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CH-05
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा

अकाब नक रसायन
इकाई सं. इकाई पृ ठ सं .
1. थम सं मण ेणी के त व का रसायन 5—21
2. वतीय सं मण ेणी के त व का रसायन 22—34
3. तृतीय सं मण ेणी के त व का रसायन 35—48
4. ऑ सीकरण और अपचयन -I 49—68
5. ऑ सीकरण और अपचयन -II 69—89
6. उपसहसंयोजक यौ गक-I 90—104
7. उपसहसंयोजक यौ गक-II 105—122
8. लै थेनाईड त व का रसायन-I 123—138
9. लै थेनाईड त व का रसायन-II 139—157
10. ऐि टनाईड त व का रसायन-I 158—172
11. ऐि टनाईड त व का रसायन-II 173—187
12. अ ल तथा ारक 188—207
13. नजल वलायक -I 208—215
14. नजल वलायक -II 216—226
15. नजल वलायक -III 227—236

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पा य म अ भक प स म त
अ य
ो. (डॉ.) नरे श दाधीच
कुलप त
वधमान महावीर खु ला व व व यालय
कोटा(राज थान)

संयोजक/ सम वयक एवं सद य


वषय सम वयक सद य स चव / सम वयक
ो. सी. के. ओझा डॉ. अशोक शमा
नदे शक अकाद मक सह आचाय, राजनी त व ान
महा मा गांधी इं ट यू ट ऑफ ए लाइड वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

साइंसेज, जयपुर 4. ो. पी.एस. वमा


रसायन व ान वभाग
राज थान व व व यालय, जयपुर
सद य
1. ो. सी.पी. भसीन 5. ो. रे णु का जैन
रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग
नाथ गुजरात व व व यालय, पाटन(गुजरात) राज थान व व व यालय, जयपुर

2. ो. आर.सी. शमा 6. ो. पहू प संह


रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग
अ बेडकर व व व यालय, आगरा राज थान व व व यालय, जयपुर

3. ो. पी.के. शमा 7. डॉ. के.के . शमा


रसायन व ान वभाग रसायन व ान वभाग
जय नारायण यास व व व यालय, जोधपुर सेवा नवृ त उपाचाय, अजमेर

संपादन एवं पा य म लेखन


स पादक
ो. सी. के. ओझा
नदे शक,महा मा गांधी इं ट यू ट ऑफ ए लाइड साइंसेज, जयपुर

लेखक
डॉ. के.के . शमा डॉ. ीमती अ नता कोठार
सेवा नवृ त उपाचाय, अजमेर या याता, रसायन व ान वभाग
राजक य महा व यालय, अजमेर

अकाद मक एवं शास नक यव था


ो.(डॉ.) नरे श दाधीच ो. (डॉ.) अनाम जे टल ो. (डॉ.)पी. के. शमा
कु लप त नदे शक नदे शक
वधमान महावीर खुला व व व यालय,कोटा संकाय वभाग पा य साम ी उ पादन एवं वतरण वभाग

पा य म उ पादन
योगे गोयल
सहायक उ पादन अ धकार
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा
उ पादन - नव बर 2008
सवा धकार सुर त। इस पा य म का कोई भी अंश वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा क ल खत अनु म त पट कए बना या
म मयो ाफ अथवा कसी अ य साधन से पुनः तुत करना विजत है । वधमान महावीर खुला व व व यालय के पा य म के वषय म
और अ धक जानकार व व व यालय के कु लस चव, वधमान महावीर खुला व व व यालय,रावतभाटा रोड कोटा से ा त क जा सकती है ।
कु लस चव, वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा वारा का शत

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इकाई 1
थम सं मण ेणी के त व का रसायन
Chemistry of Elements of First Transition Series
इकाई क प रे खा
1.0 उ े य
1.1 तावना
1.2 d- लॉक त व के अ भल णक गुण
1.3 थम सं मण ेणी के त व के गुण और उनके वअंगी यौ गक।
1.4 थम सं मण ेणी के त व के संकुल
त व क ऑ सीकरण अव थाओं का आपे क था य व, सम वय सं या और
या म त दशाते हु ए।
1.5 सारांश
1.6 श दावल
1.7 संदभ थ

1.8 बोध न के उ तर
1.9 अ यासाथ न

1.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ सकेग क-
 d- लॉक त व कौनसे ह और उनके गुण d- लाँक तथा d- लाँक त व से कस कार
अलग है।
 d- लॉक म कतनी सं मण े णयां है और थम सं मण ेणी के तो म या
व श टताएं ह।
 थम ेणी के त व कस कार के वअंगी यौ गक बनाते है।
 थम ेणी के त व जो संकुल बनाते है वे कस कार त व क ऑ सीकरण अव थाओं
के था य व को द शत करते है। संकुल यौ गक म सं मण त व क सम वय सं या या
है तथा 'संकुल क या म त कैसी होती है।

1.1 तावना (Introduction)


आप जानते है क आवत सारणी के त व को चार लॉक म बांटा गया है। ये लाँक
ह, ऽ- लॉक p- लॉक, d- लॉक तथा f- लॉक। d- लॉक आवत सारणी के मु य भाग म s और
p- लॉक के म य पाया जाता है। d-क क म एक के बाद एक 10 इले ॉन भरने से d- लॉक
के 10 वग बनते है। ये 3 से 12 तक वाले वग है।

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d- लॉक आवत सारणी के चौथे आवत और तीसरे वग म उपि थत परमाणु मांक 21
वाले त व क डयम (Sc) से ार भ होता है। इसके अ धकांश त व सं मण त व ह। d- लॉक
म तीन पूण सं मण े णयां ह, चौथी सं मण ेणी अधू र है। तीन सं मण े णयां मश:
चौथे, पांचवे तथा छटे आवत म है।
इस इकाई म थोडी सी जानकार d- लॉक त व क द जायेगी और फर थम
सं मण ेणी के त व क व तृत चचा क जायेगी।

1.2 d- लॉक त व के अ भल णक गु ण (Characteristic


Properties of d-Block Elements)
(n-1)d क क म त व के अं तम इले ॉन के वेश करने पर d- लॉक त व बनते
है। दूसरे श द म कह सकते है क d- लॉक त व वे त व है िजनम अं तम इले ॉन (n-1)d
क क म पाया जाता ह। d- लॉक म त व क चार ै तज पंि तयां ह, िज ह चार े णयां कहा
जाता है। आप यहाँ थम तीन े णय का अ ययन करग। थम तीन े णय के त व के
संकेत तथा संगत परमाणु मांक आगे सारणी 1.1 म दए जा रहे ह।
सारणी 1.1: d- लॉक त व क थम तीन े णयां
21 22 23 24 25 26 27 28 29 30
Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu Zn
39 40 41 42 43 44 45 46 47 48
Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag Cd
57 72 73 74 75 76 77 78 79 80
La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au Hg
d- लॉक त व के मह वपूण अ भल णक गुण का सं त वणन यहाँ कया जा रहा
है-
1. धाि वक कृ त: d- लॉक के सभी त व धातु ह। इनके सबसे बाहर क क म एक या दो
इले ॉन पाए जाते ह। अत: इनम इले ॉन याग कर धनायन बनाने क कृ त है, जो
धातु ओं का मु ख ल ण है। ये अ य धातु ओं के समान कठोर, ठोस, त य तथा
आघातवधनीय होते ह। सभी धातु व युत और ऊ मा के सु चालक होते ह।
2. गलनांक और वथनांक: d- लॉक त व के गलनांक और वथनांक उ च होते ह। इनके यह
मान ार और ार यमृदा धातु ओं अथात ् s- लॉक के त व क तु लना म अ धक ह। d-
लॉक के अं तम वग के त व Zn, Cd और Hg के गलनांक एवं वथनांक अपे ाकृ त
काफ कम होते ह। मकर तो सामा य ताप पर ठोस न होकर व अव था म रहता ह।
इसका कारण इन त व के d-क क का पूरा भरा होना है। d- लॉक के अ य त व म
उनके d-क क अपूण भरे होते ह। इन अपूण d-क क म उपि थत अयुि मत इले ॉन
परमाणु ओं के म य बंध क सं या को बढाते ह, िजसके फल व प गलनांको और

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वथनांक के मान म भी वृ होती ह। आवत म बाएं से दाएं जाने पर पहले d-क क म
अयुि मत इले ॉन क सं या बढ़ती है फर कम होती चल जाती ह इसी के अनु प पहले
गलनांक और वथनांक बढ़ते ह और फर उनके मान म कमी होती चल जाती है।
3. परमाणवीय और आय नक या: d- लॉक त व के परमाणु ओं और आयन क याओं
के मान आवत सारणी म बाएं से दाएं जाने पर कम होते ह परं तु अं तम छोर से पहले वाले
त व के आकार लगभग समान हो जाते ह। परमाणु अथवा आयन के ना भक य आवेश
बढ़ने पर उसका आकषण अ धक बल से इले ॉन को अपनी ओर खींचता है िजससे आकार
म क आती ह। d- लॉक त व म अं तम इले ॉन (n-।) d क क म वेश करता है तथा
यह इले ॉन बा य ns क क के इले ॉन या इले ॉन को तक षत करता ह। अत:
आकार म आपे क कमी का मान अ धक नह ं होता। बाद के त व म आपे क कमी
बहु त कम होती है और परमाणु और आयन के याओं के मान ि थर हो जाते ह। वग
12 पर पहु ँ चने पर (n-1) d-क क और ns क क पूण हो जाते ह। इससे तकषण
भाव अ धक होने से आकार बढ़ जाता है।
4. आयनन वभव: d- लॉक त व के आयनन वभव कम होते ह और ये धातु सामा यत:
आय नक यौ गक बनाते ह। p- लॉक त व के आयनन वभव अ धक होते ह और ये
सामा यत: सहसंयोजक यौ गक बनाते ह। d- लाँक त व के आयनन वभव मान s- और
p- लॉक त व के आयनन वभव मान के बीच के होते ह। इन त व के कम संयोजकता
वाले यौ गक आय नक होते है पर तु अ धक संयोजकता वाले यौ गक सहसंयोजक होते ह।
d- लॉक त व के आय नक के मान आवत म बांये से दांये पर बढ़ते ह, परं तु यह
वृ साधारण होती है। इन त व के वतीय आयनन वभव के मान के आधार पर कहा
जा सकता है क d- लॉक त व, s- लॉक त व से कम धन व युती होते ह, पर तु p- लॉक
त व से अ धक धन व युती होते ह।
5. ऑ सीकरण अव था: d- लॉक त व का यह व श ट गुण है क वे प रवतनशील
ऑ सीकरण अव थाएं द शत करते ह। यह वृ त s और p- लॉक त व म नह ं दे खी
जाती। प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाएं द शत करने का मु य कारण ह क 3d और
4s, 4d और 5s तथा 5d और 6s क क क ऊजाओं म बहु त कम अंतर होता ह। अत:
d- लॉक त व म ns इले ॉन के अ त र त (n-1)d इले ॉन को यागने क वृि त भी
बल रहती ह और ये त व प रि थ तय के अनुसार एक से अ धक ऑ सीकरण अव थाओं
म यौ गको का नमाण करते ह। उदाहरण के लए वैने डयम +2, +3, +4 और +5
ऑ सीकरण अव थाओं मे यौ गक बनाता ह। इन अव थाओं का व तृत वणन आगे कया
जाएगा।
6. चु बक य गुण : आप जानते है, क जब कसी धातु क तार म व युत -धारा का वाह होता
है तो उससे चु बक य े उ प न होता है। व युत धारा वा तव म इले ॉन का वाह
होता है। कसी पदाथ के परमाणु म भी इले ॉन ग तमान रहते है। बोर के परमाणु मॉडल
के अनुसार इले ॉन दो कार क ग त करता है- क ीय ग त, जो ना भक के चार ओर

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एक क म होती ह तथा दूसर उसके अपने अ पर च ण ग त। इन दोन ग तय के
कारण परमाणु एक लघु चु बक क तरह यवहार करता है। जब कसी d- लॉक त व या
उसके यौ गक को चु बक य े म रखा जाता है तो वह मु य प से तीन कार से
यवहार द शत करता है-
क. अनुचु बक य यवहार: अनुचु बक य पदाथ चु बक य े क ती ता म वृ करता ह।
य द कसी अनुचु बक य पदाथ क छड़ को बा य चु बक य े म लटका दया जाए
तो वह छड़ वयं को चु बक य बल रे खाओं क दशा के समा तर यवि थत कर लेती
है। अनुचु बक य पदाथ अ धक से अ धक चु बक य बल रे खाओं को अपने म से
गुजारने का यास करता ह। कसी पदाथ का अनुचु बक व उस पदाथ म उपि थत
अयुि मत इले ॉन क सं या पर नभर करता है। इसे सू , μ √n(n + 2) से ात
कया जा सकता है, जहाँ n अयुि मत इले ॉन क सं या ह।
पदाथ का अनुचु बक व पदाथ के ताप पर भी नभर करता ह। ताप के बढ़ने से
पदाथ के अणु अ यवि थत हो जाते ह और अनुचु बक व म कमी आती ह।
अनुचु बक व पदाथ के ताप के तलोमानुपाती होता ह।
d- लॉक त व और आयन म अयुि मत इले ॉन उपि थत रहते ह, अत: वग 12
के त व (Zn, Cd, ध Hg) को छोड़कर ये त व तथा इनके यौ गक अनुचु बक य
यवहार द शत करते ह।
ख. तचु बक य यवहार: त व अथवा यौ गक, िजनम अयुि मत इले ॉन अनुप ि थत
रहते ह, तचु बक य यवहार द शत करते ह। इन पदाथ से बा य चु बक य े
क चु बक य बल रे खाय तक षत होती ह। य द तचु बक य पदाथ क छड़ बनाकर
उसे चु बक य े म लटकाया जाए तो यह चु बक य े के ल बवत ् ि थ त म वयं
को यवि थत कर लेती है। तचु बक य त व या यो गक म इले ॉन युि मत होते
ह। उनका च ण वपर त दशा म होता है, अत: एक इले ॉन वारा उ प न चु बक य
भाव दूसरे इले ॉन वारा उ प न चु बक य पदाथ को समा त कर दे ता ह। िजंक
कैड मयम, मकर जैसे त व तचु बक य यवहार द शत करते ह।
ग. लौह-चु बक य यवहार: आयरन, कोबा ट तथा नकल जैसे d- लॉक त व लौह
चु बक य गुण द शत करते ह। बा य चु बक य े म रखने पर इनम थाई
चु बक य गुण आ जाता है। लौह-चु बक य यवहार उ च अनुचु बक व के कारण
द शत होता है।
(7) उ ेरक गुण : अ धकांश d- लॉक त व और उनके यौ गक उ ेरक के प म यु त कए
जाते ह। अथात ् ये त व और यौ गक रासाय नक अ भ याओं क ग त को बढ़ा दे ते ह।
उ ेरक का गुण उ योग म बहु त लाभकार स होता है, य क इससे उ पाद शी ा त
हो जाता है। आप जानते ह क आयरन को अमो नया नमाण के हॉबर म म उ ेरक के
प म काम म लेते ह। इसी कार स यू रक अ ल के नमाण म पॉ जी ले टनम
उ ेरक का काय करता है। यह वायु क उपि थ त म so2 को so3 म प रव तत कर दे ता

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है। d- लॉक त व के अपूण (n-1)d क क इनके उ ेरक के प म काय करने म व श ट
भू मका नभाते ह।
(8) आयन और यौ गक के रं ग: अ धकांश d- लॉक त व के यौ गक, रं गीन होते ह और इनके
वलयन भी आकषक रं ग वाले होते ह। इनके रं ग का कारण इनम उपि थत अपूण d
क क ह। वलयन अथवा ऋणायन क उपि थ त म d- लॉक त व के आयन म
उपि थत d-क क दो समू ह म वपा टत हो जाते ह- कम ऊजा वाले d-क क तथा अ धक
वाले d-क क। वेत काश के पडने पर कम ऊजा वाले क क से इले ॉन उ तेिजत कर
अ धक ऊजा वाले d-क को म चले जाते ह। इसे d से d सं मण कहते ह। इस सं मण
म काश क कु छ ऊजा का अवशोषण हो जाता ह। शेष ऊजा वाला काश यौ गक या
आयन के रं ग के लए उ तरदायी होता है।
(9) अ भ याशीलता: ऽ- लॉक त व क अपे ा, d- लॉक त व बहु त कम रासाय नक
अभ याशीलता द शत करते ह। स वर, गो ड, और लै टनम अपनी बहु त कम
अभ याशीलता के कारण उ कृ ट धातु कहलाते ह। कम अ भ याशीलता के कारण ह
इनका उपयोग बहुत ह बड़ी मा ा मे आभू षण बनाने हे तु कया जाता ह। अपने छोटे
आकार, उ च आयनन वभव, उ च वा पन ऊजा और न न जलयोजन ऊजा के कारण d-
लॉक त व बहु त कम अ भ याशील होते ह।
बोध न -
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइए -
(क) d- लॉक त व म कोई भी त व अधातु उपि थत नह ं है ।
( स य / अस य)
(ख) d- लॉक के वग 12 म सबसे कम गलनां क िजं क धातु का होता है ।
( स य / अस य )
(ग) d- लॉक त व प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाएं द शत करते ह।
( स य / अस य )
(घ) कोबा ट और नकल तचु बक य यवहार द शत करते ह।
( स य/अस य )

1.3 थम सं मण ेणी के त व के गु ण और उनके वअंगी


यौ गक Properties of Elements of First Transition
Series and their Binary Compounds
d- लॉक म कुल 10 वग ह- वग 3 से 12, इनम से थम 9 वग सं मण त व
कहलाते ह। प रभाषा के अनुसार , ''सं मण त व वे ह िजनम उनक परमा वीय अव था अथवा
कसी ऑ सीकरण अव थाओं d-क क आ शक प से भरे ह ।'' सं मण त व क थम ेणी

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के 9 त व कैि डयम (परमाणु मांक 21) से कॉपर (परमाणु मांक 29) तक ह! इन त व
के नाम, संकेत, परमाणु मांक तथा इले ॉ नक व यास सारणी 1.2 म दये गये ह।
सारणी 1.2 थम सं मण ेणी के त व
परमाणु मांक त व का नाम संकेत इले ॉ नक व यास
21 कैि डयम Sc [Ar]3d14s2

22 टाइटे नयम Ti [Ar]3d24s2

23 वैने डयम V [Ar]3d 4s


3 2

24 ो मयम Cr [Ar]3d 4s
4 1

25 मगनीज Mn [Ar]3d54s2

26 आयरन Fe [Ar]3d64s2

27 कोबा ट Co [Ar]3d74s2

28 नकल Ni [Ar]3d84s2

29 कॉपर Cu [Cu]3d104s1
यहाँ, [Ar] आगन के इले ॉ नक व यास, 1s12s22p63s23p6 को दशाता है।
अब थम सं मण ेणी के येक त व के गुण और उनके वअंग क सं त
ववेचना क जाएगी।

1.3.1 कैि डयम के गुण और वअंगी यौ गक

(i) कैि डयम, स वर समान सफेद रं ग का धातु ह। यह वायु म ऑ सीकृ त होकर अपनी
चमक खो दे ता है। इसका गलनांक 15390c और वथनांक 27300C होता है। इसके
थम, वतीय और तृतीय आयनन वभव म बहु त कम अंतर ह। +3 ऑ सीकरण अव था
म इसका इले ॉ नक व यास आगन समान थाई हो जाता है अत: इसके यौ गक केवल
+3 अव था म ह बनते ह। सभी यौ गक रं गह न होते ह।
(ii) कैि डयम काब नेट अथवा कैि डयम नाइ े ट को गम करने पर कैि डयम ऑ साइड
बनता है।
Sc2(Co3)3  Sc2O3+3CO2

10
4Sc(NO3)3  2Sc2O3+12NO3+3O2
(iii) कैि डयम ऑ साइड को उ च ताप (लगभग 10000C) पर काबन के साथ गरम करने पर
कैि डयम काबाइड ा त होता है।
Sc2O3+7C  2ScC2+3CO

1.3.2 टाइटे नयम के गुण और वअंगी यौ गक

(i) टाइटे नयम ट ल के समान चमकदार धातु है।


(ii) यह कठोर, आघावधनीय तथा त यता जैसे गुण रखता है।
(iii) इसका गलनांक 18500C तथा वथनांक 30000C है।
(iv) यह 1200C तक थाई रहता है पर तु उस ताप पर आग पकड़ लेता ह तथा टाइटे नयम
ऑ साइड (TiO2) बनाता है।
(v) नाइ ोजन म 6000C पर जल कर यह टाइटे नयम नाइ ाइड बनाता ह।
(vi) C, Si, B तथा P के साथ गरम करने पर यह मश: काबाइड (TiC), स लसाइड
(TiSi), बोराइड (Ti3B4), तथा फॉ फाइड (Ti3P4) बनाता है।
(vii) यह धातु HF के साथ अ भ या कर TiF3 बनाता है।
2Ti3P4+6HF  2TiF3+3H2
(viii) यह धातु CS2 और H2S के साथ अ भ या कर इसका स फाइड बनाता ह।
Ti+CS2  TiS2+C
Ti+2H2S  TiS2+2H2
(ix) टाइटे नयम क लोर न से अ भ या होने पर TiCl4 बनता है।

1.3.3 वैने डयम के गुण और वअंगी यौ गक

(i) वैने डयम, चांद क तरह सफेद चमकदार धातु है।


(ii) शु वैने डयम धातु का गलनांक 17000p तथा वथनांक 34000C होता है।
(iii) यह धातु कठोर तथा शु अव था म त य और आघातवधनीय होता है, पर तु अशु याँ
इसे भंगरु कृ त का बना दे ती ह।
(iv) वैने डयम +2, +3, +4 और +5 अव था म यौ गक बनाता है।
(v) लु ओर न के साथ अ भ या कर यह उ त सभी ऑ सीकरण अव थाओं म लु ओराइड
बनाता है (VF2, VF3, VF4, VF5)।
(vi) लोर न के साथ यह VCI2, VCI3, VCI4 कार के लोराइड बनाता है, इन ऑ सीकरण
अव थाओं म धातु ोमाइड भी बनाता ह।
(vii) इसके दो आयोडाइड, VI2,और VI3 ात ह।
(viii) ऑ सीजन के साथ वैने डयम व भ न अव थाओं से अ भ या कर मश: VO, V2V3,
VO2 तथा V2O5 कार के ऑ साइड दे ता है।
(ix) अमो नयम मेटावैनेडेट को गम करने पर वैने डयम पटा-ऑ साइड बनता है।
11
2NH4VO3  V2O5+2NH3+H2O.
(x) VOCl3 के जल अपघटन से भी V2O5 ा त होता है।
2VOCI3+3H2O  V2O5+6HCl

1.3.4 ो मयम के गुण और वअंगी यौ गक

(i) ो मयम, चांद के समान चमक वाला सफेद धातु है।


(ii) इसका गलनांक 18300C तथा वथनांक 2200 C होता है।
0

(iii) यह अपने यौ गक म व भ न ऑ सीकरण अव थाएं (+1 से +6) द शत करता है, पर तु


+3 तथा +6 इसक मुख एवं थाई ऑ सीकरण अव थाएं ह।
(iv) उ च ताप पर ो मयम ऑ सीजन से अ भ या कर Cr2O3 ऑ साइड बनाता है।
4Cr+3O2 2Cr2O3
(v) जल वा प को र त त त ो मयम पर वा हत करने पर भी ो मयम ऑ साइड बनता है।
2Cr+3H2OCr2O3+3H2
(vi) गरम ो मयम पर लु ओर न और लोर न क अ भ या से मश: CrF3 था CrCl3
ा त होते ह। अ य ऑ सीकरण अव थाओं म भी ोमाइड के हैलाइड ा त कये जा
सकते है।
(vii) नाइ ोजन गैस या अमो नया से अ भ या कर यह ो मयम नाइ ाइड (CrN) बनाता ह।

1.3.5 मगनीज के गुण और वअंगी यौ गक

(i) मगनीज (Mn) सलेट रं ग का कठोर धातु है। यह काँच क सतह खर चन क मता रखता
है।
(ii) यह भंगरु कृ त का होता है और तीन अपर प म पाया जाता है।
(iii) मगनीज वयं चु बक य गुण नह ं रखता पर तु इसके यौ गक, जैसे काबाइड, नाइ ाइड
आ द, चु बक य कृ त के होते ह।
(iv) मगनीज +2 से +7 ऑ सीकरण अव थाओं म यौ गक बनाता है।
(v) 13000C पर यह काबन से अ भ या कर काबाइड बनाता है िजसका सू Mn3C ह।
(vi) 12000C पर यह नाइ ोजन के साथ गम करने पर मगनीज नाइ े इड (Mn3N2) बनाता ह।
(vii) हैलोजन के साथ गम करने पर इसके हैलाइड ा त होते ह, जैसे MnF2, MnF3,
MnCl2, आ द।
(viii) यह व भ न कार के ऑ साइड बनाता है। उदाहरण के लए,
गरम करने पर
MnCO3 ⎯⎯⎯⎯⎯⎯ MnO+CO2
गरम करने पर
4MnO+O2 ⎯⎯⎯⎯⎯⎯ 2Mn2O3
गरम करने पर
Mn(NO3)2 ⎯⎯⎯⎯⎯⎯ MnO2+2NO3

12
गरम करने पर
3MnO2 ⎯⎯⎯⎯⎯⎯ Mn3O4+O2

1.3.6 आयरन के गुण और वअंगी यौ गक

(क) शु आयरन धू सर सफेद रं ग क धातु है। इसका गलनांक 15360C तथा वथनांक
3000 C है। यह त य और आघातवधनीय होता ह। इसक तनन साम य बहु त उ च होती।
0

इसक मु ख ऑ सीकरण अव थाएं +2 से +3 ह।


(ख) यह वायु क ऑ सीजन और नमी क उपि थ त म हाइ ेटेड आयरन ऑ साइड
2Fe2O3.3H2O बनाता ह, िजसे सामा य भाषा म जंग(rust) कहते ह।
(ग) उ च ताप पर जल वा प के साथ अ भ या करके Fe3O4 बनाता है
3Fe+4H2O  Fe3O4+4H2O
(घ) यह HCl से अ भ या करके FeCl2 बनाता है।
(ङ) आयरन ऑ सेलेट को गरम करने पर काले रं ग का चूण ा त होता ह िजसका सू FeO
होता है।
FeC2O4  Fe+CO+CO2
(च) FeSO4 को गरम करने पर Fe2O3 ा त होता है।
2FeSO4  Fe2O3+SO2+SO3
(छ) Fe2O3 को HCl के साथ गरम करने पर FeCl3 ा त होता ह।
Fe2O3+6HCl  2FeCl2+3H2O
(ज) आयरन चू ण को शु क Cl2 के साथ 3150C पर गरम करने पर फे रक लोराइड, FeCl2,
ा त होता ह।

1.3.7 कोबा ट के गुण और वअंगी यौ गक

(i) यह कठोर, त य तथा आघातवधनीय धातु है।


(ii) यह लोह-चु बक य कृ त का होता ह पर तु यह गुण इसम आयरन से कम होता ह।
(iii) इसका गलनांक 14950C ह। यह अपने आयतन से 100 गुणा H2 के आयतन को
अ धशो षत करने क मता रखता ह।
(iv) कोबा ट के यौ गक +2 और +3 ऑ सीकरण अव थाओं म पाये जाते ह। पर तु +2
अव था अ धक थाई है।
(v) कोबा ट काब नेट को गम करने पर कोबा ट ऑ साइड ा त होता है।
CoCO3  CoO+CO2
(vi) कोबा ट ऑ साइड क HCl से अ भ या वारा COCl2 ा त होता है।
CoCO+2HCl  CoCl2+H2O
(vii) कोबा ट (II) नाइ े ट को गम करने पर कोबा ट (III) ऑ साइड ा त होता ह।
4Co(NO3)2  2Co2O3+8NO2+O2

13
(viii) Co2O3 को तेज गरम करते ह तो यह कोबा ट (II) कोबा ट ऑ साइड बनाता ह।
6Co2O3  4Co3O4+O2
यह उ पाद एक म त ऑ साइड है िजसे CoO.Co2O3 के प म भी लखा जा
सकता ह।

1.3.8 नकल के गुण और वअंगी यौ गक

(i) नकल धू सर सफेद रं ग का कठोर, त य तथा आघातवधनीय धातु है, िजसका गलनांक
14520C है।
(ii) यह आयरन क तु लना म कम लोह-चु बक य गुण रखता है। पर तु इसक व युत और
ताप चालकता उ च होती है। यह भी कोबा ट और आयरन के समान अ धक मा ा म
हाइ ोजन गैस का अ धशोषण करने क मता रखता ह।
(iii) नकल भी कोबा ट क ं तरह +2 और +3 ऑ सीकरण अव था म यौ गक बनाता ह। यह
आयरन और कोबा ट क तु लना म कम अ भ याशील है।
(iv) उ च ताप पर गम नकल पर जल वा प वा हत करने पर नकल (II) ऑ साइड ा त
होता ह।
Ni+H2O  NiO+H2
(v) उ च ताप पर यह लोर न से अ भ या कर NiCl2 बनाता है।
(vi) नकल (II) नाइ े ट को गम करने पर नकल (III) ऑ साइड ा त होता है।
2Ni(No3)2  Ni2O3+3NO+NO2+2O2
(vii) 500C नकल चूण पर काबन मोनो साइड गैस वा हत करने पर नकल काब नल
बनता ह।
Ni+4CO  Ni(CO)4
(viii) नकल आयन यु त वलयन म (NH2)2S मलाने पर काले रं ग का नकल स फाइड
ा त होता ह।
Ni2++(NH4)2S  NiS+2NH4+

1.3.9 कॉपर के गुण और वअंगी यौ गक

(i) कॉपर लाल-भू रे रं ग का धातु है। इसका गलनांक 10830C है। यह ऊ मा और व युत का
उ तम कोट का चालक है। यह बहु त अ धक आघातवधनीय और त य कृ त का धातु है।
यह +1 और +2 ऑ सीकरण अव थाओं म यौ गक बनाता है।
(ii) वायु अथवा ऑ सीजन से अ भ या- र त त त कॉपर पर वायु वा हत करने पर यह
ऑ सीजन से अ भ या कर Cu2O तथा CuO बनाता है।
(iii) ल बे समय तक नम वायु म रहने पर यह हरे रं ग क परत से ढक जाता ह। इस हरे रं ग
के ारक य कॉपर काब नेट का सू CuCO3.Cu(OH)2 होता है।
(iv) अ ल से अ भ या कर कॉपर रं गीन लवण बनाता ह।

14
Cu+2HCl+1/2O2 (वायु से)  CuCl2+H2O
Cu+H2SO4+1/2O2 (वायु से)  CuSO4+H2O
सां H2SO4 के साथ गरम करने पर कॉपर स फेट के अ त र त SO2 गैस भी नकलती
ह।
Cu+2H2SO4 गरम CuSO4+2H2O+SO2
तनु और सा HNO3, कॉपर के साथ अ भ या कर कॉपर नाइ े ट बनाते ह। भू रे रं ग
क NO2 गैस भी नकलती ह।
Cu+4HNO3 (सां ) गरम Cu(NO3)2+2NO2+H2O
3Cu+8HNO3 (तनु) गरम 3Cu(NO3)2+2NO+4H2O
(v) गरम कॉपर के साथ लोर न क अ भ या से CuCl2 ा त होता ह।
(vi) कॉपर धातु स वर लवण के वलयन से स वर को व था पत कर दे ता ह।
Cu+2AgNO3  Cu(NO3)2+2Ag
(vii) कॉपर स फेट के वलयन म Ki वलयन बनाने पर यू स आयोडाड ा त होता है।
2CuSO4+4KI  2Cul+2K2SO4+I2S
(viii) कॉपर आयन यु त वलयन म गैस वा हत करने पर काले रं ग का कॉपर स फाइड
(CuS) ा त होता ह।
Cu2++H2S  CuS+2H+
बोध न
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए -
(क) ो मयम और आयरन त व के परमाणु ओं के 3d क क म इले ॉन
क सं या। मश : ................... तथा ......... है ।
(ख) कै ि डयम नाइ े ट को गम करने पर जो ठोस यौ गक ा त होता
उसका सू ................... है ।
(ग) अमो नयम मे टावै ने डे ट को गम करने पर ा त वै ने डयम यौ गक
नाम ......................... है ।
(घ) MnO 2 को 53 0 पर गम करने पर ................ और ऑ सीजन बनते
ह।
3. न न ल खत रासाय नक अ भ याओं को पू ण एवं सं तु लत क िजए -
( क ) Cu+HNO 3 ( सां ) गरम करने पर..................+ NO 2 +H 2 O
( ख ) Ni+CO  ...................
( ग ) Fe 2 O 3 +HCl गरम करने पर ...................+..................
( घ ) VOCl 3 +H 2 O  ............... +HCl

15
1.4 थम सं मण ेणी के त व के संकुल, (Complexes of
Elements of First Transition Series)
थम सं मण ेणी के त व अपनी व भ न ऑ सीकरण अव थाओं म संकु ल बनाते
है। संकु ल यौ गक के नमाण म व भ न कार के लगै ड धातु आयन के साथ उपसहसंयोजक
बंध वारा जुड़ते ह। ये लगै ड सामा यत: उदासीन अणु जैसे- NH3, H2O, NO, आ द अथवा
ऋणायन जैसे OH, CN, Cl, आ द हो सकते है। सं मण धातु ओं वारा संकुल बनाने क वृ त
न न ल खत कारक के कारण होती है-
(क) सं मण धातु ओं परमाणुओं /आयन का आकार बहु त छोटा होता है इन पर आवेश अ धक
होता ह। अत: यह लगै ड के इले ॉन यु म को उपसहसंयोजक बनाने हे तु अपनी ओर
आक षत करते ह।
(ख) लगै ड के इले ॉन यु म को हण करने हे तु सं मण धातु त व के पास पया त सं या
म र त क क उपल ध रहते ह।
(ग) सं मण धातुओं के (n-1)d, ns तथा np क क संकरण के प चात ् व भ न ऑ सीकरण
अव थाओं म व भ न आकृ तय के संकुल बनाते ह। उपयु त ऊजा के क क संकरण कर
संकुल यौ गक को था य व दान करते ह।
अब आप थम सं मण ेणी के त व के संकुल के आपे क था य व, संबं धत
सम वय सं या और या म त के बारे म जानकार ा त करे ग।
कसी संकु ल म धातु आयन या परमाणु के साथ जुड़े हु ए लगै ड िजतने एकल बंध
बनाते ह यह सं या उस धातु क उपसहसंयोजन सं या कहलाती है। संकुल क या म त धातु
क उपसहसंयोजन सं या और धातु के क क के संकरण पर नभर करती है।

1.4.1 संकुल क सम वय सं या और या म त

थम सं मण ेणी के त व मु य प से सम वय सं या 4 और 6 के साथ संकु ल


यौ गक बनाते ह, पर तु अ य सम वय सं या वाले संकु ल भी ा त कये गए ह। यहाँ इनका
सं त वणन कया जाएगा।
(क) सम वय सं या 1.2 और 3 वाले संकुल
सम वय सं या 1 वाले संकु ल जैसे Ni-N=N, बहु त कम ह और व श ट अव थाओं म
थाई होते ह। ये रे खीय आकृ त या या म त के होते ह। सम वय सं या 2 वाले संकुल भी
रे खीय या म त वाले होते ह, जैसे- [Ag(NH3)2]+, [Ag(CN)2]-, [Au(CN)2]-, आ द।
[Ag(NH3)2]+ संकु ल म 5s और एक 5p क क संकरण वारा दो संक रत क क बनाते ह। ये
क क र त होते है तथा दो NH3 अणु अपने एकाक इले ॉन यु म वारा स वर आयन के
साथ उपसहसंयोजक बंध बनाते ह। इसे न न कार से द शत कया जा सकता है-

16
4d 5s 5p
[Ag(NH3)2]+

sp संका रत क क
यहां अथवा वारा धातु के इले ॉन को तथा वारा लगैपे ड वारा दये गये
इले ॉन यु म दखाया गया है।
उपसहसंयोजक सं या 3 वाले संकुल कोणीय या म त वाले होते ह जैसे-
K2[Cu(CN)3]. H2O, Sc[N(Si Me3)2]3 आ द।
(ख) सम वय सं या 4 वाले संकुल: सम वय सं या 4 के साथ बड़ी सं या म सं मण धातु
थाई संकु ल बनाते है। इस वग म दो कार क या म त वाले संकुल ा त होते ह-
वगाकार समतल य और चतु फलक य। वगाकार समतल य या म त धातु के dsp2 संक रत
क क वारा ा त होती है। इसे आप कॉपर के संकुल आयन, [Cu(NH3)4]2+ वारा
समझ सकते ह। यहाँ Cu2+ आयन के बा य क क म dsp2 संकरण होता है, िजससे
संकुल आयन क या म त वगाकार समतल य होती है।
Cu2+
[Cu(NH3)4]+2

यहाँ यान दे ने यो य त य यह है क dsp2 संकरण हे तु 3d-क क का अयुि मत इले ॉन


4p-क क म चला जाता है। इसी या म त का अ य उदाहरण [Ni(CN)4]
2-
संकुल आयन है।
संकुल क चतु फलक य या म त धातु आयन के sp3 संकरण के कारण होती है।
इसम d-क क संकरण म भाग नह ं लेते। चतु फलक य या म त वाले संकु ल के कु छ उदाहरण
है- Ni(CO)4, [NiCl4]2-, [MnCl4]2- आ द।

Ni

Ni(CO)4

(ग) सम वय सं या 5 वाले संकुल: थम सं मण ेणी के त व बहु त सं या म सम वय


सं या 5 वाले संकुल बनाते ह। उदाहरण के लए, Fe(CO)5, [CuBr5], [Ni(CN)5]
3-

आ द। इस कार के संकु ल क या म त समनता व परै मडी या वग परै मडी ह।

17
(घ) समनवय सं या 6 वाले संकुल: इस सम वय सं या वाले संकुल बड़ी मा ा म बनते ह,
यो क या म त क ि ट से ये बहु त थाई होते ह। इनक या म त अ ठफलक य होती
ह। इस कार के कु छ संकुल ह- K2[Fe(CN)6], K3[Fe(CN)6], [TiF6]2-,
[Cu(NH3)6]2+, [Co(NH3)6]2+ आ द। इन संकुल म के य धातु आयन क क का
संकरण होता ह। इस त य को आप [Fe(CN)6] 4-
के उदाहरण वारा समझ सकते ह, जहाँ
आयरन +2 ऑ सीकरण अव था म ह।

Fe
Fe2+

[Fe(CN)6]4-

अ टफलक य [Fe(CN)6]4
संकुल यौ गक का व तृत अ ययन आप इस पु तक म आगे वाल इकाइय म करगे।

1.4.2 संकुल का था य व

थम सं मण ेणी के त व व भ न ऑ सीकरण अव थाओं म या म त वाले संकुल


को नमाण करते है। संकुल के नमाण म लगै ड के एकाक इले ॉन यु म धातु आयन के
र त क क के साथ उपसहसंयोजक बंध वारा जुड़ते ह, िजसे [ML] वारा द शत कया
सकता है। यहाँ M एक सं मण धातु है और एक L लगै ड है। जैसा आप पहले जान चु के ह
क [Cu(NH3)4]2+ आयन म चार अमो नया के अणु (: NH3) अपने चार एकाक इले ॉन
यु म कॉपर के र त संक रत dsp2 क क म था पत करते ह। इसी कार 6 साइनाइड
आयन (:C≡N: ) अपने 6 एकाक इले
-
ॉन यु म [Fe(CN)6] 4-
संकु ल आयन के नमाण म
Fe2+ आयन के 6 d2sp3 संक रत क क म था पत करते ह। धातु लगै ड के म य इस
कार धातु के सम वय सं या के बराबर उपसहसंयोजक बंध बनते ह। बंध के बनने धातु
आयन पर बहु त अ धक ऋण आवेश था पत हो जाता है। इस आवेश को संतु लत करने हे तु
धातु आयन के एकाक इले ॉन यु म लगै ड के र त क क के साथ-बंध बनाते ह िज ह
[ML] वारा दशाया जाता है। इस प च बंधन के कारण संकुल पया त था य व हण करता
है।
सं मण धातु सामा यत: अपनी न न ऑ सीकरण अव थाओं म ह थाई संकुल
बनाते ह। न न ऑ सीकरण अव थाओं म उ च व युत ऋणता वाले लगै ड जैसे F-, Cl-,
NH3 आ द ह थाई संकु ल बना पाते ह।
कु छ वशेष या म त वाले संकु ल उ च था य व वाले होते ह। सम वय सं या 2, 4,
और 6 वाले धातु रे खीय, वगाकार समतल य, चतु फलक य तथा अ टफलक य
-
या म त वाले
संकुल बनाते ह, जो अपनी व श ट सम म त के कारण अपे ाकृ त अ धक थाई होते ह।
18
बोध न-
4. न न ल खत कथन म स या/अस य बताइये -
(क) थम सं मण े णी के त व मु य प से 4 और 6 सम वय सं या
वाले सं कु ल यौ गक ह। ( स य/अस य )
(ख) सं कु ल Sc[N(SiMe 3 ) 2 ] 3 म सं मण धातु क सम वय सं या 3 है ।
( स य / अस य )
(ग) [Cu(NH 3 ) 4 ] 2+
आयन क या म त चतु फलक य होती है ।
( स य / अस य )
(घ) [NiCl 4 ] 2 - आयन म धातु आयन के क क म sp 3 सं क रण होता है ।
( स य/अस य )
5. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) सं कु ल Fe(CO) 5 क या म त ............................. होती है ।
(ख) [Fe(CN) 6 ] 4-
आयन म Fe 2 + आयन के बा य क क
म ......................... सं क रण होता है जो आयन को अ ठफलक य
आकृ त दान करता है ।
(ग) सं कु ल म लगै ड धातु आयन के साथ .................................
बं ध बनाते ह।
(घ) K 2 [Cu(CN) 3 ].H 2 O सं कु ल म सं मण धातु क सम वय सं या
.....................है ।

1.5 सारांश (Summary)


 d- लॉक आवत सारणी के मु य भाग म s और p- लॉक के म य पाया जाता है। इस
लॉक म 10 वग (वग 3 से 12) ह।
 सभी d- लॉक त व धातु ह। इनके गलनांक और वथनांक उ च होते ह।
 अ धकांश d- लॉक त व सं मण त व ह जो प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाओं म
यौ गक और संकुल यौ गक बनाते ह।
 अ धकांश d- लॉक त व अनुचु बक य यवहार द शत करते ह।
 d-block त व उ तम उ ेरक ह। इनका उपयोग अनेक पदाथ के औ यो गक नमाण म
कया जाता है।
 d-block त व के अ धकांश यौ गक रं गीन होते ह।
 इन त व क अभ याशीलता कम होती है। Ag, Au और Pt अपनी बहु त कम
अभ याशीलता के कारण उ कृ ट धातु कहलाते ह।
 थम ेणी के सं मण त व व भ न धातु ओं से अ भ या कर वअंगी यौ गक बनाते ह।
 थम ेणी के सं मण त व अपने छोटे आकार और उ च ना भक य आवेश के कारण
संकुल यौ गक बनाने क वृि त रखते है।

19
 इन त व के संकुल व भ न ऑ सीकरण अव थाओं म बनते ह और व भ न या म त
वाले होते ह।
 अ धक संकु ल 4 और 6 उपसहसंयोजन सं या वाले होते ह। उपसहसंयोजन सं या 4 वाले
संकुल वगाकार समतल य अथवा चतु फलक य या म त वाले होते है। उपसहसंयोजन सं या
6 वाले संकुल अ ठफलक य या म त वाले होते ह।
 धातु और लगै ड के क क म प च बंधन के कारण संकु ल अ धक था य व ा त करते
है।

1.6 श दावल (Glossary)


 त य : जो मोड़ने पर मु ड़ जाते ह पर तु टू टते नह ं ह।
 आघातवधनीय : जो चोट करने पर चपटे होकर फैल जाते ह।
 पॉ जी : िजसम पंज जैसे गुण हो। दबाने से दब जाए।
 जल योजन ऊजा : आयन या अणु के साथ जल के अणु ओं वारा बंध बनाने से
उ सिजत ऊजा।
 वअंगी यौ गक : दो कार के त व से बन यौ गक।
 भंगरु : जो दबाव डालने या चोट करने पर टु कड़ म बदल जाये।

1.7 संदभ ंथ (Reference Books)


1. Inorganic Chemistry- S. Chand and Company, New Delhi
2. Inorganic Chemistry- Goyal Publishing House, Meerut
3. Inorganic Chemistry- Pradeep Publishing, Jalandhar
4. अकाब नक रसायन भाग 2- रमेश बुक डपो, जयपुर
5. अकाब नक रसायन भाग 2- सा ह य भवन पि लकेशन, आगरा
6. अकाब नक रसायन भाग 2- कॉलेज बुक हाऊस, जयपुर
7. अकाब नक रसायन भाग 2- हमांशु पि लकेशन, उदयपुर

1.8 बोध न के उ तर (Answers of Intex Questions)


1. (क) स य (ख) अस य (ग) स य (घ) अस य
2. (क) 5.6 (ख) Sc2O3 (ग) वैने डयम पे टाऑ साइड (घ) Mn3O4
3. (क) Cu+4HNO3 (सां ) गरम करने पर Cu(NO3)2+2NO2+H2O
(ख) Ni+4CO  Ni(CO
(क) Fe2O3+6HCl गरम करने पर 2FeCl3+3H2O
(ख) 2VOCl3+3H2O  V2O5+6HCl
4. (ख) स य (ख) स य (ग) अस य (घ) स य
5. (क) समनता व परै मडी (ख) d2sp3 (ग) σ उपसहसंयोजक (घ) 3

20
1.9 अ यासाथ न (Exercise Questions)
1. d- लॉक त व क ह कहते है? इनके गुण क सं त ववेचना क िजये।
2. सं मण त व क ह कहते ह? सं मण त व क थम ेणी के नाम तथा इले ॉ नक
व यास द िजये।
3. थम सं मण ेणी के क ह ं दो सद य के वअंगी यौ गक के गुण क वणन क िजये।
4. न न ल खत को समझाइये-
(क) Zn, Cd तथा Hg को सं मण त व नह ं मानते।
(ख) अ धकांश सं मण त व अनुचु बक य कृ त के होते है।
(ग) थम सं मण ेणी के त व के गलनांक उ च होते ह।
(घ) सं मण त व के यौ गक रं गीन होते ह।
5. न न ल खत त व के वघना मक आयन के इले ॉ नक व यास द िजये-
(क) टाइटे नयम (ख) ो मयम (ग) कोबा ट तथा (घ) कॉपर
6. न न ल खत यौ गक से एथेन कैसे ा त करगे?
(क) [Cu(NH3)4]2+ (ख) [Ni(CH)4]2-
(ग) [MnCN4]2- (घ) [Co(NH3)6]2+
7. थम सं मण ेणी के त व थाई संकु ल बनाते ह। इनके था य व क ववेचना क िजये।
8. या होता है जब-
(क) कैि डयम काब नेट को गरम कया जाता है।
(ख) कैि डयम ाइऑ साइड को काबन के साथ लगभग 10000C पर गरम कया जाता
है।
(ग) अमो नयम मेटावैनेडेट को गरम कया जाता है।
(घ) वैने डयम ऑ सी लोराइड का जल अपघटन होता है।
(ङ) र त त त आयरन पर जल वा प वा हत क जाती है।
(च) नकल चू ण क अ भ या काबन मोनो साइड से कराई जाती है।
उ त प रवतन से स बं धत रासाय नक अ भ याएं भी लख।
9. कैसे ा त करगे-
(क) MnO से Mn2O3
(ख) कोबा ट ऑ साइड से कोबा ट लोराइड।
(ग) फेरस स फेट से फे रक ऑ साइड।
(घ) कॉपर धातु से कॉपर नाइ े ट।
10. थम सं मण ेणी के संदभ म न न ल खत क सं त या या क िजये-
(क) धाि वक कृ त (ख) आयनन वभव (ग) ऑ सीकरण अव था
(घ) चु बक य गुण (च) अ भ याशीलता।

21
इकाई 2
वतीय सं मण ेणी के त व का रसायन
Chemistry of Elements of Second Transition Series
इकाई क प रे खा
2.0 उ े य
2.1 तावना
2.2 वतीय सं मण ेणी के त व के सामा य ल ण
2.3 वतीय सं मण ेणी के त व का उनके 3d-समजात से तु लना मक
संदभ: आय नक याएं, ऑ सीकरण अव थाएं, चु बक य यवहार, पे यी गुण
तथा वय रसायन।
2.4 सारांश
2.5 श दावल
2.6 संदभ थ

2.7 बोध न के उ तर
2.8 अ यासाथ न

2.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे-
 वतीय सं मण ेणी के त व कौनसे ह।
 इन त व के सामा य ल ण या ह।
 ये त व अपने समजात थम सं मण ेणी के त व से या समानताएं है और कस कार
उनसे भ न ह।

2.1 तावना (Introduction)


इकाई 1 म आपने जाना क कस कार 3 क क म मागत इले ॉन के भरने से
थम सं मण ेणी के त व बनते ह िजनका परमाणु मांक 21 से 29 है, अथात ् ये त व
चौथे आवत म कैि डयम से कॉपर तक है।
इसी कार 4d-क क म एक के बाद एक म नौ इले ॉन भरने पर सं मण त वो क
वतीय ेणी बनती ह। इनके परमाणु मांक 39 से 47 ह।

22
2.2 वतीय सं मण ेणी के त व के सामा य ल ण
(General Characteristics of Elements of Second Transition
Series)
वतीय सं मण ेणी के त व आवत सारणी के d- लॉक के पांचवे आवत म पाये
व यास 1s 2s 2P 3s 3p 3d 4s 4p 4d 5s0-2
2 2 6 2 6 10 2 6 1 10
जाते ह। इनका सामा य इले ॉ नक
होता है। इसे [Kr]4d1-10 5s भी लखा जा सकता है, जहाँ [Kr] उ कृ ट गैस
0-2
टॉन का
इले ॉ नक व यास द शत करता है। इन त व के नाम, संकेत, इले ॉ नक व यास तथा
अ य सामा य ल ण यहाँ दये जा रहे ह।
(1) इले ॉ नक व यास: सारणी 2.। म आप दे ख सकते है क वतीय सं मण ेणी के
अ धकांश त व के इले ॉ नक व यास म 5s-क क भरा हु आ नह है इसम 0 या 1
इले ॉन पाया जाता है। इसका एक कारण 4d तथा 5s-क क क ऊजा म बहु त कम
अंतर होना है। इसके अ त र त इसे मा अ -पू रत क क के था य व के आधार पर नह ं
समझाया जा सकता। इसम अ य बहु त से कारक का योगदान स भव है, जैसे-प रर ण
भाव, इले ॉन-इले ॉन तकषण, भेदन भाव, आ द।
सारणी 21: वतीय सं मण ेणी के त व के इले ॉ नक व यास
परमाणु मांक त व का नाम संकेत इले ॉ नक व यास
39 इ यम Y [Kr]4d15s2

40 जक नयम Zr [Kr]4d25s2

41 नायो बयम Nb [Kr]4d35s1

42 मॉ ल डेनम Mo [Kr]4d45s1

43 टै नी शयम Tc [Kr]4d55s1

44 थी नयम Ru [Kr]4d75s2

45 रो डयम Rh [Kr]4d85s
1

46 पैले डयम Pd [Kr]4d105s1

47 स वर Ag [Kr]4d105s1

23
(2) धाि वक ल ण: अ य सभी सं मण त व क भां त वतीय सं मण ेणी के त व भी
धातु है तथा ये धातु ओं के सभी सामा य ल ण द शत करते ह, जैसे- ऊ मा और व युत
चालकता, कठोरता, त यता, आघातवघनीयता घाि वक चमक, आ द। ये धातु अ य धातु ओं
के साथ उपयोगी म धातुएं भी बनाते ह।
(3) घन व: सामा य धातु ओं क भां त इनके घन व उ च होते ह।
त व Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
घन व(g/cm3) 4.5 6.51 8.57 10.28 11.5 12.41 12.39 11.99 10.49
यहाँ प ट है क आवत म घन व बाय से दाय बढ़ रहा है पर तु अ त म कु छ कमी
आती है िजसका कारण परमाणु क या या आकार म वृ है।
(4) परमाणु या: वतीय सं मण त व क परमाणु याओं के मान बाय से दाय नरं तर
कम होते ह पर तु अं तम छोर पर कु छ वृ होती है।
त व Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
परमाणु या(A) ।.80 1.60 1.46 1.39 1.36 1.34 1.34 1.37 1.44
सं मण ेणी म ना भक य आवेश क वृ के साथ इले ॉन पर आकषण बढ़ता है
िजससे परमाणु आकार म कमी होती है। यह यान रखने क बात यह है क परमाणु मांक
बढ़ने के साथ इले ॉन अं तम से एक पहले d-क क म भरते ह। ये इले ॉन बाहर 5s
इले ॉन को तक षत करते ह, िजससे आकार म वृ होती ह। ार भ म आकषण अ धक
होने से परमाणु आकार म कमी होती है परं तु अं तम छोर पर 4d क क म पया त इले ॉन
भर जाने से तकषण भाव अ धक हो जाता है और आकार म वृ ार भ हो जाती है। इसी
का प रणाम है क Tc और Ru क परमाणु याएं लगभग समान होती ह।
(5) गलनांक और वथनांक: वतीय ेणी क सं मण धातु ओं के गलनांक और वथनांक बहु त
अ धक होते ह। ेणी म बाऐं से दाऐं जाने पर पहले इनके मान बढ़ते है और फर कम
होते ह।
त व Y Zr Nb Mo Ru Rh Pd Ag
गलनांक ( C) 0
1530 1857 2468 2620 2282 1960 1552 961
(6) आयतन वभव: वतीय सं मण ेणी के धातुओं के आयनन वभव बहु त अ धक होते है।
इस कारण इन धातु ओं का व युत धना मक गुण कम होता ह। प रणाम व प इनके
यौ गक म आय नक गुण क अपे ा सहसंयोजक गुण अ धक होते ह। उ च ऑ सीकरण
अव थाओं म तो इनके यौ गक मु य प से सहसंयोजक ह होते है। इनके थम आयनन
वभव के मान KJ/mol इकाइय म यहाँ दए जा रहे है।
त व Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
आयनन वभव 616 674 664 685 703 711 720 604 731

24
बाऐं से दाऐं आयनन वभव के बढ़ने क वृि त है। यह वृ बढ़ते आवेश के कारण
होती है। प रर ण भाव इस वृ को कम करता है अत: दो मागत त व के आयनन वभव
का अंतर बहु त कम पाया जाता ह।
(7) उ रे क य गुण : सं मण धातु उ तम उ रे क का काय करते ह। समांग उ रे ण म ये धातु
याकारक पदाथ के साथ अ थाई म यावत यौ गक बनाकर उ रे क क नभाते ह। वषमांग
उ रे ण म ये धातु याकारक पदाथ के अ धशोषण के लए मु त संयोजकता वाल सतह
उपल ध कराते ह। उदाहरण के लए,
Pd
(i) C6H5OH+3H2 C6H11OH
फ नॉल साइ लोहे सेनॉल
Pd/Rh
(ii) 4NH3+5O2 ⎯⎯ 4NO+6H2O
(8) ऑ सीकरण अव थाएं: अ य सं मण त व क भाँ त वतीय ेणी के भी प रवतनशील
ऑ सीकरण अव थाओं का अपने यौ गक म दशन करते ह। ये ऑ सीकरण अव थाएं
न न कार ह। को ठक म द गई ऑ सीकरण अव थाएं असामा य ह।
Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag

+1
(+2) +2 +2 +2 +2 (+2)
+3 (+3) (+3) +3 +3 +3 (+3) (+3)
(+4) (+4) +4 (+4) +4 +4 +4

+5 +5 (+5) (+5)

+6 (+6) (+6) (+6)


(+7) (+7)
(+8)
ऊपर द गई सारणी से प ट है क ऑ सीकरण सं याओं का मान बाय से, दाय पहले बढ़ता
ह फर कम होता चला जाता है। वतीय सं मण ेणी म थीनीयम सबसे अ धक सात कार
क (+2 से +8) ऑ सीकरण अव थाएं द शत करता ह। ेणी का थम त व इ यम केवल
+3 ऑ सीकरण अव था द शत करता है। ेणी के लगभग सभी त व +2 तथा +3
ऑ सीकरण अव थाएं द शत करते ह।
9) चु बक य गुण : अ य सं मण त व क भाँ त वतीय सं मण ेणी के त व और इनके
यौ गक अनुचु बक य गुण रखते ह। यह वृि त इनम उपि थत अयुि मत इले ॉन के
कारण होती है।

25
10) संकुल यौ गक: सभी सं मण त व म संकुल यौ गक बनाने क कृ त पायी जाती ह।
इसका मु य कारण इनका छोटा आकार, उ च ना भक य आवेश, तथा र त d- क क क
उपल धता ह। सम वय सं या 4 और 6 वाले संकुल सामा य प से ा त होते ह पर तु
वतीय सं मण ेणी के कु छ त व सम वय सं या 7 और 8 वाले संकुल भी बनाते ह।
उदाहरण के लए [ZrF7]3- आयन िजसक संरचना पंचकोणीय व परै मडीय होती है। इसी
4-
कार Cu2[ZrF8] म उपि थत [ZrF8] आयन क संरचना वगाकार वपर त म जैसी
होती है, िजसके के म Zr परमाणु रहता ह।
11) गु छ यौ गक: सं मण धातुओं म धातु-धातु बंधन क वृि त पायी जाती है िजससे ा त
यौ गक गु छ यौ गक (Cluster Compounds) कहलाते ह। उदाहरण के लए
Ru3(CO)12, Rh4(CO)12, [Nb6CL12]2+, [Mo2Cl9]3-, Mo(CH3COO)4.2H2O, आ द।
(12) अ भ याशीलता: अ य सं मण त व क भां त वतीय सं मण ण
े ी के त व क
अभ याशीलता बहु त कम होती है। इसका कारण इनके उ च आयनन वभव, उ च
उ वपातन ऊजा, न न वलायकन ऊजा, आ द ह। इसी कारण थी नयम रो डयम,
पैले डयम और स वर क गनती उ कृ ट धातु ओं म क जाती है।

बोध न-
1. न न ल खत कथन म स या/अस य बताइये -
(क ) वतीय सं मण े णी के थम दो सद य इ यम तथा नायो बयम ह।
( स य/अस य )
(ख) पै ले डयम परमाणु के 4 d तथा 5s क क म उपि थत इले ॉन क
सं या मश : दस और शू य होती है । ( स य/अस य )
(ग) वतीय सं मण े णी क धातु ओं म सबसे अ धक घन व थी नयम
का होता है । ( स य/अस य )
(घ) रो डयम और पै ले डयम क परमाणु याओं के मान समान होते है ।
( स य/अस य )
(च) आवत सारणी के पां च वे आवत म सबसे अ धक गलनां क वाला त व
मॉ ल डे न म है । ( स य / अस य )
(छ) पै ले डयम क सामा य ऑ सीकरण अव था +3 है । ( स य / अस य )
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) [ZrF 7 ] 3-
सं कु ल आयन म जक नयम धातु क ऑ सीकरण अव था
तथा सम वय सं या मश : .............. तथा .......... है ।
(ख) मॉ ल डे न म अपने यौ गको म +2 से . ................... तक सामा य
ऑ सीकरण अव थाएं द शत करता है ।
(ग) फ नॉल क अभ या हाइ ोजन गै स से ........................ धातु क
उपि थ त म कराने पर साइ लोहे से नॉल ा त होता है ।

26
(घ) वतीय सं मण े णी म सबसे कम गलनां क वाला धातु
....................... है ।
(च) आवत सारणी के पां च वे आवत म ……..... तथा …………… त व क
परमाणु याओं के मान समान होते ह।
(छ) इ यम और पै ले डयम के 4d क क म अयु ि मत इले ॉन क
सं या मश :................ और ................... होती है ।

2.3 वतीय सं मण ेणी के त व का उनके 3d-समजात से


तु लना मक ववेचन (Comparative Treatment of
Elements of Second Transition Series with their 3d-
analogues)
आवत सारणी के सं मण त व वग म थम एवं वतीय सं मण े णय के म य
उनके परमाणु मांक म 18 का अंतर पाया जाता है, िजसका भाव दोन े णय के त व के
गुण म भ नता के प मे सामने आता है। इन सं मण े णय का सामा य इले ॉ नक
व यास समान है अत: गुण म समानता भी पायी जाती है। व भ न गुण के आधार पर दोन
े णय का तु लना मक ववेचन यहाँ कया जाएगा।
(1) इले ॉ नक व यास: दोन े णय का सामा य इले ॉ नक व यास समान है। दोन
े णयाँ इले ॉन के मश: 3d और 4d क क म भरने से बनती ह और दोन म अं तम
क क मश: 4s और 5s ह। सं मण वग म इले ॉ नक व यास क भ नता के कारण
त व के गुण म पायी जाती है। दोन े णय के त व के बा य व यास तु लना हे तु यहाँ
दये जा रहे ह।
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
व यास 3d 4s1
3d 2
3d 4s 3
3d 4s 5
3d 4s5
3d 4s 6
3d 4s 7
3d 4s8 2
3d104s
2
4s2 2 1 2 2 2 1

4d- ेणी Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
व यास 3d 4s1
3d 2
3d 4s 4
3d 4s 5
3d 4s5
3d 4s 7
3d 4s 8
3d 4s 3d104s
10

2
4s2 1 1 2 1 1 0 1

यहाँ आप प ट प से दे ख रहे है क 3, 4 ,6 ,7 और 11 वग म इले ॉ नक व यास


समान है, पर तु 5, 6, 9 और 10 वग म इले ॉ नक व यास भ न है।
(2) परमाणु या: थम सं मण ेणी क अपे ा वतीय सं मण ेणी के त व क परमाणु
याओं के (A
0
याओं के मान अ धक होते ह। दोन े णय के त व क परमाणु
इकाई म) तु लना हे तु यहाँ दये जा रहे ह।

27
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- े णी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
परमाणु या 1.65 1.47 1.36 1.30 1.27 1.26 1.25 1.25 1.28
4d- े णी Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
परमाणु या 1.80 1.60 1.46 1.39 1.36 1.34 1.34 1.37 1.44
दोन े णय म बाय से दाय परमाणु या का मान घटता है फर वग 910 म परमाणु
याएं समान हो जाती है और अगले वग 11 म परमाणु या के मान म वृ है।
(3) आयनन वभव: आयनन वभव का सीधा स बंध परमाणु के ना भक य तथा परमाणु या
से होता है। भीतर इले ॉन का प रर ण भाव भी मह वपूण कारक है। दोन े णय के
त व के थम आयनन वभव के मान KJ त मोल इकाइय म यहाँ ना क ि ट से
दये जा रहे ह।
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
आयनन वभव 631 656 650 653 717 762 758 736 745
4d- ेणी Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
आयनन वभव 616 674 664 685 703 711 720 804 731
ऊपर दये गये आयनन वभव मान से प ट है क अ धकांश वग म दोन े णय के
आयनन वभव म बहु त अंतर नह ं ह। आयनन वभव यहाँ इस बात पर भी नभर है करता है
क सबसे बाहर 4d या 5ऽ क क म इले ॉन युि मत है अथवा अयुि मत। दसव वग म Pd
परमाणु के 4d क क म 10 इले ॉन तथा 5p क क म शू य इले ॉन होने से यह व यास
(3d 4s ) क अपे ा अ धक
8 2
थाई हो जाता है अत: पैले डयम का थम आयनन वभव नकल
से काफ अ धक है।
(4) घन व: सं मण धातु ओं का घन व उनके परमाणु भार और परमा वीय आयतन पर नभर
करता है। परमा वीय आयतन का सीधा स बंध परमाणु या से होता है। अब आप आगे
दये गये घन व के मान के आधार पर दोन े णय क तु लना कर सकते ह।
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
घन व(g/cm3) 2.99 4.54 6.11 7.20 7.44 7.86 7.83 8.90 8.92
4d- ेणी Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
घन व(g/cm ) 4.5 6.51 8.57 10.28 11.5 12.41 12.39 11.99 10.49
3

दोन े णय के धन व म पया त अ तर ह। दोन े णय म घन व बाय से दाय बढ़ता है।


दोन े णय म वग 9 म घन व म कमी आती है। वतीय ेणी म घन व के वग म
नर तर कम होता चला जाता है। इसका कारण स भवत परमाणु या का कम होने क
अपे ा बढ़ना है िजससे परमा वीय आयतन म भी वृ होती है।

28
(5) ऑ सीकरण अव थाएं : थम एवं वतीय सं मण ेणी के त व क ऑ सीकरण
अव थाओं क तु लना आगे सारणी म क गयी है।
वग सं मण ऑ सीकरण अव थाय
सं या धातु
3 Sc (+2) +3
Y +3
4 Ti +2 +3 +4
Zr (+3)(+4)
5 V +2 +3 +4 +5
Nb (+2) (+3) (+4) (+5)
6 Cr (+1) +2 +3 (+4) (+5) (+6)
Mo +2 +3 +4 +5 +6
7 Mn +2 (+3) +4 (+5) (+6) +7
Tc (+4) (+5) (+6) (+7)
8 Fe +2 +3 (+4) (+5) (+6)
Ru +2 +3 +4 (+5) (+6) (+7) (+8)
9 Co +2 +3 (+4) (+5)
Rh +2 +3 +4 (+6)
10 Ni +2 (+3) (+4)
Pd +2 (+3) +4
11 Cu +1 +2
Ag +1 (+2) (+3)
उ त सारणी से प ट है क दोनो े णय के कनारे वाले धातु सी मत ऑ सीकरण अव थाएं
द शत करते है जब क बीच वाले त व बहु त सी ऑ सीकरण अव थाएं दशाते ह। ऐसा एक
आवत म बाय से दाय पहले अयुि मत इले ॉन क सं या बढ़ने और फर यह सं या घटने के
कारण होता है। उपर दशायी गयी सभी ऑ सीकरण अव थाएं सामा य नह ं होती, बहु त सी
असामा य भी होती ह। इसका अथ यह है क कु छ ऑ सीकरण सामा य और अ धक सं या म
यौ गक बनाती है जब क असामा य ऑ सीकरण अव थाएं संकुल यौ गक म ह थायी होती है।
असामा य अव थाओं को को ठक म दया गया है। दोन े णय म उ च ऑ सीकरण अव थाएं
असामा य ह।
(6) संकुल यौ गक और उनक या म त: दोन सं मण े णय के त व संकुल यौ गक बनाते
ह। थम सं मण ेणी के त व उ च सम वयी सं या के संकुल नह ं बनाते जब क
वतीय सं मण ेणी के त व उ च सम वयी सं या (जैसे 7 और 8) वाले संकुल भी

29
बनाते है। यहाँ उदाहरण के लये कु छ संकु ल लेकर उनक सम वयी सं या और या म त
का तु लना मक ववेचन कया जायेगा।
सम वय सं मण संकुल या म त ऑ सीकरण
सं या धातु अव था

6 Sc [ScF6]3- अ टफलक य वगाकार +3


8 Y [Y(acac)4] त मीय +3

5 Ti Zr [TiOCl4]2- वगाकार परै मडी +4


6 Zr [ZrF6]2- अ टफलक य +4
7 Na3[ZrF7] पंचभुजीय व परै मडी +4

5 V,Nb [VF5],[NbF5] भु जीय व परै मडी +5


6 [VF5],[NbF5] [V(CN)6]3- अ टफलक य +3
6 V Nb(CO)6 अ टफलक य 0
7 पंचभुजीय व परै मडी +3,+4
Nb V,Nb [Y(CN)7]4-
,K3[NbF7]
(7) चु बक य गुण:
अ धकांश सं मण त व और उनके यौ गक अनुचु बक य कृ त के होते है।
अनुचु बक य कृ त पदाथ म उपि थत अयु गमत इले ॉन के कारण होती है। अयुि मत
इले ॉन क सं या (n) के आधार पर चु बक य आघुण (μ) का मान केवल च ण, सू , μ =
√n(n+2) B.M. वारा ात कया जा सकता ह। थम ेणी के सं मण त व के चु बक य
आघूण के मान इस सू वारा ात कये जाते है। पर तु वतीय सं मण ेणी के त व म
च ण-क ीय यु मन के कारण उ त सू का योग नह ं कया जा सकता। इनके चु बक य
आघूण के मान को मा अयुि मत इले ॉन क सं या से ात नह ं कया जा सकता। वतीय
सं मण ेणी के त व का अनुचु बक व ताप पर नभर करता है। इसके वपर त थम सं मण
ेणी के त व का अनुचु बक व ताप पर नभर नह ं करता है।
संकुल यौ गक म d-क क के टल े वभाजन ऊजा भी धातु आयन के
अयुि मत इले ॉन क सं या को भा वत करती है। बल लगै ड क अ धक टल े
वभाजन करती है तथा इसम इले ॉन का यु मन अ धक होता है, अतः अयुि मत इले ॉन
सं या कम हो जाती है। दुबल लगै ड क उपि थ त म टल े वभाजन कम होता ह
अत: d-क क के इले ॉन अयुि मत अव था म ह रहते ह अथात ् अयुि मत इले ॉन सं या
कम नह ं होती। इन सबका भाव चु बक य गुण पर पढ़ता है।
(8) सं मण त व यौ गक के रं ग:

30
टल े स ांत के अनुसार सं मण त व के आयन d-क क का, आयन से
जुड़ने वाले लगै ड क उपि थ त म eg और t2g क क म वभाजन हो जाता है।
अ टफलक य- या म त के लये eg अ धक ऊजा वाले तथा ओ t2g कम ऊजा वाले d-क क
होते है। ऐसे क क म उपि थत इले ॉन पर जब काश पडता है तो उसक कुछ ऊजा का
अवशोषण हो जाता है, य क इस ऊजा को हण कर t2g क क के एक या अ धक इले ॉन
eg क क म चले जाते है। अवशोषण के प चात ् उ सिजत शेष कार पदाथ को रं ग दान
करता है।
उदाहरण के लये [Ti(H2O6)] संकुल म Ti आयन के पास एक d- इले ॉन t2g
3+ 3+

कार के d- क क म रहता है जो काश से ऊजा हण कर eg कार के d-क क म


था पत हो जाता ह। इस कारण टाइटे नयम के संकुल आयन का रं ग नील लो हत होता ह।
आप यह भी पायगे क do तथा d10 व यास वाले धातु आयन अपने यौ गक को कोई रं ग
नह ं दे पाते, य क इन दो ि थ तय म d से द इले ॉन सं मण संभव नह ं हो पाता।
MnO4, Cr2O7 2-
तथा Cr2O4 2-
जैसे आयन म धातु आयन का बा य इले ॉ नक
व यास d 0
होता ह पर तु फर भी ये आयन गहरे रं ग वाले होते ह। इसका कारण आवेश
थाना तरण पे ा है। इसम ऊजा के अवशोषण से ऊजा का थाना तरण धातु और लगै ड
के क क के म य होता ह। d से d सं मण क तु लना म आवेश थाना तरण से उ प न रं ग
गहरे होते ह।
थम सं मण ेणी के त व क अपे ा वतीय ेणी के त व के यौ गक के पे ा
अ धक ज टल होते है। इसका कारण है क d से d सं मण के अ त र त आवेश थाना तरण
भी रं ग के लए उ तरदायी होता ह। इसके अ त र त 3d क क क अपे ा 4d क क क
टल े वयोजन ऊजा का मान अ धक होता है। उदाहरण के लए े णय के कु छ यौ गक
के रं ग सारणी 2.2 म दए जा रहे है।
सारणी 22 : सं मण त व के यौ गक के रं ग
वग थम सं मण ेणी के यौ गक(रं ग) वतीय सं मण ेणी के यौ गक(रं ग)
3 ScCl2(सफेद) YCl3 (सफेद)
Scl3(पीला) Yl3 (पीला)
4 TiCl2(लाल भू रा) ZrCl2 (काला)
TiCl3(बगनी) ZrCl3 (बगनी)
5 VCl4(लाल भू रा) NbCl4 (बगनी काला)
VF5 (रं गह न) NbF5 (पीला)
6 Crl3 (गहरा हरा) Mol3 (काला)
Cr2O5 (काला) Mo2O5 (गहरा नीला)
7 MnCl2 (गुलाबी) TcCl2 (लाल)
MnO2 (काला) TcO2 (काला)

31
8 FeBr2 (पीला भू रा) RuBr2 (काला)
FeF3 (हलका भू रा) RuF3 (भू रा)
9 CoF3 (हलका भूरा) RhF3 (लाल)
10 NiCl2 (पीला) PdCl2 (लाल)
NiO (हरा) PdO (काला)
11 CuCl (सफेद) AgCl (सफेद)
Cu2S (kala) Ag2S (काला)
यहाँ आपने दोन सं मण े णय के त व के वअंगी यौ गक के रं ग का अवलोकन
कया। एक जैसे यौ गक के रं ग कह ं समान है और कह ं प ट अंतर नजर आता है।
(9) धातु ओं के गु छ यौ गक:
दोन सं मण े णय क धातुएं गु छ यौ गक बनाती ह। इन यौ गक म धातु-धातु
बंधन के कारण धातु परमाणु ओं का समूह उपि थत रहता है। कु छ उदाहरण इस त य को प ट
करग-
(i) थम सं मण ेणी क धातु ओं के कु छ गु छ यौ गक-
Mn2(CO)10, Fe2(CO)8, Fe3(CO)12, CO4(CO)12, [Cr2(CH3COO)4(H2O),]
आ द।
(ii) वतीय सं मण ेणी क धातु ओं के कु छ गु छ यौ गक-
[Nb6Cl2]2+,[Mo2Cl9]3-,[Mo2(CH3COO)4(H2O)2],Ru3(CO)12,Rh4(CO)12, आ द।
[Nb6Cl12]2+ क संरचना म छ: Nb परमाणु एक अ टफलक के छ: कोन पर ि थत
रहते ह। अ टफलक के 12 कनारे (edges) होते ह। इन कनार के सामा तर सेतु के प म
धातु परमाणु ओं के म य 12 लोर न परमाणु बंधे रहते ह।
Mn2(CO)10 क संरचना म दो अ टफलक एक सामा य कनारे के मा यम से पर पर
जु ड़े रहते ह, जब क Fe2(CO)9 म दो अ टफलक एक सामा य कोणीय फलक के मा यम से
पर पर जु ड़े रहते ह।

बोध न-
3. न न ल खत म से कन दो यौ गक /आयन म धातु ओं का ऑ सीकरण अं क
+4 है ? [Y(acac) 4 ], [TiOCl 4 ] , [V(CN) 7 ] , Na 3 [ZrF 7 ], Mo 2 O 5 तथा
2- 4-

Ni(CO) 4 ।
4. न न ल खत धातु यु म म कसके बा य इले ॉ नक व यास एक कार के
है ?
( क ) Ti, Zr ( ख ) V, Nb ( ग ) Fe, Ru ( घ ) Ni, Pd
5. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) पै ले डयम का बा य इले ॉ नक व यास ..................... है ।
(ख) टाइटे नयम क सामा य ऑ सीकरण अव थाएं ....... और .............. ह।

32
(ग) Na 3 [ZrF 7 ] सं कु ल क या म त पं च भु जीय.............. होती है ।
(घ) Fe 3 (CO) 1 2 म तीन आयरन परमाणु पर पर .............. बं ध वारा
जु ड़े रहते है ।
6 न न ल खत म से कौनसे दो यौ गक सफे द रं ग के होते ह ?
YCl 3 , ZrCl 2 , NbCl 4 , PdCl 2 तथा AgCl ।

2.4 सारांश (Summary)


 वतीय सं मण ेणी के त व (परमाणु मांक 39 से 47) आवत सारणी d- लॉक के
पांचवे आवत म वग 3 से 11 तक पाये जाते ह।
 इनके संकेत मश: Y, Zr, Nb, Mo, Te, Ru, Rh, Pd तथा Ag ह।
ॉ नक व यास [Kr]4d 5s0-2 है।
1-10
 इनका सामा य इले
 ये सभी त व धातु ह और धातु ओं के सभी गुण दशाते ह।
 इनके घन व, गलनांक वथनांक तथा आयनन वभव के मान आवत म बाय से दाय पहले
बढ़ते ह फर अ त म कम हो जाते ह। इसके वपर त परमाणु या का मान पहले है
फर अि तम छोर पर बढ़ जाता है।
 ये धातु एं उ रे क गुण वाल होती ह और उ योग म इनका मह व है।
 ये धातु एं प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाएं दशाती ह।
 अ धकांश धातु एं अनुचु बक य यवहार द शत करती ह।
 ये धातु एं संकुल यौ गक और गु छ यौ गक बनाने क वृि त रखती ह। इनक सामा य
अभ याशीलता कम होती है।
 वतीय सं मण ेणी क तु लना थम सं मण ेणी से करने पर गुण म कु छ समानताएं
ताश कु छ असमानताएं दे खने को मलती ह।

2.5 श दावल (Glossary)


 उ कृ ट गैस : शू य वग के त व, िजनक अ भ याशीलता बहु त कम होती
है।
 अ -पू रत क क : आधे भरे हु ए क क, जैसे p3 या d5, अथात ् तीन p-क क
म तीन अयुि मत/एकाक इले ॉन।
 प रर ण भाव : परमाणु के बाहर इले ॉन पर लगने वाले इले ॉन पर
ना भक य आकषण के वपर त भीतर इले ॉन वारा लगने
वाला तकषण बल।
 आघातवघनीयता : पदाथ/धातु पर चोट पड़ने पर टू टने के बजाय फैल कर
च र/शीट म प रव तत हो जाना।
 मागत : एक के बाद एक।
 लगै ड : परमाणु या परमाणु समू ह (उदासीन/ऋणावे शत) जो धातु/धातु
आयन को इले ॉन समूह दे कर उपसहसंयोजक बंध बनाता है।

33
2.6 संदभ ंथ (Reference Books)
1. Inorganic Chemistry- S. Chand and Company, New Delhi
2. Inorganic Chemistry- Goyal Publishing House, Meerut
3. Inorganic Chemistry- Pradeep Publication, Jalandhar
4. अकाब नक रसायन भाग 2 - रमेश बुक डपो, जयपुर
5. अकाब नक रसायन भाग 2 - सा ह य भवन पि लकेशन, आगरा
6. अकाब नक रसायन भाग 2 - कॉलेज बुक हाऊस, जयपुर
7. अकाब नक रसायन भाग 2 - हमांशु पि लकेशन, उदयपुर

2.7 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. (क)अस य (ख) स य (ग) स य (घ) अस य (च) स य (छ) अस य
2. (क) +4,7 (ख) +6 (ग) पैले डयम (घ) स वर(च) थी नयम तथा रो डयम (छ) 1, 10
3. ½[TiOCl4]2- तथा Na3[ZrF7]
4. 4.Ti, Zr
5. (क) [Kr]4d105s0 (ख) +3 और +4 (ग) व परै मडी (घ) धातु-धातु
6. YCl3, AgCl

2.8 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. वतीय सं मण ेणी के त व के नाम, संकेत, परमाणु मांक और इले ॉ नक व यास
एक सारणी के प म द िजये।
2. वतीय सं मण ेणी के त व के सामा य ल ण का सं त वणन क िजये।
3. वतीय सं मण ेणी के न न ल खत गुण अपने आवत म कस कार प रव तत होते ह?
(क) घन व (ख) परमाणु या (ग) गलनांक (घ) आयनन वभव
4. न न ल खत को समझाइये-
(क) पैले डयम का इले ॉ नक व यास [Kr]4d105s0 होता है।
(ख) वतीय सं मण े णी म थी नयम का घन व सबसे अ धक होता है।
(ग) आवत सारणी के पांचवे आवत म Ru तथा Rh क परमाणु याओं के मान समान
होते ह।
(घ) 4d- ेणी के त व के गलनांक के मान उ च होते ह।
(ङ) वतीय सं मण ेणी म केवल स वर +1 ऑ सीकरण अव था दशाता है।
5. वतीय सं मण ेणी के त व क तु लना थम सं मण ेणी के त व से न न ल खत
संदभ म क िजये-
(क) आयनन वभव (ख) घन व (ग) चु बक य गुण (घ) गु छ यौ गक।

34
इकाई 3
तृतीय सं मण ेणी के त व का रसायन
Chemistry of Elements of Third Transition Series
इकाई क प रे खा
3.0 उ े य
3.1 तावना
3.2 तृतीय सं मण ेणी के त व के सामा य ल ण
3.3 तृतीय सं मण ेणी के त व का उनके 3d- समजात से तु लना मक ववेचन
संदभ आय नक याएं, ऑ सीकरण अव थाएं, चु बक य यवहार, पे मी गुण तथा
वम रसायन।
3.4 सारांश
3.5 श दावल
3.6 संदभ थ

3.7 बोध न के उ तर
3.8 अ यासाथ न

3.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे-
 तृतीय सं मण ेणी के त व कौनसे ह।
 इन त वो के सामा य ल ण या ह।
 ये त व अपने समजात थम सं मण ेणी के त व से या समानताएं रखते है और कस
कार उनसे भ न ह।

3.1 तावना (Introduction)


इकाई 2 म आपने वतीय सं मण ेणी के त व और थम सं मण ेणी के त व
का तु लना मक ववेचन कया। इस इकाई म आप तृतीय सं मण ेणी के त व क तु लना
थम सं मण ेणी के त व के साथ करगे।
तृतीय सं मण ेणी के नौ त व (परमाणु मांक 57 तथा 72 से 79) 5d-क क म
एक के बाद एक नौ इले ॉन भरने से ा त होते ह। इस ेणी का थम सद य लथेनम है
िजसका परमाणु मांक 57 ह। लथेनम के प चात ् 14 त व (परमाणु मांक 58 से 71) ऐसे
ह िजनम अं तम इले ॉन 5d-क क म ना जाकर 4f-क क म जाता है। अत: प रभाषा के
अनुसार परमाणु मांक 58 से 71 वाले त व तृतीय सं मण ेणी म सि म लत नह ं कये जा
सकते, अथात इन त व के लये आवत सारणी के छटे आवत म कोई थान उपल ध नह ं है।
इन 14 त व को मु य आवत सारणी के नीचे अलग लॉक म रखा जाता है िजसे f- लॉक

35
कहते ह। लथेनम त व के बाद के ये त व लथेनाइड त व के नाम से जाने जाते ह। इन त व ,
का अ ययन आप आगे आने वाल इकाइय म करगे।

3.2 तृतीय सं मण ेणी के त व के सामा य ल ण (General


Characteristics of Elements of Third Transition
Series)
तृतीय सं मण ेणी के त व आवत सारणी के d- लॉक के छटे आवत मे वग 3 से
11 तक पाये जाते है। इनका सामा य इले ॉ नक व यास
1s22s22p63s23p63d104s24p64f145d1-26s1-2 होता है। इस व यास को सं ेप म
[Xe]4f 5d
14 1-10
6s 1-2
के प म भी लखा जा सकता है। इस ेणी थम त व लथेनम 4f
क क म कोई इले ॉन नह ं होता। इन ेणी के त व के नाम, संकेत, इले ॉ नक व यास
और अनय सामा य ल ण का सं त वणन यह कया जाएगा।
(1) इले ॉ नक व यास:
परमाणु मांक त व के नाम संकेत इले ॉ नक व यास
57 लथेनम La [Xe]5d16s2

72 हैफ नयम Hf [Kr]4f145d26s2

73 टै टे लम Ta [Kr]4f145d36s2

74 टं सटन W [Kr]4f145d46s2

75 र नयम Re [Kr]4f145d56s2

76 ऑि मयम Os [Kr]4f145d66s2

77 इर डयम Ir [Kr]4f145d76s2

78 लै टनम Pt [Kr]4f145d96s2

79 गो ड Au [Kr]4f145d106s2

तृतीय सं मण ेणी के त व म अं तम 6s क क भरा रहता है। लै टनम पर 6s


का एक इले ॉन 5d म चला जाता है। ऐसा स भवत: पूण भरे 5d क क के अ धक थाई

36
होने के कारण होता है। अं तम क क से पहले वाला 5d क क नय मत प से भरता रहता
है। अत: हम दे खते ह क इस ेणी म केवल अं तम दो त व लै टनम और गो ड असामा य
इले ॉ नक व यास द शत करते ह, जहाँ अं तम 6s-क क म मा एक इले ॉन पाया जाता
है।
(2) धाि वक ल ण: तृतीय सं मण ेणी के सभी त व धातु ह और सामा य धातु ल ण,
जैसे उ मा और व युत चालकता, धाि वक चमक, कठोरता, आ द का दशन करते ह।
(3) घन व: अ य धातु ओं क तरह इस ेणी के त व के घन व भी उ च होते ह।
धातु La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
घन व (g/cm3) 6.17 13.28 16.65 19.3 21.0 22.57 22.61 21.4 19.32
यहाँ आप दे ख सकते है क आवत म बाय से दाय जाने पर घन व नर तर बढ़ता है
फर Ir के प चात ् कु छ कमी आती है। La का घन व ेणी के अ य त व क अपे ा बहु त
कम है। इर डयम का घन व ेणी मे सबसे ,अ धक है। घन व के इस उ च मान का अनुमान
आप इस त य से लगा सकते ह क य द इर डयम क फुटबाल के आकार क ठोस गद बनाय
तो उसका भार लगभग 320 कलो ाम होगा। अि तम छोर पर घन व म कमी का कारण इन
त व क परमाणु या म वृ है।
(4) परमाणु या: स मण त व क तृतीय ेणी के सद य क परमाणु याओं के मान
न न कार है-
त व La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
परमाणु या (A )
0
1.87 1.59 1.46 1.39 1.35 1.35 1.35 1.38 1.44
यहाँ आप दे ख रहे है क बाय से दाय परमाणु आकार कम हो रहा है और Re, Os
तथा Ir के लये इसका मान समान पाया जाता है। इसके बाद अं तम छोर पर ि थत Pt और
Au के लये परमाणु आकार म कुछ वृ होती है। La और Hf के परमाणु आकार म बहु त
अ धक अ तर इनके म य 14 लथेनाइड त व का होना है।
लथेनाइड त व म भी बढ़ते परमाणु मांक के साथ परमाणु आकार म कमी आती है।
इसे लथेनाइड संकु चन कहते है, िजसका भाव तृतीय सं मण ेणी के त व पर पड़ता है। इसी
कारण इस ेणी के थम सद य लथेनम क अपे ा शेष सभी त व के परमाणु आकार बहु त
कम है, जब क शेष त व के परमाणु आकार म पर पर बहु त कम अंतर है।
परमाणु मांक वृ के साथ त व का ना भक य आवेश भी बढ़ता है। इसके साथ है
अं तम से पहले 5d क क म इले ॉन क सं या म भी वृ होती है। इस कार अं तम
क क 6s के इले ॉन पर दो बल काय करते ह-ना भक य आकषण तथा 5d इले ॉन का
तकषण। वपर त कृ त के ये बल Re, Os, Ir के लये इस कार संतु लत होते ह क
उनके परमाणु आकार म कोई प रवतन नह ं होता और उनक परमाणु याएं समान रहती है।
Pt और Au के इले ॉ नक व यास को दे ख तो यहाँ पर 5d क क पूण भरे हु ए या
इसके नकट (5d या 5d ) होते ह। इससे 6s इले तकषण अ धक हो जाता है,
10 9
ॉन पर

37
िजसके प रणाम व प परमाणु आकार म वृ पायी जाती है। यह कारण है क इनके घन व
इनसे पहले आने वाले त व से कम होते है।
(5) गलनांक और वथनांक: तृतीय ेणी क सं मण धातु ओं के गलनांक और वथनांक बहु त
अ धक होते ह।
त व La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
गलनांक ( C) 0
920 2222 2980 3380 3180 3045 2443 1769 1064
आप दे ख सकते है क आवत म बाय से दाय गलनांक के मान टं सटन तक बढ़ते है
फर इनम कमी आने लगती है। दोन कनार पर ि थत धातु ओं (La तथा Au) के गलनांक
म य म ि थत धातु ओं के गलनांक से बहु त कम है। स भवत: 5d क क म अयुि मत
इले ॉन क सं या म वृ के साथ गलनांक के मान बढ़ते ह और यु मन होने पर अयु गमत
इले ॉन क कम होती है िजससे गलनांक भी कम होते चले जाते है। यह वृि त वथनांक
के मान म पायी जाती है।
(6) आयनन वभव: तृतीय सं मण ेणी के धातु ओं के आयनन वभव अ धक होते ह। इस
कारण इन धातु ओं का व युत धना मक गुण बहु त कम होता है। प रणाम व प इनके
यौ गक म आय नक गुण क अपे ा सहसंयोजक गुण अ धक होते है। उ च ऑ सीकरण म
तो इनके यौ गक मु य प से सहसंयोजक ह होते ह। इनके थम आयनन वभव के मान
KJ/mol इकाइय म यहाँ दए जा रहे ह।
त व La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
आयनन वभव 541 760 760 770 759 840 900 870 889
यहाँ आप दे ख सकते ह क La का थम आयनन वभव ेणी के अ य सद य से
बहु त कम है। अ य सद य का ना भक य आवेश La के ना भक य आवेश से बहु त अ धक है,
इसी लए आयनन वभव का मान भी बहु त अ धक है। ेणी म बाय से दाएं पहले आयनन
वभव मान म नरं तर वृ होती है। Ir के लए थम आयनन वभव का मान सबसे अ धक
है। Pt और Au के लये आयनन वभव के मान म कु छ कमी आती है।
(7) उ ेरक य गुण : अ य सं मण धातु ओं क भां त तृतीय सं मण ेणी धातु एं भी उ तम
उ ेरक के प म काय करती ह। कु छ उदाहरण यहाँ दये जा रहे ह-
(i) स यू रक अ ल के नमाण म SO2 का ऑ सीकरण Pt धातु क उपि थ त म कराया
जाता है।
2SO2+O2 Pt 2SO3
(ii) Pt/PtO (ऐड स उ रे क) अपचयन अ भ याओं म उ रे क का काय करता है।
(8) ऑ सीकरण अव थाएं: अ य सं मण त व क भाँ त तृतीय सं मण ेणी के तल भी
अपने यौ गक म प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाओं का दशन करते ह। ये ऑ सीकरण
अव थाएं न न कार यहाँ द जा रह ह। को ठक म द गई ऑ सीकरण अव थाएं
असामा य ह।

38
La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
(+1) +1
(+2) +2 (+2) +2 +2 +2
+3 (+3) (+3) +3 +3 +3 +3 (+3) +3
+4 (+4) +4 +4 +4 +4 +4
+5 +5 (+5) (+5)
+6 (+6) +6 +6 (+6)
+7
+8
ऊपर द गई सारणी म आप दे ख सकते ह क ेणी के बीच के सद य अ धक सं या
म ऑ सीकरण अव थाओं का दशन करते ह। बाय से दाय पहले ऑ सीकरण अव थाओं क
सं या बढती ह, फर कम होती चल जाती है। अ धकतम +8 ऑ सीकरण अव था ऑि मयम
धातु दशाता है जब क सबसे अ धक ऑ सीकरण अव थाएं (+1 से +7 तक) र नयम वारा
द शत क जाती ह। ेणी के सभी त व +3 ऑ सीकरण अव था वाले यौ गक बनाते ह।
(9) चु बक य गुण : अ य सं मण त व क भाँ त तृतीय सं मण ेणी के त व और इनके
यौ गक अनुचु बक य गुण रखते ह। यह वृि त इनके परमाणुओं या आयन म उपि थत
अयुि मत इलै ॉन के कारण होती ह।
(10) संकुल यौ गक : तृतीय सं मण ेणी के सभी धातु व भ न लगै ड के साथ संकुल
बनाते ह। यह वृि त इन धातु ओं के छोटे परमाणु आकार, उ च ना भक य आवेश और
र त d-क क क उपल धता के कारण होती ह। कु छ उदाहरण यहाँ दये जा रहे ह।
र नयम अपनी +3 ऑ सीकरण अव था म [ReOBr4] संकुल बनाता है िजसक
या मती वगाकार परै मडी है। इसम Re क सम वय सं या 5 है।
[ReF5] संकुल भु जीय व परै मडी आकृ त का होता है यहाँ धातु क ऑ सीकरण
अव था तथा सम वय सं या, दोन 5 ह। संकु ल आयन [ReF8]2- म धातु क ऑ सीकरण
अव था +6 तथा सम वय सं या 8 है। इसक या म त वगाकार त मीय होती है।
[ReO2(CN)4] संकुल आयन क
3
या म त अ टफलक य होती है। इसम धातु क ऑ सीकरण
अव था +5 है तथा सम वय सं या 6 है। ऑि मयम के अ टफलक य संकुल का सू
[OsO2(OH)4]3 है।
[ReF5] संकु ल क या म त पंचभुजीय व परै मडी होती है। यहाँ Os क ऑ सीकरण
अव था तथा सम वय सं या, दोन 7 है। इर डयम के संकुल [IrH3(PR3)2] क या म त
भु जीय व परै मडी होती है। [Au(CN)2] क या म त रे खीय, [AuCl(PR3)2] क भु जीय
समतल य, [Au(PR3)4] क चतु फलक य तथा [AuBr4] क वगाकार समतल य होती है।
+ -

(11) गु छ यौ गक : तृतीय सं मण ेणी के कु छ व धातु गु छ यौ गक बनाते ह िजनम


धातु-धातु बंधन होता है। इसके कु छ उदाहरण है-

39
(i) (Ta6Cl12 इस गु छ यौ गक क संरचना म छ: धातु परमाणु एक अ टफलक के कोन
पर ि थत होते है और अ टफलक के 12 कनार के प म 12 लोर न परमाणु धातु
परमाणुओं के म य सेतु बंध बनाते ह।
(ii) W6Br12 यह वा तव म टं सटन का डाइ ोमाइड (WBr2) है, जो गु छ संरचना बनाता
है। इसक संरचना म [W6Br8]+4 आयन बनता है िजसक या म त अ टफलक य होती
है। अ टफलक के 6 कोनो पर 6 टं सटन परमाणु ि थत होते ह। आठ Br परमाणु
अ टफलक के आठ फलक पर उपि थत होते है तथा येक Br परमाणु फलक के
तीन कोन पर उपि थत तीन W परमाणु ओं के साथ बंध बनाता है।
(iii) Re3Cl9: यह वा तव म र नयम ाइ लोराइड (ReCl3) है, जो गु छ संरचना बनाता
है। तीन धातु परमाणु भुज आकार म पर पर Re-Re बंध से जु ड़े रहते ह।
(iv) काब नल गु छ यौ गक: Os3(CO)12 तथा Ir4(CO)12 जैसे गु छ यौ गक बनते ह।
इन यौ गक म धातु क ऑ सीकरण अव था शू य होती है।
(12) अ म याशीलता: उ च आयनन वभव के कारण तृतीय सं मण ेणी के धातु बहु त कम
अभ याशीलता द शत करते ह। इन धातु ओं क उ च उ वपातन ऊजा न न वलायकन
ऊजा के कारण भी इनक अ भ याशीलता कम हो जाती है। Ir, Pt, Au जैसी धातुओं
क गनती इनक बहु त कम अ भ याशीलता के कारण उ कृ ट धातुओं म होती है।
बोध न-
1. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) तृ तीय सं मण े णी के थम और अं तम त व मश: लथे न म तथा
गो ड ह। (स य/अस य)
(ख) ले टनम का इले ॉ नक व यास [Xe]4f 1 4 5d 8 4s 2 है । (स य/अस य)
(ग) तृ तीय सं मण े णी म सबसे कम घन व वाला त व गो ड
है । (स य/अस य)
(घ) Re, Os तथा Ir का परमाणु आकार लगभग समान होता
है । (स य/अस य)
(च) Ir का थम आयनन वभव , W तथा Re के थम आयनन वभव से
कम होता है । (स य/अस य)
(छ) लथे न म क सामा य ऑ सीकरण अव था +3 है । (स य/अस य)
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए-
(क) [ Ta 6 Cl 1 2 ] यौ गक क या मती .................. होती है ।
(ख) टं सटन अपने यौ गक म +2 से .................. तक ऑ सीकरण
अव थाएं दशाता है ।
(ग) ऐड स उ े र क ................. अ भ याओं म उ े र क का काय करता
है ।

40
(घ) तृ तीय सं मण े णी म सबसे अ धक घन व वाला धातु ...................
है ।
(च) आवत सारणी के छटे आवत म लथे न म और है फ नयम के बाद आने
वाले दो त व के नाम मश: .............. तथा .............है ।
(छ) टै टे लम धातु क सामा य ऑ सीकरण अव था ................है ।

3.3 तृतीय सं मण ेणी के त व का उनके 3d-समजात से


तु लना मक ववेचन (Comparative Treatment of
Elements of Third Transition Series with their 3d-
analogues)
आवत सारणी के d- लॉक म वग 3 से वग 11 तक, चौथे और छटे आवत म
सं मण त व क थम और तृतीय े णयाँ पायी जाती ह। इस े णय को 3d और 5d-
े णय के नाम से भी जाना जाता है, य क ये े णयां मश: 3d तथा 5d क क म
इले ॉन के भरने से बनती ह। इन े णय के इले ॉ नक व यास लगभग एक जैसे है, अत:
गुण म कु छ समानताएं पायी जाती ह, पर तु दोनो े णय के कसी भी वग म ि थत त व
के परमाणु मांक म 32 का अ तर होता है। इस आधार पर इनके गुण म काफ असमानताएं
भी दे खने को मलती ह। इकाई के इस भाग म दोन सं मण े णय का तु लना मक ववेचन
कया जायेगा।
(1) इले ॉ नक व यास: थम तथा तृतीय सं मण े णय के व यास लगभग एक समान ह।
दोन े णय के त व म मश: 3d और 5d म इले ॉन भरते ह और दोन म अं तम
क क मश: 4s और 6s होते ह। दोन े णय के बा य क क के व यास क तु लना
यह क जा रह है।
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
व यास 3d 1
3d 4s2
3d 4s3
3d 4s 5
3d 4s5
3d 4s 6
3d 4s7
3d 4s8
3d104s
4s2 2 2 1 2 2 2 2 1

5d- ेणी La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
व यास 5d 1
5d 6s2
5d 6s3
5d 6s 4
5d 6s5
5d 6s 6
5d 6s7
5d 6s9
5d106s
6s2 2 2 2 2 2 2 1 1

यह आप दे ख सकते ह क उ त व यास म पया त समानता है। 3d- ेणी के ो मयम म


त व यास 3d 4s न होकर 3d 4s हो जाता है। ऐसा 3d-क क के अधपूण क क
4 2 5 1
आपे
के अ धक थाई होने के कारण होता है, पर तु 5d- ेणी के संगत त व टं सटन म ऐसा नह ं
होता। इसके वपर त दसव वग म Ni धातु का व यास 3d84s2 होता है पर तु संगत धातु Pt

41
का व यास 5d 6s हो जाता है, िजसका कारण पूण d-क क का अ धक
9 1
थाई होना है। यह
बात यारहव वग क धातु Cu(3d104s1) तथा Au(5d106s1) पर भी लागू होती है।
(2) परमाणु या: थम सं मण ेणी क अपे ा तृतीय सं मण ेणी के त व के परमाणु
याओं के मान अ धक होते ह। तु लना क ि ट से दोन े णय के त व क परमाणु
याओं के मान यहाँ दये जा रहे ह।
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
या(A ) 1.65 1.47 1.36 1.30 1.27 1.26 1.25 1.25 1.28
0
परमाणु
4d- ेणी La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
परमाणु या(A0) 1.87 1.59 1.46 1.39 1.35 1.35 1.35 1.38 1.44
दोन सं मण े णय म बाय से दाय परमाणु या का मान कम होता चला जाता, फर दो
या तीन वग म ये मान ि थर हो जाते ह और अं तम छोर पर या के मान म वृ होती
है।
(3) आयनन वभव : त व -का आयनन वभव उनके परमाणुओं के ना भक य आवेश, परमाणु
आकार और भीतर इले ॉन के प रर ण थम पर नभर करता है। थम एवं तृतीय
सं मण े णय क धातु ओं के थम आयनन वभव क तु लना यहाँ क जा रह है। ये
मान KJ त मोल इकाई म है।
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
आयनन वभव 631 656 650 653 717 762 758 736 745
5d- ेणी La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
आयनन वभव 541 760 760 770 759 840 900 870 889
यहाँ आप दे ख सकते ह क दोन े णय म त वो के आयनन वभव के मान एक दूसरे के
बहु त नकट है। केवल La के आयनन वभव का मान बहु त कम है। दोन े णय म बाय से
दाय पहले ये मान बढते ह फर कम होने लगते ह। अं तम त व म इनके 4s और 6s क क
म युि मत इले ॉन न होकर अयुि मत इले ॉन होता है िजसे कम आयनन ऊजा दे कर अलग
कया जा सकता है, अत: आयनन वभव का मान कम हो जाता है। अपने छोटे आकार, उ च
ना भक य आवेश तथा 6ऽ क क म युि मत इले ॉन के कारण Ir धातु का आयनन वभव
सबसे अ धक होता है।
(4) घन व: सं मण धातु ओं का घन व उनके परमाणु भार और परमाणु आयतन पर नभर
करते ह। थम तथा तृतीय सं मण ेणी क धातु ओं के घन व g/cm3 इकाई म तु लना
हे तु यहाँ दये जा रहे ह।

42
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
घन व 2.99 4.54 6.11 7.20 7.44 7.86 7.83 8.90 8.92
5d- ेणी La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
घन व 6.17 13.28 16.65 19.3 21.0 22.57 22.61 21.41 19.32
दोन े णय के घन व म बहु त अ धक अ तर ह। तृतीय सं मण ेणी क -धातुओं के घन व
थम सं मण े णी क धातु ओं के घन व के लगभग तीन गुणा ह। इसका कारण तृतीय
सं मण ेणी क धातु ओं के उ च परमाणु मार और अपे ाकृ त कम परमाणु आयतन ह।
बाय से दाय दोन े णय म घन व के मान नरं तर बढ़ते ह। सं मण े णी म
ऑि मयम का घन व सबसे अ धक है। इसके बाद आने वाल धातु ओं के कम होते चले जाते ह।
ऐसा थम सं मण ेणी म नह ं है।
(5) ऑ सीकरण अव थाएं: थम एवं तृतीय सं मण ेणी के त व क व भ न ऑ सीकरण
अव थाओं क तु लना आगे सारणी म क गयी है।
वग सं मण ऑ सीकरण अव थाय
सं या धातु
3 Sc (+2) +3
La +3

4 Ti (+2) +3 +4
Hf (+3) +4

5 V +2 +3 +4 +5
Ta (+2) (+3) (+4) (+5)

6 Cr (+1) +2 +3 (+4) (+5) +6


W +2 (+3) +4 +5 +6

7 Mn +2 (+3) +4 (+5) (+6) +7


Re (+1) (+2) +3 +4 (+5) (+6) +7

8 Fe +2 +3 (+4) (+5) (+6)


Os +2 +3 +4 +6 +8

9 Co +2 +3 (+4) (+5)
Ir +2 +3 +4 +6

10 Ni +2 (+3) (+4)
Pt +2 (+3) +4 (+5) (+6)

11 Cu +1 +2
Au +1 +3

43
उ त सारणी से प ट है क दोन े णय के सभी धातु (कॉपर को छोड़कर) +3 ऑ सीकरण
अव था द शत करते ह। इसके अ त र त +2 तथा +4 ऑ सीकरण अव थाएं अ धकांश
द शत करते ह। उ च ऑ सीकरण अव थाएं े णय के म य आने वाले धातु द शत करते
ह। दोन े णय म असामा य ऑ सीकरण अव थाएं भी पायी जाती ह, िज ह सारणी म
को ठक म रखा गया।
(6) संकुल यौ गक और उनक या म त:
थम तथा तृतीय सं मण ेणी के त व संकुल यौ गक बनाते ह। थम सं मण े णी
के त व उ च सम वयी सं या वाले संकु ल नह ं बनाते, जब क तृतीय सं मण ेणी के त व
उ च सम वयी सं या वाले संकुल भी बनाते है। कु छ संकुल और उनक या म त को उदाहरण
के प म यहाँ सारणीब कया गया है। 30
सं मण सं मण ऑ सीकरण सम वय संकुल या मती
े णी धातु अव था सं या
3d Sc +3 6 [ScF6]3- अ टफलक य
3d V +3 6 [Y(CN)6]3- अ टफलक य

5d Os +7 6 [OsO2(OH)4] 2-
अ टफलक य

5d Pt +2 4 [Pt(CN)4]2- वगाकार समतल य


3d Cu +1 4 [Cu(CN)4]3- चतु फलक य
3d Ni +2 4 [NiCl4]2- चतु फलक य
3d Ni +2 4 [Ni(CN)4] 2-
वगाकार समतल य

5d Au +1 2 [Au(CN)2] रे खीय

3d Cu +1 2 [CuCl2] रे खीय

5d Au +3 4 [Au(Br)4] वगाकार समतल य


(7) चु बक य गुण:
अब तक आप जान चु के ह कसी त व या उसके आयन म जब अयुि मत इले ॉन
क सं या शू य रहती है तो वह तचु बक य यवहार दशाता है। जैसे-जैसे परमाणु या आयन
मे अयुि मत इले ॉन क सं या बढ़ती जाती है, उसका अनुचु बक व भी बढ़ता जाता है।
यौ गक म सं मण त व के d-क क दो उप ऊजा तर , eg और t2g म वभािजत हो
जाते ह। उदाहरण के लये अ टफलक य संरचना वाले यौ गक म t2g न न ऊजा के तीन d-
क क होते है तथा eg उ च ऊजा वाले दो d-क क होते है। बल े लगै ड क उपि थ त
म इन d-क क म ऊजा अ तर अ धक होता है, अत: इले ॉन t2g क क म युि मत हो जाते
ह। इससे पदाथ का अनुचु बक य गुण कम हो जाता है या समा त हो जाता है। य द लगै ड
े दुबल है तो इले ॉन का यु मन नह ं होता तथा उ च अनुचु बक य गुण वाले पदाथ ा त
होते ह। दस कार का भाव थम सं मण ेणी के त व म दे खा जाता है। तृतीय ेणी के
संकुल पर लगै ड े का कोद भाव नह ं पडता। इनम eg और t2g क क का अ तर सदै व

44
अ धक रहता है। अत: इले ॉन का यु मन न न ऊजा वाले क क म हो जाता है और पदाथ
के अनुचु बक व गुण कम ह रहते ह। तृतीय सं मण ेणी के संकुल म इनके चु बक य
आघूण म मा अयुि मत इले ॉन का योगदान नह ं होता, बि क च ण क यु मन का भी
मह व होता है।
तृतीय सं मण ेणी के यौ गक के अनुचु बक य गुण ताप पर भी नभर करते ह।
थम सं मण ेणी के यौ गक के अनुचु बक य गुण ताप पर नभर नह ं रहते।
(8) सं मण त व यौ गक के रं ग:
आपने अभी जाना क टल े स ांत के अनुसार सं मण त व के आयन के d-
क क का दो उप ऊजा तर eg और t2g, म वभाजन हो जाता है। अ टफलक य संरचना म
काश के एक भाग का अवशोषण कर इले ॉन न न ऊजा के t2g क क से उ च ऊजा के eg
क क म चला जाता ह। अवशोषण के प चात ् शेष काश पदाथ को रं ग दान करता है।
इसके अ त र त धातु और लगै ड के क क म मी इले ॉन का थानांतरण स भव
होता है। इस कारण भी यौ गक के, रं ग दखाई पड़ते ह। MnO4 तथा CrO4 2-
आयन म धातु
के d-क क म इले ॉन नह ं पाये जाते पर तु आवेश थानांतरण पे ा के कारण ये आयन
रं गीन दखाई दे ते ह।
तृतीय सं मण ेणी के 5d क क के लये टल े वभाजन ऊजा का मान
थम सं मण ेणी के त व क अपे ा अ धक होता है तथा तृतीय सं मण ेणी के त व के
रं ग d से d सं मण तथा आवेश थानांतरण, दोनो कारण से होते ह।
थम तथा तृतीय सं मण ेणी के कु छ यौ गक के रं ग तु लना क ि ट से यहाँ दये
जा रहे ह-
वग थम सं मण ेणी के वतीय थम सं मण ेणी के यौ गक(रं ग)
यौ गक(रं ग)
3 ScCl3 (सफेद) LaCl2 (सफेद)
Scl3 (पीला) Lal3 (पीला)
4 TiF4 (सफेद) HfF4 (सफेद)
Til4 (लाल भूरा) Hfl4 (पीला)

5 VF5 (रं गह न) TaF5 (सफेद)


V2O5 (नारं गी) Ta2O5 (सफेद)

6 CrF5 (हरा) WF5 (पीला)


Cr2O5 (काला) W2O5 (गहरा नीला)

7 MnCl2 (गुलाबी) ReCl4 (काला)


MnO2 (काला) Re2O7 (पीला)

8 FeF3 (हलका हरा) OsF4 (पीला),OsF5 (गहरा हरा) OsO2 (पीला)


Fe2O3 (लाल-भू रा)

45
9 CoCl2 (नीला) IrCl3 (लाल)
CoF3 (हलका भूरा) IrF3 (काला)

10 NiCl2 (पीला) PtCl2 (हरा)


NiO (हरा) PtO (काला बगनी)

11 CuCl (रं गह न) AuCl (हलका पीला), AuCl3 (लाल) Au2O3 (भूरा)


Cu2O (पीला), CuO(काला)
(9) धातु ओं के गु छ यौ गक: थम तथा तृतीय सं मण ेणी क धातु एं गु छ यौ गक बनाते
है, िजसम एक से अ धक धातु परमाणु पर पर धातु-धातु बंध से जु ड़े रहते ह। दोन
े णय के गु छ यौ गक के उदाहरण यहाँ दये जा रहे ह।
(i) थम सं मण ेणी के गु छ यौ गक-
Mn2(CO)10, Fe2(CO)9, CO2(CO)8, Fe3(CO)12, CO4(CO)12, [Cr2(CH3COO)4(H2O)],
आ द।
(ii) तृतीय सं मण ेणी के गु छ यौ गक-
Ta6Cl12, W6Br12, Re3Cl9, Os3(CO)12, Ir4(CO)12, आ द।
इन गु छ यौ गक क संरचना क जानकार आप पहले ा त कर चु के ह।
बोध न-
3. न न ल खत यौ गक म से कौनसे दो सफे द रं ग के ह?
LaC 3 , Lal 3 , TaF 5 , WF 5 , ReCl 4 , Al 2 O 3
4. न न ल खत धातु परमाणु या आयन म से कन दो के अं तम क क एक
इले ॉन वाले ह?
Sc , Ti 3 + , V 5 + , La 3 + , Ta 4 + , Cu, Au
2+

5. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -


(क) गो ड +1 और +3 ऑ सीकरण अव थाओं म यौ गक बनाता है ।
( स य/अस य )
(ख) [Pt(CN) 4 ] 2 - आयन क या म त चतु फलक य होती है । ( स य/अस य )
(ग) तृ तीय सं मण े णी के यौ गक के अनु चु बक य गु ण ताप पर भी
नभर ह। ( स य/अस य )
(घ) तृ तीय सं मण े णी के त व म सबसे अ धक परमाणु या लथे न म
क होती है । ( स य/अस य )
6. न न ल खत त व म कन तीन क परमाणु याओं के मान समान पाये
जाते ह?
Ti, Re, Mn, Os, Ir, Pr, Au, Cu

46
3.4 सारांश (Summary)
 तृतीय सं मण ेणी के त व आवत सारणी के d- लॉक के छटे आवत म वग 3 से 11
तक पाये जाते ह।
 इन त व के संकेत ह- La, Hf, Ta, W, Re, Os, Ir, Pt, तथा Au
 इनके परमाणु मांक से 57,72 से 79 तथा इनका सामा य इले ॉ नक व यास
[Xe]4f 5d14 1-10
6s 1-2
है। लथेनम म 4f क क म कोई इले ॉन नह ं होता।
 इनम अ य सं मण त व क भां त सभी धाि वक गुण पाये जाते ह।
 इनके घन व, गलनांक, वथनांक और आयनन वभव बहु त उ च मान वाले होते ह। ये
मान बाय से दाय पहले बढ़ते ह फर कम होते चले जाते ह।
 इन धातु ओं क परमाणु याओं के मान अपने आवत म बाये से दाय पहले कम होते ह
फर Re, Os तथा Ir के लये ि थर हो जाते ह और बाद क दो धातुओं म वृ दशाते
ह।
 ये धातु भी अ य सं मण धातु ओं क भां त उ रे क का काय करते ह।
 ये त व अनुचु बक य वृ त का दशन करते ह, जो अयुि मत इले ॉन के अ त र त ताप
पर भी नभर रहती है।
 अ य सं मण धातु ओं क भां त ये धातु भी संकुल तथा गु छ यौ गक बनाने क वृि त
रखते ह।
 इन धातु ओं क अ भ याशीलता बहु त कम होती है। इस लये Ir, Pt तथा Au उ कृ ट
धातु ओं के प म जानी जाती ह।
 तृतीय सं मण ेणी क धातु ओं क तु लना थम सं मण ेणी क धातु ओं से कर, तो
बहु त अंतर दखाई दे ता है। जैसे घन व लगभग तीन गुने पाये जाते है।
 अ य सं मण धातु ओं क भां त ये धातु भी प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाएं द शत
करते ह।

3.5 श दावल (Glossary)


 उ ेरक  पदाथ जो रासाय नक अ भ या को ार भ करने तथा
उसक ग त म वृ करने म सहायक होता है।
 आयनन वभव  परमाणु के सबसे बाहर इले ॉन के परमाणु से अलग
करने हे तु द गयी ऊजा।
 भु जीय  आकृ त िजसका आधार भुज को आकार का होता है
व परै मडी तथा इस आधार पर उपर और नीचे दो परा मड होते ह।
 उ वपातन ऊजा  एक मोल ठोस पदाथ को गैसीय अव था म प रव तत
करने हे तु आव यक ऊजा।
 वलायकन ऊजा : एक मोल पदाथ को वलायक म घोलने पर उ सिजत या
अवशो षत ऊजा क मा ा।
 3d-समजात : 3d ेणी अथात ् थम सं मण ेणी के त व जो अ य सं मण
47
े णय (4d और 5d) के समान यवहार करते ह।
 असामा य : वे ऑ सीकरण अव थाएं जो सामा य प से अथवा त व के
ऑ सीकरण सामा य अव थाएं यौ गक म नह ं पायी जाती।
 t2g और eg : समान ऊजा वाले d-क क दो उप ऊजा तर म वभािजत होते
क क ह। dxy, dyz और dxz(t2g) का एक ऊजा तर रहता है तथा
dx2-y2 तथा dz2(eg) का दूसरा ऊजा तर रहता है।
 d से d सं मण : इले ॉन का उ त व णत एक d -उप ऊजा तर से दूसरे d-
उप ऊजा तर म थानांत रत होना।

3.6 संदभ ंथ (Reference Books)


1. Inorganic Chemistry- S. Chand and Company, New Delhi
2. Inorganic Chemistry- Goyal Publishing House, Meerut
3. Inorganic Chemistry- Pradeep Publication, Jalandhar
4. अकाब नक रसायन भाग 2- रमेश बुक डपो, जयपुर
5. अकाब नक रसायन भाग 2- सा ह य भवन पि लकेशन, आगरा
6. अकाब नक रसायन भाग 2- कॉलेज बुक हाऊस, जयपुर
7. अकाब नक रसायन भाग 2- हमांशु पि लकेशन, उदयपुर

3.8 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. तृतीय सं मण ेणी के त व के नाम, संकेत, परमाणु मांक और एक सारणी के प म
द िजये।
2. तृतीय सं मण ेणी के त व के सामा य ल ण का सं त वणन क िजये।
3. तृतीय ेणी के न न ल खत गुण अपने आवत म कस कार प रवतन ह दशाते ह।
(क) परमाणु या (ख) घन व (ग) आयनन वभव (घ) गलनांक
4. न न ल खत त य को प ट क िजये-
(क) LaCl3 का रं ग सफेद है पर तु IrCl2 का रं ग लाल होता है।
(ख) तृतीय सं मण ेणी के अ धकांश धातु अनुचु बक य कृ त के ह।
(ग) [AuBr4] आयन क या म त वगाकार समतल य है, जब क [Cu(CN)4]
3
आयन
चतु फल य आकृ त का होता है।
(घ) Ir धातु का थम आयनन वभव अपने आवत के अ य d- लॉक धातुओं से अ धक
होता है।
5. थम एवं तृतीय सं मण े णय क धातुओं के गुण म समानताओं और असमानताओं का
तु लना मक ववेचन क िजये।

48
इकाई 4
ऑ सीकरण और अपचयन-1
Oxidation andReduction-1
इकाई क प रे खा
4.0 उ े य
4.1 तावना
4.2 रे डॉ स वभव आँकड़ का अपयोग
4.3 रे डॉ स च का व लेषण
4.4 जल म रे डॉ स था य व
4.5 सारांश
4.6 श दावल
4.7 संदभ थ

4.8 बोध न के उ तर
4.9 अ यासाथ न

4.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप न न ल खत त य क जानकार ा त करगे-
 मानक अपचयन वभव क व युत रासाय नक े णी या है?
 रे डॉ स वभव आँकड़ के उपयोग या ह?
 रे डॉ स च या ह तथा इसके वारा कस कार मानक अपचयन वभव E0 का मान
प रकलन कया जाता है?
 जल का था य व े या है?
कस pH तथा E परास म जल ऑ सीकरण व अपचयन के थायी होता है?
0
 त
 कस कार पदाथ का जल वारा ऑ सीकरण, अपचयन व असमानुपातन होता है?

4.1 तावना (Introduction)


ऑ सीकरण-अपचयन अ भ याओं म एक पदाथ इले ॉन याग कर ऑ सीकृ त होता
है जब क दूसरा पदाथ इले ॉन हण कर अपच यत होता है। अत: ऑ सीकरण-अपचयन
अभ याओं को सि म लत प से रे डॉ स अ भ याएँ भी कहा जाता है।
इन रासाय नक अ भ याओं म, इले ॉन हण करने वाले अ भकमक को ऑ सीकारक
तथा इले ॉन यागने वाले अ भकमक को अपचायक कहते ह। उदाहरण के लए जब कॉपर
धातु क एक छड़ को स वर नाइ े ट वलयन म रखा जाता ह तो चाँद के चमकते सफेद
टल ताँबे क सतह पर जम जाते ह जब क वलयन नीला हो जाता है।

49
इस अ भ या म Cu(0) का Cu(II) म ऑ सीकरण हो जाता है। जब क Ag(I) का
Ag(0) म अपचयन हो जाता है:-
Cu(ठोस)+2Ag+(जल य)  Cu2+(जल य)+2Ag(ठोस)
(i) उपरो त रे डॉ स अ भ या को न न ल खत दो अथ अ भ याओं म पृथक् कया जा
सकता है- कॉपर धातु का ऑ सीकरण
Cu(ठोस)  Cu2+(जल य)+2e
(ii) स वर आयन का अपचयन
2Ag+(जल य)+2e  2Ag(ठोस)
अत: प ट है क येक रे डॉ स अ भ या को ऑ सीकरण तथा अपचयन अध
अभ याओं म वभ त कया जा सकता है। इसके ठ क वपर त ऑ सीकरण व अपचयन अध
अभ याओं को जोड़कर एक संतु लत रे डॉ स समीकरण लखा जाता है।

4.2 रे डॉ स वभव ऑकड़ का उपयोग (Use of redox potential


data)
कसी भी कार क रे डॉ स अ भ या क दशा उस अ भ या क मु त ऊजा
प रवतन (∆G) के मान पर नभर करती ह। मु त ऊजा प रवतन ∆G, का इलै ोड वभव
अथात ् रे डॉ स वभव E से न न ल खत संबध
ं ह:- −∆G = nFE
यहाँ, n अ भ या म यु त इले ॉन क मोल म सं या तथा F फैराडे सं या
(96.5 क.जू.वो ट1 मोल1) है। जब कसी धातु (M) क छड़ को उसके आयन (Mn+) के
वलयन म डु बोया जाता है तो न न कार क रे डॉ स अ भ या स प न होती ह:-
M(ठोस) ⇌ M (जल य)+ne
n+

अथात ् धातु आयन छड़ से नकल कर वलयन म चले जाते ह िजससे उस पर


ऋणावेश आ जाता है। साथ ह वलयन से धनायन छड़ पर जमा होकर उसे धनावे शत कर दे ते
ह। इस धातु क छड़ पर आवेश था पत हो जाता है और यह एक इले ोड बन जाती ह। इस
इलै ोड पर तथा आयन के म य सा य के कारण कुछ वभव था पत हो जाता है िजसे
इलै ोड वभव (E) कहते ह।
कसी एकल इलै ोड के वभव को ायो गक व धय वारा ात करना संभव नह ं ह
- केवल दो इलै ोड वभव के अंतर को मापा जा सकता है। अत: इसके लए मानक हाइ ोजन
इलै ोड (SHE) को एक नदश इलै ोड के प म लया जाता ह य क इस इलै ोड का,
सभी तापमान पर इलै ोड वभव वे छा से शू य मान लया जाता ह।
मानक हाइ ोजन इलै ोड म हाइ ोजन आयन (1 मोल/ल टर सां ता हाइ ोजन गैस म
उपि थत होते ह।
2H+(जल य)+ 2e  H2(g), E0=0.00V
अत: इन मानक प रि थ तय म इले ोड वभव E को E से दशाते ह।
0

50
य द SHE के साथ कसी धाि वक इलै ोड को जोड़ दया जाए तो बने हु ए सेल का
वभव उस धाि वक इलै ोड के वभव के बराबर होगा य क मानक हाइ ोजन इले ोड के का
मान शू य है।
E को E0(अप) लखने पर इसे मानक अपचयन वभव कहते है, तथा वभव अपचयन
अभ या से संबं धत होता है। जैसे-
Mn+(जल य)+ne ⇌ M(ठोस), E0(अप)
कार, E वभव कहते, िजसका संबध
ं (ऑ सी)
0
इसी (ऑ सी) को मानक ऑ सीकरण
ऑ सीकरण अ म ा से है। जैसे-
M(ठोस) ⇌ Mn+(जल य) +ne, E0(ऑ सी)

सामा यत: एक त व म E(अप) तथा E0(ऑ सी) के मान समान होते ह ले कन इनके
च न वपर त होते ह। मानक हाइ ोजन इलै ोड के संदभ म य द E(अप) का मान ऋणा मक
है तो E 0
(ऑ सी) का मान धना मक होगा।
E0(ऑ = -E0(अप)
सी)

इस कथन को न न ल खत उदाहरण वारा प ट प से समझा जा सकता-


Na +e ⇌ Na, E
+ 0
(अप) = -2.714V
Na ⇌ Na++e, E0(ऑ सी) = +2.174V
मानक अपचयन वभव से हम कसी अ भकमक क ऑ सीकारक या अपचायक शि त
क मा ा मक जानकार ा त होती है। य द व भ न अ भकमक को उनके मानक अपचयन
वभव के बढ़ते हु ए म म यवि थत कया जाता है तो ा त खृं ला को स यता ेणी या
व युत रासाय नक ेणी कहते है। कु छ चय नत अथ-अ भ याओं के मानक अपचयन वभव
क व युत रासाय नक ेणी को सारणी 4.1 म दशाया गया ह।
सारणी 4.1 कु छ चय नत अध अ भ याओं के मानक अपचयन वभव क व युत -
रासाय नक ेणी (250C पर)

51
सारणी 4.1 से प ट है क िजन धातुओं अथवा आयन क इले ॉन यागने क वृि त
हाइ ोजन से अ धक होती है, उनके मानक अपचयन वभव का मान ऋणा मक होता है तथा वे
अ छे अपचायक होते ह। जब क िजन धातु ओं क इले ॉन यागने क वृि त हाइ ोजन से
कम होती है उनके मानक अपचयन वभव का मान धना मक होता है तथा वे अ छे
ऑ सीकारक होते है।
सारणी 4.1 म मानक अपचयन वभव के ऋणा मक मान यह दशाते ह क उ त
अभ या स प न नह ं होगी तथा इसक वपर त अ भ या स प न होगी। उदाहरणाथ:-
K +e  K, E = -2.93 (अ भ
+ - 0
या नह ं होगी)
K  K++e-, E0 = +2.93 (अ भ या होगी)
अत िजस अ भ या का E0 का मान अ धक होता है, उसम बाएं से दाएं जाने क
वृि त अ धक होती है।
िजंक स फेट वलयन म डू बी हु ई िजंक इलै ोड तथा कॉपर स फेट वलयन म डू बी
हु ई कॉपर इलै ोड के यु मन से एक अ त सामा य गै वैनी (डे यल) सेल ा त होता है।
सारणी 4.। से प ट है क िजंक के मानक अपचयन वभव E का मान -0.76V है, जब क 0

कॉपर के मानक वभव का मान +0.34 है। प ट है क हाइ ोजन क तु लना म िजंक क
इले ॉन यागने क वृि त बल है, जब क कॉपर क हाइ ोजन से कम ह। यह कारण है क
इस सेल म िजंक इलै ॉड ऐनोड क काय करता है। सेल म होने वाल रासाय नक अ भ याएँ
न न ल खत है:-
(i) िजंक इलै ॉड (ऐनोड) पर ऑ सीकरण-
Zn ⇌ Zn2++2e-, E0 = +0.76V (मानक ऑ सीकरण वभव)
(ii) कॉपर इलै ोड (कैथोड़) पर अपचयन:-
Cu +2e- ⇌ Cu, E0 = -0.34V(मानक अपचयन वभव)
2+

अत: उपयु त दोन अथ अ भ याओं के योग से सेल क न न ल खत ा त होती है:-


Zn+Cu 2+
⇌ Zn +Cu 2+

इस गै वैनी सेल को न न ल खत सेल च वारा दशाया जा सकता है:-


Zn/Zn 2+
I I Cu /Cu 2+

इन सेल च म ऐनोड हमेशा बायीं ओर तथा कैथोड हमेशा दायीं ओर जाता है। अत: इस सेल
का वभव नज कार ा त कया जा सकता है:-
E 0
से ल = कॉपर इलै ोड (कैथोड) का मानक अपचयन वभव-
िजंक इलै ोड (ऐनोड) का मानक अपचयन वभव
= E 0
दायां – E0बायां
E0सेल = 0.34 - (-0.76) = +1.1V
अथात ् इस सेल का वभव +1.1V होगा।

52
मानक अपचयन वभव के अनेक उपयोग ह। मानक अपचयन वभव वारा जानकार
मलती है क कसी त व म इले ॉन यागने क कतनी त परता है। अत: यह कसी त व क
शि त का माप है। E 0
का मान िजतना अ धक ऋणा मक होगा, त व म इले ॉन यागने
अथात ् ऑ सीकृ त होने क वृि त उतनी ह अ धक होगी, िजससे वह त व एक अ छा
अपचायक होगा। इससे ठ क, मानक अपचयन वभव के मान िजतने अ धक धना मक ह ग,
त व म इले ॉन हण करने अथात ् होने क वृि त उतनी ह अ धक होगी िजससे वह त व
एक ऑ सीकारक क तरह यवहार करे गा। कारण है क धातुओं म ल थयम बलतम
अपचायक है जब क सभी त व म पलु ओर न बलतम ऑ सीकारक है।
व युत रासाय नक ेणी म िजस धातु का ऋणा मक वभव अ धक होगा वह अपने से
न नतर थान वाल धातु को उसके लवण म वलयन से व था पत कर दे गी। यह कारण है
कॉपर धातु (E0 =+0.34V), AgNO3 वलयन से स वर (+0.80) को व था पत कर दे ती है।
इसी कार िजंक धातु (-0.76V), कॉपर (0.34V) को कॉपर स फेट वलयन से व था पत कर
दे ती है।
इस कार रे डॉ स वभव ऑकड़ का रसायन व ान म व तृत उपयोग है। कु छ मु ख
उपयोग न न ल खत है-
(1) ऑ सीकारक तथा अपचायक क आपे क साम य क तु लना
हम जानते ह क जो पदाथ आसानी से इले ॉन हण कर सके, बल ऑ सीकारक
होते ह तथा जो पदाथ आसानी से इले ॉन नकाल सके, बल अपचायक होते ह।
अत: कौनसा पदाथ कतना बल ऑ सीकारक है अथवा अपचायक है, इसका नधारण
मानक अपचयन वभव के आँकड़ो वारा आसानी से कया जा सकता है।
उदाहरण I:- न न ल खत दो अ भ याओं पर वचार कर:-
Ag++e  Ag, E0 = +0.80V (अ भ या नह ं होगी)
Zn +2e  Zn, E = -0.76V(अ भ
2+ 0
या होगी)
Ag क इले
+
ॉन हण करने क वृि त बहु त अ धक है य क इसके E0 का मान
धना मक है। यह कारण है क Ag बल ऑ सीकारक है।
इसके ठ क वपर त Zn 2+
के लए E0 के ऋणा मक मान से प ट है क इसम
इले ॉन हण करने क वृि त यूनतम है। अत: Zn 2+
दुबल ऑ सीकारक है।
उपरो त अ भ याओं क वपर त अ भ याओं पर वचार कर-
Ag  Ag +e, E = -0.80V
+ 0

Zn  Zn2++2e, E0 = +0.76V
E0 (मानक ऑ सीकरण वभव) के मान से प ट है क Zn आसानी से इले ॉन
याग सकता है। अत: यह बल अपचायक है। Ag के E के ऋणा मक मान से
0
प ट है क
Ag आसानी से इले ॉन नह ं याग सकता। अत: यह दुबल अपचायक है।
उपरो त अ भ याओं को सं ेप म न न कार दशाया जा सकता है-
अपचयन आसानी से होगा
53
Ag++e- ऑ सीकरण आसानी से नह होगा Ag, E0 = -0.80V
अपचयन आसानी से नह ं होगा
Zn2++2e- ऑ सीकरण आसानी से नह ं होगा Zn, E0 = +0.76V
कु छ धातु आयन क ऑ सीकारक मता न न ल खत म म होती है य क इस
म म इनके मानक अपचयन वभव (E ) के मान भी कम होते जाते ह।
0

ऑ सीकारक मता Ag+ > Cu2+ > H+ > Ni2+ > Zn2+
E0 +0.80 > +0.34 > 0.00 > -0.25 > -0.76(वो ट म)
अपचायक मता का म इसके ठ क वपर त होगा:-
Ag > Cu > H > Ni > Zn
उदाहरण ।।:- ार धातुओं म ल थयम का आयनन वभव सबसे अ धक होने के
बावजू द, यह बलतम अपचायक है, इस त य को भी E 0
के मान क सहायता से समझा जा
सकता है:-
Li++e-  Li, E0 = -3.05V
K++e-  K, E0 = -2.93V
उपरो त अ भ याओं क वपर त अ भ याओं के लए:-
Li  Li++e-, E0 = +3.05V
K  K++e-, E0 = +2.93/V
प ट है क Li से Li+ बनने का E0 का मान (+3.05V), K से K+ बनने के E0 के
मान (+2.93V) से अ धक है। प ट है Li आसानी से Li+ म ऑ सीकृ त हो सकती है। यह
कारण है क पोटै शयम तथा अ य ार धातुओं क तु लना म ल थयम बल अपचायक है।
उदाहरण III:- न न ल खत दो अ भ याओं पर वचार कर-
(i) Cl2+2e  2Cl, E = +1.36V
- 0

(ii) F2+2e-  2F-, E0 = +2.87/V


वतीय अ भ या के लए E0 का मान, थम अ भ या से अ धक है। प ट है क
लु ओर न आसानी से F- म अपच यत हो जाती है। यह कारण है क Cl2 क तु लना म F2
बल ऑ सीकारक है। अत: हैलोजेन क ऑ सीकारक वृि त न न ल खत म म घटती है:-
F2 > Cl2 > Br2 > I2
यह कारण है क Cl2 गैस Br आयन वलयन से Br को त था पत कर दे ती है।
परं तु Br2 गैस Cl आयन वलयन से Cl2 को
-
त था पत नह ं कर सकती है।
अत: आवत सारणी के त व म लु ओर न सवा धक बल ऑ सीकारक है जब क
ल थयम सवा धक बल अपचायक है।
अत: या म E का मान उ च होगा, वह अ गामी
0
प ट है क िजस अध अ भ
या म E
0
दशा म तथा िजस अ भ का मान न न होगा वह अ भ या प यगामी दशा म
जाएगी।

54
(2) कसी रे डॉ स अ भ या के स प न होने का अनुमान-
व युत रासाय नक ेणी म ऊपर ि थत अपचायक, नीचे ि थत ऑ सीकारक से या
कर उसे अपच यत कर सकता है। साथ ह कोई भी ऑ सीकारक व युत -रसाय नक े णी म
उसके ऊपर ि थत अपचायक से या करके, उसे ऑ सीकृ त कर सकता है।
उदाहरण I:- धातु-धातु व थापन अ भ याएं वा तव म रे डॉ स अ भ याएं ह है,
िजनम एक धातु जल य वलयन म दूसरे धातु के लवण से या करती है।
Zn एक अपचायक है जो क व युत -रासाय नक े णी म वयं से नीचे ि थत Ag
+

आयन को Ag म, Fe2+ आयन को Fe म, H+ आयन को H2 म, तथा Cu2+ आयन को


Cu म अपच यत कर दे ता है। जैसा क न न ल खत समीकरण से प ट है:-
Zn+2Ag  Zn +2Ag
+ 2+

Zn+Cu2+  Zn2++Cu
Zn, व युत रासाय नक े णी म वयं से ऊपर ि थत धातु आयन जैसे Al3+, Mg2+
तथा Na+ आ द का अपचयन नह कर सकता।
उदाहरण ।।:- Cl2 एक ऑ सीकारक है जो क व युत -रासाय नक ेणी म अपने से ऊपर
ि थत Br को Br2 म तथा ।2 को I म ऑ सीकृ त कर सकता है।
Cl2+2Br  2Cl+Br2
Cl2+2I  2CI+2I
Br व I का लोरोफॉम पर ण, इसी त य पर आधा रत है।
उदाहरण III:- I2 एक ऑ सीकारक है जो क वयं से ऊपर ि थत Cu को Cu2+ म, H2 को
H+ म ऑकसीकृ त कर सकता है-
I2+Cu  Cu2++2I
I2+H2  2H++2I
(3) धातु ओं वारा हाइ ोजन अ ल से H2 गैस के व थापन का अनुमान:-
धातु--हाइ ोजन व थापन अ भ या एक रे डॉ स अ भ या है, कसी धातु के मानक
अपचयन वभव के मान से यह अनुमान लगाया जा सकता है कए वह धातु, हाइ ोजन अ ल
से H2 गैस व था पत कर सकती है अथवा नह ं कर सकती है।
ऋणा मक मानक अपचयन वभव वाल सभी धातु एं (जैसे Zn) हाइ ोजन अ ल से H2
गैस मु त करती ह जब क धना मक वभव वाल धातुएं (जैसे Cu) हाइ ोजन अ ल से
हाइ ोजन गैस व था पत नह ं कर सकती। अत:
Zn+H2SO4  ZnSO4+H2
Fe+2HCl  FeCl2+H2
उपरो त अ भ याओं म धातु एँ अपचायक का तथा H+ आयन ऑ सीकारक का काय
कर रहे है।
(4) कसी अ भ या के वत: होने का अनुमान -

55
य द कसी अ भ या के लए रे डॉ स वभव का मान धना मक है तो तह अ भ या
वत: स प न होगी ले कन य द रे डॉ स वभव का मान ऋणा मक है तो वह अ भ या नह
होगी।
उदाहरण ।:
Ni  Ni2 + 2e- E0 =+0.25V
Cu 2+
+ 2e  Cu E 0
=+0.34V
Ni + Cu 2+
 Cu E 0
=+0.59V
इस अ भ या का E0 धना मक है, अत: यह अ भ या स प न होगी।
उदाहरण II:
Co2+ + 2e-  Co E0 =-0.28V
Sn  Sn2+ + 2e- E0 =-0.14V
Co2++ Sn  Co+ Sn2+ E0 =-0.14V
इस अ भ या के रे डॉ स वभव का मान ऋणा मक है। अत: यह अ भ या नह ं होगी।
बोध न
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख-
1. मानक अपचयन वभव को उनके बढ़ते हु ए मान म यवि थत करने पर ा त
े णी को या कहते ह?
.......................................................................................... ....
2. Ag तथा Zn के मानक अपचयन वभव के मान मश: +0.80 V तथा -
0.76 V है । बताइये कौन बल ऑ सीकारक है ।
......................................................................... .....................
3. है लोजे न त व को घटते हु ए ऑ सीकारक वृ ि त के म म यवि थत कर।
......................................................................... .....................
4. कसी रे डॉ स अ भ या क वत: स प न होने के लए उसके रे डॉ स वभव का
मान घना मक होना चा हए अथवा ऋणा मक ?
...................................... ........................................................
5. व यु त -रसाय नक े णी म ऊपर ि थत त व , का ऑ सीकरण करते ह अथवा
अपचयन ?
......................................................................... .....................

4.3 रे डॉ स च का व लेषण (Analysis of Redox Cycle)


रे डॉ स च हैस नयम पर आधा रत एक उ माग तक, बॉन हाबर च है जो क धातु
क उसके आयन म ऑ सीकरण के समय नकलने वाल ऊजा (Q) को अ य उ माग तक पद
जैसे उ वपातन ऊजा (S), आयनन ऊजा (I), जलयोजन ऊजा (Haq) आ द से जोड़ता है।

56
य द कोई आयन जल म अ थाई है या सा य बहु त धीमी ग त से था पत होता है
अथवा अ य कसी कारण से E 0
मान का ायो गक व ध वारा नधारण नह ं हो पा रहा हो
तो रे डॉ स च क सहायता से E के सै ाि तक मान क गणना आसानी से क जा सकती है।
0

न न ल खत अध अ भ या के लए इलै ोड वभव क गणना बॉन-हाबर च क


सहायता से क जा सकती है:-
M+(aq)+e- ⇌ M(s)
यहाँ aq जल य के लए तथा s ठोस के लए है।
य द कसी धातु क M(s) अव था से जलयोिजत ऑ सीकृ त आयन M+(aq) बनाने म
नकल उ मा (Q1) है तो उपरो त अ भ या के बॉन-हाबर च को च 4.1 वारा द शत
कया जा सकता है।

च 4.1 धातु के लये ऑ सीकरण च


हैस नयमानुसार य पथ ऊजा प रवतन, अ य पथ के ऊजाप रवतन के बराबर
होता है। अत: .
Q1 = +S + I + Haq …………………………………………………………….(4.1)
धातु के समान, हाइ ोजन गैस के जलयोजन को भी बॉन हाबर च वारा, जा सकता
है-

च 4.2 H2 गैस के लये ऑ सीकरण च


च 4.2 से प ट है क H2(g) से जलयोिजत हाइ ोजन आयन H (aq) बनाने म
+

नकल ऊ मा Q2 है। यहाँ D, H2 अणु क वयोजन ऊजा है।


उपरो त दोन च (च 4.1 व 4.2) को संयु त करने पर च 4.3 ा त होता है,
िजसक सहायता से कसी धातु से जलयोिजत ऑ सीकृ त आयन बनाने म नकल कु ल ऊ मा
(Q1+Q2) ात क जा सकती है।

57
च 4.3 धातु से जलयोिजत ऑ सीकृ त आयन बनाने म नकल कुल
उ मा (Q1+Q2)को दशाता बॉन हाबर च
ोड वभव E का मु त प रवतन (G) के
0
आप जानते है क कसी सेल के इलै
साथ न न ल खत संबध है-
G = nFE0 .........................4.2
यहाँ n थाना त रत इले ॉन क सं या तथा F फैराडे ि थरांक है।
आप जानते है क-
G = H - TS
यहाँ, H ए थै पी प रवतन, S ए ॉपी प रवतन तथा T परम ताप है।
इस अ ययन को सरल बनाने के लए हम एक से तं (जैसे Zn2+/Zn तथा
Fe2+/Fe) का अ ययन करते ह। येक तं म ए ॉपी प रवतन लगभग समान ह होगा।
अत: उपयु त समाकरण म TS पद को नग य मानते हु ए उपे ा करने पर न न ल खत
समीकरण ा त होता है-
G = H = - nFE0
अथात ् H = nFE0
अथवा E0 = -H/nF
अथवा E 0
= -(Q1+Q2)/nF
यह H अथात ् (Q1+Q2) का मान रे डॉ स च क सहायता से ात कया सकता
है।
रे डॉ स च से प ट है क य द (Q1+Q2) का मान ऋणा मक है अथात ् E0 का मान
धना मक है, तो धातु आयन का अपचयन व रत ग त से होता है।
बहु त ह साधारण श द म आप इस त य को इस कार समझ सकते ह क िजन
त व क उ वपातन ऊजा (S) तथा आयन ऊजा (I) के मान बहु त कम होते ह, उनके E0 के
मान भी बहु त कम अथात ् ऋणा मक होते ह। िजन त व क उ वपातन ऊजा तथा आयनन
ऊजा के मान अ धक होते ह, उनके E0 के मान भी तु लना मक प से अ धक होते ह। अत:
आवत सारणी म व भ न त व के E 0
मान को न न ल खत ब दुओं म समझा जा सकता
ह-

58
(1) आवत सारणी म अ य त व क तु लना म ार धातुओं का आकार बड़ा होता है। िजससे
उनक आयनन ऊजा का मान कम होता है। साथ ह कम गलनांक के कारण इनक
उ वपातन ऊजा का मान भी कम होता है। िजससे इन त व के E0 का मान काफ कम
अथात ् ऋणा मक होते है। व भ न ार धातु आयन के अपचयन वभव के मान सारणी
4.1 म दशाये गए ह।
सारणी 4.1 ार धातु ओं के अपचयन वभव
धातु आयन Li +
Na +
K+ Rb+ Cs+
E0(V) -3.05 -2.71 -2.92 -2.92 -2.92

सारणी 4.। से प ट है क सो डयम से सीिजयम तक E 0


के मान म कमी होती है य क
आकार बढ़ने के कारण उ वपातन ऊजा तथा आयनन ऊजा के मान म लगातार कमी आती है।
(नोट:- व याथ यह यान रख क इस अ ययन म हमने E0 के मान को उसके च न के
साथ दशाया है। अत: Na+ के लए E0 का -2.71 मान Cs+ के -292 मान से अ धक है।)
ल थयम का आकार अपने वग म अ य धक छोटा होने के कारण उसक उ वपातन
ऊजा तथा आयनन ऊजा का मान अ य धक होता है। अत: इसका मान अ य ार धातु ओं क
तु लना म अ धक होना चा हए। ले कन ल थयम इसका एक अपवाद है य क अ य धक छोटे
आकार के कारण इसक जलयोजन ऊजा बहु त अ धक होती है िजससे इसका अपचयन वभव
E0 न केवल ार धातुओं बि क आवत सारणी के सभी त व क तु लना म यूनतम होता है।
E के ऋणा मक मान से
0
प ट है क ार धातु आयन आसानी से अपच यत नह ं
होते या दूसरे श द म हम यह कह सकते है क ार धातु एँ आसानी से ऑ सीकृ त हो सकती
है। अत: इस वग क धातु एँ याशील होती है।
(2) सं मण धातु ओं के गलनांक अ धक होने के कारण इनक उ वपातन ऊजा भी अ धक होती
है। साथ ह अपे ाकृ त छोटे आकार के कारण इनक आयनन ऊजा अ धक होती है। िजससे
इनम अपचयन वभव E0 का मान ार धातु ओं क तु लना म अ धक होता ह। अथात ् इनके
धातु आयन तु लना मक प से आसानी से अपच यत हो सकते है। दूसरे श द म हम कह
सकते ह क ये धातु एँ आसानी से ऑ सीकृ त नह ं हो सकती ह। यह ं कारण ह क ये
धातु एँ अ य होती ह।
व भ न हैलोजेन के अपचयन वभव को सारणी 4.2 म दशाया गया है-
सारणी 4.2 हैलोजेन के अपचयन वभव
त व F Cl Br I
E0(वो ट म) +2.87 +1.36 +1.08 +0.54
सारणी 4.2 से प ट है क हैलोजेन वग म लु ओर न से आयोडीन तक E0 के मान
म कमी आती ह। वा तव म हैलोजेन के लए वयोजन ऊजा (D) तथा इले ॉन बंधु ता के
मान म अंतर लगभग ि थर रहता है। अत: वग म लु ओर न से आयोडीन तक E0 के मान म
आयी कमी का कारण इनका बढ़ता आकार ह, िजससे वग म ऊपर से नीचे आने पर जलयोजन
ऊजा का मान कम होता जाता है।
59
रे डॉ स च के व लेषण हे तु एक ा पक उदाहरण यहाँ दया जा रहा है-
Zn(s)+Cu2+(aq)  Zi2+(aq)+Cu(s)
उपरो त अ भ या के लए E0 के मान का प रकलन रे डॉ स च के व भ न पद म
यु त ऊजा प रवतन वारा कया जा सकता है।
(A) िजंक के लए H( क.जू./मील)
Zn(s)  Zn(g) +131
Zn(g)  Zn (g)2e 2+ -
+2650
Zn2+(g)  aq  Zn2+(aq) -2931

Zn(s) + aq  Zn2+(aq) + 2e- -150

(B) कॉपर के लय H ( क.जू./मील)


Cu(s)  Cu(g) +341
Cu(g)  Cu2+(g) + 2e- +2705
Cu (g) + aq  Cu
2+ 2+
-2987
Cu(s) + aq Cu2+(aq) + 2e- +59

अत: कुल अ भ या,


Zn(s)+Cu2+(aq)  Zn2+(aq)+Cu(s)
म ऐ थे पी प रवतन = (-150)-(+59)
= -150-59
= -209 क.जू./मोल
अत: E = - H/nF यहाँ, F = 96.5 क.जू.वो ट-1मोल-1
0

= -(209)/2x96.5 n = 2 है।
E0 = 209/2x96.5 = 1.09V
इस कार E0 का यह प रक लत मान 10.9 वो ट ायो गक मान +0.324-(-
0.76)=1.10 वो ट के काफ नकट है। यहाँ -0.34 तथा -0.76 मश: Cu2+ तथा Zn2+ के
अपचयन वभव के मान है।
ायो गक तथा प रकि पत मान म इस थोड से अंतर का कारण इन गणनाओं म
ए ॉपी प रवतन S को नग य माना गया है।

बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे : -
6. रे डॉ स च कसक गणना के लए यु त कया जाता है ?
......................................................................... .....................

60
7. सं मण धातु ओं क याशीलता , ार धातु ओं क तु ल ना म अ धक होती है या
कम ?
......................................................................... .....................
8. है लोजे न वग म पलु ओर न से आयोडीन तक मानक अपचयन वभव E 0 के
मान कम होते है या अ धक ?
........................................................................... ...................

4.4 जल म रे डॉ स था य व (Redox Stability in Water)


जल म कसी पदाथ के था य व से हमारा अ भ ाय यह है क वह पदाथ ना जो जल
का ऑ सीकरण और ना अपचयन करता है तथा ना ह वयं का असमानुपातन होता है।
कोई भी पदाथ जल म न न ल खत कारण से अ थाई हो सकता है।
(1) पदाथ का जल वारा ऑ सीकरण होने से H2 गैस नकलती है।
(2) पदाथ का जल वारा अपचयन होने से O2 गैस नकलती है।
(3) जल म पदाथ का असमानुपातन अथात ् वत: ऑ सीकरण-अपचयन हो जाए। िजससे पदाथ
क उ चतर अथवा न नतर ऑ सीकरण अव थाओं वाल अ य जा तय का नमाण होता
है।

आप जानते है क जल रे डॉ स अ भ याओं म ऑ सीकारक अथवा अपचायक दोन क


तरह यवहार कर सकता है। अत: कसी पदाथ क जल के साथ होने वाल वभ न
अभ याओं को न न ल खत ब दुओं म समझा जा सकता है।
(1) जल वारा पदाथ का ऑ सीकरण
कु छ पदाथ जल वारा ऑ सीकृ त हो जाते ह। इस या मे वयं जल H2 गैस म
अपच यत हो जाता है।
जल क ऑ सीकारक अ भ या न न कार है-
2H2O+2e  H2+2OH , E = +0.83
- - 0

जल या जल य अ ल वारा ार तथा ार य मृदा धातु ओं का न न कार


ऑ सीकरण हो जाता है-
M+H2O  M++1/2H2+OH-
M+H+  M++1/2H2
इस कार क अ भ याएं s-ख ड क धातु एं (बेर ल यम के अ त र त), या फर वग
4 से 7 म ि थत थम सं मण ेणी के त व (Ti, V, Cr, Mn) वारा दशायी जाती ह।
अ य बहु त सी धातु एँ भी इस कार क अभ याएँ द शत करती है ले कन इनमे
थाना त रत इले ॉन क सं या भ न होती है।
उदाहरण के लए:-
2Sc+6H+  2Sc3++3H2

61
य द कसी धातु आयन के अपचयन वभव E का मान ऋणा मक है तो वह धातु H2
0

गैस नकालते हु ए ऑ सीकृ त हो जाती है।


कभी-कभी कु छ धातुओं जैसे Al तथा Mg को नि य बनाने के लए इनका
ऐनोडीकरण कया जाता है। ऐनोडीकरण म धातु क जल तथा वायु के साथ अ भ या वारा
धातु क सतह पर एक र ा कवच बन जाता है। Al म Al2O3 का तथा Mg म MgO का
र ा कवच बनता है। इस कार इन धातु ओं क सतह पर अभे य ऑ साइड परत के बनने के
कारण धातु पूण प से अ भ या करने से बच जाते है अथात ् धातु नि य हो जाते ह।
िजस धातु का ऐनोडीकरण करना हो उसे व युत अपघटनी सेल म ऐनोड बनाकर
व युत अपघटन कया जाता है। इससे धातु के आं शक ऑ सीकरण वारा धातु क सतह पर
एक चकनी तथा कठोर, ऑ साइड क नि य परत बन, जाती है।
(2) जल वारा पदाथ का अपचयन:-
अ ल कृ त जल एक बहु त ह दुबल अपचायक है। िजसके E0 का मान +1.23V होता
है।
2H2O  O2 + 4H+ + 4e-, E0 = -1.23V
अथात ् O2 + 4H++4e-  2H2O, E0 = +1.23V
अत: H2O बल ऑ सीकारक वारा तु र त O2 म ऑ सीकृ त हो जाता है। Co3+
आयन बल ऑ सीकारक है िजसका E0 मान +1.82 है। अत: Co3+ जल को O2 म
ऑ सीकृ त कर दे ता है।
Co3++e-  Co2+, E0 = 1.82V
4Co3++2H2O  4Co2++O2+4H+, E0 = +1.83-1.23V=0.69V
इस अ भ या म H+ आयन बनते ह। अत: वलयन क अ लता कम करने जल का
ऑ सीकरण सु गमता से होने लगेगा। Co3+ के समान Ag2+ भी जल का समान ती ता से
ऑ सीकरण कर पाने म समथ है। इसके अ त र त अ य बहु त से रे डॉ स यु म जैसे – Ce4+ /
Ce3+, MnO4- / Mn2+, Cr2O72- / Cr3+ आ द के E0 मान 1.23 से अ धक मश:
+1.76, +1.15 तथा 1.38 है। फर भी ये यु म H2O को O2 म भावी प से ऑ सीकृ त
नह ं कर सकते।
Ce4++e-  Ce3+, E0 = +1.76V
Cr2O72-+14H++6e-  2Cr3++7H2O, E0 = +1.38V
MnO4+8H++5e-  Mn2++4H2O, E0 = +1.51V
O-O बंध नमाण क ग त धीमी होने के कारण रे डॉ स अ भ या क ग त नयं त रहती है।
(3) जल का था य व े :-

62
जब एक ऑ सीकारक जल को
O2 म ऑ सीकृ त करता है और एक
अपचायक जल H2 म अपच यत करता है
तो वह जल य वलयन म व यमान नह ं
रह सकता। अत: रे डॉ स रसायन म, जल
के था य व े क उन सीमाओं का
अ ययन आव यक हो जाता है, िजसके
अ तगत जल ऑ सीकरण तथा अपचयन
के त ऊ माग तक प से थायी हो।
इसके pH लए जल य मा यम म
वभ न रे डॉ स तं पर प रवतन के
भाव का अ ययन कया जाता है। फर
इनके मानक अपचयन, वभव को pH के
त आरे खत कया जाता है। जल के
था य व े को च 4.5 म दखाया
गया है। च 4.5 जल का था य व
जल का था य व े pH तथा मानक अपचयन वभव से न मत वह े है िजसम
जल ऑ सीकरण च तथा अपचयन दोन के त थायी रहता है।
च 4.5 म द शत उ वाधर रे खाएँ ाकृ तक जल के साधारण pH परास को दशाता है
जो क 4 से 9 है। अत: प ट है क pH क सीमाएँ 4 से 9 के बीच है। च म अपचयन
वभव क सीमाओं को दो तरछ रे खाओं वारा द शत कया गया है। ऊपर वाल तरछ रे खा
अपचयन वभव 1.229 वो ट से शु होती है जब क नीचे वाल तरछ रे खा अपचयन वभव
0.0 से शु होती है।
अत: च 4.5 वारा यह न कष नकाला जा सकता है क यद वलयन बल
अ ल य या बल ारक य (pH का मान 4 से 9 के म य है) नह ं ह तो म यम ऑ सीकारक
अपचायक अ भकमक (E0 का मान -0.8 से +0.4V के म य है) जल को ऑ सीकृ त अथवा
अपच यत नह ं कर सकते।
अत: िजस जाती का वभव ऊपर , तरछ रे खा से अ धक होगा वह जल O2 म
ऑ सीकृ त कर दे गी। इसी कार नचल तरछ रे खा से कम मानक अपचयन वभव वाले
यौ गक जल को H2 म अपच यत कर दगे।
(4) असमानुपातन:- असमानुपातन एक रे डॉ स अभ या है, िजसम कसी त व का
ऑ सीकरण अंक बढ़ता भी है और घटता भी है, िजससे दो भ न उ पाद ा त होते ह।
इस कार इन अ भ याओं म ऑ सीकरण तथा अपचयन अ भ याएँ साथ-साथ चलती
ह। अत: िजस त व का असमानुपातन होता है, वह वयं के लए ऑ सीकारक व अपचायक
दोनो का काय करता है।

63
य द कॉपर (I) स फेट, Cu SO
2 4
को पानी म डाला जाता है तो तु रंत ह भू रे ठोस
यु त , नीला वलयन ा त होता है। इस अ भ या को न न कार दशाया जा सकता है-
2Cu (aq)  Cu (aq)+ Cu (s)
+ 2+ 0

रं गह न कॉपर(I) नीला कॉपर(II) भू रा ठोस कॉपर(0)


इस अ भ या म कॉपर (I) आयन (रं गह न) का प रवतन कॉपर (II) आयन (नीला)
तथा कॉपर (0) धातु (भू रा) म हो जाता है। इस कार एक असमानुपातन अ भ या को न न
कार दशाया सकता है-
म यम ऑ सीकरण अव था - उ च ऑ सीकरण अव था + न न ऑ सीकरण
अव था
उपरो त अ भ या क अध अ भ याएं को न न कार ह-
Cu (aq)+e  Cu (aq), E = +0.15V
2+ 2+ 0

Cu++e-  Cu0(s), E0 = +0.52V


उपरो त दोन अध अ भ याओं के वभव जल के था य व े म पड़ते ह। अत.
कॉपर (I) आयन जल का ना तो ऑ सीकरण कर सकते ह और ना ह अपचयन कर सकते ह।
ले कन फर भी कॉपर (I) जल म थायी नह ह। अंत: वह असमानुपातन वारा था य व
ा त करता है। असमानुपातन अ भ या उपरो त दोन अध-अ भ याओं के मानक अपचयन
वभव म अंतर के कारण होती है। उपरो त अ भ या के लए यह अंतर,
= +0.52(Red) - 0.15(ox) = +0.36V है।
मानक अपचयन वभव म यह अंतर शू य से अ धक होने के कारण कॉपर (I) का
असमानुमातन वत: व तत होता है।
असमानुपातन के वपर त अ भ या को समानुपातन योग कहते है। इस अ भ या म
कसी त व क दो अलग-अलग ऑ सीकरण अव थाएँ मलकर एक उ पाद बनाती है। उ पाद
क ऑ सीकरण अव था याकारक क ऑ सीकरण अव था के म य होती है।
उदाहरणाथ: Ag2++Ag  2Ag+
ऑ सीकरण अव था +2 0 +1
यहाँ Ag2+ व Ag संयु त होकर Ag+ आयन बनाते ह।
(5) वायु वारा ऑ सीकरण:- कु छ अपचायक जैसे Fe2+ जल य वलयन म घुल हु ई वायु
वारा ऑ सीकृ त हो जाते ह। उदाहरण के लए न न ल खत अ भ या का मानक वभव
जल के था य व े म पड़ता ह-
Fe3++e-  Fe2+, E0 = +0.77V
इसके अ त र त Fe का ऑ सीकरण Fe(II) तक ह होना चा हए य क इस
अभ या का अपचयन वभव -0.44V है, ले कन Fe(II) का Fe(III) म ऑ सीकरण का
अपचयन वभव +0.77V है।
Fe2++2e-  Fe, E0 = -0.44V

64
ले कन फर भी Fe वायुम डल य ऑ सीजन से H2 क उपि थ त म न न
2+
कार
अभ या करती है-
4Fe2++O2+4H+  4Fe3++2H2O
उपरो त अ भ या क अध अ भ याएँ न न ल खत है:-
O2+4H++4e-  2H2O, E0 = +1.23V
Fe3++e-  Fe2+, E0 = 0.77V
अत: स पूण पूण अ भ या का E0 = 1.23 +(-0.77) अथात ् 0.46V ा त होता है।
E का यह मान शू य से अ धक है। यह कारण है क अ ल य मा यम Fe आयन का वायु
0 +

वारा ऑ सीकरण वत: व तत होता है। E0 का यह मान pH=0 पर है। E0 का यह मान


तेज अ भ या के लायक नह ं है। अत: उ रे क को अनुपि थ त म जल य वलयन म Fe(II)
आयन का वायुम डल य ऑ सीकरण धीमी ग त से होता है।
pH=7 पर E0 का मान +0.05V है, जो क थायी अव था है। अत: य द अ ल य
वलयन क pH लगभग 7 के आस-पास हो तो Fe
2+
आयन यु त वलयन उपयोग लाये जा
सकते ह।
बोध न-
9. जल का ऑ सीकरण होने पर कौनसी गै स नकलती है ?
......................................................................... .....................
10. जल का अपचयन होने पर कौन सी गै स नकलती है ?
................................................................... ...........................
11. जल के था य व े का अ ययन कस pH के म य कया गया है ?
......................................................................... .....................
12. Cu(I) के असमानु पातन से या ा त होता है ?
....................................................................................... .......

4.5 सारांश (Summary)


 वह इलै ोड िजस पर ऑ सीकरण क या होती है, ऐनोड कहलाता है।
 िजस इलै ॉड पर अपचयन होता है, उसे कैथोड़ कहते ह।
 कसी अ भ या के मानक अपचयन वभव का E0 नधारण करने के लए मानक हाइ ोजन
इलै ॉड को एक नदश इले ॉड के प म लया जाता है।
 व भ न अ भकमक के मानक अपचयन वभव को बढ़त हु ए म म यवि थत करने पर
ा त खृं ला को व युत रासाय नक ेणी या स यता ेणी कहते ह।
 िजन धातु ओं को इले ॉन यागने क वृि त हाइ ोजन से अ धक होती है उनके मानक
0
अपचयन वमत E का मान ऋणा मक होता है।
 िजन धातुओं को इले ॉन यागने क वृ त हाइ ोजन से कम होती है उनके मानक
0
अपचयन वभव E का मान धना मक होता है।

65
 धातु ओं म ल थयम बलतम अपचायक है िजस के E0 का मान -3.05 है तथा सभी त व
म लुओर न बलतम ऑ सीकारक है िजसके E0 का मान +2.87 है।
 हैलोजेन क ऑ सीकारक वृि त न न ल खत म म घटती है-
F2 > Cl2 > Br2 > I2
 व युत रासाय नक ेणी म ऊपर ि थत अपचायक, वयं से नीचे ि थत ऑ सीकारक को
अपच यत कर सकता है।
 इसी कार व युत रासाय नक ेणी म नीचे ि थत ऑ सीकारक पदाथ, वयं से ि थत
अपचायक को ऑ सीकृ त कर सकता है।
 य द कसी रे डॉ स अ भ या के रे डॉ स वभव E0 का मान धना मक है तो वह स प न
होगी। जल का था य व े तथा मानक अपचयन वभव E0 क वह परास है िजसम
ऑ सीकरण तथा अपचयन दोन के त थायी रहता है।
 असमानुपातन एक रे डॉ स अ भ या है िजसम कसी त व का ऑ सीकरण अंक बढ़ता भी
है और घटता भी है, िजससे दो भ न उ पाद ा त होते ह। 48

4.6 श दावल (Glossary)


 रे डॉ स अ भ या : ऑ सीकरण-अपचयन अ भ या

 रे डॉ स वभव : ऑ सीकरण-अपचयन अ भ या का कु ल वभव E0

 मानक अपचयन वभव : कसी इलै ॉड का मानक हाइ ोजन इलै ोड के संदभ म
वभव

 अध अ भ याएं : कसी रे डॉ स अ भ या क पृथक् -पृथक् ऑ सीकरण व


अपचयन अ भ याएं

 जलयोजन ऊजा : कसी आयन के जलयोिजत होने पर नकलने वाल ऊजा


क मा ा।

4.7 संदभ ंथ (Reference Books)


(1) अकाब नक रसायन ( नातक वताय वष हे त)ु : ओझा, जैन, चतु वद तथा कोठार
(2) Inorganic Chemistry by, Vol.II:K.K.Bhasin
(3) अकाब नक रसायन ( नातक वताय वष हे त)ु : आमेटा शमा, जैन, तथा मेहता
(4) अकाब नक रसायन ( नातक वताय वष हे त)ु : पी. भागच दानी
(5) अकाब नक रसायन ( नातक वताय वष हे त)ु : शमा, माथुर , वा त

66
4.8 बोध न के उ तर (Answers of Intex Questions)
1. व युत -रासाय नक े णी 2. Ag
3. F2 > Cl2 > Br2 > I2 4. धना मक
5. अपचयन 6. E0 (मानक अपचयन वभव) 7. कम
8. कम 9. O2
10. H2 11. 4 से 9 12. Cu(II), Cu(0)

4.9 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. इलै ोड वभव को प रभा षत क िजए?
2. मानक हाइ ोजन इलै ोड या है?
3. िजंक व कॉपर म से कौनसी धातु स यू रक अ ल के साथ या करके हाइ ोजन मु त
करे गी। समझाइये?
4. व युत -रासाय नक े णी या है? या या क िजए।
5. कोई रे डॉ स अ भ या स प न होती ह या नह ,ं इसका अनुमान रे डॉ स वभव के आँकड़ो
वारा कैसे लगाया जा सकता है?
6. असमानुपातन से या ता पय ह? उदाहरण दे कर समझाइये।
7. रे डॉ स वभव कसे कहते है? इसके आधार पर ऑ सीकारक तथा अपचायक क आपे क
साम य क तु लना क िजए।
8. रे डॉ स च या है? इनका उपयोग समझाइये।
9. जल म रे डॉ स तं पर एक ट पणी ल खए।
10. व युत रासाय नक ेणी या है? व युत रासाय नक ेणी म आप धातु ओं तथा हैलोजेन
क ि थ त का वणन करते हु ए उनक रे डॉ स साम य को समझाइए।
11. जल म पदाथ के रे डॉ स था य व क ववेचना क िजए।
12. न न ल खत को कारण स हत समझाइए।
(i) Fe, Al, तथा ZnधातुCuSC4 वलयन से Cu को व था पत कर दे ते है ले कन Ag
धातु ऐसा
नह ं कर पाती।
(ii) ार तथा ार य मृदा धातु एँ जल का अपचयन कर दे ती ह जब क Co3+ लवण जल
वारा अपच यत हो जाते ह।
13. कसी त व के ऑ सीकरण वभव तथा अपचयन वभव से आप या समझते ह?
14. लो रन, ो मन को उसके यौ गको से तो त था पत कर सकती है पर तु लु ओर न को
नह ,ं य?
15. स वर को उसके यौ गक से पृथक करने के लए िजंक का उपयोग य कया जाता है?
16. लुओ रन, लो रन क अपे ा बल ऑ सीकरण य है?

67
17. अ भ या, Cu2++2e  Cu, के लये न न ल खत मान के आधार पर E
0
क गणना
क िजए।
Cu2++e-  Cu+, E0 = 0.159V
Cu++e-  Cu, E0 = 0.520V
18. ''असमानुपातन'' तथा ''समानुपातन योग'' से आप या समझते ह? उदाहरण वारा
समझाइए।
19. Fe(II) लवण का वायुम डल य ऑ सीजन वारा सरलता से Fe(III) म ऑ सीकरण हो
जाता है, य?
20. जल का था य व े या है?
21. स वर दो ऑ सीकरण अव थाओं Ag(I) तथा Ag(II) म पायी जाती है। इनके अपचयन
क अध-अ भ याएं ह-
Ag+(aq)+e-  Ag(s), E0 = +0.80V
Ag2+(aq)+e-  Ag+(aq), E0 = +1.98V
इस आधार पर बताइए Ag(I) आयन एक अ छा ऑ सीकरण है या अपचायक है?
[संकेत:- Ag+/Ag रे डॉ स यु म का E0 का मान (+0.80V) Ag+/Ag+ यु म के E0
मान (+1.98V) क तु लना म कम है। अत: Ag(I) एक अ छा अपचायक है।]

68
इकाई 5
ऑ सीकरण और अपचयन-II
Oxidation and Reduction-II
इकाई क प रे खा
5.0 उ े य
5.1 तावना
5.2 लैट मर आरे ख
5.3 ॉ ट आरे ख
5.4 पुअबै स आरे ख
5.5 त व के न कषण स बंधी स ांत
5.6 सारांश
5.7 श दावल
5.8 संदभ थ

5.9 बोध न के उ तर
5.10 अ यासाथ न

5.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ तगत आप न न ल खत त य क जानकार ा त करगे-
 कसी त व क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं तथा उनसे संबं धत मानक वभव को
सं त प से लैट मर आरे ख वारा दशाना।
 लैट मर आरे ख क सहायता से ॉ ट आरे ख बनाना।
 व भ न ऑ सीकरण अव थाओं के आपे क था य व को ॉ ट आरे ख वारा समझाना।
 मानक अपचयन वभव क pH पर नभरता को पुअबै स आरे ख वारा समझाना।
 यौ गक म से, त व के न कषण म न हत स ा त तथा व धय का अ ययन।

5.1 तावना (Introduction)


इकाई 4 म आप ऑ सीकरण तथा अपचयन अ भ याओं क कु छ जानकार ा त कर
चु के ह। इकाई 4 म आपने रे डॉ स वभव आकड़ के उपयोग, रे डॉ स च वारा E0 के
प रकलन तथा जल म रे डॉ स था य व का अ ययन कया।
इस इकाई म आप कसी त व क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं के आपे क
था य व के अ ययन हे त-ु रे डॉ स आकड़ का आरे ख के प म अ ययन करे ग।
अत: इस इकाई म लैट मर आरे ख, ॉ ट आरे ख तथा पुअबै स आरे ख का अ ययन
कया जाएगा। साथ, ह त व के न कषण के स ा त का भी अ ययन कया जाएगा।

69
5.2 लैट मर आरे ख (Latimer diagrams)
यद कसी त व क वभ न जा तय के ऑ सीकरण अव था प रवतन संबं धत
मानक अपचयन वभव E के मान को एक आरे ख के
0
प म दशाया जाए तो उनका व लेषण
करना आसान हो जाता है।
लैट मर आरे ख म त व क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं को घटते म म दशाते
ह। त व क उ चतम ऑ सीकरण अव था वाल जा त को सबसे बा ओर लखते ह। यूनतम
ऑ सीकरण अव था वाल जा त को सबसे, दाई ओर लखते ह। दो मागत ऑ सीकरण
अव थाओं के बीच एक तीर का च ह () लगाते ह। तीर के ऊपर, इनके अपचयन वभव
E0 का मान लखा जाता है। इ ह वभव आरे ख अथवा व युत वाहक बल आरे ख (E.M.F.
diagram) के नाम से भी जाना जाता है। इस कार एक लैट मर आरे ख सं त प से बहु त
सी सू चनाएँ दशाता है।
उदाहरण I: आयरन क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं को अ ल य मा यम म लैट मर आरे ख
क सहायता से न न कार द शत कया जा सकता है:-

इस आरे ख म आयरन क चार ऑ सीकरण अव थाएँ (0, +2, +3 व 6) द शत क


गई है। इसम से 0, +2 व +3 तो सामा य ऑ सीकरण अव थाएँ है जब क +6 असामा य
ऑ सीकरण है। येक यु म के म य क सं या, अपचयन अघ अ भ या के लए मानक
अपचयन वभव के मान को बता रह है। इस आरे ख म येक जा त को दशाया गया है फर
भी पूर जानकार के लए हम संगत अध अ भ या को पूण प से लखना होता है। उदाहरण
के लए सरल आयन के लए अघ अ भ या लखना काफ आसान है:-
Fe (aq)+e  Fe (aq) E0 =+0.77v
3+ - 2+

पर तु ज टल आयन जैसे FeO42- क अघ अ भ याओं म ऑ सीजन व हाइ ोजन


आ द त व को भी संतु लत करते ह। इन ज टल आयन म समीकरण को न न ल खत म म
संतु लत कया जाता ह:-
(i) सव थम लैट मर आरे ख से एक यु म लखकर उस परमाणु (Fe) क सं या को संतु लत
कर िजसके ऑ सीकरण अंक म प रवतन होता है।
(ii) अ ल य मा यम म अब 0 परमाणु संतु लत करने के लए समीकरण ने दूसर तरफ उतने
H2O जोड़ द िजतने O परमाणु ओं को कमी है। अब H परमाणु ओं क संतु लत करने के
लए वां छत सं या म दूसर ओर H+ आयन जोड़ दे ते ह।
(iii) ार य मा यम म O परमाणुओं को संतु लत करने के लए समीकरण िजस तरफ िजतने
O परमाणु कम है उससे दुगने OH- आयन जोड़ दे ते ह तथा H परमाणु संतु लत के लए,
दूसर ओर उतने ह H2O अणु जोड़ दे ते ह।

70
(iv) अ त म समीकरण के एक ओर वां छत सं या म इले ॉन जोड़ कर, आवेश को संतु लत
कया जाता है। अत: उपरो त आयरन के लैट मर आरे ख ,म उपि थत फेरे ट आयन, का
संतु लत अथ समीकरण न न ल खत है:-
FeO42-(aq)+8H+(aq)+3e-  Fe3+(aq)+4H2O(aq), E0 = +2.20V
लैट मर आरे ख कसी जा त के रे डॉ स यवहार क यव था म भी सहायता करता है।
लए फेरे ट आयन, FeO4 तथा Fe(III) के म य के अपचयन E
2- 0
उदाहरण के का उ च
धना मक मान यह द शत करता है क फेरे ट आयन एक बल ऑ सीकारक है जो वयं
आसानी से अपच यत होकर Fe(III) दे ता है।
Fe(II) तथा Fe के म य E0 का ऋणा मक मान, -0.44V यह बताता है क Fe
धातु एक अपचायक है, जो वयं Fe(II) म ऑ सीकृ त हो जाती है।
उदाहरण-II: d- लॉक के त व अनेक प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाएँ ह। अत: सं मण
त व के भी लैट मर आरे ख बनाए जा सकते ह। Mn का लैट मर आरे ख न न कार है-

सीमाएँ:- लैट मर आरे ख से व भ न आ सीकरण-अपचयन पद क पहचान होती है पर तु


आरे ख म जा तय क सं या बड़ने के साथ ये आरे ख ज टल होते जाते ह। उदाहरण के लए
Mn के लैट मर आरे ख म पाँच जा तयाँ होती ह तथा इसम व भ न यु म के म य दस
वभव होते ह। अत: इस कार के ज टल आरे ख से सू चनाएँ ा त करना क ठन हो जाता है।
इस कारण आठ भ न ऑ सीकरण अव थाओं तथा उनक तु लना मक ऊजाओं को व वमीय
आरे ख ( ाफ) के प म द शत करना अ धक आसान तथा उपयोगी है। इस कार के आरे ख
ॉ ट आरे ख कहलाते है।
बोध न-
1. लै ट मर आरे ख म उ चतम ऑ सीकरण अव था वाल जा त को कस ओर
लखा जाता है ?
......................................................................... .....................
2. न न ल खत अ भ य म र त थान क पू त कर-
(क) Fe3+(aq)+ ....................  Fe2+(aq)
(ख) FeO 4 2 - (aq)+8H + (aq)+ ...................... 
Fe 3 + (aq)+c 2 O(liq)
(ग) H 2 O 2 (aq)+ .......................+2 e -  2 H 2 O(liq)
(घ) H 2 O 2 (aq) ..................... + 2 H + (aq)+2e -

71
5.3 ॉ ट आरे ख (Frost diagrams)
लैट मर आरे ख जहाँ व भ न ऑ सीकरण अव थाओं का एक वमीय आरे ख है, वह ं
ॉ ट आरे ख व भ न ऑ सीकरण अव थाओं को व वमीय प म ाफ वारा तु त करता
है।
ॉ ट आरे ख को ऑ सीकरण अव था आरे ख भी कहा जाता है। कसी भी त व क
व भ न ऑ सीकरण अव थाओं क सूचनाओं के लए ऑ सीकरण अव था आरे ख अथात ् ॉ ट
आरे ख अ धक सु वधाजनक है। केवल आरे ख को दे खकर व भ न ऑ सीकरण अव थाओं के
था य व क जानकार ल जा सकती है।
ॉ ट आरे ख म मु त ऊजा प रवतन (G0) तथा ऑ सीकरण अव थाओं के म य
ाफ खींचा जाता है। ाफ म y-अ अथात ् उ वाधर अ पर G0/F तथा x-अ अथात ्
ै तज अ पर ऑ सीकरण अंक के मान लखे जाते ह।
आप जानते है क,
G0 = nFE0 अथात ् = -nE0

अत: प ट है क y-अ पर ि थत G0/F के मान nE0 के बराबर होते है। यहाँ n


थाना त रत इले ॉन क सं या है।
इकाई 4 म आप पढ़ चु के ह
क य द कोई अभ या अ म दशा
म चलती है तो उसके E 0
का मान
0
धना मक अथात ् G का मान
ऋणा मक होना चा हए। अत: G0
का मान धना मक होने पर अ भ या
नह ं होगी अथात ् उ पाद क तु लना म
अ भकारक अ धक थायी होग।
ॉ ट आरे ख pH अथात ् H+
आयन क सा ता पर नभर करते ह।
यह कारण है क अ ल य तथा ार य
मा यम के लए आरे ख भ न होते ह।
ॉ ट आरे ख के कु छ उदाहरण यहाँ दए
गए है।
उदाहरण-I: मगनीज का
अ ल य मा यम म च 5.1-: मगनीज का अ ल य मा यम म ॉ ट आरे ख
ॉ ट आरे ख, च 5.1 म दशाया गया है:-
उपरो त व णत मगनीज का ॉ ट आरे ख न न ल खत ब दुओं वारा बनाया जा सकता है:-
(1) सबसे पहले स पूण तं के लए लैट मर आरे ख बनाते है। जैसे Mn का लैट मर आरे ख
न न कार है:-
72
(2) अब उपरो त लैट मर आरे ख क सहायता से व भ न अध अ भ याओं संतु लत प म
लखो।
अध-अ भ या मानक ऑ सीकरण वभव(V)
Mn0  Mn2++2e- E0=+1.18
Mn2+  Mn3++e- E0=-1.51
Mn3++2H2O  MnO2+4H++2e- E0=-0.95
Mn3++2H2O  MnO2-+4H++2e- E0=+2.26
MnO42- MnO4-+e- E0=+0.56
(3) अब येक अथ अ भ या के लए G0/F के मान क गणना न न सू से करे ।
=nE0

उदाहरण के लए अ भ या Mn  Mn3++e-, के लए,


G0 = -2x(1.18) = -2.36V
शेष अध अ भ याओं के लए G0/F के मान और x तथा y अ के ब दुओं को
सारणी 5.1
म दशाया गया है।
सारणी 5.1 अ ल य मा यम म व भ न मैगनीज यु म के लए –nE0 का प रकलन
रे डॉ स ऑ सीकरण इले ॉ G0/F= व म क ि थत ऑ सीकर
अभ या वभव(इले ॉड न -nE 0 (y-अ ) ण अव था
वभव)(E )वॉ क (x-अ )
0
वो ट म
ट से सं या
(n)
Mn +1.18 2 -2.36 -2.36 +2
Mn2++2e
(0)(+2)
Mn2+ -1.51 1 -1.51 (-2.36+1.51)=-0.85 +3
Mn +e3+ -

(2+)(3+)
Mn3++2H2O -0.95 1 +0.95 (-0.85+0.95)=+0.10 +4
(3+)
MnO2+4H+e

73
-

(+4)
MnO2+2H2 -2.26 2 +4.52 (+0.10+4.52)=+4.6 +6
O (+4) 2

MnO42-
+4H++2e-
(+6)
MnO42- -0.56 1 +0.56 (+4.62+0.56)=+5.1 +7
+MnO2 +e- 8
(+6)(+7)
मगनीज के ॉ ट आरे ख के मु य ब दु न न ल खत है:-
(1) च 5.। म यूनतम ब दु +2 ऑ सीकरण अव था पर ि थत है। यह Mn(II) के लए
मु त ऊजा प रवतन का मान ऋणा मक है। यह कारण है क Mn(II), मगनीज क
उ माग तक प से सवा धक थायी ऑ सीकरण अव था है।
(2) च 5.1 मे उ चतम ब दु MnO4 अथात ् +7 ऑ सीकरण अव था के लए है। Mn(VII)
के लए मु त ऊजा प रवतन घना मक तथा बहु त अ धक होने के कारण, यह ऑ सीकरण
अव था सवा धक अ थायी है। अत: थायी ऑ सीकरण अव था ा त करने के लए ये
आयन अपच यत हो जाते है। यह कारण है क MnO4 एक बल ऑ सीकारक है।
(3) दो ऑ सीकरण अव थाओं को मलाने वाल रे खा के नीचे पड़ने वाले ब दु को अवतल
ब दु कहते ह। एक अवतल ब दु इन दोन ब दुओं क तु लना म अ धक थायी होता है।
यह ं कारण है क MnO2 तु लना मक ि ट से MnO4 2-
तथा Mn 3+
से अ धक थायी है।
अत: MnO2 का असमानुपातन नह ं होता।
(4) उ तल ब दु क ि थ त अवतल ब दु से वपर त होती है। एक उ तल ब दु, दो
ऑ सीकरण अव थाओं को मलाने वाल रे खा से ऊपर पड़ना है। अत: ये जा त अपनी
पड़ौसी ऑ सीकरण अव थाओं क तु लना म कम थायी होती है। यह ं कारण है क ाफ
म उ तल ब दु पर ि थत Mn(III) तु लना मक ि ट से कम थायी है। इस लए
असमानुपातन वारा Mn(IV) तथा Mn(II) बदल जाता है-
2Mn +2H2O MnO2+Mn +4H
3+ 2+ +

(5) ाफ म बाई ओर, ऊपर ि थत ऑ सीकरण अव था वाल जा त बल ऑ सीकारक होती


है,जैसे MnO4
(6) जो जा त आरे ख म दाई ओर ऊपर होती है वह बल अपचायक होती है। जैसे Mn(0)
धातु बल अपचायक है।
उदाहरण-II: आयरन क अ ल य मा यम म लैट मर आरे ख न न कार है:-

74
+6 +3 +2 0
2- +2.20V 3+ +0.77V 2+ -0.44V
FeO 4  Fe  Fe  Fe
उपरो त लैट मर आरे ख के आधार पर x तथा y- अ पर आने वाले व भ न ब दुओं
क गणना सारणी 5.2 म दशाया गया है।
सारणी 5.2: अ ल य मा यम म व भ न मैगनीज यु म के लए –nE का प रकलन
0

ऑ सीकरण ऑ सीकरण वभव G0/F=-nE0 y-अ x-


(E ) वो ट म
0
वो ट म अ
Fe Fe +2e 2+ -
+0.44 -(2x+0.44)=- -0.88 +2
0.88

Fe2+ Fe3++e- -0.77 -(1x- -0.88+0.77=- +3


0.77)=+0.77 0.11

Fe3++4H2O FeO42- -2.20 -(3x- - +6


+8H+3e- 2.20)=+6.60 0.11+6.6=+6.49
सारणी 5.2 के आधार पर अ ल य मा यम म आयरन के लए बनाए गए ॉ ट च को
च 5.2 म दखाया गया है।

च 5.2 आयरन का अ ल य मा यम म ॉ ट आरे ख


सीमाएँ:- ॉ ट च क मु य सीमाएँ न न ल खत है-
(1) िजन अध अ भ याओं म H+ आयन उपि थत ह , य द उनक pH म प रवतन कर दया
जाए तो उनके मानक अपचयन वभव के मान बदल जाते ह। ऐसी ि थ त म ाय:
जा तयाँ भी बदल जाती है।

75
उदाहरण के लए ार य मा यम (उ च pH) म Mn2+ आयन थाई नह ं होता है तथा
Mn(OH)2 के प म अव े पत हो जाता है। अत: मैगनीज के ार य मा यम म ॉ ट आरे ख
म Mn(OH)2 तो होता है पर तु Mn 2+
नह ं होता है।
(2) ॉ ट आरे ख उ माग तक फलन होते हु ए भी उ मीय प से अ थायी यौ गक के वघटन
के बारे म कोई सूचना नह ं दे ता। KMnO4 एक अ छा उदाहरण है। य य प परमगनेट
आयन, MnO4- का अ धक थायी न न ऑ सीकरण अव था म अपचयन ॉ ट आरे ख के
अनुसार अनुकू ल है पर तु उ रे क क अनुपि थ त म यह बलग तक य प से धीमी
अभ या है। यह कारण है क KMnO4- का जल य वलयन काफ थायी होता है तथा
योगशाला म खू ब योग म लाया जाता है। अत: परमगनेट वलयन के बारे म आगे
अ ययन आव यक है।
(3) ॉ ट आरे ख म जो मु त ऊजा द शत क जाती है- वह मानक प रि थ तय (1
मोल/ल टर सा ता वाले वलयन क शू य pH अथात ् 1 मोल/ल टर H आयन क सां ता +

पर) म द जाती है। अत: प रि थ तयाँ प रव तत होने पर मु त ऊजा के मान भी भ न


होगे, िजससे व भ न जा तय के आपे क था य व का म भी भ न हो जाएगा।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे - :
3. G /F तथा ऑ सीकरण अव था के म य बनाए गए
0
ाफ को या कहते है ?
......................................................................... .....................
4. ॉ ट आरे ख म अवतल ब दु पर ि थत जा त का था य व कम होता है
अथवा अ धक ?
........................................................... ...................................
5. ॉ ट आरे ख म उ तल ब दु जा त का था य व कम होता है अथवा अ धक?
......................................................................... .....................

5.4 पाउबै स आरे ख (Pourbaix diagrams)


लैट मर आरे ख एक त व क बहु त सी जा तय के म य अध-अ भ याओं को सं त
प से दशाता है तथा ॉ ट आरे ख उस त व क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं के आपे क
था य व पर बल दे ता है। इस कार ये दोन कार के आरे ख एक नि चत pH पर कसी
त व के मानक अपचयन वभव E म प रवतन को ऑ सीकरण अव था म प रवतन के सापे
0

क मानक अपचयन वभव E pH के मान पर नभर


0
दशाते ह। ले कन आप जानते ह है
करता है। अत: pH बदलने पर मानक अपचयन वभव E 0
के मान भी बदल जाते है। अत:
सव थम एक े च वै ा नक एम. पाउबै स ने एक अलग कार के आरे ख बनाए, िज ह उनके
नाम पर ह पाउबै स आरे ख या E -pH आरे ख या
0
धानता े आरे ख (predominance
area diagram) कहा जाता है।

76
पाउबै स आरे ख मानक अपचयन वभव E (y-अ पर) तथा pH (x-अ पर) के
0

म य खींचे गए आरे ख होते ह। उदाहरण के लए मगनीज के पाउबै स आरे ख को च 5.3 म


दखाया गया है। इन यु म के सम त वलयन क स यता का मान इकाई है। 56

च 5.3 मगनीज जा तय के लये पाउबै स आरे ख


मगनीज के पाउबै स आरे ख क न न ल खत वशेषताएँ ह:-
(1) िजन त म H या OH आयन ना तो अ भ
+ -
या म भाग लेते ह और ना ह अ भ या
म बनते ह, उन अध अ भ याओं के लए pH के मान म प रवतन के बाद भी एक
नि चत ताप पर मानक वभव का मान ि थर रहता है। यह ं कारण है क Mn2+/Mn
यु म pH से भा वत नह ं होते तथा मानक वभव का एक ह मान दशाते ह। यह यु म
एक ै तज रे खा (x-अ के समाना तर) के प म होता है, िजसे Mn(OH)2/Mn यु म
वाल रे खा pH=7 पर काटती है।
(2) अ धक ऑ सीकारक जा त आरे ख म ऊपर धना मक अपचयन क ओर पायी जाती है,
जैसे परमगनेट आयन (MnO4-)।
(3) अ धक अपचायक जा त आरे ख म नीचे ऋणा मक वभव क ओर पायी जाती है, जैसे
मगनीज धातु अथात ् Mn(O)।
(4) अ धक ार य जा त आरे ख म दा ओर अ धक pH पर होती है।
(5) अ धक अ ल य जा त आरे ख म बा ओर कम pH पर होती है।

77
(6) च म जो उ वाधर रे खाएँ (y-अ के समाना तर) ह वे कसी नि चत pH पर उस रे खा
के दोन ओर पाई जाने वाल जा त के म य सा य को द शत करती है। च 5.3 म
यह उ वाधर रे खा Mn(II) आयन तथा Mn(OH)2 के म य सा य को दशा रह है। ये
सा य केवल pH पर नभर करते ह, वभव E0 पर नभर नह ं करते। अत: 7.65 से
अ धक pH पर Mn(II) आयन हाइ ॉ साइड, Mn(OH)2 के प म पाया जाता है।
(7) इन दो सीमा त अव थाओं के अ त र त बहु त से म यवत व होते ह, जो वभव व pH
दोन पर नभर करते ह। उदाहरण के लए मगनीज (IV) ऑ साइड, Mn(O)2 का मगनीज
(II) आयन अथात Mn2+ म अपचयन न न कार होता है:-
MnO2(s)+4H (aq)+2e  Mn (aq)+2H2O(liq),
+ 2+
E0 =+1.23V
(8) च 5.5 म दो गहर रे खाएँ भी है। इनम ऊपर वाल रे खा जल के ऑ सीकरण को दशाती
है। जल के ऑ सीकरण को न न कार दशाया जा सकता है:-
1/2O2(g) + 2H (aq) + 2e  2H2O(liq), E0 = +1.23V
+ -

(9) नीचे वाल गहर रे खा जल के गैस म अपचयन को द शत करती है-


H2O(liq)+e  1/2H2(g)+OH (aq),
- -
E0 = 0.83V
(10) इस कार इन दो गहर रे खाओं के म य का े , था य व े को द शत करता है
िजसम व यमान सम त जा तयाँ जल के त थायी होती ह। अत: इन जा तयाँ क
जल य मा यम म अ भ याएँ स भव है। इससे उ च वभव पर जल का ऑ सीकरण
आर भ हो जाएगा तथा इससे कम वभव पर जल अपच यत होने लगेगा।
(11) आरे ख से प ट है क परमगनेट आयन (MnO4-) जल के था य व े के बाहर होते
हु ए भी जल य वलयन म पाया जाता ह। वा तव म MnO4 उ माग तक
-
प से अ थायी
होता है, जैसा क ॉ ट आरे ख से प ट ह। पर तु इसक उ च स यण ऊजा के कारण
यह बलग तक य प से थायी होता है। फर भी MnO4 आयन ल बे समय तक थायी
नह ं रहते तथा कसी उ रे क क उपि थ त म ती ता स अपघ टत हो सकते ह।
अ त वभव के कारण केवल अ ल य वलयन म ह जल का ऑ सीजन म ऑ सीकरण हो
जाता है। यह अ भ या काश क उपि थ त म MnO2 वारा उ े रत होती है। यह ं
कारण है क योगशाला म KMnO4 वलयन को रं गीन बोतल म रखकर उ ह काश से
दूर रखा जाता है।
(12) MnO2 भी जल य े के बाहर उ च पर छोटे से े म थायी होता है (िजसे च 5.3
म नह ं दशाया गया है)
य क E -pH के
0
पाउबै स आरे ख को धानता े आरे ख इस लए कहा जाता है
िजस े म िजस जा त का नाम लखा है, उस सीमा म त व क उसी जा त क धानता
होती है।
सीमाएँ: पाउबै स आरे ख क सहायता से जल य मा यम म अलग-अलग pH व E0 पर पायी
जाने वाल जा त क पहचान क जा सकती है। ले कन यह आरे ख कसी त व के व भ न

78
ऑ सीकरण अव थाओं के आपे क था य व को नह ं समझा सकता इसके लए ॉ ट आरे ख
ह सव तम है।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख:-
(6) पाउबै स आरे ख कनके म य बनाया जाता है ?
......................................................................... .....................
(7) पाउबै स आरे ख म pH से अ भा वत यु म कस रे खा के प म पाया जाता
है ?
......................................................................... .....................
(8) अ धक ार य जा त पाउबै स आरे ख म कस pH पर होती है ?
......................................................................... .....................
(9) अ धक वभव पर था य व े के बाहर जल का ऑ सीकरण होता है अथवा
अपचयन ?
......................................................................... .....................

5.5 त व का न कषण (Extraction of Elements)


त व के न कषण का अ ययन न न ल खत दो ब दुओं म कया जा सकता है-
(i) त व के न कषण क व धयाँ, तथा
(ii) त व के न कषण म न हत स ा त

5.5.1 त व के न कषण क व धयाँ

कु छ त व कृ त मे मु त अव था म पाये जाते ह। जैसे नोबेल धातु एँ (Cu, Ag,


Au, Pt, Pd), नोबेल गैस (He, Ne आ द), N2, O2, C, S, आ द। ले कन अ धकांश त व
कृ त म संयु त अव था म पाए जाते ह।
संयु त अव था म पाये जाने वाले त व के यौ गक म से, त व का न कषण अलग-
अलग व धय वारा कया जाता है। कसी यौ गक म से त व के न कषण म यु त वध
कई बात पर नभर करती है। साधारणतया इनके यौ गक म से धातु ओं को ा त करने के
लए अपचयन व धयाँ तथा अधातु ओं के लए ऑ सीकरण व धयाँ काम म ल जाती ह।
त व के न कषण क मु ख व धयाँ न न ल खत है-
(1) यां क पृथ करण: ऐसे त व जो कृ त म वत प से पाये जाते ह, उ हे यां क
पृथ करण वारा ा त कया जा सकता है।
उदाहरण- सोना, चांद , पैले डयम, लै टनम, स फर, नाइ ोजन, ऑ सीजन, ऑगन,
ह लयम, नऑन, आ द कृ त म मु त अव था म पाए जाने वाले त व ह।
(2) उ मीय अपघटन: कुछ यौ गक केवल गम करने से अपने अवयवी त व म अपघ टत हो
जाते है। उ मीय अपघटन के कु छ उदाहरण न न ल खत है-

79
(i) अय क के भजन से ा त मकर व स वर ऑ साइड, उ च ताप पर अपघ टत होकर
धातु दे ते है:-
2HgO  2Hg + O2
2Ag2O  4Ag + O2
साधारणतया: व युत-रासाय नक ेणी म हाइ ोजन से नीचे आने वाले त व के
ऑ साइड को गम करने पर धातु शु अव था म ा त होती है।
(ii) नकल काब नल 1800C पर गम करने पर अपघ टत होकर नकल धातु दे ता है:-
Ni(CO)4  Ni + 4CO
(iii) अ धकांश स फाइड अय क भजन वारा पूण प से ऑ साइड म प रव तत नह ं होते।
PbS भजन या म आ शक प से PbSO4 म प रव तत हो जाता है। अय क के
प रव तत तथा अप रव तत प आपस म उ च ताप पर अ भ या करके धातु का
नमाण करते ह:
Cu2S+2Cu2O  6Cu+SO2
PbSO4+PbS  2Pb+2SO2
(3) व थापन व ध: यह व ध रे डॉ स वभव के मान पर आधा रत है। व युत-रासाय नक
ेणी म जो त व ऊपर होता है, वह अपने से नीचे ि थत त व के आयन को उसके
वलयन से मु त कर दे ता है। यह व ध उ ह ं त व के लए लागू होती है जो जल से
या नह ं करते ह। इस व ध म ाय: कसी स ती धातु के योग वारा महंगी धातु
ा त क जाती है। इस व ध के कु छ उदाहरण न न ल खत है-
(i) िजन कॉपर अय क म CuS अ य त कम मा ा म होता है, उ ह खु ल हवा म छोड़
दया जाता है। वायु क उपि थ त गम तथा बरसात आ द के कारण यह CuSO4 म
प रव तत हो जाता है। इस CuSO4 वलयन म लोहे क छ लन डालने पर कॉपर धातु
ा त हो जाती है-
Cu2++Fe  Cu+Fe2+
(ii) इसी कार समु जल म कु छ Br- आयन भी होते है। व युत -रासाय नक े णी म
लोर न वयं से ऊपर ि थत Br- को Br2 म ऑ सीकृ त कर दे ता है।
2Br-+Cl2  2Cl-+Br2
(iii) िजंक के अय क के साथ थोडी मा ा म कैड मयम भी होता है। व युत रासाय नक
ेणी म कैड मयम, िजंक के नीचे है। अत: CdSO4 के वलयन म िजंक धातु डालने
पर कैड मयम धातु मु त हो जाती है:-
Zn+Cd2+  Zn2++Cd
(4) अपचयन व ध: त व के न कषण क यह सवा धक च लत व ध है। इस व ध से त व
को औ यो गक मा ा म ा त कया जा सकता है। भ ी म उ च ताप पर यौ गक को

80
उ चत अपचायक के साथ गम कया जाता है। कु छ मुख अपचायक वारा न न कार
अपचयन कया जाता है:-
क. काबन वारा अपचयन: कोक अथात ् काबन क कम क मत तथा आसानी से उपल धता
के कारण से व ध बहु त उपयोगी है। इस व ध म त व के ऑ साइड तथा अ य
यौ गक को काबन वारा अपच यत कराया जाता है।
इस व ध क कमी यह है क इसम उ च ताप क आव यकता होती है, िजसके लए
वा या भ ी चा हए। इसके अ त र त बहु त सी धातु एँ काबन से कया करके काबाइड बना दे ती
है।
इस व ध से अपचयन के कु छ उदाहरण न न कार है:-
वा या भ ी
(i) Fe2O3C ⎯⎯⎯⎯ 2Fe+3CO

(ii) ZnO+C 12000C ⎯⎯⎯ Zn+CO


ख. अ य धातु ओं वारा अपचयन: य द काबन वारा अपचयन कराने म अ य त उ च ताप
क आव यकता हो जो क ायो गक तथा आ थक ि ट से अनुकू ल नह ं होता, तो
व युत घना मक धातु ओं जैसे Al, Mg आ द वारा अपचयन कराया जाता है। Al जब
वयं ऑ सीकृ त होकर Al2O3 बनाता है, तो बहु त अ धक मा ा म ऊजा (1675
क.जू./मोल) मु त होती है। इससे अ भ या हे तु बाहर से ताप दे ने क आव यकता नह ं
होती। थमाइट म इसी स ा त पर आधा रत है। कु छ उदाहरण न न कार ह:-
(i) 3Mn3O4 + 8Al  9Mn + 4Al2O3
(ii) Cr2O3+2Al  2Cr+Al2O3
Mg भी इसी कार ऑ साइड को अपच यत करने म उपयोगी ह। कई त व के
ऑ साइड बहु त अ धक थायी होते ह तथा अपच यत नह होते तो उनके लोराइड का व युत
धनी धातु के साथ अपचयन कराया जाता है। उदाहरण के लये,

ग. व-अपचयन: कई धातु ए,ँ स फाइड अय क के प म पायी जाती है, जैसे PbS,


CuS, Sb2S3 आ द। इस अय क का पहले वायु क उपि थ त म गजन करवाने पर
स फाइड, आं शक प से ऑ साइड म प रव तत हो जाता है फर वायु क अनुपि थ त
म भजन करवाने पर, व-अपचयन वारा धातु मु त हो जाती है:-

घ. हाइ ोजन वारा अपचयन: कु छ धाि वक ऑ साइड का अपचयन, वारा करवाया जाता
है। जैसे:-
CO3O4 + 4H2  3CO+4H2O
GeO2 + 2H2  Ge+2H2O

81
अपचयन क यह व ध अ धक उपयोगी नह ं ह य क उ च ताप पर धातु एँ हाइ ोजन
के साथ या कर हाइ ाइड बना लेती ह। इसके अ त र त इस व ध म तथा वायु क
ऑ सीजन क या से व फोट होने का खतरा भी बना रहता है।
च. व युत अपघटनी अपचयन: इले ॉन सबसे बलतम संभा वत है। अत: अपचयन क यह
सव तम व ध है तथा बहु त शु उ पाद दे ती है। आय नक यौ गक का इस व ध वारा
कया जा सकता है। कसी आय नक यौ गक का व युत -अपघटन करवाने कैथोड पर
अपचयन होता है िजससे धातु मु त होती है। व युत क बढ़ क मत के कारण यह व ध
महंगी होती ह। व युत -अपघटन न न व धय से कया जा सकता है:-
(i) जल य वलयन म: यह व ध स ती व सु वधाजनक है उन त व पर लागू नह ं क जा
सकती जो जल के साथ या करते है।
उदाहरण के लये, कॉपर स फेट तथा िजंक स फेट के जल य वलयन के व युत -
अपघटन वारा कॉपर व िजंक को ा त कया जा सकता है।
(ii) अ य वलायक म: लु ओर न, जल के साथ ती ता से व फोट करता है। अत:
नजल य HF म KHF2 को वलेय कर व युत -अपघटन वारा लु ओर न ा त क
जाती है।
ले कन इस व ध वारा लु ओर न के नमाण म कई ायो गक क ठनाइयाँ है।
(iii) संग लत अव था म: ार तथा ार य मृदा धातु ए,ँ वयं इतने बल अपचायक है क
इनके यौ गक का रासाय नक व धय वारा अपचायन संभव नह ं हो पाता। अत: ऐसी
याशील धातु ओं के कसी ग लत लवण का व युत -अपघटन के प म उपयोग करते
ह। सेल म व युत वा हत करने पर धातु कैथोड पर ा त होती है। उदाहरण के लए
2NaCl  2Na +2Cl (ग लत NaCl म)
+ -

2Na + 2e  2Na (कैथोड़ पर)


2Cl  Cl2 + 2e- (एनोड़ पर)
यह ग लत लवण बहु त सं ारक होते ह तथा इनके व युत -अपघटन म बहु त उ च ताप
क आव यकता होती है। इस व ध मे गलनांक 8030C से कम करने के लए 2/3 मा ा म
CaCl2 मलाया जाता है, िजससे गलनांक 5050C हो जाता है।

5.5.2 त व के न कषण म न हत स ा त

कसी भी अ भ या के उ माग तक जान से यह जाना जा सकता है क कौनसी


अभ या वत: व तत तथा कम खच ल होगी। इस कार के सै ाि तक अ ययन वारा
स ते अपचायक तथा अ भ या क शत का चयन करने म सहायता मलती है।
अ धकांश धातु ओं के ऑ साइड, धातुओं क तु लना म ऊ माग तक य प से अ धक
थायी होने के कारण आसानी से बन जाते है।
उदाहरण के लए िजंक धातु कमरे के ताप पर वत: ऑ सीकृ त होकर िजंक ऑ साइड
बनाती है:-

82
2Zn(s) + O2(g)  2ZnO(s), G0 = -636 क.जू./मोल
कसी भी वत: व तत अ भ या के लए मु त ऊजा प रवतन G, ऋणा मक
होना चा हए।
आप जानते है क:-
G = H - TS
जहाँ, H = ए थै पी प रवतन, S = ए ॉपी प रवतन
T = परम ताप, G = मु त ऊजा प रव तत
ZnO बनने क अ भ या के लए:-
(i) S का मान ऋणा मक ह। य क अभ या म बांई ओर ऑ सीजन गैस का एक अणु
है और दांई ओर गैस है ह नह ं। अथात ् उपरो त अ भ या म उ पाद ZnO बनने पर
अ यव था म कमी आती है। अत: S का मान भी कम अथात ् ऋणा मक हो जाता है।
व याथ यह यान रख क S अ यव था का माप है। व तथा ठोस क तु लना म
गैस म अ यव था अ धक होने से S का मान भी अ धक होता है।
(ii) ZnO क बनने क अ भ या उ मा ेपी है। अत: प ट है क उपरो त अ भ या के लए
H का मान भी ऋणा मक होगा, य क ZnO के बनने म उ मा नकलती है। अत:
ZnO बनने क अ भ या के लए उपरो त समीकरण को न न कार लखा जा सकता
है:-
G = -H - Tx (-S)
अथात,् G = -H + TS
अब य द, -H >+ TS तो G = ऋणा मक होगा।
-H =+TS तो G = शू य होगा।
-H <+TS तो G = धना मक होगा।
प ट है क तापमान म वृ के साथ + TS का मान भी बढ़ता जाता है, िजससे G व
ऋणा मक मान म कमी आती जाती है, जैसा क उपरो त समीकरण से प ट है। अ त म
काफ उ च ताप पर G का मान शू य हो जाता है। तापमान को इससे भी अ धक बढ़ाने पर
+TS का मान -H से अ धक होने के कारण G का मान भी धना मक हो जाता है।
अत: प ट है क ताप बढ़ाने पर उपरो त अ भ या के लए G का मान भी बढ़ता
जाता है। यह कारण है क न न ताप पर Zn व O2 से ZnO का बनना एक वत: म है
य क G का मान ऋणा मक है। ले कन उ च ताप पर जब G धना मक हो जाता है।
अत: वपर त अ भ या अथात ् ZnO का Zn म अपचयन वत: व तत हो जाता है।
धातु ऑ साइड के नमाण म G क T पर नभरता को ए लंगम आरे ख वारा
दशाया जाता है। ए लंगम आरे ख, इस कार क अ भ या के लए वह ताप म नधा रत करता
है िजस पर अपचयन क या (काबन अथवा काबन मोनो ऑ साइड वारा) वत: व तत
होती है।

83
िजंक ऑ साइड के लए ए लंगम आरे ख च 5.4 म दशाया गया है।

च 5.4 िजंक के ऑ सीकरण क मु त ऊजा ताप के फलन के प मे


च 5.4 क मु य वशेषताएँ न न ल खत है -
(1) आरे ख का ढ़ाल ऊपर क ओर है य क ताप बढ़ने के साथ G का मान भी बढ़ता जाता
है।
(2) उपरो त आरे ख एक सरल रे खा होता है जब तक क पदाथ क भौ तक अव था म प रवतन
न हो। यह कारण है क च 5.6 म िजंक के गलनांक के ऊपर व म थोड़ा अ धक ढाल
है तथा वथनांक ब दु के ऊपर ती ढाल है।
(3) च म G=0 को ब दु कत रे खा (……….) वारा दशाया गया है। इस रे खा के नीचे
ZnO बनने को मु त ऊजा का मान ऋणा मक है, अत: ऑ साइड थायी ह गे। इस रे खा
के ऊपर G का मान घना मक है, अत: ऑ साइड अ थाई हो जायेग तथा टू टकर धातु
व O2 दगे।
लगभग 20000C ताप पर TS का मान H के बराबर हो जाता है िजससे
G=0 हो जाता है। अत: G के धना मक मान के लए ताप 20000C से अ धक होना
चा हए। श द म यह कहा जा सकता है क ZnO का Zn धातु म अपचयन के लए ताप
2000 C से अ धक होना चा हए
0
य क तब ह यह वप रत अ भ या वत: व तत होगी।
अत: उपरो त पूण ववेचन से यह सारांश नकाला जा सकता है क ZnO से Zn म
अपचयन एक आसान या नह ं है। य क-
(i) 2000 C ताप इतना अ धक होता है क ZnO से Zn को
0
ा त करना ायो गक प
से आसान नह ं है।

84
(ii) इसके अ त र त अ भ या के ताप को कम करने से पहले O2 तथा गैसीय Zn
पृथ करण आव यक है। अ यथा पुन : वपर त अ भ या ार भ हो जाएगी तथा अ त
म पुन : ZnO ा त हो जाएगा।
इस उ च ताप क सम या का समाधान यह है क इन अपचयन अ भ याओं के साथ
कोई ऐसी ऑ सीकरण अ भ या जोड़ द जाए िजसके लए G का मान इतना ऋणा मक हो
क दोन अभ याओं का योग करने पर भी G का मान ऋणा मक रहे। काबन क
ऑ सीकरण अ भ या इसके लए सवा धक उपयोगी है तथा इसके लए G का मान
ऋणा मक है। इसके अ त र त काबन एक स ता औ यो गक अ भकमक है।
काबन का ए लंगम आरे ख च 5.5 म दखाया गया है।

च 5.5 काबन के ऑ सीकरण क मु त ऊजा ताप के फलन के प म


च 5.5 क मु य वशेषताएँ न न ल खत है:-
(1) तापमान 7100C तक तो काबन के ऑ सीकरण से CO2 ाथ मकता से बनती है।
C(s)+O2(g)  CO2(g)
इस अ भ या म S का मान शू य है य क अ भकारक (O2) तथा (CO2) उ पाद
दोन तरफ गैस के 1-1 मोल ह। यह कारण है G म ताप के साथ नग य प रवतन होता है
तथा एक ै तज रे खा ा त होती है िजसका ढाल नग य है।
(2) ले कन 7100C से ऊपर ताप पर काबन मोनोऑ साइड ाथ मकता से बनती है
2C(s)+O2(g)  2CO2(g)
इस अ भ या म S का मान बढ़ता है य क अ भकारक म गैस (O2) का एक
मोल है जब क उ पाद म गैस (CO2) के दो मोल ह। यह कारण है क G के मान म भी
कमी आती है और रे खा का ढ़ाल ती ऋणा मक होता है।
िजंक व काबन दोन के व को एक साथ च 5.6 म दखाया गया है।

85
च 5.6 काबन व िजंक के ऑ सीकरण क मु त ऊजा ताप के फलन के प म (अ यारो पत
आरे ख)
च 5.6 म दोन व एक दूसरे को लगभग 9000C पर काटते ह। इस ताप पर
काबन का ऑ सीकरण ऋणा मक होता है जब क ZnO का अपचयन धना मक होता है। यह
कारण है क 9000C से अ धक ताप पर C के ऑ सीकरण के कारण Zn का अपचयन हो
जाता है:-
ZnO(s) + C(s)  Zn(s) + CO(g)
ए लंगम ने सव थम बताया क G तथा T के म य खच गए व यह ात करने के
लए अ य धक उपयोगी है क कौनसी ऑ सीकरण-अपचयन अ भ या स भव है और कौनसी
स भव नह ं है। कु छ त व के ए लंगम आरे ख च 5.7 म दखाया गया है।

च 5.7 धातु ऑ साइड के लए ए लंगम च


86
च 5.7 क मु य वशेषताएँ न न ल खत है:-
(1) लगभग 3000C पर चाँद का व , G=0 रे खा को काटता है। अत: 3000C के ऊपर
Ag2O का बनना वत: व तत म नह ं होता।
(2) काबन व तथा स लकन व 15000C पर एक दूसरे को काटते ह। अत: 15000C से
ऊपर ताप पर काबन, SiO2 को स लकन म अपच यत कर दे ता है
SiO2(s)+2C(s) Si(s)+CO(g)
(3) कैि सयम का व , काबन के व को 20000C तक नह ं काटता। यह ं कारण है क
सामा य भ य म कैि सयम ऑ साइड का काबन से अपचयन नह ं कया जा सकता।
अत: कैि सयम को व युत -अपघटनी व धय से ा त कया जाता है।
व के अ य त व क या या भी इसी कार क जा सकती।

बोध न-
10 . कसी भी म के वत : व तत होने के लए G का मान ऋणा मक होना
चा हए अथवा धना मक ?
......................................................................... .....................
11. धातु ऑ साइड के नमाण म G क T पर नभरता को कस आरे ख वारा
दशाया जाता है ?
......................................................................... .....................

5.8 सारांश (Summary)


 लैट मर आरे ख कसी त व क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं तथा उनसे संबं धत मानक
वभव को सं त प से दशाता है।
 लैट मर आरे ख मे उ चतम ऑ सीकरण अव था वाल जा त को बा ओर तथा यूनतम
ऑ सीकरण अव था वाल जा त को दा ओर लखा जाता है।
 ॉ ट आरे ख, ऑ सीकरण अव था तथा G0/F के म य ाफ है।
 ॉ ट आरे ख वारा कसी त व क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं के आपे क था य व
को समझाया जा सकता है।
 ॉ ट आरे ख म उ तल ब दु पर ि थत जा त तु लना मक प से अ थायी तथा अवतल
ब दु पर ि थत जा त तु लना मक प से थायी होती है।
 pH तथा E के म य खींच गए
0
ाफ पाउबै स आरे ख कहलाते ह।
 pH से अ भा वत अध अ भ याएं पाउबै स च म एक ै तज रे खा के प म ा त
होती ह।
 पाउबै स च म जल का एक था य व े होता है, िजसके अ तगत जल का
ऑ सीकरण अथवा अपचयन नह ं होता।
 यौ गक म से त व के न कषण क मु य व धयाँ-यौ गक पृथ करण , उ मीय अपघटन,
धातु व थापन, तथा अपचयन है।

87
 कसी भी म के वत: व तत होने के लए G का मान ऋणा मक होना चा हए।
 धातु ऑ साइड के नमाण म G क T पर नभरता को ए लंगम आरे ख वारा दशाया
जाता है।
 कई धातु ऑ साइड को काबन वारा अपच यत कया जाता है य क काबन के
ऑ सीकरण के लए G मान अ य धक ऋणा मक होता है। िजससे धातु ऑ साइड का
अपचयन एक नि चत ताप के बाद वत: व तत होता ह।

5.7 श दावल (Glossary)


 उ माग तक था य व  उ माग तक था य व यह बताता है क यौ गक के
बनने म ऊजा नकलती है अथात ् H ऋणा मक
है। अत: वह यौ गक थायी है।

 बलग तक य था य व  बलग तक य था य व से अ भ ाय है क यौ गक
अभ या के त थायी है अथात ् आसानी से
अभ या नह ं करता।
 न कषण  धातु के अय क से धातु क ाि त
 भजन  साि त अय क को वायु क उपि थ त म तेज
गम कर धातु ऑ साइड म प रव तत करना।
 ए ॉपी प रवतन, S  अ यव था का माप।

5.8 संदभ ंथ (Reference Books)


1. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : ओझा, जैन, चतु वद तथा कोठार ।
2. Inorganic Chemistry, Vol.II: K.K.Bhasin
3. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : आमेटा, शमा, जैन तथा मेहता।
4. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : पी. भागच दानी।
5. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : तगी तथा संह।
6. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : शमा, माथुर वा त।

5.9 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. बा ओर
2. (क) e- (ख) 3e- (ग) 2H+(aq) (घ) O2(g)
3. ॉ ट आरे ख 4. अ धक 5. कम 6. E0 तथा pH
7. ै तज 8. दा ओर, अ धक pH 9. ऑ सीकरण
10. ऋणा मक 11. ए लंगम आरे ख

88
5.10 अ यासाथ न (Exercise Questions)
1. लैट मर आरे ख को उदाहरण स हत समझाइए।
2. व-अपचयन से या ता पय है? एक उदाहरण दे कर प ट क िजए?
3. व युत अपचयन पर एक ट पणी ल खए।
4. मगनीज के लए पाउबै स आरे ख बनाइए तथा इसक या या क िजए।
5. त व के न कषण के स ा त पर एक नब ध ल खए।
6. ए लंगम आरे ख या है? समझाइए।
7. ॉ ट आरे ख से आप या समझते है? ॉ ट आरे ख के नमाण म लैट मर आरे ख क
उपयो गता समझाइए।
8. मगनीज क सबसे थायी ऑ सीकरण अव था +2 य होती है? समझाइए।
9. मगनीज का उदाहरण लेते हु ए ॉ ट. आरे ख क उपयो गता को समझाइए।
10. त व के न कषण स बंधी स ा त क ववेचना क िजए।

89
इकाई 6
उपसहसंयोजक यौ गक- 1
Coordination Compounds
इकाई क प रे खा
6.0 उ े य
6.1 तावना
6.2 वनर का उपसंहयोजन स ांत और उसका ायो गक माणीकरण
6.3 भावी परमाणु सं या अवधारणा
6.4 क लेट
6.5 उपसहसंयोजक यौ गक का नामकरण
6.6 सारांश
6.7 श दावल
6.8 संदभ थ

6.9 बोध न के उ तर
6.10 अ यासाथ न

6.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे-
 उपसहसंयोजक यौ गक या ह तथा कस कार ये अ य अकाब नक यौ गक से भ न ह।
 उपसहसंयोजक यौ गको को वनर स ांत वारा कैसे समझाया जा सकता है तथा इस
स ांत का ायो गक माण या है।
 इन यौ गक को भावी परमाणु मांक स ांत वारा कैसे समझाया जाता है।
 क लेट कस कार के उपसहसंयोजक यौ गक ह।
 उपसहसंयोजक यौ गक का नामकरण कस कार कया जाता है।

6.1 तावना (Introduction)


सामा यत: अकाब नक यौ गक को तीन वग म बांटकर उनका अ ययन कया जाता
है। ये वग ह साधारण लवण, वक लवण और उपसहसंयोजक यौ गक।
सो डयम लोराइड, कैि सयम काब नेट, कॉपर स फेट, आ द साधारण लवण है। इनम
सामा य धनायन और ऋणायन उपि थत रहते ह। ये लवण भार सं या म उपल ध ह। इनक
तु लना म वक लवण बहु त कम ह। फेरस अमो नयम स फेट वक लवण का उदाहरण है।
इसका सू FeSO4.(NH4)SO4.6H2O है। इसम फेरस स फेट तथा अमो नयम स फेट दोन
लवण के गुण पाये जाते ह। इसम Fe , NH तथा SO4 0P जैसे सामा य आयन पाये
2+ 4+ 2-

जाते ह। पोटाश ऐलम ( फटकर ) भी एक वक लवण है िजसका सू

90
K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O है। वक लवण दो लवण के साथ-साथ टलन वारा ा त
होते है।
उपसहसंयोजक यौ गक एक कार के ज टल यौ गक है िजनम ज टल आयन अथवा
भाग होते ह। ज टल यौ गक का नमाण िजन साधारण यौ गक से कया जाता है, गुण म ये
उनसे सवथा भ न होते ह। ये यौ गक अपने अवयवी आयन के पर ण भी नह ं दे ते। उदाहरण
के लए K4[Fe(CN)6] एक ज टल यौ गक है। यह यौ गक Fe 2+
अथवा CN- आयन का
पर ण नह ं दे ता। इन ज टल यौ गक क संरचना उपसहसंयोजक बंध वारा होती है अत: ये
यौ गक उपसहसंयोजक यौ गक कहलाते ह। इन उपसहसंयोजक यौ गक का अ ययन इस इकाई
म कया जायेगा और आप समझगे क कस कार से यौ गक अ य अकाब नक यौ गक से
भ न है।

6.2 वनर का उपसहसंयोजक स ांत और उसका यो गक


माणीकरण (Werner’s Theory of Coordination
Compounds and its Experimental Verification)
ऐ े ड वनर ि वस रसायन थे, िज ह ने उपसहसंयोजक यौ गक क या म त और
उनम उपि थत बंध क या या करने हे तु अपना स ांत दया। इसे वनर स ांत के नाम से
जाना जाता है। रसायन के इस े म कये गये काय के लये वनर को 1913 म नोबेल
पुर कार से स मा नत कया गया था।
वनर स ांत के मु य अ भगृह त न न कार ह-
(1) अ धकांश त व दो कार क संयोजकता द शत करते है- ाथ मक संयोजकता और
वतीयक संयोजकता।
(2) ाथ मक संयोजकता त व क ऑ सीकरण सं या के बराबर होती है। धातु आयन क
ाथ मक संयोजकता को ऋणायन वारा संतु ट कया जाता है। इसे मु य अथवा आय नक
संयोजकता के नाम से भी जाना जाता है। यौ गक क संरचना म इसे बंद ु कत रे खा (- - -
) वारा द शत कया जाता है, जैसा आगे संरचनाओं म आप दे ख सकते ह।
(3) त व क वतीयक संयोजकता उसक सम वय सं या (Coordination number) के
बराबर होती है। उपसहसंयोजक यौ गक म धातु आयन क वतीयक संयोजकता
सामा यत: उदासीन अणु अथवा/और ऋणायन ह संतु ट करते ह। कभी-कभी यह काय
धनायन भी करते ह। धातु से ये अणु या आयन उपसहसंयोजक बंध वारा जुड़ते है। ये बंध
दशा मक होते ह तथा यौ गक के अणु को एक आकृ त दान करते ह। यौ गक क संरचना
म वतीयक संयोजकता को रे खा (-) वारा द शत कया जाता है। धातु से जु डे आयन
और अणु लग ड कहलाते ह। यौ गक का सू लखते समय धातु तथा लग ड एक
गु को टक (square bracket) म रखे जाते ह। यह को टक सम वय म डल कहलाता है।

91
(4) कुछ ऋणायन लग ड के प म ाथ मक और वतीयक दोन कार सु ंयोजकताओं को
संतु ट करते ह। इस कार के बंधन को रे खाओं के जोड़े वारा (--) द शत करते है, जहाँ
एक रे खा बंद ु कत होती है।
वनर ने अपने अ ययन का आधार कोबा ट धातु के अमो नया के साथ उपसहसंयोजक
यौ गक को वनर स ांत को आप इ ह ं यौ गक के मा यम से प ट प से समझगे। वनर ने
कोबा ट लोराइड और अमो नया के भ न अनुपात मलाकर न न ल खत संघटन और रं ग
वाले यौ गक ा त कये-
यौ गक का संघटन यौ गक का रं ग
(1) CoCl3.6NH3 नारं गी पीला
(2) CoCl3.5NH3.H2O गुलाबी
(3) CoCl3.5NH3 बगनी
(4) CoCl3.4NH3 हरा तथा बगनी
(5) CoCl3.3NH3 नीला हरा
वनर के स ांत के आधार पर इन यौ गको क संरचना और दोन कार क
संयोजकताओं को न न कार द शत कया गया-

(1) CoCl3.6NH3,नारगी पीला (2) CoCl3. 5NH3. गुलाबी


या [Co(NH3)6]Cl3 या [Co(NH3)5(H2O)]Cl3

उ त सभी संरचनाएं अ ठफलक य आकृ त क है।


92
6.2.1 वनर स ांत का ायो गक माणीकरण-

वनर ने योग के आधार पर अपने स ांत क पुि ट क । ऊपर दये गये कोबा ट के
यौ गक के लये उनके वलयन से लोराइड आयन क उपि थ त, इन आयन को AgNO3
वलयन वारा अव े पत कर नि चत क गयी। दूसरा चालकता मापन के आधार पर उपि थत
कु ल आयन का पता लगाया गया। योग के प रणाम को सारणी 6.1 म दखाया गया है।
सारणी 6.।

. यौ गक का वनर स ांत अव े पत कु ल मोलर चालकता


सं. सामा य सू आधा रत सू Cl- आयन ohm-1mol-1
आयन cm-1
1. CoCl3.6NH3 [Co(NH3)6]Cl3 3 4 430

2. CoCl3.5NH3.H2O [Co(NH3)5(H2O)]Cl2 3 4 430

3. CoCl3.5NH3 [Co(NH3)5Cl]Cl3 2 3 250

4. CoCl3.4NH3 cis-[Co(NH3)4Cl2]Cl 1 2 100

5. CoCl3.4NH3 trans[Co(NH3)4Cl2]Cl 1 2 100

6. CoCl3.3NH3 [Co(NH3)3Cl3] 0 0 0

सारणी 6.1 म ा त े ण के आधार पर वनर स ांत क पुि ट न न कार क


जा सकती है-
(1) CoCl3.6NH3 से तीन Cl- आयन के तु य AgCl अव े पत कया जा सकता है। यह
तभी स भव है जब वनर के अनुसार तीन लोराइड आयन ाथ मक या आय नक
संयोजकता वारा धातु आयन से जु डे ह ।
[Co(NH3)6]Cl3 ⇋ [Co(NH3)6]3+ +3Cl
-
अथात ्
3Cl- + 3AgNO3 ⇋ 3AgCl + 3NO3-
इस आयनन के फल व प त अणु कु ल चार आयन ा त होते ह। जो यौ गक क मोलर
चालकता भी द शत करती है। यह बात यौ गक CoCl3.5NH3.H2O अथवा
[Co(NH3)5(H2O)]Cl3 पर लागू होती है।

93
(2) यौ गक CoCl3.5NH3 से त अणु दो Cl आयन ह AgCl के
-
प म अव े पत होते ह।
इसका अथ है क तीन म से दो लो रन परमाणु आय नक संयोजकता वारा जु ड़े ह जब क
तीसरा लोर न परमाणु वतीयक अथवा उपसहसंयोजक संयोजकता वारा जु ड़ा है। अथात ्
[Co(NH3)5Cl]Cl2 ⇋ [Co(NH3)5Cl] 2+
+ 2Cl -

यहाँ आयनन से त अणु कु ल तीन आयनन ा त होते ह, िजससे इसक मोलर चालकता कम
हो जाती है (सारणी 6.1)।
(3) यौ गक CoCl3.4NH3 से त अणु मा एक Cl आयन मंडप के
-
प म अव े पत होता
है और इस यौ गक क मोलर चालकता का मान भी बहु त कम हो जाता है (सारणी 6.।)।
इसे यौ गक के वनर सू से न न कार जोड़ा जा सकता है।
[Co(NH3)4Cl2]Cl ⇋ [Co(NH3)4Cl2]+ + Cl-
(4) यौ गक CoCl3.3NH3 क मोलर चालकता शू य है तथा इससे Cl- आयन का AgCl के
प म अव ेपन नह ं होता। इससे प ट है क यौ गक का आयनन नह ं होता। यह त य
उसके वनर सू [Co(NH3)3Cl3] क पुि ट करते ह, जहाँ उदासीन लग ड (NH3) तथा
ऋणा मक लग ड (Cl-), सभी धातु आयन (Co3+) के साथ वतीयक संयोजकता से जु ड़े
ह।
बोध न -
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये -
(क) फे रस अमो नयम स फे ट एक उपसहसं योजक यौ गक है । ( स य/अस य )
(ख) वनर स ां त के अनु सार धातु ओं क ाथ मक सं योजकता आय नक ,
कृ त क होती है । ( स य/अस य )
(ग) उपसहसं योजक यौ गक म धातु क वतीयक सं योजकता का मान
उसक सम वय सं या कहलाती है । ( स य/अस य )
(घ) यौ गक CoCl 3 .5NH 3 म इसके सभी लोर न परमाणु AgCl के प
म अव े पत कये जा सकते है । ( स य/अस य )
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त को टक म दये गये श द/श द
समू ह से क िजये -
(क) यौ गक [ Co(NH 3 ) 5 Cl ] Cl 2 म कोबा ट आयन क ाथ मक सं योजकता
............... ह। (2/3)
(ख) CoCl 3 .3NH 3 के वलयन म AgNO 3 का वलयन मलाने पर
AgCl अव े प ............... होता ह। ( ा त/ ा त नह ं )
(ग) [Co(NH 3 ) 6 ]Cl 3 का रं ग ………....... होता ह। ( नारं गी पीला/बगनी )
(घ) CoCl 3 .5NH 3 .H 2 O के वलयन म त अणु .................. आयन
ा त होते है । ( तीन/चार)

94
6.3 भावी परमाणु सं या अवधारणा (Effective Atomic
Number Concept)
उपसहसंयोजक यौ गको के बनने और उनके था य व क या या करने हे तु वै ा नक
सज वक ने भावी परमाणु सं या क अवधारणा को तुत कया। इस अवधारणा के अनुसार
'' कसी उपसहसंयोजक यौ गक के बनने म लग ड वारा धातु आयन को इले ॉन यु म दये
जाने के प चात,् धातु आयन पर उपि थत इले ॉन क सं या भावी परमाणु सं या
(Effective Atomic Number) कहलाती है।'' इसे सं ेप म EAN लखा जाता है।
सामा यत: यह सं या कसी अ य गैस के परमाणु मांक के बराबर होती है।
इस अवधारणा को आप कु छ उदाहरण के मा यम से समझगे।
(1) [Co(NH3)6]3+ आयन
Co का परमाणु मांक 27 है।
दये गये आयन म Co क ऑ सीकरण अव था +3 है।
अत: Co3+ म उपि थत इले ॉन क सं या = 27 – 3= 24
छ: NH3 के अणु ओं वारा दये गये इले ॉन = 6 x 2 = 12
Co 3+
का EAN = 24 + 12 = 36 (अ य गैस टॉन का परमाणु मांक 36 है।)
(2) [Fe(CN)]4- आयन
Fe का परमाणु मांक 26 है तथा दये गये संकु ल आयन म इसक ऑ सीकरण अव था
+2 है। Fe 2+
पर उपि थत इले ॉन = 26 – 2 = 24
छ: CN आयन -
वारा दये गये इले ॉन = 6 x 2 = 12
अत: धातु आयन का EAN = 24 + 12 = 36
(3) [PtCl6]2- आयन
Pt का परमाणु मांक 78 है तथा ऑ सीकरण अंक +4 है।
Pt 4+
म उपि थत इले ॉन = 78 - 4 = 74
छ: Cl- आयन वारा दये गये इले ॉन = 6 x 2 = 12
अत: लै टनम का EAN = 74 + 12 = 86
अ य गैस रे डॉन का परमाणु मांक 66 है।
सभी उपसहसंयोजक यौ गक भावी परमाणु मांक अवधारणा क पालना नह ं करते।
पर तु इन यौ गक म के य धातु का EAN अ य गैस के परमाणु मांक के नकट ह
होता है। ऐसे दो उदाहरण लेकर इस बात को प ट कया जाएगा।
(1) [Fe(CN6)] 3-
आयन
Fe का परमाणु मांक 26 तथा इस संकुल आयन म ऑ सीकरण अंक +3 है।
Fe3+ म उपि थत इले ॉन = 26 - 3 = 23
छ: CN आयन ॉन = 6 x 2 = 12
-
वारा दये गये इले

95
आयरन का EAN = 23 + 12 = 35 है, जो टॉन के परमाणु मांक (36) के
नकट है।
(2) [Ni(NH3)6]2+ आयन
नकल का परमाणु मांक 28 तथा दये गये संकुल आयन म ऑ सीकरण अव था +2 है।
Ni 2+
म उपि थत इले ॉन = 28 – 2 = 26
छ: NH3 अणु ओं वारा दये गये इले ॉन = 6 x 2 = 12
नकल का EAN 26 + 12 = 38
यह सं या टॉन के परमाणु मांक 36 के नकट है।
भावी परमाणु मांक अवधारणा उपसहसंयोजक यौ गक से जुड़े अ य बहु त से त य को
प ट करने म असमथ रह अत: इसे अ धक मह व नह ं मला।
बोध न-
3. दये गये आं क ड़ के आधार पर धातु ओं के भावी परमाणु मां क ात किजए-
(क) [ Ni(CO) 4 ] म Ni क ऑ सीकरण अव था शू य तथा Ni का परमाणु
मां क 28 है ।
(ख) [ Pt(NH 3 ) 3 Cl 3 ] + आयन म Pt क ऑ सीकरण अव था +4 है तथा
Pt का परमाणु मां क 78 है ।

6.4 क लेट (Chelate)


क लेट क जानकार ा त करने पहले व भ न कार के लग ड के बारे म जानना
बहु त आव यक है। जो लग ड धातु आयन के साथ एक उपसहसंयोजक बंध बनाता है उसे
एकदं तु क लग ड (monodentate ligand) कहते ह जैसे, NH3, Cl-, CN-, H2O, आ द।
जो लग ड धातु के साथ एक से अ धक उपसहसंयोजक बंध बनाने क मता रखते ह,
उसे बहु दं तु क लग ड (polydentate ligand) कहते है। ए थल न डाइऐमीन H2N- CH2 –
CH2 – NH2, एक वदं तु क लग ड है। डाइए थल न ाइऐमीन एक दं तु क लग ड है।
बहु दं तु क लग ड धातु परमाणु या धातु आयन के साथ एक से अ धक उपसहसंयोजक
बंध बनाकर च य संरचना यु त संकु ल बनाते है, िज ह क लेट कहते है। कु छ उदाहरण इस
कार ह-
(1) वदं तु क क लेट करण-

यहाँ ए थल न डाइऐमीन दो थान से Pt से जु ड़कर क लेट आयन बनाता है।

96
(2) दं तु क क लेट करण-

यहाँ डाइए थल न ाइऐमीन तीन थान से Pt से जु ड़कर क लेट आयन बनाता है।
क लेट बनने के म को क लेट करण कहते ह। क लेट अ य संकुल से बहु त अ धक
थाई होते ह। इनके वघटन हे तु एक से अ धक बंध तोड़ने ह गे, अथात ् अ धक ऊजा दे नी
होगी। अत: इनका था य व अ धक होता है। अपने था य व के कारण क लेट कृ त म पाये
जाते है और मह वपूण भू मका नभाते है। लाल र त क णकाओं का लाल रं ग उनम उपि थत
ह मो लो बन के कारण होता है जो वा तव मे आयरन - पॉरफाइ रन क लेट है। इसी कार
वन प त म पाया जाने वाला हरा पदाथ लोरो फल वा तव म मै नी शयम - पॉरफाइ रन क लेट
है। वटा मन B12 कोबा ट और पॉरफाइ रन का क लेट है।
बोध न-
4. न न ल खत वा य म थान क पू त क िजये-
(क) NH 3 एकदं तु क लग ड है पर तु ए थल न डाइऐमीन ............... लग ड है ।
(ख) क ले ट समा य उपसहसं योजक यो गक से ................ थाई होते है ।
(ग) पि तय का हरा रं ग ...............धातु के क ले ट के कारण होता है ।
(घ ) क ले ट यो गक म लग ड धातु के साथ .................सं र चना बनाता है ।

6.5 उपसहसंयोजक यौ गक का नामकरण (Nomenclature of


Coordination Compounds)
संकुल अथवा उपसहसंयोजक यो गक के नाम पहले उनको बनाने वाले वै ा नक के
नाम पर रखे जाते थे। कुछ संकुल के नाम उनके रं ग को आधार मानकर भी रखे गये।
उदाहरण के लये,
रे नक लवण, NH4[Cr(NH3)2(NCS)4]
म नस लवण, [Pt(NH3)4][PtCl4]
यूट ओकोबाि टक लोराइड, [Co(NH3)6]Cl3 (नारं गी)
परपु रयोकोबाि टक लोराइड, [Co(NH3)5Cl]Cl2 (हलका बगनी)
इन यौ गक क सं या अ धक होने पर 1957 म I.U.P.A.C. प त इनके नाम रखे
गये। इस हे तु कु छ नयम बनाये गये, िजसका समय - समय पर सु धार कया गया। वतमान
नयम के अनुसार उपसहसंयोजक यौ गक का नामकरण इस कार कया जाता है।
(1) सामा य लवण क भां त संकुल यौ गक के नाम भी दो श द म लखे जाते ह। पहला
श द धनायन के लये और दूसरा श द ऋणायन के लये होता है।
97
(2) यौ गक के संकुल भाग का नाम लखते समय लगै ड के नाम पहले लखे जाते है और
फर धातु का नाम लखा जाता है।
(3) लग ड कसी भी कार के ह – ऋणावे शत, धनावे शत या उदासीन, उ ह अं ेजी वणमाला
के म म लखा जाता है।
(4) य द एक से अ धक समान लग ड उपि थत ह , तो उनके नाम म पूवल न डाइ, ाइ,
आ द लगा दया जाता है। पर तु यान रख क लग ड को अं ेजी वणमाला के म म
रखते समय पूवल न डाइ, ाइ, आ द को सि म लत नह ं कया जाता। य द लग ड म
पहले से ह डाइ, ाइ, जैसे पूवल न उपि थत ह , तो लग ड क सं या अनुसार , दो के
लये बस, तीन के लये स, चार के लये टे ा कस (tetrakis), आ द श द का उपयोग
कया जाता है।
(5) या म त समावय वय को द शत करने के लये समप या सस (cis -) और वप या
ांस (trans -) पूवल न का योग करते ह।
(6) काशीय समावय वय के नाम के आगे d - और 1 - का योग कया जाता है।

6.5.1 लग ड का नामकरण

तीन कार के लग ड होते ह िजनका नामकरण न न कार होता है-


(1) ऋणावे शत लग ड: लग ड के अं ेजी नाम के अंत म य द आइड (ide), आइट (ite),
ऐट (ate) अथवा केवल 'e' आता है, तो उसके थान पर ओ (O) लगा दया जाता है।
उदाहरण के लये,
(क) ide हटाकर 'o' लगाने पर लग ड का नाम-
Cl-, लोराइड (chloride) - लोरो (chloro)
O , 2-
ऑ साइड (oxide) - ऑ सो (oxo)
OH , -
हाइ ॉ साइड (hydrogen) - हाइ ॉ सो (hydroxo)
CN, सायनाइड (cyanide) - सायन (cyano)
(ख) ite हटाकर 'o' लगाने पर लग ड का नाम-
NO2-, नाइ ाइट (nitrite) - नाइ ो (nitro)
(ग) e हटाकर 'o' लगाने पर लग ड का नाम-
H,
-
हाइ ाइड (hydride) - हाइ ीडो (hydrido)
S2-, स फाइड (sulphide) - स फाइडो या थाओ (sulphido or thio)
C2O4 , 2-
ऑ सेलेट (oxalate) - ऑ सेलेटो (oxalato)
CH3COO , -
ऐसीटे ट (acetate) - ऐसीटे टो (acetato)
2
SO3 -
, स फाइट (sulphite) - स फाइटो (sulphito)
SO4 , 2-
स फेट (sulphate) - स फेटो (salphato)
NH3, ऐमाइड (amide) - ऐमीडो (amido)

98
PO43 , फॉ फेट (phosphate) - फॉ फेटो (phosphato)
-

NO3- नाइ े ट (nitrate) - नाइ े टो (nitrato)


(घ) कुछ अ य का नाम
N3, नाइ ाइड (nitride) -ऐजीडो (azido)
(2) उदासीन लग ड: इनके नामकरण हे तु कोई नि चत नयम नह ं है। कुछ को व श ट
नाम दये जाते ह, जब क अ य के नाम बना कसी प रवतन के ले लये जाते ह।
कु छ उदाहरण,
(i) जल (H2O) -ऐ वा
(ii) अमो नया (NH3) -ऐ मीन
(iii) नाइ क ऑ साइड (NO) -नाइ ो सल
(iv) काबन मोनो साइड (CO) -काब नल
(v) मे थल ऐमीन (CH3,NH2,) -मे थल ऐमीन
(vi) ाइमे थल फॉ फ न [(CH3)3P] - ाइमे थलफॉ फ न
(vii) हाइ ेजीन (NH2 – NH2) -हाइ ेजीन
(3) धनावे शत मू लक: इनके नाम बना प रवतन के लये गये ह, जैसे-
(i) हाइ ेजी नयम (NH2- NH3+) – हाइ ेजी नयम
(ii) हाइ ो नयम (H3O ) +
– हाइ ो नयम
(iii) नाइ ो स लयम (NO+) - नाइ ो स लयम

6.5.2 के य धातु परमाणु या आयन का नामकरण

(i) य द संकुल उदासीन हो या धनायन हो तो धातु के नाम म प रवतन नह ं होता। संकुल


या संकुल आयन को एक श द के प म लखा जाता है। उदाहरण के लये-
[PtCl2(NH3)2], डाइऐ मीनडाइ लोरो लै टनम (II)
[Co(NH3)6] , 3+
हे साऐ मीनकोबा ट (II) आयन
धातु क ऑ सीकरण अव था रोमन अंक म को ठक म लखी जाती है।
(ii) य द संकुल आयन ऋणावे शत है तो धातु के नाम के अंत म ऐट लगा ह। साथ ह
उसका ऑ सीकरण अंक भी को टक म लखा जाता है, जैसे-
[Fe(CN)6)]4, हे सासायन फेरे ट (II) आयन
[CrCl4(H2O)2], डाइऐ वाटे ा लोरो ोमेट (III) आयन
(iii) य द संकुल म धनायन और ऋणायन दोन ह, तो संकुल का नाम धनायन और
ऋणायन के लये दये गये नयम के अनुसार लखा -जाता है। उदाहरण के लए-
[Cu(NH3)4] [CuCl4], टे ाऐ मीनकॉपर (II) टे ा लोरो यू ट
े (II)
धनायन ऋणायन

99
[Co(NH3)6][Co(CN)6], हे साऐ मीनकोबा ट (III) हे सासायन कोबा टे ट (III) अब
आप ऊपर दये सभी नयम को यान म रख समझगे क यहाँ जा रहे कु छ उदाहरण म के
नाम कस कार लखे जाते ह।
(1) कुछ उदासीन संकुल
[Fe(CO)5], पे टाकाब नल आयरन (O)
[Cr(C6H6)2], बस (बजीन) ो मयम (O)
[Fe(C5H5)2], बल (साइ लोपटाडाइ नल) आयरन (II)
[Cu(acac)2], बस (ऐसी टलऐसीटोनेटो) कॉपर (II)
(2) कुछ संकुल धनायन
[Ag(NH3)2], डाइऐ मीन स वर (I) आयन
[Co(NH3)6]3+, हे साऐ मीनकोबा ट (III) आयन
[Cr(H2O)4Cl2]NO3, टे ाऐ वाडाइ लोरो ो मयम (III)
[Co(en)3]2(SO3)3, स (ए थल न डाइऐमीन) कोबा ट (III) स फेट
(3) कुछ संकुल ऋणायन
[Ni(CN)]2 , टे ासायनो नकलेट (I) आयन
Na2[CuCl4], सो डयमटे ा लोरो यू ेट (II)
K[PtCl3(C2H4)], पोटै शयम ए थल न ाइ लोरो लै टनेट (II)
Na3[Co(SCN6)], सो डयम हे साथाओसायनेटो 5 कोबा टे ट (III)
(4) संकुल धनायन और संकुल ऋणायन यु त कुछ यौ गक
[Pt(NH3)6][PtCl6], हे साऐ मीन लै टनम (II) हे सा लोरो लै टनेट (II)
[Cr(NH3)6][Co(CN)6 , हे साऐ मीनकोबा ट (III) हे सासायनोकोबा टे ट (III)
[Cu(NH3)4][CuCl4], टे ाऐ मीनकॉपर (II) टे ा लोरो यू ेट (II)

6.5.3 सेतु संकुल का नामकरण

इस कार के संकु ल म एक से अ धक धातु होते ह। ये धातु लग ड वारा जुड़े रहते


ह। इस कार के लग ड सेतु लग ड कहलाते ह। संकुल के नामकरण म लग ड के आगे यु
(μ) लगा दे ते ह। सेतु संकुल दो कार के होते ह- सम मत सेतु संकु ल तथा असम मत सेतु
संकुल।
(1) सम मत संतु संकुल का नामकरण: इस कार के सेतु संकुल म सेतु लग ड के दोन ओर
के भाग समान होते ह। एक और अ धक सेतु लग ड वाले सेतु संकुल होते है। कु छ
उदाहरण लेकर उनका नामकरण करगे-
(क) [(NH3)5Cr-OH-Cr(NH3)5]5+ , μ- हाइ ॉ सो - बस [पेटाऐ मीन ो मयम (III)] आयन

(ख)
डाइ - μ - हाइ ॉ सो बस [टे ाऐ मीनकोबा ट (III)] स फेट
100
(2) असम मत सेतु संकुल का नामकरण: इस कार के सेतु संकुल म सेतु लग ड के दोन
ओर भाग समांग नह ं होते। साथ ह एक से अ धक सेतु लग ड होने पर वे भी भ न हो
सकते ह।
(क)

μ - ऐमीडो - μ - हाइ ॉ सो बस [डाइए थल नडाइऐमीनकोबा ट (III)] स फेट

(ख)

μ - ऐमीडोहे साऐ मीनडाइ लोरो μ - हाइपरऑ सोडाइकोबा ट (III) लोराइड

6.5.3 उभयदं तु क लग ड यु त संकु ल का नामकरण

उभयदं तु क लग ड म इले ॉन यु म दे ने के लये एक से अ धक परमाणु होते ह,


पर तु यौ गक
के नमाण एक परमाणु इले ॉन यु म दे कर उपसहसंयोजक बंध बनाता है। कु छ
उदाहरण इस कार ह
(क) (NH4)2 [Pt(SCN)6],
अमो नयम हे साथाओसायनेटो – S - लैट नेट (IV)
(NH4)3 [Cr(NO2)6,
अमो नयम हे साथाओसायनेटो - N - ोमेट (III)
इस उदाहरण म दाता परमाणु मश: S और N ह।
(ख) Na3[Co(NO2)6],
सो डयम हे सानाइ ो - N - कोबा टे ट (III)
Na3[Cr(ONO)6],
सो डयम हे सानाइ ो - O - ोमेट (III)
अथवा सो डयम हे सानाइ टो ोमेट (III)
या मतीय तथा का शक समावयवी संकु ल का नामकरण अगल इकाई म दया गया है।
बोध न-
5. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) म नस लवण का सू [Pt(NH 3 ) 6 ][PtCl 4 ] है । ( स य / अस य )
(ख) सं कु ल यौ गक म Cl
-
जब लग ड के प म धातु से जु ड़ा रहता है ,
तो लोराइडो कहलाता है । ( स य / अस य )
(ग) [ PtCl 2 (NH 3 ) 2 ] यौ गक का नाम डाइ लोरोडाइऐ मीन लै टनम (II) है ।
( स य / अस य )

101
(घ) सं कु ल [Fe(CO) 5 ] म आयरन क ऑ सीकरण अव था शू य है ।
( स य / अस य )
6. सं कु लनK[PtCl 3 (C 2 H 4 )] का नाम लख और इसम धातु क ऑ सीकरण
अव था तथा सम वय सं या बताइये ।

6.6 सारांश (Summary)


 उपसहसंयोजक यौ गक एक कार के ज टल यौ गक ह। ये यौ गक अपने अवयवी आयन के
पर ण नह ं दे ते। इ ह संकुल भी कहते है।
 ऐ े ड वनर के अनुसार इन यौ गक म धातु क दो कार क संयोजकताएं पायी जाती है-
ाथ मक एवं वतीयक।
 ाथ मक संयोजकता क कृ त आय नक होती है और इसे ऋणायन संतु ट करते है।
 वतीयक संयोजकता सहसंयोजक कृ त क होती है। इसे उदासीन परमाणु या ऋणायन
संतु ट करते है पर तु कु छ धनायन भी इसम सि म लत हो जाते ह।
 धातु क वतीयक संयोजकता संतु ट करने वाले परमाणु या परमाणु समूह लग ड कहलाते
ह। ये उदासीन, ऋण-अवशे षत अथवा धन-आवे शत हो सकते है। ये लग ड धातु परमाणु
या आयन के साथ उपसहसंयोजक ब ध बनाते ह।
 संकुल का सू लखते समय धातु और लग ड गु को टक म रखे जाते ह। यह को टक
संकुल का सम वय म डल कहलाता है। धातु क वतीयक संयोजकता उसक सम वय
सं या कहलाती है। वनर के स ांत का ायो गक स यापन संकुल म उपि थत आयन क
सं या और उनके मा ा मक व लेषण के आधार पर कया गया।
 कसी उपसहसंयोजक यौ गक के बनने म लग ड वारा धातु आयन या को इले ॉन यु म
दये जाने के प चात,् धातु आयन या परमाणु पर उपि थत इले ॉन क सं या भावी
परमाणु सं या कहलाती है। यह सं या कसी अ य गैस के परमाणु मांक के बराबर या
उसके आस पास होती
 है।
 बहु द तु क लग ड धातु परमाणु या धातु आयन के साथ एक से अ धक के बनाकर च य
संरचना यु त संकु ल बनाते है। िजसे क लेट कहते ह। क लेट संरचना अ धक थाई होती ह।
 उपसहसंयोजक यौ गक के नाम 1957 म I.U.P.A.C.1. प त से रखे गये। संकु ल का
धना मक, भाग पहले और ऋणा मक भाग बाद म आता है।
 यौ गक के संकुल भाग का नाम लखने म पहले लग डो को अं ेजी वणमाला के म म
लखा जाता है, फर धातु को उसक ऑ सीकरण सं या के साथ लखा जाता है।
 ऋणावे शत, धनावे शत तथा उदासीन लगै ड को लखने क व श ट होती है।

6.7 श दावल (Glossary)


 अ भगृह त - कथन या ब दु
 गु को टक - [ ]

102
 सेतु संकुल - ऐसा संकुलन िजसम लगै ड का दाता परमाणु दो धातु परमाणु से
बंध बनाता है और इस कार लगै ड धातु परमाणुओं के म य सेतु
का करता है।
 उभय दं तु क - ऐसा लगै ड िजसके एक से अ धक परमाणु उपसहसंयोजक बंध
लग ड बनाने क मता रखते ह। पर तु एक समय मे एक ह परमाणु बंध
बनाता है।

6.8 संदभ ंथ (Reference Books)


1. Selected Topics’s in Inorganic Chemistry-S. Chand and Company,
New Delhi
2. अकाब नक रसायन भाग 2- रमेश बुक डपो, जयपुर
3. अकाब नक रसायन भाग 2- कालेज बुक हाऊस जयपुर। 76

6.9 बोध न के उ तर (Answers of Intex Questions)


1. (क) अस य (ख) स य (ग) स य (घ) स य
2. (क) 3 (ख) ा त नह ं (ग) नारं गी पीला (घ) चार
3. (क) 36 (ख) 86
4. (क) वदं तु क (ख) अ धक (ग) मै नी शयम (घ) च य
5. (क) स य (ख) अस य (ग) अस य (घ) स य
6. पोटै शयम ए थल न ाइ लोरो लै टनेट (II)
Pt क ऑ सीकरण अव था +2 तथा सम वय सं या 4 है।

6.10 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. वनर के उपसहसंयोजकता स ांत का सं त वणन क िजये। इसके आधार पर कोबा ट -
अमो नया संकु ल क ववेचना कस कार क गयी।
2. वनर स ांत क पुि ट योग वारा कस कार क गयी। उदाहरण दे कर समझाइये।
3. भावी परमाणु सं या अवधारणा क ववेचना क िजये। उ चत उदाहरण दे कर बताएं क
कस कार कु छ उदाहरण इस अवधारणा के अनु प है जब क कु छ इसके अपवाद ह।
4. उपसहसंयोजक यौ गक का नामकरण कस कार कया जाता है? उदाहरण दे कर या या
क िजये।
5. संकुल यौ गक म व भ न कार के लगै ड का नामकरण कस कार कया जाता है?
न न ल खत लगै ड के नाम लख-
(क) CH3COO (ख) CN- (ग) O2- (घ) SO42-
(च) NH3 (छ) CH3NH2 (ज) NH2 – NH2 (घ) NO+
6. न न ल खत संकु ल के नाम ल खए -
(क) [CrCl4(H2O)2]- (ख) [Co(NH3)6][Co(CN)6]

103
(ग) K[PtCl3(C2H4)] (घ) [Fe(C5H5)2]
(च) (NH4)2 [Pt(SCN)6] (छ) Na3[Cr(ONO)6]
7. न न ल खत पर ट प णयाँ लख -
(क) क लेट (ख) सेतु संकुल का नामकरण (ग) उभयदं तु क लग ड (घ) बहु दं तु क लग ड
8. Co3+, K+, Cl- तथा NH3 के संयोग से बनने वाले सात संकुल के सू और IUPAC नाम
लख। इन संकुल क ाथ मक और वतीयक सु ंयोजकताओं क ववेचना वनर के स ांत
के अनुसार कर।

104
इकाई 7
उपसहसंयोजक यौ गक - II
Coordination Compounds- II
इकाई क प रे खा
7.0 उ े य
7.1 तावना
7.2 उपसहसंयोजक यौ गक म समावयवता
7.3 सं मण धातु संकुल यौ गक के लए संयोजकता बंध स ांत
7.4 सारांश
7.5 श दावल
7.6 संदभ थ

7.7 बोध न के उ तर
7.8 अ यासाथ न

7.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे-
 कस कार एक ह अणु सू वाले यौ गक व भ न संरचनाओं के कारण व भ न गुण को
दशन करते ह।
 सं मण धातु संकु ल यौ गक म धातु और लग ड के म य कस कार का बंधा होता है
तथा ये बंध कस कार यौ गक के अणु क आकृ त नि चत करते ह और यौ गक के
गुण को भा वत करते ह।

7.1 तावना (Introduction)


आपने इकाई 6 म उपसहसंयोजक यौ गक के बारे म, िज ह सामा यत: संकु ल यौ गक
या केवल संकु ल नाम से जाना जाता है, कु छ जानकार ा त क । आपने दे खा और समझा क
कस कार इन यौ गक के नाम रखे जाते है, उनक संरचना कैसी होती है तथा यौ गक म
उपि थत के य धातु परमाणु क संयोजकताएं दो कार क होती ह - ाथ मक एवं
वतीयक।
इस इकाई म आप जानगे क एक ह अणु सू वाले यौ गक कस आधार पर भ न
गुण का दशन करते ह। धातु परमाणु या आयन लगै ड से कस कार के बंध बनाते ह।

105
7.2 उपसहसंयोजक यौ गक म समावयवता (Isomerism in
Coordination Compounds)
आप इस त य से प र चत है क य द दो या दो से अ धक यौ गक का अणु सू एक
ह हो, तो ये यौ गक समावयवी कहलाते ह और इस प रघटना को समावयवता कहते ह।
उपसहसंयोजक यौ गक मु य प से दो कार क समावयवता करते है - संरचना मक
समावयवता और वमीय समावयवता। इन दो कार क समावयवताओं के भी कार होते ह
िजनक जानकार आप यह ा त करगे।

7.2.1 संरचना मक समावयवता (Structural Isomerism)

जो यौ गक संरचना मक समावयवता द शत करते ह उनक संरचनाएं भ न कार क


होती ह तथा ये यौ गक संरचना मक समावयवी कहलाते ह। संरचनाओं के आधार पर इ ह
उपवग म बांटा गया है, जो न न कार ह।
(1) आयनीकरण समावयवता (Ionisation Isomerism):
इस कार क समावयवता द शत करने वाले संकु ल यौ गक के ाथ मक और
वतीयक संयोजकता से बंधे ऋणायन म पर पर ि थ तय म प रवतन हो जाता है। इस
कारण आयनन पर ये यौ गक भ न कार के आयन दे ते ह तथा पर पर गुण म भी भ न
होते ह। न न ल खत उदाहरण इन त य को प ट करते ह -
(क) [CoBr(NH3)5SO4 ⇋ [CoBr(NH3)5] 2+
+ SO42-
इस यौ गक का वलयन BaCl2 वलयन के साथ मलाने पर BaSO4 का सफेद
अव ेप दे ता है। [Co(SO4)(NH3)5]Br ⇋ [Co(SO4)(NH3)5] + Br +

इस यौ गक का वलयन BaCl2 वलयन के साथ कोई अव ेप नह ं दे ता पर तु


AgNO3 वलयन के साथ हलके पीले रं ग का अव ेप दे ता है।
दोनो यो गक का अणुसू समान है, पर तु लगै ड के भ न ब धन के कारण
आयनन म भ नता द शत करते ह और आयनन समावयवी कहलाते ह।
(2) हाइ ेट समावयवता (Hydrate Isomerism):
यह समावयवता उन संकु ल यौ गक वारा द शत क जाती है िजनके अणु सू तो
समान होते ह, पर तु जल के अणु व भ न प म उपि थत रहते ह। जल का अणु लग ड के
प म जुड़ा हो सकता है या फर टलन जल के प म पाया जा सकता है। उदाहरण वारा
इसे समझाया जा सकता है।
(क) [Cr(H2O6)]Cl3, हे कराऐ वा ो मयम (III) लोराइड
इस संकुल म सभी H2O अणु लग ड के प म ह। इस संकु ल का रं ग बगनी होता
है। [CrCl(H2O)5]Cl2.H2O, पटाऐ वामोनो लोरो ो मयम (III) लोराइड मोनोहाइ ेट। यह
यौ गक हरे रं ग का होता है।

106
[CrCl2(H2O)5]Cl.2H2O, टे ाऐ वाडाइ लोरो ो मयम (III) लोराइड डाइहाइ ेट। यह
गहरे हरे रं ग का संकु ल है।
इन तीन समावय वय म आय नत होने वाले लोराइड आयन क सं या मश: 3,2
और 1 है। इस आधार पर इनक पहचान क जा सकती है। यह पहचान AgNo3 वारा Cl-
आयन को मा ा मक प से अव े पत कराकर क जाती है।
(ख) [CoCl2(en)2Cl.H2O
डाइ लोरो बस (ए थल नडाइऐमीन) कोबा ट (III) लोराइड मोनोहाइ ेट
प म है तथा एक आय नत होने वाला Cl
-
इसम जल का अणु टलन जल के
आयन है। [CoCl(H2O(en)2]Cl2
ऐ वा लोरो बस (ए थल नडाइऐमीन) कोबा ट (III) Chloride
इस संकु ल म जल लग ड के प म है तथा आय नत होने वाले Cl आयन क सं या
दो है।
(3) बंध समावयवता (Linkage Isomerism):
इस कार क समावयवता उन संकु ल म पाई जाती है जहाँ एक लग ड भ न
परमाणु ओं के मा यम से उपसहसंयोजक बंध बनाने क मता रखता है। इस कार का लग ड
लये NO2 आयन एक उभयदं ती
-
उभयदं ती लग ड कहलाता है। उदाहरण के लग ड है जो
संकुल यौ गक म धातु से ऑ सीजन परमाणु अथवा नाइ ोजन परमाणु से जु ड़ने क मता
रखता है। इस कार दो संकु ल समावयवी ा त होते ह िज ह बंध समावयवी कहते है। इस
कार के समावय वय को उदाहरण दे कर प ट कया जा रहा है।
[Co(NH3)5(ONO)2+, लाल रं ग का संकु ल आयन
पटाऐ मीननाइ ाइटो - O कोबा ट (III) आयन
यह ं NO2- आयन Co3+ आयन से ऑ सीजन परमाणु के मा यम से जु ड़ा हु आ है।
[Co(NH3)5(NO2)2+, पीले रं ग का संकुल आयन
पटाऐ मीननाइ ाइटो - N कोबा ट (III) आयन
यहाँ NO2- आयन Co3+ आयन से नाइ ोजन परमाणु के मा यम से जु ड़ा हु आ है।
इसी कार कु छ अ य उभयदं ती लगै ड, जैसे - CN-, CNO-, SCN-, SOO32-,
आ द, भी अपने संकुल यौ गक म बंध समावयवता द शत करते ह।
(4) उपसहसंयोजक समावयवता (Coordination Isomerism)
इस कार क समावयवता उन संकुल म पायी जाती है, जहाँ धनायन और ऋणायन
दोनो संकु ल आयन होते ह। इन आयन के लगै ड म पर पर प रवतन से उपसहसंयोजक
समावयवी ा त होते है। इस कार क समावयवता के उदाहरण न न कार है।
(क) [Pt (NH3)4][Pt Cl6]
II IV

टे ाऐ मीन लै टनम (II) हे सा लोरो लै टनेट (IV)


[PtIV(NH3)4Cl2][PtIICl4]
टे ाऐ मीनडाइ लोरो लै टनम (IV) टे ा लोरो लै टनेट (II)
107
इन समावय वय म धनायन और ऋणायन म धातु समान है पर तु उनक ऑ सीकरण
अव थाएं भ न ह। साथ ह उपसहसंयोजक यौ गक बनाने वाले लग ड भी दोन
उपसहसंयोजक को ठक म समान नह ं है। पर तु दोन संकुल के अणु सू समान है अत: ये
उपसहसंयोजक समावयवी कहलाते है।
(ख) इस उदाहरण म संकुल धनायन और संकुल ऋणायन म धातु भी भ न है और दोन
समावय वय म धातु ओं के साथ बं धत लग ड भी भ न है।
[Co(NH3)6][Cr(CN)6)
हे साऐ मीनकोबा ट (III) हे सासायनो ोमेट (III)
[Cr(NH3)6][Co(CN)6]
हे साऐ मीन ो मयम (III) हे सासायनो ोमेट (III)
इसी खृं ला के अ य समावयवी ा त कये जा सकते है, जैसे-
[Co(NH3)5(CN)][Cr(NH3)(CN)5]
[Co(NH3)4(CN)2][Cr(NH3)2(CN)4], आ द।
(5) उपसहसंयोजक ि थ त समावयवता (Coordination Position Isomerism)
इस कार क समावयवता बहु ना भक संकु ल द शत करते ह। इसम दोन धातु
परमाणु ओं के साथ जुड़े लगै ड क ि थ त प रव तत हो जाती है। सेतु बंध म कोई
प रवतन नह ं होता। उदाहरण दे कर इस कथन को प ट कया जा सकता है, जैसे-

(क)

(ख)
(6) लग ड समावयवता (Ligand Isomerism)
कु छ लग ड समावयवता द शत करने म स म होते है। इस कार के लग ड जब
संकुल म उपि थत होते है तो वे लग ड समावयवता द शत करते ह। उदाहरण के लये,
डाइऐमीनो ोपेन दो समावयवी बनाता है िज ह न न कार द शत करते ह-
H2N – CH2 – CH2 – CH2 – NH2

1,2 - डाइऐमीनो ोपेन (pn) 1,3 डाइऐमीनो ोपेन (tn),


जैसा क आपने ऊपर दे खा इन समावय वय को सं ेप म pn और tn वारा लखा
गया है। इस आधार पर संकु ल समावय वय को न न कार लखा जाता है-
[CoCl2(pn)2]Cl, बस (1, 2 - डाइऐमीनो ोपेन) डाइ लोरोकोबा ट (III) लोराइड
तथा [CoCl2(tn)2]Cl, बस (1, 3 - डाइऐमीनो ोपेन) डाइ लोरोकोरा ट (III) लोराइड
(7) बहु लक करण समावयवता (Polymerisation Isomerism)

108
इस कार के समावय वय को प रभाषा के अनुसार सह प म समावयवी नह ं माना
जा सकता, य क इनके अणुसू समान नह होते। इन समावय वय के मू लानुपाती सू समान
होते ह, स भवत: इस लये इ ह समावयवी मान लया गया है। न न ल खत उदाहरण इन
कथन को प ट करते ह।
(क) [PtCl2(NH3)2], [Pt(NH3)4][PtCl4] तथा [Pt(NH3)4][PtCl3(NH3)]2
यहाँ आप दे खते है क दूसरे संकु ल म त व के अणु पहले त व क अपे ा दो गुने है
तथा तीसरे संकुल म तीन गुने ह। इस कार प ट है क तीन संकुल के अणुसू भ न है
पर तु मूलानुपाती सू समान ह। यह समझने वाल बात यह भी है क संकुल म कसी इकाई
का बहु लक करण नह ं हो रहा है। फर भी दया गया यह नाम ''बहु लक करण समावयवता'’ अभी
भी चलन म है।
(ख) इस उदाहरण म संकुल धनायन और संकुल ऋणायन म धातु भी भ न है और दोन
समावय वय म धातु ओं के साथ बं धत लग ड भी भ न है।
[Co(NO2)3(NH3)]3, [Co(NH3)6][Co(NO2)6],
[Co(NO2)(NH3)5][Co(NO2)4(NH3)2]2 तथा [Co(NO2)2(NH3)4]3 [Co(NO2)6]
इन चार संकुल म सभी कार के परमाणु या परमाणु समू ह 1: 2: 3: 4 के अनुपात
म ह। अथात ् Co, NO, तथा NH3 पहले संकु ल क अपे ा अ य संकु ल म मश: दो
गुने , तीन गुने और चार गुने ह।
बोध न-
1. न न ल खत सं कु ल के समू ह कस कार क सं र चना मक समावयवता द शत
करते है ?
(क) [ CoBr(NH 3 ) 5 ]SO 4 तथा [ Co(SO 4 )(NH 3 ) 5 ]Br
(ख) [Cr(H 2 O) 6 ]Cl 3 तथा [CrCl(H 2 O) 5 ]Cl 2 H 2 O
(ग) पटाऐ मीननाइ ाइटो – O कोबा ट (III) लोराइड
तथा पटाऐ मीननाइ ाइटो – N कोबा ट (III) लोराइड
(घ) [Co(NH 3 ) 6 ][Cr(CN) 6 ] तथा [Cr(NH 3 ) 6 ][Co(CN) 6 ]

7.2.2 वमीय समावयवता (Stereoisomerism)

उपसहसंयोजक यौ गक अथात ् संकुल म के य धातु के चार ओर लगै ड क


ि थ त नि चत होती है। य द लगै ड क ि थ तय म प रवतन होता है तो संकुल यौ गक के
गुण भी प रव तत हो जाते है। अत: ऐसे संकु ल यौ गक िजनके अणु सू समान ह पर तु
लगै ड क ि थ तयाँ भ न होती ह, वमीय समावयवी कहलाते है तथा इस प रघटना को
वमीय समावयवता कहते ह।
वमीय समावयवता को दो वग म बांटा गया है - या मतीय समावयवता और
काशीय समावयवता।
(क) या मतीय समावयवता (Geometrical Isomerism):

109
यह समावयवता संकुल म उपि थत लगै ड क भ न या मतीय यव था के कारण
उ प न होती ह। इस कार ा त यौ गक या मतीय समावयव कहलाते ह।
सम वय सं या 2 वाले संकु ल क या म त रे खीय होती है तथा उपसहसंयोजक सं या
3 वाले संकुल क या म त कोणीय समतल य होती है। ये संकुल या मतीय समावयवता
द शत नह ं करते।
सम वय सं या 4 वाले संकुल क आकृ तयाँ दो कार क होती ह - चतु फलक य और
वगसमतल य।
चतु फलक य संरचना वाले संकु ल या मतीय समावयवता नह ं दशाते। पर तु वगाकार
समतल य संरचना वाले कु छ यौ गक या मतीय समावयवता द शत करते है। [Ma4] तथा
[Ma3b] कार के संकुल, जहाँ a और b एक दं तु क लग ड है, या मतीय समावयवता द शत
नह ं करते। [Ma2b2] कार के संकुल समप [cis -] और वप [trans -] समावयवता द शत
करते ह। उदाहरण न न कार है-

समप - [PtCl2(NH3)2] वप -[PtCl2(NH3)2]


[Mabed] कार के तीन समावयवी ा त होते ह। ये समावयव कसी एक लग ड को बार बार
से शेष तीन के वप म रखने पर ा त होते ह। इस कथन को [PtClBr(NH3)(py)] का
उदाहरण लेकर समझाया जा सकता ह।

यहाँ Cl क ि थ त नि चत करके शेष तीन लगै ड को बार -बार से इसके वप म रखने


पर तीन वप समावयवी ा त होते ह।
[M(AA)b2], [M(AA)bc] तथा [M(AA)2] कार के संतल
ु म, जहाँ AA एक वदंतु क
लग ड है, या मतीय समावयवी नह ं पाये जाते। पर तु [M(AB)2] कार के संकु ल म जहाँ AB
एक वदं तु क लग ड है तथा इसके दोन दाता परमाणु भ न है, या मतीय समावयवता पायी
जाती है उदाहरण के लये, Pt(II) के लाइ सनेट आयन के साथ समप और वप समावयवी
ा त होते ह।

समप -डाइ लासीनेटो लै टनम (II) आयन वप -डाइ लासीनेटो लै टन (II) आयन

110
सम वय सं या 6 वाले अ टफलक य संकुल भी या मतीय समावयवता द शत करते
ह। [M(AA)b4] कार के संकु ल या मतीय समावयवता द शत नह ं करते।
[M(AA)2b2] तथा [M(AA)2bc] कार के संकुल समप और वप बनाते है। इसे
+
[Co(en)2Cl2] संकुल आयन के उदाहरण वारा प ट कया जा सकता है। समप समावयवी
म दोन Cl- परमाणु पास ह गे तथा वप समावयवी म दोन Cl- परमाणु एक दूसरे क
वपर त ि थ तय म ह गे। इसे न न कार दशाया जा सकता है-

समप समावयवी वप समावयती


2+
[Co(en)2(NH3)Cl] आयन के भी दो या मतीय समावयवी ह गे। समप प म NH3 तथा
Cl पास-पास तथा वप प म एक दूसरे के वपर त ि थ तय म ह गे।
[M(AA)3] सू वाला संकुल या मतीय समावयवता द शत नह , पर तु य द वदं तक

लग ड म दाता परमाणु भ न ह, अथात ् संकुल को [M(AB)3] वारा द शत जा सकता है तो
समप और वप समावयवी ा त होते ह। समप समावयवी म लग ड के तीन A -
परमाणु अ टफलक के एक ह भु जीय फलक के कोन पर ि थत होते ह। इसी कार अ य
तीन परमाणु (B-परमाणु) भ न भु जीय फलक के कोन पर ि थत रहते ह। इसका एक
उदाहरण [Cr(gly)3] संकु ल है। लासीनेट H2NCH2COO म ब ध N और O परमाणुओं वारा
बनाये जाते ह

समप – [Cr(gly)3] वप – [Cr(gly)3]


(ख) काशक य समावयवता (Optical Isomerism):
कु छ उपसहसंयोजक यौ गक म सम मतीय तल उपि थत नह ं होता। ऐसा येक संकुल
दो ु ण घुणक समावयवी (Optically active Isomers) बनाता है, जो एक दूसरे के दपण

त ब ब होते ह। येक समावयवी रे खा ु वत काश (एक ह तल म कि पत काश) के तल
को दांये अथवा बांये घुमाने मे समथ होता है। इन समावय वय को d - और 1 - प वारा
दशाया जाता है।
4 सम वय सं या वाला चतु फलक य संकुल बल (बेनजॉयलऐसीटोनेटो) बेर लयम,
[C6H5.CO.CHCOCH3)2Be], दो काशक य समावयवी दशाता है, जो एक दूसरे के दपण
त ब ब होते है। इ ह न न कार दखाया जा सकता है

111
दपण
6 सम वय सं या वाले अ टफलक य संकुल म जब सम मतीय तल उपि थत नह ं
होता तो वे दो ु ण घूणक समावयवी दे ते ह, जो एक-दूसरे के दपण
व त ब ब होते ह।
[M(AA)3] कार के संकुल, जैसे [Co(en)3] , [Pt(en)3]
3+ 4+
दो समावय वय के
म ण के प म ा त होते ह, िज ह भौ तक एवं रासाय नक व धय से पृथक कया जा
सकता है। एक उदाहरण क संरचनाएं यह द जा रह ह-

इसी कार [Co(en)2(NH3)Cl]2+ के द और 1 - प को दशाया जा सकता है।

d - (समप ) प 1 - (समप ) प मीसो ( वप ) प काशीय अपूणक

बोध न-
2. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) समप – [PtCl 2 (NH 3 ) 2 ] सं कु ल क सं र चना चतु फलक य होती है ।
( स य/अस य)
(ख) वप – [PtCl 2 (NH 3 ) 2 ] सं कु ल क सं र चना वगाकार समतल य होती
है । ( स य/अस य)
(ग) [PtClBr(NH 3 )(py)] तीन या मतीय समावयवी दे ता है ।
( स य/अस य)
(घ) वप – [Co(en) 2 Cl 2 ] म दोन लोर न परमाणु एक दू स रे से
वपर त ि थ तय म होते ह। ( स य/अस य)
3. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -

112
(क) ................... सम वय सं या वाले .................. आकृ त के
सं कु ल [C 6 H 5 .CO.CHCOCH 3 ) 2 Be] के काशक य समावयवी स भव
है ।
(ख) [Co(en) 3 ]Cl 3 के d - और 1 - काशक य समावय वय को
................ तथा ................ व धय से पृ थक कया जा सकता
है ।

7.3 सं मण धातु संकुल यौ गक के लये संयोजकता बंध स ांत


(Valence Bond Theory for Transition Metal
Complexes)
यौ गक क इले ॉ नक संरचनाओं और या म त क या या हे तु वै ा नक लाइनस
पॉ लंग ने संयोजकता बंध स ांत दया, िजसका आधार क क का संकरण था। रसायन क
कृ त को समझने हे तु कये गये काय के लये पॉ लंग को 1954 म नोबेल पु कार दया
गया। इस स ांत का वणन न न ल खत बंदओ
ु ं वारा कया जा सकता है-
(1) संयोजकता बंध स ांत संकुल यौ गक म धातु आयन क इले ॉ नक संरचना क जानकार
दे ता है, उनम उपि थत बंधो के कार और संकुल यौ गक के अणु क या मती बताता है
और संकु ल क चु बक य कृ त क या या करता है।
(2) इस स ांत के अनुसार के य धातु परमाणु या आयन अपनी सम वय सं या के बराबर
s,p और d क क उपल ध कराता है।
(3) र त s,p और d क क संकरण कर समान ऊजा के संक रत क क बनाते ह। ये संक रत
क क दशा मक होते है तथा संकुल यौ गक अणु अथवा आयन क या मती का नधारण
करते ह। संकुल के संक रत क क, धातु क सम वय सं या, संकुल क या म त, स हत
आगे सारणी म द गयी है।
. धातु क सम वय क क का संकरण संकुल क या मती उदाहरण
सं. सं या
1. 2 sp रे खीय [Ag(NH3)2]+,[Au(CN)2]
2. 4 dsp2 वगाकार समतल य Ni(CN)4]2[Cu(NH3)4]2+
3. 4 sp3 चतु फलक य [Ni(CO)4],[Zn(NH3)4]2+
4. 6 d2sp3 अ टफलक य [Fe(CN)6]3,[Cr(NH3)6]3+
5. 6 sp3d2 अ टफलक य [FeF6]3,[Co(H2O)6]3+
(4) लगै ड के इले ॉन यु म से भरे क क धातु के र त एवं संक रत क क से अ त यापन
कर सगमा (σ) बंध बनाते है। यह सगमा बंध उपसहसंयोजक बंध होता है िजसम लग ड
इले ॉन यु म दे ता है तथा धातु हण करता है। इस बंध को L  M वारा दशाया
जाती है।

113
(5) धातु के पूण भरे क क लग ड के र त क क से पाई (π)बंध बनाने क मता रखते
ह। इस बंध को ML, वारा द शत कया जाता है। ये बंध दो कार के होते ह।
(क) d π - d π बंध: इस कार के π - बंध म धातु के पूण भरे d - क क लग ड के र त
p - क क के साथ अ त यापन कर बंध बनाते ह। इसे च 7.1 (क) म दशाया गया ह।
हैलाइड (Cl, 1, आ द) O2, OH, OR आ द लग ड इस कार के π - बंध बनाते ह।
(ख) d π - d π बंध: इस कार के π -बंध म धातु के पूण भरे d -क क लग ड के र त
d- क क से अ त यापन कर बंध बनाते ह। इसे च 7.1 (ख) म दशाया गया है। AsR,
PF3, आ द लग ड इस कार के π - बंध बनाते ह।
π -बंध से संकुल का था य व बढ़ता है। σ उपसहसंयोजक बंध से धातु पर ऋण
आवेश बढ़ जाता है। M  D कार के बंध बनने से धातु का ऋण आवेश लग ड पर
थाना त रत होता ह, िजससे ऋण आवेश का संतल
ु न बना रहता है। ML कार का बंध
प च बंध या तीप बंध भी (back bonding)कहलाता है, य क लग ड वारा धातु को
दया गया ऋण आवेश कु छ सीमा तक पुन : लग ड पर चला जाता है।

M  L ML
dπ - Pπ dπ – pπ
च 7.1(क) च 7.1(ख)
(6) पॉ लंग ने संकुल म उपि थत अयुि मत इले ॉन क सं या और उसके चु बक य गुण के
म य स बंध को प ट कया। इस त य को आप आगे उदाहरण के मा यम से समझगे।
इसी आधार पर संकुल क या म त क पुि ट भी क गयी।
7.3.1 संयोजकता बंध स ांत के आधार पर संकुल के चु बक य गुणधम और उनक या म त
अ धकांश सं मण धातु संकु ल अनुचु बक य कृ त के होते है। संकु ल क चु बक य
वृ त या उसका चु बक य आघूण (μ) योग वारा ात कया जा सकता है। इससे सू , μ
n(n-2) का उपयोग कर धातु आयन या परमाणु म उपि थत अयुि मत इले ॉन क सं या
ात क जा सकती है।
संयोजकता बंध स ांत के अनुसार अ सर लगै ड को र त d - क क उपल ध
कराने हे तु धातु आयन के d - क क के अयुि मत इले ॉन संकुल के बनते समय युि मत हो
जाते ह। इससे अयुि मत इले ॉन क सं या म कमी आती है जो चु बक य आघूण के मापन
से ात क जा सकती है। इस कार ा त संकुल, यून च ण संकुल कहलाता है। चू ं क इस
म म आंतर (n- 1)d क क का उपयोग संकुल नमाण म होता है, अत: यह आंतर क क
संकुल कहलाता है। इ ह च ण युि मत संकुल भी कहते ह।

114
इसके वपर त य द (n-1)d क क के इले ॉन का यु मन नह ं होता तो nd क क
संकुल नमाण म भाग लेते है। ऐसे संकुल उ च च ण संकु ल या बा य क क संकुल कहलाते
है। इ ह च ण मु त संकुल भी कहते ह।
संयोजकता बंध स ांत के अनुसार आंतर या बा य d – क क, s और p क क के
साथ संकरण कर लगै ड के लये र त संक रत क क उपल ध कराते है। संकरण और
स बं धत या म त के बारे म आप इसी इकाई म जान चु के ह। अब आप कु छ मह वपूण
सम वय सं या वाले संकुल क या मती तथा चु बक य कृ त के बारे म जानकार ा त
करगे।
(1) सम वय सं या 2 के संकुल- ये संकुल रे खीय या म त के होते ह। इसम धातु क क का,
sp संकरण होता है तथा इनम धातु आयन से संकुल बनने के म म चु बक य गुण म
कोई प रवतन नह ं होता। अब इन कथन को आप उदाहरण वारा समझगे।
बा य इले ो नक व यास

Ag+ आयन

[Ag(NH3)2]+ संकु ल आयन


रे खीय

यहाँ दो NH3 अणु Ag+ आयन के दो संक रत sp क क के साथ उपसहसंयोजक बंध बना रहे
ह। संकु ल आयन [Ag(NH3)2]+ क या म त रे खीय होती है। इसी कार आप [Ag(CN)2]-
संकुल आयन का बनना दशा सकते है। ये संकुल तचु बक य कृ त के ह, य क इनम कोई
भी अयुि मत इले ॉन नह ं है।
(2) सम वय सं या 4 के संकुल -
सम वय सं या 4 के साथ दो या म त वाले संकुल बनते है – वगाकार समतल य और
चतु फलक य।
(क) वगाकार समतल य संकुल: इस या म त म धातु एवं लग ड ह तल म रहते ह। कु छ
उदाहरण यहाँ दये जा रहे ह।
(i) [Ni(CN)4]2 संकुल: इस संकुल आयन का बनना न न कार जा सकता है। नकल का
परमाणु मांक 28 है तथा इसका इले ॉ नक व यास [Ni]3d8 4s2 है।

115
Ni2+ आयन उसम उपि थत दो अयुि मत इले ॉन के कारण होता है पर तु संकुल बनने
म इले ॉन का यु मन होता है। अत: ा त संकुल कृ त का होता है।
(ii) इसी कार [Cu(NH3)4] 2+
आयन क वगाकार समतल य या मती को समझाया जा सकता
है। ऊपर आपने दे खा क र त d - क क उपल ध कराने हे तु CN- आयन क उपि थ त
म इले ॉन का यु मन हो जाता है, यह आप दे खगे क एक र त d - क क उपल ध
कराने हे तु NH3 लग ड क उपि थ त म 3d इले ॉन उ तेिजत 4p-क क म चला जाता
है।

Cu परमाणु

Cu2+ आयन

[Cu(NH3)4]2+
वगाकार समतल य

Cu2+ आयन तथा ा त संकुल दोन अनुचु बक य कृ त के होते है, य क दोन म एक


अयुि मत इले ॉन उपि थत है।
(ख) चतु फलक य संकुल :इस या म त म चार लग ड चतु फलन के चार कोन पर ि थत रहते
ह तथा धातु इस चतु फलन के म य रहता है। यह या म त क क के संकरण के कारण
बनती है। यहाँ क क के इले ॉन अपनी यथाि थ त म रहते ह। अत: आयन से संकुल
बनने के म म चु बक य आघूण म कोई प रवतन नह ं होता। एक उदाहरण यहाँ दया
जा रहा है।

Zn2+ आयन तथा ा त संकुल दोन ह तचु बक य कृ त के ह, य क इनम


अयुि मत इले ॉन उपि थत नह ं ह। इसी कार आप दशा सकते ह क [CuCl4]3- आयन
चतु फलक य या मती तथा तचु बक य कृ त का होता है।
(3) सम वय सं या 6 के संकुल-

116
ये संकु ल अ टफलक य या म त वाले होते ह। इस या म त म छ: लग ड परमाणु
अ टफलन के छ: कोन पर ि थत रहते ह तथा धातु इस अ टफलन के म य रहता है। इस
कार के संकु ल नमाण म धातु क क का संकरण d2 sp3 अथवा sp3d2 होता है।
(क) d2 sp3 संकरण यु त अ टफलक य संकुल :इस कार के संकु ल म आंत रक (n-1)d
क क संकरण म भाग लेते ह। उदाहरण न न कार ह-
(i) [Fe(CN)6]3- आयन: Fe (परमाणु मांक 26) का इले ॉ नक व यास [Ar] 3d6 4s2
है। इसका बा य इले ॉ नक व यास न न कार दशाया जा सकता है।

यहाँ आप प ट दे खते ह क Fe3+ आयन म उपि थत पांच अयुि मत 3d - इले ॉन


CN
आयन क उपि थ त म युि मत हो जाते ह। अयुि मत इले ॉन क सं या 5 से घट
कर 1 रह जाती है। इसी अनुपात म चु बक य गुण म भी प रवतन होता है अथात ्
कमी आती है। संकु ल आयन अनुचु बक य कृ त का होता है।
(ii) [Fe(CN)6]4- आयन: इस संकुल आयन म आयरन क ऑ सीकरण अव था +2 है।
इसका बा य इले ॉ नक व यास न न कार दशाया जा सकता है।

यहाँ 3d - क क म उपि थत 6 इले ॉन, CN आयन क उपि थ त म युि मत हो जाते


ह। अत: संकुल आयन क कृ त तचु बक य होगी, जब क Fe2+ आयन अनुचु बक य
होता है।
(iii) [Co(NH3)6]3+ आयन म Co3+ आयन के क क संक रत अव था म होते ह तथा आयन
क या म त अ टफलक य होती है। Co3+ आयन के 3d6 इले ॉन युि मत अव था म
आ जाते ह, अत: संकुल तचु बक य कृ त का होता है।

117
(ख) sp3d2 संकरण यु त अ टफलक य संकुल: इस कार के संकुल म बा य d - क क
संकरण म भाग लेते ह। अ दर के d - क क भा वत नह ं होते, अत: आयन और संकुल
क चु बक य कृ त समान रहती है। उदाहरण न न कार है-
[FeF6]3- संकु ल आयन म आयन क उपि थ त आयन के 3d - क क म उपि थत
5 अयुि मत इले ॉन को भा वत नह ं कर पाती। इन इले ॉन का यु मन नह ं होता। दो 3d
- क क उपल ध नह ं होने के कारण संकुल नमाण म 4d - क क उपयोग म लये जाते ह।
अत: संकरण Sp3d2 होता है।

Fe3+ आयन तथा [FeF6]3- संकु ल आयन समान प से अनुचु बक य होते ह।


d sp तथा sp d संकरण यु त संकुल को वै ा नक म भ न- भ न नाम दये, जो
2 3 3 2

न न ल खत सारणी म दये जा रहे ह-


वै ा नक d2sp3 संकरण यु त संकुल sp3d2 संकरण यु त संकुल
पॉ लंग सहसंयोजक संकुल आय नक संकुल
टॉबे आंतर क क संकुल बा य क क संकुल
ऑगल न न च ण संकु ल उ च च ण संकुल
नाइओम च ण युि मत संकुल च ण मु त संकु ल

7.3.2 संयोजकता बंध स ांत क सीमाएं

आपने दे खा क कस कार सयोजकता बंध स ांत उपसहसंयोजक यौ गक क


या म त और उनके बंध का समझाने म सफल रहा। पर तु बहु त से त य इस स ांत वारा
नह ं समझाये जा सके। इस स ांत क क मय को न न ल खत बंदओ
ु ं वारा यहाँ उ ले खत
कया जा रहा है-

118
(1) इस स ांत म सभी या याएं धातु आयन को लेकर क गयीं। लग ड को कोई मह व नह ं
दया गया।
(2) यह स ांत नह ं समझा पाया क कुछ आंतर क क संकुल होते है और कुछ बा य क क
संकुल। कु छ लग ड जैसे NH3,CN, आ द सामा य आंतर क क संकु ल बनाते है, जब क
H2O हैलाइड आ द बा य क क संकुल बनाते ह, ऐसा य?
(3) चु बक य गुण के आधार पर इस स ांत वारा संकुल क या म त क या या क गयी,
पर तु इसका वलोम स भव नह ं हो पाया।
(4) Cu(II) और Co(II) आयन के संकुल क या म त समझाने के लये एक इले ॉन को
उ च क क म भेज दया गया। इस आधार पर यह कहा गया क Co(II) सरलता से एक
इले ॉन दे कर Co(III) म प रव तत हो जाता है। पर तु ऐसा Cu(II) के लये स भव य
नह ं हो सका, इसका कोई प ट करण इस स ांत के पास नह ं है।
(5) Fe(III) आयन चतु फलक य तथा अ टफलक य दोन या म तय म संकुल बनाता है,
पर तु Cr(III) केवल अ टफलक य संकु ल बनाता है।
(6) इस स ांत वारा संकुल के रं ग और अवशोषण पे म को समझाना स भव नह ं हो
सका।
(7) यह स ांत संकुल क उ तेिजत अव था के बारे म कुछ नह ं बताता, अत: संकुल के
ऊ माग तक य गुण क या या नह ं क जा सकती।

बोध न-
4. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) धातु आयन क क के dsp 2 सं क रण से सं कु ल क या म त वगाकार
समतल य होती है । ( स य/अस य )
(ख) [Ni(CN) 4 ] 2 - आयन क या म त चतु फलक य होती है । ( स य/अस य )
(ग ) ML कार का बं ध प च बं ध कहलाता है । ( स याअस य )
(घ) सम वय सं या 2 वाले धातु आयन के सं कु ल क या म त V -
आकार क होती है । ( स य/अस य )
(च) [Zn(NH 3 ) 4 ] 2+
म Zn 2+
आयन के क क का सं क रण sp 3 होता है ।
( स य/अस य)
(छ) [FeF 6 ] 3- आयन एक उ च च ण सं कु ल आयन है । ( स य/अस य )
5. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) लाइनस पॉ लंग वारा दये गये .......................... स ां त का
आधार क क का सं क रण था।
(ख) उपसहसं योजक यौ गको म 4 सम वय सं या वाले धातु ओं के यौ गक
क या म त .............. अथवा ........................ हो सकती है ।

119
(ग) सं कु ल यौ गक म धातु के पू ण भरे क क लग ड के र त क क से
.................. बं ध बनाने क मता रखते है ।
(घ) [Ag(CN) 2 ] - आयन क या म त .................. होती है तथा Ag +
आयन के क क म ................... सं क रण होता है ।
(च) चु बक य गु ण क ि ट से [Fe(CN) 6 ] 4 - आयन ...... तथा[Fe(CN 6 ) 3 -
आयन ............... होता है ।
(छ) [Co(NH 3 ) 6 ] 3 + सं कु ल आयन म अयु ि मत इले ॉन क सं या ..........
होती है ।

7.4 सारांश (Summary)


 दो या दो से अ धक यौ गक का अणु सू एक ह हो, तो ये यौ गक समावयवी कहलाते ह
और इस प रघटना को समावयवता कहते ह।
 उपसहसंयोजक यौ गक मु य प से दो कार क समावयवता द शत करते ह -
संरचना मक समावयवता और वमीय समसवयवता।
 संरचना मक समावयवता म यौ गक भ न कार क संरचनाओं वाले होते ह। इस
समावयवता के वभ न कार ह- आयनीकरण समावयवता, हाइ ेट समावयवता, बंध
समावयवता, उपसहसंयोजक समावयवता, उपसहसंयोजक ि थत समावयवता, लग ड
समावयवता तथा समावयवता।
 वमीय समावयवता म उपसहसंयोजक यौ गक के के य धातु के चार लगै ड क
ि थ तयां भ न होती है। इसे दो वग म बांटा गया है - या मतीय समावयवता व
काशीय समावयवता। . या मतीय समावयवता म समप और वप समावयव होते है।
 काशीय समावयवता म समावयवी यौ गक को d- और 1- से द शत जाता है। ये
समावयवी रे खा ु वत काश को दाय या बाय घुमाने म स म होते ह तथा एक-दूसरे
दपण त ब ब होते ह।
 उपसहसंयोजक यौ गक क इले ॉ नक संरचनाओं और या म त को पॉ लंग वारा दये
गये संयोजकता बंध स ांत के आधार पर समझाया गया।
 इस स ांत का आधार संकुल यौ गक के के य धातु के क क का संकरण था।
 क क के संकरण के आधार पर संकुल क या म त नि चत क जाती है- sp (रे खीय),
dsp (वगाकार समतल य), sp (चतु फलक य), d2sp3 या sp3d2 (अ टफलक य)।
2 3

 लगै ड के भरे हु ए क क, धातु के र त क क से उपसहसंयोजक बंध बनाते है (LM)।


यह σ बंध होता है।
 धातु के भरे हु ए क क भी लग ड के र त क क से बंध बनाने का सामथ रखते है
(ML)। यह बंध प च बंध कहलाता है, जो एक कार का π-बंध होता है। इससे धातु पर
लगै ड के कारण ज नत ऋण आवेश म कमी आती है।
 संकुल म उपि थत अयुि मत इले ॉन क सं या उसक चु बक य कृ त करती है।

120
 सं मण धातुओं के अ धकांश संकु ल अनुचु बक य कृ त के होते ह। पर तु य द अयुि मत
इले ॉन अनुपि थत ह, तो संकु ल तचु बक य होता है।

श दावल (Glossary)
 मू लानुपाती सू  इस सू म अणु म उपि थत परमाणु सरल अनुपात म
पाये जाते ह। जैसे C2H4 का मू लानुपाती सू CH2 होगा।
 बहु लक करण  कसी यौ गक क एक से अ धक इकाइयाँ मलकर एक
बड़ा अणु बनाती ह।
 समप समावयवी  िजस यौ गक म एक जैसे लग ड एक ह ओर से एक
दूसरे के नकट होते है।
 वप समावयवी  िजस यौ गक म एक जैसे लग ड एक दूसरे क वपर त
दशा म होते है।

7.6 संदभ ंथ (Reference Books)


1. Selected Topics in Inorganic Chemistry – S. Chand and Company, New Delhi
2. अकाब नक रसायन - रमेश बुक डपो, जयपुर
3. अकाब नक रसायन - कालेज बुक हाऊस जयपुर 90

7.7 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. (क)आयनीकरण समावयवता (ख) हाइ ेट समावयवता
(ग) बंध समावयवता (च) उपसहसंयोजक समावयवता
2. (क) अस य (ख) स य
(ग) स य (घ) स य
2. (क) स य (ख) अस य (ग) स य (घ) अस य (च) स य (छ) स य।
3. (क) संयोजकता बंध (ख) वगाकार समतल य, चतु फलक य (ग) पाई (π) (घ) रे खीय, sp
(च) त चु बक य, अनुचु बक य (छ) शू य

7.10 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. उपसहसंयोजक यौ गक म कतने कार क समावयवता पायी जाती है? संरचना मक
समावयवता के व भ न कार को उदाहरण दे कर समझाइये।
2. न न ल खत को उदाहरण दे कर समझाइये-
(क) आयनीकरण समावयवता (ख) हाइ ेट समावयवता
(ग) बंध समावयवता (घ) लग ड समावयवता
3. न न ल खत संकु ल यु म कौनसी समावयवता द शत करते ह-
(i) [Co(NH3)6][Cr(CN)6] तथा [Cr(NH3)6[Co(CN)6]
(ii) [Co(NO2)3(NH3)3] तथा [Co(NH3)6[Co(NO2)6]

121
4. वमीय समावयवता कसे कहते ह। उपसहसंयोजक यौ गक के संदभ म या मतीय
समावयवता का वणन क िजये।
5. संकुल यौ गक म उपि थत काशक य समावयवता क उदाहरण स हत या या क िजये।
6. सं मण धातु संकुल के लये संयोजकता बंध स ांत क ववेचना क िजये।
7. संयोजकता बंध स ांत के आधार पर संकुल यौ गक क या म त और चु बक य गुण क
या या क िजये।
8. न न ल खत पर सं त ट प णयां लख-
(क) प च बंध (ख) d sp3 संकरण यु त संकुल
2

(ग) उ च च ण संकु ल (च) [CuCl4]3- क या म त


9. न न ल खत संकु ल क या म त तथा चु बक य गुण का वणन क िजये-
(क) [Ag(CN)2] (ख) [Cu(NH3)4]2+
-

(ग) [Zn(NH3)4]2+ (घ) [Fe(CN)6]3-


10. संयोजकता बंध स ांत क क मय का उ लेख क िजये।

122
इकाई 8
लै थेनाइड त व का रसायन - I
Chemistry of Lanthanide Elements- I
इकाई क प रे खा
8.0 उ े य
8.1 तावना
8.2 इले ॉ नक संरचना
8.3 ऑ सीकरण अव थाएँ
8.4 आय नक या
8.5 लै थेनाइड संकुचन
8.6 सारांश
8.7 श दावल
8.8 संदभ थ

8.9 बोध न के उ तर
8.10 अ यासाथ न

8.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे-
 लथेनाइड त व क ह कहते है?
 लथेनाइड त व का आवत सारणी म थान कहाँ है?
 लथेनाइड त व का इले ॉ नक व यास या है?
 लथेनाइड त व कस कार क ऑ सीकरण अव थाएँ दशाते ह तथा इन ऑ सीकरण
अव थाओं का था य व या है?
 लथेनाइड ेणी म आय नक या कस कार प रव तत होती है?
 लथेनाइड संकु चन कसे कहते ह तथा इस संकुचन के प रणाम या ह?

8.1 तावना (Introduction)


िजन त व म परमाणु मांक बढ़ने के साथ इले ॉन मश (n-2)f क क म थान
हण करते है, उ ह f- लॉक त व कहते ह। f- लॉक के त व 6 तथा 7 आवत म, सं मण
त व के म य दो वग 3 व 4 को आपस म जोड़ते ह। यह कारण है क इ हे ''अ त:
सं मण त व'’ भी कहते ह। चूँ क क क म 14 इले ॉन समा सकते ह, अत: येक अ त:
सं मण ेणी म 14 त व होते ह। दो अ त: सं मण े णयाँ ात ह:-

123
(i) लै थेनाइड ेणी: यह ेणी आवत सारणी के त व लै थेनम (57) के बाद सी रयम (58) से
ार भ होकर युट शयम (71) तक चलती है।
(ii) ऐि टनाइड ेणी: यह ेणी ऐि ट नयम (89) के बाद थो रयम (90) से ार भ होकर
लॉरे ि शयम (103) तक चलती है।
लै थेनाइड ेणी म 4f क क म इले ॉन भरे जाते ह। अत: इसे 4f ेणी भी कहते
ह। 4f- लॉक के त व लै थेनम के बाद आते ह तथा लै थेनम से गुण म बहु त अ धक समानता
रखते है, अत: इ ह लै थेनाइड या लै थेनॉन भी कहा जाता है। इन त व को ''दुलभ मृदा त व''
भी कहा जाता है य क िजन ऑ साइड से इनका न कषण जाता था उनको मृदा कहा जाता
था और इनको बहु त दुलभ माना जाता था। य य प अब ये त व दुलभ नह ं रहे ले कन उनका
यह नाम अभी भी काम म लया जाता है।
लै थेनाइड ेणी के त व को सामू हक प से Ln वारा तथा आयन को Lnn+ वारा
द शत कया जाता है, जहाँ n लै थेनाइड क ऑ सीकरण अव था है।
आवत सारणी म त व लै थेनम (57) को वग 3 म इ यम के नीचे रखा गया है तथा
शेष 14 लै थेनाइड त व को अलग से आवत सारणी के नचले भाग म थान दया गया है।
ोमी थयम (67) रे डयो ऐि टव त व है।

8.2 इले ॉ नक संरचना (Electronic Structure)


पांचवे आवत के अि तम त व जीनॉन (54) म 5p क क पूणतया भरे होते ह। अत:
िजनॉन का इले ॉ नक व यास 1s22s22p63s23p63d10,4s24p64d10,5s25p6 होता ह। इसके
बाद छठे आवत के थम सद य सीिजयम (55) म आने वाला इले ॉन 6s क क म थान
हण करता है। इसी कार बे रयम (56) म 6s क क पूण प से भर जाता है।
च 8.1 से प ट है क परमाणु मांक या से 57 तक के त व म 4f क क का
था नक व तार इतना अ धक होता है क ये क क परमाणु क सतह पर आ जाते ह अथात ्
4f क क क ऊजा 5d तथा 6s क क से अ धक होती है।
यह कारण है क लै थेनम (57) का व यास 5d16s2 होता है। ले कन लै थेनम के
बाद ना भक य आवेश म वृ के साथ 4f क क क ऊजा तथा था नक व तार दोन ह तेजी
से कम होने लगते है। िजसके कारण, थम तथा वतीय सं मण ेणी के समान, d-क क
के भरने का म सी रयम (58) पर ख म हो जाता है। िजससे सी रयम का व यास
4f15d16s2 हो जाता है।
इस कार सी रयम (58) से युट शयम (71) तक 4f क क के भरने का म
चलता रहता है। लै थेनाइड त व के इले ॉ नक व यास म 4f क क म इले ॉन अव य
पाए जाते ह तथा 5d क क अ धकांश त व म पूणत: खाल होता है और कु छ त व म 5d
क क म एक इले ॉन होता है।

124
लै थेनम (57)का इले ॉ नक व यास 1s2, 2s22p6, 3s23p63d10, 4s24p64d10,
5s25p65d1, 6s2 है। आप जानते है क Xe का परमाणु मांक 54 ह। अत: उपरो त व यास
को न न कार से भी लखा जा सकता है:- [Xe]4f 5d 6s2 0 1

सारणी 8.1 म लै थेनम तथा लै थेनाइड त वो के इले ॉ नक व यास दए गए ह।

च 8.1 परमाणु सं या बढ़ने पर क क के ऊजा तर म प रवतन को दशाता


आरे ख।
सारणी 8.। से प ट है क 4f क क का भरना पूणत: नय मत नह ं है। गैडो ल नयम (64)
म आने वाला इले ॉन 4f के थान पर म आता है य क ऐसा होने पर 4f क क का थायी
अधपू रत व यास 4f यथावत रहता है।
7

सारणी 8.। लै थेनाइड त व के इले ॉ नक व यास


परमाणु सं या त व तीक इले ॉ नक व यास
पूण संयोजकता-क
57 लै थेनम La [Xe]4f 5d 6s
0 1 2
5d16s2
(Lanthanum)
58 सी रयम Ce [Xe]4f15d16s2 4f15d16s2
(Cerium)
59 ेसीऑडाइ मयम Pr [Xe]4f35d06s2 4f3 6s2
(Praseodymium)
60 नीऑडाइ मयम Nd [Xe]4f 5d 6s
1 0 2
4f 6s
4 2

(Neodymium)
61 ोमी थयम Pm [Xe]4f55d06s2 4f5 6s2
(Promethium)

125
62 समे रयम Sm [Xe]4f55d06s2 4f6 6s2
(Samarium)
63 यूरो पयम Eu [Xe]4f 5d 6s
7 0 2
4f 6s
7 2

(Europium)
64 गैडो ल नयम Gd [Xe]4f75d16s2 4f7 5d1 6s2
(Gadolinium)
65 ट बयम Tb [Xe]4f95d06s2 4f9 6s2
(Terbium)
66 डाइ ो सयम Dy [Xe]4f105d06s2 4f10 6s2
(Dysprosium)
67 होि मयम Ho [Xe]4f115d06s2 4f11 6s2
(Holmium)

68 इ बयम Er [Xe]4f125d06s2 4f12 6s2


(Erbium)
69 थू लयम Tm [Xe]4f135d06s2 4f13 6s2
(Thulium)
70 इट बयम Yb [Xe]4f145d06s2 4f14 6s2
(Ytterbium)
71 युट शयम Lu [Xe]4f145d16s2 4f14 5d1 6s2
(Lutecium)

बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख :
1. रे डयो धम लै थे नाइड त व का नाम तथा उसका इले ॉ नक व यास लख।
......................................................................... .....................
2. परमाणु मां क 58 वाले त व का नाम तथा उसका इले ॉ नक व यास लख।
......................................................................... .....................
3. लै थे नाइड त व कस आवत के सद य है ?
................................................................................. .............

8.3 ऑ सीकरण अव थाएँ (Oxidation states)


सभी लै थेनाइड त व क सामा य तथा थायी ऑ सीकरण अव था +3 है। कु छ
लै थेनाइड त व सामा य ऑ सीकरण अव था +3 के अ त र त +2 या +4 ऑ सीकरण
अव था भी द शत करते ह। ले कन ये ऑ सीकरण अव थाएँ +3 अव था क अपे ा कम

126
थायी होती है तथा इ ह असामा य ऑ सीकरण अव थाएं कहते ह। सारणी 8.2 म लै थेनाइड
त व क ऑ सीकरण अव थाएँ द गई ह।
सारणी 8.2. लै थेनाइड त व क ऑ सीकरण आव थाएँ
त व बा य इले ॉ नक ऑ सीकरण थम तीन आयनन
व यास आव थाएं ऊजाओं का योग
(KJ/mol)
Co 4f1 5d1 6s2 +3,+4 3512
Pr 4f3 6s2 +3,(+4) 3623
Nd 4f 6s
4 2
(+2),+3 3705
Pm 4f 6s
5 2
(+2),+3 -
Sm 4f6 6s2 (+2),+3 3898
Eu 4f7 6s2 +2,+3 4033
Gd 4f 5d 6s
7 1 2
+3 3744
Tb 4f 6s
9 2
+3,(+4) 3792
Dy 4f10 6s2 +3,(+4) 3898
Ho 4f11 6s2 +3 3937
Er 4f 12
6s 2
+3 3908
Tm 4f 13
6s 2
(+2),+3 4038
Yb 4f14 6s2 +2,+3 4197
Lu 4f14
5d 6s 1 2
+3 3898
को ठक म द गयी ऑ सीकरण अव थाएँ कम थायी ह तथा रे खां कत ऑ सीकरण अव थाएँ
सवा धक थायी अव थाएँ ह।।
सारणी 8.2 म द शत व भ न ऑ सीकरण अव थाओं के था य व को न न ल खत ब दुओं
वारा आसानी से समझा जा सकता है:-
1. लथेनाइड त व सामा यतया +3 ऑ सीकरण अव था दशाते ह य क इन त व क थम
तीन आयनन ऊजाओं के मान का योग काफ कम होता है। अत: ये त व आय नत होते है
प से Ln
3+
तथा इन त व का रसायन मु य आयन पर आधा रत है। इन त वो क
थम तीन आयनन ऊजाओं का योग सारणी 8.2 म दखाया गया है।
2. कोई भी क क खाल , अथपूण तथा पूण अव था म अ धक थायी होता है। Gd(64) तथा
Lu (71) म मश: अधपूण तथा पूण 4f-क क पाये जाते है। प ट है क अधपूण 4f7
तथा पूण 4f14 अव था का अ त र त था य व होता है। यह कारण है क Gd तथा Lu
केवल +3 ऑ सीकरण अव था म ह पाये जाते ह।
3. Ce(58) म से चार इले ॉन के नकलने पर थायी खाल 4f
0
व यास ा त होता है।
यह कारण है क सी रयम +4 ऑ सीकरण अव था भी दशाता है।
127
4. इसी कार Tb(65) भी चार इले ॉन यागकर थायी अधपूण व यास 4f
7
ा त करता
है। अत: ट बयम भी +4 ऑ सीकरण अव था द शत करता है।
5. Pr(59) व Nd(60), +4 तथा Sm(62) व Tm(69) +2 ऑ सीकरण अव था भी
द शत करते ह।
इन अव थाओं का था य व समझाने के लए यह सु झाव दया गया था क
यह थायी f0, f7 तथा f14 व यास के नजद क पहु ँ चने क ती अ भलाषा का
य क Pr ,Nd ,Sm तथा Tm मश: 4f ,
4+ 4+ 2+ 2+ 1
प रणाम है आयन का व यास
4f2,4f6 तथा 4f13 है। ले कन इस अनुमान क स यता संदेहजनक है य क कसी
वशेष ऑ सीकरण अव था का था य व अ य कारक जैसे उ माग तक तथा ग तक
कारक से भी संबं धत होता है।
6. Eu(63) भी दो इले ॉन याग कर थायी अथपूण व यास 4f7 ा त करता है। अत:
Eu, +2 ऑ सीकरण अव था भी दशाता है।
7. अतं: प ट है क लै थेनाइड क सामा य थायी ऑ सीकरण अव था +3 है। यह कारण
है क उ च ऑ सीकरण अव था (+4) म ये त व ऑ सीकारक तथा न न ऑ सीकरण
अव था (+4) म ये त व अपचायक का काम करते ह। जैसा क न न ल खत समीकरण
से प ट ह:-
Ln4+ + e-  LN3+ (ऑ सीकारक)
LN2+  Ln3+ + e (अपचायक)
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख ?
4. लै थे नाइड क सवा धक सामा य ऑ सीकरण अव था या है ?
......................................................................... .....................
5. लै थे नाइड त व वारा द शत असामा य ऑ सीकरण अव थाएँ या ह ?
............................................................................................. .
6. सी रयम +3 के अ त र त कौनसी ऑ सीकरण अव था दशाता है ?
......................................................................... .....................
7. ट बयम कतने इले ॉन याग कर थायी अधपू ण व यास 4f7 ा त करता
है ?
......................................................................... .....................

128
8.4 आय नक या (Ionic radii)

च 8.2 से प ट है क
लै थेनाइड त व के परमाणु
मांक जैसे-जैसे बढते जाते है,
उनक परमाणु याएँ मश:
कम होती जाती ह। Eu(63)
तथा Yb(70) इसके अपवाद ह।
इसी कार +3 ऑ सीकरण
अव था म त व के परमाणु
मांक बढ़ने के साथ आय नक
या के मान कम होते जाते है
िजसे च 8.3 म दशाया गया
है।

च 8.2 लै थेनाइड क परमाणु या म प रवतन


सारणी 8.3 को दे खने से प ट
पता चलता है क लै थेनाइड खृं ला
म बाएँ से दाएँ जाने पर परमा वीय
तथा आय नक याएँ दोन ह
घटती है। कसी परमाणु अथवा
आयन क या दो पर पर
वपर त कारक पर नभर करती है-
i. परमाणु सं या बढने के साथ
ना भक य आवेश बढ़ता जाता
है। िजससे ना भक तथा प र ध
के इले ॉन के म य आकषण
बल बढ़ जाता है और परमाणु
अथवा आयन संकु चत हो जाता
है अथात ् उसक या का
मान कम हो जाता है।
ii. साथ ह परमाणु सं या बढ़ने
के साथ परध के भीतर
व यमान इले ॉन क सं या च 8.3 धना मक लथेनाइड आयन क आय नक या
मे प रवतन

129
भी बढ़ती जाती है। इन इले ॉन क सं या म वृ होने से वे प र ध के इले ॉन को
तक षत करे ग व ना भक य आकषण से उनको प रर त करे ग, िजससे उनका आकार
फैलकर बड़ा हो जाएगा अथात ् उनक या का मान बढ़ जाएगा। इले ॉन के प रर ण
भाव का म s > P > d > f है।
सं मण त व म आने वाला इले ॉन (n-।)d क क म वेश करता है िजससे
उपरो त दोन वपर त भाव एक-दूसरे को काफ हद तक संतु लत कर दे ते ह। यह कारण है
क सं मण धातु आयन क याओं के मान लगभग ि थर रहते है।
अ त: सं मण त व म आने वाला इले ॉन प र ध से और भीतर अथात ् (n-2)f
क क म वेश करता है। िजससे वे प र ध के इले ॉन पर वैसा प रर ण भाव नह ं दे पाते
जैसा क सं मण त व म होता है। अत: प ट है क लै थेनाइड म परमाणु सं या बढ़ने के
साथ ना भक य आकषण तो बढ़ता है ले कन उसे संतु लत करने वाला प रर ण भाव उतना
नह ं बढ़ता, िजससे उनके आकार म एक मक कमी आती जाती है। इस कार परमाणु मांक
बढ़ने के साथ लै थेनाइड के आकार म इस कार से आई मक
कमी को ह ''लै थेनाइड संकुचन'' कहते ह।
सारणी 8.3 लै थेनाइड क परमा वीय तथा आय नक याएँ
त व परमा वीय या (A) La3+ आय नक या
Ce 1.82 1.03
Pr 1.83 1.01
Nd 1.82 0.99
Pm - 0.98
Sm 1.80 0.96
Eu 2.04 0.95
Gd 1.80 0.94
Tb 1.78 0.92
Dy 1.77 0.91
Ho 1.77 0.89
Er 1.76 0.88
Tm 1.75 0.87
Yb 1.94 0.86
Lu 1.73 0.85
लै थेनाइड त व क परमा वीय याओं के मान नय मत म से नह ं घट रहे बि क
Eu(63) व Yb(70) के लए परमा वीय याओं के मान बहु त अ धक ह, िजससे च 8.3
म दोन परमाणु शीष पर ि थत है।

130
Eu तथा Yb क परमा वीय या के असाधारण प से उ च तथा व म इनक
शीष थ ि थ त के कारण को आप इस कार समझ सकते ह-
आप जानते ह क लगभग सभी लै थेनाइड क थायी ऑ सीकरण अव था +3 है।
ले कन Eu तथा Yb क +2 ऑ सीकरण अव था, +3 ऑ सीकरण अव था से अ धक थायी
यागने के बाद Eu थायी 4f (अधपू रत) तथा Yb
2+ 7
होती है। य क दो इले ॉन थायी
4f14
(पूण भरे ) व यास ा त करते ह। अत: Eu व Yb धाि वक बंध बनाने म केवल दो ह
इले ॉन का योगदान करते ह जब क शेष सभी लै थेनाइड धाि वक ब ध बनाने म तीन-तीन
इले ॉन का योगदान करते ह। इस कार लै थेनाइड के धाि वक ब ध क कृ त म अ तर
के कारण Eu तथा Yb क परमा वीय याओं के मान असाधारण प से अ धक ह।
Ce क परमा वीय या का मान अपने नकटवत दोन त व याओं से कम है।
इसका कारण भी धाि वक ब ध म अ तर है। Ce क +4 ऑ सीकरण अव था 4f0 व यास
के कारण +3 ऑ सीकरण अव था से अ धक थायी होती है। अत: धाि वक ब ध म Ce चार
इले ॉन का योगदान दे ता है िजसस Ce क परमा वीय या का मान नकटवत लै थेनाइड
क तु लना म कम हो जाता है।
बोध न-
8. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए:-
(क) लै थे नाइड के परमाणु मां क बढ़ने के साथ-साथ आय नक या के
मान ..............होते जाते है ।
(ख) Eu तथा Yb क परमा वीय या का मान अनु मा नत मान से . ......
होता है ।
(ग) Ce धाि वक ब ध नमाण के लय ................इले ॉन का योगदान
दे ता है ।
(घ) Eu तथा Yb धाि वक ब ध नमाण के लय ...................इले ॉन
का याग करते ह।
(च) d- इले ॉन क तु लना म f- इले ॉन का प रर ण भाव ..............
होता है ।

8.5 लै थेनाइड संकुचन (Lanthanide Contraction)


''लै थेनाइड ेणी म परमाणु मांक बढ़ने के साथ-साथ परमा वीय तन आय नक
याओं म होने वाल मागत कमी को लै थेनाइड संकुचन कहते ह।'' लै थेनाइड संकु चन का
कारण आप इसी इकाई के भाग 8.4 म जान चुके है। लै थेनाइड संकु चन का भाव केवल
लै थेनाइड त व के पर ह नह ं पड़ता वरना इस ेणी के बाद म आने वाले त व के गुण पर
भी पड़ता है। La से Pb के सभी त व के गुण म आये असाधारण आचरण लै थेनाइड
संकुचन के प रणाम है। लै थेनाइड संकु चन के प रणाम का अ ययन आप न न ल खत
ब दुओं म करे ग।

131
(1) लै थेनाइड त व के गुण म असाधारण समानता :लै थेनाइड त व क आय नक या
मक प से घटती है तथा उ तरो तर लै थेनाइड त व म मा 0.01 म ह या म
अ तर आता है। यह कारण है क अ य कसी भी वग के त व क अपे ा लै थेनाइड
त व गुण अ य धक समान होते ह। इस कारण आयन व नमय तथा वणलेखी व ध जैसी
आधु नक व धय खोज से पूव इन त व का पृथ करण बहु त क ठन था। ना भक य आवेश
के बढ़ने के साथ या म कमी के कारण लै थेनाइड त व म La से Lu तक जाने पर
आयनन वभव के मान म बहु त कम ले कन मक वृ होती है। प ट है क त व के
समू ह के प म लै थेनाइड क रसायन ब कु ल एक सी है।
(2) लै थेनाइड आयन के ारक गुण : वे त व जो आयानी से याग सके, ार कहलाते है।
इले ॉन दे ने क मता के कारण लै थेनाइड त व ार कहलाते ह। लै थेनाइड े णी म,
लै थेनाइड संकु चन के कारण आकार म कमी आती है, िजससे आयनन ऊजाओं का मान
बढ़ता जाता है। यह कारण है क La से Lu तक जाने पर इले ॉन दे ने क मता घटती
है अथात ् उनका ार य गुण घटता है। अत: La(OH)3 सबसे बल ार है जब क
Lu(OH)3 सबसे दुबल ार है। लै थेनाइड संकुचन के कारण आकार म आई कमी के
कारण लै थेनाइड आयन का सहसंयोजक गुण बढता जाता है, िजससे OH- आयन मु त
करने क वृि त सी कम होती जाती है। अत: जहाँ La(OH)3 आय नक गुण दशाता है
तथा बल ार क तरह यवहार करता है, वह ं Lu(OH)3 सहसंयोजक गुण के कारण
दुबल ार है।
आयन के ार य गुण पदाथ के न न ल खत गुण म प रल त होते है:-
(क) आयन का जल-अपघटन: अ धक ार य आयन सरलता एवम ् शी ता से जल-अपघ टत
हो जाते है। अत: La सवा धक सरलता से जल-अपघ टत हो जाता है।
(ख) संकुल का नमाण: धनायन का आकार िजतना छोटा होता है, उसक संकुल बनाने क
वृ त उतनी ह अ धक होती है। यह ं कारण है क La क अपे ा Lu म संकु ल
नमाण क वृ त अ धक होती है।
(ग) ऑ सी लवण का उ मीय वघटन ऑ सी अ ल िजतना अ धक ार य होगा, वह उतनी
ह आसानी से वघ टत हो सकेगा।
(घ) लवण क वलेयता जो लवण िजतना अ धक ार य होगा, उसक जल म वलेय ता भी
उतनी ह अ धक होगी।
(च) अपचायक गुण जो आयन िजतना अ धक ार य होता है, वह उतना ह बल
अपचायक होता है। यह कारण है क लै थेनाइड संकु चन के कारण आयन के ार य
गुण म कमी आती है िजससे La से Lu तक जाने पर अपचायक गुण भी कम होते
जाते ह।
(3) प च लै थेनाइड त व का असंगत यवहार :छठे आवत म वग 3 तथा 4 के म य
लै थेनाइड त व के आ जाने के कारण तृतीय सं मण ेणी 5d के गुण , थम तथा
वतीय सं मण ेणी के त व क तु लना म बहु त भ न होते ह। आवत सारणी म

132
लै थेनाइड त व के बाद आने वाले त व को लै थेनाइड त व भी कहते ह। प च लै थेनाइड
त व के गुण म आई भ नता का कारण भी लै थेनाइड संकुचन ह है। लै थेनाइड संकुचन
के कारण प च लै थेनाइड त व क परमाणु या अपने से हलके समवग य (अपने ह
वग मे ऊपर के त व) त व से अ धक होने क अपे ा कम या लगभग समान पाई जाती
है। प च लै थेनाइड त व के गुण म लै थेनाइड संकुचन के कारण आये प रवतन को आप
न न ल खत ब दुओं म समझ सकते है-
(क) परमाणु आकार: सामा य प रि थ तय म एक वग म ऊपर से नीचे जाने पर कोश म
वृ होने के कारण परमाणु आकार म भी वृ होती है। क तु प च लै थेनाइड त व
म ऐसा नह ं पाया गया। सारणी 8.4 का अवलोकन करने पर आप पाएंगे क वग 3 म
Sc, Y तथा La क परमा वीय याओं के मान मश: बढ़ रहे ह। ले कन Hf',
Ta, W व Re आ द तृतीय सं मण ेणी त व क परमा वीय याओं के मान
मश: Zr, Nb, Mo व Te आ द वतीय सं मण े णी त व क परमा वीय
याओं के मान से कम या लगभग समान ह। जो लै थेनाइड संकु चन का प रणाम
है। वतीय तथा तृतीय सं मण े णय के त व क परमा वीय याएँ लगभग
समान होने से उनके गुण म भी काफ समानताएँ होती ह।
सारणी 8.4 सं मण त व क परमा वीय याएँ (A)
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12
थम Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu Zn
सं मण 1.44 1.32 1.22 1.18 1.17 1.17 1.16 1.15 1.17 1.25
े णी
वतीय Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag Cd
सं मण 1.62 1.45 1.34 1.30 1.27 1.25 1.25 1.28 1.34 1.48
े णी
तृतीय La(Ce- Hf Ta W Re Os Ir Pt Au Hg
Lu)
सं मण 1.69 1.44 1.34 1.30 1.28 1.26 1.27 1.30 1.34 1.49
े णी
इसी कार, वग सं या के समान ऑ सीकरण सं या दशाने वाले सं मण धातु आयन क
याओं को दे खने पर उसम भी लै थेनाइड संकुचन का भाव दखाई दे ता है िजसे सारणी 8.5
म दशाया गया है।
सारणी 8.5 सं मण धातु आयन क याएँ (A)
सं मण े णय वग 4 वग 5 वग 6 वग 7
थम Ti 4+
0.68 V 5+
0.59 Cr 6+
0.52 Mn7+ 0.46
वतीय Zr4+ 0.79 Nb5+ 0.69 Mo6+ 0.62 Tc7+ 0.56
तृतीय Zr+4 0.78 Ta5+ 0.68 W6+ 0.62 Mn7+ 0.56

133
सारणी 8.5 से प ट है क वग 4 म Zr या का मान Ti से अ धक है,
4+ 4+
क आय नक
ले कन इसी वग के अि तम सद य Hf4+ क या बढ़ने क अपे ा, Zr4+ से कु छ कम पाई
जाती है। इसी कार वग 6 म Cr6+ क आय नक या से Mo6+ क आय नक या तो
अ धक है ले कन W , क आय नक 6+
या अप रव तत है। इसका कारण लै थेनाइड संकुचन
है।
इस कार, य द वग 3 व 4 के म य लै थेनाइड नह ं होते तो तृतीय सं मण खृं ला
के त व क याओं का मान, वतमान या से लगभग 0.15 म अ धक होता। अत:
लै थेनाइड संकुचन के कारण वतीय तथा तृतीय सं मण ेणी के त व क याएँ व गुण
भी लगभग समान हो जाते ह तथा कृ त म भी दोन खृं लाओं के एक वग के त व एक साथ
एक ख नज म पाए जाते ह। गुण म समानता के कारण इन त व का पृथ करण भी क ठन हो
जाता है।
(ख) घन व: लै थेनाइड संकुचन के कारण लै थेनाइड त व के बाद आने वाले त व के परमाणु
आकार छोटे हो जाते ह, िजससे धाि वक टल म परमाणु ओं का संकुलन घना हो जाता
है और घन व का मान अ य धक बढ़ जाता है। सारणी 8.6 म घन व मान क तु लना
करने पर हम पाते ह क तृतीय सं मण ेणी के त व के घन व के मान वतीय
सं मण ेणी के घन व के मान से लगभग दुगने होते ह।
सारणी 8.6 सं मण त व के घन व( ाम/सेमी3)
Sc Ti V Cr Mn Fc Co Ni Cu
3.0 4.5 6.1 7.2 7.4 7.9 8.9 8.9 9.0
Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
4.5 6.5 8.6 10.2 11.5 12.2 12.4 12.0 10.5
La Hr Ta W Rc Os Ir Pt Au
6.2 13.1 16.6 19.3 21.0 22.6 22.5 21.5 19.3
(ग) आयनन वभव एवं व युत ऋणता: प च लै थेनाइड त व म लै थेनाइड संकुचन के कारण
त व के आकार म कमी आती है, िजससे आय नक वभव के मान काफ बढ़ जाते ह।
सारणी 8.7 से प ट है क थम व वतीय सं मण ेणी के त व के बीच आयनन
वभव म अ धक अ तर नह है ले कन वतीय व तृतीय सं मण ेणी के त व के बीच
आयनन वभव म बहु त अ तर है।
सारणी 8.7 सं मण त व के थम आयनन वभव( क.कै./मोल)
Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
152.6 159.5 6.1 7.2 7.4 7.9 8.9 8.9 9.0
Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
150 159.5 8.6 10.2 11.5 12.2 12.4 12.0 10.5
La Hf Ta W Rc Os Ir Pt Au
130.5 161.5 16.6 19.3 21.0 22.6 22.5 21.5 19.3

134
इसी तरह वग म ऊपर से नीचे जाने पर व युतऋणता म कमी आती है क तु प च लै थेनाइड
त व क व युतऋणता घटने के थान पर बढ़ती है। यह कारण है क जहाँ थम व वतीय
सं मण ेणी त व क व युतऋणताएँ लगभग समान है वह ं तृतीय सं मण ेणी के त व
क व युतऋणता, वतीय सं मण ेणी के त व क व युतऋणता से अ धक होती है।
(घ) इ यम का भार लै थेनाइड के साथ पाया जाना :वग 3(Sc < Y < La) म, Y का
आकार La से छोटा है अथात ् La का आकार Y से बड़ा है। जब आप लै थेनाइड ेणी म
La से Lu क तरफ जाते ह तो लै थेनाइड संकुचन के कारण परमाणु या म कमी आती
है और एक ऐसी ि थ त आती है जब भार लै थेनाइड का आकार, इ यम के आकार के
बराबर हो जाता है। वा तव म ऐसा पाया भी गया जब Y3+ व Er3+ दोन क या 0.88
A पाई गई। इस कार समान आवेश एवम ् समान या के कारण इ यम के गुण भार
लै थेनाइड से इतने अ धक मलते है क रसायन इ यम को कैि डयम के समजात
मानने क अपे ा उसे लै थेनाइड खृं ला का एक सद य मानते ह। यह कारण है क
इ यम भी टल संरचना, रासाय नक गुण व वलेयता लै थेनाइड के समान होती है तथा
कृ त म भी इ यम भार लै थेनाइड त व के साथ पाया जाता है।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख:
9. लै थे नाइड म परमाणु सं या बढ़ने के साथ याओं म होने वाल कमी को
या कहते है ?
........................................................................ ................
11. वे कौनसी सं मण े णयाँ ह , िजनके त व क परमा वीय याएँ लगभग
समान होती है ?
......................................................................... ...............
12. La से Lu तक जाने पर ार य गु ण कम होते है या अ धक ?
......................................................................... .....................

8.8 सारांश (Summary)


 िजन त व म परमाणु मांक बढ़ने के साथ इले ॉन मश: (n-2)f क क म वेश करते
है, उ ह f- लॉक के त व कहते ह।
 लै थेनाइड ेणी, लै थेनम (57) के बाद सी रयम (58) से आर भ होकर युट शयम (71)
तक चलती है ।
4f0, 4f7 तथा 4f
14
 व यास बहु त थायी होते ह।
 ोमी थयम रे डयोऐि टव लै थेनाइड त व है।
 +3 ऑ सीकरण अव था, लै थेनाइड क सामा य तथा थायी ऑ सीकरण अव था है।
इसके अ त र त +2 एवं +4 ऑ सीकरण अव था दशाते ह।

135
 लै थेनाइड ेणी म परमाणु मांक बढ़ने के साथ-साथ परमा वीय तथा आय नक याओं
म होने वाल मागत कमी को ''लै थेनाइड संकु चन'' कहते ह।
 इले ॉन के प रर ण भाव का कम s>p>d>f है। प ट है क 3d-क क क तु लना म
4f-क क का प रर ण भाव कम होता है।
 लै थेनाइड संकुचन के कारण लै थेनाइड त व के गुण म असाधारण समानता होती है।
िजससे इनका रसायन भी लगभग समान होता है।
 लै थेनाइड संकुचन के कारण वतीय तथा तृतीय सं मण खृं ला के त व क परमा वीय
व आय नक याएँ लगभग समान होती ह।
 तृतीय सं मण ेणी के त व का घन व, वतीय सं मण ेणी के त व के घन व से
लगभग दुगना होता है।
 लै थेनाइड संकु चन के कारण इ यम तथा भार लै थेनाइड त व के गुण म अ य धक
समानता होती है तथा कृ त म भी इ यम, भार लै थेनाइड के साथ पाया जाता है।

8.7 श दावल (Glossary)


 ना भक य आदे श  ना भक पर उपि थत धनावेश।
 उ माग तक  ऊजा प रवतन से संबं धत म।
 च ण चु बक य  वह चु बक य आघूण जो क इले ॉन क च ण ग त
आघूण के कारण उ प न होता है।
 प रक लत मान  कसी सू वारा गणना करके नकाला गया सै ाि तक
मान।
 े त मान  योग वारा नकाला गया मान।
 प रर ण भाव  कसी परमाणु म ि थत बा य इले ॉन को अ दर वाले
इले ॉन तक षत कर, ना भक के आकषण भाव को
कम करते ह। इसे प रर ण भाव कहते ह।
 जल-अपघटन  कसी यौ गक के धनायन तथा ऋणायन क जल के
अणु ओं के साथ अ भ या।
 उ मीय वघटन  गरम करने पर कसी यौ गक का वयोजन।
 प च-लै थेनाइड  आवत सारणी म लै थेनाइड त व के बाद आने वाले
त व।

8.8 संदभ ंथ (Reference Books)


1. Concise Inorganic Chemistry: J.D.Lee
2. Inorganic Chemistry: J.E.Hutreey.E.A.Keiter, andR.L.Keiter
3. Selected Topics in Inorganic Chemistry: Malik, Tuli and Madam
4. Advanced Inorganic Chemistry Vol.I:Gurdeep Raj
5. Inorganic Chemistry, Vol.II:K.K.Bhasin
6. Modern aspects of Inorganic Chemistry: H.J.Emeleus,A.G.Sharp
136
7. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : ओझा, जैन, चतु वद तथा कोठार ।
8. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : पी. भागच दानी।
9. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : आमेटा शमा, जैन तथा मेहता।
10. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : तगी तथा संह।
11. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : शमा, माथुर , वा त।

8.9 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. ोमी थयम, [Xe] 4f55d06s2
2. सी रयम, [Xe]4f15d16s2
3. छठे 4. +3 5. +2 तथा +4
6. +4 7. चार
8. (क) कम (ख) अ धक (ग) चार (घ) दो (च) कम
9. लै थेनाइड संकुचन
10. वतीय एवं तृतीय 11. कम

8.10 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. लै थेनाइड ेणी म +3 ऑ सीकरण अव था के अ त र त, अ य ऑ सीकरण अव थाओं के
अि त व का कारण या है?
2. लै थेनाइड को अ त: सं मण त व य कहा जाता है?
3. दुलभ मृदा हाइ ॉ साइड क ार य वृ त La(OH)3 से Lu(OH)3 तक नय मत प से
घटती है। समझाइए य?
4. लै थेनाइड का सामा य इले ॉ नक व यास ल खए।
5. ो म थयम व उसके यौ गक कृ त म य नह ं पाये जाते ह?
6. समझाइए य इ यम धातु दुलभ मृदा धातु ओं के साथ पाई जाती है?
7. समझाइये य?
(i) इ यम व भार लै थेनाइड के गुण म बहु त समानता है।
(ii) यूरो पयम व इट बयम के परमाणु आयतन उ च होते ह।
(iii) लै थेनाइड के आयनन वभव के मान परमाणु मांक बढ़ने के साथ बढ़ते ह।
(iv) धना मक लै थेनाइड आयन क याएँ नय मत प से घटती जाती ह।
(v) सी रयम क परमा वीय या का मान दोन नकटवत लै थेनाइड क तु लना म कम
होता है।
(vi) वतीय तथा तृतीय सं मण खृं ला के धातु परमाणु ओं का आकार लगभग समान
होता है।
8. लै थेनाइड संकुलन या है तथा इसका या कारण है?
9. लै थेनाइड के इले ॉ नक व यास एवं ऑ सीकरण अव थाओं का ववेचन क िजए।

137
10. लै थेनाइड ेणी म 4f क क का भरना नय मत नह ं होता है। समझाइए य?
11. लै थेनाइड के इले ॉ नक व यास एवं ऑ सीकरण अव थाओं का ववेचन क िजए।
12. न न ल खत पर सं त ट प णयां लख-
(i) लै थेनाइड क ऑ सीकरण अव थाएँ।
(ii) लै थेनाइड संकुचन।

138
इकाई 9
लै थेनाइड त व का रसायन – II
Chemistry of Lanthanide Elements – II
इकाई क प रे खा
9.0 उ े य
9.1 तावना
9.2 लै थेनाइड त व वारा संकुल नमाण
9.3 लै थेनाइड त व क ाि त एवम ् पृथ करण
9.4 लै थेनाइड यौ गक
9.5 सारांश
9.6 श दावल
9.7 संदभ थ

9.8 बोध न के उ तर
9.9 अ यासाथ न

9.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप न न ल खत ब दुओं को समझ पायगे
 लथेनाइड त व क संकुल बनाने क वृ त सं मण त व से कस कार है?
 लथेनाइड धनायन, कस कार के लग ड के साथ थायी संकुल बनाते है?
 लथेनाइड के मु य ख नज कौनसे ह?
 मोनेजाइट ख नज से लै थेनाइड का न कषण कैसे कया जाता है?
 लथेनाइड त व के मु ख यौ गक कौनसे ह?
 +4 ऑ सीकरण अव था म सी रयम कस कार के यौ गक बनाता है?
 सी रक यौ गक के मु य अनु योग या ह?

9.1 तावना (Introduction)


इकाई 8 म आप लै थेनाइड त व क कु छ जानकार ा त कर चु के ह। साथ ह आपने
परमाणु मांक म वृ के साथ परमा वीय तथा आय नक याओं म प रवतन तथा व भ न
ऑ सीकरण अव थाओं के था य व का भी अ ययन कया। इस इकाई म आप लै थेनाइड
त व के मु ख ख नज का अ ययन करे ग तथा इन ख नज से व भ न लै थेनाइड के
पृथ करण क जानकार ा त करे ग। साथ ह ऑ सीकरण अव थाओं म लै थेनाइड वारा
न मत यौ गक तथा संकुल का अ ययन भी इसी इकाई म जाएगा।

139
9.2 लै थेनाइड त व वारा संकुल नमाण (Complex formation
by lanthanides)
लथेनाइड त व क संकुल बनाने क मता सामा य सं मण त व क तु लना म काफ
कम पाई जाती है। इसके दो मु ख कारण न न ल खत है-
(1) लै थेनाइड आयन का बड़ा आकार:- संयोजी लै थेनाइड आयन का आकार, संयोजी
3+
सं मण धातु आयन क तु लना म अ धक बड़ा होता ह। Ln क आय नक या का
मान 0.85 से 1.03 A तक होता है जब क सं मण त व के धनायन क आय नक
या का मान इससे कम होता है, उदाहरणाथ, Cr 3+
= 0.60Å, Fe3+ =0.64Å। इस
कार बड़े आकार के कारण लै थेनाइड आयन, लग ड के त कम आकषण दशाते ह।
(2) 4f क क का था नक व तार:
लै थेनाइड म बा य 5s25p6 इले ॉन ब धन म भाग नह ं लेते तथा 4f क क भी
न न ऊजा के होने के कारण संकरण म भाग नह ं लेत।े दूसरे श द म हम कह सकते है क
4f क क कम था नक व तार इतना कम होता है क ये क क लग ड क क से
अ त यापन कर आि वक क क नह ं बना सकते। इस कार लै थेनाइड त व म ब धन मु य
प से आय नक ह होता है।
अत: लै थेनाइड के िजतने भी थायी संकु ल ात है वे सब ऐसे ह िजनम लग ड एक
कठोर ार हो। कठोर ार म दाता परमाणु अ धक व युतऋण व कम ु वत होने वाला होता
है। इस कार N, O व F दाता परमाणु यु त अणु अथवा आयन कठोर ार कहलाते है।
अत: प ट है क लै थेनाइड आयन केवल बल लग ड जैसे कठोर ार तथा क लेट
लग ड के साथ ह थायी संकुल बनाते ह।
कसी एक वशेष लग ड के लए लै थेनाइड आयन पर आवेश बढ़ने के साथ उसक
संकुल बनाने क मता भी बढ़ती जाती है। अत: लै थेनाइड क तीन स भा वत ऑ सीकरण
अव थाओं (+2 +3 व +4) के संकु ल बनाने क बढ़ती हु ई वृ त न न कार होगी:
2+ 3+ 4+
Ln <Ln <Ln
संकुल बनाने के लए धनायन का आकार छोटा होना चा हए तथा उस पर आवेश
अ धक होना चा हए। लै थेनाइड ेणी म La3+ से Lu3+ तक आय नक या म कमी आती
3+
जाती है। वह कारण है क Ln आयन के लए संकुल बनाने क वृि त La3+ से Lu3+ तक
बढ़ती जायेगी। व भ न लै थेनाइड संकुल का अ ययन आप न न ल खत ब दुओं म कर
सकते है।
(1) लै थेनाइड आयन मु य प से, N, O व F दाता परमाणु यु त लग ड के साथ थायी
संकुल बनाते है।
एक द तक लग ड के लए ब ध नमाण का न न ल खत म पाया जाता है-
- - -
F , OH , H2O, NO3
सभी संयोजी लै थेनाइड आयन H2O के साथ अ ल य मा यम म [Ln(H2O)n]3+
संकुल बनाते है। यहाँ n का मान 8 या 9 होता है।

140
+4 ऑ सीकरण अव था म Sm, Eu तथा Yb के साधारण वअंगी यौ गक LnF2
तथा LnS ह ात है तथा संकुल दुलभ ह।
+4 ऑ सीकरण अव था म सी रयम, लु ओराइड आयन के साथ [CeF8]4- तथा
[CeF6]2- एवं लोराइड आयन के साथ [CeCl6]2- संकुल बनाता है।
(2) एकद तु क ऑ सीजन लग ड क अपे ा ऑ सीजन क लेट अ धक थायी संकुल बनाते है।
क लेट ऐसी वद तु क अथवा बहु द तु क लग ड होते ह जो धातु आयन के साथ
उपसहसंयोजक ब ध बना कर च य वलय का नमाण करते ह। ये च य संरचनाएँ थायी
होती ह। अत: ऑ सीजन क लेट के साथ बने संकुल का था य व एकद तुक ऑ सीजन
लग ड के साथ बने संकुल क तु लना म अ धक होता है।
NO3- लै थेनाइड लग ड वद तु क लग ड के प म काय करता है अथात ् NO3- क
दो ऑ सीजन धातु आयन के साथ ब ध बनाती है। NO3- लग ड Ce4+ के साथ सम वय
सं या 12 वाला [Ce(NO3)6]2- संकु ल बनाता है। [Ce(NO3)6]2- क संरचना च 9.1 म दशायी
गई है।

च 9.1 [Ce(NO3)6]2- क संरचना


नाइ ोजन लग ड म ए थल न डाइऐमीन, NCS- ,EDTA के अ त र त अ य कोई लग ड
ात नह ं है जो लै थेनाइड के साथ संकु ल बनाते ह । ए थल नडाइऐमीन (en) लै थेनाइड
आयन के साथ ु वीय काब नक वलायक म [Ln(en)4]+3 संकुल बनाते है।
लै थेनाइड आयन साइ क अ ल, ऑ से लक अ ल, ऐसी टलऐसीटोन EDTA, आ द के
साथ थायी संकु ल बनाते ह। ये सभी लग ड ऑ सीजन क लेट है। सी रयम, ऐसी टलऐसीटोन
(acac) के साथ [Ce(acac)4] संकुल बनाता है िजसम Ce4+ क सम वय सं या आठ है।

141
(3) लै थेनाइड आयन, π- ाह लग ड जैसे CO, CN , NO+ आ द के साथ ब ध नह ं बनाते।
-

इसका मु य कारण यह है, क लै थेनाइड म इले ॉन प र ध से बहु त अ दर पाये जाते


है, िजससे (ML) π -ब ध नह ं बन पाता।
लै थेनाइड के वपर त सं मण त व म क क सतह पर ि थत होने से ब धन म
सु गमता से भाग ले सकते ह। इनम खाल एवं भरे दोन कार के क क होते ह, जो मश:
(ML) σ-ब ध तथा (ML) π -ब ध बना सकते ह।
'दूसरे श द म हम कह सकते ह क सं मण धातु आयन म अपने छोटे आकार तथा
(ML) π -ब ध बनाने क मता के कारण, संकुल बनाने क वृि त , लै थेनाइड से अ धक
होती है।

बोध न-
1. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए :-
(क) लै थे नाइड के परमाणु मां क बढ़ने के साथ - साथ आय नक या के
मान ................. होते जाते ह।
(ख) लै थे नाइड आयन ............., ................ तथा ...................
दाता परमाणु यु त लग ड के साथ थायी सं कु ल बनाते ह।
(ग) लै थे नाइड आयन पर आवे श बढ़ने के साथ सं कु ल बनाने क मता
......................... जाती है ।
(घ) थायी सं कु ल नमाण के लए धनायन का आकार ................... तथा
आवे श .................. होना चा हए।
(च) La 3 + से Lu 3 + तक सं कु ल बनाने क वृ ि त .................. जाती है ।
(छ) [Ce(NO 3 ) 6 ] 2 सं कु ल म Ce 4 + क सम वय सं या ................ है ।

9.3 लै थेनाइड त व क ाि त एवम ् पृथ करण (Occurrence


and Isolation of lanthanide elements)
9.3.1 ाि त थान

ार भ म लथेनाइड को ''दुलभ मृदा त व कहा जाता था य क िजन ऑ साइड से


इनका न कषण कया जाता था उनको मृदा कहा जाता था तथा इनको दुलभ माना जाता था।
अब यह नाम ासं गक नह है य क दुलभ मृदा धातुओं के लगभग 150 ख नज ात ह।
ोमी थयम के अ त र त अ य सभी लै थेनाइड कृ त म पाये जाते ह। ोमी थयम एक
रे डयोधम त व है।
अ धकतर ये धातु एँ फॉ फे तथा स लकेट के प मे पायी जाती ह। लै थेनाइड को
उनक ाि त तथा गुण के आधार पर दो वग म वभािजत कया गया है-

142
(1) सी रयम समूह ख नज: La(57) से Eu(63) तक के त व के ह के लै थेनाइड कहा जाता
है। इनके ख नज म सी रयम मु ख प से पाया जाता है। अत: वग के त व को सीराइट
या सी रयम मृदा ख नज भी कहते ह।
(2) इ यम समू ह ख नज: Gd(64) से Lu(71) तक के त व को भार लै थेनाइड कहा जाता
है। भार लै थेनाइड के ख नज म इ यम मु ख प से पाया जाता है। इस समूह म
गोडो लनाइट चु र मा ा म पाया जाता है।
लथेनाइड के कु छ मु ख ख नज न न ल खत ह-
(i) मोनेजाइट: मोनेजाइट, लै थेनाइड का सबसे मु ख अय क है। यह ख नज भारत,
ाजील, अमे रका व द ण अ का म मु य प से पाया जाता है। इस ख नज म
मु य प से ह के लै थेनाइड जैसे सी रयम, े सओडाइ मयम नयोडाइ मयम के
फॉ फेट, थोडी मा ा म इ यम तथा थो रयम फॉ फेट के साथ भार लै थेनाइड भी
पाये जाते ह।
(ii) बे टे साइट: यह ख नज मोनेजाइट ख नज से इस बात म भ न है क इसमे इ यम
नह ं पाया जाता तथा वीडन तथा यू मैि सको म पाया जाता है। बे टे साइट एक
म त पलु ओरोकाब नेट है, िजसका संघटन LnIIICO3F है। यहाँ Ln = Cn3+
,La3+, Na3+ तथा Pr3+ है।
(iii) सीराइट: इस ख नज म Ce, La, Pr, Nd, Sm के साथ Al व Fe स लकेट होते
ह।

9.3.2 पृथ करण

(1) लै थेनाइड का न कषण: मोनेजाइट ख नज का उपयोग मु य प से थो रयम को ा त


करने के लए कया जाता है। िजसम लै थेनाइड उप-उ पाद के प म ा त होते ह।
मोनेजाइट ख नज का न कषण न न ल खत चरण म कया जाता है-
(क) ख नज का सा ण: चूँ क मोनेजाइट रे त काफ भार होती है, अत: गु वीय व ध वारा
पहले इसे ह क अशु य से मु त कर दया जाता है। अब इ ह चु बक य अशु य से
मु त करने के लए चु बक य सा ण व ध का उपयोग कया जाता है। इसम मोनेजाइट
मृदा कम चु बक य होने के कारण, अ य भार मृदाओं से पृथक् हो जाती है। ा त ख नज
का रासाय नक संघटन लगभग न न कार का होता है:- Ce2O3 30%, ThO2 7.5%,
अ य लै थेनाइड 32%, P2O5 29% तथा SiO2 1.5%
(ख) ख नज का भंजन: अब उपयु त व ध से ा त ख नज पदाथ का भंजन कर साि त
ख नज को सा H2SO4 अथवा सा NaOH वारा उपचा रत करने क रासाय नक
अभ या को ''ख नज का भंजन'' कहते ह। इस या म लै थेनाइड व थो रयम पृथक् हो
जाते ह।
लै थेनाइड म से सबसे पहले सी रयम को पृथक् करते है फर अ य लै थेनाइड को
पृथक् करते ह। ख नज का भंजन न न ल खत हो व धय वारा कया जाता है:

143
(I) H2SO4 वारा तथा (II) NAOH वारा
H2SO4 वारा भंजन-
साि त ख नज का H2SO4 वारा भंजन को चाट-I म दखाया गया है, िजससे न न ल खत
ब दु प ट होते ह-
(i) सव थम सा मोनेजाइट ख नज के चू ण को 93% H2SO4 के साथ 2100C पर ढ़लवा
लोहे के पा म 4-5 घ टे तक गम करते है। इस कार ा त लु द को जल वारा
न क षत कर लेते ह। इस या म Ln3+ व Th4+ स फेट के प म वलयन म चले
जाते ह तथा अ वलेय SiO2, TiO2, ZrSiO4 तथा अ यु त मोनेजाइट को पृथक् कर
लया जाता है।
(ii) अवशेष को पीसकर फर से इसका न कषण करते ह। तथा ा त वलयन म सो डयम
पायरोफॉ फेट Na2P2O7 डालते ह, िजससे थे रयम पायरोफॉ फेट [Th(P2O7)2] अव ेप के
प म पृथक् हो जाता है।
(iii) अवशेष को छानकर छ नत म ऑ से लक अ ल डालते ह, िजससे लै थेनाइड आयन
ऑ सेलेट के प म अव े पत हो जाते ह, िजसम कु छ मा ा म Th(C2O4)2 तथा
ZrOC2O4 का अव ेप भी ा त होता है।
(iv) अब ऑ सेलेट के इस म ण को अमो नयम ऑ सेलेट (NH4)2 C2O4 के साथ उबालते ह
िजससे लै थेनाइड आयन ऑ सेलेट के प मे अव े पत होकर पृथक् हो जाते ह, जब क
Th(C2O4)2 तथा ZrOC2O4 वलयन म चले जाते ह।
(v) इस कार ा त लै थेनाइड ऑ सेलेट को सा H2SO4 के साथ गरम करके स फेट म
प रव तत कर लेते ह।
(vi) इस कार ा त स फेट के वलयन म सो डयम स फेट डालते ह, िजससे भार लै थेनाइड
(Gd-Lu) वलयन म स फेट के प म रहते ह ले कन ह के लै थेनाइड (La-Eu) वक
स फेट के प म अव े पत हो जाते ह।
(vii) ह के लै थेनाइड के अव ेप म गरम NaOH डालने पर उनके जलयोिजत ऑ साइड बनते
है िजसे 1000C पर वायु म शु क करने पर ऑ साइड का म ण ा त होता है।
(viii) इस म ण क तनु HNO3 से या करवाने पर CeO2 अव े पत हो जाता है तथा
ह के लै थेनाइड नाइ े ट के प म वलयन म रहते ह।
चाट-।. मोनेजाइट ख नज का सा H2SO4 वारा भंजन
मोनेजाइट ख नज का सा चू ण

144
145
NaOH वारा भंजन:-
साि त मोनेजाइट ख नज के NaOH वारा भंजन को चाट - II म दशाया गया है, NaOH
वारा भंजन के व भ न पद न न ल खत ह-
(i) मोनेजाइट ख नज के सा चू ण को 74% NaOH वलयन म डालकर 1040C पर गरम
करते ह। इस कार ा त लु द को जल के साथ गरम करते ह तथा फर 1000C तक
ठ डा करते ह। इस म म लै थेनाइड के हाइ ॉ साइड, TiO2, ZrSiO4 तथा ThO2
अव े पत हो जाते ह।
(ii) ा त अवशेष को सा HCl के साथ गरम करके छानते ह, िजससे TiO2 व ZrSiO4
अव े पत हो जाते ह तथा लै थेनाइड व थो रयम के लोराइड वलयन म चले जाते ह।
(iii) लै थेनाइड व थो रयम आयन के वलयन से थो रयम को अलग कया जाता है।
चाट- II मोनेजाइट ख नज का सा NaOH वारा भंजन
मोनेजाइट ख नज का सा चू ण

(2) लै थेनाइड का पृथ करण : धातु आयन के गुण , उनके आकार व आदे श पर बहु त नभर
करते ह। सभी लै थेनाइड धनीय होते है तथा उनका आकार भी लगभग समान होता है।
अत: उनके रासाय नक गुण भी लगभग समान होते है । यह कारण है क लै थेनाइड त व
को एक से पृथक् करना एक अ य त क ठन काय है। इनके था य व, वलेयता तथा
ार य गुण म बहु त कम अ तर होता है। इन गुण म बहु त थोड़े अ तर क सहायता से
इ ह पृथक् कया जाता है। लै थेनाइड को पृथक् करने क व धय को मु ख प से दो
भाग म वभ त कया जा सकता है - ाचीन व धयां तथा आधु नक व धयां।

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(1) ाचीन व धयाँ: लै थेनाइड को पृथक् करने के लए न न ल खत ाचीन। व धयाँ
काम मे लाई जाती है-
(i) भाजी टलन: यह व ध लै थेनाइड लवण क वलेयता अ तर पर आधा रत होती
है। भाजी टलन क या को न न ल खत ब दुओं म जा सकता है -
 सबसे पहले लै थेनाइड लवण के म ण को तेज गम कर, तब वाि पत करते रहते ह
जब तक क ठ डा करने पर लगभग आधे भाग के टल ा त हो जाएं। टल व
वलयन को अलग कर लेते ह।
 ा त टल को पुन : जल म वलेय करके, उपरो त या को दोहराते है तथा
वलयन का पुन : वा पन कर लगभग आधे भाग का टल कर लेते ह।
 आगे भी यह या दोहराई जाती है। इससे भाज क सं या बढ़ती जाती है तथा
सबसे कम वलेय भाग टल के प म तथा घुलनशील भाग वलयन म चला जाता
है।
 प ट है क िजस लवण क वलेयता कम होगी, वह पहले टल कृ त होगा।
लै थेनाइड लवण म उनक वलेयता La से Lu तक घटती जाती है। यह कारण है
क Lu क ओर से लवण का टलन ार भ होता है।
(ii) े ण: लै थेनाइड के हाइ ॉ साइड क
भाजी अव प ार य कृ त Ce(58) से Lu(71)
तक आगे जाने पर मश: कम होती जाती है, अत: इ यम समू ह [Gd(64) से
Lu(71)] के हाइ ॉ साइड, सी रयम समू ह [Ce(58) से Eu(63)] के हाइ ॉ साइड से
कम ार य होने के कारण वलयन म अव े पत हो जाते है।
अव ेपण क इस या म लै थेनाइड लवण के वलयन म कोई ार (OH-) डालते
ह, िजससे इ यम समू ह के लै थेनाइड के हाइ ॉ साइड कम ारकता के कारण
अव े पत हो जाते ह तथा सी रयम समू ह के लै थेनाइड वलयन म ह रहते ह। इसके
बाद सी रयम समू ह के हाइ ॉ साइड का भी अव ेपण कर लेते ह। दूसरे श द म हम
कह सकते है क सबसे दुबल ार Lu(OH)3 सबसे पहले अव े पत होगा तथा सबसे
बल ार La(OH)3 सबसे बाद म अव े पत होगा तथा म य के लै थेनाइड ारकता
के बढ़ते म म अव े पत होते जायगे।
इस व ध वारा भावी एवं शु पृथ करण के लए या को कई बार दोहराना पड़ता
है। चूँ क दोन समूह के हाइ ॉ साइड क वलेयता म अ धक अंतर नह ं पाया जाता
है, इस लए यह व ध अ धक उपयोगी नह ं ह।
(iii) ऑ सी-लवण का भाजी तापीय वघटन: लै थेनाइड के ऑ सी-लवण उदाहरणाथ
नाइ े ट, स फेट, ऐसीटे ट आ द गम करने पर वघ टत होकर ऑ साइड बना लेते ह।
येक लै थेनाइड के िजए वह ताप भ न होते ह िजस पर उसका ऑ सी लवण
वघ टत हो रहा हो। यह ताप Ce(58) से Lu(71) तक घटता जाता है।
(iv) संयोजकता प रवतन- लै थेनाइड क सामा य ऑ सीकरण अव था +3 होती है क तु
कु छ लै थेनाइड त व म थायी व यास के कारण +2 व +4 ऑ सीकरण अव था भी

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संभव है। आप जानते है क भ न ऑ सीकरण अव था म, आयन के गुण भी भ न
होते ह। इस कारण उनका पृथ करण आसान हो जाता है। उदाहरण के लए लै थेनाइड
के म ण को ार य KMnO4 या ोमेट वलयन वारा ऑ सीकृ त करवाया जाए तो
Ce3+ आयन Ce4+ म ऑ सीकृ त हो जाता है। Ce3+ क तु लना म Ce4+ पर अ धक
आवेश होने से इसका आकार छोटा है तथा इसम ार य गुण भी कम ह। िजससे
Ce 4+
आयन का Ce(OH)4, CeO2 अथवा ार य लवण के प म अव ेपण हो
जाता है जब क अ य लै थेनाइड आयन वलयन म ह रहते ह।
(2) आधु नक व धयाँ- लै थेनाइड के पृथ करण के लए वतमान म न न ल खत आधु नक
व धय का योग कया जाता है-
(i) आयन- व नयम व ध: लै थेनाइड के पृथ करण को यह सबसे भावी एवं ती गत
स प न होने वाल व ध है।
इस व ध म एक त भ लया जाता है, िजसम सं ले षत आयन - व नयम
रे िजन भर दया जाता है। इस रे िजन म -COOH अथवा –SO3H कार का कोई
अ ल य समू ह होता ह। जब लै थेनाइड आयन के वलयन को इस त भ म से
भा वत कया जाता है तो लै थेनाइड आयन, रे िजन म उपि थत अ ल य समूह के
हाइ ोजन आयन को व था पत करके रे िजन के साथ जु ड़ जाते ह-
Ln3+ + 3H-रे िजन  Ln(रे िजन)3 + 3H+
La3+ से Lu3+ तक आकार म कमी आती है, िजससे संकुलन बनाने क वृि त बढ़ती
है अथात ् जलयोिजत होने क वृ त भी बढ़ती है। प ट क La3+ से Lu3+ तक जलयोिजत
La3+ आयन क या भी बढ़े गी। प ट है क छोटे आकार वाले जलयोिजत Lu3+ आयन,
रे िजन त भ पर सबसे अ धक ढ़ता से पहले अवशो षत ह गे जब क जलयोिजत Lu3+ आयन
सबसे कम ढ़ता से सबसे बाद म ह गे।
इन अवशो षत आयन को रे िजन से अमो नयम साइ े ट-साइ क अ ल बफर वारा
न ा लत करके नकालते ह। इस व ध म त भ म अमो नयम साइ े ट-साइ क अ ल बफर
डाला जाता है िजससे लै थेनाइड आयन रे िजन से होकर साइ े ट लवण बना लेते ह। यह एक
उ मणीय अ भ या है-
Ln(रे िजन)3 + 3H-साइ े ट  Ln(साइ े ट)3 + 3H - रे िजन
Lu 3+
जैसे छोटे धनायन साइ े ट के साथ बल संकुल बनाकर शी ता से वलयन म
आ जाते ह जब क La व Ce
3+ 3+
जैसे बड़े धनायन साइ े ट के साथ दुबल संकु ल बनाते ह जो
क अ धक दे र तक त भ म रे िजन के साथ जु ड़े रहते ह।
या म सबसे पहले Lu
3+
प ट है न ालन क इस संकु ल तथा सबसे अ त म
La3+ साइ े ट संकुल वलयन म जायगे।

148
जलयोिजत Lu
3+
आयन अपने बड़े आकार के कारण कम ढ़ता से त भ पर
अवशो षत होते ह। यह ं कारण है क न ा लत करने पर सबसे पहले Lu3+ साइ े ट संकुल
वलयन म जाता है।
(ii) वलायक न कषण व ध: लै थेनाइड आयन के संकुल वलायक म वलय होते है तथा
संकुलन क वृि त +4 आयन म अ धक होती है तथा +2 आयन म कम होती है। +3
आयन म संकु लन भी वृि त आकार कम होने के साथ-साथ बढ़ती है।
अत: वलायक न कष व ध, मु यत लै थेनाइड संकुल जल तथा अ म णीय या
आं शक म णीय काब नक वलायक म वलेयता के अ तर पर आधा रत है। अत: लै थेनाइड
आयन के म ण को दो आं शक म णीय वलायक , जैसे-जल एवम ् काब नक वलायक म
लेकर, संकु लकमक मलाकर न कषण करने पर, काब नक सतह म पहले +4 आयन के संकुल,
फर +3 के भार आयन के संकु ल और अ त म +2 आयन के संकुल ा त होते ह।
उदाहरण के लए लै थेनाइड आयन के सा HNO3 को जल एवम ् केरोसीन के
म ण म ाइ- n- यू टल फॉर फेट (C4H9)3PO4 अथात ् TBP मलाकर न कषण करने पर,
म ण म उपि थत लथेनाइड आयन पृथक् कये जा सकते है। TBP लै थेनाइड के साथ संकुल
बनाता है।
Ln3+ + 3NO3- (जल य) + 3TBP(काब नक)  Ln(NO3)3(TBP)3(काब नक) संकुल
इस व ध वारा 95% लै थेनाइड का थ करण कया जाता है। TBP क तु लना म
डाइ (2-ए थल हैि सल) अ धक उपयु त अ भकमक है।
(iii) पेपर ोमैटो फ
ै : लै थेनाइड का पृथ करण पेपर ोमैटो फ
ै क सहायता से भी कया जा
सकता है। दुलभ मृदाओं के लए बढ़ती हु ई परमाणु सं या के साथ Rf के मान भी कम
होते जाते ह।
(iv) थन लेयर ोमैटो फ
ै (TLC) - इस व ध का योग डे यल ने Sm, Eu, Gd तथा
TB के पृथ करण म कया। इसके लए उ ह ने स लका जैल का योग कया।
(v) गैस ोमैटो फ
ै : िजन लै थेनाइड क वा पशीलता म काफ अ तर पाया जाता है, उ ह
गैस ोमैटो फ
ै वध वारा पृथक करते है। लै थेनाइड के 2,2,6,6- े टाए थल -3, 5-
है टे नडाइओन के साथ संकु ल [Ln(THD)3] अ त थायी एवं वा पशील होते ह। भ न
लै थेनाइड संकुल क वा पशीलता भी भ न होती है। अत: गैस ोमैटो फ
ै वारा इ ह
आसानी से पृथक् कया जा सकता है।
(vi) संकुल नमाण : लै थेनाइड आयन, ए थल नडाइएमीनटे ाऐसी टक अ ल (EDTA) के साथ
जल म घुलनशील संकुल का नमाण करते ह। ा त संकु ल का था य व समान नह ं
होता है, इनम अ तर पाया जाता है। परमाणु सं या बड़ने के साथ इन संकु ल का
था य व भी बढ़ता जाता है। सबसे पहले कम थाई संकुल बनाने वाले लै थेनाइड आयन
के संकुल अव े पत होते ह और पृथ करण स भव हो पाता है।

149
9.3.3 लै थेनाइड धातु ओं क ाि त

धातु आयन के अपचयन से धातु ा त होती है। अत: उपयु ता व णत व धय वारा


हम व भ न धातु आयन को पृथक् कर लेते ह जो क लवण के प म होते ह। इन लवण से
मु त धातु ा त करने के लए न न ल खत व धय का योग कया जाता है-
(i) लै थेनाइड-मकर अमलगम के तापीय अपघटन वारा: लै थेनाइड के जल य वलयन का
मकर कैथोड के बीच व युत अपघटन कराने पर लै थेनाइड अमलगम बनता है। इस कार
ा त लै थेनाइड अमलगम को गम करने पर, लै थेनाइड धातु ा त होती है।
(ii) ग लत लै थेनाइड लोराइड के व युत अपघटन वारा: इस वध म नजल लै थेनाइड
लोराइड LnCl3, को NaCl, KCl या CaCl2 के साथ गरम करके पघलाया जाता है।
फर इस ग लत म ण का लोहे के पा म व युतअपघटन कया जाता है। यहाँ लोहे का
पा वयं ऐनोड का काय करता है तथा ेफाइट छड़ को कैथोड के प म यु त कया
जाता है। इस कार लै थेनाइड धातु व अव था म पा के पद म एक त हो जाती है।
(iii) लवण का धा वतापीय अपचयन: इस व ध म टै टे लम के पा म, 10000C पर
लै थेनाइड के लोराइड या लु ओराइड लवण को कैि सयम के साथ अपच यत करवाया
जाता है। इस या म कैि सयम लै थेनाइड म धातु ा त होती है, िजसम से कैि सयम
वा पीकृ त होकर नकल जाता है तथा लै थेनाइड धातु एँ शु अव था म ा त होती है।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख:
2. लै थे नाइड को उनक ाि त तथा गु ण के आधार पर कतने वग म वभािजत
कया गया है ? उनके नाम बताएं ।
................................................................ ..............................
3. सी रयम समू ह म कौनसे लै थे नाइड त व आते है ?
......................................................................... .....................
4. इ यम समू ह म कौनसे लै थे नाइड त व शा मल ह?
......................................................................... .....................
5. लै थे नाइड के न कषण म यु त मोने जाइट ख नज का सा ण व धय से
कया जाता है ?
......................................................................... .....................
6. साि त ख नज को सा H 2 SO 4 का सा NaOH वारा करने क या
या कहलाती है ?
.................................................................. ............................
7. लै थे नाइड म से सबसे पहले कस लै थे नाइड आयन को पृ थक् जाता है ?
......................................................................... .....................
8. मोने जाइट के भं ज न हे तु कौनसा अ भकमक काम म लया जाता है ?
................................................................. .............................

150
9. भाजी टलन या म सबसे पहले कौनसा लै थे नाइड लवण ट लट
होता है ?
................................................................... ...........................
10. कौनसा जलयोिजत लै थे नाइड , रे िजन त भ पर सबसे पहले तथा ढ़ता से
अवशो षत होता है ?
......................................................................... ..................
11. आयन व नमय व ध म सबसे पहले न ा लत लै थे नाइड त व कौनसा है ?
......................................................................... .....................

9.4 लै थेनाइड यौ गक (Lanthanide Compounds)


लै थेनाइड कोमल तथा चमकदार सफेद धातु एँ होती ह। ये धातु एँ अ य धक व युतधनी
होने के कारण बहु त याशील होती ह। ह के लै थेनाइड भी तु लना म भार लै थेनाइड कम
याशील होते ह, य क इनक सतह पर ऑ साइड क एक र क परत बन जाती है।
लै थेनाइड के अ धकतर यौ गक +3 ऑ सीकरण अव था म बनते ह। य य प कु छ यौ गक +2
व +4 ऑ सीकरण अव था म भी ात है।

9.4.1. 3+ ऑ सीकरण अव था म लै थेनाइड यौ गक।

(1) लै थेनाइड ऑ साइड (Ln2O3):


Ce, Pr तथा Tb को छोड़कर सभी लथेनाइड त व ऑ सीजन से सीधे संयोग कर
Ln2O3 बनाते ह। इसके अ त र त काब नेट के दहन से तथा नाइ े ट के वघटन से भी Ln2O3
बनता है।
4Ln + 3O2  3Ln2O3
Ln2(CO3)3  Ln2O3+3CO2
4Ln(NO3)3  2Ln2O3+2NO2+3O2
Ln2O3 बल ार य कृ त के होते ह। La2O3 बल ार य है जब क Lu2O3 एक
दुबल ार है। ये ऑ साइड वायु से जल को अवशो षत कर हाइ ॉ साइड तथा CO2 को
अवशो षत कर, काब नेट बनाते ह।
(2) लै थेनाइड हाइ ॉ साइड, Ln(OH)3
लै थेनाइड याशील धातु एँ है। ये धातु एँ ठ डे पानी से तो बहु त धीरे या करती ह
ले कन गम जल म शी ता से या कर हाइ ॉ साइड बनाती ह।
2Ln+3H2O  2Ln(OH)3+3H2
ये हाइ ॉ साइड आय नक व ार य कृ त के होते ह। परमाणु मांक म वृ के साथ
इन धातु हाइ ॉ साइड क ारकता म भी कमी आती है। इस कार La(OH)3 सबसे अ धक
ार य तथा Lu(OH)3 सबसे कम ार य है। बाद वाले लै थेनाइड के हाइ ॉ साइड क ारकता
इतनी कम हो जाती है क ये गम व सां NaOH म वलेय हो जाते ह-
Yb(OH)3 + 3NaOH  3Na+ + [Yb(OH)6]3-

151
Lu(OH)3 + 3NaOH  3Na+ + [Lu(OH)6]3-
(3) लै थेनाइड हैलाइड: त व के म य सीधी या नजल य हैलाइड को बनाने क सव तम
व ध है।
3Ln + 3Cl2  2LnCl3
Ln2O3 तथा NH4Cl क अ भ या से बनते ह-

Ln2O3 + 6NH4Cl ⎯⎯ 2LnCl3 + 6NH3 + 3H2OType equation here.


इसी कार ऑ साइड एवं काब नेट को तप म घोलने पर भी जलयोिजत ाइ लोराइड
ा त होते है।
Ln2O3 + 6HCL  2LnCl3 + 6NH3 + 3H2O
Ln2CO3 + 6HCl  2LnCl3 + 3H2O + 3CO2
अ य हैलाइड क तु लना म लु ओराइड क जल-अपघटन के त संवेदनशीलता कम
होती ह। लु ओराइड जल म अ य धक अ वलेय होते ह जब क अ य हैलाइड जल म अ धक
वलेय होते ह। यह कारण है क पलु ओराइड को छोड़कर शेष ाइहैलाइड आ ता ाह तथा
वेद होते ह।
(4) लै थेनाइड के ऑ सी-लवण: लै थेनाइड के बहु त से ऑ सी-लवण ात ह। जैसे - नाइ े ट,
स फेट, फॉ फेट, पर लोरे ट, ऑ सेलेट आ द। इनको न न ल खत अ भ याओं वारा
बनाया जाता है-
Ln2O3 + 6HNO3  2Ln(NO3)3 + 3H2O
Ln2(CO3)3 + 3H2SO4  Ln2(SO4)3 + 3H2O + 3CO2
Ln(OH)3 + 3HClO4  Ln(ClO4)3 + 3H2O
(5) लै थेनाइड हाइ ाइड (LnH3) - Eu तथा Yb को छोड़कर शेष सभी लै थेनाइड LnH3
कार के हाइ इड बनाते ह।

(6) लै थेनाइड के व-लवण: लै थेनाइड स फेट, अमो नयम स फेट, तथा सो डयम स फेट के
साथ न न ल खत संघटन के व-लवण बनाता है-
(NH4 )2SO4.Ln2SO4.8H2O तथा Na2SO4.Ln2(SO4)3.8H2O

9.4.2 +2 ऑ सीकरण अव था म लै थेनाइड यौ गक

Nd, Sm, Eu, Tm तथा Yb +2 ऑ सीकरण अव था दशाते है। Eu तथा Yb क


+2 ऑ सीकरण अव था 4f7 तथा 4f14 व यास के कारण थायी ऑ सीकरण अव था है।
सबसे थायी व संयोजी लै थेनाइड Eu2+ है, िजसके यौ गक का अ ययन सबसे अ धक हु आ
है।
हाइ ोजन गैस वारा, अ धक दाब पर EuCl3 के अपचयन से EuCl2 ा त होता है-
2EuCl3 + H2  2EuCl2 + 2HCl
लै थेनाइड ाइहैलाइड, लै थेनाइड धातु वारा अपच यत होकर लै थेनाइड बनाते ह-
152
2LnX3 + Ln  3LnX2
लै थेनाइड धातु एवं डाईआयडोऐथेन क अ भ या नजल य THF म ताप पर करवाने
से Sml2 तथा Ybl2 ा त कये जा सकते है-
Ln + ICH2CH2I 
 THF Lnl2 + CH2 = CH2 (यहाँ Ln = Sm, Yb)
THF

समे रयम, यरो पयम तथा इट बयम के ाइआय डाइड के तापीय वयोजन वारा इनके
थायी डाइआयोडाइड ा त होते है-
2Lnl3  2Lnl2 + I2 (Ln =Sm, Eu, yb)

9.4.3 +4 ऑ सीकरण अव था म लै थेनाइड यौ गक

Ce, Pr, Nd, Tb तथा Dy आ द +4 ऑ सीकरण अव था दशाते ह। सी रयम +3


तथा +4 दोन ऑ सीकरण अव थाओं म थायी यौ गक बनाता है, िज ह मश: सीरस तथा
सी रक यौ गक कहते ह। Ce
4+
यौ गक के बहु त से अनु योग ात ह। जल य वलयन म
केवल Ce थायी है। अत: इसम कोई अ तशयोि त नह ं होगी, य द यह कहा जाए क
4+

Ce4+ यौ गक का रसायन ह Ln4+ यौ गक का रसायन ह। इसी कारण से यहाँ Ce4+ यौ गक
क व तार से ववेचना क गई है।
(1) सी रका ऑ साइड (CeO2) - सी रयम धातु को ऑ सीजन म जलाकर सी रक ऑ साइड
बनाया जाता है-
Ce + O2  CeO2
सीरस ऑ साइड, हाइ ॉ साइड, काब नेट अथवा नाइ े ट को ऑ सीजन अथवा वायु
क उपि थ त म गरम करके भी सी रक ऑ साइड बनाया जा सकता ह।
2Ce2O3 + O2  4CeO2
4Ce(OH)3 + O2  4CeO2 + 6H2O
2Ce2(CO3)3 + O2  4CeO2 + 6CO2
2Ce(NO3)3 + O2  2CeO2 + 6NO2 + 2O2
CeO2 सां H2SO4 के साथ या कर सी रक स फेट बनाता है।
CeO2 + H2SO4  Ce(SO4)2 + 2H2O
कॉच को पीला रं ग दे ने के लए CeO2 का उपयोग कया जाता ह।
(2) सी रक हाइ ॉ साइड या जलयोिजत सी रका ऑ साइड (CeO2.nH2O) - यह सी रक
स फेट के वलयन म NH4OH मलाने से ा त होता ह-
Ce(SO4)2 + 4NH4OH  Ce(OH)4 + 2(NH4)2SO4
(3) सी रक हैलाइड (CeX4) - सी रयम का +4 ऑ सीकरण अव था म केवल लुओराइड,
CeF ह थायी हैलाइड है। इसे सी रयम तथा लु ओर न क सीधी या से बनाया जा
सकता है-
Ce + 2F2  CeF4

153
CeF4 को CeF3 अथवा CeCl3 क लु ओर न से अ भ या वारा भी बनाया जा
सकता ह-
2CeF3 + F2  2CeF4
2CeCl3 + 4F2  2CeF + 3Cl
Ce4+ के ोमाइड तथा आयोडाइड अ ात ह।
CeCl4 को पृथक नह ं कया जा सकता य क लोराइड आयन आसानी से लोर न
म ऑ सीकृ त हो जाता है तथा स रस लोराइड बनाता है-
CeO2 + 8HCl  2CeCl3 + Cl2 + 4H2O
(4) सी रक स फेट [Ce(SO4)2] - सी रक ऑ साइड क सां H2SO4 के साथ अ भ या
वारा सी रक स फेट बनता है-
CeO2 + 2H2SO4  Ce(SO4)2 + 2H2O
(NH4)2SO4 के साथ सी रस स फेट व-लवण,सी रक अमो नयम स फेट बनाता ह।
िजसका संघठन Ce(SO4)2. 2(NH4)2SO4.2H2O होता है। यह यौ गक एक अ यंत मह वपूण
व लेषणा मक अ भकमक है। यह व-लवण, नाइ ाइट को नाइ े ट म तथा स यूरस अ ल को
स यू रक अ ल म ऑ सीकृ त करता है।
Ce(SO4) एक अ छा ऑ सीकारक ह। अत: इसका उपयोग ऑ से लक अ ल, फा मक
अ ल, मे थल ए कोहल आ द के ऑ सीकरण हे तु कया जाता ह। इसे Fe2+, Cu+ आयन के
अनुमापन म यु त कया जाता ह।
2Ce(SO4)2 + H2C2O4  Ce2(SO4)3 + H2SO4 + 2CO2
Ce(IV) के वलयन से या करके Sb(III) तथा As(III) मश: Sb(V) तथा
As(V) म ऑ सीकृ त हो जाते है।
(5) बे सक सी रक नाइ े ट [Ce(NO3)3OH.3H2O]
बे सक सी रक नाइ े ट कोसी रक हाइ ॉ साइड पर सां HNO3 क अ भ या से बनाया
जाता है। वलयन के वा पन से ठोस बे सक सी रक नाइ े ट ा त होता है।
बोध न-
12. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए:-
(क) ह के लै थे नाइड क तु लना म भार लै थे नाइड .................. याशील
होते है ।
(ख) लै थे नाइड के अ धक यौ गक .....................ऑ सीकरण अव था म
बनते है ।
(ग) Lu 2 O 3 क तु ल ना म La 2 O 3 ....................... ार है ।
(घ) लै थे नाइड ाइ लु ओराइड को छोड़कर शे ष ाइ है लाइड ............. तथा
...........होते है ।

154
9.5 सारांश (Summary)
 लै थेनाइड क संकु ल बनाने क मता सं मण त व क तु लना म काफ कम होती है।
 लै थेनाइड क संकुल बनाने क मता कम होने के दो मु य कारण न न ल खत है:-
(i) लै थेनाइड आयन का बड़ा आकार।
(ii) 4f क क का संकरण म भाग नह ं लेना य क 4f क क का था नक व तार कम
होता है।
 संकुल बनाने के लए धनायन का आकार छोटा होना चा हए तथा उस पर आवेश अ धक
होना चा हए।
 लै थेनाइड आयन मु य प से N, O, F दाता परमाणु यु त लग ड के साथ थायी
संकुल बनाते है।
 एकद तु क ऑ सीजन लग ड क अपे ा, ऑ सीजन क लेट अ धक थायी संकु ल बनाते
है।
 मोनेजाइट बे टे साइट तथा सीराट आ द लै थेनाइड के मुख ख नज है।
 लै थेनाइड ख नज से, लै थेनाइड त व के म ण को ा त करने का म न कषण
कहलाता है।
 न कषण से ा त लै थेनाइड के म ण से येक लै थेनाइड त व को पृथक् करने क
व ध को लै थेनाइड का पृथ करण कहते है।
 मोनेजाइट ख नज का सा ण, गु वीय तथा चु बक य व ध से कया जाता है।
 साि त ख नज को रासाय नक अ भकमक वारा उपचा रत करने क रसाय नक अ भ या
को ख नज का भंजन कहते ह।
 पृथ करण क वलायक न कषण व ध लै थेनाइड संकु ल क जल तथा काब नक वलायक
म वलेयता के अ तर पर आधा रत है।
 िजन लै थेनाइड क वा पशीलता म काफ अ तर पाया जाता है, उ ह गैस ोमेटो ाफ
वध वारा पृथक् कया जाता है।
 लै थेनाइड के अ धकतर यौ गक +3 ऑ सीकरण अव था म ात ह। इसके अ त र त +2
व +4 ऑ सीकरण अव था म भी यौ गक बनते ह।
 LnF3 के अ त र त सभी ाइहैलाइड जल म वलेय है। LnF3 के अ त र त सभी ाइहैलाइड
आ ता ाह तथा वेद होते ह।

9.6 श दावल (Glossary)


 लग ड  परमाणु या परमाणु समू ह जो धातु आयन के साथ
उपसहसंयोजक ब ध वारा जु ड़ने क मता रखते ह।

 क लेट  च य वलय यु त संकु ल।

 एकद तु क  जो लग ड केवल एक ह दाता परमाणु वारा धातु आयन


155
से ब ध बनाते ह।
 - ाह लग ड  वह लग ड जो अपने खाल क क म धातु आयन वारा
इले ॉन हण कर (ML) π-ब ध बनाने क रखने ह।
 भंजन  सां त ख नज को कसी रासाय नक से उपचा रत करने क
रसाय नक अ भ या।
 न ालन  त भ ोमेटो ॉफ म रे िजन पर भ न- भ न थान पर
अवशो षत लै थेनाइड आयन को कसी वलायक ा त
करने क या।
 बफर वलयन  वह वलयन िजसके योग वारा म यम क pH को
ि थर रखा जाता है।
 आ ता ाह  वह यौ गक जो वातावरण से नमी को अवशो षत करे ।

9.7 संदभ ंथ (Reference Books)


1. Cencise Inorganic Chemistry: J.D.Lee
2. Inorganic Chemistry: J.E.Huheey.E.A.Keiter, and R.L.Keiter
3. Selected Topics in Inorganic Chemistry Malik, Tuli and Madam
4. Advanced Inorganic Chemistry Vol.I:Grudeep Raj
5. Inorganic Chemistry, Vol. Vol.II:K.K.Bhasin
6. Modern aspects of Inorganic Chemistry : H.J.Emeleus,A.G.Shape
7. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : ओझा, जैन, चतु वद तथा कोठार ।
8. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : पी. भागच दानी।
9. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : आमेटा शमा, जैन तथा मेहता।
10. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : तगी तथा संह।
11. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : शमा, माथुर , वा त। 118

9.8 बोध न के उ तर (Answers of Intex Questions)


1. (क) कम (ख) N, O, F (ग) बढ़ती (च) छोटा, अ धक (च) बढ़ती (छ) 12
2. दो सी रयम तथा इ यम समू ह
3. La(57) से Eu(63) 4. Gd(64) से Lu(71)
5. गु वीय तथा चु बक य सा ण
ख नज का भंजन 7. Ce
4+
6.
8. H2SO4 या NaOH
9. Lu 10. जलयोिजत Lu3+ 11. Lu3+
10. (क) कम (ख) +3 (ग) बल (घ) आ ता ाह व वेद

156
9.9 अ यासाथ न (Exercise Questions)
1. सी रक स फेट के एक व-लवण का सू ल खए।
2. लै थेनाइड के पृथ करण म यु त आधु नक व धय के नाम ल खए।
3. Ce(IV)लवण उ तम ऑ सीकारक ह। य?
4. लै थेनाइड म संकर. यौ गक बनाने क वृि त कम य होती है?
5. Ce(IV)यौ गक थायी य होते ह?
6. d- लॉक के त व क तु लना म लै थेनाइड बहु त कम संकुल बनाते ह, य य प उनके
आयन पर उ च आवेश होता है। समझाइए य?
7. य य प लै थेनाइड +3 ऑ सीकरण अव था म लगभग समान होते है, फर भी आयन
व नमय व ध से ये भावी ढ़ग से पृथक् कये जा सकते ह। समझाइए य?
8. कृ त म लै थेनाइड कस प म पाये जाते ह? इनके पृथ करण क सामा य व धय का
वणन करो।
9. लै थेनाइड के पृथ करण क चार आधु नक व धय का व तार से वणन कर।
10. Ce(IV) यौ गक का रसायन द िजए।
11. सी रयम (IV) के वलयन क रे डॉ स अनुमापन म ाथ मक मानक के प म उपयो गता
लख।
12. लै थेनाइड के पृथ करण के लए यु त आयन- व नमय व ध क ववेचना क िजए।
13. या या मक ट प णयां लख-
(i) लै थेनाइड के संकुल।
(ii) लै थेनाइड का पृथ करण।
14. गैस ोमेटो ाफ वध वारा लै थेनाइड को कस कार पृथक् कया जाता है?
15. थो रयम को मोनेजाइट से ा त करने क व ध का वणन कर।
16. लै थेनाइड खृं ला म जलयोिजत आयन के आकार म वृ कस म म होती है?

157
इकाई 10
ऐि टनाइड त व का रसायन – I
Chemistry of Actinide Elements – I
इकाई क प रे खा
10.0 उ े य
10.1 तावना
10.2 इले ॉ नक व यास
10.3 ऑ सीकरण अव थाएँ
10.4 आय नक या एवं ऐि टनाइड संकु चन
10.5 चु बक य गुण
10.6 रं ग तथा अवशोषण पे ा
10.7 ऐि टनाइड का रसायन
10.8 सारांश
10.9 श दावल
10.10 संदभ थ
10.11 बोध न के उ तर
10.12 अ यासाथ न

10.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात आप न न ल खत त य क जानकार ा त करगे-
 एि टनाइड त व क ह कहते ह?
 ऐि टनाइड त व का इले ॉ नक व यास या है?
 ऐि टनाइड त व वारा दशायी गई ऑ सीकरण अव थाएँ एवं उनका था य व या है?
 ऐि टनाइड त व के चु बक य आघूण इले ॉन को कस ग त के कारण होते ह?
 ऐि टनाइड आयन का रं ग व अवशोषण पे ा कस कार का है?
 ऐि टनाइड संकुचन कसे कहते ह?
 ऐि टनाइड आयन कस कार के लग ड के साथ थायी संकुल बनाते ह?

10.1 तावना (Introduction)


आवत सारणी म आवत 7 म ऐि ट नयम, Ac (89) तथा रदरफो डयम, Rf (104) के
म य ि थत 14 त व म आने वाला इले ॉन 5f क क म थान हण करता है। यह 14
त व थो रयम,(90) से लॉरे ि शयम, Lr (103) ह। इन त व म तीन बा य कोष अपूण होते है।
ये सभी त व ऐि ट नयम के बाद आते ह तथा इनका रासाय नक यवहार भी ऐि ट नयम क
भां त होता है। अत: ये सभी 14 त व ऐि टनाइड या ऐि टनॉन कहलाते ह। इन त व मे 5f
158
क क भरे जाते है। अत: इ ह f- लॉक त व भी कहते ह। लै थेनाइड के समान ऐि टनाइड भी
सं मण त व म म य दो वग 3 व 4 को आपस म जोड़ते ह तथा इनम भी आने वाला
इले ॉन (n-2)f क क म भरा जाता है। यह कारण है क इ ह भी अ त: सं मण त व कहा
जाता है।
लै थेनाइड थम अ त: सं मण ेणी बनाते ह तथा ऐि टनाइड वतीय अ त:
सं मण ण
े ी बनाते ह। आवत सारणी म ऐि टनाइड को भी लै थेनाइड के समान नीचे अलग
से थान दया गया है। ऐि टनाइड ेणी के त व को लै थेनाइड ेणी के त व नीचे रखा गया
है।
ऐि टनाइड ेणी म त व को सामू हक प से An तथा इनके आयन को Ann+ वारा
द शत कया जाता है, जहाँ n ऐि टनाइड आयन क ऑ सीकरण अव था है।

10.2 इले ॉ नक व यास (Electronic Configuration)


छठे आवत के अि तम सद य रे डॉन, Rn (86) म 6p क क पूणतया भरे होते ह।
इसके बाद सातव आवत के थम सद य े शयम, Fr (87) म अं तम इले ॉन 7s क क म
वेश करता है। रे डयम, Ra (88) म 7s क क पूण प से भर जाता है।
च 10.1 से प ट है क ऐि ट नयम, Ac(89) म 6d क क क ऊजा 7ऽ से कम
हो जाती है, िजसके कारण इले ॉन 6d क क म थान हण करता है। अत: Ac का
इले ॉ नक व यास [Rn] 6d 1
7s होता है। थो रयम, Th (90) म भी 6d क क क ऊजा
2

कम होती है। िजससे इसका व यास [Rn] 6d2 7s2 होता है। ना भक य आवेश म एक इकाई
और बढ़ने के कारण ोटै ि ट नयम Pa (91) म 5f क क क ऊजा 6d से कम हो जाती है
िजससे इले ॉन 5f क क म वेश करते ह। वा तव म ऐि टनाइड ेणी म यूरे नयम से पहले
वाले त व (Ac से U) म 5f क क तथा 6d क क के म य ऊजा का अ तर इतना कम होता
है क 6d से इले ॉन 5f म ो नत हो जाता है। अत: यूरे नयम तक के त व के 6d क क
म एक या दो इले ॉन पाये जाते ह। यूरे नयम के बाद वाले त व म 5f तर अ धक थायी
हो जाता है िजससे नया जु ड़ने वाला इले ॉन 5f क क म वेश करता है। ऐि टनाइड त व के
इले ॉ नक व यास सारणी 10.1 म दए गए ह। अथपूण क के था य त के कारण
यू रयम , Cm(96) का व यास [Rn] 5f76d16s2 होता है।
यूरे नयम के बाद के सम त त व अ थायी व रे डयोऐि टव होने के कारण कृ त म
नह ं पाये जाते ह। कृ त म उपल ध सबसे अ धक परमाणु मांक वाला त व यूरे नयम है।
यूरे नयम के बाद आने वाले त व को ना भक य अ भ याओं वारा ह बनाया जाता है।
यूरे नयम के बाद आने वाले इन सभी त व को ा सयूरे नक त व अथवा परायूरे नयम त व
कहते ह।

159
च 10.1 परमाणु सं या बढ़ने पर क क के ऊजा- तर म प रवतन
परमाणु त व तीक इले ॉ नक व यास
सं या पूण संयोजकता-क
89 ऐि ट नयम (Actinium) Ac [Rn]5f 6d 7s
0 1 2
6d1 7s2
90 थो रयम (Thorium) Th [Rn]5f06d27s2 6d2 7s2
91 ोटे ि ट नयम (Protactinium) Pa [Rn]5f26d17s2 5f2 6d1 7s2
92 यूरे नयम (Uranium) U [Rn]5f36d17s2 5d3 6d1 7s2
93 ने यू नयम (Neptunium) Np [Rn]5f46d17s2 5d4 6d1 7s2
94 लूटो नयम (Plutonium) Pu [Rn]5f66d07s2 5f6 7s2
95 अमे र शयम (Americium) Am [Rn]5f76d17s2 5f7 7s2
96 यू रयम (Curium) Cm [Rn]5f 6d 7s
7 0 2
5f7 6d1 7s2
97 बक लयम (Berkelium) Bk [Rn]5f96d07s2 5f9 7s2
98 कैल फो नयम (Californium) Cf [Rn]5f106d07s2 5f10 7s2
99 आइ ट नयम (Einsteinium) Es [Rn]5f 6d 7s
11 0 2
5f11 7s2
100 फ मयम (Fermium) Fm [Rn]5f126d07s2 5f12 7s2
101 मैि डल वयम (Mendelivium) Md [Rn]5f136d07s2 5f13 7s2
102 नोबे लयम (Nobelium) No [Rn]5f146d07s2 5f14 7s2
103 लॉरे ि शयम (Lawrencium) Lr [Rn]5f 6d 7s
14 1 2
5f14 6d1 7s2

160
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख :-
1. ऐि टनाइड े णी कस त व से शु होकर कस त व पर ख म होतीं है ?
......................................................................... .....................
2. ऐि टनाइड त व कस आवत के सद य ह?
......................................................................... .....................
3. परमाणु सं या 9 0 वाले त व का नाम व सं के त बताइए।
....................................................................... .......................
4. परमाणु सं या 91 वाले त व का इले ॉ नक व यास या है ?
......................................................................... .....................

10.3 ऑ सीकरण अव थाएँ (Oxidation States)


लै थेनाइड त व क तु लना म ऐि टनाइड त व कह ं अ धक ऑ सीकरण अव थाएं
दशाते है, िजसका कारण इनम उपि थत लगभग समान ऊजा वाले 5f,6f तथा 7s क क का
होना है।
ऐि टनाइड क ात ऑ सीकरण अव थाओं को सारणी 10.2 म दशाया गया है।
सारणी म रे खां कत ऑ सीकरण अव थाएँ सवा धक थायी अव थाएँ ह तथा को ठक म द गई
ऑ सीकरण अव थाएँ अ थायी है।
सारणी 10.2 ऐि टनाइड क ऑ सीकरण अव थाएँ
त व ऑ सीकरण अव थाएँ
Th (+3), +4
Pa (+3), +4, +5
U +3, +4, +5, +6
Np +3, +4, +5, +6, +7
Pu +3, +4, +5, +6, +7
Am +2, +3, (+4), +5, +6
Cm +3, (+4)
Bk +3, (+4)
Cr (+2),+3
Es (+2),+3
Fm (+2),+3
Md (+2),+3
No +2, +3
Lr +3

161
ऑ सीकरण अव था क ि ट से ऐि टनाइड ेणी के ारि भक त व सं मण धातु ओं
से अ धक मलते ह। जब क भार ऐि टनाइड, त व लै थेनाइड के काफ कर ब होते ह। यह
कारण है क दोन कार के त व क ऑ सीकरण अव थाओं का वणन अलग-अलग कया
गया है।
(1) ह के ऐि टनाइड त व क ऑ सीकरण अव थाएँ:
ह के ऐि टनाइड त व म, 4f-क क क तु लना म 5f-क क का था नक व तार
अ धक होता है अथात ् 5f-क क वम म अ धक फैले हु ए होते ह। इसके कारण 5f-इले ॉन
का प रर ण भाव 4f-इले ॉन क तु लना म कम होता है। दूसरे श द म यह कहा जा
सकता हे क 5f-क क क ऊजा अ धक होती है। अत: लै थेनाइड त व के वप रत,
ऐि टनाइड त व अपने 5f-इले ॉन का भी ब ध बनाने म योग करके, उ च ऑ सीकरण
अव थाएं द शत कर सकते ह। यह कारण है क ह के लै थेनाइड. 5f-6d,7s, क क म
उपि थत सभी इले ॉन का ब ध बनाने म योग कर, उ चतम ऑ सीकरण अव थाएँ द शत
करते ह। यह कारण है क ह के ऐि टनाइड क उ चतम ऑ सीकरण अव थाएँ ह सवा धक
थायी ऑ सीकरण अव थाएँ है। इन ऑ सीकरण अव थाओं म 5f क क र त होते ह। अत:
Ac, Th, Pa तथा U को उ चतम ऑ सीकरण अव थाएँ मश: +3, +4, +6 होती है। इन
सबका व यास 5f0 है।
(2) भार ऐि टनाइड त व क ऑ सीकरण अव थाएँ:
सार ऐि टनाइड म जैसे-जैसे 5f-क क म इले ॉन वेश ह वैस-े वैसे ना भक य आवेश
म वृ होती जाती है। अ धक ना भक य आवेश के कारण 5f क क अ दर क ओर धंसते चले
जाते ह अथात ् 5f-क क क ऊजा कम होती जाती है। िजससे 5f-क क का ब धन म भाग
लेना क ठन होता जाता है। यह कारण है क भार ऐि टनाइड म धीरे -धीरे उ च ऑ सीकरण
अव था का था य व कम होता जाता है तथा न न ऑ सीकरण अव था का था य व बढ़ता
जाता है। Np, Pu तथा Am क थायी ऑ सीकरण अव थाएँ मश: +5, +4 तथा +3 होती
ह। Np क +7 ऑ सीकरण अव था 5f 0
व यास ा त करने तथा Pu क +7 अव था 5f0
के नकट पहु ंचने के यास का प रणाम कहा जा सकता है।
अमे र शयम (Am) के बाद वाले भार ऐि टनाइड त व म +3 ऑ सीकरण अव था
लै थेनाइड त व क भां त ह थायी हो जाती है। इसके अ त र त अ य ऑ सीकरण अव थाएँ
तब ह पाई जाती है जब अधपूण (f7) अथवा पूण (f14) व यास ा त हो। उदाहरण के लए
बक लयम (Bk) क +4 ऑ सीकरण अव था 5f7 व यास के कारण तथा यू रयम (Cm) क
+4 ऑ सीकरण अव था अधपूण व यास ा त करने क चे टा का प रणाम है। यह कारण है
क Bk (IV) क तु लना म Cm(IV) अ थायी होती है।
Am तथा कु छ भार ऐि टनाइड त व (Cf, Es, Fm, Md तथा No) +3 के अ त र त
+2 ऑ सीकरण अव था भी द शत करते ह। Am क +2 ऑ सीकरण अव था अधपूण
व यास (5f ) के
7
था य व का प रणाम होती है जब क Cf से No तक के त व म +2

162
ऑ सीकरण अव था का पाया जाना 5f क क के बढ़ते हु ए था य व के कारण होता है।
No(II) तथा Lr(II) के था य व का कारण भी 5f14 व यास है।
कसी त व से तीन से अ धक इले ॉन नकालने के लए अ य धक ऊजा क
आव यकता होती है। प ट है क उ च ऑ सीकरण अव था म ये त व आय नक ब ध के
बजाय सहसंयोजक ब ध बनाते ह। इस कार उ च ऑ सीकरण अव था म सहसंयोजक बंध
बनने के मु य कारण न न ल खत ह-
(i) 5f-क क का था नक व तार अ धक होने के कारण ये क क सहसंयोजक ब ध बनाने म
भाग ले सकते ह।
(ii) 5f, 6d,7s तथा 7p-क क क ऊजा म बहु त कम अ तर होने के कारण ये क क आपस
म संक रत होकर सहसंयोजक ब ध बनाने म भाग लेते ह।
बोध न:
5. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए: -
(क) लै थे नाइड त व क तु लना म ऐि टनाइड त व अ धक .................
अव थाएं दशाते ह।
(ख) ऑ सीकरण अव था के ि टकोण से भार ऐि टनाइड त व ............
त व के समान होते ह।
(ग ) ह के ऐि टनाइड क ऑ सीकरण अव थाएं ............. त व से
अ धक मलती है ।
(घ) ह के ऐि टनाइड म उ चतम ऑ सीकरण अव था ह सबसे अ धक
….... ऑ सीकरण अव था है ।
(च) भार ऐि टनाइड म ना भक य आवे श बढ़ने के साथ - साथ ...........
ऑ सीकरण अव था था य व भी बढ़ता जाता है ।
(छ) उ च ऑक् सीकरण अव था म ऐि टनाइड त व .........................
ब ध बनाते ह।
(ज) No 5 f 1 4 व यास के था य व के कारण .............. ऑ सीकरण
अव था द शत करता है ।

10.4 आय नक या एवं ऐि टनाइड संकुचन (Ionic radii and


actinide contraction)
लै थेनाइड त व क भां त ऐि टनाइड त व क आय नक या भी आवत सारणी म
बाय से दाय जाने पर कम होती जाती है। इस कार, ऐि टनाइड आयन क या म परमाणु
मांक बढ़ने के साथ आयी लगातार कमी को ऐि टनाइड संकुचन कहते ह।
ऐि टनाइड संकु चन का कारण यह है क इस ेणी म परमाणु मांक बढ़ने के साथ
जुड़ने वाला इले ॉन आ त रक 5क क म जु डता है। 5fक क के ये इले ॉन बढ़े हु ए
ना भक य आवेश को पूर तरह से प रर त नह ं कर पाते तथा बा य कोष को अपनी ओर खींच

163
लेते ह िजससे आकार म कमी आती है। लै थेनाइड त व क तु लना म दो मांगत ऐि टनाइड
त व म संकु चन अ धक होता है इसका कारण 4f इले ॉन क तु लना म 5f इले ॉन का कम
प रर ण भाव है, िजसके कारण ना भक य आवेश अ धक भावी होता है। ऐि टनाइड संकुचन
लगभग लै थेनाइड संकु चन जैसा ह है, क तु इसका मह व उतना नह ं है, य क आवत
सारणी म ऐि टनाइड के बाद थायी त व क सं या नग य है। ऐि टनाइड त व क +3
ऑ सीकरण अव था म आय नक को यहाँ दशाया गया है।
त व Th Pa V NP Pu Am Cm Bk Cf
आय नक या (Å) 1.08 1.05 1.03 1.01 1.00 0.99 0.98 0.96 0.95
ऐि टनाइड संकु चन के कारण परमाणु मांक म वृ के साथ-साथ इन त व क
ारकता भी कम होती जाती है। च 10.2 से प ट है क धनीय ऐि टनाइड क या
का मान घनीय लै थेनाइड क या के मान से अ धक होता है।

च 10.2 लै थेनाइड व ऐि टनाइड संकुचन


बोध न-
6. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए-
(क) ऐि टनाइड े णी म परमाणु मां क म वृ के साथ या म आई
कमी को ..............कहते है ।

164
(ख) 4 f क क क तु लना म 5 f क क का प र ण भाव ............होता है ।

10.5 चु बक य गु ण (Magnetic Properties)


लै थेनाइड त व के समान, ऐि टनाइड त व के चु बक य आघूण का मान भी त व म
उपि थत अयुि मत इले ॉन क च य एवं क ीय ग त दोन पर नभर करता है।
ऐि टनाइड त व के चु बक य गुण क ववेचना लै थेनाइड त व क तु लना म काफ
ज टल होती है। लै थेनाइड व ऐि टनाइड आयन क चु बक य वृि त को च 10.3 दशाया
गया।

च 10.3 लै थेनाइड व ऐि टनाइड आयन क मोलर चु बक य वृि त


च 10.3 से प ट है लै थेनाइड त व क भां त, ऐि टनाइड त व के म भी उ च ठ
ा त होता है क तु यहाँ केवल एक उि च ठ ा त होता है। दोन े णय के पहले उि च ठ
थान समान होता है।
रसेल-सॉ डस L-S यु मन योजना के अनुसार ऐि टनाइड त व के लए आपूण के जो
मान प रक लत कये जाते ह, वे ायो गक मान से सदै व उ च होते ह। िजसका 4f इले ॉन

165
क तु लना म 5f इले ॉन का लग ड े से कम प रर त रहना है। अथात ् 5f क क का
व तार अ धक होने से 5f इले ॉन बा य वातावरण जैसे लग ड आ द से भा वत होते ह,
िजससे इन इले ॉन का कु छ क ीय आघूण लग ड े वारा उदासीन हो जाता है और
चु बक य आघूण का वा त वक अथात ायो गक मान कम हो जाता है।
साधारण श द म यह कहा जा सकता है क सं मण त व का चु बक य आघूण (µ)
मु यत: आयु मी इले ॉन क सं या अथात ् इले ॉन के च ण पर नभर करता है जब क
लै थेनाइड का चु बक य आघूण इले ॉन क च ण तथा क ीय दोन ग तय पर नभर करता
है। ऐि टनाइड क ि थ त इन दोन के बीच क है। यह कारण है क समीकरण
μ=g J(J+1) के लए उतनी सह नह ं बैठती िजतनी लै थेनाइड के लए रहती है। यह
कारण है क लै थेनाइड के लए सू वारा प रक लत मान ायो गक मान के कर ब होते ह।
जब क ऐि टनाइड के लए उपरो त सू से प रक लत मान ायो गक मान से हमेशा उ च होते
ह।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे -
7. ऐि टनाइड के चु बक य आघू ण अयु ि मत इले ॉन क कन ग तय पर नभर
करते ह ।
.................................................................................... ..........
8. ऐि टनाइड त व के चु बक य वृ ि त व म कतने उि च ठ ा त होते ह ?
.......................................................................... ....................
9. ऐि टनाइड के चु बक य आघू ण के प रका लत मान ायो गक मान से कम
होते ह या अ धक ?
......................................................................... .....................

10.6 रं ग तथा अवशोषण पे ा (Colour and absorption


spectra)
ऐि टनाइड आयन साधारणतया रं गीन होते ह । ऐि टनाइड आयन के रं ग का मु य
कारण ।f-f सं मण है, जो क य तथा UV े म होता है । सामा यत: समान व यास वाले
लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड आयन के रं ग लगभग समान होते है । f0,f7 तथा f14 व यास म f
से f सं मण क गु ज
ं ाइश नह ं होने के कारण इस व यास वाले आयन रं गह न होते ह ।
लै थेनाइड के अवशोषण पे म तीखे और लाइन जैसे होते ह । ऐि टनाइड म, भार
एि टनाइड ेणी (Am से Lr) के आयन का पे ा लथेनाइड के समान होता है पर तु ह के
एि टनाइड (Ac से Pu) का पे ा लै थेनाइड क तु लना म चौड़ा होता है तथा सं मण
त व के पे ा से मलता है । भार एि टनाइड के 5f क क का यवहार 4f क क के
समान होता है िजससे इनके पे ा भी समान होते है । ले कन ह के एि टनाइड म 5f क क
वस रत अथात ् फैले हु ए होने के कारण लग ड से भा वत होते है तथा धातु - लग ड क क

166
क या के कारण पे ा चौड़ा तथा ज टल हो जाता है । सं मण धातु एँ भी लग ड से
भा वत होकर चौड़े पे ा दे ती है ।
ऐि टनाइड म रं ग का दूसरा मु ख कारण आवेश थाना तरण पे ा है । ये पे ा
काफ ती होते ह तथा ऐि टनाइड संकुल को बल रं ग दान करते ह आवेश थाना तरण
सं मण के लए धातु क उ च ऑ सीकरण अव था म होनी चा हए । न न ऑ सीकरण
अव था के कारण लै थेनाइड त व आवेश थाना तरण पे ा नह ं दे ते ह ।
बोध न-
10. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए :-
(क) ह के एि टनाइड त व के पे ा सं मण धातु ओं के सामान.....होते है ।
(ख) भार एि टनाइड त व के पे ा लै थे नाइड के सामान
.............और.............होते है ।
(ग) .....................ऑ सीकरण अव था के कारण लै थे नाइड त व आवे श
थाना तरण सं मण नह ं दशाने है ।
(घ) एि टनाइड आयन के रं ग का मु य कारण ......................है ।

10.7 ऐि टनाइड का रसायन (Chemistry of actinides)


ऐि टनाइड का रसायन मु यत: यूरे नयम तथा थो रयम तक सी मत है य क अ य
त व अ थायी होने के कारण बहु त कम मा ा म ा त कये जा सकते ह । ऐि टनाइड के
रसायन क जानकार आप न न ल खत ब दुओं म ा त कर सकते ह :-
(1) याशीलता : ऐि टनाइड धातु एँ व युतधनीय तथा याशील होती है वायु म धातु के
ऊपर ऑ साइड सतह के नमाण के कारण ये धातु एँ धुध
ँ ल पड़ जाती है । ये गरम करने
पर अ धकांश अधातुओं से या कर लेती है । ार के साथ या करने क वृि त बहु त
कम होती है तथा अ ल के साथ अपे ा से कम याशील होती ह । अ ल म सबसे तेज
सा HCl के साथ होती है, जब क सा HNO3 वारा Th, U तथा Pu धातु एँ नि य
हो जाती ह।
(2) जल के साथ अ भ या: उबलते हु ए जल तथा भाप के साथ धातु क सतह पर ऑ साइड
का नमाण होता है तथा H2 मु त होती है :-
2Ln + 3H2O  Ln2O3 + 3H2
(3) ऑ साइड: ऐि टनाइड के ऑ साइड उ मा रोधक पदाथ होते ह । सभी ऑ साइड म
ThO2 का गलनांक अ धकतम होता है । इ ह ना भक य धन के प म काम म लया
जाता है । Cf के सभी ऐि टनाइड के डाइऑ साइड ात ह । केवल UO3 ह ात
नजल य ऑ साइड है । ार तथा ार य मृदा धातुओं के ऑ साइड, ऐि टनाइड ऑ साइड
के साथ ऑ साइड बनाते ह -
Li2O + AnO2  O2
400  4200 C
 O2 Li5AnO6 (An=Np,Pr)

167
(4) हैलाइड: ऐि टनाइड त व An X2 से An X6 कार के हैलाइड का नमाण करते ह । U,
Np तथा Pu हे सा लुओराइड बनाते ह जब क केवल यूरे नयम है सा लोराइड ह ात है
। ये सभी हैलाइड बल ऑ सीकारक तथा आ ता ाह ह-
AnX6 + 2H2O  AnO2X2 + 4HX
Np के बाद वाले त व के लए पे टा हैलाइड अ ात है । Pa के चार हैलाइड ात है
। सभी पे टा लुओराइड तथा PaCl3 बहु लक ह । Cf तक के त व े टा लुओराइड बनाते ह ।
े टा लुओराइड जल म अ वलेय है जब क सभी अ य पे टा लुओराइड आ ता ाह है । ेणी के
सभी त व के ाइहैलाइड बनाये जा चु के ह । उन गलनांक वाले आय नक पे टा लुओराइड जल
म अ वलेय है जब क अ य ाइहैलाइड आ ता ाह तथा जल म वलेय ठोस ह । बहु त कम
डाइहैलाइड ात है। Am के डाइहैलाइड न न कार बनाये जाते ह -
Am+HgX2  AmX2+Hg , (X=Cl,Br,I)
400 5000 C

CfBr2 तथा Cf I2 भी ात है।


(5) संकुल नमाण: लै थेनाइड त व क तु लना म ऐि टनाइड त व क संकुलन वृि त अ धक
होती है इसका कारण यह है क 5f क क क भेदन मता अ धक होती है िजससे ये
क क परमाणु क सतह तक फैले रहते ह तथा लगै ड से अ धक भा वत होते ह । जहाँ
लै थेनाइड आयन मु यत: +3 ऑ सीकरण अव था म ह संकु ल बनाते ह, वह ं ऐि टनाइड
ेणी के ारि भक त व +3 के अ त र त +4, +5, +6 तथा +7 ऑ सीकरण अव थाओं
म भी संकुल बनाते ह । यह कारण है क ऐि टनाइड त व के संकु ल लथेनाइड त व क
तु लना म अ धक व वधता लए हु ए होते ह । इसके अ त र त उ च ऑ सीकरण
अव थाओं म अ धक आवेश घन व के कारण इनक ु वण मता अ धक होती है िजनके
कारण भी ऐि टनाइड क संकुलन मता अ धक होती है । ऐि टनाइड क संकुल नमाण
वृि त का म न न कार है -
An4+ > AnO22+ > An3+ > AnO2+
सहसंयोजक ब ध बनाने क मता के कारण, लै थेनाइड के वपर त ऐि टनाइड
आयन- π दाता लग ड (जैसे - फॉ फ न) के साथ भी संकुल बना सकते ह । वभ न
ऋणावे शत लग ड क संकु ल बनाने क मता का म न न कार है -
एक आवे शत लग ड, F > NO3 > Cl2 > CIO4 -

व-आवे शत लग ड, CO32- > C2O42- > SO4


लै थेनाइड त व मा F लग ड के साथ संकुल बना पाते ह, जब क ऐि टनाइड त व
व F दोन Cl दोन लग ड के साथ संकु ल नमाण कर सकते ह । ऐि टनाइड क संकुल
नमाण क वृि त न न म म बढती ह,
एसी<Th<Pa<U<Np<Pu<Am<Cm
ऐि टनाइड क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं म बनने वाले संकु ल न न कार है -
(i) +7 ऑ सीकरण अव था - इस अव था म केवल Np तथा Pu ह संकुल बनाते ह ।

168
उदाहरण के लए, [AnO4(OH2)]3 (An=Np तथा Pu)
(ii) +6 ऑ सीकरण अव था - यह ऑ सीकरण अव था यूरे नयम क सवा धक थायी अव था
होती है । इस ऑ सीकरण अव था म बने संकुल के उदाहरण, (UO3), ऐि टनाइल
[AnO2] 2+
ऐि टनाइल हैलाहड [AnO2X2] ऐि टनाइल नाइ े ट [AnO2(NO3)2] तथा
एि टनाइल लोरे ट [AnO2(ClO4)2] ह।
[AnO2X2] म U, Np, Pu तथा Am सभी के लु ओराइड ात ह ले कन लोराइड
व ोमाइड केवल यूरे नयम ह बनाता है । ऐि टनाइल आयन [AnO2]2- बहु त अ धक थायी
होते ह । O = An =O समूह रे खीय होता है ।
(iii) +5 ऑ सीकरण अव था - ह के ऐि टनाइड जैसे Pa, U, Np, Pu तथा Am के लवण
AnO2+ आयन बनाते ह ।
जल य HClO4 म NpO2+ तो थायी है, ले कन UO2+, PuO2+ तथा AmO2+
अ थाई ह 'तथा न न कार अपघ टत होते जाते ह -
2UO2+  UIV + UO22+
2PuO2+  PuIV + PuO22+
AnO22+ वलयन म HF मलाने से AnF6- (An = Pa, U, Np, Pu), PaF72-,
PaF83- बनते ह । AnO22+ क भां त AnO2+ भी रे खीय होता है । U(OR)5 क संरचना
वलक होती है ।
(iv) +4 ऑ सीकरण अव था - ऐि टनाइड वारा सवा धक थायी एवं सबसे अ धक संकु ल
इसी अव था म बनते ह । उदाहरण के लए, [AnF5]-, [AnF6]2-, [AnF7]3-, [AnF8]4-,
[An6F31]7-, [An(CO3)5]6-, An(NO3)4,.5H2O, [An(NO3)6]2- आ द। यहाँ An ह के
ऐि टनाइड को द शत करता है ।
(v) +3 ऑ सीकरण अव था - भार ऐि टनाइड क +3 ऑ सीकरण अव था य य प थायी
होती है । ले कन इनक अ य धक कम मा ा म उपल धता के कारण इनके संकु लन
यवहार का अ ययन नह ं हो पाया है । ह के एि टनाइड क +3 ऑ सीकरण अव था के
अ था य व के कारण, इस अव था म संकु ल का अ ययन केवल वलयन म ह स भव है।
(vi) +2 ऑ सीकरण अव था - यह No के लए सवा धक थायी ऑ सीकरण अव था है ।
पर तु No क यून मा ा म उपल धता के कारण इसके संकुलन यवहार का अ ययन
नह ं हो पाया है ।
बोध न -
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे -
11. वायु म रखने पर ऐि टनाइड त व कसक परत बनाने के कारण धु ं ध ले पड़
जाते ह ?
12. ऐि टनाइड त व उबलते हु ए पानी तथा भाप के साथ या कर कौनसी गै स
मु त करते ह ?

169
13. लै थे नाइड व ऐि टनाड़ो म से कसक सं कु ल बनाने क वृ त अ धक होती है ।
14. ऐि टनाइड े णी म Th से Cm तक जाने म सं कु ल बनाने क क मता कम
होती है या अ धक ?

10.8 सारांश (Summary)


 ऐि टनाइड ेणी थो रयम से लॉरे ि शयम तक होती है ।
 ऐि टनाइड ेणी के त व को ऐि टनॉन अथवा 5f लॉक के त व भी कहते ह ।
 ऐि टनाइड त व वतीय अ त:सं मण ेणी बनाते ह ।
 यूरे नयम के बाद वाले त व ा सयूरे नक त व कहलाते ह ।
 ा सयूरे नक त व अ थायी व रे डयोऐि टव होने के कारण कृ त म पाये जाते है ।
 अधपूण क क के था य व के कारण यू रयम (96) का व यास [Rn] 5f7 6d1 7s2
होता है।
 ह के ऐि टनाइड क उ चतम ऑ सीकरण अव थाएँ ह सवा धक थायी ऑ सीकरण
अव थाएँ ह ।
 भार ऐि टनाइड म धीरे -धीरे न न ऑ सीकरण अव था का था य व बढ़ता जाता है ।
 Ac, Th, Pa तथा U क उ चतम ऑ सीकरण अव थाएं मश: +3, +4, +5 तथा +6
होती ह।
 भार ऐि टनाइड, लै थेनाइड के समान +3 ऑ सीकरण अव था दशाते ह।
 ऐि टनाइड त व उ च ऑ सीकरण अव था म सहसंयोजक ब ध बनाते ह ।
 ऐि टनाइड त व क या मे परमाणु मांक बढ़ने के साथ लगातार आई कमी को
ऐि टनाइड संकुचन कहते ह ।
 ऐि टनाइड त व के चु बक य आघूण व म एक उि च ठ ा त होता है ।
 ऐि टनाइड त व के प रक लत चु बक य आघूण का मान ायो गक मान से हमेशा अ धक
होता है य क क क लग ड वारा भा वत होते ह ।
 उ च ऑ सीकरण अव थाओं के कारण ऐि टनाइड ेणी के त व आवेश थाना तरण
सं मण दशाते ह ।
 क क क तु लना म क क का था नक व तार अ धक होता है अथात ् ये क क परमाणु
क सतह तक फैले रहते ह । यह कारण है क ऐि टनाइड क संकुल बनाने क मता
लै थेनाइड से अ धक होती है।

10.9 श दावल (Glossary)


 उि च ठ : ाफ म y-अ पर अ धकतम मान पर ि थत ब दु ।
 प रक लत मान : सू वारा नकाले गए सै ाि तक प रणाम।
 ायो गक मान : योग वारा ात कये गए वा त वक मान।
 वस रत : बाहर क तरह फैले हु ए ।
 आवेश थाना तरण : इले ॉन का लग ड क क से धातु आयन क क म या धातु

170
आयन क क से लग ड क क म सं मण ।
 ा सयूरे नक त व : यूरे नयम के बाद म आने वाले त व ।

10.10 संदभ थ (Reference Books)


1. Concise Inorganic Chemistry: J.D.Lee
2. Inorganic Chemistry: J.E.Huheey.E.A.Keiter, and R.L. Keiter
3. Selected Topics in Inorganic Chemistry: Malik, Tuli and Madam
4. Advanced Inorganic Chemistry: Vol.I.:Gurdeep Raj
5. Inorganic Chemistry, Vol.II.: K.K. Bhasin
6. Modern aspects of Inorganic Chemistry: H.J. Emeleus,A.G.Sharpe
7. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : ओझा, जैन, चतु वद तथा कोठार ।
8. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : पी. भागच दानी ।
9. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : आमेटा शमा, जैन तथा मेहता ।
10. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : तगी तथा संह ।
11. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय तष हे त)ु : शमा, माथुर , वा त ।

10.1 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. थो रयम (90) से लॉरे ि शयम (103) 2. सातव 3. थो रयम
4. [Rn]5f26d17s2
5. (क) ऑ सीकरण (ख) लै थेनाइड (ग) सं मण (ध) थायी (च) न न (छ) सहसंयोजक
(ज) +2
6. (क) ऐि टनाइड संकुचन (ख) कम
7. च ण व क ीय 8. एक 9. अ धक
10. (क) चौडे (ख) तीखे, रे खा जैसे (ग) न न (घ) सं मण
11. ऑ साइड 12. हाइ ोजन गैस 13. ऐि टनाइड 14. अ धक

10.12 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. परमाणु मांक 90 से 103 वाले त व के नाम व संकेत बताइए ।
2. लै थेनाइड क तु लना म ऐि टनाइड म सहसंयोजक ल ण अ धक य होते ह? कारण
बताइए।
3. समझाइये य?
(क) ऐि टनाइड त व क संकुल बनाने क वृि त लै थेनाइड क अपे ा अ धक है ।
(ख) ऐि टनाइड आयन के यौ गक म कुछ सहसंयोजी गुण उपि थत होते ह ।
(ग) ऐि ट नयम केवल +3 ऑ सीकरण अव था द शत करता है ।
(घ) ह के ऐि टनाइड त व सं मण त व के समान प रव तत ऑ सीकरण अव था दशाते
ह ।
171
4. न न ल खत पर ट प णयाँ लख -
(क) ऐि टनाइड संकुचन (ख) ऐि टनाइड के रं ग व अवशोषण पे ा
5. नो ब लयम क कौनसी ऑ सीकरण अव था अ धक थायी है और य?
6. V, Np, Pu तथा Am के लए +6 से +8 ऑ सीकरण अव था के था य व का म
बताइये।
7. ऐि टनाइड त व के चु बक य गुण, लै थेनाइड से कस कार एवं य भ न होते ह?
8. ऐि टनाइड क संकुलन वृ त पर ट पणी ल खए ।
9. ऐि टनाइड संकुचन या है? यह लै थेनाइड संकुचन क तु लना म बहु त कम भावी य
है?

172
इकाई 11
ऐि टनाइड त व का रसायन - II
Chemistry of Actinide Elements-II
इकाई क प रे खा
11.0 उ े य
11.1 तावना
11.2 यूरे नयम धन से Np, Pu तथा Am के पृथ करण का रसायन ।
11.3 प च ऐि टनाइड एवं प च लै थेनाइड म समानताएँ ।
11.4 सारांश
11.5 श दावल
11.6 संदभ थ
11.7 बोध न के उ तर
11.8 अ यासाथ न

11.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के बाद आप न न ल खत ब दुओं को समझ पायगे -
 ना भक य भ य से ा त यूरे नयम ईधन म से Np, Pu तथा Am का पृथ करण , कस
रसायन पर आधा रत है तथा कस कार कया जाता है ।
 प च ऐि टनाइड एवं प च लै थेनाइड के म य या समानताएँ ह?
 ऐि टनाइड त व, लै थेनाइड त व से कन गुण म भ न होते ह?

11.1 तावना (Introduction)


इकाई 10 म आपने ऐि टनाइड त व के बारे म काफ जानकार ा त क है ।
ऐि टनाइड त व के सामा य गुण जैसे, इले ॉ नक व यास, ऑ सीकरण अव था, चु बक य
गुण , रं ग, पे ा, आय नक या व ऐि टनाइड संकुलन तथा ऐि टनाइड के रसायन आ द का
अ ययन कया है । इकाई म आप यूरे नयम से धन Np, Pu तथा Am के पृथ करण क
जानकार ा त करगे । लै थेनाइड तथा भार ऐि टनाइड के म य समानता का अ ययन भी
इसी इकाई म कया जाएगा।

173
11.2 यू रे नयम ईधन से Np, Pu तथा Am के पृथ करण का
रसायन (Chemistry of separation of Np, Pu and Am
from Uranium Fuel)
आवत सारणी म वे सभी त व जो यूरे नयम के बाद आते ह, ा सयूरे नयम अथवा
परायूरे नयम त व कहलाते ह । अत: Np(93), Pu(94) तथा Am(95) तीन ह परायूरे नयम
त व ह। पच ले ड अथात ् यूरेनीनाइट यूरे नयम का मु य अय क होता है । ये तीन
परायूरे नयम त व ना भक य म यूरे नयम से ना भक य अ भ याओं वारा ा त कए जाते ह ।
ना भक य रए टर म यूरे नयम के एकदम बाद वाले त व का नमाण यूटॉन हण करने के
बाद β-कण के उ सजन से होता है । इस कार यूरे नयम ना भक क यूटॉन वारा बमबार से
इसके ना भक थायी नह ं रह पाते ह । ऐसी ि थ त म यूटॉन- ोटोन अनुपात यादा हो जाता
है । ऐसी ि थ त म एक यू ोन , एक β-कण उ सजन करते हु ए ोट न म प रव तत हो जाता
है िजसके प रणाम व प ना भक क परमाणु सं या म एक क वृ हो जाती है तथा यूटॉन-
ोटॉन संयत हो जाता है । उदाहरण के लए -
242
94 Pu + 01 n  243 243 0
94 Pu 94 Am+ 1 e

वतमान म Np, Pu व Am त व, ना भक य भ य अथात ् रए टर म बचे हु ए


युरे नयम धन से ा त कये जाते ह ।
238 239 -β
92 U + 01 n  239 -β
92 U  93 Np   239
94 U

239 U 94 के ढे र को य द अ धक समय तक वक रत कया जाए तो मश: 240


Pu 94, 241 Pu 94 क अ प मा ाएं बनती है । इसके अि तम उ पाद 241 Pu 94 वारा
β-कण के उ सजन वारा 241 Am 95 का नमाण होता है –
239 (n, ) (n, ) 241
94 Pu   240
94 Pu   243 -β
94 Pu  95 Am
तीन ह परायूरे नयम त व का यूरे नयम छड से पृथ करण अ य त क ठन एवं
जो खमपूण है । इसका कारण यह है क ये त व वयं तो रे डयोऐि टव ह ह , साथ ह बहु त से
रे डयोऐि टव वख डन उ पाद भी बनाते ह । इस कार यूरे नयम धन इन सब त व के
सम था नक तथा वख डन उ पाद का एक म ण है । यूरे नयम से Np,Pu तथा Am को
पृथक् करने के लए बहु त सी व धयाँ ात ह । ये व धयाँ न न ल खत रसायनो पर आधा रत
ह -

11.2.1 ऑ सीकरण अव थाओं का था य व

इकाई 10 म आपने अ ययन कया था क ऐि टनाइड ेणी म परमाणु मांक म वृ


के साथ उ च ऑ सीकरण अव थाओं का था य व कम होता जाता है । अत: इन आयन के
था य व का म न न ल खत है -
Am3+ > Pu3+ > Np3+ > U4+

174
प ट है क अ धक परमाणु मांक के कारण Am क न न (+3) ऑ सीकरण
अव था थाई है। इसी कार इनके ऑ सी-आयन के था य व का म न न ल खत है-
UO2 2+
> NpO2 2+
> PuO2 2+
> AmO2
इन सभी ऑ सी-आयन म धातु आयन +6 ऑ सीकरण अव था म ह । प ट है क
का परमाणु मांक अ धक है । अत: उ च (+6) ऑ सीकरण अव था कम थायी होती है ।
इस कार यूरे नयम के लए +6 तथा अमे र शयम के लए +3 ऑ सीकरण अव थाएँ सवा धक
थायी अव थाएँ ह ।
वख डन उ पाद तथा यूरे नयम से Np,Pu तथा Am के पृथ करण हे तु वख डन
उ पादन के वलयन के रे डॉ स वभव को नयि त करके फर वलायक न कषण अथवा
अव ेपण व ध को यु त कया जाता है । अथात ् वलयन म इन त व को कसी नि चत
ऑ सीकारक या अपचायक क सहायता से मनचाह ऑ सीकरण अव था म ा त कया जा
सकता है । फर इन आयन को अव ेपण या वलायक न कषण व ध से पृथक कर लया
जाता है । जैसे Am3+ को AmF3 के प म अव े पत करते ह जब क Pu को PuO22+ म
ऑ सीकृ त करके वलायक न कषण से पृथक कर लेते ह ।

11.2.2 काब नक वलायक म न कषण

कसी धातु आयन क काब नक या जल य ाव था म वलेयता उसक ऑ सीकरण


अव था म प रवतन से काफ भा वत होती है । उदाहरण के लए +6 अव था यु त MO22+
आयन का नाइ े ट वलयन से काब नक वलायक वारा न कषण कया जा सकता है । M4+
आयन के 6M नाइ क अ ल वलयन से केरोसीन म ाइ यू टल फॉ फेट (T BP) वारा
आसानी से न कषण कया जा सकता है । इसी कार 10-160 नाइ क अ ल वलयन से
M3+ आयन भी न क षत कये जा सकते ह । सामा यत: इस व ध म ाइ यू टल फॉ फेट या
मथाइल आइसो यू टल क टोन (हे सोन) वलायक का योग कया गया है ।
(क) टाइ यू टल फॉ फेट (T B P) या यूरे स व ध
TBP वलायक को यु त कर, वलायक न कषण व ध वारा Np, Pnव Am के
पृथ करण को चाट 11.1 म दशाया गया है ।

175
चाट-11.1 : TBP वलायक वारा वलायक न कषण
चाट 11.1 TBP वारा Np, Pu, व Am के पृथ करण को न न ल खत ब दुओं म
समझा जा सकता है-
(i) सबसे पहले ईधन उ पाद को HNO3 म घोलकर SO2 वारा अपच यत कया जाता है ।
िजसम U, +6 अव था म ह रहता है ले कन Np व Pu, +4 तथा Am, +3 अव था म
आ जाते ह ।
(ii) अब उपरो त धातु ओं को केरोसीन म ाइ यू टलफॉ फेट के वलयन वारा, न क षत करने
पर U(VI) तथा Pu(VI) काब नक वलायक म तथा Np(IV) और Am(III) जल य
वलायक म न क षत हो जाते ह । प ट है क U(VI) तथा Pu(IV) नाइ े ट क
वलेयता काब नक वलायक म अ धक होती है ।
(iii) काब नक सतह म ि थत Pu(IV) को Pu(III) म अपच यत कर जल वारा अलग कर लेते
ह। यहां U(VI) अ य धक थायी होने के कारण अपच यत नह ं होता तथा काब नक सतह
म ह बना रहता है । इस कार U(VI) व Pu(IV) पृथ करण हो जाता है ।
(iv) अब जल य वलयन म ि थत Np(IV), Am(III) आ द के पृथ करण के लए, इस वलयन
म उपयु त ऑ सीकारक डाला जाता है, िजससे Np(IV) का Np(VI) ऑ सीकरण म हो
जाता है िजसे काब नक वलायक म न क षत कर लया जाता है । इस म म Am,
+3 म जल य वलयन म ह रहता है; िजसे फर आयन व नमय व ध से पृथक कर लेते
ह । इस कार Np(VI) तथा Am(III) का भी पृथ करण हो जाता है ।

176
(ख) मथाइलआइसो यू टलक टोन या हे सान व ध
इस वलायक वारा वलायक न कषण के म को चाट 11.2 म दशाया गया है ।
चाट 11.2 हे सोन वलायक वारा वलायक न कषण

चाट 11.2 से प ट है क हे सोन [CH3COCH2CH(CH3)2] वारा पहले U तथा


Pu को UO2 2+
तथा PuO2 2+
म ऑ सीकृ त कर न क षत कर लेते है । जल य वलयन म
अ य वख डन उ पाद मु यत: Np तथा Am रह जाते ह । SO2 केवल PuO22+ को Pu4+
म अपच यत कर सकती है । अत: चय नत अपचयन करके U तथा Pu को पृथक कर लया
जाता है ।
11.2.3 अव ेपण व ध: ऐि टनाइड के अ ल य वलयन म केवल An3+ तथा An4+ आयन
के लुओराइड या फॉ फेट ह अव े पत होते ह । अत: इ ह अ य उ च ऑ सीकरण अव था
वाले आयन से पृथक कया जा सकता है । ऐि टनाइड क बहु त कम मा ा होने पर LaF3 या
BiPO4 के वारा सहअव ेपण कया जाता है। BiPO4 सहअव ेपण व ध वारा U तथा अ य
वख डन उ पाद से Pu को पृथक कया जाता है, िजसे चाट 11.3 म दशाया गया है ।
चाट 11.3 BiPO4 सहअव ेपण व ध

177
11.2.4 आयन- व नमय व ध: आयन व नयम व ध अ त यून मा ा म उपल ध
पदाथ के लए सवा धक उपयु त है । इस व ध म एक त भ लया जाता है, िजसम
सं ले षत धनायन व नमय रे िजन भर दया जाता है । अब ऐि टनाइड आयन के वलयन को
त भ म वा हत कया जाता है । िजसम भ न- भ न ऐि टनाइड आयन रे िजन पर भ न
थान पर अवशो षत हो जाते ह । व भ न ऐि टनाइड आयन ा त करने के लए त भ का
न ालन कया जाता है। न ालन के लए अमो नयम साइ े ट, लै टे ट, α-हाइ ॉ सी यूटायरे ट
तथा EDTA का योग करते ह । ऐि टनाइड आयन का आकार िजतना छोटा होता है, वह
न ालन म यु त अ भकमक जैसे अमो नयम साइ े ट के साथ उतना ह बल संकु ल बनाकर,
सबसे पहले वलयन म आते ह । यह कारण है क न ालन या म Lr-साइ े ट संकुल
सबसे पहले वलयन म आते ह तथा Am-साइ े ट संकु ल सबसे बाद म आते ह । Am से Lr
तक के न ालन ाफ को च 11.1 म दशाया गया है ।

च 11.1 ऐि टनाइड आयन का न ालन व

बोध न -
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख -
1. यू रे नयम के मु य अय क का नाम बताइए ।
2. Pu तथा n क अभ या से या बने गा ?
239 1
94 0

3. वारा एक β - कण के उ सजन से या ा त होगा ?


239
92 U
4. UO 2 2 + , AmO 2 2 + , NpO 2 2 + , तथा PuO 2 2 + ऑ सी - आयन म से अ धक
थायी आयन बताएं ।
5. वलायक न कषण वध म यु त कसी एक काब नक वलायक का नाम
बताएं ।

178
6. आयन - व नमय व ध म सबसे पहले कस ऐि टनाइड त व का न ानल होता
है ।

11.3 प च ऐि टनाइड एवं प च लै थेनाइड म समानताएं


(Similarities between Later Actinides and Later
Lanthanides)
सी मत उपल धता तथा अ था य व के कारण भार ऐि टनाइड त व (Cm से Lr) के
बारे म बहु त कम जानकार ा त है । इन भार ऐि टनाइड सी यह वशेषता है क से त व
ऐि टनाइड क तु लना म भार लै थेनाइड से अ धक समानता दशाते ह ।
इस ख ड मे आप लै थेनाइड व ऐि टनाइड का तु लना मक अ ययन करे ग । िजससे
वत: ह प च ऐि टनाइड तथा प च लै थेनाइड के म य समानताएं दखाई दे गी । लथेनाइड
व ऐि टनाइड के मु ख गुण का तु लना मक अ ययन न न ल खत ब दुओं म कया जा
सकता ह-
(1) इले ॉ नक व यास: लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड के व यास का तु लना मक अ ययन
सारणी 11.1 म दशाया गया ह।
सारणी 11.1: लै थेनाइड व ऐि टनाइड के इले ॉ नक व यास
लै थेनाइड ऐि टनाइड
57 La 5d1 6s2 89 Ac 6d1 7s2
58 Ce 4f1 5d1 6s2 90 Th 6d2 7s2
59 Pr 4f3 6s2 91 Pa 5f2 6d1 7s2
60 Nd 4f4 6s2 92 U 5f3 6d1 7s2
61 Pm 4f5 6s2 93 Np 5f4 6d1 7s2
62 Sm 4f6 6s2 94 Pu 5f6 7s2
63 Eu 4f 6s2 95 Am 5f7 7s2
64 Cd 4f7 5d1 6s2 96 Cm 5f7 6d1 7s2
65 Tb 4f9 6s2 97 Ek 5f9 7s2
66 Dy 4f10 6s2 98 Cf 5f10 7s2
67 Ho 4f11 6s2 99 Es 5f11 7s2
68 Er 4f12 6s2 100 Fm 5f12 7s2
69 Tm 4f13 6s2 101 Md 5f13 7s2
70 Yb 4f14 6s2 102 No 5f14 7s2
71 Lu 4f14 5d1 6s2 103 Lr 5f14 6d1 7s2
सारणी 11.1 से प ट ह क ारि भक ऐि टनाइड (Ac से Np) म ारि भक
लै थेनाइड क तुलना म इले ॉन को वे d-क क म रखने क मता अ धक होती है ।
179
(i) 4f व 5d क क के म य ऊजा अ तर 5f व 6d क क के म य ि थत ऊजा अ तर से
अ धक है, अत: आने वाला इले ॉन लै थेनाइड म 4f क क म वेश करता ह जब क
ऐि टनाइड म वह 5f-क क म रहने क को शश करता है ।
(ii) च 11.2 म 6d व 5f इले ॉन से ब धन ऊजा का मान बढ़ती हु ई परमाणु सं या के
सापे दशाया गया है । च से प ट ह क ारि भक ऐि टनाइड के 6d-क क क
ब धन ऊजा का मान 5f-क क क तु लना म कम ह । अत: ारि भक ऐि टनाइड म
इले ॉन 6d- क क म रहते है ।

च 11.2 5f तथा 6d इले ॉन को ब धन ऊजा व परमाणु सं या से संबध



(2) ऑ सीकरण अव थाएँ: लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड क ऑ सीकरण अव थाओं का
तु लना मक ववेचन सारणी 11.2 म दया गया है ।
सारणी 11.2: लै थेनाइड व ऐि टनाइड क ऑ सीकरण अव थाएँ
लै थेनाइड ऑ सीकरण त व त व ऐि टनाइड ऑ सीकरण
अव थाएँ अव थाएँ
+3 La Ac +3
+4 +3 Ce Th (+3), +4
(+4) +3 Pr Pa (+3), +4, +5
+3 (+2) Nd U +3, +4, +5, +6
+3 (+2) Pm Np +3, +4, +5, +6, +7

180
+3 (+2) Sm Pu +3, +4, +5, +6,+7
+3 +2 Eu Am +2,+3,(+4),+5,+6
+3 Gd Cm +3,(+4)
(+4) +3 Tb Bk +3,+4
(+4) +3 Dy Cf (+2),+3
+3 Ho Es (+2),+3
+3 Er Fm (+2),+3
+3 (+2) Tm Md (+2),+3
+3 +2 Yb No +2,+3
+3 Lu Lr +3
सारणी 11.2 म रे खा कं त ऑ सीकरण अव थाएं सवा धक थायी अव थाएं ह तथा
को ठक म द गई ऑ सीकरण अव थाएं अ थायी ह ।
सारणी से प ट ह क लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड दोन े णय के +3 ऑ सीकरण
अव था सामा य तथा थायी ह । सारणी को दे खने के प ट है क ारि भक ऐि टनाइड त व
क ऑ सीकरण अव थाएं, ारि भक लै थेनाइड से भ न है । ले कन प च ऐि टनाइड ेणी
क ऑ सीकरण अव थाएं, प च लै थेनाइड ेणी क ऑ सीकरण अव थाओं के समाना तर ह ।
अथात ् प च लै थेनाइड व प च ऐि टनाइड दोन म +3 ऑ सीकरण अव था सवा धक
सामा य व थायी ऑ सीकरण अव था है ।
ारि भक ऐि टनाइड े णी के त व, ारि भक लै थेनाइड के वपर त उ च
ऑ सीकरण अव थाएँ दशाते है, य क ऐि टनाइड म 5f क क क अ धक भेदन शि त के
कारण इसका व तार हो जाता है, िजससे 5f क क भी सहसंयोजक ब ध नमाण म भाग ले
सकते ह ।
(3) परमा वीय तथा आय नक याएँ : लै थेनाइड व ऐि टनाइड क परमा वीय व आय नक
याओं के मान सारणी 11.3 म दये जा रहे ह ।
सारणी 11.3: लै थेनाइड एवं ऐि टनाइड क परमा वीय व आय नक याएँ
लै थेनाइड ऐि टनाइड
त व याएँ (A) याएँ (A) त व
परमा वीय Ln3+ An3+ परमा वीय
La 1.88 1.06 1.11 1.88 Ac
Ce 1.82 1.03 1.08 1.80 Th
Pr 1.83 1.01 1.05 1.61 Pa
Nd 1.82 0.99 1.03 1.38 U
Pm - 0.98 1.01 1.30 Np
Sm 1.80 0.96 0.00 1.51 Pu

181
Eu 2.04 0.95 0.99 1.73 Am
Gd 1.80 0.94 0.98 - Cm
Tb 1.78 0.92
Dy 1.77 0.91
Ho 1.77 0.89
Er 1.76 0.88
Tm 1.75 0.87
Yb 1.94 0.86
Lu 1.73 0.85
सारणी 11.3 से प ट है क Ln3+ तथा An3+ दोन क आय नक याओं के मान
म परमाणु सं या बढ़ने के साथ कमी आती है । अत: लै थेनाइड संकुचन क तरह ऐि टनाइड
संकुचन भी होता है, िजसे च 10.2 म द शत कया गया है ।
(4) चु बक य गुण : लै थेनाइड के चु बक य आघूण के प रक लत व ायो गक मान काफ
कर ब होते ह । जब क ऐि टनाइड म चु बक य आघूण के वा त वक मान ( ायो गक मान)
प रक लत मान से हमेशा कम होते ह, जैसा क च 10.3 म दखाया गया है इसका
कारण यह है क 5f- क क का था नक व तार अ धक होने से, 5f- इले ॉन का कु छ
क ीय चु बक य आघूण , बाहर लग ड े से उदासीन हो जाता है ।
(5) रं ग तथा अवशोषण पे ा: व भ न लै थेनाइड व ऐि टनाइड आयन के रं ग सारणी 11.4
म द शत कए गए ह । सारणी से प ट है क सामा यतया समान व यास वाले
लै थेनाइड व ऐि टनाइड आयन के रं ग भी लगभग समान होते ह ।
ऐि टनाइड आयन उ च ऑ सीकरण अव था के कारण आवेश सं मण दशाते ह,
जब क न न ऑ सीकरण अव था के कारण, लै थेनाइड आयन आवेश, सं मण नह ं दशाते ह
। भार ऐि टनाइड के पे ा लै थेनाइड के समान तीखे व लाइन होते ह, जब क ह के
ऐि टनाइड के पे ा सं मण धातु ओं के समान चौड़े होते ह ।
सारणी 11.4 लै थेनाइड व ऐि टनाइड आयन के रं ग
लै थेनाइड ऐि टनाइड
व यास आयन रं ग रं ग आयन व यास
4f0
La 3+
रं गह न रं गह न Ac , Th
3+ 3+
5f0
4f Ce3+ रं गह न रं गह न Pa4+ 5f1
1

4f2 Pr3+ हरा हरा U4+ 5f2


4f3 Nd3+ गुलाबी-लाल लाल U3+ 5f3
4f Pm3+ पीला भू रा नारं गी भू रा Pu4+ 5f4
4

4f5 Sm3+ पीला नीला या बगनी Pu3+ 5f5

182
4f6 Eu3+ ह का गुलाबी गुलाबी Am3+ 5f6
4f7 Gd3+ रं गह न रं गह न Cm3+ 5f7
4f Tb3+ ह का गुलाबी गुलाबी Am2+ 5f7
8

4f9 Dy3+ पीला नीला या बगनी Np3+ 5f4


4f Ho3+ पीला पीला – हरा Np4+ 5f3
10

4f11 Er3+ गुलाबी लाल पीला UO22+,AmO2+


4f12 Tm3+ ह का हरा हरा NpO2+
4f13 Yb3+ रं गह न गुलाबी से लाल PuO2+
4f Lu3+ रं गह न लाल – बगनी PuO22+
14

पीला – नारं गी
(6) संकुल नमाण: 5f- क क क अ धक भेदन शि त के कारण इन व तार 6d, 7s तथा
7p क क तक हो जाता है िजससे ये क क लग ड से अ धक भा वत होकर संकुलन
क अ धक वृि त दशाते ह ।
उपरो त अ ययन के आधार पर लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड के म य समानताओं तथा
वषमताओं का न न ल खत ब दुओं म सं ि तकरण कया जा सकता है -
समानताएँ -
1. इले ॉ नक व यास के आधार पर लै थेनाइड व ऐि टनाइड दोन ह f- लॉक त व ह तथा
दोन े णय म अि तम इले ॉन (n-2) f-क क म वेश करता है ।
2. दोन ह े णय म इले ॉन (n-1) d1 तथा ns2 आसानी से बाहर नकाले जा सकते ह ।
अत: दोन ह े णय के त व के लए +3 ऑ सीकरण अव था सामा य व थायी
अव था है ।
3. दोन े णय म परमाणु मांक म वृ के साथ आकार अथात ् आय नक या म कमी
आती है । या म कमी का कारण (n-2)f-क क का अ यंत यून प रर ण है ।
4. दोन े णय के त व बहु त व युतधनी तथा याशील ह ।
5. सभी त व क उ च जलयोजन उ मा होती है तथा ये बल अपचायक क भां त यवहार
करते ह ।
6. यादातर लै थेनाइड व ऐि टनाइड अनुचु बक य होते ह ।
7. लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड के पर लोरे ट, नाइ े ट तथा स फेट जल म वलेय होते ह ।
ले कन लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड के हाइ ॉ साइड, लु ओराइड तथा काब नेट जल म
अ वलेय होते ह ।
8. इन त वो के गलनांक व वथनांक काफ समानता दशाते है य य प ऐि टनाइड के
गलनांक लै थेनाइड से कु छ अ धक होते ह ।

183
9. आयन- व नमय व ध वारा लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड दोन का पृथ करण कया जाता
है तथा आयन व नमय त भ म चार लै थेनाइड Eu,Gd,Tb तथा Dy का यवहार
ऐि टनाइड मश: Cm, Bk तथा Cf जैसा होता है ।
10. समान व यास वाले लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड आयन के रं ग तथा पे ा अ धकतर
समान होते ह य क इनम f - f सं मण पाया जाता है ।
वषमताएँ -
दोन - े णय के त व समानताएँ तो दशाते ह है पर इले ॉन क तु लना म बंधन
ऊजा का मान कम होने के कारण इनम वषमताएँ भी पायी जाती ह । कु छ मु ख वषमताएँ
न न ल खत है:-
1. ारि भक ऐि टनाइड म लै थेनाइड क तु लना म इले ॉन को d-क क म रखने क
वृि त अ धक होती है ।
2. ऐि टनाइड त व के यौ गक क ारकता लै थेनाइड त व के यौ गक क ारकता से
अ धक होती है ।
3. केवल ोमी थयम को छोडकर अ य लै थेनाइड कृ त म वतं प से पाये जाते ह तथा
रे डयो ऐि टव नह ं होते ह जब क यादातर ऐि टनाइड रे डयो ऐि टव होते ह तथा कृ त
म वत प से नह ं मलते बि क योगशाला म बनाए जाते ह ।
4. लै थेनाइड त व क तु लना म ऐि टनाइड त व के चु बक य गुण कुछ कम होते ह ।
चु बक य आघूण तथा इले ॉन क सं या के म य व म लै थेनाइड त व म दो
उि च ठ ा त होते ह जब क ऐि टनाइड त व म केवल एक ह उि च ठ ा त होता है ।
5. लै थेनाइड त व क तु लना म ऐि टनाइड त व अ धक संयोजकताएँ द शत करते ह ।
लै थेनाइड क अ धकतर संयोजकताएँ +3 होती है तथा कुछ त व क संयोजकताएँ +2 या
+4 भी होती है । प च ऐि टनाइड क संयोजकता, प च लै थेनाइड के समान +3 होती
ह।
6. संकुल नमाण म, लै थेनाइड के क क क भेदन मता कम होने के, कारण इन पर
लग ड का कोई भाव नह ं होता जब क ऐि टनाइड म क क क भेदन मता अ धक
होती है तथा वे प र ध म भीतर तक फैले हु ए रहते ह, िजससे वे लग ड से अ धक
भा वत होते ह ।
7. ऐि टनाइड म 5f 6d 7s तथा 7p-क क क ऊजा लगभग समान होती है । अत: ये
सभी क क ब ध बनाने म भाग लेते ह । यह कारण है क ऐि टनाइड कई कार के
संकुल व सहसंयोजक यौ गक बनाते ह । इसके वपर त लै थेनाइड म क क पूर तरह
प रर त रहने के कारण ब ध बनाने म भाग नह ं लेते । यह कारण है क लै थेनाइड
सहसंयोजक यौ गक नह ं बनाते ह तथा इनके संकु ल भी बहु त कम ात ह ।
8. ऐि टनाइड त व X , SO42 आ द ऋणा मक लग ड के अ त र त
- -
-ब ध यु त लग ड
के साथ भी संकु ल बनाते ह ।

184
9. उ च ऑ सीकरण अव था के कारण ऐि टनाइड त व सं मण के अ त र त आवेश
थाना तरण सं मण भी दशाते ह । यह कारण है क इन आयन के रं ग बहु त गहरे होते
ह । लै थेनाइड त व न न ऑ सीकरण अव था के कारण आवेश थाना तरण सं मण
नह ं दशाते ह। लथेनाइड आयन के रं ग तु लना मक प से कम गहरे होते ह ।
10. 4f-क क क ब धन ऊजा अ धक होती है जब क 5f-क क क बंधन ऊजा कम होती है ।
11. लै थेनाइड त व म 4f तथा 5d-क क के म य ऊजा अतर बहु त होता है जब क
ऐि टनाइड त व म 5f तथा 6d-क क के म य ऊजा अ तर कम होता है ।

बोध न -
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख -
7. प च लै थे नाइड तथा प च ऐि टनाइड क सवा धक थायी ऑ सीकरण अव था
या है ?
......................................................................... .....................
8. 4 f तथा 5f क क म से कसक भे द न शि त अ धक होती है ?
......................................................................... .....................
9. लै थे नाइड तथा ऐि टनाइड म से कसम चु बक य गु ण अ धक पाये जाते ह।
......................................................................... .....................
10. 4 f तथा 5f म से कौनसे क क का था नक व तार अ धक होता ह ?
......................................................................... .....................

11.4 सारांश (Summary)


 यूरे नयम के बाद आने वाले त व परायूरे नयम त व कहलाते ह ।
 पच ले ड अथात ् यूरेनीनाइड , यूरे नयम का मु य अय क ह ।
 Np,Pu तथा Am को ना भक य अ भ याओं म शेष बचे यूरे नयम धन से ा त
कया जाता है।
 यूरे नयम वारा यूटॉन हण करने के बाद -कण के उ सजन से के बाद वाले त व
का नमाण होता है ।
 यूरे नयम से Np, Pu तथा Am के पृथ करण क व धयाँ न न ल खत पर आधा रत
ह -
(i) ऑ सीकरण अव थाओं का था य व ।
(ii) काब नक वलायक म न कषण ।
(iii) अव ेपण व ध ।
(iv) आयन- व नमय व ध ।
 ारि भक ऐि टनाइड म ारि भक लै थेनाइड क तु लना म इले ॉन को d-क क
मे रखने क मता अ धक होती है ।
 प च लै थेनाइड तथा प च ऐि टनाइड दोन थायी +3 ऑ सीकरण दशाते ह ।

185
 लै थेनाइड त व क तु लना म ऐि टनाइड त व के चु बक य गुण कु छ कम होते ह ।
 लै थेनाइड के वप रत ऐि टनाइड -दाता लग ड के साथ भी संकुल बना सकते है ।
142

11.5 श दावल (Glossary)


 -कण  एक ना भक य कण िजसका भार न हो पर -1 आवेश हो

 सम था नक  वे त व िजनक परमाणु सं या समान हो पर परमाणु
भार भ न ह ।.
जैसे- 240 Pu 94 तथा 241 Pu 94
 व युतधनी  जो आसानी से इले ॉन नकाल द ।
 जलयोजन उ मा  कसी आयन अथवा अणु के जलयोजन पर नकल उ मा

11.6 संदभ थ (Reference Books)


1. Concise Inorganic Chemistry: J.D.Lee
2. Inorganic Chemistry: J.E.Huheey.E.A.Keiter,andR.L.Keiter,andR.L.Keiter
3. Selected Topics in Inorganic Chemistry: Malik, Tuli and Madam
4. Advanced Inorganic Chemistry: Vol.I: Gurdeep Raj
5. Inorganic Chemistry, Vol.II: K.K.Bhasin
6. Modern aspects of Inorganic Chemistry: H.J.Emeleus, A.G.Sharpe
7. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : ओझा, जैन, चतु वद तथा कोठार ।
8. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : पी. भागच दानी ।
9. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : आमेटा शमा, जैन तथा मेहता ।
10. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : तगी तथा संह ।
11. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : शमा, माथुर , वा त ।

11.7 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. पच ले ड अथवा यूरेनीनाइट 2. 243 Pu 94 3. 239 Np 93
4. UO2 2+
5. केरोसीन म ाइ यू टलफॉ फेट (TBP)
6. लारे ि सयम 7. +2 8. 5f 9. लै थेनाइड म 10. 5f

11.8 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. अि तम पाँच ा सयूरे नक त व के नाम ल खए ।

186
2. ऐि टनाइड म क क क ब धन ऊजा, लै थेनाइड के क क क ब धन ऊजा से कम
य होती है ।
3. यूरे नयम धन से Np, Pu तथा Am पृथक करने क हे सोन वलायक न कषण व ध
ल खए ।
4. प च ऐि टनाइड, लै थेनाइड से अ धक घ न ठता रखते ह । इस त य को उदाहरण स हत
समझाओ ।
5. ऐि टनाइड के लए TBP वलायक न कषण व ध ल खए ।
6. ा सयूरे नक त व या होते ह? इ ह कैसे ा त कया जाता है?
7. लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड का तु लना मक अ ययन द िजए ।
8. लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड त व म या समानताएँ ह?
9. लै थेनाइड क तु लना म ऐि टनाइड के यौ गक म सहसंयोजक ल ण अ धक होता है,
कारण बताइए ।
10. प च लै थेनाइड त व के असामा य यवहार को समझाइए ।
11. '' थम आधे ऐि टनाइड संगत लै थेनाइड से भ न होते ह पर तु बचे हु ए आधे लै थेनाइड
के बहु त सम प होते है ।'' उदाहरण स हत ववेचन क िजए ।

187
इकाई 12
अ ल तथा ारक
Acids and Bases
इकाई क प रे खा
12.0 उ े य
12.1 तावना
12.2 आरे नअस धारणा: जल आयन तं
12.3 सटे द-लोर धारणा: ोट न दाता- ाह तं
12.4 ल स- लड धारणा: ऑ साइड दाता- ाह तं
12.5 वलायक तं धारणा
12.6 लु इस धारणा: इले ॉन यु म दाता- ाह तं
12.7 सारांश
12.8 श दावल
12.9 संदभ थ

12.10 बोध न के उ तर
12.11 अ यासाथ न

12.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ तगत आप न न ल खत त य क जानकार ा त करगे -
 आरे नयस के अनुसार अ ल तथा ारक कसे कहा जाता है?
 अ ल तथा ारक क ं टे द-लोर
स या है?
 ल स- लड धारणा के अनुसार अ ल तथा ारक या होते है?
 अ ल तथा ारक क वलायक तं प रभाषा या है?
 लु इस ने अ ल तथा ारक को कस कार प रभा षत कया?

12.0 तावना (Introduction)


''Acidus'' लै टन भाषा का श द है , िजसका मतलब ''ख ा'' होता है । अ ल क
मुख वशेषताएँ न न ल खत ह -
 अ ल वाद म ख े होते ह ।
 अ ल, स य धातु (Zn, Mg) से या करके H2 गैस उ प न करते ह ।
 अ ल नीले लटमस को लाल कर दे ते ह ।
 इसके ठ क वपर त ारको क न न ल खत वशेषताएँ ह -
 ारक वाद म ती ण होते ह ।

188
 साबुन क तरह यवहार करते ह ।
 अ ल को उदासीन कर दे ते ह ।
 लाल लटमस को नीला कर दे ते ह ।
अ ल तथा ारक संक पना का रसायन इतना अ धक व तृत है क इसे समय-समय
पर भ न- भ न तर के से प रभा षत कया गया । अत: इस इकाई म आप उन वभ न
स ा त का अ ययन करगे िज ह समय-समय पर अ ल तथा ारक के गुण को समझाने के
लए रखा गया है । 144

12.2 आरे नअस धारणा: जल-आयन तं (Arrhenius concept:


The Water-Ion System)
12.2.1 1884 म आरे नअस ने व युत अपघ य के बहु त से गुण क या या करने के
लए व युत अपघटनी स ा त को तु त कया । िजसे आरे नअस का व युतअपघटनी
आयनन स ा त कहते है ।
आरे नअस के अनुसार ''अ ल (HA) वे पदाथ ह जो जल म वयोिजत होने पर
हाइ ोजन आयन (OH-) दे ते ह तथा ारक (BOH) वे पदाथ ह, जो जल म वयोिजत होने पर
हाइ ोि सल आयन (OH ) दे ते ह ।''
-

HA ⇋ H+ + A-
BOH ⇋ B+ + OH-
अ ल के हाइ ोजन आयन (H+) तथा ारक के हाइ ोि सल आयन (OH-) पर पर
संयोग कर जल बनाते ह तथा यह या उदासीनीकरण कहलाती है ।
+ -
H + OH  H2O
उदाहरण के लए HCl, Cl3COOH, HNO3 H2SO4 आ द, अ ल ह जब क NaOH,
KOH, NH4OH, Ba(OH)2 आ द ारक के उदाहरण है ।
अ ल: HCl H2O H+ + Cl-
CH3COOH H2O H+ + CH3COO-
ारक: NaOH H2O Na+ + OH-
Ba(OH)2 H2O Ba2+ + 2OH-
अ ल जैसे HCl, HNO3 H2SO4 आ द जो जल म पूण प से आय नत होते है,
बल अ ल कहलाते ह । जब क अ ल जैसे Cl3COOH, जो क जल म आं शक प से
आय नत होते है, दुबल अ ल कहलाते है । इसी कार जल म पूण प से आय नत ारक
NaOH, KOH आ द बल ारक तथा जल म आं शक प से आय नत ारक NH4OH,
Ca(OH)2, आ द दुबल ारक कहलाते ह ।
उदासीनीकरण म अ ल तथा ारक या कर लवण तथा जल बनाते ह -
HCl + NaCl ⇋ NaCl + H2O
अ ल ार लवण जल

189
12.2.2 उपयो गता:

(1) बल अ ल तथा बल ारक भी उदासीनीकरण ऊ मा का एक नि चत मान होता है िजसे


आरे नअस धारणा के आधार पर प ट कया जा सकता है ।
(2) अ ल के उ रे क य गुण को उनके हाइ ोजन आयन (H+) सां ता के आधार पर समझाया
जा सकता है ।
(3) अ ल (HA) तथा ार (BOH) क साम य को जल य वलयन म इनके आयनन ि थरांक
के आधार पर समझा जा सकता है । अ ल (HA) तथा ार (BOH) के वयोजन ि थरांक
मश: Ka तथा Kb के मान न न ल खत ह
 H    A 
+ -
HA ⇋ H + A , Ka =
 HA
 B   OH  
+ -
BOH ⇋ B + OH , Kb =
 BOH 
12.2.3सीमाएँ -
(1) इस धारणा क सबसे बड़ी कमी वलायक ह । य क यह स ा त अ ल तथा ारक को
उनके जल य वलयन के प म प रभा षत करता है न क वयं पदाथ के प म । यह
कारण है क इस स ा त के अनुसार HCl केवल जल म घोलने पर ह अ ल क भाँ त
यवहार करे गा तथा अ य नजल य वलायक जैसे बजीन, लोरोफॉम आ द म नह ं ।
(2) इस धारणा के अनुसार उदासीनीकरण अ भ या केवल जल य म यम म ह होती है ले कन
व NH3, व SO2 आ द नजल य वलायक भी उदासीनीकरण अ भ याएँ दशाते ह ।
(3) HCl क गैसीय अव था म अ ल क भाँ त यवहार को यह स ा त प ट नह ं करता,
य क इस स ा त के अनुसार गैसीय अव था म अ ल- ारक अ भ याएँ संभव नह ं ह ।
(4) इस स ा त के अनुसार जल य वलयन म OH- आयन दे ने वाले पदाथ ारक कहलाते ह
। अत: इसके आधार पर धातु ऑ साइड जैसे CaO तथा Na2O को ारक नह ं कह
सकते ह ।
(5) यह स ा त कुछ लवण जैसे AlCl3 के जल म अ ल य यवहार को नह ं समझा पाता ।
(6) जल म मु त H+ आयन क उपि थ त संभव नह ं ह य क यह आयन H2O अणु से
+
संयु त होकर H3O आयन बनाता है । यह एक ऊ मा ेपी म है िजसक जलयोजन
ऊजा उ च (256 क.कै./मोल) होती ह ।
H+ + H2O  H3O+ + 256 क.कै./मोल
इस कार वा तव म उदासीनीकरण अ भ या हाइ ो नयम आयन (H3O+) तथा
हाइ ॉ साइड (OH) आयन के म य अ भ या ह -
+ -
H3O + OH ⇋ 2H2O
बोध न-
न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए:-

190
(क) आरे नअस के अनु सार अ ल जल म वयोिजत होने पर ...........आयन
दे ते ह।
(ख) अ ल लाल लटमस को.............................कर दे ते ह।
(ग) आरे नअस धारणा के अनु सार .........................जल म वयोिजत होने
पर OH - आयन दे ते ह।
(घ) H + तथा OH - आयन क सं योग वारा जल का बनना......अ भ या ह।
(च) HCl, HNO 3 , H 2 SO 4 आ द अ ल जल म पू ण प से आय नत होते
है , अत: ........................अ ल कहलाते ह।
(छ) जल म आं शक प से आय नत ारक जै से NH 4 OH, Ca(OH) 2
आ द........................ ारक कहलाते ह।

12.3 ंसटे द-लोर धारणा: ोट न दाता- ाह तं (Bronsted-Lowry


Concept: Proton donor-acceptor System)
12.3.1 ं टे द-लोर ने 1923 म अ ल तथा
स ारक के लए एक नया स ा त दया
जो आरे नअस स ा त क कु छ क मय को दूर भी करता है ।
इस धारणा के अनुसार ''अ ल वह पदाथ है िजसम ोटॉन दे ने क वृ त होती है तथा
ार वह पदाथ है िजसमे ोटॉन हण करने क वृ त होती है ।'' इस कार अ ल ोटॉन
दाता तथा ार एक ोटॉन ाह पदाथ है ।
इस स ा त क सबसे मु ख वशेषता यह है क इसम वलायक को मह व नह ं दया
जाता । अत: यह स ा त कसी भी वलायक के लए अथवा वलायकह न अ भ या के लए
भी समान प से लागू होता है ।
ं टे द-लोर क इस प रभाषा के अंतगत जल के अ त र त अ य मा यम म होने

वाल बहु त सी अ भ याएँ सि म लत है । अत: यह प रभाषा अ ल तथा ारक के एक बड़े
े पर लागू होती है, य क यह प रभाषा केवल हाइ ॉि सल यौ गक तक ह सी मत नह ह,
बि क कोई भी ोटॉन हण करने क मता रखने वाला यौ गक ारक होता है ।
उपयु त प रभाषानुसार अ ल तथा ार न न कार से वग कृ त कये जाते ह -
अ ल: (1) उदासीन HCl  H+ + Cl-
(2) धनाय नक [Al(H2O)6]3+  H+ + [Al(H2O)5OH]2+
(3) ऋणाय नक HSO4- + H+  H2SO4
ारक: (1) उदासीन NH3 + H+  NH4
(2) धनाय नक [Al(H2O)5OH] 2+
+ H+  [Al(H2O)6]3+
(3) ऋणाय नक HSO4 + H+  H2SO4
अत: इस स ा त क सबसे बड़ी उपलि ध यह है क इसम अ ल- ारक अ भ या के
लए जल य मा यम क अ नवायता को समा त कर दया । अब कसी भी मा यम या मा यम
क अनुपि थ त म भी अ ल- ार अ भ याओं को समझाया जा सकता है ।

191
12.3.2 संयु मी अ ल- ारक युगल

इस स ा त म एक अ ल क एक ारक के साथ अ भ या वारा दूसरा अ ल तथा


दूसरा ारक बनता है । अत: अ ल ोट न यागने के बाद ारक दे ता है तथा ारक ोट न
ा त करने के बाद अ ल दे ता है । उ पाद के प म ा त अ ल, अ भकारक ारक का
संयु मी अ ल कहलाता है तथा उ पाद के प म ा त ारक, अ भकारक अ ल का संयु मी
ारक कहलाता है। अत: पदाथ के ऐसे युगल जो ोट न को दे कर या हण कर एक दूसरे म
प रव तत हो सकते ह, संयु मी अ ल- ारक युगल कहलाते ह ।
उदाहरण I: संयु मी अ ल- ारक युगल संक पना को समझने के लए HCl गैस के जल म
घुलने क या पर वचार कर-

उपरो त अ भ या से प ट है क HCl एक अ ल है जो क अपने ोटॉन H2O को


ारक, Cl म बदल कर संयु मी अ ल- ारक युगल बनाता है । इसी
-
दे कर वयं संयु मी कार
H2O एक ारक है जो क ोटॉन हण करके अपना संयु मी अ ल H3O+ बनाता है । इस
कार यह भी एक अ ल- ारक संयु मी यु म बनाता है ।
उपरो त अ भ या को वपर त दशा म दे खने पर H3O+ एक अ ल है िजसका
संयु मी ारक H2O है तथा Cl- एक ारक है िजसका संयु मी अ ल HCl है ।
उदाहरण II: NH3 गैस का जल म घुलना न न ल खत समीकरण वारा द शत कया जा
सकता है –

उपयु त दोन उदाहरण म जल के उभय ो टक यवहार को दे खा जा सकता है । एक


बल अ ल HCl जल के साथ एक ारक का यवहार करता है तथा एक बल ारक NH3
जल के साथ एक अ ल जैसा यवहार करता है । इस धारणा से यह प ट हो जाता है क
बल अ ल का संयु मी ारक दुबल होता है तथा बल ारक का संयु मी अ ल दुबल होता है

192
। अत: HCl, जो क एक बल अ ल है, का संयु मी ारक Cl एक दुबल
-
ारक है । इस
आधार पर अ ल और ार क साम य न न कार है-
अ ल साम य : HI > HBr > HCl > HF
ार साम य: I
-
< Br -
< Cl -
< F-
उदाहरण III : CH3COOH एक दुबल अ ल है ले कन इसका संयु मी ारक CH3COO
-

बल ारक है -
CH3COOH + H2O  H3O+ + CH3COO-
अ ल1 ारकु2 अ ल2 ारक1
उदाहरण IV: उभय ो टक यौ गक के वत: आयन न को भी उपयु त स ा त वारा समझाया
जा सकता है -
अ ल1 ारक2 अ ल2 ारक1
H2O + H2O  H3O + OH- +

NH3 + NH3  NH4+ + NH2-


उदाहरण V: कसी यौ गक क अ ल य अथवा ार य कृ त का नधारण यु त वलायक पर
नभर करता ह । यह कारण है क HNO3 जल य वलयन म अ ल क तरह यवहार करता
है जब क व HF म ार क तरह यवहार करता है -
HNO3 + H2O  H3O+ + NO3-
अ ल1 ारक2 अ ल2 ारक1
HNO3 + HF  H2NO3+ + F
ारक1 अ ल2 अ ल1 ारक2
उदाहरण VI: वह अ ल जो मक वयोजन वारा दो या दो से अ धक ोटॉन दे ते हो
बहु ो टक या बहु ारक य अ ल ह । जैसे – H3PO4 का मक वयोलन न न कार होता है
-
अ ल 1 ारक2 ारक1 अ ल2त,
H3PO4 + H2O  H3PO4 -
+ H3O+
H3PO4-+ H2O  H3PO42- + H3O+
HPO42-+ H2O  PO43- + H2O+
बहु ो टक अ ल के मक वयोजन से ा त पीशीज क अ ल साम य, मश: कम
होती जाती ह, य क ऋणावे शत पीशीज क ोटॉन दे ने क वृ त उदासीन पीशीज से कम
होती है । अत:,
अ ल साम य : H3PO4 > H2PO 4 > HPO4
- 2-

193
12.3.3 समआयनन वलायक तथा वषमआयनन वलायक

अ ल तथा ारक क बलता तथा आपे क साम य वलायक क कृ त पर नभर


करता है । उदाहरण के लए य द कोई पदाथ जल म दुबल अ ल है तो वह पदाथ जल से
बल ोटॉन वलायक म बल अ ल क भां त यवहार करे गा । ले कन य द वलायक जल क
अपे ा दुबल ोटॉन ाह है तो पदाथ बहु त दुबल अ ल क भां त यवहार करे गा ।
य द वलायक बहु त अ छ ोटॉन ाह मता रखता है तो व भ न अ ल के वारा
ोटॉन थाना तरण लगभग 100% माना जाता है िजससे सभी कार के अ ल लगभग पूणत:
आय नत हो जाते है । तो ऐसे वलायक, अ ल के संदभ म समआयनन वलायक कहलाते है ।
य क इस कार के वलायक म सभी अ ल समान यवहार दशाते ह । अत: उ ह दुबल या
बल म वभािजत नह ं कया जा सकता ।
इसके ठ क वपर त य द वलायक एक बहु त अ छा ोटॉन ाह नह है तो इनम सभी
अ ल क ोटॉनदाता मता भ न होगी । िजससे अ ल को िजनक ोटॉनदाता
ं मता के
आधार पर बल तथा दुबल म वभे दत कया जा सकता है । यह कारण है क ऐसे वलायक,
अ ल के संदभ म वषमआयनन वलायक कहलाते ह । वभ न अ ल तथा ारक क
साम य पर वलायक के भाव का अ ययन न न ल खत ब दुओं मे कया जा सकता है -
अ ल साम य पर वलायक का भाव तथा ारक साम य पर वलायक का भाव
(1) अ ल साम य पर वलायक का भाव:
अ ल साम य पर वलायक के भाव को प ट करने के लए, यहाँ कु छ मु य
वलायक के उदाहरण दए गए ह -
क. ऐसी टक अ ल (CH3COOH): यह एक अ ल है अथात ् इसम ोटॉन दे ने क वृि त पाई
जाती है । ले कन अपने से अ धक बल ोटॉनदाता क उपि थ त म यह ारक का काय
करता है । CH3COOH क दुबल ोटॉन ाह मता के कारण बल अ ल इस वलायक
म भ न- भ न सीमाओं तक आय नत होते ह । यह कारण है क बल अ ल जैसे
HCIO4, HI, H2SO4 तथा HNO3 आ द के साम य को वभे दत करने के लए एक
दुबल ोटॉन ाह अथात ् दुबल अ ल जैसे CH3COOH का योग कया जाता है ।
CH3COOH म व भ न बल अ ल क साम य न न ल खत म म कम होती है -
HClO4 > HBr > H2SO4 > HCl > HNO3
इस कार CH3COOH इन बल अ ल के लए एक वषमआयनन वलायक है ।
दूसर ओर जल इन बल अ ल के लए समआयनन वलायक है । CH3COOH को
तु लना म H2O म ोटॉन हण करने क वृि त अ धक पाई जाती है अथात ् H2O एक बल
ार है । अत: जल म सभी अ ल अपना ोटॉन दे कर पूण प से आय नत हो जाते ह, िजससे
जल य वलयन म सभी अ ल लगभग समान प से बल तीत होते ह तथा इनक बलता
को वभे दत करना क ठन हो जाता है ।

194
ख. जल (H2O) : जैसा क ऊपर बताया गया है क जल एक अ छा ोटॉन ाह है । यह
कारण-है क व भ न बल अ ल इसम समान तर क बलता द शत करते ह । अत:
H2O, बल अ ल के लए समआयनन वलायक है ।
ग. व अमो नया (NH3): व NH3 क ोटॉन ाह मता CH3COOH तथा H2O से भी
अ धक होती है । यह कारण है क CH3COOH तथा H2O क तु लना म व NH3
बलतर ारक है । NH3 क अ धक ोटॉन ाह क मता के कारण सभी कार के अ ल
चाहे वह दुबल अ ल CH3COOH हो या तु लनाि मक प से बल अ ल HCl, HF व
HBr हो, एक सी बलता दशाते ह । अत: व NH3 सभी अ ल के लए एक समआयनन
वलायक है ।
य द इन अ ल के लए H2O को एक वलायक के प म योग कया जाए तो सभी
अ ल क ोटॉनदाता मता भ न होगी । अत: जल इन अ ल के लए एक वषमआयनन
वलायक है ।
(2) ारक साम य पर वलायक का भाव:
अ ल क भां त ारक क बलता भी वलायक क कृ त वारा भा वत होती है।
CH3COOH जल म दुबल अ ल है जब क व NH3 म बल अ ल है । अ ल य वलायक
जैसे HF, CH3COOH आ द ारक का समआयनन करवाते ह, जब क NH3 जैसे ार य
वलायक ारक का वषम आयनन करवाते ह ।
बल ारक NaH, NaNH2, NaOC2H5, NaOH आ द के लए जल समआयनन
वलायक है ले कन व NH3 वषम आयनन वलायक का काय करता है ।
उपरो त पूण ववेचन को सं ेप म सारणी 12.1 म तु त कया गया है । इस सारणी
को दे खने से पूव यह यान रहे क व भ न वलायक क ोटॉन ाह वृि त अथात ् ारकता
का बढ़ता म न न ल खत ह -
CH3COOH < H2O < NH3
सारणी 12.1 व भ न अ ल तथा ारक के लए समआयनन
तथा बषमआयनन वलायक
अ ल/ ारक समआयनन वलायक वषमआयनन वलायक
बल अ ल (तु लना मक प से बल, (दुबल ोटॉन ाह )
(HCl,HNO3,H2SO4) ोटॉन ाह ) दुबल अ ल
H2O CH3COOH
बल व दुबल अ ल ( बल ोटॉन ाह ) (तु लना मक प से दुबल
(HF,CH3COOH,HCl) व NH3 ोटॉन ाह )
H2O
बल ार (तु लना मक प से दुबल ( बल ोटॉन ाह )
(NaOH.NaNH3.NaOC2H5) ोटॉन ाह ) व NH3
H2O
195
बल व दुबल ार (दुबल ोटॉन ाह ) (तु लना मक प से बल
(NaOHवNH4OH) CH3COOH ोटॉन ाह )
H2O

12.2.4 ं टे द-लार धारणा क उपयो गता


1. यह धारणा आरे नयस धारणा से अ धक यापक व उपयोगी है ।


2. यह स ा त अ ल तथा ारक को वयं पदाथ क कृ त के आधार पर करती है ना
जल य वलयन म आयन क उपि थ त के आधार पर ।
3. इस धारणा के अनुसार अ ल- ारक यवहार कसी एक वलायक पर नभर नह ं करता
बि क अलग-अलग वलायक म अलग-अलग होता है ।
4. यह धारणा अनेक पदाथ क ारक साम य को समझाती है । जैसे प रडीन, C2H5O,
NH3 आ द क ारकता को समझाया जा सकता है ।
5. यह धारणा लवण जल-अपघटन का प ट करण करती है । उदाहरण – FeCl3 के जल य
वलयन म [Fe(H2O)6] 3+
तथा जलयोिजत Cl- आयन उपि थत होते ह ।
Cl- बल अ ल HCl का संयु मी ार होने के कारण H2O क तु लना म दुबल
ार य कृ त का होता है । अत: उपरो त अ भ या का मु य ोटॉन थाना तरण सा य
न न ल खत होगा -
[Fe(H2O)6]3+ H2O ⇋ [Fe(H2O)5(OH)]2+ +H2O+
िजससे प रणाम वलयन अ ल य होगा ।

12.3.4 ं टे द-लोर धारणा क सीमाएँ


(1) यह धारणा अ ल- ारक अ भ याओं म ोटॉन के आदान- दान पर अ य धक बल दे ती है


। ले कन ऐसी बहु त सी अ ल- ारक अ भ याएँ ह, िजसम ोटॉन का थान नह होता,
जैसे -
SO2 + SO2 ⇋ SO2+ + SO32-
BrF3 + BrF3 ⇋ BrF2+ + BrF4-
(2) अत: ऐसी अ भ याओं क या या इस स ा त वारा नह क जा । अत: ोटॉन धारणा
का उपयोग अ ोटॉनीय वलायक म होने वाल अ भ याओं को समझाने म नह कया जा
सकता । इस स ांत क दूसर बड़ी कमी यह है क यह पदाथ का आचरण क कृ त पर
नभर करता है। कोई पदाथ एक वलायक के साथ अ ल तो दूसरे वलायक के साथ ारक
क तरह यवहार कर सकता है । अत: इस स ा त म कसी पदाथ को अ ल या ारक
बताने लए पूर अ भ या क जानकार दे नी पड़ती है ।

196
बोध न
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे : -
2. सटे द - लोर के अनु सार ोटॉन दाता पदाथ या कहलाता है ?
......................................................................... .....................
3. अभ या , HCl + H 2 O ⇋ H 3 O + + Cl - , म HCl का सं यु मी ार या
है ?
......................................................................... .....................
4. CH 3 COOH बल अ ल के लए समआयनन वलायक है क वषमआयनन
वलायक ?
......................................................................... .....................
5. CH 3 COOH, H 2 O तथा NH 3 म से कस वलायक क ोटॉन ाह वृ ि त
यू न तम है ?
............................................................... ...............................
6. बल ार जै से NaOH , NaNH 2 आ द के लए वषमआयनन वलायक
बताइए।
......................................................................... .....................

12.4 ल स- लड धारणा: ऑ साइड दाता- ाह त (Lux-Flood


Concept: Oxide donor-acceptor System)
इस धारणा को 1939 म ल स ने दया तथा 1947 म लड म इसका व तार कया
। यह स ा त उन अ ो टक पदाथ को भी सि म लत करता हे िजसक या या े सटे ड-लोर
धारणा के वारा संभव नह ं है ।
ल स- लड धारणा के अनुसार '' ार वे पदाथ ह जो ऑ साइड आयन हण करते ह
अथात ् ार ऑ साइड दाता है जब क अ ल ऑ साइड ाह है ।''
ल स- लड धारणा ग लत धातु ऑ साइड त के लए उपयोगी है । धातु कम म लोहे
के अय क म ि थत अ ल य ऑ साइड SiO2 को दूर करने के लए वा या भ ी म ार य
ऑ साइड CaO मलाया जाता है -
CaO + SiO2  CaSiO3
ऑ साइडदाता ( ार) ऑ साइड ाह (अ ल)
इसी कार कॉपर के धातु कम म स फाइड अय क म FeS अशु के प म होता है
। अत: इसे घटाने के लए सां त अय क को परावतनी भ ी म वायु क उपि थ त म, SiO2
के साथ गम कया जाता है । िजससे FeS यौ गक FeO म प रव तत होने के बाद SiO2 म
अभ या करके FeSiO3 धातु मल क एक ह क परत बनाकर ऊपर आ जाता है, िजसे अलग
कर लया जाता है।
FeO + SiO2 ⇋ FeSiO3

197
ऑ साइडदाता ( ार) ऑ साइड ाह (अ ल)
ल स- लड धारणा के आधार पर ऑ साइड के जल य वलयन क कृ त क भी
या या क जा सकती है । धातु ऑ साइड जल से अ भ या कर आयन दे ते ह । अत: ये
ार ह, जब क अधातु ऑ साइड जल से अ भ या कर आयन दे ते है, अथात ् अ ल ह ।
धातु ऑ साइड ( ार) Na2O + H2O  2Na+ + 2OH-
अधातु ऑ साइड (अ ल) SO3 + H2O  SO42- + 2H+
दूसरे श द म यह कह सकते ह क ल स- लड ारक, एक कार के ार य
एनहाइ ाइड ह तथा ल स- लड अ ल, एक कार से अ ल य एनहाइ ाइड ह । उपरो त
अभ या म Na2O तथा SO3 मश: NaOH तथा H2SO4 के एनहाइ ाइड ह ।
ल स- लड धारणा के उपयोग सी मत है । ल स- लड अ ल ार अ भ याएँ केवल
उ च ताप पर ह मह वपूण होती ह । उभयधम पदाथ ऑ साइड हण करने तथा यागने क ,
दोन ह वृि तयाँ दशाते है । उदाहरण के लए -
(i) ारक, Al2O3 ⇋ 2Al3+ + 3O2-
अ ल, Al2O3 + O2- ⇋ 2AlO2-
(ii) ारक, ZnO Zn2+ + O2-
अ ल, ZnO + O2- ⇋ ZnO22-
ऑ सीजन एक ऋण व युती परमाणु है । अत: हैलोजेन, स फर आद अ य
ऋण व युती परमाणुओं से ा त ऋणायन के थाना तरण के आधार पर ल स- लड प रभाषा
का व तार कया जा सकता है । अत: हैलाइड, स फाइड आ द आयन के दाता यौ गक को
ारक तथा ाह पदाथ को अ ल क सं ा द जा सकती है । उदाहरणाथ - उ च ताप पर
स प न न न ल खत अ भ या म NaF से F- आयन, AIF3 को थाना त रत हो जाता है ।
िजससे NaF ारक तथा AIF3 अ ल क तरह यवहार करता है ।
3NaF + AIF3  Na3AIF6
( ारक) (अ ल) (लवण)
ल स- लड धारणा क उपयो गता सी मत है ।
बोध न-
7. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए-
(क) ल स - लड धारणा के अनु सार ार...................होते ह।
(ख) CaO Ca 2 + +.......................
(ग) ......................... + O 2 + CO 3 2 -
(घ) ..................... + SiO 2 FeSiO 3
(च) ल स - लड धारणा के अनु सार अधातु ऑ साइड क कृ त...........होती
है जब क धातु ऑ साइड क कृ त.....................होती है ।

198
12.5 वलायक तं धारणा (Solvent System Concept)
12.5.1 अ ल तथा ारक के लए वलायक तं धारणा क संक पना 1928 म कैडी तथा
ऐ सी ने क । वा तव म वलायक तं धारणा ं टे ड-लोर धारणा का ह एक व तार है ।


ं -लोर धारणा के वलायक ोटॉनी (NH3, H2O, CH3COOH) होते ह, य क यह स ा त
ोटॉन के आदान- दान से संबं धत है जब क वलायक तं धारणा, सभी कार के वलायक ,
ोटोनी तथा अ ोटॉनीय दोन पर समान प से ले लागू होती है।
वलायक तं धारणा के अनुसार ''जो पदाथ वलायक के वत: आयनन से ा त
धनायन क सां ता म वृ कर, वे अ ल ह, तथा जो पदाथ के वत: आयनन से ा त
ऋणायन क सां ता म वृ करे वे ारक ह ।''
जल क तरह बहु त से वलायक म वत: आयनन क वृि त पाई जाती है । कु छ
मु ख वलायक के वत: आयनन से ा त धनायन व ऋणायन न न ल खत है -
वलायक धनायन + ऋणायन
(अ ल) ( ार य)
2H2O ⇋ H3O+ + OH
2NH3 NH4 NH2
+
⇋ +
2SO2 ⇋ SO2+ + SO32-
उदाहरण I - जल म HCl, एक अ ल क तरह यवहार करता है य क यह जल म वलायक
को धनायन अथात ् H3O आयन दे ता है –
+

HCl + H2O  H3O+ + Cl-


उदाहरण II – NH3 जल म ारक क तरह यवहार करता है य क यह जल म घुलकर OH-
आयन दे ता है जो क जल का अ भल णक ऋणायन है ।
NH3 + H2O  NH4+ + OH-
उदाहरण III: इसी कार CH3COOH अ ल जल म H3O+ आयन दे कर अ ल क तरह
यवहार करता है जब क स यू रक अ ल म H2SO4 आयन दे कर ारक क तरह यवहार
करता है -
CH3COOH + H2O  H3O+ + CH3COO-
CH3COOH + H2SO4  CH3COOH2+ + HSO4
उदाहरण IV: आप जानते है क व NH3 वत: आयनन वारा अमो नयम आयन NH4+ तथा
ऐनाइड आयन, NH2 म वयोिजत होता है । अत: व NH3 म सभी अमो नयम लवण जैसे
NH4Cl, NH4NO3, आ द अ ल ह गे । इसी कार सभी ऐमाइड लवण जैसे NaNH2, KNH2
आद ारक ह गे ।

199
इसी कार व SO2 म SOCl2 अ ल होगा तथा स फाइट लवण जैसे Na2SO3
ारक ह गे । य क SOCl2 से SO2+ आयन तथा Na2SO3 से SO32- आयन ा त होते ह
जो क व SO2 के वत: आयनन से भी बनते ह ।
सारणी 12.2 म व भ न पदाथ क अ ल य तथा ार य कृ त को वलायक के संदभ
म दशाता गया है ।
सारणी 12.2 वलायक तं धारणा अनुसार कु छ पदाथ का
अ ल तथा ारक म वग करण
वलायक अ ल ारक
H2O HCl,HNO3,H2SO4,HCNआ द KOH,NaOHआ द
व NH3 NH4Cl,NH4NO3आ द KNH2,NaNH2आ द
व SO2 SOCI2,SO(SCN)2आ द Na2SO3,CaSO3आ द
व N2O4 NOCl आ द NaNO3आ द

आरे नअस धारणा के समान, इस धारणा म भी '' वलायक के अ भल णक धनायन व


अ भल णक ऋणायन आपस म संयोग कर वलायक के कु छ अणु बनाते ह । इस अ भ या
को उदासीनीकरण अ भ या कहते ह ।'' अत: इस धारणा म भी अ ल- ारक उदासीनीकरण
अभ या वारा लवण व वलायक अणु बनते ह । कु छ ा पक अ ल- ारक उदासीनीकरण
अभ याएँ न न ल खत ह -
अभ या मा यम अ ल + ारक लवण + वलायक
व NH3 NH4Cl + NaNH2 ⇋ NaCl + 2NH3
CH3COOH HCl + CH3COONa ⇋ NaCl + CH3COOH
व SO2 SOCl2 + K2SO3 ⇋ 2KCl + 2SO2

12.5.2 वलायक तं धारणा क सीमाएँ

वलायक तं धारणा क सबसे बडी सफलता यह है क यह स ा त ोटॉन तथा


अ ोटॉनी दोन कार के वलायक के लए उपयोगी है फर भी इस स ा त क कई सीमाएँ ह
। ये सीमाएँ न न ल खत ह -
(1) यह स ा त वलायक क अनुपि थ त म होने वाल अ ल- ारक अ भ याओं को नह ं
समझा जा सकता है ।
(2) . ोटॉनी स ा त के अंतगत आने वाल कई अ ल- ारक अ भ याओं को इस स ा त
वारा नह , समझाया जा सकता ।
(3) इस स ा त म वलायक के केवल रासाय नक गुण पर ह यान दया गया है तथा
भौ तक गुण क पूर तरह उपे ा क गई है ।
(4) यह स ा त आयन क अनुपि थ त म होने वाल उदासीनीकरण अ भ याओं को नह ं
समझा सकता ।

200
(5) ऐसे वलायक िजनका वत: आयनन नह ं होता, उनम होने वाल रसाय नक अ भ याओं
का इस स ा त से प ट करण नह ं होता ।

बोध न -
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे -
8. वे पदाथ जो व NH 3 म NH 2 - आयन दे ते है , या कहलाते ह ?
......................................................................... .....................
9. यू रया व अमो नया म NH 4 + आयन दे ते ह अत : व अमो नया म यू रया क
कृ त या होगी ?
......................................................................... .....................
10. NH 4 Cl + NaNH 2 NaCl + 2NH 3 , व NH 3 म यह अ भ या कस कार
क अभ या है ?
....................................................................... .......................

12.6 लू इस धारणा: इले ॉन यु म दाता- ाह तं (Lewis


Concept: Electron Pair donor-acceptor System)
12.6.1 लु इस धारणा के अनुसार '' ारक वह पदाथ है जो एक इले ॉन यु म का दान करता
है तथा अ ल वह पदाथ है, जो एक इले ॉन यु म हण करता है ।''
इस कार इले ॉन दाता तथा इले ॉन ाह के म य उपसहसंयोजक बंध का नमाण
उदासीनीकरण अ भ या अथात ् अ ल- ारक अ भ या है । इस म के प रणाम व प एक
योगो पाद ा त होता है । उदाहरण के लए ा पक अ ल- ारक उदासीनीकरण अ भ या
न न कार ह -

उपरो त अ भ या म BF3 इले ॉन यु म हण करता है, अत: यह अ ल है ।


जब क NH3 इले ॉन यु म दान करता है, अत: यह ारक है । प ट है यह अ ल तथा ार
के म य से उपसहसंयोजक बंध वारा योगो पाद बनता है ।

12.6.2 लु इस अ ल का वग करण

लु इस अ ल को न न कार से वग कृ त कया जा सकता है -


(1) अणु िजनके के य परमाणु ओं के अ टक अपूण ह – ऐसे अणु इले ॉन- यून यौ गक
कहलाते है । वग 13 के यौ गक जैसे BX3, AIX3 (X = हैलोजेन) आ द के के य

201
परमाणु ओं के अ टक अपूण होते है । अत: यह लू इस ार से इले ॉन यु म हण
योगो पाद बनाते ह । जैसे,
अ ल + ार योगो पाद
AlCl3 + Cl-  [AlCl4]-
BF3 + F  [BF4]-
(2) वे अणु िजनके के य परमाणुओं म र त d-क क हो:-
अनेक हैलाइड जैसे SiCl4, GeCl4, TiCl4, SnX4, PX4, SF4, SeF4, TeCl4
आ द ऐसे यौ गक ह, िजनके के य परमाणु ओं म र त d-क क ह । अत: यह यौ गक लु इस
ार से इले ॉन यु म को अपने र त d-क क म हण कर अपनी संयोजकता को बढ़ा
सकते ह । यह कारण है क ये अ ल क तरह यवहार करते ह । जैसे,
SiF4 + 2F  SiF62-
SnCl4 + 2Cl  SnCl62-
(3) सं मण धातुओं के परमाणु तथा आयन -
सं मण धातु ओं म र त d-क क पाय जाते ह । िजसम लु इस ार ( लग ड) अपना
इले ॉन यु म दान कर ज टल यौ गक अथात ् संकु ल बनाते ह । जैसे,
अ ल + ार  संकुल
Ni + 4CO  [Ni(CO)4]
Ag+ + 2CN  [Ag(CN)2]-
(4) वे यौ गक िजनम अलग-अलग व युत ऋणता वाले त व के म य बहु बंध हो । जैसे CO2,
SO2, SO3 आ द ।
इन उदाहरण के के य परमाणुओं क व युतऋणता कम होने के कारण, उस पर
आं शक धनावेश होता है । िजससे ये लूइस अ ल क भाँ त काम करते है । जैसे, : : O = C

(5) ऑ सीजन वग के त व - वे अणु िजनके संयोजकता कोश म केवल छ: इले ॉन उपि थत


होते ह, लू इस अ ल का यवहार दशाते ह ।
अ ल ार
..
: O + : SO32-  SO42-
..

(स फेट आयन)
अ ल ार
..
: S + : SO32-  S2O32-
..

(थायोस फेट आयन)

202
उपरो त अ भ याओं म ऑ सीजन व स फर परमाणु स फाइड आयन वारा इले ॉन
यु म हण करते ह । अत: ये त व लू इस अ ल ह ।

12.6.3 लु इस ार का वग करण

लू इस ार को न न ल खत तीन भाग म वभािजत कया जा सकता है -


(1) सभी ऋणायन - ऋणायन पर इले ॉन अ धक सं या म होने के कारण ये इले ॉन दाता
का काय करते ह । जैसे Cl , OH , CO3 , SO3 आ द ।
- - 2- 2-

(2) वे अणु िजनम इले ॉन का एकाक यु म हो - वे सभी यौ गक िजनम के य परमाणु के


पास कम से कम एक एकाक इले ॉन कम होता है, लू इस ार कहलाते ह । जैसे NH3,
RNH2, पर डन H2S, H2O, R - OH, ईथर, PH3, CO, आ द ।
(3) असंत ृ त काब नक यौ गक - वे काब नक यौ गक िजनम π -इले ॉन अ उपि थत हो,
जैसे ऐ क न, ऐलकाइन, बजीन आ द, अपने π -इले ॉन यु म वारा धातु के साथ
उपसहसंयोजक बंध बना लेते ह । जैसे,

(i)

(ii)
2CH6 + Cr  [Cr(C6H6)2]

12.6.4 लू इस धारणा क उपयो गता

(1) लू इस क धारणा अ ल तथा ारक के यवहार को यापक प से समझाती है तथा उन


अभ याओं को भी सफलता पूवक या या करती है, िजनम ोटॉन नह ं है ।
(2) इस धारणा म अ ल- ारक यवहार कसी वशेष वलायक क उपि थ त या अनुपि थ त
पर नभर नह ं करता ।
(3) इस धारणा वारा उ च ताप, गैसीय अव था तथा बना वलायक के वाल अ भ याओं को
भी समझाया जा सकता है ।
(4) इस स ा त वारा धाि वक ऑ साइड के ार य गुण तथा अधाि वक ऑ साइड के
अ ल य गुण को प ट कया जा सकता ह ।
(5) लु इस अ ल तथा ारक का उ रे क के प म अनु योग होता है । जैस-े BF3, AlCl3
आ द।

12.6.5 लु इस धारणा क सीमाएँ -

1. यह धारणा अ ल व ार के आपे क साम य क या या नह ं कर सकती ।

203
2. इस धारणा के अनुसार अ ल- ार अ भ याएँ बहु त ती ग त से स प न होती ह । परं तु
बहु त सी लू इस अ ल- ार अ भ याएँ बहु त धीमी होती ह ।
3. इस स ा त क सबसे बड़ी कमी यह है क इसक प रभाषा बहु त व तृत है । यह कारण
है क उपसहसंयोजक यौ गक का बनना भी अ ल- ारक अ भ या के अंतगत आता है ।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे -
11. न न ल खत म से लु इस अ ल को पहचा नए –
CO, AlCl, PH 3 , Cl -
......................................................................... .....................
12. SiF 4 तथा TeCl 4 लू इस अ ल है अथवा लू इस ारक ?
…………………………………………………………………………………………………………

12.7 सारांश (Summary)


 आरे नअस के अनुसार अ ल जल म वयोिजत होकर H+ आयन तथा ारक OH आयन
दे ते है । HCl, HNO3, H2SO4 आ द जल म पूण प से आय नत होते ह, अत: बल
अ ल कहलाते ह।
 सटे द-लोर धारणा के अनुसार अ ल ोटॉनदाता होते ह, जब क ारक ोटॉन ाह होते
है।
 बल अ ल का संयु मी ार दुबल होता है ।
 पदाथ के ऐसे यु म जो ोटॉन को दे कर या हण कर एक-दूसरे म प रव तत हो सकते है,
संयु मी अ ल- ारक यु म कहलाते है ।
 वह पदाथ जो अ ल तथा ारक दोन क तरह यवहार दखाता है, उभयधम कहलाता हे ,
जैसे H20 । 156
 HClO4, H2SO4, HBr आ द बल अ ल के लए CH3COOH एक वषमआयनन
वलायक है।
 ल स- लड धारणा के अनुसार ारक ऑ साइडदाता होते ह जब क अ ल ऑ साइड ाह
होते ह । वलायक तं धारणा के अनुसार वे पदाथ जो वलायक के धनायन क सां ता म
वृ कर अ ल कहलाते ह तथा वे पदाथ जो वलायक के ऋणायन को सां ता म वृ कर,
ार कहलाते ह ।
 व NH2 म सभी अमो नयम लवण जैसे NH4Cl, NH4NO3 अ ल होते ह जब क ऐमाइड
लवण, जैसे NaNH2, KNH2 ारक होते ह ।
 लु इस के अनुसार ारक वह पदाथ है जो इले ॉन यु म का दान करे तथा अ ल वह पदाथ
है जो इले ॉन यु म हण करे ।
 सभी धनायन लु इस अ ल होते है जब क ऋणायन लु इस ारक होते ह ।

204
12.8 श दावल (Glossary)
 उभय ो टक  वह वलायक जो बल अ ल क उपि थ त म ोटॉन
हण करते ह तथा बल ार क उपि थ त म ोटॉन
दान करते ह, जैसे H2O ।

 बहु ो टक अथवा  ऐसे अ ल िजनम एक से अ धक ोटॉन हो जैसे


बहु ार य H3PO4, H2SO4, H2CO3, आ द ।

 उभयधम  वे पदाथ जो अ ल तथा ारक दोन क तरह- यवहार


करते ह, जैसे H2O ।
 ोटॉन वलायक  वलायक िजसम ोटॉन हो । जैसे H2O, NH3,
CH3COOH म आ द ।
 अ ोटॉनीय वलायक  वलायक िजसम ोटॉन न हो । जैसे व SO2,
N2O4, BrF, आ द ।
 वत: आयनन  वलायक के दो अणु ओं वारा धनायन तथा ऋणायन
का नमाण वत: आयनन कहलाता है । जैसे
 H2O + H2O  H3O+ + OH-
 लग ड  लू इस ार जो अपना इले ॉन यु म दान कर
उपसहसंयोजक बंध बनाते है ।

12.9 संदभ थ (Reference Books)


1. Concise Inorganic Chemistry: J.D.Lee
2. Inorganic Chemistry: J.E.Huheey,E.A.Keiter,andR.L.Keiter
3. Selected Topics Inorganic Chemistry: Malik, Tuli and Madam
4. Advanced Inorganic Chemistry Vol.I: Gurdeep Raj
5. Inorganic Chemistry, Vol.II:K.K.Bhasin
6. Modern aspects of Inorganic Chemistry: H.J.Emeleus,a.G.Sharpe
7. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : ओझा, जैन, चतु वद तथा कोठार ।
8. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : पी भागच दानी ।
9. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : आमेटा शमा, जैन तथा मेहता ।
10. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : तगी तथा संह ।
11. अकाब नक रसायन ( नातक वतीय वष हे त)ु : शमा माथुर , वा त ।

205
12.10 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)
1. (क) H+ (ख) नीला (ग) ारक (घ) उदासीनीकरण (च) बल (छ) दुबल
2. अ ल 3. Cl- 4. वषमआयनन
5. CH3COOH 6. व NH3
7. (क) ऑ साइड दाता (ख) O2- (ग) CO2 (घ) FeO (च) अ ल य, ार य
8. ारक 9. अ ल य 10. अ ल- ारक उदासीनीकरण
11. AlCl3 12. लूइस अ ल

12.11 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. आरे नयस क अवधारणा के अनुसार बल अ ल व बल ार से या ता पय है?
2. न न ल खत म से लु इस अ ल व लु इस ार को पहचा नये -
BF3, NH3, Ag+, NH4+, AlCl3, CO32-, CH3OCH, SnCl4, ZnCl2, BeCl2
3. ार के लए ं टे द-लोर अवधारणा ल खए ।

4. लू इस क अ ल- ारक संक पना या है?
5. दुबल अ ल व दुबल ारक से या ता पय है? उदाहरण स हत ।
6. आरे नअस स ा त क या सीमाएँ है तथा वलायक तं स ा त से कैसे व तार मलता
है?
7. वलायक के समआयनन भाव पर ट पणी ल खए ।
8. अ ल व ार क ल स अवधारणा क या या क िजए?
9. संयु मी अ ल- ारक धारणा को समझाइए ।
10. अ ल- ारक क वलायक तं प रभाषा या है? आव यकता अनुसार उपयु त वलायक दे त
हु ए न न ल खत पदाथ को अ ल तथा ारक से वभािजत कर ।
NH4Cl,Na2SO4, NH3, SiO2, NaNH2, SOCl2, Ni2+, SO42-, CN-,
11. बल अ ल के साम य क तु लना जल तथा व अमो नया से नह क सकती ले कन
इसके लए ऐसी टक अ ल एक उपयु त वलायक है । प ट क िजए ।
12. ल स- लड धारणा म धातु ऑ साइड को ार य माना जाता है? उदाहरण वारा
समझाइये ।
13. बल अ ल के लए कौनसा वलायक वषमआयनन वलायक है तथा य?
14. नाइ क अ ल जल म एक बल अ ल है पर तु यह H2SO4 वलायक म एक ार क
तरह यवहार करता है । समझाइये य?
15. ऐसी टक अ ल, व अमो नया वलायक म बल अ ल क तरह य करता ह?
16. BF3 एक लू इस अ ल है जब क NH3 एक लू इस ार । समझाइए ।
17. सं मण त व के परमाणु लू इस अ ल क तरह य यवहार करते ह?

206
18. अ ल- ार क व भ न धारणाओं के आधार पर उदासीनीकरण अ भ या क उ चत
उदाहरण स हत या या क िजए?
19. अ ल- ार क सटे द-लोर धारणा को समझाइये । यह धारणा आरे नअस क धारणा से
कस कार े ठ है? इसक सीमाएँ ल खये ।
20. न न ल खत वलायक के वत: आयनन क रासाय नक समीकरण ल खए तथा इन तं
म अ ल व ारक के उदाहरण द िजए ।
(i) H2O (ii) व SO2 (iii) व NH3

207
इकाई 13
नजल वलायक – I
Non-Aqueous Solvents-I
इकाई क प रे खा
13.0 उ े य
13.1 तावना
13.2 वलायक के भौ तक गुण
13.3 वलायक के कार और उनके सामा य अ भल णक गुण ।
13.4 सारांश
13.5 श दावल
13.6 संदभ थ

13.7 बोध न के उ तर
13.8 अ यासाथ न

13.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे -
 नजल य वलायक या होते ह तथा कस कार ये जल से भ न ह ।
 इन वलायक के सामा य भौ तक गुण या होते ह ।
 नजल य वलायक कतने कार के होते ह ।
 इन वलायक के सामा य अ भल णक गुण या ह ।

13.1 तावना (Introduction)


रसायन योगशालाओं म आपने दे खा होगा क पदाथ क अ धकांश अ भ याएं उनके
जल य वलयन के मा यम से करायी जाती ह । कु छ धातु आयन के जल य वलयन म
H2S गैस वा हत करने पर धातु स फाइड क ाि त होती ह । सो डयम लोराइड के
वलयन म स वर नाइ े ट का वलयन मलाने से स वर लोराइड का सफेद अव ेप ा त
होता है । श कर के जल म वलेय होने के कारण ह आप व वध कार के शबत बना पाते ह।
नमक के जल म वलेय होने के कारण ह आप वा द ट नमक न सि जयाँ, दाल,
आ द तैयार कर पाते है । खारे जल क झील म नमक क उपि थ त भी उसके जल म वलेय
होने के कारण ह है । धरती के भीतर छपा नमक जल म वलेय होकर ऊपर झील के जल म
मलता रहता है और उसे खारा बनाता है । इसी झील के जल को सु खाकर नमक ा त कया
जाता है । उ योग म जल के वलायक गुण का उपयोग कर इसे बड़ी मा ा म काम म लया
जाता है । इस कार आपने दे खा क जल अनेक पदाथ को घोलने क मता रखता है एवं
इस कारण बहु त उपयोगी है । पर तु जल के अ त र त बहु त से व ह जो पदाथ को वलेय

208
करने क मता रखते ह और वशेष प रि थ तय म मह वपूण भू मका नभाते ह । इस इकाई
म आप ऐसे ह कु छ वलायक उनके गुण और उपयोग का अ ययन करगे ।

13.2 वलायक के भौ तक गु ण (Physical Properties of


Solvents)
वलायक के प म जल का मह व सबसे अ धक है, इस लये जल साव क वलायक
कहलाता है। जल म ऐसे बहु त से गुण ह, िजसके कारण जल यापक प से वलायक का काय
करता है । ये गुण न न कार ह –
(1) जल रं गह न, गंधह न और उदासीन कृ त का व है ।
(2) व के प म जल 00C से 10000C तक उपल ध रहता है ।
(3) जल कृ त म चु र मा ा म है और सरलता से उपल ध हो जाता है ।
(4) जल सरलता से शु अव था म ा त हो जाता है ।
(5) जल का व व
ु आघूण तथा डाइइलेि क ि थरांक उ च होता है ।
सभी व वलायक के गुण नह ं रखते । पर तु कु छ व ऐसे ह जो अ छे वलयक ह ।
जल वह न ये व नजल वलायक (non-aqueous solvents) कहलाते है । इस कार के
वलयक के उदाहरण ह - व अमो नया, व स फर डाइऑ साइड, व हाइ ोजन लु ओराइड,
काबन टे ा लोराइड बजीन, आ द ।
अगल इकाइय म आप व अमो नया (NH3) तथा व स फर डाइऑ साइड (SO2)
का वलायक के प म व तृत अ ययन करगे । अत: यहाँ सारणी 13.1 म इन नजल
वलायक के कु छ भौ तक ि थरांक क तु लना जल के भौ तक ि थरांक से करगे ।
सारणी 13.1 जल और नजल वलायक ( व NH3, तथा व SO2)
के कु छ भौ तक ि थरांक
भौ तक ि थरांक जल व NH3 व SO2
(1) डाइइलेि क ि थरांक (ताप पर) 81(18 C) 0
22(-34 C)
0
17.3(-16.50C)

(2) घन व (g/mL) 0.96 0.68 1.46


(3) गलनांक 0 -77.8 -75.46
(4) वथनांक 100 -33.40 -10.02
(5) व का सता 1.00 0.241 0.009
(6) ु आधूण (D)
व व 1.84 1.48 1.61

(7) आय नक गुणनफल 1014 1033 10.23


[H3O][OH-] [NH4+ ][NH2-] [SO2+][SO32-]

209
उ त सारणी से प ट है क नजल वलायक व अमो नया तथा व स फर
डाइऑ साइड से बहु त भ न ह । पर तु आप दे खगे क इन अजल य व म यौ गक व श ट
अभ या करते है, जो जल य वलयन म स भव नह ं हो पाती । अब आप इन वलायक के
सामा य भौ तक गुण क मब जानकार ा त करे ग ।
(1) व युत चालन: नजल वलायक कुछ सीमा तक आय नत हो जाते ह । इस वत: आयनन
के कारण ये व युत क ीण सु चालक होते ह । वत: आयनन न न कार होता है
2NH3(1) ⇋ NH4+ + NH2
2SO2(1) ⇋ SO2 + SO3
+ 2-

(2) डाइइलेि क ि थरांक: एक e1 आवेश वाले धनायन और e2 आवेश वाले ऋणायन के म य


आकषण बल (F) को न न ल खत समीकरण से दशाया जा सकता है -
e1xe2
F=
Dxr 2
यहाँ r आयन के म य दूर तथा D डाइइलेि क ि थरांक है । इस, का मान आयन
के म य उपि थत मा यम पर नभर करता है । D का मान अ धक होने से आयन के म य
आकषण बल बहु त कम होगा । इस ि थ त म मा यम अथात ् वलायक अ धक भावी है ।
सारणी 13.1 म आप दे ख सकते ह क जल का डाइइलेि क ि थरांक अ धक है अत: यह
नजल वलायक क अपे ा उ तम वलायक होगा । सामा यत: 50 से अ धक डाइइलेि क
ि थरांक वाले व को उ च डाइइलेि क ि थरांक वाला माना जाता है, 20 से 50 ताले को
सामा य तथा 20 से कम वाले डाइइलेि क ि थरांक वाला वलायक माना जाता है ।
(3) ू आघूण : जल,
व ण व NH3, व SO2 आ द वलायक ु वीय कृ त के यौ गक ह ।
इनके अणु एक छोटे चु बक जैसे यवहार करते ह तथा इ ह व ु व कहते ह । इनका एक
भाग ऋण आवे शत तथा दूसरा घन आवे शत होता है । दोन आवेश के के के म य
दूर (d)और आवेश (e) के गुणनफल को वघुण आघूण (µ) कहते ह µ = ed) ।अ धक
व ण
ु आधू ण वाले व अ छे वलायक होते ह । उदाहरण के लये जल (µ =1.84D),
व NH3 µ = 1.46D)क अपे ा आय नक यौ गक के लये उ तम वलायक है ।
(4) गलनांक एवं वथनांक: व का गलनांक और वथनांक उसका व ताप परास नि चत
करता है । इस व ताप परास म पदाथ व के प म रह कर वलायक का काय करता है
। जल का गलनांक 00C तथा इसका वथनांक 1000C है । अत: इसका व ताप परास
0 C से 100 C हु आ । अथात ् 0 से 100 C के म य जल
0 0 0
व अव था म रह कर
व NH3 का व ताप परास -77.8 C से -
0
वलायक का काय कर सकता है । पर तु
33.40Cहै । इस परास म अमो नया व के प म रहकर वलायक का काय करती है ।
पर तु यह ताप परास ा त करना सहज नह ं है । इसका अथ यह हु आ क नजल
वलायक का योग जल क तरह सु गम नह ं है ।
(5) व का सता: िजस सु गमता से व बहते ह वह उनक व का सता या यानता कहलाती है ।
पतले व आसानी से बहते ह, अत: इनक व का सता कम होती है, जैसे जल, व NH3,

210
व SO2आ द । ि लसरॉल, सरस के तेल आ द गाढ़े होते है और इनक व का सता
अ धक होती है। कम व का सता वाले व म आयन क ग तशीलता अ धक होती है, अत:
इन व म रासाय नक अ भ याएं आसानी से होती है । इसी कार इनम अव ेपण,
टलन और छानने क याएं भी आसानी से होती ह । स फयू रक अ ल और उ च
ऐ कोहॉल क व का सता अ धक होती है, अत: इन अजल य वलायक म उ त
अभ याएं और याएं सरलता पूवक नह ं होती ।
(6) ोटॉन बंधु कता: कसी पदाथ के अणु म एक ोटॉन जु ड़ने से उ सिजत ऊजा उस पदाथ क
ोटॉन बंधु कता कहलाती है । अमो नया क ोटॉन बंधु कता जल क अपे ा अ धक होती है
। अत: कु छ पदाथ व अमो नया म अपना ोटॉन दे कर अ ल य गुण द शत करते ह ।
उदाहरण के लये ऐसीटै माइड व अमो नया म अ ल समान तथा जल म दुबल ार समान
यवहार करता है ।
CH3CONH2 + NH3  CH3CONH- + NH4+
अ ल ार
CH3CONH2 + H2O  CH3CONH3+ + OH-
ार अ ल
इस कार का गुण केवल ोटॉ नक वलायक ह द शत करते ह ।
बोध न –
1. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) जल का डाइइले ि क ि थरां क उ च होता है । (स य/अस य)
(ख) अमो नया - 77.8 C से -33.4 0 C के म य
0
व अव था म रहती है ।
(स य/अस य)
(ग) व अमो नया म ऐसीटै माइड एक ार के समान यवहार द शत
करता है । ( स य/अस य )
(घ) व SO 2 क व का सता ि लसरॉल क व का सता से अ धक ले ती है ।
(स य/अस य)
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) ऐसीटै माइड जल म वले य होकर ............. तथा .............. आयन
बनाता है ।
(ख) डाइइले ि क ि थरां क का मान आयन के म य उपि थत ...............
पर नभर करता है ।
(ग) ....................... से ....................... 0 C के म य H 2 O व के
प म रहता है ।
(घ) व SO 2 के वत : आयनन से ................... तथा .............:....
आयन बनते ह।

211
13.3 वलायक के कार और उनके सामा य अ भल णक गु ण
(Types of Solvents and their Characteristic
Properties)
व भ न वलायक का वग करण उनके भौ तक और रासाय नक गुण के आधार भ न
- भ न कार कया जा सकता है । इसका वणन यहाँ कया जाएगा ।
(1) जल य और नजल वलायक: जल य और नजल य गुण के आधार पर वलायक को दो
वग म बाँटा जा सकता है ।
क. जल य वलायक (aqueous solvent): इस वग म केवल एक ह वलायक है
और वह है जल । पर तु यह वलायक सबसे अ धक कार के पदाथ को वलेय
।करने क मता रखता है । इसम आय नक और सहसंयोजक, दोन कार के
पदाथ वलेय जाते ह । इसम कॉपर स फेट, सो डयम लोराइड, आ द आय नक
यौ गक सरलता से घुल जाते है, वह ं लूकोस श कर, ऐ कोहॉल, आ द सहसंयोजक
यौ गक भी सरलता से वलेय, हो जाते है ।
ख. नजल वलायक (non-aqueous solvent): जल र हत व नजल वलायक
कहलाते ह । जैसे - व अमो नया व स फर डाइऑ साइड, स फयू रक अ ल,
हाइ ोजन लू ओराइड, काबन टे ा लोराइड, लोरोफाम, काबन डाइस फाइड, आ द
। इन वलायक को वग म वग कृ त कया जा सकता है ।
(2) आयनकार और अन आयनकार वलायक: इन वलायक का आधार आयनन है ।
क. आयनकार वलायक (lonising solvent): ये वलायक आय नक व
ु ीय कृ त के
होते है । इनके डाइइलेि क ि थरांक उ च होते है। समान, समान को घोलता है के
स ांत के आधार पर ये वलायक आय नक और ु वीय पदाथ को घोलने के लये होते
ह । ये वलायक वयं भी आय नत होते है जैसे –
2H2O ⇋ H2O+ + OH-
2NH3 ⇋ NH4+ + NH2-
2SO2 ⇋ SO2+ + SO32-
ख. अनआयनकार वलायक: (Non-lionizing solvent): ये वलायक अनआय नक
अथवा अ ु वीय ाकृ त के होते ह । इनके डाइइलेि क ि थरांक न न होते है । ये
सहसंयोजक अथवा अ ु वीय यौ गक के लये उ तम वलायक है । इनके उदाहरण है -
CCl, C6H6, आ द।
(3) ोटॉ नक नॉन- ोटॉ नक तथा उभय ो टक वलायक
(Protonic,Non-Protonic and Amphiprotic solvents)

212
इस कार का व गकरण वलायक अणु वारा ोटॉन दे ने या लेने पर आधा रत । यह
व गकरण उ ह ं वलायक के लये है िजनम ोटॉन उपि थत हे ला है। इ ह दो वग म बाँटा
गया है।
(क) ोटॉ नक या ो टक वलायक: इन वलायक म ोटॉन उपि थत रहता है तथा इ हे
तीन उपवग म बांटा जा सकता है -
(i) अ ल य या ोटोजे नक वलायक: इन वलायक म ोटॉन दे ने क वृि त होती है ।
इनके उदाहरण ह - HF, HCl, HCN, H2SO4, आ द ।
(ii) ार य या ोटो फ लक वलायक: इन वलायक म ोटॉन हण करने क वृि त होती
है । इनके उदाहरण ह - NH3, N2H4, ऐमीन यौ गक, आ द ।
(iii) उभय ो टक वलायक: इस वग के वलायक म ोटॉन दे ने और लेन,े दोन मताएं
होती ह। ये वलायक अ ल और ार दोन समान यवहार करते ह । इस कार के
वलायक के उदाहरण है – H2O, CH3OH, C2H5OH, CH3COOH, आ द ।
ख. नॉन- ोटॉ नक अथवा ऐ ो टक वलायक: ये वलायक न ाटॉन दे ते ह और ना ह लेते
है । वलायक के अणु म ोटॉन होते हु ए भी इनम ोटॉन दे ने क वृि त नह ं होती ।
इस कार के वलायक के उदाहरण ह – व SO2, CCl4, CHCl3, C6H6 आ द ।

बोध न -
3. न न ल खत म से कौनसे अन - आयनकार वलायक ह-
NH 3 , CCl 4 , H 2 O , SO 2 , C 6 H 2 , HCN
4. न न ल खत म से कौनसे उभय ो टक वलायक ह -
HF , CH 3 OH , SO 2 , CCl 4 , H 2 SO 4 , CH 3 COOH
5. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) म नस लवण का सू [Pt ( NH 3 ) 6 ] [ PtCl 4 ] है । ( स य/अस य)
(ख) सं कु ल यौ गक म Cl - जब लग ड के प म धातु से जु ड़ा रहता है ,
तो लोराइडो कहलाता , है । ( स यअस य )
(ग) [PtCl 2 (NH 3 ) 2 ] यौ गक का नाम डाइ लोऐरोडाइऐ मीन लै टनम ( II ) है ।
( स य/अस य)
(घ) सं कु ल [Fe ( CO ) 5 ] म आयरन क ऑ सीकरण अव था शू य है ।
( स य/अस य)

13.4 सारांश (Summary)


 जल अनेक पदाथ को घोलने क मता रखता है, इस लये यह साव क वलायक कहलाता
है। . जल के अ त र त अ य व भी पदाथ को वलेय करते ह । ये व नजल वलायक
कहलाते है, जैसे- व NH3, व SO2 आ द ।

213
 कु छ नजल वलायक जल क भां त वत: आय नत होते ह, अत: ये व युत का चालन
करते है ।
 उ च डाइइलेि क ि थरांक वाले व अ छे वलायक होते है ।
 उ च व ु व आघूण वाले व क वलेय करने क मता अ धक होती ह ।
 व का गलनांक और वथनांक उसका व ताप परास नि चत करते ह । व NH3 का व
परास -77.8 C से -33.4 C है ।
0 0

 कम व का सता वाले वलायक म रासाय नक अ भ या और अव ेपण, टलन,


छानना, आ द अ भ याएं सरलता से होती है ।
 ोटॉ नक वलायक अ भ याओं म ोटॉन आदान - दान वारा अ ल य तथा ार य गुण
का दशन करते है।
 वलायक को उनके भौ तक एवं रासाय नक गुण के अहार पर व भ न कार से वग कृ त
कया जा सकता है।
 जल य और नजल वलायक - जल य वलायक केवल जल है । नजल वलायक म बहु त
से वलायक है, जैसे - व अमो नया, व स फरडाइऑ साइड, काबनटे ा लोराइड,
लोरोफाम,
 बे जीन, ऐ कोहॉल, ईथर, आ द ।
 आयनकार और अनआयनकार वलायक - आयनकार वलायक का वत: आयनन होता
है, जैसे व NH3, व SO2, HF, HCl, H2SO4, आ द । अनआयनकार वलायक
आय नत नह ं होते, जैसे बे जीन, काबनटे ा लोराइड, आ द ।
 ोटॉ नक तथा नॉन- ोटॉ नक वलायक -
ोटॉ नक वलायक को तीन उपवग म बाँटा जा सकता है -
(i) अ ल य या ोटोजे नक वलायक ( ोट न दे ने वाले) - HF, H2SO4, आ द ।
(ii) ार य या ोटो फ लक वलायक ( ोट न लेने वाले) – NH3, N2H4, आ द ।
(iii) उभय ो टक वलायक ( ोट न दे ने ओर लेन,े दोन म स म) – H2O, CH3COOH,
CH3OH,आ द ।

13.5 श दावल (Glossary):


 साव क वलायक ऐसा वलायक जो बड़ी सं या म वभ न कार के
(Universal Solvent) पदाथ को वलेय करने क मता रखता है । यह
वलायक जल है ।
 व ताप परास (Liquid वह दो ताप िजनके म य कोई पदाथ व अव था म
temperature rauge) रहता है । जैसे जल का व ताप परास 00C से
1000C है ।

214
13.6 संदभ ंथ (Reference Books)
1. Selected Topics in Inorganic Chemistry-Malik,Tuli,Madam
2. अकाब नक रसायन, वी. एस.सी. पाट-II (कॉलेज बुक हाऊस, जयपुर)
3. अकाब नक रसायन, वी. एस.सी. पाट-II (रमेश बुक डपो, जयपुर)

13.7 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. (क) स य (ख) स य (ग) अस य (घ) अस य
2. (क) CH3CONH3 , OH
+ -
(ख) मा यम (ग) 0 से 100 (घ) SO2+, SO32+
3. CCl4 तथा C6H6 4. CH3OH, CH3COOH
5. (क) अस य (ख) अस य (ग) स य (घ) स य

13.8 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. जल अपने कन गुण के कारण साव क वलायक कहलाता है?
2. जल य और नजल वलायक से आप या समझते है, उदाहरण प ट कर ।
3. जल के भौ तक गुण नजल वलायक से कस कार भ न होते है? एक अजल य
वलायक क तुलना जल से करके अपने उ तर को प ट कर ।
4. वलायक के संदभ म न न ल खत क सं त या या क िजये-
(क) व युत चालन (ख) व ताप परास (ग) ु ता (घ) उभय
ोट न बंधक ो टक वलायक
5. डाइइलेि क ि थरांक या होता है? व का डाइइलेि क ि थरांक तथा व का सता उसके
वलायक गुण को कस कार भा वत करते है?
6. वलायक का वग करण कस आधार पर कया जाता है? वभ न कार के वग का
सं त वणन क िजये ।
7. न न ल खत को प ट कर -
(क) आयनकार वलायक (ख) ोटॉ नक वलायक

215
इकाई 14
नजल वलायक – II
Non-AqueousSolvent – II
इकाई क प रे खा
14.0 उ े य
14.1 तावना
14.2 व अमो नया के गुण
14.3 व अमो नया म अ भल णक अ भ याएं (अ ल - ारक अ भ याएं, अव ेपण या
व नमय अ भ याएं अमीनो अपघटनी अ भ याएं, रे डॉ स अ भ याएं, आ द)
14.4 सारांश
14.5 श दावल
14.6 संदभ थ

14.7 बोध न के उ तर
14.8 अ यासाथ न

14.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे -
 व अमो नया के गुण को ।
 व अमो नया म होने वाल अ भ याएं जल म होने वाल संगत अ भ याओं से कस
कार भ न ह ।

14.1 तावना (Introduction)


आपने इकाई 13 म नजल वलायक क सामा य जानकार ा त क । इस इकाई म
आप नजल वलायक व अमो नया स बं धत कु छ अ धक जानकार ा त करगे । इस
जानकार म व अमो नया के गुण को समझ कर आप अ ययन करे ग क कस कार व
अमो नया म व भ न अ भ याएं होती है । इन अ भ याओं वारा कु छ ऐसे उ पाद ा त होते
है िजनका उ पादन जल य मा यम म स भव नह ं हो पाता ।
लगभग 75 वष पूव व अमो नया क पहचान व वलायक के प म क गयी ।
इसके अ धकांश गुण जल के गुण से मलते ह । इसका उपयोग बहु त से अकाब नक और
काब नक सं लेषण म वलायक के प म कया जाता है । यह सु गमता से आव यक मा ा म
उपल ध हो जाता है ।

14.2 व अमो नया के गु ण (Properties of Liquid Ammonia)


व अमो नया के मु ख गुण न न कार ह-

216
(1) अमो नया के अणु क संरचना: अमो नया (NH3) के एक अणु म तीन हाइ ोजन एक
नाइ ोजन से सहसंयोजक बंध से जु ड़े रहते ह । अणु म नाइ ोजन परमाणु के बा य क क
sp3 संक रत अव था म होते ह । चार संक रत क क म से एक म एक इले ॉन यु म
3
उपि थत रहता है । शेष तीन sp संक रत क क म अयुि मत इले ॉन होते ह जो तीन
हाइ ोजन के s - क क म उपि थत इले ॉन से सहसंयोजक बंध बनाते है, जैसा च
14.1 म द शत कया गया है । 165

च 14.1 अमो नया अणु म संक रत N -परमाणु और परै मडी NH3 अणु ।
अमो नया अणु म उपि थत एकाक इले ॉन यु म के कारण इसका N - H बंध से
वकषण होता है । इस लये CH4 क तरह इसका <HNH 109020' होता है।
(2) वघुण आघूण : अमो नया के अणु म N परमाणु हाइ ोजन परमाणु से अ धक ऋण
व युती है । इससे N परमाणु पर आं शक ऋण आवेश रहता है और H परमाणु ओं पर
आं शक धन आवेश रहता है । इस कार NH3 अणु एक व व
ु को दशत करता है ।
इसके ु आघूण (µ=ed) का मान उ च होता है । इस कारण यह कु छ पदाथ के लये
व व
एक अ छे वलायक के प म काय करता है ।
(3) व ताप परास: मेथेन (अणुभार 16) क तु लना म अमो नया (परमाणु भार 17) का
गलनांक उ च होता है । इसका कारण अमो नया के अणुओं के म य उपि थत हाइ ोजन
बंध क उपि थ त है । यह हाइ ोजन बंध जल म उपि थत हाइ ोजन बंध से दुबल होता है
। इस लये जल क अपे ा व अमो नया का गलनांक और वथनांक दोन बहु त कम होते
है । व अमो नया का गलनांक -77.80C तथा वथनांक -33.40C ह । अत: इसका व
ताप परास -77.8 C से -33.4 C हु आ, जो क बहु त सु वधाजनक नह ं है । पर तु कम
0 0

थाई यौ गक के नमाण और पृथ करण के लये व अमो नया एक उपयोगी वलायक है



(4) डाइइलेि क ि थरांक: व अमो नया का डाइइलेि क ि थरांक (22 D), जल के
डाइइलेि क ि थरांक (81 D) से काफ कम है । यह कारण है क आय नक लवण व
अमो नया म कम वलेय ह । अ ु वीय पदाथ के लये व अमो नया एक अ छा वलायक
है । काब नक पदाथ के लये व अमो नया उ तम वलायक है । अकाब नक आयोडाइड,
थाओसायनेट, आ द लवण जो जल म अ वलेय होते ह, व अमो नया म वलेय होते है ।

217
(5) व का सता: व अमो नया क व का सता या यानता कम होने के कारण इसम आयन या
अणु अ धक ग तशील होते है । अत: इसम रासाय नक अ भ याएं और अव ेपण,
टलन, न यंदन जैसे याएं सहजतापूवक स प न होती ह ।
(6) वत: आयनन: व अमो नया का वत: आयनन न न कार है,
+ -
2NH3 ⇋ NH4 + NH2
-500C पर व अमो नया का आय नक गुणनफल 1.9 x 10-33 है ।
[NH4+][NH2-] = 1.9 x 10-33
जल के 250C पर यह मान 1 x 10-14 है । अत: आय नक अ भ याओं के लये व
अमो नया कम भावी वलायक है ।
(7) ोटॉन बंधु कता: अमो नया का अणु एक ोटॉन लेकर अमो नयम बनाता है । इस म म
उ सिजत ऊजा ोट न बंधु ता कहलाती है ।
NH3 + H  NH4+ + ऊजा
+

जल क अपे ा व अमो नया क ोटॉन बंधु ता का मान अ धक होता है । अमो नया


का नाइ ोजन, जल के ऑ सीजन क अपे ा एक उ तम इले ॉन यु म दाता है ।
इसका नाइ ोजन क ऑ सीजन क अपे ा कम व युत ऋणता है । अत: व
अमो नया म अ ल- ारक अ भ याएं सरलता पूवक स प न होती है ।
(8) धातु ओं और अधातुओं क वलेयता: ार धातु ए,ं र य मृदा धातु ए,ं ऐलु म नयम, आ द व
अमो नया म शी ता से वलेय हो जाती ह । तनु धातु - वलयन का रं ग नीला होता है,
पर तु सां अव था म यह रं ग कांसे के रं ग जैसा हो जाता है । व अमो नया म वलेय
होने पर धातु आय नत हो जाते है । इन आयन और पृथक होने वाले इले ॉन दोन का
वलायकन हो जाता है, अथात ् इनके साथ वलायक के अणु जुड़ जाते है । ठोस धातु (M)
के लये इस या को न न कार दशाया जा सकता है-
M(s) + (x+y)NH3 ⇋ [M(NH3)x]+ + [e(NH3)y]
स फर, फॉ फोरस, आयोडीन जैसे कु छ अधातु व अमो नया म वलेय होकर उससे
अभ या करते ह, उदाहरण के लये,
10S + 16NH3  N4S4 + 6(NH4)2S

बोध न -
1. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) व अमो नया का गलनां क शू य0 C से कम होता है । ( स य/अस य )
(ख) अमो नया का डाइइले ि क ि थरां क जल क अपे ा उ च होता है ।
( स य/अस य )
(ग) व अमो नया का आय नक गु ण नफल 1.9 x 1 0 -3 3
होता है ।
( स य/अस य )

218
(घ) सो डयम धातु के व अमो नया म तनु वलयन का रं ग नीला होता है ।
( स य/अस य )
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) अमो नया का अणु ....................... आकृ त का होता है ।
(ख) NH 3 म एक ोटॉन जु ड़ ने पर उ सिजत ऊजा ........................
कहलाती है ।
(ग) व अमो नया के वत : आयनन पर ............. तथा .................
आयन बनते ह।
(च) व अमो नया का ........................ ि थरां क 22 D होता है ।

14.3 व अमो नया म अ भल णक अ भ याएं (Characteristic


Reaction of liquid Ammonia)
व अमो नया एक ोटॉ नक वलायक है । अथात ् इसम ोटॉन दे ने और लेने क
मता होती है। इस आधार पर यह वलेय पदाथ के साथ रासाय नक अ भ याएं करता है
अथवा इस मा यम म होने वाल रासाय नक अ भ याओं म सहायक होता है । व अमो नया
म होने वाल कु छ मह वपूण रासाय नक अ भ याओं क जानकार आपको यहाँ द जा रह है ।

14.3.1 अ ल- ारक अ भ याएं (Acid-Base Reactions)

जल तथा अ य आय नक वलायक क भां त व अमो नया का वत: आयनन होता


है।
H2O + H2O ⇋ H3O+ + OH
NH3 + NH3 ⇋ NH4+ + NH2
वै ा नक कैडी तथा ऐ से के अनुसार व अमो नया म अमो नयम आयन (NH4+) दे ने
वाले पदाथ अ ल तथा ऐमाइड आयन (NH2-) दे ने वाले पदाथ ारक कहलाते ह । इस या या
से सभी अमो नयम लवण अ ल ह और सभी वलेय ऐमाइड ारक होग । अमो नयम लवण
और ऐमाइड क व NH3 म अ भ या से लवण और व अमो नया बनेगा । अत: ये
अभ याएं अ ल- ारक अ भ याएं या उदासीनीकरण अ भ याएं कहलाती ह । इस कार क
अभ याओं के कु छ उदाहरण न न कार ह -
(i) NH4Cl + KNH2  KCl + 2NH3
NH 3  I 

अ ल ारक लवण वलायक


(ii) 2NH4I + PbNH  PbI + 3NH3
NH 3  I 

(iii) 3NH4Cl + AIN 


3 
 NH3(I) AICl3 + 4NH3
NH I

अमो नयम लवण के अ ल य यवहार के कु छ उदाहरण -


(क) अमो नया लवण ार धातु ओं के साथ अ भ या कर हाइ ोजन मु त करते ह ।
2 Na + 2NH4Cl  2NaCl + H2O + 2NH3
NH 3  I 

219
(ख) ार य ऑ साइड तथा ार य हाइ ॉ साइड क अ भ या अमो नयम लवण से होने पर
उदासीनीकरण होता है ।
Na2O + 2NH4Cl   2NaCl + H2O + 2NH3
3NH  I 

ार य ऑ साइड अ ल लवण
NaOH + NH4NO3  NaNO3 + H2O + NH3
NH 3  I 

ार य ऑ साइड अ ल लवण

14.3.2 अव ेपण या व नमय अभ याएं (Precipitation or Metathelical


Reactions)

कु छ पदाथ (जैसे KCl) जल म वलेय होते है पर तु व अमो नया म होते ह । ऐसे


े ण, पृथ करण अथवा
पदाथ का अव प टलन व अमो नया म सरलता पूवक कया जा
सकता है । कु छ उदाहरण न न कार ह -
(क) NH4Cl और KI के व अमो नया म तैयार कये गये वलयन को मलाने पर आयन
का व नमय होता है और KCl का अव ेपण हो जाता है (जल य मा यम म नह ं होता
है ।)
NH4Cl + KI  KCl + NH4I
इसी कार LiCl का अव ेपण करवाया जा सकता है -
NH4Cl + LiNO3  LiCl + NH4l
(ख) धातु ोमाइड और आयोडाइड का अव ेपण –
Sr(NO3)2 + 2NH4Br  SrBr + 2NH4NO3
Zr(NO3)2 + 2NH4I  Znl2 + 2NH4NO3
(ग) जल य वलयन म सो डयम काबमेट का बनना स भव नह ं हो पाता, पर तु व
अमो नया म यह सरलता पूवक अव े पत हो जाता है –
NaNO3 + NH4(NH2CO.O)  Na(NH2CO.O) + 2NH4NO3
अमो नयम काबमेट  सो डयम कबमेट
(घ) ऐ कॉ साइड यौ गक का अव ेपण -
Ba(NO3)2 + 2 K(OC2H5)  Ba(OC2H5)2 + 2 KNO3
पोटै शयम एथॉ साइड बे रयम एथॉ साइड
(च) व अमो नया म कुछ धातु ऐ मीन संकुल अव े पत कर ा त कये जाते ह ।
Ca(NO3)2 + 8NH3 + 2NaCl  [Ca(NH3)8]Cl + 2NaNO2
ऑ टाऐ मीनकैि सयम(II) लोराइड
(छ) कुछ धातु नाइ े ट के अमो नया वलयन म (NH4)2S वारा धातु स फाइड अव े पत
कये जा सकते है।
2AgNO3 + (NH4)2S  Ag2S + 2NH4NO3

220
14.3.3 अमोनो-अपघटनी अ भ याएं (Ammnolysis Reactions)

अमोन-अपघटनी अ भ याएं, जल-अपघटन अ भ याओं समान ह । जल म H+


आयन अथवा OH आयन क सां ता म वृ होती है । इसी कार अमीनो-अपघटनी
+ -
अभ याओं म NH4 आयन अथवा NH2 आयन क वृ होती है । कु छ उदाहरण
न न ल खत है -
(क) सो डयम हाइ ाइड व NH3 म अपघ टत होकर सो डयम ऐमाइड बनाता है । व अमो नया
के वत: आयनन से उसम ऐमाइड आयन उपि थत रहते ह । सो डयम ऐमाइड पहले से
उपि थत ऐमाइड आयन क सां ता म वृ करता है ।
+ -
NaH + NH3  Na + NH2 + H2
(ख) अकाब नक हैलाइड का अमोनो-अपघटन होने से वलयन म आयन क मा ा म NH4,
वृ होती है ।
SO2Cl2 + 4NH3  SO2(NH2)2 + 2NH4+ + 2Cl
BCl3 + 6NH3  B(NH2)3 + 3NH4 + 3Cl
SiCl4 + 8NH3  Si(NH2)4 + 4NH4 + 4Cl
PCl3 + 6NH3  P(NH2)3 + 3NH4 + 3Cl

14.3.4 रे डा स अ भ याएं (Redox Reactions)

िजस कार जल य मा यम म ऑ सीकरण - अपचयन अ भ याएं अथात ् रे डा स


अभ याएं स प न होती है वैसी रे डा स अ भ याएं व अमो नया म भी होती ह ।
जल य मा यम म बल अपचायक काम म नह ं लये जा सकते य क ये अपचायक
जल के H+ आयन का अपचयन H2 गैस म कर दे ते है । अत: िजन अपचायक के इले ोड
वभव के मान इले ोड वभव ेणी म हाइ ोजन से ऊपर होते ह, उनक रे डॉ स अ भ याएं
जल य मा यम म नह ं करा सकते । उनक अ भ याएं व अमो नया म करायी जा सकती है
। उदाहरण के लये
2Na + S   Na2S
3 NH  I 

Cul2 + 2Na   Cu + 2Nal


3 NH  I 

4Znl2 + 9 Na   NaZn4 + 8Nal


3 NH  I 

व अमो नया म बल ऑ सीकरण पदाथ मंद पढ़ जाते ह । जैसे HNO3 अ ल व


अमो नया म ऑ सीकारक क भां त यवहार नह ं करता । पोटै शयम परमगनेट व अमो नया
म दुबल ऑ सीकरण क तरह यवहार करना है ।
KMnO4 + K   K2MnO4
3 NH  I 

K2MnO4 + 4K + 3NH3   MnO + 3KNH2 + 3KOH


3 NH  I 

स य धातु ओं का धातु नाइ ाइड म ऑ सीकरण हो जाता है -


3 Mg + 2NH3  Mg3N2 +3H2

221
व अमो नया म आयोडीन दुबल ऑ सीकारक पदाथ का काय करता है । उदाहरण के
लये,
K4[SnII(NH2)6] + I2   K2[SnIV(NH2)6] + 2 KI
NH  I 
3

14.3.5 धातु-अमो नया वलयन क अ भ याएं (Reactions of metal-ammonia solution)

कम आयनन ऊजा, कम ऊधपातन ऊजा और उ च वलायकन ऊजा वाले धातु जैसे


ार धातु ार य मृदा धातु ऐलु म नयम, आ द व अमो नया म सरलता पूवक वलेय हो जाते
ह । इन धातु-अमो नया वलयन के न न ल खत व श ट गुण होते है -
(i) तनु धातु वलयन का व श ट नीला रं ग होता है, इसम चाहे कोई भी वलेय धातु उपि थत
हो ।
(ii) इन वलयन का अवशोषण पे म एक जैसा होता है ।
(iii) सां वलयन (सां ण 1M से अ धक) का रं ग कांसे के रं ग जैसा होता है तथा इन वलयन
क व युत चालकता मू ल धातु समान होती है ।
(iv) इन वलयन म ऋण आवे शत कण एक जैसे पाये जाते ह ।
(v) तनु धातु-अमो नया वलयन अनुचु बक य होते ह । यह गुण वलयन म अयुि मत
इले ॉन क उपि थ त बताता है । सां ता बढ़ाने पर इन वलयन क मोलर चु बक य
वृि त का मान घटता है । इससे प ट है क सां वलयन म अयुि मत इले ॉन का
यु मन हो जाता है ।
(vi) ार धातु-अमो नया वलयन का वा पन करने पर धातु पुन : ा त हो जाते ह । Ca, Sr
और Ba के व अमो नया म वलयन का वा पन करने पर मश: Ca(NH3)6, Sr(NH3)6
और Ba(NH3)6 सू वाले ठोस ा त होते ह जो व युत के अ छे चालक होते है और
दखने म धातु समान होते ह ।
ऊपर दये गये े ण के आधार पर न कष नकाला गया क व अमो नया म धातु
वलेय होकर आय नत हो जाते ह । धनायन और इले ॉन दोन का अमोनीकरण जाता है ।
इसे न न कार दशाया जा सकता है ।
M(s) + (x+y)NH3 ⇋ [M(NH3)x]+ + [e(NH3)y]-
वलयन क सां ता म वृ के साथ इले ॉन युि मत हो जाते है । इस बात का माण सां ता
क वृ साथ अनुचु बक व मान का कम होना है ।
2[e(NH3)y]-  [e2(NH3)y]2- + yNH4
युि मत एवं वलाय कत इले ॉन
इस कार पाते ह क धातु-अमो नया वलयन इले ॉन का एक बहु त ह सु वधाजनक
ोत है तथा एक शि तशाल अपचायक है । वलयन के इस अपचायक गुण का उपयोग कर
बहु त सी रासाय नक अ भ याएं करायी गयी जो अ यथा स भव नह ं थी । धातु-अमो नया
वलयन क कु छ अ भ याएं यहाँ द जा रह ह ।
(i) अमो नया लवण धातु-अमो नया वलयन को रं गह न कर दे ते ह ।

222
NH4+ + e(अमो नया)  NH3 + 1/2H2
(ii) अधातु धातु-अमो नया वलयन म अपच यत होकर धातुओं के यौ गक ह ।
O2 + e-  O2 M+ MO2 (धातु का सु परऑ साइड)
O2 + 2e-  O22- 2M+ M2O2 (धातु का पर ऑ साइड)
S + 2e-  S2- 2M+ M2S (धातु स फाइड)
(iii) कुछ काब नक यौ गक धातु-अमो नया वलयन म अपच यत हो जाते ह।
CH3 – C ≡ CH + Na  CH3 – C ≡ C.Na + 1/2H2
2C2H5Cl + 2Na + NH3  C2H6 + C2H5NH2 + 2NaCl
R – CH = CH2 + 2Na + 2NH3  R CH2CH3 + 2NaNH2
R2C = O + 2Na + 2NH3  R2CHOH + 2NaNH2
(iv) काबधाि वक यौ गक का अपचयन -
(CH3)3SnBr + 2Na  [(CH3)3Sn]- Na+ + NaBr
(v) धाि वक काव नल का अपचयन -
Fe(CO)5 + 2Na  Na2[Fe(CO)4] + CO
Mn2(CO)10 + 2K  2K[Mn(CO)5]
(vi) संकुल यौ गक का अपचयन –
[PtII(NH3)4]Br2 + 2K  [Pt0(NH3)4] + 2 K Br
K2[NiII(CN)4] + 2K  K4[Ni0(CN)4]
यहाँ Pt और Ni दोन का +2 आ सीकरण अव था से शू य ऑ सीकरण अव था म
अपचयन हो रहा है ।

14.3.6 व अमो नया वलायक क सीमाएं (Limitations of Liquid Ammonia Solvent)

जल क वलेय करने क भरपूर मता है तथा अ धकांश अ भ याएं जल य मा यम


म करायी जाती है । आपने यहाँ दे खा क व अमो नया का वलायक के प म अलग मह व
है और कु छ रासाय नक अ भ याएं व-अमो नया म ह हो पाती ह । पर तु व अमो नया क
वलायक या अ भ या मा यम के प म अपनी सीमाएं है, जो न न ल खत है -
(क) व अमो नया का वथनांक बहु त कम (-33.30C) है । अत: व अमो नया का वलायक या
अभ या मा यम के प म उपयोग न न ताप एवं उ च दाब पर ह स भव हो पाता है।
(ख) व अमो नया का उपयोग न न ताप और उन दाब पर होने के कारण इसके लये व श ट
तकनीक और ज टल उपकरण का उपयोग करना पढ़ता है, जो बहु त सु वधाजनक नह ं
होता।
(ग) व अमो नया बहु त अ धक आदता ाह होती है, अत: इसे वायुम डील नमी से बचना
पड़ता है ।
इन कारण से आप पाते है क व अमो नया का उपयोग बहु त सी मत प म कया
जाता है ।

223
बोध न –
3. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) व अमो नया म NH 4 Cl अ ल समान यवहार करता है ।
( स य/अस य )
(ख) व अमो नया म NH 4 Cl और Kl क अ भ या होने पर NH 4 I का
अव े प ा त होता है । ( स य/अस य)
(ग) व अमो नया म सो डयम धातु , Cul 2 का अपचयन करता है ।
( स य/अस य )
(घ) धातु - मो नया वलयन का नीला रं ग अमो न यत इले ॉन के कारण
होता है । ( स य/अस य)
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) व अमो नया म सो डयम ऑ साइड और अमो नयम लोराइड के म य
रासाय नक अ भ या होने पर .............. लवण ा त होता है ।
(ख) व अमो नया म उपि थत NaNO 3 क अ भ या .................... से
कराने पर सो डयम काबमे ट अव े पत होता है ।
(ग) व अमो नया म SiCl 4 वले य करने पर वलयन म ..................
आयन क वृ होती है ।
(घ) व अमो नया म पोटै शयम धातु , KMnO 4 को अपच यत कर .........
म प रव तत कर दे ता है ।
5. न न ल खत रासाय नक समीकरण को पू ण कर -
(क) Fe ( CO ) 5 + 2 Na NH 3 (I) .......................... + CO
(ख) R - CH = CH 2 + 2Na + 2 NH 3 NH 3 (I) R CH 2 CH 3 +.........
(ग) 3 Mg + 2 NH 3 NH 3 (I) ....................... + 3 H 2
(घ) BCl 3 + 6 NH 3 NH 3 (I) ......................... + 3 NH 4 + + 3 Cl -

14.4 सारांश (Summary)


 अमो नया (NH3) का अणु ु वीय कृ त और परै मडी आकृ त का होता है । इसमे N -
परमाणु के बा य। क क sp संक रत अव था म होते ह ।
3

 व अमो नया का व ताप परास -77.80C से -33.40C है ।


 इसका डाइइलेि क ि थरांक जल क अपे ा बहु त कम होता है ।
 इसक व का सता कम होने के कारण इसम अ भ या सरलता से होती ह ।
 व अमो नया का जल के समान वत: आयनन होता है।
2NH3 ⇌ NH4 + NH2-+

 जल क अपे ा, अमो नया क ोटॉन बंधु ता का मान अ धक होता है ।

224
 धातु और अधातु व अमो नया म वलयशील होते ह । धातु आय नत होकर अमो न यत
इले ॉन उ प न करते है िजस कारण इन वलयन का रं ग नीला होता है ।
 व NH3 म अ ल- ारक अ भ याओं म अमो नयम आयन अ ल समान तथा ऐमाइड
ारक समान यवहार करते है ।
 व अमो नया म कु छ अव ेपण अ भ याएं होती ह जो सामा यत: जल य मा यम म
स भव नह ं हो पातीं।
 जल अपघटन क भां त पदाथ का व अमो नया का अमीनो-घटन होता है । इसम NH4+
अथवा NH2- आयन क वृ होती है ।
 अमोनीकरण अ भ याओं म व NH3 म यौ गक के अणु ओं के साथ अमो नया के अणु
जुड़कर योगो पाद बनाते है जो उन यौ गक के अमोनेट कहलाते है ।
 व अमो नया म बल अपचायक सरलता पूवक काम म लये जा सकते है, यो क जल य
मा यम म ये काम म नह ं लये जा सकते ।
 जल एक साव क वलायक है पर तु व NH3 क अपनी सीमाएं है । कम वथनांक (-
33.30C) होने के कारण कम ताप और उ च दाब पर व अमो नया मा यम म
अभ याएं स प न कराना सरल नह होता ।

14.5 श दावल (Glossary)


 सं लेषण  रासाय नक अ भ याओं वारा त व अथवा सरल अणुओं
(synthesis) वारा यौ गक का नमाण ।
 sp3 संक रत क क  (sp3 hybrid orbitals) एक s और 3p क क मलकर
समान ऊजा और समान आकृ तय वाले चार क क है
िजनक दशा चतु फलन के चार कोन क ओर होती है ।
 व ताप परास:  व के गलनांक और वथनांक के म य का ताप परास,
(Liquid िजसम पदाथ व के प उपल ध ।
temperature
range)
 आदता ाह  पदाथ जो वायु क नमी सोखने क वृ त रखता है ।
(hygroscopic)

14.6 संदभ ंथ (Reference Books)


1. Selected Topics’s Inorganic Chemistry – Malik, Tuli, Madam
2. अकाब नक रसायन, बी. एससी. पाट-II (कॉलेज बुक हाऊस, जयपुर)
3. अकाब नक रसायन, बी. एस.सी. पाट-II (रमेश बुक डपो, जयपुर)

14.7 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)


1. (क) स य (ख) अस य (ग) स य (घ) स य

225
2. (क) परै मडी (ख) ोटॉन बंधु ता (ग) NH4+, NH2 (घ) डाइइलेि क
3. (क) स य (ख) अस य (ग) स य (घ) स य
4. (क) NaCl (ख) अमो नया काबमेट (ग) NH4 +
(घ) K2MnO4
5. (क) Na2[Fe(CO)4] (ख) 2NaNH2 (ग) Mg3N2 (घ) B(NH2)3

14.8 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. व अमो नया के भौ तक गुण का सं त वणन क िजये ।
2. व अमो नया के लये न न ल खत क सं त या या क िजये -
(क) धातु ओं क वलेयता (ख) ोटॉन बंधु ता (ग) वत: आयनन (घ) व व
ु आघूण
3. व अमो नया म अ भल णक अ भ याओं का वणन क िजए । स बं धत रासाय नक भी
लख
4. व अमो नया म होने वाल न न ल खत अ भ याओं क ववेचना क िजए -
(क) अ ल- ारक अ भ याएं (ख) व नमय अ भ याएं
(ग) अमोनो-अपघटनी अ भ याएं (घ) रे डा स आ भ याओं
5. धातु-अमो नया वलयन के व श ट गुण या ह? धातु-अमो नया वलयन म होने वाल
अभ याओं का सं त वणन क िजए ।
6. व अमो नया का वलायक के प म या मह व है तथा वलायक के प म इसक
सीमाय या ह?
7. व अमो नया म होने वालो न न ल खत रासाय नक समीकरण को पूण एवं संतु लत कर -
(क) NH4Cl + AIN ............................ + NH3
(ख) NaOH + NH4NO3 ........................... + .................. + NH3
(ग) AgNO3 + (NH4)2S ...................... + ......................
(घ) PCl3 + NH3 ..................... + NH4+ + Cl-
(च) [Pt(NH3)4]Br2 + K ...................... + KBr

226
इकाई 15
नजल वलायक – III
Non-AqueousSolvents-III
इकाई क प रे खा
15.0 उ े य
15.1 तावना
15.2 व स फर डाइऑ साइड के गुण
15.3 व स फर डाइऑ साइड म अ भल णक अ भ याएं
(अ ल- ारक अभ याएं, अव ेपण अभ याएं, रे डॉ स अभ याएं, वलायक
अपघटनी अ भ याएं, वलायक संकरण अ भ याएं, संकुल नमाण अ भ याएं, काबन
यौ गक के साथ अ भ याएं)
15.4 सारांश
15.5 श दावल
15.6 संदभ थ

15.7 बोध न के उ तर
15.8 अ यासाथ न

15.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप -
 व SO2 के वलायक के प म मह व को समझ सकगे ।
 व SO2 के गुण से प र चत होग ।
 व SO2 म होने वाल अभ याओं को जानगे । साथ ह यह भी समझगे क ये
अभ याएं जल य मा यम म होने वाल संगत अ भ याओं से कस कार भ न ह ।

15.1 तावना (Introduction)


आपने इकाई 14 म व NH3 के गुण और वलायक के प म उसम होने वाल
अभ याओं को जाना और समझा। इसी कार आप इस इकाई म एक अ य नजल वलायक
व SO2 के स बंध म जानगे ।
व SO2 एक नॉन- ोटॉ नक वलायक है । अथात ् इसम कोई ोटॉन उपि थत नह ं है
। साधारण ताप पर यह एक गैस है, पर तु -75.5 C और -10 C के म य यह
0 0
व अव था म
रहता है । इस ताप परास म इसे वलायक के प म काम म लया जा सकता है । इसका
उपयोग न न ताप तथा उ च दाब पर कया जाता है । व SO2 म पदाथ क अ भ याएं
कराने हे तु वशेष उपकरण और वशेष तकनीक क आव यकता पड़ती है । आप दे खगे क इस

227
वलायक म अकाब नक और काब नक दोन कार क अ भ याय स प न करायी जा सकती ह

15.2 व SO2 के गु ण (Properties of Liquid SO2)


अमो नया क भां त स फर डाइऑ साइड सामा य ताप और दाब पर गैसीय अव था म
पायी जाती है । न न ताप और उ च दाब पर यह जल समान व म प रव तत हो जाती है ।
इसे बहु त सी मह वपूण रासाय नक अ भ याओं हे तु वलायक के प म काम म लया जाता
है।
(1) ु आघूण :
व ण व SO2 एक ु वीय वलायक है। इसका ु आघूण (1.61 D)
व ण व
अमो नया क अपे ा अ धक होता है पर तु जल के व ु व आघूण (1.84 D) से कम होता
है । हाइ ोजन परमाणु के अभाव म इसके अणु हाइ ोजन बंध जैसे बंध नह ं बना पाते,
अत: पर पर अ धक सीमा तक संगु णत नह ं होते ह ।
स फर डाइऑ साइड के अणु क संरचना को न न ल खत दो संरचनाओं का अनुनाद
संकट माना जाता है –

इले ॉन ववतन उा ययन के आधार पर दोन S-O बंध दूर 1.43 A0 है। इस आधार पर
इसे संरचना III वारा दशाया जा सकता है िजसमे S और O परमाणुओं के म य एक σ तथा
एक π बंध बनता है । स फर परमाणु के पास र त क क होते है अत: इसम इले ॉन दाता
परमाणु ओं से इले ॉन यु म लेने क वृि त रहती ह अथात ् SO2 अणु लु इस अ ल यवहार
करता है ।
(2) वत: आयनन: जल और व अमो नया क भां त व SO2 भी वत: होता है ।
SO2 +SO2  SO +SO3 2+ 2-

इस कार 2+ थायो नल आयन (SO2) और स फाइड आयन (SO32-) बनते ह, जो व SO2


म कु छ मह वपूण अ भ याओं म सहायक होते है । जो पदाथ व SO2 म SO 2-
क सां ता
म वृ करते ह, वे अ ल क भां त तथा जो SO3 2-
क सां ता म वृ करते ह, ारक क
भां त यवहार करते ह ।
(3) गलनांक एवं वथनांक: स फर डाइऑ साइड -100C पर व अव था प रव तत हो जाती है
अथात ् इसका वथनांक -100C है । यह व -75.50C पर ठोस SO2 म प रव तत हो
जाता है अथात ् इसका गलनांक -75.50C है । इस कार -75.50C से -100C म य SO2
व अव था म पायी जाती है और इस व ताप परास म इसका उपयोग वलायक के प
म कया जाता है ।

228
(4) डाइइलेि क ि थरांक और वलेयता: व अमो नया का डाइइलेि क ि थरांक -16.50C पर
17.27 है । यह मान जल क अपे ा बहु त कम है पर तु व अमो नया के डाइइलेि क
ि थरांक के नकट है । अत: यह आय नक यौ गक क अपे ा सहसंयोजक यौ गक के
लये एक उ तम वलायक है । वशेष प से काब नक यौ गक के लये व SO2 एक
अ छा वलायक है ।
अकाब नक यौ गक म आयोडेट और थाओसायनेट व SO2 म अ धक वलेय होते ह ।
ार धातु हैलाइड क व SO2 म वलेयता का घटता म न न कार है-
MI>MBr>Mel>MF, जहाँ M एक ार धातु है ।
ार धातु स फाइड और ऐसीटे ट भी व SO2 म वलेय है । धातु स फेट, स फाइड,
ऑ साइड तथा हाइ ॉ साइड व SO2 म अ वलेय रहते है ।
SOCl2 व SO2 म पूणत: म णीय होता है । इस गुण का उपयोग व SO2 म
थायो नल यु प न बनाने म कया जाता है । इसी कार कु छ अ य यौ गक जैसे, Br, ICI,
BCI, PCI, CS2, POCL3, AsCl3, आ द भी व SO2 म पूणतया म णीय होते ह ।
काब नक यौ गक म ऐरोमै टक हाइ ोकाबन और ऐ क न, ऐ केन क अपे ा व SO2
अ धक वलेय होते है । व SO2 म कु छ काब नक अ भ याएं सरलता पूवक स प न होती है,
जैसे- डल- ा ट स फोनीकरण, ोमीनेशन आ द ।
(5) व का सता: व SO2 क व का सता या यानता 2.40 मल पाइज है, जो जल क
व का सता (10.08 millipoise) से काफ कम है । इसका अथ है क व SO2 एक
बहु त पतला वलायक है, अत: इसम रासाय नक अ भ याएँ तथा अव ेपण, टलन या
छानने जैसी याएं सु गमता से स प न होती ह ।
(6) वलयन क चालकता: व SO2 को व श ट चालकता का मान 34 x 10-8 ohm-1 cm-1
होता है । यह मान जल क व श ट चालकता के मान से कु छ ह कम होता है । व
SO2 म ार धातु ओं के वलयन, अमो नयम और ाइऐि कल अमो नयम हैलाइड चालकता
द शत करते है । यह चालकता धनायन के आकार के साथ बढ़ती है । कु छ धनायन क
चालकता का बढ़ता म न न कार है-
Na +
> NH4 +
> K+ > Rb+ > Me3S+ > Me4N+ > Et4N+
इसी कार कु छ ऋणायन क चालकता का बढ़ता म है-
SCN > CIO4 > Cl -
> Br > I- > Sb Cl6
बहु त से सहसंयोजक यौ गक जैसे Br2 ,I2 ,PBr5 ,SbCl5 , AsBr3, S2Br2, IBr,
ICI, ICI3, SOBr2, (C6H5)CCl आ द व SO2 व युत अपघ य समान यवहार द शत
करते है ।

बोध न-
1. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) व SO 2 एक ोटॉ नक वलायक है । ( स य / अस य )

229
(ख) -6 0 .5 0 C ताप पर SO 2 व अव था म रहती है । ( स य / अस य)
(ग) व SO 2 म KI क वले य ता KCl क वले य ता से अ धक होती है ।
( स य/अस य)
(घ) व SO 2 म SOCl 2 अ वले य रहता है । ( स य / अस य )
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) व SO 2 म Br 2 और I 2 .............. समान यवहार करते है तथा
व यु त चालकता द शत करते ह ।
(ख) व SO 2 क ......................... 2.4 0 मल पाइज है ।
(ग) SOCl 2 तथा POCl 3 व SO 2 म पू ण तया....... ........... होते ह ।
(घ) व SO 2 के वत : आय नत होने के फल व प ............. तथा
........... आयन ा त होते ह ।

15.3 व स फरडाइऑ साइड म अ भल णक अभ याएं


(Characteristic Reactions in Liquid Sulphur dioxide)
जल और अ य नजल वलायक क भां त व SO2 म भी बहु त सी रासाय नक
अभ याएं होती ह, िजसक जानकार आप यहाँ ा त करगे ।

15.3.1 वलायक संकर का बनना:

SO2 अणु म इले ॉन यु म लेने क वृि त होती है, अत: यह लु इस अ ल समान


यवहार करता है । व SO2 म वलेय होने वाले पदाथ लु इस ार समान यवहार करते ह
और आि वक संकुल बनाते है । उदाहरण के लए KI व SO2 म वलेय होकर न न कार
वलायक संकर बनाता है -
KI + 4SO2 KI.4 SO2 या K[I(SO2)4]
कु छ अ य वलायक संकर के सू ह – KBr.4SO2, Lil.2SO2, KSCN.SO2,
Cal.4SO2 आ द।

15.3.2 अ ल ारक अ भ याएं

व SO2 के वत: आयनन को न न कार दशाया जाता है -


SO2 + SO2 ⇋ SO2+ + SO32-
व SO2 म जो पदाथ थायो नल आयन क सां ता म वृ करते है अ ल समान
यवहार करते है । अथात ् थायो नल यौ गक जैसे SOCl2, SOBr2 आ द दव SO2 म अ ल
होग ।इसी कार स फाइड आयन (SO32-) क सां ता म वृ करने वाले यौ गक ारक
कहलायगे जैसे K2SO3, Al2(SO3)3 आ द ।
थायो नल आयन तथा स फाइड आयन मलकर उदासीन SO2 ( वलायक) बनाते ह।
अत: यह अ भ या उदासीनीकरण अ भ या भी कहलाती है ।

230
SO2+ + SO32-  2 SO2
अ ल ारक वलायक (उदासीन)
अब आप व SO2 म होने वाल कु छ अ ल- ारक या उदासीनीकरण अ भ याओं को
समझगे ।
(i) SOCl2 + K2SO3  2KCL + 2SO2
(ii) SO(SCN)2 + Cs2SO3  2Cs(SCN) + 2SO2
(iii) SOBr2 + [(CN3)4N]SO3  2[(CH3)4]Br + 2SO2
अ ल ारक लवण वलायक

15.3.3 अव ेपण या व नमय अ भ याएं:

यौ गक क व SO2 म वलेयता के आधार पर बहु त से व अमो नया म बनाकर


अव े पत कये जाते है । इन अ भ याओं म अ भकारक के म य आयन का होता है । कु छ
व नयम अ भ याओं के उदाहरण यह ं दये जा रहे है -
(i) AlCl2 + 3Nal  3NaCl + AlI3
(ii) SbCl3 + 3Lil  3SbI3 + 3LiCl
(iii) KI + (CH3)3NHCl  KCl + (CH3)3NHl
(iv) PbF2 + LiSO4  PbSO4 + 2LiF
इन अ भ याओं के उपयोग से SOCl2 के व SO2 म वलयन से बहु त से नये
थायोनील युप न बनाये जो सके । कु छ उदाहरण इस कार है -
(i) 2KI + SOCl2  2KCl + SOl2
थायो नल आयोडाइड
(ii) 2Ag(CH3COO) + SOCl2  2AgCl + SO(CH3COO)2
थायो नल ऐसीटे ट
(iii) 2NH4(SCN) + SOCl2  2NH2Cl + SO(SCN)2
थायो नल थाओसानेट

15.3.4 रे डॉ स अ भ याएं:

उ च ताप पर गैसीय SO2 ऑ सीकारक अथवा अपचायक के प म अभ या है ।


परं तु व SO2 इस कार का यवहार दशन नह ं करती । व SO2, ऑ सीकरण-अपचयन
अथात ् अ भ याओं के लए मा यम का काम अव य करती है । व SO2 म होने वाल कु छ
व श ट रे डॉ स अ भ याओं के उदाहरण यहाँ दए जा रहे है ।
(i) ोमीन या आयोडीन को व SO2 अपच यत नह ं कर सकती । परं तु व SO2 मा य म
कोई थी स फाइड इसे ोमाइड या आयोडाइड म अपच यत कर दे ता है ।
I2 + 2CaSO3  CaSO4 + Cal2 + SO2
(ii) उ त अ भ या के वपर त SbCl5 वारा KI का ऑ सीकरण I2 म हो जाता है ।

231
6KI + 3SbCl3  2K3[SbCl6] + SbCl3 + 3I2
(iii) इसी कार FeCl3 वारा भी KI का ऑ सीकरण हो जाता है ।
2FeCl3 + 2KI  2 FeCl2 + 2KCI + I2

15.3.5 वलायक अपघटनी अ भ याएं (Solvolytic Reactions):

जल क तु लना म बहु त कम लवण का वलायक अपघटन व SO2 म होता है ।


कु छ उदाहरण यहाँ दए जा रह है ।
(i) कुछ हैलाइड का व म वलायक अपघटन होता है -
PCI5 + SO2  POCl3 + SOCI2
PBr3 + SO2  POBr3 + SOBr2
2KBr + 2SO2  K2SO3 + SOBr2
WCl6 + SO2  WOCl4 + SOCl2
NbCI5 + SO2  NbOCl3 + SOCl2
(ii) डाइए थल िजंक का वलायक अपघटन ZnSO3 म हो जाता है ।
Zn(C2H5)2 + 2SO2  ZnSO3 + (C2H5)2SO
(iii) अमो नयम ऐसीटे ट दवा वलायक अपघटन होने पर अमो नयम स फाइड बनता है ।
2CH3COONH4 + 2SO2  (NH4)2SO3 + (CH3COO)2SO2
(CH3COO)SO  (CH3CO)2O + SO2

15.3.6 संकुल नमाण अ भ याएं (Complex Formation Reactions)

जल य मा यम म बहु त बड़ी सं या म संकु ल यौ गक बनाये जाते ह । इसी कार व


SO2 म भी कुछ संकुल बनते ह । कुछ उदाहरण यहाँ दए जा रहे है ।
(i) व SO2 म AlC3 और Cs2SO3 अ भ या कर Al2(SO3)2 का अव ेप बनाते है जो
Cs2SO3 के अ ध य से अ भ या कर वलेय संकु ल बनाता है ।
2AlCl3 + 3C2SO3  Al2(SO3)3 + 6 CsCl
Al2(SO3)3 + 6Cs2SO3  2 Cs3[Al(SO3)3]
सीिजयम ाइस फाइट ऐलु मनेट(III)
(ii) व SO2 म SbCl3 तथा KCl के म य अ भ या से संकुल बनता है ।
SbCl3 + 3 KCl  K3[SbCl6]
पोटै शयम हे सा लोरोऐि टमोनेट(III)
(iii) व SO2 म HgI2 तथा KI डालने से संकुल बनता है जो HgI2 क वलेयता को बड़ा दे ता
है ।
HgI2 + 2KI  K2(HgI4)
पोटै शयम टे ाआयोडो म यू रे ट(II)

232
(iv) व SO2 म I2 वलेय है । इस वलेयता को KI अथवा RbI डालकर बढ़ाया जा सकता है
। वलेयता म वृ का कारण संकुल नमाण है ।
KI + I2  KI3
RbI + I2  RbI3
(v) व SO2 म संकुल नमाण के कुछ और उदाहरण -
NOCI + SbCl5  NO[SbCl6]
नाइ ो सल हे सा लोरोऐि टमोनेट(V)
CH3 + SbCl5  [CH3CO][SbCl6]
ऐसी टल लोराइड ऐसी टल हे सा लोरोऐि टमोनेट(V)
KCI + SbCl5  K[SbCl6]
पोटै शयम हे सा लोरोऐि टमोनेट(V)

15.3.7 काब नक यौ गक क अ भ याएं:

व भ न काब नक यौ गक व SO2 म वलेय पाये गये ह । काब नक सं लेषण के


लए व SO2 एक अ छा वलायक है, य क यह काब नक यौ गक से अ भ या नह ं करता
तथा अ वलनशील है । व पुणे म स प न होने वाल काब नक यौ गको क कु छ व श ट
अभ याएं न न ल खत है ।
(i) योगा मक अ भ याएं: व SO2 म असंत ृ त हाइ ोकाबन हैलोजेन अभ या कर
डाइहैलाइड बनाते ह ।
CH2 = CH2 + Br  CH2Br – CH2Br
(ii) स फोनीकरण अ भ या: व भ न ऐरोमै टक यौ गक का व SO2 म स फोनीकरण होता
है और अ छ लि ध (yield) ा त होती है । उदाहरण के लए, बजीन के स फोनीकरण से
बजीन स फो नक अ ल ा त होता है ।
C6H6 + SO3  C6H5SO3H
C6H6 + CISO3H  C6H5SO3H + HCI
(iii) त थापन अ भ याएं: कु छ त थापन अ भ याएं व SO2 म आसानी से स प न
होती है । उदाहरण के लए फ नॉल के ोमीनीकरण से p - ोमोफ नॉल ा त होता ह ।

(iv) फ डेल- ा ट अ भ याएं: फ डेल- ा ट अ भ याओं म ACl3 एक उ ेरक के प म काय


करता है । ACl3 व SO2 म वलेय है अत: व SO2 म फ डेल- ा ट अ भ याएं
स प न करायी जाती है ।
C6H6 + C2H5   C6H5 C2H2 + HCI
3 AlCl

C6H5OH + C2H5COCl   C6H5 OCO . C2H5 + HCl


3 AlCl

233
C6H6 + C6H5COCl   C6H5 – CO – C6H5 + HCl
3 AlCl

बोध न -
3. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) SO 2 अणु म इले ॉन यु म ले ने क वृ ि त होती है । ( स य/अस य )
(ख) व SO 2 म K 2 SO 3 एक अ ल समान यवहार करता है ।
( स य/अस य )
(ग) व SO 2 म वले य AICI 3 म Nal मलाने पर Al I 3 का अव े प
होता है । ( स य/अस य )
(घ) व SO 2 म CaSO 3 , I 2 का अपचयन कर Ca I 2 बनाता है ।
( स य/अस य )
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त को टक म दये गये श द/श द
समू ह का चयन कर क िजये –
(क) AlCl 3 क उपि थ त म व SO 2 म C 6 H 6 तथा C 6 H 5 COCl के
म य अभ या को................कहते ह ।
( त थापन अ भ या/ डे ल - ा ट अ भ या )
(ख) व SO 2 म KCl और SbCl 5 क अ भ या वारा .................
सं कु ल का नमाण होता है । (K[SbCl 6 ]/K 3 [SbCl 6 ]
(ग ) व SO 2 म KI और SO 2 क अ भ या से .....................
वलायक सं क र बनता है । (KI. SO 2 ]/ KI. 4 SO 2 ])
(घ) व अमो नया म पोटे शयम PbF 2 तथा Li 2 SO 4 क अभ या वारा
.................. का अव े प ा त होता है । ( PbSO 4 /LiF)

15.4 सारांश (Summary)


 व SO2 एक नॉन ोटॉ नक वलायक है ।
 व SO2 का ु आघूण 1.61 D है । इसमे जल समान हाइ ोजन बंध उपि थत नह ं
व व
होते।
 SO2 के स फर परमाणु के पास र त क क होते है अत: इसम इले ॉन यु म हण
करने क वृ त रहती ह ।
 व SO2 के वत: आयनन से SO2+ तथा SO42- आयन बनते ह ।
 व SO2 का गलनांक -75.50C तथा वथनांक -100C है ।
 व SO2 के डाइइलेि क ि थरांक का मान जल क अपे ा बहु त कम होता है, अत: यह
सहसंयोजक यौ गक लये एक अ छा वलायक है ।
 व SO2 क व का सता बहु त कम होती है, अथात ् यह बहु त पतला व होता है । इसम
अभ याएं सरलता पूवक होती है ।

234
 व SO2 म ार धातुओं के वलयन और अमो नयम हैलाइड चालकता द शत करते ह ।
 व SO2 म ार धातु लवण वलेय होकर वलायक संकर, जैसे KI.4SO2, बनाते है ।
 व SO2 म थाओ नल यौ गक अ ल क तरह और स फाइड ारक समान यवहार
द शत करते ह।
 व SO2 म वलेयता के आधार पर कु छ यौ गक बनाकर उनको अव ेप के प म ा त
करते है।
 व SO2, ऑ सीकरण-अपचयन अ भ याओं के लये मा यम का काय करती है ।
 व SO2 म कु छ हैलाइड और अ य यौ गक का वलायक अपघटन हो जाता है, िजससे
नये उ पाद ा त होते है ।
 व SO2 म कु छ यौ गक पर पर अ भ या कर संकु ल यौ गक का नमाण करते ह ।
 काब नक यौ गक व SO2 म कु छ वश ट अभ याएं करते ह । इनम मु य है –
योगा मक अ भ याएं, स फोनीकरण, त थापन अ भ याएं, डेल- ा ट अ भ याएं,
आद ।

15.5 श दावल (Glossary)


 संगु णत  अणु ओं का पर पर जुड़ना ।
 यु प न  कसी यौ गक क संरचना/संघटन म आं शक प रवतन
(derivative) कर जो नया यौ गक ा त होता है वह पहले का
यु प न कहलाता है, जैसे ोमोमेथेन, मेथेन का
यु प न होता है ।
 वलायक संकर  कसी यौ गक का वलायक के अणु ओं के साथ मलकर
(solvate) एक संकर या संकुल यौ गक बनाना । जैसे KI और
व SO2 मलकर K[I(SO2)4] बनाते ह ।
 अ वलनशील  जो आसानी से आग नह ं पकड़ता ।
 योगा मक अ भ या  एक अणु का दूसरे अणु के साथ ब ध बना कर जु ड़ना

15.6 संदभ ंथ (Reference Books)


1. Selected Topics in Inorganic Chemistry-Malik, Tuli, Madam
2. अकाब नक रसायन, बी. एससी. पाट-II (कॉलेज बुक हाऊस, जयपुर)
3. अकाब नक रसायन, बी. एससी. पाट-II (रमेश बुक डपो, जयपुर )

15.7 बोध न के उ तर (Answers of Intex Questions)


1. (क) अस य (ख) स य (ग) स य (च) अस य
2. (क) व युत अपघ य (ख) व का सता / यानता (ग) म णीय (च) SO2+, SO32-

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3. (क) स य (ख) अस य (ग) अस य (च) स य
4. (क) डेल- ा ट अ भ या (ख) K[SbCl6] (ग) KI.4SO2 (घ) PbSO4

15.8 अ यासाथ न (Exercise Questions)


1. व SO2 कस कार का वलायक है? SO2 अणु क संरचना द िजए ।
2. व SO2 का वत: आयनन होने पर कौन से आयन ा त होते ह?
3. न न ल खत को सं ेप म समझाइये -
(क) व SO2 म पदाथ क वलेयता (ख) व SO2 वलयन क चालकता
4. व SO2 के भौ तक गुण का सं त वणन क िजये ।
5. वलायक संकर या होते है? वलायक व SO2 का उदाहरण लेकर अपना उ तर प ट
क िजए ।
6. व SO2 म यौ गक कस कार अ ल और ारक समान यवहार करते ह ? व SO2
म कु छ अ ल- ार अ भ याओं के उदाहरण द िजये ।
7. व SO2 के संदभ म न न ल खत क सं त ववेचना क िजये -
(क) व नमय अ भ याएं (ख) रे डा स अ भ याएं (ग) संकुल नमाण अ भ याएं
8. व SO2 म काब नक यौ गक कस कार क अ भ याओं का दशन करते है? उदाहरण
स हत समझाइये ।
9. व SO2 म होने वाल व भ न रासाय नक अ भ याओं पर एक लेख लख।
10. व SO2 म स प न होने वाल न न ल खत अ भ याओं को पूण एवं संतु लत क िजये -
(क) SOCl2 + ..............................  KCI + SO2
(ख) AICl2 + Nal  ......................... + AlI3
(ग) Ag(CH3COO) + SOCl2  AgCl  + ...................
(घ) KI + SbCl3  ........................ + SbCl3 + I2
(च) NbCl5 + SO2  ........................... + SOCl2
(छ) C6H6 + C6H5COC  l ........................... + HCl1

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