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अधधक से अधधक ऱोगों की रुधच हो तथा िो अधधक से अधधक ऱोगों को प्रभावित करती हों ,
ऩत्रकाररता कहऱाता है ।
2. समाचार: समाचार ककसी भी ऐसी तािा घटना , विचार या समस्या की ररऩोटट है ,जिसमें
अधधक से अधधक ऱोगों की रुधच हो और जिसका अधधक से अधधक ऱोगों ऩर प्रभाि ऩड़ता
हो ।
4. डेडऱाइन- समाचार माध्यमों के लऱए समाचारों को किर करने के लऱये ननधाटररत समय -
सीमा को डेडऱाइन कहते हैं।
5. सांऩािन : प्रकािन के लऱए प्राप्त समाचार सामग्री से उसकी अिद्धधयों को दरू करके
ऩठनीय तथा प्रकािन योग्य बनाना सॊऩादन कहऱाता है ।
1. ऩत्रकाररता तया है ?
2. ऩत्रकाररता के विकास में कौन-सा मूऱ भाि सकिय रहता है ? सॊकेत: जिऻासा का
7. सॊऩादकीय तया है ?
(II) िाचडाग पत्रकाररता - ऱोकतंत्र में ऩत्रकाररता और समाचार मीड़डया का मुख्य उत्तरदानयत्ि
सरकार के कामकाज ऩर ननगाह रखना है और कोई गड़बड़ी होने ऩर उसका ऩरदाफ़ाि करना
होता है , ऩरं ऩरागत रूऩ से इसे िाचडाग ऩत्रकाररता कहते हैं।
(III) एडिोकेसी पत्रकाररता- इसे ऩऺधर ऩत्रकाररता भी कहते हैं। ककसी खास मुद्दे या विचारधारा
के ऩऺ में जनमत बनाने के लऱए ऱगातार अलभयान चऱाने िाऱी ऩत्रकाररता को एडिोकेसी
ऩत्रकाररता कहते हैं।
(IV) पीतपत्रकाररता- ऩाठकों को ऱुभाने के लऱये झूठी अफ़िाहों , आरोऩों-प्रत्यारोऩों, प्रेमसंबंधों आदद
से संबंधध सनसनीखेज समाचारों से संबंधधत ऩत्रकाररता को ऩीतऩत्रकाररता कहते हैं।
(V) पेि थ्री पत्रकाररता - ऐसी ऩत्रकाररता जजसमें फ़ैिन , अमीरों की ऩादटव यों , महकफ़ऱों और
जानेमाने ऱोगों के ननजी जीिन के बारे में बताया जाता है ?
6. भारत मे ऩहऱा छाऩाखाना कब, कहाॉ, ककसने और ककस उद्दे श्य से खोऱा था?
9. मुद्रित माध्यम के अंतर्गत िेिन में द्रकन बातों का ध्यान रिना चावहए ?
7. भारत में सच्चे अथों में िेब ऩत्रकाररता करने िाऱी साइटों के नाम लऱखखए ।
9. भारत में िेबसाइट ऩर वििद्ध ऩत्रकाररता करने का श्रेय ककस साइट को जाता है ?
नाम : अनुिमाॊक:
कऺा : दिनाॊक:
पत्रकार के प्रकार--- ऩत्रकार तीन प्रकार के होते हैं । १. ऩूणग कालऱक २. अॊिकालऱक (स्टस्रॊ गर) ३.
फ़्रीऱाॊसर या स्ितॊत्र ऩत्रकार
समाचार ऱेखन -- समाचार उऱर्ा वऩरालमड िैऱी में लऱखे जाते हैं , यह समाचार ऱेखन की सबसे
उऩयोगी और ऱोकवप्रय िैऱी है । इस िैऱी का विकास अमेररका में गह
ृ यद्ध के दौरान हआ। इसमें
महत्त्िऩण
ू ग घर्ना का िणगन ऩहऱे प्रस्तत ककया जाता है , उसके बाद महत्त्ि की दृस्टटर् से घर्ते क्रम में
घर्नाओॊ को प्रस्तत कर समाचार का अॊत ककया जाता है । समाचार में इॊरो , बॉडी और समाऩन के
क्रम में घर्नाएॉ प्रस्तत की जाती हैं ।
समाचार के छ: ककार- समाचार लऱखते समय मख्य रूऩ से छ : प्रश्नों- क्या, कौन, कहाॉ, कब , क्यों
और कैसे का उत्तर दे ने की कोलिि की जाती है । इन्हें समाचार के छ : ककार कहा जाता है । प्रथम
चार प्रश्नों के उत्तर इॊरो में तथा अन्य दो के उत्तर समाऩन से ऩि
ू ग बॉडी िाऱे िाग में ददए जाते हैं ।
फ़ीचर: फ़ीचर एक सव्यिस्टस्थत, सज
ृ नात्मक और आत्मयनटठ ऱेखन है ।
फ़ीचर ऱेखन का उद्िे श्य : फ़ीचर का उद्दे श्य मख्य रूऩ से ऩाठकों को सूचना दे ना , लिक्षऺत करना
तथा उनका मनोरॊ जन करना होता है ।
फ़ीचर और समाचार में अॊतर : समाचार में ररऩोर्ग र को अऩने विचरों को डाऱने की स्ितॊत्रता नहीॊ
होती, जबकक फ़ीचर में ऱेखक को अऩनी राय , दृस्टटर्कोण और ििनाओॊ को जादहर करने का अिसर
होता है । समाचार उल्र्ा वऩरालमड िैऱी में में लऱखे जाते हैं , जबकक फ़ीचर ऱेखन की कोई
सयनस्टश्चत िैऱी नहीॊ होती । फ़ीचर में समाचारों की तरह िब्दों की सीमा नहीॊ होती। आमतौर ऩर
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फ़ीचर, समाचार ररऩोर्ग से बडे होते हैं । ऩत्र- ऩत्रत्रकाओॊ में प्राय : २५० से २००० िब्दों तक के फ़ीचर
छऩते हैं ।
2. इॊरो क्या है ?
नाम : अनुक्रमाांक:
कक्षा : ददनाांक:
4. विचारऩरक ऱेखन क्या है ? तथा उसके अन्तगटत ककस प्रकार के ऱेख आते हैं?
डेस्क : समाचारऩत्र, ऩत्रत्रकाओॊ , टीिी और रे डडयो चैनऱों में अऱग- अऱग विषयों ऩर वििेष
ऱेखन के लऱए तनधािररि स्थऱ को डेस्क कहिे हैं। और उस वििेष डेस्क ऩर काम करने िाऱे
ऩत्रकारों का भी अऱग समूह होिा है । यथा , व्याऩार िथा कारोबार के लऱए अऱग िथा खेऱ
की खबरों के लऱए अऱग डेस्क तनधािररि होिा है ।
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बीट : विलभन्न विषयों से िुडे समाचारों के लऱए सॊिाददािाओॊ के बीच काम का विभािन आम
िौर ऩर उनकी ददऱचस्ऩी और ऻान को ध्यान में रख कर ककया िािा है । मीडडया की भाषा में
इसे बीट कहिे हैं ।
बीट ररपोदटिं ग तथा विशेषीकृत ररपोदटिं ग में अन्तर: बीट ररऩोदटिं ग के लऱए सॊिाददािा में उस ऺेत्र
के बारे में िानकारी ि ददऱचस्ऩी का होना ऩयािप्ि है , साथ ही उसे आम िौर ऩर अऩनी बीट
से िड
ु ी े़ सामान्य खबरें ही लऱखनी होिी हैं । ककन्िु वििेषीकृि ररऩोदटिं ग में सामान्य समाचारों
से आगे बढ़कर सॊबॊर्धि वििेष ऺेत्र या विषय से िड
ु ी े़ घटनाओॊ , समस्याओॊ और मद्
ु दों का
बारीकी से विश्ऱेषण कर प्रस्िुिीकरण ककया िािा है । बीट किर करने िाऱे ररऩोटि र को
सॊिाददािा िथा वििेषीकृि ररऩोदटिं ग करने िाऱे ररऩोटि र को वििेष सॊिाददािा कहा िािा है ।
विशेष ऱेखन की भाषा- शैऱी: वििेष ऱेखन की भाषा- िैऱी सामान्य ऱेखन से अऱग होिी है ।
इसमें सॊिाददािा को सॊबॊर्धि विषय की िकनीकी िब्दािऱी का ऻान होना आिश्यक होिा है ,
साथ ही यह भी आिश्यक होिा है कक िह ऩाठकों को उस िब्दा िऱी से ऩररर्चि कराए जिससे
ऩाठक ररऩोटि को समझ सकें। वििेष ऱेखन की कोई तनजश्चि िैऱी नहीॊ होिी ।
विशेष ऱेखन के क्षेत्र : वििेष ऱेखन के अनेक ऺेत्र होिे हैं , यथा- अथि-व्याऩार, खेऱ, विऻान-
प्रौद्योर्गकी, कृवष, विदे ि, रऺा, ऩयाििरण लिऺा , स्िास््य, किल्म-मनोरॊ िन, अऩराध, कानून ि
सामाजिक मुद्दे आदद ।
नाम : अनुक्रमाांक:
कक्षा : दिनाांक:
1. विऻाऩन ककसे कहते हैं ?
3. दरू दिशन ऩर प्रसाररत समाचार ककन-ककन चरणों से होकर दिशकों तक ऩहॉचते हैं?
18 . एफ़०एम० क्या है ?
प्रश्न 35- ऩहरे ऩष्ृ ठ ऩय प्रकालित होने िारे हस्ताऺरयत सभाचाय को क्मा कहते हैं?
उिय:
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प्रश्न 43- एॊकय का क्मा अथथ है ? तथा उद्घोषक को हभ ककस अथथ भें रेते हैं?
उिय:
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प्रश्न 44- कतयन (क्क्रवऩॊग) ककसे कहते हैं?
उिय:
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प्रश्न 44- किये ज को हभ ककस अथथ भें रेते हैं?
उिय:
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प्रश्न 45- गजट को ऩरयबावषत कीक्जए।
उिय:
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कें वि सॊ आॊचलरक लिऺा एिॊ प्रलिऺण सॊस्थान चॊडीगढ़
प्रश्न 46- ऩत्रकारयता भें छ् ककाय क्मा हैं?
उिय:
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प्रश्न 47- टाइऩ के ककतने अॊग हैं?
उिय:
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उिय 7 : जफ स्रोत मा सॊचायक एक उद्दे श्म के साथ अऩने ककसी विचाय सॊदेि मा बािना को
ककसी औय तक ऩहुॉचाना चाहता है तफ सॊचाय की िुरूआत होती है ।
उिय 9: डीकोडडॊग का अथथ है – प्राप्त सॊदेिों भें तनटहत अथथ को सभझने की कोलिि।
उिय 10: पीडफैक से हभें ऩता चरता है कक सॊचायक ने क्जस अथथ के साथ सॊदेि बेजा था िह
उसी अथथ भें प्राप्तकताथ को लभरा है ।
उिय 11: सॊचाय-प्रकिमा भें कई प्रकाय की फाधाएॉ आती हैं इन फाधाओॊ को िोय कहते हैं।
उिय 12: सॊकेतों द्िाया विचायों का आदान-प्रदान कयना ही साॊकेततक सॊचाय कहराता है ।
उिय 13: जफ दो व्मक्क्त आऩस भें आभने-साभने सॊचाय कयते हैं तो इसे अॊतय-िैमक्क्तक
सॊचाय कहते हैं।
उिय 16: प्राक्प्त तनमॊत्रण सूचना अलबव्मक्क्त साभाक्जक सम्ऩकथ तथा सभस्मा-सभाधान
प्रततकिमा आटद।
उिय 17: सच
ू ना दे ना लिक्षऺत कयना भनोयॊ जन कयना, एजेंडा तम कयना तनगयानी कयना तथा
विचाय-विभिथ के लरए भॊच उऩरब्ध कयाना।
उिय 18: खफयों रेखों तथा पीचयों को व्मिक्स्थत ढॊ ग से सॊऩादकीम कयने का कामथ सॊऩादकीम
विबाग का होता है
उिय 19: साप्ताटहक ऩत्र उदॊ त भातथण्ड 1826 ई. भें कोरकाता से जुगर ककिोय के सॊऩादकत्ि
भें प्रकालित हुआ।
उिय 20: बायत भें ऩत्रकारयता की िुरूआत सन ् 1780 ई भें जेम्स ऑगस्ट टहक्की के फॊगार-
गजट से हुई।
उिय 21: गणेि िॊकय विद्माथी भाखनरार चतुिेदी भहािीय प्रसाद द्वििेदी प्रताऩनायामण
लभश्र लििऩज
ू न सहाम याभिऺ
ृ फेनीऩयु ी फारभक
ु ु न्द गुप्त आटद।
उिय 27: क्जऻासा औय सभाचाय व्माऩक अथों भें ऩत्रकारयता का भूर तत्ि है ।
उिय 31: सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभस्मा की रयऩोटथ है क्जसभें अधधक
से
उिय 34: सॊऩादक क्जस ऩष्ृ ठ ऩय विलबन्न घटनाओॊ औय सभाचायों ऩय अऩनी याम प्रकट कयता
है
उसे सॊऩादकीम कहते है ।
उिय 37: ऐसी ऩत्रकारयता क्जसभें गहयाई से छानफीन कयके ऐसे तथ्मों औय सूचनाओॊ को
साभने राने की कोलिि की जाती है क्जन्हें दफाने मा तछऩाने का प्रमास ककमा जा यहा हो।
उिय 38: ककसी के सयकाय के काभकाज ऩय तनगाह यखते हुए ककसी गिफिी का ऩदाथपाि
कयना िॉचडॉग ऩत्रकारयता कहराती है ।
उिय 39: ककसी खास भुद्दे को उछारकय उसे ऩऺ भें जनभत फनाने का रगाताय अलबमान
चराना एडिोकेसी ऩत्रकारयता कहराती है ।
उिय 40: जो भीडडमा स्थावऩत व्मिस्था के विकल्ऩ को साभने राने औय उसके अनुकूर
िैकक्ल्ऩक सोच को अलबव्मक्त कयता है उसे िैकक्ल्ऩक भीडडमा कहते हैं।
उिय 41: सभाचाय-ऩत्र को अयफी भें अखफाय कहते हैं। इसलरए ऐसा ऩत्र क्जसभें खफयें ही खफयें
हो अखफाय कहराता है ।
उिय 42: एक ही सॊऩादकीम स्तम्ब भें दो मा तीन सॊऩादकीम रेख हों तो ऩहरे को अग्ररेख
ि अन्म को सॊऩादकीम टटप्ऩखणमाॊ कहते हैं।
उिय 43: ककसी टीिी कामथिभ को सॊचालरत कयने िारा अलबनेता मा अलबनेत्री। ये डडमो
कामथिभ िुरू होने से ऩूिथ कामथिभ सॊफॊधी मा अन्म आिश्मक घोषणाएॉ कयने िारा उद्घोषक
कहराता है ।
उिय 45: घटनास्थर ऩय ऩहुॉचकय सभाचायों का सॊकरन कयना औय उन्हें प्रकालित कयना
किये ज कहराता है ।
उिय 47: ऩत्रकाय कक्प्रॊग ने सभाचाय सॊकरन के लरए ऩाॉच डब्ल्मू ि एक एच का लसद्धाॊत
टदमा इसे ही टहन्दी भें छ् ककाय का लसद्धाॊत कहते हैं। मे ककाय हैं - कहाॉ कफ क्मा ककसने
क्मों औय कैसे।
उिय 48: टाइऩ के 10 अॊग हैं- काउॊ टय फॉडी सेरयप पेस त्रफअडथ िोल्डय वऩन तनक ग्रूि पुट।
उिय 49: विद्मुत-चालरत भिीन क्जसकी सहामता से सॊिाद सलभततमों के सभाचाय अखफाय के
कामाथरम तक भिीन ऩय चढ़े कागज ऩय स्ित् टाइऩ होकय ऩहुॉचते हैं।
उिय 50: प्रत्मेक सभाचाय के िीषथक के फाद औय इॊट्रो से ऩहरे उस सभाचाय का स्थान ि
तायीख दी जाती है उसे डेडराइन कहते हैं।
उिय 51: ककसी वििेष सभाचाय का ऩूया विियण दे ने भें दे य रगने की क्स्थतत भें उस सभाचाय
का सॊक्षऺप्त रूऩ न्मूज एजेंसी ऩत्र मा ये डडमा को टदमा जाता है इसे फ्रैि कहते हैं।
उिय 53: प्रत्मेक सभाचाय-ऩत्र मा ऩत्रत्रका भें सॊऩादक प्रकािक औय भुद्रक का नाभ अतनिामथ
रूऩ से प्रकालित ककमा जाता है , इस विियण को ही वप्रॊट राइन कहते हैं।
उिय 54: िह छोटा-छोटा भैटय जो भेक-अऩ भें खारी स्थान फचने ऩय उसे बयने के काभ
आता है ।
उिय 55: ककसी योचक विषम ऩय भनोयॊ जक िैरी भें लरखा गमा रेख पीचय कहराता है ।
उिय 60: सभाचाय का भुख्म त्रफॊद ु क्जसे ऩहरे ऩैया भें टदमा जाता है ।
उिय 61: दो ऩॊक्क्तमों के फीच जो स्ऩेस डारा जाता है िही रेड कहराता है ।
उिय 62: ऐसी सॊस्था जो विऻाऩनदाताओॊ से उधचत यकभ ऩय विऻाऩन रेकय उसे तैमाय
कयिाकय उधचत भाध्मभों को बेजती है ।
उिय 64: ककसी सभाचाय मा रेख को इस प्रकाय सॊक्षऺप्त कयना कक सभाचाय मा रेख के सबी
भख्
ु म अॊि उसभें आ जाएॉ।
उिय 65: सॊऩादन कपल्भ तनभाथण की एक यचनात्भक प्रकिमा है । इसभें ककसी कपल्भ के िूट
ककए गए दृश्मों को कहानी के अनुसाय करात्भक ढॊ ग से जोिा जाता है । ध्ितन एिॊ सॊगीत बी
सॊऩादन के अॊतगथत डारी जाती है ।
उिय 66: ककसी सॊस्कयण के लरए िह अॊततभ सभम-सीभा जफ तक भुद्रण विबाग द्िाया
कॊऩोक्जॊग हे तु भैटय स्िीकाय ककमा जाता है ।
उिय 67: बविष्म भे ऩुन् छाऩने के लरए योका गमा कॊऩोज्ड भैटय।
उिय 68: ऩत्र-ऩत्रत्रका के ऩष्ृ ठ का िह बाग मा ककसी वििेष विषम के लरए तनधाथरयत स्थान
को स्तॊब के रूऩ भें जानते हैं।
उिय 69: फ्रीराॊसय मा स्ितॊत्र ऩत्रकाय उन्हें कहते हैं क्जनका ककसी वििेष एक सभाचाय ऩत्र से
सॊफॊध नहीॊ होता । ऐसे ऩत्रकाय बुगतान के आधाय ऩय कामथ कयते हैं।
उिय 70: िह ये खा जो ऩष्ृ ठ के उऩय ऺैततज डारी जाती है ताकक नीचे का भैटय तायीख औय
सॊख्मा आटद से सभाचाय ऩत्र का नाभ अरग यहे ।
उिय 71: सॊचाय प्रकिमा भें सॊदेि को प्राप्त कयने िारा जो सकायात्भक मा नकायात्भक
प्रततकिमा कयता है उसे पीडफैक कहते हैं।
उिय 75: ऐसा ऩत्रकाय जो ककसी सभाचाय सॊगठन भें काभ कयता है औय तनमलभत िेतन ऩाता
है उसे ऩूणक
थ ालरक ऩत्रकाय कहा जाता है ।
उिय 76: अखफायों भें सभाचाय लरखने िारों को सॊिाददाता मा रयऩोटथ य कहते हैं।
उिय 77: सीलभत मा कभ सभम के लरए काभ कयने िारे ऩत्रकाय को अॊिकालरक ऩत्रकाय कहा
जाता है । इन्हें प्रकालित साभग्री के आधाय ऩय ऩारयश्रलभक टदमा जाता है ।
उिय 79: सभाचाय भाध्मभों भें डेस्क का आिम सॊऩादन से होता है । सभाचाय भाध्मभों भें भोटे
तौय ऩय सॊऩादकीम कऺ डेस्क औय रयऩोटटिं ग भें फॉटा होता है । डेस्क ऩय सभाचायों को सॊऩाटदत
कद अऩने मोग्म फनामा जाता है ।
10. पीचय रेखन की बाषा िैरी कैसी होनी चाटहए? 111.सॊचाय के प्रभुख तत्ि. कौन-कौन से
हैं?
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20.भटु द्रत भाध्म.भ भें रेखक को ककन-ककन फातों का ध्मा.न यखना होता है ।
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