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प्रेस विज्ञवि

देश में 1 फीसदी से भी कम हैं ऐसे मानससक रोगी जो खुद बताते हैं अपनी परेशानी, आईआईटी जोधपुर
के ताजा अध्ययन में सामने आई जानकारी

➢ ज़्यादातर मानससक रोगी सामासजक दबाव के चलते नहीं आते हैं सामने ।
➢ भारत में कम आय िाले लोगों की तल
ु ना में अविक आय िाले लोगों में स्िास््य समस्याओ ं की ररपोर्ट करने की
संभािना 1.73 गुना अविक पायी गई।
➢ यह अध्ययन नेशनल सैंपल सवे 2017-2018 के 75 वें राउंड से समले आकड़ों के आकड़ों पर लॉसजसटटक ररग्रेशन
मॉडल का उपयोग करके सकया गया है।

Video Link - https://drive.google.com/drive/folders/1VnAzTozN48LYlhdKyvMEdTJItCChPyCn

जोधपुर, 30th जनवरी-2024 : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपरु के एक ताजा अध्ययन से यह पता चला है कि देश में मानकसि
बीमारियों िे जझू िहे िई लोग ऐसे हैं जो अपनी बीमािी िे बािे में बताने से ितिाते हैं। अध्ययन िे मतु ाकबि ऐसे मानकसि िोकगयों
िी सख्ं या 1% से भी िम है जो खदु से अपनी पिे शानी बताते हैं औि अपने इलाज िे कलए आगे आते हैं। इस अध्ययन िो ििने
िे कलए नेशनल सैंपल सर्वे 2017-2018 िे 75र्वें िाउंड से कमले आंिडों िा इस्तेमाल किया गया था। ये सर्वे पिू ी तिह से लोगों िी
सेल्फ रिपोकटिंग पि आधारित था। सर्वे िे कलए िुल 5,55,115 व्यकियों िे आंिडे इिट्ठा किये गये कजनमें से 3,25,232 लोग
ग्रामीण क्षेत्र से औि 2,29,232 लोग शहिी क्षेत्र से थे। सर्वे िे कलए प्रकतभाकगयों िा चयन िैं डम तिीिे से 8,077 िांवों और 6,181
शहरी क्षेत्रों से किया गया था जहां मानकसि बीमारियों से जडु े 283 मिीज ओपीडी में थे औि 374 मिीज अस्पताल में भती थे।

ये अध्ययन मानकसि स्र्वास््य सेर्वाओ ं िे कलए किए गये खचच पि भी िोशनी डालता है। अध्ययन िे मतु ाकबि उच्च आय र्वगच वाले
व्यगि, कम आय र्वगच वाले लोिों की तल ु ना में स्वास््य समस्याओ ं की ररपोर्ट करने के गलए 1.73 िनु ा ज़्यादा इच्छुक थे। यह
अध्ययन इर्ं रनेशनल जनटल ऑफ मेंर्ल हेल्थ गसस्र्म्स में प्रकागशत हुआ है। इसे आईआईटी जोधपिु िे स्िूल ऑफ कलबिल आटटचस
(SoLA) में सहायि प्रोफे सि डॉ. आलोक रंजन औि स्कूल ऑफ हेल्थ एंड ररहैगिगलर्ेशन साइसं ेज, ओगहयो स्र्ेर् यगू नवगसटर्ी,
कोलंिस, संयि ु िाज्य अमेरििा िे डॉ. ज्वेल क्रैस्र्ा ने कमलिि किया है।
DOI: https://ijmhs.biomedcentral.com/articles/10.1186/s13033-023-00595-6

र्वर्च 2017 में िाष्ट्रीय मानकसि स्र्वास््य एर्वं तंकत्रिा कर्वज्ञान संस्थान (NIMHANS-National Institute of Mental Health
and Neuro science) द्वारा किये गये नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे से ये बात कनिल िि सामने आई थी कि देश में लिभि 19.73
ििोड लोग ऐसे हैं जो मानकसि िोगों से पिे शान हैं।

अध्ययन के कुछ प्रमुख वनष्कर्ट:

1. मानवसक विकारों के बारे में बताने से सििक: अध्ययन से पता चला हैं गक देश में मौजदू िुल मानकसि िोकगयों में ऐसे
िोकगयों िी सख्ं या िाफी िम है जो खदु से बीमािी िी रिपोकटिंग िे कलए आगे आते हैं। यह असमानता मानगसक स्वास््य से
जडु े मद्दु ों की पहचान करने और उनिा समाधान खोजने िी कदशा में एि बडे अतं र िी ओि इशािा ििती है।
2. सामाविक-आवथटक असमानताएँ : शोध ने एक सामागजक-आगथटक गवभाजन को उजािर गकया, गजसमें भारत में सिसे
िरीि लोिों की तल ु ना में सिसे अमीर आय विट की आिादी में मानगसक गवकारों की स्व-ररपोगर्िंि 1.73 िनु ा अगधक थी।
3. वनिी क्षेत्र का प्रभत्ु ि : गनजी क्षेत्र मानगसक स्वास््य सेवाओ ं के एक प्रमख
ु प्रदाता के रूप में उभरा, गजसका िाह्य रोिी
देखभाल (OPD) में 66.1% और आतं ररक रोिी देखभाल (IPD) में 59.2% योिदान है।
4. सीवमत स्िास््य बीमा किरेि : मानगसक गवकारों के गलए अस्पताल में भती के वल 23% व्यगियों के पास राष्ट्रीय स्तर पर
स्वास््य िीमा कवरे ज था।
5. जरूरत से ज़्यादा खचच : अध्ययन से पता चला हैं कि अस्पताल में भती और ओपीडी दोनों के गलए खचच कनजी क्षेत्र िे
अस्पतालों में सार्वचजकनि क्षेत्र अस्पतालों िी तल
ु ना में िहीं ज़्यादा था।

मानससक रोसगय़ों में सेल्फ ररपोसटिंग को लेकर सििक के बारे में आईआईटी जोधपुर के टकूल ऑफ सलबरल आटटचस
(एसओएलए) के सहायक प्रोफे सर डॉ. आलोक रंजन ने बताया, " हमारे समाज में अभी भी मानससक बीमारी से जडु े मद्दु ों पर
बात करने में या इसका इलाज करवाने को लेकर लोग सििकते हैं। मानससक रोगों से पीसडत लोगों को ऐसा लगता है सक अगर
उनकी बीमारी के बारे में सबको पता चल गया तो समाज में लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे। इसीसलये हमें समाज में ऐसा माहौल
बनाना होगा सक मानससक बीमाररयों से पीसडत लोग सबना सकसी सििक के अपनी बीमारी के बारे में बात कर सके और इलाज के
सलए आगे आ सकें । ''

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