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अकाबनिक रसायन CH09 PDF
अकाबनिक रसायन CH09 PDF
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पा य म अ भक प स म त
अ य
ो. (डॉ.) नरे श दाधीच
कु लप त
वधमान महावीर खुला व व व यालय
कोटा(राज.)
पा य म उ पादन
योगे गोयल
सहायक उ पादन अ धकार
वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा
5
CH-09
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा
अनु म णका
अकाब नक रसायन
. सं. इकाई पृ ठ सं या
1. कठोर एवं मृदु अ ल तथा ारक –I 8—23
(Hard and Soft Acids and Bases-I)
2. कठोर एवं मृदु अ ल तथा ारक –II 24—35
(Hard and Soft Acids and Bases-II)
3. सं मण धातु संकु ल मे धातु- लगे ड-ब धन-I 36—56
(Metal – Ligand Bonding in Transition Metal Complexes-I)
4. सं मण धातु संकु ल मे धातु- लगे ड-ब धन-II 57—74
(Metal – Ligand Bonding in Transition Metal Complexes-I)
5. सं मण धातु संकु ल के चु बक य गुण-I 75—85
(Magnetic Properties of Transition Metal Complexes-I)
6. सं मण धातु संकु ल के चु बक य गुण-II 86—96
(Magnetic Properties of Transition Metal Complexes-II)
7. सं मण धातु संकु ल के इले ॉन पे ॉ-I 97—105
(Electron Spectra of Transition Metal Complexes-I)
8. सं मण धातु संकु ल के इले ॉन पे ॉ-II 106—117
(Electron Spectra of Transition Metal Complexes-II)
9. धातु संकुल के उ मग तक य एवं ग तक य प 118—139
(Thermodynamic & Kinetics Aspects of Metal Complexes)
10. काबधाि वक रसायन-I 140—155
(Organometallic Chemistry-I)
11. काबधाि वक रसायन-II 156—174
(Organometallic Chemistry-II)
12. काबधाि वक रसायन-III 175—190
(Organometallic Chemistry-III)
13. जैव अकाब नक रसायन 191—202
(Bio-Inorganic Chemistry)
14. स लकॉन 203—215
(Silicones)
15. फॉ फेजी स 216—230
(Phosphazenes)
6
तावना
तु त पु तक वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा क क ा बी.एस.सी. तृतीय वष
के लए नधा रत अकाब नक रसायन ( न-प थम) के पा य मानुसार तैयार क गयी है।
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इकाई -1
कठोर एवं मृदु अ ल तथा ारक - 1
(Hard and Soft Acids and Bases –I)
इकाई क परे खा -
1.0 उ े य
1.1 तावना
1.2 अ ल व ारक का कठोर एवं मृदु प म वग करण
1.3 पीयरसन क HSAB अवधारणा
1.4 अ ल- ारक साम य एवं कठोरता व मृदुता
1.5 सारांश
1.6 श दावल
1.7 संदभ थ
ं
1.8 अ यासाथ न
1.0 उ े य (objectives)
इस इकाई के अ ययन के उपरा त आप अ ल एवं ारक के बारे म न न ल खत जानकार
ा त कर सकगे –
(i) अ ल एवं ारक का कठोर एवं मृदु के प म वग करण ।
(ii) पीयरसन क HSHB अवधारणा ।
(iii) अ ल- ारक साम य ।
(iv) अ ल- ारक कठोरता एवं मृदुता ।
k1
( थम पद)
Ag NH 3 Ag NH 3
K2
Ag NH 3 NH 3 Ag NH 3 2 ( वतीय पद)
(कुल अ भ या)
Ag 2 NH 3 Ag NH 3 2
=K K
1 2
9
कसी एक धातु आयन के साथ व भ न लगै ड के संकु ल के नमाण ि थरांक के
मान के आधार पर लगै ड क ार य साम य को ात कया जा सकता है जब क कसी
एक लगै ड के साथ व भ न धातु आयन के संकु ल के नमाण-ि थरांक के आधार पर धातु
आयन क अ ल य साम य को ात कया जा सकता है ।
संकुलन अ भ याओं म ब धन क ा यकता के आधार पर आरलै ड (Arland),
चै (Chatt) एवं डे वस (Davis) ने 1958 म धातु आयन को दो वग म बांटा - वग (अ)
एवं वग (ब) ।
1. वग (अ) के धातु आयन ।[Metal ions of class(a)]: .
इस वग म ार य धातु आयन, ार य मृदा धातु आयन, उ च ऑ सीकरण अव था म
ह के सं मण धातु आयन, उदाहरणाथTi , Fe , Co तथा हाइ ोजन आयन
4+ 3+ 3+
10
2. वग (ब) - िजन लगै ड क वग (ब) के धातु आयन के साथ ा यकता से संकु लन करने
क वृि त होती है , उ ह वग (ब) म रखा गया है ।
उदाहरणाथ : R3P(फॉ फ न), एवं R2Sआ द । इस वग के लगै ड क वग (ब) के धातु
आयन के साथ संकुलन क ा यकता का म न न तरह से होता है ।
F<Cl<Br<I
O S<Se Te
N P<As<Sb
मृदु अ ल कठोर अ ल
उपयु त सा य म मृदु अ ल (CH3Hg+) एवं कठोर अ ल (H ) म
+
त व वता
है । दो व भ न गुण वाले अ ल (H+ एवंCH3Hg+) क सहायता से व भ न ारक के
बारे म पता लगाया जा सकता है क वह ोटॉन तथा CH3Hg आयन म अ भ
+
या के लए
थम कसे चु नता है ।
यदअभ या का सा य बा ओर खसक जाता है तो इसके साथ या करने वाले
ार को कठोर कहा जाएगा । इसके वपर त य द सा य दा हनी ओर खसक जाता है तो या
करने वाले ार को मृदु कहा जाएगा । अत :
BH CH 3 Hg CH 3 HgB H
कठोर ार मृदु अ ल मृदु ार कठोर अ ल
11
BH CH 3 Hg CH 3 HgB H
मृदु ार मृदु अ ल कठोर ार कठोर अ ल
इन तु लनाओं म ा पक मृदु अ ल के प म सामा यतया मे थल मर यू रक
धनायन का उपयोग कया जाता है, य क यह ोटॉन क भाँ त एकसंयोजी धनायन होने
के कारण इसका उपयोग सु वधाजनक होता है और कसी सा य के उपचार क या या सरलता
से क जा सकती है ।
इन अ भ याओं के अ ययन म मह वपूण बात यह दे खी गई क नाइ ोजन (N),
ऑ सीजन (O), लोर न (F) आ द दाता परमाणुओं से न मत ारक, मे थल मर यू रक
आयन (CH3Hg ) क अपे ा+
ोटॉन से अ धक सु गमता से उप सहसंयोजक ब ध बनाते
ह । इसी कार फा फॉरस (P), स फर (S), लोर न (CI), ोमीन (Br), आयोडीन (I) तथा
काबन(C) आ द दाता परमाणु ओं से न मत ारक ोटॉन क अपे ा मे थल मर यू रक आयन
(CH3Hg ) के साथ सु गमता से उप-सहसंयोजक ब ध बनाते ह ।
+
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तथा वतीय सा य ि थरांक क गणना वारा । कुछ अपवाद को छोड़कर दोन कार से
लगभग वह प रणाम ा त होते ह जो उपयु का सारणी 1.1 म दशाये गये ह ।
अब न यह उठता है क या अ ल को भी ारक क तरह तीन वग (कठोर,
म यम तथा मृदु ) म सरल व ध से वभ त कया जा सकता है या नह ं । उदाहरणाथ, जो
ल वस अ ल ोटॉन के समान कठोर ारक के साथ बि धत ह , उ ह कठोर अ ल (hard
acid) एवं जो ल वस अ ल मे थल मर यू रक आयन क तरह मृदु ारक के सा थ बि धत
ह उ ह मृदु अ ल क सं ा द जाए । उपयु त उदाहरण को ऑरलै ड (ArIand), चैट
(Chatt), एवं डे वस (Davis) ने अ धक मह व नह ं दया, बि क उ ह ने व भ न दाता
परमाणु ओं के संकर बनाकर उनके था य व ि थरांक (stability constants) ात कए तथा
था य व ि थरांक क सहायता से अ ल को वग कृ त कया (िजसक चचा हम शु म कर
चु के ह) । इनके अनुसार अ ल को न न प म वभ त कया जा सकता है -
सारणी : 1.2 ऑरलै ड, चैट एवं डे वस वारा अ ल का वग करण
वग (अ)- कठोर वग वग (ब)- मृदु वग
N>>P>AS>Sb N<<P<AS<Sb
O>>S>Se>Te O<<S<Se Te
F>Cl>Br>I F<Cl<Br<I
य द ल वस अ ल (Cu+, NO+, I2)से न मत संकर के था य व के बारे म वचार
कया जाए तो यह व दत होता है क Cul से CuF अ धक थायी है, तथा [Cu (NH3)2]+क
अपे ा [Cu(PR3)2]+अ धक थायी है । उपयु त वग करण जल म सा य ि थरांक ात करके
ह कया गया है, जैसे –
CuF I CuI F
जल य जल य जल य जल य
Cu PR 3 2 2 NH 3 Cu NH 3 2 2 PR 3
जल य जल य जल य जल य
क तु इस व ध से अनेक बार अपूण आँकड़े ा त हु ए िजसके कारण कोई प ट न कष नह ं
नकल पाता । अत: ''ल वस अ ल कठोर ारक एवं मृदु ारक म से कसके साथ बि धत
होना पस द करता है', इसी को आधार मानकर अ ल को कठोर, म यम एवं मृदु वग म
वभ त कया गया है िजसे सारणी 1.3 म दशाया गया है ।
सारणी : 1 .3 ल वस-अ ल का वग करण
कठोर वग (अ) म यम वग मृदु वग (ब)
(Hard acids) (Borderline acids) (Soft acids)
H+, Li+, Na+, K+, Be2+, Mg2+ Fe2+, CO2+,Ni2+, Cu2+, Cu+,Ag+,Au+,Hg+,Pd2+,
Ca2+ ,Sr2+ ,Mn2+ ,Al3+ ,Se3+, Zn2+, Pb2+,Sn2+,Cl3+, Cd2+,Pt2+,Hg2+,CH3Hg+,
Ga3+, In3+, La3+, N3+, Cl3+, Bi3+, Rh3+,Ir3+, CO(CN)52+,Pt4+,Te4+,Tl3
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Gd3+, Lu3+, Cr3+, Co3+ B(CH3)3 SO2, R3C+, +
,
,Fe3+, C6H5+, GaH3आ द Tl(CH3)3,BH3,Ga(CH3)3,
As 3+
,CH3Sn 3+
, Si , Ti ,
4+ 4+
GaCl3,GaI3,InCl3,RS+,
Zr4+ ,Th4+,U4+ , Pu4+, Ce3+ RSe+, RTe+, I+,Br+,HO+,
Hf4+,Wo4+ Sn4+, UO22+ RO+,I2,Br2,ICN,
(CH3)2Sn2+,VO2+, MoO3+, ाई नाइ ोबे जीन, लोरो नल,
Be(CH3)2,BF3, B(OR) ि वनोन,टे ासायनो ए थल न
Al(CH3)3,AlCl3,AlH3, आ द O, Cl,Br,I,N,RO,
RPO2,ROPO2 ,RSO2 , + +
RO2,M(धातु परमाणु),भार
ROSO2+, SO3, I7+,I5+, Cl7+, धातु ए,ँ CH2,काब न आ द
Cr , RCO , CO2, NC , HX
6+ + +
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1.3 पीयरसन क HSAB अवधारणा:
(Pearson’s HSAB Concept)
पीयरसन ने सन ् 1963 म कठोर, मृदु अ ल व ार क अवधारणा द । पीयरसन ने ह यह
वग करण दया क वग (अ) के सम त सद य को कठोर तथा वग (ब) के सम त सद य
को मृदु कहा जाये । अत : वग (अ) के सम त धातु आयन कठोर अ ल तथा वग (अ) के
सम त लगै ड कठोर ार ह, जब क वग (ब) के सम त धातु आयन मृदु अ ल एवं वग
(ब) के सभी लगै ड मृदु ार कहलाते ह ।
एक सामा य अ ल- ार अ भ या को न न कार से दशाया जा सकता है:
A +
+ :B A: B
ल वस अ ल ल वस ार संकुल
(इले ान ाह ) (इले ान दाता)
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A + : B A: B
मृदु अ ल मृदु ारक थायी संकुल
A + : B A: B
कठोर अ ल कठोर ारक थायी संकुल
उपयु त के वपर त य द अ ल A व ारक : B दोन म से कोई भी एक मृदु हो और दूसरा
कठोर, इस दशा म संकुल AB का था य व कम हो जायेगा, अथात ् –
A + : B A: B
कठोर अ ल मृदु ारक अ थायी संकुल
A + : B A: B
मृदु अ ल कठोर ारक अ थायी संकुल
पीयरसन का यह स ा त एक अनुमान है िजसके आधार पर ल वस अ ल एवं ल वस ारक
से बने योगा पाद (संकु ल) के था य व के बारे म गुणा मक पूवानुमान कया जा सकता है ।
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कारण यह है क के क आवेश बढ़ता है । अथात ् त व क व युत -ऋणता बढ़ती जाती है
। इसी लए Ca से Zn तक परमाणु मांक के साथ-साथ त व क कठोरता बढ़ती जाती है।
कसी भी अ ल अथवा ारक क कठोरता अथवा मृदुता का नधारण का आधार य त:
उसक ा यकता कठोर याकारक से कया करने क है या मृदु याकारक से या करने
क , को माना जा सकता है । उदाहरणाथ एक ारक B कठोर या मृदु है यह न न अ भ या
के सा य ि थरांक K के मान पर नभर करे गा:
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साम य म बहु त अ तर है । OH- आयन (pKa=15.7) F- आयन pKa = 2.85)
क तुलना म 1013 गुना अ धक ार य है ।
ऐसे उदाहरण भी ह िजनम एक बल ारक या अ ल कसी दुबल अ ल या दुबल ारक को
त था पत करता है । य य प यह HSAB अ त या के स ा त का उ लंघन होगा ।
उदाहरणाथ, SO32- (एक बल मृदु ारक ), F- (एक दुबल कठोर ारक) को कठोर अ ल
ोट न से त था पत कर दे ता है-
SO32 HF H SO3 F , K eq 10 4
SO32- क ारक य साम य F- से कह ं अ धक है । इसी कार अ य त बल कठोर ारक
OH- आयन दुबल मृदु ारक SO3 2-
को मृदु मे थल मर यू रक (II) धनायन म से
त था पत कर दे ते ह.
OH CH 3 HgSO3 CH 3 HgOH SO32 , K eq 10
OH- क ारक य साम य SO32- से कह ं अ धक है । उपयु त त थापन अ भ याऐं
HSAB स ा त के वपर त स प न होती ह, ले कन साम य और कठोरता दोन का यान
रखा जाए तो HSAB स ा त का सफलतापूवक पालन होता है ।
उदाहरणाथ, न न अ भ याओं को दे खते है :
CH 3 HgF HSO 3 CH 3 HgSO32 HF , K eq 10 3
मृदु-कठोर कठोर-मृदु मृदु - मृदु कठोर-कठोर
CH 3 HgOH HSO3 CH 3 HgSO32 HOH , K eq 10 7
मृदु-कठोर कठोर-मृदु मृदु –मृदु कठोर-कठोर
इन अ भ याओं म ारक य बलता के साथ-साथ कठोर-कठोर व मृदु-मृदु स ा त का भी
पालन होता है । न न सारणी 1.4 म ोट न (H+) एवं मे थल मर यू रक धनायन (CH3H+)
दोन के त वभ न ारक क साम य द जा रह है।
सारणी 1.4 ोटॉन व मे थल मर यू रक धनायन के त ारक साम य
ारक ब धी परमाणु Pks(CH3Hg+)* Pkh(H+)**
F F 1.50 2.85
Cl Cl 5.25 -7.0
Br Br 6.62 -9.0
I I 8.60 -9.5
OH O 9.37 15.7
HPO42 O 5.03 6.79
S 2 S 21.20 14.2
HOC2 H 4 S S 16.12 9.52
SCN S 6.05 ~4
S 8.11 6.79
2
SO 3
19
NH 3 S 10.90 ऋणा मक
N 7.60 9.42
N 2.60 3.06
P 9.15 ~0
P 14.6 8.1
**Pkh = Log[HB]/[H+][B]
स फाइड (S2-) एवं ाइए थल फॉ फ न (Et3P) जैसे ारक बल तो मे थल मर यू रक आयन
एवं ोट न दोन के लए ह पर तु इनक बलता ोट न क तुलना म मे थल मर यू रक आयन
के लए कह ं अ धक है । अत: ये मृदु ारक क ेणी म आते ह । OH- आयन य तो दोन
के त बल है, ले कन मे थल मर यू रक आयन क तुलना म ोट न के त कह ं अ धक
बल है । अत: ये कठोर ारक क ेणी म माने जाते ह ।
इसी कार F- आयन य य प दोन अ व के त दुबल ारक ह ले कन ोट न के त कुछ
अ धक बल है । अत: यह एक कठोर ारक है ।
न हत अ लता का गुण और कठोर-मृदु कारक इन दोन के संयु त भाव को इर वंग - व लयम
ेणी एवं कु छ नाइ ोजन, ऑ सीजन, स फर क लेट के था य व वारा आसानी से समझा
जा सकता है । जैसा क न न च 1.1 म दशाया गया है ।
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ेणी म Br2+ से Cu2+ तक के क लेट का था य व बढ़ता जाता है, यह धातुओं के न हत
बढ़ते हु ए अ लता के गुण का माप है , यह मु खता इनके आकार पर नभर करती है । Br2+
से Cu2+ तक के आयन का आकार घटते हु ए म म है । इसके साथ ह कठोरता व मृदुता
का कारक काय कर रहा है । ेणी म बाद म आने वाले धातु आयन म d इले ॉन क सं या
बढ़ने के साथ मृदुता का गुण बढ़ता जाता है और लगै ड के त उनका आकषण S>N>S
म म घटता जाता है । इसी कार ेणी के (अ) वग के कठोर ार य मृदा धातु और कम
दे इले ॉन वाले ारि भक सं मण धातु आयन म कठोरता का गुण बढ़ने के साथ लगै ड
के त आकषण O>N>S के म म घटता जाता है ।
अ ल जैसे ROS+ (ए टर तथा ऐ सल (acyl) हैलाइड म उपि थत काब नल
आयन); PRO3 , PORPO2 [चतु फलक य (Tetrahedral) फा फोरस],
PRO , POSO [चतु फलक य स फर], I(V),CI (VII) [चतु फलक य] हैलाइड) Sil 4 '
2
2
21
1.5 सारांश (Summary)
1. अ ल एवं ारक को 'कठोर तथा मृदु' े णय म वभ त करने से पूव ल वस क अ ल
व ारक क प रभाषा को समझना बेहद आव यक है ।
2. ल वस अवधारणा के अनुसार कोई भी परमाणु, अणु या आयन ारक हो सकता है िजसके
पास एक इले ॉन यु म संयोजन के लए हो ।
3. इसी कार एक इले ॉन यु म को हण करने क मता रखने वाले परमाणु, अणु या
आयन अ ल कहलाते ह ।
4. संकुलन अ भ याओं म ब धन क ा यकता के आधार पर आरलै ड (Arland)] चै
(Chatt) एवं डे वस (Davis) ने 1958 म धातु आयन को वग (अ) एवं वग (ब) म
वग कृ त कया ।
5. वग (अ) धातु आयन म ारक य धातु आयन, ारक य मृदा धातु आयन, उ च
ऑ सीकरण अव था म ह के सं मण धातु आयन सि म लत ह ।
6. गुणा मक प से वग (अ) धातु आयन-कम घन व वाले ह के त व; छोटे आकार के, उ च
ु वण मता, उ च ऑ सीकरण अव था वाले तथा िजनके बा यतम इले ॉन या क क
आसानी से वकृ त नह ं होते ह ।
7. वग (ब) धातु आयन म भार सं मण धातु आयन, िजनक ऑ सीकरण अव था कम
होती है ।
8. वग (ब) धातु आयन अ भल णा मक गुण के आधार पर-उ च घन व वाले भार त व,
बड़े आकार के, उ च ु वत होने क शि त वाले अथात ् इनके बा यतम इले ॉन अथवा
क क आसानी से वकृ त हो जाते ह ।
9. वग (अ) एवं वग (ब) के त व भ न लगै ड के यवहार को दे खते हु ए आरलै ड, चै
एवं डे वस ने लगै ड को भी दो वग (अ एवं ब) म वभ त कया ।
10. वग (अ) के धातु आयन म वग (अ) के लगै ड के साथ संकुलन क वृि त पाई जाती
है । इसी तरह वग (ब) के धातु आयन वग (ब) के लगै ड के साथ संकुलन वृ त रखते
ह ।
11. 1963 म पीयरसन ने कठोर, मृदु, अ ल व ारक क अवधारणा द ।
12. पीयरसन के अनुसार - "वग (अ) के सम त सद य को कठोर तथा वग (ब) के सम त
सद य को मृदु नाम दया । अथात ् (अ) वग के धातु आयन एवं लगै ड मश: कठोर
अ ल एवं कठोर ारक ह । जब क वग (ब) के धातु आयन एवं लगै ड मश: मृदु अ ल
एवं मृदु ारक ह । "
13. इस HSAB स ा त के अनुसार - मृदु ारक के दाता परमाणु आसानी से ु वत हो
सकते ह । साथ ह इनक व युत -ऋणा मकता कम होती है । दूसर ओर कठोर अ ल
के दाता परमाणुओं म ु वणता कम होती है तथा उनक व युत-ऋणा मकता अ धक होती
है ।
22
14. कसी अ ल अथवा ारक को मृदु अथवा कठोर मानने का आधार इस बात पर नभर
करता है क य त: उसक ा यकता कठोर याकारक से या करने क है या मृदु
याकारक से या करने क ।
15. कठोरता एवं मृदुता केवल कठोर-कठोर तथा मृदु-मृदु अ त या को द शत करते ह ।
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इकाई -2
कठोर एवं मृदु अ ल तथा ारक - II
(Hard and Soft Acids and Bases-II)
इकाई क परे खा-
2.0 उ े य
2.1 तावना
2.2 सहजीवन
2.3 कठोरता और मृदुता के सै ाि तक आधार
2.4 व युत -ऋणा मकता एवं कठोरता तथा मृदुता
2.5 HSAB स ा त के अनु योग एवं सीमाएँ
2.6 सारांश
2.7 श दावल
2.8 संदभ थ
ं
2.9 अ यासाथ न
2.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात आप अ ल एवं ारक क कठोरता एवं मृदुता से स बि धत
न न जानका रयाँ ा त कर सकगे -
(i) कसी परमाणु के जु ड़े हु ए त थापी परमाणुओं क कृ त बदलने पर उस परमाणु
क कठोर या मृदु कृ त को बदल सकते ह - अथात ् सहजीवन ।
(ii) अणु ओं के कठोरता एवं मृदुता के यवहार के लए तपा दत स ा त क या या।
(iii) अ ल एवं ारक क कठोरता या मृदुता क व युत -ऋणा मकता से स ब ध ।
(iv) स ा त के अनु योग एवं सीमाएँ ।
24
परमाणु के साथ जु ड़े हु ए त थापी परमाणु ओं क कृ त बदलकर उस परमाणु क कठोर
या मृदु अ ल या ारक य कृ त को बदला जा सकता है । कसी परमाणु के साथ य द मृदु
ु वत होने वाला त थापी जुड़ा हु आ हो तो उसक कृ त मृदु हो जाएगी । इसके ठ क वपर त
य द इले ॉन आक षत करने वाला त थापी जु ड़ा हो तो, वह कठोर कृ त का हो जाएगा।
उदाहरणाथ-बोरोन एक सीमा रे खा त व है । अब य द इसके साथ तीन कठोर इले ॉन आक षत करने
वाले त थापी के प म l परमाणु ओं को जोड़ दया जाए तो वह (BF3) एक ा पक प
से कठोर ल वस अ ल हो जाएगा -
R2 S .BF3 R2 O R2O.BF3 R2 S
मृदु - कठोर कठोर - कठोर
इसके वपर त, य द सीमारे खा पर ि थत बोरोन परमाणु के साथ तीन मृदु धन व युती
हाइ ोजन परमाणु ओं को जोड़
दया जाए तो वह (BH3) एक ा पक प से मृदु ल वस अ ल हो जाएगा -
R2 O.BH 3 R2 S R2 S .BH 3 R2 O
कठोर - मृदु मृदु - मृदु
इसी कार कठोर BF3 अणु दूसरे कठोर लोराइड F के साथ ा यकता से जु ड़ते ह, जब क
मृदु BH 3 अणु दूसरे मृदु हाइ ाइड आयन H के साथ जुड़ने को ा यकता दे ते ह :
BF3 F BF4
B2 H 6 2 H 2BH 4
इसी कारण न न अ भ या दा हनी ओर पूणता को ा त करती है -
BF3 H
BH 3 F
BF4
BH 4
कठोर-मृदु मृदु-कठोर कठोर-कठोर मृदु-मृदु
इसके सम इले ॉ नक लोर नीकृ त मथेन का यवहार भी इसी कार का होता है -
CF3 H CH 3 F CF4 CH 4
कठोर-मृदु मृदु-कठोर कठोर-कठोर मृदु-मृदु
तीन लोर न यु त CF3 H क चौथे लोर न के साथ जु ड़ने क वृि त, इसी कार तीन
हाइ ोजन यु त CH 3 F क चौथे हाइ ोजन के साथ जु ड़ने क वृ त को जॉग सन
(Jorgensen) ने 1964 म सहजीवन (Symbiosis) का नाम दया । सहजीवन क
अवधारणा से अकाब नक रसायन क ऐसी कई अ भ याओं क या या क जा सकती है,
िजनम म त त थापी अणु सम मत त थापन क दशा म अ भ याओं को स प न
करते ह और इससे कठोर-कठोर व मृदु-मृदु अ भ याओं के स प न होने क भी पुि ट होती
है ।
25
2.3 कठोरता एवं मृदुता के स ा त (Theories of Hardness and
Softness)
अणु ओं के कठोरता एवं मृदुता के यवहार क या या करने के लए कई स ा त तपा दत
कए गए । इनम से कुछ मु ख स ा त क या या यहाँ क जा रह है -
(i) इले ॉ नक स ा त (Electronic Theory) - इस स ा त के अनुसार कठोर-कठोर
अ त या म आय नक ब ध होता है जब क मृदु-मृदु अ त या म सहसंयोजक ब ध
बनता है । छोटे आकार एवं उ च धनावेश वाले आयन से यह अपे ा क जाती है क
वे (अ) वग के कठोर ारक के साथ आय नक ब धन को ा यकता दगे, य द कठोर-मृदु
अ त या होती है तो बने हु ए उ पाद अ थायी ह गे ।
मसोनो (Misono) व उनके सहयो गय ने 1987 म कठोरता व मृदुता के स ब ध को दशाने
वाल एक समीकरण तु त क , िजसके अनुसार –
pK logK aX bY c यहाँ K= धातु- लगै ड संकुल के वयोजन के लए
सा य ि थरांक, X तथा Y = धातु ओं के लए पैरामीटर a तथा b = लगै ड के लए पैरामीटर,
तथा c = एक ि थरांक (िजसे लगै ड के साथ तुत कया जाता है ता क सम त मान एक
समान पैमाने पर यवि थत हो जाएं) ।
कठोर अ ल के लए Y के मान 2.8 से यून होते ह; मृदु अ ल के लए Y= 3.2 से उ च
होते ह; जब क सीमारे खा वाले अ ल के लए Y के मान 2.8 तथा 3.2 के म य होते ह ।
उदाहरणाथ, कु छ धातु आयन के लए पृ के मान न न सारणी (2. 1) म दशाये गए ह -
सारणी 2.1
धातु आयन Y कृ त
Li 0.36 कठोर अ ल
Al 3 0.70
Mg 2 0.80
Na 0.93
K 0.93
Ca 2 1.62
Fe 3
2.32
Co3 2.56
Cs 2.73
Co 2
2.96
Sn2 3.17
Tl 2 3.20
Cu 2
3.45
26
Pb 2 3.58
Tl 3.78
Hg 2 4.25
Au
5.95 मृदु अ ल
इसी कार (b) के मान लगै ड के पैरामीटर ह और कठोरता से मृदुता क ओर बढ़ने पर इनके
मान म वृ होती जाती है । कुछ मु ख लगै ड के b पैरामीटर के मान सारणी 2.2 म
दए गए ह -
सारणी 2.2
लगै ड B कृ त
OH 0.40
NH 3 1.08
Cl
2.49
Br 5.50
I 7.70
S 2O32 12.40
27
2.4 व यु त-ऋणा मकता एवं कठोरता व मृदुता (Electro negativity
and Hardness and Softness)
सामा यत: उ च व युत-ऋणा मकता वाले आयन कठोर होते ह तथा कम
व युत -ऋणा मकता वाले आयन मृदु होते ह । मरण यो य बात यह है क इस संदभ म
हम धाि वक आयन क बात करते ह, परमाणु ओं क नह ं । उदाहरणाथ, ल थयम परमाणु
(Li) क व युत-ऋणा मकता तो अ य त कम है, पर तु ल थयम धनायन (Li ) क
+
व युत -ऋणा मकता काफ अ धक है, य क इसके वतीय आयनन वभव का मान अ य त
उ च होता है । इसके वपर त कम ऑ सीकरण अव था म सं मण धातु ओं ( Cu , Ag
28
तर वाले ऐसे र त क क जो नर तर ऊजा अव था के साथ म त हो जाएं, मृदु परमाणुओं
क ु वणता क या या करते ह । पॉ ल जर (Politzer) ने परमाणवीय ु णता एवं b
व
पैरामीटर के म य के स ब ध को दशाया । इस कार क पर पर ु वणता से इले ॉन अ
म वकृ त आ जाती है िजससे तकषण कम हो जाता है । इसके अ त र त इन पीशीज
के साथ युि मत -दान एवं -प चय ब धन म वृ हो जाती है ।
बल ब ध एवं समइले ॉ नक ेणी के सद य के अ तगत Li; - F, Be -O-B -N तथा
C -C आते ह । इनम सवा धक बल ब ध Li - F है । इसका कारण इसम न हत अनुनाद
के साथ-साथ कठोर-कठोर अ त या भी है ।
Li F Li F
व युत -ऋणा मकता एवं सरल ब धन आधा रत सरल गणनाओं से यह ात होता है क इस
ब धन म 25% ऊजा सहसंयोजक ब धन से, 50% आय नक ब धन से और शेष 25% ऊजा
कम ऋण व युती ल थयम परमाणु से इले ॉन घन व के अ धक ऋण व युती लोर न
परमाणु क ओर थाना तरण से ा त होती है और इसका मान लगभग पॉ लंग के आय नक
ऊजा के कर ब है ।
HSAB स ा त को E A E B C AC B त वारा 1960 म जोड़ा गया था । EA EB मश:
अ ल व ारक के लए ि थर वै युत (electrostatic) या आय नक ब धन का पैरामीटर
है तथा C ACB मश: अ ल व ारक के लए सहसंयोजक (Covalent) ब धन का पैरामीटर
है ।
1975 म मैकडे नयल (McDaniel) एवं उनके सा थय ने HSAB पैरामीटर दशाने वाला
मैकडे नयल आरे ख" रे खां कत कया िजसम कठोर अ ल- ारक बंधु ता को च ां कत कया गया
। (च 2.1) ।
30
एक पृथक रे खा बना दे ते ह , िजनक वयोजन ऊजा का मान लगभग 30KJ अ धक है । इससे
HSAB अ त या का य माण एवं प रमाण ात हो जाता है ।
31
Cu , Ag , Hg 2 आ द मृदु धातु आयन S जैसे मृदु ारक ऋणायन के साथ
2
संयक
ु ा होकर ाकृ तक तौर से स फाइड अय क के प म मलते Ni , Pb , Cu
2 2 2
जैसे सीमारे खा (म यमवत ) आयन स फाइड व काब नेट दोन कार के लवण के प
म ाकृ तक तौर से पाये जाते ह ।
(v) HSAB स ा तानुसार इस बात को भी सरलता से समझाया जा सकता है क
AgI 2
थायी आयन है जब का कोई अि त व नह ं है । हम जानते ह क Ag
AgF2
एक मृदु धनायन है अत : मृदु I ऋणायन के साथ तो यह थायी संकुल बनाता है, पर तु
32
(viii) ना भक तेह त थापन अ भ याओं के SN
1
एवं SN ,
2
या व धय तथा
अभ याओं के वेग को भी HSAB स ा त वारा समझाया जा सकता है ।
(ix) प रवत संयोजकता वाले धातु ओं क कठोरता उनक ऑ सीकरण अव था पर नभर
करती है । अत: शू य ऑ सीकरण अव था म नकल ( Ni (CO ) 4 मृदु है , दो
33
क कृ त बदलकर उस परमाणु क कठोरता अथवा मृदुता , अ ल य या ारक य, कृ त
को बदल सकते ह ।
अणु ओं क कठोरता एवं मृदुता क या या अनेक स ा त वारा तपा दत क गई
ह िजनम मु ख ह -
इले ान स ा त; -ब धन स ा त व पटजर स ा त ।
अणु ओं क कठोरता एवं मृदुता को व युत -ऋणा मकता के आधार पर भी सरलता से
समझा जा सकता है ।
कई अ भ याओं क या या को HSAB स ा त वारा सरलता से समझा जा सकता
है ।HSAB के अनेक अनु योग ह िज ह इस अ याय म व तार से समझाया गया है
।
HSAB क कई सीमाएं भी ह । इ ह भी इस अ याय म उ ृत कया गया है ।
34
3. Li I + CsF Li F + Csl अ भ या ऊ माशोषी होगी अथवा ऊ मा ेपी । समझाएँ
।
4. सहजीवन से आप या समझते ह?
5. LiF एक अ य त थायी यो गक य है?
6. HSAB स ा त के अनु योग एवं सीमाओं पर काश डा लए ।
7. अ ल एवं ारक क साम य एवं उनक कठोरता व मृदुता म स ब ध था पत क िजए
।
8. कठोरता एवं मृदुता के व भ न स ा त क या या क िजए ।
9. कठोरता एवं मृदुता के इले ॉ नक / -ब ध अथवा प जर स ा त को समझाएँ ।
10. व युत -ऋणा मकता एवं कठोरता व मृदुता के म य स ब ध था पत क िजए ।
35
इकाई - 3
सं मण धातु संकु ल म धातु- लगे ड ब धन- I
(Metal – Ligand Bonding in Transition Metal
Complexes-I)
इकाई क प रे खा:-
3.0 उ े य
3.1 तावना
3.2 संयोजकता बंध स ांत क सीमाएँ
3.3 टल फ ड स ांत का ारि भक ान एवं अ ठफलक य संकुल म टल फ ड का
वघटन
3.4 चतु फलक य संकुल म टल फ ड का वघटन
3.5 वग समतल य संकुल म टल फ ड का वघटन
3.6 सारांश
3.7 श दावल
3.8 संदभ थ
3.9 अ यासाथ न
3.0 उ े य (Objective)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप न न ब दुओं को समझ पाएंग-े
संयोजकता बंध स ांत क सीमाएँ ।
टल े स ांत क व तृत जानकार ।
वभ न कार के संकु ल म इले ॉन का वतरण ।
टल े थाईकरण ऊजा, उसक गणना एवं उपयोग ।
36
संयोजकता बंध स ांत य य प सं मण धातु संकुल के यवहार तथा या म त क संतोष द
या या करता है । परंतु इसक कु छ सीमाएँ भी है ।
37
(ग) Cu(II) तथा Ti(II) सं कु ल क वकृ त या म त V . B.T . वारा समझाई जा सकती
है ।
( स य / अस य)
( घ) V.B.T के वारा धातु सं कु ल क उ माग तक गु ण तथा चु बक य गु ण क या या
क जा सकती है ।
( स य / अस य)
बोध न के उ तर
( क) अस य (ख) स य (ग) अस य ( घ) अस य
38
अत: (C.F.T) के अनुसार सं मण धातु संकु ल न न ल खत पद म बनते ह ।
1. लगे ड इले ॉन धातु आयन क ओर अ सर होते ह । िजससे धातु इले ॉन व लगे ड
इले ॉन म म य तकषण होता है । इससे धातु आयन के d क क क ऊजा म
वृ हो जाती है ।
39
3.3.4 अ ठफलक य संकुल म त-क क का वभाजन
च : 3.2 नय मत अ ठफलक
अत: अ ठफलक य े म धातु के d-क क दो ऊजा तर म वभ त हो जाते ह । कम ऊजा
वाले d-क क (dxy,dyz) तथा dzx) t 2 g कहलाते ह तथा उ च ऊजा वाले dx 2 y 2 ,तथा
40
अ ठफलक य े म धातु आयन
च : 3.3 अ ठफलक य े म d-क क का वभाजन
अ ठफलक य े म है-क क के दोन ऊजा तर के म य के ऊजा अ तर को या 10
q से द शत करते ह । इन क क क ऊजाओं का योग सम श
ं ऊजा के बराबर होता
है । इसे बेर के भी कहते ह ।
3
अत: dx 2 y 2 तथा Dz ऊजा +6dq या 0 तथा dxy, dyz तथा dzx क क क
2
5
3
ऊजा -4 q या 0 होती है । इले ॉन के न न ऊजा वाले क क म आने से ऊजा
5
मु त होती है । िजससे कु ल ऊजा म कमी हो जाती है िजसे टल े था य व ऊजा
(CFSE) कहते है ।
कसी धातु परमाणु के d-क क के वभाजन के प रणाम व प उसक ऊजा म हु ई कुल कमी
को टल े थाईकरण ऊजा कहते ह । अ ठफलक य संकु ल के लए यह न न ल खत
सू से ात क जाती है ।
CFSE (अ ठफलक य) 0.4(t2 g ) 0.6n( eg ) ..................................(i)
तथा चतु फलक य संकुल के लए
CFSE(चतु फलक य) 0.6(e g ) 0.4n(t g ) …………………………..(ii)
2
कार से द जाती है -
CFSE = [-0.4+0.6q] 0 +mp.................................................(iii)
जहाँ p=t2g क क म इले ॉन क सं या है ।
q=eg क क म इले ॉन क सं या है । तथा n = p +q है ।
य य प कोई भी d-क क लगे ड क दशा म नह ं होता पर तु dxy, dyz तथा dzx अ य
दो क क क तुलना म लगे ड के यादा पास होते ह । अत: चतु फलक य े म भी धातु
41
के d-क क दो भाग म वभािजत हो जाते ह पर तु इस अव था म गु णत सम श
ं (समान
ऊजा वाले) (t2) क क क ऊजा आइिजन (e) क क से अ धक होती है । इसे न न च
वारा द शत कया जा सकता है ।
42
(c) n=3 के लए p=3, q=0
CFSE=[-0.4 3+0.6 0] 0 =-1.2 0
(iii) य द n=8 या 9 हो तब भी उ च व न न च ण दोन कार के अ ठफलक य संकुल म
इले ॉन का वतरण समान होगा । अत: CFSE के मान भी समान ह गे ।
(a) n=8 के लए p=6, q=2
CFSE = [-0.4 6+0.6 2] 0
= [-2.4+1.2] 0 =-1.2 0
(b) n=9 के लए p=6, q=3
CFSE = [-0.4 6+0.6 3] 0
= [-2.4+1.8] 0 =-0.6 0
(iv) य द n=4,5,6 या 7 हो तो इले ॉन का वतरण भ न होगा अत: न न च ण व उ च
च ण अ ठफलक य संकुल के लए CFSE के मान भी भ न- भ न ह गे ।
(a) n=4 न न च ण वाले अ ठफलक य संकुल म 0 >P
इले ॉन का वतरण t24g eg 0 p=4, q=0, m=1
CFSE = [-0.4 0+0.6 0] 0 +P
= -1.6 0 +P
उ च च ण वाले अ ठफलक य संकुल म 0 <P अत: इले ॉनीय व यास eg 1 होगा।
3
t2g
अत: p=3, q=1, m=0
CFSE = [-0.4 3+0.6 1] 0 +0 P
= [-1.2+0.6] 0 =0.6 0
(b) n=5 न न च ण वाले अ ठफलक य संकुल म इले ॉन का वतरण
5
t2g eg 0
अत: p=5, q=0, m=2
CFSE = [-0.4 5+0.6 0] 0 +2 P
= -2.0 0 +2P
उ च च ण वाले संकु ल म अत: इले ॉन का वतरण eg 2 होगा ।
3
t2g
अत: p=3, q=2, m=0
CFSE = [-0.4 3+0.6 2] 0 +0 P
= [-1.2+1.2] 0 =0
(c) n=6 न न च ण वाले संकुल म इले ॉन का वतरण
6
t2g eg 0
अत: p=6, q=0, m=3
CFSE = [-0.4 6+0.6 0] 0 +3 P
= -2.0 0 +3P
43
उ च च ण वाले संकु ल म इले ॉन का वतरण eg 2 है ।
4
t2g
अत: p=4, q=2, m=1
CFSE = [-0.4 4+0.6 2] 0 +1 P
= [-1.6+1.2] 0 +P=-0.4 0 +P
(d) n=7 न न च ण वाले अ ठफलक य संकुल म इले ॉन का वतरण
6
t2g eg 1
अत: p=6, q=1, m=3
CFSE = [-0.4 6+0.6 1] 0 +3 P
= [-2.4+0.6] 0 +3P
= -1.8 0 +3P
उ च च ण वाले संकु ल म इले ॉन का वतरण eg 2 है ।
5
t2g
अत: p=4, q=2, m=2
CFSE = [-0.4 5+0.6 2] 0 +2P
= [-2.4+1.2] 0 +2P
= -0.8 0 +2P
यह सभी मान व धातु आयन के s मान सारणी-1 म दए गए ह ।
44
3.3.6 अ ठफलक य संकुल म इले ॉन का वतरण
इले ॉ नक व यास d4,d5,d6 व d7वाले धातु आयन के दो कार के संकु ल संभव है । तीन
t2 g क क म एक-एक इले ॉन भरने के बाद इन धातु आयन म अगले इले ॉन या तो
इन एक-एक इले ॉन यु त सम ंश क क (समान ऊजा क क ) म भरे जा सकते ह या
उ च ऊजा वाले eg क क म जा सकते ह । इनम से कौनसी यव था होगी यह इनके लए
आव यक ऊजा पर नभर करे गा ।
इनम दो ि थ तयाँ न न कार क होगी
(i) वभाजन ऊजा < यु मन ऊजा ( ) (splitting energy<pairing energy)
य द दोन ऊजा तर के म य वभाजन ऊजा का मान यु मन ऊजा से कम हो तो इले ॉन
उ च ऊजा तर eg क क म वेश करगे, t 2 g क क म उनका यु मन नह ं होगा अत:
सभी इले ॉन अयुि मत रहे ग इस कार ा त संकुल च ण मु त या दुबल े संकुल कहलाते
ह ।
(ii) वभाजन ऊजा > यु मन ऊजा ( ) (splitting energy>pairing energy)
य द वभाजन ऊजा का मान यु मन ऊजा से अ धक होता है तो इले ॉन कम ऊजा वाले
t2 g क क म ह वेश करते ह। चू ं क इस कार के संकु ल म इले ॉन का यु मन होता
है अत: इ ह च ण युि मत या बल े संकुल कहते ह।
बल लगे ड के साथ वभाजन ऊजा ( 0 ) का मान यु मन ऊजा ( ) से अ धक होता
है । िजससे इले ॉन उ च ऊजा तर म नह ं जा पाते बि क उनका यु मन हो जाता है ।
इस अव था म संकुल म अयुि मत इले ॉन क सं या कम होती है ।
दूसर ओर दुबल लगे ड जैसे ( F , H 2 O ) आ द के साथ वभाजन ऊजा ( 0 ) यु मन
बल े -
4 5 6 6
d 4 t 2 geg 0 ; d 5 t 2 geg 0 ; d 6 t 2 geg 0 ; d 7 t 2 geg1
दुबल े -
3 3 4 5
d 4 t 2 geg1; d 5 t 2 geg 2 ; d 6 t 2 geg 2 ; d 7 t 2 geg 2
46
उपयु त ववेचन से प ट है क d0, d10 व यास वाले आयन व बल े म d6 व यास
वाले आयन तचु बक य अ ठफलक य संकुल का नमाण करते ह जब क शेष अ य सभी धातु आयन
अनुचु बक य संकुल का नमाण करते ह।
बोध न
1. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए
सह श द/श द का चयन दए गए को ठक म से कर
( क) धातु आयन तथा लगे ड के म य बं ध न
पू ण तः...................................................... कृ त का होता है ।
(ि थर वै यु त /सहसं योजक)
(ख) d -क क क मा य ऊजा समान रहती है । य क इनका गु व
के ............................................ रहता है ।
(समान/असमान)
( ग) अ ठफलक य सं कु ल के नमाण म धातु
आयन............................................. लगे ड से घरा रहता है । (चार / छ:)
(घ) अ ठफलक य े म d -क क के वभाजन से उ च ऊजा तर पर
(i)................................................. क क तथा न न ऊजा तर पर
( ii) ................................... क क व यमान होते ह । (t 2 g / eg )
47
बोध न के उ तर
1. ( क) ि थर वै यु त (ख) समान
(ग) छ: (घ) i.e g ii. t 2 g
( च) टल फ ड वभाजन ऊजा
2. वभाजन ऊजा ऑ सीकरण अव था
3. [Co( NH 3 ) 6 ]3 < [ Rh( NH 3 ) 6 ]3 < [ Ir ( NH 3 ) 6 ]3
3 d<4d<5d
4. अ धकतम - काब नल ,
यू न तम - आयोडाइड
48
d-क क के अ ठफलक य व चतु फलक य े म वभाजन को तुलना मक प से न न
कार दशाया जा सकता है।
49
[-1.2+0.4] t=0.8 t
50
उ च च ण चतु फलक य संकुल के CFSE व s मान
d- इले ॉन क सं या इले ॉनीय व यास CFSE ( t ) s ( D)
d1 -0.6 1.73
d2 -1.2 2.83
d3 -0.8 3.87
d4 -0.4 4.90
d5 0.0 5.92
d6 -0.6+P 4.90
d7 -1.2+2P 3.87
d8 -0.8+3P 2.83
d9 -0.4+4P 1.73
d 10 0.0+5P 0.00
51
इले ॉ नक व यास d7, d8, d9, तथा d10, वाले धातु आयन के इले ॉन का दोन ऊजा
तर म वतरण न न कार से होता है ।
बोध न
1. न न ल खत न के उ तर सं े प म द िजए-
(क) चतु फलक य या म त वाले सं कु ल म धातु के कौन से d- क क यु त होते ह ?
(ख) चतु फलक य या म त म कौन-कौन से व यास वाले धातु सं कु ल त चु बक य होते
ह?
(ग) 0 व t म सं बं ध बताइए ?
52
3.5 वगसमतल य संकु ल म d-क क का वभाजन(Splitting of
d-Orbitals in square planar complexes)
पुन : अ ठफलक य े क क पना कर िजसम छ: लगे ड अ क ओर से धातु आयन क
ओर आते ह । अब य द z-अ पर आमने सामने वाले दो लगे ड को हटा दया जाए तो वग समतल य
ा त हो जाएगी । इस अव था म dz क क पर लगे ड को कोई ि थर वै युत
2
सरंचना तकषण
नह ं लगेगा िजससे इस क क क ऊजा म बहु त कमी आ जायेगी, दूसरे दो d-क क िजनम z-घटक
उपि थत ह अथात dyz तथा dzx क ऊजा भी कु छ कम हो जाएगी अत: दो अ ीय लगे ड के न
होने से एक तल म उपि थत चार लगे ड व धातु आयन के म य बलतम ि थर वै युत आकषण
बल लगेगा । पुन : ये चार लगे ड आयन के नकट भी ह गे ।
बोध न
1. न न ल खत न के उ तर एक वा य म द िजए-
( क) वग समतल य सं कु ल बनाने वाले (सवा धक) धातु आयन का नाम लखो?
( ख) वग समतल य टल े म क क क ऊजा को बढ़ते हु ए म म लखो ।
53
( ग) sp म तथा 0 या सं बं ध है ?
बोध न के उ तर
( क) Ni 2 3d 8
(ख) dzx=dyz<dz 2 <dxy<dx 2 - y 2
( ग) sp 1.3 0 या sp 0
54
3. टल फ ड वभाजन ऊजा - हम जानते ह क धातु के d-क क के t2g व eg क क
म ऊजा का अ तर लगे ड के टल े के कारण होता है तथा इसे टल फ ड
वभाजन ऊजा कहते ह ।
4. यु मन ऊजा - क क म इले ॉन के यु मन म यु त होने वाल ऊजा यु मन ऊजा
कहलाती है ।
55
6. न न ल खत आयन म बल तथा दुबल टल े (अ ठफलक य े ) म उपि थत
युि मत इले ॉन क सं या बताइये ।
(i) Cr +2
(ii) mn2 (iii) Co+3 (iv) Fe+3
56
इकाई - 4
स मण धातु संकु ल म धातु- लगे ड बंधन - II
(Metal-Ligand Bonding in Transition Metal
Complexes-II)
इकाई क प रे खा:-
4.0 उ े य
4.1 तावना
4.2 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के चु बक व क या या
4.3 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक क या म त क या या
4.4 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के रं ग क या या
4.5 टल े पैरामीटर को भा वत करने वाले कारक
4.6 सारांश
4.7 श दावल
4.8 संदभ थ
4.9 बोध न के उ तर
4.10 अ यासाथ न
4.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप न न ल खत ब दुओं को समझ पायगे ।
टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के चु बक व, या म त व
रं ग क या या कस कार क जाती है ।
टल े पैरामीटर को कस कार व भ न कारक भा वत करते ह ।
57
4.2 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के
चु बक व क या या Explanation of Magnetism of
Coordination Compounds on the Basic of Crystal Field
Theory
टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक संकुल के चु बक य गुण क या या
आसानी से क जा सकती है । संकुल म चु बक य गुण उनम उपि थत अयुि मत इले ॉन
क सं या पर नभर करते है, अथात य द कसी संकुल म अयुि मत इले ॉन नह ं है तो
वह संकुल तचु बक य कृ त का होगा, कसी अणु म अयुि मत इले ॉन क सं या िजतनी
अ धक होगी उसके चु बक य आघूण का मान उतना ह अ धक होगा । टल े स ांत
के अनुसार व भ न या म तय (अ ठफलक य, चतु फलक य तथा समतल य) के संकुल के
लए अयुि मत इले ॉन क सं या को आसानी से ात कया जा सकता है और इसके आधार
पर न न सू वारा उसके चु बक य आघूण के अपे त मान को प रक लत कया जा सकता
है ।
s n(n 2)
बोर मै नेटॉन ( B ) या डबाई (D)
s = च ण चु बक य आघूण
बल लगे ड फ ड व दुबल लगे ड फ ड म अ ठफलक य तथा दुबल लगे ड फ ड
म चतु फलक य संकुल के चु बक य आघूण के मान को सारणी 1 व 2 म दशाया गया है
सारणी 1 : अ ठफलक य संकु ल के लए चु बक य आघूण के मान
58
नोट : इन संकुल के चु बक य आघूण के ायो गक मान इन अपे त मान के अनु प ह
होते ह । अ ठफलक य संकुल म इले ॉ नक व यास के आधार पर चु बक य गुण का
ववेचन नीचे कया गया है ।
d1, d2 व d3 व यास - अ ठफलक य संकुल म धातु आयन के d-क क वभािजत होकर
उ च ऊजा के eg (dx2-y2,dz2) एवं न न ऊजा के t2g क क (dxy, dyz, dzx) दे ते ह d1,
d2, व d3, व यास वाले धातु आयन अनुचु बक य कृ त के होते ह य क इनम इले ॉन
उदाहरण
d5 t 5
2g
eg 0 [ Fe( NO2 ) 6 ]3 ,[ Fe(CN ) 6 ]3
उदाहरण
d6 t 6
2g
eg 0 [Co( NO2 ) 6 ]3 ,[ Fe(CN ) 6 ]4
उदाहरण
d7 t 6
2g
e g 1 [Co( NO2 ) 6 ]4
उदाहरण
d5 t 3
2g
e g
2 [ M n ( H 2O ) 6 ]2 ,[ FeF 6 ]3
उदाहरण
d6 t 4
2g
e g
2 [ Fe( H 2O ) 6 ]2 ,[CoF 6 ]3
59
उदाहरण
d7 t 5
2g
e2 g [Co( H 2O ) 6 ]2
उदाहरण
d9 t e g
6
2g
3 [Cu ( H 2 O) 6 ]2 ,[Cu ( NH 3 ) 6 ]2
उदाहरण
d 10 t e g 6
2g
4 [ Z n ( H 2 O) 6 ]2
60
d1 व d2 व यास- d1 व d2 व यास वाले धातु आयन अनुचु बक य कृ त के होते ह ।
िजनके इले ॉनीय व यास मश: e तथा e होते ह ।
1 0 2 0
t 2 t 2
द शत कया जाता है । यहाँ केवल d10 व यास वाले धातु तचु बक य संकु ल का नमाण
करगे ।
बोध न
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये -
( क) के वल च ण चु बक य आघू ण को s n ( n 2) BM
सू वारा प रक लत कया जाता
है ।
( स य / अस य)
(ख) बल लगे ड े एवं दु ब ल लगे ड े वाले अ ठफलक य धातु आयन म d 1 ,d 2 ,
d ३ , d 8 , d 9 , d 1 0 व यास म चु बक य आघू ण का मान समान नह ं होता है ।
(स य/अस य)
( ग) Fe( F6 ) आयन , Fe(CN )6 तु लना म अ धक अनु चु बक य है । (स य/अस य)
3 3
61
4.3 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक क
या म त क या या Explanation of Geometry of
Coordination Compounds on the Basis of Crystal Field
Theory
उपसहसंयोजक संकु ल यौ गक क या म त टल े थायीकरण के ( ) मान पर नभर
करती है । अ धकांशत: धातु आयन अ ठफलक य संकुल ह बनाते ह य क अ ठफलक य
संकुल बनने म छ: धातु लगे ड (M-L) ब ध बनते है । िजससे पया त मा ा म ऊजा मु त
होती है और थायी संकुल यौ गक ा त होते ह । वशेष प रि थ तय म धातु आयन वग
समतल य अथवा चतु फलक य संकुल बनाता है ।
य द लगे ड का आकार बड़ा हो एवं लगै ड अ यंत दुबल हो, धातु आयन कम ऑ सीकरण
अव था म हो तथा का मान शू य हो ( d 0 d 5d 10 ) अथवा d1 या d 6 िजसके लए का
मान अ ठफलक य तथा चतु फलक य संकुल म लगभग समान हो, तो चतु फलक य संकुल
के बनने क संभावना रहती है । त' व यास वाले धातु आयन के स पक म य द अ यंत बल
लगे ड आय तो d z क क क ऊजा dx 2 y 2 क क क तु लना म कम हो जाती है। र त
2
62
अ ठफलक य े म d- क क का वभाजन
च 4.1: Z- दशा म ल बे वकृ त
च 4.1 से प ट है क इस व यास म t2g क क के और वभाजन से टल े
थायीकरण ऊजा के मान म कोई प रवतन नह ं होगा, य क इसके सम त क क पूण प
से भरे हु ए ह । इसके वपर त eg क क के और वभाजन से अ त र त टल े
थायीकरण ऊजा (- ) मु त होगी जो संकुल के थायीकरण म सहायक होगी । अत: इस
कार के व यास वाले संकुल था य व को ा त करने के लए वकृ त अ ठफलक य आकृ त
हण कर लेते है ।
बोध न
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए । सह श द/श द का चयन
दये गये को ठक से कर ।
( क) अ धकां श धातु आयन.................................. .. सं कु ल बनाते ह ।
(अ ठफलक य / चतु फलक य)
(ख) d1 या d 6 िजसके लए का मान अ ठफलक य तथा चतु फलक य सं कु ल म
लगभग समान हो , तो.................. ........सं कु ल बनने क सं भावना रहती है ।
(अ ठफलक य / चतु फलक य)
(ग) eg एवं t 2 g व यास वाले धातु आयन के स पक म य द अ य त बल लगे ड आय
तो थायी ......................................................... सं कु ल बना ले ते ह ।
(अ ठफलक य / वग समतल य)
(घ) eg एवं t 2 g क क का वभाजन जो टल को अ त र त था य व दान करता
है ।
यह भाव ......................................................... कहलाता है ।
(जॉन टे लर भाव / लै पोट भाव)
5. न न ल खत कथन के लए स य / अस य बताइये ।
( क) य द लगे ड अ य त दु ब ल ह तो टल े थायीकरण ऊजा का मान अ यं त
कम हो जाता है और चु बक य सं कु ल बनते ह ।
63
(स य / अस य)
( ख) के य धातु परमाणु य द यू न ऑ सीकरण अव था म हो तो चतु फलक य सं कु ल
बनने क सं भावनाएँ कम हो जाती है ।
(स य/अस य)
( ग) Cu आयन ( d
2+ 9
व यास) जॉन टे लर भाव दशाता है ।
(स य/अस य)
( घ) टल े थायीकरण ऊजा के मान पर सं कु ल यौ गक क या म त नभर करती
है ।
( स य/अस य)
64
सं मण धातु के संकुल म रं ग मु यत: दो कारण से होता है-
(i) d-d सं मण (ii) आवेश थाना तरण पे ा
(i) d-d सं मण (d-d Transition)
अ ठफलक य संकुल म य द कोई इले ॉन न न ऊजा तर वाले t2g क क से उ च ऊजा
तर वाले eg क क म जाएगा तो वह पराबगनी अथवा य े म ऊजा का अवशोषण
करे गा और रं गीन दखाई दे गा । सं मण धातु ओं के लगभग सभी यौ गक के जल य वलयन
रं गीन होते ह । उदाहरणाथ- Ti ( H 2 O) 6 आयन का जल य वलयन बगनी होता है । इस
3
संकर क पे म दो अवशोषण बै ड द शत करती है, एक पराबगनी े 3200Å
म अवशोषण बै ड और दूसर य े 5000Å म दुबल बै ड । संकु ल आयन के
65
अ ठफलक य े म Ti आयन का व यास e होता है । अत: य े म नि चत
3 1 0
t 2g g
N i 2 Ni ( NH 3 )6
2
नीला
N i 2 Ni (en)6
2
गहरा नीला
V4+ 3d 1 1 नीला
V 3 3d 2 2 हरा
V 2 3d 3 3 बगनी
Cr 3 3d 3 3 हरा
Cr 2
3d 4
4 नीला
M n 3 3d 4 4 बगनी
M n 3 3d 5 5 लगभग रं गह न
Fe3 3d 5 5 पीला
66
Fe2 3d 6 4 ह का हरा
Co3 3d 6 4 नीला
Co2 3d 7 2 गुलाबी
Ni2 3d 8 2 हरा
Cu 2 3d 9 1 नीला
3d 10 0 रं गह न
1 2
Cu , Zn
उदाहरण :
2 2 2
N i ( H 2O ) 6 N i ( NH 3 ) 6 N i (en)3
हरा नीला गहरा नीला
इसी कार समान धातु आयन म लगे ड तथा या म त बदलने पर रं ग भी बदल जाता है।
उदाहरण : C0 ( H 2O )6
2
C0 (CI ) 4
2
67
बोध न
6. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए ।
( क) य द अवशो षत काश का रं ग हरा है तो पू र क रं ग.............................. .होगा ।
( ख) आयन का जल य वलयन.................................. रं ग का होता है ।
3
Ti ( H 2O6
(ग) समान धातु आयन म लगे ड तथा....................................... बदलने पर रं ग
भी बदल जाता है ।
( घ) d-d सं मण क तु लना म........................ उ प न रं ग अ धक गहरे होते ह ।
7. न न ल खत सं कु ल को उनके रं ग क ती ता के बढ़ते म म यवि थत क िजए।
2 2 2
Ni ( H 2O6 Ni ( NH 3 )6 Ni (en)3
8. न न ल खत आयन को उनके रं ग क ती ता के बढ़ते म म यवि थत क िजए।
T14 V 5 Cr 6 Mn7
Fe( H 2O )6
3
+3 13700 cm
Co( H 2O)6
2
+2 9300 cm
68
Co( H 2O)6
3
+3 18200 cm
2. d-इले ॉ स क सं या
ऐसे संकर िजनम धातु आयन क ऑ सीकरण अव थाएँ समान ह ले कन उनम उपि थत
d-इले ॉन क सं या भ न हो तो, जैसे-जैसे d-इले ॉन क सं या बढ़े गी का मान कम
होगा । य क यादा इले ॉन होने पर, इले ॉन उ च ऊजा वाले eg क क म भरे जाएंगे
िजससे का मान कम होगा । य क eg म उपि थत इले ॉन तं को अ था य व दान
करते है ।
संकुल d-इले ान 0
3d 9300 cm
2 7 -1
Co( H 2O)6
2 3d8 8500 cm-1
Ni ( H 2O6
3. धातु आयन के d-क क क मु य वांटम सं या
3d से 4d म के मान म लगभग 30% से 50% क वृ
n n
होती है और इसी कार
4dn से 5dn म भी वृ होती है ।
अथात: 0 3d < 4d < 5d
संकुल धातु आयन व यास 0
3d6 2300 cm-1
3
Co( NH 3O)6
4d6 3400 cm-1
3
Rh( NH 3 )6
5d6 4100 cm-1
3
Ir ( NH 3 )6
4. लगे ड क कृ त
लगे ड को बढ़ती हु ई वभाजन शि त के म म जमाया जा सकता है । इस े णी म
का मान
I Br CI SCN F OH HO H 2O NH 3 en SO32 NO2 CN CO
उपरो त म म बढ़ता है । इस कार CO,CN - बल े लगे ड ह और Br-,I- -दुबल े
लगे ड है । िजन लगे ड के लए का मान उ च होता है, वे बल े लगे ड तथा िजन
लगे ड के लए का मान कम होता है, वे दुबल े लगे ड कहलाते ह ।
69
5. लगे ड का आकार
लगे ड का आकार छोटा होने से अ तरा लगे ड तकषण कम होगा तथा लगे ड धातु के
अपे ाकृ त अ धक नकट आकर उसके d-क क के लए बल टल े उ प न कर सकगे
िजससे का मान अ धक होगा ।
उदाहरणाथ: का मान F- के लए सवा धक होता है तथा I- तक घटता जाता है ।
F CI Br I
6. संकुल क या म त
वग समतल य, चतु फलक य तथा अ ठफलक य े म का मान न न कार है-
sp 0 i
या
1.3 0 0 0.45i
अ ठफलक य संकु ल म छ: लगे ड जब धातु आयन क तरफ बढ़ते ह तो वह eg क क
से सीधे टकराते ह िजससे इनके म य अ य धक तकषण होता है तथा 0 का मान बढ़
जाता है । जब क चतु फलक य संकु ल म जब धातु आयन क तरफ बढ़ते ह तो वह t2 g
(स य/अस य)
10. म कस सं कु ल का 0 का मान सबसे
3 3 3
CO( NH 3 6 , K n ( NH 3 )6 , I r ( NH 3 )6
अ धक होता है
11. न न ल खत आयन को उनके मान के बढ़ते म म यवि थत क िजए ।
2
Br , NH 3,CO, , F , SO 3
71
Chemistry
3. Inorganic Chemistry J.E. Huheey, E.A. Keiter and R.L.
Keiter
4. Basic Inorganic Chemistry F.A. Cotton, G. Wilkinson and
Paul. L. Gaus
5. Advanced Inorganic Satya Prakash, G.D. Tuli, S.K.
Chemistry Basu and R.D. Madan
6. Chemistry ofhe Elements N.N. Greenwood and
A.Earnshaw
7. Inorganic Chemistry G.C. Shivahare, V.P.Lavania,
K.G. Ojha and S.P. Bansal
8. अकाब नक रसायन जी.के. तगी तथा यशपाल संह
9. अकाब नक रसायन पी. भागच दानी
7.
Ni ( H 2O6 Ni ( NH 3 )6 Ni (en)3
T 4 V Cr 6 , Mn 7
8. i
9. (क) अस य (ख) स य (ग) अस य (घ) स य
10. I r ( NH 3 ) 6
2
Br F H 2O NH 3 SO32 CN CO
11.
4.10 अ यासाथ न
1. टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के चु बक व क या या
क िजए ।
2. टल े स ांत के आधार पर र त यौ गक क द गई चु बक य चाक मा ा को
समझाइये ।
72
यौ गक चु बक य चाक मा ा
Magnetic Moment value (BM)
(i ) K3[ FeF6 ] 5.9
(ii ) CO(CN6 CI 3 0.0
5.9BM है ।
2
(vii) Fe(CN 6 तचु बक य होता है, जब क (? Fe( H 2 O बल अनुचु बक य
3
है ।
5. टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक क या म त क या या
क िजए । ०
6. Cu2+ आयन के लए जॉन-टे लर भाव को समझाइये ।
7. टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के रं ग क या या क िजए
।
8. टल े स ांत के आधार पर समझाइये क य:
(i) सं मण धातुओं के उपसहसंयोजक यौ गक ाय: रं गीन होते ह ।
(ii) Fe व Mn3+ 2+
आयन के वलयन ह के रं ग के होते ह ।
73
(iii) Ti [ H 2O) 6 आयन का जल य वलयन बगनी होता है ।
3
12. ट पणी ल खए ।
(i) टल े थायीकरण ऊजा
(ii) बल व दुबल े लगे ड
(iii) पे ो रसायन ेणी
13. टल े वभाजन ऊजा को भा वत करने वाले पाँच कारक का वणन क िजए ।
14. े स ांत के आधार पर न न यौ गक म अयुि मत इले ॉन क सं या बतलाइये ।
Fe[ H 2O)6
2
5.0
CO[ NO2 )6
4
1.9
Fe[CN )6
3
2.3
Fe[ H 2O)6
2
5.3
74
इकाई – 5
सं मण धातु संकु ल के चु बक य गुण – I
(Magnetic Properties of Transition Metal
Complexes-I)
इकाई क प रे खा
5.0 उ े य
5.1 तावना
5.2 चु बक व क उ पि त एवं चु बक व से स बं धत पद
5.3 चु बक व के कार
5.4 चु बक य वृ त व इसके नधारण क व धयाँ
5.5 सारांश
5.6 श दावल
5.7 स दभ थ
5.8 बोध न के उ तर
5.9 अ यासाथ न
5.0 उ े य (Objective)
इस इकाई के अ ययन के प चात आप -
i. चु बक व क उ पि त के बारे म समझगे ।
ii. व भ न चु बक व के कार से प र चत ह गे ।
iii. चु बक य वृ त व इसके नधारण के बारे म जान सकगे ।
75
म रहता है तो वह एक े उ प न करता है । परमाणु के बाहर े म न केवल इले ॉन
ग त करता है, बि क क क (orbital) क ग त भी होती है.।
(i) ु व साम य (Pole Strength) - एक इकाई ु व उसे कहते ह जो वायु अथवा नवात
म इकाई साम य वाले दूसरे ु व को एक डाइन बल से आक षत अथवा तक षत करे
।
(ii) चु बकन ती ता (Intensity of Magnetisation) - त इकाई े फल म े रत ुव
साम य को चु बकन क ती ता (I) कहते ह ।
m चु बक य आघू ण
I
v आयतन
यहां m= ु व साम य,
= दोन व
ु के म य दूर
76
(iv) गॉस का नयम एवं कुल चु बक य रे ण (Gauss law and total magnetic
Induction) –
पदाथ के इकाई े फल म से गुजरने वाल बल रे खाओं को चु बक य ल स (Magnetic
flux) या कुल चु बक य रे ण (total magnetic Induction) कहते है । इसे ''B'' वारा
द शत करते ह । यह चु बकन ती ता I एवं चु बक य े क साम य से न न कार
संबं धत होती है ।
I
B = H + 4 (गॉस का नयम)
H
B I
अथवा I 4
H H
77
गुण परमाणु म अयुि मत इले ॉन के च ण के कारण उ प न होता है । यह यवहार
न केवल ठोस सं मण धातु, बि क जल य वलयन म उनके आयन भी द शत करते
ह । थम सं मण ेणी के अ धकांश सद य म यह गुण पाया जाता है तथा यह ताप
पर नभर करता है । जैसे : ो मयम धातु का टु कड़ा अनुचु बक व दशाता है ।
(ii) त चु बक व (Diamagnetism) – यह पदाथ का मूल गुण (Fundamental
Property) माना गया है ।य द पदाथ का चु बक य े बाहयचु बक य े H से कम
हो तो पदाथ तचु बक य होगा। य द कोई
पदाथ चु बक य े म खने पर चु बक य बल
र
78
च 5.3 चु बक य व ु व (a) अनु चु बक य (b) लौह चु बक य तथा (c) त लौह
चु बक य
अनुचु बक य त चु बक य व लौह चु बक य यवहार क तुलना हम न न कार से कर
सकते ह ।
सारणी - 1
अनुचु बक व तचु बक व लौह चु बक व
1. यह अयुि मत इले ॉन क यह वपर त च ण वाले यह समान च ण के इले ॉन
क ीय व च ण ग त के इले ॉन के क ीय आघूण के वाले पदाथ के जालक के कारण
कारण होता है । भाव न ट होने के कारण होता उ प न होता है ।
है ।
2. इनक चु बक य वृ त का मान इन पदाथ क चु बक य वृ त इनक चु बक य वृ त का मान
धना मक पर तु कम ( ) का मान ऋणा मक काफ अ धक होता है ।
(10x10 -10 x10 cgs
-6 3 -6
(-Ix10 ) इकाई होता है ।
-6 (10 -10 cgs इकाई)
-2 -4
बोध न -
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये ।
( क) त इकाई े फल म े रत ु व साम य को चु बकन क ती ता कहते ह ।
(स य / अस य)
(ख) चु बक य े र ण ( B ) एवं चु बक य े क साम य ( H ) के अनु पात को चु बक य
अध कहते है ।
(स य / अस य)
(ग) अनु चु बक व ताप पर नभर नह ं करता है । (स य / अस य)
( घ) Sc +3 , Ti +4 आयन जल य वलयन म त चु बक व दशाते ह ।
79
(स य / अस य)
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए ।
( क) वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को अपने म गु जारते
ह............. कहलाते ह ।
( ख) वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को तक षत करते
ह ................................................. कहलाते ह ।
(ग) त लोह चु बक य पदाथ म चु बक य आघू ण का मान
.................................................... होता है ।
( घ) Zn व Cd के वारा ..................................... यवहार दशाया जाता है ।
तथा मोलर सु ाह ता / वृ त X m X m Xg M
5.4.2 चु बक य वृ त का मापन - चु बक य वृ त के मापन क दो सामा य व धयाँ है - फेराडे
व ध तथा गॉय व ध (Gouy method) दोन व धयाँ कसी वषमांग चु बक य े वारा
से पल पर लगाये गये बल के नधारण पर नभर करती है । दोन ह व धय म नमू ने के
पदाथ का भार चु बक य े क उपि थ त तथा अनुपि थ त म ात कया जाता है । फेराडे
व ध क उपयो गता यह है क इसम पदाथ क बहु त कम मा ा क आव यकता होती है तथा
इससे सीधे ह वश ट वृि त ात होती है । पर तु चू ं क पदाथ बहु त कम मा ा (कुछ
म ल ाम) म होता है, इससे योग म क ठनाइयाँ होती है । य क बल का प रमाण बहु त
कम होता है । इस लए ाय: गॉय व ध यु त क जाती है ।
80
गॉय व ध (Gouy Method) - इस व ध म पदाथ के नमूने को एक ल बी छड़, वलयन
या काँच क नल म भरे हु ऐ पाउडर के प म लया जा सकता है । से पल का एक सरा
समांग चु बक य े म तथा इसका दूसरा सरा अ य धक कम या शू य े म रखा जाता
है । इस पर े त बल को से पल को तोल कर ात कर लया जाता है । से पल को तोलने
के लए एक सुधर हु ई योग शाला तुला (गॉय तुला) का योग करते ह ।
च 5.4 - गॉय तु ला का रे खा च
माना से पल नल क अनु थ काट का मान ''a'' है । तथा m चु बक य े क उपि थ त
तथा अनुपि थ त मे लये गये भार का अ तर है । H चु बक य े क ती ता तथा ''g'' गु वीय
वरण है, तो से पल पर लगने वाला बल
F= m g………………….(i)
य द 1 व 2 मश. से पल व वायु क आयतन वृि तयाँ ह तो
1
F ( 1 2 )a.0 H 2 ..........(ii )
2
समीकरण (i) व (ii) से
1
F ( 1 2 )a.0 H 2 ..........
2
या
2mg
1 2
a0 H 2 .............(iii)
व H का सह -सह मान
2
ात करने के लए योग को कसी मानक पदाथ (िजसक चु बक य वृ त
ात हो) के साथ दोहराते ह । पारे का संकु ल मकर टे ाथायो-साइनेटो कोबा टे ट (II) अथात
Hg [Co ( SCN ) 4 ] एक ठोस मानक के प म यु त होता है ।
81
m 206.6 1012 m 3 mol 1at 293K कार चु बक य तु ला से ात क गई चु बक य वृ त
च 5.5
बोध न –
3. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये ।
( क) चु बकन ती ता व चु बक य े के अनु पात को पारग यता कहते ह ।
(स य / अस य)
(ख) ाम सु ाह ता / वृ त और अणु भार का गु ण नफल मोलर सु ाह ता कहलाती है ।
( स य / अस य)
(ग) फे राडे व ध - गॉय व ध से अ धक उपयु त व ध है ।
(स य / अस य)
2 -1
(घ) मोलर सु ा हता या वृ त क इकाई मीटर मोल होती है ।
(स य / अस य)
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए ।
82
( क) गॉय व ध म मानक पदाथ के प म ................................. पदाथ का उपयोग
कया जाता है ।
(ख) अनु चु बक य पदाथ क चु बक य वृ त ताप के साथ ........................होती है ।
(ग) वह यू न तम ताप िजस पर लोह चु बक य पदाथ अनु चु बक य पदाथ म प रव तत
हो जाते है .............................. कहलाता ह ।
( घ) चु बक य वृ त ात करने हे तु काम म आने वाल तु ला को.............. कहते ह।
83
M 2m.g
Xm X2
D a.0 h 2
84
( क) त इकाई े फल म े रत ु वसाम य को चु बकन क ती ता कहते ह ।
( स य / अस य)
(ख) चु बक य े र ण ( B) एवं चु बक य े क साम य ( H) के अनु पात को चु बक य
आघू ण कहते है ।
(स य / अस य)
(ग) अनु चु बक व ताप पर नभर नह ं करता है । (स य / अस य)
( घ) SC + 3 , Ti + 4 आयन जल य वलयन म त चु बक व दशाते ह । (स य / अस य)
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए ।
( क) वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को अपने म गु जारते
ह,
........................ कहलाते ह ।
(ख) वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को तक षत करते
ह ,……....................................................... कहलाते ह ।
(ग) त लौह चु बक य पदाथ म चु बक य आघू ण का मान
............................... होता है ।
( घ) Zn व Cd के वारा ......................................... यवहार दशाया जाता है ।
3. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये ।
( क) चु बकन ती ता व चु बक य े के अनु पात को पारग यता कहते है ।
(स य / अस य)
(ख) ाम सु ा हता / वृ त और अणु भार का गु ण नफल मोलर सु ा हता कहलाती है ।
( स य / अस य)
(ग) फे राडे व ध - गॉय व ध से उपयु का व ध है ।
(स य / अस य)
(घ) मोलर सु ा हता या वृ त क इकाई मीटर ' मोल '' होती है ।
(स य और अस य)
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए -
( क) गॉय व ध म मानक पदाथ के प म .........................................
................................................... पदाथ का उपयोग कया जाता है ।
( ख) अनु चु बक य पदाथ क चु बक य वृ त ताप के साथ.......................... होती है ।
( ग) वह यू न तम ताप िजस पर लोह चु बक य पदाथ अनु चु बक य पदाथ म प रव तत
हो जाते है ........................................................... कहलाता ह ।
( घ) चु बक य वृ त ात करने हे तु काम म आने वाल तु ला को.............. कहते ह।
85
इकाई-6
सं मण धातु संकु ल के चु बक य गुण –II
(Magnetic Properties of Transition Metal Complexes
- II)
इकाई क प रे खा :
6.0 उ े य
6.1 तावना
6.2 च ण मा सू
6.3 L-S यु मन
6.4 s तथा eff मान का सहस बंध
6.5 चु बक य आघूण म क ीय योगदान
6.6 3d-धातु संकुल के लये चु बक य आघूण आकड़ के अनु योग
6.7 सारांश
6.8 श दावल
6.9 संदभ थ
6.10 बोध न के उ तर
6.11 अ यासाथ न
6.0 उ े य (Objective)
इकाई के अ ययन के प चात ् आप
(a) सं मण धातुओं के संकुल के चु बक य गुण को समझ सकगे ।
(b) थम सं मण ेणी के त व के चु बक य यवहार व मु त इले ॉन च ण सू (च ण
मा सू ) को समझ सकगे।
(c) L-S, यु मन , s व eff मान म सहसंबध
ं समझ कर चु बक व के लये िज मेदार
अयुि मत इले ॉन क सं या ात कर सकगे ।
(d) चु बक य आघूण म क ीय आघूण का योगदान जान पायगे ।
(e) चु बक य आघूण वारा कस कार अयुि मत इले ॉन क सं या ात क जा सकती
है, ये भी जान पायगे तथा यह भी जान पायगे क इसके वारा कस कार से वम
रसायन, बंध का कार तथा संकु लत धातु आयन क ऑ सीकरण अव था ात क जा
सकती है ।
87
अयुि मत इले ॉन क सं या चु बक य आघूण s सकल च ण वांटम सं या (S)
1 1.73 1
2
2 2.83 1
1
2
3 3.87 3
2
4 4.90 4
2
2
5 5.92 5
2
g J ( J 1) .................. (5)
जहाँ J = कु ल कोणीय संवेग वांटम सं या है ।
g = लै डे वपाटन गुणांक
J ( J 1) S ( S 1) L ( L 1)
g 1 ……………………………..(6)
2 J ( J 1)
J का मान L तथा के यु मन से ा त कया जा सकता है ।
L = कुल क ीय कोणीय संवेग वांटम सं या
S = कुल च ण कोणीय संवेग वांटम सं या
चू ं क L तथा S के यु मन से J का मान ा त होता है, इस व ध को L-S यु मन कहा
जाता है । इस व ध के बारे म सव थम रसेल तथा सा डस नामक वै ा नक वारा ताव
दया गया था अत: इस व ध को रसेल- सा डस या R-S यु मन भी कहा जाता है । इस
व ध म सभी इले ॉन के च ण कोणीय संवेग के यु मन कर परमाणु के लये प रणामी
च ण कोणीय संवेग ात कर लया जाता है । इस कार पृथक-पृथक इले ॉन के क ीय
88
कोणीय संवेग के यु मन से प रणामी क ीय कोणीय संवेग ा त कर लेते ह । प रणामी च ण
संवेग को वांटम सं या S से तथा प रणामी क ीय संवेग को वांटम सं या L वारा
नधा रत कया जा सकता है । इन दोन प रणामी कोणीय संवेग के यु मन से परमाणु या
आयन का कोणीय संवेग ा त करते ह. िजसक अनु पी वांटम सं या J है ।
J ( L S ),(L S 1),(L S 2)..............(L S ) (7)
समीकरण (1)से लै थेनाइड के संकुल के चु बक य आघूण के मान तो काफ सह ा त होते
ह, ले कन सं मण त व संकुल के मान ायो गक मान से काफ भ न ा त होते ह । इनके
लये क ीय और च य कोणीय संवेग के मान अलग-अलग काय करते ह । इले ॉन के
च ण मा के लये S=0, J=S तथा g=2, जब क इले ॉन क क ीय ग त के लये S
= 0,J = L तथा g = 1 होता है, तब
4S (S 1) L( L 1) - (8)
और इनम य द क ीय योगदान नह ं होता हो तो समीकरण (8), च ण मा सू समीकरण
(3)का प हण कर लेती है ।
values)
पयरे यूर (Pierre Curie) ने सन ् 1895 म चु बक य पदाथ के लये एक नयम दया
िजसे यूर का नयम कहते है । इसके अनुसार अनुचु बक य सु ा हता ( m ) परम ताप
के यु मानुपाती होती है ।
C
m
T
N2
C=( यूर ि थरांक)=
3KT
N2
m =
3KT
3KT m
.......................(9)
N
अनुचु बक य गुण को ( भावी चु बक य आघूण ) बोर मे नेटॉन क (B.M) क इकाई म
द शत करना अ धक सु वधाजनक है । B.M म B का मान न न कार होता है ।
eh
B= 9.213 1024 JT 1
4 mc
जहाँ e - इले ॉ नक आवेश,
-
89
इस बोर मे नेटॉन म चु बक य आघूण का मान होगा
eff .B ……………………..(10)
दोन समीकरण (9) व (1०) को मलाने पर हम पाते ह
3KT m
eff ……………..(11)
N .B
सं मण आयन म इले ॉन सामा यत: बा यतम कोष म पाये जाते ह । ऐसे अयुि मत
इले ॉन क क ीय ग त का इनके चार ओर यवि थत लगे ड क इले ॉन से गंभीर प
से बा धत होने के कारण इनके क ीय का शमन हो जाता है । इस कार ि पन का मान
क ीय तु लना म अ धक मह वपूण हो जाता है । अत: क ीय को उपे त कया जा सकता
है, िजसके कारण भावी चु बक य आघूण ( eff) को न न सू दया जा सकता है
eff spin 4S ( S 1) .......................(12)
जहाँ S - सकल ि पन वांटम सं या है ।
यह समीकरण (च ण) को अयुि मत इले ॉन क सं या से न न कार संबं धत करती
है
(च ण) = n(n 2).B .......................(13)
बोध न :
1. न न कथन मे स य/अस य बताइये –
1. के वल अयु ि मत इले ॉन क ग त से उ प न होने वाले चु बक य आघू ण s कहते
है ।
(स य/अस य)
2. अनु चु बक य सु ा हता परमताप के समानु पाती होती है ।
(स य/अस य)
3. (च ण) से अयु ि मत इले ॉन क सं या के बारे मे पता चलता है ।
(स य/अस य)
2. न न वा य मे र त थान क पू त क िजये :
1. एक इले ॉन के लए च ण वा टम सं या m s का मान .................होता है ।
2. L तथा S के यु मन क व ध को ..................................को कहा जाता है ।
3. दो अयु ि मत इले ॉन क सं या वाले धातु सं कु ल मे s का मान
......................होता है ।
90
6.5 चु बक य आघू ण म क क य योगदान: (Orbital contribution to
magnetic moment)
थम सं मण खृं ला के त व के योग वारा ा त चु बक य आघूण के मान मा चु बक य
आघूण से काफ मलते है । अयुि मत इले ॉन का चु बक य आघूण उसके च ण तथा क ीय
आघूण के कारण होता है । कसी एक इले ॉन के क ीय कोणीय आघूण से संबं धत चु बक य
आघूण न न सू वारा दया जाता है ।
( 1) एजीमुथाइल वा टम सं या
सं मण त व मे अयुि मत इले ॉन ' क क म व यमान होते ह जो संकुल आयन के घेरे
म ह होते है । अत: इनके क क य ग त के कारण उ प न चु बक य आघूण उनके चार ओर
व यमान लगै ड वारा उ प न चु बक य आघूण वारा उदासीन कर दया जाता है । इसके
अ त र त इनम क क य योगदान का शमन भी होता है ।
टल े स ांत के अनुसार कसी इले ॉन के अपनी अ के त क ीय कोणीय आघूण
होने के लये आव यक है क वह क क िजनम वह इले ॉन ग त कर रहा है, उसके अ
के त घूण न से कसी अ य समान एवं स श
ं क क म प रव तत हो जाये । वतं आयन
म dxy एवं dx2-y2 क क एक दूसरे म Z अ के त 450 के घूणन से एक दूसरे म प रव तत
कये जा सकते है । इस कार dxy एवं dyz एक दूसरे म Z अ के त 900 के घूणन से
प रव तत कये जा सकते ह ।
J ( J 1) S ( S 1) L ( L 1)
g 1
2 J ( J 1)
रखने पर न न समीकरण ा त होगा
1
3 S ( S 1) L( L 1)
[ J ( J 1)] .................(14)
2
2 2 J ( J 1)
उपयु त सू के आधार पर हम कसी भी लै थेनाइड आयन के लये चु बक य आघूण क
गणना कर सकते ह ।
92
5.9 n(n 2)
n 2 2n 34.81
n 2 2n 34.81 0
2 4 4 34.81
n
2
2 11.968 13.968
n 6.984
2 2
या
9.968
n 4.98 ≈5
2
चू ं क अयुि मत इले ॉन क सं या ऋणा मक नह ं हो सकती अत: 6.9 को छोड़ दया जाता
है । इस कार संकुल म 5 अयुि मत इले ॉन होते ह । िजनको समझने के लये Fe क
संकुल म +3 ऑ सीकरण अव था माननी होगी।
संकुल म पाँच अयुि मत इले ॉनो क उपि थ त को संयोजकता बंध स ांत के अनुसार
अ ठफलक य बा य क क मानकर समझाया जा सकता है । यहाँ दो यत क क उपयोग म
आते ह अत: संकुल म 5 अयुि मत इले ॉन बने रहे ग ।
93
(CrL6)n+ , =0
तचु ंबक य
चु क यो गक तचु ंबक य है अत: इसमे इले ॉन क सं या शू य है । यह दो अव थाओं म ह संभव
है ।
(1) जब Cr क ऑ सीकरण अव था +6 हो अथवा
(2) Cr क ऑ सीकरण अव था शू य हो तथा सभी संयोजकता इले ॉन अ ठफलक य यौ गक
म तीन 3d क क म युि मत कर र त दो 3d क क का उपयोग करते हु ये आ त रक क क
संकुल बनाते हो।
(e) s 4S ( S 1) B.M
(f) s अयुि मत इले ॉन क सं या से न न सू वारा संबं धत, होता है ।
s n(n 2) B.M
(g) L तथा S के यु मन क व ध को LS यु मन कहते ह ।
(h) LS यु मन से ा त नई वांटम सं या को J से द शत करत ह ।
(i) पयरे यूर के अनुसार अनुचु बक य सु ा हता (Xm) परमताप के यु मानुपाती होती
है ।
(j) सं मण आयन म अयुि मत इले ॉन बा यतम कोश म पाये जाते है ।
(k) सं मण धातु संकुल म अयुि मत इले ॉन क क ीय ग त का इनके चार ओर
यवि थत लगे ड के इले ॉन से गंभीर प से बा धत होने के कारण इनके µ क ीय
का शमन हो जाता है ।
(l) सं मण धातु आयन म s का मान µ क ीय क तुलना म अ धक मह वपूण होता है ।
(m) लै थेनाइड के चु बक य आघूण म इले ॉन के च ण के साथ-साथ क क य योगदान
भी होता है ।
(n) चु बक य आघूण क सहायता से अयुि मत इले ॉन क सं या, संकुल का वम
रसायन, बंध का कार तथा संकु लत धातु आयन क ऑ सीकरण अव था ात क जा
सकती है ।
95
2. अकाब नक रसायन, बी.एस.सी. पाट-III (RBD, जयपुर )
3. अकाब नक रसायन, बी.एस.सी. पाट-III ( हमांशु पि लकेशस नई द ल )
96
इकाई- 7
सं मण धातु सं कु ल के इले ॉन पे ा-I
(Electron Spectra of Transition Metal Complexes – I)
इकाई क परे खा
7.0 उ े य
7.1 तावना
7.2 सारांश
7.3 श दावल
7.4 संदभ थ
ं
7.5 बोध न
7.6 बोध न के उ तर
7.7 अ यासाथ न
7.0 उ े य (objective)
इस इकाई के अ ययन के प चात व याथ न न ब दुओं को समझ पायगे -
इले ॉ नक सं मण या होते ह? ये कतने कार के होते ह?
इले ॉ नक सं मण के दौरान कसी भी संकु ल के रं ग म या प रवतन होता है?
इले ॉ नक सं मण क या परास होती है, िजनके म य म सं मण स भव पाया जाता
है?
Pink colour
2
Co( H 2O)6
इस अ याय म इले ॉ नक सं मण के अलावा, परमाणु म पाये जाने वाल व भ न ऊजा
अव थाऐं (energy state) जैसे Ground state तथा Excited energy state का
अ ययन करग ।
इस अ याय के अ तगत हम एक वशेष ेणी िजसे Spectrochemical series कहते
ह, का अ ययन करगे ।
97
(4) लगे ड - लगे ड अथवा अ तर लगे ड सं मण (Ligand – Ligand or
Interligand Transitions)
(1) d-d सं मण अथवा लगे ड े पे ा (d-d Transitions or ligand field spectra)
इस कार के पे ॉ नकटअवर त, य तथा पराबगनी े म पाये जाते ह (10000-30000
nm-1 1000-333 nm) चु क न न आवृि तय को ायो गक तौर पर अ ययन करना क ठन
होता है । जब क उ च आवृि तय म आवेश थाना तरण तथा अ तर लगे ड सं मण के कारण
एक वशेष छाया का नमाण होता है । चू ं क इन सं मण का अ ययन पूण प से CFT
तथा MOT के अ तगत कया जाता है । MOT के अनुसार इले ॉनीय सं मण आण वक
क क के म य होते ह । d-d सं मण के अ तगत जो अव थाऐं होती है उनम d-क क
का वपाटन t2g एवं eg क क म हो जाता है । इ ह ं का अ ययन हम d-d सं मण के अ तगत
करते ह ।
(2) लगे ड से धातु आदे श थाना तरण (Ligand to metal change transfer)
चू क इस कार के इले ॉनीय सं मण के अ तगत इले ॉन का थाना तरण लगे ड के
आण वक क क से धातु के आण वक क क के अ तगत होता है । ले कन इस कार के
पे ा को CFT समझाने म असमथ है ।
(3) धातु से लगे ड आवेश थाना तरण (Metal to Ligand change Transfer)
इस कार के सं मण म इले ॉन का व थापन धातु से लगे ड के क क म होता है ।
इस कार के सं मण के वारा लगे ड क उपच यत होने क वृ त को मापते ह । इस कार
के सं मण uv व कभी-कभी अ य े म भी पाये जाते ह । सामा यतया इस कार के
सं मण उन संकु ल म पाये जाते है, िजनम लगै ड के पास न न ऊजा के (Pistar)
क क होते है । जैसे - [Ru(bipy)3]+2
(4) लगे ड- लगे ड अथवा अंत लगे ड सं मण (Ligand –Ligand or Interligand
Transitions) जब इले ॉन का सं मण एक Ligand से दूसरे लगै ड म होता है तो इस
कार का सं मण अ त: लगे ड सं मण कहलाता है । इस कार के सं मण भी uv पाये
जाते है । चू ं क इस कार के सं मण म केवल लगै ड के आण वक क क का ह उपयोग
होता है ।
98
7.1.2 बै ड चौड़ाई तथा आकृ त (Band Width and Shape)
102
है य क M-L ब ध दूर कम हो जाती है । इनका भाव यह होता है क d क क का वभाजन
बढ़ जाता है । यह कारण है क CN े णी म उ च थान पर है ।
इस कार H2O क टल फ ड साम य जो क OHion क तुलना म अ धक है यह
हम ेणी के वारा ात होता है जो क एकदम वपर त है जब क आवे शत लगै ड उदासीन लगै ड
क तुलना म अ धक बल होते है , ले कन यहां OH एक आवे शत लगे ड होते हु ए भी दुबल लगै ड
क भां त यवहार करता है इसका कारण यह है क OH का O परमाणु अपने भरे हु ए P क क
के इले ॉ स यु म को धातु पर उपल ध t2g क क के साथ सहभािजत कर लेता है िजससे OH
तथा धातु आयन दोनो पर आवेश म कमी हो जाती है, प रणाम व प OH , दुबल लगै ड क भाँ त
यवहार दशाता है ।
इसी कार CN तथा 1,10 फनै ोल न के संकुल न न च ण वाले होते है य क इन
लगै ड का भाव बल होता है । जब क जलयोिजत आयन तथा हैलाइड आयन का उ च च ण
होता है । अत: न न च ण होना उसम उपि थत लगै डस क बलता पर नभर करता है ।
कसी भी संकुल म 0 का मान उसम उपि थत धातु पर भी नभर करता है । अत: 0 के
मान के आधार पर धातु ओं के लए पे मी रसायन का नमाण कया जा सकता है । अत: धातुओं
म 0 का मान न न कारक पर नभर करता है ।
(1) धातु का आ सीकरण अंक बढ़ने पर 0 का मान भी बढ़ता है ।
(2) दूसरा यह है क सं मण धातु ओं म ऊपर से नीचे आने पर 0 का मान भी बढ़ता है, अत:
सं मण धातु ओं के थम सद य के लए 0 का मान यूनतम होगा । जब क अि तम सद य
के लए 0 का मान अ धकतम होगा । चू ं क धातु ओं का आ सीकरण अव था के बढ़ने पर
0 का मान बढ़ता जाता है, इस भाव को ि थर वै युत आकषण बल वारा समझाया जा
सकता है जैसे-जैसे आवेश बढ़ता जाता है तथा साथ ह के य परमाणु का आकार भी छोटा
होता जाता है, प रणाम व प आवेश घन व बढ़ जायेगा, िजससे लगै ड का के य धातु
परमाणु क ओर आक षत होने क मता बढ़ जायेगी । िजससे 0 का मान बढ़ जायेगा
।
दूसरे कार क या या हम इस कार कर सकते है । चू ं क 4d तथा 5d क क 3d क क
क अपे ाकृ त अ धक फैले होते है । प रणाम व प 4d तथा 5d के वारा लगै ड के साथ ब ध आसानी
से बन जाते ह । िजससे 0 का मान भी बढ़ जाता है । अत: 0 के बढ़ते हु ए मान के आधार पर,
धातु ओं क एक ेणी बनायी गयी है जो न न है ।
Mn Ni Co Fe2 V 2 Fe3 V 3 Co3 Mn4 Mo3 Rh3 Ru3 Pd4 Ir3 Re4
2 2 2
104
विजत (forbidden): िजन सं मण म वरण नयम क अनुपालना नह ं होती है , उ ह विजत
सं मण (forbidden) कहते ह ।
सू म अव था : इले ॉ नक व यास क स भा वत अव थाय ।
पद (Term) : पद श द का योग कसी परमाणु क अव थाओं से स बि धत ऊजा तर
के लए कया जाता है ।
7. दभ थ (Reference Books)
Inorganic Chemistry VBH , Jaipur
Inorganic Chemistry SPH, Jaipur
Inorganic Chemistry Himanshu Publication, Udaipur
7.5 बोध न
1. न न म भावी लगे ड का सह म होगा-
(a) Cl Br I (b) I Cl Br
(c) F NO Cl
3
(d) H 2 O EDAT NH 3
2. कसी अवशोषण बै ड के अ ययन के लए बीयर-ले बट का सह सू है-
I0 I0
(A) Cl Log10 (B) log A C
I I
I0 I
(C) log10 A (D) log C
I I0
105
इकाई -8
सं मण धातु संकु ल के इले ॉन पे ा - II
(Electron Spectra of Transition Metal complexes –II)
इकाई क प रे खा :
8.0 उ े य
8.1 तावना
8.2 पे ॉ कॉ पक न नतम अव था
8.3 d व d9 अव था के लये आगल ऊजा अव था आरे ख
1
8.0 उ े य (Objective):
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप
सं मण धातु आयन म ऊजा तर तथा पे ॉ कॉ पक अव थाओं को समझ सकगे ।
इले ॉन ऊजा तर का वपाटन तथा d व d अव थाओं के लये आगल च बनाना
1 9
सीख सकगे।
[Ti(H2O)6]+3 संकुल आयन के इले ॉ नक पे म का अ ययन कर सकगे ।
106
के वपाटन के प रमाण तथा लगे ड े क बलता के म य आलेख खींचकर, च य क ीय
यु मन तथा बल े म व भ न ऊजा तर को म त कर आगल च बनाना भी सीखगे
। तथा Ti +3
संकुल के इले ॉ नक पे ा को समझकर उसके रं ग के बारे म भी जानगे।
107
इले ॉन के ि थर वै युत आकषण के साथ ये एक दूसरे को न न कार से भी भा वत
करते ह ।
(1) इनके च ण से उ प न चु बक य े क अ त या अथवा यु मन वारा
(2) इले ॉन क क ीय ग त से उ प न े के यु मन (क ीय कोणीय संवेग) वारा
जब कोई इले ॉन एक उप ऊजा तर म भरते है तो ा त होने वाल ऊजा अव थाय
येक इले ॉन के क ीय कोणीय संवेग वांटम सं या के प रणाम पर नभर करती
है ।
सभी मान के प रमाण को एक नयी वांटम सं या p वारा य त कया जाता है, जो
परमाणु क ऊजा अव था को प रभा षत करती है ।
L = 0 1 2 3 4 5 6 7 8.....
अव s p d f g h i k 1.....
था
(J को उपयोग म नह ं लया गया है य क यह बाद म आने वाल दूसर वांटम सं या
को द शत करता है ।
1. क ीय कोणीय संवेग का यु मन -
एक p2 व यास के लये का प रणामी मान न न कार से प रभा षत कया जाता है
।
108
कसी परमाणु म L व S दोन के चु बक य भाव क अ तर या से या 'यु मन से एक
नई वांटम सं या बनती है िजसे कुल कोणीय वांटम सं या कहते है. इसे 'J' से द शत
करते ह ।
P2, यव था के लये च ण कोष यु मन को न न च म दशाया गया है ।
109
सं या n से भी कर सकते है । येक अयुि मत इले ॉन के लये बहु लकता का मान n+1
होता है ।
अयुि मत इले ोन क सं या (n), प रणाम च ण वांटम सं या S तथा बहु लकता
का संबध
ं नीचे सारणी म दया गया है ।
अयुि मत इले ोन S बहु लकता (2S=1) or (n+1) अव था का नाम
0 0 1 संगलेट
1 1 2 डबलेट
2
2 1 3 पलेट
3 1 4 वाटरे ट
1
2
2
4 5 ि व टे ट
अत: संकेत
3
D2 (िजस पलेट D टू पढ़ा जाता है ।) द शत करता है क D अव था अथात
L = 2 है बहु लकता तीन है (अयुि मत इले ॉन क सं या दो है अत:
n 2 1 ors 12s 1 3) तथा कुल वांटम सं या J=2 है । इन सब पद को जानने के
बाद इ ह ऊजा के म म यवि थत कर दे ते ह और फर हु ड नयम के आधार पर न नतम अव था
का नधारण करते ह । इसके लये इ ह ऊजा के म म न न कार से जमाया जा सकता है ।
1. पद को बहु लकता (multiplicities) या S के मान के अनुसार यवि थत करते ह । अ धकतम
S वाला पद सवा धक थायी होता है तथा S के मानो म कमी होने के साथ-साथ, था य व
म भी कमी आती है ।
2. S के दये गये मान के लये L का उ चतम मान सबसे, अ धक थायी होता है ।
3. य द कोई उपकोष अ पूण से कम भरा हु आ है तो J के यूनतम मान वाला पद सवा धक
थायी होता है, और य द उपकोष म इले ॉन क सं या अ पूण अव था म अ धक है तो
J के उ चतम मान वाला पद सवा धक थायी होता है ।
बोध न :
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये –
1. सं मण धातु रं गीन सं कु ल बनाते ह । स य / अस य
2. परमाणु के ऊजा तर को चार वां ट म सं या से समझाया जा सकता है । स य /
अस य
3. L और S यु मन से ' ' वां ट म न बर बनता है । स य / अस य
110
3
D2 अव था के लये L = 1 होता है । स य / अस य
4.
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये –
1. काबन क इले ॉ नक व यास म.................................अव थाय सं भ व है ।
2. पद को.................................के मान के अनु सार यवि थत करते है ।
3. S के दये गये मान के लये L का..................................... मान अ धक थायी
होता है ।
4. 3 अयु ि मत इले ॉन वाले धातु आयन क बहु लकता ................... होती है ।
111
म d
1
च 8.3: अ ठफलक य े व यास के लए ऊजा तर का वपाटन
धातु आयन पर अ ठफलक य े लगाने से यह पद न नतम अव था द शत करने वाले
2
T2g ऊजा तर तथा उ तेिजत अव था द शत करने वाले Eg ऊजा तर म वभािजत हो जाता है 2
112
म d
9
च 8.4. अ ठफलक य े व यास के लए ऊजा तर का वपाटन
कार d
1
इस व यास के लये चतु फलक य े म ऊजा तर आरे ख अ ठफलक य े
के आरे ख से वपर त होता है । चू ं क d अ ठफलक य भी d अ ठफलक य से वपर त होता है । d1
9 1
चतु फलक य तथा d9 अ ठफलक य एक जैसे ह गे । d9 व यास वाले धनायन क चतु फलक य े
म न नतम अव था व यास eg t 4 5
2g; अथात क t2g म एक छ होगा जो उ तेिजत अव था म
eg क क म थानांत रत ह जायेगा य क इले ॉन के उ तेिजत होने पर यह t2g क क को पूण
प से भर दे गा, िजससे इले ॉ नक व यास eg2 t62g हो जायेगा अथात छ eg क क म थानांत रत
हो जायेगा । d9, व यास के चतु फलक य े म संकु चत आयन क ि थ त इस कार अ ठफलक य
म d आयन जैसी है । अत: d , चतु फलक य के D पद का वभाजन च
1 9
े 8.3 म दखाये गये
आगल आरे ख वारा दया जा सकता है ।
य द हम ऊजा तर के वघटन के प रमाण तथा लगे ड े क बलता के म य आलेख
खींच तथा साथ ह च य क ीय यु मन तथा बल े म व भ न ऊजा तर का म त होना भी
आलेख म अं कत कर तो हम आगल च ा त होगा ।
अत: 8.3 व 8.4 को मलाकर एक च बनाये (8.6) तो हम जो च ा त होगा वह आगल
च कहलायेगा जो एक इले ॉन पर इले ॉ नक व यास का भाव गुणा मक प से व णत करता
है ।
113
8.5 : d
1
च व यास के चतु फलक य तथा अ ठफलक य संकुल का आगल च
जैसा क बताया जा चु का है अ ठफलक य तथा चतु फलक य े म d क क एवं ऊजा
वभाजन पर पर वपर त कार का होता है । इसी कार एक इले ॉन तथा एक छ वाले व यास
के लये इन ऊजा तर का वभाजन भी वपर त दशा म होता है । अत: अ ठफलक य े म िजस
व यास के लये ऊजा तर का वभाजन च 8.6 म दाय भाग से द शत कया जा सकेगा उ ह ं
व यास के लये चतु फलक य े म इस च का बायां भाग लागू होगा । एक छ वाल संरचनाय
अ ठफलक य े म बायीं ओर तथा चतु फलक य े म दायीं ओर थान हण करे गी ।
114
× 10-12 अग) ऊजा का अवशोषण करने eg क क म ो नत हो जाता है । ( च 8.7 के
अनुसार) वलयन का रं ग 0 के मान पर नभर करता है । जो अवशोषण पे म के मा यम
से पे मी अ ययन वारा आसानी से मापा जा सकता है, य क अवशो षत व करण क
आवृ त तथा मोलर अवशोषण के म य खींचा गया आरे ख ह अवशोषण पे म है
! Ti( H 2O ) 6 आयन के 0 का मान (4 × 10-12 अग) के बराबर होता है जो क
3
500nm तरं ग दै य के (हरे ) काश क ऊजा है, अथात य द इस पदाथ को वेत काश म
रखा जाये तो उसके हरे भाग का अवशोषण करके इसका t2g इले ॉन eg क क म चलो जायेगा
अत: इससे पराव तत हु ये काश या लौटे हु ये, काश से हम यह बगनी रं ग का दखाई दे गा।
अ य सं मण धातु आयन के अवशोषण पे म क तुलना म इस आयन का पे म अ यंत
सरल होता है । अवशोषण बै ड 204,400 cm-1 पर उ प न होता है । Ti( H 2O ) 6 के
3
पै ॉ म अवशोषण बै ड संयु त होता है ऐसा उ तेिजत अव था म 2Eg जानटे लर भाव
से वपाटन के कारण होता है
बोध न
3. न न-कथन म स या ' अस य बताइये
1. अ ठफलक य े म दे क क का वभाजन सं भ व नह ं है ।
( स य / अस य)
2. Ti + 3 म d 1 व यास पाया जाता है ।
( स य / ' अस य)
115
3. d 9 व यास म छ का थानां त रण t 2 g से e g यह म ऊजा तर म होता है ।
( स य / अस य)
4. का वलयन रं गीन होता है ।
3
Ti( H 2O )6
( स य / अस य )
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये
1. पद क ऊजा तथा टल फ ड क बलता को चि हत करने वाले सहसं बं ध आरे ख.
को...............................................को कहते है ।
अ ठफलक य d
1
2. व यास म इले ॉन का थानां त रण....................
से . ...... ............ म होता है ।
3. चतु फलक य लगै ड े म ............. .......................... क क न न
ऊजा के होते है ।
116
13. पद क ऊजा तथा टल फ ड क बलता को च त करने वाले सहसंबध
ं आरे ख
को ह आगल आरे ख कहते है ।
14. का बगनी रं ग इसम उपि थत एक इले ॉन के t2g से eg क क म
3
Ti( H 2O )6
उ तेिजत होने के कारण होता है।
9.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात व याथ न न ल खत पद के बारे म समझ सकगे -
संकुल था य व के बारे म समझ पायगे ।
संकुल था य व कतने कार के होते ह? तथा संकु ल था य व को भा वत करने वाले
कारक कौन-कौन से ह? इन सभी का अ ययन इस अ याय म करगे ।
इस अ याय म संकु ल था य व म होने वाल रासाय नक अ भ याओं का भी अ ययन
कया जायेगा साथ ह रासाय नक अ भ याओं के कार व उनको भा वत करने वाले
कारक का अ ययन कया जाएगा ।
वशेष श दावल का अ ययन जैसे लेबाइल (labile), अ य (Intert), के य धातु
परमाणु (Central Metal Ion)।
इन सभी का अ ययन इस अ याय म कया जायेगा ।
118
(1) Thermodynamic Stability Constant (ऊ मीय था य व ि थरांक)
(2) Kinetic Stability Constant (बलग तक य था य व ि थरांक)
K1
ML
M L ML K1
[ M ][ L ]
K2
ML2
M L ML2 K 2
[ ML ][ L ]
ML3
ML2 L
K3
ML3 K 3
[ ML2 ][ L]
MLn
MLn 1 L
Kn
MLn K n
[ MLn 1 ][ L]
यहाँ पर K1 k2......Kn एक था य व ि थरांक है िजनको पद म था य व ि थरांक कहते
ह ।
उदाहरण के लए के नमाण को पद के प म येक पद के नमाण
2
Ni( NHLL3 )6
ि थरांक स हत इस कार दशाया गया है ।
(1) Ni( H 2O )6 Ni( H 2O )5 ( NH 3 ) H 2O, K1 5 10 2
2 2
[ MLn ]n
n
[M n ][ L]
अत: n तका मान ात होने पर, संकु ल के नमाण म मु त ऊजा प रवतन क गणना भी
उ माग तक वारा आसानी से ात क जा सकती है ।
चू ं क मानक मु त ऊजा प रवतन G 0 एवं सा य ि थरांक के बीच न न ल खत स ब ध
है ।
G 0 =2.303RTlogk...........................................(1)
अत: इस समीकरण म K n रखने पर
G 0 =2.303RTlogk n .............................................(2)
चू ं क G 0 H 0 T S 0 ......................................(3)
समीकरण (1) व (2) से
H 0
-2.303RTlogk n S 0 ......................................(3)
T
चू ं क कई बार था य व ि थरांक को उनके लघुगण
ु क के प म भी अ भ य त कया जाता
है ।
जैसे logK1,logK2,logK3 etc.
चू ं क के नमाण म log K 6 का
2
n log K1 , log 2 log K 3 ......log K n Ni ( NH 3 ) 6
मान -0.10 है तथा log K 5 का मान0.60 है जो यह दशाता है क उ माग तक य ि ट से,
120
9.1.2 संकुल के था य व को भा वत करने वाले कारक
121
जो लगे ड अ धक ार य वृ त के होते ह , वे आसानी से इले ॉन धातु आयन को दे ते ह
। अत: लगे ड क ार यता म वृ के साथ संकु ल के था य व म भी वृ होती है । जो
लगे ड H आयन को
+
हण करने क वृ त रखते ह वे लगे ड धातु आयन के साथ भी
थायी संकु ल बनाते ह । इस लए F से न मत संकुल का था य व Cl ,
-
Br I क अपे ा
अ धक होगा । इसी कार HN3 , H2Oक एवं HF क H को हण करने क +
मता उतरो तर
कम होती है । इस लए इनसे न मत संकुल का था य व म न न होना चा हए
NH3>H2O>HF
(5) लगे ड का व ु व आघूण एवं व
ु णता
य द लगे ड का व ु व आघूण एवं ु वणता अ धक हो तो धातु आयन लगे ड म पर पर
या भी अ धक होगी, िजसके फल व प संकु ल के था य व म भी वृ होगी ।
(6) प चय ब धन भाव
धातु एवं लगे ड के म य -ब ध बनने से संकुल के था य व म सदै व वृ होती है । यह
-ब ध धातु आयन के भरे हु ए क क एवं लगे ड के र त क क (M L) के बीच अ त यापन
वारा न मत होता है । अत: CN-,CO, PR3, AsR3आ द लगे ड अ धक थायी संकु ल
बनाते ह ।
(7) क लेट एवं क लेट भाव
वे संकुल यौ गक जो क क लेट वलय संरचना यु त होते है, वे सामा य संकुल यौ गक क
तु लना म अ धक थायी होते है । चू ं क कई संकु ल यौ गक म तो कु छ लगे ड एक द तु क
(Monodentate) होते है तथा कु छ म बहु द तुक (Polydentate) लगे ड होते ह इस कार
बहु द तु क लगे ड के य धातु परमाणु के साथ मलकर एक वलयनुमा संरचना का नमाण
करते है । इस कार क बनी हु ई संरचना क लेट संरचना कहलाती है । जैसे –
Ni +6NH3 [Ni(NH3)6]+2 logβ=7.99
+2
122
इस कार इस संकु ल म ए थ लन डाइएमीन के दो अणु Cu+2 आयन के साथ जु डे हु ए है ।
इस संकुल को कॉपर क लेट भी कह सकते है, य क यहां पर पांच अवयवी वलय का नमाण
हो रहा है और इस कार बनने वाल संरचनाएं ह क लेट संरचनाएं कहलाती ह ।
क लेट संकु ल का था य व ऐसे ह एकद तु क लगे ड से न मत संकुल क अपे ा अ धक
होता है य क क लेट संरचना म दो ब ध को तोड़ने के लए अपे ाकृ त अ धक ऊजा क
आव यकता होती है
जैसे [Co(NH3)6]+3 एवं [Co(en)3]+3 का अ ययन करने पर पाया गया है क [Co(en)3]+3
जो क [Co(NH3)6]+3 क अपे ा अ धक थायी ह य क NH3,एक द तु क लगे ड होता
है । जब क [Co(en)3]+3 म एक क लेट संरचना का नमाण होता है । इसम उपि थत ब ध
को तोड़ने के लए अ धक ऊजा क आव यकता होगी । कु छ वद तु क लगे ड के उदाहरण
आगे दये गये ह ।
क लेट भाव- िजन संकुल म क लेट वलय का नमाण होता है वे अपे ाकृ त अ धक थायी
होते ह । िजनम वलय का नमाण नह ं होता है वे कम थायी होते ह । अत: वे संकु ल िजनम क लेट
वलय का नमाण होता है वे अ धक थायी ह गे तथा उनक था य व म अ धक वृ होगी , इस वृ
को ह ‘क लेट भाव' कहते ह । जैस-े
[Ni(H2O)6]+2+6NH3 [Ni(NH3)6]+2+6H2O logβ=7.99
123
अत: न न ल खत संकु ल का था य व भी न न म म होगा ।
[Cu(NH3)4] <[Cu(en)2] <[Cu(trien)]
+2 +2 +2
124
। समीकरण 3 से प ट है क H के अ धक ऋणा मक होने पर के मान म वृ होती है तथा
0
G अ धक ऋणा मक तभी हो सकता है, जब G अ धक ऋणा मक हो तथा S 0 अ धक
0 0
थायी होगा ।
चू ं क कसी भी संकुल का था य व, ए ोपी के बढ़ने के साथ बढ़ता है, इसको समझाने के
लए हम न न उदाहरण लेते ह-
[M(H2O)6]+2+en
[M(H2O)4(en)]+2+2H2O
यहां हम दे खते ह क इथाइल नडाइएमीन हाइ ेट संकु ल के साथ अ भ या करके दो जल के
अणु ओं का न कासन करती ह य क इथाइल नडाइएमीन एक वद तु क लगे ड है । चू ं क संकु ल
[M(H2O)4(en)] जो [M(H2O)6] के अपे ाकृ त अ धक थायी है । इसका कारण यह है क नकाय
+2 +2
125
9.1.3 वगाकार समतल य संकुल क त थापन अ भ याऐं
126
अत: ांस भाव को समझाने के लए एक वशेष कार क ेणी का नमाण कया गया है,
िजसे ॉस नदश ेणी कहते है, जो क न न है-
CN,CO,C2H4,NO>PR3, H > CH 3 , SC ( NH 2 ) 2 C6 H 5 ,
NO 2 , I ,SC Br , CL Py, NH 3 , OH , H 2O
अत: यह सीर ज ॉस भाव सीर ज कहलाती है । उपरो त ेणी दशाती है क CN , CO
तथा NO बल ांस नदशक है जब क OH तथा H2O क ॉस नदशी मता यूनतम है । अत:
जो लगे ड बल ॉस नदशी होते है उनम र त व क क होते है एवं ये M-L ब ध भी बनाते
ह । अत: इन लगे ड को ब धी लगे ड भी कहा जाता है । वे लगे ड जो (M-L) ब ध नह ं
बनाते ह, उनम ॉस भाव उनक ु वण मता पर नभर करता है, िजस लगे ड क व
ु ण मता
िजतनी अ धक होगी, वह उतना ह अ धक ॉस भाव दशायेगा I क ु वण मता B r से अ धक
है अत: I का ॉस भाव भी B r से अ धक होगा ।
CI Br I
- Polarisability increases
- Trans effect increases
ॉस भाव का सबसे अ धक अ ययन Pt(II) संकु ल पर कया गया ।
127
इस कार इस सं लेषण के वारा यह ात होता है क सस समावयवी बनता है। चू ं क Cl
का ॉस भाव NH3 से तथा NO 2 का ॉस भाव Cl से अ धक होता है ।
128
(ब) सस व ॉस [ Pt (C 2 H 4 )( NH 3 )CL2 ] के सं लेषण म-
129
(स) सस [ PtCL2 ( Py )(CO )] संकुल के सं लेषण म
(द) [ Pt ( Py )( NH 3 )( Br )(Cl )] संकुल के नमाण म
(2) [ PtA2 X 2 ]0 कार के संकुल के सस व ांस समावय वय म वभेद करना-
इसे Pt ( NH 3 ) 2 (Cl ) 2 क थायोयू रया के साथ या के उदाहरण वारा समझा जा सकता
है । यह पाया गया है क [Pt ( NH 3 ) 2 (Cl ) 2 ] क थायोयू रया (tu) से अ भ या वारा
[Pt (tu)4]+2
बनता है ।
130
(i) सं मण अव था या स यत संकुल (Transition state or Activated
Complex) -
कसी भी रासाय नक अ भ या के पूण होने से पहले एक वशेष कार क सं मण अव था
का नमाण होता है, जो क उ च ऊजा यु त व अ थायी होती है ।
X+Y-Z
X-Y+Z
उ मा ेपी अ भ याओं के लए, उ पाद क ि थ तज ऊजा, अ भकारक क ि थ तज ऊजा
से कम होती है । अ भकारक व उ पाद क ऊजा के म य अ तर को अ भ या उ मा कहते
ह । ले कन
ऊ माशोषी अ भ याओं म कुछ ऊजा का अवशोषण होता है तथा उ पाद क ऊजा अ भकारक
क ऊजा से अ धक होती है ।
X Y Z H
X Y Z
च - उ मा ेपी ऊ माशोषी अ भ याओं म ऊजा प रवतन
131
इस कार यह अ भ या एक संकर अव था से होकर गुजरती है जो क उ च ऊजा यु त होती है तथा
तु र त उ पाद म बदल जाती है ।
अत: X+Y-Z के म य अ भ या न न कार स प न होती है ।
X+Y-Z
X.....Y.....Z X-Y+Z
अ भकारक सं मण अव था उ पाद
सं मण अव था म X व Z दोन ह एक दुबल ब ध वारा जु डे होते है तथा इनके म य क दूर समान
होती है । इस कार अ भकारक एवं स यता संकु ल के म य ऊजा अ तर को सं मण ऊजा कहते
है ।
(ii) स स े ट या अ भकारक (Reactants)
वे यौ गक िजनम पुराने ब ध टू टते ह तथा नये ब ध का नमाण होता है, अ भकारक
कहलाते है ।
(iii) आ मणकार अ भकमक - वे रासाय नक पेशीज, जो अ भकारक से या करके उ हे
उ पाद म प रव तत करती है, आ मणकार अ भकमक कहलाती है । सामा यतया
आ मणकार अ भकमक दो कार के होते है ।
(अ) इले ॉन नेह अ भकमक (Electrophilic Reagents)
ये एक कार के इले ॉन यून यौ गक होते है जो क इले ॉन हण करने क वृ त
रखते है । अथात यह पेशीज लु इस अ ल होते है । अथात धनावे शत आयन जैसे
काब नयम आयन, डाइऐजो नयम आयन आ द । अथवा उदासीन अणु जैसे
BF3,AlCl3,So2,FeCl3 आ द हो सकते है ।
(ब) ना भक नेह अ भकमक (Nucleophilic Reagents)
ये पेशीज इले ॉन धनी होते है तथा ये धनावे शत के क ओर आक षत होते ह ।
सभी लू इस ार ना भक नेह अ भकमक होते है । ये ऋणावे शत आयन उदाहरणत: -
काबनायन, लोराइड आयन, हाइ ाइड आयन अथवा ऐसे उदासीन अणु होते ह िजनम
कम से कम एक परमाणु पर एक इले ॉन यु म उपि थत हो ।
132
इस कार क अ भ याओं म संकुल म उपि थत लगे ड का त थापन, दूसरे लगे ड के
वारा होता है । इन अ भ याओं को SN वारा दशाया जाता है ।
MLn+L
MLn-1L +L
1 1
सामा यतया वगाकार समतल य संकु ल म लेट नम (II) पर सबसे अ धक अ ययन कया
गया । इसम स प न होने वाल अ भ याओं क या व ध वअणु क व थापन SN2 वारा
स प न होती है य क इन अ भ याओं म आने वाला लगे ड व वलायक ना भक नेह
अ भकमक के प म काय करता है ।
133
(2) वतीय पद - यह पद बहु त तेजी से स प न होता है जैसे-जैसे ना भक नेह आ मण करता
है उसके तुर त प चात चार लगे ड म से कोई लगे ड बाहर नकल जाता है एवं ML3Nu बनता
है ।
Fast
ML4Nu
ML3Nu+L
वगाकार समतल य संकुल क त थापनीय अ भ याओं को भा वत करने वाले कारक –
(1) वम भाव (Steric effects) - वगाकार समतल य संकुल क त थापन अ भ याऐं उसम
उपि थत लगे ड के आकार पर भी नभर करती है । य द के य धातु परमाणु पर उपि थत
लगे ड का आकार छोटा होगा तो, अ भ या आसानी से ह जायेगी । वेश करने वाले लगे ड
का आकार छोटा होना चा हए तथा उसका के य परमाणु पर वेश इस तरह होना चा हए क
एक म यवत अव था का नमाण हो सके अथात यह तभी स भव है जब क लगे ड का आकार
छोटा हो ।
(2) वलायक भाव (Solvent effect) - संकुल यौ गक म स प न होने वाल त थापन
अभ याओं म वलायक का एक मह वपूण योगदान होता है, य क वलायक क उपसहसंयोजन
वृ त बढ़ने से, रासाय नक अ भ या क दर भी बढ़ जाती है । ायो गक प से यह सह भी
पाया गया है । उदाहरण के लए ांस [Pt(Py)2Cl2 म Cl आयन पर व भ न कार के वलायक
का व थापन पर पड़ने वाले भाव के आधार पर दो े णयां बनाई गई ह ।
(i) अ धक उपसहसंयोजन मता वाले वलायक जैसे H2O,R-OH एवं NH3 जो क लगभग
पूणत: वलायक पथ बनाते है । इन वलायक म अ भ या का वेग लोराइड आयन क
सा ता पर नभर नह ं करता है ।
[K1>>K2]
(ii) वे वलायक जो क कम उपसहसंयोजन मता वाले होते है जैसे CCl4,C6H6 आ द, इनका
अभ या के वेग म बहु त कम योगदान होता है । इन अ भ याओं का वेग लोराइड आयन
क सा ता पर नभर करता है ।
[K1<<K2]
इस अ भ या के त कुछ वलायक का अ भ या वेग इस सारणी म दया गया है । िजनका
म न न कार है।
ROH<H2O<CH3NO2<(CH3)2SO
सारणी
यु त वलायक Kobs (Min-1)
ROH 8.5X10
-4
H2O 2.1X10-3
CH3NO2 1.9X10-3
(CH3 )2SO 2.3X10-2
(3) संकुल पर उपि थत आवेश (Effect Change on the complex)
134
यह दे खा गया है क जैस-े जैसे संकुल पर आवेश क मा ा बढ़ती है वैस-े 2 अ भ या का वेग
भी बढ़ता जाता है ।
ॉस भाव- इस कार के करण म कसी भी संकुल म उपि थत लगे ड का त थापन
आने वाले लगे ड के वारा होता है, ले कन संकुल म कौनसी ि थ त हण करे गा यह संकुल
म उपि थत लगे ड पर नभर करे गा क आने वाला लगे ड उसके सामने जुड़ग
े ा या दूसर
ि थ त पर । अत: इस कार का भाव ॉस भाव कहलाता है तथा जो लगे ड आने वाले
लगे ड को थान उपल ध कराता है, वह लगे ड ॉस नदशक समूह कहलाता है ।
यहां हम एक उदाहरण वारा ॉस भाव को प ट करगे ।
135
कसी भी संकु ल के था य व का होना या नह ं होना उसम उपि थत Central Metal
ion तथा Ligand के ऊपर नभर करता है । इस कार हम दे खते है क वह संकुल
िजसका Central metal ion छोटा होता है वह संकुल अ धक थायी होगा ।
वगाकार समतल य संकुल म दो कार क अ भ याऐं पाई जाती है ।
(i) त थापन अ भ याऐं
(Substitution reactions)
(ii) ऑ सीकरण अपचयन अ भ याऐं
(oxidation reduction reactions)
F C
I Br I
Increases
⎯⎯⎯⎯⎯⎯⎯⎯⎯⎯⎯
Trans Effects Increases
136
4. लगे ड- वह पेशीज जो के य धातु परमाणु को इले ॉन दे ता हो लगे ड कहलाता
है । जैसे MLn , M एक के य धातु परमाणु है । L एक लगे ड है जो क के य
धातु परमाणु को इले ॉन दे ता है ।
जैसे - Ni ( H 2 o) ,[ Ni (co ) 4 ]
2
6
9.5 बोध न
नोट- (1) ये क न म छोड़ी गयी जगह का इ ते माल अपने उतर लखने के लए कर।
(2) अपने उ तर इकाई के अ त म दये गये उ तर से मलाय ।
I. न न ल खत न के उ तर द –
1. र त थान क पू त करो -
1. याँ म के अनु सार सं कु ल नमाण या................... ............. म ह ।
137
2. था य व ि थरां क सामा यतया...................................... कार के होते ह।
3. वे सं कु ल िजनम उपि थत एक लगे ड का त थापन दू स रे लगे ड वारा आसानी
से हो जाता है , वे सं कु ल............................................ कहलाते ह ।
4. वे सं कु ल बहु त ह कम याशील होते ह ,. .. .......................... कहलाते ह ।
5. सं कु ल धातु ओं म जै से- जै से ए ाँ पी क मा ा बढ़ती है उतना ह सं कु ल ........
........................ होता है ।
6. कसी भी सं कु ल का थायी होना उसम उपि थत लगे ड क .... .....................
पर नभर करता है ।
II. बहु वक पी न:
2. न न म से सह उ तर को ठक म लखे -
1. सं कु ल का नमाण एक पद म म है , का अ ययन कया –
a) B . Jerrum b) Chatt & Coworkers
c) Pauli d) Chadwick
2. Square planar complexes का अ ययन सबसे अ धक कौनसी धातु के साथ
कया गया-
a) Pt(II) b) Zn + 2
c)Cu + 2 d) Fe + 2
3. न न म से कसका ाँ स भाव कम होगा -
a) CN ०) b) CO
c) PR3 d) NH 3
4. न न म से बल लगे ड होगा -
a) H 2O b) NH 3
c) CN d) F
5. न न हे लाईड म सबसे बलतम लगे ड होगा –
a) F b) CI
c) Br d) I
6. न न म से सबसे बलतम ाँ स भाव दशाये गा –
a) F b) CI
c) Br d) I
I. 1. पद म (stepwise) दो कार
138
2. लेबाइल (labile) अ य (inert)
3. थायी (stable) कृ त (nature)
II. 1. (a) 2. (a) 3. (d)
4. (c) 5. (b) 6. (d)
139
इकाई -10
काबधाि वक रसायन - I
(Organometallic Chemistry-I)
इकाई क परे खा
10.0 उ े य
10.1 तावना
प रभाषा
नामकरण
वग करण
मह व
गुण
संरचना
उपयोग
10.2 सारांश
10.3 श दावल
10.4 संदभ थ
10.5 बोध न
10.6 बोध न के उ तर
10.7 अ यासाथ न
10.0 उ े य (Objectives)
हम इस अ याय म न न ल खत पद के बारे म अ ययन करगे -
काबधाि वक यौ गक क प रभाषा एवं इ तहास ।
काबधाि वक यौ गक का नामांकरण ।
काबधाि वक यौ गक का सं लेषण तथा इनक उपयो गता ।
140
Payson) वारा कैरोसीन क खोज हु ई जो क एक मह वपूण काबधाि वक यौ गक है ।
य यप ले टनम सकुल-पौटे शयम ऐ थ लन ाइ लोरो ले टनेट K [ PtCl3 (C2 H 4 )]
जाइस लवण एवं बस ए थल न डाइ लोरो ले टनम (II) का सं लेषण मश: 1827 एवं 1831
म कया जा चुका था ।
141
CH 3 Mg C 2 H 5 ऐ थल मे थल मैगनी शयम
CH 3 Zn C 2 H 5 ए थल मे थल िजंक
(3) य द कसी यौ गक म एक से अ धक भ न- भ न कार के काब नक समू ह उपि थत
ह तो, लखने के कार भी उनक अं ज
े ी वणमाला के अनुसार होता है ।
जैसे- (C 2 H 5 )(C 2 H 7 ) 2 Sn डाइए थलडाइ ो पल टन
(C6 H 5 )(C 2 H 5 ) Mg ए थलफे नलमै नी शयम
142
उदाहरण- Zn (C 2 H 5 ) AuH - ाइए थल िजंकेट (II) आयन
(9) य द काबधाि वक यौ गक धनायन हो तो, धातु परमाणु के नाम के बाद उसक आ सीकरण
अव था दशायी जाती है तथा आ सीकरण अव था के बाद 'आयन' लखा जाता है ।
उदाहरण- [(C6 H11 )3 Sn] - ाइसाइ लौहै साइल टन (IV) आयन
143
C2 H 5 K C2 H 6 C6 H 5 K C2 H 6
C 2 H 5 Na C2 H 5 Br C4 H10 NaBr
(c2 H 5 ) 2 Mn FeCl2 (C5 H 5 ) 2 Fe MnCl2
य द काबधाि वक यौ गक म उपि थत काब नक यौ गक एरोमे टक होता है तो उसका था य व
और
इस कार (C5 H 5 )2 M और HC CNa था य व को भी समझाया जा सकता है ।
(2) सहसंयोजक यौ गक (Covalent Compounds)
ऐसे त व िजनक व युत ऋणता के मान म अ तर 1.5 से 2.0 के म य होता है । सहसंयोजक
काबधाि वक यौ गक बनाते है । इन यौ गक म उपि थत धातु तथा काबन के म य भी केवल
ब ध ह होता है जो क 2e इन के साझे से बना होता है । सभी सहसंयोजक यौ गक
क संरचना भी उपि थत संकरण के कार पर नभर करती है ।
144
2. बहु के य-2 इले ॉन ब ध वाले यौ गक (Multicentre 2-Electron Bound
Compounds)
मे थल व ऐ थल ल थयम इस कार के काबधाि वक यौ गक बनाते है तथा इनका X Ray
अ ययन करने पर यह पता चलता है क यह यौ गक चतु फलक य संरचना वाले होते है, िजनम
ल थयम परमाणु चतु फलक के चार शीष थ कोण पर ि थत होते है तथा काब नक समूह
इन फलक के के से थोड़े ऊपर ि थत होते ह । च म े टामे थल ल थयम क संरचना
दशायी गई है ।
च – (LiCH3)3 संरचना
(4) व था पत इले ॉन ब ध यौ गक (Delocalised Electron Bond Compounds)
सं मण धातु इस कार के काबधाि वक यौ गक बनाते है । इस कार के यौ गक म असंत ृ त
काब नक समू ह का इले ॉन धातु परमाणु के र त d क क से अ त यापन करते है,
जब र त d क क भर जाते है तो ये काब नक समू ह तबंधी र त क क के साथ
अ त यापन करते है तथा d p ब ध का नमाण करते है । इन यौ गक को सामा यत:
दो भाग म वभ त कया गया है ।
(1) ओल फ नक और ए सट ल नक यौ गक
जाइस (Zeise) नामक वै ा नक ने सन 1830 म इस कार का यौ गक सं ले षत कया,
जो क एक वगाकार समतल य संरचना वाला यौ गक होता है । िजसका नमाण ए थल न
और [ PtCl4 ] के वारा बनाया जाता है । इसम उपि थत धातु परमाणु दोन काबन
2
145
परमाणु ओं से जुड़ा होता है तथा C C अ ले टनम लोर न ब ध के ल बवत ् ि थत
होते है ।
146
10.1.4 मह व
147
बनाने क व धयाँ-
(1) एि कल तथा ए रल हैलाइड क ल थयम धातु पर अ भ या वारा
(Reaction of Alkyl halides with Metal)
ल थयम धातु क अ भ या जब एि कल हैलाइड से करवायी जाती है तो एि कल अथवा
एि कल ल थयम का नमाण होता है । इस अ भ या म वलायक के प म बे जीन, ईथर,
ह के पे ो लयम का उपयोग कया जाता है । इस अ भ या को स प न करने के लए
वातावरण ब कु ल शु क होना चा हए । यह या शु क नाइ ोजन क उपि थ त म स प न
करायी जाती है । आ सीजन क उपि थ त म यह O2 से अ भ या कर लेते ह ।
2Li R RLi LiX X Cl , Br , I
2Li C4 H 9Cl C4 H 9 Li LiCl
C6 H 5 2 Li C6 H 5 Li LiCl
इन अ भ याओं म वलायक के प म डाईऐि कल ईथर नह ं लया जा सकता य क यह
Li से अ भ या कर लेता है । इसम ल जाने वाल धातु क भौ तक अव था भी बहु त मह वपूण
होती है, य द धातु के ऊपर जंग लगा हो तो कई बार अ भ या स प न नह ं हो पाती है
।
(2) धातु व नमय वारा (By Metal exchange)
इस व ध के वारा ल थयम के कई काबधाि वक यौ गक बनाये जाते है । भार धातु ओं के
बने हु ए काबधाि वक यौ गक क अ भ या करवाने पर, वभ न कार के ल थयम
काबधाि वक यौ गक बनते ह ।
R2 Mg 2 Li 2 LiR Mg
(C6 H 5 )2 Hg 3Li C6 H 5 Li LiHg
(C4 H 9 ) 2 Mg 2 Li 2C4 H9 Li Mg
(3) धातु हैलोजन व नमय वारा (by मेटल Halogen exchange)
बै जीन
C4 H 9 Li C6 H 5 I ⎯⎯ C4 H 9 I C6 H 5 Li
C4 H 9 Li H 2C CHBr C4 H 9 Br CH 2 CHLi
(4) धातु हाइ ोजन व नमय वारा
C6 H 5 Li C6 H 5 C CH C6 H 6 C6 H 5 C CLi
C4 H 9 Li C6 H 6 C4 H10 C6 H 5 Li
इस अ भ या म उपि थत अ ल य हाइ ोजन का त थापन Li वारा हो जाता
है ।
(5) टे ाफै नल ए थ लन पर ल थयम के योग से
148
10.1.5 गुण (Properties)
149
C4 H 9 RLi CH 3 OH CH 3 CH 2 R LIOH
150
10.4.6 संरचना
151
(4) 2 Al 3RX R3 Al2 X 3
R3 Al2 X 3 3 Na R3 Al 3Na Al
गुण (Properties)
ाईएि कलएलु म नयम एकलक है । बै जीन म इसका बहु ल करण हो जाता है । ये यौ गक
ऑ सीजन के त अ तसंवेदनशील होते है, वायु से या कर जल जाते ह ।
(1) ये ए कोहॉल तथा ऐमीन आ द से या करके एलकेन दे ते ह ।
R3 Al / E OH ( R2 Al OR)n RH
AlR3 NHR2 ( R2 Al OR2 )n RH
(2) लु इस ार के साथ या करके, संकुल यौ गक बनाते ह ।
R3 Al NMe3 R3 Al NMe3
R3 Al OEt2 R3 Al OEt2
(3) उ मीय वघटन (Thermal Decomposition) - इन यौ गक को 200-3000C पर गम
करने पर ये वघ टत हो जाते है तथा एलक न का नमाण होता है ।
3
AlEt3 Al 2CH 2 H 4 H 2
2
(4) अपचायक वृि त (Reducing Agent) - एलु म नयम काबधाि वक यौ गक का
उपयोग अपचायक के प म कया जाता है ।
(ii)
152
संरचना म उपि थत एलु म नयम परमाणु sp
3
अव था म होते है । दो एि कल ब ध
CH 3 Al , कनार पर ि थत होते ह । इस कार चार Al CH 3 ब ध होते ह जो क sp3 संक रत
अव था म होते ह । दो एि कल सेतु यु त बहु केि य ब ध Al CH3 Al बनाते है । ये ब ध
के य-दो इले ान ब ध यु त होते है ।
153
Inorganic Chemistry Himanshu Publication,Udaipur
Inorganic Chemistry By Gurdeep Raj
10.5 बोध न
154
1. (द) 2. (अ) 3. (अ) 4. (अ)
(अ)
(CH 3 )2 (C2 H 5 )2 Si (ब)
(C6 H5 )2 Hg
(स)
(C6 H5 )(C2 H 5 )Mg (द)
Cs H s Mn(Co) s
(य)
(C2 H 5 )2 Mg (र)
(C6 H 6 )2 Cr
(4) काबधाि वक यौ गक का उपयोग ल खए।
(5) ल थयम काबधाि वक यौ गक क उन अ भ याओं को द िजए जो क काब नल यौ गक
के समान होती है।
(6) काब ल थयम यौ गक को बनाने क व धयाँ, गुण एवं रासाय नक अ भ याऐं द िजए।
(7) काब ल थयम यौ गक को सु पर यार अ भकमक य कहते ह ?
(8) ट पणी ल खए
(अ) Zeise Salt (ब) सै ड वच यौ गक
155
इकाई-11
काबधाि वक रसायन -11
(Organometallic Chemistry-II)
इकाई क प रे खा
11.0 उ े य
11.1 तावना
11.2 मकर के ऐि कल व ऐ रल यु प न
11.3 टन के ऐि कल व ऐ रल यु प न
11.4 टाइटे नयम के ऐि कल व ऐ रल यु प न
11.5 धातु-ऐ थ ल नक संकुल
11.6 सारांश
11.7 श दावल
11.8 संदभ थ
ं
11.9 अ यासाथ न
10.0 उ े य (Objectives) :
इस इकाई के अ ययन के प चात आप समझ सकगे क-
Hg , Sn और Ti के एि कल तथा ऐ रल यु प न कतने कार के होते ह । इ ह कस
कार बनाया जाता ह ।
इनके गुण तथा इनक संरचना कैसी होती ह ।
Hg , Sn , Ti के एि कल तथा ऐ रल यु प न के या उपयोग ह ।
धातु ऐ थ ल नक संकुल या होते ह? इनम कस कार क संरचना एवं बंधन होता ह
। इनका वरचन कस कार कया जाता ह तथा इनके भौ तक गुण और रसाय नक
अभ याऐं या होती ह?
156
11.2 मकर के एि कल व ऐ रल यु प न (Alkyl and Aryl
Derivatives of Mercury)
मकर का पहला काबधाि वक यौ गक 1853 म ै कलड वारा मे थल आयोडाइड तथा मकर
धातु से सू य के व करण म बनाया गया था । बहु त बड़ी सं या म काब-मकर यौ गक बनाये
गये ह िजनका औष धय के प म मह व ह । बहु त से यौ गक कवक रोधी (Fungicides)
के प म यु त होते ह । मनु य तथा ज तु ओं पर इनके हा नकारक भाव होने क जानकार
के बाद रासाय नक उपचार और कवकरोधी दोन ह कार से इनका उपयोग नषेध कर दया
गया ह । काब-मकर यौ गक को दो े णय म वभािजत कया गया ह ।
1. R Hg X यहाँ R एि कल और ऐ रल समूह तथा X एक व युत ऋणीय
मू लक है ।
2. R2 Hg
(ज टल)
4. सो डयम स फाइड से अ भ या –
158
RHgNO3 CO CH 3OH RCOOCH 3 Hg HNO3
वै युत अपघटन (Electrolysis) : मे थल मकर ऐसीटे ट के पर डीन व जल म बने वलयन
का वै युत अपघटन करने पर उसका वसमानुपातीकरण हो जाता ह तथा डाइमे थल मकर
ा त होता ह ।
CH 3 Hg[CH 3COO ] CH 3 Hg CH 3COO
CH 3 Hg e CH 3 Hg
2CH 3 Hg (CH 3 )2 Hg Hg
[R2Hg]
1. ी यार अ भकमक से -
HgX 2 2 RMgX R2 Hg 2 MgX 2
HgX 2 2 LiR R2 Hg 2 LiX
सो डयम अमलगम क ऐि कल व ऐ रल हैलाइड से अ भ या वारा –
जाइल न
2 Na Hg 2 RX ⎯⎯⎯ R Hg 2 NaX
2
2. ये अ य धक वषैले होते ह ।
3. ये जल तथा वायु से अ भा वत रहते ह ।
4. अ धकार म इन यौ गक को ल बे समय तक रखा जा सकता ह ।
159
डाइऐि कल / डाइऐ रल मकर क कुछ मुख अ भ याऐं न न ल खत ह ।
R2 Hg 2 Na 2 NaR Hg
R2 Hg Ca CaR2 Hg
3 Ar2 Hg 2 Al [ Al ( Ar )3 ]2 3Hg
3HgR2 2Ga (GaR3 )2 3Hg
R2 Hg Zn ZnR2 Hg
इसी कार 2,2' बाइफे नल मकर क मू ल प म संरचना (स) मानी जाती थी । पर तु बाद
म ात हु आ क इसक सह संरचना म यह चतु टय (द) है, िजसम 1800 का बंध कोण संभव
है ।
160
ऐि कल मकर एलकॉ साइड लक (Trimer) के प म पाया जाता ह तथा इसक च य
संरचना होती ह ।
161
2(C6 H 5 ) 2 Sn O2 (वायु) 2(C6 H 5 ) 2 SnO
2. ऐ थल ोमाइड (C6 H 5 )2 Sn के साथ या करके एक योगशील यौ गक बनाता ह ।
इस अ भ या म Sn(II) का Sn(IV) म प रवतन हो जाता ह ।
(C6 H 5 ) 2 Sn (C2 H 5 ) Br (C6 H5 )2 (C2 H 5 ) SnBr
च 11.2 : टल य संरचना
162
SnCl4 4 LiCH 3 Sn(CH 3 ) 4 4 LiCl
SnCl4 4CH 3 MgCl Sn(CH 3 )4 4MgCl2
2. सो डयम तथा सो डयम टन म धातुओं क या से -
SnCl4 4 Na 4CH 3Cl Sn(CH 3 ) 4 4 NaCl2
4 Na Sn 4CH3 Br Sn(CH 3 )4 4 NaBr 3Sn
3. काब-मकर व काब-िजंक यौ गक क या से-
SnCl2 R2 Hg R2 SnCl2 Hg
SnCl4 2 R2 Zn R4 Sn 2ZnCl2
SnCl2 (CH 3 )2 Hg (CH 3 ) 2 SnCl2 Hg
SnCl4 2(C2 H 5 )2 Zn (C6 H 5 )2 Sn 2ZnCl2
4. डाइऐजोमेथेन क टन (IV) लोराइड क या से -
4CH 2 N 2 SnCl4 Sn(ClCH 2 )4 4 N 2
5. ऐि कल हैलाइड और टन क या से-
1750 C
6CH 3Cl 3Sn
CH 3 SnCl3 (CH 3 ) 2 SnCl (CH 3 ) 2 SnCl
6. ाइऐि कल ए यू म नयम क टन (IV) लोराइड क या से
4(CH3 )3 Al 3SnCl4 3Sn(CH 3 )4 4 AlCl3
7. R4Sn तथा SnX4 के म य व नमय अ भ या वारा -
अ भकमक का यथो चत अनुपात एवं अ भ या तब ध पर सतकता पूण नयं ण के वारा
टे ाऐि कल टन (या टे ाऐ रल टन) और टै नक लोराइड से मोनो, डाइ व ाइऐि कल
का बनाना स भव हो जाता ह ।
SnCl4 SnCl4 SnCl4
R2 Sn
200 C
R3 SnCl
1800
R2 SnCl2 RSnCl3
1. टे ाऐि कल टन रं गह न व होते ह ।
2. इन यौ गक के बंध क सहसंयोजक कृ त होती ह, ये जल म अ वलेय पर तु
काब नक वलायक म वलेय होते ह।
3. ये वायु म द अ ल व ार म थाई होते ह ।
4. ये उ च धन व युती धातु ओं के हैलाइड से अ भ या करके दूसरे काबधाि वक यौ गक
बनाते ह ।
(C2 H 5 )4 Sn InCl3 (C2 H 5 )3 SnCl C2 H5 InCl2
5. हैलोजन या हाइ ोजन हैलाइड क अ भ या से ऐि कल समू ह हैलोजन परमाणु के
वारा त था पत हो जाता ह।
(C2 H 5 )4 Sn Br2 (C2 H 5 )3 SnBr C2 H5 Br
(C2 H 5 )4 Sn HCl (C2 H 5 )3 SnCl C2 H 6
163
6. उपयु त अ भकमक से अ भ या करने पर इनके हैलोजन परमाणु का काब नक समूह
से त थापन हो जाता ह ।
R3 SnCl NaMn(CO)5 R3 SnMn(CO)5 NaCl
164
च 11.5 (Ph2SN)6 क संरचना
165
8. समु जल को दुगध मुता करने तथा लकड़ी के प रर ण म भी इनका उपयोग होता
है ।
9. फा फो रक अ ल के ए टर के नमाण म टे ा ऐि कल टन का योग उ ेरक के
प म कया जाता है ।
10. डाइवाइ नल टन ऑ साइड को एक क टाणु नाशक औष ध के प म यु त कया
जाता है ।
1. ी यार अ भकमक, काबऐ यू म नयम तथा काब ल थयम अ भकमक क टाइटे नयम
हैलाइड से अ भ या म हैलोजन को काब नक समू ह से त था पत करके बनाया जा
सकता है ।
2TiCl 4 2 AlCl2 Me 2TiCl3 Me.2 AlCl3
TiCl 2(C5 H 5 )2 2 MeLi TiMe2 (C5 H 5 )2
TiCl 4 4MeLi TiMe 4 LiCl
2. टाइटे नयम के वच य पे टाडाइ नल यौ गक को न न कार से बनाया जा सकता
है ।
THF
2TiCl 4 2M (C5 H 5 )
250 C
(C5 H 5 ) 2 TiCl2 2MCl
(M=Na,Li,Tl)
Xylene
TiCl 4 (C5 H 5 )2
1300 C
2(C5 H 5 ) 2 TiCl3
2TiCl3 2(C5 H 5 ) 2 2(C5 H 5 )2 TiCl2 MgCl2
3. टाइटे नयम आइसो ोपॉ साइड तथा फे नल ल थयम क अ भ या से-
Ti(O Pr i )4 C6 H 5 Li C6 H 5Ti (O Pr i )3
फे नल टाइटे नयम आइसो ोपॉ साइड
166
11.4.2 गुण (Properties):
च 11.6
167
च 11.7 (C5 H 5 )2 Ti म टाइटे नयम दो पे टाहै टो और दो मोनोहै टा वलय से जुड़ा रहता
ह ।
च 11.7
च 11.8 (C5 H5 )2 TiCl2 और C5H5TiCl3 चतु फलक य आकृ त के होते ह ।
च 11.8
1. TiCl4 व Et3Al का हाइ ोकाबन वलायक म बना वलयन सामा य ताप व दाब पर ऐ थल न
के बहु ल करण म उ रे क का काय करता ह । यह उ रे क िजं लर-नाटा उ रे क नाम से जाना
जाता ह । इसका उपयोग अ य ऐ क न के उ पेरण म भी होता ह तथा वम व श ट उ पाद
(Stereospecific Products) ा त होते ह ।
168
इस उ रे क म बना ऐि कल टाइटे नयम यौ गक ऐि कन के साथ -संकुल बनाता है, जो
-संकुल म बदल जाता ह और पुन: एक अ य ऐि कन से जुड़ जाता ह । इस कार इन
पद क पुनरावृि त म ऐ क न का बहु ल करण हो जाता है ।
2. टाइटे नयम के कुछ यौ गक वायुम डल म नाइ ोजन ि थर करण म काम आते है । जब
(C5H5)2 व C6H6Li के ईथर म बने वलयन क नाइ ोजन से या कराने पर उनका जल
अपघटन हो जाता है तथा अमो नया या ऐ क न बनती है ।
3.
संकुल को टै बे अ भकमक (Tebbe Reagent) कहते ह
।यह व टग अ भकमक (wittig Reagent) का वक प ह । टै बे अ भकमक (CH3)2AlCl
न कासन के बाद (C5H5)2Ti=CH2 दे ता है । जो मे थल न समू ह के थाना तरण म काम
आता है । यह अ भकमक ऐ टर को वनाइल ईथर म प रव तत करने के काम आता ह ।
िजसके लए व टग अ भकमक उपयु त नह ं ह ।
169
पहला धातु ऐ थल न संकुल जाइस लवण (Ziese’s salt) K[PtCl3(C2H4)] सन ् 1830 म
बनाया गया था ।
सं मण धातु, संकुल म धातु व ऐ क न के म य न न कार का बंधन होता है ।
1. धातु यौ गक क ऐ क न से अ भ या-
Mn(CO)3 X CH 2 CH 2 [ M (CO ) 3 (CH 2 CH 2 )] X
2. अपचायक ऐ क नीकरण- इन यौ गक म धातु का अपचयन एक ऋणा मक लगड (X-)
को एक उदासीन लगड (C2H4) वारा त था पत करने से होता है ।
Rh Cl3 2C2 H 4 [ Rh Cl (n C2 H 4 ) 2 ] 2Cl
III I 2
170
2. हाइ ोजनीकरण
PhCl ( PPh3 )3
RCH CH 2 H 2
250 C ,1atm
R CH 2 CH 3
ऐ कन ऐ केन
3. हाइ ोफॉ मल करण -
Co2 ( CI )8
R CH CH 2 CO H 2
1500 C ,100 atm
R CH 2 CH 2 CHO
ऐ कन ऐि डहाइड
4. काब सल करण
Ni ( CO )4
R CH CH 2 CO ROH
250 C ,200 atm
R CH 2 CH 2 COOR
5. ऐ क न का समावयवीकरण :
[ RhCl2 ( CO ) 2 ]
CH 3CH 2CH CH 2 HCl
CH 3 CH CH CH3
2 - यूट न
6. ऐ क न का व नमय –
ये दो कार से होती ह
1. ना भक नेह वारा ऐ क न का त थापन ।
2. ना भक नेह वारा ऐ क न के अ त र त अ य लगै ड का त थापन ।
171
11.5.6 संरचना एवं बंधन (Structure and Bonding) :
172
च 11.8 Molecular Structure of
K+[PtCl3 (C2H4)]-
174
इकाई- 12
काबधाि वक रसायन –III
(Organometallic Chemistry-III)
इकाई क प रे खा
12.0 उ े य
12.1 तावना
12.2 समांग हाइ ोजनीकरण
12.3 धातु काब नल
12.4 एक ना भक य काब नल यौ गक - नकल टे ाकाब नल
12.5 एक ना भक य काब नल यौ गक - आयरन पे टाकाब नल
12.6 एक ना भक य काब नल यौ गक - ो मयम है साकाब नल
12.7 सारांश
12.8 श दावल
12.9 संदभ थ
ं
12.10 अ यासाथ न
12.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात आप समझ सकगे क-
काबधाि वक रसायन म समांग हाइ ोजनीकरण या होता ह तथा इसक या व ध या
है ।
समांग हाइ ोजनीकरण म कस कार के उ रे क काम म लये जाते है ।
एक ना भक य धातु काब नल या होते है?
इनके गुण , संरचना तथा बंधन क कृ त कैसी होती है? धातु काब नल या तथा कतने
कार के होते है?
धातु काब नल कतने कार क रासाय नक अ भ याऐं दशाते है?
175
12.2 समांग हाइ ोजनीकरण (Homogenous Hydrogenation) :
समांग हाइ ोजनीकरण के लए सबसे यादा उपयु त उ रे क वि क सन उ रे क
(Wilkinson’s Catalyst) ह । यह एक सं मण धातु रो डयम (Rhodium) का संकु ल ह
। इसका नाम स ाईफे नल फा फ न) रो डयम (I) लोराइड ह । इसक संरचना न न है-
वि क सन उ रे क
(यहाँ Ph3P ाइफे नल फा फ न ह ।)
पहले उ रे क को वलायक म घोल लया जाता ह । फर ऐ क न व हाइ ोजन गैस के म ण
को इसम से वा हत कया जाता है। तब ऐ केन बनती ह । उ रे क बचा रहता ह । अ भ या
न न कार से होती है-
इस पद म हाइ ोजन अणु का H-H बंध टू ट कर दो हाइ ोजन परमाणु बनते है । जो रो डयम
परमाणु से अलग-अलग जु ड़ जाते है और रो डयम (I) आ सीकृ त होकर रो डयम (III) म बदल
जाता है । अगले पद म डाइहाइ ो संकुल से ऐ क न अणु या करके एक -संकुल बना
लेता ह। वलायक के अणु को व था पत करके)
176
-संकुल म दोन अ भकमक (ऐ क न व हाइ ोजन) रो डयम से जु डे ह । अब एक-एक करके
दोनो हाइ ोजन परमाणु ऐ क न पर थाना त रत हो जाते है । यह या दो अलग-अलग
चरण म होती ह । पहले वबंध का एक काबन रो डयम से व दूसरा काबन एक हाइ ोजन
से बंधो वारा जु ड़ता है ।
दूसरे चरण म दूसरा हाइ ोजन परमाणु जो अभी भी रो डयम धातु से जु ड़ा है, थाना त रत
होकर ऐ क न के काबन से जाकर जु ड़ जाता ह और ऐलकेन बन जाते है । उ रे क पूववत ्
बचा रहता है ।
हाइ ोजनीकरण क या म समांग उ रे क का काय करने वाले अ य सं मण धातु ओं के
संकुल आयन
[RhH(CO)PPh3)2],[IrCl(Co)PPh3)2],[RuHCl(PPh3)3],RuH(CI)(CO)(PPh3)]
और [PtH(SnCl3)PPh3)2] है ।
ऐ कन के समांग हाइ ोजनीकरण का व तार असम मत सं लेषण (Asymmetric
Synthesis) तथा बहु ल करण उ रक
े (Polymer Supported Catalysis) म कया
जाता है ।
177
मश: sp3,dsp3,d sp
2 3
इनम संकरण होता है । लगभग सभी धातु काब नल
तचु बक य कृ त के होते है । इसम V(CO)6 एक अपवाद है ।
2. वना भक य धातु काब नल (Binuclear Metal Carbonyls) : िजन धातु
काब नल म दो धातु परमाणु होते ह । उ ह वना भक य धातु काब नल कहते है
। सामा यत: इनक सेतु संरचना होती है ।
उदाहरण –Mn2 (CO)10 और Fe2(CO)9
3. बहु ना भक य धातु काब नल (Polynuclear Metal Carbonyls) : इन धातु
काब नल म तीन या अ धक धातु परमाणु होते ह । इनक संरचना रे खीय या च य
(Cyclic) होती ह ।Os3 (CO)12 क च य संरचना होती ह।
178
UVLight
2 Fe(CO)5 Fe 2(CO)9 CO
2 Fe2 (CO )9 Fe3 (CO )12 Fe(CO)5 CO
179
12.3.4 धातु काब नल म M-CO बंधन : काबन मोनो साइड क संरचना म काबन परमाणु के पास
इले ॉ स का एक एकल यु म है । इसका धातु काब नल म धातु परमाणु से बंध बनाने म
उपयोग कया जा सकता है।
M C O : M C O
(a) (b)
1. M CO बंधन वारा ( च -a) : इस कार के बंधन म CO के काबन का एक इले ान
यु म धातु परमाणु के र त संक रत क क के साथ बंध बनाता है ।
2. एक वबंध बनाकर M=CO ब धन वारा ( च b) : इस कार बंधन म CO के काबन
का एक इले ॉन धातु के संक रत क क के साथ बंध बनाता है तथा काबन का
दूसरा इले ॉन धातु के असंक रत क क के साथ -बंध बनाता है ।
3. दो भ न धातु परमाणुओं से काबन परमाणु के बंधन वारा ( च c) : दो धातु परमाणु ओं
से जु ड़ा काब नल समू ह सेतु (Bridge) कहलाता ह और जब काब नल समू ह केवल एक
धातु परमाणु से जुड़ा होता है तब यह ट मनल काब नल समू ह कहलाता है ।
धातु काब नल म पहले भरे हु ए काबन -क क से दाता (Dative) अ त यापन (M
C O ) होता ह ।
( च 12.3.4 (a)) । इसके प चात धातु क क के भरे हु ए d का CO अणु के र त
वपर त बंधी p ’ क क से दाता अ त यापन होता ह तथा फल व प d -p बंध
(M
(O) ) बनता ह । ( च 12.3.4 (b))
180
म वृ होती है । अत: -बंधन से -बंधन ढ़ होता ह और -बंधन से -बंधन ढ़
होता है । -ब धन क इस या व ध को सनरिजक (Synergic पर पर काय करना)
काय व ध कहते ह ।
181
येक Fe का EAN = 26 + 9 + 1 = 36=kr
इस कार भावी ना भक य आवेश या भावी परमाि वक सं या के आधार पर तय होता है
क के य धातु परमाणु कतने CO अणु ओं के साथ उपसहसंयोजक बंध बनाएगा । ले कन
यह नयम केवल उन धातु ओं के काब नल पर लागू होता ह िजनके परमाणु मांक का मान
कोई सम सं या हो जैसा क उपयु त उदाहरण से प ट है । CO का एक अणु इले ॉन
का एक यु म धातु परमाणु को दे ता है । अत: धातु परमाणु के साथ चाहे िजतने CO अणु
उपसहसंयोजक बंध बनाए, उनके वारा दये गये इले ॉन क सं या सम ह होगी ।
सम त उ कृ ट गैस के परमाणु मांक के मान भी सम सं या म होते ह । वभा वक ह
क ऐसी ि थ त म इस नयम का पालन करने के लए परमाणु क परमाणु सं या का मान
कोई सम सं या ह होनी चा हए ।
2. 18-इले ोन नयम (Electron Rule) : इस नयम के अनुसार काब नल बनाते समय
सं मण धातु आयन CO अणु ओं वारा इतने इले ॉन को हण करते ह क उनके बा यतम
संयोजकता इले ॉन [n व (n-1d] इले ॉन क कुल सं या 18 हो जाए । उदा. Fe(CO)5
म Fe(26) का इले ॉ नक व यास है, IS2,2S2,2P6,3S2d6-d64S2 ह । अथात ् बा यतम
संयोजकता कोष के इले ॉन क सं या ह- 8 तथा 5, CO समू ह से उपसहसंयोजक बंध
वारा ये 10 इले ॉन हण करते ह ।
अत: इनके बा यतम संयोजकता कोष म उपि थत इले ॉन क कुल सं या है = 8 +10
=18
182
1. यह एक रं गह न व ह । m.p. = 25 C,dp=43 C
0 0
2. यह तचु बक य होता ह ।
3. यह जल म अ वलेय तथा बे जीन म वलेय होता ह ।
4. यह अ य त वषैला होता ह ।
2. रासाय नक गुण (Chemical Decomposition) :
(Ni(CO4) का क क आरे ख)
अत: इसक आकृ त को न न च वारा द शत कया जा सकता है ।
183
12.4.4 उपयोग (Uses) :
1. सीधे संयोग से :
Fe+5CO 200 C0
100 atm
Fe(CO )5
1. भौ तक गुण :
1. यह पीले रं ग का व होता है । जल म अ वलेय तथा काब नक वलायक म वलेय होता
2. यह अ य धक वषैला होता ह ।
3. इसका गलनांक -20OC तथा वथनांक 1030C होता है ।
4. यह तचु ंबक य कृ त का होता है ।
2. रासाय नक गुण (Chemical Properties) :
184
12.5.3 संरचना (Structure) : आयरन पे टाकाब नल म आयरन परमाणु dsp3 संक रत ह तथा
इसके पास दो र त क क है और तीन अ भरे क क है । आयरन परमाणु से दो CO
185
अणु उपसहसंयोजक बंध वारा तथा तीन CO अणु वबंध वारा जु ड़कर कोणीय
व परा मडीय संरचना बनाते है। ( च अ,ब)
Fe[26] : Is , 2s 2p ,3s 3p 3d6,4s2
2 2 6 2 6
आ य अव था Fe atom
(Ground State)
उ तेिजत अव था Fe atom
(Excited State)
Fe atom in Fe (CO)5
186
0
175
CrCI 3 CO LiAIH 4
700 atm
Cr (CO )6 LiCI AICI 3
2. CrCl3 क या CO से ईथर म फे नल मै नी शयम ोमाइड क उपि थ त म कराने
पर
PhMgBr
CrCI 3 6CO Cr (CO ) 6
शू य ऑ सीकरण अव था म d sp
2 3
संकरण वारा ो मयम परमाणु अ ठफलक य
Cr(CO)6 अणु क संरचना करता है । ( च अ,ब)
187
Cr०(24) का इले ॉ नक
व यास ( न नतम ऊजा
अव था म)
Cr०(24) का इले ॉ नक
व यास (उ तेिजत अव था म)
Cr०(24) का इले ॉ नक
व यास
188
धातु तथा काबनमोनो साइड के यौ गक को धाि वक काब नल कहा जाता है । CO अणु
[C O] एक उ तम लगे ड क भां त यवहार करता है और अ धकांश सं मण धातुओं
के साथ उपसहसंयोजक बंध बनाता है ।
धातु काब नल अ धकांशत: शू य ऑ सीकरण अव था म बनते है ।
धातु काब नल तीन कार के होते ह । एक ना भक य, वना भक य तथा बहु ना भक य
धातु काब नल ।
एक ना भक य धातु काब नल क संरचना चतु फलक य कोणीय व परा मडीय या
अ ठफलक य हो सकती है ।
वना भक य धातु काब नल क सेतु संरचना (Bridged Structure) होती है ।
बहु ना भक य धातु काब नल क संरचना रे खीय, च य अथवा चतु फलक य हो सकती
है ।
इस इकाई म धातु काब नल' क संरचना तथा बंधन क कृ त को समझने म भावी
परमाणु सं या का नयम (EAN) तथा 18-इले ॉन नयम का उपयोग कया गया है
।
अ धकांश धातु काब नल जल म अ वलेय तथा काब नक वलायक म वलेय होते ह ।
इनका उपयोग धाि वक चूण , दपण, अप फोटरोधी तथा समांग उ ेरक के प म कया
जाता है ।
189
New Age International
2. The Organometallic Chemistry of : R.H. Crabtree, John Wiley
The Transition Metal
3. Metallo Organic Chemistry : A.J. Pearson, Wiley
190
इकाई-13
जैव अकाब नक रसायन
(Bio-Inorganic Chemistry)
इकाई क परे खा
13.0 उ े य
13.1 तावना
13.2 जै वक म म आव यक और कम मा क त व
13.3 धातु पॉरफ रन
13.4 ह मो लो बन एवं मायो लो बन
13.5 ार तथा ार य मृदा धातु आयन क जै वक भू मका
13.6 कैि सयम आयन क भू मका
13.7 नाइ ोजन ि थर करण
13.8 सारांश
13.9 श दावल
13.10 स दभ थ
13.11 बोध न के उ तर
13.12 अ यासाथ न
13.0 उ े य (Objectives)
तु त इकाई के अ ययन के प चात ् आप न न त य को आसानी से समझ सकगे-
आव यक त व
सू म त व
धातु पॉरफ रन
जै वक त म ार य तथा ार य मृदा धातु ऐं
नाइ ोजन ि थर करण
191
ार धातु Na व K. आयन तथा ार य मृदा धातु Mg व Ca ' आयन का जीवन म
+ 2+ 2+
13.2 जै वक म म आव यक और कम मा क त व
(Esssential and trace elements in biological processes)
वकास क या ने ाकृ तक प से पाये जाने वाले 103 त व का ह चयन कया है तथा
शेष त व ; को उपयोगी नह ं पाया है । ये त व आव यक त व कहलाते ह । इनक सहायता
से व भ न शार रक याऐं physiological functions) पूण होती है । आव यक त व
क कमी से जीव के वकास म बाधा पड़ती है । कृ त ने कम परमाणु मांक वाले त व
का चयन कया है । भार त व सामा यत: वषैले होते ह । जै वक त म पाये जाने वाले
त व म मॉ लि डनम (Z=42) सबसे भार धातु तथा आयोडीन (Z=53) सबसे भार अधातु
होती है । भार तशत के आधार पर इन त व को दो समू ह म बांटा गया है । 27 त व
म से 11 त व मु य त व माने जाते ह तथा शेष त व सू म त व कहलाते ह ।
काब नक पदाथ म एक परमाणु क आयन सू म त व (कु ल1%)
पाये जाने वाले त व
O (65) Na (0.15) Mn Ni I
C (18) K (0.35) Fc Cr Si
H (10) Mg (0.01) Co Mo Sn
N (0) Ca (0.31) Ca B F
P (1.1) Cl (0.15) Zn Al Se
S (0.1) V
सारणी 13.1 जैव त म पाये जाने वाले आव यक त व तथा तशत
आव यक त व का जैव त म वतरण इनके भू पपट म वतरण के अनुपात म नह ं है ।
ऑ सीजन, स लकन, ऐलु म नयम तथा आयरन भू पपट म सवा धक पाये जाने वाले त व
ह जो भू पपट का 88% बनाते है । इसके वपर त चार त व हाइ ोजन, काबन, नाइ ोजन
एवं आ सीजन जैव को शकाओं का लगभग 98%' बनाती है । (सारणी 13.1)
अत: यह माना जा सकता है क C,H,O एवं N क जैव त म होने वाल अ भ याओं
के लए व श ट आि वक द ता पाई जाती है । ये चार त व अ य दूसरे त व से तथा आपस
म इले ान यु म का साझा करके बल सहसंयोजी ब ध बनाते है । काबन एवं नाइ ोजन
दो इले ान यु म का साझा करके वब ध भी बनाते ह । इसके कारण इनके यौ गक म
अभ या एवं संरचना के ि टकोण से अ य धक व वधता आ जाती है । काबन म सरलरे खीय
ख ृं लत तथा वलय संरचनाऐं बनाने क व श टता पायी जाती है िजसे खृं लन कहते है ।
इसी कारण से व वध काब नक यौ गक का नमाण होता है ।
192
शर र के भार का मु य ह सा (60-80%) मु यत: जल से बना है । इससे हाइ ोजन तथा
आ सीजन के अ धकांश भाग क या या हो जाती है । जैव त म पाये जाने वाले अ धकांश
रसायन काबन के यौ गक ह िजनम यह त व मु यत: हाइ ोजन, आ सीजन एवं नाइ ोजन
तथा कभी-कभी स फर से संयु त होता है । अ धकांश कैि सयम एवं फा फोरस , कैि सयम
फा फेट के प म पाया जाता है । जो ह डी, दांत एवं खोपड़ी के नमाण म काम आता है
।
सू म त व अ प मा ा म पाये जाते ह । इनम से अ धकांश त व धातु है । अभी तक V,
Cr, Mn, Fe, Ni, Cu, Zn, Mo, W, एवं Li धातुओं क पहचान क गई है । अ धकांश
धातु ऐं मैटलोए जाइम के प म पायी
जाती ह जो धाि वक ोट न(Metallic Protein) का सबसे बड़ा भाग है । धातु आयन इन
ए जाइम का स य के होते ह । दूसरे श द म, ये धातु आयन धाि वक ए जाइम क
उ ेरक अ भ या के लए उ तरदायी है । इसके अ त र त इले ॉन थाना तरण म ये धातु
आयन ोट न म रे डॉ स के का काय करते ह ।
इन धातु ओं के अलावा कुछ अधातु I, Si, F, As, Se, B भी शर र म आव यक अ तसू म
मा ा म त व के प म पाये जाते ह । 1 (आयोडीन) थायराइड ि थ के सुचा काय के
लए आव यक है । F ( लोराइड) आयन दांत के इनेमल को मजबूत करता है । Se
( स ल नयम) कुछ रे डॉ स अ भ याओं के लए आव यक ए जाइम म आव यक प से पाया
जाता है । उदाहरण के लए लू टाथायोन परॉ सीडेज H2O2 को H2O म प रव तत करता
है, Se का ह एक यौ गक है । B (बोरोन) हरे शैवाल (Green Algae) तथा ऊंचे पौध के
लए आव यक है । यह त व स भवत: चूज तथा चूह (Chickens and Algae) के अि थ
पंजर के वकास के लए आव यक है । स भवतया उ च पादप म स लकन डाइऑ साइड
संरचना काय के लए काम म आता है ।
193
13.4 ह मो लो बन एवं मायो लो बन (Haemoglobin and
Myoglobin)
कु छ ज तु ओं म ह मो लो बन (Hb) एवं माया लो बन (Mb) ऑ सीजन के भ डारण एवं
प रवहन के लए उ तरदायी है ।
तनधा रय म ह मो लो बन ऑ सीजन को इसके ोत (जैसे क फेफड़े, वचा तथा गल)
से मांसपे शय तक ले जाता है जहां यह ऑ सीजन को Mb को थाना त रत कर दे ता है
। यहां ऑ सीजन माइटोकॉि या म ऑ सीजन अथात ् वसन योग म आती है ।
मायो लो बन एक एकलक ोट न है िजसम एक पॉल पे टाइड खृं ला पायी जाती है । इस
खृं ला म वयं संयु मन क वृि त नह ं पायी जाती है । दूसर ओर , ह मो लो बन चतु लक
ोट न है । इसम दो तथा दो - पे टाइड खृं लाऐं पर पर हाइ ोजन ब ध
(COO......NH) से जुड़ी रहती है ।
ह मो लो बन तथा मायो लो बन दोन ह म ोट न के कार ह । ह म एक आयरन पॉरफाइ रन
संकुल है िजसक संरचना न न कार से दशाई जा सकती है ।
इसम Fe(II) चार पाइरोल (Pyrole) नाइ ोजन से उपसहसंयोजक बंध बनाता है
। पंचमी उपसहसंयोजन ि थ त पर ोट न खृं ला ( लो बन ोट न) का इ मडेजोल
(Imidazole) नाइ ोजन परमाणु पाया जाता है । छठ ि थ त र त रहती है । पर तु यह
ि थ त ोट न ख ु ीय जल वरोधी (Hydrophobic) भाग से घरा रहता है िजसके
ृं ला के अ व
प रणाम व प इस छठ ि थ त से अ ु वीय उदासीन अणु O2,CO2आ द ह जु ड़ पाते ह ।
फलत: आयरन पारफाइ रन वलय के तल से लगभग 0.75 A ऊपर पाया जाता है जैसा क
0
194
च 13.3 वऑ सीज नत ह मो लो बन क संरचना
लो बन क अनुपि थ त म छठ उपसहसंयोजक ि थ त कसी ु वीय अणु जैसे क जल से
मणीय प से वायु क ऑ सीजन वारा ऑ सीकरण से Fe
3+
जु ड़ी होती है िजससे यह अनु
ह मे टन म प रव तत हो जाता है । शेष धनावेश के कारण यह अ ु वीय अणु ओं जैसे क O2
से जु ड़ने के थान पर आवे शत लगे ड जैसा क CN-, S2-,OH-- आ द से बंध बनाता है
िजससे ऑ सीजन के साथ ब ध बनाने क ह म इकाई क मता समा त हो जाती है ।
ऑ सीजन Fe (II) ह म क छठ ि थ त से जु ड़ जाता है तथा इस कार ा त
अ ठफलक य े उ च च ण Fe(।।) को न न च ण.Fe(।।)म प रव तत करने के लए
पया त प से बल है । िजसके कारण Fe(।।) आयन क या मे 0.17A0 क कमी आती
है तथा Fe(।।) आयन आ सीह मो लो बन तथा आ सीमायो लो बन क स य इकाई ह म
म पॉरफ रन वलय तल म उसक गुहा (cavity) म फट हो जाता है । फलत: यह इ मडेजोल
के मा यम से जुड़े लो बन समेत नीचे क ओर खसक जाता है । ऑ सीज नत ह मो लो बन
म Fe2+ तथा इ मडेजोल क ि थ तयां च 13.4 म दखाई गई है िजसम ऑ सीजन के
ब धन से पूव क ि थ त को भी तु लना के लए टू ट हु ई लाइन से दखाया गया है ।
195
कशे क ा णय (Vertibrates) म डाइऑ सीजन धर म फेफड़ अथवा गल से
वेश करती है जहां डाइऑ सीजन का आं शक दाब तुलना मक प से उ च होता है । यहां
से यह आदश ि थ त म ऊतक म ले जायी जाती है जहां आं शक दाब काफ कम होता है
। अभ या न न कार क होती है ।
फेफड़ म- Hb+4O2 Hb (O2)4
ऊतक म- Hb(O2)4 +4 Mb 4Mb (O2)+ Hb
यहां यान दे ने वाल बात है क ह मो लो बन वै यवृि त (ambivalent) का होता है । इसका
काय ऑ सीजन को मजबूती से बांधकर िजतना संभव हो ऊतक तक ले जाना चा हये तथा
िजतनी ज द हो सके मायो लो बन को डाइऑ सीजन थाना त रत कर सके जहां यह भोजन
के ऑ सीकरण हे तु भ डा रत रह सके । ऑ सीजन का ऑ सी Hb से Mb को थाना तरण
के लए मायो लो बन क ऑ सीजन के लए बंधु ता ह मो लो बन क तुलना म अ धक होनी
चा हये । एकलक वृ त तथा सहका रता क अनु पि थ त के कारण मायो लो बन 1:1 मोलर
अनुपात म ऑ सीजन हण करता है ।
Mb+O2 Mb(O2)
इस समीकरण के लए सा य ि थरांक न न समीकरण वारा दया जा सकता है:
[ Mb(O2 )]
KMb
[ Mb][O2 ]
एक को शका (Cell) म मायो लो बन क कुल मा ा [Mb+Mb(O2)] ि थर मानी जा सकती
है । य द f मायो लो बन के उस अंश को द शत करता है िजससे ऑ सीजन जु ड़ी है p
ऑ सीजन के आ शक दाब को द शत करता है तो
f
K Mb
(1 f ) p
Kp
f
1 Kp
यह समीकरण अ तपरवल यक व (Hyperbolic Curve) िजसे च 13.5 म दखाया गया
है क है । ह मो लो बन िजसम चार उपइकाइयाँ है का यवहार थोड़ा ज टल होता है । यह
न न समीकरण क तरह यवहार करती है ।
Kp n n= 2.8
f
1 Kp n
यहां n का ठ क मान pH पर नभर करता है ।
196
च 13.5 ह मो लो बन (Hb) व मायो लो बन (Mb) का ऑ सीजन बंधन च
Hb तथा Mb ऑ सीजन के उ च दाब पर लगभग O2क बंधनकार मता बराबर है पर तु
मांसपे शय म जहां O2 का दाब कम होता है, Hb क ऑ सीजन बंधन मता काफ कम
होती है । अत: यह आव यकता पड़ने पर ऑ सीजन को Mb को थाना त रत कर दे ता है
जो ऊतक को शकाओं को आसानी से ऑ सीजन दे दे ता है । ऊतक ऑ सीजन को उपयोग
म लेकर काबनडाईऑ साइड मु त करते है । अत: यहां ऑ सीजन क आव यकता सवा धक
होती है । CO2र त का PH कम कर दे ती है िजससे Hb और अ धक O2मु त करता है
। PH का ह मो लो बन क ऑ सीजन बंधनकार मता पर भाव को बोर भाव कहते है।
बोध न 1 : जै वक म म आव यक त व क सं या बताइये ।
197
सामा यत: ऊतक म क णकाओं के प म जमा रहते ह िजसका उपयोग आव यकता पड़ने
पर कर लया जाता है ।
कैि सयम (Ca ) आयन का जीवन म अ य धक मह व है । इसके कु छ मु ख काय न न
2+
ह-
(i) कैि सयम (Calcium ion) - कैि सयम का मु य काय शर र क संरचना को आधार
दान करने म होता है। लघु ा णय , ोटोजोआ से मोल का ा णय म संरचना को आधार
दान करने वाला पदाथ CaCO3 होता है जब क कशे क (Vertibrate) ा णय म
ह डयां मु यत: एपेटाइट (apatite) CaCO3(PO4)2x क बनी होती है ।
हाइ ो सीएपेटाइट (hydroxyapatite) ह डय तथा दांत का मु य घटक होता है ।
हाइ ॉ सी समू ह के लुओराइड आयन वारा आ शक व थापन से पलु ओरोएपेटाइट का
नमाण होता है जो काब नक पदाथ के क वन (germentation) से बनने वाले अ ल
से दांत क र ा करता है । संरचना मक ढांचे (ह डय , कवच (Shell)) इ या द के लए
कैि सयम का जमाव को शकाओं के बाहर होता है । को शकाओं के अ दर अथवा अ य
अनुपयु त थान पर कैि सयम का जमाव होने से गुद म पथर (stone) बनना, ग ठया
(arthritis), मो तया (catract) तथा धमनीय (arterial) दोष उ प न हो जाते ह ।
(ii) धर का थ का बनना (blood Clotting) - उ तक के त त होने पर र त का
वाह र त के थ का बनने से क जाता है । थ का बनने क या ज टल होती है
पर तु इसके लए Ca
2+
आयन क उपि थ त आव यक है ।
(iii) कैि सयम एवं ाव (calcium and secretion) - शर र म अनेक ावी ि थयाँ
(secretory glands) पाई जाती है जो हाम न ए जाइम तथा अ य उपयोगी पदाथ
का ाव करती है । उ ीपन के लए Ca2+ आयन क आव यकता होती है । उदाहरण
के लए अ याशयी ि थ (pancreas) वारा इ सु लन का उ सजन इसी व ध से होता
है ।
(iv) मांसपेशी संकुचन (muscular Contraction)- कैि सयम का सवा धकमह वपूण
उपयोग मांसपे शय के संकुचन म होता है । पे शय के संकुचन म Ca2+ का काय ति का
पंद (Nerve Pulse) को थाना त रत करना है।
(v) पौध क को शका भि त का मु ख अवयव कैि सयम प टे ट होता है जो कैि सयम के
प टे ट के साथ संयोग करने से बनता है ।
198
काफ सं या म बै ट रया तथा नीले हरे शैवाल जीव (in vivo) नाइ ोजन यौ गक करण करते
ह । दोन कार क जा तयां वत रहने वाल एवं सहजीवी बै ट रया नाइ ोजन
यौ गक करण करती है । इनम वशु अवायुजीवी लोि कुलम पाि तरे नयम
(colstriculum pasteroniam) वक पी वायुजीवी जैसे क ले सीला युमो नयी
(klebsella pneunioiac) व वशु वायुजीवी जैसे क एजोबे टर वनेले डी (azobactor
vinelandii) वायुजीवी जा तय म भी ऐसा तीत होता है क नाइ ोजन यौ गक करण के
लए सबसे मह वपूण जा त सहोपका रक राइजा बयम क है जो क फल दार पौध क
(lengune) क जा त क जड़ के गांठ म पाये जाते ह । नाइ ोजन यौ गक म स य
ए जाइम नाइ ोजीनेस होता है । य य प यह कोई व श ट ए जाइम नह ं होता फर भी यह
जा त से जा त म व वधता द शत करता है । छोटे आि वक भार (60,000) वाले ए जाइम
म एक Fe4S4 का एक गु छ (cluster) होता है । बड़ी ोट न एक 2 2 चतु लक होती
है । इसका अणुभार 220,000-240,000 होता है िजसम दो मा ल डेनम, 30 आयरन तथा
30 चंचल (labile) स फाइड आयन पाये जाते ह । आयरन स फर के रे डॉ स (redox)
के क भां त काय करता है । एक ोट न मु त वलेय सहकारक (copactor) को वल गत
करना संभव ह िजसम मा ल डेनम तथा आयरन उपि थत ह । सहकारक तथा अ य
नाइ ोजीनेस को पुन : मलाने पर इस म ण क स यता पुन : वापस आ जाती है ।
उपसहसंयोजन े कई स फर परमाणु ओं से बना होता है । जब क इसके पास लगभग
2.70A पर अ य भार त व संभवतया आयरन पाया जाता है । अपचयन
0
मता का परम
ोत पाय वेट (pyruvate) होता है तथा इले ोन नाइ ोजीनेस को फेरोडो सीन के मा यम
से थाना त रत होते ह । इस बात के कु छ माण ह क Mo (III) इस या म शा मल ह
। दो Mo (।।।) परमाणु च ण म Mo (VI) के मा यम से डाइनाइ ोजन के लए आव यक
छ: इले ान उपल ध कराता है । इसके अ त र त यह भी संभव है क मो ल डेनम एक या
दो ऑ सीकरण अव था म रहता हो जो शी ता से डाइनाइ ोजन एवं मा य अपचायक से बंध
बनाता है ।
199
नाइ ोजन यौ गक करण का नाइ ोजन के यौ गक पदाथ के ऊजा के उ गम सभी अ भ याओं
का एक यवि थत आरे ख च 13.7 म दया गया है । इसम लेह मो लो बन (lehemoglobin)क
उपि थ त यान दे ने यो य है । यह एकलक ऑ सीजन बंधी अणु है जो मायो लो बन से अ धक
समानता रखता है । लेह मो लो बन कसी उपि थत आ सीजन अणु को मजबूती से पकड़ लेता है तथा
नाइ ोजीनेस को बचाता है य क यह ऑ सीजन क उपि थ त म काय नह ं कर पाता । दूसर तरफ
यह ऑ सीजन को वसन के लए सु र त रखता है िजससे ऊजा मलती है जो नाइ ोजन यौ गक करण
क या को जार रखती है ।
200
13.9 श दावल (Glossary)
शार रक याय Physiological functions
जै वक म Biological Processes
आव यक त व Essential elements
कम मा क त व Trace elements
धातु पॉरफ रन Metalloporphyrin
संयु मी वब ध Alternate double bond
कं ु डलाकार Hexical
वगाकार परै म डय या म त Square Pyramidal
geometry
जल वरोधी Hydrophobic
अ ठफलक य Octahedral
सहसंयोजन Coordinate
अ तपरवल यक व Hyperbolic curve
प रवहन Transportation
भेषज गुण व ानीय Pharmacological
Science
कशे क Vertebrate
क वन Fermentation
स यण ऊजा Activation energy
201
2. ह मो लो बन तथा मायो लो बन म या अंतर है?
3. कौन-कौन से ार एवं ार य मृदा आयन का जै वक मह व है ?
4. सो डयम प प से या समझते हो?
5. Ca 2+
आयन के जै वक मह व पर एक ट पणी ल खये ।
6. नाइ ोजन ि थर करण से या समझते ह?
202
इकाई-14
स लकॉन
(Silicones)
इकाई क परे खा
14.0 उ े य
14.1 तावना
14.2 अकाब नक बहु लक के कार
14.3 स लकॉन
14.3.1 स लकॉन के वरचन क व धयां
14.3.2 स लकॉन के गुण
14.3.3 स लकॉन के अनु योग
14.4 सारांश
14.5 श दावल
14.6 स दभ थ
14.7 बोध न के उ तर
14.8 अ यासाथ न
14.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन से आपको स लकॉ स के बारे म न न जानकार ा त हो जायेगी-
अकाब नक बहु लक का वग करण व भ न आधार पर
स लकॉन का सं लेषण
स लकॉन के भौ तक तथा रासाय नक गुणधम
स लकॉन के अनु योग
203
न कष नकाला क जलअपघटन म बनने वाले अणु िजनम Si-OH० ब ध उपि थत है का
संघनन होता है िजसम जल अणु नकलता है । इस कार म यवत हाइ ो सी यौ गक, िज ह
सलेनॉल कहते ह से जल नकलकर Si-O-Si लंक, सलॉ सी लंक, वाले यौ गक बनाते
ह । इस कार स लकॉन, स लकन के वे काबधाि वक यौ गक है िजनम Si-O-Si ब ध पाया
जाता है ।
नामकरण के लए इन यौ गक को सलो सेन के यु प न माना जाता है । जब स लकन
परमाणु केवल हाइ ोजन से या हाइ ोजन के साथ-साथ अ य कसी स लकॉन से सीधे ह
बि धत हो तो यौ गक को सलेन कहते ह । य द ये स लकन परमाणु ऑ सीजन के मा यम
से बि धत ह तो यौ गक सलो सेन कहलाते ह । सभी H के थान पर एि कल या ए रल
समू ह लगा दे ने पर स लकॉन ा त होते ह ।
204
(2) वषमपरमाि वक (Heteroatomic) - य द बहु लक खृं ला के मे द ड म एक से अ धक
कार के परमाणु व यमान हो तो ऐसे बहु लक को वषमपरमाणुक बहु लक कहते ह ।
उदाहरण: बहु लक य म यू रक आ साइड क संरचना को न न कार से द शत कया
जा सकता है िजसम खृं ला का मे द ड एका तर म म मकर व ऑ सीजन परमाणु ओं
के जु ड़ने से बनता है ।
205
संरचना बना लेते ह । उदाहरण: बहु लक य बो रक ऑ साइड (B2O3)n । इसम BO3 इकाईयाँ
पर पर ऑ सीजन परमाणुओं के साझे से जु डी रहती है ।
(3) व मय जालयु त बहु लक (Three dimensional network Polymer) - इस कार
के बहु लक म के य परमाणु क संयु तता चार होती है । चतु फलक य आकार म के य
परमाणु कसी अ य परमाणु (साधारणत: ऑ सीजन) के वारा पर पर जु ड़कर एक जालनुमा
संरचना बनाते ह । उदाहरण: स लका (SiO2)n. क जालयु त संरचना म चतु फलक य SiO4
इकाईयां पर पर ऑ सीजन परमाणुओं का साझा करता है ।
(4) ास ब ध बहु लक (Cross linked Polymer) - इस कार के बहु लको म व भ न
च रनुमा संरचनाओं का नमाण करता है । उदाहरण: पॉल फॉ फो रक अ ल तथा सो डयम
स लकेट । इन दोन म ास ब ध का धन व मश: 0.5 तथा 0.667 होता है ।
206
स लकॉन डाइफॉ फेट (SiP0O7) क म त संयु तता (4,6) यु त संरचना ।
इनके अ त र त कु छ अ य अकाब नक बहु लक न न ह -
(1) काबधाि वक बहु लक (Organo-elemental Polymers) - ये बहु लक काब नक बहु लक
तथा अकाब नक बहु लक के म यवत होते ह, अत: इ ह काब नक व अकाब नक बहु लक के
म य के सेतु बहु लक (bridge polymers) कहा जाता है । इनम मु य खृं ला या मे द ड
काबन के अ त र त क ह ं अ य त व परमाणु ओं वारा न मत होता है, जब क इससे जु ड़े
हु ए समू ह काब नक समू ह होते ह । उदाहरण: पॉल सलो सेन(Polysiloxanes),
पॉल ऐलुमो सेन (Polyaluminoxanes) तथा पॉल टाइटे नो सेन (polytitanoxanes) को
न न संरचनाओं वारा द शत कया जा सकता है ।
207
उपसहसंयोजन सं या 3 वाले बहु लक सामा यतया कम होते ह । इनम स पलाकार खृं लानुमा
बहु लक य संरचना बनती है । उदाहरण: ाइसायनो ए थल फॉ फ न नकल काब नक बहु लक
क संरचना न न है-
क पुनरावृि त वाले आयन का नमाण करते ह , ऐसे आयन को बहु धनायन अथवा बहु ऋणायन कहा
जाता है ।
उदाहरण : टल य िजक नल लोराइड म िजक नयम न न कार के च य बहु धनायन के प
म होता है -
208
बहु धनायन [ Zr4 (OH )8 ( H 2O )16 ] क संरचना
18
209
म यवत यौ गक ा त होते ह िजनके संघनन से जल नराकरण के साथ सलो सेन बनते
है । उ पाद क संरचना व कृ त ारि भक अ भकमक क कृ त पर नभर करती है ।
काब, वकाब तथा एकलकाब स लकन लोराइड के जलअपघटन से भ न- भ न कार
के स लकॉन ा त होते ह जो न न ह -
(1) काब स लकन लोराइड का जलअपघटन - काब स लकन लोराइड के जल अपघटन से
ा त सलेनॉल म येक स लकन से एक –OH समू ह ह बं धत होगा । इस अणु के एक
समू ह होने के कारण यह अपने जैसे एक और अणु से ह संघ नत हो सकेगा िजससे
है साकाबनडाइ सलो सेन ा त ह गे । उदाहरण:
210
उपयु त संरचनाओं के अवलोकन से प ट हो जाता है क काब स लकन लोराइड /
एलकॉ साइड के जलअपघटन से न मत स लकॉन का नमाण करने वाल तीन मूलभू त इकाईयां न न
है:
211
14.3.2 स लकॉन के गुण (Properties of silicones)
ये सामा यत: तेल जैसे व तथा कभी-कभी टल य ठोस के प म पाये जाते ह । बहुत
से न नभार के स लकॉन बे जीन, ईथर, CCl4 आ द सामा य काब नक वलायक म वलेय
होते है । ये व युत कु चालक ह तथा इनके पृ टतनाव भी काफ कम होते है । म द रसायन
के त स लकॉन सामा यत: अ य होते ह । बल या कारक के साथ ये या करते
ह िजनम Si-O-Si ब ध टू ट जाता है । मु य भौ तक गुण व रासाय नक अ भ याऐं न न
कार ह-
(i) ऊ मीय था य व- स लकॉन को गम करने से इनका आसानी से अपघटन नह ं होता । कुछ
स लकॉन तो 250-3000 थायी पाये जाते ह । एक बड़े ताप प रसर -700C से 2500 तक
अपने भौ तक गुण बनाए रखने के कारण स लकॉन रबर ताप प रवतन क . एक ल बी प रसर
पर भी अपने लचीलेपन को बनाए रखते ह ।
(ii) यानता - ह के स लकॉन ग तशील व ह जब क अ धक ज टल यौ गक व कासी व के
प म पाये जाते ह । इनक यानता ताप के साथ बहु त कम प रव तत होती है । अत: ये
पदाथ नेहक (lubricant) के प म उ च ताप पर भी योग म लए जाते ह ।
(iii) जल तकषकता - काबसमू ह (ऐि कल या ऐ रल) उपि थत होने के कारण जल तकषक
(water repellant), के प म यु त होते ह । अत: इ ह पे ट, वा नश इ या द बनाने
के काम म लेते ह ।
(iv) अ ल से अ भ या- नजल य सा अ ल के साथ अ भ या करने पर इन यौ गक का
सलॉ सी ब ध टू ट जाता है तथा स लकॉन का नमाण होता है ।
R3 Si O SiR3 HCl R3 SiOH R3 SiCl
R3 Si O SiR3 H 2 SO4 R3 SiOH R3 SiHSO4
(v) बल ार से अ भ या - यहां भी Si-O-Si ब ध टू ट जाता है तथा सलेनॉल व सलेनोएट
बनते ह ।
R3 Si O SiR3 KOH R3 SiOH R3 SiO K
(vi) अपचयन - ल थयम ऐलु म नयम हाइ ाइड वारा सलो सेन का सलेन म अपचयन हो जाता
है ।
[O R2 Si ]n 2nLiAlH 4 4nH 2 SiR2 nLi2 O nAl2O3
(vii) ी यार अ भकमक से अ भ या - काबल थयम या ी यार अ भकमक जैसे काबधाि वक
यौ गक भी Si-O ब ध को तोड़ दे ते ह ।
nHOH
[ R2 Si O ]n nRMgX nR3 SiO MgX nR3 SiOH nMgXOH
nHOH
[ R2 Si O ]n nRLi nR3 Si OLi nR3 SiOH nLiOH
212
14.3.3 स लकॉन के अनु योग (Application of Silicones)
213
14.4 सारांश (Summary)
बहु लक वे पदाथ कहे जाते ह िजनक संरचनाऐं संयोजकता ब ध यु त सरलतर
संरचना मक इकाईय (structural units) क पुनरावृि त से बनी मानी जा सकती है।
काबन के अ त र त अ य त व के परमाणुओं से बनी हु ई असं य इकाईयां पर पर
सहसंयोजक ब ध वारा जु ड़कर एक वृहत ् अणु बनाऐं, तो ऐसे वृहत ् अणु ओं को
अकाब नक बहु लक कहा जाता है ।
अकाब नक बहु लक का कई कार से वग करण कया गया है ।
स लकॉन, स लकन के वे काबधाि वक यौ गक है िजनम Si-O-Si ब ध पाया जाता
है ।
स ल सेन यौ गक का सं लेषण काब स लकन लोराइड व काबए कॉ सीलेन के जल
अपघटन से कया जा सकता है।
बल Si-O व Si-C ब ध होने के कारण ऊ मा के त ये यौ गक अ य त थायी होते
ह ।
उपयु त व श ट गुण के कारण स लकॉ स अ य त उपयोगी पदाथ बन जाते ह ।
समपरमाि वक Homoatomic
वषमपरमाि वक Heteroatomic
वम आकाश Stereochemistry
रे खीय बहु लक Liner Polymer
काबताि वक Organic elemental polymer
बहु लक
सेतु बहु लक Bridge Polymer
उपसहसंयोजक Coordinate Polymer
बहु लक
स लकॉन स लकन, काबन व आ सीजन के बहु लक यौ गक को
(Silicons) स लकॉन कहा जाता है ।
काब स लकन Si से जु डे काबन क सं या तीन होती है ।
लोराइड
वकाब स लकन Si से जु डे काबन क सं या दो होती है।
लोराइड
एकल Si से जु डे काबन क सं या एक होती है।
काब स लकन
लोराइड
214
नेहक Lubricant
जल तकषक water repellant
215
इकाई-15
फॉ फेजी स
(Phosphazenes)
इकाई क परे खा
15.0 उ े य
15.1 तावना
15.2 फॉ फेजी स बनाने क व धयां
15.3 रासाय नक अ भ याऐं
15.4 सारांश
15.5 श दावल
15.6 बोध न
15.7 बोध न के उ तर
15.8 संदभ थ
ं
15.9 अ यासाथ न
15.0 उ े य (Objective)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् हम न न ब दुओं का अ ययन कर पायगे -
फॉ फेजी स या होते है?
फॉ फेजी स के उपयोग?
फॉ फेजी स के कार अथात ् ये कतने कार क होती है?
ाई फॉ फेजी स तथा टे ा फॉ फेजी स जैसे (PNCl2)3 ,(PNCl2)4 & (PNCl2)n आ द
फॉ फेजी स म उपि थत P तथा N के ऑ सीकरण अव था का अ ययन ।
फॉ फेजी स म उपि थत संकरण, संरचना तथा ब ध के कार का अ ययन भी हम
करगे।
फॉ फेजी स के बनाने क व धयां तथा रासाय नक अ भ याओं का अ ययन भी हम
इसी अ याय म कर पायगे।
216
फॉ फोरस व नाइ ोजन दोन त व म खृं लन (Catenation) का गुण अ य त सी मत होता
है । फॉ फोरस के अ धकतम दो परमाणु तथा नाइ ोजन के अ धकतम तीन परमाणु P2H4
तथा N3 , (ऐजाइड आयन) म पर पर एक-दूसरे के साथ जु ड़े रहते ह । ले कन य द फा फोरस
व नाइ ोजन दोन परमाणु पर पर या एक-दूसरे के साथ जुड़ जाएं तो व भ न कार के
फा फेजीन बहु लक अथवा फॉ फोनाइ लक यौ गक (Phosphonitrilic Compounds)
का नमाण होता ह । इन यौ गक म फॉ फोरस ऑ सीकरण अव था V म होता है । जब क
नाइ ोजन आ सीकरण अव था III म रहता ह । अणु क व युत उदासीनता को बनाये रखने
के लए अ धकाशत: हैलाइड आयन होते ह, इस कार फॉ फोनाइ लक हैलाइड बनते ह ।
ये च य तथा वकृ त खृं ला दोन कार के होते है । फॉ फेजी स को न न कार वग कृ त
कया जा सकता है -
(i) मोनोफॉ फेजीन (उदाहरणाथ – X3P=NR)
(ii) डाइफॉ फेजीन (उदाहरणाथ – X3P=N,P(O)X2)
(iii) पॉल फॉ फेजीन (उदाहरणाथ - (-X2P=N-)n) जहां n= 2,3,4... n
(iv) च य या साइ लो पील फॉ फेजीन (उदाहरणाथ - (-X2P=N-) जहां n= 2,3 ,4,5.... 17
ऐ तहा सक (Historical)- फॉ फोरस तथा नाइ ोजन के बहु त से यौ गक बनाये जा चु के है,
ले कन यहां हम उन P=N ब ध यौ गक को द शत करग िज ह (X2PN)n सू वारा दशाया
जा सकता है, (X=F, Cl, तथा Br) । इन हैलाइड म से लोराइड को बहु त पहले (1834)
PCl5 पर NH3, क अ भ या से बनाया गया था, ले कन फॉ फेजी स का सु यवि थत ढं ग
से अ ययन सव थम टॉ स (Stokes) नामक वै ा नक ने सन ् 1895 म कया था, उ ह ने
PCl5 तथा उ च दाब पर NH3 क या वारा इ ह न मत कया था ।
सन ् 1925 म रोमर (Romer) ने इनम वलय संरचना क जानकार द थी । सन ् 1956
म मेहरो ा तथा कपूर ने फॉ फोनाइ ई लक लुओराइड तथा फॉ फोनाइ ा लक ोमाइड
का सं लेषण कया था िजस पर इलाहाबाद व व व यालय ने डॉ. कपूर को डी.एस.सी. क
उपा ध द थी । सन ् 1977 म कपूर तथा चतु वद ने फा फौनाइ लक हैलाइड का
बो टधारा म त अ ययन कया था ।
सन ् 1980 म बोराजी स क तरह कपूर तथा चतु वद ने इनका फॉ फेजी स नाम दया था
। वतमान म फॉ फोनाइ ा लक हैलाइड को सं ेप म फॉ फेजी स कहते ह ।
217
समावयवी मु य प से बनाये गये ह । इस ेणी म लोराइड तथा ोमाइड मु ख है ।
आयोडाइड अभी ात नह ं है ।
इनका नमाण मु य प से दो व धय वारा कया जाता है ।
(1) पुरानी व ध (old Method) (2) आधु नक व ध (Modern method)
(1) पुरानी व ध (Old Method) - इस व ध को शक तथा रोमर (Shenk & Romer) ने
1925 म दया था । उ ह ने PCl5 तथा NH4Cl क पैराडाई लोरो बै जीन वलायक म
398-423 K ताप पर या करवाकर च य फॉ फोनाइ लक लोराइड के लक का म ण
ा त कया था ।
218
4. पांचवा पद - इस पद म डाइफा फोमीन NH3 से कया करती है तथा ाईफा फेजीन का संकु ल
बनाती है तथा ोट न यागती है ।
HCl
[Cl3 P N PCl3 ] NH 3
H
[Cl3 P N Cl2 P NH ]
5. छठा पद - यह अं तम पद है इसम HCl यागकर NH3 क अ धकता से च य नाइ ा लक
हैलाइड बनती है।
NH 3
[Cl3 P N Cl2 P NH ] [ PCl4 ] [ PCl6 ]
HCl
[Cl3 P N Cl2 P PCl3 ]
P3 N3Cl6 3HCl PCl5
(साइ लो ाईफा फेजीन) अथवा
219
फॉ फोनाइ ा लक बहु लक क ेणी म रबड के समान गुण पाये जाते ह तथा इनका उ च
आि वक यमान होता ह जो 20,000 से अ धक होता है ।
च य फा फोनाइ ा लक हैलाइड म (Cl2PN)3 मु ख है ।
1. वायुम डल दाब पर गरम करने पर यह 3870K पर पघलता है तथा 5070K पर उबलने लगता
ह । यह अ ु वीय वलायक जैसे C6H6, CCl4, 1,4- डाई ऑ सेन इ या द म वलेय रहता
है ।
कार से (Cl2PN)4 बहु लक 397 K पर पघलता है तथा 525 K पर उबलने लगता है
0 0
इसी
यह व C6H6, CCl4, 1,4- डाई ऑ सेन म अपे ाकृ त कम वलेय रहता है ।
220
कु छ लक चतुथलक म प रव तत हो जाते ह ।
PbF2
N 3 P3Cl6 N 4 P4 Cl4 F4 N 4 PCl2 F6
4. डाई मे थल ऐमीन से या - इस अ भ या म (PNCl2)3 से दो Cl2 परमाणु त था पत
होते ह । तथा N-N डाईमे थल फा फोनाइ ाइ लक लोराइड बनता है ।
( PNCl2 )3 2(CH 3 )2 N H P3 N5Cl4 (CH 3 )4 अथवा
या
221
अणु म P N1.58 A , P Cl1.97 A0 NPN 118.40 PNPl 21.40 तथा ClPCl11020
पाये जाते ह । अ य सभी लोराइड म वलय असमतल य होती है ।
222
पर 180 ब ध कोण के साथ संभव है । फा फोनाइ ाइ ा लक हैलाइड म p-x ब ध क बढ़ती
0
हु ई ल बाई का कम न न है –
P-F<P-Cl<P-Br
1.62AO 1.97AO 200AO
बढ़ती हु ई ल बाई
इस आधार पर (PNF2)3 तथा (PNCl2)3 फा फेजी स क संरचना को ब ध ल बाई के सापे
न न कार से द शत कया गया ह ।
223
224
च : च य फॉ फेजी स म आदे श का वतरण
इस कार से येक फा फोरस म र त 3d-क क का उपयोग रासाय नक ब ध बनाने म कया
जाता है ।
2. अणु क क स ा त (Molecular Orbital theory)
(PNX2)3 एक वषम ना भक य बहु परमाि वक अणु ह िजसम नाइ ोजन परमाणु 2p क क,
फा फोरस परमाणु के 3d क क के साथ d - p बंध बनाते ह । N क तुलना म P उ च
ऊजा क अव था म पाया जाता ह । य य प N के पास अध भरे 2p क क मश: 2 pz , 2 px
तथा 2 py ऊजा तर म उपल ध रहते ह । तथा P के पास अध भरे 3p क क मश: 3 pz
तथा 3px कोश मलते ह ऊजा तर के इस अ तर के कारण इनम न इले ॉन घन व पूण
प से व था पत नह ं हो पाता ह । अत: तबि धत क क (Antibonding orbitales) म
ह भावी अ त यापन क संभावना को य त कया गया है । चू ं क अ त यापन के लए दो क क
क पा लय के च ह समान होने आव यक है, d क क से अ त यापन करने वाले एक P क क
क धनीय पा ल तथा दूसरे क ऋणीय पाल ऊपर क और होती होगी । इस कार पा लय के
च ह को यान म रखते हु ए अ त यापन को वलय के अ य परमाणु ओं के लए आगे बढ़ाने पर
पाते ह क ाईफा फोनाइ ा लक लोराइड म इले ॉन पूर वलय पर व थानीकृ त नह ं हो
सकते य क पहले परमाणु P तथा अि तम परमाणु N जो वलय म पड़ोसी ह, के क क क
सम म त आपस म मेल नह ं खाती य क अ त यापन हे तु P क (-) पाल से N क (+) पाल
तथा P क (+) पाल से N क (-) पाल उपल ध है, इस कार का अ त यापन तब धी कृ त
का होता है ।
225
3. आधु नक स ा त (Modern Theory)
यह स ा त मुल कन ने दया था । मुल कन ने बताया क d क क म ऊजा का अ तर होने
के कारण उनम t2g क क dxy, dyz तथा dxz) न न ऊजा अव था म रहती है तथा eg क क
(dz – y2 तथा dz2) जो क उ च ऊजा क अव था म रहते ह । वे
2
ब ध बनाने क या
म भाग लेते ह इन क क के संयोग से नये क क ा त होते ह जो क पड़ोसी नाइ ोजन परमाणु
के संयोग करते ह । प रणाम व प ऊजा के अ तर जो क 4Dq से अ धक रहने के कारण आवेश
N-P-N के म य व था पत नह ं हो पाता ह, जब क न न ऊजा तर पर रहने के कारण N
का 2pz क क p के समान सम म त वाले क क के साथ P-N-P बंध बनाकर व थानीकृ त
रहता है । मुल कन ने यह भी सु झाव दया क N-P वलय पूण समतल य न होकर कु छ मु ड़ी
हु ई अथवा व था पत भी हो सकती है ।
च मु ल कन का मॉडल (PNX2)3
उपयो गता (Utility) - इनका कई े म उपयोग होता है इनके कु छ मु ख उपयोग न न ह -
1. च क सा के े म (In the field of Medicine) - लुओरो ऐि कल समू ह वारा
त था पत कुछ बहु लक [(CF3CH 2 ) 2 PN ]n इतने अ धक जल तकष होते ह । क वे
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सजीव ऊतको (Living tissue) से अ भ या नह ं करते ह और इस लए कृ म र त-वा हनी
तथा कृ म अंग के नमाण हेतु उपयु त पदाथ होते ह ।
[ Etoo(CH 2 NH )2 PN ]2 बहु त धीमी ग त से हा न र हत उ पाद म जल अपघ टत होते ह,
अत: इनका उपयोग श य च क सा के प चात ् लगाये जाने वाले टांक के धाग के नमाण म
भी कया जाता है ।
2. औष ध नमाण म - कु छ बीमा रय के उपचार म औष ध क लगातार आव यकता होती ह ।
औष ध वारा त था पत ऐसे फॉ फोजीन बहु लक बना लए जाते ह जो धीमी ग त से जल
अपघ टत होकर औष ध को मु त करते ह । उदाहरण के लए ट रॉयड तथा कै सर रोधी अंश
बहु लक बना लया जाता है जो धीमे-धीमे जल अपघटन से तं को औष ध दे ता रहता ह तथा
पीछे हा न र हत भाग बचा रहता ह ।
3. कृ म अंग के नमाण म (In the Manul ऋFracturing of Artificial organs) - दय
के कृ म वा व, हाथ पैर क कृ म उं ग लयां, कृ म द ताने अथवा जैल एवं ऊतक व ान
म नमू ने रखने क थै लयां पॉल फा फेजी स वारा न मत क जाती है ।
4. कम तापीय रसायन म (In the low Temperature chemistry) - ना भक य वमंदक
को कम ताप पर रखा जाता है । कम ताप पर सामा य रबर कठोर हो जाती ह तथा उसक
या थता घट जाती है । इस क ठनाई को दूर करने हेतु पॉल फा फेजी स का उपयोग कया
जाता है ।
5. व थापन - अ भ याओं म (In the field of substitution reaction) - याशील कृ त
होने के कारण (PNX2)3 कार के फा फेजी स का उपयोग शकागो (संयु त रा य अमे रका)
म ना भक य संय के कचरे (Nuclear waste) को हटाने म कया जाता है । य क ना भक य
कचरे का मु य अवयव धातु ऐं होती है जो हैलोजन से या करके व था पत उ पाद बनाती
है और उनक स यता घट जाती है ।
6. फोम उ योग म (In the Foam industry) - पॉ ल फॉ फेजी स के लु ओर यु प न नरम
होते ह । वे रे शे अथवा त तु के प म वक सत कये जा सकते ह । इनक अ वलनशील कृ त
होती ह । तथा काब नक वलायक से भी ये अ भावी रहते ह । प रणाम व प नरम फोम उ योग
(soft form industry) वशेष कर नरम खलौना उ योग (soft toy industry) म इनका
योग कया जाने लगा है ।
7. लचीले लाि टक के प म ये बहु लक ईधन एवं गा फेट के प म उपयोगी ह ।
8. इनक असाधारण परावै युत ि थरांक के कारण इ ह धातु ओं के आवरण एवं तार के
(Insulation) म काम म लया जाता ह ।
9. ए बे टॉस या काँच के साथ इनका उपयोग अ वलनशील, रोधी आवरण, पदाथ के घटक के
प म कया जाता है ।
10. कु छ पॉल फॉ फेजीन यु प न क टनाशक एवं अ य धक उ च मता वाले के प म भी उपयोगी
पाए गए है।
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11. उ च ताप पर फ नो लक रे जीन के गुण को सु धारने के लए भी पॉल फॉ फेजीन का उपयोग
कया जाता ह।
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(b) sp3, sp2
(c) sp3, dsp2
(d) sp2, dsp3
4. (NPF2)3 म उपि थत P - N ब ध पूर होगी?
(a) 1.6
(b) 2.1
(c) 1.3
(a) 4.1
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6. फॉ फेजीन म नाइ ोजन व फॉ फोरस क ऑ सीकरण अव थाऐं य है?
7. न न पर ट पणी ल खए :-
(i) फॉ फोनाइ लक बहु लक म P-N बंध क कृ त
(ii) आधु नक स ा त (फा फेजीन)
8. या होता है जब
(i) ाई फॉ फेजीन, सो डयम ए फा साइड से या करता है ।
(ii) ईथर य जल अपघटन
(iii) बजीन से या
(iv) डाई मे थल ऐमीन से या
III व तृत उ तर य या नबंधा मक न
1. (a) फॉ फेजीन या है (PNCl2)3 क संरचना एवं ब धन के बारे म ल खए?
(b) फॉ फेजीन के बनाने क व ध द िजए?
2. फॉ फेजीन का वग करण द िजए । इसके नमाण क व धयां, गुण एवं उपयोग
को व तार से समझाइए।
3. फॉ फोनाइ क हैलाइड पर एक नबंध ल खए?
4. फॉ फोनाइ लक हैलाइड से आप या समझते हो? इनका सं लेषण कस कार
होता है? इसके मु ख गुण व उपयोग का वणन क िजए ।
5. अकाब नक बहु लक के प म फॉ फेजीन के मु ख अनु योग बताइए ।
ाईफा फेजीन म बंधन को समझाइए ।
6. (a) फॉ फेजीन कस कार बनाये जाते है । इसक या व ध समझाइए ।
(b) इनके गुणधम व उपयोग का वणन क िजए ।
7. फॉ फो नाइ लक लोराइड क संरचना व ब धन को समझाइए ।
8. पॉल फा फेजी स के नमाण, रासाय नक अ भ याऐं तथा सं ले षत रसायन म
इनक उपयो गता तथा बंधन क या या क िजए ।
9. फॉ फो फे लक यौ गक कसे कहते है? ( PNCl2 )3 के बनाने क व धयां,
गुणधम तथा संरचना क या या क िजए।
10. फॉ फोनाइ लक हैलाइड से आप या समझते है? इनक संरचना उपयोग व ब ध
क कृ त क या या '' ।
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