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पा य म अ भक प स म त
अ य
ो. (डॉ.) नरे श दाधीच
कु लप त
वधमान महावीर खुला व व व यालय
कोटा(राज.)

संयोजक/ सम वयक एवं सद य


वषय सम वयक सद य स चव / सम वयक
ो. सी. के. ओझा डॉ. अनु राधा शमा
नदे शक अकाद मक सहायक आचाय, वन प त शा
महा मा गांधी इं ट यू ट ऑफ ए लाइड साइंसेज, जयपुर वधमान महावीर खुला व व व यालय , कोटा
1. ो. सी.पी. भसीन 4. ो. पी.एस. वमा 7. डॉ. के.के . शमा
रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग
नाथ गुजरात व व व यालय, पाटन राज थान व व व यालय, जयपुर सेवा नवृ त उपाचाय, अजमेर
(गुजरात)
2. ो. आर.सी. शमा 5. ो. रे णु का जैन
रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग
अ बेडकर व व व यालय, आगरा राज थान व व व यालय, जयपुर
3. ो. पी.के. शमा 6. ो. पहू प संह
रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग
जय नारायण यास व व व यालय, राज थान व व व यालय, जयपुर
जोधपुर

संपादक एवं पा य म लेखन


स पादक
ो. सी. के. ओझा
नदे शक, महा मा गांधी इं ट यू ट ऑफ ए लाइड साइंसेज, जयपुर
1. डॉ. अ का शमा 2. डॉ. सीमा अ वाल 7. डॉ. सु मन शमा
रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग
महारानी कॉलेज, जयपुर राजक य महा व यालय, कोटा राजक य महा व यालय, कोटा
3. डॉ. गीता गग 4. डॉ. क पना शमा 8. डॉ. व र दर सहगल
रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग
राजक य महा व यालय, कोटपूतल राजक य महा व यालय, कोटा वै दक क या कॉलेज, जयपुर
5. सैयद नफ स अल 6. डॉ. सु रेश मीणा 9. डॉ. भरत मीणा
रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग
राजक य महा व यालय, कोटा राजक य महा व यालय, कोटा राजक य महा व यालय, कोटा

अकाद मक एवं शास नक यव था


ो.(डॉ.) नरे श दाधीच ो. (डॉ.) एम.के . घड़ो लया योगे गोयल
कु लप त नदे शक भार अ धकार
वधमान महावीर खुला व व व यालय,कोटा संकाय वभाग पा य साम ी उ पादन एवं वतरण वभाग

पा य म उ पादन
योगे गोयल
सहायक उ पादन अ धकार
वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

उ पादन - फरवर 2010 ISBN-13/978-81-8496-197-3


सवा धकार सुर त : इस साम ी के कसी भी अंश को वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा क ल खत अनु म त के बना कसी भी
प मे म मयो ाफ (च मु ण) के वारा या अ यथा पुनः तुत करने क अनु म त नह ं है ।
कु लस चव वारा वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा के लये मु त एवं का शत।

5
CH-09
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा
अनु म णका

अकाब नक रसायन
. सं. इकाई पृ ठ सं या
1. कठोर एवं मृदु अ ल तथा ारक –I 8—23
(Hard and Soft Acids and Bases-I)
2. कठोर एवं मृदु अ ल तथा ारक –II 24—35
(Hard and Soft Acids and Bases-II)
3. सं मण धातु संकु ल मे धातु- लगे ड-ब धन-I 36—56
(Metal – Ligand Bonding in Transition Metal Complexes-I)
4. सं मण धातु संकु ल मे धातु- लगे ड-ब धन-II 57—74
(Metal – Ligand Bonding in Transition Metal Complexes-I)
5. सं मण धातु संकु ल के चु बक य गुण-I 75—85
(Magnetic Properties of Transition Metal Complexes-I)
6. सं मण धातु संकु ल के चु बक य गुण-II 86—96
(Magnetic Properties of Transition Metal Complexes-II)
7. सं मण धातु संकु ल के इले ॉन पे ॉ-I 97—105
(Electron Spectra of Transition Metal Complexes-I)
8. सं मण धातु संकु ल के इले ॉन पे ॉ-II 106—117
(Electron Spectra of Transition Metal Complexes-II)
9. धातु संकुल के उ मग तक य एवं ग तक य प 118—139
(Thermodynamic & Kinetics Aspects of Metal Complexes)
10. काबधाि वक रसायन-I 140—155
(Organometallic Chemistry-I)
11. काबधाि वक रसायन-II 156—174
(Organometallic Chemistry-II)
12. काबधाि वक रसायन-III 175—190
(Organometallic Chemistry-III)
13. जैव अकाब नक रसायन 191—202
(Bio-Inorganic Chemistry)
14. स लकॉन 203—215
(Silicones)
15. फॉ फेजी स 216—230
(Phosphazenes)

6
तावना
तु त पु तक वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा क क ा बी.एस.सी. तृतीय वष
के लए नधा रत अकाब नक रसायन ( न-प थम) के पा य मानुसार तैयार क गयी है।

पु तक म अ ययन साम ी को सरल और ा य भाषा म तु त करने के यास कये गये


ह, िजससे वषय का वयं पढ़ने और समझने म व या थय को क ठनाई न हो।

येक इकाई क संरचना और उ े य को ार भ म दया गया है। इकाई के अ तगत बोध


न दये गये ह, िजससे व याथ वयं का मू यांकन कर सक। इकाई के प चात ् श दावल म क ठन
पद और श द क सरल या या क गयी है। अ त म बोध न के उ तर एवं अ यासाथ न दये
गये ह, जो वा षक पर ा क तैयार म सहायक स ह गे।

पु तक लेखन म भारत सरकार वारा का शत वै ा नक तथा तकनीक श दावल का उपयोग


कया गया है।

पु तक के आगामी सं करण हे तु सु झाव वागत यो य ह गे। इससे पु तक के उ नयन म


सहयोग ा त होगा।

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इकाई -1
कठोर एवं मृदु अ ल तथा ारक - 1
(Hard and Soft Acids and Bases –I)
इकाई क परे खा -
1.0 उ े य
1.1 तावना
1.2 अ ल व ारक का कठोर एवं मृदु प म वग करण
1.3 पीयरसन क HSAB अवधारणा
1.4 अ ल- ारक साम य एवं कठोरता व मृदुता
1.5 सारांश
1.6 श दावल
1.7 संदभ थ

1.8 अ यासाथ न

1.0 उ े य (objectives)
इस इकाई के अ ययन के उपरा त आप अ ल एवं ारक के बारे म न न ल खत जानकार
ा त कर सकगे –
(i) अ ल एवं ारक का कठोर एवं मृदु के प म वग करण ।
(ii) पीयरसन क HSHB अवधारणा ।
(iii) अ ल- ारक साम य ।
(iv) अ ल- ारक कठोरता एवं मृदुता ।

1.1 तावना (Introduction)


अ ल एवं ारक को 'कठोर एवं मृदु' क ेणी म वभ त करने से पूव ल वस क अ ल
एवं ारक क प रभाषा को ठ क से समझ लेना चा हए ।
ल वस क प रभाषा के अनुसार ''कोई भी ऐसा परमाणु, अणु या आयन ारक हो सकता है
िजसके पास एक इले ॉन यु म संयोजन के लए हो । इसी कार एक इले ॉन यु म को
हण करने क मता रखने वाले परमाणु, अणु या आयन अ ल कहलाते ह ।''
ल वस अ ल एवं ारक क अ भ या सामा यत: न न प से द शत क जाती है :
A + : B  A : B
(ल वस अ ल) (ल वस ारक) (उ पाद-एक उपसहसंयोजक यौ गक)
सामा यत: धनायन (cations)ल वस अ त तथा ऋणायन (anions)ल वस ारक होते ह,
अत: हम यह कह सकते ह क सम त ज टल यौ गक का नमाण अ ल एवं ारक से होता
है । जैसे - मै नी शयम लोराइड ( MgCL 2 ) क ठोस अव था म Mg 2
(ल वस अ ल)
8
लोराइड आयन (CI ) (ल वस ारक ) से घरा रहता है, क तु जल य वलयन Mg
- 2+
छह
(ल वस अ ल), जल (ल वस ारक) अणु ओं से संयोिजत होकर वलायक संक रत आयन
(solvated ion)बनाता है । CI आयन भी हाइ ोजन ब ध वारा जल (ल वस अ ल) अणु ओं
-

से मलकर अ ल- ारक संकर (acid-base complex) बनाता है ।


ल वस का अ ल- ारक स ा त बहु त व तृत है । पर तु यह स ा त इले ोन
पर आधा रत होने के कारण उपयु त अ भ या का था य व-ि थरांक, K (stability
constant) नकाला जाना स भव नह ं है । जब क ा सटे ड एवं लौर का अ ल कारण ोटोन
माना एवं उदासीनीकरण अ भ या (neutralization reaction) को H+ तथा OH- वारा
द शत कया, िजसक सहायता से कसी ताप म पर K ( था य व ि थरांक) का मान ात
कया जा सकता है । ल वस के स ा त म सबसे बड़ा दोष यह था क व भ न अ भ याओं
म ारक क बलता बदल जाती है, िजससे यह कहना स भव नह ं हो सका क वा तव
म कौन सा ारक अ धक बल है । उदाहरण के लए, क पर आयन (Cu2+) अमो नया (NH3)
ारक के साथ, लोराइड आयन (F-) क अपे ा बल ज टल संकर बनाता है जो यह द शत
करता है क लोराइड आयन (F-) क अपे ा अमो नया बल ारक है । क तु जब कॉपर
(Cu ) का थान लौह आयन (Fe / Fe ) ले लेता है तो इस आयन का अमो नया क
2+ 2+ 3+

अपे ा लोराइड आयन (F-) के साथ बल संकर (complex) बनता है जो यह द शत करता


है क अमो नया(NH3) क अपे ा लोराइड आयन (F-) बल ारक है । इस लए ल वस
के स ा त से यह समझना अस भव हो जाता है क अमो नया (NH3) एवं लोराइड आयन
(F ) म से कौनसा बल ारक है । इस क ठनाई का हल 1963 म आर.जी. पयरसन (R.G.
-

Pearson) ने नकाला तथा कठोर-मृदु अ ल और ारक का स ा त तपा दत कया ।


संकुलन अ भ याओं म एक धाि वक धनायन (ल वस अ ल) एक लगै ड (ल वस
ार) से एक इले ॉन यु म हण करता है । इसके सा य ि थरांक को नमाण ि थरांक
(formation constant) अथवा था य व ि थरांक (stability constant) कहते ह ।
लगै ड एक-एक करके (step- wise) व भ न पद म जु ड़ते ह और उनका कु ल (overall)
नमाण ि थरांक  व भ न पद का गुणनफल होता है । उदाहरणाथ -

k1
( थम पद)

Ag   NH 3   Ag  NH 3  

K2
 Ag  NH 3    NH 3   Ag  NH 3  2  ( वतीय पद)
 

(कुल अ भ या)

Ag   2 NH 3   Ag  NH 3  2 
 =K K
1 2

9
कसी एक धातु आयन के साथ व भ न लगै ड के संकु ल के नमाण ि थरांक के
मान के आधार पर लगै ड क ार य साम य को ात कया जा सकता है जब क कसी
एक लगै ड के साथ व भ न धातु आयन के संकु ल के नमाण-ि थरांक के आधार पर धातु
आयन क अ ल य साम य को ात कया जा सकता है ।
संकुलन अ भ याओं म ब धन क ा यकता के आधार पर आरलै ड (Arland),
चै (Chatt) एवं डे वस (Davis) ने 1958 म धातु आयन को दो वग म बांटा - वग (अ)
एवं वग (ब) ।
1. वग (अ) के धातु आयन ।[Metal ions of class(a)]: .
इस वग म ार य धातु आयन, ार य मृदा धातु आयन, उ च ऑ सीकरण अव था म
ह के सं मण धातु आयन, उदाहरणाथTi , Fe , Co तथा हाइ ोजन आयन
4+ 3+ 3+

(H+)सि म लत ह । इन आयन म न न ल खत अ भल णा मक गुण पाए जाते ह -


(i) ये कम घन व वाले ह के त व होते ह.
(ii) इनका आकार छोटा होता है
(iii) इनक ु वण मता उ च होती है;
(iv) ये उ च ऑ सीकरण अव था वाले होते ह; और
(v) इनके बा यतम इले ॉन या क क आसानी से वकृ त नह ं होते ह ।
2. वग (ब) के धातु आयन [Metal ions of class (b)]:
भार सं मण धातु आयन िजनक ऑ सीकरण अव था कम होती है, उ ह इस ेणी म
रखा गया है । उदाहरणाथ – Cu , Ag , Hg2 , pd , pt
+ + 2+ 3+ 2+
आ द । इन आयन के
अ भल णा मक गुण इस कार से होते ह -
(i) ये उ च घन व वाले भार त व होते ह;
(ii) इनका आकार बड़ा होता है.,
इनके बा यतम इले ॉन अथवा क क आसानी से वकृ त हो जाते ह अथात इनक ु वत
होने क शि त उ च होती है ।
धातु आयन [वग (अ) एवं (ब)] के त व भ न लगै ड के यवहार के आधार पर
आरलै ड (Arland), चै (Chatt)एवं डे वस (Davis) ने लगै ड को भी दो वग म
वभ त कया है -
1. वग (अ) - िजन लगै ड क ा यकता वग (अ) के धातु आयन के साथ संकु लन करने
क होती है, उ ह वग (अ) म रखा गया है । उदाहरणाथ – NH३, R3N, H2O, F- आ द
। वग (अ) के धातु आयन के साथ इन लगै ड के संकुलन क ा यकता का म न न
कार से होता है –
F>CL>Br>I
O>S>Se>Te
N>P>As>Sb

10
2. वग (ब) - िजन लगै ड क वग (ब) के धातु आयन के साथ ा यकता से संकु लन करने
क वृि त होती है , उ ह वग (ब) म रखा गया है ।
उदाहरणाथ : R3P(फॉ फ न), एवं R2Sआ द । इस वग के लगै ड क वग (ब) के धातु
आयन के साथ संकुलन क ा यकता का म न न तरह से होता है ।
F<Cl<Br<I
O  S<Se  Te
N  P<As<Sb

1.2 अ ल एवं ारक का कठोर एवं मृदु प म


वग करण(Classification of Acids and Bases as Hard and
Soft)
हम जानते ह क जब बल' अ ल एवं बल ारक आपस म अ भ या करते ह तो थायी
संकर का नमाण होता है, क तु जब दुबल अ ल क अ भ या दुबल ारक से होती है तो
कम थायी संकर का नमाण होता है । इस कार त पधा (competition) वाले योग
के आधार पर अ ल एवं ारक क बलता ात कर इ ह वग कृ त कया जा सकता है ।
वग (अ) के धातु आयन म वग (अ) के लगै ड के साथ संकु लन क वृि त पाई
जाती है और वग (ब) के धातु आयन वग (ब) के लगै ड के साथ ा यकता के साथ संकु लन
करते ह । अत: इनका वग करण कठोर एवं मृद ु के प म कया गया । वग (अ) के धातु
आयन को कठोर अ त (hard acids) तथा वग (अ) के लगै ड को कठोर ार (hard
bases) कहा गया । इसी कार वग (ब) के धातु आयन को मृदु अ ल (soft acids) एवं
वग (ब) के लगै ड को मृदु ार (soft bases) कहा गया ।
वारजेनबाख (Schwarzenbach) ने धनायन के प म मे थल मर यू रक आयन
(CH3Hg+)का उपयोग कया एवं इसक अ भ या व भ न ारक के साथ कराकर समझाया।
BH  CH 3 Hg  CH 3 HgB  H
   

मृदु अ ल कठोर अ ल
उपयु त सा य म मृदु अ ल (CH3Hg+) एवं कठोर अ ल (H ) म
+
त व वता
है । दो व भ न गुण वाले अ ल (H+ एवंCH3Hg+) क सहायता से व भ न ारक के
बारे म पता लगाया जा सकता है क वह ोटॉन तथा CH3Hg आयन म अ भ
+
या के लए
थम कसे चु नता है ।
यदअभ या का सा य बा ओर खसक जाता है तो इसके साथ या करने वाले
ार को कठोर कहा जाएगा । इसके वपर त य द सा य दा हनी ओर खसक जाता है तो या
करने वाले ार को मृदु कहा जाएगा । अत :
BH   CH 3 Hg   CH 3 HgB   H 
कठोर ार मृदु अ ल मृदु ार कठोर अ ल

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BH   CH 3 Hg   CH 3 HgB   H 
मृदु ार मृदु अ ल कठोर ार कठोर अ ल
इन तु लनाओं म ा पक मृदु अ ल के प म सामा यतया मे थल मर यू रक
धनायन का उपयोग कया जाता है, य क यह ोटॉन क भाँ त एकसंयोजी धनायन होने
के कारण इसका उपयोग सु वधाजनक होता है और कसी सा य के उपचार क या या सरलता
से क जा सकती है ।
इन अ भ याओं के अ ययन म मह वपूण बात यह दे खी गई क नाइ ोजन (N),
ऑ सीजन (O), लोर न (F) आ द दाता परमाणुओं से न मत ारक, मे थल मर यू रक
आयन (CH3Hg ) क अपे ा+
ोटॉन से अ धक सु गमता से उप सहसंयोजक ब ध बनाते
ह । इसी कार फा फॉरस (P), स फर (S), लोर न (CI), ोमीन (Br), आयोडीन (I) तथा
काबन(C) आ द दाता परमाणु ओं से न मत ारक ोटॉन क अपे ा मे थल मर यू रक आयन
(CH3Hg ) के साथ सु गमता से उप-सहसंयोजक ब ध बनाते ह ।
+

इन दाता परमाणु ओं पर गौर करने पर पता चलता है क थम समू ह (N, O, Fआ द)


म दाता परमाणु वे ह िजनक व युत-ऋणता (electro- negativity) अ धक तथा ु वणीयता
(Polarizability) कम है और ऐसे परमाणु शी ता से ऑ सीकृ त नह ं होते ह, इसी लए ऐसे
परमाणु ओं को 'कठोर ारक' (hard bases) कहा गया । दूसरे कार के ारक परमाणु (P,
S, Br, Iआ द) वे ह िजनक व युत-ऋणता कम एवं ु वणीयता अ धक है तथा ऐसे परमाणु
सु गमता से ऑ सीकृ त हो जाते ह, इसी लए ऐसे परमाणु ओं को 'मृदु- ारक' (soft bases)
क सं ा द गई है ।
ारक को मु यत: न न तीन वग म वभ त कया जा सकता है :
(1) कठोर वग (2) म यम वग एवं (3) मृदु वग
सारणी 1.1 : ारक का वग करण
कठोर वग म यम वग मृदु वग
(Hard bases) (Borderline bases) (Soft bases)
H2O, OH-, F-, CI-, C6H5NH2, C6H5N, N3- R2, S, RSH, RS-, I
CH3+COO-,SO42-,PO43- Br-, NO2-, SO3-2, N2 SCN-, S2O32-, R3P,
CO3-2, CIO4-, NO3- आद R3, As, (RO)3P, CN-
ROH, RO-, ROR, NH3 RNC, CO, C2H4, C6H6
RNH2, N2H2आ द H-, R- आ द
उपयु त सारणी से यह प ट होता है क लोराइड आयन (C।-) क अपे ा ोमाइड
आयन (Br-) अ धक मृदु है तथा आयोडाइड आयन (I-) दोन आयन (C।- एवं Br-) से मृदु
है, इसी लए ोमाइड आयन (Br-) को म यम वग म रखा गया है ।
इस कार क सारणी का नमाण सामा यत: दो कार से कया जा सकता है; थम
तो दाता परमाणुओं के गुण ( व युत ऋणता ु वणीयता, ऑ सीकरण आ द) के आधार पर,

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तथा वतीय सा य ि थरांक क गणना वारा । कुछ अपवाद को छोड़कर दोन कार से
लगभग वह प रणाम ा त होते ह जो उपयु का सारणी 1.1 म दशाये गये ह ।
अब न यह उठता है क या अ ल को भी ारक क तरह तीन वग (कठोर,
म यम तथा मृदु ) म सरल व ध से वभ त कया जा सकता है या नह ं । उदाहरणाथ, जो
ल वस अ ल ोटॉन के समान कठोर ारक के साथ बि धत ह , उ ह कठोर अ ल (hard
acid) एवं जो ल वस अ ल मे थल मर यू रक आयन क तरह मृदु ारक के सा थ बि धत
ह उ ह मृदु अ ल क सं ा द जाए । उपयु त उदाहरण को ऑरलै ड (ArIand), चैट
(Chatt), एवं डे वस (Davis) ने अ धक मह व नह ं दया, बि क उ ह ने व भ न दाता
परमाणु ओं के संकर बनाकर उनके था य व ि थरांक (stability constants) ात कए तथा
था य व ि थरांक क सहायता से अ ल को वग कृ त कया (िजसक चचा हम शु म कर
चु के ह) । इनके अनुसार अ ल को न न प म वभ त कया जा सकता है -
सारणी : 1.2 ऑरलै ड, चैट एवं डे वस वारा अ ल का वग करण
वग (अ)- कठोर वग वग (ब)- मृदु वग
N>>P>AS>Sb N<<P<AS<Sb
O>>S>Se>Te O<<S<Se  Te
F>Cl>Br>I F<Cl<Br<I
य द ल वस अ ल (Cu+, NO+, I2)से न मत संकर के था य व के बारे म वचार
कया जाए तो यह व दत होता है क Cul से CuF अ धक थायी है, तथा [Cu (NH3)2]+क
अपे ा [Cu(PR3)2]+अ धक थायी है । उपयु त वग करण जल म सा य ि थरांक ात करके
ह कया गया है, जैसे –
CuF  I   CuI  F 
जल य जल य जल य जल य
 
Cu  PR 3  2   2 NH 3  Cu  NH 3  2 2 PR 3
जल य जल य जल य जल य
क तु इस व ध से अनेक बार अपूण आँकड़े ा त हु ए िजसके कारण कोई प ट न कष नह ं
नकल पाता । अत: ''ल वस अ ल कठोर ारक एवं मृदु ारक म से कसके साथ बि धत
होना पस द करता है', इसी को आधार मानकर अ ल को कठोर, म यम एवं मृदु वग म
वभ त कया गया है िजसे सारणी 1.3 म दशाया गया है ।
सारणी : 1 .3 ल वस-अ ल का वग करण
कठोर वग (अ) म यम वग मृदु वग (ब)
(Hard acids) (Borderline acids) (Soft acids)
H+, Li+, Na+, K+, Be2+, Mg2+ Fe2+, CO2+,Ni2+, Cu2+, Cu+,Ag+,Au+,Hg+,Pd2+,
Ca2+ ,Sr2+ ,Mn2+ ,Al3+ ,Se3+, Zn2+, Pb2+,Sn2+,Cl3+, Cd2+,Pt2+,Hg2+,CH3Hg+,
Ga3+, In3+, La3+, N3+, Cl3+, Bi3+, Rh3+,Ir3+, CO(CN)52+,Pt4+,Te4+,Tl3

13
Gd3+, Lu3+, Cr3+, Co3+ B(CH3)3 SO2, R3C+, +
,
,Fe3+, C6H5+, GaH3आ द Tl(CH3)3,BH3,Ga(CH3)3,
As 3+
,CH3Sn 3+
, Si , Ti ,
4+ 4+
GaCl3,GaI3,InCl3,RS+,
Zr4+ ,Th4+,U4+ , Pu4+, Ce3+ RSe+, RTe+, I+,Br+,HO+,
Hf4+,Wo4+ Sn4+, UO22+ RO+,I2,Br2,ICN,
(CH3)2Sn2+,VO2+, MoO3+, ाई नाइ ोबे जीन, लोरो नल,
Be(CH3)2,BF3, B(OR) ि वनोन,टे ासायनो ए थल न
Al(CH3)3,AlCl3,AlH3, आ द O, Cl,Br,I,N,RO,
RPO2,ROPO2 ,RSO2 , + +
RO2,M(धातु परमाणु),भार
ROSO2+, SO3, I7+,I5+, Cl7+, धातु ए,ँ CH2,काब न आ द
Cr , RCO , CO2, NC , HX
6+ + +

(हाइ ोजन बंध वाले अणु)आ द


जैसा क पूव म भी बताया जा चुका है क वग (अ) वाले अ ल उ च व युत ऋणता एवं
कम ु वणीयता वाले होते ह य क ाह परमाणु प रमाण म छोटे और उ च घना मक आवेश वाले
होते ह एवं इनके संयोजन कोष म असहभािजत इले ॉन यु म नह ं होते ह । अत: इ ह 'कठोर' अ ल
कहा जाता है ।
इसी कार वग (ब) वाले अ ल म, ाह परमाणु प रमाण म बड़े एवं कम घना मक आवेश
वाले होते ह और इनके संयोजन कोष म असहभािजत इले ॉन यु म (p या d क क म) उपि थत
होने के कारण ये उ च ु वणीयता एवं व युत ऋणता वाले होते ह । इसी लए इ ह 'मृदु ' अ ल कहते
ह । य द बढ़ती हु ई व युत ऋणता के आधार पर दाता परमाणु ओं को मब कर, तो न न म
ा त होता है –
As, P<C, Se, S, I<Br, N, Cl<O<F
इस म म बाएँ हाथ के सद य के साथ मृदु अ ल अ धक थायी संकर का नमाण करते
ह, इसी कार दायीं ओर वाले सद य के साथ कठोर अ ल अ धक थायी संकर बनाते ह । उदाहरणाथ,
(La3+) सफ N,O एवं F या कठोर ारक के साथ अ धक थायी संकर बनाता है ।
य द सफ एक त म अ ल ारक के संकर के था य व को दे खा जाए तो अ ल ारक
के बारे म एक साधारण स ा त बनता है, जो बताता है क -कठोर अ ल, मृदु ारक क अपे ा
कठोर ारक के साथ संयु त होते ह तथा मृदु अ ल, कठोर ारक क अपे ा मृदु ारक के साथ
संयु त होना अ धक पस द करते ह । यह नयम ''कठोर-मृदु अ ल तथा ारक स ा त” (Principle
of hard and soft acids and bases) कहलाता है जो क वा तव म अपने आप म बहु त व तृत
है ।

14
1.3 पीयरसन क HSAB अवधारणा:
(Pearson’s HSAB Concept)
पीयरसन ने सन ् 1963 म कठोर, मृदु अ ल व ार क अवधारणा द । पीयरसन ने ह यह
वग करण दया क वग (अ) के सम त सद य को कठोर तथा वग (ब) के सम त सद य
को मृदु कहा जाये । अत : वग (अ) के सम त धातु आयन कठोर अ ल तथा वग (अ) के
सम त लगै ड कठोर ार ह, जब क वग (ब) के सम त धातु आयन मृदु अ ल एवं वग
(ब) के सभी लगै ड मृदु ार कहलाते ह ।
एक सामा य अ ल- ार अ भ या को न न कार से दशाया जा सकता है:
A +
+ :B  A: B

ल वस अ ल ल वस ार संकुल
(इले ान ाह ) (इले ान दाता)

AB के म य का बंध आय नक, ु वीय अथवा अ ु वीय हो सकता है । वा तव म ब ध क


वृि त या है , व तृत े म यह संकुल AB के नमाण ि थरांक वारा ात कया जा
सकता है । पीयरसन ने 1963 म इसक या या करने के लए ह कठोर एवं मृदु अ ल एवं
ार (hard and soft acids and bases) HSAB क अवधारणा द । जैसा क पछले
भाग म बताया गया है, इनके अनुसार, ''मृदु ार वे ह िजनके दाता परमाणु आसानी से ु वत
हो सकते ह और िजनक व युत ऋणा मकता कम है । '' ये दोन बात एकदम तु य नह ं
है और एक-दूसरे पर नभर करती ह । व तु त: ये इस बात का नधारण करती ह क दाता
परमाणु के ना भक से उसके बा य इले ॉन कतनी आसानी से वकृ त होकर दूर जा सकते
ह । मृदु अ ल के एकदम वपर त गुण कठोर अ ल म होते ह अथात ् उनके दाता परमाणु
अपने बा य इले ॉन को कतना रोक पाते ह । अत: कठोर अ ल को न न कार से
प रभा षत कया गया - 'कठोर अ ल के दाता परमाणु ओं क ु वणता कम होती है जब क
उनक व युत ऋणा मकता अ धक होती है । सार णय 1.1 एवं 1 .3 म मश: कुछ ा पक
ारक एवं अ ल को कठोर, सीमा रे खा (म यम) एवं मृदु प म वग कृ त करके बताया गया
है ।
मृदु अ ल ऐसे ारक के साथ थायी संकुल बनाते ह जो उ च ु वणता वाले और अ छे
अपचायक ह, और यह कतई आव यक नह ं क वे ोटॉन के त अ छे ारक ह । जब क
कठोर अ ल सामा यतया ऐसे ारक के साथ थायी संकु ल बनाते ह जो ोटॉन के साथ
भी भल -भां त ब धन बना सकते ह । अब य द इस कठोरता एवं मृदुता वाल अवधारणा को
संकुल A : B के था य व पर लागू करते ह तो - संकु ल A : B अ य त थायी होगा, य द
अ ल A व ारक B या तो दोन ह मृदु ह अथवा दोन ह कठोर ह , अथात ् –

15
A + : B  A: B
मृदु अ ल मृदु ारक थायी संकुल

A + : B  A: B
कठोर अ ल कठोर ारक थायी संकुल
उपयु त के वपर त य द अ ल A व ारक : B दोन म से कोई भी एक मृदु हो और दूसरा
कठोर, इस दशा म संकुल AB का था य व कम हो जायेगा, अथात ् –
A + : B  A: B
कठोर अ ल मृदु ारक अ थायी संकुल

A + : B  A: B
मृदु अ ल कठोर ारक अ थायी संकुल
पीयरसन का यह स ा त एक अनुमान है िजसके आधार पर ल वस अ ल एवं ल वस ारक
से बने योगा पाद (संकु ल) के था य व के बारे म गुणा मक पूवानुमान कया जा सकता है ।

1.4 अ ल- ारक साम य एवं कठोरता व मृदुता (Acid – Base


Strength and Hardness and Softness)
हम जानते ह क अ ल क बलता आवेश एवं प रभाषा पर नभर करती है । य द कसी
अ ल के धनायन म वृ होती है या उसके प रमाण म कमी होती है तो उस आयन क अ ल य
बलता बढ़ जाती है जैसे क ए यू म नयम ाइ लोराइड (AlCl3)क अपे ा ए यू म नयम
आयन (Al3+) अ धक अ ल य होता है -
Al3+>AlCl2+>AlCl2+>AlCl3
इसी कार ारक क बलता भी आवेश एवं प रमाण पर नभर करती है । अथात ् कसी
भी ारक के ऋणायन म वृ होने से या प रमाण म कमी होने से उसक ारक य बलता
म वृ होती है जैसे : हाइ ॉि सल आयन क अपे ा ऑ साइड आयन बल ारक है जब क
सल नयम आयन से हाइ ॉि सल आयन बल ारक ह –
O2->OH->Se2-
वलायक संकरण का भाव भी अ ल एवं ारक क बलताओं पर अ धक पड़ता है, जैसे
क जलयोिजत ए यू म नयम आयन से ए यू म नयम आयन बल अ ल है, जैसा क यहाँ
दशाया गया है -
3
Al 3  Al  H 2 O 5  Al  H 2O  4 Cl 2   Al  H 2O 3 Cl2 
इसी कार जल य वलयन म हाइ ॉि सल आयन से मथाइल (CH3-) आयन अ धक बल
ारक है, जब क गैसीय ाव था म दोन क ारक य- बलता समान है । इसका कारण यह
है क हाइ ॉि सल आयन का वलायक संकरण (solvation) जल के साथ होता है िजसके
कारण उसक बलता कम हो जाती है ।
16
इसी कार कसी भी अ त एवं ारक क नैज बलता (Intrinsic strength) का अनुमान
लगाकर कसी भी आयन या अणु क कठोरता या मृदुता ज़ात क जा सकती है । जैसा क
सारणी 1.1 म बताया गया है क दाता-परमाणु का आचरण ( व युत ऋणता ु वणीयता आ द)
कस कार है । इसी तरह अ ल या ारक क कठोरता ात हो जाने पर स बि धत े णय
को कम दे ना सरल हो जाता है जैसे क आवत सारणी के ै तज पी रयड म ारक को कठोरता
के आधार पर न न म दया जा सकता है –
CH3->NH2->OH->F-
इसी तरह कसी समूह के अ ल को मृदुता के आधार पर न न कार द शत कया जा सकता
है
SbR3>AsR3>PR3>NR3
ऑ सीकरण मांक (oxidation number) का भी कठोरता पर भाव पड़ता है, जैसे – SO32-
आयन म स फर, S2- क अपे ा अ धक कठोर है ।
जल (H2O), हाइ ॉि सल (OH-) एवं आ साइड आयन (O2-) बल कठोर ारक
है क तु इनक कठोरता म अ धक अ तर नह ं है । अगर इनक ु वणीयता (अथात ् मृदुता )
को वधमान म म रखा जाए तो न न म. ा त होता है –
H2O<OH-<O2-
जब क अनेक ऐसे यौ गक ह िजनम दाता परमाणु ऑ सीजन क कठोरता का अनुमान
करना क ठन है, जैसे क – CHCH3COOH, SO42-, PO43- आ द ।
ल वस-अ ल क मृदुता ात करने के लए उनके न न गुण को जानना आव यक
है –
(i) प रमाण (ii) ऑ सीकरण अव था
(iii) इले ॉ नक संरचना, एवं (iv) दूसरे समू ह का संल न होना आ द ।
अ ल ारक संकर म धातु और अधातु दोन ह ाह परमाणु हो सकते ह, क तु प रवतनशील
संयोजन वाले त व क कठोरता ऑ सीकरण मांक म वृ होने से बढ़ती है , जैसे
[Ni(CO)4]म Ni का ऑ सीकरण मांक शू य (०) है । अत: यह मृदु है , जब क Ni (II)
म यम तथा Ni (IV) कठोर वग म आते ह । इसी कार स फे नल समू ह (RS+) म स फर
मृदु अ ल है, जब क स फो नल समू ह (RSO2 ) म स फर कठोर अ ल है ।
+

पी- लॉक (p-Block) एवं सं मण ेणी (transition series) म कु छ अपवाद मलते ह;


जैसे T  (I) क अपे ा  (III) मृदु अ ल है । इसी तरह Hg (I) क अपे ा Hg (II) मृदु
अ ल है तथा Pb(II) से Pb (IV) अ धक अ ल य-मृदुता द शत कर ता है । इन सम त
उदाहरण म 5s या 6s वाले अ य इले ॉन यु म उपि थत ह, इसी लए यह सोचा जा सकता
है क बाहर इले ॉन पर प रर ण भाव (shielding effect) के कारण मृदुता कम हो
जाती है । धातु आयन म d इले ॉन बहु त मह वपूण ह य क सं मण ेणी म
आयनीकरण- भाव, परमाणु मांक (atomic number) के साथ-साथ बढ़ता जाता है, इसका

17
कारण यह है क के क आवेश बढ़ता है । अथात ् त व क व युत -ऋणता बढ़ती जाती है
। इसी लए Ca से Zn तक परमाणु मांक के साथ-साथ त व क कठोरता बढ़ती जाती है।
कसी भी अ ल अथवा ारक क कठोरता अथवा मृदुता का नधारण का आधार य त:
उसक ा यकता कठोर याकारक से कया करने क है या मृदु याकारक से या करने
क , को माना जा सकता है । उदाहरणाथ एक ारक B कठोर या मृदु है यह न न अ भ या
के सा य ि थरांक K के मान पर नभर करे गा:

BH   CH 3 Hg   CH 3 HgB   H  ____ (1.1)


इस सा य का [CH 3 HgB  ] ____ (1.2)
K = Ks 
[CH 3 Hg  ][ B]
BH   B  H 
इस सा य का [ B][ H  ] _______(1.3)
Ks=
[ BH  ]
CH 3 Hg   B  CH 3 HgB
इस सा य के लए [CH 3 HgB  ] _______(1.4)
Ks 
[CH 3 Hg  ][ B]
समीकरण (1.2)(1.3) एवं (1.4) से -
K  ka xks _______(1.5)
अत: (1) य द K का मान इकाई से कम है तो B को कठोर ारक कहा जाएगा, और य द
का मान इकाई से अ धक है तो B को मृदु ारक कहा जाता है ।
(2) समीकरण (1.4) म Ks का मान [CH3Hg ] एवं [B] से [CH3HgB+] के नमाण
+

ि थरांक को दशाता है । जब क समीकरण (1.3) म Ka का मान संयु मी अ ल


BH+ के वयोजन ि थरांक को दशाता है । Ka तथा KS के मान से भी यह नधा रत
कया जा सकता है क B एक कठोर ारक होगा अथवा मृदु ारक ।
य द pKa का मान logKs से अ धक है तो B को कठोर ारक कहा जाएगा और
य द pKa का मान logKs से कम । है तो B को मृदु ारक कहा जाएगा ।
(3) समीकरण (1.2) से यह न कष नकाला जा सकता है क य द B एक कठोर ारक
होगा तो अ भ या (1.1) बाएं हाथ क ओर चलेगी और य द B एक मृदु ारक
होगा तो अ भ या (1.1) दा हनी ओर चलेगी ।
न उठता है क अ ल व ार क कठोरता एवं मृदुता का इनक अ ल या ारक
साम य से या स ब ध है? कु छ भी नह ं । य क ये दोन ब कु ल भ न- भ न
बात ह । कठोरता एवं मृदुता केवल कठोर-कठोर एवं मृदु-मृदु अ त या को दशाते
ह । उदाहरणाथ, F- एवं OH- दोन ह कठोर ारक ह, पर तु दोन क ार य

18
साम य म बहु त अ तर है । OH- आयन (pKa=15.7) F- आयन pKa = 2.85)
क तुलना म 1013 गुना अ धक ार य है ।
ऐसे उदाहरण भी ह िजनम एक बल ारक या अ ल कसी दुबल अ ल या दुबल ारक को
त था पत करता है । य य प यह HSAB अ त या के स ा त का उ लंघन होगा ।
उदाहरणाथ, SO32- (एक बल मृदु ारक ), F- (एक दुबल कठोर ारक) को कठोर अ ल
ोट न से त था पत कर दे ता है-
SO32   HF  H SO3  F  , K eq  10 4
SO32- क ारक य साम य F- से कह ं अ धक है । इसी कार अ य त बल कठोर ारक
OH- आयन दुबल मृदु ारक SO3 2-
को मृदु मे थल मर यू रक (II) धनायन म से
त था पत कर दे ते ह.
OH   CH 3 HgSO3  CH 3 HgOH  SO32  , K eq  10
OH- क ारक य साम य SO32- से कह ं अ धक है । उपयु त त थापन अ भ याऐं
HSAB स ा त के वपर त स प न होती ह, ले कन साम य और कठोरता दोन का यान
रखा जाए तो HSAB स ा त का सफलतापूवक पालन होता है ।
उदाहरणाथ, न न अ भ याओं को दे खते है :

CH 3 HgF  HSO 3  CH 3 HgSO32   HF , K eq  10 3
मृदु-कठोर कठोर-मृदु मृदु - मृदु कठोर-कठोर
CH 3 HgOH  HSO3  CH 3 HgSO32   HOH , K eq  10 7
मृदु-कठोर कठोर-मृदु मृदु –मृदु कठोर-कठोर
इन अ भ याओं म ारक य बलता के साथ-साथ कठोर-कठोर व मृदु-मृदु स ा त का भी
पालन होता है । न न सारणी 1.4 म ोट न (H+) एवं मे थल मर यू रक धनायन (CH3H+)
दोन के त वभ न ारक क साम य द जा रह है।
सारणी 1.4 ोटॉन व मे थल मर यू रक धनायन के त ारक साम य
ारक ब धी परमाणु Pks(CH3Hg+)* Pkh(H+)**
F F 1.50 2.85
Cl  Cl 5.25 -7.0
Br  Br 6.62 -9.0
I I 8.60 -9.5
OH  O 9.37 15.7
HPO42  O 5.03 6.79

S 2 S 21.20 14.2
HOC2 H 4 S  S 16.12 9.52
SCN  S 6.05 ~4
S 8.11 6.79
2
SO 3

19
NH 3 S 10.90 ऋणा मक

N 7.60 9.42

N 2.60 3.06

P 9.15 ~0
P 14.6 8.1

PEt3 P 15.0 8.8


CN  C 14.1 9.14
*Pks = Log[CH3HgB]/[CH3Hg ][B] +

**Pkh = Log[HB]/[H+][B]
स फाइड (S2-) एवं ाइए थल फॉ फ न (Et3P) जैसे ारक बल तो मे थल मर यू रक आयन
एवं ोट न दोन के लए ह पर तु इनक बलता ोट न क तुलना म मे थल मर यू रक आयन
के लए कह ं अ धक है । अत: ये मृदु ारक क ेणी म आते ह । OH- आयन य तो दोन
के त बल है, ले कन मे थल मर यू रक आयन क तुलना म ोट न के त कह ं अ धक
बल है । अत: ये कठोर ारक क ेणी म माने जाते ह ।
इसी कार F- आयन य य प दोन अ व के त दुबल ारक ह ले कन ोट न के त कुछ
अ धक बल है । अत: यह एक कठोर ारक है ।
न हत अ लता का गुण और कठोर-मृदु कारक इन दोन के संयु त भाव को इर वंग - व लयम
ेणी एवं कु छ नाइ ोजन, ऑ सीजन, स फर क लेट के था य व वारा आसानी से समझा
जा सकता है । जैसा क न न च 1.1 म दशाया गया है ।

च 1.1 : इर वंग- व लय स भाव : सबका था य व Bu-Cu


तक बढ़ता है जब क Zn के साथ घटता है ।

20
ेणी म Br2+ से Cu2+ तक के क लेट का था य व बढ़ता जाता है, यह धातुओं के न हत
बढ़ते हु ए अ लता के गुण का माप है , यह मु खता इनके आकार पर नभर करती है । Br2+
से Cu2+ तक के आयन का आकार घटते हु ए म म है । इसके साथ ह कठोरता व मृदुता
का कारक काय कर रहा है । ेणी म बाद म आने वाले धातु आयन म d इले ॉन क सं या
बढ़ने के साथ मृदुता का गुण बढ़ता जाता है और लगै ड के त उनका आकषण S>N>S
म म घटता जाता है । इसी कार ेणी के (अ) वग के कठोर ार य मृदा धातु और कम
दे इले ॉन वाले ारि भक सं मण धातु आयन म कठोरता का गुण बढ़ने के साथ लगै ड
के त आकषण O>N>S के म म घटता जाता है ।
अ ल जैसे ROS+ (ए टर तथा ऐ सल (acyl) हैलाइड म उपि थत काब नल
आयन); PRO3 , PORPO2 [चतु फलक य (Tetrahedral) फा फोरस],
PRO , POSO [चतु फलक य स फर], I(V),CI (VII) [चतु फलक य] हैलाइड) Sil 4 '

2

2

को उनके ा त ग तज आकड़ के आधार पर वग (अ) म रखा गया है । इन सम त अ ल


क अभ या बल ारक के साथ ती ता से होती है । SO3, तथा उसी के स श स फेट
एवं स फोनेट ए टर के लए ा त ऊ मीय आकड़े (Thermal) वग के (अ) गुण क पुि ट
करते ह । म त वलायक म स फर ाइऑ साइड ( SO3 ) क अ भ या ऊ मा (heat
of reaction) को न न कार द शत करते ह :
SO3  HF  HSO3 F ; H   20.9 क.कै.
SO3  HCI  HSO3CI ; H = 6.0 क.कै.
SO3  HBr  कोई कया नह ं ।

य द हाइ ोजन ब ध अ भ या (hydrogen-bond reaction) को अ ल- ारक


अभ या माना जाए तो उ ह सामा य-अ भ या वारा द शत कया जा सकता है -
Y + HX  Y ---------- H - X

इस प रि थ त म सम त HX अ ल (अ) वग के यवहार को द शत करते ह ।


उपयु त पर पर-अ भ या उस समय अ धक बल होगी जब Y के थान पर (F-) लोर न
रहता है, क तु Y के थान पर I,O,N, S, या P के रहने पर अ भ या क बलता कम
हो जाती है ।
पयरसन वारा तपा दत कठोर-मृदु अ ल- ारक स ा त क सहायता से यह ात करना
अ य त सरल हो गया क कौन-कौन से पदाथ थायी ह गे एवं उनक अ ल यता या ारक यता
कस कार क होगी ।

21
1.5 सारांश (Summary)
1. अ ल एवं ारक को 'कठोर तथा मृदु' े णय म वभ त करने से पूव ल वस क अ ल
व ारक क प रभाषा को समझना बेहद आव यक है ।
2. ल वस अवधारणा के अनुसार कोई भी परमाणु, अणु या आयन ारक हो सकता है िजसके
पास एक इले ॉन यु म संयोजन के लए हो ।
3. इसी कार एक इले ॉन यु म को हण करने क मता रखने वाले परमाणु, अणु या
आयन अ ल कहलाते ह ।
4. संकुलन अ भ याओं म ब धन क ा यकता के आधार पर आरलै ड (Arland)] चै
(Chatt) एवं डे वस (Davis) ने 1958 म धातु आयन को वग (अ) एवं वग (ब) म
वग कृ त कया ।
5. वग (अ) धातु आयन म ारक य धातु आयन, ारक य मृदा धातु आयन, उ च
ऑ सीकरण अव था म ह के सं मण धातु आयन सि म लत ह ।
6. गुणा मक प से वग (अ) धातु आयन-कम घन व वाले ह के त व; छोटे आकार के, उ च
ु वण मता, उ च ऑ सीकरण अव था वाले तथा िजनके बा यतम इले ॉन या क क
आसानी से वकृ त नह ं होते ह ।
7. वग (ब) धातु आयन म भार सं मण धातु आयन, िजनक ऑ सीकरण अव था कम
होती है ।
8. वग (ब) धातु आयन अ भल णा मक गुण के आधार पर-उ च घन व वाले भार त व,
बड़े आकार के, उ च ु वत होने क शि त वाले अथात ् इनके बा यतम इले ॉन अथवा
क क आसानी से वकृ त हो जाते ह ।
9. वग (अ) एवं वग (ब) के त व भ न लगै ड के यवहार को दे खते हु ए आरलै ड, चै
एवं डे वस ने लगै ड को भी दो वग (अ एवं ब) म वभ त कया ।
10. वग (अ) के धातु आयन म वग (अ) के लगै ड के साथ संकुलन क वृि त पाई जाती
है । इसी तरह वग (ब) के धातु आयन वग (ब) के लगै ड के साथ संकुलन वृ त रखते
ह ।
11. 1963 म पीयरसन ने कठोर, मृदु, अ ल व ारक क अवधारणा द ।
12. पीयरसन के अनुसार - "वग (अ) के सम त सद य को कठोर तथा वग (ब) के सम त
सद य को मृदु नाम दया । अथात ् (अ) वग के धातु आयन एवं लगै ड मश: कठोर
अ ल एवं कठोर ारक ह । जब क वग (ब) के धातु आयन एवं लगै ड मश: मृदु अ ल
एवं मृदु ारक ह । "
13. इस HSAB स ा त के अनुसार - मृदु ारक के दाता परमाणु आसानी से ु वत हो
सकते ह । साथ ह इनक व युत -ऋणा मकता कम होती है । दूसर ओर कठोर अ ल
के दाता परमाणुओं म ु वणता कम होती है तथा उनक व युत-ऋणा मकता अ धक होती
है ।

22
14. कसी अ ल अथवा ारक को मृदु अथवा कठोर मानने का आधार इस बात पर नभर
करता है क य त: उसक ा यकता कठोर याकारक से या करने क है या मृदु
याकारक से या करने क ।
15. कठोरता एवं मृदुता केवल कठोर-कठोर तथा मृदु-मृदु अ त या को द शत करते ह ।

1.6 श दावल (Glossary)


1. HSAB - कठोर-मृदु अ ल- ारक
2. व युत ऋणता (electronegativity) - कसी अणु म परमाणु क ब ध इले ोन को
अपनी ओर आक षत करने क मता ।

1.7 संदभ थ (Reference Book)


1. इनऑग नक कै म - ं सप स ऑफ चर ए ड रए ट वट (फोथ ए डशन), जे स
इ. हु ह हारपर इ टरनेशनल एस.आई. ए डशन (ल दन)
2. अ ल एवं ारक - डॉ. आरसी. मेहरो ा एवं डी. एके. म ा, राज थान ह द ग थ
अकादमी,
जयपुर ।

1.8 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. अ ल व ारक क ल वस अवधारणा बताएं ।
2. धातु आयन का वग (अ) एवं (ब) म वग करण से आप या समझते ह?
3. Cu , Ag , Fe
+ + 3+
,CO 3+
को वग (अ) तथा वग (व) म वग कृ त कर । साथ ह अपने
उ तर क या या क िजए।
4. पीयरसन के HSAB स ा त को उदाहरण स हत समझाएं ।
5. H  , OH  , R  , Br CN  , NO3 म से कठोर, मृदु एवं सीमारे खा (म यवग ) ारक
को छां टए ।
6. अ ल एवं ारक क कठोरता एवं मृदुता से ता पय है?
7. कसी संकु ल का था य व अ ल ारक क कठोरता या मृदुता से कस कार भा वत
होता है? या या क िजए।

23
इकाई -2
कठोर एवं मृदु अ ल तथा ारक - II
(Hard and Soft Acids and Bases-II)
इकाई क परे खा-
2.0 उ े य
2.1 तावना
2.2 सहजीवन
2.3 कठोरता और मृदुता के सै ाि तक आधार
2.4 व युत -ऋणा मकता एवं कठोरता तथा मृदुता
2.5 HSAB स ा त के अनु योग एवं सीमाएँ
2.6 सारांश
2.7 श दावल
2.8 संदभ थ

2.9 अ यासाथ न

2.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात आप अ ल एवं ारक क कठोरता एवं मृदुता से स बि धत
न न जानका रयाँ ा त कर सकगे -
(i) कसी परमाणु के जु ड़े हु ए त थापी परमाणुओं क कृ त बदलने पर उस परमाणु
क कठोर या मृदु कृ त को बदल सकते ह - अथात ् सहजीवन ।
(ii) अणु ओं के कठोरता एवं मृदुता के यवहार के लए तपा दत स ा त क या या।
(iii) अ ल एवं ारक क कठोरता या मृदुता क व युत -ऋणा मकता से स ब ध ।
(iv) स ा त के अनु योग एवं सीमाएँ ।

2.1 तावना (Introduction)


अ ल एवं ारक क कठोरता या मृदुता को समझाने के लए कई स ा त दए गए । इस
अ याय म हम उन मु ख स ा त के बारे म व तार से समझगे । साथ ह कठोरता एवं
मृदुता को परमाणु क व युत -ऋणा मकता के आधार पर या या करगे । HSAB एक ऐसा
स ा त है जो क ायो गक त य पर आधा रत है । अत: जो ायो गक त य इस स ा त
से मेल नह ं खाते ह, उ ह कसी और स ा त के आधार पर समझाया जाना चा हए ।

2.2 सहजीवन (Symbiosis)


सहजीवन यह बताता है क अ ल या ारक क कठोरता या मृदुता कसी परमाणु का न हत
गुण नह ं है वरन ् प रि थ तयाँ बदल कर उसक कृ त को बदला जा सकता है । अथात कसी

24
परमाणु के साथ जु ड़े हु ए त थापी परमाणु ओं क कृ त बदलकर उस परमाणु क कठोर
या मृदु अ ल या ारक य कृ त को बदला जा सकता है । कसी परमाणु के साथ य द मृदु
ु वत होने वाला त थापी जुड़ा हु आ हो तो उसक कृ त मृदु हो जाएगी । इसके ठ क वपर त
य द इले ॉन आक षत करने वाला त थापी जु ड़ा हो तो, वह कठोर कृ त का हो जाएगा।
उदाहरणाथ-बोरोन एक सीमा रे खा त व है । अब य द इसके साथ तीन कठोर इले ॉन आक षत करने
वाले त थापी के प म l परमाणु ओं को जोड़ दया जाए तो वह (BF3) एक ा पक प
से कठोर ल वस अ ल हो जाएगा -
R2 S .BF3  R2 O  R2O.BF3  R2 S
मृदु - कठोर कठोर - कठोर
इसके वपर त, य द सीमारे खा पर ि थत बोरोन परमाणु के साथ तीन मृदु धन व युती
हाइ ोजन परमाणु ओं को जोड़
दया जाए तो वह (BH3) एक ा पक प से मृदु ल वस अ ल हो जाएगा -
R2 O.BH 3  R2 S  R2 S .BH 3  R2 O
कठोर - मृदु मृदु - मृदु
इसी कार कठोर BF3 अणु दूसरे कठोर लोराइड F के साथ ा यकता से जु ड़ते ह, जब क

मृदु BH 3 अणु दूसरे मृदु हाइ ाइड आयन H के साथ जुड़ने को ा यकता दे ते ह :

BF3  F   BF4
B2 H 6  2 H   2BH 4
इसी कारण न न अ भ या दा हनी ओर पूणता को ा त करती है -
BF3 H 
 BH 3 F 
 BF4 
 BH 4
कठोर-मृदु मृदु-कठोर कठोर-कठोर मृदु-मृदु
इसके सम इले ॉ नक लोर नीकृ त मथेन का यवहार भी इसी कार का होता है -
CF3 H  CH 3 F  CF4  CH 4
कठोर-मृदु मृदु-कठोर कठोर-कठोर मृदु-मृदु
तीन लोर न यु त CF3 H क चौथे लोर न के साथ जु ड़ने क वृि त, इसी कार तीन
हाइ ोजन यु त CH 3 F क चौथे हाइ ोजन के साथ जु ड़ने क वृ त को जॉग सन
(Jorgensen) ने 1964 म सहजीवन (Symbiosis) का नाम दया । सहजीवन क
अवधारणा से अकाब नक रसायन क ऐसी कई अ भ याओं क या या क जा सकती है,
िजनम म त त थापी अणु सम मत त थापन क दशा म अ भ याओं को स प न
करते ह और इससे कठोर-कठोर व मृदु-मृदु अ भ याओं के स प न होने क भी पुि ट होती
है ।

25
2.3 कठोरता एवं मृदुता के स ा त (Theories of Hardness and
Softness)
अणु ओं के कठोरता एवं मृदुता के यवहार क या या करने के लए कई स ा त तपा दत
कए गए । इनम से कुछ मु ख स ा त क या या यहाँ क जा रह है -
(i) इले ॉ नक स ा त (Electronic Theory) - इस स ा त के अनुसार कठोर-कठोर
अ त या म आय नक ब ध होता है जब क मृदु-मृदु अ त या म सहसंयोजक ब ध
बनता है । छोटे आकार एवं उ च धनावेश वाले आयन से यह अपे ा क जाती है क
वे (अ) वग के कठोर ारक के साथ आय नक ब धन को ा यकता दगे, य द कठोर-मृदु
अ त या होती है तो बने हु ए उ पाद अ थायी ह गे ।
मसोनो (Misono) व उनके सहयो गय ने 1987 म कठोरता व मृदुता के स ब ध को दशाने
वाल एक समीकरण तु त क , िजसके अनुसार –
pK   logK  aX  bY  c यहाँ K= धातु- लगै ड संकुल के वयोजन के लए
सा य ि थरांक, X तथा Y = धातु ओं के लए पैरामीटर a तथा b = लगै ड के लए पैरामीटर,
तथा c = एक ि थरांक (िजसे लगै ड के साथ तुत कया जाता है ता क सम त मान एक
समान पैमाने पर यवि थत हो जाएं) ।
कठोर अ ल के लए Y के मान 2.8 से यून होते ह; मृदु अ ल के लए Y= 3.2 से उ च
होते ह; जब क सीमारे खा वाले अ ल के लए Y के मान 2.8 तथा 3.2 के म य होते ह ।
उदाहरणाथ, कु छ धातु आयन के लए पृ के मान न न सारणी (2. 1) म दशाये गए ह -
सारणी 2.1
धातु आयन Y कृ त

Li  0.36 कठोर अ ल

Al 3 0.70
Mg 2 0.80
Na  0.93
K 0.93
Ca 2 1.62
Fe 3
2.32
Co3 2.56
Cs  2.73
Co 2
2.96
Sn2 3.17
Tl 2 3.20
Cu 2
3.45

26
Pb 2 3.58
Tl  3.78
Hg 2 4.25
Au 
5.95 मृदु अ ल
इसी कार (b) के मान लगै ड के पैरामीटर ह और कठोरता से मृदुता क ओर बढ़ने पर इनके
मान म वृ होती जाती है । कुछ मु ख लगै ड के b पैरामीटर के मान सारणी 2.2 म
दए गए ह -

सारणी 2.2

लगै ड B कृ त

OH  0.40
NH 3 1.08
Cl 
2.49
Br  5.50
I 7.70

S 2O32 12.40

अत: X को भी कठोरता का एक माप माना जा सकता है और इसके वारा नधा रत म


व लयमसन के संकुल के थायी
व ि थरांक के अनु प ह होता है ।
Mn(II) <Fe(II)<Co(II)<Ni(II)<Cu(II)
(ii)  -ब धन स ा त (  -Bonding Theory) - चैट (J.Chatt) वारा तपा दत -ब ध
स ा त को मृदु-मृदु संकुल के म य के ब धन क या या करने म लागू कया जा सकता
है । इस स ा त के अनुसार मृदु अ ल म ढ ले बंधे हु ए d-क क इले ॉन होते ह जो उपयु त
लगै ड के साथ  -ब धन वारा संकुलन कर सकते ह । इन लगै ड म मूल परमाणु पर
र त d-क क उपल ध होते ह ।
उदाहरणाथ - P, As, S, I आ द CO अपवाद के अ त र त इन लगै ड म र त d-क को
क उपि थ त  -ब धन को मजबूत बनाने म मदद करती है ।
(ii) पटजर स ा त (Pitzer Theory) -ल डन एवं वा डरवाल बल का यह स ा त इस बात
क या या है क अ त या करने वाले मृदुम ृदु समू ह के म य के बल अ त या करने वाले
समू ह क करता -

ु णता के गुणनफल पर नभर करते ह। मृदु अ ल तथा मृदु ारक दोन क घुवणताओं
के मान उ च होते है ।

27
2.4 व यु त-ऋणा मकता एवं कठोरता व मृदुता (Electro negativity
and Hardness and Softness)
सामा यत: उ च व युत-ऋणा मकता वाले आयन कठोर होते ह तथा कम
व युत -ऋणा मकता वाले आयन मृदु होते ह । मरण यो य बात यह है क इस संदभ म
हम धाि वक आयन क बात करते ह, परमाणु ओं क नह ं । उदाहरणाथ, ल थयम परमाणु
(Li) क व युत-ऋणा मकता तो अ य त कम है, पर तु ल थयम धनायन (Li ) क
+

व युत -ऋणा मकता काफ अ धक है, य क इसके वतीय आयनन वभव का मान अ य त
उ च होता है । इसके वपर त कम ऑ सीकरण अव था म सं मण धातु ओं ( Cu , Ag
 

आ द) के आयनन वभव के मान काफ कम होते ह । अत: इनक व युत-ऋणा मकता के


मान भी काफ कम होते ह । कठोरता एवं व युत- ऋणा मकता के इस स ब ध से यह या या
भी क जा सकती है क मे थल ( CH 3 ) समू ह क तुलना म ाइ लोरो मथाइल ( CF3 ) समू ह
पया त कठोर य है और बोरोन ाइ लोराइड ( BF3 ) क कठोरता बोरे न BH 3 , क तुलना
म अ धक य है ।
मु ल कन जैफ ने अपनी व युत-ऋणा मकता क प रभाषा म a एवं b दो पैरामीटर का उपयोग
कया, इनम से पैरामीटर a, आयनन ऊजा व इले ॉन ब धुता व का थम यु प न है
तथा ब वतीय यु प न । इनम से पद a मुल कन क मूल व युत -ऋणा मकता के सम प
है जब क पद b परमाणु या समू ह के आवेश साम य का यु म (b = 1/2) है ।
व युत -ऋणा मकता एवं कठोरता का स ब ध व तुत : इस पद b म न हत है । F के लए
B का मान काफ उ च होते ह, अत: यह न केवल ऋणायन के प म कठोर ह बि क
ाइ लोरोमे थल समू ह को भी मे थल क तु लना म कठोर बनाता है ।
हाल ह (1987) म पार (Parr)एवं पीयरसन (Pearson)ने धातु आयन एवं लगै ड के कठोर
एवं मृदु गुण के लए b पद का उपयोग कया और मुल कन जैफ वारा a पद को द गई
सं ा परम व युत-ऋणा मकता" (absolute electro negativity) क तज पर इसका नाम
“परम कठोरता” (absolute hardness) दया और उसे न न कार से प रभा षत कया–
( IP  EA)
n
2
कठोर-मृदु अ ल- ार (HSAB) अ त या क या या करने के लए इ ह ने परम-कठोरता
के उपयोग के प म बल तक तुत कए ।
कू पमैन (Koopman’s) मेय के अनुसार कसी ब द कोश पीशीज के लए उ चतम भरे
हु ए अणु क क (Highest Occupied Molecular Orbital) HOMO ऊजा तर आयनन
ऊजा को दशाता है, जब क यूनतम र त अणु क क (Lowest Unoccupied
Molecular Orbitals) (LUMO) का ऊजा तर उसक इले ॉन बंधु ता को द शत करता
है । कठोर पीशीज के HOMO-LUMO के म य का ऊजा अ तर अ धक होता है, जब क
मृदु पीशीज म HOMO-LUMO के म य ऊजा का अ तर कम होता है । न नतर ऊजा

28
तर वाले ऐसे र त क क जो नर तर ऊजा अव था के साथ म त हो जाएं, मृदु परमाणुओं
क ु वणता क या या करते ह । पॉ ल जर (Politzer) ने परमाणवीय ु णता एवं b

पैरामीटर के म य के स ब ध को दशाया । इस कार क पर पर ु वणता से इले ॉन अ
म वकृ त आ जाती है िजससे तकषण कम हो जाता है । इसके अ त र त इन पीशीज
के साथ युि मत  -दान एवं  -प चय ब धन म वृ हो जाती है ।
बल ब ध एवं समइले ॉ नक ेणी के सद य के अ तगत Li; - F, Be -O-B -N तथा
C -C आते ह । इनम सवा धक बल ब ध Li - F है । इसका कारण इसम न हत अनुनाद
के साथ-साथ कठोर-कठोर अ त या भी है ।
Li  F   Li  F
व युत -ऋणा मकता एवं सरल ब धन आधा रत सरल गणनाओं से यह ात होता है क इस
ब धन म 25% ऊजा सहसंयोजक ब धन से, 50% आय नक ब धन से और शेष 25% ऊजा
कम ऋण व युती ल थयम परमाणु से इले ॉन घन व के अ धक ऋण व युती लोर न
परमाणु क ओर थाना तरण से ा त होती है और इसका मान लगभग पॉ लंग के आय नक
ऊजा के कर ब है ।
HSAB स ा त को E A E B  C AC B त वारा 1960 म जोड़ा गया था । EA EB मश:
अ ल व ारक के लए ि थर वै युत (electrostatic) या आय नक ब धन का पैरामीटर
है तथा C ACB मश: अ ल व ारक के लए सहसंयोजक (Covalent) ब धन का पैरामीटर
है ।
1975 म मैकडे नयल (McDaniel) एवं उनके सा थय ने HSAB पैरामीटर दशाने वाला
मैकडे नयल आरे ख" रे खां कत कया िजसम कठोर अ ल- ारक बंधु ता को च ां कत कया गया
। (च 2.1) ।

उपरो त च 2.1 म य द H+ जैसे कठोर अ ल के त ब धुता को और CH 3 जैसे मृदु


अ ल के त ब धुता को आरे खत करके उन पर इकाई लोप (ढाल) क रे खाओं को खींचा


जाए तो X अथवा Y नदशांक क दू रय को मापकर न न कार क अ भ या के ए थै पी
प रवतन  Hr का प रकलन कया जा सकता है ।
Ah BS  As Bh  Ah Bh  AS BS
29
च 2.1 म,
(i)  H  दोन ारक 88 व 88 क कठोर अ ल Ah के त ब धुता का अ तर ।
(ii)  s  दोन ारक क मृदु अ ल As के त ब धुता का अ तर ।
(iii) य द दोन ारक Bs व Hh एक ह रे खा पर ि थत हो तो दोन क कठोरता /मृदुता समान
होती है ।
(iv) िजस ारक क रे खा ऊपर या दूसरे के बाई ओर हो तो वह दूसरे से मृदु होता है ।
(v) चू ं क इनक साम य अ ल- ारक अ त या के प रणाम से स बि धत है, अत: कसी दए
गए ारक का ब दु मूल से िजतना दूर होगा , वह उतना ह बल होगा ।
च 2.2 म कुछ ा पक ारक के ोट न बखु ता एवं CH ब धु ता के म य के आरे ख को

3

दशाया गया है । मू ल आकड़ के म य क न कोण व (smooth curve) को ठोस लाइन वारा


दशाया गया है िजसम सम त ब दु इस व के आस-पास ह, जब क वी हु ई रे खा कठोर ारक
( F एवं OH ) को जोड़कर तु लना मक अ ययन के लए खींची गई है । प ट प से च
 

दशाता है क कठोर ारक वी हु ई रे खा के अ धक नकट ह, जब क मृदु ारक इस रे खा से थोड़ी


दूर पर ि थत है । जो ारक िजतना अ धक मृदु है वह इस टू ट हु ई रे खा से उतनी ह दूर पर
ि थत होगा

च 2.2 : ऋणायनी ारक क ोट न ब युकता एवं CH 3 ब धुकता के म य का व


1982 म टे ले (Styley) एवं उसके सा थय ने सं मण धातु ओं एवं व भ न लगै ड के


म य के वयोजन ऊजा का गैसीय ाव था म अ ययन कया । उ ह ने पाया क Co  ( d 8 )
क तुलना म Cu  ( d 10 ) अ धक मृदु है । जब क भए Mn  ( d 6 ) क तुलना म
Co ( d ) अ धक मृदु है । इन प रणाम को च 2.3 म दशाया गया है । च से प ट
 8

है क ऑ सीजन दाता लगै ड या कठोर ारक लगभग एक रे खा म या उसके आस-पास ि थत


ह जब क स फर दाता लगै ड जैसे मृदु ारक के आते ह वे Co जैसे मृदु अ ल के साथ

30
एक पृथक रे खा बना दे ते ह , िजनक वयोजन ऊजा का मान लगभग 30KJ अ धक है । इससे
HSAB अ त या का य माण एवं प रमाण ात हो जाता है ।

च 2.3 : Mn एवं Co के लए व भ न लगै ड के वयोजन ऊजाओं क तुलना


2.5 HSAB स ा त के अनु योग (Applications of HSAB
Principle)
रसायन व ान के कई े क अभ याओं क या या HSAB स ा त वारा क जा
सकती है । कुछ मुख अनु योग न न कार से है -
(i) सामा य ब ध नयम के अनुसार सवा धक ऋण व युती F- आयन एवं अ य धक
धन व युती Cs के म य का ब ध अ य त बल होना चा हए । साथ ह इसके नमाण
म ऊजा मु त (exothermic) होनी चा हए । पर तु वा त वकता यह है क न न
अभ या एक उ मा ेपी अ भ या है –
LiI  CsF  L iF  CsI  13.9KJ
इस अ भ या म मृदु आयोडाइड आयन मृदु सीिजयम आयन के साथ जु ड़ने को
ाथ मकता दे ता है ।
(ii) HSAB स ा त के अनुसार वषमांगी उ पेषण म मृदु धातु मृदु ारक का अवशोषण
करते ह ।
(iii) HSAB स ा त कहता है क कठोर वलेय पदाथ कठोर वलायक म वलयशील होते
ह । जब क मृदु वलेय पदाथ क वलेयता मृदु वलायक म अ धक होती है ।
(iv) कृ त म पाये जाने वाले धातु भी इसी नयम क पालना करते ह, अथात ् धातु ाकृ तक
अव था म अ धक थायी प म HSAB स ा त के अनुसार पाए जाते ह । जैसे क
- Ca 2 , Mg 2  , Al 3 आ द कठोर अ ल Co3 O जैसे कठोर ारक के साथ
2 2

संयु त होकर कृ त म CaCO3 MgCO3 , व Al 2O3 प म मलते ह । दूसर ओर

31
Cu  , Ag  , Hg 2  आ द मृदु धातु आयन S जैसे मृदु ारक ऋणायन के साथ
2

संयक
ु ा होकर ाकृ तक तौर से स फाइड अय क के प म मलते Ni , Pb , Cu
2 2 2

जैसे सीमारे खा (म यमवत ) आयन स फाइड व काब नेट दोन कार के लवण के प
म ाकृ तक तौर से पाये जाते ह ।
(v) HSAB स ा तानुसार इस बात को भी सरलता से समझाया जा सकता है क

 AgI 2 
थायी आयन है जब का कोई अि त व नह ं है । हम जानते ह क Ag 

 AgF2 
एक मृदु धनायन है अत : मृदु I ऋणायन के साथ तो यह थायी संकुल बनाता है, पर तु

कठोर F आयन के साथ इसका सकुलन नह ं होता ।इसी कार, कठोर अ ल


 3
CoF6 
Co3 कठोर ारक F  का संकुल, -  CoI 6  कठोर अ ल Co3 व मृदु ारक I 
3

के संकु ल क तुलना म अ धक थायी होता है । इसी कार कैड मयम के दो संकु ल


एवं के तुलना मक था य व को भी HSAB नयम के
2 2
Cd ( NH )4  Cd (CN ) 4 
आधार पर सरलता से समझाया जा सकता है । इनम संकुल आयन
2
Cd (CN ) 4 
अ धक थायी होता है, य क इसम मृदु अ ल Cd+ आयन व मृदु ारक CN- के म य

ब धन है जो क बल होगा । इसके वपर त 2 म मृदु अ ल Cd 2


Cd ( NH 3 ) 4 
व कठोर ारक ल ल, म ब धन है जो कम बल होगा । अत: यह संकुल कम थायी
होता है ।
(vi) HSAB स ा त क सहायता से हैलोजन अ ल क आपे क अ ल साम य भी समझाई
जा सकती है । हैलाइड आयन क कठोरता का घटता हु आ म न न कार से होता
है -
F  Cl  Br  I 

अत: ोट न H एक कठोर अ ल के साथ ब धन क साम य भी इसी म म घटे गी,


अथात ् जल य मा यम म वयोिजत होने क मता इस म म बढ़े गी । अत: हैलोजन


अ त क अ ल साम य का बढ़ता हु आ म न न कार से होगा
HF  HCI  HBr  HI
(vii) HSAB स ा त क सहायता से यह भी आसानी से समझाया जा सकता है क पैले डयम
(Pd) व लै टनम (Pt) जैसे धातु जो उ रे क का काय करते ह वे CO, ओल फन
फॉ फोरस तथा आस नक लगै ड से वषा त हो जाते ह । इसका कारण यह है क
ये धातु मृदु ह और CO, ओल फन फॉ फोरस तथा आस नक आ द सब मृदु ारक
ह । अत: ये तुर त धातु क सतह पर ती ता से अवशो षत हो जाते ह । िजससे उ पेरक
क सतह के सम त स य ब दु लाँक हो जाते ह और उसक उ पेरक य (Catalytic)
मता समा त हो जाती है ।

32
(viii) ना भक तेह त थापन अ भ याओं के SN
1
एवं SN ,
2
या व धय तथा
अभ याओं के वेग को भी HSAB स ा त वारा समझाया जा सकता है ।
(ix) प रवत संयोजकता वाले धातु ओं क कठोरता उनक ऑ सीकरण अव था पर नभर
करती है । अत: शू य ऑ सीकरण अव था म नकल ( Ni (CO ) 4   मृदु है , दो

ऑ सीकरण अव था Ni (II) सीमावत है, जब क चार ऑ सीकरण अव था ला Ni(IV)


कठोर है ।
(x) कसी अ भ या क दशा- नधारण को भी HSAB स ा त के आधार पर समझाया
जा सकता है ।
उदाहरणाथ-
H  CH 3 HgOH  H 2O  CH 3 Hg 
उपयु त अ भ या अ म दशा म स प न होगी, य क इस दशा म कठोर अ ल H+,कठोर
ारक OH- के साथ संयु ता हो रहा है ।
ले कन न न अ भ या-

H  CH 3 HgSH  H 2 S  CH 3 Hg 
वपर त दशा म स प न होगी, य क वपर त दशा म मृदु अ ल CH 3 Hg (मे थल

मर यू रक आयन), मृदु ारक SH के साथ संयु त हो रहा है ।

2.5.1 HSAB स ा त क सीमाएँ (Limitations of HSAB Principle)

रासाय नक अ भ याओं एवं कई पदाथ क कृ त क या या करने के उपरा त भी इस


स ा त क कई सीमाएँ ह । इनम से मुख को न न कार से बताया गया है -
(i) यह कसी भी मापन का कोई मा ा मक पैमाना उपल य नह ं करवाता है ।
(ii) कसी भी म को समझाने के लए यौ गक को अ ल व ारक इकाइय म बांटना
आव यक होता है, यह तभी स मव है जब अ भ या ात हो ।
(iii) इस स ा त के अनुसार कसी अ ल या ारक क कठोरता या मृदुता उसक साम य
पर नभर नह ं करती, ले कन कह -ं कह ं यह नभर करती भी है ।
(iv) CH3 एक मृदु अ ल है जब क H-एक मृदु ारक है , अत: -

CH ( g )  H 2 ( g )
3  CH 4 ( g )  H  ( g )
अभ या स प न होनी चा हए, ले कन व तु त: यह अ भ या स प न नह ं होती ।
अत: हम उपरो त या याओं के आधार पर यह कह सकते ह क त चू ं क एक ऐसा स ा त
है जो ायो गक त य पर आधा रत है । अत: जो ायो गक त य HSAB स ा त से मेल
नह ं खाते, उ ह कसी और स ा त के आधार पर समझाया जाना चा हए ।

2.6 सारांश (Summary)


 सहजीवन के आधार पर अ ल व ारक क कठोरता या मृदुता को प रि थ तयाँ बदल
कर बदला जा सकता है । अथात ् कसी परमाणु के साथ जु ड़े हु ए त थापी परमाणु ओं

33
क कृ त बदलकर उस परमाणु क कठोरता अथवा मृदुता , अ ल य या ारक य, कृ त
को बदल सकते ह ।
 अणु ओं क कठोरता एवं मृदुता क या या अनेक स ा त वारा तपा दत क गई
ह िजनम मु ख ह -
इले ान स ा त;  -ब धन स ा त व पटजर स ा त ।
 अणु ओं क कठोरता एवं मृदुता को व युत -ऋणा मकता के आधार पर भी सरलता से
समझा जा सकता है ।
 कई अ भ याओं क या या को HSAB स ा त वारा सरलता से समझा जा सकता
है ।HSAB के अनेक अनु योग ह िज ह इस अ याय म व तार से समझाया गया है

 HSAB क कई सीमाएं भी ह । इ ह भी इस अ याय म उ ृत कया गया है ।

 पदाथ के था य व को ात करने म पीयरसन का HSAB स ा त मह चपूण भू मका


रखता है । इसक सहायता से पदाथ के था य व के साथ उसक अ ल यता एवं
ारक यता भी ात कर पाना आसान हो गया है ।
 HSAB स ा त ायो गक त य पर आधा रत स ा त है ।

2.7 श दावल (Glossary)


1 सहजीवन (Symbiosis) - अ ल व ारक क कठोरता व मृदुता कसी परमाणु वशेष
का न हत गुण नह ं है , वरन ् प रि थ तय को बदलकर उसक कृ त को बदला जा सकता
है ।
2 HOMO - उ चतम भरे हु ए अणु क क
3 LUMO - न नतम र त अणु क क

2.8 संदभ ंथ (Reference Books)

1. इनआग नक कै म  ं सप स ऑफ चर ए ड रए ट वट (फोथ ए डशन), जे स


ई. हु ह , हारपर इ टरनेशनल एस.आई. ए डशन (ल दन)
2. अ ल एवं ारक  डॉ. आर.सी. मेहरो ा एवं डॉ. एके. म ा राज थान ह द थ
अकादमी, जयपुर ।

2.9 अ यासाथ न (Exerices Questions)

1. परम कठोरता से आप या समझते ह?


2. अ ल- ारक क परम-कठोरता पर काश डाल ।

34
3. Li I + CsF Li F + Csl अ भ या ऊ माशोषी होगी अथवा ऊ मा ेपी । समझाएँ

4. सहजीवन से आप या समझते ह?
5. LiF एक अ य त थायी यो गक य है?
6. HSAB स ा त के अनु योग एवं सीमाओं पर काश डा लए ।
7. अ ल एवं ारक क साम य एवं उनक कठोरता व मृदुता म स ब ध था पत क िजए

8. कठोरता एवं मृदुता के व भ न स ा त क या या क िजए ।
9. कठोरता एवं मृदुता के इले ॉ नक /  -ब ध अथवा प जर स ा त को समझाएँ ।
10. व युत -ऋणा मकता एवं कठोरता व मृदुता के म य स ब ध था पत क िजए ।

35
इकाई - 3
सं मण धातु संकु ल म धातु- लगे ड ब धन- I
(Metal – Ligand Bonding in Transition Metal
Complexes-I)
इकाई क प रे खा:-
3.0 उ े य
3.1 तावना
3.2 संयोजकता बंध स ांत क सीमाएँ
3.3 टल फ ड स ांत का ारि भक ान एवं अ ठफलक य संकुल म टल फ ड का
वघटन
3.4 चतु फलक य संकुल म टल फ ड का वघटन
3.5 वग समतल य संकुल म टल फ ड का वघटन
3.6 सारांश
3.7 श दावल
3.8 संदभ थ
3.9 अ यासाथ न

3.0 उ े य (Objective)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप न न ब दुओं को समझ पाएंग-े
 संयोजकता बंध स ांत क सीमाएँ ।
 टल े स ांत क व तृत जानकार ।
 वभ न कार के संकु ल म इले ॉन का वतरण ।
 टल े थाईकरण ऊजा, उसक गणना एवं उपयोग ।

3.1 तावना (Introduction)


कई दशक तक रसायनशा ी सं मण धातु संकुल अथात उपसहसंयोजक यौ गक म धातु
लगे ड बंध कृ त क या या करने का यास करते रहे ह । इ ह ं यास के तहत यह माना
गया क इन संकुल म धातु एवं लगे ड के म य का बल उपसहसंयोजक बंध होता है, िजसम
धातु परमाणु लु ईस अ ल (इले ॉन यु म ाह ) तथा लु ईस ार (इले ॉन यु म दाता) क
तरह' यवहार करता है ।
इसके उपरांत अमे रक वै ा नक पॉ लंग ने संयोजकता बंध स ांत दया िजसम मु य समू ह
त व क भां त सं मण त व म भी बंधन होता है । यौ गक क ात या म त को उनम
उपि थत धातु आयन के व भ न कार के सं मण के आधार पर समझाया गया है ।

36
संयोजकता बंध स ांत य य प सं मण धातु संकुल के यवहार तथा या म त क संतोष द
या या करता है । परंतु इसक कु छ सीमाएँ भी है ।

3.2 संयोजकता बंध स ांत क सीमाएँ


इस स ांत क मु ख क मयाँ न न ल खत है-
1. इस स ांत म धातु आयन क कृ त के बारे म बहु त चचा क गई है, परं तु लगै ड
क कृ त के बारे म कुछ नह ं कहा गया है, जब क संकु ल नमाण म धातु एवं लगे ड
दोन का मह व होता है ।
2. अ धकांश सं मण धातु संकुल रं गीन है । परंतु V.B.T रं ग क तथा इनके इले ॉ नक
पे ा क या या नह ं करती है ।
3. धातु संकुल के उ माग तक गुण क या या भी यह स ांत नह ं कर सकता है ।
4. सं मण धातु ओं के गुण क ताप पर नभरता को इस स ांत के वारा नह ं समझा जा
सकता है ।
5. d1,d2,d3 तथा d3 व यास वाले अ ठफलक य, चतु फलक य, वग समतल य संकुल म
अयुि मत इले ॉन क सं या के आधार पर वभेद नह ं कया जा सकता है ।
6. इस स ांत वारा धातु क या म त चु बक य गुण के आधार पर ात क जाती है
। परंतु यह व ध पूणत: सह नह ं पाई गई है ।
जैसे : (1) X करण ववतन व ध से कु छ अनुचु बक य नकल (II) संकु ल क या म त
वग समतल य ा त हु ई है ।
7. Cu(II) तथा Co(II) संकुल क या म त एक इले ॉन को उ च ऊजा तर म ो नत
कर समझाई जाती है क तु V.B.T यह नह ं समझाती क इन दोन संकुल के समान
अपचायक गुण य नह ं होते अथात ् संकु ल के चु बक य गुण क मा ा मक या या
इससे नह ं क जा सकती है ।
8. यह स ांत यह प ट नह ं कर सकता है क कुछ अव थाओं म आंत रक क क संकु ल
तथा कु छ म बाहर क क संकुल य बनते ह ।
9. Cu(II) तथा Ti(II) संकुल क आकृ त वकृ त होती है । यह V.B.T वारा नह ं समझाया
जा सकता है ।
10. Cr(III) तथा आ त रक क क Co(III) अ ठफलक य संकुल क ग तक अ यता को
इस स ांत वारा नह ं समझाया जा सकता है ।
बोध न
1. न न ल खत कथन के लए स य / अस य बताइए ।
( क) V.B.T सं मण धातु सं कु ल के रं ग तथा इले ॉ नक पे ा क या या करती है
( स य / अस य)
(ख) V.B.T स ां त म लगे ड क कृ त को उ चत मह व दया गया है ।
(स य / अस य)

37
(ग) Cu(II) तथा Ti(II) सं कु ल क वकृ त या म त V . B.T . वारा समझाई जा सकती
है ।
( स य / अस य)
( घ) V.B.T के वारा धातु सं कु ल क उ माग तक गु ण तथा चु बक य गु ण क या या
क जा सकती है ।
( स य / अस य)
बोध न के उ तर
( क) अस य (ख) स य (ग) अस य ( घ) अस य

3.3 टल फ ड स ांत का ारि भक ान एवं अ ठफलक य संकु ल


म टल फ ड वघटन (An Elementary Idea of Crystal
Field Theory and Crystal Field Splitting)
इस स ांत के अनुसार धातु आयन मु त व गैसीय अव था म होता है तथा सं मण धातु
संकुल के बनने म लगे ड ऋणा मक ब दु आवेश क भां त यवहार करते ह । इन दो वपर त
आवे शत पेशीज के म य बनने वाला ब ध पूणतया ि थर कृ त का होता है तथा धातु क क
व लगे ड क को म कोई अ तः या नह ं होती है ।

3.3.1 टल फ ड स ांत (Crystal Field Theory) का ारि भक ान -

सन ् 1929 म है स बैथे तथा जो स वीन लेक ने संकुल म धातु लगे ड ब ध क कृ त


को समझाने के लए नए वचार तु त कए । उनके ये वचार ि थर वै युत मॉडल पर
आधा रत थे जो बाद म टल फ ड स ांत (C.F.T) के नाम से व यात हु ए । ार भ
म यह स ांत आय नक टल पर लागू कया गया था, अत: इसे टल स ांत कहा
गया ।

3.3.2 टल फ ड स ांत क मुख अवधारणाएँ -

टल फ ड स ांत क मुख अवधारणाएँ न न ल खत है -


1. लगे ड को ब दु आवेश माना जाता है ।
2. धातु क क व लगे ड क क म कसी कार क अ तः या नह ं होती है ।
3. धातु आयन तथा लगे ड के म य ब धन पूणत: ि थर वै युत कृ त का होता है।
4. कसी वल गत गैसीय धातु आयन म पाँच d क क समान ऊजा के (degenerate)
होते ह परंतु जब यह लगे ड के स पक म आता है तो इसक समान ऊजा
(degeneracy) न ट हो जाती है य क लगे ड वारा लगाया गया े गोलाकार
सम म त का नह ं होता तथा सभी d क क लगे ड े से समान प से भा वत
नह ं होते है ।

38
अत: (C.F.T) के अनुसार सं मण धातु संकु ल न न ल खत पद म बनते ह ।
1. लगे ड इले ॉन धातु आयन क ओर अ सर होते ह । िजससे धातु इले ॉन व लगे ड
इले ॉन म म य तकषण होता है । इससे धातु आयन के d क क क ऊजा म
वृ हो जाती है ।

2. लगे ड इले ॉन वा त वक बंध क दशा (जैस-े अ ठफलक य, चतु फलक य म


यवि थत होते ह ।
3. जो d क क बंध क दशा म होते ह वे लगे ड से अ धक तक षत होते ह । िजससे
उनक ऊजाओं म वृ हो जाती है तथा जो क क बंध क दशाओं के म य ि थत
होते ह उनक ऊजा म कमी हो जाती है । परं तु d क क के म य ऊजा समान रहती
है य क इनका गु व के (Center Gravity) समान रहता है ।
4. लगे ड इले ॉन व धनावे शत धातु आयन के म य ि थर वै युत आकषण बल होता
है िजससे कुल - ऊजा म कमी हो जाती है जो संकुलन म सहायक होती है ।
उपयु त सभी पद को उपरो त च – 3.1 म दखाया गया है ।

3.3.3 टल फ ड वभाजन (Crustal Field Splitting)

जैसा क हमने उपयु त खंड म दे खा क संकुल नमाण म धातु के सभी-d क क लगे ड


इले ॉन से समान प से भा वत नह ं होते ह । इसके प रणाम व प धातु त-क क समान
ऊजा के नह ं रहते तथा अलग-अलग ऊजा तर म वभ त हो जाते ह । चू ं क d-क क म
वभाजन लगे ड के टल े के कारण होता है । अत: इसे टल े वभाजन कहते
ह तथा वभािजत क क के म य क ऊजा को टल फ ड वभाजन ऊजा कहते ह । इसे
 या 10dq वारा द शत करते ह ।
अब हम अ ठफलक य, वग समतल य तथा चतु फलक य संकु ल म d-क क के वभाजन
का अ ययन करगे ।

39
3.3.4 अ ठफलक य संकुल म त-क क का वभाजन

(Splitting of d-Orbitals in Octahedral Complexes)

अ ठफलक य संकु ल के नमाण म यह माना जाता है क धातु आयन काट जन अ के के


म तथा छ: लगे ड अ क ओर अथात x  x, y  y तथा z-z दशाओं म होते ह । आर भ
म जब लगे ड धातु आयन से अन त दूर पर होते ह, तब धातु के सभी त -क क समान
ऊजा के होते ह । पर तु जब लगे ड धातु आयन के पास आते ह तब इसके d-क क क
समान ऊजा न ट हो जाती है । dx 2  y 2 व Dz क क चू ं क अ क दशा म होते है,
2

अत: ये लगे ड के माग म पड़ते है । अत: अ धक तक षत होते ह । िजससे इनक ऊजाएं


अ धक बढ़ जाती है । शेष तीन d -क क अथात dxy,dyz तथा dzx लगे ड क दशा
से दूर होते ह अत: इनक ऊजाएं अपे ाकृ त कम होती है । अ ठफलक य े म मूल ब दुओं
धातु परमाणु (O) से तीन अ पर दोन तरफ से समान दूर पर य द छ: ब दु ( लगे ड)
लए जाएं तो यह न न कार के एक अ ठफलक का नमाण करते ह ।

च : 3.2 नय मत अ ठफलक
अत: अ ठफलक य े म धातु के d-क क दो ऊजा तर म वभ त हो जाते ह । कम ऊजा
वाले d-क क (dxy,dyz) तथा dzx) t 2 g कहलाते ह तथा उ च ऊजा वाले dx 2  y 2 ,तथा

dz2, क क कहलाते ह । यहाँ 'e' जमन श द आइिजन (eigen) तथा से (doubly


degenerate) गु णत समऊजा क क को द शत (triply degenerate orbitals) को
द शत करता है । यहाँ 'g' पद यह द शत करता है क अणु म तीपन के (center
of symmetry) उपि थत है। अ ठफलक य े म d-क क के वभाजन को न न कार
से द शत कया जा सकता है ।

40
अ ठफलक य े म धातु आयन
च : 3.3 अ ठफलक य े म d-क क का वभाजन
अ ठफलक य े म है-क क के दोन ऊजा तर के म य के ऊजा अ तर को  या 10
 q से द शत करते ह । इन क क क ऊजाओं का योग सम श
ं ऊजा के बराबर होता
है । इसे बेर के भी कहते ह ।
3
अत: dx 2  y 2 तथा Dz ऊजा +6dq या  0 तथा dxy, dyz तथा dzx क क क
2

5
3
ऊजा -4  q या  0 होती है । इले ॉन के न न ऊजा वाले क क म आने से ऊजा
5
मु त होती है । िजससे कु ल ऊजा म कमी हो जाती है िजसे टल े था य व ऊजा
(CFSE) कहते है ।

3.3.5 टल फ ड थाईकरण ऊजा (Crystal Field Stabilization)

कसी धातु परमाणु के d-क क के वभाजन के प रणाम व प उसक ऊजा म हु ई कुल कमी
को टल े थाईकरण ऊजा कहते ह । अ ठफलक य संकु ल के लए यह न न ल खत
सू से ात क जाती है ।
CFSE (अ ठफलक य)     0.4(t2 g )     0.6n( eg ) ..................................(i)
तथा चतु फलक य संकुल के लए
CFSE(चतु फलक य)     0.6(e g )     0.4n(t g ) …………………………..(ii)
2

य द एक क क म दो इले ॉन के यु मन क मा य ऊजा P तथा m युि मत इले ॉन


क सं या हो तो अ ठफलक य संकुल म कसी d आयन क  0 पद म CFSE न न
n+

कार से द जाती है -
CFSE = [-0.4+0.6q]  0 +mp.................................................(iii)
जहाँ p=t2g क क म इले ॉन क सं या है ।
q=eg क क म इले ॉन क सं या है । तथा n = p +q है ।
य य प कोई भी d-क क लगे ड क दशा म नह ं होता पर तु dxy, dyz तथा dzx अ य
दो क क क तुलना म लगे ड के यादा पास होते ह । अत: चतु फलक य े म भी धातु

41
के d-क क दो भाग म वभािजत हो जाते ह पर तु इस अव था म गु णत सम श
ं (समान
ऊजा वाले) (t2) क क क ऊजा आइिजन (e) क क से अ धक होती है । इसे न न च
वारा द शत कया जा सकता है ।

च : 3.4 चतु फलक य े म d-क क का वभाजन


चतु फलक य े म d-क क के दो ख ड के म य ऊजा अ तर को  t (या 10  q ) से

दशाते ह जहाँ 't' से अ भ ाय: चतु फलक य े से है । चतु फलक य े म टल े


वभाजन अ ठफलक य े म हु ए वभाजन से कम होता है य क एक तो इसम छ: के थान
पर केवल चार लगे ड होते ह, दूसरे इनम से कोई भी लगे ड े क अनुपि थ त म धातु
के सभी d-क क सम ंश (समान ऊजा के) होते ह । जब लगे ड धातु आयन क ओर आते
ह तो धातु इले ॉन तथा लगे ड के इले ॉन के म य तकषण होता है । यह तकषण
सभी d-क क के लए समान नह ं होता ।
(i) य द n=0 या 10 हो तो उ च व न न च ण दोन अ ठफलक य संकुल के लए CFSE
= 0 होगी अथात d-क क के वभाजन से कोई था य व नह ं आएगा ।
(a) n=0 के लए p=q=0
 CFSE=[-0.4  0+0.6  0]  0 =0
(b) n=10 के लए p=6 तथा q=4
 CFSE=[-0.4  6+0.6  4]  0 =0
(ii) य द n=1,2 या 3 हो तो उ च व न न च ण दोन कार के अ ठफलक य संकु ल के लए
 2 g क क म एक-एक इले ॉन आएंगे । अत: इनके लए CFSE क गणना न न कार
क जा सकती है ।
(a) n=1 के लए p=1, q=0
 CFSE=[-0.4  1+0.6  0]  0 =-0.4  0
(b) n=2 के लए p=2, q=0
 CFSE=[-0.4  2+0.6  0]  0 =-0.8  0

42
(c) n=3 के लए p=3, q=0
 CFSE=[-0.4  3+0.6  0]  0 =-1.2  0
(iii) य द n=8 या 9 हो तब भी उ च व न न च ण दोन कार के अ ठफलक य संकुल म
इले ॉन का वतरण समान होगा । अत: CFSE के मान भी समान ह गे ।
(a) n=8 के लए p=6, q=2
 CFSE = [-0.4  6+0.6  2]  0
= [-2.4+1.2]  0 =-1.2  0
(b) n=9 के लए p=6, q=3
 CFSE = [-0.4  6+0.6  3]  0
= [-2.4+1.8]  0 =-0.6  0
(iv) य द n=4,5,6 या 7 हो तो इले ॉन का वतरण भ न होगा अत: न न च ण व उ च
च ण अ ठफलक य संकुल के लए CFSE के मान भी भ न- भ न ह गे ।
(a) n=4 न न च ण वाले अ ठफलक य संकुल म  0 >P
 इले ॉन का वतरण t24g eg 0 p=4, q=0, m=1
 CFSE = [-0.4  0+0.6  0]  0 +P
= -1.6  0 +P
उ च च ण वाले अ ठफलक य संकुल म  0 <P अत: इले ॉनीय व यास eg 1 होगा।
3
t2g
अत: p=3, q=1, m=0
 CFSE = [-0.4  3+0.6  1]  0 +0  P
= [-1.2+0.6]  0 =0.6  0
(b) n=5 न न च ण वाले अ ठफलक य संकुल म इले ॉन का वतरण
5
t2g eg 0
अत: p=5, q=0, m=2
 CFSE = [-0.4  5+0.6  0]  0 +2  P
= -2.0  0 +2P
उ च च ण वाले संकु ल म अत: इले ॉन का वतरण eg 2 होगा ।
3
t2g
अत: p=3, q=2, m=0
 CFSE = [-0.4  3+0.6  2]  0 +0  P
= [-1.2+1.2]  0 =0
(c) n=6 न न च ण वाले संकुल म इले ॉन का वतरण
6
t2g eg 0
अत: p=6, q=0, m=3
 CFSE = [-0.4  6+0.6  0]  0 +3  P
= -2.0  0 +3P

43
उ च च ण वाले संकु ल म इले ॉन का वतरण eg 2 है ।
4
t2g
अत: p=4, q=2, m=1
 CFSE = [-0.4  4+0.6  2]  0 +1  P
= [-1.6+1.2]  0 +P=-0.4  0 +P
(d) n=7 न न च ण वाले अ ठफलक य संकुल म इले ॉन का वतरण
6
t2g eg 1
अत: p=6, q=1, m=3
 CFSE = [-0.4  6+0.6  1]  0 +3  P
= [-2.4+0.6]  0 +3P
= -1.8  0 +3P
उ च च ण वाले संकु ल म इले ॉन का वतरण eg 2 है ।
5
t2g
अत: p=4, q=2, m=2
 CFSE = [-0.4  5+0.6  2]  0 +2P
= [-2.4+1.2]  0 +2P
= -0.8  0 +2P
यह सभी मान व धातु आयन के s मान सारणी-1 म दए गए ह ।

44
3.3.6 अ ठफलक य संकुल म इले ॉन का वतरण

(Distribution of Electrons in an Octahedal Complex)

हम पूवा ययन के आधार पर यह व दत है क अ ठफलक य े म धातु d-क क दो ऊजा


तर t 2 g व eg म वभािजत हो जाते ह । इनम से t 2 g क क (dxy, dyz तथा dzx)

क ऊजा कम तथा eg क क (dx -y तथा dz ) क ऊजा अ धक होती है ।


2 2 2

ॉ नक व यास d ,d ,व d ,वाले धातु आयन म इले


1 2 3
इले ॉन न नतम ऊजा वाले t 2 g
क क म ह भरे जायगे तथा टल े क शि त से भा वत नह ं ह गे । इसम हु ई ऊजा
म कुल कमी टल े थाईकरण ऊजा कहलाती है ।

इले ॉ नक व यास d4,d5,d6 व d7वाले धातु आयन के दो कार के संकु ल संभव है । तीन
t2 g क क म एक-एक इले ॉन भरने के बाद इन धातु आयन म अगले इले ॉन या तो
इन एक-एक इले ॉन यु त सम ंश क क (समान ऊजा क क ) म भरे जा सकते ह या
उ च ऊजा वाले eg क क म जा सकते ह । इनम से कौनसी यव था होगी यह इनके लए
आव यक ऊजा पर नभर करे गा ।
इनम दो ि थ तयाँ न न कार क होगी
(i) वभाजन ऊजा < यु मन ऊजा (   ) (splitting energy<pairing energy)
य द दोन ऊजा तर के म य वभाजन ऊजा का मान यु मन ऊजा से कम हो तो इले ॉन
उ च ऊजा तर eg क क म वेश करगे, t 2 g क क म उनका यु मन नह ं होगा अत:
सभी इले ॉन अयुि मत रहे ग इस कार ा त संकुल च ण मु त या दुबल े संकुल कहलाते
ह ।
(ii) वभाजन ऊजा > यु मन ऊजा (   ) (splitting energy>pairing energy)
य द वभाजन ऊजा का मान यु मन ऊजा से अ धक होता है तो इले ॉन कम ऊजा वाले
t2 g क क म ह वेश करते ह। चू ं क इस कार के संकु ल म इले ॉन का यु मन होता
है अत: इ ह च ण युि मत या बल े संकुल कहते ह।
बल लगे ड के साथ वभाजन ऊजा (  0 ) का मान यु मन ऊजा ( ) से अ धक होता
है । िजससे इले ॉन उ च ऊजा तर म नह ं जा पाते बि क उनका यु मन हो जाता है ।
इस अव था म संकुल म अयुि मत इले ॉन क सं या कम होती है ।
दूसर ओर दुबल लगे ड जैसे ( F , H 2 O ) आ द के साथ वभाजन ऊजा (  0 ) यु मन

ऊजा ( ) से कम होती है। इस अव था म इले ॉन के लए युि मत होने के बजाय उ च


45
ऊजा तर (eg) म जाना यादा आसान होता है । ऐसे संकुल म अयुि मत इले ॉन क
सं या अ धक होती है।
नाइहोम (Nyholm) के अनुसार बल लगे ड के साथ बने संकु ल को च ण युि मत संकुल
तथा दुबल लगे ड के साथ बने संकुल को च ण मु त संकु ल कहा जाता है।
बेथे (Bethe) तथा वॉन लेक (Van Vleck) ने इ ह उ च/ बल े तथा न न/दुबल े
संकुल कहा । ऑगल (Orgel) के अनुसार इ ह मश: न न च ण ( बल लगे ड से) तथा
उ च च ण संकुल नाम दया गया ।
संयोजकता बंध स ांत म ये दो कार के संकु ल 'आंत रक क क' तथा 'बा य क क' संकु ल
कहलाते ह । दुबल व बल े म d4,d5, व d6 तथा d7 व यास वाले धातु संकुल के
इले ॉनीय व यास न न ल खत है ।

बल े -
4 5 6 6
d 4   t 2 geg 0 ; d 5   t 2 geg 0 ; d 6   t 2 geg 0 ;  d 7   t 2 geg1

दुबल े -
3 3 4 5
 d 4   t 2 geg1; d 5   t 2 geg 2 ; d 6   t 2 geg 2 ;  d 7   t 2 geg 2

उदाहरणाथ : Fe (III) आयन CN  व F  आयन दोन के साथ अ ठफलक य संकुल


बनाता है । परं तु दोन के चु बक य यवहार भ न- भ न होते ह । साइनाइड आयन के साथ
यह बल अ ठफलक य संकु ल बनायेगा िजसम धातु का इले ॉ नक व यास eg 0 होगा
5
t 2g

। इसम एक अयुि मत इले ॉन होगा व इसका चु बक य आधूण 1.73 B.M. होगा


दूसर ओर लोराइड आयन के साथ यह दुबल े अ ठफलक य संकु ल बनाएगा िजसम धातु
आयन का व यास eg 2 होगा । इसम अयुि मत इले ॉन क सं या पाँच है , िजनके
3
t 2g

समतु य इसका चु बक य आघूण 5.92 B.M. होगा ।


धातु आयन िजनके व यास d8,d9 व d10 है, उनके लए केवल एक ह संभावना होगी तथा

वे eg 3 व eg 4 अव थाओं म संकुल का नमाण करग ।


6 6 6
t 2g
eg 2 , t 2g t 2g

46
उपयु त ववेचन से प ट है क d0, d10 व यास वाले आयन व बल े म d6 व यास
वाले आयन तचु बक य अ ठफलक य संकुल का नमाण करते ह जब क शेष अ य सभी धातु आयन
अनुचु बक य संकुल का नमाण करते ह।

बोध न
1. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए
सह श द/श द का चयन दए गए को ठक म से कर
( क) धातु आयन तथा लगे ड के म य बं ध न
पू ण तः...................................................... कृ त का होता है ।
(ि थर वै यु त /सहसं योजक)
(ख) d -क क क मा य ऊजा समान रहती है । य क इनका गु व
के ............................................ रहता है ।
(समान/असमान)
( ग) अ ठफलक य सं कु ल के नमाण म धातु
आयन............................................. लगे ड से घरा रहता है । (चार / छ:)
(घ) अ ठफलक य े म d -क क के वभाजन से उ च ऊजा तर पर
(i)................................................. क क तथा न न ऊजा तर पर
( ii) ................................... क क व यमान होते ह । (t 2 g / eg )

( च) धातु के d -क क के t 2 g व eg क क ऊजा का अ तर........ .... ........कहलाता है ।


( टल फ ड वभाजन ऊजा / टल फ ड सं योजन ऊजा)
2. एक ह े णी के सं मण धातु ओं क आ सीकरण अव था तथा वभाजन ऊजा म सं बं ध
बताइए ।
3. न न सं कु ल को उनक वभाजन ऊजा के बढ़ते हु ए म म यवि थत कर ।
तथा [ Ir ( NH 3 ) 6 ]
3 3 3
[Co( NH 3 ) 6 ] ; [ Rh( NH 3 ) 6 ]
4. पे ो रासाय नक े णी म अ धकतम टल फ ड वभाजन कस लगे ड वारा
तथा यू न तम वभाजन कस लगे ड वारा होता है ।

47
बोध न के उ तर
1. ( क) ि थर वै यु त (ख) समान
(ग) छ: (घ) i.e g ii. t 2 g
( च) टल फ ड वभाजन ऊजा
2. वभाजन ऊजा  ऑ सीकरण अव था
3. [Co( NH 3 ) 6 ]3 < [ Rh( NH 3 ) 6 ]3 < [ Ir ( NH 3 ) 6 ]3
3 d<4d<5d
4. अ धकतम - काब नल ,
यू न तम - आयोडाइड

3.4 चतु फलक य संकु ल म टल े वघटन(Splitting of


d-Orbitals in Tetrahedral Complexes)
एक चतु फलक य संकु ल को समझने के लए इसे के अथात धातु आयन को एक घन के
के पर ि थत मानते ह तथा घन के एक के बाद एक चार कोन पर चार लगे ड यवि थत
होते ह ।

च 3.4 : धातु के d-क क क तु लना म चतु फलक य े म लगे ड का व यास


लगे ड कसी भी d-क क क सीधी दशा म नह ं होता । इन दोन कारण से यह पाया गया
है क चतु फलक य े म वभाजन अ ठफलक य े म वभाजन का 4/9 गुणा होता है ।
4
अथात t  0
9

48
d-क क के अ ठफलक य व चतु फलक य े म वभाजन को तुलना मक प से न न
कार दशाया जा सकता है।

च : 3.5 d- क क का चतु फलक य एवं अ ठफलक य े म वभाजन

3.4.1 चतु फलक य संकुल म टल फ ड थाईकरण ऊजा :

जैसा क हम पहले के ववेचन से जानते ह क लगभग सभी धातु संकु ल उ च च ण यु त


तथा चतु फलक य या म त म होते ह । इसके लए CFSE के मान न न कार ात कए
जाते ह ।
CFSE  [0.6 p  0.4q]t  mp
जहाँ p=eg ऊजा तर म इले ॉन क सं या
q=t2g ऊजा तर म इले ॉन क सं या और
n=p+q
m=युि मत इले ॉन क सं या

(i) n=0 इले ॉन का वतरण


0 0
et g 2g
, p  0, q  0
 CFSE = [-0.6  0+0.4  0] t =0
(ii) n=1 इले ॉन का वतरण
1 0
et g 2g
, p  1, q  0
 CFSE = [-0.6  1+0.4  0] t =-0.6 
(iii) n=2 इले ॉन का वतरण
2 0
et g 2g
, p  2, q  0
 CFSE = [-0.6  2+0.4  0] t =-1.2  t
(iv) n=3 इले ॉन का वतरण
2 1
et g 2g
, p  2, q  1
 CFSE = [-0.6  2+0.4  1] t

49
[-1.2+0.4]  t=0.8  t

(v) n=4 इले ॉन का वतरण


2 1
et
g 2g
, p  2, q  2
 CFSE = [-0.6  2+0.4  2] t
[-1.2+0.8]  t=-0.4  t

(vi) n=5 इले ॉन का वतरण


2 3
et
g 2g
, p  2, q  3
 CFSE = [-0.6  2+0.4  3] t
=[-1.2+1.2]  t=0

(vii) n=6 इले ॉन का वतरण


3 3
et g 2g
, p  3, q  3, m  1
 CFSE = [-0.6  3+0.4  3] t +p
=[-1.8+1.2]  t+1  p=-0.6 t +p

(viii) n=7 इले ॉन का वतरण


4 3
etg 2g
, p  4, q  3, m  2
 CFSE = [-0.6  4+0.4  3] t
=[-2.4+1.2]  t+2p=-1.2 t +2p

(ix) n=8 इले ॉन का वतरण


4 3
et
g 2g
, p  4, q  4, m  3
 CFSE = [-0.6  4+0.4  4] t +3  p
=[-2.4+1.6]  t+3p=-0.8 t +3p

(x) n=9 इले ॉन का वतरण


4 5
et
g 2g
, p  4, q  5, m  4
 CFSE = [-0.6  4+0.4  5] t +4p
=[-2.4+2.0]  t+4p=-0.4 t +4p

(xi) n=10 इले ॉन का वतरण


4 6
etg 2g
, p  4, q  6, m  5
 CFSE = [-0.6  4+0.4  6] t +5p=0+5p
उपयु त सभी मान तथा dn आयन के चतु फलक य संकुल म केवल च ण चु बक य आघूण
 (spin) सारणी म दए गये ह ।

50
उ च च ण चतु फलक य संकुल के CFSE व s मान
d- इले ॉन क सं या इले ॉनीय व यास CFSE (  t )  s ( D)
d1 -0.6 1.73

d2 -1.2 2.83

d3 -0.8 3.87

d4 -0.4 4.90

d5 0.0 5.92

d6 -0.6+P 4.90

d7 -1.2+2P 3.87

d8 -0.8+3P 2.83

d9 -0.4+4P 1.73

d 10 0.0+5P 0.00

3.4.2 चतु फलक य संकुल म इले ॉन का वतरण

(Distribution of Electrons in tetrahedral Complexes)

हम यह जानते ह क चतु फलक य या म त म धातु के क क दो ऊजा तर म वभ त


हो जाते ह िजनम से दो eg क क d x 2  y 2 तथा d z 2 क ऊजा कम तथा तीन t2g क क

क (dxy, dyz व dzx) ऊजा अ धक होती है । चतु फलक य संकु ल म टल े वभाजन


काफ कम होता है । यह कारण है क लगभग सभी चतु फलक य संकुल उ च च ण के होते
ह ।
चतु फलक य संकुल िजनम धातु आयन के व यास d1 एवं d2 होते ह, इले ॉन कम ऊजा
वाले क क म जाते ह । ये संकु ल अनुचु बक य होते ह तथा इनम मश: एक व दो अयुि मत
इले ॉन होते ह ।

इले ॉ नक व यास d3, d4, d5 तथा d6 वाले धातु आयन के सै ां तक प से दो कार


के संकुल बनना संभव है ( बल एवं दुबल े संकुल) जैसा अ ठफलक य संकु ल म था ।
पर तु इस अव था म वभाजन ऊजा का मान इतना कम है क CN- आयन जैसे बल लगे ड
से भी उ च च ण के संकुल बनने क ह वृि त होती है । इन संकुल म धातु आयन के
व यास न न कार दशाए जाते ह-

51
इले ॉ नक व यास d7, d8, d9, तथा d10, वाले धातु आयन के इले ॉन का दोन ऊजा
तर म वतरण न न कार से होता है ।

उपयु त ववेचन से यह प ट है क चतु फलक य या म त म d0 व d10 व यास को छोड़कर


अ य सं मण धातु संकुल अनुचु बक य होते ह । चतु फलक य संकुल के बनने म
न न ल खत अव थाएं सहायक होती है ।
1. जब लगे ड बड़े ह तथा अ ठफलक य या म त म वम बाधा उ प न हो रह हो ।
2. जब नय मत आकार का बनना मह वपूण हो । d , d2, d5, d7 तथा d10 व यास
0

वाले धातु आयन नय मत चतु फलक य संकुल बनाते ह ऐसे उदाहरण न न ल खत ह।


TiCl4  d 0  , MnO4  d 0  , FeO42  d 2  , Cocl42  d 7  , ZnCl42  d 10 
जब लगे ड दुबल ह ऐसे म CFSE म कमी अ धक मह वपूण नह ं होती है ।

बोध न
1. न न ल खत न के उ तर सं े प म द िजए-
(क) चतु फलक य या म त वाले सं कु ल म धातु के कौन से d- क क यु त होते ह ?
(ख) चतु फलक य या म त म कौन-कौन से व यास वाले धातु सं कु ल त चु बक य होते
ह?
(ग)  0 व t म सं बं ध बताइए ?

52
3.5 वगसमतल य संकु ल म d-क क का वभाजन(Splitting of
d-Orbitals in square planar complexes)
पुन : अ ठफलक य े क क पना कर िजसम छ: लगे ड अ क ओर से धातु आयन क
ओर आते ह । अब य द z-अ पर आमने सामने वाले दो लगे ड को हटा दया जाए तो वग समतल य
ा त हो जाएगी । इस अव था म dz क क पर लगे ड को कोई ि थर वै युत
2
सरंचना तकषण
नह ं लगेगा िजससे इस क क क ऊजा म बहु त कमी आ जायेगी, दूसरे दो d-क क िजनम z-घटक
उपि थत ह अथात dyz तथा dzx क ऊजा भी कु छ कम हो जाएगी अत: दो अ ीय लगे ड के न
होने से एक तल म उपि थत चार लगे ड व धातु आयन के म य बलतम ि थर वै युत आकषण
बल लगेगा । पुन : ये चार लगे ड आयन के नकट भी ह गे ।

च 3.7 धातु के d-क क क तुलना म चार लगे ड का व यास


वग समतल य संकु ल म dx2-y2 क क क ऊजा काफ अ धक हो जाती है तथा dxy क क
क ऊजा भी कु छ बढ़ जाती है । वग समतल य संकुल म d-क क के वभाजन को न न कार द शत
कया जा सकता है ।

बोध न
1. न न ल खत न के उ तर एक वा य म द िजए-
( क) वग समतल य सं कु ल बनाने वाले (सवा धक) धातु आयन का नाम लखो?
( ख) वग समतल य टल े म क क क ऊजा को बढ़ते हु ए म म लखो ।

53
( ग)  sp म तथा  0 या सं बं ध है ?
बोध न के उ तर
( क) Ni 2 3d 8 
(ख) dzx=dyz<dz 2 <dxy<dx 2 - y 2
( ग)  sp  1.3 0 या  sp   0

3.6 सारांश (Summery)


 धातु संकुल म धातु व लगे ड के म य बंधन समझने के लए यह स ांत तपा दत
कया गया ।
 इसम धातु आयन तथा लगे ड ब दु आवेश क भां त यवहार करते ह तथा इनके म य
ि थर वै युत आकषण बल पाया जाता है ।
 समान ऊजा के पाँच d-क क क सम श
ं ता लगे ड क क के भाव म न ट हो जाती
है । और d-क क दो भाग म वभ त हो जाते ह । उ च ऊजा तर पर ि थत d-क क
तथा न न ऊजा तर पर ि थत d-क क।
 CFSE टल फ ड वभाजन के प रणाम व प नकलने वाल ऊजा को टल फ ड
थाईकरण ऊजा CFSE कहते ह । अ ठफलक य े म इसे  0 , चतु फलक य े
म t , तथा वग समतल य े म sp , कहते ह
 CFSE के मान अलग-अलग कार के संकुल म भ न- भ न होते ह ।
 सं मण धातु एं न न च ण संकुल तथा उ च च ण संकुल दोन कार के संकुल का
नमाण करती है ।
 यु मन ऊजा तथा वभाजन ऊजा के मान वारा संकुल का कार नधा रत होता है ।
 बल तथा दुबल लगे ड भी धातु आयन के वारा बनाए गये संकु ल क कृ त को भा वत
करते ह ।
 अयुि मत इले ॉन क सं या के वारा धातु संकु ल क कृ त तथा चु बक य गुण क
या या क जा सकती है ।

3.7 श दावल (Glossary)


1. eg तथा t2g क क- e से ता पय आइिजन (eigen) ं क क t2g
वगु णत सम श
तथा से ता पय ं क क से है । g पद यह बतलाता है क अणु म
गु णत सम श
तीपन के या सम म त के उपि थत है ।
2. सम ंशता (degeneracy)-समान ऊजा पर ि थत क क सम ंश कहलाते ह तथा यह
ि थ त सम ंशता कहलाती है ।

54
3. टल फ ड वभाजन ऊजा - हम जानते ह क धातु के d-क क के t2g व eg क क
म ऊजा का अ तर लगे ड के टल े के कारण होता है तथा इसे टल फ ड
वभाजन ऊजा कहते ह ।
4. यु मन ऊजा - क क म इले ॉन के यु मन म यु त होने वाल ऊजा यु मन ऊजा
कहलाती है ।

3.8 स दभ थ (Reference Book)

1. Concise Inorganic  J.D.Lee


Chemistry
2. Modern Aspects of  H.J. Emeleus and A.G. share
Inorganic Chemistry
3. Inorganic Chemistry  J.E. Huheey, E.A. Keiter and R.L. Keiter
4. Basic Inorganic  F.A. Cotton, G. Wilkinson and Paul. L.
Chemistry Gaus
5. Advanced Inorganic  Satya Prakash, G.D. Tuli, S.K. Basu and
Chemistry R.D. Madan
6. Chemistry ofhe  N.N. Greenwood and A.Earnshaw
Elements
7. Inorganic Chemistry  G.C. Shivahare, V.P.Lavania, K.G. Ojha
and S.P. Bansal
8. अकाब नक रसायन  जी.के. तगी तथा यशपाल संह
9. अकाब नक रसायन  पी. भागच दानी

3.9 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. संयोजकता बंध स ांत क क मयाँ या है?
2. टल े वभाजन ऊजा या है?
3. धातु d-क क न न म कस कार वभािजत होते ह ।
(i) अ ठफलक य े (ii) चतु फलक य े (iii) वग समतल य े

4. टल े स ांत के आधार पर समझाइए क अ ठफलक य े म बल व दुबल


े संकुल कस कार बनते ह।
5. न न च ण व यास वाले चतु फलक य संकु ल का अि त व नह ं होता । समझाइये।

55
6. न न ल खत आयन म बल तथा दुबल टल े (अ ठफलक य े ) म उपि थत
युि मत इले ॉन क सं या बताइये ।
(i) Cr +2
(ii) mn2 (iii) Co+3 (iv) Fe+3

56
इकाई - 4
स मण धातु संकु ल म धातु- लगे ड बंधन - II
(Metal-Ligand Bonding in Transition Metal
Complexes-II)
इकाई क प रे खा:-
4.0 उ े य
4.1 तावना
4.2 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के चु बक व क या या
4.3 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक क या म त क या या
4.4 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के रं ग क या या
4.5 टल े पैरामीटर को भा वत करने वाले कारक
4.6 सारांश
4.7 श दावल
4.8 संदभ थ
4.9 बोध न के उ तर
4.10 अ यासाथ न

4.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप न न ल खत ब दुओं को समझ पायगे ।
 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के चु बक व, या म त व
रं ग क या या कस कार क जाती है ।
 टल े पैरामीटर को कस कार व भ न कारक भा वत करते ह ।

4.1 तावना (Introduction)


इकाई 3 म आप टल े स ांत के बारे म जानकार ा त कर चु के ह । साथ ह आप
जान चु के ह क अ ठफलक य, चतु फलक य एवं वगसमतल संकुल म टल े वघटन
कस कार होता है । इस इकाई म आप उपसहसंयोजक यौ गक के चु बक व, या म त
तथा रं ग क या या तथा टल े पैरामीटर को भा वत करने वाले कारक के बारे म
जानकार ा त करगे ।

57
4.2 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के
चु बक व क या या Explanation of Magnetism of
Coordination Compounds on the Basic of Crystal Field
Theory
टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक संकुल के चु बक य गुण क या या
आसानी से क जा सकती है । संकुल म चु बक य गुण उनम उपि थत अयुि मत इले ॉन
क सं या पर नभर करते है, अथात य द कसी संकुल म अयुि मत इले ॉन नह ं है तो
वह संकुल तचु बक य कृ त का होगा, कसी अणु म अयुि मत इले ॉन क सं या िजतनी
अ धक होगी उसके चु बक य आघूण का मान उतना ह अ धक होगा । टल े स ांत
के अनुसार व भ न या म तय (अ ठफलक य, चतु फलक य तथा समतल य) के संकुल के
लए अयुि मत इले ॉन क सं या को आसानी से ात कया जा सकता है और इसके आधार
पर न न सू वारा उसके चु बक य आघूण के अपे त मान को प रक लत कया जा सकता
है ।
s  n(n  2)
बोर मै नेटॉन (  B ) या डबाई (D)
s = च ण चु बक य आघूण
बल लगे ड फ ड व दुबल लगे ड फ ड म अ ठफलक य तथा दुबल लगे ड फ ड
म चतु फलक य संकुल के चु बक य आघूण के मान को सारणी 1 व 2 म दशाया गया है
सारणी 1 : अ ठफलक य संकु ल के लए चु बक य आघूण के मान

58
नोट : इन संकुल के चु बक य आघूण के ायो गक मान इन अपे त मान के अनु प ह
होते ह । अ ठफलक य संकुल म इले ॉ नक व यास के आधार पर चु बक य गुण का
ववेचन नीचे कया गया है ।
d1, d2 व d3 व यास - अ ठफलक य संकुल म धातु आयन के d-क क वभािजत होकर
उ च ऊजा के eg (dx2-y2,dz2) एवं न न ऊजा के t2g क क (dxy, dyz, dzx) दे ते ह d1,
d2, व d3, व यास वाले धातु आयन अनुचु बक य कृ त के होते ह य क इनम इले ॉन

t2g क क म जाते ह एवं अयुि मत रहते ह । इनका इले ॉनीय व यास मश


1
t 2g
eg 0 ,
eg 0 , तथा वारा द शत कया जाता है । लगे ड फ ड क साम य ( बल
2 3
t 2g t 2g
eg 0
या दुबल) चाहे कु छ भी हो, अयुि मत इले ॉन क सं या म कोई प रवतन नह ं आता है,
अथात d , d , d , व यास के लए एक ह
1 2 3
कार के संकु ल बनते ह िजनम अयुि मत
इले ॉन क सं या मश: 1, 2 व 3 होगी ।
d4, d5, d6 तथा d7 व यास - d4, d5, d6 तथा d7 व यास वाले धातु आयन से दो कार
के संकुल बन सकते ह । बल े वाले लगे ड (   ) से बने संकुल म इले ॉन उ च
ऊजा वाले eg क क म यु मन करते ह । ऐसे संकुल का इले ॉनीय व यास न न कार
का होगा -
उदाहरण
d4 t 4
2g 
eg 0 [Cr (CN ) 6 ]4 

उदाहरण
d5 t 5
2g
eg  0 [ Fe( NO2 ) 6 ]3 ,[ Fe(CN ) 6 ]3

उदाहरण
d6 t 6
2g
eg  0 [Co( NO2 ) 6 ]3 ,[ Fe(CN ) 6 ]4 

उदाहरण
d7 t 6
2g
e g 1 [Co( NO2 ) 6 ]4

इस कार इनम अयुि मत इले ॉन क सं या मश: 2, 1, 0 तथा 1 होगी । इनम न न


च ण d6 व यास t  वाले व संकुल
6
2g
eg 0 [ Fe(CN ) 6 ]4  [Co( NO2 ) 6 ]2
तचु बक य आयन है । न न च ण d7 संकु ल म उ च ऊजा के eg क क म उपि थत
एक इले ॉन को आसानी से हटाया जा सकता है । अत: Co(II) के बल फ ड संकुल जैसे
अ थायी ह िजससे इनका आसानी से Co(III) संकु ल म ऑ सीकरण कया
4
[Co( NO2 ) 6 ]
जा सकता है (d7 व d6)।
दुबल े वाले लगे ड (   ) से बने संकुल म इले ॉन t2g म यु मन करने क बजाय
क क म जाते ह । ऐसे संकु ल का इले ॉनीय व यास न न कार का होगा -
उदाहरण
d4 t 3
2g
e1 g [Cr ( H 2O) 6 ] 2

उदाहरण
d5 t 3
2g
e g
2 [ M n ( H 2O ) 6 ]2 ,[ FeF 6 ]3

उदाहरण
d6 t 4
2g
e g
2 [ Fe( H 2O ) 6 ]2  ,[CoF 6 ]3

59
उदाहरण
d7 t 5
2g
e2 g  [Co( H 2O ) 6 ]2 

इस कार [ Mn ( H 2O ) 6 ] तथा [ FeF 6 ] पाँच अयुि मत इले ॉन के कारण बल


2 3

अनुचु बक य संकुल ह गे । जब क [ Fe( NO2 ) 6 ] तथा [ Fe(CN ) 6 ] दुबल


3 3

अनुचु बक य है िजनम मा एक अयुि मत इले ॉन पाया जाता है ।


d,d,वd
8 9 10
व यास - ये तीन व यास वाले धातु आयन एक कार के ह संकुल बनाते
ह िजनम अयुि मत इले ॉन क सं या मश: 2, 1 व 0 होती है अथात ् लगे ड फ ड के
बल या दुबल होने से इनके चु बक य गुण पर कोई भाव नह ं पड़ता । इस व यास वाले
संकुल म t2g क क पूण प से भरे होते ह । ऐसे संकु ल का इले ॉनीय व यास न न
कार होगा-
उदाहरण
d8 t e g 
6
2g
2 [ Ni ( NH 3 ) 6 ]2  ,[ Ni ( H 2 O ]2 

उदाहरण
d9 t e g 
6
2g
3 [Cu ( H 2 O) 6 ]2  ,[Cu ( NH 3 ) 6 ]2 

उदाहरण
d 10 t e g  6
2g
4 [ Z n ( H 2 O) 6 ]2

उपयु त ववेचन से प ट है क d0, d10 व बल फ ड d6 अ ठफलक य संकुल तचु बक य


होते ह तथा शेष सभी संकु ल अनुचु बक य ह गे । चतु फलक य संकुल म इले ॉ नक व यास
के आधार पर चु बक य गुण का ववेचन आगे कया गया है । इस कार के संकुल म t2g
एवं eg क क को t2 एवं e ह लखा जाता है एवं टल े वभाजन अनुसार e न न
ऊजा एवं t2 उ च ऊजा क क ा त होते ह ।
सारणी 2 : उ च च ण चतु फलक य संकुल के लए चु बक य आघूण का मान
धातु आयन म इले ॉ नक व यास अयुि मत इले ॉन चु बक य आघूण
d-इले ॉन क कु ल क सं या s (d )
e t2
सं या
d1 1 1.73
d2 2 2.83
d3 3 3.87
d 4
4 4.90
d5 5 5.92
d6 4 4.90
d7 3 3.87
d 8
2 2.83
d9 1 1.73
d 10 0 0.00

60
d1 व d2 व यास- d1 व d2 व यास वाले धातु आयन अनुचु बक य कृ त के होते ह ।
िजनके इले ॉनीय व यास मश: e तथा e होते ह ।
1 0 2 0
t 2 t 2

d3, d4, d5 व d6 व यास- इन चार व यास के लए स ांतत: बल फ ड व दुबल फ ड


संकुल संभव है । चतु फलक य संकु ल म t का मान (जो  0 का लगभग आधा होता है
।) इतना कम होता है क बलतम चतु फलक य फ ड वाले संकु ल के लए भी t का मान
 से कम ह रहता है । फलत: धातु आयन बल फ ड (च ण युि मत) संकुल का नमाण
नह ं करते ह तथा केवल दुबल फ ड (उ च च ण) संकु ल ह बनाते ह िजनम उतने ह युि मत
इले ॉन होते ह िजतने संकुल बनाने से पूव पृथक धातु आयन म पाये जाते ह । d3 से लेकर
d6 तक के संकुल के चु बक य आघूण के मान सारणी 2 म दये गये ह ।
d7, d8, d9, व d10 व यास- इन व यास के लए स ांतत: केवल एक ह कार के संकु ल
हो सकते ह । इनका इले ॉनीय व यास मश: e e4 t 2, e 4 t 2 तथा e4 t 2, वारा
4 3 4 5 6
t,2

द शत कया जाता है । यहाँ केवल d10 व यास वाले धातु तचु बक य संकु ल का नमाण
करगे ।
बोध न
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये -
( क) के वल च ण चु बक य आघू ण को s n ( n  2) BM
सू वारा प रक लत कया जाता

है ।
( स य / अस य)
(ख) बल लगे ड े एवं दु ब ल लगे ड े वाले अ ठफलक य धातु आयन म d 1 ,d 2 ,
d ३ , d 8 , d 9 , d 1 0 व यास म चु बक य आघू ण का मान समान नह ं होता है ।
(स य/अस य)
( ग)  Fe( F6 ) आयन ,  Fe(CN )6  तु लना म अ धक अनु चु बक य है । (स य/अस य)
3 3

( घ)  Fe( NO2 )6  आयन ,  Fe(CN )6  दु ब ल अनु चु बक य सं कु ल है । (स य/अस य)


3 3

2. अ ठफलक य सं कु ल म बल लगे ड े के लए न न धातु आयन म उपि थत


अयु ि मत इले ॉन क सं या बताइये ।
( क) Cr 2 + ( ख) Co 3 + ( ग) Fe 3 + ( व) Mn 2 +
3. उ च च ण चतु फलक य सं कु ल म न न व यास के लए चु बक य आघू ण के
मान बताइये ।
( क) d 2
( ख) d 5 ( ग) d 7 ( घ) d 9
नोट : अपने उ तर का मलान इकाई के भाग 4.9 म दये उ तर से कर ।

61
4.3 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक क
या म त क या या Explanation of Geometry of
Coordination Compounds on the Basis of Crystal Field
Theory
उपसहसंयोजक संकु ल यौ गक क या म त टल े थायीकरण के (  ) मान पर नभर
करती है । अ धकांशत: धातु आयन अ ठफलक य संकुल ह बनाते ह य क अ ठफलक य
संकुल बनने म छ: धातु लगे ड (M-L) ब ध बनते है । िजससे पया त मा ा म ऊजा मु त
होती है और थायी संकुल यौ गक ा त होते ह । वशेष प रि थ तय म धातु आयन वग
समतल य अथवा चतु फलक य संकुल बनाता है ।
य द लगे ड का आकार बड़ा हो एवं लगै ड अ यंत दुबल हो, धातु आयन कम ऑ सीकरण
अव था म हो तथा  का मान शू य हो ( d 0 d 5d 10 ) अथवा d1 या d 6 िजसके लए  का
मान अ ठफलक य तथा चतु फलक य संकुल म लगभग समान हो, तो चतु फलक य संकुल
के बनने क संभावना रहती है । त' व यास वाले धातु आयन के स पक म य द अ यंत बल
लगे ड आय तो d z क क क ऊजा dx 2  y 2 क क क तु लना म कम हो जाती है। र त
2

dx 2  y 2 क क क चार पा लयाँ  x,  x,  y एवं –y अ क और अ भ व या सत हो


जाती है, अत: इन अ से चार लगे ड के य धातु आयन के पास बना तकषण के पहु ँ च
जाते ह और थायी वग समतल य संकुल बना लेते ह ।
इस कार इस स ांत के आधार पर कसी भी संकु ल के लगे ड एवं के य धातु आयन
क कृ त के आधार पर उस संकुल क या म त क या या क जा सकती है ।
इस स ांत के आधार पर कई संकु ल क वकृ त या म त क भी या या क जा सकती
है । उदाहरणाथ- d व यास वाले कई Cu संकुल अ ठफलक के थान पर वसमल बा
9 2

आकृ त वाले होते ह । d-क क का जब वभाजन होता है तो टल े थायीकरण ऊजा


मु त होती है िजससे संकुल थायी हो जाता है । य द इन eg एवं t2 g का और वभाजन हो
जाय तो संकु ल को अ त र त था य व ा त होता है, इस भाव को जॉन-टे लर (John
Teller Effect) भाव कहते ह । यह भाव लगभग सभी असी मत व यास वाले संकुल
म पाया जाता है, परं तु मु यतया भावी प से उ च च ण संकुल म d4 व यास, न न
च ण संकुल म d7 एवं दोन कार के d9 संकु ल म मु ख प से दे खने को मलता है ।
उदाहरणाथ- Cu 2+
आयन (d 9
व यास) के लए इस वभाजन को च 4.1 वारा द शत
कया जा सकता है ।

62
अ ठफलक य े म d- क क का वभाजन
च 4.1: Z- दशा म ल बे वकृ त
च 4.1 से प ट है क इस व यास म t2g क क के और वभाजन से टल े
थायीकरण ऊजा के मान म कोई प रवतन नह ं होगा, य क इसके सम त क क पूण प
से भरे हु ए ह । इसके वपर त eg क क के और वभाजन से अ त र त टल े
थायीकरण ऊजा (-  ) मु त होगी जो संकुल के थायीकरण म सहायक होगी । अत: इस
कार के व यास वाले संकुल था य व को ा त करने के लए वकृ त अ ठफलक य आकृ त
हण कर लेते है ।
बोध न
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए । सह श द/श द का चयन
दये गये को ठक से कर ।
( क) अ धकां श धातु आयन.................................. .. सं कु ल बनाते ह ।
(अ ठफलक य / चतु फलक य)
(ख) d1 या d 6 िजसके लए  का मान अ ठफलक य तथा चतु फलक य सं कु ल म
लगभग समान हो , तो.................. ........सं कु ल बनने क सं भावना रहती है ।
(अ ठफलक य / चतु फलक य)
(ग) eg एवं t 2 g व यास वाले धातु आयन के स पक म य द अ य त बल लगे ड आय
तो थायी ......................................................... सं कु ल बना ले ते ह ।
(अ ठफलक य / वग समतल य)
(घ) eg एवं t 2 g क क का वभाजन जो टल को अ त र त था य व दान करता
है ।
यह भाव ......................................................... कहलाता है ।
(जॉन टे लर भाव / लै पोट भाव)
5. न न ल खत कथन के लए स य / अस य बताइये ।
( क) य द लगे ड अ य त दु ब ल ह तो टल े थायीकरण ऊजा का मान अ यं त
कम हो जाता है और चु बक य सं कु ल बनते ह ।

63
(स य / अस य)
( ख) के य धातु परमाणु य द यू न ऑ सीकरण अव था म हो तो चतु फलक य सं कु ल
बनने क सं भावनाएँ कम हो जाती है ।
(स य/अस य)
( ग) Cu आयन ( d
2+ 9
व यास) जॉन टे लर भाव दशाता है ।
(स य/अस य)
( घ) टल े थायीकरण ऊजा के मान पर सं कु ल यौ गक क या म त नभर करती
है ।
( स य/अस य)

4.4 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के रं ग


क या या Explanation of Colour of coordination
Compounds on the Basis of Crystal Field Theory
सं मण धातु संकु ल के रं ग क या या करना टल े स ांत क सबसे बड़ी सफलता
है । सं मण धातु ओं के उपसहसंयोजक यौ गक ाय: रं गीन होते ह । य क सं मण धातु
आयन म अयुि मत (n-1)d इले ॉन होते ह जो काश के पराबगनी तथा य े (तरं ग
दै य   400nm से 700nm) ऊजा अवशो षत करके एक (n-1)d क क से दूसरे (n-1)d
क क म सं मण कर जाते ह, ऐसी ि थ त म पराव तत काश रं गीन होता है और वह यौ गक
रं गीन नजर आता है । अवशो षत काश का रं ग, पराव तत काश के रं ग से भ न होता है
। परव तत काश का रं ग (जो क वा तव म संकुल का रं ग होता है), अवशो षत काश का
पूरक रं ग (complementary colour) कहलाता है । काश के कस रं ग क तरं ग के
अवशोषण से कस कार का पूरक रं ग बनेगा इसे सारणी 3 म दशाया गया है ।
सारणी-3 : अवशो षत एवं पूरक काश का रं ग
अवशो षत काश अवशो षत काश क पराव तत काश रं ग (पूरक रं ग )
का रं ग लगभग तरं ग दै य अथात ् पदाथ का रं ग
बगनी 400-435 पीला-हरा
नीला 435-480 पीला
हरा-नीला 480-490 नारं गी
नीला-हरा 490-500 लाल
हरा 500-560 गहरा बगनी
पीला-हरा 560-580 बगनी
पीला 580-595 नीला
नारं गी 595-605 हरा-नीला
लाल 605-700 नीला-हरा

64
सं मण धातु के संकुल म रं ग मु यत: दो कारण से होता है-
(i) d-d सं मण (ii) आवेश थाना तरण पे ा
(i) d-d सं मण (d-d Transition)
अ ठफलक य संकुल म य द कोई इले ॉन न न ऊजा तर वाले t2g क क से उ च ऊजा
तर वाले eg क क म जाएगा तो वह पराबगनी अथवा य े म ऊजा का अवशोषण
करे गा और रं गीन दखाई दे गा । सं मण धातु ओं के लगभग सभी यौ गक के जल य वलयन
रं गीन होते ह । उदाहरणाथ- Ti ( H 2 O) 6 आयन का जल य वलयन बगनी होता है । इस
3
 
संकर क पे म दो अवशोषण बै ड द शत करती है, एक पराबगनी े    3200Å 
म अवशोषण बै ड और दूसर य े    5000Å  म दुबल बै ड । संकु ल आयन के

बगनी रं ग के लए य े म यह दुबल बै ड उ तरदायी है । ( च 4.2)

च 4.2 : Ti ( H 2 O) 6 संकुल का अवशोषण पे म


3
 

च 4.3 : Ti ( H 2 O) 6 के बगनी रं ग के लए उ तरदायी d-d सं मण


3
 

65
अ ठफलक य े म Ti आयन का व यास e होता है । अत: य े म नि चत
3 1 0
t 2g g

तरं ग दै य (5000Å) के काश के अवशोषण से न न ऊजा वाले eg क क ि थत इले ॉन,


उ च ऊजा वाले ०8 क क म चले जाते ह । यह य काश म से हरे रं ग को अवशो षत
करता है तथा नीला व लाल रं ग उ सिजत करता है । िजससे इस आयन का रं ग बगनी तीत
होता है । इले ॉन के इस कार के d-d सं मण को च 4.3 वारा दशाया गया है ।
य द लगे ड समान हो और अणुओं क या म त भी वह हो तो तथा (यहाँ अयुि मत इले ॉन
क सं या है) व यास वाले आयन का रं ग लगभग समान होता है । व व यास वाले आयन
सामा यतया रं गह न होते ह य क इनम सं मण संभव नह ं है । यहाँ यह बात मह वपूण
है क संकु ल का रं ग टल े थायीकरण ऊजा के मान पर नभर करता है । अत: वह
सभी कारक (जैस-े लगे ड क कृ त, धातु आयन पर आवेश, संकु ल क या म त एवं
इले ॉन क सं या) जो तु के मान को भा वत करते ह, संकुल के रं ग को भी भा वत
करगे । यह कारण है क सभी संकु ल म िजनम धातु आयन समान हो ले कन लगे ड भ न
हो तो संकुल का रं ग भी भ न होगा । उदाहरणाथ-

धातु आयन संकुल रं ग


N i 2  N i ( H 2 O) 6 
2
हरा

N i 2  Ni ( NH 3 )6 
2
नीला

N i 2  Ni (en)6 
2
गहरा नीला

इसी कार H 2 o लगे ड को कसी नाइ ोजनयु त लगे ड से व था पत करने पर रं ग क


ती ता बढ़ जाती है ।
सारणी 4 : थम सं मण ेणी धातु आयन के व यास एवं रं ग
आयन व यास [A2] अयुि मत इले ॉन रं ग
क सं या
3
Sc , Ti 4
3d 0
0 रं गह न
Ti 3
3d 1
1 गहरा-बगनी

V4+ 3d 1 1 नीला
V 3 3d 2 2 हरा
V 2 3d 3 3 बगनी
Cr 3 3d 3 3 हरा
Cr 2
3d 4
4 नीला
M n 3 3d 4 4 बगनी
M n 3 3d 5 5 लगभग रं गह न

Fe3 3d 5 5 पीला

66
Fe2 3d 6 4 ह का हरा
Co3 3d 6 4 नीला
Co2 3d 7 2 गुलाबी
Ni2 3d 8 2 हरा
Cu 2 3d 9 1 नीला
3d 10 0 रं गह न
1 2
Cu , Zn
उदाहरण :
2 2 2
 N i ( H 2O ) 6    N i ( NH 3 ) 6    N i (en)3 
हरा नीला गहरा नीला
इसी कार समान धातु आयन म लगे ड तथा या म त बदलने पर रं ग भी बदल जाता है।
उदाहरण : C0 ( H 2O )6 
2
C0 (CI ) 4 
2

गुलाबी गहरा नीला


(अ ठफलक य) (चतु फलक य)
(ii) आवेश थाना तरण पे ा (Charge Transfer Spectra)

साधारणत: d 0 व यास वाले संकुल रं गह न होते ह । MnO 4, Cr 2 O7 2 , CrO42 िजनम
धातु आयन क ऑ सीकरण अव था मश: +7 , +6 , +6 है तथा धातु आयन का व यास
d है, फर भी ये यौ गक रं गीन ह ।
0

इन ऋणायन के रं ग को आवेश थाना तरण पे ा से समझा सकते ह । लगे ड अणु के


आि वक क क से इले ॉन का थाना तरण धातु के र त आि वक क क म होता है ।
इस सं मण म भी इले ॉन काश के य े से ऊजा का अवशोषण करते ह, अत: यौ गक
रं गीन दखते ह । d-d सं मण क तुलना म आवेश थानान तरण से उ प न रं ग अ धक
गहरे होते ह । सं मण धातु आयन पर धनावेश क िजतनी अ धक मा ा होगी, रं ग उतना
ह गहरा होगा य क तब लगे ड से धातु आयन पर आवेश थाना तरण क संभावना उतनी
ह अ धक होगी । इसी कारण T1 के संकु ल तो रं गह न ह होते ह ले कन V 5 से Mn7
4

तक धनायन पर आवेश क मा ा बढ़ने से इनम लगे ड के इले ॉन को हण करने क


शि त बढ़ती जाती है अथात ् आवेश थाना तरण क संभावना बढ़ती जाती है िजससे इनका
रं ग गहरा होता जाता है । (सारणी 5)
सारणी 5. आयन पर आदे श व रं ग म संबध

आयन व यास इले ॉन अयुि मत रं ग रं ग
T14 d0 0 रं गह न
V 5 d0 0 नारं गी पीला
Cr 6
d0 0 नारं गी

Mn7 d0 0 गहरा बगनी

67
बोध न
6. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए ।
( क) य द अवशो षत काश का रं ग हरा है तो पू र क रं ग.............................. .होगा ।
( ख) आयन का जल य वलयन.................................. रं ग का होता है ।
3
Ti ( H 2O6 
(ग) समान धातु आयन म लगे ड तथा....................................... बदलने पर रं ग
भी बदल जाता है ।
( घ) d-d सं मण क तु लना म........................ उ प न रं ग अ धक गहरे होते ह ।
7. न न ल खत सं कु ल को उनके रं ग क ती ता के बढ़ते म म यवि थत क िजए।
2 2 2
 Ni ( H 2O6   Ni ( NH 3 )6   Ni (en)3 
8. न न ल खत आयन को उनके रं ग क ती ता के बढ़ते म म यवि थत क िजए।
T14 V 5 Cr 6  Mn7

4.5 टल े पैरामीटर को भा वत करने वाले कारक Factors


Affecting the Crystal Field Parameters
टल े पैरामीटर को भा वत करने वाले कारक से ता पय है टल े वभाजन
ऊजा को भा वत करने वाले कारक । धातु आयन के पाँच d-क क लगे ड क अनुपि थ त
म समान ऊजा के होते ह ले कन लगे ड क उपि थ त म इन पाँच d-क क का दो ऊजा
तल म वभाजन हो जाता है । धातु आयन के पाँच d-क क को भ न ऊजा के दो सेट
म वभाजन, टल े वभाजन कहलाता है तथा इन क क क ऊजा के म य अ तर
को टल े वभाजन ऊजा (  ) कहते ह । कसी संकु ल के लए टल े ऊजा के
मान का उ च या न न होना न न ल खत कारक पर नभर करता है ।
1. धातु आयन पर आवेश-
एक ह सं मण ेणी के धनायन िजनक ऑ सीकरण अव थाएँ भी समान ह , के  का मान
लगभग बराबर होता है, पर तु ऐसे. धनायन िजनक उ च ऑ सीकरण अव था होती है के
 का मान अ य धक होता है । यह इस त य पर आधा रत है क अ धक आवेशयु त के य
आयन लगे ड को अ धक भावी प से ु वत करे गा और इस कार लगे ड अ धक नकट
आयेगा ।
संकुल आ सीकरण अव था ०
 Fe( H 2O6 
2
+2 10400 cm

 Fe( H 2O )6 
3
+3 13700 cm

Co( H 2O)6 
2
+2 9300 cm

68
Co( H 2O)6 
3
+3 18200 cm

2. d-इले ॉ स क सं या
ऐसे संकर िजनम धातु आयन क ऑ सीकरण अव थाएँ समान ह ले कन उनम उपि थत
d-इले ॉन क सं या भ न हो तो, जैसे-जैसे d-इले ॉन क सं या बढ़े गी  का मान कम
होगा । य क यादा इले ॉन होने पर, इले ॉन उ च ऊजा वाले eg क क म भरे जाएंगे
िजससे  का मान कम होगा । य क eg म उपि थत इले ॉन तं को अ था य व दान
करते है ।
संकुल d-इले ान 0
3d 9300 cm
2 7 -1
Co( H 2O)6 
2 3d8 8500 cm-1
 Ni ( H 2O6 
3. धातु आयन के d-क क क मु य वांटम सं या
3d से 4d म  के मान म लगभग 30% से 50% क वृ
n n
होती है और इसी कार
4dn से 5dn म भी वृ होती है ।
अथात:  0 3d < 4d < 5d
संकुल धातु आयन व यास 0
3d6 2300 cm-1
3
Co( NH 3O)6 
4d6 3400 cm-1
3
 Rh( NH 3 )6 
5d6 4100 cm-1
3
 Ir ( NH 3 )6 
4. लगे ड क कृ त
लगे ड को बढ़ती हु ई वभाजन शि त के म म जमाया जा सकता है । इस े णी म 
का मान
I  Br  CI   SCN  F OH  HO  H 2O  NH 3  en  SO32  NO2 CN CO
उपरो त म म बढ़ता है । इस कार CO,CN - बल े लगे ड ह और Br-,I- -दुबल े
लगे ड है । िजन लगे ड के लए  का मान उ च होता है, वे बल े लगे ड तथा िजन
लगे ड के लए  का मान कम होता है, वे दुबल े लगे ड कहलाते ह ।

69
5. लगे ड का आकार
लगे ड का आकार छोटा होने से अ तरा लगे ड तकषण कम होगा तथा लगे ड धातु के
अपे ाकृ त अ धक नकट आकर उसके d-क क के लए बल टल े उ प न कर सकगे
िजससे  का मान अ धक होगा ।
उदाहरणाथ:  का मान F- के लए सवा धक होता है तथा I- तक घटता जाता है ।

F   CI  Br   I 
6. संकुल क या म त
वग समतल य, चतु फलक य तथा अ ठफलक य े म  का मान न न कार है-
sp  0  i

या
1.3 0  0  0.45i
अ ठफलक य संकु ल म छ: लगे ड जब धातु आयन क तरफ बढ़ते ह तो वह eg क क
से सीधे टकराते ह िजससे इनके म य अ य धक तकषण होता है तथा  0 का मान बढ़
जाता है । जब क चतु फलक य संकु ल म जब धातु आयन क तरफ बढ़ते ह तो वह t2 g

क क से सीधे नह ं टकराते, िजससे इनके म य तकषण कम होता है तथा i का मान


भी कम होता है । वग समतल य म d-क क का वभाजन अ धक होने से sp का मान
बढ़ जाता है ।
बोध न
9. न न ल खत कथन के लए स य / अस य बताइये ।
( क) क टल े वभाजन ऊजा से अ धक होती है ।
2 3
 Fe( H 2O )6   Fe( H 2O )6 
( स य/अस य)
(ख) धातु आयन के d -क क क मु य वां ट म सं या बढ़ने से  का मान बढ़ता है ।
( ग) क तु लना म म  का मान अ धक है । ३ ।
2 2
Co( NH 3O)6   Ni ( H 2O6 
( स य/अस य)
( घ)  का मान F के लए अ धक होता है तथा I तक घटता जाता है ।
 

(स य/अस य)
10. म कस सं कु ल का  0 का मान सबसे
3 3 3
CO( NH 3 6 ,  K n ( NH 3 )6  ,  I r ( NH 3 )6 
अ धक होता है
11. न न ल खत आयन को उनके  मान के बढ़ते म म यवि थत क िजए ।
   2
Br , NH 3,CO, , F , SO 3

4.6 सारांश Summary)


 टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के चु बक व, या म त एवं
रं ग क या या आसानी से कर सकते ह ।
70
 च ण चु बक य आघूण ( s ) का अपे त मान न न सू वारा प रक लत कया जाता
है-
s  n(n  2) BM ( B )
 अ ठफलक य संकुल म d 10 , d 10 व बल े d 6 व यास वाले संकुल तचु बक य
होते ह तथा शेष सभी संकु ल अनुचु बक य होते ह ।
 चतु फलक य संकु ल म d 10 व यास वाले संकुल तचु बक य होते ह तथा शेष सभी
संकुल अनुचु बक य होते ह
 उपसहसंयोजक संकु ल क या म त  के मान पर नभर करती है । अ धकांशत: धातु
आयन अ ठफलक य संकुल ह बनाते है ले कन य द लगे ड का आकार बड़ा हो एवं लगे ड
अ यंत दुबल हो, धातु आयन कम ऑ सीकरण अव था म हो तो चतु फलक य संकुल
के बनने क संभावना रहती है ।
 eg एवं t2 g क क का और वभाजन हो जाये तो संकुल को अ त र त था य व ा त
होता है, इस भाव को जॉन-टे लर भाव कहते ह ।
 उपसहसंयोजक यौ गक पराबगनी तथा य े म ऊजा का अवशोषण करके एक (n-1)त
क क से दूसरे (n-1)d क क म सं मण कर रं गीन नजर आते ह ।
 सं मण धातु के संकु ल म रं ग मु यत: d-d सं मण व आवेश थाना तरण पे ा के
कारण होता है ।
 धातु आयन पर आवेश d-इले ॉ स क सं या, धातु आयन के d-क क क मु य
वांटम सं या, लगे ड क कृ त, लगे ड का आकार तथा संकुल क या म त आ द
कारक टल े पैरामीटर को भा वत करते ह।

4.7 श दावल (Glossary)


अनुचु बक य  वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को अपने
म से गुजारते ह ( नवात क अपे ा) अनुचु बक य कहलाते ह ।
तचु बक य  य द कोई पदाथ चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को
तक षत करता है ( नवात क तुलना म) तचु बक य कहलाता है।
चु बक य  कसी चु बक य छड़ का चु बक य आघूण उसक ु व साम य एवं दोन
आघूण ु व के बीच क दूर के गुणनफल के बराबर होता है ।
य े  तरं ग दै य (  ) = 400nm से 700nm, परास का े य े कहलाता
है
पे मी  जब व भ न लगे ड को उनक बढ़ती हु ई वभाजन शि त के म म
रसायन े णी जमाया जाता है, तो यह पे मी रसायन ेणी कहलाती है ।

4.8 संदभ ंथ (Reference Books) :


1. Concise Inorganic Chemistry  J.D.Lee
2. Modern Aspects of Inorganic  H.J. Emeleus and A.G. share

71
Chemistry
3. Inorganic Chemistry  J.E. Huheey, E.A. Keiter and R.L.
Keiter
4. Basic Inorganic Chemistry  F.A. Cotton, G. Wilkinson and
Paul. L. Gaus
5. Advanced Inorganic  Satya Prakash, G.D. Tuli, S.K.
Chemistry Basu and R.D. Madan
6. Chemistry ofhe Elements  N.N. Greenwood and
A.Earnshaw
7. Inorganic Chemistry  G.C. Shivahare, V.P.Lavania,
K.G. Ojha and S.P. Bansal
8. अकाब नक रसायन  जी.के. तगी तथा यशपाल संह
9. अकाब नक रसायन  पी. भागच दानी

4.9 बोध न के उ तर (Answer of Intext Questions)


1. (क) स य (ख) अस य (ग) स य (घ) स य (ड) अस य
2. (क) 2 (ख) 0 (ग) 1 (घ) 1
3. (क) 2.83 (ख) 5.92 (ग) 3.87 (घ) 1.75
4. (क) अ ठफलक य (ख) चतु फलक य (ग) वगसमतल य (घ) जॉन टे लर
भाव
5. (क) स य (ख) अस य (ग) स य (घ) स य
6. (क) गहरा बगनी (ख) बगनी (ग) या म त (घ) आवेश
थाना तरण पे ा
2 2 2

7.
 Ni ( H 2O6   Ni ( NH 3 )6   Ni (en)3 
T 4   V   Cr 6  , Mn 7 
8. i
9. (क) अस य (ख) स य (ग) अस य (घ) स य

10.  I r ( NH 3 ) 6 
2

Br   F   H 2O  NH 3  SO32   CN   CO
11.

4.10 अ यासाथ न
1. टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के चु बक व क या या
क िजए ।
2. टल े स ांत के आधार पर र त यौ गक क द गई चु बक य चाक मा ा को
समझाइये ।
72
यौ गक चु बक य चाक मा ा
Magnetic Moment value (BM)
(i ) K3[ FeF6 ] 5.9
(ii )  CO(CN6  CI 3 0.0

(iii )  N I [ H 2O6  CI3 2.9


(iv) K 4 MnF )6 5.9
(v) K4  Mn(CN )6  1.9
[परमाणु सं या: [ Mn  25, Fe  26, Co  27, Ni  28 ]
3. समझाइये य-
(i) चतु फलक य संकुल सदै व उ च च ण वाले होते ह ।
(ii) CN- लगे ड न न च ण तथा H2O उ च च ण यौ गक बनाते ह ।
(iii) Cr3+ आयन सभी लगे ड के साथ अनुचु बक य यौ गक बनाता है ।

4. टल े स ांत के आधार पर या या क िजए क य -


(i) K 3 [ FeF6 संकुल  K3[ Fe(CN )6  संकुल क तु लना म अ धक अनुचु बक य है

(ii) आयन तचु बक य है जब क अनुचु बक य ।
2 2
 N I [CN 4   NiCI 4 
(iii) अ ठफलक य बल फ ड कोबा ट (II) संकुल सु गमता से कोबा ट (III) संकुल म
ऑ सीकृ त हो जाते है ।
(iv)  CO( NH 3 ) 6  तचु बक य है, परं तु CoF6 अनुचु बक य है ।
3 3
 
(v)  Fe(CN 6  से  Fe( H 2 O  अ धक अनुचु बक य है ।
3 3

(vi)  Mn(CN 6  के चु बक य आघूण का मान 2.8BM है, जब क [MnBr4]2--का मान


3

5.9BM है ।
2
(vii)  Fe(CN 6  तचु बक य होता है, जब क (? Fe( H 2 O बल अनुचु बक य
3
 
है ।
5. टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक क या म त क या या
क िजए । ०
6. Cu2+ आयन के लए जॉन-टे लर भाव को समझाइये ।
7. टल े स ांत के आधार पर उपसहसंयोजक यौ गक के रं ग क या या क िजए

8. टल े स ांत के आधार पर समझाइये क य:
(i) सं मण धातुओं के उपसहसंयोजक यौ गक ाय: रं गीन होते ह ।
(ii) Fe व Mn3+ 2+
आयन के वलयन ह के रं ग के होते ह ।

73
(iii) Ti [ H 2O) 6  आयन का जल य वलयन बगनी होता है ।
3

(iv) V 5  Cr 6 , Mn 7 धनायन पर आवेश क मा ा बढ़ने से इनका रं ग गहरा होता जाता


है
9. न न पर सं त ट पणी ल खए -
(i) d-d सं मण
(ii) आवेश थाना तरण पे ा
(iii) अवशोषण पे म
(iv) जॉन-टे लर भाव
(v) Ti [ H 2O) 6  संकुल का अवशोषण पे म
3

(vi) थम सं मण ेणी धातु आयन के व यास एवं रं ग


10. टल े पैरामीटर को भा वत करने वाले कारक का वणन क िजए ।
11. समझाइये क य
(i) CO[ H 2O)6  म  0 का मान  Ni[ H 2O)6  से अ धक होता है ।
2 2

(ii)  Fe[ H 2 O) 6  म  0 का मान  Fe[ H 2O) 6  से अ धक होता है ।


3 2

(iii)  Ir ( NH 3 ) 6  म  0 का मान  Co( NH 3 )6  से अ धक होता है ।


3 3

12. ट पणी ल खए ।
(i) टल े थायीकरण ऊजा
(ii) बल व दुबल े लगे ड
(iii) पे ो रसायन ेणी
13. टल े वभाजन ऊजा को भा वत करने वाले पाँच कारक का वणन क िजए ।
14. े स ांत के आधार पर न न यौ गक म अयुि मत इले ॉन क सं या बतलाइये ।

(i) CoF6 3 (ii) (iii) Fe[CN ) 6


2 3
VF6   
15. टल े स ांत के आधार पर न न यौ गक के े त चु बक य घूण के मान को
समझाइये-
यौ गक चु बक य पूण का े त मान

 Fe[ H 2O)6 
2
5.0

CO[ NO2 )6 
4
1.9

 Fe[CN )6 
3
2.3

 Fe[ H 2O)6 
2
5.3

74
इकाई – 5
सं मण धातु संकु ल के चु बक य गुण – I
(Magnetic Properties of Transition Metal
Complexes-I)
इकाई क प रे खा
5.0 उ े य
5.1 तावना
5.2 चु बक व क उ पि त एवं चु बक व से स बं धत पद
5.3 चु बक व के कार
5.4 चु बक य वृ त व इसके नधारण क व धयाँ
5.5 सारांश
5.6 श दावल
5.7 स दभ थ
5.8 बोध न के उ तर
5.9 अ यासाथ न

5.0 उ े य (Objective)
इस इकाई के अ ययन के प चात आप -
i. चु बक व क उ पि त के बारे म समझगे ।
ii. व भ न चु बक व के कार से प र चत ह गे ।
iii. चु बक य वृ त व इसके नधारण के बारे म जान सकगे ।

5.1 तावना (Introduction)


सं मण धातुओं के रसायन को समझने म इनके चु बक य गुण का अ य धक योगदान होता
है । अत: इन गुण का उपयोग करके कई सं मण धातु संकुल क या म त एवं बंध क
कृ त को समझा जा सकता है । र त d क क क उपि थ त के कारण ये त व थाई,
रं गीन, टल य तथा चमकदार संकु ल का नमाण करते ह । इन संकुल के चु बक य यवहार
को ह इस अ याय म हम समझगे ।

5.2 चु बक व क उ पि त (Origin of Mangnetism)


कसी परमाणु म इल ोन ना भक के चार ओर ग त करता है । इले ोन क ना भक के
चार ओर ग त क तुलना व युत तार क कु डल (Coil) म से वा हत व युत से क जा
सकती है, इस लए इले ॉन क क ीय ग त से चु बक य े उ प न होता है । य क जब
कोई इले ॉन के समान आवे शत कण कसी अ के सापे ग तशील अथवा घूणन अव था

75
म रहता है तो वह एक े उ प न करता है । परमाणु के बाहर े म न केवल इले ॉन
ग त करता है, बि क क क (orbital) क ग त भी होती है.।

परमाणु म येक इले ोन से दो कार के चु बक य आघूण स बि धत होते है ।


(i) क ीय चु बक य आघूण (Orbital magnetic moment)
यह इले ॉन क क ीय ग त के कारण होता है ।
(ii) च ण चु बक य आघूण (Spin Magnetic moment)
यह इले ॉन के च ण के कारण होता है ।
इन दोन ग तय के कारण उ प न चु बक य आघूण के कारण परमाणु एक चु बक के समान
यवहार करता है । रसेल तथा सॉ डर (Russel and Saunder) नामक वै ा नक ने
चु बक य भाव क या या करने हे तु एक स ब ध दया जो न न है.
J= L + S
L = संपण
ू क क क ग त का योग तथा
S = संपण
ू इले ॉन के च ण का योग
L   1   2   3  ........ n
जहाँ S  s1  S 2  S3  ..........S n

5.2.1 चु बक व से संबं धत आव यक पद-

(i) ु व साम य (Pole Strength) - एक इकाई ु व उसे कहते ह जो वायु अथवा नवात
म इकाई साम य वाले दूसरे ु व को एक डाइन बल से आक षत अथवा तक षत करे

(ii) चु बकन ती ता (Intensity of Magnetisation) - त इकाई े फल म े रत ुव
साम य को चु बकन क ती ता (I) कहते ह ।

m   चु बक य आघू ण
I 
v आयतन

यहां m= ु व साम य,
 = दोन व
ु के म य दूर

(iii) चु बक य आघूण (Magnetic Moment) - ु व साम य एवं दोन व


ु के म य दूर
के गुणनफल को चु बक य आघूण  कहते ह ।
चु बक य आघूण = ु व साम य (m)x दोन ु व के म य दूर (  )

76
(iv) गॉस का नयम एवं कुल चु बक य रे ण (Gauss law and total magnetic
Induction) –
पदाथ के इकाई े फल म से गुजरने वाल बल रे खाओं को चु बक य ल स (Magnetic
flux) या कुल चु बक य रे ण (total magnetic Induction) कहते है । इसे ''B'' वारा
द शत करते ह । यह चु बकन ती ता I एवं चु बक य े क साम य से न न कार
संबं धत होती है ।
I
B = H + 4 (गॉस का नयम)
H

B I
अथवा  I  4
H H

(v) चु बक य पारग यता (Magnetic permeability) - कसी पदाथ के कुल चु बक य


ेरण (B) एवं नवात म चु बक य े क साम य (H) के अनुपात को चु बक य
पारग यता (P) कहते ह ।
B
P
H
(vi) चु बक य वृ त / आयतन वृ त (Magnetic susceptibility / volume
susceptibility) - कसी पदाथ के बा य चु बक य े के त संवेदनशीलता को उसक
चु बक य वृि त कहा जाता है । इसे ीक श द 'काई' (  ) वारा द शत कया जाता
है ।
I

H

5.3 चु बक व के कार (Types of magnetic)


चु बक य े म यवहार के आधार पर पदाथ को न न कार वग कृ त कया जा सकता
है ।
(i) अनुचु बक व (Paramagnetism) - य द
पदाथ का चु बक य े बा य चु बक य
े H से अ धक होता है तो पदाथ
अनुचु बक य होता है । वे पदाथ जो
चु बक य े म रखने पर चु बक य बल
रे ख ओं को अपने म से गुजारते ह ( नवात क
◌ा

अपे ा) अनुचु बक य पदाथ कहलाते ह तथा


यह यवहार अनुचु बक व कहलाता है । यह

77
गुण परमाणु म अयुि मत इले ॉन के च ण के कारण उ प न होता है । यह यवहार
न केवल ठोस सं मण धातु, बि क जल य वलयन म उनके आयन भी द शत करते
ह । थम सं मण ेणी के अ धकांश सद य म यह गुण पाया जाता है तथा यह ताप
पर नभर करता है । जैसे : ो मयम धातु का टु कड़ा अनुचु बक व दशाता है ।
(ii) त चु बक व (Diamagnetism) – यह पदाथ का मूल गुण (Fundamental
Property) माना गया है ।य द पदाथ का चु बक य े बाहयचु बक य े H से कम
हो तो पदाथ तचु बक य होगा। य द कोई
पदाथ चु बक य े म खने पर चु बक य बल

रे खाओं को कम कर दे ता है,( नवात क तुलना


म) वह त चु बक य कहलाता है ।
Sc , Ti , U , Cu , Zn आय स जल य
3 4 5 1 2

वलयन म इस भाव को द शत करते है ।इस


भाव के प रणाम व प त चु बक य पदाथ
समान चु बक य े म रखने पर दुबलतम े
क ओर जाते ह । त चु बक व ताप पर नभर नह ं करता है । यह गुण युि मत इले ॉनो
क उपि थ त के कारण उ प न होता है । यह Zn, Cd के वारा द शत कया जाता
है।
(iii) लौह चु बक व (Ferromagnetism) - वे पदाथ िजनम अ य धक अनुचु बक य गुण
होते ह, लौह चु बक व द शत करते ह । लौह चु बक व अनुचु बक व क एक वशेष
अव था है िजसम येक परमाणु या आघूण एक ह दशा म यवि थत होता है ।
बा यचु बक य े के भाव म सभी े का बा य चु बक य े क दशा म संरेखण
(alignment) होता है । लौहे का चु बक य ऑ साइड (Fe4O4) लौह चु बक व द शत
करता है । इसम Fe+3 आयन जालक के चतु फलक य छ म पाये जाते ह तथा कुछ
आय स अ ठफलक य छ म मलते है ।
(iv) त लौह चु बक व (Anti Ferro magnetism) - त लौह चु बक व दो पास-पास
वाले परमाणुओं के आघूण के वपर त दशा म यवि थत हो जाने पर ा त होता है ।
अत: च ण यु म के वपर त समाना तर (Anti parallel) यवि थत होने क वृ त
से त लौह चु बक व उ प न होता है । इन पदाथ म चु बक य आघूण का मान शू य
होता है ।
(v) लघु लौह चु बक व (Ferrimagentism)- यह एक वशेष कार का चु बक य यवहार
है िजसे लौहे के चु बक य Fe3 O4, Ru3 O4 आ द के टल अथवा पाउडर म दे खा
जाता है । इनका चु बक य आघूण कभी भी शु य नह ं होता है ।

78
च 5.3 चु बक य व ु व (a) अनु चु बक य (b) लौह चु बक य तथा (c) त लौह
चु बक य
अनुचु बक य त चु बक य व लौह चु बक य यवहार क तुलना हम न न कार से कर
सकते ह ।
सारणी - 1
अनुचु बक व तचु बक व लौह चु बक व
1. यह अयुि मत इले ॉन क यह वपर त च ण वाले यह समान च ण के इले ॉन
क ीय व च ण ग त के इले ॉन के क ीय आघूण के वाले पदाथ के जालक के कारण
कारण होता है । भाव न ट होने के कारण होता उ प न होता है ।
है ।
2. इनक चु बक य वृ त का मान इन पदाथ क चु बक य वृ त इनक चु बक य वृ त का मान
धना मक पर तु कम (  ) का मान ऋणा मक काफ अ धक होता है ।
(10x10 -10 x10 cgs
-6 3 -6
(-Ix10 ) इकाई होता है ।
-6 (10 -10 cgs इकाई)
-2 -4

इकाई) होता है।


3. अनु चु बक व ताप के त'चु बक व का मान ताप व यूर ताप के नीचे लोह
य मानुपाती होता है व H पर चु बक य े क साम य पर चु बक व का मान तेजी से कम
नभर होता है। नभर नह ं करता होता है व H पर नभर नह ं
करता है ।

4. I व H समान दशा म काय I व H क दशा वपर त होती पदाथ क चु बक य बल रे खाओं


करते है । है व बाहर चु बक य े के म य
बल आकषण होता ह ।

बोध न -
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये ।
( क) त इकाई े फल म े रत ु व साम य को चु बकन क ती ता कहते ह ।
(स य / अस य)
(ख) चु बक य े र ण ( B ) एवं चु बक य े क साम य ( H ) के अनु पात को चु बक य
अध कहते है ।
(स य / अस य)
(ग) अनु चु बक व ताप पर नभर नह ं करता है । (स य / अस य)
( घ) Sc +3 , Ti +4 आयन जल य वलयन म त चु बक व दशाते ह ।

79
(स य / अस य)
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए ।
( क) वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को अपने म गु जारते
ह............. कहलाते ह ।
( ख) वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को तक षत करते
ह ................................................. कहलाते ह ।
(ग) त लोह चु बक य पदाथ म चु बक य आघू ण का मान
.................................................... होता है ।
( घ) Zn व Cd के वारा ..................................... यवहार दशाया जाता है ।

5.4 चु बक य वृ त व इसके नधारण क व धयाँ(Method of


determination of magnetic susceptibility)
5.4.1 चु बक य वृ त - जब कोई पदाथ बा य चु बक य े H म रखा जाता है तो पदाथ के अ दर
का े B सामा यत: H से भ न होता है इनके म य संब ध न न पाया जाता है । B=H
+ 4 I जहां यहा नमू ने म उ प न े रत (Induced) चु बक य े है । I चु बक व क
ती ता है ।
उपरो त समीकरण को H से भाग दे ने पर
B 1
 1  4
H H
P  1  4
यहां P को चु बक य पारग यता एवं  को चु बक य वृि त कहा जाता है । य द चु बक य
वृ त को ाम म ( त इकाई यमान) म य त कर तो, यह ाम वृि त कहलाती है ।
 आयतन सु ा हता
g or
d घन व

तथा मोलर सु ाह ता / वृ त X m  X m   Xg  M
5.4.2 चु बक य वृ त का मापन - चु बक य वृ त के मापन क दो सामा य व धयाँ है - फेराडे
व ध तथा गॉय व ध (Gouy method) दोन व धयाँ कसी वषमांग चु बक य े वारा
से पल पर लगाये गये बल के नधारण पर नभर करती है । दोन ह व धय म नमू ने के
पदाथ का भार चु बक य े क उपि थ त तथा अनुपि थ त म ात कया जाता है । फेराडे
व ध क उपयो गता यह है क इसम पदाथ क बहु त कम मा ा क आव यकता होती है तथा
इससे सीधे ह वश ट वृि त ात होती है । पर तु चू ं क पदाथ बहु त कम मा ा (कुछ
म ल ाम) म होता है, इससे योग म क ठनाइयाँ होती है । य क बल का प रमाण बहु त
कम होता है । इस लए ाय: गॉय व ध यु त क जाती है ।

80
गॉय व ध (Gouy Method) - इस व ध म पदाथ के नमूने को एक ल बी छड़, वलयन
या काँच क नल म भरे हु ऐ पाउडर के प म लया जा सकता है । से पल का एक सरा
समांग चु बक य े म तथा इसका दूसरा सरा अ य धक कम या शू य े म रखा जाता
है । इस पर े त बल को से पल को तोल कर ात कर लया जाता है । से पल को तोलने
के लए एक सुधर हु ई योग शाला तुला (गॉय तुला) का योग करते ह ।

च 5.4 - गॉय तु ला का रे खा च
माना से पल नल क अनु थ काट का मान ''a'' है । तथा  m चु बक य े क उपि थ त
तथा अनुपि थ त मे लये गये भार का अ तर है । H चु बक य े क ती ता तथा ''g'' गु वीय
वरण है, तो से पल पर लगने वाला बल
F=  m  g………………….(i)
य द 1 व  2 मश. से पल व वायु क आयतन वृि तयाँ ह तो
1
F  ( 1   2 )a.0 H 2 ..........(ii )
2
समीकरण (i) व (ii) से
1
F  ( 1   2 )a.0 H 2 ..........
2
या
2mg
1   2 
a0 H 2 .............(iii)

समीकरण (iii) क सहायता से से पल क आयतन वृि त ( 1 ) का मान ात कया जा


सकता है । वायु क आयतन वृ त (  2 )का मान .364 x 10 -12
होता है । समीकरण (iii) म ''a''

व H का सह -सह मान
2
ात करने के लए योग को कसी मानक पदाथ (िजसक चु बक य वृ त
ात हो) के साथ दोहराते ह । पारे का संकु ल मकर टे ाथायो-साइनेटो कोबा टे ट (II) अथात
Hg [Co ( SCN ) 4 ] एक ठोस मानक के प म यु त होता है ।

81
  m  206.6  1012 m 3 mol 1at 293K  कार चु बक य तु ला से ात क गई चु बक य वृ त

आयतन वृ त (  ) होती है । इसक कोई इकाई नह ं होती, इसे मोलर वृ त म प रव तत कर लया


3 -1
जाता है । िजसक इकाई मीटर मोल होती है ।
M  2m.g 
Xm   X1  
D  a.0 h 2 
उदाहरण : गॉय तुला वारा CuSO4. 5H2O का चु बक य आघूण 1  1.70  104 पाया गया
CuSO4. 5H2O का अणुभार 250.18 है अत: आण वक भार M.250kg/मोल है, घन व D2.29 ाम
/ ml X m का मान ात करो ।
1.70  104  2.5kgml 1
Xm 
2.29  103 kg / m3
 1.858 10 8 mol  m3
व भ न चु बक य पदाथ क वृ तय का ताप के साथ प रवतन न न ल खत आरे ख म दशाया गया
है ।

च 5.5
बोध न –
3. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये ।
( क) चु बकन ती ता व चु बक य े के अनु पात को पारग यता कहते ह ।
(स य / अस य)
(ख) ाम सु ाह ता / वृ त और अणु भार का गु ण नफल मोलर सु ाह ता कहलाती है ।
( स य / अस य)
(ग) फे राडे व ध - गॉय व ध से अ धक उपयु त व ध है ।
(स य / अस य)
2 -1
(घ) मोलर सु ा हता या वृ त क इकाई मीटर मोल होती है ।
(स य / अस य)
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए ।

82
( क) गॉय व ध म मानक पदाथ के प म ................................. पदाथ का उपयोग
कया जाता है ।
(ख) अनु चु बक य पदाथ क चु बक य वृ त ताप के साथ ........................होती है ।
(ग) वह यू न तम ताप िजस पर लोह चु बक य पदाथ अनु चु बक य पदाथ म प रव तत
हो जाते है .............................. कहलाता ह ।
( घ) चु बक य वृ त ात करने हे तु काम म आने वाल तु ला को.............. कहते ह।

5.5 सारांश (Summary)


 B=H+ 4 I गॉस के नयम से जाना जाता है ।
 चु बक य रे ण B व चु बक य े क साम य H के अनुपात को चु बक य पारग यता
P कहते है ।
 वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को अपने म से गुजारते
ह या आक षत करते है अनुचु बक य पदाथ कहलाते है । जैसे Cr धातु ।
 वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को तक षत करते ह
तचु बक य पदाथ कहलाते ह। Sc , Ti आयन ।
3 4

 अ या धक अनुचु बक य गुण रखने वाले पदाथ लोह चु बक य पदाथ कहलाते ह । जैसे


Fe3O 4
 त लौह चु बक य पदाथ का चु बक य आघूण शू य होता है ।
 लघु लोह चु बक य पदाथ का चु बक य आघूण शू य नह ं होता है ।
 अनुचु बक य अयुि मत इले ॉन क क ीय व च ण ग त के कारण, त चु बक च
वपर त च ण वाले इले ॉन के क ीय आघूण के भाव न ट होने के कारण, तथा
लौह चु बक व समान च ण के इल ॉन पदाथ के जालक के कारण उ प न होता है।
1
 कसी पदाथ क चु बक य सु ा हता / वृ त को सू  वारा द शत कया
H
जाता है ।
 ामचु बक य सु ा हता वृ त व मोलर चु बक य सु ा हता / वृ त म न न संबध
ं होता
है ।
X m  Xg  M
 अनुचु बक व ताप पर नभर करता है । जब क तचु बक व ताप पर नभर नह ं करता

 वह यूनतम ताप म िजस पर लौह चु बक व अनुचु बक व म प रव तत हो जाता है,
नील ताप (Niel’s Temperature) कहलाता है ।
 चु बक य वृ त का नधारण गॉय तु ला वारा कया जाता है । तथा मानक पदाथ के
प म मकर टे ा थायो साइनेटो कोबा टे ट के प म लया जाता है ।
 मोलर चु बक य सु ा हता न न सू के वारा ात क जाती है ।

83
M 2m.g 
Xm  X2  
D a.0 h 2 

5.6 श दावल (Glossary)


अनुचु बक य चु बक य बल रे खाओं का अनु दश होना ।
त चु बक य चु बक य बल रे खाओं के वपर त होना ।
संरेखण एक दशा म समायोिजत होना ।

5.7 स दभ थ (Reference Books)


1. Selected Topics Inorganic Chemistry. (Malik, Tuli, Madan)
2. अकाब नक रसायन, बी.एस.सी. पाट – III (रमेश बुक डपो जयपुर )
3. अकाब नक रसायन, बी. एस. सी. पाट – III (सा ी पि ल शंग हाउस जयपुर )
4. अकाब नक रसायन, बी. एस. सी. पाट – III (कालेज बुक हाउस जयपुर )

5.8 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. (क) स य (ख) अस य (ग) अस य (घ) स य
2. (क) अनु चु बक य (ख) त चु बक य (ग) शू य (घ) त चु बक य
3. (क) अस य (ख) स य (ग) अस य (घ) अस य
4. (क) Hg[Co(SCN ) 4 ] (ख) घटती है (ग) नील ताप (घ) गॉय तु ला

5.9 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. परमाणु चु बक क तरह यवहार य करता है ।
2. चु बक य आघूण से आप या समझते ह ।
3. न न ल खत को समझाइये ।
(क) चु बकन ती ता
(ख) गॉस का नयम
(ग) चु बक य पारग यता
(घ) चु बक य वृ त
4. अनुचु बक व व तचु बक व को उदाहरण स हत समझाइये ।
5. लोह चु बक व, तलोह चु बक व व लघुलोह चु बक व से आप या समझते ह ।
6. अनुचु बक व, तचु बक व व लोहचु बक व म तुलना मक वभेद क िजए ।
7. चु बक य वृ त से आप या समझते ह । इसके मापन क गॉय व ध का वणन क िजए।
8. मोलर चु बक य सु ा हता को ात करने के लए सू ल खए ।
9. ामसु ाह ता को प रभा षत क िजए ।
बोध न –
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये ।

84
( क) त इकाई े फल म े रत ु वसाम य को चु बकन क ती ता कहते ह ।
( स य / अस य)
(ख) चु बक य े र ण ( B) एवं चु बक य े क साम य ( H) के अनु पात को चु बक य
आघू ण कहते है ।
(स य / अस य)
(ग) अनु चु बक व ताप पर नभर नह ं करता है । (स य / अस य)
( घ) SC + 3 , Ti + 4 आयन जल य वलयन म त चु बक व दशाते ह । (स य / अस य)
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए ।
( क) वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को अपने म गु जारते
ह,
........................ कहलाते ह ।
(ख) वे पदाथ जो चु बक य े म रखने पर चु बक य बल रे खाओं को तक षत करते
ह ,……....................................................... कहलाते ह ।
(ग) त लौह चु बक य पदाथ म चु बक य आघू ण का मान
............................... होता है ।
( घ) Zn व Cd के वारा ......................................... यवहार दशाया जाता है ।
3. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये ।
( क) चु बकन ती ता व चु बक य े के अनु पात को पारग यता कहते है ।
(स य / अस य)
(ख) ाम सु ा हता / वृ त और अणु भार का गु ण नफल मोलर सु ा हता कहलाती है ।
( स य / अस य)
(ग) फे राडे व ध - गॉय व ध से उपयु का व ध है ।
(स य / अस य)
(घ) मोलर सु ा हता या वृ त क इकाई मीटर ' मोल '' होती है ।
(स य और अस य)
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए -
( क) गॉय व ध म मानक पदाथ के प म .........................................
................................................... पदाथ का उपयोग कया जाता है ।
( ख) अनु चु बक य पदाथ क चु बक य वृ त ताप के साथ.......................... होती है ।
( ग) वह यू न तम ताप िजस पर लोह चु बक य पदाथ अनु चु बक य पदाथ म प रव तत
हो जाते है ........................................................... कहलाता ह ।
( घ) चु बक य वृ त ात करने हे तु काम म आने वाल तु ला को.............. कहते ह।

85
इकाई-6
सं मण धातु संकु ल के चु बक य गुण –II
(Magnetic Properties of Transition Metal Complexes
- II)
इकाई क प रे खा :
6.0 उ े य
6.1 तावना
6.2 च ण मा सू
6.3 L-S यु मन
6.4  s तथा eff मान का सहस बंध
6.5 चु बक य आघूण म क ीय योगदान
6.6 3d-धातु संकुल के लये चु बक य आघूण आकड़ के अनु योग
6.7 सारांश
6.8 श दावल
6.9 संदभ थ
6.10 बोध न के उ तर
6.11 अ यासाथ न

6.0 उ े य (Objective)
इकाई के अ ययन के प चात ् आप
(a) सं मण धातुओं के संकुल के चु बक य गुण को समझ सकगे ।
(b) थम सं मण ेणी के त व के चु बक य यवहार व मु त इले ॉन च ण सू (च ण
मा सू ) को समझ सकगे।
(c) L-S, यु मन ,  s व eff मान म सहसंबध
ं समझ कर चु बक व के लये िज मेदार
अयुि मत इले ॉन क सं या ात कर सकगे ।
(d) चु बक य आघूण म क ीय आघूण का योगदान जान पायगे ।
(e) चु बक य आघूण वारा कस कार अयुि मत इले ॉन क सं या ात क जा सकती
है, ये भी जान पायगे तथा यह भी जान पायगे क इसके वारा कस कार से वम
रसायन, बंध का कार तथा संकु लत धातु आयन क ऑ सीकरण अव था ात क जा
सकती है ।

6.1 तावना (Introduction)


ग तमान इले ॉन व परमाणु का ना भक आंत रक चु बक य े उ प न करने म स म होते
है । पर तु ना भक वारा उ प न चु बक य े ग तमान इले ॉन वारा उ प न चु बकय
86
े से 104 गुना कम होता है । ग तमान इले ॉन वारा उ प न चु बक य े का अ ययन
ना भक य चु बक य अनुनाद (Magnetic Resonance) NMR तकनीक क खोज से पहले
अ य त मह वपूण था । चू ं क सं मण त व संकु ल म आ शक प से भरे हु ये त क क
व यमान होते है, अत: इनम चु बक य गुण पाये जाते ह । सं मण धातुओं के रसायन को
समझने म इनके चु बक य गुण का अ य धक मह वपूण योगदान होता है । के य धातु
परमाणु के इले ॉ नक व यास, ऑ सीकरण अव था एवं उपसहसंयोजन सं या के अनुसार
सं मण धातु संकु ल म चु बक य गुण क व वधता पायी जाती है । सं मण धातु संकुल
के चु बक य यवहार के कार व चु बक य वृ त के नधारण क व धय का अ ययन हम
पूव वत इकाई म कर चुके ह । इस इकाई म इनके आगे के चु बक य यवहार एवं इन यवहार
के अनु योग के बारे म अ ययन करग ।

6.2 च ण मा सू (Spin only formula)


सं मण धातु ओं के चु बक य आघूण  के मान से परमाणु म उपि थत अयुि मत इले ोन
क सं या तथा भरे हु ये क क क जानकार मल सकती है । य द चु बक य आघूण केवल
अयुि मत इले ॉन क च य ग त से उ प न हो रहा हो तो इसे  s कहते है.
 s  4S (S  1) B.M ............................ (1)
जहाँ S = कु ल च ण वांटम सं या है ।
पर तु चु बक य े क उ पि त अयुि मत इले ॉन के क ीय कोणीय संवेग से भी हो सकती
है । अत: थम सं मण ेणी के धातु संकु ल के लये चु बक य आघूण का सामा य समीकरण
न न होगा
s L  4S (S  1)  L( L  I ) ................ (2)
L = इले ॉन क प रणामी क ीय कोणीय वांटम सं या है ।
1
एक इले ॉन के लये च ण वांटम सं या ms का मान  होता है । S  ms n जहाँ
2
अयुि मत इले ॉन क सं या है । थम सं मण खृं ला के अनेक त व के यौ गक म क ीय
योगदान का लगै ड परमाणु के व युतीय े से शमन हो जाता है । अत: इन धातु आयन
से चु बक य आघूण के योगदान क अपे ा क जा सकती है तथा चु बक य आघूण को केवल
अयुि मत इले ॉन के च ण के कारण माना जा सकता है ।
s  4S ( S  1) B.M ................... (3)
बोर मे नेटॉन (BM) म चु बक य आघूण युि मत इले ॉन क च ण n से न न समीकरण
के अनुसार ात क जा सकती है ।
s  n(n  2) B.M ................. (4)
च ण मा से ा त प रणाम सारणी 6.1 म दये गये है । थम सं मण खृं ला के अनेक
धातु आयन के उ च च ण संकुल के लये इनके मान काफ नजद क ह ।
सारणी 6.1 अयुि मत इले ॉन सं या के लये चु बक य आघूण :

87
अयुि मत इले ॉन क सं या चु बक य आघूण  s सकल च ण वांटम सं या (S)

1 1.73 1
2
2 2.83 1
1
2
3 3.87 3
2
4 4.90 4
2
2
5 5.92 5
2

6.3 L-S यु मन (L-S Coupling)


कसी पदाथ म उसके अयुि मत इले ॉन के क ीय तथा च ण ग त के कारण उसम
अनुचु बक य आघूण उ प न होता है । इसम तीन कार के यु मन क संभावना है ।
च ण-च ण (S-S), क क - क क (L-L)और क क - च ण (L-S) कु छ संकु ल वशेषकर
लै थेनाइड संकुल म तीन कार के यु मन को यान म रखा जाता है । इस तरह क
अनुचु बक यता धातु आयन क या म त और उसके चार ओर के वातावरण पर नभर नह ं
करती । अत: ऐसे संकुल का सै ां तक अनुचु बक य आघूण न न समीकरण वारा दया
जा सकता है ।

  g J ( J  1) .................. (5)
जहाँ J = कु ल कोणीय संवेग वांटम सं या है ।
g = लै डे वपाटन गुणांक
J ( J  1)  S ( S  1)  L ( L  1)
g  1 ……………………………..(6)
2 J ( J  1)
J का मान L तथा के यु मन से ा त कया जा सकता है ।
L = कुल क ीय कोणीय संवेग वांटम सं या
S = कुल च ण कोणीय संवेग वांटम सं या
चू ं क L तथा S के यु मन से J का मान ा त होता है, इस व ध को L-S यु मन कहा
जाता है । इस व ध के बारे म सव थम रसेल तथा सा डस नामक वै ा नक वारा ताव
दया गया था अत: इस व ध को रसेल- सा डस या R-S यु मन भी कहा जाता है । इस
व ध म सभी इले ॉन के च ण कोणीय संवेग के यु मन कर परमाणु के लये प रणामी
च ण कोणीय संवेग ात कर लया जाता है । इस कार पृथक-पृथक इले ॉन के क ीय

88
कोणीय संवेग के यु मन से प रणामी क ीय कोणीय संवेग ा त कर लेते ह । प रणामी च ण
संवेग को वांटम सं या S से तथा प रणामी क ीय संवेग को वांटम सं या L वारा
नधा रत कया जा सकता है । इन दोन प रणामी कोणीय संवेग के यु मन से परमाणु या
आयन का कोणीय संवेग ा त करते ह. िजसक अनु पी वांटम सं या J है ।
J  ( L  S ),(L  S 1),(L  S  2)..............(L  S )  (7)
समीकरण (1)से लै थेनाइड के संकुल के चु बक य आघूण के मान तो काफ सह ा त होते
ह, ले कन सं मण त व संकुल के मान ायो गक मान से काफ भ न ा त होते ह । इनके
लये क ीय और च य कोणीय संवेग के मान अलग-अलग काय करते ह । इले ॉन के
च ण मा के लये S=0, J=S तथा g=2, जब क इले ॉन क क ीय ग त के लये S
= 0,J = L तथा g = 1 होता है, तब
  4S (S  1)  L( L  1) - (8)
और इनम य द क ीय योगदान नह ं होता हो तो समीकरण (8), च ण मा सू समीकरण
(3)का प हण कर लेती है ।

6.4  S तथा  eff मानो का सहसब ध (correlation of  S and  eff

values)
पयरे यूर (Pierre Curie) ने सन ् 1895 म चु बक य पदाथ के लये एक नयम दया
िजसे यूर का नयम कहते है । इसके अनुसार अनुचु बक य सु ा हता (  m ) परम ताप
के यु मानुपाती होती है ।
C
m 
T
N2
C=( यूर ि थरांक)=
3KT
N2
m =
3KT
3KT  m
 .......................(9)
N
अनुचु बक य गुण को ( भावी चु बक य आघूण ) बोर मे नेटॉन क (B.M) क इकाई म
द शत करना अ धक सु वधाजनक है । B.M म B का मान न न कार होता है ।
eh
B=  9.213  1024 JT 1
4 mc
जहाँ e - इले ॉ नक आवेश,
-

m इले ॉन का यमान तथा


h लांक नयतांक है ।

89
इस बोर मे नेटॉन म चु बक य आघूण का मान होगा
   eff .B ……………………..(10)
दोन समीकरण (9) व (1०) को मलाने पर हम पाते ह
3KT  m
eff  ……………..(11)
N .B
सं मण आयन म इले ॉन सामा यत: बा यतम कोष म पाये जाते ह । ऐसे अयुि मत
इले ॉन क क ीय ग त का इनके चार ओर यवि थत लगे ड क इले ॉन से गंभीर प
से बा धत होने के कारण इनके क ीय का शमन हो जाता है । इस कार  ि पन का मान
क ीय तु लना म अ धक मह वपूण हो जाता है । अत: क ीय को उपे त कया जा सकता
है, िजसके कारण भावी चु बक य आघूण (  eff) को न न सू दया जा सकता है
 eff   spin  4S ( S  1) .......................(12)
जहाँ S - सकल ि पन वांटम सं या है ।
यह समीकरण  (च ण) को अयुि मत इले ॉन क सं या से न न कार संबं धत करती
है
 (च ण) = n(n  2).B .......................(13)

बोध न :
1. न न कथन मे स य/अस य बताइये –
1. के वल अयु ि मत इले ॉन क ग त से उ प न होने वाले चु बक य आघू ण s कहते
है ।
(स य/अस य)
2. अनु चु बक य सु ा हता परमताप के समानु पाती होती है ।
(स य/अस य)
3.  (च ण) से अयु ि मत इले ॉन क सं या के बारे मे पता चलता है ।
(स य/अस य)
2. न न वा य मे र त थान क पू त क िजये :
1. एक इले ॉन के लए च ण वा टम सं या m s का मान .................होता है ।
2. L तथा S के यु मन क व ध को ..................................को कहा जाता है ।
3. दो अयु ि मत इले ॉन क सं या वाले धातु सं कु ल मे s का मान
......................होता है ।

90
6.5 चु बक य आघू ण म क क य योगदान: (Orbital contribution to
magnetic moment)
थम सं मण खृं ला के त व के योग वारा ा त चु बक य आघूण के मान मा चु बक य
आघूण से काफ मलते है । अयुि मत इले ॉन का चु बक य आघूण उसके च ण तथा क ीय
आघूण के कारण होता है । कसी एक इले ॉन के क ीय कोणीय आघूण से संबं धत चु बक य
आघूण न न सू वारा दया जाता है ।
  (  1)   एजीमुथाइल वा टम सं या
सं मण त व मे अयुि मत इले ॉन ' क क म व यमान होते ह जो संकुल आयन के घेरे
म ह होते है । अत: इनके क क य ग त के कारण उ प न चु बक य आघूण उनके चार ओर
व यमान लगै ड वारा उ प न चु बक य आघूण वारा उदासीन कर दया जाता है । इसके
अ त र त इनम क क य योगदान का शमन भी होता है ।
टल े स ांत के अनुसार कसी इले ॉन के अपनी अ के त क ीय कोणीय आघूण
होने के लये आव यक है क वह क क िजनम वह इले ॉन ग त कर रहा है, उसके अ
के त घूण न से कसी अ य समान एवं स श
ं क क म प रव तत हो जाये । वतं आयन
म dxy एवं dx2-y2 क क एक दूसरे म Z अ के त 450 के घूणन से एक दूसरे म प रव तत
कये जा सकते है । इस कार dxy एवं dyz एक दूसरे म Z अ के त 900 के घूणन से
प रव तत कये जा सकते ह ।

क क का आकार च म दखाया गया है । घूणन म dx2-y2 , dxy म तथा dxz, dyz म


प रव तत हो जाते है ।
अत: जो इले ॉन इन क क म होता है, उसका क ीय कोणीय आघूण होता है । दूसर तरफ
जब कोई इले ॉन d z 2 क क म होता है तो z अ के त उसका क ीय कोणीय आघूण

नह ं होता है, य क उसको कसी अ य क क म घूणन कर सम ंश क क म प रव तत


नह ं कया जा सकता । लगै ड े क उपि थ त म य द क क का अ तप रवतन संभव
हो तो उनका कुछ क क य आघूण होता है, अ यथा उनका शमन हो जाता है ।
अ तर सं मण त व (Lanthanide) म अयुि मत इले ॉन 4f क क म व यमान होते
ह । ये अ दर के क क होने के कारण बा य 5d,6s, तथा 6p क क वारा अ छा दत रहते
ह । अत: इन 4f इले ॉन क क क य ग त के कारण उ प न चु बक य आधू ण लगै ड
91
के इले ॉ नक भाव वारा उ प न चु बक य आघूण वारा उदासीन नह ं हो पाता, फलत:
इनके चु बक य आघूण म इले ॉन के च ण के साथ-साथ क क य योगदान भी होता है।
अत: लै थेनाइड के चु बक य आघूण के प रकलन म LS यु मन से ा त समीकरण
  g J ( J  1) ..................(5)
का उपयोग कया जाता है ।
इस समीकरण म समीकरण (6) से g का मान

J ( J  1)  S ( S  1)  L ( L  1)
g  1
2 J ( J  1)
रखने पर न न समीकरण ा त होगा
1
 3 S ( S  1)  L( L  1) 
   [ J ( J  1)] .................(14)
2

 2 2 J ( J  1) 
उपयु त सू के आधार पर हम कसी भी लै थेनाइड आयन के लये चु बक य आघूण क
गणना कर सकते ह ।

6.6 3d- धातु संकुल के लये चु बक य आघू ण आंकड़ो के


अनु योग(Application of magnetic moment data for 3d
metal complexes)
थम सं मण ेणी या 3d धातु संकु ल के अ ययन म चु बक य आघूण का अ य धक उपयोग
कया जाता है । भावी चु बक य आघूण का योग अयुि मत इले ॉन क सं या ात करने
तथा वम रसायन, बंध का कार तथा संकु लत धातु आयन क ऑ सीकरण अव था ात
करने म कया जाता है । इसके कु छ योग न न है ।
1. इससे यह ात होता है क कोई संकु ल उ च च ण का है या न न च ण का ।
2. संकुल क या म त या है?
3. संकुल म बंधन क वृ त या है ?
उदाहरण (1): आयरन क ऑ सीकरण अव था, संकुल क या म त तथा लगै ड व बंधन
क वृ त चु बक य आघूण के न न आंकड से ात क िजये ।
(FeL6) ,  = 59
n+

हल : 3d धातु संकु ल म क क य आघूण का योगदान नग य होता है । अत: इनके चु बक य


आघूण पर च ण मा सू का उपयोग करके इनम व यमान अयुि मत इले ॉन क सं या
को ात कया जा सकता है ।
 = n(n  2) BM

92
5.9  n(n  2)
n 2  2n  34.81
n 2  2n  34.81  0
2  4  4  34.81
n
2
2  11.968 13.968
n   6.984
2 2
या
9.968
n  4.98 ≈5
2
चू ं क अयुि मत इले ॉन क सं या ऋणा मक नह ं हो सकती अत: 6.9 को छोड़ दया जाता
है । इस कार संकुल म 5 अयुि मत इले ॉन होते ह । िजनको समझने के लये Fe क
संकुल म +3 ऑ सीकरण अव था माननी होगी।

संकुल म पाँच अयुि मत इले ॉनो क उपि थ त को संयोजकता बंध स ांत के अनुसार
अ ठफलक य बा य क क मानकर समझाया जा सकता है । यहाँ दो यत क क उपयोग म
आते ह अत: संकुल म 5 अयुि मत इले ॉन बने रहे ग ।

टल े स ांत के अनुसार यह संकु ल उ च च ण संकुल है जो दुबल े संकुल होने


के बारे म संकेत दे ता है ।

संकुल के बा य क क होने से प ट है क इस धातु लगै ड के म य ब ध मु य प से


आय नक कृ त का है ।
उदाहरण-2 : Cr क ऑ सीकरण अव था, संकुल क या म त एवं लगै ड क कृ त न न आंकड
से ात क िजये।

93
(CrL6)n+ ,  =0
तचु ंबक य
चु क यो गक तचु ंबक य है अत: इसमे इले ॉन क सं या शू य है । यह दो अव थाओं म ह संभव
है ।
(1) जब Cr क ऑ सीकरण अव था +6 हो अथवा
(2) Cr क ऑ सीकरण अव था शू य हो तथा सभी संयोजकता इले ॉन अ ठफलक य यौ गक
म तीन 3d क क म युि मत कर र त दो 3d क क का उपयोग करते हु ये आ त रक क क
संकुल बनाते हो।

यह तब ह संभव है जब लगै ड बल े ीय हो । इस ि थ त म धातु लगै ड ब धन


सहसंयोजी होगा।
बोध न :
3. न न ल खत कथन मे स य/अस य बताइये ।
1. लगै ड े क उपि थती मे क को के अं त प रवतन से इले ॉन मे क ीय आघू ण
का शमन हो जाता है ।
(स य/अस य)
2. भावी चु बक य आघू ण से अयु ि मत इले ॉन क सं या का पता लगाया जा सकता
है ।
(स य/अस य)
3. लै थे नाइड मे अयु ि मत इले ॉन 4 d क क मे व यमान होते है ।
(स य/अस य)
4. न न वा य मे र त थान क पू त क िजये ।
1. लै थे नाइड के चु बक य आघू ण के प रकलन का सू ...............है ।
2. d z 2 क क मे उपि थत इले ॉन का क ीय कोणीय आघू ण ...............होता है ।
3. लै थे नाइड मे अयु ि मत इले ॉन .......................... क क मे व यमान होता है ।
4. चु बक य आघू ण का मान 5.9 होने पर धातु सं कु ल मे अयु ि मत इले ॉन क सं या
...............होती है ।

6.7 सारांश (Summary)


(a) ग तमान इले ॉन व परमाणु का ना भक आंत रक चु बक े उ प न करने म स म
होते है ।
(b) सं मण धातुओं के रसायन को समझने म इनके चु बक य गुण का मह वपूण योगदान
होता है ।
94
(c) के य धातु परमाणु के इले ॉ नक व यास, ऑ सीकरण अव था एवं उपसहसंयोजन
सं या के अनुसार सं मण धातु संकुल म चु बक य गुण क व वधता पायी जाती है

(d) य द चु बक य आघूण केवल अयुि मत इले ॉन क च य ग त से उ प न हो रहा है
तो इसे s कहते है ।

(e) s  4S ( S  1) B.M
(f) s अयुि मत इले ॉन क सं या से न न सू वारा संबं धत, होता है ।

s  n(n  2) B.M
(g) L तथा S के यु मन क व ध को LS यु मन कहते ह ।
(h) LS यु मन से ा त नई वांटम सं या को J से द शत करत ह ।
(i) पयरे यूर के अनुसार अनुचु बक य सु ा हता (Xm) परमताप के यु मानुपाती होती
है ।
(j) सं मण आयन म अयुि मत इले ॉन बा यतम कोश म पाये जाते है ।
(k) सं मण धातु संकुल म अयुि मत इले ॉन क क ीय ग त का इनके चार ओर
यवि थत लगे ड के इले ॉन से गंभीर प से बा धत होने के कारण इनके µ क ीय

का शमन हो जाता है ।
(l) सं मण धातु आयन म s का मान µ क ीय क तुलना म अ धक मह वपूण होता है ।
(m) लै थेनाइड के चु बक य आघूण म इले ॉन के च ण के साथ-साथ क क य योगदान
भी होता है ।
(n) चु बक य आघूण क सहायता से अयुि मत इले ॉन क सं या, संकुल का वम
रसायन, बंध का कार तथा संकु लत धातु आयन क ऑ सीकरण अव था ात क जा
सकती है ।

6.8 श दावल (Glossary)


1. क ीय ग त : इले ॉन के ना भक के चार और उपि थत क म वृ ताकार ग त को
क ीय ग त कहते है ।
2. चु बक य सु ा हता. इकाई आयतन क वृ त अथवा आयतन वृ त को चु बक य
सु ा हता कहते है ।
3. चु बक य आघूण : छड़ चु बक के दोन सर क ु व शि त व उनके म य क दूर
का गुणनफल ।
4. क ीय आघूण : इले ॉन क क ीय ग त के कारण उ प न चु बक य आघूण ।
5. च ण आघूण : इले ॉन क च ण ग त के कारण उ प न चु बक य आघूण ।

6.9 संदभ थ : (Reference Books)


1. अकाब नक रसायन, बी.एस.सी. पाट-III (CBH, जयपुर )

95
2. अकाब नक रसायन, बी.एस.सी. पाट-III (RBD, जयपुर )
3. अकाब नक रसायन, बी.एस.सी. पाट-III ( हमांशु पि लकेशस नई द ल )

6.10 बोध न के उ तर (Answer of Intext Questions)


(1) 1. स य 2. अस य 3. स य
1 2. LS यु मन 3. 2.83
(2) 1. 
2
(3) 1. अस य 2. स य 3. अस य
  g J ( J  1) 2. शू य 3. 4f 4. 5
(4) 1.

6.11 अ यासाथ न (Exercise Question)


1. यूर का नयम या है ?
2. L-S यु मन या है ?
3. क गणना के लये केवल च ण सू द िजये ।
4. 5 इले ॉन यु त [FeF6]-3 का चु बक य आघूण या है?
5. एक संकुल का चु बक य आघूण 15 है । इसम अयुि मत इले ॉन क सं या ात
क िजये ।
6. सं मण धातु संकु ल व लै थे नाइड संकु ल के चु बक य गुण म या अ तर है?
7. च ण मा सू से आप या समझते है? इसका अयुि मत इले ॉन से या संबध

है?
8. चु बक य आधूण म क ीय योगदान से आप या समझते है? क ीय योगदान का
शमन कन प रि थ तय म होता है ।

96
इकाई- 7
सं मण धातु सं कु ल के इले ॉन पे ा-I
(Electron Spectra of Transition Metal Complexes – I)
इकाई क परे खा
7.0 उ े य
7.1 तावना
7.2 सारांश
7.3 श दावल
7.4 संदभ थ

7.5 बोध न
7.6 बोध न के उ तर
7.7 अ यासाथ न

7.0 उ े य (objective)
इस इकाई के अ ययन के प चात व याथ न न ब दुओं को समझ पायगे -
 इले ॉ नक सं मण या होते ह? ये कतने कार के होते ह?
 इले ॉ नक सं मण के दौरान कसी भी संकु ल के रं ग म या प रवतन होता है?
इले ॉ नक सं मण क या परास होती है, िजनके म य म सं मण स भव पाया जाता
है?
 Pink colour
2
Co( H 2O)6 
 इस अ याय म इले ॉ नक सं मण के अलावा, परमाणु म पाये जाने वाल व भ न ऊजा
अव थाऐं (energy state) जैसे Ground state तथा Excited energy state का
अ ययन करग ।
 इस अ याय के अ तगत हम एक वशेष ेणी िजसे Spectrochemical series कहते
ह, का अ ययन करगे ।

7.1 तावना (Introduction)


इले ॉन सं मण के कार (Type of electronic transitions)
सं मण धातुओं म न न चार कार के इले ॉ नक सं मण पाये जाते ह ।
(1) d-d स मण अथवा लगे ड े पे ा (Transition or ligand field
spectra)
(2) लगे ड से धातु आवेश थाना तरण (Ligand to metal charge transfer)
(3) धातु से लगे ड आवेश थाना तरण (Metal to Ligand change transfer)

97
(4) लगे ड - लगे ड अथवा अ तर लगे ड सं मण (Ligand – Ligand or
Interligand Transitions)
(1) d-d सं मण अथवा लगे ड े पे ा (d-d Transitions or ligand field spectra)
इस कार के पे ॉ नकटअवर त, य तथा पराबगनी े म पाये जाते ह (10000-30000
nm-1 1000-333 nm) चु क न न आवृि तय को ायो गक तौर पर अ ययन करना क ठन
होता है । जब क उ च आवृि तय म आवेश थाना तरण तथा अ तर लगे ड सं मण के कारण
एक वशेष छाया का नमाण होता है । चू ं क इन सं मण का अ ययन पूण प से CFT
तथा MOT के अ तगत कया जाता है । MOT के अनुसार इले ॉनीय सं मण आण वक
क क के म य होते ह । d-d सं मण के अ तगत जो अव थाऐं होती है उनम d-क क
का वपाटन t2g एवं eg क क म हो जाता है । इ ह ं का अ ययन हम d-d सं मण के अ तगत
करते ह ।
(2) लगे ड से धातु आदे श थाना तरण (Ligand to metal change transfer)
चू क इस कार के इले ॉनीय सं मण के अ तगत इले ॉन का थाना तरण लगे ड के
आण वक क क से धातु के आण वक क क के अ तगत होता है । ले कन इस कार के
पे ा को CFT समझाने म असमथ है ।
(3) धातु से लगे ड आवेश थाना तरण (Metal to Ligand change Transfer)
इस कार के सं मण म इले ॉन का व थापन धातु से लगे ड के क क म होता है ।
इस कार के सं मण के वारा लगे ड क उपच यत होने क वृ त को मापते ह । इस कार
के सं मण uv व कभी-कभी अ य े म भी पाये जाते ह । सामा यतया इस कार के
सं मण उन संकु ल म पाये जाते है, िजनम लगै ड के पास न न ऊजा के  (Pistar)
क क होते है । जैसे - [Ru(bipy)3]+2
(4) लगे ड- लगे ड अथवा अंत लगे ड सं मण (Ligand –Ligand or Interligand
Transitions) जब इले ॉन का सं मण एक Ligand से दूसरे लगै ड म होता है तो इस
कार का सं मण अ त: लगे ड सं मण कहलाता है । इस कार के सं मण भी uv पाये
जाते है । चू ं क इस कार के सं मण म केवल लगै ड के आण वक क क का ह उपयोग
होता है ।

7.1.1. इले ॉ नक सं मण के लए चयन नयम (selection rules for electronic


transition)

इले ॉन के सं मण के लए दो कार के चयन नयम दये गये ह -


(1) च ण चयन नयम
(2) लैपोट चयन नयम

98
7.1.2 बै ड चौड़ाई तथा आकृ त (Band Width and Shape)

d-d सं मण के लए वरण नयम वे नयम ह िजनके वारा इले ॉ नक सं मण का संचालन


होता है । चु क ऊजा अवशोषण के कारण कसी धातु या परमाणु क अव था म प रवतन
पर नय ण selection rule वारा ह होते ह । अथात ् selection rule के वारा हम
ात कर सकते ह क कसी एक ऊजा तर से कन- कन ऊजा तर म इले ॉन का सं मण
होना संभव है और कन- कन ऊजा तर म विजत होगा । अत: िजन सं मण म वरण नयम
क पालना होती है उ ह अनुमत (allowed) सं मण तथा जो सं मण वरण नयम का
उ लंघन करते ह, उन ऊजा तर के म य होने वाले थाना तरण को विजत सं मण कहते
ह । यहां पर विजत सं मण से यह ता पय नह ं है क ऐसे सं मण ब कुल नह ं हो ऐसा
नह ं ले कन ऐसे सं मण क होने क ा यकता बहु त कम होती है । अत: सं मण धातुओं
से बने संकुल क अवशोषण बै ड क न न ती ता उनम उपि थत d-d सं मण के कारण
होती है ।
d-d सं मण को समझाने के लए दो कार के नयम दये गये ह -
(1) च ण वरण नयम (Spin Selection rule)
इस नयम के अनुसार वे इले ॉ नक सं मण अनुमत ह िजनम अयुि मत इले ॉन क सं या
म कोई प रवतन नह ं होता है । अथात ् इस कार के सं मण के प चात तथा पूव म च ण
वा टम सं या S के मान म कोई प रवतन नह ं होता है । अथात ्  s  0 अत: कसी
परमाणु क बहु लता (multiplicity) उसम उपि थत अयुि मत इले ॉन क सं या पर नभर
करती है । इस नयम के वारा कसी भी पे ाक या या करने के लए उन ऊजा अव थाओं
पर वचार कया जा सकता है, िजनक बहु लता समान होती है । अथात ् इस नयम के अनुसार
वह सं मण स भव है, िजनक ऊजा अव थाओं म बहु लता का मान समान होता है, वे ह
(allowed) अनुमत है । िजन ऊजा अव थाओं के लए multiplicity का मान भ न-2 होता
है, इले ॉन सं मण अनुमत नह ं ह । ऐसे सं मण िजनके लए  s  0 च ण विजत
सं मण कहलाते है ।
उदाहरण के लए - य द कसी परमाणु के एक क क म दो इले ॉन उपि थत है, ले कन इनका च ण
एक दूसरे के वपर त ह अथात ् (S = 0 एकक (singlet) अव था) तो ऐसे इले ॉन का
थाना तरण विजत होगा ।
उदाहरणाथ – S2  S1P1 सं मण अनुमत होगा, य द S1P1 अव था म दोन इले ॉन का च ण
1 1
 तथा _ अथात एकक अव था म होगा । ले कन दोन इले ॉन का च ण समान
2 2
होता है अथात ् क अव था (Triple state) हो तो इसके लए चयन नयम अनुम त नह ं
दे ता है ।
च ण वरण नयम अपने आप म प ट ह य क सभी एकक  ं ,
क वक 
चतु क(quartet), इस कार के सं मण च ण विजत ह गे ।
जब क सभी  एकक, वक  वक, क क, इस कार के च ण अनुमत ह गे ।
99
इस नयम के अपवाद बहु त कम होते ह । च ण विजत सं मण का हम एक दुबल लगे ड
वाले अ ठफलक य संकुल जैसे [Mn(H2O)6]+2 का उदाहरण लेते ह । यहां पर Mn+2 आयन
है िजसका '' व यास पाया जाता है । अथात ् येक ' क क म एक-एक इले ॉन होता है,
अत: इसम d-d सं मण विजत होते है । यह ं कारण है क Mn+2 के संकु ल बहु त ह के पीले
रं ग के होते है । य क सभी स भव इले ॉ नक च ण विजत ह गे ।
सारणी नं. 7.1 कु छ सं मण के लए मोलर वलोपन गुणांक (  )
लैपोट (क क) च ण पे ॉ के कार  value Example
अनुमत अनुमत आवेश थानांतरण 10.000 [TiCl6]-2
आ शक अनुमत अनुमत d-d 500 [CoBr4]-2 [CoCl4]-2
आ शक p-d अनुमत d-d 8-10 Ti(H2O)6+2
अनुमत विजत
आ शक अनुमत विजत d-d 4 [MnBr4]-2
आ शक p-d विजत d-d 0.02 [Mn(H2O)6]+2
म ण विजत
(2) लैपोट का क क वरण नयम (Laparte’s orbital selection rule)
इस वरण नयम के अनुसार केवल वे ह सं मण अनुमत है िजनम वगंशी वांटम सं या
म +1 अथवा -1 का प रवतन होता है । य द कसी अणु या आयन म सम मती उपि थत
हो तो उसमे उपि थत p या d क क म होने वाले सं मण अथात ् ऐसे सं मण िजनम एक
ह उप-ऊजा हो ।
(3) लैपोट वरण नयम (Laport selection rule)
इस नयम के अनुसार उ ह ं परमाणु या आयन म सं मण अनुमत होता है िजनम सम मती
का प रवतन हो जाता है अथात सम (gerade, g) से वषम (ungerade,u) सम मती म
(g  0) तथा (u  g) अनुमत है । जब क सम से सम , वषम से वषम सं मण विजत
होता है ।
इस कार एक ह कार के सभी क क, िजनक सम मती भी एक सी होती है समान सम मती
के क क म इले ॉन का थाना तरण एक कार से इले ॉन का पुन वतरण होगा, अनुमत
नह ं । जैसे टल फ ड भाव से धातु के d क क जो क लगे ड के आने के बाद
भ न- भ न ऊजा तर मे वभ त हो जाते है, जो क सभी d क क g सम मती के होते
ह । ले कन इनके वभ त होने के प चात ् न नतर ऊजा के d क क से उ चतर ऊजा के
'क को म इले ॉन का थाना तरण g  g सं मण क ेणी म आयेगा जो क लैपोट वरण
नयम के अनुसार विजत सं मण ह । इस कार d-d सं मण एक विजत सं मण है ।
चू ं क अवशोषण बै ड क ती ता को ग णतीय प से न न कार प रभा षत कया जा सकता
है -
I0
-log = c  ............................................(1)
I
100
जहां Io आप तत तथा उ सिजत काश क ती ता का अनुपात, c= मोलर सा ता
I
 = मोलर अवशोषण गुणांक (Molar extinction coefficient)
 = माग क ल बाई
चू ं क लैपोट चयन नयम से अनुमत सं मण का अवशोषण उ च होता है । इनम वा टम
सं या म प रवतन    1 होता है । उदाहरण के लए Ca के लए S 2
 SP ,
1 1

सं मण म  म प रवतन +1 होता है तथा मोलर अवशोषण गुणांक  का मान


5000-1000 लटर मोल
-1 -1
सेमी होता है ।
इसके वपर त d-d सं मण जो क लैपोट अनुमत नह ं है य क  म प रवतन शू य होता
है, तथा इनका अवशोषण पे ा न न पर ा त होते ह । (  =5-10 liter m-1 cm-1)
य क लैपोट नयम से इसको थोडी सी छूट मलती है । जब सं मण त व संकु ल बनाते
ह तो यह लग डो से घरे होते है तथा d एवं p क क के म ण से सं मण शु प से
d-d कृ त के नह ं रह पाते ह । इस कार इन संकुल म क क का म ण पाया जाता
है । प रणाम व प सम मती नह ं रह पाती है ।
उदाहरणाथ : [MnBr4]-2 एक चतु फलक य संकुल है तथा [Co(NH3)3Cl]+2 एक अ ठफलक य संकु ल
है । दोनो म सम मती के नह ं होता है, दोन रं गीन होते है ।
बै ड चौडाई तथा आकृ त (Band width and shapes) -
चु क कमरे के ताप पर d-d सं मण के लए अवशोषण बै ड क चौडाई लगभग 1000 cm-1
होती है । िजसके न न कारण है-
(1) आि वक क पन (Molecular Vibration)
(2) च ण--क क यु मन (Spin-Orbit coupling)
(3) जॉन-टे लर वकृ त (John-Teller distortions)

71.3 आवेश थाना तरण पे ा (change transfer spectra)

आवेश थाना तरण पे ा (change transfer spectra) एक मह वपूण पद होता है, जब


कसी संकु ल म उपि थत लगे ड से इले ोन का थाना तरण Ligands to metal ion
या धातु आयन से लगै स क ओर होता है तब इस कार के पे ा ा त होते ह । यह
म साधारण प से चयन नयम के अ तगत नह ं आता है । अत: आवेश थाना तरण
बै ड के अवशोषण गुणांक 500 से 2000 क परास म आते है । जब क d-d सं मण क
परास का मान कम होता है । आवेश थाना तरण सामा यत: पराबगनी े म पाये जाते
ह । ले कन कई बार d-d सं मण तथा आवेश थाना तरण का अ त यापन हो जाता है, िजससे
d-d सं मण का spectrum ा त करना क ठन हो जाता है ।
साधारण मोलर अवशोषण गुणांक (  ) के उ च मान का होना ह यह सू चत करता है क
दये गये वलयन म आवेश थाना तरण हो रहा है अथवा नह ं ।
जैसे [CO(NH3)5x] +2
वाले संकु ल म जहां  = हैलोजन होता है । य द इन संकु ल का पे ा
लया जाता है तो पराबगनी े म बल अवशोषण पाया जाता है । इस कार हैलोजन के
101
साथ उसक आवृ त मश: I, Br, C  तथा f के लये बढ़ती जाती है । अत: हम यह न कष
नकालते ह क उ च आवृ त क ओर व थापन, इले ॉन के लगै ड से धातु आयन क ओर
थाना तरण क क ठनाई के बढ़ने स स बि धत है ।
आयरन (III) तथा थायोसायनेट या फनॉल क अ तः या से बनने वाले रं गीन यौ गक म
भी इस कार का म घ टत होता है । इस कार कसी भी संकु ल म उपि थत के य
धातु का अपचयन होना, उसम उपि थत लगै ड पर नभर करता है ।
य द सं मण क आवृ त कम है तो धातु का अपचयन होता है । यह कारण है क लोराइड
क उ च सा ता क उपि थ त म कॉपर (II) वलयन का रंग नीला ह रहता है ।
पे मी - रासाय नक ेणी (Spectro chemical series)-
कसी भी संकुल म उपि थत अयुि मत इले ो नक का यु मन होना , उसम उपि थत लगे ड
क कृ त पर नभर करता है । संकुल म उपि थत लगे ड बल लगै ड ह गे तो इले ॉन
का यु मन हो जाता है । अत: लगै ड क बढ़ती हु ई बलता के आधार पर एक वशेष कार
क ेणी बनायी जाती है, िजसको पे ोके मकल सीर ज कहते है ।
बल े वाले लगै ड (strong field ligands)-
C N  CO  NO2  1,10 फनेन ोल न> डाइ प र डल> एथी लन डाइएमीन
  2
 NH3  Py  EDTA  H2O  C 2O4  C2 H5OH  OH  F  NO3  Cl   S  Br  I

Strong Ligands weak Ligands

7.1.4 पे मीय रासाय नक ेणी (Spectro chemical Series)

अत: कसी भी लगै ड क बलता का मान 0 पर नभर करता है । वे लगै ड िजनके लए


0 के मान उ च होते है, वे बल लगै ड कहलाते है । इस कार ऊपर जो म दया गया
है सभी धातुओं के लए समान ह रहता है । इस कार पे ोके मकल ( पे मी-रासाय नक)
ेणी म उपि थत लगै ड क बलता को समझाने के यास कये गये, ले कन आ शक
सफलता ह मल पायी । चू ं क हैलाइड म बलता का म न न पाया गया है
I  Br  Cl  F , िजसको वै युत भाव के आधार पर समझाया गया है । सभी हैलाइड
पर आवेश ि थर रहता है, इस कार हम दे खते ह क F का आकार छोटा होता है तथा आवेश
घन व बढ़ने के कारण F क साम य, दूसरे हैलाइड क तुलना म अ धक होगी , I का
आकार बडा होता है इस कार I आसानी से के य परमाणु के पास आसानी से नह ं पहु ंच
पायेगा । इस कार ा त 0 का मान I के लए कम तथा F के लए उ च होता है ।
इसी कार Cl तथा 1, 10 फनेन ोल न के उ च टल य फ ड भाव का कारण धातु
तथा लगे ड के म य उपि थत  ब ध का पाया जाना है । चू ं क इस कार के संकुल म
के य धातु परमाणु जो क अपने भरे हु एt2g क क से लगै ड के खाल क क म इले ॉन
का थाना तरण कर दे ता है, इस कार  ब धन म t2g क क का था य व बढ़ जाता

102
है य क M-L ब ध दूर कम हो जाती है । इनका भाव यह होता है क d क क का वभाजन
बढ़ जाता है । यह कारण है क CN े णी म उ च थान पर है ।
इस कार H2O क टल फ ड साम य जो क OHion क तुलना म अ धक है यह
हम ेणी के वारा ात होता है जो क एकदम वपर त है जब क आवे शत लगै ड उदासीन लगै ड
क तुलना म अ धक बल होते है , ले कन यहां OH एक आवे शत लगे ड होते हु ए भी दुबल लगै ड
क भां त यवहार करता है इसका कारण यह है क OH का O परमाणु अपने भरे हु ए P क क
के इले ॉ स यु म को धातु पर उपल ध t2g क क के साथ सहभािजत कर लेता है िजससे OH
तथा धातु आयन दोनो पर आवेश म कमी हो जाती है, प रणाम व प OH , दुबल लगै ड क भाँ त
यवहार दशाता है ।
इसी कार CN तथा 1,10 फनै ोल न के संकुल न न च ण वाले होते है य क इन
लगै ड का भाव बल होता है । जब क जलयोिजत आयन तथा हैलाइड आयन का उ च च ण
होता है । अत: न न च ण होना उसम उपि थत लगै डस क बलता पर नभर करता है ।
कसी भी संकुल म 0 का मान उसम उपि थत धातु पर भी नभर करता है । अत: 0 के
मान के आधार पर धातु ओं के लए पे मी रसायन का नमाण कया जा सकता है । अत: धातुओं
म 0 का मान न न कारक पर नभर करता है ।
(1) धातु का आ सीकरण अंक बढ़ने पर 0 का मान भी बढ़ता है ।
(2) दूसरा यह है क सं मण धातु ओं म ऊपर से नीचे आने पर 0 का मान भी बढ़ता है, अत:
सं मण धातु ओं के थम सद य के लए 0 का मान यूनतम होगा । जब क अि तम सद य
के लए 0 का मान अ धकतम होगा । चू ं क धातु ओं का आ सीकरण अव था के बढ़ने पर
0 का मान बढ़ता जाता है, इस भाव को ि थर वै युत आकषण बल वारा समझाया जा
सकता है जैसे-जैसे आवेश बढ़ता जाता है तथा साथ ह के य परमाणु का आकार भी छोटा
होता जाता है, प रणाम व प आवेश घन व बढ़ जायेगा, िजससे लगै ड का के य धातु
परमाणु क ओर आक षत होने क मता बढ़ जायेगी । िजससे 0 का मान बढ़ जायेगा

दूसरे कार क या या हम इस कार कर सकते है । चू ं क 4d तथा 5d क क 3d क क
क अपे ाकृ त अ धक फैले होते है । प रणाम व प 4d तथा 5d के वारा लगै ड के साथ ब ध आसानी
से बन जाते ह । िजससे 0 का मान भी बढ़ जाता है । अत: 0 के बढ़ते हु ए मान के आधार पर,
धातु ओं क एक ेणी बनायी गयी है जो न न है ।
Mn  Ni  Co  Fe2  V 2  Fe3  V 3  Co3  Mn4  Mo3  Rh3  Ru3  Pd4  Ir3  Re4
2 2 2

7.2 सारांश (summary)


इले ॉ नक सं मण तीन कार के होते है ।
(1) d-d सं मण (d-d transition)
(2) लगै ड से धातु आवेश थाना तरण (Ligand to metal transition)
103
(3) धातु से लगै ड आवेश थाना तरण (Metal to Ligand transition)
(4) लगै ड से लगै ड सं मण (Ligand to Ligand transition)
न न अव था- कसी भी संकु ल म उपि थत d क क क वह अव था िजसम इले ॉन न न
अव था से उ चतम अव था म चला जाता है ।
d-d सं मण के लए दो कार के वरण नयम दये गये -
(1) च ण वरण नयम (spin selection rule)
(2) लैपोट का क क वरण नयम (Laporate’s orbital selection rule)
For spin selection rule
Allowed  s =0
Forbidden  s  0
(3) लैपौट का क क वरण नयम (Laporte’s orbital selection rule)
For Azimuthal quantum number change +1 or -1
पे मी-रासाय नक ेणी (Spectro chemical series)
I   Br  S 2  Cl   NO3  F  OH  C2 H 5OH  C2 O4 2  H 2O 
 Weak field ligands
EDTA Py  NH3  Ethylenediammine  dipyrodyl  phenanthrene  NO2  CO  CN
 Strong field ligands
धातु आयन क पे मी रासाय नक ेणी
MN  NI  CO  Fe2  V 2  Fe3  Cr 3  V 3 
2 2 2

CO3  Mn4  Mo3  Mn3  Pd 4  Ir 3  Re4  Pt 4


7.3 श दावल Glossary)
पे मी - रासाय नक ेणी (Spectrochemical series) लगे ड क यह ेणी िजसम
लगे ड अपने े क बलता के घटते अथवा बढ़ते म म यवि थत होते ह । पे मी
- रासाय नक ेणी कहलाते ह ।
कसी अवशोषण बै ड क ती ता का अ ययन करने के लए बीयर ले बट नयम का उपयोग
कया जाता है ।
I0
Log =A=  Cl
I
Io = आप तत करण पु ज
ं क ती ता I = परगत करण पु ज
ं क ती ता
A= अवशोषणता  = मोल वलोपन गुणांक
C = वलयन क सा ता मोल त लटर म  = पथ क ल बाई
अनुमत (Allowed) िजन सं मण म वरण नयम क अनुपालना होती है , उ ह अनुमत
कहते ह ।

104
विजत (forbidden): िजन सं मण म वरण नयम क अनुपालना नह ं होती है , उ ह विजत
सं मण (forbidden) कहते ह ।
सू म अव था : इले ॉ नक व यास क स भा वत अव थाय ।
पद (Term) : पद श द का योग कसी परमाणु क अव थाओं से स बि धत ऊजा तर
के लए कया जाता है ।

7. दभ थ (Reference Books)
Inorganic Chemistry  VBH , Jaipur
Inorganic Chemistry  SPH, Jaipur
Inorganic Chemistry  Himanshu Publication, Udaipur

7.5 बोध न
1. न न म भावी लगे ड का सह म होगा-
(a) Cl  Br  I (b) I  Cl  Br
(c) F  NO  Cl

3
(d) H 2 O  EDAT  NH 3
2. कसी अवशोषण बै ड के अ ययन के लए बीयर-ले बट का सह सू है-
I0  I0 
(A)  Cl  Log10 (B) log    A  C 
I  I 
I0 I
(C)  log10 A (D)  log  C 
I I0

7.6 बोध न के उ तर (Answer of Intext questions)


1- (C) 2- (B)

7.7 अ यासाथ न (Exercise Question)


(1) आवेश थाना तरण को प रभा षत क िजए तथा ये कतने कार के होते ह?
(2) d-d सं मण के लए वरण नयम द िजए ।
(3) पे ो- रासाय नक ेणी को समझाइये तथा उसको भा वत करने वाले कारक
कौन-कौनसे होते है?
(4) न न पर ट पणी ल खए-
(a) च ण वरण नयम
(b) लैपोट वरण नयम

105
इकाई -8
सं मण धातु संकु ल के इले ॉन पे ा - II
(Electron Spectra of Transition Metal complexes –II)
इकाई क प रे खा :
8.0 उ े य
8.1 तावना
8.2 पे ॉ कॉ पक न नतम अव था
8.3 d व d9 अव था के लये आगल ऊजा अव था आरे ख
1

8.4 [Ti(H2O)6]+3 संकुल आयन के लये इले ॉ नक पे म क ववेचना


8.5 सारांश
8.6 श दावल
8.7 संदभ थ

8.8 बोध न के उ तर
8.9 अ यासाथ न

8.0 उ े य (Objective):
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप
 सं मण धातु आयन म ऊजा तर तथा पे ॉ कॉ पक अव थाओं को समझ सकगे ।
 इले ॉन ऊजा तर का वपाटन तथा d व d अव थाओं के लये आगल च बनाना
1 9

सीख सकगे।
 [Ti(H2O)6]+3 संकुल आयन के इले ॉ नक पे म का अ ययन कर सकगे ।

8.1 तावना (Introduction)


सं मण धातु लवण कई कार के रं गो म होते ह । यह रं ग दे खने वाल को कई कार से
आक षत करते ह । यह रं ग व भ न ऊजा तर म इले ॉ नक सं मण से उ प न होते है
। इस इले ॉ नक सं मण म काश के य े से ऊजा का अवशोषण होता है, िजससे
पराव तत करण के आंख से टकराने के कारण वह रं गीन दखाई दे ता है । सामा यत: इन
सं मण के लये ऊजा पे म के य भाग से मलती है । इले ॉ नक पे ा का उपयोग
मु यत: संयोजकता क क क ऊजा तर क ि थ त के बारे म जानकार ा त करने के
लये कया जाता है य क य पे म म अ धकांश सं मण इले ॉन के एक तर से
दूसरे तर म सं मण के प म होते ह । इससे पूव क इकाई म आपने इले ॉ नक सं मण
के कार d-d सं मण के लये चयन नयम, पे ॉ रासाय नक ेणी के बारे म जाना ।
इस इकाई म हम पे ॉ कॉ पक न नतम अव था के साथ-साथ पे ो को पक पद के
बारे म जानगे । साथ ह पूण पद संकेत व बहु कता के बारे म समझगे । साथ ह ऊजा तर

106
के वपाटन के प रमाण तथा लगे ड े क बलता के म य आलेख खींचकर, च य क ीय
यु मन तथा बल े म व भ न ऊजा तर को म त कर आगल च बनाना भी सीखगे
। तथा Ti +3
संकुल के इले ॉ नक पे ा को समझकर उसके रं ग के बारे म भी जानगे।

8.2 पे ॉ को पक न नतम अव था (spectroscopic Ground


state)
कसी परमाणु के ऊजा तर को चार वांटम सं याओं के आधार पर समझाया जाता है ।
ये चार वांटम सं याय मश: मु य वांटम सं या ('n'), वगंशी वांटम सं या ('I'),
चु बक य वांटम सं या ('m') व च ण वांटम सं या ('s') होती है । कसी भी त व म
इले ॉन भरने का म हु ड के नयम, पॉउल के नयम तथा ऑफबाउ नयम के अ तगत
होता है । परमाणु व आयन के अभी तक हम जो इले ॉ नक व यास लखते आये ह उनम
व भ न क क म इले ॉन क सं या बताई जाती है । सामा य प से कोई एक इले ॉ नक
व यास कसी परमाणु आयन क कसी एक ऊजा अव था को द शत नह ं करता, अ पतु
एक इले ॉ नक व यास से बहु त से ऊजा तर स ब होते ह, िजनम से येक को पद
या अव था कहते ह । इस कार एक व यास म बहु त से पद होते ह तथा व भ न व यास ,
चाहे उनम इले ॉन क कुल सं या समान हो, के लये पद के समूह भी भ न होते ह ।
उदाहरणत: काबन क न नतम अव था 1s2,2s2 ,2p2 लखी जाती है । इसके इले ॉ नक
व यास म z इले ॉन 2p क क म जाते ह, िजनक न न 15 अव थाय संभव है ।

इ हे व भ न ऊजा के तीन वग म बाँटा जा सकता है । िज ह तीन ऊजा अव थाय कहते


ह । अत: p क क के सम ंश तथा समान ऊजा के होते हु ये भी इनम उपि थत इले ॉन
क अ तः या के प रणाम व प परमाणु अथवा आयन म न नतम अव था ( न न ऊजा
क ) एक या एक से अ धक उ तेिजत अव थाय बनती है ।

107
इले ॉन के ि थर वै युत आकषण के साथ ये एक दूसरे को न न कार से भी भा वत
करते ह ।
(1) इनके च ण से उ प न चु बक य े क अ त या अथवा यु मन वारा
(2) इले ॉन क क ीय ग त से उ प न े के यु मन (क ीय कोणीय संवेग) वारा
जब कोई इले ॉन एक उप ऊजा तर म भरते है तो ा त होने वाल ऊजा अव थाय
येक इले ॉन के क ीय कोणीय संवेग वांटम सं या के प रणाम पर नभर करती
है ।
सभी  मान के प रमाण को एक नयी वांटम सं या p वारा य त कया जाता है, जो
परमाणु क ऊजा अव था को प रभा षत करती है ।
L = 0 1 2 3 4 5 6 7 8.....
अव s p d f g h i k 1.....
था
(J को उपयोग म नह ं लया गया है य क यह बाद म आने वाल दूसर वांटम सं या
को द शत करता है ।
1. क ीय कोणीय संवेग का यु मन -
एक p2 व यास के लये  का प रणामी मान न न कार से प रभा षत कया जाता है

च म  =1 को इकाई लंबाई वाले तीर से दशाया गया है ।


व यास के लये भी उपयु त कार से प रणामी मान ात कया जा सकता है, ले कन
2
d
d क क के लये  =2, अत: तीर क ल बाई दोगुनी रखते ह ।
1
2. च य कोणीय संवेग का यु मन : एक इले ॉन के लये च ण सं या ms के मान 
2
1
या  होते है । य द दो या अ धक इले ॉन के एक उप ऊजा तर म उपि थत होने पर
2
उनके वारा उ प न चु बक य े क अ तर या वारा अथात 'यु मन ' से प रणामी वांटम
सं या S ा त होती है । P2 व यास के लये येक इले ॉन के ms के मान के साथ
जु ड़ी वांट कृ त ऊजा क मा ा को तीर के च ह वारा द शत करने पर हम दे खते ह क
प रणामी च ण वांटम सं या s के मान 0 या 1 होते ह ।

108
कसी परमाणु म L व S दोन के चु बक य भाव क अ तर या से या 'यु मन से एक
नई वांटम सं या बनती है िजसे कुल कोणीय वांटम सं या कहते है. इसे 'J' से द शत
करते ह ।
P2, यव था के लये च ण कोष यु मन को न न च म दशाया गया है ।

च 8.2 प रणामी L तथा S के संयोग से पे ॉ कॉ पक पद संकेत का बनना ।


इनम से येक अव था एक इले ॉ नक यव था -को द शत करती है । पूण पद संकेत
(full term symbol) वारा इनक या या क जा सकती है ।
D श द यह संकेत दे ता है क L वांटम सं या का मान 2 है । P यह संकेत दे ता
है क L = 1, जब क L=0 S को द शत करता है । दायीं और नीचे वाला (Subscript)
कु ल वांटम सं या वांटम सं या को तथा बायीं ओर ऊपर वाला (Superscript) बहु लता
(multiplicity) को य त करता है । जो S के येक मान के लये J के कु ल मान को
द शत करती है । िजसके मान 2S+1 होते ह । इसका नधारण अयुि मत इले ॉन क

109
सं या n से भी कर सकते है । येक अयुि मत इले ॉन के लये बहु लकता का मान n+1
होता है ।
अयुि मत इले ोन क सं या (n), प रणाम च ण वांटम सं या S तथा बहु लकता
का संबध
ं नीचे सारणी म दया गया है ।
अयुि मत इले ोन S बहु लकता (2S=1) or (n+1) अव था का नाम

0 0 1 संगलेट
1 1 2 डबलेट
2
2 1 3 पलेट
3 1 4 वाटरे ट
1
2
2

4 5 ि व टे ट

अत: संकेत
3
D2 (िजस पलेट D टू पढ़ा जाता है ।) द शत करता है क D अव था अथात
L = 2 है बहु लकता तीन है (अयुि मत इले ॉन क सं या दो है अत:
n    2  1  ors  12s  1  3) तथा कुल वांटम सं या J=2 है । इन सब पद को जानने के
बाद इ ह ऊजा के म म यवि थत कर दे ते ह और फर हु ड नयम के आधार पर न नतम अव था
का नधारण करते ह । इसके लये इ ह ऊजा के म म न न कार से जमाया जा सकता है ।
1. पद को बहु लकता (multiplicities) या S के मान के अनुसार यवि थत करते ह । अ धकतम
S वाला पद सवा धक थायी होता है तथा S के मानो म कमी होने के साथ-साथ, था य व
म भी कमी आती है ।
2. S के दये गये मान के लये L का उ चतम मान सबसे, अ धक थायी होता है ।
3. य द कोई उपकोष अ पूण से कम भरा हु आ है तो J के यूनतम मान वाला पद सवा धक
थायी होता है, और य द उपकोष म इले ॉन क सं या अ पूण अव था म अ धक है तो
J के उ चतम मान वाला पद सवा धक थायी होता है ।
बोध न :
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये –
1. सं मण धातु रं गीन सं कु ल बनाते ह । स य / अस य
2. परमाणु के ऊजा तर को चार वां ट म सं या से समझाया जा सकता है । स य /
अस य
3. L और S यु मन से '  ' वां ट म न बर बनता है । स य / अस य

110
3
D2 अव था के लये L = 1 होता है । स य / अस य
4.
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये –
1. काबन क इले ॉ नक व यास म.................................अव थाय सं भ व है ।
2. पद को.................................के मान के अनु सार यवि थत करते है ।
3. S के दये गये मान के लये L का..................................... मान अ धक थायी
होता है ।
4. 3 अयु ि मत इले ॉन वाले धातु आयन क बहु लकता ................... होती है ।

8.3 d1 ओर d9 अव थाओं के लये आगल ऊजा अव था आरे ख (Orgel


energy level diagrams for d1 and d2 states)
एक मु त गैसीय धातु आयन म d क क सम श
ं होते है अत: d-d सं मण से कोई पे ा
ा त नह ं होगा । जब एक संकुल बनता ह तो लगे ड के ि थर वै युत े के कारण d
क क दो ऊजा तर t2gतथाeg म वघ टत हो जाता है । अ ठफलक य े म (दुबल हो
या बल) पाँच d क क का वभाजन न न ऊजा के तीन सम श
ं t2g क क तथा उ चतर
ऊजा के दो सम ंश eg क क म हो जाता है । अत: 2D पद भी इसी कार अ ठफलक य
े T2g तथा Eg पद म वभािजत हो जाता है । इस पद क ऊजा
2 2
े क बलता पर
नभर करती है । पद क ऊजा तथा टल फ ड क बलता को च त करने वाले सहसंबध

आरे ख को ह आगल आरे ख कहते है ।
d1, के लये आगल आरे ख :
d1 संकुल के सबसे सरल उदाहरण Ti (III) के अ ठफलक य संकुल जैसे [TiCl6]-3,
(Ti(H2O)6)+3 आ द है ।
च 8.3 म अ ठफलक य लगै ड े का भाव d1 आयन पर दखाया गया है । टलफ ड
क अनुपि थ त म d1 दशाने वाला सम मत लेबल च के बायी ओर- तीक 2D वारा द शत
कया गया है ।

111
म d
1
च 8.3: अ ठफलक य े व यास के लए ऊजा तर का वपाटन
धातु आयन पर अ ठफलक य े लगाने से यह पद न नतम अव था द शत करने वाले
2
T2g ऊजा तर तथा उ तेिजत अव था द शत करने वाले Eg ऊजा तर म वभािजत हो जाता है 2

। 2D पद का यह वभाजन ब कु ल d क क के वभाजन जैसा है, िजसम d1 इले ॉ नक व यास


वाले धातु आयन क अ ठफलक य े म t 1
2g न नतम अव था तथा e 1
g उ तेिजत अव था ा त
होती है । टल े क बलता बढ़ने के साथ-साथ इन दो ऊजा तर (अव थाओं) का पृथीकरण
और अ धक होता जाता है ।
d9 के लये आगल आरे ख
d9 व यास वाले संकुल उदाहरणाथ [Cu(H2O)6]+2 क या या भी d1 व यास वाले Ti(III)
के संकु ल क भां त क जा सकती है । न नतम अव था म 9 व यास को एक ऐसे पूण प से भरे
हु ये सम मत इले ॉ नक व यास से न मत माना जा सकता है, िजसम एक इले ॉन के थान पर
(hole) कहा जाता है । अत: d व यास वाले Cu
9 +2
एक रि तका हो िजसे छ जैसे धनायन के
लये वभाजन के प चात t2g क क पूण प से भरे रहे ग तथा शेष तीन इले ॉन eg क क म थान
हण करग िजससे संकु लत Cu +2
का व यास t2g 6eg जायेगा, अथात Cu
3 +2
क न नतम अव था
म छ Eg ऊजा तर म पाया जायेगा । आयन के उ तेिजत होने पर t2g, क क से एक इले ॉन
ो नत होकर eg तर म चला जायेगा अथात अब आयन का व यास 2t52g तथा eg4 हो जाऐगा इस
अव था म छ t2g क क म होगा । प ट है क इस उ तेिजत अव था का ऊजा पद 2T2g, होगा
। इस कार d9 व यास के लये ऊजा तर क ि थ त d1 क तुलना म पूणत: वपर त है अथात
d1 करण म एक इले ॉन का थानांतरण t2g तर से eg तर म होता है, जब क d9 व यास म
एक छ का थानांतरण eg तर d9से तर म होता है । अत: d1 व यास के लये जहाँ न नतम
ऊजा T2g तर है, d9 व यास के लये यह ऊजा तर उ तेिजत अव था को द शत करता है । इन
दोन व यास के लये इले ान तथा छ का थानांतरण न न कार पर पर वपर त दशा क
ओर द शत कया जा सकता है ।
d 1
व यास के लये इले ॉन का थानांतरण
2
T2 g 2 Eg
d9 व यास के लए छ का थानांतरण
2
Eg 2 T2 g
चतु फलक य लगै ड े का भार d क क के वपाटन पर वपर त पड़ता है । अथात ्
इसम दोन eg क क न न ऊजा के होते ह जब क t2g क क उ च ऊजा वाले हो जाते है ।

112
म d
9
च 8.4. अ ठफलक य े व यास के लए ऊजा तर का वपाटन
कार d
1
इस व यास के लये चतु फलक य े म ऊजा तर आरे ख अ ठफलक य े
के आरे ख से वपर त होता है । चू ं क d अ ठफलक य भी d अ ठफलक य से वपर त होता है । d1
9 1

चतु फलक य तथा d9 अ ठफलक य एक जैसे ह गे । d9 व यास वाले धनायन क चतु फलक य े
म न नतम अव था व यास eg t 4 5
2g; अथात क t2g म एक छ होगा जो उ तेिजत अव था म
eg क क म थानांत रत ह जायेगा य क इले ॉन के उ तेिजत होने पर यह t2g क क को पूण
प से भर दे गा, िजससे इले ॉ नक व यास eg2 t62g हो जायेगा अथात छ eg क क म थानांत रत
हो जायेगा । d9, व यास के चतु फलक य े म संकु चत आयन क ि थ त इस कार अ ठफलक य
म d आयन जैसी है । अत: d , चतु फलक य के D पद का वभाजन च
1 9
े 8.3 म दखाये गये
आगल आरे ख वारा दया जा सकता है ।
य द हम ऊजा तर के वघटन के प रमाण तथा लगे ड े क बलता के म य आलेख
खींच तथा साथ ह च य क ीय यु मन तथा बल े म व भ न ऊजा तर का म त होना भी
आलेख म अं कत कर तो हम आगल च ा त होगा ।
अत: 8.3 व 8.4 को मलाकर एक च बनाये (8.6) तो हम जो च ा त होगा वह आगल
च कहलायेगा जो एक इले ॉन पर इले ॉ नक व यास का भाव गुणा मक प से व णत करता
है ।

113
8.5 : d
1
च व यास के चतु फलक य तथा अ ठफलक य संकुल का आगल च
जैसा क बताया जा चु का है अ ठफलक य तथा चतु फलक य े म d क क एवं ऊजा
वभाजन पर पर वपर त कार का होता है । इसी कार एक इले ॉन तथा एक छ वाले व यास
के लये इन ऊजा तर का वभाजन भी वपर त दशा म होता है । अत: अ ठफलक य े म िजस
व यास के लये ऊजा तर का वभाजन च 8.6 म दाय भाग से द शत कया जा सकेगा उ ह ं
व यास के लये चतु फलक य े म इस च का बायां भाग लागू होगा । एक छ वाल संरचनाय
अ ठफलक य े म बायीं ओर तथा चतु फलक य े म दायीं ओर थान हण करे गी ।

च 8.6 : d1 व d9 व यास के लये आगल संयु त ऊजा तर आरे ख

8.4 संकु ल आयन के इले ॉ नक पे म क ववेचना


3
Ti( H 2O )6 
(Discussion of the electronic spectrum of Ti( H 2O )6  )
3

टाइटे नयम का इले ॉ नक व यास 3d24s2 है अत: Ti(III) आयन के d क क म केवल


एक इले ॉन रहता है । इस आयन का जल य वलयन Ti( H 2O ) 6 लालू बगनी रं ग
3
 
का होता है । इसम टाइटे नयम +3 ऑ सीकरण अव था म है । अत: इसके इले ॉ नक
व यास, म d यव था होगी 1 लगै ड के 6 अणु इसके साथ ब ध बना रहे ह, अत: यह
1

एक अ ठफलक य संकुल बनेगा । टल फ ड स ांत के अनुसार हम यह जानते ह क


H2O अणु ओं वारा' न मत अ ठफलक य े म Ti(III) आयन के पाँच सम श
ं dक क
का वभाजन दो समू ह म हो जाता है । िजसम से तीन क क का सम श
ं समू ह नर तर
ऊजा के t2g म तथा शेष दो सम ंश समू ह उ चतर 'ऊजा के eg के क क म बंट जाते ह
। इन दोन समू ह के म य क दूर  0 वारा द शत कया जाता है िजसका मान 4 ×

10-12 अग के बराबर होता है Ti( H 2O ) 6 का एक मा इले ॉन वभा वक तौर पर t2g


3
 
क क म ( न नतर ऊजा के होने के कारण) थान हण करे गा तथा यह इले ॉन  0 (4

114
× 10-12 अग) ऊजा का अवशोषण करने eg क क म ो नत हो जाता है । ( च 8.7 के
अनुसार) वलयन का रं ग  0 के मान पर नभर करता है । जो अवशोषण पे म के मा यम
से पे मी अ ययन वारा आसानी से मापा जा सकता है, य क अवशो षत व करण क
आवृ त तथा मोलर अवशोषण के म य खींचा गया आरे ख ह अवशोषण पे म है
! Ti( H 2O ) 6  आयन के  0 का मान (4 × 10-12 अग) के बराबर होता है जो क
3

500nm तरं ग दै य के (हरे ) काश क ऊजा है, अथात य द इस पदाथ को वेत काश म
रखा जाये तो उसके हरे भाग का अवशोषण करके इसका t2g इले ॉन eg क क म चलो जायेगा
अत: इससे पराव तत हु ये काश या लौटे हु ये, काश से हम यह बगनी रं ग का दखाई दे गा।
अ य सं मण धातु आयन के अवशोषण पे म क तुलना म इस आयन का पे म अ यंत
सरल होता है । अवशोषण बै ड 204,400 cm-1 पर उ प न होता है । Ti( H 2O ) 6 के
3
 
पै ॉ म अवशोषण बै ड संयु त होता है ऐसा उ तेिजत अव था म 2Eg जानटे लर भाव
से वपाटन के कारण होता है

बोध न
3. न न-कथन म स या ' अस य बताइये
1. अ ठफलक य े म दे क क का वभाजन सं भ व नह ं है ।
( स य / अस य)
2. Ti + 3 म d 1 व यास पाया जाता है ।
( स य / ' अस य)

115
3. d 9 व यास म छ का थानां त रण t 2 g से e g यह म ऊजा तर म होता है ।
( स य / अस य)
4. का वलयन रं गीन होता है ।
3
Ti( H 2O )6 
( स य / अस य )
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये
1. पद क ऊजा तथा टल फ ड क बलता को चि हत करने वाले सहसं बं ध आरे ख.
को...............................................को कहते है ।
अ ठफलक य d
1
2. व यास म इले ॉन का थानां त रण....................
से . ...... ............ म होता है ।
3. चतु फलक य लगै ड े म ............. .......................... क क न न
ऊजा के होते है ।

8.5 सारांश (Summary)


1. कसी परमाणु, के ऊजा तर को चार वांटम सं याओं के आधार पर समझाया जाता
है ।
2. कसी भी त व म इले ॉन भरने का म हु ड के नयम, पॉउल के अपवजन नयम
तथा ऑफबाउ नयम के अ तगत आता है ।
3. एक इले ॉ नक व यास कसी परमाणु या आयन क कसी एक ऊजा अव था को
द शत नह ं करता ।
4. एक इले ॉ नक व यास म बहु त से ऊजा तर स ब होते ह-। िजनम से येक को
पद या अव था कहते है ।
5. एक इले ो नक व यास म बहु त से पद होते ह तथा व भ न व यास के लये पद
के समू ह भी भ न- भ न होते ह ।
6. इले ॉन के वै युत आकषण , इनके च ण म उ प न चु बक य े क अ तर या
अथवा यु मन वारा व क ीय कोणीय संवेग के यु मन वारा ये 'एक दूसरे को भा वत?
करते ह ।
7. L व S के यु मन से नयी वांटम सं या , J ाि त होती है
8. येक इले ॉ नक यव था को पूण पद' संकेत वारा द शत! कया जाता है ।
9. दायीं ओर नीचे वाला कु ल वांटम सं या को तथा बायीं ओर ऊपर वाला बहु लकता को
य त करता है
10. बुहु लकता का नधारण (2S+1) या (n+  ) से कर सकते ह जहाँ n= अयुि मत
इले ॉन क सं या है ।
11. पद को बहु लकता या S के मान के अनुसार यवि थत करते है ।
12. S के दये गये मान के लये L का उ चतम मान सबसे अ धक थायी होता है ।

116
13. पद क ऊजा तथा टल फ ड क बलता को च त करने वाले सहसंबध
ं आरे ख
को ह आगल आरे ख कहते है ।
14. का बगनी रं ग इसम उपि थत एक इले ॉन के t2g से eg क क म
3
Ti( H 2O )6 
उ तेिजत होने के कारण होता है।

8.6 श दावल (Glossary)

1. d-d सं मण  एक d क क से दूसरे d क क म इले ॉन का सं मण


2. गंटम सं या  परमाणु म ऊजा तर क या या करने वाले पद
3. सम श
ं क क  समान ऊजा के क क

8.7 संदभ थ (Reference Book)


1. अकाब नक रसायन  बी.एस.सी. पाट III (कालेज बुक हाउस)
2. अकाब नक रसायन  बी.एस.सी. पाट III (रमेश बुक डपो)
3. अकाब नक रसायन  बी.एस.सी. पाट III (सा ह य भवन)
4. अकाब नक रसायन  बी.एस.सी. पाट III ( हमांशु पि लकेशन)

8.8 बोध न के उ तर (Answer of Intext Question)


1. स य 2. स य 3. अस य 4. अस य
1. 15 2. बहु लकता 3. उ चतम 4. 4
1. अस य 2. स य 3. अस य 4. अस य
1. आगल 2Tg से 2Eg 3. eg

8.9 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. न नतम अव था से या ता पय है?
2. पद तीक या है ।
3. पे ो को पक पद 3०3 क या या क िजये ।
4. P व यास के लये सू म क
2
या या क िजये ।
5. P व यास के लये L (Term) प रणाम स श च क सहायता से समझाइये ।
2

6. D1 व यास के लये आगल च बनाइये


7. समझाइये य d2 व यास के लये ा त आगल च d1 व यास का उ टा होता
है ।
8. पूण पे ो को पक पद संकेत से आप या समझते है? S,L व J वांटम सं याओं
से व भ न पे ो को पक पद संकेत कस कार से ात कये जाते है? उदाहरण
वारा प ट क िजये ।
9. ' के अवशोषण पे म क या या क िजये ।
3
Ti( H 2O )6 
117
इकाई-9
धातु संकुल के ऊ माग तक य एवं ग तक य प
(Thermodynamic & Kinetic Aspects of Metal
Complexes)
इकाई क परे खा
9.0 उ े य
9.1 तावना
9.2 सारांश
9.3 श दावल
9.4 संदभ थ
9.5 बोध न
9.6 बोध न के उ तर
9.7 अ यासाथ न

9.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात व याथ न न ल खत पद के बारे म समझ सकगे -
 संकुल था य व के बारे म समझ पायगे ।
 संकुल था य व कतने कार के होते ह? तथा संकु ल था य व को भा वत करने वाले
कारक कौन-कौन से ह? इन सभी का अ ययन इस अ याय म करगे ।
 इस अ याय म संकु ल था य व म होने वाल रासाय नक अ भ याओं का भी अ ययन
कया जायेगा साथ ह रासाय नक अ भ याओं के कार व उनको भा वत करने वाले
कारक का अ ययन कया जाएगा ।
 वशेष श दावल का अ ययन जैसे लेबाइल (labile), अ य (Intert), के य धातु
परमाणु (Central Metal Ion)।
इन सभी का अ ययन इस अ याय म कया जायेगा ।

9.1 तावना (Introduction)


रसायन शा क वह शाखा िजसम संकुल यौ गक का बनना तथा साथ ह संकुल यौ गक
बनने के बाद कतने समय तक बने हु ए संकुल यौ गक ि थर है या अि थर इनका अ ययन
हम इस अ याय म करग । साथ ह हम दे खगे क वह कौन से कारक ह िजनक वजह से
संकुल थायी होता है या अ थायी, इस कार कसी भी संकुल क था य वता का पता लगाने
के लए एक वशेष कार का ि थरांक होता है । िजसको “ था य व ि थरांक'' कहते ह ।
सामा यतया था य व ि थरांक दो कार के होते ह ।

118
(1) Thermodynamic Stability Constant (ऊ मीय था य व ि थरांक)
(2) Kinetic Stability Constant (बलग तक य था य व ि थरांक)

9.1.1 संकुल का बनना

याँम (Bievvum) ने उन 1941 म बताया क संकुल यौ गक का नमाण एक वशेष पद म


अथात Stepwise process के वारा होता है, िजसम लगड का जुड़ना ओर बाहर नकलना
त थापन अ भ याओं के वारा होता है ।


K1
 ML
M  L   ML K1 
[ M ][ L ]
K2
 ML2
M  L   ML2 K 2 
[ ML ][ L ]
ML3

ML2  L 
K3
 ML3 K 3 
[ ML2 ][ L]
MLn

MLn 1  L 
Kn

 MLn K n 
[ MLn 1 ][ L]
यहाँ पर K1 k2......Kn एक था य व ि थरांक है िजनको पद म था य व ि थरांक कहते
ह ।
उदाहरण के लए के नमाण को पद के प म येक पद के नमाण
2
 Ni( NHLL3 )6 
ि थरांक स हत इस कार दशाया गया है ।
(1)  Ni( H 2O )6    Ni( H 2O )5 ( NH 3 )   H 2O, K1  5  10 2
2 2

(2)  Ni ( H 2 O)5 ( NH 3 )   NH 3   Ni ( H 2O ) 4 ( NH 3 ) 2   H 2O, K 2  1.3  10 2


2 2

(3)  Ni( H 2O ) 4 ( NH 3 ) 2   NH 3   Ni ( H 2O )3 ( NH 3 )3   H 2O, K 3  4  101


2 2

(4)  Ni( H 2O) 3 ( NH 3 ) 3   NH 3   Ni ( H 2 O)3 ( NH 3 ) 4   H 2O, K 4  1.2  101


2 2

(5)  Ni( H 2O) 2 ( NH 3 ) 4   NH 3   Ni( H 2O )( NH 3 )5   H 2O, K 5  4


2 2

(6)  Ni( H 2O)( NH 3 )5   NH 3   Ni ( NH 3 ) 6   H 2O, K 6  0.8


2 2

इस कार सभी पद को जोड़ने पर,


2 2
 Ni( H 2O)6   6 NH 3   Ni ( NH 3 )6   6 H 2 O
अत: याँम ने सभी पद को एक वशेष ि थरांक अथात कु ल नमाण ि थरांक (overall formation
constant) के वारा द शत कया ।
 n  K1  k2  k3  ............Kn
अथात दो पद का कु ल नमाण ि थरांक होगा
119
 n  K1  k 2
इसी कार  3  K1  k 2  k 3 
इसी कार n पद के लए कुल नमाण ि थरांक  n होगा ।
इसी कार  n  K1  k 2  k 3  ............Kn
n n
or  n km
n 1

यहाँ  n संकुल का था य व ि थरांक है जो क संकु ल का उ माग तक य था य व द शत


करता है ।
अत:
M n  nL  [ MLn ]n 

[ MLn ]n 
n 
[M n  ][ L]
अत:  n तका मान ात होने पर, संकु ल के नमाण म मु त ऊजा प रवतन क गणना भी
उ माग तक वारा आसानी से ात क जा सकती है ।
चू ं क मानक मु त ऊजा प रवतन G 0 एवं सा य ि थरांक के बीच न न ल खत स ब ध
है ।
G 0 =2.303RTlogk...........................................(1)
अत: इस समीकरण म K   n रखने पर
G 0 =2.303RTlogk  n .............................................(2)
चू ं क G 0  H 0  T S 0 ......................................(3)
समीकरण (1) व (2) से
H 0
-2.303RTlogk  n  S 0 ......................................(3)
T
चू ं क कई बार था य व ि थरांक को उनके लघुगण
ु क के प म भी अ भ य त कया जाता
है ।
जैसे logK1,logK2,logK3 etc.
चू ं क के नमाण म log K 6 का
2
 n  log K1 , log 2 log K 3 ......log K n  Ni ( NH 3 ) 6 
मान -0.10 है तथा log K 5 का मान0.60 है जो यह दशाता है क उ माग तक य ि ट से,

Comlex, क अपे ा अ धक थायी होगा ।


2 2
 Ni( H 2O)( NH 3 )5   Ni ( NH 3 )6 
(Factors affecting the stability of complexes)

120
9.1.2 संकुल के था य व को भा वत करने वाले कारक

(Factors affecting the stability of complexes)

संकुल के था य व को भा वत करने वाले कई कारक ह िजनम से कु छ धातु आयन क कृ त


पर एवं कुछ लगे ड क कृ त पर नभर करते ह ।
था य व को भा वत करने वाले कु छ मु य कारक यहां दये जा रहे ह-
(1) धातु आयन का आकार एवं आवेश (size of the metal ion)
(2) धातु आयन क व युत ऋणता (Electronegativity of metal ion)
(3) लगे ड का आकार एवं आवेश (size of the ligands)
(4) लगे ड क ार य साम य (Basic nature of the Ligands)
(5) लगे ड का व ु व आघूण एवं ु वणता (Polarity of Solvent)
(6) प चय ब धन भाव (Black bonding Effect)
(7) वलायक क कृ त (Natural of Solvent)
(8) pH का भाव
(9) क लेट एवं क लेट भाव (Chelate and chlate effect)
(10) वम बाधा का भाव (Stearic effect)
(11) लगे ड प रवतन का भाव (Ligand Effect)
(1) धातु आयन का आकार एवं आवेश (Size of the metal ion)
संकुल म उपि थत के य धातु आयन का छोटा आकार एवं अ धक धन आवेश संकुल के
था य व म वृ करता है । छोटे आकार के कारण लगे ड तथा धातु आयन के बीच ि थर
वै युत आकषण बल बढ़ जाता है । जैसे Fe(CN)6-3 म Fe पर +3 आवेश है तथा इसका
ि थरांक 31.0 है, जब क Fe(CN)6-4 म Fe पर +2 आवेश है तथा इसका नमाण ि थरांक
8.3 है । अत: Fe(CN)6-3 अपे ाकृ त अ धक थायी है ।
(2) धातु आयन क व युत ऋणता
उ च वै युत ऋणता वाले धातु आयन संकुल के था य व म वृ करते ह । अ धक व युत
ऋणी धातु आयन लगे ड म आसानी से इले ॉन ले लेते ह और धातु आयन और लगे ड
के म य मजबूत ब ध बन जाता है ।
(3) लगे ड का आकार एवं आवेश
लगे ड का आकार िजतना छोटा होगा, संकु ल का था य व भी अ धक होगा य क लगे ड
क छोट साइज के कारण, लगे ड और के य धातु आयन के म य ि थर वै युत आकषण
बल बढ़ जाता है । चू ं क हैलाइड आयन म F जो क सबसे छोटा है,
-
थायी लगे ड बनाता
है । अत: इनका म F > Cl > Br > I है । जैसे [ FeF6 ] 4
एवं [ FeF6 ]
4
के
6
था य व ि थरांक का मान मश: 10 एवं 2 है । अत: [ FeF6 ] अ धक थायी है ।
4

(4) लगे ड क ार य साम य

121
जो लगे ड अ धक ार य वृ त के होते ह , वे आसानी से इले ॉन धातु आयन को दे ते ह
। अत: लगे ड क ार यता म वृ के साथ संकु ल के था य व म भी वृ होती है । जो
लगे ड H आयन को
+
हण करने क वृ त रखते ह वे लगे ड धातु आयन के साथ भी
थायी संकु ल बनाते ह । इस लए F से न मत संकुल का था य व Cl ,
-
Br I क अपे ा
अ धक होगा । इसी कार HN3 , H2Oक एवं HF क H को हण करने क +
मता उतरो तर
कम होती है । इस लए इनसे न मत संकुल का था य व म न न होना चा हए
NH3>H2O>HF
(5) लगे ड का व ु व आघूण एवं व
ु णता
य द लगे ड का व ु व आघूण एवं ु वणता अ धक हो तो धातु आयन लगे ड म पर पर
या भी अ धक होगी, िजसके फल व प संकु ल के था य व म भी वृ होगी ।
(6) प चय ब धन भाव
धातु एवं लगे ड के म य -ब ध बनने से संकुल के था य व म सदै व वृ होती है । यह
-ब ध धातु आयन के भरे हु ए क क एवं लगे ड के र त क क (M L) के बीच अ त यापन
वारा न मत होता है । अत: CN-,CO, PR3, AsR3आ द लगे ड अ धक थायी संकु ल
बनाते ह ।
(7) क लेट एवं क लेट भाव
वे संकुल यौ गक जो क क लेट वलय संरचना यु त होते है, वे सामा य संकुल यौ गक क
तु लना म अ धक थायी होते है । चू ं क कई संकु ल यौ गक म तो कु छ लगे ड एक द तु क
(Monodentate) होते है तथा कु छ म बहु द तुक (Polydentate) लगे ड होते ह इस कार
बहु द तु क लगे ड के य धातु परमाणु के साथ मलकर एक वलयनुमा संरचना का नमाण
करते है । इस कार क बनी हु ई संरचना क लेट संरचना कहलाती है । जैसे –
Ni +6NH3  [Ni(NH3)6]+2 logβ=7.99
+2

Ni+2+3en  [Ni(en)3]+2 logβ=18.1


इस कार हम दे खते ह क NH3, एकद तुक लगे ड है, जब क इथाइल न एक बहु द तु क
लगे ड ह तथा साथ ह इनक log β value भी उ च है अत: हम दे खते ह क
[Ni(en)3]+3अ धक थायी है ।
इसी तरह द ती (tri dentate), चतु द ती (tetra dentate),षटद ती (hexa dentate)
आ द लगे ड भी क लेट बनाते है । ए थल न डाइएमीन एक वद ती लगे ड है, जो क कॉपर
(II) आयन के साथ एक क लेट संरचना बनाता है । िजसक संरचना यहाँ द शत क गयी
है ।

122
इस कार इस संकु ल म ए थ लन डाइएमीन के दो अणु Cu+2 आयन के साथ जु डे हु ए है ।
इस संकुल को कॉपर क लेट भी कह सकते है, य क यहां पर पांच अवयवी वलय का नमाण
हो रहा है और इस कार बनने वाल संरचनाएं ह क लेट संरचनाएं कहलाती ह ।
क लेट संकु ल का था य व ऐसे ह एकद तु क लगे ड से न मत संकुल क अपे ा अ धक
होता है य क क लेट संरचना म दो ब ध को तोड़ने के लए अपे ाकृ त अ धक ऊजा क
आव यकता होती है
जैसे [Co(NH3)6]+3 एवं [Co(en)3]+3 का अ ययन करने पर पाया गया है क [Co(en)3]+3
जो क [Co(NH3)6]+3 क अपे ा अ धक थायी ह य क NH3,एक द तु क लगे ड होता
है । जब क [Co(en)3]+3 म एक क लेट संरचना का नमाण होता है । इसम उपि थत ब ध
को तोड़ने के लए अ धक ऊजा क आव यकता होगी । कु छ वद तु क लगे ड के उदाहरण
आगे दये गये ह ।

क लेट भाव- िजन संकुल म क लेट वलय का नमाण होता है वे अपे ाकृ त अ धक थायी
होते ह । िजनम वलय का नमाण नह ं होता है वे कम थायी होते ह । अत: वे संकु ल िजनम क लेट
वलय का नमाण होता है वे अ धक थायी ह गे तथा उनक था य व म अ धक वृ होगी , इस वृ
को ह ‘क लेट भाव' कहते ह । जैस-े
[Ni(H2O)6]+2+6NH3  [Ni(NH3)6]+2+6H2O logβ=7.99

अमो नया जो क एकद तु क लगे ड है, जब क ए थल न डाइएमीन वद ती लगे ड है, अत:


एथी लन डाइएमीन वारा न मत संकु ल म वलय होगी, जब क अमो नया लगे ड वारा कोई वलय
न मत नह ं होगी । अत: ए थल न डाइएमीन वारा न मत संकुल अ धक थायी होगा ।

123
अत: न न ल खत संकु ल का था य व भी न न म म होगा ।
[Cu(NH3)4] <[Cu(en)2] <[Cu(trien)]
+2 +2 +2

इनके था य व ि थरांक न न है । 12.7, 19.7, एवं 20.5 है ।


[Cu(NH3)4]+2<[Cu(en)2]+2<[Cu(trien)]+2
log=12.7<19.7<20.7
क लेट भाव को उ माग तक स ब ध से समझा जा सकता है ।
G 0   RT log   H 0  T S 0 ..................................(1)
चू ं क ( H ऋणा मक है)
0

यहां G  मानक मु त ऊजा प रवतन


0

R= गैस ि थरांक, T=परम ताप


H 0 = मानक ए थै पी प रवतन (Enthaply)
S 0  मानक ए ोपी प रवतन
यहाँ अमो नया और ए थल न डाइऐमीन दोन म इले ॉन दाता परमाणु नाइ ोजन ह है, अत:
धातु आयन के साथ बनने वाले ब ध दोनो लगे ड के लए समान ह गे । साथ ह दोनो संकु ल के
बीच ि थर वै युत आकषण बल भी लगभग समान होगा और क लेट संकु ल और अक लेट संकुल के
बीच ए थै पी प रवतन का अ तर बहु त होगा । साथ ह इस बात क पुि ट भी नीचे लखे क लेट संकु ल
और अक लेट संकु ल के उ माग तक य फलन के मान से होती है ।
Cd+2+4CH3NH2 
 [Cd(CH3NH2)4]+2 logβ=6.52
Cd+2+4CH3NH2 
 [Cd(CH3NH2)4]+2 logβ=6.52
Cd+2(av) +4CH3NH2 
 [Cd(CH3NH2)4] logβ=6.52
+2

एक द तुक लगे ड अक लेट संकु ल

लगे ड ( H 0 KJmol ) ( S 0 KJmol de g )


1 1
( T S KJmol )
0
( G 0 KJmol )

4CH3NH -57.3 67.3 20.1 -37.2

-56.5 +14.1 -4.2 -60.7


चू ं क सारणी से ात होता है क दोनो कार के संकु ल के लए H का मान लगभग समान
0

है, अत: क लेट के था य व को समझाने के लए हम ए ॉपी प रवतन को ह आधार मानना होगा

124
। समीकरण 3 से प ट है क H के अ धक ऋणा मक होने पर के मान म वृ होती है तथा
0

G अ धक ऋणा मक तभी हो सकता है, जब G अ धक ऋणा मक हो तथा S 0 अ धक
0 0

धना मक हो । ले कन सारणी म दशाये आंकड से यह पता चलता है क यहां H के मान लगभग


0

समान है, अत: S के अ धक धना मक मान, G के अ धक ऋणा मक होने के लए सहायक


0 0

ह गे । अत: G 0 का अ धक ऋणा मक मान होना संकुल के था य व म वृ करता है । यह वजह


है क क लेट संकुल, अक लेट संकुल क अपे ाकृ त अ धक थायी होते ह ।
चू ं क उ माग तक के अनुसार कसी भी संकुल का सा य नयतांक का मान अ भ या के
दौरान मु त होने वाल ऊजा तथा ए ोपी प रवतन के वारा ात कया जाता है । अत: कसी भी
तरह क ए ोपी िजतनी अ धक होगी, उ पाद उतना ह अ धक थायी होगा । चू ं क ऐ थ लन डाइएमीन
के Cd साथ क लेट नमाण म S 0 =+14.1 ह जब क G 0 =-60.7 है, अत: क लेट संकुल अ धक
+2

थायी होगा ।
चू ं क कसी भी संकुल का था य व, ए ोपी के बढ़ने के साथ बढ़ता है, इसको समझाने के
लए हम न न उदाहरण लेते ह-
[M(H2O)6]+2+en 
 [M(H2O)4(en)]+2+2H2O
यहां हम दे खते ह क इथाइल नडाइएमीन हाइ ेट संकु ल के साथ अ भ या करके दो जल के
अणु ओं का न कासन करती ह य क इथाइल नडाइएमीन एक वद तु क लगे ड है । चू ं क संकु ल
[M(H2O)4(en)] जो [M(H2O)6] के अपे ाकृ त अ धक थायी है । इसका कारण यह है क नकाय
+2 +2

म कण क सं या म वृ हु ई है, जो क ए ोपी के बढ़ने का घोतक है ।


क लेट रंग साइज का भाव- चू ं क क लेट रंग का आकार िजतना अ धक होगा, वह उतना
ह अ धक थायी होगा ।
धातु संकुल M(NH3)4 M(en)2 M(trien) M(dien)2
क लेट रंग क सं या 0 2 3 4
Logß values with Ni +2
7.79 14.5 14.1 18.9
अत: सारणी के वारा यह दशाया गया है क जैस-े जैसे क लेट रंग क सं या म वृ होती
है वैस-े वैसे संकुल के था य व म वृ होती है ।
(10) वम बाधा का भाव
य द संकुल नमाण म भाग लेने वाले लगे ड का आकार बडा हो तो, लगे ड म आपस म
तकषण होगा प रणाम व प संकुल अ थायी होगा । यह कारण है क 2-मे थल-8
हाइ ो सी कवनोल न से न मत संकुल 8-हाइ ो सी कवनोल न से बने संकुल से कम थायी
होगा ।

125
9.1.3 वगाकार समतल य संकुल क त थापन अ भ याऐं

Substitution reactions of square planar complexes

ा स भाव- वगाकार समतल य संकुल क अ भ याओं म सबसे अ धक अ ययन Pt-II


के संकुल का कया गया । ा स भाव को हम न न संकु ल के वारा प ट करना चाहगे।

चू ं क यहां पर दो कार के उ पाद बनते ह िजनम (a) Trans [Pt+2Cl2(NH3)(NO2)]- एवं


(b) cis[Pt+2Cl2(NH3)(NO2)]- है ले कन यहाँ थायी उ पाद Trans संकु ल ह बनेगा । अत:Trans
[Pt+2Cl2(NH3)(NO2)]- के नमाण म Clion जो क NO 2 के सामने ि थत होता है, का
त थापन NH3 के वारा होता है, अत: NO2 समू ह एक नद शत समू ह कहलाता है जो नि चत
करता है क आने वाला कस समूह क जगह लेगा । अत: इस कार का भाव ा स भाव कहलाता
है । ा स भाव का सबसे पहले अ ययन चैट (Chatt) तथा उनके सहयो गय ने कया था ।
यह भाव बलग तक प से नयि त होता है न क उ माग तक य प से य क थायी
समावयव ह ा त होता है ।
कई अ भ याओं के वारा कई सारे लगे ड को बदल कर येक क ॉस नदश मता
क तुलना क जा चु क है । िजसे नीचे च वारा दशाया गया है ।

126
अत: ांस भाव को समझाने के लए एक वशेष कार क ेणी का नमाण कया गया है,
िजसे ॉस नदश ेणी कहते है, जो क न न है-
CN,CO,C2H4,NO>PR3, H > CH 3 , SC ( NH 2 ) 2  C6 H 5 ,
NO 2 , I ,SC  Br , CL  Py, NH 3 , OH , H 2O
अत: यह सीर ज ॉस भाव सीर ज कहलाती है । उपरो त ेणी दशाती है क CN , CO
तथा NO बल ांस नदशक है जब क OH तथा H2O क ॉस नदशी मता यूनतम है । अत:
जो लगे ड बल ॉस नदशी होते है उनम र त व क क होते है एवं ये M-L ब ध भी बनाते
ह । अत: इन लगे ड को ब धी लगे ड भी कहा जाता है । वे लगे ड जो (M-L) ब ध नह ं
बनाते ह, उनम ॉस भाव उनक ु वण मता पर नभर करता है, िजस लगे ड क व
ु ण मता
िजतनी अ धक होगी, वह उतना ह अ धक ॉस भाव दशायेगा I क ु वण मता B r से अ धक
है अत: I का ॉस भाव भी B r से अ धक होगा ।
CI  Br  I
- Polarisability increases

- Trans effect increases 

ॉस भाव का सबसे अ धक अ ययन Pt(II) संकु ल पर कया गया ।

9.1.4 ॉस भाव के अनु योग (Applications of trans effect)

(1) Pt(II) संकुल के सं लेषण म- इस भाव से [PtA2X2]- कार के कई सस व ॉस संकुल


सं ले षत कये जा सकते है । यहां A=ए मीन, NH3 एवं PR3 हो सकते है तथा X=
हैलाइड आयन, NO 2 , SCN हो सकते ह ।
(अ) सस व ॉस [ PtCl2 ( NO2 )( NH 3 )] के सं लेषण म-

127
इस कार इस सं लेषण के वारा यह ात होता है क सस समावयवी बनता है। चू ं क Cl
का ॉस भाव NH3 से तथा NO 2 का ॉस भाव Cl से अ धक होता है ।

128
(ब) सस व ॉस [ Pt (C 2 H 4 )( NH 3 )CL2 ] के सं लेषण म-

129
(स) सस [ PtCL2 ( Py )(CO )] संकुल के सं लेषण म
(द) [ Pt ( Py )( NH 3 )( Br )(Cl )] संकुल के नमाण म
(2) [ PtA2 X 2 ]0 कार के संकुल के सस व ांस समावय वय म वभेद करना-
इसे Pt ( NH 3 ) 2 (Cl ) 2 क थायोयू रया के साथ या के उदाहरण वारा समझा जा सकता
है । यह पाया गया है क [Pt ( NH 3 ) 2 (Cl ) 2 ] क थायोयू रया (tu) से अ भ या वारा
[Pt (tu)4]+2
बनता है ।

सस व ा स समावयवी अलग-अलग उ पाद दे ते है । अत: इनका आसानी से वभेदन कया


जा सकता है ।

9.1.5 वगाकार समतल य संकुल म लगे ड त थापन

(Ligand substitution in Square planar complexes) –

वगाकार समतल य संकुल म मु यत: दो कार क अ भ याऐं होती ह-


(1) त थापन अ भ याऐं (Substitution Reactions)
(2) आ सीकरण अपचयन अ भ याऐं (Oxidation Reduction Reaction)
(1) त थापन अ भ याऐं (Substitution Reactions)
इस कार क अ भ याओं म संकु ल म उपि थत के य परमाणु क सम वय सं या म
प रवतन के साथ, आ सीकरण अव था म प रवतन नह ं होता है ।
(2) आ सीकरण अपचयन अ भ याऐं (Oxidation Reduction Reaction)
इस कार क अ भ याओं म दो संकुल परमाणु के के म उपि थत धातु परमाणुओं क
सम वय सं या म प रवतन हु ए बना ह इले ॉन का थाना तरण होता है । अत: हम यहां
केवल त थापन अ भ याओं क ग तक एवं या व ध का ह अ ययन करग । इन
अभ याओं से पूव कुछ मह वपूण ब दुओं को समझना ज र है ।

130
(i) सं मण अव था या स यत संकुल (Transition state or Activated
Complex) -
कसी भी रासाय नक अ भ या के पूण होने से पहले एक वशेष कार क सं मण अव था
का नमाण होता है, जो क उ च ऊजा यु त व अ थायी होती है ।
X+Y-Z 
 X-Y+Z
उ मा ेपी अ भ याओं के लए, उ पाद क ि थ तज ऊजा, अ भकारक क ि थ तज ऊजा
से कम होती है । अ भकारक व उ पाद क ऊजा के म य अ तर को अ भ या उ मा कहते
ह । ले कन
ऊ माशोषी अ भ याओं म कुछ ऊजा का अवशोषण होता है तथा उ पाद क ऊजा अ भकारक
क ऊजा से अ धक होती है ।

च - उ मा ेपी ऊ माशोषी अ भ याओं म ऊजा प रवतन

X  Y  Z  H 
 X Y  Z
च - उ मा ेपी ऊ माशोषी अ भ याओं म ऊजा प रवतन

131
इस कार यह अ भ या एक संकर अव था से होकर गुजरती है जो क उ च ऊजा यु त होती है तथा
तु र त उ पाद म बदल जाती है ।
अत: X+Y-Z के म य अ भ या न न कार स प न होती है ।
X+Y-Z 
 X.....Y.....Z  X-Y+Z

अ भकारक सं मण अव था उ पाद
सं मण अव था म X व Z दोन ह एक दुबल ब ध वारा जु डे होते है तथा इनके म य क दूर समान
होती है । इस कार अ भकारक एवं स यता संकु ल के म य ऊजा अ तर को सं मण ऊजा कहते
है ।
(ii) स स े ट या अ भकारक (Reactants)
वे यौ गक िजनम पुराने ब ध टू टते ह तथा नये ब ध का नमाण होता है, अ भकारक
कहलाते है ।
(iii) आ मणकार अ भकमक - वे रासाय नक पेशीज, जो अ भकारक से या करके उ हे
उ पाद म प रव तत करती है, आ मणकार अ भकमक कहलाती है । सामा यतया
आ मणकार अ भकमक दो कार के होते है ।
(अ) इले ॉन नेह अ भकमक (Electrophilic Reagents)
ये एक कार के इले ॉन यून यौ गक होते है जो क इले ॉन हण करने क वृ त
रखते है । अथात यह पेशीज लु इस अ ल होते है । अथात धनावे शत आयन जैसे
काब नयम आयन, डाइऐजो नयम आयन आ द । अथवा उदासीन अणु जैसे
BF3,AlCl3,So2,FeCl3 आ द हो सकते है ।
(ब) ना भक नेह अ भकमक (Nucleophilic Reagents)
ये पेशीज इले ॉन धनी होते है तथा ये धनावे शत के क ओर आक षत होते ह ।
सभी लू इस ार ना भक नेह अ भकमक होते है । ये ऋणावे शत आयन उदाहरणत: -
काबनायन, लोराइड आयन, हाइ ाइड आयन अथवा ऐसे उदासीन अणु होते ह िजनम
कम से कम एक परमाणु पर एक इले ॉन यु म उपि थत हो ।

9.1.6 त थापन अ भ याओं के कार (Type of Substitution Reactions)

संकुल यौ गक म मु य प से दो कार क त थापन याऐं होती ह ।


(1) ना भक नेह त थापन (Nucleophilic Substitution Reactions)
(2) इले ॉन नेह त थापन (Electrophilic Substitution Reactions)
संकुल यौ गक म धातु आयन इले ॉन नेह एवं लगे ड ना भक नेह क भां त काय करता
है ।

(1) ना भक नेह त थापन (Nucleophilic Substitution Reactions)

132
इस कार क अ भ याओं म संकुल म उपि थत लगे ड का त थापन, दूसरे लगे ड के
वारा होता है । इन अ भ याओं को SN वारा दशाया जाता है ।
MLn+L 
 MLn-1L +L
1 1

(2) इले ॉन नेह त थापन याऐं (Electrophilic Substitution Reactions) -


जब कसी संकुल म उपि थत धातु आयन का त थापन कसी दूसरे धातु वारा होता है
तो इस कार क अ भ याओं को इले ॉन नेह त थापन अ भ याऐं कहते ह । इ ह
(SE) वारा द शत करते है ।
MLn+L1 
 M1LnL+M
9.1.7 त थापन अ भ याओं क या व ध (Mechanism of Substitution Reaction)–

सामा यतया वगाकार समतल य संकु ल म लेट नम (II) पर सबसे अ धक अ ययन कया
गया । इसम स प न होने वाल अ भ याओं क या व ध वअणु क व थापन SN2 वारा
स प न होती है य क इन अ भ याओं म आने वाला लगे ड व वलायक ना भक नेह
अ भकमक के प म काय करता है ।

वगाकार- समतल य संकुल म त थापन अ भ याएं दो पद म स प न होती है ।


(1) थम पद म ना भक नेह ( ( Nu ) ) वगाकार संकुल पर आ मण करता है एवं एक कार क
म यवत अव था का नमाण होता है िजसको सं मण अव था कहते है जो क अ थायी तथा
उ च ऊजा यु त होती है । इस पद के वारा हम ग त का नधारण करते है य क यह धीमा
पद होता है । इस कार इसम बनने वाल संकर अव था क या म त भु जीय व पर मडीय
होती है । (trigonal bipyramidal)
ML4  Nu : Slow
  ML4Nu
यह पद धीमा पद होता है साथ म ग त नधारक पद होता है तथा अ भ या क ग त वतीय
कोट क होती है ।
अभ या क दर –K[ML4] [Nu]

133
(2) वतीय पद - यह पद बहु त तेजी से स प न होता है जैसे-जैसे ना भक नेह आ मण करता
है उसके तुर त प चात चार लगे ड म से कोई लगे ड बाहर नकल जाता है एवं ML3Nu बनता
है ।
Fast
ML4Nu 
 ML3Nu+L
वगाकार समतल य संकुल क त थापनीय अ भ याओं को भा वत करने वाले कारक –
(1) वम भाव (Steric effects) - वगाकार समतल य संकुल क त थापन अ भ याऐं उसम
उपि थत लगे ड के आकार पर भी नभर करती है । य द के य धातु परमाणु पर उपि थत
लगे ड का आकार छोटा होगा तो, अ भ या आसानी से ह जायेगी । वेश करने वाले लगे ड
का आकार छोटा होना चा हए तथा उसका के य परमाणु पर वेश इस तरह होना चा हए क
एक म यवत अव था का नमाण हो सके अथात यह तभी स भव है जब क लगे ड का आकार
छोटा हो ।
(2) वलायक भाव (Solvent effect) - संकुल यौ गक म स प न होने वाल त थापन
अभ याओं म वलायक का एक मह वपूण योगदान होता है, य क वलायक क उपसहसंयोजन
वृ त बढ़ने से, रासाय नक अ भ या क दर भी बढ़ जाती है । ायो गक प से यह सह भी
पाया गया है । उदाहरण के लए ांस [Pt(Py)2Cl2 म Cl आयन पर व भ न कार के वलायक
का व थापन पर पड़ने वाले भाव के आधार पर दो े णयां बनाई गई ह ।
(i) अ धक उपसहसंयोजन मता वाले वलायक जैसे H2O,R-OH एवं NH3 जो क लगभग
पूणत: वलायक पथ बनाते है । इन वलायक म अ भ या का वेग लोराइड आयन क
सा ता पर नभर नह ं करता है ।
[K1>>K2]
(ii) वे वलायक जो क कम उपसहसंयोजन मता वाले होते है जैसे CCl4,C6H6 आ द, इनका
अभ या के वेग म बहु त कम योगदान होता है । इन अ भ याओं का वेग लोराइड आयन
क सा ता पर नभर करता है ।
[K1<<K2]
इस अ भ या के त कुछ वलायक का अ भ या वेग इस सारणी म दया गया है । िजनका
म न न कार है।
ROH<H2O<CH3NO2<(CH3)2SO
सारणी
यु त वलायक Kobs (Min-1)
ROH 8.5X10
-4

H2O 2.1X10-3
CH3NO2 1.9X10-3
(CH3 )2SO 2.3X10-2
(3) संकुल पर उपि थत आवेश (Effect Change on the complex)

134
यह दे खा गया है क जैस-े जैसे संकुल पर आवेश क मा ा बढ़ती है वैस-े 2 अ भ या का वेग
भी बढ़ता जाता है ।
ॉस भाव- इस कार के करण म कसी भी संकुल म उपि थत लगे ड का त थापन
आने वाले लगे ड के वारा होता है, ले कन संकुल म कौनसी ि थ त हण करे गा यह संकुल
म उपि थत लगे ड पर नभर करे गा क आने वाला लगे ड उसके सामने जुड़ग
े ा या दूसर
ि थ त पर । अत: इस कार का भाव ॉस भाव कहलाता है तथा जो लगे ड आने वाले
लगे ड को थान उपल ध कराता है, वह लगे ड ॉस नदशक समूह कहलाता है ।
यहां हम एक उदाहरण वारा ॉस भाव को प ट करगे ।

यहां पर हम दो कार के उ पाद ा त होते है । ले कन ॉस उ पाद ह एक थायी उ पाद


होता है । -NO2 जो क Cl आयन के सामने ि थत होता है, एवं -NO2 का ॉस भाव
Cl अ धक होता है, इस लए NH3 वारा Cl का व थापन हो जाता है इस लए ये भाव
NO 2 समू ह का ॉस भाव कहलाता है । अत: ांस भाव के आधार पर एक वशेष ेणी
बनायी गयी जो क ॉस ेणी कहलाती है ।
CN , CO, C2 H 4 , NO  PR3 , H  CH 3 , SC ( NH 2 )2  C6 H 5
NO 2 , I , SCN  Br , Cl ,  Py, NH 3 , OH , H 2O

9.2 सारांश (Summary)


था य व ि थरांक दो कार के होते ह -
(i) Thermodynamic Stability Constant
(ii) Chemical Kinetic Stability Constant
 कसी भी संकुल का बनना था य व होना, उसके था य व ि थरांक के मान पर नभर
करता है ।
 कसी भी संकुल का बनना एक Stepwise पद म वारा होता है ।
 कसी भी संकुल का पूणतया बनना एक overall ि थरांक वारा दशाया जाता है ।

135
 कसी भी संकु ल के था य व का होना या नह ं होना उसम उपि थत Central Metal
ion तथा Ligand के ऊपर नभर करता है । इस कार हम दे खते है क वह संकुल
िजसका Central metal ion छोटा होता है वह संकुल अ धक थायी होगा ।
 वगाकार समतल य संकुल म दो कार क अ भ याऐं पाई जाती है ।
(i) त थापन अ भ याऐं
(Substitution reactions)
(ii) ऑ सीकरण अपचयन अ भ याऐं
(oxidation reduction reactions)

 ाँस भाव - कसी भी संकु ल म उपि थत के य परमाणु से जुडे लगे ड क त थापन


मता पर ह नभर करता है क आने वाला लगे ड कस जगह को हण करे गा । इस
कार वह लगे ड एक नदशी समू ह कहलाता है तथा इस कार क या ह ाँस भाव
कहलाती है । इस आधार पर एक वशेष ेणी बनाई गई है िजसको ाँस ेणी कहते ह।
CN , CO, C2 H 4 , NI  PR3 , H ,  C H 3 , SC ( NH 2 )2
 C6 H 5 , NO 2 , I , S SN  Br ,  I , CI  Py, NH 3 , OH , H 2O
 ाँस भाव को दो स ा त वारा समझाया जाता है ।
(i) ि थर वै युत स ा त
(ii)  ब धन स ा त
 हैलाइड आयन क polarity बढ़ने के साथ-साथ उनका ाँस भाव भी बढ़ता है ।

 F C 
I  Br  I

Increases
⎯⎯⎯⎯⎯⎯⎯⎯⎯⎯⎯
Trans Effects Increases

9.3 श दावल (Glossary)


1. था य व ि थरांक- कसी भी संकु ल के बनने के प चात वह कतने ल बे समय तक
ि थर या अि थर होता है, इसका नधारण था य व ि थरांक के ऊपर नभर करता
है ।
2. उ माग तक ि थरांक- उ माग तक ि थरांक का स ब ध, धातु लगे ड ब ध ऊजा
था य व ि थरांक एवं संकुल के नमाण म यु त रासाय नक सा य वारा ात कया
जाता है ।
3. ग तक था य व ि थरांक- कसी भी संकुल यौ गक का बनने क ग त का नधारण
जैसे कसी एक लगे ड, संकु ल म जुड़ना तथा उसके वारा दूसरे संकुल का बाहर
नकलना अथात त थापन आइसोमराइजेशन रे समाइजेशन का अ ययन ग तक
था य व के अ दर कया जाता है ।

136
4. लगे ड- वह पेशीज जो के य धातु परमाणु को इले ॉन दे ता हो लगे ड कहलाता
है । जैसे MLn , M एक के य धातु परमाणु है । L एक लगे ड है जो क के य
धातु परमाणु को इले ॉन दे ता है ।
जैसे - Ni ( H 2 o) ,[ Ni (co ) 4 ]
2
6

5. अ य (Inert) - वह संकु ल िजसम लगे ड का त थापन धीमी ग त से होता है


। वह संकुल अ य संकु ल कहलाता है ।
6. अि थर- वह संकुल िजसम लगे ड का त थापन बहु त ती ग त से होता है वह
(Labile) अि थर संकुल कहलाता है ।
7. के य परमाणु- कसी भी संकु ल म उपि थत वह के य परमाणु जो क लगे ड के
वारा घरा रहता है । के य परमाणु कहलाता है ।
जैसे- K 4 [ Fe (CN ) 6 ] म Fe एक के य परमाणु है ।
8. सं मण अव था- कसी भी रासाय नक अ भ या के पूण होने से पहले एक वशेष
कार क अव था का नमाण होता है, सं मण अव था कहलाती है, जो क अ थायी
तथा उ च ऊजा यु त होती है ।
9. वे रासाय नक पेसीज जो क अ भकारक पर आ मण करके उ ह उ पाद म बदल
दे ते ह, आ मणकार अ भकमक कहलाते ह ।
10. आ मणकार अ भकमक दो कार के होते है-
(i) इले ो फ लक अ भकमक (ii) यूि लयो फ लक अ भकमक

9.4 स दभ थ (Reference Books)


1. Inorganic Chemistry  Puri, Sharma Pathania
2. Inorganic Chemistry  S.Chand and Company,New Delhi
3. Inorganic Chemistry  By Gurdeep Raj
4. अकाब नक रसायन भाग 1  सा ह य भवन पि लकेशन, आगरा
5. अकाब नक रसायन भाग 1  कालेज बुक हाउस , जयपुर
6. अकाब नक रसायन भाग 2  हमांशु पि लकेशन, उदयपुर

9.5 बोध न

नोट- (1) ये क न म छोड़ी गयी जगह का इ ते माल अपने उतर लखने के लए कर।
(2) अपने उ तर इकाई के अ त म दये गये उ तर से मलाय ।
I. न न ल खत न के उ तर द –
1. र त थान क पू त करो -
1. याँ म के अनु सार सं कु ल नमाण या................... ............. म ह ।

137
2. था य व ि थरां क सामा यतया...................................... कार के होते ह।
3. वे सं कु ल िजनम उपि थत एक लगे ड का त थापन दू स रे लगे ड वारा आसानी
से हो जाता है , वे सं कु ल............................................ कहलाते ह ।
4. वे सं कु ल बहु त ह कम याशील होते ह ,. .. .......................... कहलाते ह ।
5. सं कु ल धातु ओं म जै से- जै से ए ाँ पी क मा ा बढ़ती है उतना ह सं कु ल ........
........................ होता है ।
6. कसी भी सं कु ल का थायी होना उसम उपि थत लगे ड क .... .....................
पर नभर करता है ।
II. बहु वक पी न:
2. न न म से सह उ तर को ठक म लखे -
1. सं कु ल का नमाण एक पद म म है , का अ ययन कया –
a) B . Jerrum b) Chatt & Coworkers
c) Pauli d) Chadwick
2. Square planar complexes का अ ययन सबसे अ धक कौनसी धातु के साथ
कया गया-
a) Pt(II) b) Zn + 2
c)Cu + 2 d) Fe + 2
3. न न म से कसका ाँ स भाव कम होगा -
a) CN ०) b) CO
c) PR3 d) NH 3
4. न न म से बल लगे ड होगा -
a) H 2O b) NH 3
c) CN d) F
5. न न हे लाईड म सबसे बलतम लगे ड होगा –
a) F b) CI
c) Br d) I
6. न न म से सबसे बलतम ाँ स भाव दशाये गा –
a) F b) CI
c) Br d) I

9.6 बोध न के उ तर (Answer of Intext Questions)

I. 1. पद म (stepwise) दो कार

138
2. लेबाइल (labile) अ य (inert)
3. थायी (stable) कृ त (nature)
II. 1. (a) 2. (a) 3. (d)
4. (c) 5. (b) 6. (d)

9.7 अ यासाथ न (Exercise Questions)


(1) था य व ि थरांक या है? प रभाषा द िजए ?
(2) उ माग तक य एवं ग तज था य व से आप या समझते ह?
(3) संकुल को प रभा षत क िजए?
(4) संकुल क अ यता व ि थरता को समझाइये ।
(5) संकुल के था य व को भा वत करने वाले कौन-कौन से कारक है?
(6) समझाइये? ए ाँपी संकुल के था य व को कस कार भा वत करती है ।
(7) क लेट को प रभा षत क िजए? तथा क लेट संकुल के था य व को कस कार भा वत
करते है । उदाहरण स हत समझाइये ।
(8) न न ल खत कारक संकुल के था य व को कस कार भा वत करते ह, समझाइये।
(i) क लेट भाव
(ii) लगे ड का आकार एवं आवेश
(iii) लगे ड क ार य कृ त
(iv) वम भाव
(v) सहसंयोजक गुण
(9) न न पद को प रभा षत क िजए ।
(i) अ भकारक
(ii) स यण ऊजा
(iii) आ मणकार अ भकमक
(iv) इले ॉन नेह अ भकमक
(v) ना भक नेह अ भकमक
(10) ाँस भाव या है? समझाइये । व
ु णता ाँस भाव को कस कार भा वत करती
है?
(11) ाँस भाव के दो उपयोग द िजये ।
(12) संकुल म पायी जाने वाल त थापन अ भ याओं को समझाइये । वगाकार समतल य
संकुल म लगे ड त थापन समझाइये ।

139
इकाई -10
काबधाि वक रसायन - I
(Organometallic Chemistry-I)
इकाई क परे खा
10.0 उ े य
10.1 तावना
 प रभाषा
 नामकरण
 वग करण
 मह व
 गुण
 संरचना
 उपयोग
10.2 सारांश
10.3 श दावल
10.4 संदभ थ
10.5 बोध न
10.6 बोध न के उ तर
10.7 अ यासाथ न

10.0 उ े य (Objectives)
हम इस अ याय म न न ल खत पद के बारे म अ ययन करगे -
 काबधाि वक यौ गक क प रभाषा एवं इ तहास ।
 काबधाि वक यौ गक का नामांकरण ।
 काबधाि वक यौ गक का सं लेषण तथा इनक उपयो गता ।

10.1 तावना (Introduction)


काबधाि वक यौ गक म स भवतया सबसे पहले केको डल नामक यौ गक खोजा गया था ।
उसक खोज का ेय 1760 म कैडेट पे लू सकोट को जाता है । इसके बाद सन 1853 म
कलै ड नामक वै ा नक ने ऐ थलिजंक आयोडाइड तथा डाइऐ थल िजंक का पृथ करण कर
इनका अ ययन कया था । उ ह ने न न काबधाि वक यौ गक का सं लेषण कया ।
2Zn  2C2 H 5 I  Zn(C2 H 5 ) 2 ZnI 2
सन 1900 ई वी म व टर यार वारा यार अ भकमक क खोज क गई जो क एक
मह वपूण खोज थी । कलै ड ने कई धातु यौ गक जैसे Hg , Cd , Sn, Pb व Si के
काबधाि वक यौ गक का सं लेषण कया । सन ् 1951 म कैल एवं पासन (Kealy &

140
Payson) वारा कैरोसीन क खोज हु ई जो क एक मह वपूण काबधाि वक यौ गक है ।
य यप ले टनम सकुल-पौटे शयम ऐ थ लन ाइ लोरो ले टनेट K [ PtCl3 (C2 H 4 )]

जाइस लवण एवं बस ए थल न डाइ लोरो ले टनम (II) का सं लेषण मश: 1827 एवं 1831
म कया जा चुका था ।

10.1.1 प रभाषा (Definition)

काबधाि वक यौ गक वे यौ गक है िजनम कम से कम एक काब नक समू ह सीधे ह धातु परमाणु


वारा जुड़ा होता है । काबधाि वक यौ गक के उदाहरण न न है –
C2 h5 Mg Br  ए थल मैि न शयम ोमाइड
(C2 H 5 )2 Zn  डाइ ए थल िजंक
C6 H 5 Li  फै नल ल थयम
Fe(CO)5  अमारन पे टा काब नल
(C2 H 5 ) 4 Pb  टे ामे थल लैड
कई ऐसे यौ गक है िजनम धातु परमाणु उपि थत होता है ले कन वे सीधे काबन परमाणु से
नह ं जुडे होते ह । इनको काबधाि वक यौ गक क ेणी म सि म लत नह ं कया जाता है
। जैसे (C3 H 7 O ) 4 Ti तथा Zn(OOC CH 3 ) 4 आ द । इनम उपि थत धातु परमाणु
सीधे काबन से नह ं जुड़ा होता है ।

10.1.2 नामांकरण (Nomenclature Metallic Compounds)

काबधाि वक यौ गक क नामांकरण करने के लए आई.यू.पी.ए.सी. के अनुसार कुछ सामा य


नयम बनाये गये, िजनके अनुसार इनका नामकरण करते ह ।
(1) काबधाि वक यौ गक ने म सबसे पहले काब नक समू ह का नाम लखा जाता है तथा उसके
प चात धातु का नाम लखा जाता है तथा नाम एक साथ म ह लखा जाता है अथात
धातु तथा एि कल समू ह के म य कोई थान नह ं छोड़ा जाता है ।
उदाहरण C 2 H 5 Na  ए थलसो डयम
C6 H 5 Li  फे नलल थयम
(2) य द यौ गक म एक से अ धक समान काब नक समू ह उपि थत ह तो उनक सं या को
डाई- ाई- े टा आ द पूवल न वारा द शत कया जाता है ।
उदाहरण (CH 3 ) 4 Al  े टामे थल ए यु म नयम
(C6 H 5 ) 2 Hg  डाइफे नल मकर

(C6 H 5 ) 4 Pb  े टाए थल लैड


 ाइफै नल एलु म नयम
(C6 H 5 ) 3 Al
उपि थत यौ गक म भ न- भ न कार के एि कल समू ह उपि थत होने पर उनको अं ेजी
वणमाला के कम के अनुसार लेखा जाता है । उदाहरण के लए:

141
CH 3  Mg  C 2 H 5  ऐ थल मे थल मैगनी शयम
CH 3  Zn  C 2 H 5  ए थल मे थल िजंक
(3) य द कसी यौ गक म एक से अ धक भ न- भ न कार के काब नक समू ह उपि थत
ह तो, लखने के कार भी उनक अं ज
े ी वणमाला के अनुसार होता है ।
जैसे- (C 2 H 5 )(C 2 H 7 ) 2 Sn  डाइए थलडाइ ो पल टन
(C6 H 5 )(C 2 H 5 ) Mg  ए थलफे नलमै नी शयम

(4) काबधाि वक यौ गक म उपि थत काब नक समू ह म त थापन होने पर काब नक रसायन


म उपयोग म लाई जाने वाल प त के अनुसार नामकरण कया जाता है ।
उदाहरण के लए (C6 H 5Cl3 ) 2 Mg का नाम न न होगा ।

बस-(2,4,6 ाइ लोरोफे नल) मै नी शयम


(5) धातु काब नल के नामांकरण म पहले धातु का नाम लखा जाता है उसके प चात उसम
उपि थत काब नल समूह क सं या (डाई, ाई, टे ा आ द के प म) दशाकर काब नल
श द लखा जाता है । य द कसी यौ गक म एक से अ धक धातु परमाणु उपि थत ह
तो, उनको डाई, ाई आ द पूवल न लगाकर लखा जाता है ।
Ni (CO ) 4 न कल े टाकाब नल
Fe(CO ) 5 आयरनपे टाकाब नल
Mn2 (CO )10 डाइम नीज डेकाकाब नल
Fe3 (CO )12 ाईआयरनडोडेकाकाब नल
Fe2 (CO )9 डाईआयरन नोनैनोकाब नल
(6) म त काबधाि वक अथात ऐसे यौ गक िजनम काब नक व अकाब नक समू ह उपि थत
हो तो, पहले काब नक समू ह को पूवल न के प म तथा अकाब नक समू ह को अनुल न
के प म लखा जाता है ।
CH 3 MgCl  मे थलमैि न शयम लोराइड
C 2 H 5 MgI  ए थलमैि न शयमआयोडाइड
(7) काबधाि वक यौ गक म काब नक समू ह के साथ हाइ ोजन उपि थत होता है।काब नक
समू ह के साथ वणमाला म म 'हाइ डो' श द जोड दया जाता है ।
उदाहरण (CH 3 )(C 2 H 5 ) AsH  ए थल हाइ डोमे थल आस नक
(C6 H 5 )(C3 H 7 ) AuH  हाइ डोफे नल ोपील गो ड
(8) काबधाि वक यौ गक म ऋणायन (anion) उपि थत हो तो धातु परमाणु म 'एट' अनुल न
के प म लखा जाता है, इसके बाद म धातु परमाणु क आ सीकरण अव था दशायी
जाती है ।

142
उदाहरण- Zn (C 2 H 5 ) AuH - ाइए थल िजंकेट (II) आयन
(9) य द काबधाि वक यौ गक धनायन हो तो, धातु परमाणु के नाम के बाद उसक आ सीकरण
अव था दशायी जाती है तथा आ सीकरण अव था के बाद 'आयन' लखा जाता है ।
उदाहरण- [(C6 H11 )3 Sn] - ाइसाइ लौहै साइल टन (IV) आयन

10.1.3 वग करण (Classification)

काबधाि वक यौ गक म उपि थत धातु काबन ब ध क कृ त के आधार पर इनको न न


कार से वग कृ त कया गया है ।
(1) आय नक यौ गक (Ionic Compounds)
(2) सहसंयोजक यौ गक (Covalent Compounds)
(3) इले ॉन यून यौ गक (Electron Deficient  - Bonded Compounds)
(4) व थानीकृ त या  -बि धत यौ गक (Declocalised  - Bonded Compounds)
(1) आय नक यौ गक (Ionic Compounds)
S-Block त व जो क अ धक व युत धनी होते है वे सभी काबधाि वक यौ गक बनाते है
(केवल Li, Be तथा Mg) को छोड़कर। चूँ क काबन क व युत ऋणता का मान उ च होता
है जो क S-Block त व के साथ काबधाि वक यौ गक बनाता ह ।
धातु परमाणु तथा काबन क व युत ऋणता म अ धक अ तर होने के कारण M-C ब ध
म ु वणता आ जाती है । इस कार काब नक समू ह काबऋणायन म प रव तत हो जाता है
। चूँ क ार तथा ार य-मृदा धातुओं के काबधाि वक यौ गक म उपि थत काब नक समूह
तथा धातुओं म व युत ऋणता म अ तर अ धक होता है । िजसम इन यौ गक म आय नक
ल ण पाये जाते ह ।
ये यौ गक रं गह न, अवा पशील और हाइ ोकाबन वलायक म अघुलनशील होते ह । यह
व युत के सुचालक होते ह । इनका था य व और याशीलता काबऋणायन के था य व
पर नभर करता है । सभी काबनऋणायन का था य व संकरण घटने के साथ घटता है ।
sp>sp2 >sp3 याशीलता का म इसके वपर त होता है अथात sp3>sp2 >sp।
ऋणा मक आवेश उपि थत संक रत क क म केि त अथवा थानीकृ त हो सकता है । जैसे
च म दशाया गया है-

Fig.: Carbanions having, sp, sp2, or sp3 hybridised orbitas


काबधाि वक यौ गक न न व थापन अ भ याऐं दे ते ह ।

143
C2 H 5 K   C2 H 6  C6 H 5 K   C2 H 6
C 2 H 5 Na  C2 H 5 Br  C4 H10  NaBr
(c2 H 5 ) 2 Mn  FeCl2  (C5 H 5 ) 2 Fe  MnCl2
य द काबधाि वक यौ गक म उपि थत काब नक यौ गक एरोमे टक होता है तो उसका था य व
और
इस कार (C5 H 5 )2 M और HC  CNa  था य व को भी समझाया जा सकता है ।
(2) सहसंयोजक यौ गक (Covalent Compounds)
ऐसे त व िजनक व युत ऋणता के मान म अ तर 1.5 से 2.0 के म य होता है । सहसंयोजक
काबधाि वक यौ गक बनाते है । इन यौ गक म उपि थत धातु तथा काबन के म य भी केवल
 ब ध ह होता है जो क 2e इन के साझे से बना होता है । सभी सहसंयोजक यौ गक
क संरचना भी उपि थत संकरण के कार पर नभर करती है ।

उदाहरण संकरण संरचना ( या म त)


(C2 H 5 )2 Zn(C2 H 5 )2 Hg sp रे खीय
(CH 3 )3 B, (CH 3 )3 Ga sp 2 भु जीय
(C2 H 5 )4 Gn(CH 3 )4 Si, (C2 H 5 )4 Si sp 3 चतु फलक य
(C6 H 5 )2 P ( PEt3 ) 2 dsp 2 वगाकार समतल य
(C6 H5 )Mn(CO)5 d 2 sp 3 अ ठफलक य

(3) इले ोन यून यौ गक (Electron Deficient Compounds)


ऐसे यौ गक िजनके बा यतम कोष म अपूण अ टक होता है इले ॉन यून यौ गक कहलाते
है । Li, Be, B, Al आ द त व इले ॉन यून काबधाि वक यौ गक बनाते है । इनके वारा
बने हु ए यौ गक बहु लक कृ त के होते है ।
उदाहरण [(C2 H 5 )3 B, (C6 H5 )3 In,(CH3 )3 Ga ], R3 , Al , RLi, R2 Be, R3 B
यह दो कार के होते है
(1) के -2 इले ॉन ब ध वाले यौ गक
(2) बहु के -2 इले ॉन ब ध वाले यौ गक
1. के -2 इले ॉन ब ध वाले यौ गक (Try-Centre-Two Electron Bond
Compounds)
इस कार के बहु लक सामा यत: बैर लयम तथा ए यु म नयम वारा बनाये जाते है , िजनम
उपि थत एि कल समू ह दो धातु परमाणु ओं के म य एक सेतु का काय करता है ।

144
2. बहु के य-2 इले ॉन ब ध वाले यौ गक (Multicentre 2-Electron Bound
Compounds)
मे थल व ऐ थल ल थयम इस कार के काबधाि वक यौ गक बनाते है तथा इनका X  Ray
अ ययन करने पर यह पता चलता है क यह यौ गक चतु फलक य संरचना वाले होते है, िजनम
ल थयम परमाणु चतु फलक के चार शीष थ कोण पर ि थत होते है तथा काब नक समूह
इन फलक के के से थोड़े ऊपर ि थत होते ह । च म े टामे थल ल थयम क संरचना
दशायी गई है ।

च – (LiCH3)3 संरचना
(4) व था पत इले ॉन ब ध यौ गक (Delocalised Electron Bond Compounds)
सं मण धातु इस कार के काबधाि वक यौ गक बनाते है । इस कार के यौ गक म असंत ृ त
काब नक समू ह का  इले ॉन धातु परमाणु के र त d क क से अ त यापन करते है,
जब र त d क क भर जाते है तो ये काब नक समू ह तबंधी र त क क के साथ
अ त यापन करते है तथा d  p ब ध का नमाण करते है । इन यौ गक को सामा यत:
दो भाग म वभ त कया गया है ।
(1) ओल फ नक और ए सट ल नक यौ गक
जाइस (Zeise) नामक वै ा नक ने सन 1830 म इस कार का यौ गक सं ले षत कया,
जो क एक वगाकार समतल य संरचना वाला यौ गक होता है । िजसका नमाण ए थल न
और [ PtCl4 ] के वारा बनाया जाता है । इसम उपि थत धातु परमाणु दोन काबन
2

145
परमाणु ओं से जुड़ा होता है तथा C  C अ ले टनम लोर न ब ध के ल बवत ् ि थत
होते है ।

(2) सै ड वच यौ गक (Sandwitch Compounds)


सन 1951 म कैल एवं पासन वारा सै ड वच यौ गक फेरोसीन का सं लेषण कया गया
जो क इस कार का पहला यौ गक है । चूँ क इसक संरचना सै ड वच क तरह होने
के कारण इनको सै ड वच यौ गक कहा जाता है । सं मण त व इस कार के यौ गक
बनाते ह । फेरोसीन को न न ल खत अ भ या वारा बनाया गया था ।

X- Ray ववतन के वारा अ ययन करने पर पता चलता है क फेरोसीन म एक आयरन


परमाणु दो साइकलोपे टाडाइ नल समू ह के बीच म यवि थत होता है ।

146
10.1.4 मह व

काबधाि वक यौ गक बहु त मह वपूण होते ह, इनका दै नक जीवन म बहु त मह व है । अत:


इनका उपयोग न न े म कया जाता है -
(1) उ योग म (In Industry)
सल कोन वारा बने हु ए काबधाि वक यौ गक बहु त मह वपूण होते है, य क स लकोन,
अ य, जल याकष , इनसू लेटर व उ च ताप पर भी थायी होते है । सल कोन के वारा
बने हु ए कपड़े जो क उ च ताप सहने वाले होते है, इस लए अ त र या ी भी इनका उपयोग
करते है । सल कोन रबर एक मह वपूण यौ गक है जो इनसूलेटर के प म काम करते है

टे ाए थल लेड अप फोटनरोधी के प म काम लया जाता है । इसको पे ोल के साथ मलाने
पर यह उनक काय मता को बढ़ा दे ता है । सल कोन ीस एक मह वपूण यौ गक है िजसका
उपयोग कई औ यो गक े म कया जाता है । स लकोन ऑयल -700C पर भी काय करता
है ।
(2) कृ ष व ान म (In Agricultural Science)
नवजात पौध को सं मण रोग से बचाने के लए इनके बीज को फे नल मकर के यु प न
के वारा उपचा रत कया जाता है । एि कल टन का उपयोग भी कवकनाशी के प म कया
जाता है ।
(3) च क सा के प म
कई काबधाि वक यौ गक जैसे मर यूरो म का उपयोग घाव को सड़ने से रोकने के लए
रोगाणु नाशक के प म उपयोग कया जाता है । मकर हाइ न का उपयोग वृ क क
काय मता को बढाने म कया जाता है । आस नक के वारा बन हु ये काबधाि वक यौ गक
आस फनै वन का उपयोग सफ लस व अ क अ न ा रोग म काम लया जाता है ।
(4) उ रे क के प म (As Catalyst)
काबधाि वक यौ गक का उपयोग उ रे क के प म कया जाता है । िजगलर नाटा उ रे क
(Ziegler- Natta- Catalyst) एक मह वपूण काबधाि वक यौ गक है जो R3 Al  TiCl4
का म ण होता है । इसका उपयोग एथील न के बहु ल करण म कया जाता है ।
(5) अनुसंधान म (In Research)
टे ा मे थल सलेन (TMS) का उपयोग NMR पे ॉ कोपी म मानक यौ गक के प म
कया जाता है । इस कार इनके बढ़ते हु ए उपयोग से दन दन इनका सं लेषण बढ़ता जा
रहा है ।
ल थयम के काबधाि वक यौ गक
ल थयम के वारा कई कार के मह वपूण काबधाि वक यौ गक बनाये जाते ह । रासाय नक
अभ याओं म इनका उपयोग अ भकमक के प म कया जाता है, चूँ क इनक याशीलता
यार अ भकमक से बहु त यादा होती है इस लए इनको सुपर यार अ भकमक कहते
ह ।

147
बनाने क व धयाँ-
(1) एि कल तथा ए रल हैलाइड क ल थयम धातु पर अ भ या वारा
(Reaction of Alkyl halides with Metal)
ल थयम धातु क अ भ या जब एि कल हैलाइड से करवायी जाती है तो एि कल अथवा
एि कल ल थयम का नमाण होता है । इस अ भ या म वलायक के प म बे जीन, ईथर,
ह के पे ो लयम का उपयोग कया जाता है । इस अ भ या को स प न करने के लए
वातावरण ब कु ल शु क होना चा हए । यह या शु क नाइ ोजन क उपि थ त म स प न
करायी जाती है । आ सीजन क उपि थ त म यह O2 से अ भ या कर लेते ह ।
2Li  R   RLi  LiX X  Cl , Br , I
2Li  C4 H 9Cl  C4 H 9 Li  LiCl
C6 H 5  2 Li  C6 H 5 Li  LiCl
इन अ भ याओं म वलायक के प म डाईऐि कल ईथर नह ं लया जा सकता य क यह
Li से अ भ या कर लेता है । इसम ल जाने वाल धातु क भौ तक अव था भी बहु त मह वपूण
होती है, य द धातु के ऊपर जंग लगा हो तो कई बार अ भ या स प न नह ं हो पाती है

(2) धातु व नमय वारा (By Metal exchange)
इस व ध के वारा ल थयम के कई काबधाि वक यौ गक बनाये जाते है । भार धातु ओं के
बने हु ए काबधाि वक यौ गक क अ भ या करवाने पर, वभ न कार के ल थयम
काबधाि वक यौ गक बनते ह ।
R2 Mg  2 Li  2 LiR  Mg
(C6 H 5 )2 Hg  3Li  C6 H 5 Li  LiHg
(C4 H 9 ) 2 Mg  2 Li  2C4 H9 Li  Mg
(3) धातु हैलोजन व नमय वारा (by मेटल Halogen exchange)
बै जीन
C4 H 9 Li  C6 H 5 I ⎯⎯ C4 H 9 I  C6 H 5 Li
C4 H 9 Li  H 2C  CHBr  C4 H 9 Br  CH 2  CHLi
(4) धातु हाइ ोजन व नमय वारा
C6 H 5 Li  C6 H 5  C  CH  C6 H 6  C6 H 5  C  CLi
C4 H 9 Li  C6 H 6  C4 H10  C6 H 5 Li
इस अ भ या म उपि थत अ ल य हाइ ोजन का त थापन Li वारा हो जाता
है ।
(5) टे ाफै नल ए थ लन पर ल थयम के योग से

148
10.1.5 गुण (Properties)

ल थयम Li के छोटे आकार के कारण Li-C के म य सहसंयोजक गुण आ जाते है । अत:


यह सहसंयोजक यौ गक के समान यवहार दशाते ह । यह काब नक वलायक म भी वलय
होते ह । ये वायु से ती अभ या करते ह । ये जल से अ भ या कर हाइ ोकाबन बनाते
ह ।
C4 H 9 Li  H 2O  C4 H10  LiOH
रासाय नक अ भ याऐं -
(1) जल से अ भ या (Reaction With Water)
ल थयम के काबधाि वक यौ गक जल से अ भ या करके ए केन का नमाण करते ह ।
C4 H 9 Li  H 2O  C4 H10  LiOH
(2) हैलोजन से अ भ या (Reaction with Halogens)
C2 H 5 Li  Br2  C2 H 5 Br  LiBr
(3) ये अ ल के साथ अ भ या करते ह तथा हाइ ोकाबन का नमाण करते ह ।
C4 H 9 Li  HCl  C4 H10  LiCl
(4) अमो नया से अ भ या (Reaction With Ammonia)
C4 H 9 Li  CH 3  C4 H10  LiNH 2
(5) ऑल फन यौ गक से अ भ या (Reaction With Oleifinic Compounds)
काब ल थयम यौ गक असंत ृ त यौ गक से या करके रं गीन उ पाद दे ते ह जो आय नक कृ त
का होता है ।
 C4 H 9CH 2 (C6 H 5 ) 2 CLi 
C6 H 9 Li  (C6 H 5 ) 2 C  CH 2 
(6) काब नल यौ गक से या (Reaction With Carbonyl Compounds)
काब ल थयम यौ गक ऐि डहाइड तथा क टोन से अ भ या करके यार अ भकमक के
समान उ पाद बनाते ह ।

H 2O
RLi  H  CHO  R  CH 2  O  Li  H  OH   R  CH 2  OH  LiH

(7) ए कोहॉल से या (Reaction With Alcohals)


काब ल थयम यौ गक ए कोहॉल से या करके ऐलकेन दे ते ह ।

149
C4 H 9 RLi  CH 3  OH  CH 3  CH 2  R  LIOH

(8) काबन डाइआ साइड से या (Reaction With Carbon dioxide)


काबनडाईऑ साइड से या करके क टोन का नमाण करते ह ।

(9) संकुल यौ गक का नमाण (Synthesis of Complex Compounds)


Lithium के काबधाि वक यौ गक क अ भ या दूसरे काबधाि वक से कराने पर एक संकुल
का नमाण होता है ।
2C2 H 5 Li  (C6 H 5 ) 2 Mg  Li2 [ Mg (C6 H 5 )4 ]
C2 H 5 Li  (C2 H 5 )2 Zn  Li[ Zn(C2 H 5 )3 ]
C2 H 5 Li  LiBr  Li[ Li (C2 H 5 ) Br ]
(10) ए थल न आ साइड से या (Reaction With ethylene oxide)

150
10.4.6 संरचना

X-Ray वारा अ ययन करने पर पता चलता है एि कल ल थयम क संरचना एक


चतु फलक य प म होती है । इसम उपि थत चार ल थयम परमाणु के चतु फलक य कोण
पर ि थत होते ह ।

10.1.7 उपयोग (Uses)

काबल थयम का उपयोग दै नक जीवन म बहु त होता है जो न न ह-


(1) सामा यतया ल थयम के काबधाि वक यौ गक का उपयोग बहु ल करण म कया जाता
है जैसे यु टल न के बहु ल करण हे तु (C4 H 9 ) Li व TiCl4 का उपयोग कया जाता है
। वाइ नल लोराइड का पोल वाइ नल लोराइड म बदलने के लए TiCl4 / C4 H 9 Li
उ रे क का उपयोग कया जाता है ।
(2) ल थयम ए सट लाइड का उपयोग शामक औषधी के प म कया जाता है ।
(3) ल थयम के कई काबधाि वक यौ गक का उपयोग वहां कया जाता है, जहाँ पर यार
अ भकमक का उपयोग नह ं होता है इस लए इनको सु पर यार अ भकमक कहते ह

ऐलु म नयम के काबधाि वक यौ गक (Organo metallic Compounds of Alumunium)


ऐलु म नयम के काबधाि वक यौ गक बहु तमह वपूण होते ह, इनक बढ़ती उपयो गता के कारण
इनका सं लेषण औ यो गक तर पर कया जाता है ।
सं लेषण व धयां (Synthesis of Aluminium Organometallic Compounds)
(1) इनको सबसे पहले सन 1865 म Aluminium क या डाइमे थल मकर से कराकर
बनाया गया ।
0
80  90 C
2 Al  3Me2 Hg   2 Me3 Al  Hg
(2) Aluminium क हाइ ोजन, एवं ए क न पर अ भ या वारा
2 800 C
Al  H 2  3CH 2  CH 2  (C2 H 5 )3 Al
2
(3) 2 Al2 Mg3  6C2 H 5Cl  2(C2 H 5 )3 Al  3MgCl2

151
(4) 2 Al  3RX  R3 Al2 X 3
R3 Al2 X 3  3 Na  R3 Al  3Na  Al
गुण (Properties)
ाईएि कलएलु म नयम एकलक है । बै जीन म इसका बहु ल करण हो जाता है । ये यौ गक
ऑ सीजन के त अ तसंवेदनशील होते है, वायु से या कर जल जाते ह ।
(1) ये ए कोहॉल तथा ऐमीन आ द से या करके एलकेन दे ते ह ।
R3 Al  / E  OH  ( R2  Al  OR)n  RH
AlR3  NHR2  ( R2  Al  OR2 )n  RH
(2) लु इस ार के साथ या करके, संकुल यौ गक बनाते ह ।
R3 Al  NMe3  R3 Al  NMe3
R3 Al  OEt2  R3 Al  OEt2
(3) उ मीय वघटन (Thermal Decomposition) - इन यौ गक को 200-3000C पर गम
करने पर ये वघ टत हो जाते है तथा एलक न का नमाण होता है ।
3
AlEt3  Al  2CH 2 H 4  H 2
2
(4) अपचायक वृि त (Reducing Agent) - एलु म नयम काबधाि वक यौ गक का
उपयोग अपचायक के प म कया जाता है ।

(i) (C2 H 5 )3 Al  C2 H 5Cl  6Cu  AlCl3  3C2 H 5Cl

(ii)

(iii) RCHO 


Et Al / H O
3 2
 RCH 2OH
(iv) RCN 
Et Al / H O
3 2
 R  CH 2  NH 2
संरचना:
X-Ray अ ययन वारा ात होता है क ाईऐि कल एलु म नयम वा प अव था म एकलक
के प म होता है, ले कन बै जीन वलयन म यह वलक प म होता है ।

152
संरचना म उपि थत एलु म नयम परमाणु sp
3
अव था म होते है । दो एि कल ब ध
CH 3  Al , कनार पर ि थत होते ह । इस कार चार Al  CH 3 ब ध होते ह जो क sp3 संक रत
अव था म होते ह । दो एि कल सेतु यु त बहु केि य ब ध Al  CH3  Al बनाते है । ये ब ध
के य-दो इले ान ब ध यु त होते है ।

10.2 सारांश (Summary)


 काबधाि वक यौ गक म काबन धातु से सीधे ह जु डे होते है । सबसे पहले संभवतया
कैकोडील नामक काबधाि वक यौ गक को खोजा गया था ।
 Zeise Salt का सु K  PtCl  2  C2 H 4   होता है ।
 फेरोसीन एक सै डवीच यौ गक होता है, िजसम हद दो वलय के बीच म ि थत होता है।
 एक धातु परमाणु वारा काब नक समू ह के िजतने काबन परमाणु जु डे रहते है । उस सं या
को हैि ट सट कहते ह ।

10.3 श दावल (Glossary)


काबधाि वक यौ गक - वे यौ गक िजनम धातु परमाणु सीधे काबन परमाणु से जु ड़े होते ह
। काबधाि वक यौ गक कहलाते ह ।
जैसे :- (C2 H 5 )2 Zn, (C2 H 5 )2 Fe
सु पर यार अ भकमक - ल थयम के काबधाि वक यौ गक क अ भ या यार
अभ या से तेज होती है । इस लये इनको सु पर यार अ भकमक कहते ह ।
जाइस लवण - यह एक कार का ए थल न तथा PtCl4 के वारा बना हु आ वगाकार

समतल य संरचना वाला यौ गक है, इसक संरचना न न है-

इले ॉन यून यौ गक - ऐसे यौ गक िजनके बा यतम कोश म उपि थत इले ॉन क सं या


उपल ध ब धी क क क सं या से कम होती है, इले ॉन यून यौ गक कहलाते ह ।
िजगलर नाटा उ रे क - R3 Al  TICL4 के म ण को िजगलर नाटा उ रे क कहते है ।
य क इसका उपयोग एलक न के बहु ल करण म कया जाता है ।
वल क सन उ रे क - [ RhCl ( PPh3 )3 ] को वल क सन उ रे क कहते ह, इसका उपयोग
एलक न के संभागी हाइ ोजनीकरण म कया जाता है ।

10.4 स दभ थ (Reference Books)


 Selected topic in Inorganic Madan, Malik,Tuli
Chemistry
 Inorganic Chemistry Shakhi Publishing House, Jaipur

153
 Inorganic Chemistry Himanshu Publication,Udaipur
 Inorganic Chemistry By Gurdeep Raj

10.5 बोध न

नोट : (1) ये क न म छोड़ी गई जगह का इ ते माल अपने उ तर लखने के लए कर।


(2) अपने उ तर इकाई के अं त म दये गये उ तर से मलान कर ।
न 1. न न ल खत न के उ तर दो-
(1) सबसे पहले ान सं भ वतया काबधाि वक यौ गक..........................था ।
(2) वे यौ गक िजनम उपि थत काबन सीधे ह ............................जु ड़ ह
काबधाि वक यौ गक कहलाते ह।
(3) एक धातु परमाणु वारा काब नक समू ह के जीतने काबन परमाणु जु ड़े होते
है , उस सं या को .................................कहते ह ।
(4) ल थयम के काबधाि वक यौ गक को .................................... कहते
ह।
(5) ी यार अ भकमक क खोज .....................................................
थी ।
(6) फे रोसीन यौ गक को ................................................. भी कहते ह।
न 2. बहु वक पी न-

(1) fu Zeise Salt है -


(अ) (C2 H 5 )2 Zn (ब) CH 3 ZnC6 H 5
(स) Mn( 7  C3 H 5 )(CO) 4 (द) K  [ PtCl4  2  C2 H 4 ]
(2) न न म से कसका उपयोग Anti Knocking म कया जाता है -
( अ) (C2 H 5 )3 Pb ( ब) TI (CH 3 ) 4 ( स) Ti (CH 2 M ) 4 (द) (C2 H 5 )4 Sn
(3) Ni(CO)4 क खोज क थी -
( अ) मा ड (ब) कले ड यार (स)) कै ल (द) बथ ले ट
(4) वल क सन उ े र क है -
( अ) ( Ph3 P)3 RhCl ( दं ) K [ PtCl3C2 H 4 ] ( स) CpTICL 2 ( द) (C5 H 5 ) 4 Ti

10.6 बोध न के उ तर (Answers of Intext Question)


न 1 के उ तर
1. केकोडील 2. काबन सीधे ह धातु परमाणु 3. है टे सट
4. सु पर यार अ भकमक 5. व टर यार 6. सै ड वच
न 2 के उ तर

154
1. (द) 2. (अ) 3. (अ) 4. (अ)

10.7 अ यासाथ न (Exercise Questions)


(1) काबधाि वक यौ गक कसे कहते ह?
(2) काबधाि वक यौ गक क नामकरण प त समझाइये।
(3) न न ल खत काबधाि वक यौ गक के आई. यू. पी. ए. सी नाम ल खए-

(अ)
(CH 3 )2 (C2 H 5 )2 Si (ब)
(C6 H5 )2 Hg

(स)
(C6 H5 )(C2 H 5 )Mg (द)
Cs H s Mn(Co) s

(य)
(C2 H 5 )2 Mg (र)
(C6 H 6 )2 Cr
(4) काबधाि वक यौ गक का उपयोग ल खए।
(5) ल थयम काबधाि वक यौ गक क उन अ भ याओं को द िजए जो क काब नल यौ गक
के समान होती है।
(6) काब ल थयम यौ गक को बनाने क व धयाँ, गुण एवं रासाय नक अ भ याऐं द िजए।
(7) काब ल थयम यौ गक को सु पर यार अ भकमक य कहते ह ?
(8) ट पणी ल खए
(अ) Zeise Salt (ब) सै ड वच यौ गक

155
इकाई-11
काबधाि वक रसायन -11
(Organometallic Chemistry-II)
इकाई क प रे खा
11.0 उ े य
11.1 तावना
11.2 मकर के ऐि कल व ऐ रल यु प न
11.3 टन के ऐि कल व ऐ रल यु प न
11.4 टाइटे नयम के ऐि कल व ऐ रल यु प न
11.5 धातु-ऐ थ ल नक संकुल
11.6 सारांश
11.7 श दावल
11.8 संदभ थ

11.9 अ यासाथ न

10.0 उ े य (Objectives) :
इस इकाई के अ ययन के प चात आप समझ सकगे क-
 Hg , Sn और Ti के एि कल तथा ऐ रल यु प न कतने कार के होते ह । इ ह कस
कार बनाया जाता ह ।
 इनके गुण तथा इनक संरचना कैसी होती ह ।
 Hg , Sn , Ti के एि कल तथा ऐ रल यु प न के या उपयोग ह ।
 धातु ऐ थ ल नक संकुल या होते ह? इनम कस कार क संरचना एवं बंधन होता ह
। इनका वरचन कस कार कया जाता ह तथा इनके भौ तक गुण और रसाय नक
अभ याऐं या होती ह?

11.1 तावना (Introduction)


आप जानते ह क काबधाि वक रसायन म काबधाि वक यौ गक को धातु काबन (M-C) बंध
क कृ त के आधार पर तीन वग म वग कृ त कया गया ह ।
Hg , Sn तथा Ti के ऐि कल व ए रल यु प न का जै वक, औषधीय तथा कृ ष व ान
म अ य धक मह व ह । इस लए इस अ याय म हम व थानीकृ त  -इले ॉन बंध यु त
Hg , Sn , Ti के ऐि कल तथा ऐ रल बंध यु त म त काबधाि वक यौ गक का और धातु

ऐ थ ल नक संकु ल का सं ेप म अ ययन करग ।

156
11.2 मकर के एि कल व ऐ रल यु प न (Alkyl and Aryl
Derivatives of Mercury)
मकर का पहला काबधाि वक यौ गक 1853 म ै कलड वारा मे थल आयोडाइड तथा मकर
धातु से सू य के व करण म बनाया गया था । बहु त बड़ी सं या म काब-मकर यौ गक बनाये
गये ह िजनका औष धय के प म मह व ह । बहु त से यौ गक कवक रोधी (Fungicides)
के प म यु त होते ह । मनु य तथा ज तु ओं पर इनके हा नकारक भाव होने क जानकार
के बाद रासाय नक उपचार और कवकरोधी दोन ह कार से इनका उपयोग नषेध कर दया
गया ह । काब-मकर यौ गक को दो े णय म वभािजत कया गया ह ।
1. R  Hg  X यहाँ R एि कल और ऐ रल समूह तथा X एक व युत ऋणीय
मू लक है ।
2. R2 Hg

11.2.1 ऐि कल व ऐ रल मकर हैलाइड (Alkyl and Aryl Halides of Mercury)[R—Hg-X]:

11.2.2 बनाने क व धयाँ :

1. सू य के काश म एि कल हैलाइड मकर से सीधे अ भ या कर ऐि कल मकर हैलाइड


बनाते ह ।
hv
R  X  Hg   R  Hg  X
2. ी यार अ भकमक क T.H.F. क उपि थ त म म यू रक लोराइड से अ भ या
करवाने पर ऐि कल मकर क दोन कार क े णय के यौ गक बनते ह ।
2 RMgBr  2 HgCl2  2 HgCl  MgCl2  MgBr2
2 RMgBr  2 HgCl  2 E2 Hg  MgCl2  MgBr2
3. सो डयम अमलगम ( Na  Hg ) तथा ऐि कल हैलाइड अथवा ऐि कल स फेट क
अ भ या से भी RHgX बनते ह
2 Na  Hg  3R  X  R  HgX  2 NaX  E2 Hg
4. डाइऐि कल मकर क मर यू रक लोराइड से अ भ या वारा RHgX बनते ह ।
R2 Hg  HgX 2  2 RHgX
5. डाइऐजोमेथेन (CH 2 N 2 ) क HgCl से अ भ या वारा लोरोमे थल मकर
लोराइड बनाया जा सकता ह ।
HgCl2  CH 2 N 2  CICH 2 HgCl  N 2
6. ऐ रल डाइऐजो नयम लोराइड क मकर से 0.50C पर अ भ या करवाने से Ar-Hg-Cl
बनाते ह ।
0
0 5 C
ArN 2 Cl  Hg   Ar  Hg  Cl  N 2
7. ऐ रल स फो नक अ ल क HgCl2 से अ भ या वारा ऐ रलमकर लोराइड बनते
ह ।
157
ArSO3 H  HgCl2  Ar  Hg  Cl  SO2  HCl
8. ऐरोमै टक हाइ ोकाबन क मकर लवण (HgX2 सामा यत: X=ऐसीटे ट या पर लोरे ट)
से अ भ या वारा ऐि कल मकर लोराइड बनाये जाते ह । यह अ भ या म यूर करण
(Mercuration) कहलाती ह ।
ArH  HgX 2  Ar  Hg  X  HX

11.2.3 गुण (Properties) :

1. ऐि कल तथा ऐ रल मकर हैलाइड RHgX, टल य ठोस यौ गक ह ।


2. ये न न दाब पर उ वपा तत होते ह ।
RHgX यौ गक म जब X = Cl- , Br - , I- , CN - , SCN- , या OH -
होता
ह तब ये यौ गक सहसंयोजक अ ु वीय व काब नक यौ गक म वलेय होते ह । य द
X =F- , NO-3 या SO2-4 होता है तो ये यौ गक आय नक व जल म वलेय होते
ह ।
ऐि कल / ऐ रल मकर हैलाइड क कु छ मु ख अ भ याएं न न ल खत ह ।
1. ऐ काइनो से अ भ या -
EtOH
RHgCl  HC  CH   RHgC  CH  HCl
2. लोरोफाम से अ भ या -
KOH
ArHgBr  CHCl3 
C6 H 6
 ArHgCBrCl2  HCl
फे नल म यू रक ोमाइड फे नल ाइहैलोमे थल मकर
3. ाइऐि कल फा फ नो से अ भ या -
RHgX  PR3  [ RHgPR3 ] X  

(ज टल)
4. सो डयम स फाइड से अ भ या –

5. काबन मोनो साइड से अ भ या -

158
RHgNO3  CO  CH 3OH  RCOOCH 3  Hg  HNO3
वै युत अपघटन (Electrolysis) : मे थल मकर ऐसीटे ट के पर डीन व जल म बने वलयन
का वै युत अपघटन करने पर उसका वसमानुपातीकरण हो जाता ह तथा डाइमे थल मकर
ा त होता ह ।
CH 3 Hg[CH 3COO ]  CH 3 Hg   CH 3COO 
CH 3 Hg   e   CH 3 Hg
2CH 3 Hg  (CH 3 )2 Hg  Hg

11.2.4 मकर के डाइऐि कल व डाइऐ रल यौ गक (Dialkyl and Diary I compounds of


mercury)

[R2Hg]

11.2.5 बनाने क व धयाँ :

1. ी यार अ भकमक से -
HgX 2  2 RMgX  R2 Hg  2 MgX 2
HgX 2  2 LiR  R2 Hg  2 LiX
सो डयम अमलगम क ऐि कल व ऐ रल हैलाइड से अ भ या वारा –
जाइल न
2 Na  Hg  2 RX ⎯⎯⎯ R Hg  2 NaX
2

2. पौटे शयम साइनाइड क अ भ या से-


2 RHgX  2 KCN  R2 Hg  K 2 [ HgX 2 (CN )2 ]
3. काबऐ यू म नयम यौ गक क मकर हैलाइड से अ भ या वारा-
2 AIR3  3HgCl2  2 NaCl  3R2 Hg  2 NaAlCl4
4. कु छ मकर काब ि सलेट के वकाव ि सल करण से-
Hg (COOC6 H 5 )2  (C5 H5 )2 Hg  2CO2
5. सो डयम / थे लयम (I) साइ लोपे टाडाइ नल क अ भ या HgCl2 से कराने पर-
HgCl2  2TlC5 H 5  (C5 H 5 )2 Hg  2TlCl
6. RHgX का सो डयम वारा अपचयन कराने पर-
2RHg 2 RHgX  2 Na  R2 Hg  2 NaX  Hg

11.2.6 गुण (Properties)

1. अ धकांश डाइऐि कल यौ गक, एकलक (Monomer) अ व


ु ीय, वा पशील, रं गह न व
ह । (CH3)2,Hg,b.p 92 C,(C2H5)2 Hg,b.p. 159 C
0 0

2. ये अ य धक वषैले होते ह ।
3. ये जल तथा वायु से अ भा वत रहते ह ।
4. अ धकार म इन यौ गक को ल बे समय तक रखा जा सकता ह ।

159
डाइऐि कल / डाइऐ रल मकर क कुछ मुख अ भ याऐं न न ल खत ह ।
R2 Hg  2 Na  2 NaR  Hg
R2 Hg  Ca  CaR2  Hg
3 Ar2 Hg  2 Al  [ Al ( Ar )3 ]2  3Hg
3HgR2  2Ga  (GaR3 )2  3Hg
R2 Hg  Zn  ZnR2  Hg

11.2.7 काब-मकर यौ गक क संरचना (Structure of Organomercury compounds)

सभी RHgx व R2Hg यौ गक रे खीय होते ह । इन यौ गक म Hg क संकरण अव था sp


होती ह । रे खीय बने रहने के लए ये बहु ल कृ त भी हो जाते ह । उदाहरणाथ 0-फे नलमकर
िजसे पूव म वलक (Dimer) माना जाता था । ( च -अ) यह वा तव म एक च य लक
( च -ब) ह ।

इसी कार 2,2' बाइफे नल मकर क मू ल प म संरचना (स) मानी जाती थी । पर तु बाद
म ात हु आ क इसक सह संरचना म यह चतु टय (द) है, िजसम 1800 का बंध कोण संभव
है ।

160
ऐि कल मकर एलकॉ साइड लक (Trimer) के प म पाया जाता ह तथा इसक च य
संरचना होती ह ।

11.3 टन के ऐि कल व ऐ रल यु प न (Alkyl and Aryl Derivatives


of Tin) :
टन के काबधाि वक यौ गक म बहु त से यौ गक का औधो गक मह व ह । टन के काबधाि वक
यौ गक म टन क ऑ सीकरण अव था +2 या +4 होती ह । Sn(II) के काबधाि वक यौ गक
सामा यत: अ थाई होते ह । य य प Sn(IV) के ऐि कल व ऐ रल यु प न थाई होते ह
। Sn(II) के काबधाि वक यौ गक म ( (C6 H 5 ) 2 Sb तथा ( (C5 H 5 )2 Sn मु ख ह ।

11.3.1 टन (II) के ऐि कल व ऐ रल यु प न (Alkyls and Aryls of tin (II)):

11.3.1 बनाने क व धयाँ :


1. (C5 H 5 ) Na क SnCl2 के साथ अ भ या वारा ( (C5 H 5 )2 Sn बनाता है ।
2(C5 H 5 ) Na  SnCl2  (C5 H 5 )2 Sn  2 NaCl
2. टन (II) लोराइड एवं LiCH (SiME3)2 क अभ या ईथर मे करने पर
Sn[CH(SiMe3)2]2 बनाता है ।

3. टन (II) लोराइड तथा फे नल मैि न शयम ोमाइड क अ भ या ईथर मे करने पर


डाइफे नल टन बनाता है ।
SnCl2  2(C6 H 5 ) MgBr  (C6 H 5 )2 Sn  MgCl2  MgBr2
4. R2SnX2 का वहैलोजनीकरण काब नक वलयक मे ार धातु से कराने पर R2Sn
बनाता है ।
R2 SnX 2  2 Na  R2 Sn  2 NaX

11.3.3 गुण (Properties)

1. ये यौ गक वायु म अ त याशील होते ह । अत: इन यौ गक को काश से बचाकर अ य


वातावरण म ह काम म लेना चा हये ।

161
2(C6 H 5 ) 2 Sn  O2 (वायु)  2(C6 H 5 ) 2 SnO
2. ऐ थल ोमाइड (C6 H 5 )2 Sn के साथ या करके एक योगशील यौ गक बनाता ह ।
इस अ भ या म Sn(II) का Sn(IV) म प रवतन हो जाता ह ।
(C6 H 5 ) 2 Sn  (C2 H 5 ) Br  (C6 H5 )2 (C2 H 5 ) SnBr

11.3.4 संरचना (Structure)

गैसीय अव था म (C5 H 5 ) Sn क संरचना कोणीय से ड वच (sandwich) अणु के समान


होती ह । ( च व 11.1)

च 11.1: (C5 H 5 ) Sn क कोणीय तथा से ड वच संरचना


Sn CH  SiMe3  2  क टल य संरचना इसक वलक कृ त को दशाती ह । येक
2

अणु के टन के परमाणु का एकल यु म दूसरे अणु परमाणु क क संयु त एक झु का हु आ


बंध (Bent Bond) बनाता ह तथा येक टन परमाणु sp2, संक रत होता ह ।

च 11.2 : टल य संरचना

11.3.5 टन (IV) के ऐि कल व ऐ रल यु प न (Alkyls and Aryls of Tin (IV)):

टन (IV) अ धक सं या म काबधाि वक यौ गक बनाता ह, जैसे R4Sn, R3SnX, R2SnX2,


और RSnX3 । ये सहसंयोजक यौ गक होते ह और काब नक वलायक म वलयशील होते
ह ।

11.3.6 बनाने क व धयां :

1. ये सामा यत: ी यार अ भकमक और टन टे ा लोराइड क अ भ या वारा बनाये


जाते ह ।

162
SnCl4  4 LiCH 3  Sn(CH 3 ) 4  4 LiCl
SnCl4  4CH 3 MgCl  Sn(CH 3 )4  4MgCl2
2. सो डयम तथा सो डयम टन म धातुओं क या से -
SnCl4  4 Na  4CH 3Cl  Sn(CH 3 ) 4  4 NaCl2
4 Na  Sn  4CH3 Br  Sn(CH 3 )4  4 NaBr  3Sn
3. काब-मकर व काब-िजंक यौ गक क या से-
SnCl2  R2 Hg  R2 SnCl2  Hg
SnCl4  2 R2 Zn  R4 Sn  2ZnCl2
SnCl2  (CH 3 )2 Hg  (CH 3 ) 2 SnCl2  Hg
SnCl4  2(C2 H 5 )2 Zn  (C6 H 5 )2 Sn  2ZnCl2
4. डाइऐजोमेथेन क टन (IV) लोराइड क या से -
4CH 2 N 2  SnCl4  Sn(ClCH 2 )4  4 N 2
5. ऐि कल हैलाइड और टन क या से-
1750 C
6CH 3Cl  3Sn 
 CH 3 SnCl3  (CH 3 ) 2 SnCl  (CH 3 ) 2 SnCl
6. ाइऐि कल ए यू म नयम क टन (IV) लोराइड क या से
4(CH3 )3 Al  3SnCl4  3Sn(CH 3 )4  4 AlCl3
7. R4Sn तथा SnX4 के म य व नमय अ भ या वारा -
अ भकमक का यथो चत अनुपात एवं अ भ या तब ध पर सतकता पूण नयं ण के वारा
टे ाऐि कल टन (या टे ाऐ रल टन) और टै नक लोराइड से मोनो, डाइ व ाइऐि कल
का बनाना स भव हो जाता ह ।
SnCl4 SnCl4 SnCl4
R2 Sn 
200 C
 R3 SnCl 
1800
 R2 SnCl2   RSnCl3

11.3.7 गुण (Properties)

1. टे ाऐि कल टन रं गह न व होते ह ।
2. इन यौ गक के बंध क सहसंयोजक कृ त होती ह, ये जल म अ वलेय पर तु
काब नक वलायक म वलेय होते ह।
3. ये वायु म द अ ल व ार म थाई होते ह ।
4. ये उ च धन व युती धातु ओं के हैलाइड से अ भ या करके दूसरे काबधाि वक यौ गक
बनाते ह ।
(C2 H 5 )4 Sn  InCl3  (C2 H 5 )3 SnCl  C2 H5 InCl2
5. हैलोजन या हाइ ोजन हैलाइड क अ भ या से ऐि कल समू ह हैलोजन परमाणु के
वारा त था पत हो जाता ह।
(C2 H 5 )4 Sn  Br2  (C2 H 5 )3 SnBr  C2 H5 Br
(C2 H 5 )4 Sn  HCl  (C2 H 5 )3 SnCl  C2 H 6

163
6. उपयु त अ भकमक से अ भ या करने पर इनके हैलोजन परमाणु का काब नक समूह
से त थापन हो जाता ह ।
R3 SnCl  NaMn(CO)5  R3 SnMn(CO)5  NaCl

11.3.8 संरचना (structure)

टे ाऐि कल तथा टे ाऐ रल टन सरल चतु फलक य यौ गक होते ह , ले कन काब- टनहैलाइड


वषेशत: लु ओराइड, बहु लक यौ गक ह, िजनम अ तराअ णवक बंधन के कारण टन पांच
या छ: यु म यु त होता ह ।
उदाहरणाथ: (CH3)3, SnF च 11.3 म (CH3)3,Sn समूह
-
लोर न परमाणु से संल न
होकर बहु लक खृं ला बनाते ह, िजनम टन पांच बंध यु त होता ह ।

च 11.3 : (CH3)3, SnF क संरचना


(CH3)3, SnF , (डाइमे थल टन डाइ लुओराइड) ( च 11.4) के टल म टन
अ ठफलक य (octahedral) होता ह तथा (SnF2)n समतल म ि थत टन के ऊपर तथा
नीचे मे थल समू ह वप ी व यास म होते ह । (SnF2)n समतल वयं टन-परमाणु एवं सेतु
बंधन लु ओर न के अन त व वम जाल का बना हु आ ह ।

च 11.4 (CH3)3, SnF2 क संरचना


(Ph2Sn)6 च 11.5 कार के यौ गक क च य संरचना होती ह, िजसम Sn6 एक कुस
सं पण (chair conformation) म होता ह । िजसम Sn-Sn बंध दूर धाि वक टन क
िजतनी होती ह ।

164
च 11.5 (Ph2SN)6 क संरचना

11.3.9 उपयोग (Uses) :

इन यौ गक का बहु त व तृत औधो गक मह व ह । इनके कुछ मु ख उपयोग न न ल खत


है-

1. टे ाऐि कल टन उ रे क के प म ऑ लफ न के बहु ल करण के काम म लए जाते


ह ।
2. ाइऐि कल टन का उपयोग अ पताल क व तु ओं जैसे क बल, त कया, इ या द
म थाई रोगाणु रोधक (Antiseptic) भाव दान करने म कया जाता ह । इस
काय के लए बस ाइ यू टल टन ऑ साइड [(C4H9)3Sn]2O का उपयोग करते
ह । यह व रे श को रं ग. करने के काम म लया जाता ह और उनको कई बार
धोने के प चात भी यह उनसे संल न रहता ह ।
3. टन के काबधाि वक यौ गक का उपयोग बीज को सुर त रखने म कया जाता
है ।
4. डाइऐि कल टन डाइहैलाइड का उपयोग बहु ल करण उ रे क, प रर क
(Preservatives) व थायीकार (stabilizers) के प म कया जाता है ।
5. पॉल वाइ नल लोराइड (PVC) लाि टक (Plastics) म एक थायीकार
(stabilizer) के प म उपयोग म लाया जाता है ।
6. सामा य ताप पर इनका उपयोग स लको स के व कनीकरण (vulcanization) को
सु र त रखने म कया जाता है।
7. बस ( ाइ यू टल टन) ऑ साइड का उपयोग कागज क मल म कया जाता है।

165
8. समु जल को दुगध मुता करने तथा लकड़ी के प रर ण म भी इनका उपयोग होता
है ।
9. फा फो रक अ ल के ए टर के नमाण म टे ा ऐि कल टन का योग उ ेरक के
प म कया जाता है ।
10. डाइवाइ नल टन ऑ साइड को एक क टाणु नाशक औष ध के प म यु त कया
जाता है ।

11.4 टाइटे नयम के ऐि कल व ऐ रल यु प न(Alkyl or Aryl


Derivatives of Titanium)
टाइटे नयम के काबधाि वक यौ गक का अ ययन सन ् 1952 से ार भ हु आ । सामा य
अव था म टाइटे नयम के वअंगी ऐि कल या ऐ रल यौ गक बनाना अ य त क ठन होता
है य क कमरे के ताप पर ये वखं डत हो जाते ह । कम ताप पर वलेय अव था म इन
यौ गक को बनाया जाता है ।
टाइटे नयम का सवा धक मह वपूण काबधाि वक यौ गक िजगलर-नाटा उ ेरक है जो
Al(C2H5)3+TiCl4 का म ण होता है । इसके अ त र त कुछ टाइटे नयम यौ गक नाइ ोजन
के ि थर करण (Nitrogen Fixation) म भी उपयोगी सा बत हु ए है ।

11.4.1 बनाने क व धयाँ :

1. ी यार अ भकमक, काबऐ यू म नयम तथा काब ल थयम अ भकमक क टाइटे नयम
हैलाइड से अ भ या म हैलोजन को काब नक समू ह से त था पत करके बनाया जा
सकता है ।
2TiCl 4  2 AlCl2 Me  2TiCl3 Me.2 AlCl3
TiCl 2(C5 H 5 )2  2 MeLi  TiMe2 (C5 H 5 )2
TiCl 4  4MeLi  TiMe  4 LiCl
2. टाइटे नयम के वच य पे टाडाइ नल यौ गक को न न कार से बनाया जा सकता
है ।
THF
2TiCl 4  2M (C5 H 5 ) 
250 C
(C5 H 5 ) 2 TiCl2  2MCl
(M=Na,Li,Tl)
Xylene
TiCl 4  (C5 H 5 )2 
1300 C
 2(C5 H 5 ) 2 TiCl3
2TiCl3  2(C5 H 5 ) 2  2(C5 H 5 )2 TiCl2  MgCl2
3. टाइटे नयम आइसो ोपॉ साइड तथा फे नल ल थयम क अ भ या से-
Ti(O Pr i )4  C6 H 5 Li  C6 H 5Ti (O Pr i )3
फे नल टाइटे नयम आइसो ोपॉ साइड

166
11.4.2 गुण (Properties):

1. टाइटे नयम के ऐि कल व ऐ रल यौ गक सामा य ताप पर अ थाई होते ह तथा ती ता से


वघ टत हो जाते ह ।
2. टाइटे नयम के साइ लो पे टाडाइ नल यु प न ऐि कल या ऐ रल यु प न क तुलना म
अ धक थायी होते है । इस लए इन यौ गक का व तृत अ ययन हु आ ह । ( (C5 H 5 )2 TiCl2
, (C5 H 5 ) TiCl3 , और (C5 H 5 )2 Ti कार के यौ गक ात ह ।
3. (C5 H5 )2 TiCl2 एक लाल टल य ठोस है जो अनेक टाइटे नयम यौ गक के सं लेषण
म ारि भक यौ गक के प म यु त होता ह । इसक कु छ अ भ याऐं न न ल खत ह-

11.4.3 संरचना (Structure) :

टाइटे नयम के व भ न यौ गक क संरचना न न कार होती ह (C5 H 5 )2 Ti ( च 11.6)


दो कार के वलक प म पाया जाता ह ।

च 11.6

167
च 11.7 (C5 H 5 )2 Ti म टाइटे नयम दो पे टाहै टो और दो मोनोहै टा वलय से जुड़ा रहता
ह ।

च 11.7
च 11.8 (C5 H5 )2 TiCl2 और C5H5TiCl3 चतु फलक य आकृ त के होते ह ।

च 11.8

11.4.4 उपयोग (Uses) :

1. TiCl4 व Et3Al का हाइ ोकाबन वलायक म बना वलयन सामा य ताप व दाब पर ऐ थल न
के बहु ल करण म उ रे क का काय करता ह । यह उ रे क िजं लर-नाटा उ रे क नाम से जाना
जाता ह । इसका उपयोग अ य ऐ क न के उ पेरण म भी होता ह तथा वम व श ट उ पाद
(Stereospecific Products) ा त होते ह ।

168
इस उ रे क म बना ऐि कल टाइटे नयम यौ गक ऐि कन के साथ  -संकुल बनाता है, जो
 -संकुल म बदल जाता ह और पुन: एक अ य ऐि कन से जुड़ जाता ह । इस कार इन
पद क पुनरावृि त म ऐ क न का बहु ल करण हो जाता है ।
2. टाइटे नयम के कुछ यौ गक वायुम डल म नाइ ोजन ि थर करण म काम आते है । जब
(C5H5)2 व C6H6Li के ईथर म बने वलयन क नाइ ोजन से या कराने पर उनका जल
अपघटन हो जाता है तथा अमो नया या ऐ क न बनती है ।

3.
संकुल को टै बे अ भकमक (Tebbe Reagent) कहते ह
।यह व टग अ भकमक (wittig Reagent) का वक प ह । टै बे अ भकमक (CH3)2AlCl
न कासन के बाद (C5H5)2Ti=CH2 दे ता है । जो मे थल न समू ह के थाना तरण म काम
आता है । यह अ भकमक ऐ टर को वनाइल ईथर म प रव तत करने के काम आता ह ।
िजसके लए व टग अ भकमक उपयु त नह ं ह ।

11.5 धातु-ऐ थ ल नक संकु ल (Metal – Ethylenic Complexes) :


सं मण धातु ऐं असंत ृ त काब नक अणु ओं (जैसे ऐ क न ) से संयु त होकर  बं धत
काबधाि वक संकुल बनाती है । इन संकुलो म ऐथीन अणु के C = C वबंध के दो 
-इले ॉन धातु परमाणु को दान कये जाते है । इन संकु ल म बंधन धातु काब नल के
समान होता है, वा तव म ये धातु काब नल म से काब नल समू ह के ऐ क न वारा
त थापन से ह बनाये जाते है । सामा यत: कम ऑ सीकरण अव था म धातु अ धक थायी
ए क न संकुल बनाती है तथा सड वक के भावी परमाणु सं या (ENA) नयम का पालन
करती है ।

169
पहला धातु ऐ थल न संकुल जाइस लवण (Ziese’s salt) K[PtCl3(C2H4)] सन ् 1830 म
बनाया गया था ।
सं मण धातु, संकुल म धातु व ऐ क न के म य न न कार का बंधन होता है ।

11.5.1 बनाने क व धयाँ

1. धातु यौ गक क ऐ क न से अ भ या-
Mn(CO)3 X  CH 2  CH 2  [ M (CO ) 3 (CH 2  CH 2 )]  X 
2. अपचायक ऐ क नीकरण- इन यौ गक म धातु का अपचयन एक ऋणा मक लगड (X-)
को एक उदासीन लगड (C2H4) वारा त था पत करने से होता है ।
Rh Cl3  2C2 H 4  [ Rh Cl (n  C2 H 4 ) 2 ]  2Cl 
III I 2

3. ऐि कल संकुल म से हाइ ाइड आयन के नकलने से-


L5 Fe  CH 2CH 3  Ph3C  BF4  L5 Fe[n 2  C2 H 4 ]  Ph3CH  BF4

11.5.2 गुण (Properties) :

1. उपसहसंयोजक बंधन (  व दोन कार के दान से बने) के कारण धातु ऐ क न संकुल


म पाये जाने वाले वबंध दुबल होते ह ।
2. धातु आयन के लए ऐ क न अणु बहु त ह अ छे इले ॉन-दाता लगै ड ह ।
3. धातु ऐ क न संकुल का था य व ऐ क न पर त था पत समू ह क सं या म वृ
के साथ घटता ह ।
CH 2  CH 2  PhCH  CH 2  Ph2C  CH 2  Ph2C  CH 2
4. धातु आयन के लए ऐ थल न एक म यम दाता लगै ड है तथा साइनाइड, तृतीयक
फा फाइन तथा उ च सा ता म हैलाइड एनाइन के वारा त था पत हो जाती है ।

11.5.3 मह वपूण अ भ याएं (Important Reactions) :

1. समांग उ रे ण अ भ याऐं िजनम धातु ऐ क न म यवत के प म बनते ह । बहु त सी


समांग उ रे ण अ भ याओं म धातु ऐ क न संकु ल म यवत के प म बनते ह ।

170
2. हाइ ोजनीकरण
PhCl ( PPh3 )3
RCH  CH 2  H 2 
250 C ,1atm
 R  CH 2  CH 3
ऐ कन ऐ केन
3. हाइ ोफॉ मल करण -
Co2 ( CI )8
R  CH  CH 2  CO  H 2 
1500 C ,100 atm
 R  CH 2  CH 2 CHO
ऐ कन ऐि डहाइड
4. काब सल करण
Ni ( CO )4
R  CH  CH 2  CO  ROH 
250 C ,200 atm
 R  CH 2  CH 2 COOR
5. ऐ क न का समावयवीकरण :
[ RhCl2 ( CO ) 2 ]
CH 3CH 2CH  CH 2  HCl
 CH 3  CH  CH  CH3
2 - यूट न
6. ऐ क न का व नमय –

7. ऐ क न का हाइ ो सलाइल करण '


Co2 ( CO )8
CH 2  CH 2  R2 SiH 
00 C ,1atm
 R3 SiCH 2CH 3

11.5.4 धातु ऐ क न संकुलो क ना भक नेह त थापन अ भ याऐं-

ये दो कार से होती ह
1. ना भक नेह वारा ऐ क न का त थापन ।
2. ना भक नेह वारा ऐ क न के अ त र त अ य लगै ड का त थापन ।

171
11.5.6 संरचना एवं बंधन (Structure and Bonding) :

सव थम 1951 म दे वार (Dewar) ने धातु ऐ क न संकुल म बंधन व उनक संरचना को


समझाया िजसका 1953 म चैट (Chatt) और डनकै सन (Duncanson) ने समथन कया।
धातु ऐ थ ल नक संकुल क इस अणु क क धारणा के अनुसार ऐ थल न के बंधी अणु धातु
के र त क क से अ त यापन कर - कार के बंध बनाते ह तथा धातु से भरे हु ए क क
ऐ थल न के र त वपर त बंधी आि वक क क से अ त यापन कर एक  -बंध बनाते

(C) Synergic (Cooperativ  and  ) Bonding


च 11.7The Bonding in [PtCl3 (C2H4)]- or [ Ag (C2H4)]-]
K+[ptCl3 (C2H4)]- संकुल का अणु आण वक संरचना न न कार ह । ( च 11.8)

172
च 11.8 Molecular Structure of
K+[PtCl3 (C2H4)]-

11.6 सारांश (Summary)


1. मकर के ऐि कल तथा ऐ रल यु प न सहसंयोजक होने के साथ वा पशील व होते
ह और अ य धक वषैले होते ह ।
2. इन यौ गक का उपयोग बीज को उपचा रत करने म तथा क टनाशी एवं फंगसनाशी
के प म कया जाता ह । इनका उपयोग वग I व II के साथ-साथ Al, Ga, Sn,
Pb, Bi, Se, Te, Zn, Cd, के काबधाि वक यौ गक बनाने म कया जाता ह ।
3. टन दो ऑ सीकरण अव थाओं Sn(II) तथा Sn(IV) म काबधाि वक यौ गक बनाते
ह । Sn(II) क अपे ा Sn(IV) के काबधाि वक यौ गक थाई होते ह ।
4. काब- टन यौ गक का उपयोग रोगाणु रोधक (Antiseptic) पी.वी.सी. (PVC), कृ ष
े (Agriculture) तथा पॉल टर (Polyesters) बनाने म होता ह ।
5. टाइटे नयम के काबधाि वक यौ गक क िजं लर-नाटा उ रे क मह वपूण ह । इसका
उपयोग ऐ क न के उ पेरण म कया जाता है ।
6. धातु ऐ क न संकु ल का उपयोग समांगी उ रे क के प म तथा काब नक सं लेशण

कया जाता है ।
7. धातु आयन के लए ऐ क न अणु बहु त अ छे इले ान-दाता लगड है।

11.7 श दावल (Glossary) :


1. एकलक (Monomer) : ऐसा रासाय नक यौ गक िजसम एक ह अणु हो।
2. वलक (Dimer) : ऐसे रासाय नक यौ गक िजसम दो एकलक इकाइयाँ
(अणु आपस म जु डी रहती ह ।
3. बहु ल करण : ऐसी या व ध िजसम एक से अ धक एकलक अणु
173
(Polymerisation) आपस म मलकर बहु लक अणु का नमाण करते ह।
4. सै ड वच अणु (Sandwich : ऐसा संकुल यौ गक िजसम सं मण त व का एक
Molecule) परमाणु, दो समाना तर ऐरोमै टक वलय (बे जीन) के
म य उपि थत हो ।
ं न (Bridging)
5. सेतु बध : दो धातु आयन को सेतु बंध करने वाले लगे ड को सेतु
बंधन कहते ह ।
6. अ टफलक य संरचना : िजसम के य परमाणु छ: लगे ड से घरा रहता ह।
(Octahedral Structure)
7. सम वय सं या : संकुल यौ गक म एक धातु आयन से उपसहसंयोजक
(Coordination Number) बंध वारा जु डे लगे ड क सं या उस धातु क
सम वय सं या कहलाती ह।

11.8 संदभ ंथ (Reference Books) :


1. Organometallic Chemistry : R.C. Mehrotra and A. Singh, New
Age International
2. The Organometallic Chemistry : R.H. Crabtree, John Wiley
of The Transition Metal
3. Metallo Organic Chemistry : A.J. Pearson, Wiley

11.9 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. मकर के काबधाि वक यौ गक के चार उपयोग ल खये ।
2. न न यौ गक के संरचना सू ल खये-
1. डाइऐि कल मकर
2. डाइमे थल टन डाइ लुओराइड
3. काब-टाइटे नयम यौ गक बनाने क एक व ध ल खये ।
4. धातु ऐ थ ल नक संकु ल म कस कार का बंध पाया जाता है ।
5. धातु ऐ थ ल नक संकु ल यौ गक के तीन उपयोग ल खये ।
6. न न काबधाि वक यौ गक के आई.यू.पी.ए.सी. (IUPAC) नाम ल खये ।
1. (CH3)2SnBr
2. (CH3)3SnBr
3. (C6H5)2Hg
4. CH3SnCl3

174
इकाई- 12
काबधाि वक रसायन –III
(Organometallic Chemistry-III)
इकाई क प रे खा
12.0 उ े य
12.1 तावना
12.2 समांग हाइ ोजनीकरण
12.3 धातु काब नल
12.4 एक ना भक य काब नल यौ गक - नकल टे ाकाब नल
12.5 एक ना भक य काब नल यौ गक - आयरन पे टाकाब नल
12.6 एक ना भक य काब नल यौ गक - ो मयम है साकाब नल
12.7 सारांश
12.8 श दावल
12.9 संदभ थ

12.10 अ यासाथ न

12.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात आप समझ सकगे क-
 काबधाि वक रसायन म समांग हाइ ोजनीकरण या होता ह तथा इसक या व ध या
है ।
 समांग हाइ ोजनीकरण म कस कार के उ रे क काम म लये जाते है ।
 एक ना भक य धातु काब नल या होते है?
 इनके गुण , संरचना तथा बंधन क कृ त कैसी होती है? धातु काब नल या तथा कतने
कार के होते है?
 धातु काब नल कतने कार क रासाय नक अ भ याऐं दशाते है?

12.1 तावना (Introduction)


आप जानते है क समांग हाइ ोजनीकरण म C=C बंध का वरणा मक अपचयन होता है ।
ऐ क न के समांग हाइ ोजनीकरण का व तार असम मत सं लेषण तथा बहु ल करण उ रे क
क उपि थ त म कया जाता है ।
धातु काब नल का उपयोग धाि वक चूण तथा दपण बनाने म होता ह । Fe(CO)5 आयरन
पे टाकाब नल को अप फ टरोधी (Antiknocking) के प म काम म लया जाता है । अनेक
अभ याओं म इनका समांग उ रे क के प म उपयोग होता है ।

175
12.2 समांग हाइ ोजनीकरण (Homogenous Hydrogenation) :
समांग हाइ ोजनीकरण के लए सबसे यादा उपयु त उ रे क वि क सन उ रे क
(Wilkinson’s Catalyst) ह । यह एक सं मण धातु रो डयम (Rhodium) का संकु ल ह
। इसका नाम स ाईफे नल फा फ न) रो डयम (I) लोराइड ह । इसक संरचना न न है-

वि क सन उ रे क
(यहाँ Ph3P ाइफे नल फा फ न ह ।)
पहले उ रे क को वलायक म घोल लया जाता ह । फर ऐ क न व हाइ ोजन गैस के म ण
को इसम से वा हत कया जाता है। तब ऐ केन बनती ह । उ रे क बचा रहता ह । अ भ या
न न कार से होती है-

यह एक उ मणीय अ भ या है, जो वलायक तथा Ph3P के अणुओं क अदला बदल से


होती है ।
हाइ ोजन संकुल

इस पद म हाइ ोजन अणु का H-H बंध टू ट कर दो हाइ ोजन परमाणु बनते है । जो रो डयम
परमाणु से अलग-अलग जु ड़ जाते है और रो डयम (I) आ सीकृ त होकर रो डयम (III) म बदल
जाता है । अगले पद म डाइहाइ ो संकुल से ऐ क न अणु या करके एक  -संकुल बना
लेता ह। वलायक के अणु को व था पत करके)

176
 -संकुल म दोन अ भकमक (ऐ क न व हाइ ोजन) रो डयम से जु डे ह । अब एक-एक करके
दोनो हाइ ोजन परमाणु ऐ क न पर थाना त रत हो जाते है । यह या दो अलग-अलग
चरण म होती ह । पहले वबंध का एक काबन रो डयम से व दूसरा काबन एक हाइ ोजन
से  बंधो वारा जु ड़ता है ।

दूसरे चरण म दूसरा हाइ ोजन परमाणु जो अभी भी रो डयम धातु से जु ड़ा है, थाना त रत
होकर ऐ क न के काबन से जाकर जु ड़ जाता ह और ऐलकेन बन जाते है । उ रे क पूववत ्
बचा रहता है ।
हाइ ोजनीकरण क या म समांग उ रे क का काय करने वाले अ य सं मण धातु ओं के
संकुल आयन
[RhH(CO)PPh3)2],[IrCl(Co)PPh3)2],[RuHCl(PPh3)3],RuH(CI)(CO)(PPh3)]
और [PtH(SnCl3)PPh3)2] है ।
ऐ कन के समांग हाइ ोजनीकरण का व तार असम मत सं लेषण (Asymmetric
Synthesis) तथा बहु ल करण उ रक
े (Polymer Supported Catalysis) म कया
जाता है ।

12.3 धातु काब नल (Metal Cabonyls) :


काबन मोनो साइड (CO) का एक मह वपूण गुण इसक सं मण धातु ओं के त दाता लगड
(Ligand) के प म अभ या करने क मता ह । िजससे वअंगी (Binary) यौ गक
बनते ह । जो काब नल कहलाते ह ।
सम त काब नल म काबन परमाणु के वारा CO समू ह धातु से बंधे होते ह । काब नल
इस लए अ वतीय ह । य क इसम धातु के परमाणु शू य ऑ सीकरण अव था म होते ह।

12.3.1 धातुकाब नल का वग करण (Classification of Metal Cabonyls) :

धातु ओं म परमाणु ओं क सं या के आधार पर काब नल का वग करण कया जाता है ।


1. एक ना भक य धातु काब नल (Mono Nuclear metal Carbonyls) : इन
यौ गक म येक अणु म एक धातु परमाणु होता है । इ ह M(CO)x सू से द शत
कया जा सकता ह । इन यौ गक क संरचना चतु फलक य [Ni (CO)4] कोणीय
व परा मडीय [Fe(CO)3] अ ठफलक य [Cr(CO)6] हो सकती है ।

177
मश: sp3,dsp3,d sp
2 3
इनम संकरण होता है । लगभग सभी धातु काब नल
तचु बक य कृ त के होते है । इसम V(CO)6 एक अपवाद है ।
2. वना भक य धातु काब नल (Binuclear Metal Carbonyls) : िजन धातु
काब नल म दो धातु परमाणु होते ह । उ ह वना भक य धातु काब नल कहते है
। सामा यत: इनक सेतु संरचना होती है ।
उदाहरण –Mn2 (CO)10 और Fe2(CO)9
3. बहु ना भक य धातु काब नल (Polynuclear Metal Carbonyls) : इन धातु
काब नल म तीन या अ धक धातु परमाणु होते ह । इनक संरचना रे खीय या च य
(Cyclic) होती ह ।Os3 (CO)12 क च य संरचना होती ह।

12.3.2 बनाने क व धयां

1. धातु ओं व काबन मोनो साइडो के सीधे संयोग वारा :


RoomTemperature
Ni  4CO  Ni(CO )4
Atmosheric Pr essvre
0
200 C
FE  5CO 
1000 Atm
 Fe(CO)5
Pr essvir
W  6CO 
Heat
W (CO)6
Pr essvre
MO  6CO 
Heat
MO(CO)6
Pr essvre
2CO  8CO 
Heat
CO2 (CO )8
2. कसी उपयु त अपचायक के उपयोग से : धातु लवण का कसी अपचायक जैसे ईथर
म ाईऐ थल ए यू म नयम, पर डन म िजंक और मै नी शयम पाउडर, डाइ लाइम
म सो डयम, ल थयम ऐ यू म नयम हाइ ाइड, हाइ ोजन के साथ ऐ यू म नयम या
क पर आ द से अपचयन कर धातु काब नल ा त होते ह ।
0
100 C 150 atm
VCI3  3 Na  6Co 
diglyme
 V (CO)6  3NaCI
0
115 C ,70 atm
CrCI 3  6CO  LiAIH 4 ether
 Cr (CO)6  LicI  AlCl3
0
175 C ,250 atm
RuI 3  5CO  3 Ag Heat
 Ru (CO )5  3 AgI
3. धातु आ साइड पर CO क अ भ या से :
2500 C ,200 atm
Re 2 O7  17CO 
 Re 2 (CO )10  7CO2
1000 C ,500 atm
OSO4  10CO   Os (CO)6  4CO2
4. धातु के लवण पर दूसर धातु के काब नल क अ भ या :
2MoCI 5  5 Fe(CO)5  2Mo(CO )6  5FeCI 2  13CO
0
200 C ,200 atm
2Mn( PhCO) 2 THE
 Mn2 (CO )10  4 Ph2CO
5. ऊ मीय या काश वघटन से : साधारण काब नल के ऊ मीय या काश रासाय नक
वघटन से बहु ना भक य धातु काब नल ा त होते है ।

178
UVLight
2 Fe(CO)5  Fe 2(CO)9  CO
2 Fe2 (CO )9  Fe3 (CO )12  Fe(CO)5  CO

12.3.3 गुण (Properties) :'

1. सामा यत: ये यौ गक जल म अ वलेय तथा काब नक वलायक म वलेय होते ह । वायु


के स पक म आने पर इसका ऑ सीकरण हो जाता है ।
2. लगभग सभी एक ना भक य काब नल रं गह न होते है । V(CO)6 अपवाद ह । इसका रं ग
काला होता है ।
3. Fe(CO)5, RU(CO)5, Os(CO)5 तथा Ni(CO)4 व होते ह । जब क अ य धातु के
काब नल ठोस होते है।
4. सभी धातु काब नल सहसंयोजक कृ त के होते है । अत: तचु बक य होते ह । केवल
V(CO)6 अनुचु बक य कृ त का होता है । इसम एक अयुि मत इले ॉन यु म होता
है ।
5. काबन मोनो साइड सामा यत: दुबल लु ईस बेस होता ह । ले कन काब नल यौ गक म
काफ बल बंध होता ह ।
6. लगभग सभी काब नल यौ गक भावी परमाणु मांक नयम (Effective Atomic
Number Rule) अथवा 18 इले ॉन नयम का पालन करते ह ।
7. अ य दाता समू ह , जैसे पर डीन तथा ाइ ऐि कल फॉ फ न, PR3 के साथ अ भ या
करने पर काब नल म CO का त थापन हो जाता है ।
Mo(CO )6  3Py  Mo(CO )3 ( Py ) 3  3CO
Fe(CO)5  2 P R3  Fe(CO )3 (P R3 ) 2  2CO
Ni (CO) 4  2 Py  Ni (CO) 2 ( py ) 2  2CO
8. हैलोजन क अ भ या से कु छ काब नल यौ गक काब नल हैलाइड बनाते ह ।
Fe(CO )5  I 2  Fe(CO) 4  CO
Mn2(CO )10  Br 2  2 Mn(CO) 5 Br
2MO(CO ) 6  2CI 2  [ MO (CO) 4 CI 2 ]2  4CO
9. ार य वलयन म ये यौ गक काब नल हाइ ाइड बनाते ह ।
Fe(CO) 5  3OH   HFe(CO )  4  CO32   H 2O
10. ार य धातु, ार य धातु अमलगम अथवा बोर -हाइ ाइड वारा काब नल यौ गक के
अपचयन से ऋणायन बनते ह ।
Na / Hg
CO2 (CO )8   2 Na[Co(Co) 4 ]
Na / Hg
Mn2 (CO )10   2 Na[ Mn(Co)5 ]
Na / Hg
2Cr (CO )6   Na2 [Cr2 (Cr2 (CO)10 ]  2CO

179
12.3.4 धातु काब नल म M-CO बंधन : काबन मोनो साइड क संरचना म काबन परमाणु के पास
इले ॉ स का एक एकल यु म है । इसका धातु काब नल म धातु परमाणु से बंध बनाने म
उपयोग कया जा सकता है।

काबन परमाणु से एक इले ॉन यु म लेकर CO अणु धातु परमाणु से संयोग कर सकता


है । यह न न कार से संभव हो सकता है ।
 

M C  O : M C  O
 

(a) (b)
1. M  CO बंधन वारा ( च -a) : इस कार के बंधन म CO के काबन का एक इले ान
यु म धातु परमाणु के र त संक रत क क के साथ  बंध बनाता है ।
2. एक वबंध बनाकर M=CO ब धन वारा ( च b) : इस कार बंधन म CO के काबन
का एक इले ॉन धातु के संक रत क क के साथ  बंध बनाता है तथा काबन का
दूसरा इले ॉन धातु के असंक रत क क के साथ  -बंध बनाता है ।
3. दो भ न धातु परमाणुओं से काबन परमाणु के बंधन वारा ( च c) : दो धातु परमाणु ओं
से जु ड़ा काब नल समू ह सेतु (Bridge) कहलाता ह और जब काब नल समू ह केवल एक
धातु परमाणु से जुड़ा होता है तब यह ट मनल काब नल समू ह कहलाता है ।
धातु काब नल म पहले भरे हु ए काबन  -क क से दाता (Dative) अ त यापन (M

  C  O ) होता ह ।
( च 12.3.4 (a)) । इसके प चात धातु क क के भरे हु ए d  का CO अणु के र त
वपर त बंधी p  ’ क क से दाता अ त यापन होता ह तथा फल व प d  -p  बंध
(M 
(O) ) बनता ह । ( च 12.3.4 (b))

काबन वारा धातु को इले ॉन दे ने से CO धनीय हो जाता है । इस कार CO से P 


’ क क के ाह साम य म वृ होती है । इसके साथ ह CO म p ' क क के धातु
इले ॉ स के अनुगमन से कु ल मलाकर CO ऋणीय हो जाता है और इसक भाि मकता

180
म वृ होती है । अत:  -बंधन से  -बंधन ढ़ होता ह और  -बंधन से  -बंधन ढ़
होता है ।  -ब धन क इस या व ध को सनरिजक (Synergic पर पर काय करना)
काय व ध कहते ह ।

12.3.5 धातु काब नल क संरचना व M-CO बंधन क कृ त

(Structure of Metal Carbonyls and Nature of M-CO Bonding)

1. भावी परमाणु सं या का नयम (Effective Atomic Number Rule) या EAN का


नयम सं मण धातु ओं के आयन अथवा परमाणु कसी दाता अणु ओं वारा इतने इले ॉन
यु म को हण करते ह क उनक भावी परमाणु सं या का मान नकटतम उ कृ ट गैस
जैसा हो जाता है । इसे (EAN Rule) भावी परमाणु संरचना का नयम कहा जाता ह
सं मण धातु परमाणु के घेरे म कु ल कतने इले ॉन का आवेश घन व है यह सं या उसक
भावी परमाणु सं या कहलाती ह और इसे प रक लत करने के लए उस धातु परमाणु अथवा
आयन के इले ॉन क सं या म उपसहसंयोजक बंध वारा हण कये गए इले ॉनो को
जोड दे ते ह । धातु काब नल बनने म एक CO अणु इले ॉन का एक यु म के य धातु
परमाणु को दे कर एक उपसहसंयोजक बंध बनाता है । एक के य धातु परमाणु CO अणुओं
वारा इतने इले ॉन यु म को हण करता है क उसक भावी परमाणु सं या उसके
नकटतम उ कृ ट गैस के बराबर हो जाए । इस कार ये धातु, संकुल या उपसहसंयोजक
यौ गक क भां त EAN नयम का पालन करते हु ए काब नल यौ गक बनते ह । इसक
पुि ट के लए हम कुछ उदाहरण सारणी-1 म दे रहे ह ।
धाि वक COसे हण के य धातु के य धातु क नकटतम
काब नल कए इले ॉन क परमाणु भावी परमाणु उ कृ ट गैस
क सं या सं या सं या (EAN) (उसक परमाणु
सं या)
Ni(CO)4 4x2=8 28 8+28=36 Kr (36)
Fe(CO)5 5x2=10 26 10+26=36 Kr (36)
Cr(CO)6 6x2=12 24 12+24=36 Kr (36)
Mo(CO)6 6x2=12 42 12+42=54 Xe (54)
Ru(CO)5 5x2=10 44 10+44=54 Xe (54)
W(CO)6 6x2=12 74 12+74=86 Rn (86)
बहु ना भक य धातु काब नल म त धातु परमाणु EAN का प रकलन कया जाता ह।
उदाहरणत: Fe2(CO)9 म
1. Fe क परमाणु सं या = 26
9 9 2
2. CO अणुओं से ा त इले ॉन  9
2 2
3. Fe-Fe बंध के कारण येक परमाणु के पास 1-1 इले ॉन क वृ होगी ।

181
येक Fe का EAN = 26 + 9 + 1 = 36=kr
इस कार भावी ना भक य आवेश या भावी परमाि वक सं या के आधार पर तय होता है
क के य धातु परमाणु कतने CO अणु ओं के साथ उपसहसंयोजक बंध बनाएगा । ले कन
यह नयम केवल उन धातु ओं के काब नल पर लागू होता ह िजनके परमाणु मांक का मान
कोई सम सं या हो जैसा क उपयु त उदाहरण से प ट है । CO का एक अणु इले ॉन
का एक यु म धातु परमाणु को दे ता है । अत: धातु परमाणु के साथ चाहे िजतने CO अणु
उपसहसंयोजक बंध बनाए, उनके वारा दये गये इले ॉन क सं या सम ह होगी ।
सम त उ कृ ट गैस के परमाणु मांक के मान भी सम सं या म होते ह । वभा वक ह
क ऐसी ि थ त म इस नयम का पालन करने के लए परमाणु क परमाणु सं या का मान
कोई सम सं या ह होनी चा हए ।
2. 18-इले ोन नयम (Electron Rule) : इस नयम के अनुसार काब नल बनाते समय
सं मण धातु आयन CO अणु ओं वारा इतने इले ॉन को हण करते ह क उनके बा यतम
संयोजकता इले ॉन [n व (n-1d] इले ॉन क कुल सं या 18 हो जाए । उदा. Fe(CO)5
म Fe(26) का इले ॉ नक व यास है, IS2,2S2,2P6,3S2d6-d64S2 ह । अथात ् बा यतम
संयोजकता कोष के इले ॉन क सं या ह- 8 तथा 5, CO समू ह से उपसहसंयोजक बंध
वारा ये 10 इले ॉन हण करते ह ।
अत: इनके बा यतम संयोजकता कोष म उपि थत इले ॉन क कुल सं या है = 8 +10
=18

12.4 एक ना भक य काब नल यौ गक (Mononuclear Carbonyl


Compound)
नकल टे ाकाब नल Ni(CO)4

12.4.1 बनाने क व धयां :

1. नकल चू ण पर 600C पर CO गैस वा हत करके :


600 C
Ni  4CO 
 Ni (CO) 4
2. NiS या Ni(CN)2 के ार य वलयन म CO गैस वा हत करके :
NiS  4CO 
 Ni (CO ) 4  S
3. नकल (II) फे नल डाइथायोकाबामेट पर काबन मोनो साइड क या वारा :
Ni ( S .SCNHC6 H 5 ) 2  4CO 
 Ni (CO ) 4  Ni (SSCNHC6 H 5 ) 4
4. कसी हैलोजन ाह क उपि थ त म Nil2 क या CO से कराने पर :
NiI 2  4CO  2Cu 
 Ni (CO ) 4  Cu 2 I 2

12.4.2 गुण (Properties) :

1. भौ तक गुण (Physical Properties) :

182
1. यह एक रं गह न व ह । m.p. = 25 C,dp=43 C
0 0

2. यह तचु बक य होता ह ।
3. यह जल म अ वलेय तथा बे जीन म वलेय होता ह ।
4. यह अ य त वषैला होता ह ।
2. रासाय नक गुण (Chemical Decomposition) :

12.4.3 संरचना (Structure)

नकल टे ाकाब नल म के य धातु परमाणु नकल क आ सीकरण अव था शू य होती है


और sp3 संकरण वारा यह Ni(CO)4 क चतु फलक य संरचना बनाता है ।
Ni (28) का इले

ॉ नक व यास

Ni० (28) का e व यास (उ तेिजत


अव था म)

Ni० (28) म e व यास (sp3


संक रत चतु फलक य संरचना

(Ni(CO4) का क क आरे ख)
अत: इसक आकृ त को न न च वारा द शत कया जा सकता है ।
183
12.4.4 उपयोग (Uses) :

1. न कल के धातु कम म मा ड व ध वारा न कल ा त करने म इसका उपयोग होता


ह ।
2. गैस ले टग म इसका उपयोग होता ह ।
3. इसे उ ेरक के प म भी यु त कया जाता है ।

12.5 एक ना भक य काब नल यौ गक (Mononuclear Carbonyl


Compound) :
आयरन पे टाकाब नलFe(CO)3

12.5.1 बनाने क व धयाँ :

1. सीधे संयोग से :

Fe+5CO 200 C0

100 atm
 Fe(CO )5

2. कॉपर क उपि थ त म FeI2 या FeS पर काबनमोनो साइड वा हत करने पर :


0
200 C
FeI 2  5CO  2Cu 
200 atm
 Fe(CO )5  Cu2 I 2

12.5.2 गुण (Properties) :

1. भौ तक गुण :
1. यह पीले रं ग का व होता है । जल म अ वलेय तथा काब नक वलायक म वलेय होता
2. यह अ य धक वषैला होता ह ।
3. इसका गलनांक -20OC तथा वथनांक 1030C होता है ।
4. यह तचु ंबक य कृ त का होता है ।
2. रासाय नक गुण (Chemical Properties) :

184
12.5.3 संरचना (Structure) : आयरन पे टाकाब नल म आयरन परमाणु dsp3 संक रत ह तथा
इसके पास दो र त क क है और तीन अ भरे क क है । आयरन परमाणु से दो CO

185
अणु उपसहसंयोजक बंध वारा तथा तीन CO अणु वबंध वारा जु ड़कर कोणीय
व परा मडीय संरचना बनाते है। ( च अ,ब)
Fe[26] : Is , 2s 2p ,3s 3p 3d6,4s2
2 2 6 2 6

आ य अव था Fe atom
(Ground State)

उ तेिजत अव था Fe atom
(Excited State)

Fe atom in Fe (CO)5

[(ब) (Fe(CO)5 क क क आरे ख]

[(ब) (Fe(CO)5 क बंध संरचना]

12.6 एक ना भक य काब नल यौ गक (Mononuclear Carbonyl


Compound) :
ो मयम हे साकाब नल Cr(CO)6

12.6.1 बनाने क व धयां :

1. LiAIH4 अपचायक क उपि थ त म CrCl3 क अ भ या से

186
0
175
CrCI 3  CO  LiAIH 4 
700 atm
 Cr (CO )6  LiCI  AICI 3
2. CrCl3 क या CO से ईथर म फे नल मै नी शयम ोमाइड क उपि थ त म कराने
पर
PhMgBr
CrCI 3  6CO   Cr (CO ) 6

12.6.2 गुण (Properties) :

1. भौ तक गुण (Physical Properties) :


1. यह रं गह न टल य ठोस ह ।
2. यह ईथर, लोरोफाम, CCl4 व बे जीन म वलेय ह ।
3. यह तचु बक य होता ह ।
2. रासाय नक गुण (Chemical Properties) : Cr(CO)6 रसायन के त उदासीनता
द शत करता ह तथा वायु, तनु, सा H2SO4 HCI तथा ठं डे तनु ार से या नह ं
करता ह ।

12.6.3 संरचना (Structure) :

शू य ऑ सीकरण अव था म d sp
2 3
संकरण वारा ो मयम परमाणु अ ठफलक य
Cr(CO)6 अणु क संरचना करता है । ( च अ,ब)

187
Cr०(24) का इले ॉ नक
व यास ( न नतम ऊजा
अव था म)

Cr०(24) का इले ॉ नक
व यास (उ तेिजत अव था म)

Cr०(24) का इले ॉ नक
व यास

[(अ) (Cr(CO)6) का क क आरे ख]

[(ब) (Cr(CO)6) क बंध संरचना]

12.6.4 धातु काब नल के उपयोग (Uses of Metal Carbonyls)

1. ये धाि वक चूण बनाने म उपयोगी ह । इनसे शु धातु ा त कये जा सकते ह । (मा ड


क वध वारा नकल)
2. इनसे धातु के दपण, नकल तथा ो मयम क ले स बनाई जाती ह ।
3. मोटर के ईधन म Fe(CO)5 मलाया जाता ह । जहाँ से अप फोटरोधी (Anti- Knock)
के प म काय करते ह ।
4. अनेक सं लेषण अ भ याओं म समांग उ रे क (Homogenous Catalyst) के प
म उपयोग कया जाता है ।

12.7 सारांश (Summary) :


 वगसमतल य ऐ थल न संकुल, हाइ ोजनीकरण म समांग उ रे क क भां त यवहार
द शत करते ह । हाइ ोजनीकरण क अ भ या के लए सबसे पहले खोजा गया भावी
समांग उ रे क वि क सन उ रे क [RhCl (PPh3)3 है । यह एक रो डयम का संकुल
है ।

188
 धातु तथा काबनमोनो साइड के यौ गक को धाि वक काब नल कहा जाता है । CO अणु
[C  O] एक उ तम लगे ड क भां त यवहार करता है और अ धकांश सं मण धातुओं
के साथ उपसहसंयोजक बंध बनाता है ।
 धातु काब नल अ धकांशत: शू य ऑ सीकरण अव था म बनते है ।
 धातु काब नल तीन कार के होते ह । एक ना भक य, वना भक य तथा बहु ना भक य
धातु काब नल ।
 एक ना भक य धातु काब नल क संरचना चतु फलक य कोणीय व परा मडीय या
अ ठफलक य हो सकती है ।
 वना भक य धातु काब नल क सेतु संरचना (Bridged Structure) होती है ।
 बहु ना भक य धातु काब नल क संरचना रे खीय, च य अथवा चतु फलक य हो सकती
है ।
 इस इकाई म धातु काब नल' क संरचना तथा बंधन क कृ त को समझने म भावी
परमाणु सं या का नयम (EAN) तथा 18-इले ॉन नयम का उपयोग कया गया है

 अ धकांश धातु काब नल जल म अ वलेय तथा काब नक वलायक म वलेय होते ह ।
इनका उपयोग धाि वक चूण , दपण, अप फोटरोधी तथा समांग उ ेरक के प म कया
जाता है ।

12.8 श दावल (Glossary)


1. लगड (Ligand) : के य परमाणु से बं धत परमाणु या परमाणु ओं का समू ह ।
2. एक ना भक य (Mononouclear) : यह पद एक के य परमाणु क उपि थ त को
द शत करता है ।
3. बहु ना भक य (Polynuclear) : यह पद एक से अ धक के य परमाणु ओं क
उपि थ त को द शत करता है।
4. समांगी वलयन (Homogenous Solution) : िजस वलयन के येक भाग म
वलेय पदाथ क सा ता होती है।

5. संकुल (Complex) : यह पद उपसहसंयोजक यौ गक के काम म लया जाता है ।


6. उ रे क (Catalyst) : ऐसे पदाथ जो रासाय नक अ भ या क दर को प रव तत कर
दे ते ह और वयं अप रव तत रहते है ।
7. समावयवता (Isomerism) : दो या दो से अ धक यौ गक िजनका रासाय नक एक
होता ह तथा उनक संरचनाऐं अथवा व यास भ न होता है ।

12.9 संदभ ंथ (Reference Books) :


1. Organometallic Chemistry : R.C. Mehrotra and A. Singh,

189
New Age International
2. The Organometallic Chemistry of : R.H. Crabtree, John Wiley
The Transition Metal
3. Metallo Organic Chemistry : A.J. Pearson, Wiley

12.10 अ यासाथ न (Exercise Questions) :


1. समांग हाइ ोजनीकरण म म कौनसा काबधाि वक यौ गक उ रे क के प म
यु त होता है ?
2. धातु काब नल या होते है?
3. धातु काब नल बनाने क दो व धयां ल खये ।
4. धातु काब नल का वग करण क िजए ।
5. धातु काब नल क वशेषताएं ल खये ।
6. न न क संरचना तथा संकरण ल खये-
(अ) Ni(CO)4 (ब) Fe(CO)5 (स) Cr(CO)6
7. न न यौ गक के संरचना सू ल खये-
(अ) वैने डयम है साकाब नल (ब) आयरन पे टाकाब नल (स) नकल टे ाकाब नल
8. जीगलर-ना ा उ रे क या है?

190
इकाई-13
जैव अकाब नक रसायन
(Bio-Inorganic Chemistry)
इकाई क परे खा
13.0 उ े य
13.1 तावना
13.2 जै वक म म आव यक और कम मा क त व
13.3 धातु पॉरफ रन
13.4 ह मो लो बन एवं मायो लो बन
13.5 ार तथा ार य मृदा धातु आयन क जै वक भू मका
13.6 कैि सयम आयन क भू मका
13.7 नाइ ोजन ि थर करण
13.8 सारांश
13.9 श दावल
13.10 स दभ थ
13.11 बोध न के उ तर
13.12 अ यासाथ न

13.0 उ े य (Objectives)
तु त इकाई के अ ययन के प चात ् आप न न त य को आसानी से समझ सकगे-
 आव यक त व
 सू म त व
 धातु पॉरफ रन
 जै वक त म ार य तथा ार य मृदा धातु ऐं
 नाइ ोजन ि थर करण

13.1 तावना (Introduction)


वतमान म जब हम व भ न जै वक याओं का व तृत अ ययन कर चु के ह तो दे खते
ह क व भ न जै वक याओं म व भ न धातु आयन का कह ं कम मा ा म तो कह ं अ धक
मा ा म, ले कन मह वपूण योगदान है ।
धाि वक पॉरफ रन जैव जगत, वन प त एवं ज तु जगत दोन के मह वपूण यौ गक ह ।
पौध म पाया जाने वाला हरा पदाथ लोरो फल, जो क पौध म काश-सं लेषण क या
के लए उ तरदायी है, मै नी शयम पॉरफ रन है । इसी कार उ च जा त के सम त ज तु ओं
म पाये जाने वाले र त म लाल रं ग के लए उ तरदायी पदाथ ह मो लो बन आयरन होता है।

191
ार धातु Na व K. आयन तथा ार य मृदा धातु Mg व Ca ' आयन का जीवन म
+ 2+ 2+

अ य धक मह व है । नाइ ोजन का ि थर करण ाकृ तक एवं कृ म दोन व धय वारा


स प न होता है ।

13.2 जै वक म म आव यक और कम मा क त व
(Esssential and trace elements in biological processes)
वकास क या ने ाकृ तक प से पाये जाने वाले 103 त व का ह चयन कया है तथा
शेष त व ; को उपयोगी नह ं पाया है । ये त व आव यक त व कहलाते ह । इनक सहायता
से व भ न शार रक याऐं physiological functions) पूण होती है । आव यक त व
क कमी से जीव के वकास म बाधा पड़ती है । कृ त ने कम परमाणु मांक वाले त व
का चयन कया है । भार त व सामा यत: वषैले होते ह । जै वक त म पाये जाने वाले
त व म मॉ लि डनम (Z=42) सबसे भार धातु तथा आयोडीन (Z=53) सबसे भार अधातु
होती है । भार तशत के आधार पर इन त व को दो समू ह म बांटा गया है । 27 त व
म से 11 त व मु य त व माने जाते ह तथा शेष त व सू म त व कहलाते ह ।
काब नक पदाथ म एक परमाणु क आयन सू म त व (कु ल1%)
पाये जाने वाले त व
O (65) Na (0.15) Mn Ni I
C (18) K (0.35) Fc Cr Si
H (10) Mg (0.01) Co Mo Sn
N (0) Ca (0.31) Ca B F
P (1.1) Cl (0.15) Zn Al Se
S (0.1) V
सारणी 13.1 जैव त म पाये जाने वाले आव यक त व तथा तशत
आव यक त व का जैव त म वतरण इनके भू पपट म वतरण के अनुपात म नह ं है ।
ऑ सीजन, स लकन, ऐलु म नयम तथा आयरन भू पपट म सवा धक पाये जाने वाले त व
ह जो भू पपट का 88% बनाते है । इसके वपर त चार त व हाइ ोजन, काबन, नाइ ोजन
एवं आ सीजन जैव को शकाओं का लगभग 98%' बनाती है । (सारणी 13.1)
अत: यह माना जा सकता है क C,H,O एवं N क जैव त म होने वाल अ भ याओं
के लए व श ट आि वक द ता पाई जाती है । ये चार त व अ य दूसरे त व से तथा आपस
म इले ान यु म का साझा करके बल सहसंयोजी ब ध बनाते है । काबन एवं नाइ ोजन
दो इले ान यु म का साझा करके वब ध भी बनाते ह । इसके कारण इनके यौ गक म
अभ या एवं संरचना के ि टकोण से अ य धक व वधता आ जाती है । काबन म सरलरे खीय
ख ृं लत तथा वलय संरचनाऐं बनाने क व श टता पायी जाती है िजसे खृं लन कहते है ।
इसी कारण से व वध काब नक यौ गक का नमाण होता है ।

192
शर र के भार का मु य ह सा (60-80%) मु यत: जल से बना है । इससे हाइ ोजन तथा
आ सीजन के अ धकांश भाग क या या हो जाती है । जैव त म पाये जाने वाले अ धकांश
रसायन काबन के यौ गक ह िजनम यह त व मु यत: हाइ ोजन, आ सीजन एवं नाइ ोजन
तथा कभी-कभी स फर से संयु त होता है । अ धकांश कैि सयम एवं फा फोरस , कैि सयम
फा फेट के प म पाया जाता है । जो ह डी, दांत एवं खोपड़ी के नमाण म काम आता है

सू म त व अ प मा ा म पाये जाते ह । इनम से अ धकांश त व धातु है । अभी तक V,
Cr, Mn, Fe, Ni, Cu, Zn, Mo, W, एवं Li धातुओं क पहचान क गई है । अ धकांश
धातु ऐं मैटलोए जाइम के प म पायी
जाती ह जो धाि वक ोट न(Metallic Protein) का सबसे बड़ा भाग है । धातु आयन इन
ए जाइम का स य के होते ह । दूसरे श द म, ये धातु आयन धाि वक ए जाइम क
उ ेरक अ भ या के लए उ तरदायी है । इसके अ त र त इले ॉन थाना तरण म ये धातु
आयन ोट न म रे डॉ स के का काय करते ह ।
इन धातु ओं के अलावा कुछ अधातु I, Si, F, As, Se, B भी शर र म आव यक अ तसू म
मा ा म त व के प म पाये जाते ह । 1 (आयोडीन) थायराइड ि थ के सुचा काय के
लए आव यक है । F ( लोराइड) आयन दांत के इनेमल को मजबूत करता है । Se
( स ल नयम) कुछ रे डॉ स अ भ याओं के लए आव यक ए जाइम म आव यक प से पाया
जाता है । उदाहरण के लए लू टाथायोन परॉ सीडेज H2O2 को H2O म प रव तत करता
है, Se का ह एक यौ गक है । B (बोरोन) हरे शैवाल (Green Algae) तथा ऊंचे पौध के
लए आव यक है । यह त व स भवत: चूज तथा चूह (Chickens and Algae) के अि थ
पंजर के वकास के लए आव यक है । स भवतया उ च पादप म स लकन डाइऑ साइड
संरचना काय के लए काम म आता है ।

13.3 धातु पॉरफ रन (Metalloporphyrins)


धातु पॉरफ रन जीव जगत के दोन वन प त एवं ज तु जगत के मह वपूण यौ गक ह । जैव
त म धातु मु य प से वृहत ् अणु लगे ड पॉरफ रन के संकुल के प म पाया जाता
है । ये संकुल पॉरफ रन वारा व था पत होने के कारण भ न होते ह । पॉरफ रन लगे ड
चार पाइरोल (Pyrole) वलय के पर पर संयु मी (Conjugate) वब ध वारा जु ड़ने से
बनते ह । पॉरफ रन लगे ड नाइ ोजन से जु ड़े दो हाइ ोजन को यागकर एक वऋणायन
बनाता है जो धातु के साथ पॉरफ रन संकु ल बनाता है। लोरो फल, ह मो लो बन तथा
मायो लो बन कु छ मह वपूण धातु पॉरफ रन है । ह मो लो बन तथा मायो लो बन मह वपूण
ऑ सीजन वाहक है ।

193
13.4 ह मो लो बन एवं मायो लो बन (Haemoglobin and
Myoglobin)
कु छ ज तु ओं म ह मो लो बन (Hb) एवं माया लो बन (Mb) ऑ सीजन के भ डारण एवं
प रवहन के लए उ तरदायी है ।
तनधा रय म ह मो लो बन ऑ सीजन को इसके ोत (जैसे क फेफड़े, वचा तथा गल)
से मांसपे शय तक ले जाता है जहां यह ऑ सीजन को Mb को थाना त रत कर दे ता है
। यहां ऑ सीजन माइटोकॉि या म ऑ सीजन अथात ् वसन योग म आती है ।
मायो लो बन एक एकलक ोट न है िजसम एक पॉल पे टाइड खृं ला पायी जाती है । इस
खृं ला म वयं संयु मन क वृि त नह ं पायी जाती है । दूसर ओर , ह मो लो बन चतु लक
ोट न है । इसम दो  तथा दो  - पे टाइड खृं लाऐं पर पर हाइ ोजन ब ध
(COO......NH) से जुड़ी रहती है ।
ह मो लो बन तथा मायो लो बन दोन ह म ोट न के कार ह । ह म एक आयरन पॉरफाइ रन
संकुल है िजसक संरचना न न कार से दशाई जा सकती है ।

च 13.2 ह म समू ह क संरचना

इसम Fe(II) चार पाइरोल (Pyrole) नाइ ोजन से उपसहसंयोजक बंध बनाता है
। पंचमी उपसहसंयोजन ि थ त पर ोट न खृं ला ( लो बन ोट न) का इ मडेजोल
(Imidazole) नाइ ोजन परमाणु पाया जाता है । छठ ि थ त र त रहती है । पर तु यह
ि थ त ोट न ख ु ीय जल वरोधी (Hydrophobic) भाग से घरा रहता है िजसके
ृं ला के अ व
प रणाम व प इस छठ ि थ त से अ ु वीय उदासीन अणु O2,CO2आ द ह जु ड़ पाते ह ।
फलत: आयरन पारफाइ रन वलय के तल से लगभग 0.75 A ऊपर पाया जाता है जैसा क
0

च 13.3 म दखाया गया है । इस कार वआ सीज नत ह मो लो बन म आयरन उ च


(हद,') च ण संकुल होता है िजसम चार अयुि मत इले ॉन होते ह तथा इसक वगाकार
परै मडीय या म त होती है ।
लो बन क संरचना आठ कं ु डलाकार (Hexical) भाग क बनी होती है िजसके दो
भाग के म य ह म समू ह ि थत रहता है । लो बन ोट न म दो कार के समू ह, ु वीय तथा
अ ु वीय जल वरोधी (Hydrophobic) होते है । ोट न का अ ु वीय भाग बाहर क ओर तथा
जल वरोधी भाग अ दर होता है जो ह म समू ह को घेरे रहता है ।

194
च 13.3 वऑ सीज नत ह मो लो बन क संरचना
लो बन क अनुपि थ त म छठ उपसहसंयोजक ि थ त कसी ु वीय अणु जैसे क जल से
मणीय प से वायु क ऑ सीजन वारा ऑ सीकरण से Fe
3+
जु ड़ी होती है िजससे यह अनु
ह मे टन म प रव तत हो जाता है । शेष धनावेश के कारण यह अ ु वीय अणु ओं जैसे क O2
से जु ड़ने के थान पर आवे शत लगे ड जैसा क CN-, S2-,OH-- आ द से बंध बनाता है
िजससे ऑ सीजन के साथ ब ध बनाने क ह म इकाई क मता समा त हो जाती है ।
ऑ सीजन Fe (II) ह म क छठ ि थ त से जु ड़ जाता है तथा इस कार ा त
अ ठफलक य े उ च च ण Fe(।।) को न न च ण.Fe(।।)म प रव तत करने के लए
पया त प से बल है । िजसके कारण Fe(।।) आयन क या मे 0.17A0 क कमी आती
है तथा Fe(।।) आयन आ सीह मो लो बन तथा आ सीमायो लो बन क स य इकाई ह म
म पॉरफ रन वलय तल म उसक गुहा (cavity) म फट हो जाता है । फलत: यह इ मडेजोल
के मा यम से जुड़े लो बन समेत नीचे क ओर खसक जाता है । ऑ सीज नत ह मो लो बन
म Fe2+ तथा इ मडेजोल क ि थ तयां च 13.4 म दखाई गई है िजसम ऑ सीजन के
ब धन से पूव क ि थ त को भी तु लना के लए टू ट हु ई लाइन से दखाया गया है ।

च 13.4 ऑ सीह मो लो बन क एक उपइकाई क संरचना िजसम आयरन ह म वलय के


तल म ह ।
चार उपइकाईय के आपस म बं धत होने के कारण उपयु त भाव (आयरन का
पॉरफ रन के तल म खसक आने का) शेष तीन उपइकाईय म थाना त रत हो जाता है िजसके
कारण इन उपइकाईय म ह म समू ह के आयरन को छठ उपसहसंयोजन ि थ त ऑ सीजन
से जु ड़ने के लए खुल जाती है । दूसरे श द म एक इकाई के ह म समू ह से ऑ सीजन अणु
के जु ड़ने से शेष तीन इकाईय क ऑ सीजन के त बंधत
ु ा बढ़ जाती है । यह घटना
सहका रता (Cooperativity) कहलाती है ।

195
कशे क ा णय (Vertibrates) म डाइऑ सीजन धर म फेफड़ अथवा गल से
वेश करती है जहां डाइऑ सीजन का आं शक दाब तुलना मक प से उ च होता है । यहां
से यह आदश ि थ त म ऊतक म ले जायी जाती है जहां आं शक दाब काफ कम होता है
। अभ या न न कार क होती है ।
फेफड़ म- Hb+4O2  Hb (O2)4
ऊतक म- Hb(O2)4 +4 Mb  4Mb (O2)+ Hb
यहां यान दे ने वाल बात है क ह मो लो बन वै यवृि त (ambivalent) का होता है । इसका
काय ऑ सीजन को मजबूती से बांधकर िजतना संभव हो ऊतक तक ले जाना चा हये तथा
िजतनी ज द हो सके मायो लो बन को डाइऑ सीजन थाना त रत कर सके जहां यह भोजन
के ऑ सीकरण हे तु भ डा रत रह सके । ऑ सीजन का ऑ सी Hb से Mb को थाना तरण
के लए मायो लो बन क ऑ सीजन के लए बंधु ता ह मो लो बन क तुलना म अ धक होनी
चा हये । एकलक वृ त तथा सहका रता क अनु पि थ त के कारण मायो लो बन 1:1 मोलर
अनुपात म ऑ सीजन हण करता है ।
Mb+O2  Mb(O2)
इस समीकरण के लए सा य ि थरांक न न समीकरण वारा दया जा सकता है:
[ Mb(O2 )]
KMb 
[ Mb][O2 ]
एक को शका (Cell) म मायो लो बन क कुल मा ा [Mb+Mb(O2)] ि थर मानी जा सकती
है । य द f मायो लो बन के उस अंश को द शत करता है िजससे ऑ सीजन जु ड़ी है p
ऑ सीजन के आ शक दाब को द शत करता है तो
f
K Mb 
(1  f ) p
Kp
f 
1  Kp
यह समीकरण अ तपरवल यक व (Hyperbolic Curve) िजसे च 13.5 म दखाया गया
है क है । ह मो लो बन िजसम चार उपइकाइयाँ है का यवहार थोड़ा ज टल होता है । यह
न न समीकरण क तरह यवहार करती है ।
Kp n n= 2.8
f 
1  Kp n
यहां n का ठ क मान pH पर नभर करता है ।

196
च 13.5 ह मो लो बन (Hb) व मायो लो बन (Mb) का ऑ सीजन बंधन च
Hb तथा Mb ऑ सीजन के उ च दाब पर लगभग O2क बंधनकार मता बराबर है पर तु
मांसपे शय म जहां O2 का दाब कम होता है, Hb क ऑ सीजन बंधन मता काफ कम
होती है । अत: यह आव यकता पड़ने पर ऑ सीजन को Mb को थाना त रत कर दे ता है
जो ऊतक को शकाओं को आसानी से ऑ सीजन दे दे ता है । ऊतक ऑ सीजन को उपयोग
म लेकर काबनडाईऑ साइड मु त करते है । अत: यहां ऑ सीजन क आव यकता सवा धक
होती है । CO2र त का PH कम कर दे ती है िजससे Hb और अ धक O2मु त करता है
। PH का ह मो लो बन क ऑ सीजन बंधनकार मता पर भाव को बोर भाव कहते है।
बोध न 1 : जै वक म म आव यक त व क सं या बताइये ।

13.5 ार तथा ार य मृदा धातु आयन क जै वक भू मका


(Biological role of alkali and alkaline earth metal ions)
ार धातु Na+ व K+ आयन तथा ार य मृदा धातु Mg2+ व Ca2+ आयन का जीवन म
अ य धक मह व है । रासाय नक ि ट से Na+ तथा K+पर पर समान है और Mg2+ व Ca2+
आयन भी पर पर समान होते ह, ले कन जै वक ि ट से इनक भू मका एक दूसरे से बलकुल
भ न है । Na+' व Ca2+ आयन को शकाओं के बाहर के जीव य म साि त होते ह जब क
K एवं Mg
+ 2+
आयन को शकाओं के भीतर के जीव य म साि त होते ह ।
अ धकांश ज तु को शकाओं के भीतर K आयन क सा
+
ता लगभग 0.15 M होती है जब क
को शकाओं के बाहर इनक सा ता 0.0004 M होती है । इसी कार Na+ आयन क सा ता
को शकाओं के भीतर लगभग 0.10 M होती है जब क को शकाओं के बाहर इनक सा ता
0.15 M होती है । सा ता के इतने अ धक अ तर को बरकरार रखने के लए को शकाओं
म सो डयम प प (N /K प प) काय करता है । इन आयन के प रवहन (transportation)
a+ +

के लए आव यक ऊजा को ATP के जल अपघटन वारा ा त कया जाता है ।


Mg सभी जीव के लए आव यक है । यह हरे पौध म लोरो फल के प म पाया जाता
है तथा ए जाइम स यण म एवं अ य वैधु त रसाय नक काय म उपयोगी है । यह ए जाइम
के भेषज गुण व ानीय (Pharmacological) स यक (Activator) का काय करता है
जो ATP का उपयोग करता है । यह मांसपे शय के लए भी आव यक है । य य प 90%
कैि सयम ह डय म पाया जाता है मांसपे शय के संकुचन के लए इसक उपि थ त आव यक
ह । यह ोट न तथा ए जाइम म स य के का काय करता है ।

13.6 कैि सयम आयन (Ca2+) क भू मका (Role of calcium ion)


जैव त म कैि सयम का भ डारण एवं संवहन पेराथायराइड हाम न वटा मन डी,
कैि सयु ट रन, कैि सटो रन एवं ओ टोकैि सयम वारा नयं त होता है । कैि सयम

197
सामा यत: ऊतक म क णकाओं के प म जमा रहते ह िजसका उपयोग आव यकता पड़ने
पर कर लया जाता है ।
कैि सयम (Ca ) आयन का जीवन म अ य धक मह व है । इसके कु छ मु ख काय न न
2+

ह-
(i) कैि सयम (Calcium ion) - कैि सयम का मु य काय शर र क संरचना को आधार
दान करने म होता है। लघु ा णय , ोटोजोआ से मोल का ा णय म संरचना को आधार
दान करने वाला पदाथ CaCO3 होता है जब क कशे क (Vertibrate) ा णय म
ह डयां मु यत: एपेटाइट (apatite) CaCO3(PO4)2x क बनी होती है ।
हाइ ो सीएपेटाइट (hydroxyapatite) ह डय तथा दांत का मु य घटक होता है ।
हाइ ॉ सी समू ह के लुओराइड आयन वारा आ शक व थापन से पलु ओरोएपेटाइट का
नमाण होता है जो काब नक पदाथ के क वन (germentation) से बनने वाले अ ल
से दांत क र ा करता है । संरचना मक ढांचे (ह डय , कवच (Shell)) इ या द के लए
कैि सयम का जमाव को शकाओं के बाहर होता है । को शकाओं के अ दर अथवा अ य
अनुपयु त थान पर कैि सयम का जमाव होने से गुद म पथर (stone) बनना, ग ठया
(arthritis), मो तया (catract) तथा धमनीय (arterial) दोष उ प न हो जाते ह ।
(ii) धर का थ का बनना (blood Clotting) - उ तक के त त होने पर र त का
वाह र त के थ का बनने से क जाता है । थ का बनने क या ज टल होती है
पर तु इसके लए Ca
2+
आयन क उपि थ त आव यक है ।
(iii) कैि सयम एवं ाव (calcium and secretion) - शर र म अनेक ावी ि थयाँ
(secretory glands) पाई जाती है जो हाम न ए जाइम तथा अ य उपयोगी पदाथ
का ाव करती है । उ ीपन के लए Ca2+ आयन क आव यकता होती है । उदाहरण
के लए अ याशयी ि थ (pancreas) वारा इ सु लन का उ सजन इसी व ध से होता
है ।
(iv) मांसपेशी संकुचन (muscular Contraction)- कैि सयम का सवा धकमह वपूण
उपयोग मांसपे शय के संकुचन म होता है । पे शय के संकुचन म Ca2+ का काय ति का
पंद (Nerve Pulse) को थाना त रत करना है।
(v) पौध क को शका भि त का मु ख अवयव कैि सयम प टे ट होता है जो कैि सयम के
प टे ट के साथ संयोग करने से बनता है ।

13.7 नाइ ोजन ि थर करण (Nitrogen fixation)


नाइ ोजन त व N2 तु लना मक प से अ य होता है । नाइ ोजन के यौ गक करण अथात ्
नाइ ोजन को अ य यौ गक से या कराकर नाइ ोजन के यौ गक बनाने के लए उ च ऊजा
प रि थ तय क आव यकता होती है । उ च ताप अथवा व युत फु लंग (electrical
dischrage) आव यक स यण ऊजा (activation energy) दान कर सकते ह ।

198
काफ सं या म बै ट रया तथा नीले हरे शैवाल जीव (in vivo) नाइ ोजन यौ गक करण करते
ह । दोन कार क जा तयां वत रहने वाल एवं सहजीवी बै ट रया नाइ ोजन
यौ गक करण करती है । इनम वशु अवायुजीवी लोि कुलम पाि तरे नयम
(colstriculum pasteroniam) वक पी वायुजीवी जैसे क ले सीला युमो नयी
(klebsella pneunioiac) व वशु वायुजीवी जैसे क एजोबे टर वनेले डी (azobactor
vinelandii) वायुजीवी जा तय म भी ऐसा तीत होता है क नाइ ोजन यौ गक करण के
लए सबसे मह वपूण जा त सहोपका रक राइजा बयम क है जो क फल दार पौध क
(lengune) क जा त क जड़ के गांठ म पाये जाते ह । नाइ ोजन यौ गक म स य
ए जाइम नाइ ोजीनेस होता है । य य प यह कोई व श ट ए जाइम नह ं होता फर भी यह
जा त से जा त म व वधता द शत करता है । छोटे आि वक भार (60,000) वाले ए जाइम
म एक Fe4S4 का एक गु छ (cluster) होता है । बड़ी ोट न एक  2  2 चतु लक होती
है । इसका अणुभार 220,000-240,000 होता है िजसम दो मा ल डेनम, 30 आयरन तथा
30 चंचल (labile) स फाइड आयन पाये जाते ह । आयरन स फर के रे डॉ स (redox)
के क भां त काय करता है । एक ोट न मु त वलेय सहकारक (copactor) को वल गत
करना संभव ह िजसम मा ल डेनम तथा आयरन उपि थत ह । सहकारक तथा अ य
नाइ ोजीनेस को पुन : मलाने पर इस म ण क स यता पुन : वापस आ जाती है ।
उपसहसंयोजन े कई स फर परमाणु ओं से बना होता है । जब क इसके पास लगभग
2.70A पर अ य भार त व संभवतया आयरन पाया जाता है । अपचयन
0
मता का परम
ोत पाय वेट (pyruvate) होता है तथा इले ोन नाइ ोजीनेस को फेरोडो सीन के मा यम
से थाना त रत होते ह । इस बात के कु छ माण ह क Mo (III) इस या म शा मल ह
। दो Mo (।।।) परमाणु च ण म Mo (VI) के मा यम से डाइनाइ ोजन के लए आव यक
छ: इले ान उपल ध कराता है । इसके अ त र त यह भी संभव है क मो ल डेनम एक या
दो ऑ सीकरण अव था म रहता हो जो शी ता से डाइनाइ ोजन एवं मा य अपचायक से बंध
बनाता है ।

च 13.6 नाइ ोजन ि थर करण

199
नाइ ोजन यौ गक करण का नाइ ोजन के यौ गक पदाथ के ऊजा के उ गम सभी अ भ याओं
का एक यवि थत आरे ख च 13.7 म दया गया है । इसम लेह मो लो बन (lehemoglobin)क
उपि थ त यान दे ने यो य है । यह एकलक ऑ सीजन बंधी अणु है जो मायो लो बन से अ धक
समानता रखता है । लेह मो लो बन कसी उपि थत आ सीजन अणु को मजबूती से पकड़ लेता है तथा
नाइ ोजीनेस को बचाता है य क यह ऑ सीजन क उपि थ त म काय नह ं कर पाता । दूसर तरफ
यह ऑ सीजन को वसन के लए सु र त रखता है िजससे ऊजा मलती है जो नाइ ोजन यौ गक करण
क या को जार रखती है ।

च 13.7 बै ट रया म नाइ ोजीनेस स यता का यवि थत आरे ख


बोध न 2 : नाइ ोजन ि थर करण म कौनसा बै ट रया सहभागी होता है ?

13.8 सारांश (Summary)


 ाकृ तक प से पाये जाने वाले 103 त व म से 30 त व आव यक त व के प म
जाने जाते है िजनम से 17 धातु त व ह ।
 जै वक त म 30 म से 11 त व मु य त व माने जाते ह – H,C,N,O, P, s, Na,
k, Mg, Ca, तथा Cl
 शेष त व सू म त व कहलाते ह Fe, Zn, Cu, F, I, As, Si, B, Mn, Mo, Co,
Cr, Ni, Cd, Sn तथा Pb
 पॉरफ रन लगे ड चार पाइरोल (Pyrole) वलय के पर पर संयु मी (conjugate)
वब ध वारा जु ड़ने से बनते है ।
 ह मो लो बन (Hb) तथा मायो लो बन (Mb) दोन ह म ोट न के कार ह । ह म एक
आयरन पॉरफ रन संकुल है ।
 मा चार ार य एवं ार य मृदा धातु ऐं जैव त के लए मह वपूण होती है । ये धातु
है-सो डयम, पोटै शयम, मै नी शयम तथा कैि सयम ।
 वायुम डल य नाइ ोजन का उन नाइ ोयौ गको म प रवतन, जो जीवन के लए आव यक
है, नाइ ोजन ि थर करण कहलाता है। नाइ ोजन का ि थर करण ाकृ तक तथा कृ म
दोन व धय वारा स प न होता है ।

200
13.9 श दावल (Glossary)
शार रक याय  Physiological functions
जै वक म  Biological Processes
आव यक त व  Essential elements
कम मा क त व  Trace elements
धातु पॉरफ रन  Metalloporphyrin
संयु मी वब ध  Alternate double bond
कं ु डलाकार  Hexical
वगाकार परै म डय या म त  Square Pyramidal
geometry
जल वरोधी  Hydrophobic
अ ठफलक य  Octahedral
सहसंयोजन  Coordinate
अ तपरवल यक व  Hyperbolic curve
प रवहन  Transportation
भेषज गुण व ानीय  Pharmacological
Science
कशे क  Vertebrate
क वन  Fermentation
स यण ऊजा  Activation energy

13.10 स दभ थ (Reference Books)


जैव काब नक, जैव अकाब नक तथा
सु परामोलु युलर रसायन  पी. एस. कलसी, जे.पी. कलसी
जैव अकाब नक रसायन  के. हु सैन रे डी
जैव अकाब नक रसायन  ब टनी ,े लपाड, वेलनटाइन
जैव अकाब नक रसायन  जी.आर. चटवाल, ए.के. भागी
जैव अकाब नक रसायन के स ा त  पुर , शमा, का लया

13.11 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. आव यक त व 30 होते ह ।
2. राइजो बयम बै ट रया

13.12 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. हमारे जीवन के लए आव यक त व कौन-कौन से ह?

201
2. ह मो लो बन तथा मायो लो बन म या अंतर है?
3. कौन-कौन से ार एवं ार य मृदा आयन का जै वक मह व है ?
4. सो डयम प प से या समझते हो?
5. Ca 2+
आयन के जै वक मह व पर एक ट पणी ल खये ।
6. नाइ ोजन ि थर करण से या समझते ह?

202
इकाई-14
स लकॉन
(Silicones)
इकाई क परे खा
14.0 उ े य
14.1 तावना
14.2 अकाब नक बहु लक के कार
14.3 स लकॉन
14.3.1 स लकॉन के वरचन क व धयां
14.3.2 स लकॉन के गुण
14.3.3 स लकॉन के अनु योग
14.4 सारांश
14.5 श दावल
14.6 स दभ थ
14.7 बोध न के उ तर
14.8 अ यासाथ न

14.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन से आपको स लकॉ स के बारे म न न जानकार ा त हो जायेगी-
 अकाब नक बहु लक का वग करण व भ न आधार पर
 स लकॉन का सं लेषण
 स लकॉन के भौ तक तथा रासाय नक गुणधम
 स लकॉन के अनु योग

14.1 तावना (Introduction)


बहु लक वे पदाथ कहे जा सकते ह िजनक संरचनाऐं संयोजकता ब ध यु त सरलतर
संरचना मक इकाईय क पुनरावृि त से बनी मानी जा सकती है । बहु लक के अणु म र ढ़
क मूल इकाई के आधार पर इ ह न न कार क े णय म बांटा जा सकता है-
(i) काब नक बहु लक
(ii) अकाब नक बहु लक
अकाब नक बहु लक का कई कार से वग करण कया गया है ।
स लकॉन यौ गक सव थम 1901 म क पंग वारा बनाये गये थे । क पंग ने उ पाद म
भ नता के 'आधार पर इन अ भ याओं क खोज क य क उ ह ने दे खा क एि कल एवं
ए रल स लकॉन हैलाइड तेल बनाते है, य य प कु छ उ पाद टल य ठोस होते ह । उ ह ने

203
न कष नकाला क जलअपघटन म बनने वाले अणु िजनम Si-OH० ब ध उपि थत है का
संघनन होता है िजसम जल अणु नकलता है । इस कार म यवत हाइ ो सी यौ गक, िज ह
सलेनॉल कहते ह से जल नकलकर Si-O-Si लंक, सलॉ सी लंक, वाले यौ गक बनाते
ह । इस कार स लकॉन, स लकन के वे काबधाि वक यौ गक है िजनम Si-O-Si ब ध पाया
जाता है ।
नामकरण के लए इन यौ गक को सलो सेन के यु प न माना जाता है । जब स लकन
परमाणु केवल हाइ ोजन से या हाइ ोजन के साथ-साथ अ य कसी स लकॉन से सीधे ह
बि धत हो तो यौ गक को सलेन कहते ह । य द ये स लकन परमाणु ऑ सीजन के मा यम
से बि धत ह तो यौ गक सलो सेन कहलाते ह । सभी H के थान पर एि कल या ए रल
समू ह लगा दे ने पर स लकॉन ा त होते ह ।

14.2 अकाब नक बहु लक के कार (Types of Inorganic polymers)


अकाब नक बहु लक का कई कार से वग करण कया गया है ।
आि वक संरचना के आधार पर वग करण
(1) समपरमाि वक (Homoatomic) - य द बहु लक खृं ला के मे द ड (back bone) म
केवल एक ह कार के परमाणु व यमान हो तो ऐसे बहु लक समपरमाि वक बहु लक
कहा जाता है । उदाहरण-बहु लक ग धक, बहु लक सेल नयम, बहु लक टे लु रयम तथा काले
फॉ फोरस म मश: S-S ब ध, Se-Se ब ध, Te-Te ब ध, तथा P-P ब ध वारा
कई परमाणु रे खीय म म पर पर जुड़े रहते ह । इसके अ त र त धातुओं के बोराइड,
स लसाइड तथा फॉ फाइड भी M-M ब धयु त बहु लक य संरचना वाले यौ गक होते ह
। हाइ ोजन पॉल स साइड H2S भी एक ऐसा समपरमाणु क रे खीय बहु लक है िजसके दोन
सर पर हाइ ोजन परमाणु होते ह और म य म S-S ब धयु त रे खीय खृं ला होती
है । हाइ ोजन पॉल स साइड के इन सरे वाले हाइ ोजन परमाणु ओं को हैलोजन अथवा
स फो नक अ त समू ह वारा त था पत कया जा सकता है । S-S एकल ब ध के
घूणन वारा ये यौ गक सस व ा स समावयवता भी दशाते ह ।
उदाहरण : H2S6O6 दो समावत संरचनाओं म पाया जाता है ।

204
(2) वषमपरमाि वक (Heteroatomic) - य द बहु लक खृं ला के मे द ड म एक से अ धक
कार के परमाणु व यमान हो तो ऐसे बहु लक को वषमपरमाणुक बहु लक कहते ह ।
उदाहरण: बहु लक य म यू रक आ साइड क संरचना को न न कार से द शत कया
जा सकता है िजसम खृं ला का मे द ड एका तर म म मकर व ऑ सीजन परमाणु ओं
के जु ड़ने से बनता है ।

वम आकाश म बहु लक क संरचना तथा बहु लक के अवयवी परमाणु ओं क संयु तता के


आधार पर बहु लक का वग करण:
(1) रे खीय बहु लक (Linear Polymer) - इन बहु लक म खृं ला के के य परमाणु क
संयु तता (connectivity) दो होती है तथा वह दोन तरफ समान अथवा असमान परमाणुओं
वारा जु ड़ा रहता है । ये खृं लाऐं छड़नुमा सीधी सरल संरचना म भी व यमान हो सकती
ह,
उदाहरण : [Ag(CN)]n अथवा टे ढ़ -मेढ़ (Zig-Zag),
उदाहरण : (Ag(NCS)]n
-Ag-C  N-Ag -C  N-Ag-C  N-
[Ag(CN)]n क छड़ीनुमा सीधी संरचना ।

[Ag(NCS)]2 क टे ढ़ -मेढ़ संरचना


(2) व व मय च रनुमा बहु लक (Two-dimensional sheet type Polymer) - इस कार
के बहु लक म मु य के य परमाणु क संयु तता तीन होती है । ये परमाणु पर पर कसी
वषम परमाणु (सामा यतया ऑ सीजन परमाणु के वारा जुड़कर एक व वमीय च रनुमा

205
संरचना बना लेते ह । उदाहरण: बहु लक य बो रक ऑ साइड (B2O3)n । इसम BO3 इकाईयाँ
पर पर ऑ सीजन परमाणुओं के साझे से जु डी रहती है ।
(3) व मय जालयु त बहु लक (Three dimensional network Polymer) - इस कार
के बहु लक म के य परमाणु क संयु तता चार होती है । चतु फलक य आकार म के य
परमाणु कसी अ य परमाणु (साधारणत: ऑ सीजन) के वारा पर पर जु ड़कर एक जालनुमा
संरचना बनाते ह । उदाहरण: स लका (SiO2)n. क जालयु त संरचना म चतु फलक य SiO4
इकाईयां पर पर ऑ सीजन परमाणुओं का साझा करता है ।
(4) ास ब ध बहु लक (Cross linked Polymer) - इस कार के बहु लको म व भ न
च रनुमा संरचनाओं का नमाण करता है । उदाहरण: पॉल फॉ फो रक अ ल तथा सो डयम
स लकेट । इन दोन म ास ब ध का धन व मश: 0.5 तथा 0.667 होता है ।

सो डयम स लकेट (NaSiO3) क संरचना


(5) म त संयु तता वाले जालक बहु लक (polymers containing network with mixed
connectivity) - इस कार के बहु लक म दो कार के के य परमाणु होते ह िजनक
संयु तता भ न- भ न होती है । उदाहरण: स लकॉन डाइफॉ फेट बहु लक म के य परमाणु
स लकॉन तथा फॉ फोरस होते ह िजनक संयु तता मश: 6 व 4 होती है । येक स लकॉन
परमाणु छ: ऑ सीजन परमाणुओं के साथ बंधा रहता है , जब क येक फॉ फोरस परमाणु
चार ऑ सीजन परमाणु के साथ जु ड़ा रहता है । बृहत अणु म एक स लका व दो फॉ फेट
इकाईय क पुनरावृि त होती है और एक अ य त ह मजबूत व थायी जालक संरचना बनती
है ।

206
स लकॉन डाइफॉ फेट (SiP0O7) क म त संयु तता (4,6) यु त संरचना ।
इनके अ त र त कु छ अ य अकाब नक बहु लक न न ह -
(1) काबधाि वक बहु लक (Organo-elemental Polymers) - ये बहु लक काब नक बहु लक
तथा अकाब नक बहु लक के म यवत होते ह, अत: इ ह काब नक व अकाब नक बहु लक के
म य के सेतु बहु लक (bridge polymers) कहा जाता है । इनम मु य खृं ला या मे द ड
काबन के अ त र त क ह ं अ य त व परमाणु ओं वारा न मत होता है, जब क इससे जु ड़े
हु ए समू ह काब नक समू ह होते ह । उदाहरण: पॉल सलो सेन(Polysiloxanes),
पॉल ऐलुमो सेन (Polyaluminoxanes) तथा पॉल टाइटे नो सेन (polytitanoxanes) को
न न संरचनाओं वारा द शत कया जा सकता है ।

इनम [R=] एि कल, फे नल, नाइ ाइल अथवा हैलोऐि कल समू ह


काबधाि वक बहु लक क संरचनाऐं
(2) उपसहसंयोजक बहु लक (Coordination Polymers) - इन बहु लको म पुनरावृि त करने
वाल येक इकाई म कम से कम एक उपसहसंयोजक बंध अव य होता है । उपसहसंयोजक
बंध धातु परमाणु के साथ बनता है । यह धातु परमाणु अ धकांशत: मे द ड म होता है ।
धातु परमाणु क उपसहसंयोजन सं या (coordination number) का मान 4 अथवा अ धक
होने क ि थ त म ये बहु लक संकु ल यौ गक क भां त समावयवता (isomerism) भी द शत
करते है ।
धातु क उपसहसंयोजक सं या 2 क ि थ त म सरल रे खीय बहु लक बनते ह । य द उसम
असंत ृ त ऐ काइन समू ह हो तो वपर त ब धी  -क क के साथ d  - p कार के
प चब धन (back bonding) भी बनते ह । उदाहरण: = (R-C  C-Cu)n अथवा R-C
 C-Ag)n कार के बहु लक क संरचना को न न कार से द शत करते है ।

(R-C  C-Cu)n क संरचना

207
उपसहसंयोजन सं या 3 वाले बहु लक सामा यतया कम होते ह । इनम स पलाकार खृं लानुमा
बहु लक य संरचना बनती है । उदाहरण: ाइसायनो ए थल फॉ फ न नकल काब नक बहु लक
क संरचना न न है-

[( NCH 4C2 )3  P  NiCO]n क संरचना


(3) इले ॉन यून बहु लक (Electron deficient polymers) - जब के य परमाणु का
अ टक पूण नह ं होता तो ऐसे बहु लक उपचायक पदाथ वारा इले ॉन हण कर सकते ह,
अत: इन बहु लक को इले ॉन यून बहु लक कहा जाता है । Li, Be, B, Mg, Al, Zn
आ द त व इले ा न यून बहु लक बनाते ह । उदाहरण: डाइमे थल बे र लयम बहु लक

[(CH 2 )2 Be]n क रे खीय बहु लक खृं लायु त संरचना


इसम बे र लयम के चार ब ध 3C- 2e ब ध ह, अत: यह एक इले ॉन यून बहु लक है

बहु धनायन व बहु ऋणायन(Polycations and Polyanions) - कई धनायन तथा ऋणायन पर पर

हाइ ो सी तथा ऑ सी [M-O-M] सेतु ओं वारा संघ नत सरल इकाईय

क पुनरावृि त वाले आयन का नमाण करते ह , ऐसे आयन को बहु धनायन अथवा बहु ऋणायन कहा
जाता है ।
उदाहरण : टल य िजक नल लोराइड म िजक नयम न न कार के च य बहु धनायन के प
म होता है -

208
बहु धनायन [ Zr4 (OH )8 ( H 2O )16 ] क संरचना
18

बोध न : 1 आि वक सं र चना के आधार पर अकाब नक बहु लको का व गकरण क िजये ।

14.3 स लकॉन (Silicones)


स लकॉन, काबन व ऑ सीजन के बहु लक यौ गक को स लकॉन (silicones) कहा जाता
है । ये उदासीन अणु होते ह और इनक संरचना म स लकॉन तथा ऑ सीजन परमाणु एका तर
म म खृं ला (chain) , वलय (ring), अथवा जाल (net works) के प म यवि थत
होते ह और िजनके पा व म काब नक समूह जु ड़े रहते ह ।
SiCl4 के पूण जल अपघटन म SiO2 बनता है जो एक कठोर वमीय संरचना होती है ।
इस अ भ या से े रत होकर क पंग ने डाइऐि कल डाइ लोरो सलेन के जलअपघटन से
क टोन जैसे स लकॉन यौ गक बनाने चाहे । य य प स लकॉन (Si) के उ पाद सामा य क टोन
क तुलना म ब कुल भ न होते ह, क पंग ने उ ह मू लानूपाती सू (R2CO व R2SiO)
क समानता के आधार पर स लकन व क टोन के अंश (Silic+one) को मलाकर इन यौ गक
को स लकॉन नाम दया।
उ पाद के ब धन, अत: कृ त म अ तर, स लकन म 3d क क क उपि थ त के कारण
है । ऑ सीजन के 2p क क के साथ  -अ त यापन के लए जहां काबन के 2p क क
भाग लेते ह । स लकन म बा य 3d क क इस हे तु उपल ध है । फल व प स लकन
ऑ सीजन वबंध अ य धक अ थायी बंध बनाने के लए जलअपघटन के प चात हाइ ो सी
अणु (म यवत उ पाद) H2O अणु नकलते है । ये H2O अणु अलग-अलग अणु ओं के संघनन
से ा त होते ह िजससे –Si-O-Si-O- खृं ला बन जाती है ।

14.3.1 स लकॉन के वरचन क व धयां (preparation of silicones)

सलो सेन यौ गक का सं लेषण काब स लकन लोराइड या काबए कॉ सीले न के


जलअपघटन से कया जा सकता है। ारि भक अ भकमक के जलअपघटन से सव थम

209
म यवत यौ गक ा त होते ह िजनके संघनन से जल नराकरण के साथ सलो सेन बनते
है । उ पाद क संरचना व कृ त ारि भक अ भकमक क कृ त पर नभर करती है ।
काब, वकाब तथा एकलकाब स लकन लोराइड के जलअपघटन से भ न- भ न कार
के स लकॉन ा त होते ह जो न न ह -
(1) काब स लकन लोराइड का जलअपघटन - काब स लकन लोराइड के जल अपघटन से
ा त सलेनॉल म येक स लकन से एक –OH समू ह ह बं धत होगा । इस अणु के एक
समू ह होने के कारण यह अपने जैसे एक और अणु से ह संघ नत हो सकेगा िजससे
है साकाबनडाइ सलो सेन ा त ह गे । उदाहरण:

(2) वकाब स लकन लोराइड का जलअपघटन - य द येक स लकन पर दो R समूह तथा


दो लोर न परमाणु हो तो एक साथ ह ऐसे दो अणु ओं का संघनन हो सकेगा । अ त के
स लकन परमाणु ओं पर एक-एक –OH समू ह उपि थत रहे गा जो आगे और संघनन म भाग
ले सकते ह । इस कार यह संघनन आगे बढ़ता है तथा स लकन व ऑ सीजन परमाणु
बार -बार से जुड़ते हु ए एक खृं ला का नमाण करते ह जैसा क नीचे बताया गया है-

यह भी संभव है क संघनन होते-होते पहले और आ खर अणु एक दूसरे के नकट, आ जाये


। ऐसी ि थ त म संघनन और आगे नह ं बढ़ पायेगा तथा च य यौ गक ा त ह गे । उदाहरण:

हे सामे थल च य ाइ सलो सेन वदशमे थल च य हे सा सलो सेन


(3) एकलकाब स लकन लोराइड का जलअपघटन - इस कार के स लकन लोराइड के
जलअपघटन से ा त सलेनॉल समू ह ह गे । दो अणु ओं के संघ नत होकर उपयु का कार
क खृं ला का नमाण करने के अ त र त येक स लकन एक और ब ध बना सकेगा िजसके
वारा ये खृं लाऐं आपस म जुड़ी रहती है । इस कार क संरचना को न न प से द शत
करते ह:

210
उपयु त संरचनाओं के अवलोकन से प ट हो जाता है क काब स लकन लोराइड /
एलकॉ साइड के जलअपघटन से न मत स लकॉन का नमाण करने वाल तीन मूलभू त इकाईयां न न
है:

स लकॉन संरचना न मत करने वाल इकाईयां


इकाई I के आ जाने से खृं ला का अंत आ जायेगा तथा वह और आगे नह ं बढ़ सकेगी ।
इकाई II के योग से खृं ला को मनोवांि छत ल बाई तक बढ़ाया जा सकेगा तथा इकाई III के आ
जाने से खृं ला से एक शाखा नकल जायेगी । इस कार इन इकाईय के चयन से मनोवांि छत संरचना
के स लकॉन बनाये जा सकते ह । इसके लए उपयु त अनुपात म एक से अ धक कार के काब स लकन
लोराइडाऐ कॉ साइड लेकर उनका जलअपघटन करते है । उदाहरण: Me3SiCl तथा Me2SiCl2 ,
के 2:1 तथा 1:1 अनुपात म म ण के जलअपघटन से न न स लकॉन ा त ह गे-

बोध न 2 : स लकॉन सव थम कसी वै ा नक वारा बने गये ?

211
14.3.2 स लकॉन के गुण (Properties of silicones)

ये सामा यत: तेल जैसे व तथा कभी-कभी टल य ठोस के प म पाये जाते ह । बहुत
से न नभार के स लकॉन बे जीन, ईथर, CCl4 आ द सामा य काब नक वलायक म वलेय
होते है । ये व युत कु चालक ह तथा इनके पृ टतनाव भी काफ कम होते है । म द रसायन
के त स लकॉन सामा यत: अ य होते ह । बल या कारक के साथ ये या करते
ह िजनम Si-O-Si ब ध टू ट जाता है । मु य भौ तक गुण व रासाय नक अ भ याऐं न न
कार ह-
(i) ऊ मीय था य व- स लकॉन को गम करने से इनका आसानी से अपघटन नह ं होता । कुछ
स लकॉन तो 250-3000 थायी पाये जाते ह । एक बड़े ताप प रसर -700C से 2500 तक
अपने भौ तक गुण बनाए रखने के कारण स लकॉन रबर ताप प रवतन क . एक ल बी प रसर
पर भी अपने लचीलेपन को बनाए रखते ह ।
(ii) यानता - ह के स लकॉन ग तशील व ह जब क अ धक ज टल यौ गक व कासी व के
प म पाये जाते ह । इनक यानता ताप के साथ बहु त कम प रव तत होती है । अत: ये
पदाथ नेहक (lubricant) के प म उ च ताप पर भी योग म लए जाते ह ।
(iii) जल तकषकता - काबसमू ह (ऐि कल या ऐ रल) उपि थत होने के कारण जल तकषक
(water repellant), के प म यु त होते ह । अत: इ ह पे ट, वा नश इ या द बनाने
के काम म लेते ह ।
(iv) अ ल से अ भ या- नजल य सा अ ल के साथ अ भ या करने पर इन यौ गक का
सलॉ सी ब ध टू ट जाता है तथा स लकॉन का नमाण होता है ।
R3 Si  O  SiR3  HCl  R3 SiOH  R3 SiCl
R3 Si  O  SiR3  H 2 SO4  R3 SiOH  R3 SiHSO4
(v) बल ार से अ भ या - यहां भी Si-O-Si ब ध टू ट जाता है तथा सलेनॉल व सलेनोएट
बनते ह ।
R3 Si  O  SiR3  KOH  R3 SiOH  R3 SiO  K 
(vi) अपचयन - ल थयम ऐलु म नयम हाइ ाइड वारा सलो सेन का सलेन म अपचयन हो जाता
है ।
[O  R2 Si ]n  2nLiAlH 4  4nH 2 SiR2  nLi2 O  nAl2O3
(vii) ी यार अ भकमक से अ भ या - काबल थयम या ी यार अ भकमक जैसे काबधाि वक
यौ गक भी Si-O ब ध को तोड़ दे ते ह ।
nHOH
[  R2 Si  O ]n  nRMgX  nR3 SiO  MgX   nR3 SiOH  nMgXOH

nHOH
[  R2 Si  O ]n  nRLi  nR3 Si  OLi   nR3 SiOH  nLiOH

बोध न 3: स लकॉन बल ार के साथ या अ भ या करते है ?

212
14.3.3 स लकॉन के अनु योग (Application of Silicones)

व श ट गुण के कारण स लकॉन कई जगह काम म लए जाते ह । तथा प, शर र या मक


(physiological) स यता के कारण इ ह औषध तथा खा य उ योग म काम म नह ं लया
जाता है । कु छ मु य उपयोग न न ह
(1) स लकोन रबर - अ धक आि वक ज टलता वाले स लकॉन गुण म सामा य काब नक रबर
से काफ मलते ह । अत: इ ह स लकॉन रबर कहते ह । ल बे ताप प रसर पर स लकॉन
रबर के गुण अ भा वत रहने के कारण ये न न तथा उ च ताप पर अ धक उपयोगी रहते
ह । अब ऐसे स लकॉन रबर बनाये जा चु के ह जो -900 C तथा 5400C पर भी उपयोग
म लए जा सकते ह । 1500 पर बहु त ल बे समय तक इनका उपयोग कया जा सकता है
। इन पदाथ का उपयोग गा केट(gasket) , सील(seals) , जाला तरोधी, रबर, रबर टे प,
रबर सांचे बनाने म कया जाता है ।
(2) स लकॉन तरल - मे थल स लकॉन बहु लक बहु आयामी उपयोग के तेल य व ह । कुछ मु य
उपयोग न न ह-
(a) उ च ताप पर जहां सामा य काब खृं ला वाले बहु लक क नेहक के प म उपयो गता
समा त हो जाती है ल बी ताप प रसर (-50 से 250 C) तक
0 0
थायी रहने के कारण
स लकॉन नेहक के प म काम आते ह ।
(b) स लकॉन तरल से इम सन बनाए जाते ह इ ह जल तकष तफेनक कमक
(antifoaming agent) एवं चप चपाहट वरोध (antisticking) गुण के उपयोग म
लया जाता है ।
(c) लोरोनीकृ त वलायक म इनके वलयन सतह को जल तकष बनाने म काम म लए
जा सकते ह ।
(d) ऊ मा के त था य व, जल शोषक क कम वृ त तथा शि त का कम म करने के
कारण वे पदाथ व परावै यु तक के प म भी काम म लए जाते ह ।
(e) ये पदाथ कपड़ा व कागज उ योग म भी काम म लए जाते ह ।
(3) नेहक तथा ीस के प म - स लका का अ तबार क चूण मे थल स लकोन म मलाने पर
पे ो लयम जैसा पदाथ ा त होता है िजसका उपयोग ीज के प म कया जाता है । इन
ीज का जीवन पे ो लयम ीज क तुलना म लगभग 10 गुना अ धक होता है तथा उ च
एवं न न ताप पर इनका उपयोग कया जाता है ।
(4) स लकॉन रे िजन - व युत रोधक के लए स लकॉन रे िजन का उपयोग मह वपूण है चू ं क
उ च ताप पर काब नक, रे िजन जलकर न ट हो जाते है, शीशे के रे श,े ए बे टास या अ क
के साथ स लकोन रे िजन को मलाकर ऐसे व युत रोधक बनाये जाते ह िजनके उ च ताप
पर योग से सु र ा बनी रहती है ।

213
14.4 सारांश (Summary)
 बहु लक वे पदाथ कहे जाते ह िजनक संरचनाऐं संयोजकता ब ध यु त सरलतर
संरचना मक इकाईय (structural units) क पुनरावृि त से बनी मानी जा सकती है।
 काबन के अ त र त अ य त व के परमाणुओं से बनी हु ई असं य इकाईयां पर पर
सहसंयोजक ब ध वारा जु ड़कर एक वृहत ् अणु बनाऐं, तो ऐसे वृहत ् अणु ओं को
अकाब नक बहु लक कहा जाता है ।
 अकाब नक बहु लक का कई कार से वग करण कया गया है ।
 स लकॉन, स लकन के वे काबधाि वक यौ गक है िजनम Si-O-Si ब ध पाया जाता
है ।
 स ल सेन यौ गक का सं लेषण काब स लकन लोराइड व काबए कॉ सीलेन के जल
अपघटन से कया जा सकता है।
 बल Si-O व Si-C ब ध होने के कारण ऊ मा के त ये यौ गक अ य त थायी होते
ह ।
 उपयु त व श ट गुण के कारण स लकॉ स अ य त उपयोगी पदाथ बन जाते ह ।

14.5 श दावल (Glossary)

समपरमाि वक  Homoatomic
वषमपरमाि वक  Heteroatomic
वम आकाश  Stereochemistry
रे खीय बहु लक  Liner Polymer
काबताि वक  Organic elemental polymer
बहु लक
सेतु बहु लक  Bridge Polymer
उपसहसंयोजक  Coordinate Polymer
बहु लक
स लकॉन  स लकन, काबन व आ सीजन के बहु लक यौ गक को
(Silicons) स लकॉन कहा जाता है ।
काब स लकन  Si से जु डे काबन क सं या तीन होती है ।
लोराइड
वकाब स लकन  Si से जु डे काबन क सं या दो होती है।
लोराइड
एकल  Si से जु डे काबन क सं या एक होती है।
काब स लकन
लोराइड

214
नेहक  Lubricant
जल तकषक  water repellant

14.6 स दभ ग थ (Reference Books)


अकाब नक रसायन के र से ट आसपे स  आर.सी.अ वाल
अकाब नक बहु लक  जी.आर. चटवाल
एडवा सड इनऑग नक रसायन  एस.के. अ वाल, क मती लाल

14.7 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. समपरमाि वक तथा वषमपरमाि वक बहु लक
2. क पंग
3. R3 Si  O  SiR3  KOH  R3 SiOH  R3 SiOK 
सलेनॉल सलेनोएट

14.8 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. अकाब नक बहु लक से या ता पय है?
2. अकाब नक बहु लको का वग करण समझाइये ।
3. स लकॉ स या है? उनके उपयोग ल खये ।
4. स लकॉ स के सं लेषण क व धयां ल खये ।
5. न न पर ट पणी ल खये -
(i) ास ब ध बहु लक
(ii) इले ॉन यु म बहु लक
(iii) उपसहसंयोजक बहु लक
6. न न पर ट पणी ल खये ।
(i) स लकॉन के खृं ला एवं च य बहु लक
(ii) स लकॉन रबर

215
इकाई-15
फॉ फेजी स
(Phosphazenes)
इकाई क परे खा
15.0 उ े य
15.1 तावना
15.2 फॉ फेजी स बनाने क व धयां
15.3 रासाय नक अ भ याऐं
15.4 सारांश
15.5 श दावल
15.6 बोध न
15.7 बोध न के उ तर
15.8 संदभ थ

15.9 अ यासाथ न

15.0 उ े य (Objective)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् हम न न ब दुओं का अ ययन कर पायगे -
 फॉ फेजी स या होते है?
 फॉ फेजी स के उपयोग?
 फॉ फेजी स के कार अथात ् ये कतने कार क होती है?
 ाई फॉ फेजी स तथा टे ा फॉ फेजी स जैसे (PNCl2)3 ,(PNCl2)4 & (PNCl2)n आ द
 फॉ फेजी स म उपि थत P तथा N के ऑ सीकरण अव था का अ ययन ।
 फॉ फेजी स म उपि थत संकरण, संरचना तथा ब ध के कार का अ ययन भी हम
करगे।
 फॉ फेजी स के बनाने क व धयां तथा रासाय नक अ भ याओं का अ ययन भी हम
इसी अ याय म कर पायगे।

15.1 तावना (Introduction)


फॉ फोरस एवं नाइ ोजन से न मत वषम अणु बहु लक इस कार के उदाहरण ह । इनक
संरचना मक इकाई फॉ फोरस तथा नाइ ोजन के साथ मलकर बनी होती है । फॉ फोरस तथा
नाइ ोजन दोन ह वग सं या प ह के सद य ह िजनम वलय संरचना होने के कारण इनका
था य व बढ़ जाता ह । नाइ ोजन, फॉ फोरस क तुलना म अपे ाकृ त कम याशील होता
ह । अत: नाइ ोजन, फॉ फोरस तथा हैलोज स के साथ संयु त प से बनाये
गये बहु लक य यौ गक को फॉ फेजी स कहते ह । इनम इकाई होती है ।

216
फॉ फोरस व नाइ ोजन दोन त व म खृं लन (Catenation) का गुण अ य त सी मत होता
है । फॉ फोरस के अ धकतम दो परमाणु तथा नाइ ोजन के अ धकतम तीन परमाणु P2H4
तथा N3 , (ऐजाइड आयन) म पर पर एक-दूसरे के साथ जु ड़े रहते ह । ले कन य द फा फोरस
व नाइ ोजन दोन परमाणु पर पर या एक-दूसरे के साथ जुड़ जाएं तो व भ न कार के
फा फेजीन बहु लक अथवा फॉ फोनाइ लक यौ गक (Phosphonitrilic Compounds)
का नमाण होता ह । इन यौ गक म फॉ फोरस ऑ सीकरण अव था V म होता है । जब क
नाइ ोजन आ सीकरण अव था III म रहता ह । अणु क व युत उदासीनता को बनाये रखने
के लए अ धकाशत: हैलाइड आयन होते ह, इस कार फॉ फोनाइ लक हैलाइड बनते ह ।
ये च य तथा वकृ त खृं ला दोन कार के होते है । फॉ फेजी स को न न कार वग कृ त
कया जा सकता है -
(i) मोनोफॉ फेजीन (उदाहरणाथ – X3P=NR)
(ii) डाइफॉ फेजीन (उदाहरणाथ – X3P=N,P(O)X2)
(iii) पॉल फॉ फेजीन (उदाहरणाथ - (-X2P=N-)n) जहां n= 2,3,4... n
(iv) च य या साइ लो पील फॉ फेजीन (उदाहरणाथ - (-X2P=N-) जहां n= 2,3 ,4,5.... 17
ऐ तहा सक (Historical)- फॉ फोरस तथा नाइ ोजन के बहु त से यौ गक बनाये जा चु के है,
ले कन यहां हम उन P=N ब ध यौ गक को द शत करग िज ह (X2PN)n सू वारा दशाया
जा सकता है, (X=F, Cl, तथा Br) । इन हैलाइड म से लोराइड को बहु त पहले (1834)
PCl5 पर NH3, क अ भ या से बनाया गया था, ले कन फॉ फेजी स का सु यवि थत ढं ग
से अ ययन सव थम टॉ स (Stokes) नामक वै ा नक ने सन ् 1895 म कया था, उ ह ने
PCl5 तथा उ च दाब पर NH3 क या वारा इ ह न मत कया था ।
सन ् 1925 म रोमर (Romer) ने इनम वलय संरचना क जानकार द थी । सन ् 1956
म मेहरो ा तथा कपूर ने फॉ फोनाइ ई लक लुओराइड तथा फॉ फोनाइ ा लक ोमाइड
का सं लेषण कया था िजस पर इलाहाबाद व व व यालय ने डॉ. कपूर को डी.एस.सी. क
उपा ध द थी । सन ् 1977 म कपूर तथा चतु वद ने फा फौनाइ लक हैलाइड का
बो टधारा म त अ ययन कया था ।
सन ् 1980 म बोराजी स क तरह कपूर तथा चतु वद ने इनका फॉ फेजी स नाम दया था
। वतमान म फॉ फोनाइ ा लक हैलाइड को सं ेप म फॉ फेजी स कहते ह ।

15.2 फॉ फेजी स बनाने क व धयां


सं लेषण (synthesize) - व पलक ने फॉ फोनाइ लक लोराइड सव थम ल बग
(Liebig) तथा होलर (wholer) वारा PCl5 तथा NH3 क अ भ या से 1834 म बनाये
गये थे ले कन इनक टाइ कयोमी तथा संरचना बहु त बाद म ह ात कये जा सके थे
। इन यौ गक को बनाने के लए PCl5 तथा NH4Cl को गम कया जाता ह ।
फॉ फोनाइ ा लक हैलाइड क े णी म लक (Trimer) अथवा चतु यक (Tetramer) वलय

217
समावयवी मु य प से बनाये गये ह । इस ेणी म लोराइड तथा ोमाइड मु ख है ।
आयोडाइड अभी ात नह ं है ।
इनका नमाण मु य प से दो व धय वारा कया जाता है ।
(1) पुरानी व ध (old Method) (2) आधु नक व ध (Modern method)
(1) पुरानी व ध (Old Method) - इस व ध को शक तथा रोमर (Shenk & Romer) ने
1925 म दया था । उ ह ने PCl5 तथा NH4Cl क पैराडाई लोरो बै जीन वलायक म
398-423 K ताप पर या करवाकर च य फॉ फोनाइ लक लोराइड के लक का म ण
ा त कया था ।

जब यह अ भ याऐं PCl5 तथा NH4Cl क अ धकता म क जाती ह तो च य फा फेजीन


का म ण ा त होता है िजसम पॉ लफॉ फेजीन क अ धकता पायी जाती है । या न न
कार से होती है

इस अ भ या म n का मान 3 से 6 तक होता है । था य व क ि ट से n का मान 3


से 4 के म य होता है ।
` या व ध (Mechanism) - PCl5 तथा NH4Cl के म य होने वाल रासाय नक अ भ या
क या व ध को छ: मु ख पद म न न कार से बताया जाता है ।
1. थम पद - इसम PCl5 का वघटन होता है तथा (PCl4)(+) तथा (PCl6)(-) दे ता ह ।
2PCl5  PCI 4 (  )  PCl6(  )
2. दूसरा पद – इस पद मे NH4Cl का वघटन होकर NH3 तथा HCl बनते ह ।
NH 4Cl  NH 3  HCl
3. तीसरा पद - इसम (PCl4)(+) NH3 से या करके PCl3 = NH दे ता है ।

()  HCl
PCl4  NH 2  PCl3 
 NH 3  
H

 Cl3 P  NH
इमीनोफॉ फोरस ाई लोराइड
4. चौथा पद - इसम HCl बाहर नकलकर PCl4
()
, PCl6(  ) इमीनोफॉ फोरस डाई लोराइड
से या करके है सा डाईफॉ फेमीन कैटाइन तथा फा फोरस है सा लोराइड
ऐनाइन दे ता है।
PCl4(  )  PCl6   Cl3 P  NH 
 HCl

[Cl3  N  PCl3 ]  [ PCl6 ]

218
4. पांचवा पद - इस पद म डाइफा फोमीन NH3 से कया करती है तथा ाईफा फेजीन का संकु ल
बनाती है तथा ोट न यागती है ।
 HCl
[Cl3 P  N  PCl3 ]  NH 3 
H
[Cl3 P  N  Cl2 P  NH ]
5. छठा पद - यह अं तम पद है इसम HCl यागकर NH3 क अ धकता से च य नाइ ा लक
हैलाइड बनती है।

NH 3
[Cl3 P  N  Cl2 P  NH ]  [ PCl4 ] [ PCl6 ] 
 HCl
[Cl3 P  N  Cl2 P  PCl3 ] 


P3 N3Cl6  3HCl  PCl5
(साइ लो ाईफा फेजीन) अथवा

इसी कार से फा फोनाइ ाइ लक ोमाइड भी बनते ह । इनका नमाण PBr3 , पर NH4Br


क या वारा कया जाता है ।

7 PBr3  7 NH 4 Br  ( Br2 PN )3  ( Br2 PN ) 4  28HBr
सन ् 1982 म फा फोनाइ ा लक बहु लक के ऐि कल CH3 मे थल तथा फे नल यु प न
न मत कये गये ह ।

7 NH 4Cl  7(CH 3 ) 2 PCl3  [(CH 3 ) PN ]3  [(CH 3 ) PN ]4  28HCl
7[(C6 H 5 ) 2 PCl3 ]  7 NH 4Cl  [(C6 H 5 ) 2 PN ]3  [(C6 H 5 ) 2 PN ]3  28 HCl

2. आधु नक व ध (Modern Method) - यह व ध औ यो गक व ध कहलाती है । इसम


सो डयम ऐजाइड अथवा ल थयम ऐजाइड पर फॉ फोरस ाई हैलाइड अथवा उनके त था पयो
क या वारा फॉ कोनाइ ाइ लक हैलाइड बनाते है । ऐसा करने पर अ धकतम 20 से 48
तशत तक उ पाद ा त होता है । इस कार क या के कु छ मु ख उदाहरण न न है–

nPCl3  nNaN 3 
(Cl2 PN )n  N 2   NaCl

nPBr3  nLiN 3  ( Br2 PN )n  N 2   LiBr

nPBr3  nLiN 3  ( Br2 PN ) n  N 2   NaBr
इसी कार से त था पत फे नल अथवा लुओरो यु प न भी बनते ह ।

nC6 H 5 PCl3  NaN 3 
(C6 H 5ClPN ) n  N 2   NaCl

(CF3 ) 2 PCl  LiN 3  [(CF3 ) PN ]n  N 2   LiCl
गुणधम - फॉ फेजी स ेणी के बहु लको म रे खीय तथा च य सद य ात है । च य लक फॉ फेजीन
एक रं गह न ठोस होता है िजसका गलनांक 113 C है । िजसका नवात म 500C पर शी ता
0

से ऊ वपातन हो जाता है । इसम च य फॉ फेजी स अ धक थायी होते ह । इस े णी म


लोरो यु प न सबसे पुराने ात ह । पॉल फॉ फेजीनो म कोर न परमाणु अ य धक याशील
होते है एवं अ धकांश अ भ याओं म ये ऐि कल, ऐ रल, हाइ ॉ सी R,NSC, या NR2 समू ह
वारा त था पत हो जाते ह । (Cl2PN)3 तथा (Cl2PN)4 टल य ठोस पदाथ ह । रे खीय

219
फॉ फोनाइ ा लक बहु लक क ेणी म रबड के समान गुण पाये जाते ह तथा इनका उ च
आि वक यमान होता ह जो 20,000 से अ धक होता है ।
च य फा फोनाइ ा लक हैलाइड म (Cl2PN)3 मु ख है ।
1. वायुम डल दाब पर गरम करने पर यह 3870K पर पघलता है तथा 5070K पर उबलने लगता
ह । यह अ ु वीय वलायक जैसे C6H6, CCl4, 1,4- डाई ऑ सेन इ या द म वलेय रहता
है ।
कार से (Cl2PN)4 बहु लक 397 K पर पघलता है तथा 525 K पर उबलने लगता है
0 0
इसी
यह व C6H6, CCl4, 1,4- डाई ऑ सेन म अपे ाकृ त कम वलेय रहता है ।

15.3 रासाय नक अ भ याएं


फॉ फोनाइ ा लक हैलाइड म फॉ फोरस से जु ड़ी हैलोजन Cl, Br इ या द याशील कृ त
क होती है । अत: वह आसानी से त था पत क जा सकती है । यह कारण ह क
फॉ फोनाइ ाइ लक हैलाइ स त थापन अ भ याऐं द शत करते है ।
पौटे शयम लुओरो स फोन तथा डाईमे थल ऐमीन के साथ या इसका सरल उदाहरण है
। इसका जल अपघटन भी हो सकता है ।
1. बजीन से अ भ या - AlCl3 क उपि थ त म N3 PCl
3 6 बजीन से या करके डाइफे नल
यु प न बनाती है ।
AlCl3
N 3 P3Cl6  C6 H 6   N 3 P3 (C6 H 5 )2 Cl4
2. जल अपघटन - बल अ ल क उपि थ त म उबलते जल से जल अपघटन कराने पर
फा फोनाइ ाइ लक लोराइड अपघ टत होता है तथा वघ टत होकर अमो नया HCl तथा
आथ फॉ फो रक अ ल दे ता है।
H

( PNCl2 ) 3  12 H 2O   6 HCl  3NH 3  3H 3 PO4
त थापन अ भ याऐं
1. NaF से या - सो डयम लुओराइड के साथ गरम करने पर फॉ फोनाइ ाइ लक लोराइड
फॉ फोनाइ ाइ लक लोओराइड म बदल जाता है ।
6 NaF  ( PNCl2 )3 
  6 NaCl  ( PNF2 )3
फा फोनाइ ाइ लक लोराइड फॉ फोनाइ ाइ लक लोओराइड

2. ऐ कॉ साइडो से या - सो डयम मेथॉ साइड अथवा सो डयम एथॉ साइड फॉ फोनाइ ाइ लक


लोराइड से या करके डाईऐ का सी यु प न दे ते ह ।
6CH3ONa  ( PNCl2 )3  [ PN (OCH 3 ) 2 ]3  6 NaCl
सो डयम मेथॉ साइड डाई मेथॉ साइड फॉ फोनाइ ाइ लक लोराइड
3. लैड लु ओराइड से या - त थापन अ भ या स प न होती है तथा लैड लोराइड बनता
है ।

3PbF2  ( PNCl2 ) 3   3PbCl2  ( PNFl2 )3

[ NPCl2 ]3  3PbF2   N 3 P3 F6  3PbCl2

220
कु छ लक चतुथलक म प रव तत हो जाते ह ।
PbF2
N 3 P3Cl6   N 4 P4 Cl4 F4  N 4 PCl2 F6
4. डाई मे थल ऐमीन से या - इस अ भ या म (PNCl2)3 से दो Cl2 परमाणु त था पत
होते ह । तथा N-N डाईमे थल फा फोनाइ ाइ लक लोराइड बनता है ।
( PNCl2 )3  2(CH 3 )2 N  H  P3 N5Cl4 (CH 3 )4 अथवा

5. पौटे शयम लुओरो स फोन से या - त थायी लुओरो लोरो यु प न बनता है ।

या

6. ईथर य जल अपघटन - यह अपघटन ईथर क उपि थ त म जल क या वारा होता ह


। तथा समावयवी प रवतन वारा फॉ फोनाइ ा लक अ ल बनता है ।
( PNCl2 )3  6 H 2O)  6 HCl  P3 N3 (OH ) 4 अथवा

संरचना - लक हैलाइड म P तथा N परमाणु एक छ : सद य वाल वलय का नमाण करते है


तथा येक P परमाणु से दो हैलोजन परमाणु बि धत रहते ह । है सा लोरोसाइ लो ाइ फा फेजीन
म वलय के सभी सद य लगभग समतल य होते ह तथा सभी P-N बंध दू रयाँ समान होती है । इस

221
अणु म P  N1.58 A , P  Cl1.97 A0  NPN 118.40  PNPl 21.40 तथा  ClPCl11020
पाये जाते ह । अ य सभी लोराइड म वलय असमतल य होती है ।

च य लक (NPF2)3 पूणत : समतल य ह । सभी P-N ब ध दू रयाँ (1. 56AO) समान


है । LNPN(1210) तथा <PNP(1190) लगभग समान ह, िजसम फॉ फेजीन वलय लगभग
नय मत षटकोणीय होती है । इनको पॉल फॉ फेजी स भी कहते ह इनम P तथा N उपि थत
होने के कारण इनका अकाब नक बहु लको म अ ययन कया जाता है ।
यह अ धकतर त थापन अ भ याऐं दे ते ह ।
ब धन (Bonding) - ाईफॉ फेजी स (Triphosphazenes) च य लक फॉ फेजीन क 6 सद य
वाल वलय म 6  इले ॉन होते है तथा इसम ु वीय सहसंयोजक ब धन पाया जाता है
। इसका मु ख कारण नाइ ोजन, फॉ फोरस तथा हैलोजन परमाणु ओं के म यम व युत
ऋणता का अ तर ह । फॉ फेजीन म उपि थत नाइ ोजन परमाणु दुबल ार य कृ त के
होते ह । इनका व युत रासाय नक अपचयन आसानी से नह ं होता । इसके अ त र त काब नक
 समू ह के समान इनम पे म भाव नह ं होता । फा फोरस तथा नाइ ोजन म मश:
sp तथा sp , संकरण पाया जाता है । N परमाणु म र त d-d क क का अभाव होता
3 2

ह, जब क P म र त –d- क क पाये जाते ह । वे N-P ब ध के म य d  - p 


अ त यापन करते ह । इस बंध म आवेश का वाह हैलोजन परमाणु क और होता है । N
तथा P परमाणु ओं से बनी वलय समतल य (Co-Planar) होती ह । िजसम वब धन के
कु छ आं शक ल ण पाये जाते है । फॉ फेजीन म वब धन का कारण d  - p  ब धन
होता ह जो क न न दो कारण से संभव ह -
(i) नाइ ोजन के एकल प से भरे l Pz क क के दो फा फोरस के dxz तथा dyz क क
के साथ अ त या वारा इसम (Heteromorphic) अभासी ऐरोमै टक
(Pseudoaromatic) d  - p  बंधन या (homomorphic) बंधन (dy क क के
वारा) बनता ' है ।
(ii) सम मत प से येक N परमाणु पर उपि थत sp , एकाक यु म फॉ फोरस पर उपि थत
2

र त एवं dx -y एवं dxy क क के साथ उपसहसंयोजन । अ धकतम ब धन, नाइ ोजन


2 2

222
पर 180 ब ध कोण के साथ संभव है । फा फोनाइ ाइ ा लक हैलाइड म p-x ब ध क बढ़ती
0

हु ई ल बाई का कम न न है –
P-F<P-Cl<P-Br
1.62AO 1.97AO 200AO
बढ़ती हु ई ल बाई
इस आधार पर (PNF2)3 तथा (PNCl2)3 फा फेजी स क संरचना को ब ध ल बाई के सापे
न न कार से द शत कया गया ह ।

है सा लुओरो साइ लो ाई फॉ फ़ेजीन क षटकोणीय संरचना

है सा लोरो साइ लो ाई फॉ फ़ेजीन क षटकोणीय संरचना


इसी कार से इनके ोमो यु प न क संरचना भी षटकोणीय पायी जाती है ।
संयोजकता ब ध स ा त (Valence Bond Theory)-
इस स ा त क धारणा हटलर एवं ल दन नामक वै ा नक ने द थी तथा पाऊ लंग एवं लेटर
ने इसे संशो धत प म य त कया था । यह स ा त अ त यापन, संकरण एवं अनुनाद
पर आधा रत ह । N- परमाणु क sp संक रत अव था तथा p परमाणु sp क संक रत
2 3

अव था के म य संयु मन भाव (Conjuction effect) को तल के ऊपर तथा तल के नीचे


न न कार से द शत कया जा सकता है ।

223
224
च : च य फॉ फेजी स म आदे श का वतरण
इस कार से येक फा फोरस म र त 3d-क क का उपयोग रासाय नक ब ध बनाने म कया
जाता है ।
2. अणु क क स ा त (Molecular Orbital theory)
(PNX2)3 एक वषम ना भक य बहु परमाि वक अणु ह िजसम नाइ ोजन परमाणु 2p क क,
फा फोरस परमाणु के 3d क क के साथ d  - p  बंध बनाते ह । N क तुलना म P उ च
ऊजा क अव था म पाया जाता ह । य य प N के पास अध भरे 2p क क मश:  2 pz ,  2 px
तथा  2 py ऊजा तर म उपल ध रहते ह । तथा P के पास अध भरे 3p क क मश:  3 pz
तथा  3px कोश मलते ह ऊजा तर के इस अ तर के कारण इनम न इले ॉन घन व पूण
प से व था पत नह ं हो पाता ह । अत: तबि धत क क (Antibonding orbitales) म
ह भावी अ त यापन क संभावना को य त कया गया है । चू ं क अ त यापन के लए दो क क
क पा लय के च ह समान होने आव यक है, d क क से अ त यापन करने वाले एक P क क
क धनीय पा ल तथा दूसरे क ऋणीय पाल ऊपर क और होती होगी । इस कार पा लय के
च ह को यान म रखते हु ए अ त यापन को वलय के अ य परमाणु ओं के लए आगे बढ़ाने पर
पाते ह क ाईफा फोनाइ ा लक लोराइड म  इले ॉन पूर वलय पर व थानीकृ त नह ं हो
सकते य क पहले परमाणु P तथा अि तम परमाणु N जो वलय म पड़ोसी ह, के क क क
सम म त आपस म मेल नह ं खाती य क अ त यापन हे तु P क (-) पाल से N क (+) पाल
तथा P क (+) पाल से N क (-) पाल उपल ध है, इस कार का अ त यापन तब धी कृ त
का होता है ।

225
3. आधु नक स ा त (Modern Theory)
यह स ा त मुल कन ने दया था । मुल कन ने बताया क d क क म ऊजा का अ तर होने
के कारण उनम t2g क क dxy, dyz तथा dxz) न न ऊजा अव था म रहती है तथा eg क क
(dz – y2 तथा dz2) जो क उ च ऊजा क अव था म रहते ह । वे
2
 ब ध बनाने क या
म भाग लेते ह इन क क के संयोग से नये क क ा त होते ह जो क पड़ोसी नाइ ोजन परमाणु
के संयोग करते ह । प रणाम व प ऊजा के अ तर जो क 4Dq से अ धक रहने के कारण आवेश
N-P-N के म य व था पत नह ं हो पाता ह, जब क न न ऊजा तर पर रहने के कारण N
का 2pz क क p के समान सम म त वाले क क के साथ P-N-P बंध बनाकर व थानीकृ त
रहता है । मुल कन ने यह भी सु झाव दया क N-P वलय पूण समतल य न होकर कु छ मु ड़ी
हु ई अथवा व था पत भी हो सकती है ।

च मु ल कन का मॉडल (PNX2)3
उपयो गता (Utility) - इनका कई े म उपयोग होता है इनके कु छ मु ख उपयोग न न ह -
1. च क सा के े म (In the field of Medicine) - लुओरो ऐि कल समू ह वारा
त था पत कुछ बहु लक [(CF3CH 2 ) 2 PN ]n इतने अ धक जल तकष होते ह । क वे

226
सजीव ऊतको (Living tissue) से अ भ या नह ं करते ह और इस लए कृ म र त-वा हनी
तथा कृ म अंग के नमाण हेतु उपयु त पदाथ होते ह ।
[ Etoo(CH 2 NH )2 PN ]2 बहु त धीमी ग त से हा न र हत उ पाद म जल अपघ टत होते ह,
अत: इनका उपयोग श य च क सा के प चात ् लगाये जाने वाले टांक के धाग के नमाण म
भी कया जाता है ।
2. औष ध नमाण म - कु छ बीमा रय के उपचार म औष ध क लगातार आव यकता होती ह ।
औष ध वारा त था पत ऐसे फॉ फोजीन बहु लक बना लए जाते ह जो धीमी ग त से जल
अपघ टत होकर औष ध को मु त करते ह । उदाहरण के लए ट रॉयड तथा कै सर रोधी अंश
बहु लक बना लया जाता है जो धीमे-धीमे जल अपघटन से तं को औष ध दे ता रहता ह तथा
पीछे हा न र हत भाग बचा रहता ह ।
3. कृ म अंग के नमाण म (In the Manul ऋFracturing of Artificial organs) - दय
के कृ म वा व, हाथ पैर क कृ म उं ग लयां, कृ म द ताने अथवा जैल एवं ऊतक व ान
म नमू ने रखने क थै लयां पॉल फा फेजी स वारा न मत क जाती है ।
4. कम तापीय रसायन म (In the low Temperature chemistry) - ना भक य वमंदक
को कम ताप पर रखा जाता है । कम ताप पर सामा य रबर कठोर हो जाती ह तथा उसक
या थता घट जाती है । इस क ठनाई को दूर करने हेतु पॉल फा फेजी स का उपयोग कया
जाता है ।
5. व थापन - अ भ याओं म (In the field of substitution reaction) - याशील कृ त
होने के कारण (PNX2)3 कार के फा फेजी स का उपयोग शकागो (संयु त रा य अमे रका)
म ना भक य संय के कचरे (Nuclear waste) को हटाने म कया जाता है । य क ना भक य
कचरे का मु य अवयव धातु ऐं होती है जो हैलोजन से या करके व था पत उ पाद बनाती
है और उनक स यता घट जाती है ।
6. फोम उ योग म (In the Foam industry) - पॉ ल फॉ फेजी स के लु ओर यु प न नरम
होते ह । वे रे शे अथवा त तु के प म वक सत कये जा सकते ह । इनक अ वलनशील कृ त
होती ह । तथा काब नक वलायक से भी ये अ भावी रहते ह । प रणाम व प नरम फोम उ योग
(soft form industry) वशेष कर नरम खलौना उ योग (soft toy industry) म इनका
योग कया जाने लगा है ।
7. लचीले लाि टक के प म ये बहु लक ईधन एवं गा फेट के प म उपयोगी ह ।
8. इनक असाधारण परावै युत ि थरांक के कारण इ ह धातु ओं के आवरण एवं तार के
(Insulation) म काम म लया जाता ह ।
9. ए बे टॉस या काँच के साथ इनका उपयोग अ वलनशील, रोधी आवरण, पदाथ के घटक के
प म कया जाता है ।
10. कु छ पॉल फॉ फेजीन यु प न क टनाशक एवं अ य धक उ च मता वाले के प म भी उपयोगी
पाए गए है।

227
11. उ च ताप पर फ नो लक रे जीन के गुण को सु धारने के लए भी पॉल फॉ फेजीन का उपयोग
कया जाता ह।

15.4 सारांश (summary)


फा फेजी स - नाइ ोजन तथा फॉ फोरस व हैलाइडस मलकर फॉ फेजी स का नमाण करते
ह ।
 इसम उपि थत N, +3 तथा P, +5 ऑ सीकरण अव था दशाते ह ।
 यह सामा यतया दो कार ाई फॉ फेजी स तथा े टा फा फेजी स होती है ।
जैसे : (PNCl2)3 & (PNCl2)4
 इनम उपि थत P व N मश: sp3 एवं sp2 संकरण दशाते ह ।
 फॉ फेजी स मे d  - p  ब ध पाया जाता है ।
 फॉ फोनाइ ाइल म उपि थत हे लोजन का ब ध म न न ह-
P-F<P-Cl<P-Br
1.62AO <1.97AO <2.00AO

15.5 श दावल (Glossary)


वृहद अणु (Macromoecules)  दो या दो से अ धक एकलक इकाईयां आपस म
मलकर एक वृहद अणु का नमाण करती है ।
खृं लन (catenation)  परमाणु क खृं ला बनाने क वृ त खृं लन
कहलाती है ।
फॉ फेजी स  फॉ फोरस, नाइ ोजन तथा हैलाइड से मलकर
बने संयु त यो गक ।

15.6 बोध न (बहु वक पी न)


1. फॉ फोजीन म उपि थत P तथा N क आ सीकरण अव था होगी?
(a) +2, +4
(b) +5, +3
(c) +6, +7
(d) +5, +4
2. फॉ फोजी स का सव थम अ ययन कया?
(a) रोमर
(b) कपूर
(c) टॉ स
(d) ल वंग
3. फॉ फोजी स का म उपि थत P तथा N क संक रत अव था होती है?
(a) sp, sp2

228
(b) sp3, sp2
(c) sp3, dsp2
(d) sp2, dsp3
4. (NPF2)3 म उपि थत P - N ब ध पूर होगी?
(a) 1.6
(b) 2.1
(c) 1.3
(a) 4.1

15.7 बोध न के उ तर (Answer of Intext Question)


1-b 2-c 3-b 4-a

15.8 संदभ ंथ (Reference Books)


Gurdeepraj vol.-II 
Inorganic Chemistry  College Book House –Jaipur
अकाब नक रसायन  सा ह य भवन पि लकेशन, आगरा
अकाब नक रसायन  सा ी पि लकेशन
अकाब नक रसायन  रमेश बुक डपो, जयपुर

15.9 अ यासाथ न (Exercise Question)


I अ त लघु उ तर य न (Very Short Answer Type Question)
1. फॉ फेजी स या है?
2. फॉ फो नाइ ाइ लक बहु लक क ेणी म कन पदाथ को रखा जाता है ।
3. लक फॉ फो नाइ ाइ लक हैलाइडो का एक उदाहरण द िजए?
4. फॉ फेजीन के मु ख कार कौनसे है?
5. ाइफॉ फेजीन म कस कार का बंधन पाया जाता है?
II लघु उ तर य न (Short Answer Type Question)
1. P3N3Cl6 बहु लक क संरचना को आरे खत क िजए?'
2. पॉल फॉ फेजीन कैसे बनाए जाते है?
3. पॉल फॉ फेजीन के मु ख उपयोग बताइए?
4. ाई फॉ फेजीन के बंधन क सं त या या क िजए ।
5. ाई फा फोनाइ ाइ लक हैलाइड म बंधन के संयोगकला ब ध के स ा त क
या या क िजए ।

229
6. फॉ फेजीन म नाइ ोजन व फॉ फोरस क ऑ सीकरण अव थाऐं य है?
7. न न पर ट पणी ल खए :-
(i) फॉ फोनाइ लक बहु लक म P-N बंध क कृ त
(ii) आधु नक स ा त (फा फेजीन)
8. या होता है जब
(i) ाई फॉ फेजीन, सो डयम ए फा साइड से या करता है ।
(ii) ईथर य जल अपघटन
(iii) बजीन से या
(iv) डाई मे थल ऐमीन से या
III व तृत उ तर य या नबंधा मक न
1. (a) फॉ फेजीन या है (PNCl2)3 क संरचना एवं ब धन के बारे म ल खए?
(b) फॉ फेजीन के बनाने क व ध द िजए?
2. फॉ फेजीन का वग करण द िजए । इसके नमाण क व धयां, गुण एवं उपयोग
को व तार से समझाइए।
3. फॉ फोनाइ क हैलाइड पर एक नबंध ल खए?
4. फॉ फोनाइ लक हैलाइड से आप या समझते हो? इनका सं लेषण कस कार
होता है? इसके मु ख गुण व उपयोग का वणन क िजए ।
5. अकाब नक बहु लक के प म फॉ फेजीन के मु ख अनु योग बताइए ।
ाईफा फेजीन म बंधन को समझाइए ।
6. (a) फॉ फेजीन कस कार बनाये जाते है । इसक या व ध समझाइए ।
(b) इनके गुणधम व उपयोग का वणन क िजए ।
7. फॉ फो नाइ लक लोराइड क संरचना व ब धन को समझाइए ।
8. पॉल फा फेजी स के नमाण, रासाय नक अ भ याऐं तथा सं ले षत रसायन म
इनक उपयो गता तथा बंधन क या या क िजए ।
9. फॉ फो फे लक यौ गक कसे कहते है? ( PNCl2 )3 के बनाने क व धयां,
गुणधम तथा संरचना क या या क िजए।
10. फॉ फोनाइ लक हैलाइड से आप या समझते है? इनक संरचना उपयोग व ब ध
क कृ त क या या '' ।

230

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