You are on page 1of 300

बीएड – 107

1987
वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा

Pedagogy of General Science


सामा य िव ान का िश ण शा

1
पाठ् य म अिभक प सिमित
संर क अय
ो. अशोक शमा ो. एल.आर. गु जर
कु लपित िनदेशक (अकादिमक)
वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा
संयोजक एवं सद य
** संयोजक * संयोजक
डॉ. अिनल कु मार जैन डॉ. रजनी रं जन िसंह
सह आचाय एवं िनदेशक, िश ा िव ापीठ सह आचाय एवं िनदेशक, िश ा िव ापीठ
वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा
सद य
ो. (डॉ) एल.आर. गु जर ो. जे. के . जोशी
िनदेशक (अकादिमक) िनदेशक, िश ा िव ा शाखा
वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा उ राखं ड मु िव िव ालय, ह ानी
ो. िद य भा नागर ो. दामीना चौधरी (सेवािनवृ )
पू व कु लपित िश ा िव ापीठ
ज.रा. नागर राज थान िव ापीठ िव िव ालय, उदयपु र वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा
ो. अिनल शु ला डॉ. रजनी रं जन िसंह
आचाय, िश ा सह आचाय एवं िनदेशक, िश ा िव ापीठ
लखनऊ िव िव ालय, लखनऊ वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा
डॉ. अिनल कु मार जैन डॉ. क ित िसंह
सह आचाय, िश ा िव ापीठ सहायक आचाय, िश ा िव ापीठ
वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा
डॉ. पतं जिल िम डॉ. अिखलेश कु मार
सहायक आचाय, िश ा िव ापीठ सहायक आचाय, िश ा िव ापीठ
वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा
*डॉ. रजनी रं जन िसं ह,सह आचाय एवं िनदेशक, िश ा िव ापीठ 13.06.2015 तक
**डॉ. अिनल कु मार जैन, सह आचाय एवं िनदेशक, िश ा िव ापीठ 14.06.2015 से िनर तर
आभार
ो. िवनय कु मार पाठक
पू व कु लपित
वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा
अकादिमक एवं शासिनक यव था
ो. अशोक शमा ो. एल.आर. गु जर
कु लपित िनदेशक (अकादिमक)
वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा

ो. करण िसंह डॉ. सुबोध कु मार


िनदेशक अित र िनदेशक
पाठ् य साम ी उ पादन एवं िवतरण भाग पाठ् य साम ी उ पादन एवं िवतरण भाग
वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा वधमान महावीर खु ला िव िव ालय, कोटा
पु नः उ पादन 2015 ISBN : 978-81-8496-560-5
इस साम ी के िकसी भी अं श को व.म.खु .िव.िव., कोटा, क िलिखत अनु मित के िबना िकसी भी प म अ य पु नः तु त करने क अनुमित
नह है। व.म.खु .िव.िव., कोटा के िलए कु लसिचव, व.म.खु .िव.िव., कोटा (राज थान) ारा मु ि त एवं कािशत ।

2
3
पा य म अ भक प स म त

अ य
ो. (डॉ.) नरे श दाधीच
कुलप त
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा (राज थान)

संयोजक / सद य
संयोजक
डॉ. दामीना चौधर
सह आचाय, श ा
वधमान महावीर खु ला व व व यालय. कोटा (राज.)
सद य
1. ो. पी. के. साहू 2. ो. डी. एन. सनसनवाल 3. ो. सोहनवीर संह चौधर
श ा वभाग दे वी अ ह या व व व यालय, इि दरा गांधी रा य मु त
इलाहाबाद व व व यालय (उ .) इ दौर (म. .) व व व यालय,
नई द ल
4. ो. आर. पी. ीवा तव (से . न.) 5. ो. एस. बी. मे नन 6. डॉ. एम. एल. गु ता
जा मया म लया इ ला मया द ल व व व यालय, सह आचाय श ा (से. न.)
व व व यालय, नई द ल वधमान महावीर खुला व व व यालय,
नई द ल कोटा (राज)
7. ो. आर. जे . संह 8. ो. नेह. एम. जोशी 9. डॉ. अ नल शु ला
लखनऊ व व व यालय, लखनऊ (उ एम. एस. व व व यालय, लखनऊ व व व यालय, लखनऊ (उ
.) बड़ौदा गुजरात .)

संपादन तथा पाठ लेखन


संपादक
1. डॉ. राजपाल संह
ो. एवं अ ध ठाता (से वा नवृ त) श ा संकाय
वन थल व यापीठ, ट क
पाठ ले खक
1. डॉ. जे . एस. नेगी 2. डॉ आरती कालानी
से. न. ाचाय ी व प गो वंद पा रक नातको तर
जवाहर लाल ने ह श क श ण श ा
मह व यालय, कोटा मह व यालय, जयपुर

अकाद मक एवं शास नक यव था


ो. (डॉ) नरे श दाधीच ो. अनाम जैतल ो. पी. के. शमा
कु लप त नदे शक नदे शक
वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा संकाय वभाग पा य साम ी उ पादन एवं वतरण वभाग

पा य म उ पादन
योगे गोयल
सहायक उ पादन अ धकार
वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

उ पादन : जनवर 2008


सवा धकार सु र त : इस साम ी के कसी भी अंश क वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा क ल खत अनु म त के
बना कसी भी प म ‘ म मया ाफ ' (च मु ण) के वारा या अ यथा पु न: तु त करने क अनु म त नह ं है ।
व. म. खु . व, कोटा के लये कुलस चव, व. म. खु . व, कोटा (राज) वारा मु त एवं का शत।

4
BED—107
सामा य व ान
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा (राज.)

अनु म णका
इकाई पृ ठ सं या
1. वषयव तु े क संरचना, इ तहास, आधारभू त स या मक योजना एवं 07
भव य पर े य
2. व ान श ा के भ व य केि त उ े य 26
3. व यालय पा य म म व ान का थान, व भ न तरो एवं े से 44
स बंध, एक प / व श ट पा य म के उपागम
4. व ान म पा यचया त व एवं सं ाना मक संक पना मान च 77
5. व ान श ण व धयाँ, वषयव तु स बि धत उदाहरण एवं कौशल 82
6. व ान श ण म मा यम एव मा यम एक करण 106
7. नयोजन : स ीय इकाई व दै नक पाठ योजना 113
8. व ान श ण म मापन एवं मू यांकन, नदाना मक एवं उपचारा मक 149
पर ण, बहु चयना मक न का सेट का नमाण, व ान वषयव तु पर
आधा रत न बक का नमाण, खु ल पु तक णाल हे तु आधा रत न
9. व ान श ण म अनुदेशा मक साम ी का वकास, पा यपु तक, का 186
नमाण एवं मू यांकन
10. व श ट श ण साम ी का नमाण एवं मू यांकन 204
11. व ान श क क सम याएं एवं समाधान 221
12. संसाधन — क ाक , योगशाला, सं हालय, सामु दा यक पयावरण, 239
पु तकालय
13. व ान श ण म नवाचार एवं उनका भ व य 280

5
6
इकाई — 1
वषयव तु े क संरचना, इ तहास, आधारभू त स या मक
योजना एवं भ व य प र े य
(Structure of Content area, History, Basic conceptual
Scheme and future perspectives)
इकाई क संरचना (Structure of the unit)
1.0 तावना (Introduction)
1.1 उ े य (Objectives)
1.2 व ान का अथ (Meaning of Science)
1.3 कृ त (Nature)
1.4 वषयव तु क संरचना (Structure of Content Area)
1.5 इ तहास (History)
1.6 े (Scope)
1.7 मह व (Importance)
1.8 वमू यांकन (Self Assesment)
1.9 संदभ थ (Reference)

1.0 उ े य
(Objectives)
इस इकाई के अ ययन के उपरा त यह अपे त है क आप :—
1. व ान क अवधारणा प ट कर सकगे ।
2. व ान क कृ त, वकास े एवं मह व का ववरण तु त कर सकेगे ।
3. व ान के वकास क ऐ तहा सक पृ ठभू म को सं त प म तु त कर सकगे ।
4. आधु नक समाज मे व ान का मह व प ट कर सकगे ।
5. वै ा नक व ध एवं वै ा नक अ भवृि त क अवधारणाओं को प ट कर सकगे ।

1.2 तावना
(Introduction)
आधु नक व ान क व व तर य च तन एवं सामािजक संसाधन का वकास मे मह ती
भू मका कहा जा सकता है । यह एक स य है । आधु नक और पर परागत समाज मे मूल अ तर यह
है क पूववत वकास म व ान पर आधा रत ौ यो गक का अभाव है , जब क आधु नक समाज म
व ान पर आधा रत ौ यो गक के उपयोग एवं वकास क ग त अ वरल वेग वृ य से बढते जा

7
रहे है । व ान एक मूल वषय का (Set of Basic Subjects) है । वतमान म हम व ान को
भौ तक, सामािजक जैसे संवग म बांटते है । तु त इकाई म हमारा व ान से अ भ ाय भौ तक व ान
एवं जीव व ान (Physical Science and Biological Science) से है । भौ तक व ान के
उ व काब नक का आधार अकाब नक एवं काब नक पयावरण (Inorganic and Organic
environment) को समझने क मानव क िज ासा से है । इसके लये सतत यास कये गये । यास
क इस अनवरत खृं ला म मनु य को कई कार के अनुभव हु ये । उसने य अथवा अ य प
से अपनी िज ासा क तृि त के लये कई त य को एक त कया उनका अपने बु — ववेक से व लेषण
एवं सं लेषण (Analysis and synthesis) कया । इसके उपरा त उसने आगमन— नगमन उपागम
(Approaches) म तकसंगत न कष नकाले । मानव यास के यह प र कृ त (Refined) और
यवि थत (systematic) प रणाम भौ तक व ान है । कसी काल मे इन व ानो क वशेषताओं
को उस स यया मक ताने—बाने से ात कया जा सकता है िजससे वे न मत हु ये है । साथ ह यह
भी स य है क ये भौ तक व ान इन सं यय को ात करने म वयं भी सहायक है । इनम मु ख
है: संसार क रचना से स बि धत मा यताय, संसार के स ब ध म या ात कया जा सकता है,
वै ा नक ववेचना के लये कैसी पदावल उपयु त है आ द । व ान क मू लभू त संक पनाओं म समय
के साथ संशोधन एवं प रवतन होता रहता है । व ान के इ तहास का अ ययन कया जा सकता है
ले कन ये इ तहास मानवीय इ तहास से भ न होगा एवं क ठन होगा । व ान के आधार नर तर
प रव तत होते रहे है । इसम व भ न कार क ज टल सम याय आती है । इन व ान के वकास
माग म हम दे खते ह क कई ऐसे मह वपूण त य आते ह, िज ह वतमान प र े य म चम का रक
(Mystic) कहा जाता है । क तु इनक भी व ान के वकास म मह वपूण भू मकाय रह है । यहां
भौ तक व ान क ऐ तहा सक या ा का ववरण दे ना न तो स भव ह और न ह समीचीन । क तु
इस दशा म एक वहंगम ि ट डालने का यास अव य कया जा रहा है ।

1.2 व ान का अथ
(Meaning of Science)
साइंस (Science) को यु पि त के आधार पर प रभा षत करते हु ए हम व भ न समानाथ
यूरोपीय श द को पाते है । ले टन साइं शया ( Latin Scientia) इनम मु ख ह । इसका अथ अ धगम
(Learning) और अ भ ान (Knowledge) है । इसका मूल ( Origin) “साइर (Scire)” म न हत
है, िजसके न हताथ जानना (To know) और सीखना (To Learn) है । इस कार कसी भी
गुणवाचक (Qualifying) वशेषण के साथ जु ड़कर यह ानशा वशेष बनाता है: यह वशेषण
सामािजक (Social), भौ तक (Physical), ाकृ तक (Natural) ाणी (Biological) आ द के साथ
जु ड़कर संगत ानशा सामािजक व ान भौ तक व ान, ाकृ तक व ान आ द बन जाते ह । व ान
का अथ “ व” ( व श ट), “ ान” (Knowledge) से व श ट ान (Specific Knowledge) बनता
है । ान परम ् स य (Ultimate reality) से सा ा कार है । यह अपने आप म अलौ कक है । यह
'' व'' उपसग जु ड़ जाने से लौ कक ान का वषय बन जाता है । इस कार व ान भौ तक लगत
(Physical World) के पदाथ का मब अ ययन है । यह पदाथ से स बि धत त य का एक ीकरण

8
(Collection) भी कहा जा सकता है । अत: व ान मा ड क येक थू ल व तु का पूण अ ययन
है ।
काया मक ि ट से (Functionally) व ान क न न ल खत प रभाषाय द जा सकती
है :—
1. ायो गक व ध से ा त ान क या (Process of emprical Knowledge) :—
व ान स य क खोज (Discovery of eternal knowledge) को कहते है । स य वह ह जो
ानेि य (Sense organs) से जाना जा सके । जो योग वारा स कया जा सके । वह ं स य
हे । अत: योग के वारा पयावरण (Environment) क जानकार ा त करना ह व ान है । इन
योग म नये—नये अनुभव ( Experience) होते है । इन नवीन अनुभव से नयी खोज के लये माग
श त होते है । इस कार नयी खोज क उपज को व ान कहते है । व ान नयी खोज को रे णा
दान करता है तथा वयं इनके वारा वक सत होता है ।
2. समायोजन क व श ट शैल (Special style of adjustment) :— व ान जीवन क
एक प त है । जीवन मे व भ न प रि थ तयाँ आती है । इनम यि त को समायोजन (Adjustment)
करना होता है, इन जीवन प रि थ तय (Life situations) का व प सम या मक (Problematic)
होता है । इन सम याओं के लये सह हल ढू ं ढने म ह यि त का वकास नभर करता है । व ान
इसके लये व श ट प त दान करता है । इसको वै ा नक व ध (Scientific method) कहते
है । इस व ध को उपयो गता के आधार पर अनुसंधान व ध (Research Method) भी कहते है।
काल पयसन (Karl Pearson) ने इस दशा म मह वपूण योगदान दया उनके अनुसार इस व ध
म सि म लत पद इस कार ह:—
— सम या का कथन (Statement of the problem)
— सम या स ब धी त य का एक ीकरण (Collection of facts relevant to the
problem)
— सू ब प रक पनाओं के आधार पर पयवे ण यो य त य का पूवानुभव (Prediction of
observable phenomena deducable from each hypothesis)
— पूवानुमा नत त य का होने या न होने का पर ण वारा प रक पनाओ को वीकार या नर त
या उसम सशोधन करना (Observation of the occurvance of non—occurvance
of the predicted phenomena)
— प रक पनाओं को वीकार या नर त या उसम सशोधन करना । (Acceptance or
rejection or modification of the particular hypothesis)
— वीकृ त प रक पना का पुन: पर ण । (Retesting of the accepted hypothesis
again and again)
3. च तन क अ भ न या (Unique process of reasoning) : च तन क दाश नक
प तयां आगमन (Inductive) और नगमन (Deductive) है । तकशा म इनका उपयोग, ार भ
से ह चला आ रहा है । व ान के उ व और वकास के साथ व लेषणा मक (Analytic) और

9
सं लेषणा मक (Synthetic) योग होने लगा व धय को भी आज व ान अपने नणयन म अन
चार तकनीक का उपयोग करता है । इनके संयोग से च तन और नणयन क वै ा नक व ध
(Scientific Method) का वकास हु आ है । यह इस युग के अ ययन क सवा धक लोक य और
व वसनीय व ध है |
4. वै ा नक व ध से पारं ग त (Mastery in Scientific method) : — व ान जीवन म
सम या समाधान के लए भावी और व वसनीय व ध म श ण क से ि थ तय (Situation for
training) है । इस व ध म ग त ह व ान का परम ् ल य ह । इस व ध के मु ख सोपान इस
कार ह: —
1. सम या को अनुभव करना (Sensing the problems) : — येक वै ा नक सव थम
अपने े से स बि धत सम या का अनुभू त करना है । अपने न य के े ण एवं
काय—कलाप से उसको कसी कमी का आभास होता है । उसके मन म कोई न उठता है।
यह से च तन (Thinking) क या ार भ हो जाती है । वै ा नक उस न का समाधान
खोजने के लये त पर हो जाता है ।
2. सम या को प रभा षत करना (Defining the problems) :— इस चरण म
अनुसंधानक ता सम या के व भ न पहलुओं पर वचार करने के उपरा त उसक सीमाय
नि चत करता है एवं अनुसध
ं ान यो य सम या को प रभा षत करता है ।
3. सम या से स बि धत सा ह य का अ ययन (Studying the Related Literature)
:— अनुसध
ं ानक ता अपनी सम या से स बि धत सा ह य का अ ययन कर यह जानने का
यास करता है क उस सम या के संबं धत हल के या न कष नकले ? इनक सहायता
से वह सम या का संभा वत हल अनुमान लगाने का यास करता है ।
4. ा क पनाओं को सू ब करना (To Formulate Hypotheses) :— अब अ येता
(Pupil) पूव ान के आधार पर अनुमान वारा सभी संभा वत समाधान क सूची बनाता
है । इन सभी संभा वत समाधान को ा क पना कहते है ।
5. ा क पनाओं का पर ण (Testing of Hypothesis) :— ा क पनाओं के चयन के
प चात ् अनुसध
ं ानक ता प रक पनाओं क जांच करता है । अथात ् वह यह जानने का यास
करता है क उसे वारा अनुमा नत समाधान या सम या का वा त वक एवं व वसनीय हल
है । इस काय हे तु वह न न चरण से गुजरता है :
अ) योग क योजना बनाना (Planning for Experiment) :— यहां अनुसंधानकता योग
क परे खा नि चत करता है उसके लये आव यक उपकरण एवं साधन जु टाता ह तथा
अवां छत प रि थ तया (चर ) को नयि त करता है ता क सम या एवं समाधान के बीच के
स ब ध का अवलोकन कर सके ।
ब) योग करना (Experimentations) :— इस चरण म खोजक ता योग करता है । सवा धक
सु ाह उपकरण से मापन करता ह व तु न ठ े ण लेता है, आव यकतानुसार उनके अ भलेख
तैयार करता ह एवं प रि थ तयां बदलकर पुन: े ण करता है । इस कार वह द त का
संकलन करता ह ।

10
स) द त का संगठन एवं व लेषण (Organization and anlaysis of data) :— ा त
द त का सारणीकरण एवं व लेषण करके अनुसध
ं ानक ता इनसे मह वपूण न कष नकालता
है वह यह जानने का यास करता है क व भ न प रि थ तय मे उसके वारा अनुमा नत
हल (hypotheses) सम या का सह समाधान ह अथवा नह ं अथात ् ा क पना योग
वारा स या पत होती है या नह । य द उसक ा क पना स य होती है ता वह आगे लखे
चरण के अनु प काय करता है अ यथा दूसर ा क पना का चयन करता है तथा उसे जांचने
हे तु उपयु त याय दोहराता है ।
6. सामा यी करण एवं नवचन (Interpretation and Generalization) :— ा क पनाओ
क जांच के बाद य द वह स य स होती ह तो अनुसधानक ता इससे संतोष नह ं कर लेता।
वह नई प रि थ तय म अपने योग को एका धक बार दोहराता है । य द फर भी प रक पना
स य स होती ह तो वह सम या के समाधान का सामा य स ा त तपा दत करता है
िजन प रि थ तय मे स ा त सह नह ं होता उनके कारण स हत या या करता है ।
7. तवेदन (Reporting) :— अनुसंधानक ता वारा कसी सम या से ा त समाधान का
उपयोग एवं जांच अ य यि तय वारा क जासके इस हे तु वह अपने योग का तवेदन
लखता ह एवं उसे का शत कराता है । प रणाम व प दूसरे अनुसधानक ता उस योग क
पुनरावृि त नवीन प रि थ तय म करके उसके स ा त क या तो पुि ट करते ह या उसम
संशो धत करते है । इस कार नवीन ान का सृजन एवं शोधन होता है ।
वै ा नक व ध के अ भला णक गुण ( Characteristics of Scientific Method) :—
वैसे तो वै ा नक व ध क अनेक वशेषताय ह पर तु कु छ मह वपूण वशेषताय न न ल खत ह:
 वै ा नक व ध य अनुभव (जैसे अवलोकन , े ण, पश, गंध आ द) पर आधा रत होती
है ।
 वै ा नक व ध म व लेषण का वशेष मह व है । कसी सम या को छोटे —छोटे अवयव म
वभ त करके समझने एवं हल ढू ं ढने का यास व लेषण कहलाता है ।
 वै ा नक व ध म ा क पना का वशेष थान है । जब कभी हम क ह ं दो चर को एक
साथ घ टत होते दे खते ह तो तुर त उपके बीच कसी स ब ध क क पना कर लेते है । यह
या हम सम या के का प नक समाधान या ा क पना नमाण म सहायक होती है ।
 वै ा नक व ध मे व तु न ठ मापन अंकन का अ य धक मह व है । अनुसंधानक ता का सतत ्
यास रहता है क उसके वारा कया गया मापन / अंकन अ य धक वैध (Valid), व वसनीय
एवं व तु न ठ है ।
 वै ा नक व ध पूवा ह से मु ि त एवं व तु न ठता को मह व दे ती है । इस व ध म न कष
कसी यि त क अपनी धारणाओं के आधार पर नह ं नकाला जाता, इसम यि त क
संवेगा मक आसि त या प पातपूण तक के लये कोई थान नह ं होता है।
 वै ा नक व ध काय—कारण स ब ध पर आधा रत है । येक घटना का कोई कारण हाता
है । इसी धारणा के आधार पर इस व ध वारा सवमा य कारण क खोज क जाती लै ।

11
 वै ा नक व ध आगमन— नगमन का ह एक प है । पहले े ण क सहायता से सामा य
नयम क खोज होती ह उसके बाद उन नयम का उपयोग व श ट घटनाओं क या या
म कया जाता है ।
वै ा नक व ध म श ण (Training in Scientific Method) : — छा को वै ा नक
व ध मे श ण दे ना य आव यक है यह हम उपरो त ववरण मे दे ख चु के है । अब हम यह दे खगे
क वै ा नक व ध म बालक को श ण दे ने हे तु अ यापक या कर ? अ यापक वारा इस ल य
क ाि त के लए न नां कत अपे त ह:—
1. श क हमेशा यान रख क उसका उ े य व ान क वषयव तु पढ़ाना मा ह नह ं ह वरन ्
उसके वारा वै ा नक व ध मे श ण दे ना है तथा छा म वै ा नक ि टकोण उ प न
करना है ।
2. श क ऐसी प रि थ तय का सृजन कर िजसम बालक वयं अथवा श क के साथ वै ा नक
व ध का सतत ् उपयोग करते हु ए व ान का अ ययन कर ।
3. अ यापक का यवहार जनतां क एवं बालक वारा योग करने म सहायक ह । य द बालक
को योग क परे खा के नमाण एवं या वयन क वत ता नह ं होगी तो वै ा नक व ध
का श ण स भव नह होगा ।
4. व ान श ण क व भ न व धय (जैस—
े योग, दशन व ध, योगशाला व ध, खोज
व ध, सम या समाधान व ध एवं ोजे ट व ध का उ चत उपयोग करके वै ा नक व ध
का श ण दया जा सकता है । योग— दशन व ध म अ यापक छा के स मुख सम या
रखकर वचार— वमश वारा उसे प रभा षत करता ह, ा क पना नमाण करता है, उपयु त
योग क परे खा बनाता ह, योग द शत करता है, े ण क या या करता है एवं सम या
का हल नकालता है । इसी कार अ य व धय म बालक वयं ये याय करते है । एवं
अ यापक उ ह सहायता पहु ंचाता है । उदाहरणाथ योगशाला व ध म य द श क योग का
उ े य सम या के पम तु त कर तो वै ा नक व ध के चरण का उपयोग करते हु ये ओहम
के नयम ऐसे ह अ य नयम का तपादन कर सकगे ।
5. श क वषय—व तु के श ण म धैयपूवक सतत ् यास कर एवं जब भी संभव हो बालको
को बार—बार ऐसी प रि थ तय मे रख क वे वै ा नक व ध के चरण से गुजरते हु ये वां छत
कौशल वक सत कर सके ।
वै ा नक अ भवृि त के वकास क या (The Process of Developing the
Scientific Attitude):— व ान सतत ् च तन एवं मानवीय गुण के त संवेदनशीलता को
अ भवृि त को वक सत करने का साधन है । सामा यत: वै ा नक अ भवृि त का अथ कुछ मानवीय
गुण से यु त उस ि टकोण से लया जाता है जो लगभग सभी वै ा नक म पाया जाता है । एवं
िजसके रा ये मानव मा के लये उपयोगी अनुसध
ं ान काय मे सतत ् य नशील रहते है । दूसरे श द
म हम यह कह सकते है । क सामा यतया सभी वै ा नक अपने अनुसध
ं ान काय म समान प से
सोचते है एवं काय करते है । उनके सोचने एवं काय करने क प त म कायकारण स ब ध म व वास
को वै ा नक अ भवृि त कहते है । वै ा नक अ भवृि त मे वै ा नक के न न ल खत गुण सि म लत
है : —

12
1. वै ा नक खु ले मि त क (Open minded) वाले होते है । वे पूवा ह से मु त (Free from
prejudices) होते है | उनम “लचीलापन” होता है । जब भी कोई नया त य कसी भी यि त
वारा उनके स मुख लाया जाता ह तो वे तुर त अपने वचार प रवतन के लये त पर
(Ready) रहते है ।
2. वै ा नक शंकालु होते है । वे कसी भी बात को आसानी से वीकार नह ं करते । चाहे उसको
कसी ने भी य न कहा हो
3. वै ा नक अपने नणय को टालते है । अथात ् जब तक पया त एवं य माण न मल
जाए, वे कसी न कष पर नह पहु ंचते है ।
4. वै ा नक वांधर हत (Selfless) काय करते है । उनका काय न केवल वयं के लये, या
अपने प रवार के लये या अपने रा के लये होता है, अ पतु संपण
ू मानव मा के लये होता
है ।
5. वै ा नक अंध व वासी एवं भा यवाद नह होते है । ये व भ न च लत शकुन —अपशकुन
पर पराओं, ढय एवं अंध व वास को नह ं मानते है । भूत— ेत, जादू—टोना आ द के लये
उनके जीवन म कोई थान नह ं होता है । यो क ये घटनाएं योगो एवं व तु न ठ च तन
पर आधा रत नह ं होते है ।
6. वै ा नक यवि थत एवं यथाथ पर व वास करता है । यथाथ वह है िजसका ानेि य से
अनुभव हो सके ।
7. वै ा नक म नभ कता एवं वन ता होती है । वे अपने स ा त का न पण नभ कतापूवक
कट करते है । चाहे वे च लत धा मक, राजनै तक या अ य कसी धारणा के तकूल ह
य न हो ।
वै ा नक अ भवृि त वक सत करने क आव यकता (To develop the need of
Scientific Attitude) : वै ा नक ि टकोण से स बि धत मानवीय गुण को दे ख तो िज ासु,
ईमानदार, नभ क, प र मी, धैयवान, वाथर हत एवं खुले मि त क वाले यि त ह रा एवं मानव
मा के क याण के लये काय कर सकते है । यह कारण है क हम बालक म वै ा नक ि टकोण
वक सत करना अ नवाय व ान श ण का एक मु ख ल य मानते ह।
वै ा नक अ भवृि त के वकास के उपाय ( Means) : — अ यापक बालको म वै ा नक
अ भवृि त के वकास हैतु न न ल खत उपा य कर सकता है:
1. वह बालक को वै ा नक अ भवृि त का ान दे । उसका अथ प ट कर एव प ट कर क
इन गुण से ह वै ा नक महान ् आ व कार करते है । इस काय हे तु अ यापक छा को
वै ा नक क जीव नय से अ भ े रत कर सकते है ।
2. अ यापक म वयं वै ा नक अ भवृि त हो । उसके मन, वचन, कम म यह गुण त बि बत
होना चा हये ।
3. अ धकतर बालक ज म से ह िज ासु (Curious) होते ह । वे बचपन म अपने पयावरण
(Environment) के स ब ध म कई न पूछते है । पर तु न तो अ भभावक और न
अ यापक ह उसके न का उ तर दे ते है । वे उसको डांट तक दे ते है । इस कार बालक

13
क वाभा वक िज ासा वक सत होने के थान पर वह बचपन म ह समा त हो जाती है।
भ व य मे बालक कभी भी न नह पूछते । अत: अ यापक को चा हये क वह क ा म
जनतां क वातावरण का सृजन कर , िजससे बालक उसके मन म आये न अ यापक से
पूछ सके । अ यापक बालक को न पूछने के लये ो सा हत करे । उसक िज ासाओं को
संतु ट करने के लये यास करे|
4. येक समाज म कुछ अंध व वास च लत होते है । उ ह दूर करने के लये अ यापक को
योग एवं आंकड़ो का सहारा लेना चा हए ।
5. व ान श ण क वै ा नक व धयां भी वै ा नक अ भवृि त के वकास म सहायक होती है।
इनम योगशाला, खोज, ोजे ट दशन यू रि टक मु ख है । श क को अपने श ण
म इन व धय को ह ाथ मकता दे नी चा हये ।
6. वै ा नक अ भवृि त का सतत ् आ त रक मू यांकन भी अ यापक करते रह । िजन बालक
म वै ा नक अ भवृि त से स बि धत कोई भी गुण पाया जाय , उसक शंसा क जाय ।
वमू यां क न
1. व ान क प रभाषाय कन दो वग म रखी जा सकती ह ?
1)______________________________________________________
2. वतीय सं व ग क कोई चार उदाहरण द िजये ।
1)_____________________________________________________
2)______________________________________________________
3)______________________________________________________
4)______________________________________________________
3. वै ा नक व ध और अ भवृ ि त म या अं त र है ?
________________________________________________________
________________________________________________________

1.3 व ान क कृ त
(Nature of Science)
व ान एक यापक अवधारणा है । इसक ऐ तहा सक पृ टभू म व व क सभी ाचीन
सं कृ तय म या त है । भारतीय ऋ षय ने िजन ाकृ तक रह य को हजार वष पूव उ घा टत कया
था, वे अभी तक कपोल कि पत मान जाते थे । क तु आधु नक व ान अब उ ह ह अपनी महान ्
खोज मानता है । आधु नक व ान वशु प से पा चा य है । इस लए यहां इसी संदभ म इसक
ववेचना क जा रह है । भारतीय व ान क ववेचना एक यापक और ज टल काय है । यह दशन
और धम म इतना घुला— मला है क इसका एक अलग अनुशासन के प म तु त करना दु कर है
। पा चा य आधु नक व ान तो इसक तुलना म सतह है । क तु अ ययन इसी का कया जा रहा
है । व ान के सामा य व प या या ह उसक कृ त मे न हत है । व ान ान व ानाजन
व ध दोनो से ह स बि धत ह व ान के दो व प या दो प होते है । एक ि थर प जो स ा त
पर आधा रत ह एवं दूसरा ग तशील प जो व ान क ायो गक या से स बि धत है । अत: हम
व ान को दो प म व ले षत कर सकते है:—

14
व ान एक उ पादन के प म (Science as a production)
व ान एक या के प म (Science as a process)
थम प के अ तगत व ान म नि चत त य स ा त, मा यताय, नयम एवं वचारधाराऐं
आ द को सि म लत कया जाता है ।
वतीय प के अ तगत त य , नयम को नि चत करने क व ध है िजसे हम वै ा नक
व ध कहते है, सि म लत है । वै ा नक अ भवृि त इसी प के अ तगत आती है इस लए कहा जाता
है व ान सं ा क अपे ा या अ धक है (Science is more a verb then it is a noun)
दूसरे श दो म हम कह सकते है व ान का थम प ि थर ह जो क सै ाि तक है और
दूसरा प ग तशील है या ग या मक है जो या मकता को अ धक बल दे ता है । रचनाकार सू म
व लेषण के उपरा त व ान क कृ त को न न ल खत ब दुओं म तुत करते है जो क व ान
क पूण प रभाषा को समझने के लए आव यक है ।
1. व व क कृ त का ान (Nature of Universe) :— कृ त म अनेक नय मतताये
(Regularities) है | ा मान (Momosapious) एक जा त ि पशीज— (Species) के प म उ व
(Emergency) से ह मानव मा को इनक पहचान जी वत रहने के लए आव यक है । सू य और
च मा अपनी दनचया (Periodically) अपनी दै नक और वा षक ग तय (Daily and annual
motions) म नर तर पुनरावृि त करते रहते है । ये ग तयाँ अनेक आकाशीय घटनाओं ( Terrestrial
events) से सहस बि धत है । दन और रा (Day and Night) मानव अि त व को आधा रक
(Basic) लय (Rhythm) उपल ध करते है । ऋतु एं पशु—प य के वास (Migration) को नधा रत
करते है । इस पर सह ाि दय (Millenia) से मानव जीवन नभर है । कृ ष के वकास से ऋतु— ान
मानव जीवन क नर तरता के लए नणायक बन गया है । य क अनाज के उ पादन के लए अनुकूल
समय— नधारण न हो तो मनु य भुखमर ( Starvation) का शकार बन जायेगा । मानव अि त व
के उषाकाल से ह वइग़न ाकृ तक याओं (Natural process) के अ भ ान के प म जाना
जा रहा है । इसमे ाकृ तक नयम क पहचान एवं थापन (Recognition & Establishment
of regularities) सि म लत है |
2. संशय का उ व (Emergence of Suspicion) : — ाकृ तक व ान क प रपूण प रभाषा
ाकृ तक नयम क पहचान और थापना म अपविजत (Exhaust) नह हो जाती । मह वपूण
स भावना यह है क नयमन (Regularity) मानव मन क उपज हो । मन अ व— य तता का सहन
नह ं करता । इस लए त परता से नणय पर पहु ँचता जाता है । यह ऐसी ि थ त म भी नय मतताओ
(Regularities) को त परता से न मत करता है । जब क वा तव म कोई नय मतता व यमान
नह ं है । उदाहरणाथ म य युग म एक धारणा यह थी क धूमकेतु कसी व लव के लए पूव संकेत
होता है । यह म ययुगीन यो त व ान का नयम माना जाता रहा । इसक पुि ट के लए टे न के
नामन वजय (Norman Vijay) से पूव सन ् 1066 ई. के धूमकेतु क घटनाओं के उदाहरण तुत
कये गये ।

15
सह नयम क थापना (Establishment of the principles) आकड के अनास त
पर ण (Unbiased Opinion) से क जानी चा हए । इसम कोताह करना सह नह ं है । इस हे तु
नयमन थापना के त सदै व सशयवाद (Skepticism) ि टकोण अपनाना सह प रणाम पर पहु ँ चने
के लए अ नवाय है । इस कार व ान मे संशय के उ वकास और नर तरता को बनाये रखने का
अ भला णक गुण (Characteristic) मु ख प से व यमान है ।
3. काय—कारण स ब ध के वशु नयम (Precise Laws of cause &Effect
Relation ships) : — जे.एस. मल के अनुसार काय कारण स ब ध मे पहले कारण तु त करना
होता है त प चात ् उसका भाव घ टत होता है । नयम वा तव मे घटनाओ के काय—कारण स ब ध
क अ भ यि त है । इसको आकड़ के आधार पर न मत पूण प से जाँचे और परखे गये नयम
के प तु त करना ह व ान क नय त है । काय—कारण स ब ध का यि तगत ववेक के आधार
पर सामा यीकरण युि तसंगत नह ं कहा जा सकता । इसके लए आंकड़ो का संगठन ( Organization),
तु तीकरण (Presentation), व लेषण (Analysis), नवचन (Interpretation), नणयन
(Decision making) और नयमन (Law making) या सह माने म व ान है । वतमान
वा टम याि क (Quantum Mechanics) ने काय—कारण अ भ ान को छोडकर ग णतीय
ववरण को ह अपना लया है ।
4. काय—कारण स ब ध के ता कक ववरण (Logical Decription of cause & effect,
relationship): — वतमान म ग णतीय नयम पर ''कैसे'' न उठने लगा है । इसका उ तर दे ना
स भव नह ं है । फल व प व ान म ग णतीय नयमन क अपे ा ता कक काय—कारण या याओं
को ाथ मकता मलने लगी है । आधु नक जीव व ान (Modern biology) ऐसे ह ववरण क
खृं ला पर वक सवत हो रहा है । इसमे शर र या मक (Physiological) और वकासवाद
(Evolutionary) याओं (Process) को अणु ओं (Molecules), कोि काओं (Cells), जीवाणु ओं
(Organisms) जैसी अि त व (Entities) क भौ तक याओं (Physical activities) के वारा
समझने पर ह बल दया जा रहा है ।
5. ाकृ तक दशन (Natural Philosophy) : — दशन परम ् (Ultimate) ान को ाि त
के लए यास करता है । व ान कृ त क परम ् नय त को पाने का यास है । अपनी पूवाव था
म व ान ने आ याि मक और दै हक (Spiritual and divine) शि तय को स य (Real) और
आव कता (Necessary) को वीकार कया था । यह म अठारवह सद तक चलता रहा । जीव
व ान म तो शू यता नह ं है । आयु व ान ( Medical Science) म ई वर के नाम पर तीक (RX)
का चलन स पूण कहानी बतलाता है । इनल े ण (Observations) से प ट होता है । क व ान
ाकृ तक दशन के प म कृ त के परम ् व प को वीकार करते हु ए उसको जानने का यास करता
है ।
6. व व के सजक या शासक क परम ् ववेकशीलता पर व वास (Faith in the Ultimate
rationality of the creator of governor of the world): — ई वर या दे वताओं या आ माओं
के त लगाव नि चत प रपा टय (Conventions) के कारण होता है । ऐसा कहा जा सकता है क

16
दे वता और आ मकाय याकलाप के स दभ म आधु नक (मनमाने arbitrary) नह होते । य द ऐसा
होता तो आराधना और पूजा—अचना ह पया त होते । व ान म ववेकशील खोज का थान होता।
क तु, दे वी—दे वताओं आ माओ का अि त व ववेकशी स ा त (Rational Principles) पर
आधा रत है । इस लए मानव के लए व व को ववेकशील सजक या शासक पर व वास ने ह मौ लक
वै ा नक काय को उ ीपन (Stimulate) कया । केपलर के नयम (Kepler’s laws), यूटन का
नरपे अ तराल (Newton’s absolute space), आइ ट न का वा टम याि क के या ि धक
स ा त का नर ीकरण (Einstein’s rejection of the probabilististic nature of
quantum mechanics) ऐ वर य आ था (Theological faith) पर आधा रत है । वै ा नक
मा यताओं (Scientific assumptions) पर आधा रत नह है । कृ त क ववेकशीलता के एक संवेद
नवचनकता (Sensitive interpreter) का ववेक आ मा का मागदशन चा हए । इस मह वपूण
वचार क अ भ यि त आइ सट न के इस कथन म प ट है क “'आ चय यह नह है” क मानव व व
को समझता है (Comprehends), क तु आ चया तो यह है क व व बोधग य
(Comprehensible) है ।
7. उपकरण का आ व कार (Invention of instrument): — व ान क उपयु त कृ त से
प ट है क यह ऐि क अनुभव (Empirical experienes) पर आधा रत है । आज सू मतम त य
के े णक मता मनु य म होनी चा हए । फल व प व ान म अनेक उपकरण के आ व कार क
खृं ला अ धका धक मताओं के साथ बनती जा रह है । दूरदश ( Telescope), सू मदश
(Microscope) गेजर गणक (Geiger counter) आ द इस खृं ला के उदाहरण है । इससे प ट
होता है क कसी भी तर पर वै ा नक अ भ ान आं शक (Partical) ह । इसक ग त घटनाओं
(Phenomena) को े णीय (Perceivable) बनाने क मानवीय मता मे न हत है ।
वमू लां क न
1. व ान को ई वर य स ता का वरोधी य नह माना जा सकता ?
—————————————————————————————————
—————————————————————————————————
2. व ान क ग त के लए या आधार है ?
—————————————————————————————————
—————————————————————————————————
3. व ान क ता क क ववरण क कृ त के तीन उदाहरण द िजए |
—————————————————————————————————
—————————————————————————————————
—————————————————————————————————

1.4 वषय व तु क सरं चना


(Structure of Content Area)
सामा य व ान क संरचना ाकृ तक पयावरण वारा हु ई है । ाकृ तक पयावरण से ता पय
उस वातावरण से है । िजसम मानव ाकृ तक शि तय से संघष करता हु आ अपना जीवन नवाह करता

17
है । इसके अ तगत वायु, पानी, जीव ज तु, गम , सद , बरसात, धरती आ द का मनु य के जीवन
पर भाव पडता है ।
ाकृ तक पयावरण के दो त व ह— 1. नज व 2. सजीव
1. नज व त व म भू म, जल, वायु आ द सि म लत है िज ह भौ तक पयावरण कहा जाता है
या अजै वक ।
2. सजीव त व म पौधे, मानव, पशु, ज तु (जीव—ज तु ) आ द सि म लत है यह सजीव वग या
जै वक पयावरण कहलाता है ।
सामा य व ान क संरचना इ ह ं जै वक एवं अजै वक या भौ तक एवं जै वक पयावरण से
हु ई है। इसके अलावा सामा य व ान क संरचना म हम सामािजक पयावरण को भी सि म लत करते
ह|

1.5 इ तहास
(History)
व ान के वकास क कहानी सरल नह है | मू ल प म व ान दशन के गभ म मलते
ह | हमा ड और उसक घटनाओं के स ब ध म या, य कैसे आ द नो पर च तन तो दशन
ने ह आर भ कया था । क तु आज या का उ तर व ान दे ता है तो यो को उ तर दशन एव
कैसे? का उ तर सबसे अ धक ज टल है । इसका उ तर दशन और आ याि मक अनुशासन दे ते है ।
दशन से व ान के उ वकास (Emergenic) क या को व भ न कालख ड मे वभािजत करने
का यास कया गया है जो इस कार है :—
1. ाचीन थाल और म यकाल (Heritage of antiquity and the middle age) :
2. वै ा नक ाि त (Scientific revolution)
3. बोध (Enlightenment) से बीसवीं सद तक
1. ाचीन थाल और म यकाल :— व ान का उ व (Origin) यो त व ान (Astronomy)
म है । म और मेसोपोटा मया के यो त व ान ने ईसा से लगभग दो हजार वष पूव 365 दन एवं
30 दन के 12 मह न वाले एक वष को अि त व दान कया । बेबीलोन के यो त व ान म भौ तक
जगत का अपे ाकृ त अ धक वै ा नक और यवि थत ववरण उपल ध है । बेबीलो नयन भौ तक
घटनाओं क अ धक सह भ व यवाणी (Prediction) करने के लये नर तर यासरत दे खे गये है।
उ ह ने द से 400 वष पूव ग णत क अंकग णतीय ेणी को वक सत कया । इसका उपयोग
भ व यवाणी के लये कया गया । बेबीलोन के यो त व ान म कह भी या म त (Geometry) का
उपयोग नह दे खा जाता । क तु उनके वारा एक त त य और उनक ग णतीय व धयो को यूनानी
(Greek) यो त व ान म उपयोग करते हु ये दे खा जा सकता है ।
ईसा से पांचवी सद पूव पाइथोगोरस के अनुया यय ने सव थम यो त व ान म या म त
का उपयोग कया । उ होने एक के य अि न (Fire) क संक पना क । इसके चार ओर पृ वी स हत
हमा ड के सभी अि त व च कर काटते है । उ होने सौरम डल क घटनाओं क सह भ व यवाणी
समान वृ तीय ग त के आधार पर करने क सला द । ई.पू. 400 वष म सी स और यूडॉ स ( Eudoxus)

18
ने मा ड को समकेि त गोल के प म तु त कया । ये ऐकेि त गोले (Concentrics
spheres) अपने ताने—बाने के प म हमा ड का त बि बत करते है । इनक ग तयां ह न ीय
(Planetery) और आकाशीय (Celestial) ग तय े लये उ तरदायी समझी गयी । अर तु क सृि ट
यव था म पृ वी के चार ओर 55 गोल क संक पना क गयी है । पृ वी को ि थर ( Static) और
इनका के क (Centre) माना गया है । यह स ा त ह—न क यूना धक चमक और पृ वी
से उनक दू रयो से स बि धत न के उ तर दे ने म असफल रहा । हरा ल स (Heracledidus)
ने ई.पू. 400 वष म इन न के उ तर इस स ा त के न पण से दये क शु और बुध (venus
& Mercury) जैसे ह सू य के चारो ओर घूमते है जबतक सू य पृ वी के चारो ओर घूमता है तथा
पृ वी अपने अ पर घूमती है । ई.पू. 300 वष मे ए र टाकस (Aristarchus) ने सौर केि त (Hello
Centric) स ा त का न पण कया जो क सोलहवी सद मे कोप नकस के वारा तपा दत स ा त
के समान था।
ई.पू. 130 वष म ह पा कस (Hipparchus) ने सै ाि तक (Theoretical) और े णीय
(Observable) यो त व ान म कई योगदान कये । इनम उसका च यो मु ख बल बन यव था
मु ख है । ला डयस टालमी (Claudius ptolemy) ने इस स ानत के आधार पर यूनानी
यो त व ान को ववरणा मक व प दान कया । उसे सू य, च और अ य न के लये स ा त
का न पण कया । उसके स ा त और े ण उसक पु तक अ मािज ट (Almagest) म उपल ध
है ।
ाचीन यूनान म कई कार के भौ तक स ा त का उ व हु आ । ये मु ख प से कृ त
क परम संरचना और ग त से स बि धत है, जो त वमीमांसीय (Metaphysical) और ग णतीय ि ट
से मह वपूण है । कृ त क अनेकता म एकता का डमॉ क स (Democritus) ने ई.पू. पांचवी सद ,
इपी यूरस (Epicurus) ने ई.पू. तीसर सद म इस आधार पर था पत करने का यास कया क
कृ त म अप रवतनशील (Immutable) परमाणु र त अ तराल (Empty space) मे ग तमान है।
ये परमाणु उनके समूह और उनका एकक करण (Integration) ह वभ न ाकृ त के घटनाओं के
मू ल कारण है । इन परमाणु वा दय के वपर त बैरा गय (Stoics) ने कृ त, पदाथ और अ तराल
क नर तरता पर जोर दया । इ होन वाल स ब धी याआ (Pneumatic Proccess) को इस
नर तरता (Continuity) का आधार माना । क तु अर तु क आलोचना इन दोनो वचारधाराओं को
झेलनी पडी । अर तु का बल दाश नक वचार पर था क ग त क कृ त प रवतन क एक व वधता
(Diversity) है । ई.पू. तीसर शता द मे आक मडीज ने भौ तक य सम याओं के हल के लये आधारभूत
(Fundamental) प म ग णत का उपयोग कया ।
अरबी और म यवग व ान म याि क का पया त वकास हु आ । मूल प म अर तु के वारा
तपा दत ढांचे म काय करते हु ये म यकाल न भौ तक वद ने अर तु क भौ तक म सु धार के लये
अनेक य न कये ।
वै ा नक ाि त : 15वी, 16वी और 17 वी सद म व ान म एक ाि त (Revolution)
आई इसने 2000 वष से चले आ रहे कृ त स ब धी यूनानी वचार मे प रतन कया । व ान, दशन

19
और ौ यो गक (Technology) से अलग एक वत अनुशासन बन गया । यह मा यता बनी क
व ान के उपयो गतावाद (Ultalitrarian) येय (Goals) है । जब ईसाइयल के थान पर व ान
यूरोपीय सं कृ त का अ भके (Focus) बन गया । पुनजागरण और सु धारवाद वचारधाराओं से
भा वत व ान म नवीन वचार का उदय हु आ । जो इस कार है :—
 सू म च तन के लये सामा य संवेदन क पुन श ा
 कृ त के त गुणा मक क अपे ा सं या मक ि टकोण
 कृ त का ा ण क अपे ा य का प ।
 योग व ध का वकास ।
 या या क नयी कसौट क वीकृ त जो क '' य '' क अपे ा ''कैसे'' पर बल दे ती है।
वै ा नक ाि त का आर भ यो त व ान से हु आ नकोलस कोप न स (Nicolous
Copernicus) ने पृ वी क ग त के स ब ध म प ट प से सौर केि त (Hello Centric) स ा त
का न पण कया । यह स ा त 1543 ई. म का शत हु आ । टॉलोमी के स ा त म ज टलता थी
क तु कोप न स का स ा त अ त सरल था । इसम सू य को ि थर एवं के तथा पृ वी को इसके
चारो ओर प र मा करते हु ये माना गया । कोप न स क पु तक “De Revolutionibus Orvium
Crelestium libri VI (Six books on the Revolutions of the Celestial orbs)”
आकाशीय प ड क प र माय, 6 पु तके यो त व ान म स दभ थ
ं बनी ।
सोलहवी सद म डे नश यो त व ानी टाइको बाह ने टोलॉमी और कोप नकस दोन के ह
स ा तो को अ वीकार करते हु ये आधु नक यो त व ान क नींव डाल । इस सद के अ त म केपलर
ने कोप न स क ा क पना (Hypothesis) पर बल दे ते हु ये टाइको क तकनीक के वारा
यो त व ान के वकास को नई दशा और आयाम दये । 1609 म केपलर ने आकाशीय प ड
(Planets) के स ब ध म दो नयम तुत कये :—
1. सभी प ड (Planets) सू य के चार ओर अ डाकार पथ (Elliptical orbits) म प र मा
करते है । इस हपथ के एक अ भके पर वयं सू य है ।
2. अपने पथ (Orbit) म प ड (Planet) इस कार प र मा करता है क ह से य द एक
सरल रे खा सू य तक खींची जाय जो यह समान समय म समान े घेरती है ।
सन ् 1618 म केपलर ने तीसरे नयम को इस कार रखा क — िजतने काल म ह अपने
माग म सू य क प र मा करता ह उसका वग सू य से उसक म य दूर के घन के अनुपात म होती

है ।
स हवीं सद के आर भ म गेल लयो (Galileo) ने टे ल कोप क खोज के बाद यो त व ान
को नई दशा द । इससे पूव मे िजतनी भी ाि तयां थी वे दूर हो गई । यो त व ान अटकल के
बजाय े ण पर वक सत हु आ ।
भौ तक के े म याि क (Mechanism) म गेल लय ने योगदान कये । इस दशा म
ा सीसी दा श नक (Rene Descartes) डकाट का भी महान ् योगदान रहा । 1607 ई. म यूटन
(Newton) क ि स पया (Principia) ने याि क और सृि ट व ान ( Cosmology) क कई
सम याओं को हल कया । यूटन ने ग त के तीन नयम का तपादन कया ।

20
का शक (optics) म भी इस काल म ाि तकार वकास हु आ । यूटन ने रं गो का स ा त
तपा दत कया । हू यूज स का भी इस े म योगदान रहा । रसायन व ान भी इस काल म पु ट
हु आ ।
स हवी सद के आर भ म गैल लयो (Galileo) ने टे ल कोप क खोज के बाद यो त व ान
को नई दशा द । इससे पूव म िजतनी भी ाि तयां थी वे दूर हो गई । यो त व ान अटकल के
बजाय े ण पर वक सत हु आ ।
थम कालख ड म ाचीन म य ा त और यूनानी यो त व ान यूनानी भौ तक और अरब,
म य (Medieval) व ान वक सत हु ये । वै ा नक ाि त काल का आर भ प हवी सद माना
जाता है । प हवीं, सोलहवी और स हवीं स दय म वै ा नक वचार म ाि तकार आयाम आये ।
इस काल म व ान एक अलग अनुशासन के प म था पत हु आ । इसम यो त व ान, भौ तक
और रसायन व ान अलग—अलग अि त व म उभर । तृतीय कालख ड के लये यह आधार न मत
हु ये । अठारहवी और उ नीसवी सद म वै ा नक के यूटन क ि स पया (Principia) और
ऑप टकस (Optics) आदश तथा पथ दशक बने । इस काल म आधु नक भौ तक व ान का वकास
हु आ । इसम आकाशीय याि क (Celestial Mechanics) और यो त व ान का शक (Optics)
व युत और चु बक (Electricity & Magnestism) एवं रसायन व ान म अनेकानेक अ वेषण
हु ये । बीसवी सद म तो व ान ने जो वराट प लया वह य है ।
बीसवीं सद म भौ तक व ान म नई वृि त उभर कर आई । इस सद म व ान म
व मयकार अ वेषण हु ये । इ होन मानवीय जीवन को येक प म भा वत कया । शाि त एवं
यु क सभी स भव ि थ तय म व ान भावी बनता गया । व ान के इस वकास म मुख प
से न नां कत का योगदान है : —
1. जमनी म व लयम रा टजन वारा X करण क खोज ।
2. ा स व वरल Becquerrel) वारा रे डयोएि ट वट क खोज
3. सन ् 1897 ई. म जेजे. था सन (J.J Thomson) वारा इं लै ड म कैथोड करण क कृ त
का अ ययन ।
4. सन ् 1900 म मै स लक (Max Plank) वारा रतुत खि डत ऊजा तर का वचार।
5. भौ तक म वा टम स ांत का वेश |
6. आइ सट न (Einstein) वारा तपा दत फोटो इलेि क ऐफे ट का समीकरण ।
7. नील बोहर (Niel Bohr) वारा रदरफोड (Rutherford) के परमाणु तमान (Model) क
या या के लये इस समीकरण का उपयोग तथा ना भक य पा तरण (Nuclear
transformations) एवं रे डऐशन म इसक युि त (Application) ।
वमू लां क न
1. व ान के वकास म के तीन काल खं ड ह :—
1). . . . . . . . . . 2) . . . . . . . . . .3) . . . . . . . . . . .
2. ाचीनकाल क मु ख तीन वै ा नक उपलि धयाँ ह :—
1). . . . . . . . .2) . . . . . . . . . 3) . . . . . . . . . .

21
3. वै ा नक ाि त कन नवीन वचार पर आध रत थी :—
1). . . . . . . . . . . 2) . . . . . . . . . 3) . . . . . . . . . . .
4) . . . . . . . . . . 5) . . . . . . . .6) . . . . . . . . . .
4. बीसवीं सद क पाँ च वै ा नक दे न ह :—
1)————————————— 2)—————————————
3) ———————————— 4) —————————————
5) —————————————

1.6 े
(Scope)
व ान के इ तहास के अ ययन से हम पाते ह क ''साइं ट ट'' (Scientist —वै ा नक) पद
का उपयोग सव थम सन ् 1840 ई. म व लयम वेवेल (William Whewell) ने कया था । वे कैि बज
के नट कॉ लज (Trinity College, Cambridge) के मा टर थे । मूल प म यह पद (Term)
मु य प से ाकृ तक व ान (Natural Sciences) के वशेष , दाश नक , इ तहासकार और
अ य बु जी वय ( Intellectuals) म अलग पहचान के लए यु त कया गया था । यूरोपीय भाषाओं
के इस श द से मलते जुलते श द मे ांसीसी ''सव ट (Servant)'' इटल '' सि जआटो
(Sciengiato)”, जमनी '' विजनश टलर (Wissinschaftler)'' और सी ''यूकेनी ( Ucheny)''
मु ख ह । सी श द म व ान के वशेष के अ त र त इ तहासकार (Historian) श द का अथ
ग णत, यो त व ान (Astronomy), रासाय नक व ान, भौ तक , जीव व ान, भू गभ व ान
(Geology), धातु कम (Metalurgy), अ भयाि क (Engineering), कृ ष जैसे शा के वशेष
है । यह तक क उ च श ा सं थाओं म इनके श ण म संल न यि त भी वै ा नक कहे जाते
ह । उ च सं थाओं एवं सं थान म व ान के े म अनुसध
ं ान और आ व कार के े म काय कर
रहे यि त भी वै ा नक ह । वतमान म इन े के उ च शासना धकार भी वै ा नक है । वतमान
म व ान का व प बहु त यापक हो गया है । व ान के अ तगत अब कृ त अ ययन, सामा य
व ान, सै य व ान, अ त र व ान, इले ॉ नक , क यूटर साइंस, पयावरण आ द सि म लत
है । व ान का नर तर व तार हो रहा है । इसम नये नये वषय के समावेश क या अ वरल
चल रह है ।
वमू यां क न
1. साइं ट ट श द का उपयोग सव थम कसने कया था ?
_________________________________________________________
2. “ यू के नी” म वै ा नको के अलावा या— या सि म लत हु ए ?
_________________________________________________________
3. वतमान म वै ा नक कौन है ?
i)___________ ii) ____________ iii) _________________
iv) __________ v) ____________

22
1.7 मह व
(Importance)
इस संबध
ं म आप सभी व याथ व तार से जानते ह । व ान ने व भ न े म अनुसंधान
से पहले अस भव समझी जाने वालह बात को स भव बना दया है । उ योग, कृ ष, च क सा,
आवागमन, संचार मा यम आ द े म व ान क मुख उपलि धयां या ह ? अ त र अनुसध
ं ान
क उ लेखनीय उपलि धयां या ह ? इले ोन स े म वकास से मानव को या लाभ हु ये ह?
यु और शाि त दोन मे व ान मुख शि त के प म करन कार काय करता ह ? इन न स हत
स बि धत सम याओं के लये उदाहरण स हत हल ढू ं ढने क दशा म आप वयं पु तक व प —प काओं
का अ ययन कर । ल खत ववरण येक से अपे त है।
आ थक (Economic) दे न : आधु नक समाज या रा क समृ , उसके आ थक तर से
मापी जाती है । रा य आ थक तर उ पादन मता पर नभर करता है । जो क वयं वकास क
भावो पादकता पर आ त है । वकास वह ि थ त है िजसम यु त अनुसध
ं ान को उ पादन से जोड़ा
जाता है (Developmebt is a stage linking applied research to production) । इस
कार हम दे खते है क यु त अनुसंधान के मा यम से हमारा आ थक त व ान पर नभर करता
है । वकास काय म युका व भ न वै ा नक और ा व धक अनुसध
ं ान से व व के व भ न रा
म अ यो या तता आज क आ थक यव था का मु ख गुण है ।
राजनै तक चेतना (Political Awareness) : वै ा नक व ध और अ भवृि त पर परागत
राजनै तक वचारधाराओं को तेजी से बदल रहे ह । उनका थान नयी वचारधाराय ले रह है । कुछ
अपने अि त व को बनाये रखने के लये अपने आप म आव यक प रतन कर रह ह । वचार ,
अ भ यि त, पयवे ण, स ा त न पण एवं नणय लेने क नभ कता और वत ता ने जनत
क भावना का ती ग त से सार कया ।
वै ा नक च तन (Scientific Reasoning) ने वशेष प से सामािजक वचारधारा को
वक सत करने म वशेष भू मका नभाई । व ान म अनुसध
ं ान ने व व तर पर दे श को पार प रक
अ यो या तता (Interdependence) म वृ क । फल व प व व शि तयां अपनी सम याओं
को बातचीत के वारा हल करने के लये त पर हु ये । अ तरा य राजनी त (International Politics)
म पर पर वरोधी ताकत का एक दूसरे के नकट आना व ान और उसक शि तय के वारा ह स भव
हु आ |
सां कृ तक भागीदार (Cultural Sharing) : व ान ने सं कृ त के भौ तक और
आ याि मक प म बहु त योगदान कया ह । भौ तक सं कृ त म इसका योगदान अपे ाकृ त अ धक
प रणाम और त
ु ग त से हु आ है । फल व प सां कु तक पछड़ापन आज अ धक है । क तु वै ा नक
व ध और वै ा नक अ भवृि त म सहज श ण ने आ याि मक प म भी वकास को ग त द है।
इससे व व तर पर सभी दे श म सू चना के आदान— दान से सां कृ तक भागीदार म पया त वृ होती
जा रह है । इले ो नक मा यम इसको ग त दान कर हरे है ।

23
दशन मे नवीन वृि तय का वकास ( Development of New Tendencies in
Philosophy) : मानव जीवन को दशा दशन से मलती है । कसी भी समाज के ल य दशन वारा
नधा रत होते है । वै । नक अ भवृि त के वकास ने पर पर वरोधी दाश नक वचारधाराओं म सम वय
था पत कया है । इसके प रणाम व प दशन म नवीन वचारधाराओं का अ युदय हु आ है । इनम
योजनवाद, योगवाद, अि त ववाद, यथाथवाद एवं मानवतावाद मुख ह । अ त म न न ल खत
दो उ रण . से व ान के मह व को सं ेप म तु त कया जा रहा है :—
1. जी.ट . सीबोग (G.T. Seabourg) के अनुसार :— म य युग का मानव चच क उपे ा नह ं
कर सका, पुनजागरण काल ( Renaissance) वह कला क अनेदखी नह कर सका, आज
का मानव व ान को नकार नह ं सकता ।
2. माइकेल फेराडे (Michael Feraday) के अनुसार :— वै ा नक को येक सुझाव यान से
सु नना चा हये | उसके कट प म पूवा ह (Prejudices), अपनी पस द दा ा क पना
(Hyphothesis), वचारधारा (Philosophy), स ा त (Principle). कसी से भी भा वत
नह होना चा हये । उसको कसी यि त का नह अ पतु त य (Facts) का आदर करना
चा हये । उसका ाथ मक उ े य स य (Truth) होना चा हये।
वमू यां क न
1. वकास या है ?
—————————————————————————————————
2. राजनी तक को व व तर पर व ान ने या दया ?
i)__________ ii) ________ iii) ___________________
3. व ान ने दशन को कस कार भा वत कया ?
i)___________ ii) ________ iii) ___________________

1.8 वमू याकन


(Self Assesment)
न न ल खत म न 1 से 5 तक के उ तर 100 श द म तथा शेष के उ तर 500 श द
म द िजए:—
1. व ान क अवधारणा प ट क िजए ।
2. वै ा नक अ भवृि त और वै ा नक व धय म या अ तर ह ?
3. व ान को यु पि त के आधार पर प रभा षत क िजए ।
4. मानव सं कृ त को व ान क या दे न ह ?
5. आधार भूत व ान और यु त व ान क पांच —पाच शाखाय या ह ?
6. व ान के े क ववेचना क िजए ।
7. व ान के वकास क ऐ तहा सक ववेचना क िजए ।
8. “ व ान आधु नक व व— वधाता है” प ट क िजए ।

24
1.9 संदभ थ
(References)
1. Encyclopedia Americana
2. Encyclopedia Britannica
3. Heis, Ogbourn and Hoffiman : Modern Science Teaching; Mc Millan
Co. N.Y.
4. Hudson D. : Philosophy of Science Education, Studies in Science
Education(1985)
5. Negi, J.S. Bhautiki Shikshan : Vinod Pustak Mandir, Agra (1999)
6. Sood, J.K. : New Directions in Science Teaching, Kohli Publishing
Chandigarh (1989).
7. Vaidya N : Science Teaching for 21st Century, Deep and Deep
Publications N.D. (1996).

25
इकाई—2
व ान श ा के भ व य केि त उ े य
(Objective of Teaching Science with futuristic vision)
इकाई क संरचना (Structure of the Unit)
2.0 उ े य (Objectives)
2.1 तावना (Introduction)
2.2 व ान श ा क आव यकता (Need of Science Eduction)
2.3 व ान श ा एवं श ण (Science Education and Teaching)
2.4 येय, मू य, ल य और उ े य (Goals, Values, Aims and objective)
2.5 व ान श ण के येय (Golas of science teaching)
2.6 व ान श ा के मू य (Values of science Education)
2.7 व ान श ण के ल य (Aims of science teaching)
2.8 व ान के अनुदेशना मक उ े य ( Instructional Objectives of Science)
2.9 वमू यांकन (Self Assesment)
2.10संदभ थ (References)

2.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन से यह अपे ा है क अ धक ता भावी श क :—
1. व ान— श ा और उसके श ण क याओं मे स ब ध था पत कर सकगे।
2. श ण या से स बि धत अवधारणाओं को प ट कर सकगे।
3. व ान श ा एवं उसके श ण के येय , मू य , ल य एवं उ े य म स ब ध था पत
कर सकगे
4. व ान श ा के येय , मू य ल य एवं उ े य को सू ब कर सकगे।
5. व ान श ा के यावहा रक मह व क ववेचना कर सकगे।

2.1 तावना (Introduction)


व यालयी श ा के पा य म म कसी वषय को सि म लत करना पा य म नमाताओं
के आराह पर आ त नह ं है। यह तो समय और सजाम क आव यकताओं के आधार पर होता है।
श ा को सं कृ त के संर ण, संव न एवं ह ता तरण क या कह तो हम पाते ह क इस व प
म व ान— श ण एक अ नवायता है। इसको यि त व वकास व सामािजक वकास क या कह,
जब भी व ान का मह व प ट है। इस क प के वकास क धु र आ थक स प नता है। जो क उ पादन
पर आ त है। इस युग के उ पादन के ोत कृ ष और उ योग है। इनक उ पादकता म अ वरल वृ
दर वै ा नक तकनीक पर नभर है। यि त व के वकास मे भी वै ा नक अ भवृि त और वै ा नक
व ध म पारं ग त का भाव सवा धक है। येक यि त के लए आज व ान स ब धी यूनतम

26
अ भ ान क स ाि त अ नवायता बन गई। इस अ नवायता क पृ ठभू म म न हत अपे त व ान
श ा के भाव व लेषण आव यक है। इस इकाई म ऐसा यास ता वत है।

2.2 व ान— श ा क आव यकता (Need of Science Education)


रा के नमाण म श ा क मुख भू मका है। जनता क सुर ा, क याण और स प नता
उसके आ थक वकास पर आधा रत है। जहाँ क आधु नक करण (Modernization) एवं तकनीक करण
पर आ त है। यह व व के सभी वकासशील रा का मुख येय बन चुका है। अ वक सत एवं
अ वक सत रा म कल (Curle—1963) ने मुख सामा य ल ण यह दे खा क ये कई कारण
से अपने मानव संसाधन का सह उपयोग करने म असफल रह है। मेअर और हैर ब सॉन (Mayer
and Harbinson—1964) ने पाया क ऐसे समाज म ''शै क वकास या मानव संसाधन वकास''
''आ थक वकास' के मानद ड के साथ सहस बि धत ह। इसी कार अ य भी अनुसधान मे यह
पाया गया क रा य उ पाद पर श ा के व तार का यापक भाव है। आधु नक करण पर राजनै तक
चेतना और सामािजक वकास का भाव भी कम नह ं है। क तु व लेषण करने पर दे खा जाय तो
ये कारक भी य अथवा अ य प म श ा के वारा भा वत है। जन—जीवन आव यकताओं
और आकां ाओं के साथ य द श ा को भावी ढं ग से जोडा जाय तो यह समाज के पा तरण का
सबसे अ धक शि तशाल साधन बन जाता है।
आधु नक समाज क मु ख वशेषता यह है क यह अपने वकास—काय म व ान पर आधा रत
तकनीक का उपयोग करता है। श ा आयोग (Education commission 1964—66) ने व ान,
तकनीक और त काल न समाज म नकट के स ब ध दे ख ह, इसके अनुसार ''समकाल न समाज म
यह अ भला णक गुण ह क इसम व ान और तकनीक पर पर अ तस बि धत और अ यो या त
है। हाल के वष म कई दे श आधारभू त व ानो तकनीक और श ा म नवेश के कारण अपने सकल
रा य उ पाद (GNP) को त
ु ग त से बढाने मे सफल रहे है। “ व ान म ग त कई कार से व ान
और समाज म ज टल अ तस ब ध को ज म दे रह है। परमाणु ऊजा का '' बलगाव' और संल न
(Atomic Fission and Fusion) जनन ् व या (Genetics) म ग त, अ त र व ान म
हलगामी और ाि तकार खोज, मानव का च मा और अ य ह पर उतरने के यास, रोग— नय ण,
ना भक य (Nuclear) रणनी त का वकास, कृ त क शि तय को बोध और उन पर नय ण के
यास आ द अब औ यो गक सामािजक और शासक य मुख नणयन के आव यक अग बन चुके है।
अमे रकन एसो सयेशन फॉर एडवा समे ट इन साइ स (AAAS—1956) ने श ा और व ान के
अ तस ब ध को इन श द म प ट कया जो क आप भी जाता स य तीत होता है।
“हम यह व वास करते है क श ा का आधारभू त ल य समाज म यि त के बढते हु ए भाव
के साथ—साथ उसका बौ क वकास होना चा हए। व ान व मान (Increasis) मह व के साथ
सामा य ान का अंग बन गया है। हमारा मत है क सभी बौ क याकलाप म सि म लत करने
से वै ा नक श ा सव कृ ट ढं ग से उपल ध क जा सकती है। इस ि थ त मे यह अ त आव यक
है क सामािजक व ान एव मानवी कयो के साथ ाकृ तक व ान को भी अ धका धक समथन दया
जाय।”

27
व ान पदाथ—जगत का यवि थत ान है। यह वत जांच (Enquiry) के लए मानव
अ त: करण को जगाता है। जो क, सू म े ण, समालोचना मक च तन (Critical thinking) और
व लेषणा मक—सं लेषणा मक तक (Analytic—Synthetic reasoning) के लए माग श त
करता है। नभ क एवं पूवा ह से यु त नणय के लए ये पोषक संि थ तयाँ है। व ान वै ा नक
अ भवृि त के वकास और वै ा नक व ध म श ण के लए अवसर उपल ध करता है। वै ा नक
व ध क अवधारणा डीवी (Dewey), व लयम जे स (William James) और चा स सै डस से जु डी
हु ई है। के लर ऑ नऑन का मानना ह क वै ा नक व ध का स ब ध कृ या मक (Practural) बात
से ह, जब क वै ा नक अ भवृि त यि त के अ भला णक गुण तथा उनके ि टकोण से स ब धत
ह।
के लर ने वै ा नक व ध के त व को इस कार सू चीब कया समरया कां अनुभव, सम या
समाधान के लए ढ़ न चय, सम या का प ट करण, संि थ त ज म त य का अ ययन,
ा क पनाओं को सू ब करना, नयि त ि थ त म ायो गक कारक को अलग करना, ा क पनाओं
को पर ण, पुनपर ण एवं न कष नकालना का टस ( Curtis—1924), पील (peel—1955),
बम टर (Burmester—1954), र नर (Reiner—1950) आ द के व लेषण से वै ा नक अ भवृि त
के सामा य ला णक गुण इस कार है। काय—कारण स ब धो म व वास, मनका खुलापन, पूवा ह
एवं अ य व वास से मु ि त और बौ क िज ासा (Intellectual curiosity) आ द। नेशनल सोसाइट
फार द टडी ऑफ एजू केशन (NSSE—1932) ने व ान श ा पर इस आधार पर बल दया क यह
सामािजक सम याओं के समाधान के लए भू म उपल ध करता है। इस प म व ान को ''सम या
समाधान''' का साधन माना जाता है। इस कार व ान अ ध व वास , ढ़वा दता (Dogmatism),
धमा धता (Fanaticism), भा यवाद (Fatalism), सामािजक और राजनै तक आदश से अनुवतन
और नि य आ म समपण (Passive resignation) के कथन को ढ ला करता है। यह यि त
को तनाव—मु त बनाता है। िजससे क याओं (Actions) के तज का व तार होता है। यह
अ तरा य स भवानाके वकास म सहायक है। आधु नक भूम डल करण (Globalization)
क उ पि त, वकास और या वयन म व ान क मु ख भू मका है। यह हमारे रा य येय
(National Goals) क स ाि त म आधारभूत शि त है ( श ा आयोग 1964—66)
वमू यां क न
1. वक सत दे श का मु ख ल य या है ?
2. आधु नक करण का मु ख साधन ................................ है ।
3. A.A.A.S. के अनु सार वै ा नक श ा का सव कृ ट ढं ग या है ?
4. वै ा नक व ध के त व को कस कसने प ट कया ?
5. वै ा नक अ भवृ ि त के मु ख त व या है ?
i)___________________ ii)_________________
iii)__________________ iv)_________________

28
2.3 व ान श ा एवं श ण (Science Education and Teaching)
व ान श ा व ान के अ भ ान के वारा यि त व एवं समाज के वकास क या
है। यह औपचा रक और अनौपचा रक (Formal and informal) सभी अ भकरण (Agencies) से
होता है। श ण औपचा रक श ा अ भकरण का मुख आधारभू त साधन है। इसको एक चतु फलक य
(Four phased) या के प म तु त कया जा सकता है। ये फलक इस कार है :—
1. पा य म नमाण (Curriculum Construction):— व ान— श ा के येय नधारण
(Goals fixation). अनुदेशन के लये वषय ( Subjects), काय म आ द के व प नधा रत करना,
पा यचयाओ का नमाण, अनुदेश उ े य ( Instructional objectives) को सू ब (Formulate)
करना, पा यपु तक का नमाण इसके अंग है। इनके लये मू य और ल य ( Value and aims)
धरातल न मत करते है।
2. व ान अनुदेशन (Science Instruction) : यह श ण का वतीय प है। ाय: इसी
को श ण समझा जाता है। यह श ण का वह भाग है, िजसम क ा के प म श क और श ाथ
एक दूसरे के साथ य (Direct) अ त: या (Interaction) करते है। नवीन ान (New
Knowledge) के लये अ भ ेरण (Motivation), अनुदेशन यूह क रचना ( Creating the
Instructional Strategies), वयं अनुदेशन एवं ता का लक (Immediate) अनुदेशन भाव
(Instructional effects) का मापन (Measurement) इसमे सि म लत है।
3. मापन (Measurement): श ण के इस भाग म छा अ धगम (Pupil learning), के
माप के लये युि तय (Devices) का नमाण और चयन (Construction and Selection)
अ धगम मापन (Measuring learning) मापन म ा त आकड़ (Data) का संगठन और व लेषण
(Organization and analysis) शा मल है।
4. मू यांकन (Evaluation) और तपुि ट ( Feedback) : श ण के इस अि तम चरण
म उपरो त तीन प क भावो पादकता (Effectiveness) का मू याकन कया जाता है। इससे
उपरो त क संग त (Relevance), धता (Validity), व वसनीयता (Reliability) आ द का पता
चलता है तथा मापन प रणाम (Results) के व लेषण से ाि त न कष के आधार पर उपरो त
तीन पद मे आव यक प रवतन (Change) एवं संशोधन या भेद (Modification) कये जाते है।
जॉन बी. हग (John B—Hough) और जे स के. ड कन (James K. Duncan) के
अनुसार “ श ण एक याशील— अ भ न यावसा यक एवं मानवीय या है। इसम कोई यि त
सृजना मक और क पना मक प से वयं अपने आपको तथा अपने ान को दूसरो के क याण और
अ धगम को ो नत करने म लगाता है। (Teaching is an active— unique professional
and human activity in which one creatively & imaginatively uses himself and
his knowledge to promote the learning and welfare of others.)”
वमू यां क न
1. न न ल खत म स य है : -
अ) श ा श ण सामनाथी ह ब ) श ण - अनु दे शन समानाथ ह

29
स ) श ण बना श ा स भव ह द ) अनु दे शन का अथ नदे श दे ना ह
2. श ण ...................................... श ा का साधन ह।
3. श ण के चार फलक इस कार ह :-
i)_______________________ ii)_____________________
iii)______________________ iv)_____________________
येय, मू य, ल य एवं उ े य :— यहाँ पर यह आव यक है क हम येय, मू य, ल य एवं
उ े य म अ तर कर सके साथ—साथ इनम आपस मे जो स ब ध है वह भी प ट हो सके।
अगर उपरो त चार को दे खे तो इनम मु य स ब ध द घकाल न एवं लघुकाल न का है जैसे
हम कह सकते है क येय, ल य, मू य द घकाल न समय पर ा त हो जाते है तथा उ े य लघुकाल न
होते है। कसी उ े य को नशाना बनाकर उसके लए य न करना येय है तो कसी येय को ा त
करने का अि तम छोर ल य है। येय और ल य म थोडा अ तर है येय म यापक द घकाल न
दाश नक एवं आदश झलकते हु ये होते है। स ब ध कुछ इस तरह हो सकते है।

2.4 येय, मू य, ल य एवं उ े य (Goals, Values, Aims and


Objectives)
उपयु त ववरण म हमने इन चारो पद का अि त व दे खा है। अत: व ान श ण के स दभ
म इनको प रभा षत एवं सू ब करना आव यक है। इस अनु छे द म इन पद क सं त प रभाषाय
एवं व ान श ण म इनके मह व पर काश डाला जा रहा है।
येय (Goals): श दकोष म कसी या के लये नधा रत अि तम प रणाम ह येय है।
एडलर ने येय है। एडलर ने येय को कसी यि त वारा चेतन (Consciously) अथवा अचेतन
(Uncounsiously) प म अपनी या के लये नधा रत उ े य के प म तु त कया है। पा य म
वकास (Curriculum development) म येय या तो उ च तर य (High level) सामा यीकरण
(Generalizations) अथात ् ल य (Aims) है अथवा व या थय के लये पूव नधा रत यवहार
प रवतन (Predetermined behavior changes) स ब धी व श ट (Specific) कथन है। जो
क प ट प म उ े य (Objectives) है। अथात ् येय सभी कार के ल य और उ े य के लये
यु त सामा य पद (General terms) है। क तु यहां यह कहना भी अ त योि त न होगी क येय,
ल य और उ े य से उ चतर एवं सामा यीकृ त (Higher and generalized) पूव नधा रत
या—प रणाम (Predetermined activity—Result) है।
मू य (Values) : यह एक दाश नक (Philosophical) अवधारणा (Concept) है। ये कसी
समाज क संरकृ त (Culture) के आधारभूत त व ( Fundamental elements) है। सं कृ त मू य
से त बि बत (Reflect) होती है। ये वांछनीय/ अवांछनीय (Desirable—undesirable) पाप,
पाप—पु य , अ छा—बुरा , स य—अस य के स ब ध म सामािजक व वास (Social beliefs) है। श ा
संरकृ त के ह ता तरण (Conservation) के लये मु ख साधन है। अत: श ा के ल य, व प

30
और संचालन मू य क ह पृ ठभू म म होते है। आलपॉट और वनन (Allport and Vernon) ने
मनोवै ा नक ि ट से मू य को जांचने का यास कया है।
ल य (Aims) : कसी शै क एया (Educative Process) के लये नधा रत सामा य
योजन (General Purpose) ल य कहलाता है। ल य वारा मू य और येय क ाि त के लये
माग तुत होता है। पा य म वकास म समाज वारा नधा रत येय एवं सं कृ त के मू य क
ाि त हेतु व भ न वषय एवं काय मो को तु त कया जाता है। इन से िजन सामा य योजन
क पू त अपे त है , उन सामा य कथन को ह ल य कहते है। दूसरे श द मे कहा जा सकता है क
वषय ( व ान) श क अपने वषय म श ण को िजन अपे त सामा य प रणाम म दे खता है, वह
ल य है। जैसे— आदश नाग रक बनाना आ द।
उ े य (Objectives) : कसी इकाई (Unit) या उपइकाई (Submit) अथवा करण
(Topic) के अनुदेशन से अ धक ता (Learner) म वषय—व तु (Content) स ब धी िजन व श ट
(Specific) यवहार पारे वतन को सू ब कया जाता है, उ ह उ े य कहते है। ये वषय व तु के
स दभ म अ धक ता के लये पूव नधा रत, (Predetermined), अपे त (Expected) व श ट
एवं थाई यवहार प रवतन (Behaviour changes) है। अथात ् अ धगम या के अि तम अपे त
प रणाम (Expected outcomes) ह उ े य है।
वमू याकन
1. या ये य म मू य, ल य , उ े य सि म लत ह ? '
2. मू य या ह ?
3. ल य और उ े य म मु ख अ तर या - या ह ?

2.5 व ान श ण के येय (Goal of Science Teaching)


रा य पुन नमाण (National Reconstruction) म श ा क भू मका (Role) के स दभ
म श ा आयोग (Education Commission 1964—66) ने अपने तवेदन मे लखा है ''भारत
के ग त य को अब क ा—क म आकार दया जा रहा है। यह मा आलंका रक नह ं है। ऐसा हमारा
व वास है। ऐसे व व मे जो क लोगो के समृ तर , क याण और सुर ा को नि चत करती है।
(The destiny of India is now being shaped in classroom. This, we Believe,
is no mere rhetoric. In the world based on science and technology, it is
education that determines the level of prosperity, welfare and security of our
people.)”
वतमान मे व ान का मा य मक तर तक अ नवाय वषय के प मे श ण हो रहा है।
दे श के कणधार , समाजशाि य , श ा वद , वै ा नक एवं सवसाधारण ने इसक आव यकता का
अनुभव कया है। य क व ान के यूनतम अ भ ान क स ाि त येक नाग रक के लए एक
अ नवायता बन गई है। यह हमारे रा य येय क स ाि त के लए आव यक है। यह येय व ान
श ा के येय है। इनको श ा आयोग (1964—66)ए ने इस कार तुत कया :—
 जात ीकरण (Democratization)

31
 सवधम (Seularism)
 आधु नक करण (Modernization)
 उ पाद म वृ (Increased productivity)
 सामािजक और रा य एकता क स ाि त (Achieve social and National
Integration)
 सामािजक, नै तक और आ याि मक मू य का च तन (Cultivation of social, moral
and spiritual values)
 अ तरा य सदभावना का वकास (Development of International
understanding)
वमू यां क न
1. भारत के भ व य का नमाण कहां हो रहा ह ?
2. व ान श ा के मु ख पाच ये य ह :-
i)_______________________ ii)_____________________
iii)______________________ iv)______________________
v)____________________

2.6 व ान श ा के मू य (Value of Science Education)


व ान श ा वारा अ धक ताओ को मानवीय मू य का बोध होता है, साथ ह वे इन मू य
के अनु प अपने मन, वचन और कम को ढालने क या मे श ण के अवसर ा त करते है।
इन मू य को हम बौ क, उपयोगा मक यावसा यक सांरकृ तक सौ दयाभू त के संवग म रखते है।
व ान श ा के मा यम से हम अ धक ताओं मे इन मू य का संचार करने के साथ—साथ इनके अनु प
यवहार करने के े म उ ह या मक अवसर (Practical Opportunities) दान करते है।
1. बौ क मू य (Intellectual Values) :— भौ तक जगत का य ऐि क ान हम
व ान के अ ययन से ा त होता है। इसका अ ययन वत िज ासा (Free enquiry) के लये
यि त के अत: करण (Conscience) को जगाता है। इससे सह े ण (Observation),
समालोचना मक च तन (Critical thinking), व ले षत—सं ले षत (Analytic—synthetic) तक
(Reasoning) के लये माग श त हो जाता है। यह बौ क याये (Intellectual processes)
आगमन— नगमन (Inductive—deductive) अनुमान ( Inferences) एवं न कष
(Conclusions) के लये पया त है। इस कार के नणय (Judgements) नैस गक (Naturally)
प म पूवा ह (Prejudices) से यु त होते है। यह या बौ क अनुशासन को ढ बनाती है।
व ान श ण के अ धगम म या, य , कैसे न नर तर अ धक ता के सामने आते है।
ये न उसम व ान स ब धी ान के लये िज ासा (Curiosity), ता कक शि त और बौ क
जोड़तोड (Intellectual manipulation) क मताओं के वकास के लये अवसर दान करते है।
2. उपयोगा मक मू य ( Utilitarian Values) : व ान वारा न मत यव थाय
(Systems), उपकरण (Appliances) मशीन आ द हमारे दै नक जीवन को वष— तवष अ धका धक

32
सु वधा सं प न और आरामदायक बना रं हे है। रसोईघर (Kitchen) म शौच (Toilet) तक आवागमन
(Transportation) म धरती, आकाश और सागर के लये दुतग त वाले यान, मनोरजन के लये
य— य (Aude—visual) उपकरण, संगणना के लये मामू ल संगणक (Calculator) से उ च
शि त वाले क यूटर, य और य शि तय क क मय को दूर करने के लये उपकरण आत रक
बीमा रयो के नदान के लये इले ा नक मशीन हम व ान ने ह उपल य कये है। उ पादन के सभी
े कृ ष (Agriculture), यापार (Business), उ योग (Industry) म भी व ान क दे न ह
वतमान युग क स प नता और त पधाय (Competitions) है। यु , शां त और वकास सभी म
आण वक शि त क उपयो गता म सभी भल भां त प र चत है।
3. यावसा यक मू य (Vocational Values) : इसको हम आ थक मू य भी कहते ह। संपण

अथतं (Economic system) आज सावभौ मक (Universal) प धारण कर चु का है। आज के
युग म व व का कोई भी भाग आ थक घटनाओं क ि ट से शेष भाग से अ भा वत नह ं रह सकता।
आज व ान ने व व को बहु त छोटा बना दया है, साथ ह व ान के अ ययन से यि त के लये
कई यवसाय के वार खु ल जाते ह। ाथ मक तर से लेकर उ चतम अनुसध
ं ान तर के व ान का
ान यि त को अलग—अलग यवसायो के लये यो यता दान करता है। ऐसा कोई भी यवसाय नह ं
है िजसम व ान के ान के बना यि त सफल हो सकता है।
व ान, भौ तक व ान (Physical Sciences) और अ भयां क का आधार है। सभी
वै ा नक और अ भयंता (Engineers) कम से कम ाथ मक व ान (Elementary Science)
म तो श त होते ह। यां क (Mechanics) और रसायन शा (Chemistry) म वा टम
यां क (Quantum Mechanics) और ना भक य भौ तक (Nuclear Physics) के बढते हु ये
भु व से इन व ान से संबं धत यवसाय म व ान के वशेष क मांग उ तरो तर बढती जा रह
है। सभी यवसायी व ान व अपनी औनपचा रक श ा और अनुसंधान काय के उपरा त व ान श ा
म भी यापक प से योगदान करते ह।
श ा म व ान— श ा के बढते हु ये मह व के कारण व ान के श क क व भ न शै क
तर पर मांग उ तरो तर अ धका धक बढती जा रह है। आधु नक करण के इस युग म रा य ओर
अ तरा य तर पर उ च तर य योगशालाओं के लये व ान के वशेष क मांग बढती जा रह
है। सभी' सै नक त ठानो म भी व ान के वशेष ो क नरतर माग हो रह है। वतमान यु आ यूह
(War Strategy) तो वशु प से व ान यां क पर आ त है। सावज नक त ठान म भी व ान
के जानकारो को नयोिजत कया जा रहा है। व ान से संबं धत नवीन यवसाय म बंधन
(Management), संचार (Communication), प का रता (Journalism), अनुसधान और वकास
(Research &development), अंत र भौ तक (Space Physics), जैव भौ तक
(Bio—Physics), अंत र वै ा नक (Space Scientist) मु ख है।
4. सां कृ तक मू य (Cultural Value) : व ान सामा य प म मानवीय स यता को तो
भा वत करता ह है, क तु व ान का मानवीय मू य के संर ण (Preservation), ह तांतरण
(Transfer), पु ट करण (Enrichment) म वशेष मह व है। वै ा नक व ध (Scientific
Method) म श ण और वै ा नक अ भवृि त (Scientific attitude) का वकास इस दशा म

33
मह वपूण भू मका नभाते ह। स य न ठा समपण, न भकता, याय यता, म के त ा जैसी
मानवीय भावनाओं का वकास यि त म व ान के अ ययन से होता है।
5. नै तक मू य (Moral Values) : नै तकता (Morality) का अथ ह यवहार, धम स ा त
है। इसको ''जो ले जाय या आगे ले जाय वह नी त है। भारतीय सदभ म दे खे तो धम, अथ, काम,
मो क ाि त के लये उ चत साधन को अपनाना ह नै तकता है। साधन के औ च य के लये मीमांसा
(Axilogy) म दे श, काल, प रि थ त क पृ ठभू म म वधान तपा दत है। इस वधान म मूल प
से यम— नयम आते ह। िजनम स य, म, नभ कता, तब ता, अ हंसा, समानता, न ठा, कत य
पराणयता आ द जैसे गुण सि म लत है। ये मानव—धम के मूल त व है। भारतीय संदभ म इन नयम
के अनु प जीवन यापन करना ह धम है। पा चा य व वान ोबेल ( Frobel), हाइटहे ड
(Whitehead), राइबन भी नै तकता को क पना धम से अलग असभव मानते है। इससे पूव मू य
म हमने दे खा क यि त अथात ् अ धक ता म इन गुण का वकास व ान श ण मे न हत है।
6. सौ दयानूभू त संबध
ं ी मू य (Aesthetic Values) : कु छ लोग इस प को शार रक या
भौ तक सौ दय से ले है। सु दर (Beauty) वह है जो अनुभव करने पर अ त आनंद द। व ान म
कसी योग से वां छत प रणाम करने म जो स नता होती है। वह आन द क ह अनुभू त है।
आक मडीज उ लावन नयम (Law of Floatation) और आपे त घन व (Relative density)
क आकि मक खोज से इतना आन द वभोर हो गया है क न न ह 'यूरेका' (Eureka) क रट लगाते
हु ये नानगृह से राजमहल म पागल क भां त दौडता हु आ चला गया''। यह व ान के प रणाम से
ा त सौ दयनुभू त क पराका टा है। आ सटॉन (Alston) और िजमा (Zim) अपने अ ययन से इस
न कष पर पहु ँचे क व ान के मु य उ े य अनुभू त (Reliasation) और अ भ च (Interest)
ह वाइंकर (poincare) के अनुसार:
''वै ा नक कृ त का अ ययन इस लये नह ं करता है क वह उपयोगी है, वह इस लये अ ययन
करता है क इससे उसको स नता होती है। वह इसमे स न इस लये होता है क यह सु दर है। म
यहां उस सु दरता क बात नह कर रहा हू ं जो हमार ानेि य को छत
ू ा है। म यहां पर इि क अनुभव
से ा त सौ दय और अनुभू त क उपे ा नह ं कर रहा हू । क तु, यहां इस बात पर बल दे रहा हू
क इसका व ान से कुछ लेना—दे ना नह ं है। मेरा ता पय उस अतीव हष क अनुभू त से है जो क
व ध के अंश क संतु लत यव था को रफु टत होती है। िजसक अनुभू त का आधार शु बु है।
(The scientist does not study nature beautiful it is beautiful, he studies it
because he delights in it, and he delights in it because it is beautiful, of course
I do not here speak of the beauty which strikes the senses, the beauties and
qualities and appearences, not that I under value such beauty. Far from but
it, has nothing to do with science. I mean that profoundable beauty which
comes from harmonious order of part and which a purse intelligence can
grasp.
वमू यां क न

34
1. व ान श ा के मू य के मु ख सं द भ या है : -
(i)....................... (ii)....................... (iii)...............................
(iv)..................... (v)....................... (vi).............................
2. व ान श ा के यावसा यक मू य के तीन उदाहरण द िजए :-
(i)....................... (ii)......................... (iii).............................
3. व ान के सौ दयनु भू त सं ब धी मू य को नवीन उदाहरणो वारा प ट क िजए

2.7 व ान श ण के ल य (Aims of Science Teaching)


पर परागत श ा— स ा त म ल य को सामा य उ े य (General aism) कहा जाता है।
क तु, अब हम इ ह ल य (Aims) ह कहते ह। व ान वषय के श ण से हम एक सामा य
ं ी प रवतन को येय बनाते ह, वह ल य है। ल य को सामा य कथन
अ धक ता म यि त व संबध
म अ भ य त कया जाता है। ल यो क ाि त के तर का मापन (Measurement) आसान नह ं
है। इसके लये य व ध (Direct Method) भी नह ं है। व ान श ण के ल य उपयु त ववरण
के ह न हताथ है। येय और मू य को ा त करने के लये ह हम अलग—अलग वषयो के श ण
और अ य काय म का आयोजन करते ह। इनके लये हम ल य नधा रत करते ह।
व ान श ण के ल य को श क एवं लेखक ने अपने अपने तर क से भ न— भ न शीषक
म तु त कया है। चू ं क ल य सामा य और द घका लक होते ह, इस लये इनको व यालयी तर
(School Stage) के अनुसार तु त कया जाय। यह अ धक मनोवै ा नक और युि त संगत
(Psychological and relevant) होगा। वतमान अनुदेशन ौ यो गक ( Instructional
technology) के संदभ म भी यह यायसंगत (Justified) है, य क श ण के े म हम
यावहा रक ि ट से सं ाना मक अ धगम स ा त (Cognitive theories of learning) पर
अ धक आ त है। र (Burner) और याजे (Piaget) के स ा त इस वचार के प धर है।
वतमान म हमार कूल यव था (School system) तर य (Tri—staged) है। इसम
ाथ मक (Primary), मा य मक (Secondary) और उ चतम मा य मक (Secondary) शै क
तर (Education levels) शा मल है। इस पु तक का संबंध थम दो तर तक ह सी मत है।
इस लये व ान के लये ल य का तु तीकरण इ ह ं दो तर के लये समीचीन है। इन तर म
बालक (Child) और कशोर (Adolescent) अ धक ता (Learner) है।
सव थम सन ् 1965 म अमे रकलन ऐसो सयेशन फॉर द एडवांसमे ट ऑफ साइस
(American Association for advancement of science—AAAS) ने रकूल तर के अनुसार
व ान श ण के ल य को इस कार तु त कया:—
 ाथ मक (Primary) : े ण (Observing), वग करण करना (Classifying), काल थान
(Using space—time relations), संबध
ं का उपयोग (Using numbers), अंक का
उपयोग सं े ण (Communicating), मापन (Measuring), अनुमान ( Inferring),
भ व यवाणी (Prediction).

35
 मा य मक (Secondary) : इस तर को इस सं था ने इ टरमी डएट (Intermediate)
नाम दया। इसके लये ल य इस कार है ा क पनाओं को नमाण करना (Formulating
hypothesis), चर का नयं ण (Controlling variables), द त (Data) का नवाचन
(Interpreting hypothesis), सं या मक प रभाषा दे ना (Defining Operationally),
तमान का तु तीकरण (Presenting Models) योग करना (Experimenting).
वतमान श ा शा ीय धारणाओं के अनुसार ल य सामा य और द घकाल न है। ल य के
नधारण म न न ल खत कारक (Facts) क मुख भू मका है।
1. क ा तर (Grade) एवं आयु तर (Age Level)
2. अ धक ताओं (Learners) क आव यकताय (Needs) एव अ भ चयां (Interest)
3. भौ तक (Physical) एवं सामािजक पयावरण (Social Environment)
4. संब धत येय एवं मू य (Aims & Values)
व ान श ण के ल य को सू चीब करने के लये सव थम क ा तर और आयु तर पर
यान दे ना आव यक है। ाथ मक तर (Primary Stage) को हम ाथ मक (क ा 1 — 5 अथात ्
6 वष म 11 वष) और उ च ाथ मक अथात ् 12 वष म 14 वष) म वभािजत करते है। इसके बाद
मा य मक तर को मा य मक (Secondary) और उ चतर मा य मक (Higher Secondary)
म वभ त करते ह। मा य मक तर क ा 9,10 एवं उ चतर मा य मक मे क ा 11, 12 शा मल
है। मा य मक तथा उ चतर मा य मक तर के लये सामा यत: आयु सीमाय मश: 15—16 वष
और 17—18 वष है। मनो व ान का व याथ जो क वकास और अ भवृ ( Development and
growth) का अ ययन कर चु का है, बा याव था (Childhood) कशोरावरथा (Adolescent) म
वैयि तक भ नताओं (Individual differences) और अव था समू ह (Age group) क भ नताओं
मे भल कार प र चत है। वह जानता है क इस चार र तर म अ धक ताओं क शार रक, मान सक,
सामािजक आव यकताये भ न है। इसी कार के मनोवै ा नक ि ट से भी भ न है। इस लये दो रतसे
ाथ मक और मा य मक के लये व ान शखण के ल य वाभा वक प म भ न है।
भारत म रा य श ा नी त (NPE 1986) के याि वत होने के बाद मा य मक तर
तक मातृभाषा , रा य भाषा, अ तरा य भाषा, ग णत, व ान, सामािजक व ान के अ ययन
सामा य श ा के अंग है। व ान के ल य को ाथ मक और मा य मक तरो के लये अलग—अलग
तु त कया जा रहा है।
ाथ मक तर पर व ान श ण के ल य —
1. पयावरण को जानने के लये िज ासा (Curriosity) का वकास करना।
2. त य (Facts) के े ण (Observation) क मता का वकास करना।
3. ा त त यो को एक त (Collect), सग ठत (Organized), वग कृ त (classify) करने
क मताओं का वकास करना।
4. पयावरण म होने वाल घटनाओं (Phenomena) के चरो (Variables) म काय कारण
(Cause—effect) सबध क जांच क मता का वकास करना।

36
5. भा तक माप— या (Measurement) म कौशल का वकास करना।
6. आव यक योग करने क मता का वकास करना।
7. व या थयो को उ च ाथ मक मे व ान का अ ययन करने के लये तैयार करना।
8. अंध व वास से बालक को मु त करना।
9. यो तष व ान म भारतीय योगदान क जानकार करना।
10. व ान श ण म च का वकास करना।
उ च ाथ मक तर पर व ान श ण के ल य —
1. ाथ मक र तर म ा त ल य को थाई बनाना।
2. ानाजन म च, कौशल का वकास (To development interest and skill in
acquiring knowledge)
3. तक शि त का वकास (Development of reasoning)
4. व ान के उपकरण को सह कार से उपयोग म लाना।
5. व ान के लये कौशल वक सत करना। (To develop skill in experimentation)
6. व ान से संबं धत अ कक (Numerical) सम याओं को हल करने का कौशल वक सत
करना।
7. मा य मक तर पर व ान के वतं अ ययन के लये मता का वकास करना।
8. व ान श ण म च का वकास करना।
मा य मक तर पर व ान श ण के ल य
1. उपरो त दोन तर म ा त ल य को अ धक थाई बनाना।
2. योग करने क मता का वकास करना।
3. योग े ण (Observation) से ा त द त (Data) का सह या या नवचन
(Interpretation) करने क मता का वकास करना।
4. ता कक नणयन शि त का वकास करना। (To develop the ability of logical
judgement)
5. घटनाओं के अ ययन से काय करण (Cause—effect) संबध
ं था पत करना।
6. व ान पर आधा रत यवसाय के लये तैयार करना।
7. उ चतर मा य मक एवं उ च तर म व ान के अ ययन के लये आधार मजबूत करना।
8. व ान के अ ययन म च का वकास करना।
9. वै ा नक अ भवृि त का वकास करना ( To develop sciencetific attitude)
10. वै ा नक व ध म श ण (Training in Scientific Method)
उ च मा य मक तर के व ान श ण के ल य —
1. उपरो त तीन तर के ा त ल य को मजबूती दान करना।
2. इस तर पर छा म यवि थत तथा वै ा नक प से सोचने क आदत का वकास करना।

37
3. छा को वतं प से अ ययन करने के अ यास हे तु अवसर दान करना। उनम अपने े ण
(Obserations) से उ चत न कष नकलाने क आदत का वकास करना।
4. श ा थयो क गणना मक (Computational) तथा रचना मक (Creative) तभाओं का
वकास करना।
5. इस तर पर व ान क मु ख शाखाओं के मूलभूत (Fundamental) त य , नयम और
स ा त से सामा यीकरण क मता का वकास करना।
6. छा को ौ यो गक के व भ न अंग जैसे इंजी नय रंग, सार, यातायात, ऊजा, कृ ष,
वा य इ या द े पर व ान के योगदान क अनुभू त का वकास करना।
7. व या थय म कौशल (skill) वक सत करना चा हये। िजससे वे वतं प से अपना यवसाय
चला सकने म स म हो सके।
8. वै ा नक व ध म श ण दान करना।
9. वै ा नक अ भवृि त का वकास करना।
वमू याकन
1. ल य के दो गु ण धम या है :-
(i)................................. (ii)......................................
2. व ान श ण के ल य नधारण क या कसौ टयां ह 7
(i).......................................... (i)....................................
(iii)......................................... (iv)...................................
3. मा य मक तर पर व ान श ण के भ न ल य या है जो पू व के तर म नह ं है
(i)......................................... (ii)......................................
(iii)...................................... (iv)....................................

2.8 व ान श ण के अनु देशा मक उ े य


(Instructional Objectives of Science Teaching)
व ान के उ े य को वतमान व प ा त करने म पया त अनुसंधान और सै ाि तक
याओं से गुजरना पडा। सन ् 1994 म नेशनल सोसायट फॉर द टडी ऑफ एजूकेशन एअर बुक
''साईस एजु केशन इन अमे रका'' म व ान श ण के उ े य को न न ल खत संवग म रखा गया:—
 त य क काया मक सूचना (Functional Information of Facts)
 काया मक अवधारणाय (Functional concept)
 स ा त का काया मक बोध (Functional understanding of principles)
 उपकरणी कौशल (Insteumental)
 सम या समाधान कौशल (Problem Solving Skill)
 अ भवृि तयां ( Scientific Attitude)
 शलाधाय (Appreciations of Science structure their use)
 अ भ चयां (Interests in Science Scientific interest)

38
इसी म म छठे दशक के उपरा त बी.एस.सी.एस (BSCS) और सी.बी.ए. (CBA) के
अि त व म आने पर योगशाला काय को वशेष मह व दया गया। फल व प व ान श ण म
योगशाला अ धगम के न न ल खत उ े य तु त कये गये :—
 संरचनाओं और अ भ याओं का े ण
 संरचना मक प रवतन के साथ सह सबं धत करना।
 योग से ा त द त (Data) को व श ट ा क पना (Perticular Hypothesis) के
प रमाणा मक पर ण के व ले षत करना।
 सभी संभव ा क पनाओं के लए योग को डजाइन करना।
 दूसरे ान शा के संदभ म सरचनाओ का ववेक करण
 कृ म त प नमाण
 नवचन हे तु व भ न व ान के प रणाम का संयोजन
 सा य एवं नगमन के आधार पर नवचन
 पर ण हे तु नवीन अवधारणाओं एव वचार के वकास के लए वतं क पना शि त का
उपयोग
इस दशा म सवा धक लोक य, यावहा रक और वीकाय यास बे जा मन लूम
(Benjamin Bloom) और उनके सा थयो (1956) ने कया है। श ण सदा वांछनीय यवहार
प रवतन को नद शत करती है। श क अ धगम के लये अपने अनुदेशन को व प दान करता
है। ता वत वषय—व तु (Content) म अ धगम संबध
ं ी यवहार—प रवतन होते ह। इनको हम
अपे त यवहार प रवतन (Expected behaviour changes) कहते है। इन प रवतन को उपल य
करने का सार अनुदेशन क भा वता (Effectiveness) दशाता है। भावी अनुदेशन नधा रत यवहार
प रवतन को लाने के लये श क के क ागत यास है। वह ं यवहार प रतवन उ े य है। अत: हम
कह सकते है क भावी अनुदेशन नधा रत उ े य को ा त करने म सहायक होता है। भावी अनुदेशन
के लये मु ख प से चार उपागम अ धक लोक य ह
1. जेरोम तर का खोज उपागम
2. (Jerome Bruner’s Discovery Approach),
3. डे वडआसु बल
े का अ भ हण उपागम
4. (David Ansubel’s Reception Approach);
5. बी.एफ ि कनर का रच—अनुदेशन उपागम
6. (B.F.Skiner,s Auto—Instruction) और
7. बे जा मन लूम तथा सा थय का पारं गत उपागम
8. (Benzamin Bloom & Others Mastery Approach)
उ े य को श ण अनुदेशन का अ भके (Focus) माना जाने लगा है। बीसवीं सद के छठे
दशक से हम दशा म यास कये गये। हमारे श ण संबध
ं ी वचार और याओं म लुम के उपागम
को अ धक यावहा रक समझा गया है। इरा कार हमारा श ण अ यास (Teaching Practice)
इसी उपागम पर न मत है। इस उपागम के मुख ब दु इस कार है

39
 मू यांकन और तपुि ट (Evaluation and feed back) अनुदेशन के बाद अ नवाय है।
 अनुदेशन रवे पूव अ धक ता उ े य को प ट प म समझ लेता है।
 इन उ े य मे अ तभ वत कृ यक (Involved) के लये अ धक ता म पूव ा त (Acquired)
मता है।
 अनुदेशन म श क आव यक अ धगम सि थ तयो (Learning situation) का सृजन करता
है। अ धक ता इनम लाभ ा त करने मे स म है।
 अ धक ता उ े य को ा त करते हु ये वषय—व तु म पारं गत हो जाता है।
2.8.1 लूम वारा तु त उ े य (Objectives presented by Bloom): लू म वारा
तु त उ े य को वग कृ त प म तु त कया गया है। इन उ े य को न नतम से उ चतम तर
म तीन संवग (Categories) म रखा गया है। येक सवग म उ े य को यवहार प रवतन के पद
म न नतम म उ चतम म वग कृ त कया गया है। इस लये इस तु तीकरण को ''टे सानॉमी'
(Taxanomy) नाम दया गया है। चू म और सा थय वारा कया गया। शै क उ े य का वग करण
(Taxanomy of Educational Objectives) इस कार है :—
1. सं ाना मक (Cognitive Domain) :
 ान (Knowledge)
 बोध (Comprehension)
 उपयोग (Application)
 व लेषण (Analysis)
 स लेषण (Synthesis)
 मू यांकन (Evaluation)
2. भावा मक डोमेन (Effective Domain):
 अ ध हण (Receriving attention)
 अनु या ( Responding)
 आकलन (Valution)
 संगठन (Organizing)
 मू य वारा चा र ीकरण (Charatertization by Value)
3. या मक प (Psyclo—Motor Domain):
 उ ीपन (Stimulation)
 काय करना (Manipulation)
 नयं ण (Controlling)
 समायोजन (Adjustment)
 सामा यीकरण (Generalization)
 आदत नमाण (Formation)

40
2.8.2 भारत म च लत उ े य संवग (Categories of objectives popular in
India) :उपयु त सवग करण को यावहा रक ि ट से ज टल पाया गया। इस लये व वभर म इस
सवग करण को यावहा रक बनाने के यास कये गये। भारत म ऐसे यास का नेत ृ व एन.सी.ई.आर.ट .
ने कया। इस कार इस सं था क पहल पर भारत म चू म के सवग करण के आधार पर अनुदेशन
उ े य को न न ल खत वग म वभािजत कया गया है। उ े य के ये वग अ धगम अनुदेशन,
मू यांकन, तपुि ट के लये यावहा रक पाये गये। भौ तक के अनुदेशन के लये भी उ े य के यह
वग वीकार कये गये ह।
1. ाना मक उ े य (Knowledge Objective) : इस उ े य के व श ट करण
(Speci—fication) के अंतगत हो वग है;
(i) या मरण (Recall), (ii) प हचान (Recognition)
(ii) वषय—व तु के संदभ म इनको इस कार सू ब कर सकते है :—
(iii) या मरण (Recall). छा न न ल खत का यारमरण करगे —
(iv) पद (Term), प रभाषाय (Definition), त य (Facts), तकनीक (Technique), व धयां
(Methods) नयम (Laws), स ा त (Principles/Teories), तीक (Symobois),
सू (Formula) आ द।
(v) प हचान (Recognition) : छा पद, प रभाषाओ, त यो, तकनीक , व धय नयम ,
स ा त आ द को प हचान सकगे।
2. अवबोधना मक उ े य (Objective of Understanding): इस उ े य म मु ख व श ट करण इस
कार है—
 अ तर करना (To find the difference)
 समानता ात करना (To find similarity)
 तु लना कर सकगे (To compare)
 अपने श दो म प रभा षत करना (To define in own words)
 पा तरण करना (To translate)
 उदाहरण दे ना (To give examples)
 वग करण दे ना (To classify)
 सह ि थ त बतलाना (To locate correctly)
 ुट ात कर ठ क करना (To find errors and correct them)
 सह मलान करना (To match correctly)
 प ट करना (To explain)
 ववरण दे ना (To describe)
 काय—कारण संबध
ं ात करना (To find cause &effect relations)
 अनुमान लगाना ( To infer)
 उ वरण दे ना (To give illustrations)

41
3. योग (Application) : इस उ े य का ता पय यह है क अ धक ता ान, बोध और कौशल
को नवीन प रि थ त म समायोजन या सम या के समाधान के उपयोग म लाता है। इसके
व श ट करण इस कार है
 व लेषण करना (To analyse)
 सं लेषण करना (To synthesis)
 गणना करना (To compute)
 भ व यवाणी करना (To predict)
 ा क पनाय सू ब करना (To formulate hypothesis)
 सु झाव दे ना (To suggest)
 सावधा नयां रखना (To take precautions)
 यवि थत करना (To manipulate)
 तक दे ना (To reasons)
4. उपयोजना मक कौशल (Objective of Skill) : इस उ े य के मु ख व श ट करण इस कार
है —
 सह नामां कत च बनाना (Draw labelled diagram correctly)
 योग के लये सह ढं ग से उपकरण जमाना (To set apparatus)
 त प बनाना (To make model)
 सह योग करना (To experiment correctly)
कु छ लोग अ भ च (Interest) और अ भवृि त को भी उ े य म शा मल करते है। क तु
इन मान सक शि तय का मू यांकन आसान नह ं है। तथा इनको एक् इकाई अथवा एक उप—इकाई
म वक सत करना यावहा रक नह ं है। चू ं क उ े य का मापन आव यक है, इस लये पाठ योजनाओं
म इनको सि म लत करना संगत नह ं है।
वमू यां क न
1. व ान श ण म उ े य सू ब करने के आधार या ह ?
(i)...................... (ii)..................... (iii).........................
2. भारत म व ान - श ण के उ े य के नधारण का आधार या ह ?
...................................................................................................
3. एन . सी . ई . आर . ट . ने उ े य से अ भ च , अ भवृ ि त को य हटाया ?
..................................................................................... ..............

2.9 वमू यांकन (Self Assesment)


1. व ान अ ययन के सदभ म येय, मू य और ल य को प रभा षत क िजये।
2. व ान श ण के ल य उसके उ े य से कस कार भ न ह?
3. व ान श ण वारा मू य— हण के उदाहरण द िजए।
4. वै ा नक व ध और वै ा नक अ भवृि त को पा प ट क िजए। इनका या मह व है व ान
श ण वारा इनमे पारग त कैसे ा त हो सकती है|
42
5. व ान श ण और अनुदेशन म या अतर ह' इनके येय को प ट करते हु ये उनक तु लना
क िजये।
6. व ान अनुदेशन के व भ न उपागम या ह |
7. लूम के पारं ग त उपागम क या या क िजए। इसने भारत म व ान अनुदेशन को कैसे
भा वत कया
8. भारत म व ान श ण के उ े य तु त क िजए। इनके लये आधार को सू ब क िजए।
9. व ान श ण के ल य और उ े य कस कार सबं धत है।
10. व ान के अनुदेशन उ े य हमारे रा येय क ाि त म कैसे योगदान कर सकते ह।

2.10 संदभ थ (References)


1. Benzamin Bloom etal; Taxonomy of Educational Objective, Hand book
I Conginitive Domain, David Macay (1956).
2. Govt. of India; Report of Education Commission (1964—66) Ministry of
Education N.D.
3. Govt. of India; N.P.E.(1986)
4. Govt.of India, Report of the committee of Review of N.P.E. 1992,
Ministry of H.R.D.N.D.
5. Negi,J.S. Bhautiki Shikshan; Vinod Pustak Mandir, Agra (1999)
6. Simpson E.J. Classification of Educational Objectives
Psyclo...................meter Do— main, Illinois Teader of Home Eco.
7. Sood J.K; Teaching Life Sciences, Kohli Publishing Chandigarh (1986)

43
इकाई —3
व यालय पा य म म व ान का थान, व भ न तर एवं
े से स ब ध, एक प/ व श ट पा य म के उपागम (Place
of Science in school curriculum, Linkages with other
areas and different stages. Unified /Specialised
approach to curriculum)
इकाई क संरचना (Structuer of the Unit)
3.0 उ े य (Objectives)
3.1 तावना (Introduction)
3.2 सामा य व ान का व यालय पा य म म थान
(Place of sicience in school curriculum)
3.3 सामा य व ान का व भ न े से स बंध
(Linkage of General Science with other areas)
3.4 पा य म क अवधारणा (Concept of Curriculum)
3.5 व ान पा य म वकास के स ा त
(Priniciples of Science curriculum development)
3.6 व ान पा य म वकास के चरण
(Steps of the Science curriculum development)
3.7 व ान पा य म संगठन के उपागम
(Science curriculum development approach')
3.7.1 वषय आधा रत उपागम (The Subject based approach)
3.7.2 पयावरण पर आधा रत उपागम (Environment based approach)
3.7.3 या आधा रत उपागम (Activity based approach)
3.7.4 यि तगत उपागम (Individual approach)
3.7.5 अ त: अनुशासना मक उपागम (Inter disciplinary approach)
3.8 व ान पा य म नमाण के लये आव यक त व
(Essential element for science curriculum construction)
3.8.1 यूने को वारा तु त सु झाव (Suggestion given by UNESCO)
3.8.2 रा फ. ड लू . टाइलर के सु झाव (Suggestion of Ralf W .Tailor)
3.9 पा य म मू यांकन क कसौ टयां (Criterial for the curriculum development)
3.10 व ान पा य म वकास क नूतन वृि तयां
44
(New trennds of Science curriculum development)
3.10.1 यापक पा य म (Broad field curriculum)
3.10.2 फिजकल साइंस टडी कमेट कोस
(Physical Science Study Committee Course: Project—PSSC)
3.10.3 नफ ड फिज स कोस (Nuffield Physics Course Project)
3.11 भारतीय श ा का रा य पा य म
(National curriculum of Indian Eduction)
3.12 व ान पा यचया (Science Syllabus)
3.13 व ान पा यचया नमाण के स ा त
(Principles of the Science syllabus prescription)
3.14 वमू यां न (Self Assesment)
3.15 संदभ थ (eferences)

3.0 उ े य
(Objectives)
इस इकाई के अ ययन के उपरा त अ धक ता —
1. पा य म, पा यचया को प रभा षत करते हु ए उनमे अ तर प ट करगे।
2. व ान के पा य म वकास के स ा त , उपागम , चरण एव आव यक त व को सू ब
कर सकगे।
3. पा य म उ नयन हे तु व भ न सरथान एवं यि तय वारा दये गये सु झावो क संग त
का व लेषण करगे।
4. व ान के पा य म वकास क नूतन वृि तय क पृ ठभू म , आव यकताओं, काय म एवं
न हताथ क ववेचना कर सकगे।
5. भारतीय प र े य म व भ न नूतन वृि तय क उपादे यताओ को प ट करगे।
6. भारतीय रा य पा य म म व ान के मह व को प ट करगे।
7. व ान क पा यचयाओं का समालोचना मक ववरण तु त करगे।
8. व ान क पा यचया नमाण क आव यकताओं, स ा त क ववेचना कर सकगे।
9. व ान के च लत पा य म एव पा यचयाओ का मू यांकन कर सकगे।

3.1 तावना
(Introduction)
व ान श ा म श ण और अनुदेशन मे पार प रक स ब ध को आ मसात ् करने के उपरा त
श ण को यावहा रक व प दान करने क बात सामने आती है। यह प ट हो गया है क श ण
के चतु फलक य ा प म थम सोपान रा य येय पर आधा रत पा य म को समझना, वक सत

45
करना तथा इससे स बि धत पद , अवधारणाओ याकलाप , स ा त वृि तय आ द म बोध
आव यक है। इस इकाई म पा य म स ब धी सभी प ो पर चचा क जा रह है।

3.2 सामा य व ान का व यालय पा य म म थान


(Place of science in school curriculum)
व यालय मे व ान वषय को उसके व भ न अंग भौ तक शा , रसायन शा और जीव
व ान आ द के प म अलग—अलग न पढाकर सामा य व ान नामक वषय के प म एक कृ त या
समि वत ढं ग से पढाया जा रहा है। इसके मू ल म यह धारणा काम करती है क सामा य यि त के
लये सामा य जीवनयापन क ि ट से व ान वषय को अ धक सू म या गंभीर अ ययन क
आव यकता नह ं है। उसक िज ासा और आव यकता कसी वै ा नक क तरह नह ं होती। उसे वै ा नक
के व ान क आव यकता नह ं है, अ पतु ऐसे साधारण व ान क आव यकता है जो दै नक जीवन
म उसे जीने के लए हो या दै नक जीवन म उसके लए उपयोगी हो।
कोठार श ा आयोग के मतानुसार — सामा य व ान को (1 से (IV) क ा पा य म म
एक समे कत ि टकोण से संग ठत वषय के प म अ नवायत: पढाये जाने क सफा रश क है।
क ा I से IV तक सामा य व ान को ाकृ तक एवं भौ तक पयावरण से स बि धत कया
गया है। इस लये ाथ मक तर तक सामा य व ान को पयावरण अ ययन नाम दया गया है।
ाथ मक तर पर सामा य व ान बालक क आव यकताओं एवं पयावरण पर आधा रत होना चा हए।
छोटे बालक अनुभव और अवलोकन के मा यम से अ धक सीखते ह। जैसे वषा का होना, इ धनुष
का बनना, पेड—पौध म फूल एवं फल का आना, आम या फल का पृ वी पर गरना आ द , इन ाकृ तक
नयम एवं त य को जानने क िज ासा बालक म उ प न होती है याने वह कृ त के रह य को जानने
का इ छुक रहता है।
उ च ाथ मक क ाओं V से VII तक सामा य व ान म भौ तक , रसायन, जीव व ान
भू— व ान और खगोल व ान आ द शा मल कये गये ह। उ च ाथ मक तर पर बालक भौ तक
ाकृ तक, यातायात, आ द के े म व ान क उपयो गता समझने लगता है। यह पर बालक पयावरण
पर आधा रत व ान का अ ययन कर उसे साथक व थाई ान ा त करके यावहा रक जीवन क
अनेक सम याओं का समाधान करने लगता है।
मा य मक तर — मा य मक तर पर बालक को व ान से स बि धत यय, स ा त,
त य का ान योगशाला वारा दया जाता है इरा तर पर यो य श क एवं योगशाला क
आव यकता होती है बालक करके सीखना चाहता है। व ान को कृ ष (Agriculture) एवं तकनीक
(Technology) एव पर आधा रत बनाया गया है। िजससे ामीण एवं शहर व याथ को सामा य
व ान को पाने से लाभ हो।

3.3 व ान वषय का अ य वषय से स ब ध


(Linkage of Science subject with other)
सु वधा के ि टकोण से हमने एक नि चत ान को पृथक—पृथक वषय म वभािजत कया
है। वा तव म कोई भी वषय अपने आप म पृथक नह ं है। उनका अ ययन पृथक प रो स भव नह ं

46
है। व ान श ण का अ ययन जीव व ान, रसायन व ान, भौ तक व ान के नयम के अभाव
म स मव नह ं है।
व ान श ण का भौ तक एवं रसायन व ान से स ब ध: व ान के व भ न स ा त ,
यय एवं त य का अ ययन भौ तक शा , रसायन शा , जीव शा के ान के अभाव म समझना
अस भव है। पाचन या म भोजन के त व पर पाचक रस का भाव, भोजन के त व तथा पाचक
रस दोन ह व ान के े म आते ह। कृ त म नाइ ोजन च , CO2 च ,O2 च आ द का अ ययन
भी रसायन एवं जीव व ान से स बि धत है। ऑख क काय व ध का प ट करण भौ तक ान के
अभाव म स भव नह ं है। अ यापक को चा हए क िजतना भी. सं भव हो, एक वषय का दूसरे वषय
से सहस ब ध था पत करते हु ए अ ययन कराव।
व ान वषय का भाषा से स ब ध: अपने वचार क अ भ यि त के लए भाषा एक सश त
मा यम है। य द भाषा पर यि त का अ धकार नह ं है जो व ान के े म ा त उपलि दय को
जनसाधारण के लए उपयोगी नह ं बनाया जा सकता है। व ान के ान को सरल, प ट और आकषक
भाषा म दे ने क परम आव यकता है। व भ न लेख , कहा नयो और सा ह य म व ान क श दावल
का योग होता है।
व ान का इ तहास से स ब ध: व ान का मानव—सं कृ त एवं स यता के वकास से स ब ध
है। व भ न पादप एवं ा णय के उ वकास, आनुवां शक के स ा त , जीव वै ा कनक के आ व कार
के इ तहास, उनक जीव नय आ द के मा यम से ऐ तहा सक घटनाओं के मह व को भी प ट कया
जा सकता है। व भ न स यताओं के वकास म भी व ान के मह व को प ट कया जा सकता
है।
व ान का ग णत से स ब ध: आनुवां शक ान और वंश पर परा को समझने, सू मदश
य , ऊजा, यूटन के ग त के नयम , समीकरण आ द के ववेचन के लए ग णत क सं याओं एवं
माप नय का ान अपे त है।
व ान का भू गोल से स ब ध: म ी क कृ त और रचना, वायुम डल , व भ न जलवायु
म पाये जाने वाले पौधे, जीवज तु वन प त आ द भू गोल से स बि धत है। व भ न कार के धातु
अय क, त व आ द का भी भू गोल से स ब ध है।
व ान का कला से स ब ध: व ान का भावशाल एवं अथपूण अ ययन कला के ान के
अभाव म अधू रा है। व ान म च , ाफ, चाट, त प आ द क अ य धक आव यकता पड़ती है।
च के मा यम से वषय को प ट बनाया जा सकता है।

3.4 पा य म क अवधारणा
(Concept of Curriculum)
पा य म पद (Term) से सभी श त श ाथ , माता— पता एवं अ भभावक भल कार
प र चत है। सभी जानते है। क कू ल यव था म पा य म के अनुसार ह ाथ मक, मा य मक
एवं उ च तर पर श ा के काय संचा लत होते है। श ा के यापक व प और ल य का सै ाि तक
श ा शा के अ य वषयो म व तृत अ यन कया जा चुका है। अत प ट हो जाता है क पा य म

47
श ा के यापक औपचा रक व प का आका रक ढाचा (Layout) है। पा य म म वैयि तक और
सामािजक अपे ाय ह िजसके लये कूल और कूल यव था अपने अि त व म है। पा य म म
वे सभी या कलाप अपनी पूणता म सि म लत ह जो क कू ल और कू ल यव था म होती ह।
पा य म यापक एवं वराट है। क तु इसका व प सू म (Abstract) है। इराको श द म बांधना
स भव नह है। कु छ व वान ने पा य म क अवधारणा को अपनी—अपनी प रभाषाओं म तु त करने
के यास कये ह, क तु ये सभी मौ लक प मे ह पा य म को दशा पाते है।
पा य म का व प सामािजक मू यो एवं ल य वारा नधा रत होता है। इनक ाि त को
के य मानकर व यालयी काय म का नधारत होता है। पा य म अं ेजी पर क र यूलम का
े ी को इस पद का मूल ले टन भाषा का 'कर' (Curre) है। िजसका अथ दौड़ का
समानाथ है। अं ज
मैदान (Race Course) है। अथात ् पा य म घुडदौड के मैदान के समान है। िजसको पार करने के
बाद व याथ अपने ल य एवं उ े य (Aims and Objectives) को ा त कर लेता है। कुछ लोग
पा य म को पा यचया (Syllabus) मानते है। पा यचया तो सलेबस है, जो क पा य म का एक
छोटा सा भाग है। कसी तर पर क ा, व यालय तथा व यालय के बाहर होने वाले अनुभव और
उन अनुभव के लये उ तरदायी सि थ तयो तथा व याथ पर होने वाले इनके भाव पा य म म
शा मल है।
क नंघम (Cunnighan) के अनुसार पा य म कलाकार ( श क) के हाथ म ऐसा साधन
(Means) है। िजससे वह उपल ध व तु (अ धक ता) को अपने वचार (मू य , ल य , उ े य ) के
अनु प अपने टू डय ( व यालय) म ढाल सके।
श दकोश के अनुसार पा य म वकास ऐसा या सार णक है िजसको अ धगम अनुभव के
संर चत समु चय के उ पादन (Production) के लये पा कत (Designed) कया गया है। इसको
वषय और अ ययन े क सीमाओं म नह ं बांधा जाता है। इसम व याथ — संसाधन (Student
resource) क सभी साम यां, श क अनुदे शकाय, (Teacher Guides) पा यचचाय, अ धगम
अनुभव से स बि धत काय म , उ े य , मू यांकन तकनीक एवं उपकरण के संर चत समु चय
सि म लत है। मा य मक शखा आयोग (1952—53) के अनुसार पा य म का ता पय उन योगशाला,
काय गो ठ , खेल के मैदान आ द थान म श क— श ाथ अ त: या से वक सत होती है। अत:
पा य म का अथ उन सभी अनुभव से है जो कसी तर पर व याथ के बहु मु खी स तु लत वकास
(Harmonious Development) के सहायक है।
इस कार पा य म तो वा तव म श ा के कसी भी तर के लये उपयु त का नधारण
है। पा य म मा एक खाका (Out Line) है। इसको श द म तु त नह ं कया जा सकता। व ान
पा य म कसी भी कूल तर के लये वलान से स बि धत सभी यवहार प रवतन (Behaviour
changes) इन प रवतन के लये भावी संसाधन (Resources) वषय व तु श ण व धयो
(Methods), काय म (Programmes), मू यांकन तकनीक (Evaluation techniques),
पा य एवं स दभ (Reading &reference materials), श क नद शकाओं (Teacher
guides) आ द का समु चय (Set) है। इराम व ान से स बि धत मू य, ल य, उ े य (Values,

48
Aims and Objectives) भी शा मल है। सामािजक अपे ाय (Social expectation) भी पा य म
का मुख अंग बनाती है।
वमू यां क न
1. पा य म का यु पि त के आधार पर अथ है ।
_______________________________________________________
2. पा य म म काया मक प से श ा एव श ण के कन त व को शा मल कया
गया है ?
_______________________________________________________

3.5 व ान के पा य म वकास के स ा त
(Principles of Science Curriculum Development)
व ान के पा य म वकास के लए िजन का मागदशन मा यताओ (Guiding
assumption) का अनुगमन ( Follow) कया जाता है। उनम मु ख इस कार है :—
1. बाल केि त पा य म (Child Centered Curriculm): पा य म व याथ क
आव यकताओं तथा उनक आयु को यान म रखते हु ये बनाना चा हये, िजससे उनके जीवन म श ा
लाभदायक स हो तथा वह अपनी दै नक सम याय खु द हल कर सक।
2. अनुभव क पूणता ( Totality of Experience): पा य म व याथ के अनुभव क पूणत
पर आधा रत होना चा हये। इसम जीवन के सभी प सि म लत होने चा हये। व या थय म अनुभव
क पूणता तभी उजागर होती है जब वह कू ल क व भ न याओं से क ा, पु तकालय, योगशाला,
व ान लब, व ान दशनी एव मेलो, व ान सं ब धी पयटन मे तथा अ यापक के साथ
अनौपचा रक स ब धी से ान ा त करता है।
3. व वधता तथा लचीलापन (Variety and Elasticity): पा य म म व वधता तथा
लचीलापन होना चा हये। पा य म वैयि तक मताओं, शि तय एव आव यकताओं क पू त करने
वाला होना चा हये। इसे ग या मक (Dynamic) और लचीला होना चा हय तथा रा , समाज और
व या थयो क आव यकताओं को पूण करने यो य होना चा हये। िजससे व याथ के यि त व का
समु चत वकास हो सके।
4. सामािजक आव यकताओं के अनुकूल (According to the need of the Society):
पा य म समाज के आदश , आव यताओ और प रि थ तय के अनुकू ल होना चा हये। िजससे क पढने
के प चात ् व याथ सामु दा यक जीवन क वा त वक प रि थ तय के साथ सफल समायोजन था पत
कर सके।
5. सहस ब ध पर आधा रत (Based on Cc—relation) : पा य म को व भ न वषय
के पार प रक अ तस ब ध (Interrelationship) पर आधा रत होना चा हये, िजससे वषय से ा त
ान का उपयोग दूसरे वषय के लये कया जा रनके। पा य म को अलग—अलग अस बि धत वषय
म नह बाटना चा हये।

49
6. याओं एवं कायानुभव पर आधा रत ( Based on Activities and Work
experience): पा य म 'करके सीखने' पर आधा रत होना चा हये। िजससे व या थय को वै ा नक
क तरह अनुवेषण करने क ि थ त म काय करने का अवसर ा त हो सके तथा व ान से स बि धत
दूसरे काय , जैसे— लब, पयटन, दशनी इ या द से अनुभव ा त हो सके।
7. सृजना मक ( Creative): पा य म मे अ वेषण ोजे ट का समावेश होना चा हये िजससे
व या थय म उ पादक वचार (Creative attitude) उ प न हो जाय।
8. संर ण का आधार (Based on Conservation): पा य म के मा यम से उस ान को
सु र त रखना चा हये िजसके मा यम से स यता एवं सं कृ त का वकास हु आ है।
9. भ व य पर आधा रत (Future) : पा य म व या थय के भ व य के नमाण पर आधा रत
होना चा हये। अथात ् उसम इस कार क स ा त एव याय होनी चा हये, िजससे उसके भावी जीवन
क तैयार हो सके तथा एक भावशाल यि त बन सक।
10. अवकाश के लये उपयोगी (useful for Leisure) : पाठय म म यावसा यक, सामािजक,
कला मक एवं खेल याओं का मह वपूण थान होना चा हये। िजससे व याथ अवकाश—काल म
तथा अपने भावी जीवन म उनका उपयोग कर सके।
11. नै तक एवं चा र क मू य पर आधा रत (Based on Noral and characyer
values) : पा य म म व या थय के नै तक एव चा र क मू यो के वकास से स बि धत बात
होनी चा हये। इसम ऐसे अवसर हो िजनम व याथ को मानवीय मू यो मे सं का रत कया जा सके।
12. एक कृ त का स ा त (Priniciple of Integration) : पा य म म बालक क वतमान
एवं भावी आव यकताओ के साथ—साथ वतमान एव भावी सामािजक, रा य आव यकताओं का
एक करण होना चा हये।
13. या का स ा त (Priniciple of Activity) : पा य म मे करके सीखने पर बल दया
जाना चा हये।
वमू यां क न
1. बालके ि त पा य म का या अथ ह ?
2. याओं और कायानु भ व के स ा त के न हताथ या ह ?
3. व ान म पा य म नमाण के पाँ च मु ख स ा त को ाथ मकता के आधार पर
ल खए :
1______________ 2._____________ 3._________________
4______________ 5._____________

3.6 व ान पाठयकम वकास के चरण


(Stept of Science Curriculum Deveoplment)
ओपन यू नवसट , म टन क स (इं लै ड) वारा का शत श ण पुि तका (Supporting
Curriculum Development) म व लयम े कोट और. रे बोलम ने बतलाया है क कसी पा य म
को वक सत करने क या के पांच चरण होते है :—

50
अ) सि थ तय का व लेषण (Situationl analysis)
बं) येय नधारण (Aim Formulation)
ख) काय म नमाण (Programme building)
द) नवचन एवं या वयन (Interpratation and Implementation)
य) अनु वण , तपुि ट एवं अंकन पुनरचना ( Monitoring feedback assessment
reconstruction)
अ) सि थ तय का व लेषण (Analysis of Situation): पा य म के लये उन
सि थ तयो का व लेषण अ नवाय ह, इसम व िजनम, िजन के लये तथा िजन के वारा इसका
याि वत कया जाना है सि म लत है। इन सि थ तय को दो वग — बाहय (External) और
आ त रक (International) म बांटा गया ह जो न न कार ह :
क) बाहय (Extenal):
 पै क त ठा (Parental prestige) नयो ता क अपे ाये (Employee's
expectations) सामािजक मा यताओं और मू य (Social beliefe and values)
प रवतनशील स ब ध (Changing relations) (जैसे ब च एव बड़ के बीच) तथा
वचारधाराओं रवे यु त सां कृ तक एवं सामािजक प रवतन एवं अपे ाये।
 श ा प त क आव यकताय एवं चु नौ तयां (Needs and challenges) जैसे नी त—कथन
(Policy statement), दबाव (Pressures), पा य म—प रयोजना, शै क—अनुसंधान।
 पा य म क वषय व तु क प रवतनशील कृ त।
 अ यापक—सहायता, सं थान (Institutions) का समव योगदान जैसे श क— श ण
महा व यालय, शोध सं थान (Research Institutions) आ द।
 व यालय म संसाधन का वाह।
ख) आ त रक (Internal):
 छा — वृ तयां ( Pupil tendencie) मताये (Abilities) एवं प रभा षत शै क
आव यकताय (Defined needs)
 श क—मू य (Values), अ भवृि तयां ( Attitudes), कौशल (Skills), ान
(Knowledge). वशेष शि तयां (Spectfic abilities) दुबलताय (Weaknees), भू मका
(Roles)
 व यालय प रसर और राजनै तक संरचना (School compound and Political
structure) :— शि त वभाजन (Distrubution of power) भु व (Command),
स ब ध (Realtions), तमान (Standards) के अनू प उपलि ध (Achievements)
के तर के, यत म के नपटारे आ द से यु त सामा य धारणाय एवं अपे ाय
(Expectation)
 भौ तक संसाधन (physical resource), िजसके अ तगत संयं (Machine), उपकरण
(Tools) तथा इनक अ भवृ के लये संभावनाय है।

51
 वतमान पा य म म दे खी गयी एवं अनुभव (Experience) क हु ई सम याय (Problems)
तथा क मया (Weaknesses)
ब) येय नधारण (Aim Determination) : पा य म के येय नधारण म वे सभी मू य,
येय, ल य और उ े य ह िजनका व तार से वणन इकाई 2 म कया गया है।
स) काय म नधारण (Programme Determination) : इसम न न ल खत सि म लत
है:— .
 अ यापक, अ यापन याओं क ा क पना (Hypothesis), वषय व तु ( Content),
संरचना (Structure), व ध, े एवं अनु म (Sequence)।
 साधन साम ी जैसे कट को व श ट करण (Specifications) वशेष इकाईयां, पा य
साम ी आ द।
 उपयु त सं थागत ढांचे क ा क पना, जैसे योगशालाय, े —काय, कायशालाय, भाव
व मह व।
 कमचार गण का फैलाव (Expansion), भू मका न चयन (Role Fixation) जैसे
सामािजक, वै ा नक एवं ौ यो गक प रवतन के साथ पा य म म प रवतन।
 समय—सारणी (Time Table) एव अ य ब ध।
द) नवचन एवं या वयन : पा य म प रवतन लागू करने क सम याय जैसे एक ग तशील
सां था नक ढांचे म ज नये—पुराने के बीच संघष ( Struggle), तरोध (Resistance), अ नि चतता
(Indefinithess) आ द हो सकता है। एक प रकि पत आदश म अनुभव के पुनरावलोकन ( Revise)
के मा यम से या शत ग त, नवाचार पर साथक अनुसध
ं ान (Meaningful research on
innovation) एवं स ा त का व लेषण (Analysis) तथा क पनापूण (Imagination) भ व य
—कथन (Prediction) होना चा हये।
य) अनु वण , तपुि ट एवं अंकन पुनरचना ( Monitoring Feedback and
Numerical Restructuring):
 अनु वण ( Monitoring) एवं संचार तं क प रक पना।
 अंकन सू चय क तैयार ।
 लगातार अकन क सम याय।
 पुनरचना या (Restructuring process) क अ वि छ नता (Continuity) को
सु नि चत करना।
अपनी मह वपूण पु तक कर यूलम डवलपमे ट ( Restructuring) म व ान के पा य म
नमाण क वशेषइा ह डा ताबा Hilda Taba) ने पा य म वकास क या के न नां कत सात
मु ख चरण म रतु त कया :
1. आव यकता का नदान (Diagnosis of need,)
2. उ े यो को सू ब करना (Formulation of Objectives)
3. वषय व तु का चयन (Formulation of objectives)

52
4. वषय व तु का संगठन करना (organization of content)
5. अ धगम अनुभव का चयन (Selection of Learning Experiences)
6. अ धगम अनुभव का संगठन (Organization of Learining Experiences)
उ े य आधा रत मू यांकन के लए कौनसी उपकरण एवं तकनीक होनी चा हए '
(Development of objective based ways and means that is tool and
techinques to evaluate)
वमू याकन
1. व ान के पा य म वकास के चरण को मक प म ल खए।
1________________ 2_______________3_________________
4________________ 5_______________
2. व ान के पा य म नमाण म सं ि थ तय का या त पय है ?
...................................................................................................
3. ह डा ताबा दवरा पा य म नमाण के न न ल खत मक पद दये गए है : -
1_________________2________________3_______________
4.________________5_________________6_______________

3.7 व ान पा य म संगठन के उपागम:


(Science Curriculum Organization Approaches)
पा य म सगठन के व भ न उपागमो म वषय, वातावरण, या, यि त, अ त: अनुशासन
पर आधा रत उपागम मुख ह जो न न कार ह :—
3.7.1 वषय आधा रत उपागम (Subject based approach) : मानव के ान का
भ डार त य (Facts) यय (Facts) सामा यीकरण (Generalizations) स ा त
(Priniciples) से भरा हु आ है। ये ान के त व एक समान लगते ह, ये एक दूसरे से सह—स बि धत
(Correlated) ह सह—स बि धतता इनको संग ठत होने का अवसर दान करती है। िजससे क इनको
एक पूणता द जा सके। इस लये पा य म नमाताओं ने आर भ म ान के व भ न त व को पहचाना
और एक तकयु त तर के ( Logical) म संग ठत कया। ान के त व म जो स प न पाया गया
उसको बी.एस. लू म ने अ तर अनुशासन सू से प रभा षत कया जब क गुडलड महोदय ने इनको संगठन
के (Organizating centre) बताया। संग ठत ान को ह वषय या अनुशासन कहते ह।
यापक तर पर (Broad Level) पर पा य म नमाता कसी भी वषय का यापक े
लेकर नमाण करते. ह जैसे ग णत, ाकृ तक व ान, यवहार का व ान आ द।
म यम तर पर (Medium Level) पा य म, संगठनक ता पा य म को वषय क ं इकाई
म संग ठत कर लेते ह जैसे का शक , अ त, ार एवं लवण, मि त क एवं वामह तता आ द।
सक ण र तर (NarUow Level) पर इकाई क उप—इकाई बनाकर पाठ का संगठन करते
ह।
इस उपागम म न न ल खत पर यान दया जाता है :—
वशेष के वचार

53
 अनुभवी वषय अ यापक के न कष
 क ा म उपयोग म लायी गई नदशन साम ी
 व याथ क च, शै क, सामािजक, सां कृ तक अनुभव आ द।
इस कार कसी भी वषय के पा य म म कई इकाईयां (Unites) होती ह। येक इकाई
क उप इकाईयां होती है। वषय आधा रत उपागम वषय का संगठन तक पर आधा रत होता है। यह
दो कार कार होता है।
3.7.2 पयावरण पर आधा रत उपागम (Environment based approach): येक
यि त भौ तक, ाकृ तक, सामािजक, सां कृ तक वातावरण म रहता है। वह भौ तक जगत का एक
भाग है। कृ त म वह वन प त, पानी, हवा इ या द के म य रहता ह, वह एक सामािजक ाणी ह
और उसे एक वरासत म मल सं कृ त है। अत: ऐसा पा य म िजसम उसके वातावरण से स बि धत
ान मले तो उसे वह बहु त अ छा लगेगा। वातावरण आधा रत उपागम के पा य नमाता वातावरण
से स बि धत व भ न इकाईय का चयन करते है। वातावरण आधा रत उपागम. म मनोवै ा नक,
सामािजक और शै क मह ता ह, साथ ह इसम या आधा रत उपागम भी शा मल है। इस उपागम
के या वयन म जो क ठनाइयां है वे न न ह
 वषय व तु को वातावरण पर आधा रत संग ठत करने से पा य म पूरा नह ं होता ह। कु छ
वषय व तु तो ऐसी होती है क उसम ाना मक प होता है िजसको पयावरण से स बि धत
नह ं कया जा सकता है।
 पयावरण उपागम का पार प रक क ा म या वयन (Implementation)क ठन है। यह
उपागम समय अ धक लेता है। अत: क ा श ण अ धगम म अवरोध उ प न होता है।
 यह स य है क इस उपागम को समाज व व याथ के माता— पता ह मा यता नह ं दगे।
3.7.3 या आधा रत उपागम (Activity Based approach): इसम पा य म
नमाता एक समू ह के लये याय चु नता ह और वषय व तु को उन याओं (Activity) के इद— गद
संग ठत करता है। इराम व याथ क मनोवै ा नक वशेषताओ, शासन, नदश का तर के का यान
रखा जाता है। इस उपागम म बालक याओं पर अ धक बल दया जाता है। वषय व तु और उपागम
पर जोर नह दया गया है। या आधा रत उपागम भारतवष म गांधीवाद के अ तगत पट (Craft)
नाम से जाना जाता है। इस उपागम के या चयन के लये व यालयो म कई कार क सु वधाओं
क आव यकता होती है। जैसे थान, समय, उपकरण, साम ी, श त अ यापक इ या द। उपरो त
साम ी सामा य व यालय मे नह ं मल पाती है। साथ ह यह उपागम आ थक ि ट से अ धक खच ला
भी है। इन सभी ब दुओ के अ त र त बालक के माता— पता इस उपागम को व यालय म लागू नह
करने का ताव रखगे।
3.7.4 यि तगत (Individual): आजकल व ान म यि तगत नदशन साम ी का
उपयोग बढता जा रहा है। िजसम य श ण उपगरण (Audio), लाइ स (Slides), फ म
(Films), य— य, टे प, अ भ मत अनुदेशन (Programme Instruction) आ द मु य है।
य तीकरण (Individualisation) के लये पा य म का संगठन इस कार से हो िजससे क येक
यि त क आव यकतानुसार अ धगम ग त वह या कलाप को यान म रखकर बनाई गई हो। इस

54
कार के संगठप मे रचा याय (Self Study), आ म नणय (Self Judgenment) लेने क अवसर
मलते है। यि तगत संगठन म च लत पा य म से अ धक अ ययन करने का अवसर मलता ह
साथ ह अनुदेशन (Instruction) का अ धकतम उपयोग कया जाता है। यि तगत पाइय म संगठन
म येक बालक क मता, उपलि य तर (Achievement Level) को यान म रखकर संग ठत
कया जाता है।
यि तगत पा य म को व यालय म लाग करना एक अ त क ठन काय है, य क इस
कार से पा य म संगठन के श क वग, शास नक अ धकार गण सभी म तनाव रहने लगेगा। जो
क पुराने तर के से एक समू ह के लये पा य म बनाते और चलाते ह िजसम उनक मु य भू मका
होती है जब क यि तगत संगठन म सहायक क लु इमका नभाने के लये तैयार नह होते है।
3.7.5 अ त: अनुशासना मक उपागम (Inter Disciplinary Approaches): संयु त
रा य अमे रका म 1960 तक अनुशासना मक उपागम के व भ न पा य म तैयार कये गये जैसे
डी. एस.एस.सी.सी., एस.एस.जी., ई.एस.सी.पी. केमे टे डी, केम बो ड इ या द।
आधु नक अवधारणा यह है क एक वषय म बंधकर श ा लेना ठ क नह , य क येक
यि त को व ान क उ न त को जानने क आव यकता ह। य द वह एक प ीय अनुशासना मक
म अ ययन करता है तो वह कई मह वपूण ान से वं चत रह जाता है। अत: अ त: अनुशासना मक
पा य म संगठन का वकास करने पर बल दया गया िजसम येक वक सत काय म म योगशाला
काय नदशन , व ान यय और या व ध पर अ धक बल दया गया है।
आज पयावरण (Environment), जनसं या श ा (Population Education), अ त र
जीव व ान (Space Biology), क यूटर आ द े के पा य म तैयार कये जा रहे है जो क
अ तर अनुशासना मक उपागम को बल दे ते ह यो क येक वषय म जीव व ान, सामािजक,
इ तहासआ थक राजनी तक प पर वचार करना आव यक है। एक भी प के छोड़ने पर ान अधू रा
रह जाता है।
अ त: अनुशासना मक पा य म को व यालय म लागू करना बहु त क ठन है। ि थ त तो
यह है क अभी तक वा तव म कोई भी पा य म वक सत नह हु आ है जो अ त: अनुशासना मक
उपागम पर आधा रत हो। इस कार के पा य म को लागू करने पर श क को पूण प से बदलना
होगा।
वमू याकन
1. व ान पा य म सं ग ठन के उपगम को व गकरण के आधार या है ?
_________________________________________________________
2. वतमान म हमारे दे श के व ान के पा य म के लए सवो मक उपागम या है ?
_________________________________________________________
3. आप इसके सवो मक या समजते है ?
___________________________________________________

55
3.8 व ान पा य म नमाण के लये आव यक त व
(Essential for Science Curriculum Construction):
व ान के पा य म नमाण और वकास क या म क तपय ब दुओं पर यान दे ना
अ नवाय ह। इनम जो क अ धगम अनुभव को गुणव ता पर वशेष बल दे ते है। यूने टो वारा दये
गये सु झाव एवं रा फ. ड लयू (Ralph W .Tyler) टाइलर वारा तुत ब दुओं.क यहां चचा क
जा रह है।
3.8.1 यूने को हारो तुत सु झाव (Suggestions given by UNESCO): यूने को
वारा का शत तवेदन '' ला नंग टु बी द व ड ऑफ एजूकेशन टु डे ए ड टु मारो' (Learning to
be: The World of Education Environment—1972) म रकूल पा य म के नमाण म
अ धगम के पयावरण (Learning Environment) पर सवा धक बल दया गया है। श क और
श ण क अपे ा अ धगमक ता (Learner) और उसके वयं के यास (Efforts) अ धगम
(Learning)को ाथ मकता द गई है। पा य म मे न न ल खत ब दुओं को यावहा रक बनाया जाना
चा हये:—
 इसम यह यास होना चा हये क अ धगमक ताओ वशेष प से बालक म आ म अ धगम
के लये जीवन भर बने रहने वाल च वक सत हो।(It must endeavour to instil,
specially in children, आ taste for self Learning that will last life time)
 श ा वभ न कार के साधन के मा यमो से उपल य और अिजत क जाय। (Should
be achieved and acquired through a multiplicity of means)
 येक यि त को अ धक लचीले ढाचे म अ धक वतं ता के साथ अपना माग चु नने म स म
होना चा हये। (Each person hould be able to choose his path more freely
in more flexible frame work)
 भावी व यालय को श ा का उ े य वह बनाना चा हये िजसको अि गमक ता अपनी श ा
का वषय बनाये। (The school of the future must make the object of
education, the subject of his own education.The man submitting must
become the Main educationg himself).
 चू ं क सामािजक वा त वकता नरं तर प रवतन क एक अव था म रहती है और व लेषण के
यं लगातार सुधारे जाते ह अत: नर तर चलने वाल सं या होनी चा हये।
3.8.2 रा फ. ड यू टाइलर के सु झाव (Suggestins of Ralf W .Tylor): पा य म
म उपयु त अ धगम अनुभव के अलावा न न ल खत चार कौशल (Skill) को पा य म म मह व
दया जाना चा हये। रा फ. ड यू टाइलर ने अपनी पु तक ''बे सक ि सप स ऑफ कर यूलम
क शन ए ड इ शन'' (Basic Principles of Curriculum Construction and
instruction—1973)म इन कौशल को इस कार प ट कया: —
 च तन कौशल को वक सत करने वाले अ धगम अनुभव (Learning experiences to
develop skill is thinking)
56
 सू चना अिजत करने म सहायक अ धगम अनुभव। (Learning Experiences helpful
in acquiring information)
 अ भवृि त के वकास म सहायक अ धगम अनुभव। ( Learning Experiences helpful
in development attitude)
 टाइलर के अनुसार अ धगम अनुभव संग ठत करने के लये न नां कत स ा त हो सकते
है—
 िजन यि तय को व याथ अपने साथ अ यो या त पाता है, उनक सीमा के अनुपात म
स यय का वकास। (To extend the concept by incrcasing the range of
person which the student recongnises are interdependent with him)
 स यय को इस कार बढाना िजससे क उन प ो म व तार हो िजनम लोग अ यो या त
है। (To extend the concept so as to broaden the rang of aspects in
which people are interdependent)
 ता कक और ा क पना मक संगठन। (Logical and hypothetical organization)
 युि त के व तार को बढ़ाना। (Increasing breadth of application)
 सि म लत कये गये याकलाप क सीमा को बढाना। (Increasing the range of
activities included)
 वशेष उदाहरण या च का वकास करना और उनको समझाने के लये व तृत स ा त
को तु त करना।
वमू यां क न
1. व ान के पा य म नमाण के लए यू ने र को और टाइलर को सु झाव म या सम याय
है ?
...................................................................................................

3.9 पा य म मू यांकन क कसौ टयां


Criteria for curriculum Evaluation
नमाण कये गये या चल रहे कसी भी पा य म क जांच या उसका मू यांकन कैसे जाय
इसके लये कई कार के मॉडल आजकल उपल ध है यथा :
 रा फ टाइलर का मू याकन त प (Ralph Tyler’s evalua—tion model)
 कमचार आ म अ ययन, मू यांकन त प Staff self—stidy evaluation model)
 रोबट रटे क का पूवानुभव आधा रत त प ( Robert stake=contenance model)
 डै नयल रटपफरे म का सी.आई.पी. पी. त प (Daniel Stuff—reben’s CIPP model)
ोबेच (Cronbach) ने मू यांकन करने क तीन कार क आव यकताय तु त क ह—
1. पा य म सुधार यह न चय करना क कौन सी शै क साम ी एवं व ध संतोषजनक है और
प रवतन कहा आव यक ह?

57
2. यि तयो के बारे म नणय श क के स तोष के लये व या थय क आव यकताओं को
पहचानना, चु नाव एवं वग करण के लये व या थय क यो यता को परखना तथा छा को
उसक ग त एवं क मय से अवगत कराना।
3. शास नक नणय यह नधारण करना क व यालय तं कतना अ छा है, अ यापक
यि तश: कतने अ छे ह आ द?
सभी वषयो म वशेषकर व ान म कूल तर के व ान एवं ायो गक (Soience&
Technology) पा य म म समय—समय पर प रवतन लाते रहना चा हये। य क प रवतन या सुधार
लाने के लये उनका नर तर या कुछ वष के अ तर से प रवतन करते रहना आव यक है। यह मू यांकन
कैसे कया जाय ? इस स ब ध म लेजर (Stake) आ द पा य म वशेष ने कई गंभीर और ज टल
वचार और सु झाव दये ह, जो उ च मू याकन व शोध के लये उपयोगी ह।
इस तर के व या थय को तो इतना समझना पया त ह क व ान के पा य म का
मू यांकन करने के लये न न ल खत कसौ टय को यान म रखना चा हये —
1. िजस पा य म क जांच क जानी है वह कब से चला आ रहा है? उसे कसने बनाया था,
कन प रि थ तय म, कन आव यकताओं और उ े य को यान म रखकर बनाया था, जब
से अब तक उन प र रथ तय आव यकताओं और उ े य म या— या अ तर या प रवतन
आये ह?
2. आज के रा य व सामािजक स दभ म यह पा य म कतना उपयु त ह?
3. वतमान अ तरा य स दभ म इसक ा गता संग त क जांच करना।
4. श ा म जो नवीन सै ाि तक वचार पनपे ह उनका समावेश कस सीमा तक हु आ ह?
5. पा य म म व यमान ान के अंश, इकाईयां या संग (Topios) अब बासी, नरथक या
सू खी लकड़ी क भां त मृतक ाय (Dead Wood) बन चुके ह िज ह अलग करना आव यक
ह।
6. कन नये संग , ान क इकाईय को इसमे सि म लत करने क आव यकता है ' या वतमान
ान क इकाईया इतनी अ धक ह क पा य म भार भरकम बन गया ह और सीखने वाल
क हण शि त से परे हो गया ह?
7. या इसक अकाईय / संग म कोई समब ता, मब ता अथवा एक करण स ब धी क मयां
है?
8. पा य म म ववादा पद संग (Controversial topios) ह। उनम से कन— कन को
नकाल दे ना ह उ चत होगा। या वषयव तु का चयन पा य म के उ े य के अनुसार ह
कया गया है? या इस का पा य म से बु , स ह णु और आधु नक नाग रक और
व वमानव बनने मे सहायता मलती ह ? या पा य म क वषयव तु नये मू य को
तपा दत कर रह ह?

58
9. पा य म म कन अ धगम अनुभवो (Learning experience) का ावधान ह। या उनम
प रवतन या संशोधन करना आव यक है। कन— कन याकलाप का ावधान है, िजनम
प रवतन आव यक हो गय ह?
10. उन रा य को कूल म, िजनम यह पुराना पा य म चल रहा ह, या ता वत नया पा य म
चालू करना ह, साज—सामान अथवा साधन साम ी (Resouroes) का या ावधान ह ?
कह ं ऐसा तो नह ं ह क पा य म नमाताओं ने अपने बहु त अ तरे क उ साह म आकर ऐसे
संग , सीखने क याओं या श ण के य ो जैसे क यूटर, लेनेटो रयम आ द को पा य म
म रख दया हो, जब क उनका सामा य कू ल म व यमान होना ह सभव न हो ' कह ं ऐसा
तो नह ं है क िजन श ण याओं और अ धगम अनुभव दान करने वाले याकलाप क
आकां ाय पा य म म क गई ह उनम और कू ल मे श क और व या थय क वा त वक
अव थाओं म बहु त बडा अ तर हो।
11. व या थयो को आ म अ धगम (Self Learning) के लये यह पा य म कतनी वत ता,
ेरणा व अवरपर दान करता ह? इस पा य म म श ण का भु व ह रहे गा, या व या थय
के वारा वयं सीखने का अवसर भी होगा। इसम व याथ को नश य य ोता बनकर
ह रह जाना होगा या वह स य प से आ म अ धगम को आगे बढायेगा। मनोवै ा नक ि ट
से यह कतना संगत है।
12. यह पा य म व वध कार से रोचक, उपयोगी तथा काया मक (Functional) अनुभव
को दान करने क साम य रखना ह, अथवा एक कार से र मी (Ritualistio) या भार
भरकम (heavy) या मृतक ाय ( inert) बन चु का ह, इसको कैसे ह का, अ धक व थ एवं
अ धक उपयोगी बनाया जा सकता है?
13. आज शै क ो यो गक (Educational Technology) या श ण ो यो गक
(Techonlogy) का वकास हो रहा है। नये कार के उपागम (Approaches) अथवा
आ यूहो (Strategies) या व धय (Method) तथा श ण म साधन यथा टे प रकाडर,
रे डयो, ट . वी. केलकु लेटर ट चंग मशीन आ द का भी उपयोग ानाजन म होने लगा ह।
या पा य म नमाताओं ने शै क तकनीक के इन आधु नक साधन से लाभ उठाते हु ये
समु नत और भावशाल पा य म तुत करने का यास कया है?
14. यह पाठय म शास नक व शै क सरचना (Educational) क मांग के अनुसार है या नह ं,
इसम या प रवतन करने आव यक ह? इसका पूव और आगामी क ाओं के पा य म से
कतना सामंज य ह।
15. इसम व या थय के मू याकन क या यव था क गई है एवं आगे या सु धार होने चा हये?
इन कसौ टय के आधार पर पाठशाला म पढाये जा रह कसी भी भौ तक व ान, चाहे वह
ग णत, रसायन शा हो या अ य, के कसी भी च लत पा य म या कसी अ य ारा न मत व
ता वत नये पा य म का भल भां त मू यांकन कया जा सकता ह।
वमू याकन

59
1. व ान के पा य म मू यां क न के मु ख त प है : -
1______________________ 2_______________
3_____________________ 4.________________
2 पा य म मू यां क न य आव यक है ?
_______________________________________________________
3. व ान के पा य म के मू यां क न क मु ख कसो टया है :-.
1_____________ 2.______________ 3.______________
4______________ 5._____________ 6.______________

3.10 व ान पा य म के वकास क नू तन ि तयां


(New Trends of Soience curriculum development)
व ान श ण क नवीन वृि तय के दशन को अ छ तरह से समझने के लये अमर का
म वषय—केि त (Subject Centred), पा य म ौड फ ड (Broad field curriculum) तथा
फर े चर ऑफ एक ड स प लन मू वमे ट (Structure of discipline movement) पर चचा
करना ज र ह। पा य म क संरचनाओं के दशन पर मनन करने से श ण क नवीन वृ तय को
सहजता से समझा जा सकता है।
बीसवीं शता द के ार भ म लगभग सभी दे श म वषय—केि त पा य म बनाने क र त
च लत थी। वषय केि त पा य म के वरोध म कु छ इस कार के तक दये गये :—
 वषय केि त पा य म श ा म का घसा— पटा तर का ह
 वषय को संयोिजत करके पा य म बनाने से श ाथ का वकास नह ं हो पाता ह।
 श ाथ म सृजनता ( Ceartivity, नये—नये वचार (Ideas), तथा सोचने (think) समझने
क या का वकास नह ं हो पाता है।
 कायकलाप आधा रत (Activity based) वषय व तु बालक क सहज सीखने क या और
अपने वचार को मू त प दे ने का जो ब च को सहज अ धकार है, उसका वषय केि त
पा य म म कोई थान नह ं होता ह।
 बालक पर ऊपर से थोपा जाता है जब क वषय केि त पा य म उनके अनु प नह ं होता
है। इसक रचना म ब च क च और आव यकता का यान नह रखा जाता है।

3.10.1 यापक ाड फ ड कर यूलम (Broad Field Curriculum):

वषय केि त पाठय म क तथा—क थत क मय को दूर करने के लये एक नई वृि त ाँड


फ ड कर कुलम'' का ादुभाव हु आ। इसके अ तगत ''एि ट वट ''(Activity) अथवा अनुभव
(Experience) कर कुलम (पा य म) का नमाण हु आ। ाय: इसे पयायवाची ह माना गया है। ाँड
फ ड कर कु लम का अमर का म ाँड फ ड कर कु लम के दशन के अनुसार इ तहस, भू गोल और नाग रक
शा तथा सभी व ान को मलाकर सामािजक अ ययन बनाया गया।
कर कुलम के गुण: बालक—बा लकाय वह सीखते ह जो वे अनुभव करते ह। बालक—बा लकाय
उसी ान को सीखना चाहत ह जो वे अनुभव करते ह। बालक—बा लकाय उसी ान को सीखना चाहते
ह जो उनके काम का हो और उनक आव यकताओं क पू त करे । सीखे गये ान का उपयोग सहज

60
और सरल हो। बालक उन बातो को ज द सीखता है जो उसक वा त वक साम याओं का समाधान
करता है। उसक वा त वक आव यकताओं क पू त करता है या पू त म सहायक होता ह।
भारतीय प र म सन 1937 म बे सक एजु केशन के अ तगत जो जनरल साईस का कोस
बनाया गया था उसम ' 'नेचर टडी' ' वन प त शा , ज तु व ान, शर र व ान (Physiology)
वा थय व ान, शार रक काय (Physioal ovetivitlien) रासाय नक तार का ान, मानवता के
क याण म योगदान दे ने वाले वै ा नक तथा अ वेषको क कहा नया रखी गई थीं।
इस कार के पा य म से यह वां छत था क व भ न वषय को मलाकर सीखने— सखाने
के लये जो वषय बनाया गया है उसम एक करण (Integration) हो जायेगा। वषय म से चु न—चु नकर
जो उप— वषय लये ह वे पढने—पढ़ाने म एक कृ त हो जायेग,े पर यह सब हो न सका। इसके कई कारण
रहे : —
 ाँड फ ड कर कुलम ' के प म जो भी तक दये गये वे सब औपचा रक (Formal) रहे ।
 उप— वषय के पर पर एक करण के लये जो भी काय कये गये वे सब ह के—फु के काय
रहे ।
 सामािजक अ ययन म भू गोल, इ तहास और नाग रक शा क पढ़ाई वैसी ह होती रह जैसे
क ये अलग—अलग वषय ह ।
 जनरल सांईस म जो वषय लये गये उनक पढ़ाई भी वैसे ह होती रह जैसे क उसम
सि म लत भौ तक , रसायन, जीव व ान अलग—अलग वषय ह ।
सं ेप म य द यह कहा जाय क ' ' ाँड फ ड कर कु लम म जो अपे ाये थी वे पूर नह ं हु ई
और इस कर कुलम के वरोध म फर वषय आधा रत ान तथा वषय को अलग—अलग पढ़ाने क
ओर जोर दया जाने लगा। इससे चर आफ ए डसी ल न मूवमे ट (Structure of a discipline
Movement) शु हु आ। इस कार के पा य म क रचना के लये “ वषय” का तो यान रखा ह
जाता है पर गौण प म। श ण म (Process) पहले जैसे घरने— पटे नह ं रह गये। वषय को
केि त मानकर पा य म बनाने का तर का तो बहु त पुराना है पर इसको बाल केि त बनाकर तथा
ाँड फ ड कर कु लम क सभी अ छ —अ छ बात का समावेश करके नये ढं ग से बनाया गया।
चर ऑफ ए डसी ल न मू वम ट के गुण —
1. वषय को ता कक प से तथा सहज भाषा से उप— वषय म वभ त कया जा सकता है।
2. अ धगम अनुभव को मब कया जा सकता है।
3. वषय का त के अनुसार उसके उप— वषय के श ण को ''एक पद के बाद दूसरा पद'',
एक सीढ चढ़ने के बाद ह दूसर सीढ पर सहजता और सरलता से चढ़ा जां सकता है , मब
कया जा सकता है।
4. वषय को केि त मानने रवे यह फायदा जो जाता है क उसके उब— वषय म मब ता आ
जाती है िजससे एक संबोध (Concept) सीखने के बाद ह आगे वाला संबोध सीखा जा सकता
है। उदाहरण के लये जब तक समय और वेग का ान नह ं होता है तो वरण=वेग / समय
को बताना क ठन होता है। य द कसी कार सू को रटा भी दे तो न हत भौ तक के संबोधन
का ान अ छ तरह से नह ं हो सकता।

61
5. नये ान (New Knowledge) को दे ने का माग सरल और सहज हो जाता है।
6. वषय (Topic) को उप— वषय (Sub—topics) एवं संबोध म संयोिजत (Coordinate)
करके सीखने— सखाने के बाद ान को सं चत करके रखा जा सकता है एवं समय पड़ने पर
प रि थ तय के अनुसार उस जान का उपयोग कया जा सकता है।
7. इस प त म वषय ान को मुखता होती ह पर तु वह पृ ठभू म म होता है। मुखता म
क तथा बालक बा लकाओं के सहज वभाव ओर उनके ल ण क होती ह

3.10.2 फिजकल सांइस टडी कमेट कोस (Physical Science Study Committee
Course—Project):

अमे रका मे ाँड फ ड कर कु लम के वरोध म एवं वषय के अ ययन—अ यापन के


सु यवि थत ढं ग से ने होने क वजह से 1950 के दशक तक व ान ाताओं तथा श ा वद म बहु त
यादा असंतोष रहा। व ान वशेष व या थय के तर तथा अ यापक के श ण— श ण
(Teacher—Training) को लेकर बडे बैचेन रहे। पा यपु तक ( Text books) म ल खत संबोध
तथा योगशाला काय के त भी व ानवेता असंतु ट थे। 1950 के बाद तो यह बैचेनी और भी बढ
गई।
व ान क पा यपु तक तथा व ान के श ण का, अ यापक क े नंग का अ य त
सावधानी पूवक अ ययन एवं व लेषण (Study and analysis) कये गये। व ानवेता इस न कष
पर पहु ँचे क 20 वीं शता द क भा तक का बहु त कम अंश ह पढाया जा रहा है। व ान''परम नयमो
(Absolute) आधारभू त नयम (Fundamental) क खोज से बहु त आगे जा चू का है। तरं ग याि क
(Quantum Thory) को इसम समा हत होना चा हये, व ान के म का श ण होना चा हये।
व या थय को अपने अ ययनकाल से ह खोज करने क ओर अ सर करना चा हये। व ान क कताब
म बहु त सी ऐसी साम ी थी िजसक क इस युग म कोई आव यकता नह ं थी। व ान क पु तक
म नये ान को एक अ त र त अ याय (Extra Chapter) के प म जोड़ दया गया था। इसक
अपे ा उस नये ान को सम पु तक म व णत संबोध के साथ एक कृ त कया जाना था।
बहु त से वै ा नक , श ा वद ने यि तगत प से तथा सं थाओं ने व ान क पढाई के
नये व प के लये यास कये। नेशनल साईस फाइ डेशन अमे रका ने अ य धक अनुदान दे कर व ान
वषय को श ा— श ण (Education –teaching) क नवीनतम व प दान करने म शंसनीय
काय' कया।
सन ् 1956.59 क अव ध म व ान श ा म सुधार के लये कई समू ह (Group) बनाये गये।
फिजकल साईस टडी कमेट (पी. एस. सी. सी.) प
ु व ान के लये बनाया गया। इस प ने व ान
क कताब को व लेषण कया। न कष यह रहा क कताब म पुरानी घसी— पट साम ी का बाहु य
था। नया ान इधर—उधर इतना तक लखा था क वह क ा म और नयम समय अव ध म पढ़ाया
ह नह ं जा सकता था।
पी. एस. एस. पी. प
ु ने एक नये तथा एक कृ त कोस बनाने क योजना बनाई। योजना के
अ तगत वषय क मब ता, सीखे गये ान का आगे के लये उपयोग, अनुभव ारा सीखना

62
(Learning experience), पया त नदशन दोन ( श ाथ तथा श क) के लये मू यांकन
(Evalulation) स ब धी न एवं भरपूर य— य (Audio visual)साम ी आ द का ावधान
रखा। वषय क एक कृ त कृ त (Integrated) को सहजता से उभारते हु ये उसको सरस (Interesting)
मह वपूण ( Important) और जीवनोपयोगी (Useful for life) बनाने का वचार रखा। जीवन क
समरयाओं (Problems of life) को हल करने क वृ त को बढावा दे ते हु ये वषय के सारकृ तक
मू य को (Cultural value) को मह व दया। उ होने व ान को ता कक फैशन, ऐसी अवधारणाओं
के नमाण जो क व ान क एकता क ओर ले जाती ह मे तु त करने क योजना न मत क । साथ
ह वषय को मह वपूण बौ क और सां कृ तक या के प म साघा। िजसमे केवल इि यातीत
ा यौ गक मू य ह । (They planned to present science in logical fashion, leading
to concepts that develop the unity of science and at the same time to treat
the subject as a signhifioant intellectual and cultural activity having value
transcending the technological alone)
फजीकल साईस टडी कमेट कोस म व ान को केवल त य के पम तु त ह नह ं कया
गया, अ पतु, एक अ वरल या (Continuous precess) के प म इस कार रखा गया है िजसके
वारा श ाथ भौ तक ससार क वृ त को समझने क को शश करता है। पी. एस. एस. सी. कोस
क पा य—पु तक म से एक उदाहरण इस बात को प ट करता है क पा यपु तक म व ान वषय
को कैसे तुत कया है , जो क अ य पा यपु तक म नह ं ह।
''When we remove the air we find that all objects, regarding of shape
density, fall with the same acceleration at a particular position near the earth’s
surface. Further more “g” does not change direction ar magnitude appreciably
unless we move through distances comparable with the size of earth, the
same for objects falling any where within a room withwn a building, a city
or even a state”..
पा यपु तक म व ान के करण (Topices) लगभग वह है जो व ान क अ य पु तक
म ह। तु तीकरण वशेष कार से कया गया है।
पूरे कोस को चार भाग म वभ त कया गया है। एक भाग के स य ( Concept) का
उपयोग अगले भाग म कया गया है। मूलभूत यय ( Fundamental concept) समय (time),
थान, य (Matter),. काश ग त (Velocity of light), मि त क एवं वामह तता आ द को वशेष
शैल म तु त कया है। यह कोस भारतीय प र े य मे उन व या थय के लये उपयु त बताया गया
है क िजनको व ान का ारं भक ान ह। साधारण से योग वारा योगशाला म अनुभव के वारा
श ा थय को ज टल मॉडल के समझने क ओर अ सर कराया गया है।
पा यपु तक के अलावा चार भागो म योगशाला (Labora—tory), नद शका (Guide),
श क संसाधन पुि तका ( Teacher resource book) एव श क नद शका (Teacher guide)
करण से स बि धत फ म, मू याकन के लये न और सहायक पठन (Helping for reading)

63
के लये वजान के व भ न करण (Topics) पर सहायक साम ी, यथा साइंस टडी सीर ज
(Soienoe Study series) आ द ह। इन सब साम य क सहायता से कोस कुछ इस कार से
है क उसे बु मान और कम बु बोध श ाथ के लये अनुकू लत कया जा सके।
योशाला:
पी. एस. एस. सी. कोस म योगशाला काय क भू मका बहु त मह वपूण ह। योगशाला काय
के मा यम से श ाथ ाकृ तक घटनाओं का अ ययन वय सि थ तया सृिजत ( Creating
situation) कर करते ह। औपचा रक प रभाषा दे ने के पूव अथवा नयम बतलाने से पूव वषय से
स बि धत अ वेषण काय कया जाता है। न के उ तर दे ने से पूव व याथ को सोचना पडता ह।
न के उ तर सहज ा य नह ं होते ह।
 योगो का चयन इस कार कया गया है क वे वा तव म योग हो न क आकड़े एक त
करने या पहले जाने हु ये योग का स यापन आ द।
 योग साधारण से उपकरण के कये जा सके। कु छ उपकरण व याथ वय सामान जु टा
करके उपकरण बना सक।
 योग आगे के काय करने के लये उ सा हत कर। स ा त क पुि ट हे तु योग से वचार
का उदय होना चा हये।
 योग पहले से वक सत वचार से नद शत हो सके।
फ म:
फ म के नाम से वंय प ट है क वे योग जो योगशाला म कसी भी कारणवश चाहे
वह अ धक क मती उपकरण का ह , थान का या द ता का, फ म के मा यम से दखाये जा सकते
ह। उपकरण का अभाव खटकता नह ं ह। आव यक योग फ म वारा द शत हो जाते है।
भारतीय प र े म पी. एस. एस. सी. कोस (P.S.S.C.in the Indian Perspective) :
अमे रका और यूरोप म जब व ान श ा म सुधार क ज रत रह थी , तब हमारे दे श म
भी व ान श ा म सुधार क बोत चल उठ । भारतीय संसद य एवं वै ा नक स म त (Indian
Parliamentry and Scientific Committee—CABE 1964)और श ा पर के य सु झाव
प रषद (Central Advisory Board on Education—CABE 1964) ने हमारे रकू लो के लये
भौ तक , रसाय नक जीव व ान, जनरल सांइस आ द के लये वक सत दे श म जैसी व ान पु तक
उसी तरह क बनाने क अनुशसा क । अमे रका यूरोप आ द दे श म नवीन वृि तय के आधार पर
ऐसी ह या अनुकू लत या अ याय लेकर के पुरतक क रचना हु ई। व ान श क को पी. एस. एस.
सी. कोस को आधार मानकर ी मकाल न सं थानो (Summer Schools) म श ण कया गया।
सन ् 1963 से 1972 तक तो ये यू नव सट ा ट कमीशन के त वावधान म चले। सन ् 1972 के
बाद से कू ल श ा के लय समर इस ट यू स का उ तरदा य व एन. सी. ई. आर. ट . का रहा। व ान
के े म िजतने भी समर साइंस सं थान हु ये उनम पी. एस. एस. सी. कोस ह पढ़ाया जाता था।
सन ् 1970 के बाद के कु छ ी मकाल न सं थान म नफ ड ोजे ट कोस पढाया गया।

64
3.10.3 नफ ड फिज स कोस— ोजे ट (Nuffield Physios Course—Projeot):

जब अमे रका म व ान श ा म सु धार क लहर चल रह थी, तभी यूरोप म व ान श ा


म सुधार क बात चल । इं लै ड म व यालय के श क तथा व ान के अभु दय म च रखने वाल
ने व ान श ण हे तु नवीनतम एवं अनूठे उपाय क खोजबीन शु कर द थी। नफ ड फाउ डेशन
ने इस काय म महानतम योगदान दे कर वषय क श ा म सु धार के लये नवीन माग श त कर
दया। आव यकता नफ ड फाउ डेशन साइंस ट चंग ोज ट प
ु ने व ान के ऐसे कोस क रचना
क योजना बनाई जो सभी के लये ह । व ान म वशेष च वाल और कम च रखने वाल के
लये यह उपयोगी ह । इस वचार से तीन कार के श ाथ ह —
1. वे व याथ जो 16 वष क आयु पर व यालय छोड़ दे ग और अपनी अ ययन अव ध म व ान
का वशेष अ ययन भी नह ं करगे। इसका तफल यह ह क व ान का कोस वयं प रपूण
होना चा हये— व ान श ा सब के लये।
2. वे व याथ जो 16 वष से ऊपर क आयु के बाद भी आगे के लये व ान का अ ययन जार
रखेग—
े व ान क श ा भावी वै ा नक के लये।
3. वे व याथ जो आगे क पढ़ाई जार रखेग तथा अ य वषय के वशेष ह गे— व ान उनके
लये जो व ान व नह ं बनेग।े
इस कार से तीनो कार के व या थय के लये कोस क रचना करना क ठन काय है। नफ ड
ोजे ट के कायक ताओं ने व ान का काय इस कार बनाया है क वह सामा य व याथ ,
वषय— वशेष और जो अ य वषय का वशेष बने, उसको भी चकर लगे तथा उनक आव यकत
क पू त करे । उन लोग का वचार रहा क व ान का ान इस कार से सं चत रह क एक बार सीखा
गया ान दूसर प रि थ त म उपयोगी हो सके। ऐसा औपचा रक श ण से संभव नह ं पाया गया।
अत: व ध ढ हु ई, ऐसा अनुभव कया गया क व ान श ण इस कार से हो क व ान बोध सरल
हो। नवीन व ध म रचना मक तर का सोचा गया— 'वह है वयं काय—कलाप करके सीखना।'' काय
करते समय अनेक कार के शन उठते ह। उनका समाधान ठ क उ तर से होना चा हये। उ तर खोजने
का श ण होना चा हये। व ान क व ध तब ह अ छ तरह समझने के लये यह आव यक है क
वंय योग कर सम या का उ तर ढु ढे, आकडे एक त कर एवं वशेषण कर आ द। इस कार के
श ण के लये ऊजा भी चा हये और समय भी। धैय क भी आव यकता होती है। इसके लये बालको
को श ण एवं नदशन चा हये।
नफ ड फिज स कोस क संरचना (Structure of Naffield Course) :
कोस के ारि भक वषा मे पहले साल (11 से 12 वष) और दूसरे साल (12 से 13 वष) म
ब चे भौ तक पयावरण म घ टत घटनाओं क जानकार करते है। इस अव ध म उ ह े ण करना तथा
काय करे सीखना सखाया जाता है। इस अव ध मे उ ह े ण करना तथा काय कर सीखना सखाया
जाता ह। इस अव ध म ब चो से न तो यह अपे ा क जाती ह क वे औपचा रक प से ट प णया
लख और न ह स ा त , नयो आ द क या या औपचा रक कथन कर। तीसरे साल (13 से 14
वष के बालक) और चौथे, साल म (14 से 15 वष) के बालक के लये वशेष प से आयोिजत
जांच—पडताल व ध के सखाने का ावधान ह। अ धगम या भी नयोिजत क जाती ह। उ त को

65
मब करने के यास कये जाते ह। इस अव ध म व वध कार के न वारा सोचने क वृि त
को अ धक ो साहन दया जाता है। अि तम वष (15 1= 16 वष) म स ात प म ानाजन
(Knowledge) कया जाता ह तथा वै ा नक व ध से काय करने म नपुणता लाने के यास कये।
जाते ह।
इस कोस का ावधान सभी ब च के लये ह पर तु वग वशेष के ब च को पढ़ाने के लये
मागदशक पु तक (Guide books) ह, तथा योग म नदशन हे तु मागद शकाये भी ह। साधारण
गृहकाय ( Home work) श ण के बाद दया जाता है। नफ ड ो ाम म गृहकाय कसी करण
(Topic) को पढ़ाने तथा उसक वक सत करने के लये दया जाता ह। कु छ कायकलाप बालक को
पहले से ह करने के लये दे दय जात है तथा उन कायकलाप के आधार पर श ण म को व तृत
कया जाता है। जो कुछ पढाने का येय था उस येय के लये भू मका तथा सहज प से उसक ाि त
का माग श त हो जाता है।
नफ ड फिज स ो ाम म पर ण सामा यतया चि लत पर ा णाल से भ न ह।
काय म के दशन क ि ट से ह मू यांकन के लये पर ण पद बनाय जात ह। इसम पर ण पद
सरल तथा मू याकन के लये पर ण पद बनाये जाते ह। इसम पर ण पद सरल तथा वाभा वक
और ता कक म (Logical order) होते ह।
भारतीय प र े (Perspective) म नफ ड ोजे ट:
आल इि डया साइंस ट चस एसो सयेशन के टडी गुप ने सबसे पहले नफ ड ोजे ट
( फिज स) के दशन को आधार मानकर उ च ाथ मक (Higher primary) तर पर व ान श ण
के लये नदशन साम ी तैयार क । उस साम ी का उपयोग े डस डल से टर, रसू लया (Friends
rural centre, Rassolia) तथा '' कशोर भारतीय वैि छक सं था, होसंगावाद म य दे श ने कया।
इन स थाओं ने सन ् 1972 से ह ब च म वै ा नक अ भवृि त के वकास हे तु तथा पयावरण से य
अ धगम (Learning tendency) क वृि त को वक सत करने के लए ऑल इि डया ट चस
एसो सयेशन के अ ययन समूह ( Study group) वारा र चत साम ी को आधार माना ह।

3.10.4 बायलॉिजकल साइंसेज के रकुलम टडी ोजे ट (Biolgical Sciences


curriculum Study Project)

नेशलन फाउ डेशन क आ थक सहायता एवं अ य कई स थान के सहयोग से इस ोजे ट


का ादुभाव सन ् 1956 म हु आ। इसको अमे रका के कू ल क क ा 10 के जीव व ान वषय के
नवीकरण के लए कया गया। ोजे ट का मु यालय कोलेरेडो व व व यालय म था पत कया गया।
इसका मु य उ े य श ा म वशेषत. जीव व ान श ा म सु धार लाना ह।इसम कई कायगोि ठयाँ
आयोिजत क गई। इनम जीव व ा नय , वै ा नक , व ान के श क , दाश नक , समाज शि य
एवं श ा वदो को आमि त कया गया। इस ोजे ट के न न ल खत उ े य रखे गये —
 जीव व ान वषय का नवीनतम ान उपल ध करना।
 जीव व ान वषय क संरचना का बोध।
 अ धगम म छा के लए वै ा नक वृि तय को उपल य करना।
 खोज व ध पर बल।

66
 योगशाला के यावहा रक मह व।
 छा ो एवं श क को श ण एवं अ धगम साम ी उपल य कराना।
 जीव व ान से स बि धत सम ि टकोण से अ ययन के अवसर उपल य करना।
वषय संगठन:
इस ोजे ट मे सव थम यह नणय लया गया ह क जीव व ान वषय का अ ययन मा
अंग' तथा 'मानव' ' को आधार मानकर नह ं होना चा हए। सजीव का ार भ एक को शका से होता
है, इस लए जीव व ान का अ ययन यह ं से आर भ कया जाना चा हए। सजीव समु दाय के तर
पर दे खा जा सकता है। पार प रक जीव व ान के पा य म म यह एक मू ल प रवतन था। इसम जीव
व ान क संरचना के स ब ध म न न ल खत आधारभूत मा यताओं को सू ब कया गया. —
 समय के साथ जीव म प रवतन — जैव वकास
 जीव म आकार क समानता एवं व भ नताय
 अनुवां शक मब ता
 सजीव एवं वातावरण म स तुलन
 ाणी के यवहार का जै वक आधार
 संरचना एवं काय मे अ तस ब ध
 नयमन तथा प रवतन के साथ जीवन का संर ण अ नवाय
 व ान क खोज एक सतत ् या
 जै वक सं यय का अपना इ तहास है
पा यपु तक के आधार (Basia of Test Book Writes):
दसवीं क ा के लए पा यपु तक का लेखन न न ल खत चार आधारो पर कया गया
1. नीला अनुवाद (Blue Version): इस पा य पु तक का आधार आण वक उपागम
(Molecular approach) ह। जीवन का ार भ अणु से होता है। इस लए जीव व ान का
अ ययन यह ं से आर भ कया गया। इसम शर र व ान तथा जीव रासाय नक वकास क
ग त का अ ययन कया जाता ह।
2. पीला अनुवाद ( Yellow Version): इसके अनुसार को शक य उपागम (Celular
approach) जीव व ान जीवन णाल क जांच है। ऐसा माना गया है क को शका सजीव
क एक यूनतम इकाई ह। इस लए जाव व ान का अ ययन को शका से ार भ कया जाना
चा हएं। इस वषय व तु को जै वक व ान क एकता (Unity), व वधता (Diversity) तथा
नर तरता (Continuity) पर संग ठत कया जाता है।
3. हरा अनुवाद ( Green Version): इस अनुवाद का आधार पा रि थ तक क व ध तथा—
सामु दा यक उपागम (Comminity approach) ह। इसम समु दाय को आधार मानकर जीव
व ान का अ ययन कया गया ह। मु य मह व जै वक समु दाय तथा सावभौ मकता पर
दया गया ह। तीनो अनुवाद म योगशाला, काय एव अ वेषण क ओर संकेत कया गया
है। नवीन ि टकोण के अनुसार वन प त तथा जीव पर योग तथा मानवीय उ पि त पर
अ धक बल दया है।

67
4. काला अनुवाद ( Black Version): उपरो त अनुवाद के साथ—साथ उन म द अ धक ताओं
(Slow learners) के लए चौथा अनुवाद बनाया गया। इसको काला अनुवाद ( Black
Version) के नाम से पुकारा जाता है। इसम पा य म को सरल बनाया गया ह। तथा कुछ
साम ी, अ भक मत अ धगम पर आधा रत है।
5. इसके अ त र त बारइवी ेड म उ च जीव व ान पा यचया का चयन करने वाले छा के
लए भी बी. एस. सी. एस. ने पा य पुरतक तैयार क है , िजसको बी. एस. सी. एस. बाइलोजी
से कं ड कोस '' द इ टरै शन ऑफ ए सपे रमे ट ए ड आइ डयाज'' (The Interaction of
experiment and Idias) के नाम से जाना जाता ह।
6. जीव व ान श क के लए है ड बुक: जीव व ान श क के लए जीव व ान श क
है डबुक एक तरह से मागदशन का काय करती ह।इस पु तक का संशोधन जोसफ जे वाब
(Joseph J Schwab) ने कया।
7. इसके अ तगत म
ै ा सक एक बुले टन का शत करने क यव था क गयी। िजसम नवीन
वषय व तु और श ण व ध को सि म लत कया गया ह।
8. अ ययन और योगशाला काय के लए अ य प र श ट वक सत कये गये ह।
सभी पा य पु तक के साथ मू यांकन क साम ी भी तैयार क गई ह। व भ न अनुवाद
क आव यकतानुसार मू यांकन साम ी तैयार क गई ह।
जीव व ान बी. एस. सी. एस. एक सफल ोजे ट रहा ह। भारत म भी जीव व ान क
पा य—पुरतको म इस ोजे ट के उ े य को सि म लत कया गया है। हमारे दे श म एन. सी. ई. आर.
ट . ने पीला अनुवाद मु त कया ह। इसके आधार पर जीव व ान क पा य—पु तक को वक सत
कया ह।
भारतीय प र े य म बी. एस. सी. एस. ोजे ट :
एन. सी. ई. आर. ट . ने इस ोजे ट को आधार मानकर जीव व ान के लए पा य म,
प यचयाओं एवं पा य—पु तक के नमाण कये। इनम न न ल खत पर वशेष बल दया गया है:—
 अ धक ता पा रि यक , वन प त, ाणी शा , सू म जीव व ान, कृ ष वइग़न, पुरात व
व ान और च क सा पर उ च अ ययन करने के लए समथ हो सके।
 अ धक ता, यावहा रक काय यथा पालतू जानवर नय ण, फल—उ यान म का मक वृ ,
सेरक चर, मु ग पालन इ या द म कुशल बन सके।
 अ धक ता इनके वारा छोटे ोजे ट वयं अकेला कर सकने म स म होता है और योग
कला, चाट व मॉडल बनाने म मता ा त करता ह।
 जीव व ान से स बि धत सामािजक सम याओं जैसे—वातावरण दूषण, जनसंखया,
यि तगत समु दाय, वा थय के इ या द का बोध अ धक ता को हो।
10 + 2 श ण प त म सेके डर और उ च सैके डर तर पर जीव व ान का पा य म
बहु त उ नत ह, इसम वातावरण, को शक य, वा थय, पोषण और कृ ष इ या द सि म लत ह। जीव
व ान श क को उ च तर क वषय व तु और श ण व धय से अवगत कराया जाता ह। िजससे

68
वह उ च तर क वषय व तु का श ण करा सक। वक सत दे श म जीव व ान श ा म बहु त
वकास हु आ ह। उनके मागदशन म जीव व ान श ा का नर तर पुनगठन करना अपे त ह।

3.10.5 रसायन व ान क पा य म वकास क नूतन वृि तयां (New Trends in Chemistry


Curriculum Development'):

रसायनशा के पर परागत पा य म प रवतन के लए मुख प से सी. ए. बी. और टडी


ोजे ट उ तरदायी ह।
''द कै मकल बॉ ड ऐ ोच (C.B.A.—The Chemical mBould approach) :— इस
उपागम म रसायन व ान को रासाय नक बॉ ड क वषय—व तु (Theme) पर अ भके त कया
गया है। इस वषय के स पूण कोस म यह यास कया गया है। क व याथ म रसायन व ान के
मु ख स यय (Concepts) स ा त (Principles) और वचार (Ideas) वक सत हो जाय।
पर परागत त य के वणन इसमे गौण बन गये। रासाय नक ब ध (Bond) के अ त र त स पूण कोस
म अ तस बि धत वचार को सा रत कया गया है। अणुओं और परमाणुओं को समझने के लए
मान सक त प के वकास पर बल दया गया है। यह अपे ा क जाती है क अ धक ता आ त रक
और अ य रासाय नक अ भ याओं के व भ न कारक के च बना सकगे।
त प को इस वै ा नक च तन के वकास के लए उपयु त मा यम चु ना गया ह। अणु
या परमाणु क संरचना के न पण के लए इलै ोन क कृ त के वषय म मा यताओ को आधार
बनाया गया। जो क इलै ो टै टक क के य वषय व तु पर आ त ह। कूल ब के नयम के
(Coulomb’s law) के गुणा मक (Qualitative) और प रमाणा मक दोन प का स धान या
गया। य क इनक आव यकता आगे पी रयो ड सट (Periodicity) और आय नक पदाथ (Ionic
Substances) के वमश म होती ह। यहां नयम के य माना गया ह। दूसर आधारभू त के य
वषय व तु (Theme) ऊजा (Energy) क अवधारणा ह। िजस पर कोस क सम ता के अनतगत
वशेष बल दया गया ह। शनै: शनै: सी. बी. एस. ने वत ऊजा (Free energy) और ए ोपी
(Entropy) को ता वत कया ह।इस कार अ धक ता व याथ से अपे त ह क वह रासाय नक
अभ याँ म संरचना मक पदाथ , ऊजा और ब ध (Bond) क अ तस कधता
(Inter—relation—Ship) को दे ख। सी. बी. एस. ने योगशाला मै युअल (Laboratory Manual),
श क नद शका (Teacher’s Guide) और मू यांकन उपकरण (Evaluation instruments)
उपल ध कये ह।
द कै मकल एजू केशन मैट रयल टडी (Chem—Study): — रासाय नक व ान स बधी
टडी क वषय व तु स यय , स ा त और वचार पर आधा रत ह। रासाय नक अ भ याओं के
अ धक ता अनुस धान के लए व ान क योगा मक कृ त आल ब (Basis) ह। व याथ वारा
ज टल रासाय नक घटनाओ के बोध के लए दूसर के य वषय व तु म सि म लत त व इस कार
ह – रासाय नक यव था क संरचना (Structure of Chemical System), इले ोन संरचना
(Electron Structure), परमाणु ओं क या मतीय यव था (Geometrical arrangement of
atoms), उनके सापे आकार और आकृ तयां (Relative shapes and sizes), अणुओं और

69
परमाणु ओं क एक साथ आब ता (Packing together of melecules and atoms), उनके म य
क शि तयां (Foroes),वे कस कार उनक रासाय नक को भा वत करती ह।
रसायनशा क पा यव तु इसक बहंगम पृ ठभू म से आर भ होती ह। धीरे—धीरे व याथ
मु ख सामा यीकरण से प र चत होता ह। इसम सि म लत त व ह— ऊजा और रासाय नक अ भ याय
(Energy and chemical reactions), रासाय नक अ भ याओं क दर (Ratios of Chemical
reaction),स तुलन और रासाय नक अ भ याय ( Equalibrium अ छे मकल reaction),
टॉ कओमी (Stochiometry), परमाणु और उनक संरचना (Atoms and their Structure)।
योग के आधार पर अ धक ज टल वचारो को समझे और उनका नवाचन करे । CHEM
पा य—पु तक , योगशाला मै युअल, श क मागद शका भी यापा रक मा ा म उपल य ह। इनके
अलावा पूरक साम यां भी उपल य ह। इनम 16 ममी. रं गीन फ म भी शा मल ह। िजनम
रसायनशा के स ा त और अवधारणाओं को दशाया गया ह। ऐसी याओं को भी इनमे द शत
कया गया ह। िजनक क ा म द शत करना न तो स भव ह न ह यावहा रक। द वार के चाट और
कोस के संब न के लए मोनो ाफ भी का शत कये गये ह।
वमू यां क न
1. व ान के पा य म म सु धार के लए सव थम करनने यास कये ?
................................................................................................
2. ाडफ ड कर कु लम क तीन वशे ष ताये ह : -
1......................... 2.............................3.................................
3. व ान म पा य म वकास क मु ख नू त न वृ ि तयां ह :-.
1.................................2...................................................
3.................................4...................................................
4. व ान क नू त न वृ ि तय का भारत म व ान श ा पर या भाव पडे -
1................................2...................................3.........................
4................................5...............................................................

3.11 भारतीय श ा का रा य पा य म
(National Curriculum of Indian Education):
भारतीय श ा णाल म व ान श ण को ठ क कार से समझने के लये रा य पा य म
क सं त म चचा करना ासं गक ह। एक नधा रत तर तक सभी छा चाह उनक जा त, वंश,
ा त, धम या लग कु छ भी यो न ह , अ छ श ा ा त कर। यह रा य श ा णाल का अथ
ह। रा य श ा णाल के यास ह क:—
 श ा क 10+ 2+ 3 + पा य म णाल सब जगह लागू ह ।
 सभी को श ा के समान अवसर दान करना।
 रा य पा य म क रचना।
 श ा के हर तर के लये यूनतक पठन तर के स ा त का तपादन।
 काय जगत तथा उ यमशीलता के वकास के साथ स ब ध।

70
 दे श के व भ न भाग म रहने वाले लोग क व भ न सं कृ तय तथा सामािजक—आ थक
णा लय क जानकार दे ने और रा य एकता क वृ हे तु शै क काय म बनाना।
 श ा के व भ न तर क के मा यम से 'उ च श ा तथा श ण के योजन के लये स यक
ग तशीलता क यव था और
रा य णाल के अनुसार एक रा य पा य म बनाया गया ह। रा य पा य म भारत
क भावा मक एकता को मजबूत बनाने और भावी चु नौ तय का सामना करने हे तु रा को तैयार करने
के लए रा य शै णक पर पराओं भारतीय सं वधान म सुर त नै तक मू य और सम—सामा यक
मह व से ब च के सवागीण वकास के लये यापक उ े य तु त करता है। इसक मु ख वशेषताय
इस कार ह —
 वकास के रा य ल य क ाि त के लये मानव ससाधन के वकास पर बल।
 सभी श ा थय के लये ाथ मक, उ च ाथ मक और मा य मक तर पर यापक आधार
वाल सामा य श ा।
 ाथ मक और मा य मक तर के लये अ ययन क समान योजना।
 मु य वषय संघटक म, भारत के वत ता आ दोलन का इ तहास, संवध
ै ा नक दा य व,
रा य अि मता को बढावा दे ने वाल वषय व तु भारत क सामा य सां कृ तक पर परा,
समानतावाद लोकत और धम नरपे ता, ल गकता के आधार पर समानता, पयावरण
संर ण, सामािजक बंधन का नराकरण, छोटे प रवार के तमान का पालन और वै ा नक
कृ त को आ मसात करना, वषय का समावेश।
 दे श भर म श ा के तर म यापक समानता लाने के लये कू ल श ा के येक तर
पर यूनतम अ धगम तर क या या तथा मानद ड को लाग करना।
 श क केि त ि टकोण के बजाए बालकेि त तथा याशीलता पर बल।
 शै क तथा गैर—शै क सभी पहलु ओं का सतत ् और या यापरक मू यांकन शु करना और
पर ा णाल को नया प दे ना।
 औपचा रक तथा अनौपचा रक सभी कार के कू ल और के म पा य म के भावी सार
के लये अ नवाय सु वधाओं का ावधान।
 श ा थय के काय को सरल बनाने और यो यता को सु नि चत करने के लये पा य म क
यावहा रकता।
 दे श भर म तुलना मक मता के मानद ड के वकास और चयन के लये रा य पर ण
सेवा जैसी उपयु त काय णाल क थापना।
रा य पा य म के अ तगत व ान श ण के मा यम से यह अपे ा क जाती ह क दसवी
क ा तक व ान पढने वाले छा म वंय नय ण के लये अवलोकना मक तथा व लेषणा मक
कौशल, उसक ता का लक और भावी आव यकताओं के लये आव यक औजार , उपकरण का योग
करने क यो यता आ जायेगी। छा म वै ा नक व ध से काय करने के कौशल आ जायगे। वह आधारभू त
वै ा नक संक पनाओं, नयम व स ा त को समझ सकेगा और सम याओं के समाधान ढू ं ढ सकेगा।

71
व ान क श ा के अ तगत व ान और ाकृ तक पयावरण के अ ययन के पहलु ओं वन प त
तथा जीव ज तु, ाकृ तक संसाधन ,. ऊजा के ोत के वषय म श ा का ावधान ह। इ ह पहलु ओं
म व ान का अ ययन समा हत ह।
पूव ाथ मक तर पर बागवानी, खेल, पालतू पशु—प य क दे खरे ख, व ान स कधी व तु ओं
को रखना उनसे खेलना आ द ह। ाथ मक तर पर व ान और पयावरण का अ ययन एक कृ त प
म ह। उ च ाथ मक और मा य मक (Upper primary and Secondary) तर पर भी व ान
को एक कृ त प म पढाने का ावधान ह, क तु इसका तुतीकरण सह प म नह ं हो रहा ह। व ान
को एक वषय के प म पढाया तो जा रहा है क तु भौ तक , रसायन व ान एवं जीव व ान को
अलग—अलग भाग मे तु त नह ं कया जा रहा ह।
वमू यां क न
1. रा य पा य म पर परागत पा य म से कस कार भ न ह –
...................................................................................................
2. व ान को अ नवाय वषय के प म य लया गया ह ?
........................................................................................ ...........
3. इस पा य म म व ान म या - या समझते हो :-
1........................................ 2...................................................
3........................................ 4................................................... ...

3.12 व ान पा यचया
(Science Syllabus)
पा यचया (Syllabus) पा य म (Curriculum) का एक भाग ह, क तु लोग ाय: इसी
को मवश पा य म समझते ह। यह बहु त बडी भू ल ह। पा य म बहु त यापक Broad)
( ह। पा यचया
इसक तुलना म एक लघु अि त व (Small existance) ह। पा यचया कसी भी तर (Level)
क अलग—अलग क ाओं के लये अलग—अलग होता ह। वतमान म यह एक ल खत सं थागत
(Institution) लेख (Document) ह। िजसका नधारण (Prescription) कसी क ा अथवा तर
क पर ै ा नक अ धकार (Constitutional right) के अ तगत होता ह। यथा के
ाके संवध य प रषद
(Rajasthan Board of Secondary Educational), वतमान वभ न व व व यालय
(Universities) आ द। इन संसथाओं को ह कसी व यालय /महा व यालय म क ाओं को खोलने
क अनुम त (Permission) एवं मा यता (Recognition) दे ने के संवध
ै ा नक अ धकार ह। इसके
लय उनक व श ट शत (Terms and conditions) होती ह। िजनक शुतइr के उपरा त इस कार
क मा यता दान क जाती ह।
वतमान मे सभी पा यचचाओं मे मुखता से न न ल खत उपल ध ह. —
1. व व व यालय अथवा प रषद के संगत (Relevant अ यादे श (Ordinance)
2. क ा / रकूल तर पर वेशाथ नयम (Articles) एवं अनु छे द ( Sections)

72
3. व भ न क ाओं के आधार पर व यालय यवरथा (School System) के व श ट तर
क संरचना (Structure) यथा—मा य मक तर:क ा 9, क ा 10, नातक तर थम वष,
तीय वष, तृतीय वष , रनातको तर : पूवा ( Previous), उतारा (Final) आ द।
4. येक क ा के वेशाथ पूव शत (Preconditions)
5. क ा के लये नधा रत शै क (Academic) वषय एवं पा येतर या (Curricular
activities)
6. वषय व तु के श ण के लय अपे त यव था प रवतन म उ े य का उ लेख।
7. येक क ा के लये सै ाि तक एवं ायो गक (Theoritical and Practical) प
(Aspects) का व तृत ववरण।
8. पर ा एवं मू यांकन (Examination and evaluation) के लये वरतृत काय म
(programme)
9. येक वषय के लये अंक (Marks) का आवटन एवं पर ा प रणाम हे तु व तृत शत।
10. येक वषय का न प म आवंटन (Distribution)
11. येक न प के लये वषय व तु (Content) का इकाईवार (Unitwise) उ लेख।
12. येक न प क पर ा एवं मू यांकन हेतु इकाईवार भारांकन (Weightage in Marks)
13. न नमाताओं के लये आव यक नदश (Direction for the paper Setters)
14. क ा उ तीण करने के लये छा वारा पूर क जाने वाल पा य मीय एवं पा ये तर य शत।
वमू याकन
1. पा यचयाँ का या अथॅ है ?
...................................................................................................
2. पा यचया एवं पा य म म मु ख अ तर या है ?
................................................. ..................................................

3.13 व ान पा यचचा नधारण के स ा त


(Principles for the Science Syllabus Presoription)
व ान क पा यचया के लये यह आव यक है क िजस क ा के लये यह नधा रत करना
ह उससे स बि धत अ धक ताओं (Learners) के बौ क, संवेगा मक, सामािजक, शार रक वकास
के तर क पूण जानकार हो, साथ ह व ान के स दभ म उनके पूव ान (Previous Knowledge)
क जानकार भी ह । क ा के लये नधा रत अ य वषय क वषय व तु एवं या—कलाप का भी
ान होना चा हये, िजससे क अलग—अलग वषय म उसी वषय व तु या या क आवृि त नह ।
वशेष प से व ान जैसे, भौ तक , रसायन शा और याि क म पा यचयाओं का नधारत
पार प रक सम वय (Mutual coordination) से कया जाना चा हये, अ यथा वषय व तु क कई
इकाईय का उप—इकाइय म अनाव यक आवृि तय (Repeatitions) क बहु त गु ज
ं ाइश रहती ह। वषय
व तु के चयन म पा य म के ल य , वषय एवं या—कलाप का ढता से अनुपालन ( Follow)

73
कया जाय। एक अ छे पा यचया के नधारण के लये मुख मागदशक (Guiding) स ा त इस कार
ह. —
1. अ धक ता केि त (Learner centered): पा यचया क वषय व तु,, याय तथा
कृ यक (Tasks) व याथ के शार रक एवं मान सक वकास के अनु प हो। यह उसक आव यकताओं
(Needs) अ भ च (Interest) के अनु प होना चा हय। इसके नधारण म वषय व तु से स बि धत
उसके पूवानुभवो को भी मह व दया जाना चा हये।
2. अनुभव क पूणता ( Totality of Experience):— वषय व तु को इस कार सक ठत
(Organize) कया जाय क वह अपने आप म एक पूण अनुभव हो। प ट ह क इसका आवंटन
इकाईय के प म हो।
3. सामािजक आव यकताओं के अनुकूल: — वषय व तु के चयन म सामािजक आव यकताओं
को वशेष मह व दया जाना चा हये। यह तभी स भव है जब क पा यचया का नधारण पा य म
के उ े य को यान म रखते हु ये कया जाय।
4. सामािजक आव यकताओं के अनुकूल:— (According to Social Needs)— पा यचया
म ऐसा ावधान हो क वश ट उ े य क ाप त के लये व यालय को अपनी सीमाओं
(Limitations), सामु दा यक पृ ठभू म (Community background),सामु दा यक संसाधन
(Commu—nity resorces) के अनु प वषय व तु के चयन क वत ता हो। इसका वशेष प
से ऐसी इकाइय म यान रखा जाय िजनका स बका याओं (Activities और कायानुभव ( Work
experience) से ह ।
5. सहस ब ध का स ा त (Principle of Correlation):— नधा रत वषय व तु म
क ागत अनुदेशन (Classroom Instruction) के लये दूसरे वषय अथवा इकाईय के श ण के
साथ सहस कधा मक जुडाव (Connection) हो।
6. या एवं कायानुभव केि त (Activity and Work Experience Centered)— हम
जानते ह क ''करके सीखने'' (Learning by doing)सवा धक भावी (Effective)ह। व ान
व या थय को व यालय के पयावरण (School Environment) म कायानुभव के अवसर
(Opportunities) योजनाब तर के (Planned way) म दये जाये।
7. सृजनशीलता एवं उपयो गता का स ा त ( Principle of Creativity and Utility) —
व ान क वषय व तु उसम या, य , कैसे न को उठाने म समथ हो, तथा इनके उ तर के
लये उसम सृजनशीलता के वकास के लये पया त साम ी उपल ध हो , साथ ह वषय व तु उसके
लये त का लक (Immediate) और परम (Ultimate) ल य क ाि त म सहायक हो। वषय व तु
उ चतर अ ययन के लये आधार न मत करने म स म होनी चा हये।
8. अवकाश के लये उपयोगी (Useful for Leisure): — व ान क पा यचया म ऐसी याओ
को ो साहन दया जाय जो क अ धक ताओ के अवकाश के सदुपयोग के लये रचना मक (Creative)
साधन बन सके।

74
9. सहस ब ध का स ा त (Principal of Correlation): — दूसरे वषय एवं व ान के
साथ वषय व तु एवं श ण का सम वय बनाये रखने का यास पा यचया म होना चा हये। हम जानते
है क व ान के अ ययन म ग णत के कई यय (Concept). स ा त , तीक एवं सू
(Symbols and equations), चलन (Operations) क युि त ( Application) होती ह। इनके
श ण के बाद ह व ान क स बि धत इकाई का श ण कया जाय।
वमू याकन
1. पा यचया नधारण के मु ख सदा त है :-
1......................................... 2.....................................................
3.......................................... 4...................................................
2. पा यचया नधारण के सहस ब ध का या अ भ य है ?
...................................................................................................

3.14 वमू यांकन


(Self Assesment)
न न ल खत न के उ तर लगभग 100 श द तक द िजए : —
1. व ान पा य म पा यचया से कस कार भ न ह?
2. व ान पा य म नमाण के आधार या ह?
3. व ान पा य म सगठन के व भ न उपागमो क या या क िजये?
4. टाइलर वारा तु त व ान पा य म नमाण के आव यक त व या ह?
5. व ान पा य म मू यांकन क या आव यकता ह?
6. व ान पा य म नमाण क नूतन वृि तय से या ता पय ह ?
7. भारतवष म व ान श ण पा य म वकास क नूतन वृि तय पे कैसे लाभाि वत हु आ
ह?
न न ल खत न के उ तर लगभग 500 श द तक द िजए:—
8. अपने रा य के मा य मक व ान पा यचया क समालोचना मक जाच क िजये।
9. व ान पा य म के मू यांकन क कसौ टया या है ? अपने रा य के लये नधा रत उ च
ाथ मक तर के लये नधा रत पा य म का आकलन क िजये।
10. न न ल खत पर ट प णयां द िजये।
अ) नफ ड व ान प रयोजना
ब) पी. एस. एस. सी. कोस
स) भारतीय श ा का रा य पा य म

3.15 स दभ थ
(References)
1. American Association for the Advancement of Science, Bend marks
for Scientific Iiteracy, N.Y.Oxford universal Press (1993)

75
2. Donald Ronald G; Curriculum Improvement, Ally and Boston and
Toronto (1992)
3. National Society for the study of Education (NSSE; Rethinking Science
Education 59th Year B.I. Chicago University Press (1960)
4. Sehubent, W.H. Curriculum: Perspective,Paradigm and possibility,
Mcmillan, N.Y.(1968)
5. Waddington, D.J. Teachingt School Chemistry, Sterling Unesco (1984).

76
इकाई — 4
व ान म पा यचया त व एवं सं ाना मक संक पना मान च
Cognative Map of Concept and Curricular element in
Science
इकाई क संरचना (Strcuture of the unit)
4.0 उ े य (Objectives)
4.1 पा यचया क अवधारणा (Concept of curriculum)
4.2 पा यचया त व (Curriculum elements)
4.3 व ान म सं ाना मक संक पना का मान च (Cognative map of concept in
science)
4.4 सारांश (Summary)
4.5 वमू यांकन (Self Assesment')
4.8 स दभ ं (References)

4.0 उदे य
(Objectives)
इस इकाई क स ाि त पर आप —
 पा यचया क अवधारणा को प ट कर सकेग।
 पा यचया त व क या या कर सकेगे।
 सं ाना मक संक पना मान च का अथ प ट कर सकेग।
 व ान वषय म सं ाना मक संक पना मान च वक सत कर सकेग।

4.1 पा यचया क अवधारणा


(Concept of curriculum)
पा यचया का अथ इस सदभ म लया गया है क एक अनुभवी राह अथात ् श क छा के
नवीन माग तय करने म सहायक हो इस लए पा यचया एक राह है जो छा वारा उ े य क ाि त
के लए पूर क जाती है।
पा यचया का अथ 'पा य वषय क सू ची' तक ह सी मत नह ं है काला तर म पा यचया
का अथ म अनेक प रवतन हु ये है िजसका सीधा स ब ध सामािजक यव था, जीवन दशन तथा रा य
श ा नी त से रहा है और उसके मा यम से छा के सवागीण वकास क संक पना बनाई है।
पा यचया उन सम त अनुभव का समू ह है िज हे छा अनेक याओं वारा ा त करते
है। ये याएं व यालय म, पु तकालय म , योगशाला म, कायशाला म, खेल म मैदान पर तथा श क
एव छा के अनौपचा रक स पक वारा होती है।

77
पा यचया को श ा का साधन मानते हु ये एक यापक अथ म दे खना चा हए य क समाज
म या त अ य पा य म (Hidden curriculum)) बालक के वकास को भा वत करता है।
पा यचया का संदभ व यालय क सीमा से बाहर भी है िजसम छा अ धगम याओं म
स य रहता है। यह संदभ छा को समाज का कायशील सद य बनने म सहायक होता है य क छा
यहा समाज के अनेक सद य के स पक म आता है और उसका समाजीकरण होता है। इस लए यह
आव यक हो जाता है क समाज म होने वाले शै क याओं को पा यचया का भाग माना जाये।
पा यचया का सीधा स ब ध आ थक त व से होता है जो छा को समाज का एक याशील
एवं उ पादक नाग रक बनाते है। समकाल न स दभ म श त मानव जन शि त (Skilled
manpower) का नमाण करना, पा यचया का एक मु य ल य है। कौशल यु त मानव शि त का
नमाण करना व यालय का ल य है। इसके साथ—साथ छा म अपे त यवहार का वकास भी एक
ल य है।

4.2 पा यचया त व
(Curricular element)
आधु नक वचारधारा के अनुसार श ा तीन ु व वाल या है। इनम से एक ओर श क
दूसर ओर छा तथा तीसर ओर पा य म है। पा य म वह साधन है जो शै क या के लए
आधार बनता है। य द श ा को श ण अ धगम या (Teaching Learning process) माना
जाये तो श ा म अ धगम व श ण पा य म के मा यम से होता है।
पा यचया त व म उ े य, अ धगम अनुभव, वषयव तु व मू यांकन सि म लत है।
उ े य का नधारण श क क ा म जाने से पूव करता है इन उ े य क पू त के लए वह
वषय व तु का चयन, व लेषण व नमाण करता है। इन वषय व तु के आधार पर वह अ धगम अनुभव
दान करते है। इन उ े य क ाि त के लये वह सा य का संकलन कर मू यांकन करता है। इस
तरह पा यचया के तीन मह वपूण त व (elements) है। (1) श क (2) श ाथ (3) पा य म
भारतीय शै क प र े य म रटने क पर परा च लत है िजसम छा का ान पूव ान से
नह जु डता है। रटने क पर परा त य को याद करने पर बल दे ती है। यह अथपूण (Meaning full
learning) या स या मक बोध को ो सा हत नह ं करती।
वमू यां क न
1. व ान म पा यचया त व को ल खये ।
Write curricular elements in science

4.3 व ान म सं ाना मक संक पना का मान च


(Cognative map of का सै ट in science)
सं ाना मक संक पना मान च वारा छा को अथपूण अ धगम (Meaning full
learning) उपल य कराना है।

78
आज व ान श ण म संक पना मान च को 'एक मह वपूण अ त सं ाना मक उपकरण'
(Meta cognative tool) वीकारा गया है ( मंटेज आ द)
सक पना मान च का अथ (Meaning of Concept Mapping) संक पना मान च एक
आलेखी च णाल (Graphical system) है िजसम सं यय के सह स ब ध का बोध होता है।
सन ् 1960 के दशक म जोसेफ डी. नोवेक ने कानल व व व यालय म संक पना मान च
तकनीक का अ ययन ारं भ कया था उनका काय डे वड आसुबेल के अ धगम स वा त पर आधा रत
था।
आसु बेल का मत है क येक छा वयं के ान का सगठन करता है तथा संर चत करता
है तथा यह ान व श ट सं े मौ खक अ धगम (Verbal
यय के ा प म संर चत होता है। आसु बल
learning) म व वास करते ह िजसे 11—12 वष के छा ो के लए मह वपूण मानते है। उनका मत
है क 10 वष क आयु तक के बालक के लये सीधे अनुभव मह वपूण है िजनम छा याशील
होता है। उनके अनुसार छा नवीन ान को उनक मान सक संरचनाओं म ास गक पूव ि थत सं यय
से जोडते ह छा म पूव ान एक ऐसा मह वपूण कारक है जो अ धगम को भा वत करता है। इस
पूव ान को पहचा नये , नि चत क िजये और तदनुसार श ण क िजये। व ान वषय को
.'संरचना मक सम यय वारा पढाया जा सकता है। मानव मि त क सूचना हण करने, संसा धत
करने (Processing) तथा भ डारण करने क एक णाल है। वचार को पूव ान से जोडकर सीखना
भावी होता है। आसु बेल सं ाना मक संरचना और मान सक संरचनाओं पर बल दे ते है।
नोवेक के अनुसार अथपूण अ धगम म नवीन सं यय का आ मीकरण ( Assimillation)
तथा सयोजन (Proposition) उपि थत सं ाना मक रचनाओं म सि म लत है। नोवेक ने 1977,
1984 म सक पना मान च वक सत करने क व ध रय ट क है। इसमे छा ायो गक काय करते
हु ए व भ न स यय म सहस ब ध था पत कर सकेग।
मा टन (1994) के अनुसार संक पना मान च सं ाना मक संरचना के व—आयामी च ण
है। जो कसी वषय अथवा करण के स यय क ेणीब ता तथा अंत स ब ध दखाते है। यह द शत
करते है क यि त कस कार ान को संग ठत करता है।
मनु य के मि त क म तीन भ न क तु स बि धत सूचना वध तर है। संवेद सूचना
व ध, अ पकाल न सू चना व ध, द धकाल न सूचना व ध , संवेद रमृ त दे खने , सु नने एवं अ य
ानेि य से ा त होती है जो अ पकाल न मृ त भंडार म रथाना त रत कर द जाती है। मु य वषय
है क नवीन ान को कस तरह द घकाल न मृ त म लया जाये। यह तभी संभव है , जब नवीन ान
को चैत य से, पूव ान से या व यमान सं यय से जोडा जाये। इन सं यय को संयोजन से जोड़ना
आव यक है ।
सं ाना मक संक पना का मान च ण का उदाहरण
(Example of cognative map of concept)

79
पु प वारा बीज के नमाण का संक पना मान च
संक पना मान च वक सत करने के सोपान (Step to make concept map)
(1) संक पना मान च वक सत करने के लए कोलहन और लाक (1990) ने अनेक सोपान प ट
कये है जो न न है —
(2) िजस वषय पर अथवा करण पर संक पना मान च वक सत करना है, उसका यापक
अ ययन क िजये। उसम से 10—15 सं यय का चयन करे । उनम से केि य वचार
(स यय) को पहचाने। यह केि यस यय अ य सं यय से अथपूण ढग से स बि धत
है।
(3) चय नत मु ख स यय को ऊपर लखे।
(4) इन स यय के नीचे तर के अधीन थ (subordinate) स यय को यवि थत करे ।
इन तर पर संयोजन (Propositions) अथवा जोडने वाले श द जैस—
े दे ता है, कार, इनसे,
प रव तत होती है आ द का योग कर।
(5) एक बार समान स यय क पहचान होने पर अधीन थ स यय को यव रथत करना
ारं भ कर। इस कार एक पदानु म (Hierarchy) बनाये।
(6) स यय के चार ओर प र ध खीं चये तथा समान, अधीन थ स यय म सह—स ब ध
दखाने के लये अनु थ रे खाय (Cross link) खीच।
(7) समर त मान च के चार ओर कम से कम घेरे बनाये तथा मु य अ ययन ब दुओं का संतु लन
बनाये रख।

4.4 सारांश (Summary)


 पा यचया शै क, सामािजक एव बौ दक़ आव यकताओं क पू त क परे खा है ।
 पा यचया त व म श क, श ाथ तथा पा य म न हत है।
 सं ाना मक संक पना मान च एक व ध है। िजसम ान को अ धगम तथा बोध के लए
यव रथत कया जाता है। यह एक आरे खीय च ण है। िजसम वचार का यव थापन तथा
वभ न स यय का सह—स ब ध दखाया जाता है।
संक पना मान च वक सत करने क वध
 चय नत करण को प ढये।
 मु य श द के चार ओर घेरा बनाइये।

80
 उपयु त मान च ा प का चयन करे ।
 मु य स यय को के म लखे।
 स बि धत स यय को आस—पास जमाये।
 रे खाओं का संयोजन (Propositsons) से सहस ब ध जोडे।

4.5 वमू यांकन (Self Assesment)


1. संक पना मान च का अथ प ट क िजए।
2. संक पना मान च के वक सत करने क व ध लखे।
3. संक पना मान च का मह व बताये।

4.6 स दभ ंथ (References)
1. Ansubel DavidP (1963) The Psychology of meaningful verbal learning
cirune and strtton, New York.
2. Novak J.D. Growin D.B. Johasen, G.T. (1983) The use of concept
Mapping and Knowledge vee mapping with junior high school students
science education 67,625—645
3. Stick C (1983) Hierarchilal concept mapping in the early grades
childhood education Vol64,86—96
4. Vigyan Shikshan J.K. sood, Vinod Pustak Mandir, Agra.

81
इकाई—5
व ान श ण व धयाँ, वषयव तु स बि धत उदाहरण एवु
कौशल
(Approaches of Teaching Method, Specific illustration
of content based methodology, subject specific skill)
इकाई क संरचना (Structure of the Unit)
5.0 उदे य (Objectives)
5.1 तावना (Introduction)
5.2 व ान श ण के आ यूह म क अवधारणा
(Concept of Strategic Procedures of Science Teaching)
5.3 व ान श ण क व धयां (Method of Teaching Science)
5.3.1 पर परागत एवं सामा य व धयां (Traditional and General Methods)
5.3.2 व ान श ण क वै ा नक व धयां (Scientific Methods of Teaching Science)
5.4 समू ह याकलाप व धयां (Group Activites Methods)
5.5 व ान श ण क तकनीक (Techniques of Science Teaching)
5.6 व ान श ण म समाहरक वृि त ( Ecletic Tendency in Science Teaching)
5.7 वमू यांकन (Self Assesment)
5.8 स दभ थ (References)

5.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के उपरा त:
1. व ान श ण के म, व ध, यूह को प रभा षत करगे।
2. व ान श ण क व धय को सूचीब कर सकगे।
3. व ान श ण क व भ न व धय क ववेचना तथा उनम अ तर प ट कर सकगे।
4. येक व ध के सापे मह व प ट करगे।
5. व ान श ण म अनुदेशन क सव मक व ध का चयन करगे।

5.1 तावना (Introduction)


पा य म एवं पा यचया के अ ययन म यह प ट है क पा य म के मुख त वो मे श ण
म व धय एवं तकनीक सि म लत ह। क तु ये पदाव ल पर परागत है। वतमान म शै क
ा यो गक के भाव से व ान श ा के इस प म भी वह न पद एवं अवधारणाओं और स ा त
का उ भव हु आ है। इनम या, म, तकनीके, कौशल, युि त मु ख है।

82
इस कार पर परागत व धयां अब श ण के यूह म का मु ख अंग न मत करती है।
इनक युि त म कौशल , युि तय और अ धगम या के संगठन क कृ त का बडा मह व है।
इनक ववेचना व ान श ा म शै क ा यौ गक के अ तगत कया जायेगा। यहां व ान श ण
क च लत व धय पर वमश समीचीन है।

5.2 व ान श ण के आ यू ह कम क अवधारणा
(Strategic Procedures Concept of Science Teaching)
पर परागत (Traditional) प से तु त (Presented) वषय व तु (Content) को
'' श ण व धय '' (Method of teaching) करण (Topic) के अ तगत रखा जाता है। इसी स दभ
म कु छ लेखक उपागम (Approach) पद (Tearm) का उपयोग भी करते ह। आज तकनीक
(Technique) कौशल (Skill), युि त ( Device) जैसे पद भी अपना मह व बना चु के ह। यह ि थ त
सभी अनुशासन (Disciplince) और वषय (Subjects) म ह। सामा य प म दे ख तो सभी ओर
ान के व फोट (Explosion of Knowledge) से वाभा वक प म ऐसी ि थ तयां बनती रह
है। यह ान क वकास या का एक अ भ न अंग है। श ा शा क वकास या म ि थ त
श अनुदेशन ( Teaching/Instruction) को समझने तथा सहज (Natural), भावी (Effective)
बनाने के लये आव यक है। यहाँ इन पद को प रभा षत कया जा रहा है।
कसी समरया के समाधान (Problem sloving) अथवा नधा रत उ े य क ाि त के लये
कये जाने वाले सभी यास (Efforts) का एक कृ त (Integrated) संग ठत (Organized) व प
(From) ह यूह ह। इसम याओं (Processes), युि तयां , तकनीक, व धयां (Methods),
कौशल और यहाँ तक क मान सक याय (Mental Processes) भी शा मल ह। शै क
ा यो गक (Educational Technology) म इस पद को सै य व ान (Military science) से
लया गया है। िजस कार यु भू म म सेनाप त अपने ल य और उ े य क ाि त के लये व भ न
व धय , तकनीक , युि तय आ द को संग ठत तथा एक कृ त कर यूह बनाना है , इसी कार क ा
म श क अपने उ े य क ि त के लये यह सब करता है।
उपागम मे दशा (Direction) और णाल (Method) दोन ह शा मल ह। अत: कह सकते
ह क श ण मे उपागम सं या (Operation) क दशा और इसक णाल को दशाता ह। या
कसी भी सं या म न हत याओं (Action) और त याओं क (Reaction) सतत ृखला
(Continuous Chain) ह। जैसे श ण, अनुदेशन , श ा याय। णाल अथवा व ध पूव
नधा रत उ े य क ाि त के लये कसी या अथवा सं या को यवि थत (Systmatics) ढं ग
से सचा लत (Operate) एवं स प न करने क र त (Way) को कहते ह। तकनीक कसी भी या
के उ े य को ा त करने के लये अपनायी जाने वाल व ध को आसान (Easy), समय, म एवं
खच क ि ट से मत ययी (Economic in context of time, Labour and Money), अ धक
भावी (Effective) बनाने के लये व श ट यु कतय के उपयोग को कहते ह। अनुदेशा मक अ धगम
(Instructional learning) म नो तर (Question –Answer), य— य साम यो

83
(Audio—visual aids) आ द के उपयोग तकनीक है। तकनीक म यु त साम ी युि त कहलाती
है। कसी तकनीक के उपयोग म महारथ (Mastery) हा सल करने के साम य को कौशल कहते ह।
इस कार व ान श ण क यूह रचनाओं म मु ख प से श ण व धय , तकनीक ,
कौशल , युि तय को शा मल कया जाता है। युि तय म श ण साम या आती ह। इनका अ ययन
व ान श ण के भौ तक संसाधन के अ तगत इकाई——5 म कया जावेगा। थम तीन क ववेचना
इस इकाई म क जा रह है। श ण क तकनीक और कौशल शै क ो यो गक क वषय—व तु ह।
वमू यां क न
1. व ान श ण के स दभ म यू ह का या अथ है ?
...................................................................................................
2. श ण उपागम म सि म लत है : -
..............................................................................................
3. श ण व ध का अ भ ाय है :
...................................................................................................
...................................................................................................

5.3 व ान श ण क व धयां (Methode of Teaching Science)


व धवेताओ (Method Masters) ने श ण व धय को अपने वषय एवं अपनी धारणओं
के अनु प वग कृ त (Classify) कया है। ऐसे वग करण के वारा इन व धय को समझना अपे ाकृ त
अ धक सरल हो जाता है, य क येक वगृ म अपने कु छ व श ट गुण होते ह। यहां अ ययन , अ यापन
एवं बोध को सरलता से समझने के लये व ान श ण क व धय को न न ल खत तीन संवग
(Categorise) म वभािजत कया जा रहा है।
5.3.1 पर परागत एवं सामा य व धयां (Traditional cum general Methods)—
जैसा क संवग के शीषक से प ट ह, इसमे सि म लत व धया पर परागत प म सभी व यालयी
वषय के श ण म अपनाई जा रह ह। इनम या यान (Lecture) ऐ तहा सक (Historical) और
पा य पु तक ( text book) व धयां शा मल है। इन व धयां क भावह नता के कारण ह श ण
म इनम छुटकारा पाने के लये बीसवी सद म अनुस धान के आधार पर यास होने लगे। छठे दशक
के बाद तो इन व धय के थान पर अ धक भावी व धयो को अपनाने क दशा म मह वपूण कदम
उठाये गये। व ान के श ण म तो इन व धय को कसी भी कार थान ा त नह ं ह। क तु
व यालय म व ान श क इनक भावह नता (Ineffectiveness) को जानते हु ये भी इनको
अ छाइयां उ तरदायी ह। यावहा रक प मे इनके यापक चलन के कारण इनको समझना आव यक
है। िजसम क श क इन व धय को समझकर इ ह अ धक भावी बना सके।
अ) ऐ तहा सक व ध (Historical Method): ''इ तहास' श द से सु नने वाले के मन म
जो त या होती है, उसको हम उ साहव क नह कह सकते। यो क हमारे मन मे इस श द के साथ
'इ तहास'' वषय जु डा हु आ है। जो क अथाह त य का भ डार है। क तु, व ान श ण के स दभ
मे सोचे तो ाथ मक तर के ारि भक व ान म कहानी के प म कसी वै ा नक वारा क गयी
खोज को तुत करना अ त चकंर होता है। वाट (Watt) वारा ''भाप क शि त'', यूटन वारा

84
''गु वाकषण', आक मडीज वारा ''उ लावन बल'', च शेखर वकटरमन वारा सरकार नौकर करते
हु ये भौ तक मे नोबेल पुररकार जीतने आद क खोज को कहा नय के प म तु त करना कतना
रोमाचक होगा। बालक के मन म वत: ह इन कहा नय को सु नकर या, य जैसे न उठ खड़े
होगे। जो क उ ह भ व य म व ान के अ ययन के लये ेरणा पद (Motivating) ह गे। इस कार
हवाई जहाज, पनडु बी, टे ल फोन, टे ल वजन, रे डयो आ द के आ व कार के इ तहास भी कहानी के प
मे व ान श ण म मह वपूण भू मका नभा सकते है।
समय के साथ—साथ व ान म वकास हु आ है। इकाई—2 म इस पर काश डालने के यास
कये गये ह। ' ग ल लयो ' को मृ युद ड , त काल न सामािजक एवं सां कृ तक मू य को प ट करते
ह भारत म भाप के इजन के वेश और यु म कारतूस के योग भौ तक को इ तहास से जोड़ते ह।
इस लये ऐ तहा सक व ध को भावी ढं ग से उपय ग म लाया जाय तो व ान के क तपय करण
का इस णाल से येक तर म श ण २वाभा वक होगा। इस व ध के उपयोग के लये श क से
मेहनत क अपे ा है।
अनुदेशन पूव तैयार ( Pre—Instuctional Preparation): क ा म अ धगम
(Learning) को भावी बनाने के लये ' ऐ तहा सक व ध रो अनु ेशन हेतु श क को न न ल खत
तैया रयां करनी चा हये : —
 व ान वषय के उ े य से ास गता (Relevance) बनाये रखते हु ये वषय व तु को
कालानु म (Chronological) के अनुसार यि थत करना।
 यहं तु तीकरण (Presentation) सरल भाषा (Simple language) म होना चा हये, जो
क अ धक ताओ के तर के अनुकूल हो।
 इसका अ भ मण ( तपादन— Treatment) मनोवै ा नक होना चा हये। अथात यह
व या थय क च (Interest), संवेगा मक वकास (Emotional development),
आव यकता (Need) के अनु प हो।
 वषय व तु अ धक ता को िज ासा (Curosity) को बनाये रखने म सहायक हो। या, यो,
कैसे न उसके मन म नर तर उठते रह। व ान के स ब ध म उसका कौतू हल सदा जी वत
रहना चा हये।
 श क को वषय व तु से स बि धत उपल य साम य का नमाण (Preparation), सं हण
(Collection) एवं यव थापन (Oraganization) वाभा वक (Natural) प म तैयार
करना चा हये।
 कहानी अथात ् ऐ तहापनेक घटना के ववरण के लये व या थयो को पहले ह उ पे रत
(Motivate) करना चा हये ।
अनुदेशन सि थ तया (Instructional Situations): क ा श ण (Classroom
teaching) म न न ल खत पर वशेष यान दया जाय:—
 सव थम ऐ तहा सक ववरण को मक ख ड म क ा के सहयोग से वभािजत कया जाय।
 वषय व तु क के य कथानक (Central Theme) को अ धक ताओ क कसी भी मूल
आव यकता (Need') से जोड़ा जाय।

85
 ऐ तहा सक ववरण को छोटे —छोटे सहज बोधग य (Comprehensible) वा य म तुत
कया जाय।
 मु य भाग को सारांश के प म यामप पर लखा जाय।
 आव यकतानुसार छा को दये गये कथा भाग पर अवबोधना मक (Comprehensive)
न पूछे जाय, यथा; य , कैसे। उपयोजना मक न भी पूछे जाय , यथा; य द ऐसा न होता
तो या होतां? आ द।
 आव यकतानुसार सहायक साम य का उपयोग भी अ धगम सि थ तयो के सृजन
(creation) के लये कया जाय।
 श क क मौ खक तु त क ा के तर तथा वषय व तु क कृ त के अनु प उपयु त
(Proper) उतार—चढाव (Pause), वराम एव बलयु त (Forceful) हो। उसके हावभाव भी
कथानक के अनु प वाभा वक होने चा हये।
 कथानक क समाि त रोचक एवं वाभा वक ढग से हो तथा व याथ के लये संतोषजनक
(Satisfactory) हो।
 वषय व तु म न हत ान अपने आप म पूण (Complete) हो।
अनुदेशन के उपरा त व ध (Post Instructional Period): अनुदेशन समा त होने के
बाद श क को चा हये क वह व या थय के उपल य यवहार—प रवतन क जांच अ छे न के
वारा करे । श क को चा हये क वह काय के प मे ववरणा मक न तथा संगत या मक कृ यक
(Practical Task) व या थय को उनके संसाधन के अनु प दे । व या थयो से उनक शंकाओं के
वषय म पूछताछ कर, तथा इनका समाधान क ा क सहायता से करे ।
ऐ तहा सक व ध के गुण : (Merits of Historical Method):
 बा याव था एवं पूव कशोरावथा के व या थय के लये यह व ध रोचक एवं रोमांचक है।
 इसम व याथ क त मयता पाठ म बनी रहती है।
 वह वयं भी वै ा नक (Scientist) क भां त बनने क दशा म बढने के लये े रत होता
है।
 इसम अपे ाकृ त समय कम लगता है।
 छा म समालोचना मक च तन (Critic Thinking) वक सत होता है।
 कथानक को अपने श द म ढालन एवं अपने तर के से संग ठत करने के अवसर अ धक ता
को सहज प म उपल ध होते ह।
ऐ तहा सक व ध के दोष (Demerits of Historical method):
 यह श क एवं वषय केि त (Teacher cum subject centered) है। इसम छा का
थान गौण है। जो क वतमान श ासा क अपे ाओं (Expectations) के तकू ल है।
 सभी श क कथानक के तुतीकरण म स ह त नह होते।
 यह कदा प वै ा नक व ध नह ं है।
 इसम नीरसता क स भावनाय है।
 श ण मा कथा— वण बनकर रह जाता है।

86
ब) व ान श ण क या यान व ध (Lecture Method of Teaching Science):
इस व ध के नाम से ह प ट है क यह श क के या यान क ओर इं गत करती है। इसम यह
के त त य न हत है क श क याशील व ता तथा क ा म व याथ न य ोता है। यह
एकमाग (One way) या है। इसम सू चनाओ (Informations) क ृखला के प म व ानक
क वषय व तु से स बि धत त य (Facts), स ा त (Principles), सू (Foumula), वाधैय
(Medhods), म (Procedures), तकनीक (Techinques), नयम (Laws), ववरण
(Description), आ द श क से छा को स े षत (communicate) कये जाते है। यह पूण प
से श क एवं वषय केि त है। वैसले और रॉ क (Motivate) करना, प ट करना (Cleanify),
वणन करना (Describel), समी ा (Critical appraisal) को ा त करने का अ छा मा यम माना।
अनुदेशन पूव तैयार ( Pre—Instructional Preparation): या यान को भावी
(Effective) बनाने के लये अनुदेशन से पूव न न ल खत तैया रयां अपे त है।
 अ धक ताओ के पूवानुभव ( Previous experiences) एवं आव यकताओं से ता वत
वषय व तु को जोड़ना (Link) चा हये तथा या यान से पूव उ ह वषय व तु का सं त
(Synoptic) ववरण ब दुगत प से उपल य करना चा हये।
 व या थय को वषय के स ब ध म समु चत सा ह य के अ ययन के लये पा य साम ी
(Reading Material) के सु झाव दे ने चा हये।
 या यान तैयार करने के लये श क को व भ न पा य (Test), स दभ (References)
ग ध , मू ल क ध का अ धक से अ धक से अ धक अ ययन करना चा हये।
 व या थय से ा त होने वाले स भा वत न एवं उनक शंकाओं के समाधान के लये श क
को पाठ के हर तर पर तैयार होना चा हये।
 या यान म वषय—व तु को मु य ब दुओं (Importand points) के अ तगत वक सत
करना चा हये।
 स बि धत सहायक साम ी को एक त कर तैयार करना चा हये।
अनुदेशन सि थ तया (Instructional Situations):
 या यान सरल एवं बोधग य भाषा म हो।
 इनको मनोवै ा नक एव ता कक मम तु त करना चा हये। (It should be presented
in psychological and logical order)
 या यान का वाह (Fluency) व या थय के तर के अनुकू ल हो।
 यामप (Black—board) पर या यान सारांश भी पाठ क ग त के साथ—साथ वक सत
कया जाय।
 जहाँ आव यक हो व या थय से न पूछे जाय, इसम पाठ म उनक याशीलता बनी रहती
ह।
 अ धक ताओं को अपनी शकाये (Doubts) और वचार (Ideas) एवं अपने मन पर पडी छाप
(Impressions) रखने के अवसर दये जाय।

87
 पाठ को भावी बनाने के लये उपयु त साम ी का उपयोग यथा समय एवं थल पर कया
जाना चा हये।
 या यान को उदाहरण एवं उ रण (Examples &illustrations) क सहायता से अ धक
रोचक बनाने के सतत यास होने चा हये।
 पाठ क समाि त पर स पूण या यान का सं त सार (Breif summary) छा को
उपल ध करना अ धक उपयु त होता है।
 अ त म छा को हकाय (Home work) दया जाय।
या यान व ध के गुण (Merits of Lecture Method): य य प यह व ध द घकाल
से श ा वद , श को एवं वयं व य थयो क कटु आलोचनाओं का शकार है, य य प सभी वषय
के श ण म हो रहा है। इस ि थ त के लये या यान व ध के न न ल खत गुण इस कार है।
 यह व ध स ती और सरल है। इस व ध म श क के लये केवल चाक और यामप का
ह उपयोग पया त है।
 इस व ध म कसी वशेष अनुदेशन कौशल (Instructional skill) क आव यकता नह ं है।
येक यि त श ण (Training) के बना भी इस व ध से श ण काय कर सकता है।
 श क यथा समय पा यचया को पूरा कर समता है।
 इस व ध से श ण के लये क ा का आकार (size of class) बाधक नह ं होता।
 इस व ध क तैयार म श क को केवल वषय व तु का अ ययन और संगठन करना है।
वह वषय व तु को अ धक से अ धक सश त (Rich) बना सकता है।
 व ान अ धगम के अ त र त व याथ भाषा म भी वीणता ा त करते ह।
 व ान के कु छ करण ऐसे ह िज ह केवल या यान व ध से ह पढाया जा सकता है।
या यान व ध के दोष (Demerits of the Lecture Method):
 या यान व ध वै ा नक नह ं ह इसम व ान के अ धगम के लये आव यक त व , सम या
(Probiem), पयवे ण (observation), पर ण (Testing), आनुमान ( Inference)
आ द का प ट अभाव है।
 या यान व ध मनोवै ा नक भी नह ं है। यह व या थय क च, आव यकता, पूव ान
एवं मान सक तर पर वचार नह ं करती। अ धक ता तो इस व ध म उपे त ह रहता है।
 श क याशील (Active), ु व (Pole) एवं छा न फय (Passive) है। यह पता लगाना
आसान नह ं है क श क जो कु छ भी स े षत (Transmit) कर रहा है वह ा तक ता
के छोर (Receiving and) पर वीकार कया भी जा रहा है या नह ं।
 अ धक ता को अपनी शकाय रखने के लये बहु त कम अवसर या यान व ध से व ान
श ण म उपल ध है ।
 यह व ध छा च तन को वक सत करने म भावह न है।
 यह एका धकारवाद (Autocratic) अ भवृि त को अव य वक सत करती है।
स) पा य—पु तक व ध ( Text book method of teaching)— वतमान म रा यभर
म व ान क एक ह पा य पु तक होती है। इस व ध से अब श ण काय का चलन क गया है।

88
य क इसम या यान व ध क अपे ा समय अ धक लगता है। इस व ध म अनुदेशन पूव कोई वशेष
तैयार नह ं होती। श क पाठपु तक क वषय व तु को पढकर सभी ब दुओं को प ट रकने के लये
युि तयां सोच लेता है।
क ा म बार —बार से येक छा को एक—एक अनु छे द अथवा उसका अंश पढने के लये
अवसर दये जाते है। श क छा वारा ग याश का वाचन करने के बाद इस ग यांश क वषय व तु
क ववेचना करता है तथा क ा को वषय व तु समझाने का यास करता है।
यह व ध व ान श ण के लये उपयु त नह है। पा य पु तक के अ य मह वपूण उपयोग
ह। िजनका उ लेख अ य कया जायेगा।
5.3.2 व ान श ण क वै ा नक व धयां (Scientific Method of Teaching
Scienbce)— व ान श ण क वै ा नक व धयो म, योग दशन (Demonstration),
योगशाला (Heurestic) व धयां क ा श ण के लये उपयोगी और यावहा रक ह। ये ह व धयां
वा तव म भौ तक व ान के क ा श ण क सह व धयां ह। इनम अ धक ता के लये योग करने
(Experimentation), े ण (observation), अनुमान (Inference), न कष (conclusion)
नकालनेके लये अवसर (Opportunities) उपल ध ह। वै ा नक व ध मे श ण इन श ण
व धयो के मा यम से ह अ धक ता को दया जा सकता है। श क श ण (Teachers Training)
म व ान के भावी श क को ाथ मता के आधार पर इ ह ं व धयो म पारगत (Master) बनाने
के लये अवसर दे ता है। व ान श क से अपे ा क जाती है क वह अपने श ण म इ ह ं व धय
का सु वधानुसार अ धक से अ धक उपयोग करे ।
अ) योग दशन व ध (Demonstration Method): श क क ा म योग का दशन
करता है। यह व ध यावहा रक ि ट से सरल और भावी है। येक व यालय क व ान योगशाला
म पा यचया क वषय व तु से स बि धत योगो के लये उपकरण व साम यां उपल ध होती ह।
श क को आदश प म योग क ा म छा ो के स मु ख करता है। अ धक ता योग म न हत े ण
वयं करते ह। वह इनके ' आधार पर वत: ह न कष नकाल सकते ह। इस. कार अ धक ता वयं
नर ण से नणय लेता है। इससे अ धक ता को बौ क ि ट से वषय व तु का चर थायी
(Enduring) बोध हो जाता है। उसको योग के प रणामो को नह होते। दशन के लये क ा म जाने
से पूव श क को पूर तैयार करनी चा हये, िजससे क वह क ा क दशन मेज (Demonstration
table) पर कोई ु ट न करे तथा दशन ठ क ढं ग से हो जाये।
अनुदेशन पूव तैयार ( Pre—Instructional Preparations): अनुदेशन से पूव योग
दशन क तैयार और पाठ क भावी बनाने के लये श क से न न ल खत अपे त ह : —
 िजस वषय व तु को योग— दशन से तु त करना है, उसके लये आव यक (Necessary)
पूव वषय ान ( Previous Knowledge of content) क ा को उपल ध कया जाना
चा हये। श क आ व त हो जा क छा पूव ान को भावी ढं ग से हण कर चु का है।
 श क वयं एक बार योग कर ले। इससे उपकरण क ु टय अथवा अ य कसी कमी को
क ा के स मु ख योग करने म पूव दूर कया जा सकता है अ यथा क ा म वकट ि थ त
पैदा होने क संभावनाय बनी रहती है।

89
 योग मौसम दे खकर भी कये जाने चा हये। जैसे क नम मौसम म घषण व युत स ब धी
योग सफल नह ं होते।
 श क को योग करने म पारं गत (Master) होना चा हये। तथा उसको योग क साम ी
सह तरह से यवि थत करनी चा हये। य क श क का योग— दशन व याथ के लये
आदश होता है। यथा भौ तक तु ला का उपयोग करते समय व तु का ताप म कमरे के ताप म
के बराबर होना चा हये। तु ला को दशन मेज पर अपने सामने तथा िजस व तु को तोलना
हो उसको बायीं ओर तथा बाट को दायीं ओर रखना। बाटो को दायी हाथ से चमट से ह
तु ला म रखना और उससे अलग करना आ द। योग स कधी सभी अ यास श क कर ले।
ये सभी उसक आदत म होने चा हये।
 श क को योग क सभी सावधा नयां (Precautions) यान म रखनी चा हये।
अनुदेशन संि थ तयां ( Instructional Situations): इ ह अ धगम सि थ तया
(Learning situations) भी कहा जाता है। श क अ धगम ब दु (Learning point) को प ट
करने के लये कुछ भी करता है, वह अ धक ता के लये अ धगम संि थ त तथा श क के लये अनुदेशन
संि थ त होती है। योग— दशन वारा वषय व तु के तुतीकरण (Presentation) म श क िजस
व श ट भौ तक (Physical) और माना सक (Mental) प रि थ त को न मत करत। है वह अ धगम
संि थ तयां है।
 योग दशन म उपयोग कये जाने वाले सभी उपकरण एवं व तु ओं को दशन मेज पर सु वधा
एव दशन पर पराओं के अनुसार यवि थ त करना चा हये।
 सव थम इन सभी को क ा से प र चत करना चा हये यथा; ' 'यह टे ल ाफ य ' ' है। इसके
उपरा त येक व तु या उपकरण के भाग से क ा को प र चत कया जाय। इनक रचना,
इनको बनाने म उपयोग कये गये पदाथ एवं इनके स ब ध म य , कैसे, या आ द न
पूछे जाय।
 दशन म व या थय नर तर का सहयोग अव य लया जाना चा हये।
 दशन के येक पद पर न पूछकर ' ' े ण' ' (Observation) अ धक ताओ से ह करवाय
जाय, तथा यामप पर े ण ब दु नयमानुसार लखे जाय।
 दशन मे ल जाने वाल सावधा नयां भी व या थय को समय—समय पर बतलाई जाय। उनक
इन सावधा नय म े ण के अभाव म होने वाल ु टय का अनुभव व या थय को दशन
के अ तगत ह कराया जाय।
 दशन के येक चरण के क ा क सहायता से प ट करते हु ये यामप सारांश साथ—साथ
वक सत कया जाय।
 यामप पर उपकरण क रचना एवं काय व ध को प ट करने वाले रे खा च का सह तथा
आकषक आदश अंकन कया जाय। ये प ट प से नामां कत ह , तथा इ ह उपयु त शीषक
दये जांय.।
अनुदेशन उपरा त काय ( Post instructional function): दशन के उपरा त
व या थय से उनके अनुभव पर ब दुगत न (Pointed questions) पूछे जाय। य द ासं गक

90
हो तो छा को भी वयं योग करने के अवसर दये जाय। गृहकाय म न के साथ—साथ आव यक
या मक कृ यक (Practical tasks) भी दये जाय।
योग दशन व ध के गुण (Merits of Demostration Method)
 यह व ान वषय सीखने को सह णाल का त न ध व करता है। इसम क ा म व या थय
को वैयि तक एवं इि यज नत अनुभव (Individual and empirical experience)
ा त करने के लये यावहा रक अवसर उपल ध कये जाते ह।
 व या थय को श क के साथ दशन काय मे सहयोग दे ने से ''करके सीखना'' (Learning
by doing) के अवरपर मलते है।
 दशन म काय करने, े ण, न कष म श क को सहयोग दे कर छा क व ान म जहां
च बढ़ती है, उसको वशेष आन द क अनुभू त होती है।
 चु क स पूण क ा समू हक प म े ण करती है, इस लये यह व ध व ान— श ण क
कम खच ल एवं भावी व ध है।
योग दशन व ध के दोष:
 यह व ध मनोवै ा नक नह ं है। य क इसम व याथ क वैयि तक च, पूव ान, मता
(Ability) और सीखने क ग त पर कोई यान नह ं दया जा सकता।
 येक व याथ को वयं े ण के अवसर नह ं मलते।
 जो अ धक ता औसत से कम (Below Average) मता वाले होते ह, उ ह लगातार पछड़ने
रहने क आशंका बनी रहती है।
ब) योगशाला व ध (Laboratory Method): व ान क वा त वक श ा योगशालाओं
म ह स भव है। इस लये आधु नक श ा णाल म येक व यालय म येक व यालय म व ान
क ाओं के लये योगशाला अ नवाय है। योगशाला म इस वषय से स बि धत उपकरण, आव यक
व तु एं आ द सुलभ कये जाते ह। सु सि जत योगशालाओं म. वेश करते ह व याथ को उपयु त
वातावरण वारा रे णा और ो साहन मलते ह। व याथ योगशाला म वाभा वक प रि थ तय के
बीच योग करते ह। वे योग स ब धी गणनाओं को अपनी उ तर पि तकाओं पर रकाड (Result)
करते ह। अ त मे व धवत गणना करके योग का प रणाम (Result) नकालते ह। य द योग करते
समय कोई शंका पैदा होती है तो श क, तु र त उसका समाधान करता है। छा िजस सम या या
योग को योगशाला म करने आता है उसका समु चत ान ा त कर लेना उसके लये आव यक
है। कुछ कू ल म स ताह म दो—तीन दन इसके लये दुहरे कालांश (Periods) का बध कया जाता
है। शेष तीन दन म एक कालांश त दन होता है, िजसम योग से स बि धत सै ाि तक वषय—व तु
म अनुदेशन काय होता है।
इस कार योगशाला व ध म खोज के स ा त का उपयोग कया जाता है। उ चत व ध
के योग वारा कसी प रणाम पर पहु ंचना और खोज वारा ा त त य का उ लेख करना इसी व ध
का अंग है। योगशाला व ध का सं ेप म योग व ध (Experimental Method) भी कहा जाता
है। योग को सफल बनाने के लये न न ल खत बात क और यान दे ने क आव यकता है:—

91
1. छा को योग के उ े य का यान होना चा हये और योग या म च तन के लये अवसर
होने चा हये।
2. अपनी सम या के समाधान के लये छा वय भी कुछ योग करने का सु झाव दे सकते ह।
इन योग को सावधानी के साथ व धवत ् और ठ क—ठ क करना चा हये।
3. वैयि तक अथवा सामू हक तक आव यकता हो इसके लये पूव म ह योजना बना लेनी चा हये।
योग क या के स ब ध म छा को वत नणय लेने के ' लये अवसर दये जाने
चा हये।
4. व या थय को योगो क सीमा के मह व को समझाना चा हये। उनसे ा त होने वाले
न कष तक पहु ंचने म पया त सावधा नयां यावहा रक प म रखी जाय।
5. जहां तक स भव हो, सरल और अ प ययी (Economical) योग रवे काम नकालना
चा हये।
योगशाला व ध के गुण (Merits of Laboratory Method):
1. योगशाला म त यो (Facts) तथा सामा य न कष क जांच (Enquiry) करने एवं
ा क पनाओं (Hypothesisd) के तपादन के लये यथे ट अवसर मलते ह।
2. योगशाला व या थयो क समरयाओ के नराकरण (Probiem Sovlving) करने का एक
साधन है।
3. योगशाला से व याथ के ान म वृ होती है और उसको , त य , सं यय (Concepts)
और व ान के सामा य न कष को समझने का अवसर मलता है।
4. समाज म वै ा नक क भू मका और मह व क अनुभू त छा को लये योगशाला मे काय
करने से होती है का पया त मह व है।
5. योगशाला क कौशल (Skill), यवहार (Behaviour) एवं अ भवृि त ( Attitude) के वकास
म वशेष मह वपूण भू मका है।
6. इस व ध मे व याथ वयं योग करके सीखता है। इस कार ा त ान चपूण एवं थाई
होता है।
7. बाल केि त (Child centered) व ध होने के कारण इस व ध म बालक को योग करके
सीखता है। इस कार ा त ान चपूण एव थाई होता है।
8. बालक व भ न उपकरण का वय योग करते है। इससे उ ह य से काम लेने और या
व ध म आव यकतानुसार प रवतन करने का अवसर मलता है। इसके अ त र त उनमे योग
कौशल का भी वकास होता है।
9. इस व ध म बालक को मुखता द जाती है। सामा य, तभाशाल एवं पछले हु ये छा
को अपनी यो यता एवं मता के अनुसार ग त करने का अवसर मलता है।
10. इस व ध म छा म समझने और अपनी बु (Intelligence) के अनुसार यावहा रक
उपयोग करने क मता वक सत होती है।
11. इस व ध से व या थय म वै ा नक व ध से काय करने का गुण (Quality) वक सत होता
है।

92
12. छा योग (Experiment) करने, े ण (Observation) करने और रचत (Free) एवं
ववेकपूण च तन (Thinking) करने म द ता (Efficiency) ा त करता है।
योगशाला व ध के दोष (Demerits of Laboratory Method):
1. आ थक ि ट से यह व ध अ धक खच ल है। अत: यह व ध भारत क आ थक ि थ त के
अनु प नह ं कह जा सकती। य क व या थय क बढती हु ई सं या के अनुसार
योगशालाओं को सुसि जत बनाये रखना क ठन है।
2. इस व ध म समय का अप यय होता है। उपकरण क काय व ध समझने एवं उनका ठ क—ठ क
उपयोग करने म अ य धक समय लगता है िजससे पा य— वषय को पूरा करने म क ठनाई
होती है।
3. पा य वषय म कुछ करण ऐसे होते ह, िजनमे. कसी योग के करने क आव यकता नह ं
होती। कुछ करण इतने ज टल होते ह क उ ह अ यापक क सहायता के बना समझना
भी क ठन है। ऐसी दशा म छा को योग व ध का झंझट लगती है
4. यह व ध छोट क ाओं के लये उपयु त नह ं है। अ य क ाओं म भी इनका उपयोग
अ ययनकाल तक ह है। भावी जीवन मे अ धकाश बालको के लये इसका कोई उपयोग नह ं
रह जाता है।
5. छा ो के लये योजना बनाने, उनके काय का नर ण करने एवं उपकरण क दे खभाल करने
म अ यापक का बहु त सा समय यथ ह न ट हो जाता है।
6. व याथ अपनी समरया को सफलतापूवक हल कर लेगा और उनम वै ा नक च तन एवं
काय व ध का वकास होगा, यह न चयपूवक् नह ं कहा जा सकता। पछडे हु ए (Backward)
छा मे अपने अ य सा थय क उ तर—पूि तकाओ क नकल (Copy) करने क वृि त
वक सत होने क स भावना हमेशा बनी रहती है। कर लेते है।
7. यह व ध यि त केि त (Individualized) है। अत: इसके वारा व ान श ण क
सामािजक आव यकताओं (Social needs) एव त स ब धी अ भवृि तय ( Attitudes) क
पू त नह हो पाती है।
स) हू यू रि टक व ध (Heuristic Method): ''हू यू र रटक'' एक ीक श द है। यह हू यू र को
से बना है। इसका अथ है ''म खोज करता हू'ँ। इसक उ पि त का कारण स वै ा नक आक मडीज
है। जब क उसने सोने का आपे त घन व नकाला था। उसने ''यूरेका'' (Eureka) नामक श द को
कहा था, िजसका अथ होता है— ''मैने पता लगा लया''। ो. आम ांग ने इस प त को रसायन व ान
श ण के लये कया था। इस प त क वशेषता यह है क व याथ को अपने नर ण तथा योग
से वय खोजना है। अ यापक इस व ध मे व याथ कौ बहु त सी या—कलाप बता दे ता है। फर
व याथ वयं योग करके न कष नकालता है। इस कार काय करने से वह वै ा नक तौर—तर के
को सीख जाता है। ो. आम ांग के अनुसार ''हू यू रि टक व ध श ण क ऐसी व ध है िजसमे यह
अ तभ वत है क हम जहा तक स भव हो व याथ को एक खोजक ता क अ भवृि त म था पत
करते ह'' ''(Heuristic method is a method of teaching which involves our placing
the students as far as possible in the attitude of a discoverer)”

93
वा तव म श ण क कसी भी व ध मे िजसम व याथ वय नर ण करता है, कारण
ढू ं ढता है, योग करता है, सोचता है, समरया का समाधान नकालता है तथा नि चत प रणाम पर
पहु ंचता है उसे हू यू रि टक व ध कहते ह।
इस व ध मे अ यापक व याथ ओ को कसी वै ा नक योग के स ब ध मे ल खत नदश
दे ते ह, व याथ दये हु ये नदश के अनुसार योग करते ह। व भ न े से समाचार एक त करते
ह। अपनी क ा के म ो से वाद— ववाद करते है तथा समय—समय — अ यापक से परामश भी लेते
रहते ह। अ यापक को चा हए क वह व याथ से यादा से यादा न पूछे िजससे क सम या के
त िज ासा उ प न होगी। वह नर ण करे गा, योग करे गा, कारण जानने क को शश करे गा आंकडो
एक त करे गा,आंकड क या या करे गा, हल नकालेगा तथा अंत म प रणाम पर पहु ँचेगा। इस प त
से अ यापक कम से कम व याथ यादा से यादा काय करता है। अत: इस कार के श ण के
लये क ा मे व याथ कम होने चा हये तथा अ यापक नपुण होने चा हये।
हू यू रि टक व ध म श क क भू मकाय (Role of Teacher in Heuristic Method)
1. वशेष (Specialiser): श क को अपने वषय का पया त ान होना चा हये। उसम
अ ययन क आदत (Reading) हो।
2. वयकु शल अ धक ता: श क म िज ासा (Curiosity), च (Interest), नर ण करने
(Observation), तक करने (Reasoning) तथा नणय (Judgement), लेने क
यो यताय होनी चा हये, इसी के बल पर श क अपने व या थओ को अ वेषण के लये े रत
कर सकता है, तथा उनक सहायता करने म समथ बन सकता है।
3. मागदशक (Guide): वह व या थय को समय—समय पर अपनी समरचाओं के हल ढू ं ढने
म कुशल मागदशक क भू मका नभाता है।
4. मनोवै ा नक (Psychologist): श क अपने व या थय के वैयि तक (Individual)
गुण (Qualities) को जानने म कु शल होता है। वह उनक शार रक और मान सक सभी
आव यकताओं एवं मताओं का पारखी होता है।
5. परामशदाता (Counsellor): वह न पूछने म नपुण होना चा हये। तथा व याथ को अपनी
मताओ को समझने और उनक वकास या म सहायता दान करता है।
हू यू रि टक व ध के गुण (Merits of Heuristic Method):
1. इस व ध से श ण के अवसरो से व या थयो म मनोवै ा नक अ भवृि त ( Scientific
Attitude) वक सत होता है। उनम े ण क मता वक सत होती है।
2. यह अ धक ताओं को वै ा नक व ध (Scientific Method) म श ण दान करने
क यावहा रक (Practica) व ध है।
3. इस व ध म व याथ सवदा याशील (Active) रहता है। तथा समरयाओ को हल करने
के लये खुले मन .( Open mind) से सोचता है। दूसरे के वचार को स मान दे ता है।
वह अपने वचार म प रव तत प रि थ तय के अनुसार प रवतन करने के लये सदा त पर
(Ready) रहता है।

94
4. यह म ाह ा। क व ध है। इसम व याथ को अपनी ग त (Speed) एवं मता
(Capacity) के अनु प सीखने क वत ता है।
5. व याथ और अ यापक म क भां त काय करते ह। िजससे व याथ अ यापक से
वमश (Discussion) करता है। इससे सम या को हल करने म सहायता मलती है।
6. इस व ध के वारा ा त ान बहु त प ट (Vivid) तथा थाई (Permanent) इ तन
होता है य क व याथ वयं अनुसधानक ता (Researcher) क भां त काय करते
हु ये न कष (Conclusion) पर पहु ंचता है।
7. इससे व याथ को व —अ ययन (Self study) करने क आदत पड जाती है। वह
पर ण के सभी काय कू ल म ह करता है। अ यापक भी यि तगत प से येक
व याथ का यान रखता है।
8. इस व ध से श ण करने से अ यापक को गृहकाय नह ं दे ना पडता है। वह इस अ त र त
काय भार से मु त हो जाता है।
9. इससे व या थय को यह अनुभव होता है क व ान एक ायो गक व ान है। इसके
त य (Facts), स ा त (Principle) सभी वै ा नक ढं ग (Scientifically) से जांचने
(Testing) के बाद पुरतक म दये गये है।
10. इस श ण व ध से क ा तथा कूल म अनुशासन (Discipline) क कोई सम या नह ं
होती है। य क येक व याथ अपने काय म य त रहता है। उनम उ तरदा य व
(Responsibility) वत एव जनत ा मक (Free and Democratic) भावनाओं
का वकास होता है।
हू यू र टक व ध के दोष (Demerits of Heuristics Method)
1. यह व ध मा य मक क ाओं के लये अपयु त नह ं है। य क , इन क ाओं म प ने वाले
व या थयो का मान सक वकास इतना अ धक नह ं होता है क वे एक अ वेषणक ता
(Discoverer) क भा त काय कर सके।
2. इस व ध से कसी स (Session) मे नधा रत पा यचया (Prescribed syllabus) को
पूरा करना स भव नह ं है। इसम अ धक ता को व याथ नह ं , अ पतु एक मौ लक
अनुसंधानकता माना गया है जो क मनो व ान के स ा त के तकूल है।
3. इस व ध से पढ़ाने म अ यापक का काय बहु त अ धक बढ जाता है, य क उसको अपने
व या थय म िज ासा, क ठन प र म, वा याय, आ म व वास (Self—confidence),
आ म नभरता (Self dependency), वै ा नक संवेदन (Scientific) आ द गुण को
वक सत करना है। इसके लये येक व याथ से अ यापक को समय—समय पर न पूछना
तथा नदशन दे ने क आव यकता पडती है। येक श क म ऐसे गुण को पाना क ठन ह।
4. मा य मक क ाओं क व ान क पा य पु तक यू रि टक व ध के अनुसार नह ं लखी गई
ह। इसी लये श क इस व ध का अपयोग नह ं कर सकता है। य क इसमे समय बहु त लगेगा
तथा कभी कभी व याथ त यो को खोजन म हतो सा हत हो सकते ह। नर तर असफलता
उनको मान सक प से नराश कर दे गी।

95
5. इस व ध म व याथ ु टपूण ले सकता है य क पूव कशोरावरथा ( Preadolescent)
म वह पया त प से इस काय को करने के लये प रप व (Mature) नह ं हो पाते।
6. हमारे दे श म मा य मक क ाओं मे व या थय क स या बहु त अ धक है, तथा नर तर
अ त वृ होती जा रह है। इस लये, इस व ध वारा श ण दे ना स भव नह ं हो सकता।
य क इसके लये क ा म व याथ कम होने चा हये।
7. यह व ध अ धक खच ल है। य क इसके लये अ छ योगशाला एवं पु तकालय होने
चा हये। जो क कूल म उपल ध नह ं है।
8. इस व ध म व या थय के काय का मू यांकन (Evaluation) करना बहु त क ठन है। य क
सभी व याथ अनुस धान तो करते ह ह। फर प रणाम या होगा , यह तो उसक अपनी
मता के अनुसार होगा तथा उसके ह स दभ म सह भी होगा।
वमू यां क न
1. व ान श ण क पर परागत मु ख व धयाँ है
-------------------------------------------------------------------------------
2. या यान व ध के तीन दोष और तीन गु ण है
दोष: --------------------- ------------------------------ -----------------------
गु ण : -------------------- ------------------------------- -----------------------
3. वै ा नक व धयाँ के मु ख अ भल णक गु ण है : —
i)-------------------------------------ii)--------------------------------------
iii)-----------------------------------iv)-------------------------------------
4. योग दशन व ध और योगशाला व ध म या सं बं ध है ?
-------------------------------------------------------------------------------
5. हयू रि टक व ध का या अथ है ?
------------------------------------------------------------- ------------------
6. हयू रि टक व ध क या सीमाएँ है ?
-------------------------------------------------------------------------------
7. अनु दे शन व ध के चयन क या कसो टयां ह?
------------------------------------------------------------------------- ------
-------------------------------------------------------------------------------

5.4 समू ह या—कलाप व धयां (Group Activities Method)


व ान श ण क व धय के इस संवग (Category) म मु ख प से प रयोजना (Project)
व ध एवं सम या समाधान (Problem solving) व याथ आती है। इनम व याथ स हक प
म वभ न याकलाप (Activities) म भागीदार (Sharing) नभाते ह।
5.4.1 प रयोजना व ध (Project Method): प रयोजना व ध का व ान— श ण म
एक वशेष थान है। इस प त को यापक बनाने म व लयम कलपैि क (Willam Kilpatrick)
96
का मह वपूण योगदान रहा है। साथ ह इसको जे.ए. ट वे सन (J.A.Stevenson) और पाकर
(Parker) ने प र कृ त कया। इस व ध म अ धगम चय नत (Selected) प रयोजना पर केि त
है। प रयोजना अ धक ता वारा चय नत या—कलाप है। जो क उसक आव यकता (Need) पर
आधा रत होती है। बेलाड के अनुसार—''प रयोजना बहु त कु छ यथाथ जीवन (Real life) का अंग है
जो क व यालय म ा त होता है, प रयोजना व ध का अ धक अ छा वणन ''जीवन या म
अ धगम'' म है। यह ''करके अ धगम'' है (A Project is a lit of real life that has been
imported in the school.''Learning by Living” is a better description of the
Project Method then it is “Learning by doing”) इस व ध के चार मौ लक त व नर तरता
(Continuity) उ े य (Purpose), मह व (Significance) और रे णा या च (Motivate or
Interest है।''
कलपै क के अनुसार: '' ोजे ट सामािजक पयावरण म स प न क जाने वाल सम पत
सो े यपूण याकलाप है। (A project is a whole hearted purposeful activity
proceeding in a social environment)”
ट वे सन के अनुसार: '' ोजे ट एक सम या धान प त है, िजसको उसक वाभा वक
प रि थ त मे ह स प न कया जाता है। (A project is a problematic act carried to
conulusion in its natural setting.)”
पाकर के अनुसार: '' ोजे ट एक ऐसे काय—कलाप क इकाई है िजसके नयोजन तथा ताव
के लये व याथ वयं ह उ तरदायी होते ह। (A project is a unit of activity in which pupils
are made responsible mfor planning and purposing.)''
यह प त वदे श म यापक प से च लत है। पर तु, हमारे दे श म अनेक कारण तथा
क ठनाइय के कारण यह बहु त कम अपनाई गह है। स भवत: इसके लये क ा का बडा आकार और
श क पर अ धक कायभार होना जैसे कारक उ तरदायी ह । इस व ध को न न ल खत सौपान
(Steps) म तु त कर सकते ह
1. प रयोजना का ताव एवं चयन (Proposing & selecting project): यहां श क के
सहयोग से छा कई कार क सम याओ पर वचार करते ह और फर उनसे एक प रयोजना चु नते
ह।उ चत प रयोजना छांटते समय यह यान म रखना चा हये क उसका पा य म से स ब ध हो।
साथी ह इस पर काय करने से छा को त य , स ा त , ायो गक कु शलता और अनुभव का वशेष
ान हो। श क को यह भी दे खना होगा क इस प रयोजना के लये समु चत साधन क यव था
है।
2. प रयोजना का नयोजन: (Planning of the Project): यह एक मह वपूण काय है।
प रयोजना ार भ करने से पहले श क क सहायता से छा को प रयोजना के हर पहलू पर वचार
करना होगा। जैस;े हर तर पर या साम ी अथवा साधन चा हये' त य का पता लगाने के लये या
करना होगा' या इसके लये कु छ और पा य साम ी अथवा पठन साम ी क ज रत पडेगी? य द
एक क त य व दा य व (Duties and responsibilities होगी' आव यकता पडने पर व या थय

97
को अलग अलग या कलाप के लये समूह ( Group) म आवि टत (Distribute) कया जाता है।
येक समू ह का नेता (Leader) चय नत होता है।
3. प रयोजना का या वयन (Line of Action): एक बार ोजे ट का नयोजन करने के
बाद हर 'छा को उसक मात के अनुसार काय आवं टत कर दया जाता है। जैसे िजनक योग
म अ धक च है, वह योग का काम करगे। िजनको लखने—पढने का काम अ छा लगता है वे रपोट
लखना, च का बनाना आ द काम करगे। य द े काय (Field work) हो तो कु छ छा क इसम
अ धक च होती है, वे इसको करने म बहु त उ सु क होगे। कुछ छा को यं से खेलना अ छा लगता
है, वे व ान संब धी काय म च लेते ह। इस लये प रयोजना का व तार ऐसा हो िजसम सभी छा
अपना यि तगत योगदान (Contribution) कर सके।
प रयोजना व ध के गुण (Merits of Project Method)
1. इस व ध वारा छा ो म व ान के त च का वकास कया जा सकता है।
2. यह व ध छा क वाभा वक िज ासा (Natural curiosity) को स तु ट करती है।
3. इसम वै ा नक च तन प त (Reasoning), वै ा नक आदत (Habit) और दूसरे थूल
(Conorete) वै ा नक कौशल (Skill) के यावहा रक प रि थ तय म वकास के अवसर
मलते ह।
4. इसमे छा ो म एक '' याशील सूझ' (Active Insight) का वकास कया जा सकता है।
इससे वै ा नक य ध म श ण भी दया जा सकता है।
5. यह व ध अ धक दन तक लगातार योग (Practical) करने पर आधा रत है। इस लये छा
म वै ा नक चय (Interests) और अ भयो यताओ (Aptitudes) का वकास करने म
यह व ध यावहा रक है।
6. यह व ध छा के यि त व (Personality) के व भ न प ो जैसे अ यवसाय, आ म
व वास, सहयोग, नेत व और भावा मक ि थरता (Emotioanl stability) आ द के वकास
के पया त अवसर दान करती है।
प रयोजना व ध के दोष (Demerits of Project Method):
1. इस व ध म समय अ धक लगता है और छा को उसके सापे लाभ कम मल पाता है।
2. तु त पा यचया (Syllabus) क सभी इकाइयां (Units) प रयोजना व ध से नह ं पढ़ायी
जा सकती ह।
3. इस व ध के उपयोग रो कसी एक प रयोजना के स दभ म बहु त सी बात का वत: ह ान
हो जाता है। ले कन ान के कसी भी े का एक अनुशासन के प म वकास नह ं हो पाता।
इसम बीच—बीच म र तता आ जाती है।
5.4.2 सम या समाधान व ध (Problem Solving Method): सम या समाधान व ध
मनोवै ा नक एवं वै ा नक (Psychological and Scientific) है। सम या अ धक ता को वयं
क होती है, जो क उसक मू ल आ यकता से स बि धत होती है। इसम छा को ''करके सीखने''
(Learning by doing) के अवसर उपल य होते है। छा वयं अपनी सम या का अनुभव करता

98
है। श क इस सम या के अनुभव हे तु वाभा वक ( Natural) संि थ त (Situation) का सृजन करता
है। क ा म स हक प से इस पर चचा होती है। तथा इसके वैकि पक समाधान (alternative
solution) को सू चीब कया जाता है। इस कार अ धक ताओ का सामू हक या—कलाप (Group
activities) एवं भागीदार (Sharing) से अ धगम के अवरपर ा त होते ह। इसके उपरा त येक
समाधान के सह होने और उसक उपयो गता के लये पर ण (Testing) कये जाते ह। जो समाधान
सवा धक सह और उपयोगी होता है, उसको वीकार कर लया जाता है। इस व ध के मु ख सोपान
इस कार है —
क) सम या क पहचान एवं तुतीकरण (Recognition and Presentatin of the
problem)
ख) ा क पनाओं का सू ब करना (Formulation of Hypothesis) अथात ् वैकि पक
समाधान रखना (Forwarding the alternative solutions)।
ग) ा क पनाओं के पर ण अथवा सम या से स बि धत त य को एक त करना
(Testing of hypothesis or collection of data)।
घ) पर ण त य का व लेषण (analysis of data)।
ङ) न कष (Conclusion)
क) सम या क पहचान एवं तु तीकरण: व ान श ण म सम या समाधान व ध क
उपयो गता िजन उपइकाईय या इकाई म वाभा वक हो सकती ह, उनक पहचान श क को वा षक
तथा स ीय योजनाओं म करनी चा हये। क ा श ण म जब भी यह इकाई या उपइकाई अपने म
म आवे, श क को क ा म इसको इस कार तु त करना चा हये क अ ययन क वषय व तु सम या
के प म उभर कर आव, तथा यह समरया व या थय क आव यकता, च के अनु प हो। व या थय
म इसके समाधान के लये िज ासा (Curiosity) हो। वे समरया के समाधान के लये वैकि पक
समाधान दे सके। सम या का समाधान म व या थय के लये अ धक से अ धक अ धगम साम ी
(Learning material) हो। इस समरचा के समाधान के लये आव यक भौ तक संसाधन आसानी
से छा क पहु ँ च म होने चा हये।
ख) ा क पनाओं को सू ब करना: समरचा को भल भा त समझने के उपरा त श क
सु वधानुसार एवं छा के तर के अनु प समु चत तकनीक क सहायता से सम या के वैकि पक
समाधान छा से ा त कर सकता है। इसके लये नोतार (Question answer.) वमश
(Discussion), वचारावेश (Brain Storming), नर त अ ययन Supervised study) जैसी
तकनीक अपनाई जा गकती है।
ग) ा क पनाओं के पर ण: व याथ समू हक अथवा वैयि तक प से व भ न
साधान के पर ण के लये योग, अ ययन, वमश, तक (Reasoning) आ द कर सकते ह। इन
तकनोक से ा त ऑकड (Data) को यवि थत और आव यकता पडने पर वग कृ त कया जा सकता
है।

99
घ) पर ण त य का व लेषण: इसके लये व भ न तकनीक अपनाई जा सकती ह।
इनम आगमन— नगमन (Induction—Deduction), च ांकन (Drawing diagrams), लेखा च
(Graph), सारणीयन (Tabulation) मु ख ह। वइग़न अ ययन क सामा य व ध संगामी स ा त
(Correspondance principle) एवं ग णतीय या या भी यहां अपनाई जा सकती है।
ङ) न कष: व लेषण के उपरा त ा त साम ी को नवचन (Interpretation) क
कसौट पर रखा जाता है। इससे सह न कष नकालने म सहायता मलती है। न कष को सरल
बोधग य (Comprehensible) एवं सं ेप (Brief) म तुत कया जाता है तथा इसको पुनपर ण
(Retesting) के लये छोड दया जाता है।
सम या समाधान व ध के गुण (Merits of Problem Solving Method)
1. इस व ध म व याथ त दन नई सम या के बारे म सोचता है, उसको हल करने का य न
करता है| तथा उससे संबि धत योग करता है| इसम उसको व ान को अ छ कार से
समझने के अवसर मलते है|
2. इससे व याथ य म वै ा नक अ भवृि त वक सत होती है | तथा वै ा नक व ध म श ण
के अवसर मलते है|
3. इस व ध म व याथ अ यापक के अ त समीप आ जाता है तथा वह अ यापक से वमश
(Discussion) करने तथा तक करने (Reasoning) म बलकु ल नह ं झझकता| एवं दोन
म आव यक सामंज य (Rapport) बनता है|
4. यह एक मनोवै ा नक व ध ह। इससे व या थय क मान सक शि तय का वकास होता
है। तथा इस व ध वारा ा त कया गया ान थायी (Permanent) होता है।
5. इस व ध के उपयोग से व याथ अनुशा सत ( Disciplined) होते ह। तथा वे अपनी
सम याओं को शाि तपूवक हल करने म लगे रहते ह।
6. व ान वषय एक यो गक व ान है। इसके लये यह व ध बहु त उ तम ह। य क इससे
व याथ अपने ान का उपयोग यावहा रक जीवन (Practical life) म आसानी से कर
सकता है।
सम या समाधान व ध के दोष (Demerits of Problem Solving Method)
1. इस व ध के वारा साल पा य म नह ं पढ़ाया जा सकता है, य क इस व ध म समय
अ धक लगता है।
2. इस व ध म अ धक तभाशाल छा ो को ह लाभ मल पाता है एवं कमजोर छा सम या
हल करने म पछड़ जाते ह।
3. सम या समाधान व ध के वारा अ धकतर व याथ त य (Facts) तथा स ा त
(Prinicples) को नह ं समझ पाते है। य क इसमे दशन तथा वयं योग करने के लये
पया त अवरपर नह ं मलता है।
4. अ धकतर कूल म अ छ योगशाला तथा पु तकालय का अभाव है, इस लये इस व ध
वारा श ण करना सदा स भव नह है।

100
5. वदे श क अपे ा हमारे दे श म मा य मक व यालय म व या थय क सं या बहु त अ धक
होती है। इस लये इस व ध से श ण नह ं कया जा सकता है। य क इसके लये व या थय
क स या सहज नधनीय (Manageable) होनी चा हये।
6. इस व ध से पढाने के लये श क के पास पया त समय होना चा हये। जब क हमारे व यालय
मे श क का कायभार अ धक होता है।
वमू यां क न
1. समू हक या — कलाप व धय को दो वशे ष ताएँ है : —
1.-----------------------------------2.---------------------------------------
2. सम या समाधान व ध के सोपान है : —
1.----------------------2.------------------------------3.-------------------
4.--------------------5.-------------------------------6.--------------------
3. व ान श ण क प रयोजना व ध क सीमाएं है : —
1.-------------------------------------2.-------------------------------------
3.--------------------------------------------

5.5 व ान श ण क तकनीक. (Techniques of Science


Teaching)
श ण तकनीक का अ ययन व तार से कसी अ य सै ाि तक वषय म अपे त ह। यहां
पर भौ तक श ण के लये उपयोगी तकनीक का उ लेख मा करना पया त है। अनुसध
ं ान न कष
(Research conclusions) से यह प ट है क व ान वषय म उपयोगी मुख तकनीक इस कार
ह न पूछना (Asking question), योग करना (Experimentation), यामप का उपयोग
(Use of Black board), ववरण (Desoription), य— य साम ी का उपयोग (Use of
Audio— visual aids), च ांकन (Drawing diagrams)। इनके उपयोग म श क को कुशल
(Skillful) होना चा हये। वयं लेखक ने अपने पी. एच. डी. क प रयोजना म इन न कष को नकाला
है।
वमू यां क न
1. श ण तकनीक एवं व धय म या अ तर है ?
-------------------------------------------------------------------------------
2. सम या समाधान व ध के सोपान है : —
1.----------------------2.------------------------------3.-------------------

5.6 व ान श ण म समाहरक वृि त (Eclectic Tendency in


Science Teaching)
श ण क कसी एक व ध को अथवा तकनीक को े ठतम समझना याय संगत नह ं है।
यह भी कहना क ठन है क कसी इकाई या उपइकाई के श ण म केवल एक ह व ध या तकनीक

101
का उपयोग कया जाता है। यावहा रक ि ट से दे ख तो कोई भी श ण व ध अपने आप म पूण
कह जा सकती। जो श ण (Teachin) या अनुदेशन ( Instruction) म व भ न व धय तथा
तकनीक के भावी संयोजन का उपयोग करने म वीण है, वह भावी होता है। व ान श ण म
व धय के न न ल खत संयोजन को भावी पाया गया है। इस लये श क कसी एक व ध का उपयोग
करने क अपे ा वषय—व तु (Content), व यालय म उपल ध संसाधन (School resources),
अ धक ताओ के तर (Level of the learner) के स दभ म अनुदेशन के लये व भ न व धय ,
तकनीक के संयोजन का उपयोग करता है। इस वृि त को ह हम समाहरक कहते ह। जो संयोजन
भावी पाये गये ह, इस कार ह—
 या यान — दशन (Lecture cum demonstration)
 दशन — योगशाला (Demonstration cum Laboratory)
या यान— दशन व ध (Lecture cum Demonstration Method): हमारे दे श के
मा य मक कूलो क प रि थ त को दे खते हु ए व ान पढाने क यह सबसे अ धक उपयोगी एवं
यावहा रक व ध है। इस व ध म या यान एवं दशन दोन साथ—साथ चलते है। इस व ध म
योगशाला क सु वधा व यालय म उपल ध न हो तो भी क ा क म दशन से इस कमी को पूरा
कया जा सकता है। इसम यादा उपकरण क आव यकता नह ं पडती है। इस व ध म व याथ
उपकरण और उनके उपयोग (Use) को दे खता है तथा श क को दशन या मे मदद करता है।
इस तरह से वह अपने आपको श ण अ धगम या म संयु त समझता है। तथा उसम व ान के
अ ययन, सीखने और समझने क च वक सत होती है
या यान— दशन व ध के गुण (Merits):
1. इस व ध म श क तथा व याथ दोन ह स या रहते ह और श ण अ धगम या
म व या थय क सभी इि य जैस,े नाक, कान, आख, हाथ तथा मु ंह इ तेमाल होता
है, िजससे व या थय के अ दर व ान के त िज ासा तथा च उ प न होती है और
कभी—कभी व याथ वयं पर ण करने क को शश करता है।
2. आ थक ि ट से यह व ध मा य मक कूल के लये सबसे अ छ है य क इस व ध
मे बहु त कम उपकरण क आ यकता होती है, य क मा य मक थूल म व ान
स ब धी अनुदान ( Grant) ब कु ल नह मलती है तथा भौ तक वशान क श ा
व या थय वारा लये गये व ान शु क पर ह नभर करती है। प ट है क इस व ध
म उपकरण बहु त कम लगते ह। तथा अ धगम अपे ाकृ त अ धक भावी होता ।
3. यह व ध व ान श ण के उ य क ाि त करती है। य क इस व ध से अ धगम
प ट एवं थायी होती है। व ान के क ठन से क ठन संग भी व याथ आसानी से
समझ लेते ह।
4. या मक काय (Practical work) म व याथ अ धक उ साहपूवक च लेते ह।
य क जो कुछ सु नते ह उसको वे य प से दे खते ह तथा अपनी मान सक शि तय
का पूण प से उपयोग करते ह। इस कार वे स या (Active) होकर ान ा त करते
ह। िजसका उपयोग वे अपने दै नक जीवन म सकते ह।

102
5. िजन योग म खतरा रहता है तथा महंगे उपकरण क आव यकता होती है उसम
अ यापक वारा दशन तथा श ण एक सु वधाजनक व ध है।
6. व ान के श ण म कुछ उपकरण को जमाने (set) के लये वशेष तकनीक
(Technique) क आव यकता होती है। तथा उसका चलन क ठन होता है। ऐसे योग
का दशन अ यापक वारा ह संगत (Relevant) होता है।
7. यह व ध पढ़ायी हु ई वषय—व तु (Content) क दोहराने म उ तम स हु ई है। य क
या यान दे ते समय छोटे योग को दखाने से व याथ वषय—व तु का सरलता से
समझ लेते ह।
8. यह व ध क ा एवं कूल के अनुशासन मे मदद करती है। य क अ धकतर व याथ
अ ययन म य त रहते ह। उनको अनुशासनह न काय करने के लये संमय नह ं मलता।
या यान दशन व ध के दोष (Demerits) :
1. इस व ध म व या थय को वयं योग करने तथा य व तु ओं का सू म नर ण
करने का अवसर ा त नह ं होता है। इस लये उनम यावहा रक कु शलता (Practical
skill) नह ं आ पाती है। यह केवल दे खकर तथा सु नकर ह ान ा त करता है। इस लये
व याथ म योगा मक मता का अभाव हो जाता है।
2. यह व ध “दे खो, सु नो और समझो” (See, hear and understand]) के स ा त
पर आधा रत है जब क भावी अनुदेशन का स ा त 'करो और सीखो' (Do and learn)
है।
3. इस व ध म अ यापक स य रहता है। व या थय को वैय त तक प से वयं योग
करने तथा प रणाम नकालने का अवरपर नह ं मलता है। िजससे उनक अ वेषणा मक,
रचना मक आ द वृि तय को ठ क कार से पनपने का मौका नह ं मलता है।
4. इस व ध म ाय: यह मानकर पढ़ाया जाता है क येक व याथ दशन को समान
प से दे ख, सु न तथा समझ रहा है। पर तु ऐसा स भव नह ं होता है। इन मताओं
म भ नताय वाभा वक ह ह।
5. अ धकतर मा य मक कूल क क ाओं म व या थय क सं या बहु त बड़ी होती है।
ऐसी ि थ त म इस व ध से अनुदेशन लाभदायक नह ं हो सकता है। य क इस व ध
म पूण सफलता ा त करने के लये क ा म व या थय क सं या कम होनी चा हये।
िजससे अ यापक येक व याथ को दे ख एवं समझ सके, तथा उनक क ठनाइय को
समझ कर उनको दूर कर सके।
6. य द श क कम अनुभवी है तथा कूल म आव यक सु वधाय नह ं है तो इस व ध का
उपयोग आसान नह ं है, य क दशन क तैयार पहले से क जाती है। तथा योग को
पहले से करके दे खना पडता है।
दशन— योगशाला व ध: छा को य द या यान के उपरा त सीधे ह योगशाला म काय
करने के लये भेज दया जाय तो वह सह तर के से उपकरणो का उपयोग नह ं कर पावेगे। योगशाला
क मेज पर योग के लये आव यक उपकरण तथा साम य को यवि थत करना तभी आसान होगा

103
जब क श क पहले आदश तु त कर चु का हो। इस लये क ा म योग— दशन (Demonstration)
व ध वारा श ण के बाद व या थय को योगशाला म वयं योग करने के लये अवरपर दे ने पर
ह व या थय को व ान म सै ाि तक और या मक ान ा त हो सकगे। तथा यह ान थाई
होगा। दशन और योगशाला व धय म िजस कार क यव था का वणन पहले कया जा चु का
है वह ं यहा दो चरण – i) दशन तथा ii) योगशाला म कया जाता है। यह तो व धय दश और
योगशाला का एक कृ त व प है।
वमू यां क न
1. व ान श ण क व धय के समाहरक वृ ि त का या ता पय है ?
-------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------
2. इस वृ ि त के मु ख न हताथ या है ?
1.------------------------------------------2.--------------------------------

5.7 वमू यांकन (Self Assessment)


न न ल खत न मे 1 से 3 तक के उ तर 100 श दो म तथा शेष म येक के उ तर
500 श द म द िजए।
1. व ान श ण म आ यूह से या ता पय है ?
2. व ान क पर परागत व धय से या ता पय है?
3. व ान श ण क मु ख तकनीक या है'
4. व ान श ाग क वै ा नक व धय के अ भला णक गुण या ह' इनका सी मत उपयोग
य होता है?
5. प रयोजना और सम या समाधान व धय क व ान श ण के स दभ म तुलना किजए।
6. व ान श ण क मु ख व धयां या है? श ण म व ध के चयन क या कसौ टयां है?
7. ' व ान श ण म कोई भी एक व ध आदश नह ं कह जा सकती''।
8. न न ल खत व धय के आधार पर व ान क श ण योजनाय और क िजए।
i) योगशाला व ध ii) या यान व ध iii) सम या समाधान व ध

5.8 स दभ थ (References)
1. Brandwen paul Fetal; Teaching High School Science, A Book of
Methods; Harcourt Brance And Co. N.Y.(1958)
2. Gupta V.K; Teaching and Learning of science and Technology, Vikas
Publish House N.D.(1995)
3. Levine Joel M; Secondary Instruction, Allyn and Cacon, Boston and
London (19989)
4. Negi, J.S. Bhautiki Shikshan; vinod Pustak Mandir, Agra (1999)

104
5. Risk thomes M; Principles and Practices Teaching in Secondary
Schools, American Book Company N.Y. (1968)
6. Sood, J.K. New Directious in Science Teaching, Kohil Publishing
Chandigarh (1986)
7. Vaidy, N. The Impact Science Teaching; Allyn and Bacon, Boston
(1992)
8. Woodburn, H.J. and O.S. Ellsworth, Teaching and Pursuit of Science,
Harcourt Brace and Co.N.Y (1965).

105
इकाई —6
व ान श ण म मा यम एवं मा यम एक करण
(Media and Media Integration in Science Teaching)
इकाई क सरं चना (Structure of the Unit)
6.1 तावना (Introduction)
6.2 मा यम के कार (Types of Media)
6.3 मु त मा यम (Printed Media)
6.4 मु त मा यम के लाभ. एवं सीमाएँ
(Merits and Demerits of Printed Media)
6.5 अमु त मा यम (Non Intergration)
6.6 अमु त मा यम के लाभ एवं सीमाएँ
(Merits and Demerits of Non Printed Media)
6.7 मा यम एक करण (Media Intergration)
6.8 वमू यांकन (Self Assesment)
6.9 संदभ ं (References)

6.1 तावना
(Introduction)
मा यम वह साधन है िजसके वारा कोई संदेश; सदे श ोत से संदेश ा त करने वाले तक
पहु ँ चता है। मा यम े नाय (sence of Perception) होती है जो दखने वाल
य ीकरण क संवद
(Visual), सु नने वाल (Auditory), पश करने वाल (Touch), वाद बताने वाल (Taste) अथवा
ग ध वाल हो सकती है।
वचार तथा भावनाओं को एक दूसरे तक पहु ँ चाने का काय मा यम वारा होता है। मा यम
वह पथ है िजसम संदेश भौ तक प से े षत कया जाता है। तार, रे डयो, टू डयो, टे ल वजन, समाचार
प , प काएँ, पु तक , प , क यूटर आ द स ेषण के मा यम के कु छ उदाहरण है।

6.2 मा यम के कार
(Types of Media)
मा यम के दो मु य कार है मु त एव अमु त मा यम। स ेषण क या मे दोनो
मा यमो का उपयोग कया जाता है। इसे हम न न च वारा समझ सकते ह—

106
6.3 मु त मा यम (Printed Media)
दूर थ श ण सं थाएँ शै क अनुदेशन के लए अ धकतर मु त साम ी पर ह नभर रहती
है।
मु त मा यम (1) व अनुदे शत और (2) अ य मु त साम ी जैसे — समाचार प , शोध,
जनल, वक बुक, श द कोष, एटलस व एनसाइ लोपी डया के प म हो सकता है।
व — अनुदे शत मा यम ( Self instructional Media) का योग दूर थ सं थाओं जैसे
M.D. University Rohtak, IGNOU, Kota open University म योग म लाया जाता है।
येक कोस के लए व भ न वशेष वारा साम ी छा के आयु एवं तर के भनु प तैयार क
जाती है। इस कार के मा यम का मुख उ े य होता है क छा अपने आप अपने यास से अपने
घर रह कर ह पा य व तु को सरलता एवं प टता से समझ सके। इस कार क मु त साम ी सदै व
एक नि चत उ े यक पू त म सहायक होती है। छा अपनी—अपनी यि तगत ग त, च, मान सक
तर तथा मता एवं यो यता के अनुकूल रच—अनुदेशन साम ी के मा यम से अ ययन करते ह और
सरलता से वषय—व तु समझ लेते ह।
अ य मु त साम ी: व अनुदे शत साम ी के अ त र त अ य मु त मा यम का योग
ान के व तर म कया जाता है जो न न है —
(1) समाचार प (Newspaper)— समाचार प जन स ेषण का एक शि तशाल
मा यम है। इसमे दे श— वदे श क खबर व तृत प म द जाती है। एक अ छा समाचार प न प ,
सह , सट क तथा संतु लत ववरण तु त करता ह। समाचार प के मा यम से यि तय को नवीन
ान, नवीनतम सूचनाएँ (जैसे श ा, दशन, राजनी त, समाज, व ान, इ तहास, भू गोल आ द) ा त
होती है।

107
(2) जनल (Journal) या शोध प काएं (Research Paper)— जनल, व भ न
सं थाओं तथा एसो सएशन वारा का शत शोध प काएँ होती ह, िजनम वषय वशेष पर नवीनतम
शै क प तथा शोध प का शत कये जाते ह। इसका अ ययन करके यि त अपने वषय मे
नवीनमक घटनाओं, आ व कारो, स ा त , खोज , तथा योग के बारे म व तृत ववरण ा त करता
है।
(3) काय पु तक (Work Book)— वक बुक म छा ो के करने के लए व भ न काय
दये हु ये होते ह। ये काय व भ न वषय के व भ न करण से स बि धत होते ह। वक बुक म पहले
सरल फर क ठन न दये जाते ह। येक कार के अ यास हे तु आव यक नदश, सकेत, सम या
समाधान दये होते ह। छा को चा हए कए वे पहले न द ट वषय—व तु को पढ़े और नदश के अनुसार
अ यास काय करने का यास कर। वक बुक छा मे ईमानदार , प र म तथा आ म व वास के गुण
वक सत करती है तथा वषय—व तु को प ट करने मे मदद करती है।
(4) श दकोष (Dictionary)— श दकोष म हजारो लाख श द के अथ मानुसार
(Aipha—betically) दये जाते ह। कु छ श दकोष सामा य जन हत के लए होते ह (जैसM
े errian
Webster’s Collegiate Dictionary) तथा कुछ श दकोष व भ न वषय वशेष से स बि धत
होते ह। जैसे मनो व ान—श दकोष, व ान—श दकोष, श ा श दकोष आ द। श दकोष, श दभ डार
(Vocabulary) बढ़ाने म अ य त मह वपूण भू मका नभाते ह। कुछ श दकोष 'म श द के अथ
के अलावा च , श द के उ व, वकास, इ तहास पर भी काश डालते ह।
(5) एनसाइ लोपी डया (Encyclopaedia)— सामा य श ा के े म
एनसाइ लोपी डया एक वशेष स दभ ं है, िजसम कसी भी श द के वषय म व तृत जानकार

ा त होती है। ीक श द Ensykliopaedie से श द क उ पि त हु ई हैए। ये श दकोष क तुलना
म काफ यापक होते ह। श द या व तु ओ,ं णाल अथवा स ा तो आ द के उ व, वकास तथा
स बि धत शोधकाय पर ये थ
ं पूण ान दान करने म समथ होते ह।
(6) एटलस (Atlas) — एटलस मान च का समू ह होता है िजसम व व के मान च
होते ह। यह भू गोल वषय से स बि धत होते ह। इसम व भ न थान के नाम, पहाड़, समु , न दयाँ,
संचाई के साधन, धातु, पे ोल, कोयला आ द के बारे म जानकार मलती है।
(7) पु तक— पु तक कई कार क होती है जैसे — पा यपु तक, पूरक पु तके , स दभ
पु तक और सामा य पु तक। येक पु तक का अपना —अपना मह व है। पा यपु तक पा य म के
अनुसार , पूरक पु तक पा य म को सरल , सु बोध, प ट करने म, स दभ पु तक गहन अ ययन
के लए, सामा य पु तके सभी के लए होता है। जैसे कथा, लेख, नब ध, क वता, सरमरण, उप यास
आ द। यह छा के ान म वृ कराती है। आधु नक या वतमान समय म भी पु ततक के बगैर पढना
और पढ़ाना बहु त मु ि कल है।

6.4 मु त मा यम के लाभ एवं सीमाएँ


(Merits and Demerits of Printed Media)
(1) वअ ययन के लए उपयोगी।
108
(2) मु त मा यम वारा अ ययन कह पर भी बैठकर कया जा सकता है। कसी तकनीक साम ी
क आव यकता नह ं पडती है।
(3) यह अ प ययी तथा सरलता से उपल ध हो जाती है।
(4) औपचा रक, अनौपचा रक एवं नरौपचा रक श ा मे इसक अहम ् भू मका है।
मु त मा यम क सीमाय (Demertis of Printed Media)
(1) मु त मा यम के वारा समझना कई बार क ठन हो जाता जब लेखक क भाषा ज टल होती
है।
(2) लेखक के वचार और पढने वाले के वचार म व भ नता होती है।
(3) मु ण का सह ना होना।

6.5 अमु त मा यम (Non—Printed Media)


अमु त मा यम का अ भ ाय : उन इले ॉ नक साधन से है जो श ण अ धगम याओं
क भावशीलता म वृ करते ह। अमु त साम ी य, य य, य य साधन, तीन कार
क हो सकती है।
अमु त मा यम जैसे रे डयो, टे प रकॉडर, टे ल वजन, क यूटर , च , चाट, ओवरहे ड ोजै टर
आ द।
(1) रे डयो — आजकल रे डयो स ेषण का लाजवाब उपकरण हो गया खास कर FM बे ड
आ जाने पर। रे डयो पर दे श वदे श के लोग क वाता म, भाषण, वचार आ द सु नने
का अवसर ा त होता है।
(2) टे प रकॉडर — टे प रकॉडर का उपयोग बोलने क ग त, वर के उतार—चढ़ाव, उ चारण
सु धार आ द े म भावशाल उपयोग है।
(3) चाट — चाट हाथ वारा बनाये जाते ह। यह आकषक एवं रोचक होने चा हए।
(4) मॉडल— वा त वक व तु का तमान होता है। जब व तु बहु त बडा होती है या बहु त छोट
तब सह ान दान करने के मॉडल बनाये जाते ह। मॉडल ि थर और ग या मक दोन
होते ह। ग या मक मॉडल को कायकार (Working) मॉडल भी कहा जाता है। मॉडल
के नमाण म कागज, चाट पेपर, ग ते, लोहे के तार, रबड, लाि टक, थम कोल, ला टर
ऑफ पे रस, म ी, लकडी आ द के भी बनाये जाते ह।
(5) लाइड — लाइड को लाइड ोजे टर के मा यम से परदे पर े पत कर दे खा जाता
है। लाइड शीशे क या फोटो ा फक पेपर क बनायी जाती है।
(6) फ म ि प ोजे टर— फ म ि प के दशन के लए फ म ि प ोजे टर क
आव यकता होती है। फ म ि प रोल का एक अंश होता है िजसम वां छत वषय व तु
करण के वषय म मवार अनेक च , संदेश द शत कये जाते ह।
(7) टे ल वजन— टे ल वजन पर शै क काय म या सारण ान वधन के लए कया जाता
है। इसके वारा दे श— वदे श क खबर, वै ा नक आ व कार, नो तर आ द काय म

109
सा रत कये जाते ह। यह जन चेतना एवं जन श ा का बहु त ह उपयोगी सारण मा यम
है।
(8) क यूटर — क यूटर आज के युग का आव यक उपकरण है। इसके लए सॉपटवेयर
उपागम का योग कया जाता है। यह अनुदेशन का काय भावशाल ढं ग से करता है।
इसका उपयोग श ा म अनुदेशन आकड़ के व लेषण, नवीनतम सू चनाओं क ाि त
शोध काय एवं पर ा णाल म अ धक कया जाने लगा है।
(9) वी डयो टे स (Video Tex)— यह अमु त मा यम क णाल है। दूर थ श ा के े
म इसका उपयोग अ धक होता है। वी डयो टे कर म घरे लु टे ल वजन एक क यूटर क
भां त काय करता है। इसम एक रकॉडर, टे ल फोन, टे ल वजन तथा एड क —बोड
(Keyboard) का उपयोग कया जाता है।
(10) वी डयो ड क (Video Disc) — वी डयो ड क णाल म वी डयो ड क, वी डयो ड क
लेयर और एक टे ल वजन सैट क आव यकता होती है।
(11) टे ल कॉ े ि सग — यह एक ऐसी इले ॉ नक णाल है िजसम दो या दो से अ धक
दूर बैठे यि त अपने इि छत वषय—व तु से स बि धत चचा, प रचचा म भाग ले सकते
ह अपनी बात कह सकते ह, दूसर क बात सु न सकते ह और उन पर तु रंत
त याएं◌ासु झाव या अ भमत ा त कर सकते है। एवं आव यक सूचनाओं का
आदान— दान कर सकते ह।

6.6 अमु त मा यम के लाभ एवं सीमाएँ


(Merits and Demerits of Non Printed Media)
(1) अमु त मा यम, व वध अ धगम उ े य क ाि त मे सहायक होते ह।
(2) यह यि तगत उ े य , आव यकताओं तथा यो यताओं को यान म रखकर श ण को
यि तपरक बनाने म सहायता दे ते ह।
(3) इसका योग औपचा रक, अनौपचा रक तथा नरौपचा रक सभी े म कया जाता है।
(4) ये मु त मा यम के उ े य के ि टकोण से उसके पूरक होते है।
अमु त साधन क सीमाएँ (Demerits of Non Printed Media)
(1) ये मू य म महँ गी होती है।
(2) उपयोग के लए व श ट ान अथवा श ण क आव यकता होती है।
(3) वा त वक उपयोग से पूव इनके संचालन का पूरा रहसल करना आव यक है।

6.7 मा यम एक करण (Media Intergration)


भावी स ेषण के लए मी डया या मा यम आव यक है। स ेषण के भौ तक साधन को
मा यम या मी डया कहा जाता है। क ा क म स ेषण आमने सामने होता है। व भ न मा यम
का उपयोग हम व भ न े म कर सकते ह। क ा क म श क को चकर वषय बनाना है तो
वह व भ न मा यम का योग कर पाठ को सरल व चकर बना सकता है। िजन व भ न मा यम
का वह उपयोग क ा क म करता है वह एडगर डेल वारा तु त कया गया है। एडगर डेल वारा

110
तु त अनुभव कोन (Cone of Experience) के मा यम से पाठ को सरल व रोचक तु त वारा
समझाया जा सकता है। श ा के े म एडगर डेल का अनुभव कोन काफो लोक य है। यह अनुभव
शंकु उ ह ने सन ् 1969 म वक सत कया था। इस शकु म इ ह ने य एवं मू त अनुभव से अ धगम
ारं भ करने पर बल दया है।
मी डया या मा यम का उपयोग अगर हम क ा क म कर तो यह व भ न मु त एवं
अमु तसाम ी हो सकती है।
इस तरह अगर यि त अपनी बात या संदेश को असं य लोग तक कसी मा यम वारा
पहु ँ चाता है तो उसे जन संचार कहा जाता है। जन संचार क कृ त सामू हक होती है। इसक भाषा
सरल, सु गम, सु बोध एवं प ट होती है। िजससे जन—जन म पहु ँ चे संदेश म कोई ात उ प न न
हो। इस कार के स ेषण म संदेश दे ने वाला यि त से आमने—सामने बात नह होती अ पतु कसी
मा यम का सहारा लया जाता है।
जन स ेषण म रे डयो, टे ल वजन, समाचार—रा , प काओं, पु तक , वी डयो फ म ,
व ापन बोड का योग कया जाता है, जो अभी ट संदेश को जन—जन तक पहु ँ चाते ह।
रा के वकास म तथा रा के नमाण जन स ेषण का बहु त बडा हाथ है। जन स ेषण
म जनसंचार मा यम का योग कया जाता है। जन संचार मा यम ऐसे संचार यं है, िजनके वारा
एक ह समाचार अथवा संदेश को एक बड़े जनमानस (Public), जो बहु त दूर—दूर रहते ह, तक एक
ह समय म एक साथ एवं आसानी से पहु ँ चाये जाते है। यह जनसंचार मा यम श ण म छा को
ेरणा दे ने के लए, उनक धारणा शि त (Retention Power) म वृ करने के लए एवं सूचनाओं
को समय के अनुसार संग ठत करने के लए उपयोगी स हु ये है।
डाइट (DIET), एन. सी. ई. आर. ट . (NCERT)तथा व भ न शै क रा य सं थान, जन
संचार के मा यम का उपयोग कर पा रवा रक श ा, जनसं या श ा, जीवन पय त श ा (Life
Long Education), वा य एवं पोषण, कृ ष तथा अ य े मे कायरत है।
(NCERT) एन. सी. ई. आर. ट . तथा (UGC) यू. जी. सी., (IGNOU) इि दरा गांधी ओपन
यूनीव सट आ द टे ल वजन के मा यम रो व भ न शै क काय म सा रत कर रह है।
अग त 1975 म उप ह शै णक दूरदशन योग सु द ूर (SITE) ामीण े म शै क तर
को उ नयन तथा रा य वकास के लए दूरदशन योग एक अ भनव और रचना मक योग था। साइट
वारा 6 रा य — अ दे श, बहार, कनाटक, म य दे श, राज थान तथा उडीसा म काय म सा रत
कये गये थे।
साइट काय म कूल के समय ात: तथा सांय सा रत कये जाते थे ाय: 22 मनट 30
सेक ड के काय म 5 वष से 13 वष के ब च क आव यकता के अनु प होते ह। सायं के 30 मनट
के काय म कृ ष वा य, प रवार क याण एवं मनोरंजन से स बि धत े ीय भाषाओं म थे। 10
मनट के समाचार सभी 6 रा यो के लए सा रत कये जाते थे।
साइट क सफलता से े रत होकर भारतीय उप ह इ सेट 1 —ब शै क उ े य क पू त के
लए छोडा गया था।
इसी तरह सन ् 2004 म एडू रनेट शै क काय म के लए इसरो वारा भेजा गया उप ह था।

111
6.8 वमू यांकन (Self Assesment)
(1) मु त साम ी के कार कौन—कौन से है?
(2) AIDS के लए आप कौनसा मा यम उपयोग करगे?
(3) क ा क म म दभ पादप, जलोद भ पादन म कौनसी साम ी या मा यम का उपयोग
करगे?

6.9 संदभ ंथ (References)


(1) आर.ए. शमा शै क तकनीक ।
(2) K Sampath —Introduction to Educational Technology.
(3) A Pannirselvam
(4) S.Santhanam.
(5) कुल े ठ — शै क तकनीक के मू ल आधार ।
(6) Dale Edgar— Audio Visul Methods in Teching

112
इकाई — 7
नयोजन :स ीय इकाई व दै नक पाठ योजना
(Planning : Sessional, Unit, Daily Lesson Planning)
इकाई क संरचना (Structure of the Unit)
7.0 उ े य (Objectives)
7.1 तावना (Introduction)
7.2 इकाई क अवधारणा (Concept of Unit)
7.3 इकाई योजना का अथ एवं व प (Meaning and Form of Unit Plan)
7.3.1 इकाई योजना का अथ (Meaning of Unit Plan)
7.3.2 इकाई योजना का अथ (Form of Unit Plan)
7.4 इकाई योजना के आ प (Formats of Unit Plan)
7.5 आदश इकाई योजना (Model Unit Plan)
7.6 अ छ इकाई योजना के ताि वक गुण (Essentials of a Good Unit Plan)
7.7 पाठ योजना — अथ एवं आव यकता (Lesson Plan —Definition and need)
7.8 पाठ योजना के सोपान (Steps of Lesson Plan)
7.9 पाठ योजना के ा प (Formats of Lesson Plan)
7.10 आदश पाठ या उपइकाई योजना (Model Lesson or Sub —unit Plan)
7.11 अ छ पाठ योजना के ताि वक गुण (Essentials of Good Lesson Plan)
7.12 पाठ योजना क सीमाय (Limitations of Lesson Plan)
7.13 अ यास काय (Practice Work)
7.14 संदभ ग थ (References)

7.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के अपरा त अ धक ता भावी व ान श क :—
1. श ण योजना, इकाई, इकाई योजना, पाठ योजना क अवधारणा प ट कर सकगे।
2. इकाई और पाठ योजना के व भ न आ पो मे अ तर प ट कर सकगी।
3. व ान क व भ न इकाइय एवं स बि धत उपइकाइयो के लए श ण योजनाय बनान म
पारं ग त ा त कर सकगे।

7.1 तावना (Introduction)


श ण के चार फलको म अनुदेशन (Instruction) के य मह व रखता है। अ धगम इसी
तर पर होता ह। अ धगम एक वकास या है। पूव नधा रत उ े य को समयब र त से ा त
करने म ह वकास या क भा वता न हत है। इसके लए नयोजन (Planning) मू लभू त आधार

113
है। क ा म भावी और द अ धगम के लए ण— त ण के याकलाप को सूचीब करना तथा
स पूण काय म को छोटे छोटे भाग म वभािजत कर येक के लए संगत समयाव ध का आवंटन
करना आव यक है। उपल य श ण साम ी के भावी उपयोग के लए अवसर का ावधान श ण
काय म का अ नवाय अंग है। क गत अ तः या को साथक बनाने, ता वत कालांश तथा म क
मत ययता के साथ श ण—अ धगम को अ धका धक भावी बनाने के लए श ण का नयोजन एक
मू लभू त आव यकता है।

7.2 इकाई क अवधारणा (Concept of Unit)


श ा—श दकोश (Dictionary of Education) कसी वशेष वचार / वषय पर न मत पाठ
के समु चय को कोई नाम दे ते ह। श ण म इकाई का योग सव थम मॉर सन (Morrison) ने कया
था। उ ह ने इसका अनु योग श ण (Teaching) के पारं ग त उपागम (Mastery Approach) के
अ तगत कया था। इस उपागम म इकाई, श ण का एक मु ख अंग है। यह सफल श ण के लये
मु ख अ नवायता (Essential) है। येक ि थ त म कसी भी वषय के श ण का प रणाम पारग त
(Mastery) है। यह बात व ान के लये भी सह है। इसम त य (Facts) को मा याद करना ह
नह ं ह; अ पतु, व ान म पारगत तभी बन सकता है, जब इसको वषय—व तु (Content) का पूण
बोध (Undrstanding) इसके लये आव यक है क वषय—व तु को योजनाब तर के (Planned
way) से व तार से हण कया जाय।
मू ल प म मॉर सन के अनुसार येक वषय को इकाइय म वभ त कया जाता है। हर इकाई
म वषय—व तु ऐसी व श टता (Specifcity) से तु त. क जाती है क येक म सीखने वाला
सू मतम अवबोधन ा त करने के बाद वषय म पारं गत हो जाय। मॉर सन ने यह दावा कभी नह ं
कया क सभी व याथ समान प से पारं गत हो जायगे। क तु उनक मा यता थी क इस उपागम
म कशा के अ धकतर व याथ सामा य तर पर अव य आ पायग। यह सह है क आज इकाई को
िजस प म लया जा रहा है, वह मॉर सन क मा यता से भ न है। मॉर सन क इकाई का आधार
मनो व ान (Psychology) था।
वतमान म च लत इकाई का आधार वषय—व तु है। यह बात टन (Preston) वारा
द गई प रभाषा ''अ धक ता (Learner) वारा दे ख गये अ तरस बि धत (Inter —related)
वषय—व तु का वृह ख ड ह इकाई है" (A unit is a large book of subject matter as
can be over — viewed by the learner)" इकाई के नमाण म वषय—व तु के साथ—साथ
अ धक ताओं (Learner) क मताओं (Abilities), पूव ान , आव यकताओं (Need), चय
(Intrrests) को भी पया त थान दया जाता है। सै फोड वारा द गई प रभाषा म ''सावधानीपूवक
चय नत वषय—व तु क परे खा जो क अ धक ताओ के अनु प हो, इकाई है (Unit is an outline
of carefully selected subject matter, which has been isolated because of it's
relationship with pupil's needs and inerest.)".
वषय—व तु को काय—ख डो (Block) म वभ त कया जाता है। इनमे से येक ख ड म
अ तस बि धत वषय—व तु होती है। इसको श क और पा य—पुरतक (Text Book) का लेखक

114
ता कक — ढं ग (Logically) से काय—कृ यक (Work Task) म यवि थत करते है। इकाई क
वषय—व तु म समान गुणव ता (Quality) के आrधेगम होते ह। येक इकाई को व भ न पद
(Terams) क भू खला (Chain) मे वक सत कया जाता है। साथ ह इकाई को उपख ड
(Sub—block) म बांटा जाता है। ये उपख ड उप—इकाई (Sub —Unit) कहलाते ह। हर उप—इकाई
भी अपने आप म पूण होती ह। क तु, इसका श ण एक ह कालांश (Period) म पूरा कया जाता
है। हर इकाई क कई उप—इकाइयां (Sub units) होती ह। उदाहरणाथ व ान म उ मा (Heat), कंपन
और तरं ग (Vibration), ग त, व युत धारा ( Electric current), काय और ऊजा (Work and
energy) व भ न इकाइयाँ ह। ऊ मा इकाई क उप—इकाइयां इस कार हो सकती ह— ऊ मा और
उसके भाव ठोस का सार और उसके उपयोग व का सार और जल का असंगत सार, गैसीय सार,
ऊ मा का मापन, व श ट ऊ मा और उसके भाव व श ट ऊ मा करने क व धयां, पदाथ क अव था
प रवतन, बफ क गु त उ मा, वा पन क गु त उ मा, हवा म ताप और आ ता आ द।
रसायन म 'पदाथ का वग करण'; जल, पृ करण आ द व भन इकाइयाँ ह। जब क 'जल' इकाई
के लए ोत, उपयोग, गुण , पेयजल, औ यो गक जल, जल का संघटन आ द व भ न उपइकाइयो
ह। जीव व ान म को शका संरचना, सजीव म उ तक, अंग, त , जै वक याय आ द इकाइय
ह। जब क इकाई ''जै वक याओं'' के अ तगत प रसरण उ सजन, जनन आ द उपइकाइयॉ ह।
वमू यां क न
1. इकाई क अवधारणा का आधार श ण के कस उपागम को कह सकते ह?
2. मौ रसन के अनु सार इकाई क मू लभू त मा यता या है ?
3. इकाई क तीन वशे ष ताएँ है :-
i)…………………………………………………………………………………………............................
ii)………………………………………………………………………………………………………………………
iii)………………………………………………………………………………………………………………………

7.3 इकाई योजना का अथ एवं व प (Meaning and Form of Unit


Plan)
7.3.1 इकाई योजना का अथ व प (Meaning of Unit Plan)

व ान के श क क भावो पादकता (Effectiveness) का सू चक उसके व यग़ थय के


अ धगम क गुणव ता (Quality and level) एवं तर ह। अत: श क क सफलता (Success)
का माप (Measure) सीखने वाल के पारं गत होने के तर (Mastrey level)को कहा जा सकता
ह। व ान म पारग त इकाई क वषय –व तु के सू म हण और उसके बोध पर नभर (Depend)
ह। यह तभी संभव ह जब क येक इकाई के श ण के लये काय—योजना (Working Plan) तैयार
क जाय। यह काय योजना श ण क इकाई योजना कहलाती ह। वा तव म इकाई योजना श क
वारा इकाई क वषय व तु को क ा म तु त करने (Presenting) क मब तैयार
(Systematic Preparation) ह। श क कसी नि चत म म इकाई क वषय—व तु को क ा

115
मे तु त करने का मानस बनाता ह। इस वषय —व तु को मब पम तु त करने क काय—योजना
और इसको उपइकाइय के प म तु त कया जाना ह इकाई योजना ह। अत: उपइकाइय का एक कृ त
(Integrated) तु तीकरण ह इकाई योजना है। भावी अ धगम अनुभव (Learning
experiences) के सृजन ( Creation) के लये अपे त (Expected) श क— श ाथ याओं
(Teacher Pupil activities) क मब यवरथा (Systematic arrangement) क परे खा
(Outline)र इकाई योजना म सि म लत है।
व ान श क अपने व यालयो मे व ान सं कधी व भ न याकलाप म य त रहते ह।
आधु नक श ा यव था म व ान को मा य मक तर तक मूल पा य म का के य वषय वीकार
कया गया है। जनताि क (Domcratic) क याणकार (Walfare) समापवाद (Socialistic) ढांचे
(Pattern) के समाज और दे श म आ म नभर (Self –Sufficient) भावी नाग रक के लये व ान
का अ भ ान, बोध और युि त ( Knolwledge, understanding &Application) आव यक है।
इसी लये मा य मक तर तक व ान को सबके लये अ नवाय बना दया गया है। इससे दे श के भावी
नाग रक के लये व ान का आव यक यूनतम ान उपल य कर दया गया है। ले कन इसके साथ
ह अ धगम या के लये कु छ क ठनाइयां भी उ प न हो गयी ह। मा य मक र तर पर क ाओं
मे कई छा पढते है। इन छा क व ान वषय को आ मसात ् (Assimilate) करने के लये वां छत
(Desirable) मान सक (Mental) मता समान एवं उ च तर य (Equal and high level) होना
स भव नह ं है। य क वैयि तक भ नताय (Individual differences) यहां भी अपना भाव डालती
ह। एसे ि थ त म व ान के श क का दा य व बढ गया है। उनके सामने व ान को रोचक
(Interest), श ा थयो क आव यकताओ (Need) के अनु प ओर सहज (Easy) आ मसा करण
(Assimilation) के यो य बनाने का दा य व भ है। इस लये पहले क अपे ा अब इकाई का मह व
काफ बढ़ गया है। श क के सामने मु ख प से न न ल खत सम याय व ान श ण के स दभ
म आती ह:—
 व ान क यापक (Broad) वषय—साम ी (Content) को कैसे यावहा रक प से
(Practically) हर मान सक र तर (Mental level) के श ाथ के नये बोधग य
(Comprehensible) बनाया जाय?
 वषय—साम ी के मा यम से कन अ धगम—प रणाम (Learning outcomes) को व श ट
प म ाथ मकता (Priority) दे ना अ धक सगत (Relevant) है।
 श ा थय म वि ट यवहार (Entering behavior) अथवा पूव ान (Previous
Knowledge) या है ?
 व ान के अ धगम के त सभी श ा थय को कैसे अ भ े रत (Motivate) कया जाय?
 वषय—व तु को सरलता से बोधग य (Comprehensible) बनाने के लये करन कार
यवि थत (Organize) करना अ धक भावी होगा?
 श ण साम ी के स ेषण (Communication) को कैरने भावो पादक (Effective)
बनाया जाय?

116
 कन— कन व भ न कार के अ धगम—अनुभव ( Learning experience) का सृजन
(Create) कया जा सकता है?
 व भ न कार के अ धगम—अनुभव के सृजन के लये कन— कन साधन को कब और कैसे
उपयोग म लाया जाय?
 श ा थय क अ धक से अ धक से अ धक ानेि य (Sense organs) को अ धगम
अनुभवो (Learning experiences) म कैसे अ तभ वत कया जाय?
 क ा म श ा थय को अ धका धक याशील (Active) कैसे रखा जा सकता ह?
 ान को द घकाल (Long Period) तक रथाई (Permanent) कैसे बनाया जाय?
 श ा थय को वै ा नक व ध (Scientifio Method) म कैसे श त (Active) कया
जाये?
 अ धक ता (Learners) म वै ा नक अ भवृि त (attitude) का वकास कैसे कया जा सकता
है।
 व ान क श ण साम ी (Teaching aide) के वारा अनुदेशन या ( Instructional
process) श ा थय के लये कस सीमा तक सफल हु ई ह?
 श ाथ अपे त अ धगम तर (Expected learning level) को ा त य नह ं कर
सके?
 अपे त अ धगम— तर (Expected learning level) को ा त करने के लये या कदम
(Steps) उठाये जा सकते है?
उपरो त सभी तथा स बि धत अ य न के उ तर व ान श ण क इकाई योजना म
उपल ध होते है। इस कार हम कह सकते ह क उपयु त न के उ तर से ह व ान क कसी
इकाई—योजना (Unit Plan) क वषय—साम ी (Content) उपल ध ह।

7.3.2 इकाई योजना का व प (Form of Unit Plan)

इकाई योजना को व भ न सोपान म न न ल खत म म तु त कया जा सकता है


1) सामा य सूचनाये ( General Information)
2) इकाई (Unit)
3) उप—इकाइया (Sub –Unites:I, II, III,......)
4) वषय—व तु का व लेषण (Content analysis)
5) उददे य (Objectives)
6) अनुदेशन साम ी (Insteuctional material)
7) पूव ान ( Previous Knowledge) या वि ट यवहार (Enteries Behaviour)
8) उप मीं याकलाप (Initiating activity)
9) तु तीकरण (Presentation)
10) मू यांकन (Evaluation)

117
1) सामा य सूचनाय ( General Information). इकाई योजना म इनका उ पेख इस
म म होता है — वषय, दनांक, क ा, कालांश, अव ध।
2) इकाई (Unit) यहां इकाई का नाम लखा जाता है।
3) उपइकाइया (Sub–unit): उपइकाइय को यवि थत प म संगत म म मांक
यव था I, II, III. म लखते है। यहां मांक (Serial Number) रोमन (Roman) म ह लखे
जाने क पर परा है। य क उपइकाई के शीषक (Heading of sub— unit) के लये इस मांक
को तीक के प म (In the form of symbol) वीकार कया जाता है। यह आव यकता मू यांकन
(Evaluation) तथा तपुि ट (Feed Back) म होती है।
4) वषय—व तु का व लेषण (Content analysis): उपयु त के बाद इकाई क
वषय—व तु (Content) का सं त (Brief) क तु प ट ( Vivid) ववरण दया जाता ह। इसम
सीखने वाल के लये इकाई म न हत ान का वहंगमावलोकन (Eye—view) होता है। वषय—व तु
के व लेषण (Content) को श क अपने—अपने ढं ग से तु त करते है। पर तु मुख प से ाय:
इसके लये दो तर के अपनाये जाते ह। थम तर के के अनुसार पहल उप—इकाई रवे आर भ करते
हु ये अि तम इकाई तक वषय—व तु का ब दुगत ववरण दया जाता ह। दूसरे तर के म वषय—व तु
का ववरण उसके सभी शीषक के अ तगत समु चत म के अनुसार दया जाता है। जैसे क पहले
स पूण इकाई के पद (Terms), प रभाषाओं (Definitions). अवधारणाओं (Concepts). का
—उ लेख कया जाता है। इसके बाद त य (Facts). स ा त (Principls). नयम (Laws). व धयां
(Methods) आ द शीषको के साथ इकाई क वषय व तु का सं त ववरण (Brief Description)
दया जाता है। इनम से कसी एक तर के को चु नने के लये श क वत है।
5) उ े य (Objectives): इकाई योजना मे उ े य को सू ब (Formulate) करना एक
कला (Art) है। क तु इसको व प दे ना वै ा नक व ध (Scienific Method) से कम नह ं ह।
कभी—कभी श क एवं श णाथ (Teachers and trainees उ े य को ल य के समान मानते
ह, तथा ल य और उ े य शीषक लखकर जो वे ठ क समझते ह उसम लख दे ते ह। क तु, यह एक
बड़ी ु ट है। ल य (Aims) वषय— श ण के होते ह। जब क उ े य (Objectives) कसी इकाई क
वषय—व तु के होते ह। व ान श ण के ल य ह यथा— वै ा नक अ भवृि त का वकास , वै ा नक
वध म श ण, याय य नाग रक के गुण का वकास, स य न ठा का वकास आ द। इस सब
ल य क कृ त सामा य (General) ह। वह अपने आप म व तु न ठ (Objective) नह ं है। जैसे
क इकाई 2 म प ट कया जा चु का है। दूसर ओर, उ े य (Specific) व श ट और व तु न ठ होते
है। यथा इकाई ''चु बक'' के उ े य ह — चु बक, ु व, अ पद और उनक प रभाषाओं का यारमरण
करगे, चु बक को पहचान सकगे, उ तर ु व और द णी व
ु म अ तर प ट कर सकगे, कृ म
चु बक बना सकेगे, चु बक के व भ न योग कर सकगे, चु बक बनाने क व धयो का नामा कत
च वारा द शत कर सकगे, आ द। यहां हम उ े य को सू ब करना है। इसम कोई शक नह ं
है क इन उ े य क ाि त से ल य क ओर बढने म सहायता मलती है। ल य ाि त से हम कभी
स तु ट नह हो सकते। जब क उ े य ा त करने पर हम पूण प से स तु ट हो सकते है।

118
हमारे दे श म उददे यो को मब करने का ा प (Pattern) एन. सी. ई. आर. ट .
(N.C.E.R.T.) क पहल पर शु कया गया है। मू ल ा प का व प सं थाये (Institutions) एव
श क सु वधा के अनुसार बदल सकते है। क त आधार वह ा प है। एन. सी. ई. आर. ट . ने लूम
क शै क उ े य क टे सानॉमी (Taxanomy of Eduational objectives) के आधार पर उ े यो
का ा प तैयार कया। वह सरल तथा यावहा रक प ह। इसम कोई सै ाि तक ज टलता नह ं है।
इकाई योजना म उ े य का न न ल खत के आधार पर सू ब करना चा हये:
i) व या थय के क ा एवं मान सक तर (Pupil’s Class and Mental levels)
ii) उनम सीखने क मता (Learning Capacity)
iii) उनक सीखने के लये अ भ ेरणा (Motivation for learning)
iv) वषय—व तु के लये नधारत समयाव ध (Time allotted for the Content)
v) उपयोग म लये जाने वाने संसाधन (Resources to be used)
vi) व या थय को अनुभव एवं अ यास के लये उपल य अवसर (Opportunities provided
to the pupils for experience and practice)
vii) श क क अनुदेशन भा वता और वीणता (Effectiveness and efficiency of
teacher’s instruction)
6) अनुदेशन साम यां (Instructional Materials): इकाई योजना के इस पद म केवल
उसी साम ी का उ लेख कया जाना संगत है, िजसक सहायता से इस इकाई क वषय व तु को तु त
करना है। कभी—कभी श णाथ चाक, ड टर, श णोपयोगी साम ी का उ लेख इस शोषक के
अ तगत करते है। यह उ चत नह ं है। ये नरथक ह। य क ये व तु एं ''क ा' पद म वाभा वक प
मे न हत ह। यहां तो केवल उन य— य (Audio Visual)◌ं साम य और व ान के उपकरण
और साम य का उ लेख करना है, िजनका उपयोग इकाई के श ण म ह करना है। यथा; 2,3 छड
चु बक, लोहे क छडे, क ल, लोहे का बुरादा, क पास टै ड आ द।
7) पूव ान (Previous Knowledge): पूव ान म व याथ के वे कभी पूवानुभव
(Previous experiences) सि म लत कये जाते ह िजनका उपयोग ता वत नवीन वषय—व तु
के अनुदेशन म कया जाता है। इससे व या थय के पूवानुभव के साथ व ान क ता वत
वषय—व तु जु ड़ जाती है। वतमान म इस पद को वि ट यवहार (Entering behavior) भी कहा
जाता है। यह आव यक नह ं है क व ान क वषय—व तु स ब धी ान ह इसम हो। इराम छा —जीवन
का कोई भी अनुभव शा मल है। तथा यह हर श क के स दभ म अलग—अलग भी हो सकता ह। इसम
वे सभी पूवानुभव सि म लत ह , िजनका उपयोग उ ेरणा (Motivation) से पाठ के अि तम ब दु
को तु त करने तक कया जाना ह।
8) उप मीं याकलाप (Initiating Activity): इस पद को उ ेरणा (Motivation) या
उ ेरणा मक युि त (Motivation devices) और तावना (Introduction) भी कहा जाताहै।
वा तव म इस पद के काय तावना और उ ेरणा ह। यावहा रक ि ट से दे खा जाय तो इकाई के.
श ण म इस पद का कोई अि त व नह ं ह। य क वा त वक श ण म इकाई को ता वत नह ं

119
कया जाता। पब कोई नई इकाई शु क जाती है। क तु सै ाि तक और आदश प म इसके मह व
को नकारा नह ं जा सका इससे सीखने वाले को अनुकूल मान सक यव थ (Favourable mental
set—up) का वकास करने म सहायता मलती ह। यह सं त (Brief), भावी (Effective) और
सारग भत (Essence) होना चा हये। इकाई क वषय—व तु और सीखने वाले के स दभ म उप मी
याकलाप के कड़ी (Link), अ भ ेरणा (Motivation) और वहंगावलोकन (Overview) तीन मु ख
काय (Fuctions) ह।
तु त इकाई के इस चरण मे श क इकाई क वएषय— व तु को व ान क इस इकाई
से पूव इकाइयो अथवा अ य वषय के इससे पहने पढाये गये पाठ क वषय—व तु अथवा दै नक जीवन
के अनुभव से जोडने का काम करता है। प ट है क उप मी याकलाप नये श ण अनुभव एवं
औपचा रक। (Formal) और अनौपचा रक (Informal) पूवानुभवो ( Previous Experiences) को
पर पर जोड़ने म कड़ी (Links) का काम करता है। यह न न ल खत के वारा कया जाता है
i) न अथवा सु झाव के वारा श ाथ के पूवानुभवो से स बि धत अ भ ान को उ वे लत
(Activate) करना।
ii) कसी योग, दशन, कहानी, घटना (Phenomenon) अथवा अ ययन के वणन
(Description of the study) या या के वारा यह काय करना।
iii) पूव पाठ ( Previous Lesson) म इस इकाई से स बि धत अ ययन ब दुओं (Learning
Points) क पुनरावृि त ( Recapitulation) के वारा।
श क वारा यह प ट करने से क नया ान श ा थयो क ता का लक (Short Term)
और द घकाल न (Long term) आव यकताओं (Needs) के लये आव यक (Essential) ह, यह
चरण आभे ेरणा (Motivation) क मइका नभाता ह। इससे श णा थयो क च और अवधान
(Interest and attention) नये श ण अनुभव क ओर आक षत होते ह। इसके बाद पाठ के मु ख
उ े य का सं त कथन श क वारा होता है। इससे नये ान क सीमाओं के साथ—साथ सार प
म वषय—व तु का आभास छा को कराता है।
9) तु तीकरण (Presentation): इस सोपान को अ धगम अनुभव ( Learning
Experience) तथा अनुदेशन संि थ तयाँ ( Instructional Situations) भी कहते है। यह इकाई
योजना का मु ख अंग है। यह व या थय क आयु ( Age) उनके शै क तर (Academic level),
वषय व तु क कृ त (Nature of content), श क क मताओं (Capacity of Teacher)
एव उपल य संसाधन (Available resources) पर आधा रत है। व ान के श ण म यह बात हमेशा
याद रहे क हमारा उ े य केवल सू चनाओं का स ेषण (Communication of information) नह ं
है। वा व वक श ण तो श ाथ को ता वत इकाई क वषय व तु के अ वेषण (Discovery) क
दशा म स य करना है। श क व भ न व घय (Methods), व धय (Techniques), कौ ल
(Skill), आ यूहो (Strategies) और उप म (Procedures) के मा यम से ऐसी सि थ तयो
(Situations) का सृजन ( Creation) करने म इतना पारं गत होना चा हये िजससे श ाथ एक समथ
अ वेषक क भू मका नभा सके। श क को उन ि थ तयो का नमाण करना चा हये, िजनम व याथ

120
नये ान को आ मसात ् करने म अपनी अ धक से अ धक ानेि य (Sense organs) का उपयोग
कर सके। व या थय को न न ल खत म एक या अ धक से अ धगम अनुभव उपल ध कराये जा सकते
है।
 श क, स दभ यि त अ त थ या यता तथा क ा तनध वारा या यान, वणन,
ववरण या तपादन।
 श क वारा संसू चत (सु झायी गयी Suggested or Prescribed) पु तक , स दभ थ
अथवा सा ह य (Literature) का अ ययन।
 अ ययन पयटन (Study tours) तथा े फेरा (Field Trips) म े ण (Observation)।
 क ा म नमू ना (Specimen), वा त वक व तु त प (Model) तथा चाट (Chart) के
दशन एवं मृ य— य उपकरण के अनु योग।
 श क वारा योग— दशन।
 श ा थयो वारा कायशालाओं (Workshops), कृ षभू म (Agricultural Land),
सावज नक वा य के (Public health centres) तथा अ य सं थानो म मण
(Excursion) या—काय करना।
 श क वारा दल— श ण (Team Teaching)।
 समाजोपयागी उ पादक (Socially useful productive works—S.U.P.W.) काय म
भाग लेना।
 व ान मेल (Science fairs) एवं सं हालय (Museum) का गठन।
 सावज नक सं हालय एवं अजायबघर म य े ण।
 न म डल गह (Planetrium) म जाना।
 व ान शमल कम (Hobby)
 व ान के वषय पर नब ध (Essay) तथा वाद— ववाद (Debate) तयो गता
(Competition)
 अणु शि त के (Automic power centres) एवं जल व युत गहो म आगमन (Visit)
 व ान स बनधी पहे लयां (Quiz) एव मनोरंजन काय म का आयोजन।
 सावज नक संचार के (Mass Media centres) म आगमन।
10) मू यांकन (Evaluation): इकाई श ण के बाद श क का मु ख काय श णा थय
वारा उपल ध – ान के तर का पर ण (Testing) करना है। यह काय मू यांकन म इकाई पर ण
और इसके प रणाम के व लेषण से पूरा कया जाता है। इससे उनके यि तगत मागदशन
(Guidance) के लये आधार तैयार होता है। पर ण प रणाम के अ ययन से श क अनुदेशन
(Instruction), उ े य (Objectives), वषय—व तु के गठन (Organization of content),
सहायक साम य (Aids) आ द म भी संशोधन (Correction) एवं प रव न (Modifcation) करने
के लये आधार ा त करता है। इससे श ण क क मय का पता चलता है। िजससे क भ व य के
लये वह इसम वां छत संशोधन करता है। इकाई पर ण क ववेचना इकाई 8 म तुत है।

121
वमू यां क न
1. इकाई योजना या है ?
2. उ े य नधारण के आधार से : -
1)................................ 2)..........................3)..................... ........
3. उप मीं या कलाप के काय है
1)........................................... 2)........................................
3).......................................:

7.4 इकाई योजना के ा प (Formats of Unit Plan)


इकाई योजना के दो ा प श क— श ण (Teachers Training) म यु त कये जाते
है। इ ह हम ा प—अ (Format –A) और ा प—ब (Format—B)कह सकते है। आ प—ब का चलन
अपे ाकृ त अ धक है।
आ प—अ (Format —A) :
वषय — व ान क ा —
इकाई —
उ े य — K.U.A.S. ( ाना मक, अवबो., उपयो. कौशल)
आ प—ब (Format – B)
वषय — व ान क ा —
1. उप—इकाइया (Sub—Units)
(I) ..........................................
(II) ..........................................
(III) .........................................
(IV) .........................................
2. वषय—व तु का व लेषण (Content Analysis)
3. उ े य (Objectives)
4. श ण साम ी (Teaching Aids)
5. व ट यवहार (Entering Behaviour) या
6. पूव ान (Previous Knowledge)
7. अ भ ेरणा (Motivation)
8. वकास (Development)
9. मू यांकन (Evaluation) इकाई प र ण
10. तपुि ट (Feed Back) इकाई पर ण के प रणाम के व लेषण के आधार पर।
वमू यां क न
1. इकाई योजना आ प के चयन के आधार है : -
i) - - - - - - - -- - -- -- - --- - - - -
ii) - - - -- - - -- - --- - -- - - -- - -
iii) -- - - -- - -- - -- - --- - - --- - -
122
7.5 आदश इकाई योजना (Model Unit Plan)
वषय (Subject) : व ान (Science)
दनांक...................... क ा –IX कालांश.........................
इकाई : काय और ऊजा
(Unit: Work and Energy)
उप—इकाइयां
I) काय क अवधारणाये (Concept of work)
II) काय जब व थापन बल क दशा म न हो (Work when displacement is in the
direction of force)
III) ऊजा एवं ग तज ऊजा क गणना एवं नभरता (Computation & dependence of
energy and dynamic energy)
IV) ि थ तज ऊजा क अवधारणाय एवं गणना (Static energy calculation and
concept)
V) शि त क अवधारणाय (Concept of power)
VI) ऊजा—सर ण नयम (Law of conservation of energy)
VII) ऊजा यमान स ब ध (Energy mass relation)
वषय—व तु का व लेषण (Content Analysis):
काय (Work): कसी व तु पर लगाया गया बल तथा इसके वारा हु ए व थापन के गुणनफल को
काय कहते है।
काय — बल × व थापन यहां F — बल
W = F × S S — व थापन
W — काय
काय का मा क (Unit):
इसका मा क यूटन * मीटर = जूल ( jule) है।
काय जब व थापन बल क दशा म न हो कसी बल वारा कया गया काय व थापन क
दशा म बल के घटक तथा वरथापन के गुणनफल के बराबर होता है। अथात;्
W = F Cos O x S जब O = 90
W = O अथात ् काय नह ं होगा।
ऊजा: काय करने क मता को ऊजा कहते है। ऊजा को भी जूल म ह य त करते है। ऊजा दो कार
क होती है —
ग तज ऊजा: कसी व तु म उसक ग त के कारण ऊजा।
ि थ तज ऊजा: कसी व तु म उसक ि थ त के कारण ऊजा।
ग तज ऊजा क गणना एवं नभरता.: यहां M = व तू का यमान
व तु क ग तज ऊजा = ½ MV2 V = उसका वेग

123
ि थ तज ऊजा :
गु वीय ि थ तज ऊजा :
अव था प रवतन के कारण ि थ तज ऊजा:
शि त : एकांक समय म काय करने क दर को शि त कहते है।
P = W/T यहां P = शि त, t = समय, W = वॉट
इसका मा क जूल / सैके ड = वॉट
ऊजा संर ण का नयम: ऊजा न तो उ प न क जा सकती है और न ह इसे न ट कया जा सकता
है। इसको एक प से दूसरे प म बदला जा सकता है। कसी भी तल गत त क कुल ऊजा ि थर
रहती है।
ऊजा यमान स ब ध : E = MC2 यहां E = ऊजा, M = यमान
उ े य ( व श ट करण स हत) :
Objective (With Specification)
ाना मक (K):
1. या मरण: व याथ न न ल खत का यारमरण करगे।
i) पद: काय, ऊजा, ि थ तज ऊजा, ग तज ऊजा, शि त, ऊजा संर ण नयम, ऊजा
यमान स ब ध।
ii) प रभाषाय:
काय:— कसी व तु पर लगाये गये बल एवं इसके वारा बल क दशा म हु ये व थापक को
काय कहते है।
ऊजा:— काय करने क मता को ऊजा कहते है।
ि थ तज ऊजा: व तु म उसक ि थ त के कारण ऊजा
ग तज ऊजा : व तु म उसक ग त के कारण ऊजा।
शि त : एकांक समय म काय करने क दर।
ऊजा संर ण नयम: ऊजा न तो उ प न होती है और न ह न ट होती है।
iii) सू काय W = F * S जू ल ऊजा यमान स ब ध M = MC2
ग तज ऊजा = 1/2 MV2 Kg /sec 2
शि त: P =w/t वॉट
तीक: F = बल, S = व थापन, M = यमान, C = काश वेग,
W = काय, P = शि त, t समय, v वेग, E = ऊजा
2. पहचान: व याथ उपरो त पद , तीक , सू , प रभाषाओ को पहचान सकगे।
अवबोधना मक (U):
1. अ तर प ट करना उपरो त पद म अ तर प ट कर सकगे।
2. तु लना करना इसी कार इनम आपस म तुलना कर सकगे।
3. प रभाषाओं को अपने श द म य त करना उपयु त प रभाषाओं क अपने श द म बता
सकगे।

124
4. ु ट शात कर ठ क करना उपयु त प रभाषाओं, पद व सू ो म ु ट को ात कर ठ क
कर सकगे।
5. पा तरण उपयु त सू को श द म लख सकगे तथा श द को सू एवं तीक म
पा त रत कर सकेगे।
6. गणना करना सू से स बि धत स या मक न को हलकर सकगे ।
7. कारण बताना उपयु त त य से स बि धत कारण बता सकगे।
उपयोगा मक (A):
1. उपयु त वषय से स बि धत सम याओं का समाधान कर सकगे।
2. सू के आधार पर स या मक न का नमाण कर सकगे।
3. उपयु त से स बि धत सम याओं का व लेषण कर सकगे।
कौशला मक (S) :
1. योग को च वारा. तु त कर सकगे।
2. योग दशन कर सकगे।
श क याये श ाथी याये
(Teacher Activities) (Pupil Activities)
1. श क वषय से संबि धत न पूछेगा। 1. छा या शत उ तर दे ग।े
2. श क छा के सह उ तर दे ने म 2. छा भी वषय से संबि धत न पूछ सकेगे
सहायता करे गा
3. श क उदाहरण दे गा। 3. छा भी उदाहरण दगे।
4. योग करे गा। 4. योग मे सहायता करगे।
5. यामप सारांश का वकास करगे। 5. यामप सारांश के वकास म सहायता तथा
उसको पुि तका म लखेगे ।
6. श क क ा क सहायता से शंका 6. वधाथी अपने शंकाये रखगे
समाधान के यास करे गा
उ योतन साम ी (Material Aids): योग के लए आव यक उपकरण एवं उपल ध
साम य का प ट उ लेख कया जायेगा। जैस;े लकड़ी के ग े , कमानीदार तुला, गुलेल आ द।
मू यांकन (Evaluation) : इकाई पर ण तैयार कया जायेगा।

7.6 अ छ इकाई याजना के ताि वक गु ण (Essentials of a Good


Unit Plan)
एक अ छ इकाई योजना के मु ख अ भला णक गुण (Characteristics) इस कार है —
1. इकाई योजना म वषय—व तु (Content) को इस कार यवि थत (Arranged) कया जाता
ह क छा म अ धगम सहजता (Easy) से हो।
2. वषय—व तु को तुत करने म श ा थय क आव यकताओं (Needs). मताओ
(Abilities\). और चय (Interests), का यान रखा जाता है।

125
3. इकाई के श ण म व या थय को सवथा नय अ धगम अनुभव (New Learning
experiences) मलते है।
4. नई वषय—व तु का आधार श ा थय का पूवानुभव (Previous Experiences) होते ह।
5. व या थय क वैयि तक भ नताओं (Individual Differences) के लये इकाई के श ण
म ावधान (Provision) होते ह।
6. इकाई हमेशा उप—इकाइय (Sub— units), वषय—व तु (Content) और अ धगम अनुभव
क ि ट से अपने आप म पूण (Complete) होती है।
7. नयी अ धगम सि थ तयो के सृजन (Creation of new learning situations) म
श ा थय के (Social) और भौ तक (Physical) पयातरण (Environment) से उपल ध
संसाधन (Available resources) का समु चत उपयोग कया जाता ह।
8. योजना के वकास म क ा क स या सहभा गता (Active Participation) ा त होती
ह।
9. श ण अनुभव के लये उ चत कार क सि थ तयो का सृजन कया जाता है। इनम एक
— रसता (Monotony) नह ं होती।
10. अ धगम म श ा थयो क अ धक से अ धक इि य (Sense Organs) क अ तभा वतता
(Involvement) होती है।
11. श ा थय (Pupils) म नये ान के लये इकाई के श ण के हर तर म ो साहन
(Encouragement) और िज ासा (Curiosity) को अ भ े रत (Motivate) करने के लये
पया त अवरपर उपल ध कये जाते है।
वमू यां क न
1. अ छ इकाई योजन के मु ख चार ल ण है : -
i)____________________ ii) ____________________
ii)___________________ iv) ____________________

7.7 पाठ योजना — अथ एवं आव यकता


पूव म इकाई और इकाई योजना को प रभाषा य द गयी है।यहा पाठ योजना क प रभाषा
एवं उसक आव यकता पर काश डाला जा रहा है:
अथ (Definition): पाठ योजना अथवा दै नक पा योजना वतमान मे उपइकाई (Sub unit)
के क ा— श ण क योजना ह। पर परागत (Traditional)पाठ योजनाओं के आधार पर हरबट
(Herbart),जॉन डीवी (John Dewey) कलपै क (Killpatrik) के उपागम (Approches) रहे ह।
क तु, अब श ण के उपागम के आधार मॉर सन क इकाई योजना और ि कनर के यवहार—प रवतन
का स ा त ह। पर परागत (Traditional) श ण—उपागम म श क और वषय—व तु क ा श ण
क ि ट से मु ख थे। वतमान उागगम मे मुखता श ाथ के वां छत यवहार प रवतन को द जाती
ह। आज क दै नक पाठ—योजना का आधार इकाई योजना ह। अत: यह कहा जा सकता ह। क इकाई

126
योजना क याि व त दै नक पाठ योजना के वारा होती ह। इसको इकाई योजना से ह वषय—व तु,
उ े य, व धयां, व धयां, उप म आ द उपल ध होते ह।
बो संग (Bossing) के अनुसार: ''पाठ योजना उन कथन (Statemants) का ववरण
(Description)है जो एक कालांश (Period) म क ा मे व भ न याओ (Activities) के वारा
वषय—व तु (Content) क उपलि ध (Achievement) के लये कये गये हो।'' बि नग और बि नग
(Binning and Binning) कहते ह क, 'दै नक पाठ योजना मे उ े य (Objectives). वषय—व तु
क यवि थत परे खा (Systematic Outline) और व धयो (Methods) का उ लेख होता है।''
टै स (Stands): 'पाठ योजना वा तव म एक काय—योजना (Work Plan) है। इससे
श क का जीवन दशन (Life Philosophy). उसका इगन, श क का श ा थय के स बंध म
अ भ ान (Teachers Knowledge about puipils). उसके उ े य का ान (Knowledge of
Objectives), वषय— ान (Knowledge of the Subject) को तु त करने क व धय का ान
त बि बत होते ह।
स ेप मे कहा जा सकता है क पाठ योजना म वषय—व तु (Content), उनके श ण के
उ े य (Objective), स बि धत अ धगम अनुभव (Learningexperience). मू यांकन
(Evaluation) और ानव न के लये याओं के लये सुझाव सि म लत ह। यह एक ह कालांश
(Singleperiod) म अनुदेशन (Instruction) के लये नधा रत पा य—व तु (Prescribed
Content) के तु तीकरण (Presntation) क योजना ह।
आव यकता (Need): व ान श ण के लये पाठ—योजना का उतना ह मह व ह, िजतना
क अ य वषयो के श ण म। इकाई योजना म वषय—व तु ( Content) को तु त करने के लये
यव था क परे खा व यमान है। क तु, उसम वषय—व तु का आवटन (Distribution) उपइकाइय
(Sub units) म अलग—अलग कालाश (Different period) के लये श ण हे तु कया जाता ह।
अब कसी उप—इकाई को नधा रत एक कालाश म उपल ध समय (time), शि त (Energy), संसाधन
(Resources) और सु वधाओं (Facilities) के भावी ढं ग से उपयोग करना श क का मुख क त य
ह। इसी क सफलता पर श ा थय को पारगत करने का ल य ा त कया जा सकता ह व ान का
श क उप—इकाई के श ण के या उ े य ह? वषय को कैसे आर भ कया जाय? वषय—व तु तु त
करने क सव तम यव था या ह सकती ह व भ न श ण ब दुओ के लये सवा धक भावी
अ धगम अनुभव कन संसाधन से उपल य कये जा सकते ह ? उपल ध ससाधन म सबसे अ धक
भावशाल और उपयोगी या ह ? व या थय क या— या त याय (Reactions) हो सकती
ह श क व या थय के अ धगम को ण— त ण (In every moment) सह दशा कैसे दे सकता
है पाठ के वकास मे क ा का सहयोग कैसे ा त कया जा सकता है छा ो क उपलि ध क जांच
कैसे क जा सकती ह ? आ द।
उपयु त सभी न के उ तर पाठयोजना के व भ न पदो म होते ह। पाठ योजना से अ यापक
वषय—व तु म पारं गत होता ह। तथा वह क ा क स भा वत (Possible) हर ि थ त का सामना
करने के लये त पर रहता है। वह नधा रत वषय—व तु से भटकता नह ं ह। नधा रत समयाव ध म

127
ह वषय—व तु के अनुदेशन को सफलतापूवक पूरा कर लेता ह। इसके कारण कोई भी अ ययन ब दु
उपे त नह ं छुटता भै तक क पाठ योजना के कु छ काय (Functions) इस कार ह। जो क इसके
मह व पर अ धक काश डालते है —
1. वषय—व तु को यवि थत परे खा दान करना।
2. नया ान ा त करने के लये श ाथ को अ भ े रत (Motivate) करना।
3. अ धगम—अनुभव के लये उपयु त सि थ तय को सफल सृजन करना।
4. श ा थय क वैयि तक भ नताओं को ि टगत करते हु ये श ण— या को साथक बनाना।
5. अनुदेशन क अव ध म आने वाल सम याओं (Problems) के पूव नधारण
(Predetermination) से उनके लये वैकि पक (alternative)साधन (Solutions) को
ढू ं ढना।
6. व ान क वषय—व तु से स बि धत उपकरण क जांच करना।
7. क ा म दये जाने वाले योग (Experiments) का पूवा यास ( Practice) करना।
8. क ा म तु त क जाने वाल सभी साम यो (Aids) को एक त करना तथा उ ह यवि थत
ढं ग से क ा म तु त करने के लये पूवा यास करना।
9. उपलि ध (Achievement) क जांच (Testing) के लये संगत युि त (Relevent
device) अपनाना।
वमू यां क न
1. पाठ योजना क या आव यकता है : -
i)- - - - -- - -- -- - - -- - --- - -- -
ii)- - - - - - - -- - - -- - - -- - - -
iii)- - -- - - -- -- - -- - -- - --- -- - -

7.8 पाठ योजना के सोपान (Step of Lesson Plan)


पाठ योजना के व भ न सोपान मबार इस कार है:—
1. क ा — ......... ...... वषय — व ान कालांश ...........................
2. इकाई (unit): — — — — —— — — — — — —— — —— —
उप—इकाई (Sub— Unit): — — —— — — —— — — — —— —
3. उ े य ( यवहारगत प रवतन) (Objectives):
4. पूव ान (Previous Knowledge) या वि ट यवहार (Entering behaviour):
5. अनुदेशन साम ी (Instructional Aid):
6. उप मीं या—कलाप (Initiating activity):
i) उ ेरणा (Motivation)
ii) पा या भसूचन ( Statement of Aim)
7. पाठ का वकास (Development of Lesson)
i) अ धगम ब दु (Learning Points)
128
ii) श क— याय (Teacher activities)
iii) श ाथ याय (Pupil activities)
iv) ' यामप काय (Black—board Work)
8. मू यांकन (Evaluation)
9. गृहकाय ( Home Assignment)
पाठ योजना के थम छ: चरण के वषय म यहा लखने के लये कुछ नया नह ं ह। यो क
इन पर इकाई योजना के अनुभाग (Selection) म पया त काश डाला जा चुका है। पाठ
का वकास मू यांकन और गह काय के स ब ध मे कु छ अ त रका ववरण अव य यह दया
जाना आव यक है ।
पाठ योजना का वकास (Development of Lesson Plan): इस सोपान म सबसे पहले
उप—इकाई क वषय—व तु को साथक उप—शीषक म बांटा जाता है तथा इनको ता कक मम तु त
करने के लये यवि थत कया जाता है। उदाहरणाथ — ''ऊ मा इकाई क उप—इकाई'' '' ऊ मा के भाव''
पाठ योजना म अ ययन ब दु हो सकते ह— ठोस का सार, व का सार, जल का असंगत सार।
''चु बक” (Management) इकाई क उप—इकाई '' भाव और कार'' (Effects and Kinds) के
लये अ ययन ब दु हो सकते है — प रभाषा, गुण , कार। श क अ ययन ब दुओं के अनुसार जो
याय करता है, उनका उ लेख उसी म से पाठ योजना म कया जाना चा हए। जो भी न कये
जाय, उनको वकास म लखना चा हये। श क के वारा दये गये हर पा ट करण को '' श क कथन''
शीषक दे कर लखना चा हये। श क क याओं पर जो भी र भा वत श ाथ याय ह, उनका भी
उ लेख वकास म कया जाना चा हये। यामप पर साराश (Summary) ओर च ांकन (Draw
diagram) भी श क याय है। क तु चु क यामप काय क कृ त भ न है, तथा इसके इसके
अपने भाव है। क तु, कसी यामप काय क कृ त भ न है, तथा इसके अपने भाव है। अत:
यामप पर कये जाने वाले काय को '' यामप काय'' (B.B.Work) शीषक के अ तगत लखा जाता
है। टांत पाठ योजना (Model lesson plan) के अ ययन से आपको यह प ट हो जावेगा।
मू यांकन (Evaluation) वभाग क पाठ योजना मे मू याकन क कई युि तयां है। पर तु
सबसे अ धक लोक यता न को ा त है। इसके अलावा कसी च म नामांकन के वारा भी
मू यांकन कया जा सकता ह। कसी योग म उप कर (Apparatus) को सह तरह से यवि थत
कराने से भी मू यांकन कया जा सकता ह। न के वारा मू यांकन करने क ि थ त म यह सु झाव
दया जाता ह। क श क लपेट फलक पर वैकि पक उ तर के साथ व तु न ठ नक ाम तु त
करे , साथ ह अ त लघुलरा मक न क ा म तु त करे, साथ ह अ त लघू तरा मक न क ा
मे पूछे जाये। न श क को याद होने चा हये। ये न ब दुगत ( Pointed) छोटे (Brief) एवं सरल
भाषा मे (Insimple language) ह ।
गृहकाय ( Home Work): गहकाय म श ाथ को ा त वषय—व तु को दोहराने के
साथ—साथ नये अनुभव को सम याओ के समाधान म योग करने के अवसर मलते ह। वणना मक
(Descriptive) न के उ तर लखने से श ा थय क अ भ यि त (Expression) क मता

129
बढती है। गहकाय म श क वारा श ा थय को कु छ याओ (Activities) के लये सुझाव दे ने
चा हये। यथा—चाट, त प (Model) तैयार करना, कसी सं था मे े ण (Observation) हे तु
आगमन (Uisit) गहकाय क त काल जांच करनी चा हये तथा श ा थय को यि तगत मागदशन
(Guidance), जहां आव यक हो दे ना चा हये।

7.9 पाठ योजना के व भ न ा प (Various Formats of Lesson


Plan)
व ान मे पाठ योजना को ल खत प म तु त करने के व भ न तर के ह। इनम वषय—व तु
तथा उसक मक यव था मे कोई अ तर नह ं है। पाठ योजना क वषय—व तु (Content) को
योजना (Plan) के व भ न पद (Different Steps) के कस सापे रथान (Relative Place)
म लखा जाये, यह नणय (Judgement) व श ट ा प (Specific format) के अनुसार कया
जाता ह। च लत (Popular) ऐरने ा पो म मु ख का उ लेख कहा कया जा रहा है। श ु
(Trainee) इनम से कसी भी आ प को अपनी सु वधा (Convenience) तथा पाठ क वषय—व तु
के अनुसार चु न सकता ह। पाठ योजना क वषय—व तु के अनुसार चु न सकता ह। पाठ योजना क
वषय—व तु का कोई भी आ प दया जाय, अनुदेशन श ण या मे कोई अ तर नह ं पडता। य क
योजना तो श क का नजी लेख (Personal document) ह।जो क ल खत प म अभ न
(Unique) होता ह।
थम ा प (Ist Format)
दनांक ..................... क ा ....................... वषय— व ान कालांश ...................
करण (Topic) --------------------------------------------------
1. सामा य उ े य (General Aims)
2. व श ट उ े य (Specific Aims)
3. श ण साम ी (Teaching Aids)
4. पूव ान (Previous Rnowledge)
5. तावना (Introduction)
6. उ े य कथन (Statement of Aim)
7. वकास (Development)
8. पुनरावृि त ( Recapitulation)
9. यामप सारांश (Black— board Summary)
10. गृहकाय ( Home assignment)
यह पर परागत ा प (Traditional format) ह। इसम उ े य दो कार के सामा य
(General) और व श ट (Specifio) का अलग—अलग उ लेख कया जाता ह। क तु अब इसको
पस द नह ं कया जाता। इसक श दावल (Terminology) म भी प रवतन हो चु के ह। राज थान
म श ण महा व यालय (Techerstraining colleges) म इस ा प को प रव तत करने के

130
यास सातव दशक के आर भ से ह शु हो गये थे। इस कार इस रा य म पाठ योजना को सुधार
(Reformation) और अशोधन (Modification) के कई चरण से गुजरते हु ये पारं ग त उपागम
(Mastery appoach) के अनुसार नया व प ा त हु आ ह। क तु लगभग पछले एक दशक से
इसम ठहराव आ गया ह। नवीन एवं नर तर प रव तत ौ यो गक के स दभ म वतमान श ण योजना
के व प म नर तर प रवतन (Change) और आशोधन (Modification) क आव यकता ह।
वतीय वष (2nd Format)
दनांक ...................................... क ा .................... वषय — व ान कालांश ..............
इकाई (Unit) — — — — —— — — —— — — — — — — — — — — — — — — —
उपइकाई (Sub Unit) — —— — — —— — —— — — ——— —— — —— — — ———
1. उ े य (Objectives)
2. श ण साम ी (Teaching Aide)
3. पूव शान (Previous Knowledge)
4. तावना (Introduction)
5. उ े य कथन (Statement of Aime)
6. वकास (Development)
श ण ब दु श क— याये छा याय
Teaching Teacher Pupil
Point Activities Activities

7. पुनरावृि त ( Repeatation)
8. यामप सारांश (Black— board Summary)
9. गहकाय (Home assignament)
इस ा प म वकास (Development) को तीन त भ (Columns) म तु त कया गया
ह। यहां पर थम त भ (Column) म क ा— श ण के लये ता वत वषय — व तु (Proposet
content) को अलग—अलग उप शीषको म बांटा गया ह। िजससे अ यापक वषय—व तु के कसी भाग
को श ण योजना से वं चत न कर द।
तृतीय ा प (3 rd Format)
दनाक.................................. क ा...........................कालाश.................................
इकाई (Unit) ------------------------------------------------
उपइकाई (Sub Unit-------------------------------------------
1. उ े य (Objectives)
2. श ण साम ी (Teaching aids)

131
3. पूव ान (Previous Knowledge)
4. अ भ ेरणा मक युि त (Motivational device)
5. पा या भसूचन (Statement of Aim)
6. वकास (Development)
Teaching Points अ धगम अनुभव यामप काय
श ण ब दु Learning Experiences Black
श क— याये छा — याये Board
Teacher Activities Work
Activities

7. मू यांकन (Evaluation)
8. गृहकाय ( Home assignment)
इस ा प म दूसरे ा प क अपे ा श दावल (Terminology) म प रवतन ह। साथ ह
वकास (Development) म न न ल खत साथक प रवतन (Significant changes) प ट है :
1. श ण योजना से छा केि त (Pupil cetered) व प दया गया ह।
2. श ण—अ धगम (Teaching learning)को अ धगम (Learning) यां माना गया ह।
3. वषय—व तु को अ धगम क ि ट से छोट —छोट इकाइय (Units) अ धगम ब दुओ म वभािजत
कया गया ह।
4. क ा क याओ (Activities)को अ धगम अनुभव (Learning expriences) का व प दान
कया गया ह।
5. यामप सारांश (Black board summary) श क या ह। इरन लये इसको वकास का ह
अंग वीकार कया गया ह।
6. यहा पारग त उपागम (Mastery approach) के अनु प पुनरावृि त ( Recapitulation) को
हटाकर मू यांकन (Evaluation) को था पत (Establish) कया गया ह।
चतुथ ा प (4th Format)
दनांक ........................क ा ..................... वषय— व ान कालांश ........................
इकाई (Unit) ------------------------------------------------------------
उपइकाई (Sub Unit)-------------------------------------------------
1. श ण ब दु (Teaching Point
2. श ण साम ी (Teaching Aids)
3. पूव ान (Previous Knowledge)

132
4. अ भ ेरणा (Motivaional device)
5. पा य भसूचन (Statement of Aim)
6. वकास (Development
अपे त यवहार अ धगम अनुभव मू याँकन
Expected Learning Experiences Evaluation
Behaviour (L.E)
(E.B) श क— याये छा — याये
Teacher Pupil
Activities Activities

7. यामप काय (Black Board Work)


8. गृहकाय ( Home assignament)
पंचम ा प (5th Format)
दनांक........................... क ा ................................ वषय – व ान कालांश .............
इकाई(Init) — — — — — —— — — —— — — ——— — — — —— — —-
उपइकाई (Sub Unit) —————————— — — —— — — ———— —— ——— —
1. श ण साम ी (Teaching Aids)
2. पूव ान (Praching Knowledge)
3. अ भ ेरणा (Motivational device)
4. पा या भसूचन ( Stateme
5. वकास (Devlopment)
श ण ब दु अपे त अ धगम अनुभव वा त वक यामपटट
Teaching अ धगम Learning Experience अ धगम काय
Point प रणाम (L.F.) प रणाम Black
Expected श क— या छा Real Board
Learning ये याये Pupil Learning Work
Outcomes Teacher Activities Outcomes
(E. L. Os) Activities (P.A) (R.L.Os)
(T .A.)

133
6. गृहकाय ( Home assignment)
पाठ योजना पारग त उपागम पर आधा रत ह। इस उपागम (Approach) म उ े य
(Objectives) एवं अ धगम अनुभव उपल य कये गय ह। अ धक ता ने स बि धत अपे त अ धगम
प रणाम को कस सीमा तक ा त कया है इसके लये मू यांकन वाभा वक (Natural) ह। इस लये
इसके साथ त काल यह जानने का यास कया गया है क अ धक ता म अ धगम कतना हु आ ह।
इस जांच म जो प रणाम सामने आता है, वह अ धक ता का वा त वक अ धगम प रणाम होता ह।
अत. इसको वा त वक अ धगम प रणाम (Real Learning Outcomes—R.L.Os) के अ तगत
ह रखा गया ह। चू ं क यामप काय भी अ धगम संि थ त ह। अत: वकास म ह रखा गया ह।
इस योजना के लेखन म यह क ठनाई आती ह क पाठ—योजना पंिजका (Lesson Plan
Register) क ल बाई अ धक होनी चा हये। चू ं क पर परागत पंिजकाओं के सापे ये असामा य लगते
ह। इस लये यह योजना ा प सबसे अ धक मनोवैइग़ नक (Psychological). ता कक (Logical)
होने के बावजू द अ धक लोक य (Popular) नह ं हो पाया ह। क तु, यह सव म ा प ह। ा प
वतीय (2nd Format) इसी पंचम ा प (5th Format) का ारि भक व प (Form) ह।
वमू यां क न
1. पाठ योजन म उ े र णा के काय है :-
i) -- - - - -- - - -- - -- - - --
ii) - - - -- - - -- - - -- - - - -
iii) - - - - -- - -- - - -- -- - -
2. पाठ योजन म मू याँ क न य होना चा हए ?
i) -- - - - -- - - -- - -- - - --
ii) - - - -- - - -- - - -- - - - -
iii) - - - - -- - -- - - -- -- - -
3. गृ हकाय कै से ह ?
i) -- - - - -- - - -- - -- - - --
ii) - - - -- - - -- - - -- - - - -
iii) - - - - -- - -- - - -- -- - -

134
7.10 आदश पाठ /उपइकाई योजना (Model Lesson /Sub—unit Plan)
दनांक ........................पाठ का मांक ...................क ा:VII अनुभाग.................
Date...........................S.No. Class Section
इकाई: पदाथ के संवग कालाश .................. समय ................................ ...
Unit Period Time
उपइकाई: — 1 — अ ल और ारक।
उ े य ( व श ट करण स हत) Objective(With Specification):

उ े य व श ट करण स भा वत यवहार प रवतन


Objective Specification Expected behavioural
changes
ाना मक (R) 1) या मरण व याथ न न का या मरण
करग : —
पद— अ लु ारक नीला लटमस
लाल लटमस आ द
प रभाषाय — अ ल वे पदाथ ह
जो वाद म ख े, जल म वलेय
एवं नले लटमस को लाल करने
वाले पदाथ
ारक वे पदाथ ह जो कसैले पानी
म वलेय एव लाल को लटमस
को नीला कर दे ते ह।
2) पहचान छा अ ल और ारक क
पहचान कर सकगे।
अवबोधा मक(II) 1)अ तर प ट करना अ ल और ारक म अ तर
प ट कर सकेगे।
2)तु लना करना अ ल और ारक म तु लना कर
सकेग

3)प रभाषाओं को अपने श द मे उपरो त प रभाषाओं को अपने


श द म तु त करग।
य त करना।
अ ल और ारक के भाव से
4) कारण ात करना
स बि धत घटनाओं के कारण
प ट करग।
उपयोगा मक (A) 1) सम याओं का समाधान अ ल और ारक से स बि धत
कसी सम या का हल ढू ं ढेग।े

135
कौशला मक (S) 1) योग करना अ ल और ारक के अ ययन
से स बि धत योग सह ढं ग से
करग
उ योतन साम ी परख न लयां, परखनल टे ड, नीबू, गंधक का अ ल, शोरे का अमल,
(Material Aids) नमक का अ ल, सो डयम काब नेट, काि टक सोडा, काि टक पोटास,
चू ने का पानी, नीले और लाल लटमस कागज।
1 संघटन क ि ट से पदाथ तीन कार के ह: — ठोस, दव, गैस
पूव ान
2. नींबू दह आ द का वाद जानते ह।
(Previous Knowledge)
3. काि टक सोडा, चू ने का पानी आ द का उपयोग करते ह।
1. सघटन क ि ट से पदाथ क कतनी अव थाय ह
उ ेरणा मक उप म 2. ख े वाद वाले पदाथ या— या ह।
(Motivational Device) 3. खाने के सोडे का वाद कैसा होता ह।
4. पदाथ का ख ापन और कसौलापन य होता ह
पा या भसूचन पदाथ म ख ापन अ त के कारण तथा कसौलापन ारक के कारण
(Statement of Aim) होता है। आज हम इनका अ ययन करगे।
पाठ का वकास (Development of the Lesson)
अ धगम ब दु अ धगम संि थ तयां यामप काय
Learning Learning Situations Black Board Work
Point
श क नींबू दखलाते हु ए वह या है ?
नीबू का वाद कैसा होता है ?
छा को नीला लटमस कागज दखाते हु ये, यह योग े ण
नीला लटमस कागज ह। नीबू का रं ग + लाल हो जाता
इसका रं ग कैसा है? नीला ल मस है।
नीबू पर लगाने से नीला ल मस कैसा हो जाता कागज

ह? साइ क अ ल सफ़ेद ठोस


रं ग
अ ल के गुण
साइ क अ ल क शीशी दखलाते हु ए— वाद ख ा
यह साइ क अ ल ह। साइ क अ ल लाल हो जाता

इसका रं ग कैसा है? का व लयन + है ।

दो छा ो को बुलाकर उ हे साइ क अ ल चखने नीला लटमस

को दया जायगा गंधक शोर और व


नमक के अ ल
इसका वाद कैसा है?
अव था
पानी मे डालने पर या दे खते ह ?
अ ल +जल वलेय
साइ क अ ल के घोल का नीले लटमस कागज

136
पर या भाव पडा? व लयन का ख ा
वाद

अब श क 5— 5 छा के समू ह मे टे ट टयूब
म तनु गंधक का अ ल, शोरे का अ ल और नमक व लयन + लाल हो जाता
का अ ल सो डयम नीला लटमस है।
काबोनेट वत रत करे गा।
तथा उ हे नदश दे गा क अ त
तनु अ ल को पानी मे डालने पर या होता ह अ ल + बुलबुले उठना
इस अ त तनु अ ल को थोडा जीभ मे रखने पर सो डयम कबन–डाइ-आ
इसका वाद कैसा ह? कबोनेट साइड का
अ त तनु अ ल के घोल म नीला लटमस डालने बुलबुल का नकास
पर या होता ह ? उठना
अ ल के तनु व लयन म सो डयम काब नेट नयमीकरण. — अ ल वाद म

डालने पर या होता ह? खटटे , जल मे वलेय तथा इनका

ये बुलबुले कस चीज के ह ? व लयन नीले लटमस को लाल


कर दे ता ह। ये सो डयम काब नेट
अ ल के सामा य गुण या ह?
के साथ काबन—डाइ आ साइड
बनाते' ह।
ारक के गुण ारक के गुण का अ ययन उपयु त योग के वारा अ ल के गुण के अ ययन
क भां त कया जायेगा।
मू यांकन (Evaluation):
श क लपेट फलक पर न न ल खत न को तु त करे गा एवं छा से सह उ तर का चयन
करने के लये नदश दे गा. —
1. न न ल खत म अ ल का सह गुण समू ह ह. —
अ) ख े , जल म अ वलेय, नीले लटमस को लाल करना।
ब) जल म अ वलेय, ख े एवं सो डयम काब नेट के साथ मलकर गैस बनाना।
स) ख े, लाल लटमस का नीला करना, जल मे वलेय।
द) उपरो त म कोई नह ं।
2. न न ल खत म ारक का समू ह ह : —
अ) इमल , दह एवं खाने का सोड
ब) खाने का सोडा, साधारण नमक एवं काि टक सोडा
स) नमक, खाने का सोडा एवं अमो नयम हाइ ो साइड
3. गृहकाय (Home Work):
1. अ ल और ारक क तुलना क िजए।
2. दै नक जीवन म काम आने वाले पांच— पांच अ त और ारक क सूची बनाइये।

137
3. न न ल खत क जांच क िजए क वे अ ल ह अ थवा ारक. —
दह , मीठा सोडा, साबुन, शै पू चेहरे क म
दनांक..................... पाठ का मांक..................... क ा: IV अनुभाग.......................
Date S.NO Class Section
इकाई...................... कालाश..................... समय.......................
Unit PeriodTime
उपइकाई — II — मि त क एवं वामह तता
उ े य ( व श ट करण))Objective (With Specification):
उ े य Objective व श ट करण संभा वत यवहार प रवतन
(Specifications) Expected behavioural changes
ाना मक (R) 1) यारमरण वदयथी न न का या मरण करे गे।
पद : खोपड़ी
त य – खोपड़ी मि तषक का सु र ा कवच है|
अवबोधना मक (II) 1) अ तर प ट करना छा मि तषक के भागो व उनके काय क
या या कर सकेगे एवं अ तर प ट कर सकेगे।
कौशला मक (S) 1)सह च बनाना  मि त क क संरचना का सह नामां कत
च बना सकेगे ।
 वामह तता क या च वारा द शत
कर सकेगे
उपयु त तथा उपल ध साम य क सहायता से
2) माँडल बनाना
मि त क का मौडल बनायेग।े

उ योतन साम ी वामह ता से संबि धत चाट एवं माँडल व मानव मि तक का माँडल


तथा च
(MaterialAides):
पूव ान : 1. अ धकतर लोग दाय हाथ से काय करते ह।
(previous Knowledge) 2. कुछ लोग वाम हाथ से भी काय करते ह।
3. मानव याय मि त क वारा संचा लत होती ह।
उ ेरणा मक उप म 1. आप लखने का काय कस हाथ से करते ह।
(Previous Knowledge) 2. ऐसे कतने लोग को जानत हो जो बांये हाथ से काय करते
है
3. शर र के कस अग से हमारा काय करने ढं ग नयि त
होता ह?
4. पा या भसूचन 5. हमारे काय करने क याओं को मि त क नयि त
करता है। आज हम मि त क और वामह तता के स ब ध

138
म अ ययन करगे।
पाठ का वकास अ धगम संि थ तयां(Development of the Lesson):
अ धगम ब दु अ धगम संि थ तयां यामप काय Black
Learning point Learning Situations Board Work
मि त क क संरचना मि तक का माँडल करते हु ये वह यह
मानव मि तक का माँडल है
न:
1. शर र के अंग म सबसे कोमल
अंग या ह
2. मि त क कसके अ दर ह?
3. खोपडी का मि त क के लए या
मह व ह
यूरामेटर पैरामेटर अ यापक कथन: खोपडी क ि थ त
मे व मि त क के लए सु र ा 'कवच का च सं या 1
नमाण करती ह मि त क का खोपड़ी
1.मि त क चार ओर से कतनी सु र ा कवच
झि लयो पाइरामेटर मे व रवे
घरा रहता ह?
2. बाहर झ ल को या कहते ह?
3. आ त रक झ ल को या कहते
ह?
4. इन दोनो झि लय के म य या
भरा ह
5.मे व का या काय ह?
अ यापक कथन. दोन झि लय के
म य भरा मि त क क बाहर आघात
से र ा करता ह

1. यरामेटर कस कार क झ ल

6. कपाल तां काये
2. पाइरामेटर म या ह
3. मि त क से नकलने वाल धर
को श कये या कहलाती ह यूरामेटर बाहर झ ल
पाइरामेटर आंत रक झ ल
मे व यूमेटर और
पाइरामेटर के म य

139
अ धगम अ धगम संि थ तया यामप काय
ब दु learning Situation Black Borad Work
(Learnin
g Point)
अ यापक कथन: मि त क से नकलने वाल कपाल त काये मि त क से
को शकाय त कायो के प म होती है, नकलने वाल धर को शकाय।
इनक । कपाल तं काएं कहते ह।इनसे दे खन, इनसे दे खना, बोलना, सु नना,
बोलना, सु नना, पहचानना, सीखना याय पहचानना, सीखना आ द याय
होती ह? होती ह।

मि त क के न :
भाग 1. मि त क के मु ख भाग कतने ह?
मि त क 2. इन मु ख भाग के नाम या ह? मि त क के भाग

3. मि त क कौनसी याओं का नयमन 1. मि त क इ छा शि त

करता है वचार एवं मरण शि त का


के
4. इनके अ त र त मि त क के और या अथ
ह?
अ यापक कथन: दे खना, बोलना, सु नना इन सभी
काय के अ त र त मि त क रमरण शि त,
वचार शि त तथा इ छा शि त का के भी होता
है।
अनुमि त क न:
1. मि त क के तीसरे मु ख भाग का नाम या 2. अनुमि त क पेशीय नय ण
ह? एवं उ ीपन का नयमन
2. अनुमि त क के काय या है ?
3. अनुमि त क के अ य काय कौन से ह?
अ यापक कथन पोर य नय ण के अ तर त
अनुमि त क वचा, ने कान आ द अंग से ा त
उ ीपन का भी नयमन करता ह।

140
मेड़यूला न 3. मेडुयुला शर र क सभी अत
ऑ लॉगेटा 1. मि त क के तीसरे मु ख भाग का नाम या ांवी ं थयो पर नयं ण ।
ह?
2. इस भाग से कौनसी याएं संचा लत होती ह
अ यापक न : मि त क के इसी भाग म पीयूष
ि ध रथत होती ह। पीयूष ि ध सम त अ त:
ावी ि धय क नय क होती है और उनके
वारा होने वाल याओं को नय मत करती ह
वामह तता न : दायाँ भाग बायां भाग
का कारण 1. मि त क का य द ल बवत वभाजन कया
जाये तो कतने भाग ह गे?
2. वभािजत दो भाग कौनसे ह गे?
3. मि त क का दाया भाग कस प से
समबि धत है?
4. भावा मक प से संबि धत काय कौन से है

अ धगम ब दु अ धगम संि थ तया यामप काय


Learning Point Learning situations Black Board Work
अ यापक कथन भावा मक प मि त क के ल बवत भाग
से स बि धत काय कला, नृ य , दाया भाग भावा मक प
संगीत, खेलकूद इ या द है| इन स ब धी सभी काय।
तथा ऐसे ह अ य े का 2 बांया भाग ानावन स ब धी
दा य व मि त क के दाय भाग सभी काय।
पर होता है|
न :
1.मि त क का दाया भाग कौन
से प से संबि धत है?
2 ाना मक प से स बि धत
काय या ह
अ यापक कथनः ाना मक प
से स बि धत काय तक, नई
भाषाएं सीखना, यि थत ान
च सं या — 2
आ द है। मि त क के बांए भाग
पर इन काय का दा य व रहता

141
ह।
न :
1 मि त क के बांए भाग के
याशील होने,पर कौन सा
हाथ काय कर रहा ह?
2. दाए भाग के भावी होने पर
कौनसी ' हाथ स य हो रहा
ह ?
3. ऐसा य होता ह ?
अ यापक कथन मि त क का वामह तता दांये और वाये
दाया भाग स य होने पर बांया भाग के एक
हाथ स य हो जाता है क तु दूसरे पर
जब एक भाग दूसरे भाग पर भावी होने से
भावी होता है तो मि त क का वामह तता
दाया भाग स य होने पर दाया क घटना
हाथ स य हो जाता है। वह होती है
वामह तता है।
मू यांकन (Evaluation) :
1. मि त क के मु ख कतने भाग ह?
2. मे व कसे कहते ह?
3. कपाल त काय या ह?
4. वामह तता क या शत ह?
गृहकाय (Home Work):
1. मानव मि त क का नामां कत च क सहायता से वणन करो।
दनांक ......................पाठ का मांक .............क ा IX अनुभाग..................... .
Date S .No Class Section
इकाई. अपवतन ले स एवं का शक यं कालांश......... समय
Period Time
उपइकाई : — III — अपवतन के भाव।
उ े य ( व श ट करण स हत) Objective (With nSpecification) :
उ े य व श ट करण संभा वत यवहार प रवतन
Objective Specification Expeted Behavioural changes
ाना मक (R) 1) या मरण व याथ न न का या मरण करगे:—
त य : अपवतन के भाव पानी म रखे स के का ऊपर
उठा हु आ दखाई दे ना, पानी म रखी हु ई छड़ का मु ड़ा

142
हु आ दखाई दे न,े आकाश म तारे का टम टमाना सू य
का तज से नीचे होने पर भी दखाई दे ना आ द
व याथ अपवतन के व भ न भाव को पहचान
सकेग

2) पहचान
अवबोधना मक (II) अपवतन के भाव का अ य घटनाओं, जैसे परावतन
से अ तर प ट कर सकेग इसी कार उपरो त भाव
से तु लना भी कर सकगे। अपवतन के भाव के स बंध
म ु ट को ात कर ठ क कर सकेगे।
अपवतन के भाव का कारण बतलायगे तथा उनक
योग े ण के आधार पर स करे ग।े
अपवतन क अ य घटनाओं का उदाहरण दे सकगे।
अपवतन के भाव से संबि धत सम याओं का
समाधान कर सकगे |

उपयोगा मक (A)
क शला मक(S) 1) सह च बनाना ायो गक यवथाओं का सह च बना सकेगे।
2) चाट बनाना योग से संब धत चाट बना सकगे।
3) योग करना योग सह ढं ग से कर सकेगे ।

उ योतन साम ी लपेट फलक पर (पांच/छ:), सू य दय एवं सू या त के समय के यो के चाट,


रे गर तान म मृगतृ णा का चाट।
पूव ान : 1. अपवतन तथा इसका कारण।
(Previous Knowledge) 2. अपवतन के थम व वतीय नयम।
3. अपवतन को दशाने वाला योग।
4. तारे , ह, उप ह क अवधारणाय।
5. वायुम डल क व भ न परत का घन व भ न होता ह। इसके
अलग—अलग परत म अपवतन होता रहता है।
उ ेरणा मक उप म: बेटा /बेट माँ से:.
(Motivional Device) ''साँझ ढले सूरज चढे , चांद सतारे आ जाते ह।
चंदा चमके, तारे टम टमा करते, समझो तो बतलाओ''।
चांद— सतारे सू रज ढलते ह य आ जाते ह?
तारे य टम टमाते ह?
पा या भसूचन: सभी ाकृ तक घटनाओं के वैइग़ नक कारण होते ह। कृ त म कई
(Statement of Aim) घटनायेअपवतन के भाव से होती ह। इनम तार का टम टमाना

143
भी आज हम ऐसी कु छ घटनाओ का अ यायन करगे।
पाठ का वकास (Development of the Lesson) :
अ धगम ब दु अ धगम संि थया यामपटट काय
Learning Point Learning situations Black Board Work
पानी मे रखे स के अ यापक एक अपारदश बेलनाकर पा म एक
का तल से ऊपर स का रखेगा, तथा एक छा को दशन मेज
उठा हु आ दखाई पर बुलाकर उसे इस ि थ त मे ि थर रहने रहने
दे ना। को कहे गा क उस ि थ त से थोडे भी प रवतन
से रहने को कहे गा से स का छा को दखाई
दे ने लगेगा।
अब अ यापक पा मे पानी डालेगा तथा छा
से न करे गा।
च सं या 1
—अब आप या दे खते ह?
—पानी नह ं डालने के पहले या था?
—इसका या कारण ह?

च सं या 2
अ यापक कथन: इसका कारण अपवतन है अपवतन के भाव
च के अनुसार पहले स के से E क दशा 1.पानी से भरे बीकर म रखे
मे आने वाल करणे पा क द वारो से क गये स के तल से ऊपर
जाती थी, ले कन पानी भरने पर इन करणो उठा दखाई दे ना।
का अपवतन हो जाता ह अथात ये मु ड कर
हमार आख म वेश कर जाती है ओर हमे
स का दखाई दे ने लग जाता ह।
अ यापक पानी मे तेल क एक परत बनाकर
आभासी रथ तयो का अनुभव अ धक ताओं को
उपल ध करे गा।
नद और पानी भर बा ट के पदे ऊपर उठे हु ए
यो दखाई दे ते ह?
पानी म रखी छड़
इस कार अ यापक छा से योग दोहराकर
का मु ड़ी हु ई तीत
त य को प ट करे गा।
होना
अब अ यापक पानी से भरे एक जार मे छड
डालेगा तथा छा को दखलाते हु ए न
च सं या —3

144
करे गा।
- छड कैसी दखाई दे रह ह?
— छड़ मू डी हु ई य दखाई दे रह ह?
अ यापक कथन इसका कारण अपवतन है 2. पानी से भरे टब म कांच
िजसक कारण छड से आने वाल करण क सीधी छड़ रखने पर
अपव तत होकर हमार आख म वेश करती उसका टे ढ़ा दखाई दे ना।
ह ओर हम छड मु डी हु इ तीत होती ह।
—तारे और हो म या अ तर ह?
आकाश मे तार का
- तार और ह क पृ वी से दू रय म या
टम टमाना
स ब ध ह?
- च मा कस का उप ह ह?
—च मा क अपे ा वी से तार क दूर
कतनी है?
—इस दूर के अ तर का या भाव पड़ता ह?
सू य दय एंव अ यापक कथन: इसका कारण भी अपवतन है।
सू या त क ि थ त अ त दूर ि थत तार से आने वाल काश क
करण अ त र और वायुम डल क वभ न
परती से गुजरती है। ताप म प रवतन के कारण
इनके घन व अनवरत बदलते रहते ह। अत:
3. तारो का टम टमाना
तार क ि थ तयां भी परत दर परत अनवरत
4.रे ग तान म मृगतृ णा
मृगतृ णा बदलती हुई तीत होती है फल व प ये
क घटना
टम टमाते हु ए तीत होती ह, फल व प ये
5.सू य दय पर सू य का
टम टमाते हु ए दखाई दे ते हे। जैसा क हमने
तज से नीचे होने पर भी
स के के योग मे स के क बदल हु ई
दे खाई दे ना।
ि थ त म दे खा।
मू यांकन (Evaluation):
सह उ तर का चयन करो : —
1. च बल नद मे मछ लयां पानी म वा त वक गहराई से दखाई दे ती है, य ?
अ) इसका पानी भार ह। कोण होता ह।
ब) इस के कनारे परमाणु ऊजा संय होता ह।
स) इसके जल म अपवतन नह ं होता।
द) जल म अपवतन होता ह।
2. धु एं के आरपार कसी ि थर व तु को दे खने पर वह हलती हु ई दखाई दे ने का कारण ह : —
अ) परावतन ब) अपवतन
स) ववतन द) अपवतन तथा ववतन
3. गृह काय(Home Assignment):

145
1. च क सहायता से न न ल खत को प ट करो:—
अ)रे ग तान मे मृगतृ णा
ब) ात: सू य का तज के नीचे होने पर भी दखाई दे ना तथा सं या समय तज से नीचे
जाने पर भी दखाई दे ना।

7.11 अ छ पाठ योजना के ताि वक गु ण (Essentials of a Good


Lesson Plan)
पाठ योजना ल खत प म होती है। इसम उप—इकाई (Sub unit) क वषय—व तु
(Content) का सं त और प ट (Breif Vivid) का उ लेख अ धगम अथवा श ण ब दुओं
(Learning Points) के थान म कया जाना चा हये। व श ट उ े य (Specific Objectives)
को वषय व तु के संदभ म सु संगत (Relevant) होना चा हये। पाठ योजना क भाषा सरल एवं
बोधग य (Simple and Comprehensible) ह । वषय व तु को ता कक अनु म (Logical
order) म तुत कया जाय। नावल एक अ तस बि धत मृंखला ( Chain) को दशाये। न के
लये वक प (activities) का ावधान (Provision) रखा जाय। अ धगम याओं के चयन
(Selection of learning activites) म कसी कार क अ नय मतता (Irregularity)नह ं होनी
चा हये। सरल (Simple) सुलभ (Available) एवं उपयोजनीय (Applicable)सहायक साम य का
ह चयन कया जाय। इनके उपयोग क ि ट से ये व या थय के मान सक तर (mental level)
के अनु प होने चा हये। योजना के येक पद मे व या थय क भागीदार (Sharing) का ावधान
(Provision) होना चा हये। श क— श ाथ अ त: या (Teacher pupil interaction) को
अ वराम (Continuous) चलते रहने के उप म (procedure)अपनाय जाने चा हये। कालांश
(period) का कोई ण ऐसा न हो िजसम व याथ श क से अस बि धत होकर न फय (Passive)
बनाने का अवसर पा सके। पाठ योजना मे भ न— भ न मान सक तर के व या थय के लये याओं
का ावधान कया जाना चा हये। मू यांकन के लये भावी (Effective) एवं यावहा रक तकनीक
(Practical techniques) का उपयोग कया जाना चा हये। मू याकन म सभी उ े य क स ाि त
(Achievement) क जांच (Enquiry) के लये ावधान ह । भ न— भ न मान सक तर के
व या थय के लये वैकि पक याओं (Altternative activities) का समावेश (Inclusion)
तपुि ट (Feed—back) हे तु होना चा हये। पाठ योजना के क तपय अ भला णक गुण
(Characteristic) इस कार ह :—
1. इकाई योजना पर आधा रत (Based on unit plan) हो।
2. स बि धत उपइकाइय (Sub unit) एवं भौ तक क अ य इकाइय (Units) से
अ तरन बि धत (Inter related) ह ।
3. न पर पर स बि धत ह । साथ ह श ण स ा तो क कसौट मे न क गुणव ता खर
उतरे ।

146
4. या, य , कैसे नो के वारा छा के च तन (Thinking) को े रत कया जाना अपे त
ह।
5. श क— श ाथ अ तः या नर तर चलती रहनी चा हए।
6. वभ न कार के अ धगम अनुभवो (Learning experiences) के लये सि थ तयो
(Situations) के सृजन ( Creation) क यव था हो।
7. श ण के उपरा त छा ो को पूण स तु ि ट (Satisfaction) ह जाय।
8. व या थयो को य े ण (Direct observation) के लय अ धक से अ धक अवसर
उपल ध कये जाये।
9. श ा थय क अ धक से अ धक इि यां (Sense organs) उपयोग मे आवे।
10. छा को अपनी आशकाये क ठनाइयां, सु झाव रखने के अवरपर दये जाये।

7.12 पाठ योजना क सीमाय (Limitations of Lesson Plan)


य य प यह प ट कया जा चु का ह क पाठ योजना श क क मा लक नह ,ं सेवक है। तथा प
अ धकतर श क पाठ योजनाओं को अपनी चेर (Servant) न मानकर वंय उनक चेर (Maid
servant) बन जात ह। इसी कार क धारणाओं के कारण पाठ योजना क कुछ सीमाय अनुभव क
जा रह ं ह, इसम मु ख इस कार ह.
1. श क क वत ता म बाधक (Hinder the techer‘s freedom)
2. क ा मे कभी—कभी अ या शत संि थ तयाँ (unexpected Situations) बन जाती ह।
इनमे श क अपने आपक असहाय महसू स करता है। य क इनक क पना पाठ योजना
म नह होती।
3. व या थय के अ या शत यवहार (Unexpected behaviour) से अनहोनी सम याय
(Strange problems) उठ खडी होती ह। श क क योजना म इनका पूवानुमान लगतना
(prediction) क ठन ह।
4. श क सीमाओ मे बध जाता ह।
5. श क को बहु त प र म (Labour) करना पड़ता ह।
6. श क के पास योजना बनाने और उसक तैयार के लये पया त समय नह ं होता है।
वमू यां क न
1. पाठ योजना के आधार ह :
i)-------------------------- ii) -------------------- iii) ---------------
2. पाठ योजना क या सीमाये ह :-
i)------------------------------------ ii) --------------------------------------
iii)----------------------------------- iv) -------------------------------------

147
7.13 वमू यांकन (Self Assesment)
न न ल खत म से 1 से 6 नो के उ तर 100 श दो म तथा शेष के उ तर 500 श द म
द िजए:—
1. इकाई क अवधारणा को प ट क िजए।
2. इकाई योजना को प रभा षत क िजए। इसक आव यकता य होती ह?
3. इकाई योजना के व प और आ प म वभेद क िजए।
4. इकाई योजना और पाठ योजना करन कार भ न है। उनके स बक प ट क िजए।
5. पर परागत और आधु नक अनुदेशन योजनाओं म अ तर प ट क िजए।
6. एक अ छ पाठ योजना के आकलन क कसौ टयां या ह?
7. पाठ योजना क या सीमाय ह?
8. एक व ान श क के प म आप क ा— श ण मे आने वाल कन क ठनाइय क क पना
करते ह? आप इनसे कैरने छुटकारा पायेग?

9. पाठ योजना को व भ न आरोप म आप करनका चयन करगे और य?
10. क ा IX और x के लये व ान क कसी इकाई के लये इकाई योजनाय तैयार क िजए।
इनक एक—एक उपइकाइयो के लये भी अनुदेशन योजनाय तैयार क िजए।
11. इकाई और उपइकाई योजना पर अपना एक आदश आ प तु त क िजए। यहां दये गये।
येक आ प का समालोचना मक आकलन भी द िजए।

7.14 संदभ थ (References)


1. Gupta, V.K. Teaching and Leartning of Science and Technoloigy, Vikas
Publish House N.D.(1995)
2. Negi, J.S Bhautikin Shikshan; Vinod Pustak Mandir, Agra (1999)
3. Sood, J.K Science Teaching, Kohli Publishing Chandigarh (1986)
4. Vaidya N; The impact Sciences, Allyn and Bacon & Boston & London.,
5. Vaidya Narendra; Science Teaching for the 21 st Cntury deep and
publications, N.D.(1996)
6. Waddington, D.J; Teaching school chemisstryb; sterling Unesco (1984)
7. Waltor A. Tlurber and Alfred t. Collett; Teaching science in Today’s
Secondary Schools; Prentice Hall of Indian N.D.(1964).

148
इकाई-8
व ान श ण म मापन एवं मू यांकन, नदाना मक एवं
उपचारा मक पर ण, बहु चयना मक न का सेट का नमाण
व ान वषयव तु पर आधा रत न बक का नमाण, खु ल
पु तक णाल हेतु आधा रत न
(Measurement & Evaluation in Science teaching
diagnostic test and remedial teaching, Development
of M\ulitiple Choice Question paper set, content
based question for question bank, some question for
open book examination.)
इकाई क संरचना (Sturucture of the Uint)
8.0 उ े य (objectives)
8.1 तावना (Introduction)
8.2 मू यांकन क अवधारणा (concept of Evaluation)
8.3 व ान श ण म मू यांकन (Evaluation in Science Teaching)
8.4 व ान श ण मे मू यांकन के काय (Function of Evaluation in Science
Teaching)
8.5 मू यांकन के सोपान (Steps in Evaluation)
8.6 मू यांकन क व धयां एवं उपकरण (Techniques and tools of Evaluation)
8.7 अ छे पर ा के अ भल णक गुण (Characteristics of a Good Test)
8.8 पर ा के व प (Forms of Examination)
8.9 व ान म पर ण नमाण का म (Procedure of test Constuction in Scince)
8.10 पर ण पद नमाण म सावधा नया(Precautions in preparing test Items)
8.11 वा तु न ठ पर ण-पद के कार (Types of Objective Type Test Items)
8.12 व ान का टांत इकाई पर ण (Illustration unit btest scince)
8.13 व ान श ण म मू यांकन क सफलता (Success ot evaluation in Scince
teaching)
8.14 मू यांकन (Self Assesment)
8.15 नदाना मक पर ण का अथ एवं प रभाषाऐ

149
(Meaning and definition of diagnostic test)
8.16 नदाना मक पर ण का उ े य (Objectics of Diagnostic test)
8.17 नदाना मक न प का नमाण (Preparation of diagnostic test)
8.18 नदाना मक एवं उपलि ध पर ण (Diagnostic & Achivement test)
8.19 उपचार मक श ण (Remedial teaching)
8.20 बहु चयना मक न (Multiple Choice items)
8.21 न बक (Question Bank)
8.22 खु ल पु तक पर ा (Open Book examination)
8.23 स दभ ं (References)

8.0 उ े य
(Objectives)
इस इकाई के अ ययन के उपरा त व याथ -
1. मू यांकन क अवधारणा को प ट कर सकगे।
2. पर ा मापन, पर ण, मू यांकन आ द को प रभा षत कर सकगे।
3. व ान वषय म पर ण के लए सह पर ण न मत कर सकगे।
4. व ान म व या थय का समु चत मू यांकन कर सकगे।
5. नैदा नक पर ण का अथ, नमाण, अंकन या को बता सकगे।
6. उपचारा मक श ण का अथ, श ण क प त बता सकगे।
7. नदाना मक एवं उपचारा मक श ण क तु लना का सकगे।
8. न बक के मह व को समझ सकगे।
9. छा खुल पु तक ाणाल से अवगत ह गे।

8.1 तावना
(Introduction)
व ान म व या थयो क उपलि ध जहां श ण क भा वता पर आ त है, व याथ के
गुण भी इसको समान प से भा वत करते ह। पर परागत प से यह मा यता है क वषय का ान
केवल व याथ पर ह आ त है तथा पर ा के वारा उसक व ान वषय म उपलि ध क जांच
क जाती है। इससे व याथ का ह ान हण का गुण प रल त होता है। क तु आधु नक श ा
शा व याथ के अ धगम तर के लए श क क भा वता को अ धक उ तरदायी मानता है। पर ा
प रणाम जहां व याथ क उपलि ध क जांच करता है साथ ह श ण क गुणव ता पर भी काश
डालता ह इस लए आधु नक श ा शा ने श क या को चार पद म बाँटकर मू यांकन को भी
समान मह व दया है। इससे वषय के श ण क भा वता पर बहु त बडा भाव पडा ह। मू यांकन
को अब यापक व प म लया जा रहा है। इसके वार अनुदेशन क गुणव ता , सू व उ े य,

150
पा यचया, पा य म और श ण सि थ तय सभी क भा वताओं जांच होती है। इससे श ण या
के ो न त म सहायता मलती है।

8.2 मू यांकन क अवधारणा


(Concept of Evaluation)
मू यांकन (Evaluation) पद (Term) भारतीय श ा यव था (Education system)
म छठे दशक के उपरा त व ट हु आ। इससे पूव पर ा (Examination) श द ह चलन (Practice)
म रहा। क ा श ण (Classroom teaching) क योजना म इसका थान पुनरावृि त
(Recapitulation) को ा त था क तु श ा के े म मनो व ान (Psyohology) एवं उदभा वत
(Emergins) ायो गक (Technology) के भाव म समय—समय पर श ा (Education) और
श ण याओं क पदावल (Terminology) म नर तर नये पद (terms) साथकता
(Meaningfully) से जु डते रहे है। यह या (Process) सतत ् (Continuous) है। इस अनु म
(Sequence) म पर ण (Test) मापन (Measurement) और कु छ सीमा तक आकलन
(Assesment) पद मु ख रत (emerge) हु ये है। मू यांकन क अवधारणा को आ मसात
(Assimilate) करने के लये इन सभी पद के अथ जानना आव यक है।
पर ा (Examination) पर परागत ि ट से (Traditionally) पर ा कसी क ा (Class)
अथवा ेड (Grade) क नधा रत अव ध के उपरा त उसम पढाये गये वषय (Subjects) म उपलि ध
(Achievement) के तर क जांच (Test) के लये यह म (Procedure) अपनाया जाता है।
आज भी यह श ा यव था के हर तर (stage) पर समान प से भा वत करता ह य द यह कहा
जाय क हर क ा तर पर येक श ाथ का येय (Goal) स ा त (end of session) म पर ा
म सफलता (Success) ा त करना है तो, इसम कोई अ तशयोि त नह ं ह। पर ा का एक मा
ल य (Aim) ो न त (Promotion) है। इसी म म पर ा प रणाम (Examination result) के
आधार पर छा को व भ न े णय (Divisions) म वत रत (Distribute) कर वग कृ त (Classify)
कया जाता है। ये े णय ा तांको (achieved scores) क तशतता (Percentage) पर
नधा रत क जाती है। पर ा म (Examination procedure) म सव व दत सोपान इस कार
है —
पा यचया (Syllabus) एवं पा य पु तक का अ ययन , नप नमाण (Construction
of question paper)), उ तर पुि तकाओं का आकलन (Assessment of Answer books),
ा तांको का सारणीयन (tabulation of pupil scores), ेणी नधारण (Division allotment),
प रणाम क घोषणा (declaration of result) और ो न त का नणय (Judgement on
Promotion)।
पर ा णाल के भाव (III Consequences of Examination) : कई वष से पर ा
स पूण श ा या को भा वत करती आ रह है। भारत म श ा आयोग और स म तयां
(Education commission and committees) के इ तहास पर ि ट डाल तो सन ् 1854 म बुड

151
ड पेच (Wood Despatch) म लगातार कसी न कसी प म पर ा णाल म सुधार क बात
करते रहे है। वत ता पूव सन ् 1902 म व व व यालय आयोग (University Commission)
ने मु खर होकर पर ा णाल के सुधार (Reform) पर बल दया। वत ता के बाद व व व यालय
आयोग (University Commission—1948)), मा य मक श ा आयोग (Secondary
Education Commission—1952), श ा आयोग (Education Commission) ने च लत
श ा णाल के कई दोष से श ा— यवरथा को मु त करने के लये ठोस उपाय पर जोर दया। सबसे
अ धक बल इस पर दया गया क पर ा णाल म आमूलचू ल प रवतन कया जाये।
पर ा णाल म इस प रवतन के वचार के साथ—साथ लू म का श ण तमान वक सत
हु आ। इसने पर ा णाल ओर पर ा क अवधारणा को मू यांकन से त था पत (Replace) कर
दया। छठे दशक म रा य शै क अनुसध
ं ान एवं श ण प रषद (N.C.E.R.T.) के अि त व म
आने के बाद मा य मक श ा म बहु आयामी (Multiphased) सु धार होने लगे। राज थान रा य ने
इस स था के वचार और नवाचार (Innovations) को त परता (Readiness) से याि वत
(Impliment) करने का बीड़ा उठा लया। राज थान मा य मक श ा प रषद (rajasthan board
of Secondary Education) ने पर ा णाल म प रवतन के लये ठोस कदम उठाये। इसी म
म पर ा का थान, मू यांकन ने ले लया। मनो व ान के े म भी पछले पांचवे दशक के बाद
अनुसंधान हु ये। मान सक शि तय (Mental Power) के व भ न पर ण (Tests) तैयार हु ये। भारत
म भी इस अव ध म कई शै क और मनोवै ा नक पर ण न मत कये गये। इससे शखा म मू यांकन
क अवधारणा के सार को बल मला ।
मापन (Measurement): मू यांकन (Evaluation) पद (Terms) के सहका लक
(Simulataneous) पद मापन भी अि त व म आया। इसका वकास एल. थानडाइक (L.
Thorndike) क इस मा यता पर आधा रत है क ''कोई भी व तु जो अि त व म होती है, वह कुछ
प रमाण म रहती है और जो व तु कुछ प रमाण म होती है, मापन यो य होती है। (“Anything that
exists at all, exista in some quantity, and any thing that exists in some quantity
is capable of being measured”) । मान सक शि तयां (Mental powers) का अि त व
है। इस लये उ ह मापा जा सकता ह। शै क उपलि य (Academic achievement) और अ धगम
(Learning) मान सक शि तय के वकास के ह प रणाम (Outcomes) ह। इस लये उनको कसी
पैमाने (Scale) से मापा जा सकता है। इस पैमाने से गुणा मक (Qualitative) पर (Variable) को
स या मक (Quantitative) व प ा त हो जाता है। कसी वषय के श ण के उपरा त श ाथ
के अ धगम तर को न प (Question papers) से मापा जाता ह। ा तांक ह अ धगम का
माप (Measurement) कहा जाता ह। तुलना के लये इसको तशत अथवा कसी सां यक य
नयतांक (Statistical) म प रव तत करते है।
मू याकन (Evaluation): मान सक शि त का मापन समु चत पैमाने (Scale) पर उसके
प रमाण (Quantity) क मा ा के बतलाता है। य द कसी कसौट (Criterion) पर इस प रमाण के
संदभ म इस पर नणय ले तो यह या मू यांकन (Evaluation) कहलाती है। यथा व ान के

152
उपलि ध क माप न प के हल (Solution) से अ धक ता (Learner) के ा तांक उसक व ान
म उसक उपलि ध का माप ह। अब यह नणय क व याथ व ान मं◌ा सफल हु आ या असफल,
थम अथवा वतीय अथवा तृतीय ेणी म आया, उसो व ान म अ छा या कमजोर कहा जाये, मापन
म यह नणय जोड़ने पर स पूण या मू यांकन है। अथात ्
मू यांकन = मापन + नणय
(Evaluation) (Measurement) (Judgement)
वमू यां क न
1. व ान श ण म मू यां क न के आधार है :-
i) - -- - - -- - -- - -- - -- - ---- --- ii) -- - - - -- - --- -- - ---
2. मू यां क न = ..................................... + .......................................

8.3 व ान श ण म मू यांकन
(Evaluation in Science Teaching)
व ान श ण मे मू यांकन श ण के साथ चलने वाल सतत ् या (Continuous
process) ह। व ान श ण के पा य म (curriculum) नमाण, पा यचया नधा रण
(Prescription of syllabus) पा य—पु तक लेखन ( Writing Text—book अनुदेशन
(Instruction) सभी तर पर मू यांकन होता ह अनुदेशन का मू याकन व भ न तर (Stage)
पर होता ह येक उपइकाई (Sub—unit), इकाई (unit) के अनुदेशन के उपरा त अ धक ताओं
(Learners) के अ धगम तर (Level of achievement) क माप (Measurement) दै नक
मू याकन और इकाई पर ण (Unit Tests) से क जाती है। इसमे ा तांक पर वैयि तक और
सामू हक वचार होता है। व या थय वारा ा ताक तो प ट प से माप (Measurement) ह।
इनके व लेषण से न न ल खत के स ब ध म नणय लये जाते है। इस कार मापन और कसी
नि चत कसौट के आधार पर नणयन या मू यांकन है।
1. व श ट अ धक ता (Specificlearner) के कम ा तांक का कारण।
2. ा तांक कस उ े य मे कम है ' इसका कारण जानना।
3. या नधा रत उ े य म कोई ु ट रह गयी है ?
4. या वषय—व तु के तु तीकरण (Presention) म कमी थी?
5. या तु त क गई वषय व तु (Content) तर य नह ं थी?
6. या पा यचया (Syllabus) नधारण म कमी है?
7. या क ा श ण (Classroom teaching) भावी (Effective) नह था? आ द।
उपरो त के संबध म समू हक ा तांक के व लेषण (Analysis) से नणय लये जाते है।
तथा स बि धत प म वां छत आशोधन (Modification) कये जाते ह। ै फ ड (Brad field)

और मैरडॉक (mardock) ने अपनी पु तक ''मेजरमे ट ए ड इवे युएशन इन एजू केशन

153
(Measurement and Evaluation in Education) म मापन (Measurement) और मू यांकन
(Evaluation) म अ तर और इनके पार प रक स ब ध को प ट करते हु ये लखा है ''मापन वह
या है िजसम कसी घटना के आयाम के लये तीक नयत कये जाते है। िजससे क उन घटनाओं
क ि थ त के लये तीक प रशु ता से अ भला णक कया जाये। मू याकन घटनाओं के लये ती
नयम करता है, िजससे उनक उपयु तता अथवा मू य सामा यत: सामािजक, सां कृ तक या वै ा नक
मान के संदभ म अ भला णक कया जाये। (Measurement is the process of assigning
symbols to diamensions of tphenomena in order to characterize the stastus
of phenomena as Phenomena as Precese as possible. Evaluation is the
assignment of symbols to phenomena in order to characterize the worth or
value of a phenomena usually with reference to some social, cultural or
scientific standard)''
पर ण (Test): व ान श ण म मू यांकन व ान के यापक अ भ ान ( Broad
Knowledge) के आयाम (Dimensions) का मापन और नि चत वै ा नक कसौट (Scientific
criteria) के आधार पर उसके लये तीक (Symbols) यथा उ तीण (Pass), अनु तीण ( Fail),
औसत (Average), तभावन (Gifted), कमजोर (Weak) आ द नयम कये जाते है। इन तीक
का आधार मापन का प रणाम है। यहां ा तांक (Scores) या उनका तशत (Percentage) या
उनका सांि यक नयतांक (Statisitional constant) मू याकन का आधार बन जाता ह। ा तांक
के आंकलन (Assessment) के लये उपयोग म आने वाले उपकरण (Instruments), न—प
(Question paper), अ भयो यता पर ण (Aptitude test) आ द है। इ ह पर ण (Test) कहा
जाता ह। पर ण (।test) मानक (standard) या श क वारा न मत (Teacher made) होते
ह। श क वारा न मत पर ण अनुदेशन (Instruction) म उपयोगी (useful) और यावहा रक
(Practical) है। ये पर ण नय मत (Regular) श ण—अ धगम (teaching—learining) म
मू यांकन के लये ाथ मक (Primary) उपकरण है।
अनुदेशन—अ धगम के संदभ म पर ण मु य प से दो कार के होते है। (i) श क वारा
न मत (Teacher made) (ii) मापीकृ त (Standardized)। श क वारा न मत पर ण ह
अ धक यावहा रक और उपयोजनीय ह। पर ण—पद नमाण वयं एक आसान काय नह है। इसम
येक व ान श क को श ण दया जाना परम ् आव यक ह। अ छे पर ण के लए श क को
मनो व ान के आधारभू त स ा त क जानकार होना आव यक है। िजस तर के लए और वषय
व तु पर पर ण न मत करना है। उनक व तृत जानकार पर ण नमाता के लए नता त आव यक
है। पर ण न मत करते समय न न ल खत पर पूरा—पूरा यान दया जाना चा हए —
 वषय व तु का अथ।
 क ा तर।
 वषय व तु क व भ न इकाइय के व तार।
 सभी इकाइय म उनक वषय—व तु के पर माण के समानुपा तक उनके भार बंटन।

154
 ाना मक, अवबोधना मक उपयोजना मक और कौशला मक सभी प म उनसे स बि धत
वषय ान के समानुपा तक अंक भार बंटन।
 व भ न पद कार— व तु परक, अ तलघु तरा मक, लघु तरा मक और नबधा मक म ता कक
और मनौव ा नक अंक भार बंटन।
 पद ब दुगत, वचार रे क, सम या समाघाना मक ह ।
 पर ण पदो को मनोवै ा नक और ता कक म म यवि थत कया जाना चा हए।
 पद अ धक ता के मौ लक च तन और सृजना मकता को जाच कर सके। साथ ह मान सक
प को ो साहन दे ने म समथ हो।
 पर ण पद को इस कार न मत कया जाये क उनम वभेद करण क मता हो तथा
सामा य, सामा य से न न और उ च सभी के लए अ छे ह ।
व याथ का मू याकन वशेष प से ो न त के लए एक दो पर ा प रणाम के आधार पर
ह न कया जाये। इस पर नणयन म न न ल खत को भी समु चत मह व दया जाये:
 क ागत वमश मे व याथ क नय मत भागीदार
 क ा काय पूरा करने क मता और त परता
 गृहकाय पूरा करने क गुणव ता
 व ान लब के या कलापो मे भागीदार
 सहपा यचार या कलाप म व याथ क उपलि ध का तर
 प रयोजना काय म म छा क भागीदार
 इकाई पर ण एवं स ीय पर ाओं के न—प श क न मत पर ण के उदाहरण है।
मापीकृ त पर णो का उपयोग अनुदेशन म लगभग नह के ह बराबर है। इनका उपयोग
अनुस धान काय मे ह हमारे दे श के श क करते है।
वमू यां क न
1. पर ण या है :-
- -- - -- - -- - - --- -- - -- -- -- - --- - -- -- -- -- - -- - - -- - --
--- - -- - ---- - - -- --- - -- -- - - - - - -- - - - -- -- - -- - - -- --
2. पर ा के मु ख काय है : -
i)- - -- - - --- - -- -- - -- - - ii) -- - - -- - - -- -- - - --
iii) -- -- - - -- - - -- - -- - iv) -- -- - -- -- - - --- - ---

8.4 व ान श ण म मू यांकन के काय


(Functions of Evaluation in Science Teaching)
श क के काय (जॉब Job) का एक मु ख प श ाथ क ग त (Progress) का मू यांकन
करना (Evaluation) है। श ाथ के थान (Place) ओर उसक ग त के व प का प ट च
भावी श ण—अ धगम के लये आधारभू त त व (Fundmental) है। अ भ ान (Knowledge),

155
बोध (Understanding) उपयोजन (Application), कौशल (Skill), च (Interest), अ भवृि त
(Attitude) क उपलि धय (Achievements) के तर क जानकार म सभी क च होती ह। श क
वभ न कार क मू यांकन तकनीक (Evaluation techniques) से यह जांच काय करती है।
मू यांकन के मु ख काय इस कार है:—
1. अ भ ेरणा (Motivation): सभी को अनुभव ा त है जब कभी भी ''पर ण'
(Testing) क ि थ त श ाथ के सामने आती है तो वह भौ तक या व ान के स बि धत पा य म
(Course) क वषय—व तु के अ ययन पर अपना सारा यान केि त करता है। एक अ छे
पर ण—प रणाम (Result) के आधार पर श ाथ आगे अ धक भावी अ धगम और उ चतर
न पादन (Higher performance) के लये अ धक अ ययन साम ी जु टाता है। तथा अपने अ ययन
के तर के और समय (Mode and time of study) के आव यक प रवतन करता है। अ धका धक
अ ययन क वृि त के लये अ भ ेरणा है।
2. नदान (Diagnosis): क ा अनुदेशन म इकाई पर ण का यह काय मह वपूण
ह। श क इकाई पर ण से छा क उपलि ध के व लेषण से उनक कमजो रय (weaknesses)
अनुदेशन (Instruction) क क मय , उ े य क ु टय ( erUore in objectives), वषय व तु
के तर (Content level), छा के पूव ान (Previous Knowlege) क क मय आ द का पता
आसानी से लगा सकता है। दै नक मू यांकन और गृह काय ( Home Assignment) भी इस कार
क भू मका आ शक प म नभाते है।
3. अनुदेशन उ े य का आधार नमाण (Preparation of the base for the
Intructional Objectives): लूम के पारग त उपागम (Mastary Approach) म यह वाभा वत
स ब ध उ े य और मू यांकन म है। ये दोन अ यो या त (Inter dependent) है। भौ तक क
वषय—व तु के लये यवहार प रतवन के पद (In terms of behavioural change) मे उ े य
को सू ब (Formulate) कया जाता ह अनुदेशन मं इनसे स बि धत अ धगम (Learning) के
लये यास कये जाते है। इसके उपरा त नधा रत उ े य के संदभ म मू यांकन के वारा यह यास
कया जाता ले क इन उ े य क ाि त कस सीमा तक हो पायी ह। तथा उ े य ाि त के अपे त
तर से कम के लये कौन से कारक उ तरदायी ह। इससे श क को तपुि ट (Feedback) तथा
मागदशन (Guidance) और परामश लये (Foundation) ा त होता है।
4. श ा थय क ो नत एवं वभेद करण (Pupils Promotion and
Differentiation): पर ण के वारा श ा थय क उपलि ध के आधार पर उनक ो न त का
नणय कया जाता है। साथ ह उनके वारा ा ताको के आधार पर उनका वग करण कया जाता है।
5. श ण भा वता क जांच (Testing थे Teaching Effetiveness): हम जानते
है क श ण भा वता क एक मु ख माप अ धक ताओ वारा ा त उपलि ध तर (Achievement
level) है। क इस भा वता के उ पाद चर (Product variable) क ेणी म आता है।
इसके अ त र त पर ण प रणाम के व लेषण से नकाले गये न कष के आधार पर
आव यकतानुसार उ े य (Objectives), वषय—व तु के तर (Content level) अनुदेशन यूह

156
(Instructional strategies) म आशोधन (Modifications) कये जाते है। साथ ह पर ण वतन
म नैदा नक (Diagnostic) योजन (Purpose) को भी आं शक प म (Partially) पूरा करता है।

वमू यां क न
1. मू यां क न के काय है :-
i) - - - --- -- - -- - ---- -- ii) --- - -- - - -- - -- - iii) - - --- -
iv) -- - - -- --- - - -- -- v) --- - - ------- --- ---- - ----

8.5 मू यांकन के सोपान


(Steps in Evaluation)
मू यांकन या के व भ न सोपान इस कार है.
 उ े य का नधारण (Formulation of Objectives) :
सव थम श क वषय—व तु के लये उ े य को सू ब करता है।
 उ े य क ाि त के लये श ण—अ धगम याओं का नधारण (Formulation of
Teching— Learning Activities to Achieve the objectives): श क नधा रत
उ े य क ाि त के लये भावी अ धगम ि थतय (Learning situations) के सृजन के
लये उपयु त व धय ( Methods), तकनीक (Teachniques), कौशल (Skills),
साम य (Aids) का चयन (Selection) करता है। तथा इनक सहायता से भावी
यूह — नमाण (Strategy building) करता है।
 ि थ त का ान (Indentification of Situation): उन ि थ तयां क पहचान करना
िजनम छा अ धगत (Learned) वषय—व तु का उपयोग कर सकता है।
 मू यांकन के उपकरण का चयन (Selection of Evaluation Tools): श क उन
उपकरण का चयन करता है जो वां छत उ े य के मान म सहायक हो। इसके लये श क
व न मत पर ण का उपयोग करता ह
 उपकरण का शासन (Administration of Tools): शै क उ े य के आधार पर शै क
उपलि ध के मान के लये उपकरण (Instruments) का शासन (Administration)
करना।
 प रणाम क या या पर ण शासन के प चात ् ा ताको का कोई मह व नह है। इन अंक
क या या तथा ववेचन ह छा के स ब ध म प ट करण करते है।
 मू यांकन प रणाम का उपयोग: मू यांकन के प रणाम का श ण— या म सु धार के लये
करना चा हये।
वमू यां क न
1. मू यां क न के सोपान इस कार है :-

157
- - - - -- -- -- --- - -- --- - - -- -- - - -- - -- - -- - - -- --- - -- -
--- -- - - -- - -- - - - -- - - -- - --- - -- - -- - -- - -- -- - -- - --

8.6 मू यांकन क व धयां एवं उपकरण


(Techniques and Tool or Evaluation)
व ान श ण के लये यु त तकनीक म पर ा ( Examination), े ण
(Observation), नधारण मापनी (Raing scale), आकि मक नर ण अ भलेख (Cumulative
record), समाज म त (Sociometry), सा ा कार (Interview), स चत अ भलेख (Cumulative
record) मु ख ह। येक के अ तगत व भ न उपकरण का उपयोग होता है।
1) पर ा व ध (Examination techniques):
पर ाय व भ न पर ण (Tests) के मा यम से स पा दत क जाती ह। पर ण का चयन
पर ा के उ े य के आधार पर कया जाता है। व ान म मु य प से पर ाय न न कार क होती
है :—
 ल खत पर ाय (Written tests): ये पर ाय नब धा मक (Eassy) या व तु न ठ
(Objective) कार क होती ह ये मापीकृ त (Standardised) और श क वारा न मत
(Teacher made) पर ण (tests) यथा: नैदा नक पर ण (Diagnostic), उपलि ध
(Achievement), अ भयो यता (Aptitude) आ द पर ण होते है।
 मौ खक पर ाय (Oral tests): ाय: अ यापक वारा आयोिजत क जाती ह। श क छा
से मौ खक न करता ह। छा के उ तर भी मौ खक होते है।
 ायो गक पर ाय (Practical examination): व भ न योगा मक व ान वषय म
छा क ायो गक (Practical) कु शलताओं (Skills) के यावहा रक उपयोग (practical
use) क मता (Ability) के मापन के लये पर ाय क जाती है।
2) े ण तकनीक (Observational Techniques): वै ा नक नर ण व धय
पर आधा रत े ण एवं अनुभव (Experience) के आधार पर ा त सूचना (Information) भी
मू यांकन व ध है।
3) नधारण मापनी (Rating Scale) : इस व ध का उपयोग उन व भ न
प रि थ तय या वशेषताओं का मू यांकन करने के लये कया जाता है जो व भ न मा ाओं म तुत
क जा सकती है। इसके वारा हम बाल क कुशलताओं क जांच, उस ण म उनके यवहार क गत
को दे खकर भी कर सकते ह नधारण मापनी कई कार क है। उनम से कु छ इस कार है :—
(अ) लेखा च ीय मापनी (Graphical scale)
(ब) स या मक मापनी (Numerical scale)
(स) संचयी अंक व ध से नधारण (Rating by cumulative points)
(द) को ट म मापनी (Rank order scale)

158
(अ) लेखा च ीय मापनी (Graphical Scale): इस मापनी का यापक प से उपयोग होता है।
इसम रे खा बनी रहती है, िजसका कई भाग म वभािजत कया जाता है। येक भाग म वशलेषण
लखे दये जाते ह। नणायक को इनम से ह कसी एक पर च ह लगाना होता है। इसे शी ता से
भरा जा सकता है, नणाक इसमे सू म वभेद कर सकता ह। तु लना मक नणय दे ने क सु वधा रहती
है।
(ब) सं या मक मापनी (Numerical Scale): इस व ध म अंक नि चत उ ीपक के साथ
स बि धत कर दे ते ह। इसम छा के गुण के आधार पर अंक मलते है जो 3,5,7 के पैमाने पर रखे
जाते है।
(स) संचीय अंक व ध से नधारण (Rating by cumulative Points) : इस व ध म यि त
के गुण का मू यांकन करके अंक दान कर दये जाते है। इन अंक के संचय के आधार पर यि त
के स ब ध म नणय कया जाता है।
(द) को ट म मापनी (Rank order scale): इसम नयमानुसार उ चतर से न नतर तर
क ओर (Higher to lower) म म थान दये जाते है। नणायक, यि त को एक म के वशेष
रथान पर रखता है। समू ह म इस यि त क तुलना करके उ चत थान पर रखा जाता है।
4) पड़ताल सूची ( Check—List): पड़ताल सूची यि तगत सू चना एवं मत जानने का
मु ख साधन ह। इसमे यि त को अपने मत पर च ह (Mark) लगाना होता है।
5) आकि मक नर ण अ भलेख (Anecdotal Reocrds) : श क वारा छा
के त दन के नर ण म एवं कभी—कभी उनके यवहार या त या को अ धक प टता से परखा
जा सकता है। काय क अ धकता के कारण वह छा के व श ट यवहार को भूल न जोय इसके लये
जब भी कस छा के यवहार को मह वपूण समझे, उसे लख ले। जन डी. वलाड (John D.Willard)
क प रभाषा के अनुसार ''छा के जीवन क जो घटना (Event) ेषक (Observer) वारा मह वपूण
समझी जाती है, उसका वणन (Descriptio) ह आकि मक नर ण अ भलेख है।'' अ भलेख आर भ
करने के लये न न ल खत पद पर यान दे ना चा हये —
अ) सहयोग (Cooperation): इस अ भलेख क सफलता यि तगत श ण
(Individualized Teaching) के आधार पर नभर करता है। अ यापक का छा म च, यि तगत
व भ नता के स ांत के ान तथा क ा के येक छा से वैयि तक स ब ध पर ह आकि मक
नर ण का अ भलेख आधा रत है।
ब) प रसीमा (Delimitation): इसके लये आव यक है क यवहार के कु छ नि चत ब दु
चु न लये जाये। तथा अ यापक छा को यवहार के इन चु ने हु ये ब दुओं म से यवहार क घटनाओं
का ह अ भलेख म स बि धत उ लेख कर।
स) प तैयार करना (Preparing Form): येक प पर घटना का थान तथा दनांक,
घटना तथा ट पणी लखने के लये त भ (Column) होने चा हये। े क के ह ता र के लये भी
थान होना चा ह। आकि मक नर ण अ भलेख का सामा य सरल ा प (General format)
न नां कत है:
आकि मक नर ण का अ भलेख— प

159
(Acecdotal Record Form)
छा का नाम................................ क ा:..............
दनांक थान घटना / ट पणी
द) मु ख फाइल (Central Filing): यह अ भलेख परामशदाता के पास होना चा हये,
िजससे आव यकतानुसार अ भलेख ा त कया जा सके।
आकि मक नर ण अ भलेख के गुण (Merits of Anecdotal Record):
 बालक क व भ न प रि थ तय म क गई त याओं को समझने म सहायक होते है।
 श क का यान यि तगत छा क ओर आक षत होता है।
 उसको ववरण लखने म रे णा मलती है। इन अ भलेख के आधार पर पा य म रचना तथा
सु धार म सहायता मलती है।
 इनके आधार पर नवागतुक श क को छा को समझने म अ धक सु वधा होती है।
आकि मक नर ण अ भलेख के बोध (Demerits of Ancedotal Record);
 श ण के साथ—साथ अ यापक नर ण भी करते है। अत: उनके नर ण म कुछ अस यता
हो जाने क संभावना रहती है। य क घटना के त उनका यान पूण प से नह रहता है।
 अ यापक औसत ब च पर यान नह ं दे पाते है।
 यह व ध वषय धान (Subjective) है।
6) सा ा कार (Interview): सा ा कार एक आ म न ठ व ध है। इस व ध के वारा
बालक क समरयाओं तथा गुण का ान ा त कया जाता है। गुड एवं हैट ( Good & Head) के
अनुसार '' कसी उ े य से कया गया गंभीर वातालाप ह सा ा कार है।'' सा ा कार म संल न दो
यि तय मे एक को सा ा कार के उ े य का ान रहता है। सा ा कार करने से यि त से सभी
कार क सूचना ा त होती है। श त यि तय वारा कये गये सा ा कार अ धकांशत: व वसनीय
(Reliable) होते ह एवं व वसनीय क मा ा सा ा कार के श ण एवं अनुभव क मा ा के साथ—साथ
अ धक एवं कम होती रहती है। य द सा ा कार अप र चत (Nomfamiler) प रि थ तय म कया
जाए तो इनक वैधता (validity) बहु त ह कम होती है। फर भी नयोिजत ढं ग (Planned way)
से कया गया सा ा कार सामा य प मे मा णत वीकार कया जाता है।
7) नावल (Questionnaire): यह भी एक आ म न ठ व ध है। बालक से
स बि धत सू चनाय ा त करने के लये नावल व ध का योग कया जाता है। गुड एवं हैट क
प रभाषा के अनुसार—''सामा यत: नावल श द का ता पय न के क प रभाषा के
अनुसार —''सामा यत: नावल श द का ता पय न के उ तर को ा त करने का एक साधन है।
िजसको सूचनादाता ( Informer) वयं भरता है।
नावल क वशेषताएं (Characteristices of Questionnaire)
 न का एक यवि थत आकार होने के कारण संक लत करन म आसानी होती ह।
 सभी न का एक नि चत उदे य होता ह।
 एक ह उदे य क ाि त के लय व भ न कार के न कये जात है।
नावल के कार (Type of questionnaire)

160
अ) ब द नावल (Closed Questionnaire): इसम येक न के सामने उसके
वैकि पक (Alternative) उ तर भी दये हु ये होते ह। तथा उ तर दे ने वाले को उसी म से सबसे अ धक
उपयु त ( Appropriate) उ तर का चयन करना ह।
ब) खु ल नावल (Open Questionnaire): इसम उ तरदाता उ तर को वयं अपनी
अनु या ( Specifir response) के अनुसार तु त करता ह।
स) म त नावल (Mixed Questionnaire) इसम उपरो त दोन कार के न
सि म लत कय जात ह।
8) सं चत अ भलेख (Cumulative Record):
ड लू . सी. ए लन (W.C.Allin) न सं चत के स ब ध म कहा ह — '' सं चत अ भलेख म
यि तगत छा के मू यांकन से स बि धत सू चनाओं का आलेख (Record) होता ह। सामा यत: ये
सू चनाय एक प पर लखकर एक थान पर रखी जाती ह।'' सं चत अ भलेचा छा क आव यकताओं
को समझने के लये अ धक सहायक ह। श क छा से स बि धत सभी त य इन अ भलेख से ा त
कर सकता ह। श क छा से छा को शै क तथा यावसा यक नदशन (Educational and
Vocational Guidance) दे न म सहायक होता ह।
वमू यां क न
1. व ान के अमु दे शन म मू यां क न क मु ख व धयाँ है : —
i) — ——— — — — —— — —— — — —— — —— —— ii) —— — —— —— — —
iii) ——— —— —— — —— —— —— — — —— — — —— — — —— — ——— ———

8.7 अ छ पर ण के अ भला णक गु ण
(Characteristics of a good Test)
एक अ छे पर ण म न न ल खत गुणो का होना आव यक है: —
1. यापकता (Comprehensiveness): वह पर ण एक अ छा पर ण कहलाता
ह िजसमं— यापक प से उन सभी त य का समावेश हो जो क उस पर (Variable) से स बि धत
है, िजसको मापने के लये यह बनाया गया है।
2. वभेद करण (Discrimination): वभेद करण से यह ता पय है क
पर ण—प रणाम पर ा थयो मे वभेव कर सके। अथात ् पर ण प रणाम उनको अ धगम तर के
मु नसार वग कृ त कर सकने मे समथ हो।
3. व तु न ठता (Objectivty): पर ण क व तु न ठता से ता पय है क पर ण पद
का एक और केवल एक ह सह उ तर हो।
4. व वसनीयता (Reliabilty): अगर एक पर ण को एक यि त या अ धक
यि तय पर बार—बार यु त कया जाये और उनके ा त म अ तर न आवे तो वह पर ण
व वसनीयता कहलाता है।

161
5. वैधता (Validity): एक पर ण उसी अव था म वैध होगा जब क वह उ ह त य
का मापन भावकार ढग से करता हो िजसके लये उसका नमाण हु आ है। वेधता एक अ छे पर ण
का सामा य गुण नह बि क उसका व श ट गुण है। य क , जो पर ण िजस प रि थ त के लये
न मत होता है उसी प र रथा त म वैध होता है। अ य प रि थ तय म वह वैध नह ं होता।
6. उपयोगनीय (Usability) पर ण का उपयोग सरलता से कया जा सके। इस या
म कोई ज टलता न हो।
वमू यां क न
1. व ान श ण म पर ण क वैध ता से या ता पय है : —
— —— — — —— — — ———— — —— — — —— — — —— — —— — — ——
——— —— —— — —— — —— —— —— — — —— — — —— —— — — ——— ——
2. पर ण के वभे द करण का या ता पय है ?
—— — — —— — — —— — — —— — —— — — ——— —— — —— —— —— —
—— — — ——— —— — —— —— — ——— ——— — — —— —— —— — —— —
3. पर ण क व वनीयता और वै ध ता का आधार या है ?
——— — — — —— — —— —— — —— — —— —— — —— — —— — — — ——
——— —— — —— — — ———— — —— ——— — —— — —— —— —— —— ——

8.8 पर ा के व प
(Form of Examination)
व ान श ण म व भ न कार क पर ाये इस कार है —
1. मौ खक (Oral): यह पा र क रवे वैयि तक (Individual) होती ह इसम छा
पर क के सम उसके न का उ तर होता है। िजससे पर क उसके वषय ान (Subject
Knowledge)) के साथ—साथ आ म— व वास (Self confidence), अ भ यि त (Expression)
आ द क जांच कर लेता है।
2. ायो गक पर ा (Practical Examination): सामा यत: व यालय म पर ा
के इस प का य न है। इसके अ तगत काय समपण (Assignment) तवेदन लखना, न के
ऊ तर लखना एवं कागज—पेि सल (Paper and Pencil test) आती है। कागज—पेि सल पर ाय
छा क ान— ाि त एवं पा य—व तु को संग ठत तथा उनक या या करने क यो यता आ द क
जांच करने मे बहु त उपयोगी है। इसम पर ण पद (Test items) के दो कार है— नब धा मक
(Essay type) और व तु न ठ (Objective)।

162
8.9 व ान म पर ण नमाण का म
(Procedure of Test construction in Science)
व ान म पर ण के नमाण के न न ल खत सोपान है :—
1) पर ण— डजाइन (Design of the test)
2) यू ट बनाना (Preparation of blue print)
3) पर ण पद बनाना (Writing test items)
4) पद व लेषण ता लका (Item Anaysis table)
5) अंक—कं ु जी (Scoring key)
6) पर ण फलांकन (Scoring the Scores)
7) ा तांक का— व लेषण (Analysis of the Scores)
8) न कष एवं तपुि ट (Conclusions and Feedback)
1) पर ण डजाइन (Design of the test): इस सोपान म श क पर ण के नधा रत
कु ल अंक का वभाजन करता है। यह अंक वभाजन (Distribution of marks), भारांकन
(Weightage) कहलाता है। इसम वषय—व तु (Content) के भाग , उ े य (Objectives) एवं
पद कार (Type of items) मे अंक वभाजन कया जाता है।
दै नक (Daily) उपलि ध जांच के लय वषय—व तु को अ धगम ब दुओं (Learining
points) म बांटा जाता है। इकाई पर ण (Unit test) म यह वभाजन व भ न उपइकाईय
(Sub—units) म अंक—आवंटन (Distribution of marks) के वारा तथा स ीय पर ाओं के
पर ण म अंक का आवंटन व भ न इकाईय (Unit) म कया जाता है। इसके लये सारणी (Table)
न न ल खत कार से तैयार क जाती है —
व भ न उपइकाईय / इकाइय म भारांकन
(Weightage to Differernt Sub—unit/Units)
मांक उपइकाई / इकाई अंकभार %अकभार
S .No. Sub—unit /Unit (Weightage) Percentage
Weightage
I.
II.
III.
उ े य मे अंक वभाजन के लये न न ल खत ता लका तैयार क जाती है। हम जानते है
क इकाई ओर स ीय पर ाओं म केवल ान (Knowledge), अवबोधन (Understanding),
उपयोजन (Application) और कौशल (Skill) से स बि धत अ धगत (Learned) तर को ह नापना
पया त (Sufficient), आव यक (Necessary), एवं आसान (easy) ह अत: इसके लये
न न ल खत ता लका तैयार क जाती है –

163
व भ न उ े य म भारांकन
(Weightage to Different Objectives)
उ े य भारांकन %भारांकन
Objectives (Weightage) %age Weightage
(K)
(U)
(A)
(S)
यहाँ न को पर ण पद (Test) कहा जाता है। ये सामा य: तीन कार के होते है— उ े य
परक (Objective), लघू तरा मक (Short answered) और नब धा मक (Essay—type)। अंक
वभाजन म इनको मश. O,S,E म दशाया जाता है। इनमे अंक का आवंटन न न ल खत ता लका
वारा कया जाता है —
व भ न पद कार म भारांकन
(Weightage to Dirrerent Type of test Items)
पद कार भारांकन %भारांकन
Type of Items (Weightage) %age Weightage
(O)
(S)
(E)
2) यू ट ( Blue Print): डजाइन तैयार करने के उपरानत न न ल खत ता लका
क रि तय को आव यकतानुसार डजाइन मे आव टन के अनु प पूरा कया जाता है
185

यू ट
Blue Print
उ े य Objective K U A S योग
न कार Q. Type — —> E S O E S O E S O E S O Total
उपइकाइयां Sub Units
I—
II—
III—
IV—
V—
VI—

164
VII—
योग (Total)
3) पर ण पद बनाना (writing test items): लयू ट के अनुसार सव थम उ े य
परक पद न मत कये जाते है। इसके उपरा त लघू तरा मक (Short answered) और नब धा मक
(Essay type) पद लखे जाते है। जब सभी पद सह ढं ग से तैयार कर दये जाय तो पहले उ े यपरक
पद को उनक अनुमा नत ( Approximate) क ठनाई तर (Difficulty level) के अनुसार सरल
से क ठन अनु म ( Sequence) म जमाते है। उसके उपरा त क ठनाई तर के बढते म के अनुसार
लघू तरातमक पद को अलग—अलग अनु म म जमाते है। तथा अ य म इ ह एक ह पर ण के
तीन अनुभाग (Sections) अ (A), ब (B) और स (C) म लख दया जाता है। अ त म न को
एक ह अनु म म 1 से आगे मांक (Serial.) दये जाते है।
4) पद व लेषण ता लका बनाना (Preparation of item analysis Tabie):
येक पर ण पद (Test item) के स ब ध म आव यक सूचनाय न न ल खत सारणी म द जाती
है। इसक पद— व लेषण ता लका कहते है।
186
पद व लेषण ता लका (Item analysis Table)
पद उ े य व श ट करण उपइकाई पद भारांक क ठनाई स भा वत
सं. Objective Specification Sub— कार Weightage तर* समय ( मनट
Item unit Type Difficulty म)
No. Of Level Expected
Item Time(Min)
1.
2.
3.
4.
*क ठनाई तर – A क ठन B सामा य C सामा य से कम
Diffcult Average Easy
5) अंक कं ु जी बनाना ( Prepare Scoring Key): अब व याथ के उ तर को जांचने
के लये येक न के उ तर को अंक दान करने हे तु जांचक ता क सहायता के लये कं ु जी (Scoring
Key) तैयार क जाती है। इसम येक न के उ तर के लये सह अथवा वैकि पक (Alternative
answers) दये जाते हे। व ान म कुछ न रे खा च बनाने के स ब ध म हो सकते है। ऐसे न
के उ तर के लये कु जी म पा यपु तक (लेखक का नाम, काशक का नाम, वष, पृ ठ) म बना गये
च के अनु प लख दया जाता है। व तु परक पद के लये कं ु जी क दो पंि त—सारणी (Two raw
table) होती है। लघू तरा मक और नकधा मक पद के लये एक ह कं ु जी होती है। इसम तीन त भ —
पद मांक, सह उ तर और अक वभाजन होते है।

165
6) पर ण फलांकन (Scoring the Scores): अब छा वारा दये गये उ तर
का अंक कं ु जी के नदश के अनुसार आकलन ( Assessment) कया जाता है।
7) ा तांको का व लेषण (Analysis of the Test): ा तांक के वग करण
(Classification) करने के बाद उनका सारणीयन कया जाता है। इसके उपरा त उनका सांि यक य
(Statistional) तकनीक (techiquse) क सहायता से व लेषण (Analysis) कया जाता है।
8) न कष एवं तपुि ट ( Conclusions and Feedback): व लेषण के प रणाम
से छा अ धगम के वषय म वां छत (Desired) न कष (Conclusion) ा त कये जाते ह। इसक
सहायता से आव यकतानुसार वषय—व तु (Content), उ े य (Objectives), अनुदेशन
यूर (Instructional Strategies) आ द मे आव यक (Needed) संशो धत कये जाते है।
वमू यां क न
1. इकाई पर ण के नमाण के पद मवार इस कार है : —
i)— — —— — —— ——ii) —— — — — —— — iii) — —— — — — — ——
iv) —— — ——— — — v)— — — — —— — — vi) —— — — — — — ——
vii) —— — — — —— viii) —— — —— — — — — ————

8.10 पर ण पद नमाण म सावधा नयां


(Precautions in Preparing Test Items)
पर ण पद नमाता को न नां कत पर यान दे ना चा हये :—
1. पर ण पद नधा रत वषय—व तु से ह स बि धत हो।
2. पर ण पद प ट तथा य प से व श ट उ े य रो ह स बि धत ह ।
3. वां छत क ठनाई तर का यान रखा जाये। 25% पर ण पद उ च, 50% औसत एवं 25%
न न क ठनाई र तर के ह ।
4. पर ण पद का ा प यू ट के अनुसार ह ।
5. पर ण पद म वभेदक शि त (discriminating power) होनी चा हये।
6. पर ण पद क भाषा सरल तथा उ े य से ह स बि धत हो।
7. पर ण संि थ त ज टल न हो।
8. न ब दुगत (Pointed) हो।

8.11 व तु न ठ पर ण—पद के कार


(Type of Objective Type Test Items)
व तु न ठ पदो के कार न न ल खत वग मे बांटे जा सकते है —
क) साधारण या मरण न (Simpel Recall Type Questions): ऐसे न से त य
के या मरण क जांच होती है। ये एक श द उ तर के होते है।

166
ख) र त थान पू त न (Completion Questions): इस कार के न या मरण
स ब धी जाच के लये यु त होते है। ाय: इ ह अपूण कथन के प मे लखा जाता है।
ग) बहु वक पीय प (Multiple Choice Questions): इस कार के पर ण म बहु त से
थन दये जाते है, िजनके आधार पर कथन क स यता एवं अस यता दे खी जाती है। इ ह
स य /अस य अथवा हां /नह कार के न भी कहा जाता है। क तु इनको कम ाथ मकता
द जाती ह। य क इनम अनुमान (Guess) म सह उ तर को ाथ मकता (Probalility)
50% है।
घ) वग करण प (Classification type) : इसम व तु को रे खां कत करने क आव यकता
होती है जो अ य व तु से भ न है।
ङ) तु य या मलान पद न (Matching question): इस कार के न म दो त भ होते
है। एक त भ म अ धक वक प रहते ह एक त म के शन से दूसरे त भ म लखे वक प
के न के म के अनुसार मब करना होता है। इन न के मा यम से प रभाषाओं,
घटनाओं, उनसे स बि धत नाम , त थय आ द के संब धो के ान का मापन सरलता से
कया जा सकता है।
वमू यां क न
1. अ छे पर ण पद के तीन मु ख गु ण है –
i) ——— —— —— —— — — ii) ——— — — —— —— — iii)— — — —— —— ——
2. सव े ठ पर ण पद होता है : —
—— — ——— — —— — — —— — —— — — — ——— — —— — —— —— ———
—— — ——— — — —— — — —— — —— — —— — — —— —— ——

8.12 व ान का टांत इकाई पर ण


(Illustrative Unit Test in Science)

इकाई पर ा
UNIT TEST
वषय (Subject) : व ान समय (Time): 55 मनट
इकाई (Unit) : मानव संरचना पूणाक (M.M): 25
क ा (Class) : VIII
डजाइन (Design)
1. उप इकाईय का भारांकन (Weightage to Sub Unit)
उप इकाई भारांकन %भारांकन
Sub Unit Weightage %Weightage

167
I — तं का तं क संरचना 10 40
II — तं का तं क काय व ध 5 20
III — अंत: ावी तं 5 20
IV — ानेि यां 25 100
2. व भ न उ े य मे भारांकन (Weightage to Different Objectives):
उ े य भारांकन %भारांकन
(Objectives): Weightage %Weightage
ाना मक (K) 8 32
अवबोधना मक (U) 6 24
कौशला मक (S) 5 20
उपयोजना मक (A) 6 24
योग (Total) 25 100

3. व भ न पद कार म भारांकन (Weightage to Different Type of Test Items):


पद कार भारांकन %भारांकन
Type of Test Items Weightage %Weightage
व तु न ठ (O) 7 28
स त उ तर (S) 6 24
नब धा मक (E) 12 48
योग(Total) 25 100

यू ट (Blue Print)

ट पणी: पु पां कत पंि त म एक ह पर ण पद के अलग—अलग उ े य से स बि धत भाग


है।
क ा : VIII वषय : व ान समय : 55 मनट
Class Subject Time

168
इकाई (Unit) : मानव संरचना पूणाक (Marks):25
1. मानव तं का तं के मु य भाग क सं या है —
(अ) चार (ब) तीन
(स) दो (द) एक ( )
2. जीभ के प च भाग क क लकाओं से कस वाद का अनुभव होता है –
(अ) मीठा (ब) ख ा
(स) नमक न (द) कडवा ( )
3. मि त क से नकलने वाल त काय है :—
(अ) म रत क त काय (ब) तं त काय
(स) कपाल त काये (द) अ य. ( )
4. न न ल खत म तवत या है —
(अ) गरम व तु से त काल हाथ हटाना
(ब) व तु को एक थान से दूसरे थान पर रखना
(स) सोच— वचार कर काय करना
(द) कल से लखना
5. मा टर ि थ है —
(अ) पीयूष (ब) पाइराइड (रन) ए ीनल (द) अ नाशय ( )
6. कसी यि त को ग ध का पता नह ं चलता यो क:—
(अ) वह ग ध का उ ीपन हण नह ं करता
(ब) उसको सद जुकाम है
(स) उसको थ का ान नह ं होता
(द) उसक ले मा म सू जन है ( )
7. यूरामे टर और पाइरामेटर के म य म है :—
(अ) ठोस (ब) व (स) गैस (द) जैल ( )
भाग (ब) (Part— b)
8. तवत चाप को अपने श द म प रभा षत क िजए। 2
9. वाइराइड सि ध से उ प न हाम न का ववरण द िजए 2
10. प रधीय तं का तं क या या क िजए 2
11. कान के व भ न भाग या है। सु नने क या प ट क िजए 1+2
12. आंख का नामां कत च बनाइये। 3
13. वायत का नामां कत च बनाइये। 3
14. मानव तं का तं के कतने भाग है। के य तं का तं को प ट क िजए 1+2
पद व लेषण ता लका
(Item Analysis Table)
पद सं. उ े य व श ट करण उपइकाई पद भारांक क ठनाई स भा वत

169
Item Objective Specification sub— कार Weightage तर* समय
No. unit type Difficulty ( मनट म)
of Level Expected
Item Time
(Min)
1. K या मरण I 0 1 C 1
2. K या मरण IV 0 1 C 1
3. U चयन करना I 0 1 B 1
4. U चयन करना II 0 1 B 1
5. K या मरण III 0 1 C 1
6. U कारण बतलाना IV 0 1 B 1
7. K पहचान I 0 1 C 1
8. I प रभा षत करना II S 2 B 3
9. U या या III S 2 B 3
10. K, U या मरण और OO S 2 A 3
या या
11. K, U या मरण और IV E 3 B 6
या या
12. S च बनाना IV E 3 A 6
13. S च बनाना I E 3 B 6
14. K, U या मरण और I E 3 A 6
या या
क ठनाइ A क ठन B सामा य C आसान
DifficultyLevel Difficult Average Easy
ा तांक कं ु जी ( SCORING KEY)
भाग—अ (Part A)
पद सं (Item No) 1 2 3 4 5 6 7

सह उ तर (Corrt.ans) ब ब स अ अ अ ब

अंक . (Marks) 1 1 1 1 1 1 1

भाग — ब (part —8)


पद सं. सह उ तर क प रे खा अंक
Item No. Correct Answer Scores
8. सह प रभाषा 2
9. सह ववरण 2

170
10. सह या या 2
11. भाग का सह उ लेख 1
सह या या 2
12. सह नामां कत च 3
13. सह नामा कत च 3
14. सह उ लेख 1
सह ववरण 2
ट पणी: सह उ तर के लए रा य सरकार वारा क ा 8 के लए नधा रत व ान क
पा यपु तक के इकाई 8,9 का अ ययन कर, उसी अंक दान कये जाय।

8.13 व ान वशण म मू यांकन क सफलता


(Success of Evaluation in Science Teaching)
मू यांकन हमारे श ा शा क सबसे बडी चु नौती ह यह श ा यव था के सभी तर एवं
क ाओं के लए बहु त बडी चु नौती ह। मनोवै ा नक ि ट से सभी आ त रक मू यांकन को सव तम
मानते है। क तु जब इसके या वयन क बात आती है तो नराशा ह हाथ लगती है। य द एक सं कृ त
श द इसके लए योग कया जाये तो वह है '' वषयी पर” (Subjective) योगा मक प म सी मत
े मे भी इसके नराशा मक प रणाम आये। फर भी इस दशा म च तन जी वत रखा जाना चा हए।
कभी तो हम उस तर पर पहु ंच ह जायगे। एक मू यांकन यव था क सफलता न न ल खत पर
नभर है ।
1. मू यांकन अ भवृ क नर तरता के दशन पर आधा रत हो। यह बाहय पर ा यव था म
स भव नह है। यह तो आ त रक मू यांकन म ह सहज है। व याथ का आकलन उसके
वतमान तर का हो। जो क उसने उपल ध समयाव ध म ा त कया है। तथा िजसको उसने
अपने पूव तर के बाद ा त कया है। इस कार मू यांकन क सफलता उसके वैय तीकरण
के तर पर आधा रत है।
2. मू यांकन क सफलता उसक नर तरता से बंधी हु ई है। यह आ त रक मू यांकन म ह स भव
है। जो क श क क ईमानदार और व याथ के व वास और दोन क इसके लए त परता
पर आधा रत है।
3. मू याकन अ धगता के लए वीकारा मक आ म—धारणा (Positive Self concept) के
वकास का मा यम बनना चा हए। ामीण आचल के व या थय क व ान म उपलि ध
तर न न है। ामीण प रवेश क सीमाओं को बा य मू यांकन म अनदे खा कया जाता है,
िजससे अनु तीणता प रणाम का तशत अ धक ह। फल व प छा क आ मधारणा के
वकास को ध का लगता है। मू यांकन क सफलता इसम है क थानीय सीमाओं को यान
म रखा जाये।
4. मू यांकन का बल इस प पर हो क व याथ को अ धगम म सहायता मले। इसके वारा
उसम नये अथ का वकास हो। वह मूल और उपल य व त साम ी म नयी स भावनाओं

171
को परखने और नये संयोग म सृजन के लए अवसर ा त कर सके। प ट है क मू यांकन
श ण क एक या है।
5. व या थय म आ म—मू यांकन क अवधारणा के वकास के लए अवसर उपल ध कय
जाये। उ ह ो साहन दये जाय क वयं अपने लए अ धगम उ े य नधा रत कर। इन उ े य
क ाि त के लए स भव युि तय को वे वयं ढू ं ढने का यास कर।
6. मू यांकन व यालय भवन तक ह सी मत न हो। व ान मेले, दशनी, अजायबघर,
कायानुभव सा हि यक और मनोरं जन के काय म , यि तगत शौक (Hobby) आ द म इसका
सरण वाभा वत प म हो।
7. भारत म व ान श ा का ल य यह हो क व याथ अपने पयावरण के उपल ध पदाथ को
अपनी सम याओं के समाधान म उपयोग कर सके। अत: मू यांकन केवल बाहय पर ा म
छा के न पादन पर आधा रत न हो, बि क उसके वै ा नक और वै ा नक अ भवृि त के
तर पर आधा रत हो।
सभी व ान श क को अपने यि त व का वकास इस तर तक करना चा हए क वे
व ान म आ त रक मू यांकन के लए सह अ धकार के प म प हचाने जाय।

8.14 वमू यांकन


(Self Assesment)
न न म से थम 8 उ तर 100 श दो तथा अ य उ तर 500 श द म द िजए।
1. व ान श ण म मू यांकन को प रभा षत क िजए।
2. पर ा, पर ण और मापन क अवधारणाओं को प ट क िजए।
3. पर ा और मू यांकन म वभेद क िजए।
4. व ान श ण म मू यांकन का या मह व है?
5. व ान श ण म मू यांकन क व धय और तकनीक से या ता पय है?
6. व ान श ण म उ े य, अनुदेशन और मू यांकन कस कार अ तस बि धत है?
7. व ान श ण म पर ा के व भ न व प गुण या है?
8. अ छे पर ण के मु ख अ भला णक गुण या है?
9. व ान म पर ण नमाण के म का ववरण द िजये।
10. क ा IX के लये व ान क कसी इकाई के लये न न ल छले के आधार पर इकाई पर ण
तैयार क िजए
K.U.A.S. म अंकभार मश: 10, 15, 20,5 ह । O.S.E. म अंकभार मश: 10(1*10),
15(3*5), 25(5*5) ह ।
16. क ा—X के लये व ान क वा षक पर ा हे तु न—प तैयार क िजए इसके लये डजाइन,
यू ट, पद— वशेषण ता लका, अंक कं ु जी भी द िजए।

172
8.15 नैदा नक पर ण
(Diagnostic Test)
नदाना मक पर ण का अथ एवं प रभाषा:
श ा के े म अप यय और अवरोधन क सम या सदै व बनी रहती ह। इसके नराकरण
के लए श ा व नर तर यास करते रहते है।
नैदा नक पर णक या श ा म च क सा व ान (Medical Science) से आयी है।
िजस कार डाँ टर रोगी के ल ण दे खकर रोग का अनुमान लगाता है। उस रोग के कारण जानकर
उसका नदान करता है और नदान करने के उपरा त उसका उपचार करता है ठ क इस तरह श क
डाँ टर का काय करता है। छा म यि तगत व भ नताएँ होने के कारण कुछ छा पछडे, मंद, बु ,
तभावान होते है। श क उसके पछडेपन के कारण को ात करता है। श क का काय डाँ टर से
क ठन है य क यहां पर पछडा छा पछडेपन का कारण नह जानता इसके लए श क के पास
नदान के लए उपकरण (tools) होने चा हए।
प रभाषा
1. गुड के अनुसार — नदान का अथ है अ धगम स ब धी क ठनाइय और क मय के व प
का नर ण करना।
2. योकम व स पसन के अनुसार — नदान कसी क ठनाई का उसके च ह या ल ण से ान
ा त करने क कला का काय ह यह त य के पर ण पर आधा रत क ठनाई का प ट करण
3. मरसेल के श द म — िजस श ण म बालक क व श ट ु टय का नदान करने का वशेष
यास कया जाता है उसको बहु धा नदाना मक श ण या शै क नदान कहते है।
“The diagnostic test is the instrument development by educational
scientist for the purpose of locating difficulties and if possible revealing their
causes”,
- Yokam & Simpson
नदाना मक एवं उपचारा मक च क सफलता एवं असफलता न न च या या कर
सकते है।

नदाना मक पर ण तथा उपचारा मक श ण च


(A Dianosnostic Testing and Remedial Teaching Cycle)

173
8.16 नदाना मक पर ण का उ े य
(purpose of DiagnosticTest)
1. व ान, वषय के अ ययन से स बि धत क मय , क ठनाइय का पता करना।
2. अ धगम के दौरान आने वाल क मयो का श क वारा पता लगाया जा सकता है।

8.17 नदाना मक पर ण का नमाण


(Preparation of Dianostic lost)
नदाना मक पर ण क योजना बडी ह सावधानीपूवक क जानी चा हए। इस पर ण के
नमाण के लए अनुभवी यि त या श क क ज रत होती है। नदाना मक श ण के नमाण करते
समय न न ब दु पर यान दे ना आव यक है।
1. सबसे पहले वषयव तु का व लेषण कर ले। यह जान ले क छा म कन त य, स ा त
अथवा वषय व तु का वकास करना है।
2. व श ट अ धगम एवं यवहारगत प रवतन के प म स यय का व लेषण कर।
3. अ धकतर न व तु न ठ या लघुतारा मक होने चा हए
4. पर ण का (Try out)
5. का नमाण (Final Draft)
नैदा नक पर ण के प चात ् अंकन क या : नप क गुणा मकता (qualitative) से
संबं धत ब दुओं को ह अ यापक को अपने पास अं कत करना चा हए। पर ण के उपरा त छा वारा
क गई ु टय को एक छोट सी अंक पुि तका म अं कत कया जाये। येक छा क अंक पुि तका
अलग—अलग हो, इसम उपचारा मक श ण के लए उपयु त व ध का भी अंकन कया जाना चा हए।
इसके आधार पर छा क ु ट का मूल कारण जानकार उरने उपचार दे ना संभव हो पायेगा।
कु छ छा व ान वषय म अ छ अंक ा त नह करते इसका कारण अ भ रे णा क कमी,
च वक सत न होना या जीव के व छे दन (Dissection) करने क या से घबराना है और व ान
के त नकारा मक अ भवृि त वक सत होना ऐसे व याथ के लए उपचारा मक श ण क
आव यकता होती है।

18.8 उपलि ध पर ण एवं नदाना मक पर ण


(Achievement & Diagnostic Test)
व यालय के बालक जो कु छ भी ान ा त करता है या सीखता है उसे उपलि ध कहते है।
इस उपलि ध क जांच के लए जो पर ाएं ल जाती है डनह उपलि ध पर ा या पर ण कहते ह
उपलि ध पर ण का नमाण मु यतया बालक के सीखने के व प और सीमा का मापन करने के
लए कया जाता है।
बालको के २ तर नधा रत करना, सीखने क कुशलताओं म ग त एवं े ठता नि चत करना,
उपलि ध का मू यांकन करना, पा य म म आव यक प रवतन करने, श का क कायकु शलता का

174
पता लगाना, व भ न कौशल का वकास करना, श ण व धय क उपयु तता ान करना आ द
उपलि ध पर ण के उ े य है तथा ये दो कार के हो सकते है—
1. मापीकृ त उपल य पर ण (Standardized Achievement test)
2. अ मापीकृ त या अ यापक न मत उपल य पर ण (Nonstandardised ओर Teacher
made achievement test)
उपलि ध पर ण के न न काय है—
सू चना ोत के प म, अ धगम हे तु नद शत करना, शै क तर बनाये रखना, श ण
व ध के चयन म सहायता दे ना, शै क व ध के चयन म सहायता दे ना, शै क एवं यवसा यक नदशन
दे ना, वभेदन शि त बढाना, पा य म म संशोधन करना आ द उपलि ध पर ण (Actievement
test) के काय है।
नदाना मक पर ण वारा यह जानने का यास कया जाता है क व ान के अ ययन म
छा को कौन—कौन से क ठनाइयां है? वे कहां और कस कार क गलती करते ह बालक के क ठनाइय
एवं कमजो रय का पता लगाने के लए िजन पर ाओं का योग कया जाता है वे नैदा नक पर ा
या नैदा नक पर ण कहलाती है।
सारांश (Summary) — नदाना मक पर ण छा क कमजो रय का पता लगाने क
योजनाब पर ा है। ये क मय अ यापक क ा—क श ण, मौ खक, पर ा ल खत, क ा काय,
गहकाय आ द से ा त करता है।
वमू यां क न न
1. नै दा नक पर ण का अथ एवं प रभाषा समझाइए।
2. नै दा नक पर ण के उ े य बताये ।
3. नै दा नक एवं उपचरतमक श ण च को समझाइये ।
नैदा नक पर ण न—प

वषय — व ान
करण: पादप का यक
उ े य : 1) छा म पारग यता (permeability) वसरण (diffusion) परासरण (Osmosis), जल
वभव (Water potential), जीव य कं ु चन ( Plasmolysis), जीव य वकुचन
(Desplasmolysis), अ त:चू षण (Imbobition), रसारोहण (Acent of sap), स ब धी
क ठनाइय को ात करना।
2) उपरो त पादप का पक स बि धत क ठनाइयो का ' कारण ात करना।
नदश :
1) सभी न करने अ नवाय है।
2) कोई समय सीमा नधा रत नह है, फर भी शी ता से क रये।
3) Rought (रफ ) काय अलग पेपर पर कर।

175
4) उ तर नधा रत थान पर द।
5. व ान क वह शाखा िजसके अ तगत पादप शर र म होने वाल व भ न उपापचयी याओं
का अ ययन कया जाता है, कहलाती है—
(1) काश सं लेषण (2) पादप का मक
(3) पादप म वसन (4) कोई नह
. 2 ताजे अंगरु को कसम रखने पर सकु ड जायगे—
(1) गम जल म (2) ठ डे जल म
(3) टाच वलयन म (4) सां लवण वलयन म
. 3 वलयन का परासरण दाब कैसे मापा जा सकता है —
(1) फोटोमीटर (2) ओ मोमीटर
(3) कैलोर मीटर (4) जीव य कं ु चन
. 4 अ त: परासरण क या होती है, जब पादप को शका को रखा जाता है—
(1) समपरासर य वलयन (2) अ पपरासर य वलयन
(3) अ त परासर य वलयन (4) Hcl वलयन
. 5 जै वक तं म परासरण म कसका नसरण न हत होत है —
(1) जल (2) वलेय
(2) ऊजा (4) 1 और 2 दोन
. 6 चयना मक पारग यता कस या व ध क वशेषता है
(1) वसरण (2) परासरण
(3) अ त: चू षण (4) जीव य कं ु चन
. 7 पादप म अ पारग य झ ल वारा कसका वसरण होता है —
(1) वलायक (2) वलेय
(3) वलायक व वलय द नो (4) इनम से कोई नह
. 8 सू खे बीजो को जल म रखने पर वह फूल जाते है यो क —
(1) अ त:चू षण (2) अवशोषण अथवा अ त: चू षण
(3) वसरण (4) अ धशोषण
. 9 पादप को शका को आसु त जल पर रखने पर वह हो जायेगी —
(1) फत (2) पले सड
(3) जीव य कं ु चत (4) पराग य
. 10 न न म से कौनसा अवशोष ती ग त से होता है —
(1) न फय अवशोषण (2) स य अवशोषण
(2) लवण अवशोषण (4) मू ल अवशोषण
. 11 रसारोहरण (Accent of sap) के लए लए relay pump hypothesis कसने
तपा दत क —
(1) बोस (2) गो डलेव क
(2) वे टन (4) ासबगर
176
. 12 एक अ प परासार वलयन म जीव य कं ु चत को शका को रखने पर वह पुन: फत
हो जाती है कस कारण —
(1) जलयोजन (2) इले ोलाइसीस
(3) जीव य कं ु चन (4) व—जीव य कं ु चन
. 13 र खुलते एवं बंद होते है —
(1) र ी को शकाओं म हाम न प रवतन
(2) र ी को शकाओं क ि फल दाव म प रवतन
(3) गैस का आदान दान
(4) वसन
. 14 पौधो म िजंक कस प म पाया जाता है—
(1) ZnSoy (2) Zntt
(3) Zno (4) Zn
. 15 ब दु ाव कसके कारण होता है —
(1) मू ल दाब (2) परासरण
(3) वाणोतसजन (4) संसजन बल
उ तर ता लका
न 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15
उ तर 2 4 2 2 1 2 1 2 1 1 2 4 2 2 1

8.19 उपचारा मक श ण (Remedial Teaching)


उपचारा मक श ण का अथ :
नदान का अपने आप म कोई मह व नह होता ह जब तक क उसके उपरा त उपचार न
कया गया हो। नैदा नक पर ण सदै व उपचारा मक श ण का अनुगामी होता है। उपाचारा मक पर ण
का ल य सु धारा मक ह। उपचारा मक श ण या उस तर स ार भ क जानी चा हए, जहाँ स
ु टपूण अ धगम ार भ हु आ ह।
व ान वषय म उपचारा मक श ण क प त न न है:
1. क ा श ण (Class – Teaching)
2. सामू हक बोधन श ण (Group Tutorial Teaching)
3. यि तगत बोधन श ण (Individual Tutorial Teaching)
4. पयवे ण बोधन श ण (Supervised Tutorial Teaching)
5. योगा मक बोधन वग (Practical Tutorial)
1. क ा क श ण म सभी व या थय को जो इकाई या करण उ ह समझ म नह
आ रहा ह या इन पा य इकाई के उ तर लखने म गलती कर रह ह उसे पुन: पढाया जाता ह िजसम

177
योग, य— य साम ी आ द का उपयोग कर इकाई को चपूण व बोधग य बनाकर कमी को दूर
कया जाता है।
2. सामू हक बोधन श ण (group Tutorial Stage)
इस श ण म श क क ाओं के उपक ाऐ बनाकर पर पर याएँ एवं त याएँ करवायी
जाती ह। िजससे छा क अ भ यि त सश त होती ह उनम आ म व वास का वकास होता ह।
3. यि तगत बोधन श ण (Individual Tutorial Teaching)
इस श ण म यि तगत छा क ु टय को कम कया जाता ह। येक छा को अलग
अलग श ण कराकर उनक क मय को दूर कया जाता ह। इस श ण म छा वत: क ग त, यो यता
एवं मता के आधार पर सीखता ह।
4. पयवे ण बोधन श ण (Supervised tutorial Teaching)
इस कार का श ण तभाशाल छा के लए उपयु त होता ह। इसम छा श क स
समय—समय पर मलकर वचार वमश करते ह, अपनी सम याऐं तु त करत ह, श क उनक
सम याओ का समाधान करवाते ह। क ठन वषय पर वाद— ववाद करवाया जाता ह।
5. योगा मक बोधन श ण (Practical Tutorial Teaching)
यह या मक प पर अ धक बल दे ता ह इनम यि तगत तथा सामू हक दोन प म याएँ
करवायी जाती ह। व ान वषय योग पर आधा रत ह।
व ान वषय म उपचारा मक श ण या अ ययन करत समय न न बात का यान रखना
चा हए—
1. क ा म वषय से स बि धत सम याओं को हल करते समय छा को यान वशेष प से
उन यय , स ा त , याओं आ द क ओर खींचा जाये िजनम छा ु टयाँ करते है।
2. छा ो को क ा म तथा क ा के प चात ् आव यकतानुसार यि तगत परामश दे कर व ान
को सीखने म सहायता द जानी चा हएं
3. छा के ल खत काय, च बनाने, नामांकन करने, च म रं ग भरने आ द म सुधार कर
ु टयो दूर करने का यास करना चा हए।
4. छा को शु एवं प ट लखने क व च बनाने क आदत डाल जाये।
5. योग आ द करके दखाया जावे फर छा को उपकरण का उपयोग करने दया जाये।
6. का यक (Physiology) के योग करते सम, व छे न (dissection) करते समय जीव ज तु
व पेडू पौध क पहचान व वग करण करते समय सेमान क टंग (Section cutting) करते
समय व अ य योग करते समय छा को प ट कर दया जाये क उ ह या ात करना
है तथा अवलोकन व नणय कैसे लखना है।
7. छा को सोचने एवं तक करने के लए क ा म पया त अवसर दे ने चा हए।
8. येक वइग़न के योग, अ यास, सव ण छा वयं करे तथा व भ न ययो, स ा तो
याओं आ द का ववेचन कर उपयोग करे िजससे उनमे आ म व वास क भावना का वकास
हो।
9. समय—समय पर छा को उनक उ न त के स ब ध म बताते रहना चा हए।

178
10. अ यास काय व भ न कार का होना चा हए िजससे नीरसता न आये। यथा उ हे फ ड सव
(field, survery) कभी योग आ द दये जाने चा हए।
11. सीखने के मनो व ान के अनुसार उपचार वैयि तक होना चा हए।
सारांश (Summary)
नदान के उपरा त ह उपचारा मक श ण कराया जाता है। उपचारा मक श ण क व भ न
प तयाँ है। उन प तय के मा यम से व याथ क क मय का उपचारा मक कया जाता है।
वमू यां क न
1 उपचारा मक श ण का उ े य या है ।
2 उपचारा मक श ण क वभ न प तय का वणन करे ।
3 व ान वषय का अ ययन करते समय या उपचारा मक श ण करते समय
कन बात का यान रखना चा हए।

8.20 बहु वक प न अथवा बहुचयना मक न (Multiple Choice –


items Questions)
बहु वक प नो को जानने से पहले व तु न ठ न को जानना ज र ह। व तु न ठ न
व तु ि थ त पर आधा रत होते है। इनके उ तर दे ने म छा को वतं ता नह होती है, यो क येक
न का एक व श ट उ तर होता है और छा से वह व श ट उ तर दे ने क आशा क जाती है। य द
छा उस व श ट उ तर के अ त र त ओर कु छ भी उ तर दे ता है तो वह गलत माना जाता है। व तु न ठ
नो के मू यांकन पर कोई मतभेद नह होता है। ऐसे न व वसनीय (Reliable) तथा वै य (valid)
होते है। इनसे छा क एका ता, तक, मरण शि त, आ म व वास तथा नणय शि त का पता चलता
व तु न ट न अ मापनीकृ त का मापीकृ त हो सकते है –

179
बहु वक प या बहु चयना मक न
इस कार के न म एक ह न के कई उ तर दये जाते है। इन दये गये उ तर म से
ठ क उ तर का पता लगाना होता है।
बहु वक पीय नो को तैयार करते समय न न नदशो क ओर यान दे ना चा हए
(i) इस कार के पर ण म एक संक पना का पर ण कया जाता है।
(ii) पर ा इस कार का होना चा हए िजससे कमजोर, म यम, और बु मान छा के समू ह को
अलग कया जा सके।
(iii) न क भाषा प ट होनी चा हए
बहु वक पीय न के मूलभाग को लखने के लए कई मह वपूण व धयां है जैसे —
1. मू ल भाग का तुतीकरण न के प म।
2. मू ल भाग का तुतीकरण अधूरे वा य के प म।
3. वा य को सम या बनाकर िजसका समाधान करना है, के प म।
दूसर ओर स भा वत उ तर वक प के प म दये जाते है िजसम से छा सह उ तर का
चयन करता है। स भा वत उ तर लखने के लए मु य नदश न न है :—
1. उ तर इस कार लखने चा हए क िजन छा ने पाठ का गहन अ ययन न कया हो उ ह
सभी स भा वत उ तर सह लगे।
2. सू म वचार उ तर म समा हत होने चा हए जो एक मा यक छा , व श ट अ धगम के बारे
म सोचता है।
3. वक प इस कार के होने चा हए जो सामा यत: दे खने पर सभी एक जैसे लगे ले कन उनम
सू म भेद अव य होना चा हए।
4. सह उ तर के लए छा को कोई संकेत नह दे ना चा हए अथात ् छा कसी संकेत वशेष के
आधार पर उ तर का चु नाव न कर सक।
बहु वक पनीय न के उदाहरण नीचे तु त कये गये है। इन न के मू ल भाग न के
प म, अधू रे वा य के प म और समरचा बनाकर समाधान के प म तु त कये गये है।
उ प रवतन वाद (Mutation theory) कसने द ?
(1) डा वन (2) ह सले
(3) लेमाक (4) हयूग क वे रस ( 4 )
पेय जल का सबसे सु र त ोत है
(1) नद (2) हे डपंप
(3) तालाब (4) झील ( 2 )
तेल से भरे म म चढाने के लए कसका उपयोग कया जाना चा हए—
(1) नल समतल का (2) धु र का
(3) प हए का (4) वेज का ( 1 )

180
8.21 न बक
व श ट अनुदेशा मक उ े य के मू यांकन के लए सह न को बनाना बडा ह क ठन काय
हे । श ण अ धगम या म मू यांकन के मह व को समझकर येक श क से यह आशा क
जाती है क वे अपने वषय से स बि धत करण पर न का नमाण कर। क ा क श ण म
मू यांकन के अलावा श क को चा हए क वह छा क उपलि ध का भी मू यांकन कर। श क से
यह उ मीद क जाती है क वह गुणव ता वाले न क रचना करे जो व वसनीय व वै य हो। अ छे
न क रचना के लए अनुभवी एव यो य श क क आव यकता होती ह। कई बार ऐसा होता है
क अ छे ओर यो य श क क गुणव ता वाले न को बनाने म क ठनाई अनुभव करते ह। इस
समरया से नराकरण के लए न बक क आव यकता महसूस क गई। िजस तरह र त दे ने के लए
' लड बक' होती है, जो आव यकता पडने पर रोगी को र त दे ती है इसी तरह न बक का नमाण
कया गया है। न बक व तु त: तैयार कया गया न का समू ह है।
' न बैक' एक योजनाब पु तकाल है जहाँ पर पर ण द ( test item ) को इस कार
तैयार (Designed) कया जाता है क वह श ण अ धगम या म पूव नधा रत उ े यो क पू त
करता हो अथवा उसम सुधार लाता हो।
''A question Bank’ is a planned library of test item designed to fulfil
certain pradeternined purpose viz to improve the teaching learning process”
न बक ऐसे सं थाओं म होने चा ह जहाँ पर भौ तक सु वधाएं एवं यावसा यक यो यता
उपल ध हो और जो बक सेवाएं दे सके। NCERT, मा य मक श ा बोड, रा य श ा सं थाएं, रा य
व ान श ण सं था आ द म ' न बक' क थापना होनी चा हए।
न बक म न के कार.
न बक के लए न को बनाते समय दो पहलू ओं को वशेष प से यान दे ना होता है।
पहला पहलू तो यह क वह छा म यवहारगत प रतवन ला सके। दूसरा पहलू यह क वह वषय
व तु से स बि धत हो।
न सं ा मक, भावा मक एवं या मक तीन प से स बि धत होने चा हए।
न चार कार के होने चा हए नबंधा मक, व तु न ठ, अ तलघु तरा मक, लघु तरा मक।
नबंधा मक नो से छा ो को मौ लक च तन बढता है और वह वषय व तु . धान होता है। जब क
व तु न ठ, अ त लघुलरा मक, लघुलरा मक न उ े य आधा रत अथवा मता आधा रत (छा क
वभ न मताओं का पर ण) करने वाले होते है।
' न बक' के न बनाते समय नील प तैयार कया जाता। येक न के लए
अलग—अलग काड का इ तेमाल कया जाना बेहतर होता है क व भ न कार के न एवं उ े य
के लए अलग—अलग रं ग के काड का उपयोग हो िजससे न को छाटने म आसानी हो।
सारांश (Summary)
वतमान पर ा यव था मे आये दोष को दूर करने के लए यह अ छा सु झाव या वचार है।
वतमान पर ा म न म वह गुणव ता नह है जो होनी चा हए। इसे न बक वारा दूर कया जा
सकता है।

181
वमू यां क न
1. न बक कसे कहते है ?
2. न बक पर ट पणी लखे ।
3. शन बक म न कौन तै यार कर सकते है ?
4. न बक म न कन उ े य पर आधा रत होना चा हए।
' न बक' के लए न क रचना न न है —
व तु न ठ न
र त थान क पू त कर
1. ह क एवं पंखदार बीजो का क णन........................ वारा होता है।
2. कमल के बीजो का क णन.................. वारा होता है।
3. कागज......... व..................... के पौधो से बनाया जाता है।
4. ततल ................. अव था म भोजन लेती है।
सह वक प चु ने
5. कौनसा ज तु अपने ब च क दे खभाल करता है—
(अ) गौरै या (ब) मछल
(स) सप (द) मढक ( )
6. मछल म सवन या के अंग है —
(अ) फेफडे (ब) वसन न लकाएँ
(स) गलफडे (द) वचा ( लक) ( )
7. ज तु व वन प त को शका को वभे दत कया जाता है –
(अ) के क वारा (ब) को शका वारा
(स) माइटोकॉि या वारा (द) आकार वारा ( )
8. पैत ृक गुणो को एक पीढ से दूसर पीढ म ल जाने का काय करते है —
(अ) गुण सू (ब) केि का
(स) जी स (द) माइटोकॉि या ( )
9. पादप को शकाओं म अभाव होता है —
(अ) तारककॉय (ब) राइबोसोम
(स) रि त का (द) के क का ( )
10. आँख के सामने क व तु का ि ट पटल पर ब ब बनता है —
(अ) उ टा (ब) सीधा
(स) का प नक (द) इनम से कोई नह ( )
अ त लघु तरा मक न :
11. पानी शर र के लए य आव यक है?
12. ट के लगवाने म शर र पर या भाव पडता है?
13. हम थकान य अनुभव होती है?

182
14. ानेि यां कसे कहते है
15. केचु ओं कसा का म य है?
16. सजीव और नज व म दो अ तर ल खए।
17. बरन, साइ कल, मोटर आ द सब ग त करते है पर सजीव क ेणी मे नह आते य ?
18. कमल ग ा पानी म यो तैरता है?
19. म द भ पाइप क दो वशेषताएँ लखे।
20. संगीत क व न मधुर य लगती है/
लघु तरा मक न
21. कोयला कतने कार का होता है?
22. वन स पदा के संर ण हे तु कौन कौन से उपाय करने चा हए।
23. दै नक जीवन म नत समतल के स वा त को कस कार काम म लेते है ' उदाहरण वारा
समझाइए।
24. मृदा का अपरदन और अप रण म या अ तर है ?
25. यकृ त का मह वपूण काय या है?
नब धा मक न
26. तवत या (Reflex Arc) को च वारा समझाइए।
27. शर र म र त के मु य काय या— या है?
28. दाँते के कार एवं उनके काय का च वारा वणन कर।
29. योग वारा स क रये क वायु म ऑ सीजन 1 /5 एव नाइ ोजन 4 /5 भाग होता है।

8.22 खु ल पु तक पर ा (Open Book Examination)


खु ल पु तक पर ा से आशय है क पर ा के समय पु तक दे कर उ तर को लखना।
खु ल पुरतक पर ा का वचार नया नह ं है अ पतु अनेक वभागीय पर ाएँ खु ल पु तक
णाल म आधा रत है। खु ल पु तक पर ा म न का नमाण गहराई से होता है। व या थय को
काफ च तन एवं मथन कर उसका उ तर लखना होता है। इस तरह के न के उ तर ढू ँ ढने म काफ
समय लग जाता है और छा नधा रत समय तक न को हल नह कर पाते है। िजससे नकल करने
या अवा छत तर के के योग म रोक लग जाती है।
खु ल पु तक पर ा का वचार श ा जगत ् म इस लए आया क समय से पूव ह न प
बाजार म उपल ध हो जाते है, अ भभावक भी अपने ब च से अ धक आशा रखते है। इन सब बात
को दूर करने के लए कुछ श ा थय को यह मानना है क य न खु ल पु तक णाल को पर ा
म अपनाया जाये िजससे हम न न लाभ मल पायेगा।
1. छा क नकल करने के आदत बंद हो जायेगी।
2. छा क रटने क आदत समा त हो जायेगी।
3. छा को गहराई से अ ययन करना होगा।

183
4. न प का ढांचा नया होगा, िजससे कई वष पहले न प क सीमा म जो बंध गये थे
उससे छुटकारा मलेगा।
5. श ा वद क ि ट से यह यव था सु खद वातावरण का नमाण करे गी।
6. इरा णाल से उ च तर य ान का वकारा होगा।
7. छा पा य पु तक के अलावा संद भत पु तक का भी अ ययन करे ग िजससे च तन एवं
मथन जैसी मान सक याओं का वकास होगा।
8. पर ा क म छा गंभीरता पूव क न प का समाधान (solve) कर पायेग।
इस कार क पर ा प रप व यि तय के लए तो लाभदायक पर तु अ धगम करने वाले
छा के लए यह लाभ द नह है यो क व याथ कुछ याद ह नह करे गा उसके यह आशा रहे गी
क म कताव खोलकर न के उ तर हल कर लू ंगा।
'खु ल पु तक पर ा म न क रचना न न है
1. य द लार ि थयाँ अपना काय करना बंद कर दे तो भोजन के कौनसे त व का पाचन मु ख
म नह होगा।
2. मधुम खी एक सामािजक क ट है ? ववेचना क िजए।
3. जाडो म जानवर अ धक खाना खाते है?
4. वायुमंडल के बना वषा स भव य नह है?
5. ाकृ तक संसाधन का संर ण य आव यक है?

8.23 सदं भ थ (References)


1. Angle George Co,. The Philophy of Test Constuction in Science.
2. Doran D. Basic Measurement and Eduction of Science Instruction,
NSZA, Washington (1980)
3. Dressel P.L. and C.H. Nelison:Questions and Problem in Science,
Education Tesing Serice Pri...............(1956)
4. Gupta V.K: Teaching and Learning of Science in Secondary School,
Vikash Publish House N.D.(1995)
5. Gupta S.K: Teaching Physical Science in Secondary School, Sterling
Publisher N.D.
6. Hoffman B;Towards less emphasis on Multiple Choice Test Teachers
College Record (1996)
7. Kalra, R.M; Innovations in Science Teaching; Oxford &IBH Publishing
Co. N.D. (1976)
8. Negi, J.S. bhautiki shikshan; Vinod pustak Mandir, Agra (1999)

184
9. Vaidya Narendra; Science Teaching for the 21 st Century Deep and
Publication,N.D. (1996)
10. Waltor A. Thurber and Alfred T. Collette; Teaching Science in Tody’s
Secondary School; Prentice Hall of India N.D.(1964)

185
इकाई—9
व ान श ण म अनुदेशा मक साम ी का वकास, पा य
पु तक, का नमाण एवं मू यांकन
Development And Instructional Material In General
Science Teaching Text Book Preparation And
Evaluation.
इकाई क संरचना (Structure of the unit)
9.0 उ े य (Objective)
9.1 तावना (Introduction)
9.2 अनुदेशा मक साम ी का वकास
(Development of instructional material)
9.3 पा य पु तक ओर उसक आव यकता (Text Book and its need)
9.4 व ान श ण म पा यपु तक के कार
(Types of Text Book in science Teaching)
9.5 एक अ छे व ान पा य पु तक के अ भला णक गुण
(Characteristice of Good Science Text Book)
9.6 व ान क पा यपु तक क सीमाय
(Limitation of Science Text Book )
9.7 अनुपरू क पठन साम ी तथा उसक भू मकायय
(Supplementary reading material and its Role)
9.8 पा यपु तक का नमाण व मू यांकन
(Preparation of Text Book and Evaluation)
9.9 वमू यांकन (Self Assesment)
9.10 संदभ ं (References)

9.0 उ े य
(Objectives)
1. अनुदेशा मक साम ी के वकास का इ तहास जान सकेग।
2. व याथ और श क के लए व ान क पा य—पु तक क आव यकता एवं मह व को प ट
कर सकेग।
3. छा के लए अ छ व ान पा य—पु तक का चयन कर सकेग।

186
4. पा य—पु तक के अलावा अ य पठन साम य के मह व को आ मसात ् करते हु ए अपने श ण
म उनका लाभ उठा सकग।
5. व यालय म व ान पु तकालय का गठन और स चालन कर सकग।
6. पु तकालय के लए पठन साम य के चयन म सहायता दान करग।
7. छा पा य—पु तक का नमाण एवं मू यांकन को समझ सकेग।

9.1 तावना
(Introducation)
ान के व फोट (Explosion of Knowledged) क आधु नक घटना (Morden
Phenomenon) से सभी प र चत ह। व ान और उसके श ण—अ धगम (Teaching—learning)
के े (Areas) भी इससे अछूते नह ं है। इस लये व ान श ण म उन साधन का मह व बढता
जा रहा है जो क व ान वषय और उसके श ाशा (Education) म नवीनतम (Latest) और
पा यचया (Syllabus) क ि ट से पया त (Suffcient) वषयव तु उपल ध कर सके। वतमान म
हम जन संचार मा यम (Mass media) यथा: समाचार प (News paper) प काओं
(Magazines) पाठय—पु तक (Text Book), स दभ, सा ह य (Reference literature) से यह
उपल ध हो सकता है। जन संचार मा यम म मुख आकाशवाणी ( Radio) और दूरदशन (T॰V॰) क
चचा इकाई 5 म कर चुके है। यहां अ य क चचा क जा रह ह। ये सभी मु त साम यां (Printed
materials) है। इ ह व ान के व या थय को सहज सुलभ ( Easily Available) करने के लये
व ान पुरतकालय का संगठन (Organization of science library) मह वपूण ह। यह भी
आ म—सा य (Self—evidence) ह क इन मु त साम य म केवल एक ह पया त (Sufficiency)
दे खे तो कहा जा सकता है क वह पा य—पु तक (Text Book) और केवल (Only) पा य—पु तक,
व ान पुरतकालय ( Science library) एवं अनुपरू क पठन ( Supplementary reading) पर इस
अनु म (Sequence) म यहां चचा क जा रह है।

9.2 अनु देशना मक साम ी का वकास


(Development and instructional material)
ईसा से पूव क अगर हम स यता पर नजर डाले चाहे वह म क हो, मेसापोटा मया या
रोम और ीक (युनान) क तो हम पायगे क सभी अपने वचार , भावनाओं ओर सूचनाओं को पहु ँचाने
म च , च ह, श द का इ तेमाल करते थे।
अगर इन व भ न स यताओं क ल प क ओर यान दे चाहे वह म क हो, मेसापोटा मया
रोम ओर ीक क उदाहरण मस—हारोि ल फक ल प, बेबीलो मया क क ला र ल प, रोम क रोमन
ल प सभी ल पयाँ च ा मक थी। च के मा यम से ह वे वचार एवं सुचनाओं का आदान— दान
करते थे।

187
व ान के े सबसे अ धक ग त ीक (युनानी) लोग ने क । उ होने म तथा बेबीलो मया
के ान व ान का लाभ उठाकर कृ त के अनेक रह यपूण यवहार के पीछे छपे नयम क खोज
कर अनेक स ा त व नयम तपा दत कये। यूनानी दाश नक व वैजा नक ता कक, ायो गक एवं
नर ण करते थे। और उनके आधार पर नये योग करते थे। उ होने साधारण रे खाओं पर साधना
कर या म त का आरंभ कया। 17वी शता द के बाद ह पुरतक म च व मॉडल दये जाने लगे
उससे पहले पा यपु तक म च या मॉडल द शत नह ं कये जाते थ।
जे० एस० को म नयस (J॰S॰ Commenius) ने सन ् 1658 म पहल बार अनुदेशा मक साम ी
पा यपु तक मे तु त क ।
इसके बाद इरे मस (Eramus) पे टालॉजी (Pestalozzi) ोबेल (Froebel) एवं सो
(Rousseau) आ द दशनशा ीयो ने पा यपु तक म अनुदेशा मक साम ी के मह व पर जोर दया।
पा यपु तक म च या मॉडल के साथ अगर पा यव तु द जाती है तो अ धगम थायी
(Permanent) होता है य क लगभग 86% भाग ान का केवल दो ाि य (कान, ऑख) वारा
ा त होता है।
बहु इि य अनुदेशन के लए एडगर डेल (Edgar Dale) ने य य साधन क सहायता
से अनुभव के आधार पर एक वशेष कार का वग करण तु त कया। व ान वषय च , मॉडल,
संकेत तकनीक श द के बैगर समझ म नह ं आता है।
उदाहरण: — अगर हम मानव पाचन तं मानव मि त क, दय क संरचना आ द इकाई पढनी है तो
बैगर च के हम इनक नह ं समझ पायेग।

9.3 पा य—पु तक और उसक आव यकता


(Text Book and it’s Need)
एक पा य पु तक श क के लये श ण का उपकरण (Instrument) तथा श ाथ के लये
अ धगम का संसाधन (Learning resource) ह। पा य पु तक सूचनाओं का सं ह ( Collection
of Informations) मा नह ं है। यह वचार (Thoughts) और सं ेषण (Communication) का
एक सामा य साधन है। पा य पु तक श ण अ धगम क ि ट से एक पा य साम ी (Rading
Material) ह। यह श ण को नद शत (Direct) तथा अ धगम को सु वधा (Facility) दान करती
ह। यह नधा रत पा यचया (Syllabus) का त न ध व करती ह।
“पा यपु तक श ा के उ े य को ा त करने का साधन ह। यह कसी क ा के लये यवि थत
प से संग ठत वषय—व तु (Systematically organized content) होती है। यह याओं
(Activities) के नयोजन (Planning) यि तगत प रयोजना (Project) योगशाला के योग
(Laboratory experiements) एवं व या थयो क आव यकताओं (Pupil needs) क पू त के
लये मागद शका (Guide) ह। इस कार यह श ण अ धगम और मू यांकन के लये दशा— नदशक
ह।
कसी पा यचया म नधा रत अवधारणाओं के आधार पर पा य पु तक का नमाण होता है।
आजकल भौ तक क पा य पु तक का उपयोग संसाधन साम ी के प म होता है। इनम व ान

188
स ब धी सूचनाओं एवं त य ( Information and facts) होते ह। या मक काय के लय इनम
आव यक नदश होते है। एक अ छ पा य—पु तक न कष ( Inference), योग (Experiment),
न कष (Conclusion) नकालने के लये अवसर दान करती ह। ट . एल. ीन (T.L.Green) क
मा यता है क सामा य प म पा य—पु तक ह स पूण श ा ह। यह भी कहा जाता है क श ाथ
पु तको के वषय म अ य धक और स य के वषय म बहु त कम जानते है। चू ं क पा य पु तक का
नमाण पा यचया के अनुसार कया जाता है। इस लये श क के वारा वषय—साम ी का संगठन
(Oraganization of oontent) एवं छा का अ धगम (Learing) पा य पु तक पर ह आधा रत
ह। पा य पु तक म वषय—व तु (Content) क संरचना (Structure) का आधार पा यचया है। इसम
अ धगम के अ धका धक अवसर के लये पया त अ यास काय (Prractice work) होता ह।
पा य पु तक क मह ता (Importance) को सभी वीकार करते ह। श क एवं श ाथ
वारा इसका उपयोग (Use) सावभौ मक (Universal) कहा जा सकता है। पा य पु तक के बना
अ धगम और अनुदेशन ( Learning and instruction) क क पना नह ं क जा सकती है। शै क
वकास के साथ—साथ पा य म का वकास होता है। पा य म सामािजक और रा य येय (Goals)
क ओर बढने के लये औपचा रक माग (Formal means) का नमाण करता है। इसके आधार पर
ग ठत अ य वषय पर व भ न तर के लये पा य पुरतक न मत कये जाते है। पा यचया
(Syllabus) म नधा रत वषय—व तु को ह पा य पु तक म सं ह त (Assmbled) कया जाता
है। पा य पु तक उसके र चयता का यि तगत सृजन ( Individual creation) होता ह। फल व प
इसके ा प (Format) याि क संरचना (Mechanical structure) वषय व तु का संगठन
(Content organization) अ धगम ि थ तयो (Individule creation) आ द लेखक क सू झ
(Insight) समझ (Understanding) कौशल (Skill) और यि त व (Personalily) से सहज प
म भा वत होते ह।
पा य पु तक म पा य म के ल य (Aims of curriculum) क ाि त और सामािजक
आव यकताओं (Social needs) क पू त तथा श ाथ क िज ासाओं (Curiosity) को तृ त करने
के लये व श ट वषय व तु होती ह। इसका संगठन (Organization) शै क येय के प रवतन
(Change of education goals) मनोवै ा नक अनुसंधान (Psychological researches)
एवं शै क तकनीक (Educational technology) क ग त पर नभर करता है। इसम कसी भी
कार के प रवतन से पा य पु तक म प रवतन अ नवाय ह। अ यथा यह अ यावहा रक हो जायेगी।
पा य पु तक अ धगम क ता वत वषय—व तु का मू ल ोत ह। इस पर श क और श ाथ क
नभरता (Dependency) इस कथन से ''जैसी पा य पु तक वैसा ह श ण और अ धगम
(Teaching and learning are so as the text book) '' प ट हो जाती है। हमारे दे श म
श ाथ पा य पु तक को ह ानका ोत समझता है। व याथ यावहा रक प मे श क से भी
अ धक मह व पा य पु तक क उपादे यता (Usefulness) को बढ़ाने म ेरक का काय कया है।
इसम श ाथ क पा य पु तक पर नभरता बढती ह जा रह है।

189
9.4 व ान श ण म पु तक के काय
(Functions of Text Book in Teaching Science)
व यालय यव था (School system) क क ा म अनुदेशन काय (Instructional work)
का आधार (Base) पा य पु तक ह है। के य सलाहकार प रषद (Cenrral Advisory Board—
C॰ A. B. ) ने अपने तवेदन (Report) म इसके मह व को प ट करते हु ये लखा है, ''िजस
कार डेनमाक के राजा के बना 'हे मलेट' क क पना करना स भव नह ं ह। उसी भां त आधु नक
श ा (Modern Education) म पा य पु तक (Text Books) के बना श ा क क पना नह ं
क जा सकती। मा य मक श ा आयोग (Secondary Education Commission) ने भी इसक
मह ता को वीकार करते हु ये लखा ह, कु छ नधा रत पा य पु तक पर ह छा क नभरता
(Dependence) आव यक और सह (Essential and right) नह ं ह। व ान जैसे वषय के लये
वशेष (Specialists) वारा पा य पु तक क सू ची नधा रत करनी चा हय। िजनम छा को अपनी
वैयि लक भ नता (Individual difference) के अनुसार अ धगम के अवसर ( Learning
opportunities) उपल य हो सके। व ान श ण म पा य पु तक के मह व को उसके काय से
समझा जा सकता है। इनक सु वधा क ि ट से तीन संवग (Categories) अ धक ता (लेयनर)
श ण—अ धगम (Teaching—learning) एवं श क (Teaching) स ब धी काय म रखा गया
है।

9.4.1 अ धक ता स ब धी काय— (Functions in Realation to Learner)

पा य पु तक अ धक ता के लखे अ भ ेरणा ( Motivation) ान का ोत (Source of


Knowledge) और अ यास कृ यक के साधन (Agency of practice tasks) के प म काय
करती है।
1) अ भ ेरणा का काय (Motivational function) — नये ान के अ ययन के
लये श ा थय को अ भ े रत करना आव यक है। इस काय को श क तो करते ह ह। व ान क
पा य पु तक भी इके लये पया त संि थ तयां ( Situations) उपल ध करती है। व ान के व भ न
स ा त (Principles), त य (Facts), व धय (Methods), तकनीक (Tenchniques) क
उपयो गता इसम उपल ध होते ह। व ान का स ब ध हमारे पयावरण (Environment) क व भ न
घटनाओं से है। इनके स ब ध म सहज भाव से उठने वाले न या, यो, कैसे के सह उ तर व ान
क पा य पु तक से ा त होते ह। इससे उनक िज ासा (Curiosuty) को संतु ि ट (Satisfaction)
मलती ह। नवीन वषय ान को ा त करने के लये पा य पु तक म पया त अवसर उपल ध होते
ह। इसके अ ययन से अ धक ता अ धका धक ानाजन के लये ेरणा ा त करता ह।
2) ान के ोत काय (Function as a Source of Knowledge)— अ धक ता
के लये ान का ोत श क और पा य पु तक दोन ह ह। इस प मे पा य पु तक अनुदेशक
(Instructor) का काय भी करती है। िजन इकाइय मे व याथ क ा से अनुपि थत रहता है , उन
इकाइय को वह पा य पु तक के अ ययन से ह अ धगह त (Acquire for Recapitulation) करता

190
है। पा यचया (Syllabus) म नधा रत वषय व तु का सं ह (Collection) पा य पु तक म होता
है। इस कार यह व याथ के लये ान का ोत है। आधु नक (Modern) वचार के अनुसार क ा
म श क अनुदेशन म सूचनाओं ( Informations) का सं ेषण (Communication) ह करता है।
ान (Knowledge) अि तम प म (Ultimately) सू चनाय ा त करना (Reaceive) ह ह। इस
कार पा य पु तक अ धक ता के लये सू चनाओं अथात ान का भ डारण (Desposition) है।
3) पुनरावृि त का अ भरण ( Agency for Recapitulation) — क ा—काय से ा त
अ धगम को था य व (Permanance) दान करना आव यक है। इसके लये अ ययन क बार—बार
आवृ त ( Frequent) आव यक ह। इस हे तु पा य—पु तक सव म साधन है। व ान म व भ न
स ा त (Principales) के आधार पर आं कक (Numerical) न होते है। क ा म हर कार के
न को हल करना संभव नह ं ह। इस कार के न अ यासाथ काय म पा य पु तक मे उपल ध
होते ह। साथ ह अ धगम को बल दान करने के लये पा य पु तक मे श ा थयो के लये स बि धत
याओं (Activities) के लये सु झाव (Suggestions) दये जाते ह। इसके साथ ह वषय—व तु
क पुनरावृि त हे तु या मू याकन (Evaluation) के अ तगत न (question) पा य पु तक म दये
जाते ह।

9.4.2 श ण—अ धगम या स ब धी काय (Functions in Relation to


Teaching—Learing Prosess):

इस ि ट से पा य पु तक श ण या म पा यचया नधारण का अनुवतन ( Follow—up


step in teaching process folloeing prescription of syllabus) अनुदेशन —अ धगम
(Instruction—learning) केसंसाधन (Resource) अनुपरू क अ ययन साम ी ( Supplementory
reading material) के काय करती ह।
1) श ण या मे अनुवतन (Follow—up in Teaching Process): श ण
एक चतु पद य या (Four phased) ह। सामािजक येय (Social goal) क ाि त के लये
पा य म (Curriculum) न मत कया जाता है। इसम येय क ओर बढने के लये व भ न वषय
एवं याओं (Subjects and activities) को संग ठत कया जाता है। कसी भी तर पर येक
वषय के लये ल य (Aims) नधा रत कये जाते है। इन ल यो क ाि त के लये हर वषय के
लए पा यचया (Sullabus) नधा रत कया जाता है। इस पा यचया क वषय—व तु को पा य पु तक
म मू त प (Concrete) दया जाता है। पा यपु तक क रचना श ण या के पा यचया नमाण
के चरण के बाद उसक अनुवत ( Follow—up) या है।
2) श ण—अ धगम संसाधन (Teaching—Learining Resource):
पा य—पु तक श क के लये श ण ( Teaching) और श ा थय के लये अ धगम (Leaning)
का सरल और सहज प से उपल ध होने वाला मह वपूण ससाधन ( Resource) है। व ान एक
वराट वषय है। कसी तर पर इसक श ण व तु को व या थयो के मान सक तर के अनु प ढालना
आसान काय नह ं है। व ान श क अपनी दै नक य तता के कारण आसानी से इस काय को नह ं

191
कर सकते। क ानु प श ा थय क च ( Interest), आव यकताओं (Needs) और मान सक तर
(Mental level) के अनुसार वषय व तु का संगठन पा य —व तु म ह यवि थत होता है। अनुदेशन
(Instruction) या म अ धगम के लये भावी संि थ तयो (Effective) के सृजन के लये इसम
पया त साम ी होती है। श ण क अव ध म व याथ क अनुपि थ त पर पा यपु तक ह व याथ
के क ानुगत अ धगम क भरपाई (Compensation) कर सकती है। वा याय (Self study) मे
श ाथ क क ठनाई को वह श क से यैि तक मागदशन (Individual Guidance) से दूर कर
सकता ह। पा य—पु तक के ह आधार पर श ण क इकाई और पाठ योजनाय बनाई जाती है।
3) अनुपरू क अ ययन साम ी ( Supplementary Reading Material): व ान
म अ धगम क सबसे भावी व ध आ म— े ण (Self—obsercation) ह। योग (Expplements)
के वारा ह व ान श ण साथक ह। क तु, जैसे—जैसे समय प रवतन हो रहा है व ान के अ ययन
क वषय—व तु श ा यव था के हर तर पर अ धक व तृत और ज टल (Proceed and
complex) होती जा रह ह। ऐसी ि थ त म उपलव ध अव ध म पा यचया क नधा रत वषय—व तु
का योग के ह योग, दशन, पयटन जैसी आ म— े ण(SelfObservation) व धय के वारा
अनुदेशन न ह सके, उसका श ण या यान व ध से ह कया जा सकता है। इस प रि थ त म
पा य—पु तक क ा काय के अनुपरू क ( Supplementary) क भू मका सफलतापूवक नभाती है।
व ान क वषय—व तु का व तृत श ण क ा म ह स भव नह ं है। जो ब दु क ा श ण क
याओं म छूट जाते है। उनको व याथ सरलता से पा यपु तक के अ ययन से हण कर लेते ह।
कसी सू या स ा त के अनु योग (Application) के लये क ा का समय ह पया त नह ं होता।
इसके लये पा यपुरतक क ह सहायता लेता है।

9.4.3 व ान श क स ब धी काय (Functions in Relation to Science Teacher):

श क के लये व ान क पा य—पु तक वषयव तु (Content) का संसाधन होने के


साथ—साथ मागदशक (Guide) और मानक (Standard) का काय करती है।
1) मागदशक (Guide):. सामा य प म (In general) सभी और वशेषत: नये
व ान श क (Science Teachers) के लये पा य पु तक एक सफल मागदशक ( Guide) का
काय करती ह। इससे श क को अनुदेशन ( Instruction) म आने वाल व भ न सम याओं
(Problems) का ान होता है। इसके आधार पर वे इनके लये समु चत समाधान (Solution) खोज
लेते ह। श क को पा य—पु तक से व भ न वधाओं (Methods), उपागम (Approaches) और
कौशल (Skills) के चयन म सहायता मलती ह।
2) मानक (Standard): व ान क कसी इकाई (Unit) का व यालय तर (School
level) पर कसी व श ट म से अनुदेशन काय कया जा सकता है। वलान म ऐसे करण ह जो
ाथ मक, मा य मक और उ च श ा के सभी तर क पा यचयाओ म व यमान ह। अब न उठता
है क कसी तर पर श ण क इकाई (Teaching unit) कर गहनता से कस मानक (Standard)
तक श ण कया जाय। फर सभी श क को इस तर पर समान मानक का अनुसरण करना है।

192
इस सम या का समाधान हम पा यपु तक से ह उपल य होता ह। पा य—पु तक इकाई क वषय—व तु
के िजस मानक का नधारण करती ह, उसी का अनुसरण (follow) सभी व यालयो म सभी व ान
श क और व याथ करते ह। इसी मानक के आधार पर सावज नक पर ाय भी ल जाती ह।

9.5 एक अ छ पा य—पु तक के अ भला णक गु ण


(Characteristics of a Good Science Text—Book)
पा य—पु तक के व भ न काय म उसक भा वता (Effectiveness) इस बात पर है क
उसमे अपे त गुण है। पा य—पु तक म इन गुण क कमी उसक लोक यता को कम करती ह। यहां
एक अ छ पा य—पु तक म इन गुण क कमी उसक लोक यता को कम करती ह। यहां एक अ छ
पा य—पु तक म अपे त (Exppected) अ भला णक गुण (Characteristics) का उ लेख कया
जा रहा ह। इनको लेखक (The Author), याि क गुण (Mechanical features), भाषा—शैल
(Lanfuage and style) और वषय—व तु और उसका संगठन (Content and it’s
organization) के अ तगत रखा गया ह।
1) लेखक (The Author): पा य पु तक मे वषय व तु को मनोवै ा नक एवं ता कक
म म यवि थत कया जाता है। यह अनुदेशन क पूरक ह। इसमे अ धगम सि थ तयो (Learning
situations) क सहज यव था (Arrangement) होती ह। श ा थय क वा त वक क ठनाइय
के नवारण के लये पा यपु तक मे वषय साम ी होनी चा हये। इसमे श ण और अ धगम दोनो
क ह ो न त (Promotion) के लये पया त साम ी उपल य क जाती है। अ धगम को अ धका धक
ढ बनाने के लये पा यपु तक क येक इकाई मे आव यक याओं और पा य साम य
(Reading Mmaterial) का समावेश होता है। ऐसी रचना वह यि त कर सकता है िजसको उस
क ा— तर (Grade) के श ण का पया त अनुभव ( Expression) हो। साथ ह लेखक को व ान
वषय के नवीनतम अनुसधान एव अवधारणाओं (Researohes) क जानकार होनी चा हये। व ान
वषय के श ाशा म हो रह नवाचर (Innovations) म वह वयं श त हो। पा यपु तक को
लेखक उ चतम शै क यो यता रखने वाला होना चा हये। उसक भाषा— व ान म पैठ होनी चा हये।
उरगक अ भ यि त (Expression) प ट (Vivid), सरल (Simpal) बोधग य (वेल
comprehensible) ह । पा यपु तक लेखन को यवसाय (Profession) नह ं अ पतु वन सेवा
(Massion) और भावी पीढ के त अपना धम समझा जाय।
2) पाठयपु तक के याि क ल ण (मेच नकाल features of Text—Book):
 पा यपु तक का आवरण (Cover) आकषक (Attractive) एवं व ान को त बि बत
(Reflect) करने वाला होना चा हये।
 पु तक क िज द मजबूत हो , यह पाठक के लये असु वधाजनक न हो। छपाई के लये अ छा
कागज लया जाना चा हये।
 पा यपु तक का आकार (Size) व या थय क सु वधा को यान म रखकर नि चत कया
जाना चा हये।

193
 इसक छपाई (Printing) साफ और प ट हो। अ रो का आकार (Shape of letters)
श ा थयो के आयु तर (Age Level) के अनुसार रखा जाये। छपाई सीधे अ र म हो।
 अ र के आकार से शीषक (Heading), उपशीषक (Sub—Heading) श ण ब दु
(Learning Point इ या द अपने आप प हचान मे आ जाये। इनके लये अ र के व वध
आकार छांटने म वशेष यान दया जाना चा हये।
 व ान क पा यपु तक म वषय—व तु के अनुसार च , रे खा च , त वीर (Photos),
लेखा च (Graphs) आ द सह ढं ग से यथो चत थान (Suitable place) म अव य दये
जाय। इनक रचाना आकषक, प ट और वा त वकता के अनु प हो। इनमे प ट नामांकन
(Well labeled) होना अ नवाय (Essential) ह। येक को शीषक भी दया जाये।
 येक पा यपु तक म लेखक, काशक (Publisher), काशन वष (Publication Year)
सं करण, मू य (Price) आ द का प ट उ लेख समु चत थान पर आकषक और वाभा वक
म म कया जाना चा हये।
3) भाषा एवं शैल (Language and Style):
 पा यपु तक क भाषा सरल ह । इराम वा य छोटे —छोटे ह । व ान के उन तकनीक श द
का ह योग कया जाय जो क भारत सरकार के के य ह द नदे शालय के अ तगत
वै ा नक तथा तकनीक श दावल आयोग वारा दये गये ह।
 स ा त , नयम , त य , प रभाषाओं एवं अ य वषय—साम ी के अलग—अलग ब दुओं को
अलग—अलग अनु छे द ( Sections) म लखा जाना चा हये एवं अनु छे द बहु त बड़े न ह ।
 वा य रचना चकर हो। अ छे और उपयु त श द का ह इनम योग हो। इनका तर क ा
के तर के अनुकूल होना चा हये। आलंका रक भाषा का कभी उपयोग न कया जाय। अनाव यक
व लेषण या या वशेषण का उपयोग कदा प न ह ।
 पु तक म मु ण (Printing) तथा वतनी (Spelling) स ब धी कोई ु ट न हो।
 वै ा नक तीक (Symbcls), सू (Formulae), समीकरण (Equations), नामाव लय
(Terminolo) और पा रभा षक पद (Terms) को सह ं और आकषक ढं ग से मु त कया
जाना चा हये।
4) वषय—व तु और उसका संगठन — (Content and it’s Organization):
 येक पा यपु तक का आर भ ा कथन (Perface) से होना चा हये। ा कथन व ान
क पा यपु तक का मह वपूण अंग ह। इसम श क — श ाथ के लये आव यक मागदशन
(Guidance) ह । इसम पा य साम ी का इकाई म म आकषक ढं ग से सार दया जाना
चा हये। पु तक क सीमाओं का भी प ट उ लेख कया जाये। साथ ह पाठक के लये
युि तसंगत सु झाव (Relevant Suggestions) भी इसम दये जाय। मा कृ त ता— ापन
क औपचा रकताओं (Formalities) के ह उ लेख से ा कथन को सी मत न कया जाय।
 ा कथन के बाद वषय—सू ची द जानी चा हये।

194
 वषय साम ी को मनोवै ा नक (Psychological) एवं ता कक म (Logical order) म
संग ठत कया जाना चा हये। येक इकाई अपने पूव (Preceeding) और आगामी
(Following) इकाइय से स बि धत ह । इकाइय म भी वषय—व तु (Content) का संगठन
वाभा वक (Natural) अनु म (Sequence) मे होना चा हये।
 व ान क पा यपु तक म वषय—व तु को व ान क व भ न शाखाओं के पार प रक
(Mutual), पयावरण (Environment) एवं अ य वषय से सह स बि धत (Correlated)
प म तु त कया जाना चा हये।
 वषय—व तु के तु तीकरण (Presentation) से श ण और अ धगम क समु चत व धय
(Methods) पर काश डाला जाय।
 पा यपु तक म सामािजक और भौ तक पयावरण ( Social and Physical
Environment) के उदाहरण (Exampal) क सहायता से अवधारणाओं (Concepts) को
प ट कया जाये।
 वषय—व तु श ा थयो एवं समु दाय (Community) क आव यकताओं (Need)) एवं
अ भ चय (Interest) के अनुकूल हो।
 येक इकाई के आर भ म श ा थय के अपे त यवहार प रवतन (Expected behavior
change) का उ लेख होना चा हये। अथात ् वषय—व तु के उ े य सू ब कये जाय।
 येक इकाई के अ त म पुनरावृि त एवं अ यास ( Recapitulation and practices) के
लये समु चत न दये जाये। केवल न दे ना ह पया त नह ं ह। व ान क वषय—व तु
से स बि धत याकलाप (Activities) के लये भी सु झाव व मागदशन उपलव ध ह ।
 पा यपु तक म नवीनतम वषय— ान उपल य कया जाये।

9.6 व ान क पा य—पु तक क सीमाय


(Limitation of Science Text—Book)
व ान क पा यपु तक के उपयोग क अपनी व श ट सीमाय ह। यह कभी भी श क और
अनुदेशन या का थान नह ं ले सकती। इसके सी मत लाभ ह। यहां इसक सीमाओं का उ लेख
समीचीन ह।
 व ान क पा यपु तक एक श ण साम ी (Teaching aid) ह। िजसक उपयो गता और
भाव श क वारा उसके उपयोग पर नभर ह।
 पा यपु तक कभी भी व ान के श क का थान हण नह ं कर सकती।
 पा यपुरतक व ान के श ा थय के लये अ धगम स रथ तय का सृजन ( Creation of
learning) नह ं करती। वह तो इन संि थ तयो के सृजन हेतु साम ी उपल य करती ह।
सृजन काय ( Cration) तो श क क ह वल णता (Uniqueness) ह।
 ाय: व याथ पा यपु तक पर ह नभर ( Dependent) रहते ह। वे क ा म याशील
(Active) नह रहते। इससे अनुदेशन क भा वता पर नषेधा मक (Negative) भाव पडना
वाभा वक ह।
195
 व याथ व ान क क ा म अनुपि थत रहने पर हो रह हा न का अनुभव नह करते। य क
उ ह' वषय—व तु नधा रत पा यपु तक म उपल य हो जाती है। वे क ा क नय मतता
(Regularity) के त लापरवाह (Careless) हो जाते है।
 व याथ अ यासाथ न के ह उ तर पा यपु तक म पढकर रटते ह। वे व ान का वा त वक
ान ा त करने के त उदासीन (Passive) हो जाते है।
 पा यपु तक क वषय—साम ी को याद (Memorize) करना ह व याथ व ान सीखने
का एक मा उ े य समझते ह।
 श क पा यपु तक के ह अ ययन तक सी मत हो जाते ह वे स दभ पु तक Refernce
Books) के अ ययन के त लापरवाह (Careless) हो जाते ह।
 श क अनुदेशन म मू यांकन और गृहकाय म केवल पा यपु तक से ह चु ने गय न दे ते
ह। थानीय पर ाओं (Local examinations) म भी वे इ ह ं न को दे ते ह। इससे वषय
ान प रसी मत (Delimited) हो जाते ह।
वमू यां क न
1. पा य — पु तक का आधार या ह?
...................................................................................................
2. छा क ि ट से पा य — पु तक के या काय ह
1.................... 2.................. 3......................
3. श क के लए व ान क पा य — पु तक का या मह व है ?
1.................. 2................... 3................
4. व ान क अ छ पा य — पु तक के गु ण सं व ग ह —
1................ 2................... 3............. .........

9.7 अनु पू रक पठन साम ी तथा उसक भू मकाय


(Supplementary) Reading Material and it’s Roles)
अनुपरक पठन साम ी म मु त लेख, अनुसधान रपोट एव सा ह य ( Research report
and literature) आ द सि म लत ह। व ान के श ण म श क नद शका (Teacher guide)
और योगशाला नयम पुि तका ( Laboratory manual) या मक पु तक (Practical Book)
आव यक अनुपरू क पठन साम यां ह। इसके अलावा ऐसी मु ख साम य म रे णा मक सा ह य,
पृ ठभू म पु तक, स दभ सा ह य (References) एवं व ान के प —प काय (Newpaper and
magazines) सि म लत ह। पठन साम ी क व ान श ण म मुख भु मकाये इस कार ह :—
1) अनुपरू क ( Supplemenrary): अनुपरू क पठन साम य क मु ख भू मका यह है क
पा यपु तक और क ा श ण के उपरा त वषय—व तु क अपूणता को इनके अ ययन से
पूरा कया जात है।

196
2) उ नत ान का ोत (Source of higher knowledge): व ान म नर तर गत
हो रह ह। व ान के कसी करण म नवीनतम और उ चतर ान अनुपरू क सा ह य से ह
ा त होता ह। वशेष ं ान लेख, प —प काओं क नवीनतम सूचनाय और त य
प से अनुसध
इस दशा म सहायक ह।
3) सृजन के लये अ भ रे णा ( Motivation for Creativity): अनुपरू क सा ह य के अ ययन
से श क— श ा थय म सृजन के लये रे णा मलती ह।
4) पठन आदत क स तु ि ट (Safisfying for Reading Habit): इस कार क साम ी
पाठक क पठन आदत को स तु ट करती ह।
5) अ ययन क ेरणा (Motivation for Study): ेरणा मक और पृ ठभू म सा ह य पाठक
के लये अ ययन क ेरणा का काय करती ह।
6) स तु ि ट का साधन (Source of Satisfaction): तभाशाल व याथ (Gifter)
क ा— श ण और पा यपु तक के अ ययन से ह स तु ट नह ं हो पाते। स दभ सा ह य उनक
संव धत (Enriched) ानाजन (Acquisition of Knowledge) क आव यकता (Need)
क पू त से स तु ि ट (Satisfactions) दान करती ह।

9.8 पा यपु तक का नमाण व मू यांकन


(Preparation of Text—Book and Evaluation)
पा य पु तक् अनुदेशन का ऐसा उपकरण है जो श ण अ धगम या को सु गम बनाता
है। पा यपु तक नधा रत पा य म पर आधा रत होनी चा हए। पा यपु तक म तु त साम ी का
चु नाव ववेकपूण, सार सं ेप, ता कक व ध वारा संग ठत होना चा हए।
पा य म का नमाण करते समय व या थय क मान सकता तर तथा मनोवै ा नक
आव यकता को यान म रखना चा हए पा यपु तक के नमाण म न न ब दुओं नधा रत कये गये
ह।
1. पा य पु तक का नयोजन (Planning of text book)
2. पा यव तु का चयन (Selection of the content)
3. वषय साम ी का संगठन व तुतीकरण ( Organisation & Presentation of the
material)
4. पा यपु तक म टांत साम ी का नयोजन (Placement of illustration)
5. सार सं ेप (Summary)
6. द त काय अथवा अ यास काय (Assignment or exercise)
7. पा रभा षत श दावल (Glossary)
व ान पा य पु तक के नमाण म हम न न ब दुओं एवं प को सि म लत करना चा हए:—
1. पा य पु तक का नयोजन (Planning of Test Book) — इस ब दु के अ तगत
पाठय पु तक के नमाण एवं काशन संबध
ं ी सभी प ं ी उ े य,
सि म लत हो जाते ह। जैसे श ण संबध
वषयव तु के त उप म, संगठना मक त प एवं पु तक का आकार।

197
2. पा य—व तु का चयन (Selection of the content) — िजस क ा के लए
पा य पु तक का नमाण करता है वह पा य व तु बालक अथवा छा के तर क हो। पा य व तु
जीवन व पयावरण से संबं धत होनी चा हए। वह अधु नातन (up to date) और पा य म क
समा व ठता लये हु ये होनी चा हए (cover the syllabus).
3. वषय साम ी का संगठन व तु तीकरण (Organisation and
presentation) — पु तक नमाण मे पा य व तु या वषय व तु क भाषा उपयु ता एवं शु ता
लये हु ये होनी चा हए। वषय व तु का अ यायीकरण व अनु छे द करण (chapterisation and
paragraphing) होना चा हए, तु तीकरण का व प रोचक व सरल होना चा हए एवं ता कक संगठन
लये हु ये होना चा हए।
4. पा य पु तक म टांत साम ी का नयोजन (Placcment of illustration)—
टांत साम ी का पु तक म यथो चत थान पर नयोजना होना चा हए। टांत साम ी वारा अ धगम,
सरल रोचक, सु बोध व ानवधक होता है।
5. सार सं ेप (Summary) — पा य पु तक के नमाण म सार सं ेप अ यंत आव यक
है। सार सं ेप से पा यपुरतक के मु य ब दुओं का सं तीकरण करने म आसानी रहती है और छा
को समझने म सहायक होता है।
6. दं तकाय (Assignments) अथवा अ यास काय — सार सं ेप के उपरांत वषय
व तु से संबं धत याकलाप (Activities) एवं अ यास काय दे ना चा हए इ२२२ने छा क वषयगत
दुबलताओं व सं ाि तयो का नदान (Diagnosis) होता है।
7. पा रभा षक श दावल (Glossary) — यह वह श दावल है जो पु तक के अ त
म प र श ट के प मे द जाती है। िजसम पा य पु तक से संबं धत क ठन, अप र चत तथा
स या मक श द एवं तकनीक श द क या या क जाती है।
प रभा षक श दावल अकरा त (Alphadetic) म म द जाती है ता क व याथ पा य
पु तक पढते समय क ठन श द के अथ त काल दे ख सके। इसे अनु म णका ( Index) के प म
भी दया जा सकता है।
पा यपु तक का मू यांकन (Evaluation of text Books)— पा य पु तक के मू यांकन
के लए दो व धय का मु यत: योग कया जाता है। ये दो व धयां ह — 1 ह टर जाज का अंक
प 2. वोगेल पाट चैक बुक मू याकन केल। इन मू यांकन अंक प के नमाण के आधार पर व भ न
प को अंक दान कर चयन म व तु न ठता लायी जाती है। इसके अलावा NCERT वारा भी
पा यपु तक के मू यांकन के मानदं ड दये है।
व ान पा य पु तक हे तु न न दोन अंक प दये गये है —
1. ह टर जाज का अंक प (Hunter George Score Card) — इस अंक प म
वभ न प और उनसे संबं धत अंक इस कार से है
मांक ववरण अंक
1. लेखक का शै क तर 50
2. यां क साज स चा व मू य 100

198
3. मनोवे ा नक उपयु तता 300
4. पा य व तु 250
5. सा हि यक शैल 110
6. अ धगम याएं 140
7. अ यापक के लए सहायता 50
योग 1000
2. दूसरा अंक प (Vogel’s Spot Cheek Test Book Evaluation Scale)
है। जो अपे ाकृ त अ धक वरतृत एवं गहन है। इसम येक ब दु के दो अंक है। िजनके अंक म आ शक
अंक त प चात ् पु तक के पूणाक नकाले जाते है।
(Each item has the value of two points॰ The value of each item under
each head is totaled against the part of score। The partial score of each head
are then counted and the overall value is written against the space procided॰)
Vogel’s Spto check Text Book Evaluiation Scale.
पा य पु तक. ......................................... ...................... ....
लेखक......................................... .....................
काशक ....... ................................................. ............... .....
सं करण......................................... .....................
मू य......................................... .....................
अंक ........................................................................................
1. लेखक क शै क यो यता(Qualification of Author)—
इसके लए आवरण पृ ठ , पा यपु तक क तावना एवं अ यापक संदभ क तावना
दे ख।
(i) लेखक संबं धत वषय पढाता ह .................................( )
(ii) लेखक म इस वषय से संबं धत उ च तर य यो यता (Advanved Degree) है।
........................ ( )
(iii) लेखक ने पा डु ल प (Mimniscript) नमाण म वशेष क सहायता ल है।
....................... ( )
(iv) लेखक का ि टकोण और दशन मेरे व यालय के अनु प ह ................... ( )
आं शक अंक
Partial Score
(2) संगठन (Organisation) — इसके लए वषय सूची, तावना, एक पाठ के शीषक एवं
एक पाठ का अंत दे ख—
(i) के य यय (Central Theme) िजससे पूर पा य पु तक सह ——संबं धत है।
(ii) पा य पु तक ऐसे श ण ब दुओं म वभािजत है जो छा क च एवं दै नक जीवन
के उपयोग पर आधा रत है।

199
(iii) संगठन म मेरे व यालय म पढाये गये करण का उपयोग कया गया है।
(iv) न / सम याओं को क ठनता तर के अनु प मब कया गया है।
आं शक अंक
Partial Score
(3) पा यव तु (Content) इसके लए वषय सू ची अनु म णका एवं पाँच पृ ठ दख।
(i) पा य पु तक म मेर आव यकतानुसार सभी करण है।
(ii) एक भाग क साम ी का दूसरे भाग क समान साम ी से संदभ था पत कया हु आ है।
(iii) व ान क नवीनतम उपलि ध जैसे आण वक शि त (atomid energy) को थान दया
गया है।
(iv) व ान के ऐ तहा सक वकास का कुछ थान दया गया है।
(v) व ान के सामािजक मह व पर जोर (stress) दया गया है।
आं शक अंक
Partial Score
(4) साम ी का तु तीकरण (Presentation of Matreial)
इसके लए पाँच अ याय क तावना (Introducation) दे ख।
(i) नवीन करण क तावना हे तु आगमन णाल का योग कया गया है।
(ii) लेखक क शैल सरल व चपूण है।
(iii) सम या समाधान व ध पर अ धक जोर दया गया है।
(iv) मह वपूण स ांत क मोटे अथवा तरछे टाइप म दया गया है।
आं शक अंक
Partial Score
(5) शु ता (Accuracy) इसके लए अनु म णका के पाँच करण चु ने एवं उ ह पा य पु तक म
दे ख।
(i) सभी व तु एँ िज ह मने दे खा उ ह ं पृ ठ पर है िजन पर अनु म णका म दशाया गया है।
(ii) सभी व तु ए,ं िज ह मने दे खा वै ा नक प से शु ह।
(iii) नज व व तु ओं को सजीव व मानवीय प तो नह ं दया गया ह।
(iv) कोई अ प टता ि टगोचर नह ं ह।
आं शक अंक
Partial Score
(6) पठनशीलता (Readability) — (इसके लये कोई एक पृ ठ दे खे)
(i) येक वा य म श द क सं या औसत प से 21 से कम ह।
(ii) 60%' वा य यौ गक (Compound) व जट ल (complex) न होकर सरल (Simple) ह
(iii) त 100 श द म कम से कम 4 यि तगत संदभ ह।
(iv) येक अभू त स ा त का कम से कम एक उपयोग दया गया ह।

200
आं शक अंक
Partial Score
(7) समायोजन (Adaptability) (इसके लए वषय सूची और कोई भी पाँच पृ ठ दे खे)
(i) पा यपु तक म द बु , सामा य एवं ती बु छा के लए संतोषजनक ह।
(ii) नगर य अथवा ामीण पृ ठभू म वाले छा को वह उपयोगी लगेगी।
(iii) पु तक इस कार से मब ह क कुछ भाग को आसानी रवे छोड़ा जा सकता ह।
(iv) लेखक ने न प प से ववादा पद वषय क ववेचना क ह।
(v) सामा यत: पा य पु तक मेर व श ट सामु दा यक आव यकता क पू त करती ह।
(8) श ण सहायक साम ी (Teaching Aids) (इसके लए अ याय का अ त व अनु म णका
एवं अ यापक स दभ दे खे)
(i) पाठ के अंत म सार सं ेप, न व सम याय पया त सं या म ह।
(ii) अ यापक एव छा के लए स दभ ट का (Annotated) स हत ह।
(iii) पु तक के अ त म द गयी अनुसू ची उपयोगी ह।
(iv) एक व तृत फ म सूची द गई ह।
(9) च साम ी (Illustration) (कोई दस च को दे ख)
(i) च अपे ाकृ त नवीन ह।
(ii) फोटो ाफ के बड़े व प ट है।
(iii) रे खा च सु दर बने ह और उपयुका कार से नामां कत ह।
(iv) च पा यव तु से सीधे स बि धत ह।
(v) च के नीचे क सू चना उपयोगी ह।
आं शक अंक
Partial Score
(10) बाहय ा प (Appearance) इसके लए पु तक का ाहय आवरण व एक पृ ठ दे ख।
(i) पु तक का बाहय आवरण आकषक ह।
(ii) पु तक का आकार कार छा के लए बोझ तो नह ं ह।
(iii) च क थापना सुखदायक ह
(iv) अ धकांश पृ ठ का ा प खुला ह।
(v) पु तक का टाईप ऐसा है क पढने म कोई क ठनाई नह ं होती ह।
आं शक अंक
Partial Score
ट पणी: ( येक ब दु के दो अंक है िजनका योग करके आ शक अंक नकाला जाये, फर उनके योग
से पूण अंक नकालना चा हये। िजससे ऊपर लख दया जाये।) रा य शै क अनुसध
ं ान
एवं प रष (NCERT) वारा एवं अ छ व ान क पा यपु तक के मापद ड हेतु
न न ल खत ब दु नधा रत कए ह —

201
(1) पा य पु तक का नयोजन (Planning or Text book) इसके अ तगत पा यपु तक के
नमाण एवं काशन स ब धी सभी प सि म लत कये जाते ह जैसे —
(i) श ण स ब धी उ े य (Instructional objectives)
(ii) वषय व तु के त उप म (approach of the Subject)
(iii) संगठना मक त प (Organisation Pattern)
(iv) पु तक का आकार (Size of Book)
(2) पा यपु तक का चयन (Selection of Content) इसके अ तगत न न ब दु ह: —
(i) पा यपु तक क शु ता (Accuracy of Content)
(ii) पा यपु तक क उपयु तता / गुणव ता ( Aduquacy of context)
(iii) उ यनातन पा यव तु (Up to date Content)
(iv) पा यव तु ह समा व टता (Coverage of the Syllabus)
(v) व यालय म वषय के सम श ा म म औ च य (Fitness in to the total
Curriculum of the subject in the School)
(vi) सामािजक व रा य एक करण के प रवेश म हण (Adopatation of the
Perspective of Social and National Integration))
(vii) मानव समाज के वकास मे स यय का हण (Adopatation of the Concept of
Development of Human Society)
(viii) वां छत अ भवृि तय का वकास ( Inculcation of Desicable Attitudes )
(3) वषय—साम ी का संगठन व तुतीकरण (Organisation and Presentation of the
material)
(i) अ यायीकरण व अनु छे द करण (Chapterisation and paragraphing)
(ii) ता कक संगठन Logical Organisation)
(iii) तु तीकरण का व प (Form of Presentation)
(iv) अ धगम स ा त से अनु पता (Conformity of the principale of Learning)
(v) श ण नदशन (Teaching Guidance)
(4) टा त साम (Illustration material)
(i) ास गकता (ii) शु ता (iii) उपयु तता
(iv) व वधता (v) नयोजन का समय
(5) अ यास काय नमाण (Framing ऑफ Exercises)
(i) वषयव तु क समा व टता
(ii) द त काय क यावहा रकता (Home Work)
(iii) द त काय का नयोजन एवं कार
(6) पु तक क भौ तक वशेषताएँ ( Physical feature of the Book)
(i) बाहय आवरण तथा साज स चा
202
(ii) था य व एवं िज द बंद
(iii) उपयो गता
(iv) मु ण एवं भाषायी स ा त

9.9 वमू यांकन


(Self Asesment)
(1) व ान श ण म पठन साम ी का या ता पय ह।
(2) व ान श ण म पा यपु तक य आव यक ह।
(3) अ छ व ान पा य पुरतक म या गुण अ नवाय ह।
(4) अ छ पाठयपु तक को नमाण व मू यांकन आप कैसे कर ग

9.10 संदभ ंथ
(References)
1. Barrilleaux, L॰E.Comparison of Text Books and Multiple Library
References; A Report on the Initial Phase of an Experimental Study;
School Science and Mathematics, Match(1963).
2. Crombie Charles W;Selecting Science text Books॰ Science
Educatioan, Dec। 1951.
3. Croxton, W.E.; Science in Elementary School, McGraw Hill Book Co.
N.Y.
4. Heiss, E. D.; Modern Science Teaching; McMillan Co. N.Y.
5. Negi, J. S. Bhautiki Shikshan; Vinod Pustak Mandir, Agra(1999)
6. Sood J.K. Science Teaching, Kohli Publishing Chandigarh(1986)
7. Sood J.K.; New Directons In Science Teaching, Kohli Publishing
Chandigarh(1986)
8. Waltor A. Thurber and Alfred T. Collette; Teaching Science in
Today,s Secondary Schools; Prentice Hall of India N.D.(1964).

203
इकाई — 10
व श ट श ण साम ी का नमाण एवं मू यांकन
इकाई क संरचना (Structure of the unit)
10.0 उ े य (Ovjectives)
10.1 तावना (Introducation)
10.2 श ण साम ी का अथ (Teaching Aids – Meaning)
10.3 श ण साम ी के'. संवग (Categorise of Teaching Aids)
10.4 श ण साम ी के मह व और योजन (Importance and Purposes of Teaching
Aids)
10.5 श ण साम ी के चयन क कसौ टयाँ
(Criteria for Selection of Teaching Aids)
10.6 व ान श ण म मु ख श ण साम ी
(Improtant Teaching Aids in Science Teaching)
10.7 वमू यांकन (Self Assesment)
10.8 स दभ ं (References)

10.0 उ े य (Objectives)
भावी श क इस इकाई के अ ययन से :—
1. व ान श ण के श ण साम ी क अवधारणा प ट करते हु ए उनका साथक वग करण कर
सकगे।
2. इन साधन क याि क को प ट कर सकगे।
3. इन साधन का अनुदेशन के लए सह चयन कर सकगे तथा इनके उपयोग म पारं ग त ा त
करगे।
4. श ण साम ी को एक त, न मत और यवि थत करगे।

10.1 तावना (Introducation)


व ान श ण के अ तगत श ण व धय एवं तकनीक के बोध के उपरा त अनुदेशन को
भावी बनाने वाले साधन क ओर यान आक षत होता है। गहन अ ययन, सू म च तन और
व लेषण के आधार पर पाया गया क व भ न श ण साम ी का कु शल उपयोग इसम सहायक है।
यह वयं स है क व ान को वा त वक और चर थायी अ धगम इि य ज नत अनुभव से ह
स भव है। अनु पधान अ ययन रवे यह प ट हो चु का है क भावी अ धगम के लए अ धक से अ धक
ानेि य क इसम वाभा वक अ तभ वता अ नवाय है। इस हे तु व ान वषय क अ धगम साम ी
को इस कार तु त कया जाना चा हए िजससे हमार पाँचो ानेि य म से अ धक से अ धक
अपने—अपने प क सूचनाय अ धक ता के म र त क को स े षत कर सक। िजससे व तु जगत का

204
सम अनुभव व ान अ धक ता को सहज उपल ध हो सके। इसके लए िजन श ण साम य को
मा यम के लए चु ना जा सकता है, यहाँ उनका वणन कया जा रहा है।

10.2 श ण साम ी का अथ (Teaching Aids Meaning)


प रप वन (Maturation) या अ धगम (Learning) अथवा इन दोन का संयोग
(Combination) यि त म थाई प रवतन का साधन है। प रप वन वंशानुगत (Heredirory) है।
अत: इस पर बाहय वातावरण का भाव नह ं पड़ता। इस लये प रप वन से होने वाले प रवतन अ धगम
से हाने वाले प रवतन से भ न ह। अ धगम वा तव म वे प रवतन है जो क व शानुगत नह ं होते।
क तु द घकाल न और थाई होते ह। यह सू झ (Insight), यवहार (Behaviour), उ ेरणा
(Motivation) तथा इनका संयोग म प रवतन है। अ धगम वह यवि थत प रवतन (Systematic
change) है जो क यवहार अथवा यवहारगत वभाव (Behavioural Disposition) म कसी
व श ट सं सथ त (Specific situation) म अनुभव (Experience) के प रणाम व प घ टत होता
है।
क ा श ण (Classroom teaching) म श क का यान भावी (Effective) और द
(Efficient) अनुदेशन पर केि त होता है। अनुदेशन ( Intruction) क भा वता (Effectiveness)
वषय—व तु म उपलि ध तर (Level of achievement) वारा नापी जाती है। द ता कम से कम
समय (Time), धन (Money) और म (Labour) से वां छत उपलि ध तर पाने म न हत है।
हम जानते ह क अ धगम (Learning) अनुभव (Experiences) का उ पाद (Product) है। तथा
अनुभव ानेि य के वारा होते ह। अत: कसी संि थ त (Situation) म अ धक से अ धक ानेि य
(Sense organs) क अ तभ वता (Involvement) से जो अनुभव ा त होते ह वे भावी और
द अ धगम (Effective and efficient learning) दान करते ह। अ य वषय क भां त व ान
श ण म भी इस आधारभू त त य का लाभ उठाया जाता है। मु य प से अ धगम म य (Audio),
य (Visual) अंग पया त समझे जाते ह। क तु अनुसध
ं ान (Researches) से न कष नकले
ह क केवल सु नने से ा त अ धगम थाई नह ं होता। यह बात केवल दे खने से ा त अनुभव के वारा
उपल ध अ धगम भी अ धक थाई नह ं होता। य द कसी ि थ त म हमार अ धक से अ धक ानेि य
(Sense Organs) च ु (Eye), ना सका (Nose), कण (Ear) वचा (Skin), िज वा (Tongue)
से अनुभव होने के साथ —साथ कमि हाथ (Hand) का भी सहयोग मलता है, तो इस सयोग
(Combination) से जो अ धगम उपल ध होता है, वह भावी, द और उ च तर य (High Level)
होता है।
व ान श ण म ऐसे अ धक से अ धक अनुभव के लये श क िजन अ धगम संि थ तयो
(Situations) का सृजन ( Creation) करता है, उनके लये व भ न व तुओं ( Objects) क
आव यकता होती है। इनम उपकरण (Instruments), योगशाला साम यां (Laboratory
materials) एवं उप कर (Eqipments), पु तक ( Books), मागद शकाये (Guides), च
(Diagrames), त प (Model), फ म (Films), इले ो नक यव थाय (Electronic
Systems) मु ख ह। पु तक योगशाला साम य क चचा अ य अलग—अलग इकाइय म है। यहां

205
पर उन साम य पर चचा अपे त है जो क य, य साधन के प म जाने जाते रहे ह। इस
कार श ण साम ी वे व तु एं (Objects) ह जो क क ा म अनुदेशन के अ तगत श क वारा
अ धगम संि थ तयो (Learning situation) के सृजन (Creation) के लये उपयोग म लखी जाती
ह। तथा इस कार क संि थ तय के प रणाम रच प भावी और द अ धगम क उ पि त होती है।
वमू यां क न
1. व ान मे अ धगम का या अ भ ाय है ?
————————————————————————————————————————————————
—————————————————————————————————-------------------------
2. व ान श ण म श ण साम ी से या ता पय है ?
————————————————————————————————————————————————
3. व ान अ धगम म मु ख दो भू मकाय ह :—
i)—————————————————------------- ii)———————-------------

10.3 श ण साम ी के संवग(Categories of Teaching Aids)


व ान श ण म उपयोगी साम यो का सवग करण (Categorizaton) अलग—अलग
उपागम (Approaches) से कया जाता है। इनम मुख प से न न ल खत ह —
थम उपागम संवग—पर परागत (Traditional): इसम अनुदेशना मक व तु ओं
(Instructional) के न न ल खत तीन संवग ह
1. य साम ी (Visual aids): i) ा फ स— चाट, लेखा च ii) चॉकबोड iii) फ म ि प
iv) लाइड
2. य साम ी (Audio adis): i) रे डयो, ii’) ामोफोन, iii) टे प रकाडर
3. य— य साम ी: (Audio Visual aids): i) फ म ोजे टर (Projector), ii) ट वी.
(T.V.)
वतीय उपागम संवग : इसम संवग i) मशीन चा लत युि तयां ; 2) बना मशीन चा लत
युि तयां , एवं 3) जन संचार मा यम Mass Media) शा मल ह—
1. मशीन चा लत युि तयां ( Machine Operated Devices): वे साधन िजनका उपयोग
मशीन के वारा कया जा सकता है। यथा लाइ स, फ म प काय (Fillms stripes),
ओवर हेड ोज टर (Overhead Projector) ा सपैरे सीज (transparencies), ऑ डयो
टे प रकाडर (Audio Tape Recorder), वी डयो टे प रकॉडर (Video Tape Recorder),
ब द प रपय ट वी (Closed Circuit T.V.)।
2. बना मशीन चा लत युि तयां (Non—Machine Devicse): इसके उपयोग म कसी मशीन
क आव यकता नह ।ं यथा, नमू ने (Specimen), चाट, त प (Model), च (Picture),
लेश काड (Flash Cards), लेखा च (Graphs) उपकरण।

206
3. जनसंचार मा यम (Mass Media)): ये वे साधन ह िजनके मा यम से एक साथ दूर थ
थान तक कई लोग को सूचनाओं का सं ेषण (Communication) होता है। यथा—रे डय ,
फ म (8mm॰16mm), दूरदशन (T.V.)
तृतीय उपागम संवग : इसके अ तगत श ण के श ण साम को ोज टे ड और
नान— ोजे टे ड म सवगीकृ त कया जाता है।
1. ोजे टे ड (Projected) संसाधन: इसम फ म, ट वी, रे डय , क यूटर , फ म ि प,
लाइड, ा सपेरे सीज जैसे साधन सि म लत ह।
2. नान— ोजे टे ड (Non—Projected): इस सवग म चाट, ाफ, मान च , चॉक—बोड,
बुले टन बोड, पलैनल बोड, त प, योग— दशन, वा त वक व तु आ द सि म लत
ह।
चतुथ उपागम: इसको हम आधु नक या ावै धक (Technological) संवग करण भी
कह सकते ह। इसके न न ल खत संवग ह —
1. सरल हाडेवेयर उपागम (Simple Hardware Approach): इसम जादूई लालटे न
(Magic Lzltern), एापेया डरकोप (Epiadisoope), लाइड ोज टर, फ म र प
ोजे टर, ओपेक ोजे टर (Opaque Projector), ओवर हे ड ोजे टर जैसे साधन
सि म लत ह। इनके उपयोग म कम तकनीक मशीन क ह आव यकता होती है।
2. हाडवेयर उपागम (Hardware Approach): रे डयो, ट वी., रकाडे लेयर, चल च ,
ट चंग मशीन, क यूटर आ द। इसके उपयोग म ज टल तकनीक मशीन क आव यकता
होती ह।
3. साफटवेयर उपागम (Softwate Approach): फ म ि प, च , चाट, मॉडल, चॉक
बोड, नमू न,े रे खा च , त प आ द इस वग म आते ह। इनके उपयोग म कोई ज टल
तकनीक मशीन क आव यकता नह ं होती है।
वमू यां क न
1. श ण साम य के वग करण के उपागम ह : —
i) —————————————————— ii) —————————————————
iii) ————————————————— iv) —————————————————
2. साफटवे य र और हाडवे य र उपागम म या अ तर है '
————————————————————————————————————————————————
————————————————————————————————————————————————

207
10.4 श ण साम ी के मह व और योजन
(Importance and Purposes of Teaching Aids)
सै ा तक (Theorists) वारा य— य साम य के श ा, श ण और अनुदेशन म
योगदान के मह व (Importance) का सैकड़ अनुस धानक ताओं ने अनुमोदन कया है। चा स
एफहॉबन (Charles F॰Hoban), जे स डी. फ न (James D Finn) और ऐगर डेले (Edgar
Dale) ने यह न कष नकाला क य द उपयु त ढं ग से इ ह श ण सि थ तय म उपयोग कया
जाय तो साम यां न न ल खत क पू त करती है :—
 अवधारणा मक च तन (Conceptual thinking) के लए थू ल आधार (Concrete
Basis) क आपू त करते हु ए अ धक ताओ क अथह न श द अनु याओं
(Meaningless and responses) को घटना।
 छा —अ भ च म वृ करना।
 अ धगम को अ धक था य व दान करना।
 अनुभव क वा त वकता उपल ध कराते हु ए छा आ म याओं (Self activities)
को अ भ े रत करना।
 वचार क नर तरता को वक सत करना।
 अथ क अ भवृ करते हु ए श दावल के वकास म योगदान।
 दूसरे साधन वारा उपल ध न कये जा सकने वाले अनुभव को सहजता से उपल य
करना। अ धगम को द ता (Efficiency), गहराई (Depth) और व वधता (variety)
दान करना।
इसके अ त र त श ण साम य के न न ल खत योजन सू ब कये जा सकते ह:
1. अ धगमक ताओं (Learners) को नवीन वषय—व तु के ानाजन (Acquisition of
Knowledge) म अ धक से अ धक ानेि य को सि म लत करने के लये अवसर
उपल ध करना। जैसा क या यान— दशन (Lecture cum demonstration)
णाल म च ु और कण दोन के वारा नवीन ान का सं ेषण (Communication)
कया जाता है।
2. अमू त (Abstract) अवधारणाओं को प ट करने के लये उ ह समाना तर मूत
(Concrete) व प म तु त करना। जैसे व युतधारा का वाह, परमाणु (Atom)
म अणुओं (Molecules) का संगठन, अणु क संरचना ( Structure)और उसके
इलै ोन क ग त आ द।
3. अ धक ताओं को वयं ''करके सीखने'' (Learning by doing) के अवसर दान करना।
4. ज टल सरचनाओ (Complex struotures) को बोधग य (Comprehensible) एवं
सरल प (From) म तु त करना।
5. छा म िज ासा (Curiosity) का वकास करना। तथा इसक स तु ि ट (Satisfaction)
के लये संि थ तयां(Situation) न मत करना।

208
6. व या थय को येक (Direct) ान के लये अवसर उपल ध करना।
7. अ धक ताओं को वै ा नक व ध म पारं गत (Mastery) करने क दशा म अ यास
(Exercise) के अवसर जु टाना।
8. श ा थय (Pupils) म वै ा नक अ भवृि त ( Scientific Attitude) के वकास के लये
भवी संि थ तयां न मत करना।
9. अ धक ता को मन (Mind), बु ( Intellect) और हाथ (Hand) के सम वय
(Coordination) को ढ करने क दशा म यास करना। तथा उसको सदै व याशील
(Active)रहने और नवीन ान को ा त करने के लये त पर (Ready) बनाये रखना।
वमू यां क न
1. व ान श ण म अनु दे शन साम य के सात योजन ह: —
i) —————— ii) ——————————— iii) ——————————
iv) ——————— v) ——————————— vi) ——————————
vii)—————————

10.5 श ण साम ी के चयन क कसौ टयां


(Criteria for the Selection of Teaching Aids)
1. अ धक ताओं के वकास तर (Development Level) के अनु प ह श ण साम ी का
चयन कया जाना चा हये।
2. साम ी क वषय—व तु (Content) के साथ पूण संग त (Relevance) होनी चा हये।
3. श ण साम ी के उपयोग के लये व यालय और क ा म सभी सु वधाय उपल ध ह ।
4. साम ी के उपयोग से न मत अ धगम संि थ त के लये क ा को मान सक प से तैयार
कया जाना चा हये।
5. सामा ी आकषक (Attractive) और छा के वषय व तु के त अनुकू ल अ भवृि त के
वकास म सहायक हो।
6. तकनीक ि ट से अ धक सरल साम ी को ाथ मकता द जानी चा हये।
वमू यां क न
1. व ान श ण म अनु दे शन साम ीय के चयन क कसो टयां है : —
i)———————————— ii)————————————— iii)——————————
iv)——————————— v)———————————— vi)——————————

209
10.6 व ान श ण म मु ख श ण साम ी
(Important Teaching Aids in Science Teaching)
1. य व तु एवं उपकरण (The Object and Experimental appliances):
व ान श ण म वा त वक व तु का दशन और योग सबसे अ छे साधन ह। य क इनके य
स पक म आकर छा को ऐि क अनुभव (Empirical experience) ा त करने के अवसर मलते
ह। ऐसे अवसर योगशाला म उपल ध कये जाते ह। िजनके स ब ध म अलग इकाई म चचा करगे।
छोटे काय कलाप के प म ऐसे योग क ा म भी कराये जा सकते ह। कुछ कायकलाप वातावरण
से ा त व तुओं के वारा व याथ घर पर भी कर सकते ह। योग ऐसा श ण साधन है जो क
''करके सीखना'' (Learning by doing) के स ा त पर आधा रत है। इसम छा पाँच ानेि य
वारा अनुभव ा त करता है , केवल आंख और कान से ह नह ं। बहु त से अ यापक इ ह अपने आप
म अि तम तथा व ान पा य म का आव यक अंग मानते ह। इससे छा याि क प म
(Mechanically) पा यचया म नधा रत योग ह करते ह। वे इनम न हत श ण के उ े य ा त
नह ं करते क तु, इ ह ं को श ण उ े य मानकर चलते ह। यह आं शक स य है। इन योग के ा त
अनुभव के वारा अ धक ता म होने वाले यवहार प रवतन अ धक मह वपूण ह। योग का
सफलतापूवक करनी ह पया त नह ं है। यह तो यवहार प रवतन का मा यम है।
या ा (Tour) और मण (Excursion) वारा वा त वक व तुओं और म
(Procedures) का अ ययन भी वइयन श ण म मह व रखता है। क ा म हम छा को ऐसे
करण (Topic) पढाते ह िजनको य प म दे खकर ह ठ क से समझा जा सकता है। ऐसा स भव
तभी हो सकता है जब क य व तु या म के थल क या ा / मण कया जाय। मण के
लये थान का चयन (Slection) छा क च (Interest), बौ क वकास (Development)
और क ा म ता का लक वषय—व तु (Content) के आधार पर कया जाना चा हये। व ान श ण
क ि ट से टे ल फोन और तारघर, रे डयो रटे शन, जन वा य अ भयाि क वभाग (Public Health
Engineering Department), हवाई अ डा तथा थानीय कारखान तथा रा य या रा य तर य
योगशालाओं और तारामंडल, तापीय व युत प रयोजना ( Thermal Power Project), जल व युत
प रयोजना (Hydro—Electic Project), ना भक य ऊजा प रयोजना (Nuclear Power Project)
आद थल के मण के आयोजन मह वपूण ह।
2. त प (Model) : व ान श ण म य व तु या वा त वक योग के उपल ध
न होने क ि थ त म त प (Model) क सहायता ल जाती है। त प कसी व तु का लघु या
द घ (Small or large) प है। व ान क पा यचया म ऐसी बहु त सी व तुओं को सि म लत कया
जाता है िजनको मूल पम तुत करना स भव नह ं हो पाता। ऐसी ि थ त म उनका त प क ा
म द शत कया जाता है। उदाहरण के लये य द रे लगाड़ी के इजन क रचना और काय व ध पढ़ानी
हो, तो न ह रे लगाडी का इंजन ह क ा म लाया जा सकता है। ऐसी ि थ त म रे ल के इंजन क
रचना और काय व ध के अ ययन के लये इंजन का त प क ा म तु त कया जाता है।

210
कसी वषय के श ण के उ े य को पूरा करने के लये कई बार त प (Working model)
का योग आव यक होता है। जैसे य द हम यह समझना चाहते ह क रे ल के इंजन म कस कार
भाप के दबाव से प हये घूमते ह, तो हम कायकार त प क आव यकता होती है। जब कभी भी
हम कसी या के अ ययन के लये त प क आव यकता हो तो हम कायकार त प ह लेते
ह। त प सदै व यथाथ व तु से छोटे आकार के ह ह , यह बात नह ं। कई बार कुछ व तु एं इतनी
छोट होती ह क उनक रचना (Construction) आ द का भल भां त ान ा त करने के लये उनके
कई बडे आकार के त प का उपयोग आव यक हो जाता है। जैसे क य द व नयर का स ा त
समझाना हो तो वा त वक व नयर कै लपस के थान पर उसका बडा मॉडल क ा म ले जाने पर स पूण
क ा उसके पैमाने (Scale) पर बने नशान को दे ख सकती है। तथा उसक काय णाल का समझ
सकती है। जहां तक हो सके त प का योग उसी ि थ त म कया जाना चा हये, जब क वा त वक
व तु का योग— दशन स भव न हो अथवा वा त वक व तु क अपे ा त प वारा अ धक भावी
श ण होने क आशा हो। त प के उपयोग म इस बात का यान रखना चा हये क उसके वारा
वा त वक व तु क सह रचना एवं काय व ध (Working) त बि बत (Reflect) हो। त प
वा त वक व तु का थानाप न (Replacement) होता है।
3. ि थर च (Still Pictures) : कसी व तु का वा त वक प म दशन न कर
सकने और उ चत त प न मलने पर भौ तक श ण के लये च , चाट, फोटो ाफ आ द का उपयोग
लाभ द है। फ म ि प (Flim strikpes) तथा लाइड (Slide) भी इसी ेणी के साधन ह, इनको
योग करने के लये ोजे टर क आव यकता होती है। कमरे म कु छ अंधेरा करना आव यक है। जहां
कसी व तु क आ त रक संरचना एवं काय णाल प ट करनी है वहां ि थर रे खा च अपे ाकृ त अ धक
भावपूण एवं उपयोगी श ण —साधन स होते ह। जैसे जलप प क रचना और काय व ध। व ान
स ब धी अनेक योग (Experiment) और दशन (Demonstrations) को भी च वारा
समझाया जा सकता है। साधारणतया चाट एवं च आ द म अपनी ग त नह ं होती। पर तु कसी या
को समझाने के लये उनक व भ न ि थ तय के मब च बनाये जा सकते ह। ऐसे च भी
कसी— कसी या के लये बना सकते ह क च के एसक कटे हु ये भाग (Cut Out) को हाथ म
चला सकते ह। च एवं चाट को सहायक साधन के प म भल भां त काम म लाने के लये अ यापक
को न न ल खत बात पर यान दे ना चा हये:—
 च एवं रं गीन व आकषक ह । इरासे अ धक ता (Learner) श ण म अ धक च
होते ह। पर तु उसम रंग का योग कसी शै क उ े य नह ं कया जाना चा हए।
 एक चाट केवल एक ह अवधारणा (Concept) और उ े य (Objective) क पू त के
लये होना चा हये।
 कसी अ धगम ब दु (Learning Point) को प ट करने के लये चाट एवं च अपने
आप म पूण (Complete) और प ट होना चा हये। इस पर सह और प ट नामांकन
(Labelling) अपे त है।
 नामांकन म अ र (Letters) एवं अंको (Digits) का आकार ऐसा हो क क ा के सभी
भाग से इनको आसानी से पढा जा सके।

211
 क ा म कसी चाट अथवा च क जब आव यकता हो उसको उसी सैमय द शत करना
चा हये। इसके त काल बाद उसको हटा दया जाना चा हये।
 चाट या च को समु चत ढं ग से टांगना चा हये। उसको दे खने और प ने म क ा के
कसी भाग से कोई क ठनाई न हो।
 जहां तक स भव हो चाट और च श क और छा वारा ह बनाये जाये।
फ म ि प या लाइड क वशेष उपयो गता यह है क इ ह पद पर काफ बड़ा करके दखा
सकते ह। इस कार पीछे बैठे छा को भी च प ट दखाई दे ता है। चल च क भां त यह छा
का यान भी आक षत करते ह। तथा अ धगम के लये अ भ ेरणा दान करते ह।
4. चॉक बोड (Chalk Board) : यामप क ा का राबसे मह वपूण परं परागत
श ण साधन (Teaching aid) है। परं परागत प म इसक सतह काबन क पुताई से काल कर द
जाती है। इस लये इसको यामप (Black Board) कहा जाता है। व ान श ण म श क को यामप
क आव यकता पड़ती ह रहती है। इसका उपयोग वषय—व तु का सारांश लखने, योग एवं पर ण
क काय व ध समझाने एवं, य क संरचना और काय णाल रप ट करने के लये रे खा च आ द बनाने
के लये कया जाता है। चॉक बोड के काय मो हॉबन और िज मैन (Zisman) के अनुसार इन ब दुओं
म रखा जा सकता है:—
 रे खा च , रकेच , न श , रे खांकन के वारा वचार , योजन और त य को उ ृत करना।
 मु य त य , स ा त , नवीन पद , नयम , खाक , सं तीकरण, वग करण,
सरल करण को तु त करना।
 अ धक ताओं के लए भावी दशन मा यम।
 व वध साम य यथा न , क ा कृ यक , गृहकाय , छा के पर ा प रणाम आ द
को लखना।
यामप (Black Board) सभी सहायक साधन म स ता और सु लभ है। इसक बहु त बड़ी
उपयो गता यह है क इस पर आव यकतानुसार लखा एव मटाया जा सकता है। तथा कोई वशेष ब ध
नह ं करना पड़ता है। आजकल यामप के थान पर ह रतप (Green Board) का चलन बढता
जा रहा है। हरे रं ग के प पर लखने से ऑख पर अ धक जोर नह ं पड़ता। तथा लखावट भी सरलता
से प ने म आती है। इस लये अब हम यामप के थान पर ''चॉक बोड'' (Chalk board) कहते
ह। अब बालपेन का उपयोग भी आधु नक सफेद सतह के बोड म कया जाने लगा है। बालपेन क
यह याह आसानी से मट जाती है। चॉक के उपयोग से बनने वाल धू ल से भी बचा जा सकता है।
इससे श क के व और हाथ ग दे नह ं होते। चॉक बोड के उपयोग म न न ल खत सावधा नयां
अपे त ह:
व छता (Cleaniness) : चॉक बोड का उपयोग करने से पूव इसको भल भां त साफ कर
दया जाना चा हये। ऐसा न करने पर अ र, रे खा च प ट नह ं दखाई दे ते ह। पाठ पूरा होने के बाद
श क को चा हये क वह चॉक बोड साफ कर द।
रख—रखाव (Maintenance) : चॉक बोड क रख—रखाव क ओर भी यथो चत यान दया
जाना चा हये। इसके लये चॉक बोड सतह पर नय मत प से (Regularly) पॉ लश करवानी चा हये।

212
वषय—व तु का आकार (Size) : चॉक बोड पर लखे गये अ र (Letters), रे खा च
(Diagram), केच (Sketch), अंक (Digits) आ द का आकार इतना बड़ा होना चा हये क येक
व याथ भल भां त इ ह पढ सके। तथा ये बेडौल भी न लगे।
खडे होने का ढं ग (Posture) : चॉक बोड लखते समय श क को इस कार खड़ा होना
चा हये क व याथ उसके पृ ठ भाग ( Back) म न आव। इस लये श क को बोड क बगल (Side)
म खडा होना चा हये।
समय क मत ययता (Economy of time) : श ण के समय चॉक बोड पर बहु त दे र
तक रे खा च अथवा केच बनाने म समय यतीत करना अ छा नह ं लगता। श क क लेखन और
रे खांकन ग त ती होनी चा हये। अ यथा अनुशासनह नता क आशंका रहती है।
व श टता (Specificity) : चॉक बोड पर एक साथ अनेक रे खा च दशाने से व श टता
का त व लोप हो जाता है। रे खांकन म अ धक अ छा हो क रं गीन चॉक का उपयोग कया जाय।
नामांकन (Labelling) : चॉक बोड पर बनाये गये च को नामां कत कया जाना चा हये।
नामांकन हमेशा सफेद चॉक से ह ह ।
ब दुगत सारांश (Pointed Summary) : साराश ब दुगत होना चा हये। वा य पूरे करने
क आव यकता नह ं है। क तु इसक वषय—व तु अपने आप मे पूण व प ट हो।
प टता (Vividity) : चॉक बोड पर रे खा च म व तु के अलग—अलग भाग को अलग—अलग
रं गीन चॉक (Coloured chalks) से प ट प से दशाया जाय।
क ा पूव च ांकन ( Drawing on Board before class starts) : य द कोई ज टल
च बनाया जाना है तो उसको पहले ह बोड पर बना दया जाय तथा इसको उलट कर द घा क ओर
कर दया जाय। िजससे क अ य श क दूसर सतह का उपयोग कर सक। आजकल इस काय के लए
लपेटफलक का उपयोग अ धक सु वधाजनक और आसान है।
अनुभागीय च ण ( Sectional drawing) के लए व—अवयव च फलक य च क
अपे ा व ान वषय म अनुभागीय रे खा च ण का ह उपयोग कया जाना चा हए।
5. फलैनेल बोड (Flannel Board) : फलैनल
े बोड लाईबुड, मेसोनाइट बोड अथवा
लकडी के चौखट पर कस कर लगा हु आ ऊन, सू त अथवा बाल का बना फलैनल
े (कपडा) होता है। इसके
ऊपर च , अ र अथवा रे खा च कागज क सहायता से चपकाये जाते ह। फलैनल
े बोड पर क ह ं
श द अथवा च ो के खींचने क आव यकता नह ं पडती है। पूव म न मत साम ी को इसके ऊपर
चपकाया जाता है। काय समाि त पर उ ह हटा दया जाता है। तु तीकरण म जैस—
े जैसे त य को
उभारने क आव यकता पडती है, वैस—
े वैसे साम ी को बढाया या घटाया अथवा प रव तत कया जा
सकता है। इसम छा क मो लकता (Originality) को मू त प दे ने का अवसर मलता है। इस पर
वचार को वांछनीय और वाभा वक म (Desired and natural order) से यवि थत
(Systematize) कया जा सकता है।
फलैनेल बोड को सीधे बाजार से खर दा जा सकता है। क तु आव यकता पड़ने पर इसको
बनाया भी जा सकता है। इसके मु ख लाभ इस कार है:—

213
 इस पर तु त साम ी को पहले सह ह तैयार कया जाता है तथा इसको सुर त रखते
हु ऐ बार—बार उपयोग म लाया जाता सकता है।
 इसम व भ न वषय व तु को आव यकता पडने पर इधर—उधर सरकाया जा सकता है।
इसम कसी या को तु त कया जा सकता है। ि थर च को सरकाते हु ए कसी
ग त या अ भ या को तु त कया जा सकता है।
 इसके वारा कसी कहानी ( यूटन) को रथू ल प म तुत कया जा सकता है।
 इससे छा को सृजना मकता म यावहा रक कौशल वक सत करने के लए अवसर
उपल ध होते ह।
6. व ि त प (Bulletin Board) : यह वा तव म फलैनेल बोड ह है। क तु, इसका
उपयोग क ा— श ण म न होकर भौ तक से स बि धत नवीन सूचनाओं के स ेषण
(Communication) के लये होता है। व ान से स बि धत कसी भी कार क सू चना
(Information), समाचारप (Newspaper), प —प काओं (Magazines) या कसी संरथा
वारा सा रत मोनो ाफ (Monogrph) या अनुसध
ं ान तवेदन ( Research Report) म हो तो
उसको व ि त प पर तु त कया जाता है। जैसा क पु तकालय के व ि त प म नयी पु तक
के आवरण को द शत कया जाता है। िजससे क स बि धत वषय म च रखने वाले पाठक उनरने
लाभ उठा सक। यह व ान स बि धत नवीनतम ान (Latest Knowledge) को व या थय तक
पहु ँ चाने का सु गम साधन है। यह व या थय म व ान म िज ासा (Curiosity) और च
(Interest) के वकास म सहायक है। इसक सहायता से व ान के कसी े म नवीनतम
अवधारणाओं (Concepts) से िज ासु लाभाि वत ( Benefitted) होते ह। व ि त प के उपयोग
म न न ल खत सावधा नयां अपे त ह:
 ऐसे थान पर था पत कया जाय जो सभी व या थय क सामा य पहु ँच मे हो।
 इसम काश क उपयु त यव था होनी चा हये। िजससे क इसक वषय व तु सरलता
से पढ जा सके।
 इसक . ऊंचाई इतनी रखी जाय क कसी भी व याथ को असु वधा न हो।
 इसको आकषक बनाया जाय। येक व याथ त दन व ि त प को दे खने के लये
उ सु क हो। तथा व ि त प नय मत प से पढना उनक आदत बन जाये।
7. चाट, च , फोटो च , लेखा च (Chart, Diagram, Photo, Graph) :
पा य—पु तक म दये गये व ान स ब धी च छोटे होते ह। साथ ह ये अनुभागीय च ( Sectional
diagrams) होते ह। व ान के श ण म पा य—पु तक तो क ा म उपयोगी नह ं होती है। अत:
क ाम ता वत वषय—व तु के अनुदेशन के लये बड़े आकार के च , चाट, फोटो लेखा च आव यक
साम ी बन जाते ह। व ान लेखा च भी क तपय इकाइय म चर के पा प रक स ब ध के अ ययन
के लये आव यक बन जाता है। लेखा च प पर स बि धत चर स ब ध दशाये जा सकते ह।
8. फ म प यां (Film Strips) : यह कम खच ल सहायक साम ी है। इसक
सहायता से ज टल सरचनाय (Complex structures), योग (Experiment), द शत कये जा
सकते ह। यह एक आकषक साधन है। इसक सहायता से वषय—व तु सरल बनाया जा सकता है।

214
व याथ इसको दे खने म च लेते ह। फ म ि प क चौडाई 35 म.मी. होती है। इसक ल बाई
1 मीटर से 1.50 मीटर तक होती है। इसम 30 से 40 े म होते ह। फ म ि प म वषय—व तु के
च , रे खा च , लोचाट(Flow chart), नमू ना तथा ल खत साम ी आ द को मब प से
यवि थत कया जाता है। इसके उपयोग के लये श ण मागद शका (Teaching guide) उपल य
रहती है। फ म ि प के साथ अलग से ऑ डय टे प पर व तृत ववरण भी रकाड कया जा सकता
है। ऑ डय पर टे प े म वत: प रव तत हो जाता है। इस काय के लये फ म ि प ोजे टर के
साथ सं ोनाइजर (Synochronizer) तथा रकॉडर काम म लाये जाते ह।
9. लाइ स (Slides) : यह भी फ म ि प क भां त होती है। पर तु इनम एक
लाइड अलग से होती है। इन रलाइड को हम संरचना, म डल तथा योग को द शत करने म कर
सकते ह। आव यकतानुसार यह क ा म दखाया भी जा सकता है। इसके योग से क ा के समय
क बचत होती है। कम समय म यादा से यादा वषय—व तु को रोचक ढं ग से तु त कया जा
सकता है। लाइड को लाईड ोजे टर क सहायता से दखाया जाता है। लाइड ोजे टर दो कार
के हाते ह; (1 ) वचा लत लाइड ोजे टर (Auto Slide Projector) (2) हाथ से इ तेमाल होने
वाले लाइड ोजे टर (Manual Slide Projector)।
10. ासपैरे सीज (Transparencies) : यामप के उपयोग मे कई कार क
यावहा रक क ठनाइयां आती है। िजनक हम अ य वक प क ासपैरे सीज वारा कया जा सकता
है। वषय—व तु क आव यकता के अनुसार श क ासपैरे सीज तैयार रखता है। इसम वह संरचना,
काय व ध, योग आ द के च तथा यामप पर लखे जाने वाले श ण ब दुओं को लख सकता
है। आव यकता पडने पर क ा मे ओवरहे ड ोजे टर (Overhead Projector) क मदद ल जाती
है। ये ासपैरे सीज केवल अ यापक को एक बार बनानी पड़ती ह। इसके उपयोग से अ यापक को
व या थय के साथ वमश (Discussion) करने के लये अ धक समय उपल ध हो जाता है। व याथ
भी श ण ब दुओं तथा रे खा च को अपनी पु र तका (Note book) म आसानी से उतार सकते
ह।
11. फ म (Films) : फ म श ण का सश त मा यम है। इसके वारा क ठन से
क ठन श ण इकाइय को सरलता से प ट कया जा सकता है। फ म म यु त रं ग, संगीत,
याशीलता एवं वा त वकता अ धक ता म च का वकास करते ह। इसके साथ ह उनक िज ासा
शा त करते ह। आगे जानने के लये उनम कौतू हल (Curiosity) बना रहता है। ात: शै क उपयोग
क फ म 8 म. मी. तथा 16 म.मी. क होती है। ये साधारणतया चार कार क होती ह:
 क ा श ण के लये उपयोगी
 व यालय वारा न मत
 डॉ यूमटर फ म (Documentary Films)
 यूज र स (News reels)
जहाँ तक दे खा जाय सामा य प म व ान श ण म वषय साम ी के आधार पर तीन तरह
क फ म स भव ह i) वषय व तु फ म ( Subject matter film) — िजसम भौ तक , रसायन
व ान, जीव व ान से स बि धत कसी इकाई क वषय व तु फ म का कथानक होती ह। ii)

215
वै ा नक स ा त क युि त (Application of a scientific principle)— ऐसी फ म जो क
कसी वै ा नक स ा त को प ट करने तथा उसक युि त और मह व को दशाये iii) व ान का
मह व (Importance of science)— एंसह फ म सामा य श ा क व ान स ब धी वषय पर
आधा रत होती ह। यथा; वै ा नक खोज और आ व कार, यातायात, संचार यव था, व युत उ पादन
आ द।
व ान श ण म दो कार क फ म तकनीक यु त होती ह— कु डलाकार (Loop) और
सम या (Problem) फ म। कु डलाकार फ म म घटनाओं को मक प म तु त कया जाता
है यथा, अ तदहन इि जन के बेलन म होने वाल मक याये। कु डल बार—बार चलती है, िजससे
क ा द शत याओं का अ ययन कर सके तथा उनके वषय म वमश कर सके। सत या फ म
म दशक के लए न छोड दया जाता है, िजनका वे हल ढू ं ढेगे। भौ तक क एक फ म म 4
अलग—अलग धातुओं के समान आकार के गोल को एक ह ताप म पर गम कया जाता है। इसके
बाद सभी गोल को मोम क मोट चादर पर एक साथ रख दया जाता है। अब फ म म ण— त ण
को दशाया जाता है। दशक के लए न छोडा जाता है— ''सभी गोले मोम म एक साथ डू बने के बजाय
अलग—अलग अव ध म य डू बे?
व ान वषय के अनुदेशन म चल च का मह व को न न ल खत ब दुओं म रे खां कत
कया जा सकता है:—
 ग त म न हत व श ट अथ को तुत करना
 अ धक ताओ के अवधान को आक षत करना
 वा त वकता को बढ़ाकर तु त करना
 समय को व मान ग त या हासमान ग त दे ना (Speed up or slow down)
 सु दरू भत और वतमान को क ा म लाना
 कसी घटना के सहज पुन न मत अ भलेख को उपल ध करना
 व तु के वा त वक आकार को बढ़ाना या घटाना
 आँख से न दखाई दे ने वाल सू म व तु या या को तुत करना
 अनुभव के सामा य त व का नमाण करना
 छा अ भवृि त का वकास
 सू म स ब ध के बोध को ो नत करना
 स तोष द सौ दयानूभू त परक अनुभव उपल ध करना
फ म का मह व उसक न न ल खत वशेषताओं म न हत है :
 फ म म ग त तथा संगीत होता है, इस लये श ाथ का यान श ण क ओर आसानी
से आक षत हो जाता है।
 फ म वारा ज टल वषय—व तु को सरल प म तु त कया जा सकता है।
 फ म सू म व तु को कई गुना बड़े आकार म द शत कर सकती है।
 फ म दे खने म छा ो क च बनी रहती है, इस लये इसके उपयोग से अ धगम को अ धक
भावी बनाने म सहायता मलती है।

216
 व ान के कसी े क अतीत क घटनाओं को इसके वारा तु त करना आसान और
भावी है।
 फ म के वारा व भ न कार क ती ग त से होने वाल याओं को धीमी ग त से
प ट प से दखाया जा सकता है।
 फ म वारा वै ा नको क आ म—कथा तथा उनके वारा लये गये योग को सरल
तथा रोचक ढं ग से द शत कया जा सकता है।
12. इलै ो नक साधन (Electronic Media) : इसम मु ख प से ऑ डयो कैसेट
(Audio Cassette), व डयो कैसेट (Vidio Cassette) क यूटर ( Computer), ब द प रपथ
ट .वी (Closed circuit T.V.) सि म लत है। इनके उपयोग यापक प से नह ं हो रहे ह। क यूटर
का उपयोग सी मत प म हो रहा है। वा तव म यह आ म—अ धगम (Self—Learning) के लये
आधु नक ट ं चग मशीन है। इसम अ भ मत अ धगम के स ा त (Theory of programmed
learning) पर पाठ (Lessons) को फ़लॉ पय (Floopies) म सं चत कया जाता है।
13. जन संचार मा यम (Mass Media) : इन साधन म रे डयो (Radio), ट .वी.
(T.V.) मु ख ह। इनका उपयोग जन— श ा (Mass education) और सं थागत (Institutional)
शै क काय म दोन ह प म कया जा सकता है। अब तो इ टरनेट (Inter—net) क सु वधा का
सार भी काफ तेजी से हो रहा है। टे ल फोन संवाद (Telephonic conversation) तथा टे ल फोन
स मेलन (Telephone conference) क सु वधाय भी अब उपल ध क जा रह ह। अ य वषय
क भां त व ान के ानव क के लये ये मा यम पूरक (Supplementry) भू मका (Role) नभाते
ह। रे डयो या टे ल वजन से पाठ को सार त करने से पूव ऑ डयो तथा वी डयो तैयार कये जाते ह।
इन कैसेट म योजना के अनुसार काय म समा हत कये जाते ह। इस यव था (System) के म
(Procedure) म दो प सि म लत है:—
अ) सारणकता (Communication Agency)
ब) ा तकता (Receiver)।
अ) सारणकता (Communication Agency) : जनसंचार यव था म यह आकाशवाणी
(A.I.R) एवं दूरदशन (T.V.) ह। इसके मुख अंग इस कार ह; शै क सुझाव स म त (Educational
Advisory Committee), आकाशवाणी दूरदशन टाफ (A.I.R./T.V. Staff), श ा व और वषय
श क ( व ान वशेष श क Science teacher), तकनीक टाफ (Teachnical staff),
तु त टाँफ। इसम काय म नमाण के न नो ल खत सोपान है:—
 आकाशवाणी / दूरदशन का सारण काय म नधारण
 उ पादन.’ टाफ (Production staff), श ा वद एवं वषय वशेष (Specializer)
वारा वषय—व तु तथा काय म व प (Mode) का नधारण।
 पा डु ल प तैयार करना (Prepare script)
 काय म का पूवा यास (Reheersal)
 काय म का रका डग एव इसके लये व ापन (Advertisement)

217
 तु त (Presentation) — सारण
ब) ा तकता (Receiver) : यह व यालय है िजसम लाभाथ (Beneficiaries) अ धक ता
है। यहां वषय अ यापक ( व ान श क) मु ख है। इस भाग म स प न या के सोपान इस कार
है:—
1) टागट समू ह (Targate Group) : अथात ् लाभाथ समू ह का चयन। जो वषय व तु
सा रत क जानी है उसके अनु प क ा का चयन इसम मु ख है।
2) तैयार (Preparation) : व या थय को काय म दे खने—सु नने के लये अ भ े रत
करना। इस ता वत वषय—व तु के अ धगम के लये जो पूव ान आव यक है, उससे छा को अवगत
करना।
3) काय म दे खना—सु नना।
4) तपुि ट (Follow—up) : इसम श क ता वत वषय—व तु के तु तीकरण
या तथा इससे छा वारा ा त उ े य का मापन एवं मू यांकन करता है। इसके प रणाम के
आधार पर अपने न कष सारण ऐजे सी को भेजता है। जहां पर सभी न कष का अ ययन होता
है। तथा सम त काय समू ह (Working Group) अपने—अपने तर पर काय म का आशोधन
(Modification)या इसम सु धार (Correction) करते ह।
कोई व यालय अपने तर पर भी यह काय म तैयार कर सकता है। क तु, यह एक मंहगी
या है। इस लये हमारे व यालय वारा वतमान म इसको साकार करना स भव नह ं है।
जन संचार साधन क सीमाय (Limitation of mass media):
1) इसमे श ण एकमाग (One way) बनकर रह गया है। व याथ मूक दशक या ोता
है।
2) यह मनोवै ा नक (Phychological) नह ं है। य क इस साधन के वारा वैयि तक
भ नताओं (Individual differences) क पूण उपे ा होती है।
3) ट .वी. र न छोटा होता है।
4) यह यव था सभी व यालय के लये यावहा रक नह ं है।
5) इसम श ा वारा सामाजीकरण (Socialization) क भी पूण पेण उपे ा होती है।
भारत म इस कार के सारण के लये एन.सी.ई.आर.ट . सी.आई.ई.ट (Central Institute
of Educational Technology), यू.जी.सी. तथा इि दरागांधी रा य मु त व व व यालय
(IGNOU) जैसी सं थाय अपने त वावधान म अ छे काय म दे रहे ह।
वमू यां क न
1. त प क या उपयो गता है ?
—————————————————————————————————-------------------------
2. चॉक बोड के उपयोग म या सावधा नयां आव यक है : —
i) ———————————--- ii) ————————————--- iii) ————————————
iv) —————————---- v) —————————————— vi) ———————————--

218
3. लने ल बोड क वशे ष ताय ह : —
i)————————————————------------ ii) —————————————————------
iii) ———————————————----------- iv) ——————————————————---
4. व ि त प के या उपयोग ह ?
i)————————————--- ii)——————————------ iii)————————----------
5. मशीन चा लत , बना मशीन चा लत और जनसं चार के तीन — तीन उदाहरण
द िजए।
————————————————————————————---------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------

10.7 वमू यांकन (Self Assesment)


न 1 से 4 तक येक के उ तर 100 श द म तथा शेष के उ तर कम से कम 500 श दो
म द िजए :—
1. व ान श ण म श ण साम ी से या ता पय है?
2. श ण के श ण साम य को कैसे वग कृ त कया जा सकता है? येक संवग के दो—दो
उदाहरण द िजए।
3. व ान श ण म सहायक साम ी के चयन क या कसौ टयां ह।
4. व ान श ण म लैनल
े प और व ि त प क उपयो गता मू त उदाहरण वारा प ट
क िजए।
5. व ान श ण म दूरदशन और आकाशवाणी के उपयोग का म प ट क िजए। व श ट
उदाहरण के वारा इनक युि त दशाइये।
6. व ान श ण म चॉक बोड का या मह व है ? इसके उपयोग म या— या सावधा नयां
रखनी चा हए ?
7. व श ट उदाहरण क सहायता से व ान श ण म न न ल खत क युि त प ट क िजए।
i) ासपैरे सीज ii) फ म
iii) फ म ि स iv) लाइड
v) क यूटर
8. त प क सहायता से व ान अनुदेशन को भावी कैसे बनाया जा सकता है ? उदाहरण दे कर
रय ट क िजए।

10.8 स दभ थ (Refrences)
1. Heis, Ogbourn and Goffman; Moder Science Teaching; McMillan
Co.N.Y.

219
2. David E. Hennessy; Eiementary Teacher’s Classroom Science
Demonstrations and Activities, Prentice Hall of India N.D.(1996)
3. Gupta V.K.; Teaching and Learning of Science and Technology,
Vikas Publish House N.D.(1995)
4. Huffmire, D. Wynent; Teacher Demonstrations, Laboratory
Experiences and Projects; Science Edu.49(3)262—264,(1965)
5. Negi.J.S.Bhautiki Shikshan; Vinod Pustak Mandir, Agra(1999)
6. Vaidya Narendra; Science Teaching for the 21st Century Deep and
Deep Publications, N.D.(1996)

220
इकाई—11
व ान श क क सम याएं एवं समाधान
(Science Teacher’s Problems and Solution)
इकाई क संरचना (Structure of the Unit)
11.0 उ े य (Objectives)
11.1 तावना (Introduction)
11.2 श ा और श क (Education and Teacher)
11.3 व ान— श ा और श क (Science Education and Teacher)
11.4 सफल व ान श क के गुण (Characteristics of a Successful Science
Teacher)
11.5 व ान श क के दा य व और काय
(Responsibilities and Functions of Science Teacher)
11.5.1 व ान श क क सामा य भू मकाय (Generalist Role of Science Teacher)
11.5.2 व ान श क क वशेष भू मकाय (Specialist Role of Science
Teacher)
11.6 व ान श क का यावसा यक संव न
(Professional Growth of Science Teacher)
11.7 वमू यांकन (Self Assesment)
11.8 संदभ थ (Refrences)

11.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन से पाठकगण :—
1. श ा और व ान श ा म श क के मह व को प ट करगे।
2. वयं सफल श क बनने क दशा म यास करगे।
3. व यालय म सभी तर एवं े म अपनी सेवा दे ने के लए त पर रहगे।
4. व यालय म व ान श ण ो न त के लए अ य यास के साथ—साथ सभी मानव संसाधन
का समु चत उपयोग करगे।

11.1 तावना (Introduction)


एक सामा य धारणा है क व यालय म व ान श ण क भा वता उसके श क पर ह
आधा रत है क तु रथ त के व लेषण से यह प ट हो जाता है क व ान श क के अ त र त अ य
यि त भी व ान श ा को भा वता म योगदान करते है। वषय श ण क भा वता केवल वषय
अ यापक पर ह आ त (Dependent) नह ं है। इसम योगशाला सहायक (Laboratory
Assistant), योगशाला के चतुथ कमचार (Lab boy), व ान के श क, व ान लब के
221
पदा धकार , व यालय पु तकालय ( School Library) के भार (Incharge), शाला धान (Head
Master / Principal) का भी योगदान (Contribution) होता है। व ान के श ण म इनक
भू मकाये (Role) और मह व कम नह ं है। थानीय समुदाय, सं थान , सं थाओं म व ान वषय
के वशेष भी व यालय म व ान श ा के तर को ो नत करने म अपना योगदान कर सकते
है।

11.2 श ा और श क (Education and teacher)


सा यवाद स (Communist Russia) ने अपने व तार और वकास के लये श ा को
सश त ह थयार के उपयोग करने के भाव को इसके उपयोग करने वाले (One who uses it) श क
और िजस पर इसका उपयोग हो रहा है (It is used for whom)। व याथ पर आ त मानते रहे।
इसके अनुसार शै क या म श क क भू मका सबसे मह वपूण है। कोई भी शै क योजना अथवा
नी त श क के स य सहयोग के बना पूण नह ं क जा सकती है। य क इनका न पण
(Enunciation) और या वयन (Implication) श क को ह करना होता है। पछले कुछ वष
से भारत क श ा यव था (Education System) म प रवतन लाये जा रहे है। िजससे क श ा
सामािजक प रवतन लाने और रा य वकास के ल य क ाि त म सहायक हो सके। इस संदभ म
श क का उ तरदा य व और भी बढ गया है। 'रा य शै क अनुसध
ं ान एवं श ण प रषद''
(N.C.E.R.T.) के द तावेज (Document) ‘'अ यापक श ा पा य म — एक ढाँचा (Teacher
Education Curriculum – A Frame Work)'' म श को क न न ल खत वशेषताओं को इस
कार तु त कया गया है क श क को चा हये क वह;
 गांधीजी वारा दये गये श ा मू य अ हंसा, ेम, अ तेय, मचय, सवधम—स भाव
(Secularism), आ म अनुशासन ( Self Discipline), आ म व वास (Self
Confidence), नभ कता (Fearlessness), अप र ह, म क मह ता (Dignity of
labour) आ द को वक सत करे ।
 सामािजक प रवतन (Social Change) क या (Process) मे एक अ भक ता
(Agent) क भू मका (Role) नभाय।
 केवल ब च का नेता नह ं है ; बि क, समाज का मागदशक (Guide) भी है।
 व यालय (School) एवं समाज (Society) के बीच एक संपक (Liaison) के प म काय
कर और ऐसे उ चत तर क एव साधन योग कर िजससे व यालय काय को सामािजक जीवन
(Social Life) और ससाधन (Resources) म समि वत (Cooridnate) कया जा सक।
 न केवल पयावरण (Environment) के संसाधन एवं अ य ऐ तहा सक (Historical) एवं
सां कृ तक (Cultural) दे न का योग कर बि क उनके संर ण (Preservation) म
सहायता भी कर
 ब च और उनक शै क (Educational), सामािजक (Social), संवेगा मक (Emotional)
एवं यि तगत (Individual) सम याओं के त सकारा मक अ भ च (Positive

222
attitude) अपनाय और उ ह नदशन एवं परामश (Guidance and conselling) दे ने
म कुशल ह ।
 व यालयी श ा (School education) के उ े य — जातां क (Democratic),
धम नरपे (Secular) एवं समाजवाद समाज (Socialistic Society) के ल य (Aims)
क ाि त म व यालय क भू मका (Role of School) को समझे।
 अवबोध (Understanding), अ भ चय (Interest) और कौशल (Skills) अ भवृि तय
(Attitudes) जैसे त व को वक सत कर, जो व या थय के संपण
ू वकास म सहायक स
हो सकते है।
 श ण के भावशाल स ांत (Effective Principles) के आधार पर श ण क मता
(Teaching ability) को वक सत करता रह।
 उन ं (Human
मताओ और यो यताओं को वक सत करने का यास कर जो मानवीय संबध
relations) को था पत (Establish) करने लये आव यक है। 9413841396
 वषय व तु से संबं धत नवीनतम ान को ा त करने हेतु सफल य नशील रह।
 या मक अनुसंधान (Action research) और अनुसंधाना मक प रयोजनाओं
(Research projects) और अनुसंधाना मक प रयोजनाओं (Research projects) को
कायाि वत करने म वीण ह ।
इसी कार रा य श ा नी त 1986 (N.P.E.) मे संब धत लेख (Document) के
या मक काय म (Programme of Action) म अ यापक क न न ल खत भू मकाओं पर बल
दया गया है:—
 श ण और मागदशन (Teaching and guidance)
 अनुसंधान और योग (Research & Experimention)
 सामािजक एवं व तार सेवाओं से भाग लेना (To take part in Social and extension
services)
 उन व भ न सेवाओं और याओं के बंधन (Managment) म भाग लेना, िज ह क श ण
स थाय अपने काय म को कायाि वत करने के लये उपयोग म लाती ह।

11.3 व ान— श ा और श क
(Science Education and Teacher)
आधु नक समाज क वशेषता है क वकास के सभी यास म व ान (Science) और वध
(Teachnique) आधार त भ है। उ पादन (Production) के सभी ोत म वै ा नक पर ण
और अनुसध
ं ान तथा वाrधेय का लाभ उठाया जा रहा है। श ा आयोग ने भी व ान, व ध और
समकाल न समाज (Contemporary Society) के अंतसंबध
ं को वीकार कया है। उसके अनुसार
व ान और वध क यह यो या तता (Inter—departmentce) और अंत: ि ध
(Inter—Lkocking) समकाल न व व (contemporary world) के अ भला णक गुण

223
(Characteristics) ह। गत वष मे कई दे श अपने सफल रा य उ पाद (G.N.P.) म वृ करने
म इस लये सफल हु ये है क उ होने व ान, व ध और श ा म नवेश (Investment) को बढाया
है। वै ा नक ग त (Scientific progress) क दुतग त से व ान और समाज के अंतसंबध
ं म
ज टलताय (Compexities) बढती जा रह है। परमाणु ऊजा (Nuclear energy), अ त र खोज
(Space discoveries), आयु व ान (Medical), यु के नये श (Weapons), जन नक
(Genetic) एवं अनुवां शक (Hereditory), ाकृ तक शि तय के नय ण जैसे े म हो रहे
लगातार अनुसध
ं ान के कारण व ान अ तरा य तर पर राजनै तक , आ थक और सामािजक नणय
म मु ख शि त बन गया है। सन ् 1958 म ''अमे रकन एसो सयेशन फॉर एडवा सम ट ऑफ साई स''
(American Association for Advancement of Science) ने व ान संसद (Science
Parliament) का आयोजन कया। इसम यह वीकार कया गया क श ा का मु ख येय यि त
का बौ क वकास होना चा हये। व ान को सामा य और आव यक ान का अ नवाय अंग इस संसद
ने माना। संसद ने जोर दे कर कहा क वै ा नक श ा सामा य बौ क वकास के लये अ त आव यक
है।
व ान श ा क सफलता कई बात पर नभर करती है। इनम मु ख ह — योगशाला उपकरण
और साज—स जा, व धयां, व धयां, श ण साम य क उपलि ध क तु इन सबसे भी अ धक
मह वपूण यह है क श क अपने अनुदेशन म इसका अनु योग कस कार करता है और क ा क
म कैसा यवहार करता है। श ण का ल य यह है क अ धगम के लये आव यक सि थ तया
(Situation) का सृजन कया। इसके लये क ा म व या थय को य त (Busy) रखा जाना चा हये।
क तु य द यह सब आसान और संभव होता तो श ण उ े य ा त करने म सभी छा सफल हो
जाते। अनेक श क और व याथ , व वध प रि थ तय और व भ न उ े य ह श ण के आधार
है। इस लये क ा श ण उपागम (Approaches) क आव यकता है। सफल अ धगम के लये इन
सब म श क का पारं गत (Master) होना आव यक है। िजससे क वह प रि थ त के अनुसार अ धगम
के लये अनुकू ल (Favourable) ओर यावहा रक संि थ तयो (Practioal situations) का सृजन
(Create) कर सके
ै डवीन (Brandwein) ने अपने अनुसध
ं ान (Research) प रणामो (Results) से न कष
नकाला क वहान म अ धगम क सफलता के लये श क मु ख कारक है। ु गलक (Kruglak)
ने भी व ान श ण क व धयो को अ धगम के लये भावी माना। िजनका चयन वयं श क करता
है। व ान के क ा— श ण के े म हु ये अनुसध
ं ानो से पता चलता है क श क का यि त व
(Personality), च र अ भवृि त ( Attitude) क ा म यवहार (Classroom behaviour) का
त प (Pattern) जैसे कारक श ा थय के अ धगम को सवा धक भा वत करते है। ऐकरमैन
(Ankerman) के अनुसार श क क बु , यि तगत समायोजन (Personal adjustment) और
च र (Character) व ान म अ धगम को भा वत करते है। ट डमन (Tiedeman) ने श क के
यि त व, श ण म उसके यवहार, उसके ान और उपल धी, अ भवृि त और श क के प म
उसके गुण को अ धगम म भावी मा णत कया। भारत म तथा वदे शो मे कई अनुसध
ं ान प रयोजनाओं

224
(Projects) से यह स हो चुका है क क ा म श क का यवहार त प (Behaviour pattern)
व ान के अ धगम प रणाम (Learning out comes) को भा वत करते है। डी. जे.एस. नेगी ने
ं ान प रणाम से यह न कष नकाला है क श क को श ण अ भवृि त ( Attitude
अपने अनुसध
towards teaching) ' यामप पर च ांकन (Drawing diagrams) और कु छ मौ खक
अ त कयायी चर (Oral interaction variables) यथा ट . यू.आर.—89 (T.Q.R.—89) और
रि ि टव फ ड बैक (Restrictive Feedback) व ान क श ण भा वता बढाते है। इस
अनुसंधान ायोजना म क ा ix एवं i के रसायनशा२ श को का अ ययन कया गया था।
वामी ववेकान द ने भी यह माना था क व ान का अ ययन दे श और समाज क गत
के लये आव यक है। वे चाहते थे क भारत के वकास के लये पा चा य व ान और भारतीय धम
का संयोग कया जाय। उनका कथन ''भारतीय धम के साथ यूरोपीय समाज बनाओं (Make
European Society with India’s religion) समानता, वतं ता, काय और ऊजा म पा चा य
बन , साथ ह अपनी धा मक सं कृ त और सहज वृि त म ह दू बन ( Be an Occidental in
your spirit of equality, freedom, work and energy and at the same time a
Hindu to the very back—bone in your religious culture and instionate)”.
इस कार के यि त व का वकास एक सफल व ान श क के वारा ह कया जा सकता
है। यहां श ा आयोग (Education Commission 1964) के वचार का उ लेख करना समीचीन
है। इसके अनुसार:
''हम व वास है क इस शै क पुनरचना म मुख कारक है। श क, उसके यि तगत गुण,
उसक शै णक यो यताय, उसका यावसा यक श ण और व यालय तथा समु दाय म उसको ा त
थान (We are ,however, convienced that most importance factor in the
contempiated educational reconstruction is the teacher his personal
qualification, his professional training, and the place the occupies in school
as well as in the community)
अत: यह कहा जा सकता है क सामािजक और बौ क वकास के लये व ान श ा को
भावी बनाना अ नवाय है। व ान श ा म सफल अ धगम और साथक श ण म मु ख शि त
'' श क'' है।
ं ान (Research) : '' व या थय
डॉ. रयाज शा करवान के अनुसध वारा श क का य ण''
(Student’s perception of teachers) : उ च ाथ मक, मा य मक और उ चतर मा य मक
तर के व ान के व या थय के तचयन (Sample) के आधार पर श क के न न ल खत
अ भला णक गुण (Characteristios) न नां कत वर यता (Preference) के म म ह :—
1. उ चत काय णाल के वारा पाठ को चकर तथा भावशाल (Intersting and effective)
बनाता है।
2. अ छा वभाव ह ।
3. क ा म अनुशासन बनाय रखता है। (Maintain class discipline)

225
4. श ण क अ छ व धया (Methods) और साधन (Media) का योग करता है।
5. अपने वषय क वषयव तु (Content) का ान रखता है।
6. नेह , दयालू लगनशील, न प , ेरणादायक एवं समय का पाबंद (Punctual) ह ।
7. दूसर से अचछे संबध रखता है।
8. व या थय क यि तगत सम याओं के लये सु झाव दे ता है।
9. (Provide suggestions students to solve problems)
10. अ य वषय क जानकार रखता ह
11. शै क मागदशन (Guidance) दान करता है।
12. भ व य के लये मागदशन (Guidance) दे ता है।

11.4 सफल व ान श क के गु ण
(Characteristics of a Successful Science Teacher)
व ान के एक सफल श क म न न ल खत गुण होने चा हये :—
1. वषय का ान और बोध (Knowledge and understanding of the subject)
2. अपने वषय के त उ साह (Enthusiasm about his subject)
3. श ा थय म च (Interest in the students)
4. श ण—कौशल म द (Efficient in teaching skills)
5. यापक चयां और वचनब यि त व (Board interest and an engaging
personality)
6. आ ह (Demanding)
7. ो साहन और अ भ ेरणा (Encourages and Motivations)
1. वषय का ान और बोध (Knwoledge & understanding of the subject) : स चे
अथ म श ाथ और अपने वषय का ान वारा ह एक अ छा और वीकाय श क हो
सकता है। इसके लये श क म अपने वषय से संबं धत सू चनाओं (Informations) और
उसके अवबोधन (Understanding) के लये तब ता होनी चा हये, श क को अपने वषय
म सदा ह ''साम यक (Contemperary)'' रहना चा हये। गु दे व रवी नाथ ठाकुर के
अनुसार ''स चे प म श क श ण तब तक नह ं कर सकता जब तक क वह वयं लगातार
सीखने म त पर ह । जो श क अपने वषय को समा त कर चु का ह , उसका अपने वषय
ं न ह , वह श ा थय मे केवल वषय व तु क पुनरावृि त करता ह , उनके
से कोई संबध
मि त क को बो झल बनाता है, ती नह ।ं स य को सूचना नह ं, अ पतु रे णा बनना चा हये।
यद ेरणा समा त हो जाय और केवल सूचनाय एक त ह तो स य अपनी अ नता से दूर
छूट जाता है।''
2. अपने वषय के त उ साह (Enthusiasm about his Subject) : व ान श क अपने
वषय के त सदा उतसा हत रहता है। जो कोई भी उसम वषय ान ा त करना चाहता

226
है, वह सदा उसको दे ने के लये त पर रहता ह। उसका यह उ साह नर तर बढता रहता है।
वह श ण पसंद करता है और अपने यवसाय को सव तम मानता है। अपने वषय क
नवीनतम जानकार के त वह सदा सजग रहता है।
3. श ा थय म च (Interest in the Student) : श क व या थय को सीखते हु ये
दे खना पसंद करता है। जो श क वषय—व तु के ज टल ब दुओं को क ा तगत और क ा
के बाहर भी समझाने म श ा थय को पया त समय दे ता है, सदा पसंद कया जाता है। वह
कभी भी व या थय को समझाने म झु झ
ं लाहट नह ं दखलाता। वह जानता है क हर व याथ
समान ग त से नह ं सीख सकता। सभी श ाथ येक इकाई, उपइकाई को समान ग त से
नह ं सीख सकते। हर दशा म श ाथ को ान ा त करने म सहायक बनने म अ छे श क
को आन द आता है। वह व या थय को वैयि तक प से जानने के लये सदा त पर रहता
है।
4. श ण कौशल के वकास म द (Efficient in Teaching Skills) : श क को श ण
कौशल (Teaching Skills) और ा व धय (Techniques) का पूरा ान होता है। वह
अपने वषय तथा वषय व तु क ा तर और व या थय क यो यता के अनुसार समु चत
श ण आ यूह (Strategies) और उप म (Procedures) का अनु योग करता है। वह
क ा म श ा थय को हर समय य त और याशील (Busy and active) रखता है।
क ागत उसका यवहार (Classroom behaviour) अ धगम संि थ त (Learning
Situation) के अनु प होता है। वह अपने वषय क श ण कला मे पारं गत होता है। श ण
कौशल म उसको महारथ ा त होती है। इनम योग (Experimentation), च ांकन
(Drawing), न (Asking question) श ण साम य के उपयोग जैसे कौशल
मह वपूण है।
5. यापक चयां और वचनब यि त व (Broad Interest and an Engaging
Personality) एक भावी श क हमेशा यापक चयां और ि टकोण रखता है। उसके
अनुभव भी केवल अपने वषय तक ह सी मत नह ं रहते। वह अपने वषय और सामािजक
आव यकताओं के पर पर संबध
ं के त सजग रहता है। वह सामु दा यक मांग (Community
demands) के त जाग क रहता है। थानीय संसाधन (Local resources) के
अनु योग ( Application)मेऐ च त रखता है। वह अपनी स न मु ा और अ छे वभाव
से सबक पसंद का पा बना रहता है। व ान श क म इन गुण का होना एक अ छा संकेत
है।
6. आराह (Demanding) : अ छा श क चाहता है क व याथ हमेशा अपना काम सह
तरह से पूरा करने का य न कर। ऐसा श क कभी भी श ा थयो को न न न पादन मानक
(Low performance stnadard) से संतु ट नह ं होता। साथ ह अपने वषय म भी उसक
ऐसी ह सोच होती है। वह हमेशा उ तम श ण और श ा थय से उ तम उपल धी का इ छुक
रहता है। वह कभी भी कसी या यान (Lecture) वातालाप (Discussion) या पर ा
प रणाम (Exam result) से पूण संतु ट नह ं होता है। वह हमेशा अपने काय का मू यांकन

227
(Evaluation) करता है। अ धकताओं (Learners), अपने सा थय (Colleagues) और
अ धका रय (Authorities) म सीखते रहने का रव—आ ह करता है।
7. ो साहन और अ भ रे णा (Encourages and Motivates) : येक श ाथ को
ो साहन क आव यकता होती है। एक अ छा व ान श क वह काय करता है। वह कभी
भी व याथ क कमजोर पर यंग नह ं करता। बि क उसको अ धगम म अ धक प र म
करने के लये अ भ े रत (Motivate) करता है। वह कभी भी अपने वषय को एक ज टल
(Difficult) वषय के पम तुत नह ं करता। श ा थयो के साथ ऐसा यवहार करता है क
वे वषय के त आक षत होते रह। वह कभी भी ऐसी ट प णय न तो मौ खक प म करता
है और न ह व या थय क पुि तकाओं म लखता है। िजनम क उनम ह न भावना
(Inferiority complexity) वक सत हो जाय। उसको हमेशा ऐसे उप म करने चा हये िजनसे
श ाथ श ण को एक सहकार जनसेवा (Cooperative wission) समझे।

11.5 व ान श क के दा य व और काय
(Responcibilities and Functions of Science Teacher)
आधु नक श ा व धक (टे मालॉजी – Technology) के प ट भाव े म है।
फल व प श ा के सभी सम यय (Comcepts) म ाि तकार प रवतन (Revolutionary
Changes) हु ये है। इस कार प रवतन क ंखला म श क क भू मका भी अछूती नह ं रह है।
य क श क वयं श ा या का मु ख कारक (Factor) है। व ान श क सामा य प म
अ य कसी भी वषय के श क के समान है। वतमान संदभ म उसके दा य व और काय को न न
दो संवग म रखा गया है
 व ान श क क सामा य कायकता के प म भू मकाय (Generalist Role of Science
Teacher)
 व ान श क क वशेष के प म भू मकाय (Specialist Role of Science
Teacher)

11.5.1 व ान श क क सामा य कायकता के प म भू मकाय

(Generalist Role of Science Teacher)

इस वग म व ान श क क न न ल खत लु मइकाय है :
1. बंधक (Manager)
2. मनोवै ा नक (Phychologist)
3. अनुदेशक (Instructor)
4. अनुसंधानकता (Resercher)
5. मागदशक एवं परामशदाता (Guide and Counseller)
6. सम वयक (Co—ordinator)

228
1. बंधक (Manager) : सव थम आई.के. डे वस (I.K.Davies) ने श ण—अ धगम
(Teaching—learning) म “ बंधक”(Managment) का तपादन कया। उसके अनुसार श क
अनुदेशन का बंध ( Managment of instruction) करता है। बंध क अवधारणा (Concept)
यावसा यक सं थान (Proffessional instruction) से लया गया है। इसम संगठन
(Organization) होता है। बंधक संगठन के व श ट उ े य क स ाि त के लये उपल ध साधन
(Available aids) का समु चत उपयोग (Proper use) करता है। क ा म वषय व तु के उ े य
क ाि त के लये श क उपल ध साधन संसाधन (Available aids and resources) का
अनु योग करता है। इस लये वह एक बंधक क भू मका नभाता है। एक बंधक के प म उसके
न न ल खत चार मु ख काय (Functions) है.
(अ) योजना (Planning)
(ब) यव था करना (Organizing)
(स) नेत ृ व ( Leadership)
(द) नयं ण (Controlling)
(अ) योजना (Planning) इस भू मका म श क योजना नमाता है। वह क ा म जाने से
पूव वषयव तु और अनुदेशन साम ी को ता कक म म यवि थत करता है। इसके स पादन म उसके
मु ख या—कलाप इस कार है :
 स पूण यव था का व लेषण (System Analysis)
 कृ यक व लेषण (Task Analysis)
 वि ट यवहार का अ भ ान (Identification of entering behaviour)
 उ े य को सू ब करना (Formulation of objectives)
 श ा थयो क आव यकताओं क पहचान (Identification of pupil needs)
 पर ण नमाण (Construction)
(ब) यव था करना (Organizing) : इस काय के नवाह म श क यव थापक क भू मका
नभाता है। इस काय म वह उ े य क सफल सं ाि त के लये अ धगम ोत (Sources) क यव था
करता है। भावी और स ते साधन का चयन कया जाता है। श क अपने लये श ण आ यूह
(Stratigies) और उप म (Procedures) का चयन करता है। वह अ धगम के लये भावशाल
पयावरण (Environment) न मत करता है। वषय व तु के संदभ म वह अपने लये श ण—कौशल
(Teaching skills) क पहचान करता है। यव था का येय पु ट अ धगम —अनुभव (Strong
learning experiences) का सृजन करता है। इन काय को न नां कत ब दुओ म आब कया
जा सकता है:—
 अ धगम ोत क यव था करना (Arranging learning resources)
 श ण याओं क याि व त (Implementation of teaching activities)
(स) नेत ृ व ( Leadership) : श क अपने यवहार से व या थय के क ागत
या—कलाप को नेत ृ व करता है। वह वयं क ा के एक सद य ( Member) क तरह यवहार

229
(Behaviour) करता है। वह श ा थय म नये ान के लये िज ासा का संचार (Circulate) करता
है। उ ह ो साहन दे ता है। पहल करने (Initiation) के लये उनक शंसा (Appreciate) करता है।
व या थय को अ धगम या म स य भाग (Active Participation) लेने के लये एक नायक
के प म श क अ भ ेरणा दान करता है। यहा श क अपने अनुभव , सृजना मक और क पना
का उपयोग करता है। इस हेतु मुख काय इस कार है :—
 स ेषण आ यूह को चयन ( Selection of communication strategies)
 अ भ ेरणा और पुनबलन ( Motivation & Reinforcement)
(द) नयं ण (Controlling) : यहां श क एक नयं णक (Controller) क भू मका
(Role) नभाता है। अपने नर ण (Inspection) े ण (Observation) एवं जांच (Enquiry)
के वारा वह नयं ण काय करता है। अ धगम स रथ तयो क भावो पादकता (Effectiveness).
श क आ यूह (Teaching strategies) और युि तय (Communication) क भावो पादकता
आ द के वषय म श क जांच करता है। जांच प रणाम के व लेषण से श ण—अ धगम या क
क मयो को तपुि ट (Feedback) वारा दूर करता है। इन काय को' न न ल खत ब दुओं म कट
कया जा सकता है :
 श ण यव था का मू याकन (Evaluation of teching system)
 अ धगम यव था के े ण (Observation of learning system)
 श ण यव था का अवशोधन (Modification of teaching system)
2. मनोवै ा नक (Psychologist): क म ान (Knowledge) यो यता (Ability). बु
(Intelligence) मता (Capacity) और सामािजक आ थक (Social economic back
ground) पृ ठभू म मे व याथ अलग—अलग होते है। श क को पछडे (Backward) और
तभाशाल (Gifted) श ा थय क जानकार होनी चा हये। श क म मनो व ान के अनु योग क
मता होनी चा हये। उसम बु —पर ण (Intgelligence test), यि त व—पर ा (Personality
test), यि तगत अ ययन (Casestudy) जैसी तकनीक का ान होना चा हये। साथ ह क ा म
व भ न यवहार से भी श ाथ क पहचान क मता श क म होनी चा हए। श ा मनो व ान
म इस वषय पर व तृत चचा क जाती है। व ान श क को मनो व ान क पया त जानकार
पा य म नमाण एवं मू यांकन (Curriculum development and evaluation), पा यचया
नधारण (Presoribing the syllabus),अनुदेशन उ े य को सू ब करने (Formulating
instruction objectives) वि ट यवहार को ात करने (Finding entering behaviour),
अनुदेशन या म अ धगम सि थ तय के सृजन ( Creating learning situations), न पादन
मू यांकन (Performance evaluation), तपुि ट ( Feedback), को भावी बनाने के लये
आव यक है। इसके अ त र त समायोजन (adjustment), अनुशासन ( Discipline), मान सक
वा य (Mental hygein) आ द के लये भी श क म मनोवै ा नक मताओं को होना आव यक
है।

230
3. अनुदेशक ( Instuctor): संपण
ू श ण या म अनुदेशन मुख है। क ा म
श क— श ाथ पर पर अ तः या करते है। इस या को अनुदेशन कहते है। इसी म वषय व तु
को अ धगम के लये श ाथ को अवसर उपल ध होते ह। इस भू मका म श क के मुख दा य व
इस कार है :—
 व या थयो के क याण म च लेना (Interst in pupil welfare)।
 अनुदेशन साम ी के उपयोग म वीणता ा त करना।
 अ धक से अ धक श ण साम ी का उपयोग करना िजससे क श ा थय क अ धक से अ धक
इि यां अ धगम क भागीदार (Sharing) हो सक।
 क ा के येक श ाथ से यि तगत संपक (Personal contact) था पत करना।
 क ा म लोकतां क वातावरण (Democratic environment) बनाना।
 श ा थय को वतं ता का आभास (Feeling of freedom) दे ना।
 पा य—व तु का संगठन (To organize the content) करना।
 श ा थय क गत क नरं तर जांच करना (Continuous enquiry into pupil’s
progress)।
 अनुदेशन—अ धगम का मू यांकन और तपुि ट (Evaluation and feed back in
instruction learning।
4. अनुसंधानकता ( Researcher): वतमान ावै धक (Technological) और मनोवै ा नक
(Psychological) पृ ठभू म (Background) म श क क एक शोधकता (Researcher) क
भू मका से नकारा नह ं जा सकता। श क क सफलता म उसक यह भु मका मह व रखती है। इस
प म श क के मु ख काय इस कार ह।
 अपने अ ययन (Study) और च तन (Thinking) के आधार पर वषय—व तु के अ धगम
हे तु संभा वत उ ीपन (Stimuli) और अनु याओं (Resposes) हे तु पहल करना एवं उनके
भाव का अनुमान लगाना।
 श ा थय को ो साहन (Encouragement) और श ण (Training) दान करना।
 या मक शोध (Action research) म पहल करना।
 सा थय से प रयोजनाओं (Projects) पर खुलकर वातालाप।
 आलोचनाओं से वच लत न होना।
 यावसा यक संगठन (Professional organization) से संपक (Contact) बनाना।
 मू लभू त सम याओं (Fundamental problems) पर काय करना।
 अपने वषय से संबं धत काय म (Programmes) मे भाग (Participate) लेना।
 शोध काय को का शत करना (To publish research work)।
5. मागदशक एवं परामशदाता (Guide and counsellolr): श क का काय श ा थय को
उनक सम याओ (Problems) के समाधान (Solution) म सहायता (Help) करना है। यहां वह
मागदशक और परामशदाता (Guide and Counsellor) क भू मका नभाता है। व याथ क वषय,

231
अ य वषय , यि तगत जीवन, सामािजक जीवन, प रवार, भावी जीवन आ द से संबं धत सम याय
हो सकती ह। श क को चा हये क वह उसक सम याओं के समाधान म सहायता कर। इसके लये
आव यक है क श ाथ श क को अपनी कोई भी कसी भी कार क सम या (Any problem)
बतलाने म संकोच (Hesitation) न करे । इसके लये आव यक है क:
 श ा थय के साथ सौहादता थापन करना (Establishment of rapport)
 सम या सबधी सभी सूचनाओं को एक त करना ( Collection of information
pertaining to problem)
 श ाथ को उसक वयं क यो यताओं (Abilities) क जानकार दे ना।
 वैकि पक समाधान (Alternative solutions) क व तृत जानकार ।
6. सम वयक (Co—ordinator) : श क अ य श क और श ा थय , शासन और
श ा थय , श क और शासन, अ भभवको और व यालय के म य सम वयक का काय करता है।
इस भू मका म सफलता के लये आव यक है क :—
 श क संबं धत अनुशासन ( Realted disciplines) म हो रहे — नवाचार (Innovations)
से पूण प र चत ह ।
 श ा थय , श क एवं अ भभावक के साथ सौहादता (Rapport) कायम ह ।
 सामु दा यक पर पराओ (Community traditions) क जानकार ह ।
 अपनी ग त (Self progress) का ान ह ।
 वषम प र रथ तयो (Diffcult situations) मे वच लत न होना।
 छा क आव यकताओं क पहचान (Recognise pupil needs)
 थानीय समु दाय से संपक (Contact with local community)
11.5.2 व ान क व श ट भू मकाय (Specialist Role of Science Teacher):
श क क सामा य भ मकाओ के साथ—साथ व ान का श क कुछ व शट और मह वपूण भू मकाय
नभाता है। इनमे मुख इस कार ह
1. व ान वशेष (Science Specialist)
2. व वध (Generalist)
3. च कार और श पी (Artist and Craftsman)
4. तकनी शयन (Teachnician)
5. श क (Instructor)
6. व ान का श ाथ (Science Learner)
7. सगठनकता (Organizer)
8. संर क (Patron)
9. यावसा यक (Professional)
10. रखवाला (Keeper)

232
1. व ान का वशेष (Science Specialist): व ान श क अपने वषय म
पारं गत (Master) होना चा हये। वह अपने वषय म एक ा धकार (Authority) के प म मा य
हो। व यालय म तथा व यालय सगम (School complex) म उसको व ान का संदभ यि त
(Resource Person) समझा जाव। इस भू मका क सफलता के लये उसम न न ल खत गुण होने
चा हये:
 व ान का गहन अ ययन के लये अ वरल िज ासा (Continuous curiosity for the
deep study of Science)
 अपने तर पर व ान से संबं धत सू चनाओं के लये ामा णक आधार बनाना।
 व ान म उ चतर ान के लये अ भकरण (Agency)।
 व ान से सबं धत समरयाओं के लये समाधान का चयन, या या और उपलि ध म कुशल।
 व ान क नवीन वृि तय और नवाचार ( Latest tendencies and innovation) का
अ भ ान (Knowledge)।
 व ान के उ चतर ान (Higher Knowledge) और श ण के लये उपल ध अवसर
(Opportunities) से लाभ ा त करने के लये सदा त परता (Readiness)।
2. व व य (Generalist): ऐसी धारणा बनी हु ई है। क व ान का श क ग णत
यो तशा२ आ द के वषय म कोई ान नह ं रखता। यवहार म ऐसा दे खा भी जाता है। यह दुभा यपूण
ि थ त है। आधु नक व ान म के कसी भी वषय के श क के लये यह ि थ त उसक सफलता
म बाधक बनती है। व ान के सभी वषय अ यो या त (Inter—dependent) है। ग णत के ान
के अभाव म व ान म वशेष ता संभव नह ं है। यो तशा भी व ान से अ त:संब धत ह। व ान
के श क को भाषा, भाषा व ान, सामािजक व ान का भी यथे ट ान होना चा हये। कम से कम
मा य मक तर के श क को व ान म वशेष ता के साथ—साथ व वधता भी अिजत करनी चा हये।
उसम मता होनी चा हये क मा य मक तर म श ा थय क कसी भी वषय से संबं धत सम या
के समाधन म सहायता दान कर सक।
3. च कार और श पी (Artist and Craftsman) : व ान के श क को अपने
वषय के उपकरण (Apparatus), योग (Experiments) क व भ न सि थ तयो के प ट
(Vivid) और आकषक च बनाने म कुशल (Skilled) होना चा हये। उसे इरा हे तु मु त ह त आरे खण
(Freehand darwing) म कुशलता हा सल होना आव यक है। श क क इस द ता का क ा पर
य भाव पडता है। इसके साथ ह यह भी आव यक है क श क व ान से संबध
ं त व तु ओं के
मॉडल सहज ढं ग से न मत कर सक। मॉडल नमाण का व न श ण म बहु त मह व है। मॉडल
कसी बडी व तु का छोटा त प है। इसके मा यम से व तु के वषय तथा संबं धत स ा त के वषय
म थमह त (First hand) सू चना (Information) द जा सकती है। उपकरण के अभाव म श क
को आशु र चत उपकरण (Improvised appratus) न मत करने म द होना चा हये।
4. तकनी शयन (Teachnician): व ान का श क केवल स ा त का ाता नह ं
होना चा हये। उसम दन— त दन के वै ा नक उपकरण (Equipments]) एवं यव थाओं

233
(Systems) क ु टय ( Erroes &Defects) को ठ क करने म द ता होनी चा हये। य— य
(Audio —Visual) तथा अ य साम य को चलाने म उसको पारं ग त (Mastery) होनी चा हये।
ऐसा न हो क श क अपनी अन भ ता और कसी सहायक के अभाव म इन उपकरण के उपयोग
से अ धकताओ (Learner) को वां छत लाभ से वं चत कर द। अब व यालयो म क यूटर, ट वी.,
य— य, कैसेट आ द भी उपल ध है। व ान श क म इन सभी को यु त करने क मता होनी
चा हये। यह संभव नह ं है क व या थय म इन उपकरण के संचालन के लये वशेष तकनी शयन
को नयु त कया जाय। इन सभी उपकरण से अ धगम या को लाभाि वत करने के लये व ान
के श क म पया त कौशल होना आज के संदभ े एक अ नवायता (Necessity) है।
5. श क (Instructor): व ान का श क अपने श ा थय म कौशल (Skill)
का वकास करता है, यथा उपकरण को योग के लये यवि थत (Set) करना, भौ तक तुला का
सह उपयोग, उपकरण को ठ क कार से सभालना, सह ढं ग से योग करना, च का आरे ख, मॉडल
नमाण और आशु र चत उपकरणो को बनाना आ द। इनके वकास हेतु वह वयं दशन करता है।
व या थय को यि तगत मागदशन उपल य करता है। श ा थय म व भ न कौशल के वकास काय
म वह एक श क क भू मका का नवाह करता है।
6. व ान का श ाथ (Science Learner): कोई भी यि त कभी भी अपने वषय
का पूण ाता नह ं बन सकता। व ान म तो न य नये—नये त य (Facts), वचार (Thoughts)
और ा क पनाय (Hypothesis) जु ड रहे ह। ाय: श क अपने ान से संतु ट हो जाते ह। फल व प
दो चार वष म वे अ यवहत (Obsolete) हो जाते ह। य य प वे वयं ऐसा नह ं सोचते। हम दे ख
रहे ह क श ा म (Education system) के हर तर पर बहु त ह अ पाव ध (Short period)
म व ान के सभी वषय के पा य म म प रवतन हो रहे ह। य क व ान मे ान—वृ अ या शत
(Unexpected) ग त से हो रह है। ऐसी ि थ त म व ान श क म नरतन अ ययन के लये
अ वरल इ छा शि त (Desire) बनी रहनी चा हये। श क वयं एक आदश श ाथ है। व ान के
श क को अपने वषय एवं वषय श ण म हो रहे अनुसंधान ( Researches). उनके प रणाम और
नवाचार का ान नर तर होते रहना चा हये। उसको संबं धत सा ह य (Literatuer) प —प काओं
(Maghazines) का नर तर अ ययन करते रहना चा हये।
7. संगठक (Organizer) : एक बंधक क भू मका म तो व ान का श क अ य
वषय अ यापक क भां त एक यव थापक क कु मइका नभाता ह है। क तु न न ल खत के संगठन
(Organization) म वह एक वशेष के प म भी संगठन क –भू मकाय नभाता है। क तु
न न ल खत के संगठन (Organization) म वह एक वशेष के प म भी संगठन भू मकाय नभाता
है :—
 शै क मण का आयोजन (Planning Education Tours)
 व ान— लब का गठन (Organization of science Club)
 व ान के चाट (Chart), त प (Model). आशु र चत—उपकरण (Improvised
appratus) आ द के लये त पधाए (Competitions) आयोिजत करना।

234
 व ान क वषय—व तु से संबं धत वाद— ववाद (Debate) एवं भाषण तयो गताओं का
आयोजन करना।
 मनोरं जक या—कलाप आ द क त पधाय आयोिजत करना।
 व ान म कायशाला (Workshop) का आयोजन।
 व ान मेल (Science fairs) का आयोजन।
 व ान के श क केर लये श ण (Teaching) एवं वषय—व तु (Content) के इगन
क त पधाय आयोिजत करना।
 व ान म साद या यान—मालाओं (Extension) का आयोजन करना।
 व ान पु तकालय एवं योगशाला (Science library and laboratory) क या या
करना।
8. संर क (Patron) : व ान श क म व भ न श ाथ समूह और संगठन को
संर ण दान करने के गुण होने चा हये। इनम मुख ह व ान प रषद , व ान मेला स म त, व ान
लब, व ान पु तकालय एव अजायबघर स म तयां आ द।
9. यावसा यक (Professional) : व ान के यातहा रक ान के लाभाथ श क
को एक यावसा यक क तरह यवहार करना चा हये। ऐसी क तपय प रि थ तयां इस कार है
 व यालय के व युत तं (Electric system) म बाधा।
 कसी उपकरण यथा इलै ॉ नक उपकरण म कोई ु ट होना।
 व ान क सम या के समाधान म कसी भी यि त को सहायता क आव यकता।
इस कार क प रि थ तय म अ यापन के लये व ान के श क को सदा त पर रहना
चा हये। उसक सफलता इसी म है क व यालय और समु दाय को उसक सहायता मलती
रहे
10. रखवाला (Keeper): जहां व ान का श क एक संर क और वशेष जैसी
भू मकाय नभाता है। वह एक रखवाला का काय भी कुशलता से नभाता है। व ान का श क
न न ल खत म रखवाला क भू मका नभाता है.
 व ान क योगशाला के टॉक रिज टर (Stock Register)
 नगम पंिजका (Issue Register) आ द का रख—रखाव(Maintenace)।
 व ान योगशाला के उपकरण और साज—स जा क दे ख—रे ख।
 व या थय के योगा मक रकाड (Practical record) का सु र त रखना।
 ायो गक मू यांकन (Evaluation) का रकाड रखना।
 व ान लब, पु तकालय मेला स म त, कायशालाओं, त पधाओं, भाषण—मालाओं आ द
के रकाड रखना।
 अधीन थ एवं सहयोगी अ धका रय से संबं धत आव यक यि तगत सूचनाओं को रखना।

235
11.6 व ान श क का यावसा यक संव न
(Professional Growth of Science Teacher)
व ान वषय म ान क अ पाव ध म अतु ल वृ होती जा रह है। ान वृ क यह या
सतत ् (Continuous) है। इसम अ भवृ (growth) ह नह ं अ पतु ग त (Progress) और
नवीकरण (innovations) भी हो रहे ह। वै ा नक अवधारणाओं म प रव न (Modifications) होते
जा रहे है। य द नये ान को त काल श ा थय को न दया जाये तो हमारा दे श वकास के माग म
पीछे रह जायेगा। साथ ह नये ान को व या थय म सं े षत (Communicate) करना भी एक
समरया है। क तु इसके उ व (Emergence) के साथ इसके सं ेषण (Communication) के लये
शै क ा यो गक (EductionalTechnology) अि त व म आ गयी है। त काल नवीनतम ान
को भावी ढं ग से सं े षत करने के लये इसने नये साधन (Media), संसाधन (Resources),
उप मो (Prodecures), व धय (Method) वा धय (Techniques) और आ यूह
(Strategies) का तपादन कया है। ान के नवीकरण (Innovation) के साथ—साथ इनम भी
नवाचार क या भावी है। ान म नवीकरण और उसके सं ेषण म नवाचार क नर तर या
के कारण यह आव यक हो गया है क व ान श क (Science teachers) को इनके साथ जोडा
जाय। अत: व ान श क का यावसा यक संव न (Professional Growth) अंतरा य
(International) और रा य (National) तर पर वीकार कर लया गया है। यू नसेफ अंतरा य
तर पर इस दशा म कई ठोस काय कर चु का है और लगातार इस दशा म य नशील है।
वष से एन.सी.ई.आर.ट . मा य मक श क का वषय व तु और श ण वधाओं म
अ भ व यास (Orientation) का काय करती आ रह है। श ा आयोग (1964—66) ने भी इस दशा
मे काय करते रहने के लये अपने तवेदन (Report) म जोर दे कर अ भशंसा (recommendation)
क है। रा य श ा नी त (1986) के आने के बाद तो इसम ां तकार कदम उठाये गये। इस हेतु
व यालयी श क के लये सामू हक अ भ व यास काय म (Programme of Mass Orientation
for School Teacher —PMOST) सारे दे श म आयोिजत कये गये है।
श को को व ान और श ाशा म हो रहे वकास क जानकार के लये के य सरकार
और रा य सरकार, एन.सी.ई.आर.ट ., यू.जी.सी. तथा मा य मक श ा प रषद जो यास करती ह उनम
मु ख है :—
 कायशाला (Workshop), स मेलन (Seminar)
 अ भ व यास काय म (Orientation Programmes)
 ी म सं थान (Summar institution)
व ान श क को अपने ानव न के लये अ खल भारतीय व ान श ण संघ (All India
Science Teachers Association— A.I.S.T.A.)) तथा अ खल भारतीय शै क महासंघ (All
India Federation of Eductional Association (A.I.F.E.A.)) वारा आयोिजत व भ न
काय म म वत: ह भाग लेना चा हये। मु ख े िजनम व ान श क को अ भ व यास
(Orientation) क आव यकता है, इस कार ह:
236
1. रा य श ा नी त के आयाम (Dimension of N.P.E.)
2. वषय व तु (Contents)
3. व ान श ण म नवाचार (Inovations in Science Teaching)
4. व ान श ण के कौशल (Skills)
5. व ानं श ण मे जनसचार मा यम (Mass Media in Science Teaching)
6. इले ो नक उपकरण का संचालन (Handling of Electronic Equipments)
7. क यूटर वारा अनुदेशन ( Instruction with the help of Computer)
8. ं ान (Researches)
व ान म नवीनतम अनुसध
9. क ागत मौ खक अ त या (Classroom verbal interaction)
10. व ान श ण म सू चना ा यो गक (Information technology in science
teaching)
रा य श ा नी त के या वयन के उपरा त ाथ मक (Primary), मा य मक
(Secondary) एवं उ चर मा य मक (Higher Secondary) श क के लये नय मत प से
श ण वधाओं और वषय (Subjects) म अ भ व यास हेतु मश: िजला श ा एवं श ण सं थान
(D.I.E.T.) श ा श ा महा व यालय (College of Teacher Eduction) और श ा के उ च
अ ययन सं थान (Institution of Advance Study in education—I.A.S.E..) सभी रा य
मे के सरकार क सहायता से था पत कये जा रहे है।
व ान श क स हत सभी श क के लये श ण क गुणव ता म वृ के प र े य म
पूव ाथ मक से लेकर मा य मक श ा, शार रक श ा (Physical Eduction) आ द सभी श क
श ण (Teacher Training) संबध
ं ी सं थाय रा य तर (National Level) पर रा य श क
श ा प रषद (National Council of Teacher Education— N.C.T.E.) के अ तगत आ गयी
ह। इसने अपना काय आर भ कर दया है।

11.7 वमू यांकन (Self Assement)


1. व ान के अनुदेशन म श क के मुख काय या है ?
2. सफल व ान श क के मु ख अ भला णक गुण या है?
3. व ान के सफल अ यापक के लए कसौट नधा रत क िजये।

11.8 संदभ थ (References)


1. Goslin, W.E. Forces Undermining Professional Digrams Libral Edu.
Feb. 1963
2. Negi, J.S. hautiki shikshan; Vinod Pustak Mandi, Agra(1999).
3. Rethinkng Science Edu; Fiftyninth Yearbook, Part—1, National Society
for the Study of Eductcation, University of Chicago, (1960).

237
4. Richardson, John S; Science Teaching in Secondary Schools; Prentice
Hall, Englewood Cliffs N.Y.(1957).
5. Waddingtin, D.J. Teaching School Chemistry, Unesco (1984).
6. Waltor A. Thurber and Alfred T. Collettee; Teaching Science in Today’s
Secondary Shools Prentice Hall of India N.D.(1964).

238
इकाई— 12
संसाधन — क ाक , योगशाला, सं हालय, सामु दा यक
पयावरण, पु तकालय
(Resources— Classroom, Laboratory, Museum,
Community Environment, Library)
इकाई संरचना (Structure of the Unit)
12.0 उ े य (Objectives)
12.1 तावना (Introduction)
12.2 क ाक (Classroom)
12.3 व ान योगशाला (Science Laboratory)
 योगशाला क अवधारणा (Concept of Laboratory)
 व ान योगशाला क योजन (Purpose of Science Laboratory)
 योगशाला का डजाइन (Design of the Laboratory)
 फन चर (Furniture)
 व ान योगशाला के लये उपकरण, साम यां एवं उप कर (साज—सामान)
 (Apparatus Materials and Equipments for the Science Laboratory)
 यूने को कमीशन वारा भारतीय मा य मक व यालय म व ान योगशाला के लये
सु झाव
 (Suggestions by the Unesco Commission for the Science
Laboratories in इं डयन Secondary Schools)
 योगशाला मै युअल (Laboratory Manual)
 योगशाला अ भलेख का अनुर ण ( maintenance of Laboratory Records)
 योगशाला म आव यक सावधा नयां (Essential Precaution in Laboratory)
 व ान योगशाला म संभा वत दुघटनाय और ाथ मक उपचार
 (Possible accidents in Laboratory and First Aid)
12.4 योगशाला सहायक (Laboratory Assistant)
12.5 व ान सं हालय (Svience Museum)
12.6 सामु दा यक पयावरण (Community environment)
 व ान लब (Science club)
 व ान मेला (Community Environment)
 शै क मण (Educational Excursions)

239
12.7 व ान पु तकालय (Science Library)
12.8 वमू यांकन (self Assesment)
12.9 संदभ थ (References)

12.0 उ े य
(Objectivies)
इस इकाई के अ ययन से अ भक ता श क :—
1. व ान योगशाला के गठन म सहायता कर सकगे।
2. योगशाला का श ण म भावी उपयोग करगे।
3. योगशाला को यवि थत कर सकगे।
4. योगशालाओं का कुशल संचालन करगे।
5. इसके अ भकरण का अनुर ण कर सकगे।
6. योगशाला म संभा वत दुघटनाओं को कम करगे तथ इसके लए तैयार रहगे।

12.1 तावना
(Introduction)
अभी तक व ान म अ धगम क वषय – व तु उनके लए आव यक म एव साधनो क
चचा क गयी है । अब न उठता है क इन सबका एक ीकरण, संगठन, संयोजन एवं सम वय कैसे
संभव ह ? आव यकता आ व कार क जननी है। व यालय म एक ऐसा सु यवि थत क होना चा हए।
िजसम उपयु त संभव हो सक। यह क योगशाला है। वहां व ान योगशाला पर व तृत चचा क
जा रह है।

12.2 क ा क
(Class Room)
जहाँ तक स भव हो व यालय भवन प का बनाना चा हए। श ा थय एवं श क के वार य
एवं सु र ा का पया त यान रखना चा हए। भवन मजबूत एवं टकाऊ होना चा हए िजसम रख—रखाव
सु गम हो सके। व यालय भवन क रचना अंगेजी के अ र E, H, L, V, Y,क आकृ तय म होती
है। E आकार क आकृ त व यालय के लए काफ अ छ मानी जाती है। इस कार के भवन म क ाक
के कमर म दोन और खड़ कयाँ होती है तथा एक और बरामदा होता है।
क ाक इतने बड़े होने चा हए क येक व याथ को लगभग 225 घन फुट थान हो।
कमर क या क ाक क ल बाई, चौडाई क सवा गुनी रखनी चा हए। कमरे समकोण चतु भज के
आकार के हो। क ाक के कोण गोलाई लए हु ये हो िजससे उनम कचरा जमा ना हो और सफाई म
आसानी रहे । यह आव यक है क कमर म शु वायु का संसार होता रहे, अत: संचालन (ventilation)
पर वशेष यान दे ना चा हए। शु वायु के आगमन के लए खड़ कय तथा अशु गम वायु के
न कासन हे तु रोशनदान पया त मा ा मे होने चा हए। रोशनदान छत के पास तथा खड कयाँ फश

240
से 4 फुट ऊपर बनायी जानी चा हए। येक खड़क को जाल लगा हु आ होना चा हए एवं दरवाजे के
पट बाहर क ओर खुले हु ये होने चा हए। येक क ाक म डे क व कु सय एवं यामप होना चा हए।

12.3 व ान योगशाला (Science Laboratory)


योगशाला क अवधारणा (Concept of Laboratory)
िै टस स ा त क थाप न (Substitute) नह ं है न ह स ा त िै टस का थाप न
हो सकता है। दोन ह आव यक है। ये एक दूसरे क आव यकताय है। क तु स ा त सदा िै टस
पर आधा रत हो, इसी वचार से योगशाला (Laboratory) का उ व हु आ। योगशाला एक काय—क
(Work room) है। इसका उपयोग योग के लए होता है। इसका अि त व ''उपयोग'' मा नह ं
है। अ पतु, यह योग के उपयोग के लए है। योगशाला साह सक कृ य (Adventures) और खोज
(Exporing) के लए अवसर और सि थ तया उपल ध करती है। यह छा को चर— नयं ण, े ण,
यव थापन, तु तीकरण, व लेषण सं लेषण, नयमीकरण, नणयन म कौशल वक सत करने के
लए अवसर दान करती है। योगशाला का वचार श ा को या और य प म ायो गक या
के प म तु त करती है। यहां व याथ कुछ करता है। इसम उसको य अनुभव होते ह। उसक
अनुभू तयाँ होती है। सब साम यां यह ं उपल ध ह जो क अ धक ता को वानुभव म सीखने के लए
आव यक है।
श ा श दकोश (Dictionary of eduction) के अनुसार योगशाला वै ा नक योग और
दशन (Scientific experiments and democration)के लये डजाइन कया हु आ सुसि जत
(Designed and equipped) क ा (Room) है। यह यो गक काय (Practical work) के लये
वशेष उप कर (Equipments) म सि जत रहता है। अ य वषय (Other subjects) म
योगशाला व श ट कौशल (specifc Skills) के वकास (Development) के लये उप कर म
सु सि जत क होता है। इनम भाषा योगशाला (language laboraty) मु ख है। उ च श ा
(Higher education) म भू गोल (Geography)ए क योगशालाय अि त व म है। क तु, अब
व यालय तर (School Level) पर भी सामािजक व ान (Social Science) क योगशाला
वक सत करने पर बल दया जाने लगा है। सै ाि तक (Theoretical) और आदश (Ideal) प म
तो सभी व यालयी वषय से संबं धत अलग—अलग योगशालाओं क क पना क गयी है।
वतमान प रि थ त म यह ववा व न (Day Dream) लगता है। साथ ह स ा त और
यवहार क इस दूर को कम करने के लये यास तो कये जा सकते है।
व ान योगशाला के योजन (Purpose of science Laboratory)
सभी व ान वषय म योगशाला साथक (Meanigful) श ण के लये अ नवायता है।
योगशला के बना व ान वषय म भावी अ धगम (Effective learning) क क पना नह ं क
जा सकती है। योगशाला जहां सं ाना मक अ धगम (Cognitive learning) को था य व दे ती है,
वहां मनोता क (Psychomoter) कौशल के वकास और उनम पारं ग त (Mastery) के लये अवसर
सु लभ करती है। इसके योजन (Purposes) म मु ख इस कार है :—

241
1. यह श ा थय को त या मक साम य (factual Materials)से प र चत कराती
(Familiarize) है।
2. व ान के स ा त (Theories) क यावहा रकता (Practice) से जोडता है।
3. यो गक तकनीक (Experimental Techniques) के वकास के लये योगशाला म
पया त अवसर उपल ध होते है।
4. अ धक ताओं म यो गक कौशल (Practical skills) म अ यास (Practice) और पारग त
(Mastery) के लये योगशाला ह अ धगम सि थ तया (Learning situations) तु त
करती है।
5. अ धक ताओ मे खोज के बोध (Sense of discovery) को अ भ ेरणा (Motivation)
दान करने म योगशाला क मह वपूण भू मका है।
6. योगशाला क ा म अ धगम सि थ तयो (Learning situations) के सृजन के लये
आव यक साम यां उपल ध करती है।
7. यह सू चना ौ यो गक (Information technology) के उपयोग के लये आव यक रांसाधन
(Resources) का सगठन (Collection) करती है। साथ ह इनके रख—रखाव और सुर ा
के लये समु चत यव था उपल ध करती है।
8. पा यचया (Syllabus) म नधा रत पा य—व तु (Content) के श ण के लये आव यक
उपकरण , उप कर , साम य का भंडारण (Storage) और अनुर ण ( Maintenance)
का दा य व योगशाला पर ह है।
9. योगशाला म साम ी के समु चत रखरखाव (अनुर ण), उपयोग और सुर ा और अ धक ता
को वत: ह श ण ा त होता है।
10. योगशाला म कसी ायोजना (project) पर काय करते हु ये व या थय म समू ह म काय
(Team work) करने क भावना का वकास होता है। िजससे उनके समाजीकरण
(Socialization) का माग श त होता है।
11. योगशाला म काय करते हु ये अ धक ता म दा य व बोध (Sense of responsibility)
का वकास होता है।
12. एक ओर अकेले योग करते हु ये अ धक ता म आ म व वास (Self confidence) वक सत
होता है तो दूसर ओर दूसर क मदद करने और वय दूसर से मदद मागने क सि थ तयो
(Situations) के वारा उसम सहयोग (Cooperation) क भावना वक सत होती है।
13. क ा अनुदेशन (Classroom instruction) मे उसके मन म उठे न के समाधान एवं
उसक िज ासा (Curiosity) को अनुकूल योग से संतु ि ट (Satisfaction) ा त होता है।
14. योगशाला म काय करते हु ये श क— श ाथ एवं योगशाला सहायक और चतुथ ेणी
कमचार म पार प रक सौहादता (Rapport) वक सत होती है।
15. व तु ओं को यवि थत रखने म अ धक ताओ को श ण (Training) ा त होता है।

242
16. सम या समाधान (Problem Solving) के लये योगशाला वै ा नक व ध (Scientific
Method) म पारं ग त के लये पया त अवसर उपल ध करती है।
17. योगशाला म ायो गक काय करते हु ये अ धक ताओ के मन म जो न उठते है, उनके उ तर
उ ह तु र त उपल ध हो जाते ह। इससे व ान म अ धगम के लये उनम अ भ च (Interest)
का वकास होता है। साथ ह सम या समाधान के लये उनको त काल पुनबलन
(Reinforcement) वत: ह उपल ध होता है।
18. योगशाला म य , ऐि क अनुभव (Direct empirioral experiences) के लये
अवसर उपल ध होते है। इससे छा म त य क सू ची सं हण (data collection), उसका
संगठन (Organization) उसके वग करण (Classification) और सारणीयन
(tabulation), व लेषण (Analysis) और नणयन (Judgement) क मताओं का
वकास होता है।
19. कोई भी ाकृ तक घटना व ान के व याथ के लये रह य नह ं बनती। सभी भौ तक घटनाओं
(Physical phenomenas) के लये वह योग के वारा कारण ढू ं ढ लेता है। इस कार
ाकृ तक घटनाओं म काय कारण (Cause and Effect)संबध
ं (Relation)पर उसका
व वास ढ़ हो जाता है। अध व वास से मु त होने म उसको सहायता मलती है।
20. उपरो त के आधार पर कहा जा सकता है क व ान योगशाला अ धक ताओं म वै ा नक
अ भवृि त ( Scientific attitude) म वकास म सबसे अ धक भावी (Effective) और
यावहा रक (Practical) संसाधन (Resource)है।
वमू यां क न
1. व ान योग कै सा क है ?
...................................................................................................
2. योगशाला के मु ख योजन या है ?
1).................... 2)............................. 3) ........................
4).................... 5).............................. 6).........................
योगशाला का डजाइन (Design of the Laboratory)
योगशाला के डजाइन म उसक अवि थ त (Location), उसके लये आधारभू त
आव यकताय (Essential needs). अ भ यास (Layout), लयू ट ( Blue print) आ द
सि म लत है। डजाइन म सव थम इसके औसत गुणो ( Average features) पर यान दे ना
आव यक है। सामा यत: व ान क योगशाला के संबध
ं म यह कहा जा सकता है. क न न ल खत
शत (Conditions) को पूरा करती ह ।
1. सवा धक सु वधाजनक अवि थत (pLocation) म हो।
2. कम से कम 20 व या थय के बैच के लये पया त थान होना चा हये।
3. काश एवं जल क पया त यव था उपल ध ह।
4. इसके साथ व ान का क ा—क (Classroom) होना चा हये।

243
5. इसम श क के लये क ा क तैयार के लये एक सु सि जत क होना आव यक है।
6. इसम मा य मक और उ चतर मा य मक (Secondary & Gigher Secondary) क
क ाओं क आव यकताओं को पूण करने क मता ह ।
7. योगशाला का नमाण यय कम से कम ह ।
मा य मक तर क योगशालाय (Laboratory for Secondary Level): मा य मक
तर पर योगशालाय अलग—अलग वषय —भौ तक (Physics), रसायन (Chemistry), ा णशा
(Biology) क अलग—अलग हो तो अ तउ तम है। पर परागत प म इ टरमी डएट या उ चतर
मा य मक (Higher Secondary) क ाओं के लये ऐसी ह यव था रह है। उस ि थ त म
मा य मक (Secondary) अथवा हाई कू ल तर के लये योगशाला क अलग यव था थी। क तु
रा य श ा नी त (NPE) के या वयन के बाद सेके डर तक सभी व ान को एक ह वषय
व ान के अ तगत कूल पा य म (Curriculum) म रखा गया है। इस लये वतमान आ थक ि थ त
को यान म रखते हु ये व ान योगशालाओं को न न ल खत संवग म रखा जा सकता है :—
1. या यान क एवं योगशाला (Lecture room cum Laboratory)
2. बहु उ ेशीय व ान योगशाला (Multipurpose Science Loboratory)
3. बहु उ ेशीय भौ तक योगशाला (Multipurpose Physics Loboratory)
4. बहु उ ेशीय रसायन योगशाला (Multipurpose Chemistry Loboratory)
5. बहु उ ेशीय जीव व ान योगशाला (Multipuropose Biology Laboratory)
नवीन श ा प त (10 + 2 + 3) लागू होने के बाद व ान श ण क यव था म प रवतन
आया है। राज थान म मा य मक तर क योगशालाओं को द जाने वाल पूव सु वधाय समा त कर
द गई है। इनम व ान श क के पद म कमी कर द गयी है। इसके साथ ह कायरत योगशाला
सहायक और चतुथ ेणी कमचार को अ य समायोिजत (Adjust) कर दया गया है। मा य मक
तर के व यालय को या तो उ चतर मा य मक म मो नत (Raised) कर दया गया है अथवा
योगशाला को क ा—क बना दया गया है एवं उनके सामान को आलमा रय म बंद कर दया गया
है। िजसका कायभार व र ठ व ान श क पर होता है। यह आज क ि थ त है।
िजन व यालय को मो नत कया गया है, उनक योगशालाओं को बहु उ श
े ीय बना दया
गया है। इनम उ चतर तर क क ाओं क भौ तक , रसायन, ा णशा के ायो गक काय के लये
सु वधाय उपल ध क गयी है। पूव म संचा लत होने वाल अलग—अलग वषय क योगशालाय अलग
अि त व म ह है।
योगशालाओं के संगठन के लये योजना आयोग (Planning Commission) ने सन ् 1964
म व यालय म व ान श ा क दशा का आंकलन (Assessment)करने के लये एक स म त
(Committee) ग ठत क । इस स म त ने भारत म व ान श ा तर म सुधार के लये अपने सु झाव
तु त कये। ये सु झाव यूने को के वशेष के नयोजन आयोग (Unesco Planning Mission
of experts) वारा तु त तवेदन म उि ल खत सं तु तय (Recommedations)के आधार पर
है। िजनम मुख इस कार है :—

244
अवि थ त (Locations) : योगशाला व यालय भवन (School Building) के एक छोर
पर ै तज ि थ त (Horizontal position) म न मत क जाय। यह भू—मंिजल (Ground floor)
पर ह ह । इसके दरवाजे (Gates) उ तरा भमु ख (Northword) ह । इससे दन भर दाय—बाय से
सू य का काश योगशाला म उपल ध रहता है।
अ भ यास (Layout): स म त ने मा य मक तर क भौ तक /रसायनशा / जीव व ान
क योगशालाओं के लये दो ा प ता वत कये है। पहले ा प म 42 व या थयो के लये एक
साथ काय करने के लये 78.8 व वगमीटर े फल क योगशाला का ावधान है। दूसरे ा प को
इसके व तार (Extension) के प म तु त कया गया है। इसम 46.6 वगमीटर के दूसरे क
क यव था है। इसमे 20 व याथ एक साथ काय कर सकते है। इनम त व याथ लगभग 1.96
वगमीटर थान उपल ध होता है। दूसरा ा प म भौ तक व ान (Physical sciences – Physics,
Chemistry and Biology) के लये बहु उ ेशीय भौ तक योगशाला का काय कर सकती है। इन
दोन ा प म 15 वगमीटर के एक श क क (Teachers room) का ावधान ह इसम
योग— दशन क तैयार (Preparation for demonstration )तथ श क के लये अ य सभी
कार क आव यक सु वधाय उपल ध होती है।
लयू ट (Blue Print) : योगशाला के साथ एक सं हालय (Museum) होना चा हये।
इसक द वार पर चाट (Chart), रे खा च (Diagram), फोटो (Photos) आ द के लये पया त
समु चत थान द वार पर ह । मॉडल आ द के सु र त रखने के लये द वार पर आलमा रयां होनी
चा हये। इसमे खड कयां दरवाजे आमने सामने ह । दरवाज क ऊंचाई और चौडाई पया त हो। िजससे
क बडी मेज और आलमा रय को लाने— ले जाने म क ठनाई न ह । मु य योगशाला एवं इसके सभी
क म संवातक (Ventilators) क समु चत यव था क जाय। यह बात भी यान म रखी जानी
चा हये क आव यकता पडने पर योगशाला म अंधेरा कया जा रनके। िजससे इलै ो नक साधन
(electric Media) और सूचना ौ यो गक (Information technology) का भौ तक श ण मे
आसानी से उपयोग कया जा सके। इसके लये काले पद को सभी संवातक एवं खडक —दरवाज पर
टांगने क यव था ह ।
उ चतर मा य मक व यालय क व ान योगशालाओं का एक आदश डजाइन न न च
म तु त है:—

245
1. जीव व ान योगशाला 2. सं हालय 3. भौ तक योगशाला
4. रसायन योगशाला 5. कायानुभव क 6. व ान पु तकालय
7. श क क 8. भौ तक भंडार 9. रसायन भंडार
10.शौलालय 11 वेश 12. क ा क
योगशाला के लये जल आपू त (Water supply) नर तर होनी चा हये। इस हे तु पानी
के भंडारण के लये समु चत थान (छत) पर बडे आकार क टं क का ावधान होना चा हये। जल यव था
क सु चा यव था के साथ—साथ योगशाला म सु वधाजनक थान पर संगत आकार क न ेप
यव थाय (Sink) ह । इनम दू षत जल के नकास क समु चत यव था क जानी चा हये।
योगशाला क द वार पर ह के रं ग क पुताई क जानी चा हये। छत पर सफेद पुताई क
जाये। फश भूर सीम ट से बनाया जाये। योगशाला क द वारो पर काय से लगभग आधा मीटर क
ऊंचाई तक आयल पे ट (Oil Paint) क स तु त क जाये। दरवाजो, खड कय और रोशनदान म
जाल दार दोहरे कवाड (Double doors) क यव था ह । संवातक म न कासक पंखे (Exhaust
fans) ह । योगशाला के सभी क मे व युत यव था क जानी चा हये। इनम पंख एवं काश
के लये समु चत यवरथाय क जानी चा हये।
फन चर (Furniture)
व ान योगशाला म 42 व या थय के बच के लये न न ल खत फन चर आव यक है
1. एक दशन मेज (Demonstration Table)
माप (150 *75 *90) सेमी.
2. व या थय के लये मजे (Table for students):
माप (200*60*80) सेमी.
3. श क क मेज (Teacher table)
माप (180 * 120*75) सेमी.
4. श क क मेज लेटफाम के ऊपर रखी जानी चा हये
माप (200*140*18) सेमी.
5. श क क मेज के पीछे द वार पर चाक बोड (Chalk board)
कांच का : माप (240 * 100) सेमी. (हरे रं ग को ाथ मकता)
6. श क के लये आ फस चेयर (Officechair) — 2
7. श क क मेज पर लखने पढने के लये सु वधाय।
8. एक त त (मॉडल आ द बनाने के लये (100*120*90) सेमी.
9. टू ल. 5 — 7
10. दशन बोड (Display Board). नयी पु तक , नयी खोज एवं वै ा नक घटनाओ के लये
इसका उपयोग कया जा सकता है। फोटो, रे खा च आ द के दशन के लये इसका उपयोग
कया जा सकता है। इसका आकार (90 *75) सेमी. हो। लेनल बोड का उपयोग अ धक
सु ठधाजनक है।

246
11. आलमा रयां द वार पर बनाई जा सकती है। आव यकता के अनुसार 2—3 लकडी क
आलमा रयां हो। इनका आकार लगभग 210 सेमी. ऊंची, 120 सेमी. चौडी ओर 45 सेमी. गहर
हो। आलमा रय के कवाडो पर कांच के होने से साम ी बाहर से ह दखाई दे ती है। मेजो क
सतह पर उनके पाय ('feet)र क नचल सतह पर लाि टक पे ट कराया जाना अ धक ठ क
है। य द बहु उ ेशीय भौ तक योगशाला (Multipurpose Physics Laboratory) हो तो
उसके लये रसायन तथा ा णशार क अ त र त कम रो कम एक—एक या दो—दो मेज
आव यकतानुसार ह । इस ि थ त म भौ तक क मेज कम क जा सकती है। रसायन
(Chemistry) क ायो गक काय मेज कम क जा सकती है। रसायन (Chemistry) क
ायो गक काय मेज (Practical tables) म आलमा रयां बनाई जाय। इनका आकार (180
*120 *85) सेमी. हो। ा णशा (Biology) के ायो गक काय के लये मेज का आकार
(180 * 120 *85) सेमी. होना चा हये। रसायन एव ा णशा क मेज के दोन छोर
(Ends)पर (50 * 30 *2०) सेमी. आकार क संक (Sink) लगी ह । इनम पानी क समु चत
यव था ह ।पानी के नकास के लये सु र त ना लयां बनाई गयी ह ।
व ान योगशाला के लये उपकरण, साम यां एवं उप कर
(Apparatus, Materials and Equipments for the Science Laboratory)
मा य मक एव उ चतर मा य मक तर पर व भ न रा य म व ान वषय क पा यचयाये
रा य पा य म के अनु प ह नधा रत क गयी है। उनम अ तर वाभा वक— और रा य पा य म
क अपे ाओ के ह अनु प है। रा य तर पर के य मा य मक श ा प रषद (CBSE) और रा य
(States) म उनक मा य मक श ा प रषद (Secondary board of Education) अपने—अपने
रा य के लये व भ न क ाओं के लये पा यचयाय नधा रत करती है। ये श ा प रषद ह व यालय
क संब ता (affiliation) के अ धकार रखती ह तथा मा य मक तर पर व ान योगशाला
(Science Laboratory) और उ चतर मा य मक अथात ् +2 तर पर भौ तक , रसायन और
ा णशा क योगशालाओ के लये आव यक मानदड (Standard) और मानक (Norms) तय
करती है। क तु उनम अ धक अ तर नह ं है। जहा तक उप कर (Equipments) का न है, भौ तक ,
रसायन, जीव व ान क और व ान क योगशालाओं म वे सभी उप कर और सहायक साम यां
उपल ध होनी चा हये िजनको श ण संसाधन (Teaching Resources) के अ तगत व णत कया
गया है। यहां उनका उ लेख करना भी अनाव यक पुनरावृि त ( Repetition) होगी। इस लये यहा
राज थान मा य मक श ा प रषद (Rajasthan Board of Secondary Education) वारा
+2 तर क भौ तक , रसायन एवं जीव व ान योगशाला के लये नधा रत मानदं ड के अनुसार
उपकरणो और ायो गक साम य का उ लेख करना समीचीन है। राज थान मा य मक श ा प रषद
वारा नधा रत योशाला क , फन चर, उपकरण एवं साम यां (Laboratory room ,furniture,
apparatus and Materials prescribed by Raj.Board of Secondary education):
इस प रषद का कायालय अजमेर म है। मा य मक र तर क योगशाला के संबध
ं म पूव म
ि थ त का ववरण दया जा चु का है। +2 तर के लये व ान योगशालाओं के लये न न ल खत

247
यूनतम शत (Minimum condition) रखी गयी है। यह मानक 20 व या थय के बैच के लये
है।
+2 क योगशालाओं के लए उपकरण, साम यां एवं उप कर:
योगशालाओं के लए पया त एव उपयु त फन चर क आव यकता के सबंध म के य
मा य मक श ा प रषद एवं राज थान मा य मक श ा प रषद ने अपने—अपने मानदं ड नि चत कये
है। इनके अलावा +2 के लए भौ तक , रसायन एवं जीव व ान क योगशालाओं के लए आव यक
साम य का ववरण इस कार है :—
भौ तक योगशाला:
उपकरण एवं साम यां (Equipments and Materials):
 अनुनाद नल  ढ आधार  थमामीटर
 ट नग फॉक सेट  वरमापी  हे गर
 अमीटर  वो टमीटर  वभवमापी
 डक प रवतनक  डॉक कं ु जी  बैटर
 डेसी तरोध बॉ स  ले लांशे सेल  उ च तरोध बॉकस
 डे नयल सेल  तरोध बॉ स  वराम घडी
 ह टर  रबर पैड  भौ तक तु ला
 व नयर कैल पस  म  गै वेनोमीटर
 आयताकार छड क पाउ ड लोलक
 धारा नय क (अ प / उ च तरोध)
 यूटन के शीतलन के लये तांबे का कैलोर मापी
 पश या धारामापी ( भ न— भ न च कर क कु डल ह )
 पश या धारामापी (एक ह च कर पर तु भ न या क कु डल हो)
 इन शया मेज के लये :— आयताकार व तु गोलाकार व तु बेलनाकर व तु
 संयोजन तार ताबे के :— वभवमापी ( म धातु मगनीज का टे टन) एवं वरमापी के लये
रसायन योगशाला :
उपकरण एवं साम यां (Equipments and Materials):
 टोव या लोवर  रये जे. टरे क  टे वल 6'*4'
 कांच के टब  लाि टक बा ट  संक स हत
 लाि टक टब  लाि टक मग  लटमस पेपर
 यूरेट  पपेट  कोनीकल ला क
 यूरेट टै ड  टे ट, यूब टै ड  टे ट यूब
 वा शंग बोटल  इि नशन यूब  बोटल 2 ल टर
 बोटल 500 ml  टग  सो डयम मेटल
 तांबे क छ लन  टन के टु कडे  िजंक के टु कडे
 कैरोसीन  आयरन चूण  केमीकल बैले स
 ू सीबल  डेसीकेटर  लास रोड

248
 ाईपोड टै ड  लास मा कग पेि सल  कची
 फ टर पेपर (गोल वाले)  कप ए ेटस (H2S गैस के लए)
 ं क 250 ml
बोटल चोडे मु ह  वन च टर बोटल 10 ल टर मता वाल
 साधारण तुला एवं 10 ाम से 500 ाम तक के बाट
 अमो नयम ऐसीटे ट  अमो नयम काब नेट  अमो नयम लोराइड
 अमो नयम ऑकजलेट  अमो नयम स फेट  अमो नयम स फाइड
पीला
 अमो नयम फा फेट  अमो नयम बायो स फर  अमो नयम मो ट लेड
 अमो नयम लोराइड  आ ले लक अ त  अमो नयम स फाइड
 आस नक स फाइड  आइसो ोपाइल ऐ कोहल  ए टर
 ऐसी टक ए सड  ऐलु मनीन  ऐसीट ऐि डहाइड
 ऐ ट मनी काब नेट  ऐ यु म नयम स फेट  ऐसीटोन
 एन—फै नलऐ लक अ ल (सूचक)  फनोफथल न
 फेरस स फेट  फेरस अमो नयम स फेट  फनोल
 कोबा ट नाइ े ट  कोबा ट लोराईड  कैि सयम लोराइड
 कापर स कैट  कैि शयम नाइ े ट  लोर न जल
 ो मयम लोराइड  लोरोफाम  काबन टे ा लोराइड
 जको नल नाइ े ट  िजंक स फेट  टोल न
 टाइटन यैलो  टोलन अ भकमक  टन लोराइड
 डाइ मथाइल लाईआि सम  बायो यू रयन  पोटे शयम नाइ े ट
 पोटे शयम डाइ ो मट  पोटे शयम आयोडाइड  पोटे शयम ोमेट
 पोटे शयम डाइ ोमेट  पोटे शयम परमै नेट  पोटे शयम फेरोसाइनाइड
 पोटे शयम बायोस फेट  ोमीन जल  बे रयम लोराईड
 बे रयम काब नेट—बोरे स  बरम स फाइड  बे जीन
 म यू रक लोराईड  मै नी शयम नाइ े ट  मै नीज स फाइड
 मै थल ओरज  मैगनीज डाइऑ साइड  मथाईल ऐ कोहल
 नकल लोराइड  नाइ ो बै सीन  लैड ऐसीटे ट
 लटमस व लयन  लैड परॉ साइड  टे नम लोराईड
 स वर नाइ े ट  स पयू रक ऐ सड  सो डयम काब नेट
 डाई सो डयम हाइ ोजन फॉसफेट  सो डयम ऐसीटे ट
 सो डयम नाइ ोपोसाईड  सो डयम टे नाईड  सो डयम कोबा ट नाइ े ट
 सो डयम डाइओ साइड  टाच का व लयन  ा शयन लोराईड
 हाइ ोजन नाइ े ट  हाइ ोजन लोराइड
जीव व ान योगशाला:
उपकरण एवं साम यां (Equipments and Materials):
 डसेि ट नगमाइ ो कोप  क पाउ ड माइ ो कोप  काश सं लेषण उपकरण

249
 गेनोनपोमीटर  वशनदश  बेलजार- लाइड बॉ स  यू रेट टै ड
 जार म नमू ने  साइकोन  गृहम खी  हाइ ा
 ब छू  जेल फश  केकडा  आ टोपस
 फै शयूला  पाइला  फैरो टया  सीप
 ऐ ट रएस  नेर स  ट नया सो लयम  इकानस
 जक  डॉग फश  ऐ के रस  द मक
 ह पोकै पस  मधुम खी  ले कय  हाइला
 सेलामे डर  छपकल  ेको  वाइपर
 कछुआ  कबू तर  कौआ  ए कडना
 लेट पस  चमगादड  म गू ज  चू हा
 मढक  कॉकरोज  कचूए
 खरगोश क संपू ण ह डयां  मढक क संपण ह डयां
 हाइ ला  नागफनी  जलकु भी  ना रयल फल
 गेहू ं बाजरा, मू ंग, चावल, मू ंगफल , अदरख, लहसु न, याज, मू ल , गाजर
 लाइ स – T.S. of Phyranx in earth worm, Gizzard earth worm, seminal
Vassiole earth worm, Intestine earth worm, Giuzzera in rooch,Testir in frog,
Ovary in frog or eabbit , kidney in frog, Carlilaze in frog ..
व ान कायशाला के लए आव यक उपकरण (Essential tools):
व ान योगशालाओ मे कायशाला (Workshop) संबध
ं ी सामा य उपकरण होने चा हये।
इनक आव यकता मॉडल आ द बनाने एवं छोट —मोट मर मत म पडती है। इनम मुख इस कार
है :—
धातु कम संबध
ं ी उपकरण:
— हथौडा (Hammer) — लोहा—आर (Hack— Saw)
— व भ न कार क रे ती (Files) — वेघनी /बरमा (Drills)
— पेचकस (Screw driver) — खर ची (Scriber)
— चू डी बनाने क डाई (Tape & dies) — लास (Plier)
ं ी उपकरण (Wood work Tools) :
का ठ काय संबध
— आर (Saw) — छे नी (Chisel) — मोट रे ती (Rasp)
— हाथ बरमा (Brace) — चपकाने वाले लेप इ या द
व युत उपकरण (Electric Equipment):
टे टर (Tester), व युत तार , व युत ढ — र जू (Insulated Cord), ि वच, लग,
बोड आ द।
अ य उपकरण (Miscellaneous Equipment):
सामा य तराजू ( Ordinary balance), ि ं तु ला (Spring Balance) व युत ह टर

(Electric Heater) व युत भ ी ( Electric Oven) आ द।

250
यूने को कमीशन वारा भारतीय मा य मक व यालय म व ान योगशाला के लये सु झाव
(Suggestions by the UNESCO Commission for the Sciencen
laboratories of India Secondary Schools)
कमीशन ने भारतीय व यालयो म योगशाला के वषय म न न सु झाव तु त कये :—
1. क ा क सामा य सं या 36 छा के एक बैच के लये 63 वगमीटर थान के अ ययन क
था पत कया जाना चा हये। इस क का नमाण इस कार कया जाय क इसम व वध
कार क शै क ग त व धय के प म लखना, सु नना, रे खा च खींचना, योग करना आ द
कये जा सके।
2. श क के लये अलग थान होना चा हये। िजसमे दशन के लये एक 250 *76 *86 सेमी.
आकार क मेज हो िजसको 20 सेमी. ऊचे लेटफाम पर रखा जाना चा हये। साथ ह एक 100
* 120 सेमी. आकार का यामप हो एवं उसके साथ एक शै फ, चाक रखने का थान,
मान च , रे खा च आ द टांगने के लये हु क भी लगे ह ।
3. कमीशन ने पर परागत पुरानी और भार मेज के थान पर छोट —छोट (125 *85 सेमी.
आकार क ) मेज को सुझाया है। इन मेज पर 2—2 छा एक साथ लखने, अ ययन करने,
योग करने आ द का काय कर सकते ह। इन मेजो के साथ व युत काश, पानी क ट ट
गे स और संक क यव था ह ।
4. रपोट म योगशाला सहायक के लये एक 48 वगमीटर े फल के कमरे क सं तु त क
है। इस कमरे म श क और योगशाला सहायक दोन उपकरण समायोिजत कर सकते ह।
उनका पर ण कर सकते ह। छा के सामा य योग के लये दशनी साम ी और उपयु त
सा ह य का स ह कर सकते ह। इस कमरे म दो कार क मेज क आव यकता है। एक
पर श क लखने—पढने और दूसरे पर उपकरण के साथ काम करने हे त।ु
5. बहु उ ेशीय योगशाला म भौ तक , रसायन एवं ा णशा के ायो गक काय के लये समु चत
यव था ह ।
योगशाला मै यूअल (Laboratory manual)
योगशालाओं के लए अब तक कई मै युअल का शत हो चुके ह। व ान श ा म इनसे
लाभ भी उठाये गये ह। इनके आधार पर कु छ श क ने यि तगत तर पर भी इनका नमाण कया
है। ार भ म मै युअल म योगशाला काय कने के लए आव यक सावधा नयां होती थी। यदाकदा
इनम योगशाला मं स प न म से संबं धत सं त ववरण भी होता था। साथ ह रपो टग के
लए ा प भी इनम उपल ध कया जाता था। आजकल कई मै यूअल यो य (Disposable) है।
ये काय पु रतकाओं ( Workbooks) के समान है। इनमे दल के तु तीकरण के लए र त सार णयां,
योग सबंधी या म र त थान पू त हे तु वा य , नामांकन के लए रे खा च , लेखा च , केचेज
के लए थान उपल ध होते है।
नःस दे ह योगशाला मै यूअल से समय क बचत होती है। श क को येक बैच म नदश
दे ने क झंझट से छुटकारा मल जाता है। िजससे क ा काय का समय अनाव यक प से न ट होने
से बच जाता है। इसी कार छा को भी कसी कार क मौ खक अ प टता से बच जाते है तथा उनका

251
भी समय बच जाता है। चू क रका डग के लए भी उनको उपयु त थान उपल ध होते ह। अत: उनको
योग करने और अ ययन के लए अ धक समय मल जाता है।
इतना अव य है क मै यूअल म योगशाला का काय एक ढब हो जाता है। छा को कोई
वतं ता नह ं होती। यहां उसक सृजना मकता का उपयोग नह ं हो पाता। इसी कार यावसा यक
मै यूअल म थानीय प ो को कोई मह व नह ं मल पाता। ऐसी ि थ त म योगशाला काय नीरस
हो जाता है। फल व प योगशाला काय म छा क द ता भा वत होती है।
मै युअल म ता वत याकलाप सामा य प म 'स यापन' (Verification) पर आधा रत
होते ह। इस लए' काया मक प म (Functionally) ये योग क अपे ा अ यासकाय (Excersies)
होते ह। वतं च तन के लए इनम कोई थान नह ं होता। छा से अपे ा क जाती है क अपे त
प रणाम के लए वे ता वत नदश का पालन कर। उनको सम या को सू ब करने, सम या के
हल, व ध के नयोजन, अपने काय का दा य व वयं नभाने, द त क आलोचना करने, याय संगत
न कष नकलने के लए पया त अवसर उपल ध नह ं होते। मै युअल के लए छा — त याय
अलग—अलग होती है। कुछ छा सफलता के लए पया त नयत काय (Assignment) ह चाहते है।
कु छ क अपे ा है क संपण
ू काय के लए संग ठत ा प हो। जब क दूसरे चाहते है क उनको योगशाला
म पूण वतं ता ह ।
मै युअल का उपयोग कु छ ि थ तय म याय संगत है। िजन श क के पास अ धक काय—भार
होता है। उनके लए समय क बचत के लए यह एक अ छ युि त है। नये श क के लए भी यह
आव यक है। जो छा कसी अप रहाय कारण से क ा म अनुपि थत रहे उनके लए भी मै युअल
सहायक है। इतना अव य है क मै युअल योगशाला क ग त व धय पर शासन काय करने क आदत
डालनी च हए। सदा के लए इस पर नभरता शुभ नह ं है।
योगशाला अ भलेख का अनुर ण ( Maintenance of Labioratory records)
व ान योगशाला के अ भलेख म लये टॉक रिज टर (stock Register), खर द गये
समान का रिज टर (Purchase Register) खर दे गये सामान का रिज टर (Purchase
Register), नगम रिज टर (Issue Register) आव यकता रिज टर (Requirement
Register) मु ख है।
अ) टॉक रिज टर (Stock Register):
ये तीन कार के होते है
1. न टू टने वाल व तु ओं का रिज टर (Register for non breakable articles): इस
रिज टर म ऐसी व तु ओं का हसाब रखा जाता है जो साधारणतया टू टने वाल नह ं होती।
व ान उपकरण, उप कर, लकडी लोहे तथा अ य कठोर पदाथ से बना हु आ सामान इस ेणी
म आता है।
2. टू टने वाल व तु ओ का रिज टर (Register for breakable articles) इस रिज टर म
ऐसी व तु आ का हसाब रखा जाता है, जो टू टती—फूटती रहती है। जैसे कांच और लाि टक
से बना सामान। जैसे बीकर, परखनल , थमामीटर इ या द।

252
3. उपभो य व तु ओ का रिज टर (Register for consumable articles): कुछ व तु एं जो
ाय: खच होती रहती ह उनका हसाब रिज टर म रखा जाता है। जैसे रासाय नक, तकमक
(Chemical reagents), आसुत जल (Distilled water). बजल के ब व, पारा, है सा
लेड (Hacksaw blades), ल मशीन क क ल (Drill —bits),सै ड पेपर (Sand
paper), इमर (Emory) इ या द।
ब) खर दे गये सामान का रिज टर (purchase Register) :
इस रिज टर म योगशाला म य कये जाने वाल सभी व तुओ का पूरा ववरण रखा जाता
है। भेजे जाने वाले आडर क तार ख, फम का नाम, मगाई जाने वाल व तु ओं का ववरण,
ा त हु ई व तु ओं का ववरण, उनका मू य इ या द इस रिज टर मे लखे जाते है। इससे सु गम
तर का यह है क फम को जो आडर भेजे जाय उनक काबन काँपी तथा जो बल ा त ह
उनक काबन काँपी एक फाइल म सुर त रखी जाय।
(स) नगम रिज टर (Issue Register):
इसम दनांक, व तु का नाम, यि त िजसको व तु नगम क गयी उसका नाम व ह ता र
होते ह।
(द) आव यकता रिज टर (Requirement Register) :
इस रिज टर म अ यापक पढाते समय, योग दशन करते समय तथा व या थय वारा
योगशाला मे काम कराते समय िजन िजन व तु ओं एवं उपकरण क आव यकता अनुभव
कर उ ह लखते रहते है। कूल म एक से अ धक अ यापक व ान पढाते हो तो भी उन सबक
आव यकताय एक ह रिज टर म लखते रहना चा हये। सामान खर दते समय इससे बहु त
सहायता मलती है। इस रिज टर के अभाव म बहु त सी मह वपूण व तु एं खर दते समय छूट
सकती ह।
योगशाला म आव यक सावधा नयां (Essential Precautions in Laboratory)
योगशाला म व भ न कार के बहु मू य और सू म उपकरण रहते ह। इसके वषय म त नक
सी असावधानी गंभीर हा न का कारण बन सकती है। अ त, र और वषैले रसायन थोडी सी असावधानी
के कारण परे शा नयां खडी कर सकते ह। इसके लये योगशाला म श क का उ तरदा य व प ट
होता है। फल व प श क और श ा थय से योगशाला के नयम क अनुपालना क अपे ा क
जाती है। इनके लए सामा य मु ख नयम इस कार है —
अ यापक योगशाला सहायक के लये नयम (Rules for Teacher / Laboratory
Assistant)
 अ यापक को सदै व इस बात का यान रखना चा हये क कायरत व या थय पर उसका पूरा
नयं ण ह । योगशाला म घूमते हु ये येक व याथ को वैयि तक मागदशन (Individual
guidance) नय मत प से करता रहे ।
 योग से पूव व या थय को वषय —व तु का व तृत सै ाि तक ान दया जाये। साथ ह
श क वारा योग दशन कया जाय।

253
 व या थय के लये थान नि चत होना चा हये। उनके न योजन इधर—उधर घूमने पर
तबंध लगाया जाये।
 योगशाला म येक व तु यथा थान रखी जाये, तथा उन पर सह नामांकन (Labelling)
कया जाय। व या थय को भी इसके लये सावधान कया जाय।
 गैस के पाइप तथा बजल क फ टंग म कह ं कोई ु ट हो तो उसक तु रंत मर मत होनी
चा हये।
 व युत उपकरण , गैस आ द के संबध
ं म सामा य नयम छा को बतला दये जाय।
 वशेष उपकरण तथा साम ी सुर त थान पर रखनी चा हये। जो क व या थय क आसान
पहु च रमे दूर ह तथा वे बना आशा उनको न ले जा सक।
 योगशाला म सुर ा और ाथ मक च क सा क यव था क जानकार सभी को होनी चा हये।
व या थय के लये योगशाला नयम (Laboratory Rules):
 योग के लये कसी व तु को जहा से लया गया है काय समाि त के बाद वह ं वा पस रखी
जाये।
 योगशाला संबध
ं ी सामान केवल योगशाला मे ह योग मे लायी जाय। उसको योगशाला
से बाहर ले जाना अनुशासनह नता है।
 कोई भी दुघटना होने पर अ यापक को तु रत सूचना द।
 कसी उपकरण मे कोई दोष या टू ट—फूट दखाई दे ने पर अ यापक को इसक सूचना तु रंत
द जाय।
 कसी व तु पर नामांकन (Labelling) न होने पर अ यापक को सू चत कया जाय।
 बोतल के ढ कन ठ क तरह खोले जाय। काय करने के प चात ् उ ह तु रंत बंद कर दया जाय।
 योग करने के लये केवल उतनी व तु ल जाये िजतनी आव यकता है।
 अप र चत व तुओं को न छूए।
 योग करते समय श क वारा अनुदेशन मे द गई आव यक सावधा नयां का यान रख।
 मेज पर केवल आव यक उपकरण ह रखे जाय।
 आने जाने के माग पर कोई व तु न रखी जाय।
 गैस, नल और बजल को आव यकता पडने पर ह उपयोग म लाव। काय समा त होने पर
इ ह तुरंत बंद कर द।
 बना आ ा के कसी भी पदाथ को न तो सू ंघे न ह रख।
 पु तक, कागज और अ य सामान को बनर या अ य कसी लौ से दूर रख।
 परखनल या ला क म कोई पदाथ गम करते समय इसका मु ंह वयं से दूर रख।
 पारे को न तो छुए, न सू ंघे और न ह रख।
व ान योगशाला म संभा वत दुघटनाय और ाथ मक उपचार
(Possible Accidents in Laboratory & First Aid)
1. साधारण आग जैसे लकडी, कागज इ या द के जलने से लगी हो तो उसे पानी डालकर बुझाने
का य न कर।

254
2. कसी थान या उपकरण आ द मे व युत वारा आग लगने म सव थम उस जगह का कर ट
बंद कर। फर फायर एकस टि वशर (Frist Extinguisher) का योग करना चा हये। बजल
वारा लगी आग को कभी—भी पानी से बुझाने का य न न कर।
3. रासाय नक आग हो तो वे कं ग सोडा—ए सड एकस टि वशर का योग कर।
4. उपरो त कसी भी कार क आग को तुर त नयं त करने के लये योगशाला म अि नशमक
े र पाइन, बालू क बाि टयां इ या द को
यं / सामान जैसे फायर ए स टि वशन पानी का श
सबक सहज पहु च. वाले नयत थान पर रखना चा हये।
5. शर र के कसी भाग म अ त गरने क ि थ त म उस पर तुर त पानी डालना चा हये। पानी
वारा अ ल के धु लने के बाद उसको सो डयम बाई—काब नेट या बो रक पाउडर रो बने धोल
से धोये।
6. टोव, ह टर, बनर इ या द से जलने पर जले हु ये थान पर लगातार ठं डा पानी डालते रह।
इसके उपरांत इस जगह पर बन ल लगा लेव।े य द उसी समय बन ल उपल ध न ह तो नमक
गीला करके उसे जगह पर लगा लेना लाभकर होता है।
7. कांच, चाकू इ या द से कटने पर घाव को डटॉल एवं पानी से बने घोल से साफ ई वारा
अ छ तरह साफ कर ल। त प चात ् टंचर या आयोडीन म भीगी हु ई साफ ई को घाव पर
बांध कर प ी कर लेव।े
उपरो त दुघटनाओं के उपचार हे तु योगशाला म ाथ मक उपचार बॉ स क यव था होन
चा हये। िजसम जलने या कटने से संबं धत ाथ मक उपचार वाल दवाइयां / सामान हर व त उपल ध
होना चा हये।
वमू यां क न
न न लाि त नो म 1 से 5 तक के उ तर 100 श द म एवं शे ष न के उ तर
500 श द म द िजए: —
1. व ान योगशाला क अवधारणा प ट क िजए।
2 उ चतर मा य मक तर के लए योगशालाओं का उपयु त यू — ट द िजए।
3. मा य मक तर के एक अ छ व ान योगशाला के या गु ण होने चा हए?
4. व ान योगशाला था पत करने के लए यू न तम शत या हो ?
5. योगशाला म दुघ टना के या कारण ह ? इनको रोकरने के लए आप या
करग ?
6. योगशाला को अ धक से अ धक भावी बनाने के लए आप या करगे ?
7. भावी एवं द व ान श ण के लए आप कै से व ान प रसर को ता वत
करते ह , रे खा च क सहायता से इसका ववरण द िजए।
8. न न ल खत पर ट प णयां ल खए : —
( i) योगशाला अ भले ख
( ii) योगशाला दु घ टना होने पर ाथ मक च क सा क यव था
( iii) व यालय म उपल ध योगशालाओं क दशा

255
9. वतमान प रि थ त म व यालय म व ान योगशाला को अ धक से अ धक
भावी बनाने के वयं श क के प म या करगे ।

12.4 योगशाला सहायक (Laboratory Assistant)


व ान श ण म वषय अ यापक के बाद मह वपूण यि त योगशाला सहायक है। व ान
योगशाला के लये सहायक शै क ि ट से कम से कम व ान वषय के साथ 10 + 2 उ च ेणी
म उ तीण होना चा हये। उ च तर य वै ा नक अ भवृि त ( Scientific attitude) उसके यि त व
(Personality) का मु य अंग हो। उसक व ान म सहज अ भ च (Interest) हो। याि क कौशल
(Mechanical skills) के लये उसम पया त और आव यक (Sufficient and necessary)
अ भयो यता (Aptitude) हो। वह यवहार कुशल होना चा हय श ा थयो के साथ वह सौहदता (Good
Report) का आदश तु त करने म समथ हो। योगशाला सहायक अपनी व भ न भू मकाओ के
िजन कत यो और दा य व को नभाता है, उनम मु ख इस कार है :—
1. श क का सहायक (Teacher’s Assistant) : योगशाला सहायक काया मक
प म (Functionally) व ान श क का सहायक है। योगशाला के कत य और दा य व के नवाह
म वह श क क ह भू मका नभाता है। योगशाला म वषय अ यापक क अनुपि थ त म वह
श ा थय का मागदशन करता है। आव यकता पडने पर योगशाला काय का संचालन भी सहायक
कर सकता है। उसम एक आदश श क के गुण होने चा हये। वह योगशाला के अ भलेख के अनुर ण
(Maintenance of Laboratory researches), योगशाला साम ी के चयन और खर द
(Selection & purchase of the laboratory materials), योगशाला म काय योजना (Work
plan) बनाने म श क क सहायता करने म स म होता है।
2. कु शल कार गर (Skilled Worksman) : योगशाला के उपकरण , उप कर , जल
एवं व युत यव थाओ आ द म कोई खराबी होने पर सहायक उसको ठ क करने म समथ होना चा हये।
फन चर क छोट —मोट टू ट को भी वह मर मत कर सक।
3. तकनी शयन (Technician) : वतमान व ततीय सीमाओ (Financial
limitations) म यह स भव नह ं है क सहायक साम य एवे इले ो नक मा यम के संचालन के
लये व यालय तकनी शयन को नयु त कर सक। क तु इनका अनुदेशन के लये उपयोग आव यक
है। ऐसी ि थ त म यह अपे ा क जाती है क भौ तक योगशाला सहायक इनका संचालन करे । उसका
इस काय के स पान म वीण होना आव यक है। आव यकता पढ़ने पर इनम कोई ु ट होने क ि थ त
म वह इनको सुधारने म भी समथ हो। इसके साथ ह उसको आव यकता पडने पर कांच क कटाई
(Glass cutting), टं कण (Soldering) आ द म भी कु शल होना चा हये।
4. एक अ छा रखवाला (A Good Keeper) : योगशाला क सु र ा तथा उसक
साम य , उपकरण , उप कर , फन चर, पठन साम यो, श ण—साम य आ द क सु र ा
(Security) और अनुर ण (Maintenance) का दा य व योगशाला सहायक का ह है। इनके त
उसको सदै व सजग रहना चा हये।

256
5. कु शल दशक (Skillful Demonstrator) : योगशाला मे फन चर, उपकरण ,
उप कर , साम य , औजारो आ द को समु चत प से यवि थत करने का दा य व सहायक का ह
है। योगशाला का संगठन (Organization), व या थय के व भ न समू ह (Batches) के लये
येक व याथ के लये योग क साम ी वतरण, व यालय के पंचांग (Calender) और समय
वभाजक च (Time table) के अनुसार योगशाला काय का वतरण (Distribution) और
यव थापन (Arrangement) का दा य व सहायक का ह है। सहायक को चा हए क वह व ान
पु तकालय का ब धन करने म कुशल हो ।
6. सम वयक (Coordinator) : श क— व यालय शासन, श क— व या थय ,
लब—सद य , म पार प रक सम वय के लये सहायक सव तम यि त व है । अपनी इस भू मका
म वह सहपा यचार याकलाप , क ा अनुदेशन , योगशाला काय को भावी बनाने म योगदान करता
है। वह व यालय शासन से अपनी वीणता के आधार पर योगशाला क आव यकताओं क पू त
के लये साधन जु टा सकता है ।
7. वषय ान म भावी (Effective in the knowledge of the subject):
योगशाला सहायक को व ान का पया त ान होना चा हये। उसको योग स ब धी नवीनतम
जानका रयां होनी चा हए। उसको वषय—व तु क इतनी जानकार होनी चा हए क व याथ उसका
भु व वीकार कर।
8. एक अ छा म (A Good Friend) : एक अ छे म क तरह व या थय के
साथ यवहार करने म कु शल सहायक हमेशा शंसा का पा होता है। वह व या थय से स मान अने
यवहार, योगशाला कौशलो वषय ान, तकनीक कुशलता से ह ा त कर सकता है। उसको सभी
व या थय के साथ समान यवहार करना चा हए।
चु तथ ेणी कमचार (Lab Boy) :
योगशाला, उसक साज स जाओं, उपकरण एवं उप कारो क व छता के लये कम से कम
हाई कूल उ तीण यि त नयु त कया जाना चा हये। यह कमचार स ह णु धैयवान, आ ाकार ,
ईमानदार और कत वपालन म सम पत होना चा हये। उससे अपे त है क :
 श ण एवं योगशाला सहायक के आदे श एवं नदश का पालन कर।
 उप कर एवं उपकरणो के उपयोग को समझे।
 योगशाला, उसक साम य उपकरण एवं उप कर को व छ रख।
 व या थय से सौहादपूण यवहार करे ।
 हमेशा सजगता एवं सावधानीपूवक काय कर।
 योगशाला के रकाड क दे खरे ख करने म सम म हो।
 दशन मेज पर आदे शानुसार साम ी क नयमानुसार यवि थत करे ।
 व या थय को साम ी दे ने (Issuing) म योगशाला सहायक क सहायता करे ।
 योगशाला क रखवाल त परता से करे ।
सं था— धान (Head of the institution) :

257
व यालय म भावी श ण क यवसथा के लये य द कसी एक यि त को सवा धक
मह वपूण कहा जाय तो वह सं था— धान (Head of the Institution) ह है। व ान श ण पर
भी धाना यापक के ि टकोण का भाव पड़ता है। व ान क योगशाला को य द पया त व तीय
ावधान व यालय तर पर न कये जाये तो नि चत प से व ान श ण पर बुरा भाव पड़ेगा।
सं था— धान से अपे ा है क:
 व ान श ण के लये पया त श क व यालय के नयु त ह ।
 व ान क योगशाला के लये व यालय के बजट म पया त धन आवि टत कया जाय।
 व यालय म व ान श क को वषय के अनुसार औहदा (Status) ा त हो।
 व ान क योगशाला के लये उपकरण, उप कर तथा अ य साम ी को उपल ध कराने म
औपचा रकताओ (Formalities) के कारण अनाव यक वल ब नह ं होना चा हये।
 व ान के चाट (Chart), त प (Model), आशुर चत उपकरण ( Improvised
apperatus) बनाने के लये व यालय वारा आव यक सु वधाय द जानी चा हये।
 जन संचार मा यम (Mass media) से व ान संबध
ं ी सारण को सु नने—दे खने के लये
व यालय वारा सु वधाय उपल ध क जाये।
 पु तकालय म व ान से स बि धत यूनतम सा ह य उपल ध कराया जाय।
 व ान वषय और श ण स ब धी प काय (Magazines) वाचनालय (Library) म
उपल ध कये जाये।
पु तकालय अधी क (Library Incharge) :
व ान श ण को भावी बनाने के लये पु तकालय अधी क क भी मह वपूण भू मका
है। वह पु तकालय और वाचनालय के लये ान स ब धी नत नवीन सा ह य जु टाने के लये
मह वपूण अदा करता है। व ान पु तकालय के संगठन म भी उसका सहयोग आव यक है। पुरतकालय
म उपल य पृ टभू म सा ह य, पुरानी प —प काओं एवं व ान स ब धी सू चनाओं के समाचार क
कतरन (Cutting) फाइले बनाकर वह व ान पुरतकालय को उपल ध कर सकता है।
वमू यां क न
1 व ान श ा क ो न त के मु ख मानक सं साधन है : —
1 ---------------- 2 ----------------- 3 ---------------------
2. सफल व ान श क के या — या मु ख गु ण है : —
1 ----------------- 2 ---------------- 3 --------------------
4. ----------------- 5. ------------- 6. -------------------
3. व ान श क के यावसा यक सं व न क या आव यक है ?
1. ----------------- 2. --------------- 3. ---------------------

258
12.5 व ान सं हालय (Science Museum)
व या थय वारा जो भी रचना मक काय कये जाते है उनम कू ल व तु का उ पादन होता
है। अब इनके सम लाभ के लए इनको संर त करना अ नवाय हो जाता है। इस लए इस हे तु व यालय
का अपना एक सं हालय होना चा हए। इसम न न ल खत को सराह और संर त कया जाना चा हए—
 व या थय वारा मण या अ य से सं हत फूल—प ते, जड़, बीज, तत लय , प य
के अ डे, प थर, बालू आ द के नमू न,े ह डय , कंकाल, व भ न ज तु आ द।
 छा — न मत मॉडल, चाट।
 कायानुभव (Work experience) म न मत के उ पाद (Product)
 डायानासोर जैसे ागै तहा सक ा णय के च तग अवशेष के मॉडल ववरण स हत।
 व ान स ब धी नई खोज के फोटो एवं ववरण
 ए वे रयम (Aquarium) एवं ज तु ओं के जीवन म के च
 वाइवे रयम (Vivarium) एवं स बि धत य साम ी एवं अवशेष
 टे रे रयम (Terrarium) एव स बि धत य साम ी एवं अवशेष
 पयावरण संर ण स ब धी चाट आ द।
 जनसं या श ा स ब धी य साम ी
ए वे रयम (Aquarium)
(अ) वायु म रहने वाले ज तु ओं के लए : यह वायु म रहने वाले ज तु ओं के अ ययन के लए
उपयोगी है। इससे ज तु ओ के वकास म का अ ययन सरलता से कया जा सकता है। जैसे क ततल
के अ डे कसी पौधे म मल तो उस पौधे को उपयु त बेलजार म रखकर उकस मु ंह झ ल दार कपडे
से ढक दया, िजससे क जार म हवा वेश कर सके। इसको काश व हवा मलती रहे। इसके नय मत
े ण से इनके वकास म का अ ययन कया जा सकता है। व भ न अ य ज तु ओ — म छर,
मधुम खी, म खी, रे शम का क डा आ द को अ ययन के लए भी समु चत यव था होती है।
(ब) जल म रहने वाले ज तु ओं के लए : यह जल म रहने वाले ज तु ओ के लए काँच वारा
न मत होता है। आजकल घर म भी इसका उपयोग रं ग— बरं गी मछ लय को पालने के लए होता
है। यह व यालय सं हालय का एक आकषक भाग है।
टे रे रयम (Terrarium) : जमीन के अ दर और ऊपर वाले ज तु ओं तथा मढक के लारवे
आ द को वक सत करने के लए इसका उपयोग होता है। यह कांच से न मत होता है तथा इसम ज तु ओ
के वकास के लए ाकृ तक वातावरण उपल ध होता है।
वमू यां क न
1. टे रे रयम या है ?
-------------------------------------------------------------------------------------
2. व ान सं हालय के मह व है : —
i)-----------------------------------------------------------------------------
ii)----------------------------------------------------------------------------

259
iii)----------------------------------------------------------------------------
iv)----------------------------------------------------------------------------
v)----------------------------------------------------------------------------

12.6 सामु दा यक पयावरण (Community Environment)


समु दाय श द अं ेजी के क यु नट (Community) श द का ह द पा तर है। क यू नट
श द दो श द से मलकर बना है— कॉम + यू नस । कॉम का अथ है — एक साथ तथा यू नस
का अथ है — सेवा करना। अथात ् जब मनु य का कोई समू ह कसी वशेष उ े य को लेकर संग ठत
जीवन बताता है, तो उसे समु दाय कहते है। समु दाय के साथ आ मीयता और एका मकता म जीवन
क पूणता का अनुभव करना है।
पयावरण के मु य दो भाग है—
1. सां कृ तक पयावरण
2. भौ तक पयावरण
सां कृ तक पयावरण मानव क सू झ—बूझ, यो यता, प र म तथा उसक बु मता का प रणाम
है। यह कृ म (Artificial) है एवं मनु य या मानव ह इसका ज मदाता है। इसके अ तगत नगर ,
क बे आवागमन के माग तथा साधन, मकान, नहर, सं थाएँ, कल—कारखाने आ द सि म लत है।
भौ तक पयावरण म धरातल क बनावट, जल रा शयाँ, जलवायु ख नज , न दयाँ, ाकृ तक, वन प त,
पशु इ या द सि म लत है। व ान वषय म अ धकतर इ ह का अ ययन कया जाता है।
व या थयो को य व तुओं के स पक म आकर उ हे वाभा वक प से दे खकर ान ा त
करने का अवसर सामु दा यक पयावरण म संभव है। व या थय को व यालय क चारद वारो से बाहर
आकर सामािजक और ाकृ तक प रवेश म बहु त सी व तु एँ और याओं को वा त वक प म दे खने
का अवसर मलता है। कृ त म व ान के ाकृ तक प को तथा समाज म व ान के उपयोग को
ये भल भाँ त दे ख ओर समझ पाते है। इस तरह से उनके ान को उनके जीवन के लए यावहा रक
एवं उपयोगी बनाने मे सामू दा यक पयावरण अपनी भू मका अदा करता है। उदाहरण के लए — मण,
दूध डेयर , मू ग पालन, मधुम खी पालन, सीमे ट कारखाना, व ान मेला आ द वारा व याथ
ानाजन व तु ओं को दे खकर एवं छूकर कर सकते है। यह ान व या थय को य अनुभव कराता
है। य अनुभव वारा ा त ान थायी होता है।
व ान लब (Science Club) :
सभी व ान वषय यो गक कृ त के है। इनम अ ययन का मु ख ल य ाकृ तक पयावरण
का मब ान ा त करना है। यह कृ त के रह य को जानने के अवसर उपल ध करता है। ''करके
सीखना (Learning by doing)'' और ''जीवन प त वारा सीखना (Learning by living)'' ीग़वी
अ धगम के लये आव यक है। व ान लब इ ह ं मू ल स ा त पर आधा रत ह यह ऐसा संगठन
(Organization) है जो क वै ा नक अ भवृि त ( Scientific attitude), व ान म अ भ च
(Interest) और वै ा नक याओं (Activities) के अ त नवेशन (Inculcation) के लये पोषण

260
(Nutrition) उपल ध करता है। यह क ा काय और योगशाला क याओ को यावहा रक बनाने
म अनुपरू क का काय करता है। यूबर और क ा—क क संि थ तयो से भी अ धक यापक है। यह
ऐसा — थल है िजसमंर अ धगम को श ाथ क अ भ चय और मताओं के अनु प ढाला जाता
है। यहां पर वैयि तक पहल और वत अ ययन के अवसर उपल ध होते है (The science club
is more than a classroom situation.It is a place where learning is fitted to the
interests and abilities of the pupils and where there is opportunity for individual
initiative and independent study”)
व ान लब के ल य (Aims of science club0) :
व ान लब के मु ख उ े य इस कार है :—
 श ा थय क संगठना मक शि तयां (Organizing powers) का वकास करना।
 इ छुक व या थय के लये शै क मण (Educational excursion) आयोिजत करना।
 व ान पु तकालय (Science library) का संचालन करना।
 व ान मेले एवं दश नयां (Exhibitions) आयोिजत करना।
 व ान सं हालय था पत करना।
 सृजनशीलता कट करण काय म ( Creativity manifestation programmes)
 आशु र चत उपकरण (Improvised apparatus)
 सामु दा यक संसाधनो का दोहन (Exploitation of community resources))
 वै ा नक कौशल (Scientific skills) के वकास हे तु कायशालाओ (Workshops) का
आयोजन।
 सा हि यक एव मनोरं जक काय म का आयोजन।
 वध त पधाय आयोिजत करना।
 तभा खोज (Talent search) मे व यालय को सहायता दे ना।
व ान लब का संगठन (Organization of science club) :
व ान लब क थापना म व ान श क का वशेष उ तरदा य व है। इसके संचालन के
लये व ान क योगशाला म इसका कायालय था पत कया जा सकता है। व ान श क को इसके
ायोजन (Sponsoring) का उ तरदा य व वीकार करना चा हये। योजक व ान श क को इसके
वकास के लये सव थम सद यता अ भयान चलाना चा हये। इसक सद यता के लये शत कठोर न
ह तथा सद यता शु क (Membership fees) भी नयम होना चा हये। शाला धान इसका संर क
हो। व धवत इसका वधान बनाया जाना चा हये। तथा समु चत सं था से इसका पंजीकरण
(Registration) कराना चा हये। मानव संसाधन वकास मं ालय, भारत सरकार (Ministry of
Human Resource Development, Government of india) के अ तगत श ा वभाग
(Education department) व ान लब जेसे संगठनो के संचालन को ो साहन दे ता है। रा य
शै क अनुसंधान एवं श ण प रषद (N.C.E.R.T.) के त वावधान मे व यालय तर पर व ान
लब के संचालन को आव यक अनुदान ( Aids) और सहयोग उपल ध होते है। ायोजक यि त को

261
इनसे स पक साधना चा हये। व ान लब को ह अ य सहपा यचार याकलाप के आयोजन का
दा य व स पा जाना चा हये।
इसक एक कायका रणी ग ठत क जानी चा हये िजसम अ य , उपा य , सहस चव,
कोषा य जैसे पदा धकार हो। इनका चु नाव सद य वारा कया जाना चा हये। कायका रणी और
साधारण सभी क बैठक अ य के सभाप त व म लब के वधन के अनुसार नधा रत अव ध म
नयम क जानी चा हये।
एक टा त लब का संगठना मक ढांचा तुत कया जा रहा है:
1. व ान लब का नाम : होमी भाभा लब
2. कायालय : व ान योगशाला
व यालय का पता
3. पदा धकार :
संर क — सं था धान
परामशदाता — व र ठतम कसी व ान वषय का श क
अ य — छा उपा य — छा
स चव — छा सहस चव — छा
कोषा य — छा सद य — 5 से 7
4. संर क के अ धकार:
 अ य सं थाओ या यि त के साथ प यवहार करना।
 आव यक सु वधएं म सहयोग दे ना।
 व तीय यव था म सहयोग दे ना।
5. परामशदाता के अ धकार :
 लब क कायका रणी को समय—समय पर परामश दे ना।
 लब काय का नर ण करना।
 लब को मागदशन एवं ो साहन दे ना।
6. अ य के अ धकार
 सभी काय म तथा लब क कायका रणी क बैठक क अ य ता करना।
7. उपा य के अ धकार: अ य को सहयोग दे ना और उसक अनुपि थ त म उसके उ तरदा य व
नभाना।
8. स चव के अ धकार:
 येक बैठक क कायवाह का ववरण लखना।
 अ भलेख का अनुर ण।
 प — यवहार करना।
 काय म का संचालन करना, बैठक आहू त करना, वा षक तवेदन तैयार करना।
9. सहस चव के अ धकार: स चव को सहयोग दे ना और उसक अनुपि थ त म उसके उ तरदा य व
नभाना।

262
10. कोषा य के अ धकार: सद य से च दा एक त करना और आय— यय का ववरण तैयार
करना, बजट बनाना।
11. सद य त न ध के अ धकार पदा धका रय के साथ वचार— वमश करके लब स ब धी
नी तय और सं वधान तैयार करना और अपनी क ा के सद य व या थय का सहयोग लेना
तथा सद य क सं या बढ़ाना।
वमू यां क न
1. सामािजक पयावरण का व ान वषय म या मह व है ?
-------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------
व ान मेला (science Fair) :
व ान के अ ययन को चकर और उपयोगी बनाने के लये व यालय म व ान मेले तवष
आयोिजत कये जाने चा हए। यह एक ऐसा काय म है िजसमे सभी छा च लेते है। इससे छा
को व यालय म चल रह ग त व धय और व ान लब क उपलि धय को द शत करने के लये
अवसर मलते है। अत: व ान मेला एक दशनी है। िजसम छा क सृजना मकता ( Creativity)
और वै ा नक ायोजनाय (Projects) आ द का दशन (Exhibition) होता है। व ान मेले म भाग
वाले जब एक ह व यालय के छा होते है तब उसे व यालयी व ान मेला कहते है। इसके आयोजन
म थानीय व यालय और िजले के व यालय भाग लेते है तो इसको मश: थानीय व ान मेला
(Local Science Fair) और िजला व ान मेला (District Science Fair) कहते है। इसी कार
व ान मेले का आयोजन रा य, रा य और अ तरा य तर पर कया जाता है। व ान मैले म
छा —छा ाओं को अपनी रचना मक, सृजना मक , क पना मक तथा पार प रक सहयोगा मक वृि तयो
को द शत करने के अवसर सहज सुलभ होते है। व ान के मह व को समझते हु ये के य सरकार
ने 1976 म सव थम रा य तर पर इसका आयोजन कया था। इसम सभी रा य ने भाग लया
था। व ान मेल के आयोजन रा य शै क अनुसध
ं ान एवं श ण प रषद, (N.C.E.R.T.) नई
द ल , जवाहरलाल मेमो रयल फंड (jawaharlal Memorial Fund) और टे ट इं ट यू स ऑफ
साइ स ऐजूकेशन ( State Institutes of Science) अब रा तर पर यह दा य व रा य शै क
अनुसंधान एवं श ण सं थान (S.I.E.R.T.) नभा रहे है। इनसे सहयोग लया जाना चा हये।
व ान मेल के योजन (Purposes of Science Fair) :
एन.सी.ई.आर.ट . (N.C.E.R.T.) के प (Format) के अनुसार मेले को आयोिजत करने
के न न ल खत उ े य है :—
 छा को अपने वचारो (Ideas) को काय प म प र णत करने के लये उपयु त अवसर वे
ो साहन दे ना।
 व ान के मेधावी छा ो (Science Talents) को आगे आने के अवसर दान कर उनके
तर को उठाने के लये यास करना।
 अ य छा के काय तथा उपलि धय को दे खने के अवसर व वयं काय करने के लए ो साहन
दे ना।

263
 यि तगत एवं अ य व ान लब वारा कये गये व भ न काय म और उपलि धय के
तु लना मक अ ययन के लये उपयु त अवसर उपल ध करना।
 व या थय , उनके अ भभावक एवं जन साधारण को व यालय के समीप लाने के अवसर
दान करना।
 दे श के भावी वै ा नको को पहचानने एवं उ ह आगे बढ़ने के लये अवसर दान करना।
व ान मेले का आयोजन (Organization of Science Fair) :
व ान के अ ययन म व याथ म अ भ च तभी जागृत होती है , जब क वह अपनी अ ययन
साम ी का वा त वक जीवन म उपयोग दे खता है। व यालय म ऐसा पयावरण उपल ध कया जाना
चा हए जो क ऐसे वांछनीय अनुभव दान करने म समथ हो। साथ ह यह व यालय के शै क येय
को ा त करने का आधार भी बने। य द ऐसा वातावरण इस कार के याकलाप वारा बने जो क
य म व यालयी न हो तथा क ा के बार हो तो नि चत प से यह व याथ के लए अ धक
अ भ ेरणा मक होगा। इस उ े य क पू त म व ान मेला पूण प से समथ है। येक व यालय को
स म कम से कम एक बार व ान मेले का आयोजन क तैयार इस बात पर नभर करती है क
मेले का आयोजन कस तर (Level) पर हो रहा है। यह आयोजन थानीय (Local), िजला
(District), रा य (State) एवं रा य (National) तर पर हो सकता है। व ान मेल का आयोजन
अ यापक एवं छा ो के पार प रक सहयोग से कया जाता है। इसके आयोजन के सोपान इस कार
है :—
अ. योजना बनाना (Planning)
ब. काय वतरण (Work Distribution)
स. आयोजन (Organization)
अ. योजना बनाना (Planning) : व ान मेल के आयोजन से पूव स पूण काय क पूव
तैयार (Prior preparation) करनी चा हये।
 व ान मेले के उ े य (Objectives)
 व ान मेले क ं सीमाय (Limitation)
 काय व ध (Working)
 व तीय यव था (Financial arrangement)
 थान, समय तथा समयाव ध (Place,Time and Period)
 अ य (Miscellaneous)
ब. काय वतरण (Work Distribution) : छा क मताओं को यान म रखकर येक
काय के लये चार—पांच छा क स म त ग ठत कर लेनी चा हये। िजससे उ चत काय वतरण ह सके
जैसे: चार (Advertisement) स म त, वागत स म त एवं यव था और व तीय (Finance)
स म त आ द।
स. आयोजन (Organization) करना : सुचा काय यव था के लये अ यापक क दे खरे ख
मे न न ल खत स म तयां ग ठत क जानी चा हये:
 मेले के उ े य को नधा रत करने वाल स म त।

264
 मेले म भाग लेने स ब धी नयम बनाने क स म त
 द शत व तु ओं के चयन क स म त
 नणायको (Judges) व तयोगी दलो (Competions teams) को आमि त करने के
लये स म त।
 व तीय (Finance) यव था स म त।
 मेला चार स म त।
व ान मेले को व भ न बूथ म बांटा जाना चा हए। उदाहरणाथ न न ल खत तु त है :—
1. साबुन एवं सौ दय साधन बूथ : इसम व याथ चब , वन प त तेल , रोिजन, सोप टोन,
लाई आ द से धाने का साबुन तथा व भ न कार के साबुन यथा नहाने , शे वंग, शै पू को
बनाकर द शत करे । साथ ह म, पाउडर, ल पि टक, नेलपा लश वैसल न आ द भी बनाव।
इसम वे चाटा, फ म आ द का उपयोग भी कर सकते है।
2. भोजन, वा य और स तु लत आहार बूथ : व या थय को यह समू ह शर र, व ान, भोजन
के त व , भोजन के त व , स तु लत आहार आ द के वषय म चाट, चल च , लाइड आ द
से दशको को श त कर सकता है।
3. फल और फल संर ण बूथ : इसम छा समूह व भ न फल के जैम, जैल , मामलेड, चाटनी,
साँस, रस, वाश आ द बनाकर द शत कर सकते है।
4. केश तेल बूथ : इसम व याथ वन प त तेल को रं गह न, ग धह न बनाने क या समझाते
हु ए मे डकेटे ड केश तेल बनाने क या समझा सकते है। ऑवला,मृगराज आ द दे शी केश
तेल भी बनाये जा सकते है।
5. घर के वातावरण को आकषक बनाना बूथ : इसमे छा मानव और पशु उप य को ग ढ
म दबाने व रासाय नक व ध से न ट करने क व ध चाट चल च , लाइड , योग , मॉडलो
से द शत कर सकते है।
6. क टनाशक (Pesticides), रोगाणु रो धय ( Disinfectants) एवं वषाणु रो धय
(Anticeptics) का बूथ : छा इनके व भ न नमू न को द शत करते हु ए चाट एवं सा ह य
के वारा इनके उपयोग बतला सकते है।
7. पेयजल का वतरण बूथ : नद जल को शु करने क स पूण व ध मॉडल, चाट व फ म
वारा समझाने क यव था क जा सकती है।
8. वै ा नक चक का योग— दशन बूथ : द वाल ै कर डील स, द वाल केक, कृ म बफ
आ द के योग दखाने क यव था।
व ान मेला आयोजन के व भ न सोपान (Steps of Organizing the Science
Fair):
व या थय क सृजना मकता (Creativity) तथा व ान श ा को ो साहन
(Encourage) और लोक य (Popular) बनाने के लये तवष व यालय, िजला, रा य, रा य
तर पर व ान मेले आयोिजत कये जाते है। व ान मेला सव थम सत बर माह म व यालय तर
पर आयोिजत कया जाता है। इसम व यालय धान, व यालय व ान लब और व ान अनुभाग
265
के श क एवं श ाथ स य भाग लेते है। इसम े ठ कृ तय का व यालय तर पर चयन होता
है।
िजला तर पर यह मेला िजला श ा अ धकार के नेत ृ व म अ टू बर के म य म आयोिजत
कया जाता है। िजला तर पर े ठ घो षत साम ी का दशन करने वाले छा अपने श क के साथ
रा य तर य व ान मेले म भाग लेते है। यह मेला एवं मा रका के काशन हे तु मा य मक श ा
बोड, अजमेर (राज. ) तवष व तीय सहायता दे ता है तथा रा य शौ क अनुसंधान और श ण
प रषद, नई द ल और जवाहरलाल नेह मेमो रयल फ ड रा य तर य व ान मेले के लये तवष
अनुदान दे ती है।
रा य तर य व ान मेले म सभी वजेताओ के नाम उनसे स बि धत दशन साम ी के
ववरण रा य व ान मेले मे सि म लत कये जाने हे तु रा य शै क अनुसधान एवं श ण प रषद,
नई द ल को े षत कये जाते है। व ान दशनी हे तु व भ न रा य से भेजे गये नाम म से चय नत
छा एवं अ यापको को अपनी—अपनी दशन साम ी के साथ आमि त कया जाता है। रा य तर
पर व ान मेले का आयोजन नव बर म तवष मू त भवन, नई द ल म आयोिजत कया जाता
है।
शै क मण (Educational Excursions) :
उप नषद भारतीय श ा—दशन के मौ लक थ है। इनम श ा साधन म दे शाटन (Tours
and Excursion) को सवा धक मह व ा त है। हमारे मनी ष इसका लाभ उठाकर श ा के उ चतम
शखर पर पहु ंचे। आ द गु शंकराचाय तो ऐसी एक महान ऐ तहा सक वभू त है। यह भौ तक और
सामािजक पयावरण (Physical & social environment) के साथ वैयि तक अ त या
(Individual interaction) के लये सव तम सुलभ साधन है। व ान ओर ौ यो गक के आधु नक
युग ( Modern era of science and technology) म इसका मह व अ धक बढ़ गया। इसके
वारा यि त का चहु मु खी शै क वकास अ धक आसान है। य क हमारा पा य म वषय के
वग करण (Classification) और संकाय (Faculties) के संवग (Categories) मे बंटा हु आ है।
सभी वषयो एव सकाय को अ धक से अ धक अ भ ान (Knowledge) दे शाटन से ह स भव है।
दे शाटन ने अब पयटन (Tours) और मण (Excursions) का प ले लया है। यहां ववेचना
के लये इनको समानाथ (equivalent) पद (Terms) के प म लया जा रहा है। सभी व ान
वषय म मण य ऐि क अनुभव (Direct empirical experiences) के लये सबसे अ धक
एवं जीव व ान का अ नवाय प से अ ययन कया जाता है। सभी व ान वषय का एक कृ त प
(integrated form) म श ण का इससे अ धक भावी और यावहा रक साधन नह हो सकता है।
यह नह ं मण से यि त व म सा हि यक (Literary) और बालक कला मक (Artistic) प को
भी वकास के अवसर उपल ध होते है।
शै क मण (Educational tours & excursion) से व ान वषय के अ धगम के
लये श ा थय को अ भ रे णा (Motivation) मलती है। इन वषय म उनक च (Interest) और
इनके त उनम साथक अ भवृि त (Attitude) को वकास के लये अवसर मलते है। यह मण म
बहु ऐि क अनुभव (Multi sensory experiences) क संि थ तय (Situations), व ान वषय

266
(Science subjects) क अ य े यथा: यापार (Business), उ योग (Industry), कृ ष
(Agriculture), और अ य यवसाय म युि त (Application) स ब धी सूचनाओं, व ान को
वृि तका ( Career) के प म दे खने, इसके सां कृ तक के और शै क मू य (Cultural and
educational values) को अं कत, पा िज ासा (Intellectual acriosit) के अवसर के उपल ध
होने से सहज एवं संभव होता है।
मण के योजन (Purposes of Excursion) : वषय को के य मानकर आयोिजत
कये जाने वाले मण के न न ल खत मु ख योजन है :—
1. व ान वषय म अ धगम—अ भ रे णा (Motivation for learning science) : मण
म अनुभव क व वधता (Diversity in experiences), व ान क युि त के े का
(Knowledge) व ान वषय के यावसा यक मह व, व ान का वृि तका के प म
मह व, इसके शै क और सां कृ तक मह व तथा िज ासा क उ पि त और उसक स तु ि ट
के य अनुभव से पयटक म व ान वषय के अ धगम के लये अ भ ेरणा का उ वकास
(Emergence) होता है।
2. च एवं अ भवृि त का वकास ( Development of Interest and Attitude) : शै क
मण से पयटक म व ान वषय म च एवं उनके त धना मक अ भवृि त (Positive
attitude) का वकास होता है।
3. वै ा नक व ध म कौशल का वकास (Development of skill in scientific
method) : पयटन म येक श ाथ को े ण (Observation), सूचना सं हण
(Collection of informations), उनके संगठन (Organization), व लेषण
(Analysis) और नणयन (Decision making) के लये वत अवसर मलते ह। उनक
यव थत (Systematic) च न एवं ता कक अवसर मलते है। इस कार इस ि थ त म
पयटन वै ा नक व ध म न हत कौशल के वकास के अवसर उपल ध करता है।
4. वै ा नक अ भवृि त का वकास (development of Scientific attitude) : ाकृ तक
घटनाओं के य े ण म काय कारण स ब ध था पत करने (Establish
cause—effect relationship) के अवसर पयटक को सहज ह उपल ध होते है। उसके मन
म या, य , कैसे न के लये व वध ि थ तयां मण म बनती है। इनके उ तर उसको
सा थय , आ म— च तन, श क, गाइड आ द से त काल ा त हो जाते है। मण म उसक
च लत अ ध व वास से मु त होने के लये अवसर मलते है। ल क से हटकर सोचने क
आदत का वकास मण म स भव है। ये सब संि थ तयां उसम वै ा नक अ भवृि त के वकास
के लये ढ़ पृ टभू म (Strong background) न मत करती है।
5. सरल और सहल अ धगम संि थ तयां (Simple and natural learning situations)
: मण म ाकृ तक संि थ तय म सीखने के पया त अवसर मलते है। यहां आधेगम
संि थ तय को श क नह ं अ पतु उपि थत पयावरण न मत करता है। इनम सहज अ धगम

267
होता है। क ा क ज टल वषय—व तु मण म अपनी वाभा वक ि थ त मे सरल बोधग य
बन जाती ह। यहां य व तु अ ययन के लये उपल ध होती है।
6. उपयोगी साम ी का सराह (Collection of useful objects) मण म व यालय
सं हालय (School Museum) और यि तगत शौक को पूरा करने के लये सराह के लये
वां छत व तु एं ा त होती है।
7. मनोरं जन का साधन : पयटन म श ाथ — श क और श ाथ — श ाथ स ब ध
औपचा रकताओं के ब धन से मु त होते है। व—अनुशासन और व यालय के नयम और
ब धन से वत पयटक को मनोरं जन के य एवं अ य , नयोिजत और आकि मक
अवसर सहज प म उपल ध होते है। इनम उसको अनौपचा रक प से अ धगम के अवसर
भी समका लक (Simultaneously) प म मल जाते है।
8. सामाजीकरण के लये साथक अवसर (Meaningful opportunities for
socialization) : मण म पार प रक सहयोग (cooperation), वमश (Discussion),
सू चनाओं एवं वचार के आदान— दान, सामू हक भोज, आवास, मण, खेलो, मनोरं जक
संि थ तय यथा, चु टकले, अ ता र , पहे लयां, संगीत के औपचा रक—अनौपचा रक अवसर ,
एक—दूसरे क सहायता करने आ द जैसे सु लभ अवसर से पयटक के सामाजीकरण म सहायता
मलती है।
मण का आयोजन (Organization of Excursion) : लब क कायका रणी म समु चत
वचार वमश के बाद मण के लये रथान, अव ध, लाभाथ समू ह का चयन (Selection of target
group) आ द के नणय के उपरा त इसक तैयार , या वयन, मू यांकन एवं तपुि ट पर कायवाह
क जाती है।
थान का चयन (Selection of Venue): व ान लब वारा आयोिजत पयटन के लये
चय नत थान मु य प से इस कार है: ताराम डल, ज तर—म तर, जल, तापीय एवं परमाणु व युत
प रयोजनाय टे ल फोन ए सचज, रे डय एवं दूरदशन के , तारघर, व युत वतरण रथल, शीतक
भ डार, बफ बनाने क फै , चीनी मल, डि टलर , वन प त घी बनाने क फै , अनुसंधान
योगशालाय, च डयाघर, अजायबघर, रा य उ यान, ए वे रयम आ द।
पयटन क तैयार (Preparation for Excursion) : इसम मु ख प से न न ल खत
ब दु शा मल है:
1. बडे समू ह क ि थ त म 8 से 10 व या थयो के समू ह बनाना। येक समू ह का एक मु खया
श क वारा चय नत कया जाय।
2. एक दन से अ धक अव ध के पयटन के लये रा व ाम क समु चत यव था पहले क
जानी चा हये।
3. पयटक के लये आवागमन के साधन क यवरथा करना।
4. खान—पान भोजन आ द क यव था करना।
5. ग त य थान म वेशाथ पूव म ह अनुम त ा त करना।

268
6. मागदशक क समु चत यव था करना।
7. व तृत काय म क परे खा व यालय, अ भभावको एवं सभी पयटक को उपल ध करना।
8. येक थान से रवाना होने ओर ग त य पर पहु ंचने के लये नधा रत समय पूव म तय
करना।
9. पयटक को आव यक नदश दे ना।
10. लाभाथ समू ह को ता वत व ान मण के उ े य , उससे स बि धत वषय—व तु म
अ भ व या सत (Orient) करना।
या वयन (Implementation) : तैयार के उपरानत श क अथवा एक से अ धक श क
के संर ण मे मण काय मानुसार स प न कया जाता है। येक सहभागी मण के अनुभव का
तवेदन तैयार करता है। इससे येक अलग—अलग समू ह अपना—अपना तवेदन तैयार करता है।
इसके लये समू ह म व तृत वमश कया जाता है। इसके उपरा त व यालय म लौटने के उपरानत
पूरा लाभाथ समू ह एक त होकर सभी लघु समू ह के वारा तु त तवेदन पर वचार वमश करता
है। त प चात ् स पूण समू ह वारा एक तवदे न तैयार कर व ान लब और शाला धान को उसक
तयां उपल ध क जाती है।
मू यांकन और तपुि ट (Evaluation and Feedback) : सहभागी मण के उ े य
क ाि त के तर के स ब ध म अपना मू यांकन तुत करते है। िजससे सामा य न कष नकाले
जाते है तथा भ व य म ऐसे काय म के आयोजन के लये आव यक सुझाव लब के अ भलेख
(Record) म व ट कये जाते है।
व ान दशनी (Science Exhibition) :
तवष व यालय, िजला, े ीय, रा य तथा रा य तर (Levels) पर व ान दशनी
(Science Exhibition) का आयोजन नय मत (Regular) प म कया जाने लगा है। िजला तर
(District Level) पर यह काय म (Programme) िजला श ा अ धकार क दे खरे ख म स प न
कया जाता है। जब क रा य तर (State level) पर इसका आयोजन रा य शै क अनुसध
ं ान एवं
श ण स थान अथवा रा य व ान श ा स थान वारा कया जाता है। रा य तर (National
level) पर व ान दशनी का आयोजन रा य शै क अनुसंधान और श ण प रषद, नई द ल
वारा कया जाता है। इसके अ त र त नेशनल काउि सल ऑफ साइ स यूिज़यम भी तवष े ीय
तर (Regional level) पर व ान दशनी आयोिजत करता है। कार व ान दशनी येक श ा
स के सहपा यचार याकलाप का एक नय मत काय म बन चुक है। व ान दशनी वारा
न न ल खत उ े य क स ाि त हो सकती है:
1. वै ा नक तभा (Scientific talent) को ो सा हत करना।
2. व न मत मॉडल एवं युि तय के दशन से व या थय म अनुस धान क वृि त , सृजन
एवं कौशल का वकास करना।
3. समाज तथा व ान क अ यो या तता (Inter—dependance) तथा वै ा नक के
उ तरदा य व से अवगत करना।
4. व ान के त अ भ च एवं वै ा नक ि टकोण वक सत करना।

269
5. जन सामा य क वृि त को ो सा हत करना।
6. जन सामा य म व ान को लोक य बनाना तथा दे श के सामािजक, आ थक एवं ा यो गक
(Technological) वकास म व ान तथा आधु नक ा यो गक (Modern
Technology) क भू मका से जन साधारण प र चत करना।
7. वै ा नक खोज एव उनक मताओ क अ भ यि त के लये समु चत तकनीक वकास
करना।
व ान दशनी म छा वारा न मत मॉडल, चाट, वै ा नक स ा त के आधार पर
चम का रक योग यथा कृ म बफ का बनना, वै ा नक उपकरण, आशु र चत उपकरण एवं व यालय
सं हालय क सर त व तु ओं को द शत कया जा सकता है।
वमू यां क न
1. व ान मे ला आयोजन के तीन मु ख योजन है : —
i) — — — — — — — — — — — — ii) — — — — — — — — — — — — —
iii) — — — — — — — — — — — — —— —
2. शै क मण क व ान श ण को मु ख दे न या है ?
-------------------------------------------------------------------------------------
3. व ान दशनी से व ान के अ धगम के लए अ भ े र णा के या ोत है ?
-------------------------------------------------------------------------------------
-------------------------------------------------------------------------------------

12.7 व ान पु तकालय क आव यकता और गठन (Need and


Oraganization of Science Library)
व ान पुरतकालय मा य मक तर के व यालय क एक मु ख आव यकता है। कु छ लोग
व यालय पु तकालय के अि त व क पृ ठभू म म व ान पुरतकालय क थापना करने पर न
उठाते है। फर, येक वषय के लये अलग—अलग पुरतकालय था पत करना वतमान आ थक ि थ त
म यावह रक नह ं लगता। इस कार के तक वा त वकता पर आधा रत नह ं है। व ान ऐसा वषय
है जो त य पर आधा रत है। इसम नर प संव न (Enrichment) होते रहते है। इसके ान म
असी मत ग त से वृ हो रह है। िजसका मानव जीवन पर य भाव पड रहा है। व ान येक
वषय को भा वत करता है। पा य—पुरतक म व ान श ा के लये वषय—व तु पया त नह ं है।
अनुपरू क पठन साम ी को खर दना श क और श ा थय के लये आसान नह ं है। क तु इनका
उपयोग भी श क— श ाथ के लये एक अ नवायता है। अ यथा व ान श ण अपूण रहे गा।
व यालय के पुरतकालय म व ान क व श ट सभी पु तक , सा ह य और प —प काये मंगाकर
यवि थत नह ं रखी जा सकती। फर इस पु तकालय क अपनी यावहा रक सम याय होती है। एक
ह साथ एक व याथ को एक से अ धक पुर तक नह ं द जा सकती। व यालय के बजट म भी केवल
व ान वषय के लये ह अ त र त सा ह य जु टाने के लये वशेष ावधान समीव नह ं है। ऐसी ि थ त

270
म व ान का अलग पुरतकालय होना आव यक है। इसका बध व ान के श क और व याथ वय
कर सकते है। इससे अ त र त आ थक और कायभार पद नह ं पडता। साथ ह व ान क सम त पठान
साम ी का अ धकतम उपयोग इस यव था से स भव है।
आव यकता (Need) :
1. अ धक से अ धक व ान क पु तक के अ ययन के अवसर जुटाकर श क और व या थय
के लये यह ान के ोत उपल ध कराता है।
2. प —प काओं और मु त अनुसंधान लेख के वारा व ान वषय म नवीनतम ान ा त
करने का यह एक सरल अ भकरण (Agency) है।
3. व ान श ण शै क ायो गक (Educational technology) के अनु योग क जानकार
उपल ध कराने से श क के अनुदेशन क भावो पादकता ( Instructional
effectiveness) म वृ होने क स भावनाय बढ जाती है।
4. इनके वारा श क वा याय से व ान श ण क नई—नई व धय , व धय , कौशल ,
आ यूह एत उप म म अ भ व यास (Orientation) ा त करता रहता है। उसक
आल—अ धगम (self learning) म श ण ा त होने के अवसर उपल ध होते है।
5. अवकाश के सदुपयोग के लये व ान का पा य—पु तकालय आदश साधन है। इसम ेरणा पद
पु तक के अ ययन से पाठक को ान और मनोरंजन दोन ह ा त होते है।
6. व ान पु तकालय म व भन कार के सा ह य के अ ययन से व या थय तथा श क म
—सृजन शि त का वकास होता है।
7. व ान के मनोरं जक सा ह य के अ ययन से पाठक म वअ ययन (Self study) क के
वकास क या को सहायता मलती हे।
गठन (Organization) : येक अ छे व यालय म व ान का पु तकालय एक मुख
आव यकता है। सबसे पहले इसके लये सु वधाजनक क क आव यका है। वतमान साधन क सीमओं
म यह सरल नह है। व यालय म इसके लये अलग क ा क यव था करना कभी—कभी यावहा रक
नह लगता। य द ऐसा स भव हो तो यह उ तम ि थ त है। क तु, दूसर ि थ त म जब क व यालय
म इसके लये अ त र त क उपल ध न हो तो क योगशाला और श क क म व ान पुरतकालय
का संचालन कया जा सकता है। प —प काओं के लये अलग रै क क यव था हो। योगशाला म
ह एक कोने पर अ ययन के लए योगशाला क ह मेज का उपयोग कया जा सकता है। क तु,
इसके भावी (Effective) और यवि थत (Systematic) संचालन के लये सभी श ा थय म
आ मानुशासन ( Self discipline) पहल शत ह। अ यथा अ यव था एवं गडबडी क स भावनाय रहती
है।
व ान पु तकालय क सुचा यव था का याशील दा य व व या थय पर होना चा हये।
व ान के श क केवल मागदशक एवं पयवे क (supervisor) का काय कर। वे दे खते रह क
पु तकालय का संचालन सुचा प से चल रहा है। योगशाला सहायक को यव थापक क मु य
भू मका स पी जा सकती है। पु तक और प —प कओं को हमेशा व या थय के जाने के बाद यथा पान
रे खने के लये छा क स म त बनाई जानी चा हये। येक क ा का एक व याथ इस स म त का

271
सद य हो। सद यता को क ा के व या थय वारा नि चत अव ध के बाद आव यकता पडने पर
बदला जा सकता है। येक क ा के लये सुझाव दे ने हे तु श क क सेवाय उपल ध ह । प —प काओ
क मु ख बातो का योगशाला के नधा रत बुले टन बोड के उपयोग से चार कया जाना वा हये। िजससे
क अ धक से अ धक छा उस ओर आक षत होकर लाभाि वत हो सक। व यालय के मु य पु तकालय
क सेवाय भी यहां ल जा सकती है। दोन एक दूसरे के पूरक है। दोन के पार प रक सहयोग से ह
व यालय के अ धक ता क याण (Learner’s welfare) का ल य ा त हो सकता है। श को
पु तकालय अधी क, योगशाला सहायक, चतुथ ेणी कमचार एवं व याथ गण सभी के पार प रक
राहयोग से यह यव था सफल हो सकती ह। व यालय शासन को इस लाभ द यव था म अपे त
सहयोग और सहायता उपल ध करनी चा हये।
व ान पु तकालय क पठन साम यां (Reading material for Science Library):
व ान पुरतकालय के लये पठन साम ी का वग करण (Categorization) न नां कत के
अनुसार कया जा सकता है।
1. पा य—पु तके (Text Books)
2. अनुपरू क और रे णा पद पु तक ( Supplimentary and Inspirational Book)
3. पृ ठभू म पु तक (Background Book)
4. संदभ पु तक (Refrence books)
5. व ान क प ——प काय (Science Periodicals—Journals and Magazines)
6. व ान क श ा शा (Paedalogy of Science)
मा य मक तर (Secondary level) कै लये व ान पु तकालय हेतु उपयु त वग करण
(Categorization) के अनुसार हमारे दे श म उपल ध ह द और अं ेजी क मुख पठन साम यां
(Main reading material) यहां द जा रह है।
1. पा य—पु तक (Text Books) : येक क ा के लये एक से अ धक पा यपु तक
अलग—अलग लेखक (Writers) वारा नधा रत होती है। आय— यय (Budget) के अनुसार उपयु त
सं या म सभी लेखक क पा य पु तक पु तकालय ( Library) म होनी चा हये। सभी पड़ोसी रा य
म च लत पा यपु तक भी यहां उपल ध क जानी चा हये।
2. अनुपरू क और रे णा मक पु तके : इस वग म वह सा ह य आता है, िजसके अ ययन
से व या थय का मनोरजन हो। इस वग म रोमांचकार कृ तयां के अ ययन के त छा को आक षत
करने का सश त साधन है। इनसे तभाशाल श ा थय क िज ासा भी शा त और अ भ े रत होती
है। इस वग म न न ल खत रचनाय मु ख है :—
1. ABC of Chemistry N.K.Tripp John Hamilton
2. ABC of Physics J. L. B. Taylor John Hamilton
3. Chemistry in the A Findly Origent Longmans
Service of Man
4. Chemistry and its Gibson Seelay Services & Co.

272
Mysteries
5. Electricity as C.R.Gibson Blackie & Sons, Bombay
Wizard
6. Fairyland of A.B.Buckley Mcmillan & Co., Bombay
Science
7. How it is made A.Williams Melson & Co., Bombay
8. How it is Works A.Williams Nelson & Co., Bombay
9. Makers of Science E.J.Holmyard Oxford University Press, Bombay
Services and other
10. Marvels of A.T.McDougal Pitman & Co.,London
Chemistry
(Agent A. H. Wheeler and Co.,
Bombay)
11. .Science in the City W.B,Little Pitman & Co.
12. Science in the W.B,Little Pitman & Co.
Country
13. Science in the W.B,Little Pitman & Co.
Home
14. Science Lifts of Veil Sri William Orient Longmans Ltd., Bombay
Bragg
15. Science of A.T.Simmons Macmilan & Co., Bombay
Common Life
16. Stories of Scientific D.B.Hammond Macmilan & Co., Bombay
Dil scovery
17. The Book of Undoor Stieri McGraw Hill Book, Co.
Hoobbies
18. The Romance of Selous Seelay Services & Co. (Agent
Animal world Messers Alliss, Ballard
Estate,Bombay)
19. The Romance of Lea Seelay Services & Co.
Bird Life
20. The Romance of Scott ellict Seelay Services & Co.
Plant Life
21. The Romance of Selous Seelay Services & Co.
273
Insect Life
22. The Romance of Gibson Seelay Services & Co.
Photography
23. The Romance of Gibson Seelay Services & Co.
Scientific Discovery
24. Wonders of the M.A.Shtteworth University of London press
Human Body
25. Wonders of C.Hall Blackie & Sons, Bombay.
Transport
26. ” य और कैसे” स च श ा भारती, शहादरा
व ानमाला (16 पु तक )
27. क ड़ो मे सामािजक जीवन धीरे अ वाल आ माराम स स, द ल
28. चंदा मामा के दे व संतोष नारायण आ माराम स स, द ल
नै रयाव
29. जीव—ज तु ओ के घर क हैयालाल द त लोकभारती, इलाहबाद
30. न हे मु ने वै ा नक बन रमेशच ेम आ माराम स स, द ल
31. ा स आ व कार क सु खदे व साद राजपाल स स, द ल
कहानी
32. भारत के महान वै ा नक हर श अ वाल आ माराम स स, द ल
33. व च जीव—ज तु क हैयालाल द त लोकभारती, इलाहबाद
34. व च पेड़—पौधे क हैयालाल लोकभारती, इलाहबाद
35. हवा क बाते केशवसागर राजपाल स स, द ल
3. पृ ठभू मक पु तक (Background Books) : ऐसी पु तक को जो क कसी
वश ट े मे वकास और ग त क पृ ठाभू मी को प ट करती है, उ ह पु तकालय म अव य थान
दया जाना चा हये। जैसे च मा क कहानी, पृ वी क कहानी, भाप—इन जन क कहानी, पे सल न
क कहानी, मानव मशीन, व ान का दशन, वेद म व ान आ द।
4. स दभ पु तक: कु छ पु तक ऐसी है िजसम व ान का यापक ववरण है। व ान
के कसी भी एक े क वां छत जानकार इनसे ा त होती है। जैसे — व ान का पा रभा षक श दकोश,
व ान का ानकोश (An Encyclopedia of Science) आ द।
5. व ान क प —प काय : इस स ब ध म आगे अनु छे द 11.10 म ववरण दया
जा रहा है।
6. व ान क श ा शा : व ान— श ण म नर तर प रवतन हो रहे है। श ा म
व ध से एक ाि त आ गयी है। नवाचार व ान के श ा शा क नय त बन चुक है। अत: येक
व ान पु तकालय म व ान श ण से स बि धत पु तक अव य होनी चा हये। िजससे क श क

274
अपनी अनुदेशन मता बढ़ाने म स य रह सके। कुछ मुख पु तक क सूची यहां द जा रह है।
इनम व ान श ण क च लत सामा य पु तक शा मल नह ं क गई है।
1. यूने को व ान श ण ोत सू चना एवं सारण मं ालय भारत
सरकार
2. Experiments in Science — NCERT
3. Gen.Science Hand — NCERT
Book of Activities
4. Modern Science E.D.Heiss The Mcmillan Co.,
Teaching
5. Science in Elementary W.E.Croxton McGraw Hill Book Co., New
School York
6. Science Teaching F.W.Westaway Blackie & Sons Ltd., London
7. Strategies in Science — Extension Dept., Regional
Education Regional College of
Education, Ajmer
8. Unesco Source Book for — UNESCO Publication
Science Teaching
व ान क प —प काय (Periodicals & Magazines of Science)
व ान के सफल श ण के लये उसक नवीनतम खोजो क जानकार रखना श क के लये
आव यक है। वतमान वै ा नक और तकनीक युग म यह एक मू ल आव यकता है। उपल ध मु त
पु ताक (Available Printed books) म ये जानका रय ा त नह हो सकती है। इसके लये हम
व ान म हो रहे नवाचार क नवीनतम जानका रय ा त हो सकती है। इसके साथ ह इनसे पाठक
को व ान के ं ान काय करने क अ भ रे णा (Motivation) भी मलती है। व ान श क
े म अनुसध
अपने श ण अनुभव का लाभ इनके मा यम से दूसर तक पहु ँ चाने के अवसर ा त करता है तथा
वयं भी दूसर के अनुभव का लाभ उठाकर अपने श ण काय को अ धका धक भावी बनाने क दशा
म नर तर याशील रहता है। इनके मा यम से दे श के कोने—कोने म व ान के श क म पर पर
अ तः या के अवसर ा त होते है। इससे दे श म व भ न भाग के व ान श क म स पक बनता
है।
श क के ान से श ाथ के अ धगम (Learning) को ह ो न त (Promotation) होती
है। इन प —प काओं के अ ययन से श ा थय म व ान के त च का वकास तो होता ह है
वे अपने ान का व तार भी करती है। इस लए येक मा य मक व यालय म व ान पु तकालय
से अ धक से अ धक प —प काय उपल ध करानी चा हये। यहां कु छ मुख प —प काओं क सूची
द जा रह है। इ ह पु तकालय मे उपल ध कराया जा सकता है।
 Vigyan Shikshak All India Science Teachers Association 33,
(English Fortnightly) Chhatra Marg, New Delhi.

275
 Science Today Bombay
(Montly, English)
 Science Review Amritsar
(Quarterly English)
 School Science Reporter Counsil of Science & Industria 11 Research,
New Delhi—12
 Junior Scientist Association for the Promotion of Scientific &
(Quarterly English) science Education, 95
A.R.K.Mutt Road Anuamlaipuram, Madras
 Science and Culture Indian Science News, Association92,
(Monthly English) Acharya prafulla Chandra Road,
Calcutta—700009
 The School Science Review The Association for Science Education
College Lan hatified, Herts AI 109 AA.
 The Science Teacher National Science Teacher Association,
1201, Sisteenth Street, N.W.Washigton D.C.
200036 USA
 Science of Children Natinol Science Teachers Assocation, 1201
Sixteenth Street, N.W. Washigton D.C.
20036 USA
 Environmental Education North American Assocation in
Environmental Science, Washington
 Mathematics Education Applied Science Periodical, Siwan, Bihar
 Maths & Computer N.Y. 11001
Education
 Science reporter N.I.S.—C.S.I.R.,. Dr.K.S.
Krishanamurty Marg Pusa gate, N.d
 Jurnal of Astrophysics and Banglore
astronomy
 नरोगधाम मु बई
व ान के पु तकालय के संव न के लये सुझाव
(Suggestion for the enrichment of Science Library) :
व यालय म व ान के पु तकालय के संव न (Enrichment) के लये न न ल खत सु झाव
दये जा रहे है —

276
 धाना यापक से नई द ल ि थत सभी वदे शी दूतावास को प लखवाय एवं उनसे नवेदन
कया जाये क वे व ान . श ा, सं कृ त, ग णत, यो त व ान सब धी प —प काय,
पु तक तथा अ य सा ह य व यालय के व ान पु तकालय के वकास के लये उपल ध कर।
 के तथा रा य सरकार के व भन मं ालय को प लखकर उनके वा षक तवेदन
(Annual report) व अ य नःशु क काशन सु गमतापूवक ा त कये जा सकते है।
 ''पु तक दान '' आ दोलन चलाकर व ानो के शाला श क व या थय क सहायता से स प न
प रवार व सभी कार के लोग व सं थाओं से पु तके ा त कर सकते ह।
 लेखक और काशक , वशेषकर वदे शी काशक से ाथना करने पर उनसे व ान
पु तकालय के लये पुरतक उपल ध क जा सकती है।
 समाज क याण बोड, भारतीय आ दम जा त सेवक संघ, को—ऑपरे टव सोसाइट ,
एन.सी.ई.आर.ट ., नीपा (N.I.E.P.A.) यू.जी.सी. जैसी सम याओं से स पक था गत कर
उपयोग सा ह य ा त कया जा सकता है।
 व व य यालयो तथा महा व यालय के पु तकालय म वधमान स दभ धो, व वकोष ,
सच ायो गक पु तक के मह वपूण पृ ठ फोटो टे ट करवाये जा सकते ह तथा व ान
पु तकालय से सं ह त कया जा सकता है।
 पाठशाला के पु तकालय मे उपल ध व ान स ब धी पुरताक को व ान श क के नाम
पर इ यू कराकर व ान पुरतकालय क . रथापना क जा सकती है।
 दै नक प —प काओं म छपने वाले व ान स ब धी च , लेख , मु ख 'समाचार को काटकर
वषयवार / योगवार उनक फाइले व या थय क सहायता से बनवाई जा सकती है। इनके
अ भलेख व ान पु तकालया म सु र त रखे जा सकते है।
वमू यां क न
1 व ान श ा म अनु पू र क साम यां है :
1 ———————-- 2 ————————————- 3 ———————————-
2. व यालय म व ान पु तकालय क मु ख तीन भू मकाये या है ?
1 —————— 2 ———————————— 3 ———————————-
3. व ान पु तकालय क पठन साम य के मु ख संव ग है : —
1 ———————— 2 —————————.—-- 3-------------------------
4. ——————— 5. ———————— 6. ————————————---

12.8 वमू यांकन (Self Assesment)


न न ल खत म से न 1 से 4 तक के उ तर 100 श द एवं अ य के उ तर 500 श द
म द िजए—
1. व ान श ण म पठन साम ी का या ता पय है ?
2. व ान श ण म पा यपु तक य आव यक है ?

277
3. अ छ व ान पा य—पु तक म या गुण अ नवाय है ?
4. व ान के लए अलग पु तकालय य आव यक है ?
5. क ा ix और x के लए आप कस पा य—पुरतक का चयन करगे।
6. ''पा य—पु तक व ान श ण म एक आव कय बुराई है। '' प ट क िजए।
7. वतमान आ थक दशाओं म व ान पु तकालय का गठन कहां तक यायो चत है '
8. न न ल खत पर ट प णयां द िजए :—
i) व ान म पृ ठभू म सा ह य
ii) व ान श ण म प —प काये
iii) व ान पु तकालय का संव न
iv) व ान श ण म पा यपु तक क सीमाय
न न ल खत म न 1 रो 4 तक के उ तर 100 श दो एवं शेष उ तर 500 श द म द िजए—
1. व ान श ण म मानव संसाधन का या ता पय है ?
2. व ान श ण मे मानव संसाधन का या ता पय है ?
3. श क के लए वतमान यावसा यक सव न के अवसर का समालोचना मक व लेषण
क िजए।
4. व ान श ण म मानव संसाधन के उपयोग क वतमान ि थ त का मू यांकन क िजए।
5. व ान श ण म समु दाय म उपल ध वशेष के योगदान को उदाहरण स हत प ट क िजए।
6. मा य मक तर तक व ान श ा म न न ल खत के योगदान पर ट प णया ल खए:—
i) पु तकालय अधी क
ii) व ान वषय के या यातागण
iii) जलदाय एवं व युत वभाग के अ भय ता एवं वशेष
iv) च क सक

12.9 संदभ थ (Refrences)


1. Karla,R.M.;Innovations science Teaching; Oxford & IBH Publishing
Co.N.D. (1976)
2. Gupta, V.K.; Teaching and Learning of Science and Technology, Vikas
Publish House N.D.(1995)
3. Negi,J.S.Bhautiki Shikahan; Vinod Pustak Mandir,Agra(1990)
4. Savage Graham; School Science Books , John Murray, London (1965).
5. Report oif ” All India Coucil of Secondary Edu. “ Govt. of India
N.D.(1956).

278
6. Report of Science Laboratories and Equipment in High / Higher
Secondary Schools, Committee on Planninng Projects, Planning
Commission N.D.(1962).
7. Waltor. A. Thurber and Alfred T.collettee; Teaching Science in Today’s
Secondary Schools; Prentic Hall of India N.D.(1964).
8. Bagehi, S.K.;Technology and Culture, Vol.IV 1975, Science and
Technology, Museums in India.
9. Bose A;Education Programmes of Science Museums Studies in
Museology, University of BarLoda.
10. DESM; Teaching of Science by Using Local Resources;NCERT; 1975.
11. Hull thomes G.and Jones Tom; Science Exhibits, Charles Co. Thomes
Publishers US
12. Karla, R.M.; Innovations in Science Teaching; Oxford & IBH
Publishings Co.N.D.(1976).
13. Nabgram Hoogy; Indial; Second All India Science club Proceedings
(1980)
14. Stevems R.A.;Out of School Science Activities for Young People,
Unesco press (1969)
15. Waltor A. Thurber and Alfred T. Collette; Teaching Science in Today’s;
16. Wells Herringlar; Secondary Science Edu. Megraw Hill Book Co. Inc.
N.Y.
17. Woodburn, John H.& O. Ellsworths; Teaching the Persuit of Science,
McMillan Co.N.Y.
18. Vaidya Narendra; Science Teaching for the 21 st Century Deep
Publications, N.D.(1996)

279
इकाई 13
व ान श ण म नवाचार एवं उनका भ व य
(Innovations in Science Teaching and its future)
इकाई क संरचना (Structure of the Unit)
13.1 उ े य (Objectives)
13.2 तावना (Introduction)
13.3 दल श ण (Team teaching)
13.4 सू म श ण (Micro Teaching)
13.5 अभ मत अ धगम (Programme Learning)
13.6 क यूटर सह—अ धगम या अनुदेशन ( Computer Assisted Learning Instruction)
13.7 व ान श ण म नवाचार का भ व य (Future of Innovation in Science teaching)
13.8 वमू लयांकन (Self Assesment)
13.9 स दभ थ (Refrences)

13.1 उ े य (Objectives)
 व ान श ण म नवाचार को अपना राकेग। .
 दल श ण के दोन स को जान सकेग।
 सू म श ण के व भ न कौशल म द हो सकेग।
 सू म श ण क अवधारणा प ट कर सकेग।
 अभ मत अनुदेशन के मह व को समझ सकेग।
 अभ मत अनुदेशन के कार म अ तर कर रे खीय एवं शाखीय अ भ मत अनुदेशन का
नमाण कर सकगे।
 क यूटर चलाने का कौशल वक सत होगा।
 क यूटर वारा लान का वर तार कर सकेग।

13.2 तावना (Introduction)


आधु नक युग म श ा के त छा म बढते हु ये अलगाव को दूर करने के लए यह आव यक
है क हम अपने श ण प तय म नवाचार लाये। नवाचार एक ऐसा वचार है िजसम यि त नवीनता
का अनुभव करता है। यह पूण नयोिजत नवीन एवं व श ट प रवतन है , िजसमे व श टता के गुण
न हत रहते है और इसका उ े य वतमान प र रथ तय म सुधार करना होता है। वा तव म ''नवाचार
नवीन व पुरातन का एक ऐसा संगम है जो एक नवीन इकाई के प म अपनी व श टताओं के साथ
कट होता है।'' एक अ छे व ान श ण को इन नवाचार (Innovations) से अवगत होना चा हए
और आव यकतानुसार भावशाल श ण के लए इसका उ चत उपयोग करना चा हए। इस पाठ म
हम न न नवाचार व ान श ण म सि म लत करते है।

280
दल श ण, अ भ मत अनुदेशन, सू म श ण आ द।

13.3 दल श ण (Team Teaching)


श ण के े म समू ह श ण एक नवीन ि टकोण है, इसके मह ब को सभी दे श ने कसी
न कसी प म वीकार कया है।
कोठार कमीशन ने कहा था '' श ण व ध म कोई मह वपूण ग त तब तक संभव नह
है, जब तक क श ण को यह प ट न हो क वह या कर रहा है, और वह कसी भी नवीन पग
उठाने के लए त पर न हो। उसके लए यह सरल तभी हो सकता है जब क वह एकांक यास न
करके समू ह म कर।
(No worth while advance & possible in teaching method unless the
individual teacher understands what he is doing & feels secure enough to take
first new step beyond the bounds of established practice. It is easier for a
teacher to do so in small groups than he is working alone.)
समू ह श ण इस वचार पर आधा रत है क श ण के नयोजन व या वयन का दा य व
एकाक श ण का न होकर श क के एक समू ह का है।
सन ् 1954 म श ण म सुधार लाने के लए अमे रका म रा य तर क श ण सं थाओं
और व व वधालय म एक नवीन योग ारंभ हु आ। िजसम क ा श ण म एक से अ धक अ यापक
एक ह कार को क ा म 'दल' के प म पढाने लगे। यह योग सफल रहा बाद मं◌ी सन ् 1960
से यह श ण काय इ लै ड म आरंभ हु आ।
भारतीय प र े य म य द हम ाचीन श ा यव था क ओर यान दे तो तब क गु कुल
श ा णाल म भी नायक प त से श ण काय कया जाता था। िजसे दल श ण का ह गौण प
माना जाता है। आज आधु नक व यालय म तथा महा व यालय न 'दल श ण' का योग जार है।
दल श ण शै णक संगठन का एक ऐसा प होता है िजसम क ा म एक अ यापक के
थान पर व भ न वषय के वशेष अ यापक एवं उनके सहायक होते है और यह सब मलकर भावी
प से श ण काय करता है। इसे कु छ व ान ने समू ह श ण तथा सहका रता या सहभा गता श ण
(Co—operative teaching) आ द नाम भी दये है।
दल श ण का अथ एवं प रभाषा (Meaning and Definnitions of Team
Teaching)
दल श ण का अथ प ट करते हु ये अलग—अलग व ान ने अलग—अलग प रभाषा द है।
डे वड वार वक (1971):
दल श ण यव था का एक व प है, िजसम कई श क अपने ोत , अ भ चय तथा
द ताओं को एक त करते है और छा तथा द ताओ को एक त करते है और छा क आव यकताओं
के अनुसार श को क एक टोल वारा तु त कया जाता है। वे व यालय क सु वधाओं का समु चत
उपयोग करते है।
“Team teaching represents” a form of organization in which individual
teachers decide to pool resources, inrerests and expeitiseIn order to device
281
and implement a scheme of work suitable to the needs of their students and
the facilities of the institution.”
–By David Warwick (1971)
काल ऑलसन
यह एक ऐसी शै णक प रि थ त है िजसम अ त र त ान व कौशल से यु त दो या अ धक
अ यापक पार प रक सहयोग से कसी शीषक के श ण क योजना बनाते है तथा एक ह समय म
एक छा समू ह को व श ट अनुदेशन हे तु लचीले काय म तथा सामू हक व धय का योग करते है।
Team teaching may be defined an instructional situations where two
or more teacher possessing complimentarty teaching skill cooperatively plan
and implement the instruction for a single group student using flexible
scheduling and grouping teachnique to meet the particular instruction.
— By Carlo—Olson
लाफांसी और रचर (1970)
''दल श ण प त एक संगठना मक श ण युि त ह िजसके अ तगत कई यि त मलकर
स बि धत अनुदेशा मक याओं के शै क उ े य क ाि त के लए सि म लत यास करते है।''
''Team teaching is an organizational device which makes a number of
individual cooperatively engaged in some relevant instructional activities for
achieving the common educational objectives. The concept carries the belief
that objectives are best achived through organized cooperative efforts in
comparision to unrelated individual efforts.”
— By La Fauci and richer (1970)
दल श ण के उ े य (Objectives of team teaching)
1. सामू हक दा य व को नवाह करने का अनुभव वक सत करना।
(to develop feeling of joint responsibility)
2. श क क यो यता, अनुभव, च एवं तभा का अ धकतम उपयोग करना
(To use the talent, interest & expertise of the teacher)
3. नदशन म गुणा मक सुधार लाना एवं मानवीय व भौ तक साधन का उपयोग करना।
(To bring improvement in the quality of instruction and of Human &
Physical resources)
4. अनुदेशन या के समय अप यय एवं ु टय को कम करने हे तु ।
(To minimize the wastage and erUor occurred in the instructional
process.)
दल श ण के स ा त (Principles of Team teaching)
1. उ चत एवं यो य दल के सद य का चु नाव करने का स ा त

282
(Principles of appropriate selection of the team members)
2. यो यता अनुसार उ तरदा य व का वभाजन करना
(Appropriate distribution of the responsibilities)
3. श ण अ धगम हेतु उपयु त वातावरण दे ना
(Appropriate teaching—learning environment)
4. उपयु त पयवे ण एवं मू यांकन करना
(Appropriate supervision and evaluation)
5. काय म एवं समू ह म लचीलेपन का स ा त
(Principle of flexibility in terms of grouping and scheduling)
टोल श ण के कार (Types of team teaching)
1. एक ह वभाग के श को क टोल '
(Single disciplinary team teaching)
2. एक ह सं था के व भ न वभाग के श को क टोल
(Inter disciplinary team teaching)
3. व भ न स थाओं म एक ह वभाग के श क क टोल
(Inter instructional team teaching)
दल श ण का गठन, या एवं सोपान (Organisation, Procedure & stages of team
teaching)
दल श ण अनेक कार से कया जाता है। अत: इसक एक सु नि चत काय णाल या या
का वणन करना अ य त क ठन है। सं ेप म इसके गठन, या एवं सोपान को दया जा रहा है।
1. योजना बनाना (Planning stage)
2. वषय का नधारण (Decision about the subject)
3. उ े य का नधारण (Formulating objectives)
4. यवहार प रवतन का लेखन (Writing objectives in behavioural terms)
5. छा के पूव ान को पहचानना ( Indentification the initial behaviours of the
learner)
6. श क के कौशल यो यतानुसार काय वभाजन (Distributing responsibilities to the
teacher according to the skills)
7. छा क उपलि लय के मू यांकन के तर को का नधारण (Taking decision about the
means and ways of evaluating the learners outcomes)
या वयन सोपान (Executive stage)
दल श ण के या वयन के तीन स है।
1. थम स आमसभा कहलाता है।
2. वतीय स लघुसभा कहलाता है एवं

283
3. तृतीय स योगशाला स कहलाता है।
इन तीन स को नीचे तुत कया जा रहा है
1. आमसभा स (General Assembly Session) — यह स 'दल श ण' का
थम एवं मह वपूण चरण ह। इसम क ा के व भ न भाग के छा को एक साथ बडे क म बैठाया
जाता है तथा दल का एक व श ट अ यापक पूरे समूह के श ण का नेत ृ व करता है तथा अ य
अ यापक उसक सहायता करते है। जैसे — एक या या करने म, दूसरा यामप पर लखने के लए,
तीसरा अनुशासन बनाये रखने के लए, चौथा सहायक एवं य— य साम ी का उपयोग एवं योग
करने के लए। इस कार इस स म सभी अ यापक का सहयोग ज र है या अ नवाय है। इस स
क सफलता पर आगामी काय नभर करता है। इसम छा को स य रखने हे तु बीच—बीच म न
पूछे जाते है। इस स क अव ध छा के आयु को यान म रखते हु ये नधा रत क जाती है।
2. लघुसभा स ( Small Assembly Session) — आमसभा स के बाद छा क
िज ासाओं के समाधान हेतु बडे समू ह को छोटे—छोटे समू ह मे बाँट दया जाता है। येक समू ह का
मागदशन अलग—अलग अ यापक करता है। वह छा को समझाता है एवं उनक क ठनाइयाँ दूर करता
है।

3. योगशाला स (Laboratory Session) — इरा स म व ान वषय वालो छा


को वयं अ यास करने एवं योग करने को दया जाता है। यह छा अ यापक क उपि थ त म योग
करते है तथा अ यास कर न कष नकालते है। अपने न कष क वे वत: या या भी करते ह।
4. मू यांकन सोपान (Evaluation Stage)
दल श ण या के अं तम सोपान म छा ो क उपल यय तथा उ े य क ाि त के आधार
पर मू यांकन कया जाता है। इसके लए न न याऐं क जाती है:— .
1. उपलि ध के तर का मू यांकन करना।
2. ल खत एवं मौ खक दोन ह तरह क पर ाएं ल जाती है।
3. छा क क मय तथा क ठनाइय का नदान तथा उपचार कया जाता है।
4. इस मू यांकन के आधार पर गठन , योजना एवं सोपान म सुधार कया जा सकता है।
समू ह श ण क सफलता समू ह म श क के उ चत चयन पर नभर करती ह। कुछ अ यापक
क ा श ण को अ धक भावशाल ढं ग से कर सकते है तो कुछ श क ायो गक काय करने म द
होते है और अ य सहायक साम ी नमाण म च रखते है। य द येक को उ चत दा य व दया जाये.
तो नि चत प से समू ह श ण भावशाल हो सकता है।

13.4 सू म श ण (Micro Teaching)


सू म श ण श क श ण क एक योगशाल य (Practicable) एवं वै लै वक व ध
(Method) है, िजसके मा यम से छा अ यापक म श ण कौशल वक सत कये जाते है।
सू म श ण क प रभाषाऐं (Definitions of Micro teaching)

284
सू म अ यापन को साधारणतया अ भ पत अ ययन का व प माना जाता है िजसम
सामा यतया ज टलताओं का यूनीकरण कर तपृि ट पाठन अ यास क अमू त प रक पना या
वा त वक क ा अ यापन क या के आधार पर श ण काय काय कया जाता है।
डी. ड यू एलन (D.W.Allen) के अनुसार ''सू म श ण सरल कृ त श ण या है जो
छोटे आकार क क ा को कम समय म पूण होती है।
''Micro teaching is scalled down teaching encounter in class size and
class time.''
ो. बी. के. पासी (B.K.Passi) के श दो म ''सू म श ण एक श ण व ध है िजसम
छा ा यापक कसी एक श ण कौशल का योग करते हु ये थोडी अव ध के लए, छोटे छा समू ह को
कोई एक स यय पढाता है।
''Micro teaching is a tranining techniques which requires pupil teacher
to teach a single concept using a specified teaching skill to small number of
pupils in a short duration of time.“
एल.सी. संह (L.C.Singh) के श द म ''सू म श ण, श ण का सरल कृ त प है िजसम
श क पाँच छा के समूह को पाँच से 20 मनट तक के समय म पा य व तु क एक छोट सी इकाई
का श ण दान करता है।''
''Micro teaching is a scalled down teaching encounter to which a
teacher a small unit to a group of five pupil for a small period of five to twenty
minutes.”
उपरो त प रभाषा के आधार पर यह कहा जा सकता है क सू म श ण के अ तगत पा यव तु
पा य अव ध तथा छा को (छा अ यापक) को कम कया जाता है और येक समय म केवल एक
ह कौशल को सि म लत कया जाता है। इस तरह छा अ यापक म श ण कौशल का वकास कया
जाता है।
सू म श ण के चरण (Phases of Micro Teaching)
क फट एव उनके सहयोगी (Clift et. al — 1970) ने सू म श ण के तीन चरण दये
जो न न ह —

285
सू म श ण यव था : शै क या
(Micro Teaching—An Educational Process)
सू म श ण के अ तगत वषय व तु, क ा एवं अव ध तीन को ह कम करके सू म बनाया
जाता है ।
'It is scaled down teaching technique, scald down in team of class size,
lesson,length and teaching complexity.''
सू म श ण या म न न ल खत पद न हत होते है—
1. श ण छा ा यापक (Pupil) को सू म श ण (Micro teaching) के वषय म सै ाि तक
(Theoritical) तथा यावहा रक (behaviour) ान दान करता है। इसे '' तावना पद''
(Introduction step) कहते ह।
2. श ण छा ा यापक (Pupil) के श ण कौशल (teaching skill) िजसका वकास करना
है, के वषय म व तृत (Board) प म बताता है और उसके पीछे छपे मनोवै ा नक आधार
क ववेचना करता है।
3. श क छा अ यापक के सम सू म श ण व ध पर आधा रत 'आदश पाठ'' तु त करता
है।
4. श क और छा ा यापक मलकर दये गये आदश पाठ का व लेषण कर इसक क मय और
वशेषताओं पर वचार वमश करते है और श ण कौशल यवहारो का नधारण करते है।
5. श क छा अ यापको को 'सू म पाठ योजना (Micro lesson) बनाने के लए समय दे ता
है और आव यकतानुसार यि तगत प से उनक सहायता करता है।

286
6. छा अ यापक नदशानुसार 5—10 मनट तक सू म पाठ पढाता है। इस पाठ के रकॉ डग
(Recording) टे प रकाडर (Tap recorder) के मा यम से क जाती है। इसे ' श ण पद'
(Teaching session) कहा जाता है।
7. छा अ यापक 'सू म पाठ' पढाने के प चात ् श क के साथ अपने पढाये गये पाठ पर व तृत
प से चचा करता ह। इस समय छा अ यापक क ''अ ययन कौशल' (Teaching skill)
क क मयो, अ छाइय , अ छे और बुरे दोन कार के ब दुओं पर वातालाप कया जाता है
और छा अ यापक को पाठ पुन: नमाण के लए सु झाव दये जाते है। इसे आलोचना,
मू यांकन—पद (Critique session) कहा जाता है।
8. आलोचना पद (Critique session) के प चात ् छा अ यापक अपनी पाठ योजना म दये
गये सु झाव के अनुसार प रवतन करता है और पुन: पढ़ाने के लए आव यक संशोधन करता
है। इसे 'पुन: पाठ योजना — नमाण पद' (Planning reteach micro lesson) कहा जाता
है।
9. इस कार से पुन: न मत पाठ योजना को छा ा यापक उसी क ा के अ य छा को पढाता
है। यह श ण भी 'टे प रकॉडर वारा आले खत कया जाता है। श ण के इस म को पुन:
श ण म (Reteach session) कहा जाता है।
10. पुन: श ण म के प चात ् फर पुन आलोचना पद आता है।
उपयु त सू म अ ययन या (Micro teaching process) को न न ल खत भाँ त भी
द शत कर सकते है।

च सू म श ण या (Process of Micro Teaching)


सू म श ण च (Micro Teaching Cycle)
उपयु त ववे चत या तब तक चलती रहती है जब तक छा अ यापक श ण कौशल वशेष
म नपुणता (Mastery) न ा त कर ले श ण (Teaching), पु ट पोषण (Feed back), पुन:

287
पाठ नयोजन (Re—planning micro lesson), पुन: श ण (Re—teach) तथा पुन: पु ट पोषण
(Re—feed back) के पाँचो पद मो को मलाकर एक च (Cycle) सा बन जाता है, जो तब तक
चलता रहता है जब तक उसे श ण कौशल वशेष पर पूण अ धकार ( नपूणता) न ा त हो जाये।
यह च उपयु त ववरण के आधार पर सू म श ण च के व भ न पद च के वारा नीचे द शत
कये जा रहे है —

च – सू म श ण च (Micro –teaching Cycle)


सू म श ण क अव ध कतनी हो, इस संबध
ं म अलग—अलग मत है—
टोनफोड व व व यालय म न नां कत सू म श ण च के लए जाने वाले समय
श ण चरण — 5 मनट
मू यांकन चरण — 10 मनट
पुन: पाठ नमाण चरण — 15 मनट
पुन: श ण चरण — 5 मनट
पुन: मू लयांकन चरण — 10 मनट
कु ल समय — 45 मनट
डी.ए.वी. कॉलेज दे हरादून म न न समय उपादे य पाया —
श ण चरण — 6 मनट
थम मू यांकन चरण — 6 मनट
वतीय मू यांकन — 4 मनट
पुन: पाठ नमाण चरण — 7 मनट
पुन: श ण चरण — 6 मनट
288
पुन: मू लयांकन चरण — 6 मनट
कु ल समय — 35 मनट
सू म श ण के लाभ (Advantage of Micro teaching)
सू म श ण म श ण के प म अनेक लाभ है —
1. सू म श ण से श ण या सरल —होती है।
2. छा अ यापक मश: अपनी यो यतानुसार श ण कौशल पर अपना यान केि त करते हु ये
उ हे वक सत करता है और सीखने का य न करता है।
3. तपुि ट (Feed back) स पूण तथा सभी ि टकोण को अंगीकर करती है।
4. छा अ यापक का मू यांकन कया जाता है। मू यांकन म छा अ यापक को अपना प रखने
का पूरा अ धकार होता है। मू यांकन के दौरान उसे स य रखा जाता है।
5. नर क, परामशदाता के प म काय करता है।
6. क ा श ण म जाने से पूव छा अ यापक को अ यापन काय सखाया जाता है।
सू म श ण क कु छ सीमाऐं है जो न न ल खत है —
1. इसम समय अ धक लगता है।
2. यह एक समय म केवल एक ह श ण कौशल का वकास करती है।
3. साधनो का अभाव होने कारण सू म श ण म वी डयो फ म (Video film) जो क सवा धक
भावी है, को योग कर पाना स भव नह है।
4. अनुभवी अ यापक क कमी है।
5. सू म श ण के लए अनेक क ा—क क आव यकता होती है।
उपरो त सीमाओं के होते हु ये भी सू म अ यापन के मह व को अ वीकारा नह जा सकता।
इसका उपयोग श क— श ण सं थाओं म आव यक प से कया जाना चा हए।
सू म श ण वा त वक श ण है जो क कृ म प रि थ तय म स प न होता है, परं तु यह
वा त वक श ण का अ यास करने का अवसर दान करता है। सू म श ण— श क श ण क
एक आधु नक एवं उपयोगी वध स हु ई है। इसका उपयोग श क— श ण महा व यालय म
यापक प से कया जाता है।
श ण कौशल (Teaching skill)
श क का मु य उ े य अपने श ण को भावशाल बनाना है। भावशाल श ण के लए
यह आव यक है क उसम व श ट श ण कौशल का वकास कया जाये। छा ा यापको म श ण
कौशल का वकास करने क सरलतम व ध सू म श ण है। सू म श ण को स पूण श ण या
को अनेक कौशल म वभ त कया जाता है।
अथ एवं प रभाषा (Meaning and Defination)
श ण कौशल का अथ समझने के लए न न प रभाषाएँ सहायक है।
भारतीय श ा शा ी बी.के.पासी (1976) के अनुसार कौशल स बि धत श ण — याओ
अथवा यवहार के संपादन से है जो छा के सीखने के लए सु वधा दान करने क ि ट से कया
जाता है।

289
“Teaching skill are a set of related teaching acts or behavior performed
with the intention to facilitate pupil learning
–B.K.Passi.
एन.एल. गेज के श द म, '' श ण कौशल वे व श ट अनुदेशा मक याएँ व याएँ है ,
िज ह श क क ा—क मे अपने श ण क भावशाल बनाने के लए उपयोग करता है। ये श ण
क व भ न अव थाओं से स बि धत होती है तथा ये श क के नर तर योग म आती है।''
Teaching skill are specific instructional acticities and procedure that a
teacher may use in his classroom. These are related to various stages of
teaching or in continuous flow of the teacher performance.
— N.L. Gage
उपरो त प रभाषाओं के आधार पर श ण कौशल क न न वशेषताए हो सकती है।
1. श ण कौशल श ण याओं तथा यवहार से स ब धत होते है।
2. श ण कौशल क ा श ण यवहार क इकाई से स बि धत होते है।
3. श ण कौशल के मा यम से छा को वषयव तु सरलता एवं सु गमता से सखा सकते है।
4. यह श ण या को भावशाल व स य बनाते है।
5. यह श ा के व श ट ल य क ाि त म सहायक होते है।
सन ् 1976 म ङॉ. पासी ने 13 श ण कौशल क सू ची द है, जो इस कार है —
1. अनुदेशन उ े य को लखना (Writing instructional pnkectoves)
2. पाठ क र तावना (Introhuction of a lesson)
3. नो क वाहशीलता (Fluency of questioning)
4. खोजपूण न (Probing Question)
5. या या कौशल (Explaining skill)
6. टा त कौशल (IIIustration skill)
7. उ ीपन भ नता (Stimulus variation)
8. मौन तथा अशाि दक अ त: या (Silence and Non—verbal cues)
9. पुनबलन ( Reinforcement)
10. छा के काय को ो साहन (Increasing students patuicipation)
11. यामप का योग (Use of Black—Board)
12. समीपता क ाि त (Achieving closure)
13. छा यवहार क पहचान (Attending Behaviour)
श ण कौशल क वग करण (Classification of teaching skills)
पाठ के सोपान श ण कौशल के घटक
(Stages of a Lesson)
I पाठ के नमाण क योजना (i) पाठ के स ब उ े य को यवहा रक प म लखना

290
(Planning stage) (Writing instructional objectivies)
(ii) पाठ के नयोजन का कौशल
(Selecting and Organising the content)
(iii) य य साम ी के योग का कौशल
(Slecting the audio—visual aids material)
II तावना सोपान (iv) तावना क रचना करना
(Introductory stage) (Creating set for introducing the lesson)
(v) पाठ क तावना
(Introducing lesson)
III तु तीकरण सोपान न कौशल (Questioning skill)
(Presentation stage) (vi) क ा—क के अनुसार न का नमाण
(Structured class room question)
(vii) न क वाहशीलता
(Fluency in Questioning)
(viii) उ ख न न
(Probing questional)
(ix) न का उ चारण एव वभाजन
(Questional—delivery and distribution)
(x) न मे बढते हु ये म का उपयोग
(The use of higher order questional)
(xi) वके त न
(Divergent questional)
तु तीकरण कौशल (Presentioning skill)
(xii) पाठ को ग त दे ना (Pacing the lesson)
(xiii) या यान (Lecturing)
(xiv) उदाहरण स हत टा त दे ना
(IIIustration with example)
(xv) दशन करना (Demonstration)
(xvi) वचार वमश करना (Discussion)
(xvii) प ट करना (Explaining)
(xviii) उ योतन साम ी का उपयोग
(xix) यामप का उपयोग (Using black board)
(xx) उ ीपन भ नता (Stimulus variation)
(xxi) पुनबलन ( Reinforcement)

291
(xxii) मौन अथवा अशाि दक संकेत
(Silence and non verbal uses)
यव था कौशल (Managerial skill)
(xxiii) छा सहभा गता (Pupil participations)
(xxiv) क ा यव था (Management of the class)
पाठ समापन (xxv) समीपता (Achieving closure)
(Closing stage)
(xxvi) नयोिजत पुनरावृि त ( Planned repetition)
(xxvii) गृहकाय दे ना ( Giving assignments)
मू यांकन सोपान (xxviii) छा ो क ग त का मू यांकन
(Evauation stage) (Evaluation the pupil’s progress)
(xxix) नदाना मक एव उपचारा मक उपाय
(Diagnosing & remedial measure)

13.5 अ भ मत अ धगम / औअनु देशन (Programme Learning /


Instruction)
क ा क श ण या के दो ु व होते है । एक श क एवं दूसरा श ाथी और दोन के
म य अ तः या होती है। अ तः या नह होने पर श क अपने उ े यो को ा त करने म असफल
रहता है। समु चत अ तः या हे तु यह आव यक है क श क अपने व याथ छा पर भल भाँ त
यान वे क तु अ यापक का कायभार बढ़ने से वह इस ओर यान नह दे पा रहा। ऐसी प रि थ त
म श ण क ऐसी नवीनतम व धय क खोज क िजसके वारा छा वयं ान अिजत कर सके
तथा उसे श क क त या भी ा त हो सके। इस नवीनतम श ण म एड है। अ भ मत अनुदेशना
/ अभ मत अ धगम अनुदेशन श क से स बि धत है।
अभ मत अनुदेशन का ेय बीसवीं सद के दूसरे दशक म अमे रकन.मनोवै ा नक को दया
जाता है। सव थम इसका व प ' श ण मशीन' (Teaching Machine) के प म दे खने को मलता
है। िजसका वकास ओ हयो टे ट व व व यालय के मनोवै ा नक सडनी एल ेसे (Sindey
एल।Pressey) ने सन ् 1920 म कया था।
इस मशीन क सहायता से छा के सम न एक मम तु त कये जाते थे तथा छा
क त या क जाँच भी साथ—साथ हो जाती थी। क तु त काल न प रि थ तय म उ ह इस मशीन
के संदभ म वशेष सफलता नह मल । अत: 1932 म उनका यह काय लगभग ब द हो गया। बाद
म ि कनर, ाउडर, मेगर आ द मनोवै ा नक ने ेसे के वचार को ह आगे बढाया।
अभ मत अनुदेशन का अथ
अभ मत श द का अथ है— मब अथवा योजनाब । अ भ मत अ धगम म छा के सम
वषय व तु को अनेक छोटे —छोटे एवं नयोिजत कये गये ख डो एवं सोपानो म तु त कया जाता

292
है। इसक संरचना म श ण सू ो का अनुसरण कया जाता है। इसके वारा छा वयं ान अिजत
करता हु आ ान से अइग़त क ओर बढ़ता है। इस यास से छा को उसके वारा कये गये काय
क तुर त पुि ट हो जाती है । येक पद पर उसे सफलता क अनुभत
ू ी करायी जाती है िजससे उसे
पुनबलन मलता है। वा याय क यह या छा म आ म व वास उ प न कराती है।
अभ मत अनुदेशन (Programme Instruction) क ओर अ धक प ट करने के लए
कु छ व ान ने प रभाषाऐं द है, जो न न है.
ि मथ व मू रे (Smith and Moore) के श द म अ भ मत अनुदेशन कसी अ धगम
साम ी को मत पद क मृंखला म यवि थत करने वाल एक या है , िजसके वारा छा को
उनक प र चत पृ ठभू म से एक नवीन तथा ज टल यय , स ा त तथा अवबोध क ओर ले जाया
जाता है।
Programmed instruction is the process of arranging the material to be
learned into a series of sequential steps, usually it moves the student from
familiar background into a complex and new set of concept principles and
understanding.
—Smith & Moore
बी.एफ. स नर —
“अ भ मत अनुदेशन श ण क कला तथा सीखने का व ान है ''
“Programmed instruction is a art of teaching & learning science”
एन.एस.मावी कहते है, ''अ भ मत अनुदेशन सजीव, अनुदेशा मक, या को वयं अ धगम
अथवा वयं अनुदेशन म प रव तत करने क वह तकनीक है िजसम वषयव तु को छोट —छोट इकाईयो
म वभािजत कया जाता है, िज ह सखने वाल को पढकर अनु या करनी होती है। िजसम सह अथवा
गलत होने का तुरंत पता चल जाता है। ''
“Programmed instruction is a technique of converting the live
instructional process into self learning or auto instructional readable material
in the form of micro—sequence of subject matter which the learners are
required to read and make some response , the corrections or incorrectness
of which is to told to him immediately.”
— N.S.Mavi
अभ मत अ ययन साम ी क वशेषताएँ (Characteristics of Programmed learning
material)
1. पा य साम ी को छोटे —छोटे अंशो म वभािजत कया जाता है।
2. छोटे —छोटे अंशो को खृं लाब कया जाता है।
3. अ भ मत अ ययन साम ी यि त न ठ (individual) होती है और इसम एक समय केवल
एक ह यि त सीखता है।

293
4. यह छा को अपनी ु टय , मताओं, यो यताओं तथा ग त का अ ययन कर मू यांकन के
अवसर दान करती है।
5. इसम उ ीपन, अनु या व पुनबलन , ये तीनो त व याशील रहते है।
6. यह अनुदेशन णाल मनोवै ा नक अ धगम स ा त पर आधा रत है।
अभ मत अ धगम के स ा त (Principles & programme Learning)
अभ मत अ ययन हे तु दये जाने वाले अनुदेशन के स यय म सन ् 1960 से 1980 के
म य ती प रवतन आया।
इस प रवतन के फल व प व भ न व वान के स ा त अलग—अलग है यहां पर केवल
पाँच मौ लक स ा त है जौ न न है :
1. छोटे —छोटे पदो का स ा त (Principles of small steps)
2. त परता अनु या का स ा त ( Principle of Active responding)
3. त काल न जाँच का स ा त (Principle of immediate confirmation)
4. वत: अ ययन ग त का स ा त (Principle of self pacing)
5. छा पर ण का स ा त (Principle of student testing)
अभ मत अ धगम के कार (Types of Programmed Learning)
अभ मत अ धगम हे तु अनुदेशन ( Instruction) दे ने के लए अनेक कार के अ भ म काम
म लाये जाते है, जो मु खत:: न न ल खत है :
1. रे खीय अ भ म (Linear Programmed)
2. शाखीय अ भ म (Branching Programmed)
3. मैथे ट स अ भ म (Mathetics Programmed)
4. रच नद शत अ भ म (Adjunct Auto—instruction programme)
5. क यूटर आधा रत अ भ म (Computer based programme)
रे खीय अ भ म अथवा ृखला अ भ म ( Linear Programme)
रे खीय—अ भ मत अनुदेशन के र चयता हावड व व व यालय के ोफेसर बी.एफ.ि कनर है।
1984 म जब ि कनर अ भभावक दवस के अवसर पर अपनी पु ी के व यालय गये तब इ ह ने अनुभव
कया क त काल न श ण णाल म सुधार क आव यकता है। श ण म पृ ठपोषण एवं पुन बलन
आव यक है ओर इनके वारा छा म यवहारगत प रवतन लाया जा सकता है। इन वचार को ि कनर
ने एक लेख 'अ धगम का व ान तथा ' श ण क कला (Art of Teaching & Science of
learning) का शत कया। रकनर ने सीखने के लए छोटे —छोटे पदो का योग कया। रे खीय अ भ म
म जो अ भ म या पद बनाये जाते है, वे एक सीधी रे खा के प म होते है तथा येक पद या (Frame)
े म से एक नया े म नकलता है। इस तरह यह खृं ला क भाँ त एक दूसरे से जु डे हु ये तथा एक
म म होते है। कसी भी े म क उपशाखाएँ नह होती। इसम छा के प ने का माग बाहय प से
अध मत अनुदेशन लखने वाले पर नधा रत कया जाता है। इस लए, इसे ब ह न हत (Extrinsic)
अथवा बाहय अनुदेशन कहा जाता है।

294
रे खीय अ भ म का व प (structure of linear Programmeing)
रे खीय अ भ म मे वषयव तु को छोटे—छोटे पदो म वभ त कर दया जाता है। इस पद
म तीन त व न हत होते है
1. उ ीपन (Stimulus)
2. अनु या ( Response)
3. पुनबलन ( Reinforcment)
1. उ ीपन (Stimulus) — रे खीय अ भ म म पा यव तु अथवा पद उ ीपन होते है
जो छा को त या करने के लए े रत करते है। इ ह वतं चर भी कहते है।
2. अनु या ( Response) — छा पा यव तु के पम तु त उ ीपक के त या
त या अ भ य त करते है, उसे अनु या कहते है। यह आ त चर है यो क अनु या उ ीपक
पर नभर करती है। अनु या से छा के ान क वृ होती है तथा अनु या क ि ट छा को पुनबलन
दान करती है।
3. पुनबलन ( Reinforcement) — छा को अपनी अनु या का मू यांकन करने
हे तु येक े म के अ त म सह उ तर दया जाता है। अनु या सह होने पर छा स न होकर अ धक
सीखने के लए े रत होता है। ये ह पुनबलन है।
रे खीय अ भ म के पद के कार (Types of Linear Programme Frames)
1. तावना पद (Introductory Frames) — इन पदो का मु य उ े य अ भ म ार भ
करना है। ये पूव यवहारो रवे नवीन यवहार को जोड़ने का यास करते है, िजससे छा
सु गमता से सह अनु या कर रनके तथा सीखने के लए े रत हो।
2. श ण पद (Teaching Frames) — इन पदो क सं या अ धक होती है तथा इनका मु य
ल य श ण करना होता है। येक पद एक नवीन ान दान करता है। ये पद इस कार
म से यवि थत होते है क छा पूरे पाठ का आसानी से समझ लेते है।
3. अ यास पद (Practice Frames) — इन पदो के मा यम से पढाये गये पाठ का अ यास
करवाया जाता है। इनका क ठनाई तर श ण पद क तुलना म अ धक होता है।
4. पर ण पद (Testing Frames) — इन पदो का मु य उ े य छा के सीखे गये ान
का मू यांकन करना है। इस चरण म छा ो को सह अनु याओं के लए कसी भी कार क
सहायता दान नह क जातीं
रे खीय अ भ म क वशेषताएँ (Characteristice of Linear Programme)
1. यह मनोवै ा नक स ा त पर आधा रत है।
2. इस कार के अनुदेशन का नमाण करना सरल होता है।
3. इसके वारा छा क यि तगत व भ नताओं के आधार पर श ण कया जा सकता है।
4. क ठन वषय को सरल बनाया जा सकता है।
5. यह प ाचार पा य म हे तु उपयोगी है।
रे खीय अ भ म क सीमाएँ (Limitation of Linear Programme)
1. रे खीय अ भ म का योग सभी वषय और े ो के लए स भव नह है।

295
2. तभाशाल छा इस अ धगम के मा यम से पढने म च नह लेते है।
3. इन अ भ मो का नमाण एक ज टल काय है। ाय: उ तम ेणी के अ भ म उपल ध नह
होते।
4. इनके वारा छा म मौ लकता तथा तकशि त का वकास कर पाना क ठन है।
5. रे खीय अ भ म के मा यम से जो पद छा के सम तु त कये जाते है, उनके उ तर छा
वयं बना सोचे ह दे ख लेते है। अत: इसका कोई लाभ नह रह पाता है, यो क सभी छा
ईमानदार से काय करे यह स भव नह हो पाता है।
शाखीय अथवा आ त रक ो ा मंग (Branching or Intrinsic Programming)
शाखीय ो ा मंग के तपादक नोमन ए. ाउडर थे (Norman Crowder) इसम भावशाल
श ण के अनेक स ा त का योग कया जाता है। इसम अनेक स ा त का योग कया जाता है।
इस कार के अ ध मण को शाखीय (Branching) अ भ मण इस लए कहा जाता है यो क
इसम सभी छा रे खीय अ भ मण क भाँ त एक पद से दूसरे पद तक बढने के लए एक ह पद से
दूसरे पद तक बढ़ने के लए एक ह पथ नह अपनाते, वरन ् वे अपने—अपने उ तर पर आधा रत
अलग—अलग (शाखीय) रा ते अपनाते हु ये अं तम पद तक पहु ँचाते है। इनम सभी पद को तुत करने
का कोई नि चत म नह होता। इसम अनु या पर नयं ण छा वारा होता है। अत: छा अपनी
यो यता के अनुसार अनु या करते है।
शाखीय अ भ मत अनुदेशन का प (Structure of Pragramme (Branching)
इस आ यूह म पा यव तु के छोटे—छोटे पद न होकर सम पाठ या इकाई या यय के प
म तु त कया जाता है।
येक पद का आकार बडा होता है। एक या दो पैरा ाफ से लेकर स पूण पृ ठ तक का होता
है। छा को एक अ ययन के समय पृ ठ को मब प से अनुसरण नह कया जाता है इस लए
इसे उ कृ ट पा यपुरतक (Scrambled text) कहते है। इस कार के ो ाम म दो पृ ठ होते है (1)
गह पृ ठ ( Home page) (2) ु ट पृ ठ ( worng page)
1. गृह पृ ठ ( Home page) — इस पृ ठ पर नवीन यय क या या क जाती
है िजसका काय श ण करना है। छा उसको पढकर सीखता है। यय क या या के अ त म एक
बहु नवचन प का न दया जाता है। इसम से छा को सह अनु या का चयन करना होता है।
इसका उ े य पर ण करना नह अ पतु नदान करना होता है। छा जब गलत अनु या करता है
तब उसक कमजो रयो का पता चलता है। इस कार गह पृ ठ ( Home page) के तीन काय होते
है —
(अ) श ण — छा पा य साम ी का अ ययन करता है।
(ब) अनु या — येक पा य साम ी के अ त म बहु नवचन न दया जाता है। छा उसके
लए अनु या करता है। इसम वभेद कृ त आ त रक अनु या क जाती है।
(स) नदान — छा क गलत अनु या से उसक पा यव तु स ब धी कमजो रय का बोध होता
है।
गृह पृ ठ क प रे खा कुछ इस तरह होती है —

296
पृ ठ सं. — 1
गृह पृ ठ ( Home Page) श ण
सू चना (Teaching)
--------------------------------------------------------------------------------
--------------------------------------------------------------------------------
--------------------------------------------------------------------------------
वक प का चयन करना होता है। नदान
– (Diagnosis)
(अ)-------------------------------------------------------- दे खये पृ ठ — 7
(ब)--------------------------------------------------------- दे खये पृ ठ — 2
(स)----------------------------------------------------------दे खये पृ ठ — 4
2. ु ट पृ ठ ( Wrong page) — जब छा गृह पृ ठ के न के लए अनु या करता
है तब उसक पा य—व तु स कधी कमजो रयो का पता चलता है। ु ट पृ ठ पर आगे के लए नदश
दये जाते है क आप अगर गलत है तो गह पृ ठ पर लौट जाये। अगर आप सह है तो आगे बढने
के लए अगला पद दया जाता है। अगर छा (अ) उ तर दे ता है तो ु ट पृ ठ न न होगा।
पृ ठ सं. — 7
Confirmation ु ट पृ ठ ( Wrong page)
पृ ठ सं या 1 से
Remediation आपका उ तर गलत है— यो क कारण दया जाता है उसका उपचार
उपचार बताया जाता है एवं आगे के लए परामश दया जाते
Guidence है । परामश

इसी तरह अगल पृ ठ सं या —2 होगी वह भी ु ट पृ ठ है।


शाखीय अ भ मत अनुदेशन कई कार से हो सकते है —
1. बहु नवचन न पर आधा रत (Based on Multiple choice question)
2. रचना मक अनु या न पर आधा रत (Based on construction response
question)
3. रचना मक नो पर आधा रत (Based on contructive choice question)
शाखीय अ भ म क वशेषताएँ (Characteristics of Branching programming)
1. येक छा को अपनी आव यकतानुसार व भ न पदो पर होकर अि तम यवहार तक पहु ँचने
क वतं ता होती है।
2. शाखीय अ भ म मे रे खीय अ भ म क तुलना म येक पाठ या े म म अ धक श ण साम ी
आती है।
3. इस अ भ मण म छा के सम बहु वक पीय वाले न दये जाते है।

297
4. इस अ भ म मे छा ो को यि तगत व भ नताओं के अनुसार अ ययन का अवसर मलता
है।
5. इसका योग उ च श ण उ े य क ाि त के लए कया जाता है।
शाखीय अ भ म क सीमाएँ (Limitation of Branching programme)
1. शाखीय अ भ म का नमाण कया जाना क ठन काय है। कुशल एवं यो य श ा क
आव यकता पड़ती ह
2. पूण वषय व तु को सि म लत करना क ठन हो जाता ह
3. बहु वक पीय वाले न होने से छा कई बार बना पढे, केवल अनुमान के आधार पर उ तर
दे ते है।

13.6 क यू टर सह—अ धगम या अनु देशन


(Computer Assisted Learning / Instruction)
क यूटर का नमाण उ योग तथा शासन णाल म यु ता करने के लए कया गया था
पर तु क यूटर ने श ा को अ धक भा वत कया। क पयूटर दोबारा अ धक से अ धक सूचनाओं
तथा त य का बोध कराया जा सकता है।
श ण म अ धक ज टल तमानो का योग टु लर तथा डेवीज (Stolurow & Davis)
ने 1965 म कया था।
रा य श ा नी त 1986 एवं 1992 म यह क पना क गई क क यूटर श ा बालको को
एक माइ ो—क यूटर ाि त के लए तैयार करे गी तथा क यूटर श ा से ब चे अ धक स म और
रचना मक होग।
क यूटर सहायता— ा त अ धगम म श क अपने श ण अ धगम को बहु त भावशाल बना
सकता है। उदाहरण के तौर पर य द कोई श क Gene (जीन) के बारे मे बताना चाहता है तो वह
नई ौ यो गक का योग कर एनीमे टड ा फक के मा यम से आसानी से समझा जा सकता है।
क यूटर बि धत अनुदेशन ( Computer Managed Instruction)
क यूटर का योग श ण म दो कार से कया जाता है।
1. क यूटर सहायक श ण — CAT (Computer Assited Teaching) —
इसम मशीन के ज रये शै क साम ी छा के सम तु त क जाती है और उसके यु तर को अथ
दान करती है। इसे हम क यूटर सहायक श ण ( CAT) कहते है।
2. क यूटर का योग श क को शै क या को शा सत करने म सहायता दे ता
है जो वह छा को यो यताओं का मापन कराकर और एक श ण स ब धी कोस को ता वत करके
करता है। इसे क यूटर शा सत श ण (CAT) कहते है।
क यूटर सहायक अनुदेशन के उपयोग ( Uses of CAT)
1. यह अनुदेशन श ण अ धगम या म नवाचार के लए श को को ो सा हत करता ह
2. संसार भर के छा तथा श को के साथ पार प रक वचार वमश संभव हो पाता है।

298
3. व ान क अवधारणा िजसे समझने के लए च तन एवं क पना शि त क आव यकता होती
है, उस तर म वृ क जा —सकती है।
4. सहज से क ठन, मू त से अमूत श ण मॉ यूलो को क यूटर क मदद से भावी ढं ग से न मत
कया जा सकता है।
5. अ धगम या के अ धक भावी होने पर आसानी से नगरानी रखी जा सकती है साथ ह
उपचार उपायो को भ त काल उपल य कराया जा सकता है।
क यूटर सह—अ धगम क सीमाएँ (Limitation of CAT)
1. क यूटर सह—अ धगम बहु त खच ला है।
2. क यूटर म यु त मृदु उपागम ( Software) बहु त क ठनाई से उपल ध होते है।
3. गांवो म बजल नह है। अत: क यूटर का उपयोग नह है।
4. क यूटर पर जब बालक काय करता है तो भय रहता है क कह वह अपने मनमज का आचरण
न कर ल।
5. क यूटर वारा स प न अ धगम मशीनी होने क वजह से भावा मक एवं सवेगा मक वकास
नह हो पाता। यो क ेम, सौहद, सहानुभू त, गलत काय करने पर नयं ण आ द केवल
अ यापक छा के पार प रक स ब ध से ह बनते है।

13.7 व ान श ण म नवाचार का भ व य
(Future of Innovation in Science Teaching)
श ण म अगर नवाचार क बात करे तो यह नवाचार चाहे सू म श ण हो दल श ण
अभ मत अनुदेशन (अ ययन) या क यूटर सह अ धगम यह केवल बी.एड. के पा य म तक ह
सी मत है। क ा क म इनका उपयोग नह के बराबर है।
1965 म एन.सी.ई.आर.ट . नई द ल के मनो व ान वभाग ने इस दशा म कुछ कायशालाओं,
सेमीनारो तथा स पोिजयम आ द का आयोजन कर अ भ म अ ययन को काश म लाने का यास
कया। े य श ा महा व यालय ने ग णत के सैट योर ज आ द साम ी का नमाण कया। एम.एस.
यू नव सट बडौदा ने सव थम एम.एड तर पर शै क श प व ान एवं अ भ मत अ ययन
पा य म ार भ कया। सन ् 1963 म जी.वी.शाह, 1971, 1972 म शाह व कृ णामू त ने अ ध मत
अ ययन णाल पर शोध काय कया। अ भ मत अनुदेश न के अनेक लाभ है पर तु इसे योग म
नह लाया जा रहा है।
क यूटर के े म नवाचार को काफ ो साहन मला है। क यूटर सा रता को पा यव तु
का अ नवाय ह सा बना दया गया। भारत सरकार क 1998 क सूचना ौ यो गक क काया वयन
प रयोजना म काफ सं या म व यालय म क यूटर दान करने म व यालय म क यूटर म मानव
संसाधन वकास मं ालय (MHRD) ने अपना नया काय म लास 2000 के लए काम करना ारं भ
कर दया है।
दल श ण तथा सू म श ण भी केवल बी.एड. पा य म तक सी मत है। दल श ण फर
भी कई महा व यालय म कया जाता परतु कूल तर पर नह । आजकल पि लक रकू ल म एक क ा

299
मे दो श क को रखे जाना का नया ावधान है। िजससे एक श ण केवल अनुशासन बनाता है एवं
दूसरा अ यापक केवल पढाता है।

13.8 वमू यांकन न (Self Assesment)


1. पाठ योजना के व भ न अव थाओं मे कन— कन कौशल क आव यकता होती है?
2. कसी एक श ण कौशल क सू म पाठयोजना बनाइए।
3. दल श ण पर आधा रत व ान करण पर एक पाठ योजना बनाइये।
4. रे खीय अ भ मत अ धगम पर कसी एक करण पर 10 पद बनाइए।
5. मू यांकन के े म संगणक (Computer) क भू मका प ट क िजए।

13.9 स दभ थ (References)
1. Sharme, A .R.:  Eductional Technology, वनोद Pustak Mandir, Dr.
Rangeya Raghav Marg, Agra—2, 1985
2. शमा, आर.ए.  श ण क तकनीक, इ टरनेशनल पि ल शग हाउस, मेरठ, 1990
3. Singh L. C. and  Micro Teaching Theory and Practice, National
Sharma R.D. Psychological Corporation, Agra, 1987

300

You might also like