Professional Documents
Culture Documents
अगस्त - 2019
आईएििीएन: 978-81-86509-00-5
िुझाए गए उद्धरण: िाईलक्ष्मी गांधी, प्रशांबत नट्टाला, िी. राधाकृ ष्णन, िोबतमनी िी और पूिा मुखिी (िंस्करण)
(2019) बिहार बिला मानबिक स्वास््य काययक्रम हेतु िंिाधन पुस्तक (मनोबिककत्िा पररिाररकाओं के बलए),
िैंगलुरु: राष्ट्रीय मानबिक स्वास््य और तंबिका बवज्ञान िंस्थान, प्रकाशन िं.: 160, आईएििीएन: 978-81-86509-00-5
अभारोबि
नर्सिग बवभाग, मनोबिककत्िा बवभाग, नैदाबनक मनोबवज्ञान बवभाग और मनोबिककत्िककय िामाबिक कायय बवभाग
के िभी दलीय िदस्यों को इि पुस्तक में योगदान तथा िमथयन और िहयोग के बलए हमारी और िे भवदीय धन्यवाद
बनम्हान्ि में बवशेर्ज्ञ िमीक्षा िैठक के दौरान महत्वपूणय िुझाव देने के बलए िभी बवशेर्ज्ञों का बवशेर् धन्यवाद।
बवबभन्न मानबिक बवकार, मानबिक स्वास््य िे िुडे क़ानून, मन:प्रभावी दवाएं, बवबभन्न मानबिक स्वास््य कें द्र तथा
िंिाधन पुस्तक को बवकबित करने की अनुमबत देने के बलए िवयप्रथम हम, बनम्हान्ि के बनदेशक डॉ. िी.एन. गंगाधर
यह पुस्तक अगस्त, 2018 में प्रकाबशत ‘कनायटक बिला मानबिक स्वास््य काययक्रम हेतु िंिाधन पुस्तक’ पर आधाररत
है, िो योगदानकतायओं की अनुमबत िे एवं बिहार राज्य िे िंिंबधत प्रािंबगक िंशोधनों के िाथ प्रकाबशत की गई है।
इि पुस्तक को िमथयन प्रदान करने के बलए, मानबिक स्वास््य और राज्य स्वास््य िबमबत, बिहार के राज्य काययक्रम
अबधकारी, डॉ. एन.के . बिन्हा को हम धन्यवाद देते हैं। इि अनुिंधान योिना टीम के िदस्य हैं: डॉ. िाईलक्ष्मी गांधी,
प्रधान अन्वेर्क, अपर प्राध्यापक एवं प्रमुख, नर्सिग बवभाग, राष्ट्रीय मानबिक स्वास््य एवं तंबिका बवज्ञान िंस्थान
(बनम्हान्ि) और िह-प्रधान अन्वेर्क, डॉ. िी. राधाकृ ष्णन, िहायक प्राध्यापक, नर्सिग बवभाग, डॉ. प्रशांबत नट्टाला,
अपर प्राध्यापक, नर्सिग बवभाग, िुश्री माया िाहू, पीएिडी स्कॉलर, नर्सिग बवभाग, डॉ. भव्या के िैरी, िहायक
प्राध्यापक, मनोबिककत्िा बवभाग, बनम्हान्ि बडबिटल अकादमी, डॉ. नवीन िी कु मार, अपर प्राध्यापक, िामुदाबयक
मनोबिककत्िा बवभाग, बनम्हान्ि, डॉ. प्रभात िंद, प्राध्यापक, मनोबिककत्िा बवभाग एवं नशा मुबि कें द्र के प्रमुख,
एन.डी.ए और वी.के .एन के िमन्वयक, डॉ. तेिल दोशी, कं िल्टेंट मनोबिककत्िक और श्रीमती पूिा मुखिी, नर्सिग
प्रबशक्षण िमन्वयक।
आशा है, यह िंिाधन पुस्तक बिहार राज्य में डी.एम.एि.पी. में काययरत पररिाररकाओं के ज्ञान और दृबिकोण में
विषय परिचय 1
स्ककज़ोफ्रेननआ 7
िामद
ु ाय में आत्महत्या की िोकिाम 28
सक
ं ाय (अग्रं ेजी वर्णमाला क्रम में) पीएचडी स्कॉलसस
डॉ. अरव ंद राज ई., सह-प्राध्यापक, सामाजजक कायण जवभाग सश्रु ी पी. जवजयलक्ष्मी
डॉ. अरुणा रोज मैरी कापानी, सह-प्राध्यापक, नैदाजनक मनोजवज्ञान जवभाग सश्रु ी ए. शामला
डॉ. भव्या के बैरी, सहायक प्राध्यापक, मनोजिजकत्सा जवभाग जनम्हान्स जिजजटल अकादमी सश्रु ी जी. जोजिमनी
डॉ. सी. न ीन कुमार, अपर प्राध्यापक, मनोजिजकत्सा जवभाग सश्रु ी पद्माविी िी.
डॉ. एन.के .वसन्हा, राज्य कायणक्रम अजिकारी, मानजसक स्वास््य, जिहार सश्रु ी माया साहू
डॉ. प्रभात चंद, प्राध्यापक, मनोजिजकत्सा जवभाग एवं नशा मजु ि कें द्र के प्रमखु सश्रु ी एन. पद्माविी
डॉ. प्रशांवत नट्टाला, अपर प्राध्यापक, नजसिंग जवभाग सश्रु ी आर.राजलक्ष्मी
डॉ. जी. राधाकृष्णन, सहायक प्राध्यापक, नजसिंग जवभाग सश्रु ी के . सगु ावनसेल्वी
डॉ. साईलक्ष्मी गांधी, अपर प्राध्यापक एवं प्रमखु , नजसिंग जवभाग सश्रु ी एनी जॉन पी.
डॉ. शवशधर एच. एन., जवशेषज्ञ ग्रेि मनोजिजकत्सक, मनोजिजकत्सा जवभाग श्री जेम्स पॉल
डॉ. सरु ेश बडा मठ, प्राध्यापक मनोजिजकत्सा जवभाग एवं सामदु ाजयक मनोजिजकत्सा सेवा के प्रमखु सश्रु ी सनु ीिा टी.एस.
डॉ. व नय बी., जवशेषज्ञ ग्रेि मनोजिजकत्सक, मनोजिजकत्सा जवभाग
सपं ादक
डॉ. िाईलक्ष्मी गांधी, अपर प्राध्यापक एवं प्रमुख, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
जिहार में जजला मानजसक स्वास््य कायणक्रम (जिजस्िक्ट मेंटल हेल्थ प्रोग्राम्स – िी.एम.एि.पी) में काम करने वाले पररिाररकाएँ सदु रु विी लोगों
िक पहिं ने के जलए सिसे अच्छे स्रोिों(ससं ािनों) में से एक हैं। समदु ाय के िहि करीि होने के कारर्, उनके जलए लोगों िक पहिं ना आसान
है और इसी कारर्वश वे अग्रर्ी मानजसक स्वास््य पेशेवर हैं। प्रजशक्षर् और मागणदशणन के साथ, पेशेवरों का यह समहू मानजसक स्वास््य के
मद्दु ों की पहिान कर सकिा है, उजिि माध्यम या रे फरल एजेंसी के रूप में भी कायण कर सकिा है। वे मानजसक िीमारी को रोकने और समदु ाय
में मानजसक स्वास््य को िढावा देने में भी सहायिा कर सकिे हैं। ससं ािन के रुप में उपलब्ि पररिाररकाओ ं को सशि करने की
आवश्यकिा है िाजक उनके कौशल और ज्ञान को िल जमल सके । समदु ाय में उनकी उपजस्थजि के कारर्, वे अजिक सल ु भ िथा स्वीकृ ि हैं
और इसजलए उनके ज्ञान और कौशल को अजिक आसानी से समाज िक पहिं ाया जा सकिा है और मानजसक स्वास््य समस्या से पीजिि
व्यजियों को इसका लाभ जमल सकिा है।
सामदु ाजयक / मनोजिजकत्सीय पररिाररका की कई भजू मकाएँ होिी हैं जैसे जक मरीज़ को जशक्षीि करना, के स के सिं ालन को व्यवस्थीि रखना
और जोज़िम को जनयंत्रर् में रखना इत्याजद। वे समदु ाय, स्कूलों, जजला अस्पिालों, सीएिसी और पीएिसी में िी.एम.एि.पी के कई
कायणक्रमों का समन्वय करिे हैं। वे मानजसक स्वास््य को िढावा देने िथा रोकथाम के साथ-साथ उपिार और पनु वाणस घटकों में सजक्रय रूप
से भी शाजमल रहिे हैं ।
जिहार के िी.एम.एि.पी में कायणरि पररिाररकाओ ं को प्रजशजक्षि करने के जलए अप्रैल 2019 में नजसिंग जवभाग ने जनम्हान्स में साि जदवसीय
कायणशाला का आयोजन जकया था। िि से इस सशजिकरर् को जारी रखने के साथ-साथ पररिाररकाओ ं का मागणदशणन करने के जलए,
साप्ताजहक विणअु ल नॉलेज नेटवकण (वी.के .एन) के द्वारा नजसिंग सत्र आयोजजि जकए जा रहे हैं। अिं रवैयजिक व्याख्यानों को के स पर आिाररि
ििाणओ ं में िदल जदया गया है, जजसके िहि पररिाररकाओ ं को भी के स की प्रस्िजु ि के जलए प्रोत्साजहि जकया जाएगा।
यह पस्ु िक, उपयणिु सजू िि जकये गए, जिहार िी.एम.एि.पी में कायणरि पररिाररकाओ ं के साथ पारस्पररक जविार-जवमशण का ही पररर्ाम है। इस
पस्ु िक की जवषय-वस्िु को जनम्हान्स की िहजवषयी टीम से जुिे लेखकों के दल द्वारा िैयार जकया गया है। इस पस्ु िक में जवजभन्न अध्याय
शाजमल हैं, जैसे जक मानजसक जवकारों का वगीकरर्, सामान्य मानजसक जवकार, गभं ीर मानजसक जवकार, मादक द्रव्यों का सेवन, मानजसक
स्वास््य में आपाि जस्थजि, मानजसक स्वास््य से संिंजिि कानून, मानजसक स्वास््य देखभाल के सामाजजक पहलु एवं देखभालकिाण की भलाई
िथा सलामिी के साथ-साथ िी.एम.एि.पी में कायणरि पररिाररकाओ ं की भजू मकाएं और जजम्मेदाररयां आजद। सहज, सिु ोि भाषा का प्रयोग
जकया गया है िथा जवषय-वस्िु को सरल िनाने के जलए कई जित्रों और प्रवाह-सारर्ी का उपयोग जकया गया है। कुछ अध्यायों में समस्याओ ं
से सिं ंजिि के स के शब्द जित्र, उदहारर् के जलए प्रस्ििु जकये गए हैं िाजक पाठक सैद्ांजिक जवषय-वस्िु को नैदाजनक/सामदु ाजयक सदं भण में
समझ सकें । गहन अध्ययन हेिु पस्ु िक में संदभों की एक सिू ी भी प्रदान की गई है। अनिु ंि में जनिाणरर् उपकरर्, प्रिंिन एल्गोरर्म,
पररिाररकाओ ं की भजू मका के साथ आमिौर पर उपयोग की जाने वाली दवाओ ं की सिू ी और जिहार में मानजसक स्वास््य सेवाओ ं की एक
जनदेजशका शाजमल है।
इस पस्ु िक की गर्ु वत्ता को सरं जक्षि करने के जलए कई प्रयास जकए गए हैं। मानजसक स्वास््य जवशेषज्ञों द्वारा इस पस्ु िक की सामग्री की समीक्षा
भी की गई िथा समीक्षा के उपरांि जकए गए सश ं ोिनों के िाद, जकसी प्रकार की साजहजत्यक नकल न हो, इसका भी उजिि ध्यान रखा गया है।
आशा है जक यह पस्ु िक लक्ष्य प्रयोिाओ ं के जलए उपयोगी होगी। इस पस्ु िक की जवषय-वस्िु की समीक्षा या गर्ु दोष पर जविार व्यि करने के
जलए पाठकों का स्वागि है, जजससे भजवष्य के सस्ं करर्ों की गर्ु वत्ता में सिु ार करने में मदद जमलेगी।
1
मानबिक बवकारों का वगीकरण
व षय पररचय
िीमारी के प्रकार, उग्रिा, अवजि और अक्षमिा के आिार पर मानजसक जवकारों को कई िरह से वगीकृ ि जकया जािा है। मानजसक जवकारों के
वगीकरर् में एकरूपिा लाने के जलए, हम आम िौर पर जवश्व स्वास््य सगं ठन (WHO) के रोगों का अंिराणष्िीय वगीकरर् (आईसीिी) का
अनसु रर् करिे हैं।
विणमान में अनसु रर् जकया गया सस्ं करर् आईसीिी-10 है जजसमें मानजसक जवकारों को अध्याय-‘F’ के िहि वगीकृ ि जकया गया है। मानजसक
जवकारों को वगीकृ ि करने का यह एक जवश्व स्िर पर स्वीकृ ि िरीका है। इसमें मानजसक और व्यवहार सिं ंिी जवकार के 10 मख्ु य समहू शाजमल
हैं।
अमेररकन साइजकएजिक एसोजसएशन, मानजसक जवकारों के नैदाजनक और सांजख्यकीय जनयमावली (िीएसएम) पर आिाररि वगीकरर् का
अनसु रर् करिा है। मरीज़ के व्यजिगि जनदान में िीएसएम की पािं सि-एजक्सस होिी है। आईसीिी और िीएसएम IV के अलावा मानजसक
िीमारी को हम आमिौर पर जनम्न प्रकार से वगीकृ ि कर सकिे है:
1. सामान्य मानवसक व कार (कॉमन मेन्टल वडसॉडससस, सीएमडी)
ये प्राथजमक स्वास््य देखभाल कें द्र में देखी जाने वाली सामान्य मानजसक स्वास््य समस्याएं हैं। सीएमिी ध्यान देने योग्य भावनात्मक
दख
ु ः का कारर् िनिा है और अंिर्दणजि और अनभु जू ि को प्रभाजवि जकए जिना दैजनक जदनियाण को िाजिि करिा है।
सामान्य मानवसक व कार (सीएमडी):
• जिप्रेशन (अवसाद)
• जनरलाईज्ि एंग्जायटी जिसऑिणर (सामान्य दजु ष्िंिा / व्यग्रिा जवकार)
• पैनीक जिसऑिणर (खौफ़ जवकार)
• ऑब्सेजसव कम्पलजसव जिसऑिणर (मनोग्रजसि-िाध्यिा जवकार)
• पोस्ट िॉमेजटक स्िे स जिसऑिणर (पश्च-आघाि िनाव जवकार)
• सोशल एंग्जायटी जिसऑिणर (समाजजक दजु ष्िंिा जवकार)
• स्पेजसजफक फोजिआस (जवजशि फोजिया)
• सोमाटोफोमण जिसऑिणर (शाररररक जवकार)
इस पस्ु िक में अवसाद, दजु ष्ििं ा जवकार और मनोदैजहक जवकार पर जवस्िार से ििाण की गई है।
2. सीव यर मेन्टल वडसऑडसर, एसएमडी (गभ
ं ीर मानवसक व कार)
गंभीर मानजसक जवकार दीघणकाजलक या िार-िार होने वाले मानजसक जवकार है। यह सामाजजक और व्यावसाजयक कायण में
जदक्कि पैदा करिे हैं।
गंभीर मानवसक व कार:
• सायकोजसस (मनोजवजक्षजप्त)
• जस्कज़ोफ्रेजनआ
• मि ू जिसऑिणर
2
3. मादक द्रव्य का से न / व्यसन / नशा
मादक द्रव्य से न व कार :
• शराि
• िंिाकू
5. मवहलाओ ं से सब
ं वं धत मानवसक स् ास््य समस्याएं
मजहलाओ ं में अवसाद, जिंिा और शाररररक लक्षर् अजिक आम हैं। इनके अलावा अन्य है:
• प्रसवोत्तर उदासी (पोस्टपाटण म ब्लूज)
• प्रसवोत्तर अवसाद(पोस्टपाटण म जिप्रेशन)
• प्रसवोत्तर मनोजवकार(पोस्टपाटण म साइकोजसस)
3
िामान्य मानबिक बवकार
(कॉमन मेन्टल बडिॉडयि,य िीएमडी)
डॉ. प्रशांबत नट्टाला, अपर प्राध्यापक, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
संविप्त व रण
सामान्य मानजसक जवकार (सीएमिी) के अंिगणि हैं: जिप्रेजसव जिसऑिणर (अवसादग्रस्ििा जवकार), एंग्जायटी जिसऑिणर (दजु ष्िंिा /
व्यग्रिा जवकार), सोमेटाइजेशन जिसऑिणर (शाररररक जवकार)।
सीएमिी के लक्षर् मख्ु यिः मनोवैज्ञाजनक (साइकलाजजकल) प्रकृ जि के होिे हैं, हालांजक, ़िास िौर पर वे शारीररक लक्षर्ों के रूप में
प्रकट होिे हैं। निीजिन, मरीज़ सामान्य जिजकत्सकों की मदद लेिे हैं, जजनके जलए सही जनदान करना मजु श्कल हो सकिा है।
सीएमडी की पहचान :
वडप्रेवस वडसऑडससस
मख्
ु य लक्षण
मन में उदासी महससू करना
उन गजिजवजियों के प्रजि अरुजि जजनमें व्यजि को पहले आनंद की अनुभजू ि होिी थी।
थकान या ऊजाण में कमी महससू करना।
अतिरिक्त लक्षण
जसरददण, शरीर में ददण और लगािार ददण रहना
भख ू कम लगना, वजन कम होना
जनद्रा सिं ंिी परे शाजनयां रहना
जििजििाहट / िेिैनी / घिराहट महससू होना
ध्यान कें जद्रि करने में असमथण होना
आत्मसम्मान और आत्मजवश्वास में कमी
दोषी और अयोग्य महससू करना
भजवष्य के जलए एक जनराशाजनक और नकारात्मक र्दजिकोर् होना
मन में खदु खुशी के जविार आना
एग्ं जायटी वडसऑडससस
लक्षण
शारीररक लक्षर्: जसरददण, जनद्रा सिं ंिी परे शाजनयां (जवशेषकर नींद आने में कजठनाई), ििकन िेज होना, मंहु सख
ू ना, िक्कर आना,
पसीना आना
िेिैनी, कंपन, आराम करने में जदक्कि, भजवष्य के िारे में अत्यजिक जिंिाएं अथवा जनराशा
4
सोमे टाइजेशन वडसऑडससस
पीजिि व्यजि प्रायः जवजभन्न प्रकार के ऐसे शारीररक लक्षर्ों के साथ उपजस्थि होिे हैं, जजनके जलए कोई जिजकत्सीय कारर् प्रिीि नहीं होिा।
लक्षर् के वल एक या एक से अजिक हो सकिे हैं, जो शरीर के जकसी भी जहस्से से संिंजिि हो सकिे हैं, जैसे:
मिली (उिकाई), उल्टी, िकार, पेट में ददण
त्विा में खजु ली, जलन, झनु झनु ी, सन्ु निा, खराश, िब्िापन जैसे लक्षर्
शरीर में जवजभन्न जगहों पर ददण जक जशकायि करना (जैसे जक पेट, पीठ, छािी, जोिों, माजसक िमण के दौरान ददण आजद)
यौन और माजसक िमण सिं ंिी जशकायिें (जैसे शीघ्र-पिन या स्िभं न दोष, अजनयजमि माजसक िमण या रिस्राव)
प्रायः, पीजिि व्यजि जवजभन्न िॉक्टरों से िार-िार परामशण लेिे हैं, लेजकन कोई असामान्यिा प्रिीि नहीं होिी।
व्य स्थापन
मनोसामातिक व्यवस्थापन
नकारात्मक सोच को ठीक करना : इसके जलए पीजिि व्यजि की जनम्नजलजखि मदद करनी िाजहए: क) नकारात्मक जविारों की पहिान
करने में; ख) सकारात्मक जविार शैली जवकजसि करने में; ग) जीवन में सकारात्मक जविार शैली का अभ्यास करने में।
उदाहरर्स्वरुपः जीवन के सभी क्षेत्रों में असफलिा की अपेक्षा करने के कारर् मरीज़ को ऊजाण में कमी महससू हो सकिी है। ऐसे जविारों को
िनु ौिी दें: जैसे जक, ऐसे जविारों का आिार क्या है? इस िाि का क्या प्रमार् है जक उसे जीवन में असफलिा का सामना करना पिेगा? इसके
अलावा, उसके पास क्या ससं ािन हैं - पररवार, दोस्ि, जपछले सकारात्मक अनभु व आजद ?
अच्छे पारस्पररक सबं ंधों को व कवसत करने में मदद करना : पीजिि व्यजि की विणमान पारस्पररक समस्याओ ं को जानने और
पहिानने का प्रयास करें , और जफर इस सदं भण में मौजदू ा लक्षर्ों और समस्याओ ं को दरू करने का प्रयास करें ।
मरीज़ के अवसादग्रस्ििा के लक्षर् वैवाजहक सघं षण के कारर् हो सकिे हैं। उन लक्षर्ों को जनयंत्रर् में रखने के जलए, आपसी ररश्िे में सवं ाद
और सामंजस्य में आवश्यक िदलाव करने के जलए उसे जनदेजशि जकया जा सकिा है।
फैवमली इटं र ें शन (पारर ाररक वन ारक उपचार): इसके जलए पररिाररकाओ ं को पररवार के सदं भण में मरीज़ के साथ जमलकर
पाररवाररक िनाव को कम करने और पररवार के कामकाज में सिु ार करने की आवश्यकिा है। यह भी पनु जवणकृजि(ररलैप्स) की सभं ावना को
कम करिा है। पीजिि व्यजि और उसके पररवार को यह समझाएं जक अवसाद / जिंिा / शाररररक जवकार जकसी भी िरह की कमजोरी या
आलस नहीं है। इसका इलाज जकसी अन्य िीमारी की िरह ही होना िाजहए। पररवार को उन िनाव िढाने वाले कारकों की पहिान करने में
मदद जकए जाने की आवश्यकिा है जो िीमारी के लक्षर्ों में वृजद् का कारर् हो सकिे हैं और उन्हें इन कारकों के प्रभाव को सीजमि करने के
जवषय पर ििाण करने का अवसर जदया जाना िाजहए।
वचवकत्सीय व्य स्थापन
यजद आवश्यक हो िो एटं ीजिप्रेसटें (अवसादरोिक) / एगं सीओलाइजटक्स (जििं ारोिक) दवाइयां इलाज के जलए दी जा सकिी हैं। परंि,ु उपिार
थोिे समय के जलए होिा है िाजक दवाओ ं पर जनभणरिा के जोजखम से िि सकें ।
समुदाय में सामान्य मानवसक व कारों से पीवडत व्यवियों की से ा में पररचाररकाओ ं की भूवमका
वडप्रेवस वडसॉडससस (अ सादग्रस्तता व कारों) के लिणों से पीवडत व्यवियों से वमलने पर आप क्या कर सकते हैं :
उनकी िाि सजु नए, समजझए और भावनात्मक आसरा प्रदान करें
कुछ जवजशि लक्षर्ों के िारे में पछू ें क्योंजक कई लोग अपनी परे शाजनयां िि िक व्यि नहीं करिे जि िक जक कोई उस जवषय पर
िाि नहीं करिा।
5
़िदु कुशी-सिं ंिी जविारों पर िाि करें । यजद ऎसे जविार प्रिीि हों, िो िरु ं ि जवशेषज्ञ को जदखाएं। पररवार के सदस्यों को जनगरानी रखने
के जलए भी ििाएं।
पीजिि व्यजि को थोिे-थोिे समय के जलए उन गजिजवजियों / जदल पसन्द खेल या काम में सल ं ग्न होने की सलाह दें जो उसे आनंद,
आत्मजवश्वास प्रदान कर सकिे हैं , या कम से कम नकारात्मक जविारिारा की जदशा में पररविणन लाने की कोजशश कीजजये ।
सकारात्मक सोि से व्यजि को सिल करें । आत्म-दोष सिं ंिी जविारों से ििने के जलए प्रोत्साजहि करें ।
वास्िजवक अपेक्षाओ ं को स्थाजपि करने में पीजिि व्यजि की मदद करें और यह समझाएं जक जनयंत्रर् से परे िीजों के जलए वे स्वयं
को दोष न दें।
विणमान जीवन की समस्याओ ं को पहिानें, व्यावहाररक सलाह दें, जो पीजिि व्यजि को उनसे जनपटने में मदद कर सके । पाररवाररक
िनावों / समस्याओ ं को हल करने में पररवार के सदस्यों को आवश्यकिानसु ार शाजमल करें ।
एग्ं जायटी और सोमेटाइजे शन वडसऑडससस से पीवडत व्यवियों की मदद करने के वलए आप क्या कर सकते हैं :
स्वीकार करें जक पीजिि व्यजि के शारीररक लक्षर् वास्िजवक हैं। उसे यह ििाएं जक आप समझिे हैं जक वह झठू नहीं िोल रहे हैं
और न ही उनका जदखावा कर रहे हैं।
पीजिि व्यजि को ििा दें जक उसके लक्षर्ों का कारर् कोई गंभीर या घािक िीमारी नहीं है (जैसे- पेट में ददण, कैं सर का सक
ं े ि नहीं
होिा है)।
िनाव या समस्याओ ं के कारर्ों के प्रजि सीिा ध्यान जदलाएं जो लक्षर्ों का कारर् हो सकिा है। उनका सामना करने के जलए पीजिि
व्यजि और उसके पररवार को व्यावहाररक सलाह दें।
जांिें जक पीजिि व्यजि जिंिा से जनपटने के जलए जकन्हीं हाजनकारक िरीकों का उपयोग िो नहीं कर रहा है, जैसे जक शराि या नींद की
गोजलयों का सेवन करना। उसे ििाएं जक जिना िॉक्टरी सलाह(जप्रजस्क्रप्शन) के शराि या जकसी भी दवा(ड्रग्स) का सेवन करने से
के वल स्वास््य समस्याएं िढेंगी और सेहि का नक ु सान ही होगा।
एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के जलए पीजिि व्यजि को प्रोत्साजहि करें : जैसे- सिं जु लि आहार, पयाणप्त आराम और नींद, समय
प्रिंिन, जनयजमि व्यायाम, मनोरंजन आजद।
डॉक्टिी सलाह के तलए कब भेिें ?
जि लक्षर् गंभीर हो या व्यजि मृत्यु की इच्छा व्यि करिा हो
यजद शराि/िंिाकू/नींद की गोजलयों का अत्यजिक सेवन हो रहा हो
जि पीजिि व्यजि/ उसका पररवार काफी परे शान हो
उदहारण के वलए
जब परिचारिका िाजू के घि पहचुं ी, तब परिवाि ने परिचारिका को बताया कक िाजू बहत खोये-खोये से िहते हैं, किन के अकिकाुंश समय में
अपने कबस्ति पि ही पडे िहते हैं, अगि उनका परिवाि उनसे पछू ता है कक वह क्या कि िहे हैं तो कहते हैं कक उन्हें बहत थकान महससू हो िही है,
औि वे परिवाि की गकतकवकियों में भी कोई किलचस्पी नहीं ले िहे हैं। हाल ही में गााँव के उत्सव के िौिान, उन्होंने उत्सव की तैयारियों में नेतत्ृ व
किने से इनकाि कि किया था (जो पहले वह कनयकमत रूप से किते थे), यह कहते हए कक वह थका हआ महससू कि िहे हैं औि उत्सव की
तैयारियों में उनकी कोई रुची नहीं है। जब परिचारिका ने िाजू से बात की, तो उन्होंने कहा कक उनके पास कुछ भी किने की कोई ताकत नहीं है
औि वे बस लेटे िहना चाहते हैं, वह बहत िख ु ी महससू कि िहे हैं औि उन्हें लगता है कक उनका कोई भकवष्य नहीं है, औि उन्हें अब औि जीने
का मन नहीं कि िहा है।
A. उपरोि पररर्दश्य में सभं ाजवि िीमारी क्या हो सकिी है ? िीमारी को स्पि करने वाली मख्ु य जवशेषिाएं क्या हैं ?
B. मख्ु य नजसिंग प्राथजमकिाएं और ििाव करने के जलए ध्यान देने योग्य िािें क्या है ?
6
बस्कज़ोफ्रेबनआ
डॉ. िाईलक्ष्मी गांधी, अपर प्राध्यापक एवं प्रमुख, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
श्रीमती बवियलक्ष्मी पी., पीएिडी स्कॉलर, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
शाुंकत एक 38 वकषिय कववाकहत मकहला है जो एक गृकहणी है औि तीन बेकटओ ुं की मााँ है। उनके पकत एक कनजी कुंपनी में काम किते हैं। उनके
पकत एक शिाबी है जो अक्सि उसे औि उसके बच्चों के साथ माि-पीट (शािीरिक कहसुं ा) किते हैं। उसके पास कोई पारिवारिक सहािा नहीं है
क्योंकक उसके माता-कपता बहत बढू े औि गिीब हैं। कपछले कुछ सप्ताह में उनके पकत औि परिवाि के अन्य सिस्यों ने शाुंकत को अपने कमिे में
अके ले बैठे हए, खिु से बात किते हए िेखा है, जैसे कक वह ककसी से बात कि िही हो। वह मानती है कक उसकी सास उसे जहिीला भोजन
कखलाकि मािने की कोकशश कि िही है। उसका दृढ कवश्वास है कक उसकी मााँ ने उस पि औि उसके बच्चों पि काला जाि ू ककया है। उसने
अपने मोबाइल फ़ोन का जवाब यह सोचकि िेना बुंि कि किया कक इससे उसके कवचाि िसू िों को पता चलेंगे । उसे लगता है कक उसके पडोसी
हमेशा उसकी ही बातें किते हैं। िीिे -िीिे वह सामाकजक रूप से अलग-थलग होने लगी, नींि आने में पिे शानी हो िही है, शोक-सतुं प्त रूप से
िोती िहती है औि भोजन नहीं किती है, अपना औि अपने बच्चों की िेखभाल की उपेक्षा किती हैं। जैस-े जैसे किन बीतते गए, उसका कवकचत्र
व्यवहाि यह कहते हए बढता गया कक वह िेवी है। जब उसका व्यवहाि कनयुंत्रण से बाहि हो गया, तो उसे अस्पताल लाया गया।
1. व षय पररचय
जस्कज़ोफ्रेजनआ एक गभं ीर मानजसक जवकार है। यह लोगों को लगभग 0.3 - 0.7% प्रसार दर (van Os & Kapur, 2009) से प्रभाजवि
कर रहा है। अध्ययन से पिा िला जक भारि में जस्कज़ोफ्रेजनआ का प्रसार दर 1.1 से 4.3 प्रजि 1000 व्यजि िक है।
2. वस्कज़ोफ्रेवनआ क्या है?
जस्कज़ोफ्रेजनआ लंिे समय से पनपने वाला एक गंभीर मानजसक जवकार है जजसकी पहिान असामान्य व्यवहार, वास्िजवकिा को समझने
और िझू ने में असमथणिा है । जस्कज़ोफ्रेजनआ के लक्षर् लंिे समय िक िलिे हैं और पीजिि को अक्षम िना सकिे हैं (NIMH,2016)।
7
पॉवजवट लिण :
हलूसनैशन (मतिभ्रम): वास्िजवक जस्टम्यूलस (उद्दीपन) के अभाव में पीजिि व्यजि के अनभु व।
ने गेवट लिण : "नेगेजटव" लक्षर्ों में सामान्य जदनियाण में रुिी का अभाव होिा है। पीजिि व्यजि दसू रों के साथ खशु ी का अनभु व करने
और समाजजक कायों में भाग लेने में असमथण महससू करिा है।
8
कॉवग्नवट लिण : स्मृबत में कमी और ज्ञात िानकारी के आधार पर बनणयय लेने में अिमथयता।
9
पुन ास स (ररहैवबवलटे शन)
जस्कज़ोफ्रेजनआ आमिौर पर शरु वािी जकशोरावस्था के िाद जवकजसि होिा है। इसजलए पनु वाणस में व्यजि के सामान्य रूप से कायण करने की
क्षमिा िढाने पर ध्यान देना िाजहए। इसजलए, पनु वाणस में व्यावसाजयक प्रजशक्षर् को शाजमल करने के साथ-साथ व्यजि को दैजनक जीवन की
समस्याओ ं और पैसों के प्रिंिन को हल करने के जलए िैयार करने की आवश्यकिा है।
पारर ाररक वशिा: जस्कज़ोफ्रेजनआ के िारे में पररवार के सदस्यों को जशजक्षि करना आवश्यक है जो मरीज़ को िेहिर िरीके से ठीक होने में
सहायिा कर सकिे हैं। अनसु ंिान से पिा िला है जक जस्कज़ोफ्रेजनआ से पीजिि व्यजि पररवार के सदस्यों और दोस्िों के सिल सहारे से िेहिर
िरीके से ठीक हए हैं।
स् -सहायता समूह: स्व-सहायिा समहू जस्कज़ोफ्रेजनआ से पीजिि व्यजि की आरोग्य प्राजप्त में महत्वपर्ू ण भजू मका जनभािे हैं क्योंजक वे एक-
दसू रे से सीखिे हैं और एक-दसू रे का सहारा िनिे हैं।
उजिि उपिार और पररवार के सर्दु ढ समथणन के साथ, जस्कज़ोफ्रेजनआ से पीजिि लोगों को एक सिं ोषजनक जीवन जमल सकिा है।
10
मनोदशा बवकार
(मूड बडिऑडयि)य
डॉ. िाईलक्ष्मी गांधी, अपर प्राध्यापक एवं प्रमुख, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
श्रीमती िी. िोबतमनी,पीएिडी स्कॉलर, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
व षय पररचय
मनोिशा कवकाि वे मानजसक िीमाररयां हैं जजनके कारर् मनोदशा में गंभीर िदलाव होिे हैं। मन:जस्थजि या स्वभाव में उत्तेजना या अवसाद,
मनोदशा जवकार के जवजशि लक्षर् हैं। मनोदशा जवकार सभी उम्र के व्यजियों को प्रभाजवि करिे हैं, लेजकन आमिौर पर यह जकशोरावस्था या
प्रारंजभक वयस्कावस्था में देखा जािा है।
उदहारण के वलए
एक 20 वषीय व्यकि, अनावश्यक झगडे, अत्यकिक हसुं ी, अत्यकिक बातचीत, अकनद्रा, स्वयुं को ईश्वि समझना इत्याकि कशकायतों के कािण
मनोिोग वार्ि में अपने माता-कपता के साथ कचककत्सा हेतु प्रस्ततु होता है। कपछले िो सप्ताह से, वह कॉलेज की क्लास में अनपु कस्थत था; कुछ
लगाताि कलखते िहता है औि ज्यािाति िातों को 4 या 5 बजे तक जागता िहता है। माता-कपता द्वािा पछू े जाने पि, वह कहता है कक वह एक ही
साथ िो-िो कहाकनयों की ककताबें कलख िहा है। कभी-कभी वह अजनकबयों से बातें किते हए, मजाक किते हए मोहल्ले में घमू ता िहता है। उसने
खिीििािी में 10,000 रुपए भी खचि ककए जो उसके कलए बहत ही असामान्य था।
1. इस के स में आपके द्वारा देखे गए सक
ं े ि और लक्षर् क्या हैं?
2. आपको वह व्यजि जकस िीमारी से पीजिि लगिा है?
3. आपके अनसु ार रोगी को उपिार के जलए कौन-सी दवाएं दी जा सकिी हैं?
4. उपरोि वजर्णि के स में पररिाररकाओ ं की भजू मका क्या है?
1. मे वनआ (उन्माद)
यह कुछ जवशेष नैदाजनक लक्षर्ों से पहिाना जा सकिा है: जो कम से कम एक सप्ताह िक रहे और पीजिि व्यजि के जैजवक, व्यावसाजयक
और सामाजजक गजिजवजियों में जदक्कि पैदा कर रहा हो ।
संकेत और लिण
11
बोलचाल और व चारधारा लक्ष्य वनदेवशत गवतव वध
अजिक िािनू ी, िोलिाल में असामान्य वृजद्, िक
ु िंदी, अत्याजिक योजनािद् िरीके से जदन प्रजिजदन के कायों में
जवनोदपर्ु ण और जिढाने वाली िंिल भाषा का प्रयोग वृजद् और कभी कभी अनेक कायों को असामान्य रूप से करना
उदहारण के वलए
एम एक 28 वषीय औित हैं । वह ज्यािाति समय थकावट महससू किने, नींि में पिे शानी, ककसी भी प्रकाि की गकतकवकि में रुिी न होने, और
कभी कभी रोने की अवस्था होने जैसी कशकायतों के कािण अस्पताल आई थी। उन्होंने यह भी बताया कक वह अपने िो वषीय छोटे से बेटे की
िेखभाल किने में सक्षम नहीं है, औि अक्सि स्वयं को िच्िे से जिढा हआ पािी है, तथा वे खिु को एक अच्छी मााँ नहीं मानती है। वे
आत्महत्या किना चाहती है। जााँच के िौिान वे बताती हैं कक उन्हें आत्महत्या किने के तीव्र कवचाि आते हैं, लेककन वह ये बातें अपने स्वास््य
जाचुं कताि को नहीं बताना चाहती हैं।
1. इस के स में आपके द्वािा िेखे गए सक
ुं े त औि लक्षण क्या हैं?
2. आपको वह मकहला ककस बीमािी से पीकडत लगती हैं?
3. आपके अनसु ाि िोगी को उपचाि के कलए कौन-सी िवाएुं िी जा सकती हैं?
4. उपिोि वकणित के स में पररिाररकाओ ं की भकू मका क्या है?
2. वडप्रे शन (अ साद)
जिप्रेशन/अवसाद की जस्थजि में कुछ ऎसे नैदाजनक लक्षर् होिे हैं जो जनदान के जलए कम से कम 2 सप्ताह िक रहने िाजहए।
संकेत और लिण
उदासीन मनोदशा (वडप्रे स्ड मूड) साइकोमोटर लिण
उदासी, जनयजमि कायों में रुिी का अभाव होना सोिजविार िथा जक्रयाशीलिा में िीमापन, ऊजाण में कमी महससू होना
12
दुुःख की अनुभूवत (वडप्रे स्ड कॉवग्नशन) शारीररक लिण
जनराशा, िेिसी, और अव्यावहाररकिा; सोिजविार और एकाग्रिा में जसर में भारीपन, शरीर में ददण, जल्द ही थकान
कजठनाई पैदा कर सकिे हैं महससू करना
13
मनोदशा व कार का इलाज / व्य स्थापन
रोकथाम
रोकथाम के अंिगणि मनोदशा जवकारों को जन्म देने वाली जस्थजियों को समाप्त करने के जलए जनम्नजलजखि प्रजक्रयाएं महत्वपर्ू ण हैं।
• जशक्षा के माध्यम से सामान्य लोगों को मनोदशा जवकारों के िारे में जागरूक और जशजक्षि करना।
• िनाव को कम करने के जलए ध्यान, गहरी साँस लेने का अभ्यास, योग और अरोमाथेरेपी जैसे जक्रयाओ ं को महत्व देना।
नवसिंग व्य स्थापन
• इसके अंिगणि मन:जस्थजि और प्रभाव, सोि और िारर्ा, नींद में परे शानी, ऊजाण स्िर और िोलिाल में पररविणन का आकलन /
जाँि करना भी शाजमल है।
14
वडप्रे शन (अ साद) के वलए
• मरीज़ के आत्महत्या से सम्िंजिि मनोभाव को जानने का प्रयास करें , और सरु जक्षि वािावरर् िैयार करें िथा िनाए रखें।
• पीजिि व्यजि के आसपास से सभी सभं ाजवि हाजनकारक या घािक वस्िओ
ु ं को हटा दें। मरीज़ को पररिाररकाओ ं के कमरे के
आस - पास रखें और उसकी गजिजवजियों पर नज़र रखें।
• मरीज़ की रुजि के अनसु ार जदन की गजिजवजियों की योजना िनाएं और उसके भोजन िथा पेय पदाथण के सेवन की िारीकी से
जनगरानी करें ।
• मरीज़ की स्वास््य सिं ंिी जरूरिों को सजु नजश्चि करें या उसके कायों को परू ा करने में उसकी सहायिा करें ।
• दवाओ ं को उजिि रूप से प्रदान करें ।
वनष्कषस
िाइपोलर जिसऑिणर (जजसे मैजनक-जिप्रेजसव जिसऑिणर के रूप में भी जाना जािा है), के कारर् मनोदशा िथा साइकोमोटर गजिजवजि में
िदलाव आिे हैं और रोजमराण के कायों को जनपटाने में कजठनाई होिी है। जि एक मरीज़ और स्वास््य सेवा प्रदािा / पेशेवर, साथ जमलकर
समस्याओ ं और उपिार के जवकल्पों के िारे में खल
ु कर ििाण करिे हैं िो उपिार अजिक कारगर जसद् होिे हैं ।
15
िौबद्धक अक्षमता
(इं टेलक्
े िुअल बडिएबिबलटी)
डॉ. िाईलक्ष्मी गांधी, अपर प्राध्यापक एवं प्रमुख, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
िुश्री माया िाहू, पीएिडी स्कॉलर, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
सतुं ोष क़िीब 20 वषि का है औि एक ग़िीब वगि से ताल्लक ु िखता है। उसके जन्म के िौिान उसकी माुं को अवरुद्ध प्रसव की पीडा सहनी पडी
थी। अब उसकी माुं को, सतुं ोष के िाुंतों की सफाई औि स्नान किने तथा कपडे पहनने में मिि किनी पडती है। वह भोजन किते समय खाद्य
पिाथि को कबखिा िेता है। वह छोटे वाक्यों में बात किता है औि सिल कायों को किने के कलए भी बाि-बाि उसको कनिेश िेने की आवश्यकता
पडती है। एक स्कूल में जब पहली कक्षाI में उसने िाकखला कलया, तब वह चाि साल तक उसी कक्षा में िहा औि कबना समझे कुछ अक्षि
औि सख्ुं या कलखना सीख पाया था। यकि पैसे िेकि कुछ लाने को कहा जाय, तो वह िक ु ान से एक या िो चीजें खिीि सकता है, लेककन कहसाब
लगाकि िक ु ानिाि से बकाया पैसे प्राप्त नहीं कि सकता है। इस समस्या के कािण उसे पहली बाि उसके कपता द्वािा अस्पताल लाया गया था।
1. सतुं ोष के कनिान के कलए यहााँ ग़ौि किने योग्य कौन सा जोकखम कािक महत्वपणू ि है?
2. इस के स में आपके द्वािा िेखे गए सक
ुं े त औि लक्षण क्या हैं?
3. आपको सतुं ोष ककस बीमािी से पीकडत लगता है?
4. आपके अनसु ाि सतुं ोष को उपचाि के कलए कौन-सी िवाएुं िी जा सकती हैं?
5. उपिोि वकणित के स में परिचारिकाओ ुं की भकू मका क्या है?
व षय पररचय
िौजद्क अक्षमिा / इटं ेलेक्िुअल जिसएजिजलटी, जवकासात्मक अक्षमिा की वह अवस्था / जस्थजि है जो ििपन में शरू ु होिी है और जजसके
पररर्ामस्वरूप दैजनक जदनियाण में भी कजठनाइ होिी है। इससे ग्रस्ि रोगी जकसी भी जाजि, पंथ, नस्ल या िमण के हो सकिे हैं।
पररभाषा
िौजद्क अक्षमिा एक असमथणिा / जनिणलिा है जजसकी पहिान िीन मख्ु य लक्षर्ों से की जािी है : िजु द्मत्ता का स्िर औसि से नीिे, आयु के
अनसु ार उजिि व्यवहार में कजठनाई और ऐसी पररजस्थजि का ििपन से ही होना ।
आकलन / वनधास रण / जााँच :
जनम्नजलजखि जानकारी एकत्र करने के जलए जवस्िृि जववरर्ी जलखें:
• बच्चे के जन्म से पहले : जकसी प्रकार का सक्र
ं मर्, शारीररक क्षजि, प्लासेंटल जिसफंक्शन / दजु ष्क्रया,
हामोनल असामान्यिाएं।
• प्रस के दौरान : जैसे जक लंिे समय िक प्रसव या िाजिि प्रसव, समय से पहले प्रसव,
जन्म के िरु ं ि िाद सांस लेने में जदक्कि, उपकरर्ों की मदद से प्रसव और जन्म के समय कम वजन।
16
• प्रस के बाद: जकसी प्रकार की िोट, िच्िे को अपयाणप्त पोषर्, सक्रं मर् आजद।
• अन्य कारर् जैसे क्रोमोसोमल असामान्यिाएं (िाउन जसड्रं ोम), ियापिय सिं ंिी जवकार (मेटिाजलक जिसऑिणसण) आजद।
• शारीररक जााँच / पररिण : जनम्नजलजखि सक
ं े िों और लक्षर्ों को ध्यान से देखें:
बवलंबित बवकाि छोटे मुंह और दांत, उच्च धनुर्ाकार तालु एबपकांथल फोल््ि, िपटा नाक
िन्म के िमय बिर की पररबध का अिामान्य बिमीयन क्रीि पैर के अंगूठे और उिके िग़ल वाली ऊँगली
रूप िे छोटा होना के बिि अिामान्य फािला होना
• वनम्नवलवखत अन्य सह - व कारों की जााँच करें : जमगी (एजपलेप्सी), अजिजक्रयाशीलिा (हाइपरएजक्टजवटी), मनोदशा जवकार (मिू
जिसऑिणर), व्यजित्व जवकार (पसणनाजलटी जिसऑिणर), ऑजटज़म और सेंसरी समस्याएं जैसे की सनु ने या देखने में कजठनाई।
• गीकरण: बौविक स्तर (IQ) के आधार पर: पररिाररकाओ ं के जलए मंदिा का स्िर महत्वपर्ू ण नहीं है। इसके िजाय महत्व इस िाि
को जदया जाना िाजहए जक ‘पीजिि व्यजि की कजठनाई क्या है’ और ‘दसू रे लोग उसे अपने वािावरर् में स्विंत्र रूप से कायण करने में
कै से मदद कर सकिे हैं।
17
वचवकत्सीय व्य स्थापन:
िौजद्क अक्षमिा से पीजिि व्यजियों के इलाज सिं ंिी प्रजक्रयाओ ं को सव्ु यवजस्थि रखने के जलए पीजिि की पहिान करने और उनकी
आवश्यकिाओ ं का आकलन करना आवश्यक है। हालांजक इसके जलए सामान्य रूप से मनोसामाजजक मदद / पद्जि को प्रयोग में लाया जािा
है, लेजकन कभी-कभी जवजशि उपिार की भी आवश्यकिा होिी है। उदाहरर् के जलए, यजद कोई िच्िा आक्रामक / उग्र है, िो ररसपेरीिोन
जैसी एंटीसाइकोजटक् दवाएं दी जािी हैं।
18
एक नज़र में :
वनष्कषस
िौजद्क अक्षमिा का उपिार अनेक प्रकार से जकया जा सकिा है। प्रसवपवू ण घटनाओ ं या जस्थजियों के कारर् होने वाली िौजद्क असमथणिा /
जनिणलिा की रोकथाम के जलए जवजभन्न प्रकार के जिजकत्सकीय उपिार प्रयोग में हैं। मनोवैज्ञाजनक और व्यवहाररक उपिार करने के जलए
शैशव काल (िाल्यावस्था) में मानजसक जवकास को िढावा देने के जलए गहन जस्टम्यूलेशन (उद्दीपन), भाषा में जवशेष प्रजशक्षर्, कौशल
जवकास और जवशेष जशक्षा दी जा सकिी है जजससे मानजसक मंदिा से पीजिि व्यजि और उसके पररवार के सदस्यों को राहि जमल सकिी है।
19
शराि और तंिाकू पर बनभयरता
डॉ. प्रशांबत नट्टाला, अपर प्राध्यापक, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
संविप्त व रण
भारि में शराि और िम्िाकू का िढिा उपयोग कई प्रमख ु रोगों के जलए जजम्मेदार है, जजनमें उच्ि रििाप, मिमु ेह, जदल का दौरा, मजस्िष्क
क्षजि, लीवर की गंभीर समस्याएं और घािक कैं सर (ककण रोग) शाजमल हैं। शराि या िंिाकू का सेवन करने वालों में िांझपन (इन्फजटणजलटी)
भी एक आम समस्या है। शराि पीने के िाद ड्राइजवंग करना, सिक यािायाि दघु णटनाओ ं और घािक िथा जानलेवा जसर की िोटों के जलए
जजम्मेदार है, क्योंजक यह व्यजि के िंजत्रका िंत्र को प्रभाजवि करिा है और सरु जक्षि रूप से ड्राइव करने की क्षमिा को िाजिि करिा है।
20
शराब / तंबाकू पर वनभसर व्यवियों की मदद करने में पररचाररकाओ ं की भूवमका
• आपकी जनयजमि स्वास््य देखभाल सेवाओ ं के दौरान व्यजि से शराि / िंिाकू के सेवन के जवषय में पछू ें ।
• स्वास््य पर शराि और िम्िाकू के हाजनकारक प्रभावों के िारे में व्यजियों को जशजक्षि करें और उदहारर् के िौर पर ििाएं की कै से दसू रे
लोगों द्वारा िम्रू पान करने से गभणविी मजहलाओ ं और िच्िों पर िरु ा प्रभाव पििा है, नशे में गािी िलाने के खिरे आजद। इस िरह की
जानकारी का उपयोग कर आप उन्हें शराि / िंिाकू छोिने का जनर्णय लेने के जलए प्रेररि कर सकिे हैं।
• व्यजियों को उन जवजशि पररजस्थजिओ ं पर कािू पाने में मदद करना जजनमें वे शराि / िंिाकू का सेवन करिे है:
o लोगों से उन जवजशि पररजस्थजिओ ं की पहिान करने के जलए कहना जजनमें वे शराि / िंिाकू का सेवन करिे हैं, जैसे की आराम
करने, अच्छी नींद, समस्याओ ं को भल
ु ाने, हाथ के कांपने को जनयंजत्रि करने, आजद के जलए शराि / िंिाकू का सेवन करना।
o उन्हें यह समझने में सक्षम करें जक शराि और िंिाकू, उनके स्वास््य और आमदनी को नक
ु सान पहिं ाकर उनकी समस्याओ ं को
के वल िढािे हैं।
o उन्हें आराम करने के और समस्याओ ं से जनपटने के अन्य वैकजल्पक िरीकों की पहिान करने में मदद करना, जैसे की पररवार और
दोस्िों के साथ समय जििाना, जकिाि पढना, व्यायाम करना, एक नए जदल पसन्द खेल या काम में रूजि लेना।
o शराि / िम्रू पान करने की िीव्र इच्छा होने पर, जनयंत्रर् हेिु उन्हें कुछ खाने या गमण दिू / फलों का रस / सादा पानी जपने के जलए
कहें ।
o कुछ लोग दावा कर सकिे हैं जक वे अपने दोस्िों के दिाव के कारर् शराि पी रहे हैं / िम्रू पान कर रहे हैं। उन्हें, ऐसे दोस्िों से दरू
रहने या उन दोस्िों द्वारा हठ करने पर र्दढिा से मना करने की सलाह दें।
• अपने जदन-प्रजिजदन की स्वास््य देखभाल गजिजवजियों में शराि -जवरोिी और िंिाकू-जवरोिी सदं श े ों को सयं ि
ु रूप से प्रयोग करें ।
उदाहरर् के जलए, यजद आपको जकसी पररवार में कोई ऐसा व्यजि जदखाई देिा है, जजसे खाँसी / पेट ददण / िार-िार िीमार पिने की
जशकायि हो, िो पछू ें जक क्या वह व्यजि ििं ाकू / शराि का सेवन कर रहा है। यजद हाँ, िो उन्हें ििाएं जक यह उनकी स्वास््य
जशकायिों का अश ं दायी कारर् हो सकिा है, और इसजलए उन्हें अपने स्वास््य में सिु ार के जलए ििं ाकू / शराि के सेवन में कटौिी
करनी होगी। प्रसवपवू ण देखभाल प्रदान करने के दौरान मजहला से पछू ें जक क्या वह ििं ाकू का सेवन करिी है ? या यजद उसके पररवार में
कोई भी िम्रू पान करिा है। उसे यह समझने में मदद करें जक जकसी भी रूप में ििं ाकू का उपयोग अजन्मे िच्िे को नक ु सान पहिं ा सकिा
है। साथ ही, जवकासशील भ्रर्ू को क्षजि से ििाने के जलए गभणविी मजहलाओ ं के पजि को िम्रू पान से परहेज़ करने के जलए जशजक्षि करें ।
• स्थानीय जशक्षर् सस्ं थानों, िाकघर, िैंक, आजद में सावणजजनक जागरूकिा कायणक्रम आयोजजि करने में मदद करें । साथ ही सावणजजनक
स्थानों पर शराि और ििं ाकू जवरोिी सदं श े ों के प्रिार और प्रसार में मदद करें ।
• मजहला नेिाओ,ं यवु ा वगण, शराि / िंिाकू छोि िक ु े लोगों के सामदु ाजयक समहू ों की सहायिा से उपरोि सदं ेशों का प्रसार करें ।
परर ार को वनम्नवलवखत सलाह दें
• एहसास रहे जक शराि पर जनभणरिा एक िीमारी है, और के वल इच्छाशजि की कमी नहीं है।
• व्यजि पर शक न करें । उदाहरर् के जलए, यह सवाल करना शरू ु न करें जक उसने शराि पी है या नहीं, उसके दोस्िों को यह जानने के
जलए फोन कॉल न करें , जक क्या वह शराि पी रहा है।
• घर का माहौल खश ु नमु ा िनाएं। िोिलें, जगलास आजद को हटा दें, जजससे शराि की िीव्र इच्छा उत्पन्न हो सकिी है।
• उसकी पवू णकाजलक पीने की समस्याओ ं के सिं ंि में दसू रों के साथ ििाण न करें ।
• उसकी शारीररक जरूरिों पर अजिररि ध्यान दें। उसकी पसदं और नापसदं के अनुसार भोजन िैयार करें , उसकी दवा, स्वास््य के िारे में
पछू िाछ करें और सजु नजश्चि करें जक वह सहज है।
• स्वस्थ हो रहे व्यजि को एक सामान्य व्यजि के रूप में स्वीकार करें , और उसे सभी पाररवाररक गजिजवजियों में शाजमल करें । िच्िों की
जशक्षा आजद जैसे महत्वपर्ू ण जनर्णय लेने में उनकी सलाह लें।
21
इलाज के वलए कब रे फर करें ?
• जि व्यजि सािारर् सलाह से शराि / िंिाकू के सेवन को रोकने में असमथण हो
• यजद जमगी का दौरा पिा हो
• जि व्यजि / पररवार, जकसी भी शारीररक स्वास््य समस्याओ ं को व्यि करें , या यजद आप जकसी भी िाहरी लक्षर् को नोजटस
करिे हैं - िख
ु ार, मंहु के छाले, आँखों का पीलापन, आजद
• यजद व्यजि भ्रजमि प्रिीि हो या ऐसा सनु ने / देखने का दावा करिा हो जो अन्य नहीं कर सकिे
• जि व्यजि / पररवार काफी परे शान प्रिीि हो
कल्पनीय या झूठी बातों पर प्रकाश डालें तथा शराब और तंबाकू के उपयोग से संबंवधत त्य प्रदान करें
कवल्पत कथा / कल्पना: शराि / िंिाकू के वल अजिक मात्रा में सेवन जकए जाने पर ही स्वास््य समस्याओ ं का कारर् िनिा है।
सच्चाई: शराि / िम्िाकू सेवन के जलए कोई ज्ञाि सरु जक्षि सीमा नहीं है। स्वास््य समस्याएं जकसी भी मात्रा में या जकसी भी समय हो सकिी
हैं।
कवल्पत कथा / कल्पना: शराि और िंिाकू एक व्यजि को आकषणक िनािे हैं और यौन क्षमिा को िढािे हैं।
सच्चाई: शराि और िंिाकू त्विा को नक
ु सान पहिं ािे हैं और एक व्यजि की उम्र िेजी से िढने का कारर् िनिे हैं, इसजलए वे जकसी को भी
आकषणक नहीं िना सकिे हैं। शराि और िंिाकू प्रजनन प्रर्ाली (ररप्रोिजक्टव जसस्टम) और रि िमजनयों को भी नक ु सान पहिं ािे हैं, जजससे
िांझपन (इनफजटणजलटी) होिा है।
कवल्पत कथा / कल्पना: शराि एक व्यजि को िहादरु िनािी है।
सच्चाई: शराि िंजत्रका िंत्र को प्रभाजवि करिा है और नशे में व्यजि अनजु िि िािें कहिे हैं या अनजु िि कायण करिे हैं जो वे सिेि होने पर
कभी नहीं करिे । इसजलए वह व्यजि दसू रों को िहादरु के िजाय के वल िेकािू / मखू ण जान पििा है।
कवल्पत कथा / कल्पना: शराि और िंिाकू कायों के जनष्पादन में सिु ार करिे हैं।
सच्चाई: जो लोग लंिे समय से शराि / िम्िाकू का सेवन कर रहे हैं, वे इन पर जनभणर हो जािे हैं, जजससे शराि / िम्िाकू के न जमलने पर वे
अपना ध्यान कें जद्रि नहीं कर पािे हैं। अजिक शराि पीने वालों को लग सकिा है जक न जपने के कारर् उनके हाथ कांपिे हैं। लेजकन हाथ
काँपना और अन्य समस्याएं के वल अस्थायी हैं और जनरंिर संयम के साथ परहेज़ करने पर ये समस्याएं नहीं रहेंगी। ऐसे व्यजियों के जलए यह
महत्वपर्ू ण है जक वे शराि के सेवन को रोकने के साथ-साथ हाथों की कंपकंपी और अन्य शारीररक िकलीफों को जनयंजत्रि करने के जलए
जकसी पेशेवर की मदद लें जजससे वे परहेज़ रख पाएंगे।
कवल्पत कथा / कल्पना: शराि अच्छी नींद लािी है।
सच्चाई: शराि प्राकृ जिक जनद्रा िक्र को िाजिि करिी है। इसजलए, शराि पीकर अच्छी नींद लेने वाले व्यजि सिु ह भी थका हआ और सस्ु ि
महससू करिे हैं।
कवल्पत कथा / कल्पना: िंिाकू के िम्रू रजहि (ििाने वाले) प्रकार या प्ररूप खिरनाक नहीं हैं।
सच्चाई: िम्िाकू के िआ ु ं रजहि प्ररूपों में लगभग 3000 हाजनकारक रसायन हो सकिे हैं जो मौजखक उत्तक को घािक क्षजि पहिं ािे हैं और
नि करिे हैं। िंिाकू, जकसी भी रूप में, घािक है।
22
मनोरोग िंिध
ं ी आपातकाल: पररिाररकाओं की भूबमका
डॉ. शबशधर एि. एन., बवशेर्ज्ञ ग्रेड मनोबिककत्िक, मनोबिककत्िा बवभाग, बनम्हान्ि
श्रीमती पद्मावती डी, पीएिडी स्कॉलर , नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
डॉ. िी नवीन कु मार, अपर प्राध्यापक, मनोबिककत्िा बवभाग, बनम्हान्ि
व षय पररचय
मनोरोग सिं ंिी आपािकाल को एक प्रखर मनोरोग अवस्था के रूप में पररभाजषि जकया जा सकिा है, जजसमें या जजसके उपिार के कारर्,
स्वभावजन्य, अनभु जू ि (काजग्नजटव) सिं जं िि और/ या भावात्मक परे शाजनयों की मख्ु य रूप से अजभव्यजि होिी है। ऐसी जस्थजियों में
िात्काजलक इलाज अजिआवश्यक है।
मनोरोग संबंधी आपातकाल की पररभाषा
एक मनोरोग संिंिी आपािकाल; सोि, मनोदशा और / या कायणकलाप में आने वाली िािा है जो पीजिि व्यजि या उसके करीिी सिं ंजियों
के आकजस्मक िनाव और / या आकजस्मक जनिणलिा का कारर् िनिी है अिएव जजसके जलए ित्काल इलाज की आवश्यकिा होिी है।
23
नै दावनक प्रस्तुवत
एक व्यजि जि इलाज के जलए आिा है िो जनम्नजलजखि लक्षर् प्रमख ु हो सकिे हैं : मरने की इच्छा, आत्महत्या के जविार / इरादे,
आत्महत्या की योजना और / या आत्महत्या का प्रयास। ऐसे पीजिि व्यजि मरने की इच्छा व्यि जकये जिना भी स्वयं के जलए हाजनकारक
रवैया अपना सकिे हैं (स्वयं के जलए गैर आत्मघािी हाजनकारक व्यवहार)। एक आपािकालीन जस्थजि में इन सभी लक्षर्ों को समान रूप से
प्राथजमकिा और अहजमयि देनी िाजहए क्योंजक स्वयं को पहिं ाई गई िोट, जीवन के जलए घािक जसद् हो सकिी हैं। आत्महत्या की प्रवृजत्त
आमिौर पर अवसादग्रस्ििा जवकारों में देखी जािी है।
नवसिंग व्य स्थापन:
आपािकालीन उपिाि किना - मरीज़ को उसकी भावनाओ ं / जविारों को व्यि करने के जलए प्रोत्साजहि करें , उन्हें यह भरोसा जदलाएं की
आप उन्हें और उनकी परे शाजनयों को समझ सकिे हैं, समानभु जू ि रखें, उनके िारे में कोई पवू ाणनमु ान न लगाएं िथा उनमे आशा जगाएं।
ध्यान दें: यजद मरीज़ उत्तेजजि है, िेिैन है या उसे िािों से शािं करना मजु श्कल है, िो उसे िेंज़ोिायजेपाइन दे सकिे हैं (परन्िु यजद मख्ु य रूप
से जकसी प्रकार की जसर की ित्काजलक िोट, गदु े या लीवर काम करना िंद करदें, या पहले कभी मरीज़ ने फांसी लगाने का प्रयास जकया हो
िो िॉक्टरी इलाज या सलाह की आवस्यकिा है)।
वचवकत्सीय व्य स्थापन
द ा खुराक देने की प्रविया
Lorazepam (लोराजेपाम) 2mg पीओ / आईएम / आईवी
Diazepam (िायजेपाम) 5mg पीओ / आईवी
Clonazepam (क्लोनाज़ेपम) 0.5mg पीओ / सि जलंगअ
ु ल / माउथ जिस्पेजसणिल
Alprazolam (अल्प्राजोलम) 0.5mg पीओ
Chlordiazepoxide (Librium)
10mg पीओ
क्लोरजदअज़ेपोक्साइि (जलजियम)
24
क्या करें क्या ना करें
24 घंटे सिकण िा मरीज़ को अके ला छोिना
ऐसी सभी वस्िओ
ु ं को, जजनका इस्िेमाल शायद िोट पहिँ ाने के जलए जकसी प्रकार की घटना के जलए आलोिना / दोष देना
जकया जा सकिा है उन्हें हटा देना
मरीज़ को शािं करना दसू रों के सामने मरीज़ के िारे में जटप्पर्ी / जशकायि करना
खाना खाने और उपिार लेने के जलए प्रोत्साजहि करें मरीज़ के िारे में पवू ाणनमु ान लगाना
2. शोक औि तवयोग
जकसी जप्रयजन की मृत्यु या जवयोग से, या जकजस जप्रय वस्िु के जिछि जाने से होने वाले दःु ख और भावजनक ददण को शोक कहिे हैं।
यद्यजप सामान्य िौर पर शोक के कारर् होने वाली भावनात्मक प्रजिजक्रया पर जवशेष ध्यान जदया जािा है, लेजकन इसमें शारररीक,
कागजनजटव, व्यवहाररक, सामाजजक, सांस्कृ जिक, आध्याजत्मक और दाशणजनक आयाम भी होिे हैं। आम िौर पर ‘शोक’ और 'जवयोग'
शब्दों को जवजनमेयिा के अनसु ार प्रयोग जकया जािा है लेजकन 'जवयोग', एक जस्थजि है जि की 'शोक' जवयोग की वजह से उत्पन्न होने
वाली मानजसक भावना है।
नै दातनक प्रस्िुति
‘शोक’ आम िौर पर सभी को होिा है और ज्यादािर लोग जिना जकसी िॉक्टरी इलाज के इसका सामना करने में सक्षम रहिे हैं लेजकन
कुछ पररजस्थजियाँ ऐसी होिी हैं जजनमें एक व्यजि की प्रजिजक्रया उसके और कभी कभी दसू रों के जलए ़ििरा िन सकिी हैं। इसजलए ऐसी
जस्थजि को जनयंजत्रि करने के जलए िॉक्टरी इलाज की मदद ली जा सकिी है।
नतसिंग व्यवस्थापन
‘शोक’ के कारर् होने वाली प्रजिजक्रया को सिु ारु रूप से व्यवजस्थि रखने के जलए शोकाकुल व्यजि से िाि करें
अवसाद, अलगाव, भोजन जसजमि रूप से करना, उपेक्षा, िेपरवाही, अनजु िि व्यवहार, आजद जैसी दःु ख से सिं ंजिि जजटल समस्याओ ं
पर ध्यान दें
आपािकालीन उपिार करना - मरीज़ को उसकी भावनाओ ं / जविारों को व्यि करने के जलए प्रोत्साजहि करें , उसके दःु ख को समझें
और स्वीकार करें , उनमे आशा जगाएं और पररजस्थजि से जनपटने हेिु वास्िजवक उपाय सजु नजश्चि करने के जलए मरीज़ को प्रोत्साजहि करें
तितकत्सीय व्यवस्थापन
आपाि जस्थजियों में िेंज़ोिायज़ेपींस का, जववेकपर्ू ण िरीके से िथा एक अल्पकाजलक समय के जलए (10 से अजिक जदन नहीं) इस्िेमाल
जकया जकया जा सकिा है और यजद प्रजिजक्रया गंभीर है िो मनोजिजकत्सक से इलाज करवाने की सलाह दें।
3. तहंसा
उग्र स्वाभाव के कारर् व्यजि जान िझू कर दसू रों को िलपवू णक क्षजि, िोट या मानजसक आघाि पहिं िा है। वह प्रिंििा के कारर् या
आवेश में दसू रों को नक
ु सान पहिं ा सकिा है या उनकी जान भी ले सकिा है।
नै दातनक प्रस्िुति
व्यजि की खदु क ् ी और दसू रों की जान िथा सपं जत्त को ़ििरे में िालने वाला जहसं ात्मक और आक्रामक व्यवहार जवजभन्न मनोरोग
जवकारों में एक प्रमख
ु लक्षर् हो सकिा है।
उग्र व्य हार का सामना, सामान्यतुः वनम्न वस्थवतयों में करना पडता है:
a) िीव्र मनोजवजक्षजप्त (एक्यटू साइकोजसस)
b) िीव्र उन्माद (एक्यटू मेजनआ)
25
c) एक्यूट जस्कज़ोरेनेजनआ
d) मादक और संिंजिि अवैि नशीली दवाओ ं के उपयोग
e) कुछ व्यजित्व सिं ंजिि जवकार
नतसिंग व्यवस्थापन
सवं िप्त व रणी ले खन - लक्षर्ों के प्रारंभ, क्रम और मख्ु य कारर्ों पर ध्यान दें। और यजद कभी मादक द्रव्यों के सेवन की आदि
या मख्ु य जिजकत्सीय समस्या अिीि में रही हो िो इस जवषय और इस समस्या के व्यवस्थापन से सिं ंजिि वृत्तांि जलखें।
• आलोिनात्मक हए जिना मरीज़ से िाििीि करने का प्रयास करें और िािों में व्यस्ि रखने का प्रयास करें ।
• अपने जनदेश, सिं जं िि मद्दु े जसजमि, स्पि और ऊंिे स्वर में रखें
• व्यजि के शांि या जस्थर होने पर शरीर के मख्ु य अंगों की जक्रयाशीलिा और दवाओ ं के दष्ु प्रभाव पर नज़र रखें िथा सही
पोषर् और देखभाल सजु नजश्चि करें ।
• सजु नजश्चि करें जक वािशोषक नली में वायु के िल
ु िल
ु े ना हो।
• मनोजिजकत्सक / जिजकत्सक को िरु ं ि िल
ु ाएं।
• शारीररक जनयंत्रर् / प्रजििंि, एक अस्थायी उपाय और अंजिम जवकल्प के रूप में िभी िय जकया जाना िाजहए जि जकसी
पररजस्थजि में यह जायज़ या न्याय सगं ि हो।
शारीररक प्रवतबंध का प्रयोग :
शारीररक रूप से प्रवतबंवधत करते समय सा धानी
शारररीक रूप से िभी प्रजििंि लगाएं जि िाििीि या दवाओ ं से व्यिी को कािू करना सभं व ना हो
पररजस्थजि के अनसु ार शारररीक प्रजििंि को कम से कम रखने का प्रयास करें
शारररीक प्रजििंि की अवजि के दौरान, रोगी पर लगािार जनगरानी रखनी िाजहए
प्रजििंि लगाने के जलए नरम, गद्दीदार, िौिी परियों का उपयोग करें (यजद मरीज़ समदु ाय में है िो नरम कपिों से छोटे पैि्स िनायें
और अन्य नरम कपिों से प्रजििंि लगाएं)
प्रजििंजिि करने के जलए मरीज़ को पीठ के िल जलटाएं और जसर की ऊंिाई 30 जिग्री रखें
प्रजिििं अजिक कसा हआ या दिाया हआ नहीं होना िाजहए
एक हाथ ऊपर, एक हाथ नीिे और दोनों पैर फै ला जदया जाना िाजहए
अंगों में रि के प्रवाह और नब्ज की जाँि करें
प्रजििंि या परियों को समय समय पर ढीला छोिें
इस प्रजक्रया के दौरान मरीज़ से िाि करें और उन्हें आश्वासन दें
तितकत्सीय व्यवस्थापन
जनम्नजलजखि सीिेजटव / दवाएं दी जा सकिी हैं
द ा खुराक देने की प्रविया
T chlorpromazine (टी क्लोरप्रोमेजज़न) 100mg, िाद में एक और 100mg पीओ
haloperidol (हलोपेरीिॉल) 5mg पीओ / आईएम / आईवी
olanzapine (ओलानजेपीन) 10mg पीओ / आईएम
Benzodiazepines (िेंज़ोिायज़ेपींस) उपरोि िाजलका के अनसु ार
Promethazine (Phenergan)(प्रोमेथाज़ीन) 25mg पीओ / आईएम
26
4. डेलीरियम ट्रेमेंस
र्ेलीरियम ट्रेमेंस - शराि के सेवन को कम या िंद करने के कारर् प्रकट होने वाले लक्षर्ों का यह सिसे प्रिंि रूप है जो जवजशि िौर
पर ऐसे व्यजि को होिा है जो अिीि में महीनों या सालों िक शराि के नशे का आदी रहा हो। नशे के आजद व्यजियों में यह
सािारर्िः शराि के सेवन को अिानक रोकने या मात्रा में काफ़ी कमी करने के 24 से 72 घंटों के पश्चाि् प्रकट होिा है।
नै दातनक प्रस्िुति
इसके मख्ु य लक्षर् जनम्नजलजखि हैं:
• ग्रहर्शीलिा या ज्ञान के िोि में िदलाव (अजस्थर ज्ञानेंजद्रय) - िेिना में उिार-िढाव, समय / जगह / व्यजि सि ं ंजिि
जस्थजिभ्राजन्ि में उिार िढाव, हाथों में कंपन, व्यवहारात्मक असामान्यिाएं - िेिैनी, घिराहट, आक्रामक स्वाभाव, िीव्र भय; भ्रम
और मजिभ्रम (हलसू नैशन), जनद्रा-िक्र में िदलाव। लक्षर् जवशेष रूप से शाम के वक़्ि िीव्र होिे हैं (सन िाउजनगं फे नोमेनन)
जजसकी वज़ह से रोगी को राि में नींद आने में कजठनाई हो सकिी है।
• लक्षर्ों के प्रारंभ में एक या अजिक दौरा पि सकिा है ।
• अत्यजिक पसीना, हाथों में कंपन, हृदय गजि में वृजद् (> 90 / जमनट), उच्ि रििाप और अजस्थर ज्ञानेंजद्रय ।
27
िमुदाय में आत्महत्या की रोकथाम
डॉ. िाईलक्ष्मी गांधी, अपर प्राध्यापक एवं प्रमुख, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
श्रीमती डी.पद्मावती, पीएिडी स्कॉलर, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
श्रीमती एस, एक 60 वषीय बजु गु ि मकहला हैं जो एक स्कूल में सहाकयका के रूप में काम किती हैं। वे अपने काम को आनुंिपवू िक किती हैं औि
उन्हें अच्छे कायि के कलए सहककमियों औि वरिष्ठ अकिकारियों से सिाहना भी कमलती है। उनके चाि बेटे हैं औि सभी अपनी पत्नी औि बच्चों
के साथ अलग िह िहे हैं। उन्होंने िो साल पहले अपने पकत को खो किया है, उनका कोई िोस्त नहीं है औि वे अपने पकत की मृत्यु उपिाुंत अपने
रिश्तेिािों से सपुं कि में नहीं हैं । कफलहाल वह बहत अशान्त, अके ला औि असहाय महससू कि िही हैं औि यह भी महससू किती हैं कक जीवन
जीने लायक नहीं है। कई बाि वह बहत ही फूट-फूट कि िोती हैं औि किन भि उिास िहती हैं ।
व षय पररचय
उपरोि पररर्दश्य आत्महत्या के संिंि में सकं े िों को दशाणिा है। इसका कोई इकलौिा कारर् नहीं है। एक व्यजि, जवजभन्न कारर्ों से अपने
जीवन को समाप्त करने का मन िना सकिा है, उदाहरर् के जलए - लिं े समय िक मन में उदासी रहने पर, नकारात्मक जििं न, और स्वास््य या
रहन-सहन की समस्याओ ं जैसे कारर्। आत्महत्या जवश्व स्िर पर एक प्रमख ु सावणजजनक स्वास््य समस्या है। एजशयाई देशों द्वारा प्रयोग में लाए
जा रहे अजभनव पद्जियों में से एक - समदु ाय आिाररि पद्जि का उद्देश्य ऐसे जविारों से सभं विः ग्रस्ि होने वाले व्यजियों की पहिान करना
है। पीजिि व्यजि की पहिान करने और सहारा देने के जलए, िथा आवश्यक कदम उठाने के साथ-साथ सही उपिार कें द्र या जिजकत्सक िक
पहिँ ाने के जलए, सामदु ाजयक स्वास््य देखभाल कायणकिाणओ ं का कौशल जवकास करना और उन्हें सक्षम िनाना िहि महत्वपर्ू ण है।
28
● क्या वे जवत्तीय सक
ं ट से गज़ु र रहें हैं
● क्या उनको कोई शारीररक िीमारी या जिजकत्सकीय समस्या है
● क्या उनकी घािक सािनों िक आसान पहिँ है
● जाने माने लोगों / करीिी लोगों के द्वारा जकये गए आत्महत्या के प्रयासों की नकल उिारना
● उनके सांस्कृ जिक और िाजमणक जवश्वास या जविारिारा कै सी है
आत्महत्या की संभा ना का आकलन
आत्महत्या की सभं ावना का सदं हे होने पर, सामदु ाजयक स्वास््य पररिाररका को जनम्नजलजखि िािों पर ध्यान देना िाजहए:
1. विणमान मानजसक जस्थजि और आत्म हत्या के िारे में जविार
2. आत्म हत्या की योजना और जवजि जकिनी जवस्िृि है
3. पररवार, दोस्ि, ररश्िेदार आजद में से कौन से सरु क्षात्मक कारक / सहायिा प्रर्ाली उस व्यजि के जलए उपलब्ि हैं
जकसी व्यजि के , आत्महत्या करने के जविार जानने का सिसे अच्छा िरीका उनसे िाििीि करना है। इस िारे में िाि करने से व्यजि को अन्य
जवकल्पों के िारे में सोिने या जनर्णय िदलने का समय जमल सकिा है। िेहिर है यजद जरुरी/अग्रर्ी प्रश्नों से शरू
ु करें जैसे:
1. क्या आप खश ु नहीं हैं ?
2. क्या कोई भी आपकी परवाह नहीं करिा है ?
3. क्या जीवन जीने लायक नहीं है ?
4. क्या आप असहाय महससू कर रहे हैं और फंस गये हैं ?
5. क्या आप खदु को नक
ु सान पहिँ ाना िाहिे हैं ?
6. क्या आप अपने जीवन को समाप्त करना िाहिे हैं ?
7. क्या आप आत्महत्या करना िाहिे हैं ?
आत्महत्या से संिंजिि प्रश्न िभी पछू े जा सकिे हैं जि व्यजि प्रश्न पछू ने वाले पर जवश्वास करना शरू
ु करिा है और महससू करिा है जक
प्रश्नकिाण द्वारा उसकी िािों को समझा जा रहा है। इन प्रश्नों को साविानीपवू णक जिना जकसी आलोिना/रोक-टोक के पछू ा जाना िाजहए।
यवद सभ
ं ा ना कम हो: जि आत्म-हाजन के जविार कभी-कभी आिे हों, िथा इसके जलए विणमान में कोई योजना न हो। हालाँजक, उनके
जविार इस प्रकार के हो सकिे हैं जैसे जक "मैं इसे अि और नहीं सह सकिा", "काश मैं मर िक
ु ा होिा और इन सि से दरू िला गया होिा"।
उपचार :
1. समथणन/सहारा दें और उम्मीद जगाएं ।
2. आत्महत्या के अहसास के िारे में पीजिि व्यजि से िाि करें । व्यजि को िाकि का अहसास जदलाने के जलए उसके अिीि के अनभु वों को
िाज़ा करें और उसे याद जदलाएं जक अिीि में आत्महत्या के िारे में सोिे जिना ही जकस प्रकार उसने अपनी परे शाजनयों का हल ढूंढा था।
3. सिं ंजिि जिजकत्सक के पास भेजें।
4. जनयजमि अंिराल पर हाल-िाल लेिे रहें।
29
यवद संभा ना मध्यम हो : पीजिि व्यजि योजनािद् िरीके से आत्महत्या का जविार कर रहा हो परन्िु अमल में लाने का जनर्णय न हो।
उपचार :
1. भावनात्मक सहारा प्रदान करें और जीने की आशा जगाएं । आत्महत्या की इच्छा से सिं जं िि भावनाओ ं पर िाििीि करके पीजिि व्यजि
को अपनी सकारात्मक शजियों को पहिानने में मदद करें ।
2. आमिौर पर आत्मघािी व्यजि के आत्महत्या की इच्छा से सिं ंजिि जविार दजु विापूर्ण होिे हैं; इसजलए सामदु ाजयक स्वास््य पररिाररका को
इस अवसर का उपयोग, पीजिि व्यजि की जीवन-आशा को िीरे -िीरे िढाने के जलए करना िाजहए।
3. समािान ढूढुं ना: उनकी सभी समस्याओ ं को हल करना शायद सभं व नहीं हो, लेजकन आत्महत्या के जवकल्प िलाशने में पीजिि व्यजि की
मदद करें िो हो सकिा है जक वह व्यजि सझु ाए गए जवकल्पों में से कम से कम एक पर जविार करे ।
4. वचनबद्धता: पीजिि व्यजि से विन लें और पछू ें जक ‘क्या आप वादा करें गे, जक जि िक मैं आपकी समस्या का समािान नहीं कर देिा/देिी
हूं आप अपनी जान नहीं लेंगे?’
5. जजिनी जल्दी हो सके , मनोजिजकत्सक, परामशणदािा, जिजकत्सक या जकसी भी मानजसक स्वास््य पेशेवर को जदखलाएं।
6. पीजिि के पररवार के सदस्य, जमत्र, सहकमी आजद को समथणन प्रर्ाली में शाजमल करें ।
यवद सभ
ं ा ना प्रखऱ या भारी हो: जि व्यजि ने जनजश्चि रूप से िरु ं ि आत्महत्या करने के िरीके के िारे में फै सला कर जलया हो।
उपचार :
1. व्यजि को कभी भी अके ला न रहने दें और सिकण जनगरानी में रखें।
2. पीजिि व्यजि से नरमी से िाि करें और िारदार िीजें, गोजलया,ं रस्सी आजद जैसे सािनों को उसकी पहिं से दरू रखें।
3. एक ियान जलखें जक वह व्यजि आत्महत्या नहीं करे गा/करे गी और उस पर उसके हस्िाक्षर करवाएं।
4. िरु ं ि सिं जं िि िॉक्टर या मानजसक स्वास््य कें द्र िक भेजें (रे फर करें ) ।
5. पीजिि व्यजि के ररश्िेदारों को सजू िि करें और उनकी मदद लें।
30
स् मूल्यांकन
श्रीमती एस, एक 60 वषीय बजु गु ि मकहला हैं जो एक स्कूल में सहाकयका के रूप में काम किती हैं। वे अपने काम को आनिुं पवू िक किती हैं औि
उन्हें अच्छे कायि के कलए सहककमियों औि वरिष्ठ अकिकारियों से सिाहना भी कमलती है। उनके चाि बेटे हैं औि सभी अपनी पत्नी औि बच्चों
के साथ अलग िह िहे हैं। उन्होंने िो साल पहले अपने पकत को खो किया है, उनका कोई िोस्त नहीं है औि वे अपने पकत की मृत्यु उपिाुंत अपने
रिश्तेिािों से सपुं कि में नहीं हैं । कफलहाल वह बहत अशान्त, अके ला औि असहाय महससू कि िही हैं औि यह भी महससू किती हैं कक जीवन
जीने लायक नहीं है। कई बाि वह बहत ही फूट-फूट कि िोती हैं औि किन भि उिास िहती हैं ।
1. आपके अनसु ाि श्रीमती एस ककस िोग से पीकडत हैं?
2. आत्महत्या की सभं ावना का स्ति क्या है?
3. आप ककस प्रकाि की तत्काल सहायता प्रिान किें ग?े
4. आप इस कस्थकत को सचु ारु रूप से ककस तिह व्यवकस्थत किें ग?े
5. आप िे फिल की योजना ककस तिह बनाएुंगे?
31
मानबिक स्वास््य िे िुडे कानून
डॉ. बवनय िी., बवशेर्ज्ञ ग्रेड मनोबिककत्िक, मनोबिककत्िा बवभाग, बनम्हान्ि
श्रीमती पद्मावती एन., पीएिडी स्कॉलर, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
डॉ. िुरेश िडा माथ, प्राध्यापक, मनोबिककत्िा बवभाग एवं िामुदाबयक मनोबिककत्िा के बवभागाध्यक्ष, बनम्हान्ि
1. व षय पररचय
‘काननू ’ शब्द जकसी समदु ाय या देश के सदस्यों के व्यवहार को जनयजं त्रि करने के जलए एक प्राजिकरर् द्वारा स्थाजपि जनयमों
की ओर इजं गि करिा है। प्रत्येक राज्य में मानजसक मरीज़ों के देखभाल और उपिार के जलए अपने स्वयं के कानून होिे हैं। यह
काननू मानजसक मरीज़ों के अजिकारों के संरक्षर् के साथ-साथ जनिा की सुरक्षा के िीि संिुलन िनाए रखने का प्रयास
करिा है। पररिाररकाओ ं को मानजसक रुप से िीमार व्यजि की देखभाल से संिजं िि आिारभिू काननू ी पहलओ ु ं को समझना
िाजहए, क्योंजक समाज की जरूरिों को परू ा करने के जलए काननू में समय के साथ िदलाव होिे रहिे हैं।
32
i. वसीयिी क्षमिा:
यह एक वैि वसीयत बनाने या बिलने सुंबुंकित ककसी भी व्यकि की काननू ी औि मानकसक क्षमता है: जैसे कक समझने औि तकि सगुं त
प्रकतकिया किने की क्षमता, अपनी सपुं कि की सीमा औि मूल्य को जानना, प्राकृ कतक लाभाकथियों को पहचानना आकि ।
ii. शादी औि िलाक अतितनयम:
जहदं ुओ ं में, जववाह-जवच्छे द (िलाक) की मांग िभी की जा सकिी है जि कोई व्यजि जकसी मानजसक िीमारी से इस हद िक
पीजिि है जक वह दो या अजिक वषों से जववाह-संिजं िि दाजयत्वों को परू ा करने में सक्षम नहीं है। इसके अलावा पीजिि व्यजि
की मानजसक िीमारी के इलाज के जलए समजु िि प्रयास जकए गए हों और िलाक की अनुमजि हेिु, उसकी िीमारी का
लाइलाज होना आवश्यक है ।
33
A. मानतसक स्वास््य देखभाल अतितनयम, 2017 (एमएिसीए)
मानजसक स्वास््य अजिजनयम (1987) को मानजसक स्वास््य देखभाल अजिजनयम 2017 के रूप में संशोजिि जकया गया
है और "यह एक ऐसा अकिकनयम है जो मानकसक बीमािी से पीकडत व्यकियों को मानकसक स्वास््य िेखभाल औि से वाएुं
प्रिान किने के कलए औि ऐसे व्यकियों की िक्षा किने , उनको बढावा िेने औि उनके अकिकािों को पिू ा किने के कलए
बनाया गया है......." के रूप में वजर्णि जकया गया है।
अकिकनयम की मख्ु य कवशेषताएुं:
1. मानजसक िीमारी से पीजिि व्यजियों के अजिकार की रक्षा करिा है।
2. पीजिि व्यजि भजवष्य में देखभाल से संिंजिि अजग्रम जनदेश कर सकिा है।
3. मानजसक रूप से िीमार व्यजियों के जलए, मानजसक स्वास््य प्रजिष्ठानों को स्थाजपि करने, पंजीकृ ि करने और
जनयंजत्रि करने के जलए न्यनू िम मानकों का जनिाण रर् करिा है।
4. मानजसक स्वास््य प्रजिष्ठानों में उपिार हेिु, स्वैजच्छक या अनैजच्छक आिार पर मानजसक रूप से िीमार व्यजियों की
भिी और छुिी की प्रजक्रया को जवजनयजमि करिा है।
5. सरकार द्वारा प्रदत्त मानजसक स्वास््य देखभाल और उपिार सेवाओ ं का उपयोग करने के जलए हर व्यजि को
अजिकार प्रदान करिा है।
6. जनःशल्ु क काननू ी सहायिा से वाएं प्रदान करके मानजसक रोग से पीजिि व्यजियों को सक्षम िनाना।
7. गैर-पेशेवरों को प्रजििंजिि कायण करने से रोकने के जलए और इस अजिजनयम का जनवणहन नहीं करने पर सजा।
8. मानजसक रोग से पीजिि व्यजियों के जलए पजु लस के किणव्यों और जजम्मेदाररयों का जनिाण रर् करना।
9. एम्िुलेंस सेवाओ ं के उपयोग िथा गुर्वत्ता की सीमा संिंजिि प्राविान प्रदान करिा है जैसा जक शारीररक िीमारी से
पीजिि व्यजियों को जदया जािा है।
10. कुछ उपिार प्रजक्रयाओ ं पर प्रजििंि लगािा है जैसे जक,
a. परुु षों या मजहलाओ ं की नसिंदी, जि यह मानजसक िीमारी के इलाज के रूप में जकया जा रहा हो।
34
अजिजनयम के िहि जनजदणि जवकलांग हैं:
जदव्यांगिा की जाँ ि के आवेदन हेिु जनम्नजलजखि आवश्यक हैं - (क) जनवास का प्रमार् (ख) दो नवीनिम पासपोटण आकार के
फोटो और (ग) आिार नंिर । िोखे से जकसी भी प्रकार का लाभ लेने पर जदव्यागं िा काननू में सजा का प्राविान भी है।
जानबझ
ू कर वकये गए अपकृत्य (टॉटटस) अनजाने में हए अपकृत्य(टॉटटस)
आिमण: लापर ाहीुः
शारीररक नुकसान पहंिाने का प्रयास करना या इस प्रकार का लापरवाही कुछ ऐसा करने या न करने संिंजिि वह
खिरा, आक्रमर् कहलािा है। आक्रमर् के अंिगणि शारीररक िथा कायण है जो अन्य स्वास््य पेशेवर उपिार की इन्हीं
मौजखक दोनों नुकसान शाजमल हैं।उदाहरर् के जलए मरीज़ को यह जवशेष पररजस्थजियों में कर रहे होंगे या नहीं कर रहे
ििाना जक आप उसे जिस्िर से िांिने जा रहे हैं। मौजखक अपशब्द होंगे। जैसे, औषजि-प्रयोग की गलि खुराक, औषजि-
कहना (मरीज़ को फटकारना)। का गलि प्रयोग
बैटरी:
िैटरी एक ऐसा कायण है जजसके पररर्ामस्वरूप हाजनकारक या
आक्रामक शारीररक संपकण होिा है। यह वास्िव में पीजिि व्यजि को
आपजत्तजनक िरीके से छूना या घायल करना है। उदाहरर् के जलए,
मुक्का मारना, िक्का देना, मरीज़ को थप्पि मारना
35
जानबूझ कर वकये गए अपकृत्य(टॉटटस) अनजाने में हए अपकृत्य(टॉटटस)
झठू ी कारा ासुः कदाचारुः
इसका िात्पयण-जिना जकसी अजिकार के मरीज़ की स्विंत्रिा जसजमि यह स्वास््य पेशेवर द्वारा अपना काम उजिि स्िर
करना है। उदाहरर् के जलए िॉक्टरों के आदेश के जिना अंकुश का की कुशलिा के साथ कर पाने की जवफलिा है
प्रयोग करना जजसके पररर्ामस्वरुप पीजिि को िोट लग सकिी है
या उसकी मृत्यु भी हो सकिी है।उदाहरर् के जलए,
गोपनीयता का अवतिमणुः जि एक मरीज जगर गया है और नसण िॉक्टर को
जकसी की जनजी जजंदगी में दखल देना अथवा उन पररजस्थजियों में सूजिि करने में जवफल रहिी है, गलिी से एक िेज
शाजमल होना जजसकी अनुमजि नहीं है। उदाहरर् के जलए रोगी की औजार से मरीज़ को घायल कर देिी है, या गलिी
िस्वीर लेकर मीजिया में िालना। से उस पर एक भारी वस्िु को जगरा देिी है
पररचाररका की भूवमका
a. भिी, छुिी या पैरोल के दौरान पररिाररका को जनिाणररि प्रोटोकॉल के िारे में पिा होना िाजहए।
b. वािण प्रोटोकॉल का अभ्यास करने के साथ उपिार प्रजक्रया और नीजियों के िारे में पिा होना िाजहए, जवशे ष रूप से
मरीज़ के अजिकार(पररजशि देखें) को ध्यान में रखिे हए।
c. पररिाररका को भरोसा और प्रभावी जिजकत्सीय सिं ंि स्थाजपि करना िाजहए।
d. गोपनीयिा िनाए रखना: मनोजिजकत्सा पररिाररकाएं मरीज़ों द्वारा उपिार टीम के जलए और मेजिकल ररकॉिण के भीिर
दी गई जानकारी की गोपनीयिा िनाए रखने के जलए जजम्मेदार हैं।
e. मनोजिजकत्सा पररिाररकाएं लाभ, जोजखम, और दवा के जवकल्प के िारे में मरीज़ों को सजू िि कर सकिे हैं। एक
मरीज़ को दवा लेने के जलए मजिरू करना, पररिाररका को संभव देयिा का भागीदार िनािा है।
f. वे यह ध्यान रखें जक मानजसक रोग से पीजिि व्यजि को एकांिवास या अंकुश में नहीं रखा जाना िाजहए। हालांजक,
जरूरि पिने पर, के वल शारीररक िंिन का इस्िेमाल जकया जा सकिा है।
g. पररिाररका को दस्िावेज में समजु िि ररकािण िनाना िाजहए और ररकॉिण का रखरखाव करना िाजहए जो के वल इलाज टीम के
जलए सलु भ होना िाजहए।
h. मनोरोजगयों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना िाजहए। पररिाररका को कमजोर मरीज़ों या संभाजवि खिरनाक जस्थजियों
(जैसे, एक रोगी है जो गुमराह और उत्तेजजि है) का आकलन कर के जोजखम को जनयंजत्रि करने के जलए उजिि योजना
िनानी िाजहए।
i. व्यवहार अवलोकन और अन्य जिजकत्सीय मूल्यांकन प्रदान करने के साथ मरीज़ का आकलन करने में इलाज टीम
की मदद करना। मरीज़ की उजिि देखभाल के जलए पजु लस आजद जैसे अन्य दलों(टीमों) के साथ सम्पकण िनाना।
j. इस क्षेत्र में हाल के जवकास के िारे में अद्यिन जानकारी प्राप्त करने के जलए संिजं िि संगठन में भागीदार िनना और
जनरंिर जिजकत्सा जशक्षा कायणक्रम में भाग लेना िाजहए।
वनष्कषस :
मरीजों के मानवाजिकार और कानूनी अजिकारों का सृजन उनके देखभाल का आिार है जो िहि िुनौजिपूर्ण है। पररिाररकाओ ं
को पीजििों के अजिकारों की रक्षा करने वाले काननू का समथणन करना िाजहए और उसके िाद उनके अनुपालन पर ध्यान रखना
िाजहए। इसके अलावा, जिजकत्सकों के ज्ञान का उपयोग मरीजों के अजिकार और पयाणप्त मानजसक स्वास््य उपिार हेिु वकालि
करने के जलए एक प्रवेश जिंदु के रूप में जकया जा सकिा है ।
36
देखभालकताय की भलाई तथा िलामती
डॉ. अरुणा रोि मैरी कापानी, िह-प्राध्यापक, नैदाबनक मनोबवज्ञान बवभाग, बनम्हान्ि
श्रीमती आर. रािलक्ष्मी, पीएिडी स्कॉलर, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
एस.एन., एक 25 साल का अकववाकहत परुु ष है। वह 10 वीं कक्षा तक कशकक्षत औि बेिोजगाि है। वह तालक ु अस्पताल अपनी माुं के
साथ पिामशि के कलए आया। उसने बताया कक 5 साल पहले वह कस्कज़ोफ्रेकनआ (एक प्रकाि का पागलपन) से ग्रस्त पाया गया था।
उसकी मााँ ने, उसकी खिु से बात किने औि खिु ही मस्ु कुिाने के व्यवहाि में कमी की सचू ना िी, लेककन बताया कक उसकी िसू िों के साथ
बातचीत किने में उिासीनता अब भी जािी है, औि वह घि में ककसी कायि मे सहयोग किने योग्य नहीं है । माुं इस अनवु ती सत्र(फौलो-
अप सेशन) के िौिान बेहि थकी हई औि व्यकथत किखाई पडी। जब परिचारिका ने माुं से उनकी अपने स्वास््य के बािे में पछू ा, तब माुं के
आाँसू फूट पडे औि उन्होंने अपने बेटे की िेखभाल में आने वाली चुनौकतयों को साझा ककया।
ऊपर वजर्णि जस्थजि स्वास््य सेवा प्रदािा के जलए के वल मानजसक स्वास््य समस्याओ ं से पीजिि रोगी का ही नहीं िजल्क
देखभालकिाण की जरुरिों का भी ध्यान रखने के महत्व को दशाण िा है। देखभाल की अवजि, रोगी की मानजसक िीमारी के
प्रकार पर जनभणर, कुछ साल से लेकर कुछ महीनों िक की हो सकिी है। मानजसक िीमारी का पुनराविणन(ररलैप्स) भी एक
वास्िजवकिा है जजसका सामना देखभालकिाण को करना पििा है। देखभाल करना कई िरह की मांग से भरा हो सकिा है और
अगर इन िनु ौजियों और इससे जिु े िनाव को सम्िोजिि नहीं जकया जािा है, िो यह देखभालकिाण के शारीररक स्वास््य,
मानजसक स्वास््य, ररश्िे, कायण कुशलिा और रोगी के जलए देखभाल प्रदान करने की क्षमिा को प्रभाजवि कर सकिा है।
37
• देखभालकतास को व्यविगत स् ास््य पर ध्यान देने की आ श्यकता -
पररिाररका जनम्नजलजखि िरीके से ऊपर वजर्णि घटकों में से प्रत्येक से जनपट सकिे हैं :
देखभालकिाण के देखभाल सब ं ंवधत अनुभ ों को सुनें जजसमें जकसी भी प्रकार का िोझ और यजद जकसी कलंक का सामना करना पिा हो िो
वह सि शाजमल हो। कृ पया ध्यान दें, देखभालकिाण की जििं ाओ ं में जभन्निा हो सकिी है जो कुछ कारकों पर जनभणर करिा है जैसे जक मरीज़
िच्िा है या एक वयस्क है, मानजसक िीमारी की गभ
ं ीरिा आजद।
मरीज़ की सेवा के जलए जो कुछ भी देखभालकतास कर रहा/रही है उसके जलए उसको सकारात्मक प्रवतविया दें।
यवद देखभालकतास व्यवथत है, तो देखभालकतास को यह समझने में मदद करें जक इन पररजस्थजियों में, िनाव महसूस करना जिल्कुल
स्वाभाजवक है।
देखभालकतास को समझाएं वक देखभाल का कायस मांग से भरा हो सकता है जो तना को जन्म दे सकता है। जो देखभालकिाण िनाव
का सामना करिे हैं, उन्हें शारीररक और मानजसक स्वास््य समस्याओ ं का खिरा हो सकिा है और साथ ही उनके कायण , मनोरंजन और ररश्िों पर
एक नकारात्मक प्रभाव पि सकिा है। इसजलए, यह आवश्यक है जक देखभालकिाण स्वयं की िदं रुु स्िी की उपेक्षा नहीं करें ।
• अपने शािीरिक स्वास््य की देखभाल जनयजमि रूप से व्यायाम, सिं जु लि आहार और पयाणप्त नींद लेकर करें : अगर नींद की
समस्या है, िो सोने से पहले आवस्यकिा से अजिक भोजन करने या सेलफोन जैसे इलेक्िॉजनक उपकरर्ों के प्रयोग से ििें। नींद की
समस्या जफर भी िनी रहे िो जकसी जवशेषज्ञ से सलाह लें।
• नकािात्मक भावनाओ ं को पहिानें जैसे जक क्रोि, उदासी, हिाशा के रूप में जो आप में हो सकिा है जजसका संिंि इस िाि से
हो सकिा है जक आप एक मानजसक िीमारी से पीजिि व्यजि के देखभालकिाण हैं। इन भावनाओ ं को स्वीकार करना उपयोगी होगा
और अगर जरुरि हो िो एक स्वस्थ िरीके से अजभव्यि करें जैसे जक इसे एक िायरी में जलखें, या ऐसे जकसी के साथ िाििीि करें
जजस पर आप भरोसा करिे हों ।
• अपने िनाव को तनयंतिि किें और जनरंिर जिंिा से मजु ि पाने के िरीकों जैसे जशजथलीकरर् (ररलैक्से शन) के व्यायाम,
ध्यान, प्रार्ायाम, संगीि और नृत्य को अपनाकर इसे दूर करें । पेशेवरों से परामशण लें यजद आपका िनाव आपके जदन-
प्रजिजदन के कामकाज को प्रभाजवि कर रहा है।
• अपनी खुद की सीमाओ ं को स्वीकाि किें और अिीि की ग़लजियाँ या जो कायण आप अपने मरीज़ के जलए नहीं कर पाए, उसके
जलए खदु को दोषी न ठहराएं।
• अपनी खुद की िाकि को पहिानें और उनके प्रजि सराहनीय सोि रखें।
38
• जजन कायों से आपको ़िुशी महसूस होिी है, वैसे कायों में रोज या सप्ताह में एक िार सजम्मजलि हों जैसे जक जफल्म देखना,
िाजार जाना आजद।
• कायय दक्षिा में सि
ु ाि किने के तलए, महत्वपर्ू ण कायों को प्राथजमकिा दें। मजु श्कल कायों को छोटे प्रिंिनीय भागों में िांट
लें, और एक समय में एक छोटे जहस्से का कायण करें । एक 'लंजिि-कायों की सूिी' िना लें जो आपकी उन कायों को याद
रखने में मदद करे गा जजन्हें जकये जाने की जरूरि है।
• अपने आप को दैतनक आभाि का अहसास किाएं जदन के सभी सकारात्मक और अच्छी िीजों के िारे में सोि के
आभार प्रकट कीजजये ।
• एक तदनियाय बनाएं जजसमें आप अपने शारीररक और मानजसक स्वास््य का ख्याल रखने वाली गजिजवजियों (जैसा जक
ऊपर ििाण की गई है) को भी शाजमल कर सकिे हैं।
• दूसिों से मदद औि सहयोग लें जैसे जक ररश्िेदार, दोस्ि आजद से। यह समथणन जवजभन्न कारर्ों के जलए अनरु ोि जकया जा सकिा
है जैसे जक रोगी के जलए शैजक्षक / रोजगार के अवसर खोजने में सहायिा लेना, रोगी की देखभाल में सहायिा के रूप में िाजक आप
एक िेक पर जा सकें और अपने आप पर कुछ समय जििाए।ं छुिी(िेक) लेने के जलए स्वयं को दोषी महससू करने की जरूरि नहीं है।
• िुडे िहें औि तनयतमि रूप से तमलिे िहें उन व्यजियों से जजनके साथ आप एक लगाव महससू करिे हैं जैसे जक पररवार के
सदस्य और जमत्रों से, क्योंजक वे आपके जलए भावनात्मक मदद और मागणदशणन का एक अच्छा स्रोि हैं, साथ ही आपके आसपास जो
कुछ भी हो रहा है उन सिमें उनके साथ सपं कण में रहने से आपकी मदद हो सकिी है। सामाजजक कायों में भाग लें जहां आप दसू रों के
साथ िाििीि कर सकिे हैं।
• समुदाय में उपलब्ि संसािनों के तलए सिग िहें जजसका आप उपयोग कर सकिे हैं और जो आपके देखभाल कायण में
मदद कर सकिा है जैसे जक दैजनक देखभाल(िे के यर), व्यावसाजयक पनु वाण स, स्वयं सहायिा समहू और सरकारी जवत्तीय
लाभ आजद।
• एक देखभालकिाय सहयोग समूह में शातमल हों यजद उपलब्ि हो, इससे आपको अन्य देखभाल करने वालों से संपकण में
रहने में मदद जमलेगी, जो आपकी िरह अपने अनुभवों को साझा करें गे जजससे आपको समस्या को, समझने, प्रोत्साहन
और सुलझाने की रर्नीजियां जमल सके गी।
• भतवष्य की योिना बनाएं खासकर जि आप जिरकाजलक मानजसक िीमारी से ग्रस्ि रोगी की देखभाल के संिंि में
जिजं िि हैं यह सोिकर जक यजद आप की देखभाल क्षमिा में कमी हो जाए, खराि स्वास््य और िुढापे की वजह से या
आपके मरने के िाद रोगी अपनी देखभाल का व्यवस्थापन कै से करे गा। इस से संिंजिि, काननू ी, जवत्तीय और अन्य मुद्दों
पर उजिि पेशेवरों के साथ जविार-जवमशण जकया जा सकिा है।
• संसाधन और रेफरल(परामशस के वलए भेजना):
पररचाररका देखभालकतास को वनम्नवलवखत प्रदान कर सकता/सकती है :
सस
ं ाधन पर सच
ू ना रेफ़रल
समदु ाय में उपलब्ि संसािनों की जानकारी जजससे देखभालकिाण को देखभालकिाण की समस्याओ ं जैसे जक शारीररक या
कुछ मदद जमल सके जैसे जक दैजनक देखभाल सेवा के न्द्र, मानजसक स्वास््य से जुिी समस्या अथवा रोजगार की
देखभालकिाण सहायिा समहु , स्वास््य एवं िंदरुु स्िी (जफटनेस) कक्षाएं समस्या, उनके समािान हेिु उजिि रे फरल िनाया जा
आजद। देखभालकिाण को मानजसक िीमारी, स्व-देखभाल, काननु ी सकिा है।
सहायिा आजद जवषयों से संिंजिि पाठ्य-सामग्री संसािन के रुप में
उपलब्ि करवाई जा सकिी है।
39
मानबिक स्वास््य िेवा के िामाबिक पहलू
डॉ. अरववद राि ई., िह-प्राध्यापक, मनोरोग िामाबिक कायय बवभाग, बनम्हान्ि
श्रीमती एनी िॉन पी., (पीएिडी स्कॉलर) नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
व षय पररचय:
स्वास््य और मानजसक स्वास््य के क्षेत्र में , जैव मनोसामाजजक मॉिल, एक आम पद्जि है, जो मानजसक िीमारी के कारर् और
व्यवस्थापन के िारे में ििािा है। जैव -मनोसामाजजक र्दजिकोर्, जैजवक, मनोवैज्ञाजनक, और सामाजजक कारकों और उनकी
आपसी जजटल प्रजिजक्रयाओ ं को ध्यान में रखकर स्वास््य, िीमारी, और स्वास््य सेवा प्रदान करने में मदद करिा है। यह
र्दजिकोर् िीनों कारकों - जैजवक, मनोवैज्ञाजनक और सामाजजक - पर एक साथ ध्यान कें जद्रि करने की जरूरि पर जोर देिा है
जजससे जक मानजसक रोग से पीजिि व्यजि और उसके पररवार के लोगों का प्रभावी देखभाल जकया जा सके । जै से जैजवक कारकों
पर जवमशण करने के जलए प्रासंजगक प्राकृ जिक जवज्ञान के इस्िेमाल की आवश्यकिा होिी है, उसी प्रकार सामाजजक कारकों पर
जविार करने के जलए सामाजजक जवज्ञान के इस्िेमाल की आवश्यकिा होिी है। इसजलए दोनों प्राकृ जिक और सामाजजक जवज्ञान
मानजसक स्वास््य सेवा जविरर् प्रर्ाली के जलए 'आिारभिू ' हैं। यही कारर् है जक सामाजजक कारक जसफण एक घटना नहीं है ,
िजल्क वे अपने स्िर पर एक वैज्ञाजनक िरीका हैं ठीक उसी प्रकार जैसा जक उनके जैजवक संिद्ों के िारे में कहा जािा है।
40
व्यजिगि और पररवार से संिंजिि जोजखम और सुरक्षात्मक कारक, जैजवक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक, व्यावहाररक और
पारस्पररक या पररवार के माहौल पर आिाररि हो सकिा है। इन कारकों का उम्र के साथ मानजसक स्वास््य पर प्रभाव पि
सकिा है और यह अगली पीजढयों को भी प्रभाजवि कर सकिे हैं। उदाहरर् के जलए, अवसाद और जीवन में जिंिा,
शैशवावस्था एवं प्रारंजभक िाल्यावस्था के दौरान यौन-शोषर् या ििपन में अजभभावकों की मानजसक िीमारी का पररर्ाम हो
सकिे हैं िथाजप सुर्दढ संिंि और पररवाररक, सामाजजक सहयोग द्वारा इस िरह के जोजखम को कम कर सकिे हैं। गभाण वस्था के
दौरान कुछ जोजखम भरे कारर्ों और प्रारंजभक जीवन में प्रजिकूल घटनाओ ं की वजह से मनोरोग की समस्याएं हो सकिी हैं।
वैवाजहक जीवन में कलह के कारर्, िच्िों में आिरर् संिंिी समस्याएं, मजहलाओ ं में अवसाद एवं पजि-पत्नी द्वारा शराि के
दरू
ु पयोग जैसी समस्याएं होने की संभावना रहिी है। िुजुगण जो शारीररक रूप से िीमार हैं उनको जिरकाजलक अजनद्रा की
समस्या, शराि की समस्या, वृद्ावस्था शोषर्, व्यजिगि क्षजि और जप्रयजन की मृत्य का शोक आजद जैसी समस्या हो सकिी
है । समस्याओ ं की वज़ह से ििाणव और जवकारों के व्यजिगि अिीि से अन्य जोज़िम कारक र्दढिापूर्ण जुिे हए हो सकिे हैं
जैसे जक अवसाद के जपछले दौरे (एजपसोि)। अवसाद के खिरे में वृजद्, जिंिा जवकारों से होिी है; और अवसाद के कारर् हृदय-
रोग का खिरा िाद में िढ जािा है। कभी-कभी ऐसे कारर् प्रक्षेप-पथ के कारर्वश ििपन में ध्यान में कमी और सजक्रयिा
जवकार (एिीएििी), उत्तरकालीन ििपन में व्यवहार समस्या, जकशोरावस्था के दौरान आिरर् जवकार, वयस्किा के दौरान
शराि-संिजं िि समस्याओ ं और अवसाद जैसी समस्याओ ं की किी को जन्म दे सकिी है।ये सि व्यजिगि एवं पाररवाररक
जीवन में महत्वपर्
ू ण स्थान रखने वाले जोजखमों और रक्षक कारकों के कुछ उदाहरर् मात्र हैं।
उपयणिु अनुच्छे द सूक्ष्म और स्थूल स्िर के सामाजजक जनिाणरकों को दशाण िा है जो मानजसक स्वास््य देखभाल में एक महत्वपर्
ू ण
भजू मका जनभािे हैं।
नीिे दी गई िाजलका सामाजजक पररप्रेक्ष्य से मानजसक िीमारी के जलए उत्तरदायी जवजभन्न जोजखम और सुरक्षात्मक कारकों को
सूिीिद् करिा है(WHO, 2004)।
42
मनो-सामावजक हस्तिेप(बीच-बचा )
मनो-सामाजजक हस्िक्षेप(िीि-ििाव), मनोसामाजजक आकलन में पहिान जकए गए मुद्दों के अनसु ार पीजिि व्यजि,
देखभालकिाण और समुदाय की जरूरिों के अनरू
ु प जकया जाना िाजहए।
वनष्कषस :
यद्यजप जनम्न और मध्यम आय वाले देशों में इस समस्या की पहिान में वृजद् हई है, परंिु एक महत्वपर् ू ण अंिर अभी भी
मानजसक जवकारों की समस्या का आकलन के जलए, उसकी रोकथाम के जलए रर्नीजि, नीजियों और कायणक्रमों को जवकजसि
करने के जलए अनसु ं िान के क्षेत्र में व्याप्त है। स्वास््य के सामाजजक जनिाण रकों पर कारण वाई के माध्यम से मानजसक जवकारों की
रोकथाम को और मानजसक स्वास््य को िढावा देने को सवोच्ि प्राथजमकिा जदए जाने की आवश्यकिा है। परू े जीवन-काल के
दौरान मानजसक जवकारों के जोजखम को कम करने के जलए, समुदाय और देश, दोनों ही स्िरों पर प्रभावी कारण वाई की जानी
िाजहए, जजसमें पयाण वरर्ात्मक, संरिनात्मक और स्थानीय हस्िक्षेप भी शाजमल है। इस प्रकार मानजसक जवकारों को रोकने के
जलए की गई कारण वाई से वहाँ की आिादी के मानजसक स्वास््य को िढावा जमलने की संभावना िनिी है।
43
एन.एम.एि.पी एवं डी.एम.एि.पी में पररिाररकाओं की भूबमका और बिम्मेदाररयां
डॉ. िाईलक्ष्मी गांधी, अपर प्राध्यापक एवं प्रमुख, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
श्रीमती पद्मावती डी, पीएिडी स्कॉलर, नर्सिग बवभाग, बनम्हान्ि
सामदु ाजयक / मनोजिजकत्सा पररिाररका, िी.एम.एि.पी टीम के एक महत्वपर्ू ण सदस्य होिे हैं। रोजगयों को जशजक्षि करना, के स के सिं ालन को
व्यवस्थीि और जोज़िम को जनयंत्रर् में रखना, आजद अनेक कायों में उनका योगदान रहिा है। अपनी ससं थान की और से वे जवािदेही भी होिे
हैं। िी.एम.एि.पी के जवजभन्न घटकों, जैसे की - सेवा व्यवस्थापन, साम्यण जनमाणर् और जागरूकिा के िीि पारस्पररक िाल - मेल िनाये रखने
के प्रिी भी उनका किणव्य िनिा है। िी.एम.एि.पी के अंिगणि कायणरि पररिाररकाओ ं की भजू मका प्राथजमक स्िर पर उपिार और मानजसक
जिमाररयों के प्रजि सज़ग रहने में भी होिी है। जवश्व स्वास््य सगं ठन के अनसु ार प्राथजमक स्वास््य देखभाल में पररिाररकाओ ं के जनम्नजलजखि
उत्तरदाजयत्व हैं - प्रत्यक्ष रूप से उपिार, सिु ारु रूप से व्यवस्थापन, अनसु न्िान, जाँि िथा जशजक्षि करना। िी.एम.एि.पी पररिाररकाओ ं की
भजू मका को मोटे िौर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उपिार करने में वगीकृ ि जकया जा सकिा है। िी.एम.एि.पी पररिाररकाओ ं द्वारा प्रत्यक्ष
रूप से उपिार, अंिरंग रोजगयों (जजला अस्पिालों, सामदु ाजयक स्वास््य कें द्रों, प्राथजमक स्वास््य कें द्रों में) एवं िाह् य रोजगयों (गांवों, स्कूलों,
मानजसक स्वास््य सस्ं थाओ)ं दोनों को प्रदान जकया जािा है।
44
45
46
अनुबंध – 1
1. Ahuja. N. (2010). Emergency Psychiatry. In: A short textbook of psychiatry, 7th Edition. Ed:. Jaypee
Publishers, New Delhi.
2. Beardslee W, Solantaus T, van Doesum K (2005). Coping with parental mental illness. In: Hosman C, Jané-
Llopis E, Saxena S, eds. Prevention of mental disorders: effective interventions and policy options. Oxford,
Oxford University Press.
3. Brown H, Sturgeon S (2005). Promoting a healthy start of life and reducing early risks. In: Hosman C, Jané-
Llopis E, Saxena S, eds. Prevention of mental disorders: effective interventions and policy options. Oxford,
Oxford University Press.
4. Director General of Health Services (DGHS): National Mental Health Programme for India. (1982) New
Delhi, Ministry of Health and Family Welfare.
5. Dyer C, Halford WK (1998). Prevention of relationship problems: Retrospect and prospect. Behavior
Change, 15(2):107-125.
6. Engel GL (1980). The clinical application of the biopsychosocial model. American Journal of Psychiatry,
137:535-544.
7. Girimaji, Satish. (2008). Clinical Practice Guidelines for the Diagnosis and Management of Children with
Mental Retardation. Bangalore: NIMHANS publications.
8. Hoefnagels C (2005). Preventing child abuse and neglect. In: Hosman C, Jané-Llopis E, Saxena S, eds.
Prevention of mental disorders: effective interventions and policy options. Oxford, Oxford University
Press.
9. Khurana, S., & Sharma, S. (2016). National mental health program of India: a review of the history and
the current scenario. International Journal Of Community Medicine And Public Health, 3(10), 2696-2704.
10. Kulhara, P., Grover, S., & Kate, N. (2015). Schizophrenia: Indian Research: I-Epidemiology, Clinical
Features Neurobiology and Psychosocial Aspects. In S. Malhotra& S. Chakrabarti (Eds.), Developments in
Psychiatry in India: Clinical, Research and Policy Perspectives (pp. 139-171). New Delhi: Springer India.
11. Lalitha, K. (2008). Mental Health and Psychiatric Nursing: An Indian Perspective. (1st ed, pp. 528-542).
Bangalore: VMG Book House.
12. Narayan, J. (2007). Intellectual disability: A manual for CBR workers. World Health Organization, Regional
Office for South-East Asia, Department of Non-communicable Diseases and Mental Health, Mental Health
and Substance Abuse.
13. NIMHANS (2004). Manual of Mental Health Care for Health worker;3 rd Ed: Jayanth printers; Bangalore
11, 63-72.
47
14. NIMH. (2016). Transforming the understanding and treatment of mental illnesses. Schizophrenia.
Retreived from https://www.nimh.nih.gov/health/topics/schizophrenia/index.shtml
15. Paul Harrison, Philip Cowen, Tom Burns, Mina Fazel. Shorter Oxford Textbook of Psychiatry, 7th Edition.
2018: Bell & Bain Ltd, Glasgow.
16. Psychiatric Emergencies. In: Kaplan and Sadock’s Synopsis of Psychiatry, 11th Edition. Ed: Sadock BJ,
Sadock VA, and Ruiz P. Wolter Kluwers, Philadelphia, 2014.
17. Sandler I, Ayers T, Dawson-McClure S (2005). Dealing with family disruption: divorce and bereavement.
In: Hosman C, Jané-Llopis E, Saxena S, eds. Prevention of mental disorders: effective interventions and
policy options. Oxford, Oxford University Press.
18. Sinha, S. K., &Kaur, J. (2011). National mental health programme: Manpower development scheme of
eleventh five-year plan. Indian journal of psychiatry, 53(3), 261.
19. Sreevani.R. A Guide to Mental Health & Psychiatric Nursing, 3rd Edition. 2010: Jaypee Brothers Medical
Publishers.
20. Tew J et al (2012). Social Factors and Recovery from mental health difficulties: A review of the evidence.
The British Journal of Social Work, 42(3): 443 -460
21. The ICD-10 Classification of Mental and Behavioural Disorder; World Health Organization; Geneva
22. Townsend, MC. (2011). Essentials of psychiatric mental health nursing (5th ed, pp. 606-612). Philadelphia:
F.A DAVIS company.
23. Van Os, J., &Kapur, S. (2009). Schizophrenia. Lancet, 374(9690), 635-645.
25. World Health Organization. (1993). The ICD-10 classification of mental and behavioural disorders:
diagnostic criteria for research (Vol. 2). World Health Organization.
26. WHO (2004). Prevention of mental disorders. Effective interventions and policy options WHO: Geneva.
29. https://www.pediatrics.org/cgi/content/full/120/5/e1313
30. https://www.digital.nhs.uk/media/...2-Common-Mental-Disorders/.../apms-2014-cmd
48
अनुबंध – 1
िाँि
बहस्री टेककग -
49
अतीत में घरटत घटनाएं
अतीत में रही पाररवाररक िमस्याएं: स्वास््य की बस्थबत, मनोरोग, घरेलू वहिा
शारीररक परीक्षण :
िाँि :
50
अनुबंध – 2
51
अनुबंध – 3
जिहार में मानजसक स्वास््य सेवा कें द्रों की जनदेजशका
52
बिहार में मानबिक स्वास््य देखभाल कें द्र
6 वािण नंिर 26, कलमिाग रोि हनमु ान मंजदर, babagarib1947@gmail.com -Not found - 0621-2249386
मजु फ्फरपरु -842001
नाम और पता ईमेल ेबसाइट एड्रेस फ़ोन नंबर
54
11
मानवसक स् ास््य संस्थान, कोइलवर, भोजपरु , -Not found - -Not found - -Not found -
जिहार - 802160
का ेरी-आईआरसीए (का ेरी इटं ीग्रेटेड ररहैवबवलटे शन
सेंटर फॉर एवडक्टटस) संघजमत्रा िस्ट की एक इकाई। िांसफॉमणर http://www.sanghmitratrust.org/kaveri.html +91 9934783802
12 sanghamitrapsy08@gmail.com +91 9835207915
ररपेयर सेंटर के सामने, आगम, कुआँ, छोटी पहािी, पटना, जिहार- http://www.sanghmitratrust.org/
800007
मनोपचार, मानवसक स् ास््य पनु ासस कें द्र, जपलर
https://manopcharmental-health-
13 नि
ं र -58, समनपरु ा, राजा िाजार, इद्रं परु ी, पटना, जिहार - -Not found- 09431423992
rehabilitation.business.site/
800014
17
सम ेदना न्यूरोसाइवकयावट्रक सेंटर, पाली रोि, गांिी info@samvednaneuro.co.in https://www.samvednaneuro.co.in/ 06184-253254
नगर, िेहरी, जिहार, 821307
वसनार (श्याम इस्ं टीटटयूट ऑफ न्यूरो-साइवकयाट्री
18
एडं ररहैवबवलटे शन), 51 एलआईसी कॉलोनी, जलेश्वर -Not found - https://deaddictioncentres.in/rehabcentre/sinar/ 09431062718
मंजदर रोि, कें द्रीय जवद्यालय के पास, कंकरिाग, पटना, http://www.neuromental.in/
जिहार
तपो न बहव कलागं पनु ासस सस्ं थान,142, एस.पी. 06254-243207
19
कॉलोनी, िरवि प्रसारे न, करनमय, पी.ओ. लालगढ, info.tapovanbihar@gmail.com
http://tapovanbihar.in 9852167545
पी.एस: मफु जस्सल, िेजिया आईटीआई रोि, जजला-
िेजिया, पजश्चम िंपारर्, जिहार, 838438
पीसीएचएस वफटनेस प्राइ ेट वलवमटे ड , जवद्या जवहार
20 पररसर, शभु िोक, हाजीपरु , वैशाली, हाजीपरु , जिहार, punamfitness@gmail.com http://www.pchsfitness.in/ 09801388767
844101
स्काई मानवसक नैदावनक मनो ैज्ञावनक और पोषण 07463822578
attemptshreekant.blogspot.com
कें द्र, श्रीकांत गौतम, सेक्टर 1l/ 12 पहला माला, https://sky-clinical-psychologist-and-
21 09852430310
महात्मा गािं ी नगर, काजं ि फै क्िी के पीछे , अजनरुद् हॉल nutritional.business.site/
एवं िैंक ऑफ ििौदा के पास, पटना, जिहार 800026
ात्सल्य मानवसक स् ास््य पुन ासस संस्थान, िस
22 स्टैंि रोि, प्रगजि पथ, िार्क्य नेशनल लॉ जवश्वजवद्यालय sudhakantpandey@gmail.com http://vatsalyamental.com/ 09430226941
के पास, मीठापरु , पटना, जिहार 800001
स्रोि
जिहार में मानजसक स्वास््य सेवा कें द्रों की जनदेजशका।
55
56
ANTIPSYCHOTICS -TYPICAL
ANTIPSYCHOTIC -ATYPICAL
ANXIOLYTIC
ANTI-MANIA
ANTI-DEPRESSANT
सी ी: अररथमीआज, इसीजी अिीि में जमगी से पीजिि रोजगयों पर जवशेष ध्यान दें
में िदलाव दवा िंद न करने की सलाह दें
दवा का नाम वगीकरर् ़िरु ाक दवा के दष्ु प्रभाव नजसिंग उत्तरदाजयत्व
आत्मघािी जविार, जमगी, जसरददण, रासेज, आत्महत्या की संभावना रहने पर रोगी पर किी
पसीने में वृजद्, वजन में कमी, यौन रोग जनगरानी रखें
सेरोटोजनन जसंड्रोम: (जि दो सेरोटोनजजणक ड्रग रोगी को दवा, सुिह जल्दी दें या लेने की सलाह दें
परस्पर प्रभाव िालिे हैं) लक्षर्ों में मानजसक
कै फ़ीन युि पदाथों से परहेज़ रखने की सलाह दें
जस्थजि में िदलाव, िेिैनी, मायोक्लोनस,
Selective Serotonin हाइपर ररफ्लेजक्सया, टैिीकाजिणया, लेजिल सोने से पहले उपयोग करने के जलए ररलैक्सेशन
Reuptake Inhibitors (SSRIs) ब्लि प्रेशर, िायफोरे जसस, कंपकंपी और कंपन िकनीक जसखाएं
TAB. ESCITALOPRAM 5mg शाजमल हैं।
(टैि. एससीजकटालोपराम) 10mg जसरददण होने पर जनिाणररि िौर पर एनाल्जेजसक दें
(सेलेवक्ट सेरोटोवनन रीअपटेक
इवन्हवबटसस / एसएसआरआइज) पयाणप्त भोजन दें
वजन, इनपटु और आउटपटु पर नज़र रखें
REFERENCE
1. Stephen M. Stahl (2005);Essential Psychopharmacology. The Prescriber’s Guide; Cambridge university press. New York;
pp-13,47,57,109,157,175,189,213,223,247,265,335
2. Lippincott Williams&wilkins(2003);Nursing drug handbook;23edition;Awolters company,springhouse,PA;pp;408-472
3. Niraj Ahuja,(2010);A short textbook of Psychiatry; 7th edition New Delhi. Jaypee brothers; pp-173-197
61
यह पस्ु तक, अनसु धं ान परियोजना हेत,ु िाष्ट्रीय स्वास््य मिशन औि
िाज्य स्वास््य समिमत, मिहाि के सिर्थन से मनम्हान्स द्वािा अनुवामित
औि िमु ित की गई है – “मिहाि के मजलों िें डी.एि.एच.पी. िें
कायथित परिचारिकाओ ं के मलए प्रमशक्षण, पिािशथ औि कौशल
मवकास" ।