं भ
या नफ़रत जैसा घिटया उ े । इन भावनाओं की जकड़ म रहने वाले लोग अ र
खुद पर काबू नहीं रख पाते ह और आप उ अपने िनयं ण म ले सकते ह।
त ीर : कमज़ोर नस। आपके श ु के कु छ रह होते ह, िजनकी वह र ा करता है। वह अपने िवचारों
को उजागर नहीं करता है , लेिकन वे उसकी जानकारी के िबना ही कई तरीक़ों से कट हो जाते ह, जैसे उसके
िसर, िदल या पेट के खाँचे से। एक बार जब आपको कमज़ोर नस िमल जाए, तो आप उस पर अपना अंगूठा रख
द और उसे अपनी मज से नचाएँ ।
िवशेष की राय : हर की कमज़ोर नस का पता लगाएं । इससे आप उससे इ ानुसार काम
करवा सकते ह। इसम संक की कम, यो ता की ादा आव कता होती है । आपको यह पता होना चािहए
िक िकस जगह पर हाथ रखना है । हर इ ा का एक ख़ास उ े होता है , जो िच के अनुसार बदलता रहता है ।
सभी लोग िकसी न िकसी चीज़ के िलए लालाियत रहते ह-कु छ शोहरत के िलए तो, कु छ ाथ-िस के िलए,
और ादातर आनंद के िलए। यो ता यह जानने म िनिहत है िक सामने वाला िकस चीज़ के िलए लालाियत है ,
तािक उससे लाभ उठाया जाए। िकसी की मु ेरणा को जान लेने से आपको उसकी इ ा की कुं जी
िमल जाती है । ( बा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 34: शहं शाहों की तरह रह : स ाट
जैसा स ान पाने के िलए स ाट की तरह
काम कर
िवचार
आप िजस तरह से खुद को पेश करते ह, उसी से अ र यह तय होता है िक लोग
आपके साथ कैसा वहार करगे। घिटया या साधारण िदखने पर लोग आपका
स ान हिगज़ नहीं करगे। चूँिक स ाट खुद अपना स ान करता है , इसिलए दू सरों
को भी उसका स ान करने की ेरणा िमलती है । शहं शाहों की तरह वहार करके
और अपनी श यों म िव ास िदखाकर आप यं को मुकुट पहनने की िदशा म ले
जाते ह।
सभी महान धोखेबाज़ों म एक उ ेखनीय बात होती है , िजससे उ श िमलती है । धोखा दे ते समय उ खुद
पर पूरा िव ास होता है । इसी कारण उनके आस-पास के लोग उन पर बलता से िव ास कर लेते ह ।
े ड रक नी शे, 1844-1900
कभी अपना आ -स ान न गँवाएँ । अके लेपन म भी खुद का अपमान न कर। अपनी ईमानदारी को अपने सही
होने का पैमाना बनाएँ और बाहरी मानदं डों के बजाय आ -िचंतन के ित कठोर रह। बुरे िदखने वाले वहार
से दू र रह, बाहरी स ा के आदे शों के कारण नहीं, ब अपने गुणों के ित स ान के कारण। अगर आप
अपना स ान करगे, तो आपको सेनेका के का िनक िश क की कोई ज़ रत नहीं होगी । बा ेसर
ेिशयन, 1601-1658

श की कंु जी
ब ों के प म हम अपनी िजंदगी ब त उ ाह से शु करते ह। हम दु िनया से हर
चीज़ की आशा करते और माँ गते ह। आम तौर यह समाज म अपनी पहली घुसपैठ
करते समय यानी अपना कै रयर शु करते समय भी होता है , लेिकन बड़े होने पर
हम अपमान और असफलताएँ िमलने लगती ह। ये ऐसी सीमाएँ बना दे ती ह, जो
समय के साथ ढ़ होती जाती ह। हम दु िनया से कम आशाएँ करने लगते ह और
अपनी ही बनाई सीमाओं को मानने लगते ह। हम झुकना और कंजूसी करना शु
कर दे ते ह। हम छोटे -छोटे आ हों के िलए माफ़ी माँ गना शु कर दे ते ह। अगर
हमारे ि ितज िसकुड़ गए ह, तो इसका समाधान यह है िक हम जान-बूझकर खुद
को बदल ल-असफलताओं को ादा मह न द, सीमाओं को नज़रअंदाज़ कर द
और ब ों की ही तरह माँ ग व आशा कर। ऐसा करने के िलए हम एक िवशेष
रणनीित अपनानी होगी, िजसे मुकुट रणनीित कहा जा सकता है ।
मुकुट रणनीित कारण और प रणाम की आसान ृंखला पर आधा रत है । अगर हम
िव ास करते ह िक हम महान काम करगे, तो हमारा िव ास उसी तरह झलकेगा,
िजस तरह मुकुट राजा के चारों तरफ़ एक आभामंडल पैदा करता है । यह बाहरी
चमक हमारे आस-पास के लोगों को भािवत करे गी, जो यह सोचगे िक हमारे इस
िव ास के पीछे पया कारण होंगे।
इितहास म ऐसे उदाहरण ह िक सामा प रवारों म ज े लोगों ने-बाइजिशयम के
िथयोडोरस, कोलंबस, बीथोवन और िडज़राइली जैसे लोगों ने-मुकुट रणनीित का
योग करके सफलता पाई है । इन लोगों को अपनी महानता म इतना ढ़ िव ास था
िक वे सचमुच महान बन गए। इसकी शत िसफ इतनी है : आपम आ -िव ास कूट-
कूट कर भरा होना चािहए। हालां िक आप जानते ह िक आप खुद को धोखा दे रहे ह,
लेिकन स ाट की तरह वहार कर। इस बात की संभावना है िक लोग भी आपके
साथ स ाट की तरह वहार करगे।
मुकुट आपको बाकी लोगों से अलग कर सकता है , लेिकन यह आप पर है िक आप
उस अलगाव को वा िवक बना द : आपको अलग तरह से काम करना है और
अपने आस-पास के लोगों से दू री बनाकर रखना है । अपने अलगाव को रे खां िकत
करने का एक तरीक़ा यह है िक हमेशा ग रमापूण वहार कर, चाहे प र थितयाँ
कैसी भी हों।
शाही वहार का मतलब यह नहीं है िक आप दं भी या घमंडी बन जाएँ । दं भ स ाट
का गुण लग सकता है , लेिकन दरअसल यह असुर ा का सूचक होता है । यह शाही
वहार के ठीक िवपरीत होता है ।
ग रमा दरअसल मु ल प र थितयों म पहनने के िलए आदश नक़ाब है । इस तरह
से वहार कर, जैसे कोई चीज़ आपको भािवत नहीं कर सकती है और आपके
पास िति या करने के िलए काफ़ी समय है । यह ब त सश नाटक है ।
अंत म, शाही वहार िदखाने म आं त रक मनोवै ािनक चालों के साथ-साथ बाहरी
रणनीितयाँ भी मदद करती ह। सबसे पहली रणनीित है , कोलंबस रणनीित : हमेशा
एक दु ाहिसक माँ ग रख। अपनी क़ीमत ऊँची रख और उसे कम न कर। दू सरी,
आस-पास के सबसे ऊँचे पर ग रमापूण ढं ग से आ मण कर। इससे आप
त ाल उसी धरातल पर प ं च जाते ह, जहाँ वह है िजस पर आप हमला कर
रहे ह। यह डे िवड और गोिलयाथ रणनीित है : बड़े िवरोधी को चुनकर आप अपनी
महानता का दशन करते ह।
तीसरी बात, अपने से ऊपर बैठे लोगों को िकसी न िकसी तरह का तोहफ़ा द। यह
उन लोगों की रणनीित है , िजनका कोई संर क होता है । अपने संर क को उपहार
दे कर आप दरअसल यह कह रहे ह िक आप दोनों समान ह।
याद रख : अपनी क़ीमत तय करना आप पर है । कम माँ गगे, तो आपको कम
िमलेगा। इसिलए ादा माँ ग और यह संकेत द िक आप शाही ख़ज़ाने के कािबल ह।
जो लोग आपकी माँ ग को ीकार नहीं करगे, वे भी आपके आ िव ास के िलए
आपका स ान करगे और अंततः यह स ान आपको ऐसे तरीकों से लाभ दे गा,
िजनकी आप क ना भी नहीं कर सकते ह।
त ीर : मुकुट। इसे िसर पर रखते ही आप एक अलग मु ा म आ जाते ह शांत लेिकन िव ास से भरपूर।
शंका न कर, मुकु ट पहनते समय अपनी ग रमा न खोएँ , वरना यह आपके िसर पर िफ़ट नहीं होगा। उस थित
म यह आपसे ादा यो के नाप का होगा। इस बात का इं तज़ार न कर िक कोई दू सरा आपको मुकु ट
पहनाए; महान स ाटों ने अपने मुकु ट खुद पहने ह।
िवशेष की राय : हर को स ाट की तरह वहार करना चािहए। अपने सभी कामों को स ाट
जैसा बनाएँ । महान काम कर, ऊँ चे िवचार रख और अपने सभी कामों के मा म से यह दिशत कर िक भले ही
आप सचमुच स ाट नहीं ह, लेिकन आप स ाट बनने के कािबल ह। ( बा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 35: टाइिमंग की कला म मािहर
बन
िवचार
कभी ज बाज़ी म न िदख। ज बाज़ी से ऐसा लगता है , जैसे आपका खुद पर और
समय पर िनयं ण नहीं है । हमेशा धैयवान नज़र आएँ , जैसे आपको यह िव ास हो
िक आ खरकार आप सफल होंगे। सही पल को खोज। समय की आ ा को परख।
उन वृि यों को समझ ल, जो आपको श शाली बनाएँ गी। अगर समय अभी
अनुकूल नहीं है , तो म पीछे र ँ गा, लेिकन अनुकूल समय आने पर म कसकर वार
क ँ गा।
पिशया के सु ान ने दो लोगों को मौत की सजा सुनाई। उनम से एक यह जानता था। िक सु ान अपने घोड़े से
ब त ेम करता था। उसने सु ान से कहा िक अगर वह उसकी जान ब दे गा, तो वह एक साल म उसके
घोड़े को उड़ना िसखा दे गा। सु ान यह सुनकर खुश हो गया िक वह दु िनया के इकलौते उड़ने वाले घोड़े पर
सवारी कर सकता है । वह इस बात के िलए तैयार हो गया। दू सरे कै दी ने अपने िम की तरफ़ अिव ास से दे खा
और बोला, “ तुम जानते हो िक कोई भी घोड़ा नहीं उड़ सकता है । तुमने इस तरह की पागलपन की बात सोची
भी कै से? तुम तो िसफ अपनी मौत को एक साल के िलए टाल रहे हो। " पहला कै दी बोला, “ ऐसी बात नहीं है ।
मने दरअसल खुद को तं ता के चार मौके िदए ह। पहली बात, सुलतान एक साल के भीतर मर सकता है ।
दू सरी बात, म मर सकता ँ । तीसरी बात, घोड़ा मर सकता है । और चौथी बात ... हो सकता है , म घोड़े को
उड़ना िसखा ही दू ँ ! "आर.जी.एच. िसक, द ा ऑफ पॉवर, 1979
हम खोया आ थान तो वापस पा सकते ह, लेिकन कभी समय को वापस नहीं पा सकते । नेपोिलयन,
1769-1821

श की कंु जी
समय एक कृि म अवधारणा है , िजसे हमने खुद बनाया है । हमने ां ड के असीम
प को ादा सहनीय और मानवीय बनाने के िलए समय को ईजाद िकया है ।
चूंिक हमने समय की अवधारणा को बनाया है , इसिलए हम इसे कुछ हद तक मोड़
सकते ह और इसके साथ खलवाड़ कर सकते ह। ब े का समय लंबा और धीमा
होता है , जबिक वय का समय ब त तेज़ी से गुज़र जाता है । समय
अनुभूित पर िनभर करता है , जो इ ानुसार बदली जा सकती है । यह वह पहली
बात है , जो हम टाइिमंग की कला म महारत हािसल करने के िलए समझ लेना
चािहए।
हमारे पास तीन तरह के समय होते ह, िजनसे हम जूझना पड़ता है । हर एक म
सम ाएँ होती ह, िज कुशलता और अ ास से सुलझाया जा सकता है । सबसे
पहले तो लंबा समय है : बरसों लंबा समय, िजसका बंधन धैय और मागदशन ारा
िकया जाना चािहए। िफर ता ािलक समय है : अ कालीन समय, िजसका
इ ेमाल आ ामक हिथयार के प म अपने िवरोिधयों की टाइिमंग गड़बड़ाने के
िलए करना चािहए। अंत म, समापन समय है , जब हम योजना को तेज़ी और श
के साथ पूरा करना होता है । हमने सही समय का इं तज़ार िकया है और इसके आने
के बाद अब हम िहचकना नहीं चािहए।
लंबा समय। जब आप डर और अधीरता से श पाना चाहते ह, तो आप ब त सी
सम ाएँ पैदा कर लेते ह, िज सुलझाने की ज रत होती है । इ सुलझाने म ब त
ादा समय लग जाता है , जो उस थित म नहीं लगता, अगर आपने समय िलया
होता। ज बाज़ी कभी-कभार ज ी तो प ँ चा दे ती है , लेिकन इससे नए ख़तरे खड़े
हो जाते ह। ज बाज़ी करने वाले लोग िनरं तर संकट की थित म रहते ह और उन
सम ाओं को सुलझाने म ही लगे रहते ह, िज उ ोंने खुद पैदा िकया है । कई बार
ख़तरे की थित म कुछ न करना ही सव े कदम होता है आप इं तज़ार करते ह
और जान-बूझकर अपनी गित धीमी कर दे ते ह। जब सही समय आएगा, तो अंततः
यह आपको ऐसे अवसर दे गा, िजनकी आपने क ना भी नहीं की थी।
आप जान-बूझकर समय को धीमा इसिलए नहीं करते ह, ोंिक आप ादा लंबा
जीना चाहते ह या उस पल का ादा आनंद लेना चाहते ह। आप ऐसा इसिलए करते
ह, ोंिक आप श के खेल को बेहतर तरीके से खेलना चाहते ह। जब आपका
म ता ािलक आपातकालीन थितयों के बोझ से मु होगा, तभी आप
भिव म आगे तक दे ख पाएं गे। तभी आप लोगों ारा िदए जा रहे लोभनों का
ितरोध भी कर पाएँ गे। इस तरह आप अधीर मूख बनने से बच जाते ह। श की
नींव बनाने म आपको बरसों का समय लग सकता है , बहरहाल यह सुिनि त कर िक
वह नींव सुरि त हो। कुछ समय चमकने वाले न बन जो सफलता धीरे -धीरे लेिकन
िनि त प से बनती है , िसफ वही अंत तक कायम रहती है ।
ता ािलक समय। समय को िववश करने का राज़ यह है िक आप दू सरों की
टाइिमंग गड़बड़ा द। उ ज बाजी से काम करने, इं तज़ार करने, ाभािवक गित
से भटकाने और उनके समय के एहसास को िवकृत होने के िलए िववश कर द। जब
आप धैयवान रहकर सही समय का इं तज़ार करते ह और अपने िवरोधी की टाइिमंग
गड़बड़ा दे ते ह, तो आप आधी लड़ाई जीत लेते ह।
लोगों से इं तज़ार करवाना समय को िववश करने का एक सश तरीका है । वे नहीं
जानते ह िक आप ा करने वाले ह, ोंिक घड़ी को आप िनयंि त करते ह। वे
आपका इं तज़ार करते ह और ज ी ही आपको ऐसे अवसर दे ते ह, िजनका आप
लाभ उठा सकते ह। इसका िवपरीत भाव भी इतना ही श शाली है : आप अपने
िवरोिधयों से ज बाज़ी म काम करवाते ह। उनके साथ शु आत तो धीमी कर,
लेिकन िफर अचानक उन पर दबाव बढ़ा द। उ यह लगने द िक हर चीज़ त ाल
हो रही है । िजन लोगों के पास सोचने का समय कम होता है , उनसे ग़लितयाँ ादा
होती ह, इसिलए उनके िलए डे डलाइन तय कर।
समापन समय। हो सकता है आप खेल को कुशलता से खेल सकते हो, हो सकता
आप काम करने सही पल का इं तजार कर सकते हो, हो सकता है आप अपने
ितयोिगयो की टाइिमंग गडबड़ाकर उनकी कुशलता को भािवत कर सकते हो,
लेिकन आपको तय तक कोई फायदा नहीं होगा, जब तक आप यह न जानते हो िक
काम को पूरा कैसे करना है । धैय का तब तक कोई मतलब नहीं है , जब तक िक
इसके साथ यह इ ा न हो िक सही समय पर आप अपने िवरोधी पर िनममता से
हमला कर दगे। आप समापन समय का िजतना चाहे , इं तज़ार कर, लेिकन जब यह
सामने आए, तो काम त ाल पूरा कर द। अपने िवरोधी की पंगु बनाने के िलए, गित
का इ ेमाल कर।
त ीर : बाज़। वह धैय और शांित से आसमान का च र लगाता है। वह अपनी श शाली आँ खों से सब
कु छ दे ख लेता है । नीचे के लोगों को यह पता ही नहीं होता िक वह उ दे ख रहा है । जब सही पल आता है , तो
बाज़ इतनी तेजी से नीचे झप ा मारता है िक उससे बचा नहीं जा सकता। इससे पहले िक िशकार यह जान पाए
िक ा हो रहा है , बाज़ के नुकीले पंजों म दबकर वह आसमान म प ँ च जाता है ।
िवशेष की राय : इं सान की प र थितयों म भी एक ार आता है, िजस पर सवार होकर तक़दीर की
मंिज़ल तक प ँ चा जा सकता है , लेिकन अगर इसका लाभ न उठाया जाए, तो िज़ंदगी का सफ़र उथले पानी और
दु खों म ही ख़ होता है । ( जूिलयस सीज़र, िविलयम शे िपयर, 1564-1616 )
िनयम 36: जो चीज आप पा न सक,
उनका ितर ार कर-उ नज़रअंदाज़
करना ही सव े ितशोध है
िवचार
िकसी छोटी सम ा को ीकार करके आप उसे श दान करते ह। आप िकसी
दु न पर िजतना ादा ान दे ते ह, आप उसे उतना ही ादा श शाली बना
दे ते ह और जब आप िकसी ग़लती को ठीक करने की कोिशश करते ह, तो छोटी सी
गलती भी अ र ादा बुरी और िदखती है । कई बार चीज़ों को उनके हाल
पर छोड़ दे ना ही सबसे अ ा होता है । अगर आप कोई चीज़ चाहते तो ह, लेिकन
उसे पा नहीं सकते, तो उसका ितर ार कर। आप िजतनी कम िच िदखाएं गे, आप
उतने ही ादा े िदखगे।
एक बार जॉज बनाड शॉ ने जी.के . चे रटन के आिथक िवचारों की अख़बार म ध याँ उड़ा दीं। इस पर
चे रटन के िम उनके जवाब का इं तज़ार करने लगे। इितहासकार िहलेयर बेलॉक ने उ ऐसा न करने के िलए
कोसा। इस पर चे रटन ने जवाब िदया, " ि य बेलोक, मने उसे जवाब दे िदया है । शॉ जैसे वाचाल आदमी के
िलए ख़ामोशी ही सबसे असहनीय जवाब है । "द िलिटल ाउन बुक ऑफ़ एने डोट् स,
1985, संपादक न े िडमेन
ादातर लोगों के साथ वहार करते समय अगर आप कभी-कभार थोड़े ितर ार का योग करगे, तो कोई
नुकसान नहीं होगा। उसके कारण वे आपकी िम ता को ादा मह दगे। जैसी इटली की एक कहावत है ,
अस ान करना स ान पाने का तरीका है । लेिकन अगर हम िकसी के बारे म सचमुच ब त ऊँ चा सोचते
ह, तो हम उससे यह बात उसी तरह िछपाना चािहए, जैसे यह कोई अपराध हो। ऐसा करना ब त अ ी बात तो
नहीं है , लेिकन यह सही तकनीक है । इं सान की बात तो छोड़ ही द, कोई कु ा भी ब त ादा दयालुतापूण
वहार बदा नहीं कर सकता ! आथर शोपेनहार, 1788-1860

श की कंु जी
इ ा के अवसर िवरोधाभासी प रणाम होते। आप िकसी चीज़ को िजतना ादा
चाहते है , आप उसका िजतना ादा पीछा करते है , यह आपसे उतनी ही दू र भागती
है । आप िजतनी ादा िच िदखाते ह, आपकी इ त व ु उतनी ही दू र रहती है ।
इसका कारण यह है िक आपकी िच ब त बल है - इससे लोग अजीब महसूस
करते ह और कई बार तो डर भी जाते ह। अिनयंि त इ ा से आप कमज़ोर, अयो
और दयनीय नज़र आते ह।
आप िजस चीज़ को चाहते हों, उसम िच न िदखाएँ । इसके बजाय उसके ित
ितर ार और नफ़रत िदखाएँ । इससे इतनी सश िति या उ होगी िक
आपके िशकार पगला जाएँ गे। वे आपको भािवत करने शायद आपको हािसल
करने, शायद आपको नुक़सान प ँ चाने की इ ा से िति या करगे। अगर वे
आपको हािसल करना चाहते ह, तो आपने लोभन दे ने का पहला कदम
सफलतापूवक उठा िलया है । अगर वे आपको नुकसान प ँ चाना चाहते ह, तो आपने
उ िवचिलत कर िदया है और अपने िनयमों के िहसाब से खेलने पर मजबूर कर
िदया है ।
ितर ार, राजा का िवशेषािधकार है । उसकी िनगाह िजधर जाती है , वह िजस चीज़
की तरफ़ दे खने का िनणय लेता है , वही जीिवत है । वह िजस चीज़ को नज़रअंदाज़
करता है , वह िजसकी तरफ़ पीठ फेर लेता है , वह मुदा है । यह स ाट लुई चौदहव
का हिथयार था-अगर वह िकसी को पसंद नहीं करता था, तो वह ऐसा अिभनय
करता था, जैसे वह वहाँ हो ही नहीं। वह संवादहीनता के मा म से अपनी
े ता बनाए रखता था। जब आप ितर ार के तु प का इ ेमाल करते ह, तो आप
समय-समय पर लोगों को िदखा दे ते ह िक उनके िबना भी आपका काम चल सकता
है । इससे आपको श िमलती है ।
अगर नज़रअंदाज़ करने से आपकी श बढ़ती है , तो इसकी िवपरीत नीित यानी
िन ा, और समपण से आप अ र कमज़ोर होते ह। अगर आप िकसी िप ी दु न
की तरफ़ ादा ान दगे, तो आप भी िप ी िदखने लगगे। इस तरह के दु न को
कुचलने म आपको िजतना ादा समय लगेगा, दु न उतना ही बड़ा लगने लगेगा।
दू सरा ख़तरा : अगर आप िचढ़ाने वाले को कुचल दे ते ह या घायल कर दे ते ह, तो
इससे लोगों के मन म कमज़ोर प के िलए सहानुभूित उ हो जाती है ।
अपनी ग़लितयों को सुधारने की कोिशश ब त ही लुभावना िवचार लगता है , लेिकन
हम िजतनी ादा कोिशश करगे, थित उतनी ही िबगड़ जाएगी। कई बार ग़लितयों
को जैसे का तैसा छोड़ दे ना ही ादा कूटनीितक तरीका होता है । सम ा पर ान
कि त करने की ग़लती न कर, ोंिक इससे यह चा रत होता है िक सम ा के
कारण आप िचंता और तनाव म ह। इस तरह के पतरे से थित और िबगड़ जाती है ।
इसके बजाय समझदारी इसी म है िक ितर ार करने वाले सामंत की भूिमका
िनभाएँ और सम ा के अ को ही ीकार न कर। इस रणनीित पर अमल
करने के कई तरीके ह।
पहली नीित तो ख े अंगूर वाली नीित है । मान लीिजए आप िकसी चीज़ को चाहते ह,
लेिकन आप जानते ह िक वह आपको नहीं िमल सकती। ऐसे म आप सबसे बुरा
काम यह कर सकते ह िक आप इसकी िशकायत करके अपनी िनराशा की तरफ़
लोगों का ान आकिषत कर। बहरहाल इससे ब त ादा श शाली रणनीित
यह है िक आप इस तरह काम कर, जैसे आपकी दरअसल उस चीज़ म ज़रा भी िच
न थी, न है और न रहे गी।
दू सरी बात, जब कोई हीन आप पर हमला करे , तो लोगों का ान दू सरी
तरफ़ मोड़ द। इस तरह यह कर द िक आपको उस हमले का एहसास ही नहीं
आ है । दू सरी तरफ़ दे ख या मीठे अंदाज़ म जवाब द और यह िदखाएँ िक हमले का
आप पर असर ही नहीं आ है । इसी तरह जब आप कोई बड़ी गलती कर द, तो
सबसे अ ी िति या यह होती है िक आप ग़लती को ह े अंदाज़ म लेकर
उसकी गंभीरता को कम कर द।
याद रख : छोटी-छोटी िद क़तों और सम ाओं पर सश िति या यही है िक
आप ितर ार और अवहे लना का इ ेमाल कर। कभी यह न िदखाएं िक आप पर
िकसी चीज़ का असर आ है या आपने बुरा माना है इससे तो िसफ यह नज़र आता
है िक आपने सम ा को ीकार कर िलया है । ितर ार एक ऐसा आहार है , जो
सबसे अ ा तभी लगता है , जब उसम कृि मता न िदखे और वह उडा हो।
त ीर : छोटा घाव। यह घाव छोटा होता है, लेिकन यह क कारी और परे शान करने वाला होता है। आप हर
तरह की दवाई आज़माते ह, िशकायत करते है , खुजाते ह। डॉ र इसे और िबगाड़ दे ते ह। वे एक छोटे से घाव
को गंभीर सम ा म बदल दे ते ह। अगर आपने घाव पर ान ही नहीं िदया होता, तो समय इसे भर दे ता और
आपको िचंता भी नहीं होती।
िवशेष की राय : यह सीख िक ितर ार के तु प से कै से खेला जाता है। यह ितशोध की सबसे बड़ी
कू टनीितक चाल है । ब त से लोग गुमनाम ही रह जाते, अगर उनके िति त िवरोिधयों ने उनकी तरफ़ ान
नहीं िदया होता। गुमनामी जैसा कोई ितशोध नहीं है , ोंिक यह अयो लोगों की क़ है , जो अपनी बनाई
शु ता की िम ी म िमल जाते ह। ( वा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 37: चकाचौ ंध का आभामंडल
बनाएँ
िवचार
बल छिव और तीका क मु ाएँ श का आभामंडल बनाती ह सब उन पर
िति या करते ह। अपने आस-पास के लोगों के सामने नाटक कर। इस नाटक म
रोचक त ीर और चमकते तीक भी होने चािहए, जो आपकी उप थित को बढ़ा-
चढ़ाकर बताते हों। िदखावे की चकाचौंध म कोई भी इस तरफ़ ान नहीं दे गा िक
आप दरअसल ा कर रहे ह।
ोटो म साकामोटोया हे िच ान नाम का एक आदमी था ... जब स ाट िहदे योशी ने 1588 के दसव महीने म
अपनी बैठक ( चाय पाट ) बुलाई, तो हे िच ान ने सात फुट ऊँ ची र ी पर नौ फुट की बड़ी लाल छतरी तान दी।
उसने हडल की प रिध म दो फुट तक सरकं डों की कतार इस तरह बांध दी, तािक सूय की िकरण इससे
परावितत हो जाएँ और छाते के रं गों को चारों तरफ़ िछतरा द। यह दे खकर िहदे योशी इतना खुश आ िक उसने
पुर ार म हे िच ान के सभी टै माफ़ कर िदए । ए.एल. सैडलर, चा-नो-यू जापानीज़ टी
सेरेमनी, 1933
श की कंु जी
अपनी पैरवी करने के िलए शवों का इ ेमाल करने म जो खम होता है । श
खतरनाक तीर है और अ र ल से दू र जाकर िगरते ह। लोग हम मनाने के िलए
िजन श ों का इ ेमाल करते ह, ये दरअसल हम अपने शवों पर सोचने के िलए
आमंि त करते ह। हम उनके कहे श ों पर िवचार करते ह और अंत म उनके अथ
की िवपरीत बात पर िव ास करते है ( यह हमारे दु भाव का िह ा है )। कई
बार हम िकसी के श ों से हम चोट प ँ चती है , जबिक उसका ऐसा कोई
इरादा नहीं था।
दू सरी तरफ श ों के जाल म शॉट-सिकट कर दे ता है । इससे भावना क
श और ता ािलकता उ होती है , िजसम सोचने और शक करने के िलए
जगह ही नहीं होती है । संगीत की तरह ही यह भी तािकक िवचारों के ऊपर छलां ग
लगाता है ।
समझ ल : श ों के कारण आप र ा क थित म प ं चते ह। अगर आपको
ीकरण दे ना पड़े , तो इसका मतलब यह है िक आपकी श पर िच लग
चुके ह। दू सरी तरफ़ छिव खुदबखुद जवाब होती है । यह सवालों को हताश करती
है , सश साहचय उ करती है , अनचाही ा ा का िवरोध करती है , त ाल
सं ेषण करती है और ऐसे बंधन बाँ धती है , जो सामािजक िभ ताओं से ऊपर होते
ह। श ों से तक और मतभेद उ होते ह; छिवयाँ लोगों को एक सू म जोड़ती
ह। छिवयाँ श का मूल साधन ह।
तीक म भी यही श होती है , चाहे यह शा क वणन हो, जैसे " सूय राजा। "
तीका क व ु िकसी मूत या अमूत व ु की ओर इशारा करती है । भाववाचक
अवधारणा दे शभ , साहस, ेम भावना क और सश साहचय से भरी होती
है ।
रोमन शासक कॉ े ाइन अपने ादातर जीवन म सूय की पूजा करते रहे , लेिकन
एक िदन सूय की तरफ़ दे खते समय उ उस पर ॉस की छिव िदखाई दी। इसे
दे खने के बाद उ एक नए धम के उदय का सबूत िमल गया और कुछ समय बाद
वे ईसाई बन गए। यही नहीं, उ ोंने पूरे रोमन सा ा का ईसाई धम म धमातरण
करवा िदया। दु िनया भर के भाषण और धािमक वचन भी उन पर इतना सश
भाव नहीं डाल सकते थे। ऐसी छिवयों और तीकों को खोज तथा उनसे जुड़, जो
इस तरह त ाल भािवत कर। ऐसा करने पर आप ब त ादा श शाली बन
जाएँ गे।
छिवयों और तीकों का ऐसा नया संयोग सबसे ादा असरदार होता है , िजसे इससे
पहले एक साथ कभी न दे खा गया हो, लेिकन उनके साथ िमलने से आपका नया
िवचार, संदेश, धम प से दिशत होता हो। पुरानी छिवयों और तीकों के
मा म से नई छिवयों व तीकों की रचना का एक का ा क भाव पड़ता है ।
दे खने वाले उनका ादा ही अथ लगा लेते ह और उ सहभािगता का एहसास
होता है ।
अपने दल या समूह को े रत करने, उ ाह बढ़ाने और एकता बढ़ाने के िलए
तीकों की श का योग कर। 1648 म ां सीसी स ाट के िख़लाफ़ िव ोह के
दौरान िव ोिहयों ने स ाट के वफ़ादारों की तुलना गुलेल से की, िजससे छोटे ब े
बड़े ब ों को डराते थे। कािडनल रे ट् ज़ ने इस अपमानजनक बात को िव ोिहयों का
तीक बनाने का फैसला िकया। ज ी ही िव ोह का नाम इसी बात पर पड़ गया। वे
गुलेल के तीक को अपने है ट पर लगाने लगे और यह श उनका नारा बन गया।
इसके िबना िव ोह टाय-टाय िफ हो गया होता। हमेशा अपने उ े का
ितिनिध करने के िलए एक तीक खोज भावना क साहचय िजतने ादा होंगे,
उतना ही अ ा होगा। छिवयों और तीकों का योग करने का सबसे अ ा तरीका
उ भ त ीर का प दे ना है , तािक लोगों म आ यिमि त भय उ हो और वे
अि य वा िवकताओं को भूल जाएँ । यह करना आसान है : लोग भ और जीवन
से बड़ी चीज़ों से ेम करते ह। अगर आप उनकी भावनाओं को उकसाएँ गे, तो वे
झुंड बनाकर आपके भ तक आ जाएं गे। उनके िदलों तक प ँ चने का सबसे
आसान तरीका उ भ त ीर िदखाना है ।
त ीर : ॉस और सूय। सलीब और जलन पूण चमक। दोनों को साथ रख िदया जाए, तो एक नई
स ाई पैदा हो जाती है और एक नई श का उदय होता है । तीक िकसी ीकरण की आव कता नहीं
है ।
िवशेष की राय : लोग हमेशा चीज़ों के सतही प से भािवत होते ह ... राजा को हमेशा समय-समय पर
लोगों को उ वों और तमाशों म रखना चािहए। ( िनकोलो मैिकयावली, 1469-1527 )
िनयम 38: जैसा चाहे सोच, लेिकन
वहार सबके जैसा कर
िवचार
अगर आप समय के खलाफ़ चलते नज़र आएं गे, अगर आप अपारं प रक िवचारों
और अ चिलत तौर-तरीकों को दिशत करगे, तो लोग सोचगे िक आप िसफ उनका
ान खींचना चाहते ह, इसिलए वे आपको िहकारत से दे खगे। चूंिक आपने उ हीन
महसूस कराया है , इसिलए आपको दं ड दे ने का रा ा खोज लगे। यह ादा
सुरि त है िक आप सबके साथ घुल-िमल जाएँ और सामा िदखने का अ ास
कर। अपने मौिलक िवचार िसफ सिह ु िम ों या उ ीं को बताएं , िजन पर आपको
भरोसा हो िक वे आपके अनूठेपन की क करगे।
नाग रक और या ी | नाग रक ने कहा, “ या ी, अपने चारों तरफ़ दे खो। यह दु िनया का सबसे बड़ा
बाजार है । " या ी ने कहा, " िबलकु ल नहीं। " नाग रक ने कहा, " शायद यह सबसे बड़ा बाजार तो नहीं है ,
लेिकन यह है ब त अ ा। " या ी ने कहा, " तुम िनि त प से गलत हो। " म तु बता सकता ँ िक दु िनया
का सबसे बड़ा या अ ा बाज़ार कौन सा है ... " उस शहर के नाग रकों ने उस अजनबी या ी को शाम के
धुंधलके म दफ़न कर िदया। े व , रॉबट लुई ीवे न, 1850-1894
अगर मैिकयावली का िश कोई राजा होता, तो उसने उसे करने के िलए पहली चीज़ यह दी होती िक वह
मैिकयावली के िस ांतों के खलाफ़ कोई पु क िलखे । वो े यर, 1694-1778

श की कंु जी
हम सब झूठ बोलते ह और अपनी स ी भावनाएँ िछपाते ह, ोंिक पूणता स ी
अिभ सामािजक प से असंभव है । बचपन से ही हम अपने िवचार िछपाना
सीख लेते ह और क कारी तथा असुरि त लोगों को वह बताते ह, जो वे सुनना
चाहते ह। हम ब त सावधानी से बोलते ह, तािक उ हमारी बात बुरी न लग जाए।
हमम से ादातर लोगों के िलए यह ाभािवक है । कई ऐसे िवचार और िस ां त ह,
िज अिधकां श लोग ीकार करते ह और इस बारे म बहस करना बेकार है । हम
उसी चीज़ पर भरोसा करते ह, िजस पर हम भरोसा करना चाहते ह, लेिकन हम
नकाब पहन लेते ह।
बहरहाल ऐसे लोग भी होते ह, जो अपनी तं ता पर लगे इस तरह के बंधनों को
असहनीय मानते ह। वे अपने िस ां तों और िव ासों की े ता सािबत करना चाहते
ह। हालां िक उनके तक िसफ कुछ लोगों को ही सही लगते ह, जबिक ादातर लोग
उनसे िचढ़ जाते ह। तक काम नहीं करते ह, इसकी वजह यह है िक ादातर लोग
िबना सोचे-समझे अपने िवचारों और िस ां तों को मानते चले जाते ह। उनकी
मा ताओं म बल भावना क त होता है । वे अपने सोचने की आदतों को दोबारा
नहीं ढालना चाहते ह और जब आप उ चुनौती दे ते ह ( चाहे आप अपने तक ारा
प से द या अपने वहार ारा अ प से द ), तो वे िचढ़ जाते ह।
समझदार और चतुर लोग ज ी ही यह सीख लेते ह िक चाहे उ परं परा पर िव ास
हो या न हो, उ पारं प रक वहार करना चािहए और परं परागत िवचार
करना चािहए। इस तरह ख़ुद को ढालने से इन लोगों को यह श िमल जाती है िक
वे अपने मनचाहे िवचार सोच सकते ह और उ अपने मनचाहे लोगों के सामने
कर सकते ह, लेिकन उ अकेलापन नहीं झेलना पड़ता। श शाली थित
म आने के बाद वे एक बड़े समूह को अपने िवचारों के सही होने के बारे म िव ास
िदला सकते ह शायद अ प से काम करके।
यह क ना करने की मूखता न कर िक आज के समय म पुरानी परं पराएँ ख़ हो
चुकी ह। उदाहरण के िलए, जोनस साक ने सोचा िक िव ान राजनीित और
ोटोकॉल से आगे िनकल चुका है । इसिलए पोिलयो के टीके की खोज म उ ोंने सारे
िनयम तोड़ डाले। वै ािनक समुदाय को िदखाने से पहले अपनी खोज जनता के
सामने ले जाकर उ ोंने टीके का सारा ेय ले िलया। उ ोंने उन वै ािनकों के
योगदान को ीकार नहीं िकया, िज ोंने उ राह िदखाई थी। नतीजा यह आ िक
वे ार बन गए। जनता उनसे ेम करती थी, लेिकन वै ािनक उनसे दू र ही रहते थे।
अपने समुदाय की परं पराओं की अव ा के कारण वे अलग-थलग पड़ गए। उ ोंने
इस दू री को पाटने के िलए बरसों तक कोिशश की और धनरािश तथा सहयोग के
िलए संघष िकया।
श शाली लोग न िसफ जोनस साक जैसे अपराध से बचते ह, ब वे चालाक
लोमड़ी का अिभनय करना भी सीख लेते ह और आम आदमी होने का नाटक करते
ह। चतुर कलाकारों और राजनेताओं की सिदयों से यही नीित रही है । जूिलयस
सीज़र और किलन डी . जवे जैसे नेताओं ने आम आदमी जैसा िदखने के
िलए अपने ाभािवक सामंती प को बदला। उ ोंने इसे छोटी-छोटी
तीका क मु ाओं म िकया, तािक लोग दे ख सक िक उनके ऊँचे पद पर
प ँ चने के बावजूद वे आम जनता के जीवनमू ों पर चलते ह।
इस वहार का तािकक िव ार यह है िक आप हर एक के सामने उस जैसे हो
जाएँ । यह यो ता अमू है । समाज म जाने पर अपने खुद के िवचारों व जीवनमू ों
को पीछे छोड़ द और उस नक़ाब को लगा ल, जो उस समूह म लगाना सबसे उिचत
है । िब ाक ने यह खेल बरसों तक खेला उस समय ऐसे लोग थे, जो अ प से
उनके इरादे समझते थे, लेिकन ब त ता से नहीं समझते थे। लोग आपका डाला
दाना आसानी से िनगल लगे। कारण यह है िक उ यह िव ास हो जाएगा िक
आपके िवचार भी उनके जैसे ह। यह उ अपनी चापलूसी लगेगी। अगर आप
सावधान रह, तो वे आपको पाखंडी नहीं मानगे। जब तक आप खुद ही उ अपनी
असली िवचार नहीं बताएँ गे, तब तक वे आप पर पाखंड का आरोप लगा भी कैसे
सकते ह? न ही वे आपको जीवनमू ों से हीन मानगे। जािहर है , उनके साथ रहते
समय आपके जीवनमू भी उ ीं जैसे िदखते ह।
त ीरः काली भेड़ | भेड़ों का झुंड काली काली भेड़ को दू र रखता है, ोंिक उ यह िव ास नहीं होता
िक काली भेड़ उनम से एक है । इसिलए काली भेड़ झंुड से पीछे रह जाती है या दू र चलती है , जहाँ भेिड़ए इसे
फंसा लेते ह और खा जाते ह। झुंड के सं ा म श होती है । अपनी िभ ताओं को अपने मन म ही रख, उ
सबके सामने उजागर न कर।
िवशेष की राय : कु ों को पिव चीज न द। सुअरों की तरफ़ मोती न उछाल, ोंिक वे उन पर पैर
रखकर उ चूर-चूर कर दगे और आप पर हमला कर दगे। ( ईसा मसीह, मै ू 7 : 6 )
िनयम 39: मछली पकड़ने के िलए पानी
िहलाएँ
िवचार
ोध और भावनाएँ रणनीित की ि से नुकसान प ं चाती ह। आपको हमेशा शां त
और उ े पर कि त रहना चािहए। यं शां त रहते ए अगर आप अपने श ुओं
को गु ा िदला सक, तो आपको िनि त प से लाभ होता है । अपने श ुओं को
असंतुिलत कर द। उनके दं भ म कोई दरार खोज, िजसके ारा आप उ िहला
सक। अगर आप ऐसा करगे, तो उनकी बागडोर आपके हाथ म होगी। |
अगर संभव हो, तो िकसी के ित श ुता महसूस नहीं करना चािहए ... िकसी से गु े म बोलना, श ों या
हावभाव से नफ़रत का दशन करना अनाव क तो है ही, ख़तरनाक, मूखतापूण और घिटया भी है । गु ा या
नफ़रत कभी नहीं िदखाना चािहए। आपको जो कु छ भी िदखाना हो, अपने काम से िदखाएँ । कम करते समय
आपकी भावनाएँ अिधक भावी होंगी, ोंिक आपने िकसी और तरीके से उनका दशन नहीं िकया है । िसफ
ठं डे खून वाले जानवरों का काटना ही ज़हरीला होता है । आथर शोपेनहार, 1788-1860
ि तीय ेणी के एक अफसर िकनयो का एक भाई था, िजसे पुरोिहत योगाकू कहा जाता था। वह ब त बुरे भाव
का था। उसके मठ के पास िब ू -बूटी का एक बड़ा पेड़ था, इसिलए लोगों ने उसका नाम िब ू -बूटी पुरोिहत
रख िदया। पुरोिहत ने कहा, " यह िकतना घिटया नाम है । " उसने पेड़ कटवा िदया, लेिकन उसका ठू ँ ठ िफर भी
बचा रह गया। लोग अब उसे ठू ँ ठ पुरोिहत कहने लगे। पहले से भी ादा गु ा होकर पुरोिहत ने उस ठू ँ ठ को
भी उखड़वा कर दू र िफंकवा िदया, लेिकन इससे वहाँ पर ग ा हो गया। अब लोग उसे ग ा पुरोिहत कहने लगे
। आइडलनेस, कको, जापान, चौदहवी ं सदी

श की कंु जी
गु ैल लोग आम तौर पर मूख नज़र आते ह . ोंिक वे छोटे से कारण पर ब त
ादा िति या करते ह। वे चीज़ों को कुछ ादा हो गंभीरता से ले लेते ह और
अपनी चोट या अपमान को बढ़ा-चढ़ाकर महसूस करते ह। वे अपमान के ित ब त
संवेदनशील होते ह और यह दे खना मज़ेदार होता है िक वे हर चीज़ को गत
मान लेते ह। इससे भी मज़ेदार बात यह है िक वे यह मानते ह िक उनका गु ा
श का तीक है । स ाई इसके िवपरीत है । िचड़िचड़ापन श की नहीं,
कमज़ोरी की िनशानी है । हो सकता है लोग अ थायी प से आपके भावावेश से
सहम जाएं , लेिकन उनके मन म आपके ित स ान नहीं रहे गा। वे यह भी समझ
लेते ह िक िजस म इतना कम आ -िनयं ण है , उसे वे आसानी से न कर
सकते ह।
बहरहाल, इसका समाधान यह नहीं है िक हम अपने गु े या भावना क
िति याओं का दमन कर द। दमन हमारी ऊजा को िनचोड़ लेता है और हमारे
वहार को अजीब बना दे ता है । इसके बजाय हम अपना ि कोण बदलना चािहए।
हम यह एहसास होना चािहए िक सामािजक े और श के खेल म कुछ भी
गत नहीं है ।
हर घटनाओं की ऐसी ृंखला म उलझा आ है , जो ब त पहले शु ई थीं।
हमारा गु ा अ र हमारे बचपन की सम ाओं से उ होता है , हमारे माता-
िपता का गु ा उनके बचपन की सम ाओं से उ होता है , और इसी तरह
िसलिसला चलता रहता है । हमारे गु े की जड़ दू सरों ारा अब तक हमारे साथ
िकए गए वहार म होती ह। हमारे गु े की जड़ उन असफलताओं तथा दु खों म
होती ह, िज हमने िजंदगी म झेला है । जब कोई अ र हम गु ा िदलाता
है , तो बात इतनी सी नहीं होती। यह इससे जिटल मामला है । उस ने हमारे
साथ ा िकया, बात इससे ब त आगे तक जाती है । अगर कोई आप पर
आगबबूला हो जाता है ( और आपको ऐसा लगता है िक आपकी ग़लती की तुलना म
उसका गु ा ब त ादा है ) तो आपको खुद को यह याद िदलाना चािहए िक
उसका पूरा गु ा शायद आप पर कि त नहीं है । यह मुगालता न पाल। उस गु े
का कारण इससे कहीं ादा बड़ा और पुराना है । इसम उसकी िजंदगी के दजनों
पुराने घाव शािमल ह और यह इतना मू वान नहीं है िक उसे समछाने की झंझट
मोल ली जाए। िकसी के गु े या भावना क आवेश को गत वैमन के प
म न दे ख, इसे तो इस प म दे ख िक सामने वाला आप पर श पाने के िलए यह
चाल चल रहा है । वह आहत भावनाओं और गु े के पीछे िछपकर आपको िनयंि त
करने या सज़ा दे ने की कोिशश कर रहा है ।
जब आप अपना नज़ रया बदल लगे, तो आप ादा ता और ऊजा के साथ
श का यह खेल खेल सकगे। तब आप अित- िति या करने और लोगों की
भावनाओं म उलझने के बजाय उनके गु े से लाभ उठा पाएं गे।
तीसरी सदी म ी िकंगड नाम का मह पूण यु आ। इसम साओ-साओ नाम
के सेनापित के सलाहकारों के हाथ कुछ ऐसे द ावेज लग गए, िजनसे यह पता चला
िक उनके कुछ जनरलों, ने दु न के साथ िमलकर ष ं िकया था। उ ोंने
सेनापित को सलाह दी िक वह उन जनरलों को िगर ार करके सज़ा दे , लेिकन
सेनापित ने ऐसा नहीं िकया। इसके बजाय उसने द ावेज़ों को जलाने और मामले
को भूल जाने का आदे श िदया। यह यु का िनणायक पल था और उस समय
िवचिलत होने या ायपूण काम करने से जीतना मु ल हो जाता। उसके गु े भरे
काम से लोगों का ान जनरलों की ग ारी की तरफ़ जाता, िजससे सैिनकों का
मनोबल कम हो जाता। ाय तो बाद म भी हो सकता था। ग ार जनरलों को सज़ा
तो बाद म भी दी जा सकती यो। साओ-साओ ने अपने िदमाग का इ ेमाल करके
सही िनणय िलया।
गु ा िसफ आपके िवक ों को कम करता है और श शाली िवक ों के
िबना फल-फूल नहीं सकता। जब आप यह सीख जाते ह िक मामलों को गत
नहीं मानना है और अपनी भावना क िति याओं पर काबू रखना है , तो आप म
ज़बद श आ जाती है : अब आप दू सरों की भावना क िति याओं से खेल
सकते ह। असुरि त लोगों को काम करने के िलए उकसाने का तरीका यह है िक
आप उनकी मदानगी पर संदेह कट कर और उ आसान िवजय की संभावना
िदखाए। गमिमज़ाज दु न के सामने सबसे अ ी िति या यही है िक कोई
िति या ही न की जाए। जब बाक़ी सबका िदमाग़ गम हो रहा है , तो ठं डे िदमाग
वाले से ादा गु ा िदलाने वाली और कोई चीज़ नहीं है । अगर लोगों को
िवचिलत करने से आपको लाभ होता है , तो सामंतों की तरह बो रयत भरी मु ा का
नाटक कर : यह मु ा मखौल उड़ाने वाली या िवजयी नहीं होना चािहए, ब िसफ़
उदासीन होना चािहए। इससे उनका यूज़ उड़ जाएगा। जब वे गु े की बौखलाहट
से खुद को ल त करगे, तो आप कई जीत हािसल करगे। इनम से एक जीत यह है
िक उनके बचपने के बावजूद आपने अपनी ग रमा और शां ित कायम रखी है ।
त ीर : मछिलयों से भरा तालाब। पानी व शांत है और मछिलयाँ सतह के काफ़ी नीचे ह।
पानी को िहलाएँ , तो वे ऊपर आ जाएं गी। पानी को कु छ और ादा िहलाएं गे, तो उ गु ा आ जाएगा और वे
सतह पर आकर सबसे पास वाली चीज़ को काटने लगगी-िजसम ताज़ा दाना लगा क भी शािमल होगा।
िवशेष की राय : अगर आपका िवरोधी गु ैल है, तो उसे िचढ़ाने की कोिशश कर। अगर वह दं भी है,
तो उसके गव को हवा दे ने की कोिशश कर ... जो अपने श ु से कदम बढ़वाने म कु शल होता है , वह इस
तरह अपनी मनचाही थित पैदा कर लेता है और श ु से अपनी इ ा के अनुसार काम करवाता है । वह श ु को
ऐसा लोभन दे ता है , िजस पर वह िनि त िति या करता है । वह उस दाने या लोभन को िदखाकर श ु से
क़दम बढ़वाता है और िफर अपने चुने ए सैिनकों के साथ उस पर हमला कर दे ता है । ( सुन ू, चौथी सदी,
ई.पू. )
िनयम 40: मु लंच का ितर ार कर
िवचार
मु म िमली चीज़ ख़तरनाक होती है । आम तौर पर इसम कोई चाल या एहसान
िछपा होता है । िजस व ु का कोई मू होता है , वह कीमत चुकाने लायक होती है ।
जब आप क़ीमत चुकाते ह, तो आप कृत ता, अपराधबोध और धोखे से बचे रहते ह।
अ र पूरी कीमत चुकाने म ही समझदारी होती है -उ ृ ता के साथ िकसी तरह
का समझौता नहीं करना चािहए। अपने धन को उदारता से ख़च कर और इसे
वािहत होने द। उदारता श की िनशानी है और इसे खींचने वाला चुंबक भी है ।
एक कं जूस ने अपनी सारी संपि को सुरि त रखने के िलए सब कु छ बेच िदया और सोने का एक बड़ा ढे ला
खरीद िलया, िजसे उसने ज़मीन म एक ग े म िछपा िदया। इसके बाद वह हर िदन उसे दे खने जाता था। इससे
उसके एक नौकर की उ ुकता जाग गई। उसे शक हो गया िक मािलक ने वहाँ पर ख़ज़ाना िछपाकर रखा होगा।
जब मािलक वहाँ से चला गया, तो वह उस जगह पर गया और उसने सोने का ढे ला चुरा िलया। जब कं जूस अगले
िदन अपना ख़ज़ाना दे खने गया और उसे वह जगह खाली िमली, तो वह रोने लगा और अपने बाल नोंचने लगा।
एक पड़ोसी ने जब उसे इतना दु खी दे खा और उसे कारण पता चला, तो वह बोला, " िचंता मत करो ! एक बड़ा
सा प र उठाकर उसी जगह पर रख दो और उसे ही अपना सोने का ढे ला मान लो। चूँिक तुम उसका इ ेमाल
तो करना ही नहीं चाहते थे, इसिलए प र और सोने के ढे र म कोई फ़क नहीं है । " धन का मू उसका ामी
बनने म नहीं, ब उसका उपभोग करने म है । े व , ईसप, छठी सदी ई.पू.

धन एवं श
श के े म हर चीज़ का मू ां कन उसकी कीमत के आधार पर िकया जाना
चािहए . ोंिक हर चीज़ की एक कीमत होती है । मु या ब त स े म जो िदया
जाता है उसकी अ र एक मनोवै ािनक कीमत होती है एहसान की जिटल भावना,
गुणव ा के साथ समझौता, समझौते के कारण उ असुर ा आिद। श शाली
ज ी ही अपने सबसे ब मू संसाधनों यानी अपनी तं ता और चाल
चलने की जगह को सुरि त रखना सीख लेते ह। पूरी कीमत चुकाकर वे ख़तरनाक
बंधनों और िचंताओं से मु रहते ह।
धन के मामले म उदार और लचीला बनना रणनीितक उदारता के मू भी िसखाता
है , जो इस पुरानी चाल का ही दू सरा प है , " लेने से पहले द। " उिचत उपहार
दे कर आप सामने वाले पर एहसान लाद दे ते ह। उदारता से लोग अ र नम पड़
जाते ह। िफर उ धोखा िदया जा सकता है । उदारता की छिव के कारण लोग
आपकी तारीफ करते ह और आपकी चालों की तरफ़ उनका ान नहीं जाता।
अगर एक धन के साथ खेलता है , तो हज़ारों लोग धन का रचना क और
रणनीितक योग करने से कतराते ह और इस तरह अपने ही पैरों पर कु ाड़ी मार
लेते ह। इस तरह के लोग अ र श शाली लोगों के िवपरीत ुव पर रहते ह और
आपको उ पहचानना सीख लेना चािहए, तािक आप उनके जहरीले भाव से बच
सके या उनकी कठोरता से लाभ उठा सक।
लोभी मछली। लोभी मछली धन को ही दे खती है , मानवीय पहलू को नहीं दे खती। ये
लोग भावहीन और बेरहम होते ह। वे िसफ बेजान खुद बैलस शीट को ही दे खते ह।
दौलत का पीछा करते समय ये लोग दू सरों को या तो ादा समझते ह या िफर
बाधा। वे दू सरों की भावनाओं को कुचलते ह और मू वान सहयोिगयों को दू र कर
लेते ह। कोई भी लोभी मछली जैसे लोगों के साथ काम नहीं करना चाहता है
और बरसों बाद वे अंत म अकेले रह जाते ह, िजससे अ र वे बबाद हो जाते ह।
उ धोखा दे ना आसान है : िसफ आसान धन का दाना डालकर उ ललचाएँ । वे न
िसफ दाना, ब धागा, काँ टा, लाइन, डं डा सब कुछ िनगल जाएँ गे। वे आपका
शोषण कर, इससे पहले या तो उनसे बचकर िनकल जाएँ या िफर उनके लोभ से
लाभ उठाएँ ।
भाव-ताव का रा स। श शाली लोग हर चीज़ का मू ां कन इस बात से करते ह
िक इसकी लागत ा है , िसफ पैसों की नहीं, ब समय, ग रमा, और मानिसक
शां ित की भी और यही भाव-ताव करने वाले लोग नहीं कर सकते। भाव-ताव करते
समय वे अपना कीमती समय बबाद करते ह। वे हमेशा यही िचंता करते रहते ह िक
उ कोई चीज़ थोड़े कम दाम पर कहाँ िमल सकती है । इसके अलावा, भाव ताव
करने के बाद ये जो सामान खरीदते ह, वह अ र घिटया होता है । शायद उसम
महं गी मर त की ज रत होती है या िफर उसे अ ी ािलटी की चीज से ादा
ज ी बदलना पड़ता है । इस तरह के लोग िसफ खुद को नुकसान प ं चाते ह,
लेिकन उनका नज रया सं ामक होता है ।
परपीडक। आिथक प से परपीड़क लोग श के ब त खतरनाक खेल खेलते ह
और अपनी श को कट करने के िलए धन का इ ेमाल करते ह। उदाहरण के
िलए, वे धन दे ने से पहले आपको इं तज़ार करवाते ह और आपसे यह वादा करते ह
िक उ ोंने चेक डाक से िभजवा िदया है । परपीड़क यह सोचते ह िक अगर वे िकसी
को धन दे रहे ह, तो उ बदले म उस को परे शान करने का अिधकार िमल
गया है । उ धन के मामले म दरबारी गुणों का कोई एहसास ही नहीं होता। अगर
आप इतने दु भा शाली ह िक ऐसे के साथ संबंिधत हो चुके हों, तो उसके इन
ख़तरनाक खेलों म उलझने के बजाय आिथक नुकसान उठाना ही लंबे समय म
बेहतर होता है ।
बेहद उदारता। उदारता श के े म एक िनि त भूिमका िनभाती है : यह लोगों
को आकिषत करती है , उ नम बनाती है , उ सहयोगी बनाती है । लेिकन इसका
योग रणनीितक प से िकया जाना चािहए और आपके म म एक िनि त
ल होना चािहए। दू सरी तरफ़, बेहद उदार लोग िसफ इसिलए उदार होते ह,
ोंिक ये सबका ेम और शंसा चाहते ह। चूंिक उदारता िदखाते समय ये पा और
कुपा पर िवचार नहीं करते ह, इसिलए हो सकता है िक उनकी उदारता का
मनचाहा असर ही न हो। अगर वे सबको दे ते ह, तो पाने वाला खुद को ख़ास ों
समझेगा? हालाँ िक बेहद उदार लोगों को अपना िनशाना बनाना आकषक लग
सकता है , लेिकन इस तरह के लोगों के साथ िकसी भी संबंध म आप अ र उनकी
भावना क ज़ रतों का बोझ महसूस करगे |
त ीर : नदी। खुद की र ा करने या अपने संसाधनों को बचाने के िलए आप इस पर बाँध बना दे ते ह।
बहरहाल ज ी ही पानी ठहर जाता है और सं िमत हो जाता है । इस ठहरे पानी म ब त घिटया ाणी ही िजंदा
रह सकते ह। कोई भी वहाँ या ा नहीं करता है और सारा वसाय ठ हो जाता है । बाँध को िगरा द। बहते पानी
से हमेशा चुरता, दौलत और श पैदा होती है । नदी म समय-समय पर बाढ़ आनी ही चािहए, तािक अ ी
चीज सम हो सक।
िवशेष की राय : जो बड़ा आदमी कं जूस होता है, वह महामूख होता है। उ पदों पर बैठे आदमी के
िलए कं जूसी से ादा हािनकारक कोई अवगुण नहीं होता है । कं जूस न तो दे शों को जीत सकता है , न ही
वह लॉड की पदवी पा सकता है , ोंिक उसके पास पया िम नहीं होते ह, िजनके ारा वह अपनी इ ा पूरी
कर सके । जो भी िम बनाना चाहता है , उसे अपनी व ुओं से ादा ेम नहीं करना चािहए, ब उिचत
तोहफ़े दे कर िम बनाना चािहए, ोंिक िजस तरह चुंबक लोहे को आकिषत करता है , उसी तरह सोना-चाँदी के
तोहफ़े लोगों के िदल को आकिषत करते ह। ( द रोमांस ऑफ़ द रोज़, िगलॉमे द लॉ रस, 1200-1238 )
िनयम 41: महान का अनुसरण न
कर
िवचार
जो पहली बार होता है , वह हमेशा बाद म होने वाले से ादा अ ा और मौिलक
िदखता है । अगर आप िकसी महान के उ रािधकारी या िकसी मश र िपता
की संतान ह, तो आपको उनसे ादा चमकने के िलए उनसे दोगुनी उपल याँ
हािसल करनी होंगी। कहीं आप उनकी छाया म खोकर न रह जाएँ या ऐसे अतीत म
उलझकर न रह जाएं , िजसका िनमाण आपने नहीं िकया है । राह बदलकर अपनी
पहचान और अपना खुद का नाम थािपत कर। दबंग िपता के चंगुल से बाहर
िनकल, उसकी िवरासत की उपे ा कर और अपने तरीके से चमककर श
हािसल कर।
पहला होना सव े है | कई लोग अपने काम म फीिन की तरह चमक सकते थे, अगर बाकी लोग
उनसे पहले नहीं आए होते। िकसी भी काम म सबसे पहला होना एक बड़ा लाभ है , े ता होने पर यह दोगुना
अ ा होता है । पहले के प म आप िकला फतह कर लेते ह। जो लोग पहले प ं चते ह, वे ज िस
अिधकार के कारण शोहरत हािसल कर लेते ह, और उनके बाद प ं चने वाले लोग छोटे पु ों की तरह होते ह,
िज संपि की खुरचन ही िमलती है ... सोलोमन के िपता कु शल यो ा थे, लेिकन सोलोमन ने समझदारी से
शांित का िवक चुना। अपनी िदशा बदलने के कारण उनके िलए हीरो बनना ादा आसान हो गया ... और
हमारे महान िफ़िलप ि तीय ने िववेक के िसंहासन पर बैठकर पूरी दु िनया पर शासन िकया, िजसे दे खकर पूरी
दु िनया है रान रह गई। अगर उनके अजेय िपता श के आदश थे, तो िफ़िलप िववेक की ितमूित थे ... इस
तरह के नए रा े पर चलकर समझदार लोग महान लोगों की ेणी म अपना नाम िलखा लेते ह। अपनी कला को
छोड़े िबना चतुर लोग आम रा ा छोड़ दे ते ह और वसाय म भी े ता की ओर नए कदम बढ़ाते ह। होरे स ने
महाका की राह विजल के पास ही रहने दी, माशल ने गीत होरे स के पास रहने िदए, टे रे ने कॉमेडी को चुना
और पिसयस ने ं को। इनम से हर सािह की अपनी िवधा म सव थम होने की आशा कर रहा था।
चलताऊ नक़ल कभी साहिसक क ना का थान नहीं ले सकती है । बा ेसर ेिशयन, ए पॉकेट
िमरर फ़ॉर हीरोज़, ि ोफ़र मौरर ारा अनूिदत, 1996
श की कंु जी
कई ाचीन रा ों जैसे बंगाल और सुमा ा म जब राजा कई साल तक शासन कर
लेता था, तो उसकी जा उसे मौत के घाट उतार दे ती थी। यह नवीनीकरण की
परं परा तो थी ही, साथ ही ऐसा इसिलए भी िकया जाता था, तािक वह ज रत से
ादा श शाली न बन जाए। उसकी मौत के बाद उसके अहं कारी होने का कोई
खतरा नहीं रहता था, इसिलए अब उसकी पूजा दे वता के प म की जा सकती थी।
इससे िकसी नए और युवा राजा के िलए मैदान भी साफ़ हो जाता था।
राजा या िपता के ित उभयभावी, श ुतापूण नज़ रया उन महान यों की
दं तकथाओं म भी िदखाई दे ता है , जो अपने िपता को जानते ही नहीं थे। मोज़ेस, जो
बाद म ब त श -संप बने, बुलरशेस म बेसहारा पाए गए थे और उ अपने
माता-िपता का ान नहीं था। चूंिक उ अपने िपता के साथ ितयोिगता नहीं करनी
पड़ी और वे अपने िपता की छिव ारा सीिमत नहीं थे, इसीिलए वे श की
ऊँचाइयों तक प ँ च सके। अपने जीवन के उ र काल म अलै डर महान ने यह
दं तकथा फैलाई िक उनके िपता िफ़िलप ऑफ़ मैसीडॉन नहीं, ब दे वता जुिपटर
ए ान ह। इस तरह की दं तकथाएँ और परं पराएँ असली िपता को न कर दे ती ह,
ोंिक वह अतीत की िवनाशकारी श का तीक होता है ।
अतीत यानी िपता युवा हीरो को अपना संसार बनाने से रोकता है । युवक को अपने
िपता का अनुसरण करना पड़ता है , भले ही उसका िपता मर चुका हो या अश हो
चुका हो। हीरो को अपने पूवज के सामने िसर झुकाना पड़ता है और परं परा के
अनुसार चलना पड़ता है ।
श ख़ाली थान को भरने की यो ता पर िनभर करती है । इसके िलए अतीत की
मुदा लाश के भार को हटाकर नई जगह बनानी पड़ती है । िपता के प को रा े
से हटाने के बाद ही आपको आव क जगह िमलेगी, जहाँ आप नई व था कमा
सक। ऐसी कई रणनीितयाँ ह, िजनका इ ेमाल करके आप ऐसा कर सकते ह।
अतीत की छाया से बचने का शायद सबसे आसान तरीका इसे छोटा बताना है ,
पीिढ़यों के बीच शा त िवरोध का उ ेख करना है , युवाओं को वृ ों के िख़लाफ़
भड़काना है । इसके िलए आपको नसेनी पर लटकाने के िलए िकसी सुिवधाजनक
वृ की ज़ रत होती है ।
अपने अ ज से दू री थािपत करने के िलए अ र िकसी तरह के तीक की ज़ रत
होती है , तािक जनता इस दू री को समझ ले। उदाहरण के िलए लुई चौदहव ने इसी
तरह की तीका कता का योग िकया, जब उसने ां सीसी स ाटों के पारं प रक
महल को अ ीकार करते ए वसाई म अपना खुद का महल बनवाया। उसके
उदाहरण का अनुसरण कर : कभी भी अपने अ ज की बनाई राह पर न चल। अगर
आप ऐसा करगे, तो आप कभी उससे आगे नहीं िनकल पाएँ गे। आपको एक िभ
शैली और तीका कता का योग करके अलगाव व अंतर को प से िदखा
दे ना चािहए।
इितहास का अ यन करने पर हम एक िज़ ी मूखता के बारे म पता चलता है , जो
श की बल िवरोधी है । यह अंधिव ास िक अगर आपसे पहले वाला कोई काम
करके सफल आ है , तो आप भी वही काम उसी तरीके से करके उसी की तरह
सफल हो सकते ह। यह अनुसरण नीित रचना कता से रिहत लोगों को ललचा
सकती है , ोंिक यह आसान है और यह उनकी भी ता तथा आल को अ ी
लगती है ,लेिकन प र थितयाँ कभी ठीक वैसी ही नहीं होती ह। आपको अतीत के
ित िनमम रणनीित अपनाना चािहए : अपने अ जों की सभी पु क जला द और
प र थितयों पर िभ िति या करना सीख।
अंत म, चुरता और समृ हम आलसी तथा िन य बना दे ती ह। जब हमारे पास
श आ जाती है , तो हम काम करने की ज़ रत नहीं होती। यह एक गंभीर ख़तरा
है । समृ से मोटे और आलसी बनने के बजाय आपको मनोवै ािनक प से िफर
से पहले पायदान पर प ँ चने के िलए तैयार रहना चािहए। हमारी शु आती िवजय
अ र हम काटू नों म बदल दे ती ह। श शाली इस जाल को पहचानते ह।
वे लगातार बदलने के िलए संघष करते ह। िपता की छाया को वापस लौटने की
इजाज़त कभी नहीं दे नी चािहए। उसे हर कदम पर मौत के घाट उतार दे ना चािहए।
त ीर। िपता। वह अपने ब ों पर िवशाल छाया डालता है। वह उ अतीत की डोर से बाँधे रखता है। वह
उनकी युवा भावना को दबाता है और उ उसी बोिझल रा े पर चलने के िलए िववश करता है , िजस पर वह
खुद चला है । उसकी चाल ब त सी ह। हर चौराहे पर आपको अपने िपता के भाव को मार डालना चािहए और
उसकी छाया से बाहर िनकलना चािहए ।
िवशेष की राय : िकसी महान का अनुसरण न कर। उससे आगे िनकलने के िलए आपको
दोगुना हािसल करना होगा। जो लोग अनुसरण करते ह, उ नकलची माना जाता है । चाहे वे िकतनी ही मेहनत
कर, वे उस छिव से नहीं उबर पाएं गे। उ ृ ता की नई राह या शोहरत का आधुिनक माग खोजना एक
असाधारण यो ता है । लोकि यता पाने की ब त सी राह ह, िजनम से कई पर ादा लोग नहीं चले ह। सबसे
नई राह किठन हो सकती ह, लेिकन वे अ र महानता का शॉटकट होती ह। ( बा ेसर ेिशयन, 1601-1658
)
िनयम 42: गड़ रए को मार द, भेड़ िततर-
िबतर हो जाएँ गी
िवचार
मु ल अ र िकसी एक बल की वजह से पैदा होती ह-जो दं भी और
मह ाकां ी होता है , जो आं दोलन करता है और स ावना म जहर भर दे ता है ।
अगर आप ऐसे लोगों को सि य होने की जगह दे ते ह, तो दू सरे उनके भाव के
लोभन म आ जाएँ गे। उनके ारा उ मु लों के कई गुना बढ़ने का इं तज़ार न
कर। उनके साथ िवचार-िवमश करने की कोिशश न कर। वे कभी नहीं सुधर सकते।
उ अलग-थलग करके या दे श से बाहर िनकालकर दे शिनकाला दे कर उनके
भाव को ख़ कर द। मु ल की जड़ यानी गड़ रए पर हार करगे, तो भेड़
अपने आप िततर-िबतर हो जाएं गी।
भेिड़ए और भेड़ | एक बार की बात है। भेिड़यों ने भेड़ों के पास ितिनिध भेजकर यह इ ा जताई िक
उनके बीच भिव म शांित रहे । भेिड़यों ने कहा, " आिख़र हमारे बीच यह अंतहीन यु ों चलता रहे ? दु
कु े ही इसका कारण ह। ये हम पर लगातार भौंकते रहते ह और हम उ ेिजत करते ह। उ दू र भगा दो, तािक
हमारी शा त िम ता व शांित के बीच म कोई बाधा न रहे । " मूख भेड़ों ने भेिड़यों की बात मानकर कु ों को वहाँ
से भगा िदया। जब भेड़ों की र ा करने के िलए कु े नहीं रहे , तो भेड़ धोखेबाज़ दु नों का आसान िशकार बन
गई | फेव , ईसप, छठी सदी ई.पू.

श की कंु जी
पुराने जमाने म राजा और उसके मु ी भर मं ी पूरे दे श पर शासन करते थे। िसफ़
सामंतों के पास श होती थी। सिदयों बाद श धीरे -धीरे जातां ि क ई।
बहरहाल, इससे एक आम गलत धारणा उ हो गई िक अब श िकसी िवशेष
समूह म कि त नहीं है , ब पूरी जनता म है । बहरहाल यह सच नहीं है । हालाँ िक
श शाली समूहों की सं ा म फ़क भले ही पड़ा हो, लेिकन इसका सार नहीं
बदला है । आजकल उन श शाली तानाशाहों की सं ा तो कम हो गई है , जो
लाखों-करोड़ों दे शवािसयों की िजंदगी और मौत की श को अपने हाथ म थामे
रहते ह। लेिकन आज भी छोटे -छोटे इलाक़ों पर शासन करनेवाले हज़ारों छोटे
तानाशाह बचे ह, जो अ श की चालों या क र ाई के मा म से
कूमत करते ह। हर समूह म श एक-दो लोगों के हाथों म ही कि त होती है ,
ोंिक यह एक ऐसा े है िजसम मानवीय भाव कभी नहीं बदलेगा : लोग िकसी
बल के चारों तरफ़ उसी तरह इक े होंगे, िजस तरह ह सूय के चारों
तरफ़ च र लगाते ह।
िजन लोगों को यह म होता है िक श के क का यह कार अब मौजूद नहीं है ,
वे अंतहीन ग़लितयाँ करते ह, अपनी ऊजा और समय बबाद करते ह। श शाली
लोग कभी समय बबाद नहीं करते ह। बाहर से वे खेल खेलते नज़र आते ह और यह
नाटक करते ह िक श ब त से लोगों म िनिहत है , लेिकन िछपकर वे समूह के
चुिनंदा लोगों पर नज़र रखते ह, िजनके पास तु प के प े होते ह। इ ीं लोगों पर वे
काम करते ह। िकसी मु ल के आने पर वे उसके पीछे िछपे कारण की तलाश
करते ह, वे उस अकेले बल च र की तलाश करते ह, िजसने मु ल पैदा की थी
और िजसे दू र करने या अलग करने से पानी की सतह दोबारा शां त हो जाएगी।
अपनी पा रवा रक थैरेपी की ै स म डॉ . िम न ए रकसन ने पाया िक अगर
प रवार का माहौल गड़बड़ा गया है , तो हमेशा एक ही इसके िलए िज़ ेदार
होता है । अपने स म वे उस सद को दू र बैठा दे ते थे और तीका क प से
उस सड़े सेवफल को अलग कर दे ते थे। धीरे -धीरे प रवार के बाकी सद इस दू र
बैठे को अपनी मु ल के ोत के प म दे खने लगते थे। एक बार जब
आप यह पहचान जाएँ िक आग कौन लगा रहा है , तो इसे दू सरे लोगों को बताने से
ब त कुछ हािसल हो सकता हे । याद रख : आग लगाने वाले िछपकर अपना काम
करते ह। वे दू सरों की िति याओं म अपने काय िछपा लेते ह। उनके काय को
सबके सामने ले आएँ गे, तो उनकी मु ल पैदा करने की श चली जाएगी।
रणनीित के खेलों म एक मुख त है श ु को अलग-थलग करना। शतरं ज म आप
राजा को िकसी कोने म ले जाने की कोिशश करते ह। गो नामक चीनी खेल म आप
दु न की श यों को छोटे थानों पर अलग-अलग रखने की कोिशश करते ह,
तािक वे िहल न पाएँ और भावहीन हो जाएँ । अपने दु नों को न करने के बजाय
उ अलग-थलग करना अ र ादा अ ा होता है , ोंिक इससे आप कम ू र
िदखते ह। हालाँ िक प रणाम वही होता है , ोंिक श के खेल म एकाकीपन का
मतलब मौत है ।
एकाकीपन का सबसे भावी प यह है िक मु ल पैदा करने वाले को उसकी
श के आधार से दू र कर िदया जाए। जब माओ े-तुंग शासक समूह म शािमल
िकसी दु न को न करना चाहते थे, तो वे सीधे उस पर आ मण नहीं करते थे,
ब चुपचाप और चोरी से उसे अलग-थलग करने की कोिशश करते थे। वे उस
के सहयोिगयों को उससे दू र कर दे ते थे और उसके समथन आधार को
संकुिचत कर दे ते थे। ज ी ही वह अपने आप ग़ायब हो जाता था।
अंत म, आप गड़ रए पर हमला इसिलए करते ह ोंिक इससे भेड़ दहशत म आ
जाती ह। जब लीडर चला जाता है , तो गु ाकषण का क भी चला जाता है । ऐसा
कोई नहीं रहता है , िजसके चारों तरफ़ घूमा जाए। हर चीज़ िबखर जाती है । लीडस
पर िनशाना साधे, उ नीचे लाएँ और उ होने वाली दु िवधा म अनंत अवसरों की
तलाश कर।
त ीर : मोटी भेड़ों का रे वड़। एक-दो भेड़ चुराने की कोिशश म अपना कीमती समय बबाद न कर।
भेड़ों के रे वड़ की र ा करने वाले कु ों पर हमला करके अपनी जान जो खम म न डाल। इसके बजाय गड़ रए
पर िनशाना साध। अगर आप उसे दू र जाने के िलए लोभन दगे, तो कु े भी उसके पीछे -पीछे चले जाएं गे।
गड़ रए को नीचे िगरा द। उसे िगरा दे खकर भेड़ िततर-िबतर हो जाएँ गी और आप उ एक-एक करके उठा
सकते ह।
िवशेष की राय : अगर आप धनुष तानते ह, तो सबसे मज़बूत धनुष तान। अगर आप तीर का योग
करते ह, तो सबसे लंबे तीर का योग कर। घुड़सवार को मारने के िलए पहले उसके घोड़े को मार। डकै तों के
िगरोह को पकड़ने के िलए पहले उसके सरगना को पकड़। िजस तरह िकसी दे श की सीमा होती है , उसी तरह
लोगों को मारने की भी सीमा होती है । अगर मु खया को मारकर दु न के हमले को रोका जा सकता है , तो
अनाव क प से लोगों को मारने या घायल करने से ा लाभ है ? ( चीनी किव डू फू, तांग डाइने ी,
आठवी ं सदी )

िनयम 43: दूसरों के िदल और िदमाग पर


काम कर
िवचार
बलपूवक दमन करने से एक िति या उ होती है , जो अंततः आपके िख़लाफ़
काम करती है । आपको दू सरों को इस तरह े रत करना चािहए, तािक वे खुशी-
खुशी आपकी बताई िदशा म चल पड़। िजस को आप इस तरह से फंसा लेते
ह, वह आपका वफ़ादार ादा बन जाता है । दू सरों को फंसाने का तरीक़ा उनके
गत मनोिव ान और कमजो रयों से लाभ लेना है । उनके ितरोध को नम
करने के िलए उनकी भावनाओं पर काम कर, उनकी ि य चीज़ों का वायदा कर
और िजनसे वे डरते हों, उनके बारे म आ कर। अगर आप दू सरों के
िदलोिदमाग को नज़रअंदाज़ करगे, तो वे आपसे नफ़रत करने लगगे।
शासन इं सानों को िसफ समूह के प म दे खता था। लेिकन हमारे लोग समूह के बजाय थे ... हमारे रा
हर के म के भीतर थे । सेवन िपलस ऑफ़ िव डम, टी.ई. लॉरस, 1888-
1935
िजन लोगों ने दु िनया को बदला है , वे अपने लीडस को खुश करके नहीं, ब जनता को े रत करके वहाँ प ं चे
ह। लीडस को खुश करना चालाकी भरा तरीका है और इससे िसफ दोयम दज के प रणाम िमलते ह। बहरहाल,
जनता को खुश करना एक महान काम है , िजससे दु िनया का न ा बदल जाता है । नेपोिलयन
बोनापाट, 1769-1821

श की कंु जी
श के खेल म आप ऐसे लोगों से िघरे रहते है , जो िबना ाथ के आपकी मदद
नहीं करगे और अगर आप उ मनचाही चीज नहीं दे पाएं गे तो इस बात की
संभावना है िक आप उ अपना श ु बना लगे, ोंिक वे आपका िसफ एक ऐसा
मानगे, जो उनका समय बबाद कर रहा है । इस ठं डे पन से उबर चुके लोग वे
कुंजी पा लेते ह, जो अजनवी के िदल और िदमाग का ताला खोलती है तथा उसे
लोभन दे कर अपने प म लाती है , अगर ज री हो तो उ मु ा मारने से पहले
नम बनाती है । जब लोग िकसी नए से िमलते ह, तो उसके अनूठेपन को
दे खने के बजाय वे अपने ही बारे म बात करते ह और अपनी इ ाएँ तथा पूवा ह
लादने के िलए उ ुक होते ह। अनजाने म ही वे एक गोपनीय श ु बना रहे ह,
ोंिक इं सान को सबसे ादा गु ा इसी बात से आता है िक उसे नजरअंदाज कर
िदया जाए और उसके मनोिव ान को ीकार ही न िकया जाए।
याद रख : लोगों को मनाने की कुंजी उ ऊपर उठाकर नम करना है और िफर
धीरे से नीचे लाना है । दोतरफा नीित अपनाएँ : उनकी भावनाओं को हवा द और
उनकी बौ क कमजो रयों से खेल। इस बारे म सचेत रह िक कौन सी चीज़ उ
बाकी लोगों से अलग करती है ( उनका गत मनोिव ान ) और िकस बात म वे
बाकी लोगों के समान ह ( उनकी मूलभूत भावना क िति याएँ )। इन मूलभूत
भावों पर िनशाना साधे- ेम, नफ़रत, ई ा। जब आप उनके भाव जगा दगे, तो
इसका मतलब यह है िक आपने उनके आ -िनयं ण को कम कर िदया है और अब
वे आपकी बात मानने के िलए पहले से ादा तैयार हो चुके ह।
थम िव यु म जब टी.ई. लॉरस म -पूव के रे िग ानों म तुक के िख़लाफ़ लड़
रहे थे, तो उ अचानक िद ान ा आ : उ ऐसा लगा िक पारं प रक यु
का मू अब ख़ हो चुका है । पुराने िक का सैिनक समय की िवशाल सेनाओं म
गुम हो गया था, िजसम उसे िकसी बेजान िप ी की तरह आदे श िदया जाता था।
लॉरस इसको पलटना चाहते थे। उनके िलए हर सैिनक का म एक रा था,
िजसे उ जीतना था। उनका मानना था िक मनोवै ािनक प से े रत िन ावान
सैिनक िप ी से ादा मेहनत और कुशलता से लड़े गा।
लॉरस का िवचार आज की दु िनया म भी सही है । आज भी हमम से ब त से लोग
स ा से अलग-थलग, गुमनाम और स ा के ित श ी महसूस करते ह, जो श
के खुले खेल खेलते ह और ादा ितकूल व ख़तरनाक श उ करते ह।
ल का पीछा करते समय अपने समथकों का इ ेमाल बेजान िपिदयों की तरह न
कर। इसके बजाय उ उस ल की ा का िव ास िदला द और रोमां िचत कर
द। ऐसा करने के िलए आपको उनके गत मनोिव ान से िनबटना होगा। यह
सोचने की ग़लती कभी न कर िक जो रणनीित एक पर कारगर होती है , वह
दू सरे पर भी उतनी ही कारगर हो सकती है ।
लोगों से अपनी बात मनवाने का सबसे तेज़ तरीका उ यह िदखाना है िक उस काम
से उ ा लाभ होगा। आ - िच या ाथ सबसे बड़ा उ े होता है : महान
उ े से िदमाग भािवत हो सकता है , लेिकन रोमां च का पहला भाव ख़ होते
ही िच कमज़ोर हो जाएगी, जब तक िक िकसी मनचाही चीज़ के िमलने की
संभावना न हो। ाथ ादा ठोस नींव है ।
जो लोग दू सरों के िदमाग को सबसे ादा भािवत करते ह, वे अ र कलाकार,
बु जीवी और का ा क कृित के होते ह। ऐसा इसिलए है ोंिक िवचार
अलंकारों और त ीरों के मा म से सबसे आसानी से सं ेिषत होते ह। इसिलए यह
हमेशा अ ी नीित है िक कम से कम एक कलाकार या बु जीवी आपकी जेब म
रहे , जो लोगों के िदल को झकझोर सके।
अंत म सं ा का खेल खेलना सीख। आपका आधार िजतना बड़ा होगा, आपकी
श उतनी ही ादा होगी। आपको हर र पर ादा से ादा सहयोगी बनाने
चािहए एक समय ऐसा ज़ र आएगा, जब आपको उनकी ज़ रत पड़े गी।
त ीर : चाबी का छे द। लोग आपको बाहर रखने के िलए दीवार बनाते ह। कभी भी अंदर घुसने के िलए
श का योग न कर। आपको दीवारों के भीतर और दीवार िमलगी। इन दीवारों म दरवाजे होते ह, िदल और
िदमाग के दरवाजे। इन दरवाज़ों म चाबी के छे द होते ह। उनकी चाबी खोजकर उससे दरवाजा खोल। ऐसा करने
पर आप उनकी इ ा तक प ँ च जाएँ गे और बलपूवक घुसपैठ का कोई बदसूरत िनशान भी नज़र नहीं आएगा।
िवशेष की राय : िकसी को राज़ी करने की राह म किठनाई बस इतनी सी है िक मुझे उसके िदल को
पूरी तरह समझना होगा, तािक म उसके अनु प श ों का योग कर सकूँ ... जो भी िसंहासन पर बैठे
का िदल जीतने की कोिशश करना चाहता है , उसे पहले तो सावधानी से स ाट की ेम और नफ़रत की
भावनाओं, उसकी गोपनीय इ ाओं और डरों को समझना होगा, तभी वह उसका िदल जीत सकता है । ( हान
फेई ू, चीनी दाशिनक, तीसरी सदी, ई.पू. )
िनयम 44: दपण िदखाकर िनर और
ोिधत कर
िवचार
दपण स ाई का ितिबंब िदखाता है , लेिकन यह धोखे का आदश हिथयार भी हो
सकता है । जब आप अपने श ुओं का ितिबंब बन जाते ह, जब आप उ ीं की
नक़ल करते ह, तो वे आपकी रणनीित का अनुमान नहीं लगा सकते। नक़ल से वे
िचढ़ जाते ह और अपमािनत महसूस करते ह, िजससे वे अित- िति या कर बैठते
ह। उनका ितिबंब सामने रखकर आप उ बरगलाते ह िक आपम भी उ ीं जैसे
जीवनमू ह। उनके काय की नक़ल करके आप उ सबक िसखाते ह। ब त कम
लोग नक़ल भाव की श का ितरोध कर पाते ह।
जब आप दु न के साथ गु मगु ा हों और आपको यह एहसास हो िक आप आगे नहीं बढ़ सकते, तो आप
िकसी उपयु तकनीक का योग करके जीत सकते ह ... आप अ र इस ान के लाभ से िनणायक जीत
हािसल कर सकते ह िक दु न को अंदर कै से “ सोखा " जाता है , जबिक उससे दू र होने पर आप जीतने का
मौक़ा गँवा दगे। िमयामोटो मुसाशी, ए बुक ऑफ फाइव रं , जापान, सोलहवी ं
सदी
जब म यह पता लगाना चाहता ँ िक कोई िकतना समझदार या मूख, िकतना अ ा या बुरा है , या इस
समय उसके िवचार ा ह, तो म अपने हावभाव को यथासंभव उसी की तरह बनाने की कोिशश करता ँ और
िफर यह दे खता ँ िक मेरे मन म िकस तरह के िवचार आते ह । एडगर एलन पो, 1809-1849

दपण के भाव
दपण म हम िवचिलत करने की श होती है । दपण म अपने ितिबंब को िनहारते
समय हम अ र वही दे खते ह, जो हम दे खना चाहते ह-अपनी ऐसी छिव, िजसे हम
सबसे ादा पसंद करते ह। हमारी यह आदत होती है िक हम ादा करीब से नहीं
दे खते ह और अपनी झु रयों तथा दागों को अनदे खा कर दे ते ह, लेिकन अगर हम
ितिबंब को ादा गौर से दे ख, तो हम कई बार यह महसूस करते ह िक हम खुद
को उसी तरह दे ख रहे ह, िजस तरह दू सरे लोग दे खते ह।
दपण के भाव का इ ेमाल करके हम तीका क प से इस िवचिलत करने
वाली श को उ करते ह। हम दू सरों के काय का ितिबंब िदखाकर, उनकी
हरकतों की नकल करके उ िवचिलत कर सकते ह या गु ा िदला सकते ह। उ
लगता है उनकी ख ी उड़ाई जा रही है , नक़ल की जा रही है , आ ा के िबना
त ीर बनाई जा रही है और इस बात पर वे नाराज़ हो जाते ह। या उसी काम को
थोड़े अलग तरीके से कर द। इससे वे िनर हो जाएं गे, ोंिक आपने उनकी
इ ाओं को आदश तरीके से ितिबंिबत कर िदया है । इस भाव म बड़ी श
होती है , ोंिक यह सबसे मूल भावों पर काम करता है ।
श के े म दपण के चार मु भाव होते ह :
िन भावी करने वाला भाव। अगर आप वही करते ह, जो आपके दु न करते
ह, अगर आप उनके कामों की सव े नकल करते ह, तो वे आपके इरादों को नहीं
भां प पाते। आपके दपण के कारण वे अंधे हो जाते ह। आपके साथ िनबटने की
उनकी रणनीित इस बात पर िनभर करती है िक आप अपने तरीके से उन पर
िति या कर। उनकी नकल करने का खेल खेलकर इसे िन भावी कर द। इस
रणनीित का एक मज़ािकया, यहाँ तक िक गु ा िदलाने वाला भाव पड़ता है । हमम
से ादातर को बचपन का वह अनुभव याद होगा, जब कोई हमारे श ों को
दोहराकर हम िचढ़ाता था। इसका नतीजा यह होता था िक कुछ समय बाद ही हम
उसके चेहरे पर मु ा जमाने की बात सोचने लगते थे। वय के प म अिधक
सू वहार करके आप अपने िवरोिधयों को इसी तरीके से िवचिलत कर सकते ह
और दपण के ारा अपनी रणनीित को बचाकर अ जाल िबछा सकते ह या
अपने िवरोिधयों को उस जाल म फंसा सकते ह, जो उ ोंने आपके िलए िबछाया है ।
नास सस भाव। हम सभी खुद से ब त ेम करते ह। नास सस भाव इसी शा त
गुण का लाभ उठाता है । आप दू सरों की आ ाओं म गहराई से दे खते ह : उनकी
सबसे गहन इ ाएँ , उनके जीवनमू , उनकी िचयाँ , उनका मनोबल। िफर आप
खुद को दपण का ितिबंब बनाकर इ ीं चीज़ों को उनकी ओर परावितत करते ह।
उनकी मनोदशा को परावितत करने की आपकी मता से उन पर आपकी श
बढ़ जाती है । इसके अलावा, हो सकता है वे थोड़ा ेम भी महसूस करने लग।
नैितक भाव। नैितक भाव से आप लोगों को उ ीं की दवा का ाद चखाकर
सबक िसखाते ह। आप ितिबंिबत करते ह िक उ ोंने आपके साथ ा िकया है
और आप ऐसा करते समय उ यह एहसास िदला दे ते ह िक आप उनके साथ ठीक
वैसा ही कर रहे ह, जैसा उ ोंने आपके साथ िकया है । आप उ यह महसूस कराते
ह िक उनका वहार अि य था। यह िशकायत करने या चीखने-िच ाने से नहीं हो
पाता है , िजससे उनका र ाकवच ऊपर हो जाता है । जब वे अपने काय के प रणाम
दपण म ितिबंिबत होते दे खते ह, तो उ ब त गहराई से यह आभास होता है िक वे
अपने असामािजक वहार से दू सरों को िकतनी चोट प ँ चाते ह या सज़ा दे ते ह।
ांितजनक भाव। दपण बड़े धोखेबाज़ होते ह, ोंिक वे यह एहसास िदलाते ह
िक आप असली दु िनया को दे ख रहे ह। हालाँ िक सच तो यह है िक आप एक काँ च
के टु कड़े को दे ख रहे ह। जैसा सब जानते ह िक दपण दु िनया के वा िवक प
को नहीं िदखा सकता आईने म हर चीज़ उलटी िदखती है ।
ां ितजनक भाव िकसी व ु, जगह या की ब ितिलिप बनाने से आता
है । यह ितिलिप एक तरह की डमी का काम करती है -लोग इसे असली चीज़ मान
लेते ह, ोंिक यह भौितक प से वा िवक चीज़ जैसी िदखती है । यह धोखेबाजों
की सबसे ि य तकनीक है , जो रणनीित बनाकर असली दु िनया की नकल करके
आपको धोखा दे ते ह। इसका हर उस े म उपयोग िकया जा सकता है , िजसम
छल की ज़ रत होती है ।
त ीर : पिसयस की ढाल | जो दपण की तरह चमकती थी। मे ूसा उसे नहीं दे ख सकती थी, वह तो िसफ
अपनी बदसूरती को परावितत होते दे ख सकती थी। इस तरह के दपण के पीछे आप धोखा दे सकते ह, िचढ़ा
सकते ह और गु ा िदला सकते ह। एक झटके म आप मे ूसा के िसर को धड़ से अलग कर सकते ह।
िवशेष की राय : सै ि या का काम दु न के इरादों को भाँपना है ... जहाँ वे प ंचना चाहते ह, वहाँ
उनसे पहले प ँ चने के िलए उनके इरादों को चतुराई से भाँप। अनुशािसत रह और श ु के अनुकू ल ढल जाएँ ...
इसिलए सबसे पहले आपको एक युवती की तरह होना चािहए, तािक श ु अपना दरवाज़ा खोल दे । िफर आपको
खुले ख़रगोश की तरह होना चािहए, तािक श ु आपको बाहर न रख सके । ( सुन ू, चौथी सदी, ई.पू. )
िनयम 45: प रवतन की आव कता का
भाषण द, लेिकन एकदम ब त ादा
सुधार कभी न कर
िवचार
हर मानिसक प से प रवतन की ज़ रत समझता है , लेिकन िदन- ितिदन
के र पर लोग आदतों के िहसाब से चलते ह। ब त ादा योगशीलता से
परे शानी पैदा हो जाती है और िव ोह की नौबत भी आ सकती है । अगर आप श
के िकसी पद पर नए हों या बाहरी के पमश की नींव बनाने की
कोिशश कर रहे हों, तो पुराने तरीकों का स ान करने का ढोंग कर। अगर प रवतन
आव क हो, तो ऐसा जताएँ , जैसे परं परा म िसफ थोड़ा सा ही सुधार िकया जा रहा
है ।
ि समस कहाँ से आया | ाचीन परं परा है। रोगवासी फसल के दे वता शिन के स ान म 17 से 23
िदसंबर के बीच सैटनिलया नामक ोहार मनाते थे। यह साल का सबसे सुखद ोहार होता था। सारा काम-
काज बंद हो जाता था और सड़क भीड़ से भर जाती थी। ज का माहौल रहता था। दासों को कु छ समय के िलए
मु कर िदया जाता था और घरों को सजाया जाता था। लोग एक-दू सरे के घर जाते थे और मोमबि यों तथा
अ चीजों के तोहफे दे ते थे। ईसा मसीह के ज से ब त पहले य दी लोग साल के इसी समय रोशनी का
ोहार मनाते थे। ऐसी मा ता है िक जमनी के लोग न िसफ कक-सोकाित, ब मकर-सं ाित भी धूम-धाम से
मनाते थे। इस समय वे सूय के पुनज का ज मनाते थे और फसल के दे वी-दे वताओं वोटन, े या, डोनर ( थोर
) और फेयर की पूजा करते थे ... 274 म रोमन शासक ऑरे िलयन ( 214-275 ) ने सूय-ई र िमयराज का
आिधका रक पंथ शु िकया और अपने ज िदन 25 िदसंबर को रा ीय अवकाश घोिषत िकया। िमथराज का
पंथ, काश का आयन दे व, फारस से एिशया माइनर से ीस, रोम और जमनी तथा ि टे न तक प ं च गया।
उसके मंिदरों के असं अवशेष आज भी इस बात की गवाही दे ते ह िक फ़सल, शांित और िवजय दे ने वाले इस
भगवान का िकतना ादा स ान िकया जाता होगा, ख़ास तौर पर रोमवािसयों ारा। यह एक चतुर कदम था,
जब 354 ईसवी म ि ि यन चच ने पोप लाइबे रयस ( 352-366 ) के नेतृ म 25 िदसंबर को िमथराज के
ज िदन के साथ ही ईसा मसीह का ज िदन भी घोिषत कर िदया । एन-सूजन र , िनऊ
जोकर जीतुग, िडसे र 25, 1983

श की कंु जी
मानवीय मनोिव ान म कई िवरोधाभास होते ह। उनम से एक यह है िक हालाँ िक
लोग प रवतन की ज़ रत को समझते ह और यह जानते ह िक यह सं थानों और
यों के नवीनीकरण के िलए ब त मह पूण होता है , लेिकन वे उन प रवतनों
से िचढ़ जाते ह और िवचिलत हो जाते ह, जो उ गत प से भािवत करते
ह। वे जानते ह िक प रवतन ज़ री है और नवीनता के कारण बो रयत से राहत
िमलती है , लेिकन िदल की गहराई म वे अतीत को जकड़े रहते ह। वे भाववाचक या
सतही प रवतन चाहते ह, लेिकन मूलभूत आदतों या िदनचया को बदलने वाला
प रवतन उ ब त बुरा लगता है ।
कोई भी ां ित ऐसी नहीं थी, िजसके िख़लाफ़ बाद म सश िति या न ई हो।
ोंिक ां ित बाद म यह जो ख़ालीपन पैदा करती है , वह इं सान को ब त परे शान
करता है , जो अचेतन प से इस तरह के ख़ाली थान को मौत तथा अराजकता के
साथ जोड़कर दे खता है । प रवतन और नवीनीकरण के लालच म लोग ां ित के प
म तो आ जाते ह, लेिकन जब उनका उ ाह ठं डा पड़ जाता है , जो कभी न कभी
होता ही है , तो उनम एक ख़ालीपन आ जाता है । अतीत की चाह म वे इसके वापस
आने के िलए अपने ार खोल दे ते ह।
मैिकयावली के अनुसार जो प रवतन िसखाता और लाता है , वह िसफ
हिथयार उठाकर ही बच सकता है । जब जनता अतीत जैसी थितयों की चाह करे ,
तो उसे श का इ ेमाल करने के िलए तैयार रहना चािहए, लेिकन हिथयारबंद
आदमी भी लंबे समय तक नहीं िटक सकता, जब तक िक वह पुराने जीवनमू ों
और परं पराओं की जगह पर नए जीवनमू और परं पराएँ उ न कर दे । इस
तरह वह प रवतन से डरने वाले लोगों की िचंताओं को शां त कर दे ता है । यह
धोखेबाज़ी का खेल ादा आसान और कम खून-खराबे भरा है । आप प रवतन की
िजतनी चाहे उतनी पैरवी कर और यहाँ तक िक अपने सुधारों पर अमल भी कर,
लेिकन उ पुरानी घटनाओं और परं पराओं का तस ी दे ने वाला प दे द।
पुराने पदनाम का इ ेमाल कर। समूह के िलए वही सं ा रख। इस तरह की
छोटी-छोटी बातों से आप खुद को अतीत से जोड़ सकते ह और इितहास का समथन
पा सकते ह।
प रवतन को िछपाने की एक और रणनीित अतीत के जीवनमू ों का जोरदार और
सावजिनक समथन करना है । जब आप परं परा के भ नज़र आएँ गे, तो ब त कम
लोग यह दे ख पाएँ गे िक आप िकतने ां ितकारी ह। पुनजागरण काल का ोरस
सिदयों पुराना गणरा था और अपनी परं पराओं की अवहे लना करने वाले हर
को संदेह से दे खता था। कोिसमो डे मेिडसी ने गणतं के उ ाहपूण समथन
का िदखावा िकया, जबिक दरअसल वह इस शहर को अपने दौलतमंद प रवार के
िनयं ण म लाने की कोिशश कर रहा था। ऊपर से मेिडसी प रवार ने गणतं के
िलये को बनाए रखा, लेिकन अंदर से उ ोंने इसे खोखला कर िदया। वे चुपचाप
मूलभूत प रवतन करते रहे , जबिक ऊपर से वे परं परा के पहरे दार नजर आए।
लोगों की िनिहत िढ़वािदता का जवाब परं परा के ित ऊपरी िन ा िदखाना है ।
अपनी ां ित के उन त ों को पहचान, जो अतीत की नींव पर िटके नज़र आते हों।
सही बात कर, अतीत की पैरवी करने का ढोंग कर और इस दौरान अपने िस ां तों
को मूलभूत प रवतन का काम करने द।
अंत म, सश लोग युगबोध पर ान दे ते ह। अगर उनका सुधार उनके समय से
ब त आगे का है , तो ब त कम लोग इसे समझ पाएँ गे, इससे िचंता उ होगी और
उनकी बात का ग़लत मतलब िनकाला जाएगा। आप जो प रवतन करते ह, उसे
ादा ां ितकारी नहीं लगना चािहए।
युगबोध को ान म रख। अगर आप उथल-पुथल के समय म काम कर रहे ह, तो
अतीत, सुख और परं परा की ओर लौटने का भाषण दे कर श हािसल की जा
सकती है । दू सरी तरफ़ थरता के समय म सुधार और लेिकन इस बारे म सावधान
रह िक आप िकसे उकसाते ह। जो ां ित का तु प खेल लोग ां ित को ख़ करते
ह, वे ां ित शु करने वाले नहीं होते ह।
त ीर : िब ी। यह आदत की गुलाम होती है। यह प रचय की ऊ ा को पसंद करती है। इसकी
िदनचया म बाधा डाल या इसके थान को अ व थत कर द, तो यह िनयं ण से बाहर हो जाएगी और गु ा हो
जाएगी। इसकी आदतों का समथन करके इसे शांत रख। अगर प रवतन ज री हो, तो अतीत की गंध को
कायम रखकर िब ी को धोखा द। इसकी जानी-पहचानी व ुओं को मह पूण जगहों पर रख द।
िवशेष की राय : जो िकसी सरकार को सुधारने की इ ा रखता है या कोिशश करता है , उसे
कम से कम पुराने पों का आवरण बनाए रखना चािहए, तािक लोगों को यह लगे िक सं थाओं म कोई
प रवतन नहीं आ है , हालाँिक दरअसल वे पुरानी सं थाओं से िबलकु ल अलग होती ह। ादातर लोग छिवयों
को ही वा िवक मान लेते ह और इसी से संतु हो जाते ह। ( िनकोलो मैिकयावली, 1469-1527 )
िनयम 46: ब त आदश नज़र न आएँ
िवचार
दू सरों से बेहतर नजर आना हमेशा खतरनाक होता है , लेिकन सबसे खतरनाक यह
है िक आपम एक भी ग़लती या कमज़ोरी नज़र न आए। ई ा गोपनीय श ु पैदा
करती है । कभी-कभार दोषों का दशन करना या हािनरिहत कमजो रयों को
ीकार करना ादा समझदारी भरा तरीका है , तािक ई ा उ न हो और आप
ादा मानवीय नज़र आएँ । िसफ ई र और मुदा लोग ही िबना िकसी भय के डरे
आदश िदख सकते ह।
ई ालु भी रह मयी या वासनामयी पापी की तरह सावधानी से िछपा रहता है और खुद को िछपाने की
असं तरकीब तया चाल खोज लेता है । इस तरह वह दू सरों की े ता से अनिभ होने का नाटक करता है ,
जबिक अंदर ही अंदर वह उनसे बुरी तरह जलता है । वह इस तरह जताता है जैसे उसने उ दे खा ही नहीं है ,
उनकी बात सुनी ही नहीं ह या उनके वहाँ होने पर ान ही नहीं िदया है । वह िनपुण अिभनेता होता है । दू सरी
तरफ़ वह ष ं करने म अपनी पूरी ताकत लगा दे ता है और इस तरह न े ता के िकसी भी प को रोकता
है । और अगर ऐसा हो जाता है , तो वह उन पर तोहमत लगाता है , आलोचना करता है , ं करता है और ज़हर
उगलने वाले भेक की तरह घातक हार करता है । दू सरी तरफ़, वह उसी तरह की गितिविधयों म मह हीन,
औसत, यहाँ तक िक हीन लोगों को भी ऊपर उठाता है । आथर शोपेनहार, 1788-1860
कहावत है िक ादातर लोग समृ िम को िबना ई ा के सहन नहीं कर सकते ह और ई ालु म के
आस-पास ठं डा ज़हर रहता है , जो िजंदगी म दोगुना क प ं चाता है । उसके अपने घाव उसे सताते ह, िजन पर
उसे मरहम-प ी करनी होती है और दू सरे की खुशी उसे शाप की तरह महसूस होती है । एगामैमनॉन,
ए ीलस, 525-456 ई.पू. अनुमािनत
अपनी यो ता और गुणों को िछपाने म ब त यो ता और गुणों की ज़ रत होती है । ला रोशफूको,
1613-1680

श की कंु जी
इं सान को हीनता की भावनाओं से िनबटने म ब त मु ल होती है । े यो ता,
गुण या श के सामने हम अ र िवचिलत और परे शान हो जाते ह। हमम से
ादातर अपने बारे म ब त ऊँचे िवचार रखते ह और जब हम अपने से े लोगों से
िमलते ह, तो वे हमारे सामने यह कर दे ते ह िक हम दरअसल साधारण ह या
कम से कम उतने ितभाशाली तो नहीं ह, िजतना हम मानते ह। हमारी आ -छिव
म अगर इस तरह का प रवतन होता है , तो कुछ समय बाद ही हमारे मन म बुरी
भावनाएँ पैदा हो जाती ह। सबसे पहले तो हम ई ा महसूस करते ह। लेिकन ई ा
से हम न तो राहत िमलती है , न ही यह हम उनकी बराबरी पर लाती है । हम अपनी
ई ा को िदखा भी नहीं सकते ह, ोंिक इससे लोग हम पर कुिटयाँ चढ़ा लगे-
ई ा िदखाना हीनता का सूचक है । इसिलए हम इसे कई तरीकों से िछपाते ह, जैसे
उस े की आलोचना करने के आधार खोजना।
ई ा के ख़तरनाक और िवनाशक भाव से िनबटने की कई रणनीितयाँ ह। सबसे
पहले तो यह समझ ल िक जब आप श हािसल करते ह, तो आपसे नीचे के लोग
आपसे ई ा करगे। हो सकता है वे इसे दिशत न कर, लेिकन ऐसा होना अप रहाय
है । वे सामने जो झूठा पदा िदखाते ह, नादानी से उसे सच न मान। उनकी
आलोचनाओं, तानों, पीठ पीछे आलोचना के िच ों और अ िधक शंसा पर िनगाह
रख। ये आपके पतन की तैयारी के सूचक ह। उनकी आँ खों म े ष के भाव पढ़।
ई ा के साथ आधी सम ा तब आती है , जब हम इसे पहचानने म ब त दे र कर दे ते
ह।
दू सरी बात, इस बात के िलए तैयार रह िक जब लोग आपसे ई ा करगे, तो वे
आपके खलाफ काम भी करगे। वे आपके रा े म ऐसी बाधाएँ खड़ी कर दगे,
िजनका आप पहले से अनुमान नहीं लगा सकते। इस तरह के हमले से खुद को
बचाना आपके िलए मु ल होगा। चूंिक ई ा उ होने के बाद उससे िनबटना
मु ल है और ई ा उ न होने दे ना ादा आसान है , इसिलए आपको इसके
बढ़ने से पहले ही रोकने की रणनीित बनाना चािहए। ई ा उ करने वाले काय
और गुणों के ित सचेत होकर आप इसके दाँ त ही नहीं िनकलने दे ते ह, जो आपको
कुतर-कुतर कर मौत के मुंह म ले जा सकते ह।
श के े म एक बड़ा खतरा अ ािशत खुशिक ती है -अचानक िमलने वाला
मोशन, िवजय या सफलता। इससे आपके समक ों के बीच ई ा िनि त प से
उ होगी।
जब आकिवशप रे ट् ज़ को 1651 म कािडनल के पद पर मोशन िमला, तो वे ब त
अ ी तरह जानते थे िक उनके कई पूव सहकम उनसे ई ा कर रहे होंगे। अपने
नीचे के लोगों से खुद को अलग करने की मूखता को समझते ए रे ट् ज़ ने हर वह
काम िकया, जो वे अपनी यो ता को कम करने के िलए कर सकते थे। उ ोंने
अपनी सफलता म िक त की मह पूण भूिमका पर जोर िदया। लोगों को सहज
बनाने के िलए उ ोंने िवन ता का अिभनय िकया, जैसे कुछ भी नहीं बदला हो।
उ ोंने िलखा है िक इन समझदारीपूण नीितयों का “ अ ा भाव पड़ा, िजससे मेरे
िख़लाफ़ उ ई ा कम ई। " रे ट् ज़ के उदाहरण का अनुसरण कर। अपनी
खुशिक ती पर ज़ोर द। ऐसा िदखाएँ जैसे आपकी खुशी दू सरे लोग भी हािसल कर
सकते ह और इस तरह ई ा को कम बल बना द।
ई ा को दू र करने के िलए िकसी कमज़ोरी, छोटी सामािजक ग़लती या हािनरिहत
दोष का दशन कर।
ई ा के कुछ छलावों से सावधान रह। अ िधक शंसा इस बात की प ी िनशानी
है िक तारीफ़ करने वाले लोग आपसे ई ा कर रहे ह। ऐसे लोग या तो आपको पतन
के िलए तैयार कर रहे ह-उनकी तारीफ़ के अनु प काम करना आपके िलए
असंभव है या िफर वे आपकी पीठ के पीछे अपनी तलवार पर धार कर रहे ह। साथ
ही, जो लोग आपकी ब त आलोचना करते ह या जनता म आपका अपमान करते ह,
वे भी शायद आपसे ई ा करते ह। उनके वहार को िछपी ई ई ा मान और उन
पर बदले म कीचड़ उछालने के जाल म न फँसे। इसके अलावा उनकी आलोचना
को िदल पर न ल। उनके ितशोध को नज़रअंदाज़ करके या उनकी घिटया
मौजूदगी उप थित से बचकर िवजय हािसल कर, और उ अपने बनाए नक म
उबलने द।
त ीर : खरपतवार से भरा बगीचा। हो सकता है आप खरपतवार को खाद न द, लेिकन जब आप बगीचे म
पानी दे ते ह, तो वे फैलते ह। आप यह नहीं दे ख सकते िक वे ऐसा कै से करते ह, लेिकन पूरे बगीचे पर क ा
जमा लेते ह। वे ऊँ चे होते ह और िकसी भी सुंदर फूल वाले पौधे को प िवत होने से रोकते ह। ब त ादा दे र
होने से पहले ही िबना सोचे-समझे पानी डालना बंद कर द। ई ा की खरपतवार को भोजन िदए िबना ही उसे
न कर द।
िवशेष की राय : सही अवसर िमलते ही अपने च र का कोई हािनरिहत दोष कट कर द। ई ालु
लोग सबसे िन ाप पर पाप का आरोप लगाते ह। वे आगस की तरह बन जाते ह और वे दोष खोजने के
िलए उ ृ पर सौ आँ ख गड़ा दे ते ह। यह उनकी इकलौती संतुि होती है । ई ा के ज़हर से बच।
बहादु री या बु म िकं िचत कमज़ोरी का नाटक कर, तािक ई ा उ ही न हो। इस तरह आप ई ा के सींग
के सामने अपनी लाल टोपी िहलाते ह, तािक आपकी अमरता बच सके । ( बा ेसर ेिशयन, 1601-1658 )
िनयम 47: ल से आगे न जाएं , सीख िक
जीतने के बाद कहाँ कना है
िवचार
िवजय का पल अ र सबसे ख़तरनाक पल होता है । िवजय की गम म दं भ और
अित आ िव ास आपको उस ल से आगे धकेल सकता है , िजस पर आपने
िनशाना लगाया था। आप िजतने श ुओं को परािजत करते ह, ादा आगे िनकलने
के च र म उससे ादा श ु बना लेते ह। सफलता को अपने िदमाग पर न चढ़ने
द। रणनीित और सुिनयोिजत योजना का कोई िवक नहीं है । ल तय कर और
उस तक प ँ चने के बाद क जाएँ ।
दो मुग कचरे के ढे र पर लड़ रहे थे। उनम से एक ावा श शाली था। उसने दू सरे मुग को हराकर कचरे के
ढे र से दू र भगा िदया। सारी मुिगयाँ िवजयी मुग के पास इक ी होकर उसकी तारीफ़ करने लगीं। िवजयी मुगा
चाहता था िक अगले अहाते म उसकी ताक़त और शोहरत का डं का बज जाए, इसिलए वह अगले अहाते म चला
गया। वह खिलहान के ऊपर उड़कर बैठ गया और अपने पंख लहराकर तेज़ आवाज़ म बोला। " तुम सब मेरी
तरफ़ दे खो। म जीतने वाला मुगा ँ । दु िनया म िकसी और मुग म मेरे िजतनी ताक़त नहीं है । " अभी मुग की बात
पूरी भी नहीं हो पाई थी िक एक बाज़ ने उस पर झप ा मारा, उसे अपने पंजों म दबाया और अपने घोंसले म ले
गया । े ब , िलयो टॉ ॉय, 1828-1910
ॉस-ए ािमनेशन की ि ंखला | सभी ॉस ए ािमनेश म ... सबसे मह पूण बात यह है िक
हमेशा कने के िलए अ ी जगह के बारे म सतक रह। कोई भी चीज़ इससे ादा मह पूण नहीं है िक आप
अपनी बात को िवजय के साथ ख़ कर। ब त से वकील गवाह के गंभीर झूठ को पकड़ लेते ह, लेिकन वे इससे
संतु नहीं होते ह और लगातार सवाल पूछते जाते ह। वे मूखतापूण तरीके से तब तक सवाल पूछते जाते ह, जब
तक िक उनके ारा पकड़े गए झूठ का भाव जूरी पर पूरी तरह ख़ नहीं हो जाता । ांिसस एल .
वेलमैन, द आट ऑफ ॉस-ए ािमनेशन, 1903

श की कंु जी
श की अपनी लय और तं होता है । जो लोग इस खेल म सफल होते ह, वे अपने
तं को िनयंि त करते ह और इ ानुसार बदलते ह। वे अपनी गित िनधा रत करके
लोगों का संतुलन िबगाड़ दे ते ह। रणनीित का सार यह िनयंि त करना है िक बाद म
ा होगा। िवजय का उ ास भिव को िनयंि त करने की आपकी यो ता को दो
तरीकों से िवचिलत कर सकता है । सबसे पहले, आप अपनी सफलता एक तं को
दे ते ह, िजसे आप दोहराने की कोिशश करना चाहते ह। आप के िबना उसी िदशा
म जाने की कोिशश करगे और यह दे खना चाहगे िक यह िदशा अब भी आपके िलए
सव े है या नहीं। दू सरी बात, सफलता आपके िसर पर सवार हो जाती है और
आपको भावुक बना दे ती है । खुद को अजेय मानते ए आप आ ामक कदम उठाते
ह, जो अंततः आपकी हािसल की ई िवजय को न कर दगे।
सबक़ आसान है : सश लोग अपनी लय और तरीके बदलते रहते ह, िदशा बदलते
रहते ह, प र थितयों के अनुसार ढलते रहते ह और नया काम करना सीखते रहते
ह। नाचते ए क़दमों के साथ आगे जाने के बजाय वे पीछे हटते ह और यह दे खते ह
िक वे कहाँ जा रहे ह। ऐसा लगता है जैसे उनकी खून की धार म ही िवजय के दीवाने
उ ास का उपचार है , िजससे वे अपनी भावनाओं को िनयंि त कर लेते ह और
सफलता हािसल करने के बाद एक तरह के मानिसक ठहराव की थित म आ जाते
ह। वे खुद को संभालते ह, थोड़ा ठहरकर घटनाओं पर िवचार करते ह, अपनी
सफलता म प र थित और भा की भूिमका की जाँ च करते ह।
श पाने म िक त और प र थित की हमेशा मह पूण भूिमका होती है । लेिकन
आप चाहे जो भी सोच, खुशिक ती बदिक ती से ादा खतरनाक होती है ।
बदिक ती आपको धैय, टाइिमंग और बुरी घटनाओं से िनबटने की तैयारी की
ज़ रत के बारे म मू वान सबक िसखाती है । खुशिक ती आपको उलटी िदशा म
ले जाती है और आप यह सोचने लगते ह िक आप अपनी ितभा के कारण ही सफल
ए ह। आपकी िक त हमेशा पलटे गी और जब ऐसा होगा, तो आप इसके िलए
जरा भी तैयार नहीं होंगे। जो खुशिक ती आपको ऊपर उठाती है या आपकी
सफलता पर मोहर लगाती है , वह आपकी आँ ख खोलने का पल भी लाती है ।
िक त का पिहया आपको उतनी ही आसानी से नीचे फक दे गा, िजतनी आसानी से
इसने आपको ऊपर उठाया है । अगर आप िगरने की तैयारी कर लेते ह, तो आपकी
बबादी की संभावना ूनतम हो जाएगी।
श की लय म अ र श के प रवतन और चालाकी की ज़ रत होती है ।
ताकत के ब त ादा इ ेमाल से िति या होती है । ब त ादा चालाकी, चाहे
यह िकतनी ही चतुराई भरी ों न हो, िदख सकती है । जब आप िवजयी हो, तो
जमीन पर ही रह और दु न को िन य बना द। लय के ये प रवतन ब त सश
होते ह।
जो लोग ल के आगे प ं च जाते ह, अ र वे अपनी िन ा सािबत करके िकसी
मािलक को खुश करना चाहते ह, लेिकन यास की अिधकता से यह ख़तरा पैदा हो
सकता है िक मािलक आप पर शक करने लग जाए। कई मौकों पर मेसीडोिनया के
िफ़िलप ने िवजय पाने वाले अधीन थ सेनापितयों को अपमािनत करके उ छोटा
पद दे िदया। िफ़िलप का सोच यह था िक अगर उ ोंने भिव म एक और यु जीत
िलया, तो वे उनके अधीन थ रहने के बजाय ित ं ी बन जाएं गे। जब आप िकसी
मािलक की सेवा करते ह, तो अ र समझदारी इसी म होती है िक आप अपनी
िवजय को सावधानीपूवक नाप, उसे शोहरत हािसल करने द और उसे कभी असहज
न बनाएँ । यह भी समझदारीपूण है िक आप कठोर आ ाका रता का तं थािपत
करके उसका िव ास हािसल कर।
जब आप आिख़रकार कते ह, तो वह ब त ही मह पूण बन जाता है । सबसे
आ खर म जो आता है , वह म म िकसी िव यवाचक िच की तरह जमा
रहता है । कने और छोड़ दे ने के िलए िवजय के ठीक बाद का समय सबसे अ ा
होता है । िवजय के बाद भी जो खम यह रहता है िक आपका भाव कम हो सकता
है , यहाँ तक िक आप हार भी सकते ह। जैसा वकील ॉस-ए ािमनेशन के बारे म
कहते ह, " हमेशा जीतने के बाद क जाएँ ।
त ीर। आसमान से िगरता इकैरस। उसके िपता डीडे लस मोम के पंख बनाते ह, िजससे दो लोग
भूलभुलैया से उड़कर बाहर िनकल सक और मीनोटोर से बच सक। िवजयी बचाव और उड़ने के अनुभव से खुश
होकर इकै रस ब त ऊँ चाई पर उड़ने लगता है । अंततः सूय की गम से उसके पंख िपघल जाते ह और वह नीचे
िगरकर मर जाता है ।
िवशेष की राय : राजाओं और गणरा ों को िवजय से संतु हो जाना चािहए, ोंिक जब वे इससे
ादा का ल बनाते ह, तो वे आम तौर पर हार जाते ह। श ु के ित अपमानजनक भाषा का योग िवजय के
दं भ या झूठी आशा से उ होता है । झूठी आशा से मनु की बात और काम ग़लत िदशा म चले जाते ह,
ोंिक जब झूठी आशा म पर हावी हो जाती है , तो मनु अपने ल से आगे चला जाता है और िनि त
अ ाई को छोड़कर अिनि त बेहतरी की ओर कदम बढ़ाने लगता है । ( िनकोलो मैिकयावली, 1469-1527 )
िनयम 48: िनराकार बन
िवचार
िदखने वाली योजना बनाकर आप खुद को हमले का िनशाना बना लेते ह। साकार
बनकर खुद को श ु की पकड़ म रखने लाने के बजाय खुद को लगातार ढालते रह।
इस स ाई को ीकार कर िक कुछ भी िनि त नहीं है और कोई िनयम तय नहीं
है । अपने को बचाने का सव े तरीक़ा पानी की तरह व और िनराकार होना है ।
थरता या थायी व था पर भरोसा न कर। हर चीज़ बदलती है ।
माशल आट् स म यह मह पूण होता है िक रणनीित समझ म न आ पाए, िछपकर दाँव लगाया जाए और
गितिविधयाँ अ ािशत हो, तािक उनके खलाफ तैयारी करना असंभव हो। हमेशा सफल होने वाले सेनापित
की सफलता का राज़ यह है िक उसकी बु अथाह होती है और उसकी रणनीित का कोई िनशान नहीं होता है ।
िसफ िनराकार को ही भािवत नहीं िकया जा सकता। साधु अथाह िनराकार म िछप जाते ह, तािक उनकी
भावनाएं नजर न आएँ । वे िनराकार के भीतर रहते ए काम करते ह, तािक राहों म उलझन न हो । द बुक
ऑफ द आनैन मा स, चीन, दू सरी सदी
ानी न तो ाचीन तरीकों का अनुसरण करना चाहता है , न ही शा त मानदं ड िनधा रत करना चाहता है । वह तो
अपने युग की जांच करता है और उससे िनबटने की तैयारी करता है । सुंग म एक था, जो एक खेत जोतता
था। उस खेत म एक पेड़ का तना खड़ा था। एक बार एक खरगोश तेजी से भागते ए उसके तने से टकरा गया
और गदन टू टने के कारण मर गया। इस पर उस आदमी ने अपने हल को एक तरफ़ रख िदया और उस पेड़ को
दे खा। वह एक और खरगोश के आने की उ ीद कर रहा था। बहरहाल उसने कभी कोई और खरगोश नहीं
पकड़ा तथा सुंग के लोगों ने उसकी हं सी उड़ाई। अगर कोई पुराने राजाओं की नीितयों से वतमान युग के लोगों
पर शासन करना चाहे , तो वह भी उसी पेड़ दे खने वाले आदमी की तरह का काम ही कर रहा होगा । हान-
े ई- ू, चीनी दाशिनक, तीसरी सदी ई.पू.

श की कंु जी
इं सान आकार से पहचाना जाता है । शायद ही कभी वह अपने भाव सीधे तौर पर
करता है । वह उ भाषा से या सामािजक प से ीकृत परं पराओं से
आकार दे ता है । हम िबना आकार के अपने भाव नहीं कर सकते।
बहरहाल जो आकार हम बनाते ह, वे बदलते रहते ह-फ़ैशन म, शैली म, उस पल के
मूड का ितिनिध करने वाली मानवीय घटनाओं म। हम लगातार िपछली पीिढ़यों
से िवरासत म िमले आकारों को बदलते रहते ह। ये प रवतन जीवन और जीवंतता के
संकेत ह। दरअसल जो चीज नहीं बदलती ह, जो प कठोर हो जाते ह, वे हम मौत
की तरह िदखने लगते ह और हम उ न कर दे ते ह।
अ र श शाली अपनी जवानी म िकसी नई चीज़ को नए प म
करके चुर रचना कता िदखाते ह। समाज इस तरह के नएपन का भूखा होता है ,
इसिलए वह उ श और पुर ार दे ता है । सम ा बाद म आती है , जब वे
अ र िढ़वादी और अिधकारवादी बन जाते ह। अब वे नए आकार बनाने के
सपने नहीं दे खते ह। उनकी पहचान बन जाती है , उनकी आदत पड़ जाती है और
उनकी कठोरता उ आसान िनशाना बना दे ती है ।
श िसफ तभी बढ़ सकती है , जब इसका आकार लचीला हो। िनराकार रहने का
मतलब अ व थत होना नहीं है । हर चीज़ का इससे बचना असंभव है । आकार
होता है इससे बचना असंभव है | श का िनराकार होना पानी या पारे की तरह है ,
जो अपने माहोल के िहसाब से प बदल लेता है । यह आकार लगातार बदलता
रहता है , इसका कोई पूवानुमान नहीं लगाया जा सकता।
िनराकार होने की पहली मनोवै ािनक आव कता खुद को िशि त करना है िक
हम िकसी चीज़ को गत प से न ल। कभी र ा कता न िदखाएं । जब आप
र ा क काम करते ह, तो आप अपने भावों को िदखाते ह और एक प
उजागर करते ह। आपके िवरोधी यह समझ लगे िक उ ोंने दु खती रग पर हाथ रख
िदया है और वे बार-बार उसी जगह पर हाथ रखगे। अपने चेहरे को िनराकार नकाब
की तरह बना ल। इस तरह आप अपने चालबाज़ सहकिमयों और िवरोिधयों को
गु ा िदला दगे तथा उ िवचिलत कर दगे।
इस तकनीक का इ ेमाल करने वाले एक बैरन जे रॉ सचाइ थे। वे
पे रस म रहने वाले जमन य दी थे। वहाँ की सं ृ ित िवदे िशयों के िलए दो ाना नहीं
थी, लेिकन रॉ सचाइ ने इसे गत प से नहीं िलया। इसके अलावा उ ोंने
राजनीितक माहौल म खुद को ढाला, चाहे वह जैसा भी हो। रॉ सचाइ ने सबको
ीकार िकया और वे माहौल म घुल-िमल गए। उनका कोई आकार नहीं होने के
कारण वे माहौल म ढलकर समृ ए, जबिक दू सरे अमीर प रवार उस समय के
जिटल बदलावों और िक़ त के उतार-चढ़ाव म बबाद हो गए। अतीत म जकड़े
रहकर उ ोंने अपना प उजागर कर िदया था।
जब आपकी उ बढ़े , तो आपको अतीत पर कम िव ास करना चािहए। सतक रह,
वरना आपके च र का आकार कहीं आपको अवशेष न बना दे ।
बहरहाल यह कभी न भूल िक िनराकार होना एक रणनीितक अिभनय है । यह
आपको रणनीितक आ य रचने की जगह दे ता है । जब आपके दु न आपके अगले
कदम का अनुमान लगाने के िलए संघष करते ह, तो वे अपनी रणनीित उजागर कर
दे ते ह और घाटे की थित म आ जाते ह। इससे आपको पहल करने की श भी
िमलती है , जबिक आपके श ु हमेशा िति या करने के िलए िववश हो जाते ह।
याद रख : िनराकार होना एक औज़ार है । इसे बहाव के साथ बहने वाली शैली न माने
या िक त के थपेड़ों के ित सिह ुता न समझ। आप िनराकार का उपयोग
आं त रक लय और शां ित उ करने के िलए नहीं करते ह, ब अपनी श
बढ़ाने के िलए करते ह।
अंत म, हर नई प र थित के अनु प ढलना सीखने का मतलब है घटनाओं को
अपनी आँ खों से दे खना और दू सरों की अनचाही सलाह को नज़रअंदाज़ करना।
इसका मतलब है िक अंततः आपको दू सरों के िसखाए िनयमों को दू र फक दे ना
चािहए। आपको उन पु कों को भी दू र फक दे ना चािहए, जो बताती ह िक आपको
ा करना चािहए। यही आपको बड़े -बूढ़ों की समझदारीपूण सलाह के साथ भी
करना चािहए। दू सरों के िवचारों पर ब त ादा भरोसा करगे, तो आप अंततः एक
ऐसा आकार ले लगे, िजसे आपने नहीं बनाया है । अतीत के ित ू र रह, खासकर
अपने अतीत के ित और उन जीवन-दशनों के ित भी कोई स ान न रख, जो
आप पर िकसी दू सरे ने थोपे हों।
त ीर : मकरी या बुध। पंखों वाला संदेशवाहक, वािण का दे वता, चोरों तथा जुआ रयों का संर क
दे व, तेज़ी से धोखा दे ने वाले लोगों का अिधपित। िजस िदन मकरी पैदा आ था, उसी िदन उसने लायर नाम का
वा यं खोज िलया था। शाम तक उसने अपोलो के मवेशी चुरा िलए थे। वह संसार भर म अपना भनचाहा प
रखकर घूमता था। पारे को मकरी इसीिलए कहा जाता है , ोंिक यह भी उतना ही अ थर और िनराकार है ।
यह िजतना िनराकार होने की श दशाता है ।
िवशेष की राय : सेना की पूणता िनराकार बनने म है। यु म िवजय एक ही रणनीित को बार-बार
दोहराने से नहीं िमलती है , ब लगातार बदलाव करने से िमलती है ... सेना का एक ही ूह नहीं होता है , पानी
का एक ही आकार नहीं होता है । िवरोधी के अनुसार बदलकर और ढलकर िवजय हािसल करने की यो ता को
ही ितभा कहते ह। ( सुन ू, चौथी सदी, ई.पू. )

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