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ऑ पनहाइमर क ताकत - गीता

अ ू बर, 1939 म आइं ाइन अमे रका के रा प त को एक खत लखते


ह,

"जमनी म परमाणु रसच पूर ज़ोर पर ह। वे ज ही एक श शाली बम


बनाने म सफल हो सकते ह, ऐसा बम जो मानवजा त ने आजतक नह
दखा।"

इस व तक ू सर व यु क शु आत हो चुक थी। हटलर ने


पोलड पर हमला कर दया था। और टश व च सरकार ने जमनी के
ख़लाफ़ यु का एलान कर दया था।

1942 तक आते-आते अमे रका भी स य प से व यु का ह ा बन


चुका था। तब वहाँ के रा प त ने व के सव े वै ा नक को अपने
दश आने का ाव भेजा। और शु आत ई "मैनहटन ोजे " क ।
जसका उ था जमनी से पहले परमाणु बॉम बनाना।

इस ोजे के डायर र के तौर पर उस व के स वै ा नक रॉबट


ऑ पनहाइमर को चुना गया। उनको बताया गया क कैसे व यु को और
हटलर को अ ाचार को रोकने का एक ही उपाय हो सकता ह: क जमनी
से पहले अमे रका एक परमाणु बॉम तैयार करले।

ऑ पनहाइमर धमसंकट म पड़ गए। एक तरफ़ थी हटलर क ू रता और


अ ाचार और ू सरी ओर था अपने व ान के कौशल का उपयोग करके

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एक ऐसा ह थयार बनाने का आदश जसके आगे सार ह थयार वफल
सा बत हो जाएँ । सफ़ उसके नामभर से सार यु ख़ हो जाएँ ।

इसी समय के दौरान वे कहा करते थे क "भगवद् गीता मेरी बेचैनी क


दवाई ह"। इस लए हमेशा गीता क त अपनी मेज़ पर एक हाथ क ू री
पर रखते थे।

वेदा से उनका र ा पुराना था। वष पहले जब वे कॉलेज म थे तो उ


व ान क कताब से ादा च वेदा और भगवद् गीता म थी। वे उन
लोग म से थे ज ने सं ृ त सीखी थी ख़ास वेदा ंथ के मूल प
को पढ़ने के लए।

उनके करीबी बताते ह क उनक बात से साफ़ झलकता था क वे कैसे पूर


ोजे के दौरान एक क कश म रहते थे। ' धम' को समझने म ख़ुद को
असफल पाते थे।

उ समझ नह आ रहा था ा 'सही' ह: उनका परमाणु बम बनाने म


सफल हो जाना या असफल हो जाना? दोन ही नतीजे उ भयावह लग
रह थे।

16 जुलाई 1945 को अमे रका पहला सफल परमाणु परी ण करता ह।


और सभी वै ा नक अपनी खोज को सरकार के हवाले कर दते ह।
ऑ पनहाइमर को पता चलता ह क रा प त जापान पर बम गराने का
आदश दने वाले ह।

तो वे इस नणय का वरोध करते ह क 30 अ ैल 1945 को हटलर


पहले ही आ ह ा कर चुका था। और नाज़ी सेना मई तक आते-आते घुटने

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टक चुक थी। सफ़ जापान का तानाशाह हीरो हतो ह थयार डालने को
राज़ी नह था।

रा प त उनक बात नह मानते। ऑ पनहाइमर कहते ह, "आज मेर और


आपके हाथ खून से रंगे ह" और वहाँ से नकल जाते ह।

जापान पर दो परमाणु बम गराए जाते ह। 2 लाख से अ धक जान जाती ह,


दो शहर पूरी तरह म ी म मल जाते ह, आने वाले कई दशक के लए पूरी
जनसं ा र डएशन से सत रहती ह। जापान का तानाशाह अपनी हार
मान लेता ह। और ू सरा व यु ख़ हो जाता ह।

ऑ पनहाइमर को लगा शायद ऐसा भयावह मंजर दखकर मानवता दोबारा


ऐसा कभी नह होने दगी। और परमाणु बम बनाने पर तबंध लगा दगी।
ले कन 1949 म स ारा सफल परमाणु परी ण के बाद पूरी ु नया म
परमाणु बम बनाने क रस शु हो जाती ह।

जस ऑ पनहाइमर को 'परमाणु बम का पता' कहा गया था, वही


उसके सबसे बड़ वरोधी बनकर खड़ होते ह। अमे रक सरकार 1950 म
हाइ ोजन बम बनाने क तैयार शु कर दती ह। जो क परमाणु बम से
1000 गुना श शाली होता।

तो ऑ पनहाइमर इसका पुरज़ोर वरोध करते ह। ले कन उनक बात सुनने


क जगह उनपर रा ोह का मुक़दमा चलाया जाता ह। शेष जीवन वे
फज पढ़ाने म और अपनी ही रचना के अंतरा ीय मंच पर वरोध करने
को सम पत कर दते ह।

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दो बात पर ान दी जएगा:

1. गीता से े रत होकर कैसे श का वशाल ोत खुलता ह। चाह वे


परमाणु श हो या आं त रक श हो।

2. अ ा ही अ हसा का ोत ह। ज अ ा से कोई सरोकार नह


होता वे ही अपनी घातक मह ाकां ाओं के कारण व पर ू रता बरसाते
ह।

ऑ पनहाइमर परमाणु रह के ाता थे और गीता के भी। तो उ ने बम


का पुरज़ोर वरोध कया। ले कन पूरी ु नया म पछले 70 साल म
ना भक य वष फैलता ही गया ह क ु नया अ ा और वेदा से ू र
ह।

गीता: श भी, क णा भी।

आपक सं ा पूर व को गीता के वा वक अथ के नकट लाने का


काम कर रही ह। ागत ह:

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