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अकार्बनिक रसायन
अकार्बनिक रसायन
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CH-05
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा
अकाब नक रसायन
इकाई सं. इकाई पृ ठ सं .
1. थम सं मण ेणी के त व का रसायन 5—21
2. वतीय सं मण ेणी के त व का रसायन 22—34
3. तृतीय सं मण ेणी के त व का रसायन 35—48
4. ऑ सीकरण और अपचयन -I 49—68
5. ऑ सीकरण और अपचयन -II 69—89
6. उपसहसंयोजक यौ गक-I 90—104
7. उपसहसंयोजक यौ गक-II 105—122
8. लै थेनाईड त व का रसायन-I 123—138
9. लै थेनाईड त व का रसायन-II 139—157
10. ऐि टनाईड त व का रसायन-I 158—172
11. ऐि टनाईड त व का रसायन-II 173—187
12. अ ल तथा ारक 188—207
13. नजल वलायक -I 208—215
14. नजल वलायक -II 216—226
15. नजल वलायक -III 227—236
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पा य म अ भक प स म त
अ य
ो. (डॉ.) नरे श दाधीच
कुलप त
वधमान महावीर खु ला व व व यालय
कोटा(राज थान)
लेखक
डॉ. के.के . शमा डॉ. ीमती अ नता कोठार
सेवा नवृ त उपाचाय, अजमेर या याता, रसायन व ान वभाग
राजक य महा व यालय, अजमेर
पा य म उ पादन
योगे गोयल
सहायक उ पादन अ धकार
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा
उ पादन - नव बर 2008
सवा धकार सुर त। इस पा य म का कोई भी अंश वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा क ल खत अनु म त पट कए बना या
म मयो ाफ अथवा कसी अ य साधन से पुनः तुत करना विजत है । वधमान महावीर खुला व व व यालय के पा य म के वषय म
और अ धक जानकार व व व यालय के कु लस चव, वधमान महावीर खुला व व व यालय,रावतभाटा रोड कोटा से ा त क जा सकती है ।
कु लस चव, वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा वारा का शत
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इकाई 1
थम सं मण ेणी के त व का रसायन
Chemistry of Elements of First Transition Series
इकाई क प रे खा
1.0 उ े य
1.1 तावना
1.2 d- लॉक त व के अ भल णक गुण
1.3 थम सं मण ेणी के त व के गुण और उनके वअंगी यौ गक।
1.4 थम सं मण ेणी के त व के संकुल
त व क ऑ सीकरण अव थाओं का आपे क था य व, सम वय सं या और
या म त दशाते हु ए।
1.5 सारांश
1.6 श दावल
1.7 संदभ थ
ं
1.8 बोध न के उ तर
1.9 अ यासाथ न
1.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ सकेग क-
d- लॉक त व कौनसे ह और उनके गुण d- लाँक तथा d- लाँक त व से कस कार
अलग है।
d- लॉक म कतनी सं मण े णयां है और थम सं मण ेणी के तो म या
व श टताएं ह।
थम ेणी के त व कस कार के वअंगी यौ गक बनाते है।
थम ेणी के त व जो संकुल बनाते है वे कस कार त व क ऑ सीकरण अव थाओं
के था य व को द शत करते है। संकुल यौ गक म सं मण त व क सम वय सं या या
है तथा 'संकुल क या म त कैसी होती है।
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d- लॉक आवत सारणी के चौथे आवत और तीसरे वग म उपि थत परमाणु मांक 21
वाले त व क डयम (Sc) से ार भ होता है। इसके अ धकांश त व सं मण त व ह। d- लॉक
म तीन पूण सं मण े णयां ह, चौथी सं मण ेणी अधू र है। तीन सं मण े णयां मश:
चौथे, पांचवे तथा छटे आवत म है।
इस इकाई म थोडी सी जानकार d- लॉक त व क द जायेगी और फर थम
सं मण ेणी के त व क व तृत चचा क जायेगी।
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वथनांक के मान म भी वृ होती ह। आवत म बाएं से दाएं जाने पर पहले d-क क म
अयुि मत इले ॉन क सं या बढ़ती है फर कम होती चल जाती ह इसी के अनु प पहले
गलनांक और वथनांक बढ़ते ह और फर उनके मान म कमी होती चल जाती है।
3. परमाणवीय और आय नक या: d- लॉक त व के परमाणु ओं और आयन क याओं
के मान आवत सारणी म बाएं से दाएं जाने पर कम होते ह परं तु अं तम छोर से पहले वाले
त व के आकार लगभग समान हो जाते ह। परमाणु अथवा आयन के ना भक य आवेश
बढ़ने पर उसका आकषण अ धक बल से इले ॉन को अपनी ओर खींचता है िजससे आकार
म क आती ह। d- लॉक त व म अं तम इले ॉन (n-।) d क क म वेश करता है तथा
यह इले ॉन बा य ns क क के इले ॉन या इले ॉन को तक षत करता ह। अत:
आकार म आपे क कमी का मान अ धक नह ं होता। बाद के त व म आपे क कमी
बहु त कम होती है और परमाणु और आयन के याओं के मान ि थर हो जाते ह। वग
12 पर पहु ँ चने पर (n-1) d-क क और ns क क पूण हो जाते ह। इससे तकषण
भाव अ धक होने से आकार बढ़ जाता है।
4. आयनन वभव: d- लॉक त व के आयनन वभव कम होते ह और ये धातु सामा यत:
आय नक यौ गक बनाते ह। p- लॉक त व के आयनन वभव अ धक होते ह और ये
सामा यत: सहसंयोजक यौ गक बनाते ह। d- लाँक त व के आयनन वभव मान s- और
p- लॉक त व के आयनन वभव मान के बीच के होते ह। इन त व के कम संयोजकता
वाले यौ गक आय नक होते है पर तु अ धक संयोजकता वाले यौ गक सहसंयोजक होते ह।
d- लॉक त व के आय नक के मान आवत म बांये से दांये पर बढ़ते ह, परं तु यह
वृ साधारण होती है। इन त व के वतीय आयनन वभव के मान के आधार पर कहा
जा सकता है क d- लॉक त व, s- लॉक त व से कम धन व युती होते ह, पर तु p- लॉक
त व से अ धक धन व युती होते ह।
5. ऑ सीकरण अव था: d- लॉक त व का यह व श ट गुण है क वे प रवतनशील
ऑ सीकरण अव थाएं द शत करते ह। यह वृ त s और p- लॉक त व म नह ं दे खी
जाती। प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाएं द शत करने का मु य कारण ह क 3d और
4s, 4d और 5s तथा 5d और 6s क क क ऊजाओं म बहु त कम अंतर होता ह। अत:
d- लॉक त व म ns इले ॉन के अ त र त (n-1)d इले ॉन को यागने क वृि त भी
बल रहती ह और ये त व प रि थ तय के अनुसार एक से अ धक ऑ सीकरण अव थाओं
म यौ गको का नमाण करते ह। उदाहरण के लए वैने डयम +2, +3, +4 और +5
ऑ सीकरण अव थाओं मे यौ गक बनाता ह। इन अव थाओं का व तृत वणन आगे कया
जाएगा।
6. चु बक य गुण : आप जानते है, क जब कसी धातु क तार म व युत -धारा का वाह होता
है तो उससे चु बक य े उ प न होता है। व युत धारा वा तव म इले ॉन का वाह
होता है। कसी पदाथ के परमाणु म भी इले ॉन ग तमान रहते है। बोर के परमाणु मॉडल
के अनुसार इले ॉन दो कार क ग त करता है- क ीय ग त, जो ना भक के चार ओर
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एक क म होती ह तथा दूसर उसके अपने अ पर च ण ग त। इन दोन ग तय के
कारण परमाणु एक लघु चु बक क तरह यवहार करता है। जब कसी d- लॉक त व या
उसके यौ गक को चु बक य े म रखा जाता है तो वह मु य प से तीन कार से
यवहार द शत करता है-
क. अनुचु बक य यवहार: अनुचु बक य पदाथ चु बक य े क ती ता म वृ करता ह।
य द कसी अनुचु बक य पदाथ क छड़ को बा य चु बक य े म लटका दया जाए
तो वह छड़ वयं को चु बक य बल रे खाओं क दशा के समा तर यवि थत कर लेती
है। अनुचु बक य पदाथ अ धक से अ धक चु बक य बल रे खाओं को अपने म से
गुजारने का यास करता ह। कसी पदाथ का अनुचु बक व उस पदाथ म उपि थत
अयुि मत इले ॉन क सं या पर नभर करता है। इसे सू , μ √n(n + 2) से ात
कया जा सकता है, जहाँ n अयुि मत इले ॉन क सं या ह।
पदाथ का अनुचु बक व पदाथ के ताप पर भी नभर करता ह। ताप के बढ़ने से
पदाथ के अणु अ यवि थत हो जाते ह और अनुचु बक व म कमी आती ह।
अनुचु बक व पदाथ के ताप के तलोमानुपाती होता ह।
d- लॉक त व और आयन म अयुि मत इले ॉन उपि थत रहते ह, अत: वग 12
के त व (Zn, Cd, ध Hg) को छोड़कर ये त व तथा इनके यौ गक अनुचु बक य
यवहार द शत करते ह।
ख. तचु बक य यवहार: त व अथवा यौ गक, िजनम अयुि मत इले ॉन अनुप ि थत
रहते ह, तचु बक य यवहार द शत करते ह। इन पदाथ से बा य चु बक य े
क चु बक य बल रे खाय तक षत होती ह। य द तचु बक य पदाथ क छड़ बनाकर
उसे चु बक य े म लटकाया जाए तो यह चु बक य े के ल बवत ् ि थ त म वयं
को यवि थत कर लेती है। तचु बक य त व या यो गक म इले ॉन युि मत होते
ह। उनका च ण वपर त दशा म होता है, अत: एक इले ॉन वारा उ प न चु बक य
भाव दूसरे इले ॉन वारा उ प न चु बक य पदाथ को समा त कर दे ता ह। िजंक
कैड मयम, मकर जैसे त व तचु बक य यवहार द शत करते ह।
ग. लौह-चु बक य यवहार: आयरन, कोबा ट तथा नकल जैसे d- लॉक त व लौह
चु बक य गुण द शत करते ह। बा य चु बक य े म रखने पर इनम थाई
चु बक य गुण आ जाता है। लौह-चु बक य यवहार उ च अनुचु बक व के कारण
द शत होता है।
(7) उ ेरक गुण : अ धकांश d- लॉक त व और उनके यौ गक उ ेरक के प म यु त कए
जाते ह। अथात ् ये त व और यौ गक रासाय नक अ भ याओं क ग त को बढ़ा दे ते ह।
उ ेरक का गुण उ योग म बहु त लाभकार स होता है, य क इससे उ पाद शी ा त
हो जाता है। आप जानते ह क आयरन को अमो नया नमाण के हॉबर म म उ ेरक के
प म काम म लेते ह। इसी कार स यू रक अ ल के नमाण म पॉ जी ले टनम
उ ेरक का काय करता है। यह वायु क उपि थ त म so2 को so3 म प रव तत कर दे ता
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है। d- लॉक त व के अपूण (n-1)d क क इनके उ ेरक के प म काय करने म व श ट
भू मका नभाते ह।
(8) आयन और यौ गक के रं ग: अ धकांश d- लॉक त व के यौ गक, रं गीन होते ह और इनके
वलयन भी आकषक रं ग वाले होते ह। इनके रं ग का कारण इनम उपि थत अपूण d
क क ह। वलयन अथवा ऋणायन क उपि थ त म d- लॉक त व के आयन म
उपि थत d-क क दो समू ह म वपा टत हो जाते ह- कम ऊजा वाले d-क क तथा अ धक
वाले d-क क। वेत काश के पडने पर कम ऊजा वाले क क से इले ॉन उ तेिजत कर
अ धक ऊजा वाले d-क को म चले जाते ह। इसे d से d सं मण कहते ह। इस सं मण
म काश क कु छ ऊजा का अवशोषण हो जाता ह। शेष ऊजा वाला काश यौ गक या
आयन के रं ग के लए उ तरदायी होता है।
(9) अ भ याशीलता: ऽ- लॉक त व क अपे ा, d- लॉक त व बहु त कम रासाय नक
अभ याशीलता द शत करते ह। स वर, गो ड, और लै टनम अपनी बहु त कम
अभ याशीलता के कारण उ कृ ट धातु कहलाते ह। कम अ भ याशीलता के कारण ह
इनका उपयोग बहुत ह बड़ी मा ा मे आभू षण बनाने हे तु कया जाता ह। अपने छोटे
आकार, उ च आयनन वभव, उ च वा पन ऊजा और न न जलयोजन ऊजा के कारण d-
लॉक त व बहु त कम अ भ याशील होते ह।
बोध न -
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइए -
(क) d- लॉक त व म कोई भी त व अधातु उपि थत नह ं है ।
( स य / अस य)
(ख) d- लॉक के वग 12 म सबसे कम गलनां क िजं क धातु का होता है ।
( स य / अस य )
(ग) d- लॉक त व प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाएं द शत करते ह।
( स य / अस य )
(घ) कोबा ट और नकल तचु बक य यवहार द शत करते ह।
( स य/अस य )
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के 9 त व कैि डयम (परमाणु मांक 21) से कॉपर (परमाणु मांक 29) तक ह! इन त व
के नाम, संकेत, परमाणु मांक तथा इले ॉ नक व यास सारणी 1.2 म दये गये ह।
सारणी 1.2 थम सं मण ेणी के त व
परमाणु मांक त व का नाम संकेत इले ॉ नक व यास
21 कैि डयम Sc [Ar]3d14s2
24 ो मयम Cr [Ar]3d 4s
4 1
25 मगनीज Mn [Ar]3d54s2
26 आयरन Fe [Ar]3d64s2
27 कोबा ट Co [Ar]3d74s2
28 नकल Ni [Ar]3d84s2
29 कॉपर Cu [Cu]3d104s1
यहाँ, [Ar] आगन के इले ॉ नक व यास, 1s12s22p63s23p6 को दशाता है।
अब थम सं मण ेणी के येक त व के गुण और उनके वअंग क सं त
ववेचना क जाएगी।
(i) कैि डयम, स वर समान सफेद रं ग का धातु ह। यह वायु म ऑ सीकृ त होकर अपनी
चमक खो दे ता है। इसका गलनांक 15390c और वथनांक 27300C होता है। इसके
थम, वतीय और तृतीय आयनन वभव म बहु त कम अंतर ह। +3 ऑ सीकरण अव था
म इसका इले ॉ नक व यास आगन समान थाई हो जाता है अत: इसके यौ गक केवल
+3 अव था म ह बनते ह। सभी यौ गक रं गह न होते ह।
(ii) कैि डयम काब नेट अथवा कैि डयम नाइ े ट को गम करने पर कैि डयम ऑ साइड
बनता है।
Sc2(Co3)3 Sc2O3+3CO2
10
4Sc(NO3)3 2Sc2O3+12NO3+3O2
(iii) कैि डयम ऑ साइड को उ च ताप (लगभग 10000C) पर काबन के साथ गरम करने पर
कैि डयम काबाइड ा त होता है।
Sc2O3+7C 2ScC2+3CO
(i) मगनीज (Mn) सलेट रं ग का कठोर धातु है। यह काँच क सतह खर चन क मता रखता
है।
(ii) यह भंगरु कृ त का होता है और तीन अपर प म पाया जाता है।
(iii) मगनीज वयं चु बक य गुण नह ं रखता पर तु इसके यौ गक, जैसे काबाइड, नाइ ाइड
आ द, चु बक य कृ त के होते ह।
(iv) मगनीज +2 से +7 ऑ सीकरण अव थाओं म यौ गक बनाता है।
(v) 13000C पर यह काबन से अ भ या कर काबाइड बनाता है िजसका सू Mn3C ह।
(vi) 12000C पर यह नाइ ोजन के साथ गम करने पर मगनीज नाइ े इड (Mn3N2) बनाता ह।
(vii) हैलोजन के साथ गम करने पर इसके हैलाइड ा त होते ह, जैसे MnF2, MnF3,
MnCl2, आ द।
(viii) यह व भ न कार के ऑ साइड बनाता है। उदाहरण के लए,
गरम करने पर
MnCO3 ⎯⎯⎯⎯⎯⎯ MnO+CO2
गरम करने पर
4MnO+O2 ⎯⎯⎯⎯⎯⎯ 2Mn2O3
गरम करने पर
Mn(NO3)2 ⎯⎯⎯⎯⎯⎯ MnO2+2NO3
12
गरम करने पर
3MnO2 ⎯⎯⎯⎯⎯⎯ Mn3O4+O2
(क) शु आयरन धू सर सफेद रं ग क धातु है। इसका गलनांक 15360C तथा वथनांक
3000 C है। यह त य और आघातवधनीय होता ह। इसक तनन साम य बहु त उ च होती।
0
13
(viii) Co2O3 को तेज गरम करते ह तो यह कोबा ट (II) कोबा ट ऑ साइड बनाता ह।
6Co2O3 4Co3O4+O2
यह उ पाद एक म त ऑ साइड है िजसे CoO.Co2O3 के प म भी लखा जा
सकता ह।
(i) नकल धू सर सफेद रं ग का कठोर, त य तथा आघातवधनीय धातु है, िजसका गलनांक
14520C है।
(ii) यह आयरन क तु लना म कम लोह-चु बक य गुण रखता है। पर तु इसक व युत और
ताप चालकता उ च होती है। यह भी कोबा ट और आयरन के समान अ धक मा ा म
हाइ ोजन गैस का अ धशोषण करने क मता रखता ह।
(iii) नकल भी कोबा ट क ं तरह +2 और +3 ऑ सीकरण अव था म यौ गक बनाता ह। यह
आयरन और कोबा ट क तु लना म कम अ भ याशील है।
(iv) उ च ताप पर गम नकल पर जल वा प वा हत करने पर नकल (II) ऑ साइड ा त
होता ह।
Ni+H2O NiO+H2
(v) उ च ताप पर यह लोर न से अ भ या कर NiCl2 बनाता है।
(vi) नकल (II) नाइ े ट को गम करने पर नकल (III) ऑ साइड ा त होता है।
2Ni(No3)2 Ni2O3+3NO+NO2+2O2
(vii) 500C नकल चूण पर काबन मोनो साइड गैस वा हत करने पर नकल काब नल
बनता ह।
Ni+4CO Ni(CO)4
(viii) नकल आयन यु त वलयन म (NH2)2S मलाने पर काले रं ग का नकल स फाइड
ा त होता ह।
Ni2++(NH4)2S NiS+2NH4+
(i) कॉपर लाल-भू रे रं ग का धातु है। इसका गलनांक 10830C है। यह ऊ मा और व युत का
उ तम कोट का चालक है। यह बहु त अ धक आघातवधनीय और त य कृ त का धातु है।
यह +1 और +2 ऑ सीकरण अव थाओं म यौ गक बनाता है।
(ii) वायु अथवा ऑ सीजन से अ भ या- र त त त कॉपर पर वायु वा हत करने पर यह
ऑ सीजन से अ भ या कर Cu2O तथा CuO बनाता है।
(iii) ल बे समय तक नम वायु म रहने पर यह हरे रं ग क परत से ढक जाता ह। इस हरे रं ग
के ारक य कॉपर काब नेट का सू CuCO3.Cu(OH)2 होता है।
(iv) अ ल से अ भ या कर कॉपर रं गीन लवण बनाता ह।
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Cu+2HCl+1/2O2 (वायु से) CuCl2+H2O
Cu+H2SO4+1/2O2 (वायु से) CuSO4+H2O
सां H2SO4 के साथ गरम करने पर कॉपर स फेट के अ त र त SO2 गैस भी नकलती
ह।
Cu+2H2SO4 गरम CuSO4+2H2O+SO2
तनु और सा HNO3, कॉपर के साथ अ भ या कर कॉपर नाइ े ट बनाते ह। भू रे रं ग
क NO2 गैस भी नकलती ह।
Cu+4HNO3 (सां ) गरम Cu(NO3)2+2NO2+H2O
3Cu+8HNO3 (तनु) गरम 3Cu(NO3)2+2NO+4H2O
(v) गरम कॉपर के साथ लोर न क अ भ या से CuCl2 ा त होता ह।
(vi) कॉपर धातु स वर लवण के वलयन से स वर को व था पत कर दे ता ह।
Cu+2AgNO3 Cu(NO3)2+2Ag
(vii) कॉपर स फेट के वलयन म Ki वलयन बनाने पर यू स आयोडाड ा त होता है।
2CuSO4+4KI 2Cul+2K2SO4+I2S
(viii) कॉपर आयन यु त वलयन म गैस वा हत करने पर काले रं ग का कॉपर स फाइड
(CuS) ा त होता ह।
Cu2++H2S CuS+2H+
बोध न
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए -
(क) ो मयम और आयरन त व के परमाणु ओं के 3d क क म इले ॉन
क सं या। मश : ................... तथा ......... है ।
(ख) कै ि डयम नाइ े ट को गम करने पर जो ठोस यौ गक ा त होता
उसका सू ................... है ।
(ग) अमो नयम मे टावै ने डे ट को गम करने पर ा त वै ने डयम यौ गक
नाम ......................... है ।
(घ) MnO 2 को 53 0 पर गम करने पर ................ और ऑ सीजन बनते
ह।
3. न न ल खत रासाय नक अ भ याओं को पू ण एवं सं तु लत क िजए -
( क ) Cu+HNO 3 ( सां ) गरम करने पर..................+ NO 2 +H 2 O
( ख ) Ni+CO ...................
( ग ) Fe 2 O 3 +HCl गरम करने पर ...................+..................
( घ ) VOCl 3 +H 2 O ............... +HCl
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1.4 थम सं मण ेणी के त व के संकुल, (Complexes of
Elements of First Transition Series)
थम सं मण ेणी के त व अपनी व भ न ऑ सीकरण अव थाओं म संकु ल बनाते
है। संकु ल यौ गक के नमाण म व भ न कार के लगै ड धातु आयन के साथ उपसहसंयोजक
बंध वारा जुड़ते ह। ये लगै ड सामा यत: उदासीन अणु जैसे- NH3, H2O, NO, आ द अथवा
ऋणायन जैसे OH, CN, Cl, आ द हो सकते है। सं मण धातु ओं वारा संकुल बनाने क वृ त
न न ल खत कारक के कारण होती है-
(क) सं मण धातु ओं परमाणुओं /आयन का आकार बहु त छोटा होता है इन पर आवेश अ धक
होता ह। अत: यह लगै ड के इले ॉन यु म को उपसहसंयोजक बनाने हे तु अपनी ओर
आक षत करते ह।
(ख) लगै ड के इले ॉन यु म को हण करने हे तु सं मण धातु त व के पास पया त सं या
म र त क क उपल ध रहते ह।
(ग) सं मण धातुओं के (n-1)d, ns तथा np क क संकरण के प चात ् व भ न ऑ सीकरण
अव थाओं म व भ न आकृ तय के संकुल बनाते ह। उपयु त ऊजा के क क संकरण कर
संकुल यौ गक को था य व दान करते ह।
अब आप थम सं मण ेणी के त व के संकुल के आपे क था य व, संबं धत
सम वय सं या और या म त के बारे म जानकार ा त करे ग।
कसी संकु ल म धातु आयन या परमाणु के साथ जुड़े हु ए लगै ड िजतने एकल बंध
बनाते ह यह सं या उस धातु क उपसहसंयोजन सं या कहलाती है। संकुल क या म त धातु
क उपसहसंयोजन सं या और धातु के क क के संकरण पर नभर करती है।
1.4.1 संकुल क सम वय सं या और या म त
16
4d 5s 5p
[Ag(NH3)2]+
sp संका रत क क
यहां अथवा वारा धातु के इले ॉन को तथा वारा लगैपे ड वारा दये गये
इले ॉन यु म दखाया गया है।
उपसहसंयोजक सं या 3 वाले संकुल कोणीय या म त वाले होते ह जैसे-
K2[Cu(CN)3]. H2O, Sc[N(Si Me3)2]3 आ द।
(ख) सम वय सं या 4 वाले संकुल: सम वय सं या 4 के साथ बड़ी सं या म सं मण धातु
थाई संकु ल बनाते है। इस वग म दो कार क या म त वाले संकुल ा त होते ह-
वगाकार समतल य और चतु फलक य। वगाकार समतल य या म त धातु के dsp2 संक रत
क क वारा ा त होती है। इसे आप कॉपर के संकुल आयन, [Cu(NH3)4]2+ वारा
समझ सकते ह। यहाँ Cu2+ आयन के बा य क क म dsp2 संकरण होता है, िजससे
संकुल आयन क या म त वगाकार समतल य होती है।
Cu2+
[Cu(NH3)4]+2
Ni
Ni(CO)4
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(घ) समनवय सं या 6 वाले संकुल: इस सम वय सं या वाले संकुल बड़ी मा ा म बनते ह,
यो क या म त क ि ट से ये बहु त थाई होते ह। इनक या म त अ ठफलक य होती
ह। इस कार के कु छ संकुल ह- K2[Fe(CN)6], K3[Fe(CN)6], [TiF6]2-,
[Cu(NH3)6]2+, [Co(NH3)6]2+ आ द। इन संकुल म के य धातु आयन क क का
संकरण होता ह। इस त य को आप [Fe(CN)6] 4-
के उदाहरण वारा समझ सकते ह, जहाँ
आयरन +2 ऑ सीकरण अव था म ह।
Fe
Fe2+
[Fe(CN)6]4-
अ टफलक य [Fe(CN)6]4
संकुल यौ गक का व तृत अ ययन आप इस पु तक म आगे वाल इकाइय म करगे।
1.4.2 संकुल का था य व
19
इन त व के संकुल व भ न ऑ सीकरण अव थाओं म बनते ह और व भ न या म त
वाले होते ह।
अ धक संकु ल 4 और 6 उपसहसंयोजन सं या वाले होते ह। उपसहसंयोजन सं या 4 वाले
संकुल वगाकार समतल य अथवा चतु फलक य या म त वाले होते है। उपसहसंयोजन सं या
6 वाले संकुल अ ठफलक य या म त वाले होते ह।
धातु और लगै ड के क क म प च बंधन के कारण संकु ल अ धक था य व ा त करते
है।
20
1.9 अ यासाथ न (Exercise Questions)
1. d- लॉक त व क ह कहते है? इनके गुण क सं त ववेचना क िजये।
2. सं मण त व क ह कहते ह? सं मण त व क थम ेणी के नाम तथा इले ॉ नक
व यास द िजये।
3. थम सं मण ेणी के क ह ं दो सद य के वअंगी यौ गक के गुण क वणन क िजये।
4. न न ल खत को समझाइये-
(क) Zn, Cd तथा Hg को सं मण त व नह ं मानते।
(ख) अ धकांश सं मण त व अनुचु बक य कृ त के होते है।
(ग) थम सं मण ेणी के त व के गलनांक उ च होते ह।
(घ) सं मण त व के यौ गक रं गीन होते ह।
5. न न ल खत त व के वघना मक आयन के इले ॉ नक व यास द िजये-
(क) टाइटे नयम (ख) ो मयम (ग) कोबा ट तथा (घ) कॉपर
6. न न ल खत यौ गक से एथेन कैसे ा त करगे?
(क) [Cu(NH3)4]2+ (ख) [Ni(CH)4]2-
(ग) [MnCN4]2- (घ) [Co(NH3)6]2+
7. थम सं मण ेणी के त व थाई संकु ल बनाते ह। इनके था य व क ववेचना क िजये।
8. या होता है जब-
(क) कैि डयम काब नेट को गरम कया जाता है।
(ख) कैि डयम ाइऑ साइड को काबन के साथ लगभग 10000C पर गरम कया जाता
है।
(ग) अमो नयम मेटावैनेडेट को गरम कया जाता है।
(घ) वैने डयम ऑ सी लोराइड का जल अपघटन होता है।
(ङ) र त त त आयरन पर जल वा प वा हत क जाती है।
(च) नकल चू ण क अ भ या काबन मोनो साइड से कराई जाती है।
उ त प रवतन से स बं धत रासाय नक अ भ याएं भी लख।
9. कैसे ा त करगे-
(क) MnO से Mn2O3
(ख) कोबा ट ऑ साइड से कोबा ट लोराइड।
(ग) फेरस स फेट से फे रक ऑ साइड।
(घ) कॉपर धातु से कॉपर नाइ े ट।
10. थम सं मण ेणी के संदभ म न न ल खत क सं त या या क िजये-
(क) धाि वक कृ त (ख) आयनन वभव (ग) ऑ सीकरण अव था
(घ) चु बक य गुण (च) अ भ याशीलता।
21
इकाई 2
वतीय सं मण ेणी के त व का रसायन
Chemistry of Elements of Second Transition Series
इकाई क प रे खा
2.0 उ े य
2.1 तावना
2.2 वतीय सं मण ेणी के त व के सामा य ल ण
2.3 वतीय सं मण ेणी के त व का उनके 3d-समजात से तु लना मक
संदभ: आय नक याएं, ऑ सीकरण अव थाएं, चु बक य यवहार, पे यी गुण
तथा वय रसायन।
2.4 सारांश
2.5 श दावल
2.6 संदभ थ
ं
2.7 बोध न के उ तर
2.8 अ यासाथ न
2.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे-
वतीय सं मण ेणी के त व कौनसे ह।
इन त व के सामा य ल ण या ह।
ये त व अपने समजात थम सं मण ेणी के त व से या समानताएं है और कस कार
उनसे भ न ह।
22
2.2 वतीय सं मण ेणी के त व के सामा य ल ण
(General Characteristics of Elements of Second Transition
Series)
वतीय सं मण ेणी के त व आवत सारणी के d- लॉक के पांचवे आवत म पाये
व यास 1s 2s 2P 3s 3p 3d 4s 4p 4d 5s0-2
2 2 6 2 6 10 2 6 1 10
जाते ह। इनका सामा य इले ॉ नक
होता है। इसे [Kr]4d1-10 5s भी लखा जा सकता है, जहाँ [Kr] उ कृ ट गैस
0-2
टॉन का
इले ॉ नक व यास द शत करता है। इन त व के नाम, संकेत, इले ॉ नक व यास तथा
अ य सामा य ल ण यहाँ दये जा रहे ह।
(1) इले ॉ नक व यास: सारणी 2.। म आप दे ख सकते है क वतीय सं मण ेणी के
अ धकांश त व के इले ॉ नक व यास म 5s-क क भरा हु आ नह है इसम 0 या 1
इले ॉन पाया जाता है। इसका एक कारण 4d तथा 5s-क क क ऊजा म बहु त कम
अंतर होना है। इसके अ त र त इसे मा अ -पू रत क क के था य व के आधार पर नह ं
समझाया जा सकता। इसम अ य बहु त से कारक का योगदान स भव है, जैसे-प रर ण
भाव, इले ॉन-इले ॉन तकषण, भेदन भाव, आ द।
सारणी 21: वतीय सं मण ेणी के त व के इले ॉ नक व यास
परमाणु मांक त व का नाम संकेत इले ॉ नक व यास
39 इ यम Y [Kr]4d15s2
40 जक नयम Zr [Kr]4d25s2
42 मॉ ल डेनम Mo [Kr]4d45s1
43 टै नी शयम Tc [Kr]4d55s1
44 थी नयम Ru [Kr]4d75s2
45 रो डयम Rh [Kr]4d85s
1
47 स वर Ag [Kr]4d105s1
23
(2) धाि वक ल ण: अ य सभी सं मण त व क भां त वतीय सं मण ेणी के त व भी
धातु है तथा ये धातु ओं के सभी सामा य ल ण द शत करते ह, जैसे- ऊ मा और व युत
चालकता, कठोरता, त यता, आघातवघनीयता घाि वक चमक, आ द। ये धातु अ य धातु ओं
के साथ उपयोगी म धातुएं भी बनाते ह।
(3) घन व: सामा य धातु ओं क भां त इनके घन व उ च होते ह।
त व Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
घन व(g/cm3) 4.5 6.51 8.57 10.28 11.5 12.41 12.39 11.99 10.49
यहाँ प ट है क आवत म घन व बाय से दाय बढ़ रहा है पर तु अ त म कु छ कमी
आती है िजसका कारण परमाणु क या या आकार म वृ है।
(4) परमाणु या: वतीय सं मण त व क परमाणु याओं के मान बाय से दाय नरं तर
कम होते ह पर तु अं तम छोर पर कु छ वृ होती है।
त व Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
परमाणु या(A) ।.80 1.60 1.46 1.39 1.36 1.34 1.34 1.37 1.44
सं मण ेणी म ना भक य आवेश क वृ के साथ इले ॉन पर आकषण बढ़ता है
िजससे परमाणु आकार म कमी होती है। यह यान रखने क बात यह है क परमाणु मांक
बढ़ने के साथ इले ॉन अं तम से एक पहले d-क क म भरते ह। ये इले ॉन बाहर 5s
इले ॉन को तक षत करते ह, िजससे आकार म वृ होती ह। ार भ म आकषण अ धक
होने से परमाणु आकार म कमी होती है परं तु अं तम छोर पर 4d क क म पया त इले ॉन
भर जाने से तकषण भाव अ धक हो जाता है और आकार म वृ ार भ हो जाती है। इसी
का प रणाम है क Tc और Ru क परमाणु याएं लगभग समान होती ह।
(5) गलनांक और वथनांक: वतीय ेणी क सं मण धातु ओं के गलनांक और वथनांक बहु त
अ धक होते ह। ेणी म बाऐं से दाऐं जाने पर पहले इनके मान बढ़ते है और फर कम
होते ह।
त व Y Zr Nb Mo Ru Rh Pd Ag
गलनांक ( C) 0
1530 1857 2468 2620 2282 1960 1552 961
(6) आयतन वभव: वतीय सं मण ेणी के धातुओं के आयनन वभव बहु त अ धक होते है।
इस कारण इन धातु ओं का व युत धना मक गुण कम होता ह। प रणाम व प इनके
यौ गक म आय नक गुण क अपे ा सहसंयोजक गुण अ धक होते ह। उ च ऑ सीकरण
अव थाओं म तो इनके यौ गक मु य प से सहसंयोजक ह होते है। इनके थम आयनन
वभव के मान KJ/mol इकाइय म यहाँ दए जा रहे है।
त व Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
आयनन वभव 616 674 664 685 703 711 720 604 731
24
बाऐं से दाऐं आयनन वभव के बढ़ने क वृि त है। यह वृ बढ़ते आवेश के कारण
होती है। प रर ण भाव इस वृ को कम करता है अत: दो मागत त व के आयनन वभव
का अंतर बहु त कम पाया जाता ह।
(7) उ रे क य गुण : सं मण धातु उ तम उ रे क का काय करते ह। समांग उ रे ण म ये धातु
याकारक पदाथ के साथ अ थाई म यावत यौ गक बनाकर उ रे क क नभाते ह। वषमांग
उ रे ण म ये धातु याकारक पदाथ के अ धशोषण के लए मु त संयोजकता वाल सतह
उपल ध कराते ह। उदाहरण के लए,
Pd
(i) C6H5OH+3H2 C6H11OH
फ नॉल साइ लोहे सेनॉल
Pd/Rh
(ii) 4NH3+5O2 ⎯⎯ 4NO+6H2O
(8) ऑ सीकरण अव थाएं: अ य सं मण त व क भाँ त वतीय ेणी के भी प रवतनशील
ऑ सीकरण अव थाओं का अपने यौ गक म दशन करते ह। ये ऑ सीकरण अव थाएं
न न कार ह। को ठक म द गई ऑ सीकरण अव थाएं असामा य ह।
Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
+1
(+2) +2 +2 +2 +2 (+2)
+3 (+3) (+3) +3 +3 +3 (+3) (+3)
(+4) (+4) +4 (+4) +4 +4 +4
+5 +5 (+5) (+5)
25
10) संकुल यौ गक: सभी सं मण त व म संकुल यौ गक बनाने क कृ त पायी जाती ह।
इसका मु य कारण इनका छोटा आकार, उ च ना भक य आवेश, तथा र त d- क क क
उपल धता ह। सम वय सं या 4 और 6 वाले संकुल सामा य प से ा त होते ह पर तु
वतीय सं मण ेणी के कु छ त व सम वय सं या 7 और 8 वाले संकुल भी बनाते ह।
उदाहरण के लए [ZrF7]3- आयन िजसक संरचना पंचकोणीय व परै मडीय होती है। इसी
4-
कार Cu2[ZrF8] म उपि थत [ZrF8] आयन क संरचना वगाकार वपर त म जैसी
होती है, िजसके के म Zr परमाणु रहता ह।
11) गु छ यौ गक: सं मण धातुओं म धातु-धातु बंधन क वृि त पायी जाती है िजससे ा त
यौ गक गु छ यौ गक (Cluster Compounds) कहलाते ह। उदाहरण के लए
Ru3(CO)12, Rh4(CO)12, [Nb6CL12]2+, [Mo2Cl9]3-, Mo(CH3COO)4.2H2O, आ द।
(12) अ भ याशीलता: अ य सं मण त व क भां त वतीय सं मण ण
े ी के त व क
अभ याशीलता बहु त कम होती है। इसका कारण इनके उ च आयनन वभव, उ च
उ वपातन ऊजा, न न वलायकन ऊजा, आ द ह। इसी कारण थी नयम रो डयम,
पैले डयम और स वर क गनती उ कृ ट धातु ओं म क जाती है।
बोध न-
1. न न ल खत कथन म स या/अस य बताइये -
(क ) वतीय सं मण े णी के थम दो सद य इ यम तथा नायो बयम ह।
( स य/अस य )
(ख) पै ले डयम परमाणु के 4 d तथा 5s क क म उपि थत इले ॉन क
सं या मश : दस और शू य होती है । ( स य/अस य )
(ग) वतीय सं मण े णी क धातु ओं म सबसे अ धक घन व थी नयम
का होता है । ( स य/अस य )
(घ) रो डयम और पै ले डयम क परमाणु याओं के मान समान होते है ।
( स य/अस य )
(च) आवत सारणी के पां च वे आवत म सबसे अ धक गलनां क वाला त व
मॉ ल डे न म है । ( स य / अस य )
(छ) पै ले डयम क सामा य ऑ सीकरण अव था +3 है । ( स य / अस य )
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) [ZrF 7 ] 3-
सं कु ल आयन म जक नयम धातु क ऑ सीकरण अव था
तथा सम वय सं या मश : .............. तथा .......... है ।
(ख) मॉ ल डे न म अपने यौ गको म +2 से . ................... तक सामा य
ऑ सीकरण अव थाएं द शत करता है ।
(ग) फ नॉल क अभ या हाइ ोजन गै स से ........................ धातु क
उपि थ त म कराने पर साइ लोहे से नॉल ा त होता है ।
26
(घ) वतीय सं मण े णी म सबसे कम गलनां क वाला धातु
....................... है ।
(च) आवत सारणी के पां च वे आवत म ……..... तथा …………… त व क
परमाणु याओं के मान समान होते ह।
(छ) इ यम और पै ले डयम के 4d क क म अयु ि मत इले ॉन क
सं या मश :................ और ................... होती है ।
4d- ेणी Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
व यास 3d 4s1
3d 2
3d 4s 4
3d 4s 5
3d 4s5
3d 4s 7
3d 4s 8
3d 4s 3d104s
10
2
4s2 1 1 2 1 1 0 1
27
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- े णी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
परमाणु या 1.65 1.47 1.36 1.30 1.27 1.26 1.25 1.25 1.28
4d- े णी Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
परमाणु या 1.80 1.60 1.46 1.39 1.36 1.34 1.34 1.37 1.44
दोन े णय म बाय से दाय परमाणु या का मान घटता है फर वग 910 म परमाणु
याएं समान हो जाती है और अगले वग 11 म परमाणु या के मान म वृ है।
(3) आयनन वभव: आयनन वभव का सीधा स बंध परमाणु के ना भक य तथा परमाणु या
से होता है। भीतर इले ॉन का प रर ण भाव भी मह वपूण कारक है। दोन े णय के
त व के थम आयनन वभव के मान KJ त मोल इकाइय म यहाँ ना क ि ट से
दये जा रहे ह।
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
आयनन वभव 631 656 650 653 717 762 758 736 745
4d- ेणी Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
आयनन वभव 616 674 664 685 703 711 720 804 731
ऊपर दये गये आयनन वभव मान से प ट है क अ धकांश वग म दोन े णय के
आयनन वभव म बहु त अंतर नह ं ह। आयनन वभव यहाँ इस बात पर भी नभर है करता है
क सबसे बाहर 4d या 5ऽ क क म इले ॉन युि मत है अथवा अयुि मत। दसव वग म Pd
परमाणु के 4d क क म 10 इले ॉन तथा 5p क क म शू य इले ॉन होने से यह व यास
(3d 4s ) क अपे ा अ धक
8 2
थाई हो जाता है अत: पैले डयम का थम आयनन वभव नकल
से काफ अ धक है।
(4) घन व: सं मण धातु ओं का घन व उनके परमाणु भार और परमा वीय आयतन पर नभर
करता है। परमा वीय आयतन का सीधा स बंध परमाणु या से होता है। अब आप आगे
दये गये घन व के मान के आधार पर दोन े णय क तु लना कर सकते ह।
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
घन व(g/cm3) 2.99 4.54 6.11 7.20 7.44 7.86 7.83 8.90 8.92
4d- ेणी Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
घन व(g/cm ) 4.5 6.51 8.57 10.28 11.5 12.41 12.39 11.99 10.49
3
28
(5) ऑ सीकरण अव थाएं : थम एवं वतीय सं मण ेणी के त व क ऑ सीकरण
अव थाओं क तु लना आगे सारणी म क गयी है।
वग सं मण ऑ सीकरण अव थाय
सं या धातु
3 Sc (+2) +3
Y +3
4 Ti +2 +3 +4
Zr (+3)(+4)
5 V +2 +3 +4 +5
Nb (+2) (+3) (+4) (+5)
6 Cr (+1) +2 +3 (+4) (+5) (+6)
Mo +2 +3 +4 +5 +6
7 Mn +2 (+3) +4 (+5) (+6) +7
Tc (+4) (+5) (+6) (+7)
8 Fe +2 +3 (+4) (+5) (+6)
Ru +2 +3 +4 (+5) (+6) (+7) (+8)
9 Co +2 +3 (+4) (+5)
Rh +2 +3 +4 (+6)
10 Ni +2 (+3) (+4)
Pd +2 (+3) +4
11 Cu +1 +2
Ag +1 (+2) (+3)
उ त सारणी से प ट है क दोनो े णय के कनारे वाले धातु सी मत ऑ सीकरण अव थाएं
द शत करते है जब क बीच वाले त व बहु त सी ऑ सीकरण अव थाएं दशाते ह। ऐसा एक
आवत म बाय से दाय पहले अयुि मत इले ॉन क सं या बढ़ने और फर यह सं या घटने के
कारण होता है। उपर दशायी गयी सभी ऑ सीकरण अव थाएं सामा य नह ं होती, बहु त सी
असामा य भी होती ह। इसका अथ यह है क कु छ ऑ सीकरण सामा य और अ धक सं या म
यौ गक बनाती है जब क असामा य ऑ सीकरण अव थाएं संकुल यौ गक म ह थायी होती है।
असामा य अव थाओं को को ठक म दया गया है। दोन े णय म उ च ऑ सीकरण अव थाएं
असामा य ह।
(6) संकुल यौ गक और उनक या म त: दोन सं मण े णय के त व संकुल यौ गक बनाते
ह। थम सं मण ेणी के त व उ च सम वयी सं या के संकुल नह ं बनाते जब क
वतीय सं मण ेणी के त व उ च सम वयी सं या (जैसे 7 और 8) वाले संकुल भी
29
बनाते है। यहाँ उदाहरण के लये कु छ संकु ल लेकर उनक सम वयी सं या और या म त
का तु लना मक ववेचन कया जायेगा।
सम वय सं मण संकुल या म त ऑ सीकरण
सं या धातु अव था
30
टल े स ांत के अनुसार सं मण त व के आयन d-क क का, आयन से
जुड़ने वाले लगै ड क उपि थ त म eg और t2g क क म वभाजन हो जाता है।
अ टफलक य- या म त के लये eg अ धक ऊजा वाले तथा ओ t2g कम ऊजा वाले d-क क
होते है। ऐसे क क म उपि थत इले ॉन पर जब काश पडता है तो उसक कुछ ऊजा का
अवशोषण हो जाता है, य क इस ऊजा को हण कर t2g क क के एक या अ धक इले ॉन
eg क क म चले जाते है। अवशोषण के प चात ् उ सिजत शेष कार पदाथ को रं ग दान
करता है।
उदाहरण के लये [Ti(H2O6)] संकुल म Ti आयन के पास एक d- इले ॉन t2g
3+ 3+
31
8 FeBr2 (पीला भू रा) RuBr2 (काला)
FeF3 (हलका भू रा) RuF3 (भू रा)
9 CoF3 (हलका भूरा) RhF3 (लाल)
10 NiCl2 (पीला) PdCl2 (लाल)
NiO (हरा) PdO (काला)
11 CuCl (सफेद) AgCl (सफेद)
Cu2S (kala) Ag2S (काला)
यहाँ आपने दोन सं मण े णय के त व के वअंगी यौ गक के रं ग का अवलोकन
कया। एक जैसे यौ गक के रं ग कह ं समान है और कह ं प ट अंतर नजर आता है।
(9) धातु ओं के गु छ यौ गक:
दोन सं मण े णय क धातुएं गु छ यौ गक बनाती ह। इन यौ गक म धातु-धातु
बंधन के कारण धातु परमाणु ओं का समूह उपि थत रहता है। कु छ उदाहरण इस त य को प ट
करग-
(i) थम सं मण ेणी क धातु ओं के कु छ गु छ यौ गक-
Mn2(CO)10, Fe2(CO)8, Fe3(CO)12, CO4(CO)12, [Cr2(CH3COO)4(H2O),]
आ द।
(ii) वतीय सं मण ेणी क धातु ओं के कु छ गु छ यौ गक-
[Nb6Cl2]2+,[Mo2Cl9]3-,[Mo2(CH3COO)4(H2O)2],Ru3(CO)12,Rh4(CO)12, आ द।
[Nb6Cl12]2+ क संरचना म छ: Nb परमाणु एक अ टफलक के छ: कोन पर ि थत
रहते ह। अ टफलक के 12 कनारे (edges) होते ह। इन कनार के सामा तर सेतु के प म
धातु परमाणु ओं के म य 12 लोर न परमाणु बंधे रहते ह।
Mn2(CO)10 क संरचना म दो अ टफलक एक सामा य कनारे के मा यम से पर पर
जु ड़े रहते ह, जब क Fe2(CO)9 म दो अ टफलक एक सामा य कोणीय फलक के मा यम से
पर पर जु ड़े रहते ह।
बोध न-
3. न न ल खत म से कन दो यौ गक /आयन म धातु ओं का ऑ सीकरण अं क
+4 है ? [Y(acac) 4 ], [TiOCl 4 ] , [V(CN) 7 ] , Na 3 [ZrF 7 ], Mo 2 O 5 तथा
2- 4-
Ni(CO) 4 ।
4. न न ल खत धातु यु म म कसके बा य इले ॉ नक व यास एक कार के
है ?
( क ) Ti, Zr ( ख ) V, Nb ( ग ) Fe, Ru ( घ ) Ni, Pd
5. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) पै ले डयम का बा य इले ॉ नक व यास ..................... है ।
(ख) टाइटे नयम क सामा य ऑ सीकरण अव थाएं ....... और .............. ह।
32
(ग) Na 3 [ZrF 7 ] सं कु ल क या म त पं च भु जीय.............. होती है ।
(घ) Fe 3 (CO) 1 2 म तीन आयरन परमाणु पर पर .............. बं ध वारा
जु ड़े रहते है ।
6 न न ल खत म से कौनसे दो यौ गक सफे द रं ग के होते ह ?
YCl 3 , ZrCl 2 , NbCl 4 , PdCl 2 तथा AgCl ।
33
2.6 संदभ ंथ (Reference Books)
1. Inorganic Chemistry- S. Chand and Company, New Delhi
2. Inorganic Chemistry- Goyal Publishing House, Meerut
3. Inorganic Chemistry- Pradeep Publication, Jalandhar
4. अकाब नक रसायन भाग 2 - रमेश बुक डपो, जयपुर
5. अकाब नक रसायन भाग 2 - सा ह य भवन पि लकेशन, आगरा
6. अकाब नक रसायन भाग 2 - कॉलेज बुक हाऊस, जयपुर
7. अकाब नक रसायन भाग 2 - हमांशु पि लकेशन, उदयपुर
34
इकाई 3
तृतीय सं मण ेणी के त व का रसायन
Chemistry of Elements of Third Transition Series
इकाई क प रे खा
3.0 उ े य
3.1 तावना
3.2 तृतीय सं मण ेणी के त व के सामा य ल ण
3.3 तृतीय सं मण ेणी के त व का उनके 3d- समजात से तु लना मक ववेचन
संदभ आय नक याएं, ऑ सीकरण अव थाएं, चु बक य यवहार, पे मी गुण तथा
वम रसायन।
3.4 सारांश
3.5 श दावल
3.6 संदभ थ
ं
3.7 बोध न के उ तर
3.8 अ यासाथ न
3.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे-
तृतीय सं मण ेणी के त व कौनसे ह।
इन त वो के सामा य ल ण या ह।
ये त व अपने समजात थम सं मण ेणी के त व से या समानताएं रखते है और कस
कार उनसे भ न ह।
35
कहते ह। लथेनम त व के बाद के ये त व लथेनाइड त व के नाम से जाने जाते ह। इन त व ,
का अ ययन आप आगे आने वाल इकाइय म करगे।
73 टै टे लम Ta [Kr]4f145d36s2
74 टं सटन W [Kr]4f145d46s2
75 र नयम Re [Kr]4f145d56s2
76 ऑि मयम Os [Kr]4f145d66s2
77 इर डयम Ir [Kr]4f145d76s2
78 लै टनम Pt [Kr]4f145d96s2
79 गो ड Au [Kr]4f145d106s2
36
होने के कारण होता है। अं तम क क से पहले वाला 5d क क नय मत प से भरता रहता
है। अत: हम दे खते ह क इस ेणी म केवल अं तम दो त व लै टनम और गो ड असामा य
इले ॉ नक व यास द शत करते ह, जहाँ अं तम 6s-क क म मा एक इले ॉन पाया जाता
है।
(2) धाि वक ल ण: तृतीय सं मण ेणी के सभी त व धातु ह और सामा य धातु ल ण,
जैसे उ मा और व युत चालकता, धाि वक चमक, कठोरता, आ द का दशन करते ह।
(3) घन व: अ य धातु ओं क तरह इस ेणी के त व के घन व भी उ च होते ह।
धातु La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
घन व (g/cm3) 6.17 13.28 16.65 19.3 21.0 22.57 22.61 21.4 19.32
यहाँ आप दे ख सकते है क आवत म बाय से दाय जाने पर घन व नर तर बढ़ता है
फर Ir के प चात ् कु छ कमी आती है। La का घन व ेणी के अ य त व क अपे ा बहु त
कम है। इर डयम का घन व ेणी मे सबसे ,अ धक है। घन व के इस उ च मान का अनुमान
आप इस त य से लगा सकते ह क य द इर डयम क फुटबाल के आकार क ठोस गद बनाय
तो उसका भार लगभग 320 कलो ाम होगा। अि तम छोर पर घन व म कमी का कारण इन
त व क परमाणु या म वृ है।
(4) परमाणु या: स मण त व क तृतीय ेणी के सद य क परमाणु याओं के मान
न न कार है-
त व La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
परमाणु या (A )
0
1.87 1.59 1.46 1.39 1.35 1.35 1.35 1.38 1.44
यहाँ आप दे ख रहे है क बाय से दाय परमाणु आकार कम हो रहा है और Re, Os
तथा Ir के लये इसका मान समान पाया जाता है। इसके बाद अं तम छोर पर ि थत Pt और
Au के लये परमाणु आकार म कुछ वृ होती है। La और Hf के परमाणु आकार म बहु त
अ धक अ तर इनके म य 14 लथेनाइड त व का होना है।
लथेनाइड त व म भी बढ़ते परमाणु मांक के साथ परमाणु आकार म कमी आती है।
इसे लथेनाइड संकु चन कहते है, िजसका भाव तृतीय सं मण ेणी के त व पर पड़ता है। इसी
कारण इस ेणी के थम सद य लथेनम क अपे ा शेष सभी त व के परमाणु आकार बहु त
कम है, जब क शेष त व के परमाणु आकार म पर पर बहु त कम अंतर है।
परमाणु मांक वृ के साथ त व का ना भक य आवेश भी बढ़ता है। इसके साथ है
अं तम से पहले 5d क क म इले ॉन क सं या म भी वृ होती है। इस कार अं तम
क क 6s के इले ॉन पर दो बल काय करते ह-ना भक य आकषण तथा 5d इले ॉन का
तकषण। वपर त कृ त के ये बल Re, Os, Ir के लये इस कार संतु लत होते ह क
उनके परमाणु आकार म कोई प रवतन नह ं होता और उनक परमाणु याएं समान रहती है।
Pt और Au के इले ॉ नक व यास को दे ख तो यहाँ पर 5d क क पूण भरे हु ए या
इसके नकट (5d या 5d ) होते ह। इससे 6s इले तकषण अ धक हो जाता है,
10 9
ॉन पर
37
िजसके प रणाम व प परमाणु आकार म वृ पायी जाती है। यह कारण है क इनके घन व
इनसे पहले आने वाले त व से कम होते है।
(5) गलनांक और वथनांक: तृतीय ेणी क सं मण धातु ओं के गलनांक और वथनांक बहु त
अ धक होते ह।
त व La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
गलनांक ( C) 0
920 2222 2980 3380 3180 3045 2443 1769 1064
आप दे ख सकते है क आवत म बाय से दाय गलनांक के मान टं सटन तक बढ़ते है
फर इनम कमी आने लगती है। दोन कनार पर ि थत धातु ओं (La तथा Au) के गलनांक
म य म ि थत धातु ओं के गलनांक से बहु त कम है। स भवत: 5d क क म अयुि मत
इले ॉन क सं या म वृ के साथ गलनांक के मान बढ़ते ह और यु मन होने पर अयु गमत
इले ॉन क कम होती है िजससे गलनांक भी कम होते चले जाते है। यह वृि त वथनांक
के मान म पायी जाती है।
(6) आयनन वभव: तृतीय सं मण ेणी के धातु ओं के आयनन वभव अ धक होते ह। इस
कारण इन धातु ओं का व युत धना मक गुण बहु त कम होता है। प रणाम व प इनके
यौ गक म आय नक गुण क अपे ा सहसंयोजक गुण अ धक होते है। उ च ऑ सीकरण म
तो इनके यौ गक मु य प से सहसंयोजक ह होते ह। इनके थम आयनन वभव के मान
KJ/mol इकाइय म यहाँ दए जा रहे ह।
त व La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
आयनन वभव 541 760 760 770 759 840 900 870 889
यहाँ आप दे ख सकते ह क La का थम आयनन वभव ेणी के अ य सद य से
बहु त कम है। अ य सद य का ना भक य आवेश La के ना भक य आवेश से बहु त अ धक है,
इसी लए आयनन वभव का मान भी बहु त अ धक है। ेणी म बाय से दाएं पहले आयनन
वभव मान म नरं तर वृ होती है। Ir के लए थम आयनन वभव का मान सबसे अ धक
है। Pt और Au के लये आयनन वभव के मान म कु छ कमी आती है।
(7) उ ेरक य गुण : अ य सं मण धातु ओं क भां त तृतीय सं मण ेणी धातु एं भी उ तम
उ ेरक के प म काय करती ह। कु छ उदाहरण यहाँ दये जा रहे ह-
(i) स यू रक अ ल के नमाण म SO2 का ऑ सीकरण Pt धातु क उपि थ त म कराया
जाता है।
2SO2+O2 Pt 2SO3
(ii) Pt/PtO (ऐड स उ रे क) अपचयन अ भ याओं म उ रे क का काय करता है।
(8) ऑ सीकरण अव थाएं: अ य सं मण त व क भाँ त तृतीय सं मण ेणी के तल भी
अपने यौ गक म प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाओं का दशन करते ह। ये ऑ सीकरण
अव थाएं न न कार यहाँ द जा रह ह। को ठक म द गई ऑ सीकरण अव थाएं
असामा य ह।
38
La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
(+1) +1
(+2) +2 (+2) +2 +2 +2
+3 (+3) (+3) +3 +3 +3 +3 (+3) +3
+4 (+4) +4 +4 +4 +4 +4
+5 +5 (+5) (+5)
+6 (+6) +6 +6 (+6)
+7
+8
ऊपर द गई सारणी म आप दे ख सकते ह क ेणी के बीच के सद य अ धक सं या
म ऑ सीकरण अव थाओं का दशन करते ह। बाय से दाय पहले ऑ सीकरण अव थाओं क
सं या बढती ह, फर कम होती चल जाती है। अ धकतम +8 ऑ सीकरण अव था ऑि मयम
धातु दशाता है जब क सबसे अ धक ऑ सीकरण अव थाएं (+1 से +7 तक) र नयम वारा
द शत क जाती ह। ेणी के सभी त व +3 ऑ सीकरण अव था वाले यौ गक बनाते ह।
(9) चु बक य गुण : अ य सं मण त व क भाँ त तृतीय सं मण ेणी के त व और इनके
यौ गक अनुचु बक य गुण रखते ह। यह वृि त इनके परमाणुओं या आयन म उपि थत
अयुि मत इलै ॉन के कारण होती ह।
(10) संकुल यौ गक : तृतीय सं मण ेणी के सभी धातु व भ न लगै ड के साथ संकुल
बनाते ह। यह वृि त इन धातु ओं के छोटे परमाणु आकार, उ च ना भक य आवेश और
र त d-क क क उपल धता के कारण होती ह। कु छ उदाहरण यहाँ दये जा रहे ह।
र नयम अपनी +3 ऑ सीकरण अव था म [ReOBr4] संकुल बनाता है िजसक
या मती वगाकार परै मडी है। इसम Re क सम वय सं या 5 है।
[ReF5] संकुल भु जीय व परै मडी आकृ त का होता है यहाँ धातु क ऑ सीकरण
अव था तथा सम वय सं या, दोन 5 ह। संकु ल आयन [ReF8]2- म धातु क ऑ सीकरण
अव था +6 तथा सम वय सं या 8 है। इसक या म त वगाकार त मीय होती है।
[ReO2(CN)4] संकुल आयन क
3
या म त अ टफलक य होती है। इसम धातु क ऑ सीकरण
अव था +5 है तथा सम वय सं या 6 है। ऑि मयम के अ टफलक य संकुल का सू
[OsO2(OH)4]3 है।
[ReF5] संकु ल क या म त पंचभुजीय व परै मडी होती है। यहाँ Os क ऑ सीकरण
अव था तथा सम वय सं या, दोन 7 है। इर डयम के संकुल [IrH3(PR3)2] क या म त
भु जीय व परै मडी होती है। [Au(CN)2] क या म त रे खीय, [AuCl(PR3)2] क भु जीय
समतल य, [Au(PR3)4] क चतु फलक य तथा [AuBr4] क वगाकार समतल य होती है।
+ -
39
(i) (Ta6Cl12 इस गु छ यौ गक क संरचना म छ: धातु परमाणु एक अ टफलक के कोन
पर ि थत होते है और अ टफलक के 12 कनार के प म 12 लोर न परमाणु धातु
परमाणुओं के म य सेतु बंध बनाते ह।
(ii) W6Br12 यह वा तव म टं सटन का डाइ ोमाइड (WBr2) है, जो गु छ संरचना बनाता
है। इसक संरचना म [W6Br8]+4 आयन बनता है िजसक या म त अ टफलक य होती
है। अ टफलक के 6 कोनो पर 6 टं सटन परमाणु ि थत होते ह। आठ Br परमाणु
अ टफलक के आठ फलक पर उपि थत होते है तथा येक Br परमाणु फलक के
तीन कोन पर उपि थत तीन W परमाणु ओं के साथ बंध बनाता है।
(iii) Re3Cl9: यह वा तव म र नयम ाइ लोराइड (ReCl3) है, जो गु छ संरचना बनाता
है। तीन धातु परमाणु भुज आकार म पर पर Re-Re बंध से जु ड़े रहते ह।
(iv) काब नल गु छ यौ गक: Os3(CO)12 तथा Ir4(CO)12 जैसे गु छ यौ गक बनते ह।
इन यौ गक म धातु क ऑ सीकरण अव था शू य होती है।
(12) अ म याशीलता: उ च आयनन वभव के कारण तृतीय सं मण ेणी के धातु बहु त कम
अभ याशीलता द शत करते ह। इन धातु ओं क उ च उ वपातन ऊजा न न वलायकन
ऊजा के कारण भी इनक अ भ याशीलता कम हो जाती है। Ir, Pt, Au जैसी धातुओं
क गनती इनक बहु त कम अ भ याशीलता के कारण उ कृ ट धातुओं म होती है।
बोध न-
1. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) तृ तीय सं मण े णी के थम और अं तम त व मश: लथे न म तथा
गो ड ह। (स य/अस य)
(ख) ले टनम का इले ॉ नक व यास [Xe]4f 1 4 5d 8 4s 2 है । (स य/अस य)
(ग) तृ तीय सं मण े णी म सबसे कम घन व वाला त व गो ड
है । (स य/अस य)
(घ) Re, Os तथा Ir का परमाणु आकार लगभग समान होता
है । (स य/अस य)
(च) Ir का थम आयनन वभव , W तथा Re के थम आयनन वभव से
कम होता है । (स य/अस य)
(छ) लथे न म क सामा य ऑ सीकरण अव था +3 है । (स य/अस य)
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए-
(क) [ Ta 6 Cl 1 2 ] यौ गक क या मती .................. होती है ।
(ख) टं सटन अपने यौ गक म +2 से .................. तक ऑ सीकरण
अव थाएं दशाता है ।
(ग) ऐड स उ े र क ................. अ भ याओं म उ े र क का काय करता
है ।
40
(घ) तृ तीय सं मण े णी म सबसे अ धक घन व वाला धातु ...................
है ।
(च) आवत सारणी के छटे आवत म लथे न म और है फ नयम के बाद आने
वाले दो त व के नाम मश: .............. तथा .............है ।
(छ) टै टे लम धातु क सामा य ऑ सीकरण अव था ................है ।
5d- ेणी La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
व यास 5d 1
5d 6s2
5d 6s3
5d 6s 4
5d 6s5
5d 6s 6
5d 6s7
5d 6s9
5d106s
6s2 2 2 2 2 2 2 1 1
41
का व यास 5d 6s हो जाता है, िजसका कारण पूण d-क क का अ धक
9 1
थाई होना है। यह
बात यारहव वग क धातु Cu(3d104s1) तथा Au(5d106s1) पर भी लागू होती है।
(2) परमाणु या: थम सं मण ेणी क अपे ा तृतीय सं मण ेणी के त व के परमाणु
याओं के मान अ धक होते ह। तु लना क ि ट से दोन े णय के त व क परमाणु
याओं के मान यहाँ दये जा रहे ह।
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
या(A ) 1.65 1.47 1.36 1.30 1.27 1.26 1.25 1.25 1.28
0
परमाणु
4d- ेणी La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
परमाणु या(A0) 1.87 1.59 1.46 1.39 1.35 1.35 1.35 1.38 1.44
दोन सं मण े णय म बाय से दाय परमाणु या का मान कम होता चला जाता, फर दो
या तीन वग म ये मान ि थर हो जाते ह और अं तम छोर पर या के मान म वृ होती
है।
(3) आयनन वभव : त व -का आयनन वभव उनके परमाणुओं के ना भक य आवेश, परमाणु
आकार और भीतर इले ॉन के प रर ण थम पर नभर करता है। थम एवं तृतीय
सं मण े णय क धातु ओं के थम आयनन वभव क तु लना यहाँ क जा रह है। ये
मान KJ त मोल इकाई म है।
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
आयनन वभव 631 656 650 653 717 762 758 736 745
5d- ेणी La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
आयनन वभव 541 760 760 770 759 840 900 870 889
यहाँ आप दे ख सकते ह क दोन े णय म त वो के आयनन वभव के मान एक दूसरे के
बहु त नकट है। केवल La के आयनन वभव का मान बहु त कम है। दोन े णय म बाय से
दाय पहले ये मान बढते ह फर कम होने लगते ह। अं तम त व म इनके 4s और 6s क क
म युि मत इले ॉन न होकर अयुि मत इले ॉन होता है िजसे कम आयनन ऊजा दे कर अलग
कया जा सकता है, अत: आयनन वभव का मान कम हो जाता है। अपने छोटे आकार, उ च
ना भक य आवेश तथा 6ऽ क क म युि मत इले ॉन के कारण Ir धातु का आयनन वभव
सबसे अ धक होता है।
(4) घन व: सं मण धातु ओं का घन व उनके परमाणु भार और परमाणु आयतन पर नभर
करते ह। थम तथा तृतीय सं मण ेणी क धातु ओं के घन व g/cm3 इकाई म तु लना
हे तु यहाँ दये जा रहे ह।
42
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11
3d- ेणी Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
घन व 2.99 4.54 6.11 7.20 7.44 7.86 7.83 8.90 8.92
5d- ेणी La Hf Ta W Re Os Ir Pt Au
घन व 6.17 13.28 16.65 19.3 21.0 22.57 22.61 21.41 19.32
दोन े णय के घन व म बहु त अ धक अ तर ह। तृतीय सं मण ेणी क -धातुओं के घन व
थम सं मण े णी क धातु ओं के घन व के लगभग तीन गुणा ह। इसका कारण तृतीय
सं मण ेणी क धातु ओं के उ च परमाणु मार और अपे ाकृ त कम परमाणु आयतन ह।
बाय से दाय दोन े णय म घन व के मान नरं तर बढ़ते ह। सं मण े णी म
ऑि मयम का घन व सबसे अ धक है। इसके बाद आने वाल धातु ओं के कम होते चले जाते ह।
ऐसा थम सं मण ेणी म नह ं है।
(5) ऑ सीकरण अव थाएं: थम एवं तृतीय सं मण ेणी के त व क व भ न ऑ सीकरण
अव थाओं क तु लना आगे सारणी म क गयी है।
वग सं मण ऑ सीकरण अव थाय
सं या धातु
3 Sc (+2) +3
La +3
4 Ti (+2) +3 +4
Hf (+3) +4
5 V +2 +3 +4 +5
Ta (+2) (+3) (+4) (+5)
9 Co +2 +3 (+4) (+5)
Ir +2 +3 +4 +6
10 Ni +2 (+3) (+4)
Pt +2 (+3) +4 (+5) (+6)
11 Cu +1 +2
Au +1 +3
43
उ त सारणी से प ट है क दोन े णय के सभी धातु (कॉपर को छोड़कर) +3 ऑ सीकरण
अव था द शत करते ह। इसके अ त र त +2 तथा +4 ऑ सीकरण अव थाएं अ धकांश
द शत करते ह। उ च ऑ सीकरण अव थाएं े णय के म य आने वाले धातु द शत करते
ह। दोन े णय म असामा य ऑ सीकरण अव थाएं भी पायी जाती ह, िज ह सारणी म
को ठक म रखा गया।
(6) संकुल यौ गक और उनक या म त:
थम तथा तृतीय सं मण ेणी के त व संकुल यौ गक बनाते ह। थम सं मण े णी
के त व उ च सम वयी सं या वाले संकु ल नह ं बनाते, जब क तृतीय सं मण ेणी के त व
उ च सम वयी सं या वाले संकुल भी बनाते है। कु छ संकुल और उनक या म त को उदाहरण
के प म यहाँ सारणीब कया गया है। 30
सं मण सं मण ऑ सीकरण सम वय संकुल या मती
े णी धातु अव था सं या
3d Sc +3 6 [ScF6]3- अ टफलक य
3d V +3 6 [Y(CN)6]3- अ टफलक य
5d Os +7 6 [OsO2(OH)4] 2-
अ टफलक य
5d Au +1 2 [Au(CN)2] रे खीय
3d Cu +1 2 [CuCl2] रे खीय
44
अ धक रहता है। अत: इले ॉन का यु मन न न ऊजा वाले क क म हो जाता है और पदाथ
के अनुचु बक व गुण कम ह रहते ह। तृतीय सं मण ेणी के संकुल म इनके चु बक य
आघूण म मा अयुि मत इले ॉन का योगदान नह ं होता, बि क च ण क यु मन का भी
मह व होता है।
तृतीय सं मण ेणी के यौ गक के अनुचु बक य गुण ताप पर भी नभर करते ह।
थम सं मण ेणी के यौ गक के अनुचु बक य गुण ताप पर नभर नह ं रहते।
(8) सं मण त व यौ गक के रं ग:
आपने अभी जाना क टल े स ांत के अनुसार सं मण त व के आयन के d-
क क का दो उप ऊजा तर eg और t2g, म वभाजन हो जाता है। अ टफलक य संरचना म
काश के एक भाग का अवशोषण कर इले ॉन न न ऊजा के t2g क क से उ च ऊजा के eg
क क म चला जाता ह। अवशोषण के प चात ् शेष काश पदाथ को रं ग दान करता है।
इसके अ त र त धातु और लगै ड के क क म मी इले ॉन का थानांतरण स भव
होता है। इस कारण भी यौ गक के, रं ग दखाई पड़ते ह। MnO4 तथा CrO4 2-
आयन म धातु
के d-क क म इले ॉन नह ं पाये जाते पर तु आवेश थानांतरण पे ा के कारण ये आयन
रं गीन दखाई दे ते ह।
तृतीय सं मण ेणी के 5d क क के लये टल े वभाजन ऊजा का मान
थम सं मण ेणी के त व क अपे ा अ धक होता है तथा तृतीय सं मण ेणी के त व के
रं ग d से d सं मण तथा आवेश थानांतरण, दोनो कारण से होते ह।
थम तथा तृतीय सं मण ेणी के कु छ यौ गक के रं ग तु लना क ि ट से यहाँ दये
जा रहे ह-
वग थम सं मण ेणी के वतीय थम सं मण ेणी के यौ गक(रं ग)
यौ गक(रं ग)
3 ScCl3 (सफेद) LaCl2 (सफेद)
Scl3 (पीला) Lal3 (पीला)
4 TiF4 (सफेद) HfF4 (सफेद)
Til4 (लाल भूरा) Hfl4 (पीला)
45
9 CoCl2 (नीला) IrCl3 (लाल)
CoF3 (हलका भूरा) IrF3 (काला)
46
3.4 सारांश (Summary)
तृतीय सं मण ेणी के त व आवत सारणी के d- लॉक के छटे आवत म वग 3 से 11
तक पाये जाते ह।
इन त व के संकेत ह- La, Hf, Ta, W, Re, Os, Ir, Pt, तथा Au
इनके परमाणु मांक से 57,72 से 79 तथा इनका सामा य इले ॉ नक व यास
[Xe]4f 5d14 1-10
6s 1-2
है। लथेनम म 4f क क म कोई इले ॉन नह ं होता।
इनम अ य सं मण त व क भां त सभी धाि वक गुण पाये जाते ह।
इनके घन व, गलनांक, वथनांक और आयनन वभव बहु त उ च मान वाले होते ह। ये
मान बाय से दाय पहले बढ़ते ह फर कम होते चले जाते ह।
इन धातु ओं क परमाणु याओं के मान अपने आवत म बाये से दाय पहले कम होते ह
फर Re, Os तथा Ir के लये ि थर हो जाते ह और बाद क दो धातुओं म वृ दशाते
ह।
ये धातु भी अ य सं मण धातु ओं क भां त उ रे क का काय करते ह।
ये त व अनुचु बक य वृ त का दशन करते ह, जो अयुि मत इले ॉन के अ त र त ताप
पर भी नभर रहती है।
अ य सं मण धातु ओं क भां त ये धातु भी संकुल तथा गु छ यौ गक बनाने क वृि त
रखते ह।
इन धातु ओं क अ भ याशीलता बहु त कम होती है। इस लये Ir, Pt तथा Au उ कृ ट
धातु ओं के प म जानी जाती ह।
तृतीय सं मण ेणी क धातु ओं क तु लना थम सं मण ेणी क धातु ओं से कर, तो
बहु त अंतर दखाई दे ता है। जैसे घन व लगभग तीन गुने पाये जाते है।
अ य सं मण धातु ओं क भां त ये धातु भी प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाएं द शत
करते ह।
48
इकाई 4
ऑ सीकरण और अपचयन-1
Oxidation andReduction-1
इकाई क प रे खा
4.0 उ े य
4.1 तावना
4.2 रे डॉ स वभव आँकड़ का अपयोग
4.3 रे डॉ स च का व लेषण
4.4 जल म रे डॉ स था य व
4.5 सारांश
4.6 श दावल
4.7 संदभ थ
ं
4.8 बोध न के उ तर
4.9 अ यासाथ न
4.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप न न ल खत त य क जानकार ा त करगे-
मानक अपचयन वभव क व युत रासाय नक े णी या है?
रे डॉ स वभव आँकड़ के उपयोग या ह?
रे डॉ स च या ह तथा इसके वारा कस कार मानक अपचयन वभव E0 का मान
प रकलन कया जाता है?
जल का था य व े या है?
कस pH तथा E परास म जल ऑ सीकरण व अपचयन के थायी होता है?
0
त
कस कार पदाथ का जल वारा ऑ सीकरण, अपचयन व असमानुपातन होता है?
49
इस अ भ या म Cu(0) का Cu(II) म ऑ सीकरण हो जाता है। जब क Ag(I) का
Ag(0) म अपचयन हो जाता है:-
Cu(ठोस)+2Ag+(जल य) Cu2+(जल य)+2Ag(ठोस)
(i) उपरो त रे डॉ स अ भ या को न न ल खत दो अथ अ भ याओं म पृथक् कया जा
सकता है- कॉपर धातु का ऑ सीकरण
Cu(ठोस) Cu2+(जल य)+2e
(ii) स वर आयन का अपचयन
2Ag+(जल य)+2e 2Ag(ठोस)
अत: प ट है क येक रे डॉ स अ भ या को ऑ सीकरण तथा अपचयन अध
अभ याओं म वभ त कया जा सकता है। इसके ठ क वपर त ऑ सीकरण व अपचयन अध
अभ याओं को जोड़कर एक संतु लत रे डॉ स समीकरण लखा जाता है।
50
य द SHE के साथ कसी धाि वक इलै ोड को जोड़ दया जाए तो बने हु ए सेल का
वभव उस धाि वक इलै ोड के वभव के बराबर होगा य क मानक हाइ ोजन इले ोड के का
मान शू य है।
E को E0(अप) लखने पर इसे मानक अपचयन वभव कहते है, तथा वभव अपचयन
अभ या से संबं धत होता है। जैसे-
Mn+(जल य)+ne ⇌ M(ठोस), E0(अप)
कार, E वभव कहते, िजसका संबध
ं (ऑ सी)
0
इसी (ऑ सी) को मानक ऑ सीकरण
ऑ सीकरण अ म ा से है। जैसे-
M(ठोस) ⇌ Mn+(जल य) +ne, E0(ऑ सी)
सामा यत: एक त व म E(अप) तथा E0(ऑ सी) के मान समान होते ह ले कन इनके
च न वपर त होते ह। मानक हाइ ोजन इलै ोड के संदभ म य द E(अप) का मान ऋणा मक
है तो E 0
(ऑ सी) का मान धना मक होगा।
E0(ऑ = -E0(अप)
सी)
51
सारणी 4.1 से प ट है क िजन धातुओं अथवा आयन क इले ॉन यागने क वृि त
हाइ ोजन से अ धक होती है, उनके मानक अपचयन वभव का मान ऋणा मक होता है तथा वे
अ छे अपचायक होते ह। जब क िजन धातु ओं क इले ॉन यागने क वृि त हाइ ोजन से
कम होती है उनके मानक अपचयन वभव का मान धना मक होता है तथा वे अ छे
ऑ सीकारक होते है।
सारणी 4.1 म मानक अपचयन वभव के ऋणा मक मान यह दशाते ह क उ त
अभ या स प न नह ं होगी तथा इसक वपर त अ भ या स प न होगी। उदाहरणाथ:-
K +e K, E = -2.93 (अ भ
+ - 0
या नह ं होगी)
K K++e-, E0 = +2.93 (अ भ या होगी)
अत िजस अ भ या का E0 का मान अ धक होता है, उसम बाएं से दाएं जाने क
वृि त अ धक होती है।
िजंक स फेट वलयन म डू बी हु ई िजंक इलै ोड तथा कॉपर स फेट वलयन म डू बी
हु ई कॉपर इलै ोड के यु मन से एक अ त सामा य गै वैनी (डे यल) सेल ा त होता है।
सारणी 4.। से प ट है क िजंक के मानक अपचयन वभव E का मान -0.76V है, जब क 0
कॉपर के मानक वभव का मान +0.34 है। प ट है क हाइ ोजन क तु लना म िजंक क
इले ॉन यागने क वृि त बल है, जब क कॉपर क हाइ ोजन से कम ह। यह कारण है क
इस सेल म िजंक इलै ॉड ऐनोड क काय करता है। सेल म होने वाल रासाय नक अ भ याएँ
न न ल खत है:-
(i) िजंक इलै ॉड (ऐनोड) पर ऑ सीकरण-
Zn ⇌ Zn2++2e-, E0 = +0.76V (मानक ऑ सीकरण वभव)
(ii) कॉपर इलै ोड (कैथोड़) पर अपचयन:-
Cu +2e- ⇌ Cu, E0 = -0.34V(मानक अपचयन वभव)
2+
इन सेल च म ऐनोड हमेशा बायीं ओर तथा कैथोड हमेशा दायीं ओर जाता है। अत: इस सेल
का वभव नज कार ा त कया जा सकता है:-
E 0
से ल = कॉपर इलै ोड (कैथोड) का मानक अपचयन वभव-
िजंक इलै ोड (ऐनोड) का मानक अपचयन वभव
= E 0
दायां – E0बायां
E0सेल = 0.34 - (-0.76) = +1.1V
अथात ् इस सेल का वभव +1.1V होगा।
52
मानक अपचयन वभव के अनेक उपयोग ह। मानक अपचयन वभव वारा जानकार
मलती है क कसी त व म इले ॉन यागने क कतनी त परता है। अत: यह कसी त व क
शि त का माप है। E 0
का मान िजतना अ धक ऋणा मक होगा, त व म इले ॉन यागने
अथात ् ऑ सीकृ त होने क वृि त उतनी ह अ धक होगी, िजससे वह त व एक अ छा
अपचायक होगा। इससे ठ क, मानक अपचयन वभव के मान िजतने अ धक धना मक ह ग,
त व म इले ॉन हण करने अथात ् होने क वृि त उतनी ह अ धक होगी िजससे वह त व
एक ऑ सीकारक क तरह यवहार करे गा। कारण है क धातुओं म ल थयम बलतम
अपचायक है जब क सभी त व म पलु ओर न बलतम ऑ सीकारक है।
व युत रासाय नक ेणी म िजस धातु का ऋणा मक वभव अ धक होगा वह अपने से
न नतर थान वाल धातु को उसके लवण म वलयन से व था पत कर दे गी। यह कारण है
कॉपर धातु (E0 =+0.34V), AgNO3 वलयन से स वर (+0.80) को व था पत कर दे ती है।
इसी कार िजंक धातु (-0.76V), कॉपर (0.34V) को कॉपर स फेट वलयन से व था पत कर
दे ती है।
इस कार रे डॉ स वभव ऑकड़ का रसायन व ान म व तृत उपयोग है। कु छ मु ख
उपयोग न न ल खत है-
(1) ऑ सीकारक तथा अपचायक क आपे क साम य क तु लना
हम जानते ह क जो पदाथ आसानी से इले ॉन हण कर सके, बल ऑ सीकारक
होते ह तथा जो पदाथ आसानी से इले ॉन नकाल सके, बल अपचायक होते ह।
अत: कौनसा पदाथ कतना बल ऑ सीकारक है अथवा अपचायक है, इसका नधारण
मानक अपचयन वभव के आँकड़ो वारा आसानी से कया जा सकता है।
उदाहरण I:- न न ल खत दो अ भ याओं पर वचार कर:-
Ag++e Ag, E0 = +0.80V (अ भ या नह ं होगी)
Zn +2e Zn, E = -0.76V(अ भ
2+ 0
या होगी)
Ag क इले
+
ॉन हण करने क वृि त बहु त अ धक है य क इसके E0 का मान
धना मक है। यह कारण है क Ag बल ऑ सीकारक है।
इसके ठ क वपर त Zn 2+
के लए E0 के ऋणा मक मान से प ट है क इसम
इले ॉन हण करने क वृि त यूनतम है। अत: Zn 2+
दुबल ऑ सीकारक है।
उपरो त अ भ याओं क वपर त अ भ याओं पर वचार कर-
Ag Ag +e, E = -0.80V
+ 0
Zn Zn2++2e, E0 = +0.76V
E0 (मानक ऑ सीकरण वभव) के मान से प ट है क Zn आसानी से इले ॉन
याग सकता है। अत: यह बल अपचायक है। Ag के E के ऋणा मक मान से
0
प ट है क
Ag आसानी से इले ॉन नह ं याग सकता। अत: यह दुबल अपचायक है।
उपरो त अ भ याओं को सं ेप म न न कार दशाया जा सकता है-
अपचयन आसानी से होगा
53
Ag++e- ऑ सीकरण आसानी से नह होगा Ag, E0 = -0.80V
अपचयन आसानी से नह ं होगा
Zn2++2e- ऑ सीकरण आसानी से नह ं होगा Zn, E0 = +0.76V
कु छ धातु आयन क ऑ सीकारक मता न न ल खत म म होती है य क इस
म म इनके मानक अपचयन वभव (E ) के मान भी कम होते जाते ह।
0
ऑ सीकारक मता Ag+ > Cu2+ > H+ > Ni2+ > Zn2+
E0 +0.80 > +0.34 > 0.00 > -0.25 > -0.76(वो ट म)
अपचायक मता का म इसके ठ क वपर त होगा:-
Ag > Cu > H > Ni > Zn
उदाहरण ।।:- ार धातुओं म ल थयम का आयनन वभव सबसे अ धक होने के
बावजू द, यह बलतम अपचायक है, इस त य को भी E 0
के मान क सहायता से समझा जा
सकता है:-
Li++e- Li, E0 = -3.05V
K++e- K, E0 = -2.93V
उपरो त अ भ याओं क वपर त अ भ याओं के लए:-
Li Li++e-, E0 = +3.05V
K K++e-, E0 = +2.93/V
प ट है क Li से Li+ बनने का E0 का मान (+3.05V), K से K+ बनने के E0 के
मान (+2.93V) से अ धक है। प ट है Li आसानी से Li+ म ऑ सीकृ त हो सकती है। यह
कारण है क पोटै शयम तथा अ य ार धातुओं क तु लना म ल थयम बल अपचायक है।
उदाहरण III:- न न ल खत दो अ भ याओं पर वचार कर-
(i) Cl2+2e 2Cl, E = +1.36V
- 0
54
(2) कसी रे डॉ स अ भ या के स प न होने का अनुमान-
व युत रासाय नक ेणी म ऊपर ि थत अपचायक, नीचे ि थत ऑ सीकारक से या
कर उसे अपच यत कर सकता है। साथ ह कोई भी ऑ सीकारक व युत -रसाय नक े णी म
उसके ऊपर ि थत अपचायक से या करके, उसे ऑ सीकृ त कर सकता है।
उदाहरण I:- धातु-धातु व थापन अ भ याएं वा तव म रे डॉ स अ भ याएं ह है,
िजनम एक धातु जल य वलयन म दूसरे धातु के लवण से या करती है।
Zn एक अपचायक है जो क व युत -रासाय नक े णी म वयं से नीचे ि थत Ag
+
Zn+Cu2+ Zn2++Cu
Zn, व युत रासाय नक े णी म वयं से ऊपर ि थत धातु आयन जैसे Al3+, Mg2+
तथा Na+ आ द का अपचयन नह कर सकता।
उदाहरण ।।:- Cl2 एक ऑ सीकारक है जो क व युत -रासाय नक ेणी म अपने से ऊपर
ि थत Br को Br2 म तथा ।2 को I म ऑ सीकृ त कर सकता है।
Cl2+2Br 2Cl+Br2
Cl2+2I 2CI+2I
Br व I का लोरोफॉम पर ण, इसी त य पर आधा रत है।
उदाहरण III:- I2 एक ऑ सीकारक है जो क वयं से ऊपर ि थत Cu को Cu2+ म, H2 को
H+ म ऑकसीकृ त कर सकता है-
I2+Cu Cu2++2I
I2+H2 2H++2I
(3) धातु ओं वारा हाइ ोजन अ ल से H2 गैस के व थापन का अनुमान:-
धातु--हाइ ोजन व थापन अ भ या एक रे डॉ स अ भ या है, कसी धातु के मानक
अपचयन वभव के मान से यह अनुमान लगाया जा सकता है कए वह धातु, हाइ ोजन अ ल
से H2 गैस व था पत कर सकती है अथवा नह ं कर सकती है।
ऋणा मक मानक अपचयन वभव वाल सभी धातु एं (जैसे Zn) हाइ ोजन अ ल से H2
गैस मु त करती ह जब क धना मक वभव वाल धातुएं (जैसे Cu) हाइ ोजन अ ल से
हाइ ोजन गैस व था पत नह ं कर सकती। अत:
Zn+H2SO4 ZnSO4+H2
Fe+2HCl FeCl2+H2
उपरो त अ भ याओं म धातु एँ अपचायक का तथा H+ आयन ऑ सीकारक का काय
कर रहे है।
(4) कसी अ भ या के वत: होने का अनुमान -
55
य द कसी अ भ या के लए रे डॉ स वभव का मान धना मक है तो तह अ भ या
वत: स प न होगी ले कन य द रे डॉ स वभव का मान ऋणा मक है तो वह अ भ या नह
होगी।
उदाहरण ।:
Ni Ni2 + 2e- E0 =+0.25V
Cu 2+
+ 2e Cu E 0
=+0.34V
Ni + Cu 2+
Cu E 0
=+0.59V
इस अ भ या का E0 धना मक है, अत: यह अ भ या स प न होगी।
उदाहरण II:
Co2+ + 2e- Co E0 =-0.28V
Sn Sn2+ + 2e- E0 =-0.14V
Co2++ Sn Co+ Sn2+ E0 =-0.14V
इस अ भ या के रे डॉ स वभव का मान ऋणा मक है। अत: यह अ भ या नह ं होगी।
बोध न
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख-
1. मानक अपचयन वभव को उनके बढ़ते हु ए मान म यवि थत करने पर ा त
े णी को या कहते ह?
.......................................................................................... ....
2. Ag तथा Zn के मानक अपचयन वभव के मान मश: +0.80 V तथा -
0.76 V है । बताइये कौन बल ऑ सीकारक है ।
......................................................................... .....................
3. है लोजे न त व को घटते हु ए ऑ सीकारक वृ ि त के म म यवि थत कर।
......................................................................... .....................
4. कसी रे डॉ स अ भ या क वत: स प न होने के लए उसके रे डॉ स वभव का
मान घना मक होना चा हए अथवा ऋणा मक ?
...................................... ........................................................
5. व यु त -रसाय नक े णी म ऊपर ि थत त व , का ऑ सीकरण करते ह अथवा
अपचयन ?
......................................................................... .....................
56
य द कोई आयन जल म अ थाई है या सा य बहु त धीमी ग त से था पत होता है
अथवा अ य कसी कारण से E 0
मान का ायो गक व ध वारा नधारण नह ं हो पा रहा हो
तो रे डॉ स च क सहायता से E के सै ाि तक मान क गणना आसानी से क जा सकती है।
0
57
च 4.3 धातु से जलयोिजत ऑ सीकृ त आयन बनाने म नकल कुल
उ मा (Q1+Q2)को दशाता बॉन हाबर च
ोड वभव E का मु त प रवतन (G) के
0
आप जानते है क कसी सेल के इलै
साथ न न ल खत संबध है-
G = nFE0 .........................4.2
यहाँ n थाना त रत इले ॉन क सं या तथा F फैराडे ि थरांक है।
आप जानते है क-
G = H - TS
यहाँ, H ए थै पी प रवतन, S ए ॉपी प रवतन तथा T परम ताप है।
इस अ ययन को सरल बनाने के लए हम एक से तं (जैसे Zn2+/Zn तथा
Fe2+/Fe) का अ ययन करते ह। येक तं म ए ॉपी प रवतन लगभग समान ह होगा।
अत: उपयु त समाकरण म TS पद को नग य मानते हु ए उपे ा करने पर न न ल खत
समीकरण ा त होता है-
G = H = - nFE0
अथात ् H = nFE0
अथवा E0 = -H/nF
अथवा E 0
= -(Q1+Q2)/nF
यह H अथात ् (Q1+Q2) का मान रे डॉ स च क सहायता से ात कया सकता
है।
रे डॉ स च से प ट है क य द (Q1+Q2) का मान ऋणा मक है अथात ् E0 का मान
धना मक है, तो धातु आयन का अपचयन व रत ग त से होता है।
बहु त ह साधारण श द म आप इस त य को इस कार समझ सकते ह क िजन
त व क उ वपातन ऊजा (S) तथा आयन ऊजा (I) के मान बहु त कम होते ह, उनके E0 के
मान भी बहु त कम अथात ् ऋणा मक होते ह। िजन त व क उ वपातन ऊजा तथा आयनन
ऊजा के मान अ धक होते ह, उनके E0 के मान भी तु लना मक प से अ धक होते ह। अत:
आवत सारणी म व भ न त व के E 0
मान को न न ल खत ब दुओं म समझा जा सकता
ह-
58
(1) आवत सारणी म अ य त व क तु लना म ार धातुओं का आकार बड़ा होता है। िजससे
उनक आयनन ऊजा का मान कम होता है। साथ ह कम गलनांक के कारण इनक
उ वपातन ऊजा का मान भी कम होता है। िजससे इन त व के E0 का मान काफ कम
अथात ् ऋणा मक होते है। व भ न ार धातु आयन के अपचयन वभव के मान सारणी
4.1 म दशाये गए ह।
सारणी 4.1 ार धातु ओं के अपचयन वभव
धातु आयन Li +
Na +
K+ Rb+ Cs+
E0(V) -3.05 -2.71 -2.92 -2.92 -2.92
= -(209)/2x96.5 n = 2 है।
E0 = 209/2x96.5 = 1.09V
इस कार E0 का यह प रक लत मान 10.9 वो ट ायो गक मान +0.324-(-
0.76)=1.10 वो ट के काफ नकट है। यहाँ -0.34 तथा -0.76 मश: Cu2+ तथा Zn2+ के
अपचयन वभव के मान है।
ायो गक तथा प रकि पत मान म इस थोड से अंतर का कारण इन गणनाओं म
ए ॉपी प रवतन S को नग य माना गया है।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे : -
6. रे डॉ स च कसक गणना के लए यु त कया जाता है ?
......................................................................... .....................
60
7. सं मण धातु ओं क याशीलता , ार धातु ओं क तु ल ना म अ धक होती है या
कम ?
......................................................................... .....................
8. है लोजे न वग म पलु ओर न से आयोडीन तक मानक अपचयन वभव E 0 के
मान कम होते है या अ धक ?
........................................................................... ...................
61
य द कसी धातु आयन के अपचयन वभव E का मान ऋणा मक है तो वह धातु H2
0
62
जब एक ऑ सीकारक जल को
O2 म ऑ सीकृ त करता है और एक
अपचायक जल H2 म अपच यत करता है
तो वह जल य वलयन म व यमान नह ं
रह सकता। अत: रे डॉ स रसायन म, जल
के था य व े क उन सीमाओं का
अ ययन आव यक हो जाता है, िजसके
अ तगत जल ऑ सीकरण तथा अपचयन
के त ऊ माग तक प से थायी हो।
इसके pH लए जल य मा यम म
वभ न रे डॉ स तं पर प रवतन के
भाव का अ ययन कया जाता है। फर
इनके मानक अपचयन, वभव को pH के
त आरे खत कया जाता है। जल के
था य व े को च 4.5 म दखाया
गया है। च 4.5 जल का था य व
जल का था य व े pH तथा मानक अपचयन वभव से न मत वह े है िजसम
जल ऑ सीकरण च तथा अपचयन दोन के त थायी रहता है।
च 4.5 म द शत उ वाधर रे खाएँ ाकृ तक जल के साधारण pH परास को दशाता है
जो क 4 से 9 है। अत: प ट है क pH क सीमाएँ 4 से 9 के बीच है। च म अपचयन
वभव क सीमाओं को दो तरछ रे खाओं वारा द शत कया गया है। ऊपर वाल तरछ रे खा
अपचयन वभव 1.229 वो ट से शु होती है जब क नीचे वाल तरछ रे खा अपचयन वभव
0.0 से शु होती है।
अत: च 4.5 वारा यह न कष नकाला जा सकता है क यद वलयन बल
अ ल य या बल ारक य (pH का मान 4 से 9 के म य है) नह ं ह तो म यम ऑ सीकारक
अपचायक अ भकमक (E0 का मान -0.8 से +0.4V के म य है) जल को ऑ सीकृ त अथवा
अपच यत नह ं कर सकते।
अत: िजस जाती का वभव ऊपर , तरछ रे खा से अ धक होगा वह जल O2 म
ऑ सीकृ त कर दे गी। इसी कार नचल तरछ रे खा से कम मानक अपचयन वभव वाले
यौ गक जल को H2 म अपच यत कर दगे।
(4) असमानुपातन:- असमानुपातन एक रे डॉ स अभ या है, िजसम कसी त व का
ऑ सीकरण अंक बढ़ता भी है और घटता भी है, िजससे दो भ न उ पाद ा त होते ह।
इस कार इन अ भ याओं म ऑ सीकरण तथा अपचयन अ भ याएँ साथ-साथ चलती
ह। अत: िजस त व का असमानुपातन होता है, वह वयं के लए ऑ सीकारक व अपचायक
दोनो का काय करता है।
63
य द कॉपर (I) स फेट, Cu SO
2 4
को पानी म डाला जाता है तो तु रंत ह भू रे ठोस
यु त , नीला वलयन ा त होता है। इस अ भ या को न न कार दशाया जा सकता है-
2Cu (aq) Cu (aq)+ Cu (s)
+ 2+ 0
64
ले कन फर भी Fe वायुम डल य ऑ सीजन से H2 क उपि थ त म न न
2+
कार
अभ या करती है-
4Fe2++O2+4H+ 4Fe3++2H2O
उपरो त अ भ या क अध अ भ याएँ न न ल खत है:-
O2+4H++4e- 2H2O, E0 = +1.23V
Fe3++e- Fe2+, E0 = 0.77V
अत: स पूण पूण अ भ या का E0 = 1.23 +(-0.77) अथात ् 0.46V ा त होता है।
E का यह मान शू य से अ धक है। यह कारण है क अ ल य मा यम Fe आयन का वायु
0 +
65
धातु ओं म ल थयम बलतम अपचायक है िजस के E0 का मान -3.05 है तथा सभी त व
म लुओर न बलतम ऑ सीकारक है िजसके E0 का मान +2.87 है।
हैलोजेन क ऑ सीकारक वृि त न न ल खत म म घटती है-
F2 > Cl2 > Br2 > I2
व युत रासाय नक ेणी म ऊपर ि थत अपचायक, वयं से नीचे ि थत ऑ सीकारक को
अपच यत कर सकता है।
इसी कार व युत रासाय नक ेणी म नीचे ि थत ऑ सीकारक पदाथ, वयं से ि थत
अपचायक को ऑ सीकृ त कर सकता है।
य द कसी रे डॉ स अ भ या के रे डॉ स वभव E0 का मान धना मक है तो वह स प न
होगी। जल का था य व े तथा मानक अपचयन वभव E0 क वह परास है िजसम
ऑ सीकरण तथा अपचयन दोन के त थायी रहता है।
असमानुपातन एक रे डॉ स अ भ या है िजसम कसी त व का ऑ सीकरण अंक बढ़ता भी
है और घटता भी है, िजससे दो भ न उ पाद ा त होते ह। 48
मानक अपचयन वभव : कसी इलै ॉड का मानक हाइ ोजन इलै ोड के संदभ म
वभव
66
4.8 बोध न के उ तर (Answers of Intex Questions)
1. व युत -रासाय नक े णी 2. Ag
3. F2 > Cl2 > Br2 > I2 4. धना मक
5. अपचयन 6. E0 (मानक अपचयन वभव) 7. कम
8. कम 9. O2
10. H2 11. 4 से 9 12. Cu(II), Cu(0)
67
17. अ भ या, Cu2++2e Cu, के लये न न ल खत मान के आधार पर E
0
क गणना
क िजए।
Cu2++e- Cu+, E0 = 0.159V
Cu++e- Cu, E0 = 0.520V
18. ''असमानुपातन'' तथा ''समानुपातन योग'' से आप या समझते ह? उदाहरण वारा
समझाइए।
19. Fe(II) लवण का वायुम डल य ऑ सीजन वारा सरलता से Fe(III) म ऑ सीकरण हो
जाता है, य?
20. जल का था य व े या है?
21. स वर दो ऑ सीकरण अव थाओं Ag(I) तथा Ag(II) म पायी जाती है। इनके अपचयन
क अध-अ भ याएं ह-
Ag+(aq)+e- Ag(s), E0 = +0.80V
Ag2+(aq)+e- Ag+(aq), E0 = +1.98V
इस आधार पर बताइए Ag(I) आयन एक अ छा ऑ सीकरण है या अपचायक है?
[संकेत:- Ag+/Ag रे डॉ स यु म का E0 का मान (+0.80V) Ag+/Ag+ यु म के E0
मान (+1.98V) क तु लना म कम है। अत: Ag(I) एक अ छा अपचायक है।]
68
इकाई 5
ऑ सीकरण और अपचयन-II
Oxidation and Reduction-II
इकाई क प रे खा
5.0 उ े य
5.1 तावना
5.2 लैट मर आरे ख
5.3 ॉ ट आरे ख
5.4 पुअबै स आरे ख
5.5 त व के न कषण स बंधी स ांत
5.6 सारांश
5.7 श दावल
5.8 संदभ थ
ं
5.9 बोध न के उ तर
5.10 अ यासाथ न
5.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ तगत आप न न ल खत त य क जानकार ा त करगे-
कसी त व क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं तथा उनसे संबं धत मानक वभव को
सं त प से लैट मर आरे ख वारा दशाना।
लैट मर आरे ख क सहायता से ॉ ट आरे ख बनाना।
व भ न ऑ सीकरण अव थाओं के आपे क था य व को ॉ ट आरे ख वारा समझाना।
मानक अपचयन वभव क pH पर नभरता को पुअबै स आरे ख वारा समझाना।
यौ गक म से, त व के न कषण म न हत स ा त तथा व धय का अ ययन।
69
5.2 लैट मर आरे ख (Latimer diagrams)
यद कसी त व क वभ न जा तय के ऑ सीकरण अव था प रवतन संबं धत
मानक अपचयन वभव E के मान को एक आरे ख के
0
प म दशाया जाए तो उनका व लेषण
करना आसान हो जाता है।
लैट मर आरे ख म त व क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं को घटते म म दशाते
ह। त व क उ चतम ऑ सीकरण अव था वाल जा त को सबसे बा ओर लखते ह। यूनतम
ऑ सीकरण अव था वाल जा त को सबसे, दाई ओर लखते ह। दो मागत ऑ सीकरण
अव थाओं के बीच एक तीर का च ह () लगाते ह। तीर के ऊपर, इनके अपचयन वभव
E0 का मान लखा जाता है। इ ह वभव आरे ख अथवा व युत वाहक बल आरे ख (E.M.F.
diagram) के नाम से भी जाना जाता है। इस कार एक लैट मर आरे ख सं त प से बहु त
सी सू चनाएँ दशाता है।
उदाहरण I: आयरन क व भ न ऑ सीकरण अव थाओं को अ ल य मा यम म लैट मर आरे ख
क सहायता से न न कार द शत कया जा सकता है:-
70
(iv) अ त म समीकरण के एक ओर वां छत सं या म इले ॉन जोड़ कर, आवेश को संतु लत
कया जाता है। अत: उपरो त आयरन के लैट मर आरे ख ,म उपि थत फेरे ट आयन, का
संतु लत अथ समीकरण न न ल खत है:-
FeO42-(aq)+8H+(aq)+3e- Fe3+(aq)+4H2O(aq), E0 = +2.20V
लैट मर आरे ख कसी जा त के रे डॉ स यवहार क यव था म भी सहायता करता है।
लए फेरे ट आयन, FeO4 तथा Fe(III) के म य के अपचयन E
2- 0
उदाहरण के का उ च
धना मक मान यह द शत करता है क फेरे ट आयन एक बल ऑ सीकारक है जो वयं
आसानी से अपच यत होकर Fe(III) दे ता है।
Fe(II) तथा Fe के म य E0 का ऋणा मक मान, -0.44V यह बताता है क Fe
धातु एक अपचायक है, जो वयं Fe(II) म ऑ सीकृ त हो जाती है।
उदाहरण-II: d- लॉक के त व अनेक प रवतनशील ऑ सीकरण अव थाएँ ह। अत: सं मण
त व के भी लैट मर आरे ख बनाए जा सकते ह। Mn का लैट मर आरे ख न न कार है-
71
5.3 ॉ ट आरे ख (Frost diagrams)
लैट मर आरे ख जहाँ व भ न ऑ सीकरण अव थाओं का एक वमीय आरे ख है, वह ं
ॉ ट आरे ख व भ न ऑ सीकरण अव थाओं को व वमीय प म ाफ वारा तु त करता
है।
ॉ ट आरे ख को ऑ सीकरण अव था आरे ख भी कहा जाता है। कसी भी त व क
व भ न ऑ सीकरण अव थाओं क सूचनाओं के लए ऑ सीकरण अव था आरे ख अथात ् ॉ ट
आरे ख अ धक सु वधाजनक है। केवल आरे ख को दे खकर व भ न ऑ सीकरण अव थाओं के
था य व क जानकार ल जा सकती है।
ॉ ट आरे ख म मु त ऊजा प रवतन (G0) तथा ऑ सीकरण अव थाओं के म य
ाफ खींचा जाता है। ाफ म y-अ अथात ् उ वाधर अ पर G0/F तथा x-अ अथात ्
ै तज अ पर ऑ सीकरण अंक के मान लखे जाते ह।
आप जानते है क,
G0 = nFE0 अथात ् = -nE0
(2+)(3+)
Mn3++2H2O -0.95 1 +0.95 (-0.85+0.95)=+0.10 +4
(3+)
MnO2+4H+e
73
-
(+4)
MnO2+2H2 -2.26 2 +4.52 (+0.10+4.52)=+4.6 +6
O (+4) 2
MnO42-
+4H++2e-
(+6)
MnO42- -0.56 1 +0.56 (+4.62+0.56)=+5.1 +7
+MnO2 +e- 8
(+6)(+7)
मगनीज के ॉ ट आरे ख के मु य ब दु न न ल खत है:-
(1) च 5.। म यूनतम ब दु +2 ऑ सीकरण अव था पर ि थत है। यह Mn(II) के लए
मु त ऊजा प रवतन का मान ऋणा मक है। यह कारण है क Mn(II), मगनीज क
उ माग तक प से सवा धक थायी ऑ सीकरण अव था है।
(2) च 5.1 मे उ चतम ब दु MnO4 अथात ् +7 ऑ सीकरण अव था के लए है। Mn(VII)
के लए मु त ऊजा प रवतन घना मक तथा बहु त अ धक होने के कारण, यह ऑ सीकरण
अव था सवा धक अ थायी है। अत: थायी ऑ सीकरण अव था ा त करने के लए ये
आयन अपच यत हो जाते है। यह कारण है क MnO4 एक बल ऑ सीकारक है।
(3) दो ऑ सीकरण अव थाओं को मलाने वाल रे खा के नीचे पड़ने वाले ब दु को अवतल
ब दु कहते ह। एक अवतल ब दु इन दोन ब दुओं क तु लना म अ धक थायी होता है।
यह ं कारण है क MnO2 तु लना मक ि ट से MnO4 2-
तथा Mn 3+
से अ धक थायी है।
अत: MnO2 का असमानुपातन नह ं होता।
(4) उ तल ब दु क ि थ त अवतल ब दु से वपर त होती है। एक उ तल ब दु, दो
ऑ सीकरण अव थाओं को मलाने वाल रे खा से ऊपर पड़ना है। अत: ये जा त अपनी
पड़ौसी ऑ सीकरण अव थाओं क तु लना म कम थायी होती है। यह ं कारण है क ाफ
म उ तल ब दु पर ि थत Mn(III) तु लना मक ि ट से कम थायी है। इस लए
असमानुपातन वारा Mn(IV) तथा Mn(II) बदल जाता है-
2Mn +2H2O MnO2+Mn +4H
3+ 2+ +
74
+6 +3 +2 0
2- +2.20V 3+ +0.77V 2+ -0.44V
FeO 4 Fe Fe Fe
उपरो त लैट मर आरे ख के आधार पर x तथा y- अ पर आने वाले व भ न ब दुओं
क गणना सारणी 5.2 म दशाया गया है।
सारणी 5.2: अ ल य मा यम म व भ न मैगनीज यु म के लए –nE का प रकलन
0
75
उदाहरण के लए ार य मा यम (उ च pH) म Mn2+ आयन थाई नह ं होता है तथा
Mn(OH)2 के प म अव े पत हो जाता है। अत: मैगनीज के ार य मा यम म ॉ ट आरे ख
म Mn(OH)2 तो होता है पर तु Mn 2+
नह ं होता है।
(2) ॉ ट आरे ख उ माग तक फलन होते हु ए भी उ मीय प से अ थायी यौ गक के वघटन
के बारे म कोई सूचना नह ं दे ता। KMnO4 एक अ छा उदाहरण है। य य प परमगनेट
आयन, MnO4- का अ धक थायी न न ऑ सीकरण अव था म अपचयन ॉ ट आरे ख के
अनुसार अनुकू ल है पर तु उ रे क क अनुपि थ त म यह बलग तक य प से धीमी
अभ या है। यह कारण है क KMnO4- का जल य वलयन काफ थायी होता है तथा
योगशाला म खू ब योग म लाया जाता है। अत: परमगनेट वलयन के बारे म आगे
अ ययन आव यक है।
(3) ॉ ट आरे ख म जो मु त ऊजा द शत क जाती है- वह मानक प रि थ तय (1
मोल/ल टर सा ता वाले वलयन क शू य pH अथात ् 1 मोल/ल टर H आयन क सां ता +
76
पाउबै स आरे ख मानक अपचयन वभव E (y-अ पर) तथा pH (x-अ पर) के
0
77
(6) च म जो उ वाधर रे खाएँ (y-अ के समाना तर) ह वे कसी नि चत pH पर उस रे खा
के दोन ओर पाई जाने वाल जा त के म य सा य को द शत करती है। च 5.3 म
यह उ वाधर रे खा Mn(II) आयन तथा Mn(OH)2 के म य सा य को दशा रह है। ये
सा य केवल pH पर नभर करते ह, वभव E0 पर नभर नह ं करते। अत: 7.65 से
अ धक pH पर Mn(II) आयन हाइ ॉ साइड, Mn(OH)2 के प म पाया जाता है।
(7) इन दो सीमा त अव थाओं के अ त र त बहु त से म यवत व होते ह, जो वभव व pH
दोन पर नभर करते ह। उदाहरण के लए मगनीज (IV) ऑ साइड, Mn(O)2 का मगनीज
(II) आयन अथात Mn2+ म अपचयन न न कार होता है:-
MnO2(s)+4H (aq)+2e Mn (aq)+2H2O(liq),
+ 2+
E0 =+1.23V
(8) च 5.5 म दो गहर रे खाएँ भी है। इनम ऊपर वाल रे खा जल के ऑ सीकरण को दशाती
है। जल के ऑ सीकरण को न न कार दशाया जा सकता है:-
1/2O2(g) + 2H (aq) + 2e 2H2O(liq), E0 = +1.23V
+ -
78
ऑ सीकरण अव थाओं के आपे क था य व को नह ं समझा सकता इसके लए ॉ ट आरे ख
ह सव तम है।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख:-
(6) पाउबै स आरे ख कनके म य बनाया जाता है ?
......................................................................... .....................
(7) पाउबै स आरे ख म pH से अ भा वत यु म कस रे खा के प म पाया जाता
है ?
......................................................................... .....................
(8) अ धक ार य जा त पाउबै स आरे ख म कस pH पर होती है ?
......................................................................... .....................
(9) अ धक वभव पर था य व े के बाहर जल का ऑ सीकरण होता है अथवा
अपचयन ?
......................................................................... .....................
79
(i) अय क के भजन से ा त मकर व स वर ऑ साइड, उ च ताप पर अपघ टत होकर
धातु दे ते है:-
2HgO 2Hg + O2
2Ag2O 4Ag + O2
साधारणतया: व युत-रासाय नक ेणी म हाइ ोजन से नीचे आने वाले त व के
ऑ साइड को गम करने पर धातु शु अव था म ा त होती है।
(ii) नकल काब नल 1800C पर गम करने पर अपघ टत होकर नकल धातु दे ता है:-
Ni(CO)4 Ni + 4CO
(iii) अ धकांश स फाइड अय क भजन वारा पूण प से ऑ साइड म प रव तत नह ं होते।
PbS भजन या म आ शक प से PbSO4 म प रव तत हो जाता है। अय क के
प रव तत तथा अप रव तत प आपस म उ च ताप पर अ भ या करके धातु का
नमाण करते ह:
Cu2S+2Cu2O 6Cu+SO2
PbSO4+PbS 2Pb+2SO2
(3) व थापन व ध: यह व ध रे डॉ स वभव के मान पर आधा रत है। व युत-रासाय नक
ेणी म जो त व ऊपर होता है, वह अपने से नीचे ि थत त व के आयन को उसके
वलयन से मु त कर दे ता है। यह व ध उ ह ं त व के लए लागू होती है जो जल से
या नह ं करते ह। इस व ध म ाय: कसी स ती धातु के योग वारा महंगी धातु
ा त क जाती है। इस व ध के कु छ उदाहरण न न ल खत है-
(i) िजन कॉपर अय क म CuS अ य त कम मा ा म होता है, उ ह खु ल हवा म छोड़
दया जाता है। वायु क उपि थ त गम तथा बरसात आ द के कारण यह CuSO4 म
प रव तत हो जाता है। इस CuSO4 वलयन म लोहे क छ लन डालने पर कॉपर धातु
ा त हो जाती है-
Cu2++Fe Cu+Fe2+
(ii) इसी कार समु जल म कु छ Br- आयन भी होते है। व युत -रासाय नक े णी म
लोर न वयं से ऊपर ि थत Br- को Br2 म ऑ सीकृ त कर दे ता है।
2Br-+Cl2 2Cl-+Br2
(iii) िजंक के अय क के साथ थोडी मा ा म कैड मयम भी होता है। व युत रासाय नक
ेणी म कैड मयम, िजंक के नीचे है। अत: CdSO4 के वलयन म िजंक धातु डालने
पर कैड मयम धातु मु त हो जाती है:-
Zn+Cd2+ Zn2++Cd
(4) अपचयन व ध: त व के न कषण क यह सवा धक च लत व ध है। इस व ध से त व
को औ यो गक मा ा म ा त कया जा सकता है। भ ी म उ च ताप पर यौ गक को
80
उ चत अपचायक के साथ गम कया जाता है। कु छ मुख अपचायक वारा न न कार
अपचयन कया जाता है:-
क. काबन वारा अपचयन: कोक अथात ् काबन क कम क मत तथा आसानी से उपल धता
के कारण से व ध बहु त उपयोगी है। इस व ध म त व के ऑ साइड तथा अ य
यौ गक को काबन वारा अपच यत कराया जाता है।
इस व ध क कमी यह है क इसम उ च ताप क आव यकता होती है, िजसके लए
वा या भ ी चा हए। इसके अ त र त बहु त सी धातु एँ काबन से कया करके काबाइड बना दे ती
है।
इस व ध से अपचयन के कु छ उदाहरण न न कार है:-
वा या भ ी
(i) Fe2O3C ⎯⎯⎯⎯ 2Fe+3CO
घ. हाइ ोजन वारा अपचयन: कु छ धाि वक ऑ साइड का अपचयन, वारा करवाया जाता
है। जैसे:-
CO3O4 + 4H2 3CO+4H2O
GeO2 + 2H2 Ge+2H2O
81
अपचयन क यह व ध अ धक उपयोगी नह ं ह य क उ च ताप पर धातु एँ हाइ ोजन
के साथ या कर हाइ ाइड बना लेती ह। इसके अ त र त इस व ध म तथा वायु क
ऑ सीजन क या से व फोट होने का खतरा भी बना रहता है।
च. व युत अपघटनी अपचयन: इले ॉन सबसे बलतम संभा वत है। अत: अपचयन क यह
सव तम व ध है तथा बहु त शु उ पाद दे ती है। आय नक यौ गक का इस व ध वारा
कया जा सकता है। कसी आय नक यौ गक का व युत -अपघटन करवाने कैथोड पर
अपचयन होता है िजससे धातु मु त होती है। व युत क बढ़ क मत के कारण यह व ध
महंगी होती ह। व युत -अपघटन न न व धय से कया जा सकता है:-
(i) जल य वलयन म: यह व ध स ती व सु वधाजनक है उन त व पर लागू नह ं क जा
सकती जो जल के साथ या करते है।
उदाहरण के लये, कॉपर स फेट तथा िजंक स फेट के जल य वलयन के व युत -
अपघटन वारा कॉपर व िजंक को ा त कया जा सकता है।
(ii) अ य वलायक म: लु ओर न, जल के साथ ती ता से व फोट करता है। अत:
नजल य HF म KHF2 को वलेय कर व युत -अपघटन वारा लु ओर न ा त क
जाती है।
ले कन इस व ध वारा लु ओर न के नमाण म कई ायो गक क ठनाइयाँ है।
(iii) संग लत अव था म: ार तथा ार य मृदा धातु ए,ँ वयं इतने बल अपचायक है क
इनके यौ गक का रासाय नक व धय वारा अपचायन संभव नह ं हो पाता। अत: ऐसी
याशील धातु ओं के कसी ग लत लवण का व युत -अपघटन के प म उपयोग करते
ह। सेल म व युत वा हत करने पर धातु कैथोड पर ा त होती है। उदाहरण के लए
2NaCl 2Na +2Cl (ग लत NaCl म)
+ -
5.5.2 त व के न कषण म न हत स ा त
82
2Zn(s) + O2(g) 2ZnO(s), G0 = -636 क.जू./मोल
कसी भी वत: व तत अ भ या के लए मु त ऊजा प रवतन G, ऋणा मक
होना चा हए।
आप जानते है क:-
G = H - TS
जहाँ, H = ए थै पी प रवतन, S = ए ॉपी प रवतन
T = परम ताप, G = मु त ऊजा प रव तत
ZnO बनने क अ भ या के लए:-
(i) S का मान ऋणा मक ह। य क अभ या म बांई ओर ऑ सीजन गैस का एक अणु
है और दांई ओर गैस है ह नह ं। अथात ् उपरो त अ भ या म उ पाद ZnO बनने पर
अ यव था म कमी आती है। अत: S का मान भी कम अथात ् ऋणा मक हो जाता है।
व याथ यह यान रख क S अ यव था का माप है। व तथा ठोस क तु लना म
गैस म अ यव था अ धक होने से S का मान भी अ धक होता है।
(ii) ZnO क बनने क अ भ या उ मा ेपी है। अत: प ट है क उपरो त अ भ या के लए
H का मान भी ऋणा मक होगा, य क ZnO के बनने म उ मा नकलती है। अत:
ZnO बनने क अ भ या के लए उपरो त समीकरण को न न कार लखा जा सकता
है:-
G = -H - Tx (-S)
अथात,् G = -H + TS
अब य द, -H >+ TS तो G = ऋणा मक होगा।
-H =+TS तो G = शू य होगा।
-H <+TS तो G = धना मक होगा।
प ट है क तापमान म वृ के साथ + TS का मान भी बढ़ता जाता है, िजससे G व
ऋणा मक मान म कमी आती जाती है, जैसा क उपरो त समीकरण से प ट है। अ त म
काफ उ च ताप पर G का मान शू य हो जाता है। तापमान को इससे भी अ धक बढ़ाने पर
+TS का मान -H से अ धक होने के कारण G का मान भी धना मक हो जाता है।
अत: प ट है क ताप बढ़ाने पर उपरो त अ भ या के लए G का मान भी बढ़ता
जाता है। यह कारण है क न न ताप पर Zn व O2 से ZnO का बनना एक वत: म है
य क G का मान ऋणा मक है। ले कन उ च ताप पर जब G धना मक हो जाता है।
अत: वपर त अ भ या अथात ् ZnO का Zn म अपचयन वत: व तत हो जाता है।
धातु ऑ साइड के नमाण म G क T पर नभरता को ए लंगम आरे ख वारा
दशाया जाता है। ए लंगम आरे ख, इस कार क अ भ या के लए वह ताप म नधा रत करता
है िजस पर अपचयन क या (काबन अथवा काबन मोनो ऑ साइड वारा) वत: व तत
होती है।
83
िजंक ऑ साइड के लए ए लंगम आरे ख च 5.4 म दशाया गया है।
84
(ii) इसके अ त र त अ भ या के ताप को कम करने से पहले O2 तथा गैसीय Zn
पृथ करण आव यक है। अ यथा पुन : वपर त अ भ या ार भ हो जाएगी तथा अ त
म पुन : ZnO ा त हो जाएगा।
इस उ च ताप क सम या का समाधान यह है क इन अपचयन अ भ याओं के साथ
कोई ऐसी ऑ सीकरण अ भ या जोड़ द जाए िजसके लए G का मान इतना ऋणा मक हो
क दोन अभ याओं का योग करने पर भी G का मान ऋणा मक रहे। काबन क
ऑ सीकरण अ भ या इसके लए सवा धक उपयोगी है तथा इसके लए G का मान
ऋणा मक है। इसके अ त र त काबन एक स ता औ यो गक अ भकमक है।
काबन का ए लंगम आरे ख च 5.5 म दखाया गया है।
85
च 5.6 काबन व िजंक के ऑ सीकरण क मु त ऊजा ताप के फलन के प म (अ यारो पत
आरे ख)
च 5.6 म दोन व एक दूसरे को लगभग 9000C पर काटते ह। इस ताप पर
काबन का ऑ सीकरण ऋणा मक होता है जब क ZnO का अपचयन धना मक होता है। यह
कारण है क 9000C से अ धक ताप पर C के ऑ सीकरण के कारण Zn का अपचयन हो
जाता है:-
ZnO(s) + C(s) Zn(s) + CO(g)
ए लंगम ने सव थम बताया क G तथा T के म य खच गए व यह ात करने के
लए अ य धक उपयोगी है क कौनसी ऑ सीकरण-अपचयन अ भ या स भव है और कौनसी
स भव नह ं है। कु छ त व के ए लंगम आरे ख च 5.7 म दखाया गया है।
बोध न-
10 . कसी भी म के वत : व तत होने के लए G का मान ऋणा मक होना
चा हए अथवा धना मक ?
......................................................................... .....................
11. धातु ऑ साइड के नमाण म G क T पर नभरता को कस आरे ख वारा
दशाया जाता है ?
......................................................................... .....................
87
कसी भी म के वत: व तत होने के लए G का मान ऋणा मक होना चा हए।
धातु ऑ साइड के नमाण म G क T पर नभरता को ए लंगम आरे ख वारा दशाया
जाता है।
कई धातु ऑ साइड को काबन वारा अपच यत कया जाता है य क काबन के
ऑ सीकरण के लए G मान अ य धक ऋणा मक होता है। िजससे धातु ऑ साइड का
अपचयन एक नि चत ताप के बाद वत: व तत होता ह।
बलग तक य था य व बलग तक य था य व से अ भ ाय है क यौ गक
अभ या के त थायी है अथात ् आसानी से
अभ या नह ं करता।
न कषण धातु के अय क से धातु क ाि त
भजन साि त अय क को वायु क उपि थ त म तेज
गम कर धातु ऑ साइड म प रव तत करना।
ए ॉपी प रवतन, S अ यव था का माप।
88
5.10 अ यासाथ न (Exercise Questions)
1. लैट मर आरे ख को उदाहरण स हत समझाइए।
2. व-अपचयन से या ता पय है? एक उदाहरण दे कर प ट क िजए?
3. व युत अपचयन पर एक ट पणी ल खए।
4. मगनीज के लए पाउबै स आरे ख बनाइए तथा इसक या या क िजए।
5. त व के न कषण के स ा त पर एक नब ध ल खए।
6. ए लंगम आरे ख या है? समझाइए।
7. ॉ ट आरे ख से आप या समझते है? ॉ ट आरे ख के नमाण म लैट मर आरे ख क
उपयो गता समझाइए।
8. मगनीज क सबसे थायी ऑ सीकरण अव था +2 य होती है? समझाइए।
9. मगनीज का उदाहरण लेते हु ए ॉ ट. आरे ख क उपयो गता को समझाइए।
10. त व के न कषण स बंधी स ा त क ववेचना क िजए।
89
इकाई 6
उपसहसंयोजक यौ गक- 1
Coordination Compounds
इकाई क प रे खा
6.0 उ े य
6.1 तावना
6.2 वनर का उपसंहयोजन स ांत और उसका ायो गक माणीकरण
6.3 भावी परमाणु सं या अवधारणा
6.4 क लेट
6.5 उपसहसंयोजक यौ गक का नामकरण
6.6 सारांश
6.7 श दावल
6.8 संदभ थ
ं
6.9 बोध न के उ तर
6.10 अ यासाथ न
6.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे-
उपसहसंयोजक यौ गक या ह तथा कस कार ये अ य अकाब नक यौ गक से भ न ह।
उपसहसंयोजक यौ गको को वनर स ांत वारा कैसे समझाया जा सकता है तथा इस
स ांत का ायो गक माण या है।
इन यौ गक को भावी परमाणु मांक स ांत वारा कैसे समझाया जाता है।
क लेट कस कार के उपसहसंयोजक यौ गक ह।
उपसहसंयोजक यौ गक का नामकरण कस कार कया जाता है।
90
K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O है। वक लवण दो लवण के साथ-साथ टलन वारा ा त
होते है।
उपसहसंयोजक यौ गक एक कार के ज टल यौ गक है िजनम ज टल आयन अथवा
भाग होते ह। ज टल यौ गक का नमाण िजन साधारण यौ गक से कया जाता है, गुण म ये
उनसे सवथा भ न होते ह। ये यौ गक अपने अवयवी आयन के पर ण भी नह ं दे ते। उदाहरण
के लए K4[Fe(CN)6] एक ज टल यौ गक है। यह यौ गक Fe 2+
अथवा CN- आयन का
पर ण नह ं दे ता। इन ज टल यौ गक क संरचना उपसहसंयोजक बंध वारा होती है अत: ये
यौ गक उपसहसंयोजक यौ गक कहलाते ह। इन उपसहसंयोजक यौ गक का अ ययन इस इकाई
म कया जायेगा और आप समझगे क कस कार से यौ गक अ य अकाब नक यौ गक से
भ न है।
91
(4) कुछ ऋणायन लग ड के प म ाथ मक और वतीयक दोन कार सु ंयोजकताओं को
संतु ट करते ह। इस कार के बंधन को रे खाओं के जोड़े वारा (--) द शत करते है, जहाँ
एक रे खा बंद ु कत होती है।
वनर ने अपने अ ययन का आधार कोबा ट धातु के अमो नया के साथ उपसहसंयोजक
यौ गक को वनर स ांत को आप इ ह ं यौ गक के मा यम से प ट प से समझगे। वनर ने
कोबा ट लोराइड और अमो नया के भ न अनुपात मलाकर न न ल खत संघटन और रं ग
वाले यौ गक ा त कये-
यौ गक का संघटन यौ गक का रं ग
(1) CoCl3.6NH3 नारं गी पीला
(2) CoCl3.5NH3.H2O गुलाबी
(3) CoCl3.5NH3 बगनी
(4) CoCl3.4NH3 हरा तथा बगनी
(5) CoCl3.3NH3 नीला हरा
वनर के स ांत के आधार पर इन यौ गको क संरचना और दोन कार क
संयोजकताओं को न न कार द शत कया गया-
वनर ने योग के आधार पर अपने स ांत क पुि ट क । ऊपर दये गये कोबा ट के
यौ गक के लये उनके वलयन से लोराइड आयन क उपि थ त, इन आयन को AgNO3
वलयन वारा अव े पत कर नि चत क गयी। दूसरा चालकता मापन के आधार पर उपि थत
कु ल आयन का पता लगाया गया। योग के प रणाम को सारणी 6.1 म दखाया गया है।
सारणी 6.।
6. CoCl3.3NH3 [Co(NH3)3Cl3] 0 0 0
93
(2) यौ गक CoCl3.5NH3 से त अणु दो Cl आयन ह AgCl के
-
प म अव े पत होते ह।
इसका अथ है क तीन म से दो लो रन परमाणु आय नक संयोजकता वारा जु ड़े ह जब क
तीसरा लोर न परमाणु वतीयक अथवा उपसहसंयोजक संयोजकता वारा जु ड़ा है। अथात ्
[Co(NH3)5Cl]Cl2 ⇋ [Co(NH3)5Cl] 2+
+ 2Cl -
यहाँ आयनन से त अणु कु ल तीन आयनन ा त होते ह, िजससे इसक मोलर चालकता कम
हो जाती है (सारणी 6.1)।
(3) यौ गक CoCl3.4NH3 से त अणु मा एक Cl आयन मंडप के
-
प म अव े पत होता
है और इस यौ गक क मोलर चालकता का मान भी बहु त कम हो जाता है (सारणी 6.।)।
इसे यौ गक के वनर सू से न न कार जोड़ा जा सकता है।
[Co(NH3)4Cl2]Cl ⇋ [Co(NH3)4Cl2]+ + Cl-
(4) यौ गक CoCl3.3NH3 क मोलर चालकता शू य है तथा इससे Cl- आयन का AgCl के
प म अव ेपन नह ं होता। इससे प ट है क यौ गक का आयनन नह ं होता। यह त य
उसके वनर सू [Co(NH3)3Cl3] क पुि ट करते ह, जहाँ उदासीन लग ड (NH3) तथा
ऋणा मक लग ड (Cl-), सभी धातु आयन (Co3+) के साथ वतीयक संयोजकता से जु ड़े
ह।
बोध न -
1. न न ल खत कथन म स य / अस य बताइये -
(क) फे रस अमो नयम स फे ट एक उपसहसं योजक यौ गक है । ( स य/अस य )
(ख) वनर स ां त के अनु सार धातु ओं क ाथ मक सं योजकता आय नक ,
कृ त क होती है । ( स य/अस य )
(ग) उपसहसं योजक यौ गक म धातु क वतीयक सं योजकता का मान
उसक सम वय सं या कहलाती है । ( स य/अस य )
(घ) यौ गक CoCl 3 .5NH 3 म इसके सभी लोर न परमाणु AgCl के प
म अव े पत कये जा सकते है । ( स य/अस य )
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त को टक म दये गये श द/श द
समू ह से क िजये -
(क) यौ गक [ Co(NH 3 ) 5 Cl ] Cl 2 म कोबा ट आयन क ाथ मक सं योजकता
............... ह। (2/3)
(ख) CoCl 3 .3NH 3 के वलयन म AgNO 3 का वलयन मलाने पर
AgCl अव े प ............... होता ह। ( ा त/ ा त नह ं )
(ग) [Co(NH 3 ) 6 ]Cl 3 का रं ग ………....... होता ह। ( नारं गी पीला/बगनी )
(घ) CoCl 3 .5NH 3 .H 2 O के वलयन म त अणु .................. आयन
ा त होते है । ( तीन/चार)
94
6.3 भावी परमाणु सं या अवधारणा (Effective Atomic
Number Concept)
उपसहसंयोजक यौ गको के बनने और उनके था य व क या या करने हे तु वै ा नक
सज वक ने भावी परमाणु सं या क अवधारणा को तुत कया। इस अवधारणा के अनुसार
'' कसी उपसहसंयोजक यौ गक के बनने म लग ड वारा धातु आयन को इले ॉन यु म दये
जाने के प चात,् धातु आयन पर उपि थत इले ॉन क सं या भावी परमाणु सं या
(Effective Atomic Number) कहलाती है।'' इसे सं ेप म EAN लखा जाता है।
सामा यत: यह सं या कसी अ य गैस के परमाणु मांक के बराबर होती है।
इस अवधारणा को आप कु छ उदाहरण के मा यम से समझगे।
(1) [Co(NH3)6]3+ आयन
Co का परमाणु मांक 27 है।
दये गये आयन म Co क ऑ सीकरण अव था +3 है।
अत: Co3+ म उपि थत इले ॉन क सं या = 27 – 3= 24
छ: NH3 के अणु ओं वारा दये गये इले ॉन = 6 x 2 = 12
Co 3+
का EAN = 24 + 12 = 36 (अ य गैस टॉन का परमाणु मांक 36 है।)
(2) [Fe(CN)]4- आयन
Fe का परमाणु मांक 26 है तथा दये गये संकु ल आयन म इसक ऑ सीकरण अव था
+2 है। Fe 2+
पर उपि थत इले ॉन = 26 – 2 = 24
छ: CN आयन -
वारा दये गये इले ॉन = 6 x 2 = 12
अत: धातु आयन का EAN = 24 + 12 = 36
(3) [PtCl6]2- आयन
Pt का परमाणु मांक 78 है तथा ऑ सीकरण अंक +4 है।
Pt 4+
म उपि थत इले ॉन = 78 - 4 = 74
छ: Cl- आयन वारा दये गये इले ॉन = 6 x 2 = 12
अत: लै टनम का EAN = 74 + 12 = 86
अ य गैस रे डॉन का परमाणु मांक 66 है।
सभी उपसहसंयोजक यौ गक भावी परमाणु मांक अवधारणा क पालना नह ं करते।
पर तु इन यौ गक म के य धातु का EAN अ य गैस के परमाणु मांक के नकट ह
होता है। ऐसे दो उदाहरण लेकर इस बात को प ट कया जाएगा।
(1) [Fe(CN6)] 3-
आयन
Fe का परमाणु मांक 26 तथा इस संकुल आयन म ऑ सीकरण अंक +3 है।
Fe3+ म उपि थत इले ॉन = 26 - 3 = 23
छ: CN आयन ॉन = 6 x 2 = 12
-
वारा दये गये इले
95
आयरन का EAN = 23 + 12 = 35 है, जो टॉन के परमाणु मांक (36) के
नकट है।
(2) [Ni(NH3)6]2+ आयन
नकल का परमाणु मांक 28 तथा दये गये संकुल आयन म ऑ सीकरण अव था +2 है।
Ni 2+
म उपि थत इले ॉन = 28 – 2 = 26
छ: NH3 अणु ओं वारा दये गये इले ॉन = 6 x 2 = 12
नकल का EAN 26 + 12 = 38
यह सं या टॉन के परमाणु मांक 36 के नकट है।
भावी परमाणु मांक अवधारणा उपसहसंयोजक यौ गक से जुड़े अ य बहु त से त य को
प ट करने म असमथ रह अत: इसे अ धक मह व नह ं मला।
बोध न-
3. दये गये आं क ड़ के आधार पर धातु ओं के भावी परमाणु मां क ात किजए-
(क) [ Ni(CO) 4 ] म Ni क ऑ सीकरण अव था शू य तथा Ni का परमाणु
मां क 28 है ।
(ख) [ Pt(NH 3 ) 3 Cl 3 ] + आयन म Pt क ऑ सीकरण अव था +4 है तथा
Pt का परमाणु मां क 78 है ।
96
(2) दं तु क क लेट करण-
यहाँ डाइए थल न ाइऐमीन तीन थान से Pt से जु ड़कर क लेट आयन बनाता है।
क लेट बनने के म को क लेट करण कहते ह। क लेट अ य संकुल से बहु त अ धक
थाई होते ह। इनके वघटन हे तु एक से अ धक बंध तोड़ने ह गे, अथात ् अ धक ऊजा दे नी
होगी। अत: इनका था य व अ धक होता है। अपने था य व के कारण क लेट कृ त म पाये
जाते है और मह वपूण भू मका नभाते है। लाल र त क णकाओं का लाल रं ग उनम उपि थत
ह मो लो बन के कारण होता है जो वा तव मे आयरन - पॉरफाइ रन क लेट है। इसी कार
वन प त म पाया जाने वाला हरा पदाथ लोरो फल वा तव म मै नी शयम - पॉरफाइ रन क लेट
है। वटा मन B12 कोबा ट और पॉरफाइ रन का क लेट है।
बोध न-
4. न न ल खत वा य म थान क पू त क िजये-
(क) NH 3 एकदं तु क लग ड है पर तु ए थल न डाइऐमीन ............... लग ड है ।
(ख) क ले ट समा य उपसहसं योजक यो गक से ................ थाई होते है ।
(ग) पि तय का हरा रं ग ...............धातु के क ले ट के कारण होता है ।
(घ ) क ले ट यो गक म लग ड धातु के साथ .................सं र चना बनाता है ।
6.5.1 लग ड का नामकरण
98
PO43 , फॉ फेट (phosphate) - फॉ फेटो (phosphato)
-
99
[Co(NH3)6][Co(CN)6], हे साऐ मीनकोबा ट (III) हे सासायन कोबा टे ट (III) अब
आप ऊपर दये सभी नयम को यान म रख समझगे क यहाँ जा रहे कु छ उदाहरण म के
नाम कस कार लखे जाते ह।
(1) कुछ उदासीन संकुल
[Fe(CO)5], पे टाकाब नल आयरन (O)
[Cr(C6H6)2], बस (बजीन) ो मयम (O)
[Fe(C5H5)2], बल (साइ लोपटाडाइ नल) आयरन (II)
[Cu(acac)2], बस (ऐसी टलऐसीटोनेटो) कॉपर (II)
(2) कुछ संकुल धनायन
[Ag(NH3)2], डाइऐ मीन स वर (I) आयन
[Co(NH3)6]3+, हे साऐ मीनकोबा ट (III) आयन
[Cr(H2O)4Cl2]NO3, टे ाऐ वाडाइ लोरो ो मयम (III)
[Co(en)3]2(SO3)3, स (ए थल न डाइऐमीन) कोबा ट (III) स फेट
(3) कुछ संकुल ऋणायन
[Ni(CN)]2 , टे ासायनो नकलेट (I) आयन
Na2[CuCl4], सो डयमटे ा लोरो यू ेट (II)
K[PtCl3(C2H4)], पोटै शयम ए थल न ाइ लोरो लै टनेट (II)
Na3[Co(SCN6)], सो डयम हे साथाओसायनेटो 5 कोबा टे ट (III)
(4) संकुल धनायन और संकुल ऋणायन यु त कुछ यौ गक
[Pt(NH3)6][PtCl6], हे साऐ मीन लै टनम (II) हे सा लोरो लै टनेट (II)
[Cr(NH3)6][Co(CN)6 , हे साऐ मीनकोबा ट (III) हे सासायनोकोबा टे ट (III)
[Cu(NH3)4][CuCl4], टे ाऐ मीनकॉपर (II) टे ा लोरो यू ेट (II)
(ख)
डाइ - μ - हाइ ॉ सो बस [टे ाऐ मीनकोबा ट (III)] स फेट
100
(2) असम मत सेतु संकुल का नामकरण: इस कार के सेतु संकुल म सेतु लग ड के दोन
ओर भाग समांग नह ं होते। साथ ह एक से अ धक सेतु लग ड होने पर वे भी भ न हो
सकते ह।
(क)
(ख)
101
(घ) सं कु ल [Fe(CO) 5 ] म आयरन क ऑ सीकरण अव था शू य है ।
( स य / अस य )
6. सं कु लनK[PtCl 3 (C 2 H 4 )] का नाम लख और इसम धातु क ऑ सीकरण
अव था तथा सम वय सं या बताइये ।
102
सेतु संकुल - ऐसा संकुलन िजसम लगै ड का दाता परमाणु दो धातु परमाणु से
बंध बनाता है और इस कार लगै ड धातु परमाणुओं के म य सेतु
का करता है।
उभय दं तु क - ऐसा लगै ड िजसके एक से अ धक परमाणु उपसहसंयोजक बंध
लग ड बनाने क मता रखते ह। पर तु एक समय मे एक ह परमाणु बंध
बनाता है।
103
(ग) K[PtCl3(C2H4)] (घ) [Fe(C5H5)2]
(च) (NH4)2 [Pt(SCN)6] (छ) Na3[Cr(ONO)6]
7. न न ल खत पर ट प णयाँ लख -
(क) क लेट (ख) सेतु संकुल का नामकरण (ग) उभयदं तु क लग ड (घ) बहु दं तु क लग ड
8. Co3+, K+, Cl- तथा NH3 के संयोग से बनने वाले सात संकुल के सू और IUPAC नाम
लख। इन संकुल क ाथ मक और वतीयक सु ंयोजकताओं क ववेचना वनर के स ांत
के अनुसार कर।
104
इकाई 7
उपसहसंयोजक यौ गक - II
Coordination Compounds- II
इकाई क प रे खा
7.0 उ े य
7.1 तावना
7.2 उपसहसंयोजक यौ गक म समावयवता
7.3 सं मण धातु संकुल यौ गक के लए संयोजकता बंध स ांत
7.4 सारांश
7.5 श दावल
7.6 संदभ थ
ं
7.7 बोध न के उ तर
7.8 अ यासाथ न
7.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे-
कस कार एक ह अणु सू वाले यौ गक व भ न संरचनाओं के कारण व भ न गुण को
दशन करते ह।
सं मण धातु संकु ल यौ गक म धातु और लग ड के म य कस कार का बंधा होता है
तथा ये बंध कस कार यौ गक के अणु क आकृ त नि चत करते ह और यौ गक के
गुण को भा वत करते ह।
105
7.2 उपसहसंयोजक यौ गक म समावयवता (Isomerism in
Coordination Compounds)
आप इस त य से प र चत है क य द दो या दो से अ धक यौ गक का अणु सू एक
ह हो, तो ये यौ गक समावयवी कहलाते ह और इस प रघटना को समावयवता कहते ह।
उपसहसंयोजक यौ गक मु य प से दो कार क समावयवता करते है - संरचना मक
समावयवता और वमीय समावयवता। इन दो कार क समावयवताओं के भी कार होते ह
िजनक जानकार आप यह ा त करगे।
106
[CrCl2(H2O)5]Cl.2H2O, टे ाऐ वाडाइ लोरो ो मयम (III) लोराइड डाइहाइ ेट। यह
गहरे हरे रं ग का संकु ल है।
इन तीन समावय वय म आय नत होने वाले लोराइड आयन क सं या मश: 3,2
और 1 है। इस आधार पर इनक पहचान क जा सकती है। यह पहचान AgNo3 वारा Cl-
आयन को मा ा मक प से अव े पत कराकर क जाती है।
(ख) [CoCl2(en)2Cl.H2O
डाइ लोरो बस (ए थल नडाइऐमीन) कोबा ट (III) लोराइड मोनोहाइ ेट
प म है तथा एक आय नत होने वाला Cl
-
इसम जल का अणु टलन जल के
आयन है। [CoCl(H2O(en)2]Cl2
ऐ वा लोरो बस (ए थल नडाइऐमीन) कोबा ट (III) Chloride
इस संकु ल म जल लग ड के प म है तथा आय नत होने वाले Cl आयन क सं या
दो है।
(3) बंध समावयवता (Linkage Isomerism):
इस कार क समावयवता उन संकु ल म पाई जाती है जहाँ एक लग ड भ न
परमाणु ओं के मा यम से उपसहसंयोजक बंध बनाने क मता रखता है। इस कार का लग ड
लये NO2 आयन एक उभयदं ती
-
उभयदं ती लग ड कहलाता है। उदाहरण के लग ड है जो
संकुल यौ गक म धातु से ऑ सीजन परमाणु अथवा नाइ ोजन परमाणु से जु ड़ने क मता
रखता है। इस कार दो संकु ल समावयवी ा त होते ह िज ह बंध समावयवी कहते है। इस
कार के समावय वय को उदाहरण दे कर प ट कया जा रहा है।
[Co(NH3)5(ONO)2+, लाल रं ग का संकु ल आयन
पटाऐ मीननाइ ाइटो - O कोबा ट (III) आयन
यह ं NO2- आयन Co3+ आयन से ऑ सीजन परमाणु के मा यम से जु ड़ा हु आ है।
[Co(NH3)5(NO2)2+, पीले रं ग का संकुल आयन
पटाऐ मीननाइ ाइटो - N कोबा ट (III) आयन
यहाँ NO2- आयन Co3+ आयन से नाइ ोजन परमाणु के मा यम से जु ड़ा हु आ है।
इसी कार कु छ अ य उभयदं ती लगै ड, जैसे - CN-, CNO-, SCN-, SOO32-,
आ द, भी अपने संकुल यौ गक म बंध समावयवता द शत करते ह।
(4) उपसहसंयोजक समावयवता (Coordination Isomerism)
इस कार क समावयवता उन संकुल म पायी जाती है, जहाँ धनायन और ऋणायन
दोनो संकु ल आयन होते ह। इन आयन के लगै ड म पर पर प रवतन से उपसहसंयोजक
समावयवी ा त होते है। इस कार क समावयवता के उदाहरण न न कार है।
(क) [Pt (NH3)4][Pt Cl6]
II IV
(क)
(ख)
(6) लग ड समावयवता (Ligand Isomerism)
कु छ लग ड समावयवता द शत करने म स म होते है। इस कार के लग ड जब
संकुल म उपि थत होते है तो वे लग ड समावयवता द शत करते ह। उदाहरण के लये,
डाइऐमीनो ोपेन दो समावयवी बनाता है िज ह न न कार द शत करते ह-
H2N – CH2 – CH2 – CH2 – NH2
108
इस कार के समावय वय को प रभाषा के अनुसार सह प म समावयवी नह ं माना
जा सकता, य क इनके अणुसू समान नह होते। इन समावय वय के मू लानुपाती सू समान
होते ह, स भवत: इस लये इ ह समावयवी मान लया गया है। न न ल खत उदाहरण इन
कथन को प ट करते ह।
(क) [PtCl2(NH3)2], [Pt(NH3)4][PtCl4] तथा [Pt(NH3)4][PtCl3(NH3)]2
यहाँ आप दे खते है क दूसरे संकु ल म त व के अणु पहले त व क अपे ा दो गुने है
तथा तीसरे संकुल म तीन गुने ह। इस कार प ट है क तीन संकुल के अणुसू भ न है
पर तु मूलानुपाती सू समान ह। यह समझने वाल बात यह भी है क संकुल म कसी इकाई
का बहु लक करण नह ं हो रहा है। फर भी दया गया यह नाम ''बहु लक करण समावयवता'’ अभी
भी चलन म है।
(ख) इस उदाहरण म संकुल धनायन और संकुल ऋणायन म धातु भी भ न है और दोन
समावय वय म धातु ओं के साथ बं धत लग ड भी भ न है।
[Co(NO2)3(NH3)]3, [Co(NH3)6][Co(NO2)6],
[Co(NO2)(NH3)5][Co(NO2)4(NH3)2]2 तथा [Co(NO2)2(NH3)4]3 [Co(NO2)6]
इन चार संकुल म सभी कार के परमाणु या परमाणु समू ह 1: 2: 3: 4 के अनुपात
म ह। अथात ् Co, NO, तथा NH3 पहले संकु ल क अपे ा अ य संकु ल म मश: दो
गुने , तीन गुने और चार गुने ह।
बोध न-
1. न न ल खत सं कु ल के समू ह कस कार क सं र चना मक समावयवता द शत
करते है ?
(क) [ CoBr(NH 3 ) 5 ]SO 4 तथा [ Co(SO 4 )(NH 3 ) 5 ]Br
(ख) [Cr(H 2 O) 6 ]Cl 3 तथा [CrCl(H 2 O) 5 ]Cl 2 H 2 O
(ग) पटाऐ मीननाइ ाइटो – O कोबा ट (III) लोराइड
तथा पटाऐ मीननाइ ाइटो – N कोबा ट (III) लोराइड
(घ) [Co(NH 3 ) 6 ][Cr(CN) 6 ] तथा [Cr(NH 3 ) 6 ][Co(CN) 6 ]
109
यह समावयवता संकुल म उपि थत लगै ड क भ न या मतीय यव था के कारण
उ प न होती ह। इस कार ा त यौ गक या मतीय समावयव कहलाते ह।
सम वय सं या 2 वाले संकु ल क या म त रे खीय होती है तथा उपसहसंयोजक सं या
3 वाले संकुल क या म त कोणीय समतल य होती है। ये संकुल या मतीय समावयवता
द शत नह ं करते।
सम वय सं या 4 वाले संकुल क आकृ तयाँ दो कार क होती ह - चतु फलक य और
वगसमतल य।
चतु फलक य संरचना वाले संकु ल या मतीय समावयवता नह ं दशाते। पर तु वगाकार
समतल य संरचना वाले कु छ यौ गक या मतीय समावयवता द शत करते है। [Ma4] तथा
[Ma3b] कार के संकुल, जहाँ a और b एक दं तु क लग ड है, या मतीय समावयवता द शत
नह ं करते। [Ma2b2] कार के संकुल समप [cis -] और वप [trans -] समावयवता द शत
करते ह। उदाहरण न न कार है-
समप -डाइ लासीनेटो लै टनम (II) आयन वप -डाइ लासीनेटो लै टन (II) आयन
110
सम वय सं या 6 वाले अ टफलक य संकुल भी या मतीय समावयवता द शत करते
ह। [M(AA)b4] कार के संकु ल या मतीय समावयवता द शत नह ं करते।
[M(AA)2b2] तथा [M(AA)2bc] कार के संकुल समप और वप बनाते है। इसे
+
[Co(en)2Cl2] संकुल आयन के उदाहरण वारा प ट कया जा सकता है। समप समावयवी
म दोन Cl- परमाणु पास ह गे तथा वप समावयवी म दोन Cl- परमाणु एक दूसरे क
वपर त ि थ तय म ह गे। इसे न न कार दशाया जा सकता है-
111
दपण
6 सम वय सं या वाले अ टफलक य संकुल म जब सम मतीय तल उपि थत नह ं
होता तो वे दो ु ण घूणक समावयवी दे ते ह, जो एक-दूसरे के दपण
व त ब ब होते ह।
[M(AA)3] कार के संकुल, जैसे [Co(en)3] , [Pt(en)3]
3+ 4+
दो समावय वय के
म ण के प म ा त होते ह, िज ह भौ तक एवं रासाय नक व धय से पृथक कया जा
सकता है। एक उदाहरण क संरचनाएं यह द जा रह ह-
बोध न-
2. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) समप – [PtCl 2 (NH 3 ) 2 ] सं कु ल क सं र चना चतु फलक य होती है ।
( स य/अस य)
(ख) वप – [PtCl 2 (NH 3 ) 2 ] सं कु ल क सं र चना वगाकार समतल य होती
है । ( स य/अस य)
(ग) [PtClBr(NH 3 )(py)] तीन या मतीय समावयवी दे ता है ।
( स य/अस य)
(घ) वप – [Co(en) 2 Cl 2 ] म दोन लोर न परमाणु एक दू स रे से
वपर त ि थ तय म होते ह। ( स य/अस य)
3. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
112
(क) ................... सम वय सं या वाले .................. आकृ त के
सं कु ल [C 6 H 5 .CO.CHCOCH 3 ) 2 Be] के काशक य समावयवी स भव
है ।
(ख) [Co(en) 3 ]Cl 3 के d - और 1 - काशक य समावय वय को
................ तथा ................ व धय से पृ थक कया जा सकता
है ।
113
(5) धातु के पूण भरे क क लग ड के र त क क से पाई (π)बंध बनाने क मता रखते
ह। इस बंध को ML, वारा द शत कया जाता है। ये बंध दो कार के होते ह।
(क) d π - d π बंध: इस कार के π - बंध म धातु के पूण भरे d - क क लग ड के र त
p - क क के साथ अ त यापन कर बंध बनाते ह। इसे च 7.1 (क) म दशाया गया ह।
हैलाइड (Cl, 1, आ द) O2, OH, OR आ द लग ड इस कार के π - बंध बनाते ह।
(ख) d π - d π बंध: इस कार के π -बंध म धातु के पूण भरे d -क क लग ड के र त
d- क क से अ त यापन कर बंध बनाते ह। इसे च 7.1 (ख) म दशाया गया है। AsR,
PF3, आ द लग ड इस कार के π - बंध बनाते ह।
π -बंध से संकुल का था य व बढ़ता है। σ उपसहसंयोजक बंध से धातु पर ऋण
आवेश बढ़ जाता है। M D कार के बंध बनने से धातु का ऋण आवेश लग ड पर
थाना त रत होता ह, िजससे ऋण आवेश का संतल
ु न बना रहता है। ML कार का बंध
प च बंध या तीप बंध भी (back bonding)कहलाता है, य क लग ड वारा धातु को
दया गया ऋण आवेश कु छ सीमा तक पुन : लग ड पर चला जाता है।
M L ML
dπ - Pπ dπ – pπ
च 7.1(क) च 7.1(ख)
(6) पॉ लंग ने संकुल म उपि थत अयुि मत इले ॉन क सं या और उसके चु बक य गुण के
म य स बंध को प ट कया। इस त य को आप आगे उदाहरण के मा यम से समझगे।
इसी आधार पर संकुल क या म त क पुि ट भी क गयी।
7.3.1 संयोजकता बंध स ांत के आधार पर संकुल के चु बक य गुणधम और उनक या म त
अ धकांश सं मण धातु संकु ल अनुचु बक य कृ त के होते है। संकु ल क चु बक य
वृ त या उसका चु बक य आघूण (μ) योग वारा ात कया जा सकता है। इससे सू , μ
n(n-2) का उपयोग कर धातु आयन या परमाणु म उपि थत अयुि मत इले ॉन क सं या
ात क जा सकती है।
संयोजकता बंध स ांत के अनुसार अ सर लगै ड को र त d - क क उपल ध
कराने हे तु धातु आयन के d - क क के अयुि मत इले ॉन संकुल के बनते समय युि मत हो
जाते ह। इससे अयुि मत इले ॉन क सं या म कमी आती है जो चु बक य आघूण के मापन
से ात क जा सकती है। इस कार ा त संकुल, यून च ण संकुल कहलाता है। चू ं क इस
म म आंतर (n- 1)d क क का उपयोग संकुल नमाण म होता है, अत: यह आंतर क क
संकुल कहलाता है। इ ह च ण युि मत संकुल भी कहते ह।
114
इसके वपर त य द (n-1)d क क के इले ॉन का यु मन नह ं होता तो nd क क
संकुल नमाण म भाग लेते है। ऐसे संकुल उ च च ण संकु ल या बा य क क संकुल कहलाते
है। इ ह च ण मु त संकुल भी कहते ह।
संयोजकता बंध स ांत के अनुसार आंतर या बा य d – क क, s और p क क के
साथ संकरण कर लगै ड के लये र त संक रत क क उपल ध कराते है। संकरण और
स बं धत या म त के बारे म आप इसी इकाई म जान चु के ह। अब आप कु छ मह वपूण
सम वय सं या वाले संकुल क या मती तथा चु बक य कृ त के बारे म जानकार ा त
करगे।
(1) सम वय सं या 2 के संकुल- ये संकुल रे खीय या म त के होते ह। इसम धातु क क का,
sp संकरण होता है तथा इनम धातु आयन से संकुल बनने के म म चु बक य गुण म
कोई प रवतन नह ं होता। अब इन कथन को आप उदाहरण वारा समझगे।
बा य इले ो नक व यास
Ag+ आयन
यहाँ दो NH3 अणु Ag+ आयन के दो संक रत sp क क के साथ उपसहसंयोजक बंध बना रहे
ह। संकु ल आयन [Ag(NH3)2]+ क या म त रे खीय होती है। इसी कार आप [Ag(CN)2]-
संकुल आयन का बनना दशा सकते है। ये संकुल तचु बक य कृ त के ह, य क इनम कोई
भी अयुि मत इले ॉन नह ं है।
(2) सम वय सं या 4 के संकुल -
सम वय सं या 4 के साथ दो या म त वाले संकुल बनते है – वगाकार समतल य और
चतु फलक य।
(क) वगाकार समतल य संकुल: इस या म त म धातु एवं लग ड ह तल म रहते ह। कु छ
उदाहरण यहाँ दये जा रहे ह।
(i) [Ni(CN)4]2 संकुल: इस संकुल आयन का बनना न न कार जा सकता है। नकल का
परमाणु मांक 28 है तथा इसका इले ॉ नक व यास [Ni]3d8 4s2 है।
115
Ni2+ आयन उसम उपि थत दो अयुि मत इले ॉन के कारण होता है पर तु संकुल बनने
म इले ॉन का यु मन होता है। अत: ा त संकुल कृ त का होता है।
(ii) इसी कार [Cu(NH3)4] 2+
आयन क वगाकार समतल य या मती को समझाया जा सकता
है। ऊपर आपने दे खा क र त d - क क उपल ध कराने हे तु CN- आयन क उपि थ त
म इले ॉन का यु मन हो जाता है, यह आप दे खगे क एक र त d - क क उपल ध
कराने हे तु NH3 लग ड क उपि थ त म 3d इले ॉन उ तेिजत 4p-क क म चला जाता
है।
Cu परमाणु
Cu2+ आयन
[Cu(NH3)4]2+
वगाकार समतल य
116
ये संकु ल अ टफलक य या म त वाले होते ह। इस या म त म छ: लग ड परमाणु
अ टफलन के छ: कोन पर ि थत रहते ह तथा धातु इस अ टफलन के म य रहता है। इस
कार के संकु ल नमाण म धातु क क का संकरण d2 sp3 अथवा sp3d2 होता है।
(क) d2 sp3 संकरण यु त अ टफलक य संकुल :इस कार के संकु ल म आंत रक (n-1)d
क क संकरण म भाग लेते ह। उदाहरण न न कार ह-
(i) [Fe(CN)6]3- आयन: Fe (परमाणु मांक 26) का इले ॉ नक व यास [Ar] 3d6 4s2
है। इसका बा य इले ॉ नक व यास न न कार दशाया जा सकता है।
117
(ख) sp3d2 संकरण यु त अ टफलक य संकुल: इस कार के संकुल म बा य d - क क
संकरण म भाग लेते ह। अ दर के d - क क भा वत नह ं होते, अत: आयन और संकुल
क चु बक य कृ त समान रहती है। उदाहरण न न कार है-
[FeF6]3- संकु ल आयन म आयन क उपि थ त आयन के 3d - क क म उपि थत
5 अयुि मत इले ॉन को भा वत नह ं कर पाती। इन इले ॉन का यु मन नह ं होता। दो 3d
- क क उपल ध नह ं होने के कारण संकुल नमाण म 4d - क क उपयोग म लये जाते ह।
अत: संकरण Sp3d2 होता है।
118
(1) इस स ांत म सभी या याएं धातु आयन को लेकर क गयीं। लग ड को कोई मह व नह ं
दया गया।
(2) यह स ांत नह ं समझा पाया क कुछ आंतर क क संकुल होते है और कुछ बा य क क
संकुल। कु छ लग ड जैसे NH3,CN, आ द सामा य आंतर क क संकु ल बनाते है, जब क
H2O हैलाइड आ द बा य क क संकुल बनाते ह, ऐसा य?
(3) चु बक य गुण के आधार पर इस स ांत वारा संकुल क या म त क या या क गयी,
पर तु इसका वलोम स भव नह ं हो पाया।
(4) Cu(II) और Co(II) आयन के संकुल क या म त समझाने के लये एक इले ॉन को
उ च क क म भेज दया गया। इस आधार पर यह कहा गया क Co(II) सरलता से एक
इले ॉन दे कर Co(III) म प रव तत हो जाता है। पर तु ऐसा Cu(II) के लये स भव य
नह ं हो सका, इसका कोई प ट करण इस स ांत के पास नह ं है।
(5) Fe(III) आयन चतु फलक य तथा अ टफलक य दोन या म तय म संकुल बनाता है,
पर तु Cr(III) केवल अ टफलक य संकु ल बनाता है।
(6) इस स ांत वारा संकुल के रं ग और अवशोषण पे म को समझाना स भव नह ं हो
सका।
(7) यह स ांत संकुल क उ तेिजत अव था के बारे म कुछ नह ं बताता, अत: संकुल के
ऊ माग तक य गुण क या या नह ं क जा सकती।
बोध न-
4. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) धातु आयन क क के dsp 2 सं क रण से सं कु ल क या म त वगाकार
समतल य होती है । ( स य/अस य )
(ख) [Ni(CN) 4 ] 2 - आयन क या म त चतु फलक य होती है । ( स य/अस य )
(ग ) ML कार का बं ध प च बं ध कहलाता है । ( स याअस य )
(घ) सम वय सं या 2 वाले धातु आयन के सं कु ल क या म त V -
आकार क होती है । ( स य/अस य )
(च) [Zn(NH 3 ) 4 ] 2+
म Zn 2+
आयन के क क का सं क रण sp 3 होता है ।
( स य/अस य)
(छ) [FeF 6 ] 3- आयन एक उ च च ण सं कु ल आयन है । ( स य/अस य )
5. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) लाइनस पॉ लंग वारा दये गये .......................... स ां त का
आधार क क का सं क रण था।
(ख) उपसहसं योजक यौ गको म 4 सम वय सं या वाले धातु ओं के यौ गक
क या म त .............. अथवा ........................ हो सकती है ।
119
(ग) सं कु ल यौ गक म धातु के पू ण भरे क क लग ड के र त क क से
.................. बं ध बनाने क मता रखते है ।
(घ) [Ag(CN) 2 ] - आयन क या म त .................. होती है तथा Ag +
आयन के क क म ................... सं क रण होता है ।
(च) चु बक य गु ण क ि ट से [Fe(CN) 6 ] 4 - आयन ...... तथा[Fe(CN 6 ) 3 -
आयन ............... होता है ।
(छ) [Co(NH 3 ) 6 ] 3 + सं कु ल आयन म अयु ि मत इले ॉन क सं या ..........
होती है ।
120
सं मण धातुओं के अ धकांश संकु ल अनुचु बक य कृ त के होते ह। पर तु य द अयुि मत
इले ॉन अनुपि थत ह, तो संकु ल तचु बक य होता है।
श दावल (Glossary)
मू लानुपाती सू इस सू म अणु म उपि थत परमाणु सरल अनुपात म
पाये जाते ह। जैसे C2H4 का मू लानुपाती सू CH2 होगा।
बहु लक करण कसी यौ गक क एक से अ धक इकाइयाँ मलकर एक
बड़ा अणु बनाती ह।
समप समावयवी िजस यौ गक म एक जैसे लग ड एक ह ओर से एक
दूसरे के नकट होते है।
वप समावयवी िजस यौ गक म एक जैसे लग ड एक दूसरे क वपर त
दशा म होते है।
121
4. वमीय समावयवता कसे कहते ह। उपसहसंयोजक यौ गक के संदभ म या मतीय
समावयवता का वणन क िजये।
5. संकुल यौ गक म उपि थत काशक य समावयवता क उदाहरण स हत या या क िजये।
6. सं मण धातु संकुल के लये संयोजकता बंध स ांत क ववेचना क िजये।
7. संयोजकता बंध स ांत के आधार पर संकुल यौ गक क या म त और चु बक य गुण क
या या क िजये।
8. न न ल खत पर सं त ट प णयां लख-
(क) प च बंध (ख) d sp3 संकरण यु त संकुल
2
122
इकाई 8
लै थेनाइड त व का रसायन - I
Chemistry of Lanthanide Elements- I
इकाई क प रे खा
8.0 उ े य
8.1 तावना
8.2 इले ॉ नक संरचना
8.3 ऑ सीकरण अव थाएँ
8.4 आय नक या
8.5 लै थेनाइड संकुचन
8.6 सारांश
8.7 श दावल
8.8 संदभ थ
ं
8.9 बोध न के उ तर
8.10 अ यासाथ न
8.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे-
लथेनाइड त व क ह कहते है?
लथेनाइड त व का आवत सारणी म थान कहाँ है?
लथेनाइड त व का इले ॉ नक व यास या है?
लथेनाइड त व कस कार क ऑ सीकरण अव थाएँ दशाते ह तथा इन ऑ सीकरण
अव थाओं का था य व या है?
लथेनाइड ेणी म आय नक या कस कार प रव तत होती है?
लथेनाइड संकु चन कसे कहते ह तथा इस संकुचन के प रणाम या ह?
123
(i) लै थेनाइड ेणी: यह ेणी आवत सारणी के त व लै थेनम (57) के बाद सी रयम (58) से
ार भ होकर युट शयम (71) तक चलती है।
(ii) ऐि टनाइड ेणी: यह ेणी ऐि ट नयम (89) के बाद थो रयम (90) से ार भ होकर
लॉरे ि शयम (103) तक चलती है।
लै थेनाइड ेणी म 4f क क म इले ॉन भरे जाते ह। अत: इसे 4f ेणी भी कहते
ह। 4f- लॉक के त व लै थेनम के बाद आते ह तथा लै थेनम से गुण म बहु त अ धक समानता
रखते है, अत: इ ह लै थेनाइड या लै थेनॉन भी कहा जाता है। इन त व को ''दुलभ मृदा त व''
भी कहा जाता है य क िजन ऑ साइड से इनका न कषण जाता था उनको मृदा कहा जाता
था और इनको बहु त दुलभ माना जाता था। य य प अब ये त व दुलभ नह ं रहे ले कन उनका
यह नाम अभी भी काम म लया जाता है।
लै थेनाइड ेणी के त व को सामू हक प से Ln वारा तथा आयन को Lnn+ वारा
द शत कया जाता है, जहाँ n लै थेनाइड क ऑ सीकरण अव था है।
आवत सारणी म त व लै थेनम (57) को वग 3 म इ यम के नीचे रखा गया है तथा
शेष 14 लै थेनाइड त व को अलग से आवत सारणी के नचले भाग म थान दया गया है।
ोमी थयम (67) रे डयो ऐि टव त व है।
124
लै थेनम (57)का इले ॉ नक व यास 1s2, 2s22p6, 3s23p63d10, 4s24p64d10,
5s25p65d1, 6s2 है। आप जानते है क Xe का परमाणु मांक 54 ह। अत: उपरो त व यास
को न न कार से भी लखा जा सकता है:- [Xe]4f 5d 6s2 0 1
(Neodymium)
61 ोमी थयम Pm [Xe]4f55d06s2 4f5 6s2
(Promethium)
125
62 समे रयम Sm [Xe]4f55d06s2 4f6 6s2
(Samarium)
63 यूरो पयम Eu [Xe]4f 5d 6s
7 0 2
4f 6s
7 2
(Europium)
64 गैडो ल नयम Gd [Xe]4f75d16s2 4f7 5d1 6s2
(Gadolinium)
65 ट बयम Tb [Xe]4f95d06s2 4f9 6s2
(Terbium)
66 डाइ ो सयम Dy [Xe]4f105d06s2 4f10 6s2
(Dysprosium)
67 होि मयम Ho [Xe]4f115d06s2 4f11 6s2
(Holmium)
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख :
1. रे डयो धम लै थे नाइड त व का नाम तथा उसका इले ॉ नक व यास लख।
......................................................................... .....................
2. परमाणु मां क 58 वाले त व का नाम तथा उसका इले ॉ नक व यास लख।
......................................................................... .....................
3. लै थे नाइड त व कस आवत के सद य है ?
................................................................................. .............
126
थायी होती है तथा इ ह असामा य ऑ सीकरण अव थाएं कहते ह। सारणी 8.2 म लै थेनाइड
त व क ऑ सीकरण अव थाएँ द गई ह।
सारणी 8.2. लै थेनाइड त व क ऑ सीकरण आव थाएँ
त व बा य इले ॉ नक ऑ सीकरण थम तीन आयनन
व यास आव थाएं ऊजाओं का योग
(KJ/mol)
Co 4f1 5d1 6s2 +3,+4 3512
Pr 4f3 6s2 +3,(+4) 3623
Nd 4f 6s
4 2
(+2),+3 3705
Pm 4f 6s
5 2
(+2),+3 -
Sm 4f6 6s2 (+2),+3 3898
Eu 4f7 6s2 +2,+3 4033
Gd 4f 5d 6s
7 1 2
+3 3744
Tb 4f 6s
9 2
+3,(+4) 3792
Dy 4f10 6s2 +3,(+4) 3898
Ho 4f11 6s2 +3 3937
Er 4f 12
6s 2
+3 3908
Tm 4f 13
6s 2
(+2),+3 4038
Yb 4f14 6s2 +2,+3 4197
Lu 4f14
5d 6s 1 2
+3 3898
को ठक म द गयी ऑ सीकरण अव थाएँ कम थायी ह तथा रे खां कत ऑ सीकरण अव थाएँ
सवा धक थायी अव थाएँ ह।।
सारणी 8.2 म द शत व भ न ऑ सीकरण अव थाओं के था य व को न न ल खत ब दुओं
वारा आसानी से समझा जा सकता है:-
1. लथेनाइड त व सामा यतया +3 ऑ सीकरण अव था दशाते ह य क इन त व क थम
तीन आयनन ऊजाओं के मान का योग काफ कम होता है। अत: ये त व आय नत होते है
प से Ln
3+
तथा इन त व का रसायन मु य आयन पर आधा रत है। इन त वो क
थम तीन आयनन ऊजाओं का योग सारणी 8.2 म दखाया गया है।
2. कोई भी क क खाल , अथपूण तथा पूण अव था म अ धक थायी होता है। Gd(64) तथा
Lu (71) म मश: अधपूण तथा पूण 4f-क क पाये जाते है। प ट है क अधपूण 4f7
तथा पूण 4f14 अव था का अ त र त था य व होता है। यह कारण है क Gd तथा Lu
केवल +3 ऑ सीकरण अव था म ह पाये जाते ह।
3. Ce(58) म से चार इले ॉन के नकलने पर थायी खाल 4f
0
व यास ा त होता है।
यह कारण है क सी रयम +4 ऑ सीकरण अव था भी दशाता है।
127
4. इसी कार Tb(65) भी चार इले ॉन यागकर थायी अधपूण व यास 4f
7
ा त करता
है। अत: ट बयम भी +4 ऑ सीकरण अव था द शत करता है।
5. Pr(59) व Nd(60), +4 तथा Sm(62) व Tm(69) +2 ऑ सीकरण अव था भी
द शत करते ह।
इन अव थाओं का था य व समझाने के लए यह सु झाव दया गया था क
यह थायी f0, f7 तथा f14 व यास के नजद क पहु ँ चने क ती अ भलाषा का
य क Pr ,Nd ,Sm तथा Tm मश: 4f ,
4+ 4+ 2+ 2+ 1
प रणाम है आयन का व यास
4f2,4f6 तथा 4f13 है। ले कन इस अनुमान क स यता संदेहजनक है य क कसी
वशेष ऑ सीकरण अव था का था य व अ य कारक जैसे उ माग तक तथा ग तक
कारक से भी संबं धत होता है।
6. Eu(63) भी दो इले ॉन याग कर थायी अथपूण व यास 4f7 ा त करता है। अत:
Eu, +2 ऑ सीकरण अव था भी दशाता है।
7. अतं: प ट है क लै थेनाइड क सामा य थायी ऑ सीकरण अव था +3 है। यह कारण
है क उ च ऑ सीकरण अव था (+4) म ये त व ऑ सीकारक तथा न न ऑ सीकरण
अव था (+4) म ये त व अपचायक का काम करते ह। जैसा क न न ल खत समीकरण
से प ट ह:-
Ln4+ + e- LN3+ (ऑ सीकारक)
LN2+ Ln3+ + e (अपचायक)
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख ?
4. लै थे नाइड क सवा धक सामा य ऑ सीकरण अव था या है ?
......................................................................... .....................
5. लै थे नाइड त व वारा द शत असामा य ऑ सीकरण अव थाएँ या ह ?
............................................................................................. .
6. सी रयम +3 के अ त र त कौनसी ऑ सीकरण अव था दशाता है ?
......................................................................... .....................
7. ट बयम कतने इले ॉन याग कर थायी अधपू ण व यास 4f7 ा त करता
है ?
......................................................................... .....................
128
8.4 आय नक या (Ionic radii)
च 8.2 से प ट है क
लै थेनाइड त व के परमाणु
मांक जैसे-जैसे बढते जाते है,
उनक परमाणु याएँ मश:
कम होती जाती ह। Eu(63)
तथा Yb(70) इसके अपवाद ह।
इसी कार +3 ऑ सीकरण
अव था म त व के परमाणु
मांक बढ़ने के साथ आय नक
या के मान कम होते जाते है
िजसे च 8.3 म दशाया गया
है।
129
भी बढ़ती जाती है। इन इले ॉन क सं या म वृ होने से वे प र ध के इले ॉन को
तक षत करे ग व ना भक य आकषण से उनको प रर त करे ग, िजससे उनका आकार
फैलकर बड़ा हो जाएगा अथात ् उनक या का मान बढ़ जाएगा। इले ॉन के प रर ण
भाव का म s > P > d > f है।
सं मण त व म आने वाला इले ॉन (n-।)d क क म वेश करता है िजससे
उपरो त दोन वपर त भाव एक-दूसरे को काफ हद तक संतु लत कर दे ते ह। यह कारण है
क सं मण धातु आयन क याओं के मान लगभग ि थर रहते है।
अ त: सं मण त व म आने वाला इले ॉन प र ध से और भीतर अथात ् (n-2)f
क क म वेश करता है। िजससे वे प र ध के इले ॉन पर वैसा प रर ण भाव नह ं दे पाते
जैसा क सं मण त व म होता है। अत: प ट है क लै थेनाइड म परमाणु सं या बढ़ने के
साथ ना भक य आकषण तो बढ़ता है ले कन उसे संतु लत करने वाला प रर ण भाव उतना
नह ं बढ़ता, िजससे उनके आकार म एक मक कमी आती जाती है। इस कार परमाणु मांक
बढ़ने के साथ लै थेनाइड के आकार म इस कार से आई मक
कमी को ह ''लै थेनाइड संकुचन'' कहते ह।
सारणी 8.3 लै थेनाइड क परमा वीय तथा आय नक याएँ
त व परमा वीय या (A) La3+ आय नक या
Ce 1.82 1.03
Pr 1.83 1.01
Nd 1.82 0.99
Pm - 0.98
Sm 1.80 0.96
Eu 2.04 0.95
Gd 1.80 0.94
Tb 1.78 0.92
Dy 1.77 0.91
Ho 1.77 0.89
Er 1.76 0.88
Tm 1.75 0.87
Yb 1.94 0.86
Lu 1.73 0.85
लै थेनाइड त व क परमा वीय याओं के मान नय मत म से नह ं घट रहे बि क
Eu(63) व Yb(70) के लए परमा वीय याओं के मान बहु त अ धक ह, िजससे च 8.3
म दोन परमाणु शीष पर ि थत है।
130
Eu तथा Yb क परमा वीय या के असाधारण प से उ च तथा व म इनक
शीष थ ि थ त के कारण को आप इस कार समझ सकते ह-
आप जानते ह क लगभग सभी लै थेनाइड क थायी ऑ सीकरण अव था +3 है।
ले कन Eu तथा Yb क +2 ऑ सीकरण अव था, +3 ऑ सीकरण अव था से अ धक थायी
यागने के बाद Eu थायी 4f (अधपू रत) तथा Yb
2+ 7
होती है। य क दो इले ॉन थायी
4f14
(पूण भरे ) व यास ा त करते ह। अत: Eu व Yb धाि वक बंध बनाने म केवल दो ह
इले ॉन का योगदान करते ह जब क शेष सभी लै थेनाइड धाि वक ब ध बनाने म तीन-तीन
इले ॉन का योगदान करते ह। इस कार लै थेनाइड के धाि वक ब ध क कृ त म अ तर
के कारण Eu तथा Yb क परमा वीय याओं के मान असाधारण प से अ धक ह।
Ce क परमा वीय या का मान अपने नकटवत दोन त व याओं से कम है।
इसका कारण भी धाि वक ब ध म अ तर है। Ce क +4 ऑ सीकरण अव था 4f0 व यास
के कारण +3 ऑ सीकरण अव था से अ धक थायी होती है। अत: धाि वक ब ध म Ce चार
इले ॉन का योगदान दे ता है िजसस Ce क परमा वीय या का मान नकटवत लै थेनाइड
क तु लना म कम हो जाता है।
बोध न-
8. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए:-
(क) लै थे नाइड के परमाणु मां क बढ़ने के साथ-साथ आय नक या के
मान ..............होते जाते है ।
(ख) Eu तथा Yb क परमा वीय या का मान अनु मा नत मान से . ......
होता है ।
(ग) Ce धाि वक ब ध नमाण के लय ................इले ॉन का योगदान
दे ता है ।
(घ) Eu तथा Yb धाि वक ब ध नमाण के लय ...................इले ॉन
का याग करते ह।
(च) d- इले ॉन क तु लना म f- इले ॉन का प रर ण भाव ..............
होता है ।
131
(1) लै थेनाइड त व के गुण म असाधारण समानता :लै थेनाइड त व क आय नक या
मक प से घटती है तथा उ तरो तर लै थेनाइड त व म मा 0.01 म ह या म
अ तर आता है। यह कारण है क अ य कसी भी वग के त व क अपे ा लै थेनाइड
त व गुण अ य धक समान होते ह। इस कारण आयन व नमय तथा वणलेखी व ध जैसी
आधु नक व धय खोज से पूव इन त व का पृथ करण बहु त क ठन था। ना भक य आवेश
के बढ़ने के साथ या म कमी के कारण लै थेनाइड त व म La से Lu तक जाने पर
आयनन वभव के मान म बहु त कम ले कन मक वृ होती है। प ट है क त व के
समू ह के प म लै थेनाइड क रसायन ब कु ल एक सी है।
(2) लै थेनाइड आयन के ारक गुण : वे त व जो आयानी से याग सके, ार कहलाते है।
इले ॉन दे ने क मता के कारण लै थेनाइड त व ार कहलाते ह। लै थेनाइड े णी म,
लै थेनाइड संकु चन के कारण आकार म कमी आती है, िजससे आयनन ऊजाओं का मान
बढ़ता जाता है। यह कारण है क La से Lu तक जाने पर इले ॉन दे ने क मता घटती
है अथात ् उनका ार य गुण घटता है। अत: La(OH)3 सबसे बल ार है जब क
Lu(OH)3 सबसे दुबल ार है। लै थेनाइड संकुचन के कारण आकार म आई कमी के
कारण लै थेनाइड आयन का सहसंयोजक गुण बढता जाता है, िजससे OH- आयन मु त
करने क वृि त सी कम होती जाती है। अत: जहाँ La(OH)3 आय नक गुण दशाता है
तथा बल ार क तरह यवहार करता है, वह ं Lu(OH)3 सहसंयोजक गुण के कारण
दुबल ार है।
आयन के ार य गुण पदाथ के न न ल खत गुण म प रल त होते है:-
(क) आयन का जल-अपघटन: अ धक ार य आयन सरलता एवम ् शी ता से जल-अपघ टत
हो जाते है। अत: La सवा धक सरलता से जल-अपघ टत हो जाता है।
(ख) संकुल का नमाण: धनायन का आकार िजतना छोटा होता है, उसक संकुल बनाने क
वृ त उतनी ह अ धक होती है। यह ं कारण है क La क अपे ा Lu म संकु ल
नमाण क वृ त अ धक होती है।
(ग) ऑ सी लवण का उ मीय वघटन ऑ सी अ ल िजतना अ धक ार य होगा, वह उतनी
ह आसानी से वघ टत हो सकेगा।
(घ) लवण क वलेयता जो लवण िजतना अ धक ार य होगा, उसक जल म वलेय ता भी
उतनी ह अ धक होगी।
(च) अपचायक गुण जो आयन िजतना अ धक ार य होता है, वह उतना ह बल
अपचायक होता है। यह कारण है क लै थेनाइड संकु चन के कारण आयन के ार य
गुण म कमी आती है िजससे La से Lu तक जाने पर अपचायक गुण भी कम होते
जाते ह।
(3) प च लै थेनाइड त व का असंगत यवहार :छठे आवत म वग 3 तथा 4 के म य
लै थेनाइड त व के आ जाने के कारण तृतीय सं मण ेणी 5d के गुण , थम तथा
वतीय सं मण ेणी के त व क तु लना म बहु त भ न होते ह। आवत सारणी म
132
लै थेनाइड त व के बाद आने वाले त व को लै थेनाइड त व भी कहते ह। प च लै थेनाइड
त व के गुण म आई भ नता का कारण भी लै थेनाइड संकुचन ह है। लै थेनाइड संकुचन
के कारण प च लै थेनाइड त व क परमाणु या अपने से हलके समवग य (अपने ह
वग मे ऊपर के त व) त व से अ धक होने क अपे ा कम या लगभग समान पाई जाती
है। प च लै थेनाइड त व के गुण म लै थेनाइड संकुचन के कारण आये प रवतन को आप
न न ल खत ब दुओं म समझ सकते है-
(क) परमाणु आकार: सामा य प रि थ तय म एक वग म ऊपर से नीचे जाने पर कोश म
वृ होने के कारण परमाणु आकार म भी वृ होती है। क तु प च लै थेनाइड त व
म ऐसा नह ं पाया गया। सारणी 8.4 का अवलोकन करने पर आप पाएंगे क वग 3 म
Sc, Y तथा La क परमा वीय याओं के मान मश: बढ़ रहे ह। ले कन Hf',
Ta, W व Re आ द तृतीय सं मण ेणी त व क परमा वीय याओं के मान
मश: Zr, Nb, Mo व Te आ द वतीय सं मण े णी त व क परमा वीय
याओं के मान से कम या लगभग समान ह। जो लै थेनाइड संकु चन का प रणाम
है। वतीय तथा तृतीय सं मण े णय के त व क परमा वीय याएँ लगभग
समान होने से उनके गुण म भी काफ समानताएँ होती ह।
सारणी 8.4 सं मण त व क परमा वीय याएँ (A)
वग 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12
थम Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu Zn
सं मण 1.44 1.32 1.22 1.18 1.17 1.17 1.16 1.15 1.17 1.25
े णी
वतीय Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag Cd
सं मण 1.62 1.45 1.34 1.30 1.27 1.25 1.25 1.28 1.34 1.48
े णी
तृतीय La(Ce- Hf Ta W Re Os Ir Pt Au Hg
Lu)
सं मण 1.69 1.44 1.34 1.30 1.28 1.26 1.27 1.30 1.34 1.49
े णी
इसी कार, वग सं या के समान ऑ सीकरण सं या दशाने वाले सं मण धातु आयन क
याओं को दे खने पर उसम भी लै थेनाइड संकुचन का भाव दखाई दे ता है िजसे सारणी 8.5
म दशाया गया है।
सारणी 8.5 सं मण धातु आयन क याएँ (A)
सं मण े णय वग 4 वग 5 वग 6 वग 7
थम Ti 4+
0.68 V 5+
0.59 Cr 6+
0.52 Mn7+ 0.46
वतीय Zr4+ 0.79 Nb5+ 0.69 Mo6+ 0.62 Tc7+ 0.56
तृतीय Zr+4 0.78 Ta5+ 0.68 W6+ 0.62 Mn7+ 0.56
133
सारणी 8.5 से प ट है क वग 4 म Zr या का मान Ti से अ धक है,
4+ 4+
क आय नक
ले कन इसी वग के अि तम सद य Hf4+ क या बढ़ने क अपे ा, Zr4+ से कु छ कम पाई
जाती है। इसी कार वग 6 म Cr6+ क आय नक या से Mo6+ क आय नक या तो
अ धक है ले कन W , क आय नक 6+
या अप रव तत है। इसका कारण लै थेनाइड संकुचन
है।
इस कार, य द वग 3 व 4 के म य लै थेनाइड नह ं होते तो तृतीय सं मण खृं ला
के त व क याओं का मान, वतमान या से लगभग 0.15 म अ धक होता। अत:
लै थेनाइड संकुचन के कारण वतीय तथा तृतीय सं मण ेणी के त व क याएँ व गुण
भी लगभग समान हो जाते ह तथा कृ त म भी दोन खृं लाओं के एक वग के त व एक साथ
एक ख नज म पाए जाते ह। गुण म समानता के कारण इन त व का पृथ करण भी क ठन हो
जाता है।
(ख) घन व: लै थेनाइड संकुचन के कारण लै थेनाइड त व के बाद आने वाले त व के परमाणु
आकार छोटे हो जाते ह, िजससे धाि वक टल म परमाणु ओं का संकुलन घना हो जाता
है और घन व का मान अ य धक बढ़ जाता है। सारणी 8.6 म घन व मान क तु लना
करने पर हम पाते ह क तृतीय सं मण ेणी के त व के घन व के मान वतीय
सं मण ेणी के घन व के मान से लगभग दुगने होते ह।
सारणी 8.6 सं मण त व के घन व( ाम/सेमी3)
Sc Ti V Cr Mn Fc Co Ni Cu
3.0 4.5 6.1 7.2 7.4 7.9 8.9 8.9 9.0
Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
4.5 6.5 8.6 10.2 11.5 12.2 12.4 12.0 10.5
La Hr Ta W Rc Os Ir Pt Au
6.2 13.1 16.6 19.3 21.0 22.6 22.5 21.5 19.3
(ग) आयनन वभव एवं व युत ऋणता: प च लै थेनाइड त व म लै थेनाइड संकुचन के कारण
त व के आकार म कमी आती है, िजससे आय नक वभव के मान काफ बढ़ जाते ह।
सारणी 8.7 से प ट है क थम व वतीय सं मण ेणी के त व के बीच आयनन
वभव म अ धक अ तर नह है ले कन वतीय व तृतीय सं मण ेणी के त व के बीच
आयनन वभव म बहु त अ तर है।
सारणी 8.7 सं मण त व के थम आयनन वभव( क.कै./मोल)
Sc Ti V Cr Mn Fe Co Ni Cu
152.6 159.5 6.1 7.2 7.4 7.9 8.9 8.9 9.0
Y Zr Nb Mo Tc Ru Rh Pd Ag
150 159.5 8.6 10.2 11.5 12.2 12.4 12.0 10.5
La Hf Ta W Rc Os Ir Pt Au
130.5 161.5 16.6 19.3 21.0 22.6 22.5 21.5 19.3
134
इसी तरह वग म ऊपर से नीचे जाने पर व युतऋणता म कमी आती है क तु प च लै थेनाइड
त व क व युतऋणता घटने के थान पर बढ़ती है। यह कारण है क जहाँ थम व वतीय
सं मण ेणी त व क व युतऋणताएँ लगभग समान है वह ं तृतीय सं मण ेणी के त व
क व युतऋणता, वतीय सं मण ेणी के त व क व युतऋणता से अ धक होती है।
(घ) इ यम का भार लै थेनाइड के साथ पाया जाना :वग 3(Sc < Y < La) म, Y का
आकार La से छोटा है अथात ् La का आकार Y से बड़ा है। जब आप लै थेनाइड ेणी म
La से Lu क तरफ जाते ह तो लै थेनाइड संकुचन के कारण परमाणु या म कमी आती
है और एक ऐसी ि थ त आती है जब भार लै थेनाइड का आकार, इ यम के आकार के
बराबर हो जाता है। वा तव म ऐसा पाया भी गया जब Y3+ व Er3+ दोन क या 0.88
A पाई गई। इस कार समान आवेश एवम ् समान या के कारण इ यम के गुण भार
लै थेनाइड से इतने अ धक मलते है क रसायन इ यम को कैि डयम के समजात
मानने क अपे ा उसे लै थेनाइड खृं ला का एक सद य मानते ह। यह कारण है क
इ यम भी टल संरचना, रासाय नक गुण व वलेयता लै थेनाइड के समान होती है तथा
कृ त म भी इ यम भार लै थेनाइड त व के साथ पाया जाता है।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख:
9. लै थे नाइड म परमाणु सं या बढ़ने के साथ याओं म होने वाल कमी को
या कहते है ?
........................................................................ ................
11. वे कौनसी सं मण े णयाँ ह , िजनके त व क परमा वीय याएँ लगभग
समान होती है ?
......................................................................... ...............
12. La से Lu तक जाने पर ार य गु ण कम होते है या अ धक ?
......................................................................... .....................
135
लै थेनाइड ेणी म परमाणु मांक बढ़ने के साथ-साथ परमा वीय तथा आय नक याओं
म होने वाल मागत कमी को ''लै थेनाइड संकु चन'' कहते ह।
इले ॉन के प रर ण भाव का कम s>p>d>f है। प ट है क 3d-क क क तु लना म
4f-क क का प रर ण भाव कम होता है।
लै थेनाइड संकुचन के कारण लै थेनाइड त व के गुण म असाधारण समानता होती है।
िजससे इनका रसायन भी लगभग समान होता है।
लै थेनाइड संकुचन के कारण वतीय तथा तृतीय सं मण खृं ला के त व क परमा वीय
व आय नक याएँ लगभग समान होती ह।
तृतीय सं मण ेणी के त व का घन व, वतीय सं मण ेणी के त व के घन व से
लगभग दुगना होता है।
लै थेनाइड संकु चन के कारण इ यम तथा भार लै थेनाइड त व के गुण म अ य धक
समानता होती है तथा कृ त म भी इ यम, भार लै थेनाइड के साथ पाया जाता है।
137
10. लै थेनाइड ेणी म 4f क क का भरना नय मत नह ं होता है। समझाइए य?
11. लै थेनाइड के इले ॉ नक व यास एवं ऑ सीकरण अव थाओं का ववेचन क िजए।
12. न न ल खत पर सं त ट प णयां लख-
(i) लै थेनाइड क ऑ सीकरण अव थाएँ।
(ii) लै थेनाइड संकुचन।
138
इकाई 9
लै थेनाइड त व का रसायन – II
Chemistry of Lanthanide Elements – II
इकाई क प रे खा
9.0 उ े य
9.1 तावना
9.2 लै थेनाइड त व वारा संकुल नमाण
9.3 लै थेनाइड त व क ाि त एवम ् पृथ करण
9.4 लै थेनाइड यौ गक
9.5 सारांश
9.6 श दावल
9.7 संदभ थ
ं
9.8 बोध न के उ तर
9.9 अ यासाथ न
9.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप न न ल खत ब दुओं को समझ पायगे
लथेनाइड त व क संकुल बनाने क वृ त सं मण त व से कस कार है?
लथेनाइड धनायन, कस कार के लग ड के साथ थायी संकुल बनाते है?
लथेनाइड के मु य ख नज कौनसे ह?
मोनेजाइट ख नज से लै थेनाइड का न कषण कैसे कया जाता है?
लथेनाइड त व के मु ख यौ गक कौनसे ह?
+4 ऑ सीकरण अव था म सी रयम कस कार के यौ गक बनाता है?
सी रक यौ गक के मु य अनु योग या ह?
139
9.2 लै थेनाइड त व वारा संकुल नमाण (Complex formation
by lanthanides)
लथेनाइड त व क संकुल बनाने क मता सामा य सं मण त व क तु लना म काफ
कम पाई जाती है। इसके दो मु ख कारण न न ल खत है-
(1) लै थेनाइड आयन का बड़ा आकार:- संयोजी लै थेनाइड आयन का आकार, संयोजी
3+
सं मण धातु आयन क तु लना म अ धक बड़ा होता ह। Ln क आय नक या का
मान 0.85 से 1.03 A तक होता है जब क सं मण त व के धनायन क आय नक
या का मान इससे कम होता है, उदाहरणाथ, Cr 3+
= 0.60Å, Fe3+ =0.64Å। इस
कार बड़े आकार के कारण लै थेनाइड आयन, लग ड के त कम आकषण दशाते ह।
(2) 4f क क का था नक व तार:
लै थेनाइड म बा य 5s25p6 इले ॉन ब धन म भाग नह ं लेते तथा 4f क क भी
न न ऊजा के होने के कारण संकरण म भाग नह ं लेत।े दूसरे श द म हम कह सकते है क
4f क क कम था नक व तार इतना कम होता है क ये क क लग ड क क से
अ त यापन कर आि वक क क नह ं बना सकते। इस कार लै थेनाइड त व म ब धन मु य
प से आय नक ह होता है।
अत: लै थेनाइड के िजतने भी थायी संकु ल ात है वे सब ऐसे ह िजनम लग ड एक
कठोर ार हो। कठोर ार म दाता परमाणु अ धक व युतऋण व कम ु वत होने वाला होता
है। इस कार N, O व F दाता परमाणु यु त अणु अथवा आयन कठोर ार कहलाते है।
अत: प ट है क लै थेनाइड आयन केवल बल लग ड जैसे कठोर ार तथा क लेट
लग ड के साथ ह थायी संकुल बनाते ह।
कसी एक वशेष लग ड के लए लै थेनाइड आयन पर आवेश बढ़ने के साथ उसक
संकुल बनाने क मता भी बढ़ती जाती है। अत: लै थेनाइड क तीन स भा वत ऑ सीकरण
अव थाओं (+2 +3 व +4) के संकु ल बनाने क बढ़ती हु ई वृ त न न कार होगी:
2+ 3+ 4+
Ln <Ln <Ln
संकुल बनाने के लए धनायन का आकार छोटा होना चा हए तथा उस पर आवेश
अ धक होना चा हए। लै थेनाइड ेणी म La3+ से Lu3+ तक आय नक या म कमी आती
3+
जाती है। वह कारण है क Ln आयन के लए संकुल बनाने क वृि त La3+ से Lu3+ तक
बढ़ती जायेगी। व भ न लै थेनाइड संकुल का अ ययन आप न न ल खत ब दुओं म कर
सकते है।
(1) लै थेनाइड आयन मु य प से, N, O व F दाता परमाणु यु त लग ड के साथ थायी
संकुल बनाते है।
एक द तक लग ड के लए ब ध नमाण का न न ल खत म पाया जाता है-
- - -
F , OH , H2O, NO3
सभी संयोजी लै थेनाइड आयन H2O के साथ अ ल य मा यम म [Ln(H2O)n]3+
संकुल बनाते है। यहाँ n का मान 8 या 9 होता है।
140
+4 ऑ सीकरण अव था म Sm, Eu तथा Yb के साधारण वअंगी यौ गक LnF2
तथा LnS ह ात है तथा संकुल दुलभ ह।
+4 ऑ सीकरण अव था म सी रयम, लु ओराइड आयन के साथ [CeF8]4- तथा
[CeF6]2- एवं लोराइड आयन के साथ [CeCl6]2- संकुल बनाता है।
(2) एकद तु क ऑ सीजन लग ड क अपे ा ऑ सीजन क लेट अ धक थायी संकुल बनाते है।
क लेट ऐसी वद तु क अथवा बहु द तु क लग ड होते ह जो धातु आयन के साथ
उपसहसंयोजक ब ध बना कर च य वलय का नमाण करते ह। ये च य संरचनाएँ थायी
होती ह। अत: ऑ सीजन क लेट के साथ बने संकुल का था य व एकद तुक ऑ सीजन
लग ड के साथ बने संकुल क तु लना म अ धक होता है।
NO3- लै थेनाइड लग ड वद तु क लग ड के प म काय करता है अथात ् NO3- क
दो ऑ सीजन धातु आयन के साथ ब ध बनाती है। NO3- लग ड Ce4+ के साथ सम वय
सं या 12 वाला [Ce(NO3)6]2- संकु ल बनाता है। [Ce(NO3)6]2- क संरचना च 9.1 म दशायी
गई है।
141
(3) लै थेनाइड आयन, π- ाह लग ड जैसे CO, CN , NO+ आ द के साथ ब ध नह ं बनाते।
-
बोध न-
1. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए :-
(क) लै थे नाइड के परमाणु मां क बढ़ने के साथ - साथ आय नक या के
मान ................. होते जाते ह।
(ख) लै थे नाइड आयन ............., ................ तथा ...................
दाता परमाणु यु त लग ड के साथ थायी सं कु ल बनाते ह।
(ग) लै थे नाइड आयन पर आवे श बढ़ने के साथ सं कु ल बनाने क मता
......................... जाती है ।
(घ) थायी सं कु ल नमाण के लए धनायन का आकार ................... तथा
आवे श .................. होना चा हए।
(च) La 3 + से Lu 3 + तक सं कु ल बनाने क वृ ि त .................. जाती है ।
(छ) [Ce(NO 3 ) 6 ] 2 सं कु ल म Ce 4 + क सम वय सं या ................ है ।
142
(1) सी रयम समूह ख नज: La(57) से Eu(63) तक के त व के ह के लै थेनाइड कहा जाता
है। इनके ख नज म सी रयम मु ख प से पाया जाता है। अत: वग के त व को सीराइट
या सी रयम मृदा ख नज भी कहते ह।
(2) इ यम समू ह ख नज: Gd(64) से Lu(71) तक के त व को भार लै थेनाइड कहा जाता
है। भार लै थेनाइड के ख नज म इ यम मु ख प से पाया जाता है। इस समूह म
गोडो लनाइट चु र मा ा म पाया जाता है।
लथेनाइड के कु छ मु ख ख नज न न ल खत ह-
(i) मोनेजाइट: मोनेजाइट, लै थेनाइड का सबसे मु ख अय क है। यह ख नज भारत,
ाजील, अमे रका व द ण अ का म मु य प से पाया जाता है। इस ख नज म
मु य प से ह के लै थेनाइड जैसे सी रयम, े सओडाइ मयम नयोडाइ मयम के
फॉ फेट, थोडी मा ा म इ यम तथा थो रयम फॉ फेट के साथ भार लै थेनाइड भी
पाये जाते ह।
(ii) बे टे साइट: यह ख नज मोनेजाइट ख नज से इस बात म भ न है क इसमे इ यम
नह ं पाया जाता तथा वीडन तथा यू मैि सको म पाया जाता है। बे टे साइट एक
म त पलु ओरोकाब नेट है, िजसका संघटन LnIIICO3F है। यहाँ Ln = Cn3+
,La3+, Na3+ तथा Pr3+ है।
(iii) सीराइट: इस ख नज म Ce, La, Pr, Nd, Sm के साथ Al व Fe स लकेट होते
ह।
143
(I) H2SO4 वारा तथा (II) NAOH वारा
H2SO4 वारा भंजन-
साि त ख नज का H2SO4 वारा भंजन को चाट-I म दखाया गया है, िजससे न न ल खत
ब दु प ट होते ह-
(i) सव थम सा मोनेजाइट ख नज के चू ण को 93% H2SO4 के साथ 2100C पर ढ़लवा
लोहे के पा म 4-5 घ टे तक गम करते है। इस कार ा त लु द को जल वारा
न क षत कर लेते ह। इस या म Ln3+ व Th4+ स फेट के प म वलयन म चले
जाते ह तथा अ वलेय SiO2, TiO2, ZrSiO4 तथा अ यु त मोनेजाइट को पृथक् कर
लया जाता है।
(ii) अवशेष को पीसकर फर से इसका न कषण करते ह। तथा ा त वलयन म सो डयम
पायरोफॉ फेट Na2P2O7 डालते ह, िजससे थे रयम पायरोफॉ फेट [Th(P2O7)2] अव ेप के
प म पृथक् हो जाता है।
(iii) अवशेष को छानकर छ नत म ऑ से लक अ ल डालते ह, िजससे लै थेनाइड आयन
ऑ सेलेट के प म अव े पत हो जाते ह, िजसम कु छ मा ा म Th(C2O4)2 तथा
ZrOC2O4 का अव ेप भी ा त होता है।
(iv) अब ऑ सेलेट के इस म ण को अमो नयम ऑ सेलेट (NH4)2 C2O4 के साथ उबालते ह
िजससे लै थेनाइड आयन ऑ सेलेट के प मे अव े पत होकर पृथक् हो जाते ह, जब क
Th(C2O4)2 तथा ZrOC2O4 वलयन म चले जाते ह।
(v) इस कार ा त लै थेनाइड ऑ सेलेट को सा H2SO4 के साथ गरम करके स फेट म
प रव तत कर लेते ह।
(vi) इस कार ा त स फेट के वलयन म सो डयम स फेट डालते ह, िजससे भार लै थेनाइड
(Gd-Lu) वलयन म स फेट के प म रहते ह ले कन ह के लै थेनाइड (La-Eu) वक
स फेट के प म अव े पत हो जाते ह।
(vii) ह के लै थेनाइड के अव ेप म गरम NaOH डालने पर उनके जलयोिजत ऑ साइड बनते
है िजसे 1000C पर वायु म शु क करने पर ऑ साइड का म ण ा त होता है।
(viii) इस म ण क तनु HNO3 से या करवाने पर CeO2 अव े पत हो जाता है तथा
ह के लै थेनाइड नाइ े ट के प म वलयन म रहते ह।
चाट-।. मोनेजाइट ख नज का सा H2SO4 वारा भंजन
मोनेजाइट ख नज का सा चू ण
144
145
NaOH वारा भंजन:-
साि त मोनेजाइट ख नज के NaOH वारा भंजन को चाट - II म दशाया गया है, NaOH
वारा भंजन के व भ न पद न न ल खत ह-
(i) मोनेजाइट ख नज के सा चू ण को 74% NaOH वलयन म डालकर 1040C पर गरम
करते ह। इस कार ा त लु द को जल के साथ गरम करते ह तथा फर 1000C तक
ठ डा करते ह। इस म म लै थेनाइड के हाइ ॉ साइड, TiO2, ZrSiO4 तथा ThO2
अव े पत हो जाते ह।
(ii) ा त अवशेष को सा HCl के साथ गरम करके छानते ह, िजससे TiO2 व ZrSiO4
अव े पत हो जाते ह तथा लै थेनाइड व थो रयम के लोराइड वलयन म चले जाते ह।
(iii) लै थेनाइड व थो रयम आयन के वलयन से थो रयम को अलग कया जाता है।
चाट- II मोनेजाइट ख नज का सा NaOH वारा भंजन
मोनेजाइट ख नज का सा चू ण
(2) लै थेनाइड का पृथ करण : धातु आयन के गुण , उनके आकार व आदे श पर बहु त नभर
करते ह। सभी लै थेनाइड धनीय होते है तथा उनका आकार भी लगभग समान होता है।
अत: उनके रासाय नक गुण भी लगभग समान होते है । यह कारण है क लै थेनाइड त व
को एक से पृथक् करना एक अ य त क ठन काय है। इनके था य व, वलेयता तथा
ार य गुण म बहु त कम अ तर होता है। इन गुण म बहु त थोड़े अ तर क सहायता से
इ ह पृथक् कया जाता है। लै थेनाइड को पृथक् करने क व धय को मु ख प से दो
भाग म वभ त कया जा सकता है - ाचीन व धयां तथा आधु नक व धयां।
146
(1) ाचीन व धयाँ: लै थेनाइड को पृथक् करने के लए न न ल खत ाचीन। व धयाँ
काम मे लाई जाती है-
(i) भाजी टलन: यह व ध लै थेनाइड लवण क वलेयता अ तर पर आधा रत होती
है। भाजी टलन क या को न न ल खत ब दुओं म जा सकता है -
सबसे पहले लै थेनाइड लवण के म ण को तेज गम कर, तब वाि पत करते रहते ह
जब तक क ठ डा करने पर लगभग आधे भाग के टल ा त हो जाएं। टल व
वलयन को अलग कर लेते ह।
ा त टल को पुन : जल म वलेय करके, उपरो त या को दोहराते है तथा
वलयन का पुन : वा पन कर लगभग आधे भाग का टल कर लेते ह।
आगे भी यह या दोहराई जाती है। इससे भाज क सं या बढ़ती जाती है तथा
सबसे कम वलेय भाग टल के प म तथा घुलनशील भाग वलयन म चला जाता
है।
प ट है क िजस लवण क वलेयता कम होगी, वह पहले टल कृ त होगा।
लै थेनाइड लवण म उनक वलेयता La से Lu तक घटती जाती है। यह कारण है
क Lu क ओर से लवण का टलन ार भ होता है।
(ii) े ण: लै थेनाइड के हाइ ॉ साइड क
भाजी अव प ार य कृ त Ce(58) से Lu(71)
तक आगे जाने पर मश: कम होती जाती है, अत: इ यम समू ह [Gd(64) से
Lu(71)] के हाइ ॉ साइड, सी रयम समू ह [Ce(58) से Eu(63)] के हाइ ॉ साइड से
कम ार य होने के कारण वलयन म अव े पत हो जाते है।
अव ेपण क इस या म लै थेनाइड लवण के वलयन म कोई ार (OH-) डालते
ह, िजससे इ यम समू ह के लै थेनाइड के हाइ ॉ साइड कम ारकता के कारण
अव े पत हो जाते ह तथा सी रयम समू ह के लै थेनाइड वलयन म ह रहते ह। इसके
बाद सी रयम समू ह के हाइ ॉ साइड का भी अव ेपण कर लेते ह। दूसरे श द म हम
कह सकते है क सबसे दुबल ार Lu(OH)3 सबसे पहले अव े पत होगा तथा सबसे
बल ार La(OH)3 सबसे बाद म अव े पत होगा तथा म य के लै थेनाइड ारकता
के बढ़ते म म अव े पत होते जायगे।
इस व ध वारा भावी एवं शु पृथ करण के लए या को कई बार दोहराना पड़ता
है। चूँ क दोन समूह के हाइ ॉ साइड क वलेयता म अ धक अंतर नह ं पाया जाता
है, इस लए यह व ध अ धक उपयोगी नह ं ह।
(iii) ऑ सी-लवण का भाजी तापीय वघटन: लै थेनाइड के ऑ सी-लवण उदाहरणाथ
नाइ े ट, स फेट, ऐसीटे ट आ द गम करने पर वघ टत होकर ऑ साइड बना लेते ह।
येक लै थेनाइड के िजए वह ताप भ न होते ह िजस पर उसका ऑ सी लवण
वघ टत हो रहा हो। यह ताप Ce(58) से Lu(71) तक घटता जाता है।
(iv) संयोजकता प रवतन- लै थेनाइड क सामा य ऑ सीकरण अव था +3 होती है क तु
कु छ लै थेनाइड त व म थायी व यास के कारण +2 व +4 ऑ सीकरण अव था भी
147
संभव है। आप जानते है क भ न ऑ सीकरण अव था म, आयन के गुण भी भ न
होते ह। इस कारण उनका पृथ करण आसान हो जाता है। उदाहरण के लए लै थेनाइड
के म ण को ार य KMnO4 या ोमेट वलयन वारा ऑ सीकृ त करवाया जाए तो
Ce3+ आयन Ce4+ म ऑ सीकृ त हो जाता है। Ce3+ क तु लना म Ce4+ पर अ धक
आवेश होने से इसका आकार छोटा है तथा इसम ार य गुण भी कम ह। िजससे
Ce 4+
आयन का Ce(OH)4, CeO2 अथवा ार य लवण के प म अव ेपण हो
जाता है जब क अ य लै थेनाइड आयन वलयन म ह रहते ह।
(2) आधु नक व धयाँ- लै थेनाइड के पृथ करण के लए वतमान म न न ल खत आधु नक
व धय का योग कया जाता है-
(i) आयन- व नयम व ध: लै थेनाइड के पृथ करण को यह सबसे भावी एवं ती गत
स प न होने वाल व ध है।
इस व ध म एक त भ लया जाता है, िजसम सं ले षत आयन - व नयम
रे िजन भर दया जाता है। इस रे िजन म -COOH अथवा –SO3H कार का कोई
अ ल य समू ह होता ह। जब लै थेनाइड आयन के वलयन को इस त भ म से
भा वत कया जाता है तो लै थेनाइड आयन, रे िजन म उपि थत अ ल य समूह के
हाइ ोजन आयन को व था पत करके रे िजन के साथ जु ड़ जाते ह-
Ln3+ + 3H-रे िजन Ln(रे िजन)3 + 3H+
La3+ से Lu3+ तक आकार म कमी आती है, िजससे संकुलन बनाने क वृि त बढ़ती
है अथात ् जलयोिजत होने क वृ त भी बढ़ती है। प ट क La3+ से Lu3+ तक जलयोिजत
La3+ आयन क या भी बढ़े गी। प ट है क छोटे आकार वाले जलयोिजत Lu3+ आयन,
रे िजन त भ पर सबसे अ धक ढ़ता से पहले अवशो षत ह गे जब क जलयोिजत Lu3+ आयन
सबसे कम ढ़ता से सबसे बाद म ह गे।
इन अवशो षत आयन को रे िजन से अमो नयम साइ े ट-साइ क अ ल बफर वारा
न ा लत करके नकालते ह। इस व ध म त भ म अमो नयम साइ े ट-साइ क अ ल बफर
डाला जाता है िजससे लै थेनाइड आयन रे िजन से होकर साइ े ट लवण बना लेते ह। यह एक
उ मणीय अ भ या है-
Ln(रे िजन)3 + 3H-साइ े ट Ln(साइ े ट)3 + 3H - रे िजन
Lu 3+
जैसे छोटे धनायन साइ े ट के साथ बल संकुल बनाकर शी ता से वलयन म
आ जाते ह जब क La व Ce
3+ 3+
जैसे बड़े धनायन साइ े ट के साथ दुबल संकु ल बनाते ह जो
क अ धक दे र तक त भ म रे िजन के साथ जु ड़े रहते ह।
या म सबसे पहले Lu
3+
प ट है न ालन क इस संकु ल तथा सबसे अ त म
La3+ साइ े ट संकुल वलयन म जायगे।
148
जलयोिजत Lu
3+
आयन अपने बड़े आकार के कारण कम ढ़ता से त भ पर
अवशो षत होते ह। यह ं कारण है क न ा लत करने पर सबसे पहले Lu3+ साइ े ट संकुल
वलयन म जाता है।
(ii) वलायक न कषण व ध: लै थेनाइड आयन के संकुल वलायक म वलय होते है तथा
संकुलन क वृि त +4 आयन म अ धक होती है तथा +2 आयन म कम होती है। +3
आयन म संकु लन भी वृि त आकार कम होने के साथ-साथ बढ़ती है।
अत: वलायक न कष व ध, मु यत लै थेनाइड संकुल जल तथा अ म णीय या
आं शक म णीय काब नक वलायक म वलेयता के अ तर पर आधा रत है। अत: लै थेनाइड
आयन के म ण को दो आं शक म णीय वलायक , जैसे-जल एवम ् काब नक वलायक म
लेकर, संकु लकमक मलाकर न कषण करने पर, काब नक सतह म पहले +4 आयन के संकुल,
फर +3 के भार आयन के संकु ल और अ त म +2 आयन के संकुल ा त होते ह।
उदाहरण के लए लै थेनाइड आयन के सा HNO3 को जल एवम ् केरोसीन के
म ण म ाइ- n- यू टल फॉर फेट (C4H9)3PO4 अथात ् TBP मलाकर न कषण करने पर,
म ण म उपि थत लथेनाइड आयन पृथक् कये जा सकते है। TBP लै थेनाइड के साथ संकुल
बनाता है।
Ln3+ + 3NO3- (जल य) + 3TBP(काब नक) Ln(NO3)3(TBP)3(काब नक) संकुल
इस व ध वारा 95% लै थेनाइड का थ करण कया जाता है। TBP क तु लना म
डाइ (2-ए थल हैि सल) अ धक उपयु त अ भकमक है।
(iii) पेपर ोमैटो फ
ै : लै थेनाइड का पृथ करण पेपर ोमैटो फ
ै क सहायता से भी कया जा
सकता है। दुलभ मृदाओं के लए बढ़ती हु ई परमाणु सं या के साथ Rf के मान भी कम
होते जाते ह।
(iv) थन लेयर ोमैटो फ
ै (TLC) - इस व ध का योग डे यल ने Sm, Eu, Gd तथा
TB के पृथ करण म कया। इसके लए उ ह ने स लका जैल का योग कया।
(v) गैस ोमैटो फ
ै : िजन लै थेनाइड क वा पशीलता म काफ अ तर पाया जाता है, उ ह
गैस ोमैटो फ
ै वध वारा पृथक करते है। लै थेनाइड के 2,2,6,6- े टाए थल -3, 5-
है टे नडाइओन के साथ संकु ल [Ln(THD)3] अ त थायी एवं वा पशील होते ह। भ न
लै थेनाइड संकुल क वा पशीलता भी भ न होती है। अत: गैस ोमैटो फ
ै वारा इ ह
आसानी से पृथक् कया जा सकता है।
(vi) संकुल नमाण : लै थेनाइड आयन, ए थल नडाइएमीनटे ाऐसी टक अ ल (EDTA) के साथ
जल म घुलनशील संकुल का नमाण करते ह। ा त संकु ल का था य व समान नह ं
होता है, इनम अ तर पाया जाता है। परमाणु सं या बड़ने के साथ इन संकु ल का
था य व भी बढ़ता जाता है। सबसे पहले कम थाई संकुल बनाने वाले लै थेनाइड आयन
के संकुल अव े पत होते ह और पृथ करण स भव हो पाता है।
149
9.3.3 लै थेनाइड धातु ओं क ाि त
150
9. भाजी टलन या म सबसे पहले कौनसा लै थे नाइड लवण ट लट
होता है ?
................................................................... ...........................
10. कौनसा जलयोिजत लै थे नाइड , रे िजन त भ पर सबसे पहले तथा ढ़ता से
अवशो षत होता है ?
......................................................................... ..................
11. आयन व नमय व ध म सबसे पहले न ा लत लै थे नाइड त व कौनसा है ?
......................................................................... .....................
151
Lu(OH)3 + 3NaOH 3Na+ + [Lu(OH)6]3-
(3) लै थेनाइड हैलाइड: त व के म य सीधी या नजल य हैलाइड को बनाने क सव तम
व ध है।
3Ln + 3Cl2 2LnCl3
Ln2O3 तथा NH4Cl क अ भ या से बनते ह-
(6) लै थेनाइड के व-लवण: लै थेनाइड स फेट, अमो नयम स फेट, तथा सो डयम स फेट के
साथ न न ल खत संघटन के व-लवण बनाता है-
(NH4 )2SO4.Ln2SO4.8H2O तथा Na2SO4.Ln2(SO4)3.8H2O
समे रयम, यरो पयम तथा इट बयम के ाइआय डाइड के तापीय वयोजन वारा इनके
थायी डाइआयोडाइड ा त होते है-
2Lnl3 2Lnl2 + I2 (Ln =Sm, Eu, yb)
153
CeF4 को CeF3 अथवा CeCl3 क लु ओर न से अ भ या वारा भी बनाया जा
सकता ह-
2CeF3 + F2 2CeF4
2CeCl3 + 4F2 2CeF + 3Cl
Ce4+ के ोमाइड तथा आयोडाइड अ ात ह।
CeCl4 को पृथक नह ं कया जा सकता य क लोराइड आयन आसानी से लोर न
म ऑ सीकृ त हो जाता है तथा स रस लोराइड बनाता है-
CeO2 + 8HCl 2CeCl3 + Cl2 + 4H2O
(4) सी रक स फेट [Ce(SO4)2] - सी रक ऑ साइड क सां H2SO4 के साथ अ भ या
वारा सी रक स फेट बनता है-
CeO2 + 2H2SO4 Ce(SO4)2 + 2H2O
(NH4)2SO4 के साथ सी रस स फेट व-लवण,सी रक अमो नयम स फेट बनाता ह।
िजसका संघठन Ce(SO4)2. 2(NH4)2SO4.2H2O होता है। यह यौ गक एक अ यंत मह वपूण
व लेषणा मक अ भकमक है। यह व-लवण, नाइ ाइट को नाइ े ट म तथा स यूरस अ ल को
स यू रक अ ल म ऑ सीकृ त करता है।
Ce(SO4) एक अ छा ऑ सीकारक ह। अत: इसका उपयोग ऑ से लक अ ल, फा मक
अ ल, मे थल ए कोहल आ द के ऑ सीकरण हे तु कया जाता ह। इसे Fe2+, Cu+ आयन के
अनुमापन म यु त कया जाता ह।
2Ce(SO4)2 + H2C2O4 Ce2(SO4)3 + H2SO4 + 2CO2
Ce(IV) के वलयन से या करके Sb(III) तथा As(III) मश: Sb(V) तथा
As(V) म ऑ सीकृ त हो जाते है।
(5) बे सक सी रक नाइ े ट [Ce(NO3)3OH.3H2O]
बे सक सी रक नाइ े ट कोसी रक हाइ ॉ साइड पर सां HNO3 क अ भ या से बनाया
जाता है। वलयन के वा पन से ठोस बे सक सी रक नाइ े ट ा त होता है।
बोध न-
12. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए:-
(क) ह के लै थे नाइड क तु लना म भार लै थे नाइड .................. याशील
होते है ।
(ख) लै थे नाइड के अ धक यौ गक .....................ऑ सीकरण अव था म
बनते है ।
(ग) Lu 2 O 3 क तु ल ना म La 2 O 3 ....................... ार है ।
(घ) लै थे नाइड ाइ लु ओराइड को छोड़कर शे ष ाइ है लाइड ............. तथा
...........होते है ।
154
9.5 सारांश (Summary)
लै थेनाइड क संकु ल बनाने क मता सं मण त व क तु लना म काफ कम होती है।
लै थेनाइड क संकुल बनाने क मता कम होने के दो मु य कारण न न ल खत है:-
(i) लै थेनाइड आयन का बड़ा आकार।
(ii) 4f क क का संकरण म भाग नह ं लेना य क 4f क क का था नक व तार कम
होता है।
संकुल बनाने के लए धनायन का आकार छोटा होना चा हए तथा उस पर आवेश अ धक
होना चा हए।
लै थेनाइड आयन मु य प से N, O, F दाता परमाणु यु त लग ड के साथ थायी
संकुल बनाते है।
एकद तु क ऑ सीजन लग ड क अपे ा, ऑ सीजन क लेट अ धक थायी संकु ल बनाते
है।
मोनेजाइट बे टे साइट तथा सीराट आ द लै थेनाइड के मुख ख नज है।
लै थेनाइड ख नज से, लै थेनाइड त व के म ण को ा त करने का म न कषण
कहलाता है।
न कषण से ा त लै थेनाइड के म ण से येक लै थेनाइड त व को पृथक् करने क
व ध को लै थेनाइड का पृथ करण कहते है।
मोनेजाइट ख नज का सा ण, गु वीय तथा चु बक य व ध से कया जाता है।
साि त ख नज को रासाय नक अ भकमक वारा उपचा रत करने क रसाय नक अ भ या
को ख नज का भंजन कहते ह।
पृथ करण क वलायक न कषण व ध लै थेनाइड संकु ल क जल तथा काब नक वलायक
म वलेयता के अ तर पर आधा रत है।
िजन लै थेनाइड क वा पशीलता म काफ अ तर पाया जाता है, उ ह गैस ोमेटो ाफ
वध वारा पृथक् कया जाता है।
लै थेनाइड के अ धकतर यौ गक +3 ऑ सीकरण अव था म ात ह। इसके अ त र त +2
व +4 ऑ सीकरण अव था म भी यौ गक बनते ह।
LnF3 के अ त र त सभी ाइहैलाइड जल म वलेय है। LnF3 के अ त र त सभी ाइहैलाइड
आ ता ाह तथा वेद होते ह।
156
9.9 अ यासाथ न (Exercise Questions)
1. सी रक स फेट के एक व-लवण का सू ल खए।
2. लै थेनाइड के पृथ करण म यु त आधु नक व धय के नाम ल खए।
3. Ce(IV)लवण उ तम ऑ सीकारक ह। य?
4. लै थेनाइड म संकर. यौ गक बनाने क वृि त कम य होती है?
5. Ce(IV)यौ गक थायी य होते ह?
6. d- लॉक के त व क तु लना म लै थेनाइड बहु त कम संकुल बनाते ह, य य प उनके
आयन पर उ च आवेश होता है। समझाइए य?
7. य य प लै थेनाइड +3 ऑ सीकरण अव था म लगभग समान होते है, फर भी आयन
व नमय व ध से ये भावी ढ़ग से पृथक् कये जा सकते ह। समझाइए य?
8. कृ त म लै थेनाइड कस प म पाये जाते ह? इनके पृथ करण क सामा य व धय का
वणन करो।
9. लै थेनाइड के पृथ करण क चार आधु नक व धय का व तार से वणन कर।
10. Ce(IV) यौ गक का रसायन द िजए।
11. सी रयम (IV) के वलयन क रे डॉ स अनुमापन म ाथ मक मानक के प म उपयो गता
लख।
12. लै थेनाइड के पृथ करण के लए यु त आयन- व नमय व ध क ववेचना क िजए।
13. या या मक ट प णयां लख-
(i) लै थेनाइड के संकुल।
(ii) लै थेनाइड का पृथ करण।
14. गैस ोमेटो ाफ वध वारा लै थेनाइड को कस कार पृथक् कया जाता है?
15. थो रयम को मोनेजाइट से ा त करने क व ध का वणन कर।
16. लै थेनाइड खृं ला म जलयोिजत आयन के आकार म वृ कस म म होती है?
157
इकाई 10
ऐि टनाइड त व का रसायन – I
Chemistry of Actinide Elements – I
इकाई क प रे खा
10.0 उ े य
10.1 तावना
10.2 इले ॉ नक व यास
10.3 ऑ सीकरण अव थाएँ
10.4 आय नक या एवं ऐि टनाइड संकु चन
10.5 चु बक य गुण
10.6 रं ग तथा अवशोषण पे ा
10.7 ऐि टनाइड का रसायन
10.8 सारांश
10.9 श दावल
10.10 संदभ थ
10.11 बोध न के उ तर
10.12 अ यासाथ न
10.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात आप न न ल खत त य क जानकार ा त करगे-
एि टनाइड त व क ह कहते ह?
ऐि टनाइड त व का इले ॉ नक व यास या है?
ऐि टनाइड त व वारा दशायी गई ऑ सीकरण अव थाएँ एवं उनका था य व या है?
ऐि टनाइड त व के चु बक य आघूण इले ॉन को कस ग त के कारण होते ह?
ऐि टनाइड आयन का रं ग व अवशोषण पे ा कस कार का है?
ऐि टनाइड संकुचन कसे कहते ह?
ऐि टनाइड आयन कस कार के लग ड के साथ थायी संकुल बनाते ह?
कम होती है। िजससे इसका व यास [Rn] 6d2 7s2 होता है। ना भक य आवेश म एक इकाई
और बढ़ने के कारण ोटै ि ट नयम Pa (91) म 5f क क क ऊजा 6d से कम हो जाती है
िजससे इले ॉन 5f क क म वेश करते ह। वा तव म ऐि टनाइड ेणी म यूरे नयम से पहले
वाले त व (Ac से U) म 5f क क तथा 6d क क के म य ऊजा का अ तर इतना कम होता
है क 6d से इले ॉन 5f म ो नत हो जाता है। अत: यूरे नयम तक के त व के 6d क क
म एक या दो इले ॉन पाये जाते ह। यूरे नयम के बाद वाले त व म 5f तर अ धक थायी
हो जाता है िजससे नया जु ड़ने वाला इले ॉन 5f क क म वेश करता है। ऐि टनाइड त व के
इले ॉ नक व यास सारणी 10.1 म दए गए ह। अथपूण क के था य त के कारण
यू रयम , Cm(96) का व यास [Rn] 5f76d16s2 होता है।
यूरे नयम के बाद के सम त त व अ थायी व रे डयोऐि टव होने के कारण कृ त म
नह ं पाये जाते ह। कृ त म उपल ध सबसे अ धक परमाणु मांक वाला त व यूरे नयम है।
यूरे नयम के बाद आने वाले त व को ना भक य अ भ याओं वारा ह बनाया जाता है।
यूरे नयम के बाद आने वाले इन सभी त व को ा सयूरे नक त व अथवा परायूरे नयम त व
कहते ह।
159
च 10.1 परमाणु सं या बढ़ने पर क क के ऊजा- तर म प रवतन
परमाणु त व तीक इले ॉ नक व यास
सं या पूण संयोजकता-क
89 ऐि ट नयम (Actinium) Ac [Rn]5f 6d 7s
0 1 2
6d1 7s2
90 थो रयम (Thorium) Th [Rn]5f06d27s2 6d2 7s2
91 ोटे ि ट नयम (Protactinium) Pa [Rn]5f26d17s2 5f2 6d1 7s2
92 यूरे नयम (Uranium) U [Rn]5f36d17s2 5d3 6d1 7s2
93 ने यू नयम (Neptunium) Np [Rn]5f46d17s2 5d4 6d1 7s2
94 लूटो नयम (Plutonium) Pu [Rn]5f66d07s2 5f6 7s2
95 अमे र शयम (Americium) Am [Rn]5f76d17s2 5f7 7s2
96 यू रयम (Curium) Cm [Rn]5f 6d 7s
7 0 2
5f7 6d1 7s2
97 बक लयम (Berkelium) Bk [Rn]5f96d07s2 5f9 7s2
98 कैल फो नयम (Californium) Cf [Rn]5f106d07s2 5f10 7s2
99 आइ ट नयम (Einsteinium) Es [Rn]5f 6d 7s
11 0 2
5f11 7s2
100 फ मयम (Fermium) Fm [Rn]5f126d07s2 5f12 7s2
101 मैि डल वयम (Mendelivium) Md [Rn]5f136d07s2 5f13 7s2
102 नोबे लयम (Nobelium) No [Rn]5f146d07s2 5f14 7s2
103 लॉरे ि शयम (Lawrencium) Lr [Rn]5f 6d 7s
14 1 2
5f14 6d1 7s2
160
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख :-
1. ऐि टनाइड े णी कस त व से शु होकर कस त व पर ख म होतीं है ?
......................................................................... .....................
2. ऐि टनाइड त व कस आवत के सद य ह?
......................................................................... .....................
3. परमाणु सं या 9 0 वाले त व का नाम व सं के त बताइए।
....................................................................... .......................
4. परमाणु सं या 91 वाले त व का इले ॉ नक व यास या है ?
......................................................................... .....................
161
ऑ सीकरण अव था क ि ट से ऐि टनाइड ेणी के ारि भक त व सं मण धातु ओं
से अ धक मलते ह। जब क भार ऐि टनाइड, त व लै थेनाइड के काफ कर ब होते ह। यह
कारण है क दोन कार के त व क ऑ सीकरण अव थाओं का वणन अलग-अलग कया
गया है।
(1) ह के ऐि टनाइड त व क ऑ सीकरण अव थाएँ:
ह के ऐि टनाइड त व म, 4f-क क क तु लना म 5f-क क का था नक व तार
अ धक होता है अथात ् 5f-क क वम म अ धक फैले हु ए होते ह। इसके कारण 5f-इले ॉन
का प रर ण भाव 4f-इले ॉन क तु लना म कम होता है। दूसरे श द म यह कहा जा
सकता हे क 5f-क क क ऊजा अ धक होती है। अत: लै थेनाइड त व के वप रत,
ऐि टनाइड त व अपने 5f-इले ॉन का भी ब ध बनाने म योग करके, उ च ऑ सीकरण
अव थाएं द शत कर सकते ह। यह कारण है क ह के लै थेनाइड. 5f-6d,7s, क क म
उपि थत सभी इले ॉन का ब ध बनाने म योग कर, उ चतम ऑ सीकरण अव थाएँ द शत
करते ह। यह कारण है क ह के ऐि टनाइड क उ चतम ऑ सीकरण अव थाएँ ह सवा धक
थायी ऑ सीकरण अव थाएँ है। इन ऑ सीकरण अव थाओं म 5f क क र त होते ह। अत:
Ac, Th, Pa तथा U को उ चतम ऑ सीकरण अव थाएँ मश: +3, +4, +6 होती है। इन
सबका व यास 5f0 है।
(2) भार ऐि टनाइड त व क ऑ सीकरण अव थाएँ:
सार ऐि टनाइड म जैसे-जैसे 5f-क क म इले ॉन वेश ह वैस-े वैसे ना भक य आवेश
म वृ होती जाती है। अ धक ना भक य आवेश के कारण 5f क क अ दर क ओर धंसते चले
जाते ह अथात ् 5f-क क क ऊजा कम होती जाती है। िजससे 5f-क क का ब धन म भाग
लेना क ठन होता जाता है। यह कारण है क भार ऐि टनाइड म धीरे -धीरे उ च ऑ सीकरण
अव था का था य व कम होता जाता है तथा न न ऑ सीकरण अव था का था य व बढ़ता
जाता है। Np, Pu तथा Am क थायी ऑ सीकरण अव थाएँ मश: +5, +4 तथा +3 होती
ह। Np क +7 ऑ सीकरण अव था 5f 0
व यास ा त करने तथा Pu क +7 अव था 5f0
के नकट पहु ंचने के यास का प रणाम कहा जा सकता है।
अमे र शयम (Am) के बाद वाले भार ऐि टनाइड त व म +3 ऑ सीकरण अव था
लै थेनाइड त व क भां त ह थायी हो जाती है। इसके अ त र त अ य ऑ सीकरण अव थाएँ
तब ह पाई जाती है जब अधपूण (f7) अथवा पूण (f14) व यास ा त हो। उदाहरण के लए
बक लयम (Bk) क +4 ऑ सीकरण अव था 5f7 व यास के कारण तथा यू रयम (Cm) क
+4 ऑ सीकरण अव था अधपूण व यास ा त करने क चे टा का प रणाम है। यह कारण है
क Bk (IV) क तु लना म Cm(IV) अ थायी होती है।
Am तथा कु छ भार ऐि टनाइड त व (Cf, Es, Fm, Md तथा No) +3 के अ त र त
+2 ऑ सीकरण अव था भी द शत करते ह। Am क +2 ऑ सीकरण अव था अधपूण
व यास (5f ) के
7
था य व का प रणाम होती है जब क Cf से No तक के त व म +2
162
ऑ सीकरण अव था का पाया जाना 5f क क के बढ़ते हु ए था य व के कारण होता है।
No(II) तथा Lr(II) के था य व का कारण भी 5f14 व यास है।
कसी त व से तीन से अ धक इले ॉन नकालने के लए अ य धक ऊजा क
आव यकता होती है। प ट है क उ च ऑ सीकरण अव था म ये त व आय नक ब ध के
बजाय सहसंयोजक ब ध बनाते ह। इस कार उ च ऑ सीकरण अव था म सहसंयोजक बंध
बनने के मु य कारण न न ल खत ह-
(i) 5f-क क का था नक व तार अ धक होने के कारण ये क क सहसंयोजक ब ध बनाने म
भाग ले सकते ह।
(ii) 5f, 6d,7s तथा 7p-क क क ऊजा म बहु त कम अ तर होने के कारण ये क क आपस
म संक रत होकर सहसंयोजक ब ध बनाने म भाग लेते ह।
बोध न:
5. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए: -
(क) लै थे नाइड त व क तु लना म ऐि टनाइड त व अ धक .................
अव थाएं दशाते ह।
(ख) ऑ सीकरण अव था के ि टकोण से भार ऐि टनाइड त व ............
त व के समान होते ह।
(ग ) ह के ऐि टनाइड क ऑ सीकरण अव थाएं ............. त व से
अ धक मलती है ।
(घ) ह के ऐि टनाइड म उ चतम ऑ सीकरण अव था ह सबसे अ धक
….... ऑ सीकरण अव था है ।
(च) भार ऐि टनाइड म ना भक य आवे श बढ़ने के साथ - साथ ...........
ऑ सीकरण अव था था य व भी बढ़ता जाता है ।
(छ) उ च ऑक् सीकरण अव था म ऐि टनाइड त व .........................
ब ध बनाते ह।
(ज) No 5 f 1 4 व यास के था य व के कारण .............. ऑ सीकरण
अव था द शत करता है ।
163
लेते ह िजससे आकार म कमी आती है। लै थेनाइड त व क तु लना म दो मांगत ऐि टनाइड
त व म संकु चन अ धक होता है इसका कारण 4f इले ॉन क तु लना म 5f इले ॉन का कम
प रर ण भाव है, िजसके कारण ना भक य आवेश अ धक भावी होता है। ऐि टनाइड संकुचन
लगभग लै थेनाइड संकु चन जैसा ह है, क तु इसका मह व उतना नह ं है, य क आवत
सारणी म ऐि टनाइड के बाद थायी त व क सं या नग य है। ऐि टनाइड त व क +3
ऑ सीकरण अव था म आय नक को यहाँ दशाया गया है।
त व Th Pa V NP Pu Am Cm Bk Cf
आय नक या (Å) 1.08 1.05 1.03 1.01 1.00 0.99 0.98 0.96 0.95
ऐि टनाइड संकु चन के कारण परमाणु मांक म वृ के साथ-साथ इन त व क
ारकता भी कम होती जाती है। च 10.2 से प ट है क धनीय ऐि टनाइड क या
का मान घनीय लै थेनाइड क या के मान से अ धक होता है।
164
(ख) 4 f क क क तु लना म 5 f क क का प र ण भाव ............होता है ।
165
क तु लना म 5f इले ॉन का लग ड े से कम प रर त रहना है। अथात ् 5f क क का
व तार अ धक होने से 5f इले ॉन बा य वातावरण जैसे लग ड आ द से भा वत होते ह,
िजससे इन इले ॉन का कु छ क ीय आघूण लग ड े वारा उदासीन हो जाता है और
चु बक य आघूण का वा त वक अथात ायो गक मान कम हो जाता है।
साधारण श द म यह कहा जा सकता है क सं मण त व का चु बक य आघूण (µ)
मु यत: आयु मी इले ॉन क सं या अथात ् इले ॉन के च ण पर नभर करता है जब क
लै थेनाइड का चु बक य आघूण इले ॉन क च ण तथा क ीय दोन ग तय पर नभर करता
है। ऐि टनाइड क ि थ त इन दोन के बीच क है। यह कारण है क समीकरण
μ=g J(J+1) के लए उतनी सह नह ं बैठती िजतनी लै थेनाइड के लए रहती है। यह
कारण है क लै थेनाइड के लए सू वारा प रक लत मान ायो गक मान के कर ब होते ह।
जब क ऐि टनाइड के लए उपरो त सू से प रक लत मान ायो गक मान से हमेशा उ च होते
ह।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे -
7. ऐि टनाइड के चु बक य आघू ण अयु ि मत इले ॉन क कन ग तय पर नभर
करते ह ।
.................................................................................... ..........
8. ऐि टनाइड त व के चु बक य वृ ि त व म कतने उि च ठ ा त होते ह ?
.......................................................................... ....................
9. ऐि टनाइड के चु बक य आघू ण के प रका लत मान ायो गक मान से कम
होते ह या अ धक ?
......................................................................... .....................
166
क या के कारण पे ा चौड़ा तथा ज टल हो जाता है । सं मण धातु एँ भी लग ड से
भा वत होकर चौड़े पे ा दे ती है ।
ऐि टनाइड म रं ग का दूसरा मु ख कारण आवेश थाना तरण पे ा है । ये पे ा
काफ ती होते ह तथा ऐि टनाइड संकुल को बल रं ग दान करते ह आवेश थाना तरण
सं मण के लए धातु क उ च ऑ सीकरण अव था म होनी चा हए । न न ऑ सीकरण
अव था के कारण लै थेनाइड त व आवेश थाना तरण पे ा नह ं दे ते ह ।
बोध न-
10. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए :-
(क) ह के एि टनाइड त व के पे ा सं मण धातु ओं के सामान.....होते है ।
(ख) भार एि टनाइड त व के पे ा लै थे नाइड के सामान
.............और.............होते है ।
(ग) .....................ऑ सीकरण अव था के कारण लै थे नाइड त व आवे श
थाना तरण सं मण नह ं दशाने है ।
(घ) एि टनाइड आयन के रं ग का मु य कारण ......................है ।
167
(4) हैलाइड: ऐि टनाइड त व An X2 से An X6 कार के हैलाइड का नमाण करते ह । U,
Np तथा Pu हे सा लुओराइड बनाते ह जब क केवल यूरे नयम है सा लोराइड ह ात है
। ये सभी हैलाइड बल ऑ सीकारक तथा आ ता ाह ह-
AnX6 + 2H2O AnO2X2 + 4HX
Np के बाद वाले त व के लए पे टा हैलाइड अ ात है । Pa के चार हैलाइड ात है
। सभी पे टा लुओराइड तथा PaCl3 बहु लक ह । Cf तक के त व े टा लुओराइड बनाते ह ।
े टा लुओराइड जल म अ वलेय है जब क सभी अ य पे टा लुओराइड आ ता ाह है । ेणी के
सभी त व के ाइहैलाइड बनाये जा चु के ह । उन गलनांक वाले आय नक पे टा लुओराइड जल
म अ वलेय है जब क अ य ाइहैलाइड आ ता ाह तथा जल म वलेय ठोस ह । बहु त कम
डाइहैलाइड ात है। Am के डाइहैलाइड न न कार बनाये जाते ह -
Am+HgX2 AmX2+Hg , (X=Cl,Br,I)
400 5000 C
168
उदाहरण के लए, [AnO4(OH2)]3 (An=Np तथा Pu)
(ii) +6 ऑ सीकरण अव था - यह ऑ सीकरण अव था यूरे नयम क सवा धक थायी अव था
होती है । इस ऑ सीकरण अव था म बने संकुल के उदाहरण, (UO3), ऐि टनाइल
[AnO2] 2+
ऐि टनाइल हैलाहड [AnO2X2] ऐि टनाइल नाइ े ट [AnO2(NO3)2] तथा
एि टनाइल लोरे ट [AnO2(ClO4)2] ह।
[AnO2X2] म U, Np, Pu तथा Am सभी के लु ओराइड ात ह ले कन लोराइड
व ोमाइड केवल यूरे नयम ह बनाता है । ऐि टनाइल आयन [AnO2]2- बहु त अ धक थायी
होते ह । O = An =O समूह रे खीय होता है ।
(iii) +5 ऑ सीकरण अव था - ह के ऐि टनाइड जैसे Pa, U, Np, Pu तथा Am के लवण
AnO2+ आयन बनाते ह ।
जल य HClO4 म NpO2+ तो थायी है, ले कन UO2+, PuO2+ तथा AmO2+
अ थाई ह 'तथा न न कार अपघ टत होते जाते ह -
2UO2+ UIV + UO22+
2PuO2+ PuIV + PuO22+
AnO22+ वलयन म HF मलाने से AnF6- (An = Pa, U, Np, Pu), PaF72-,
PaF83- बनते ह । AnO22+ क भां त AnO2+ भी रे खीय होता है । U(OR)5 क संरचना
वलक होती है ।
(iv) +4 ऑ सीकरण अव था - ऐि टनाइड वारा सवा धक थायी एवं सबसे अ धक संकु ल
इसी अव था म बनते ह । उदाहरण के लए, [AnF5]-, [AnF6]2-, [AnF7]3-, [AnF8]4-,
[An6F31]7-, [An(CO3)5]6-, An(NO3)4,.5H2O, [An(NO3)6]2- आ द। यहाँ An ह के
ऐि टनाइड को द शत करता है ।
(v) +3 ऑ सीकरण अव था - भार ऐि टनाइड क +3 ऑ सीकरण अव था य य प थायी
होती है । ले कन इनक अ य धक कम मा ा म उपल धता के कारण इनके संकु लन
यवहार का अ ययन नह ं हो पाया है । ह के एि टनाइड क +3 ऑ सीकरण अव था के
अ था य व के कारण, इस अव था म संकु ल का अ ययन केवल वलयन म ह स भव है।
(vi) +2 ऑ सीकरण अव था - यह No के लए सवा धक थायी ऑ सीकरण अव था है ।
पर तु No क यून मा ा म उपल धता के कारण इसके संकुलन यवहार का अ ययन
नह ं हो पाया है ।
बोध न -
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे -
11. वायु म रखने पर ऐि टनाइड त व कसक परत बनाने के कारण धु ं ध ले पड़
जाते ह ?
12. ऐि टनाइड त व उबलते हु ए पानी तथा भाप के साथ या कर कौनसी गै स
मु त करते ह ?
169
13. लै थे नाइड व ऐि टनाड़ो म से कसक सं कु ल बनाने क वृ त अ धक होती है ।
14. ऐि टनाइड े णी म Th से Cm तक जाने म सं कु ल बनाने क क मता कम
होती है या अ धक ?
170
आयन क क से लग ड क क म सं मण ।
ा सयूरे नक त व : यूरे नयम के बाद म आने वाले त व ।
172
इकाई 11
ऐि टनाइड त व का रसायन - II
Chemistry of Actinide Elements-II
इकाई क प रे खा
11.0 उ े य
11.1 तावना
11.2 यूरे नयम धन से Np, Pu तथा Am के पृथ करण का रसायन ।
11.3 प च ऐि टनाइड एवं प च लै थेनाइड म समानताएँ ।
11.4 सारांश
11.5 श दावल
11.6 संदभ थ
11.7 बोध न के उ तर
11.8 अ यासाथ न
11.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के बाद आप न न ल खत ब दुओं को समझ पायगे -
ना भक य भ य से ा त यूरे नयम ईधन म से Np, Pu तथा Am का पृथ करण , कस
रसायन पर आधा रत है तथा कस कार कया जाता है ।
प च ऐि टनाइड एवं प च लै थेनाइड के म य या समानताएँ ह?
ऐि टनाइड त व, लै थेनाइड त व से कन गुण म भ न होते ह?
173
11.2 यू रे नयम ईधन से Np, Pu तथा Am के पृथ करण का
रसायन (Chemistry of separation of Np, Pu and Am
from Uranium Fuel)
आवत सारणी म वे सभी त व जो यूरे नयम के बाद आते ह, ा सयूरे नयम अथवा
परायूरे नयम त व कहलाते ह । अत: Np(93), Pu(94) तथा Am(95) तीन ह परायूरे नयम
त व ह। पच ले ड अथात ् यूरेनीनाइट यूरे नयम का मु य अय क होता है । ये तीन
परायूरे नयम त व ना भक य म यूरे नयम से ना भक य अ भ याओं वारा ा त कए जाते ह ।
ना भक य रए टर म यूरे नयम के एकदम बाद वाले त व का नमाण यूटॉन हण करने के
बाद β-कण के उ सजन से होता है । इस कार यूरे नयम ना भक क यूटॉन वारा बमबार से
इसके ना भक थायी नह ं रह पाते ह । ऐसी ि थ त म यूटॉन- ोटोन अनुपात यादा हो जाता
है । ऐसी ि थ त म एक यू ोन , एक β-कण उ सजन करते हु ए ोट न म प रव तत हो जाता
है िजसके प रणाम व प ना भक क परमाणु सं या म एक क वृ हो जाती है तथा यूटॉन-
ोटॉन संयत हो जाता है । उदाहरण के लए -
242
94 Pu + 01 n 243 243 0
94 Pu 94 Am+ 1 e
174
प ट है क अ धक परमाणु मांक के कारण Am क न न (+3) ऑ सीकरण
अव था थाई है। इसी कार इनके ऑ सी-आयन के था य व का म न न ल खत है-
UO2 2+
> NpO2 2+
> PuO2 2+
> AmO2
इन सभी ऑ सी-आयन म धातु आयन +6 ऑ सीकरण अव था म ह । प ट है क
का परमाणु मांक अ धक है । अत: उ च (+6) ऑ सीकरण अव था कम थायी होती है ।
इस कार यूरे नयम के लए +6 तथा अमे र शयम के लए +3 ऑ सीकरण अव थाएँ सवा धक
थायी अव थाएँ ह ।
वख डन उ पाद तथा यूरे नयम से Np,Pu तथा Am के पृथ करण हे तु वख डन
उ पादन के वलयन के रे डॉ स वभव को नयि त करके फर वलायक न कषण अथवा
अव ेपण व ध को यु त कया जाता है । अथात ् वलयन म इन त व को कसी नि चत
ऑ सीकारक या अपचायक क सहायता से मनचाह ऑ सीकरण अव था म ा त कया जा
सकता है । फर इन आयन को अव ेपण या वलायक न कषण व ध से पृथक कर लया
जाता है । जैसे Am3+ को AmF3 के प म अव े पत करते ह जब क Pu को PuO22+ म
ऑ सीकृ त करके वलायक न कषण से पृथक कर लेते ह ।
175
चाट-11.1 : TBP वलायक वारा वलायक न कषण
चाट 11.1 TBP वारा Np, Pu, व Am के पृथ करण को न न ल खत ब दुओं म
समझा जा सकता है-
(i) सबसे पहले ईधन उ पाद को HNO3 म घोलकर SO2 वारा अपच यत कया जाता है ।
िजसम U, +6 अव था म ह रहता है ले कन Np व Pu, +4 तथा Am, +3 अव था म
आ जाते ह ।
(ii) अब उपरो त धातु ओं को केरोसीन म ाइ यू टलफॉ फेट के वलयन वारा, न क षत करने
पर U(VI) तथा Pu(VI) काब नक वलायक म तथा Np(IV) और Am(III) जल य
वलायक म न क षत हो जाते ह । प ट है क U(VI) तथा Pu(IV) नाइ े ट क
वलेयता काब नक वलायक म अ धक होती है ।
(iii) काब नक सतह म ि थत Pu(IV) को Pu(III) म अपच यत कर जल वारा अलग कर लेते
ह। यहां U(VI) अ य धक थायी होने के कारण अपच यत नह ं होता तथा काब नक सतह
म ह बना रहता है । इस कार U(VI) व Pu(IV) पृथ करण हो जाता है ।
(iv) अब जल य वलयन म ि थत Np(IV), Am(III) आ द के पृथ करण के लए, इस वलयन
म उपयु त ऑ सीकारक डाला जाता है, िजससे Np(IV) का Np(VI) ऑ सीकरण म हो
जाता है िजसे काब नक वलायक म न क षत कर लया जाता है । इस म म Am,
+3 म जल य वलयन म ह रहता है; िजसे फर आयन व नमय व ध से पृथक कर लेते
ह । इस कार Np(VI) तथा Am(III) का भी पृथ करण हो जाता है ।
176
(ख) मथाइलआइसो यू टलक टोन या हे सान व ध
इस वलायक वारा वलायक न कषण के म को चाट 11.2 म दशाया गया है ।
चाट 11.2 हे सोन वलायक वारा वलायक न कषण
177
11.2.4 आयन- व नमय व ध: आयन व नयम व ध अ त यून मा ा म उपल ध
पदाथ के लए सवा धक उपयु त है । इस व ध म एक त भ लया जाता है, िजसम
सं ले षत धनायन व नमय रे िजन भर दया जाता है । अब ऐि टनाइड आयन के वलयन को
त भ म वा हत कया जाता है । िजसम भ न- भ न ऐि टनाइड आयन रे िजन पर भ न
थान पर अवशो षत हो जाते ह । व भ न ऐि टनाइड आयन ा त करने के लए त भ का
न ालन कया जाता है। न ालन के लए अमो नयम साइ े ट, लै टे ट, α-हाइ ॉ सी यूटायरे ट
तथा EDTA का योग करते ह । ऐि टनाइड आयन का आकार िजतना छोटा होता है, वह
न ालन म यु त अ भकमक जैसे अमो नयम साइ े ट के साथ उतना ह बल संकु ल बनाकर,
सबसे पहले वलयन म आते ह । यह कारण है क न ालन या म Lr-साइ े ट संकुल
सबसे पहले वलयन म आते ह तथा Am-साइ े ट संकु ल सबसे बाद म आते ह । Am से Lr
तक के न ालन ाफ को च 11.1 म दशाया गया है ।
बोध न -
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख -
1. यू रे नयम के मु य अय क का नाम बताइए ।
2. Pu तथा n क अभ या से या बने गा ?
239 1
94 0
178
6. आयन - व नमय व ध म सबसे पहले कस ऐि टनाइड त व का न ानल होता
है ।
180
+3 (+2) Sm Pu +3, +4, +5, +6,+7
+3 +2 Eu Am +2,+3,(+4),+5,+6
+3 Gd Cm +3,(+4)
(+4) +3 Tb Bk +3,+4
(+4) +3 Dy Cf (+2),+3
+3 Ho Es (+2),+3
+3 Er Fm (+2),+3
+3 (+2) Tm Md (+2),+3
+3 +2 Yb No +2,+3
+3 Lu Lr +3
सारणी 11.2 म रे खा कं त ऑ सीकरण अव थाएं सवा धक थायी अव थाएं ह तथा
को ठक म द गई ऑ सीकरण अव थाएं अ थायी ह ।
सारणी से प ट ह क लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड दोन े णय के +3 ऑ सीकरण
अव था सामा य तथा थायी ह । सारणी को दे खने के प ट है क ारि भक ऐि टनाइड त व
क ऑ सीकरण अव थाएं, ारि भक लै थेनाइड से भ न है । ले कन प च ऐि टनाइड ेणी
क ऑ सीकरण अव थाएं, प च लै थेनाइड ेणी क ऑ सीकरण अव थाओं के समाना तर ह ।
अथात ् प च लै थेनाइड व प च ऐि टनाइड दोन म +3 ऑ सीकरण अव था सवा धक
सामा य व थायी ऑ सीकरण अव था है ।
ारि भक ऐि टनाइड े णी के त व, ारि भक लै थेनाइड के वपर त उ च
ऑ सीकरण अव थाएँ दशाते है, य क ऐि टनाइड म 5f क क क अ धक भेदन शि त के
कारण इसका व तार हो जाता है, िजससे 5f क क भी सहसंयोजक ब ध नमाण म भाग ले
सकते ह ।
(3) परमा वीय तथा आय नक याएँ : लै थेनाइड व ऐि टनाइड क परमा वीय व आय नक
याओं के मान सारणी 11.3 म दये जा रहे ह ।
सारणी 11.3: लै थेनाइड एवं ऐि टनाइड क परमा वीय व आय नक याएँ
लै थेनाइड ऐि टनाइड
त व याएँ (A) याएँ (A) त व
परमा वीय Ln3+ An3+ परमा वीय
La 1.88 1.06 1.11 1.88 Ac
Ce 1.82 1.03 1.08 1.80 Th
Pr 1.83 1.01 1.05 1.61 Pa
Nd 1.82 0.99 1.03 1.38 U
Pm - 0.98 1.01 1.30 Np
Sm 1.80 0.96 0.00 1.51 Pu
181
Eu 2.04 0.95 0.99 1.73 Am
Gd 1.80 0.94 0.98 - Cm
Tb 1.78 0.92
Dy 1.77 0.91
Ho 1.77 0.89
Er 1.76 0.88
Tm 1.75 0.87
Yb 1.94 0.86
Lu 1.73 0.85
सारणी 11.3 से प ट है क Ln3+ तथा An3+ दोन क आय नक याओं के मान
म परमाणु सं या बढ़ने के साथ कमी आती है । अत: लै थेनाइड संकुचन क तरह ऐि टनाइड
संकुचन भी होता है, िजसे च 10.2 म द शत कया गया है ।
(4) चु बक य गुण : लै थेनाइड के चु बक य आघूण के प रक लत व ायो गक मान काफ
कर ब होते ह । जब क ऐि टनाइड म चु बक य आघूण के वा त वक मान ( ायो गक मान)
प रक लत मान से हमेशा कम होते ह, जैसा क च 10.3 म दखाया गया है इसका
कारण यह है क 5f- क क का था नक व तार अ धक होने से, 5f- इले ॉन का कु छ
क ीय चु बक य आघूण , बाहर लग ड े से उदासीन हो जाता है ।
(5) रं ग तथा अवशोषण पे ा: व भ न लै थेनाइड व ऐि टनाइड आयन के रं ग सारणी 11.4
म द शत कए गए ह । सारणी से प ट है क सामा यतया समान व यास वाले
लै थेनाइड व ऐि टनाइड आयन के रं ग भी लगभग समान होते ह ।
ऐि टनाइड आयन उ च ऑ सीकरण अव था के कारण आवेश सं मण दशाते ह,
जब क न न ऑ सीकरण अव था के कारण, लै थेनाइड आयन आवेश, सं मण नह ं दशाते ह
। भार ऐि टनाइड के पे ा लै थेनाइड के समान तीखे व लाइन होते ह, जब क ह के
ऐि टनाइड के पे ा सं मण धातु ओं के समान चौड़े होते ह ।
सारणी 11.4 लै थेनाइड व ऐि टनाइड आयन के रं ग
लै थेनाइड ऐि टनाइड
व यास आयन रं ग रं ग आयन व यास
4f0
La 3+
रं गह न रं गह न Ac , Th
3+ 3+
5f0
4f Ce3+ रं गह न रं गह न Pa4+ 5f1
1
182
4f6 Eu3+ ह का गुलाबी गुलाबी Am3+ 5f6
4f7 Gd3+ रं गह न रं गह न Cm3+ 5f7
4f Tb3+ ह का गुलाबी गुलाबी Am2+ 5f7
8
पीला – नारं गी
(6) संकुल नमाण: 5f- क क क अ धक भेदन शि त के कारण इन व तार 6d, 7s तथा
7p क क तक हो जाता है िजससे ये क क लग ड से अ धक भा वत होकर संकुलन
क अ धक वृि त दशाते ह ।
उपरो त अ ययन के आधार पर लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड के म य समानताओं तथा
वषमताओं का न न ल खत ब दुओं म सं ि तकरण कया जा सकता है -
समानताएँ -
1. इले ॉ नक व यास के आधार पर लै थेनाइड व ऐि टनाइड दोन ह f- लॉक त व ह तथा
दोन े णय म अि तम इले ॉन (n-2) f-क क म वेश करता है ।
2. दोन ह े णय म इले ॉन (n-1) d1 तथा ns2 आसानी से बाहर नकाले जा सकते ह ।
अत: दोन ह े णय के त व के लए +3 ऑ सीकरण अव था सामा य व थायी
अव था है ।
3. दोन े णय म परमाणु मांक म वृ के साथ आकार अथात ् आय नक या म कमी
आती है । या म कमी का कारण (n-2)f-क क का अ यंत यून प रर ण है ।
4. दोन े णय के त व बहु त व युतधनी तथा याशील ह ।
5. सभी त व क उ च जलयोजन उ मा होती है तथा ये बल अपचायक क भां त यवहार
करते ह ।
6. यादातर लै थेनाइड व ऐि टनाइड अनुचु बक य होते ह ।
7. लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड के पर लोरे ट, नाइ े ट तथा स फेट जल म वलेय होते ह ।
ले कन लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड के हाइ ॉ साइड, लु ओराइड तथा काब नेट जल म
अ वलेय होते ह ।
8. इन त वो के गलनांक व वथनांक काफ समानता दशाते है य य प ऐि टनाइड के
गलनांक लै थेनाइड से कु छ अ धक होते ह ।
183
9. आयन- व नमय व ध वारा लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड दोन का पृथ करण कया जाता
है तथा आयन व नमय त भ म चार लै थेनाइड Eu,Gd,Tb तथा Dy का यवहार
ऐि टनाइड मश: Cm, Bk तथा Cf जैसा होता है ।
10. समान व यास वाले लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड आयन के रं ग तथा पे ा अ धकतर
समान होते ह य क इनम f - f सं मण पाया जाता है ।
वषमताएँ -
दोन - े णय के त व समानताएँ तो दशाते ह है पर इले ॉन क तु लना म बंधन
ऊजा का मान कम होने के कारण इनम वषमताएँ भी पायी जाती ह । कु छ मु ख वषमताएँ
न न ल खत है:-
1. ारि भक ऐि टनाइड म लै थेनाइड क तु लना म इले ॉन को d-क क म रखने क
वृि त अ धक होती है ।
2. ऐि टनाइड त व के यौ गक क ारकता लै थेनाइड त व के यौ गक क ारकता से
अ धक होती है ।
3. केवल ोमी थयम को छोडकर अ य लै थेनाइड कृ त म वतं प से पाये जाते ह तथा
रे डयो ऐि टव नह ं होते ह जब क यादातर ऐि टनाइड रे डयो ऐि टव होते ह तथा कृ त
म वत प से नह ं मलते बि क योगशाला म बनाए जाते ह ।
4. लै थेनाइड त व क तु लना म ऐि टनाइड त व के चु बक य गुण कुछ कम होते ह ।
चु बक य आघूण तथा इले ॉन क सं या के म य व म लै थेनाइड त व म दो
उि च ठ ा त होते ह जब क ऐि टनाइड त व म केवल एक ह उि च ठ ा त होता है ।
5. लै थेनाइड त व क तु लना म ऐि टनाइड त व अ धक संयोजकताएँ द शत करते ह ।
लै थेनाइड क अ धकतर संयोजकताएँ +3 होती है तथा कुछ त व क संयोजकताएँ +2 या
+4 भी होती है । प च ऐि टनाइड क संयोजकता, प च लै थेनाइड के समान +3 होती
ह।
6. संकुल नमाण म, लै थेनाइड के क क क भेदन मता कम होने के, कारण इन पर
लग ड का कोई भाव नह ं होता जब क ऐि टनाइड म क क क भेदन मता अ धक
होती है तथा वे प र ध म भीतर तक फैले हु ए रहते ह, िजससे वे लग ड से अ धक
भा वत होते ह ।
7. ऐि टनाइड म 5f 6d 7s तथा 7p-क क क ऊजा लगभग समान होती है । अत: ये
सभी क क ब ध बनाने म भाग लेते ह । यह कारण है क ऐि टनाइड कई कार के
संकुल व सहसंयोजक यौ गक बनाते ह । इसके वपर त लै थेनाइड म क क पूर तरह
प रर त रहने के कारण ब ध बनाने म भाग नह ं लेते । यह कारण है क लै थेनाइड
सहसंयोजक यौ गक नह ं बनाते ह तथा इनके संकु ल भी बहु त कम ात ह ।
8. ऐि टनाइड त व X , SO42 आ द ऋणा मक लग ड के अ त र त
- -
-ब ध यु त लग ड
के साथ भी संकु ल बनाते ह ।
184
9. उ च ऑ सीकरण अव था के कारण ऐि टनाइड त व सं मण के अ त र त आवेश
थाना तरण सं मण भी दशाते ह । यह कारण है क इन आयन के रं ग बहु त गहरे होते
ह । लै थेनाइड त व न न ऑ सीकरण अव था के कारण आवेश थाना तरण सं मण
नह ं दशाते ह। लथेनाइड आयन के रं ग तु लना मक प से कम गहरे होते ह ।
10. 4f-क क क ब धन ऊजा अ धक होती है जब क 5f-क क क बंधन ऊजा कम होती है ।
11. लै थेनाइड त व म 4f तथा 5d-क क के म य ऊजा अतर बहु त होता है जब क
ऐि टनाइड त व म 5f तथा 6d-क क के म य ऊजा अ तर कम होता है ।
बोध न -
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लख -
7. प च लै थे नाइड तथा प च ऐि टनाइड क सवा धक थायी ऑ सीकरण अव था
या है ?
......................................................................... .....................
8. 4 f तथा 5f क क म से कसक भे द न शि त अ धक होती है ?
......................................................................... .....................
9. लै थे नाइड तथा ऐि टनाइड म से कसम चु बक य गु ण अ धक पाये जाते ह।
......................................................................... .....................
10. 4 f तथा 5f म से कौनसे क क का था नक व तार अ धक होता ह ?
......................................................................... .....................
185
लै थेनाइड त व क तु लना म ऐि टनाइड त व के चु बक य गुण कु छ कम होते ह ।
लै थेनाइड के वप रत ऐि टनाइड -दाता लग ड के साथ भी संकुल बना सकते है ।
142
186
2. ऐि टनाइड म क क क ब धन ऊजा, लै थेनाइड के क क क ब धन ऊजा से कम
य होती है ।
3. यूरे नयम धन से Np, Pu तथा Am पृथक करने क हे सोन वलायक न कषण व ध
ल खए ।
4. प च ऐि टनाइड, लै थेनाइड से अ धक घ न ठता रखते ह । इस त य को उदाहरण स हत
समझाओ ।
5. ऐि टनाइड के लए TBP वलायक न कषण व ध ल खए ।
6. ा सयूरे नक त व या होते ह? इ ह कैसे ा त कया जाता है?
7. लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड का तु लना मक अ ययन द िजए ।
8. लै थेनाइड तथा ऐि टनाइड त व म या समानताएँ ह?
9. लै थेनाइड क तु लना म ऐि टनाइड के यौ गक म सहसंयोजक ल ण अ धक होता है,
कारण बताइए ।
10. प च लै थेनाइड त व के असामा य यवहार को समझाइए ।
11. '' थम आधे ऐि टनाइड संगत लै थेनाइड से भ न होते ह पर तु बचे हु ए आधे लै थेनाइड
के बहु त सम प होते है ।'' उदाहरण स हत ववेचन क िजए ।
187
इकाई 12
अ ल तथा ारक
Acids and Bases
इकाई क प रे खा
12.0 उ े य
12.1 तावना
12.2 आरे नअस धारणा: जल आयन तं
12.3 सटे द-लोर धारणा: ोट न दाता- ाह तं
12.4 ल स- लड धारणा: ऑ साइड दाता- ाह तं
12.5 वलायक तं धारणा
12.6 लु इस धारणा: इले ॉन यु म दाता- ाह तं
12.7 सारांश
12.8 श दावल
12.9 संदभ थ
ं
12.10 बोध न के उ तर
12.11 अ यासाथ न
12.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ तगत आप न न ल खत त य क जानकार ा त करगे -
आरे नयस के अनुसार अ ल तथा ारक कसे कहा जाता है?
अ ल तथा ारक क ं टे द-लोर
स या है?
ल स- लड धारणा के अनुसार अ ल तथा ारक या होते है?
अ ल तथा ारक क वलायक तं प रभाषा या है?
लु इस ने अ ल तथा ारक को कस कार प रभा षत कया?
188
साबुन क तरह यवहार करते ह ।
अ ल को उदासीन कर दे ते ह ।
लाल लटमस को नीला कर दे ते ह ।
अ ल तथा ारक संक पना का रसायन इतना अ धक व तृत है क इसे समय-समय
पर भ न- भ न तर के से प रभा षत कया गया । अत: इस इकाई म आप उन वभ न
स ा त का अ ययन करगे िज ह समय-समय पर अ ल तथा ारक के गुण को समझाने के
लए रखा गया है । 144
HA ⇋ H+ + A-
BOH ⇋ B+ + OH-
अ ल के हाइ ोजन आयन (H+) तथा ारक के हाइ ोि सल आयन (OH-) पर पर
संयोग कर जल बनाते ह तथा यह या उदासीनीकरण कहलाती है ।
+ -
H + OH H2O
उदाहरण के लए HCl, Cl3COOH, HNO3 H2SO4 आ द, अ ल ह जब क NaOH,
KOH, NH4OH, Ba(OH)2 आ द ारक के उदाहरण है ।
अ ल: HCl H2O H+ + Cl-
CH3COOH H2O H+ + CH3COO-
ारक: NaOH H2O Na+ + OH-
Ba(OH)2 H2O Ba2+ + 2OH-
अ ल जैसे HCl, HNO3 H2SO4 आ द जो जल म पूण प से आय नत होते है,
बल अ ल कहलाते ह । जब क अ ल जैसे Cl3COOH, जो क जल म आं शक प से
आय नत होते है, दुबल अ ल कहलाते है । इसी कार जल म पूण प से आय नत ारक
NaOH, KOH आ द बल ारक तथा जल म आं शक प से आय नत ारक NH4OH,
Ca(OH)2, आ द दुबल ारक कहलाते ह ।
उदासीनीकरण म अ ल तथा ारक या कर लवण तथा जल बनाते ह -
HCl + NaCl ⇋ NaCl + H2O
अ ल ार लवण जल
189
12.2.2 उपयो गता:
190
(क) आरे नअस के अनु सार अ ल जल म वयोिजत होने पर ...........आयन
दे ते ह।
(ख) अ ल लाल लटमस को.............................कर दे ते ह।
(ग) आरे नअस धारणा के अनु सार .........................जल म वयोिजत होने
पर OH - आयन दे ते ह।
(घ) H + तथा OH - आयन क सं योग वारा जल का बनना......अ भ या ह।
(च) HCl, HNO 3 , H 2 SO 4 आ द अ ल जल म पू ण प से आय नत होते
है , अत: ........................अ ल कहलाते ह।
(छ) जल म आं शक प से आय नत ारक जै से NH 4 OH, Ca(OH) 2
आ द........................ ारक कहलाते ह।
191
12.3.2 संयु मी अ ल- ारक युगल
192
। अत: HCl, जो क एक बल अ ल है, का संयु मी ारक Cl एक दुबल
-
ारक है । इस
आधार पर अ ल और ार क साम य न न कार है-
अ ल साम य : HI > HBr > HCl > HF
ार साम य: I
-
< Br -
< Cl -
< F-
उदाहरण III : CH3COOH एक दुबल अ ल है ले कन इसका संयु मी ारक CH3COO
-
बल ारक है -
CH3COOH + H2O H3O+ + CH3COO-
अ ल1 ारकु2 अ ल2 ारक1
उदाहरण IV: उभय ो टक यौ गक के वत: आयन न को भी उपयु त स ा त वारा समझाया
जा सकता है -
अ ल1 ारक2 अ ल2 ारक1
H2O + H2O H3O + OH- +
193
12.3.3 समआयनन वलायक तथा वषमआयनन वलायक
194
ख. जल (H2O) : जैसा क ऊपर बताया गया है क जल एक अ छा ोटॉन ाह है । यह
कारण-है क व भ न बल अ ल इसम समान तर क बलता द शत करते ह । अत:
H2O, बल अ ल के लए समआयनन वलायक है ।
ग. व अमो नया (NH3): व NH3 क ोटॉन ाह मता CH3COOH तथा H2O से भी
अ धक होती है । यह कारण है क CH3COOH तथा H2O क तु लना म व NH3
बलतर ारक है । NH3 क अ धक ोटॉन ाह क मता के कारण सभी कार के अ ल
चाहे वह दुबल अ ल CH3COOH हो या तु लनाि मक प से बल अ ल HCl, HF व
HBr हो, एक सी बलता दशाते ह । अत: व NH3 सभी अ ल के लए एक समआयनन
वलायक है ।
य द इन अ ल के लए H2O को एक वलायक के प म योग कया जाए तो सभी
अ ल क ोटॉनदाता मता भ न होगी । अत: जल इन अ ल के लए एक वषमआयनन
वलायक है ।
(2) ारक साम य पर वलायक का भाव:
अ ल क भां त ारक क बलता भी वलायक क कृ त वारा भा वत होती है।
CH3COOH जल म दुबल अ ल है जब क व NH3 म बल अ ल है । अ ल य वलायक
जैसे HF, CH3COOH आ द ारक का समआयनन करवाते ह, जब क NH3 जैसे ार य
वलायक ारक का वषम आयनन करवाते ह ।
बल ारक NaH, NaNH2, NaOC2H5, NaOH आ द के लए जल समआयनन
वलायक है ले कन व NH3 वषम आयनन वलायक का काय करता है ।
उपरो त पूण ववेचन को सं ेप म सारणी 12.1 म तु त कया गया है । इस सारणी
को दे खने से पूव यह यान रहे क व भ न वलायक क ोटॉन ाह वृि त अथात ् ारकता
का बढ़ता म न न ल खत ह -
CH3COOH < H2O < NH3
सारणी 12.1 व भ न अ ल तथा ारक के लए समआयनन
तथा बषमआयनन वलायक
अ ल/ ारक समआयनन वलायक वषमआयनन वलायक
बल अ ल (तु लना मक प से बल, (दुबल ोटॉन ाह )
(HCl,HNO3,H2SO4) ोटॉन ाह ) दुबल अ ल
H2O CH3COOH
बल व दुबल अ ल ( बल ोटॉन ाह ) (तु लना मक प से दुबल
(HF,CH3COOH,HCl) व NH3 ोटॉन ाह )
H2O
बल ार (तु लना मक प से दुबल ( बल ोटॉन ाह )
(NaOH.NaNH3.NaOC2H5) ोटॉन ाह ) व NH3
H2O
195
बल व दुबल ार (दुबल ोटॉन ाह ) (तु लना मक प से बल
(NaOHवNH4OH) CH3COOH ोटॉन ाह )
H2O
196
बोध न
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे : -
2. सटे द - लोर के अनु सार ोटॉन दाता पदाथ या कहलाता है ?
......................................................................... .....................
3. अभ या , HCl + H 2 O ⇋ H 3 O + + Cl - , म HCl का सं यु मी ार या
है ?
......................................................................... .....................
4. CH 3 COOH बल अ ल के लए समआयनन वलायक है क वषमआयनन
वलायक ?
......................................................................... .....................
5. CH 3 COOH, H 2 O तथा NH 3 म से कस वलायक क ोटॉन ाह वृ ि त
यू न तम है ?
............................................................... ...............................
6. बल ार जै से NaOH , NaNH 2 आ द के लए वषमआयनन वलायक
बताइए।
......................................................................... .....................
197
ऑ साइडदाता ( ार) ऑ साइड ाह (अ ल)
ल स- लड धारणा के आधार पर ऑ साइड के जल य वलयन क कृ त क भी
या या क जा सकती है । धातु ऑ साइड जल से अ भ या कर आयन दे ते ह । अत: ये
ार ह, जब क अधातु ऑ साइड जल से अ भ या कर आयन दे ते है, अथात ् अ ल ह ।
धातु ऑ साइड ( ार) Na2O + H2O 2Na+ + 2OH-
अधातु ऑ साइड (अ ल) SO3 + H2O SO42- + 2H+
दूसरे श द म यह कह सकते ह क ल स- लड ारक, एक कार के ार य
एनहाइ ाइड ह तथा ल स- लड अ ल, एक कार से अ ल य एनहाइ ाइड ह । उपरो त
अभ या म Na2O तथा SO3 मश: NaOH तथा H2SO4 के एनहाइ ाइड ह ।
ल स- लड धारणा के उपयोग सी मत है । ल स- लड अ ल ार अ भ याएँ केवल
उ च ताप पर ह मह वपूण होती ह । उभयधम पदाथ ऑ साइड हण करने तथा यागने क ,
दोन ह वृि तयाँ दशाते है । उदाहरण के लए -
(i) ारक, Al2O3 ⇋ 2Al3+ + 3O2-
अ ल, Al2O3 + O2- ⇋ 2AlO2-
(ii) ारक, ZnO Zn2+ + O2-
अ ल, ZnO + O2- ⇋ ZnO22-
ऑ सीजन एक ऋण व युती परमाणु है । अत: हैलोजेन, स फर आद अ य
ऋण व युती परमाणुओं से ा त ऋणायन के थाना तरण के आधार पर ल स- लड प रभाषा
का व तार कया जा सकता है । अत: हैलाइड, स फाइड आ द आयन के दाता यौ गक को
ारक तथा ाह पदाथ को अ ल क सं ा द जा सकती है । उदाहरणाथ - उ च ताप पर
स प न न न ल खत अ भ या म NaF से F- आयन, AIF3 को थाना त रत हो जाता है ।
िजससे NaF ारक तथा AIF3 अ ल क तरह यवहार करता है ।
3NaF + AIF3 Na3AIF6
( ारक) (अ ल) (लवण)
ल स- लड धारणा क उपयो गता सी मत है ।
बोध न-
7. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजए-
(क) ल स - लड धारणा के अनु सार ार...................होते ह।
(ख) CaO Ca 2 + +.......................
(ग) ......................... + O 2 + CO 3 2 -
(घ) ..................... + SiO 2 FeSiO 3
(च) ल स - लड धारणा के अनु सार अधातु ऑ साइड क कृ त...........होती
है जब क धातु ऑ साइड क कृ त.....................होती है ।
198
12.5 वलायक तं धारणा (Solvent System Concept)
12.5.1 अ ल तथा ारक के लए वलायक तं धारणा क संक पना 1928 म कैडी तथा
ऐ सी ने क । वा तव म वलायक तं धारणा ं टे ड-लोर धारणा का ह एक व तार है ।
स
स
ं -लोर धारणा के वलायक ोटॉनी (NH3, H2O, CH3COOH) होते ह, य क यह स ा त
ोटॉन के आदान- दान से संबं धत है जब क वलायक तं धारणा, सभी कार के वलायक ,
ोटोनी तथा अ ोटॉनीय दोन पर समान प से ले लागू होती है।
वलायक तं धारणा के अनुसार ''जो पदाथ वलायक के वत: आयनन से ा त
धनायन क सां ता म वृ कर, वे अ ल ह, तथा जो पदाथ के वत: आयनन से ा त
ऋणायन क सां ता म वृ करे वे ारक ह ।''
जल क तरह बहु त से वलायक म वत: आयनन क वृि त पाई जाती है । कु छ
मु ख वलायक के वत: आयनन से ा त धनायन व ऋणायन न न ल खत है -
वलायक धनायन + ऋणायन
(अ ल) ( ार य)
2H2O ⇋ H3O+ + OH
2NH3 NH4 NH2
+
⇋ +
2SO2 ⇋ SO2+ + SO32-
उदाहरण I - जल म HCl, एक अ ल क तरह यवहार करता है य क यह जल म वलायक
को धनायन अथात ् H3O आयन दे ता है –
+
199
इसी कार व SO2 म SOCl2 अ ल होगा तथा स फाइट लवण जैसे Na2SO3
ारक ह गे । य क SOCl2 से SO2+ आयन तथा Na2SO3 से SO32- आयन ा त होते ह
जो क व SO2 के वत: आयनन से भी बनते ह ।
सारणी 12.2 म व भ न पदाथ क अ ल य तथा ार य कृ त को वलायक के संदभ
म दशाता गया है ।
सारणी 12.2 वलायक तं धारणा अनुसार कु छ पदाथ का
अ ल तथा ारक म वग करण
वलायक अ ल ारक
H2O HCl,HNO3,H2SO4,HCNआ द KOH,NaOHआ द
व NH3 NH4Cl,NH4NO3आ द KNH2,NaNH2आ द
व SO2 SOCI2,SO(SCN)2आ द Na2SO3,CaSO3आ द
व N2O4 NOCl आ द NaNO3आ द
200
(5) ऐसे वलायक िजनका वत: आयनन नह ं होता, उनम होने वाल रसाय नक अ भ याओं
का इस स ा त से प ट करण नह ं होता ।
बोध न -
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे -
8. वे पदाथ जो व NH 3 म NH 2 - आयन दे ते है , या कहलाते ह ?
......................................................................... .....................
9. यू रया व अमो नया म NH 4 + आयन दे ते ह अत : व अमो नया म यू रया क
कृ त या होगी ?
......................................................................... .....................
10. NH 4 Cl + NaNH 2 NaCl + 2NH 3 , व NH 3 म यह अ भ या कस कार
क अभ या है ?
....................................................................... .......................
12.6.2 लु इस अ ल का वग करण
201
परमाणु ओं के अ टक अपूण होते है । अत: यह लू इस ार से इले ॉन यु म हण
योगो पाद बनाते ह । जैसे,
अ ल + ार योगो पाद
AlCl3 + Cl- [AlCl4]-
BF3 + F [BF4]-
(2) वे अणु िजनके के य परमाणुओं म र त d-क क हो:-
अनेक हैलाइड जैसे SiCl4, GeCl4, TiCl4, SnX4, PX4, SF4, SeF4, TeCl4
आ द ऐसे यौ गक ह, िजनके के य परमाणु ओं म र त d-क क ह । अत: यह यौ गक लु इस
ार से इले ॉन यु म को अपने र त d-क क म हण कर अपनी संयोजकता को बढ़ा
सकते ह । यह कारण है क ये अ ल क तरह यवहार करते ह । जैसे,
SiF4 + 2F SiF62-
SnCl4 + 2Cl SnCl62-
(3) सं मण धातुओं के परमाणु तथा आयन -
सं मण धातु ओं म र त d-क क पाय जाते ह । िजसम लु इस ार ( लग ड) अपना
इले ॉन यु म दान कर ज टल यौ गक अथात ् संकु ल बनाते ह । जैसे,
अ ल + ार संकुल
Ni + 4CO [Ni(CO)4]
Ag+ + 2CN [Ag(CN)2]-
(4) वे यौ गक िजनम अलग-अलग व युत ऋणता वाले त व के म य बहु बंध हो । जैसे CO2,
SO2, SO3 आ द ।
इन उदाहरण के के य परमाणुओं क व युतऋणता कम होने के कारण, उस पर
आं शक धनावेश होता है । िजससे ये लूइस अ ल क भाँ त काम करते है । जैसे, : : O = C
(स फेट आयन)
अ ल ार
..
: S + : SO32- S2O32-
..
202
उपरो त अ भ याओं म ऑ सीजन व स फर परमाणु स फाइड आयन वारा इले ॉन
यु म हण करते ह । अत: ये त व लू इस अ ल ह ।
12.6.3 लु इस ार का वग करण
(i)
(ii)
2CH6 + Cr [Cr(C6H6)2]
203
2. इस धारणा के अनुसार अ ल- ार अ भ याएँ बहु त ती ग त से स प न होती ह । परं तु
बहु त सी लू इस अ ल- ार अ भ याएँ बहु त धीमी होती ह ।
3. इस स ा त क सबसे बड़ी कमी यह है क इसक प रभाषा बहु त व तृत है । यह कारण
है क उपसहसंयोजक यौ गक का बनना भी अ ल- ारक अ भ या के अंतगत आता है ।
बोध न-
न न ल खत न के उ तर नीचे द गई पं ि त म लखे -
11. न न ल खत म से लु इस अ ल को पहचा नए –
CO, AlCl, PH 3 , Cl -
......................................................................... .....................
12. SiF 4 तथा TeCl 4 लू इस अ ल है अथवा लू इस ारक ?
…………………………………………………………………………………………………………
204
12.8 श दावल (Glossary)
उभय ो टक वह वलायक जो बल अ ल क उपि थ त म ोटॉन
हण करते ह तथा बल ार क उपि थ त म ोटॉन
दान करते ह, जैसे H2O ।
205
12.10 बोध न के उ तर (Answers of Intext Questions)
1. (क) H+ (ख) नीला (ग) ारक (घ) उदासीनीकरण (च) बल (छ) दुबल
2. अ ल 3. Cl- 4. वषमआयनन
5. CH3COOH 6. व NH3
7. (क) ऑ साइड दाता (ख) O2- (ग) CO2 (घ) FeO (च) अ ल य, ार य
8. ारक 9. अ ल य 10. अ ल- ारक उदासीनीकरण
11. AlCl3 12. लूइस अ ल
206
18. अ ल- ार क व भ न धारणाओं के आधार पर उदासीनीकरण अ भ या क उ चत
उदाहरण स हत या या क िजए?
19. अ ल- ार क सटे द-लोर धारणा को समझाइये । यह धारणा आरे नअस क धारणा से
कस कार े ठ है? इसक सीमाएँ ल खये ।
20. न न ल खत वलायक के वत: आयनन क रासाय नक समीकरण ल खए तथा इन तं
म अ ल व ारक के उदाहरण द िजए ।
(i) H2O (ii) व SO2 (iii) व NH3
207
इकाई 13
नजल वलायक – I
Non-Aqueous Solvents-I
इकाई क प रे खा
13.0 उ े य
13.1 तावना
13.2 वलायक के भौ तक गुण
13.3 वलायक के कार और उनके सामा य अ भल णक गुण ।
13.4 सारांश
13.5 श दावल
13.6 संदभ थ
ं
13.7 बोध न के उ तर
13.8 अ यासाथ न
13.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे -
नजल य वलायक या होते ह तथा कस कार ये जल से भ न ह ।
इन वलायक के सामा य भौ तक गुण या होते ह ।
नजल य वलायक कतने कार के होते ह ।
इन वलायक के सामा य अ भल णक गुण या ह ।
208
करने क मता रखते ह और वशेष प रि थ तय म मह वपूण भू मका नभाते ह । इस इकाई
म आप ऐसे ह कु छ वलायक उनके गुण और उपयोग का अ ययन करगे ।
209
उ त सारणी से प ट है क नजल वलायक व अमो नया तथा व स फर
डाइऑ साइड से बहु त भ न ह । पर तु आप दे खगे क इन अजल य व म यौ गक व श ट
अभ या करते है, जो जल य वलयन म स भव नह ं हो पाती । अब आप इन वलायक के
सामा य भौ तक गुण क मब जानकार ा त करे ग ।
(1) व युत चालन: नजल वलायक कुछ सीमा तक आय नत हो जाते ह । इस वत: आयनन
के कारण ये व युत क ीण सु चालक होते ह । वत: आयनन न न कार होता है
2NH3(1) ⇋ NH4+ + NH2
2SO2(1) ⇋ SO2 + SO3
+ 2-
210
व SO2आ द । ि लसरॉल, सरस के तेल आ द गाढ़े होते है और इनक व का सता
अ धक होती है। कम व का सता वाले व म आयन क ग तशीलता अ धक होती है, अत:
इन व म रासाय नक अ भ याएं आसानी से होती है । इसी कार इनम अव ेपण,
टलन और छानने क याएं भी आसानी से होती ह । स फयू रक अ ल और उ च
ऐ कोहॉल क व का सता अ धक होती है, अत: इन अजल य वलायक म उ त
अभ याएं और याएं सरलता पूवक नह ं होती ।
(6) ोटॉन बंधु कता: कसी पदाथ के अणु म एक ोटॉन जु ड़ने से उ सिजत ऊजा उस पदाथ क
ोटॉन बंधु कता कहलाती है । अमो नया क ोटॉन बंधु कता जल क अपे ा अ धक होती है
। अत: कु छ पदाथ व अमो नया म अपना ोटॉन दे कर अ ल य गुण द शत करते ह ।
उदाहरण के लये ऐसीटै माइड व अमो नया म अ ल समान तथा जल म दुबल ार समान
यवहार करता है ।
CH3CONH2 + NH3 CH3CONH- + NH4+
अ ल ार
CH3CONH2 + H2O CH3CONH3+ + OH-
ार अ ल
इस कार का गुण केवल ोटॉ नक वलायक ह द शत करते ह ।
बोध न –
1. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) जल का डाइइले ि क ि थरां क उ च होता है । (स य/अस य)
(ख) अमो नया - 77.8 C से -33.4 0 C के म य
0
व अव था म रहती है ।
(स य/अस य)
(ग) व अमो नया म ऐसीटै माइड एक ार के समान यवहार द शत
करता है । ( स य/अस य )
(घ) व SO 2 क व का सता ि लसरॉल क व का सता से अ धक ले ती है ।
(स य/अस य)
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) ऐसीटै माइड जल म वले य होकर ............. तथा .............. आयन
बनाता है ।
(ख) डाइइले ि क ि थरां क का मान आयन के म य उपि थत ...............
पर नभर करता है ।
(ग) ....................... से ....................... 0 C के म य H 2 O व के
प म रहता है ।
(घ) व SO 2 के वत : आयनन से ................... तथा .............:....
आयन बनते ह।
211
13.3 वलायक के कार और उनके सामा य अ भल णक गु ण
(Types of Solvents and their Characteristic
Properties)
व भ न वलायक का वग करण उनके भौ तक और रासाय नक गुण के आधार भ न
- भ न कार कया जा सकता है । इसका वणन यहाँ कया जाएगा ।
(1) जल य और नजल वलायक: जल य और नजल य गुण के आधार पर वलायक को दो
वग म बाँटा जा सकता है ।
क. जल य वलायक (aqueous solvent): इस वग म केवल एक ह वलायक है
और वह है जल । पर तु यह वलायक सबसे अ धक कार के पदाथ को वलेय
।करने क मता रखता है । इसम आय नक और सहसंयोजक, दोन कार के
पदाथ वलेय जाते ह । इसम कॉपर स फेट, सो डयम लोराइड, आ द आय नक
यौ गक सरलता से घुल जाते है, वह ं लूकोस श कर, ऐ कोहॉल, आ द सहसंयोजक
यौ गक भी सरलता से वलेय, हो जाते है ।
ख. नजल वलायक (non-aqueous solvent): जल र हत व नजल वलायक
कहलाते ह । जैसे - व अमो नया व स फर डाइऑ साइड, स फयू रक अ ल,
हाइ ोजन लू ओराइड, काबन टे ा लोराइड, लोरोफाम, काबन डाइस फाइड, आ द
। इन वलायक को वग म वग कृ त कया जा सकता है ।
(2) आयनकार और अन आयनकार वलायक: इन वलायक का आधार आयनन है ।
क. आयनकार वलायक (lonising solvent): ये वलायक आय नक व
ु ीय कृ त के
होते है । इनके डाइइलेि क ि थरांक उ च होते है। समान, समान को घोलता है के
स ांत के आधार पर ये वलायक आय नक और ु वीय पदाथ को घोलने के लये होते
ह । ये वलायक वयं भी आय नत होते है जैसे –
2H2O ⇋ H2O+ + OH-
2NH3 ⇋ NH4+ + NH2-
2SO2 ⇋ SO2+ + SO32-
ख. अनआयनकार वलायक: (Non-lionizing solvent): ये वलायक अनआय नक
अथवा अ ु वीय ाकृ त के होते ह । इनके डाइइलेि क ि थरांक न न होते है । ये
सहसंयोजक अथवा अ ु वीय यौ गक के लये उ तम वलायक है । इनके उदाहरण है -
CCl, C6H6, आ द।
(3) ोटॉ नक नॉन- ोटॉ नक तथा उभय ो टक वलायक
(Protonic,Non-Protonic and Amphiprotic solvents)
212
इस कार का व गकरण वलायक अणु वारा ोटॉन दे ने या लेने पर आधा रत । यह
व गकरण उ ह ं वलायक के लये है िजनम ोटॉन उपि थत हे ला है। इ ह दो वग म बाँटा
गया है।
(क) ोटॉ नक या ो टक वलायक: इन वलायक म ोटॉन उपि थत रहता है तथा इ हे
तीन उपवग म बांटा जा सकता है -
(i) अ ल य या ोटोजे नक वलायक: इन वलायक म ोटॉन दे ने क वृि त होती है ।
इनके उदाहरण ह - HF, HCl, HCN, H2SO4, आ द ।
(ii) ार य या ोटो फ लक वलायक: इन वलायक म ोटॉन हण करने क वृि त होती
है । इनके उदाहरण ह - NH3, N2H4, ऐमीन यौ गक, आ द ।
(iii) उभय ो टक वलायक: इस वग के वलायक म ोटॉन दे ने और लेन,े दोन मताएं
होती ह। ये वलायक अ ल और ार दोन समान यवहार करते ह । इस कार के
वलायक के उदाहरण है – H2O, CH3OH, C2H5OH, CH3COOH, आ द ।
ख. नॉन- ोटॉ नक अथवा ऐ ो टक वलायक: ये वलायक न ाटॉन दे ते ह और ना ह लेते
है । वलायक के अणु म ोटॉन होते हु ए भी इनम ोटॉन दे ने क वृि त नह ं होती ।
इस कार के वलायक के उदाहरण ह – व SO2, CCl4, CHCl3, C6H6 आ द ।
बोध न -
3. न न ल खत म से कौनसे अन - आयनकार वलायक ह-
NH 3 , CCl 4 , H 2 O , SO 2 , C 6 H 2 , HCN
4. न न ल खत म से कौनसे उभय ो टक वलायक ह -
HF , CH 3 OH , SO 2 , CCl 4 , H 2 SO 4 , CH 3 COOH
5. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) म नस लवण का सू [Pt ( NH 3 ) 6 ] [ PtCl 4 ] है । ( स य/अस य)
(ख) सं कु ल यौ गक म Cl - जब लग ड के प म धातु से जु ड़ा रहता है ,
तो लोराइडो कहलाता , है । ( स यअस य )
(ग) [PtCl 2 (NH 3 ) 2 ] यौ गक का नाम डाइ लोऐरोडाइऐ मीन लै टनम ( II ) है ।
( स य/अस य)
(घ) सं कु ल [Fe ( CO ) 5 ] म आयरन क ऑ सीकरण अव था शू य है ।
( स य/अस य)
213
कु छ नजल वलायक जल क भां त वत: आय नत होते ह, अत: ये व युत का चालन
करते है ।
उ च डाइइलेि क ि थरांक वाले व अ छे वलायक होते है ।
उ च व ु व आघूण वाले व क वलेय करने क मता अ धक होती ह ।
व का गलनांक और वथनांक उसका व ताप परास नि चत करते ह । व NH3 का व
परास -77.8 C से -33.4 C है ।
0 0
214
13.6 संदभ ंथ (Reference Books)
1. Selected Topics in Inorganic Chemistry-Malik,Tuli,Madam
2. अकाब नक रसायन, वी. एस.सी. पाट-II (कॉलेज बुक हाऊस, जयपुर)
3. अकाब नक रसायन, वी. एस.सी. पाट-II (रमेश बुक डपो, जयपुर)
215
इकाई 14
नजल वलायक – II
Non-AqueousSolvent – II
इकाई क प रे खा
14.0 उ े य
14.1 तावना
14.2 व अमो नया के गुण
14.3 व अमो नया म अ भल णक अ भ याएं (अ ल - ारक अ भ याएं, अव ेपण या
व नमय अ भ याएं अमीनो अपघटनी अ भ याएं, रे डॉ स अ भ याएं, आ द)
14.4 सारांश
14.5 श दावल
14.6 संदभ थ
ं
14.7 बोध न के उ तर
14.8 अ यासाथ न
14.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझ पायगे -
व अमो नया के गुण को ।
व अमो नया म होने वाल अ भ याएं जल म होने वाल संगत अ भ याओं से कस
कार भ न ह ।
216
(1) अमो नया के अणु क संरचना: अमो नया (NH3) के एक अणु म तीन हाइ ोजन एक
नाइ ोजन से सहसंयोजक बंध से जु ड़े रहते ह । अणु म नाइ ोजन परमाणु के बा य क क
sp3 संक रत अव था म होते ह । चार संक रत क क म से एक म एक इले ॉन यु म
3
उपि थत रहता है । शेष तीन sp संक रत क क म अयुि मत इले ॉन होते ह जो तीन
हाइ ोजन के s - क क म उपि थत इले ॉन से सहसंयोजक बंध बनाते है, जैसा च
14.1 म द शत कया गया है । 165
च 14.1 अमो नया अणु म संक रत N -परमाणु और परै मडी NH3 अणु ।
अमो नया अणु म उपि थत एकाक इले ॉन यु म के कारण इसका N - H बंध से
वकषण होता है । इस लये CH4 क तरह इसका <HNH 109020' होता है।
(2) वघुण आघूण : अमो नया के अणु म N परमाणु हाइ ोजन परमाणु से अ धक ऋण
व युती है । इससे N परमाणु पर आं शक ऋण आवेश रहता है और H परमाणु ओं पर
आं शक धन आवेश रहता है । इस कार NH3 अणु एक व व
ु को दशत करता है ।
इसके ु आघूण (µ=ed) का मान उ च होता है । इस कारण यह कु छ पदाथ के लये
व व
एक अ छे वलायक के प म काय करता है ।
(3) व ताप परास: मेथेन (अणुभार 16) क तु लना म अमो नया (परमाणु भार 17) का
गलनांक उ च होता है । इसका कारण अमो नया के अणुओं के म य उपि थत हाइ ोजन
बंध क उपि थ त है । यह हाइ ोजन बंध जल म उपि थत हाइ ोजन बंध से दुबल होता है
। इस लये जल क अपे ा व अमो नया का गलनांक और वथनांक दोन बहु त कम होते
है । व अमो नया का गलनांक -77.80C तथा वथनांक -33.40C ह । अत: इसका व
ताप परास -77.8 C से -33.4 C हु आ, जो क बहु त सु वधाजनक नह ं है । पर तु कम
0 0
217
(5) व का सता: व अमो नया क व का सता या यानता कम होने के कारण इसम आयन या
अणु अ धक ग तशील होते है । अत: इसम रासाय नक अ भ याएं और अव ेपण,
टलन, न यंदन जैसे याएं सहजतापूवक स प न होती ह ।
(6) वत: आयनन: व अमो नया का वत: आयनन न न कार है,
+ -
2NH3 ⇋ NH4 + NH2
-500C पर व अमो नया का आय नक गुणनफल 1.9 x 10-33 है ।
[NH4+][NH2-] = 1.9 x 10-33
जल के 250C पर यह मान 1 x 10-14 है । अत: आय नक अ भ याओं के लये व
अमो नया कम भावी वलायक है ।
(7) ोटॉन बंधु कता: अमो नया का अणु एक ोटॉन लेकर अमो नयम बनाता है । इस म म
उ सिजत ऊजा ोट न बंधु ता कहलाती है ।
NH3 + H NH4+ + ऊजा
+
बोध न -
1. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) व अमो नया का गलनां क शू य0 C से कम होता है । ( स य/अस य )
(ख) अमो नया का डाइइले ि क ि थरां क जल क अपे ा उ च होता है ।
( स य/अस य )
(ग) व अमो नया का आय नक गु ण नफल 1.9 x 1 0 -3 3
होता है ।
( स य/अस य )
218
(घ) सो डयम धातु के व अमो नया म तनु वलयन का रं ग नीला होता है ।
( स य/अस य )
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) अमो नया का अणु ....................... आकृ त का होता है ।
(ख) NH 3 म एक ोटॉन जु ड़ ने पर उ सिजत ऊजा ........................
कहलाती है ।
(ग) व अमो नया के वत : आयनन पर ............. तथा .................
आयन बनते ह।
(च) व अमो नया का ........................ ि थरां क 22 D होता है ।
219
(ख) ार य ऑ साइड तथा ार य हाइ ॉ साइड क अ भ या अमो नयम लवण से होने पर
उदासीनीकरण होता है ।
Na2O + 2NH4Cl 2NaCl + H2O + 2NH3
3NH I
ार य ऑ साइड अ ल लवण
NaOH + NH4NO3 NaNO3 + H2O + NH3
NH 3 I
ार य ऑ साइड अ ल लवण
220
14.3.3 अमोनो-अपघटनी अ भ याएं (Ammnolysis Reactions)
221
व अमो नया म आयोडीन दुबल ऑ सीकारक पदाथ का काय करता है । उदाहरण के
लये,
K4[SnII(NH2)6] + I2 K2[SnIV(NH2)6] + 2 KI
NH I
3
222
NH4+ + e(अमो नया) NH3 + 1/2H2
(ii) अधातु धातु-अमो नया वलयन म अपच यत होकर धातुओं के यौ गक ह ।
O2 + e- O2 M+ MO2 (धातु का सु परऑ साइड)
O2 + 2e- O22- 2M+ M2O2 (धातु का पर ऑ साइड)
S + 2e- S2- 2M+ M2S (धातु स फाइड)
(iii) कुछ काब नक यौ गक धातु-अमो नया वलयन म अपच यत हो जाते ह।
CH3 – C ≡ CH + Na CH3 – C ≡ C.Na + 1/2H2
2C2H5Cl + 2Na + NH3 C2H6 + C2H5NH2 + 2NaCl
R – CH = CH2 + 2Na + 2NH3 R CH2CH3 + 2NaNH2
R2C = O + 2Na + 2NH3 R2CHOH + 2NaNH2
(iv) काबधाि वक यौ गक का अपचयन -
(CH3)3SnBr + 2Na [(CH3)3Sn]- Na+ + NaBr
(v) धाि वक काव नल का अपचयन -
Fe(CO)5 + 2Na Na2[Fe(CO)4] + CO
Mn2(CO)10 + 2K 2K[Mn(CO)5]
(vi) संकुल यौ गक का अपचयन –
[PtII(NH3)4]Br2 + 2K [Pt0(NH3)4] + 2 K Br
K2[NiII(CN)4] + 2K K4[Ni0(CN)4]
यहाँ Pt और Ni दोन का +2 आ सीकरण अव था से शू य ऑ सीकरण अव था म
अपचयन हो रहा है ।
223
बोध न –
3. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) व अमो नया म NH 4 Cl अ ल समान यवहार करता है ।
( स य/अस य )
(ख) व अमो नया म NH 4 Cl और Kl क अ भ या होने पर NH 4 I का
अव े प ा त होता है । ( स य/अस य)
(ग) व अमो नया म सो डयम धातु , Cul 2 का अपचयन करता है ।
( स य/अस य )
(घ) धातु - मो नया वलयन का नीला रं ग अमो न यत इले ॉन के कारण
होता है । ( स य/अस य)
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) व अमो नया म सो डयम ऑ साइड और अमो नयम लोराइड के म य
रासाय नक अ भ या होने पर .............. लवण ा त होता है ।
(ख) व अमो नया म उपि थत NaNO 3 क अ भ या .................... से
कराने पर सो डयम काबमे ट अव े पत होता है ।
(ग) व अमो नया म SiCl 4 वले य करने पर वलयन म ..................
आयन क वृ होती है ।
(घ) व अमो नया म पोटै शयम धातु , KMnO 4 को अपच यत कर .........
म प रव तत कर दे ता है ।
5. न न ल खत रासाय नक समीकरण को पू ण कर -
(क) Fe ( CO ) 5 + 2 Na NH 3 (I) .......................... + CO
(ख) R - CH = CH 2 + 2Na + 2 NH 3 NH 3 (I) R CH 2 CH 3 +.........
(ग) 3 Mg + 2 NH 3 NH 3 (I) ....................... + 3 H 2
(घ) BCl 3 + 6 NH 3 NH 3 (I) ......................... + 3 NH 4 + + 3 Cl -
224
धातु और अधातु व अमो नया म वलयशील होते ह । धातु आय नत होकर अमो न यत
इले ॉन उ प न करते है िजस कारण इन वलयन का रं ग नीला होता है ।
व NH3 म अ ल- ारक अ भ याओं म अमो नयम आयन अ ल समान तथा ऐमाइड
ारक समान यवहार करते है ।
व अमो नया म कु छ अव ेपण अ भ याएं होती ह जो सामा यत: जल य मा यम म
स भव नह ं हो पातीं।
जल अपघटन क भां त पदाथ का व अमो नया का अमीनो-घटन होता है । इसम NH4+
अथवा NH2- आयन क वृ होती है ।
अमोनीकरण अ भ याओं म व NH3 म यौ गक के अणु ओं के साथ अमो नया के अणु
जुड़कर योगो पाद बनाते है जो उन यौ गक के अमोनेट कहलाते है ।
व अमो नया म बल अपचायक सरलता पूवक काम म लये जा सकते है, यो क जल य
मा यम म ये काम म नह ं लये जा सकते ।
जल एक साव क वलायक है पर तु व NH3 क अपनी सीमाएं है । कम वथनांक (-
33.30C) होने के कारण कम ताप और उ च दाब पर व अमो नया मा यम म
अभ याएं स प न कराना सरल नह होता ।
225
2. (क) परै मडी (ख) ोटॉन बंधु ता (ग) NH4+, NH2 (घ) डाइइलेि क
3. (क) स य (ख) अस य (ग) स य (घ) स य
4. (क) NaCl (ख) अमो नया काबमेट (ग) NH4 +
(घ) K2MnO4
5. (क) Na2[Fe(CO)4] (ख) 2NaNH2 (ग) Mg3N2 (घ) B(NH2)3
226
इकाई 15
नजल वलायक – III
Non-AqueousSolvents-III
इकाई क प रे खा
15.0 उ े य
15.1 तावना
15.2 व स फर डाइऑ साइड के गुण
15.3 व स फर डाइऑ साइड म अ भल णक अ भ याएं
(अ ल- ारक अभ याएं, अव ेपण अभ याएं, रे डॉ स अभ याएं, वलायक
अपघटनी अ भ याएं, वलायक संकरण अ भ याएं, संकुल नमाण अ भ याएं, काबन
यौ गक के साथ अ भ याएं)
15.4 सारांश
15.5 श दावल
15.6 संदभ थ
ं
15.7 बोध न के उ तर
15.8 अ यासाथ न
15.0 उ े य (Objectives)
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप -
व SO2 के वलायक के प म मह व को समझ सकगे ।
व SO2 के गुण से प र चत होग ।
व SO2 म होने वाल अभ याओं को जानगे । साथ ह यह भी समझगे क ये
अभ याएं जल य मा यम म होने वाल संगत अ भ याओं से कस कार भ न ह ।
227
वलायक म अकाब नक और काब नक दोन कार क अ भ याय स प न करायी जा सकती ह
।
इले ॉन ववतन उा ययन के आधार पर दोन S-O बंध दूर 1.43 A0 है। इस आधार पर
इसे संरचना III वारा दशाया जा सकता है िजसमे S और O परमाणुओं के म य एक σ तथा
एक π बंध बनता है । स फर परमाणु के पास र त क क होते है अत: इसम इले ॉन दाता
परमाणु ओं से इले ॉन यु म लेने क वृि त रहती ह अथात ् SO2 अणु लु इस अ ल यवहार
करता है ।
(2) वत: आयनन: जल और व अमो नया क भां त व SO2 भी वत: होता है ।
SO2 +SO2 SO +SO3 2+ 2-
228
(4) डाइइलेि क ि थरांक और वलेयता: व अमो नया का डाइइलेि क ि थरांक -16.50C पर
17.27 है । यह मान जल क अपे ा बहु त कम है पर तु व अमो नया के डाइइलेि क
ि थरांक के नकट है । अत: यह आय नक यौ गक क अपे ा सहसंयोजक यौ गक के
लये एक उ तम वलायक है । वशेष प से काब नक यौ गक के लये व SO2 एक
अ छा वलायक है ।
अकाब नक यौ गक म आयोडेट और थाओसायनेट व SO2 म अ धक वलेय होते ह ।
ार धातु हैलाइड क व SO2 म वलेयता का घटता म न न कार है-
MI>MBr>Mel>MF, जहाँ M एक ार धातु है ।
ार धातु स फाइड और ऐसीटे ट भी व SO2 म वलेय है । धातु स फेट, स फाइड,
ऑ साइड तथा हाइ ॉ साइड व SO2 म अ वलेय रहते है ।
SOCl2 व SO2 म पूणत: म णीय होता है । इस गुण का उपयोग व SO2 म
थायो नल यु प न बनाने म कया जाता है । इसी कार कु छ अ य यौ गक जैसे, Br, ICI,
BCI, PCI, CS2, POCL3, AsCl3, आ द भी व SO2 म पूणतया म णीय होते ह ।
काब नक यौ गक म ऐरोमै टक हाइ ोकाबन और ऐ क न, ऐ केन क अपे ा व SO2
अ धक वलेय होते है । व SO2 म कु छ काब नक अ भ याएं सरलता पूवक स प न होती है,
जैसे- डल- ा ट स फोनीकरण, ोमीनेशन आ द ।
(5) व का सता: व SO2 क व का सता या यानता 2.40 मल पाइज है, जो जल क
व का सता (10.08 millipoise) से काफ कम है । इसका अथ है क व SO2 एक
बहु त पतला वलायक है, अत: इसम रासाय नक अ भ याएँ तथा अव ेपण, टलन या
छानने जैसी याएं सु गमता से स प न होती ह ।
(6) वलयन क चालकता: व SO2 को व श ट चालकता का मान 34 x 10-8 ohm-1 cm-1
होता है । यह मान जल क व श ट चालकता के मान से कु छ ह कम होता है । व
SO2 म ार धातु ओं के वलयन, अमो नयम और ाइऐि कल अमो नयम हैलाइड चालकता
द शत करते है । यह चालकता धनायन के आकार के साथ बढ़ती है । कु छ धनायन क
चालकता का बढ़ता म न न कार है-
Na +
> NH4 +
> K+ > Rb+ > Me3S+ > Me4N+ > Et4N+
इसी कार कु छ ऋणायन क चालकता का बढ़ता म है-
SCN > CIO4 > Cl -
> Br > I- > Sb Cl6
बहु त से सहसंयोजक यौ गक जैसे Br2 ,I2 ,PBr5 ,SbCl5 , AsBr3, S2Br2, IBr,
ICI, ICI3, SOBr2, (C6H5)CCl आ द व SO2 व युत अपघ य समान यवहार द शत
करते है ।
बोध न-
1. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) व SO 2 एक ोटॉ नक वलायक है । ( स य / अस य )
229
(ख) -6 0 .5 0 C ताप पर SO 2 व अव था म रहती है । ( स य / अस य)
(ग) व SO 2 म KI क वले य ता KCl क वले य ता से अ धक होती है ।
( स य/अस य)
(घ) व SO 2 म SOCl 2 अ वले य रहता है । ( स य / अस य )
2. न न ल खत वा य म र त थान क पू त क िजये -
(क) व SO 2 म Br 2 और I 2 .............. समान यवहार करते है तथा
व यु त चालकता द शत करते ह ।
(ख) व SO 2 क ......................... 2.4 0 मल पाइज है ।
(ग) SOCl 2 तथा POCl 3 व SO 2 म पू ण तया....... ........... होते ह ।
(घ) व SO 2 के वत : आय नत होने के फल व प ............. तथा
........... आयन ा त होते ह ।
230
SO2+ + SO32- 2 SO2
अ ल ारक वलायक (उदासीन)
अब आप व SO2 म होने वाल कु छ अ ल- ारक या उदासीनीकरण अ भ याओं को
समझगे ।
(i) SOCl2 + K2SO3 2KCL + 2SO2
(ii) SO(SCN)2 + Cs2SO3 2Cs(SCN) + 2SO2
(iii) SOBr2 + [(CN3)4N]SO3 2[(CH3)4]Br + 2SO2
अ ल ारक लवण वलायक
15.3.4 रे डॉ स अ भ याएं:
231
6KI + 3SbCl3 2K3[SbCl6] + SbCl3 + 3I2
(iii) इसी कार FeCl3 वारा भी KI का ऑ सीकरण हो जाता है ।
2FeCl3 + 2KI 2 FeCl2 + 2KCI + I2
232
(iv) व SO2 म I2 वलेय है । इस वलेयता को KI अथवा RbI डालकर बढ़ाया जा सकता है
। वलेयता म वृ का कारण संकुल नमाण है ।
KI + I2 KI3
RbI + I2 RbI3
(v) व SO2 म संकुल नमाण के कुछ और उदाहरण -
NOCI + SbCl5 NO[SbCl6]
नाइ ो सल हे सा लोरोऐि टमोनेट(V)
CH3 + SbCl5 [CH3CO][SbCl6]
ऐसी टल लोराइड ऐसी टल हे सा लोरोऐि टमोनेट(V)
KCI + SbCl5 K[SbCl6]
पोटै शयम हे सा लोरोऐि टमोनेट(V)
233
C6H6 + C6H5COCl C6H5 – CO – C6H5 + HCl
3 AlCl
बोध न -
3. न न ल खत कथन म स य/अस य बताइये -
(क) SO 2 अणु म इले ॉन यु म ले ने क वृ ि त होती है । ( स य/अस य )
(ख) व SO 2 म K 2 SO 3 एक अ ल समान यवहार करता है ।
( स य/अस य )
(ग) व SO 2 म वले य AICI 3 म Nal मलाने पर Al I 3 का अव े प
होता है । ( स य/अस य )
(घ) व SO 2 म CaSO 3 , I 2 का अपचयन कर Ca I 2 बनाता है ।
( स य/अस य )
4. न न ल खत वा य म र त थान क पू त को टक म दये गये श द/श द
समू ह का चयन कर क िजये –
(क) AlCl 3 क उपि थ त म व SO 2 म C 6 H 6 तथा C 6 H 5 COCl के
म य अभ या को................कहते ह ।
( त थापन अ भ या/ डे ल - ा ट अ भ या )
(ख) व SO 2 म KCl और SbCl 5 क अ भ या वारा .................
सं कु ल का नमाण होता है । (K[SbCl 6 ]/K 3 [SbCl 6 ]
(ग ) व SO 2 म KI और SO 2 क अ भ या से .....................
वलायक सं क र बनता है । (KI. SO 2 ]/ KI. 4 SO 2 ])
(घ) व अमो नया म पोटे शयम PbF 2 तथा Li 2 SO 4 क अभ या वारा
.................. का अव े प ा त होता है । ( PbSO 4 /LiF)
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व SO2 म ार धातुओं के वलयन और अमो नयम हैलाइड चालकता द शत करते ह ।
व SO2 म ार धातु लवण वलेय होकर वलायक संकर, जैसे KI.4SO2, बनाते है ।
व SO2 म थाओ नल यौ गक अ ल क तरह और स फाइड ारक समान यवहार
द शत करते ह।
व SO2 म वलेयता के आधार पर कु छ यौ गक बनाकर उनको अव ेप के प म ा त
करते है।
व SO2, ऑ सीकरण-अपचयन अ भ याओं के लये मा यम का काय करती है ।
व SO2 म कु छ हैलाइड और अ य यौ गक का वलायक अपघटन हो जाता है, िजससे
नये उ पाद ा त होते है ।
व SO2 म कु छ यौ गक पर पर अ भ या कर संकु ल यौ गक का नमाण करते ह ।
काब नक यौ गक व SO2 म कु छ वश ट अभ याएं करते ह । इनम मु य है –
योगा मक अ भ याएं, स फोनीकरण, त थापन अ भ याएं, डेल- ा ट अ भ याएं,
आद ।
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3. (क) स य (ख) अस य (ग) अस य (च) स य
4. (क) डेल- ा ट अ भ या (ख) K[SbCl6] (ग) KI.4SO2 (घ) PbSO4
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