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पा य म अ भक प स म त
अ य
ोफेसर (डॉ.) नरे श दाधीच
कु लप त
वधमान महावीर खुला व व व यालय , कोटा
सद य
1. ो. वी. पी. स सेना 4. डॉ. ऐ.के. माथुर 7. डॉ. वमलेश सोनी
भू तपू व कु लप त एवं सेवा नवृत ोफेसर सेवा नवृ त सह आचाय या याता - ग णत
जीवाजी व व व यालय ग णत वभाग राजक य नातको तर महा व यालय
वा लयर (म य दे श) राज थान व व व यालय, जयपु र कोटा (राज.)
2. ो. एस. सी. राजवंशी 5. डॉ. के. एन. संह 8. डॉ. के. के. म ा
ग णत वभाग, सह आचाय या याता - ग णत
इ ट यू ट ऑफ इंजी नय रंग ए ड टे नोलॉजी ग णत वभाग एम.एस.जे .महा व यालय
भ डल, रोपड़ (पंजाब) राज थान व व व यालय, जयपु र भरतपु र (राज.)
3. ो. एस. पी. गोयल 6. डॉ. परे श यास 9. डॉ. के. एस. शेखावत
ग णत वभाग सहायक आचाय ग णत वभाग या याता - ग णत
राज थान व व व यालय, जयपु र राज थान व व व यालय, जयपु र राजक य क याण महा व यालय, सीकर (राज.)
पा य म उ पादन
योगे गोयल
सहायक उ पादन अ धकार
वधमान महावीर खुला व व व यालय कोटा (.राज)
ISBN-13/978-81-8496-132-4
सवा धकार सुर त : इस साम ी के कसी भी अंश को व. म. खु. व. कोटा क ल खत अनु म त के बना कसी भी प म अथवा
म मयो ाफ (च मु ण) वारा या अ य पुनः तुत करने क अनु म त नह ं ह।
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MT-07
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा
बीजग णत
इकाई सं. इकाई पृ ठ सं या
इकाई 1. समू ह, उपसमू ह (Group Subgroup) 8—40
इकाई 2. मचय समूह, च य समू ह (Permutation Group, 41—90
Cyclic Group)
इकाई 3. सहकुलक, ले ज़- मेय (Cosests,Lagrange’s 91—110
Theorem)
इकाई 4. समू ह समाका रता (Group Homomorphism) 111—126
इकाई 5. सामा य उपसमू ह (Normal Subgroup) 127—143
इकाई 6. वभाग समू ह एवं समाका रता क मूलभूत मेय (Quotient 144—158
Group and Fundamental Theorem of
Homomorphism)
इकाई 7. वलय (Rings) 159—186
इकाई 8. पूणाक य ा त एवं े (Integral Domains and 187—203
Fields)
इकाई 9. वलय समाका रता एवं अंत थापन (Ring Homomorphism 204—229
and Embedding)
इकाई 10. पूणाक य ा त का वभाग े एवं अभा य े (Field of 230—243
Quotients for Integral Domain and Prime
Fields)
इकाई 11. गुणजाव लयाँ एवं वभाग वलय (Ideals and Quotient 244—276
Rings)
इकाई 12. स दश समि ट, उपसमि ट क प रभाषा, उदाहरण एवं 277—297
इनकेगुणधम
(Definition of Vector Space, Subspace,
Examples and its Properties)
इकाई 13. स दष का एकघात संचय, एकघाती वत ता एवं, आ तता 298—313
(Linear Combination of Vectors, Linear
Independence and Dependence)
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इकाई 14. स दष समि ट का आधार, वमा एवं इनके उदाहरण, प र मत 314—327
वमीय स दष समि टय के गुणधम, एकघाती व तृ त एवं
इससे ज नत उपसमि ट (Basis, Dimension of a
Vector Space and their Examples, Properties of
Finite Dimensional Vector Spaces,Linear Span
and Subspace Generated by it)
इकाई 15. दो उपसमि टय का योग, उपसमि टय का अनुलोम योग एवं 328—341
पूरक उपसमि ट एवं इसक वमा
(Sum of two Subspaces, Direct Sum of
Subspaces and Complementary Subspace,
Quotient Space and its Dimension)
संदभ पु तक (Reference Books)
6
तावना
7
इकाई 1 : समू ह, उपसमू ह (Group, Subgroup)
इकाई क परे खा
1.0 उ े य
1.1 तावना
1.2 वचर सं कया या वआधार सं या
1.3 बीजीय प त
1.4 समू ह
1.4.1 सेमी प
ु
1.4.2 मोनोएड
1.4.3 समू ह क प रभाषा
1.4.4 आबेल समूह या म व नमेय समूह
1.4.5 अनआबेल समू ह या अ म व नमेय समूह
1.4.6 प र मत तथा अप र मत समू ह
1.4.7 समू ह क को ट या समू ह का सू चकांक
1.5 समू ह के उदाहरण
1.6 समू ह के साधारण गुणधम
1.7 उपसमू ह (उप प
ु )
1.7.1 उपसमू ह के उदाहरण
1.7.2 समू ह सि म
1.7.3 उपसमू ह से स बं धत मेय
1.8 सारांश
1.9 श दावल
1.10 वमू यांकन न के उ तर
1.11 अ यास न
1.0 उ े य
इस इकाई को पढ़ने के बाद आप वचर सं या, बीजीय प त तथा समूह, उपसमू ह क
अवधारणा एवं इनके साधारण गुण धम के बारे म जान सकगे ।
1.1 तावना
इस इकाई क वषय-व तु कसी अ र त समु चय पर प रभा षत वचर सं या (या वआधार
सं या) एवं उनसे न मत बीजीय संरचनाऐं ह, इन बीजीय संरचनाओं के अ ययन म अ तर
न हत अवधारणाओं को समझना एवं मनन ् करना आव यक है, य य प ये संरचनाऐं अमू त है
ले कन आगामी इकाईय म व णत वलय, े तथा स दश समि ट जैसी संरचनाओं का आधार है
व तु त: इन बीजीय संरचनाओं म एक सोपान म है ।
बीजीय प तय म सबसे सरल प त समू ह ह । अत: समू ह को व भ न बीजीय प तय के
अ ययन क शु आत मान सकते ह ।
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1.2 वचर सं या या वआधार सं या
माना G एक अ र त समुचचय है तो,
G × G = {(a, b); a ∈ G, b ∈ G}
य द *: G × G →G एक त च ण है तो '*' समु चय G म एक चर सं या या वआधार
सं या कहलाती है ।
इस सं या के अ तगत (a, b)∈G×G से स ब होने वाले अवयव को a*b तीक से य त
करते ह । अतएव '*', G म वचर सं या होगी य द और केवल य द a*b∈G, ∀ a ,b∈G तथा
a*b अ वतीय ह । इस कार योग (+), G म वचर सं या होगी य द और केवल य द a+b
∈G, ∀ a,b∈G तथा a+b अ वतीय ह ।
उदाहरणाथ, ाकृ त सं याओं के समु चय N म योग (+) चर सं या है य क कोई भी दो
ाकृ त सं याओं का योग एक ाकृ त सं या ह होता है । इस लये ाकृ त सं याओं का समु चय
N योग (+) सं या के लये संव ृत है । अथात ्
a+b∈N, ∀a, b∈N
इसी कार ाकृ त सं याओं के समु चय N म गुणन (.) चर सं या है य क भी दो ाकृ त
सं याओं का गुणन ाकृ त सं या ह होता है, इस लये ाकृ त सं याओं का समु चय N गुणन (.)
सं या के लये संव ृत है अथात ्
a+b∈N, ∀ a,b∈G
ले कन यवकलन (-) तथा वभाजन (÷) सं या समु चय N म वचर सं या नह ं है य क,
4 – 5= - 1N, इसी कार 4 ÷ 5 = 4/5 N, ह, जब क 4,5∈N
अतएव ाकृ त सं याओं का समु चय N यवकलन (-) तथा वभाजन (÷) सं या के लये संव ृत
नह ं है । इसी कार पूणाको के समु चय Z, प रमेय सं याओं के समु चय Q, वा त वक
सं याओं के समु चय R तथा स म सं याओं के समु चय C म योग (+), गुणन (.) तथा
यवकलन (−) वचर सं याऐं है, पर तु इन समु चय म वभाजन (÷) अवयव 0 के कारण
वचर सं या नह ं है ।
ट पणी 1 : अशू य सं याओं के समु चय R−{0}, Q –{0} तथा C−{0} [ इ ह R0 , Q0 तथा
C0 वारा भी य त करते ह ] वभाजन (÷) भी चर सं या होगी ।
ट पणी 2 : हम वचर सं या को ाय: +,×,....*, इ या द तीक च ह वारा भी
य त करते ह ।
ट पणी 3 : वआधार सं या को वआधार संयोजन भी कहते ह ।
ट पणी 4 : समू ह ( प
ु ) के अ ययन म वआधार सं या क ह आव यकता होती है, अतएव
हम वआधार सं या के थान पर केवल सं या श द भी योग म ले सकते ह ।
वमू यांकन न -1
1. कसी समु चय X के घात समु चय P(X) म समु चय का संघ ( ) तथा सव न ठ ( )
वआधार सं याय ह । (स य/अस य)
2. एक समतल म ि थत सभी स दश का समु चय V, स दश गुणनफल (×) तथा अ दश
गुणनफल (.) सं या के लये संव ृत है । (स य/अस य)
9
3. उपरो त समु चय V, स दश योग सं या के लये संव ृत है । (स य/अस य)
ir
4. समु चय S r R म गुणन वआधार सं या है | (स य/अस य)
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1.3 बीजीय प त
माना क अ र त समु चय G म एक या एक से अ धक वचर सं याय है, अब य द समु चय
G को उसक वचर सं या के साथ लखा जाता है तो यह बीजीय प त या बीजीय नकाय
कहलाता है अथात ् य द *,G म सं या है तो (G,*)बीजीय प त है उदाहरणाथ,
य द योग (+) तथा गुणन (.),G मे वआधार सं याय है तो (G,+),(G,.),(G,+,.) आ द येक
बीजीय प त है ।
इस कार, (N,+),(N,×),(Z,+),(Z,×),(Z,-),(Q,+),(Q,×),(Q,-),(R,+),(R,×),(R,-
),(R0,÷),(R,+,×),(C,+,×) इ या द येक बीजीय प त है, यहाँ R0 अशू य वा त वक सं याओं
का समु चय है ।
ट पणी : इस इकाई म हम एक वआधार सं या वाल बीजीय प त समू ह का अ ययन
करे गे तथा आगामी इकाईय म हम दो वआधार सं या वाल बीजीय प त वलय, े का
अ ययन करगे ।
1.4 समू ह ( ु प)
समू ह सबसे सरल बीजीय प त है जो क एक ह वचर सं कया के लये कु छ वशेष
अ भ ह त के अ तगत समूह कहलाती है सव थम हम सेमी प
ु तथा मोनोएड का अ ययन
करगे।
1.4.1 सेमी प
ु
य द (G,*) एक बीजीय प त है तो यह बीजीय प त (G,*) सेमी प
ु कहलाती है य द G म
सं या '*' सहचार हो,
अथात ् (a*b) * c = a *(b*c), ∀a,b,c∈G
उदाहरणाथ, बीजीय प त (N,+),(N,∙),(Z,+),(Z,∙),(Q,+),(Q,∙),(R,+),(R,∙),(C,+),(C,∙) इ या द
सभी सेमी प
ु के उदाहरण है, जब क (Z,-) सेमी प
ु नह ं है य क 1,2,3∈Z के लये
(1 - 2) - 3≠1 - (2 - 3) अथात ् यवकलन (-),Z म सहचार नह ं ह ।
ट पणी: कसी समु चय X के घात समु चय l P(X) म समु चय का संघ ( ) तथा सव न ठ
( ) वचर सं याय ह यह सं याय सहचार भी ह अथात ् ।
(A B) C=A (B C), ∀A,B,C∈P(X)
इसी कार
(A B) C=A (B C), ∀A,B,C∈P(X)
अतएव बीजीय प त (P(X), ) तथा (P(X), ) सेमी प
ु ह ।
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1.4.2 मोनोएड
य द कसी सेमी प
ु (G,*) म सं या * का त समक अवयव व यमान हो तो (G,*) को मोनोएड
कहते ह अथात ् ∃ e ∈ G ता क a * e = a = e * a, ∀ a∈G
उदाहरणाथ, सेमी प
ु (Z,+) म सं या (+) के लये त समक अवयव e = 0,Z म व यमान है
य क a + 0 = a = 0 + a, ∀ a∈G अतएव सेमी प
ु (Z,+) मोनोएड भी है, इसी कार
सेमी प
ु (N,∙) म गुणन (.) सं कया के लये त समक अवयव e = 1,N म व यमान है य क
1.a = a = a.1, ∀ a ∈ N; अतएव सेमी प
ु (N,.) मोनोएड भी है ।
इसी कार (Q,+),(Q,.),(R,+),(R,.),(C,+),(C,.) इ या द मोनोएड के उदाहरण है य क इनम
योग सं या तथा गुणन सं या के लये त समक अवयव मश: 0 तथा 1 व यमान है ।
ट पणी 1 : सेमी प
ु (N,+) मोनोएड नह ं है य क योग सं या के लये त समक अवयव 0
होता है । जो क N म व यमान नह ं ह ।
ट पणी 2 : य द समु चय X का घात समु चय P (X) है तो सेमी प
ु (P(X), ), तथा (P(X),
) मोनोएड है य क ϕ, और X,P(X) म मश: संघ ( ) और सव न ठ ( ) सं या के
लये त समक है ।
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1.4.5 अनआबेल समूह या अ म व नमेय समूह
12
(Z,+),(Q,+),(R,+),(C,+),(Q0,.),(R0,.),(C0,.) आ द ।
3. सम पूणाक का समु चय E = {....-4,-2,0,2,4....}योग सं या के लये समू ह है ।
4. चार को ट का समु चय G = {e,a,b,c} चर सं या * के लये आबेल समू ह होता है, य द
न न सारणी स तु ट होती है ।
* e a b c
e e a b c
a a e c b
b b c e a
c c b a e
उपरो त सारणी से प ट है क समूह G का त समक अवयव e है तथा अवयव e, a, b, c के
तलोम मश e,a,b,c ह है। इस समू ह (G,*) को ल न 4 - समू ह या k4 समू ह भी कहते ह।
5. एक समतल म ि थत सभी स दश का समु चय V स दश-योग सं या के लये एक आबेल
समू ह है, अथात ् (V,+) आबेल समू ह है । यहाँ शू य स दश 0 त समक है तथा स दश a ∈ V
का तलोम ण स दश - a ∈ V है ।
ट पणी: उपरो त समूह के उदाहरण म (4) प र मत तथा अ य अप र मत आबेल समूह के
उदाहरण ह ।
6. वा त वक सं याओं के n×n यु मणीय मे स का समु चय गुणन सं या के लये
अनआबेल समू ह है ।
या या मक उदाहरण
उदाहरण 1 : द शत क िजए क समु चय G = {1, - 1} गुणन सं या के लये प र मत
आबेल समूह है । हल: यहाँ (G, ) क न न सं या सारणी ा त होती है -
. 1 -1
1 1 -1
-1 -1 1
उपयु त सारणी क सहायता से न न तब ध आसानी से दे खे जा सकते ह ।
1. संव ृतता : सं या सारणी के सभी अवयव G म व यमान है, अत: गुणन सं या G म
संव ृत है ।
2. साहचयता : समु चय G के दोन अवयव पूणाक है तथा पूणाक के लये गुणन सं या
साहचय होती है, अतएव G म गुणन सं या साहचय होगी ।
3. त समक अवयव का अि त व : सं या सारणी क थम पंि त तथा थम त भ से प ट
है क समु चय के अवयव 1,-1 क 1 से सं या होने पर पुन : यह अवयव आते ह,
इस लये G म गुणन सं या के लये 1 त समक अवयव ह ।
4. तलोम अवयव का अि त व : सं या सारणी से ह क
1 × 1 = 1 = 1 × 1 तथा (-1) × (-1) = 1 = (-1) × (-1)
13
अत: 1, - 1 के तलोम मश: 1 तथा -1 व अवयव ह होग जो क दोन G म व यमान
है, अतएव समु चय G के येक अवयव के तलोम का अि त व है तथा यह G म
व यमान है ।
5. म व नमेयता : सं या सारणी म येक पंि त उसके संगत त भ के सम प है अत:
गुणन सं या म म व नमेय है । यहाँ G म अवयव क सं या प र मत है अतएव (G,.)
प र मत म व नमेय समू ह है ।
ट पणी 1 : सं या सारणी से येक अवयव का तलोम न न कार भी ात कया जा
सकता है-
इस सारणी म मु य वकण के दोन तरफ समान अवयव है अथात ् सम मतता है, अतएव
उपयु त उदाहरण म गुणन सं या G म म व नमेय ह ।
ट पणी 3 : यहाँ O(G)= 2, अतएव यह दो को ट के म व नमेय (आबेल ) का उदाहरण है ।
उदाहरण 2 : द शत क िजए क समु चय G ={1,ω,ω2} गुणन सं या के एक म व नमेय
समू ह है, जहाँ ω = 1 तथा 1,ω,ω2 इकाई के घनमू ल है ।
3
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2. साहचयता : समु चय G का येक अवयव सि म सं या है तथा हम जानते ह क
सि म सं याओं के लए गुणन सं या साहचय होती है, इस लए समु चय G म भी गुणन
सं या साहचय होगी ।
3. त समक अवयव का अि त व : सं या सारणी क थम पंि त तथा थम त भ से प ट
है क समु चय के अवयव 1,ω,ω2 क 1 से सं या होने पर पुन : यह अवयव आते ह, इस लये
G म गुणन सं या के लये 1 त समक अवयव होगा ।
4. तलोम अवयव का अि त व : सं या सारणी से प ट है क
1×1=1=1×1,ω×ω2 =1=ω2×ω
अत: अवयव 1 का तलोम 1 है तथा ω का तलोम ω2 एवं ω2 का तलोम ω है इस लये
समु चय G के येक अवयव के तलोम का अि त व है एवं यह G म व यमान है ।
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. 1 -1 i -i
1 1 -1 i -i
-1 -1 1 -i I
I I -i -1 1
-i -i i 1 -1
उपरो त सारणी से न न प ट है -
1. संव ृतता : सं या सारणी के सभी अवयव G म व यमान है, अत: गुणन सं या G म
संव ृत है ।
2. साहचयता : समु चय G का येक अवयव सि म सं या है तथा हम जानते ह क
सि म सं याओं के लए गुणन सं या साहचय होती है, इस लए समु चय G म भी गुणन
सं या साहचय होगी ।
3. त समक अवयव का अि त व : सं या सारणी क थम पंि त तथा थम तंभ से प ट
है क समु चय के अवयव 1, -1, i, -i क 1 से सं या होने पर पुन : यह अवयव आते ह
इस लये G म गुणन सं या के लये 1 त समक अवयव होगा ।
4. तलोम अवयव का अि त व सं या सारणी से प ट ह क
1×1=1=1×,(-1)×(-1)=1=(-1)×(-1),i×(-i)=1=(-1)×i
अतएव अवयव 1 का तलोम 1 है तथा अवयव -1, i, -i के तलोम मश: -1,-i,i है,
इस लये G म येक अवयव के तलोम का अि त व है ।
5. म व नमेयता : सं या सारणी म येक पंि त उसके संगत त भ के है अत: गुणन
सं या G म म व नमेय है ।
अतएव (G,.), प र मत म व नमेय समू ह है ।
ट पणी : यहाँ O(G)=4, अतएव यह चार को ट का म व नमेय (आबेल ) समू ह है ।
उदाहरण 4 : द शत क िजए क समु चय G = {0,1,2,3,4} सं या +5 (मॉ यूल योग 5 या
समशेष मॉड 5) के लये एक म व नमेय समू ह है,
जहाँ सं या +5 न न कार प रभा षत है -
a b य द a+b>5
a 5 b
a b 5 य द a+b
हल : यहाँ (G,+5) क न न सं या सारणी ा त होगी
X3 1 2 3 4
1 1 2 3 4
2 2 4 1 3
3 3 1 4 2
4 4 3 2 1
उपरो त सारणी से प ट है क -
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1. संव ृतता : सं या सारणी के सभी अवयव G म व यमान है, अत: +5 गुणन सं या G म
संव ृत है ।
2. साहचयता : समु चय G म सं या +5 का आधार सं याओं के योग क सं या है, जो क
सहचार होती है इस लये समु चय G म भी सं या सहचार होगी ।
3. त समक अवयव का अि त व : सं या सारणी म थम पंि त तथा थम त भ से प ट
है क समु चय के अवयव 0,1,2,3,4 क 0 से सं या होने पर पुन : यह अवयव आते ह,
इस लये G मे सं या +5 के लये 0 त समक अवयव होगा ।
4. तलोम अवयव कां अि त व : सं या सारणी से प ट ह क 0,1,2,3,4 के तलोम
मश: 0,4,3,2,1 है इस लये G म येक अवयव के तलोम का अि त व है ।
5. म व नमेयता : सं या सारणी म येक पंि त उसके संगत त भ के सम प है अत:
सं या +5, G म म व नमेय है ।
अतएव (G,+5) एक प र मत म व नमेय समूह है ।
ट पणी : यहाँ O(G,+5) अतएव यह पांच को ट का म व नमेय (आबेल ) समू ह है ।
उदाहरण 4: द शत क िजए क समु य G 0,1, 2,3, 4 सं या , (मॉ यूल योग 5 या
समशेष मोड 5) के लए एक म व नमेय समू ह है,
जहाँ सं या +, न न कार प रभा षत है-
a 5 य द ab 5
a 5 b
a b 5 य द a b 5
हल: यहाँ G, 5 क न न सं या सारणी ा त होगी
+5 0 1 2 3 4
0 0 1 2 3 4
1 1 2 3 4 0
2 2 3 4 0 1
3 3 4 0 1 2
4 4 1 1 2 3
उपरो त सारणी से प ट है क-
1. संव ृतता: सं या सारणी के सभी अवयव जी म व यमान है, अतः +5 गुणन सं या G म
संव ृत है।
2. साहचयता; समु चय G म सं या +5 का आधार सं याओं के योग क सं या है, जो क
सहचार होती है इस लए समु चय जी म सं या सहचार होगी।
3. त समक अवयव का अि त व : सं या सारणी म थम पंि त तथा थम त भ से प ट
है क समु चय के अवयव 0,1,2,3,4 क 0 से सं या होने पर पुनः यह अवयव आते ह,
इस लए G म सं या +5 के लए 0 त समक अवयव होगा।
4. तलोभ अवयव का अि त व : सं या सारणी से प ट है क 0,1,2,3,4 के तलोभ
मशः 0,4,3,2,1 है इस लए G म येक अवयव के तलोम का अि त व है।
17
5. म व नमेय : सं या सारणी म येक पंि त उसके संगत त भ के सं प है अतः सं या
+5, G म म व नमेय है।
अतयव G, 3 एक प र मत कम व नमेय समू ह है।
18
ट पणी 3 : समु चय G = {1,2,4,......p-1},xp (मॉ यूल गुणा p) सं या लये आबेल समू ह
होगा, जहाँ p अभा य सं या है, इस कार G = {1,2},x3 (मॉ यूल गुणा 3) सं या के लये
आबेल समूह को उदाहरण होगा ।
( थम दस अभा य स याऐं 2,3,5,7,11,13,17,19,23,29 ह)
उदाहरण 6 : द शत क िजए क समु चय G = {A,B,C,D} जहाँ
1 0 0 1 1 0 0 1
A ,B ,C ,D
0 1 1 0 0 1 1 0
आ यूह गुणन (.) सं या के लये म व नमेय समूह है ।
हल : यहाँ (G,.) क न न सं या सारणी ा त होगी
. A B C D
A A B C D
B B C D A
C C D A B
D D A B C
उपरो त सारणी से न न प ट है -
1. इसके सभी अवयव G के अवयव है, अत: सं या आ यूह गुणन.,(G) म संव ृत ह
2. आ यूह गुणन सं या सहचार होती है अत: G म सं या सहचार होगी ।
3. आ यूह A सं या का त समक अवयव है ।
4. A,B,C,D के तलोम मश: A,D,C,B ह
5. सं या सारणी म येक पंि त उसके संगत त भ के सम प है अत: सं या G म
म व नमेय है अतएव (G,.) एक म व नमेय समूह है ।
ट पणी : यहाँ A एक एकैक आ यूह है इस लये
AA=A, AB=BA=B,AC=CA=C,AD=DA=D
साथ ह
0 1 0 1 1 0
BB = C
1 0 1 0 0 1
तथा
0 1 1 0 0 1
BC= D
1 0 0 1 1 0
इसी कार सं या सारणी तैयार करने के लये अ य गुणनफल ा त कर सकते ह ।
उदाहरण 7 : द शत क िजए क धना मक प रमेय सं याओं का समु चय Q+ सं या * के लये
एक म व नमेय समू ह है, जहाँ सं या * न न कार प रभा षत है
ab
a*b = , ∀ a,b∈Q+
2
हल : यहाँ हम (Q+,*) म न न समू ह अ भगृ हत का पर ण करगे
ab
1. संव ृतता : यहाँ a∈Q+, b∈Q+ ⇒ a*b = ∈Q+
2
19
∴ सं या *, Q+ म संव ृत है
2. साहचयता : माना क a,b,c∈Q+
अब
ab abc
a*b *c= *c
2 4
तथा
bc abc
a b c a
2 4
∴ (b*c)*c=a*(b*c), ∀ a,b,c∈G
अत: सं या *, G म साहचय है ।
3. त समक अवयव का अि त व : माना क e त समक अवयव है, तब कसी वे छ अवयव
a∈G के लये
ae ea
a*b=a=e*a ⇒ a
2 2
⇒ e = 2 ∈ Q+
अत: e=2,Q+, पर म सं या * के लये त समक अवयव होगा
4. येक अवयव के तलोम का अि त व : माना क x अवयव a∈Q+ का तलोम है अत:
तलोम अवयव को प रभाषानुसार
ax ax
a x=e=a x =2= (∵e=2)
2 2
4
x=
2
4
a Q a 0 Q
a
4
अतएव वे छ अवयव a∈Q+ का तलोम Q होगा, इस लये Q+ म येक अवयव का
a
तलोम व यमान है ।
5. म व नमेयता : य द a,b∈Q+ तब
ab ba
a b b a {∴ गुणन सं या Q+ म म व नमेय है अतएव ab = ba}
2 2
इस लये Q+ म सं या * म व नमेय है
+
चू ं क Q म द गई सं या * के लये म व नमेय समूह हे तु सभी तब ध स य है, अत:
+
(Q ,*) म व नमेय समू ह है ।
उदाहरण 8 : द शत क िजए क
cos -sin
A , R
sin cos
आकार क सभी आ यूह का समु चय, आ यूह गुणन के लये म व नमेय समू ह है |
हल: 1. माना क
20
cos -sin
G A A ; R
sin cos
तथा, Aα,Aβ ∈G, जहाँ α,β,∈R तो
cos - sin cos -sin
A A .
sin cos sin cos
cos cos sin sin - cos sin sin cos
sin cos cos sin sin sin cos cos
cos -sin
sin cos
A G
, R R
∴ ∀Aα∈G,Aβ∈G ⇒ Aα Aβ ∈G
फलत: G आ यूह गुणन के लये संव ृत है
2. साहचयता : आ यूह गुणन सहचार होता है अतः G म आ यूह गुणन सहचार होगा ।
3. त समक का अि त व: α = 0 = R के लये
cos 0 sin 0
A0
sin 0 cos 0
1 0
G
0 1
यहाँ A0, आ यूह गुणन के लये G म त समक अवयव होगा य क
A0. Aα= A0+α = Aα+0 =Aα. A0
अथात ्
A0. Aα= Aα = Aα. A0 ∀A.Aα
अतएव आ यूह गुणन सं या के लये G म A0 त समक अवयव का अि त व है
4. तलोम का अि त व : यद A G तब (Aα)-1 का अि त व होगा य क
A cos2 sin 2 1 0
इस लये
21
तथा A .A A A0
∴ G म येक अवयव के तलोम का अि त व है ।
5. म व नमेयता : G म क ह ं दो वे छ अवयव Aα तथा Aβ के लये
Aα . Aβ = Aα+β = Aβ+α= Aβ. Aα , R
∴ G म आ यूह गुणन सं या म व नमेय है फलत: स होता है क G आ यूह गुणन सं या
के लये म व नमेय समूह है ।
ट पणी: य द Aα ,Aβ ,Aγ ∈G
cos sin cos sin cos sin
A = , A तथा A
sin cos sin cos sin cos
अब
A .A .A
A . A . A , A , A , A G
∴ G म आ यूह गुणन सं या सहचार है, अतएव यह स करके भी उपरो त उदाहरण म
साहचयता को द शत कया जा सकता है ।
उदाहरण 9 : द शत क िजए क समु चय G a b 2; a , b Q योग सं
या के लये
म व नमेय समूह है
हल : 1. माना x, y, ∈ G जहाँ
x a b 2, y c d 2 तथा a, b, c,d ∈ G
तो
x y ab 2 cd 2
a c b d 2 G a c Q, b d Q
x G, y G x y G
प रणामत: G योग सं या के लये संव ृत है
2. साहचयता : समु चय G के अवयव वा त वक सं याऐं ह तथा वा त वक सं याओ के लये
योग सहचार होता है अत: सं या G म सहचार है ।
3. त समक अवयव का अि त व : यहाँ समु चय G म योग सं या के लये 0 0 2 G
त समक अवयव होगा य क कसी अवयव a b 2 G के लये
0 0 2 a b 2 0 a 0 b 2 ab 2
तथा a b 2 0 0 2 a 0 b 0 2 ab 2
अतएव योग सं या के लये 0 0 2 त समक अवयव G म व यमान है
4. तलोम का अि त व येक G के लये A∈G जो G का तलोम है य क
a b 2 a b 2 a a b b 2 0 0 2
तथा a b 2 a b 2 a a b b 2 0 0 2
∴ G म येक अवयव का तलोम व यमान है
22
6. म व नमेयता : समु चय G के अवयव वा त वक सं याऐं ह तथा वा त वक के लये योग
सं या म व नमेय होती है ।
∴ G म योग सं या म व नमेय है
उपरो त ववेचन से स होता है क G योग सं या के लये म व नमेय समू ह है ।
उदाहरण 10 : य द G = a, b a, b R, a 0 तथा ‘.’ सं या G म न न कार प रभा षत
है -
a, b . c, d ac, bc d
तो स क िजए क (G,.) एक अ म व नमेय समू ह है ।
हल : 1. माना क (a,b) तथा (c,d) जहाँ a≠0,c≠0,G के कोई दो वे छ अवयव है तो ac≠0
इस लये
(a,b).(c,d) = (ac,bc+d)∈G ac R, bc d R
प रणामत: सं या म वचर सं या है ।
2. साहचयता : य द (a,b),(c,d) तथा (e,f),G के कोई तीन अवयव है तो
[(a,b).(c,d)].(e,f) = (ac,bc+d).(e,f)
= [(ac).e, (bc+d)e+f ]
= (ace,bce+de+f)
तथा (a,b).[c,d).(e,f)] = (a,b). (ce,de+f)
= [a(ce),b(ce)+de+f ]
= (ace,bce+de+f)
फलत: G म सं या '.' साहचय है ।
3. त समक अवयव का अि त व. य द (x,y) समु चय G म त समक अवयव है तो
(x,y).(a,b)=(a,b) ∀(a,b)∈G
xa, ya b a, b
xa a, तथा ya b b
x 1, y 0 a 0
1,0 त समक अवयव है अतएव G म द गई सं या के लये त समक अवयव (1,0)
व यमान है
4. तलोम का अि त व : य द (a,b) ∈ G का तलोम अवयव (x,y) है तो
(a,b) .(x,y)=(1,0)
⇒ (ax,bx+y)= (1,0)
ax=1,bx+y=0
1 b
या x ,y
a a
1 b
अत: (a,b) का तलोम , है ।
a a
23
1 b
अब य क a≠0 अत: , R
a a
प रमणामत: G म येक अवयव का तलोम का अि त व है अतएव (G,.)एक समू ह है ।
5. म व नमेयता : य द (a, b) तथा (c, d), G के कोई दो अवयव है तो ।
(a,b).(c,d)=(ac,bc+d)
तथा (c,d).(a,b)=(ca,da+b)
अतएव (a,b).(c,d)≠(c,d).(a,b)
इस लये सं या ‘.’ G म म व नमेय नह ं है
उपरो त ववेचन से स होता है क (G,.) एक अ म व नमेय समू ह है । ।
ट पणी : समू ह क प रभाषा म हमने G के अवयव के लये कोई तब ध लया है अत: G के
अवयव कोई भी हो सकते ह उदाहरणाथ : सं याऐं, समु चय, दे श, व याथ इ या द । हम केवल
यह दे खना है क समु चय G म द गई वआधार सं या के लये समू ह अ भगृ हत स तु ट
होते ह या नह ं ।
24
पर तु ee’G का अ वतीय अवयव है इस लये (1) व (2) से स होता है क e = e’
अत: समू ह G म त समक अवयव अ वतीय होता है ।
2. य द संभव हो तो माना क समू ह (G,.) मे कसी अवयव a के दो तलोम x तथा y है तो
ax=xa=e
तथा ay=ya=e
∴ x=xe=x(ay)=(xa)y=ey=y
अत: समू ह G म येक अवयव का तलोम अ वतीय होता है ।
ट पणी : समूह G म येक अवयव a का अ वतीय तलोम होता है इस तलोम अवयव को
-1
a से य त करते ह अत:
x=y=a-1
3. य द e,G म त समक अवयव है तो
a.a-1=a-1 .a=e
अब तलोम अवयव क प रभाषानुसार a का तलोम a-1 तथा a-1 का तलोम होगा ।
-1 -1 -1
इस लये a का तलोमी = a ⇒(a ) = a
4. माना क a,b,∈G तथा a और b के G म तलोम मश: a-1 तथा b-1 है तो ab तथा
a1b1,b1a1 सभी G के अवयव ह गे अत:,
ab b 1
a 1 a bb 1 a 1 (साहचायता से)
= (ae)a-1
= aa-1= e ....(1)
पुन : b 1
a 1
ab b a a b
1 1
(साहचायता से)
= (b-1,e) b
= b-1b=e
अतएव (1) व (2) से,
ab b 1a 1 e b1a 1 ab
∴ (ab)-1 = b-1,a-1
ट पणी 1 : ग णतीय आगमन स ा त से उपरो त मेय को यापक प म भी ा त कया जा
-1 -1 -1 -1 -1
सकता है अतएव य द a,b,c…………………k∈G तो (a,b,c……………..k) =k ……………c b a
यह यापक कृ त उ मण नयम कहलाता है ।
ट पणी 2 : य द G म न वमेय समू ह है तो a,b∈G के लये
-1 -1 -1
(ab) =a b a 1b 1 , b 1a 1
5. य द ac=bc ⇒ (ac) c-1= (bc) c-1
⇒ a(cc-1)=b(cc-1)
⇒ ae=be
⇒ a=b
6. य द ca=cb ⇒ c-1(ca)=c-1(cb)
25
⇒ (c-1c)a=(c-1c)b
⇒ ea=eb
⇒ a=b
7. ∴ a∈G ⇒ a-1b∈G
a G, b G a1b G
अब हम दे खते ह क
a(a-1b)= (aa-1)b
= eb
= b
∴ G म समीकरण ax = b का हल x = a-1 b होगा ।
यह हल अ वतीय होगा य क य द समीकरण ax=b दो हल x1, x2 है तो ax1 = b तथा ax2=
b
⇒ ax1 = ax2
⇒ x1 = x2 (वाम नरसन नयम से)
अत: समीकरण ax = b का G म अ वतीय हल होगा । इसी कार स कया सकता है क
समीकरण ya = b का भी अ वतीय हल होगा ।
या या मक उदाहरण
उदाहरण 1 : य द कसी समू ह G के येक अवयव का वलोम भी वह अवयव तो स क िजए
क G एक म व नमेय समू ह है ।
हल : माना क a तथा b समू ह G के वे छ अवयव है तो समू ह G म दये गुणधम से,
1
a G a a
अब a , b G ab G (संव ृतता से)
1
ab ab
b 1 a 1 ab (उ मण नयम से a, b G ab
1
b 1a 1 )
ba =ab (a1 a,b1 b दये गये गुणधम से)
अत: G एक म व नमेय समूह है ।
ट पणी : समु चय G ={1 ,- 1} गुणन सं या के लये समू ह है, यह म व नमेय समू ह भी
होगा य क इसम येक अवयव का तलोम भी वह ं अवयव है ।
उदाहरण 2 : य द कसी समूह (G,.) के येक अवयव ‘a’ के लए a2 = e है तब स क िजए
क G एक म व नमेय समू ह है ।
हल : समू ह G म दये हु ए गुणधम से
a G a2 e
a.a = e a 2 a.a
a 1 a.a = a 1 .e (दोन प म a-1 सं या से)
a 1
.a .a = a 1 (साहचयता से)
26
ea = a 1
a = a-1
अब a, b G ab∈G (G म संव ृतता से )
(ab-1) =ab
b-1a-1= ab (उ मण नयम से)
ba=ab (a-1 = a, b-1 = b,G म दये गये गुणधम से)
अत: G एक म व नमेय समूह है ।
उदाहरण 3: य द समूह G सम ुप
ं ाक है तो स क िजए क एक ऐसे अवयव a≠ e का
अि त व होगा क
a2 e
हल : समू ह G सम ु ं ाक है अतएव G म अवयव क सं या सम होगी । समू ह G म
प येक
अवयव का तलोम अ तीय होता है तथा त समक अवयव e वयं का तलोम होता है
इस लये समूह G म त समक अवयव e के अ त र त कम से कम एक अवयव a इस कार
होगा क a =a
-1
27
इस लये ab = c होगा, अब उपरो त सारणी क येक पंि त एवं त भ म समू ह का अवयव
केवल एक बार आना चा हए । इस आधार पर सं या सारणी न न कार होगी –
∙ e a b c
e e a b c
a a e c b
b b c a e
c c b e a
इस सं या सारणी म येक पंि त उसके सगंत त भ के सम प है । फलत: G म व नमेय
समू ह है ।
वमू यांकन न - 2
1. धना मक अप रमेय सं याओं का समु चय गुणन सं या के लये समू ह होता है ।
(स य/अस य)
2. सम त वषम पूणाको का समु चय यो गक सं या के लये समू ह होता है । (स य/अस य)
3. प रमेय सं याओं x का समु चय G जहाँ 0<x≤1, गुणन सं या के लये समू ह होता है ।
(स य/ अस य)
4. समु चय G = {1,2,3,4,5} सं कया x6 (मॉ यूल गुणा 6) के लये समू ह है । (स य/अस य)
5. समू ह िजसक को ट चार के बराबर अथवा कम है, सदै व आबेल समू ह होता है ।
(स य/अस य)
6. न न के येक के लये एक-एक उदाहरण द िजए
(i) एक समू ह का जो म व नमेय व प र मत हो
(ii) एक समू ह का जो म व नमेय व अप र मत हो
(iii) एक समू ह का जो अ म व नमेय व अप र मत हो
28
1.7.1 उपसमू ह के उदाहरण
1.7.2 समू ह सि म
1 1 1
H 1 , , 1, 1, i
1 1 i
1
K 1 i
i
HK 1.i, 1.i, i.i i, i, 1
उपरो त से प ट है क HK G,H-1 G तथा K-1 G
2. य द H = {1,7},K={6,10} समू ह (Z, +) के दो सि म हो तो
-1 -1
H = {-1,-7},K ={-6,-10}
तथा HK = {1+6,1+10,7+6,7+10}
= {7,11,13,17}
कसी समू ह के सि म H1, H2 तथा H3 के लये न न गुणधम आसानी से था पत कये जा
सकते ह
(i) H1 (H2, H3,) = (H1, H2,) H3
1 1
(ii) (H1 H2) =
-1H 2 H1
29
(iii) य द H1, G का उपसमू ह है तो H11 = H1 तथा H1H1 = H1
ट पणी : समू ह G का येक उपसमू ह G का सि म है पर तु येक सि म , G' का उपसमू ह
हो आव यक नह ं है, उदाहरणाथ
समू ह G = {1, -1,×} का एक सि म H = {-1} है, अब H समू ह G क े रत के लये संव ृत
नह ं है य क -1∈H,-1∈H (-1)×(-1) = 1∉H
अतएव H, G का उपसमू ह नह ं है ।
30
तब ध क पया तता : माना क H म दया गया तब ध स य है अथात ् ∈H,b∈H ab-
1
∈H , तो हम स करे गे क H एक उपसमूह होगा, दया गया है क H, G का अ र त
उपसमु चय है
∴ H≠∅, अतएव माना क a∈H
अब
a∈H, a∈H aa-1 = e∈H ( दये गये तब ध म)
∴ H म त समक अवयव व यमान है
पुन : माना क a∈H एक वे छ अवयव है तो
e∈H, a∈H ea-1 ∈H a-1∈H
∴ H म येक अवयव का तलोम व यमान है
अब H का येक अवयव समू ह G म व यमान है तथा समू ह G म वचर सं या के लये
साहचय नयम का पालन होता है इस लये H म भी साहचय नयम स य होगा
अ त म, a∈H,b∈H a H, b1 H
( दये गये तब ध से)
1
a b 1 H
ab H
∴ H,G क सं या के लये संव ृत है ।
अतएव H, G क सं या के लये वयं भी एक समू ह है इस लये H, G का होगा, जो क स
करता है क दया गया तब ध H के उप समू ह होने के लये पया त है ।
ट पणी 1 : य द H समूह (G, *) का कोई सि म है तो (H, *) के समू ह (G, *) के उपसमू ह
होने के लये आव यक तथा पया त तब ध है क
a∈H, b∈H a*b-1∈H
जहाँ b-1, सं या * के सापे b का तलोम है
इस कार य द समू ह क सं या योग च ह (+) से य त क जाये तो उपरो त तब ध न न
कार का होगा
a H ,b H a b H
ट पणी 2 : यह मेय उपसमू ह का मह वपूण अ भल ण दान करती है जब भी मे समू ह G के
कसी अ र त समु चय H को उपसमू ह स करना हो तो हम इस मेय का उपयोग करते ह,
इसके लये हम समु चय H के कोई दो वे छ अवयव a तथा b लेते ह तथा यह द शत करने
1
का यास करते ह क ab-1∈H य द हम a H, bH ab H स कर दे ते ह तो H,G
का उपसमू ह होता है ।
उप मेय 1 : कसी समूह G का कोई अ र त H समु चय उपसमू ह होगा य द और केवल य द
HH-1 H
उप मेय 2 : कसी समू ह G का कोई अ र त उपसमु चय H, उपसमू ह होगा य द और केवल
यद
HH-1=H
मेय 3 : समू ह G का कोई प र मत अ र त उपसमु चय H एक उपसमू ह होगा और केवल य द
31
a∈H,b∈H ab∈H
उपप त तब ध क आव यकता : माना क समू ह G का H कोई प र मत उपसमूह है तब H,
G क वचर सं या के लये संव ृत होगा, प रणामत:
a∈H,b∈H ab∈H
तब ध क पया तता : य द H, G का एक प र मत अ र त उपसमु चय है तथा
a H , b H ab H तो हमे स करना है क H, G का उपसमू ह है दये गये तब ध
से H, G क वचर सं या के लये संव ृत है, पुन : H का येक अवयव G का भी अवयव है
इस लये H के अवयव के लये सहचा रता गुणधम भी स य होगा,
अब माना क H का कोई एक वे छ अवयव a है तो
a∈H, a∈H aa = a2 ∈H ( दये गये तब ध म)
इसी कार a∈H, a2∈H aa2 = a3 ∈H
…….. …….. …….. ……..
…….. …….. …….. ……..
n-1
a∈H, a ∈H aan-1 = an ∈H, ∀n∈N
अत: a,a2,a3,………..,an,……..अ त तक ∈H पर तु H प र मत उपसमु चय है इस लये अवयव क
पुनरावृ त होगी अथात ् a क कु छ घात समान अवयव य त करे गी । माना क
ai a j , जहाँ i j 0
[ aG a या a j G ]
j
aia j a ja j
a i j a j j a 0 e , जहाँ e समूह G का त समक अवयव है ।
∵ i - j धना मक पूणाक है अत: a i j e G
अत: H म त समक अवयव a i j है
अब H म कसी वे छ अवयव ak का तलोम a i j k होगा य क
k i jk i j i j k k
a .a a ea .a
∵ H म येक अवयव का तलोम व यमान है । फलत: H, G का उपसमू ह है ।
ट पणी 1 : (Q0,.) समू ह का H = {1,-1} एक प र मत उपसमु चय है जो क गुणन सं या के
लये संव ृत है अतएव उपरो त मेय से यह इस समूह का उपसमू ह होगा ।
टपणी 2 : इस मेय का तब ध समू ह G के प र मत तथा अप र मत उपसमु चय के लये
स य ह, पर तु अप र मत उपसमु चय के लये पया त नह ं है उदाहरणाथ, (i) समू ह (Z,+) का
N एक ऐसा अप र मत उपसमु चय है जो क समूह क सं या के लये संव ृत है पर तु यह G
का उपसमूह नह है य क 0∉N अथात ् सं या का त समक अवयव N म व यमान नह ं तथा
अवयव के तलोम भी व यमान नह ं है ।
(ii) य द G ={…….3-3,3-2,3-1,30=1,31,32,33,………..} ले तो यह गुणन सं या के लये समू ह है
1 2 3
पर तु इसका प र मत उप समु चय H={1,3 ,3 ,3 ,……} गुणन सं या के लये संव ृत तो है
पर तु अवयव व के अ त र त कसी भी अवयव का गुणा मक तलोम इसम व यमान नह ं है।
उप मेय : कसी समू ह G का कोई अ र त प र मत उपसमु चय H उपसमूह होगा य द और
केवल य द
32
HH = H
मेय 4 : कसी समू ह G के दो उपसमूह का सव न ठ G का उपसमू ह होता है ।
उपपि त : माना क H1 तथा H2 समू ह G के दो उपसमूह है अत: कम से कम G त समक
अवयव e, H1 तथा H2 दोन म व यमान होगा ।
eH1, eH2 eH1 H2 H1 H2
अब माना क a, bH1 H2, तब
a, b H1 a, b1 H1 उपसमू ह है
a, b H1 H 2 उपसमू ह है
1
a, b H 2 a, b H1
H 1
H
2
a, b1 H1 H2
H1 H2 भी G का उपसमू ह होगा
अब माना क H1 H2 या
H2 H1 , तो
H1 H2 H2 या H1
H1 H2 भी G का उपसमू ह है ।
तब ध क पया तता : माना क H1 H2 , G का उपसमूह है तो हम स करे गे क
H1 H2 या H2 H1
य द स भव हो तो माना क H1H2 तथा H2 H1
33
a H1 H2, b H1 H2 ab H1 H2 (सवृतंता गुणधम से)
ab∈ H1 ab∈H2
अब a∈H1, ab∈H1 a-1 ∈H1, ab∈H1
a-1(ab)∈H1
(a-1a)b∈H1
eb∈H1 ⇒ b∈H1
जो क उपरो त का वरोधाभास है । इसी कार
ab∈H2, b∈H2 ab∈H2,b-1 ∈H2
(ab) b-1 ∈H2
a(bb-1)∈H2
ae =a∈H2
जो क उपरो त का पुन : वरोधाभास है यह वरोधाभास हमे न न के मानने से ा त हु आ है,
H1H2 तथा H2H1 इस लये H1 H2 या H2 H1 होगा ।
34
वलोमत : माना क HK,G का उपसमू ह है तो हम स करगे क HK=KH
चू ं क HK,G का उपसमू ह है
(HK)-1=HK
K-1 H-1=HK
KH=HK [∵ K उपसमूह है ⇒K-1 = K इसी कार H-1 =H]
अत: HK उपसमूह है ⟺ HK=KH
उप मेय: कसी म व नमेय समूह G के दो उपसमू ह H तथा K है तो HK=
hk h H , k K , G का एक उपसमू ह होता है ।
35
हल: प टत: H तथा H G
माना क
a 1 b1
A
a 2 b2 जहाँ a1 , a2 , b1 , b2 , d1 , d 2 R तथा a1d1 0, a2 d2 0,
, B H,
0 d1 0 d2
अब आ यूह गुणन सं कया के अ तगत
1 -b 2
a a2 d 2
1
B 2
1
0 d
2
1 -b 2
a1 b1 a 2 a2 d 2
1
AB
0 d2 0 1
d2
a1 a1b2 b1
a a1d1 0, a2d2 0,
a 2 d 2 d1
2 H a d
b1 1 2
0
0 a2d2
d1
अथात A H, B H AB1 H, अतएव H,G का उपसमू ह होगा ।
उदाहरण 4 : य द a कसी G का एक अवयव है तथा N(a) x G ax xa तो स
क िजए क N a , G है ।
हल : e G ae ea e N a N a
अतएव N a , समू ह G का अ र त उपसमु चय होगा ।
माना क x, y N a तो N a क प रभाषा से
a x x a तथा ay ya
ay ya y1 ay y 1 y 1 ya y 1
अब
y 1a yy 1 y 1 y ay 1
y 1a e e ay 1
y1a ay1
y1 N a
y N a y1 N a
पुनः a xy 1 ax y 1 (साहचयता से)
xa y1 x N a ax xa
36
x ay 1 (साहचयता से)
x y 1a y 1 N a ay 1 y 1a
xy 1 a (साहचयता से)
अथात ् xy 1 N a
x N a , y N a xy 1 N a
अत: N a , G का एक उप समू ह है ।
ट पणी : य द G एक समू ह है तथा a,G का कोई अवयव है तब अवयव a का समूह G म
सामा यक N a से य त कया जाता है । यह G म उन सभी अवयव का समु चय है जो
क अवयव a से म व नमेय है अथात ्
N a x G xa ax
उदाहरण 5 : कसी समू ह G के लये स क िजए क
Z G x G xg gx, g G
समू ह G का एक उपसमू ह है ।
हल : eG eg ge , g G
e Z G
Z G
अतएव Z G , समू ह G का अ र त उपसमु चय होगा
माना क x, y Z G तो Z G क प रभाषा से
,
xg gx तथा yg gy , g G
अब yg gy y1 yg y1 y 1 gy y 1
y 1 y gy 1 y 1 g yy 1
e gy 1 y 1 g e
gy1 y1g
y1 Z G
y Z G y1 Z G
पुनः xy g x y g [साहचयता से]
1 1
x gy 1
y 1 Zx G
xg y1 (साहचयता से)
gx y1 x Z G
g xy 1 (साहचयता से)
37
अथात ् xy 1 Z G
x Z G , y Z G xy 1 Z G
अत: Z G , G का एक उपसमू ह है ।
1.9 श दावल
समू ह ( प
ु ) Group
उपसमू ह (उप प
ु ) Subgroup
वआधार सं या Binary Operation
बीजीय प त Algebric Structure
त समक अवयव Identity element
तलोम अवयव Inverse element
38
सेमी प
ु Semi Group
मोनोएड Monoid
म व नमेय (आबेल ) समू ह Commutative(Abelian) Group
समू ह क को ट Order of a Group
नरसन नयम cancellation laws
उ मण नयम Reversal law
समू ह सि म Complex of a Group
े रत सं या Induced Composition
वषम उपसमू ह Improper Subgroup
उ चत उपसमू ह Proper Subgroup
सामा यक Normalizer
समू ह का के Center of the Group
ह य क यद A, B P X तो A B P X तथा A B P X
2. अस य, हम जानते ह क एक समतल म ि थत दो स दश का स दश गुणनफल, इस
समतल के ल बवत ् स दश होता है अथात ्
v1 V, v2 V v1 v2 V
इसी कार दो स दश का अ दश गुणनफल, एक अ दश रा श होती है ।
3. स य
i 3i i 3i 3
4. अस य, य द , S , S अतएव समु चय S म गुणन वआधार
2 2 2 2 4
सं या नह ं है
वमू यांकन न- 2
1. स य
2. अस य, सं या (+) इस समु चय म संव ृत नह ं है
3. अस य, इस समु चय म अवयव 1 के अ त र त अ य अवयव के तलोम व यमान नह ं
है
39
1. स य ।
2. अस य, दोन समू ह म सं या असमान है ।
3. अस य, दोन समू ह म सं या असमान है ।
1.11 अ यास न
1. द शत क िजए क समु चय G 1,2,3,4,5,6 सं या x7 (मॉ यूल गुणा 7) के लये
प र मत के लए प र मत म व नमेय समू ह है ।
2. स करो क समु चय 3 ; n Z गुणन सं या के लये म व नमेय समू ह है ।
n
a
3. स क िजए क G a, b R आकार क सभी आ यूह का समु चय,
0 b
आ यूह योग सं या के लये समू ह है
4. द शत क िजए क सभी अशू य सि म सं याओं का समु चय गुणन सं या के लये
म व नमेय समूह है
5. स क िजए क धना मक प रमेय सं याओं का समु चय Q+ सं या * के लये म
व नमय समूह है, जहाँ * न न कार प रभा षत है
ab
a b a , b Q
2
6. स क िजए क य द एक समू ह G म तीन अवयव हो तो यह म व नमेय होता है ।
7. य द a,b कसी समू ह G के कोई दो अवयव है, तो द शत क िजए क
2
ab a 2b 2
होगा य द और केवल य द G म व नमेय हो ।
8. स क िजए क 1 के अ त र त सभी प रमेय सं याओं का समु चय G सं या, * के लये
एक म व नमेय समू ह है जहां सं या * न न कार प रभा षत है
a b a b ab , a , b G
9. य द G एक म व नमेय समू ह है तो स क िजए क
H x G x e , G का उपसमू ह है
2
10. य द a कसी समू ह G का कोई अवयव है तो स करो क
H x G xa a x , G का एक उपसमू ह है
2 2
पुन : स करो क
K x G xa ax ; H का उपसमू ह है
11. य द G एक समू ह है तथा H, K इसके उपसमू ह है तो स क िजए क
1
HK K 1 H 1
40
इकाई 2 : मचय समू ह, च य समू ह (Permutation
Group, Cyclic Group)
इकाई क परे खा
2.0 उ े य
2.1 तावना
2.2 मचय
2.2.1 मचयो के n घात समु चय म कु ल मचयो क सं या
2.2.2 मचय गुणन
2.2.3 मचयो से स बि धत प रभाषाय
2.3 मचयो का समू ह
2.4 च य मचय या च
2.4.1 च क को ट
2.4.2 च का तलोम
2.4.3 असंयु त च
2.4.4 मचय क को ट
2.4.5 प ा तरण
2.4.6 सम और वषम मचय
2.5 सम मचयो का समू ह (एका तर समू ह)
2.6 समू ह के कसी अवयव क पूणाक घात
2.7 समू ह के कसी अवयव क को ट
2.8 समू ह के अवयव क को ट पर आधा रत मेय
2.9 च य उपसमूह
2.10 च य समू ह
2.11 च य समू ह से स बि धत मेय
2.12 सारांश
2.13 श दावल
2.14 वमू याकन न के उ तर
2.15 अ यास न
2.0 उ े य
इस इकाई को पढ़ने के बाद आप मचय समू ह तथा च य समू ह क अवधारणा एवम ् इनके
साधारण गुणधम के बारे म जान पायेगे
2.1 तावना
इकाई 1 म हमने म व नमेय समू ह, उपसमूह तथा इनके साधारण गुणधम का अ ययन कया।
इस इकाई म हम वशेष कार के अ म व नमेय समू ह का अ ययन करे गे िजसके अवयव एक
41
समु चय म प रभा षत एकैक आ छादक फलन है िज हे उस समु चय के मचय कहते ह ।
मचय समू ह वारा ह कैले मेय स या पत क जाती है, िजसका अ ययन हम आगामी इकाई
म करे ग,े िजसक उपयो गता इसके कथन से स होती है क येक समू ह एक मचय समू ह के
तु याकार होता है अथात अमू त प म इनक आधारभू त सरं चना सवसम है ।
इस इकाई म हम समूह के अवयव क को ट तथा एक वशेष कार के समूह का भी
अ ययन करे गे िजसके सभी अवयव एक ह अवयव क पूणाक घातो के प म लखे जा सकते
है, िजसको च य समूह कहा जाता है ।
2.2 मचय
माना क S एक प र मत समु चय है तो समु चय S से S पर प रभा षत येक एकैक
आ छादक फलन को मचय कहते है, अथात S→S एक मचय है य द यह एकैक तथा
आ छादक है । यहाँ प र मत समु चय S म अवयवो क सं या को मचय क घात या अशांक
कहते है ।
य द S=(a1,a2……an),n अवयवो का प र मत समु चय है तब S के मचय f को सु गमता के
लये दो पंि तयो के न न संकेत से य त कया जाता है ।
a a2 ......an
f = 1
f(a1 ) f ( a2 ).....f(a n )
इस संकेत म येक अवयव के नीचे वतीय पंि त म उसका f- त ब ब लखा है । चू ं क F, S
एकैक आ छादक फलन है अत: वतीय पंि त म भी सभी n अवयव S के ह ह, िज हे पहल
पंि त के समान या कसी अ य म मे लखा गया है
उदाहरणाथ, य द कसी समु चय S = {1,2,3,4,5} म f न न कार प रभा षत फलन है
f 1 2, f 2 3, f 3 4, f 4 5, f 5 1तो
12345
f
23451
यहाँ मचय के उपरो त दो पंि तयो के संकेत म त भो का म बदलने पर नह ं बदलता,
अथात
12345 21345 51234 31245
23451 32451 12345 42351 , आ द
उदाहरण (1) समु चय S = {1, 2} से इसी मे प रभा षत कये जाने वाले फलन न न है
1 2 1 2 1 2 1 2
f1 , f2 ,f 3 ,f 4
1 2 2 1 1 1 2 2
तो f1 और f2, S के मचय है यो क ये S से S मे एकैक आ छादक फलन है, f3 और f4,S
के मचय नह ं है ।
उदाहरण 2 : य द S = {1,ω,ω2} तथा
f:S→ S,f(x) = ωx∀x∈S ,. तो
42
12
f 2 3 1
1
प टत: f,S का मचय है
उदाहरण 3 : य द S = (1,2,3,4) तथा
f:S→S, f(x) = x ×5 3, ∀xϵS, तो
1234
f =
3142
अतएव f, S का एक मचय है
उदाहरण 4 : यद S a1, a2 ,......an तथा
f:S→S, f(x) = x, ∀xϵS ,. तो
a1 , a2 ....an
f
a1 , a2 ....an
प टतया f, S का एक मचय है जो क त समक मचय है िजसका अ ययन हम आगे करे गे।
उदाहरण 5: य द ह : f : Z Z , f x x m, x Z तथा m एक नयत पूणाक है तो
हम दे खते है क Z के क ह दो अवयव x1,x2 के लये
x1 x2 x1 m x2 m f x1 f x2
f एकैक है
पुन : सह ा त के कसी अवयव x Z के लये, f के ा त Z म अवयव x - m इस कार
व यमान है क
f x m x
f आ छादक है
अतएव f,Z म एकैक आ छादक फलन अथात ् मचय है ।
43
2.2.2 मचय गुणन
45
1 2 3 1 2 3 1 2 3
यो क 1 2 3
2 31 31 2
a 1a 2 ....a n b1b 2 ....b n
ट पणी : कसी n घात मचय f का तलोम मचय f 1
b1b 2 ....b n a1a 2 ....a n
होगा, िजसे मचय f म पंि तयो को आपस म बदलकर ा त कया जा सकता है ।
b
1 2b ....b n
fg
d1d 2 ....d n
प टतया : fg भी एक n घात मचय है चू ं क b1,b2,....bn तथा d1,d2 ,....dn समु चय S के
fg Pn , f , g Pn
अथात ् समु चय Pn मचय गुणन सं या के लये संव ृत ह । अब हम Pn म समू ह अ भ हतो
का पर ण करे गे
c1c 2 ....c n b1b 2 ....b n a 1a 2 ....a n
(i) साहचयता : य द f , g तथा h तीन n
d1d 2 ....d n c1c 2 ....c n b1b 2 ....b n
घात मचय है, जहाँ a1, a2 ,....an b1, b2 ,....bn c1, c2 ,....cn d1, d2 ,....dn अथात ्
b1b 2 ....b n
सभी समु चय S के ह अवयव व भ न म म है तो fg
d1d 2 ....d n
b1b 2 ....b n a 1a 2 ....a n a1a 2 ....a n
fg h ,
d1d 2 ....d n b1b 2 ....b n d1d 2 ....d n
a a ....a n
पुनः gh 1 2
c1c 2 ....c n
46
c1c 2 ....c n a 1a 2 ....a n a1a 2 ....a n
f gh
d1d 2 ....d n c1c 2 ....c n d1d 2 ....d n
अतः (fg)h = f(gh)
इस लये मचय गुणन सहचार सं या है-
(ii) त समक का अि त व : य द
c1c 2 ....c n d1d 2 ....d n
I या ,n घात मचय है तो I Pn
c c
1 2 ....c n d
1 2d ....d n
c c ....c n
यद f 1 2 समु चय Pn का कोई अवयव है तो
d1d 2 ....d n
c1c 2 ....c n c1c 2 ....c n c1c 2 ....c n
fI f
d1d 2 ....d n c1c 2 ....c n d1d 2 ....d n
d d ....c n c1c 2 ....c n c1c 2 ....c n
तथा If 1 2 f
d1d 2 ....d n d1d 2 ....d n d1d 2 ....d n
त समक मचय I, समु चय Pn म मचय गुणन सं या के लये त समक अवयव है ।
c1c 2 ....c n
(iii) तलोम का अि त व : य द f ,S का एक मचय है तो f, एकैक
d1d 2 ....d n
आ छादक तच ण वयं S पर है, तब
d1d 2 ....d n
f 1 भी एकैक आ छादक तच ण वयं S पर है
c1c 2 ....c n
अतः f 1 Pn , जो क f का तलोम है यो क
c1c 2 ....c n d1d 2 ....d n d1d 2 ....d n
I , इसी कार
1
ff
d1d 2 ....d n c1c 2 ....c n d1d 2 ....d n
d1d 2 ....d n c1c 2 ....c n d1d 2 ....d n
f f 1 I
c1c 2 ....c n d1d 2 ....d n d1d 2 ....d n
ff 1 I f 1 f
अत: Pn म येक मचय f का तलोम मचय f-1 व यमान है । उपरो त ववेचन म स
होता है क Pn एक प र मत समू ह है िजसका प
ु ांक 0 (Pn) = n है । यह मचयो का समूह
या सम मत समूह कहलाता है।
ट पणी 1: य द n 1 o P1 1 1, अब हम जानते है क येक एक को ट का समू ह
47
1 2 3....n-1n 1 2 3....n-1n 1 2 3....n-1n
fg
213....n-1n 2 3 4....n 1 1 3 4....n 2
1 2 3....n-1n 1 2 3....n-1n 1 2 3....n-1n
तथा gf
23 4.... n 1 213....n-1n 3 2 4....n 1
प टतया: fg gf , , अतएव (Pn ,.) अ म व नमेय समू ह है य द n > 2
ट पणी 2 : य द S थम n ाकृ त सं याओ का समु चय अथात ् S = (1,2,3,....n) है तो S के
मचय समू ह को n अशांक सम मत समूह कहते ह िजसे Sn वारा य त कया जाता है इसे
Pn वारा भी य त कया जा सकता है इस कार दो व तीन अशांक सम मत समू ह न न है
1 2 1 2
S 2 ,
1 2 2 1
1 2 3 1 2 3 1 2 3 1 2 3 1 2 3 1 2 3
S 3 , , , , ,
1 2 3 2 3 1 3 1 2 1 3 2 3 2 1 2 1 3
अब हम न न उदाहरण वारा द शत करे गे क S3, मचय गुणन सं या के लए एक
प र मत अ म व नमेय समू ह है ।
उदाहरण : द शत क िजए क तीन अशांक सम मत समू ह S3, मचय गुणन सं या के लये
एक प र मत अ म व नमेय समू ह है ।
हल : य द S = {1,2,3} तो o(S3) = 3 = 6 होगा एवम ् S3, के अवयव न न ह गे
1 2 3 1 2 3 1 2 3 1 2 3 1 2 3 1 2 3
f1 , f2 , f3 , f4 , f5 , f6
1 2 3 2 3 1 3 1 2 1 3 2 3 2 1 2 1 3
S3 f1, f2 , f3 , f4 , f5 , f6 , अब S3 म मचय गुणन के लये न न सं या सारणी ा त
होगी
f1 f2 f3 f4 f5 f6
f1 f1 f2 f3 f4 f5 f6
f2 f2 f3 f1 f6 f4 f5
f3 f3 f1 f2 f5 f6 f4
f4 f4 f5 f6 f1 f2 f3
f5 f5 f6 f4 f3 f1 f2
f6 f6 f4 f5 f2 f3 f1
यहाँ सारणी का अवलोकन करने पर न न त य प ट है :-
(iv) f1, f2, f3, f4, f5, f6 के मश: f1, f2, f3, f4, f5, f6 तलोम मचय है
48
(v) सारणी मु य वकण के सापे सम मत नह ं है, अत: S3 म मचय गुणन सं या
अ म व नमेय है ।
फलत: S3 ,6 को ट का प र मत अ म व नमेय समूह है ।
ट पणी 1 : समू ह िजसक को ट 5 या इससे कम है सदै व म व नमेय होता है अतएव सम मत
समू ह S3 थम अ म व नमेय समू ह कहलाता है िजसक को ट 6 है । सम मत समू ह S3 तथा
इसके अवयवो का योग अ सर व भ न त य व मेयो को समझने के लये कया जाता है ।
ट पणी 2 : S3 क सं या सारणी से प ट है क S3 का उपसमु चय f1, f2 , f3 वयं भी
2.4 च य मचय या च
य द n अवयवो के प र मत समु चय S x1, x2 ,......, xn का कोई मचय f इस कार है क
f x1 x2 , f x2 x3 ,...., f xm x1
तथा f x x यद x S पर तु x x1, x2 ,....xm
तब f,m ल बाई का च य मचय है । इस च य मचय f को एक पंि त के संकेत वारा
न न कार से य त कया जा सकता है
f x1, x2 , x3......xm
िजसम येक अवयव का f- त ब ब उसके आगे वाला अवयव एवं अि तम अवयव का f-
तब ब थम अवयव है तथा शेष n - m. अवयवो के त ब ब वे अवयव वंय ह है ।
उदाहणाथ :
(i) f 2435 S6 , 4 ल बाई का चक है
49
g 1435
123456
(ii) h S6 , एक च य मचय नह है
234165
य क अवयव 1, 2, 3, 4 को एक पंि त संकेत (1 2 3 4) लख सकत है पर तु शेष अवयव
5 तथा 6 के f – त ब ब ये अवयव वयं नह है | यह असंयु त च य मचय होगा, िजसका
अ ययन हम आगे करे गे
ट पणी 1 : m ल बाई का च m – च भी कहलाता है |
ट पणी 2 : त समक मचय एक ल बाई का च होता है इसको समु चय के कसी भी अवयव
से य त कया जा सकता है उदाहरणाथ
1 2435 6 2435
ट पणी 3 : च य मचय के अवयवो का च य म रखते हु ए उसे कई कार से लख सकते
है जैसे
2435 4352 3524 5243
ट पणी 4 : दो मचयो का च य गुणनफल संबि धत मचय लखकर गुणन व ध से ात
कया जा सकता है जैसे
1234 1234
12341243
2341 2413
1234
3124
132 4 132
2.4.1 च क को ट
50
अतएव च य मचय f क को ट 4 है, इससे प ट है क f एक m लंबाई का च य मचय है
तो इसक को ट भी m होती है िजसे हम न न मेय से स करे गे।
मेय : m लंबाई के च क को ट m होती है।
उपपि त : माना क f x1x2 ..........xm एक m ल बाई का च है। इस लए
f x1 x2 , f x2 x3 ,.........., f xm x1
अब
f x1 x2
f 2 x1 f x2 x3
f 3 x1 f x3 x4
...... ........ ......
...... ....... ......
f m1 x1 f xm1 xm
f m x1 f xm x1
इसी कार f m x2 x2 , f m x3 x3 ,........., f m xm xm
अतः f m xi xi , i 1, 2,........., m .....(1)
यद x x1 , x2 ,....., xm
पर तु x , f के ा त का सद य है
तो f x x f m
x x ......(2)
51
f3 = (1 5 3 4)
इसके च य म को रखते हु ए न न कार भी लखा जा सकता है
3
f = (5 3 4 1)
अब f, 4 ल बाई का च है, f 4 I
f3f I
f का तलोम च f3 है
f 1 f 3 5 3 41
अतएव कसी च के तलोम को न न कार प रभा षत कर सकते है
2.4.2 च का तलोम
2.4.3 असंयु त च
fg 125 346
125346 346125
251346 463125
123456
254613
तथा
52
gf=(346) (125)
346125 125346
463125 251346
123456
254613
प टत: fg = gf
53
f 512346 78
12346 78
ट पणी : असंयु त च ो के गुणनफल म य द एक ल बाई का कोई च है तो उसे नह लखा
जाता है ।
123456789
(ii) य द f S9 तो इसे असंयु त च ो के गुणनफल के प म ल खये तथा
134526897
f-1 भी ात क िजये ।
हल: यहाँ f 1 6 2345 789
2345 789
1 1
f 2345 789
1 1
789 2345 य द g,h दो च है तो gh
1
h1g 1
987 5432
इस कार हम दे खते है क कसी मचय को असंयु त च ो के गुणनफल के प मे य त कर
-1
f आसानी से ात कया जा सकता है ।
2.4.4 मचय क को ट
अतः
f m I f i m I , i 1,2...........k
o fi m, i 1,2...........k
o f1 , o f 2 .............o f k ; m के भाजक है
o f1 , o f 2 .............o f k
का लघुतम समापवतक (ल.स.प.) भी m का भाजक है
इस कार य द f क को ट m है तो m यूनतम धना मक पूणाक सं या इस कार है क fm
=1, जहाँ m असंयु त च ो क को ट का ल.स.प. है।
o f f के असंयु त च ो क को ट का ल.स.प
54
ले कन कसी च क को ट उस च क ल बाई के बराबर भी होती है अत: o f f के
असंयु त च ो क ल बाई का ल.स.प.
उदाहणाथ :
123456789
(i) य द f S9 तो को असंयु त च ो के गुणनफल के प म ल खये तथा
254631978
f क को ट भी ात क िजये ।
123456789
f
हल : 254631978
125346 798
जो क असंयु त च ो के गुणनफल के प म है ।
अब f क को ट के लये
o f o 125346 तथा o 798 का ल.स.प.
= 6 तथा 3 का ल.स.प.
= 6
12345678
यद f
(ii) 46251387 तो f को असंयु त च ो के गुणनफल के प म ल खये
S8
तथा f क को ट भी ात क िजए |
12345678
हल :
f
46251387
145 263 78
जो क असंयु त च ो के गुणनफल के प म है , अब f क को ट के लये
o f o 145 , o 263 तथा o 78 का ल. स. प.
= 3, 3 तथा 2 का ल. स. प.
= 6
2.4.5 प ा तरण
55
12345
(ii) च य मचय g 35 S5 भी एक प ा तरण है ।
12543
ट पणी 1 : य द च य मचय f एक प ा तरण है तो इस च क ल बाई 2 होगी
2 1
f I f f
अतएव येक प ा तरण वंय का तलोम होता है, उदाहणाथ (3 5)-1 = (5 3) = (3 5)
ट पणी 2 : य द f a1, a2 ......am , m ल बाई का एक च है तो मचय गुणन क
सहायता से यह दे खा जा सकता है क
f a1am a1am1 ......... a1a2
अत: येक m ल बाई के च को m - 1 प ा तरण के गुणनफल के प म लखा सकता है,
फलत: येक च को प ा तरण के गुणनफल के प म लख सकते है ले कन येक मचय
असंयु त च ो के गुणनफल के प म लखा जा सकता है अतएव येक मचय को प ा तरण
के गुणनफल के प म लखा जा सकता है ।
उदाहणाथ
च य मचय
123456789
f S9 को प ा तरण के गुणनफल के प म न न कार लखा जा सकता
231486975
है
f 4 6 123 5879
123 5879
13 12 59 57 58
56
उदाहणाथ,
123456789
(i) मचय f एक सम मचय है य क
314286975
f 1342 5879
121413 59 57 58
= 6 (सम) प ा तरण का गुणनफल
f एक सम मचय है।
(ii) मचय ह f = (1 2 3 4 5) (1 2 3) (4 5) एक वषम मचय है य क
f = (1 5) (1 4) (1 3) (1 2) (1 3) (1 2) (4 5)
= 7 ( वषम) प ा तरण का गुणनफल
f एक वषम मचय है
ट पणी 1 : कसी भी n ल बाई के च को n - 1 प ा तरण के गुणनफल के प म लखा
जा सकता है, अतएव य द n सम सं या है तो च वषम तथा n वषम सं या है तो च सम
मचय होगा ।
ट पणी 2 : येक प ा तरण एक वषम मचय होता है ।
ट पणी 3 : त समक मचय को दो प ा तरण के गुणनफल के प म लखा जा सकता है
जैसे क
(1 2) (2 1) = I (त समक मचय)
अतएव येक त समक मचय, सम मचय होता है ।
ट पणी 4 : दो सम ( वषम) मचय का गुणनफल एक सम मचय होता है ।
ट पणी 5 : एक सम ( वषम) तथा वषम (सम) मचय का गुणनफल वषम मचय होता है ।
ट पणी 6 : एक सम ( वषम) का तलोम भी सम ( वषम) मचय होता है ।
57
I, समु चय An म त समक अवयव है इस कार I An तथा ह fI I If , f An
(iii) तलोम का अि त व : येक सम मचय का तलोम भी एक सम मचय होता है चू ं क
An सभी सम मचयो का समु चय है अवएव An म येक मचय का तलोम भी व यमान
होगा ।
f An f 1 An ,जो f का तलोम है ।
n
अब हम स करे ग क o An
2
य द n अशांक के सभी मचयो का समु चय है Pn तो o Pn n
अब माना क Pn म e1, e2, e3.............em सम मचय तथा o1, o2 , o3,..........ok वषम मचय
है तब,
Pn e1, e2 ,.........., em , o1 , o2 , o3 .......ok
यहाँ समु चय Pn मे सभी मचय भ न होगे य क एक सम मचय कभी भी वषम मचय
नह ं हो सकता,
अथात ् ei 0 j , i, j
अतएव o Pn m k n
अब माना क Pn , जहाँ कोई प ा तरण है, इस लये एक वषम मचय है ।
इसी कार ei e j य द i j
अब e1,e2........em, येक भ न-2 वषम मचय है पर तु हमने Pn म कु ल वषम
मचय k लये है,
m k ....(1)
इसी कार o1,o2..............aok येक भ न-2 सम मचय है ले कन Pn म हमने कु ल सम
मचय m लये है ।
k m .....(2)
अतएव समीकरण (1) व (2) से,
58
m = k
परं तु m + k = n
2m n m k
n
m
2
n
o An
2
फलत: An सम मचय का समु चय मचय गुणन सं या के लये एक समू ह िजसक को ट
n/2 है।
59
o An o Bn ..... 2
समीकरण (1) व (2) से
2.o An n
n
o An
2
या या मक उदाहरण
उदाहरण 1 : चार संकेतो 1, 2, 3, 4 पर सभी मचय लखकर, सम मचयो क सू ची बनाईये।
हल : य द S = {1,2,3,4} तो चार अंशाक के सम मत समु चय P4 म 4 अथात ् 24 मचय
होगे, जो क न न कार है
1 , 12 , 13 , 14 , 23 , 24 , 34 , 123 , 132 , 124
P 142 , 134 , 143 , 234 , 243 , 12 , 34 , 23 , 14 ,
31 , 24 , 1234 , 1243 , 1324 , 1342 , 1423 , 1432
4
चार अंशाक के सम मचयय के समु चय A4 म या 12 अवयव होग, जो न न कार है
2
1 , 123 , 132 , 124 , 142 , 134 , 143 , 234
A4
243 , 12 34 , 2314 , 31 24
उदाहरण 2 :
12345 12345
माना f ,g , 5 संकेतो पर दो मचय है, तो fog तथा gof ात
23451 12453
क िजये ।
हल :
12345 12345
fog fg
23451 12453
12453 12345
23514 12453
12345
23514
12354
तथा
60
12345 12345
gof gf
12453 23451
23451 12345
24531 23451
12345
24531
12435
उदाहरण 3 : न न ल खत तथा से 1 का मान ात क िजये
12345678 12345678
,
25438761 76518324
अथवा =(1258)(34)(67), = (17263584)
12345678
हल : यहाँ
25438761
25438761
1
12345678
12345678
81432765
12345678 12345678
अतः 1
81432765 76518324
76518324 12345678
67285413 76518324
12345678
67285413
12345678 12345678
1 1
67285413 25438761
25438761 12345678
75823146 25438761
12345678
75823146
= (1 7 4 2 5 3 8 6)
उदाहरण 4 : य द
12345 12345
,
23154 15432
तो न न ात क िजये
61
(1) (2) p1 1
12345 12345
हल : (1)
15432 23154
23154 12345
54123 23154
12345
54123
153 24
23154
(2) 1
12345
12345
31254
15432
तथा 1
12345
12345
15432
12345 12345
अब 1 1
31254 15432
15432 12345
34521 15432
12345
34521
135 24
ट पणी : यहाँ 1 1 को न न कार भी ात कया जा सकता है
1 1
1 1 153 24
1 1
24 153
42 351
24 135 24 42 , 351 135
135 24 24 व (1 3 5) असंयु त च है,) 24135 135 24]
उदाहरण 5 : मचय
62
123456789
S9
245138976
को असयु ं त च ो के गुणनफल के प म य त करके बताईये क सम मचय है अथवा
वषम मचय तथा इसक को ट भी ात क िजये ।
हल :
123456789
245138976
124 35 6879
124 35 6879
जो क असंयु त च ो के गुणनफल के प म है ।
पुन : को प ा तरण के गुणनफल के प म य त करने पर
124 35 6879
1412 35 69 67 68
= 6 (सम) प ा तरण का गुणनफल
एक सम मचय है ।
अब क को ट के लये
o o 124 , o 35 तथा o 6879 का ल.स.प.
= 3,2 तथा 4 का ल. स. प.
= 12
उदाहरण 6 : य द
17263584
12345678
25438761
तो स क िजये क
1 1 7 2 6 3 5 8 4
हल :
63
17263584
17263584
72635841
12345678
76518324
12345678 12345678
25438761 76518324
76518324 12345678
67821453 76518324
12345678
67821453
साथ ह
25438761
1
12345678
12345678
81432765
1 1
12345678 12345678
67821453 81432765
81432765 12345678
36287541 81432765
12345678
36287541
13265748
26574813
1 7 2 6 3 5 8 4
उदाहरण 7 : य द 12....... n 1 तथा 1n तो द शत क िजए क
k 1
k 1n , k n
हल : इस प रणाम को हम ग णतीय आगमन व ध से स करे ग
1
n 1 n 2 ...........2 1
1 1 n
2n 1 2, n n
64
अतः k = 1 < n के लये यह प रणाम स य है ।
अब माना क यह प रणाम धना मक पूणाक k = r < n के लये यह भी स य है ।
तो
r r r 1n , r 1 n
तब r 1 r 1 r 1n 1
r 1 n
r 2n r 1 r 2, n n
अतः एव यह प रणाम धना मक पूणाक k = r + 1< n के लये यह भी स य है । इस लए
आगमन व ध वारा द शत होता है क
k k
k 1n , k n
ट पणी : इस प रणाम से प ट है क Sn के येक मचय को एवं p क पूणाक घातो के
गुणन के प मे य त कया जा सकता है।
उदाहरण 8 : स क िजये न न चार मचय, मचय गुणन के लए समू ह बनाते है तथा
त समक अवयय के अलावा येक अवयव क को ट 2 है ।
I , ab , cd , ab cd
हल : माना क दये हु ए मचयो का समु चय G है तथा
I f1, ab f2, cd f3, ab cd f4
यहाँ हम दे खते है क f2 तथा f3 प ा तरण है इस लये
f2, f2 f1, f3 f3 f1
इसी कारf2 , f3 असंयु त च है
f2 f3 f3 f2 f4
एवम ्
f 2 f 4 ab ab cd I cd cd f 3
f 3 f 4 cd ab cd cd cd ab I ab ab f 2
f 4 f 4 ab cd ab cd ab ab cd cd I I I f1
ab cd cd ab
उपरो त गुणनफलो से G क सं या सारणी न न कार है :
f1 f2 f3 f4
f1 f1 f2 f3 f4
f2 f2 f1 f4 f3
f3 f3 f4 f1 f2
f4 f4 f3 f2 f1
सारणी के अवलोकन से प ट है क
65
(i) इसका येक अवयव G म है, अत: G मचय गुणन सं या के लये सवृंत है ।
(ii) मचय गुणन सहचार सं या है इस लये G म भी सहचार होगी ।
f1 f1 f1, f1 f2 f2 f2 f1, f1 f3 f3 f3 f1
a b c a b c a b c a c b
f2 f2 f3
b c a b c a c a b c a b
a b c a c b a c b
f 2 f3 f1
b c a c b a a c b
a c b a b c a b c
f3 f 2 f1
c b a b c a a b c
a c b a c b a c b a b c
f3 f3 f2
c b a c b a b a c b c a
उपरो त गुणनफलो से A3 क सं या सारणी न न कार है :
* f1 f2 f3
f1 f1 f2 f3
f2 f2 f3 f1
f3 f3 f1 f2
सारणी के अवलोकन से प ट है क
66
(i) इसका येक अवयव A3 म है, अत: A3 मचय गुणन सं या के लये सवृंत ह,
(ii) मचय गुणन सं या तीन घात के सम मत समु चय P3 म सहचार होती है अतएव यह
A3 म भी सहचार होगी ।
(iii) सं या सारणी स, मचय f1 इस कार है क
f1 f1 f1, f1 f2 f2 f2 f1, f1 f3 f3 f3 f1
f1, A3 म त समक अवयव है ।
67
12345
A तो o(A) = 6 होगा ।
23145
(15) n अशांक के सभी वषम मचयो का समु चय मचय गुणन सं या के लये एक
n
समू ह है िजसका प
ु ांक है ।
2
मचय समू ह के बाद हम एक वशेष कार के समू ह का वणन करे गे िजसे च य समू ह कहते है,
इसके लये सव थम समू ह के अवयव क को ट का अ ययन आव यक है ।
n a
इसी कार, योग सं या के लये न न नयम स कये जा सकते है ।
68
ma na m n a, m, n Z
n ma nm a, m, n Z
अब
, 2 , 1 (त समक अवयव)
1 2 3
3 3 1
इसी कार
2 1
2 , 2 , 2 1 (त समक अवयव)
2 3
2 3
उदाहरण 3 : समू ह G 1, 1, i, i,. म 1 त समक अवयव है, (1) 1
अब
ar e,0 r n e q e
ar e,0 r n r 0
m nq अथात ् m, n का गुणज है
तब ध क पया तता : य द m, n का गुणज है अथात ् m nq (जहाँ q धना मक पूणाक है)
तब,
70
m nq am anq (an )q eq e
अत: am e m, n का गुणज है
उप मेय 1 : समू ह के कसी अवयव a के पूणाक घात क को ट, a क को ट से अ धक नह
होती ।
उपपि त : माना क समू ह G के कसी अवयव aक को ट n है, अथात ् o ( a ) n तो कसी
mZ के लये
(am)n amn (an )m em e
o(am ) n
o(am ) o(a)
उप मेय 2 : समूह के कसी अवयव a क को ट तथा उसके तलोम क को ट समान होती है,
अथात
o(a) o(a1)
उपपि त : माना क o ( a ) n तथा o(a1) m
तो अवयव क को ट क प रभाषा से,
0 a n an e
अत: (1) व (2) से nm अथात o(a) o(a1) साथ ह य द o(a) अन त हो तो o(a1)
1
प र मत नह हो सकता, य क य द o(a ) प र मत (माना m ) हो तो
1 m
(a ) e (am)1 e
[(am )1] e1
am e
o(a ) m
71
o (a ) प र मत है
जो क o(a) अन त है का वरोधाभास है, इस लये o(a1) भी अन त होगा ।
ट पणी : इस मेय तथा इसके उप मेय को न न उदाहरण वारा समझा जा सकता है -
2 2
य द समू ह G {1,, ,.}ले तो ; o(1) 1, o() 3,( ) 3
(i) अब
o() 3 3 1, तो हम दे खत हे क
6 1,9 1,12 1,....... अथात समू ह
के अवयव है तो m 1 होगा य द m , 3 का गुणज है ।
अवयव क को ट समान ह ।
मेय 2 : कसी प र मत समू ह G म येक अवयव क को ट प र मत होती है तथा यह समू ह
क को ट के कम या बराबर होती है अथात o ( a ) o (G ), a G
उपपि त : माना क n को ट के प र मत समू ह G का कोई अवयव a है तो संव ृतता गुणधम से
a0 e, a1, a2,........, an सभी G के अवयव होग पर तु G म n अवयव है तथा स या (n +1)
है अत: इसम से कम से कम कोई दो अवयव समान होग,
माना क ar as , r s n
तब
ar a s ar . ar a s ar
1
a r . a r a s r
a 0 a s r
e am जहाँ m sr n
a m n
a G , a G G n
अत: o(a) प र मत होता है तथा यह o(G) के बराबर या इससे कम होता है ।
ट पणी : यह मेय न न उदाहरण वारा प ट है - '
य द समू ह G {1, 1, i , i ,.} ले तो o(G) = 4 तथा 0(1) = 1,0 (-1) = 2,0(i) = 0(-i) = 4
इस कार हम दे खत ह क येक अवयव क को ट समू ह G को ट के कम या बराबर है ।
मेय 3 : य द a तथा b समू ह G के कोई दो वे छ अवयव है तो स क िजए क
0 b ab 0 a
1
72
b 1abb 1abb 1ab...........b 1ab ( यापीकृ त साहचय नयम से)
b 1a bb 1 a bb 1 a..... bb 1 ab
b 1ae ae.....ae ab
b 1a nb
b 1 eb a n e
= e ......(1)
b1ab n m n
पुनः
m
b 1 ab m b 1ab e
b 1a m b e
b b1a mb b 1 beb 1
bb 1 a m bb 1 e
ea m e e
am e
n m ......(2)
(1) व (2) से, n = m o a o b ab
1
यद o a अप र मत हो तो o b ab भी अप र मत होगा ।
1
e ab
= ab
अब उपरो त मेय से
o b 1 ba b o ba
o ab o ba b 1 ba b ab
मेय 4 : य द कसी समू ह G के अवयव a क को ट n है तो स किजए क ap क को ट भी
n होगी, य द p तथा n सापे क अभा य है ।
उपपि त : माना क o a m
p
o a n an e
p
an e p
a p e
n
a m n a n m तथा e p e
o a p n
73
mn ...1
य द p और n सापे क अभा य है तो x , y Z ता क px ny 1
x y x x
a a 1 a px ny a px a ny a p . a n a p .e y a p
m x
अब a m a p
x
a p mx a p m e x e , o a p m a p m e
o a m n m ......(2)
abeba1 a 1 a e
ab 2 a 1
aaba1a1 b 2 aba 1
4 2 2 2
aba 1 aba 1 a 2 ba 2 a 2 ba 2 a 2ba 2
2 2 2
a b a
a 2 aba 1a 2 b 2 aba 1
a 3ba 3
74
8 4 22
aba 1 aba 1 a3ba 3 a3ba 3a3ba 3
3 2 3
a b a
a3aba 1a 3
a 4ba 4
16 8 2 2
aba 1 aba 1 a 4ba 4 a 4ba 4 a 4ba 4
a b a a aba 1a 4 a 5ba 5
4 2 4 4
75
a 2 a m b n
a 2 ba
a 1a 1ba
a 1 a 1b a
o a m 2b n o a 1 a 1b a o x 1ax o a
o a 1b
1
o a 1b o x o x 1 , x G
o a 2 o x 1ax 2
पर तु G म 2 को ट का एक ह अवयव a है अत:
o a o x 1ax a x 1ax
xa x x 1 ax
xa xx 1 ax
xa eax
xa ax , x G
वमू यांकन न - 2
(1) समू ह G 0,1,2,3,4,5, 6 के येक अवयव क को ट ात क िजए
76
(3) य द G I , A, B, C, आ यह के गुणा के लये समू ह है तो येक अवयव क को ट ात
क िजए, जहाँ
1 0 1 0 1 0 1 0
I ,A ,B ,C
0 1 0 1 0 1 0 1
अब हम वशेष कार के उपसमू ह का अ ययन करे ग िजसके सभी अवयव एक ह अवयव क
पूणाक घात म लखे जा सकत ह ।
2.9 च य उपसमू ह
कसी समू ह G का उपसमूह H च य उपसमूह कहलाता है य द इसके सभी अवयव एक ह
अवयव a क पूणाक घात के प म लखे जा सकत ह । यह समू ह G का ऐसा छोटा से छोटा
उपसमू ह होता है िजसम अवयव a होता है । ऐसे उपसमू ह क सरंचना से स बि धत मेय न न
है -
मेय : स क िजये क य द समू ह G का a कोई अवयव है तो H a | n Z , G का
n
उपसमू ह होता है ।
इ या द ।
इस लये H च य उपसमू ह है िजसका -1 जनक अवयव है, अत: H 1
2.10 च य समू ह
य द समू ह G म एक ऐसा अवयव a व यमान है क G येक अवयव a क पूणाक घात के
प मे य त कया जा सकता हो, अथात G का येक अवयव an प का हो जहाँ n Z ; तो
G को a वारा ज नत च य समूह कहत ह तथा a इसका जनक अवयव कहलाता है ।
77
अवयव a वारा ज नत च य समूह G को संकेत G a वारा य त करत ह । अतएव
प ट है क य द a समू ह G का जनक अवयव है तो
G ....a 3 , a 2 , a 1 , a 0 e, a1 , a 2 , a 3 ,.....
= a | nZ
n
1 3 , 1 , 2 2
अथात G का येक अवयव जनक क पूणाक घात के प म य त कया जा सकता है
अतएव
G 1 , 2 , 3
इसी कार 2 भी जनक है य क G का येक अवयव 2 क पूणाक घात के प म लखा
जा सकता है जैसे -
3 2 1
1 2 , 2 , 2 2
अत: 1
G 2 , 2 , 2
2 3
G 2
उदाहरण 2 : G 1, 1, i, i, x एक च य समू ह है िजसके जनक अवयव i तथा -i है
य क G के येक अवयव को i या -i क पूणाक घात के प म लखा जा सकता है जैसे
4 2 1 3
1 i , 1 i , i i , i i
इसी कार
4 2 3 1
1 i , 1 i , i i , i i
अतएव G i , i , i , i , या
1 2 3 4
1 2
G i , i , i , i
3 4
G i i
उदाहरण 3 : समू ह G 0,1,2,3,4,5, 6 च य समू ह है िजसके जनक 1 तथा 5 है, यहाँ
1 1,1 1 6 1 2,1 1 6 1 6 1 3,14 1 6 1 6 1 6 1 4
1 2 3
15 1 6 1 6 1 6 1 6 1 5,16 1 6 1 6 1 6 1 6 1 6 1 0
78
अतः G 1,12 ,13 ,14 ,15 ,16 0 1
इसी कार 51 5,52 5 6 5 4,53 5 6 5 6 5 3,54 5 6 5 6 5 6 5 2
55 5 6 5 6 5 6 5 6 5 1,56 5 6 5 6 5 6 5 6 5 6 5 0
अतः G 51 ,52 ,53 ,54 ,55 ,56 0 5
G 1 5
उदाहरण 4 : तीन अशांक एका तर समू ह A3 1 , 123 , 132 एक च य समू ह है िजसके
(123) तथा (132) जनक है।
1 1 1 1
उदाहरण 5 : G ........... , , , ,1, 2, 4,8,16...... गुणन सं या के लये एक च य
16 8 4 2
1
समू ह है िजसके जनक तथा 2 है ।
2
उदाहरण 6 : (Z,+) एक अप र मत च य समू ह है, िजसके 1 तथा -1 जनक ह ।
2.11 च य से स बि धत मेय
मेय 1 : येक च य समू ह म व नमेय होता है
उपपि त : माना क G एक च य समूह है िजसका जनक a है तो G के येक अवयव को a
क पूणाक घात के प म य त कया जा सकता है । अब G के दो अवयव x तथा y ल तो,
दो पूणाक r तथा s इस कार होग क x = ar तथा y = a5
xy ar as ar s as r r s s r, r, s z
= as+r
yx , x , y G
G एक म व नमेय समू ह है ।
ट पणी : इस मेय का वलोम सदै व स य नह ं होता य क (R, +) एक म व नमेय समू ह है
पर तु यह च य समू ह नह ं है ।
मेय 2 : य द a कसी च य समू ह का जनक हो तो, a-1 भी उसका जनक होता है ।
उपपि त : माना क G एक च य समू ह है िजसका जनक a है । य द an,G का कोई अवयव है
तो a n a 1 अथात G के येक अवयव को a 1 क पूणाक घात के प म भी लखा जा
n
सकता है । फलत: a 1 भी G का जनक होगा ।
ट पणी : समू ह G 1, , ,
एक च य समू ह है िजसका जनक अवयव है तो हम
2
79
पुन : माना क H a , a ,......a e तब हम स
करे ग क H = G इसके लए सव थम
2 n
अब भाग कलन व ध से
l nq r , q, r Z ,0 r n
q
x al a nq r a nq a r a n a r eq a r a r H
परं तु 0 r n a r H x H
x G x H
अत: G H ......(1)
साथ ह सवृंतता गुणधम से H का येक अवयव G म है,
इस लये H G ......(2)
फलत: (i) व (ii) से
H = G
o H o G
पर तु o H n o a
o G o a
उप मेय : एक n को ट का प र मत समूह च य होता है य द और केवल य द इसमे n को ट का
एक अवयव व यमान हो
उपपि त : माना क G एक n को ट का प र मत च य समू ह है िजसका जनक अवयव n है तो
उपरो त मेय से o a o G n
वलोमत : माना क G, n को ट का प र मत समू ह है िजसम a एक ऐसा अवयव व यमान है
क o(a) = n तब हम स करे ग क G च य समूह है । य द H=[a] हो तो H G तथा
oa n oH n
o H o G
G H a
G एक च य समू ह है िजसका जनक अवयव a है
80
ट पणी : इस मेय रो एक मह वपूण प रणाम नगम होता है । य द G एक n को ट का
प र मत समू ह है, अब य द हम यह ात करना है क यह च य समू ह है अथवा नह ं । इसके
लये हम G म एक ऐसा अवयव ढू ं ढत है िजसक को ट n हो। य द हम ऐसा अवयव ा त हो
जाता है तो G च य होगा एवं वह अवयव इसका जनक होगा ।
उदाहणाथ, समूह G 1, 1, i, i, x म अवयव i तथा -i इस कार है क िजनक को ट समूह
स भव हो तो माना क am , m 1 भी G का एक जनक है ।
चू ं क a G , अत: कोई पूणाक r इस कार होगा क a को am क पूणाक घात के प म य त
कया जा सकता है ।
r
a a m a mr
aa 1 a mr a 1
e a mr 1
o a mr 1
o G mr 1 o a o G
o G प रमत है
H e , तो प ट H भी च य होगा ।
81
माना क H, G एक उ चत उपसमू ह है अथात H G , तो H का येक अवयव a क घात म
asmq H
ar H, जहाँ 0 r m s mq r
पर तु m यूनतम धना मक पूणाक है िजसके लये a m H इस लये a s H तभी स भव है
जब क r = 0
s mq a s a mq a m
q
82
n
a m e
a mn e
o a mn
o G mn o a o G
o G प र मत है
जो अस भव है , अतः H क को ट प र मत नह ं हो सकती। फलतः G का येक उपसमू ह
अप र मत है।
ट पणी : च य समू ह G 1, 1, i, i, x का H 1, 1, x एक उपसमू ह है तो H भी
च य होगा य क H के अवयवो को -1 क पूणाक घात के प म लखा जा सकता है ।
ट पणी : अप र मत च य समू ह (Z,+) का H ...... 6, 4, 2,0,2, 4,6,....., उपसमू ह
है तो H अप र मत है ।
मेय 6 : य द च य समूह G a का समू ंहाक n है तो स किजए क am भी G का
जनक होगा य द और केवल य द m,n पर पर ढ़ है अथात (m,n) = 1 है ।
उपप त : माना क G a एक च य समू ह है तथा H a एक च य उपसमू ह है, जहाँ
m
y
a mx a n a a n e
83
a mx a ny a
a mx ny a
mx ny 1
m, n पर पर ढ़ है अथात m, n 1
ट पणी 1 : य द अवयव a से ज नत च य समू ह का समूहांक n है तो G के जनक क सं या
n से कम होगी । यहाँ a क वे सभी पूणाक घात am च य समू ह G क जनक होगी, िजनके
लये m तथा n पर पर ढ़ (सापे क अभा य) है
उदाहणाथ, य द च य समू ह G a , a , a , a , a , a , a , a e
का समू हांक 8 है तो G
2 3 4 5 6 7 8
हल : (i) माना क
G a
, 7 को ट का च य समू ह है तो G के जनक a
m
प के होग जहां
m 7, 7 के सापे अभा य है |फलत: m = 2,3,4,5,6
(ii) माना क
G a ,10 को ट का एक च य समू ह है तो G के अ य जनक am प के
होग जहां m =<10,10 के सापे अभा य है | फलत: m = 3,7,9
41 4, 42 1 o 4 3
51 5,52 4,53 ,6,54 2,55 3,56 1 o 5 6
84
61 6,62 1 0 6 2
अतएव यहाँ अवयव 3 व 5 इस कार है क िजनक को ट समू ह G क को ट के बराबर है
अथात
o 3 6 o G
o 5 6 o G
G एक च य समू ह है िजसके 3 और 5 दो जनक है।
G 3 5
उदाहरण 3 : न न म येक का एक - एक उदाहरण द िजए
(i) एक प र मत म व नमेय समू ह जो च य नह ं है
(ii) 2 या 2 म बड़ी को ट का एक च य समू ह िजसम त समक के अ त र त येक अवयव
जनक है
हल : (i) G I , A, B, C आ यूह के गुणा के लये एक प र मत म व नमेय समू ह है जहाँ
1 0 1 0 1 0 1 0
I , A ,B ,C ,
अतएव o(G) =4
0 1 0 1 0 1 0 1
अब हम येक अवयव क को ट ात करत ह
चूँ क 1 त समक अवयव हैo I 1
तथा
10 10 1 0
A2 I, o A 2
0 1 0 1 0 1
1 0 1 0 1 0
B2 I, o B 2
0 1 0 1 01
10 10 1 0
C2 I, o C 2
01 01 01
समू ह G म कोई भी अवयव ऐसा व यमान नह ं ह िजसक को ट समूह क को ट के बराबर
हो, अतएव प र मत म व नमेय समू ह G च य नह ं है ।
(ii) समू ह G 1, , ,
एक 3 को ट का च य समू ह है िजसके त समक अवयव के
2
85
(2) च य समू ह िजसक को ट 2 या 2 से यादा है, का येक अवयव जनक अववय होता है
(3) येक 4 या 4 से कम को ट का समू ह च य होता है
(4) S3,एक च य समू ह है
(5) A3 , एक च य समू ह है
(6) (Z, +) का येक उपसमू ह च य होता है
(7) येक समू ह का कम से कम एक च य उपसमूह होता है
(8) य द कसी समूह के सभी उपसमू ह च य हो तो वह च य समू ह होता है
(9) य द कसी च य समूह क को ट 6 है तो इसमे से कम से कम एक अवयव क को ट 6
होगी
(10) य द कसी च य समू ह क को ट 11 है तो इसके 10 जनक होग
2.12 सारांश
इस इकाई म हमने मचय समू ह का अ ययन कया, िजसके अवयव एक समु चय पर
प रभा षत एकैक आ छादक फलन होते है, िज ह मचय कहा जाता है । य द समु चय म n
अवयव हो तो इन पर प रभा षत सभी मचय का समु चय Pn मचय गुणन सं या के लये
2.13 श दावल
मचय समू ह Permutation group
च य समू ह Cyclic group
एकैक आ छादक तच ण One-one onto mapping
मचय क घात Degree of Permutation
मचय गुणन Product of Permutation
86
मचय का समू ह Group of permutation
सम मत समू ह Symmetric group
च य मचय या च Cyclic permutation or cycles
च क को ट Order of a cycle
असंयु त च Disjoint cycle
मचय क को ट Order of permutation
प ा तरण Transposition
सम और वषम मचय Even or odd permutation
समू ह म कसी अवयव का पूणाक घात Integral power of an element in a group
जनक Generaor
सापे क अभा य Relative prime
87
2.15 अ यास न
1234 1234
1. य द f ,g 4 संकेतो पर दो मचय है तो fog तथा gof ात
3241 4123
क िजये।
उ तर : fog = (23), gof = (12)
12345 12345
2. य द f ,g 5 संकेतो पर दो मचय है तो न न ात क िजए।
15324 23145
1 1
(i ) gof ii fog iii f 1 (iv ) g 1 (v ) f 1og 1 (vi ) fog (vii ) gof
उ तर
(i) 1243 ii 1523 iii 245 (iv) 132 (v) 1342 (vi) 1325 (vii) 1342
12345
3. य द A तो ात क िजये
23154
(i) A-1(ii) A2(iii) A3 (iv) A क को ट
उ तर (i) (132) (45) (ii) (132) (iii) (45) (iv) o(A)=6
123456789
4. य द S9 तो ρ को असंयु त च ो के गुणनफल के प म ल खए,
314286975
इस कार या अ य कार ρ क को ट ात क िजए । यह भी बतलाईये क यह सम या
वषम मचय है ।
उ तर:
ρ = (1342)(5879), सम मचय o (ρ) = 4
12345
5. य द p , q 234 तो स क िजए pqp p 2 p 3 p 4
1
24531
lmno
6. य द f तो ात क िजये
nomla
(i) f2 (ii) f-1 (iii) o(f)
उ तर (i) (lm) (no) (ii) (lomn) (iii) 4
7. न न मचयो को प ा तरण के गुणनफल के प म ल खए । यह भी बतलाइए क
यह सम या वषम मचय है
123456 a b c d e 123456789
i 364125 (ii) d e a c b (iii ) 234516798
उ तर : (i) (14) (13) (25) (26), सम (ii) (ac) (ad) (be), वषम (iii) (15) (14) (13)
(12) (89), वषम
123 123
8. य द a , b तो समीकरण ax = b का S3 म हल ात क िजए ।
321 132
उ तर : (1 3 2)
88
9. य द f = (123), g = (45) तथा h = (26) तीन चक है तो द शत क िजए क
(i) g 1 f 1 (ii) (fgh)-1 = h-1 g-1f-1
1
fg
10. द शत क िजए क n अशांक के सभी वषय मचयो का समु चय, मचय गुणन
स या के लये समू ह नह ं होता है
11. स क िजए क समु चय a, b.c.d के मचय
(a),(abcd),(ac)(bd),(adcd),(ab)(cd),(bc)(ad),(bd),(ac) मचय गुणन के लये
प र मत अ म व नमेय समू ह बनाते है
12. प रभाषा द िजए
(i) मचय
(ii) च य मचय
(iii) प ा तरण
(iv) समू ह म कसी अवयव क को ट
(v) च य समू ह
(vi) च य समू ह का जनक
(vii) चक क को ट
13. न न समू हो म येक अवयव क को ट ात क िजए
(i) (Z5,+5)
(ii) (1,2,3,4,x5)
2 n , n Z ; ,
(iii)
(iv) (Q,+)
(v)
a, a , a , a , a , a
2 3 4 5 6
e;
उ तर
(i) =1,o(1) = 5,o(2) = 5,o(3) = 5,o(4) = 5
(ii) o(1) = 1,o(2) = 4,o(3) = 4,o(4) = 2
(iii) o(1) =1, शेष सभी अवयव अप र मत को ट के है
(iv) o(0) =1, शेष सभी अवयव अप र मत को ट के है
(v) o(a) = 6,o(a2) = 3,o(a3) = 2,o(a4) = 3,o(a5) = 6,o(e) = 1
14. न न चक य समू हो म सभी जनक अवयव ात क िजए
(i)
a , a 2
, a 3 , a 4 , a 5 , a 6 , a 7 , a 8 , a 9 , a10 , a11 , e
(ii)
1, 2,3, 4,5,67
उ तर (i) a, a2 , a3, a4 , a5, a6, a7, a8, a9 , a10 (ii) 1,2,3,4,5,6
15. न न को ट के च य समूहो के जनको क सं या ात क िजए
(i)10 (ii) 11 (iii) 12 (iv) 13
उ तर : (i) 4 (ii) 10 (iii) 4 (iv) 12
16. उस च य समू ह के सभी जनक ात क िजए िजसक को ट (i) ले (ii) 12 हो
89
उ तर : i) य द G a ,8 को ट का च य समू ह है तो a, a3, a5, a7 इसके जनक है
1234
17. य द तो स क िजए क , , 3 , 4 मचय गुणन के लये एक
2
2341
च य समू ह है तथा क को ट भी ात क िजए।
उ तर. क को ट 4 है
18. स क िजए क n अशांक के सभी मचयो का समु चय Pn, मचय गुणन स या के
लये n को ट का समू ह होता है
90
इकाई 3 : सहकु लक, ले ज - मेय (Cosets, Lagrange’s
Theorem)
इकाई क परे खा
3.0 उ े य
3.1 तावना
3.2 सहकुलक (सहसमु वय)
3.3 सहकुलक से स बं धत मेय
3.4 ले ज- मेय
3.5 उपसमू ह का सूचकांक
3.6 समू ह म एक उपसमू ह के सापे सवागसमता स बंध
3.7 सारांश
3.8 श दावल
3.9 वमू यांकन न के उ तर
3.10 अ यास न
3.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप कसी समू ह G म उपसमू ह H के सहकु लको के बारे म
जान सकगे । आप ले ज मेय से जान पायगे क कसी समू ह क को ट का इसके उपसमू ह क
को ट या समू ह के कसी अवयव क को ट से या स बंध है ।
3.1 तावना
इकाई 2 मे हमने मचय समू ह तथा च य समू ह का अ ययन कया। इस इकाई मे हम कसी
समू ह G मे प रभा षत एक सवागसम स बंध का अ ययन करगे, जो क समू ह G को उपसमू ह
H के सापे पर पर असंयु त तु यता वग म वभािजत करता है। ये वग समू ह G के H म
सहकुलक या सहसमु चय कहलाते ह अथात ् H के सहकुलक समू ह G का वभाजन करते ह ।
इस लये इन सभी सहकुलक का संघ G के बराबर ह होता है ।
इस इकाई म हम ले ज मेय का भी अ ययन करगे । ले ज मेय वारा समू ह G व
उपसमू ह H क को ट तथा इसके सहसमु यय क सं या म एक मह वपूण प रणाम का नगम
होता है ।
इस इकाई को पढ़ने के प चात ् आप सामा य उपसमू ह तथा वभाग समूह के अ ययन
के लये तैयार हो सकगे ।
91
इसी कार समु चय Ha ha | h H को G मे H का द ण सहकू लक
(सहसमु चय) कहते ह। उपरो त प रभाषा से प ट ह क G के येक अवयव के संगत G मे
H का वाम सहसमु चय और एक द ण सहसमु चय व यमान होता है तथा
aH G , Ha G a G
अब H, G का उपसमू ह है इस लये H म त समक अवयव e अव य व यमान ।
e H ea Ha
a Ha
e H ae aH
तथा
a aH
अतएव सहसमु चय Ha तथा aH म कम से कम एक अवयव 8 अव य व यमान, इस लये
Ha तथा aH अथात ् वाम तथा द ण सहसमु चय अ र त होते ह ।
य दa e G तब
He he | h H h | h H H he h, h H
तथा eH he | h H h | h H H eh h, h H
इस लये He H eH अथात उपसमू ह H, समू ह G म वयं का एक वाम तथा द ण
सहसमु चय होता है ।
ट पणी 1: सामा यत: aH Ha , पर तु म व नमेय समू ह G के लये ha ah , h H
अतएव aH ah | h H ha | h H Ha, h G
अथात य द G म व नमेय समू ह है तो समू ह G म H के वाम सहसमु चय संगत द ण
सहसमु चय के बराबर होते ह ।
ट पणी 2. य द समू ह Gक सं या योग (+) है तो
a H a h | h H तथा H a | h a | h H
मश: G म H के वाम सहसमु चय तथा द ण सहसमु चय ह गे ।
या या मक उदाहरण
उदाहरण 1 : समू ह G 1, 1, i , i , ; म उपसमू ह G 1, 1 ; के सभी ात क िजए ।
92
अतएव समू ह G द ण सहकुलक के संघ के बराबर है, इसी कार यह वाम सहकुलक के संघ
के बराबर भी है ।
ट पणी : यहाँ G म व नमेय ह अतएव येक वाम सहकुलक उसके संगत द ण सहकु लक
के बराबर होगा ।
उदाहरण 2 : समू ह ( I , ) म 5I के सभी सहकुलक (सहसमु चय) ात क िजए, जहाँ I पूणाको
का समु चय है ।
हल : समू ह G ( I , ) (............ 3, 2, 1, 0,1, 2, 3, .........., ) है
अब माना क H 5I अतएव,
H (.......... 15, 10, 5, 0, 5,10,15............)
प टत: H समूह G का उपसमू ह ह । यहाँ समू ह G म व नमेय है,
अत: येक वाम सहसमु चय उसके संगत द ण सहसमु चय के समान होगा । अब समू ह G
म H के व भ न सहसमु चय न न ह गे-
0 G तथा 0 H H 0 ......... 14, 10, 5,0,5,10,15........ H
पुन : 1 G तथा 1 H H 1 ......... 14, 9, 4,1,6,11,16........
2 G तथा 2 H H 2 ......... 13, 8, 3,2,7,12,17........
3 G तथा 3 H H 3 ......... 12, 7, 2,3,8,13,18........
4 G तथा 4 H H 4 ......... 11, 6, 1, 4,9,14,19........
5 G तथा 5 H H 5 ......... 10, 5, 0,5,10,15........ H
6 G तथा 6 H H 6 ......... 9, 4,1,6,11,16........ H 1
........ ......... ........ ................ ........................
1 G तथा 1 H H (1) ......... 16, 11, 6, 1,4,9,14,........ H 4
2 G तथा 2 H H (2) ......... 17, 12, 7, 2,3,8,13,........ H 3
3 G तथा 3 H H (3) ......... 13, 8, 3, 2,7,12,........ H 2
........ ......... ........ ................ ........................
अत: उपरो त से प ट है क G म H के केवल पांच व भ न सहसमु चय ह
H , H 1, H 2, H 3, H 4
या H ,1 H , 2 H , 3 H , 4 H
साथ ह G H (H 1) (H 2) (H 3) (H 4) H (1 H ) (2 H ) (3 H ) (4 H )
अतएव समू ह G , सभी वाम अथवा द ण सहसमु चय के संघ के बराबर है
ट पणी: nI के ( I , ) म n सहसमु चय होते ह ।
उदाहरण 3 : समू ह G z4 , 4 म H 0,2 के सभी सहसमु चय ात क िजए
93
हल : समू ह G z4 , 4 0,1, 2,3, 4 तथा H 0,2 प टत: H, समू ह G का
उपसमू ह है । यहाँ समू ह G म व नमेय है अत: येक वाम सहसमु चय उसके संगत द ण
सहसमु चय के समान होगा । अत: समू ह G मे H के व भ न सहसमु चय न न ह गे
0 G तथा 0 H H 0 0 4 0,0 4 2 0, 2 H
1 G तथा 1 H H 1 1 4 0,1 4 2 1,3
2 G तथा 2 H H 2 2 4 0,2 4 2 2,0 H
3 G तथा 3 H H 3 3 4 0,3 4 2 3,1 H 1
अत: उपरो त से प ट है क G म H के दो सहसमु चय है
H , H 1
या H1 H
3.3 सहकु लक से स बं धत मेय मेय
मेय 1: य द H , समू ह G का कोई उपसमू ह ह तथा H H , तब Hh H hH
उपप त : माना क h H तब हम स करना ह क Hh H
माना क h ' H को कोई वे छ अवयव ह अत:
h ' H h ' h H Hh H (संव ृतता से h ' H , h H h ' h H
)
h' (h' h1)hHh H Hh (h H h1 H )
उपरो त से, Hh H
इसी कार हम स कर सकते ह क H hH
अत: Hh H hH
ट पणी : यहाँ स होता है क G के अवयव के संगत G म H का द ण (वाम)
सहसमु चय H ह होगा, य द यह अवयव H म भी है
मेय 2 : य द समू ह G का एक उपसमू ह H है तथा a , b G तो
1
(i) Ha Hb ab H
(ii) aH bH b1 H
उपप त: माना क Ha Hb , चू ं क a सहसमु चय Ha का अवयव है ।
a Ha a Hb ab (Hb)b 1 1
ab1 H (bb1 )
ab1 He
ab1 H
वलोमत: माना क
94
ab 1 H Hab 1 H ( h H Hh H )
Hab 1b Hb
Hae Hb
Ha Hb
इसी कार हम स कर सकते ह क
aH bH a 1b H
हम जानते ह क H एक उपसमू ह ह तो येक अवयव का तलोम इसम व यमान होगा
अत:
a 1b H (a 1b)1 H
b 1 ( a 1 ) 1 H
b 1a H
इस लये स होता है क
aH bH b 1 a H
मेय 3 : कसी समू ह के उपसमू ह के कोई दो द ण (वाम) सहसमु चय या तो सवसम होते ह
या असंयु त
उपप त : माना क H कसी समू ह
G का एक उपसमू ह ह िजसके Ha और Hb ऐसे दो
द ण सहसमु चय ह जो असंयु त नह ं है तो हम स करगे क Ha Hb
Ha Hb इस लये सहसमु चय Ha तथा Hb म कम से कम एक अवयव
(माना c) उभय न ठ होगा
c Ha तथा c Hb , जहाँ c ha
1 तथा c h2b; h1, h2 H
h1a h2 b
b h2 1h1a
Hb H ( h2 1h1a ) ( Hh2 1h1 ) a Ha h2 1h1 H Hh2 1h1 H
अत: य द Ha Hb तो Ha Hb
अथात ् H के कोई दो द ण सहसमु चय असंयु त नह ं है तो सवसम ह गे ।
अत: यह स हु आ क उपसमू ह के कोई दो द ण सहसमु चय या तो सवसम होते ह या
असंयु त दो वाम सहसमु चय के लये भी यह गुणधम इसी कार स कया जा सकता है ।
ट पणी : इस मेय से हम ात होता है । क य द दो द ण (वाम) सहसमु चय म एक भी
अवयव उभय न ठ है तो वह सवसम ह गे ।
मेय 4 : य द H कसी समू ह G का एक उपसमू ह ह तो G, H के सभी वाम (द ण)
सहसमु चय के संघ के बराबर होता है, अथात ् G aH Ha
aG aG
उपप त :
95
a G a aH
a aH
aG …….(1)
G aH
aG
पुन : य क aH G a G
aH G
aG
……(2)
समीकरण (1) और (2) से ।
G aH
aG
f ah bh, h H
अब हम दे खते ह क aH के दो अवयव ah1 = bh2 ,के लये
f ah1 f ah2 bh1 bh2
h1 h2 (G म वाम नरसन नयम से)
ah1 ah2
f एकैक है
पुन : य द bh, सहसमु चय bH का वे छ अवयव है तो
bh bH h H
ah aH
पर तु f ah bh
अतएव bH के येक अवयव bh के लये, aH के अवयव ah का अि त व इस कार ह क
f ah bh
f आ छादक है।
अत: f एकैक आ छादक त च ण है । प रणामत:
aH bH अथात ् H के क ह दो वाम
सहसमु चय म एकैक संगतता होती ह । इसी कार स कया जा सकता है क Ha Hb
96
(ii) कसी a G के लये एक त च ण f : aH Ha म इस कार प रभा षत है क
f ah ha, h H हम दे खते है क aH के दो अवयव ah1 व ah2 के लये
f ah1 f ah2 h1a h2 a
(G म द ण नरसन नयम से)
h1 h2
ah1 ah2
f एकैक है
पुन : येक ha Ha के लये, aH म ah ऐसा अवयव व यमान है क
f(ah) = ha
f आ छादक है
अत: f एकैक आ छादक त च ण है । प रणामत: aH Ha
उ मेय 1. H aH , H Ha , a G
अथात ् H और H के येक वाम (द ण) सहसमु चय म एकैक संगतता होती है
उपप त : हम जानते ह क H वयं का एक वाम एवं द ण सहसमु चय होता है । अत:
उपरो त मेय से य द H वाम सहसमु चय ह तो
H aH a G
इसी कार य द त द ण सहसमु चय ह तो
H Ha a G
उप मेय 2 : य द H,G का एक प र मत उपसमू ह ह तो
o aH o H o Ha
उपप त : य द H,G का एक प र मत उपसमू ह ह तो हम जानते ह क aH तथा H म एकैक
संगतता होती है, अतएव सहसमु चय aH तथा H म अवयव क सं या समान होगी
o aH o H
इसी कार o H o Ha
अत: o aH o H o Ha
ट पणी : यहाँ यह स होता है क य द H,G का (एक प र मत उपसमू ह ह तो सभी वाम
(द ण) सहसमु चय म अवयव क सं या समान होगी, इसी कार य द H,G का एक
अप र मत उपसमू ह ह तो सभी वाम (द ण) सहसमु चय क गणनता समान होगी ।
3.4 ले ज मेय
मेय : कसी प र मत समू ह के येक उपसमू ह क को ट समू ह क को ट भाजक होती है ।
उपप त : माना क H एक प र मत समूह G का उपसमू ह ह तथा
o G n और o H m
पुन : माना क H के G म द ण सहसमु चय न न है
Ha1, Ha2 , Ha3,...............Han ,
पर तु H के सभी द ण सहसमु चय भ न-2 नह ं होते अत: माना क
97
Ha1, Ha2 , Ha3,...............Hak ,
H मे k भ न- भ न द ण सहसमु चय है जहाँ kn
हम जानते ह क सभी भ न- भ न द ण सहसमु चय का संघ समू ह G के होता है ।
G Ha1 Ha2 Ha3.......... Hak
यह दा हने प म सभी सहसमु चय असंयु त है अत:
o G o Ha1 Ha2 .......... o Hak
पुन :
o Ha o H , a G
बार
o G o H o H ............. o H , k
o G k.o H
n km
m|n
o H , o G का भाजक है
n
ट पणी 1 : यहाँ k,H का समूह G म सू चकांक कहलाता है, चू ं क m , अतएव H का
k
प र मत समू ह G म सूचकांक समू ह G क को ट का भाजक होता है ।
ट पणी 2 : ले ज मेय का वलोम सदै व स य नह ं होता, अथात ् य द m समू ह G क को ट n
का भाजक हो तो यह आव यक नह ं है क G के लये m को ट का एक उपसमू ह व यमान हो ।
उदाहरणाथ, हम जानते ह क P4 मचय का 4 घात का सम मत समु चय ह अब य द A4 के
का एका तर प
ु A4 है तो
o P4
A4
2
24
12
2
य द A4 म न न सम मचय है
A4 I , abc , acb , abd , adb , bcd , bdc , acd , adc , ab o cd , ac o bd
तो हम दे खते ह क 6 एका तर समू ह A4,क को ट 12 का भाजक है पर तु A4के लये 6 को ट
का कोई उपसमू ह व यमान नह है ।
उप मेय 1 : प र मत समू ह के येक अवयव क को ट समूह क को ट क भाजक होती है
उपप त : माना क a कसी समू ह G का वे छ अवयव है तथा 0(a) = m, तब m एक
यूनतम धना मक पूणाक सं या इस कार ह क am = e
अब माना क एक समु चय H न न कार है -
H a , a ,..................a m e
2
98
a i a j a i j j a mq r ( वभाजन कलन व ध से; i + j = mq + r जहां 0 r m)
a mq a r
चूँ क
q
a m a r eqa r a r H , 0rm
यहाँ समु चय H के सभी अवयव भी भ न- भ न ह इसको स करने के लये य द i तथा j दो
पूणाक इस कार ह क i j i m
i
a a j ai a j a j a j a i j a 0 a i j e
पर तु i - j धना मक पूणाक है जो क m से कम है, जब क a i j e
i
जो क वरोधाभास है । अत: a a j अथात ् H का येक अवयव भ न- भ न है फलत: H,G
का उपसमू ह ह तथा o H m
अब ले ज मेय से o(H), o(G) का भाजक है इस लये एक धना मक पूणाक k इस कार होगा
क
o G
k
oH
n
k
m
o G
k
o a
o a , o G भाजक है
चू ं क a वे छ अवयव है अतएव प र मत समू ह के येक अवयव क को ट समू ह क को ट क
भाजक होती है
उप मेय 2 : य द a कसी n को ट के प र मत समू ह G का कोई अवयव हो तो an = e
उपप त : माना क o(a) = m तब m एक यूनतम धना मक पूणाक इस कार होगा क am =
e, यहाँ G एक प र मत समू ह है अत: अवयव a क को ट समू ह G क को ट का भाजक होगी ।
o G
k , जहां k कोई धना मक पूणाक है
o a
n
k
m
n mk
k
a n a mk a m e k e a m e
ट पणी : इस उप मेय म a n e के थान पर a o G e भी लखा जा सकता है ।
उप मेय 3 : अभा य को ट के प र मत समू ह का कोई उ चत उपसमू ह नह ं होता
उपप त : माना क G एक प र मत समू ह है तथा o(G) = p जहाँ p अभा य ह य द स भव हो
तो माना क G का एक उपसमू ह H ह िजसक को ट m है इस लये ले ज मेय से m,p का
होना चा हए, पर तु p अभा य ह ।
अत: m = p या m = 1
99
फलत: H = G या H = {e}
जो G के वषम उपसमू ह है । अत: G का कोई उ चत उपसमू ह नह ं होता है
उप मेय 4: स क िजए क अभा य को ट का येक समूह च य होता है ।
हल : माना क G एक प र मत समू ह है तथा o(G) = p, जहाँ p अभा य ह तो स करना है
क समू ह G च य है । हम जानते है क यूनतम धना मक अभा य सं या 2 होती है अतएव
G म कम से कम 2 अवयव ह गे, इस लये G म एक ऐसे अवयव a का अि त व होगा क
a त समक अवयव e, अत: o a 2
अब माना क o(a) = m तब H = [a] समू ह G का च य उपसमू ह होगा तथा o(H = o(a) =
m) ले ज मेय से, प र मत समू ह के येक उपसमू ह क को ट समू ह क को ट का भाजक होती
है अत: m, p भाजक होगा, पर तु p एक अभा य सं या है तथा m 2 अत: m = p इस लये
H = G [a] इस कार G एक च य समूह होगा िजसका जनक त समक के अ त र त येक
अवयव है ।
ट पणी : इस मेय से, अभा य को ट का येक समू ह चक य होता है, पर तु हम जानते ह क
चक य समू ह सदै व आबेल समू ह होता है, अतएव अभा य को ट का येक समू ह आबेल समू ह!
होगा ।
100
o H 2, o G 4
4
[G : H ] 2
2
2. समू ह G Z8 , 8 म H 0,4 के व भ न वाम (द ण) सहसमु चय क सं या 4
होगी यो क
o H 2, o G 8
8
[G : H ] 4
2
3. य द H = 2z तथा G = (z+) तो [G:H) = 2 होगा य क G म H के दो ह वभ न
वाम (द ण) सहसमु चय है जो क न न कार है
H, 1 + H या H,H+1
4. य द H 1 , 12 , G S3 तो G : H 3 होगा य क G म H के तीन ह वभ न
वाम (द ण) सहसमु चय ह जो क न न कार है
H, (23) H, (31) H या H,H (23), H (31)
a ≡ b (मॉ H) ab 1 H
101
(H एक उपसमू ह है)
ab H
1
ba 1 H
b a (मॉ H)
अत: यह स बंध सम मत है
3. सं ामक : य द a,b तथा c,G के कोई तीन अवयव है तथा a b (मॉ H) b c
(मॉ H) तो a b (मॉ H), b c (मॉ H)
1 1
ab H तथा bc H
(H म सवृंतता से)
H
ab 1 bc
1
H
a b 1b c
1
ae c 1 H
ac 1 H
a c (मॉ H)
अत: यह स बंध सं ामक है ।
इस कार G म प रभा षत मॉ H सवागसमता स बंध एक तु यता स बंध है । यह स बंध
तु यता स बंध होने से समूह G का H के सापे पर पर असंयु त तु यता वग म वभाजन
करता है।
य द कसी अवयव a H के संगत तु यता वग C (a) है तो हम द शत करगे क C(a) =
Ha; इसके लये तु यता वग क प रभाषानुसार
C a x G x a (मॉ H)
य द y,C(a) का वे छ अवयव है तो
y C a y a (मॉ H)
ya 1 H
ya 1 H
y Ha
C a Ha
पुन : य द y,Ha का कोई वे छ अवयव है तो
y Ha ya 1 Haa 1
ya 1 He
ya 1 H
y a (मॉ H)
y C a
102
Ha C a
इस कार हम दे खते ह क C a Ha, a G
यह तु यता स बंध समू ह G का H के सापे पर पर असंयु त तु यता वग म वभाजन करता
है िजनका संघ समू ह G के बराबर होगा । यह वभाजन समू ह G म H का द ण सहसमु चय
वयोजन ह है ।
ट पणी : समूह G म इसी कार प रभा षत सवागसम स बंध
a b (मॉ H) a 1b H
भी एक तु यता स बंध है िजसे भी आसानी से द शत कया जा सकता है, जहाँ अवयव a H
के संगत तु यता वग C(a),a के संगत H का वाम सहसमु चय aH ह होगा, अतएव यह
वभाजन समू ह G म H का वाम सहसमु चय वयोजन ह है।
या या मक उदाहरण
उदाहरण 1 : य द H और K कसी म व नमेय समू ह G के दो प र मत उपसमू ह है और उनक
को ट o(H) व o(K) ह तो स क िजए क
o H .o H
o HK
oH K
हल : हम जानते ह क HK hk | h H , k K , अतएव HK G , यहाँ यह आव यक
नह ह क HK,G का उपसमू ह ह, o(HK) से हमारा ता पय HK के व भ न अवयव से ह ।
माना क D H K तो H K D K तथा D , K का उपसमू ह होगा । य द K म D के
m वभ न द ण सहसमु चय ह तो ले ज मेय से,
oK oK
m
o D oH K
य द D k 1 , D k 2 , D k 3 , ................. D k m ; K म D के व भ न द ण सहसमु चय है तो
m
K Dki , जहाँ k1, k2...............km सभी K के व भ न अवयव है
i 1
अब
m m m
HK H Dk1 HDki Hk i D H HD H
i 1 i 1 i 1
Hk1 Hk 2 .......... Hk m
हम यह स करगे क Hk1Hk2..........Hkm के कोई भी दो सहसमु च है य क
Hki Hk j ki k j 1 H
ki k j 1 H K ki , k j K ki k j 1 K
ki k j 1 D
Dki Dk j जो अस य ह
अत: H k 1 , H k 2 , ........, H k m पर पर असंयु त है तथा येक म अवयव क सं या o(H) के
समान है
103
अत:
o HK o Hk1 o Hk2 ........... o Hkm
o H o H ............ o H , m बार
o K
m o H .o H
o D
o K .o H
o H K
उप मेय : य द कसी प र मत समू ह G के H तथा K उपसमू ह है, य द
o H o G , o K o G
तो स क िजए H K e
हल : HK G o HK o G .....(1)
पर तु
o H .o K o H .o K
o HK o G ........ 2
oH K oH K
अब समीकरण (1) व (2) से,
o H .o K
oG
o H K
o G . o G
o G
oH K
o G
o G
oH K
o H K 1
H K e
उदाहरण 2 : य द H, समू ह G का उपसमू ह ह तथा
K x G | xH Hx
तो स क िजए क K,G का उपसमू ह है
हल : e G eH H He e K K
104
अब
x2 H H Hx2 x21 x2 H x21 x21 Hx2 x21
x x Hx x
1
2 2
1
2
1
2 H x2 x21
e Hx x H e
1
2
1
2
Hx21 x21 H
x21 K
अब
x x H x x H
1
1 2 1
1
2
x Hx
1
1
2
x21 K x21 H Hx21
x1H x21
Hx1 x21 x1 K x1H Hx1
H Hx1 x21
x1x21 K
इस कार x1 K, x2 K x1x21 K
अत: K समूह G का उपसमूह है ।
उदाहरण 3 : य द समू ह G का एक उपसमू ह H है और [G:H] = 2 तो स -क िजए क
aH Ha , a G
हल : यहाँ उपसमू ह G का एक म सू चकांक 2 है अत: H के G म केवल दो व भ न वाम
(द ण) सहसमु चय ह गे । चू ं क वे वयं भी एक वाम एवं द ण सहसमु चय ह अत: माना
क
G H Ha , जहाँ H Ha .....(1)
पुनः य द H और bH दो असंयु त वाम सहसमु चय हो तो
G H bH , जहां H bH .....(2)
(1) और (2) से
G H Ha H bH H Ha H bH
अत: Ha Hb
पुन : a Ha , Ha bH a bH
bH aH a aH
Ha bH aH
Ha aH , a G
उदाहरण 4 : य द H कसी समू ह G का एक उपसमू ह हो तथा a G क िजए क
105
1
Ha a 1 H
हल : य द H कसी समू ह G का एक उपसमू ह है तथा a G तो प रभाषानुसार
Ha
1
1
ha | h H
a 1h 1 | h H
a 1h 1 | h 1 H h H h 1 H
a 1H
उदाहरण 5 : य द H कसी समू ह G का एक उपसमू ह है तो स क िजए क दो द ण
सहसमु चय Ha,Hb भ न है य द और केवल य द दो वाम सह समु चय a H , b H 1 1
भ न है
हल : माना क समू ह G म H के दो भ न द ण सहसमु चय Ha तथा Hb है, य द स भव हो
तो माना क दो वाम सहसमु चय a H , b H 1 1
समान है तब,
1 1
a 1 H b 1 H b a 1 H aH bH b 1a H
1
b 1 H
1
[∵ H उपसमू ह है ]
ba 1 H
1
a 1 b1 H
ab1 H
Ha Hb Ha Hb ab 1 H
जो क वरोधाभास है अत:
Ha Hb a 1 H b 1 H
इसी कार
a 1 H b 1 H Ha Hb
अत: Ha Hb a 1G b 1 H
उदाहरण 6 : स क िजए क कसी समू ह G म उपसमू ह H के वाम (द ण) सहसमु चय म
केवल H ह उपसमू ह होता है।
हल : माना क समू ह G म उपसमू ह H का द ण सहसमु चय Ha है, य द Ha समू ह G का
उपसमू ह है तो त समक अवयव e इसम अव य व यमान होगा, पर तु H भी G का उपसमू ह है
इस लये
e H
अतः
e Ha H Ha H
चू ं क दो द ण सहसमु चय या तो एक समान होते ह या असंयु त
इस लये
Ha = G
106
अत: कसी समू ह G म उपसमू ह H के द ण सहसमु चय म केवल H ह उपसमू ह होता है
इसी कार कसी समू ह G म उपसमू ह H के वाम सहसमु चय म केवल से ह उपसमू ह होता है
उदाहरण 7 : य द H कसी समू ह G का एक उपसमू ह हो तथा g G हो, तो स क िजए क
(i) gHg 1 ghg 1.| h G , G का एक उपसमू ह है
(ii) य द H प र मत हो, तो o H o gHg
1
हल (i) e G ge g 1 gHg 1
gg 1 gHg 1
e gHg 1
gHg 1
अत: gHg 1 समू ह G का अ र त उपसमु चय है । अब य द gh1 g 1 तथा gh2 g 1, gHg 1
के कोई दो अवयव है, जहाँ h1 , h 2 H
तब
1 1 1
gh g gh g
1
1
2 gh1 g 1 g 1 h21 g 1
gh1 g 1 gh21 g 1
gh1h21 g 1 gHg 1 h1h21 H
इस कार
1
gh1 g 1 , gh2 g 1 gHg 1 gh1 g 1 gh2 g 1 gHg 1
gh2 g 1 समू ह G का एक उपसमू ह है
(ii) माना क एक त च ण f : H g H g 1 म इस कार प रभा षत है क
1
f h ghg h H
f h1 f h2 gh`1g 1 gh2 g 1
h1 h 2 (G म नरसन नयम से)
f एकैक है
f आ छादक है
107
Hf 1 f 1 f 2 , f 2 f 1 f 1 , f 2 H
Hf 2 f 1 f 2 , f 2 f 2 f 2 , f 2 H
Hf 3 f 1 f 3 , f 2 f 3 f 3 , f 6 f 2 f 3 f 6
Hf 4 f 1 f 4 , f 2 f 4 f 4 , f 5
Hf5 f 1 f5 , f 2 f 5 f 5 , f 4 Hf 4
Hf 6 f 1 f 6 , f 2 f 6 f 6 , f 3 Hf 3
प ट है क G म H के न न तीन द ण सहसमु चय है
H , Hf 3 , Hf4
उदाहरण 9 : य द H और K कसी समूह G के दो ऐसे उपसमू ह हो क H K स क िजए
क
G : H G : K . K : H
हल : य द H और K कसी समू ह G के दो उपसमूह है तथा H K तो H, K का भी एक
उपसमू ह होगा । अब समू ह म उपसमू ह के सू चक
ं ाक क प रभाषा से
o G
G : H ... 1
oH
o G
G : K ... 2
oK
oK
तथा K : H .....(3)
oH
(2) और (3) से
o G o K
G : K . K : H .
oK oH
o G
oH
G : H
या G : K . K : H G : H
वमू यांकन न -
बताइये क न न कथन स य है या अस य
1. 10 I के (I,+) म 10 व भ न वाम (द ण) सहसमु चय होगे ।
2. कसी समू ह के येक उपसमूह का कम से कम एक वाम सहसमु चय होता है ।
3. य द कसी समू ह G क को ट 11 है तो वह म व नमेय समू ह होगा ।
4. य द कसी समू ह Gक को ट 10 है तो इसका एक उपसमूह 7 को ट का होगा ।
108
5. य द कसी समू ह G क को ट 5 है तो इसका कोई भी उ चत उपसमूह नह ं होगा ।
6. य द o(G) = 10 तथा o(H) = 5 तो G मे H के दो द ण (वाम) सहसमु चय
होग ।
7. य द कसी समू ह G क को ट 7 है तो यह च य समू ह होगा तथा इसके 6 जनक
अवयव होगे
8. समू ह G 0,1,2,3,4,5, 6 तथा H 0,1, 2, 3 तो G : H 2
9. S4, म A4 का सूचकांक 2 है ।
10. कसी समू ह G म उपसमूह H के वाम (द ण) सहसमु चय म केवल H ह उपसमू ह
होता है ।
3.7 सारांश
इस इकाई ने हमने कसी समू ह G मे उपसमू ह H के वाम (द ण) सहसमु चय का अ ययन
कया जो क समूह G का असंयु त तु यता वग मे वभाजन करते है इस लये इन सभी वाम
(द ण) सहसमु चय का संघ G के बराबर ह होता है । सामा यत: aH Ha पर तु य द G
म व नमेय समू ह है तो समूह G म H के वाम सहसमु चय संगत द ण सहसमु चय के बराबर
होते है । उपसमूह H, समू ह G म वयं का एक वाम तथा द ण सहसमु चय होता है तथा वाम
(द ण) सहसमु चय म केवल H ह G का उपसमूह होता है। कसी समू ह G म H के कोई दो
द ण (वाम) सहसमु चय या तो सवसम होते ह या असंयु त
इस इकाई म हमने ले ज मेय वारा ात कया क उपसमूह H क को ट समू ह G
क को ट का भाजक होती है तथा अभा य को ट का येक समू ह च य होता है एवं इसका कोई
उ चत उपसमू ह नह ं होता ।
3.8 श दावल
सहसमु चय (सहकुलक) Cosets
ले ज- मेय Lagrange’s theorem,
उपसमू ह का सूचकांक Index of a Subgroup
वभाजन कलन व ध Division algorithrn
मा यूलो सवागसमता स बंध Relation of congruence Modulo
सहसमु चय वयोजन Cosets decornposition
सामा य उपसमू ह Normal subgroup
वभाग उपसमू ह Quotient group
109
5. स य, अभा य को ट के येक समू ह का उ चत उपसमूह नह ं होता है ।
6. स य H का G म सू चकांक 2 है ।
7. स य, अभा य को ट का येक समू ह च य होता है तथा त समक अवयव के अ त र त
येक अवयव इसका जनक होता है
8. अस य, H समू ह G का उपसमू ह नह ं है
9. स य, य क o S4 24, o A4 12 अतएव सू चकांक
o S4 24
2
o A4 12
10. स य
3.10 अ यास न
1. समू ह (Z +,) म H=3Z के सभी सहसमु चय ात किजए
H ,1 H , 2 H
(उ तर : H , H 1, H 2 तथा
)
2. य द G a , a , a , a 1 , o G 4, H 1, a
2 3 4
2
, G का उपसमू ह है तो H के सभी
110
इकाई 4 : समू ह समाका रता (Group Homomorphism)
इकाई क परे खा
4.0 उ े य
4.1 तावना
4.2 समाका रता
4.2.1 प रभाषा
4.2.2 समाका रता के कार
4.2.3 समाका रता क अि ट
4.3 समाका रता के गुणधम
4.4 सारांश
4.5 श दावल
4.6 वमू लायांकन न के उ तर
4.7 अ यास न
4.0 उ े य
इस इकाई म समू ह समाका रता इसके कार एवं गुणधम क चचा क गयी है । इस इकाई को
पढ़ लेने के उपरा त आप,
समू ह समाका रता एवं इसके कार के वषय म जानकार ा त कर सकगे ।
अ तरका रता एकैक समाका रता, आ छादक समाका रता, तु यका रता, समाका रता क अि ट
इ या द क जानकार ा त कर सकगे ।
एक मह वपूण मेय - कैले मेय (Cayley) के वषय म जानकार ा त कर सकगे ।
4.1 तावना
अभी तक आपने वआधार सं याओं के कसी समू ह (G, *) म गुणधम का अ ययन कया
है। अब हम दे खेग क जब हम एक समू ह (G, *) से कसी अ य समू ह (G’, *’) पर कोई फलन
प रभा षत करत ह तब यह फलन वआधार सं याओं के सापे कस कार यवहार करता है
। साथ ह हम तु यका रता का अ ययन करग जो क क ह ं दो बीजीय सरचनाओं के एक दूसरे
के समान होने क ि थ त को प रभा षत करती है ।
111
यहाँ हम यह भी कह सकत है क एक समाका रता f : G G ' म अवयव a एवं b
के म य वआधार सं या को उनके त ब ब के समू ह G ' म वआधार सं या के प म
संर त (Preserve) रखती है ।
ट पणी : यहाँ यह भी यान दे ने यो य है क समू ह G से समू ह G' मे प रभा षत येक
त च ण समका रता होना आव यक नह ं है, जो क न न उदाहरण से प ट है ।
उदाहरण : माना C0, अशू य सि म सं याओ का समू ह है एवं माना R , अशू य
0
पर तु त च ण f2 : C0 R0 : f2 z 2| Re z | z C0
एवं
z2 x2 iy2 C0
तब f2 z1 z2 f2 x1x2 y1 y2 i x1 y2 x2 y1
2 x1x2 y1 y2
जब क f 2 z1 . f2 z2 2 x1 .2 x2
4 x1x2
अथात ् f 2 z1.z2 f2 z1 . f 2 z1 z1.z2 C0
112
तब समू ह G से G' पर प रभा षत तच ण f : G G ', m , m G एक एकैक
113
समाका रता के उदाहरण :
उदाहरण 1 : माना (Z,+) पूणाको का समू ह है एवं G 1, 1, ; एक अ य समू ह है, तो
तच ण
1, य द x सम सं या
f : Z G : f x
1, य द x वषम सं या
एक समाका रता है, जो क न न ववरण से प ट है:
माना x , y Z दो पूणाक सं याएं है, तब,
ि थ त (i) x एवं y दोनो ह सम सं या है, तब x y भी एक सम सं या होगी अत:
f ( x y ) 1 , f ( x ) 1 f ( y ) इस लए f ( x y ) 1 1.1 f ( x ). f ( y )
ि थ त (ii) x एवं y दोनो ह वषम सं या है, तब भी x y एक सम सं या, अत: ह
f ( x y) 1 , f ( x ) _1 f ( y ) इस लए f ( x y) 1 (1).(1) f ( x). f ( y)
ि थ त (iii) x एवं y म से एक सम सं या है एवं दूसर वषम सं या है माना x सम
सं या है एवं y वषम सं या है, तब x y एक वषम सं या होगी, अत:
f (x y) _1एवं f (x) 1, f (y) _1 इस लए f (x y) _1 1.(_1) f (x). f ( y)
यद x वषम सं या एवं y सम सं या है, तब भी उपरो त ि थ त ह होगी
अत: सभी ि थ तयो मे f ( x y ) f ( x ). f ( y ) x , y Z अत: f एक समाका रता है ।
प टत: f आ छादक भी है, अत: f एक आ छादक समाका रता है, पर तु f एकाक नह ं है
यो क f (2) 1 f (4) पर तु 24
त च ण f क अि ट K { x Z f ( x ) 1} ( 1 समू ह G का त समक अवयव है)
K {x Z x एक त समक अवयव है }
z a o इस कार है क f z a. अत: f आ छादक है ।
a a
साथ ह ,
f z1 z2 a z1 z2 az1 az2 f z1 f z2 z1, z2 C
अतः f समू ह (C,+) से (C,+) पर तु यका रता है ।
इस लये f वका रता है
साथ ह f क अि ट
114
K z C | f z 0
K z C | az 0
K z C | z 0 a o
K 0
उदाहरण 3 : समू ह Q, , समू ह Q0 ,. के साथ तु यकार नह ं हो सकता (जहाँ Q0=Q-{0}एवं
Q प रमेय सं याओ का समु चय है ।)
हल : माना क f : Q Q0 एक तु यका रता है ।
f / 2 / 2 2
f / 2 . f / 2 2
माना x f / 2 Q0 Q / 2 Q f / 2 Q0
xx 2
x2 2
एक अशू य प रमेय सं या x Q0 इस कार है क x2 = 2
जो क एक वरोधाभास है, यो क ऐसी कोई प रमेय सं या व यमान नह ं है िजसका वग 2 है।
अत: Q, से Q0 ; म कोई तु यका रता नह ं हो सकती अथात ् Q, Q0,
≇
उदाहरण 4 : माना G 1,1, i, i ; , तब त च ण f : Z, G,. ; f x ix , xZ
आ छादक समाका रता है । यहाँ f x y i
x y
i x , i y f x . f y x, y Z
अत: f एक समका रता है ।
पुन : x Z तो येक p Z के लये x = 4p या 4p + 1 या 4p + 2 या 4p + 3 म से कोई
एक मान होगा
1, य द x 4p
i, य द x 4 p 1
अत: f x i
x
य द x 4p2 येक p Z
1,
i य द x 4p3
अत: f आ छादक है ।
इस लये ह समू ह (Z, +) से (G,.) पर आ छादक समाका रता है ।
यहाँ f क अि ट, K {x Z i 1}
x
{4 p p Z}
K 4Z
उदाहरण 5 : कसी नि चत अवयव x G के लये तच ण f : GG, f a x1ax,aG
समू ह G, क एक वका रता है ।
115
हल : माना क a , b G तब
f a f a
x1ax x1bx [G म नरसन नयम से]
a b
अत: f एकैक है ।
पुन : G के येक अवयव a के लये
xax 1 G x G, a G
ऐसा अवयव व यमान है क
f
xax x xax x x x a x x eae a
1 1 1 1 1
Z
(iii) तच ण f :Z : f n n Z2 एक समाका रता है । इस समाका रता क अि ट
Z2
K = ........... है ।
(iv) तच ण f : Z , Z , : f x x, x Z एक .............. है ।
116
(v) तच ण f : R, C0 ,. f x cos x i sin x, x R एक समाका रता है ।
इसक अि ट K = ........... है ।
2. न न त च ण म से कौन-कौनसी समाका रता है?
(i) f : Z , Z , , f n n 1, n Z
(ii) f : R0 , R0 , , f x x2 , x R
x
(iii) f : Z , Q, , f x , x Z , जहाँ q 0 Z
q
p p
(iv) f : Q0 , Z , f p q, r Q जहाँ p 0 एवं q 0
q q
3. स क िजए क न न म येक समू ह समाका रता ह । येक क अि ट भी ात क िजये
:
(i) f : C, C, , f x iy iy, x iy C
(ii) f : R0 , R0 , f x x4 , x R0
(iii) f : G, G, , f x e, x G, जहां e,G का त समक अवयव है
उपसमू ह है ।
उपपि त : (i) प टत: f H G' , साथ ह f H , य क य द H G, समू ह G, का
118
उपपि त: f G f x | x G प टत: f G G ' माना a ', b ' f G तब
a , n G ता क
f a a ', f b b ' अब
1 1
a '*' b f a *' f b
1
f a *' f b
f a * b1 f G a * b1 G
इस कार a ', b ' G a '* ' b ' ef G
1
f G , G ' का उपससमू ह है ।
मेय 3 : य द f समू ह (G,*) से समू ह (G’,*’) म समाका रता हो तो f क अि ट K, समू ह G
का उपससमूह होता ह ।
उपपि त : माना क समू ह (G, *) एवं (G’,*’)के मश: त समक अवयव e तथा e' ह । अत:
अि ट क प रभाषा से K x G | f x e '
प टत: K G , एवं f e e '
अत: e K K
माना a, b K f a e ' f b
तथा f a * b 1 f a * ' f b
1
1
e '* ' e '
e '*' e ' e '
1
अत: a*b K, इस कार यह प ट है क
a, bK a*b1 K
अत: अि ट K, समू ह G का एक उपससमू ह है ।
मेय 4 : (i) येक म व नमेय समू ह का समाकार त ब ब भी म व नमेय होता है ।
(ii) येक च य समूह का समाकार त ब ब भी च य होता ह ।
उपपि त : (i) माना (G,*) एक म व नमेय समू ह है एवं (G’,*’) एक अ य समू ह है । यह भी
माना क f : G G ' एक समाका रता है । अब हम स करना है क f (G) भी एक म
व नमेय समूह है ।
मेय 2 से यह प ट है क f G , G ' का उपससमूह है, अत: f (G) वयं एक समू ह है । f
f a a ', f b b '
a '*' b ' f b ' f b f a * b [ f एक समाका रता है 1
119
f b *' f a
b ' ' a '
इस कार a ' b ' f G a '*' b ' b '*' a '
इस लये f (G) भी एक म व नमेय है ।
(ii) माना च य समू ह (G,*) से समूह (G’,*’) पर f : G G ' एक है । साथ ह माना a G
, च य समूह G का जनक है अत: G = a
स करना है क f (G) भी च य समू ह है ।
मेय 2 से प ट है क f (G) : G' का उपसमू ह है, अत: f (G) वयं एक समू ह है
माना x f G कोई वे छत अवयव है तब n Z इस कार है क x f a n f G
साथ ह f a n f a
n
[ मेय 1 (iii) से]
n
x f a
f G का येक अवयव f (a) क एक पूणाक घात है, f (a) समू ह f (G)
1, य द x सम मचय है
f x
1, य द x वषम मचय है
120
f x ' f y 1 e ' G '
[∵ f एक समाका रता]
f x y 1 e ' G '
x y 1 K e
चू ं क K म सफ एक ह अवयव e है अत: x*y-1= e
x * y 1 * y e * y
x * y 1 * y y
x *e y
xy
अत: f एकैक समाका रता है ।
मेय 6 : य द f समू ह (G,*) से समू ह (G’,*’) पर समाका रता है और a G क को ट प र मत
हो तथा n G के बराबर हो तो f (a) क को ट n का भाजक है ।
उपपि त : यहाँ O (a) = n ( दया हु आ है)
n
अत: a = e, जहाँ e,G का त समक अवयव है एव n यूनतम धन पूणाक है
य द e',G' का त समक अवयव है, तब e’= f(e) = f(an)
n
e ' f an ( मेय 1 (iii) से)
121
तब f 1
a '* ' b ' f 1 f a * ' f b
f 1 f a * b
a *b
f 1 a ' * f 1
b '
अतः f-1, से समू ह G’पर समाका रता है उपरो त से प ट है क f-1 आ छादक समका रता है।
अत: f-1 तु यका रता है, फलत: G' G
G ' G G ' G
अत: स ब ध सम मत है ।
सं ामकता (Transitivity) : माना क (G ,*), (G ', *') एवं ( G ", *") तीन ऐसे समूह है क
G G ' एवं G ' G ''
अत: f एवं g मश: तु यका रताएं होगी क
f : G G ' एवं g : G ' G "
अब f एवं g एकैक आ छादक त च ण है, इस लये gof : G G " भी आ छादक तच ण
होगा ।
माना a , b G
तब
( gof )(a * b) g[ f (a * b)]
g[ f (a)*' f (b)]
g[ f (a)]*" g[ f (b)]
gof (a)*" gof (b)
अत: gof समू ह G से समूह G'' पर एक समाका रता है ।
फलत: gof समू ह G से समू ह G'' पर एक तु यका रता है ।
फलत: G G ''
अत:
G G ' , G ' G '' G G ''
अत: स ब ध सं ामक है ।
उपरो त से प ट है क तु यका रता का स ब ध समू हो के समु चय पर वतु य सम मत तथा
सं ामक स ब ध है, इस लये तु यता स ब ध है ।
मेय 8 : कैले- मेय (cayley’s theorem) : येक प र मत समूह कसी मचय समू ह के
तु यकार होता है ।
उपपि त : माना क (G , ) एक प र मत समू ह है, िजसका समू हांक n है, अथात ् O (G ) n ,
अत: G म n अवयव है । हम येक अवयव a G के संगत एक तच ण
fa : G G; fa (x) a* x, xG प रभा षत करते है ।
जब
122
fa ( x) f a ( y) a * x a * y
xy [ G म वाम नरसन नयम से]
अत: fa एकैक है ।
(G', o) G' { fa a G }
SG का उपसमु चय होगा । तथा अवयवो a , b G के लये
( f a ofb )( x) f a ( fb ( x)), x G
f a (b * x)
a(b * x)
(a * b)* x
f a*b ( x)
अतः
faofb fa*b
तथा
fe ( x) e * x
x
अत: fe त समक मचय है ।
124
1 1 i i
a 1, f1
1.1 1. 1 1.i 1. 1
1 1 i i
1 1 i i
1 1 i i
a 1, f 1
1 .1 1 . 1 1 i 1 i
1 1 i i
1 1 i i
1 1 i i
a i, fi
i.1 i. 1 i.i i i
1 1 i i
i i 1 1
1 1 i i
a i f i
i .1 i . 1 i .i i . i
1 1 i i
1 i 1 1
अतः कैले मेय के अनुसार समू ह G के तु याकार मचय समू ह G' { f1, f1, fi , fi }
4.4 सारांश
इस इकाई म आपने समू ह समाका रता के वषय म जानकार ा त क है । इनसे संबं धत कु छ
मह वपूण प रणाम को ात कया और कैले मेय और अ य मेयो का अ ययन कया ।
समाका रता तु यका रता वका रता, समाका रता क अि ट इ या द को अनेक उदाहरण से
समझा।
4.5 श दावल
समाका रता Homomorphism
आ छादक समाका रता Epimorphism
तु यका रता Isomorphism
अ तरका रता Endomorphism
एकैक समाका रता Monomorphism
वका रता Automorphism
अि ट Kernel
तु यकार समूह Isomorphic Groups
125
4.6 वमू यांकन न के उ तर
वमू यांकन न -1
1. (i) G (ii) हाँ
(iii) Z2 (iv) वका रता
(v) च य उपसमू ह 2
2. (i) नह ं
(ii) हाँ
(iii) हाँ
(iv) नह ं
3. (i) R
(ii) {1,-1}
(iii) G
4.7 अ यास न
1. न न ल खत म से येक का एक उदाहरण द िजये :
(i) आ छादक समाका रता जो एकैक समाका रता न हो ।
(ii) एकैक समाका रता जो आ छादक समाका रता न हो ।
(iii) समाका रता जो अ तरका रता न हो ।
(iv) अ तरका रता जो तु यका रता न हो ।
(v) तु यका रता, जो वका रता न हो ।
2. माना f एवं g, G G ' म समाका रता है, स करो क
H { x G f ( x ) g ( x )}G का उपसमू ह है ।
3. स क िजये क
तथा समूह
G ' 1 , 123 , 132 , o तु यकार समू ह है ।
5. स क िजये क न न समू ह तु यकार समू ह है ।
(i) 1, 1 ,. ; 0,1 , 2 ; 1 , 12 , o
1
(ii) 1, 2 ;3 ; 1 , 2 , o , जहाँ 1 ( x ) x, 2 ( x )
x
126
इकाई 5 : सामा य उपसमू ह (Normal Subgroup)
इकाई क परे खा
5.0 उ े य
5.1 तावना
5.2 सामा य उपसमू ह
5.2.1 प रभाषा
5.2.2 सामा य उपसमू ह के उदाहरण
5.3 सामा य उपसमू ह पर मेय
5.4 टा तीय उदाहरण
5.5 सारांश
5.6 श दावल
5.7 वमू यांकन न के उ तर
5.8 अ यास न
5.0 उ े य
इस इकाई म कसी समू ह के वशेष कार के उपसमूह - सामा य उपसमू ह (Normal
subgroup) के बारे म चचा क गई है । इस इकाई को पढ़ लेने के उपरा त आप कसी समू ह
के सामा य उपसमू ह के गुणधम के वषय म जान जायेग एवं यह भी जानकार ा त कर
सकेग क ये उपसमू ह कसी समूह के वभाग समू ह (Quotient group) को प रभा षत करने म
भी मह वपूण है ।
5.1 तावना
माना क G एक समू ह है िजसम वआधार सं या गुणा मक प म न पत होती है । माना
क H,G का कोई उपसमू ह है । यद x G,G का कोई अवयव है तब
Hx hx | h H , G म H का द ण सहसमु चय (Right coset) है , और
127
ट पणी (1) : सामा य उपसमू ह को नि चय उपसमूह (invariant subgroup) तथा वयं यु मी
उपसमू ह (self conjugate subgroup) भी कहत है ।
(2) : सामा य उपसमू ह क प रभाषा से प ट है क येक समू ह G के कम से कम दो
सामा य उपसमू ह G एवं {e} अव य होते ह, इ ह वषम सामा य उपसमू ह (improper
normal subgroup) कहत ह । G,{e} के अ त र त समू ह G के अ य सामा य उपसमूह
उ चत सामा य उपसमू ह (proper normal subgroup) कहलाते ह ।
(3) : य द कसी समू ह का कोई भी उ चत सामा य उपसमू ह व यमान न हो तो समूह सरल
समू ह (simple group) कहलाता है ।
128
हल : चू ं क अभा य को ट के एक समू ह के कोई भी उ चत उपसमूह नह ं होता (ल ांज
मेयानुसार) अत: अभा य को ट के एक समू ह के कोई उ चत सामा य उपसमू ह भी नह ं होगा,
फलत: अभा य को ट का येक समू ह सरल समूह ह ।
129
xHx 1 H , x G
( xHx 1 ) x Hx, x G
xH ( x 1 x) Hx, x G
xHe Hx, x G
xH Hx, x G
अत: G म H का येक वाम (द ण) सहसमु चय, G म H का द ण (वाम)
सहसमु चय भी है ।
तब ध क पया तता : मानाG म H का येक वाम (द ण) सहसमु चय G मे H का
द ण (वाम) सहसमु चय है । अथात ् य द x G , वाम सहसमु चय xH , एक द ण भी है
xH एक द ण सहसमु चय है
e H xe x xH
परं तु
e.x x x Hx (द ण सहसमु चय)
अत: x, xH एवं H x दो द ण सहसमु चय म है
चू ं क दो द ण सहसमु चय या तो असंयु त होते है या सवसम होते है ।
अब चू ं क x xH Hx, इस लये xH Hx
इस लये
xH Hx
( xH ) x 1 ( Hx ) x 1
xHx 1 Hxx 1 He H , x G
xHx 1 H , x G
तब मेय 1 के अनुसार H, G का सामा य उपसमू ह है ।
मेय 3 : कसी समू ह G का उपसमू ह H , G का एक सामा य उपसमू ह होता है य द और
केवल य द G म H के दो द ण सहसमु चय का गुणनफल पुन : G म एक द ण
सहसमु चय ह ।
उपपि त : माना क H, G का सामा य उपसमू ह है, और माना क a एवं ते bG के कोई
दो अवयव ह,
तब Ha और Hb , G म H के दो द ण सहसमु चय है,
अतः
(Ha) Hb H aH b [साहचयता के अनुसार]
H Ha b [ मेय 2 से H G H a a H a G ]
HH ( ab ) [ HH H ]
Hab
अब संवरक गुणधम से, a , b G ab G
130
अतएव Hab और प रणामत: (Ha) Hb , G म H का द ण सहसमु चय है ।
वलोमत: माना क H के क ह ं दो द ण सहसमु चयो का गुणनफल G म H का द ण
सहसमु चय है । अब हम यह दशाएंगे क H G , िजसके लये यह दशाना पया त है क
x h x 1 H , x G एवं h H
माना क x G , G का कोई वे छ अवयव है तब x G x 1 G
फलत: Hx एवं H x 1 , G म H के दो द ण सहसमु चय है ।
अत: द गई प रक पना के अनुसार ( Hx) Hx भी G म H का द ण सहसमु चय है, अब
1
H G
H कोई वेि छत उपसमूह है, अत: आबेल समूह G का येक उपसमू ह सामा य होता है
उप मेय 1 : एक च य समू ह का येक उपसमूह सामा य होता है ।
उपपि त : चू ं क येक च य समू ह, आबेल है, अत: उपरो त मेय से च य समू ह का येक
उपसमूह सामा य होता है।
ट पणी : उपरो त मेय का वलोम स य नह ं होता है । उदाहरण के लये
Q 1, i, j, k ,. चतु ट य समू ह का येक उपसमू ह सामा य है (उदाहरण 5.4.1)
131
समू ह G का के द, समू ह के न न अवयव का समु चय है :
Z G g G | gx xg , x G
अगले मेय म हम स करे गे क यह समु चय (समूह का के ) समूह G का एक सामा य
उपसमू ह है ।
मेय 5 : समू ह G का के Z, G का सामा य उपसमू ह होता है
उपपि त : प रभाषानुसार
Z g G | gx xg, x G
माना z1, z2 Z z1x zx1 एवं z 2 x xz 2 , x G
अब
z2 x xz2 z11 z2 x z21 z21 xz2 z11
z11 z2 xz21 z21 x z 2 z21 , x G
e xz21 z21 x e, x G
xz 21 z 21 x , x G
z 21 Z
z , z x z z x
1
1
2 1
1
2
z xz
1
1
2
z1x z21
xz1 z21
x z1 z21 , x G
z1z21 Z
Z , H का एक उपसमू ह है ।
अब हम दखाएंगे क Z , G का सामा य उपसमूह है
माना g Z एवं x G तब
xgx1 xg x1
gx x 1
g xx 1
gZ
x g x 1 Z , x G एवं g Z
Z G
132
उपपि त : माना N 1 तथा N 2 , समू ह G के दो सामा य उपसमूह ह । चू ं क यह पहले ह स
कया जा चु का है क दो उपसमूह का सव न ठ एक उपसमू ह होता है. अत: N 1 N 2 , G का
एक उपसमू ह है
अब माना
n N 1 N 2 एवं x G n N 1 एवं n N 2 एवं x G
चू ं क
N 1 G तब n N 1 एवं
1
x G xnx N1
इसी कार
N2 G xnx1 N2
xnx1 N1 N2
अतः
x G एवं n N1 N 2
xnx1n N1 N2
N1 N 2 G
मेय 7 : य द समूह G का एक उपसमूह H है, एवं N G , तो H N H , जब क
H N का G म सामा य उपसमू ह होना आव यक नह ं है ।
उपपि त : चू ं क कसी समू ह के दो उपसमू हो का सव न ठ एक उपसमू ह होता है इस लये
H N समू ह G का उपसमू ह है। अब चू ं क H N H G , एवं H एवं H N , G के
उपसमू ह है, इस लये H N ; H का भी उपसमू ह है ।
अब माना क
h H N एवं x H
h H एवं h N एवं x H
h H , x H एवं H का उपसमूह है
xhx 1 n H ..........(1)
h N , x H x G एवं N G
xhx 1 N ............(2)
(1) एवं (2) से
xhx 1 H N
अत: x h x 1 H N h H N , x H
H N H
H N का G म सामा य होना आव यक नह ,ं उदाहरण के लये
G = A4 = चार संकेतो पर सम मचय का एका तर समू ह
1 , 123 , 124 , 132 , 134142 , 143 234 ,
234 , 12 34 , 13 24 , 14 23
133
N 1 , 12 34 , 13 24 , 14 23
H 1 , 12 34
तब आप वयं यह जांच करके दे ख सकते है क H समू ह G का उपसमू ह है, परं तु सामा य
उपसमू ह नह ं है, साथ ह N G
अब
H N H H [ येक समू ह वयं का सामा य उपसमू ह होता है]
पर तु H N H , G का सामा य उपसमू ह नह ं है ।
मेय 8 : य द H कसी समू ह G का एक सामा य उपसमू ह है, तथा य द K, G का एक
उपसमू ह इस कार है क H K G , तब H , K का भी सामा य उपसमू ह होता है ।
उपपि त : चू ं क H G H , G का उपसमू ह है एवं K,G का उपसमू ह है तथा
H K H , K का उपसमू ह है ।
माना
x K x G
अब चू ं क H G Hx xH
अत: H , K का उपसमू ह है तथा Hx xH , x K
H K
ट पणी : इस मेय का वलोम स य होना आव यक नह ं है, अथात ् य द H, N समू ह G के
उपसमू ह इस कार है क H N G एवं H N तब H , G म भी सामा य हो यह
आव यक नह ं है ।
उदाहरण के लये मेय 8 मे दये उदाहरण के अनुसार G , N एवं H लेने पर H N एवं
H N G पर तु H , G म सामा य नह ं है ।
मेय 9 : य द H , G म सूचक (index) 2 का एक उपसमूह है, तो H , G का एक सामा य
उपसमू ह होता है ।
उपपि त : हम यह जानते है क कसी उपसमू ह H के कसी समू ह G म व भ न वाम (द ण)
सहसमु चय क सं या को उस उपसमू ह का सू चक (index) कहते है
O G का समु हांक
एवं यह G : H समु हाक होता है
OH का समुहांक
134
अथात ् Hx H
G का H के सापे सहसमु य वयोजन म
G H Hx या G H xH
पर तु H एवं Hx म कोई अवयव उभय न ठ नह ं है अथात ् H Hx
इसी कार
H Hx
[ कोई दो वाम (द ण) सहसमु चय या तो असंयु त होते ह या समान होते ह]
अत: H Hx H xH एवं H Hx H xH
Hx xH
अत: उपरो त दोनो ि थ तयो म Hx xH , x G , अत: प रभाषानुसार H G
मेय 10: य द H, एक समू ह G का उपसमूह है तथा N G तब
(i) HN, G का उपसमूह होता है
(ii) N HN
उपपि त : (i) चू ं क H और N एक ह समू ह G के उपसमू ह है, इस लये वे अ र त ह, फलतः
HN
माना h1 n1 एवं h 2 n 2 HN के कोई दो अवयव है, जहाँ h1 n 2 H एवं n1 n 2 N ,
अब
1
1 h1n1 h2 n2
h1n1n21h21
1 h1h21 h2 n1n 21 h21 ...(1)
परं तु H , G का उपसमू ह है
h1, h2 H hh 1 ...(2)
1 2 H
इसी कार N , G का उपसमू ह है
n1, n2 N n1n21 N
साथ ह N G एवं n1n2 N एवं
1
h2 H G n 2 G
h2 n n 1
1 2 h1
2 N ...(3)
अत: (1), (2) एवं (3) से
1 h1 h2 1 h2 n1 n 21 h21 HN
HN , G का उपसमू ह ह
इसी कार हम यह भी स कर सकते है क NH , G का उपसमू ह ह ।
(ii) चू ं क H , G का एक उपसमूह है, अतःएव त समक अवयव e H एवं कसी वे छ अवयव
n H के लये
n en HN n N
N HN
135
अब HN , G का एक उपसमूह ह, N , G का उपसमूह ह एवं N HN , अत: N , HN भी
उपसमू ह है अब चू ं क NH
अत: N HN ( मेय 8 से)
मेय 11 : माना क f समूह G से समू ह G' म समाका रता है । य द N,G का सामा य
उपसमू ह है, तो तब ब f N , f G का सामा य उपसमू ह होगा ।
माना a, b f N तब n1 , n 2 N G ता क a f n1 एवं f b n2
अब
n1n2 N n1n21 N
f n1n2 1 f N
f n1 . f n2 1 f N f एक समाका रता है
[ ]
1
f n1 f n 2 f N
ab1 f N
फलत: a, b f N ab1 f N
साथ ह
f N f G
f N , f G का उपसमू ह है ।
अब माना x f G एवं h f N
y G एवं n N ता क y f x एवं h f n
चू ं क N G एवं n N , y G yn y 1 N
f yny 1 f N
f y f n f y 1 f N [ f एक समाका रता है ]
1
f y f n f y f N
xhx 1 f N
f N f G
मेय 12 : समूह G से G' पर प रभा षत समाका रता f क अि ट G का एक सामा य उपसमू ह
है।
उपपि त : दया है
f : G G एक समाका रता है
माना K समाका रता f क अि ट है, तब
K x G | f x e ' (जहाँ e,G’का त समक अवयव
136
है)
अब चू ं क
f e e e K K (जहाँ e,G’का त समक अवयव है)
साथ ह K G
माना a, b K f a e ' f b
अब
[f, एक समाका रता है ]
1
f ab 1 f a f b 1 f a f b
1
e ' e
e'
ab 1 K
K , G का उपसमू ह है ।
माना g G , कोई वैि छक अवयव है तथा a K f a e '
f gag 1 f g f a f g 1
f g f a f g [f, एक समाका रता है ]
1
1
f g e ' | f g
1
f g f g
e'
gag 1 K
K G
5.4 टा तीय उदाहरण
उदाहरण 1 : माना n संकेतो पर सम मत समू ह Sn है तो स क िजये क सम मचय का
समू ह An , Sn का उप समूह है अथात An Sn
हल : हम यह स कर चु के ह क An ,Sn का उपसमूह है ।
य द S n तथा A n तब सम या वषम मचय हो सकता है, पर तु एक सम
मचय है । अब 1
पर वचार करते ह ।
(i) जब सम मचय है, तो -1 भी सम मचय होगा इस लये 1
सम मचय
होगा।
(ii) जब वषम मचय है, तो -1 भी वषम मचय होगा ।
इस लये
1
= ( वषम मचय) (सम मचय) ( वषम मचय)
= सम मचय
इस लये सम हो या वषम मचय हो, 1
सम मचय ह होगा ।
अत:
137
Sn , An 1 An
An S n
उदाहरण 2 : य द N और M,G के दो सामा य उपसमु चय ह, तो दशाइय क N का येक
अवयव M के येक से म- व नमेयी है । जहाँ N M e ह ।
138
xHx 1 xh1 x 1 , xh2 x 1 .......xhn x 1
xHx 1 का येक अवयव भ न है, य द नह ं तो माना क कसी i j के लये
xhi x 1 xhj x 1 1 i, j n
hi hj
जो क संभव नह ं है य क य द ऐसा हु आ तब O(H) < n
जब क O(H) = n ( दया हु आ है)
अत:
O xHx 1 n
अथात ् xHx 1 भी nको ट का उपसमूह है पर तु n को ट का केवल H ह उपसमू ह है
अत:
xH x 1 H , x G H G
उदाहरण 4 : य द H G , एवं K G तब स क िजये क HK G
हल : सव थम हम स करे गे क HK , G का उपसमू ह है
माना a , b H K h1 h 2 H एवं k 1 k 2 K ता क
a h1 k 1 एवं b h 2 k 2
अब
1
ab 1 h1k1 h2 k2
h1k1 k 21h21
h1 k1k 21 h21
चू ं क k1, k2 K k3 k1k21 K
तब
ab1 hk 1
1 3h2
h1 h21h2 k3 h21
h1h21 h2 k3h21
अब hh
1 2 H hh
1
1 2 H
साथ ह
h2 H h2 H एवं K G h2k3h21 K
अतः
ab 1 h1h21 h2 k3 h21 HK
HK , G का उपसमू ह है ।
अब हम दशाएंगे क HK G
अत: माना क x G एवं a HK h H एवं k k ता क
139
a hk
H G x hx 1 H , x G
एवं
K G xkx 1 K , x G
xhx 1 xkx 1 HK , x G
xh x 1 x kx 1 HK , x G
xh e kx 1 H K , x G
x hk x1 HK
xax 1 HK
HK G
उदाहरण 5 : य द H कसी समू ह G का एक ऐसा उपसमू ह है क x 2 H , x G , तो स
H G
हल : g G , h H gh G
2
gh H
साथ ह
g G g 1 G
g 2 H ,
h H h 1 H
अत:
h 1 g 2 H
अब
2 2
gh H , h1 g 1 H gh h1 g 2 H
gh gh h1 g 2 H
gh g g 2 H
H G
उदाहरण 6 : य द N G एवं O N 2 तब N Z G जहाँ Z G , G का के है ।
140
पर तु य द
g 1a g e
ag ge
g
= eg
a e ( नरसन नयम वारा)
जो क स य नह ं है
अथात ्
g 1ag a a Z G
अत:
N Z G
वमू यांकन न – 1
1. न न म येक का एक उदाहरण द िजये
(i) अ म व नमेय समू ह G म उपसमू ह H, जो G म सामा य नह ं है
(ii) अ म व नमेय समू ह G म सामा य उपसमू ह H
2. येक समू ह G म कम से कम दो सामा य उपसमू ह होते है ।” या यह कथन स य है
?
हाँ / नह ं
3. H G य द और केवल य द g G के लये g H g 1 ......
4. एक आबेल समू ह के कतने उपसमू ह, सामा य उपसमू ह होते ह ?
5.5 सारांश
इस इकाई म आपने कसी समू ह के सामा य उपसमूह का अ ययन कया । सामा य उपसमूह
के व भ न उदाहरण क चचा क । साथ ह सामा य उपसमूह के व भ न गुणधम का
अ ययनकर व भ न मेय को स कया ।
5.6 श दावल
सामा य उपसमू ह Normal Subgroup
सहसमु चय Coset
वषम सामा य उपसमू ह Improper Normal Subgroup
उ चत सामा य उपसमू ह Proper Normal Subgroup
सरल समू ह Simple Group
समू ह का के Centre of a Group
चतु टय समू ह Quaternion Group
समाका रता Homomorphism
समाका रता क अि ट Kernel of Homomorphism
141
5.7 वमू यांकन नो के उ तर
1. (i) माना G = S3 (तीन जीन संकेतो पर सम मत समू ह)
तब O G O S3 6 एवं प टत: G का अ म व नमेय समू ह है
2. हां
3.
H
4. सभी उपसमू ह , सामा य उपसमू ह होते है ।
5.8 अ यास न
1. माना G वा त वक सं याओं पर प रभा षत मै स का न नानुसार समू ह है:
ab
G : ad bc 0 मै स गुणन
cd
ab
एवं N : ad bc 1 मै स गुणन
cd
तो स क िजये N G
142
2. माना शइ वा त वक सं याओं पर प रभा षत मै स का न नानुसार समू ह ह:
ab
G : ad 0, मै स गुणन
0d
1b
एवं N : b R, मै स गुणन
01
3. स क िजये क N G य द और केवल य द
xy N yx N
4. माना H, समू ह G का उपसमू ह है एवं N xHx 1
xG
तब स क िजये N G
143
इकाई 6 : वभाग समू ह एवं समाका रता क मूलभू त मेय
(Quotient Group and Fundamental
Theorem of Homomorphism)
इकाई क परे खा
6.0 उ े य
6.1 तावना
6.2 वभाग समू ह या ख ड समूह
6.3 वभाग समू ह पर मेय
6.4 समाका रता क मू लभूत मेय
6.5 टांतीय उदाहरण
6.6 सारांश
6.7 श दावल
6.8 वमू यांकन न के उ तर
6.9 अ यास न
6.0 उ े य
इस इकाई म वभाग समू ह, इसके मह वपूण मेय एवं समाका रता क मू लभू त मेय क चचा
क गयी है । इस इकाई को पढ़ लेने के उपरांत आप वभाग समूह के गुणधम के वषय म जान
पायग । आप समाका रता क मू लभू त मेय के वषय म एवं अनेक उदाहरण वारा इसक
उपयो गता के बारे म भी जान सकगे ।
6.1 तावना
पछले अ याय म आपने सामा य उपसमू ह के बारे म अ ययन कया । इस अ याय म आप
यह जान सकगे क सामा य उपसमूह म या वशेष गुण है । मान ल क N कसी समू ह G
का कोई सामा य उपसमूह है । चू ं क N G अत: येक a G के लये द ण सहसमु चय
Na, वाम सहसमु चय aN के बराबर है । अतःएव सामा य उपसमू ह के संदभ म द ण और
वाम सहसमु चय म कोई अंतर नह ं है, इस लये हम कह सकत ह क Na, G म N का एक
सहसमु चय है । मान ल क G/N,Gम N के सभी सहसमु चय का स ह है ।
अत: G / N Na | a G
अब पछले अ याय से हम यह जानत ह क G म N के दो सहसमु चय का गुणनफल पुन :G
म N का एक सहसमु चय है। अब सहज ह यह न उठता है क या समु चय G/N,
सहसमु चय के गुणन के सापे एक समू ह है ? इस न का उ तर हम न न मेय से ा त
होता है ।
मेय : कसी समूह G के एक सामा य उपसमू ह N के सभी सहसमु चय का समु चय G/N,
सहसमु चयो के गुणन के सापे एक समू ह होता है ।
144
उपपि त : दया है क N G अत: Ha aN , a G साथ ह G / N Na | a G अब
हम G / N को सहसमु चय के गुणन संयोजन के सापे एक समू ह स करे ग :
संवरक गुणधम : माना N a , N b G / N ,जहाँ a , bc G तब Na Nb N aN b N Na b
अतः Na Nb NNab Nab
अब चू ं क a , b , c G ab G
अतः Nab G / N
अतः G /N सहसमु चय के गुणन के सापे संवरक (Closed) है |
साहचयता : माना Na,Nb एवं Nc समु चय के G/Nकोई तीन अवयव है, जहाँ a , b , c G तो
Na Nb Nc Na Nbc
Na bc
N ab c [ a, b, c G a bc ab c ]
N ab Nc
Na Nb Nc
145
N a N b N a b , a, b G
उदाहरण 1 : माना Z, पूणाक का योगा मक समूह है तथा
f 5Z a aa G Z
Z
इसी कार हम कसी भी mZ के लये कह सकत ह क Zm , m
mZ
यहाँ यह भी यान दे ने यो य है क Z, एवं mZ , दोन ह अप र मत समू ह है. पर तु
Z
एक प र मत समूह है ।
mZ
उदाहरण 2 : वभाग समू ह G /N ात क िजये जब क
G 1, 1, i, i , और N 1, 1 ,
य क G एक म व नमेय समू ह है, अत: N G , फल व प G /N व यमान है ।
146
N1 11, 1 1 1, 1 N
N 1 1 1 , 1 . 1 1,1 N
N i i i, 1 i i, i Ni
N i 1 i , 1 i i, i Ni
अत: G / N N , Ni
उदाहरण 3 : हम जानत ह क सम मत समूह S 3 म एका तर समू ह A 3 एक सामा य उपसमूह
S3
है, अत: प रभा षत है, साथ ह
A3
S3 I , 12 , 13 , 23 , 123 , 132
A3 I , 123 , 132
अब A 3 I A 3 1 A 3
147
6.3 वभाग समू ह पर मेय
मेय 1 : य द N एक समू ह G का सामा य उपसमू ह
O G
O G / N
ON
उपपि त : समू ह क को ट क प रभाषा से
G
O G म N के व भ न द ण (वाम) सहसमु चय
N
= G म N का सू चक (Index)
G म अवयव का सं या
=
N म अवयव कासं या [ल ांज मेय से]
O G
O N
मेय 2 : कसी आबेल समू ह का वभाग समू ह आबेल होता है पर तु वलोम अ नवायत: स य
नह ं है ।
उपपि त : माना N, एक आबेल समू ह G का एक सामा य उपसमू ह है । माना
N a , N b G / N कसी a , b G के लये
Na Nb Nab
Nba [∴ G आबेल है, अत: ab = ba ]
Nb Na
G / N आबेल है।
S3
इसका वलोम स य नह ं है उदाहरणाथ हम जानत ह क एक वभाग समू ह है, साथ ह
A3
S O S3
O 3 =
A3 O A3
S 6
O 3 2
A3 3
S3
अब चू ं क को ट 2 का येक समू ह आबेल होता है अत: एक आबेल समू ह है, पर तु हम
A3
जानत ह क
S 3 एक अ म व नमेय समूह है ।
अत: हम यह कह सकत ह क य द G/N आबेल है तो यह आव यक नह ं है क G आबेल हो।
मेय 3 : कसी च य समू ह का वभाग समू ह च य होता है, पर तु वलोम अ नवायत: स य
नह ं ह ।
उपपि त : माना क N कसी च य समू ह G का सामा य उपसमू ह है एवं a G , च य
समू ह G का जनक है, अत: G= a माना क N G / N , G / N का कोई अवयव है ।
148
तब G n Z ता क a n [G च य है]
अत: N N a N a a .......a (n बार)
n
Na Na Na.... Na (n बार)
n
Na
अत: G / N का येक अवयव (Na) क कोई पूणाक घात है, अथात Na, G / N एक जनक है।
अत: G / N का एक च य समू ह है ।
S3
इसका वलोम स य नह ं है, उदाहरण के लये हम पुन : वभाग समूह पर वचार करत ह ।
A3
S S3
चू ं क O 3 2 अब चू ं क को ट 2 का येक समू ह च य होता है, अत: एक च य
A3 A3
समू ह है, पर तु हम जानत है क S 3 एक च य समू ह नह ं है ।
अत: हम यह कह सकत ह क य द G / N च य समू ह है तो यह आव यक नह ं है क G
च य हो ।
मेय 4 : माना N एक समू ह G का सामा य उपसमू ह है, तब G / N म N क को ट m,G म
a क का ट n क एक भाजक है ।
उपपि त : वभाग समूह G / N का त समक अवयव N है ।
दया है क o ( a ) n , जहाँ a G
a n e , जहाँ e, G का त समक अवयव है ।
Na n Ne N
परं तु Na n Na a ......a (n बार)
Na Na ..... Na (n बार)
n
Na
n
Na N
G / N मे Na क को ट है m तथा (Na)n = N अत: न चय ह n, m का एक गुणन, अथात
m, n का भाजक होगा ।
मेय 5 : य द H1 एवं H2 समू ह G के दो सामा य उपसमू ह ह तो स क िजये
G / H1 G / H 2 H1 H 2
उपपि त: माना H 1 H 2 तब प ट है क
G G
H1 H 2
G G
वलोमत : माना क
H1 H 2
G G
अब चू ं क H1 H1
H1 H2
149
G
साथ ह H2
H2
अत: H 1 ,G म H 2 का सहसमू चय है, एवं H 2 भी G म H 2 का सहसमु चय है ।
पर तु G म H 2 के दो सहसमु चय या तो असंयु त ह गे या सवसम ह गे । अब य द व
e, G का त समक अवयव है, तब चू ं क H 1 G एवं H 2 G e H 1 एवं e H 2
e H 1 H 2 H 1 H 2 [अत: H 1 , H 2 ,असंयु त नह ं ह]
H1 H 2
150
xyx 1 y 1 N N , x, y G [ aH H a H ]
( xy)( yx)1 N N
xyN yxN
xN yN yN xN
G / N आबेल समू ह है ।
वलोमत : माना क G / N आबेल है, तब कसी x , y G के लये
xN yN yN xN
xyN yxN
( xy )( yx ) 1 N [ a N b N a b 1 N ]
x y x 1 y 1 N
अत: G / N आबेल है य द और केवल य द x y x 1 y 1 N , x, y G
मेय 8 : येक समू ह अपने वभाग समू ह के समाकार होता है ।
उपपि त : मानाN , कसी समू ह G का सामा य उपसमू ह है । अब एक त च ण f समू ह
G से समूह G / N पर न न कार प रभा षत करत ह
f : G G / N , f ( x ) Nx , x , y G
प ट है क Na G / N के लये a G ऐसा अवयव है क f ( a ) N a
f आ छादक है ।
पुन : a, b G के लये
f (ab) Nab Na Nb f a f b
f :G G / N पर आ छादक एवं समाका रता है, अथात G अपने वभाग समू ह के
समाकार है ।
उप मेय : यद f ,G से G/ N पर इस कार प रभा षत समाका रता है क
f ( x ) Nx , x G तो f क अि ट = N
151
N K ...... 2
समीकरण (i) एवं (ii) से
N K f क अि ट N
फलत: या तो O Z G p 3
या O Z G p 2
या O Z G p होगा ।
ि थ त (i)
यद O Z G p3 O G
Z G cG G आबेल है
जो क अस य है चू ं क Z G म व नमेय है । अत: O Z G p 3
ि थ त (ii)
यद O Z G p2 , तो
O G p3
O G / Z G 2 p
O Z G p
G / Z G अभा य को ट का समू ह है ।
153
अत: य द G को ट p 3 का अ म व नमेय समू ह है तब G का के ठ क p अवयव को
अ त व ट करता है ।
उदाहरण 2 : य द f : G G ', एक आ छादक समाका रता है और f क अि ट K है । G’ के
उपसमू ह H' के लये समु चय H ऐसे प रभा षत करत ह -
H x G | f x H '
तब स क िजए क :
(i) H, समू ह G का उपसमू ह है एवं K H
(ii) H ' G ' H G
G' G
(iii) य द H ' G ' तब
H' H
हल : (i) H चू ं क f e e ' H ' e H
माना x, y H f x , f y H '
1
f x f y H ' [ H ' का उपसमू ह है।)
xy 1
H ' H ,G का उपसमू ह है ।
चू ं क x ker f K f x e ' H '
अत: x H K H
(ii) माना H G , g ' G ', h ' H ' के लए
चू ं क f एक आ छादक समका रता है माना g G, h H इस कार है क
f g g ', f h h '
अब 1
g '1 h ' g ' f g f h f g
f g 1 f h f g
f g 1hg
H G g 1hg H , g G एवं h H के लये
f g 1hg H '
g '1 h ' g ' H ' H ' G '
वलोमत: माना क H ' G '
h H एवं g G के लये f g 1hg f g 1 f h f g
f g
1
f h f g H '
f h H ', f y G ' एवं H ' G '
g 1 hg H H G
G'
(iii) एक त च ण :G इस कार प रभा षत है क
H'
154
g H ' f g
तब सु प रभा षत है, य क g 1 g 2 होने पर f g1 f g2
H ' f g1 H ' f g2 g1 g2
पुन : g1 , g2 G के लये
155
f m g
Z
अत: समाका रता क मूलभू त मेय से G
ker f
अब
m ker f f m e
am e
O a | m
n|m
m nZ [ O a O G n ]
ker f nZ n
Z Z
अतः G या G
nZ n
ट पणी : कोई भी दो समान को ट के प र मत च य समू ह तु यकार होत है ।
उदाहरण 4 : माना G R, जहाँ R वा त वक सं याओं का समू ह है एवं N Z, जहाँ
Z पूणाको का समू ह है, तब प टत: N G
माना H z2 C0 : z 2 1
तब H, अशू य सि म सं याओ के गुणा मक समू ह
C0 , का उपसमू ह है ।
स क िजये क
G
H
N
हल : एक त च ण f : G H इस कार प रभा षत करत ह क f e2 i R
यहाँ f e2 i 1 f H म प टत: f सु प रभा षत है ।
156
अत: f समाका रता है ।
अब चू ं क f : G H एक आ छादक समाका रता है, तब समाका रता क मू लभूत मेय से
G
H
ker f
ker f f 1
e 2 i 1
cos 2 i sin 2 1 i0
cos 2 1,sin 2 0
2 2 n , जहां n Z
n
N
ker f N
G
अतः H
N
वमू याकंन न 1
1. य द G एक प र मत समू ह है एवं K,G का सामा य समूह है तो O (G /K) = ....
G G
2. य द N 1 एवं N 2 एक समूह G के दो सामा य उपसमू ह ह तो य द और केवल
N1 N 2
य द......
3. कसी समू ह G,* के लये तु छ सामा य उपसमूह e ,* एवं G,* वभाग समू ह
ात क िजए ।
4. Z / 4 Z के सभी अवयव को ात क िजये ।
6.6 सारांश
इस अ याय म आपने कसी समू ह के सामा य उपसमू ह के सापे वभाग समू ह या ख ड समू ह
का अ ययन कया है । वभाग समूह का अ ययन, कसी समू ह के सभी गुण धम के अ ययन
म बहु त मह वपूण है । कभी- कभी तो कसी समू ह के गुण धम के अ ययन के लये समूह के
अ ययन से अ धक उसके वभाग समूह का अ ययन लाभकार एवं सरल होता है । इसके
अ त र त इस अ याय म आपने समका रता क मूलभू त मेय एवं उसके अनु योग का अ ययन
भी कया जो क कसी समू ह के अ ययन म समका रताओं के अ ययन क अ नवायता को स
करती है ।
6.7 श दावल
वभाग समू ह Quotient Group
सहसमु चय Coset
सामा य उपसमू ह Normal Subgroup
सू चक Index
157
समू ह का क Centre of a Group
2. स क िजये क Z / 7Z Z7 , 7
3. स किजये क कसी समू ह G पर प रभा षत सम त आ त रक वाका रताओं का समू ह,
G / Z (G) के साथ तु यका रता है, जहाँ Z (G) समू ह G का क है ।
4. स क िजये क य द Z, पूणाक का योगा मक समू ह हो एवं G = 1, 1 , तब
तच ण
f : Z G जो न न कार प रभा षत है :
1, य द n सम पूणाक सँ या है
f n
1, य द n वषम पूणाक सँ या है
एक आ छादक समाका रता है । इस समाका रता क अि ट K को भी ात क िजए ।
5. माना R वा त वक सं याओ का समु चय है । a, b R जहाँ a0
य द ab : R R इस कार है क ab x ax b एवं G = tab : a, b R एवं
a 0 ,0 तथा N 1b G , o
G
तो स क िजये क N Gएवं R0 , जहाँ R0 R 0
N
अ यास न के उ तर
Z 2Z 5Z 10Z
1. , , , ,
10Z 10Z 10Z 10Z
2. K 2Z ......, 4, 2,0, 2, 4,6,.......
3. संकेत: एक तच ण : G R0 ,. म न न कार प रभा षत कर ab a
, जहाँ
a R 0 अब दशाइये क एक आ छादक समाका रता है । तब समाका रता क मू लभू त
G
मेय से R0 , पुन : दशाइये क ker N
Ker
158
इकाई 7 : वलय (Rings)
इकाई क परे खा
7.0 उ े य
7.1 तावना
7.2 वलय
7.2.1 वलय के कार
7.2.2 वलय के ारि भक गुणधम
7.2.3 वलय म शू य का भाजक
7.2.4 वलय म नय मत एवं यु मणीय अवयव
7.3 वलय का अ भल ण
7.4 उपवलय
7.5 सारांश
7.8 श दावल
7.9 वमू यांकन न के उ तर
7.10 अ यास न
7.0 उ े य
पछल इकाईय म आपने प
ु का व तृत अ ययन कया। आपने दे खा क प
ु केवल एक
वचर सं या स हत एक आधारभूत संरचना है। इस इकाई को लखने का उ े य दो वचर
सं याओं वाल आधारभू त संरचना का अ ययन करना है, िजसे वलय (ring) कहते ह। ऐसी
आधारभूत संरचनाओं वारा बीजग णत क मू लभू त मेय को स करना अथवा कोण क
ख डीय सम या को हल करना अ य त सरल हो जाता है।
7.1 तावना
तु त इकाई म आप केवल वलय, वलय के कार एवं ारि भक गुण धम का अ ययन करगे ।
वलय का अ भल ण एवं उपवलय से स बि धत मेय को भी स करगे ।
159
R4 येक a R के लये एक अ वतीय अवयव - a R इस कार है क
a a 0 a a
‘-a’ को a R का योग के लये तलोम अवयव अथवा योगा मक तलोम
कहते ह ।
R5 सभी अवयव a , b R के लये
a b b a (योग के लये म व नमेय नयम)
R6 a R , b R a b R (गुणन संवरक नयम)
R8 सभी a , b , c R के लये
(i) a b c a b a c (वाम बंटन का
नयम)
(ii) b c a b a c a (द ण बंटन का नयम)
ट पणी :
(1) वलय क उपरो त प रभाषा म अवधारणाओं (R1) (अथात ् योग का संवरक एवं R6
(अथात ् गुणन का संवरक नयम) का अथ है क सं याएँ '+' तथा '.' अ र त समु चय R पर
वचर सं याएँ (binary operations) ह ।
(2) समु चय R पर प रभा षत वचर सं याएँ '+' तथा '.' आव यक नह ं क (arithmetic)
योग तथा गुणन सं याएँ ह । ये कोई भी वचर सं याएँ हो सकती ह ।
(3) वलय क प रभाषा से प ट है क समु चय R, योग क सं या, '+' के सापे ती म
व नमेय के नयम का पालन करता है, पर तु गुणन क सं या '.' के सापे नह ं । यह भी
आव यक नह ं क R म गुणन के सापे त समक अवयव (identity element) व यमान हो।
(4) वलय R, ,. म '+' के सापे त समक अवयव 0 को योगा मक त समक अथवा वलय R
का (zero) शू य कहते ह । इसी कार '.' के सापे त समक अवयव (य द यह R म व यमान
है ।) को वलय R का इकाई अवयव अथवा R क इकाई कहते ह तथा इसे 1 वारा न पत
करते ह। यह रखना आव यक है क 0 तथा 1 अंकग णतीय शू य तथा एक नह ं ह । ये वलय
R के योगा मक त समक अवयव तथा गुणन के सापे त समक अवयव को तीका मक प म
द शत करते ह ।
(5) प ट है क संरचना R, ,. एक वलय कह जा सकती है य द
(i) R, एक आबेल प
ु है,
160
b c a ba ca (बंटन के नयम)
a.b b.a
तब R, ,. एक म व नमेय वलय कहलाता है ।
2. त समक वलय अथवा इकाई अवयव स हत वलय (Ring with unity) : वलय R, ,.
एक त समक वलय अथवा इकाई अवयव स हत वलय कहलाता है य द एक अ वतीय अवयव
1 R इस कार है क सभी a R के लये
a.1 1.a
1 R को वलय R का इकाई अवयव (unit element अथवा unity) कहते ह ।
3. शू य भाजक स हत वलय (Ring with zero divisor): वलय R, ,. एक शू य भाजक
161
(i) येक संरचना Z, , R, तथा Q, एक आबेल ु (समू ह) है ।
प
(ii) येक संरचना Z ,. , R,. तथा Q,. एक सा म ु अथात ् सा म समू ह (semi
प
group) है ।
(iii) सभी a , b , c Z (अथवा R अथवा Q ) के लये
a b c ab ac
तथा b c a ba ca
वा तव मे Z, ,. , R, ,. तथा Q, ,. सभी म व नमेय वलय ह, चू ं क येक समु चय
Z ,R तथा Q ने तथा प गुणन सं या के सापे म व नमेय नयम का पालन करता है।
उदहरण 2 : सामा य योगफल एवं गुणनफल सं य के सापे , सि म सं याओं का समु चय
C एक वलय है । चू ं क
(i) य द z 1 x1 iy 1 तथा z 2 x 2 iy 2 C जहाँ x1 , x 2 y1 , y 2 R तब
z1 z2 x1 iy1 x2 iy2
x1 x2 i y1 y2 C
(ii) य द z 1 x1 iy 1 , z 2 x 2 iy 2 , z 3 x 3 iy 3 C
तब z1 z2 z3 x1 iy1 x2 iy2 x3 iy3
x1 x2 i y1 y2 x3 iy3
x1 x2 x3 i y1 y2 y3
x1 x2 x3 i y1 y2 y3
x1 iy1 x2 x3 i y2 y3
x1 iy1 x2 iy2 x3 iy3
z1 z2 z3
(iii) सभी z x iy C के लए एक सि म सं या 0 0 i0 C इस कार है क
z 0 x iy 0 i 0
x 0 i y 0
x iy
इसी कार 0 z x iy अत:
z0 z 0 z z C
(iv) येक z x iy C के लये एक सि म सं या z x i y C इस कार ह
क
162
z z x iy x i y
[ x x ] i[ y y ]
0 i0 0
इसी कार ( z ) z 0 अतः
z z 0 z z
(v) सभी z1 x1 iy1, z2 x2 iy2 C के लए
z1 z2 x1 iy2 x2 iy2
x1 x2 i y1 y2
x2 x1 i y2 y1
x2 iy2 x1 iy1
z2 z1
य द z 1 x1 iy 1 , z 2 x 2 iy 2 C तब
163
i x1 y2 y1 x2 x1 y3 y1 x3
x1 y2 y1 y2 i x1 y2 y1 x2
. x1 x3 y1 y3 i x1 y3 y1 x3
x1 iy1 x2 iy2 x1 iy1 x3 iy3
z1z3 z1z3
इसी कार z2 z3 z1 z2 z1 z3 z1
अत: सि म सं याओं का समु चय C योग तथा गुणन क सं याओं के सापे वलय क
सम त अ भ ह तो का पालन करता है ।
फल व प (C, +,.) एक वलय है ।
उदाहरण 3 : य द F, वा त वक सं याओं के समु चय R पर प रभा षत सम त वा त वक
फलन (ि थरांक फलन स हत) का समु चय है, तब न न कार प रभा षत योग तथा गुणन क
सं याओ के सापे , F एक वलय है।
(i ) f g x f x g x
f , g f तथा येक x R के लये
(ii ) f g x f x . g x
उपपि त
(i) माना f , g F तब येक x R के लये
f g x f x g x जो क x R का एक फलन है । अत: f g F
फल व प f F , g F f g F
(ii) माना f , g , h F तब येक x R के लये
f g h x f g x h x
f x g x h x
f x g x h x f x , g x तथा h x R
f x g h x
f g h x
अत: f g h f g h
(iii) सभी फलन f F के लये एक अ वतीय फलन 0 F (शू य फलन) इस कार है क
येक x R के लये
f 0 x f x 0 x
f x 0
f x f x R
इसी कार
0 f x f x
164
अत: f 0 f 0 f f F
(iv) येक f F के लये एक अ वतीय फलन - f F (फलन f का ऋणा मक फलन) इस
कार है क येक x R के लये
f f x f x f x
f x f x
f x f x
0 x
इसी कार,
f f x 0 x
अत: f f 0 f f
(v) सभी f , g F के लये तथा येक x R के लये
f g x f x g x
g x f x f x .g x R
g f x
अत: f g g f
(vi) माना f , g F तथा x R , तब
fg x f x g x , जो क का एक फलन है , अतः f . g F
फल व प f F , g F f . g F
(vii) माना f , g , h F तब येक x R के लये
fg h x fg x h x
f x g x h x
f x g x h x f x , g x तथा h x R
f x gh x
f gh x
अतः fg h f gh
(viii) सभी f , g , h F के लये तथा येक के लये
f g h x f x g h x
f x g x h x
f x g x f x h x f x , g x तथा h x R
165
fg x fh x
fg fh x
अत: f g h fg fh
इसी कार, g h f gf hf f , g , h F
अत: (F, +,.) एक वलय है ।
उदाहरण 4 : य द एवं वा त वक सं याओं के समु चय R पर प रभा षत सं याएँ ह,
जहाँ,
a b a b 1
तथा a b a b ab a , b R
तब स क िजये क R, , एक इकाई अवयव स हत म व नमेय वलय है ।
हल :
(i) माना a, b R तब
a b a b 1 R
अत: a R , b R a b R
(ii) माना a , b , c R तब
a b c a b 1 c
a b 1 c 1
abc2
a b c 1 1
a b c 1
a b c
(iii) चू ं क सभी a R के लये एक अ वतीय वा त वक सं या -1 R इस कार है क
a 1 a 1 1 a
तथा 1 a 1 a 1 a
अत : -1 R ,R का शू य अवयव है ।
(iv) चू ं क येक a R के लये एक अ वतीय अवयव a 2 R इस कार क
a a 2 a a 2 1
1
इसी कार,
a 2 a a 2 a 1
1
अत: येक a R का योगा मक तलोम a 2 R ने के प म उपि थत है ।
166
(v) सभी a, b R के लये
a b a b 1
b a 1
ba
अत: R, एक आबेल प
ु है ।
(vi) माना a, b R तब
a b a b ab R
अतः a R , b R a b R
(vii) माना a , b , c R तब
a b c a b ab c
a b ab c a b ab c
a b c ab ac bc abc
a b c ab bc ac abc
a b c bc a b c bc
a b c bc
a b c
(vi) तथा (vii)से प ट है क ( R , ) एक सा म प
ु है ।
(viii) सभी a , b , c R लये
a b c a b c 1
a b c 1 a b c 1
a b c 1 ab ac a
a b ab a c ac 1
a b a c 1
a b a c
इसी कार b c a b a c a
अत: बंटन के नयम स य ह ।
अतएव R, , एक वलय है ।
167
इसी कार
0 a 0 a 0.a
= a
अत: 0 R , R का इकाई अवयव है ।
फल व प R, , इकाई अवयव स हत एक म व नमेय वलय है ।
उदाहरण 5 : य द R m n 2; m , n Z , तब
द शत क िजये क सामा य योगफल तथा
m1 n1 2 m2 n2 2 m3 n3 2 m1 m2 n1 n2 2 m3 n3 2
m1 m2 m3 n1 n2 n3 2
m1 m2 m3 n1 n2 n3 2
m1 n1 2 m2 m3 n2 n3 2
m1 n1 2 m2 n2 2 m3 n3 2
(iii) सभी m n 2 R के लये एक अ वतीय वा त वक सं या 0 0 2 R इस कार
है क
m n 2 0 m n 2 0 0 2
m 0 n 0 2
mn 2
अत 0 0 2 R , योग सं या के सापे त समक अवयव है ।
(iv) येक m n 2 R के लये चू ं क एक अ वतीय वा त वक सं या
m n 2 R सदै व इस कार है क
m n 2 m n 2 m m n n 2
00 2
0
इसी कार m n 2 m n 2 0 0 2 0
168
अत. येक m n 2 R का योगा मक तलोम m n 2R के प म
व यमान है ।
(v) सभी m1 n1 2, m2 n2 2 R के लये
m
1
n1 2 m 2 n 2 2 m1 m 2 n1 n2 2
m2 m1 n2 n1 2
m2 n1 2 m2 n1 2
अत: (R, +) एक आबेल प
ु है ।
(vi) माना m1 n1 2, m2 n2 R तब
m1 n1 2 m 2
n 2 2 m1 m 2 2 n1 n 2 m1 n 2 m 2 n1 2 R
m1 n1 2 m2 n2 2 m3 n3 2 mm 1 2 mn
1 2 2nn 1 2 mn
2 1 2 m3 n3 2
m1m2 2n1n2 m3 2 m1m2 m2 n1 n3
m1m2 2n1n2 n3 m3 m1n2 m2 n1 2
m1 m2 m3 2n2 n3 2n1 m2 n3 m3 n2
n1 m2 m3 2n2 n3 m1 m2 n3 m3 n2 2
m1 n1 2 m2m3 2n2n3 m2n3 m3n2 2
m n 2 m n 2 m n
1 1 2 2 3 3 2
(viii) सभी m1 n1 2, m2 n2 2, m3 n3 2 R के लए
m1 m 2 2 n1 n 2 m1 n 2 m 2 n1 2
m1m 3 2 n1 n3 m1 n3 m 3 n1 2
m1n1 2 m2 n2 2 m1 n1 2 m3 n3 2
169
इसी कार द ण बंटन नयम भी स य है ।
अत: (R, +,.) एक वलय है ।
(ix) चू ं क सभी m1 n1 2, m2 n2 2 R के लये
m n 2 m n 2 m m 2n n m n m n
1 1 2 2 1 2 1 2 1 2 2 1 2
m2m1 2n2n1 m2n1 m1n2 2
तथा
m 2 n2 2 m1 n1 2
(x) चू ं क सभी m n 2 R के लये एक अ वतीय वा त वक सं या 1 0 2 R इस
कार है क
m n 2 1 0 2 m.1 0 m.0 n.1 2
mn 2
इसी कार
1 0 2 m n 2 m n 2
m1 in1 m2 in2 m1 m2 i n1 n2 J
m1 m2 तथा n1 n2 Z
अतः m1 in1 J , m2 in2 J m1 in1 m2 in2 J
इसी कार ,
m1 in1 m2 in2 m1m2 n1n2 i m1n2 m2n1 J
m1m2 n1n2 तथा m1n2 m2n1 Z
अतः m1 in1 J , m2 in2 J m1 in1 m2 in2 J
अथात ् सि म सं याओं के लये योग तथा गुणन क सं याएँ J, पर वचर (binary)
सं याएँ है । चू ं क J, सि म रा शय का समु चय है, अत: वलय क अ य सम त अ भ ह त
उदाहरण 2 क तरह स य द शत क जा सकती ह । अत: (J, +,.) एक वलय है । पुन : चू ं क
दो अशू य सि म सं याओं का गुणनफल भी चू ं क एक अशू य सि म सं या होती है, अत:
170
m 1 in 2 0 J , m 2 in 2 0 J
अतः a, b S , c, d S a, b c, d S तथा a, b c, d S
अथात ् एवं वचर सं याएँ ह ।
(ii) माना a, b , c, d e, f S
तब a, b c, d e, f a c , b d e, f
a c e, b d f
a c e , b d f
a, b c e, d f
a, b c, d e, f
तथा a, b c, d e, f ac, bd e, f
ac, e, bd f
a ce , b df
a, b ce, df
a, b c, d e, f
अथात एवं के सापे साहचय नयम स य ह ।
(iii) चू ं क सभी a, b S के लये मत यु म 0, 0 S
इस कार है क
a, b 0,0 a 0, b 0
171
a,b
इसी कार,
0, 0 a.b 0 a,0 b
a,b
तथा चू ं क सभी a, b S के लये मत यु म 1,1 S इस कार है क
a, b c, d e, f a, b c e, d f
a c e , b d f
ac ae, bd bf
ac, bd ae, bf
a , b c , d a , b e, f
इसी कार,
c, d e, f a , b c, d a , b e, f a, b
अथात ् बंटन के नयम का पालन होता है ।
(vi) सभी a, b , c, d S के लये
a , b c, d a c, b d
c a, d b
c, d a , b
172
तथा
a , b c , d ac, bd
ca , db
c, d a, b
अत: एवं म व नमेय है ।
(vii) S शू य भाजक स हत समु चय है चू ं क जैसे -
5, 0 S 5, 0 0, 0
तथा 0, 2 S 0, 2 0, 0
पर तु (5,0) 0,2 (5 0,0 2)
(0, 0)
अत: 5,0 (0,0), 0, 2 0,0 (5,0) 0,2 0,0
फलत: S , , इकाई अवयव स हत एवं शू य भाजक स हत एक म व नमेय वलय है ।
173
a n 0 a तथा ( a तथा 0 के साधारण योगफल a+0 को m से वभािजत करने
पर शेष a ा त होता है)
इसी कार,
0 n a a
अत: 0 I n , I n का शू य है ।
a n n a 0 n a n a
अत: येक अशू य a I n का योगा मक तलोम n a I n के प म व यमान है । साथ
ह चू ं क 0+0n=0, अत: 0 का योगा मक तलोम 0 है ।
(v) सभी a , b I n के लये
a n b b n a
a b b a a, b Z
अत: In , n एक आबेल प
ु है ।
(vi) x n क प रभाषा से हम जानते है क सभी a, b Z के लये
a n b r जहाँ r वह यूनतम अऋणा मक शेष पूणाक है, जो a तथा b के साधारण
गुणनफल ab को, n से वभािजत करने पर ा त शेषफल के प म होता है । प ट है क
0 r n
अत: य द a , b I n , तब प टत: a , n b I n , , इस लये a I n , b I n a , n b I n
(vii) माना a , b I n , तब
174
(ix) चू ं क सभी a, b Z के लये ab = ba
अत: a n b b n a , b I n
अतएव In , n , n एक म व नमेय वलय है ।
0a 0 (योगा मक प
ु R म वाम नरसन नयम से)
अत:
a 0 0 0 a a R
(ii) यह स करने के लये क a b a b हम स करना है क
a b a b 0
a b a b a b b (वाम बंटन नयम से)
a0
0 ((i) से)
अतः a b a b
इसी कार
a b a b a a b
0 b
175
0 ((i) से)
अत: a b a b
फल व प
a b a b a b
(iii) चू ं क a b a b ((ii) से)
अतः a b a b
a b ((i) से)
a b
(iv) a b c a b c
a b a c ((ii) से)
ab a c
(v) b c a b c a
b a c a ((ii) से)
ba ca
मेय 2 : स क िजये क वलय R, , एक शू य भाजक र हत वलय होती है और केवल
जहाँ ab = ac तथा a 0
तब ab ac ab ac ac ac
ab a c 0
a b c 0 ( R शू यभाजक र हत तथा a 0)
b c 0
bc
अथात ् R म वाम नरसन नयम स य है । इसी कार द शत कया जा सकता है क R म
नरसन नयम भी स य है ।
य द भाग अब माना क R म नरसन नयम लाग होते ह तथा माना क
ab 0; a 0
तब ab 0 ab a 0 a, 0 0
b0 (वाम नरसन नयम से)
176
अत: ab 0 b 0, य द a 0
इसी कार माना क ab = 0 तथा b 0
तब ab 0 ab 0b
a 0 (द ण नरसन नयम से)
अत: ab 0 a 0, अथवा b 0
अतएव ab 0 a 0 अथवा b 0
अथात ् R शू य भाजक र हत वलय है ।
वलय R, , का कोई अशू य अवयव a शू य का वाम भाजक (left divisor of zero) है
य द कोई अशू य अवयव b R इस कार ह क a b 0
इस दशा म b को शू य का द ण भाजक (right divisor of zero)एकहते ह । इसी कार
वलय R का कोई अशू य अवयव b शू य का द ण भाजक कहलाता है य द कोई अवयव
a R , a 0 इस कार है क a b 0 अशू य अवयव a R य द शू य का वाम भाजक
तथा द ण भाजक भी है, तब यह शू य का भाजक (divisor of zero) कहलाता है ।
177
अथात ् a, शू य का भाजक नह ं है ।
मेय 4 : इकाई अवयव स हत वलय R, , म सभी नय मत (एकांक) अवयव का समु चय
गुणन सं या के सापे एक प
ु होता है ।
उपपि त : माना क I, इकाई अवयव स हत वलय R म सभी एकांक ( नय मत) अवयव का
समु चय है । माना a , b I तथा माना क a 1 तथा b1 मश: a तथा b के गुणना मक
तलोम ह । तब
a b b 1 a 1 a bb1 a 1
a 1 a 1
aa 1
= 1
इसी कार,
b 1
a 1 a b b 1 a 1 a b
b 11b
b 1b
1
अथात ् ab R , एक नय मत अवयव है तथा इसका गुणना मक तलोम b 1a 1 है अथात ्
a b I
अत: a I,b I a b I
चू ं क 1 R, तथा R गुणन सं या के लये सहचार है, इस लये समु चय 1 गुणन सं या के
सापे साहचय नयम का पालन करता ह ।
चू ं क 1.1= 1 , इस लये 1 1, गुणन सं या के लये त समक अवयव है ।
चू ं क येक नय मत अवयव a का गुणना मक तलोम a 1 भी एक नय मत अवयव
अत: a I a 1 I
फलत : I , एक प
ु है ।
उदाहरण 9 : य द (R+,.) कोई वलय इस कार ह क a 2 a a R , तब द शत क िजये
क
(i) a a 0 a R (अथात ् R का येक अवयव वयं का तलोम है ।)
(ii) a b 0 a b
(iii) R एक म व नमेय वलय है ।
हल :
(i) मानाaR
तब a R a a R
( दया है ।)
2
a a a a
अब
2
a a aa
a a a a a a
178
a a a a a a a a (वाम बंटन नयम से)
a2 a2 a2 a2 a a (द ण बंटन नयम से)
a a a a a a a 2
a
a a a a a a 0
aa 0 (R म योग के सापे वाम नरसन नयम
से)
(ii) हमने अभी स कया है क
aa 0
अत: a b 0 a b a a a , b R
ba (R म योग के सापे वाम नरसन नयम से)
ab
(iii) माना a , b R , तब a bR
अत: a b
2
ab ( दया है ।)
a b a b a b
a b a a b b a b (वाम नरसन नयम से)
a ba ab b a b a 2
a, b 2 b
a b ba ab a b 0 (योग के सापे साहचय एवं म व नमेय नयम से)
179
na 0 a Z
अथात ् सभी a Z के लये
na 0 n N
फलत: वलय (Z,+.) का अ भल ण 0 है ।
दूसर ओर य द हम योग माप 6 (+6) तथा गुणन माप 6 ( )6 के लये वलय
Z6 , 6 , 6 ल, जहाँ Z6 0,1, 2,3, 4,5 , तब हम दे खते ह क 6 एक ऐसा यूनतम
धना मक पूणाक है क
6 6 a 0 a Z 6
180
5. इकाई अवयव स हत वलय (R,+,.) के सम त नय मत अवयव का समु चय I, गुण न
सं या के सापे ................................एक होता ह ।
6. वलय (R,+,.) म येक अवयव a के लये य द a a ,तब R एक.................................
2
होता है ।
7. य द वलय (R,+,.) का अ भल ण 2 है, तब R एक ..................................वलय होती है।
8. वलय (R,+,.) म य द सभी पूणाक n N के लये na 0 a R तब R का
अ भल ण.................................. होता है ।
9. वलय (R,+,.) म यद नरसन के नयम लागू होत है, तब R एक
..................................वलय होता है ।
(i) a S , b S a b S
(ii) a S , b S ab S
(अथात ् R पर प रभा षत वचर सं याएँ + तथा . ,S पर भी वचर ह ।) ऐसी दशा म
सं याएँ + तथा ., समु चय S पर े रत सं याएँ (inductd compositions)) कहलाती ह ।
वलय (R,+,.) का उपसमु चय S,R, का एक उपवलय (subring) कहलाता है, य द S,R
क वचर सं याओं के लये थाई है तथा े रत सं याओं के सापे S, वयं एक वलय है ।
दूसरे श द म कहा जा सकता ह क य द वलय (R,+,.) का उपसमु चय S,R का एक उपवलय
कहलाता है, य द (S,+,.) वयं एक वलय है ।
उदाहरण के लये (R,+,.), (Q,+,.) एवं (Z,+,.) सभी सामा य योग तथा गुणन क सं याओं के
सापे वलय ह, जहाँ R,Q तथा Z मश: वा त वक, प रमेय तथा पूणाक सं याओं के समु चय
ह।
पर तु चू ं क Z Q R , अतः (Q,+,.) वलय (R,+,.) तथा (Z,+,.) वलय (Q,+,.) का उपवलय
है ।
मेय 6 : वलय (R,+,.) के कसी अ र त उपसमु चय S को R का एक उपवलय होने के लये
आव यक और पया त तब ध है क
(i) a S , b S , a b S
(ii) a S , b S , ab S
उपपि त : आव यक तब ध माना क S, वलय R का एक उपवलय है ।
तब
a S , b S , a S , b S (∵ S वयं एक वलय है ।)
a b S (योग के संवरक नयम से)
a bS
पुन : a S , b S , a.b S , (चू ं क S वयं एक वलय है, अत: गुणन के लये संवरक नयम
से)
181
अतएव दये हु ये तब ध S के लये आव यक है ।
पया त तब ध अब माना क
(i) a S , b S , a b S
(ii) a S , b S , a.b S
तब स करना ह क S,R का एक उपवलय ह, i.e.,S वयं एक वलय है ।
तब ध (i) से,
a S, a S a a S
0S
पुनः तब ध (i) से)
0 S, a S 0 a S
a S
अतः a S a S
अब a S , b S a S , b S
a b S ( तबंध (i) से)
अथात ् S योग के लये संवरक नयम का पालन करता है ।
तबंध (ii) से,
a S , b S a.b S
अथात ् S गुणन के लये संवरक नयम का पालन करता है । चू ं क S R इस लये S, योग
एवं गुणन सं याओं के लये साहचय नयम का पालन करता है । साथ ह योग के लये
म व नमेय है तथा गुणन क सं या योग सं या पर बंटनीय है ।
अतएव S एक वलय है अथात ् S, R का एक उपवलय है ।
मेय 7 : वलय (R,+,.) के उपसमु चय S को R का एक उपवलय होने के लये आव यक और
पया त तब ध है क
S S S
(i)
(ii) SS S
उपपि त : तब ध क आव यकता माना S, वलय R, का एक उपवलय है । तब
a S , b S a b b S S
a b S S
पर तु S, R का उपवलय है, इस लये
a S,b S a b S ( पछल मेय से)
अत: a b S S a b S
S S S .....(1)
अब a S a a 0 S S 0 S 0 S
a S S
S S S ....(2)
समीकरण (1) व (2) से
182
S S S
यह तब ध (1) है
पुन : a S , b S ab SS
पर तु चू ं क S, R का उपवलय है
अत: a S , b S ab S
अत: ab SS ab S
अथात ् SS S
यह तब ध (2) है।
तब ध क पया तता
अब माना क
(i) S S S
(ii) SS S
तब स करना ह क S, वलय R का उपवलय है ।
अब a S , b S a b S S
a b S S
a bS ....(3) ((i) से)
तथा a S , b S ab SS
ab S ....(4) ((ii) से)
समीकरण (3) तथा (4) से प ट है क S, R का उपवलय है ।
मेय 8 : स क िजए क वलय R के क ह ं भी दो उपवलय का सव न ट (intersection) भी
R का एक उपवलय होता है ।
उपपि त : माना S1 तथा S 2 वलय (R,+,.) के कोई दो उपवलय ह । तब S1 S 2 को R का
उपवलय द शत करने के लये हम यह द शत करगे क
(i) a S1 S 2 , b S1 S 2 a b S1 S2
(ii) a S1 S 2 , b S1 S 2 ab S1 S 2
अब
a S1 S2 , b S1 S 2 a S1 , a S2 तथा b S1 , b S2
पर तु चू ं क S1 तथा S 2 ,R के उपवलय ह ।
इस लये a S1 , b S1 a b S1
तथा a S1 , b S1 ab S1
इसी कार, a S 2 , b S2 a b S 2
तथा a S 2 , b S 2 ab S 2
अत: a b S1 , a b S2 a b S1 S2
तथा ab S1 , ab S2 ab S1 S 2
फलत: (i) तथा (ii) स य ह । अथात ् S1 S 2 , R का उपवलय है ।
183
उदाहरण 10 : य द R वा त वक सं याओं का समु चय है तथा S a b 2; a , b Z तब
(i) x S , y S x y S
(ii) x S , y S xy S
अब x S , y S x a b 2, y c d 2 जहाँ a, b, c, d Z
तब x y a b 2 c d 2
a c b d 2 S a, b, c, d Z a b, c d Z
तथा xy a b 2
c d 2
ac 2bd ad bc 2 S a, b, c, d Z ac 2bd, तथा ad bc Z
अतः x S , y S x y S तथा xy S
फल व प S,R का उपवलय है ।
उदाहरण 11 : य द (R,+,.) एक वलय है तथा a R , तब स क िजये S, R का उपवलय है,
जहाँ S x R : ax 0
हल : हम द शत करगे क
(i) x S , y S x y S
(ii) x S , y S xy S
चू ं क 0 R, तथा दया है क aR
अत: a.0 0 S (S क प रभाषा से)
अथात ् S अ र त है ।
अब माना क x, y S तब
x S , y S ax 0, ay 0
चू ं क a x y a x y
ax a y
ax ay
00
0
इस लये ax y 0 x y S ...(1)
पुन : चू ं क a xy ax y
0y 0
इस लये a xy 0 xy S ......(2)
(1) व (2) से प ट है क
x S , y S x y S तथा x. y S
अथात ् S, R का उपवलय है ।
184
वमू यांकन न 2
1. य द S, वलय (R,+,.) का एक उपवलय है, तब R क वचर सं याएँ + एवं S पर
.............कहलाती ह ।
2. य द S वलय (R,+,.) का उपवलय ह, तब S S S एवं .............. आव यक
तब ध है ।
3. वषम पूणाक का वलय, वलय (Z,+,.) का उपवलय ..................... है |
7.5 सारांश
इस इकाई म आपने वलय क प रभाषा, उनके व भ न कार एवं वलयो के ारि मक गुणधम
का अ ययन कया । वलय का अ भल ण एवं उपवलय तथा उपवलय होने के लये आव यक एवं
पया त तब ध से स बि धत मेय को स कया ।
7.6 श दावल
वलय Ring
वचर सं याएँ Binary operations
इकाई अवयव Unity element
शू य का भाजक Divisor of Zero
बूल य वलय Boolean ring
सा म प
ु Semi group
गाऊसींय पूणाक Gaussian integers
मत यु म Ordered pair
योग माप Addition Modulo n
गुणन माप Multiplication modulo n
नरसन नयम Cancellation laws
नय मत Regular
एकांक अवयव Unit element
यु कमणीय Singular
अ भल ण Characteristic
उपलवय Subring
े रत सं याएँ Induced composition
185
9. शू य भाजक र हत
वमू यांकन न -2
1. े रत सं याएँ 2. नह ं होता ।
3. SS S
7.8 अ यास न
0 a
1. स क िजये क सभी 2 x 2 आ यूह (matrices) , ab R का समु चय M,
0 b
आ युह के लये योग तथा गुणन सं याओं के सापे एक वलय है ।
2. स क िजये क (R,+,.) जहाँ R a b 2 : a.b Z
इकाई स हत एक म व नमेय
186
इकाई 8 : पूणाक य ा त एवं े (Integral Domains
and Fields)
इकाई क परे खा
8.0 उ े य
8.1 तावना
8.2 पूणाक य ा त
8.2.1 पूणाक य ा त का अ भल ण
8.3 े
8.3.1 े का अ भल ण
8.4 मत पूणाक य ा त
8.4.1 मत े
8.5 उप े
8.5.1 े का अभा य े
8.6 सारांश
8.7 श दावल
8.8 वमू यांकन न के उ तर
8.9 अ यास न
8.0 उ े य
इस इकाई का उ े य वलय के दो वशेष कार “पूणाक य ा त” तथा “ े ” का
अ ययन करना ह । इन वशेष वलय के गुणधम का अमूत बीजग णत के व तार म अ य त
उपयोगी योगदान ह ।
8.1 तावना
इकाई के थम भाग म पूणाक य ा त तथा े क प रभाषा एवं उनम पार प रक
स ब ध को मेय के मा यम से बताया गया ह । पूणाक य ा त एवं े क अ भल ण तथा
स बि धत मेय का अ ययन कया गया है । वतीय भाग म मत पूणाक य ा त तथा
मत े क प रभाषाएँ तथा कु छ उदाहरण दये गये ह । इकाई के अ त म उप े तथा
अभा य े का अ ययन कया गया है ।
187
a0 a 0a
0 को D का शू य अथवा योग का त समक अवयव कहते ह ।
D4 येक a D के लये एक अ वतीय अवयव b D इस कार है क
ab 0 ba
b का a ऋणा मक अथवा योगा मक तलोम कहते ह तथा इसे -a वारा न पत
करते ह । अत: येकa D के लए
a a 0 a a
D5 a b b a a, b D (योग के लये म व नमेय नयम)
D6 a D, b D ab D (गुणन का संवरक नयम)
D8 (i )a. b c ab ac तथा
(ii) b c .a ba caa , b, c D (बंटन नयम)
D9 सभी a, b D के लये
ab ba (गुणन के लये म व नमय का नयम)
188
उपपि त : हम जानते है क Z n , n , n जहाँ Z n 0,1, 2,....., n 1 एक म व नमेय
वलय होता है (इकाई-7 का उदाहरण 8)
चू ं क सभी a Z n के लये अ वतीय अवयव 1 Z n इस कार है क
a n 1 वह यूनतम अऋणा मक शेष सं या जो a.1 को अथात ् a को n से वभािजत
करने पर ा त होती है ।
= a a n
इसी कार
1 n a a
अत: Z n , n , n इकाई अवयव 1 स हत एक म व नमेय वलय है ।
सव थम माना क Z n , n , n एक पूणाक य ा त ह । तब Z n शू य भाजक र हत है ।
अथात ् सभी a , b Z n के लये
a n b 0 a 0 या b 0
हम स करना है क n एक अभा य सं या है । य द स भव हो तो माना क n अभा य नह ं
है
तथा
n n1 .n2 जहाँ 0 n1 n तथा 0 n2 n
तब n1 n n2 n1 .n2 को n से वभािजत करने पर ा त शेष यूनतम अऋणा मक सं या
= n को n से वभािजत करने पर ा त शेष यूनतम अऋणा मक सं या ( n1 n2 n
)
अत: Z n म दो पूणाक n1 तथा n2 इस कार ह क n1 0, n2 0 पर तु n1 n2 0 अथात ्
Z n शू य भाजक र हत नह ं है, जो क अस य है, चू ं क Z n एक पूणाक य ा त ह । अत: n
एक अभा य सं या ह ।
वलोमत: माना क n एक अभा य सं या है तब हम स करगे क Z n , n , n एक पूणाक य
ा त है । हम जानते है क Z n , n , n इकाई अवयव स हत एक म व नमेय वलय होता ह ।
माना a, b Z जहाँ a n b 0
तब
a n b 0 n, a.b का भाजक है
n, a का भाजक है या n, b का भाजक ह ।
a 0 या b 0 n, अभा य है तथा 0 a, n; u b n )
अत: Z n शू य भाजक र हत है ।
अथात ् Z n , n , n एक पूणाक य ा त है ।
189
य द कोई भी धना मक पूणाक n इस कार नह ं है क na 0 a D अथात ् य द
सभी n N के लये na 0 a D , तब पूणाक य ा त D का अ भल ण शू य अथवा
अन त कहलाता है
पछल इकाई म हम स कर चु के ह क इकाई अवयव स हत वलय अ भल ण शू य
अथवा एक धना मक पूणाक n होता है य द इकाई अवयव 1 क को ट (1 को योगा मक प
ु का
अवयव मानते हु ये) शू य अथवा n है । चू ं क पूणाक य ा त इकाई अवयव स हत एक
म व नमेय वलय होता है जो क शू य भाजक अवयव र हत है, अत: पूणाक य ा त (D,+,.)
का अ भल ण न न कार से भी प रभा षत कया जा सकता है:
वह यूनतम धना मक पूणाक n (य द यह व यमान ह ।) जो इस कार है क
n.1 0 जहाँ 1, पूणाक य ा त (D,+,.) का इकाई अवयव तथा 0,D का शू य अवयव
(योगा मक त समक) है, पूणाक य ा त (D,+,.) का अ भल ण कहलाता है ।
य द कोई भी धना मक पूणाक n इस कार नह ं है क n.1 0 , अथात ् य द n.1 0
n N तब D का का अ भल ण शू य अथवा अन त है ।
मेय 2 : पूणाक य ा त (D,+,.) के क ह भी दो अशू य अवयव क को टयाँ (order) उ ह
योगा मक प
ु (D,+,.) के सद य मानते हु ऐ, सदै व समान होती है ।
उपपि त : माना (D,+,.) एक पूणाक य ा त है, तथा a, b D जहाँ a 0, a 0 . माना
योगा मक प
ु के अवयव मानते हु ये a क को ट n है । तब n वह यूनतम धना मक पूणाक है
क n.a 0
पर तु na 0 na b 0.b 0
( a a ......................n पद) b = 0
ab ab ....................n पद = 0 (बंटन नयम से)
( a b b ...................n पद) = 0 (बंटन नयम से)
a (nb) 0
nb 0 a 0 तथा D शू य भाजक र हत ह ।)
O b n
O b O a ....(1)
इसी कार हम स कर सकते है क
O a O b .....(2)
190
O b m mb 0
a mb 0
a (b b ................m पद) = 0
ab ab ................m पद = 0
a a ....................m पद) b = 0
ma b 0
ma 0 ( D शू य भाजक र हत है तथा b0)
O a m
जो द शत करता है क O a 0 , एक वरोधाभास, चूँ क O a 0. अत: हमार प रक पना
अस य है अथात ् O b 0 य द O a 0
अतएव येक ि थ त म O a O b
मेय 3 : पूणाक य ा त (D,+,.) का अ भल ण शू य अथवा एक घना मक पूणाक n होता है,
य द D के कसी भी वे छ अशू य अवयव को a (a को योगा मक प
ु (D,+,.) का सद य
मानते हु ये) क को ट शू य अथवा n है ।
उपपि त : माना क (D,+,.) एक पूणाक य ा त है तथा a D , कोई वे छ अशू य अवयव
है। य द a क को ट शू य है, तब कोई भी धना मक पूणाक n इस कार नह ं है क na = 0
अत: सभी n N के लये
nb 0 b D
फल व प D का अ भल ण शू य है । अब माना क योगा मक प
ु D का सद य मानते हु ये,
अशू य अवयव a क को ट एक प र मत धना मक पूणाक n है । तब n वह यू तम धना मक
पूणाक है क na = 0
अत:
na 0 na b 0 b D
( a a ......................n पद) b = 0
ab ab ................n पद) = 0 (बंटन नयम से)
a(b b ................n पद = 0 (बंटन नयम से)
a nb 0
nb 0 ( D , शू य भाजक र हत है तथा a 0)
अत: n वह यूनतम धना मक पूणाक है क
nb 0 b D
अथात ् D का अ भल ण n है ।
मेय 4 : पूणाक य ा त का (D,+,.) अ भल ण शू य अथवा एक अभा य सं या होती है ।
उपपि त : माना क (D,+,.) एक पूणाक य ा त है तथा माना क a D कोई वे छ अशू य
अवयव है । य द योगा मक प
ु (D,+) का सद य मानते हु ये a क को ट शू य है, तब D का
अ भल ण शू य है । अत: मेय स होती है ।
191
पर तु य द a क को ट एक प र मत धना मक पूणाक है, तब D का अ भल ण भी n है
। हम स करगे क n एक अभा य सं या है । य द स भव हो तो माना n एक अभा य सं या
नह ं है तथा n n1 .n2 जहाँ n1 1, n2 2 एवं n1 n2 , n2 n . अब चूँ क D का अ भल ण
,
n है तथा m एक यूनता धना मक पूणाक इस कार है क
na = 0 (चूँ क O(a) = n)
इस लये
n1n2 a 0
n1n2 b 0.b 0 b D , जहां b 0
n1 n2 a b 0
[ n1 (a a ...............n2 पद) b = 0
n1 a a...............n2 पद) b] = 0
n1 ab ab ...............n2 पद) = 0
n1[ a (b b ...............n2 पद)] = 0
n1 a n2b 0
n1a n2b 0
n1a 0 या n2 b 0
(चू ं क D एक पूणाक य ा त है अत: शू य भाजक र हत गु ण से)
सव थम माना क n1a 0
O a n1 n
जो अस य है, चूँ क O a n
इस लये माना क n2 b 0
तब
O b n2 n
जो पुन : अस य है, चूँ क O b O a n
अत: हमार प रक पना क n एक अभा य सं या नह ं है, अस य है । अथात ् n अभा य सं या
है ।
8.3 े (Field)
माना F एक अ र त सु चय है तथा + एवं .,F पर प रभा षत कोई दो सं याएँ ह तब संरचना
(F,+,.) एक े कहलाती है य द :
F1 a F,b F a b F
F2 a b c a b c a , b , c F
F3 सभी a F के लये एक अ वतीय अवयव 0 F इस कार है क
a0 a 0a
192
0 F को F का शू य अथवा योगा मक त समक कहते ह ।
F4 येक a F के लये एक अ वतीय अवयव b F इस कार है क
ab 0 ba
b F को a का ऋणा मक अथवा योगा मक तलोम कहते ह तथा इसे -a वारा
न पत करते ह । अत: येक a F के लये
a a 0 a a
F5 a b b a a, b F
F6 a F , b F a.b F
F7 a.b c a. b.c a, b, c F
F8 (i) a b c ab ac तथा
(ii)
b c a ba caa, b, c F
F9 a.b b.aa, b F
F10 सभी a f के लए एक अ वतीय अवयव 1 f इस कार है क
a 1 a 1 a
1 F को, F का इकाई अवयव अथवा गुणा मक त समक कहते ह।
F11 येक अशू य अवयव a F के लए अ वतीय अशू य अवयव b F इस कार
व यमान है क
ab 1 b a
b को अशू य अवयव का a a 0 का गुणा मक तलोम (multiplicative inverse)
कहते ह तथा इसे a वारा न पत करते ह। अत: येक a F a 0 के लए
1
एक अ वतीय अवयव a F a 1 0
1
इस कार है क
aa 1 1 a 1a
ट पणी :
1. अ भ ह त से F1 से F8 , F10 तथा F11 से प ट है क F , , एक भागफल वलय
(division ring) है।
2. अ भ ह त F1 से F11 वारा प ट है क F , , एक म व नमेय, भागफल वलय है।
अत: कहा जा सकता है क म व नमेय भागफल वलय (commutative division ring) एक े
होता है।
उदाहरण के लये Fn , n , n जहाँ Z n 1, 2................., n 1 तथा n एक अभा य सं या
है, एक े है।
मेय 5 : येक े शू य भाजक र हत होता है।
अथवा
193
येक े एक पूणाक य ा त होता है।
उपपि त : माना क F , , एक े है। तब F, इकाई अवयव 1 स हत एक म व नमेय
वलय है, िजसम येक अशू य अवयव का गुणन के सापे तलोम अवयव व यमान है। हम
स करना है क F, शू य भाजक र हत है।
माना a, b F जहाँ a 0 तथा ab = 0
तब चूँ क
a0
इस लये
a 1 F
अब
ab 0 a 1 ab a 1 0
a 1 a b 0
1b 0
b0
अत:
ab 0 a 0 य द a 0
इसी कार स कर सकते ह। क
ab 0 a 0 य द b 0
अतएव
ab 0 a 0 य द b 0 a, b F
अथात ् F शू य भाजक र हत है।
दूसरे श द म F एक पूणाक य ा त है।
मेय 6 : शू य भाजक र हत प र मत म व नमेय वलय एक े होती है।
उपपि त : माना क R , , , शू य भाजक र हत एक प र मत म व नमेय वलय है, जहाँ
R a1 , a2 ,................, an R, को एक े द शत करना होगा क R इकाई अवयव स हत
वलय है तथा R के येक अशू य अवयव का गुणन के सापे तलोम अवयव R म व यमान
है।
माना a R तथा a 0
माना
Ra a1a , a2 a ,...............an a
हम द शत करगे क Ra के सभी अवयव भ न (distinct) ह। य द नह ं तो माना क
ai a a j a ai a j , जहाँ i j तथा i, j n
तब
ai a a j a ai a j
(चू ं क R शू य भाजक र हत है तथा a 0 अत: द ण नरसन नयम से)
194
यह अस य है चू ं क ai a j
अत: हमार प रक पना अमा य है, अथात ् Ra के सभी अवयव भ न ह िजनक कुल सं या n
है।
पुनः गुणन के संवरक नयम से प ट है क Ra का येक अवयव R म है, i.e.Ra R
अत:
Ra R Ra R तथा Ra एवं R के अवयव सं या म समान ह)
चू ं क
a R , इस लये a Ra
अतएव एक अवयव ai R इस कार अव य होगा क a ai a
तथा चू ं क R म व नमेय वलय है, इस लये
ai a a aai
हम स करगे क यह अवयव a i ह R का इकाई अवयव 1 है।
माना b R, R का कोई भी अवयव वे छ अवयव है, तब
b Ra Ra R
b aja ( कसी अवयव a j R के लये)
अब
ai b ai a j a ai aa j ( R म व नमेय है।)
ai a a j aa j ai a a
a ja
b
अत:
ai b b ∀ bR
ai 1 R
पुनः चू ं क 1 R इस लये 1 Ra
अत: एक अवयव ak R इस कार अव य है क
1 ak a
a1 ak a 0
अतएव R के येक अशू य अवयव का गुणन के सापे तलोम अवयव R म व यमान है।
फल व प R एक े है।
मेय 7 : प र मत पूणाक य ा त सदै व एक े होता है।
उपपि त : माना D , , एक प र मत पूणाक य ा त है , जहाँ D a1 , a2 ,............., an
तब D, इकाई अवयव स हत एक शू य भाजक म व नमेय वलय है। अत: D को एक े
द शत करने के लये हम केवल यह स करना है क D के येक अशू य अवयव का गुणन
के सापे तलोम अवयव D म व यमान है।
माना a D तथा a 0
195
माना D ai a : ai D तथा ai 0
ai a a j a जहाँ i j; i, j n
तब नरसन नयम से
ai a j ( D शू य भाजक र हत है।)
जो क अस य है चू ं क D के सभी अवयव भ न ह। अत: हमार प रक पना अमा य है, अथात ्
D के सभी अवयव भ न ह, िजनक सं या (n-1) है तथा साथ ह D के सभी अवयव
अशू य भी है।
पुनः गुणन के संवरक नयम से D के सभी अवयव D के अवयव ह, अत: D D
फलतः
D D 0 ( D म D के सभी (n – 1) अवयव ह।)
अब चू ं क 1 D तथा 1 0
इस लये 1 D
a D , b D a b D
196
a D , b D a b D
(ii) सभी अवयव a D के लये न न म एक और केवल एक कथन ह स य है
a 0, a D , a D
D के सभी अवयव मत पूणाक य ा त D के धना मक अवयव (positive elements of
D) तथा D के अ य सभी अशू य अवयव, D के ऋणा मक अवयव (negative elements)
कहलाते ह।
य द स भव हो तो माना क 1 D
अत:
1 D , 1 D 1 1 D ( D , गुणन के लये सं व ृ त है। )
1 D
जो क एक वरोधभास है।
अत: 1 D
i C , i C i.i C
1 C
पुनः प रभाषा से
i C , i C i 1 C
i C
अतः
197
i C i C , जो क एक वरोधाभास है |
इसी कार य द हम i C ल तब
i C i C , जो क एक वरोधाभास है |
अतः न तो i C तथा न ह i C अथात ् C , ,. मत े नह ं है |
अतः Z n , n ,. मत नह ं है |
वमू यांकन न– 1
1. य द R, ,. इकाई अवयव 1 स हत एक म व नमेय वलय है, िजसम नरसन के
है |
3. इकाई अवयव स हत वलय R, ,. एक भागफल वलय (division ring) कहलाती है
8.5 उप े (Subfield)
े F , ,. का कोई अ र त उपसमु चय K े F का एक उप े कहलाता है य द K,F पर
प रभा षत सं याओं + एवं . के लये थायी (stable) है तथा े रत सं याओं (induced
compositions) के सापे वयं एक े है |
198
दूसरे श द म े F , ,. का अ र त एक उपसमु चय K, े F का एक उप े है |
यद K , ,. वयं एक े है |
a b K
पुनः चू ं क K वयं एक े है इस लये
b K , b 0 b 1 K
अतः
a K , b K , b 0 a K , b 1 K
ab1 K (गुणन के संवरक नयम से )
अतएव तब ध आव यक है |
पया त तब ध : अब माना क े F के अ त र त उपसमु चय K के लये
(i) a K , b K a b K तथा
(ii) a K , b K , b 0 ab 1 K
तब हम स करना है क K,F का उप े है अथात ् K वयं एक े है
अब (i) से
a K,a K a a K
0 K
पुनः (i) से
0 K , aK 0 a K
इस लये
a K a K
अब
199
a K , b K a K , b K
a b K
a b K [(i) से]
अथात ् K,+ के लये संव ृ त है |
पुनः (ii) से
a K , a K a 0 aa 1 K
1 K
तथा (ii) से ह
1 K , a K , a 0 1a 1 K
इस लये
a K , a 0 a 1 K
अब a K , b K , b 0 a Kb 1 K
1
a b 1 K
[(ii) से]
ab K
अथात ् K,. के लये संव ृ त है
चू ं क K,F का उपसमु चय है इस लये K के अवयव, योग सं या + तथा गुणन सं या . के
लये साहचय एवं म व नमेय नयम का पालन करते ह | साथ ह बंटन के नयम का भी
पालन होता है |
अतएव K े रत सं याओं + तथा . के सापे एक े है | फल व प K,F का एक उप े है |
उदाहरण 3 : स क िजये क प रमेय सं याओं का े Q, ,. एक अभा य े होता है |
हल : माना Q, ,. प रमेय सं याओं का े है तथा K,Q का कोई उप े है | तब K Q
a K , b K a b K तथा तब ध ..................... आव यक है |
3. य द कसी े F , ,. का कोई भी उप े व यमान नह ं है तब F एक
..................... कहलाता है |
201
4. "वा त वक सं याओं का े R, ,. सि म सं याओं के C , , का उप े होता
8.6 सारांश
इस इकाई म आपने पूणाक य ा त एवं े क प रभाषा तथा उनम पर पर स ब ध का
अ ययन कया | पूणाक य ा त का अ भल ण तथा मत पूणाक य ा त एवं मत े क
प रभाषा तथा संबि धत उदाहरण वारा इनका वषय अ ययन कया | अ त म े के उप े
क प रभाषा एवं उप े के होने के लये आव यक और पया त तब ध ा त कये |
8.7 श दावल
पूणाक य ा त Integral domain
अ भल ण Characteristic
े Field
भागफल वलय Division ring
मत पूणाक य ा त Ordered integral domain
धना मक अवयव Positive element
ऋणा मक अवयव Negative element
मत े Ordered field
उप े Subfield
अभा य े Prime field
8.9 अ यास न
1. स क िजये क येक े का एक पूणाक य ा त होता है पर तु इसका वलोम सवदा
स य नह ं है |
2. स क िजए क येक प र मत पूणाक य ा त एक े होता है |
3. स क िजए क पूणाक य ा त का अ भल ण या तो शू य होता है या फर एक अभा य
सं या |
202
4. स क िजए क य द D , , एक मत पूणाक य ा त है , तब D का इकाई अवयव
1,D का धना मक अवयव होता है |
5. स क िजए क े F के अ र त उपसमु चय K को F का उप े होने के लये आव यक
और पया त तबंध है :
a K ,b K a b K
एवं a K , b K , b 0 ab
1
K
203
इकाई 9 : वलय समाका रता एवं अंतः थापन (Ring
Homomorphism and Embedding)
इकाई क परे खा
9.0 उ े य
9.1 तावना
9.2 वलय समाका रता
9.2.1 वलय समाका रता क अि ट
9.3 वलय एवं पूणाक य ा त का अ तः थापन
9.4 भागफल े
9.5 सारांश
9.6 श दावल
9.7 वमू यांकन न के उ तर
9.8 अ यास न
9.0 उ े य
इस इकाई का उ े य वलय के म य सम पता एवं इस सम पता के अंतगत, वशेष कार के
वलयो के गुण क सहायता से संगत सम पी वलय के गुण का अ ययन करना है।
9.1 तावना
इस इकाई को मूलत: दो भाग म वभ त कया गया है | थम भाग म वलय क समाका रता
एवं तु याका रता का अ ययन करते हु ए व भ न मेय के मा यम से समाकार एवं तु याकार
वलय के गुण के म य संबध
ं ो का अ ययन कया गया है | इकाई के वतीय भाग म वलय के
अ त: थापन क प रभाषा दे ते हु ए व भ न मेय के वारा स कया गया है क कसी गुण
वशेष वलय अथवा पूणाक य ा त का कसी पूणाक य ा त अथ वा े म अंत: थापन स भव
है अथवा नह ं |
ab c a bc
4 4
bc
a
2 bc
a
2 2
a b c
अतः 2 Z ,* एक सा म प
ु है।
205
अब सभी a, b, c Z के लए
a b c
a b c
2
ab ac
2
ab ac
2 2
a b a c
इसी कार b c * a b*b c* a
अत: * सं या, + सं या पर बंटनीय है।
अतएव 2 Z , ,* एक वलय है ।
अब माना क f : Z 2 Z , जहां f a 2 a a Z
तब f एकैक है, चू ं क
य द a, b, Z एवं f a , f b 2 Z
अतः f a f b 2 a 2b
a b
f आ छादक भी है चू ं क येक समपूणाक 2a 2Z के लए एक पूणाक a Z इस कार
f a 2 a.
अ त म सभी a, b Z के लये
f a b 2 a b 2 a 2b f a f b
तथा f ab 2ab
2a 2b 2a 2b
2
f a f b
अतः f , Z , , से 2 Z , , पर एक तु याका रता है।
a 0
उदाहरण 2 : य द M 2 , , , आ यूह का एक वलय है जहाँ M 2 : a R तथा
0 0
R , , वा त वक सं याओं का वलय ह, तब तच ण f :M2 R जहां
,
a 0 a0
f a M 2 एक एकैक आ छादक-समाका रता (तु याका रता) है |
00 00
a 0 b 0
हल :सभी , M 2 के लए
0 0 0 0
a 0 b 0 a b 0
f f
0 0 0 0 0 0
ab
206
a 0 b 0
f f
0 0 0 0
तथा
a 0 b0 ab 00 0
f f
00 00 0 00 0
ab0
f
00
ab
a0 b0
f f
00 00
अतः f एक समाका रता है।
a 0 b 0 तब
चू ं क य द , 0 0 M2
0 0
a 0 b0
f , f R
00 00
a 0 b0
तब, f f a b
00 00
a 0 b 0
0 0 0 0
अथात f एकैक है।
a 0 a 0
पुनः ये क a R के लए एक आ यूह M 2 इस कार है क f a
0 0 0 0
अतः f आ छादक भी है।
(ii) f a a a R
उपपि त (i) : चू ं क 0 + 0 = 0
इस लए f 0 0 f 0
f 0 f 0 f 0 0 ' [चू ं क 0’ R’ का शू य है]
f 0 0'
उपपि त (ii) : चू ं क येक a R के लए
207
a + (-a) = 0
इस लये f a a f 0
f a f a 0 ' [ चू ं क f 0 0 '
f a f a
अथात ् f a f a a R
मेय 2 : येक म व नमेय वलय का समाकार (तु याकार ) त ब ब भी म व नमेय होता
है।
उपपि त : माना R एक म व नमेय वलय है िजसका समाकार (तु याकार ) त ब ब f (R) है।
माना f संगत समाका रता (तु याका रता) है | तब स करना है क f (R) भी म व नमेय है |
माना f a , f b f R
तब f a f b f ab f ba [चू ं क R म व नमेय है]
f b f a
अतः f a f b f b f a f a , f b f R
अथात f R म व नमेय है।
मेय 3 : य द f : R R ' , वलय R , , से वलय R , , मे कोई समाका रता है
a R, b R
a b a b R
अतः a ' b ' S '
पुनः a ' b ' f a f b f ab S ' [ चू ं क a R, b R
208
ab R ]
अत: a ' S , b ' S ' a ' b ' S ' तथा a 'b ' S '
अथात ् S,R’ का एक उपवलय है ।
मेय 4 : इकाई अवयव स हत वलय का समाकार (तु याकार ) त ब ब भी इकाई अवयव
स हत वलय होता है
उपप त : माना R , , इकाई अवयव स हत वलय R , , का समाकार (तु याकार ) है।
माना f R S ' वलय R का समाकार (तु याकार ) त ब ब है। तब स करना है क S’
भी इकाई अवयव स हत वलय है।
अब चू ं क 1 R इस लए f 1 S '
पुनः य द f a S '
तब f a f 1 f a 1 f a
तथा f 1 f a f 1 a f a
f a S '
अतः सभी के लये
f a f 1 f a f 1 f a
अथात ् f 1 , S ' का इकाई अवयव है।
अतएव S’ इकाई अवयव स हत वलय है।
मेय 5 : स क िजये क शू य भाजक र हत वलय का तु याकार त ब ब भी एक शू य
भाजक र हत वलय होता है ।
उपपि त : माना f : R R ' शू य भाजक र हत वलय R , , से वलय R , , पर एक
तु याका रता है ।
माना क S ' f R R ' शू य भाजक र हत वलय R का तु याकार त ब ब । तब हम
स करना है क S' भी शू य भाजक र हत है ।
अब 0 R f 0 0 ' S
पुन : चू ं क f एकैक है (one - one) है । [चू ं क f एक तु याका रता है।] इस लये य द a, b R ,
209
9.2.1 वलय समाका रता क अि ट (Kernel of ring homomorphism)
210
पया त तब ध : अब माना क K = {0}
तब f को एक तु याका रता द शत करने के लये हमे केवल यह द शत करना है क f एकैक
है ।
माना a, b R ने
तब f a , f b R '
अब f a f b f a f b f b f b
f a f b 0 '
f a b 0 '
f a b 0 '
a b K [K,f क अि ट है |]
a b 0' K 0
ab
अत: f एकैक है । प रणाम व प f एक तु याका रता है ।
वमू यांकन न -1
1. 1. य द Z , , तथा 2Z , , साधारण योग तथा गुणन क सं याओं के वलय ह तब
211
उदाहरण 3 : माना f : Z , , M 2 Z , ,
a 0
जहाँ
f a a Z
0 a
तब हम दे खते ह सभी a, b Z के
a b 0 a 0 b 0
f a b
0 a b 0 a 0 b
f a f b
ab 0 a 0 b 0
f ab
तथा 0 ab 0 a 0 b
f a f b
अत: f एक वलय समाका रता है । साथ ह f एकैक भी है, चू ं क य द a, b Z
तब f a , f b M 2 Z
a 0 b 0
f a f b
0 a 0 b
तथा
a b
अत: f एकैक है ।
फलत: f एकैक समाकार (monomorphism) है । अथात ् वलय Z , , वलय M 2 Z , ,
म अंत: था पत है, जहाँ Z पूणाक का समु चय है ।
उदाहरण 4 : गाऊसींय पूणाक का वलय J , , जहाँ J m in; m, n Z सभी 2 x 2
वा त वक आ यूह (real matrices(के वलय M 2 , ,. म अंत: था पत कया जा सकता है।
a b
चू ं क यद हम M 2 ; a , b , c, d R का कोई उपसमु चय
c d
mn
M z ; m, n Z ल तब यह द शत कया जा सकता है क त च ण तब यह
nm
f : J M 2 जहां
mn
f m in , m, n Z
nm
वलय J से वलय M z पर एक तु याका रता है ।
मेय 8 : इकाई अवयव र हत वलय को कसी इकाई अवयव स हत वलय म अंत था पत कया
जा सकता है ।
उपपि त: माना R , , इकाई अवयव र हत कोई वलय है । माना
S Z R m, a : m Z , a R जहाँ Z पूणाक का समु चय है ।
212
माना S पर प रभा षत सं कयऐं + एवं . न न कार प रभा षत ह :
(i) m, a n, b m n, a b
(ii) m, a . n, b mn, mb na ab m, a , n, b S
चू ं क m, n Z तथा a, b R , इस लये m n, m.n Z तथा a b, mb na ab R
अथात ् m n, a b S तथा mn, mb na ab S
अत: हम दे खते ह क
m, a S , n, b S m , a . n, b S
तथा m, a S , n, b S m , a . n, b S
अथात ् +एवं .,S पर वचर स कयाऐं ह ।
अब सभी m, a , n, b p, c S के लये
m, a n, b p, c m n, a b p, c
m n p, a b c
m n p , a b c
m, a n p, b c
m, a n, b p, c
इसी कार
m, a n, b . p, c mn, mb na ab . p, c
mn p, mn c p mb na ab mb na ab c
m np , m nc pb bc np a a nc pb bc
m, a nc, nc pb bc
m, a n, b . p, c
अत: S, योग तथा गुणन के लये साहचय है ।
चू ं क सभी m, a , n, b S के लये
m, a n, b m n, a b
n m, a b
n, b m , a
अत: समु चय S योग सं या के लये म व नमेय है ।
सभी m, a S के लये एक अ वतीय मत यु म 0, 0 S इस कार है क
m, a 0,0 m 0, a 0 m, a
इसी कार 0, 0 m, a m, a
अत: 0, 0 S योग का त समक अवयव है ।
213
येक m, a S के लये एक अ वतीय अवयव m, a S [चू ं क य द mZ,a R
तो m Z , a R फल व प m, a S इस कार है क
m, a m, a m m , a a
0, 0
इसी कार m, a m, a 0, 0
अत. येक m, a S का ऋणा मक (negative) अथात ् योग का तलोम m, a S के
प म व यमान है ।
सभी m, a n, b , p, c , S के लये
m, a n, b p, c m, a n p, b c
m n p , m b c n p a a b c
mn mp, mb na ab mc pa ac
mn, mb na ab mp, mc pa ac
m, a n, b m, a p, c
इसी कार n, b p, c . m.a n, b m, a p, c m, a
अत: वाम तथा द ण बंटन नयम लागू होते ह ।
उपरो त त य के आधार पर हम दे खते ह क S , , एक वलय ह, जहाँ S ZR
अब हम द शत करगे क S , , म गुणन सं या के सापे इकाई अवयव व यमान है ।
चू ं क सभी m, a S के लये मत यु म (1 ,0) S इस कार है क
214
अथात ् S’ इकाई अवयव स हत वलय का उपवलय है ।
अभी हम वलय R तथा S’ के म य तु याका रता द शत करना शेष है ।
माना : R S ' जहाँ a 0, a a R
तब (i) सभी a, b R के लये
a b 0, a b 0, a 0, b
a b
एवं ab 0, ab 0, a 0.b
b b
इस लये एक वलय समाका रता है ।
(ii) य द a, b R तब a , b S ' तथा a b 0, a 0, b a b
इस लये एकैक है ।
(iii) येक 0, a S ' के लये एक अवयव a R इस कार है क a 0, a इस लये
आ छादक है । अतएव वलय R तथा S’ के म य एक तु याका रता है ।
फल व प वलय R को इकाई अवयव स हत वलय S Z R, म अंत: थापन कया जा सकता
है ।
मेय 9 : येक पूणाक य एक े म अंत: था पत कया जा सकता है ।
अथवा कसी भी शू यभाजक र हत, म व नमेय वलय का एक े म अंतः थापन कया जा
सकता है।
उपपि त : माना D , , कोई पूणाक य ा त है तथा D0 , D के सम त अशू य अवयव का
एक अ र त समु चय है । माना S D D0 जहाँ
D D0 a , b ; a , b D; b 0
हम समु चय S पर एक स ब ध (relation) "" न न कार प रभा षत करते ह |
(a,b) (c,d) य द और केवल य द ad = bc जहाँ (a,b),(c,d) S
हम द शत करगे क उपरो त स बंध एक तु यता स ब ध है ।
वतु यता (Reflexivity) : सभी a, b D b 0 के लये चू ं क ab ba (D म व नमेय
है)
इस लये a, b a , b a , b S
सम मतता (Symmetry) : माना a , b , c , d S तब
a, b c, d ad bc
cbc da (∵ D, म व नमेय है)
c, d a, b
सं ामकता (Transitivity):माना a , b c, d तथा c, d e, f , जहाँ
a, b , c, d , e, f S
अब a, b c, d , c, d e, f ad bc, cf de
215
ad f bc f , b cf b de
ad f b de bc f b cf
a df b de
a fd b ed
af d be d
af d be d 0
af be d 0
af be 0 [ d 0 तथा D शू यभाजक र हत है |]
af be
a, b e, f
अत: स ब ध , S पर एक तु यता स ब ध है । फलत: यह समु चय S को असंयु त तु यता
वग (disjoint equivalence classes) म वभािजत करता है ।
a
माना अवयव a, b S वारा ज नत तु यता वग वारा न पत होता है, अथात ्
b
a
c, d : a, b c, d : c, d S
b
तथा माना क F ऐसे सभी तु यता वग का अ र त समु चय ह । अथात ्
a
F : a D, b D0
b
अब हम अ र त समु चय F पर योग तथा गुणन क सं याओं को न न कार प रभा षत
करते ह :
(i) a c ad bc
b d bd
(ii) a c ac a c
. , F [चू ं क D शू य भाजक र हत है, इस लये
b d bd b d
b 0, d 0 bd 0
ad bc ac
प ट है क तथा समु चय F के अवयव ह। अथात ् F पर प रभा षत
bd bd
योग तथा गुणन क स याऐं संवरक नयम का पालन करती ह। हम द शत करगे क उ त
दोन सं याऐं सु प रभा षत (well defined) है ।
a a' c c'
माना क तथा
b b' d d'
तब हम द शत करगे क
a c a' c' a c a' c'
तथा . .
b d b' d ' b d b' d '
a a' c c'
अब तथा ab ' ba ' तथा cd ' dc '
b b' d d'
216
यह द शत करने के लये क
a c a' c'
b d b' d '
हम द शत करगे क
ad bc a ' d ' b ' c '
bd b 'd '
अथात ् द शत करगे क
ad bc b ' d ' bd a ' d ' b ' c '
अब ad bc b ' d ' adb ' d ' bcb ' d '
ab ' dd ' bb ' cd '
ba ' dd ' bb ' d ' c ' ab ' ba '; cd ' dc '
bda ' d ' bdb ' c '
bd a ' d ' b ' c '
इसी कार यह द शत करने के लये क
a c a' c'
. .
b d b' d '
हम द शत करगे क
ac a ' c '
bd b ' d '
अथात ् द शत करगे क
acb ' d ' bda ' c '
अब acb ' d ' ab ' cd ' ba ' dc ' ab ' ba ' तथा cd ' dc '
bda ' c '
अत: + एवं . सं याऐं सु प रभा षत ह । अब हम स करगे क F , , एक े है ।
हम पूव म स कर चु के ह क F,+ तथा . क सं याओं के लये संव ृ त है ।
a c e
योग तथा गुणन के लये साहचयता : माना क , , F , तब
b d f
a c e ad bc e ad bc f bd e
b d f bd f bd f
adf bcf bde a df b cf de
bdf b df
a cf de
b df
a c e
b d f
217
a c e ac e ac e
एवं . . .
b d f bd f df
a ce a ce
.
b df b df
a c e
. .
b d f
a
योग तथा गुणन के सापे शू य एवं इकाई अवयव : सभी F के लये अ वतीय अवयव
b
0
F इस कार है क
d
a 0 ad b.0 ad
b d bd bd
a
abd bad
b
इसी कार
0 a a
d b b
0
अत: F , F का शू य (योग का त समक) है ।
d
0 0 a 0
[ यान रहे क d , f D0 तथा य द और केवल य द a = 0 ]
d f b d
a c
तथा सभी F के लये एक अ वतीय अवयव F , जहाँ c 0 इस कार है क
b c
a c ac a
.
b c bc b
c a ca a
इसी कार .
c b cb b
c
अत: F , F का इकाई अवयव है ।
c
c d
[ यान रहे क c, d D0
c d
योग तथा गुणन के लये म व नयमेयता :
a c
सभी , F के लये
b d
a c ad bc cb da c a
b d bd db d b
a c ac ca c a
तथा . .
b d bd db d b
योग तथा गुणन के सापे तलोम अवयव क उपि थ त :
218
a a
येक F के लये एक अ वतीय अवयव F इस कार है क
b b
a a ab b a ab ab 0
2
b b bb bb b
0
(माना) 0a b 2 0
a
a a
अत: F येक का योगा मक तलोम F a 0 के प म व यमान है।
b b
a b
पुन : येक अशू य अवयव F a 0 के लये एक अ वतीय अवयव F इस कार
b a
है क
a b ab ab a
. (माना) a 0
b a ba ab a
a b
अत: येक अशू य अवयव F का गुणन के सापे तलोम अवयव F के प म
b a
व यमान है ।
a c e
बंटन नयम क पालना : सभी , , F के लये
b d f
a c e a cf de a cf de
b d f b df b df
acf ade bdf
bdf bdf
acf bdf bdf ade
bdf bdf
acf ade
bdf bdf
af ae
bd bf
a c e a
. .
b d f b
c e a c a e a
इसी कार . .
d f b d d f b
अत: बंटन के नयम लाग होते हँ । अतएव F , , एक े है। अब हम F का एक
उपसमु चय E लगे क D तथा E पर पर तु लयाकार ह ।
ax
माना क E F ; a D; x D0
x
219
ax
माना ; D E , जहां a a D
a
तब य द a, b D, तो ( a), (b) E
अब चू ं क
ax bx
(a ) (b)
x x
axx bxx
ax 2 bx 2
ax 2 bx 2 0
( a b) x 2 0
( a b) 0 [ x 2 0]
ab
इस लये एकैक है ।
ax
चू ं क येक के लये एक अवयव इस कार है क ( a)
x
इस लये आ छादक है ।
पुन : a, b D
(a b ) x
( a b)
x
ax bx
x
ax bx
a b
x x
तथा a b
ab x
x
xx ax bx
ab
xx xx
ax bx
. a b
x x
अत: से पर एक तु याका रता है ।
फल व प पूणाक य ा त को े म अंत: था पत कया जा सकता है ।
220
तथा F का एक ऐसा उपसमु चय E इस कार ा त कर सकते ह क D,E पर तु याकार हो
जाये। ऐसी दशा F , D, , म े का भागफल े (quotient field) कहलाता है ।
चू ं क D, उपसमु चय E पर तु याकार है, इस लये हम कह सकते ह क D तथा E
अमू तत: पर पर सवसम (identical) है । फलत: उपसमु चय E को D के प म लया जा
सकता है, तथा तब हम कह सकते ह क D का भागफल े F,D को अ त व ट करने वाला
(containing D) े है । यह दे खा जा सकता है क D का भागफल े D को अ त व ट करने
वाले सम त े का सव न ट होता है। अथात ् D का भागफल े , D को अ त व ट करने वाला
लघुतम (smallest) े होता है ।
मेय 10 : पूणाक य ा त D , , का भागफल े , D को अ त व ट करनेवाला लघुतम े
F होता है ।
उपपि त : माना क D , , एक पूणाक य ा त है तथा K,D को अ त व ट वाला कोई े
है। माना F, D का वभाग े है । तब
a
F ; a, b D, b 0
b
चू ं क D े K म न हत है, इस लये
a, b D, b 0 a , b K , b 0
ab 1 K [चू ं क K े है ।]
य द K ' ab 1 ; a , b D , b 0 , तब
प ट है क K ' K हम द शत करगे क K', े
K का उप े ह ।
माना ab , cd K ', जहाँ a, b, c, d D तथा b 0, d 0 .
1 1
तब ab 1 , cd 1 a dd 1 b 1 c bb 1 d 1 [चू ं क b 0, d 0 इस लये bb
1 तथा dd 1 ]
1
ad d 1b 1 cb b 1d 1
ad d 1b 1 bc d 1b 1 [ चू ं क D म व नमेय है | ]
ad bc d 1b 1
ad bc bd K '
1
[ चू ं क ad bc, bd D तथा bd 0 ]
पुनः य द तब
1 1
ab cd
1
ab 1 dc 1 ad b 1c 1
ad cb K ' [चू ं क ad , cb D तथा cb 0 ]
1
221
a c
अब f f ab 1 cd 1
b d
1
ab 1 bd cd bd
a b 1b d c d 1b d
a.1.d c bd 1 d
ad cb d 1d
ad cb.1
ad bc
a, b c, d
a c
b d
अत: f एकैक है ।
f आ छादक भी है, चू ं क येक ab 1 K ' के लये एक अवयव इस कार है क
a a c
f ab 1 पुन : , F सभी के लये
b b d
a c ab bc 1
f f ad bc bd
b d bd
ad bc d 1b 1
ad d 1b 1 bc d 1b 1
1
a dd b 1 cb b 1d 1
ab 1 cd 1
a c
f f
b d
a c ac
तथा f . f
1
ac bd
b d bd
ab 1 c bb 1 d 1
ac d 1b1
ab 1 cd 1
a c
f . f
b d
अत: f भागफल े F से े K के उप े K’ पर एक तु याका रता है ।
222
फल व प य द पूणाक य ा त D कसी े के म अ त व ट है, तब D का भागफल े F भी
K म अ त व ट है । अतएव D का भागफल े F, D को अ त व ट करने वाला लघुतम े है
|
मेय 11 : तु याकार पूणाक ा त के भागफल े भी पर पर तु याकार ह ।
उपपि त : माना D तथा D’ कोई दो पर पर तु याकार पूणाक य ा त ह तथा माना
; D D ', जहाँ a a ' a D संगत तु याका रता (isomorphism) है ।
माना क E तथा E’ पूणाक य ा त मश: D तथा D’ के भागफल े ह । माना
a a
f : E E ', जहाँ f ; a, b D, b 0
b b
a'
तथा माना E ' जहाँ a ', b ' D ' तथा b ' 0
b'
तब चू ं क D तथा D’ पर पर तु याकार ह इस लये अवयव a तथा b D , b 0 सदै व इस
कार है क a a ' तथा b b '
a' a
अत: येक E ' के लये एक अवयव E , b 0 इस कार है क
b' b
a a a '
f
b b b '
अथात ् f आ छादक फलन है ।
a c
अब माना क , E , जहाँ तथा b 0, d 0 .
b d
a c
तब f , f E '
b d
a c a c
इस लये f f
b d b d
a d c b (∵ तु याकार है)
ad cb ( एकैक है)
ad bc
a c
b d
अत: एकैक है ।
a c
अ त म सभी , E के लये, जहाँ b 0, d 0
b d
a c ad bc ad bc
f f
b d bd bd
ad bc
[चू ं क एक तु याका रता है । ]
bd
223
a d b c
b d
a d b c
b d b d
a c
b d
a c
f f
b d
इसी कार
a c ac ac
f f
b d ad bd
a c
b d
a c
b d
a c
f f
b d
फलत: f एक तु याका रता है । अथात पूणाक य ा त D का भागफल े E तथा पूणाक य
ा त D’ का भागफल े E’ पर पर तु याकार है ।
मेय 12 : शू य अ भल ण का येक अभा य े , प रमेय सं याओं के े के तु याकार
होता है ।
उपपि त : माना क F, शू य अ भल ण कोई अभा य े है । सु वधा हे तु माना क F का
इकाई अवयव e है । चू ं क F का अ भल ण शू य है, अत: सभी धना मक पूणाक n के लये
जहाँ 0,F का शू य अवयव है । अब माना क F’, का कोई उपसमु चय है, जहाँ
me
F ' ; m, n Z ; n 0
ne
चू ं क ne F तथा इस लये ne का गुणन के सापे तलोम अवयव
1
ne F
me
फल व प
1
me ne F
ne
द शत करगे क F’ े F का उप े है।
माना , जहां m1 , n1 , m2 , n2 Z तथा
तब m1e m2 e m1e n2 e n1e m2 e
n1e n2 e n1e n2e
224
m1n2 e2 n1m2 e2
n1n2 e2
m n e n1m2 e e 2 e
1 2
n1n2 e
m n n m e
1 2 1 2 F'
n1n2 e
m1n2 n1m2 Z तथा n1n2 0
m1e m2e me
पुन : य द , F ', जहाँ 2 0
n1e n2e n2 e
तब m1 , n1 , m2 , n2 Z तथा n1 0; m2 0, n2 0
1 2
m1e m2 e m1e n2 e m1n2 e
इस लए
n1e n2 e n1e m1e n1m2 e 2
m1n2 e F ' e2 e तथा m1 , n2 , n1 , m2 Z n1m2 0
n1m2 e
m1e m2e me m e
अत: , F ' 1 2 F '
n1e n2e n1e n2e
1
m1e m2e me m e m e
तथा , F ', जहाँ 2 0 1 2 F '
n1e n2e n2e n1e n2 e
अथात ् F’ े F का उप े है। पर तु चू ं क F एक अभा य े है, F’ = F
me
फल व प F ; m, n Z ; n 0
ne
अब माना क Q , , प रमेय सं याओं का एक े है ।
m
जहाँ Q ; m, n Z ; n 0
n
me m
तथा माना f : F Q , जहाँ f m, n Z ; n 0
ne n
सव थम हम द शत करगे क f सु प रभा षत है ।
m1e m2e
माना , F
n1e n2e
m1e m2 e
तब m1e n1e n1e m2e
n1e n2e
m1n2 e 2 n1m2 e 2
e 2 e
m1n2 e n1m2 e
225
m1n2 e n1m2 e 0
e 0
m1n2 n1m2 0
m m
1 2
n1 n2
me m e
f 1 f 2
n1e n2 e
अत: f सु प रभा षत है ।
अब हम द शत करगे क f एक तु याका रता है।
m1e m2e
f एकैक है : माना , F
n1e n2
me m e
तब f 1 , f 2 Q
n1e n2 e
अब me m e m m
f 1 f 2 1 2
n1e n2e n1 n2
m1n2 n1m2
m1n2 e2 n1m2 e 2
m1e n2 e n1e m2 e
m1e m2e
n1e n2e
अत: f एकैक है ।
m me
f आ छादक है : येक Q n 0 के लये एक अवयव F इस कार है क
n ne
me m
f
ne n
अत: f आ छादक है।
m1e m2e
सं या संर ण : सभी , F के लये
n1e n2
me m e m e n2 e n1e m2 e
f 1 2 f 1
n1e n2e
n1e n2 e
m n e n1m2 e
2
f 1 2
n1n2 e 2
m n e n1m2 e
=f 1 2
n1n2 e
226
m n n m e
f 1 2 1 2
n1n2 e
m n n1m2
= 1 2
n1n2
m m
1 2
n1 n2
me m e
f 1 f 2
n1e n2 e
me m e m n e2
तथा f 1 2 f 1 2 2
n n e
n1e n2 e 1 2
m m e
f 1 2
n1n2 e
mm m m
1 2 1 2
n1n2 n1 n2
me m e
f 1 f 2
n1e n2 e
अत: f एक तु याका रता है।
अथात ् अभा य े F, प रमेय सं याओ के े Q के तु याकार है।
वमू यांकन न - 2
1. य द R इकाई अवयव र हत तथा S इकाई अवयव स हत वलय ह, तब वलय R को वलय
S म अंत: था पत .................. है ।
2. ; fn R इकाई अवयव स हत वलय है, िजसका व तार (extension) वलय S है, तब S
का इकाई अवयव, R के इकाई अवयव से भ न .................. है ।
3. शू य भाजक स हत वलय का, पूणाक य ा त म अंत: थापन .................. है ।
4. पर पर तु याकार पूणाक य ा त के भागफल वलय .................. है ।
5. य द F एक अभा य े है िजसका अ भल ण शू य है तथा Q प रमेय सं याओं का कोई
े है तब F तथा Q .................. होते ह ।
9.5 सारांश
इस इकाई म आपने वलय क समाका रता एवं तु याका रता के बारे म व तृत
जानकार ा त क । वलय एवं पूणाक य ा त के अंत: थापन का अ ययन कया एवं
स बं धत मेय को स कया । भागफल े , एवं अभा य े के लये तु याका रताओं
स बं धत मेय को भी स कया ।
227
9.6 श दावल
समाका रता Homomorphism
एकैक समाका रता Monomorphism
आ छादक समाका रता Epimorphism
एकैक आ छादक समाका रता Isomorphism
तु याका रता Isomorphism
अंतराका रता Endomorphism
वाका रता Automorphism
अि ट Kemel
अंत: थापन Embedding (Imbedding)
वा त वक आ यूह Real Matrix
तु यता स ब ध Equivalence relation
भागफल े Quotient field (field of quotients)
9.8 अ यास न
1. स क िजये क म व नमेय वलय का समाकार (तु याकार ) त ब ब भी एक कम
व नमेय वलय होता हे ।
2. स क िजये क इकाई अवयव स हत वलय का समाकार (तु याकार त ब ब) भी इकाई
स हत वलय होता है ।
3. य द वलय R से वलय R' म एक समाका रता है िजसक अि ट K है, तब K वलय R का
एक उपवलय होता है ।
228
4. स क िजये क येक शू य भाजक र हत वलय का तु याकार त ब ब भी एक शू य
भाजक र हत वलय होता है ।
5. स क िजये क पूणाक य ा त D का भागफल े , D को अ त व ट करने वाला लघुतम
े होता है ।
6. स क िजये क येक पूणाक य ा त को े म अ त: था पत कया जा सकता है ।
7. स क िजये क प र मत पूणाक य ा त का भागफल े , वयं वह पूणाक य ा त होता
है।
229
इकाई 10: पूणाक य ा त का वभाग े एवं अभा य े
(Field of Quotient for Integral Domain
and Prime Field)
इकाई क परे खा
10.0 उ े य
10.1 तावना
10.2 वभाग े या भागफल े
10.2.1 मेय
10.2.2 मेय
10.3 अभा य े
10.3.1 मेय
10.3.2 मेय
10.4 वमू यांकन न के उ तर
10.5 सारांश
10.6 श दावल
10.7 अ यास न
10.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन से आप
1. पूणाक य ा त के वभाग े एवं त स ब धी गुण धम को मेय के मा यम से स
करने म स म ह गे ।
2. अभा य े क अवधारणा एवं त स ब धी गुण धम को जानगे ।
10.1 तावना
इस इकाई क वषय-व तु पूव इकाइय म व णत अवधारणाओं का व तार है । पूव इकाइय म
आपने वलय, पूणाक य ा त, े क अवधारणाओं एवं वलय क समाका रता तथा अ त: थापन
को समझा है । पूणाक य ा त का वभाग े “अ त: थापन” से स बि धत होता है । इसी
कार अभा य े एक वशेष कार के े ह जो क तपय मह वपूण गुणधम द शत करते ह।
उपरो त वषय-व तु पर मेय एवं उदाहरण के मा यम से काश डाला गया है ।
DF …….(1)
माना a, b D के वे छ अवयव ह जहाँ b0
तब
a, b D a , b K D F
ab 1 F F े है तथा b 0
मेय क स हे तु हम F का उप े (माना क) K ात करगे जो क D के वभाग े के
तु यकार होगा ।
अब समु चय K ab a D, 0 b D पर वचार करते ह । प ट है क K F
1
चरण 1 : K,F का उप े है :
माना ab K , cd K , , जहाँ a, b, c, d D, b 0, d 0
1 1
ad bc D a, b, c, d D
पु0नः b D, 0 d D bd D
1
फलतः 1
ab bc bd K
ab 1 cd 1 K a, b, c, d D, b 0, d 0
231
पुनः ab K , cd
1 1
K
ab 1 cd 1 ab 1 dc 1
dc 1 ab 1 K
0 c, d K dc 1 K
1
0 b, a K ab K
अतएव
ab cd K ab 1 K , cd 1 K ......(3)
1 1
(2) व (3) से प ट है क K, े F का उप े है ।
चरण 2 : हम दखायगे क पूणाक य ा त D के लये प रभा षत वभाग े
a
F ' a D, a b D
b
इस कार व यमान है क F 'K
F ' K स करने के लये हम न न कार से प रभा षत फलन ,
:: F ' K
इस कार क
a a
ab1 F'
b b
को एकैक , आ छादक एवं समाकार द शत करगे ।
a c
(1) एकैक है : माना , F ' के वे छ अवयव ह ।
b d
तब माना
a c
f f
b d
ab1 cd 1
ab bd cd bd
1 1
a b b d cd db
1 1
a b b d c d d b
1 1
ad cd
a c
b d
अतएव,
232
a c a c a c
, F'
b d b d b d
अतः एकैक है ।
(ii) आ छादक है : क प रभाषा से प ट है क आ छादक है य क ab1 K के
a a
F ' इस कार व यमान है क ab 1
b b
(iii) समाका रता है :
हम दखायगे क
a c a c
b d b d
एवं
a c a c
b d b d
अब
a c ad bc
b d bd
ad bc bd 1 ( क प रभाषा से)
ad bc d 1b 1
add 1b 1 bcd 1b 1
a dd 1 b 1 cd 1 bb1
a 1 b 1 cd 1 1
ab 1 cd 1
a c
b d
पुनः
a c ac
b d bd
1
ac bd
ac d 1b1
a cd 1 b 1
ab 1 cd 1
a c
b d
233
उपरो त ववेचन से प ट है एकैक , आ छादक एवं समका रता है फलतः तु याका रता है
अतएव,
F' K
10.2.2 मेय : क ह दो तु याकार पूणाक य ा त के वभाग े भी तु याकार होते ह ।
माण – माना D1 , D2 दो पूणाक य ा त है जो क फलन के संगत तु याकार ह । अथात ्
: D1 D2 एवं D1 D2
a D2 a D1
अब माना F1 , F2 मश: D1 एवं D2 के वभाग े ह । अतएव, F1 , F2 न न कार से ह गे
a
F1 a D1 , 0 b D1 .....(1)
b
a
F2 a D2 , 0 b D2 .....(2)
b
अब फलन
f : F1 F2
इस कार क
a a a
f F1 ......(3)
b b b
पर वचार करते ह । हम दखाना है क F1 F इसके लये हम स करगे क फलन f,
तु याकार है ।
(i)
एकैक है :
a c
, F1 के लए
b d
माना
a c
f f
b d
( a ) ( c)
[f क प रभाषा (3) से]
(b) (d )
(a) (d ) (b) (c)
(ad ) (bc ) [ समाका रता है ]
या ad bc [ एकाक है ]
या a c
b d
अतएव हमने पाया क
a c a c
f f
b d b d
234
अथात ् f एकाक है ।
(ii) आ छादक है : f क प रभाषा से प ट है क f आ छादक है य क वे छ
a a
F2 के लये F1 इस कार व यमान है क
b b
a a
f
b b
a c
(ii) f समाका रता है : हम दखायगे क वे छ
, F1 के लये
b d
a c a c
f f f
b d b d
तथा
a c a c
f f f
b d b d
अब
a c ad bc
f f
b d bd
ad bc
(f क प रभाषा (3) से)
bd
ad bc
( समाका रता है)
b d
a d b c
b d
a c
b d
a c
f f (f क प रभाषा से)
b d
पुनः
a c ac
f f
b d bd
ac
bd
a c
b d
a c
b d
235
a c
f f
b d
उपरो त ववेचन से प ट है क ह f : F1 F2 तु याका रता है
अतएव, F1 F2
उदाहरण : 1 अवशेष क ा (मॉ यूलो 3) के पूणाक ा त का वभाग े ात क िजये ।
हल : अवशेष क ा (मॉ यूलो 3) का समु चय A है तो
A = {0, 1, 2}.
अब हम जानते है क D 0,1, 2 , ,
3 3 एक पूणाक य ा त होता है । याद क िजये क
a, b c, d य द ad = bc
यह तु यता पर स ब ध , D D0 का तु यता वग म वभाजन कर दे ता है । (a,b) के
तु यता वग म D D0 के वे अवयव ह गे िजनके लये a, b c, d अथात ् ad = bc
a
स ब ध को संतु ट करगे (a,b) के तु यता वग को से य त कर तो
b
a
b
c, d a, b c, d D D 0
236
1,1 2, 2 1 2 2 1
1, 2 2,1 1 1 2 2
1 = 4 स य है य क 4 = 1 (mod 3)
0 1 2
अत: D के वभाग े के अवयव , , ह जो क तु यका रता से D के 0,1,2 के समान ह।
1 1 1
अत: D का वभाग े D वयं है ।
10.3 अभा य े
एक े F अभा य े कहलाता है य द इसका कोई उ चत उप े व यमान नह ं हो । चू ं क
येक समु चय अपना उपसमु चय होता है अतएव अभा य े F का उप े वयं F होता है ।
उदाहरण 1 : येक अभा य सं या p के लये े Z p , p , p अभा य होता है ।
जहाँ Z p 0,1, 2.............., p 1
हल : माना स द संभव है तो F, े Z p का उप े है अथात ्
F Zp ……(1)
चू ं क F उप े अतएव F म इकाई अवयव व यमान होगा अथात 1 F जहाँ 1 अवयव है ।
अब
(F म यो गक संव ृ तता)
1 F 11 2 F
इसी कार
2 1 3 F
या को दोहराने पर,
p 2 1 p 1 F
परं तु
p 1 Z p
अतएव
p 1 F Zp F
(1), (2) से
F Zp
अथात ् Z p अपना उप े वयं है फलत: Z p अभा य े है ।
237
माना e, F का इकाई अवयव है तब समु चय F1 ne n Z पर वचार करते ह
प टत: F1 F
अब Z से F पर प रभा षत फलन f पर वचार करते ह जो क न न कार प रभा षत है -
F :Z F
इस कार क f n ne nZ
हम दखायगे क f तु यका रता है ।
(i) f एकैक है :
माना m, n Z इस कार है क
f m f n me ne
me ne 0
m n e 0
( F का अ भल ण शू य है)
mn 0
अतएव
f m f n mn m, n Z
f एकैक है।
(ii) f आ छादक है :
f क प रभाषा से प ट है क f आ छादक है य क येक ne F1 के लये nZ
व यमान है।
(iii) f समका रता है :
हम दखायगे क m, n Z के लये
f m n f m f n
f m n f m f n
अब
f m n f m n e
me ne
f m f n
पुनः
f m n f m n e
m.n e.e
me ne
f m f n
238
अतएवं f तु यका रता है फलत: Z F1
उपरो त का ता पय है क f पूणाक य ा त Z से पूणाक य ा त F1 पर तु याका रता है ।
अब चू ं क F1 F , अत: अभा य े F जो क पूणाक य ा त F1 को समा हत है आव यक
प से F1 का वभाग े होगा, जहाँ F1 का वभाग े न न कार प रभा षत होगा -
1
F ne me m, n Z , m 0
पुन : े Q पूणाक य ा त Z का वभाग े होता है य क m, n Z , m 0 के लये
n
Q अथवा nm 1 Q
m
तब प टत: F एवं Q तु यकार होगे अथात ्
F Q
अतएव फलन f : Q F
इस कार होगा क
n ne 1
f ne me
m me
10.3.2 मेय अशू य अ भल ण p का अभा य े Z p , p , p , जहाँ
इस कार क f n ne, 0 n p 1
F1 क प रभाषा से प ट है क य द
me, ne F1 तो 0 me p 1, 0 ne p 1
m n e य द 0 m n p 1
me ne यद mn p
m n p e
me ne m p n e
पुनः
239
me ne m en e
m ne e
mn e 2
mn e
अब वभाजन फलन से, पूणाक r,q इस कार ह गे क
m n rp q, जहाँ 0 q p, r N
अतएव,
me ne mn e
rp q e
rp e qe
r pe qe
r .0 qe p.e 0
0 qe
qe
m p n e
q m p n चू ं क 0 q p य क m p n के मान से ता पय p से mn वभािजत करने
पर ा त शेषफल होता है और मॉ यलो ग णत के कारण यह शेषफल 0 एवं p के म य का कोई
पूणाक होगा ।
अतएव हम पाते ह क m, n Z p
f m p n m p ne
me ne
m n
एवं
f m p n m p n e
me ne
f m f n
अतएव f समाका रता है ।
(ii) f एकैक है :
माना वे छ m, n Z इस कार है क
240
f m f n
me ne
me ne 0
m n e 0
पर तु p, Z p , p , p
का अ भल ण है
पर तु 0 m p 1, 0 n p 1 ह
mn p
अत: p, m n को वभािजत नह ं करे गा एवं m n e 0 तभी स य होगा जब क
m n 0 या m = n
f m f n mn
अतएव f एकैक है ।
(iii) f आ छादक है :
f क प रभाषा से प ट है क हे आ छादक है य क येक ne F1 के संगत n Zp म
व यमान है ।
अत: उपरो त ववेचन से पाया क f तु यका रता है ।
Z p F1
चू ं क Z p एक े है अतएव F1 भी एक े है ।
फलत: F1, F का उप े है पर तु चू ं क F अभा य े है अतएव इसका उ चत उप े नह ं हो
सकता है ।
फलत: F1 F
F Zp
वमू यांकन न -1
1. न न ल खत म से अभा य े है -
a Z , , b R, ,
c Z 4 , 4 , 4 d Z5 , 5 , 5
241
2. य द अभा य े का अ भल ण 3 है तो वह तु यकार होगा -
(a) े R 3 , , के (b) े Z 5 , 5 , 5
े Z 9 , 9 , 9 (d) े Z 3 , 3 , 3
(c)
3. न न ल खत म स य कथन है -
(a) Q 0 , , अभा य े है ।
10.5 सारांश
इस इकाई म आपने वभाग े एवं अभा य े क अवधारणा को समझा है । आपने दे खा क
कस कार पूणाक य ा त के कसी े म अ तः थापन क अवधारणा के व तार से वभाग
े क रचना क जाती है ।
या वभाग े , समू ह के वभाग समू ह से कु छ सा यता नह ं दशाता ? आपको मरण
है क कसी समू ह G का वभाग समू ह उसके सामा य उपसमूह H के सापे न मत सभी
सहकुलक का समु चय होता है जो सहकुलक क गुणन सं या के लये समू ह बनाता है ।
ये सहकु लक पर पर समान या पूणत: असंयु त होते है फलत: G Ha एवं
aG
G G
Ha a G इस कार , पर पर अंसयु त उपसमु चय Ha, a G का समु चय
H H
होता है ।
इसी कार पूणाक य ा त D का वभाग े भी समु चय D D0 म तु यता स ब ध
से े रत होता है । आप जानते ह क तु यता स ब ध समु चय का तु यता वग म वभाजन
करता है जहाँ दो तु यता वग समान अथवा पूणत: अंसयु त ह ।
अभा य े वे े होते ह िजनका कोई उ चत उप े नह ं होता है । अभा य े वारा
द शत गुणधम को मेय के प म तपा दत कया गया है ।
10.6 श दावल
अ तः थापन Embedding
पूणाक य ा त Integral domain
वभाग े या भागफल े Field of quotients
242
एकैक समाका रता Monomorphism
अभा य े Prime field
उ चत उप े Proper subfield
तु यता स ब ध Equivalence relation
10.7 अ यास न
1. वभाग े को प रभा षत क िजये ।
2. स क िजये क पूणाक य ा त Z 5 , 5 , 5 वयं अपना वभाग े है ।
243
इकाई 11 :गु णजाव लयाँ एवं वभाग वलय (Ideal and
Quotient Ring)
इकाई क परे खा
11.0 े य
11.1 तावना
11.2 गुणजाव लयाँ
11.2.1 गुणजावल एवं गुणधम
11.2.2 मु य गुणजावल
11.3 वभाग वलय
11.4 अभा य गुणजावल
11.5 उि च ठ गुणजावल
11.6 सारांश
11.7 श दावल
11.8 वमू यांकन न के उ तर
11.9 अ यास न
11.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन से आप
1. गुणजावल क अवधारणा, उनके कार एवं गुणधम से प र चत ह गे ।
2. पूव इकाई म व णत ख ड समूह (Quotient group) जैसी बीजीय संरचना “ख ड वलय”
(Quotient ring) से प र चत ह गे एवं इनके गुण धम को जानगे ।
11.1 तावना
इस इकाई क वषय-व तु का आधार गुणजावल क अवधारणा है । कसी वलय क गुणजावल
व तु त: “ कसी समू ह के व श ट उपसमूह” क अवधारणा से कु छ सा यता रखती है । व तु त:
कसी वलय का उपवलय क तपय गुण धम का पालन करने पर गुणजावल कहलाता है।
गुणजावल उपवलय तो होती है पर तु इसम उपवलय क तुलना म कु छ अ य तब ध भी होते
ह।
11.2 गु णजावल
गुणजावल को प रभा षत करने से पूव वाम गुणजावल एव द ण गुणजावल भी समझना
आव यक है । वाम गुणजावल : माना I, वलय R का अ र त उपसमु चय है तो I, वलय R क
वाम गुणजावल कहलाता है य द -
(i) I, R म प रभा षत योग सं या हे तु R का उपसमू ह है ।
244
(i) I, R म प रभा षत योग सं या हे तु R का उपसमू ह है ।
तथा (ii) r a I , a r R; a I, r R
ट पणी :
1. प रभाषा से प ट है क R यद म व नमेय वलय (अथात
x y yx x, y R ) है तो
r a ar
अथात म व नमेय वलय क वाम एवं द ण गुणजावल समान होती ह
2. बहु धा गुणजावल को वप ीय गुणजावल भी कहा जाता है ।
3. येक वलय R क दो गुणजावल सवदा व यमान होती ह िज ह वषम कहते ह । ये
वषम गुणजावल है –
वलय R वयं तथा शू य गुणजावल {0}।
इन दो वषम गुणजाव लयो के अ त र त वलय R क अ य गुणजावल को उ चत
गुणजावल कहते ह ।
सरल वलय : वलय R को सरल वलय कहते ह य द वलय R क कोई भी गुणजावल व यमान
नह ं हो। अथात ् वलय, सरल वलय होगा य द उसक सम त गुणजावल वषम ह ।
उदाहरणाथ : Z 5 , 5 , 5 सरल वलय है ।
उदाहरण 1 : स क िजये क 2Z, वलय Z , , क गुणजावल है । जहाँ Z, पूणाक का
समु चय है
हल : (2Z,+),(Z,+) का उपसमू ह है तथा
येक a 2Z , r Z के लये
a r 2 Z एवं r a 2 Z
उदाहरणाथ : a = 2 एवं r = - 3 लेते ह तो
2 3 6 2 Z , 3 2 6 2 Z
ट पणी : 2 Z 0, 2, 4, 6,......
उदाहरण 2. या वलय Z 5 , 5 , 5 क उ चत गुणजावल व यमान है ? अपने उ तर क
पुि ट क िजये ।
हल : वलय Z 5 , 5 , 5 म Z5 , 5 का कोई उ चत उपसमू ह I, व यमान नह ं है
फलत: दये गये वलय क उ चत गुणजावल व यमान नह ं है ।
उदाहरण 3 : या पूणाक का समु चय Z, वलय Q, , क गुणजावल है?
हल : Q = प रमेय सं याओं का समु चय
245
Z = पूणाक का समु चय
अतएव Z Q.
Z, समू ह है अतएव Z, समू ह Q , का उपसमू ह है ।
पर तु Z,Q क गुणजावल नह ं है य क येक a Z के लये r Q का अि त व इस
कार नह ं होता है क
a r Z, r a Z
3
उदाहरणाथ : 5 Z एवं Q
7
3 3
पर तु 5 Z एवं 5 Z
7 7
उदाहरण 4 : पर ण क िजये क या समु चय
m 0
; m, n Z
S A A
n 0
m p
वलय R B B ; m, n, p , q Z
n q
क गुणजावल है?
m1 0 m2 0
हल : माना A1
,A S
n 0 2 n 0
1 2
जहां m1 , n1 , m2 , n2 Z
अब
m1 0 m2 0
A1 A2
n 0 n 0
1
2
m1 m2 0
S
m1 m2 Z , n1 n2 Z
n n 0
1 2
a b
पुन : माना r
R वे छ अवयव है जहां a, b, c, d Z
c d
तब
246
m1 0 a b
A1r
n 0 c d
1
m1a m1b
S
n a n b
1 2
पुनः
a b m1 0
rA1
c d n 0
1
am1 bn1 0
S
cm dn 0
1 1
अतएव हमने पाया क
A1 A2 S , rA1 S A1 , A2 S , r R
S , R क वाम गुणजावल है पर तु S,R, ने क द ण गुणजावल नह है य क A1r S
उदाहरण 5 : माना x, वलय Rका कोई नयत अवयव है तब समु चय
A a R ax 0 R क वाम गुणजावल है ।
हल : प ट है क A R
माना a1 , a2 A तब A क प रभाषा से,
a1 x 0, a2 x 0
a1 x a2 x 0
या a1 a2 x 0
a1 a2 A ......(1)
ra1 x r a1 x
r0
0
ra1 A (A क प रभाषा से) .......(2)
(1), (2) से
A, R क गुणजावल है
गुणजाव लय के गुणधम :
247
गुणजाव लयाँ क तपय गुणधम का पालन करती है। िज ह न न ल खत मेय से
रे खां कत कया गया है। मेय क स क या व ध आपके लये तभी सहज होगी जब क आप
येक पद म अ त न हत या को समझ ।
मेय 1 : वलय R क क ह ं भी दो गुणजाव लय का उभय न ठ भी वलय R क गुणजावल
होता है ।
माण : माना I1 तथा I2 वे छ वलय R क वे छ गुणजावल ह ।
I1 , , , समू ह R, का उपसमू ह है ।
I 2 , , , समू ह R, का उपसमू ह है ।
I1 I 2 , , समू ह R, का उपसमू ह है ।
य क दो उपसमू ह का उभय न ठ भी उपसमू ह होता है ।
माना a I1 I 2 का वे छ अवयव है तथा r R का कोई वे छ अवयव है
अब
a I1 I 2 a I1 एवं a I 2 .......(1)
r R ....... (2)
अब
a I1 , r R a.r I1 एवं r.a I1 ..... (1)
a I 2 , r R a.r I 2 एवं r.a I 2 ...... (2)
I1 , I1, R क गुणजावल ह ]
(1), (2) से
a.r I1 I 2 , r.a I1 I 2a I1 I 2 , r R
I1 I 2 , R क गुणजावल है ।
उदाहरण : I1 2Z , I1 4 Z वलय Z , , क गुणजाव लयाँ है ।
स क िजये क I1 I 2 भी Z , , क गुणजावल है ।
हल :
Z 0, 1, 2, 3,.......
I1 2 Z 0, 2, 4, 6,.......
I 2 4 Z 0, 4, 8, 12,.......
I1 I 2 4, 8, 12,.......
4Z
जो क Z , , क गुणजावल है ।
मेय 2 : माना I1 , I 2 , वलय R क गुणजाव लयाँ है तो
I1 , I 2 a1 a2 a1 I1 , a2 I 2
भी R क गुणजावल होती है जहाँ I1 , I 2 दोन म समा व ट ह गे ।
248
माण : माना a a1 a2 ; b b1 b2 , I1 I 2 के वे छ अवयव है जहाँ प टत: a1 , b1 I1
तथा a2 , b2 I 2 अब I1 , I 2 R क गुणजाव लयाँ है अत: I1 , I 2 R के उपसमू ह है
फलत: a1 , b1 I1 , a2 , b2 I 2 सभी के लये
a1 b1 I1 तथा a2 b2 I 2
I1 I 2 क R गुणजावल स करने के लये दखायगे क
(i) I1 I 2 , R , का उपसमू ह है
तथा (ii) येक x I1 I 2 , r R के लये
x.a I1 I 2 , a.x I1 I 2
अब, माना
x x1 x2 I1 I 2
मेय 3 : कसी भी े क उ चत गुणजावल व यमान नह ं होती है ।
माण : माना S, े F क कोई वे छ गुणजावल है ।
य द S = {0} तो मेय वत: स है ।
माना S 0 तथा a, S का कोई वे छ अशू य अवयव है ।
अब
a S, S F a F
a 1 F a 0 अतः a F ; a 1 F
अब S गुणजावल है इस लये
a S , a 1 F aa 1 S
eS
जहाँ e, F का इकाई अवयव है तब,
b F , e S eb S या b S
b S का अथ है क F का येक अवयव b, S का अवयव है अथात ्
F S ......(1)
पर तु
S F .......(2)
समीकरण (1) व (2) से
SF
अत: F क दो गुणजाव लयाँ F एवं {0} ह ह
फलत: F क कोई उ चत गुणजावल नह ं है ।
मेय 4 : य द I इकाई स हत वलय R क गुणजावल है तथा e I
तब I = R, जहाँ e, R का इकाई अवयव है ।
माण : माना a R तब
a R , e I ae a I [I क प रभाषा से]
R I ......(1)
249
चू ं क I, R क गुणजावल है तब
I R ......(2)
(1), (2) से
I = R
मेय 5 : माना I, वलय R क गुणजावल इस कार है क R का कु मणीय अवयव a,I म
व यमान है तो
I = R
माण : a, वलय R का यु तमणीय अवयव है तथा aI
1
a R
फलत: a R, a I a a I
1 1
या e I
अत: मेय 4 से
I = R
मेय 6 : माना R म व नमेय वलय है तथा a,R का वे छ अवयव है, तब समु चय
Ra ra r R R क गुणजावल है ।
माण : प ट है क
Ra R ……(1)
माना x, y Ra के वे छ अवयव है
Ra को R क गुणजावल स करने हे तु हम दखायगे क
(i) x y Ra ; x, y Ra
(ii) rx Ra , x Ra ; x Ra , r R
अब x , y Ra अत: Ra क प रभाषानुसार
r1 , r2 R इस कार व यमान ह गे क
x r1a, y r2 a
पुन :
r1 , r2 R r1 r2 R [ ∵ R वलय है ]
r1 r2 .a Ra Ra प रभाषा से]
r1a r2 a Ra [वलय ने म बंटनशीलता से]
x y Ra x r1a, y r2 a
पुन : r R, x Ra तब r3 R का अि त व इस कार होगा क
x r3 a
अब
r R, x Ra rx r r3 a rr3 a Ra
rx Ra
पुन : Ra R एवं R म व नमेय है । फलत: xr Ra
250
अतएव हमने अभी ट तबंधो (i), (ii) क स क है । फलत: Ra , R क है ।
मेय 7 : इकाई स हत म व नमेय वलय R े होता है य द और केवल R सरल वलय है ।
माण : माना म व नमेय इकाई स हत वलय R क कोई उ चत गुणजावल है । R को े
स करने हे तु हम दखाना पया त है क R के येक अशू य अवयव a का गुणना मक
तलोम a , R म है ।
1
माना 0 a R तब मेय 6 से
Ra ra r R R क गुणजावल है ।
चू ं क R क कोई उ चत गुणजावल व यमान नह ं है
अत: Ra R या Ra 0
चू ं क R इकाई स हत वलय है अत: e R, जहाँ e, R का इकाई अवयव है |
e R e.a a Ra एवं a 0
Ra 0
अब
Ra 0 Ra R [समीकरण (1) से ]
R Ra का अथ है क R के येक अवयव को Ra के अवयव ra, r R लखा जा सकता
है।
e R x R इस कार है क xa e
xa ax e [∵ R म व नमेय है]
1
x a R
अत: R के येक अवयव का गुणना मक तलोम R म है ।
फलत: R े है ।
वलोमत: माना े R है अत: आगामी मेय 8 से R एक सरल वलय है ।
मेय 8 : येक े सरल वलय होता है अथात ् े क कोई भी उ चत गुणजावल नह ं होती
है।
माण : माना F े है और I, F क अशू य गुणजावल है अथात ् I 0 , I F
माना 0 a, I का वे छ अवयव है ।
I F एवं a I अतः a F फलत: a 1 F
[ ∵ े के येक अशू य अवयव का गुणना मक तलोम े म होता है ]
अब
a I , a 1 F aa 1 I [I क प रभाषा से]
251
अतएव,
I 0 एवं I F
फलत: F क कोई उ चत गुणजावल नह ं है अथात ् F सरल वलय है ।
मेय 9 : वलय R से R’म प रभा षत वलय समाका रता क अि ट K, वलय R क गुणजावल
होती है ।
माण : माना f : R R ' वलय समाका रता है
अथात ्
f a b f a f b
f a.b f a f b
जहाँ , तथा , मश: R, R’क यो गक तथा गुणन सं याय ह ।
माना 0 एवं 0’R तथा R’ के यो गक त समक ह ।
अब K, f क अि ट है अत: K x R f x 0 '
f 0 0 ' 0 K अतः K
माना a, b K
तब
f a 0 ', f b 0 ' ……(1)
पुन
f a b f a b
f a f b
f a f b
0 ' 0'
0'
अतएव
f a b 0 ' a b K ...(2)
पुन : माना r,R का कोई वे छ अवयव है ।
तब a K के लये,
f a.r f a f r 0 ' f r 0 '
एवं f r.a f r f a f r 0 ' 0 '
a.r K , r .a K ...(3)
(2) व (3) से हम पाते ह क
a, b K , r R a b K , ar K , ra K
फलत: K, R क गुणजावल है ।
मेय 10 : माना I1 एवं I2, वलय R क गुणजाव लयाँ ह । तब
I1 I 2 x1 x2 x1 I , x2 I 2
252
वलय R क गुणजावल होती है I1 I 2 तथा I1 एवं I 2 दोन समा हत होते है ।
माण : माना a1 x1 x2 I 2 I 2 ,, b1 y1 y2 I1 I 2
x1 y1 I1 एवं x2 y2 I 2
चू ं क I1 , I 2 वलय R क गुणजावल ह अत:
x1 y1 I1 , x2 y2 I 2 ; x1 , y1 I1 , x2 , y2 I 2
फलत:
x1 y1 x2 y2 I1 I 2x1 y1 I1 , x2 y2 I 2
या
x1 x2 y1 y2 I1 I 2
या
a1 a2 I1 I 2 a1 , a2 I1 I 2 .....(1)
पुनः माना r R तब
r R, x1 x2 I1 I 2
r R, x1 I1 , x2 I 2
x1r I1 , rx1 I1 [ I1 गुणजावल है ]
एवं x2 r I 2 , rx2 I 2 [ I 2 गुणजावल है ]
x1r x2 r I1 I 2 एवं rx1 rx2 I1 I 2
या x1 x2 r I1 I 2 एवं r x1 x2 I1 I 2
या a1r I1 I 2 एवं ra1 I1 I 2 .......(2)
(1) व (2) से प ट है क I1 I 2 , R क गुणजावल है
स करना है क I1 I1 I 2 , I 2 I1 I 2
x1 I1 x1 0 I1 I 2 [चू ं क 0 I2 ]
x1 I1 I 2
पर तु
x1 I1 I1 I1 I 2
इसी कार,
I 2 I1 I 2
वमू यांकन न -1
1. न न ल खत म वलय Z , , क गुणजावल है -
(a) 4 Z , , (b) 5Z , ,
(c) 7 Z , , (d) उपरो त सभी
2. य द I1 2 Z , , , I 2 Z , , तब
253
(b) I 0, 3, 6, 9,...... , Z , , क गुणजावल नह ं है
(c) I 0, 3, 6, 9,...... , Z , , क गुणजावल है य क I I1 I 2
3. न न ल खत म स य है -
(a) Z , , , Q , , क गुणजावल है पर तु उपवलय नह ं है
(b) Z , , , Q , , क गुणजावल नह ं है
(c)
Z , , , Q, , क उपवलय नह ं है पर तु गुणजावल है ।
(d) उपरो त म से कोई नह ं
4. े Q, , के लये न न ल खत म स य है -
(a) यह R , , का उपवलय नह ं है
(b) यह Z , , का उपवलय है
(c)
Z , , , Q, , क गुणजावल है
(d)
Z , , , Q, , क गुणजावल नह है ।
5. े Q , , के लये न न ल खत म स य है -
11.2.2 मु य गुणजावल
254
गौरतलब है क येक वलय R क कम से कम एक मु य गुणजावल 0 0
अव य होती ह । य द R इकाई स हत वलय है तब वलय R क कम से कम दो मु य
गुणजावल 0 एवं e होती ह
य क re re R
अत: e R
मु य गुणजावल वलय एवं ा त
एक वलय R मु य गुणजावल वलय कहलाता है य द इसक येक गुणजावल , मु य गुणजावल
होती है । य द ऐसा वलय, पूणाक य ा त भी है तो उसे मु य गुणजावल ा त कहते ह ।
उदाहरण 1 : 2Z , , , Z , , क मु य गुणजावल है य क
2 Z 0, 2, 4, 6,...... 2
व तु त: वलय Z , , का येक उपवलय मु य गुणजावल होता है । फलत: Z , , मु य
गुणजावल वलय होता है िजसे आगामी मेय - 4 के प म दे खा जा सकता है ।
मेय 1 : माना R म व नमेय इकाई स हत वलय है एवं aR तब समु चय
I ra r R , a से ज नत मु य गुणजावल होती है अथात ् I a Ra
माण : R म व नमेय वलय है । माना e R , R का इकाई अवयव है ।
तब a ae I a R
पूव अनु छे द के मेय 6 से प ट है क I,R क गुणजावल भी है ।
माना A, a R को समा हत करने वाल R क कोई अ य गुणजावल है । तब
a A, ra Ar A
IR
अत: I, a को समा हत करने वाल R क लघु तम गुणजावल है
अतएव
I a Ra
मेय 2 : वलय R क गुणजाव लय I1 , I 2 के लये, I1 I 2 , I1 I 2 से ज नत गुणजावल
होती है अथात ् I1 I 2 I1 I 2
माण : पूव व णत मेय से I1 I 2 , R क गुणजावल होती है जहाँ I1 I1 I 2 एवं
I 2 I1 I 2
फलत:
I1 I 2 I1 I 2
माना A,R क गुणजावल इस कार है क I1 I 2 A
य द a I1 I 2 तब क ह ं x I1 , y I 2 के लये a x y
अब,
x I1 I 2 y I1 I 2 x yI1 I 2 A
x y A
A
255
I1 I 2 A a I1 I 2
अतएव लघु तम गुणजावल क प रभाषा से हम पाते ह क
I1 I 2 I1 I 2
मेय 3 : माना R, इकाई स हत म व नमेय वलय है । तब x, y R के लये समु चय
I ax by a, b R
x एवं y को समा हत करने वाल लघु तम गुणजावल होती है ।
माण : 1. x, y I म समा हत है :
माना e, वलय R का इकाई अवयव है । तब
e R , 0 R e.x 0 y I [ I क प रभाषा से ]
xI
इसी कार
0 R , e R 0.x ey I
yI
अतएव x, y I
2. I, R क गुणजावल है :
माना p, q I के वे छ अवयव ह तो I क प रभाषानुसार
p a1 x b1 y I , q a2 x b2 y I , जहाँ a1a2 , b1, b2 R
अब,
p q a1 x b1 y a2 x b2 y
a1 a2 x b1 b2 y I a1 a2 , b1 b2 R
अतएव येक p, q R के लये
pqR ..... (1)
पुन : माना r R तब rp pr [ ∵ R म व नमेय है]
अब,
rp r a1 x b1 y
ra1 x rb1 y [ वलय R मे बंटनता ]
अब चू ं क ra1 , rb1 R
अत:
ra1 x rb1 y I
rp I r R, p I .....(2)
(1), (2) से प ट है क I वलय R क गुणजावल है ।
3. I , x, y को समा हत करने वाल लघु तम गुणजावल है :
माना I1 , R क कोई अ य गुणजावल है िजसम x,y समा हत ह । मेय स लये दखाना
होगा क
256
I I1
अब
a R, x I1 ax I1 [ I गुणजावल है ]
b R, y I1 by I1
अतएव,
ax I1 , by I1 ax by I1
I I1
फलत: I, y एवं y को समा हत करने वाल लघु तम गुणजावल है ।
मेय 4 : पूणाक का वलय Z , , मु य गुणजावल वलय होता है ।
माण : माना I, Z क गुणजावल है ।
स करना है क I, मु य गुणजावल है ।
ि थ त – I : I 0
I 0 I 0 , अथात ् I, 0 से ज नत मु य गुणजावल है ।
ि थ त - II : I 0
जब I 0 तब I म कम से कम एक अशू य अवयव, माना a होगा ।
अत:
0 a I a I [ I , समू ह है]
a 0 a 0 अथवा a 0
माना b, I म यूनतम धना मक पूणाक है ।
माना n I , तब वभाजन फलन व ध से पूणाक q, r इस कार ह गे क,
n qb r , a r b
अब चू ं क I गुणजावल है अत:
b I,q Z
bq I
bq I
पुनः
n I , bq I n bq I
[(1) से]
rI
257
I qb q Z
(a)
Z , , मु य गुणजावल वलय है पर तु े नह ं है
(b)
Z , , मु य गुणजावल वलय नह ं है पर तु े है
(c)
Z , , मु य गुणजावल वलय एवं े नह ं है
(d) उपरो त म से कोई नह
2. Z , , के लये अस य है
(a) यह मु य गुणजावल ा त है
(b) यह े नह ं है
(c) यह वलय है
(d) उपरो त म से कोई नह ं
3. प रभा षत क िजये
(a) वाम गुणजावल
(b) सरल वलय
(c) मु य गुणजावल वलय
(d) मु य गुणजावल ा त
I a a I a R अब हम समु चय
R
I a a R ……(1)
I
258
R
पर वचार करते ह । यान द िजये क के अवयव I के R म सहकु लक ह ।
I
R
माना समु चय के लये योग (+) एवं गुणन ( ) न न कार प रभा षत है -
I
I a I b I a b
I a I b I a b
R
उपरो त सं याओं के लये वलय होता है । इसे वभाग वलय कहते ह ।
I
मेय 1 : माना I, वलय R क गुणजावल है ।
तब समु चय
R
I a a R
I
सं याओं
I a I b I a b
I a I b I a b
के लये वलय है
माण : सव थम हम दखायगे क उपरो त योग एवं गुणन स याये सु प रभा षत ह ।
माना a1a2 , b1 , b2 R इस कार क
I a1 I a2 एवं I b1 I b2
अब
I a1 I a2 a2 I a1
I b1 I b2 b2 I b1
अतएव p, q I इस कार क
a2 p a1 , b2 q b1
तब
a2 b2 p a1 q b1
p q a1 b1
या
a2 b2 a1 b1 p q I p, q I
.....(1)
a2 b2 a1 b1 I
हम जानते ह क
I a I b a bI
अत: (1) व (2) से
259
I a2 b2 I a1 b1
R
या I a2 I b2 I a1 I b1 [ म योग क प रभाषा से]
I
अतएव हमने दे खा क
I a1 I a2 , I b1 I b2
I a2 I b2 I a1 I b1
R
फलत: म योग सं या सु प रभा षत है
I
R
पुन : हम दखायगे क मे गुणन सु प रभा षत है ।
I
अब,
a2 b2 p a1 q b1
pq pb1 a1q a1b1
a2 b2 a1 b1 pq pb1 a1q I
I a2 I b2 I a1 I b1
R
अत: गुणन भी म सु प रभा षत है ।
I
R
पुन च:, दये गये योग एवं गुणन म वआधार सं याय ह ।
I
R
य क, येक I a, I b के लये -
I
R
I a I b I a b
I
R
I a I b I a b
I
R
अतएव , , एक बीजीय संरचना है िजसे हम वलय स करगे
I
R
चरण 1 : , आबेल समू ह है
I
R
(i) साहचयता : माना I a, I b, I c जहाँ a, b, c R
I
अब
I a I b I c I a I b c
I a b c
पुन :
260
I a I b I c I a b I c
I a b c
I a I b I c I a I b I c
R
योग के लये सहचार है।
I
R
(ii) त समक का अि त व : हम पायगे क I 0 , [जहाँ 0, R का “शू य” (यो य
I
R R
त समक) है ] का यो य त समक है य क येक I a के लये,
I I
I a I 0 I a 0
I a
एवं
I 0 I a I 0 a
I a
R
अतएव, I + 0 अथात ् I , का यो य त समक है।
I
R R
(iii) तलोम का अि त व : येक I a के लये I a तलोम है य क
I I
I a I a I a a
I 0
I a I a I a a
I 0
I a , I a का यो य तलोम है
R
अत: योग सं या के I a I b I a b लये समू ह है । यह आबेल समू ह
I
भी है य क
I a I b I a b
I b a R, आबेल है a b b a a, b R
R
चरण 2: , सेमी समू ह है :
I
R
I a , I b, I c के लए
I
I a I b I c I a I b c
261
I abc
पुन च
I a I b I c I ab I c
I abc
अतएव
I a I b I c I a I b I c
R
, सेमी समू ह है।
I
चरण 3: बंटनशीलता :
R
I a , I b, I c के लए
I
I a I b I c I a b I c
I a b c
I a c b c
I ac I bc
I a I c I b I c
इसी कार
I a I b I c I a I b I a I c
R
फलतः प रभा षत सं याओं के लए वलय है।
I
R
यह वलय , वभाग वलय या ख ड वलय कहलाता है। अतएव ,
I
वभाग वलय :
माना R कोई वलय है तथा I, R क गुणजावल
ं है।
समु चय
R
I a a R
I
न न कार प रभा षत योग एवं गुणन सं याओं
I a I b I a b R
I a, I b
I a I b I a b I
262
के लये वलय होता है िजसे गुणजावल I के सापे वलय R का ख ड वलय या वभाग वलय
R
कहते ह । बहु धा इसे रे सी यू लास मॉ यूलो I वलय भी कहते ह । वलय के अवयव I + a
I
को a से संके तत कया जाता है ।
R
चू ं क I + 0 = I अत: 0 I , जो क का शू य होता है ।
I
पुनः,
x y I x y
I x I y
x y
एवं
xy I xy
I x I y
x y
Z
उदाहरण 1 : माना I 2n n Z
तब स क िजये क वभाग वलय है
I
Z
हल : I 0, 2, 4, 6,...... , वलय Z , , क गुणजावल है। के अवयव समशेष
I
क ाय (residue classes) I , I 1 ह िज हे, 0,1 से संके तत कया गया ह । अब न न
Z
सं या सर णयो से आप सरलता से वलय स कर सकते ह '
I
+ 0 1 . 0 1
0 0 1 0 0
1 1 1 1 0 1
R
मेय 2 : य द ख ड वलय है तो
I
R
(i) R म व नमेय है म व नमेय है
I
R
(ii) R म इकाई अवयव है म इकाई अवयव है
I
माण : (i) R म व नमेय है तब येक a, b R के लये
a b b a …….(1)
अब
R
I a a R
I
263
R
तब येक I a, I b के लये
I
I a I b I a b
[ समीकरण (1) से ]
I ba
I b I a
I a I b I b I a
R
म व नमेय है ।
I
(ii) माना e R ने इकाई अवयव (गुणन सं या के लये ततसमक अवयव) है । तब,
R
I e एवं हम पाते ह क
I
I e I a I ea
I ae
I a I e
I a
R
I e, का इकाई अवयव है ।
I
R
मेय 3 : येक ख ड वलय , वलय R का समाकार त बंब होता है ।
I
माण : माना I, वलय R क गुणजावल है ।
तब
R
I a a R
I
I a I b I a b
सं याओ, ……(1)
I a I b I a b
के लये (ख ड) वलय है ।
अब ते च ण
R
f :R …..(2)
I
इस कार क
f a I a a R
264
पर वचार करते ह ।
स करना है क f समाका रता है अथात ् a, b R के लये
f a b f a f b
एवं f a b f a f b
एवं f आ छादक है
अब,
f a b I a b
I a I b
f a f b
पुनः
f a b I a b
I a I b
f a f b
R
f , R से म समाका रता है ।
I
R
पुन : ह क प रभाषा से प ट है क f R
I
R
अंत: , R का समाकार त बंब है ।
I
वलय समाका रता का मू ल त मेय
मेय 4 : वलय R का येक माकार त बंब, R के कसी ख ड वलय के तु याकार होता है।
माण : माना समाका रता f के लये R’, वलय ने का समाकार त बंब है ।
माना K,f क अि ट है तब K, वलय R क गुणजावल होती है ।
R
फलत: , K के संगत ख ड वलय है ।
K
R
अब हम स करना है क R '
K
R
तच ण : R ' जहाँ K a f a a R पर वचार करते ह ।
K
यान द िजये क येक a R के लये f a R '
R
R ' स करने के लये हम दखायगे क
K
(i) एकैक है (ii) आ छादक है (iii) समाका रता है
(i) एकैक है
265
R
माना K a, K b , जहां a, b R इस कार है क
K
K a K b
f a f b
f a f b f b f b
K a K b
एकैक है
(ii) आ छादक है
R
आ छादक है य क येक f a R ' के लये K a व यमान है, जहाँ
K
K a f a
(iii)
समाका रता है
R
K a, K b के लए
K
K a K b K a b
f a b क प रभाषा से ]
K a K b
अतएव,
K a K b K a K b
पुनः
K a K b K a b
f a b
f a f b
K a K b
K a K b K a K b
266
अतएव समाका रता है । अतएव तु याका रता है
R
फलत: , R ' के तु यकार है
K
R
अथात ् R'
K
11.4 अभा य गु णजावल
म व नमेय वलय R क गुणजावल I को अभा य गुणजावल कहते ह य द
xy I
x I या yI
x 3Z या y 3Z
3Z , , अभा य गुणजावल है
a b I
R
शू य भाजक र हत है ।
I
अत: तब ध आव यक है ।
तब ध पया त है :
R
माना पूणाक य ा त है । अब स करना है क I अभा य गुणजावल है । अथात ् दखाना
I
है क
ab I a I या b I
अब,
ab I I ab I
I a I b I I ab I a I b
I a I या I b I
R
[ पूणाक य ा त है अत: शू य भाजक र हत है अत: I a I b I I a I
I
या I b I ]
a I या b I
I अभा य गुणजावल है
268
11.5 उि च ठ गु णजावल
कसी वलय R क गुणजावल M उि च ठ गुणजावल कहलाती है य द R म अ य उ चत
गुणजावल I इस कार व यमान है क िजसम M भी पूणत: समा हत हो अथात ् वलय R क
गुणजावल M उि च ठ गुणजावल होगी य द
(i) M R
(ii) I , R क गुणजावल इस कार है क
M IR I R या I M
उदाहरणाथ, 7 Z , , वलय Z , , क उि च ठ गुणजावल है य क गुणजावल
माना A, m से ज नत Z क गुणजावल है तो
I A Z
पर तु I, Z पर तु क उि च ठ गुणजावल है
A Z या A I
ि थत - I:AZ
A Z A,1 से ज नत गुणजावल है य क Z 1
m 1 जो क वरोधाभास है य क m 1
AZ
269
ि थ त – II : A = I
A = I है तो पूणाक m तथा p समान गुणजावल को ज नत करते ह ।
m rp; कसी पूणाक के लये r 1 के लये
mn rnp
p rnp p mn
rn 1
कसी rI हे तु p rq
पर तु p अभा य है
अत: p rq q p या q 1
ि थ त - I : जब q p तब A I q 1
ि थ त - II : जब q 1 तब A Z q 1
A I या A Z
x y I
x I या y I
I x I या I y I
R
शू य भाजक र हत है ।
I
अतएव तब ध आव यक है ।
तब ध पया त है :
271
R
माना क पूणाक य ा त है ।
I
स करना है क I, वलय R क अभा य गुणजावल है ।
R
अब चू ं क पूणाक य ा त है अत: शू य भाजक र हत है ।
I
माना x, y R इस कार ह क x, y I
हम दखायगे क x I अथवा y I
xy I I xy I
( I x )( I y ) I
IxI
R R
[ शू य भाजक र हत है अतएव I x, I y के लये
I I
I x I y I I x I अथवा I y I ]
अब
I x I अथवा I y I
x I अथवा y I
I अभा य गुणजावल है ।
272
इस ि थ त म
x I I I x R
एवं
I x I
273
b 1
I b I
R
I b,
I का अशू य अवयव है |
R R
I a, I b े के अशू य अवयव है | अतएव के े होने के कारण एक अशू य
I I
R
अवयव I c अव य व यमान होगा क
I
1 b 1 c 1 4 ( I b)( I c ) I bc
1 bc 1 a
bc a 1 I I1
BC a 1
अब चू ं क b I1 , c R एवं I1,R क गुणजावल है
अत:
bc I1
अतएव
bc I1 , bc a I1 bc (bc a) I1
a I1
a R
R I1
274
11.6 साराश
इस इकाई म आपने गुणजावल एवं उसके कार यथा मु य गुणजावल , गुणजावल , उि च ठ
गुणजावल तथा त स ब धी गुणधम को मेय एवं उदाहरण के मा यम से समझा । इसके
अ त र त आपने गुणजावल से न मत बीजीय संरचना ' वभाग वलय' ' क अवधारणा को भी
जाना|
आपने दे खा क गुणजावल , उपवलय का व ता रत प है तथा वभाग, वभाग समू ह म
न हत अ भक पना का व तार है|
1.17 श दावल
वाम गुणजावल Left ideal
द ण गुणजावल Right ideal
गुणजावल Ideal
सरल वलय Simple Ring
वषम गुणजावल Improper ideal
मु य गुणजावल Principal ideal
मु य गुणजावल वलय Principal ideal ring
मु य गुणजावल ा त Principal ideal domain
अभा य गुणजावल Prime ideal
उि च ठ गुणजावल Maximal ideal
वभाग वलय या ख ड वलय Quotient ring
275
a 0 a, b Z a 0
3. स क िजये क समु चय A वलय a, b, c Z
b 0 a 0
गुणजावल है । मै स के लये प रभा षत योग एवं गुणन सं याय वलय B क
सं याय ह
a 0
4. स क िजये क समु चय A a, b, R वा त वक सं याओं क 2 x 2क
a 0
a 0
मै स (आ यूह ) के वलय B a, b, c, d R क द ण गुणजावल है
a 0
पर तु वाम गुणजावल नह ं है।
5. उदाहरण से स क िजये क दो गुणजावल का संघ का गुणजावल होना आव यक नह ं है।
उ तर I1 (2 Z , ; ) एवं I 2 (5Z , ; ) वलय (Z,+,.) क गुणजाव लयाँ है,
पर तु I1 I 2 0, 2, 4, 5, 6, 8, 10... ( Z , ; ) क गुणजावल नह है
R
6. वभाग वलय क संरचना क िजये जहाँ R ( Z , ;) एवं 5a | a Z
I
उ तर : I 0, I 1, I 2, I 3, I 4 अथवा 0,1, 2,3, 4
7. वलय R a ib | a , b Z का गुणजावल I (2Z , ; ) के सापे वभाग वलय ात
क िजये
उ तर. R 2 , 2 1, 2 i, 2 1 i
8. स क िजये क वलय (Z,+,.) म गुणजावल (7Z,+,.) अभा य गुणजावल है
9. पर ण क िजये क या वलय (Z,+,.) म गुणजावल (6Z,+,.) अभा य गुणजावल है?
उ तर : अभा य गुणजावल नह ं है य क 6 Z 0, 6, 12,... म 24 8.3 6 Z ,
पर तु 8 6 Z , 3 6 Z
276
इकाई 12 :स दश समि ट,उपसमि ट क प रभाषा, उदाहरण
एवं इनके गु णधम (Definition of Vector
space, Subspace and its Properties
इकाई क परे खा ।
12.0 उ े य
12.1 तावना
12.2 स दश समि ट क प रभाषा एवं उदाहरण
12.2.1 स दश समि ट क प रभाषा ।,
12.2.2 स दश समि ट के उदाहरण ।
12.3 स दश उपसमि ट क प रभाषा एवं उदाहरण!
12.3.1 स दश उपसमि ट क प रभाषा
12.3.2 स दश उपसमि ट के उदाहरण
12.4 सारांश
12.5 श दावल
12.6 वमू यांकन न के उ तर
12.7 अ यास न ।
12.0 उ े य
इस इकाई म स दश समि ट, उपसमि ट के वषय म चचा क गयी है । इस इकाई पढ़ लेने के
बाद आप,
. स दश समि ट, उपसमि ट के वषय म जानकार ा त कर सकगे ।
. यह जानकार ा त कर सकगे क येक े वंय के ऊपर तथा अपने उप े के ऊपर
एक स दश समि ट होता है, पर तु कसी े का कोई उप े अपने े पर समि ट हो यह
आव यक नह ं है ।
. यह जानकार ा त कर सकगे क कसी समु चय को स दश समि ट होने लए कम से
कम
एक अवयव क आव यकता पड़ती है और वह अवयव स दश योग के लए अवयव होता है ।
. यह जानकार ा त कर सकगे क स दश समि ट के दो उपसमि टओं का उस स दश
समि ट क उपसमि ट होता है पर तु उनका संघ उस स दश समि ट क हो यह आव यक
नह ं है।
12.1 तावना
इस इकाई म हम स दश समि ट, उपसमि ट को प रभा षत करते हु ए इनसे स बि धत कु छ
अ य त मह वपूण उदाहरण को तु त करगे । स दश समि ट और उपसमि ट से स बि धत
कु छ मह वपूण गुणधम के वषय म जानकार दगे िजससे आप इस इकाई के वषय म अ छ
जानकार ा त कर सक ।
277
12.2 स दश समि ट क प रभाषा एवं उदाहरण (Definition and
examples of Vector spaces)
स दश समि ट को प रभा षत करने से पहले हम आ त रक (Internal) और वा य (External)
वचर सं याएँ प रभा षत करगे ।
य द A एक अ र त समु चय है तो फलन f : A A A, समु चय A म एक आ त रक
वचर सं या कहलाता है और य द A और B दो अ र त समु चय हो तो फलन
g : B A A, समु चय A म एक बा य वचर सं या कहलाता है ।
(ii ) ( a b) V a v b v,
ट पणी :
(i) चूँ क V के अवयव स दश के गुणधम का पालन करते ह, इस लये V के अवयव को
स दश और चूँ क F के अवयव अ दश के गुणधम का पालन करते ह, इस लये F के अवयव
को अ दश कहते ह ।
(ii) V म योग के लये त समक अवयव को शू य स दश कहते है ।
(iii) य द V े Rपर स दश समि ट है तो इम इसे सु वधा के लए V(F) वारा न पत
करगे।
(iv) य द F=R ने (वा त वक सं याओं का े ), F = Q (प रमेय सं याओं का े ), F =
C (सि म सं याओं का े ) हो तो, V को मश: वा त वक, प रमेय तथा सि म स दश
समि ट कहते ह ।
278
(v) सु वधा के लए हम स दश योग को + तथा अ दश गुणन को . से कट करगे ।
यह यान म रहना चा हए क एक ह कार के अवयव योग या के अ तगत यो य होते ह
अथात ् V और F अवयव को आपस म जोड़ा नह ं जा सकता है ।
279
.u . a1 , a2 , a3
= .a1 , .a2 , .a3 V , य क । F, a1 F .ai Fi 1,2,3|
अत: V स दश योग और अ दश गुणन के लये संव ृत है । अब हम स करगे क V(F) एक
स दश समि ट है।
(1) (V,+) एक म व नमेय समूह है ।
(i) साहचयता
माना x a1 , a2 , a3 , y b1 , b2 , b3 और z c1 , c2 , c3 , v के कोई तीन अवयव ह । अब
x y z a1 , a2 , a3 [ b1 , b2 , b3 c1 , c2 , c3 ]
a1 , a2 , a3 (b1 c1 , b2 c2 , b3 c3 )
a1 b1 c1 , a2 b2 c2 , a3 (b3 c3 ))
((a1 b1 ) c1 ,(a2 b2 ) c2 , (a3 b3 ) c3 )
य क योग F म सहचार है
[(a1 b1 ), (a2 b2 ), (a3 b3 )] (c1 , c2 , c3 )
[ a1 , a2 , a3 b1 , b2 , b3 ] c1 , c2 , c3
x y z
अत: V म योग सं या सहचार है ।
(ii) त समक अवयव का अि त व चूँ क F एक े है, इस लए योग के लए F म त समक
अवयव 0 है । अब 0 (0, 0, 0) v, v म त समक अवयव है य क येक
x a1 , a2 , a3 v के लए
x 0 a1 , a2 , a3 (0, 0, 0)
(a1 0, a2 0, a3 0)
a1 , a2 , a3
x
इसी कार 0+x = x
अथात ् x 0 0 x x V |
(iii) तलोम का अि त व
माना x a1 , a2 , a3 समु चय V का कोई अवयव है । तब a1 , a2 , a3 F
280
(0, 0, 0)
= 0
इसी कार
( x) x 0
अतः x ( x ) ( x ) x 0
Vके येक अवयव का योग के लये तलोम V म है ।
(iv) म व नमेयता
अब य क F म योग म व नमेय है
x y a1 , a2 , a3 b1 , b2 , b3
(a1 b1 , a2 b2 , a3 b3 )
(b1 a1 , b2 a2 , b3 a3 ),
b1 , b2 , b3 a1 , a2 , a3
yx
x y y x x, y V
V म योग म व नमेय है ।
283
a1 0
(ii) . x .
0 b1
.a1 0
0 .b1
.a .a1 0
1
0 .b1 .b1
.a 0 .a1 0
1
0 ..b1 0 .b1
.x .x
. x . x . x
a1 0
(iii) . .x . .
0 b1
. .a1 0
0 . .b1
. .a1 0
0 . .b1
.a1 0
0 .b1
a1 0
. .
0 b1
. .x
. .x . .x
(iv) a1 0
1.x 1.
0 b1
1.a1 0
0 1.b1
a1 0
0 b1
x
1.x x
अत: V वा त वक सं याओं के े V पर एक स दश समि ट है ।
284
उदाहरण 6 माना R वा त वक सं याओं का े है तथा V उन सभी वा त वक मान संतत ्
फलन का समु चय है जो संव ृत अ तराल [0,1] पर प रभा षत ह । स क िजये क V स दश
योग तथा अ दश गुणन जो न न कार प रभा षत है :
f g x f x g x f , g V , x 0,1
तथा . f x f x f V , R और x 0,1
हल : हम जानते ह क दो वा त वक मान संतत ् फलन का योग भी वा त वक मान संतत ् संतत ्
फलन होता है, इस लये V म फलन का योग वचर सं या है अथात ् V स दश योग के लए
संव ृत है । पुन य द कोई वा त वक सं या है और f कोई वा त वक मान संतत ् फलन है तो
f भी वा त वक मान संतत ् फलन होगा । अत: V अ दश गुणन के लये भी संव ृत है ।
फलन 0 : 0,1 R जो न न कार प रभा षत है
0 x 0 x 0,1
V म योग के लए त समक अवयव है य क f 0 x f x 0 x f x 0 f x
इसी कार 0 f x f x
f 0 f
अत: f 0 f V |
य द f V है, तो एक फलन f : 0,1 R म न न कार प रभा षत कर
f x f x x 0,1
,
तब f V
और f f x f x f x
f x f x
0
0 x
f f 0
इसी कार f f 0 इस लए फलन –f, f का योग के लए V म तलोम है ।
हम जानते है क फलन का योग सहचार एवं म व नमेय होता है, इस लए समु चय V स दश
योग सहचार एवं म व नमेय होगा । अत: (V,+) म व नमेय समू ह है ।
अब , R और f , g V के लए
(i) a f g x f g x
285
f x g x
f x g x
f x g x
f g x x 0,1
अत: a f g f g
(ii) f x f x
f x f x
f x f x
f f x x 0,1
अत: f f f
(iii) f x f x
f x
f x
f x x 0,1
अत: f f
1 f x 1 f x
(iv)
f x x 0,1
अत: 1 f f
अत: V,R पर स दश समि ट है ।
मेय 1 : य द V े F पर एक स दश समि ट है तथा V का शू य स दश 0 है, तथा F का
यो य त समक अवयव शू य 0 है, तब
(i)
a.0 0a F ,
(ii) 0.v 0v V , 0 F ,
(iii)
a .v a. v a.v a F , v V ,
a. u v a.u a.v a F , u , v F ,
(iv)
(v) a.v 0 a 0 या v 0 जहाँ a F , u , v V ,
(vi) . a. u य द a 0, a F
au तथा u , v V ,
286
a.0 0 a.0 a.0 य क V मे 0 है त समक अवयव
0 a.0 वाम नरसन नयम से
अतः a.0 0 a F
(ii) 0.v 0 0 .v
य क F म 0 + 0 = 0
0.v 0.v 0.v
0.v 0 0.v 0.v
0 0.v V मे योग के वाम नरसन नयम से
(iii) (ii) से
0 0.v
0 a .v य क a + (-a) = 0
0 a.v a .v
a .v a.v योग के तलोम नयम से
इसी कार हम द शत कर सकते है क
a. v a.v
अतः a .v a v a.v
(iv) a. u v a. u v
a.u a. v
a.u a.v, (iii) का योग करने पर
a. u v a.u a.v
(v) यहाँ हम स करना है क av 0 a 0 या v 0 , जहाँ a F , v V | सव थम
माना क av = 0, जहाँ a 0. चूँ क F एक े है और 0 a F तो a F का अि त व
1
होगा ता क aa 1 a a
1 1
अब,
av 0 a 1 av a 1 0
a 1a v 0, (i) से
1v 0
v0
अत: य द av = 0 तथा a 0 तो v = 0. पुन : माना av = 0 तथा v 0 तब हम स करना है
क a = 0 य द स भव हो तो माना क a 0 , तब a F का अि त व होगा ता क
1
aa 1 1 a 1a
अब
287
av 0 a 1 av a 1 0
a 1a v 0
1v 0
v0
जो क वरोधाभास है य क हमने माना है क 0 अत: a 0
(vi)
au av au av 0
a u v 0
u v 0,
य क a0
uv
अत: au av u यद 0 aF
(vii)
au bu au bu 0
a bu 0
a b 0, य क u0
अत: au bu a b यद u0
वमू यांकन न -1
1. येक े अपने कसी उप े पर स दश समि ट होता है ।
स य / अस य ।
2. य द F एक े है और V = {0} तो V े F पर स दश योग और अ दश गुणन के
सापे स दश समि ट है । स य / अस य ।
3. य द V े F पर स दश समि ट है, तो (V,+) म व नमेय समू ह नह ं होता है ।
स य / अस य ।
4. कारण स हत बताइये क मै स समु चय
a 1
v a, b R
1 b
मै स योग एवं मै स अ दश गुणन के सापे वा त वक सं याओं के े R पर एक
स दश समि ट है क नह ं ।
288
12.3 स दश उपसमि ट क प रभाषा एवं उदाहरण (Definition and
examples of vector subspace)
12.3.1 स दश उपसमि ट क प रभाषा :
म वत: स हो जायगे ।
मेय 2 : य द V े F पर स दश समि ट हो और W,V का अ र त उपसमु चय, तो W,V क
उपसमि ट होगी य द और केवल य द और
(i) u, v w u v W , और
(ii) u F , u w au W .
उपपि त : सव थम माना क W, V क उपसमि ट है और u, v W तथा a F . क प रभाषा
से W वयं V म प रभा षत स दश योग और अ दश गुणन के सापे स दश समि ट है । चू ं क
(W,+) एक समू ह है, इस लए
u W , v W u W , v W
u v W
u v W
पुन : चूँ क W म अ दश गुणन संव ृत है, इस लए
F , u W u W .
289
दया गया तब ध (i) अथात ् u , v W u vW , यह द शत करता है क छ स दश
को संतु ट करगे ।
अत: W वंय े F पर स दश समि ट है । फलत: W(F), V(F) क उपसमि ट है ।
मेय 3 : य द V े F पर स दश समि ट हो, तो इसके एक अ र त उपसमु चय W के V(F)
क उपसमि ट होने के लए आव यक एवं पया त तब ध है क
u , v W तथा a, b F au bv W
उपपि त : तब ध क आव यकता : माना क W स दश समि ट V(F) क उपसमि ट है और
u, v W तथा a, b F . उपसमि ट क प रभाषा से W वंय V म प रभा षत स दश योग और
अ दश गुणन के सापे स दश समि ट है । अब
a F , u W au W
तथा b F , v W bv W
अत: तब ध आव यक है ।
तब ध क पया तता : माना क W, स दश समि ट V(F) का कोई अ र त उपसमु चय है जो
न न त ब ध को संतु ट करता है:
a, b F और u , v W au bv W
290
मेय 4 : कसी स दश समि ट के क ह ं दो उपसमि टओ का सव न ठ भी उस स दश सामीि ट
क उपसमि ट होती है ।
उपपि त : माना V, े F पर कोई स दश समि ट है और W1, W2 इसक कोई दो, ह । हम
स करना है क W1 W2 भी स दश समि ट V(F) क उपसमि ट होगी । चू ं क W1 और W2,
V(F) क उपसमि ट ह, इस लए
0 W1 , 0 W2 0 W1 W2 W1 W2 , जहां 0, V म योग के लए त समक
अवयव है।
माना a, b F और u , v W1 W2
अब
u , v W1 W2 u , v W1
और
u , v W2
चूँ क W1 , V F क उपसमि ट है, इस लए
a, b F
और
u , v W1 au bv W1 ....(1)
पुन :
चूँ क W2 , V F क उपसमि ट है, इस लए
a, b F और
u , v W2 au bv W2 ...(2)
समीकरण (1) और (2) से au bv W1 W2
अत: a, b F और u , v W1 W2 au bv W1 W2
फलत: W1 W2 भी स दश समि ट V (F) क उपसमि ट है ।
ट पणी :
(i) एक स दश समि ट क उपसमि टय के कसी कुल का सव न ठ भी उस स दश समि ट
उपसमि ट होती है ।
(ii) कसी स दश समि ट के दो उपसमि टओं का संध उस स दश समि ट क उपसमि ट हो यह
आव यक नह ं है ।
उदाहरण के लए हम जानते ह क यद F कोई े हो, तो समु चय
V a1 , a2 , a3 , | a1 , a2 , a3 F स दश योग और अ दश गुणन जो न न कार प रभा षत
है :
a1 , a2 , a3 , b1 , b2 , b3 , a1 b1 , a2 b2 , a3 b3
a1 , a2 , a3 a1 , a2 , a3 F
और
291
a1 , a2 , a3 , b1 , b2 , b3 V ,
के सापे स दश समि ट होता है ।
यहाँ W1 a , 0, 0 | a F तथा W2 0, b, 0 | b F , V क दो उपसमि ट ह, पर तु इनका
संघ W1 W2 x x a, 0, 0 or 0, b, 0 a, b F
स दश समि ट V(F) क उपसमि ट
नह ं है, य क u a , 0, 0 , v 0, b , 0 , W1 W2 के दो अवयव ल और , F तो
u v a, 0, 0 0, b, 0
a, b, 0 W1 W2
अब
W1 W2 u W1
पर तु
u W2 ...(1)
तथा
W2 W1 v W2
पर तु
v W1 ...(2)
v W1 u W1 W2
v W1 v W1 W2
चूँ क W1 W2 स दश समि ट V क एक उपसमि ट है, इस लए
u W1 W2 , v W1 W2 u v W1 W2
u v W1 or u v W2
माना u v W1 चूँ क W1 एक उपसमि ट है, इस लए
u W1 u W1
अब
292
u W1 , u v W1 u u v W1
u v v W1
0 v W1
v W2 , जो क (2) का वरोधाभास है । साथ ह य द
u v W2 और W2 स दश समि ट क उपसमि ट है, इस लए
u v W2 , v W2 u v v W2
u v v W2
u 0 W2
u W2 , जो क (1) का वरोधाभास है ।
अत: जो मने माना है गलत है । फलत: W1 W2 या W2 W1 .
a1 , a2 , a3 b1 , b2 , b3 a1 b1 , a2 b2 , a3 b3
और a1 , a2 , a3 a1 , a2 , a3 F
और a1 , a2 , a3 , b1 , b2 , b3 V क उपसमि ट है ।
हल : चूँ क F े है, इस लए
0 F 0, 0, 0 W
W 0
माना x a1 , a2 , 0 , y b1 , b2 , 0
x y a1 , a2 , 0 b1 , b2 ,0
a1 , a2 , 0 b1 , b2 , 0
a1 b1 , a2 b2 , 0
c1 , c2 , 0 , , जहां c1 , c2 F , य क F एक े है ।
x y W . अत: W स दश समि ट V(F) क एक उपसमि ट है ।
293
0, 0, 0 W
W
माना x a1 , a2 , a3 , y b1 , b2 , b3 समु चय W के कोई दो अवयव ह । इस लए
a1 3a2 4a3 0
तथा b1 3b2 4b3 0
, F और x, y W
x y a1 , a2 , a3 b1 , b2 , b3
a1 , a2 , a3 b1 , b2 , b3
a1 b1 , a2 b2 , a3 b3
c1 , c2 , c3
जहां c1 , c2 , c3 F , य क F एक े है । अब
c1 3c2 4c3 a1 b 3 a2 b2 4 a3 b3
a1 3a2 4a3 b1 3b2 4b3
c1 3c2 4c3 0
x y W
x y a1 b1 3 a2 b2 3
a1 a2 b1 b2 3
c1 c2 3,
जहाँ c1 , c2 R , य क R एक े है । '
x y W
अत: W (R), स दश समि ट R (R) क एक उपसमि ट है ।
294
उदाहरण 4 : माना R वा त वक सं याओं का े है तथा M 2 R वा त वक सं याओं क
2 2 को ट के सभी मै स का समु चय है । M2(R) मै स योग एवं मै स अ दश गुणन
के सापे R पर एक स दश समि ट है।
द शत क िजये क मै स समु चय
a 0
W a, b R
0 b
स दश समि ट M2 (R) क एक उप समि ट होगी ।
हल :
0 0
0 R W
0 0
W 0
a1 0 a2 0
माना x .y समु चय W के कोई दो अवयव है ।
0 b1 0 b2
अब , R के लए
a 0 a 0
x y 1 2
0 b1 0 b2
a 0 a 0
1 2
0 b1 0 b2
a a2 0
1
0 b1 b2
a3 0
0 b3
जहाँ 3 ,b3 R , य क R एक े है
a3 0
x y W
0 b3
अत: W स दश समि ट M2 (R) क एक उपसमि ट है ।
वमू यांकन न- 2
1. य द V(F) एक स दश समि ट है िजसम एक से यादा अवयव ह, तो V (F) क कम से
कम कतनी उपसमि टयाँ हो सकती ह ।
2. य द Q और R मश: प रमेय और वा त वक सं याओं के े ह , तो या Q, स दश
समि ट R (R) क उपसमि ट है?
295
3. य द W कसी स दश समि ट V(F) का कोई उपसमु चय हो, तो या W,V (F) क
उपसमि ट है ?
12.4 सारांश
इस इकाई म आपने मु यत: स दश समि ट और स दश उपसमि ट के वषय म जानकार ा त
क है । इनसे स बि धत कु छ मह वपूण प रणाम क जानकार ा त करते हु ए आप ने सीखा
क कसी स दश समि ट के उपसमि टओं का सव न ठ सदै व उस स दश समि ट क उपसमि ट
होती है पर तु इनका संघ उस स दश समि ट क उपसमि ट होना आव यक नह ं है ।
12.5 श दावल
स दश समि ट Vector space
स दश उपसमि ट Vector subspace
शू य स दश Null space
नरथक उपसमि ट Trivial subspace
उ चत उपसमि ट Proper subspace
12.7 अ यास न
1. माना R वा त वक सं याओं का े है तथा M2 (R) वा त वक सं याओं क 2 2 को ट
के सभी मै स का समु चय है । द शत क िजये क M2 (R) मै स योग एवं मै स
अ दश R के सापे R पर एक स दश समि ट है ।
2. य द F कोई े है तथा V a , a ,........, a a F , i 1, 2,...., n
1 2 n i n ट पल का
एक समु चय है । V म योग तथा अ दश गुणन जो न न कार से प रभा षत है
a1 , a2 ,........, an + b1 , b2 ,........, bn = a1 b1 , a2 b2 ,........, an bn
तथा a1 , a2 ,........, an a1 , a2 ,........, an तो स किजये क V े F पर
स दश समि ट है ।
296
3. य द F कोई े है तो द शत क िजये क समु चय
W a, b, c | a b c 0; a , b, c F स दश समि ट
V F a, b, c a, b, c F क एक उपसमि ट है ।
4. माना े F पर V एक स दश समि ट है तथा नयत v V के लए माना
Wv v F , तो स करो क Wv स दश समि ट V (F) भी एक उपसमि ट है ।
5. द शत क िजए क समु चय
W a b 2 c 3 | a, b, c R ने स दश R (R) क
एक उपसमि ट है ।
297
इकाई 13: स दश का एकघात संचय, एकघाती वत ता
एवं आ तता (Linear Combination of
Vectors, LinearIndependence and
Dependence)
इकाई क परे खा
13.0 उ े य
13.1 तावना
13.2 स दश का एकघात संचय
13.2.1 एकघाती व तृ त
13.3 एकघाती वत ता एवं आ तता
13.4 सारांश
13.5 श दावल
13.6 वमू यांकन न के उ तर
13.7 अ यास न
13.0 उ े य
इस इकाई म स दश का एकघात संचय, एकघाती वत ता एवं आ तता के वषय म चचा क
गयी है । इस इकाई को पढ़ लेने के बाद आप,
स दश का एकघात संचय, एकघाती वत ता एवं आ तता के वषय म जानकार ा त
कर सकगे ।
समझ सकगे क स दश का एकघात संचय अ वतीय नह ं होता है ।
समझ सकगे क कसी स दश समि ट के उपसमु चय क एकघात व तृ त उस स दश
समि ट क उपसमि ट होती है
समझ सकगे क य द कसी स दश समि ट के कसी उपसमु चय म शू य स दश व यमान
हो तो वह उपसमु चय एकघातत: परत होता है ।
समझ सकगे क कसी स दश समि ट V(F) म य द 0 v V F , तो एकल समु चय
{v} सदै व एकघातत: वत होता है ।
समझ सकगे क कसी स दश समि ट म एकघातत: वत समु चय का येक उपसु चय
एकघातत: वत होता है ।
13.1 तावना
इस इकाई म हम स दश का एकघात संचय, एकघाती वत ता एवं के वषय म चचा
करगे । इनसे स बि धत कु छ मह वपूण उदाहरण दे ते हु ए इनको समझाने क को शश करगे ।
इनसे स बि धत कु छ अ य त मह वपूण प रणाम क भी जानकार दगे ।
298
13.2 स दश का एकघात संचय (Linear Combination of Vectors)
माना V, े F पर एक स दश समि ट है । एक स दश v V , V स दश
v1 , v2 ,........, vn का एकघात संचय कहलाता है य द आ दश a1 , a2 ,........, an का F म
अि त व हो, ता क
v a1 , v2 a2v2 ............ an vn
स दश का एकघात संचय अ वतीय नह ं होता है य क अ दश a1 , a2 ,........, an के
व भ न मान के संगत दये गये स दश v1 , v2 ,........, vn के कई एकघात संचय ा त कए जा
सकते ह।
उदाहरण 1 : माना ने वा त वक सं याओं का े है । स दश समि ट
V R a1 , a2 , a3 a1 , a2 , a3 R
म स दश v = (5, 9, 6) को दये हु ये स दश v1 2,1, 4 , v2 1, 1,3 , v3 3, 2, 6 के
एकघात संचय म य त क िजये ।
हल : माना v a1v1 a2 v 2 a3v3 जहाँ
a1 , a2 , a3 R ....(1)
5,9,16 a1 2,1, 4 a2 1, 1,3 a3 3, 2, 6
2 a1 , a1 , 4a1 a2 , a2 ,3a2 3a3 , 2a3 , 6 a3
2 a1 a2 3a3 , a1 a2 2a3 , 4 a1 3a2 6 a3
2a1 a2 3a3 5 .....(2)
a1 a2 2a3 9 .....(3)
299
a1 , a2 R .....(1)
2, 5, 4 a1 1, 3, 2 a2 2, 1,1
a1 , 3a1 , 2a1 2a2 , a2 , a2
a1 2a2 2 ......(2)
3a1 a2 5 ......(3)
2a1 a2 4 .......(4)
a1 , 2 a2 1 .....(2)
3a1 a2 .....(3)
2 a1 a 2 5 .....(4)
समीकरण (2) म 2 से गुणा करके (4) म से घटाने पर
3a2 3
a 2 1
a2 1, समीकरण (2) म रखने पर a1 3.
300
a1 3 और a2 1 , समीकरण (3) म रखने पर 8 . चूँ क a1 और a 2 के मान
समीकरण (4) को भी स तु ट करते ह, इस लए 8 के लये दये गये स दश v V R
को स दश v1 और v 2 के एकघात संचय के प म य त कर सकते ह ।
a1 , 0, 0 0, 0, a2 a1 , a2 R
समु चय है ।
उदाहरण 3 : माना S = {v = 1} स दश समि ट R(R) का एक उपसमु चय है,तो
L S av a R
a 1 a a R
R
L S R R
301
v 1.v
v L S v S
L S तथा S L S
माना u, v समु चय L(S) के कोई दो यव है तब
n
u ai ui , ai F , ui S
i 1
और
m
v bjv j , bj F , v j S
j 1
302
हम स करना है
L S L T
n
माना u L S .u L S u1 , u2 ,........, u n S , a1 , a2 ,....an F ता क u a u i i
i 1
चू ं क S L T , इस लए u1 , u2 ,........, un S
u1 , u2 ,........, un L T
n
a u L T ,
i i य क L(T), V क उपसमि ट है
i 1
u L T
अतः
u L S u L T
L S L T
(ii) दया हु आ है S T
हम स करना है क
L S L T
माना u L S ,
n
u L S u1 , u2 ,........, un S , a1 , a2 ,....an F ता क u ai ui
i 1
u L T
अत:
u L S u L T
L S L T
303
n
au S
i 1
i i
uS
अतः
u LS u S ....(1)
L S S
माना u, S का कोई अवयव है, 1 F के लए
u 1.u L S
.... (2)
S L S
समीकरण (1) व (2) से
L S S
वलोमत: माना क L S S . हम स करना है क S , V F क उपसमि ट है ।
मेय 1 से हम जानते है क L S , V क उपसमि ट है
इस लए S भी V क उपसमि ट होगी य क L S S
(iv) चू ं क L S , V F क एक उपसमि ट है,
इस लए (iii) L L S L S .
.
वमू यांकन न - 1
1. स दश समि ट V R a1 , a2 | a1 , a2 R के स दश (2,3) को स दश
v1 1,0 , v2 0,1 के एकघात संचय के प म य त कर सकते ह ।
2. स य/अस य
3. स दश v1 1, 0, 0 , v2 0, 0,1 , v3 0, 0,1 स दश सम ट
V R a1 , a2 , a3 a1 , a2 , a3 R को व तृ त करते ह ।
4. स य/अस य
5. य द C , , सं याओं का े है, तो समु चय S = {1,i} स दश स म ट C(R) को
व तृत नह ं करता है।
6. स य/अस य
7. य द V(F) समि ट है तथा समु चय S = {0} जहां 0, V मे स दश योग के लए त समक
अवयव है, तो L (S) ात क िजये ।
8. स य/अस य
304
13.3 एकघाती वत ता एवं आ तता
(Linear Independence and Dependence)
माना V े F पर कोई स दश समि ट है तथा S v1 , v2 ,........., vn समि ट V का एक
प र मत उपसमु चय है। S को एकघातत: वत कहते ह यद और केवल यद
a1 , a2 ,..................an F ता क
a1a2 v1v2 ......... an vn 0
a1 a2 ........... an 0
305
समीकरण (1) से a1 0
a1 0 , (2) म रखने पर a2 0
a1 0 , a2 0 (3) म रखने पर a3 0
a1 0 , a2 0 , a3 0 , (4) म रखने पर a4 0
अत.
a1v1 a2 v2 a3v3 0
एकघातत: वत ह ।
उदाहरण 3 : द शत क िजये क स दश समि ट का उपसमु चय S 3, 0 , 0, 4
एकघातत: वत है ।
हल : माना और a1 3, 0 a2 0, 4 0, 0
3a1 , 0 0, 4a2 0, 0
3a1 , 4a2 0, 0
3a1 0 और 4a2 0
a1 0 और a2 0
अत: समु चय S 3, 0 , 0, 4 एकघातत: वत है ।
अत: a1 a2 ............. al 0
306
अत: समु चय S1 एकघातत: वत है । पर तु S1 समु चय S का कोई अ र त उपसमु चय है
फलत: S का येक अ र त उपसमु चय एकघातत: वत है ।
मेय 4 : माना V(F) एक स दश समि ट है । य द v F स दश v1 , v2 ,................vn का
एकघात संचय हो, तो समु चय v, v1 , v2 ,................vn एकघातत: परत होता है ।
उपपि त : चूँ क स दश v F स दश v1 , v2 ,................vn का एकघात संचय है, इस लये अ दश
a1 , a2 ,.........., an F का अि त व होगा ता क
v a1v2 a2v2 ............. an vn
a1v1 a2v2 ............... an vn 1 v 0, जहाँ कम से कम 1 0
समीकरण (1) से
av a1v1 a2v2 ............... an vn
307
चूँ क समु चय B एकघातत: परत है, इस लए अ दश a1 , a2 ,................, am F का
अि त व होगा िजसम सभी ai शू य नह ं ह
पर तु
a1v2 a2 v2 ........... am vm 0
a1v1 a2v2 ........... amvm 0vm1 .......0vn 0, जहाँ सभी ai शू य नह ं ह
तो a m 1 F ता क am am 1 am am
1 1
समीकरण (2) से
am vm a1v1 a2v2 ............... am 1vm 1
vm am1a1 v1 am1a2 v2 ............... am1am 1vm 1
308
स दश v1 , v2 ,............., vn का एकघात संचय शू य के बराबर है पर तु सभी अ दश शू य
नह ं है । इस लए समु चय S एकघातत आ त है ।
मेय 8 : कसी स दश समि ट V(F) म अशू य स दश का समु चय
S v1 , v2 ,............., vn एकघातत: आ त होता है य द और केवल य द S का कोई अवयव
S के शेष अवयव के एकघात संचय के प म य त कया जा सके ।
उपपि त. सव थम माना क समु चय S एकघातत: आ त है । तो अ दश
a1 , a2 ,..............an F का अि त व होगा जहाँ सभी ai, शू य नह ं है
पर तु
a1v2 a2 v2 ........... am vm ........... an vn 0 .......(1)
माना am 0 चू क F एक े है और 0 a m F तो a m F am1am 1.
1
ता क
समीकरण (1) म योग के लये म व नमेय नयम का पालन करने और दोन तरफ a v
m m
जोड़ने पर
am vm a1v1 a2 v2 ...............am1vm1 am 1vm 1........... an vn
1
vm am a1v1 a2v2 .........am1vm1 am 1vm 1 .......an vn
am1a1 v1 am1a2 v2 ............... am1am 1 vm1
जहां bi F , i 1, 2, m 1, m 1,......., n
स दश vm F समु चय S के शेष अवयव के एकघात संचय के प य त कया जा
सकता है ।
माना क vm S को समु चय S के शेष अवयव v1 , v2 ,.............., vm 1 , vm1 ,............, vn
एकघात संचय के प म य त कया जा सकता है । तो अ दश
a1 , a2 ,..............am1 , am 1 ,............, an का अि त व होगा ता क
vm a1v1 a2v2 ............... am1vm 1 am1vm1 ,..............., an vn
उपयु त समीकरण म योग के लए म व नमेय नयम का पालन करने ओर दोन तरफ -vm
जोड़ने पर 0 a1v1 a2v2 .............. 1 vm am1vm1....... an vn जहाँ 0 1 F
समु चय S v1 , v2 ,............., vm ,............., vn एकघातत: आ त है ।
मेय 9 : कसी स दश समि ट V (F) म दो अ म स दश एकघातत: परत है । य द और
केवल य द इनम से एक स दश दूसरे स दश के अ दश गुणन के बराबर है ।
उपपि त : माना u और v कसी स दश समि ट V (F) के दो अशू य स दश ह । सव थम माना
क u, v एकघातत: परत है । इस लये
au bv 0, जहाँ a, b दोन अशू य अ दश ह, य क य द a = 0 और b 0, तो
309
au bv 0,
bv 0
v 0 जो क वरोधाभास है य क v 0
इसी कार य द b = 0 और a 0 तो यह द शत कया जा सकता है क u = 0 जो क
वरोधाभास है । अत: au bv 0 जहां a 0 और b 0
a 1 au bv a 1 0
a 1a u a 1b v 0
1.u a 1b v 0
u a 1b v
स दश u स दश v का अ दश गुणन है ।
वलोमत: माना क स दश u स दश v का अ दश गुणन है । तो एक अशू य अ दश व यमान
होगा ता क u = v
1 u v 0, 0
जहाँ
u, v एकघातत: परत ह ।
वमू याकन न -2
1. माना S = {0} जहाँ 0 स दश समि ट V(F) म स दश योग के लये त समक अवयव है ।
समु चय S एकघातत: वत है ।
स य / अस य
2. स दश समि ट C (R) म समु चय S = {1,i} एकघातत: वत है ।
स य / अस य
3. स दश समि ट V R a1 , a2 , a3 ,| a1 , a2 , a3 R म समु चय
स य / अस य
4. स दश समि ट V R a1 , a2 | a1 , a2 R म समु चय S 0, 0 , 1, 0 , 0, 2
एकघातत: परत है ।
स य / अस य
उदाहरण 4 : स दश समि ट V R a1 , a2 , a3 ,| a1 , a2 , a3 R म समु चय
S 2,3,5 , 1, 0, 0 , 0,1, 0 , 0, 0,1 एकघात: परत है य क स दश (2,3,5) शेष
तीन स दश (1,0,0), (0,1,0)
और (0,0,1) का एकघात संचय है ।
उदाहरण 5 : द शत क िजये क 2x 2 आकार के मै स क स दश समि ट ने M2(R) म
समु चय
310
1 1 1 0 1 1
एकघात वतं है ।
S v1 ,v
2
,v
3
0 0 0 1 1 1
हल : माना a1 , a2 , a3 R ता क
a1v2 a2 v2 a3 v3 0
1 1 1 0 1 1 0 0
a1
a2 a3
1 0 0
0 0 0 1 1
a1 a1 a2 0 a3 a3 0 0
0 0 0 a a3 0 0
2 a3
a1 a2 a3 a1 a3 0 0
a3 a2 a3 0 0
a1 a2 a3 0
a1 a3 0
a2 a3 0
a3 0
a1 a2 a3 0
अत: a1v2 a2 v2 a3 v3 0 a1 a2 a3 0
समु चय S एकघातत वत है ।
उदाहरण 6 : माना क S u , v , w कसी स दश समि ट V(F) का एकघातत: वतं समु य
है। द शत क िजये क समु चय
(i ) S1 u v, v w, w u और
(ii ) S 2 u v, u v, u 2v w
एकघातत: वत ह ।
हल :
(i) माना a1 , a2 , a3 F ता क
.....(1)
311
चू ं क स दश u, v, w एकघातत: वत ह, इस लए (1) से
.....(2)
.....(3)
.....(4)
(2), (3) तथा (4) का योग करने पर
a1 a a3 0 .....(5)
(2), (3) (4) और (5) से
a1 a2 a3 0
अत: a1 u v a2 v w a3 w u 0
a1 a2 a3 0
समु चय S1 एकघातत: वत है ।
(ii) माना a1 , a2 , a3 F ता क
a1 u v a2 u v a3 u 2v w 0
a1 a2 a3 u a1 a2 a3 v a3 w 0 ......(1)
a1 a2 2a3 0 .....(3)
a3 0 .....(4
13.4 सारांश
इस इकाई म हमने स दश का एकघात संचय, एकघाती वत ता एवं आ तता के वषय म
चचा क है । इनसे स बि धत कु छ अ य त मह वपूण जानका रयाँ ा त हु यी ।
13.5 श दावल
एकघात संचय Linear Combination
एकघाती वत ता Linear Independence
एकघाती आ तता Linear Dependence
एकघाती व तृ त Linear Span
312
13.6 वमू यांकन न – 1
1. स य
2. स य
3. अस य
4. L(S) = {0}
13.7 अ यास न
1. स दश समि ट V R a , a , a a , a , a
1 2 3 1 2 3 R को स दश मे v= (1,-2,5) को
स दशो V1 = (1,2,3), V2 = (2,-1,1), V3 = (1,1,1) के एकघात संचय म य त क िजये ।
(उ तर : v 3v1 2v2 6v3
2. या स दश समि ट V R a , a , a a , a , a
1 2 3 1 2 3 R स दश v1 =(1,-3,2) v2 = (2,-
4,-1) तथा v3 = (1,-5,7) के एकघात संचय के प म य त कर सकते ह ?
(उ तर : नह )ं
3. द शत क िजये क समु चय S v1 1, 2, 3 , v2 0,1, 2 , v3 0, 0,1 स दश
समि ट V R a , a , a a , a , a
1 2 3 1 2 3 R को व तृ त करता है।
4. द शत क िजये क स दश समि ट V R a1 , a2 , a3 ,| a1 , a2 , a3 R मे न न ल खत
एकघातत: वतं है।
(i ) S1 v1 1, 2,3 , v2 0,1, 2 , v3 0, 0,1
(ii ) S2 v1 1,1, 0 , v2 1,1,1 , v3 2,1,3
5. स क िजए क स दश स म ट V R a, b | a, b R म स दश (a1,a2) तथा
(b1,b2) एकघाततः परतं है य द a1b2 a 2b1 0
6. य द v1 , v2 ,............vm एक स दश समि ट म m स दश है जो क एकघाततः वतं है और
य द अ दश a1 , a2 ,............am ; b1 , b2 ,............bm F का अि त व इस कार हो क
a1v1 a2 v2 ............ am vm b1v1 b2 v2 ............ bm vm
तो द शत क िजये क ai b i ; i 1, 2,........., m.
313
इकाई 14 : स दश समि ट का आधार, वमा एवं इनके
उदाहरण, प र मत वमीय स दश समि टय के
गु णधम, एकघाती व तृ त एवं इससे ज नत
उपसमि ट (Basis, Dimension of a vector space
and their examples, Properties of finite
dimensional vector spaces, Linear span and
sub space generated by it)
इकाई क परे खा
14.1 उ े य
14.2 तावना
14.3 स दश समि ट का आधार, वमा एवं इनके उदाहरण
14.3.1 स दश समि ट का आधार
14.3.2 स दश समि ट क वमा
14.3.3 स दश समि ट के आधार एवं वमा से स बि धत उदाहरण
14.4 प र मत वमीय स दश समि टय के गुणधम
14.5 एकघाती व मृ त एवं इससे ज नत उपसमि ट
14.6 सारांश
14.7 श दावल
14.8 वमू यांकन न के उ तर
14.9 अ यास न
14.0 उ े य
इस इकाई म स दश समि ट के आधार, वमा एवं स दश समि ट के कसी उपसमु चय के
एकघाती व तृ त के वषय म चचा क गयी है । इस इकाई को पढ़ लेने के बाद आप
कसी स दश समि ट के आधार एवं वमा के वषय म जानकार ा त कर सकगे ।
यह जानकार ा त कर सकगे क कसी स दश समि ट के एक से अ धक आधार हो सकते
ह ।
यह जानकार ा त कर सकगे क कसी स दश समि ट के आधार म शू य स दश नह ं होता
है ।
यह जानकार ा त कर सकगे क येक प र मत ज नत स दश समि ट का एक आधार
होता है ।
यह जानकार ा त कर सकगे क प र मत वमीय स दश समि ट के कोई भी दो आधार म
अवयव क सं या समान होती है ।
314
यह जानकार ा त कर सकगे क प र मत वमीय स दश समि ट का येक वत
उपसमु चय य द स दश समि ट का आधार नह ं है तो उसे बढ़ाकर आधार बनाया जा सकता
है ।
14.1 तावना
इस इकाई मे हम स दश समीि ट के आधार वमा को प रभा षत करते हु ए इनसे संबि धत
उदाहरण को तु त करगे । प र मत वमीय स दश समि टय के अनेक गुण धम के वषय मे
चचा करगे । इकाई के अ त म एकघाती व तृ त एवं इससे ज नत उपसमि ट के वषय म चचा
करगे ।
315
14.2.3 स दश समि ट के आधार एवं वमा से स बि धत उदाहरण
उदाहरण 3 : माना
V a b 2 | a, b R तो V वा त वक सं याओं के े R पर स दश
V (R) = 2.
उदाहरण 4 : द शत क िजये क समु चय S v1 1, 0, 0 , v2 1,1, 0 , v3 1,1,1
स दश समि ट V ( R ) a, b, c | a, b, c R का आधार है ।
हल. हम स करना है क समु चय S स दश समि ट V(R) का आधार है । इसके लये हम
स करगे क उइंइ एकघातत: वत है और S, V का जनक है । माना क
a1v1 a2 v2 a3v3 0 , जहाँ a1 , a2 , a3 R
a1 1, 0, 0 a2 1,1, 0 a3 1,1,1 0, 0, 0
a1 a2 a3 , a2 a3 , a3 0, 0, 0
a1 a2 a3 0 .....(1)
a2 a3 0 .....(2)
a3 0 .....(3)
समीकरण (1), (2) और (3) को सरल करने से
a1 a2 a3 0
अतः a1v1 a2 v2 a3v3 0 a1 a2 a3 0
316
समु चय एकघातत: वत है ।
माना v x , y , z V R
पुन : माना x, y, z a1 1, 0, 0 a2 1,1, 0 a3 1,1,1
x, y, z a1 a2 a3 , a2 a3 , a3
a1 a2 a3 x ......(4)
a2 a3 y ......(5)
a3 z .......(6)
समीकरण (5) और (6) से a3 z और a2 y z
a 2 और a3 का मान समीकरण (4) म रखने पर
a1 y z z x
a1 x y
अत:
v x, y , z x y v1 y z v2 zv3
v, स दश v1, v2 और v3 के एकघात संचय के पम लखा जा सकता है ।
अत: S, V (R) का जनक है । फलत: समु चय S स दश समि ट V (R) का है ।
उदाहरण : 5 द शत क िजये क य द x , y , z स दश V R a, b, c | a, b, c R का
आधार है तो समु चय
S x y , y z , z x V(R) का आधार होगा ।
हल : हम स करना है क समु चय S स दश समि ट V (R) का आधार है इसके लये हम
स करगे क s एकघातत वत है और S, V (R) का जनक है । माना
a1 a3 0, a1 a2 0, a2 a3 0, य क समु चय x , y , z एकघातत:
वत है ।
a1 a2 a3 0
समु चय Sएकघातत: वत है ।
1 a1 a3 ......(3)
2 a1 a2 ......(4)
3 a2 a3 ......(5)
समीकरण (3), (4) और (5) को जोड़ने पर
1 2 3 2 a1 a2 a3
1
a1 a2 a3 1 2 3 .......(6)
2
समीकरण (3) और (6) से
1
a2 2 3 1 R
2
समीकरण (4) और (6) से
1
a3 1 3 2 R
2
समीकरण (5) और (6) से
1
a1 1 2 3 R
2
a1 , a2 , a3 के मान समीकरण (1) म रखने पर
1 1 1
a, b, c 1 2 3 x y 2 3 1 y z 1 2 3 z x
2 2 2
समु चय S, V(R) का जनक है । अत: समु चय S, V(R) का आधार है ।
उदाहरण : 6 द शत क िजये क समु चय
S v1 , v2 , v3 , v4 जहाँ v1 1, 0, 0 , v2 1,1, 0 , v3 1,1,1 , v4 0,1, 0 है
स दश समि ट V R a, b, c a, b, c R को व तृ त करता है पर तु आधार समु चय नह ं
है ।
हल : माना v x , y , z स दश समि ट का कोई अवयव है ।
पुन : माना क
x, y, z a1v1 a2v2 a3v3 a4v4
x, y, z a1 1, 0, 0 a2 1,1, 0 a3 1,1,1 a4 0,1, 0
x, y, z a1 a2 a3 , a2 a3 a4 a3 .......(2)
a1 a2 a3 x ........(3)
318
a3 z ........(4)
a3 z समीकरण (2) और (3) म रखने पर
a1 a2 x z ......(5)
a2 a4 y z .......(6)
माना a2 , तो (5) a1 x z और (6) से a4 y z
a1 , a2 , a3 , a4 के मान समीकरण (1) म रखने पर
x, y , z x z 1, 0, 0 1,1, 0 z 1,1,1 y z 0,1, 0
स दश समि ट V (R) का येक अवयव समु चय S के अवयव के संचय के प म लखा
जा सकता है । अत: समु चय S स दश समि ट V (R) का जनक है ।
चूँ क
v2 1,1, 0 11, 0, 0 1 0,1, 0 0 1,1,1
1.v1 ,1.v4 0.v3
इस लए समु चय S v1 , v2 , v3 , v4 एकघातत वत नह ं है। अत: समु चय S स दश
समि ट V (R) का आधार नह ं है।
उदाहरण : 7 माना V वा त वक सं याओं के े R पर सम त 2 x 2 मै स का स दश
समि ट है । द शत क िजये क समु चय S v1 , v2 , v3 , v4 , जहाँ
1 0 0 1 0 0 0 0
v1 , v2 , v3 , तथा v4 है,
0 0 0 0 1 0 0 1
स दश समि ट V (R) का आधार है । V क वमा ात क िजये ।
हल : हमे स करना है क समु चय S v1 , v2 , v3 , v4 स दश समि ट V (R) कार, आधार
है । इसके लये हम स करगे क S एकघातत: वत है और S, V (R) का जनक है ।
a1v1 a2v2 a3v3 a4v4 0, जहां a1 , a2 , a3 , a 4 R
1 0 0 1 0 0 0 0 0 0
a1 a2 a3 a4
0 0 0 0 1 0 0 1 0 0
a 0 0 a2 0 0 0 0 0 0
1
0 0 0 0 a3 0 0 a4 0 0
a a 0 0
1 2
a3 a4 0 0
a1 a2 a3 a4 0
a v a2v2 a3v3 a4v4 0,
अतः 1 1
a1 a2 a3 a4 0
समु चय S एकघाततः वत है ।
319
x y
माना v ,V ( R) का कोई अवयव है । तब
z u
x y 1 0 0 1 0 0 0 0
v x y z u
z u 0 0 0 0 1 0 0 1
v xv1 yv2 zv3 uv4
V (R) का येक अवयव समु चय D के अवयव के एकघात संचय के प म लखे जा
सकते है ।
अत: S, V (R) का जनक है । फलत: S, V (R) का आधार है । चूँ क समु चय S म अवयव
क सं या 4 है, इस लये वमा V (R) = 4.
वमू यांकन न- 1
1. समु चय S 1, 0 , 0,1 स दश समि ट V ( R ) a, b | a, b R का आधार नह
है।
स य / अस य
2. समु चय S 1, 0, 0 , 0,1, 0 स दश समि ट V ( R ) a, b, c | a , b, c R का
आधार है ।
स य / अस य
3. येक स दश समि ट क वमा प र मत होती है ।
स य / अस य
4. य द समु चय S कसी स दश समि ट का आधार है, तो S एकघातत: वत होता है ।
स य / अस य
321
परत है तो उपयु त व ध क पुनरावृ त प र मत वार करने पर एक S का उपसमु नू?य ा त
होता है जो एकधातत: वत होता है और जो V को ज नत करता है।
अ धक से अ धक यह हो सकता है क हमारे पास S का वह उपसमु चय ा त हो
िजसम केवल एक ह अवयव हो जो अशू य स दश हो य क 0 S तथा V को ज नत करता
हो । हम जानते ह क एकल अ म स दश एकघातत: वत होता है, इस लए यह V (F) का
आधार होगा।
मेय 3 : य द समु चय S v1 , v2 ,.........., vn स दश समि ट V (F) का आधार हो
v a1v1 a2v2 .......a j v j ............. an vn एक अशू य स दश हो, जहाँ a j 0, तो
स क िजये क समु चय S1 v1 , v2 ,.........., v j 1 , v, v j 1 ,...............vn , V F का है ।
हल : सव थम हम स करगे क S1 एकधातत: वत है ।
माना
b1v1 b2 v2 ........ b j 1v j 1 b j v b j 1v j 1 .............bn vn 0
उपयु त म v का मान रखने पर
b b a v b
1 j 1 1 2 b j a2 v2 ....... b j 1 b j a j 1 v j 1 b j a j v j
b j 1 b j a j 1 v j 1 ............. bn b j an vn 0
चूँ क समु चय S एकघातत: वत है, इस लए
b1 b j a1 0, b2 b j a2 0,............b j 1 b j a j 1 0,
b j a j 0, b j 1 b j a j 1 0,......., bn b j an 0
b1 b2 b j 1b j b j 1 ........bn 0, , य क a j 0
अत: समु चय S1 एकघातत: वत है ।
अब हम स करगे क S1, V का जनक है । माना का u,V कोई अवयव है । चूँ क S, V का
जनक है, इस लए अ दश c1 , c2 ............cn F का अि त व होगा ता क
u c1v1 c2 v2 ...... c j v j ...... cn vn .....(1)
यह दया है क
322
c j 1v j 1 ........... cn vn
c1 c j a j 1a1 v1 ........... c j 1 c j a j 1a j 1 v j 1
c j a j 1v c j 1 c j a j 1a j 1 v j 1 ........... cn c j a j 1an vn
u, समु चय S1 के अवयव के एकघात संचय के प म लखा जा सकता है । फलत: S1,V
का आधार है ।
मेय 4 : माना V कसी े F पर स दश समि ट और समु चय S v1 , v2 ,.........., vn
इसका आधार है । द शत क िजये क V के कसी उपसमु चय म जो एकघातत: वत हो n
से यादा अवयव नह ं हो सकते है।
उपपि त : माना S1 w1 , w2 ,..........., wm स दश समि ट V (F) का कोई उपसमु चय है जो
323
उपपि त : माना S1 v1 , v2 ,..........., vn तथा S 2 u1 , u 2 ,..........., u m कसी स दश V
(F) के दो आधार ह । चूँ क S1 एकघातत: वत है और S2,V का आधार है, इस लये मेय 4
से
nm ...(1)
पुन : चूँ क S2 एकघातत: वत है और S1,V आधार है, इस लये मेय 4 से
mn ...(2)
समीकरण (1) और (2) से
m n.
अत: प र मत वमीय स दश समि ट V (F) के कोई भी दो आधार म अवयव क सं या होती
है।
मेय 6 : कसी प र मत वमीय स दश समि ट V (F) का येक एकघातत: वत समु चय
य द V (F) का आधार नह ं है, तो उसको बढ़ाकर आधार बनाया जा सकता है ।
उपपि त : माना क स दश समि ट V (F) क वमा n है तथा S v1 , v2 ,..........., vm , V
एकघातत: वत स दश का समु चय है । तब m n. यद m n तो मेय 4 से समु चय
S, V (F) का आधार होगा । य द m n, तब L S V .
माना vm1,V L( S ) का अशू य स दश है । हम स करगे क समु चय
S1 v1 , v2 ............, vm , vm1 एकघातत: वत है ।
vm1 L S .
अत: a 1v1 a 2 v2 ......... amvm 0
a 1 a 2 .......... am 0
य क समु चय S एकघातत: वत है ।
अत: a1v1 a2 v2 ......... am vm am1vm1 0,
a1 a2 ......... am am 1 0
समु चय S1 एकघातत: वत है । य द S1,V का जनक है, तो S1,V का आधग़र है । य द
S1,V का जनक नह ं है तो एक दूसरे अशू य स दश vm 2 V L S1 का चयन करके इस
व ध को दोहराया ।
चूँ क कसी एकघातत: वत समु चय के पास अ धक से अ धक n अवयव हो सकते ह
इस लये (n-m) चरण के बाद वह उपसमि ट जो समु चय v , v
1 2, .........., vm , vm 1 ,........., vn
से ज नत होगा वह V के बराबर होगा । अत: अ दश vm 1 , vm 2 ,........, vn V अि त व होगा
ता क v1 , v2 ,..........., vn स दश समि ट V R का आधार है ।
324
14.4 एकघाती व तृ त एवं इससे ज नत उपसमि ट
(Linear span and subspace generated by it)
इकाई 13 म यह प रभा षत कया गया है क य द S कसी स दश समि ट V F
का कोई अ र त उपसमु चय हो, तो S के प र मत अवयव के स पूण एकघाती संचय का
समु चय, S का एकघाती व तृ त कहलाता है और इसे L S के वारा कट करते ह । अत:
n
L S (u v ai , vi , ai F , n 1
i i
पछले इकाई म यह स कया जा चु का है क L S , S को अ त व ट करने वाला V F
का सबसे छोटा उपसमि ट है ।
उदाहरण 1 : य द S {v1 , v 2 }, जहाँ v1 0,1, 0 , v2, 0, 0,1
स दश समि ट V R {( a1 , a2 , a3 a1 , a2 , a3 R} का उपसमु चय हो, तो
L S {1v1 2 v2 1 2 R}
{1 0,1, 0 2 0, 0,1}
{(0, 1 , 2 ) 1 , 2 R}
जो y z , समतल म स पूण ब दुओं का समु चय है ।
उदाहरण 2 : माना क V वा त वक सं याओं के े R पर सम त 2 2 मै स का स दश
समि ट है । य द
1 0 0 1 0 0
S {v1 , v2 , v3 } , जहाँ v1 , v2 , v3 है, तो L S ात क िजये ।
0 0 1 0 0 1
हल :
L( S ) {a1v1 a2v2 a3v3 a1 , a2 , a3 R }
1 0 0 1 0 0
a1 a2 a3 a1 , a2 , a3 R
0 0 1 0 0 1
a 0 0 a2 0 0
1 a1 , a2 , a3 R
0 0 a2 0 0 a3
a1 a2
a1 , a2 , a3 R
a2 a3
L S सम त 2 2 सम मत मै स का समु चय है ।
वमू यांकन न -2
1. समु चय S {(1, 0)} को बढ़ाकर स दश समि ट V R a, b a, b R का आधार
ा त कया जा सकता है ।
325
स य / अस य
2. समु चय S {(0, 0, 0), 1, 0, 0 } को बढ़ाकर स दश समि ट
14.5 सारांश
इस इकाई म आपने मु यत: स दश समि ट के आधार एवं वमा के वषय म जानकार ा त क
है । इनसे स बि धत कु छ मह वपूण प रणाम क जानकार ा त करते हु ए आपने जाना है क
कसी प र मत ज नत स दश समि ट का सदै व एक आधार होता है ।
14.6 श दावल
आधार Basis
वमा Dimension
प र मत व मय Finite Dimensional
एकघाती व तृ त Linear span
14.8 अ यास न
1. स क िजये क समु चय S {(1, 0), (0,1)} स दश समि ट
V R a, b a, b R का आधार है ।
2. स क िजये क समु चय S {v1 , v2 , v3 } जहाँ
v1 1, 2,1 , v2 (2,1, 0), v3 1, 1, 2 स दश समि ट
V R a, b, c a, b, c R का आधार है ।
326
3. य द समु चय S {a , b, c} स दश समि ट V R {( a1 , a2 , a3 ) a1 , a2 , a3 R}
का आधार है तो स करो क समु चय S1 {a b, b c , c a} भी V R का
आधार होगा ।
4. माना e1 1, 0, 0 , e2 0,1, 0 , e3 (0, 0,1) तथा v1 3, 2,1 , v2 2,1, 0 ,
v3 1, 0, 0 स दश समि ट V R a, b, c a, b, c R के अवयव ह । स
क िजये क समु चय S1 {e1 , e2 , e3 } तथा S1 {v1 , v2 , v3 } स दश समि ट V R
के आधार ह ।
5. स क िजये क वा त वक सं याओं के े R पर सि म सं याओं मत यु म
क स दश समि ट V a1 a2 i, a3 a4i a1 , a2 , a3 , a4 R का उपसमु चय
327
इकाई 15 : दो उपसमि टय का योग, उपसमि टय का
अनुलोम योग एवं पूरक उपसमि ट, वभाग
उपसमि ट एवं इसक वमा(Sum of two
subspaces, Direct sum of subspaces and
Complementary subspace, Quotient space and
its dimension)
इकाई क परे खा
15.0 उ े य
15.1 तावना
15.2 दो उपसमि टयो का योग, उपसमि टय का अनुलोम योग एवं पूरक उपसमि ट
15.3 वभाग उपसमि ट एवं इसक वमा
15.4 सारांश
15.5 श दावल
15.6 वमू यांकन न के उ तर
15.7 अ यास न
15.0 उ े य
इस इकाई मे दो उपसमि टय का योग, उपसमि टय का अनुलोम योग एवं पूरक उपसमि ट,
वभाग उपसमि ट एवं इसके वमा के वषय म चचा क गयी है । इस इकाई को पढ़ लेने के बाद
आप
कसी स दश समि ट के दो उपसमि टय के रै खक एवं अनुलोम योग के वषय म जानकार
ा त कर सकगे ।
कसी स दश समि ट के पूरक उपसमि टय के वषय म जानकार ा त कर सकगे ।
कसी प र मत स दश समि ट के दो उपसमि टय के योग का वमा ात करने के लए सू
क जानकार ा त कर सकगे ।
वभाग समि ट क जानकार ा त करते हु ए उसके वमा ात करने के लए सू क
जानकार ा त कर सकगे ।
15.1 तावना
इस इकाई म हम स दश समि ट के दो उपसमि टय के रै खक योग एवं अनुलोम योग को
प रभा षत करते हु ए इनसे स बि धत कु छ उदाहरण को तु त करगे । कसी प र मत वमीय
स दश समि ट के दो उपसमि टय के योग का वमा ात करने के लए सू को तु त करगे ।
इकाई के अ त म वभाग समि ट के वषय म चचा करगे ।
328
15.2 दो उपसमि टय का योग, उपसमि टय का अनु लोम योग एवं
पू रक उपसमि ट (Sum of two subspaces, Direct sum of
subspaces and complementary subspaces)
माना V े F पर एक स दश समि ट है । य द U और W स दश समि ट V F क
कोई दो उपसमि ट ह, तो
U W u w u U , w W
को U और W का योग कहते ह और इसे रै खक योग (Linear sum) कहते ह । हम यह
स करगे क कसी स दश समि ट के दो उपसमि टय का रै खक योग उस स दश समि ट क
एक उपसमि ट होती है ।
स दश समि ट V अपने दो उपसमि टयो U और W का अनुलोम योग है य द स दश
समि ट V के येक अवयव को U और W के अवयव के योगफल के प म अ वतीय
कार से लखा जा सके अथात ् येक v V के लए केवल एक और एक ह u U और
w W का होना चा हए ता क v u w. य द V , U और W का अनुलोम योग है, तो हम
इसे V U W वारा य त ह । इस ि थ त म U और W पर पर पूरक उपसमि टयाँ
कहलाती ह।
उदाहरण 1 : माना V , वा त वक सं याओं के े R पर सम त 2 2 मै स का स दश
समि ट है ।
a b a, b R a 0 a , c R
पुन : माना U और W .
0 0 c 0
प टत: U और W दोन V R क उपसमि ट ह ।
अब
a b a, b, c R
U W .
c 0
उदाहरण 2 : माना V a, b, c a, b, c R स दश समि ट है । पुन :
V a, b, 0 a, b R और W 0, b, c b, c R . प टत: U और W दोन V R
क उपसमि ट ह और V U W , य क V के येक अवयव को U और W के अवयव
के योग के प म लखा जा सकता है । पर तु यह अनुलोम योग नह ं है य क V के येक
अवयव को U और W के अवयव के योग के प म अ वतीय कार से नह ं लखा जा
सकता है । उदाहरण के प म 3,5, 7 V
और 3,5, 7 3,1, 0 0, 4, 7 तथा 3,5, 7 3, 4, 0 0,9, 7 .
U a, b, 0 a, b R और W 0, 0, c c R . प टतः U और W दोन V R
329
क उपसमि ट ह और V U W , य क V के येक अवयव को U और W के अवयव
के योग के प म लखा जा सकता है । यह अनुलोम योग नह ं है य क येक
a , b, c V R के लए अ वतीय a, b,0 U और 0, 0, c W व यमान ह ता क
a, b, c a, b, 0 0, 0, c .
अत: V U W .
प टत: u , w U W .
चूँ क U W S और u , w U W , इस लए u , w S .
चूँ क S , V F क उपसमि ट है इस लए x u w 1.u 1.w S , जो यह द शत करता है
क U W S .
अत: U W , V F क सबसे छोट उपसमि ट है जो U W को अ त व ट करती है ।
330
मेय 2 : एक स दश समि ट V F अपनी दो उपसमि टय U और W का अनुलोम योगफल
है य द और केवल य द
(i) V U W
(ii) U W {0} ,जहाँ 0 शू य स दश है ।
331
हल : हम स करना है क V U W . इसके लए हम स करगे क V U W तथा
U W {0} .
माना v a, b, c स दश समि ट का कोई अवयव है । तब
v a , b, c a , a , a 0, b a, c a , जहाँ a, a , a U तथा
0, b a, c a W .
अत: V U W .
पुन : माना क v a , b, c U W .
( a, b, c) U तथा (a, b, c ) W
a b c तथा a 0
abc0
v 0, 0, 0 0
U W {0}
अत: V U W .
उदाहरण 5 : माना V a, b, c a, b, c R एक स दश समि ट है । पुन : माना
U a, b, a a, b R और W 0, 0, c c R ,V क दो उपसमि टयाँ ह । द शत
क िजये क V U W .
हल : हम स करना है क V U W . इसके लए हम स करगे क V U W तथा
U W {0}
माना v ( a, b, c) स दश समि ट V R का कोई अवयव है । तब
v ( a , b , c) a , b, a 0, 0, c a जहाँ a, b, a U तथा 0, 0, c a W .
अत: V U W .
पुन : माना क v a , b, c U W .
तब ( a, b, c ) U और a , b, c W .
ac और a b 0
अत: V U W .
मय 3 : य द W1 एवं W2 कसी प र मत वमीय स दश समि ट V F क दो उपसमि टयाँ
ह , तो वमा (W1 W2 ) वमा W1 वमा W2 वमा (W1 W2 ) .
उपपि त : चूँ क W1 और W2 प र मत वमीय स दश समि ट V F क उपसमि टयाँ ह,
इस लए W1 , W2 , W1 W2 तथा W1 W2 , V क प र मत वमीय उपसमि टयाँ ह ।
माना W1 m , वमा W2 n तथा वमा W1 W2 r .
332
पुन : माना समु चय S { 1 , 2 ,.........., r }, W1 W2 का आधार है । चूँ क S एकघातत:
वत है और S W1 , इस लये इकाई 14 के मेय 6 से S को हम इस तरह व तृत करते
ह क वह W1 का आधार हो जाये ।
माना S1 {1 , 2 ,.........., r , 1 , 2 ,......., m r }, W1 का का आधार है । इसी कार
समु चय S 2 { 1 , 2 ,.........., r , 1 , 2 ,......., n r }, W2 का आधार ा त कया जा सकता
है । हम स करगे क समु चय
S3 {1,2 ,..........,r , 1 , 2 ,......., mr , 1 , 2 ,......., nr },(W1 W2 ) का आधार है ।
इसके लए हम स करगे क S3 एकघातत: वत है और S3 ,(W1 W2 ) को ज नत करता
है ।
माना
a11 ...........arr b11 .............bmr mr c1 1 .............cn r nr 0, जहाँ
a1,..............., ar ,b1.............,bmr , c1............, cnr F ........(1)
तब
c11 ........... cnr nr a1 1 ............. ar r b1 1 ............. bmr mr
....(2)
समीकरण (2) का दायाँ प W1 के आधार के अवयव का एकघात संचय है, इस लए यह W1 का
अवयव होगा । इसी कार (2) का बायाँ प W2 के आधार के अवयव का एकघात संचय है,
इस लए यह W2 का अवयव होगा ।
अत:
c11 ........... cnr nr a1 1 ............. ar r b1 1 ............. bmr mr W1 W2
c1 1 ........... cn r n r W1 W2
चूँ क समु चय S ,W1 W2 का आधार है, इस लए अ दश d1, d2 ,............dr होगा ता क
c1 1 ............cn r n r d11 d 2 2 ......... d r r
c1 1 ............cn r n r d1 1 d 2 2 ...... d r r 0
चूँ क समु चय S2,एकघातत: वत है, इस लए उपयु त से
c1 ....... cn r d1 d 2 ........ d r 0 .....(3)
(3) का (1) म योग करने पर
a11 .......... ar r b1 1 ........... bm r m r 0
a1 .......ar b1 ......bmr 0 , य क समु चय S1 एकघातत: वत है ।
अत: a11 .......... ar r b1 1 ........... bm r m r c1 1 ...... cn r n r 0
a1 .......ar b1 ..... bm r c1 ........ cn r 0.
समु चय S3 एकघातत: वत है ।
माना w W1 W2 , तब u W1 तथा v W2 ता क w u v
चू ं क समु चय S1, W1 का आधार है और u W इस लए अ दश
a1 ,.........., ar , b1 ,........, bm r का अि त व होगा ता क
333
u a11 .......... ar r b1 1 ........... bm r m r .
इसी कार S1, W1 का आधार है और u W2 इस लए अ दश c1 ,.........., cr , d1 ,........, d n r
का अि त व होगा ता क
v c11 .......... cr r d1 1 ........... d n r n r .
अब
w u v a1 c1 1 .......... ar cr r b11 ........... bmr mr d11 ...... dnrnr .
यह द शत करता है क w समु चय S3 के अवयव के एकघात संचय के प म लखा जा
सकता है ।
अत S3, W1 + W2 को ज नत करता है ।
फलत: S3, W1 + W2 का आधार है ।
वमा (W1 + W2) = m + n - r
= वमा W1 + वमा W2 - वमा W1 W2
ट पणी :
(i) य द W1 W2 0 , तो वमा W1 W2 वमा W1 + वमा W2
(ii) य द V W1 W2 अथात ् V ,W1 और W2 का अनुलोम योग है, तो
वमा V = वमा W1 + वमा W2
उदाहरण 6 : माना V (F) एक स दश समि ट है िजसक वमा 6 है और U, W इसक दो
भ न- भ न उपसमि टयाँ ह िजनक वमा 4 है । तो U W के वमा क स भावनाय ात
क िजये ।
हल : चूँ क U और W स दश समि ट V (F) क दो भ न- भ न उपसमि टयाँ ह ता क वमा
W1 4 तथा वमा W2 4 ,
इस लए U U W , W U W और वमा U W 4 .
चूँ क वमा V = 6 इस लए U W क वमा 6 से यादा नह ं हो सकती ह ।
अत: हमारे पास केवल दो स भावनाय ह ।
(i) वमाU W 5 या (ii) वमा U W 6
य द वमा U W 5 , तो उपयु त मेय से
334
15.3 वभाग समि ट एवं इसक वमा (Quotient space and its
dimension)
माना V, े F पर एक स दश समि ट है और W, V क एक उपसमि ट है । चूँ क (V,+) एक
म व नमेय समूह है और W, (V+) का उपसमूह है, इस लए W, V का व श ट उपसमूह होगा
य क कसी म व नमेय समू ह का येक उपसमूह व श ट होता है । इकाई 3 म आप वाम
सहकुलक और द ण सहकुलक के वषय म जानकार ा त कर चु के ह । चूँ क (V,+) एक
म व नमेय समू ह है, इस लए V म येक v V के लए W के वाम और द ण सहकुलक
आपस म बराबर होते ह, अथात ् येक v V के लए
W v w v w W
v W.
0 W 0 W W .
अत: W वयं V म एक सहकुलक है ।
हम जानते ह क W v1 W v2 य द और केवल य द v1 v2 W .
यद V म W के सभी सहकु लक के समु चय को V/W से न पत कर, अथात
V / W W v v V , हम स करगे क योग + और अ दश गुणन . जो न न कार से
प रभा षत है :
W v1 W v2 W v1 v2
तथा
a W v1 W av1 W v1 ,W v2 V2
तथा a F के सापे एक स दश समि ट होगा । V/W को हम वभाग स म ट कहते ह ।
मेय 4 : य द W स दश समि ट V (F) क उपसमि ट है, तो W के V म सभी सहकुलक का
समु चय V / W W v v V , े
F पर स दश योग तथा अ दश गुणन सं या के लए
जो न न कार प रभा षत है
W v1 W v2 W v1 v2
तथा a W v1 W av1 W v1 ,W v2 V2
तथा a F के सापे एक स दश समि ट है ।
उपपि त : सव थम हम स करगे क V/W म प रभा षत दोन सं याय सु प रभा षत ह ।
माना W v1 W v '1 तथा W v2 W v '2 , जहाँ v1 , v2 , v '1 , v2 ', V .
अब
W v1 W v '1 v1 v '1 W
W v2 W v '2 v2 v '2 W .
चूँ क W,W क उपसमि ट है, इस लये
v1 v '1 W , v2 v '2 W v1 v '1 v2 v '2 W
335
v1 v2 v '1 v '2 W
W v1 v2 W v '1 v '2
W v1 W v2 W v '1 W v '2
अत: W v1 W v '1 तथा W v2 W v '2
W v1 W v2 W v '1 W v '2
V / W म स दश योग सं या सु प रभा षत है ।
पुन : चूँ क W,V क उपसमि ट है, इस लए
a F , v1 v '1 W a v1 v '1 W
av1 av '1 W
W av1 W av '1
a W v1 W v '1
V / W म अ दश गुणन सं या सु प रभा षत है ।
अब हम स करगे क V/W स दश योग सं या के लए म व नमेय समूह ।
1. योग के लए म व नमेयता माना W v1 तथा W v2 ,V/ W के कोई दो अवयव ह, जहाँ
v1 , v2 , V .
अब
W v1 W v2 W v1 v2
W v2 v1
W v2 W v1
W v1 W v2 W v2 W v1
V / W म स दश योग म व नमेय है ।
2. साहचायता माना W v1 , W v2 , W v3 V / W तब v1 , v2 , v3 V .
अब W v1 W v2 W v3 W v1 v2 W v3
W v1 v2 v3
W v1 v2 v3
W v1 W v2 v3
W v1 W v2 W v3
V / W म स दश योग साहचयता नयम का पालन करता है ।
3. त समक अवयव का अि त व य द V का शू य स दश 0 है तो W 0 W V / W का
शू य स दश होगा य क कसी W v V / W के लए
W v W 0 W v 0 W v
W 0 v
W 0 W v
336
4. तलोम का अि त व माना W v, V / W का कोई अवयव है, तो v V
v V v V
W v V / W .
अब
W v W v W v v
W 0
W v v
W v W v
W v W v
W v W v,V / W म W v का तलोम अवयव है ।
फलत: V/W, स दश योग सं या के लए म व नमेय समूह है ।
337
अत: V/W े F पर एक स दश समि ट है ।
मेय 5 : य द V(F) एक प र मत वमीय स दश समि ट है तथा W, V क एक उपसमि ट है,
तो वभाग समि ट V/W भी प र मत वमा का होता है तथा वमा V/W = वमा V – वभा W
उपपि त : माना वमा V = n तथा वमा W = m
चूँ क W प र मत वमीय स दश समि ट क उपसमि ट है, इस लए W वमा अथात ् mn.
माना समु चय S 1 , 2 ,..............., m , W का आधार है । चूँ क S एकघातत: वत है
और S V , इस लए इकाई 14 के मेय 6 से S को हम इस तरह व तृत करते ह क वह
समि ट V का आधार हो जाये ।
माना S1 1 , 2 ,............, m , 1 , 2 ,............, n m , V का आधार है ।
1 , 2 ,...... n m V W 1 , W 2 ......., W n m V / W .
अब हम स करगे क समु चय
S 2 W 1 , W 2 ............, W n m , वभाग समि ट V/W का आधार है ।
इसके लए हम स करगे क S2 एकघातत: वत है और V/W का येक स दश समु चय
S2के अवयव के एकघात संचय के प म लखा जा सकता है, अथात ् S2, W, V का जनक है ।
माना a1 , a2 ,............, an m F ता क
a1 W 1 a2 W 2 ............ an m W n m W
W a11 W a2 2 ......... W an m n m W
W a11 a2 2 ........... an m n m W
a11 a2 2 ........... an m n m W , य क W v W य द और केवल
यद v W .
चूँ क S, W का आधार है, इस लये अ दश b1 , b2 ,............, bn m F का अि त व होगा ता क
a1 1 a2 2 ........... an m n m b11 b2 2 ........... bm m
b11 b2 2 ........... bm m a1 1 a2 2 ..........
.......... an m n m 0
b1 b2 ..........bm a1 a2 .......... an m 0, य क समु चय S1
एकघातत: वत है ।
अत: a1 W 1 a2 W 2 ............ an m W n m W
a1 a2 .......... an m 0
समु चय S2 एकघातत: वत है ।
अ त म माना, W v V / W , तब v V .
चूँ क समु चय S1, V का आधार है, इस लए अ दश a1 , a2 ,............, am , b1 , b2 ,............, bn m
का अि त व होगा ता क
v a11 a2 2 ........... am m b11 b2 2 ........... bn m n m
m n m
ai i b j j .
i 1 j 1
338
m n m
अब W v W ai i bi i
i 1 j 1
m
n m
W ai i W b j j .
i 1 j 1
n m m m
W b j j , य क ai i W इस लए W ai i W
j 1 i 1 i 1
W b1 1 b2 2 ........... bn m n m
W b1 1 W b2 2 ......... W bn m n m
b1 W 1 b2 W 1 ............ bn m W n m
W + v समु चय S2 के अवयव के एकघात संचय के एकघात म लखा जा सकता
है।
फलत: समु चय S2,V/W ाण का जनक है ।
उपयु त वणन के आधार पर हम कह सकते ह क S2, V/W का है । चूँ क S2 म अवयव क
सं या n – m है, इस लए
वमा V/W = n - m
= वमा V – वमा W
उदाहरण 7 : माना V a, b, c | a, b, c R एक स दश समि ट है
339
15.4 सारांश
इस इकाई म आपने मु यत: स दश समि ट के दो उपसमि टय के योग के वषय मे जानकार
ा त क है । इनसे स बि धत कु छ मह वपूण प रणाम क जानकार ा त करते हु ए आपन
जाना कसी प र मत वमीय स दश समि ट के दो उपसमि टय के योग क वमा भी प र मत
होती है । इकाई के अ त म आपने वभाग समि ट के वषय म जानकार ा त क है ।
15.5 श दावल
रै खक योग Linear sum
अनुलोम योग Direct sum
पूरक उपस म ट Complementary subspace
वभाग समू ह Quotient space
वमा Dimension
15.7 अ यास न
1. माना क U F एवं W F स दश समि ट V F क दो उपसमि टयाँ ह, तो न न
तब ध पर पर ह:
(i) U W {0}
(ii) येक स दश x U W को अ वतीय प u + w म य त कया जा सकता
है, जहाँ u U , w W .
2. य द सम त वा त वक मान वाले संतत ् फलन क स दश समि ट V (R) क दो
उपसमि टयाँ
Ve f V | f x f x x R
और
V0 f V | f x f x x R ह, तो स क िजये क V Ve V0 .
3. ; fn I fn ' kI ef 'V V F अपने दो उपसमि टयो का W1 एवं W2 का अनुलोम योग
है, तो स क िजये क वमा V = वमा W1 + वमा W2
340
4. यद V a, b, c | a, b, c R एक स दश समि ट है और
341
संदभ पु तक (Reference Books)
342
343