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Paper 2 - आधुनिक विश्व (1453 - 1945)
Paper 2 - आधुनिक विश्व (1453 - 1945)
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4
पा य म नमाण स म त (Course Development Committee)
अ य
ोफेसर (डॉ.) नरे श दाधीच
कुलप त
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा (राज.)
सम वयक/सद य
संयोजक सम वयक
डॉ. बी.के. शमा डॉ. याक़ू ब अल खान
इ तहास वभागा य सह-आचाय, इ तहास
वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा(राज.)
सद य
ो. बी.एल. गु ता डॉ. दि वजय भटनागर
इ तहास वभाग (सेवा नवृ त) वभागा य , इ तहास वभाग
राज थान व व व यालय, जयपुर(राज.) मोहन लाल सुख ड़या व व व यालय, उदयपुर
डॉ. रजनीका त पंत डॉ. कमले श शमा
इ तहास वभाग(से वा नवृ त) इ तहास वभाग
राज थान व व व यालय, जयपुर(राज.) वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा
डॉ. दे वनारायण आसोपा डॉ. स जन पोषवाल
इ तहास वभाग(से वा नवृ त) इ तहास वभाग
राज थान व व व यालय, जयपुर(राज.) राजक य महा व यालय, झालावाड़
डॉ. शोभा गौड़
इ तहास वभाग
एस.एस.जी. पार क म हला महा व यालय, जयपुर
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डॉ. शगु ता बाजपे यी (16)
या याता
राजक य जानक दे वी बजाज म हला महा व यालय,
कोटा
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HI-06
वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा
आधु नक व व : 1453-1945
इकाई सं या इकाई का नाम पृ ठ सं या
इकाई 1 पुनजागरण : प रभाषा, कारण तथा कला, सा ह य व व ान का 8—23
वकास
इकाई 2 धम सुधार आ दोलन 24—46
इकाई 3 वा ण यवाद एवं औ यो गक ाि त 47—69
इकाई 4 अमे रक वतं ता सं ाम 70—88
इकाई 5 ांस क ाि त 89—112
इकाई 6 नेपो लयन युग 113—130
इकाई 7 अ का, ए शया, एवं लै टन अमे रका मे सा ा यवाद 131—143
इकाई 8 चीन और जापान म यूरोपीय सा ा यवाद 144—159
इकाई 9 रा वाद का उदय एवं इटल का एक करण 160—175
इकाई 10 जमनी का एक करण 176—190
इकाई 11 पूव न : मया का यु और ब लन समझौता 191—199
इकाई 12 थम व व यु 200—212
इकाई 13 1917 क सी ाि त 213—228
इकाई 14 पे रस शां त स मेलन 229—244
इकाई 15 रा संघ 245—260
इकाई 16 इटल मे फासीवाद का उदय 261—282
इकाई 17 जमनी मे नाजीवाद का उदय 283—304
इकाई 18 व व यापी आ थक म द (1929-30) 305—313
इकाई 19 वतीय व व यु 314—322
इकाई 20 संयु त रा संघ क थापना 323—334
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इकाई 1
पुनजागरण : प रभाषा, कारण तथा कला, सा ह य व व ान
का वकास
इकाई क परे खा
1.0 उ े य
1.1 तावना
1.2 प रभाषा एवं वशेषताएँ
1.2.1 मानववाद
1.2.2 वतं च तन
1.2.3 व ानवाद
1.2.4 सहज स दय क उपासना
1.3. पुनजागरण के कारण
1.3.1 धमयु ( ू सेड)
1.3.2 यापा रक समृ
1.3.3 कागज और छापाखाना
1.3.4 कु तु तु नया पर तु क आ धप य
1.3.5 अरब का योगदान
1.4 पुनजागरण का आरं भ इटल म
1.4.1 भौगो लक अनुकूलता
1.4.2 सां कृ तक व श टता
1.4.3 आ थक समृ
1.4.4 नगर-रा य
1.5 पुनजागरण के प रणाम: कला, सा ह य एवं व ान का वकास
1.5.1 कला के े म पुनजागरण
1.5.1.1 च कला
1.5.1.2 मू तकला
1.5.1.3 थाप य कला
1.5.1.4 संगीत
1.5.2 सा ह य के े म पुनजागरण
1.5.2.1 वशेषताएँ
1.5.2.2 इतालवी सा ह य
1.5.2.3 ांसीसी सा ह य
8
1.5.2.4 अं ेजी सा ह य
1.5.2.5 पे नश सा ह य
1.5.2.6 डच सा ह य
1.5.3 व ान के े म पुनजागरण
1.5.4 अ य े म पुनजागरण
1.5.4.1 राजना त े म पुनजागरण
1.5.4.2 भौगो लक अनुसंधान एवं पुनजागरण
1.6 पुन जागरण का मह व
1.6.1 मानव को मह व
1.6.2 तक एवं ववेक को बढ़ावा
1.6.3 दे शीय भाषाओं क गत
1.6.4 रा यता क भावना का वकास
1.6.5 व ान को बढ़ावा
1.6.6 कला का अ भ
ु त
ु वकास
1.7 सारांश
1.8 अ यासाथ न
1.9 स दभ थ
1.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप यह जान सकगे क -
यूरोपीय पुनजागरण से या ता पय है और आधु नक युग क शु आत पुनजागरण से य
मानी जाती है?
पुनजागरण के या कारण थे और यह इटल म सव थम य ार भ हु आ?
पुनजागरण का व तार कन े म हु आ और कैसे?
पुनजागरण का यूरोप एवं व व म या मह व है?
1.1 तावना
ाचीन युग क उ नत यूनानी एवं रोमन स यता म यकाल म लु त हो चुक थी। उ ह
पुनजागरण काल म फर से उजागर कर नवीन चेतना का आधार बनाया गया। आधु नक
इ तहासकार के अनुसार पुनजागरण का आर भ यूरोपीय इ तहास म कोई आकि मक घटना नह ं
थी वरन ् इसके पूव च न पहले से ह मौजू द थे। यह कहना ठ क नह ं है क यूरोप का म यकाल
पूणत: अंधकार का युग था। म यकाल क समाि त तक ऐसी प रि थ तयाँ ज र पैदा हु ई,
िज ह ने मनु य को पहले से अ धक चेतनायु त बनाया। पुनजागरण काल मोटे तौर पर 1350
ई. से 1550 ई. के म य माना जाता है। साधारणतया आधु नक यूरोप का आर भ पुनजागरण
से ह माना जाता है य क पुनजागरण ने यूरोप म वचार करने क वतं ता, वै ा नक एवं
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आलोचना मक ि ट, चच के भु व से कला एवं सा ह य क मु ि त तथा ादे शक भाषाओं के
वकास को स भव बनाया।
1.2.1 मानववाद
10
1.2.2 वतं च तन
1.2.3 व ानवाद
11
1.3.1 धमयु ( ू सेड)
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क बौ द क चेतना के वकास म सवा धक योगदान दया। स व वान वल यूरां ने लेखन
कला के बाद मु ण कला को ह दु नया का सबसे बड़ा आ व कार माना, िजसने यूरोपीय चेतना
के वकास को सवा धक भा वत कया। अ ान के बादल छं टने से यूरोप ने ानं- व ान के नये
सू य के दशन कये।
1.3.4 कु तु तु नया पर तु क आ धप य
यूरोप के बहु त से दे श , वशेषकर पेन, ससल एवं साड नया म अरबी लोग क
बि तयाँ बस चु क थीं। अरब लोग वभावतः वतं वचार को मानने वाले थे। अरब पर
ाचीन यूनान के अर तू चू टो आ द का बहु त भाव था। अर तु और चू टो के वचार से अरब
ने ह यूरोप को पुन : प रrचेत कराया। अरब के पूव दे श से अ त ाचीन काल से ह समृ
यापा रक एवं सां कृ तक स पक रहे थे, अतः अरब ने वाभा वक प से पूव ान- व ान का
भी यूरोप को तोहफा दया।
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पर अ धकार कर लया, वह से भागने वाले बहु त से यूनानी लेखक एवं कलाकार ने भौगो लक
नकटता के कारण इटल के नगर म ह शरण ल ।
1.4.3 आ थक समृ
इटल के नगर समृ थे। उनक यह समृ वदे श यापार के कारण थी। भू म य सागर
क अनुकू ल ि थ त ने इटल के नगर को मु ख यापा रक के बना दया था। मलान,
नेप स, लोरे स वे नस आ द इतालवी नगर यापा रक समृ के कारण सां कृ तक धरोहर के
के बन गए थे। अकेले लोरे स नगर ने ह अनेक कलाकार एवं सा ह यकार को य
दया। लोरस के एक यापा रक प रवार कै समो मै डसी और उसके पौ पलोरे जो कै समो ने
अपने धन का उपयोग दस हजार दुलभ थ को एक करने म कया। यह उ लेखनीय है क
पुनजागरण युग के अनेक कलाकार एवं लेखक लोरे स नगर से जु ड़े हु ए थे जैसे लओनाद ,
माइकेल एंजेलो, दांत,े पे ाक, बुका सयो, मै कयावल आ द।
1.4.4 नगर-रा य
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है। इस युग क कला म म ययुगीन कला क वृि तय के त अ च दखाई दे ती है।
म यकाल म कला क आ मा ईसाई चच के कठोर श ा द सांच म दब सी गई थी। पर तु
पुनजागरणयुगीन कला धा मक ब धन से मु त होकर यथाथवाद हो गई। य य प कला के
वषय धा मक भी रहे ले कन कला क तु त एवं शैल म जीवन के यथाथ एवं नैस गक त ले
का त ब बन हु आ। सा ह य क भाँ त कला म भी मानववाद चेतना का उदय हु आ। इस युग
क कला म जीवन के सहज सौ दय का जीव त एवं वाभा वक अंकन दे खने को मलता है।
1.5.1.1 च कला
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उसका सबसे स च 'मडोना' है। जीसस ाइ ट क माँ मडोना का द य नार व आज भी
दशक का मन मोह लेता ह।
1.5.1.2 मू तकला
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स त पाल का गरजाघर, पेन का इ को रयल का ासाद आ द इस युग के अ वतीय नमू ने
ह।
1.5.1.4 संगीत
1.5.2 सा ह य के े म पुनजागरण
1.5.2.1 वशेषताएँ
1.5.2.2 इतालवी सा ह य
1.5.2.3 ांसीसी सा ह य
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उसक ु ल'
रचनाओं म ह रोइक डी स ऑफ गारगु वा ए ड पे टा ए मु ख है। मॉ टे ग एक
नब धकार था उसने अपने नब ध सु बोध च म लखे थे। अपने ववेकशील च तन के कारण
मॉ टे ग को वा लेयर का पूवगामी माना जाता है। उसने अपने नब ध म मानव जीवन क
सम याओं एवं उनके समाधान के त गहर च दखाई है। वह नब धकार के साथ ह एक
मानवतावाद भी था।
1.5.2.4 अं ेजी सा ह य
1.5.2.5 पे नश सा ह य
1.5.2.6 डच सा ह य
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उड़ाया। यह कहा जाता है क 'लू थर के ोध क तु लना म इरै मस के मजा कया कथन ने पोप
को अ धक नुकसान पहु ँ चाया।
1.5.3 व ान के े म पुनजागरण
19
1.5.4 अ य े म पुनजागरण
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7. कृ ष म नई फसल से स य संसार का प रचय हु आ - ग ना, कहवा, चाय, म का,
आलू त बाकू, नील आ द ने यूरोपीय जीवन म थान बनाया। नवीन भौगो लक खोज
से शा त महासागर क शाि त भंग हु ई और यह स यता का नया वाहक बन गया।
इस कार खोज ने मानवता क अ तम सेवा क ।
1.6 पु नजागरण का मह व
पुनजागरण का मह व यापक है। इसके कारण यूरोपवा सय के जीवन म आमू ल
प रवतन आए। म यकाल न मा यताओं एवं अ ध व वास का अ त हु आ और आधु नक युस ,
का आरं भ हु आ। वचार वतं को बढ़ावा मला। मानव केि त चेतना का उ कष हु आ। इसने
मनु य को उसक मह ता से अवगत कराया। कला एवं व ान के वकास का माग श त
कया। इतना ह नह ं भावी धमसु धार आ दोलन के माग को सु गम बनाया। सं ेप म,
पुनजागरण के मह व को हम न न ब दुओं म समझ सकते ह -
1.6.1 मानव को मह व
1.6.5 व ान को बढ़ावा
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इस कार हम दे खते ह क पुनजागरण एक उदार सां कृ तक आ दोलन था िजसने
कला, सा ह य, व ान. धम और शासन म बड़े प रवतन के लए माग तैयार कया।
पुनजागरण के कारण आ थक े भी अछूता नह ं रहा। भौगो लक अनुसध
ं ान ने अ तरा य
यापार के नये तज खोले। पुनजागरण को मानव स यता के इ तहास म एक प रवतनकार
ब दु कहा जाए तो अनु चत नह ं होगा।
1.7 सारांश
म ययुगीन यूरोप के संक ण वचार म प रवतन करने वाला बौ क, सां कृ तक एवं
मानववाद आ दोलन का नाम 'पुनजागरण ' है, िजसका ेरणा ोत ाचीन रोम एवं यूनान क
स यताएँ थी।
धमयु , यापा रक समृ , कागज एवं मु ण यं के आ व कार, कु तु तु नया पर तु क
के अ धकार आ द कारण ने पुनजागरण क शु आत क , िजसक थम अ णमा इटल के
रा य म यमान हु ई। इतावल नगर म समि वत जीवन एवं वहाँ क समृ ने पुनजागरण
क शु आत म अहम ् भू मका नभायी।
पुनजागरण अपने साथ कई व श टताओं को अपने आगोश म समटे हु ए था। थमत:
इसने धम एवं पर पराओं से जकड़े चंतन को मु त कर पृ छा , ववेक एवं तक को बढ़ावा
दया। वतीयत:, इसने वै ा नक ि टकोण को बढ़ावा दया। तृतीयत :, इससे मानववाद क
भावना को बल मला। पै ाक जैसे चंतक को मानववाद का पता बनने का सौभा य मला और
चतुथत:, अब सहज सौ दय क उपासना नंदनीय नह ं रह ।
पुनजागरण का भाव सा ह य के े म सव थम दे खने को मलता है। बोल-चाल क
भाषा म सा ह य का सृजन इस काल क बड़ी दे न है। इतालवी सा हि यक हि तय म दांते,
पै ाक आ द ह। इस युग म पै ाक इतना मह वपूण सा ह यकार था क उसके बारे म यह कहा
जाने लगा क पै ाक को समझ लेना पुनजागण को समझ लेना है। ांसीसी, अं ेज, डच आ द
भाषाओं के सा ह यकार ने अपनी कृ तय वारा पुनजागरण को अमर बना दया।
पुनजागरणकाल न कला वह े है, िजसका आज भी मरण कया जाता है। इस युग
क कला धा मक बंधन से मु त होकर यथाथवाद हो गयी। सौ दय के दशन को कला म
थान मला। कला अब जीव त एवं आकषक हो गयी। लओनाद द वंची, माइकल एंजलो एवं
राफेल सा यी इस युग के पुनजागरण के काशवान सतारे थे।
पुनजागरणकाल न पोलै ड के कोपर नकस ने ठोस धरातल पर आधु नक व ान क
आधार शला रखी। व ान के वकास ने अंध व वास के बादल को छाँटकर आधु नक व ान के
काश से संसार को रोशन कर दया। धम स ता के दमना मक रवैये के बावजू द भी इस युग के
महान वै ा नक ने स य को नभ क हो उ घा टत कया, भले ह इसके तफल म उ ह मृ यु
का ह वरण य न करना पड़ा हो ?
पुनजागरण के भाव को बढ़ा-चढ़ाकर बताने क वृि त ने इससे पूव के युग को
अंधकारमय युग बताया है पर तु यह स य नह ं है। इसके बावजू द पुनजागरण का मह व कम
नह ं होता है। आधु नक युग क वेला का शु भार म यह ं से होता है, ऐसा माना जाता है। इसने
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मनु य को उसक मह ता से अवगत कराया। तक एवं ववेक को ति ठत कया। कला एवं
व ान के वकास का रा ता खोला। इतना ह नह ं भावी धम सु धार आ दोलन का माग भी
श त कया।
1.8 अ यासाथ न
(क) व तृत उ तर य न
1. पुनजागरण का अथ बताइये और इसके कारण क या या क िजए।
2. सा ह य, कला और व ान के े म पुनजागरण क उपलि धय का मू यांकन
क िजए।
(ख) लघु उ तर य न
1. पुनजागरण इटल म ह य ार भ- हु आ?
2. पुनजागरण काल न इटल म कला एवं सा ह य क ग त के बारे म बताइये।
3. मानववाद को प ट करते हु ए पुनजागरण काल न दो मानववा दयो के नाम ल खये।
4. लयोनाद द व वी पर सं त ट पणी ल खए।
5. इरे मस का सं त ववरण द िजए।
1.9 स दभ थ
1. डॉ. हु कम च द जैन एवं डॉ. के.सी. 'आधु नक व व इ तहास (1500-2000),''
माथुर 2009
2. स पादक ङॉ. दे वेश वजय ' ारि भक आधु नक यूरोप म सां कृ तक
प रवतन'', 2006
3. पाथसार थ गु ता आधु नक पि चम का उदय'', स पादक
4. हैि कवान लू न 'मनु य जा त क कहानी''
5. J.E. Swain “A History of World Civilization”
6. Henry S.Lucas “The Renaissance and the
Reformation”
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इकाई 2
धम सु धार आ दोलन
इकाई क परे खा -
2.0 उ े य
2.1 तावना
2.2 धम सुधार आंदोलन का आशय एवं उ े य
2.3 धम सुधार आंदोलन के कारण
2.3.1 पुनजागरण का भाव
2.3.1.1 मानववाद वचार धारा
2.3.1.2 तक एवं चंतनशील वृि त का चलन
2.3.1.3 वै ा नक खोज
2.3.1.4 भौगो लक ान का सार
2.3.1.5 रा य भावना एवं नरं कु श राज तं का उदय
2.3.2.0 धा मक कारण
2.3.2.1 चच क आंत रक दुबलताएं
2.3.2.2 चच वारा जनता का शोषण
2.3.2.3 पोप का ट एवं वलासी जीवन
2.3.2.4 पोप क नयुि त के अ नि चत नयम
2.3.2.5 व भ न धम सु धारक का उ थान
2.3.3.0 राजनी तक कारण
2.3.3.1 शासक क मह वाकां ाओं म वृ
2.3.3.2 चच क स पि त पर रा या धकार क चे टा
2.3.3.3 पोप का शासक य काय म ह त ेप
2.3.3.4 चच एवं पोप के वरो धय को शासक का सहयोग
2.3.3.5 चच के यायालय
2.3.4.0 आ थक कारण
2.3.4.1 यापा रय का असंतोष
2.3.4.2 आ थक ग त से उ प न यि तवा दता
2.3.5.0 ता का लक कारण
2.3.5.1 पापमोचन प क ब
2.4 धम सुधार आंदोलन का यूरोप म सार
2.4.1 ि व जरलै ड
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2.4.2 का लै ड
2.4.3 ांस
2.4.4 वीडन
2.4.5 नाव
2.4.6 नीदरलै ड
2.4.7 इटल
2.4.8 इं लै ड
2.4.9 पोलै ड तथा हंगर
2.5 धम सुधार आ दोलन क धाराएं
2.5.1 जमनी म लू थरवाद
2.5.2 ि व जरलै ड म काि वनवाद
2.5.3 इं लै ड म एंि लकनवाद
2.6 धम सुधार आंदोलन के प रणाम एवं भाव
2.6.1 ईसाई एकता का अंत
2.6.2 मत-मता तर, वचारधाराओं क उ पि त एवं वातं य
2.6.3 कैथो लक धम म सु धार
2.6.4 रा य शि त म वृ
2.6.5 धा मक स ह णु ता क थापना
2.6.6 रा य भावनाओं का उदय एवं वकास
2.6.7 श ा एवं जन सा ह य का वकास
2.6.8 आ थक प रणाम एवं भाव (पू ज
ं ीवाद का वकास)
2.7 सारांश
2.8 अ यासाथ न
2.9 संदभ थ
2.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप -
आप धम सु धार आ दोलन के समय यूरोप क प रि थ तय को जान सकेग।
धम सुधार आ दोलन के व भ न कारण को समझ सकगे।
धम सुधार आ दोलन के व भ न वचारक का प रचय ा त कर सकगे।
धम सुधार आ दोलन के यूरोप म सार को समझ सकगे।
धम सु धार आ दोलन के व भ न धाराओं यथा लू थरवाद, कॉि वनवाद आ द को समझ
सकगे।
धम सुधार आ दोलन के प रणाम एवं भाव को जान सकगे।
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2.1 तावना
यूरोप के इ तहास म धम सुधार आ दोलन 16वीं 17वीं शता द क एक अ त यापक
तथा युगा तरकार घटना थी। िजसके बहु त दूरगामी प रणाम नकले। यूरोपीय पुनजागरण के
धा मक जीवन म भाव धम सु धार आ दोलन के प म सामने आये, वैस,े यह एक वड बना
ह हु ई क चच के पुन थान से पुनजागरण क कु छ उपलि धय के भाव कु छ समय के लए
ीण हो गये। पुनजागरण से पहले यूरोप पर कैथो लक चच का एकछ सा ा य था। सारा
समाज धमकेि त, धम े रत और धम नयं त था। धम सु धार आंदोलन ने कैथो लक चच क
बुराइय को उजागर करते हु ए एक नये स दाय-गेटे टे ट को ज म दया और फर कैथो लक
चच ने आ म नर ण के म म त--धमसुधार आंदोलन चलाया। वारनर एवं मॉ टन ने धम
सु धार आ दोलन का प रचय दे ते हु ए लखा क धम सु धार आ दोलन पोप पद क सांसा रकता
व टाचार के व एक नै तक व ोह था। त काल न यूरोप के धा मक जीवन म कैथो लक
ईसाई चच का पूण वच व था। लथु आ नया से आयरलै ड तक तथा नाव एवं फनलै ड से लेकर
पुतगाल हंगर तक स पूण पि चमी और म य यूरोप म पोप का पूण वच व था। एक ईसाई
ज म लेने के साथ ह पोप एवं चच क शरण पाता और मृ यु तक इ ह ं के नयं ण म रहता
था। सामा यता त काल न समाज म पोप को ईसाई धम के पर परागत व वास तथा आ थाओं
का तीक समझा जाता था। साथ ह साथ वह धा मक सं कार नै तक मू य का भी संर क
माना जाता था। चच जो क एक वभागीय तथा सावज नक सं था थी वह धीरे -धीरे पोप क
यि तगत तथा ऐि छक सं था बनती जा रह थी।
धम सुधार आंदोलन से पूव यूरोप क धा मक अव था पर वचार करना भी उ चत
रहे गा। यूरोप का एक मा धम कैथो लक था िजसके अनुयायी येक यूरोपीय हु आ करता था।
येक ईसाई ब चा चच का उसी भां त ज मजात नाग रक माना जाता था िजस कार से क
वह अपने रा का ज म-जात नाग रक होता था। इस कार उस समय चच रा य दोन म
सम वय था िजस पर सै ाि तक प से पोप और प व रोमन सा ा य क दो तलवार का
शासन था। कहने का ता पय यह है क कैथो लक चच क ि थ त अ तमह वपूण थी। येक
रा य का शासक व जनता कैथो लक चच के नयम का पालन करते थे। इससे प ट है क
ईसाई धम उस समय यूरोप म एक सावभौ मक ईसाई समाज के प म उपि थत था। इस धम
का सव च ् अ धकार पोप था जो। उसे समय इटल क राजधानी रोम म नवास करता था
इसके नवाचन का कोई नि चत नयम नह ं था। कु छ खास बड़े पाद रय के वारा इसे जीवन
भर के लए नयु त कर दया जाता था। इन खास पाद रय को का डनल कहा जाता है। पोप
क शि त धम व राजनी त म सव प र थी। अपने अ धन थ सम त धमा धका रय क नयुि त
वह करता था तथा वह उ ह उनके पद से हटा भी सकता था। सामा यत शासक भी पोप को
चु नौती नह ं दे सकते थे। य क पोप िजसे चाहता उसे स ाट बना सकता था और वह िजस
स ाट से नाराज होता, उसे हटा दे ता था। वह कसी भी ईसाई दे श के ऐसे कानून को जो उसक
ि ट म उ चत न हो, उ ह र कर सकता था। चच जनता से व भ न कार के कर वसू ल
करती थी। इनके अ त र त ववाह, तलाक, उ तरा धकार तथा वसीयत स ब धी मामले भी पोप
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के यायालय म हल कये जाते थे। इन सभी वषय का अि तम यायाधीश पोप ह होता था
िजसके नणय के व कसी भी रा य ये यायालय म अपील नह ं हो सकती थी। रा य का
कानून चच और उसके अ धका रय पर लागू नह ं होता था। राजा का यायालय उ ह दि डत
नह ं कर सकता था। दूसर ओर धम का आधार बाइ बल अव य होती थी, पर तु बाइ बल
मू लत: लै टन भाषा म होती थी िजसे आम आदमी नह ं समझ सकते थे। इसी लए पादर - -वग
चच क कई शताि दय से न मत पर पराओं के मा यम से बाइ बल क सह या या के
एका धकार का दावा करता था। समाचार-प , रे डय , टे ल वजन तथा राजनी तक दल के अभाव
म धमाचाय ह म य-काल म जनमत तैयार करने के एकमा साधन थे और उनके मा यम से
नरं कु श शासक अपना शासन संचा लत करते थे। जनता म यह धारणा बनी हु ई थी क मो
ा त के लए पाद रय क म य थता आव यक है। उ त मो उन सात धा मक-अनु ठान के
आयोजन पर नभर थी िजनक अ य ता केवल पादर ह कर सकते थे। इन अनु ठान म भी
स ामै ट ऑफ मास का वशेष थान था िजसम ईसा के अि तम भोज का पुनरायोजन होता
था। इस भोज म मु य पादर त वप रवतन का चम कार दखलाता था। िजसम रोट और म दरा
को ईसा के पा थव शर र एवं र त म बदल दया जाता था।
दूसर ओर ईसाई धम 1056 ईसवी से रोमन कैथो लक तथा आथ डॉ स चच म
संग ठत था। रोमन कैथो लक चच का के रोम तथा आथ डॉ स चच का के कु तु नतु नया
था क तु कु तु नतु नया पर तु क के अ धकार कर लये जाने के फल व प आथ डॉ स चच का
मह व मश: कम होने लगा तथा कैथो लक चच का बोलबाला बढ़ता गया। चच के नयम के
खलाफ बोलना या काय करना पाप माना जाता था तथा ऐसे यि त को दि डत कया जाता
था। यह रोमन कैथो लक चच यूरोप क एकता का तीक थी तथा सारा यूरोप सनड़ॅम-ईसाई
जगत (Christendom) के नाम से स था। इस कार रोमन कैथो लक चच ने सारे यूरोप
को एक सू म बांध रखा था। य य प आरि भक पोप ार भ म बड़ा ह प व तथा धा मक
आदशयु त जीवन यतीत करते थे और लोग के आ याि मक तथा नै तक जीवन के ऊ थान म
संल न रहते, पर तु काला तर म वे कत य- ाट हो गये। वे वलासी होकर अपने धा मक
क त य से वमु ख होने लगे। वे रोम म राजसी ठाट-बाट से रहने लगे तथा राजाओं क भां त
अपने दरबार लगाकर इसे गौरवपूण बनाने का यास करने लगे। अब पोप धम क अपे ा
राजनी त म अ धक भाग लेने लगे और अपना अ धक समय राजनी त और कू टनी त म लगाने
लगे। पोप के इस पतन के अनु प छोटे -बड़े पाद रय का भी पतन आर भ हो गया और सभी
जगह चच म टाचार और य भचार का कोप बढ़ गया। प रणामत: चच के त लोग क
आ था श थल होने लगी। व या के पुनज म ने इसम मृत का काय कया। 16वीं शता द म
धमसु धार के प म जो लहर उठ उसने कैथो लक चच पर थपेड़े लगाये।
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हे ज के श दो म व तु त:। 16वीं सद के ार भ म ववेक क जागृ त के फल व प बहु सं यक
ईसाई कैथो लक चच के त कटु आलोचक थे तथा वे चच नामक सं था म मू लभू त प रवतन
चाहते थे। उनके इस सु धार यास के प रणाम व प जो धा मक आ दोलन हु आ व उससे
उ प न ईसाई धम के अ तगत जो नये--नये धा मक स दाय बने, उ ह समि ट प से धम-
सु धार आ दोलन कहा जाता है।
ो. सेबाइन के अनुसार मानववाद और यि तवाद क भावना ने म ययुगीन एकता के
ि टकोण पर आघात कया। पुनजागरण ने बौ क एकता और केि त नयं ण के व
ाि त क । रा यता के उदय ने म यकाल न सावभौम रा य के वचार को तोड-फोड दया।
अि तम दुग त धम सु धार ने क 'िजसने व व- यापी चच के एका धकार पर आ मण कया जो
क म यकाल न सं थाओं म सव च सं था थी। यह महान ् उफान धा मक प रवतन का सा ी
नह ं था, अ पतु एक नवीन युग के भात क घोषणा करने वाला, था। रोबट इरगग का वचार
है क धम सु धार आ दोलन एक ज टल एवं सु दरू गामी आ दोलन था। सां कृ तक पुन थान क
भां त ह धम-सु धार आ दोलन म ययुगीन स यता के व एक साधारण त या मा . थी,
पर तु रा के जीवन को अ या धक भा वत कया, य क सभी मनु य कला एवं सा ह य क
अपे ा धम म अ धक अ भ च रखते थे। मू लत: यह आ दोलन धा मक था। साथ ह इसम
सामािजक, राजनी तक, आ थक एवं बौ क पहलू भी सि न हत थे िजनका धम से बहु त दूर का
स ब ध था। डी.जे. हल के श द म यह जमन मि त क एवं कृ त के सं वधान क तकसंगत
व आव यक उपज थी। इ तहासकार फशर का वचार है क ोटे टट धम-सुधार आ दोलन पोप
को धा मक नरं कु शता या स ता पुरो हत के वशेष अ धकार भू म यसागर य जा तय के
वंशानुगत अस ह णु धम (कैथो लक धम) के व एक व ोह था। एक ओर इसने पुरो हत के
अ धकार और व व के व लौ कक व ोह का प धारण कया व दूसर ओर इसने धा मक
पुन थान व ईसाई धम क प व ता तथा मौ लकता क पुन : थापना करने क चे टा क ।
ऐ लस और जॉन ने लखा िजन दन यूरोप के लोग नये यापा रक माग तथा नये
दे श क खोज कर रहे थे उ ह ं दन ईसाई धम के अ दर कु छ नये प रवतन दखाई पड़ रहे
थे। यापार तथा सा ा यवाद भावनाओं के साथ ईसाई धम का सु धार आ दोलन शु हु आ।
िजसको सन 1600 ई. म जाकर सफलता ा त हु ई। मैकनल बनस ने इस आ दोलन को
ोटे टे ट ां त के नाम से पुकारा है य क आंदोलनका रय ने कैथो लक धम म या त
बुराईय का ोटे ट ( वरोध) कया था अत: उनके वारा था पत नया धम ोटे टे ट धम के
नाम से स हु आ। धम सुधार आ दोलन के न न ल खत उ े य प रल त होते ह। चच क
बुराईय व धमा धका रय म या त टाचार को दूर करना, ईसाई लोग के नै तक व
आ याि मक जीवन को पुन : समु नत करना, जनसाधारण म यह व वास जगाना क मो पोप
क कृ पा क अपे ा ई वर क कृ पा से ह ा त हो सकता है। पोप के यापक धम स ब धी
अ धकार को समा त करना तथा कैथो लक धम को आड बर से मु ि त दलाकर जनता को धम
के स चे व प से अवगत कराना।
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2.3 धम सु धार आंदोलन के कारण
धम सु धार आ दोलन म धम के मू ल व प के लए कोई चु नौती नह ं थी। वरोध
केवल यवहार. एवं काया वयन का था-ईसा मसीह, बाइ बल, मु ि त आ द म कसी ने अना था
नह ं कट क थी। इस लए सु धारवाद स दाय केवल धा मक कारण से अलग नह ं हु ए।
बि क, व लेषण से हम पाएंगे क आ थक एवं राजनी तक हत ने ह इसे अ नवाय बना दया
था। इस सुधार आ दोलन के मु ख कारण न न ल खत माने जा सकते है।
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पुनजागरण क मानववाद चेतना ने धम क पारलौ कक मह ता के स ा त को अमा य कर
दया। मैजे नस एवं एपल ने लखा क चच आ याि मक गुण और पारलौ कक जीवन के लए
तैयार करने पर बल दे ता था ले कन वे लोग जो इस जीवन के धन-धा य से समृ हो रहे थे,
और बहु त से ऐसे लोग िज ह धन ा त होने क आशा थी यह व वास करते थे क ऐहलौ कक
जीवन म भी सु ख के बहु त से अवसर है।
इस कार मानववाद ने धम सु धार आ दोलन के उ व एवं वकास म महती भू मका
का नवहन कया।
2.3.1.3 वै ा नक ख जे
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लगाई गयी। यह इस बात क तीक थी क ेस के आ व कार से पा य पु तक क अब कमी
नह ं है। पु तक क अ चुरता ने श ा के े को व तृत कया। श ा के सार म यूरोप म
बौ क जागृ त स भव हो सक । बौ क जागृ त के प रणाम व प यूरोप वासी अब
अ ध व वासी नह ं रहे । वे कसी भी स ा त को केवल इसी लए वीकार नह करते थे क वह
पोप या अ य धमा धकार वारा तपा दत कया गया है। वे उसे तक क कसौट पर कसते
थे। उनका ि टकोण वै ा नक हो गया था। इस लए श त लोग धम म सु धार करने के
प पाती हो गये थे।
2.3.2.0 धा मक कारण
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तो पोप ने उ ह दि डत कया। पर तु धीरे -धीरे ईसाई समाज पर पोप क पकड़ कमजोर होती
गई। इतना ह नह ं कु छ समय के लए पोप अरबन ष टम ने त काल न शासक क शरण ल ।
इस पर ल म ट स तम ् नया पोप नवा चत हु आ। पोप पद के लए संघष चच क आ त रक
दुबलताओं म सवा धक बड़ी कमजोर बनती जा रह थी। इस समय एक पोप को ांस का
समथन ा त था तो दूसरे को इटल का। पोप पद के लए होने वाले इस संघष ने जनता के
मन से उसक ई वर के त न ध वाल छ व को धू मल कर दया। अब जनता यह सोचने लगी
क पोप धरती पर ई वर के त न ध व कैसे हो सकते है? सन ् 1378 ई. से 1417 ई. तक
एक आम ईसाई के सामने नणय का संकट उठ खड़ा हु आ क वह कसे अपना पोप माने ?
फल व प इससे चच क ि थरता को ध का लगा। कु छ ग तशील पाद रय के सहयोग से
इटल के लोरस नामक नगर म दे श भि त क भावनाएं फैल चु क थी तथा प यहां के नवासी
चच के भाव से मु त होना चाहते थे। इतना ह नह ं कई चच नै तक प से प तत हो चु के
थे। यौन शोषण, म बेगार आ द क वे के बन चु के थे। फलत: चच क आंत रक दुबलताओं
ने धम सु धार आ दोलन के उ भव म योगदान दया।
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धोखेबाज कहा जाता है। जनता यह कहने से नह ं चु कती क य द तु म अपने ब चे के जीवन
को न ट करना चाहते हो तो उसे पादर बना दो। पोप पाल तृतीय तथा अले जेडर ष टम के
समय भट म अ धक धन दे ने वाले पादर को शाह स मान दया जाता था। बैभव के मद म
चू र अले जेडर ष टम के बारे म फशर ने ट पणी क है क पोप बनते ह उसने अपना यान
धन और शि त के संचय म लगाया। वह धनी, च र ह न, राजनी त भी था। पोप ष टम के
समय म ' हर रात को तीन-चार लाश रोम क सड़क पर पड़ी मलती थी। य य प धमा धकार
ववाह नह ं करते थे पर तु चच म रहने वाल न स के साथ उनके शार रक स ब ध होते थे।
िजनके अवैध ब चे इशू क संतान के नाम से पल रहे थे। कई पाद रय ने अपने भोग बलास
के लए ऐसे अ डे बना लये थे जहां शराब एवं जु ए का शौक पूरा होता था। इनक वलासता
इस बात से भी मा णत होती है क उस समय के स पोप ष टम अपनी अलौ कक बी वय
के साथ रं गरे लया मना रहा था। बनस ने लखा है अले जेडर ष टम क बेगम ने आठ अवैध
ब च को ज म दया िजनम से सात ब चे उनके पोप बनने से पहले ह ज म ले चु के थे। पोप
क इन करतू तो ने यूरोप के वातावरण को बौ क चचा एवं धम सु धार आंदोलन के लए तैयार
कया।
2.3.8.2 चच क स पि त पर रा या धकार क चे टा
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कया। इस स दभ म डी.जे. हल का वचार है क यद ोटे टे ट आ दोलन केवल धा मक
आंदोलन ह होता, तो यह अपने सृजनकताओं के जीवनकाल तक भी न पनप पाता। िजस व तु
ने इसे सफल बनाया, वह थी इसके राजनी तक उ े य तथा भाव और वशेषकर कू टनी त। हम
मालूम है क लू थर के पूव धम सु धारक को शासक का सहयोग ा त न होने के कारण पोप
ने उ ह मृ यु द ड दे दया, ले कन चूँ क लूथर को राजाओं का सहयोग ा त था, इस लए पोप
उसे कोई द ड नह ं दे सका। इस कार धम सु धारक को राजा जो सहयोग मला उससे धम
सु धार आ दोलन ग त कर सका।
2.3.3.5 चच के यायालय
2.3.4.0 आ थक कारण
35
2.3.4.2 आ थक ग त से उ प न यि तवा दता
2.3.5.2 ता का लक कारण
2.3.5.1 पापमोचन प क ब
36
वाइि लफ और जॉन हस के समय से चल आ रह ां त को असाधारण और कौतु कलपूण
माप क ब ने और भड़का दया।
2.4.1 ि व जरलै ड
2.4.2 का लै ड
37
के मृ युद ड दया गया। सन ् 1920 ई. म जब मा टन लूथर क वचारधारा का चार यहां होने
लेगा तो चच ने कड़ी नगरानी आर भ कर द ।, सन ् 1528 ई. म लूथर क वचारधारा के एक
समथक पे क हे म टन को वहां जला दया गया। जाज वेशहाट भी इसी कार सन ् 1546 ई.
म अि न को भट कर दया गया। इसके बाद जॉन नॉ स (1505-1572) ने आ दोलन क
कमान संभाल । सन ् 1555-56 म वह वदे श से लौट कर वापस का लै ड आया तथा
ोटे टे ट धम का चार करने लगा, क तु जीवन संकट म घरा दे खकर पुन : वदे श चला
गया। का लै डवा सयो के आ ह पर सन ् 1559 म फर दे श आ गया। का लै ड म जॉन
नॉ स वारा तपा दत मत का नाम ेस बटे रयन पढ़ा। उसके वारा था पत चच का दे श पर
तीन शता द तक असर रहा।
2.4.3 ांस
2.4.4 वीडन
2.4.5 नाव
38
2.4.6 नीदरलै ड
2.4.7 इटल
2.4.8 इं लै ड
39
आ दोलन गातेशील रहा। एडवड ष ठम ् क मृ यु के बाद उसक ब हन मर यूडर (1553-
1558 ई.) 36 वष क आयु म इं लै ड क ग ी पर बैठ । वह पेन क राजकुमार कैथराइन
क पु ी थी और क र कैथो लक थी। उसका ववाह पेन के फ लप वतीय से हु आ था और
फ लप भी कैथो लक चच का बल समथन एवं संर क था। अत: मर युडर ने ग ी पर बैठते
ह एडवड के धा मक नयम र कर दये। उसने कैथो लक धम को रा य धम घो षत कर दया
ओर पोप क आ ा न मानने वाले को कठोर सजाय द । मर ने े मनर, ले टमर, रडले एवं हू र
आद ोटे टे ट नेताओं को जी वत जला दया। इस कार उसने नमम अ याचार से ोटे टे ट
धम को कु चलने का यास कया, इस लए इ तहास म वह खू नी मर के नाम से स हु ई
रानी दो अपने उ े य म इस लए सफलता नह ं मल , य क अ धकांश जनता रोमन कैथो लक
धम क वरोधो थो। मर यूडर क 1558 ई. म मृ यु हो गई। इसके बाद हे नर अ टम क
लड़क ए लजाबेथ थम इं लै ड क शासक बनी। उस समय म इं लै ड क धा मक अव था बड़ी
शोचनीय थी। उसने इं लै ड म एं ल कनवाद क थापना क । ए लोकनवाद धम सु धार
आ दोलन क ह एक धारा है। इसम पोप के थान चच का मु ख संचालक शासक होता है।
इस कार इं लै ड के लोग को पोप के आ धप य से हमशा के लए मु ि त मल गई, पर तु
ए लजोबेथ ने इं लै ड के रोमन कैथो लक धम के अनुया यय पर अ धक अ याचार नह ं कए।
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मा टन लू थर का ज म 10 नव बर 1483 म जमनी के म सफे ड े म एक
साधारण कृ षक प रवार के यहां हु आ था। म सफे ड े तामृखनन उ योग के लए स था,
और मा टन लू थर के पता है स लूथर ने ता खान के े म व ट होकर अपनी महनत से
एक छोटे पू ज
ं ीप त का दजा हा सल कर लया। कृ षक एवं नवबुजु आ प रवेश क पृ ठभू म म
मा टन लूथर का लालन-पालन हु आ। उसक ारि भक श ा-द ा म सफे ड, मगडेबग एवं
ऐसेनेच के कूल म हु ई। इसके बाद मा टन लू थर को एरफट व व व यालय म अ ययन के
लए भेज दया गया, जहां से उसने सन ् 1502 म बी.ए. ड ी ा त क । सन ् 1505 म उसने
एम.ए. क पर ा उ तीण क । इसके बाद मा टन लू थर के पता उसे कानून के अ ययन एवं
इसी े म कै रयर बनाने के लए े रत करते रहे, ले कन लू थर ने अक मात ् एक मठ म
वेश ा त कर लया जहां उसने धा मक वषय का अ ययन ार भ कर दया। वह वयं साधु
बन गया। मठ के उ चा धका रय के कहने पर उसने कु छ समय के लए वटनबग
व व व यालय एवं उसके बाद एरफट व व व यालय म अ थायी ोफेसर शप वीकार कर ल ।
इसके बाद उसने रोम क या ा क जहां उसने धा मक जीवन म भार आड बर तथा अनाचार
अपनी आंखो से दे खा। इसके बाद वह पुन : अपने यहां लौट आया तथा धा मक वषय के
अनुशीलन म य त रहा। च तन मनन के इस दौरान उसने अपने िजस व श ट धा मक
स ा त को तु त कया वह बाद म धम सुधार आ दोलन का आधार बना। इस स ा त को
सं ेप म जि ट फकेशन बाई फेथ के नाम से जाता है। उसक 95 थ सस जमनवा सय म
लोक य रह है। सन ् 1520 ई. म उसने अपने वचार को प ट करने के लए 3
लघुपिु तकाएं का शत क - 1. एन ओपन लैटर टू द ि चयन नो ब लट ऑफ द जमन
नेशन क स नग द रफाम ऑफ द ि चयन टे ट) (ईसाई रा य म सुधार के स ब ध म
जमन रा के साम त के नाम एक खु ला प जू न-अग त 1520)। 2. द बेबीलो नयन
कैि ट वट ऑफ द चच (चच क बेबीलो नयाई कैद; अग त 1520)। 3. ए टाइज ऑफ
ि चयन लबट (एक ईसाई क मुि त का थ' नव बर 1520)। सत बर 1522 ई. म
लू थर ने बाइ बल का जमन भाषा म अनुवाद कया जो सत बर म का शत होने के कारण
सै टे बर टे टाम ट के नाम से लोक य हु आ। अब तक लू थर समथक लोग का जमनी म एक
बड़ा गुट बन गया था। फलत: जमनी दो गुट म वभािजत हो गया। एक ओर स ाट चा स
पंचम वाला कैथो लक गुट दूसर ओर लूथर का ोटे टे ट गुट । ल बे संघष के बाद सन ् 1555
ई. म आ सबग क सि ध के साथ इस गुटबाजी क समाि त हु ई। आ सबग क सि ध से
लू थरवाद को जमनी म वैधा नक मा यता मल गई। जमनी के उ तर रा य ने लू थरवाद को
वीकार कया जब क द णी रा य कैथो लक ह बने रहे । उ तर जमनी से सा रत होकर
लू थरवाद, डेनमाक, नाव, वीडन, फनलै ड तथा पौले ड म फैल गया।
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थी। इसके मूल म उल रच ि वंगल (1484-1531 ई.) था िजसक व तृत एवं शा ीय
या या जॉन कॉ लन ने क । यूकस का वचार। है क काि वनकृ त धमशा ीय यव था
ोटे टे ट गुट के स ा त का सवा धक व तृत एवं वै ा नक तु तकरण था। जब क लू थर
एक गहर धा मक अनुभू तय वाला शि तमान ां तकार था ले कन उसके वचार शा ब नह ं
हो पाये थे।
का लन वारा र चत थ इ ट यूट ऑफ द ि चयन रल जन ोटे टे टवाद क
एक सश त यवि थत शा ीय या या थी। काि वन के दो मु ख वचार इस कार है -
1. एक ईसाई धमानुयायी क आ याि मक ग त का एक मा नदशक धम थ बाइबल है
िजसम वयं ई वर ने मु ि त का माग बताया है।
2. आचरण म सादगी तथा नै तकता अ नवाय है। काि वन के काल म ि व जरलै ड का
िजनेवा नगर ोटे टे ट धम का एक मॉडल के बन गया था। काि वनवाद शी ह ांस,
नीदरलै ड, हंगर , जमनी पौले ड तथा इं लै ड म सा रत हु आ। इसका सार े लू थरवाद
क तु लना म अ धक था।
2.5.3 इं लै ड म एि लकनवाद
इं लै ड म उ त
ु एि लकनवाद ोटे टे ट धम क तीसर मह वपूण धारा थी। इसके
अ तगत चच क अनेक पुरानी पर पराओं को याग दया गया तथा अं ेजी म एक बुक ऑफ
कामन ेयर क रचना क गई। ए लजाबेथ थम ने अपने काल म पुन : इंि लकन चच क
सव चता था पत क । उसके काल म एि लकनवाद के स ा त को अ धक व तृत प म 39
स ा त के नाम से इं लै ड क पा लयाम ट वारा पास कया गया। इस स ा त म बाइ बल
को जीवन का पथ दशक बताया गया तथा ई वर य आ था के बल पर वग क ाि त होती है
यह भी तपा दत कया गया। इं लै ड म धम सु धार आंदोलन नामक ब दु के अ तगत भी
एि लकनवाद क चचा क गई है।
2.6.4 रा य शि त म वृ
2.8.5 धा मक स ह णु ता क थापना
43
हु आ। यापार जगत से पुराने तब ध उठ गये याज लेना-दे ना यापार जगत म वीकृ त हो
गया और पुरानी बाइ बल के वचार के वपर त स पि त भु का आशीवाद समझी जाने लगी।
44
लचीलापन रहा िजसने म य या बुजआ वग के वकास से स बि धत े म नये मू य के
त उनके ि टकोण को एक कार का खु लापन दया है। े वर-रोपर ने इस बात पर जोर दया
क 16वीं शता द के म य से कैथो लक चच म कस कार दन त दन कठोरता या
अनुदारता आती गई। हल अपनी स कृ त व ड ट ड अपसाइड डाउन (दु नयां पलट गई) म
इस बात क ओर हमारा यान आक षत करता है क पूण -प रवतनवाद न न-वग य
ोटे टे टवाद म ाय: पू ज
ं ीवाद वरोधी वर भी व यमान था। इस आंदोलन के चलते पू ज
ं ी के
उ पादक उपयोग तथा व नयोग क स भावनाएं बन गई थीं।
2.7 सारांश
तु त इकाई म धम सुधार आ दोलन के बारे म कु छ चु न दा प क ह चचा क
गई है। यह एक बहु त ह यापक और पे चदा घटना थी। िजसके दूरगामी प रणाम नकले।
धमसु धार श द का अथ वशेष बुराइय म सु धार करना है। म यकाल न कैथो लक चच क बहु त
सार मू ल वशेषताएं थी तथा प इस आ दोलन से पहले कांसी लयर आंदोलन जैसे आंदोलन हो
चु के थ। सामा यत: इस धम सु धार आ दोलन के सं त व प पर ि टपात करने के
उपरा त आप यह न कष पायेगे क स य क खोज इस सु धार आंदोलन का मु ख ल य था
पर तु आ दोलन क समाि त पर इस स य क खोज का थान शि त क खोज ने ले लया।
यूरोप के दे श शि त क त पधा म जु ट गए। आ थक यव था को आधार मला तथा
नःशु क व अ नवाय श ा का आधार भी धम सुधार आ दोलन म ह तु त कया। थानीय
राजाओं क ादे शक भु स ता तथा नरं कु शतावाद के दे वी अ धकार क थापना म इस
आंदोलन से सहायता मल । पर तु काि वनवाद और इससे भी अ धक आमूल प रवतनवाद
ोटे टे ट स दाय ने राज वरोधी और. कभी-कभी जातां क वचार के वकास म भी
योगदान दया। ोटे टे टवाद तथा वै ा नक ां त के म य या कोई स ब ध है तथा एंजीवाद
और ोटे टे टवाद के ववादा पद स ब ध पर नये अ ययन कये जा रहे ह। आधु नक यूरोपीय
भाषाओं के वकास म बाइ बल के अनुवाद और अं ेजी भाषा के स दभ म ा धकृ त अनुवाद के
सा हि यक मह व के साथ-साथ श ा के वकास म सहयोग मला। इस सु धारवाद के दोन गुट
ने संयु ता प 'से लोक सं कृ त पर कठोर नयं ण लगाया।
2.8 अ यासाथ न
1. आप धम सु धार आ दोलन से या समझते ह? इसके कारण क या या क क िजए।
2. धम सुधार आ दोलन के प रणाम पर काश डा लये।
3. मा टन लू थर ने धम सुधार आ दोलन य ार भ कया? इसके त काल न पा रणाम का
उ लेख क िजये?
4. काि वनवाद पर ट पणी ल खये।
5. ऐंि लकनवाद के बारे म आप या जानते है?
6. लू थरवाद पर काश डा लये।
7. मा टन लू थर से पूव धमसुधार क मांग रखने वाले वचारक के नाम ल खये?
45
2.9 संदभ थ
1. यूकस , हे नर एस. रनेसां ए ड द रे फमशन, हापर ए ड दस पि लशस, यूयाक ,
1934
2. टामसन, एस: हैर सन यूरोप इन रनेसां ए ड रे फमशन, यूयाक , 1963
3. डके स, ए.जी. द एज ऑफ झूम न म ए ड रे फमशन, ेि टस हाल, यू
जस , 1972
4. फशर, एच.ए.एल. ए ह ऑफ यूरोप , लंदन, पुनमु त, 1944 एक महान
चु नौती (अनु.) राजहंस काशन, द ल 1946
46
इकाई 3
वा ण यवाद एवं औ यो गक ाि त
इकाई क परे खा--
3.0 उ े य
3.1 तावना
3.2 वा ण यवाद
3.2.1 वा ण यवाद क उ पि त एवं प रभाषा
3.2.2 वा ण यवाद के उदय के कारण
3.2.3 वा ण यवाद के प रणाम एवं मू यांकन
3.3 औ यो गक ाि त
3.3.1 औ यो गक ाि त के कारण
3.3.2 औ यो गक ाि त का े
3.3.3 औ यो गक ाि त के प रणाम
3.3.4 आ थक प रणाम
3.3.5 सामािजक प रणाम
3.3.6 राजनी तक एवं वैचा रक भाव
3.4 सारांश
3.5 अ यासाथ न
3.6 स दभ थ
3.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप जान सकेग -
आधु नक व व इ तहास के मु ख घटक वा ण यवाद एवं औ यो गक ां त क या या
करना।
वा ण यवाद के व भ न आयाम का व लेषण करना
औ यो गक ां त के कारण व प रणाम का आलोचना मक ववेचन करना।
3.1 तावना
वा ण यवाद के मा यम से यूरोप के दे श ने भार धनाजन कया। वदे शी यापार के
वारा अिजत धन ह औ यो गक ाि त का आधार बना। वा ण यवाद ने भौगो लक खोज को
गत दान क िजससे स पूण संसार के ान का आदान दान हु आ। एक दूसरे के स पक ने
व भ न समाज म आ रह जड़ता को तोड़कर अ तरा य ग तशीलता दान क । वा ण यवाद
के प रणाम व प धम, दशन, कला, सा ह य एवं व ान तथा ौ यो गक के े म भार
वकास हु आ, िजसका स व तार व लेषण अगले पृ ठ म कया गया है। यापा रक पूँजी का
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औ यो गक पू ज
ं ी म पा तरण िजस या के अ तगत हु आ उसी ने औ यो गक ाि त को
ज म दया। औ यो गक ाि त कोई एक दन म घटने वाल घटना नह ं थी बि क मानव
समाज के वकास क नर तर या का सहज प रणाम थी। यह एक ऐसी ाि त थी िजसम
कोई र तपात नह ं हु आ। ारि भक तर पर यह ाि त मानव क याण का आधार ि टगत
हु ई थी, क तु काला तर म इसका अमानवीय व प भी सामने आया। जैसा क कहा जाता है,
आव यकता आ व कार क जननी है। अत: सामािजक आव यकता ने िजस आ व कार को ज म
दया वह औ यो गक ाि त का संवाहक बना। इस अ याय म औ यो गक ाि त के सभी
प पर समी ा मक ि टपात कया गया है।
3.2 वा ण यवाद
पुनजागरण का युग म यकाल के अवसान तथा आधु नक काल के आगमन क सीमा
वभाजक रे खा के प म प रभा षत कया जा सकता है। पुनजागरण ने राजनी तक नरं कुशता
एवं धमाधता के सम नवाचक च न उपि थत कर दया था। जब राजनी त एवं धम को
ता ककता क कसौट पर परखने का यास आर भ हु आ तो मानव जीवन के सभी प म
उथल-पुथल अथवा ग तशीलता आयी। वा ण यवाद का स ा त और यवहार प ट प से
पुनजागरण क वचारधारा का अ भ न अंग रहा है। इसे सह अथ म आधु नक युग का संवाहक
कहा जाना ासं गक है। इसे अनेक समाजशि य ने वा णि यक ाि त के प म प रभा षत
कया है। यूरोप म भौगो लक खोज के पीछे दो ह उ े य मु ख रहे, पहला धम चार तथा
दूसरा यापार। यूरोप के साहसी ना वक या तो पोप क आ ा से सु दरू दे श म धम चार हे तु
समु या ा पर नकले अथवा राजा ा वारा यापा रक याओं के- लये सु मु पार या ाय क ं।
एक ि थ त यह आयी क जो धम चार हे तु नकले थे वे धनाजन के काय म संल न हो गये।
यह आ या म के ऊपर अथ क वजय थी िजसने वा ण यवाद को ग त दान क ।
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आ थक स ा त एवं यवहार था जो राजक य नयम के वारा रा य अथ यव था के अनुकू ल
ो सा हत कया गया िजसके पीछे कसी भी शि तशाल रा के वकास क भावना काय कर
रह थी।
वा ण यवाद श द क उ पि त वा ण य के मा यम से कसी भी रा म अ धका धक
स दा ा त करने से हु ई है। अथात यापार को एक मु हम या अ भयान के प म संचा लत
करने को वा ण यवाद कहा गया है। यूरोप के व भ न दे श के वचारक ने इस स ब ध म जो
वचार तपा दत कये वे वा ण यवाद के नाम से जाने जाते ह। राजक य नय ण के
अ तगत वा ण यवाद क वचारधारा पनपी।
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(3) जनसं या म वृ
पुनजागरण काल म यूरोप क जनसं या म ती ता से वृ हु ई। बढ़ती जनसं या क
आव यकताओं क पू त हे तु आ थक वकास आव यक हो गया था। वै ा नक आ व कार ने कृ ष
े म उ पादन बढ़ाने क अनुकू ल प रि थ तयाँ उ प न क । कृ ष के अ त र त मु ख आ थक
े यापार ह हो सकता था। इससे यूरोप के रा म आ त रक यापार बढ़ा िजसने वदे शी
यापार का माग श त कया। वदे शी यापार अ धक लाभदायक, आकषक व साह सक काय था
िजसने अ धक से अ धक लोग को अपनी ओर मोड़ा।
(4) राजनी तक सोच म प रवतन
पुनजागरण एवं धम सु धार आ दोलन ने नई सोच को ज म दया। राजनी तक सोच म
प रवतन इसी का प रणाम कहा जा सकता है। अब आदश राजा और रा य क चचा होने लगी।
म यकाल न राजनी तक व धा मक वजनाओं. ने यूरोप के नवा सय के जीवन को सी मत और
संकु चत बना दया था। नये राजनी तक सोच के अ तगत चच क शि त के थान पर रा य
क शि त को मह व ा त हु आ। मै कयावल ने अपनी कृ त 'द स' म प ट कया क
लोक य शासक को अपने काय म नै तकता क आव यकता नह ं है बशत क वह रा य के
हत म उ चत काय करना चाहता हो। रा य का उ चत काय अपनी शि त को बढ़ाना और
भौ तक संव ृ करना माना गया। इस समय शि तशाल रा य रा य का उ थान हु आ। रा य
रा य को और अ धक शि तशाल बनाने के लये मू यवान धातु और स पदा संचय को
आव यक माना गया िजसने वा ण यवाद को न केवल ज म दया बि क ग त दान क ।
(5) आ थक वातावरण क अनुकूलता
उपयु त ब दुओं से यह प ट है क पुनजागरण , धम सु धार, जनसं या वृ ,
राजनी तक सोच इ या द ने अनुकूल आ थक वातावरण उ प न कया। िजसने वा ण यवाद को
े रत एवं ो सा हत कया। म यकाल न यूरोप म आ त रक यापार का मा यम व तु व नमय
था, क तु 16वीं सद ं म मु ा के चलन ने यापार के आकार और व प को ह प रव तत
कर दया। आ त रक और वदे शी यापार एक दूसरे से अलग नह ं हो सकते, जहाँ वदे शी
यापार क ग त आ त रक यापार को ग त दे ती है वह ं आ त रक यापार क ग त वदे शी
यापार को ग त दे ती है।6 वीं सद म बक का ज म हु आ तथा बक ने आ त रक तथा वदे शी
यापार के संवधन तथा पूँजी संचय व नमाण म भार सहायता दान क िजससे वा ण यवाद
वचारधारा व यवहार बलवती हु आ।
उपयु त ववरण से प ट है क 14 वीं एवं 15 वीं सद म घ टत पुनजागरण
वा ण यवाद के वकास का मु ख कारक था। इसी क धु र पर आधु नक युग का च घूमने
लगा। त काल न ऐ तहा सक शि तय व प रि थ तय ने वा ण यवाद को ज म दया। हम चाहे
इसक कतनी भी आलोचना कर क तु इस त य से नकार नह ं सकते क इसने एक युग म
ग तशील भू मका नभाई िजसने मानव समाज के वकास को ग तशीलता दान क ।
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3.2.3 वा ण यवाद के प रणाम एवं मू यांकन
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वा ण यवाद को औ यो गक ाि त के मु ख कारक म से एक मह वपूण कारक माना
जाता है। वैसे आ थक जीवन म उ प न हु ई ग तशीलता का वाभा वक प रणाम था औ यो गक
ाि त। वा ण यवाद के प रणाम व प यूरोप म भार धन संचय हु आ िजसने उ योग हे तु
पया त धन उपल ध करवाया। अ धक धन संचय के कारण यापार से इतनी अ धशेष पूँजी का
नमाण हु आ िजससे यापा रक पूँजी का औ यो गक पूँजी म पा तरण हो सका िजसने
औ यो गक ाि त को ज म दया।
(5) भौगो लक खोज एवं वै ा नक गत
यापा रक याओं को सफल बनाने के लये अनेक भौगो लक खोज हु ई। व व के
वभ न े व दे शो के समु माग खोजे एवं वक सत कये गये। यापा रक अ भयान को
सु गम, सरल एवं सफल बनाने के लये जल प रवहन के अ छे साधन का वकास हु आ िजसने
वै ा नक ग त को सहायता दान क । यापा रक याओं के मा यम से व व ान का जो
आदान- दान हु आ वह व ान के वकास म सहायक रहा।
(6) नवीन राजनी तक वचार का वकास
म यकाल न यूरोप म चच क स ता के साथ-साथ नरं कु श राजत ा मक साम ती
यव था का बोलबाला था। वा ण यवाद के अनुकू ल म यकाल न राजनी तक यव था अपया त
थी। नये यापा रक म यमवग भी पर परागत राजनी तक संरचना म सहजता का आभास नह ं
कर पा रहा था। अत: नये स दभ म नवीन राजनी तक वचार का ज म हु आ िजसके अ तगत
यि तगत वत ता को समथन मला तथा अनेक संक ण राजनी तक वजनाओं का अ त हु आ
अथवा ढ ल पड़ी राजनी तक कठोरता के थान पर उदारता क ओर सोच बढ़ने लगा िजससे
अनेक राजनी तक प रवतन भी आये। इं लै ड म घ टत 1688 क र तह न ाि त इसका एक
जीताजागता नमू ना है।
उपयु त ब दुओं से न कष नकलता है क वा ण यवाद ने पर परागत आ थक
यव था को झकझोर दया था िजससे मानव समाज के सभी प भा वत हु ए। वा ण यवाद से
केवल आ थक जीवन ह नह ं बि क राजनी तक, सामािजक जीवन भी भा वत हु आ। इससे
अनेक व व यव थाय भी उ प न हु , तथा व ान, कला एवं सा ह य के े म भी नयी
वृि तयां आर भ हु । वा ण यवाद का मू यांकन उपरो त ब दुओं के आधार पर बखू बी कया
जा सकता है। य द एक वा य म कह तो वा ण यवाद ने जो उथल-पुथल आर भ क उससे
व व इ तहास के आधु नक काल का शु भार भ हु आ।
3.3 औ यो गक ाि त
कृ ष, ह त श प (कु ट र उ योग) अथ यव था से उ योग धान एवं मशीन वारा
उ पादन म प रवतन क या को औ यो गक ाि त कहा गया है। यह अचानक अथवा एक
त थ म घ टत घटना न होकर एक ल बी या का प रणाम थी। इसके पूव मानव एवं पशु
म व ऊजा उ पादन या के आधार रहे थे। औ यो गक ाि त का आर भ 18वीं सद म
इं लै ड म हु आ एवं वहां से व व के अ य भाग म इसका सार हु आ। यू ँ तो औ यो गक
ाि त श द का थम योग ा सीसी लेखक ने कया, क तु औ यो गक ाि त श द को
52
सव थम इं लै ड के आ थक इ तहाकार अना ड टॉयनबी (1852-83) ने 1760 से 1840 तक
इं लै ड के आ थक वकास का वणन करते हु ये लोक य बनाया। टायनबी के समय से यह श द
यापक प म योग म लाया गया। औ यो गक ाि त ने मानव जीवन को ती ग त से
अ य धक गहरे प म भा वत कया। सृि ट के ार भ से ह मानव स यता मक प से
आगे बढ़ एवं स दय के अ तराल म धीम वकास ि टगोचर हु ए क तु औ यो गक ाि त का
भाव अ धक ती एवं यापक रहा।
3.3.1 औ यो गक ाि त के कारण
53
अत: कृ ष क उ न त औ यो गक ाि त का आधार बनी। बढ़ती जनसं या के दबाव म कृ ष
एवं पशु पालन के थान पर वैकि पक संसाधन क तलाश क जाने लगी। वक प के प म
यापार एवं उ योग नवीन अ गामी े थे। बढ़ती हु ई जनसं या के कारण दै नक उपभोग क
व तु ओं क मांग म भार वृ हु ई। इस बढ़ हु ई मांग क आपू त पर परागत कृ ष और कु ट र
उ योग से स भव नह ं थी। प रणामत: बड़े तर पर उ पादन करने हे तु मशीन एवं कारखाना
आधा रत उ योग के अनुकू ल वातावरण तैयार हु आ।
(4) रहन-सहन म प रवतन
16वीं से 18 वी सद के दौरान यूरोप म आयी आ थक समृ ने तथा वा ण यवाद ने
एक नवीन म यमवग को ज म दया। यह वग भोग- वलास क साम ी क ओर आक षत था।
इनक आव यकताय पर परागत उ च वग से भ न थी। फैशन और शान-शौकत के नये साधन
एवं सामान क माँग बढ़ती जा रह थी िजसक आपू त आधु नक मशीन वारा न मत उ च
को ट क साम ी वारा स भव थी। अत: रहन-सहन म प रवतन ने औ यो गक ाि त का
माग श त कया।
(5) ा स क ाि त का योगदान
फांस क 1789 क ाि त ने औ यो गक ाि त को बढ़ाने म भार सहयोग दान
कया। इं लै ड म औ यो गक ाि त के अनुकू ल राजनी तक यव था पहले से ह मौजू द थी
अत: इं लै ड के औ यो गक वकास म कोई राजनी तक अवरोध नह ं था। ांस क ाि त ने
स पूण यूरोप म उदारवाद एवं जाताि क राजनी तक प त को लोक य बनाया। वत ता,
समानता एवं ातृ व क लोक यता ांस क ाि त क दे न थी। नरं कुश राजत और घोर
साम ती पोषण और दमन के अ तगत आ थक गत क स भावना ीण थी। उदारवाद
राजनी तक यव था व राजनी तक सं कृ त ह आ थक ग त का सहायक त व मानी जा सकती
है। ांस क ाि त ने उदारवाद राजनी तक सोच को न केवल ज म दया बि क आगे भी
बढ़ाया। बदलते राजनी तक प र य ने औ यो गक ाि त को सहयोग दान कया।
(6) रा वाद का उदय
रा यता क भावना 19वीं सद म खर प से सामने आने लगी थी। रा क
प रक पना म ययुग के अवसान व आधु नक युग के आगमन के सं मण काल म उ प न हु ई।
वा ण यवाद ने रा यता क भावना को और अ धक आगे बढ़ाया। भोलो गक खोज , व ान,
तकनीक क े म उपलि धय , अ तरा य यापार वारा तयोगा मक एवं तु लना मक
समृ , उप नवेश क थापना एवं व तार से एक रा क शि त और है सयत का आकलन
कया जाने लगा। रा यता रा से ऊँचा बनाने व स करने म लगा था। जब इं लै ड म
औ यो गक ाि त हु ई और उसने यूरोप म अपनी सव े ठता था पत व स क तो यूरोप के
अ य रा य रा वाद भावना से े रत होकर औ यो गक वकास के काय म वृत हु ए। रा वाद
के कारण बड़े रा म यापा रक और औ यो गक त पधा आर भ हु ई। इस त पधा म वे
ह रा आगे बढ़ सकते थे जो अ धक से अ धक उ पादन और यापार करने म स म ह ।
(7) कारखाना प त (फै स टम)
54
औ यो गक ाि त के पूव यूरोप म वा ण यवाद के तहत वक सत कारखाना प त
औ यो गक ाि त का मह वपूण सहायक कारण बनी। औ यो गक ाि त के 'पूव कसी भी
यापार करने वाले क पनी के का र दे को ' फै नाम से जाना जाता था। तथा उसके
कायालय को फै ' कहा जाता था। फै के साथ क पनी के गोदाम होते थे जहां यापा रक
साम ी को एक त करने वाल सं था फै कहलाने लगी। इस संगठन से यह वचार उ प न
हु आ क िजस साम ी को व भ न े से एक त कया जाता है। य द उसका नमाण भी एक
थान पर ह कया जाय तो अ धक लाभ अिजत कया जा सकता है। औ यो गक यव था के
ारि भक काल म पि चमी यूरोप म उ पादन पु टंग आऊट' प त पर आधा रत था। इस
यव था के अ तगत पूँजीप त यापार कार गर को क चा माल दे ता था। तथा कार गर अपने
नवास पर ह अपनी कु शलता व औजार से उ पादन करते थे। पूँजीप त उ पा दत सामान को
इक ा कर बाजार म बेचता था। पूँजीपतीय ने अपनी सु वधा के लये सारे कार गारो को एक
जगह इक ा कर उ पादन आर भ करवाने क योजना बनाई तो वत: ह कारखाना प त का
ज म हु आ िजसने औ यो गक ाि त के लये आधारभूत ढांचा उपल ध करवाया। एक जगह
कार गर को एक त करने से माल इक ा करने म होने वाल समय क बरबाद से बचा जाने
लगा। एक थान पर उ पादन होने से माल क गुणव ता को बनाये रखने म मदद मल एवं
समय पर कार गार से काय पूरा करवाना भी स भव हो सका। दूसर ओर बदलती प त के
अ तगत साधारण औजार उ नत बने िजससे मशीन का वकास हु आ। अब ब धक, नर क,
अ भय ता जैसे का र द के पद सृजत हु ए और कारखाना प त ने एक नि चत व प ा त
कर लया। जो औ यो गक ाि त का सहायक बना। कारखाना प त वक सत होने से म
वभाजन और कायद ता बढ़ िजससे वत: ह उ पादन क मता बढ़ ।
यहाँ यह उ लेखनीय है क केवल याि क सु धार औ यो गक ाि त का संवाहक नह ं
हो सकता। वैसे स पूण यूरोप (मु यत: पि चमी यूरोप ) म उ पादन या म अनेक याि क
सु धार 17 वी सद के आर भ से ह आने लग गये थे। औ यो गक ाि त क सफलता के लये
आव यक था क उ पादन इतना अ धक और स ता व सु लभ हो क बाजार म न केवल उसक
मांग बढ़े बि क खपत भी हो। यह तभी स भव था जब याि क सुधार के साथ-साथ
कायकौशल बढ़े , म का वभाजन हो व आधारभूत घटनीय ढाँचा उपल ध हो। यह औ यो गक
ाि त के पूव वक सत कारखाना प त के वारा स भव हो सका।
3.3.2 औ यो गक ाि त का े
55
(1) कृ ष े म वकास
इं लै ड म औ यो गक ाि त के पूव कृ ष ाि त का उ लेख हम पछले पृ ठ म कर
चु के ह। कृ ष क ग त ने औ यो गक ाि त का माग श त कया था, क तु औ यो गक
ाि त ने कृ ष े को पुन : भा वत कया िजससे कृ ष े म भार उ न त हु ई। कृ ष का
आधु नक करण औ यो गक ाि त का ह प रणाम था। कृ ष को औ यो गक ाि त ने ह
उ योग का दजा दान कया। कृ ष यो य भू म का व तार इसका एक सीधा सादा भाव था।
वै ा नक तर क से ब जर भू म तक को कृ ष के अ तगत लाया गया। त एकड़ उपज म
वृ हु ई। पशु पालन वै ा नक तर के से कया जाने लगा। कृ ष े म व ान और ौ यो गक
के योग से जो नवीन प रवतन आये वे औ यो गक ाि त के ह प रणाम थे।
सव थम वकशायर के एक अं ेज भू वामी िजथ दुल (1674 - 1740) ने ' ल' नामक
एक य बनाया िजसके मा यम से बीज बोने का काय कया जाने लगा। इस मशीन का
आ व कार उसने 1701 म कया। इसके पूव बीज को हाथ वारा फैलाकर ( छतराकर) बोया
जाता था िजसम काफ बीज यथ हो जाते थे। तथा मानव म पर आधा रत होने के कारण
समय भी बहु त लगता था। अब इस मशीन के मा यम से सीधी रे खाओं म बीज का यवि थत
वतरण होता था तथा रे खाओं म पड़े बीज के म ी म दबने से उसके शत- तशत अंकु रण को
सु नि चत कर दया गया। यह मशीन सीधी लक र बनाती, यह बीज का मक समान वतरण
रे खा के अ दर करती तथा रे खा म गरे हु ए बीज को म ी से ढकती थी। इससे मानव म क
बचत, समय पर बुआई , अ छ उ नत फसल सु नि चत हो सक तथ बड़े पैमाने पर कृ ष काय
को स भव हु आ। यह मशीन घोड़ के वारा खींची जाती थी। दुल ने घोड़ से खीच जाने वाले
एक कशक (पाटा) उपकरण का भी आ व कार कया िजससे जु ताई बुआई के पूव भू म को तैयार
कया जाता था।
एक अ य अं ेज जमींदार टाउनस ड (1674 - 1738) ने फसल च क खोज क ।
इसके अनुसार फसल बदल बदल कर बोई जाय तो कभी भू म को खाल नह ं छोड़ना पड़ता।
तथा इससे भू म क उवरता बढ़े गी या बनी रहे गी। भू म म अनेक ख नज त व होते है जो
फसल को पोषण दान करते ह। य द एक नि चत भू म पर एक नि चत फसल उगायी
जायेगी तो भू म म उपल ध ख नज और लवण का अभाव उ प न हो जाता है। य द एक
वशेष फसल भू म म ा त दूसर फसल उगायी जायेगी तो वह पृथक ख नज का उपयोग अपने
पोषण के लये करे गी। अत: बदल-बदल कर फसल बोने को वै ा नक आधार ा त हो गया।
फसल च के अ त र त म त फसल का चलन भी इसी प त का अंग बन गया। अब भू म
को उवरकता ा त करने के लये खाल छोड़ने क भी आव यकता नह ं रह गयी।
एक अ य अं ेज धनी कसान राबट बैकवेल (1725 - 1795) ने 1770 म पशु ओं के
वै ा नक जनन क नई णाल खोजी िजससे पशु ओं क न ल सु धार को स भव बनाया जा
सका। इसके जनन स ब धी खोज ने पशु पालन को एक लाभदायक यवसाय बना दया।
मवे शय को अ धक दुधा तथा मांस दान करने वाला बनाया गया। भेड़ क न ल तैयार क
गयी जो अ धक ऊन तथा मांस दे ने वाल हो। इस प त से बैकवेल ने भेड़ क लेसे टर न ल
उ प न क जो सामा य भेड़ से दुगने वजन क थी। वै ा नक जनन प त ने अ य पशु ओं
56
िजनम गाय, घोड़ा मु य ह क नई न ल का वकास कया। बैकवेल के बाद उसी क णाल
को वक सत कर चा स को लंग ने भी भेड़ क एक नवीन न ल का आ व कार कया।
इं लै ड के एक धनी कसान आथरयंग (1744 - 1820) ने कृ ष के नये तर क को
आगे बढ़ाने एवं कसान म उ ह लोक य बनाने के लये भार प र म कया। वह एक िज ासु
वृि त का यि त था। उसे इं लै ड के इ तहासकार े वे लयन ने तो नई खेती का अवतार कहा
है। आथरयग ने इं लै ड, ा स, आयरलै ड आ द दे शो का मण कर वहा क कृ ष णा लय
का गहन अ ययन कया तथा कृ ष क नई णाल को ज म दया। उसके वचार म छोट जोते
अना थक एवं अनुपजाऊ होती ह। छोट जोते अ धकांश खु ल हु ई अथात ् बाडब द वह न थीं,
िजनम जानवर और ाकृ तक कोप के कारण फसल को भार त पहु ँ चती थी। अत:
आथरयंग के अनुसार छोट जोत को मलाकर बड़े कृ ष फाम बनाये जाने चा हए। इन कृ ष
फामा क बाडाब द क जानी चा हए। इसके अनुसार बडे कृ ष फामा पर मशीन का उपयोग
आसानी से स भव होता है। बडे तर पर कृ ष यं , रसायन , खाद आ द का योग सु गम व
लाभदायक पाया गया। उसने अपने वचार को चा रत व सा रत करने के लये अनेक पु तक
एवं लेख लखे। उसने अपने यास को ग त दान करने के येय से 'ऐना स ऑफ ए ीक वर'
नामक प का का भी काशन कया। उसके यास का ह प रणाम था क वै ा नक कृ ष
प त एवं आधु नक कृ ष को ग त दान करने के लये इं लै ड क सरकार ने बोड आफ
ए ीक चर क थापना क ।
औ यो गक ाि त के पूव मु यत: पर परागत खाद का योग होता था। 1840 म
जमनी के दो रसायन शाि य बाँन ल वग एवं े ड रक वोहलर ने अपनी शोध म उ घा टत
कया क भू म म कु छ रसाय नक त व होते ह जो फसल क खु राक का काम करते ह। इन
त व म पोटाश, नाइ ोजन और फा२फोरस मु ख ह.। फसल के नर तर पैदा होने से भू म म
इन त व क कमी हो जाती है िजससे भू म क उवरता कम हो जाती है। य द उपरो त त व
को कृ म तर के से भू म म डाल दया जाय तो न केवल भू म क उवरता को नर तर बनाये
रखा जा सकता है बि क उसक उवरता म वृ क जा सकती है। इस कार 1840 के
उपरा त अथात ् 19वीं सद के उ तराध से रसाय नक खाद का उपयोग कया जाने लगा, िजससे
कृ ष उ पादन म ाि त आ गयी थी।
औ यो गक ाि त के प रणाम व प कृ ष का वै ा नकरण बढ़ता ह चला गया। 1793
म अमे रका नवासी ह ट ने कॉटनिजन नाम कपास औटने क मशीन का आ व कार कया।
उसी ने कॉटनिजन क प त पर भू से को अनाज से अलग करने वाल मशीन का आ व कार
कया। इसी म म एक अ य मह वपूण आ व कार अमे रका नवासी साइरसहॉल मैककोर मक
ने 1834 म कया, िजसने फसल काटने क मशीन बनाई। इसी अव ध म और भी अनेक
आ व कार हु ए िजसम घोड़े से खीचा जाने वाला पाचा (पॉचहल का य ) लोहे का हल और
तवेदार हैरा (पटला) आ द चलन म आये। बाद म घोड़े के थान पर भाप इंजन, गैसो लन
इंजन आ द का चलन कृ ष े म बढ़ा। ऑटोमोबाइल इंजन , मोटर तथा व युत चा लत
य व मशीन के योग ने कृ ष म ाि त उ प न कर द ।
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उपरो त ग त के अ त र त कृ ष उ पाद के संर ण हे तु अनेक तर के नकाले गये।
अनाज व अ य खा य पदाथ को सड़ने से बचाने के लये वै ा नक प त पर भ डारन
आर भ कया गया।
(2) व उ योग –
औ यो गक ाि त क प ट झलक सव थम व उ योग म दखाई दे ती है। इस े
म ाि त 1733 म आयी जब जॉनके नामक एक अं ेज म पलाई शटल 'नामक कपडा बुनने
क मशीन का आ व कार कया, िजससे कपड़ा बुनने के काय म तेजी आयी। इस मशीन के
आ व कार ने सू त क मांग म वृ क । इसी का प रणाम था 1764 म जे स हार ी स ने एक
ऐसे चरखे का आ व कार कया िजसके वारा आठ तकुओं पर एक साथ आठ धागे काते जा
सकते थे। यह साधारण लकड़ी क बनी मशीन थी िजसम आठ तकु ओं को एक प हये के साथ
जोड़ा गया था िजससे आठ तकुओ, एक साथ घूमते थे। हार ीडस ने इस मशीन का नाम
'ि प नंग जैनी' (कॉटनजैनी) रखा जो उसक प नी जैनी के नाम पर था।
1770 म रचड आकराइट ने सू त कातने क मशीन का आ व कार कया िजसे वॉटर
फेम (पनचौखट) के नाम से जाना गया। इस मशीन का संचालन हाथ या पैर के थान पर जल
शि त से होने लगा। अब पहल बार मानव म के थान पर जलशि त का योग कया गया।
इस मशीन के वारा ि प नंग जैनी क तु लना म अ धक मा ा म मजबूत सू त बनाया जा
सकता था। यह मशीन वशाल एवं, तकनीक ज टलताओं से यु त थी क उसे एक वशेष भवन
म लगाया जाता था, जहाँ कई मजदूर इक े होते थे। इससे कारखाना प त का भी वकास
हु आ। ऑकराइट ने इस मशीन से भार लाभ अिजत कया, िजससे आगे बढ़ते हु ए उसने
मनचे टर म एक कपड़े क वशाल मल था पत क ।
कपड़ा उ योग का ता कक वकास नर तर होता रहा। 1779 म लंकाशायर के एक
जु लाहे सैमु अल ॉ दन ने ि प नंग जैनी और वॉटर े म दोन को मलाकर एक मशीन बनाई
िजसे युल अथात ख चर ( म त) कहा गया। इसके मा यम से ओर भी अ धक मह न सू त
काता जाने लगा। अब धागा कातेने के े म मा ा मक एवं गुणा मक वृ हु ई। सैमु अल
ॉ टन क मशीन क ग त पहले क सभी मशीन क तु लना म अ धक थी। धागे क अ धक
उपलि ध ने कपड़ा बुनाई क नयी मशीन के आ व कार क आव यकता उ प न क । 1785 म
एडम ड काटराइट ने शि त चा लत करघे (बुनाईमशीन) का आ व कार कया िजसे 'पॉवरलूम के
नाम से जाना गया। इस मशीन को जल एवं वा प दोन क शि त के वारा चलाया जा सकता
था। 1785 से कपडा उ योग म वा प शि त से चलने वाले करघे के चलन ने कपड़ा उ योग
को भार बढ़ावा दान कया। इस मशीन से अ या धक ब ढ़या क म का कपड़ा उ पा दत होने
लगा िजसम लागत भी कम आती थी, िजससे बाजार म इसक मांग अ छ थी। कु छ ह वष
बाद सभी कपड़ा मल म इस मशीन का उपयोग होने लगा जलशि त दम योग क अपनी
भौ तक सीमाय थीं, य क इतने जल ोत उपल ध ह नह ं थे, िजनके कनारे उ योग लगाये
जा सक। जल ोत के दूर ि थत होने के कारण कारखाना व नगर वक सत होना स भव नह ं
था। अत: जल शि त के थान पर वा प शि त का योग अ धक लोक य एवं भावी सा बत
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हु आ। वा प इंजन का आ व कार 1712 म ऑमसन यूकोमन नाम अं ेज ने खदान से पानी
बाहर नकालने के लये कया था। 1769 म कॉटले ड के इंजी नयर जे सवाट ने यूकोमन के
इंजन के दोश व क मय को दूर करते हु ए एक नये और उ नत वा प इंजन का आ व कार
कया जो कम खच ला और अ धक उपयोगी स हु आ। 1775 म जे सवॉट ने मै यू बो टन
नामक उ योगप त क साझेदार म वा प इंजन बनाने का कारखाना था पत कया। लगभग
सभी सू ती व मल म जे स वॉट के इंजन का उपयोग होने लगा। 1825 म रचड रॉबटस
ने एक वचा लत कपड़ा बुनाई मशीन का आ व कार कया तथा 1846 म अमे रका नवासी
ए लयस होवे ने सलाई मशीन का आ व कार कर कपड़ा उ योग म ाि त ला द । 1785 म
एडम द काटराइट के शि त करघा के आ व कार के प चात ् 1793 म एक अमे रक अ यापक
ऐल ि हटे न कपास ओटने क मशीन का आ व कार कया िजसे कॉटन िजन के नाम से जाना
गया। इसके वारा कपास से बनौल को ती ग त से अलग कया जा सकता था। यह मशीन
एक दन म हाथ से काम करने वाले 50 मजदूर के समान काय मता रखती थी।
(3) लौह एवं इ पात उ योग म ाि त -
मशीन और य के नमाण म सबसे बड़ी आव यकता लौह एवं इ पात क थी। 18
वीं सद के पूवा तक न न ेणी का लोहा उपल ध था िजसके पघलाने व शोधन म लकड़ी
अथवा लकड़ी के कोयल का भार मा ा म योग कया जाता था। लकड़ी एवं इसके कोयले क
आपू त के च कर म इं लै ड के जंगल न ट होने लगे िजससे ऊजा के इस ोत का अभाव पैदा
हु आ। लौह उ योग म ईधन क भार आव यकता थी। लौह अय क से लोहा बनाने एवं लोहे से
इ पात बनाने के काय म भार ईधन क आव यकता थी। 1750 के आसपास से ह लकड़ी के
वक प के प म प थर के कोयले का चलन होने लगा। यह कोयला आसानी से उपल ध और
स ता भी था एवं अ धक ती ऊ मा उ प न करने के कारण काय मता को बढ़ाने वाला भी
था। अत: 1750 के बाद मांग बढ़ने के कारण प थर के कोयले के खनन काय म ग त हु ई।
लौह उ योग म प थर के कोयले के उपयोग का ेय अ ाहम डब (1677-1717) तथा जीन
रोबक (1718- 1794) को जाता है। लौह उ योग म वकास इ पात के उ पादन के प म
और अ धक हु आ। लौहे से बनी मशीन भार , वजनदार एवं जंग लगनेवाल होती थीं। इसी कार
साधारण लौह. का उपयोग अ य भार -काय जैसे पुल नमाण. आ द म भी होता था। 1754
म ट ल के उ पादन हे तु बेलन (रो लंग) मशीन का आ व कार हु आ िजससे लोहे के थान पर
इ पात के योग म वृ हु ई। इससे लौह उ योग के े म ाि तकार प रवतन हु ए। लोहे का
थान इ पात ने ले लया जो ह का, मजबूत, जंगरोधी और लचकदार था। 1856 के पहले तक
इ पात बनाने क व ध काफ खच ल थी क तु 1856 म ह एक अं ेज हे नर बे सेमर ने
इ पात बनाने क स ती व ध का आ व कार कया। इसके वारा ती ग त से इ पात उ पादन
स भव हु आ िजससे इसके प चात ् वाले समय को इ पात युग के नाम से जाना जाता है।
इ पात उ योग के कारण कोयला जैसे ख नज के दोहन का काय आगे बढा एवं कोयले का
उपयोग वा प चा लत मशीन , रे लइंजन इ या द म भी बढ़ा। खदान क नवीन तकनीक काम म
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ल जाने लगी इससे कोयला खदान को कारखाना प त से चलाया जाने लगा िजससे
औ यो गक ाि त को बल मला।
(4) प रवहन एवं संचार के े म ाि त -
औ यो गक ाि त ने प रवहन एवं संचार के साधन को बढ़ाने म महती भू मका
नभाई। क चे माल को कारखान तक पहु ंचाना और उ पा दत माल को बाजार तक पहु ंचाना
प रवहन एवं यातायात के साधन म सु धार वारा ह स भव था। 18वीं सद के उ तराध म
सड़क नमाण के े म अ छ ग त हु ई। कॉटलै ड के नवासी एक अ भय ता जॉन लू डो
मकाडम (1756- 1836) ने सड़क नमाण क नई व ध का आ व कार कया। उसने स क के
सबसे नीची परत म भार प थर का योग, उसके बाद छोटे -छोटे प थर क परत और उसके
ऊपर तारकोल क परत जमाई। मकाडम क सड़क अ धक टकाऊ और उपयोगी सा बत हु ई। ये
इतनी लोक य हु ई क इं लै ड के अ त र त कनाडा और संयु त रा य अमे रका म इस व ध
का अनुसरण सड़क नमाण म कया जाने लगा। सड़क माग के वकास म इं लै ड म भार
उपलि ध अिजत क एवं 1830 तक इं लै ड म लगभग 20 हजार मील ल बे सड़क माग का
नमाण हो चु का था जो इं लै ड के मु ख औ यो गक के से जु ड़ा हु आ था।
नहर के वारा प रवहन एवं यातायात के माग का वकास औ यो गक ाि त का
प रणाम था। जवाटर के यूक नामक एक अं ेज कोयला खदान मा लक ने जे स डले
नामक अ भय ता को एक नहर बनाने का काय स पा। 1761 म जब यह नहर बनकर तैयार
हु ई तो उससे माल प रवहन का खच पहले से आधा रह गया। इस सफलता से उ सा हत होकर
जहां अ य क प नयां भी नहर बनाने के लये उ सा हत हु ई वह ं सरकार यास भी हु ए। 18वीं
सद के अ त तक इं लै ड म लगभग 3000 मील ल बी नहर का नमाण हो चु का था,
िजनका उपयोग माल ढोने के लये कया जाने लगा। 1869 म एक् ? ा सीसी अ भय ता
फ डनाद लै सैप ने वेज नहर का नमाण पूरा करवाया जो भू म य सागर को लाल सागर से
मलाने लगी एवं इस नहर के बन जाने से यूरोप व भारत के म य क दूर एक तहाई कम हो
गयी।
नहर व जलमाग के प रवहन और यातायात को ती ग त बनाने के यास कये जाने
लगे। एक अमे रक इंजी नयर राबट फु टन ने 1807 म पहल एक वा प चा लत नौका का
आ व कार कया, िजससे जलप रवहन के े म ाि त उ प न कर द । फु टन ने लेरमो ट
नामक से ए बानी तक क 150 मील ल बी या ा 5मील त घंटे क र तार से 30 घंट म
तय क । इसके प चातृ समु माग पर वा प चा लत जहाज का नमाण व चलन आर भ हु आ।
1838 म पहल ट मबोट म अटलां टक महासागर को 15 दन के अ तराल म ह पार कर
लया जब क सामा य जहाज म इसको दुगना समय लगाता था। बाद म टबाइन, पे ोल एवं
डीजल इंजन के अ व कार ने जहाज रानी को और अ धक बढ़ा दया।
प रवहन एवं यातायात े म सबसे उ लेखनीय वकास रे लवे के भाप इंजन के
आ व कार से हु आ। लोहे क पट रय पर चलने वाले वा पचा लत रे ल इंजन का आ व कार न
केवल औ यो गक ाि त का प रणाम था बि क इसके आ व कार ने औ यो गक ाि त को
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ती गत दान क । वक सत वा प इंजन का आ व कार तो 1769 म जे सवॉट कर चु के थे
िजसका उपयोग कपड़ा उ योग म बुनाई मशीन के संचालन, खदान से पानी नकालना, बाद म
जहाजरानी आ द म खु लकर उपयोग होने लगा। रचड े व थक नामक अं ेज ने 1801 म वा प
चा लत रे ल इंजन का नमाण कर लया था क तु इसका यापक उपयोग स भव नह ं हो पाया।
उसने 1808 म इसका -संचालन कया जो बतौर योग तक ह सी मत रहा। इसके प चात ्
1814 म जॉज ट फे सन (1781 - 1848) ने रे ल के वा प इंजन का वक सत प तैयार
कया, िजसे स वा प इंजन 'रॉकेट' नाम से जाना गया। 1830 म मनचे टर से लवरपुल
शहर के म य थम रे लगाडी का संचालन आर भ हु आ। दोन शहर क दूर 30 मील थी िजसे
इस थम रे लगाड़ी ने एक घंटे क अव ध म पूरा कर लया िजससे संसार आ चयच कत हु आ।
कु छ ह समय म रे ल प रवहन न केवल इं लै ड बि क अ य दे श म भी काफ लोक य हो
गया था। यह स ता और सु लभ प रवहन व यातायात का साधन स हु आ। माल प रवहन के
साथ ह इसका उपयोग मानव के यातायात म भी कया जाने लगा। रे ल आधा रत उ योग का
वकास भी इसका एक वाभा वक प रणाम था। इसने अ भयाि क एवं तकनीक उ योग को न
केवल ज म दया बि क उसको आगे भी बढ़ाया। रे ल के इंजन, पट रयां मालगाड़ी एवं
सवार गाडी के डबे, स नल, टे ल ाफ आ द का बड़े तर पर उ पादन आर भ हु आ तथा
इं लै ड ने अपने उप नवेश दे श व गैर उप नवेश म रे ल उ योग से भार धन अिजत कया।
रे लवे एक लाभदायक उ योग और यवसाय बन गया था। भारत म रे ल प रवहन क शु आत
मा 23 वष बाद अथात ् 1853 म हो चु क थी।
19वीं सद के अि तम दो दशक के दौरान गैसोल न अथात ् पे ोल चा लत मोटर इंजन
के आ व कार ने सड़क प रवहन के े म ाि तकार प रवतन कया। ार भ म इसका
उपयोग सवार तक सी मत रहा क तु बाद म इसका उपयोग ला रय म होने लगा जो प रवहन
के अ छे साधन थे।
औ यो गक ाि त के कारण प रव तत उ योग एवं यापार के व प क आव यकता
थी। संचार यव था म सु धार रोलै ड हल (1795- 1879) नाम अं ेज ने आधु नक डाक
यव था क नींव डाल । 1840 म उसक इस डाक यव था का व प सफलता पूवक सामने
आया जब एक पे स के टकट से इं लै ड के कसी भी थान पर प भेजा जा सकता था।
दूसरे दे शो भी यह णाल लोक य हु ई। भारत म 1854 म डाक यव था इसी कार वक सत
हु ई। आगे चलकर 1874 म अ तरा य डाक संघ क थापना हु ई िजसके मा यम से एक दे श
से दूसरे दे श म डाक भेजने व ा त करने क अ तरा य यव था अि त व म आयी। 1844
म अमे रका नवासी सैमअ
ु ल मॉश ने एक तार य का आ व कार कया। इसके मा यम से
एक थान से दूसरे थान पर आव यक स दे श सं त प म भेजना आसान हो गया। इस
सु वधा का व तार व व के अ य दे शो म भी होने लगा। 1891 म एक अ तरा य तार
यव था के वारा इं लै ड और ांस जु ड गये। 1866 म एक अमे रक साईरस फ ड ने
अटलां टक सागर के म य अटलां टक केबल बछाने म सफलता ा त क , िजसके मा यम से
इं लै ड और अमे रका तार वारा जु ड़ गये। इससे यूरोप और अमे रका दोन महा वीप के म य
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संचार स ब ध था पत हो गये। 1876 म अमे रका नवासी ाहम बेल ने टे ल फोन का
आ व कार कर संचार यव था का ाि तकार वकास कया इसी म म 1901 म इटल
नवासी वै ा नक माक नी ने बेतार के तार और रे डयो का आ व कार कया। इसके प चात ्
रे डयो, टे ल फोन एवं तार यव था म और भी सुधार होते चले गये।
यातायात के े म सबसे बडी खोज हवाई जहाज का आ व कार थी स यता के
ाचीन काल से ह मनु य उड़ने क क पना करता रहा है। पुनजागरण काल के स इटल
नवासी वै ा नक लयानाड -द- व सी ने भी उडने का व ान वक सत करने का यास कया
था, िजसम उसे अ धक सफलता नह ं मल । 1903 म पहल बार इस े म सफलता ा त
हु ई जब बलवार और ओर वले राइट दो अमे रक इंजी नयर ने उड़ने वाल मशीन का नमाण
कर लया। इसी के साथ वायुयान नमाण उ योग था पत हु ए। 1920 के प चात ् वमान
सेवाओं का अ तरा य जाल छा गया।
3.3.3 औ यो गक ाि त के प रणाम
3.3.4 आ थक प रणाम
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एक लाख पौ ड वा षक थी जो 1810 म अथात ् 50 वष म बढ़कर 600 लाख पौ ड हो गयी।
इं लै ड को अथ यव था म उ योग का थान मु ख हो गया था। उदाहरणाथ 1750 के आस-
पास कु ल रा य आय का 45 तशत भाग कृ ष से ा त होता था। जो 1851 म घटकर 20
तशत ह रह गया था। इसका यह अथ कदा प नह ं है क कृ ष के े म अवन त हु ई,
बि क इससे कहा पता चलता है क इं लै ड क अथ यव था कृ ष धान होने के थान पर
उ योग धान म पा त रत हो चूक थी। इस ाि त के प रणाम व प इं लै ड के व , लौहे
एवं इ पात उ योग म आ चयजनक ग त से वृ हु ई। वा प इंजन मशीन , रे ल , पानी के
जहाज और कोयला उ पादन के े म भी इं लै ड म अपनी औ यो गक सव े ठता था पत
कर ल थी। इस कार इं लै ड म औ यो गक पूँजीवाद का ज म हुआ तथा कारखाना प त का
वकास हु आ। औ यो गक व यापा रक नगम का व तार हु आ। कारखाना ब धको ले का
ज म हु आ। औ यो गक नगम ने अपना व तार करने के लये अपनी पूँजी क तभू तयां
(शेयर) बेचन। आर भ कया। सं ेप म हम यह जान ल क उ पादन क असाधारण वृ ने
एक नई आ थक प त को ज म दया।
(2) आ थक अस तुलन
औ यो गक ाि त से आ थक अस तुलन अ तरा य सम या के प म सामने आया।
वक सत और पछले दे शो के म य आ थक असमानता और अस तु लन क खाई गहर होती
चल गयी। उ योग क एका धप य णाल ने उपभो ता को इनक दया पर नभर कर दया।
औ यो गक ाि त के बाद आ थक ि ट से रा क आपसी आ ता बहु त अ धक बढ़ गयी
िजससे एक दे श म घटने वाल घटना दूसरे दे श को सीधे भा वत करने लगी। अ तरा य
आ थक तेजी और म द का युग आर भ हु आ। धनी और औ यो गकृ त रा अ वक सत रा
का खु लकर पोषण कराने लगे। आ थक सा ा यवाद का युग आर भ हु आ। इससे अ तरा य
तर पर औप नवे शक सा ा यवाद . यव था मजबूत हु ई।
(3) शहर करण
ौ यो गक ाि त ने शहर करण क या को ती कर दया। आधु नक काल म
शहर यापार और उ योग का के बन गये थे। बदलते आ थक प र य के कारण रोजगार क
तलाश म ामीण जनसं या शहर क ओर न मण करने लगी, िजससे वाभा वक तौर पर
शहर करण क या ती हो गयी। ाि त के पूव मनचे टर, ब मघम, ल स, लंकाशायर,
याकशायर जो छोटे क बे थे वे अब महानगर का प धारण करने लगे थ। नये शहर अ धकतर
उन औ यो गक के के आसपास वक सत हु ये जो लोहे, कोयले और पानी क यापक
उपल धता वाले थान के नकट थे। पुराने शहर क जनसं या भी बढ़ने लगी थी। लंदन शहर
क जनसं या 1600 म 2 लाख थी जो 1800 म बढ़कर 10 लाख हो गयी। 1851 तक 1
लाख से अ धक जनसं या वाले शहर क सं या 29 थी तथा 50 हजार से ऊपर जनसं या
वाले शहर म कु ल इं लै ड क जनसं या का एक तहाई भाग रहता था। शहर करण क या
को इं लै ड तक ह सी मत नह ं रह बि क ा स, जमनी, आि या, इटल , वीडन, नीदरलै ड
म भी नगर करण ती ग त से होने लगा था।
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(4) मु त यापार
19 वीं सद के आर भ म इं लै ड म नयात और आयात के अनेक ब धन लगे हु ये
थे। संर ण क नी त अपनाते हु ये ऐसे कानून बनाये गये। थे जो यापा रक ग त म बाधा
पहु ंचा रहे थे। औ यो गक ाि त के फल व प संर णवाद के थान पर मु त यापार क नी त
समय क आव यकता बन चु क थी। अत: 1813 के चाटर ए ट के अ तगत ई ट -इि डया
क पनी के यापा रक वशेषा धकार म कमी क गयी तथा 1833 के चाटर अ ध नयम के
अ तगत टश ई ट इि डया क पनी का यापा रक एका धप य पूणत: समा त करते हु ये मु त
यापार को बढ़ावा दया गया। एडम ि मथ जैसे अथशा ी मु त यापार के खु ले समथक थे।
एडम ि मथ ने 1776 म अपनी पु तक 'द वे थ ऑफ नशं स’ म वा ण यवाद वचाराधारा पर
कड़ा हार कया। वह आ थक े म रा य के ह त ेप का वरोधीथा। पूँजीवाद उ पादन वतरण
के लए मु त यापार एवं बाजार क उसने वकालत क ।
(5) बक एवं मु ा का वकास
औ यो गक ाि त ने स पूण आ थक प र य को बदल दया था। उ योग और यापार
म बक एवं मु ा क भू मका मह वपूण हो गयी। औ यो गक उप म के लये बक वारा
यापक पैमाने पर ऋण दये जाने लगे। यापार वारा अिजत पूँजी वा ण यवाद के दौरान बक
म सं चत होने लगी थी। औ यो गक ाि त के दौरान बक ने उ य मय को स ती याज दर
पर पूँजी उपल ध करवायी थी। अत: औ यो गक सफलता व वकास के साथ साथ बक के
मह व को वीकार कया गया। बक के मा यम से एक दूसर क प नय के लेन दे न सु गमता
से होने लगे। अब नकद के थान पर चैक और ा ट का योग बढ़ गया। पूँजी का इतना
यापक सार हु आ क बक के बगैर लेन दे न करना स भव ह नह ं रह गया था। यापार और
उ योगप तय को बैक क साख क आव यकता होने लगी। मु ा के े म भी वकास हु आ।
धातु के थान पर कागजी मु ा का चलन हु आ। मु ा के थान पर साख प का व तार
हु आ।
(6) कुट र उ योग का वनाश
औ यो गक ाि त का नकारा मक प रणाम था कु ट र उ योग का वनाश। औ यो गक
उ पादन म मशीन के अ धकतम योग एवं उनसे न मत अ छ , स ती एवं टकाऊ व तु ओं के
उ पादन ने कु ट र उ योग का वनाश कर दया। वा तव म इं लै ड म कु ट र उ योग के
वनाश का वपर त भाव मक , कार गर , श पकार , श पसंघ एवं अथ यव था पर
बलकुल ह नह ं पड़ा। इससे बेरोजगार का ज म और व तार भी नह ं हु आ। कु ट र उ योग के
वनाश से बेरोजगार हु ए लोग को नवीन उ योग के प म एक वक प ा त हो गया था।
यूरोप के अ य दे श म भी पर परागत कु ट र उ योग के पतन का वपर त भाव दखाई नह ं
दे ता। कु ट र उ योग के कार गार अपनी कु शलतानुसार उ योग के अ छा रोजगार ा त करने
लगे थ। नय मत वेतन और काम के घंट क नि चतता से वे और भी अ छा महसू स करने
लगे थे। औ या गक ाि त के कारण औ यो गकृ त दे शो के उप न वश म जो कु ट र उ योग
का नाश हु आ, वह नि चत प से भयावह था। उप नवेश के बाजार इं लै ड के उ योग से
उ पा दत माल से भर गये थे। स ता और टकाऊ सामान होने के कारण उ योग वारा
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उ पा दत माल लोक य होने लगा। उप नवे शक नी त उप नवेश म औ योगीकरण के व थी
य क वे इनका उपयोग क चे माल के ोत एवं न मत माल के बाजार के प म ह करना
चाहते थे। जैसे हम भारत का ह उदाहरण ल तो पाते ह क इं लै ड क औ यो गक ाि त के
प रणाम व प भारत म कु ट र उ योग का वनाश हु आ, िजससे लाख श पकार बेरोजगार हो
गये थे। वक प के प म उनके पास कृ ष े ह रह गया था जो पहले से ह भार दबाव म
था।
(1) जनसं या म वृ
औ यो गक ाि त के प रणाम व प न केवल इं लै ड बि क स पूण यूरोप म
जनसं या वृ क वृ त प ट दखाई दे ती है। 1750 से 1950 के बीच यूरोप म जनसं या
क वृ क वृि त न न ल खत आकड़ से प ट होती है
वष 1750 1800 1850 1900 950
जनसं या (10 लाख म) 140 180 401 540
जनसं या वृ अनेक सामािजक और आ थक अथ म मह वपूण हो जाती है। गर ब
दे श म जनसं या वृ अ धकांशत: गर बी को और बढ़ाती है। क तु औ यो गक ाि त के
प रणाम व प आयी आ थक समृ के कारण यूरोप क जनसं या म वृ समृ क ओर ह
ले जाने वाल स हु ई। जनसं या वृ का मह वपूण कारण अ धक अ न उपजाना और
यातायात के उ नत साधन के मा यम से मांग के े म खा या न क पू त करना स भव
हु आ। खा या न क गुणव ता बढ़ने से पौि टकता भी बढ़ । वक सत वार य और औष ध
व ान के कारण जीने क औसत आयु बढ़ । जनसं या म वृ ामीण े , क अपे ा शहर
म अ धक हु ई।
(2) नये सामािजक वग का उदय
औ यो गक ाि त ने मु य प से तीन नये वग को ज म दया। थम पूँजीप त वग
िजसम यापार और उ योगप त सि म लत थे, वतीय मक वग जो अपने म और कौशल
से उ पादन करते थे एवं तीसरा आधु नक म यम वग था िजसम कारखान के ब धक,
नर क, लेखाकार, अ य पयवे क य टाफ, दलाल (एजे ट) ठे केदार, खु दरा यापार , सामान
व े ता आ द शा मल थे। व भ न वग के उदय ने सामािजक अस तुलन क ि थ त उ प न
क । पूँजीप त वग आ थक े म ह नह ं राजनै तक े म भी भावी हो गया था।
उ योगप तय ने अपने संगठन बना लये थे। 1785 म ह इं लै ड म 'जनरल चे बर ऑफ
मै यूफे चरस' नामक सगठन था पत हु आ जो उ योगप तय का संगठन था।
म यमवग मु यत: पूँजीप तय का अनुचर वग ह था। यह वग कभी-कभी वत
वचार और यवहार भी करने का यास करता है। यह ऊपर क ओर बढ़ने के लये
मह वाकां ी होता है एवं अनेक बार सफलता न मलने पर उ च वग का वरोधी हो जाता है।
यह वग उ च वग पर अपना भाव था पत करने के लये मक को अपने साथ लेने का
यास करता है। म यम वग म अ यापक, च क सक, वै ा नक, इंजी नयर, ोफेसर, वचारक
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आ द भी सि म लत थे िजनक सापे सामािजक भू मका आर भ हु ई। इनके काय से
जनक याण का वचार और यवहार आगे बढ़ा।
औ यो गक ाि त से उ प न मक वग भी एक नया सामािजक वग था। इस मक
वग का प रवेश ाि त के पूव के मक वग से एकदम भ न था। जहां ाि त के पूव मक
वग अपने आप म श पकार था जो वयं के औजार से घरे लू तर पर उ पादन कर यापार
अथवा उपभो ता को दे ता था, वह ं अब वह नि चत वेतन पाने वाला मक बन गया। उसके
म को उ योगप त नि चत धनरा श म खर दने लगे। ार भ म तो उसे यह यव था उ चत
लगी, क तु कु छ ह समय बाद उसे अपना पोषण प ट दखाई दे ने लगा। मको को ाय:
15 से 12 घ टे तक काय करना पड़ता था। म हलाओं एवं ब च को भी औ यो गक काय म
मक के प म लगाया जाने लगा। कम उ के ब च से भी बडे आदमी क तरह काम लया
जाने लगा। कारखानो म काश, वायु एवं व छता का अभाव रहता था। मशीन से दुघटनाय
आम बात थी, य क ारि भक तौर पर कोई सुर ा मक उपाय नह ं कये गये थे। मक के
आवास, वा य, श ा, भोजन आ द का उ चत ब ध नह ं होने के कारण इनका जीवन
नरक य होने लगा था। उ योगप तय को तो अ य धक समृ ा त हु ई क तु मक वग
गर बी म डू बने लगा था। मक के बढ़ते अस तोष ने मक आ दोलन को ज म दया,
िजससे सामािजक तनाव भी उ प न हु आ।
(3) मानवीय स ब ध म गरावट
समाज म नये वग के उदय ने समाज म नये यवहार और स ब ध को ज म दया।
पर परागत भावना मक मानवीय स ब ध का थान आ थक स ब ध ने ले लया था। िजन
मक के बल पर उ योगप त समृ हो गये थे उनसे मा लक ना तो प र चत था एवं ना ह
प र चत होना चाहता था। मानवीय स ब ध का थान अथ ने ले लया। उ योग म यु त
होने वाल मशीन और तकनीक ने मानव को भी उसी का एक ह सा बना दया था। अत:
मशीनीकृ त जीवन को मु खता मलने लगी। कृ ष एवं यापार धान अथ यव था म संयु त
प रवार था का काफ मह व था, क तु औ यो गकरण के बाद संयु त प रवार था छ न
भ न होने लगी। इस कार सामािजकता के थान पर यि तवाद मह वपूण होने लगा था।
(4) नै तक मू य म गरावट
नये औ यो गक समाज म नै तक मू य म गरावट आयी। भौ तक ग त से शराब
और जु ए का चार बढा। अ धक समय तक काम करने के बाद थकावट मटाने के लये मक
म शराब का चलन और बढ़ा। औ यो गक के पर वे यावृ फैलने लगी।
(5) शहर जीवन म गरावट
शहर म जनसं या क अ य धक वृ के कारण नचले तबके को आवास, भोजन और
पेयजल आ द का अभाव भु गताना पड़ता था। अ य धक जनसं या के कारण औ यो गक के
के आसपास क ची बि तय का व तार होने लगा। ग दगी के कारण क ची बि तय म
महामार का कोप भी होने लगा। वा य क सु वधाओं के अभाव एवं दूषण के कारण
मक वग का वा य वपर त प से भा वत होने लगा।
(6) सां कृ तक प रवतन
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औ यो गक ाि त के प रणाम व प यापक सां कृ तक प रवतन आये। जा त, न ल,
कु ल आ द पर आधा रत सां कृ तक पर पराओं का लोप होने लगा। इसके थान पर नये
सामािजक वग ने नई सं कृ त को' ज म दया। पुराने रहन-सहन के तर क , वेश-भू षा, र त-
रवाज, धा मक मा यता, कला, सा ह व सब कु छ बदल गये। मनोरं जन के साधन म प रवतन
आने लगा। होटल , लब , बार जु आघर आ द का चलन बढ़ने' लगा। रं गमंच एवं सनेमाघर
म मनोरंजन के साधन न कायाक प ह कर दया। पर परागत श ा प त के थान पर
रोजगारपरक एवं तकनीक श ा का वकास हु आ।
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का अ धकार मल गया। इं लै ड म 1870 के बाद मक ने लेबर पाट नाम राजनी तक दल
का गठन कर लया।
(4) वैचा रक प रणाम
अह त ेप क वचारधारा बलवती हो गयी थी। एडमि मथ जैसे अथशा ी इसके प धर
थे। इसके अ तगत औ यो गक और आ थक े म सरकार के ह त ेप को कम कये जाने क
बात पर जोर दया जाने लगा। इसका 19वीं सद के आ थक च तन पर जबरद त भाव पड़ा।
एडमि मथ के वचार म सरकार का काय पु लस क तरह स पि त क र ा करना तथा कानून
का पालन करवाना था। नवो दत पूँजीवाद वग म यह आ थक दशन बहु त लोक य हु आ।
एडमि मथ मु त यापार का भी प का समथक था। कु ल मलाकर आ थक उदारवाद के
स ा त का ज म हु आ जो उ योगप तय के हत म था।
समाजवाद वचारधारा का ज म भी औ यो गक ाि त का ह प रणाम था। गर ब क
ि थ त म सु धार के लये कु छ लोग ने उ पादन के साधान पर सरकार वा म व का मांग क ।
इन लोग को समाजवाद कहा गया। इस दशा म उ लेखनीय ग त 1848 म हु ई जब
कालमा स और े ड रक ऐगे स ने क यु न ट घोषणा प का शत कया। इसके मा यम से
उ ह ने 'दु नया के मजदूर एक हो का नारा लगाया तथा मक को पूँजीवाद को उखाड़ फकने
क ेरणा द । 1848 के पूव जो समाजवाद वचारधारा उपि थ त थी उसे का प नक
(यूटो पयाई ) समाजवाद कहा गया। 1848 म मा स एवं एगे स ने वै ा नक समाजवाद को
आगे बढ़ाया औ यो गक मक को इ ह ने सवहारा क सं ा द , िजसके पास खोने के लये
पांव क बे ड़य के अ त र त कु छ नह ं था तथा जीतने के लये सारा संसार पड़ा था। काल
मा स ने अपनी स कृ त 'दास कै पटल' म अ त र त मू य के स ा त को तपा दत करते
हु ये यह सा बत कया क मक को उनके म और कौशल का पूरा लाभ नह ं मलता है।
पूँजीप त मक का पोषण करते ह। अत: समाजवाद यव था ह मक को पोषण से मु ि त
दला सकती है। इस कार समाजवाद यव था काफ लोक य हो गयी। अ य वैचा रक
धारणाऐं भी औ यो गक ाि त के कारण उ प न हु ई िजसम उपयो गतावाद, व छ दतावाद
आद मु ख ह। कु ल मलाकर औ यो गक ाि त के प रणाम व प वैचा रक े म भी ाि त
आयी।
उपयु त ववरण एवं व लेषण से प ट है क औ यो गक ाि त ने मानव समाज को
गहरे प म भा वत कया। इसके प रणाम व प नई अथ यव था ने एक नवीन समाज क
रचना क । िजसक ता कक प र ण त राजनी तक, वैचा रक, शै क, सां कृ तक, सा हि यक
इ या द े म प रवतन के प म हु ई। इसी प रवतन को ाि त नाम श द से स बो धत
कया गया। इस लये औ यो गक ाि त के भाव अथ यव था तक ह सी मत न रहकर सभी
े म यापकता पूवक हु ए।
3.4 सारांश
पुनजागरण वा ण यवाद के उदय का मु ख कारण स हु आ। वा ण यवाद के
प रणाम व प यूरोप म आधु नक युग का सू पात हु आ। वा ण यवाद ने औ यो गक ां त क
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ेरक शि तय को ज म दया। औ यो गक ां त ने व व मानव समु दाय को गहरे प म
भा वत कया। व व के दे शो के म य दूर को कम कया। उप नवेशवाद का उदय भी
औ यो गक ा त का मह वपूण प रणाम था। इसने व व इ तहास को भार भा वत कया।
3.5 अ यासाथ न
1. वा ण यवाद के उदय के कारण का व लेषण क िजए।
2. वा ण यवाद के प रणाम क या या क िजए।
3. औ यो गक ां त के कारण का व लेषण क िजए।
4. औ यो गक ां त के े क ववेचना क िजए।
5. औ यो गक ां त के प रणाम क या या क िजए।
3.6 स दभ थ
1. एडमि मथ द वे थ ऑफ नेश स
2. मॉ रस डाव टडीज इन द डेवलपम ट ऑफ कैि ट ल म
3. ऐ रक रोल ए ह ऑफ इकनॉ मक थॉट
4. ए. टॉयनवी द इ डि यल रवो थूशन ऑफ एट थ से यू ी इन इं लै ड
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इकाई 4
अमे रका का वत ता सं ाम
इकाई क परे खा -
4.0 उ े य
4.1 तावना
4.1.1 पृ ठभू म
4.3 अमे रका के वत ता सं ाम के मु ख कारण
4.3.1 दोश-पूण शासन त
4.3.2 आ थक संघष
4.3.3 सामािजक कारण
4.3.4 धा मक कारण-
4.3.5 स तवष य यु का भाव
4.3.6 मनोवै ा नक कारण
4.3.7 बौ क जागृ त
4.3.8 ेस का योगदान
4.4 अमे रका के वतं ता सं ाम क मु ख घटनाएँ
4.4.1 यूयाक क वधानसभा का नल बन और बो टन ह याका ड
4.4.2 बो टन ट पाट
4.4.3 थम महा वीपीय काँ स
े
4.4.4 कनकाड एवं लेि संगटन क घटनाएँ -
4.4.5 वतीय महा वीपीय काँ स
े
4.4.6 वतं ता संघष के व भ न यु
4.5 अमे रका क सफलता एवं इं लै ड क असफलता के कारण
4.5.1 भौगो लक कारण
4.6.2 जातीय समानता एवं उदारवाद
4.6.3 उप नवे शय का ढ़संक प एवं जीवट
4.6.4 कुशल अमे रक नेत ृ व
4.6.5 उप नवश क शि त का यून आंकलन
4.5.6 वदे शी सहायता
4.6 अमे रका के वतं ता सं ाम के प रणाम
4.6.1 राजनी तक प रणाम
4.6.2 आ थक प रणाम
4.6.3 सामािजक प रणाम
70
4.6.4 धा मक प रणाम
4.6.5 शै क प रणाम
4.6.6 अ तरा य प रणाम
4.7 सारांश
4.8 अ यासाथ न
4.9 संदभ थ
ं
4.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप -
अमे रका के वतं ता सं ाम क पृ ठभू म क ववेचना कर सकगे।
अमे रका के वतं ता सं ाम के मु ख कारण का व लेषण कर पाएंग।े
अमे रका के वतं ता सं ाम क मु ख घटनाओं क ववेचना से प र चत हो पाएंग।े
अमे रका के वतं ता सं ाम के मु ख प रणाम क या या कर सकगे।
4.1 तावना
अमे रका का वतं ता सं ाम शि तशाल टे न के व अमे रका के अ धकांश
म यमवग य तथा जन साधारण लोग क सफल ां त थी। उप नवे शय ने कानून, यापार,
आवास तथा अ य व भ न वषय पर बाधक सरकार को हटाकर अपनी सरकार बनाई। इस
सं ाम हे तु अमे रका ने ाँस, पेन, जमनी और पौले ड से सै नक सहायता एवं श ण ा त
कया। अजेय इं लै ड उप नवेश के सम कई मोच पर परािजत हु आ। अं ेजी पराजय अथवा
अमे रक वजय म बहु त से उप नवे शय और अं ेज क सजातीयता, अमे रका और इं लै ड के
म य 3000 मील क दूर , अमे रक सेना नय का आजाद ाि त का नै तक उ े य और
मनोबल आ द कई त व मु ख थे। इस वतं ता सं ाम ने वतं ता और मानवीय अ धकार का
उ घोष कया तथा संवध
ै ा नक वचार को नव आयाम दान कये। इसने राजतं एवं कु ल न
तं के थान पर लोकतं के आदश को त ठा पत कया।
4.1.1 पृ ठभू म
71
एक नया महा वीप है। अम रगो वे पुची क नव खोज के आधार पर इस नये महा वीप का
नाम अमे रका रखा गया।
पोप वारा वीकृ त ा त कर 1532 ई. तक पेन ने अमे रका महा वीप म अपना
वशाल औप नवे शक सा ा य था पत कर लया। मैि सको, पे पलो रडा, सट आग ट न
(यूरोपीय लोग वारा अमे रका म था पत क गई पहल ब ती), रयो ांड,े कै लफो नया क
खाड़ी, यूनोस आयस, सेि टयागो. आ द इस सा ा य क मु ख बि तयाँ थी।
इं लै ड के राजा हे नर स तम ् से सहायता ा त कर 1497 ई वी म इटल के जॉन
कैबोट ने अमे रका के यूफाउ डलै ड (कनाडा का पूव तट) क खोज क । इस खोज ने उ तर
अमे रका म टश सा ा य क थापना का माग श त कर दया। 1609 ई वी म अं ेजी
अ दे शक हे नर ह सन ने हडसन नद क खोज क ।
ाँस के राजा ाँ सस थम क सहायता से इटल के ना वक वेराजेनो ने 1524 ई वी
म उ तर कैरो लना से लेकर यूयाक तक क खा ड़य को खोज नकाला। ाँस के जै स
का टयर तथा मा वत ने मश: 1535 ई वी म सट लॉरे स नद तथा 1608 ई वी म यूबेक
का अ वेषण कया।
इन सम त खोज के पीछे वण, रजत, बहु मू य तर, मोती, आ द क ाि त का
उ े य मु य प से रहता था। इनक पू त के यास म इन खोज कताओं के थानीय वा सय
से अनेक बार संघष हु ए तथा कु छ अ वेषक ने अपनी जान भी गंवाई।
इं लै ड नवासी टोफर यूपोट के नेत ृ व म 104 अं ेज के दल ने वज नया म
जे स टाउन नामक थम अं ेज ब ती क थापना क । शनै: शनै: 1850 ई. के आस-पास
टे न ने अमे रका म अपने 13 उप नवेश था पत कर लये, वज नया, मैर लै ड, मैसाचूसे स ,
कनेि टकट, रोढ आइलै ड, नॉथ कैरो लना, साउथ कैरो लना, यूयाक , यूजस , यू है पशायर,
पैन सलवे नया डेलावरे तथा जािजया। इनके वा सय म अ धकांशत: अं ेज थे जो टश मूल के
थे। अ य डच, वी डश, च, जमन, ि वस, कॉच एवं आइ रश थे। 1763 ई. तक इन
व भ न जा तय एवं न ल के औप नवे शक समु दाय के कारण संयु त रा य अमे रका क
जनसं या बढ़कर 15 लाख हो गयी जो जनसं या यूरोपीय के आगमन से पूव 16 वीं शता द
तक 10 लाख थी। इन उप नवेश का समाज भेदभाव वह न, सह-अि त व एवं सह- वकास पर
आधा रत था। इनका आ थक तं यि तगत उ यम को वशेष मह व दे ता था। राजनी तक तं
वशासन धान प तयाँ लये हु ए था। ाँसीसी लेखक े वन कोर के अनुसार व भ न रा के
यि त सामू हक प से एक नई न ल या जा त के प म पा त रत हो गये। यहाँ उ ह जन
संहारक यु , नधन क यु हे तु जबद ती भत , धा मक और सामािजक उ पीड़न, आ थक
शोषण और राजनी तक उ पीड़न से मु ि त क आशा थी।
संयु त रा य अमे रका के मू ल नवासी रे ड इं डय स का राजनी तक संगठन जातां क
क बलाई जीवन का प लये हु ए था। आ थक जीवन का आधार कृ ष एवं आखेट था। यूरोपीय
लोग वारा कृ ष भू म क व तृत अवाि त, शकार े का मश: कम होना, यूरोपीय के
भाव म रे ड इं डय स का शराब क आदत म ल त होना, वेत यि तय वारा लाई गई
72
बीमा रय का शकार होना एवं प रणाम व प रे ड इं डय स क जनसं या का उ तरो तर कम
होना आ द अनेक कारण ने रे ड इं डय स एवं यूरोपीय जा तय के बीच संघष क ि थ त को
पैदा कर दया।
1776 ई. से 1763 ई. तक तेरह उप नवेशो म आबाद भ न भ न वग के लोग ने
वयं को इं लै ड के आ धप य के व लड़ने वाले एक वग के प म ग ठत कर एक द घ
काल न वत ता यु छे ड़ दया।
73
पर पर स दे ह, अ व वास एवं तनावयु त बन गए। अमे रक उप नवेशो क सरकार तथा टश
पा लयामट के बीच त न ध शासन, वशासन तथा टश संसद क सव चता आ द मु पर
प ट मतभेद था पत हो गया। त न ध सरकार टश पा लयामट क कायका रणी मशीन
मा थीं। कई नव औ यो गक क वे संसद के लए त न ध चु न कर भेजने के अ धकार से भी
वं चत कर दये गये थे। ने व स और कौमजर “संयु त रा य अमे रका का इ तहास” म लखते
ह क टश संवध
ै ा नक या ने 1688 ई. के बाद एक अलोकतं ीय णाल वक सत क
िजसके अनुसार नये नमाण उ योग वाले क व को संसद के लये त न ध व के अ धकार से
वं चत कर दया गया और नवा सय से बड़ी सं या म मता धकार भी छ न लया गया। अत:
18 वीं शती के दौरान इस बात के लये संघष चलता रहा क मता धकार बढ़ाया जाए तथा नए
क व और पि चमी दे श को' उ चत त न ध व दया जाय जो इस अ धकार से वं चत थे।
अं ेज कु ल न वग के सद यो को अमे रक उप नवेशो म बड़े-बड़े शास नक पद ा त
थे तथा उ ह वह ं के वशाल भौगो लक े के उपयोग के अ धकार प जार कये जाते थे।
1760 ई वी म जॉज तृतीय के इं लै ड के राज संहासन पर आसीन होने के बाद इं लै ड क
आंत रक राजनी त का व प संसदा मक एवं वैधा नक न रहकर वै छाचार शासन यव था के
समान हो गया। स ाट चापलूस एवं खु शाम दय से अ धक घरा रहता था। स ाट के म म
साम त एवं कु ल न वग के लोग अ धक थे िज ह ने वयं क लाभ ाि त के लए उप नवेश म
बड़ी नौक रयां एवं े ा त कर उप नवेश के दोहन क वृ त अपनाई। जॉज तृतीय के मं ी
ेनवाइल ने अमे रक उप नवेश पर म ययुगीन जागीर के समान भावी नयं ण कायम कया
तथा वहां थायी सेना था पत क । अमे रक उप नवे शय से उनक सु र ाथ रखी गई सेना का
यय भार उ ह ं से लेने का नणय लया गया, क तु उप नवेशी इसके लए तैयार नह ं थे।
अत: जॉज तृतीय के वे छाचार शासन उसक नी तय , उसके मं य और म को भी उन
प रि थ तय के वकास म सहयोगी माना जाता है िजनसे अमे रक वतं ता सं ाम ने ग त
पकड़ी।
4.3.2 आ थक संघष
75
करने पर नयं ण लगा दया गया। अब उनके लए लोहे क एक छड बनाना भी मु ि कल हो
गया।
ांस के साथ लडे गए स तवष य यु (1756 से 1763 ई वी) से इ लै ड क आ थक
ि थ त बगड़ गई। अं ेज के अनुसार इस यु म उप नवेश क र ा के लए अ य धक यय
हु आ। अत: उप नवेश से संर ण यय वसू ल कया जाना नि चत हु आ। धानमं ी ेन वल और
मं ी टाउन शै ड ने 1764 ई. म संशो धत शु गर ए ट पा रत कया गया। िजसके अनुसार
आया तत शोरे , शराब, रे शम, काँफ तथा अ य कु छ व तुओं पर कर लगा दया गया। इस कर
का आरोपण उप नवेशी यापा रय के आ थक हत के लए असंतोषजनक था। उदाहरणत:
अ धकाश उप नवेशी शीरा ाँसीसी एवं डच पि चमी वीप समूह से बना आयात कर दये
मंगाते थे। यह तबंध अं ेज उ पादक के लए नह ं था। अत: यह मु ा शी ह ववादा पद
बन गया तथा त न ध व के बना कर नह ं दे ने का वर जोर पकड़ने लगा। वधानसभाओं
तथा नगर सभाओं ने भी इसका वरोध कया।
1765 ई. म बले टंग ए ट पा रत कया गया। िजसके अनुसार यह नधा रत कया
गया क राजक य सै नक को आवास और ज रत क व तुएँ उप नवेशी दान करगे। 1765 ई.
म ेन वल ने “ टा प ए ट'' पा रत करवा दया िजसके अनुसार कई समाचार प , प काओं,
लाइसस , प े, रिज , कानूनी द तावेज आ द पर टा प लगाना अ नवाय कर दया गया।
य यप टा प से होने वाल आय का उपयोग उप नवश पर ह कया जाना था फर भी
वभ न थान यथा वज नया, मसाचू से स, यू इं लै ड, यूयाक , और पेि सलवे नया म इस
ए ट का जोरदार वरोध हु आ। वतं ता हे तु संग ठत दल के म य “ बना त न ध व के कर
नह ” का नारा गु ज
ं ायमान हो गया। यूयाक म 9 उप नवेश के त न धय ने सामू हक प से
जबद त वरोध कट कया तथा नगर य मि य ने हंसा मक दशन कर टा प ए ट वसू ल
करने वाले अ धका रय का जीवन दुभर कर दया। टा प ए ट के वरोध म ह अमे रक
उप नवेश म अं ेजी माल का ब ह कार कया गया। इससे अं ेजी यापा रय को भार नुकसान
वहन करना पड़ा। धानमं ी रो कं घम (Rockingham) क सरकार को ववश होकर 1766 ई.
म टा प ए ट नर त करना पड़ा।
1767 ई. म व तमं ी टाउनशै ड ने एक नयम पा रत कर सीसे, काँच, रं ग एवं चाय
पर आयात कर लगा दया। ई ट इि डया कंपनी वारा अमे रका को भेजी जाने वाल चाय पर
यह कर नह था। दूसरे नयम कं अनुसार उप नवेश म उ पा दत व तु ओं पर सम त चुँगी क
वसू ल स ाट वारा नयु त क म नर ह करगे। यापा रय ने इन नयम के व जमकर
त या य त क । इं लै ड म उ पा दत व तु ओं का ब ह कार कया गया। अमे रक त या
के सामने टश संसद को अपना ख नरम करना पड़ा और चाय-कर के अलावा टाउनशै ड
वारा लगाये गये ाय: सभी कर हटा दये गये।
76
4.3.3 सामािजक कारण
4.3.4 धा मक कारण
77
कर अं ेज और अमे रक मतभेद को बढ़ावा दया। अत: स तवष य यु के प चात ् अम र कय
का ि टकोण टश सरकार के त पूणतया बदल गया।
4.3.7 बौ क जागृ त
78
(1735 ई- 1826 ई.) ने मौ लक अ धकार के स ा त लए जनता म जागृ त पैदा क ।
उ ह ने ां त के ज बे को अम र कय के दय म सं ाम से पूव ह ि टगत ् कर लया था।
उनके अनुसार “ ां त लोग के मि त क म थी एवं उप नवेश क एकसू ता म थी, ये दोन
काय वा त वक यु ार भ होने से पहले ह पूण हो चुके थे।“वज नया के टॉमस जेफरसन
(1743ई- 1826 ई.) ने उप नवेश क वतं ता क मांग को उ चत व यायो च त ठहराया।
इसी कार यूयाक के जॉन जे. (1745 ई.-।829 ई.) तथा अ य वचारक एवं रा वा दय ने
अपनी रचनाओं, भाषणाओं, स य योगदान आ द से वतं ता, समानता, स भु ता, मानवीय
मू ल अ धकार, जनतं के स वा त का चार कयातथा इनक ाि त क दशा म ां त एवं
संघष को औ च यपूण नधा रत कर दया।
4.3.8 ेस का योगदान
79
4.4.2. बो टन ट पाट
80
1775 ई. को कनकाड क तरफ रवाना क तथा जॉन हे नकॉक तथा से सैमअ
ु ल एड स को
गर तार करने का आदे श दया। कनकाड पहु ंचने से पूव लै संगटन नामक थल पर 70
सश यि तय के समूह के साथ टश सेना क एक छोट लड़ाई म आठ अमे रक और एक
टश सै नक मारा गया। कनकाड पहु ंचकर टश सेना ने आयुध भ डार! को न ट कर दया।
क तु कनकाड से बो टन लौटती हु ई टश सेना को हजार वयं सेवक , औप नवे शक.
सै नक तथा नाग रक से ट कर लेनी पड़ी और लगभग 200 टश सै नक मारे गये।
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वतं ता संघष के सू म व लेषण के प चात इस जीत एवं हार के पाशव म न हत उ तरदायी
त य को हम न नवत ् रे खां कत कर सकते है -
83
4.5.4 कुशल अमे रक नेत ृ व
84
संघीय शासन यव था आ द के वारा यव त प दान कया गया। इससे पूव अमे रका के
तेरह उप नवेश टश स ता के अधीन थे। सं ाम क सफलता ने तेरह उप नवेश को एक
वतं रा के प म संयु त कर दया और संयु त रा य अमे रका का ज म हु आ। इं लै ड
के नरं कु शवाद को आघात पहु ँचा तथा स ाट के अ धकार को सी मत करने, संसद के अ धकार
म वृ करने के य न हु ए ता क भ व य म यि तगत शासन क संभावनाएँ नह ं ह ।
4.6.2 आ थक प रणाम
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पड़ा। ये जागीर लाख छोटे कसान म आव टत कर द गई जहाँ पूव म वे केवल नौकर बन
कर ह जाते थे। सरजॉन वेटवथ, जे स राइट, सर व लयम पैपरे ल एवं इसी कार कई कु ल न
ने अपनी जागीर खोई। जागीर क ज तता नधनता उ मूलन एवं सामािजक समानता क दशा
म एक मह वपूण कदम था।
दास था समा त करने क दशा म भी काय कया गया। 1781 म मसाचूसे स म
दावा को मु त घो षत कर दया गया। साउथ कैरा लना और जािजया के अ त र त सभी रा य
ने वदे श से दास का आयात तबि धत कर दया।
4.6.4 धा मक प रणाम
4.6.5 शै क प रणाम
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अमे रका क वतं ता ने आय रश जनतं का माग श त कया। आयरलै ड के
नेताओं ने भी टश सरकार के सामने संयु त प से एक मांग-प तु त कया। यह मांग-
प डू नगेनन म बुलाई गई एक क वशन म तैयार कया गया था। प रणामत: इं लै ड को
1780 ई. म वा ण य कानून तथा 1782 ई. म पोइंग अ ध नयम समा त करना पड़ा। इससे
आय रश जनता को यापार वा ण य म पया त वतं ता ा त हु ई।
अमे रका के वतं ता संघष ने ाँस क ां त का माग श त करने म भी भू मका
नभाई। ाँस ने स तवष य यु म हु ई पराजय का बदला लेने हे तु अपने श ु इं लै ड के व
अमे रका को सहायता दान क । िजसम उसे भार यय का सामना करना पड़ा और उसक
आ थक ि थ त संकट त हो गई। सहायता के तफल म ाँस को कोई बड़ा उप नवेश भी
हाथ नह ं लगा। ाँस के सै नक ने उप नवे शय को एक जु ट होकर राजनी तक एवं आ थक
अ धकार क ाि त क दशा म शोषण के व संघष करते दे खा। इन प रि थ तय ने
नरकं ु श शासन, शोषण असमानता, संकट त आ थक ि थ त के व उ ह अपने दे श म भी
ां त का बगुल बजाने क रे णा द ।
4.7 सारांश
उपरो त ववेचन एवं व लेषण के आधार पर हम सारांशत: यह कह सकते है क
अमे रका का वतं ता संघष लोकतं क दशा म एक महान ऐ तहा सक घटना है। िजसके
फल व प एक नये रा का ज म हु आ। इस ां त को सफल बनाने म थानीय नेताओं,
बु जीवी वग , सामा य जन क उ साहपूण स य भागीदार , वदे शी सहायता, उदारवाद अं ेज
क सहानुभू त, बु एवं कु शल नेत ृ व तथा ल य ाि त के त ढ़ तब ता आ द त य
उ लेखनीय ह। इस ां त ने ल खत सं वधान, के बनेट था, मता धकार, मौ लक अ धकार,
सामािजक समानता के स ा त के नव आयाम था पत कये तथा आ थक शोषण के व
वशाल जनमानस वक सत कया। अमे रका वह पहला रा था िजसने धम को पूणतया
यि तगत वषय एवं वचार के प म वीकार कया िजसके अनुसार रा य धम क घोषणा को
अनु चत तथा धम एवं रा य के म य यायसंगत वभेद करण को उ चत ठहराया गया। उसने
व व के अनेक परतं तथा आ त रक अ यव था तथा ू र शासन से त दे श के लए
वतं ता संघष एवं रा य जागृ त क ेरणा पद मसाल कायम क । व भ न दे श म शासन,
याय, अथ, धम एवं समाज आ द व भ न तर पर त जनता अपने हत क र ा के लए
संघष हे तु जाग क होने लगी। इससे े रत होकर द ण अमे रका के लोग ने भी पेन तथा
पुतगाल के शासन के व मु ि त संघष कया। आयरलै ड के जनतं का माग अमे रका क
ां त ने श त कया और आइ रश जनता ने आ थक तब ध को समा त करने तथा
वाय त आय रश संसद क थापना के लये टश सरकार के व संघष कया। नरकं ु श
शासन क समाि त हे तु ाँसीसी ां तका रय के लए भी अमे रका का वतं ता सं ाम एक
ेरणा पद एवं अनुकरणीय उदाहरण था। ाँसीसी ां त के मु य स ा त वतं ता, समानता
और बंधु व के उ भव का मू ल अमे रका क ां त म न हत है। ए शया तथा अ का के
पराधीन दे श को अपने वतं ता संघष म इस ां त से ेरणा मल । 20 वीं शता द म
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भारतीय रा वा दय के लए भी यह ां त ेरणा ोत थी। अत: सम प से इस सं ाम ने
नरकं ु श सा ा यवाद, वा ण यवाद, ाचीन उप नवेशवाद तथा यि तगत अ धकार पर अंकुश
लगाने तथा जातं का वकास करने म मह वपूण योगदान दया।
4.8 अ यासाथ न
1. अमे रका क खोज का सं त प रचय द िजए।
2. अमे रका म था पत व भ न अं ेजी बि तय का सं त उ लेख क रए।
3. अमे रका के वतं ता सं ाम के मु ख कारण का व लेषण क रये।
4. अमे रका के वतं ता सं ाम क चार मु ख घटनाओं का ववरण द िजये।
5. अमे रका के वतं ता सं ाम के राजनी तक एवं आ थक प रणाम को रे खां कत क रये।
6. अमे रका के वतं ता सं ाम के सामािजक और धा मक प रणाम क ववेचना क रये।
4.9 संदभ ंथ
1. ने वस, एलेन ए ड कौमजर, संयु त रा य अमे रका का इ तहास, ट लग
2. हे नर ट ल (अनु. कृ णच ) पि लशस, नई द ल , 1972
3. स सेना, बनारसी साद अमे रका का इ तहास, बहार ह द ं अकादमी,
थ
पटना थम सं करण, 1972
4. पा स, हे नर बेमफोड द यूनाइटे ड टे स ऑफ अमे रका-ए ह ,
सांइ ट फक बुक क पनी, कलक ता, तृतीय
सं करण, भारतीय पुन :मु ण, 1976
5. माथुर, बी.एस. संयु त रा य अमे रका का इ तहास, राज थान
ह द थ
ं अकादमी वतीय सं करण, 1992
88
इकाई 6
ांस क ां त
इकाई क परे खा
5.0 उ े य
5.1 तावना
5.2 ां त से पूव ांस क दशा
5.3 ांस क ां त के कारण
5.3.1 राजनी तक कारण
5.3.2 सामािजक कारण
5.3.3 आ थक कारण
5.3.4 सेना म या त असंतोष
5.3.5 अ यवि थत शासन णाल
5.3.6 दे श म या त बौ क चेतना
5.3.7 वदे शी घटनाओं का भाव
5.4 ांसीसी ां त क शु आत एवं उसके मह वपूण चरण
5.4.1 ां त का थम चरण रा य महासभा (1789-1791)- ांस म संवध
ै ा नक
राजतं क थापना
5.4.2 ां त का वतीय चरण वधान नभा ी सभा (1791-1792) एवं रा य
स मेलन - ांस म गणतं क थापना
5.4.3 ां त का तृतीय चरण: डाइरे टर का शासन (1795-1799)
5.5 ां त के प रणाम
5.6 ांस क ां त का मह व
5.7 सारांश
5.8 अ यासाथ न
5.9 संदभ थ
ं
5.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप -
ां त से पूव ांस क दशा कैसी थी?
ांस क ां त के लए उ तरदायी मु ख कारण या थे?
यह ां त कन चरण से गुजर ।
ांस क ां त के प रणाम या रहे?
व व इ तहास म ांसीसी ां त का या मह व है?
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5.1 तावना
ांस क ां त (1789 ई.) व व इ तहास क एक मह वपूण घटना है। इसने पुरातन
यव था को पूर तरह चु नौती दे ते हु ए बड़े सश त ढं ग से व व इ तहास म तीन नये आधु नक
आदश रखे- वतं ता, समानता एवं ातृ व। वतं ता के आदश के यवहा रक प से ांस क
ां त ने यह प ट कर दया क स ता ऊपर से नह ं आती, बि क नीचे से अथात ् जनता से
उठकर ऊपर जाती है। वतं ता का यह वचार स ता एवं पर परा के त ाचीन स ा त के
त व ोह का प ट रे खांकन था। ‘समानता के स ा त' के उ घोष के अ तगत कु ल न वग
के पर परागत वशेषा धकार को चु नौती द गई तथा कानून के सम सभी लोग क समानता
क बात कह गई। ' ातृ व’ का संदेश मनु य के म य रा य ेम एवं सौहाद क भावना को
शि तशाल बनाने के यास से सामने आया। इन तीन ह स ा त ने मनु य मा के गौरव
एवं स मान के स ा त को पु ट कया।
18 वीं सद के म य तक जो ांस ाचीन सं थाओं का के था वह 18 वीं शता द
के अंत तक ां त का के बन गया। ां त से पहले ांस राजतं ा मक नरं कु श शासन और
राजनी तक अ यव था व अशाि त, साम ती अ याचार, सामािजक दुदशा, आ थक दवा लयापन
आ द का शकार था। य य प यूरोप के अ य दे श म भी प रि थ तयां यादा अ छ नह ं थी,
ले कन ांस म अस तोष पराका ठा पर पहु ंच गया था और वहां ां त का व फोट होना
अ य मावी हो गया था। इ तहासकार हे जन का कहना है क '' ांस क ां त वहां के रा य
जीवन क बुराइय , प रि थ तय तथा सरकार क ु टय के कारण हु ई थी।“ इस ां त के
फल व प ांस के स ाट लु ई सोलहव को ाणद ड भु गतना पड़ा और ांस म राजतं क
समाि त होकर गणतं क थापना हु ई। ांस क ां त से जो वचार सा रत हु ए उ ह ने
उ नीसवीं एवं बीसवीं सद के व व इ तहास को एक दशा दान क ।
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इ छानुसार टै स लगाता था। सरकार कमचार जनता पर अ याचार करते थे, और र वतखोर
वारा अपने को समृ बनाने म लगे रहते थे। जनता वारा वसूले गए टै स को राजा व उसके
मं ी वे छापूवक और फजूलखच से यय करते थे।
2. चच का रा य पर भाव -
ांस का चच बहु त समृ और शि तशाल था। नरं कु श व वे छाचार शासन म वह
राजा का मु ख सहायक था। बड़े पादर और मह त अपने धा मक कत य क उपे ा करते थे
और राजदरबार क सािजश म भाग लया करते थे। पादर भोग वलास म जीवन बताते थे।
जनता को धा मक व वास और पूजा क वतं ता नह थी। चच क इस वकृ त दशा के कारण
श त जनता म नाि तकता का चार हो रहा था।
3. असमान समाज यव था -
ांस का समाज तीन े णय म वभ त था। थम पादर अथवा धमा धकार , वतीय
कु ल न या सामत एवं तृतीय वग साधारण जन (कृ षक एवं मजदूर)। थम व वतीय वग के
लोग तृतीय वग के कसान एस म यम वग के लोग का शोषण कर रहे थे और वला सतापूण
जीवन यतीत कर रहे थे। म यम वग के श त एवं स प न लोग क सं या नर तर बढ़
रह थी, ले कन राजनी तक ि ट से उनका कोई मह व नह ं था। दे हात क बहु सं यक जनता
अभी अ -दास क दशा म थी। उनका घोर शोषण कया जा रहा था।
4. श ा पर चच का भाव -
श ा चच के अधीन थी, इस लए इस युग के व यालय ान व काश के के न
होकर पुरानी पर परा क सा दा यक श ा को अ धक मह व दे ते थे। बहु सं यक जनता
अश त थी। नये वचार क पु तक के काशन पर सरकार का तब ध लगा हु आ था। इस
कारण ान का व तार वतं प से नह ं हो सकता था।
5. जनता म असंतोष
शहर म नवास करने वाल म यम ेणी और मजदूर जनता म अस तोष बहु त अ धक
था। ांस का औ यो गक वकास न होने के कारण वहां के मक क दशा बहु त शोचनीय थी।
आम जनता म नरं कु श राज- यव था व सामािजक असमानता के व ां त क भावना
नर तर बढ़ती जा रह थी। इन प रि थ तय म ांस क जनता का जीना मु ि कल हो गया था,
इस लए 1789 ई. म उसने अपनी सरकार के खलाफ व ोह का झ डा खड़ा कर दया।
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18 वीं शता द क ांसीसी ां त पर भी उपयु त नयम लागू हु आ था। उस समय
ांस म न केवल शो षत एवं असंतु ट सामािजक वग व यमान थे बि क समाज क संरचना
भी वरोधाभास पूण थी। समाज का कानूनी ढांचा अब भी साम तीय था जब क समाज म
आ थक नेत ृ व नवो दत म य वग के हाथ म पहु ंच गया था। यह ि थ त ल बे समय तक नह ं
रह सकती थी और इसी लए अपनी आ थक मजबू रय से बा य होकर लु ई सोलहव क सरकार
ने सु धार क दशा म कदम उठाया। ले कन एक ओर तो कु ल न-वग ने उ ह सफल नह ं होने
दया और दूसर ओर उनक असफलता से लाभ उठाकर बु जीवी वग ने ांस को ां त के
माग पर ला खड़ा कया। इस कार ांस क ां त के लए अनेक कारण उ तरदायी थे, जो
मु यत: ांस क ाचीन यव था म न हत थे। इसके अलावा ता का लक कारण भी थे इन
कारण को न न ल खत शीषक म वभ त कया जा सकता है।
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चला रहा था। रानी शासनकाय म ह त ेप करती रहती थी, मि य क नयुि त म दखल दे ती
थी और हमशा ष यं म लगी रहती थी। इस कार लु ई सोलहव के काल म ांस म
अराजकता एवं अ यव था फैलने लगी।
3. वला सता तथा शानशौकत पर अपार खच -
ांस के शासक ने वला सता और दखावे पर अपार धन खच कया। लु ई चौदहव ने
पे रस से 12 मील दूर वसाय नगर म एक सु दर शीश महल का नमाण करवाया था, िजस पर
10 करोड़ पए खच हु ए थे। इसम वह बड़ी शान-शौकत से रहता था। लु ई प हव व लु ई
सौलहव ने भी उसी महल म वला सतापूण जीवन बताया। इस वसाय के शीश महल म 18
हजार यि त रहते थे, िजनम से 16 हजार लु ई सोलहव के दास तथा 800 महारानी मर क
दा सयां थीं। शेष लोग म राजप रवार के अ त थ तथा साम त थे। वसाय नगर राजा और उसके
दरबा रय के भोग- वलास का के था। लु ई सोलहवां अपनी वला सता पर 6 करोड़ पए
वा षक खच कर रहा था। जब क ांस क जनता गर बी म बुर तरह पस रह थी जनता क
पसीने क कमाई को कर के प म वसू ल कर उसे आमोद- मोद, शान-शौकत ओर भोग वलास
म खच कया जा रहा था। राजा और रानी क फजुलखच के कारण रा य क आ थक दशा
बगड़ती जा रह थी और वह लगातार दवा लया बनता जा रहा था।
4. नरं कु श वार ट था -
ांस के राजा बहु त वे छाचार थे। वे िजसको चाहते, गर तार कर सकते थे। इसके
अलावा एक और था थी, िजससे लोग क वतं ता हर समय खतरे म थी। राजा एक कार
के वार ट जार करता था, िज ह ‘लैटस द कारो’ कहा जाता था। राजा ये प अपने र तेदार ,
कृ पा-पा , कमचा रय आ द को दे ता था, िज ह दखाकर कसी भी यि त को ब द बनाकर
दि डत कया जा सकता था िजसका पता राजा को भी नह ं होता था। ये मु त प ं भी एक
उपहार थे, एक कृ पा थी िजसे राजा बड़ी उदारता के साथ अपने कृ पापा को दया करते थे।
अनेक नरपराध लोग इन प से क ट भोगते थे। इससे आम लोग के याय और वत ता का
हनन हो रहा था।
5. स ाट क सा ा यवाद नी त -
ांस के स ाट ने सा ा य सार क नी त को अपनाया था िजसके कारण ांस को
अनाव यक प से यूरोप के कई यु म भाग लेना पड़ा। इसम रा य का बहु त अ धक धन
खच हु आ। खजाने को भरने के लए जनता पर अनेक कर लगाये गए, तो जनता का असंतोष
भड़क उठा।
6. दोषपूण शासन यव था -
ांस का शास नक ढांचा भी बड़ा अ म, अ यवि थत और खच ला था। शासन का
मु ख राजा था। उसक सहायता के लए पांच स म तयां थी, जो कानून बनाने, आदे श पा रत
करने, तथा रा य क ग त व धय को संचा लत करने का काय करती थीं। इन स म तय म
राजा वारा मनोनीत उसके कु छ कृ पापा होते थे। शास नक वके करण क ि ट से ांस
को 36 ा त म व िजल म बांटा गया था। येक ांत व िजले म अलग-अलग शासन
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णाल च लत थी। ांस म थानीय वशासन जैसी कसी इकाई का वा त वक अि त व नह ं
था। ांस का शासन लगभग पूर तरह वसाय म केि त था। सरकार पद पर नयुि त
यो यता के आधार पर नह ं होती थी। कु ल न तथा अमीर लोग पद को खर द लेते थे और उ ह
स मान तथा आय बढ़ाने का साधन समझते थे। ए टन के अनुसार “ ांस क रा य- ां त
मु यत: अ यव था के व यव था के लए आ दोलन थी।“
7. कानून क अराजकता -
दोषपूण याय यव था के खलाफ भी ांसीसी जनता म भयंकर असंतोष फैला हु आ
था। दे श म एक समान कानून -प व त का अभाव था। अलग-अलग े म अलग-अलग कानून
चलते थे। कु छ े म रोमन कानून - यव था च लत थी तो कु छ े म पार प रक साम ती
कानून चलते थे। अनुमानत: ांस म 285 वभ न कार क पार प रक कानून यव थाय
चलती थीं। इसके साथ ह कानून राजा एवं भावशील यि तय के हाथ क कठपुतल मा थे।
कसी भी यि त को, बना कोई कारण बताए, वार ट जार करके गर तार कया जा सकता
था और बना कसी अ भयोग के अ नि चत काल तक जेल म रखा जा सकता था। कानून क
इस अराजकता से जन-जीवन बहु त उ पी ड़त था।
8. वतं ता पर तब ध -
ांस क जनता को कसी कार के राजनी तक अ धकार ा त नह ं थे। उ ह भाषण,
लेखन, वचार अ भ यि त और धम क वतं ता ा त नह ं थी। जनता म स ाट के नरं कुश
व वे छाचार शासन के खलाफ असंतोष फैला हु आ था और यह असंतोष ां त के प म
बाहर आया। य द ांस के लोग को वचार य त करने क वतं ता मल जाती तो जनता
नरं कु श शासन के खलाफ अपने वचार कट करके अपने ोध को शांत कर लेते और
स भवत: ां त कु छ समय के लए टल सकती थी।
9. लोकसभाओं का अभाव -
ांस म कानून बनाने के लए अथवा राजक य वषय पर वचार करने के लए ऐसी
जन त न ध सभाएं नह ं थीं, जहां पर जनता के त न ध एक हो सक। य य प पहले ांस
म ऐसी एक सभा थी िजसे 'ए टे टस ् जनरल' कहां जाता था ले कन 1614 के बाद उसका एक
भी अ धवेशन, नह ं हु आ था। उसके संगठन और नयम के बारे म अब जनता को कोई
जानकार नह ं थी। अब तो ांस पर राजा का अबा धत शासन था राजा ने अपनी सहायता के
लए कु छ सभाएं बनायी थी ले कन वे सफ राजा के त उ तरदायी थी। इनका उ े य यह था
क राजा अपने सामा य राजक य काय क तरफ से भी नि चत हो सके, और सब च ताओं
से मु त -होकर आराम से अपने कृ पापा के साथ आमोद- मोद म य त रह सके।
10. वदे श नी त क असफलता –
लु ई चौहदव के शासनकाल म ांस यूरोप म सबसे शि तशाल रा हो गया। उसने
अनेक यु कर ांस क सीमाओं का व तार कया। उसक वदे श नी त क सफलता ने ांस
क त ठा म वृ क थी। लु ई चौहदव के दोन उ तरा धकार कमजोर स हु ए और उनके
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शासनकाल म ांस के उप नवेश को इं लै ड ने छ न लया था। इससे अ तरा य े म
ांस क त ठा को बहु त हा न पहु ंची। वाभीमानी ांसीसी जनता इससे बहु त ु ध थी।
11. रा यता का अभाव -
चू ं क ांस पर एक राजा का शासन था अत: ऊपर से वह एक रा दखाई दे ता था।
ले कन सह अथ म अभी वहां रा यता का उदय नह ं हु आ था। जनता म एक रा क
भावना का अभाव था। अलग-अलग ा त के लोग खु द को ांस का नाग रक न मानकर
अलग-अलग ांतो का नवासी मानते थे। ा त के बीच म माल के आवागमन पर आयात व
नयात कर लगते थे जो इस बात का तीक थे क ांस अब भी एक दे श नह ं है, बि क
अनेक दे श का समूह है।
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अपने तथा अपने प रवार का भरण पोषण करना पड़ता था। ांस के अ धकांश कसान भू ख,े
नंगे और गर ब थे। जहां जमींदार के शकार के वशेषा धकार उनके खेत को उजाड़ दे ते थे
अकाल, बाढ़ आ द ाकृ तक वपि तयां भी उनक तबाह कर दे ती थी। नगर म काम करने वाले
मक एवं शि पय क दशा भी अ छ नह ं थी। उ ह बहु त कम वेतन मलता था, और बहु त
अ धक समय तक काम करना पड़ता था। वे भीड़भाड़ वाल जगह पर रहते थे और उ ह भोजन
भी पूरा नह ं मल पाता था। मजदूर संग ठत भी नह ं थे। ये अपनी हालत से बहु त अस तु ट
थे। जब रा य ां त हु ई तब मक वग बड़े उ साह से अ यव था और दं गा करने के लए
उसम शा मल हो गए। ां त म उ ह-'खोना कु छ नह ं था और बना पसीना बहाये वे बहु त कु छ
ा त कर सकते थे।
तृतीय ए टे ट का सबसे बु एवं सवा धक असंतु ट वग म यम वग या बूजु आ वग था
जो क कु ल जनसं या का लगभग 10 तशत था। म यम वग म वक ल, च क सक,
सा ह यकार, लेखक व क व, यापार , साहू कार, कलाकार, नट-नतक, सरकार नौकर और छोटे -
बड़े कारखान के मा लक शा मल थे। ांस क स पि त, दमाग, व या और कारोबार इस वग
के लोग के पास थे। ले कन उ ह कु ल न के समान सामािजक स मान ा त नह ं था और वे
राजनी तक अ धकार से वं चत थे। म यम वग के असंतोष का एक कारण यह भी था क
यो य होने पर भी इस ेणी के लोग को ऊँचे पद पर नयु त नह ं कया जाता था, इस लए
म यम वग के लोग ने माँग क क कानून सामािजक समानता था पत कर। इसी कारण से
ांसीसी ां त के समय समानता का नारा लगाया गया था। ां त क बौ क पृ ठभू म तैयार
करने म म यम वग ने मह वपूण भू मका नभाई। ांस क ां त का नेत ृ व म यम वग के
वारा कया गया था और सबसे यादा लाभ भी इसी वग को हु आ।
इस कार ांसीसी समाज क ाचीन यव था म व भ न वग के म य घोर
असमानता या त थी। पद, त ठा तथा उ न त के अवसर म व भ न वग म बहु त
वषमताएं व यमान थी। आम जनता को साधारण नाग रक अ धकार भी ा त नह ं थे। उसे
धा मक वतं ता भी ा त नह ं थी। ेस, संगठन बनाने एवं सभा करने का अ धकार भी उ ह
नह ं था। यह ि थ त अस तोष उ प न करने के लए पया त थी।
5.3.3 आ थक कारण
97
वला सता पर अ य धक धन खच कर दे श क आ थक दशा को और शोचनीय बना दया।
स तवष य यु ने भी ांस क आ थक ि थ त और खराब कर द थी।
2. असमानता पर आधा रत कर णाल -
ांस म कर- यव था असमानता और प पात के स ा त पर आधा रत थी।
वशेषा धकार ा त वग को कर के भु गतान से आ शक प से मु त रखा गया था जब क
तृतीय ए टे ट के लोग वशेषकर कृ षक वग अनेक कार के य एवं अ य कर के बोझ
से दबे हु ये थे। कसान को अपने साम त, चच तथा राजा को अनेक कार के कर दे ने पड़ते
थे। राजा को दए जाने वाले कर दो कार के थे - य कर तथा अ य कर। य कर
जायदाद, यि तगत स पि त तथा आय पर लये जाते थे। कु ल न वग और पादर इनम से
अ धकांश कर से मु त थे। अ य कर के अ तगत नमक-कर, चु ंगी, उ पाद शु क, नयात
कर आ द सि म लत थे।
इनम नमक--कर ‘गाबेल’ सबसे क टकर था। नमक के यापार का एका धकार रा य ने
एक क पनी को दे दया था। एक कानून के अनुसार ांस म सात वष से अ धक आयु वाले
येक यि त को सात प ड नमक तवष खर दना अ नवाय कर दया गया था। नमक कर न
दे ने वाल को जेल भेज दया जाता था या कोड़ से पीटा जाता था।
इसके अलावा ांस म कर क वसू ल ठे केदार करते थे जो रा य को नि चत रकम
दे कर कर वसू ल करने का अ धकार ा त कर लेते थे और मनमानी रकम वसू ल करते थे। इस
कार रा य क कर- यव था अ य त असंतोषजनक एवं अ यायपूण थी। जो स प न लोग थे
वे कु छ नह ं या बहु त कम कर दे ते थे और गर ब का बूर तरह शोषण होता था। इससे जनता
म अस तोष था। साथ ह दू षत कर- यव था के फल व प जनता क स पि त का उपयोग
रा य काम के लए नह ं हो पाता था।
3. व तु ओं क क मत म वृ होना -
ांसीसी यापार अभी तक पूर तरह उ न त नह ं कर पाया था। व तु ओं के उ पादन
पर े णय के नयं ण लगे हु ए थे। उ पा दत व तु ओं को एक थान से दूसरे थान पर ले
जाने पर येक ा त क सीमा पर चु ंगी दे नी पड़ती थी िजससे उनका मू य बहु त बढ़ जाता
था। अठारहवीं शता द के उ तरा म क मत म अ या शत वृ हु ई। िजसने ांस क जनता
क आ थक क ठनाइय को और ज टल बना दया। क मत म वृ क तु लना म मजदूर म
वृ लगभग एक तहाई ह हु ई। प रणाम व प िजन लोग क आय युनतम थी उनके लए
जीवन बहु त क ठन हो गया। ांस म बेकार एवं भखा रय क सं या बढ़ गई। ांस क
जनसं या भी बढ़ गई थी, िजससे अथ यव था पर और अ धक दबाव पड़ा।
इस दोषपूण अथ यव था के प रणाम व प रा य का यय हमशा ह अपनी आय से
यादा रहा था तथा इस घाटे को पूरा करने के लए सरकार को ऋण का सहारा लेना पड़ा।
अमे रका के टश उप नवेश के वतं ता सं ाम म भाग लेने से ांस क आ थक ि थ त और
बगड़ गई।
98
5.3.4 सेना म या त असंतोष
100
ां तकार थे। जनता क इ छा कानून है, राजा क इ छा कानून नह ं है यह वचार ांस क
रा य ां त म मु ख प से काम कर रहा था। नरं कु श शासन के युग म उसके स ा त बड़े
आकषक स हु ए। पूरे यूरोप म उसके वचार फैल गए। सो के अनुयायी उ ां तकार बन
गये िज ह ने ांसीसी सं थाओं को समूल न ट करके उनके थान पर नई सं थाओं के नमाण
का संक प लया। ां त क ग त पर इन वचार का बड़ा भाव रहा और आज तक- अ ु ण
बना हु आ है।
(4) ददरो (1713- 1784 ई.) -
ां त क भावना को ज म दे ने वाले वचारक म ददरो का भी मह वपूण थान है।
उसको व वास था क स य ान से सभी दोष का नराकरण और सु ख क वृ हो सकती है।
इसके लए उसने अनेक व वान के सहयोग से व वकोष का स पादन कया। इस व वकोश
का उ े य यह था क उस समय के स पूण ान को जनता के सामने सरल भाषा म तु त
कया जाए। स य का उ घाटन करने का ददरो का 'यह यास सरकार और चच को बड़ा
खतरनाक लगा। सरकार ने ददरो को अनेक तर क से परे शान कया और उसे कारावास भी
भु गतना पड़ा। ले कन ददरो ने अपने य न ब द नह ं कए। यह व वकोष 1751 से 1772
ई. तक 17 ख ड म का शत हु आ। इसम अनेक वषय के साथ एकतं शासन, साम त था
अ यायपूण कर-प व त, अ ध व वास, धा मक अस ह णु ता, कानून , दास था आ द पर
व तार से वचार कया गया था। िजससे जनता को सामने उनके सह प तथा गुण -दोष कट
हु ए। ां त क भावना के चार म यह थ बहु त ह उपयोगी स हु आ।
(5) आ थक वचारक-
ांसीसी ां त म आ थक वचारक का योगदान भी उ लेखनीय रहा है। के ने उस
समय अथशाि य का नेता था। ये अथशा ी यापार, यवसाय और आय- यय आ द आ थक
वषय पर वचार करते थे और समकाल न आ थक बुराइय का वरोध कर सु धार क यो यताएं
तु त करते थे। इनका व वास था क रा क स पि त क उ पि त कृ ष और खान से होती
है। यापार तथा व तु एँ बनाने वाले स पि त का उ पादन नह ं करते, वे केवल उनका व नमय
करते है या उनका प बदलते ह। उनका मु ख स ा त यह था क यापार तथा उ योग-ध ध '
पर सरकार नयं ण कम से कम होना चा हए। इस कार उ ह ने आ थक े म मु त यापार
नी त का वतन कया। उस समय यापार के माग म अनेक कार क बाधाएं थी, राजा
आ थक े म अनेक कार से ह त ेप कया करते थे, मक के संगठन के लये अनेक
कार क कावट थी। अथशाि य ने इन सबका जबरद त वरोध कया। य य प उ ह ने
ां त को ज म नह ं दया, क तु उ ह ने ां त के कारण को जनता के सामने रखा, उनक
ओर लोग का यान आकृ ट कया, लोग को वाद ववाद के लये बा य कया तथा ' ोध और
घृणा को उ तेिजत कया।
इस कार बौ क आचोलन के फल व प त काल न यव था के दोष लोग के सामने
आये। जनता सब बात को शंका एवं आलोचना मक ि ट से दे खने लगी। त क लन यव था म
ां तकार प रवतन के लए एक मनोवै ा नक आधार इससे तैयार हो गया।
101
5.3.7 वदे शी घटनाओं का भाव
102
1774 ई. म लु ई सोलहव को ग ी पर बैठते ह वषम आ थक प रि थ तय का सामना
करना पड़ा। उसने तु ग को अपना धानमं ी बनाया। तु ग ांस का सबसे यो य अथशा ी था।
उसके ां तकार सुधार का साम त ने वरोध कया प रणामत: राजा ने उसे पद से हटा दया।
तु ग के थान पर नेकर को ांस का व तीय ब धक नयु त कया गया। उसने खच म
कटौती एवं नए ऋण के मा यम से ांस र ी व तीय ि थ त को सुधारने का यास कया।
1781 म नेकर ने ांस क जनता से आ थक सहायता क अपील करते हु ए सरकार क वा षक
आय एवं वा षक खच के ववरण तले का शत कर दया। इस कार के ववरण को इससे पूव
गु त रखा जाता था। जनता को पहल बार मा णक प से यह जानने का अवसर मला क
आ थक ि ट से रा य क कतनी खराब ि थ त हो चु क है। कु ल न ने 1781 म नेकर को भी
पद से हटवा दया।
नेकर के बाद चा स कैलोन को ांस का व तीय ब धक बनाया गया। सबको खु श
रखने के लए उसने खचा म कटौती के बजाय ऋण लेने क नी त अपनाई। चार साल म उसने
90 करोड़ पये कज लये। उसका मानना था क 'ऋण लेने के लए अमीर दखाई दे ना ज र
है, और अमीर दखने के लए खु ले हाथ से खच करना चा हए।‘ कैलोन क मू खतापूण नी तय
के कारण ांस का खजाना लगभग खाल हो गया। कैलोन ने इस वकट प रि थ त म ांस क
र ा के लए एक ताव राजा के सामने रखा। िजसके अनुसार वशेषा धकार यु त वग तथा
सामा य जनता दोन पर भू मकर एक समान प से लगाया जाए। कु ल न एवं पुरो हत वग जो
अब तक इस कर से लगभग मु त थे। वे कैलोन से नाराज हो गये तथा उसे पद से हटा दया
गया। ले कन व तीय संकट दूर करने के लए स ाट ने कु ल न क सभा, िजसम 144 सद य
थे, बुलाई ता क वह वशेषा धकार यु त वग पर कर लगाने क वीकृ त दे दे । पर सभा ने इसे
अ वीकार कर कहा क 'ए टरस-जनरल' के अ धवेशन म ह यह बात हो सकती है। 1614 के
बाद यह सभा नह ं बुलाई गई थी िजससे तीर ऐ टे टस ् के त न ध होते ह, पर हर सदन का
एक ह वोट होता है।
103
त आ था एवं व वास य त करते हु ये, त काल न यव था म ग भीर सुधार क मांग क
गई थी जैसे क सं वधा नक शासन, यि तगत वतं ता, भाषण तथा लेखन क वतं ता,
मू ायु त प के यवहार के अंत, ए टे टस जनरल के नय मत अ धवेशन बुलाने तथा कानून
बनाने और कर वीकृ त करने के उसके अ धकार, कानून बनाने और कर वीकृ त करने के
उसके अ धकार, कानून के सामने सबक समानता, सरकार नौक रयां सबको मले तथा कर को
समान प से लागू करने क मांग थी। कु लोन एवं पादर वग अपने वशेषा धकार को छोड़ने के
लए तैयार नह ं थे जब क तृतीय ए टे ट के लगभग सभी त न ध संवध
ै ा नक सु धार के प म
थे।
5 मई, 1787 को ए टे स जनरल का अ धवेशन वसाय म शु हु आ। ए टे स जनरल
के अ धवेशन के साथ ह ां त का ीगणेश हो गया। इस सभा को बुलाना राजा क थम
पराजय थी। उसे यह वीकार करना पड़ा क ांस क आ थक सम या को हल करने के लये
उसे जनता क सहायता क आव यकता है। अ धवेशन म सामा य जनता के त न धय ने
मांग क क तीन वग के त न धय क बैठक अलग-अलग न होकर एक साथ ह सदन के
प म हो और येक सद य का यि तगत प से एक वोट हो। पाद रय और कु ल न ने इस
मांग का जोरदार वरोध कया। सामा य वग के त न ध भी अपनी मांग पर अड़े रहे िजससे
ग यावरोध उ प न हो गया।
रा य महासभा क घोषणा (17 जू न, 1789)
अ त म दोन ए टे स क हठध मता से परे शान होकर 17 जू न, 1789 को तृतीय
ए टे ट के त न धय ने अपने सदन को रा य महासभा घो षत कर दया और अ य दोन
ए टे स के त न धय को भी इस रा य महासभा, म शा मल होने के लए कहा। सामा य
जनता के त न धय का यह काय ां तकार था।
स ाट लु ई सोलहवां इस घटना से बहु त नाराज हु आ और उसने संसद भवन म ताले
लगवा दये, ता क वहां रा य महासभा का अ धवेशन न हो सके। ऐसी ि थ त म तृतीय
ए टे टस के त न धय ने संसद भवन के पास ह 'टे नस कोट' म बेल क अ य ता म शपथ
ल िजसे टे नस कोट क शपथ के नाम से जाना जाता है। इसके वारा उ ह ने त ा क क
'वे उस समय तक अलग नह ं ह गे... ..... जब तक क रा य का सं वधान था पत नह ं हो
जाता। ' उ ह ने ग तशील पाद रय और साम त से भी अपील क क वे उनके साथ बैठकर
रा का सं वधान बनाने के सहयोग द। लगभग आधे पादर -सद य और कुछ साम त ने
रा य महासभा म भाग लया। राजा को प रि थ तय के आगे झु कना पड़ा और उसने तीन
ए टे टस के त न धय को 'रा य सं वधा नक महासभा' क एक इकाई के प म वीकार कर
लया। यह ां तका रय क पहल वजय थी।
बाि तल का पतन (जु लाई, 1789 ई.) –
जनता के हाथ म शि त का जाना दरबा रय को, रानी को और राजा' के भाई को बुरा
लगा। स ाट लु ई ने कु ल न के भाव म आकर शि त के योग वारा ां त को न ट करने
का न चय कर लया। उसने ांस क सेना को वसाय और पे रस म एक कया ता क जनता
104
क भीड़ दबी रहे । लोक य धानमं ी नेकर को भी पद से हटा दया गया। वदे शी सै नक को
भी पे रस म तैनात कर दया गया। पे रस क जनता यह सब दे खकर उ तेिजत हो गई और
उसने भोजन तथा ह थयार क दुकान को लू टना शु कर दया। ये दं गे मूलत: आ थक असंतोष
के तीक थे। वहां खा य पदाथ वशेषकर ेड क क मत बहु त यादा बढ़ गई थी, 14 जु लाई,
1789 को सश भीड़ ने पे रस के पूव म ि थत बा तील के शाह दुग एवं जेलखाने पर
आ मण कर दया। यह कला एवं कारा ह ांस के बु राजवंश क नरं कु शता एवं अ याचार
का तीक था। कु छ घ ट के र तपातपूण संघष के बाद भीड़ ने बा तील क गढ़ पर अ धकार
कर लया। बा तील के पतन को ांस एवं यूरोप म ' वतं ता क वजय' के प म दे खा गया।
ांस म आज भी 14 जु लाई का दन वतं ता दवस के प म मनाया जाता है। बाि तल के
पतन का ता का लक प रणाम तो यह हु आ क राजा और उसके समथक दरबार यह समझ गए
क ां त क बाढ़ ह थयार के बल पर नह ं रोक जा सकती। बा तील के पतन के बाद ां त
क लहर ांस के अ य े म भी पहु ंच गई। कृ षक ने इसम मह वपूण भू मका नभाई।
कु ल न के दुग लू ट लये गये और उनक सेवाओं के रकाड न ट कर दये गये। अनेक े म
जनता ने अपनी नगरपा लकाएं था पत कर ल ।ं अराजकता को नयं त करने के लए रा य
वयंसेवक सेना' का गठन कया गया। इस कार बाि तल के पतन के प रणाम व प ांस म
पुरानी शासन प त तथा साम तवाद दोन का पतन हो गया।
105
रा य महासभा ने ांस के ज टल और उलझे हु ए शास नक वभाजन के थान पर,
एक नयी एका मक शास नक यव था क थापना क । थानीय स म तय को यापक
अ धकार दये गये तथा अदालत म नयी यव था लाग क गई।
4. रा य भावना को मजबूत करना -
रा य श ा, रा य सै नक सेवा तथा रा भि त के उ सव के मा यम से इसने
ांस म रा य भावना को सु ढ़ बनाने का यास कया।
5. व तीय संकट को सु लझाना -
रा य महासभा का एक मु ख काय ांस को आ थक दवा लयेपन क ि थ त से
उबराना था। उसने चच के अधीन ांस क लगभग 1 / 5 भू म को ज त कर अपने अ धकार
म ले लया और उसे सावज नक स पि त घो षत कर दया। इस स पि त क जमानत पर
कागजी मु ा आ सयां के चलन ने ांस को ता का लक व तीय संकट से उबार लया।
6. चच क यव था-
येक ा त के लए एक चच रखा गया िजसके बशप का चु नाव अब जनता करने
लगी। बशप तथा चच के अ य कमचार रा य के कमचार हो गये और उनक नयुि त के
लए पोप क वीकृ त क आव यकता नह ं रह ।
7. ांस का सं वधान (1791) -
रा य महासभा ने ांस के थम ल खत सं वधान का नमाण कया और 1791 म
उसे लागू कर दया। इस सं वधान पर राजा के ह ता र थे - य य प राजा ने वे छा से नह ,ं
ववशता म इस पर ह ता र कये थे। इसम जनता क इ छा और अनुम त को ह सरकार क
शि तय का ोत माना गया था। इसके अलावा कायपा लका वधा यका तथा यायपा लका को
पृथक रखते हु ए उनक शि तयां नधा रत कर द गई।
रा य महासभा के काय क समी ा -
रा य महासभा ने अपने छोटे से कायकाल (1789-91) म ांस क ां त के
शु आती एवं मह वपूण चरण को पूरा कर दया। इसने नरं कु श राजतं तथा वशेषा धकार यु त
सामािजक वग पर आधा रत ांस क ाचीन यव था को समा त कर दया। य य प इसके
वारा लागू कये गये सं वधान म म यमवग य पूवा ह प ट था, ले कन उसके बावजू द यह
असमानता से समानता क ओर एक बड़ा कदम था।
5.4.2. ां त का वतीय चरण: वधान नमा ी सभा (1791 -92) एवं रा य स मेलन
(1792-95) ांस म गणतं क थापना
106
नए सं वधान के अनुसार यव था पका सभा के चु नाव हु ए और 1 अ टू बर, 1791 को
इस वधान नभा ी सभा क पहल बैठक हु ई। वधानसभा म मु ख दो दल थे। 1- वैध
राजस तावाद -इनका वचार था क रा य ां त का काय अब समा त हो चु का था। 2-
गणतं वाद - इनका वचार था क रा य ां त अभी पूर नह ं हु ई है। राजस ता का पूर तरह
अ त कया जाना चा हए। राजस ता को हटाकर गणतं क थापना इनका मु य ल य था।
गणतं वाद दो भाग म वभ त थे - जेको बन लब एवं काड लए लब।
ांस का अि या तथा शा से यु (1792) -
ांस म ाि त का तेजी से सार हो रहा था ले कन यूरोप के अनेक दे श म राजतं
ने अभी भी जड़ जमा रखी थी। इस कारण से ांस और अ य यूरोपीय दे श म तनाव क
ि थ त उ प न हो गई थी। आि या और शा क ग त व ध से परे शान होकर ै ,
ांस ने अ ल
1792 म आि या के व क घोषणा कर द । इरा यु म शा ने आि या का साथ दया।
ांसीसी सेनाओं को अनेक जगह पर पराजय का सामना करना पडा। इसी समय, ांसवा सयो
को यह जानकार मल क राजा लु ई सोलहवां तथा रानी मर एंतोइनेट ांस के श ओ
ु ं से मले
हु ए ह तथा उ ह गु त योजनाओं क सूचनाएं भजवा रहे ह।
राजतं क स पि त-
ांस क नाराज जनता ने 10 अग त, 1792 को राजा के वलर के महल पर
आ मण कर दया। राजा एवं राजप रवार के सद य को वधान नमा ी सभा के पास शरण
लेनी पड़ी। वधान नमा ी सभा म जैको बन तथा िजरोि द त गुट के सद य ने यह ताव
पा रत करवा दया क राजा को पद से हटा दया जाए तथा ांस म राजतं को पूर तरह
समा त कर दया जाये। वधान नमा ी सभा ने वयं को भंग कर रा य स मेलन के चु नाव
क घोषणा क । इसी रा य स मेलन को ांस के नये गणतं के सं वधान के नमाण का
दा य व स पा गया। रा य स मेलन के चु नाव के लए ांस के सभी लोग को मत दे ने का
अ धकार दान कया गया। इस कार ांस म संवध
ै ा नक राजतं का अ त हो गया और
गणतं क थापना का माग श त हो गया।
रा य स मेलन -
रा य सं वधान प रष का थम अ धवेशन 21 दस बर, 1792 को हु आ। उसका
सबसे पहला काम राजस ता के अ त क घोषणा करके गणतं क थापना करना था।
राजा लु ई सोलहव को मृ यु -द ड -
लु ई सोलहव पर ांस के श ओ
ु ं से मले होने का ग भीर आरोप था। रा य स मेलन
ने उस पर दस बर, 1792 म मु कदमा चलाया। मतदान के वारा उसे बहु मत से मौत क
सजा सु नाई गई। 21 जनवर , 1793 को पे रस के राजमहल के सामने उसे मृ यु द ड दे दया
गया।
आतंक का शासन-
ां त के वरो धय को ाणद ड या अ य भंयकर द ड दे ने क यव था पहले भी
व यमान थी। ले कन 17 सत बर, 1793 को एक भयंकर कानून पास कया गया। इस
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कानून वारा यह यव था क गई क जो लोग अपने यवहार एवं या वारा, अपने स म त
व वचार के कट करने से अथवा अ य कसी कार से ां त का वरोध करे , उन सबको
ाणद ड दया जाये। मृ युद ड के लए इस काल म एक नए उपकरण का आ व कार कया
गया, िजसे गुले टन कहते है। 'आतंक के शासन' के अ तगत जैको बन नेताओं ने
राजत वा दय , िजरोि द त तथा गणतं के त अ व वास रखने वाले संदेहा पद यि तय को,
बड़ी भार सं या म, ां तकार यायालय से मृ युद ड दलवाकर गले टन के वारा मौत क
सजा द । इस वीभ स और भयंकर क ल के कारण ह इस काल का नाम 'आतंक का रा य'
रखा गया। कु छ समय बाद इस शासन को चलाने वाले जैको बन नेताओं म भी आ त रक संघष
उ प न हो गए। अ तत: रोबस पयर क मृ यु के साथ ह 'आतंक का शासन समा त हो गया।
बहु त पहले अ बर, 1793 म लु ई सोलहव क रानी मर आंतोआंत को भी ां त का वरोध
करने का आरोप लगाकर मृ युद ड दे दया गया।
5.5. ां त के प रणाम
ांस क रा य- ां त आधु नक इ तहास क महानतम घटना है िजसने आधु नक जीवन
क उदार, लोकतां क तथा ग तशील वचारधारा क नींव डाल । 1789 क ां त ने ांस के
राजनी तक, सामािजक, धा मक, आ थक एवं सां कृ तक जीवन को तो भा वत कया ह अ पतु
यूरोप व स पूण व व पर भी यापक भाव पड़ा। इसके म वपूण प रणाम न न कार है -
1. नरकु श राजतं का अ त -
ां त से पूव ांस म नरं कु श राजतं ा मक यव था व यमान थी, क तु ां त ने
उसका अ त कर दया।
2. जनता क स भु ता एवं लोकतं क थापना -
ां त ने राजाओं के 'दै वी स ांत का अ त कर लोक य स भु ता के स ांत को
लोक य बनाया। अब आम जनता य प से दे श क राजनी त म ह सा लेने लगी। अब
रा य का मा लक एक वग या एक यि त नह ं रहा। जनता क इ छा और स ता ह सव प र
मानी जाने लगी। ाँस क रा य ां त वारा यूरोप म लोकतं वाद क शु आत हु ई।
3. नाग रक वतं ता -
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मनु य के अ धकार क घोषणा और वतं ता एवं समानता के स ा त का तपादन
करके ांस क ां त ने यि त क ग रमा एवं मह व को वीकार कया। ां त से पूव
साधारण आदमी का कु छ भी मह व नह ं था। समाज म केवल वशेषा धकार ा त लोग का ह
मह व था। ले कन ां त के बाद कृ षक दास- था और वग य वशेषा धकार के युग क समाि त
होने लगी।
4. समाजवाद का ार भ -
ांसीसी ां त ने जनता को बूब वंश के नरं कुश शासन से मु त करने के साथ-साथ
समाज म समानता क थापना क । अब कानून के सम सभी लोग समान थे। चच और
कु ल न के वशेषा धकार छ न लए गए। कसान के कज माफ कर दये गए। दास था समा त
कर द गई। ाि तका रय ने समानता' का नारा दया - वे राजनी तक, सामािजक और आ थक
समानता चाहते थे। उ ह ने ब धु व का नारा दे कर काल मा स के इस नारे को नीवं रखी क
'दु नया भर के मजदूर एक हो जाओ। इस कार ांस क ां त ने एक व व यापी आ दोलन
का प लेकर समाजवाद क आधार शला रखी।
5. रा यता क भावना का वकास -
ांस क ां त क एक मह वपूण दे न रा यता क भावना का उदय व उसका मजबूत
होना था। राजनी तक वतं ता और समानता मलने से जनता म राजनी तक चेतना जा त हु ई
और संकटकाल म इस राजनी तक चेतना ने रा यता का प धारण कर लया। ां त ने ांस
के नाग रक म राजक य एवं सामंतीय आ था के थान पर रा य आ था को ज म दया। 27
अग त, 1789 को घो षत 'मनु य एवं नाग रक के अ धकार म, प ट कहा गया क
स भुता का ोत रा म न हत है।' इसके बाद ांस म रा य श ा, रा य सेना तथा
रा भि त के उ सव का ार भ हु आ। ां त का सार होने के साथ-साथ अ य युरोपीय दे श
म भी इस भावना का सार होता गया।
6. सकारा मक आ थक प रवतन -
ांस क ां त ने कसान , मजदूर तथा म यम वग के लये कई अ छे आ थक
बदलाव कए। साम त एवं चच के अ धकार से ांस क भू म का एक बहु त बड़ा ह सा मु त
हो जाने से कसान और म यम वग को अ य धक लाभ हु आ। कसान साम ती अ धकार,
साम ती शु क तथा बेगार से मु त हो गये। ां तका रयो ने यवसाय और यापार म 'खु ला
छोड़ दो’ क नी त अपनाई। यापा रक े णय के संक ण नयम को न ट कया और दे श के
आ त रक यापार क सब बाधाओं को दूर कया। अब शि पय मक और कार गर को यह
व त
ं ता दान क गई क वे अपनी मेहनत को खु ले बाजार म बेच सक, और इस कार
अ धकतम मजदूर ा त कर सक। इस कारण ांस म कारखान और यापार- यवसाय के
वकास म बहु त सहायता मल और कु छ ह समय बाद आ थक े म भी ांस इं लै ड का
मु य त ी बन गया।
7. धा मक भाव -
109
ांस का पुराना चच राजाओं के नरं कु श शासन का बल समथक था। इस लए
ां तका रय ने उसे न ट करने का न चय कया। पाद रय के वशेषा धकार को समा त कर
दया गया। चच वारा आम जनता से लया जाने वाला कर 'टाइथ’ भी ब द कर दया गया।
रा य महासभा ने चच क सार भू म को ज त कर लया तथा उसे सावज नक स पि त
घो षत कर दया। ां त के भाव व प लोग अ ध व वास और माणवाद के चंगल
ु से मु त
होकर धा मक वषय पर भी वतं ता के साथ वचार करने लगे।
8. श ा म सु धार -
ांस के ां तकार जनता क श ा को बहु त मह व दे ते थे। दांते का कहना था क
रोट के बाद, श ा मनु य क पहल आव यकता है। इसी लये ां तका रय ने रा य क ओर
से श ा- सार के काय को शु कया। रा य स मेलन वारा च भाषा को ांस क
रा भाषा घो षत कर दया गया। वै ा नक अनुसंधान के काम को भी बहु त मह व दया गया।
ां त के कारण ांस और यूरोप म िजस नवजीवन का ार भ हु आ था, वह इस युग के
लेखक और क वय क रचनाओं म प ट दखाई दे ता है।
9. या यक यव था म सुधार -
ां त के प रणाम व प ांस क या यक यव था म बहु त से सु धार कए गए।
1791 के सं वधान वारा ांस के सभी नवा सय को कानून के सम समान माना गया।
रा य स मेलन ने ांस के व भ न े म च लत अलग-अलग कानून म एक पता लाने
क दशा म अनेक उ लेखनीय यास कए। स प त म ष के साथ म हलाओं का अ धकार
भी वीकार कया गया। ांस के उप नवेश म दास था समा त कर द गई। स पूण ांस म
माप-तोल क एक प यव था म क प व त को लागू कया गया।
10. बु नरं कु शबाद का ार भ -
ां त के फल व प ांस क जनता ने व व के सम यह उदाहरण तु त कया क
यद वतं ता ाि त के माग म बाधक हो तो उसे भी समा त कर जनता को अपना माग
नबाध बनाने का अ धकार है। इस उदाहरण से यूरोप के नरं कु श शासन बु वे छाचार
शासक बनने लगे और अपने रा य म सुधार करने लगे।
11. ां त का यूरोप पर भाव -
ांस क ां त ने स पूण यूरोप पर भाव डाला। वतं ता, समानता, ब धु व आ द के
नार ने आम जनता म जन जागृ त उ प न क । यूरोपीय दे श म राजनी तक अ धकार के लये
संघष शु हो गया। पड़ोसी दे श के नरं कु श शासक ने भी अपने यहां कई संवध
ै ा नक सु धार
कए। ां त के सार के भय से ांस के पड़ौसी दे श ांस के वरोधी बन गए। िजसके
फल व प 1792 से ां तकार यु छड़ गए, िजससे स पूण यूरोप 23 वष तक अशांत रहा।
इन यु म अपार धन-जन क हा न हु ई। ां त से यूरोप म त यावाद क लहर आई।
यूरोपीय रा य क नी त यह हो गई क ां त का पुन : व फोट न हो, ांस कभी शि तशाल
न बन पाये तथा उसके चार ओर शि त का घेरा कस दया जाये। इसके अ त र त एक
110
मह वपूण भाव यह पड़ा क यूरोप के राजनी त पर पर बातचीत वारा अपनी सम याओं
और मतभेद को हल करने पर बल दे ने लगे और 'का स टे बल ’ के युग क शु आत हु ई।
12. नेपो लयन का उदय-
ांसीसी ां त का एक य प रणाम नेपो लयन का उदय था।
5.6 ांस क ां त का मह व
ांस क रा य ां त का व व इ तहास म मह वपूण थान है। इस ां त के वारा न
केवल ांस बि क यूरोप के अ य दे श म भी एक नये युग का सू पात हु आ। इसी को यूरोप
का 'आधु नक युग ' कहा जाता है। यह ां त नरं कुश व अमानवीय काय के व थी, िजसने
म यकाल क यव था को समा त कर एक नये समाज क नींव रखी। ांसीसी ां त ने
जात और रा वाद क मह वपूण दे न व व को द । स पूण आधु नक इ तहास का ताना-
बाना इ ह ं स ा त से बन गया था। ां त का मह व कट करते हु ए म रयट ने लखा है क
य द अमे रका क ां त ने वतं ता का बीजारोपण कया, तो ांस क रा य ां त ने बीज को
अंकु रत कया। ांस क ां त ने व व म इस स ा त को मा यता दलाई क शासन 'जनता
के लये' ह नह ं वरन ् 'जनता वारा' भी होना चा हए। पं. जवाहरलाल नेह के अनुसार ांसीसी
रा य- ां त तो समा त हो गई पर तु जनतां क वचार सम त यूरोप म फैल गये और उनके
साथ ह मानव अ धकार के घोषणा-प वारा तपा दत सम त स ा त का सार हु आ।
5.7 सारांश
अठारहवीं सद के उ तरा म यूरोप के सभी दे श क सामािजक, राजनी तक, धा मक
एवं आ थक ि थ तयां लगभग समान थी। ले कन ाचीन युग के खलाफ सबसे पहले रा य
ां त ांस म हु ई, इसका मु ख कारण ां त क वह भावना थी जो अनेक वचारक वारा
ांस म उ प न क जा रह थी। ांस म ां त से पूव राजतं ा मक शासन यव था व यमान
थी। उस समय ांस का शासक लु ई सोलहवां था, जो अयो य एवं वलासी था, फलत: स पूण
ांस म अराजकता एवं अ यव था फैल हु ई थी। साम त तथा उ च पादर वग भी जनता का
शोषण करने म लगे हु ए थे। शासक के नरं कु श शासन के खलाफ जनता म असंतोष या त
था। इसी लए ांसीसी जनता ने 1789 ई. म ऐसे शासन के खलाफ ां त का बगुल बजा
दया।
यह एक ऐसी ां त थी जो कु ल नवग य प म आर भ हु ई और सै नक तानाशाह के
प म समा त हु ई। ां त के बदलते व प के कारण ां त के प रणाम उसके नेताओं क
आशाओं से भ न नकले। वे एकतं म सु धार चाहते थे पर तु उ ह ने उसका नाश कर उसके
थान पर गणतं था पत कया वे एक मजबूत आ थक यव था करना चाहते थे, पर तु उनके
काय ने दे श को दवा लया बना दया; वे चच का संगठन सु धारना चाहते थे, पर तु उसे उ ह ने
अ त- य त कर दया; वे वयंसेवक सेना बनाए रखना चाहते थे पर तु अ त म उ ह ने सै नक
सेवा को अ नवाय बना दया; वे ांस म थानीय वशासन तथा राजनी तक वतं ता था पत
करना चाहते थे पर तु उ ह ने एक केि त सवस तावान शासन के लए रा ता तैयार कर दया।
111
वे यु और वजय को छोड़ना चाहते थे पर तु उ ह ने ांस को अ खल-यूरोपीय यु म झक
दया और बड़ी सफलताएं ा त क । वे ऐसा शासन था पत करना चाहते थे जो दूसर के लए
आदश सा बत होता, पर तु उ ह ने जो शासन था पत कया उससे दूसरे रा -घृणा करने लगे।
ले कन इन सबके बावजू द ां त का मह व कम नह ं हो जाता। ांस क ां त ने स पूण मानव
समाज को न न स ा त शा वत दे न के प म दए - वतं ता, समानता एवं ातृ व -भावना।
5.8 अ यासाथ न
1. ांस क ां त (1789) के कारण का वणन क िजये।
2. 1789 क ांसीसी ां त के या कारण थे? इसके मह व क ववेचना क िजये।
3. ांस क ां त के प रणाम एवं मह व का मू याकन क िजये।
4. ांस क ां त को उ प न करने म समकाल न वचारक का या योगदान था?
5. 'बा तील के पतन' का या मह व है?
6. रा य महासभा क उपलि धय का ववरण द िजये।
7. ां त से पूव ांस का पुरातन समाज कन वग म बंटा हु आ था?
5.9 संदभ ंथ
1. जी. पी. गूच, (अनु.) आधु नक यूरोप का इ तहास एस. च द एंड कं. ल., नई
द ल , 1976
2. पाथसार थ गु ता (सं.) यूरोप का इ तहास, ह द मा यम काया वयन नदे , द ल
व व, द ल , 1983
3. सीडी. हे जन (अनु.) आधु नक यूरोप का इ तहास, रतन काशन मि दर, आगरा
4. डे वड थामसन (अनु.) यूरोप स स नेपो लयन, जैन पु तक मि दर, जयपुर , 1977
5. जे.ए.आर. म रयट द इवो थू शन ऑफ मॉडन यूरोप (1753-1939), मै यून
ए ड कं., लंदन, 1952
6. .नं. महता आधु नक यूरोप (1789-187), ल मीनारायण अ वाल,
आगरा, 1979
7. स यकेतू व यालंकार यूरोप का आधु नक इ तहास (1789-1974), ी सर वती
सदन, नई द ल 1993
112
इकाई 6
नेपो लयन युग
इकाई क परे खा
6.0 उ े य
6.1 तावना
6.2 नेपो लयन का उ थान (को तु लर शप) 1799-1804
6.2.1 आ त रक सम याएं एवं सु धार
6.2.2 शास नक यव था
6.2.3 व तीय यव था
6.2.4 धा मक यव था
6.2.5 श ा णाल
6.2.6 नाग रक शासन
6.2.7 वदे श नी त
6.3 नेपो लयन का स ाट बनना-1804
6.4 नेपो लयन का पतन
6.4.1 कि टने टल स टम या कि टने टल लोकेड
6.4.2 तीन घोषणाएँ (ब लन, मलान, ो टे न लु
6.4.3 पुतगाल से यु
6.4.4 पेन का व ोह और ाय वीपीय यु
6.5 नेपो लयन के सा ा य का वनाश
6.5.1 चतुथ गुट
6.5.2 नेपो लयन क स और शया पर वजय
6.5.3 आि या का नेपो लयन के त ि टकोण
6.5.5 संयु त दे श का ांस पर आ मण
6.5.6 ो टे न लु क सं ध 1814
6.5.7 नेपो लयन क ऐ बा से वापसी
6.5.8 वाटरलू का यु 1815
6.6 नेपो लयन क भू ल
6.7 नेपो लयन और रा यता
6.8 नेपो लयन और वै ा नक गत
6.9 सारांश
6.10 अ यासाथ न
113
6.11 स दभ थ
ं
6.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप -
1799 के सं वधान (Coup d’ etat) म नेपो लयन क उपलि ध और थम कौ सल के
प म उसक शि त का के करण।
आ त रक मामल म उसने ांस को यो प का एक महान शि तशाल दे श बनाने का
य न कया और इस उ े य क ाि त हे तु उसने शास नक, आ थक, धा मक, श ा
संबध
ं ी इ या द सुधार का सू पात कया।
उसक अ वतीय वीरता, उ च मह वाकां ा, अभू तपूव सौहाद और ांस क जनता के
सहयोग ने न केवल उसको ांस स ाट बनाया पर तु केवल अ विजत टे न को छोड़ कर
सम त यो प का वामी भी बना दया।
नेपो लयन का टे न क आ थक यव था अपने कोन ट ने टल स टम वारा न ट कर
दे ने का य न उसके लए आ मघाती स हु आ।
उसका स पर आ मण और इसक लपिजग म पराजय नेपो लयन के सा ा य के वनाश
का कारण बने और अंत म उसको वाटरलू के यु म पराजय का मु ंह दे खना पड़ा और
उसको दे श म से ट हे लेना म 1815 म भेज दया गया।
6.1 तावना
नेपो लयन बोनापाट जो “एक ाि त पु ” और ''भा य का धनी'’ था उसका ज म एक
छोटे से वीप के ाम अजा सओ (Ajaecio) म 15 अग त, 1769 म उस समय हु आ था
जब इस वीप को ांस ने जेनोआ से खर दा था। उसने ांस सरकार के खच से टे न और
पै रस म उ च सै नक श ा ा त क थी। उसने एक इ जी नयर और आ टलेर मन (आ नेय
शा चलाने वाला यि त) के प म अपना जीवन जेको ब स के साथ रह कर ारं भ कया था
और टोलोन पर सन ् 1793 म पुन : वजय ा त करने म अपनी यो यता का अभूतपूव दशन
कया था। इसके अ त र त 1795 म उसने वे डेमीएअर राय ल ट राज व ो हय क खलाफ
क वेशन क सु र ा क । उसने इटल के व यु करने म वशेष ेय अिजत कया और वह
ांस म इतना लोक य हो गया क ांस क जनता उसको ांस का सवो च जेनरल (सै य
अ धकार ) मानने लगी।
इस कार सन ् 1799 म नेपो लयन का काउि सलर शप के पद पर उ न त से लेकर
सन ् 1815 म उसके से ट हे लेना टापू पर दे श नकाल पर जाने के समय तक उसने न केवल
ांस अ पतु सम त यो प के इ तहास म अपनी भु ता था पत क , िजसके कारण इस समय
को ''नेपो लयन युग '' क सं ा द गई।
वा तव म ''नेपो लयन युग '' सन ् 1804 से लेकर 1814 तक कु ल दस वष तक रहा।
सन ् 1799 से लेकर 1804 तक, ांस एक गणतं (Republic) के प म नेपो लयन क
क सुलर शप के अधीन रहा। सन ् 1804 म नेपो लयन ने वयं को ांस का स ाट घो षत कर
114
दया। इस कारण से उसने यह अथक य न कया क ांस पर उप नवेश, सा ा य के प म
रहे । उसने इस ल य क ाि त हे तु नर तर यु , वजय , सा ा य- व तार तथा सं धय का
सहारा लया और उसने ांस के ाि तकार वचार , जैसे समानता, वतं ता, मातृभाव और
रा वाद को सम त यो प म फैलाया। सीडी. हे जन ने स य ह कहा है क ''नेपो लयन क
तु लना अले जे दर ( सक दर), सीजर, चालमगन जैसे शि तशाल वजेताओं और शासक से क
जाती है क इन सब म नेपो लयन ह सबसे अ धक महान था।''
115
को सल के पद पर असीन होने पर नेपो लयन को घरे लू एवं बा य संबध
ं के वषय म
कई क ठन काय करने पड़ते थे। इस लए उसने सव थम ांस म कानून यव था सु धारन एवं
शाि त था पत करने क दशा म अपना यान केि त कया।
6.2.2 शास नक यव था
6.2.3 व तीय यव था
116
6.2.4 धा मक यव था
6.2.5 श ा णाल
117
उसने ाचीन, ढ़वाद , जंगल , असमानता पूण एवं नबल वधान क अपे ा एक
उ न तशील, एक समान, अ धक सरल एवं आधु नक वधान क रचना क । इस कार अ धक
प ट, वश एवं यवि थत कानून सं हता को उसने च लत कया।
सन ् 1804 म नेपो लयन ने नाग रक सं हता कानून बनाया। इसके प चात ् 1807 म
यापार सं हता कानून बनाया गया। सन ् 1810 म दं ड सं हता बनाया गया। इन सम त कानून
का एक सामा य नाम ''नेपो लयन क कानून सं हता दया गया।
यह कानून सं हता ांस म हु ई रा य ां त के फल व प काश म आई। इसम
धा मक स ह णु ता, सामािजक समानता, ववाह प त से संबं धत कानून बनाए गए। इसम
ववाह व छे द अथात ् तलाक को भी मा यता द गई। इस वधान के अंतगत पा रवा रक जीवन
के मू यांकन को मह व दया गया तथा पता के अ धकार एवं नजी स प त को सु र ा दान
क गई तथा अवैध स तान को समान सामािजक अ धकार से वं चत कया गया।
कई बार तभाओं को ो साहन के अभाव म न ट हो जाना पड़ता है। नेपो लयन ने
रा य तभाओं को उ चत ो साहन दे ने हे तु अनेक काय कए। उसने कई राजक य
अ धक रय एवं सै य अ धका रय को समाज के म यम वग म से चु ना। उसने ांस क उ च
कोट के तभाशील यि तय क समाज म त ठा बढ़ाने हे तु ''ल जन ऑफ आनस'' क
थापना क ।
नेपो लयन का एक मु य काय नगर का स दयकरण करना था। उसने ांस क
राजधानी को एक अ य धक सु सि जत नगर बनाया। उसने पै रस को यो प का एक अ य त
आधु नक नगर बनाने एवं इसक सु दरता म चार चांद लगाने हे तु केवल नगर य सीमा वृ ह
नह ं क वरन ् उसक सु दरता एवं ग रमा म वृ करने हे त.ु उसम वजय त भ का नमाण
कराकर उनको यु म विजत च एवं पू तय से सु ि जत कया, िजससे पै रस ' 'योरोप क
रानी' ' कहला सके। इसके अ त र त यह नगर योरोप क सम त राजधा नय से सड़क माग से
भी जु ड़ा हु आ था।
6.2.7 वदे श नी त
118
इस कार आि या एक कार से सबसे अलग हो गया और इससे ा त नराशा के
फल व प उसने शां त क ाथना क । इसके फल व प 9 फरवर 1801 को लु ने वले क सं ध
पर ह ता र कए गए। इस सं ध ने के पो ोर मओं क सं ध क धाराओं क पुि ट क । इसम
कु छ धाराओं को संशो धत भी कया गया जो आि या के हत म नह ं थीं। उसको बटे वयन,
हे ले टक तथा कसालपाइन गणतं रा य को मा यता दे नी पड़ी तथा इसके साथ-साथ ांस
वारा बेि लयम के दे श पर अ धकार तथा राइन नद के बाएं कनारे वाले दे श के अ धकार
को भी वीकार करना पड़ा। इन समझौत के फल व प उसे अपनी जा से अपना अ धकार
खोना पड़ा।
एमी स क सि ध
टे न और ांस एक समान शि तशाल दे श थे। इनम से एक को सामु क े म
तथा दूसरे को भूमीय े म धानता ा त थी। इन दोन दे श को वयं क शि त पर पूण
व वास था। पट के पतन के प चात ् नये बने धानमं ी ए डंगटन ने ांस से यु करना
उ चत नह ं समझा इसके फल व प 27 माच, 1602 म एमी स नामक थान पर एक सि ध
पर ह ता र कए गए। इस सं ध के अनुसार टे न ने यु के वारा जो उप नवेश विजत
कए थे, उनम से केवल लंका और नडाड को छो कर वह मा टा नाइ स ऑफ से ट जॉन को
तथा मनोरका पेन को दे ने पर सहमत हो गया। नेपो लयन को म पर वयं का अ धकार
छोड़ने पर तैयार होना पड़ा।
पर तु एमी स क सं ध एक पूण शाि त था पत नह ं कर सक य क टे न को यह
आशंका थी क ांस क वयं भी एक औप नवे शक सा ा य बनाने क योजना है।
ऐसा कहा जाता है क नेपो लयन ने अपना एक त न ध मंडल भारत म डेकेइन के
त न ध व म भारतीय राजाओं को टे न के वरोध म करने हे तु भेजा। इसके प चात ् एक
अ य त न धमंडल जनरल ब टानी के नेत ृ व म म म भाव बढ़ाने के अ त र त राइन
नद दे श तथा इटल पर भी अपना भु व ढ़ कया। वह पेन से भी एक सं ध करने म
सफल हो गया। इस लए टे न क वयं क यापा रक सु वधाओं पर आघात लगा। इस लए
टे न ने मा टा ाय वीप से अपनी सेना हटाने से इ कार कर दया और मई, 1803 म ांस
के व यु छे ड़ दया।
119
ै 1804 म पट पुन :
इसी समय अ ल टे न का धानमं ी बन गया। उसने नेपो लयन
के व एक तृतीय गुट क रचना क । इस गुट म टे न, स, आि या, वेडन तथा नेप स
सि म लत थे। जब क शया तट थ रहा य क उसे नेपो लयन से हनोवर ा त हो गया था।
तृतीय गुट के मु य यु
उ म का यु 20 अ टू बर, 1805 - ांस क सेना ने आि या क सेना को, जो
जनरल मक के नेत ृ व म थी, वरटमबग म ि थत उ म नगर म 20 अ टू बर, 1805 को
परािजत कया। आि या के सेनाप त ने पचास हजार सै नक स हत आ मसमपण कर दया।
े फालार का यु - 21 अ टू बर 1805 य य प नेपो लयन ने आि या के ऊपर एक
बहु त बड़ी वजय ा त कर ल थी पर तु उसक सामु क सेना (िजसम ांसीसी तथा पेनी
जहाज सि म लत थे) को 21 अ टू बर 1805 को लाड ने सन ने हाथ पराजय का मु ंह दे खना
पड़ा। इस यु से समु पर टे न क भु ता पूण प से था पत हो गई और पूरे नेपो लयन युग
म उसको इस थान से कोई न हटा सका।
आ टर लज का यु - 2 दस बर, 1805, नेपो लयन ने बना समय गंवाए आि या
और स क सि म लत सेना का आ टर लंज म सामना कया और उनको 2 दस बर, 1805
को भीषण पराजय द ।
अंतत: आि या शी ह इस तृतीय गुट से पृथक हो गया।
ेसबग क सि ध
आि या के स ाट ां सस वतीय ने शाि त थापना का ताव रखा। इसके
फल व प 26 दस बर, 1805 को ेसबग म एक सं ध पर ह ता र कए गए। इस सं ध के
अनुसार आि या को वेने शआ, इस शया, डालम शया ांस को दे ने पड़े और केवल एटे को
वयं के पास रखना पड़ा। ां सस वतीय ने नेपो लरान को इटल का स ाट वीकार कया
और उसे बेवे रया और बुरटे मबग के दे श पर अपना अ धकार छोड़ना पड़ा। िजनको बाद म
नेपो लयन ने अलग रा य बना। इस कार आि या को लगभग तीन लाख उसक जा तथा
उसका इटल दे श छोड़ना पड़ा िजससे उसक आय म काफ कमी आ गई थी।
शया
अब नेपो लयन का यान शया क ओर आक षत हु आ िजससे उसका संबध
ं उसके
तृतीय गुट म सि म लत होने के कारण समा त हो गया था। पर तु शया को नेपो लयन क
हनोवर के त ि टकोण पर आशंका उ प न हो गई थी और उसे ऐसा भय उ प न हो गया
था क राइन दे श के रा य का एक संघ बना दया जाएगा। शया का राजा व लमय तृतीय
एक दुबल कृ त का मनु य था पर तु उसको उसक घम डी रानी लु ई ने ो सा हत कया क
उसे वीरतापूवक ांस का सामना करना चा हए। इस लए शया ने जार से मलकर सन ् 1806
म ांस से यु छे ड़ दया।
जेना का यु - 14 अ टू बर, 1806 - नेपो लयन ने शी ह शया के व काय
ारं भ कया, िजससे स क सेना शया क सहायता के लए न पहु ंच सके। उसको अपने इस
काय म सफलता मल और उसे एक दन म दो वजय ा त क । जैसे उसने जेना म स
ं
120
कोहे न को परा त कया और ांसीसी कमा डर डेवट ने 14 अ टू बर, 1806 को स वक को
अबर- टे ट नामक थान पर परािजत कया।
डले ड का यु - जू न 1807 - य य प नेपो लयन ने शया क सेना को पूण प
से परािजत कर दया था, पर तु वह ढ़ न चय और वीरता के साथ आगे बढ़ता ह चला गया
और स के दे श म घुस गया। उसका सामना स के स ाट जार ने जू न, 1807 म डले द
नामक थान पर हु आ। इस थान रार नेपो लयन ने स को परािजत कया।
टल सट क सि ध 1807 - स के जार अले जे दर थम एवं नेपो लयन दोन
टल सट नामक थान पर मले। उनका मलन नीमन नद के म य म एक नाव पर हु आ और
सि ध क शती पर वचार व नगय हु आ। दोन यि त एक-दूसरे से बहु त भा वत हु ए।
नेपो लयन ने जार से कसी दे श को उसे दे ने के लए नह ं कहा। अ पतु उसने जार को तु क
तथा फनले ट पर आ मण करने के लए ो सा हत कया। इसके फल व प स और टे न
के संबध
ं म कटु ता उ प न हो गई! दूसर ओर जार ने नेपो लयन के महा व पय यव था
(क ट नटल स टम) को मा यता दान कर द ।
इस सि ध क धाराओं के अनुसार स को अपने पोलड के दे श को छोड़ना पड़ा और
फर वारसा क ा ड डची अि त व म आई। इसको नेपो लयन के एक सहायक से सनी के ांड
के यूक के अधीन रखा गया।
दूसरे उ तर पि चमी जमनी के दे श म से वे ट फो लया रा य का नमाण कया
गया। यह काय शया के वघटन के प रणाम व प हु आ। और हनोवर, स वक तथा हे से
जेरोम बोनापाट को स पने पड़े।
शया क सेना म कमी करके उसम केवल बयाल स हजार सै नक रहने दए गए।
उस पर अ य धक यु जु माना लगाया गया और इस धन क ाि त तक ांस क सेना ने
शया पर अपना. अ धकार जमाए रखा।
नेपो लयन का चम कष
टल सट क सि ध ने नेपो लयन को यो प का वामी बना दया। उस समय वह
अपनी वजय के चरमो कष पर था और सम त यो प य या अ य प म उसके
अधीन था। उसके अधीन कई रा य थे। आि या और शया अब एक न न कोट के रा य
हो गए थे। स का जार नेपो लयन का शंसक ह नह वरन ् उसका एक दो त हो गया था।
इस समय नेपो लयन उसके अधीन थ रा य के हत क उपे ा करने लगा था और ये
दे श उसने अपने सगे संबं धय को दे दए थे। उदाहरण के प म -
1. नेपो लयन का ये ठ ाता जोसेफ बोनापाट को नेपलन का राजा बना दया गया
था
2. जेराम बोनापाट वे टफे लया का राजा बन गया।
3. नेपो लयन क बहन ए लस को लु का तथा करारा क सेस बनाया गया।
4. नेपो लयन क छोट बहन पोल न िजसक शाद स बोरधीस से हु ई थी, वह
गौसद ला क डचेस बन गई।
121
5. जोअ चम िजसक शाद नेपो लयन क सबसे छोट बहन केरोल न से हु ई थी,
उसको बग कां ा ड यूक बना दया गया।
6. यूजीन बओहारनेस जो नेपो लयन का सौतला लड़का था, उसको इटल का
वायसराय बना दया गया।
राइन महासंघ क थापना और होल रोमन सा ा य का वनाश 1806
बवे रया, वरटे बग तथा अ य चौदह जमन राजाओं ने जमनी के स ाट के त अपनी अधीनता
समा त करके 'नेपो लयन को अपना ोटे टर (र क) वीकार कर लया। इन रा य को' राइन
महासंघ'' के नाम से जान (जाने लगा। इसके साथ-साथ होल रोमन ए पायर िजसका अि त व
एक हजार वष पूव से था उसका भी वनाश हो गया। आि या के स ाट ां सस वतीय को
होल रोमन ए परर का पद छोड़ने के लए बा या कया गया और अब उसे केवल ां सस
थम, आि या का पर परागत स ाट कहा जाने लगा।
122
इस घोषणा के वारा नेपो लयन ने टे न म न मत माल का ज त करना और
नेपो लयन के सा ा य म पाए जाने वाले टश न मत माल को जलाने का आदे श दया।
नेपो लयन ने अपनी सम त घोषणाओं को, ांसीसी सा ा य तथा इटल के दे श ,
राइन संघ तथा वारसा क डचीज स ती से लागू करने का भरसक य न कया।
सन ् 1806 म पोप को उसके दे श के ब दगाहो को टश जहाज के आवागमन के
लए ब द करने को कहा गया। जब पोप ने नेपो लयन के इस कथन को मानने म आनाकानी
क तो नेपो लयन ने मई, 1809 म पोप के रा य को ांस के सा ा य म सि म लत करने
का आदे श दे दया।
6.4.3 पुतगाल से यु
123
टे न का ह त ेप - टे न के वदे श मं ी जाज के नंग ने नेपो लयन के व पेन
क सहायता करने का वचन दया। अपने वचन के अनुसार अग त 1808 म सर आथर
वेलेजल के नेत ृ व म टे न ने एक सेना भेजी तथा उसी समय यूक ऑफ वे लंगडन का
आगमन हु आ और उस समय पुतगाल , पेन और टे न ने सि म लत होकर ांस के व
काय करने का न चय कया। इस कार ाय वीपीय यु का ार भ हु आ जो 1813 म जाकर
समा त हु आ।
अग त 1808 म वेलेजल ने ांसीसी सेनानायक जु नोट और वमारो को परािजत
कया और ांसीसी सेना को पेन छोड़ने के लए बा य कया। अ टू बर 1808 म नेपो लयन ने
वयं पेन पर आ मण कया और उसको रा य आ दोलन को कु चलने म सफलता ा त हु ई।
पर तु नेपो लयन को शी ह पेन छोड़ना पड़ा य क इरा समय आि या ने वयं को ांस
के चु ंगल से मु त होने का य न कया था।
नेपो लयन ने मसीना को 1800 म पुन : पुतगाल को विजत करने के लए नयु त
कया पर तु उसक योजना को वेलेजल क तृतीय र ा णाल ने वफल कर दया। इस तृतीय
र ा णाल को ''लाइन ऑफ टोरे स वेडरास'’ भी कहा जाता है। इसके अ त र त ांस को
पयूरानटे स डी ओनारो और अलबुरा म सन ् 1801 म पराजय का मु ंह दे खना पड़ा।
सन ् 1812 म नेपो लयन का स पर आ मण ाय वीप यु म एक ट नग पाइंट
स हु आ। स के व यु करने हे तु सेना क एक बड़ी टु कड़ी को पेन से हटाना पड़ा।
िजससे वह स से होने वाले यु म भाग ले सके। नेपो लयन के इरा काय से टे न के जनरल
लाड व लंगटन को वशेष सहयोग ा त हु आ।
124
अपनी वीरता एवं कू ट न त ता से प रचय दे ते हु ए उन दे श क संयु त सेना को 2 मई को
लटजेन तथा 20-21 मई 1813 को बाट जेन नामक थान पर परािजत कया।
125
6.5.5 संयु त दे श का ांस पर आ मण
6.5.6 ो टे न लू क सं ध 1814
126
6.5.8 वाटरलू का यु 1815
127
शि त होना, ने मह वपूण योगदान कया। वा तव म पेन के ोडे ने नेपो लयन क शि त का
हास करके उसको पतन क ओर अ सर कया।
इसी कार नेपो लयन क अवन त का तीसरा मु य कारण उसका स पर आ मण
करना था। वह पाने क आकां ा म मा को तक पहु ंच गया, जो इसक एक बहु त बड़ी भू ल थी।
नेपो लयन ने बगैर कसी दे श के नवा सय क वचारधारा का याल करते हु ए अनेक
अधीन रा य को ज म दया। इन रा य म उसने अपने सगे संबं धय को शासक के पद पर
रखा। इस प रवतन से जनता के दय से घृणा क लहर ने ज म लया।
128
6.8 नेपो लयन और वै ा नक ग त-
उस समय नेपो लयन ह एक मा ऐसा यि त था िजसने व ान क खोज को समाज
के लए अ य त हतकर मानकर उसक शंसा क थी। सन ् 1799 और 1814 के म य म
लेपलेस ने अपने ं ''मके नक सेले ट '' के
थ थम चार भाग म कई पुरानी च लत मा यताओं
को समा त करके यूटन के े वटे शन (आकषण) के स ा त क उ चत या या क थी तथा
सौय प त (Solar System) को भी पूण प से उजागर कया था। एक नई था पत सं था
''इकोल पोल टे नीक'’ के अ य पद पर वराजमान मोनो ने योम व ान का आ व कार
करके ग णत म ाफ य प त को ज म दया।
6.9 सारांश
इ तहासकार ने नेगो लयन क अचानक उ न त तथा उसके एक शि तशाल शासक
बनने के अनेक कारण बताए ह। उनके वचार म यह उस समय क एक आव यकता थीं।
िजसको ांस म हु ई रा य ां त तथा उस समय या त अ यव था ने ज म दया था।
यहां यह कहना उ चत नह ं होगा क नेपो लयन क उ न त का कारण उसक
अ धनायकवाद भावना के व प हु ई और जनमत के वरोध के बावजू द भी वह शासक बना।
य क उस समय क जनता जनादन के सहयोग के फल व प ह शासक उस थान पर पहु ंच
सके ह। इसी कार नेपो लयन भी जनता के सहयोग के कारण ह इतनी उ न त कर सका। उस
समय जनता ने यह उ चत समझा क नेपो लयन ह एक ऐसा यि त है जो उनको जातं क
ष यं कार शि तय से अपनी अपार शि त वारा उनक र ा कर सकता है।
कसी भी नेता के लए केवल जनता क सहायता ह पया त नह ं होती। उस नेता म
वयं म भी ऐसे गुण होने चा हए जो उस पद क ग रमा को बनाए रख। नेपो लयन के वषय
म यह न ववाद स य है क वह अपने गुण , आकां ाओं एवं असी मत मता के फल व प ह
इतनी उ न त कर सका। उसका अ वतीय साहस अभू तपूव नेत ृ व , जनता को स न रखने क
मता, सम त क ठनाईय का साहसपूवक सामना करना तथा अपने दे श क आव यकताओं क
यथाशि त पू त करने के फल व प ह वह उ न त कर इतने मह वपूण थान को ा त कर
सका।
6.10 अ यासाथ न
1. नेपो लयप के ं ी सु धार (Institutional Reforms) क
यव था संबध या या क िजए?
उनम कस कार अ वतीय यो यता का आभास होता है?
2. नेपो लयन बोनापाट के थम को सल के प म कए गए काय पर काश डा लए?
3. नेपो लयन के ''क ट ने टन स टम'' क या या क िजए? इस स टम का उसके जीवन
पर या भाव पड़ा?
4. ''क ट ने टन स टम'' कसे कहते ह? नेपो लयन ने कस कार इसको लागू कया।
129
5. ' ांस और स क सं ध क असफलता के कारण बताइये।
6. नेपो लयन क अवन त के कारण बताइये?
न न ल खत वषय पर ट पणी (Short Notes) ल खए -
(i) को सुलर क सट यूशन (को सूलर सं वधान)
(ii) कनकोरडेट
(iii) कोड ऑफ नेपो लयन
(iv) 1807 म हु ई टल सट क सि ध
(v) ाय वीप यु (Peninsular War)
(vi) क ट ने टल स टम या अवरोध (Blocked)
(vii) 1814 म हु ई ो टे न लू क सं ध
6.11 संदभ ंथ
1. एबट, जोसेफ, एस.सी. द लाइफ ऑफ नेपो लयन बोनापाट, दे हल 1972
बोनापाट य ऑ सफोड 1917
2. फशर, एच. ए. एल. बोनापाट म, ऑ सफोड 1917
3. ट . थो पसन ् जे. एम. हज राइज़ एंड फोल
नेपो लयन बोनापाट
4. डोज, ट .ए द बग नंग ऑफ द , े व रवो थू शन दू द बेटल ऑफ
वाटरलू - 4 भाग 1904-7
5. ा ट, एजे.और टे परले यो प इन द नाइनट ध ए ड व द एथ
एच. से युर ज 1989-1950 ल दन 1961
130
इकाई 7
ए शया,अ का एवं लै टन अमे रका म सा ा यवाद
इकाई क परे खा
7.0 उ े य
7.1 तावना
7.2 सा ा यवाद से ता पय
7.3 सा ा यवाद के उदय के कारण
7.4 ए शया म सा ा यवाद
7.5 अ का म सा ा यवाद
7.6 लै टन अमे रका म सा ा यवाद
7.7 सा ा यवाद का भाव
7.8 सारांश
7.9 अ यासाथ न
7.10 संदभ थ
7.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन से आप –
सा ा यवाद के व प से प र चत हो सकेग।
ए शया म सा ा यवाद से अवगत हो सकेग।
अ का म सा ा यवाद को समझ सकेग।
लै टन अमे रका म सा ा यवाद को जान सकेग।
सा ा यवाद के भाव से प र चत हो सकेग।
7.1 तावना
उ नीसवीं और बीसवी शता द म सा ा यवाद नये प म उभर कर आया। इसने व व
के व भ न े को कई तर पर भा वत कया। कु छ दे श ने दु नया के बहु त बड़े भू - भाग
पर अपना क जा कर लया। कई बार अ धकार और वच व को लेकर इनके बीच त पधा और
संघष भी हु आ। टे न, ांस, इटल , पेन, स, पुतगाल इनम मु ख थे। इन दे श ने स यता
के सार एवं वकास क दुहाई द । वा तव म इसके पीछे इनके न हत वाथ थे जो इनके
वारा विजत कये गये े से पूरे होते थे। इसका माण यह है क िजन े म इनका
क जा रहा वह के नवा सय क सामािजक, राजनी तक एवं आ थक ि थ त शोचनीय होती
गयी। वे चौतरफा शोषण के शकार हु ए। ए शया, अ का एवं लै टन अमे रका के बहु त से दे श
को सा ा यवाद ' का शकार होना पड़ा। हम इस इकाई म सा ा यवाद के व प को समझगे
तथा ए शया, अ का एवं लै टन अमे रका म इसके सार का अवलोकन करगे।
131
7.2 सा ा यवाद से ता पय
‘सा ा यवाद' श द अं ेजी के 'इ पी रय ल म' (Imperialism) श द का अनुवाद है।
इ पी रय ल म श द लै टन श द इ पैरेटर (Imperator) से आया है। िजसका संबध
ं के य
स ता क अ धनायकवाद शि तय तथा शासन क मनमानी प तय से था। इ पी रय ल म
श द का योग सव थम ांस म हु आ। 19 वीं शता द के चौथे दशक म नेपो लयन के
व तारवाद के लये इस श द का योग कया गया और इसके बाद टश उप नवेशवाद के
संबध
ं म इसका योग कया जाने लगा।
सा ा यवाद या है? इसे लेकर व वान क अलग - अलग राय है कु छ वचारक
मानते ह क एक दे श वारा दूसरे दे श पर आ मण करके और उसे जीतकर अपने रा य म
मला लेने क या सा ा यवाद है। कु छ व वान क राय है क कृ ष धान दे श के ऊपर
यावसा यक दे श क स ता था पत होना सा ा यवाद है। इस तरह हम दे खते ह क
सा ा यवाद क या या के संबध
ं म व वान के म य पया त मतभेद है। व भ न व वान ने
सा ा यवाद को प रभा षत करते हु ये कहा है क -
ले नन के अनुसार – “सा ा यवाद एक नि चत आ थक यव था है, जो पू ज
ं ीवाद के
चरम वकास के समय उ प न होती है।“
चा स ए. बीयड के मतानुसार - ''सा ा यवाद वह होता है, िजसम एक दे श क सरकार
और कू टनी तक मशीनर दूसर जा त के लोग के दे श र त रा य तथा भाव े को
ा त करने के लये य नशील हो जाती है और अपने लये औ यो गक, यापा रक एवं धन
लगाने के अवसर कौन बढ़ाने का काय करती है।
पाकर ट . मू न के श द म - ''सा ा यवाद का अथ गैर-यूरोपीय जा तय पर उनसे
सवथा भ न यूरोपीय रा के शासन से है।''
उपयु त के आधार पर सा ा यवाद वह भु व भावना है िजसके वशीभू त होकर एक
शि तशाल दे श अपने से कमजोर दे श पर अपना अ धकार एवं शासन था पत करता है वह
इन दे श से अ धक से अ धक लाभ उठाने का यास भी करता है।
सा ा यवाद के इ तहास को दो भाग म वभािजत कया जाता है - ाचीन
सा ा यवाद एवं नवीन सा ा यवाद।
ाचीन सा ा यवाद का मु य आधार 'वा ण यवाद' था। इसके अ तगत सा ा यवाद
दे श का ल य यापार एवं उ योग के वारा अ धक से अ धक सोना - चाँद ा त करके
अ धक से अ धक लाभ कमाना था। उप नवेश के हो रहे आ थक शोषण के कारण इसे 'आ थक
सा ा यवाद' के नाम से भी जाना जाता है। अत: यूरोपीय दे श के म य औप नवे शक सा ा य
के व तार को लेकर जो त पधा शु हु ई उसके प रणाम व प सव थम डच ने पुतगा लय
के अनेक े पर अ धकार कर लया और अं ेज एवं ांसी सय ने डच के े पर क जा
कर लया। स तवष य यु (1757- 1763) के कारण उ तर अमे रका ांस के नय ण से
मु त होकर इं लै ड के अ धकार म आ गया तो 1776 ई० म उ तर अमे रका के 3 उप नवेश
132
इं लै ड के शासन से मु ता हो कर वत हो गये। इसी म म 1822 ई0 म, ाजील भी
पुतगाल से एवं 1810 ई० से 1824 ई० के म य पेन के कई उप नवेश वत हो गये।
इसके अ त र त 'मु त यापार' तथा 'अह त प
े क नी त' के कारण 'वा ण यवाद वचारधारा'
का पतन होने लगा िजसके प रणाम व प औप नवे शक सा ा य क जड़ हल गयीं।
1870 ई० के प चात ् नवीन सा ा यवाद का उदय हु आ। िजसका उ े य अपने
उप नवेश से आ थक लाभ ा त करना ह नह ं था वरन ् राजनी तक शि त का सार करके
अपने दे श क नर तर बढ़ती जनसं या क लये नवीन भू-भाग गई ा त करना था। इस दशा
म औ यो गक ाि त ने भी मह वपूण भू मका नभाई य क औ यो गक वकास के
प रणाम व प आव यकता से अ धक उ पादन के कारण तैयार माल क खपत हे तु नवीन
बाजार क आव यकता ने इन यूरोपीय दे श को औप नवे शक व तार क नी त अपनाने हे तु
े रत कया। नवीन सा ा यवाद के फल व प उ नीसवीं सद के अ त तक ए शया और
अ का के अ धकांश दे श पर यूरोपीय रा य का भु व था पत हो गया।
133
अ त र त पू ज
ं ी नवेश
औ योगीकरण के प रणाम व प यूरोप म पू ज
ं ीवाद का वकास हु आ। मशीनीकरण के
कारण व तु ओं का उ पादन कम लागत म अ धक मा ा म होने के कारण लाभांश क मा ा म
वृ हु ई। इस लाभांश को य द यूरोपीय दे श म पुन : लगाया जाता तो बहु त कम मा ा म याज
मलता। अत: इस अ त र त लाभांश (पू ज
ं ी) को पू ज
ं ीप त ऐसी जगह लगाना चाहते थे जहाँ
अ धक लाभ हो। चू ं क अ वक सत रा म त पधा कम होने एवं स ती मजदूर के कारण
लाभ क स भावना अ धक थी इस लये इस अ त र त पू ज
ं ी को उप नवेश म लगाने क वृि त
ने ज म लया। उप नवेश म पू ज
ं ी लगाने से जहाँ दस से बीस तशत याज मलता था वह ं
यूरोप म लगायी पू ज
ं ी पर मा तीन अथवा चार तशत का लाभ होता था। इस लये यूरोपीय
पू ज
ं ीप त अपनी सरकार से उप नवेश था पत करने क मांग करने लगे।
जनसं या म वृ -
सा ा यवाद के उदय का एक कारण बढ़ती हु ई जनसं या को ए शया एवं अ का के
कम जनसं या वाले दे श म बसाना भी था। सा ा यवाद दे श ने अ त र त भू म क खोज म
अनेक े को अपने अ धप य म कर लया जैसे - जापान ने को रया, फारमोसा, मंचू रया,
आ द तथा इटल ने ल बया, सोमाल लै ड आ द दे श को अपने अधीन कर लया। इन
उप नवेश म बहु त से लोग सै नक एवं शास नक अ धका रय के प म भेजे गये तथा कु छ
लोग अपने उ योग एवं यापार के व तार के लये वह बस गये। इस कार बढ़ती जनसं या
का दबा सा ा यवाद के उदय का मह वपूण कारण बना।
यातायात एवं संचार साधन का वकास -
सा ा यवाद के उदय म रे ल, डाक, तार, एवं जहाज के अ व कार ने मह वपूण भू मका
नभायी। य क यातायात के साधन म वकास के कारण व भ न व तु य कम समय म
शी ता से एक थान से दूसरे थान तक आसानी से पहु ँ चायी जाने लगीं। इस दशा म 1880
ई० के बाद जहाज म शीतन (Refrigeration) क यव था एक ां तकार कदम था य क
अब खराब होने वाले खा य-पदाथ जैसे - पनीर, म खन, फल, अ डे आ द भी सु र त प से
दूरवत े म पहु ँ चाये जाने लगे। यातायात स ब धी साधन के वकास के कारण ल बी दू रयां
भी कम समय म तय होने लगीं जैसे - 1869 ई0 म वेज नहर के खु ल जाने से पूव
अ का, भारत, एवं सु दरू पूव क या ा म कम समय लगने लगा। लदन से भारत मा तीन
स ताह म आया जा सकता था। िजसके प रणाम व प दूर थ े पर भी आसानी से अ धकार
रखा जा सकता था। इसके अ त र त डाक, तार एवं टे लफोन वारा दूर थ े भी आपस म
जु ड़ गये थे।
यावसा यक कारण -
यावसा यक प रि थ तय ने भी सा ा यवाद के वकास म मह वपूण भू मका नभायी।
यूरोपीय पू ज
ं ीप तय का व वास था क जब तक उप नवेश पर राजनी तक भु व नह ं होगा
वह पू ज
ं ी नवेश करना जो खम भरा काय होगा। य क इन े म व ोह होने अथवा सरकार
के नय ण से मु त होने क अव था म उनक पू ज
ं ी अनी नि चत थी। इसी लये पू ज
ं ी नवेश
को सु र त करने हे तु यह आव यक था क इन उप नवेश म राजनी तक भु ता था पत कया
134
जाय। ांस वारा उ तर अ का ि थत मोर को जो ' े स मोर को' बन गया था इसी
राजनी तक भु व का प रचायक था।
सै नकवाद -
सै नकवाद के कारण भी उप नवेशवाद का उदय हु आ य क औप नवे शक त पधा,
राजनी तक भु व, शां त एवं यव था बनाये रखने हे तु सेना क आव यकता थी। अत:
शि तशाल सेना बनाने के लये सै नक क सं या म वृ के साथ-साथ सै नक अ धका रय क
पदो न त एवं उ च पद क सं या म वृ भी अव यंभावी हो गयी थी। अत: सै नक वग भी
सा ा यवाद भावना का समथक था।
राजनी तक प रि थ तयाँ -
राजनी तक प रि थ तय के वशीभू त होकर यूरोपीय दे श ने ए शया एवं अ का के कु छ
दे श पर साम रक मह व के कारण अ धकार कर लया, जैसे - टन ने पोट सईद, हांगकांग,
संगापुर और साइ स पर अ धकार अपने विजत े और यापार क र ा हे तु कया। उसने
इन सब ब दरगाह पर अपने नौ-सै नक अ डे था पत कये। िजससे सामु क शि त के े म
उसक अजेयता बनी रह ।
रा यता क भावना
टे न, ांस, पुतगाल , बेि लयम, जमनी, इटल आ द दे श म रा य भावना क
जागृ त के कारण सा ा यवाद को ो साहन मला। 1870 से पूव यूरोप के मान च पर ांस
का सव च थान था। सेडान के यु म शा वारा परािजत होने के साथ ह उसके गौरव का
अंत हो गया। अपने इस ाचीन गौरव को पुन : था पत करने के लये सा ा यवाद ह एकमा
उपाय था। दूसर ओर इं लै ड सा ा यवाद क इस दौड़ म सबसे आगे था। काला तर म
जमनी, इटल और जापान ने भी इस दशा म आगे बढ़ना शु कया। जमनी का स ाट
व लयम कैसर वतीय रा य गौरव के लये उप नवेशवाद को आव यक मानता था। काला तर
म इन यूरोपीय दे श के म य सा ा य व तार हे तु त वि दता इतनी बढ़ गयी िजसक
प रण त थम व व-यु के प म हु ई। वा तव म इस समय तक सा ा य व तार के आधार
पर रा य गौरव आका जाने लगा था।
ईसाई मशन रय का योगदान -
ईसाई पाद रय ने भी सा ा य व तार म मह वपूण भू मका नभायी। इ ह ने य
एवं अ य दोन प म सा ा यवाद को ो सा हत कया। इस दशा म इं लै ड के डा०
ल वंग टोन का योगदान वशेष प से उ लेखनीय है। उ ह ने बीस वष तक अ का के
अ द नी भाग म जेि बसी और कागो नद के े क खोज क और अपने दे शवा सय को
संदेश भजवाया क अ का ' यापार और ईसाई धम के चार' के लये उपयु त है। इसी कार
ांस के का डनल लेवीगेर ने अ ल रया म अ का के ' मशन रय क स म त' था पत क
िजसके मा यम से यून स म अपना धा मक भाव था पत कया। इससे ांस को यू नस पर
अ धकार करने म सहायता मल । बेि लयम के पाद रय ने भी कांग के े म अपने रा य
का भाव था पत करने के लय पृ ठभू म तैयार क । धम चारक ने इन े म ईसाई धम
135
चार और सार के साथ - साथ अपने दे श के राजनी तक एवं आ थक सा ा य क वृ के
लये भी य न कया।
स यता का सार
यूरोपीय लोग का व वास था क उनक स यता व व क सव कृ ट स यता है। इस
दशा म ईसाई धम चारक ने पछड़े हु ये े म सु धार काय ार भ कये। य य प कु छ लोग
ने यह काय न वाथ भावना से कया पर तु अ धकांश यूरोपीय रा य ने इन परोपकार एवं
मानवतावाद य न क आड़ म अपना सा ा य व तार कया। ांस ने सा ा य व तार को
स यता के ‘ व तार का काय बताया तो इटल ने पुनीत क त य' एवं इं लै ड ने वेत जा त का
भार बताया।
भौगो लक खोजकता
उ नीसवीं शता द म अनेक साह सक खोजकता हु ये िज ह ने नये-नये उप नवेश क
खोज क । इन भौगो लक अ वे क ने भी सा ा यवाद के सार म योगदान दया। बटन, पेक,
हैनर काल पीटस, बेकर, माटन टे नल , लव टोन गु टाव नाि टगाल ने इस दशा म
मह वपूण योगदान दया।। इं लै ड के माटन टे नल ने कांग े क खोज क तो जमनी के
काल पीटस ने पूव अ का म अनेक े क। ांस के दु चालू एवं ड ाजा ने अ का के
भू-म यरे खीय े क खोज क तो केम न और टोगोलै ड को जमन उप नवेश बनाने का ेय
गु टाव नाि टगाल को दया जाता है।
136
कया। 1881 ई० म स ने तु क तान पर वजय ा त क और 1884 ई० म मव पर। इससे
टे न और स के बीच ि थ त काफ तनावपूण हो गयी और अ ततः दोन ने मलकर व
1885 ई० म अफगा न तान क सीमा का नधारण कर लया िजसके प रणाम व प शां त
था पत हो सक । पि चमी ए शया म स एवं टे न दोन ने फारस पर अपना भु व था पत
करने का यास कया और इसको लेकर दोन म कड़ी त पधा रह और आ खरकार 1907 म
दोन के म य एक समझौता हु आ िजसके अनुसार द णी भाग को टे न का भाव े एवं
उ तर भाग को स का भाव े वीकार कया गया और म य फारस म दोन को काय
करने क वत ता मल । टे न ने बमा, त बत और सि कम को भी अपने सा ा य म ले
लया। सु दरू -पूव म चीन और जापान ल बे समय तक यूरोपीय सा ा यवाद के भाव से बचे
रहे । ले कन अफ म यु ने चीन को सा ा यवाद भाव को वीकार करने के लये ववश कर
दया। थम अफ म यु के बाद उसे हांगकांग का े टे न को दे ना पड़ा और यूरोपीय दे श
के लये यापार हे तु अपने बंदरगाह खोलने पड़े। इसी तरह स ने कई े को अपने अ धकार
म कर लया। 1884 ई० म ांस ने भी अनाम पर क जा कर लया और चीन को अपनी
स भुता के दावे का याग करना पड़ा। एकमा ए शयाई दे श जापान ने यूरोपीय दे श और
अमे रका के साथ सं धयां कर ल ं और ताकत इक ी करके सा ा यवाद क राह पर चल पड़ा।
1874 ई० म उसने चीन के लु चू वीप समू ह पर क जा कर लया। 1894-95 ई० म चीन
और जापान के बीच यु हु आ िजसम चीन परािजत हु आ और कई े म उसे जापान के
अ धकार को वीकार करना पड़ा। 1897 ई० म जमनी ने चीन के ि सग-ताओ बंदरगाह व
कआऊ चाऊ क खाड़ी पर क जा कर लया।
सा ा यवाद दे श ने चीन के वभ न े पर क जा कर लया। 1900 ई0 म
ची नय ने एक रा य आंदोलन क शु आत क िजसे बा सर आंदोलन के नाम से जाना जाता
है। ले कन इस आंदोलन को जापान, अमे रका, जमनी, ांस और टे न क सि म लत सेनाओं
ने बुर तरह कु चल दया ले कन दन - दन इसका भाव चीन पर बढ़ता गया।
इ डोने शया वीप समू ह को ई ट इ डीज कहा जाता था। इस वीप समूह म जावा,
बाल , सु मा ा, तमोर, बो नयो, पलोरस सोअ बला आ द े आते थे। सव थम पुतगा लय ने
1511 ई० म मल का पर अ धकार कया य क यह यापा रक और राजनी तक ि ट से
मह वपूण था। पुतगा लय के बाद स हवीं शता द म इस पर डच यापा रय का अ धप य हो
गया। बाद म ांस और ु ा के फल व प 1811 ई० से 1819 ई० तक ये
टे न के म य श त
वीप टे न के नय ण म रह। इसके अलावा न
ु ेई और सरावाका वीप भी टश अ धप य
म आ गये जो रबड़ उ पादन के लय वक सत कये गये। इसके अ त र त यू गनी के एक
भाग पर भी टे न का भु व कायम हु आ। इसी कार मलाया पर नय ण होने का अथ था -
पूव एवं द णी पूव । े म भु व कायम रखना। स भवत: इसी लए मलाया के
जलडम म य म ि थत संगापुर को अं ेज ने अपनी जलसेना का मु ख के बनाया। 1824
ई० म संगापुर थायी प से अं ेज के अ धकार म आ गया।
137
क बो डया, लाओस और वयतनाम ह द चीन ाय वीप म आते है। 1900 वीं सद के
शु आत म ांस ने वयतनाम म औप नवे शक शासन था पत करने का काय शु कर दया।
1884 ई० म क बो डया को अपने उप नवेश म प रव तत कर दया। 1904 से 1907 ई0 के
म य ास और थाइलै ड के बीच हु ई सं धय से लाओस के लु आग - वाग े पर ांस ने
अपना क जा मजबूत कर लया। समू चा वयतनाम भी आ खरकार उसके अ धकार म आ गया।
फल पी स पर पेन ने नय ण कर लया ले कन यूबा के मु े को लेकर उसका अमे रका से
यु हो गया िजसम वह अमे रका से परािजत हु आ और आ खरकार 1898 ई० म पे रस म हु ई
सं ध के प रणाम व प फल पी स अमे रका का उप नवेश बन गया।
7.4 अ का म सा ा यवाद
1850 ई० तक अ का 'अध महा वीप के प म जाना जाता था। इसके केवल
तटवत य े पर यूरोपीय रा य का अ धकार था और शेष 90 तशत भाग वत था।
1850 से 1890 के म य अ का के आ त रक दे श क खोज होने के बाद यूरोप के अनेक
दे श जैसे - ांस, पुतगाल , इटल , टे न, जमनी, बेि लयम आ द के म य अ का के व भ न
े पर अ धकार करने क त पधा आर भ हो गयी और मा 40 वषा क अ पा व ध म
अबीसी नया एवं लाइबे रया को छो कर समू चे अ का पर यूरोपीय रा य का भु व था पत हो
गया। अ का महा वीप म सा ा यवाद को था पत करने का ेय बेि लयम के शासक
लयोपो ड वतीय को जाता है। उसने राजधानी बूसेल म 1876 ई० म एक अ तरा य
स मेलन आयोिजत कया। िजसम एक अ तरा य सं था (International Association for
Exploration and Civilization of Central Africa) क थापना क । इस सं था का
उ े य म य अ का म अ ात े का पता लगाना और वह पर स यता का सार करना था।
इस अ तरा य सं था क ओर से टे नल को कांगो े म खोज के लये नयु त कया
गया। िजसने 1879 से 1882 ई0 के म य यह के थानीय नी ो सरदार से व भ न सं धयां
क ं। उसने इन नी ो सरदार को बहला-फुसलाकर उनक भू म इस अ तरा य संघ के नाम
ह ता त रत करवा ल । प रणाम व प 1885 ई0 तक लगभग 900000 वगमील का ऐसा दे श
जहाँ रबड़ तथा हाथीदांत बहु तायत से मलता था बेि लयम के राजा लयोपो ड क यि तगत
स पि त म आ गया ले कन 1908 ई० म यह के थानीय दास पर अमानु शक अ याचार के
कारण जब लयोपो ड क आलोचना होने लगी तो उसने ववश होकर यह े बेि लयम क
सरकार के सु पदु कर दया। काला तर म रबड़, हाथीदाँत के अ त र त सोना, ह रा, ताँबा,
यूरे नयम और इमारती लकड़ी के लय भी यह े मह वपूण बन गया। बेि लयम के अलावा
ांस ने भी कांगो के द णी कनारे पर अपना भु व था पत करना शु कर दया ांस ने
कु छ े पर अ धकार कर लया और इसे ' च कांगो' नाम दया गया। ांस ने अ का के
पि चमी भाग म ि थत सेनेगल पर भी अ धकार था पत करने का न चय कया। इसके बाद
उसने दाहोम, आइवर को ट, ांसीसी गनी, मरता नया ांसीसी सू डान, उ तर वो टा और
138
नाइजर नामक दे श पर अ धकार कर लया। इस कार 1900 ई0 तक ांसीसी सा ा य
अ का के अ द नी भाग तक व तृत हो गया।
अ का म सा ा यवाद क दौड़ म टे न भी पीछे नह ं रहा। टे न ने नाइजी रया के
कु छ भाग पर अ धकार कर लया। अं ेज यह के थानीय लोगो को दास बनाकर अपने
उप नवेश म काय करने के लये भेज दया करते थे। य य प ार भ म टे न एवं ांस के
म य त वि हता थी पर तु काला तर म अं ेजो ने ांसी सय के सम त अ धकार खर द
लये और नाइजी रया पर अ धकार था पत कर उसे टे न का संर त े घो षत कर दया।
पि चमी अ का म गो ड को ट एवं सायरा लयोन गैि बया, नाइजी रया भी टे न के अ धकार
म आ गया। यूरोप क एक अ य महाशि त जमनी क वदे श नी त म 1880 ई0 के बाद
प रवतन आया। जमनी ने सा ा यवाद क दशा म कदम बढाते हु ये अ का के पि चमी तट
पर ि थत टोगोलै ड पर अ धकार कर लया। य य प जमनी पुतगाल उप नवेश अंगोला,
मोजाि बक और कांगो पर भी अ धकार करना चाहता था क तु थम व व यु म परािजत
होने के कारण उसका यह व न पूण न हो सका। वजेता रा ने जमनी क शि त को न ट
करने के उ े य से उसके उप नवेश को आपस म बाँट लया जैसे - टे न एवं ांस ने पर पर
टोगोलै ड एवं कैम न बाँट लये। अ का के पि चमी तट पर पेन के भी दो उप नवेश- र यो
ड ओरो एवं पे नश गनी थे। पुतगाल के अधीन अंगोला तथा पोतु गीज गनी नामक उप नवेश
थे।
द ण अ का म भी डच लोग वारा था पत अ तर प उप नवेश पर उ नीसवीं
शता द के ार भ म ह टे न ने अपना अ धकार था पत कर लया था। अत. डच लोग ने
उ तर क ओर दो रा य 'ऑरज टे ट' और ' ांसवाल' क नींव डाल । ु ना ,
टे न ने बेबआ
रोडे शया, वाजीलै ड, बसू टोलै ड पर अ धकार कर लया और ांसवाल क सरकार को
न का सत करने का ष य रचा। िजसके प रणाम व प बोअर यु हु आ। िजसम बोअर लोग
परािजत हु ये और कु छ समय प चात ् केपनेटॉल, ांसवाल और ऑरज नद के उप नवेश को
मलाकर द णी अ क संघ बनाया गया।
1884 ई० तक पूव अ का म मा मोजाि बक ह पुतगाल सा ा यवाद ल सा का
शकार बना। ले कन 1884 ई० के बाद जमनी ने भी इस े म पदापण कया। कालपीटस
नामक जमन ने यह के थानीय सरदार से इकरारनामा कया िजसके अ तगत इन सरदार ने
वयं को जमन संर ण म वीकार कया। जमनी के साथ समझौते क नी त का पालन करते
हु ये ांस ने मैडागा कर तथा टे न एवं जमनी ने पूव अ का को पर पर वभािजत कर
लया। जंजीवार के उ तर भाग पर टे न का भु व वीकार कर लया गया तो द णी भाग
पर जमनी का। त प चातजमनी ने युगाडा को भी अपने संर ण म ले लया ले कन बाद म
उसने टे न को युगाडा दे कर बदले म हे लगोलै ड ा त कया। ले कन जमनी ने जंजीवार पे पा
वीप , वीदू और यासालै ड (वतमान मलाबी) को छोड़ दया ले कन पूव अ का के आ त रक
दे श पर अ धकार कर लया। य य प थम व व यु म परािजत होने के बाद जमनी के
उप नवेश छ न लये गये जैसे - पूव अ का टे न को मला, सांडा-उ ं डी बेि लयम को एवं
सोमाल लै ड तथा एर या पर इटल का अ धकार माना गया।
139
उ तर अ का म अ ल रया पर 1880 ई0 म ांस ने अ धकार था पत कया। ांस
एवं टे न के म य समझौते के अनुसार टे न ने ांस को अ ल रया के पूव म ि थत
यू नशया म खु ल छूट दे द और बदले म ांस ने टे न को साइ स पर अ धकार करने
दया। इसी कार मोर को पर ांस एवं इटल दोनो अ धकार करना चाहते थे अत: दोनो के
म य 1912 ई0 म हु ये समझौते के अनुसार मोर को पर ांस का तथा पोल एवं सरे नका
इटल को ा त हो गये। काला तर म ांस तथा टे न के म य हु ये समझौते के अनुसार म
टे न को ा त हु आ और बदले म टे न ने मोर को पर ांस का - भु व वीकार कर लया।
जमनी व पेन के वरोध कट करने पर ांस ने च कांगो का उप नवेश जमनी को तथा
पेन को टिजयर दे कर संतु ट कया। इसी कार म य अ का के उ तर म ि थत सू डान म
टे न एवं ांस दोन के हत थे। अ तत: एक समझौते के अनुसार सू डान के उस ह से पर जो
मस का एक भाग था टे न का अ धकार मान लया गया तथा म य और पि चमी सू डान एवं
सहारा म थल पर ांस का भु व वीकार कर लया गया।।
141
म अ धक मा ा म व तु ओं के उ पादन के कारण भार मा ा म लाभांश ा त होने से पू ज
ं ीवाद
को बढ़ावा मला।
आ थक शोषण -
सा ा यवाद के सार के कारण आ थक शोषण म वृ हु ई। ये सा ा यवाद दे श जहाँ
अपने अधीन े से कम मू य पर क चा माल खर द कर महँ गे दाम पर अपना तैयार माल
बेच रहे थे वह ं भू मकर म वृ ाकृ तक ख नज स पदा का दोहन एवं उप नवेश के आ थक
वकास को रोककर उ ह आ थक प से नबल कर रहे थे। वा तव म इन विजत े से
अ धक से अ धक लाभ उठाना इन सा ा यवाद दे श का मु य ल य था। आ थक शोषण क
नी त के प रणाम व प सा ा यवाद दे श दन त दन समृ होने लगे और उनके अधीन
उप नवेश दन त दन नधन।
उप नवेश म औ यो गक अवन त -
सा ा यवाद दे श ने अपने अधीन उप नवेश म गृह उ योग के पतन म भी योगदान
दया। ये सा ा यवाद शि तयाँ इन उप नवेश के बाजार म अपने यह के उ योग म तैयार
माल बेचती थी जो कु ट र उ योग म तैयार माल क अपे ा अ धक सु दर,स ता एवं टकाऊ
होता था। िजसके कारण उसक मांग अ धक थी। प रणाम व प कु ट र उ योग का पतन होने
लगा।
नरं कु श शासन यव था -
यूरोपीय दे श ने ए शया एवं अ का ि थत अपने इन उप नवेश म नरं कु श शासन
स ता था पत क । उ ह ने यहाँ क शासन यव था को भंग करके उनके सम त राजनी तक
अ धकार छ न लय। नरं कु श शासन यव था के अ तगत थानीय जनता के वरोध करने पर
उन पर नाना कार के अ याचार कये जाते थे।
ईसाई धम का सार
सा ा यवाद दे श ने राजनी तक सार के अ त र त इन उप नवेश म ईसाई धम का
सार भी कया। ईसाई पाद रय ने इस दशा म उ लेखनीय काय कया। उ ह ने न केवल
ए शया एवं अ का के अ द नी े क खोज क वरन ् वहाँ ईसाई धम को व व का सव े ठ
धम घो षत कर उसका चार भी कया। इन पाद रय ने थानीय लोग को व भ न कार के
लोभन दे कर ईसाई धम म द त कया।
पि चमी स यता का सार -
यूरोपीय लोग क स यता एवं सं कृ त का इन उप नवेश क जनता पर गहरा भाव
पड़ा। ये लोग भी पि चमी जीवन शैल का अनुकरण करने लगे। यह भाव खान-पान, वेशभूशा,
मनोरं जन आ द सभी े म दे खा जाने लगा। पि चमी स यता के सार के कारण इन े म
या त अनेक कु र तय जैसे - बाल ववाह, सती था, क यावध, नरब ल, वधवा ववाह नषेध
आ द का उ मूलन भी हु आ।
रा य भावना का उदय -
सा ा यवाद दे श के नरं कुश शासन के व इन उप नवेश क जनता म रा यता
क भावना का उदय हु आ। आधु नक श ा के सार के प रणाम व प उप नवेश क जनता को
142
यह ात हु आ क कसी भी दे श का वकास तब तक स भव नह ं है जब तक क वहाँ के
थानीय लोग के पास राजनी तक अ धकार न हो। इसी रा यता क भावना के प रणाम व प
सा ा यवाद दे श के शासन से मु त होने के लये इन उप नवेश म अनेक वत ता आंदोलन
हु ए।
7.7 सारांश
एक शि तशाल दे श वारा अपने वाथ क पू त के लये दूसरे कमजोर दे श पर
अ धकार करना सा ा यवाद है। इस सा ा यवाद भावना ने पूरे व व को भा वत कया।
टे न, ांस, पेन, इटल , पुतगाल , स, जापान अमे रका आ द दे श ने दु नया के बहु त बड़े
ह से म अपना सा ा य था पत कया। इन दे श ने ए शया, अ का, लै टन अमे रका म
अपने बहु त से उप नवेश था पत कये। इस सा ा य व तार म इनम पर पर संघष और
सं धयां भी हु ई। वा तव म इन दे श ने यहाँ क संपदा का जमकर दोहन कया। इसके
प रणाम व प इन उप नवेश क जनता शोषण का शकार हु ई और उसक ि थ त दन त दन
बदतर होती गयी।
7.8 अ यासाथ न
1. सा ा यवाद का या अथ है? सा ा यवाद के उदय के लये उ तरदाय कारण का उ लेख
क िजए।
2. ए शया म सा ा यवाद के वकास क समी ा क िजए।
3. अ का म सा ा यवाद के वकास पर एक नब ध ल खए।
4. लै टन अमे रका म सा ा यवाद के वकास पर काश डा लए।
5. सा ा यवाद के कारण एवं प रणाम का व लेषण क िजए।
7.10 संदभ थ
1. पु पेश पंत व व इ तहास टाटा मै ा- हल, नई द ल
2. डॉ0 कालू राम शमा, डॉ0 काश आधु नक व व,,सं करण- थम 2006, पंचशील
यास काशन, जयपुर
3. यारे लाल शमा व व इ तहास क परे खा, सं करण- वतीय
1956, न द कशोर ए ड दस, बनारस
4. डॉ0 मा नक लाल गु त व व का इ तहास, सं करण- थम, 2000,
कॉलेज बुक डपो, जयपुर
5. डॉ0 हु कम च द जैन, डॉ0 कृ ण आधु नक व व इ तहास, (1500-2000)
च द माथुर सं करण- ष ठम ् 2005, जैन काशन मि दर,
जयपुर
6. डॉ0भगवान संह वमा व व इ तहास क मु ख धाराय सं करण- थम
(1871-1956) ह द नथ अकादमी, भोपाल
143
इकाई 8
चीन और जापान म यूरोपीय सा ा यवाद
इकाई क परे खा -
8.0 उ े य
8.1 तावना
8.2 सा ा यवाद का व प
8.3 सा ा यवाद के कारण
8.4 सा ा यवाद एवं जापान
8.5 आं ल-चीन स ब ध
8.6 चीन-जापान स ब ध
8.7 जापान म सा ा यवाद
8.8 सारांश
8.9 अ यासाथ न
8.10 स दभ थ
8.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप जान सकगे क -
सा ा यवाद का या अथ है?
सा ा यवाद के सार के या कारण थे?
सा ा यवाद के पूव ए शया म व तार के या कारण थे?
चीन एवं जापान क आंत रक ि थ त या थी?
चीन एवं जापान म सा ा यवाद के सार के बाद यूरोप एंव ए शया म या प रणाम हु ए?
8.1 तावना
थम व वयु के पूव व व राजनी त को भल -भां त समझने के लए यह जानना
अ त आव यक है क ए शया के व वध े म सा ा यवाद दे श अपनी शि त एवं भु व क
वृ के लए जो यास कर रहे थे, उनका भी उ लेख कया जाये।
ए शया म यूरोपीय सा ा यवाद का वेश अ का से पूव हो चु का था। ए शया के एक
तहाई भाग का आ धप य स के पास था। भारत म अं ज
े अपना आ धप य था पत कर चु के
थे। केवल चीन एवं जापान दो ऐसे दे श शेष थे, जहां पर यूरोपीय दे श अपनी शि त का व तार
कर सकते थे। जापान ने औ यो गक एवं पू ज
ं ीवाद वृि तयां अपनाकर वयं को आधु नक बना
लया और वयं एक सा ा यवाद दे श बन बैठा। ऐसी ि थ त म एकमा चीन ह ऐसा दे श
बचा था, जहां यूरोपीय सा ा यवाद लू ट-खसोट कर सकते थे। सम त दे श क ग ि ट चीन
पर थी। चीन क शासन- यव था ट थी। वहां क कमजोर सरकार सा ा य वा दय का
144
मु काबला करने म असमथ थी। चीन क खराब आंत रक दशा सा ा य वा दय को अपनी ओर
आक षत कर रह थी।
चीन ार भ से ह पृथकता क नी त का पालन करता आ रहा था। चीन के लोग व व
के दूसरे दे श के साथ कोई स पक था पत नह ं करना चाह रहे थे। ले कन चीन म उपल ध
चाय एवं रे शम ने यूरोपीय दे श को अपनी आक षत कया था। यूरोपीय धीरे -धीरे चीन म वेश
करने लगे और धीरे -धीरे चीन के राजनी तक मामल म ह त ेप ार भ कर दया, जो चीनी
लोग को वीकार नह ं हु आ।
8.2 सा ा यवाद का व प
उ नीसवीं शता द के उ तरा म यूरोप म नवीन सा ा यवाद का सू पात हु आ,
िजसका व प उप नवेशवाद से भ न रा य एवं आ थक था। उप नवेशवाद का आधार जहां
'वा ण यवाद' था, वह ं सा ा यवाद का आधार इस शता द म यूरोपीय रा म बढ़ती हु ई
रा यता क बल भावना थी। सा ा यवाद का उ े य उप नवेशवाद से भ न था। इसका उ े य
राजनी तक शि त का सार और अपनी बढ़ती हु ई जनसं या को बसाना था। सा ा यवाद क
वभ न च लत यव थाओं को यान म रखते हु ए इसका सम अथ ' भ न जा त वाले दे श
पर कसी दूसरे दे श के राजनी तक आ धप य क यव था' लगाया जा सकता है। स हवीं
शता द तक च लत उप नवेशवाद धीरे -धीरे अपना व प बदलने लगा और उ नीसवीं शता द
तक यह सा ा यवाद के प म प रव तत हो गया। यूरोप म हु ई औ यो गक ाि त इसका
मु ख कारण बनी। तू ग एवं एडम ि मथ ने 'मु त यापार' के स ा त का तपादन कया।
अब पुरानी वा ण यवाद प त पतनो मुख हो रह थी।
1870 के उपरा त यूरोप म सा ा यवाद क भावना का वकास हो रहा था। 1868
एवं 1872 के म य इं लै ड के एक भावी वग ने अपने सा ा य को सु र त रखने के यास
पर बल दया। इं लै ड म इ पी रयल फेडरे शन आ दोलन का जोर बढ़ा और यह वचारधारा
भावी होने लगी क य द इं लै ड उप नवेश था पत नह ं करे गा, तो वयं न ट हो जायेगा।
ांस म भी सा ा यवाद भावना का वकास हो रहा था तथा पाल लेराग यूल,
गे बेटा, बा डंगटन, जू स फेट इसके समथक थे। उनके अनुसार व व म दूसरे भाग पर
सा ा य थापना अ त आव यक थी।
उधर जमनी भी ब माक क नी तय के कारण धीरे -धीरे सा ा यवाद क ओर कदम
बढ़ा रहा था। ार भ म ब माक उप नवेश को अनाव यक भार मानता था, क तु धीरे -धीरे
उसे भी औप नवे शक नी त का पालन करना पड़ा। औ यो गक ां त के कारण यूरोपीय दे श के
लए ज र हो गया क व व के पछड़े दे श पर अ धकार था पत करके वहां के ाकृ तक
संसाधन का दोहन करे और बढ़ते हु ए सा ा यवाद क त प ा म सि म लत हो। इसी नी त
के आधार पर अगल एक चौथाई शता द म संसार के अ वक सत एवं कमजोर रा पर
आ धप य थापना क त पधा शु हु ई, िजसके फल व प यूरोप के दे श ने अ का एवं चीन
जैसे वशाल भू-भाग को पर पर बांट लया गया।
145
8.3 सा ा यवाद के कारण
अब हम आपको सा ा यवाद के कारण से प र चत कराएंगे। आप दे ख क औ यो गक
ां त के अलावा अ य कारण भी सा ा यवाद को आर भ करने म सहायक रहे ह।
(अ) औ यो गक ां त
1. उ पादन क अ धकता -
यूरोप म 1870 के प चात ् औ यो गक ां त के कारण उ पादन म आशा से अ धक
वृ हु ई, िजसके कारण तैयार माल को बेचने क च ता यूरोपीय दे श को सताने लगी। इस
माल को बेचने के लए अ त र त बाजार क ज रत थी। इन दे श के यापा रय ने अपने
शासक पर उप नवेश थापना के लए दबाव बनाया। यापा रय का यह दबाव सा ा यवाद का
मु य आधार बना।
2. क चे माल क आव यकता -
औ यो गक ां त म माल तैयार करने के लए क चे माल क आव यकता थी, िजसक
पू त उनके दे श म स भव नह ं था इसके लए नये े क आव यकता थी। इसी आव यकता
ने सा ा यवाद का व तार कया य क यह माल स ते मू य पर अ क एवं ए शयाई दे श
म उपल ध था। इसके अ त र त यूरोपीय अथ यव था अब कृ ष धान न रहकर उ योग धान
हो गई। अ न क आव यकता भी अब यूरोपीय दे श को दूसरे दे श क ओर आक षत कर रह
थी।
3. पू ज
ं ी क अ धकता
औ यो गक ां त के कारण लागत कम और लाभ अ धक होने लगा, िजससे यूरोपीय
रा म पू ज
ं ी क अ धकता होने लगी। इस अ त र त पू ज
ं ी से अ धक लाभ कमाने हे तु
पू ज
ं ीप तय का एक ऐसा वग तैयार हो गया जो इसका नवेश अ वक सत दे श म करने का
इ छुक था। इसी वग ने अपनी सरकार को उप नवेश थापना पर बल दया। ांस वारा
मोर को को अपना उप नवेश बनाने के पीछे यह वग था।
4. जनसं या वृ -
उ नीसवीं शता द म यूरोपीय रा क जनसं या म बहु त अ धक बढ़ोतर हु ई। जमनी
क आबाद म साढ़े तीन करोड़ क वृ हु ई, वह ं इटल क आबाद भी डेढ़ करोड़ बढ़ गई।
1900 म टे न क जनसं या चार करोड़ दस लाख हो गई, जब क 1800 म यह एक करोड़
साठ लाख थी। बढ़ हु ई जनसं या क मू लभू त आव यकताओं म हु ई वृ भी सा ा यवाद का
एक मह वपूण कारण बनी। यूरोपीय रा ने अपनी जनसं या के दबाव को घटाने के लए
ए शया एवं अ का के दे श म क जा था पत करने का यास कया।
5. संचार एवं यातायात साधन का वकास -
19 वीं शता द म न केवल औ यो गक ां त उ तरो तर वकास क ओर अ सर हो
रह थी, वरन ् वै ा नक आ व कार ने मानव जीवन क सु वधाओं को बढ़ाया। संचार एवं
यातायात साधन का नर तर वकास भी सा ा यवाद के व तार का मह वपूण कारण स
हु आ। रे लवे, डाक, तार, टे ल फोन एवं रे जरे शन यव था ने मानव जीवन क सु वधाओं को
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बढ़ा दया। यूरोप से ए शया क या ा अब वष म न होकर मह न म आना संभव हो गया।
रे लवे एवं सामु क साधन के व तार ने सा ा यवाद को बढ़ावा दया। संचार यव था के
मा यम से दूसरे दे श म शासन-संचालन काफ सरल हो गया।
(ब) अ य कारण -
(i) रा वाद वृ त-
यूरोप म सा रत हो रह रा य गौरव क भावना भी सा ा यवाद के सार का एक
मह वपूण कारण बनी। रा य गौरव क वृ त के कारण ह ांस ने साइ स एवं केप पर
आ धप य था पत कया। इटल वारा ल बया पर आ धप य था पत कया गया। म पर
आ धप य के लए इं लै ड और ांस म त प ा रह । ब माक और व लयम कैसर ने भी
इसी वृ त के कारण सा ा यवाद का रा ता अपनाया।
(ii) यापा रक एवं सै य वग -
यूरोप म औ यो गक ां त आने के प चात ् वहां जो पू ज
ं ीप त वग था पत हु आ, उसने
अपने आ थक हत के लए अपनी-अपनी सरकार पर सा ा यवाद के सार के लए दबाव
बनाया। यह यापार वग कपडा, लोहा, अ -श , जहाज यवसाय से स बि धत था। सै य
अ धकार भी सा ा यवाद नी त के पोशक थे, य क सा ा यवाद नी त के लए यु
आव यक थे। यु के कारण सै नक क अ धक भत , अ धक उ च पद का स जन होता
िजसके वारा उनके पदो न त के अवसर अ धक होते।
(iii) मशनर योगदान-
सा ा यवाद के सार म धम का थान सदै व ह मह वपूण होता है। व व इ तहास
सा ी है क धम सार के लए कये गये यु अ तत: सा ा य सार पर ह आकर कते है।
मशन रय ने भी सा ा यवाद के सार म मह वपूण योगदान दया है। इं लै ड के डे वड
ल वंग टोन ने ईसाई धम के चार- सार हे तु बीस वष तक अ का म काय कया और
अ क भू म को ईसाई धम के चार के लए उपयु त माना। ांस के यू नस पर अ धकार
करने म का डनल लेवीगेर नामक धम चारक का मह तपूण योगदान रहा। मशनर वग यह
मानता था क अस य समाज को स य बनाने का दा य व उनका है। अ वक सत लोग के
वकास हे तु मशनर सं थाओं ने काय कया। इटल ने इसे पुनीत काय, इं लै ड ने वेत जा त
का भार और ांस ने स यता के व तार का काय बताया। स यता के इस व तार के काय के
पीछे सा ा यवाद भावना कह ं न कह ं न हत थी।
8.5 आं ल-चीन स ब ध
1715 ई. म ई ट इि डया क पनी ने कै टन म एक कारखाने क थापना कर ल थी
और कै टन के यापार का एक बड़ा ह थया लया था और दूसरे यापा रक दे श को क पनी से
लाइसे स लेकर ह यापार करने क अनुम त थी। आरि भक यापार म वदे शी यापार चीन से
चाय, रे शम, चीन म ी के बतन खर दते थे और इसके बदले म सोने एवं चांद से क मत
चु काते थे। चीन इन दे श से कोई भी सामान य नह ं करता था। चीन यह मानता था क उ ह
कोई भी व तु वदे शय से खर दने क ज रत नह ं है। धीरे -धीरे व तु व नमय होने लगा। चीन
के यापार वदे शी व तु ओं क ओर आक षत होने लगे। इं लै ड के बने कपड़े एवं अमे रक फर
चीनी यि तय को लु भाने लगे। टश यापा रय ने चीनी जनता को अफ म क आदत डाल
द । चीन म अफ म क मांग म वृ होने लगी। ई ट इि डया क पनी के यापार भारत से
अफ म लाकर चीन म बेचने लगे और चीन म अफ म का बाजार तैयार हो गया। अं ेज चीनी
माल के भु गतान के बदले अफ म दे ने लगे। सन ् 1800 म अफ म के यापार को चीनी सरकार
ने न श कर दया, फर भी ट अ धका रय के सहयोग से यह यापार कने के बजाय
148
बढ़ता चला गया। टे न क सरकार ने इस तब ध का वरोध कया। 1834 ई. म टश
सरकार ने लॉड ने पयर को ' थम यापार अधी क के प म इस लए चीन भेजा क वह चीनी
सरकार से यापा रक सु वधाय ा त करे और चीन कोई वरोधी काय नह ं कर, क तु चीनी
सरकार चाहती थी क टश यापार चीन क अधीनता म रहकर यापार कर। लॉड ने पयर
इसके लए तैयार नह ं था। 1834 ई. म ह ने पयर का असाम यक दे हा त हो गया।
टे न एवं चीन के बीच अफ म को लेकर तनाव बढ़ता चला गया। 10 माच, 1839
को चीनी सरकार वारा नयु त आयु त लन- से-हसू ने अफ म पर तब ध लगाते हु ए आदे श
जार कया क टश यापार अपनी सम त अफ म चीनी अ धका रय को सौप द, अ यथा
अफ म क सार पे टयाँ ज त कर ल जायगी। इस अफ म का मू य लगभग 60 लाख डालर
था। लन ने टश यापा रय क अफ म को चू ना एवं नमक लगाकर समा त कर दया और
टश अ धका रय से भ व य म चीन म अफ म का यापार न करने का ल खत आ वासन
मांगा, िजसे उ ह ने मना कर दया। टश यापार अब कै टन छोडकर हांगकांग म बस गये
और टश यापार अधी क इ लयट ने घोषणा क क महारानी व टो रया चीन क सरकार से
हा न का बदला ज र लेगी। दोनो प यु क ओर अ सर हो रहे थे।
7 जु लाई, 1839 को कुछ ना वक के पर पर झगड़े म एक चीनी ना वक क मृ यु हो
गई। सामू हक दा य व मानते हु ए चीनी कानून के अनुसार क म नर लन ने अं ेज यापार
अधी क से अपराधी को स पने क मांग क , िजसे उसने इंकार कर दया। इस प को लेकर
दोन प म तनाव बढ गया। इस तनाव के उपरा त चीनी सरकार ने अं ेज यापा रय पर
इतना अ धक कठोर नय ण कर दया क उ ह अपना भोजन जु टान भी मु ि कल हो गया।
ऐसी प रि थ त म दोन प म यु होना लगभग अ नवाय हो गया।
आं ल-चीनी यु (1839- 1842 ई.) -
अं ेज ने कै टन क नाकेब द कर द तथा चीन क 29 नौकाओं को न ट कर दया।
6 जु लाई, 1840 को चुसान वीप ि थत तंगहाई पर अ धकार कर लया। इसके बाद अमोय
और नगंप पर भी अ धकार कर लया। कै टन म दोन प म समझौता वाता शु हु ई,
क तु कोई नणय नह ं हु आ और यु पुन : शु हो गया। 1841 ई. म अं ेज ने कै टन पर
पूण प से अ धकार कर लया तथा टश सेनाय च यांग और नान कं ग क ओर बढ़ । चीन
के उ तर एवं द णी भाग का पर पर स पक टू ट गया। 29 अग त, 1842 को नान कं ग क
सि ध पर ह ता र हु ए। एक अ य सि ध 8 अ ू र, 1843 को बोग म हु ई।
नान कं ग क सि ध (29 अग त,1842 ई.) -
नना कं ग क सि ध क मु ख शत थी -
(I) हांगकांग का वीप सदा के लए इं लै ड को दे दया गया।
(II) टश लोग के लए कै टन, अमोय फूचो, न गपो, शंघाई के पाँच ब दरगाह
यापार एवं नवास के लए खोल दये गये।
(III) 2 करोड़ 10 लाख डॉलर तपू त के प म चीन ने दे ना वीकार कया।
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(IV) टश यापा रय पर लगा नय ण अब समा त हो गया। वे कसी भी चीनी
यापार के साथ यापार स ब ध था पत कर सकते थे।
(V) आयात- नयात पर समान शु क नधा रत कया गया 5 तशत तटकर नि चत
कया गया।
(VI) टश एवं चीनी अ धकार समानता के तर पर प - यवहार करगे तथा अं ेज
पदा धकार ' ाथना' श द का उ लेख नह ं करगे।
इस सि ध म अफ म- यापार नषेध का कोई भी उ लेख नह ं कया गया और इसके
बाद चीन आ थक एवं नै तक प से अपार हा न उठाता रहा।
बोग क सि ध (8 अ टू बर,1843 ई.) -
इस सि ध के अनुसार इं लै ड ने अपने लए सवा धक य दे श का स ा त वीकार
करा लया। इसके अ तगत यह तय कया गया क 'य द स ाट कसी कारण या स नता से
कसी भी वदे शी रा के जाजन को अ त र त छूट अथवा अ धकार दगे तो वे सब अ धकार
एवं छूट टश जाजन को भी मलगे। एक अ य , धारा के अनुसार य द चीन म कसी
टश नाग रक को दि डत कया जाना है, तो वह टश कानून के अनुसार ह दि डत होगा।
नान कं ग एवं बोग क सि ध के उपरा त भी कु छ ऐसी घटनाय घ टत हु ई, िज ह ने
टे न एवं चीन के बीच दूसरे यु का सू पात कर दया।
टे न एवं चीन के म य हु ई इस सि ध से यूरोप के दूसरे रा भी अब चीन म आने
के लए उससे सि ध करके स ब ध बनाने का यास करने लगे। 3 जु लाई, 1844 को अमे रका
के साथ, 24 अ टू बर, 1843 को ांस से, 20 माच, 1847 को नाव के साथ चीन क अलग-
अलग सि धयाँ हु ई। इन सि धय का चीन के राजनी तक एवं सामािजक जीवन पर बहु त अ धक
भाव पड़ा। चीन पी ब द मु ी अब खु ल चु क थी और पि चमी दे श अब चीन क आंत रक
कमजोर जान चुके थे। ईसाई मशन रयाँ भी अब चीन म अपने धम के चार- सार के यास
करने लगी। इससे चीन एवं पि चमी दे श के म य कटु ता और वैमन य म वृ हु ई।
इन सि धय के उपरा त सम त पि चमी दे श चीन से सि धय के पुनर ण क सोचने
लगे, क तु चीन इसके लए सहमत नह ं हु आ। अब वदे शी शि तयाँ महसूस करने लगी क
चीन पर दबाव डालकर ह उसे सि ध पुनर ण के लए दबाया जा सकता है।
इं लै ड एवं ांस दोन ह सि ध पुनर ण के लए यु क हद तक जाने को तैयार
थे। उ ह इसका अवसर ा त हो गया जब ‘लोचा एरो’ नामक जहाज के ना वक को चीन ने
यह कहकर गर तार कर लया क वे समु लू ट के लए आये ह। दूसर घटना 1856 क थी
िजसम ांस के रोमन कैथो लक पादर आग टे चैपडी लेन को चीन के थानीय अ धकार ने
गर तार कर फांसी क सजा दे द । उसका अपराध चीन म बना अनुम त के आना एवं व ोह
अि न को भड़काना था। ांस इस घटना पर बहु त नाराज हु आ और इं लै ड एंव ांस एक हो
गये।
रोमन कैथो लक पादर क ह या और ‘लोचा एरो’ नामक यु पोत क घटनाओं ने यु
का माहौल तैयार कर दया। ांसीसी शासक नेपो लयन iii एवं टे न ने मलकर चीन पर
150
आ मण कया और 1858 ई. म हु ए दूसरे यु म चीन झु क गया एवं सि ध के लए तैयार
हो गया।
ट ंट सन क सि ध-
ट ंट सन म चीन एवं आं ल- ांसीसी अ धका रय के बीच सि ध ार भ क गई, क तु
सि ध क शत को पी कं ग से भी वीकृ त कराया जाना था। सि ध क शत से पी कं ग से
समथन ा त न होने के कारण आं ल- ांसीसी सेनाओं ने पुन : यु छे ड़ दया और पी कं ग पर
अ धकार कर लया। चीनी शासक शरण लेने जेहोल म पहु ँ च गया। पी कं ग म आं ल- ांसीसी
सेना ने शासक का ी मकाल न महल जला दया। 1860 ई. पुन : सि ध हु ई, िजसके अनुसार-
1. चीन ने यारह नये ब दरगाह यूरोपीय दे श के यापार के लए खोल दये। इस कार अब
सोलह वत ब दरगाह यूरोपीय रा को यापार एवं नवास हे तु ा त हो गये।
2. यूरोपीय जहाज को यां सी नद म आने जाने क अनुम त ा त हो गई।
3. यूरोपीय राजदूत को पी कं ग म रहने क वीकृ त ा त हो गई।
4. पासपोट धारक वदे शी चीन म कह ं भी मण कर सकते थे।
5. कोलू न ब दरगाह टे न के अ धकार म दे दया गया।
6. चीन वारा यु तपू त के प म 40 लाख मु ाय टे न को और 20 लाख मु ाय ांस
को दे ना वीकार कया गया।
दूसरे आं ल-चीनी यु के उपरा त केवल इं लै ड, ांस, अमे रका, स, नाव एवं
वीडन इ या द दे श ने चीन के साथ सि धयाँ कर ल । इनके अ त र त अ य यूरोपीय रा ने
भी चीन से यापा रक सि धयाँ क और चीन को लू टने का सल सला ार भ हो गया। यापार
यूरोपीय दे श अब चीन क नबलता का लाभ उठाकर उसके साथ अधीन थ दे श जैसा यवहार
करने लगे।
8.6 चीन-जापान स ब ध
जैसा क आप आगे 8.7 म जापानी सा ा यवाद को पृ ठभू म म व तार से पढ़े ग
जापान का 1868 ई. तक का इ तहास भी चीन जैसा ह था। 1868 ई. म जापान म प रवतन
हु आ और वह यूरोपीय सा ा यवाद का शकार बनने क बजाय वयं सा ा यवाद बन बैठा।
चीन केवल यूरोपीय सा ा यवाद दे श का ह नशाना नह ं बना वरन ् उसका पड़ोसी दे श
जापान भी इस पर आ धप य जमाने का यास कर रहा था। स हवीं शता द म यूरोप के दे श
ने जापान से स पक थापना के यास कये थे, क तु वे सभी न फल सा बत हु ए थे। जापान
ने अपने वार सम त पि चमी दे श के लए ब द कर रखे थे। उ नीसवीं शता द के
सा ा यवाद को दे खकर जापान ने पि चमी शि तय का ास बनने क बजाय वयं को
शि तशाल एवं सा ा यवाद बनाने का न चय कर लया।
जापान क आ त रक शासन- यव था बहु त खराब थी। दे श क वा त वक शि त
साम त के हाथ म थी। ये साम त गुटबाजी एवं कलह के शकार थे। 1867 ई. तक जापान
क शासन- यव था शोगुन साम त के हाथ म थी। 1867 ई. म साम ती शासन के व हु ई
र तह न ाि त ने जापान क दशा एवं दशा दोन प रव तत कर दये।
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1867 के उपरा त जापान एक ग तशील पथ क ओर अ सर हु आ। जापान के
रा य जीवन म ां तकार प रवतन हु आ। साम ती यव था समा त हो गई एवं जापानी जल
एवं थल सेनाओं को आधु नक बनाने का काय आर भ हु आ। जापान म अ नवाय सै नक सेवा
लागू कर द गई और एक रा य सेना का गठन हु आ। नवीन सं वधान एवं कानून का नमाण
हु आ। कूल म अं ेजी भाषा भी पढ़ाई जाने लगी एवं पि चमी थ का अनुवाद कया जाने
लगा। जापान म नये बड़े कारखाने खोले गये एवं औ यो गक ां त का असर यहां पर दखाई
दे ने लगा। बीस वष के थोड़े समय म ह जापान एक आधु नक दे श के प म प रव तत हो
गया। इसी आधु नक करण के कारण अब जापान सा ा यवाद क ओर कदम बढ़ाने लगा।
जापान के सा ा यवाद बनने के पीछे सै नकवाद आधु नक करण, पि चमी सा ा यवाद का भय
एवं समानता क आकां ा एवं जापान क बढ़ती हु ई आबाद मह वपूण कारण थे।
जापान का सा ा यवाद रा के प म प रवतन पूव ए शया क राजनी त म एक
मह वपूण कदम था। जापान के सामने न यह था क वह अपने सा ा यवाद का व तार
कहां पर करे ? सारे ए शया पर यूरोपीय रा अपना आ धप य जमा चु के थे। केवल ए शया का
बीमार यि त चीन ह ऐसा बचा हु आ रा था, िजसका शकार कया जा सकता था। उ नीसवीं
शता द के अंत तक जापान भी यूरोपीय रा का साझेदार बनकर चीन के शोषण एवं लू ट म
शा मल हो गया।
को रया क ि थ त-
को रया के न पर जापान को अपनी शि त को आजमाने का मौका ा त हु आ।
को रया चीन का करद रा था और जापान के बहु त नकट ि थत था। सोलहवीं शता द म भी
जापान ने को रया को चीन से छ नने का असफल यास कया था। को रया क भौगो लक
ि थ त ऐसी थी क य द उस पर कसी यूरोपीय रा का आ धप य था पत हो जाता तो
जापान क रा य सु र ा खतरे म पड़ सकती थी। को रया क आ त रक दशा अ य त शोचनीय
थी। को रयाई राजनी त का एक दल चीन के प म था तो दूसरा जापान के प म। चीन इस
समय म यूरोपीय सा ा यवाद का सामना कर रहा था, तो को रया म 1884 ई. म चीन
वरोधी गुट ने स ता पर आ धप य- जमाने का यास कया और इसके लए जापान से मदद
मांगी। जापान क सेनाय को रया म घुस गई और चीन क सेनाओं से उनक मु ठभेड़ हो गई।
अ तत: दोन के म य समझौता हु आ क कोई भी दे श को रया म अपनी सेना पर पर सहम त
के बना नह ं भेजेगा।
1894 ई. म को रया म दूसरा व ोह हो गया और को रया के शासक ने इसे दबाने के
लए चीन से सहायता मांगी। चीन ने जापान को सू चना दे कर अपनी सेना को रया म भेज द ।
जापान ने चीन के ऊपर जबरद ती समझौते के उ लंघन का आरोप लगाया और अपनी सेनाय
को रया रवाना कर द । दोन सेनाओं के को रया पहु ंचने से पूव को रया सरकार ने व ोह को
दबा दया। दोन सेनाओं के को रया पहु ंचने पर तनाव क ि थ त पैदा हो गई। चीन एवं जापान
म य वातालाप होने लगा, क तु समझौते क कोई भी बात नह ं हो सक । जु लाई, 1894
ई. म एक जापानी जहाज ने चीनी जहाज पर गोल चला द और चीन-जापान के बीच यु
ार भ हो गया।
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चीन-जापान यु (1894 ई.) -
चीन-जापान के बीच यु कर ब 9 माह तक चला। जल एवं थल दोनो म जापान क
वजय हु ई। चीन यु के हर े म परा त हु आ और अपनी राजधानी पर जापानी क जे के
भय से चीन ने सि ध क ाथना क और अ तत: 17 अ ल
ै , 1895 को शमोनेसेक क
सि ध हु ई, िजसके अनुसार -
(i) चीन ने को रया क वाधीनता को मान लया।
(ii) चीन को फारमोसा वीप, पेसकाडोर और लाओतु ंग वीप जापान को दे ने पड़े। लाओतु ंग क
ाि त से जापान के लए मंचू र या का माग खु ल गया।
(iii) चीन ने जापान को भी उ ह ं शत पर यापार करने क सु वधा दान क , जो पि चमी
दे श को ा त थी। चीन ने जापान के यापार के लए सात नये ब दरगाह खोल दये।
(iv) चीन ने यु क तपू त के लए 30 करोड़ तायल (चीनी मु ा) जापान को दे ने वीकार
कये।
शमोनोसेक क सि ध से जापान को अ य धक लाभ ा त हु आ। यूरोपीय दे श ने
जापान को 'पीला आतंक’ बताया। स जापान क सफलता से अ य धक ु ध था य क वह
लयाओतु ंग दे श पर क जा करना चाहता था। जापान क यह वजय यूरोपीय दे श के लए एक
चु नौती के प म सामने आई। जापान को रया को तब तक छोड़ने के लए तैयार नह ं था, जब
तक क उसके उ े य क पू त नह ं हो जाती। जापान यह जानता था क य द को रया कसी
पि चमी दे श के हाथ म पड़ गया तो सवा धक असु र त जापान क वत ता ह होती।
जमनी, ांस एवं स ने इस सि ध के 8 दन बाद ह जापान को लयाओतु ंग छोड़ने के लए
एक संयु त ापन दया। जापान इन संयु त वरोधी शि तय से त काल यु नह ं चाहता था,
अत: उसने उनक मांग वीकार कर ल । इसके बदले म उसे चीन से 3 करोड़ तायल ा त
हु ए। इस करण म स क भू मका से जापान अ द नी प से बहु त नाराज था और यह
नाराजगी आगामी स-जापान यु का कारण बनी। इस सि ध के बाद इं लै ड ने को रया मामले
म ह त ेप से इंकार कर दया था, जो 1902 ई. क अं ल-जापानी सि ध का भी कारण बनी।
इं लै ड के इंकार से जापानी जनता बहु त खु श थी। इं लै ड एवं जापान के बीच म अ छे
स ब ध बनने म इस घटना का बडा हाथ था। को रया करण से जापान अब पि चमी
सा ा यवाद दे श के समान ह सा ा यवाद दे श क ेणी म आकर खड़ा हो गया था।
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शोगुन ने इन प के उ तर एक वष बाद दे ने के लए कहा य क इन ताव पर जापानी
स ाट क वीकृ त लेनी आव यक थी। जापान म इस प पर काफ वचार- वमश हु आ और
एक वग इसका समथक था। यह वग मानता था क पि चमी शि तय से ल बे समय तक
एकाक नह ं रहा जा सकता है और पि चमी दे श से स पक के बाद ह जापान का वकास
होगा। अ त म इस वचार को वीकार कर लया गया। 13 फरवर , 1854 को कमोडोर पैर 8
यु पोत के साथ जापान पहु ंचा और उसके साथ कनागावा नामक थान पर सं धवाता शु हु ई।
अमे रका के साथ सि ध -
अंततः कमोडोर पैर के यास सफल हु ए और 31 माच, 1854 ई. को जापान एवं
अमे रका के बीच कनागावा क सि ध हु ई, िजसक शत इस कार थी :-
(i) वदे शी जहाज को शमोद एवं हाकोदे ते के ब दरगाह पर रसद ा त करने, ताजा पानी
लेन,े मशीन क मर मत करवाने इ या द के लए ठहरने क अनुम त मल गई।
(ii) य द कसी दे श का जहाज त त हो जाये, जो उसके ना वक भी आ य हे तु ब दरगाह
पर ठहर सकते है।
(iii) शमोदा म एक वा ण य दूतावास खोला जायेगा।
(iv) यापार जापान के थानीय व नमय के आधार पर ह होगा।
इस सि ध के उपरा त जापान क एकाक पन क नी त समा त हो गई। इस सि ध के
बाद जापान क टश एड मरल ट लग के साथ एक सि ध नागासाक म अ बर 1854 ई.
म हु ई। स के साथ सि ध शमोद म फरवर , 1855 ई. म हु ई। हालै ड के साथ जनवर ,
1856 ई. म एक सि ध हु ई। इन सि धय क पुि ट जापानी। स ाट ने अपने ह ता र से कर
द।
सन ् 1856 ई. म 'टाउनसे ड है रस' को जापान म अमे रका का महावा ण य दूत
नयु त कया गया था। ार भ म जापा नय ने उसका वरोध कया, क तु है रस ने अपनी
चतु राई से उ ह शा त कया और 29 जु लाई, 1858 ई. को जापान एवं अमे रका के बीच दूसर
सि ध हु ई, िजसके अनुसार -
(i) अमे रका के लए चार नये ब दरगाह कनागावा, नागासाक , नीगता एवं हयोगो अमे रका के
लए खोल दये गये।
(ii) अमे रका ने जापान को आ व त कया क य द कोई अ य दे श जापान को आ मण का
नशाना बनाता है, तो अमे रका उसक मदद करे गा।
(iii) आयात एवं नयात दोन म ह जापान 5 तशत कर लेगा और य द कोई प रवतन होता
है, तो वह दोन दे शो क सहम त से होगा।
(iv) वदे शी मु ा जापान म वेश पा सकेगी और उसका खु ला व नमय होगा। जापानी मु ा का
भी नयात हो सकेगा।
इस सि ध के पुनर ण क त थ 4 जु लाई, 1872 नयत क गई। इस सि ध के
उपरा त जापान ने डच, सी, अं ेज एवं ांसी सय से भी इसी कार क सि ध क । इन
सि धय को सामू हक प से पांच जा तय क सि ध कहा जाता है।
155
शोगुन पद क समाि त -
जापान म इन सि धय को करने के कारण शोगुन का वरोध होने लगा। इन सि धय
को करना यह माना गया क शोगुन ने अपने पद का दु पयोग कया है। जापानी स ाट िजसे
‘ मकादो’ कहा जात था, के पास शोगुन क शकायत पहु ंचने लगीं। स ाट ने शोगुन को योतो
बुलाया और उससे वदे शय को जापान से बाहर भेजने के लए कहा। वदे शी अब यह चाहने
लगे क शोगुन के साथ क गई येक सि ध पर स ाट अपनी मु हर लगा दे । शोगुन ने जहां
1859 ई. तक जापान म पहु ंचे हु ए वदे शय को आ वासन दया क उनके साथ क गई
सि धय का पालन होगा, वह ं स ाट को आ व त कया वदे शय को जापान से बाहर नकाल
दया जायेगा।
क तु िजस शोगुन ने वदे शय से सि ध क थी, उसक अचानक मृ यु हो गई और
धीरे -धीरे शोगुन का पतन होने लगा। कु छ ऐसी आंत रक प रि थ तयाँ न मत हु ई क 8
नव बर, 1867 ई. को त काल न शोगुन ने अपना यागप दे दया और वयं को सदै व के
लए राजनी त से अलग कर लया। इसके तु र त बाद स ाट क ओर से इस पद क समाि त
क घोषणा क गई और शासन पर सीधा स ाट का आ धप य हो गया।
शोगुन पद समा त होते ह स ाट मु सु हतो ने शासन म सु धार कये और जापान का
आधु नक करण कया और धीरे -धीरे जापान क गणना एक शि तशाल रा के प म होने
लगी। मु सु हतो के शाम को 'मइजी’ नाम दया गया, िजसका अथ था ' बु शासन’ ।
आं ल-जापान सि ध (1902 ई.) -
1902 ई. क आं ल-जापान सि ध बीसवीं शता द के थम दशक क पहल
कू टनी तक सि ध थी िजसम इं लै ड का उ े य स के व तार पर रोक लगाना था। मइजी
शासनकाल म जापान ने अभू तपूव ग त क थी और वह व व के शि तशाल रा क ेणी
म आकर खड़ा हो गया था। टे न एवं जापान का मेल- मलाप बढ़ रहा था। 1902 ई. म टे न
एवं जापान के म य एक सि ध हु ई, जो व व एवं द णी-पूव ए शया के स दभ म एक
मह वपूण घटना थी, िजसके अनुसार -
(i) दोनो रा ने सु दरू पूव म यथाि थ त एवं चीन क ादे शक अख डता रखने का वायदा
कया।
(ii) दोनो रा चीन म 'मु त वार’ क नी त का अवल बन करने का न चय कया।
(iii) जापान ने चीन म टे न का वशेष वाथ एवं टे न ने को रया म जापान का वशेष वाथ
माना। इन वाथ को ि टगत रखते हु ए य द दोनो म से कसी का तीसरे दे श से यु हो
जाता है, तो ऐसी प रि थ त म दूसरा दे श तट थ रहे गा।
(iv) सि ध क शत 5 वष तक लागू रहगी।
इस सि ध का उ े य स के बढ़ते सार को रोकना था। साथ ह टे न ने भी यह
यास कया क' स को कसी अ य दे श का समथन ा त न हो। फर भी य द कोई अ य
दे श जापान के व स क मदद करता है, तो टे न अपनी पूण शि त से जापान क मदद
करे गा। इस सि ध से ांस और स दोनो भयभीत हो गये। इस सि ध से जापान को समूचा
156
व व एक शि तशाल रा के प म मानने लगा। उसे व व रं गमंच पर वह थान ा त हो
गया, जो कसी भी ए शयाई दे श को ा त नह ं हु आ था।
स-जापान यु (1904-05) -
यह यु टे न एवं जापान क सि ध का ता का लक प रणाम था। बॉ सर व ोह के
बाद स कोई न कोई बहाना बनाकर मंचू रया म अपना भाव बढ़ा रहा था। वा तव म वह
मंचरू या को अपने सा ा य म वलय करना चाहता था। दूसरे सा ा यवाद दे श इसका वरोध
कर रहे थे। स ने मंचू रया से न केवल अपनी सेना हटाने से साफ इंकार कया था, वरन ् चीन
से यह मांग क थी क वह मंचू रया म स को आ थक एका धप य कायम करने क अनुम त
दान कर।
मंचू रया के अ त र त स अब को रया म भी वेश करने के इरादे रखने लगा था।
1904 ई. म सी सै नक क एक टु कड़ी लकड़ी काटने के बहाने से को रया म पहु ंच गई,
िजसका जापान ने वरोध कया। उसने स से मु त वार क नी त के अवल बन के लए कहा
और वयं भी इसके अवल बन का आ वासन दया। स कसी भी प रि थ त म जापान क
बात नह ं मान रहा था और नई-नई शत लगा रहा था और इसी कारण दोनो दे श म तनाव
बढ़ने लगा। अंतत: तनाव इतना अ धक हो गया क 5 फरवर , 1904 ई. को दोनो के बीच यु
ारं भ हो गया।
इस यु के सभी े म जापान स को परा त कर रहा था और व व के लए यह
आ चय क बात थी क एक छोटा सा रा बड़े और शि तशाल रा को परा त कर रहा था।
अमे रक रा पत जवे ट क म य थता से यह यु समा त हु आ और 5 सत बर, 1905
ई. को पोट माउथ क सि ध हु ई, िजसके अनुसार -
(i) पोटआथर और लाओतु ंग वीप जापान को ा त हु ए।
(ii) को रया पर जापान का भु व मान लया गया।
(iii) मंचू रया को दो भाग म बांटकर उ तर मंचू रया पर स का और द णी पर जापान का
भु व माना गया।
इस यु के बाद जापान क गनती अब पूण शि तशाल एवं सा ा यवाद रा म
होने लगी। जापानी सा ा यवाद अब व तार को ा त हो रहा था। इस यु के बाद जापान को
को रया म अपना न वरोध भाव सा रत करने का मौका मल गया। जहां स क त ठा को
गहरा आघात लगा, वह ं जापान क त ठा रात रात बढ़ गई। 1910 ई. म मौका पाकर
जापान ने को रया को अपने सा ा य म मला लया।
स क वदे श-नी त पर इस यु का यापक भाव पड़ा। अब स क सा ा यवाद
कू टनी त नकटपूव एवं बा कान ाय वीप तक सी मत हो गई। यह यूरोपीय शाि त के लए
खतरे क बात स हु ई। वा तव म जापlन ने अपनी कु शल कू टनी त और रणनी त से वयं को
व व-राजनी त म एक सा ा यवाद रा के प म ति ठत कर लया और जापान क स
पर वजय ने चीन और स म ाि तय का माग श त कर दया और वयं को ए शया के
एकमा सा ा यवाद रा के प म ति ठत कया।
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8.8 सारांश
भ न जा त वाले कसी दूसरे दे श पर राजनी तक आ धप य था पत करने को ह
सा ा यवाद कहा जाता है। उ नीसवीं शता द के उ तरा म यूरोप म औ यो गक ाि त के
साथ ह उप नवेशवाद का ार भ हु आ। अपने आ थक हत क पू त के लए यूरोपीय रा ने
उप नवेश था पत कये। जब आ थक हत के साथ राजनी तक हत भी जु ड़ गये तो
उप नवेशवाद सा ा यवाद म प रव तत हो गया। थोडे समय म ह अ का एवं ए शया के
अ धकांश रा सा ा यवाद के शकार हो गये। सा ा यवाद के सार म आ थक एवं
राजनी तक हत के अ त र त धम क भू मका भी मह वपूण रह ।
सा ा यवाद के व तार क दौड़ म टे न सबसे आगे रहा। अ का एवं ए शया के
अ धकांश भाग पर उसका आ धप य था। इं लै ड के बाद ांस ने भी अ का के काफ बड़े भू-
भाग पर आ धप य था पत कया। जमनी, इटल , पुतगाल भी सा ा यवाद रा के प म
आगे बढ़ रहे थे। म य एवं पि चमी ए शया म सा ा यवाद को लेकर स एवं टे न म पर पर
त प ा रह । सु दरू पूव म भी वशेषतया चीन म इं लै ड ने वेश करके वहां के शासक से
काफ सु वधाय ा त कर ल थी। चीन क आ त रक कमजोर के कारण उसे 'चीनी तरबूज को
काटने' क सं ा द गई। चीन म न केवल टे न वरन ् स, अमे रका एवं जापान ने
सा ा यवाद के प म पैर पसार लये थे। य य प यूरोपीय लोग के वरोध म चीन म 'बॉ सर
व ोह’ भी हु आ था, क तु उसे दबा दया गया था।
चीन क भां त ह ार भ म जापान ने भी यूरोप से अलगाववाद अपना रखा था,
क तु जब जापान ने यूरोपीय शि तय वारा चीन का पराभव दे खा, तो उसने दूसर नी त
अपनाकर वयं को अ त शि तशाल बना लया और यू रोपीय रा क भां त सा ा यवाद
रा क ेणी म आकर खड़ा हो गया। पूव ए शया म जापान ने स को चु नौती दे ते हु ए
इं लै ड से सि ध कर ल और स को 1905 ई. म यु म हराकर अपनी शि त का लोहा
मनवा दया और दस वष के भीतर को रया पर आ धप य था पत कर लया। जहां चीन
यूरोपीय सा ा यवाद से टू ट गया था, वह ं जापान ने वयं को सा ा यवाद बना लया और
पूव ए शया क एक मह वपूण शि त के प म उभरा।
8.9 अ यासाथ न
1. सा ा यवाद से या ता पय है? इसके व तार के या कारण थे?
2. उ नीसवीं शता द म यूरोपीय रा वारा पूव ए शया म कस कार सा ा यवाद का
व तार कया गया?
3. 'चीनी तरबूज को काटने' से या ता पय है?
4. 1894 ई. के चीन-जापान यु के या कारण थे?
5. जापान कस कार सा ा यवाद रा बना ? 1902 ई. क आं ल-जापान सं ध का पूव
ए शया म या भाव पड़ा?
6. 1905 ई. के स-जापान यु के यूरोप एवं ए शया पर या प रणाम हु ए?
158
8.10 संदभ थ
1. कैटलबी, सी.डी.एम 'ए ह ऑफ माडन टाइ स'
2. थामसन, डे वड 'यूरोप स स नेपो लयन'
3. नेरमन 'जापान ईमरजे स एज ए मॉडन टे ट'
4. बु काश 'ए शया का इ तहास'
5. व यालंकार, स यकेतु 'ए शया का इ तहास'
6. माथुर, जैन ' व व का इ तहास 1500-1950’
159
इकाई 9
रा वाद का उदय एवं इटल का एक करण
इकाई क परे खा-
9.1 उ े य
9.2 तावना
9.3 अ तरा य प र े य म रा वाद का उदय
9.4 इटल के एक करण क पृ ठभू म
9.5 इटल के एक करण म मैिजनी, गैर बा डी एवं कैबूर का योगदान
9.6 इटल के एक करण के व भ न चरण
9.6.1 थम चरण
9.6.2 वतीय चरण
9.6.3 तृतीय चरण
9.7 इटल के एक करण के रा य एवं अ तरा य प रणाम एवं भाव
9.8 सारांश
9.9 अ यासाथ न
9.10 स दभ थ
9.1 उ े य
इस इकाई के अ ययन से आप -
अ तरा य प र े य म रा वाद के उदय क जानकार ा त कर सकगे।
इटल के एक करण क पृ ठभू म से प र चत हो सकगे।
इटल के एक करण म मैिजनी, गैर बा डी एवं कैवूर का या योगदान रहा? इससे प र चत
हो सकगे।
इटल के एक करण के व भ न चरण को समझ सकगे।
इटल के एक करण के रा य एवं अ तरा य प रणाम एवं भाव को जान सकगे।
9.2 तावना
इटल का ाचीन इ तहास अ य त गौरवशाल रहा है। यू रोप म यह एक शि तशाल
दे श के प म जाना जाता था। ले कन काला तर म यह अनेक छोटे -छोटे रा य म वभािजत
हो गया। पं हवी शता द से लेकर अठारहवीं शता द तक यूरोप के व भ न राजवंश ने इन
रा य पर अ धकार करने का यास कया। नेपो लयन ने भी इटल पर आ मण कया और
वहाँ स ता था पत क । उसने सव थम इटल के एक करण पर अपना यान केि त कया।
इसम उसे आशातीत सफलता भी मल । नेपो लयन के वारा कए गये सु धार के प रणाम व प
यूरोप म रा य चेतना का सार हु आ। इटल भी इस नयी उभरती हु ई चेतना से भा वत
हु आ। वा तव म इटल के इस एक करण म उभरती हु ई रा य चेतना क भी मह वपूण
160
भू मका रह । इस रा य चेतना ने लोग को एक मंच पर एक त कया। रा वाद के वकास
और इटल के एक करण म मैिजनी, गैर बा डी एवं कैवूर ने स य भू मका नभाई। इटल के
एक करण के लये तीन चरण म आंदोलन चले और आ खरकार 1871 म इटल का एक करण
संप न हु आ। एक कृ त इटल के स मु ख अनेक चु नौ तय थी िजनका उसने सफलतापूवक सामना
कर समाधान कया।
161
वत ता दान क गयी, पद यो यता के अनुसार दये जाने लगे और श ा का ब ध चच से
छ नकर रा य को दया गया। नेपो लयन के पतन के प चात ् वयना कां ेस वारा इटल को
अनेक रा य म बाँट दया गया -
पमा - इसे नेपो लयन क प नी जो आि या क राजकु मार भी थी मेर लू सी को दया गया।
मोडेना - यह है सबग का राजकु मार ग ी पर बैठा।
ट कनी - है सबग के राजकुमार फड नेट तृतीय को दया गया।
रोम - यहाँ पोप पायस स तम ् ग ी पर बैठा।
ने प स और ससल - ये रा य आि या को मले।
इस कार साड नया - पीडमा ट ह इटल का रा य रहा। यह रा य पुन : यहाँ के राजा
व टर इमैनए
ु ल को दया गया।
1815 से 1548 तक इटल के रा वाद नर तर वत ता के लए संघष करते रहे । उनके
मु यत: तीन उ े य थे –
1. वे आि या को वदे शी शासक समझते थे। इस लए वे इटल के आि या के अधीन दे श
को वत कराना चाहते थे और आि यन स ाट को इटल से दूर हटाना चाहते थे।
2. ां तकार वचार से यु त ये लोग लोकत वाद शासन क थापना करना चाहते थे।
3. ाकृ तक ि ट से इटल भारत क तरह ह एक अलग दे श है िजसम रा यता क भावना
का उदय आसानी से हो सकता था। इसी उ े य से ये लोग इटल म रा य एकता क
थापना करना चाहते थे।
इटल के इन रा वा दय के मु ख दल न न ल खत थे -
काब नेर संगठन - इटल के रा वा दय ने जगह-जगह गु त स म तयॉ संग ठत क । इन
स म तय म काब नेर स म त (Carbonary) मु ख थी। इस गु त सं था के दो उ े य थे -
(क) वदे शय को इटल से बाहर नकालना, एवं (ख) वैधा नक वत ता क थापना करना।
काब नेर दल म सभी वग के लोग थे। इसके त वावधान म 1831 तक इटल का वत ता
सं ाम चलता रहा।
वैध राजस तावाद दल - यह दल पीडमॉ ट के शासक के नेत ृ व म काय कर रहा था। पीड़मॉ ट
रा वा दय का गढ़ था। इटल के अ य रा य के शासक वदे शी थे और आि या के स ा त
का अनुसरण करते थे क तु पीड़मॉ ट का शासक इटा लयन होने के साथ लोकतां क वचार
का प धर था। इस कार इटल के रा वा दय को पीड़मॉ ट के शासक का समथन ा त था।
इस दल के समथक इटल म पीड़मॉ ट के शासक के नेत ृ व म सी मत राजतं था पत करने
के प धर थे।
गणतं वाद दल - इटल क वत ता के वषय म इटल के रा वा दय के म य मतै य का
अभाव था। रा वा दय का एक दल गणत वाद वचारधारा का समथक था। इस दल का नेता
मैिजनी था। इसने मासाई म ‘यंग इटल ’ नामक सं था का नमाण कया था। इस सं था ने
इटल . म जागृ त उ प न करने म मह वपूण भू मका नभायी थी। मैिजनी का मानना था क
इटल का उ ार नवयुवक वारा होगा। यह दल इटल म गणतां क यव था था पत करना
162
चाहता था। यह दल राजस ता का वरोधी था। यह इटल के छोटे -छोटे रा य को मलाकर एक
शि तशाल इटा लयन संघ क थापना करना चाहता था।
पोप का दल - इटल म रा वा दय का एक दल पोप के प म था। यह दल इटल को
वत करके पोप के नेत ृ व म उसका संगठन करना चाहता था। इनके अनुसार स पूण इटल
म पोप ह एक ऐसी शि त थी जो अपने भाव के बल पर स पूण दे श क बखर हु ई शि त
को एक सू म बांध सकती थी।
कैवूर का दल - इटल के रा वा दय म कैवूर के दल का नाम वशेष प से उ लेखनीय है।
वह 1810ई0 म पीड़मॉ ट के एक कु ल न घराने म पैदा हु आ था। बचपन से ह वह ां तज नत
वचार से भा वत था। 1847 म उसका राजनी तक जीवन आर भ हु आ और उसने
‘ रसोिजम ट ’(Risorgimanto) नामक प के मा यम से अपने वचार का चार कया। यह
दल इटल से आि यन शि त को हटाने के लए वदे श क सहायता लेने के प म था और
वाधीन इटल का संगठन पीड़मॉ ट-साड नया के नेत ृ व म करना चाहता था।
लाल कु त दल - गैर बा डी ने अपने द णी अमे रका वास के दौरान 'इटल दल' का संगठन
कया। गैर बा डी के पास एक हजार से अ धक वयंसेवक थे िजनक वद लाल थी। अत:
इ तहास म यह दल Red Shirts अथात लाल कु त दल के नाम से स हु आ। इसने इटल
के एक करण म मह वपूण योगदान दया। इटल के वाधीनता सं ाम पर ि टपात करने पर
हम पाते है क 1815 ई0 म वयना कां ेस के अनुसार आि या के नेत ृ व म इटल के
व भ न रा य का एक संघ बना दया गया। आि या के स ाट ने अपनी शि त को बनाये
रखने के लये इटल म काि तकार एवं रा वाद वचार और आंदोलन का दमन करने का
न चय कया ले कन इससे रा य चेतना और ती हु ई। इससे स बि धत कु छ त य
न न ल खत ह -
(1) 1820 ई0 म ने प स म व ोह हु आ और वहाँ के शासक फड ने ड ने जनता के भय से
ने प स म वैध राजस ता था पत करने का वचन दे दया।
(2) 1821 म ने प स म पुन : व ोह हु आ ले कन मट नख क सहायता से व ोह कुचल दया
गया।
(3) 1830 ई0 क ां त क लहर ने इटल को वशेष प से भा वत कया।
(4) 1844 ई0 म 'बा द रा ब धुओं ने आि या क सै नक सेवा का प र याग कर व ोह कर
दया। ले कन व ोह कु चल दया गया, अनेक रा वा दय को गर तार कर लया गया और
उनको गोल मार द गयी। आि या के इस काय से इटल क जनता उ तेिजत हो उठ ,
िजससे इटल म रा यता क भावना ती हु ई।
(5) 1848 ई0 क ां त का भाव भी इटल पर वशेष प से पड़ा क तु 1848 ई0 तक
मट नख के भाव के कारण इटल म रा यता क भावना का दमन हो गया था।
163
9.5 इटल के एक करण म मैिजनी,गैर बा डी एवं कैवू र का योगदान
इटल क वत ता के तीन मु ख त भ - मैिजनी, गैर बा डी तथा कैवूर का इटल
के एक करण म अभू तपूव योगदान रहा है। इटल के रा य आंदोलन का दाश नक मैिजनी था,
गैर बा डी मु य यो ा तथा कैवूर मु य कू टनी त । य य प इटल का एक करण पीडमॉ ट के
ु ल क अ य ता एवं कैवूर के नदशन म स पंन हु आ, ले कन मैिजनी तथा
राजा व टर इमैनए
गैर बा डी क सेवाएं भी अ य त मू यवान मानी जाती ह। मैिजनी ने इटल के लए
गणताि क यव था क क पना क थी जब क कैवूर संवध
ै ा नक राजत के अधीन नवीन
इटल का नमाण चाहता था। गैर बा डी, मैिजनी का श य था ले कन काला तर म वह कैवूर
का अनुयायी बन गया।
मैिजनी
मैिजनी का ज म 1805 म जेनेवा के एक स पंन प रवार म हु आ था। ार भ से ह
वह ांसीसी ां त से भा वत होकर इटल क वत ता के लए च तन करने लगा था। इसी
उ े य से उसने ‘काब नार ' नामक एक गु त सं था क सद यता हण कर ल ं थी। राजनी तक
वचार म वह गणतां क णाल का क र समथक था। इटल क वत ता के लए वह
आि या को मु य अवरोध एवं श ु मानता था। वदे शी ह त ेप को भी वह बड़ी बाधा वीकार
करता था इस लए उसने वावल बी होने का पाठ पढ़ाया। मैिजनी का राजनी तक जीवन ांस
क जु लाई ां त से आर भ हु आ। इस ां त से भा वत म य इटल के रा य - पमा, मोडेना,
अनकोना तथा बुलोगना म रा वाद व ोह हु ए ले कन मैट नख क त यावाद नी त के
कारण ये कु चल दये गये। मैिजनी को नवा सत कर दया गया। वह भागकर द णी ांस के
‘मा सय’ नगर पहु ँ चा जहॉ उसने 1831 म ‘युवा इटल ’ नामक सं था क थापना क । 1831
तक ‘काब नार ’ सं था का अि त व समा त हो चु का था और उसका थान ‘युवा इटल ’ ने ले
लया। इस सं था के तीन उ े य थे - आि या को न का सत करना तथा इटल का वतं
एक करण करना, पोप को संसार क नै तक अ य ता दान करना तथा गणतां क सरकार क
थापना करना। 1848 क ांसीसी ां त से ांस पुन : गणतं क थापना हु ई िजसने मैिजनी
को इटल म गणतां क वचार क सफलता के लये ेरणा दान क । इटल वापस आकर
उसने रोम म एक सफल ां त करके गणतं क थापना क । ले कन नेपो लयन तृतीय ने
ह त ेप करके पोप को पुन : ति ठत कया। मैिजनी तथा गैर बा डी को दे श छोडकर भागना
पड़ा िजससे गणतां क उबाल कमजोर हु आ।
इटल के एक करण म योगदान
1. रा य भावनाओं का चार करने के लए मैजेनी ने ‘युवा इटल ' नामक एक नवीन सं था
का संगठन कया। इस सं था के सद य इटल क जनता म, ई वर तथा जनता के लए
सव याग करने एवं ' व व ब धु व क भावना’ का चार कया करते थे। इस सं था ने
इटल के नवयुवक क नै तक एवं बौ क श ा का भी पूण ब ध कया था।
2. अपने उ े य क पू त के लए मैजेनी इटल म रा यता का सार करना चाहता था।
उसने रा य भावना का सार करने के लये धा मक एवं आ याि मक स ांत का सहारा
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लया। उसने दे श क जनता म चार कया क ' कसी रा क वतं ता का हनन करना
केवल राजनी तक अपकार ह नह ं है बि क नै तक और आ याि मक ि ट से यह एक पाप
भी है।“िजसके प रणाम व प जनता ने इटल के वतं ता सं ाम म स य. भागीदार क ।
3. अपनी ां तकार भावनाओं का सार करने के लए उसने जनता से कहा था क “सब
महान रा य आ दोलन अ भावकार और अजनबी यि तय वारा आर भ होते ह, पर तु
वा त वक 'चीज समय या क ठनाइयाँ नह ं वरन ् उन यि तय क न ठा और इ छा होती
है। '' उसने जनता म उ साह भरा और इस उ े य क यावहा रक सफलता हे तु इं लै ड,
आयरलै ड आ द दे श म नव-युवक क सं थाएँ था पत क ं।
ां तकार वचार के कारण मैजेनी को दे श से नवा सत कर दया गया। वह 40 वष
तक दे श से बाहर रहा। इस काल म उसने ि व जरलै ड, ांस और इं लै ड म अपने ां तकार
वचार का चार कया। उसके ओज वी वचार से भा वत होकर इटल के बहु त से नवयुवक
उसके अनुयायी बन गये थे। 1831 और 1834 ई. म उसके य न से ‘सेवाय’ म दो बार
व ोह हु ए क तु दबा दये गये। 1844 ई. म गैर बा डी और मैजेनी क सहायता से ‘बा दरा
बंधु ओ’ं ने आि यन नौ-सेना क नौकर का प र याग करके व ोह का झ डा खड़ा कर दया
था।
िजस समय वयना म ां त फैल हु ई थी उस समय लो बाड म भी ां त का सू पात
हु आ। मैजेनी भी इस ां त म स य भाग लेने के लए पहु ँ चा। गैर बा डी क सहायता से उसने
रोम म जातां क रा य क थापना करनी चाह थी, क तु नैपो लयन तृतीय ने रोम के
जातं रा य का वनाश कर दया था।
इटल के इ तहास म मैजेनी का मह वपूण थान है। वह पहला यि त था िजसने इस
बात को समझा था क इटल का एक करण एकता क भावना वारा ह स भव है। उसका
व वास था क, “ यह एक यवहा रक आदश है क जो अस भव तीत हो रहा है वह सरलता
से स भव हो सकता है य द इटा लयन अपनी शि त- दशन का साहस कर। '' उसने अपने इस
व वास का सार कया और इटल के नवयुवक को दे शभि त क भावना से भर दया था।
वा तव म मैजेनी ने अपनी संगठन मता से इटल को एक नई दशा दान क ।
गैर बा डी
1807 म ज मे गैर बा डी के वचार आर भ से ह उ रा यता से भरपूर थे। 1833
म एक ष य कार अपराध म उसको मृ युदंड दया गया ले कन वह भागकर द णी अमे रका
चला गया। आर भ म वह मैिजनी तथा उसके गणतं क वचार से अ य त भा वत था।
उसका स य राजनी तक जीवन 1848 क ांसीसी ां त से आर भ हु आ। इस समय वह
अमे रका म नवा सत जीवन यतीत कर रहा था। ांसीसी ां त के समय वह इटल लौटा और
रोम म गणतं क थापना के लये मैिजनी का समथन कया। 1856 म उसक भट कैवूर से
हु ई िजसके वचार से भा वत होकर वह संवध
ै ा नक राजतं के अधीन इटल के एक करण का
समथक बन गया। 1860 म गैर बा डी का इटल के वत ता सं ाम म स य योगदान
ार भ हु आ। इस समय ससल म बूबा वंषीय राजा के व व ोह फूट पड़ा। ां तका रय क
165
मदद के लये गैर बा डी 'लाल कु त ’ सेना के साथ ससल पहु ँच गया। गैर बा डी के नाम से
आतं कत हो राजा भाग गया और गैर बा डी ने बना कसी वशेष वरोध के ने प स पर
अ धकार कर लया। ले कन जब गैर बा डी ने रोम पर आ मण करना चाहा तो कैवूर ने
नेपो लयन तृतीय के ह त ेप क आशंका से उसको रोक दया।
गैर बा डी वारा इटल के एक करण म योगदान
1. गैर बा डी ने अपनी नी त से इटल क जनता को संग ठत करने और पीडमॉ ट के शासक
व टर इमैनए
ु ल के नेत ृ व म इटल के एक करण को स प न कराने का यास कया।
गैर बा डी के यास के प रणाम व प ह इटल क जनता का वैधा नक राजतं म व वास
जा त हु आ।
2. गैर बा डी ने इटल के एक करण हे तु 3,000 से अ धक वयं सेवक क एक सेना तैयार क
थी।
3. गैर बा डी के 'लालकुत दल' ने 1859 म आि या के साथ होने वाले यु म स य प
से भाग लया। य य प ‘ यू रच क सं ध के प रणाम व प गैर बा डी को यु बीच म ह
बंद कर दे ना पड़ा।
4. 11 मई 1860 म उयने ‘लालकुत दल' क सहायता से ससल पर आ मण कर उसक
राजधानी ‘पालेरम ’ पर अ धकार कर लया।
5. 31 अग त 1860 को गैर बा डी ने ‘र य ’ पर अ धकार कर लया और ने प स क ओर
थान करके उस पर भी अपना अ धकार था पत कया।
6. ु ल ने जब रोम पर आ मण कया तब गैर बा डी भी अपने ‘लालकुत दल' के
व टर इमैनए
साथ रोम क ओर बढ़ा। उसने 'ने प स' का रा य व टर इमैनए
ु ल को स प दया।
7. 9 नव बर 1860 म इटल के सभी रा य क एक संयु त सभा हु ई। िजसम गैर बा डी के
भाव के प रणाम व प इटल म संघीय शासन था पत कया गया और सवस म त से
पीड़मॉ ट के शासक व टर इमैनए
ु ल वतीय को संयु त इटल का राजा वीकार कया
गया।
इस कार गैर बा डी ने व टर इमैनए
ु ल वतीय को संयु त इटल का शासक बना
दया और वयं राजनी त से पृथक होकर अपने वीप ‘केपरे रा’ चला गया।
कैवूर
1810 म पीडमॉ ट रा य के एक कुल न प रवार म ज मे कैवूर ने सै नक श ा ा त
क और वह सेना म इंजी नयर बन गया िजसका प र याग उसने 1831 म कया। साथ ह
साथ वह अपनी जागीर के काय म भी संल न रहा। इस अव ध म उसने राजनी तक वषय का
गहन अ ययन कया और अनेक दे श का मण कया। िजसके प रणाम व प उस पर
उदारवाद वचार और इं लै ड क संवध
ै ा नक णाल का वशेष भाव पड़ा। 1852 म वह
पीडमॉ ट रा य का धानमं ी बना। कैवूर का व वास था क इटल का एक करण केवल
पीडमॉ ट के राजा के नेत ृ व म ह स भव हो सकता है और वदे शी सहायता के बना एक करण
का काय क ठन होगा। इस दशा म उसको नेपो लयन तृतीय से बहु त आशाएँ थी। कैवूर
166
संवध
ै ा नक राजतं म व वास रखता था। 1852 म धानमं ी बनने के प चात ् कैवूर का मु ख
उ े य इटल से अि या का न कासन करके एक करण स प न करना था। मया यु म
इं लै ड और ांस को सै नक सहायता दे कर कैवूर ने इन उदारवाद दे श का समथन ा त कर
लया। इसी आधार पर उसने नेपो लयन के साथ ‘ लोि बये क सं ध' करके लो बाड से
अि या को न का सत करने के लए ांसीसी सै नक सहायता ा त क । म य इटल के चार
रा य ने जनमत के वारा पीडमॉ ट रा य म वलय करने का न चय कया। 1860 म ह
गैर बा डी के यास के प रणाम व प ने प स और ससल रा य का भी पीडमॉ ट म
वल नीकरण हो गया। इटा लयन एक काण क पूणत: के लये केवल ‘वेने शया’ तथा रोम' का
वलय ह शेष था ले कन उससे पहले ह 5 जू न 1861 को कैवूर का दे हा त हो गया।
कैवूर वारा इटल के एक करण म योगदान
1. कैवूर भल -भां त जानता था क पीडमॉ ट क उ न त कये बना आि या को परािजत नह ं
कया जा सकता। अतएव कैवूर ने दे श म श ा का सार कया। उसने नवयुवक म
रा यता क भावना का सार करना आर भ कर दया और दे श म कारखान , यातायात
आ द का व तार कया। इस कार पीडमॉ ट उ न त के शखर पर पहु ँ च गया।
2. कैवूर भल -भां त समझता था क जनता के सहयोग बना रा य एकता स भव नह ं हो
सकती। अतएव उसने इटल के व भ न दल से बातचीत क । रपि लकन दल के नेता
मैजेनी और लालकु त दल के नेता गैर बा डी ने उसको सहयोग दे ने का वचन दया। दे श
क काब नार , युवा इटल आ द सं थाओं ने कैवूर के साथ मलकर काय करने का न चय
कया। कैवूर ने जनता के बहु मत को अपने साथ लया और कैथो लक धम के िजन लोग
ने उसका वरोध कया उसको उसने दे श नकाला दे दया।
3. कैवूर आि या क शि त को न ट करने के लए पीडमॉ ट एवं इटल के रा य को नबल
समझता था। अत: उसने 1854 ई. म मया के यु म स के व ांस को सहायता
दे कर ांस के नेपो लयन तृतीय को अपना म बना लया और मया यु क समाि त
पर पे रस क प रषद म सि म लत होकर यूरोप के रा य म अपना भु व था पत कर
लया था और यूरोप के रा य पर यह छाप डाल द थी क उ तर इटल पर आि या का
अ धकार यूरोप के लए घातक है। इतना ह नह ,ं उसने नेपो लयन तृतीय को ‘नाइस' और
‘सेवाय' के दे श दे ने का लालच दे कर ांस को आि या के व इटल क सहायता दे ने
के लए तैयार कर लया था।
4. जनता का सहयोग और वदे शी सहायता ा त करने के बाद कैवूर ने इटल क वाधीनता
का सं ाम छे ड़ दया। उसने लो बाड और वेने शया के आि यन दे श म व ोह करा
दये। पीडमॉ ट क बढ़ती हु ई शि त से भयभीत होकर आि या के स ाट ने पीडमॉ ट के
शासक क नई भत क हु ई सेना को हटाने का आदे श दे दया क तु पीडमॉ ट के शासक
ने इस आदे श क कोई च ता नह ं क । इस पर 1859 ई. म 11 अ ल
ै को आि या और
पीडमॉ ट म यु आर भ हो गया। ांस क सहायता से आि यन नेताओं को बुर तरह
हराया गया क तु नेपो लयन तृतीय के यु से हाथ खींच लेने के कारण कैवूर को आि या
167
से सं ध करनी पड़ी थी। सं ध म उसने ‘नाइस' और ‘सेवाय' के दे श ांस को दे दये थे
और अपनी इ छा के व वेने शया का ा त आि या के आ धप य म ह वीकार
कया। पमा, मोडेना व ट कनी पर पीडमॉ ट का अ धकार मान लया गया।
इस कार इटल क वाधीनता के लए इटल म व भ न दल गु त प से काय कर
रहे थे क तु उनक गु त स म तयाँ आि या जैसे शि तशाल सा ा य से लोहा लेने म शि त
के अभाव के कारण नता त असमथ थी। इटल के इन दे श-भ त को सै नक सहायता दान
करने का ेय कैवूर को ह है। उसने जनता के सहयोग से पीडमॉ ट क उ न त क और अपनी
नी त से मया के यु म ांस को सहायता दे कर ांस को इटल का म बनाया। नेपो लयन
तृतीय के यु से हाथ खींच लेने पर भी उसने ांस से सं ध व छे द नह ं कया और सं ध के
प रणाम व प 'नाइस' और ‘सेवाय' के ांत ांस को दे कर उसे इटल का म बनाये रखा। इस
सं ध के वारा उसने लो बाड को पीडमॉ ट के रा य म मलाकर इटल क एकता को ढ़
कया। सं ेप म कैवूर ने अपने य न वारा इटल के एक करण म पूण सफलता ा त क।
उसक मृ यु के समय केवल 'वेने शया’ और रोम के ा त ह इटल के एक करण से बाहर थे
क तु उनक ाि त के साधन भी उसने अपनी मृ यु से पूव ह तु त कर दये थे, िजसके
कारण गैर बा डी को 1866 ई. म वेने शया और 1870 ई. म ‘रोम' को ा त करके इटल क
एकता का काय पूण करने म सफलता ा त हु ई थी। य य प इटल के वतं ता के सं ाम म
इटल के व वध दल के नेताओं ने भाग लया, क तु इटल क वा त वक वाधीनता का ेय
कैवुर को ह है। ''एक छोटे से रा य का मं ी होते हु ए भी वह एक महान राजनी त था। “
इस कार 1848 तक इटा लयन एक करण के त मु य काय मैिजनी तथा गैर बा डी
ने गणतां क दशा म कया। 1852 से 1861 तक संवध
ै ा नक राजत क दशा म कैवूर
तथा गैर बा डी ने अ य त मह वपूण रचना मक काय कया। 1861 से 1871 तक रा य
आंदोलन का संचालन पीडमॉ ट के राजा इमैनए
ु ल वतीय ने कैवूर के नधा रत माग पर कया।
इन तीन के म य एक मह वपूण सामा य ल य यह था क वे जनता को े रत करके
जातां क आधार को मजबूत बनाना चाहते थे।
9.6.1 थम चरण
168
एक करण म पीड़मॉ ट रा य क सहायता करगे। अत: कैवूर ने मया यु म म रा क
सहायता हे तु 17000 सै नक भेजे िज ह ने 'टनया यु ' (Battle of Tchernay)म बड़ी वीरता
का दशन कया। यह यु दो वष तक चला िजसम स परािजत हु आ और दोन प के म य
1856 म पे रस क सं ध हु ई। इस स मेलन म कैवूर को आमि त कया गया। जहाँ उसने
इटल के न को उठाया। इं लै ड ने इटल म पोप रा य व ांस ने ने प स रा य क
आलोचना क । ले कन कैवूर ने इटल के सारे क ट का िज मेदार आि या को माना।
पे रस क सं ध के प चात ् कैवूर ने नेपो लयन तृतीय के साथ बातचीत जार रखी।
उसने नेपो लयन को लोभन दया क य द ांस इटल क वतं ता म सहायता करे गा तो वह
उसे 'नाइस' एवं ‘सेवाय' के दे श पुर कार व प दे गा। प रणाम व प 21 जु लाई 1858 को
कैवूर एवं नेपो लयन के म य ‘ लोि बये समझौता' हु आ। इसके अनुसार -
1. य द आि या पीडमॉ ट के ऊपर आ मण करे तो ांस पीडमॉ ट क सहायता करे गा।
2. आि या से वेने शया और लो बाड दे श खाल कराकर पीडमॉ ट रा य को दे दये जायगे।
3. पमा, मोडेना, ट कनी से भी वदे शी शासन का अंत कर पीडमॉ ट को सौप दया जायेगा।
4. पोप के रा य के कुछ भाग - रोमै ना ल गेश स भी पीडमॉ ट सौप को दये जायगे।
5. पीडमॉ ट व इटल के अ य रा य का एक संघ होगा िजसका अ य पोप होगा।
6. इस सहायता के प रणाम व प ांस को ‘सेवाय' व 'नाइस' के दे श दये जायगे।
7. पीडमॉ ट का राजा व टर इमैनएु ल अपनी पु ी का ववाह नेपो लयन तृतीय के चचेरे भाई
जेरोम के साथ करे गा।
पर तु नेपो लयन तृतीय पीडमॉ ट क सहायता तभी करे गा जब यु आि या क ओर
से ार भ हो। अत: कैवूर ने भाषण और अखबार के मा यम से आि या को भड़काना शु
कर दया और आि या के अधीन ‘वेने शया’ व 'लो बाड ’ दे श म व ोह कराने क चे टाय
क । उसने आि यन माल पर चु ं गयॉ बढ़ा द तथा खु ले आम सेना का जमाव करने लगा।
य य प इं लै ड व ांस दोन के म य समझौता कराने के प म थे पर तु आि या ने
ज दबाजी म 23 अ ल
ै 1859 को पीड़मॉ ट को चेतावनी द क वह तीन दन के भीतर
नश ीकरण कर दे नह ं तो आि या उस पर आ मण कर दे गा। उससे कैवूर बहु त स न
हु आ और उसने आि या को आ ा ता के प म द शत कर दया।
पीड़मॉ ट - आि या के म य 1859 म यु हु आ। यह यु आि या क ओर से
कया गया था। अत: ‘ लोि बये समझौता' के अनुसार नेपो लयन तृतीय ने अपनी सेना पीड़मॉ ट
रा य क सहायता के लये भेजी। यु क सू चना पाते ह गैर बा डी भी अपने वयं सेवक के
साथ आ गया।
इस वत ता सं ाम म कु छ यु अ य त मह वपूण ह -
1. मैगे टा का यु - इसम इटल व ांस ने आि या को परािजत कर मलान पर अ धकार
कया।
2. सा फे रनो का यु - इसम भी आि या परािजत हु आ।
3. सैनम टनो का यु - इसम भी म रा ने आि या को परािजत कया ।
169
इन वजय के प रणाम व प आि या को लो बाड खाल करना पड़ा। ले कन उसने
‘वेने शया' म कलेब द ार भ कर द । ले कन तभी कैवूर को सूचना मल क नेपो लयन
तृतीय ने उसका साथ छोड दया है। अत: उसने आि या के साथ 11 जु लाई 1859 को
' वला ै का क सं ध’ क िजसके अनुसार -
1. 'लो बाड ’ पर पीडमॉ ट का अ धकार होगा ले कन ‘वेने शया' पर आि या का अ धकार
होगा।
2. पमा, मोडेना, ट कनी के अपद थ शासक को िज ह जनता ने व ोह कर भगा दया था।
पुन : वापस दे दये जायगे।
3. पोप क अ य ता म सम त रा य का एक संघ बनाया जायेगा।
िजस समय पीडमॉ ट व आि या के म य यु हो रहा था उसी समय म य इटल के
पमा, मोडेना, ट कनी क जनता ने अपने शासक को भगा कर पीडमॉ ट रा य म मलने क
इ छा जा हर क । इसी के साथ पोप के रा य बोलो ना एवं रोमै ना. म शी व ोह हु ये और
उ ह ने शी पीडमॉ ट के साथ मलने क इ छा जा हर क । अ तत: 11-12 माच 1860 को
पमा, मोडेना, ट कनी और रोमै ना म जनमतगणना हु ई। िजसम जनता ने पीडमॉ ट रा य से
मलने क घोषणा क । इस कार 02 अ ल
ै 1860 को उ तर व म य इटल क संसद का
अ धवेशन यू रन म हु आ। नेपो लयन तृतीय को 'नाइस’ व 'सेवाय' के दे श दये गये 1
170
1861 को पीडमॉ ट क नयी संसद ने व टर इमैनएल को संयु त इटल का स ाट घो षत
कया। यू रन को इटल क राजधानी घो षत कया।
171
अभी तक पोप के अ धकार म था। व तीय संकट, औ यो गक ग त एवं समाजवाद तथा
गर बी कु छ अ य सम याय थीं िजनके साथ नवीन इटल को जू झना पड़ा।
रा य भावना का अभाव - इटा लयन एक करण मु य प से पीडमॉ ट रा य के नेत ृ व म
इटल क वत ता को ा त करने का यास था। इसक ाि त के लए शा, इं लै ड तथा
ांस के साथ कू टनी तक म ता तथा यु का सहारा लया गया। ले कन इसम कु छ अपवाद
को छोडकर जन - आंदोलन का अभाव था। िजस कार शा के नेत ृ व म जमनी का एक करण
स प न हु आ था, उसी कार पीड़मॉ ट के नेत ृ व म इटल का एक करण। जमनी क तु लना म
इटल म जन-जा त अ धक थी ले कन इसने रा य वभाव हण नह ं कया था। स दय से
इटल वभ न कार क राजनी तक णा लय , आ थक दशा, सामािजक पर पराओं तथा वचार
से वभािजत रहा। वचार तथा च तन क व भ नताओं ने व भ न रा य के म य वैमन य
क भावना उ प न कर द थी। वे अपनी. थानीय भावनाओं के ऊपर कसी और भावना क
क पना करने को तैयार नह ं थे। यह व भ नता उ तर तथा द ण के े म सबसे अ धक
थी। इसी संदभ म कैवूर ने कहा था क “आि या अथवा रोम से लड़ने क तु लना म उ तर व
द ण म एकता था पत करना अ धक क ठन काय है। ''
पोप के साथ स ब ध - एक करण के प चात ् इटल के सम सबसे ज टल सम या पोप के
साथ स ब ध को लेकर बनी। व टर इमैनए
ु ल तथा उसक सरकार को मा यता दे ने के लए
पोप तैयार नह ं था और न ह व टर इमैनए
ु ल रोम छोड़ने के लए तैयार था। रोम केवल इटल
क नह ं बि क संसार के सम त रोमन कैथो लक लोग क राजधानी थी। इस लए व टर
इमैनए
ु ल को भय था क रोम के न पर कह ं वदे शी शि तयाँ ह त ेप न कर। प रणाम व प
इटल क संसद ने एक कानून पा रत कया िजसम चच व रा य के स ब ध क या या क
गयी। इसके वारा पोप को आ वासन दया गया क उसे धा मक शि तय , काय , वदे श म
राजदूत भेजने एवं वत डाक यव था क पूर वत ता होगी ले कन रोम इटल का भाग
होगा। रा य के छन जाने से हु ई त-पू त के लए नवीन रा य पोप को 32,50,000 ‘ल रा’
वा षक पे शन के प म दे गा। ले कन पोप ने इसे अ वीकार करते हु ए आदे श दया क रोमन
कैथो लक लोग सरकार के साथ कसी कार का सहयोग न करे , राजनी त म भाग न ले,
नवाचन का ब ह कार कर तथा कसी राजक य पद को वीकार न कर। यह ग तरोध क
ि थ त 1903 तक चलती रह । उ नीसवीं शता द के अत म समाजवाद के वकास के
प रणाम व प पोप-रा य के स ब ध म प रवतन आया। समाजवाद पी शि त से रा य एवं
पोप दोन को खतरा था और इस लए दोनो प नजद क आने लगे। पोप पायस दशम ने 1905
म अपने आदे श को आं शक प से तथा 1919 म पूण प से समा त कर दया।
व तीय संकट - एक करण के प चात ् इटल क कहानी गर बी, अस तोष, ष य एवं
अ यव था से भर पड़ी थी। ऐसी अव था म व तीय यव था को सु संग ठत करना अ य त
क ठन काय था। नवीन इतालवी रा य ने स म लत सभी घटक रा य के कज को अपने
उ तरदा य व म ले लया था। कु छ वष प चात ् इटल ने औप नवे शक व तार शु कया
िजससे रा य खचा म वृ हु ई। 1891 के बजट म 750 लाख डालर का घाटा था। जब
172
साधारण जनता पर कर का बोझ डाला गया तो ि थ त व फोटक बन गयी। 1889 म मलान
यू नस तथा रोम म व ोह हु ये थे और 1898 म इनक पुनरावृि त हु ई। इसी अस तोष के
म य कसी ाि तकार ने इटल के राजा ह बट थम क ह या कर द । नये राजा व टर
ु ल तृतीय ने अ धक ववेक से काम लया और 1901 म बजट का झु काव घाटे के
इमैनए थान
पर आमदनी क तरफ हो गया।
औ यो गक वकास तथा समाजवाद - एक करण के प चात ् इटल क व तीय हालत अ य त
नाजु क तथा कमजोर थी। इस संकट से उबरने का एक मा यम था - औ योगीकरण। इटल का
द णी भाग मु यत: कृ ष धान था। इस समय स पूण यूरोप म औ यो गक वकास के वारा
ह आ थक संकट का नवारण हो रहा था। औ यो गक वकास के लए आव यक ख नज जैसे -
लोहा और कोयले का इटल म अभाव था। ले कन जैसे ह पानी से बनने वाल बजल का
उ पादन काय शु हु आ इटल का तेजी से औ योगीकरण हु आ। इटल के पहाड़ ने उसको
अन गनत न दयाँ एवं झरने दये ह िजनसे सु गमता से बजल का उ पादन कया जा सका।
बजल से पानी के जहाज तथा रे ल का नमाण ग तशील हु आ, स क तथा सू ती कपड़े का
उ योग भी वक सत हु आ और वशेषकर मलान रे शमी व सू ती उ योग का के बन गया।
अ य यूरोपीय दे श के स य इटल म भी औ योगीकरण के कु छ अ य प रणाम दखाई पड़े।
उ योग के कारण मजदूर क सं या म वृ हु ई िजसके कारण उनक सम याय बढ़ ।
प रणाम व प मक संगठन क थापना हु ई िजससे समाजवाद वचारधारा का।वेकास और
सार हु आ। कु छ हद तक उप नवेशवाद तथा वा सय ने इस सम या का समाधान कया
ले कन भार कर के कारण शहर म बढ़ती आबाद के कारण अस तोष या त होने लगा।
वशेषकर मजदूर वग इस दशा से अ य त ु ध था। 1893-94 म ससल तथा 1898 म
मलान म मक लोग के भंयकर व ोह हु ए। व ोह को य य प कठोरतापूवक कु चल दया
गया ले कन पूर तरह से उनका दमन नह ं हो सका। मक आंदोलन क ता भू मगत हो गये
और उनका अस तोष चु पचाप पनपता रहा। एक अस तु ट एवं उ इटा लयन ने 1900 म राजा
क ह या कर द । इस असंतोष को दूर करने के लये जमनी क तरह इटल ने भी राजक य
समाजवाद अपनाया। इस यव था के अ तगत अ नवाय बीमा योजना, श ा तथा सा ता हक
अवकाश जैसी यव था शु क गयी तथा उनके मक संघ को मा यता भी द गयी। बीसवीं
शता द म ये सुधार समाजवाद चार क शि त को कम करने म सफल हु ए।
वा तव म एक करण के प चात ् उ नीसवीं शता द के अंत तक इटल का नया रा य
अनेक ज टल सम याओं से उलझा रहा। ये सम याय एक दूसरे से स बं धत थीं इस लये
वकराल प धारण कर लेती थीं। रा य एकता का संचार करने के लए उ तर-द ण को एक
प करना आव यक था िजसके लए सेना, नौ-सेना, रे ल, सडक का नमाण, श ा का व तार
एवं वकास होना आव यक था। इन पर होने वाले खच से व तीय संकट उ प न हु आ, असंतोष
फैला और व ोह हु ए। व तीय संकट से दे श को उबारने के लए औ यो गक वकास शु कया
गया ले कन मजदूर क बढ़ती सं या म समाजवाद वचारधारा तेजी से पनपने लगी और
मजदूर के व ोह हु ए ले कन इस नये संकट ने राजा और पोप को नजद क कर दया तथा पोप
ने उस आदे श को वापस ले लया िजसके वारा उसने सम त रोमन कैथे लक समु दाय को रा य
173
क सम त ग त व धय का ब ह कार और वरोध करने का आदे श दया था। इस कार
एक करण के प चात ् प रणाम के प म एक सम या ने दूसर को ज म दया ले कन साथ ह
साथ उसका समाधान भी हु आ। इस स बंध म हबट फशर ने लखा है - ''द ण इटल का
नाग रक उ तर इतालवी से कतना भी भ न रहा हो, नयी आ थक यव था तथा औ यो गक
वकास ने उनके म य रा य एकता का संचार कया। ''
9.8 सारांश
-उ नीसवीं शता द के ार भ म इटल व भ न रा य म वभािजत था। उसम एकता
का पूण अभाव था। इटल का न तो कोई एक झ डा था और न कोई एक मु ा। इसके
प रणाम व प यूरोपीय दे श म उसक ि थ त अ य त कमजोर थी। नेपो लयन ने इटल वजय
के उपरा त इसके एक करण का सफल यास कया ले कन 1815 म वयना कां ेस के प चात ्
यह पुन : छोटे -छोटे रा य म वभािजत होकर ढ़वाद चच और राजतं के अधीन हो गया।
इटल के कु छ दे श भ त और लोकतं के समथक ने मलकर इसके एक करण और वत ता
का यास कया। इटल का एक करण एक ल बे संघष के प चात ् स प न हु आ। इस एक करण
म व भ न दल एवं नेताओं क स य एवं मह वपूण भू मका रह । इन लोग ने एक तरफ
इटल के लोग म रा य चेतना का सार कया तो दूसर ओर कू टनी तक यास करके वदे शी
समथन ा त कया। एक करण के प चात ् इटल के सामने - पोप क सम या, आ थक
सम या, मजदूर क सम या, बेरोजगार आ द अनेक क ठनाईयाँ थी िजनका उसने सामना कर
समाधान कया। एक करण के उपरा त इटल ने व वध े म उ न त क और यूरोप म
स मानजनक थान ा त कया।
9.9 अ यासाथ न
1. इटल म रा वाद के उदय के मु ख कारण का उ लेख क िजए।
2. इटल के एक करण म मैिजनी, गैर बा डी एवं कैबूर क सेवाओं का मू यांकन क िजए।
3. कैवूर के या उ े य थे? उसने उ ह कस कार ा त कया?
4. इटल के एक करण म व भ न दल के योगदान को रे खां कत क िजए।
5. इटल के एक करण के व भ न चरण पर काश डा लए।
6. इटल के एक करण के रा य एवं अ तरा य प रणाम एवं भाव क चचा क िजए।
7. न न पर सं त ट पणी ल खए
क. ‘ लोि बये समझौता’,
ख. ‘ वला ै का क सं ध',
9.10 संदभ थ
1. पु पेश पंत व व इ तहास टाटा मै ा, हल, नई द ल
2. डॉ0 मा नक लाल गु त व व का इ तहास, सं करण- थम, 2000, कॉलेज बुक
डपो, जयपुर
174
3. डी0 हु कम च द जैन, डॉ0 आधु नक व व इ तहास, (1500-2000) सं करण-
कृ ण च द माथुर ष ठम ् 2005, जैन काशन मि दर, जयपुर
175
इकाई 10
जमनी का एक करण
इकाई क परे खा -
10.0 उ े य
10.1 तावना
10.2 एक करण म बाधाएँ
10.2.1 जमनी के एक करण के कारण
10.2.2 बौ क आ दोलन
10.2.3 जालव रन संघ क थापना
10.2.4 नेपो लयन
10.2.5 1830 व 1848 ई. क ाि तयाँ
10.2.6 औ यो गक वकास
10.2.7 वयना-स मेलन
10.2.8 जमनी क दशा
10.2.9 श ण सं थाओं का रा य सार म योग
10.2.10 दे श भ त का योगदान
10.2.11 जमन नेशनल एसो सएशन क थापना
10.2.12 प व रोमन स ाट
10.2.13 शा क मह वाकां ा
10.3 े ड रक व लयम चतु थ और जमनी का एक करण
10.4 व लयम थम और जमनी का एक करण-
10.5. ब माक व जमनी का एक करण
10.6 जमनी के एक करण का थम चरण डेनमाक यु (1864 ई)
10.6.12 ाग क सं ध
10.6.3 उ तर जमन संघ का नमाण
10.6.4 एक करण का तृतीय चरण
10.6.5 यु क घटनाएँ
10.6.6 कफट क सं ध
10.7 यु के प रणाम
10.8 सारांश
10.9 अ यासाथ न
10.10 संदभ ग थ
176
10.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन करने के प चात ् आप -
नेपो लयन का सवा धक दबाव जमनी पर था और यह उसक स ता को सवा धक चु नौती
मल ।
नेपो लयन अ य प से जमनी के एक करण का माग श त करने वाला था।
जमनी के एक करण म काफ बाधाएँ थीं, इसके उपरा त भी एक करण के कारण एक के
बाद एक जु टते गये।
धान मं ी बनने के बाद ब माक र त एवं लौह आवरण क नी त के आधार पर
एक करण के माग म आई बाधाओं को तीन चरण म पूरा कया।
हम यह भी जानेग. क जमनी के एक करण के लए अपनी वदे श नी त का आधार या
बनाया था।
एक करण से संबं धत मु ख घटनाओं को हम जान सकेग और उसके कारण व मह व को
समझ सकगे
10.1 तावना
जमनी भी इटल क भाँ त कई रा य म बंटा हु आ था। ांस क रा य ां त से पूव
जमनी म कर ब 300 रा य थे। य दे खा जाय तो यूरोप म उस समय इतना अ धक वभािजत
रा य कोई नह ं था। ये सभी रा य 'प व रोमन सा ा य' के अंतगत माने जाते थे। नेपो लयन
का सबसे यादा दबाव जमनी म था और यह ं उसक स ता को सबसे बड़ी चु नौती मल ।
फशर के अनुसार ''जमनी म नेपो लयन क सरकार बनना एक दुःखद क तु लाभदायक घटना
थी।“ 1806 ई. म नेपो लयन ने इस प व रोमन सा ा य का अंत कर दया तथा जमनी के
वतं रा य क जगह 39 रा य का एक संघ बनाकर रा य एकता का माग श त कया।
यह संघ राइन संघ कहलाया। इससे जमनी म एकता क भावना पैदा हु ई। ई. ल सन के श द
म “यह इ तहास के मजाक म से एक है क आधु नक जमनी का ज मदाता नेपो लयन था।''
नेपो लयन के पतन के साथ ह यह प रसंघ समा त हो गया पर तु वयना कां ेस के सम यह
सम या थी क उस राइन प रसंघ क पू त कससे क जावे? अंतत: 'जमन प रसंघ' का नमाण
कया गया। आि या का स ाट इस प रसंघ का अ य तथा शा का राजा उपा य बना।
संघ क एक संसद बनाई गई िजसके सद य रा य के राजाओं वारा मनोनीत कए जाते थे।
संसद के अ धकार नाम मा के थे। पर पर सभी रा य वतं थे परं तु उन सभी पर आि या
का पूरा भाव था। सी.डी. हे जन के मतानुसार 'जमन-प रसंघ वा त वक अथ म रा नह ं था,
अ पतु वतं रा य का एक ढ ला-ढाला म डल था।'' आि या क यह बल इ छा थी क
जमनी म रा य भावना का वकास न हो। यह जा तय का संघ न होकर राजाओं का संघ था।
अत: आि या के स ाट एवं उसके धानमं ी मटर नख को यह आशा थी क ये वतं राजा
पर पर झगड़ते रहगे तो उनम रा य भावन का संचार नह ं होगा। क तु नेपो लयन के
आ मण ने उनम भी संगठन व रा यता क भावना उ प न कर द थी। जमन ग तशील
177
वग यह महसू स करने लगा क जमनी क थम आव यकता एकता एवं एक सु ढ रा य
सरकार का नमाण है। 1815-1862 तक जमनी के एक करण के माग म अनेक बाधाएँ
उ प न होती गई िजसक वजह से एक करण का माग मंद ग त से श त हु आ। 1862ई. म
ब माक शा का चांसलर बन िजसके नेत ृ व म एक करण क ग त ती हु ई।
178
10.2.1 जमनी के एक करण के कारण
10.2.2 बौ क आ दोलन
180
के वशेषा धकार जमन रा य म छ न लए गए थे वे एक जु ट हो गए। इस कार नेपो लयन
वारा छे ड़े गए यु से जमनी के रा य को लाभ मला।
10.2.6 औ यो गक वकास
181
उपे ा कर इस दे श को कई टु कड़ म बांट दया था। ल सन का कहना है क, ''एक फटे पुराने
कोट क तरह जमनी यूरोप के सामने खड़ा था िजसम लगा येक पैबद
ं अपना राग अलग
अलापता था।'' जमनी को पराधीनता अखरने लगी थी। एक जमन लेखक ने तो यहां तक कहा
है क '' येक ां ससी हमारा श ु है और सबसे सावधान रहना येक दे श भ त का क त य
है।'' जमनी क पराधीन व द र दशा ने एक करण का माग सरल कर दया।
10.2.10 दे श भ त का योगदान
10.2.12 प व रोमन स ाट
182
दया गया तो यहां के लोग म वरोध क भावना बल हो गई। वे जमनी के पुराने स मान को
पुन : ा त करना चाहते थे। आि या के अधीन जो 3 तशत रयासत का संघ बनाया गया
था उनम 11 बड़ी और 27 छोट रयासत थीं। ये सभी राजा आि या क संसद म बैठना
अपमान समझते थे। बड़ी रयासत को एक-एक त न ध भेजने का अ धकार था जब क छोट
रयासत को कु ल 6 त न ध ह भेजने का अ धकार था जो बार -बार से येक रयासत म
से जाता था। इस कार का त न ध व जमनी का राजनी तक अपमान था। अत: ये सभी
आि या से अलग होकर रहना चाहती थी।
10.2.13 शा क मह वाकां ा
ांस को परािजत करने वाल दो शि तयां- (1) आि या (2) शा थीं। नेपो लयन क
हार के प चात ् आि या सवशि तमान बन गया और शा को घर से बाहर नकाल दया।
आि या से असंतु ट रयासत शा को म य यूरोप का नेता बनाना चाहती थी। अत: इन
वरोधी रयासत ने शा का नेत ृ व वीकार कर, उस से यह आशा क क वह बखरे हु ए शा
को नेत ृ व दान करे । जेना व व व यालय के छा को भी यह आशा थी क शा जमनी का
नेता बनकर एक करण का काय पूरा करे गा।
183
आि या क ि थ त और भी सु ढ़ हो गई। इस तरह े ड रक व लयम ने अपनी अि थर बु
क वजह से जमन एकता क क खोद द ।
184
त न ध व करता रहा। उसने कफट क सभा म आि या के भाव को रोकने का हर संभव
यास कया। जनवर 1859 ई. म ब माक ' को राजदूत बनाकर स भेजा गया। अपनी
चतु राई से ब माक ने स के जार से यि तगत मै ी था पत कर ल । मया यु के समय
शा म स के व यु घो षत करने क मांग रखी गई, परं तु ब माक के वरोध के कारण
शा तट थ रहा। जार अले जे डर ब माक का बल समथक बन गया। 1862 ई. म ब माक
को ांस म राजदूत बना कर भेजा गया और उसी वष सत बर म स ाट व लयम ने उसे
अपना धान मं ी नयु त कर दया।
ब माक ने जब चांसलर पद क शपथ ल , तब स ाट को स बो धत करते हु ए उसने
कहा था, “म ीमान ् के साथ न ट हो जाऊंगा क तु संसद के इस संघष म आपका साथ नह ं
ं ा।“ ब माक और संसद के. बीच भी खींच तान चलती रह । न न सदन ने बजट
छोडू ग वीकार
नह ं कया तो ब माक ने उसक अवहे लना कर उ च सदन से बजट पा रत करवाता रहा।
य य प उसका यह काय असंवध
ै ा नक था तथा प रा हत को सव प र मानते हु ए उसने वधान
क कोई परवाह नह ं क । इस कार संसद य यव था केवल नाम मा क ह बनी रह ।
1862 ई. म उसने उदरवा दय का ख डन करते हु ए अपनी नी त प ट क क,
“जमनी का यान शा के उदारवाद क ओर नह ं है वरन ् उसक शि त पर लगा हु आ है। शा
को अनुकू ल अवसर आने तक अपनी शि त को सु र त रखना है। हमारे समय क महान ्
सम याएं भाषण व बहु मत के ताव से नह ं अ पतु र त और लौह क नी त से सुलझ
सकती है।“ प ट है क शा के भ व य का नमाण सेना करे गी न क संसद। इस कार
ब माक का व वास यु म था। ब माक ने शा क सै य शि त बढ़ाने म सफलता ा त
क । सम त यूरोप म शा क सेना सव े ठ हो गई और संसद दे खती रह गई। ब माक
जानता था क जब उसे वदे श नी त म सफलता अिजत होगी तो लोग उसक नरं कु शता को
भू ल जाएंग।े वा तव म ब माक को कू टनी त व यु े म आशातीत सफलताएँ मल तो सारा
दे श उसके साथ हो गया। उ े य ाि त हे तु वदे श क म ता, शा क सै नक शि त बढ़ा कर
ब माक ने जमनी के एक करण हे तु तैयार ारंभ कर द । वह एक ऐसी अंतरा य ि थत
बनाना चाह रहा था िजसम आि या अकेला पड़ जाय और कोई भी पडोसी रा उसक
सहायता न कर। इसके लए ब माक ने न नां कत काय कये-
1. ब माक ने स से म ता कर ल । 1863 ई. म पौले ड म स के व व ोह हु आ
िजसम ब माक ने अपना समथन स को दया। उसने शा और पौले ड क सीमाओं पर
अपने सै नक नयु त कर दये िजससे ां तकार पौले ड से भाग न सके। इससे शा व
स म घ न ठ मै ी हो गई।
2. ब माक ने ांस के स ाट नेपो लयन तृतीय से भी सं ध कर ल । नेपो लयन तृतीय
आि या का वरोधी था। ब माक ने उससे कहा क शा जमनी से आि या को
नकालना चाहता है। य द इस काय म ांस सहयोग करे गा तो उसे राईन दे श मल
जायेगा। ांस से एक यापा रक सं ध भी क गई।
185
3. ब माक ने इटल के कैबूर से भी म ता क । उसे कहा क आि या को जमनी से
नकालने म य द शा क सहायता क गई तो इटल के लो बाड व वेनी शया दे श से
आि या को नकालने म शा इटल क सहायता करे गा।
इस कार ब माक ने स, ांस और इटल से मै ी था पत कर, अंतरा य ि थत
को अपने अनुकू ल बनाया और शा क सै नक शि त बढ़ा कर जमनी के एक करण क ओर
आगे बढ़ा।
186
क पराजय हु ई। 3 जु लाई को नणायक यु हु आ िजसम आि या क करार हार हु ई और 23
अग त को ाग क सं ध हु ई।
10.6.12 ाग क सं ध
187
ांस से यु करना आव यक है। परं तु इस यु म सै नक शि त के साथ-साथ राजनी तक दाँव-
पेच भी आव यक ह गे। सेडोवा-यु के प चात ् ांस को भी प ट हो गया क शा से उसका
यु आव यक है। उसे यह यु न नां कत कारण से करना पड़ा-
1. ब माक जानता था क ांस जमनी का एक करण नह ं चाहता है। अत: यु होना
वाभा वक था।
2. आ ो- शयन यु म शा क वजय से ांस डर गया क उसका सीमावत दे श
शि तशाल हो गया है। सु र ा के लए नेपो लयन तृतीय को शा पर संदेह करना
वाभा वक था।
3. ब माक ने आि या से यु करने से पहले ांस से सं ध करते हु ए उसे राईन दे श दे ने
को कहा। परं तु सेडोवा क जीत के बाद ब माक ने ांस को न तो राईन दे श दया और
न
नेपो लयन तृतीय को डेनमाक से ल सेमबग ह खर दने दया। इससे दोन के संबध
ं बगड़
गये।
4. मैि सक क असफलता से नेपो लयन तृतीय क त ठा को ांस म ध का लगा। उसने
आि या के व शा से सं ध क तो उसम भी वह असफल ह रहा। थीयस ने प ट
कया क सेडोवा के यु म आि या क पराजय नह ं वरन ् ांस क पराजय है। अपने
अपमान को दूर करने हे तु नेपो लयन तृतीय ने शा से यु करना अ नवाय समझा।
5. पेन क सम या – 1868 ई. म पेन के राजा के मरने से पेन क ग ी र त हो गई।
पेन क जनता ने शा के शासक के संबध
ं ी लयोपो ड को अपना शासक चु न लया। ांस
को यह बात सहन नह ं हु ई। ांस के वरोध करने से व लयम थम चु प हो गया और
लयोपो ड ने अपना नाम वा पस ले लया। ांस इससे संतु ट नह ं हु आ। ांस ने शा के
शासक से यह आ वासन ा त करना चाहा क वह भ व य म भी लयोपा ड या उसके
वंशज को पेन का उ तरा धकार नह ं बनायेगा। लयोपा ड ने आ व त कया क
लयोपा ड पेन हे तु उ मीदवार नह ं बनेगा।, इसक सू चना उसने ए स से
(13 जुलाई 1870ई.) तार वारा ब माक को भेज द । इस सू चना से ब माक बड़ा
नाराज हु आ। उसने तार क इबारत को सं त बना कर समाचार प म इस कार का शत
कराया क वह ांस और जमनी दोन दे श के नवा सय को भड़काने का साधन बन गया।
व लयम थम वारा लयोपा ड के नाम को वा पस लेना ब माक ने अपनी राजनी तक हार
मानी। ांस भी यु करना चाहता था िजससे ब माक भी यु ा हे तु शी ह तैयार हो गया।
10.6.5 यु क घटनाएँ
188
ांस को कई बार परािजत कया। 1 सत बर 1870 ई. को सेडान के मैदान म ांस क
नणायक हार हु ई। शा ने ांस को इस कदर हराया क स ाट नेपो लयन को अपने 84 हजार
सै नक के साथ आ म समपण कर दे ना पड़ा। नेपो लयन तृतीय को बंद बना लया गया और
ांस म ां त हो गई। ांस म वतीय सा ा य का अ त करके तृतीय गणरा य क थापना
हो गई। शा क फौज पे रस तक पहु ंच गई। यु बंद होकर सं ध क बात शु हो गई।
ब माक ने तो सं ध होने से पूव ह जमनी के एक करण को पूरा कर लेना चाहा। 18
जनवर 1871 ई. को ब माक ने वसाय के शीश महल म एक भ य दरबार का आयोजन
कया िजसम जमनी के सभी राजा और सेनानायक एक हु ये। उ च सु सि जत मंच पर शा के
राजा व लयम थम को बठाकर रा या भषेक कया।
10.6.6 कफट क सं ध
10.7 यु के प रणाम
यु समाि त से पूव ब माक ने द ण जमनी के रा य को जमन संघ म सि म लत
करने क वीकृ त ले ल थी। अ ेल 1871 . म जमनी के नये वधान क घोषणा हु ई,
िजसके अनुसार द ण जमनी के सभी रा य जमनी संघीय सा ा य म शा मल कर लये गये।
अब एक कृ त जमनी यूरोप का एक शि तशाल और ति ठत रा य बन गया। कैटलबी के
अनुसार , “ को-जमन यु के प रणाम व प जमनी सारे यूरोप का ति ठत और
सवशि तशाल रा य बन गया। शा के नेत ृ व म जमनी का राजनी तक एक करण पूरा हु आ।
इसी के लए ब माक को तीन यु करने पड़े थे और इसी के लए 1848 ई. के ां तका रय ,
वचारक , लेखक , क वय , दाश नक और इ तहासकार ने ई वर से ाथना क थी और अपनी
साम यानुसार काय भी कया था।“ ब माक सम त यूरोप का एक ऐसा भावशाल राजनी त
बन गया जो आगामी बीस वष तक यूरोप म छाया रहा।
इस यु के कारण इटल का एक करण भी पूरा हु आ। 1870 ई. म को- शयन यु
छड़ा, तो नेपो लयन तृतीय ने शा के व यु हे तु रोम से भी अपनी सेनाएं बुला ल थी।
इससे लाभ उठाकर सा ड नया-पीडमो ट के स ाट व टर इम युअल ने अपनी सेनाएं भेजकर
रोम पर अ धकार कर लया।
189
हे जन के अनुसार , “1871 के बाद कफट क सं ध यूरोप का रसने वाला फोड़ा बन
गया।“ ांस को अ य धक हा न हु ई। यु त-पू त के अलावा ए सास व लॉरे न के उपजाऊ व
समृ दे श दे ने पड़े। प रणामत: ांस व जमनी क श त
ु ा और अ धक बढ़ गई जो बाद म
थम व वयु का कारण बनी।
ांस म सदै व के लये राजतं क समाि त होकर गणतं वा दयो क वजय हु ई और
ांस म तृतीय गणतं क थापना हु ई।
स को भी अ य प से लाभ हु आ। स ने ांस को यु म नम न दे ख,
ब माक के समथन पर पे रस क सं ध क धाराओं को तोड़कर काला सागर म अपने जंगी
जहाज उतार दये और सेबाि टपोल क पुन : कले ब द कर ल ।
इस यु के कारण वयना कां ेस को गहरा ध का लगा। इस कां ेस ने इटल और
जमनी म जो यव था था पत क थी, उसका अंत हो गया।
10.8 सारांश
इस कार जमनी ने अपने एक करण क क ठनाइय के होते कई सहयो गय के साथ
ब माक पी ना वक को लेकर िजस तर के से पार कया, वह संसार के सम एक युगा तकार
घटना के प म आई। ब माक ने िजन प रि थ तय म जमनी के एक करण को ारं भ कया
उसम उसक र त एवं लौह आवरण क नी त ह समीचीन थी। नःसंदेह ब माक के ढ़
न चय, अद य साहस, कू टनी तक कु शलता एवं संचालन, अवसरवा दता, खर बु के सम
कोई बाधा थायी नह ं रह सक और वह जमनी के एक करण का सफल खेवय
ै ा बन गया।
10.9 अ यासाथ न
1. जमनी के एक करण क या सम याऐं थी? उसका समाधान कस कार से कया गया।
2. जमनी के एक करण क व भ न अव थाओं का ववेचन क िजए।
3. ब माक क र त व लौह नी त' या थी, व तृत से चचा क िजए।
10.10 संदभ ग थ
1. सी.डी.एम. कैटलबी आधु नक काल का इ तहास
2. थो पसन डे वड यूरोप स स नेपो लयन
3. वी.डी. महाजन आधु नक यूरोप का इ तहास
4. डॉ. मथुरालाल शमा यूरोप का इ तहास
5. के.जी शमा, डी. शमा, के.एस. कोठार आधु नक व व का इ तहास
6. ह रशंकर शमा आधु नक यूरोप का इ तहास
190
इकाई 11
पूव न : मया का यु और ब लन समझौता
इकाई क परे खा -
11.0 उ े य
11.1 तावना
11.2 ीस का वतं ता सं ाम
11.3 मया का यु
11.4 जे सलम क सम या
11.5 तु क और स का यु
11.6 मया यु के प रणाम
11.6.1 तु क पर भाव
11.6.2 स पर भाव
11.6.3 इं लै ड पर भाव
11.6.4 ांस पर भाव
11.6.5 साड नया पर भाव
11.7 मया यु का मह व
11.8 पे रस सि ध के उपरा त क ग त व धयाँ
11.9 ब लन स मेलन 1878
11.10 ब लन समझौता
11.11 ब लन समझौते का मू यांकन
11.12 सारांश
11.13 अ यासाथ न
11.14 संदभ थ
ं
11.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप जान सकेग क -
यूरोपीय इ तहास म पूव न या था?
मया के यु के या कारण थे और इसके या प रणाम हु ए?
ब लन समझौता कन कारण से स प न हु आ और इस समझौते के या प रणाम हु ए।
11.1 तावना
ाय: 11 वीं सद ई0 के आर भ से ह सेलजु क तु क ने तु क सा ा य का व तार
ार भ कर दया था। इ लाम धम के अनुयायी इन तु क ने यारहवीं सद के अं तम चतुथाश
म पूव रोमन सा ा य को परािजत कर यूरोपीय रा य को चु नौती दे डाल थी। 1453 ई0 का
वष इस ि ट से मह वपूण है क इस वष म तु क ने पूव रोमन सा ा य क राजधानी
191
कु तु तु नया पर अ धकार कर वहाँ से वृहद मा ा म लोग को यूरोप के व भ न भाग म
पलायन करने के लए ववश कर दया। अब यूरोप म बा कन ाय वीप का एक बड़ा ह सा
तु क के आ धप य म आ गया था। इस सा ा य. म अब पूव यूरोप के बोि नया, हजगो बना,
स बया, यूनान , मा नया, अ बा नया जैसे भू-भाग सि म लत थे। काला तर म इस सा ा य म
भी वे सब ल ण उ प न होने लगे जो ाय: वशाल सा ा य के पतन के लए उ तरदायी होते
ह। 18 वीं सद ई0 के आर भ से ह तु क सा ा य भी पतनो मुख हो गया।
तु क सा ा य के पतन के प रणाम व प जो सम या उ प न. हु ई वह यूरोपीय
इ तहास म 'पूव सम या' के नाम से जानी जाती है। 18 वीं सद रा वाद, जनत वाद एवं
उदारवाद का युग था। ऐसे म बा कन ाय वीप भी ा स क रा य ाि त के भाव से अछूता
न रह पाया। वतं ता, समानता और ब धु व के स ा त ने बा कन रा य को इस सीमा तक
आ दो लत कया क वे अपनी वतं ता के लए य नशील हो गये और अपने इस उ े य क
ाि त के लए उ ह ने अनेक बार तु क के सु तान के व व ोह कये।
व तु त: पूव न यूरोप से धीरे -धीरे समा त होते हु ए तु क सा ा य के र त थान
क पू त कोई सम या थी। इस सम या का मू ल कारण यह था क तु क क आ त रक
अ यव था, अराजकता और अि थर राजनी तक ि थ त ने यूरोपीय दे श का यान अपनी ओर
आक षत कया और यूरोप के इन रा य ने िजनम आि या, स, इ लै ड एवं ा स
सि म लत थे, अपने-अपने वाथ से े रत होकर तु क के आ त रक मामल म ह त ेप करना
ार भ कर दया। सा ा य- व तार क लालसा से स तु क म अपने भाव को व ता रत
करना चाहता था। स तु क को 'यूरोप का एक बीमार यि त' मानता था और उसका यूरोप क
शि तय के म य वभाजन करना चाहता था। स का घोर त व वी आि या था जो तु क
म अपने भाव को था पत करना चाहता था। इ लै ड न तो तु क को कभी यूरोप का एक
बीमार यि त मानता था और न ह वह तु क सा ा य के वघटन का प पाती था। इ लै ड
व तु त: अपने पूव सा ा य (भारत, बमा इ या द) क सु र ा के लए एक शि तशाल एवं
संग ठत तु क रा य के प म था। एतदथ य द कोई दे श अपना भु व तु क म बढ़ाने का
यास करता तो इ लै ड उसका वरोध करता। अत: इसी कार के राजनी तक वाथ ने यूरोप
के व भ न दे श को पूव ं म एक-दूसरे का वरोधी बना दया था।
न के संबध
11.2 ीस का वतं ता सं ाम
तु क सा ा य के यूरोपीय भू-भाग म अनेक जा तयाँ थीं जो धम, जा त, र त-- रवाज
इ या द व वध कारण से तु क से भ न थीं। पूव काल म ये जा तयां शि तशाल तु क
सा ा य म तु क के अ याचार शासन एवं शोषण के फल व प दबी-कु चल रह ं क तु तु क
सा ा य के ीण होते ह और ांस क ाि त से उदभू त मानवतावाद वचार के फल व प
उनम भी अपनी दयनीय अव था से उबरने एवं वतं ता ाि त के वचार का तेजी से चार
हु आ। वयना कां स के उपरा त बा कन े म रा यता क लहर त
ु ग त से व ता रत हु ई।
अब ीक जा त को अपनी परतं ता चु भने लगी थी, वे तु क के अ याचारपूण शासन से मु त
192
होकर ाचीन ीक के गौरव को पुन : ति ठत करने क योजना बनाने लगे। ीक नेताओं क
योजना इस े क सम त ईसाई जा तय को तु क के व व ोह करवाने क थी क तु
उनक यह योजना असफल हो गयी। इसी काल म स बया म वतं ता हे तु संघष चल रहा था,
अत: ीक लोग ने भी 1821 ई0 म अपनी वतं ता सं ाम का बगुल बजा दया। वतं ता
सं ाम का आर भ अ बा नया म जनीना के सू बेदगर के व ोह से हु आ िजससे भा वत होकर
मो डे वया म भी व ोह हो गया। ले कन व ोह शी ह कुचल दये गये और व ो हय को स
क सहायता नह ं मल पायी। इस काल म मो रया एवं इिजयन सागर के वीप म अनेक
व ोह हु ए। व ो हय के पास य य प सु संग ठत सै य शि त का अभाव था तथा प उनम
रा यता क उदा त तरं ग लहर मार रह थीं। व ोह के जोश म व ो हय ने अनेक बार
नै तकता क सीमा का उ लंघन भी कया इसी म म मो रया म लगभग 25 हजार मु सलमान
का क लेआम ीक व ो हय के माथे म एक कलंक था। इस व ोह को कुचलने के लए तु क
ने मस क सहायता ल । मस क सेना ने इ ाह म पाशा के नेत ृ व म व ोह का कठोरता से
दमन कर दया और हजार ईसाईय को मौत के घाट उतार कर ि य और ब च को दास
बनाकर बेच दया। इ ाह म के अ याचार ने यूरोपीय रा य को वच लत कर दया। 1827 ई0
से ह ीक वतं ता सं ाम ने एक नया आयाम ले लया था।
ीक क सम या के हल के लए स, ांस और इं लै ड ने 1827 म ल दन म एक
सं ध क िजसके अ तगत ीक को तु क सा ा य के अधीन ह एक वशा सत रा य बनाने का
संक प लया गया और इसी स दभ म एक प तैयार कर उसे तु क के सु तान को वीकार
करने के लए उसपर दवाब डाला गया। य य प सु तान ने ारं भ म ता वत योजना को
अ वीकार कर लया िजस कारण म दे शो का संयु त जंगी बेड़ा तु रंत यु के लए नकल
पड़ा। दोन प के बीच नेवो रन का यु लड़ा गया िजसम तु क को नणायक प से परािजत
कर 14 सत बर, 1829 ई0 म ए यानोपल क सि ध हे तु ववश कया गया। इस सि ध के
अनुसार 22 माच, 1829 ई0 क ल दन को पूव सि ध के आधार पर तु क के आधीन ीक
वाय तशासी रा य का नमाण होना था। क तु टे न, ांस, आि या, स एवं वयं ीक
नेताओं के मतभेद के कारण यह न उलझता रहा और अ ततोग वा 1833 ई0 म राजकु मार
आटो ने वतं ीस के थम शासक के प म ीस म वेश कया। क तु ीस क वतं ता
के बावजू द भी सभी ीक वतं न हो सके। ट, लेमनास उ तर इिजयन, आयो नयन वीप
समू ह, एपीरस और थेसल म रहनेवाले हजार ीक नव न मत रा य से बाहर ह रह गये थे।
यूरोपीय इ तहास म पूव सम या के बार-बार उठने का सव थम कारण यह था क
यूरोप के सभी मु ख दे श एक-दूसरे को संदेह को ि ट से दे खते थे। स के अनुसार तु क एक
बीमार आदमी था और उसके मरने से पूव ह बँटवारे के वषय म वचार कर लेना ेय कर था।
इं लै ड इस 'बीमार यि त' का इलाज कर उसे शि तशाल बनाकर अपने भारतीय रा य क
र ा करना चाहता था। आि या ारं भ म तु क म कसी कार के बाहर ह त ेप के व
था। ले कन ये सभी रा य एक-दूसरे के त शंकालु थे और इनके वाथ के कारण ह इस
न ने एक ज टल सम या का प हण कर लया था।
193
11.3 मया का यु
1841 से 1652 तक पूव यूरोप म राजनी तक वातावरण शा त बना रहा। तु क के
सु तान अ दुल मजीद ने इस ि थ त का लाभ उठाकर अपनी सेना, श ा तथा थानीय शासन
म अनेक कार के सुधार को याि वत कया ले कन उसके धा मक सु धार के यास ने क र
मौलवी वग को अस तु ट कर दया और ीक चच और कैथो लक क सम याओं ने उसक
ि थ त अ य त कमजोर कर द । मया यु के लए उ तरदायी कारण को अधो ल खत म
म समझा जा सकता है।
11.4 जे सलम क सम या
जे सलम ईसाइय का प व थान था और इस धम थल के संर ण का दा य व तु क
के सु लान सुलेमान ने 1535 ई0 म ह कैथो लक पाद रय को स प दया था। 1740 ई0 क
एक सि ध वारा कैथो लक पाद रय क र ा का भार ांस पर और ीक पाद रय क र ा का
भार स को स प दया था। ांस क रा य ाि त (1789 ई0) के समय से ह ांस ने इस
मामले म च लेना ब द कर दया और इस अवसर का लाभ उठाकर ीक चच के पाद रय ने
रोमन चच के वशेषा धकार का हनन करना ार भ कर दया। ांस अपनी आ त रक
सम याओं के कारण इस मामले क ओर यान न दे सका।
1830 ई0 म ांस के रा प त लु ई नेपो लयन ने जे सलम क सम या के त उ
नी त अपनानी ार भ क और इसी सल सले म तु क के सु लान को कैथो लक पाद रय के
पुराने अ धकार लौटाने को लखा। लु ई नेपो लयन का यह मानना था क उसके इस कृ य से
ांस का गौरव पुन : ति ठत हो सकेगा और य द इस यास म उसे स के साथ संघष करना
पड़ता तो वह ांस क 1812 ई0 क पराजय और 1840 ई0 क सि ध के रा य अपमान
का बदला ले सकेगा। इ तहासकार का मानना है क इस सम या का झगड़ा मु यत: यह था
क, 'अपने धा मक गभगृह (Grotto) म वेश के लए बेथलहम के चच के मु य वार क
चाबी तथा वेद के दरवाज म से एक क चाबी कैथो लक पाद रय के पास रहे या नह ं तथा
पूजा थान म ांस का रा य च न रखा जाय या नह 'ं । आि या, पेन, पुतगाल जैसे
कैथो लक रा य ने ांस क मांग का समथन कया जब क स के जार ने ीक पाद रय के
अ धकार को यथावत बनाये रखने के लए तु क के सु लान को प लखा। तु क , ांस एवं स
दोन को ह अस तु ट नह ं करना चाहता था; अत: उसने ांस के राजदूत को प लखकर
कैथो लक पाद रय के अ धकार को वापस दे ने का आ वासन दया। साथ ह , जे सलम के ीक
चच के अ य को भी एक प भेजा िजसम ीक पाद रय के अ धकार को मा यता द गयी।
वा तव म यावहा रक प से तु क के सु तान ने ांस क मांग को ह वीकार कया था। इस
ि थत म स के जार ने 1853 ई0 म अपने पु को तुक म वशेष दूत बनाकर भेजा िजसने
अ य त अ भमान से सु तान के सम यह मांग रखी क तु क सा ा य क स पूण ईसाई जा
पर सी संर ण वीकार कया जाय। सु लान सी राजकु मार के यवहार से नाराज हो गया
और उसने इ लै ड के राजदूत क सलाह पर इस सम या को सु लझाने का यास कया और
194
स क मांग को दो भाग म बाँटकर उसके एक भाग को वीकार कर दूसरे भाग को ठु करा
दया। तु क सु लान के नणय से सी राजदूत अ य धक ो धत हु आ और कु तु तु नया
छोडकर चला गया। शी ह, सी सेनाओं ने थ
ु नद पार करके मो डे वया और वाले शया पर
अ धकार कर लया और तु क पर उसक माँग को वीकार करने के लए दबाव बनाया। ऐसी
ि थ त म यु रोकने के उ े य से आि या ने इ लै ड, ांस, आि या और शा के
त न धय का एक स मेलन जु लाई 1853 म वयना म बुलाया , िज ह ने मलकर एक नोट
तैयार कया िजसे ' वयना नोट' कहा गया क तु इसका भी कोई प रणाम न नकल पाया।
11.5 तु क और स का यु
इ लै ड और ांस का समथन ' पाकर तु क ने अ टू बर 1853 म स के व यु
क घोषणा कर द । तु क के समथन म इ लै ड तथा ांस का संयु त समु बेड़ा डाडनलस के
जलडम म य म उतर गया। माच 1854 म इ लै ड तथा ांस ने स के व यु क
घोषणा कर द । यह यु मु यत: स के द णी ाय वीप म मया नामक थान पर लड़ा
गया था। स के जार नकोलस थम ने िजन उ े य से े रत होकर इस यु को ार भ
कया था वह उ ह ा त करने म सफल न हो सका। उसे अनेक मोचा पर पराजय का सामना
करना पड़ा। सेब टोपोल के घेरे के बाद उसने यह अनुभव कर लया था क वह यु को अब
अ धक समय तक नह ं जार रख सकेगा। इसी समय 2 माच, 1855 म जार नकोलस थम
क मृ यु हो गयी तथा उसके उ तरा धकार जार एले जे डर वतीय ने म दे श के साथ 30
माच, 1855 को पे रस क सं ध कर ल ।
11.6.1 तु क पर भाव
11.6.2 स पर भाव
195
11.6.3 इ ल ड पर भाव
11.7 मया यु का मह व
मया के यु के मह व के बारे म इ तहासकार म मतभेद है। इ तहासकार के एक
वग का मानना है क यह आधु नक यु म सबसे यथ यु था जब क दूसरे प का मत है
क य द यह यु न होता तो बा कन रा य कभी वतं न होते और कु तु तु नया पर सी
अ धकार हो जाता।
व तु त: मया यु के प चात ् एक नये युग का ादुभाव हु आ। इस यु के उपरा त
बा कन ाय वीप म रा यता क लहर फैल और शी ह मो डे वया एवं वाले शया ने संयु त
होकर वतं मा नया का नमाण कया। आधु नक वै ा नक संसाधन के अभाव म लड़ा जाने
वाला यह अं तम बड़ा यु था। इस यु म ऐ तहा सक ि ट से इं लै ड और ांस पहल बार
म रा य क भाँ त एक-दूसरे के सहयोग हे तु सि म लत हु ए और इसके उपरा त भी सदै व
दोन दे श यु के मैदान म म के प म सि म लत रहे । इस यु के दौरान ह लोरस
नाइ टंगेल ने घायल क अ य धक सेवा-सु ु षा क थी और उसी क ेरणा से 1864 म
अ तरा य रे ड ास नामक सं था का ज म हु आ था।
196
कया और तु क म रहने वाल गैर-तु क जा तय क ि थ त बद से बदतर होती चल गयी। स
का भाव अब पुन : बा कन दे श म तेजी से बनने लगा िजससे इं लै ड के मन म यह स दे ह
उ प न हु आ क स शी ह कु तु तु नया पर अपना अ धकार था पत कर लेगा। 1877 ई0
म स और तु क के म य हु ए यु का अ त 3 माच, 1878 ई0 क सेन ट फेन क सि ध
से हु आ। यह सि ध स क महान ् कू टनी तक वजय थी। इस सि ध वारा तु क का रा य
ेस, सालो नका, थेसल , एपीरस, अ बा नया और स बया तथा मा ट नी ो के बीच के छोटे से
भू-भाग तक सी मत रह गया था। इस सि ध से स ने मया यु वारा अपने रा य
अपमान को ा लत कर डाला था।
सेन ट फेन क सि ध से आि या को कोई लाभ नह ं हु आ था, अ पतु बोस नया और
हजगो वना के दे श उसे न दे कर इस सि ध म उसके हत क पूणत: अवहे लना क गयी थी।
इ लै ड का धानमं ी डजरै ल आि या के त सहानुभू त रखता था, िजसके कारण इं लै ड
म रा के स मेलन म सेन ट फेन क सि ध पर पुन वचार कराये जाने के प म था। स
सि ध पर पुन वचार का इ छुक नह ं था। इस न पर शी कोई नणय नह ं लया जा सका।
ले कन स ने जब मा टा वीप म सेना भेजने क योजना बनायी तब इं लै ड ने भी तु र त
यु क तैयार ार भ कर द । इस समय आि या बोस नया और हजगो वना क सम या के
समाधान म य त था अत: स को इं लै ड तथा आि या से सहमत होकर सेन ट फेन क
सि ध को पुन वचार हे तु तु त करने के लए वचनब होना पड़ा।
11.10 ब लन समझौता
ब लन स मेलन के अ तगत क गयी सि ध क न न ल खत मु ख धाराय थीं -
(क) इस समझौते के अ तगत ब गे रया को तीन भाग म वभािजत कर दया गया। इस
वभाजन म ब गे रया के मु य भाग को, जहाँ बहु त बड़ी सं या म बलगे रय स थे,
ब गे रया से पूर तरह अलग कर उसे वतं कर दया गया; य य प उसे तु क का
अधीन थ बना दया गया। दूसरा भाग रोमे लया को बनाया गया और वहाँ एक ईसाई
गवनर नयु त कर दया गया। तीसरा भाग मेसीडो नया को बनाया गया और उसे तु क के
संर ण म रखा गया। इस सि ध ने वृह तर ब गे रया के व न को भंग कर दया।
(ख) इस सि ध वारा स बया, मॉ ट नी ो तथा मा नया को वतं घो षत कर दया गया।
197
(ग) बोस नया और हजगो वना के दे श को नाममा के लए टक के नय ण म रखा गया
जब क इनके शासन का अ धकार आि या को दान कया गया।
(घ) स को बैसारे बया का दे श दया गया, उसे बातु म, कास और आम नया भी दान कये
गये।
(ङ) एक अ य सि ध के कारण इं लै ड को साइ स का वीप ा त हु आ। यह भी नणय हु आ
क साइ स पर उस समय तक इं लै ड का अ धकार रहेगा जबतक क स बातु म और
कास पर अपना भाव बनाये रख सकेगा।
(च) साइ स क अ त र त आय पर इटल का अ धकार होगा िजसे वह अपने ए शयाई सा ा य
सु धार पर यय करे गा।
(छ) इं लै ड ने तु क सा ा य क सु र ा का वचन दया।
(ज) तु क ने यह वचन दया क वह अपने सा ा य क गैर-तु क जा को पूण धा मक वतं ता
दे गा तथा ट, साइ स, थैसले, मैसीडो नया और अ बा नया आ द दे श म सु धार काय
करे गा।
198
इस समझौते म भावी यु के बीज सि न हत थे। य द ब लन स मेलन के राजनी त ने
त नक सी भी बु मानी और चतु राई से काय कया होता तो 1912- 13 ई0 के बालकन यु
तथा 1914 ई0 के थम व वयु के व फोट को रोका जा सकता था।
11.12 सारांश
पूव न यूरोप से शनै: शनै: समा त होते हु ए तु क सा ा य के र त थान क पू त
क सम या थी। -तु क क आ त रक अ यव था, अराजकता और प रवतनशील राजनी तक
ि थ त ने यूरोप के दे श का यान आक षत कया और अपने-अपने वाथ के कारण आि या,
स, इं लै ड, ा स इ या द ने तु क सा ा य क ब दर बाँट हे तु राजनी तक चाल चलनी
ार भ क ं। इसी म म मया का यु हु आ िजसे इ तहासकार के एक वग ने नरथक यु
क सं ा द है। सेन ट फेन क सि ध को नर त करने के लए ब लन स मेलन के अ तगत
ब लन समझौता लागू कया गया िजसने स बि धत सभी दे श को अस तु ट कर दया।
11.13 अ यासाथ न
1. पूव सम या से आप या समझते ह?
2. मया यु के कारण, प रणाम एवं मह व पर काश डा लए।
3. ब लन समझौते क मु ख धाराऐं या थी? इस सि ध का मू यांकन क िजए।
11.14 संदभ थ
1. ऐ0ए0आर0 म रयट द ई टन वे चन
2. सी0डी0एम0 केटलबी ए ह ऑफ मॉडन टाइ स
3. एल सन फ ल स माडन यूरोप (1815- 1899)
4. ा ट ए ड टे परले यूरोप इन द नाइ ट थ ए ड वि टयथ सचु र ज
199
इकाई 12
थम व वयु
इकाई क परे खा -
12.0 उ े य
12.1 तावना
12.2 थम व वयु के कारण
12.2.1 गु त एवं कूटनी तक सं धयाँ
12.2.2 रा यता क भावना
12.2.3 उ सै यवाद एवं श ीकरण
12.2.4 आ थक त वं वता तथा सा ा यवाद
12.2.5 पूव सम या और जमनी
12.2.6 बोस नया-हज गो वना क सम या
12.2.7 अ सास-लॉरे न क सम या
12.2.8 कैसर व लयम वतीय का च र
12.2.9 अ तरा य सं था का अभाव
12.2.10 यु का ता का लक कारण
12.3 ह या क त या
12.4 व वयु क मु य घटनाय
12.4.1 पि चमी मोचा
12.4.2 मान का यु
12.4.3 यो चैपल का यु
12.4.4 सोम का यु
12.4.5 शा पर सी आ मण
12.4.6 आि या पर सी आ मण
12.4.7 द ण-पूव मोचा
12.4.8 यु म बलगे रया का पदापण
12.4.9 मा नया पर आ मण
12.4.10 द णी मोचा
12.4.11 समु मोच पर यु
12.4.12 अमे रका का यु म वेश
12.4.13 स म बो शे वक ाि त (1917)
12.4.14 बलगे रया, टक , ऑि या, जमनी वारा आ मसमपण
200
12.5 थम व वयु के प रणाम
12.5.1 महायु के आ थक भाव
12.5.2 राजनी तक प रणाम
12.5.3 सामािजक प रणाम
12.6 सारांश
12.7 अ यासाथ न
12.8 संदभ थ
12.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप-
थम व वयु के लए कौन से कारण उ तरदायी थे।
थम व वयु क मु ख घटनाऐं कौन सी थी।
थम व वयु के या प रणाम हु ए।
12.1 तावना
बीसवीं शता द के आरि भक वष म यूरोप का राजनी तक प रवेश अ य धक तनावपूण
हो चु का था। यूरोप के सभी दे श म अ -श क त पधा लगी हु ई थी, सभी दे श एक-दूसरे
क शि त से भया ा त होकर आ मर ा के लए कू टनी तक एवं गु त -सं धय का अवल बन
कर रहे थे। यूरोप म इन वष म अनेक ऐसी अ य घटनाय घ टत हु ई थीं, िजनसे व भ न
दे श के म य मनमु टाव, अ व वास श त
ु ा का वातावरण उ प न हो गया था। शी ह यूरोप दो
सश गुट म बट गया: एक ओर म एवं संयु त रा (Allied and Associated
Powers) थे, िजनम इ लै ड, ांस, स, स बया, जापान, पुतगाल , यूनान , इटल , अमे रका
आ द थे तो दूसर तरफ के य शि तयाँ (Axis Powers) थी, िजनम जमनी, आि या-हंगर ,
ब गे रया और तु क थे। इन प रि थ तय म 28 जू न, 1914 को आि या और स बया के
म य जो यु आर भ हु आ उसका व प शी ह व व यापी हो गया।
12.2 थम व व यु के कारण
12.2.1 गु त एवं कूटनी तक सं धयाँ
201
व तु त: इस कार क गु त एवं कू टनी तक सि धय से उ प न गुटबाजी ने थम व वयु क
पृ ठभू म क संरचना क ।
202
एक-दूसरे को नीचा दखाने का कोई अवसर नह ं चू कते थे। इसी कार स एवं आि या के
वा णि यक हत बा कन े म टकरा रहे थे। सु द ूर-पूव एवं चीन म आ थक और राजनी तक
सा ा यवाद के सार हे तु भी यूरोपीय रा य म नणायक संघष आव यक तीत होने लगा था।
अत: आ थक त व वता तथा सा ा यवाद ने यूरोपीय दे श के म य संघष को नता त
आव यक बना दया था।
12.2.7 अ सास-लॉरे न क सम या
203
उ त सम या ने ांस एवं जमनी के म य अ य त कटु ता उ प न कर द जो थम व वयु
के कारण म से एक थी।
12.2.10 यु का ता का लक कारण
204
12.3 ह या क त या
ऑि या तथा स बया के स ब ध बोस नया-हजगो वना के न पर पहले ह तनावपूण
थे तथा इस घटना ने ऑि या को स बया से तशोध लेने का अवसर दे दया। ऑि या ने
इस ह या का दोष स बया पर लगाया और उसके स मुख दस सू ीय माँगप तु त कया और
स बया को इसे वीकार करने के लए यह घंटे का अ ट मटम दया। स बया ने इस माँग प
म उि ल खत ाय: सभी मांग को वीकार कर लया केवल दो मांग को मानने से इंकार कया
य क इ ह मानने से उसक भु स ता और स मान को ठे स पहु ँ चती थी। यु के लए क टब
ऑि या ने स बया के उ तर को अस तोषजनक मानते हु ए 28 जु लाई, 1914 को स बया के
व यु क घोषणा कर द । जमनी ने ऑि या का प लया। जब क स ने आि या के
व यु क घोषणा क । ांस, स का म था, उसने 'भी जमनी व ऑि या के व यु
घो षत कर दया। 5 अग त, 1914 को टे न भी इस यु म सि म लत हो गया। इस कार
इस यु का व प व व यापी हो गया।
यह महायु वभ न े म लड़ा गया था। पि चमी मोच म मु यत: जमनी एवं ांस
के बीच यु लड़ा गया। पि चमी मोच म जमनी का मु य उ े य ांस पर अ धकार करना था।
इस ल य क पू त के लए जमनी ने सव थम अग त 1914 म बेि जयम पर आ मण कर
उसक राजधानी स
ु े स पर आ धप य जमाया। इं लै ड तथा ांस ने बेि जयम क सहायता के
लए अपनी सेनाऐं भेजीं ले कन जमनी ने उ ह व भ न थान पर परािजत कया। बेि जयम
से जमनी क सेनाओं ने आगे बढ़कर लगभग स पूण उ तर ांस पर अ धकार कर लया और
जमन सेना पे रस क ओर बढ़ने लगी।
12.4.2 मान का यु
उ तर -पूव ांस तथा बेि जयम पर जमन सेना के अ धकार को समा त करने के लए
माच 1915 म इं लै ड तथा ांस क संयु त सेनाओं ने जमनी क सेना को उ तर सागर से
न का सत करने तथा उसक मोचाब द को समा त करने के उ े य से उस पर शीषण आ मण
205
कया। यो चैपल के इस यु म य य प कसी भी प को सफलता नह ं मल तथा प यह
यु इस ि ट से मह वपूण था क इस यु ने इं लै ड तथा ांस को यह समझाने के लए
ववश कया क जमन सेना को ांस व बेि जयम से खदे ड़ने के लए क ठन प र म व
ब लदान नता त आव यक होगा।
12.4.5 शा पर सी आ मण
12.4.6 आि या पर सी आ मण
206
12.4.8 यु म ब गे रया का पदापण
12.4.10 द णी मोचा
207
12.4.12 अमे रका का यु म वेश
12.4.13 स म बो शे वक ाि त (1917)
208
12.5 थम व वयु के प रणाम
थम महायु कु ल मलाकर 4 वष 3 माह और 11 दन तक चला था। इस यु म
30 रा य के लगभग साढ़े छह करोड़ सै नक ने भोग लया। यु े म मारे जाने वाले
सै नक क सं या लगभग 80 लाख थी जब क लगभग दो करोड़ सै नक घायल हु ए थे। आम
नाग रक भी इस महायु क व भ षका से बच नह ं पाये थे और उ ह भी नाना कार के क ट
सहने को मजबूर होना पड़ा था। स प त के वनाश क ि ट से भी यह महायु अभूतपूव था।
एक अनुमान के अनुसार व भ न रा को कु ल मलाकर लगभग चाल स हजार म लयन पौ ड
का आ थक भार वहन करना पड़ा था।
आ थक हा न
थम महायु म लगभग दस खरब पया य प से यय हु आ और जान माल
क परो हा न का तो कोई अनुमान ह न था। दोन प ने अपार रा श को चार वषा म यु
क व भ षका म झ क दया था। महायु के ार भ म औसतन दै नक यय चाल स करोड़
पया था और 1918 ई0 के बाद यह खच साढ़े तीन करोड़ पया त घ टा हो गया था।
अमे रकन फेडरल रजव बोड के एक अनुमान के अनुसार सभी रा का संयु त यय 31 मई
1918 तक 35 हजार म लयन पौ ड हो चु का था।
यु ऋण
महायु म हु ए इस व ह यय के कारण सावज नक ण क मा ा म भी असाधारण
-वृ हो गयी थी। 1914 ई0 म यु रत मु ख रा य का कु ल सावज नक ऋण आठ हजार
करोड़ था जब क 1918 ई0 म यह लगभग 40 हजार करोड़ तक पहु ँ च गया। सावज नक ऋण
के चार वष म पाँच गुना हो जाने से यह प ट है क व भ न रा कस कार ऋण के
बोझ तले दब गये थे।
यापार क हा न:
इस महायु ने अ तरा य यापार पर भी तकूल भाव डाला था। यु काल म
येक रा का यह य न रहा था क वह कम से कम आयात करे और अ धक से अ धक
नयात। इसके लए रा ने भार तटकर का सहारा लया था, िजससे अ तरा य यापार को
अ य धक नुकसान हु आ। महायु के बाद अमे रका, जापान जैसे दे श ने उन बाजार को
ह तगत कर लया जो पहले टे न एवं जमनी के अ धकार म थे।
209
इ लै ड, पेन, यूनान संदेश अनेक राजत ीय सरकार पर इस महायु का भाव नह ं पड़ा
तथा प ाय: सभी राजतं ीय सरकार ने अपने नरं कु श व प को कम करते हु ए जात ीकरण
क या आर भ कर द थी।
रा यता क भावना
महायु के बाद यूरोप म सव रा यता क भावना का तेजी से वकास हु आ। पे रस
शाि त सामलन म इसी भावना के अनु प अमे रक रा पत व सन ने आ म- नणय के
अ धकार पर बल दे ते हु ए अपना 14 सू ीय काय म तु त कया था। य य प व भ न दे श
के नजी वाथ के कारण इस स ा त को पूर तरह कायाि वत नह ं कया जा सका, फर भी
इस स ा त के फल व प ह चैको लोवा कया, यूगो ला वकया, हंगर , पोलै ड, फनलै ड,
लथुआ नया , ए टो नया तथा लाट वया के नवीन रा य का गठन हु आ।
अ तरा य भावना का वकास
महायु के कारण उ प न सामािजक, आ थक एवं राजनी तक सम याओं के समाधान
के लए अनेक अ तरा य सं थाओं क थापना भी क गयी थी। इस म म मादक व तु ओं
के यापार पर तब ध लगाने का यास कया गया, मक के क याण के लए अंतरा य
मक संघ तथा कानूनी सम याओं के लए अ तरा य यायालय और राजनी तक सम याओं
के समाधान के लए रा संघ का गठन भी कया गया। इन यास ने आगे चलकर
अ तरा यता क भावना के वकास को बल दया।
ि य क ि थ त म प रवतन
यु क अव ध म सै नक क माँग तथा यु साम ी न मत करने वाले उ योग म
मजदूर क मांग म अ या शत वृ हु ई थी िजसके कारण अ य उ योग एवं यवसाय म
र त थान पर ि याँ काय करने लगीं थी। इस कार यु काल म ि य के काय- े का
व तार हु आ और वे अपने सामािजक मह व को अनुभव करने लगी थीं। उ ह ने आ थक े के
अ त र त राजनी तक ग त व धय म भी भाग लेना ार भ कर दया था। उनम आ म व वास
एवं आ म नणय क भावना तेजी से वक सत हु ई थी, िजसके फल व प 1918 ई0 म इं लै ड
म जन त न ध व नयम पा रत हु आ, िजसके अ तगत 30 वष से अ धक क म हलाओं को
मता धकार दान कया गया। 1920 ई0 म जमनी तथा 1917 ई0 म स ने भी यह अ धकार
म हलाओं को दया था।
न ल क समानता
थम महायु ने जातीय कटु ता क भावना को कम करने क दशा म भी मह वपूण
भू मका नभाई थी। महायु से पहले सभी दे श जातीय कटु ता तथा रं गभेद क भावना से सत
थे, क तु महायु व व तर पर लड़ा गया और ए शया तथा अ का के काले, भू रे एवं पीले
रं ग के लोग ने यूरोप के गोरे सै नक के समान ह शौय दखलाया था िजससे यूरोपीय न ल
क े ठता का स ांत नराधार सा बत हु आ और यह वचार ढ़ हु आ क सब न ल एक समान
210
ह, कोई उ कृ ट अथवा ह न नह ं है। इस वचार से व व म काला तर म जातीय कटु ता क
भावना कम होती गयी।
श ा क हा न
महायु के प रणाम व प उ च श ा ा त करने वाले युवक अ नवाय सै नक सेवा के
कारण भार सं या म यु म सि म लत हु ए थे। साथ ह , यु के कारण श ा के े म यय
म कमी क गयी िजससे अनेक व व व यालय / महा व यालय एवं व यालय ब द करने पड़
गये। अत: यु ो तर काल म श ा म सु धार एवं वकास क आव यकता अनुभव क गयी।
व ान क गत
यु का एक मह वपूण प रणाम व ान के े म ग त तथा वकास के प म
ि टगोचर हु आ। यु काल म व वंसकार आ व कार कये गये थे, िजसम जहर ल गैस, बम,
टक, हवाई जहाज एवं पनडु ि बय का पहल बार खु लकर योग कया गया था। नवीन
आ व कार के लए सभी दे श म तयो गता क भावना उ प न हु ई। इस कार यु के प चात ्
भी व ान के े म अभू तपूव उ न त होती रह ।
समाजवाद का उदय
महायु का एक मह वपूण प रणाम समाजवाद क भावना का उदय व वकास भी था।
इसके फल व प औ यो गक े म रा य का ह त ेप पहले क अपे ा और अ धक बढ़ गया
तथा मक वग के मह व म भी वृ हु ई। व भ न रा क सरकार ने मक को आवास,
च क सा, श ा तथा अनेक अ य सु वधाय दान क ं तथा उ ह े ड यू नयन ग ठत करने एवं
हड़ताल करने का अ धकार भी दान कर दया।
12.6 सारांश
बीसवीं शता द के ार भ का यूरोप बा द के ढे र पर अवि थत था, िजसे जव लत
करने के लए एक चंगार क आव यकता थी। गु त एवं कू टनी तक सि धयाँ, उ रा यता क
भावना, सै यवाद, श ीकरण, सा ा यवाद, आ थक त व वता, पूव सम या, कैसर
व लयम वतीय का च र इ या द ऐसे अनेक कारण थे िज ह ने त काल न व व के रा को
दो वप ी खेम म बाँट दया था। सेराजेव के ह याका ड ने चंगार का काम कया और पूरे
व व को महायु म ढकेल दया। इस महायु म भार जन-धन क हा न हु ई थी और महायु
के आ थक, राजनी तक एवं सामािजक जीवन पर भी यापक भाव पड़े थे।
12.7 अ यासाथ न
1. महायु के कारण पर काश डा लये।
2. थम महायु के प रणाम पर काश डा लये।
3. थम महायु क मु ख घटनाओं का ववरण द िजए।
12.8 स दभ थ
1. S.B. Fay The Origins of the World War
211
2. Hazen Europe Since 1815
3. Langsam The World War Since 1914
4. स यकेतु व यालंकार यूरोप का आधु नक इ तहास
5. E.Lipsen Europe in the 19th and 20th Centuries
212
इकाई 13
1917 क सी ाि त
इकाई क परे खा-
13.0 उ े य
13.1 तावना
13.2 ाि त के लए उ तरदायी प रि थ तयां
13.2.1 नरं कुश शासन वग
13.2.2 कृ षक वग का अस तोष
13.2.3 औ यो गक एवं मक अस तोष
13.2.4 गैर- सी जा तय का वरोध
13.2.5 समाजवाद वचारधारा एवं बो शे वक दल
13.2.6 थम व व यु म उ प न प रि थ तयां
13.3 ाि त का सू पात
13.4 े ट लवो टक क सं ध एवं स का यु से अलग होना।
12.5 बो शे वक शासन के वरोधी
12.6 नवीन सरकार का व प
13.7 ाि त का मह व
13.7.1 स क ाि त का भाव
13.7.2 बा य जगत पर ाि त का भाव
13.8 सारांश
13.9 अ यासाथ न
13.10 संदभ थ
ं
13.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप समझे सकेगे क -
1917 क ाि त के लए उ तरदायी प रि थ तयां या थी?
थम व व यु ने कस तरह ाि त का वातावरण बनाया?
ाि त क घटनाओं क आप जानकार ा त करगे?
इस ाि त का सी इ तहास पर पड़ने वाले भाव क जानकार दे ना भी हमारा उ े य है
एवं
व व इ तहास को इस ाि त ने कस तरह भा वत कया एवं उसके या प रणाम हु ए
यह बात क जानकार भी आपको हो जाएगी।
213
13.1 तावना
बीसवीं सद के व व इ तहास क मह वपूण घटनाओं म से एक स क रा य ाि त
है। इस सद के पहले दशक म (1905 ई.) क ाि त के बाद वहां जातां क यव था से
स बि धत योग शु हुए जब क दूसरे दशक म (1917 ई.) हु ई ाि त से वहां सा यवाद
शासन यव था का ज म हु आ। सा यवाद एक नई स यता, नवीन सं कृ त एवं नवीन समाज
का प पाती है।
शताि दय से सी इ तहास ट, अ याचार , नरं कु श, जारशाह के उ पीड़न और
शोषण का इ तहास रहा है। 1789 ई. क ां ससी ाि त ने राजमुकु ट को उतार फका था और
वहां समानता वतं ता क आवाज बुल द क जा रह थी। यूरोप के ऐसे वातावरण म सय ने
जारशाह के आतंक एवं अ याचार पूण शासन के व आवाज उठाई।1905 ई. म स म
थम रा य ाि त हु ई। जार के अ याचार पूण शासन, उसके दे वी अ धकार. नरं कु श शासन,
जर ना का भाव, ट नौकरशाह , कसान क दयनीय ि थ त एवं बु जीवी वग म चेतना,
ाि तकार सं थाय अराजतावाद वचारधारा इ या द इस ाि त के मु ख कारण थे।
1904 ई. म जापान का स पर आ मण होना और सी फौज क हार, जनता वारा
शासन वग का वरोध, जन असंतोष एवं मजदूर वग क दयनीय ि थ त ने ाि त को आव यक
बना दया। कसान एवं मजदूर के साथ ह छा आ दोलन भी जोर पकड़ता जा रहा था। दे श
को ाि त वाला म गरने से बचाने के लए वाय त सं थाओं के उदारवाद नेताओं ने शासन
के सम मांग रखी िजनको जार ने न मानकर कु छ शासक य सुधार का आ वासन दया। ऐसे
समय पर ह हड़ताल मजदूर ने अपनी मांग के समथन म जार को एक ापन दे ना चाहा
ले कन जार ने नह थे एवं अनुशासन ब लोग पर गो लय क बौछार करवा द जो ''खू नी
र ववार” 22 जनवर 1905 के नाम से जाना जाता है। यह ं से ाि त का सू पात हु आ।
मजदूर के साथ कृ षक , रे लवे कमचा रय ने भी व ोह कर दया। जनता ने आ ोश क बाढ़
को जार सह नह ं सका। मजबूर होकर उसने जनता को मू ल अ धकार एवं वतं ता दे ने का
नणय लया एवं व तृत मता धकार के आधार पर नवा चत एवं वधायी शि त ा त ब माक
यूमा (संसद) था पत करने का वचन दया। जो क इस ाि त का सबसे मह वपूण प रणाम
था। इसके अलावा कृ ष के े म भी मह वपूण प रवतन हु ए यूमा ने श ा के सार क
दशा म उ लेखनीय कदम उठाये। ले कन यह व दत होना चा हए क 1905 क । से जनता।
क पूण वतं ता क इ छा पूर न हो सक । ले कन सु धार का युग शु हो गया था। जनता ने
अपने ' अ धकार हे तु सतत य न कये और यहां यह कहना अ तशयोि त पूण न होगा क
इस ाि त ने 1917 क सा यवाद ाि त का माग श त कया और उसक सफलता म
मह वपूण योगदान दान कया।
1917 ई. म स म दो ाि तयां हु ई - पहल माच म दूसर नव बर म। ल सन का
कहना है क ाि त तो एक ह थी क तु इसके दो अ याय थे। 1 माच, 1917 क ाि त ने
जार का नरं कु शता का अ त कर दया। नव बर क बो शे वक ाि त का दूसरा अ याय था
214
िजसके फल व प मजदूर जनतं का उदय हु आ। 1905 म स म यूमा अव य बन गई थी
ले कन स ाट एवं उसके सलाहकार जन इ छा क अवहेलना करते थे। जार के अ त: पुर म
रासपु टन नामक एक साधु का अ य त भाव था। स ाट भी उसके हाथ कठपुतल मा था।
20 वीं सद म अठारह करोड़ जनसं या के वशाल दे श म ऐसा शासन एक ल जा क बात थी।
यह कहना असंभव है क यद थम व व यु न होता तो पता नह ं कतने समय
और जारशाह का शासन चलता स म चलता रहता। 1905 के बाद नर तर इसक गरती हु ई
सै नक शि त ने इस के जीवन म कटौती कर द थी। औ यो गक, कृ ष एवं आ थक ि ट से
स के लए व व-यु म अ धक समय तक लड़ना असंभव था। ऐसी वकट प रि थ तय म ह
स म ाि त हो गई जहां पर बो शे वक ने जमनी के साथ सं ध करके अपने को यु से
अलग कर लया।
थम व व-यु (1914- 1918) के बीच म ह स क ाि त क शु आत हो गई।
हालां क इस यु म स क बगडती हु ई सै नक ि थ त के कारण ह यह ाि त ज द हु ई।
ले कन यु ने उस ि थ त को अ धक तेजी के साथ उभार दया। इससे पहले सै नक हार के
प रणाम व प जार को मया यु एवं सी जापान यु म हारने के बाद जोरदार आ त रक
वरोध का सामना करना पड़ा था और वरो धय को संतु ट करने के लए सु धार का काय म
भी तैयार करना पड़ा था। 1905 ई. से ह इस महान ाि त के ल य प ट हो चु के थे ले कन
जार ने उसके बाद भी अपने नरं कु श शासन के अ तगत पनपते हु ए टाचार एवं वघटनकार
वृ तय को रोकने का कोई य न नह ं कया।
215
यव था के कारण जार का नरं कु श शासन असहनीय हो गया था। उधर जनता के बु नेता
सु धार क मांग करने लगे जहां क जनता भी वयं अपने राजनी तक अ धकार से प र चत हो
गयी थी। इसी लए वे अब यह चाहते थे क स म जारशाह का अ त हो और जनतं ीय शासन
णाल क थापना हो।
13.2.2 कृ षक वग का अस तोष
216
अलावा वा त वक मजदूर म भी होता दन त दन हास ् होता जा रहा था। से ट पीटसबग,
मा को, बाकू और डोने ट म बड़े-बड़े कारखान के समान बहु तायात एवं मजदूर के सके ण ने
उ ह संग ठत होने के अवसर दया। शासन क नी त उ योगप तय के प एवं मजदूर के
वप म होने के कारण शासन वारा पा रत कु छ मक कानून भी इनक ि थ त म वशेष
अ तर नह ं ला सके। मजदूर के अस तोष का लाभ उठाकर ाि तकार समाजवाद दल ने उ ह
समाजवाद स ा त से अवगत कराकर पू ज
ं ीवाद यव था के खलाफ भड़काया। मक ने
अपने अ धकार हे तु संघष करने का बीड़ा उठाया। उनके संके ण से उनम संगठन क शि त
का वकास करने एवं अपने राजनी त भाव को बढ़ाने का अवसर मला िजसके कारण ाि त
म सवहारा वग क धानता रह । मजदूर क शि त का अ दाजा इस बात से लगाया जा
सकता है क उ ह ने 1905 म ह '' मक क सो वयत” नाम से अपनी पृथक सरकार बना
ल । मजदूर के वा य एवं आकि मक दुघटना बीमा योजना भी उनके अस तोष को कम नह ं
कर सक । समाजवाद दल के भाव से मक आ दोलन का व प अब मू लत: राजनी तक हो
गया था वे चाहते थे क जारशाह क नरं कु शता एवं पू ज
ं ीवाद यव था को समा त कर दया
जाये एवं उसके थान पर सवहारा वग का शासन लागू कया जाये।
217
“पोपु ल ट” कहा जाता था। वे इस बात के प पाती थे क कृ षक को भू- वामी मान लया
जाये एवं ाम सभाओं के मा यम से भू म का वतरण हो। कु छ पोपु ल ट लोग ने आतंकवाद
उपाय से अपने उ े य म सफलता ा त करने क को शश क और इसी काय म ने न हत
उ ह ने जार अले जेडर II क ह या कर द । कु छ समय बाद समाजवाद दल- ाि तकार
समाजवाद एवं सोशल डेमो े टक दल दो नाम से भाग म वभािजत हो गया। '' म वभािजत
हो गया। बु जीवी ाि तकार समाजवाद दल को नेत ृ व दान कर रहे थे। यह दल का
आतंकवाद म भी था। इस दल का मु य येय कसान वारा ाि त लाना था जब क सोशल
डेमो े टक दल सवहारा वग को ाि त क मु य चालन शि त मानता था। यह दल जारशाह
एवं पू ज
ं ीवाद यव था को न ट कर बुजु आ जनतं क थापना करना चाहता था। उसके बाद
सवहारा का ाधा य चाहता था। यह दल भी 1903 म म शे वक एवं बो शे वक से नाम दो
भाग म वभािजत हो गया। ये म शे वक दल मजदूर के साथ-साथ अ य वग के सहयोग से
जनतं क थापना करना चाहता था बो शे वक दल ले नन के नेत ृ व म के य संगठन एवं
कठोर अनुशासन वारा सवहारा वग के अ धनायक तं का प पाती था जारशाह ने समाजवाद
वचार को रोकने का भरसक यास कया ले कन औ यो गक वकास एवं ु टपूण भू- यव था
से उ प न मजदूर एवं कृ षक के अस तोष ने समाजवाद वचारधारा का वत: ह सार कया।
13.2.6 थम व व यु म उ प न प रि थ तयां
220
अपने तीन मु य वरो धय का सामना करना गड़ा िजनम रोमानोव वंश के समथक, लोकतं
वाद , जो ांस अमे रका के समान जातां क शासन यव था चाहते थे एवं तीसरे वे लोग थे
जो हालां क सा यवाद वचारधारा के समथक ले, ले कन वे ाि तकार उपाय से समाज के
आ थक संगठन को एकदम बदल दे ना मु ना सब नह ं समझते थे।
बो शे वक के इन वरो धय को म रा का पूण सहयोग एवं समथन ा त था।
म रा स म म यवग य सरकार पुन . था पत करना चाहते थे जमनी के व पूव मोच
पुन : खोला जा सके। म रा य क सेनाओं ने येक े म बो शे वक वरोधी दल के
सहयोग से त ाि तवाद ( वेत) सरकार था पत क । बो शे वक क ''लाल सेना'' एवं
वरो धय क वेत सेना म भयंकर यु हु ए। ऐसा लगता था क बो शे वक सरकार का पतन हो
जायेगा य क उसक शि त मा को एवं पे ो ाड तक ह सी मत रह गई थी ले कन बो शे वक
दल क सरकार ने अपने वरो धय को मैदान से मार भगाया एवं वजय ी हा सल क ।
वरो धय का सामना करते हु ये सय को बंद जार एवं उसके प रजन का यान
आया उ ह ने पे ो ाड को असुर त मानकर उ ह यूराल दे श भेज दया ले कन जब वरोधी
सेनाएं वहां पर भी पहु ंचने लगी तो ाि तका रय ने 16 जु लाई, 1918 को जार एवं जर ना को
गोल से उड़ा दया।
''लाल सेना'' क बढ़ती हु ई शि त दे खकर म रा ने स म स य सै नक ह त ेप
नी त बदल द और उ ह ने वहां पर यु रत अपनी सेनाओं को वा पस बुला लया। अ टू बर
1920 तक फनलै ड, पौले ड, लेटे वया टो नया लथु आ नयां ने बो शे वक सरकार से सं धयां
करके संघष को ह ख म कर दया। इस तरह से ाि त के वरो धय एवं वदे शी रा य के
ह त ेप से उ प न संकट समा त हो गया। 1921 तक न केवल स म आंत रक शाि त
था पत हो गई, बि क ांस, पौले ड एवं अ य दे श ने यह भल भां त महसू स कर लया क
बो शे वको क शि त को कु चलना अस भव है। स इस संकट से अपनी र ा करने म सफल
रहा। य क एक बात तो यह थी क वदे शी सेनाओं के वेश से सय क सु शु ताव था ख म
होकर उनम रा यता क भावना का वकास हु आ। दूसर बात यह भी थी क कृ षक ने िज ह
बो शे वक सरकार ने भू म वत रत क थी शासन को पूणत : सहयोग दया। उ ह भय यह था
क य द बो शे वक परा त हो गये, तो जमींदार पुन : उनक जमीन पर अ धकार कर लगे। इस
संघष काल म उ योग का रा यकरण हो जाने से सम त मजदूर ने भी बो शे वक का साथ
दया था।
221
क समानता, सवस ता, आ म नणय का अ धकार एवं सभी जा तय व धा मक वशेषा धकार व
तब ध के उ मू लन क उ घोषणा क गई थी। इसी घोषणा प का अमल करते हु ये दस बर
1917 म सरकार ने फनलै ड क वतं ता को मा यता दान कर द ।
अ ेल, 1918 म स का नवीन सं वधान न मत करने हे तु एक आयोग ग ठत कया
गया िजनके सद य टा लन, बुखा रन, सवदलाव, पो वा क आ द थे। आयोग तीन जु लाई को
सं वधान तैयार करके ''से ल कमट ” के सम तु त कया। इस सं वधान के आधार पर
“र शयन सोश ल ट फेडरल सो वयत रपि लक'' क थापना हु ई एवं उनक राजधानी पे ो ाड के
थान पर मा क को बनाया गया। इस सं वधान का मू ल स ा त यह था क सम त शि त
(स ता) गांव व शहर क सो वयत म शा मल मक व कसान म न हत है। सव च स ता
सो वयत क अ खल सी कां ेस के हाथ म थी। काय क सु गमता के लए स ल ए जी यू टव
कमट '' को गणतं क शास नक वधायी एवं नयं क, सं था बनाया गया इसी कमट के
अ दर 10 सद य क एक े स डयम” ग ठत क । जो मं मंडल के या ''काऊ संल ऑफ
का मसॉस,'' पर अकं ु श रखती थी। 18 वष आयु वाले उन सभी ी-पु ष को मता धकार दान
कया गया िजनक जी वका का साधन म था। नजी यापार , पादर , शासन प रवार के
सद य आ द को मता धकार से वं चत कर दया गया।
सरकार ने जमींदार एवं बड़े-भू प तय क जमीन को रा य क भू म घो षत करके उ ह
कृ षक म वत रत कर द । औ यो गक े म सरकार के नयं ण क नी त ार भ क गई
िजसके आधार पर मजदूर के त न ध कारखान के संचालन म भाग लेने लगे।
'बड़े-बड़े उ योग का रा करण कया गया। नजी यापार एवं आयात तब ध कर
दया। इसके साथ ह ब कं ग यव था एवं वदे शी यापार पर भी नयं ण था पत कर दया।
रा य ने अपनी ओर से कृ ष करने क कोई यव था नह ं क बि क अनाज क आव यकता क
पू त हे तु अ नवाय अनाज वसूल लागू क िजसके आधार पर क त को अपने खाने एवं बीज
छोडकर शेष को रा य भ डार म जमा करवाना पड़ता था। कृ ष एवं औ यो गक स ब धी नी त
से कसान एवं मक म असंतोष उ प न हु आ कई थान पर कृ षक व ोह भी हु ये। यहां
तक क ा सटार म सो वयत बेड़े के ना वक ने व ोह कर दया और नवीन सं वधान सभा का
नवाचन कराने एवं नजी यापार पुन : ार भ कराने क मांग क । िजसके फल व प बो शे वक
सरकार को आ थक नी त म यापक प रवतन करना पड़ा।
बो शे वक सरकार ने रा य झ डे का रं ग लाल नयत कया और उस पर दराती
( कसान का च ह) एवं हथौडा (मजदूर का च ह) अं कत कया गया। रा य च ह म यह
भी अं कत कया गया क '' सी सो श ल ट सो वयत फेडरल रपि लक'', ''संसार के मक
मलकर एक हो जाओं।'' ले नन का कहना था क यह सी सरकार सह मायने म लोकतं ीय
सरकार है। अ य लोकतं ीय रा य का इससे कोई मु काबला नह ं हो सकता। इस सरकार ने
बा य एवं आ त रक सब कार के भय से नये शासन क र ा करने एवं एक नई सामािजक
एवं आ थक यव था को कायम करने म असाधारण त परता एवं यो यता द शत क । इस
222
सरकार के य न ( वशेषकर ले नन के) से वहां न केवल पुरानी यव था का अ त हु आ बि क
एवं नवीन यव था एवं स यता भी सामने आई।
13.7 ाि त का मह व
13.7.1 स क ाि त का भाव
223
उ े य सा यवाद समाज का नमाण करना था, लागू क गई। ाि त के बाद स म एक
नवीन स यता, नई सं कृ त का ज म हु आ। सा यवाद क नवीन वचारधारा ने सं कृ त एवं
समाज के सभी े म ाि तकार प रवतन कये।
जारशाह क समाि त कर स ने एक नवीन युग म वेश कया। इस नये रा य क
नी तयां '' येक यि त को उसक मता एवं काय के अनुसार '' के समाजवाद आदश पर
आधा रत थी। येक यि त के लए काय करना ज र था। समाज एवं सरकार का यह कत य
हो गया क वे येक यि त के लए काय के अवसर दान करे । ''काम का अ धकार'',
संवध
ै ा नक अ धकार हो गया। उ पादन म वैयि तक पू ज
ं ी एवं लाभ हटा दया। इससे पर पर
वरोधी हत वाले वग का अ त हो गया एवं समाज म न हत असमानताऐं लु त हो गई।
गैर सी रा यताओं के लए यह ाि त अ धक मह वपूण थी। अब तक के सी
इ तहास का अवलोकन करने से यह प ट हो जाता है क जारशाह शासन म गैर सी जा तय
का दमन कया जाता था। ले कन अब वे एक गणतं के प म स के अंग हो गये। सम त
रा यताओं को बराबर का दजा एवं सो वयत यव था पकाओं म बराबर का तनध व दान
कया गया। इ ह अपनी भाषा एवं सं कृ त क र ाथ वायत ता दान क गई। नयोिजत
आ थक वकास एवं श ा के सार ने इ ह पछड़ेपन से उबारकर आधु नक प दान कया।
व व इ तहास म थम बार एक ऐसे रा य का अभयुदय हु आ, िजसने अनेक जा तय के
व भ न स ा त के बीच नवीन स ा त का सू पात कया। सी रा य के थान पर नवीन
सरकार ने नये रा य को संघ रा य म बदल दया। 1922 म इस संघ का नाम
यू.एस.एस.आर. (समाजवाद सो वयत गणतं संघ) रखा। इससे पूव 1920 म बो शे वक दल
को ''सो वयत संघ क क यु न ट पाट '' का नाम दया गया था।
बो शे वक सरकार ने जार व उसके कु टु ब के सद य को गोल से उड़ा दया गया।
रोमान व वंश के अ य सद य या तो जेल म डाल दये गये या फर वे दे श से पलायन कर
गये। वदे शी ऋण का भु गतान करने से भी इस नई सरकार ने मना कर दया। वदे शी पू ज
ं ी का
रा करण हो गया िजसक भंयकर त या हु ई एवं कु ल न , जमीरदार , साम त एवं
सेनाप तय ने बो शे वक सरकार के व गृह छे ड़ दया। िज ह वदे श शि तय का य
अ य प से सहयोग ा त था। ले कन बो शे वक इस गृहयु म स:फल रहे । 1922 म
ले नन ने ' 'नई आ थक नी त' ' वारा दे श क अथ- यव था को सु धारने क दशा म
उ लेखनीय य न कये। ले नन के बाद टा लन ने थम पंचवष य योजना लाग कर दे श म
समाजवाद क नींव डाल ।
224
आ थक यव थाओं को काफ भा वत कया। इस ाि त के वारा ह मा सवाद स ा त का
योग एवं सार अव य भावी था। इसी के प रणाम व प सा यवाद वचारधारा का सार व व
के अनेक दे श म हु आ। सा यवाद वचार के आधार पर ह अपने काय करते है। समाजवाद
स ा त क लोक यता एवं स म उनक सफलता ने जातं को पुनप रभा षत करने के लए
बा य कया। पू ज
ं ीवाद अथ यव था वाले दे श ने यह महसू स कया क सामािजक एवं आ थक
समानता के बना राजनी तक समानता अधूर है। उ ह ने आ थक नयोजन के वचार को
अंगीकार कया एवं मजदूर , कृ षक एवं द लत लोग क अव था म सु धार हे तु कानून बनाये।
बाईबल के इस वचार को क ''जो काम नह ं करे गा वह खायेगा नह 'ं ' को सी ाि त ने
पुनजी वत कया। इससे पद द लत वग एवं मजदूर म स मान क भावना जागृत हु ई।
समाजवाद वचारधारा ने जा त, रं ग लंग एवं आ थक आधार पर भेद-भाव को समा त कर
वा त वक जातं का माग श त कया।
इस ाि त ने एक नये युग के वार खोले। अब तक रा य स ता बुजु आ वग के हाथ
म ह रहती थी। ले कन इस ाि त से कसान , मक एवं सै नक के हाथ राजस ता आने
लगी। बुजु आ समाज म इ ह बु ह न अयो य एवं शासन के लये अनुपयु त समझा जाता था।
ले कन सी सरकार क सफलता ने केवल मक वग क यो यता ह द शत नह ं क बि क
इस स ा त को यापक बना दया क मक सरकार ह वा त वक जन हतकार काय म बना
सकती है। व व म सबसे पहले मक सरकार बनाने का ेय स को ह जाता है।
नव बर 1917 म होने वाले बो शे वक ाि त का त काल न प रणाम यह नकला क
सा यवाद सरकार ने तु रंत ह जमनी से े ट लटोव क क सं ध करके अपने को व व यु से
अलग कर लया। म रा ने इस सं ध को स वारा जानबूझ कर उ ह हराने के लए कया
गया व वासघात समझा। जार वारा क गई सभी सं धय एवं गु त समझौत को नई सरकार
ने अमा य घो षत कर दया। इस लए पे रस शाि त स मेलन म जो दे श स को मलने वाले
थे वे अ य म रा को दे दये गये। म रा ने स को मा यता नह ं द एवं रा संघ
का सद य भी नह ं बनाया। उ टे सी ाि त के प रणाम को नि य करने का य न कया।
सी त यावाद को स य सहायता भी म रा ने द ता क वे ाि त को दबाकर पुन :
पुरातन यव था था पत कर सके। व व के अनेक दे श ने स से यापा रक स ब ध तोड़
लये थे। ले कन ाि तका रय का उ साह एवं हौसला ठं डा नह ं पड़ा इसी लए वे सफल रहे। ऐसे
यवहार का अ तरा य स ब ध का कटु भाव पड़ा।
सी सा यवा दय ने अपनी ाि त को अ तरा य ाि त क दशा म एक कदम
माना िजसका उ े य पू ज
ं ीवाद एवं रा वाद के वनाश का माग श त करना था। इसके लए
उ ह ने एक नारा दया क “ व व के मजदूर एक हो जाओ तु ह अपनी जंजीर के अ त र त
कु छ नह ं खोना है।'' “ व व के अ धकांश दे शो म सा यवाद दल बनाये गये और उ ह
को म टस (Commintiern) नामक सं था से आब कया। िजसके मु ख काय व भ न दे श
म सा यवाद दल का संगठन करना, धन संबध
ं ी सहायता दान करना, मक व कृ षक म
पू ज
ं ीवाद व बुजु आ सरकार के व ाि त एवं व ोह क भावनाऐं भड़काना इ या द थे।
225
िजसने अमे रका जैसे पू ज
ं ीवाद रा म भी ''लाल आतंक'' का सू पात कया। इस
सं था से अ तरा य मजदूर आ दोलन का नेत ृ व सा यवा दय के हाथ म आने लगा। इस
सं था का नारा '' व व ाि त'' था िजसने पू ज
ं ीवाद दे श म इस ाि त के स ा त के व
आवाज उठाई। अत: व व सा यवाद एवं पू ज
ं ीवाद गुट के वभािजत हो गया। इससे अंतरा य
तनाव म वृ हु ई।
ाि त क सफलता ने सा ा यवाद वचारधारा पर गहरा आघात कया। फलत: व व
सा ा यवाद खृं ला छ न- भ न होने लगी। स जो दूसर बहु त बड़ी कड़ी था वह इससे अलग
हो गया। सा ा यवाद का एका धप य समा त हो गया। भू-मंडल के छठे भाग पर समाजवाद क
वजय पताका फहराने लगी। सा यवाद ने उप नवेश के लोग को सा ा यवाद के व उठ
खड़े होने क ेरणा दान क । ाि त ने ह उप नवेश के रा य आ दोलन के व प को
प रव तत कया। अब राजनी तक वतं ता के साथ-साथ सामािजक एवं आ थक समानता तथा
नयोजन अथ- यव था क मांग क जाने लगी। इसके अ त र त सी सा यवाद के चार से
आतं कत म रा ने यु ोतार काल म उसके व द वार खड़ी करने के लए इटल , जमनी
आ द दे श को शि तशाल बनाने क नी त अपनाई िजसके कारण उन दे श म अ धनायकवाद
को ो साहन मला।
इस ाि त का सबसे मह वपूण भाव एवं प रणाम यह नकला क वह स जो थम
महायु एवं उससे पहले जमनी, जापान इ या द दे श वारा परािजत कया जा चु का था। स ता
प रवतन के बाद उसने ु तग त से चहु ंमख
ु ी वकास करके अमे रका एवं अ य दे श के बराबर
रह कर जो थान ा त कया एवं व व शि त स तुलन बनाये रखने म अपना मह वपूण
योगदान दे ते हु ये जो थान नधा रत कया। वह पहले कभी नह ं मला था।
इस वषय म कोई संदेह नह ं क ां ससी ाि त के समान ह यह सी ाि त भी
एक युगा तकार घटना थी। िजसका भाव स के इ तहास तक ह सी मत नह ं है। बि क
मनु य जा त के इ तहास म 7 नव बर, 1917 का दन एक महान एवं अ वनाशी सीमा च ह
के प म व यमान है। नव बर ाि त ने स के सामािजक, राजनी तक एवं आ थक ढांचे म
आमू ल चूल प रवतन कया और उ पादन शि त एवं सामािजक ग त के वकास का माग-
श त कया। अ तरा य ि ट से इस ाि त ने सा ा यवाद पर करारा चोट करके पू ज
ं ीवाद
क नींव हला द । मजदूर क ि थ त म सु धार कर अ तरा यवाद क भावना का चार
कया।
13.8 सारांश
1917 क सी ाि त 1789 क ां ससी ाि त के बाद व व इ तहास क सबसे
मह वपूण घटना थी। यह अपने ढं ग से एक वल ण एवं थाई ाि त स हु ई िजससे सी
जनता के जीवन के सभी अंग को भा वत कया एवं इससे उ प न वचार सम त व व म
फैल गए। 1917 से पहले भी 1905 म स म एक ाि त हो चु क थी जो वहां के जारशाह
के नरं कु श एवं अ याचार शासन के व कु ल न के व थी। कसान क शोचनीय
अव था, बु जीवी एवं लेखक वग का उदय, मजदूर क ह न अव था एवं वदे शी आ मण का
226
सफलतापूवक सामना करने म असमथ रहने के कारण भी यह ाि त अव य भावी थी। िजसने
वशाल एवं उ प धारण कर लया। िजसके कारण ववश होकर जार को जनतां क यव था
स ब धी योग करने पड़े ले कन कु छ समय बाद फर उसके फर त यावाद नी त को
अपना लया। िजसके प रणाम व प उपरो त कारण से 1917 म दुबारा ाि त का सू पात
हु आ िजसका ता का लक कारण थम व वयु म सव उसक अपमानजनक पराजय होना था।
समाजवाद दल वशेषकर बो शे वक दल ने इस अस तोष एवं व ोह क भावना का लाभ
उठाकर जनता को भड़काया। फलत: 8 माच, 1917 को मजदूर ने हड़ताल कर द िजसे दबाने
म असमथ रहा। मजदूर एवं सै नक से अपनी संग ठत सं थाऐं बना ल एवं उ ह ने ह
''अ थायी सरकार” ग ठत करके जार को ग ी से हटाने म सफलता पाई। अ थाई सरकार उनक
इ छाओं को पूण नह ं कर सक । बो शे वक ने पुन : मजदूर कसान सै नक से व ोह करवा
दया एवं राजा गनी के मह व पूण थान पर क जा कर लया एवं अ थाई सरकार को
धाराशाह करके एक नवीन सरकार बनाई। िजसने दो ताव वारा व व-यु से बना हजाने
के दये हट जाने एवं कृ षक को भू म वतरण करके जन समथन ा त कर लया। ले कन नई
सरकार ने जमनी से सं ध करके स म शाि त था पत क । मजदूर के गणतं क थापना
होने एवं स के यु से हाथ खींच लेने के कारण सरकार को आ त रक एवं बा य
आ मणका रय का सामना करना पड़ा िजसने कु छ समय बाद अपनी े ठता सा बत करते हु ए
अपने शासन को बनाये रखा। एक नवन सं वधान बनाया गया िजसम भाषा, धम, ेस, सभा
इ या द क वतं ता जनता को दान क एवं मानव अ धकार घोषणा प भी जार कया। स
को '’र शयन सोश ल ट, सो वयत एवं मानव अ धकार रपि लक'' नाम रखा एवं पे ो ाड के
थान पर मा को को राजधानी बनाया। शासन चलाने के लए एक े स डयम बनाई जो
मं मंडल पर अंकु श रखती थी। जमीदार क जमीन छ न कर कसान को दे द एवं उ योग
पर मजदूर का नयं ण था पत कया गया। बड़े उ योग का रा करण कया गया। नई
यव था सा यवाद यव था कहलाने लगी। िजसने सामािजक एवं आ थक यव था म भी
आधारभू त प रवतन कये।
इस 1917 क ाि त का स के इ तहास म ह नह ं बि क व व इ तहास म भी
मह व है। स म जारशाह का अ त हु आ और सवहारा वग का अ धनायकतं था पत हु आ
जमींदार यव था समा त क । नवीन श ा प त से सा यवाद समाज का नमाण कया गया
गैर सय को भी सभी वतं ताय द गई एवं उ ह गणतं का प दया। एक नीवन आ थक
नी त वारा दे श का वकास हु आ। बा य जगत पर भी इसका मह वपूण भाव पड़ा। मा सवाद
स ा त को व व म फैलाने का यास शु हु आ िजसके कारण अनेक दे श मा सवाद बने।
पू ज
ं ीवाद दे श ने आ थक सु धार करके मजदूर एवं कसान क अव था म सुधार कये। नवीन
यव थाओं ने जार वारा क गई सं धय एवं समझौत को अमा य ठहराया। समूचा व व
सा यवाद और पू ज
ं ीना द दो खेम म बट गया। सा ा यवाद का अ त होना एवं रा यता
चेतना आना भी इस ाि त का एक भाव था। स ने त
ु ग त से अपना वकास करके एवं
व व शि त के प म अपना थान बनाया एवं व व म शि त संतल
ु न बनाये रखने म
मह वपूण भू मका अदा क ।
227
13.9 अ यासाथ न
1. 1917 क स क ाि त के िज मेदार कारण कौन-कौन से थे?
2. 1917 क सी ाि त का घटना म ल खये।
3. स पर 1917 क ाि त का या भाव पड़ा?
4. बा यजगत पर सी ाि त का या भाव पड़ा?
5. 1917 क स क ाि त का व व इ तहास म या मह व है?
13.10 संदभ ंथ
1. ल सन,ई यूरोप इन द 19 ए ड 20 से से चुर ज
2. ाट ए ड टे पल यूरोप इन द 19 ए ड 20 से से चुर ज
3. हंयस
ू ेटन , वाटसन द ड लाइन ऑफ इ पी रयल रशा।
4. आइजेक यूटसर द यू केि टजमॉडन ह vol. XII
5. े ग, गोडन यूरोप संस 1815
6. स नर, बी.एच. सी इ तहास का सव ण
7. वनाद क , जाज स का इ तहास
228
इकाई 14
पे रस शां त स मेलन
इकाई क परे खा -
14.0 उ े य
14.1 तावना
14.2 आदशवाद एवं यथाथवाद का संघष
14.3 स मेलन का आर भ
14.4 व सन के 14 स ा त
14.5 गु त सं धयां
14.6 पे रस क सं धयां
14.6.1 वएना कां ेस के साथ तु लना
14.6.2 तपू त स ब धी शत -
14.6.3 सट जमन क सं ध
14.6.4 यूल क सं ध
14.6.5 आन क सं ध
14.6.6 सीवस क सं ध
14.6.7 अ पसं यक के लए सं धयां
14.7 सारांश
14.8 अ यासाथ न
14.9 संदभ थ
14.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन करने के बाद आप जान सकेग-
थम व व यु के समाि त के बाद म रा ने पे रस म एक होकर शाि त समझौते
का मस वदा कस कार तैयार कया।
परािजत रा क शि त को नयं ण करने क कस कार को शश क गयी तथा कस
कार जमनी को आ थक एवं सै नक प से पंगु बना दया गया।
रा प त व सन के 14 सू ी स ा त क या या समझगे िजसके आधार पर जमनी ने
यु वराम सं ध वीकार क तथा पे रस शां त स मेलन क इमारत खड़ी हु ई।
स मेलन म तीन मु ख यि त अमेर क रा प त व सन, टश धानमं ी लॉयड जाज
और ा सीसी धानमं ी ल मसो ने नणायक भू मका अदा क ।
स मेलन क अ य ता ल मसो एवं उ घाटन ा स के रा प त पुकारे ने कया िजनका
ार भ से ह स मेलन म भाव रहा।
स मेलन क कठोर शत एवं इस पर परािजत रा को ह ता र क बा यता।
229
व व शां त को कायम रखने हे तु रा संघ क थापना।
14.1 तावना
चार वष के भयंकर र तरं िजत संघष के बाद व व यु समा त हु आ। व व म शाि त
बहाल रखने के उ े य से म रा ने वसाय के शाह महल म 18 जनवर 1919 म पे रस
शाि त स मेलन का आयोजन कया इस स मेलन का मु ख उ े य था परािजत रा से
तशोधा मक सं ध करना तथा यु क तपू त वसू ल करना। परािजत रा वशेषकर जमनी
क शि त को नयं ण करने हे तु कठोर शत लाद गई िज ह सहन करना उसके लये अस भव
होने लगा। व व के स ताईस दे श के लगभग स तर त न ध इस स मेलन म भाग लेने के
लए आये थे पर तु परािजत रा को नह ं बुलाया गया था। ा स के रा प त पुकारे ने इस
स मेलन का उ घाटन कया िज ह ने अपने उ घाटन भाषण म याय, आ म नणय तथा रा
संघ क थापना पर वशेष बल दया था। स मेलन म समझौते क या को नधा रत करने
तथा यु के त उ तरदा य व, अ तरा य म वधान, रा संघ आ द मह वपूण वषय पर
अपने वचार य त करने के लये अनेक स म तयां ग ठत क गयीं तथा अमे रक रा पत
व सन को इन सभी स म तय का अ य बनाया गया। इस या के अनुसार स मेलन का
अ धवेशन चलता रहा। पर तु त न धय को कसी न कष पर पहु ंचने म सफलता नह ं मल ।
अ तत: इसके थान पर चार यि तय -संयु त रा य अमे रका, इं लै ड, ा स और इटल के
त न धय क एक प रषद (Council of Four) नयु त क गयी। बाद म प य के न पर
नाराज होकर इटल का त न ध आरलै ड स मेलन छोड़ चला गया। अत: सभी नणय
व सन (अमे रका) लॉयड जॉज। (इं लै ड) तथा ल मे सो ( ा स) वारा कये जाय।
इस कार पे रस शाि त स मेलन के नणय मु य प से बड़े तीन दे श के
त न धय के हाथ म केि त रहा। जब स मेलन ार भ हु आ तो त न धय म इस न
पर ती मतभेद उ प न हो गया क नणय लेने का वा त वक आधार या होना चा हये। इस
ि ट से व सन ने बड़ी शि तय के स मु ख चौदह सू ीय काय म तु त कया। इस काय म
के अ तगत वे शत न हत थी िजनके आधार पर 1918 म जमनी ने यु वराम सि ध पर
ह ता र कये थे। पया त वचार- वमश के उपरा त यह नणय लया गया क व सन के
चौदह सू ीय काय म को पे रस क सि ध का आधार बनाया गया।
230
तीसरे , ार भ से ह उसके स ा त का उ लंघन करना ार भ हो गया था। इतने बड़े
स मेलन म खु ले वचार वारा कु छ भी नणय कर सकना अस भव होने के कारण स मेलन ने
सं ध क शत के नधारण का काय व सन और शेष चार रा के मं य तथा वदे श मं य
से न मत दस सद य क प रषद (Council of Ten) को स प दया। इस कार व सन के
सव थम स ा त का उ लंघन कया गया। बाद म यह प रषद भी समु चत र त से काय करने
के लए अ धक बड़ी मालूम होने लगी। अत: इसके थान पर चार यि तय , संयु त रा य
अमे रका, इं लै ड, ांस और इटल के त न धय - क एक प रषद (Council of Four)
नयु त क गयी। बाद म प य के न पर नाराज होकर इटल का त न ध आरलै ड
स मेलन छोड़ चला गया। अत: सभी नणय व सन (अमे रका) लायंड जाज (इं लै ड) तथा
ल म सो ( ा स) वारा कये गये।
वा तव म स मेलन के सम सबसे बड़ी क ठनाई व सन के अ तरा य आदशवाद
और यूरोप के व भ न वजेता रा क रा य सु र ा क ता का लक आव यकताओं के बीच
एक म य माग खोजने क थी। इन आव यकताओं का सबसे बड़ा समथक ल म सो था। िजसे
व सन के स ा त म लेश मा भी व वास नह ं था। वह उसका उपहास करते हु ए कहा करता
था क ''ई वर के तो दस ह आदे श ह पर तु व सन के चौदह आदे श ह।'' वा तव म इन
स ा त म कसी का व वास नह ं था। लॉयड जाज ने हाल ह म जमनी से तपू त वसू लो
के नारे पर सामा य नवाचन म वजय ा त क थी और संसद जमनी को चू सने पर तु ल हु यी
थी। इटल , ीस और मा नया गु त सि धय के अनुसार लू ट पर अपना-अपना भाग चाहते थे।
ऐसी अव था म व सन के स ा त क धि जयाँ उड़ गयीं और वह रा संघ क थापना
तथा आ म- नणय के स ा त क वीकृ त के अ त र त कु छ ा त न कर सका।
14.3 स मेलन का आर भ
18 जनवर 1919 को वसाय के शीशमहल म, जहाँ 48 वष पूव- (1871) ब माक
ने जमन सा ा य क घोषणा क थी, म रा एवं उनके सहयो गय के त न ध एक त हु ए
और शां त स मेलन का व धवत ् उ घाटन हु आ। शाि त स मेलन म स को नम ण नह ं
दया गया था। व सन और लॉयड जाज चाहते थे क स के भू तपूव सा ा य म उस समय
िजतने रा य थे उनके त न ध आमि त कये जाय पर तु ल म स ने उनका वरोध कया।
स म उन दन गृह -कलह चल रहा था और जो दे श स से वतं हो चु के थे वे पर पर लड़
रहे थे अंत म यह न चय हु आ क उन रा य म िजन संग ठत दल के हाथ म राजनी तक
'अथवा सै नक शि त हो उ ह अपना ह-कलह ब द करके मारमोरा सागर म ि थत कपो
वीप म अपने त न धय को म -रा से भट करने के लये भेजने को कहा जाये। उ ह
नम ण भेजा गया पर तु गृह -कलह ब द नह ं हु आ और ि कप का स मेलन नह ं हो सका।
पे रस शां त स मेलन म 31 रा भाग ले रहे थे पर तु शत नधा रत करने का काम
अमे रका, इं लै ड, ांस, इटल तथा जापान के त न धय ने ह कया। जापान के तनध
केवल 'शा तु ंग' का ाय वीप ा त करने के लए ह स मेलन म उपि थत हु ए थे।
231
14.4 व सन के 14 स ा त
सि धय का नधारण व सन के िजन 14 स ा त के आधार पर कया गया था, वे
न न ल खत थे।
(1) भ व य म शाि त-सि धयाँ कट प से क जाये और गु त कू टनी त का अवल बन न
कया जाये।
(2) शाि त तथा यु दोन के समय समु पर सबके लए वतं ता रहे और वे सबके लये
खु ले रह।
(3) अ तरा य यापार के माग से आ थक बाधाऐं हटा द जाय।
(4) श म कमी हो।
(5) अधीन थ लोग के हत का समु चत यान रखते हु ए औप नवे शक दाव का न प नणय
हो।
(6) स क भू मका को के य रा छोड़ द और स को वकास के लये पूण अवसर ा त
हो।
(7) जमनी, बेि जयम को खाल कर द और पूव ि थ त म पहु ँचा द।
(8) इसी कार च भू म को खाल करके पूव ि थ त म पहु ँ चा द जाये और अ सास लारे न
ांस को वापस मल जाये।
(9) रा यता के स ा त के आधार पर इटल क सीमाओं का संशोधन हो।
(10) आि या-हंगर के लोग को वाय त-शासन का अ धकार ा त हो।
(11) स बया, मॉ ट नी ो तथा मा नया को के य रा खाल करके अपनी पूव -ि थ त म
पहु ँ चा द और स बया को समु तट पर नकास थान ा त हो।
(12) टक के सा ा य के व टक दे श क स भु ता सुर त रहे और शेष भाग को
वाय त शासन ा त हो तथा डाडेनल
ै ज और वा फोरस के जलडम म य म सभी
रा के जहाज को यातायात क वतं ता हो।
(13) वतं पोलै ड का नमाण हो और उसे समु तक पहु ँ चने क सु वधा द जाये।
(14) छोटे -बड़े सभी रा य को समान प से राजनी तक वत ता तथा ादे शक अख डता का
आ वासन दे ने के लए रा -संघ क थापना क जाये।
रा पत व सन का दूसरा मह वपूण या यान अमे रक का स
े के सम 11
फरवर , 1918 को दया गया िजसम उ ह ने सि धय के यायपूण होने तथा यु से संबध
ं ी
दे श क यव था करते समय आ म नणय के स ा त का पालन करने को कहा था उ ह ने
यह भी कहा था क सभी दे श क यव था वहां के नवा सय को यान म रखकर क
जायेगी।
रा प त का जमनी तथा अ य रा के साथ होने वाल सि धय से स बि धत तीसरा
मह वपूण या यान 27 सत बर 1918 को हु आ था, िजसम उ ह ने कहा था क सं धयां
न प ह गी ता क वजेताओं और परािजत म कसी कार का भेदभाव नह ं कया जा सके।
कसी एक रा के गुट के हत को सं धय का आधार तब तक नह ं माना जायेगा जब तक
232
क ये हत सभी रा के सामा य हत के अनु प न ह । शां त स मेलन के ार भ होते
समय तक भी रा प त को यह व वास था क वे इन स ा त के आधार पर समझौता कर
सकेग।
14.5 गु त सं धयाँ
थम व व यु के दन म समय-समय पर म -रा ने आपस म गु त समझौते
कये थे िजनम यु के बाद दे श के आपस म बाँटने का उ लेख था। इन गुफा समझौत का
रा पत व सन के स ा त से सम वय नह था पत कया जा सकता था। जहां व सन
याय के आधार पर समझौता करना चाहते थे वहां गु त सं धय से स बि धत रा य वजय क
लू ट का आपस म बँटवारा करना चाहते थे। उन सि धय और रा प त व सन के स ा त के
पर पर वरोध होने के कारण शाि त स मेलन म कई म को पर भार संकट उपि थत हो गये।
ै 1915 क लंदन क सि ध तथा फरवर 1917 क
इन गु त सं धय म दो सं धयाँ अ ल
आं ल-जापान सं ध- ऐसी थीं क िजनको लेकर शाि त स मेलन म बड़े संकट उपि थत हु ए।
लंदन क सि ध म उन शत का उ लेख था, िजनके आधार पर इटल ने यु म भाग लया
था। अपनी सै नक सेवाओं के बदले म इटल को ट नी, गोिजया ा ड क आि या तथा उसके
पास के वीप टाइरोल, यम छोड़कर अ य सभी ब दरगाह स हत डा मे शया, अ बा नयां म
बैलोना का िजला और डोडेकेनीज वीप का अगर बँटवार होगा तो उसम उसे ांस, स और
इं लै ड के बराबर का ह सा दया जायेगा और अगर जमनी के उप नवेश का बँटवारा होगा तो
उसम भी उसे ह सा मलेगा। यह सि ध आगे चलकर और अ धक संकट का कारण बने।
य क ांस और ेट टे न दोन म से कोई भी इन शत का पालन करने को तैयार नह ं था,
जब क स ता म आने पर मु सो लनी ने बार-बार उसके पालन का आ ह कया अ य सि धय म
भी इसी कार सौदे बाजी क गयी थी।
14.6 पे रस क सं धयाँ
चार म हन के वाद- ववाद और प र म के बाद जमनी के लए सं ध क शत नधा रत
हु ई। 6 मई 1919 को शाि त स मेलन के खु ले अ धवेशन म शत का ा प वीकृ त हु आ (इस
सं ध को चीन ने वीकार नह ं कया य क जापान को शा तु ंग का ाय वीप दया गया था।
इससे ट होकर उसने सं ध पर ह ता र नह ं कया) और दूसरे दन जमनी के त न धय
को आमि त करके उ ह वीकृ त के लये दया गया। उ ह ने शत के अ य त कठोर तथा
व सन के चौदह स ा त के तकू ल होने के कारण आपि त क । म रा ने उनम केवल
थोड़े से साधारण प रवतन कये और 23 जू न को जमन सं वधान सभा (Constitute
Assembly) ने उ ह बना कसी शत के वीकार करने को बा य हो गया। पांच दन के बाद
(28 जू न) वसाय के शीशमहल म जमनी के त न धय ने तथा उसके वरोधी 31 रा के
त न धय ने उस पर ह ता र कये। जमनी के साथ सं ध क शत का नणय हो जाने के
उपरा त अ य परािजत रा आि या (से ट जम क सं ध- सत बर 1919) ब गा रया
( वील क सं ध नव बर 1919) हंगर ( यान क सं ध- जू न 1920) तथा टक (से े क
233
सं ध अग त, 1920) के साथ सं धयां हु ई। ये सभी सं धयां सि म लत प से 'पे रस क
सं धयां' के नाम से पुकार जाती ह। येक सं ध म रा -संघ तथा थायी अ तरा य
यायालय क थापना का उ लेख कया गया है। इन सब सं धय के फल व प यूरोप म
न न ल खत महान प रवतन हु ए और उसका राजनी तक मान च बदल गया।
(1) जमनी से ांस को अ सास-लारे न का दे श, बेि जयम को यूपेन तथा मालमडी के नगर,
पोलै ड को (िजसका नव- नमाण हु आ) पोसेन का ा त तथा पि चमी शा म होकर समु
तक एक ग लयारा (Corridor) ा त हुए। जमनी के सारे दे श पर रा संघ का शासन
था पत कया गया पर तु ांस को उसक कोयले क खान पर अ धकार ा त हु आ और
प ह वष के बाद उस दे श का भा य- नणय जनमत वारा करने का नि चय कया
गया। ममल का नगर भी जमनी को म -रा के सु पदु करना पड़ा जो 1923 म
लथु ए नया को दया गया। पूव शा, ऊपर साइले शया तथा लेस श वग को जनमत वारा
जमनी के साथ रहने या न रहने का अ धकार दया गया। पूव शा तथा द णी लेस वग
जमनी के साथ रहे और उ तर लेस वग डेनमाक के साथ शा मल कर दया गया। ऊपर
साइले शया म काफ गड़बड़ रह और बाद म वह जमनी तथा पोलै ड के बीच म वभािजत
कर दया गया।
(2) जमनी, आि या-हंगर तथा स से पो लश दे श को लेकर वत पोलै ड का पुन :
नमाण कया गया और उसे वाि टक सागर तक पि चमी शा म एक ग लयारा दया गया।
उसके अ त म डेि जंग का नगर अ तरा य वत नगर घो षत कर दया गया और
रा संघ के संर ण म रख दया गया।
(3) जमनी का सम त औप नवेशक सा ा य छ न लया गया और रा --संघ क ओर से उनके
शासन का अ धकार व भ न म -रा एवं उनके सहयो गय को मला।
(4) जमनी क सेना क सं या एक लाख कर द गयी और उसे अ नवाय भरती
(Conscription) करने का अ धकार नह ं रहा। उसे अपना बेड़ा इं लै ड को सु पदु करना
पड़ा। हे लगोलै ड के अ डे को न ट करना पड़ा, राइन नद के पूव क ओर 30 मील तक
के अपने सै नक कले न ट करने पड़े, क ल नहर म सम त रा के जहाज को यातायात
का अ धकार दे ना पड़ा और बाि टक सागर के तट पर कले न बनाना वीकार करना पड़ा।
उसके बेड़े क शि त 6 यु पोत , 6 ह के ू जर तथा 12 टॉरपीडो बोट तक सी मत कर द
गयी और उसे पनडु ि बयां रखने का अ धकार नह ं रहा। इसके अ त र त उसे यु के
हरजाने के प म एक भार रकम (जो बाद म 60,00,000 पौ ड नि चत हु ई) दे ना भी
वीकार करना पड़ा। सि ध क शत को पूण पालन तक राइन के बाय कनारे पर म -
रा का अ धकार रखा गया। जमनी को एक व श ट धारा के अनुसार व व-यु का
उ तरदा य व और म -रा के नाग रक क िजतनी हा न हु ई थी उसक पू त करना भी
वीकार करना पड़ा।
(5) आि या-हंगर का सा ा य भंग कर दया गया। हंगर ने 31 अ टू बर 1918 को ह
अपनी वतं ता क घोषणा कर द थी। आि या को उसक वतं ता वीकार करनी पड़ी।
234
इसके अ त र त उसके सा ा य म से बोह मया तथा मोरे वया को मलाकर चैके लोवा कया
के नये वत रा य का नमाण कया गया। बोस नया, हज गो वना तथा ो शया स बया
को दे दये गये और वृहद स बया का नाम यूगो ला वया रखा गया। गेले शया का ा त
पोलै ड को मला और ा सलवे नया मा नया को दे दया गया।
(6) इटल को आि या से द णी रोल, े ट, ट और ए डया टक सागर म दो वीप ा त
हु ए।
(7) ब गे रया से डो ज
ू ा मा नया को, मेसीडो नया का अ धकांश भाग यूगो ला वया को और
ेस का तट ीस को मला।
(8) टक का सा ा य भी भंग कर दया गया। हे जाज का अरब दे श तथा आम नया वत
कर दये गये। पेले टाइन, मेसोपोटा मया, ा स-जोडन तथा सी रया अलग करके रा -संघ
के संर ण म ले लए गये और उसक ओर से सी रया के शासन का अ धकार ांस को
तथा शेष तीन का इं लै ड को दया गया। थेस, ए यानोपल, गे लपोल ए या टक सागर
के तट पर क गयी कलेब द को न ट करने का आदे श दया गया और उनका
अ तरा यकरण कर दया गया। टक के पास यूरोप म केवल कॉ सटे ट नोपल और उसके
पास का थोड़ा-सा दे श बचा रहा। टक क सम या इं लै ड, ांस, इटल तथा ीस के
पार प रक मतभेद के कारण बड़ी पेचीदा थी। पहले क गु त सि धय वारा
का टे ट नोपल तथा जलडम म य स को मलने थे पर तु वह यु से अलग हो गया था
और वा शे वक हो गया था। इस कारण का टे ट नोपल टक के पास ह छोड़ दया गया
और जलडम म य का अ तरा यकरण कर दया गया।
टक के रा य दल ने िजसका नेता मु तफा कमाल पाशा था, इस यव था को
वीकार नह ं कया, इं लै ड क वीकृ त उसका दमन का य न कया। पर तु कमाल पाशा ने
उ ह परा त कर मना से नकाल दया। कमाल क वजय को दे खकर से े क सं ध पर पुन :
वचार हु आ और लॉसेन क सि ध (1923) के अनुसार अं तम यव था हु ई। इसके अनुसार से े
क सं ध म संशोधन हु आ और उसे गे लपोलो ए यानोपल, पूव थेस, आम नया तथा मना
वापस मल गये। जलडम म य का अ तरा यकरण भी नह ं हु आ, और न ह उसके तट पर
सेना रखने का नषेध ह रहा।
235
परािजत रा के तकू ल यूरोप क भावी शाि त को सु र त रखना तथा वजयी रा को
पुर कार दे ना था।
14.6.2 तपू त स ब धी शत
237
(1) टक सा ा य को समा त कर दया गया। टक के खल फा का काय े राजधानी
कु तु तु नय के नकटवत े तक सी मत कर दया गया।
(2) आम नया को वतं कर दया जाय।
(3) डाड नल ज तथा बो फोरस को अ तरा य घो षत कर दया गया।
(4) टक को म , साइ स, मोर को, पोल , सी रया, फ ल तीन, मसोपोटा मया म अपने
अ धकार का प र याग करना पड़ा।
1920 म टक ने सीवस क सं ध वीकार कर ल थी पर तु कमालपाशा के नेत ृ व म
वहां के रा वा दय ने वीकार करने से इ कार कर दया तथा यूना नय को 1922 म परा त
कर ए शया माइनर पर आ धप य था पत कर लया। अ तत: 1923 म लान के थान पर
टक के साथ एक दूसर सं ध हु ई।
उपयु त वणन से प ट हो जाएगा क थम व वयु के प चात यूरोप के मान च
को नए ढं ग से खींचा गया। दखावे के लए रा यता का स ा त लागू कया गया पर तु
वा त वकता यह थी क इस स ा त का योग मु य प से जमनी के व कया गया।
238
अ धक नबल हो जाय। ांस चाहता था क पोलै ड, के लोवा कया और यूगो ला वया बहु त
शि तशाल रा य ह , ता क उनके साथ म ता था पत कर वह जमनी को यूरोप म फर से
अपना सर ऊँचा न करने द
व भ न जातीयताओं क आकां ाओं का यह प रणाम हु आ क महायु के बाद यूरोप
म अ पसं यक जा तय क एक नई सम या उ प न हो गयी। इस सम या क ग भीरता को
न न ल खत बात से भल भां त समझा जा सकता है।
(i) लगभग चाल स लाख आि याई - जमन अपनी मातृभू म के बाहर उन रा य म नवास
करते थे, िजनका नणय से ट जमन क सं ध वारा कया गया था। ये जमन बड़ी सं या
म चैको ला वया म आबाद थे। सु डेटनलै ड के दे श (जो के लोवा कया के अ तगत था) म
जमन लोग बहु त बड़ी सं या म रहते थे।
(ii) जमनी के जो दे श पोलै ड को दये गये थे, उनम बसने वाले जमन लोग क सं या दस
लाख के लगभग थी। डेि जंग और मेमल जैसे नगर, जो वशु प से जमन थे, जमनी से
पृथक कर दये गये थे।
(iii) हंगर से जो अनेक दे श आनो क सं ध वारा ले लये गये थे, उनम हंगर के लगभग
तीस लाख लोग बसते थे।
पे रस क शाि त-प रषद के स मु ख यह सम या वकट प व यमान थी क वदे श
म थायी प से नवास करने वाले इन अ पसं यक जा तय के हत क र ा करने के लए
कन उपाय का आ य लया जाय। यह सम या केवल पोलै ड, के लोवा कया आ द नये रा य
के स ब ध म ह नह ं थी वरन आि या, हंगर , बु गा रया और टक म भी बहु त से ऐसे लोग
थायी प से आबाद थे जो वजातीय थे और जो रा य ि ट से उस दे श के नह ं थे िजसम
क उनका नवास था। सं धय म यह शत भी शा मल क गयी थी क आि या, हंगर ,
बु गा रया और टक क सरकार अपने े म बसी हु ई अ पसं यक जा तय क भाषा, धम,
सं कृ त आ द क र ा करगी और इनक अपनी रा य व भ नताओं को न ट करने का य न
नह ं करगी।
पे रस क सं ध-प रषद ने पोलै ड, के लोवा कया आ द को भी इस बात के लए ववश
कया गया क वे अपने रा य म नवास करने वाल अ पसं यक जा तय क भाषा, धम,
सं कृ त आ द क र ा करने क गारं ट दे । ये रा य (पोलै ड, के लोवा कया मा नया, यूनान ,
यूगो ला वया और टक ) इस कार क गारं ट दे ने के व थे। इनका कहना था क इससे
केवल उनक संपण
ू भु स ता म ह बांधा नह ं पड़ती है, बि क उनके रा य म व खृं लता भी
उ प न होती है। उनक इ छा यह थी क इन अ पसं यक जा तय को रा य ि ट से अपना
अंग बना लया जाए। जब तक भाषा, धम, सं कृ त आ द क ि ट से वे पृथक रहगी, दे श म
रा य एकता क थापना संभव नह ं होगी। पर अमेर का और टे न का इस बात पर बहु त
जोर था क अ पसं यक जा तय के हत क पूण प से र ा क जाए। इसी का यह प रणाम
हु आ क रा संघ के सु पदु यह काय भी कया गया क वह यूरोप के व वध रा य म
व यमान अ पसं यक जा तय के हत एवं अ धकार क र ा करे । रा संघ वारा व वध
239
ं म पृथक -पृथक
रा य के साथ इस संबध प से इकरार भी कये गये। पर इससे अ पसं यक
जा तय क सम या का हल नह ं हो सका। उनम अपनी पृथकता क भावना बनी रह और यह
कारण है क जब हटलर के नेत ृ व म जमन रा यता के आ दोलन ने जोर पकड़ा तो पोलै ड
और के लोवा कया म नवास करने वाले जमन ने नाजी दल का साथ दया। जा तयता क
िजस सहायता को हल करने का य न पे रस क शां त प रषद ने कया था, वह सुलझने के
बजाय उसक यव था-नी त से और अ धक उलझ गई।
14.7 साराश
पे रस शां त स मेलन म क गयी सं धय म क मयां थी, इस बात को सं धय के
नमाण के लए उ तरदायी राजनी त भी वीकार करते थे। अपने सावज नक भाषण म अपने
काय के औ च य का उ घोष करते हु ए भी कभी-कभी अ य प से इन सं धय क क मय
पर भी काश डाल दे ते थे। िजस दन रा संघ के समझौते को सं धय म थान दे ने का
न चय कया गया उसी दन व सन ने यह कहा क सं ध क यव थाओं को आगे के वष म
संशोधन करना पड़ेगा। रा के समझौते क धारा 19 म इस संशोधन क बात को वीकार भी
कया गया। रा संघ के नमाण को व सन ने इतना अ धक मह व इस लए दया य क
उनको यह व वास हो गया था क सं धयां उनके आदे श और आशाओं के अनु प नह ं हो रह
थीं। लॉयड जॉज भी व सन क तरह ह सोचते थे और वसाय क सं ध पर ह ता र होने के
कु छ समय पूव तक वे वसाय क सं ध क कु छ शत को जमनी के प म प रव तत करना
चाहते थे। पर तु लम स के वरोध क वजह से ऐसा न हो सका। द णी अ का के
राजनी त म स भी सं ध क कु छ शत को अ यायपूण मानते थे। वसाय क सं ध पर
ह ता र होने के दन एक य त य म उ ह ने कहा था क कु छ ादे शक यव थाओं म
प रवतन क आव यकता ह गी तथा तपू त वसू ल यूरोप के औ यो गक पुन थान को त
पहु ंचाए बना असंभव होगी। म स क यह बात आगे के वष म स य मा णत हु ई।
वसाय क सं ध के व जमनी का मु ख आरोप यह था क उसम उन स ा त एवं
आ वासन क अवहे लना क गई है िजनके आधार पर उसने सं ध का वायदा कया गया था।
य य प वे आ वासन केवल जमनी को दये गये थे फर भी उनका स ब ध अ य सं धय से
भी था। अत: पे रस के शाि त स मेलन म क गई सं धय को तो उन आ वासन के अनु प ह
होना चा हये था। जमनी से यह वायदा कया गया था क उसके साथ सं ध व सन के 8
जनवर 1918 तथा उसके बाद के व भ न या यान के आधार पर क जाएगी। 8 जनवर के
या यान म रा प त व सन ने 14 सू क घोषणा क थी तथा उसके बाद के या यान म
वजेता और विजत क भावना से अ भा वत सं धय को करने तथा उनके न प होने क
घोषणा क गई थी। ादे शक अव था करते समय आ म- नणय के स ा त को यान म रखने
का वायदा कया गया था।
कु छ इ तहासकार ने यह धारणा य त क है क सं धय म व सन के 14 सू क
अवहे लना क गई। इनके अनुसार 14 सू म केवल बेि जयम को वतं करने वाले सातव,
ांस को अ सास-लॉरे न लौटाने वाले आठव, आि या-हंगर से संबं धत दसव तथा मा नया,
240
स बया और मांट नी ो से संबध
ं रखने वाले यारहव सू का पालन कया गया। इस कार
लगसम ने लखा है क शाि त- यव था म 14 सू का वशेष यान नह ं रखा गया। उसके
अनुसार पांच सू का पालन कया गया, चार का पालन इस कार कया गया िजससे
वजेताओं को लाभ हो पर तु विजत को नह ,ं और पांच सू का पालन ह नह ं कया गया।
आ म नणय के स ा त के पालन के स ब ध म यह कहा जा सकता है क इसम
वजेता रा का यान रखा गया। उस स ा त के अनुसार चैके लोवा कया, यूगो ला वया ,
पोलड और लैटे वया जैसे नये रा य का नमाण हु आ। यूपे न, मालमडी, मो रयन वडर,
एलन ट न, लेस वग, ऊपर साइले सया आ द म जनमत सं ह करने के बाद नणय कये गये।
उस स ा त को यान म रखते हु ए इटल को प य नह ं दया। पर तु इसका अथ यह नह ं है
क इस स ा त का पूण प से पालन हु आ। कई मह वपूण मौक पर इस स ा त क
अवहे लना म रा के लाभ के लये क गयी। उदाहरण के लये आि या, जमनी म मलना
चाहता था पर तु वसाय क सि ध क धारा 80 और सट जमन क सं ध क धारा 88 वारा
आि या को ऐसा करने से मना कर दया गया। यहां न ववाद प से आ म नणय क
अवहे लना क गयी। इसी कार सार-घाट को प ह वष के लये जमनी से अलग करना इस
आ म नणय के स ा त के अनुसार उ चत नह ं कहा जा सकता। पोलै ड को केवल पोल दे श
न दे कर जमन दे श भी दये गये और पोलै ड क आ थक आव यकताओं का यान रखकर
जमनी क रा य भावना क अवहे लना क गई। साथ ह जमन दे श से पोलै ड को समु
तक पहु ंचने के लये ग लयार दया गया तथा डेि जंग नगर को जमनी से अलग कया गया।
इस सब काय को आ म नणय के स ा त के अनुसार उ चत नह ं कहा जा सकता।
इटल को टाइरोल दे ना, िजसम कई लाख जमन बसे थे, इटल के साथ क गयी गु त
सि ध के अनुसार उ चत कहा जा सकता है, आ म नणय के अनुसार नह । इसी कार इटल को
ट, डि या, बैलोना आ द दे ना भी उ चत नह ं ठहराया जा सकता। ब गा रया से जो भी
दे श लये गये उनम न ववाद प से ब गा रया के लोग बसे थे। शांतु ंग का दे श आ म नणय
के स ा त के अनुसार चीन को मलना था, पर तु मला जापान को। इस कार आ म नणय
के स ा त का पालन वशेष प से उन थल पर कया गया जहां म रा को लाभ हु आ।
उन थान पर इस स ा त क अवहेलना क गयी। जहां उससे विजत रा को लाभ हो
सकता था। इस कार '' विजत और वजेता' का यान रखा गया। 14 सू और आ म नणय के
स ा त का पालन न प नह ं कहा जा सकता। इस लये सि धय के त एकप ीय होने का
दोष भी लगाया गया है।
पे रस शाि त स मेलन क सं धय पर वचार करते समय बरबस 1814 के वयना
स मेलन क यव था का मरण हो जाता है। दोन स मेलन एक ल बे यु के बाद यूरोप का
पुन नमाण करने के न म त हु ए थे और दोन म आदशवाद तथा यथाथवाद का संघष था।
वयना म एले जे डर थम के आदशवाद ने प व संघ को ज म दया और पे रस म व सन
के आदशवाद ने रा संघ था पत कया। दोन ह स मेलन म यथाथवाद वजयी रहा। वयना
कां ेस म रा यता के स ा त क उपे ा करके वैधता एवं शि त स तु लन के स ा त का
241
आ य लया गया था और पे रस स मेलन के रा यता के स ा त के आधार पर यव था हु ई
पर तु दोन ह म स ा त का योग परािजत रा के व हु आ दोन म एक ह स ा त
का ाधा य रहा-यूरोप क भावी शां त को सु र त रखना और वजयी रा को पु कार दे ना।
पे रस क सं ध वारा यूरोप के टु कड़े-टु कड़े (बा कनाइजेशन) कर दये गये तथा जमनी
और स के आसपास अनेक नवीन छोटे रा य क थापना क गयी। ये रा य जमनी और स
के वाभा वक श ु थे य क उनको जमनी और आि या व स के दे श दये गये थे। पर तु
ये रा य अपनी र ा करने म असमथ थे। प रणाम व प आगामी वष म जमनी और स ने
आि या, के लोवा कया, लै ट वया ए टो नया और लथू नया जैसे दे श का अि त व समा त कर
दया गया तथा हंगर , बुलग़ रया, मा नया जैसे दे श भी उनके भाव म आ गये।
सं ध क आ थक यव थाओं को नधा रत करते समय वजेता अथवा विजत दोन म
से कसी क अथ यव था का यान नह ं रखा गया। उदाहरण के लये या यक ि ट से यह
बात उ चत थी क जमन आ मण से होने वाले जहाज के नुकसान के बदले जमन जहाज
म -रा ले ल पर तु उसका प रणाम यह हु आ क पुराने मॉडल के जमन जहाज म रा
को, वशेषकर ेट टे न को ा त हो गये और जमनी ने आगे के वषा म अपे ाकृ त अ छे
कार के ती तर ग त से चलने वाले जहाज अपने लये बनाये। इससे ेट टे न क जहाजरानी
को ध का लगा तथा वतीय व वयु के ार भ के वषा म पुन : जमनी और इं लै ड के म य
नौसै नक त वंदता ार भ हो गयी। इसी कार तपू त क रकम का नधारण करते समय
वा त वकता का यान नह ं रखा गया और रकम का नधारण इतनी अ धक धन रा श म कया
गया। िजसको वसू ल नह ं कया जा सका और िजसको करने के यास म न केवल ेट टे न
और ांस म मतभेद उ प न हो गये अ पतु यूरोप क अथ यव था ह खतरे म पड़ गयी। आगे
चलकर आि या के जमनी म मलने के प म जो आ दोलन चला उसका मु ख कारण
आि या क आ थक ि थ त का खराब होना था।
यह कहा गया क शां त स मेलन वा त वक अथ म शां त स मेलन न होकर एक
यायालय था िजसम परािजत रा को दए जाने वाले दं डी का नधारण कया गया। इस
यायालय म म रा ने परािजत रा को अपना प तु त करने का अवसर नह ं दया।
ल म स के इस दावे के बावजू द ''स मेलन ने उन सभी को आमि त कया, िजनका उससे
स ब ध था” और ''सबको यह कहने का मौका दया गया िज ह कु छ कहना था।'' पे रस क
सं धयां परािजत रा पर थोपी गयी सि धयां थी। वे सह अथ म वजेता रा के आदे श के
अनुसार शां त थी। हारे हु ए रा के त न धय को स मेलन म नह ं बैठने दया गया। अगर
हारे हु ए रा के त न धय को स मेलन म बैठने दया गया होता तो उससे दो कार क
ि थ तय क संभावना थी-
(1) वे अपना प तु त करते और सि ध क शत कठोर नह हो पाती िजतनी क वे हो गयी।
(2) अगर हारे हु ए रा स मेलन म होते तो स भवत: सि धय को वीकार करने के प म वे
अपने अपने दे श म जनता को तैयार करने का यास करते। उन प रि थ तय म सि धयां
वा त वक शां त क थापना करने म सफल हो सक होती। पर तु ऐसा नह ं कया गया
242
अत: जमनी के मन म यह व वास घर कर गया क वसाय क सं ध श के बल पर
थोपी गयी थी और उसे श के वारा ह समा त कया जा सकता है।
वसाय क सं ध के त जमनी का एक मु ख आरोप यह था क उसक शत कठोर
और अपमानजनक थीं। सं ध को जमनी वारा वीकार या अ वीकार कया जाना सि ध क
शत के अ छे या खराब होने पर नभर नह ं था य क ऐसी कोई भी सं ध जो जमनी को
वीकाय होती उससे यूरोप क शां त को और खतरा होता।
म रा ने सं ध के औ च य के वषय म जो कु छ भी कहा वह बहु त कु छ स य था
पर तु इसम कोई संदेह नह ं क सं ध क शत अ य त कठोर थी और उनका उ े य जमनी को
सदा के लये ऐसा नबल बना दे ना था क वह भ व य म कभी श ना उठा सके। यहां एक
अ य बात भी यान म रखनी चा हए क वयं जमनी ने स तथा मा नया के साथ जो
सि धयां क थी वह इस सं ध से कसी कार भी कम कठोर नह ं थी और म रा ने एक
कार से उ ह ं का अनुकरण कया था। क तु इस बात से सं धय क कठोरता कम नह ं होती।
शत ऐसी थीं िज ह कोई रा न वीकार ह कर सकता था। और न उनका पूणतया पालन ह
कर सकता था लाचार के कारण जमनी को सं ध वीकार करनी पड़ी। एक वा भमानी रा को
घोर अपमान का कड़वा घू ट
ं पीना पड़ा। सार तथा ऊपर साइले शया के औ यो गक े का
छन जाना, जमनी का दो भाग म वभ त हो जाना और महान फेड रक क सम त वजय से
वं चत हो जाना आ द ऐसी बात थी िज ह महान जमनी रा के लये चु पचाप सहन करना
असंभव था। उसक सै य शि त कम कर द गयी और वह बेि जयम जैसे (उसक ि ट म)
नग य दे श से भी अपने आपको इस स ब ध म ह न पा रहा था उसने इस आशा म अपने
श कम कर दये थे क उसके इस काय के बाद व सन के स ा त के अनुकू ल सभी रा
श म कमी करे ग। पर तु ऐसा नह हु आ। तपू त का बड़ा भार भाग उस पर डाला गया
पर तु उसके साथ ह उसके उ कृ ट औ यो गक साधन से उसे वं चत कर उसका भ व य म
पनपना असंभव कर दया गया था।
जमनी इस बात पर बड़ा ट था क रा य आ म नणय के स ा त का अ य रा
को लाभ दया गया जमनी के स दभ म उसका पूणतया उ लंघन कया गया और जमन रा
को जानबूझकर वभ त रखा गया। वा भमानी जमन रा इस अपमान को सहन नह ं कर
सकता था और वाभा वक ह था क यह भ व य म फर यु वारा ह अपने अपमान को
धोने और अपनी तपू त करने का य न करता। इस कार भावी व वयु के बीज वसाय क
सं ध म आर भ से ह व यमान थे। जो व वशां त के लए घातक सा बत हु आ। अंततः
वतीय व वयु का सामना स पूण व व को करना पड़ा।
14.8 अ यासाथ न
1. पे रस शाि त स मेलन क मु ख सि धय का सं त ववरण द िजए।
2. व सन के चौदह सू क चचा क िजए और या उ ह स मेलन का आधार बनाना
आव यक था?
3. “वसाय क सि ध एक आरो पत सि ध थीं” प ट क िजए।
243
14.9 संदभ थ
1. जैन एवं माथु र व व का इ तहास
2. पाथसार थ गु ता यूरोप का इ तहास
3. बी० एन० मेहता एवं वमल इ पाल आधु नक यूरोप 1453-1919
4. कैले वर राय यूरोप का इ तहास
5. के० एल० खु राना एवं आर० सी० शमा व व का इ तहास (1760-1945)
6. पी० गु ता एवं शव कुमार व व इ तहास- एक सव ण
244
इकाई 15
रा -संघ
इकाई क परे खा
15.0 उ े य
15.1 तावना
15.2 रा संघ का सं वधान
15.3 रा संघ क थापना का उ े य
15.4 रा संघ का संगठन
15.5 रा संघ के अंग
15.5.1 असे बल
15.5.2 काउि सल
15.5.3 स चवालय
15.5.4 थायी अ तरा य यायालय
15.5.5 अ तरा य म संगठन
15.6 रा संघ क उपल खयाँ
15.6.1 राजनी तक उपल खयाँ
15.6.1.1 उ तर साइले शया का ववाद
15.6.1.2 अ बा नया का ववाद
15.6.1.3 यूनान एवं ब गे रया का ववाद
15.6.1.4 पोलै ड व चैको तोवा कया का ववाद
15.6.1.5 ले ट शया का ववाद
15.6.1.6 मे डेट यव था का ार भ
15.6.1.7 सार े के मामले म सफलता
15.6.2 सामािजक एवं जन उपयोगी उपलि धयाँ
15.6.2.1 अ तरा य म संगठन क थापना
15.6.2.2 अ तरा य वा य संगठन क थापना
15.6.2.3 अवैध यापार पर तब ध
15.7 रा संघ क असफलताऐं
15.7.1 वलना का ववाद
15.7.2 कोर यू वीप क सम या
15.7.3 मेमल का ववाद
15.7.4 मंचू रया पर जापान का आ मण
245
15.7.5 अबी सनीया पर इटल क वजय
15.7.6 पेन का गृह यु
15.7.7 हटलर एवं रा संघ
15.8 रा संघ क असफलता के कारण
15.8.1 पे रस क सं ध के स ब ध म
15.8.2 अमे रका क अनुपि थ त
15.8.3 यूरोपीय दे श का वाथ ि टकोण
15.8.4 सावभौ मक शि त का अभाव
15.8.5 नश ीकरण के यास म असफलता
15.8.6 अ तरा य सेना का अभाव
15.8.7 रा यता क भावना का उदय
15.8.8 बड़ी शि तय का पर पर वरोधी
15.8.9 तानाशाह का उदय
15.9 सारांश
15.10 अ यासाथ न
15.11 संदभ थ
ं
15.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन करने के बाद आप जान सकग-
रा संघ के थापना का औ च य एवं उ े य या है?
रा संघ का सं वधान का ा प एवं संरचना कस कार क है?
इसके मु ख अंग एवं उनके मु ख काय से आप प र चत हो जाएंग।
रा संघ क मु ख उपलि धयां-राजनै तक, सामािजक एवं जन क याणकार े म या
रह ं और
रा संघ क असफलता के कारण क चचा तथा उ तरदायी कारण क या या भी इस
इकाई म हम करे ग।
15.1 तावना
पे रस शां त स मेलन (1919) के दौरान व व शां त कायम रखने तथा यु क
वभी षका से बचने के लये रा संघ क थापना क गयी थी। अमे रका के रा प त व सन
ने इसक थापना म अहम भू मका नभायी। उ ह ने अपने 14 सू ीय काय म म रा संघ क
थापना पर अ य धक जोर दया ता क थम व वयु के प चात व व म शाि त कायम रहे
तथा आपसी सहयोग और स ह णु ता को बढ़ावा दया जा सके। स इ तहासकार हे जन ने
लखा है क - ''पे रस स मेलन म रा प त व सन का मु य उ े य शां त थापना करने के
246
लये एक अंतरा य संगठन का गठन करना था। यह उनके यास का ह प रणाम था क
रा संघ क थापना संभव हो सक ।''
247
य य प रा संघ संघ के सभी चार उ े य का मह व समान था, तथा प थम उ े य
अथात यु क स भावना को समा त करने पर वशेष बल दया गया था।
15.5.1 असे बल
15.5.2 काउि सल
248
सद यता दान क गयी थी। क तु अमे रका वारा रा संघ क सद यता को वीकार न करने
के कारण थायी सद य क सं या 4 रह गयी। इसके अ त र त चार अ थायी सद य का
नवाचन असे बल वारा कया गया। इस कार थम दो वष तक काउि सल के सद य क
सं या आठ थी क तु काला तर म अ थायी सद य क सं या बढ़कर यारह हो गयी।
अ थायी सद य को तीन वष के लए नवा चत कया जाता था तथा उनम से एक- तहाई
सद य को तवष अवकाश हण करना पड़ता था।
काउि सल के अ धकार सी मत पर तु मह वपूण थे। वह रा संघ के सं वधान के
उ लंघन तथा पे रस सि ध क शत क अवहेलना के आरोप म कसी भी सद य दे श को
रा संघ क सद यता से वं चत कर सकती थी। रा संघ के सं वधान क र ा हे तु आ ामक
दे श के व सै नक कायवाह करने का अ धकार भी काउि सल को ा त था। इस स म त का
मु य काय अ तरा य ववाद को हल करना, डेि जंग (Danzing) तथा सार (Saar) दे श
का शासन स भालना, मे डेट यव था के वषय म व भ न दे श क रपोट पर वचार.
करना, श ीकरण क भावना को कम करना तथा अ पसं यक के हत क र ा के लये काय
करना था।
15.5.3 स चवालय
249
15.5.5 अ तरा य म-संगठन
250
156.1.3 यूनान एवं ब गे रया का ववाद
15.6.1.6 मे डेट यव था का ार भ
251
जमनी के साथ वलय क इ छा य त क । तदनुसार माच 1935 म यह े जमनी को दे
दया गया।
15.6.2.1 अ पसं यक के हत क र ा
252
15.6.2.2 अ तरा य वा य-संगठन क थापना
253
15.7.2 को यू (Corfu) वीप क सम या
मंचु रया चीन का एक धनी े था। वहाँ पर कोयला, लोहा, चाँद , सोना, ताँबा आ द
क खान चुर मा ा म उपल ध थी। इस े पर जापान और स अ धकार करना चाहते थे।
सन 1905 क स-जापानी सि ध के अनुसार जापान को द णी मंचू रया रे लवे क सु र ा हे तु
प ह हजार सै नक भेजने का अ धकार ा त हो गया था। सन 1931 म चीन के कु छ सै नक
ने उ त रे लवे लाइन को त त कर दया तथा एक जापानी कमा डर क ह या कर द । इस
घटना से ु ध होकर जापान ने मंचू रया पर आ मण कर दया। चीन ने इस मामले को
रा संघ के सम तु त कया, क तु जापान ने इसक कोई च ता नह ं क । उसने मंचू रया
के एक बड़े भाग पर अ धकार करके वहाँ एक वतं रा य था पत कर दया। जापान ने यह
घोषण भी कर द क उसका उ े य चीन क आ मक कायवाह से वयं क र ा करना था।
चीन क अपील के आधार पर रा संघ ने टश त न ध लॉड लटन क अ य ता
म एक कमीशन मंचू रया क सम या का अ ययन करने के लए भेजा। इस कमीशन ने अपनी
रपोट म यह सफा रश क क मंचू रया म रा संघ क दे खरे ख म एक वत सरकार क
थापना क जाए। लॉड लटल ने अपनी रप ट म जापान के त सहानुभू तपूण ि टकोण
अपनाया और उसने जापान को यु आर भ करने के लए दोषी ठहराया। लॉड लटन के इस
254
उदार ि टकोण के कारण रा संघ जापान क ग त व धय पर अंकुश लगाने के लए कोई कदम
नह ं उठा सका। संघ क असफलता के कारण चीन को जापान के साथ सि ध करनी पड़ी।. सन
1933 म जापान ने रा संघ क सद यता से यागप दे दया। रा संघ के अि त व पर यह
ती आघात था।
255
बदला लेना चाहती थी। नाजी-पाट का नेता हटलर भी वसाय सि ध का क र वरोधी था। वह
थम व वयु म हु ई जमनी क पराजय का बदला लेना चाहता था। इस उ े य को पूरा करने
के लए उसने न न ल खत कदम उठाये िजनके फल व प रा संघ के अि त व को गहरा
आघात पहु ँ चा।
1. सन 1933 म जमनी ने रा -संघ क सद यता से याग प दे दया।
2. सन 1935 म हटलर ने वसाय क सि ध क धाराओं का उ लंघन करके जमनी म
अ नवाय सै नक सेवा को लाग कर दया।
3. सन 1936 म हटलर ने राइन े म जमन सेना भेजी। उसका यह काय वसाय क सि ध
व लोकान समझौते के व था।
4. उसने आि या को जमनी म वलय कर दया तथा चेको लोवा कया पर अ धकार कर
लया। रा संघ उसके इन काय के व कु छ नह ं कर सका।
5. पेन के गह-यु म हटलर ने जनरल को को पूरा समथन दान कया।
6. हटलर ने 1939 म पोलै ड पर आ मण करके वतीय व वयु क भू मका को तैयार
कर दया।
इस कार रा संघ हटलर क मह वाकां ाओं को रोकने म सफल नह ं हु आ। संघ का
मु य उ े य यु को रोकना था, क तु वह यु को नह ं रोक सका और व व को मा बीस
वष अ पअव ध के प चात पुन : एक नवीन यु का य दे खना पड़ा।
15.8.1 पे रस क सं ध के स ब ध
256
15.8.2 अमे रका क अनुपि थ त
257
हु ए रा संघ क सद यता से याग प दे दया। इस कार रा संघ को व व क महान
शि तय का वां छत व सामू हक सहयोग कभी ा त नह ं हु आ।
258
उन बड़े दे श म ती वैचा रक मतभेद था। ांस रा संघ को वसाय सि ध का संर क मानता
था। वह चाहता था क रा संघ इस कार काय करे क जमनी के व ांस अपनी सु र ा के
त आ व त हो जाय। इसी लए अबी सनीया पर इटल के आ मण के समय अपने वाथवश
ांस ने रा संघ के स ा त क पूण अवहे लना करके इटल के अनु चत काय का समथन
कया। दूसर तरफ, इं लै ड ने अपने यापा रक व औप नवे शक हत क र ा के लए जमनी
के त उदार नी त का पालन कया। स रा संघ को पू ज
ं ीवाद का संर क मानता था। इस
कार रा संघ के स ब ध म बड़ी शि तय के वचार पर पर- वरोधी थे। बड़े दे श रा संघ का
योग अपने-अपने वाथ के अनुसार करना चाहते थे।
15.9 सारांश
रा संघ अपने ल य को ा त करने म सफल हु आ अथवा नह ,ं यह एक ज टल न
है। य द हम रा -संघ के काय का मू यांकन उन आशाओं व आकां ाओं के आधार पर कर जो
इसक थापना म न हत थीं तो यह नःसंकोच कहा जा सकता है क रा संघ अपने आधारभू त
उ े य को ा त करने म पूर तरह असफल रहा। इस संगठन का मू ल उ े य यु को रोकना
तथा व व म थायी शां त क थापना करना था। क तु रा संघ न तो यु को रोक सका
और न भ व य म व व-शाि त बनाये रखने म सफल हो सका। यह रा संघ क दुभा यपूण
असफलता थी। दूसर तरफ य द हम उपलि धय क तु लना मक तर के आधार पर इस के
259
काय का मू यांकन कर, तो हम कह सकते ह क रा संघ ने पूववत सं थाओं व संगठन क
तु लना म अ धक मह वपूण सफलता ा त क थी। इसने व भ न रा य के पार प रक मतभेद
को दूर करने तथा राजनी तक ववाद को हल करने का पूरा यास कया। इसके अ त र त
समाज व जनक याण के े म भी रा संघ के काय अ य धक मह वपूण कहे जा सकते ह।
मानव इ तहास म यह पहला अवसर था जब क रा संघ के जीवन काल म पदद लत,
अ पसं यक , रो गय , शरणा थय और अ श त क सम या को वीकार करके उसके नवारण
का सामू हक यास कया गया। पहल बार नशील व तु ओं पर तथा मानव यापार पर
तब ध तथा दास व बेगार था के व रा संघ के त वाधान म अ तरा य यास हु ए।
गैर कानूनी स तान एवं बाल- ववाह जैसी सम याओं पर वचार हु आ। रा संघ अपने उ े य म
असफल रहा क तु इसक असफलता म ह सफलता क कहानी छपी हु ई है िजसके गम से
भ व य म संयु त रा संघ का ज म हु आ तथा अपने इ ह ं काय के लये रा संघ सदा
जी वत रहे गा।
15.10 अ यासाथ न
1. रा संघ अपने उ े य को ा त करने म कहाँ तक सफल हु आ?
2. रा संघ क असफलता के कारण पर काश डा लए।
3. रा संघ क संरचना का वणन क िजए।
15.11 संदभ थ
1. जैन एवं माथु र व व का इ तहास
2. कैले वर राय यूरोप का इ तहास
3. पाथसारथी गु ता यूरोप का इ तहास
4. बी० एन० मेहता एवं वमल इ पाल आधु नक यूरोप (1453-1919)
5. खु राना एवं शमा व व का इ तहास (1760-1945)
6. पी० गु ता एवं शव कुमार व व इ तहास एक सव ण
7. डी० वैकु ठ नाथ संह अंतरा य संगठन का इ तहास
260
इकाई - 16
इटल म फासीवाद का उदय
इकाई क परे खा -
16.0 उ े य
16.1 तावना
16.1.1 थम व व यु तक का इटल
16.1.2 थम व व यु व इटल
16.1.3 फासीवाद का ज म
16.2 फासीवाद के उदय के कारण
16.2.1 थम व वयु ो तर काल क प रि थ तय से नैरा य
16.2.2 पूव -सहमत वजय-लाभांश से वं चत होने पर ोभ
16.2.3 आ थक दुरव था से उ प न असंतोष
16.2.4 शासन क नि यता
16.2.5 शासन मु ख के बदलाव से अ नि चतता
16.2.6 राजनी तक जोड़-तोड़ से या त टता
16.2.7 राजनी तक दल म पर पर वैमन य व वामपंथी दल का उदय
16.6.8 सा यवाद अ यव था के व त या
16.6.9 व भ न वग य वाथ- स से यापक जनसमथन
16.2.10 पूव सै नक व म यमवग युवक का जु ड़ाव
16.2.11 इटल क पर परागत यौ क मनोवृ त
16.2.12 अ नि चतता के थान पर यव था क याशा
16.3 उ रा वाद व सै यवाद का ादुभाव
16.3.1 फासीवाद म यु व हंसा के स ा त
16.3.2 भ व यवाद आ दोलन
16.3.3 फा स ट आतंक व अनुशासन
16.3.4 शि त ाि त हे तु अतकनापरक ेरणा
16.3.5 शि त स प न रा नमाण
16.4 सवस ता मक रा य सृजन हे तु समथन
16.4.1 यि त व रा य
16.4.2 ह गलवाद से ो साहन
16.5 फासीवाद का व तार व चार तं
16.5.1 फासीवाद दशन का वकास
16.5.2 वैचा रक पृ ठभू म का योगदान
261
16.5.3 मु ख सै ाि तक ोत
16.5.4 मू ल कृ त का भाव
16.5.5 सार त व का आकषण
16.5.6 चार तं क भू मका
16.6 शासन थापना व उ कष
16.6.1 तानाशाह, संसद व राजा
16.6.2 अ धनायक के उ कष का भाव
16.6.3 फासीवाद के उभरते आंत रक घटक
16.7 ववेचना
16.8 सारांश
16.9 अ यासाथ न
16.10 संदभ थ
ं
16.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप जान सकेग क -
फासीवाद के उदय से पूव व व व इटल क ि थ त,
व व यु ो तर काल म कन प रि थ तय म फासीवाद के उदय को ो सा हत कया,
उ रा वाद, फा स ट आतंक व सवस ता मक रा य के पुनगठन म सहायक त व या
रहे,
फासीवाद के उ कष म कस कार क सै ाि तक-वैचा रक भू मका रह ,
फासीवाद के व भ न घटक व उनक समी ा।
16.1 तावना
व व मान च पर एक कृ त इटल का अंकन 1870 ई. म हु आ। ाचीन रोमन सा ा य
के वैभव और गौरव का वयं को उ तरा धकार समझते हु ए यह नवजात रा य उसके त
मोह त रहा। य य प रणनी त पर पहल करने क अपे ा कसी अ य के शकार पर छ ना-
झपट करना या ह सा बटोरना ह थम व वयु तक उसक वशेषता रह । इसी कारण
ब माक ने इटल को काल क उपमा द ।
1870 के बाद से ह , वदे शी नी त के े म इटल क तीन मह वाकां ाएँ ि टगोचर
हु ई
(i) इटा लयन भाषा-भाषी दे श को वदे शी शासन से मु त कराके इटल म सि म लत
करना।
(ii) अ का म वशाल सा ा य क थापना करना।
(iii) भू-म यसागर पर इतना भू व था पत करना क उसे रोमन झील' कहा जा सके।
262
16.1.1 थम व व यु तक का इटल
263
हु ई। 1919 के शां त समझौते से उसके अ तरा य स मान म वृ नह ,ं वरन ् हास हु आ।
ल दन क गु त-सि ध के ता वत लाभांश से वं चत इटल क आ मा बैचेन, अतु त व अशांत
बन गई। ई.एच.कार. के अनुसार - ‘'जापान क तरह यु के प रणाम से उसक तृ णा बढ़ गई,
बुझी नह ं और यु के बाद पूर अव ध म इटल क गणना जापान और भू तपूव श ु दे श क
तरह ''असंतु ट'' और 'क टदायी'' रा य म क जानी चा हए। इ ह ं प रि थ तय म वहाँ
फासीवाद का उदय हु आ।''
16.1.3 फासीवाद का ज म
264
के य शि तय के त न ध आि या से 'कपोरे तो' म लि जत होना पड़ा, इस हार को इटल
नह ं भू ला सका। ' व तो रयो वेनेतो’ क लड़ाई म आि या को परा त करने पर भी उसका
स मान पुन था पत नह ं हो सकता। चा रत क थत शौय गाथाएँ भी नेत ृ व क सै नक दुबलता
पर आवरण नह ं डाल सक । इससे उपजे नैरा य को फा स ट ने योजनापूवक ता का लक शासन
व शासन णाल के त असंतोष म पा त रत कर दया और संसद य सरकार के थान पर
शि तशाल तानाशाह शासन का माग श त हु आ। मु सो लनी ने लखा क ‘'महायु क
समाि त के बाद के दो वष 1919 व 1920 वारा मु झे इटल के जीवन के सवा धक
अंधकारपूण एवं क टदायक तीत हु ए।''
265
अधूर वजय के कारण दुःखी रहे । वजयोपरा त लाभांश बँटवारे म हु ए धोखे का दोषारोपण
त का लक संसद य सरकार पर हु आ। जन व ोह भड़कने लगा, हड़ताल व वरोध होने लगा,
इसी अ -अराजकता क ि थ त म मु सो लनी का पदापण हु आ। नबल अकम य जातं ीय
शासन से रा य ग रमा पुन था पत करने क आशा से बेहतर वक प मु सो लनी था, िजसने
कहा क ''फासीवाद का ज म काय कये जाने क आव यकता के कारण हु आ है।'’
266
अंशां त या त थी, जो दशाह न सरकार के नयं ण के बाहर थी। ा ट और टै परले के
अनुसार”.....मं ी अश त और भी । बनकर दुबलता से ताकते रहे । साहसी नेत ृ व से ि थ त
नयं त हो सकती थी, य क सेना पूणत: सरकार क भ त थी।“ ता का लक सरकार क
चतु राईपूण तट थता उनके लए आ मघाती स हु ई। अ टू बर 1922 म मु सो लनी क
धम कय से नपटने हे तु धानमं ी फै टा ने माशल लॉ लागू करने क अनुशंसा क , िजसे
शासक ने अ वीकार कर दया। यह शासन क अकम यता का ठोस माण है। इसके वपर त
ारं भक फासीवाद क अ प ट वचारधारा क सश त भावना मक अपील थी, “आज वचार के
लए नह ,ं काय व कदम उठाने का समय है।“ मागर टा सरफाती नामक ले खका ने मु सो लनी
क जीवनी लखी है, िजसम वे लखती ह क फासीवाद के नेता (मु सो लनी) गव ि त से कहते
है क फासीवाद के पास कोई सै ाि तक वचार का शा ागार नह ं है, इसम स ा त कम और
या मकता अ धक है। सव व दत है क इस प र य म कसी भी रा के लए असहाय
शासनतं के थान पर सश त कु शल नेत ृ वकता अ त मनमोहक रहे गा।
267
या ी ने त काल न राजनी तक जोड़-तोड़ का बहु त सु ंदर वणन कया है-''... राजनी त के जोड़-
तोड़ इतने सू म और इतनी सावधानी से मलाए हु ए थे क वतमान धानमं ी ने पहले से ह
इतना ब ध कर लया था क उसका उ तरा धकार कौन होगा। इतना ह नह ं अ पतु उसके
पीछे कौन होगा, यह तक नि चत था। इन ब ध के पीछे गओ ल ती का चतु र मि त क था
और वह अगले से अगला धानमं ी बनाने का इरादा रखता था।“ इस कार राजनी तक जोड़-
तोड़ ने जनता को जातं के त ट कर दया। रा य ग रमा का इतना ास हु आ क
इसक सं थागत म हमा चंताजनक यूनतम तर तक गर गई।
जे टाईन ने लखा था क – “फा स म मैिजनी के आदशवाद तथा उ नीसवीं शता द के
म य के इटल के ‘ रसॉिजमै टो’ (Resiorgimento) के युग क ओर यागमन है। इस
वचार के अनुसार उसक वृि त एक महान धमयु क हैऋ उसका येय इटल तथा उसके
शासन को शि तशाल और गौरवपूण बनाना है- आ थक-सामािजक पुन थान हे तु उसक सम त
नी तयाँ उसके येय- ाि त के लए साधन मा ह।“
ए े डो रो को ने फािज म को “नाग रक जीवन क एक नूतन क पना'' “एक
शि तशाल प रवतनकार आ दोलन'' एवं “नवीन सं कृ त का उ ायक'' के प म तु त कया।
उसक नवीनता मु यत: इस त य म थी क उसने पतनो तु ख स ा त क कटु आलोचना क
और संसद य जात , उदारवाद, समाजवाद एवं सा यवाद के आदश का ख डन तु त कया।
मु सो लनी ने घो षत कया क “रा य के भीतर सब कु छ है, रा य के बाहर कु छ नह ,ं रा य के
व कु छ भी नह ं है।'' इस कार के राजनी तक आहान से जनता के मानस-पटल पर
सकारा मक भाव हु आ और उ ह ने इसके मु य ोत 'फासीवाद' को सहष वीकार लया।
268
से अ या धक त रहे और फा स ट के सम पु ता एकता नह ं जु टा सके और फासीवाद
वारा हा शए पर धकेल दए गए।
समाजवाद दल भी टु कड़ म वभ त था। समाजवा दय म वामपंथी “ स डीकेट ल ट”
भी थे, जो सीधी कायवाह म व वास रखते थे। इनके वचार बो शे वक ( सी सा यवाद) से
मलते थे। मथु रालाल शमा के अनुसार - ''इटल म सा यवाद जोर पकड़ने लगा। स क तरह
सा यवाद , ां त वारा मजदूर- कसान का शासन था पत करने क तैयार करने लगे।
इटा लयन मा सवाद अथवा सा यवाद रा यता को मह व दे ता था।.. उ रा यता क भावना
के ादुभाव से फासीवाद के वकास को बहु त ो साहन मला।“
16.2.8 सा यवाद अ यव था के व त या
269
पूण अशां त और व खृं ला या त थी। फा स म एक कार से आकि मक ेरणा थी क सारे
दे श म एकता, ि थरता और ढ़ शासन था पत कया जाए। त यत: फा स म क र रा यता
का ह प था। ार भ म फा स म ज मजात कृ त के प म उ दत हु आ, क तु बाद म वह
एक वाद अथवा स ा त और एक वशेष शासन णाल के प म वक सत हु आ। न कषत:
सं त पुनरावलोकन से प ट होता है क सा यवाद अराजकता के व त या म इटल
को मु सो लनी के प म सव यु त स ता संचालक वीकाय हु आ।
270
युवक दे शभ त भी थे।“ हैर ड बटलर के अनुसार , “इटल और जमनी, दोन ह दे श म
फा स म का ार भ यु और उसके प रणाम से उ प न होने वाल क ठनाईय और वनाश के
व न न म यम ेणी के त ण के व ोह के प म हु आ।'' इस ेणी के लोग क
बेरोजगार और भावुकता का मु सो लनी ने खू ब वदोहन कया। पूव सै नक और रा वाद युवक
इटल क यु -सहभा गता के प रणाम से अ य त न थे। उ ह 1921 क फा स ट सं वधान
तावना से सां वना मल , िजसम मु सो लनी ने कहा क, “फा स ट दल रा क सेवा म एक
वयंसेवी म ल शया (सेना) है।’’
271
आकां ाओं के अनुसार लाभ ा त नह ं हु आ। बहु त से दे श िजन पर वह अ धकार करना
चाहता था, वे उसे ा त नह ं हु ए। वशेषत: यूम के न मलने से जनता म बहु त असंतोष
था।'' दे श के अशा त, अराजक और ट वातावरण ने समाजवाद और रा वाद , दोन धाराओं
के चरमपं थय को ो साहन कया। उ समाजवाद , स डीकेट ल ट के प म य कायवाह
म संल न हु ए। उ रा वाद भी सश ां त को उ यत हो रहे थे। उनक ेरणा का ोत
“ यूम '' नामक वह नगर बना जो इटल को थम व व यु के बाद लाभांश के प म मल
जाना चा हए था।
इटल के एक क व गै ील द एनि जओ ने काल कमीजधार कु छ वीर के सहयोग से
शां त-प रषद व थानीय नवा सय के वरोध के बावजू द इस नगर पर बलपूवक अ धकार कर
लया। हालाँ क बाद म रे पेलो सि ध (1920) के कारण इटा लयन सेना ने उ ह वहाँ से हटा
दया। फर भी प य पर अ धकार क घटना से एनि जओ और उसके अनुया यय को गौरव
मला। इस यु म भाग लेने वाले अनेक युवक फा स ट दल से जु ड़।े इसी कारण फा स ट दल
ने अपने गणवेश म 'काल कमीज' को चु ना। फा स ट के लए यूम क घटना ेरणा पद
बनी। पा डेय के अनुसार इससे “.... फा स ट पाट क शि त म बहु त वृ हु ई। इटल क
लोकतं ा मक सरकार बदनाम हु ई। जनता जनतं वाद नेताओं को घृणा से परोपजीवी कहने
लगे।''
272
फा स टवा दयो का दावा है क उनक हंसा रोगी राजनी तक समाज को पुनवा सत
करती है'' और “यु का मह व पु ष के लए वह ं है जो. ी के लए मातृ व का है।''
मु सो लनी क मा यता थी क यु रा य उ े य से े रत होता है तो वह नै तक वाभा वक
और उपयोगी होता है। फा स म के लए हंसा रा य उ े य क ाि त के लए आव यक,
फलदायी और नै तक है। अत: फा स म वारा अ तरा य जगत म कसी नै तक सं हता,
अ तरा य कानून या अ तरा य संगठन को वीकार नह ं कया गया।
273
साहस व ि टकोण दया। यह बीसवीं शता द का ववेक के व व ोह है। जे ज ेनन के
श द म “फा स म वा त वक व ोह है....यह भावनाओं का (अनुभू तय का) व ोह है, यह
ता का लक आधु नक प रि थ तय के व यि तय क बगावत है।........ '' फा स म शि त
को ाि त करने के लए ''अतकनापरक ेरणा'' के अ त र त और कु छ नह ।ं और यह वाद
यि त, समाज या समुदाय को उन सबक सह-इ छा का े ठतम जोड़ शि त स प न रा
दे ने का वायदा कर रहा था।
16.3.5 शि त स प न रा नमाण
16.4.1 यि त व रा य
274
म लाता है'' मु सो लनी के श द म, “रा य यि त के ऐ तहा सक अि त व क सव यापी आ मा
और इ छा है।'' और आगे कहा क “इ तहास के बाहर मनु य का कोई मह व नह ।ं '' अत: रा य
वचार व भाव क आ याि मक वरासत है, िजसे येक पीढ़ अपने पूवज से ा त करती है
और आने वाल पीढ को स प दे ती है। इस तरह फा स ट रा य म यि त और समाज का पूण
सं लेषण है।
275
फा स म ने तो समय, ि थ त व आव यकता अनुकू ल काय कया, क ह ं स ा त के
आधार पर नह । फर भी या मक तर के उपरा त औ च य स करने क ि ट से सु वधा
अनु प स ा त तपा दत करते गये।
मु सो लनी जो पहले पूँजी वरोधी था, बाद म उसने पूँजीप तय से समझौता कर उनसे
समथन ा त कया, जो फा स ट वचारधारा पहले धम वरोधी थी, उसने बाद म चच के साथ
समझौता कया, जो फा स ट अपने ारं भक काल म गणत वाद तथा जात वाद थे, वे
बाद म जात वरोधी हो गए। फासीवाद का वतक मु सो लनी एक समय कसी वचार को
वीकार करता था तो अ य समय पर दूसरा वचार हण कर लेता था। ा ट एवं टै परले के
अनुसार , “फा स म क उ पि त के कारण क सावधानी से कए व लेषण से ात हो जाता है
क यह अवसरवाद कृ त का था और केवल ि थर शि त के त आ व त हो जाने पर ह
उसने अपने एक दशन का वकास कया।
16.5.3 मु ख सै ाि तक ोत
276
(3) िजन रा ने अपने समाज क पर पराओं का पोषण कया है, वे बड़े रा बने
है- (मैिजनी)
फासीवाद इन सब वचार का सि म त तफल था। फासीवाद ने रोमन सा ा य क
पर पराओं, ढ़य आ द का अ या धक योग कया। वयं इटल के लेखक-क व, जैसे एनर को
कोराद नी व ग ील डी एनि जओ ने सा ा य व तार व उ रा वाद का चार कया।
16.5.4 मू ल कृ त का भाव
277
4. फासीवाद हंसा व यु का पुजार है, उसके लए शाि त कायर का व न है।
5. फासीवाद व तारवाद सा ा यवाद का पोषक है।
6. यह अ तरा य कानून - यव था को नह ं मानता है।
7. फासीवाद ववेक- वरोधी है, अथात ् अबु वाद है।
8. यह सवस तावाद है।
9. फासीवाद धम म व वास करता है अथात ् धम के साथ समझौता करता है।
10. फा स म क नगमा मक आखथक रा य नी त है।
279
आकां ाओं का यावहा रक न पण करना ार भ कया तो यूरोप सशं कत हो उठा। लगसम के
अनुसार , फा स म के लए व तारवाद ाण-त व का कट करण था। इटल क सम याओं का
समाधान, फासीवाद अनुसार ादे शक व तार म ह न हत था। फलत: वैदे शक संवेदनशीलता
से व व दूसरे व व यु क ओर अ सर हो गया।
मु सो लनी के फासीवाद के उदय व वकास म ने व व राजनी त का झकझोर दया।
इस घटना से व भ न कार क य व परो अ तरा य त याएँ हु ई-
1. यूरोप के अ य दे श म भी शी जात के थान पर तानाशाह था पत हु आ।
उदाहरणाथ जमनी पेन आ द।
2. मु सो लनी के स ता ढ़ होने से यौ गक वातावरण बना और सा ा यवाद भावनाय
ो सा हत हु ई।
3. रा संघ क त ठा पर आघात हु आ।
4. अवरोधक के प म सा यवाद के सार पर नयं ण लगाया।
5. ांस और टे न क तु ि टकरण नी त वक सत हु ई।
6. थम व व यु क वभी षका से उबरे बना ह पुन : वतीय व व यु क
आहट सु नाई दे ने लगी, िजसम मुसो लनी क मह ती भू मका थी।
280
16.7 ववेचना
फासीवाद के उ कष के संबध
ं म दो कार क वचारधाराय च लत ह। पहल
अ धनायकतं ा मक शंसा और दूसर जातं ा मक कटु आलोचना।
शंसनीय ि टकोण से फा स म ने संकटकाल म इटल क अ यव था को यव था से
प रव तत कया, इटल का रा नमाण कया, लोक जीवन म फू त व एकता संचा रत क
और रा य स मान को पुन : था पत कया। ना टे अन ट ने लखा, “हड़ताल जादू क तरह
ब द हो गई, गा ड़याँ समय पर चलने लगी तथा नौकरशाह काय करने लगी।“ इटल के जीवन
के सभी आयाम म नई शि त व ऊजा उ प न हो गई। आलोचक के अनुसार फा स म के
उदय से लोकतं का हनन हु आ, यि तगत वातं य को रा य प दे वी पर ब लदान कया,
व हत म डू चे ने यि त को आ दम अव था म ढकेलना चाहा। ''धोखाधड़ी'', “अवसरवा दता'',
“अतीत के पागलपन'' जैसे श द से फा सवाद का मू यांकन कया गया, य क फासीवाद ने न
केवल यि त क आ मा का हनन करना चाहा, ब ल। उसके मि त क को भी वकृ त बनाने का
यास। कया।
आलोचना के धान आधार यहाँ इं गत है:-
1. फा स म कोरा अवसरवाद है।
2. हंसा-समथक व शां त व ातृ व का वरोधी है।
3. बल योग आधा रत शासन चर थाई नह ं था।
4. सहअि त व व अ तरा यता वरोधी है।
5. सावज नक व सां कृ तक ग त म बाधक है।
6. मानवीय मू य का भ क रहा।
7. यायो चत न प वचार व वप का अ त हु आ।
8. लोक क याणकार वचारधारा नह ं है।
9. सै य वातावरण से तनावपूण यव था रहती है।
10. राजनी तक शू यता के कारण वक प क छूट नह ं रहती।
11. फासीवाद पूँजीवाद क पतनो मुख दशा का व प है।
12. ाकृ तक वकास ग त पर तकूल भाव पड़ता है।
13. उ तरा धकार सम या से ग भीर अराजकता व उप वयु त ि थ त का बनना।
आइ टाईन ने प ट कया है क “अ धनायक त का अथ सव तब ध व उसके
नरथक य न से मु त वचार व वकासधारा को अव करना।''
16.6 सारांश
ज म के समय “फासीवाद'' को इटल क एक आंत रक घटना समझा गया। पर तु
अपने वकास म म इसने व व-राजनी त को अ या धक भा वत कया। अत: आधु नक व व
इ तहास के अ ययन म क यह एक मह वपूण कड़ी है।
281
थम व व यु म फासीवाद के उदय का बीजारोपण हु आ व इसका व तार वतीय
व व यु के कारण से जा जु डा।
फासीवाद के उदय से केवल इटल ह भा वत नह ं हु आ, अ पतु यूरोप का मान च व
व व इ तहास यापक प से भा वत हु आ है।
16.9 अ यासाथ न
1. फासीवाद के उदय के कारण का उ लेख क िजये।
2. ‘उ रा वाद व सै यवाद का ादुभाव' से आप या समझते ह?
3. फासीवाद के चार- सार एवं वकास के सहभागी त व का व लेषण क िजये।
4. फासीवाद शास नक तं को समझाइये।
5. फासीवाद से पूव व व इटल क अव था पर काश डा लये।
16.9 संदभ ंथ
1. कार, 'इ टरनेशनल रलेश स बटवीन द टू व ड वॉस''
2. एलै जै डर ॉम पे रस टू लॉकान
3. मैकि मथ, डी इटल इन मॉडन ह
4. ल सन यूरोप इन द 19वीं-20वीं सै चुर ज
5. लैट ए ड म ड व व का इ तहास
6. चौहान,डी.एस. समकाल न यूरोप
7. पाथसाथ गु ता (सः) यूरोप का इ तहास
282
इकाई 17
जमनी म नाजीवाद का उदय
इकाई क परे खा -
17.0 उ े य
17.1 तावना
17.2 नाजीवाद का ता पय
17.3 नाजी दल का सं थापक - एडॉ फ हटलर
17.4 नाजी दल क थापना, उ े य एवं काय म
17.5 नाजी दल का पुनगठन तथा व तार
17.6 नाजीवाद क सफलता के कारण
17.7 हटलर क गृह नी त
17.8 नाजी जमनी क वदे श नी त (1933-1939)
17.8.1 वदे श नी त के उ े य
17.8.2 वदे श नी त के े म हटलर के काय
17.9 नाजीवाद के उ कष के प रणाम
17.9.1 जमनी पर भाव
17.9.2 अ तरा य भाव
17.10 हटलर एवं नाजीवाद का पतन: कारण
17.11 सारांश
17.12 अ यासाथ न
17.13 संदभ थ
ं
17.0 उ े य
इस इकाई का अ ययन के अ ययन के प चात ् आप -
नाजीवाद का आशय या है?
नाजीवाद के उ े य व काय म या थे?
जमनी म नाजीदल के उदय व सफलता के या कारण थे?
हटलर के नेत ृ व म जमनी क गृहनी त व वदे श नी त या रह ?
नाजीवाद के उ कष का जमनी व व व पर या भाव पड़ा?
हटलर व नाजीवाद का पतन य हु आ?
17.1 तावना
थम महायु म परािजत होने के प रणाम व प जमनी के हॉहे न सालन राजवंश के
शासन का अंत हो गया और उसके थान पर जातां क शासन क थापना हु ई। ले कन इस
283
नई सरकार को आगामी कु छ वष तक अ य त क ठन सम याओं का सामना करना पड़ा।
केटलबी के अनुसार , “लगभग 12 वष तक वाइमर गणरा य क समाजवाद लोकतं ा मक
सरकार य नपूवक दे श क नै तक, राजनी तक और आ थक सम याओं से लड़ती रह । एक ओर
जमनी के लोग असंग ठत थे, नराश थे, क टदायी अव था म थे तथा ख न थे, िज ह संसद य
-शासन के त न तो मोह था और न िजसका उ ह कोई अनुभव था, वे जो दल य यवहार क
क ठनाइय से सवथा अप र चत थे।'' इसके अलावा व व आ थक संकट का भाव जमनी पर
सबसे अ धक वनाशकार हु आ। वहां यवसाय असफल होने लगे, कई कारखाने ब द करने पड़े,
िजससे लाख मक बेकार हो गए। बेकार क सं या जो सन ् 1928 म ह 13 लाख 50
हजार थी, सन ् 1932 म बढकर 56 लाख हो गई। ऐसी ि थ त म तपू त क क त चुकाना
उसके लए अस भव था। अमे रका ने भी इस ि थ त म उसे ऋण दे ने से इंकार कर दया।
इससे जमनी क ि थ त और अ धक बगड़ गई।
ांस क कठोर नी त से जमन वाइमर गणतं कमजोर पड़ने लगा। अब उन लोग का
भाव बढ़ने लगा जो वसाई क सि ध और उसक सम त शत का अ त कर दे ने म ह जमनी
का क याण दे खते थे। दे श म यह व वास जोर पकड़ने लगा क वसाई-सि ध क शत का
पालन करने से ह जमनी का यह सवनाश हो रहा था। ऐसी दशा म स ताधार सामािजक
लोकतं ीय दल छ न- भ न होने लगा।
इन प रि थ तय म केवल एक ह दल उदयमान था, जो जमनी का उ ार कर सकता
था।, वह उ रा यता का पुजार होते हु ए भी, एक ऐसे सामािजक काय म का समथक था
ं ीय तय को, जो
जो छोटे पूज यवसाय म हा न उठा रहे थे और भू ख मरते हु ए मजदूर को
समान प से आकषक मालू म होता था। इसी व वध काय म के कारण उसने अपना नाम
‘रा य समाजवाद दल' (National Socialist – Nazi) रखा था। दोन व व-यु के बीच के
काल (1919-1939) म जमनी के इ तहास क सवा धक मह वपूण और सनसनीखेज घटना
नाजी पाट का उ थान और हटलर का उ कष थी। स ता पर अ धकार कर नािजय ने जमन
राजनी त म ह नह ं बि क व व राजनी त म भी तहलका मचा दया। अत: उस युग क
अ तरा य राजनी त को समझने के लए नाजीवाद के उ थान और पतन का अ ययन बहु त
आव यक है।
17.2 नाजीवाद का ता पय
थम व वयु म पराजय के प चात ् जमनी म एडो फ हटलर के नेत ृ व म नाजीदल
का उदय हु आ। 1928 के बाद नाजीदल का लगातार वकास होता गया और ज द ह उसने
स ता पर अ धकार कर लया। इस दल क वचारधारा को 'नाजीवाद' के नाम से जाना जाता है।
नाजीवाद या 'सवस तावाद' का ह एक प है। सरकार वारा सम त मानवीय ग त व धय का
पूण नयं ण अपने हाथ म रखने क अवधारणा 'सवस तावाद' कहलाती है। 1933 म स ता
ा त करते ह हटलर ने अपनी सवस तावाद सरकार था पत क । उसने जमनी क यव था
बदलना, सम त शि तय को अपने हाथ म केि त करना और सम त वरो धय को दमन
284
करके जमनी का नाजीकरण करना शु कर दया। हटलर क सव वाय तावाद यव था का
आधार 'एक दल, एक नेता तथा अ नयं त शासन' था। जु लाई, 1933 तक जमनी म नाजी
दल ह एक मा राजनी तक दल था। हटलर दल के आदे श से अ य सभी राजनी तक दल को
भंग कर दया गया।
285
हटलर ने अपने दल के लये एक काय म नि चत कया िजसम 25 बात थी। उ त
काय म म न न ल खत बात को मु ख थान दया गया -
1. वसाय सि ध को र कया जाए।
2. जमनी से छ ने गये दे श क पुन : ाि त।
3. जमनीकरण को पूण करना और वदे शी ह त ेप को रोकना।
4. समाजवा दय , सा यवा दय और यहू दय को कुचलना।
5. टाचार पर आधा रत संसद य शासन णाल का अ त करना।
6. एक यि त के शासन का समथन करना।
7. जो वदे शी लोग बाहर से आकर जमनी म बसते ह, उ ह रोका जाये।
8. जो समाचार प व सं थाय दे श भि त क भावना के वप रत चार करती है, उ ह ब द
कया जाए।
9. क यु न म व काल मा स के स ा त रा य उ न त के लए हा नकारक है। दे श क
आ थक नी त का नणय करते हु ए रा यता को सबसे अ धक मह व दे ना चा हये।
10. यु क तपू त-रा श क अदायगी का वरोध।
11. ांस से बदला लेना।
सं ेप म यह कहा जा सकता है क यह काय म उ वाद और रा यतावाद का
सि म ण था।
नाजी दल के काय म तथा उसक ग त व धय का सार करने के लए दल का एक
समाचार-प “पीपु स आ जरवर” नकाला गया। यू नक को दल का मु य कायालय बनाया
गया। 1921 ई. म उसने दल य सेना का गठन आर भ कया। इसके दो अंग थे -
(i) एस.ए. इस दल के सद य 'भू रे रं ग क कमीज' पहनते थे। उसक दा हनी बांह पर एक
लाल प ा रहता था। िजस पर वि तक का च ह अं कत रहता था। वे अपने नेता का 'हे ल
हटलर' कहकर अ भवादन करते थे। इन ह थयारब द टु क ड़य का काम चार के लए
दशन माच करने के अ त र त नाजीदल क सभाओं क सुर ा करना तथा वरोधी दल ,
वशेषकर सामािजक गणतं वा दय और सा यवा दय क सभाओं को बलपूवक भंग करना
था।
(ii) इस सेना का दूसरा भाग एस.एस. कहलाता था िजसम कुछ चु ने हु ए लोग होते थे। वे काले
रं ग क कमीज पहनते थे, िजस पर मनु य क खोपड़ी का च अं कत रहता था। ये सै नक
दल य नेताओं के अंग-र क होते थे। उ ह जो आदे श दए जाते थे, उनका पूणतया पालन
करते थे। धीरे -धीरे यह सेना बड़ी अ छ सु संग ठत सेना बन गई।
1923 म ांसीसी सरकार ने सेना भेजकर जमनी के र दे श पर बलपूवक अ धकार
कर लया। तब हटलर ने द णपंथी जमन व अ य असंतु ट गुट से स पक था पत करके
नक मी गणतं ीय सरकार को पलट दे ने का असफल यास कया। प रणामत: उसे राज ोह के
अपराध म पांच साल क सजा सु नाई गई। पर तु, उसे 1924 के अंत म ह जेल से रहा कर
286
दया गया। जेल म रहते हु ए हटलर ने अपनी सु स पु तक ''मीन कै फ” (मेरा संघष) लखी
जो आगे चलकर नाजीदल के लए प व बाई बल बन गई। इसम ‘तृतीय सा ा य' क थापना
को नािजय का अं तम ल य घो षत कया गया।
287
हटलर ने स ता पर अ धकार करते ह 'जमनी क एकता' का नारा लगाया, िजसका
अथ था 'जमनी का पूणतया नाजीकरण। इस दशा म जो पहला कदम उसने उठाया वह था
लोकसभा म अपने लये प ट बहु मत ा त करना। उसने माच 1933 म पा लयाम ट का नया
नवाचन कराया। उसम अपनी सफलता नि चत करने के लए उसने सभी तरह के उपाय कये।
उसने मं ीम डल म अपने चु ने हु ए साथी रखे, िजनम एक हरमन गे रंग था, जो गृहमं ी बनाया
गया। गो रंग ने अनेक ा तीय गवनर और पु लस अ धका रय को हटाकर उनक जगह नाजी
अ धकार नयु त कये। उसने रा य क पु लस तथा नाजी सेना के वारा अपने वरो धय पर
सब तरह से दबाव डाला।
ऐसे वातावरण म एक ष यं हु आ और 28 फरवर को लोकसभा भवन म रह यमय
प रि थ तय म आग लग गई। इस घटना का हटलर ने पूरा-पूरा लाभ उठाया। उसने यह
कहकर क यह काम सा यवा दय का था, उ ह बहु त बदनाम कया। इसके साथ ह उसने
रा प त पर दबाव डालकर नाग रक वतं ता पर कठोर तब ध लगा दये। भाषण मु ण,
सभा करने आ द क वतं ता छ न ल गई। सा यवाद दल को गैर-कानूनी घो षत कर दया
गया और मु ख सा यवाद नेता गर तार कर लये गये। उन पर लोकसभा भवन म आग
लगाने का अ भयोग चलाया गया। इसके अलावा एक वशेष आदे श वारा उ ह नवाचन म भाग
लेने से वं चत कर दया गया। इसके वप रत सा यवा दय का आरोप था क लोकसभा भवन म
आग लगाने का काम नाजी दल ने ह कया था।
सा यवाद नेताओं पर अ भयोग मा णत नह ं हु आ और उ ह मु ता कर दया गया,
क तु हटलर का उ े य पूरा हो गया। जमन जनता सा यवाद ां त क वभी षका से भयभीत
हो गई। प रणामत: नये चु नाव म नाजी दल को 44 तशत मत ा त करने म सफलता
मल । फर भी उसे प ट एवं अजेय बहु मत ा त नह ं हो सका। ले कन नािजय ओर
रा वा दय को मलाकर सदन म प ट बहु मत मल गया।
हटलर क वजय गणतं क पराजय थी। अि नकांड से पा लयाम ट का स पूण भवन
तो नह ं जला। क तु जमन गणतं जलकर राख हो गया। हटलर ने गणतं ीय सरकार के
रा य झ डे को हटा दया। उसके थान पर ाचीन जमन सा ा य के झ डे तथा नाजी दल
के ' वि तक' यु त झ डे क त ठा क गई। 23 माच को लोक सभा का थम व अं तम
अ धवेशन हु आ, िजसम हटलर ने आगामी चार वष के लये लोकसभा क सम त शि तयां
अपने लये मांगी। लोकसभा ने एक वशेष नयम पा रत करके हटलर के मं म डल को चार
साल के लए पूण अ धकार दान कर दए। इस कार हटलर क तानाशाह पर वैधा नकता क
मोहर लगा द गई। ो. हे जन के अनुसार , ''इस कार हटलर (और उसका नाजी दल) सवसवा
हो गया और जमनी म वैधा नक शासन के थान पर एक यि त का नरं कु श शासन था पत
हो गया। अब उसने जमनी का नया नाम 'तृतीय सा ा य' रखा और गणतं का अ त हो
गया।''
सता ढ़ होते ह ड टे टर हटलर ने जमनी क यव था बदलना, सम त शि तय को
अपने हाथ म केि त करना और सम त वरो धय का दमन करके जमनी का नाजीकरण शु
288
कर दया। हटलर क सव वाय तावाद यव था का आधार 'एक दल, एक नेता तथा अ नयं त
शासन' था। जु लाई 1933 तक जमनी म नाजीदल ह एकमा राजनी तक दल रह गया। हटलर
के आदे श से अ य सभी राजनी तक दल को भंग कर दया गया। अग त 1934 म जमनी के
रा प त ह डनबग क मृ यु हो गई। तब हटलर ने रा प त और चांसलर दोन पद को एक
कर दया। 90 तशत जनता ने जनमत सं ह वारा हटलर के इस काय का समथन कया।
इस कार जमनी म जातं ा मक शासन यव था समा त हु ई और तानाशाह शासन का उदय
हु आ। अब नाजीदल रा का और हटलर नाजीदल का तीक बन गया।
289
अ त योि तपूण प से चा रत कया। हटलर कहता था क ये क यु न ट रा यता के लए
सबसे अ धक खतरनाक ह। य द नाजी दल का अ युदय नह ं हु आ, तो क यु न ट क शि त
बढ़ जायेगी, और वे रा य पर अपना क जा कर लगे। सा यवाद अ तरा यता को बहु त मह व
दे ते थे। संसार के सभी मजदूर के हत एक है, यह उनका स ा त था। हटलर कहता था क
यह स ा त रा यता के लए घातक है। जमन मजदूर को जमनी के लए ह अपना सव व
अपण करने के लए तैयार रहना चा हए। इसी सा यवाद वरोधी काय म के कारण नािजय को
उ योगप तय , बड़े यापा रय एवं अनेक ऐसे लोग का समथन मला, जो सा यवाद से घृणा
करते थे और उसको समा त करना चाहते थे।
3. सन ् 1930 क भयंकर आ थक म द -
नाजीवाद के सफल होने का सबसे अ धक मह वपूण कारण त काल न व व यापी
आ थक संकट था। िजसके प रणाम व प जमनी क आ थक ि थ त बहु त खराब हो गई थी।
इस समय जमनी के येक वग म असंतोष फैला हु आ था। कसान पर बहु त कजा चढ़ा हु आ
था। छोटे -छोटे दुकानदार को बड़े-बड़े टोर क त पधा से हा न पहु ंचती थी। जब क बड़े
उ योगप त सा यवाद से भयभीत थे। वह ं सन ् 1930 के अ त तक बेकार क सं या 50 लाख
से ऊपर हो गई थी। उनके सामने रोजी-रोट क सम या थी। ऐसे समय म हटलर ने सभी को
रोजी-रोट दे ने का वायदा कया। प रणाम व प नाजीदल जनता म सबसे लोक य हो गया और
1930 ई. म ह उसक सद यता म असाधारण वृ हु ई।
4. यहू दय के व वषैला चार -
थम महायु म जमनी क पराजय होने के समय से ह जमन जनता म यह भावना
या त हो गई थी क उनक पराजय यहू दय के कारण हु ई थी। यहू द -वग जमनी का
स प तशाल वग था। बड़े-बड़े पू ज
ं ीप त तथा उ योगप त यहू द वग के ह थे और साधारण
जनता उ ह शोषक समझकर उनसे घृणा करती थी। सावज नक जीवन के अनेक े म भी
यहू दय का थान मु ख था। हटलर व नाजी दल ने इस यहू द वरोधी भावना से भी लाभ
उठाया। हटलर ने कहा क इन यहू दय को दे श नकाला मलना चा हये, ता क जमन जा त
अपने दे श के आ थक जीवन म अपना समु चत थान ा त कर सके। यह बात जनता को
बहु त पस द आती थी। उ ह यह अनुभव होता था क नाजी दल के उ कष से वे यहू दय को
नीचा दखा सकगे।
5. जमन जातीय पर परा एवं च र -
जमन जा त वभाव से ह सै नक मनोवृि त वाल और वीर-पूजा क भावना से े रत
होने वाल थी। अतएव नािजय ने जमन लोग क सै नक जीवन म जो च थी उससे भी लाभ
उठाया। वसाय क सि ध वारा जमन सेना बहु त कम कर द गई थी, िजससे बहु त से जमन
सै नक बेकार हो गये थे। उनके लए स भव नह ं था क वे कसी अ य पेशे से जीवनयापन
कर सके। नाजी दल क नजी सेनाओं म बेकार सै नक के साथ अनेक बेरोजगार युवा भी
ु ं के दमन म, स ता
उ साह से शा मल हु ए। इस नजी सेना से नािजय को अपने श ओ ा त
करने म तथा बाद म उसे अपने हाथ म बनाये रखने म बड़ी सहायता मल ।
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6. वाईमर गणरा य के त अस तोष -
हटलर क सफलता का एक बड़ा कारण वाईमर गणरा य क अ मता और इसके
काय से जमन जनता म उ प न ती अस तोष भी था। सामा यत: जमन जनता म
लोकतां क संसद य शासन प त के त अ च थी। गणतं ता मक शासन के अ तगत जमनी
म अनेक दल का उदय हो गया था। 1930 ई. के नवाचन म 24 राजनी तक दल ने भाग
लया था। क तु कसी भी दल को बहु मत नह ं मलने से मलाजुला मं म डल बना। ये
गठब धन अ धक समय तक सु चा प से काय नह ं कर सके थे। जमन नाग रक इस संसद य
यव था क काय णाल से ऊब चु के थे। नािजय ने इस संसद य वरोध का लाभ उठाया और
जनता को यह व वास दलाया क संसद य णाल पूणत: असफल हो चु क है। जनता भी यह
चाहती थी क कोई ऐसा मजबूत यि त सामने आये जो इस अ यव था का अ त करके जमनी
क त ठा को पुन : था पत कर सके। हटलर ने उ ह शि तशाल यव था दे ने का वायदा
कया था। अतएव हटलर के उदय का उ ह ने वागत कया।
7. सामािजक गणतं वा दय व सा यवा दय म एकता का अभाव -
नािजय क सफलता का एक मह वपूण कारण उसके वरो धय क आपसी फूट व
एकता का अभाव भी था। जहां सोशल डेमो े टक पाट नि य बनी रह वह ं सा यवाद लोग
भी यह समझते रहे क नािजय वारा वतमान यव था के वनाश के बाद वे सरलता से स ता
अपने हाथ म ले सकगे। अ य दल ने भी मु काबला करने का कोई य न नह ं कया और घुटने
टे क दये।
8. हटलर का आकषक यि त व एवं नाजी चार कला -
हटलर के असाधारण यि त व ने नाजी दल के उ थान म मह वपूण योगदान दया।
वह राजनी त म चतु र और कू टनी त था। उसम वे सभी गुण व यमान थे जो एक यो य नेता
म होने चा हये। वह बड़ा भावशाल व ता था और उसक वाणी म जादू था। भावुक जमन
जनता पर उसका जादू बहु त अ छ तरह से काम कर सका। उसके चार का ढं ग भी ऐसा था
िजसम बड़ी सरलता से सफलता ा त हो गई। वह और अ य नाजी नेता युि तपूण दल ल से
जनता को समझाने का य न नह ं करते थे, बि क उसक भावनाओं को उभारते थे। उसका
चार मं ी गोब स कहा करता था क “एक झू ठ य द सौ बार बोला जाए, तो सच बन जाता
है।'' हटलर ने व वयु म जमनी क पराजय को, रा य अपमान घो षत करके तथा रा य
गौरव क पुन : थापना का आ वासन दे कर जनता क सै नक मनोवृि त को जागृत कया। बै स
के अनुसार , ' हटलर एक कु शल मनोवै ा नक था, एक चतु र जन-नेता था और े ठ अ भनेता
था। वह साधन-स प न आ दोलनकार , एक अनथक कायकता तथा यो य संगठनकता था।‘
अपने इस अ ु त यि त व से उसने नाजी दल को शि तशाल बनाया।
9. हटलर का काय म जमन आकां ाओं के अनु प होना -
हटलर के नाजी दल क सफलता का एक बड़ा कारण यह था क उसके काय म के
व भ न अंग जमन जनता क पर परागत आकां ाओं और इ छाओं के अनु प थे। जनता िजन
बात को हमेशा से सोचती, मानती और चाहती थी, उ ह हटलर ने सावज नक प से कहना
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और पूरा करने का आ वासन दया। लैगसम ने लखा है क हटलर के आ थक काय म से
जनता बहु त अ धक भा वत हु ई। नाजी काय म म वसाय सि ध म संशोधन करना, जमनी के
खोये हु ए ा त क पुन : ाि त, ाचीन गौरव क थापना, स पि त क सु र ा का आ वासन,
सा यवा दय का दमन, मक को शो षत से मु ि त का आ वासन, उपभो ताओं को उ पादक
के शोषण से बचाना, छोटे यापा रय को बड़े मु नाफाखोर से बचाने का आ वासन तथा
बेरोजगार को रोजगार दे ने का वायदा कया गया। इस काय म से जनता स तु ट हु ई और
लोग उसके समथक बन गये।
10. नाजीदल का आतंक
स ता ा त करने के लए नाजीदल ने हंसा और आतंक का भी भरपूर सहारा लया।
नािजय ने अपने दो सै नक दल का गठन कया। (i) एस.ए. टोम स (ii) एस.एस. (ए लट
गाडस)। ये दोन दल नांजी आतंक के मु य संवाहक थे। नािजय ने चु नाव म सभी कार के
तर के अपनाए। उ ह ने अपने वरो धय को मौत के घाट उतार दया अथवा उ ह घायल कर
दया या उ ह आतं कत कर दया। नाजी दल ने मतदाताओं को भी आतं कत कर दया और
वरो धय का मु ंह बंद कर दया। इससे जनता को यह व वास हो गया क नाजीदल वसाय क
सं ध के अपमान का बदला लेने म समथ है और दे श म शां त और समृ ला सकता है।
महान ् े ड रक, ब माक और कैसर जैसे वीर नायक क पूजा करने वाल जमन जनता
राजतं और अ धनायकतं क समथक रह थी। हटलर को भी उसने उसी प म दे खा और
वीकार कया। जमन जनता शताि दय से एकतं के अ तगत रह थी और हाल ह म अपनाई
गई जातं ीय भावना उस पर अ धक भाव नह ं डाल सक थी। अत: उसके लए हटलर के
नरं कु श शासन को वीकार कर लेना कोई अ वाभा वक बात नह ं थी। हटलर ने लोकतं को,
''मू ख , पागल और कायर क यव था” बताकर जमन जनता को अपना अनुयायी बनाते हु ए
तानाशाह के लए माग श त कया।
292
कया। इनके नेताओं को जेल म ठू ं स दया गया, दफ़तर पर छापे मारे गए उनके कोष ज त
कर लए गए। वरोधी राजनी त के साथ-साथ मह वाकां ी समथक एवं नाजी दल के
असंतु ट का सफाया करने म भी हटलर ने संकोच नह ं कया। केटलबी के अनुसार उसके श ु
या तो क म थे या जेल म या म श वर म। उसके वरोध म कोई आवाज तक नह ं
नकाल सकता था। 14 जु लाई 1933 ई. के एक अ यादे श के वारा नाजी दल को जमनी का
एकमा राजनी तक दल माना गया और अ य कसी दल का गठन राज ोह माना गया।
2. एका मक शासन का वकास -
हटलर ने जमनी के संघा मक व प को बदलकर एका मक व प दे ने का यास
कया। 30 जनवर 1934 ई. म ‘राइख के पुन नमाण अ ध नयम' वारा सभी रा य क
वधानसभाओं को समा त कर दया गया, रा य म लोक य त न ध व का अ त हो गया,
उनक स ता के म वल न करने का य न कया गया। य य प नाजीदल ने शा, बवे रया,
सै सनी, बेडन आ द रा य को राजनी तक इकाइय के प म एकदम से मटाने का व धवत
यास कया, पर तु इसम उसे पूण सफलता नह ं मल सक ।
3. शासन का नाजीकरण -
रा य के सभी काय और संगठन म नाजीवाद क वचारधारा का चार कया गया।
उ योग, वा ण य, कृ ष, प रवहन, व त, च क सा, वा य, श ा व सं कृ त आ द सभी
वभाग नाजी दल के नयं ण म हो गए। अ ल
ै 1933 के ' स वल सेवा पुन : थापना
अ ध नयम' वारा नाजी दल और रा य के त न ठा भाव नह ं रखने वाले यि तय को
रा य क व भ न सेवाओं से हटाने का ावधान कया गया। इस कानून के अ तगत स वल
सेवा के लगभग 28 तशत लोग को पद से हटा दया गया। स वल, पु लस , या यक आ द
सभी सेवाओं का पूण नाजीकरण कर दया गया।
4. वायत-सं थाओं पर नयं ण -
वायतशासी सं थाओं पर भी नाजी के य सरकार का नयं ण था पत कया गया
था। नगरपा लकाओं के अ य एवं ाम प रषद के अ य क नयुि त भी के य सरकार
वारा क जाने लगी। इन सं थाओं के सद य को भी थानीय नाजी नेताओं क सहम त से
मनोनीत कया जाता था। वशासी सं थाय अब केवल दखावा मा रह गई।
5. नाग रक वतं ताओं का हनन -
सवस तावाद शासन था पत करने के उ े य से हटलर ने सभी कार क नाग रक
वतं ताओं पर तब ध लगा दया। ेस, रे डयो, सनेमा, कू ल व व व व यालय आ द क
वतं ता ख म कर द गई और वचार क अ भ यि त तथा सम त कार के आ थक एवं
सामािजक काय पर कठोर सरकार नयं ण लगा दया गया। नाग रक वतं ताओं का यहां तक
लोप हो गया क यि त को शार रक वतं ता तक का अ धकार नह ं रहा। कोई भी यि त,
कभी भी गर तार कया जा सकता था और बना कारण बताए अ नि चत काल तक जेल म
रखा जा सकता था। वरो धय के दमन के लये तथा जनता पर आतंक जमाने के लए अनेक
कार के कठोर उपाय काम म लये जाते थे। िजन पर स दे ह कया जाता था उनके लए
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वशेष कार के घेरे वाले कारागार बनाये गये जहां कै दय को अनेक कार के क ट उठाने पड़ते
थे और यातनाय सहनी पड़ती थी। जो लोग अ धक खतरनाक समझे जाते थे, उ ह तु र त गोल
से उड़ा दया जाता था। इस काय को 'गे टापो' नामक वशेष गु त पु लस संगठन वारा कया
जाता था।
6. श ण सं थान पर नयं ण -
श ण सं थाओं पर नाजी दल का वशेष प से क जा था। ब च को जैसी श ा द
जायेगी, वैसा ह उनका वकास होगा। जमन ब चे शु से ह यह सीखते थे क जमन जा त
संसार क सव कृ ट जा त- है, संसार पर रा य करने के लये पैदा हु ई है। वह अपना ल य
तभी पा सकती है, जब सब जमन लोग एक नेता के पीछे चले, और एक पाट के प म
संग ठत होकर रह। नाजी दल के जमन न ल क उ कृ टता के चार से एक जा त, एक भाषा,
एक सं कृ त और एक नेता - का भाव जमन के जीवन का आव यक अंग बन गया था।
7. यहू दय के त ू र नी त -
नािजय ने वशु जातीयता पर बहु त जोर दया। उ ह ने यह चार कया क जमन
जा त ' वशु आय' जा त है और र त शु ता ह रा यता का मु य ल य है। केवल वे लोग
ह जमनी के नाग रक हो सकते ह िजनक नस म वशु आय र त बहता है। अनाय के लए
जमन सा ा य म कोई थान नह ं है। इस संकु चत वचारधारा के कारण यहू दय के त
नािजय ने बड़ा कठोर यवहार कया। उ ह ना ह मत दे ने का अ धकार था, और न वे कसी
ै , 1933 ई. भी म एक कानून
राजक य पद पर रह सकते थे। नाजी सरकार ने अ ल वारा
सभी यहू दय को सरकार एवं अ सरकार सेवाओं से हटा दया। यहू द यापा रय तथा
उ योगप तय का ब ह कार कया जाने लगा तथा उ ह ब द बनाकर यातनाएं द जाने लगी।
श क, वक ल, च क सक या वै ा नक के प म भी यहू द लोग काय नह ं कर सकते थे।
1938 ई. से कसी यहू द को जमन व यालय म वेश नह ं दया गया। ल सन के अनुसार ,
इस कार सरकार क नी त अनाय लोग को। सां कृ तक एवं आ थक जीवन क आव यक
सु वधाओं से तथा उनक आजी वका के साधन से वं चत करके उ ह दे श छोडकर चले जाने पर
ववश करने क थी। 1 936-37 तक एक लाख यहू द अपनी ाण र ा के लए जमनी छोडकर
वदे श म भाग गये।
8. कैथो लक के त नी त -
हटलर चच पर रा य के पूण नयं ण का प धर था। उसने कहा था ''हमारा भगवान
केवल जमनी है; हम और कोई भगवान नह ं चा हए'। जमनी के रोमन कैथो लक लोग रोम के
पोप को अपना गु समझते थे। उनके अपने अलग व यालय थे। ईसाई व यालय म जातीय
उ कृ टता और घृणा क श ा न दे कर मनु य मा के ातृ व , क णा और दयालु ता का उपदे श
दया जाता था। नाजी लोग ईसाइत जैसे एक ऐसे धम को सहन नह ं कर सकते थे िजसका
ि टकोण अ तरा य था। हटलर ने चच का नयं ण करने के जो य न कए, उनम उसे
बड़े तरोध का सामना करना पड़ा। हटलर ने नाजी वचारधारा के वरोधी कैथो लक व
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ोटे टे ट पाद रय को बड़ी सं या म गर तार कया, और जेल म ब द कर दया। 1938 ई.
म अनेक कैथो लक चच म आग लगा द गई।
9. मक नी त -
जमनी के मक-संगठन मा सवाद से भा वत थे। चू ं क हटलर मा सवाद का क र
श ु था। अत: उसके शासनकाल म मजदूर संघ को भंग कर दया गया और उनक स पि त
छ न ल गई। जमनी के सभी मक का एक संगठन बनाकर उसे एक नाजी नेता के अधीन
कर दया गया। य य प दखावे के लए हटलर ने 'मई दवस' को रा य अवकाश घो षत
कया । मक के हत एवं अ धकार क र ा करने का आ वासन दया गया। नािजय का
मानना था क पू ज
ं ीप तय और मजदूर म वरोध के थान पर सम वय होना चा हए। अमीर
और गर ब सबको रा य हत के लए काम करना है। अत: सरकार को कारखान के मा लक
और मजदूर पर पूण नयं ण रखना चा हए। हड़ताल और तालाब द को पूणत: तबि धत कर
दया गया। पू ज
ं ीप तय को भी मु नाफा कमाने क व छ दता नह ं थी। हटलर के इन य न
से उ पादन म बहु त वृ हु ई।
10. आ थक वकास -
हटलर जब जमनी का चांसलर बना था, तब जमनी क ि थ त दवा लये क सी थी।
हटलर ने एकता के साथ जमनी को समृ दान करने का भी वचन दया था। आम आदमी
के लये., 'समृ का अथ केवल यह था क उसे काम मले। उस समय वहां बेकार क सं या
लगभग साठ लाख थी। अत: हटलर ने सव थम बेकार दूर करने के लए यास कया। नाजी
सरकार ने मक श वर खोले, दल य संगठन का व तार कया, ि य को घरे लू काय तक ह
सी मत रखा, सेना म वृ क , यहू दय , सा यवा दय तथा अ य अवांछनीय लोग को दे श से
नकाला और उनके वारा खाल कये गये थान पर हजार आद मय को काम मला। इन सब
यास से लगभग 20 लाख बेकार को काम मल गया। शेष बेकार लोग के लए कृ ष यापार,
उ योग, प रवहन, म आ द वभाग म यव था क गई। नाजी सरकार ने यापार, उ योग
तथा कृ ष पर रा य का नयं ण था पत करके दे श को आ थक संकट से मुि त दलाने तथा
उसे समृ बनाने का यास कया। उसने सावज नक नमाण के काय शु कये, श ीकरण का
काय भी आर भ कया गया। आ थक वकास के लए सन ् 1933 म गो रंग क अ य ता म
एक। ''चतु वष य योजना'' बनाई गई। आयात- नयात, म-लाभ, य- व य और औ यो गक
लाभ सभी पर सरकार नयं ण हो गया।
नाजी सरकार ने कृ ष के े म भी जमनी को आ म- नभर बनाने के लए बहु त
यास कये। कसान को कज दये गये और तट-कर लगाकर संर ण दया गया। एक खा य
नगम क थापना क गई, जो कृ ष उ पादन, मू य एवं वतरण क यव था पर नयं ण
रखता था।
सं ेप म नाजी आ थक यव था का उ े य दे श को पूणतया आ म- नभर बनाना था
और इसम वह बहु त हद तक सफल भी हु ई। इस यव था का नाम उ ह ने ''आटाक ” रखा।
तीन वष के भीतर जमनी म कोई मनु य बेरोजगार न रहा। हटलर के समय म औ यो गक
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उ पादन लगभग दुगन
ु ा हो गया था। वदे शी यापार म भी वृ हु ई थी। इस कार जमनी क
अथ यव था पर नािजय का पूण नयं ण था पत हो गया। उसक नी त यावहा रक तथा
आ थक आव यकताओं के अनु प थी।
11. सै य-शि त म वृ
हटलर यह अ छ तरह जानता था क जमनी एक यु - य रा है। अत: उसने
सै नक शि त म वृ करना आर भ कर दया। दे श म सै नक श ा अ नवाय कर द गई।
सै य सं या म बढ़ोतर , राइनलै ड का पुन : सै यकरण, अ -श का नमाण, तर ा बजट
म बढ़ोतर , जमन जनरल टाफ क पुन थापना कलेब द आ द उपाय वारा हटलर के
कायकाल म जमन सेना को मजबूत कया गया। सन ् 1939 तक जमनी क सै नक शि त
पि चमी यूरोप के सभी रा से अ धक हो गई। एक बार फर यूरोपीय रा जमनी को शं कत
ि ट से दे खने लगे। यह सब हटलर व नाजी दल क अ नवाय सै नक श ा एवं ह थयार के
अ धका धक उ पादन का प रणाम था।
हटलर क गृह -नी त क समी ा -
नाजी दल के व भ न काय से जमनी क रा य आय बहु त अ धक बढ़ गई।पर तु
इसका अ धकांश भाग यु क तैयार के लए सरकार के पास चला जाता था, इस लए लोग का
रहन-सहन का तर म द के बुरे -से-बुरे दन के तर से भी नीचा था। ''म खन बाद म ब दूक
पहले'' यह नािजय का नारा बन गया था। ले कन बहु त से जमन को इस बात का गव था क
उनका रा फर से एक व व शि त बन गया है। मजदूर इस लए संतु ट थे क उ ह कोई-न-
कोई काम मल जाने से उनक बेरोजगार समा त हो गई। इसके अ त र त, नाजी चार तं
नर तर यह चार करता था क जब नािजय का ल य पूरा हो जायेगा, तब सब जमन के
पास घर, मोटर तथा अ य वलास साम याँ हो जायगी। इससे हटलर को आम जमन लोग
का समथन ा त हो गया।
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1. जमन मू ल वंश के सब लोग का आ म- नणय के अ धकार वारा एक महान ् जमनी का
संगठन बनाना।
2. वसाय तथा अ य शाि त समझौत को र करना।
3. जनता के भरण-पोषण और अ धक आबाद के बसने के लए उप नवेश ा त करना।
शे वल के अनुसार , हटलर क पररा नी त का सार, वसाई क सि ध तथा उसके
वारा था पत यव था को भंग करना ह था। हटलर क यह मा यता थी क शां त, बल के
आधार पर ह टकाऊ हो सकती है, समझौते पर नह । उसने अपनी वदे श-नी त को, सं ेप म
न न कार कट कया था - ''राजनी तक वतं ता तथा मातृभू म को शि तशाल बनाने के
लए अपने खोये हु ए दे श को पुन : अपने अ धकार म करना बहु त ज र है। इसक ाि त के
लए समझौता और य द यह न स भव हो तो यु का आ य लेना वदे श नी त का और हमारा
पहला कदम है। हमार नी त जमनी क र ा और उसे शि तशाल बनाने के लए जमन सीमा
को सै नक ि ट से मजबूत बनाना है। ' हटलर क यह नी त रा संघ के था य व के लए
घातक स हु ई और इसने व व-शाि त थापना को अस भव नह ,ं तो क ठन अव य बना
दया।
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हटलर अपने दे श के उ कष के लए केवल अपनी सै नक शि त पर ह भरोसा नह ं
रखता था बि क वह दूसरे दे श के साथ इस कार के स ब ध भी था पत करने के लए
यास कर रहा था िजससे जमनी क रा य आकां ाओं को पूरा करने म सहायक हो सके।
इस लए उसने जनवर , 1934 ई. म पौले ड के साथ दस साल के लए एक अना मण
समझौता कया। इस सं ध के वारा दोन दे श ने यह वायदा कया क वे आगामी दस वष
तक एक दूसरे क सीमाओं का कसी भी कार से उ लंघन व अ त मण नह ं करगे। पर तु
इस समझौते का वा त वक उ े य ांस क सु र ा- णाल को नबल बनाना था िजसका पौले ड
एक मह वपूण सद य था। यह समझौता हटलर क वदे श नी त क थम मह वपूण सफलता
थी, िजसके कारण भ व य म भी चासे अनेक सफलताएं मल ं।
3. आि या को हडपने का असफल य न -
हटलर का शाि त यता का यवहार यादा दन तक नह ं चला। जनता के सामने
कु छ कर दखाना उसके लए बहु त ज र था। अत: उसने वसाय क सि ध को भंग करके
आि या को जमनी म सि म लत करने का य न शु कया। ऐसा करना 'सट जम क सि ध’
वारा विजत था। हटलर क ेरणा से 1934 ई. म आि या म एक करण समथक नाजी दल
का संगठन हु आ। जु लाई 1934 ई. म आि या के नािजय ने अचानक व ोह कर दया िजसम
धानमं ी डॉ फस मारा गया। पर तु यह यास बेकार गया य क आि या म नािजय को
पया त समथन ा त नह ं था। शी ह सरकार फौज ने व लव को दबा दया। इटल के
मु सो लनी ने आि या क सु र ा के लये, ांस और चैको लोवा कया से मलकर अपनी सेनाय
सीमा त पर भेज द और चेतावनी द क य द जमनी ने आि या को मलाकर एक रा
बनाने का य न कया तो यु छड़ जायेगा। हटलर डर गया और व ोह नािजय को जान
बचाकर जमनी भाग जाना पड़ा। हटलर क इस असफल यास के कारण बड़ी बदनामी हु ई।
4. सार दे श पर जमनी का अ धकार (1935 ई.) -
वसाय सि ध वारा जमनी के मह वपूण कोयला- े सार- दे श को 15 वष के लए
रा संघ के संर ण म रखा गया था। जनवर , 1935 म रा संघ के वारा सार े म
जनमत सं ह करवाया गया। िजसका उ े य यह जानना था क वहां क जनता ांस के साथ
मलना चाहती है, या जमनी के साथ मलना चाहती है अथवा रा संघ म ह बनी रहना चाहती
है। 90 तशत के लगभग सार क जनता ने जमनी म शा मल होने क इ छा कट क ।
फलत: माच, 1935 को सार- दे श जमनी म शा मल हो गया। हटलर क यह मह वपूण वजय
थी, और इसने यह बात अ छ तरह प ट कर द थी क व वध दे श म रहने वाले जमन
लोग नाजी आकां ाओं के प पोषक है। पि चमी रा को स तु ट करने के लए हटलर ने
सार पर अ धकार करने के उपरा त घोषणा क क उसे पि चम म और अ धक ा त क
आकां ा नह ं है।
5. वसाय सि ध क सै नक धाराओं को भंग करना और पुन : श ीकरण का आर भ -
16 माच 1935 को हटलर ने घोषणा क क म रा ने नःश ीकरण क दशा
म कोई ठोस कदम नह ं उठाया था। इस लए वसाय सि ध क न:श ीकरण स ब धी धाराएं
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अब जमनी के लए कानूनी या नै तक कसी भी ि ट से ब धनकार नह ं है। इसी समय ांस
ने अपने यहां अ नवाय सै नक सेवा शु कर द और इं लै ड ने भी वायु सेना म वृ आर भ
कर द । अत: हटलर ने वसाय सि ध के सम त सै नक तब ध को ठु कराते हु ए जमनी म
अ नवाय सै नक सेवा का नयम लागू करने, 36 डी वजन क 5,54,000 थल सेना बनाने
और इं लै ड व ांस के बराबर वायु-सेना का नमाण करने का संक प कट कया। यूरोप क
शाि त के लए हटलर का यह कदम बड़ा खतरनाक था।
हटलर क इस घोषणा से टे न, ांस और इटल बहु त चं तत हु ए। उनक सरकार के
ै 1935 म
तनध अ ल े सा म एक हु ए जहां वसाय सि ध का उ लंघन करने के लए
जमनी क नंदा क गई और लोकान समझौते के त न ठावान रहने का वचन दया गया।
क तु जमनी को सजा दे ने क कोई कायवाह नह क गई।
6. एं लो-जमन नौसै नक समझौता (जू न, 1935) -
सा स मेलन से उ प न जमन- वरोधी भावनाओं को शा त करने तथा पि चमी रा
क अपने व एकता को भंग करने के लए हटलर ने मई, 1935 म इं लै ड के साथ नौ-
सै नक समझौते का ताव रखा। इं लै ड ने इस ताव को वीकार कर लया। दोन दे श के
बीच 18 जू न, 1935 ई को नौसेना सं ध हो गई िजसके अनुसार जमनी को समु जहाज
बनाने क वीकृ त इस शत के साथ मल गई क उसके जहाज का वजन टन भार म अं ेज
के जहाज क तु लना म 35 तशत तक हो। यह समझौता करके इं लै ड ने जमनी वारा
वसाय सं ध क नौसेना स ब धी धाराओं के उ लंघन का अनुमोदन कर दया। इस समझौते के
फल व प े सा, स मेलन के जमन वरोधी गुट म फूट पड़ गई। इं लै ड, ांस व इटल से
अलग हो गया।
7. लोकान -सि ध का अ त और राइन दे श का सै यकरण (1936 ई) -
हटलर वसाय और लोकान -सि ध क अवहे लना करके राइन दे श पर अ धकार करना
चाहता था। अ टू बर, 1935 ई. म इटल ने अबीसी नया पर आ मण कर दया िजसका
पि चमी रा ने बल वरोध कया। इस घटना से पहले से कमजोर े सा मोचा पूर तरह से
टू ट गया। जमनी ने अवसर का लाभ उठाकर अपनी सेना को राइनलै ड म भेज दया और वहां
कलेब द शु कर द । रा संघ क क सल ने जमनी के काय क न दा करते हुए मा यह
नणय लया क जमनी अपने अ तरा य ब धन को भंग करने का दोषी है। हटलर के इस
काय से छोटे रा का इं लै ड व ांस से व वास जाता रहा और वे जमनी क तरफ म ता
का हाथ बढ़ाने लगे। हटलर को रोकने का यह बड़ा अ छा अवसर था पर तु इं लै ड व ांस ने
उसे खो दया और यूरोप क शाि त के लए खतरा बढ़ गया।
8. रोम-ब लन-टो कयो धु र का नमाण (1936-37 ई) -
हटलर क आ ामक कायवाह से यूरोप के अनेक दे श म भय उ प न हो गया था। ये
दे श जमनी के व गुटबंद करने लगे। ऐसी ि थ त म अ तरा य राजनी त म अपने
अकेलेपन को दूर करने तथा अपने उ े य को पूरा करने के लए हटलर ने समान वचारधारा
एवं हत वाले दे श से म ता करने क आव यकता अनुभव क । इस समय इटल तथा जापान
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ह ऐसे दो रा थे जो अपनी सा ा यवाद नी तय के कारण अ य दे श क म ता खो चु के
थे। इटल और जमनी दोन सा यवाद वरोधी थे और अ धनायकवाद म व वास करते थे। अत:
दोन आसानी से म बन सकते थे। अ टू बर 1936 म स के व जमनी और इटल के
बीच रोम-ब लन-धु र सि ध हो गई। इस समझौते के अनुसार दोन दे श ने (1) समान हत से
स बि धत मामल म सहयोग करने, (2) यूरोपीय सं कृ त क सा यवाद से र ा करने, (3)
डे यूब नद े म आ थक सहयोग करने, तथा (4) पेन क ादे शक तथा औप नवे शक
अख डता को बनाये रखने का न चय कया। इसके अलावा जमनी ने अबीसी नया को इटल
सा ा य का अंग वीकार कर लया, िजसके बदले म इटल ने उस े म जमनी को कु छ
आ थक सु वधाएं दे द ।ं इस समझौते से यूरोप म जमनी का एकाक पन समा त हो गया। फर,
जमनी ने नव बर, 1936 म जापान के साथ भी ए ट को म टन पे ट कया। इसम दोन दे श
ने वदे श म सा यवाद फैलाने वाल अ तरा य सी सं था को म टन के स ब ध म एक-
दूसरे को आव यक सू चनाएं दे ने और सो वयत स के साथ राजनी तक सि धयां न करने का
वचन दया। 6 नव बर, 1937 को इटल ने भी इस समझौते पर ह ता र कर दये। इस
कार रोम-ब लन-टो कयो-धु र का नमाण हो गया। ये तीन रा धूर कहलाने लगे। धु र -रा
का मु य उ े य स, ांस और इं लै ड के सा ा य व दे श को ह थयाना था। इस कार,
एक नया शि त-स तु लन था पत हो गया िजसम एक ओर जमनी, इटल और जापान थे, तो
दूसर ओर ांस, इं लै ड और स थे। अ तरा य राजनी त का व प एक बार फर लगभग
वैसा ह हो गया था, जैसा क 1914-18 के महायु से पहले था।
9. ऑि या का जमनी म वलय (माच 1938) -
हटलर ने इटल तथा जापान से समझौता करने के प चात ् पुन : आि या को हड़पने
का न चय कया। इस उ े य क पू त के लये उसने आि या म नाजीदल का संगठन कया।
फरवर 1938 म नािजय ने आि या के व भ न मु ख के म जमनी के साथ मलने के
प म दशन, जु लस
ू , सभाएं तथा वाि तक झ ड का फहराना शु कया तथा एक जमन
जनता, एक रा य के नारे लगाने शु कये। आि या सरकार ने नाजी आ दोलन को दबाने का
य न कया, पर इसम उसे सफलता नह ं मल । नाजी दल के उप व से वहां क आ त रक
ि थ त बगड़ गई। 11 माच, 1938 ई. को जमन सेना ने बना कसी चेतावनी के आि या
पर आ मण कर दया। उनका कोई वरोध नह ं हु आ और आि या जमन सा ा य का एक
ा त बन गया।
10. चेको लोवा कया का अंग-भंग: यू नख समझौता (29 सत बर 1938 ई.) -
आि या पर अ धकार करने के प चात ् हटलर ने चेको लोवा कया पर अ धकार करने
का न चय कया। य क वहां 32,31,600 यि त जमन थे। उनके अपने कू ल तथा
व व व यालय थे और उ ह मि म डल म भी थान ा त था, पर तु वे असंतु ट थे। 1937
ई. म अनुपा तक स ा त पर जमन क शकायत को दूर करने का य न कया गया। अ य
जमन तो उन रयायत से स तु ट हो गये पर तु नाजीवाद यूडेटन जमन दल स तु ट नह ं
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हु आ और जमनी के इशारे पर उसने पूण वाय त शासन क मांग क । हटलर ने उनक मांग
का समथन कया और चैक सरकार को चेतावनी द क य द जमन नाग रक क मांगे वीकार
नह ं क गई, तो जमनी चैको लोवा कया पर आ मण कर दे गा। पर तु इं लै ड क चेतावनी पर
उसने आ मण के बजाय चैको लोवा कया के अ दर उप व कराकर अपना उ े य पूरा करने का
न चय कया।
अंत म, इस सम या को हल करने के लए यू नख म एक स मेलन आयोिजत कया
गया। इसम इं लै ड, ांस, इटल और जमनी के त न धय ने भाग लया। ले कन इस
सम या से स बि धत दे श चेको लोवा कया और उसके समथक दे श स को इस स मेलन म
नह ं बुलाया गया। इस स मेलन का मु य उ े य जमनी क सा ा यवाद नी त पर अंकुश
लगाना था, ले कन इं लै ड और ांस ने हटलर के त तु ि टकरण क नी त अपनाई। इस
स मेलन म सू डेटनलै ड दे श पर जमनी को अ धकार कर लेने क आ ा दान कर द । इस
कार चैको लोवा कया का अंग-भग हो गया। पर तु इससे भी हटलर क सा ा यवाद ल सा
शांत नह ं हु ई। माच, 1939 म चैको लोवा कया के शेष भाग पर हटलर ने बलपूवक अ धकार
कर लया।
11. मेमल पर अ धकार और पोलै ड से स ब ध व छे द (1939 ई.) -
हटलर ने 22 माच 1939 को लथु आ नया को धमकाकर मेमल दे श ले लया। उसके
बाद पोलै ड के व जमन अ पसं यक पर अ याचार करने का दोषारोपण शु हो गया।
इसके साथ ह उसने पोलै ड से मांग क क डिजग ब दरगाह जमनी म शा मल कर दया जाए
और पो लश ग लयारे म से होकर जमनी को रे ल और सड़क बनाने के लये जमीन द जाए।
पोलै ड ने इस मांग को वीकार करने से इंकार कर दया। प रणाम व प हटलर ने पोलै ड के
साथ क गई दस-वष य सि ध को र कर दया और डिजग म जमन आ दोलन भड़काना तथा
पूव जमनी म समु के रा ते सेना भेजना शु कर दया। ऐसा लगने लगा जैसे पोलै ड पर
जमनी का आ मण होने वाला था।
12. स से अना मण सि ध (अग त 1939) -
बदलती हु ई प रि थ तय ने स और जमनी जैसे क र श ओ
ु ं को नकट ला दया।
23 अग त, 1929 को हटलर ने स के साथ एक अना मण सि ध क । इस समझौते के
वारा यह तय कया क य द दोन म से कोई एक दे श, कसी तीसर शि त के आ मण का
शकार बने तो दूसरा दे श तीसर शि त क मदद नह ं करे गा। इसक गु त धाराओं वारा
पोलै ड के बंटवारे क यव था हु ई। जमनी ने स को बाि टक रा य म वतं ता दे द । स
ने भी जमनी को खा या न, पे ोल तथा यु क अ य साम यां दे ने का वचन दया। यह
सि ध दस वष के लए क गई थी। इस सि ध का मु य उ े य यह था क जब जमनी पोलै ड
से संघष कर रहा हो तो स उसक मदद नह ं कर सके। जमनी स के साथ यह सि ध करने
म इस लए सफल हु आ य क टे न जैसे अनेक दे श सा यवाद स को स दे ह क ि ट से
दे खते थे और उसे जमनी क अपे ा अ धक खतरनाक समझते थे।
13. पोलै ड पर आ मण: वतीय व वयु का आर भ (1939 ई.) -
301
स से समझौता करने के प चात ् हटलर ने 1 सत बर 1938 म व धवत घोषणा
कये बना ह पोलै ड पर आ मण कर दया। इं लै ड और ांस ने इस आ मण का वरोध
कया क तु हटलर ने उनक कोई परवाह नह ं क । अत: इं लै ड भी 3 सत बर, 1939 ई.
को जमनी के व यु म सि म लत हो गया।
उपयु त ववरण के आधार पर कहा जा सकता है क अंध-रा वाद और सा ा य
व तार क वकट लालसा ने वतीय महायु को शु करने पर बा य कया। हटलर ने एक
के बाद एक दे श पर अ धकार करने का दु साहस इस लए कया य क इं लै ड और ांस ने
सा यवाद वरोध के अदूरद शतापूण ि टकोण के कारण, हटलर व जमनी के त ‘तु ि टकरण
क नी त’ को बार-बार अपनाया। सारांश म हटलर क आ मक वदे श नी त तथा वतीय
महायु के कारण जमनी का अंत म सवनाश हो गया, साथ ह करोड़ लोग मारे गए व खरब
पय क हा न हु ई।
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पर इतनी ह गहर च ता थी।' व व राजनी त पर नाजीवाद के उदय के न न ल खत भाव
दखाई दे ते है -
(i) वसाय व अ य शाि त सि धय को खतरा होना।
(ii) रा संघ क त ठा को आघात लगना।
(iii) जमनी के कमजोर पड़ोसी रा का उसक व तारवाद आकां ा का शकार बनना।
(iv) इटल , जापान व जमनी आ द सवस तावाद रा के बीच सं ध होना।
(v) पि चमी शि तय वारा तु ट करण क नी त का वकास।
(vi) वतीय महायु का ार भ।
सारांश म रा य एवं अ तरा य े म नाजीवाद के उ कष के अनेक दुखदायी एवं
वनाशकार प रणाम हु ए।
17.11 सारांश
थम व व यु क समाि त के बाद जमनी म राजतं के थान पर गणतं ा मक
शासन यव था क थापना क गई थी। इस नई सरकार को अनेक क ठनाईय का सामना
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करना पडा। वसाय क सं ध को जमनी क जनता अपने रा के लए कलंकपूण द तावेज
मानती थी। िजस समय जमनी के गणतं वाद और सा यवाद नेता वसाय क सि ध के
अनुसार द जाने वाल जु माने क रकम क अदायगी के बारे म सु वधाएं ा त करने के लए
म रा से समझौते कर रहे थे, जमनी म हटलर के नेत ृ व म एक नई शि त का उदय
हु आ। उसने न केवल वसाय सि ध को पैर तले कु चल दया बि क कु छ समय के लए जमनी
को महान रा क ेणी म खड़ा कर दया।
हटलर ने जमनी म सवस तावाद शासन था पत कर व तारवाद नी त को अपनाया।
उसक आ ामक वदे श नी त ने व व को एक बार फर महायु क आग म झ क दया।
हटलर क मृ यु तथा जमनी क पराजय के साथ ह जमनी म तानाशाह शासन क समाि त
हु ई।
17.12 अ यासाथ न
1. नाजी दल के उ थान म वसाय सि ध का या योगदान रहा?
2. उन प रि थ तय का वणन क िजए िजसके कारण जमनी म नाजीवाद का उदय हु आ?
3. नाजी दल के काय म के मु ख ब दु या थे?
4. हटलर क वदे श नी त क समी ा क िजए। उसक यह नी त वतीय व व यु के लए
कहां तक उ तरदायी थी?
5. हटलर क गृहनी त एवं वदे श नी त क आलोचना मक समी ा क िजए।
6. हटलर के उ थान एवं पतन के कारण क समी ा क िजए।
17.13 स दभ ंथ
1. जे.ए.आर म रयट द इवो यूशन ऑफ मॉडन यूरोप (1753-1939) - मै यून
ए ड क पनी,लंदन, 1952
2. जी. पी. गूच आधु नक यूरोप का इ तहास (अनु) एस.च द ए ड कं. ल,
नई द ल ,1976
3. .नं. मेहता आधु नक यूरोप (1789-1870), ल मीनारायण अ वाल,
1979
4. पाथसार थ गु ता (सं.) यूरोप का इ तहास, द ल व व, द ल , 1983
5. सी.डी. हे जन आधु नक यूरोप का इ तहास (अनु.), रतन काशन मि दर,
आगरा
6. स यकेतु व यालंकार यूरोप का आधु नक इ तहास, (1789-1974) ी सर वती
सदन, नई द ल 1993
7. डे वड थामसन यूरोप स स नेपो लयन, (अनु.), जैन पु तक मि दर, जयपुर ,
1977
304
इकाई 18
व व यापी आ थक म द (1929-32)
इकाई क परे खा -
18.0 उ े य
18.1 तावना
18.2 आ थक म द के कारण
18.2.1 थम व वयु का भाव
18.2.2 अ य धक उ पादन का प रणाम
18.2.3 वण का वषम वभाजन
18.2.4 स े बाजी क बढ़ती हु ई वृि त
18.2.5 सामा य उपभोग म हास
18.2.6 य ज नत बेरोजगार
18.3 महान ् म द से बचाव के लए उठाये गये कदम
18.3.1 संर णा मक एवं नरोधा मक उपाय
18.3.2 े ीय ब ध
18.3.3 लोजान स मेलन
18.3.4 ल दन स मेलन
18.4 महान म द का व भ न दे श पर भाव
18.4.1 जमनी पर भाव
18.4.2 टे न पर भाव
18.4.3 ांस पर भाव
18.4.4 स पर भाव
18.4.5 अमे रका पर भाव
18.5 महान म द के प रणाम
18.5.1 आ थक
18.5.2 राजनी तक
18.6 सारांश
18.7 अ यासाथ न
18.8 स दभ थ
18.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप यह जान सकेग क-
म द काल (अव फ त अथवा संकुचन) क ि थ त या होती है।
305
व वयापी आ थक म द 1929-32 के लए कौन से कारक उ तरदायी थे।
महान म द से बचाव के लए कौन से कदम उठाये गये।
महान म द का व भ न दे श पर या भाव पड़ा।
महान म द के आ थक एवं राजनी तक प रणाम या थे।
18.1 तावना
म द काल (अव फ त अथवा संकुचन)
1929-32 क महान आ थक म द का ान ा त करने से पूव , म द काल
(अव फ त अथवा संकुचन) को समझना ासं गक है। ाउथर के अनुसार 'अव फ त वह ि थ त
है िजसम मु ा का मू य बढ़ता है। अथात ् क मत गरती ह। (Deflation becomes a state
in which the value of money is rising I.e. prices are falling) कॉलबोन
अव फ त क ि थ त को बताते हु ए लखते ह, Involuntary unemployment is the
hallmark of deflation. अथात,् अनैि छक बेरोजगार अव फ त क कसौट होती है। पीगू के
अनुसार , ''अव फ त क मत तर के गरने क वह अव था है, जो उस समय उ प न होती है
जब व तु ओं और सेवाओं का उ पादन मौ क आय क तु लना म तेजी से बढ़ता है।'' इस कार
केवल न न ल खत दशाओं म क मत का गरना अव फ त क ेणी म आता है -
1. उ पादन म वृ होती है क तु मौ क आय म कोई प रवतन नह ं होता।
2. मौ क आय घटती है क तु उ पादन म कोई प रवतन नह ं होता।
3. मौ क आय तथा उ पादन दोन घटते ह, क तु अपे ाकृ त आय अ धक तेजी से घटती है।
4. मौ क आय तथा उ पादन दोन म वृ होती है क तु उ पादन अ धक तेजी से बढ़ता है।
5. मौ क आय घटती है, क तु उ पादन बढ़ता है।
अव फ त क े णय के स यक् ान के उपरा त अव फ त के कारण पर ि टपात
करना समीचन होगा, यथा-
1. अथ यव था म मु ा क मा ा कम होने से मु ा संकुचन क ि थ त उ प न होती है।
क मत के गरने का च एक बार आर भ होने पर आ थक जगत म नराशा क भावना
फैलती है िजससे अव फ त और अ धक सा रत होती है।
2. सरकार चलन से मु ा क कुछ मा ा वापस लेकर अथवा र करके मु ा क पू त कम कर
सकती है, िजससे संकुचन क ि थ त उ प न हो सकती है।
3. व तु ओं और सेवाओं क मा ा म अ य धक वृ हो जाना जब क मु ा क मा ा म कोई
प रवतन न हो, अव फ त का मह वपूण कारण होता है। अ त उ पादन क ि थत म
क मत गरती ह, कारखाने ब द होने लगते है तथा बेरोजगार फैलती है।
4. दे श का के य बक साख- नयं ण क नी त वारा अव फ त क ि थ त उ प न कर
सकता है।ऊँची बक दर के कारण साख का संकुचन होता है।
5. सरकार वारा अ धक मा ा म करारोपण करने पर लोग के पास मु ा क मा ा या य
शि त कम हो जाती है। दूसर ओर सरकार के व तीय साधन बढ़ने रो उ पादन के लए
306
सरकार व नयोग क मा ा बढ़ती है, िजससे उ पादन म वृ हो जाती है। इस कार का
अस तु लन अव फ त को ज म दे ता है। अव फ त क ि थ त को अ ां कत च से
भल भाँ त समझा जा सकता है व तु ओं क मांग म कमी मू य म कमी यापार म हा न
बैक म ऋण क अदायगी का न होना बहु त से यावसा यक उप म तथा बैक का ब द
होना भीषण बेरोजगार आय म हास व तु ओं क मांग म कमी। ऐसी अव था म
अथ यव था एक भयंकर दु च म फंस जाती है।
जहाँ तक अव फ त के भाव का न है, इस ि थ त म उ पादक तथा यापार वग
को हा न होती है। नवेशक वग भी घाटे म रहता है, वेतनभोगी तथा मक वग हा न उठाता
है। उपभो ता वग घाटे म रहता है। ऋणी तथा ऋणदाता वग दोन ह अलाभ द ि थ त म होते
ह। रोजगार म कमी होती है जब क कर-भार बढ़ जाता है। सरकार ऋण के भार म भी वृ हो
जाती है। ब कं ग यव था के टू टने का भय रहता है। साथ ह , अनेक सामािजक तथा नै तक
दु प रणाम भी उ प न होने लगते ह।
अव फ त क अव था को समा त करने के लए अनेक कार के उपाय अपनाये जाते
ह। सरकार ाय: मौ क उपाय तथा राजकोषीय उपाय वारा अव फ त को दूर करने का यास
करती ह। साथ ह , सरकार वारा सावज नक यय म वृ क जाती है, ऋण का भु गतान
कया जाता है, कर म कमी क जाती है, आ थक सहायता भी दान क जाती है। नयात म
वृ तथा आयात म कटौती करके अथ यव था को सबल बनाने का यास कया जाता है।
अनेक बार अ त र त उ पादन को न ट करके भी रोजगार के अवसर उ प न कये जाते ह।
अत: प ट है क म द काल (अव फ त अथवा संकुचन) क ि थ त कसी भी दे श
क अथ यव था को ने तनाबूद कर सकती है। ऐसी ह आ थक मंद 1929 ई0 म यूरोप म
ारं भ हु ई िजसने व व के सभी दे श को यापक प से भा वत कया था।
थम व वयु के उपरा त के दशक म यूरोप ने यु से उ प न क ठनाइय पर काफ
हद तक वजय ा त कर ल थी। व व म आ थक ि थरता का यास भी सफल लग रहा था;
व व म उ पादन म लगभग 11 तशत क वृ हु ई थी और कारखान का उ पादन भी 26
तशत तक बढ़ गया था। ले कन अ टू बर 1929 म अमे रका के वॉल ट संकट (Wall
Street Crisis) ने व व के आ थक प र य को झकझोर दया और शी ह यह संकट,
व व यापी आ थक मंद (The Great Depressions) म प रव तत हो गया। यह कोई
साधारण मंद नह ं थी वरन ् अपने व तार एवं भाव क ि ट से आधु नक इ तहास क एक
भयावह म द थी।
1929 के अ टू बर माह म अमे रका के मु ा बाजार म स े बाजी चरम सीमा म पहु ँ च
गयी थी। इससे आक षत होकर अमे रक धना य वग यूरोपीय सं थाओं को ऋण दे ने के बजाय
अपने ह दे श म धन लगाने लगे थे। जनवर 1925 से अ टू बर 1929 के बीच ह यूयाक
टॉक ए सचज म अंश (Shares) क सं या 44. 34 करोड़ से बढ़कर 100 करोड़ हो गयी
थी। महायु के उपरा त यूरोप , अमे रक ऋण के आधार पर ह टका था, क तु अमे रक
ऋण क अनुपल धता ने उसे आधारह न कर दया और यूरोपीय अथ यव था आ थक संकट म
307
वेश कर गयी। शी ह व व म आ थक संकट के च न दखलाई पड़ने लगे। अनेक बक
दवा लया हो गये, कारखान और उ योग-ध ध को भार नुकसान उठाना पड़ा तथा उनम से
अनेक ब द हो गये। लाख मजदूर बेकार हो गये, व तु ओं क क मत गरने लगीं, बाजार माल
से भरे थे पर उनके खर ददार नह ं थे, सामा य जन क य शि त अ य त कमजोर हो गयी
थी। आ थक संकट का यह भीषण दौर अ टू बर 1929 से ार भ हु आ और 1931 तक यह
चरम सीमा म पहु ँ च गया और तदुपरा त 1934 तक इस म द का भाव बना रहा।
18.2 आ थक म द के कारण
1929-32 क आ थक म द से उ प न आ थक संकट अ य त भयावह था।
इ तहास वद एवं अथशाि य ने इसके अनेक कारण बतलाये ह, िजनम से मु ख न नवत है -
कु छ अथशाि य का मानना है क कृ ष और औ यो गक व तु ओं के अ य धक
उ पादन के कारण ह व व यापी आ थक म द उ प न हु ई थी। इनका मानना है क यु काल
क अ त र त माँग क पू त के लए कृ ष एवं औ यो गक उ पादन बढ़ाया गया और इन
व तु ओं क क मत म भी वृ हु ई थी। यु के बाद कु छ समय तक तो इन व तु ओं क माँग
बनी रहती है, क तु धीरे -धीरे इन व तु ओं क मांग तथा लोग क य शि त कम होने लगती
है, य य प उ पादन उसी ग त से बढ़ता रहता है। अत: मांग एवं पू त के नयम के अनुसार
व तु ओं के मू य म गरावट आर भ हो जाती है, िजससे कृ षक क आय कम हो जाती है और
बेरोजगार बढ़ जाती है।
308
म ा त क । इसके अलावा यु क तपू त के प म ांस को सोना ा त हु आ था। ाय:
यह माना जाता है क स पूण व व के सोने के 60 तशत का सं हण इन दो दे श म हो
गया था और अ य दे श म सोने क भार कमी हो गयी। सोना मु ा फ त का आधार होता
है। अत: इसक कमी से व भ न दे श म मु ा क क मत बढ़ गयी और व तु ओं क क मत म
गरावट आ गयी िजससे व व यापार पर ऋणा मक भात पड़ा और 1929 क महान म द
उ प न हो गयी।
18.2.6 य ज नत बेरोजगार :
महायु के उपरा त यूरोप एवं अमे रका म उ पादन के ाय: येक े म नये-नये
यं वारा अ धका धक उ पादन क होड़ सी मच गयी थी। एक-एक यं ाय: सह यि तय
के बराबर काम कर सकते थे, अत: यं के योग के कारण बेरोजगार क सं या बढ़ने लगी
िजससे त यि त आय म कमी के साथ ह य शि त भी कम होने लगी िजसका सि म लत
प रणाम भावी मांग म कमी होना था। इस ि थ त ने म द का प ले लया।
309
18.3.1 संर णा मक एवं नरोधा मक उपाय
18.3 े ीय ब ध
18.3.4 ल दन स मेलन
310
बेरोजगार क सं या तेजी से बढ़ने लगी। वहाँ दस बर 1931 म 44 लाख सत बर 1932 म
50 लाख तथा दस बर 1932 म 60 लाख लोग बेरोजगार हो गये। बेरोजगार क इस सम या
ने अनेक सामािजक सम याय उ प न क तथा हटलर के नेत ृ व म अ धनायकवाद को
ो साहन दया।
18.4.2 टे न पर भाव
18.4.4 स पर भाव
311
कमजोर े जैसे कृ ष, म इ या द को शि तशाल बनाना और अ य े , जैसे व त,
उ योग इ या द को संघीय नय ण म लाना था। व तु त: यू डील का उ े य पू ज
ं ीवाद क र ा
करना ह था। अपने इन उपाय वारा अमे रका महान म द से वयं क र ा कर सका था।
18.5.2 राजनी तक
18.6 सारांश
1929-32 क महान आ थक म द आधु नक इ तहास क एक भयावह ासद थी।
व व यापी इस म द ने अमे रका एवं यूरोपीय दे श के सम वकट ि थ त उ प न कर द
थी। दे श क अथ यव था चरमरा गयीं। बक दवा लया होने लगे, कारखान एव उ योग-ध ध
को भार नुकसान एवं ब द का सामना करना पड़ा, लाख लोग बेरोजगार हो गये, आम जनता
भु खमर के कगार पर पहु ँ च गयी। अनेक लोग ने इस आ थक ि थ त को पू ज
ं ीवाद यव था का
आ त रक संकट माना और इसे आ थक संकट मानने से इ कार कया य क स इससे अछूता
रहा था। महान म द ने लोकताि क यव था के त भी सवाल उठाये और त काल न समाज
म अ धनायकत के त आकषण बढ़ा, िजसने व व को एक बार पुन : महायु क ओर
अ सर कर दया।
312
18.7 अ यासाथ न
1. 1929-32 क महान ् म द का सं त प रचय द िजये।
2. महान ् आ थक म द (1929-32) के कारण पर काश डा लये।
3. व भ न दे श पर आ थक म द के भाव का मू यांकन क िजए।
4. महान म द से बचाव हे तु उठाये गये कदम का प रचय द िजए।
18.8 स दभ थ
1. जे0बी0 कांडा लफ वार ए ड ड ेशन
2. एल0एम0राय महान रा का आ थक वकास
3. गैथ न हाड अ तरा य राजनी त का सं त इ तहास
4. पाथ सारथी गु ता (स0) यूरोप का इ तहास
5. ई0एच0 कार इ टरनेशनल रलेश स बट वन द दू व ड वास
313
इकाई 19
वतीय व वयु
इकाई क परे खा -
19.0 उ े य
19.1 तावना
19.2 वतीय व वयु के कारण
19.2.1 वसाय क अपमानजनक सि ध
19.2.2 तानाशाह का उदय
19.2.3 रा संघ क असफलता
19.2.4 न:श ीकरण
19.2.5 म रा क नी त म अ त वरोध एवं तु ट करण क नी त
19.2.6 उ रा वाद
19.2.7 यु का ता का लक कारण
19.3 महायु क मु ख घटनाय
19.4 वतीय व वयु के प रणाम
19.4.1 धन-जन पर वनाशकार भाव
19.4.2 वचार धाराओं म प रवतन
19.4.3 शि त-स तुलन का प रवतन
19.4.4 शीतयु का ारं भ
19.4.5 औप नवे शक सा ा य का अंत
19.4.6 संयु त रा संघ क थापना
19.5 सारांश
19.6 अ यासाथ न
19.7 स दभ थ
19.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप यह जानकार ा त कर सकगे क-
वतीय व वयु कन कारण से ारं भ हु आ था।
वतीय क मु ख घटनाऐं कौन-कौन सी थी।
वतीय व वयु के या प रणाम हु ए थे।
19.1 तावना
थम व वयु के उपरा त 1919 ई0 म पे रस म एक शाि त स मेलन आयोिजत
हु आ था, िजसम भ व य म व व शाि त क आशा क गयी थी क तु यह आशा नराधार
314
सा बत हु ई और थम व व यु के 20 वष के प चात ् ह पुन : व व यु क धधकती हु ई
वालाओं म जव लत हो उठा। पे रस शाि त स मेलन म म रा ने व व शाि त क
थापना तथा आपसी सम याओं के समाधान के लए रा संघ का गठन कया था और सभी
सद य दे श ने व व-शाि त क थापना करने तथा सभी रा य क रा य एकता एवं े ीय
अख डता क सु र ा करने का वचन दया था क तु शी ह जो घटना-च ार भ हु आ उसक
प रण त वतीय व वयु के प म हु ई।
315
इसी काल म इटल म बे नतो मुसो लनी ने इटल क जनता के अस तोष का लाभ
उठाकर अपनी अ धनायकवाद स ता था पत क । म रा के प पातपूण यवहार से इटल
म भयंकर अस तोष या त हो गया था। इटल ने यह अनुभव कया क पे रस स मेलन म
इटल को उसका यायो चत ह सा नह ं मला था। इसी लए उसने पे रस स मेलन तथा वसाय
क सि ध के नणय का वरोध कया और स मेलन के उपब ध का उ लंघन करना ार भ
कर दया। इटल ने अबीसी नया पर आ मण कर अपनी सा ा यवाद भावना का प रचय दया।
वह 1937 म सा यवाद वरोध संघ म शा मल हु आ और इस कार रोम-ब लन-टो कयो धु र का
नमाण हु आ। अपनी ि थ त को सु ढ़ करने के लए मई 1939 म उसने जमनी से दस वष य
कू टनी तक एवं सै नक सि ध क ।
पेन एवं जापान म भी यह काल तानाशाह के उ कष का काल था। हटलर एवं
मु सो लनी का सहयोग लेकर जनरल को ने पेन म गणत वा दय को यु म परािजत कया
और अपनी तानाशाह सजा था पत क । जापान म भी इस काल म सा ा यवाद भावनाऐं तेजी
से वक सत हु ई। जापान ने रा संघ क उपे ा करते हु ए मंचू रया पर अ धकार जमा लया।
जापान ने जमनी एवं इटल के साथ कू टनी तक एवं सै नक सि ध पर ह ता र कर रोम-ब लन-
टो कयो धु र का नमाण कया। इस धुर ने व व-शाि त को भंग करने एवं त काल न
राजनी तक यव था को उखाड़ फकने म मह वपूण भू मका नभायी और इन तानाशाह ने व व
को पुन : महायु क अि न म ढकेल दया।
316
नौ सेनाओं को प रसी मत करने म सहम त जताई। य य प ल दन म आयोिजत नौ सै नक
स मेलन म केवल अमे रका, टे न और जापान के बीच सहम त बनी तथा ांस एवं इटल म
पार प रक मतभेद के कारण यह स मेलन सफल न हो सका। 1932 ई0 का िजनेवा म
आयोिजत नःश ीकरण स मेलन ांस एवं जमनी के पार प रक मतभेद के कारण असफल हो
गया और जमनी ने स मेलन से पृथक होने क घोषणा कर द । 1933 ई0 के प चात ् यूरोप के
ाय: सभी छोटे -बड़े दे श अपनी सै नक शि त का वकास करने म जु ट गये। जापान ने तेजी से
अपनी सै नक शि त बढ़ाई और ए शया क एक मु ख शि त बन बैठा। 1938 ई0 यूरोप क
ि थ त ठ क वैसी ह बन गयी थी जैसी क सन ् 1914 ई0 म थी। इस कार ह थयार क होड़
और सै नकवाद क भावना ने वतीय महायु के लए मह वपूण भू मका का नमाण कया था।
म रा अपने नजी वाथ के कारण एवं पार प रक एकता के अभाव म हटलर एवं
मु सो लनी के व कोई भावा मक कदम नह ं उठा पाये। म रा ने इन तानाशाह क
शि त का तरोध करने के बजाय उनके त तु ट करण क नी त को अपनाया। व तु त: वसाय
क सि ध के उपरा त ह तपू त सामू हक सु र ा एवं न:श ीकरण सदश मामल म
म रा के म य अ त वरोध उ प न हो गया था। ांस जहाँ जमनी के त कठोर नी त का
प पाती था, वह ं टे न उसके त उदार ि टकोण अपनाना चाहता था।
व तु त: थम महायु के उपरा त यूरोप म ांस क शि त अ य धक बढ़ गयी थी।
दूसर ओर टे न अपने यापा रक हत , ांस को नयं त करने तथा सी सा यवाद के यूरोप
म सार को रोकने के लए जमनी को शि तशाल बनाना चाहता था। इसी लए टे न ने हटलर
के त तु ट करण क नी त अपनायी, िजस कारण अ य म रा उससे अस तु ट एवं नाराज
हो गये। इसी कार वसाय क सि ध के एक उपब ध के अनुसार अमे रका ने जमनी के व
ांस को सु र ा का आ वासन दया था क तु अमे रका क सीनेट ने इस सि ध को अ वीकृ त
कर दया, टे न ने भी ांस को उसक सु र ा का आ वासन दे ने से इनकार कर दया। इ लै ड
एवं अमे रका के इन कदम से ांस को घोर नराशा हु ई और वह पोलै ड, बेि जयम,
चैको लोवा कया से सु र ा मक सि ध करने को ववश हु आ। ांस एवं टे न के पर पर मतभेद
एवं तु ट करण क नी त का हटलर और मु सो लनी ने पूरा-पूरा लाभ उठाया। मु सो लनी को
स तु ट रखने के लए रा संघ वारा इटल पर लगाये गये आ थक तब ध के पालन के
लए ांस एवं टे न ने कोई दबाव नह ं बनाया, इसी कार राइनलै ड के वसै यीकरण
स ब धी उपब ध के उ लंघन के व कोई कदम नह ं उठाया गया, यहाँ तक क 1938 ई0
म जमनी वारा ऑि या पर अ धकार का भी टे न एवं ांस ने कोई वरोध नह ं कया। इस
कार म रा अपने मतभेद से कमजोर होते गये और तानाशाह ने इसका लाभ उठाकर
अपनी शि त म दन-दूनी रात-चौगुनी वृ क।
317
19.2.6 उ रा वाद
19.2.7 यु का ता का लक कारण
318
अ का पर आ मण कया और जमनी वारा स पर आ मण कया गया। इस अव ध म
जमन सेना ने स पर आ मण कर यू े न , ए टो नया, लाट वया लथु आ नया, फनलै ड और
पूव पोलै ड पर सी सेनाओं को हटाकर अ धकार कर लया और जमन सेनाय ले नन ाड के
नकट तक पहु ँ च गयीं और स क लगभग पाँच लाख वग मील भू म पर जमनी का अ धकार
हो गया। इसी अव ध म धु र रा ने उ तर अ का पर भी वजय अ भयान चलाया और उसे
ह तगत कर लया। व वयु क तृतीय अव था 7 दस बर, 1941 से 7 नव बर,1942 तक
मानी जा सकती है। इस अव था म जापान ने पल हाबर पर आ मण कया और म रा ने
नीदरलै ड, ई ट इि डज तथा कॉकेशस पर अ धकार था पत कया। 7 दस बर, 1941 को
जापान वारा शा त महासागर ि थत अमे रक वीप समूह पल हाबर पर भीषण आ मण कर
अमे रक नौ सै नक बेड़े को अ य धक त पहु ँ चायी गयी, िजसक त या व प 8 दस बर,
1941 को अमे रका और इ लै ड ने जापान के व यु क घोषणा कर द । जमनी एवं इटल
ने भी अमे रका के व यु घो षत कर दया और इस कार यु वा त वक प म व वयु
बन गया। इस अव ध म जापान ने तेजी से अपना वजय अ भयान चलाया और 1941 के
अ त तक याम पर अ धकार कर लया, टे न से हांगकांग तथा अमे रका से वाम तथा बेक
नामक वीप समू ह ह तगत कर लये। 1942 के ारं भ म फ लपी स वीप समू ह का
अ धकांश भाग जीत लया गया और संगापुर पर भी अ धकार कर लया गया। माच 1942 के
अ त तक जापान ने बमा को जीतकर चीन को यु साम ी भेजने वाले माग ब द कर दये।
माच म ह जापान ने हॉलै ड, अमे रका, इं लै ड तथा आ े लया के सि म लत जल बेड़े को
परािजत कर दया था। शी ह जापान ने सम त डच ई ट इ डीज पर अ धकार था पत कर
लया और इस कार छह माह क अव ध म ह उसने यूरोप तथा अमे रका के पूव ए शया और
शा त े के सा ा य को न ट कर दया। चतुथ अव था 8 नव बर, 1942 से 14 अग त,
1945 तक क मानी जा सकती है। इस अव ध म 8 नव बर, 1942 से 6 मई, 1945 तक
का काल अमे रका वारा च उ तर अ का पर आ मण एवं जमनी का आ मसमपण का
काल है तथा 7 मई, 1945 से 14 अग त, 1945 क अव ध वह है िजसम जापान वारा
आ मसमपण कया गया और महायु का अ त हु आ। इस कालाव ध म म रा क ि थत म
सु धार हु आ और धु र रा एक-एक कर परािजत होते गये। सव थम इटल को परािजत कर 3
दस बर, 1943 को उसे आ मसमपण हे तु मजबूर कया गया, त प चात ् भीषण यु म जमनी
को परािजत कया गया और 4 मई, 1945 को जमन सेनाओं ने आ मसमपण कर दया। 7
मई को सि ध पर ह ता र कर 8 मई, 1945 को यूरोप म यु ब द हो गया। अब केवल
जापान शेष था। 6 अग त, 1945 को जापान के हरो शमा नामक नगर म अमे रका वारा
पहला अणु बम गराया गया और 9 अग त, 1945 को नागासाक नगर पर दूसरा अणु बम
गराया गया। अणु बम के लयंकार वनाश से भयभीत होकर जापान ने 10 अग त, 1945
को आ मसमपण का ताव दया, और 14 अग त, 1945 को वतीय व वयु क समाि त
क घोषणा क गयी।
319
19.4 वतीय व वयु के प रणाम
19.4.1 धन-जन पर वनाशकार भाव
320
हाथ म चला गया। व व के रा य तेजी से उनके भाव े म बँटने लगे। स सा यवाद
वचारधारा का पोषक बन गया जब क अमे रका लोकतं एवं पू ज
ं ीवाद का त न ध बन गया।
19.4.4 शीत यु का ार भ
19.4.5 औप नवे शक सा ा य का अ त
19.5 सारांश
थम व व यु के उपरा त जो घटना च चला वह पुन : एक बार व व को महायु
क ओर ले गया। थम व व यु के बाद ांस वारा जमनी से तपू त वसूलने क कठोर
नी त, वसाय सि ध क अपमानजनक। शत, व व यापी आ थक मंद , हटलर के नेत ृ व म
जमनी क तानाशाह शि त का वकास, मु सो लनी क सा ा यवाद ल सा, जापान क
321
सा ा यवाद नी त, म रा म मतै य का अभाव एवं उनक तु ट करण क नी त आ द
घटनाओं ने 1919 ई0 म था पत अ तरा य यव था को घातक प से भा वत कया और
थम व वयु के ठ क 20 वष के प चात ् ह पुन : एक बार फर स पूण व व महायु क
वभी षका क चपेट म आ गया। वतीय व वयु अ य धक भयंकर एवं वनाशकार था। इसके
वनाशकार भाव से व व का कोई भी दे श अछूता नह ं रहा था, जो रा इस यु म तट थ
रहे थे वे भी इसके भाव से मु त न रह सके। यु के प रणाम व प धन-जन क अ य धक
त हु ई और सा ा यवाद का व प बदल गया। अब सा ा यवाद का थान वचारधाराओं पर
आ त भाव े ने ले लया। यु के उपरा त व व का शि त संतल
ु न अमे रका एवं स के
हाथ म चला गया और व व शी ह व ु वीय बन गया। व व म शाि त एवं सु र ा था पत
करने के लए संयु त रा संघ क थापना क गयी।
19.6 अ यासाथ न
1. वतीय व व यु के लए उ तरदायी प रि थ तय का व लेषण क िजए।
2. वतीय व व यु के प रणाम का ववेचन क िजए।
3. वतीय व व यु क मु ख घटनाओं का सं ेप म वणन क िजए।
19.7 स दभ थ
1. V. Churchill, The Second World War, Vol.1
2. E.H.Carr. International Relation between the two World
wars
3. Langsam. The World Since1919
4. स यकेतु व यालंकार यूरोप का इ तहास
322
इकाई 20
संयु त रा संघ क थापना
इकाई क परे खा -
20.0 उ े य
20.1 तावना
20.2 संयु त रा संघ के उ े य
20.3 संगठन
20.4 सद यता
20.5 काय एवं ग त व धय
20.6 आ थक यव था
20.7 सारांश
20.8 अ यासाथ न
20.9 संदभ थ
ं
20.0 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप -
संयु त रा संघ क थापना, उ े य एवं काय णाल से प र चत हो सकगे।
आप समझ जाएंग क दु नया के व भ न दे श के म य पर पर शाि त व सौहाद था पत
करने म जु टा यह संघ कस तरह से काय कर रहा है।
आप इसक कमजोर और ताकत दोन से ह वा कफ हो सकेग।
20.1 तावना
संयु त रा संघ क थापना मू ल प से रा संघ के उ तरा धकार के प म हु ई
थी। जब थम व व यु के उपरा त आपसी सहम त से था पत ल ग ऑफ नेश स वतीय
व व यु को रोकने म असफल रहा और व व को एक बार फर यु क वभी षका का
सामना करना पड़ा। तो व व के अ णी दे श ने मलकर एक बार फर एक ऐसे संगठन क
थापना के बारे म सोचा जो व व म शां त एवं सु र ा को सु नि चत कर सके। अतएव रा
संघ को समा त कर दया गया और उसका थान संयु त रा संघ ने ले लया। संयु त रा
संघ श द का योग सबसे पहले इं लड के धानमं ी सर वं टन च चल एवं अमर का के
रा पत क लन डी0 जवे ट ने कया था जब अटलां टक चाटर के अंतगत वतीय व व
यु के एक सहभागी, म दे श ने 1942 म संयु त रा संघ का थम घोषणा-प तु त
कया था। इसके उपरा त इस श द का योग ाय: होने लगा। 1943 तक म दे श ने
संयु त रा संघ के वचार को और प रप व कया और 1944 म अ णी म दे श के
323
त न धय ने ड बरटन ओ स कां े स वारा ता वत संगठन क परे खा पर वचार- वमश
कया।
25 अ ेल 1945 को व धवत प से संयु त रा संघ क थापना पर गहन वचार
वमश करने हे तु सीन ां स को म एक बैठक ार भ हु ई िजसम व व भर के 50 दे श और
दूसरे गैर सरकार संगठन ने भाग लया और संयु त रा संघ का चाटर तैयार कया गया।
24 अ टू बर 1945 का नव था पत संगठन के सु र ा प रषद के पांच थायी सद य के
ह ता र के उपरा त व धवत प से संयु त रा संघ क थापना हो गई। ार भ म इसके
कु ल 51 सद य रा थे िजनम से 5 सद य रा को थायी सद य का दजा मला हु आ था!
ये रा अमर का, सो वयत स, इं लड, चीन गणरा य तथा ांस थे। यह पांच सद य इसक
सु र ा प रषद के वशेषा धकार वाले सद य थे िज ह वीटो क शि त ा त थी। इनके अ त र त
46 सद य संयु त रा संघ क आम सभा के सद य थे। संयु त रा संघ के ारि भक 51
सद य क थम सभा जनवर 1946 म लंदन के वे ट म नट ट स ल हाल म आयोिजत
हु ई।
20.2. रा संघ के उ े य
संयु त रा संघ एक अंतरा य संगठन है िजसक थापना का मु य उ े य यु
काल म शां त थापना के लये य न करना और व व म शां त बनाए रखने के लये अनुकूल
वातावरण पैदा करना है। पर तु आज के वै वीकरण के युग म संयु त रा संघ जैसे
अंतरा य संगठन के काय े म बहु त बड़े तर पर व तार दे खने को मल रहा है। और
वयं व व म शां त थापना के यास का दायरा मानव जीवन के कई दूसरे आयाम को भी
अपनी प र ध म ले चु का है।
संयु त रा संघ को इस बात का भल -भाँ त आभास है क मानव समाज म शां त
एवं सु र ा का कोई यास तब एक सफल नह ं हो सकता जब तक क हर यि त और समाज
के हर वग को शां त पूण जीवन यापन के लये संसाधन एवं वकास के सु खद प रणाम म
समान भागीदार नह ं मलती। यह कारण है क संयु त रा संघ के काय क प र ध म ऐसे
काय को मु खता के साथ सि म लत कया गया है िजनका परम उ े य व व भर के
जनमानस के बहु मु खी क याण के लये वातावरण तैयार करना है। उदाहरण व प यूने को
व व वा य संगठन आ द के मा यम से मानव क याण के लये काय का तपादन संयु त
रा संघ क मु ख वशेषताएं ह।
इस कार संयु त रा संघ के उ े य को उसके काय के प र े य म मा कु छ
ब दुओं म सी मत नह ं कया जा सकता फर भी उसके ता वत उ े य को न नानुसार दज
कया जा सकता है -
1. अंतरा य शां त एवं सु र ा के बनाए रखना तथा यु के खतरे को समा त करना।
2. सम त दे श के म य मै ीपूण संब ध को बढ़ावा दे ना।
3. अंतरा य आ थक, सामािजक, सां कृ तक एवं मानवीय सम याओं के समाधान के लये
अंतरा य सहयोग ा त करना।
324
4. उपयु त सम त उ े य क ाि त हे तु व भ न दे श के या कलाप म सम वय था पत
करने के लये के य भू मका अदा करना।
इसके अ त र त संयु त रा संघ व व भर म बीमा रय , अ ानता, बेरोजगार क
समाि त स हत नश ीकरण, समानता के स ा त के चार- सार एवं वातावरण के संर ण
आ द के लये भी यासरत है और मानव जा त क आने वाल सम त पी ढ़य के लये एक
शा त, सु र त एवं सम प से वक सत व व क रचना ह इसका मु ख उ े य है।
इनके अ त र त वैचा रक एवं सै ाि तक तर पर भी संयु त रा संघ ने मानव
समाज के लये ेरक के प म काय करने क नींव डाल है िजसक प रे खा अगर साकार हो
सके तो व व भर का मानव समाज नै तकता क पराका ठा पर होगा और व व के हर े म
वकास क ऐसी बयार चलेगी िजससे मनु य सह अथ म सबसे अ छा ाणी बन सकेगा।
संयु त रा संघ ने अपने मूल उ े य के अ त र त िजन साम यक वषय पर अपना चंतन
तु त कया है और सम याओं के समाधान हे तु उपाय सु झाए ह, य द उनपर व व के तमाम
दे श का सहयोग मले तो व व सचमु च एक वग बन जायेगा। संयु त रा संघ के
मह वाकां ी उ े य न न है -
1. गर बी और भू ख क घोर सम याओं का अ त।
2. व यापी ाथ मक श ा का ल य ा त करना।
3. लंग समानता एवं म हलाओं के सशि तकरण के लये काय करना।
4. मातृ वा य के वकास के लये काय करना।
5. शशुओं क मृ यु दर को कम करना
6. एच0 आई0 वी0 / ए स, मले रया एवं दूसर बीमा रय को फैलने से रोकना।
7. वातावरणीय संतु लन को बनाए रखना तथा इसक सु र ा के उपाय करना।
8. अंतरा य तर पर वकास दर को बढ़ाने के लये सद य दे श के बीच सहयोग एवं
सम वय का वातावरण सु नि चत करना।
संयु त रा संघ ने अंतरा य वकास को सु नि चत करने के लये सह ाि द वकास
ल य नधा रत कया है। सह ाि द वकास ल य, (Millennium Development Goals)
म आठ ल य सि म लत ह िजनक 2015 ई0 तक ाि त के लये संयु त रा संघ के सभी
192 सद य ने अपनी सहम त य त क है। सत बर 2000 ई0 म संयु त रा के
सह ाि द घोषणा प म इन ल य का नधारण कया गया था। इसी कार संयु त रा
वकास योजना (United Nations Development Programme) अंतरा य तर पर
तकनीक सहायता दान करने क मह वाकां ी योजना है िजसके अंतगत व भ न -दे श को
संयु त रा संघ वारा तकनीक सहायता उपल ध कराई जानी है। व व वा य संगठन
(World Health Organization,), यू0 एन0 ए0 आई0 डी0 एस0 तथा ए स तथा ए स,
ट 0 बी0 एवं मले रया से लड़ने के लये नधा रत लोबल फंड अ त मह वाकां ी योजनाएं ह
िजनका मु य उ े य पूरे व व और मु य प से गर ब दे श को सहायता दान करना है।
व व तर पर जनन एवं जनसं या से स बि धत सम याओं के नदान हे तु संयु त रा संघ
325
क जनसं या फ ड योजना एक मह वपूण योजना है। इस योजना वारा 100 दे श म शशुओं
एवं माताओं के मृ यु दर को कम करने के लये सहायता दान क जाती है। इनके अ त र त
व ड बक, एवं इंटरनेशनल मोनीटर फ ड भी संयु त रा संघ के ढांचे के अंतगत ह काम
करते ह िजनका उ े य सद य दे श को अपनी आ थक यव था सु द ढ करने हे तु सहायता
उपल ध कराना है।
20.3 संगठन
संयु त रा संघ का संगठन मु य प से पांच अंग पर आधा रत है। संयु त रा
संघ क थापना के समय इसके छ: अंग थे पर तु 1994 से इसके एक अंग ट शप
काउं सल ने काम करना ब द कर दया! अब इसके पांच अंग ह।
क. सामा य सभा (General Assembly)
ख. सु र ा प रषद (Security Council)
ग. आ थक एवं सामािजक प रषद (Economic and Social Council)
घ. स चवालय (Secretariat Council)
ङ. अंतरा य यायालय (International Court of Justice)
संयु त रा संघ के उपयु त पांच मु ख अंग म से चार अंग का मु य कायालय
संयु त रा संघ के मु य कायालय म ह ि थत है जो अमर का के यूयाक नगर म
अंतरा य े म ि थत है। अंतरा य यायालय हे ग म ि थत है। संयु त रा संघ क
दूसर एज सय के मु य कायालय वयना, जेनेवा और नैरोबी म ि थत ह। संयु त रा संघ
क दूसर सं थाओं के मु य कायालय व व के कई दे श म ि थत ह।
संयु त रा संघ क थापना के समय पांच भाषाओं अं ेजी, ांसीसी, सी, पै नश
एवं चीनी को संयु त रा संघ क सरकार भाषा का दजा दया गया था। बाद म 1973 म
अरबी भाषा को भी सरकार भाषा का दजा ा त हो गया.। इस कार संयु त रा संघ क
सरकार भाषाएं कु ल छ: ह िजनम संयु त रा संघ के सभी कागजी काम होते ह। संयु त
रा संघ के मु ख अंग सु र ा प रषद के काय क भाषाएं मु यत: दो ह- अं ेजी एवं ांसीसी।
अब हम संयु त रा संघ के मु ख अंग का सं त ववरण बनाएग ता क संयु त
रा संघ के बारे म हमार जानकार म वृ हो सके।
(क) सामा य सभा (General Assembly): -
संयु त रा संघ क सामा य सभा संयु त रा संघ क सभी सद य दे श पर
आधा रत एक ऐसा पटल है जहां सभी सद य दे श के त न ध बैठ कर अंतरा य मह व के
मु पर वचार- वमश करते ह। इस अंग म सभी सद य दे श के एक त न ध को थान
मला हु आ है और उ ह एक वोट भी ा त होता है िजसका योग वह उन मु एवं वषय को
पा रत करने अथवा न करने के लये करते ह िजन पर संयु त रा संघ क कोई योजना
अथवा प रयोजना एवं नणय आधा रत होते है।
येक वष सामा य सभा का कम से कम एक बार अ धवेशन होता है िजसक
अ य ता उसी के सद य म से चु ना हु आ कोई सद य करता है। सामा य सभा का अ धवेशन
326
कई स पर आधा रत होता है जो लगभग दो स ताह तक चलता है इस बीच सभी सद य को
कम से कम एक बार सभा को संबो धत करने का अवसर ा त होता है। पर परागत प से
मु ख स चव अथात से े टर जनरल का संबोधन सबसे पहले होता है िजसके बाद सामा य सभा
के अ य का संबोधन होता है। सामा य सभा का सव थम अ धवेशन 10 जनवर 1946 को
बुलाया गया था जो लंदन के वे ट म न ट हाल म आयोिजत कया गया था।
सामा य सभा का मु ख काय अंतरा य शां त एवं सु र ा के मु और उसके वचार
हे तु लाए गये वषय पर वचार वमश करना। य द आव यकता हो तो वो टंग के वारा
सु लझाती बदले हु ए प र े य म संयु त रा संघ क सामा य सभा के काय म काफ वृ हो
चु क है। सामा य सभा िजन वषय पर मु ख प से वचार वमश करती है, उसम शां त एवं
सु र ा। व भ न अंग के सद य का नवाचन, वेश अथवा न कासन तथा बजट म संबं धत
मामलात है। इन सम त वषय पर सामा य सभा म दो तहाई बहु मत से नणय लया जाता
है। हर सद य दे श को एक वोट का अ धकार ा त है। बजट से संबं धत वषय के अ त र त,
सामा य सभा का कोई भी ताव सामा य सभा के सद य के लये' बा य नह ं होता।
सामा य सभा, संयु त रा के काय े म आने वाले कसी भी वषय पर ताव पा रत कर
सकती है पर तु शां त एवं सु र ा से संबं धत वषय उसके अ धकार े म नह ं आते। इन पर
ताव पा रत करने का अ धकार केवल सु र ा प रष को ा त है।
य द सामा य सभा म वोट के अ धकार का व लेषण कया जाय तो ात होता है क
एक दे श-एक वोट क यव था के अंतगत कोई ताव पा रत करने हे तु ा त मता धकार व व
जनसं या का कु ल आठ तशत होता है इसका मतलब यह हु आ क आठ तशत जनसं या
का मत 92 तशत जनसं या के लये बा य होता है। वह लोकतं क वड बना है।
(ख) सु र ा प रषद -
सु र ा प रषद का मु ख काय व व क शां त यव था को बनाये रखना और कसी
आपातकाल न ि थ त म शां त एवं सु र ा को उ प न खतर से नपटने के लये उपाय करना
है। एक ओर जहां संयु त रा संघ के दूसरे अंग केवल ताव पा रत कर सकते ह, सु र ा
प रषद के नणय पूरे व व पर बा य होते ह और कोई भी दे श उसक अवहेलना करने का
जो खम नह ं उठा सकता। चाटर क धारा 25 के अनु प इसके सद य, सद यता हण करने
समय ह इस आशय के त अपनी आ था य त करते ह।
संयु त रा संघ क सु र ा प रषद के सद य क सं या 15 है। िजनम पांच सद य
थायी सद य ह ये सद य दे श ह- संयु त रा अमर का इं लै ड, ा स, स एवं चीन। इनके
अ त र त दस अ थायी सद य होते ह। वतमान समय म ये अ थायी सद य ह-आ या,
बक ना फांसो, को टा र का ोय शया, जापान, ल बया, मेि सको, टक , युगा डा और
वयतनाम।
सु र ा प रषद के पाँच थायी सद य को वीटो का अ धकार ा त है। इस अ धकार के
मा यम से कोई भी थायी सद य सु र ा प रषद के कसी भी ताव के या वयन पर अंकुश
327
लगा सकता है। पर तु सामा य वषय पर वचार वमश के लये तु त ताव पर कोई रोक
नह ं है।
सु र ा प रषद के दस अ थायी सद य का कायकाल दो वष के लये होता है इनका
नवाचन े ीय आधार पर सामा य सभा वारा कया जाता है। सु र ा प रषद क अ य ता
मा सक च के आधार पर इसके कसी सद य वारा क जाती है।
सु र ा प रषद क सद यता हे तु भारत एक मजबूत दावेदार है पर तु अंतरा य
राजनी त पर अमर का के वच व के का२ण भारत के दावे को अब तक साथक नह ं बनाया जा
सका है।
(ग) स चवालय -
संयु त रा संध 'का स चवालय संयु त रा संघ के धान कायालय म ि थत है।
संयु त रा स चवालय का धान से े टर जनरल होता है िजसके अधीन व व भर से चु ने हु ए
अंतरा य स वल स वस के अ धकार होते ह के उसके आदे श के अनु प संयु त रा संघ के
उ े य को याि वत करते ह। संयु त रा संघ के अ धकार एवं कमचार संयु त रा संघ
के सम त अंग को आव यक जानकार , सहायता, एवं अ ययन का दा य व पूरा करते ह।
इनका काय संयु त रा संघ के व भ न अंग वारा बताए गये काय को पूरा करना भी है।
संयु त रा संघ के चाटर म लखा हु आ है क इसके अ धका रय एवं कमचा रय का चयन
कायकु शलता, काय मता, एवं ईमानदार के उ च तर पर व व के भौगो लक त न ध व के
उ े य को ि टगत रखते हु ये कया जाएगा। संयु त रा चाटर म वह भी दज ह क इसके
अ धकार एवं कमचार संयु त रा के अ त र त कसी और से आ ा ा त नह ं करग। हर
सद य दे श पर इसके चाटर के अनु प यह अ नवाय है क वह इसके ावधान का स मान
करते हु ए इसके कमचा रय एवं अ धका रय को भा वत करने का यास न कर। इसके
अ धका रय एवं कमचा रय के चयन का अ धकार केवल से े टर जनरल को ा त है। संयु त
रा संघ के जनरल से े टर का काय े बहु त यापक है। फर भी उसके काय को
न नानुसार य त कया जा सकता है :-
1. अंतरा य ववाद को सु लझाना।
2. शां त यव था के काय क नगरानी
3. अंतरा य का स का आयोजन
4. सु र ा प रषद के फैसल के या वयन से संबं धत जानकार एक करना
5. संयु त रा संघ क योजनाओं से संबं धत सद य दे श से वचार-- वमश करना। इनके
अ त र त अगर से े टर जनरल यह समझता है क अंतरा य शां त एवं सु र ा को कसी
बात से खतरा है तो वह सु र ा प रषद के सम उस मु े को आव यक कायवाह के लये
तु त कर सकता है।
से े टर जनरल -
संयु त रा संघ के वतमान से े टर जनरल द णी को रया के बान क मन ह। वह
आठव से े टर जनरल ह। उनसे पूव नाव के कले ल (1946-52) वीडन के डाग हे मरशो ड
(1953-61) वमा के ऊ था ट (1961 -71), आि या के कु त वा दहाइम (1972-81) पे के
328
जे वयर पेरेज डी. कु इयार (1982-91), म के बुतरस धाल (1992-96) और घाना के कोफ
अ नास (1997 से सतत) संयु त रा संघ के से े टर जनरल रह चु के ह।
से े टर जनरल क बहाल सु र ा प रषद क सफा रश पर सामा य सभा वारा क
जाती है। य य प से े टर जनरल के चयन को सु र ा प रषद के कसी थायी सद य वारा
वीटो कया जा सकता है। अत: यह आव यक है क से े टर जनरल के चयन से पूव सम त
पांच थायी सद य का मतेक हो। इसी कार सामा य सभा को भी यह अ धकार ा त है क
वह सु र ा प रषद वारा ता वत कसी यि त वशेष क उ मीदवार को बहु मत के आधार
पर र करद, हालां क ऐसा आज तक हु आ नह ं है।
से े टर जनरल के पद हे तु कसी वशेष अहता का उ लेख नह ं है पर तु वष के तजु ब
से सा बत है क इस पद पर कसी यि त का चयन पाँच साल के एक अथवा दो काय काल
के लये कया जा सकता है तथा चयन के समय भौगो लक त न ध व के च के नयम को
ि टगत रखा जाता है इसके साथ यह भी दे खने को मला है क से े टर जनरल पाँच थायी
सद य दे श से संबं धत नह ं होगा।
से े टर जनरल के काय क प-रे खा पर काश डालते हु ये अमर क रा पत क लन
डी0 जवे ट ने कहा था क से े टर जनरल का काय एक- व व संचालक जैसा है जो संयु त
रा चाटर के अनुसार इसका मु ख शास नक अ धकार होता है। पर तु चाटर म यह भी दज
है क से े टर जनरल व व शां त एवं सु र ा को करने वाले उ प न कसी भी खतरे को
ि टगत कसी मु े क सु र ा प रषद के ान म ला सकता है, अत: इस प र े य म उसके
काय एवं दा य व क प र ध बड़ी यापक एवं व तृत है और वह संयु त रा का मु ख
शास नक अ धकार होने के साथ ह सद य दे श के म य उ प न ववाद एवं यु के खतर
क ि थ त म म य थ क भू मका भी अदा करता है।
(घ) आ थक एवं सामािजक प रषद -
आ थक एवं सामािजक प रषद सामा य सभा आ थक एवं सामािजक सहयोग एवं
वकास के े म उ न त म सहायता दान करती है। इस प रषद म 10 सद य है और इनका
कायकाल तीन वष का होता है। इनका चु नाव सामा य सभा वारा कया जाना है और इसका
अ य एक वष के लये इसके छोटे एवं कम शि तशाल सद य दे श म से चु ना जाता है।
आ थक एवं सामािजक प रषद का अ धवेशन साल म एक बार स ताह भर के लये होता है।
संयु त रा संघ क दूसर वशेष एज सय से अलग इसके काय क परध म
जानका रयां एक करना, सद य दे श को परामश दे ना और सफा रश करना सि म लत है।
इसके अ त र त आ थक एवं सामािजक प रषद का बड़ा काम संयु त रा संघ क वभ न
पूरक सं थाओं के म य सम वय एवं सहयोग दान करना भी है िजसम यह अ धक याशील
है।
(ङ) अंतरा य यायालय -
अंतरा य यायालय संयु त रा संघ का मु य या यक अंग है जो नीदरलड के हे ग
म ि थत है। इसक थापना 1945 म संयु त रा के चाटर वारा हु ई थी और इसने 1946
से काय करना ार भ कर दया था। संयु त रा संघ का अंतरा य यायालय इसके पूवज
329
रा संघ के पमाने ट कोट ऑफ इंटरनेशनल जि टस के थान पर अि त व म आया था।
अंतरा य यायालय का अ ध नयम इसके पूवज क भां त इसक मु य संवध
ै ा नक द तावेज है
िजसके अनुसार इसक थापना एवं यव था का ावधान है।
अंतरा य यायालय नीदरलै ड के हे ग म ि थत शाि त महल म है िजसम हे ग
एकेडमी आफ इंटरनेशनल ल भी ि थत है। इस कोट के अ धकतर जज इसी एकेडमी के पूव
छा अथवा श क होते ह।
अंतरा य यायालय का मु य काय संयु त रा संघ के सद य दे श के म य
उ प न ववाद को सु लझाना है। अंतरा य यायालय ने अब तक बहु त से यु अपराध ,
अवैधा नक रा य ह त ेप एवं न लभेद के मामलात म या यक सेवा उपल ध कतई है और यह
म लगातार जार है।
सामा य सभा क आपसी सहम त से 2002 ई0 से अंतरा य यायालय के अंतगत
एक अंतरा य मनल कोट क भी थापना क गई है। यह ऐसा पहला थायी अंतरा य
यायालय है िजसक थापना का उ े य ह ऐसे घोर अपरा धक मामलात क सु नवाई है जो
मानवता के व घृ णत अपराध क प र ध म आते ह। इसम यु अपराध और न लकुशी भी
शा मल है। इंटरनेशनल मनल कोट को संयु त रा के कसी भी ह त ेप से पूणता अलग
रखा गया है। य य प संयु त रा एवं इंटरनेशनल मनल कोट म एक ''स ब ध समझौता''
है िजसके अंतगत दोन सं थाएं या यक तर पर एक दूसरे का स मान करती ह।
संयु त रा संघ क वशेष एज सयां -
ऐसे कई संगठन और सं थाएं ह जो संयु त रा संघ के लये वशेष काय का
तपादन करती है। संयु त रा संघ क यह सं थाएं ह- (अ तरा य अणु शि त एजे सी)
इंटरनेशनल एटा मक एनज एजे सी, (खाघ एवं कृ ष संगठन) द फूड ए ड ए ीक चर
आग नाइजेशन (सं. रा. श ा व ान और सां कृ तक संगठन) यूनाइटे ड नेश स एजू केशनल,
साइंट फक ए ड क चरल आगनाइजेशन ( व व वा य संगठन) यूने को), व व बक, और
व ड हे थ आगनाइजेशन।
संयु त रा संघ के चाटर म दज है क संयु त रा संघ के मु ख अंग य द चाह
तो अपने उ े य क पू त हे तु व भ न वशेष एज सयां था पत कर सकते ह।
20.4. सद यता
संयु ता रा संघ के सद य क वतमान सं या 194 है। संयु ता रा के सद य क
सं या ार भ म कम थी पर तु धीरे -धीरे अ धक से अ धक वत एवं सं भु रा य इसक
सद यता हण करने गए और अब यह सं या 194 हो चु क है। कु छ ऐसे रा य िजनक
सं भु ता ववादा पद है, अभी तक सद यता हण नह ं कर पाए ह उदाहरण व प ताइवान और
कोसोवो िजनक सं भ
ू ता ववादा पद है। ताइवान पर चीनी गणरा य एवं कोसोवो पर साइबे रया
गणरा य का दावा है और चू ं क चीन संयु त रा क सु र ा प रषद का थायी सद य भी है,
अत ताइवान क एक सं भु रा य क है सयत से संयु त रा क सद यता पर न च ह
लगा हु आ है।
330
वैचा रक ि ट से संयु ता रा क सद यता के लये संयु त रा चाटर म
न न ल खत नयम दये गये है।
1. संयु त रा क सद यता हे तु संयु त रा के वार उन सभी रा य के लये खु ले हु ए है
जो संयु ता रा के चाटर म दज आदश के त आ था रखते ह जो इस संगठन के
फैसल को उ चत मानते ह और संगठन के दा य व क पू त को अपना कत य जानते ह।
2. ऐसे कसी रा य का संयु त रा संघ म वेश सु र ा प रषद क सफा रश पर सामा य
सभा के नणय के आधार पर ह संभव होगा।
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काय नह ं कर पाती और वह प पात का शकार हो जाती है। सन ् 1994 के रवा डा नरसंहार
के समय दूसरे काग यु के बीच यह दे खने को मला
2. मानवा धकार एवं मानवीय सेवा
संयु त रा संघ क थापना का एक मु ख उ े य मानवा धकार संर ण एवं मानव
सेवा भी है। अंतरा य तर पर मानव अ धकार को संर ण दान करना एवं उनके हास क
ि थत म भा वत लोग को हर कार क सहायता दान करना संयु त रा संघ के काय का
मह वपूण सार है। संयु त रा संघ का चाटर सम त सद य दे श पर मानवा धकार का आदर
एवं उनके संर ण को आव यक बनाता है और इस उ े य क ाि त के लये यि तगत अथवा
संयु त प से कायवाह करने का आ वान करता है। एक समान मानवा धकार को अंतरा य
तर पर वीकृ त दान करने के उ े य से ह 1948 म सामा य सभा ने ''यू नवसल
ड लेरेशन ऑफ यूम न राइ स'' का मसौदा पा रत कया था जो हांला क कोई कानूनी मह व
नह ं रखता पर तु व व म इन नयम का स मान कया जाता है और शां त एवं सु रखा क
कायवा हय म इनको मौ लक प से मह व दया जाता है। सन ् 2006 म था पत संयु त
रा यूम न राई स काउं सल इस स ब ध म सबसे भावी सं था है।
3. नश ीकरण
संयु त रा संघ क थापना वतीय व व यु के प र े य म हु ई थी। वतीय
व व यु एक ऐसी मानव र चत सद िजसके अ भशाप से आज तक जापान का एक बड़ा े
भा वत है। इस यु म व व को म दे श एवं घुर -शि तय को वशाल मानव नरसंहार का
सामना करना पड़ा। फर व व ल बे समय तक शीत-यु का से पी ड़त रहा। इस पृ ठभू म म
नश ीकरण व व क सबसे बड़ी आव यकता भी है िजसका तपालन सम त सद य दे श के
लये भी आव यक है।
आधु नक तकनीक क सहायता से बड़े तर पर संहार के आधु नक अ -श बनाए
जा रहे ह और आण वक श क खेप क खेप व व म तैयार हो रह ह। दूसरे व व यु के
उपरा त ऐसा तीत हो रहा था जैसे व व म आण वक श को बनाने एवं उनके भंडारण क
एक होड सी लगी हु ई है िजस पर अंकु श लगाना आव यक है।
संयु त रा संघ क सामा य सभा ने इस स ब ध म कई मह वपूण कदम उठाए
और कई न न तर क भावी सं थाएं था पत क गई। िजनका उ े य व व म
नश ीकरण के लये काय करना और श क होड़ पर अंकुश लगाना है। सामा य सभा
थम स म त, संयु त रा नश ीकरण आयोग एवं नश ीकरण पर स मेलन (का स)
संयु त रा के ऐसे उपाय ह िजनका उ े य व व म नश ीकरण का वातावरण था पत
करना है।
20.6 आ थक यव था
संयु त रा संघ एक बहु त बड़े जहाज के समान है िजसके चलते रहने के लये बड़ी
आ थक यव था क बहु त आव यकता होती है और यह एक बड़ा न हो सकता है क आ खर
इतनी बड़ी यव था को चलाने के लये आ थक संसाधन कहां से जु टाए जाते ह।
332
संयु त रा संघ को भावी प से चलाने के लये इसके सद य दे श को ह आ थक
संसाधन जु टाने पड़ते है। सम त दे श अपनी मता के अनु प संयु त रा संघ को आ थक
सहायता दान करते ह। मु य प से इसक अथ यव था को चलाने म संयु त रा य
अमर का 22 तशत, जापान 16.62 तशत, जमनी 8.66 तशत, टे न 6.13 तशत,
पेन 2.52 तशत, मेि सको 1.88 तशत, द णी को रया 1.80 तशत एवं नीदरलै ड
1.69 तशत, ांस 6.03 तशत इटल 4.89 तशत, कनाडा 2.81 तशत, चीन 2.67
तशत, आ े लया 1.59 तशत, ाजील 1.52 तशत और अ य दे श 19.19 तशत क
भागीदार करते ह।
संयु त रा का बजट दो वषा का होता है और यह सामा य सभा वारा पा रत होता
है। UNICEF एवं UNDP जैसी योजनाएं संयु त रा के सामा य बजट म सि म लत नह ं
होती।
20.7 साराश
संयु त रा क थापना के बाद से ह इस पर प पात एवं नि यता के आरोप
लगते रहे ह। सन ् 1950 से अब तक ऐसी कई प रि थ तयां उ प न हु ई ह िजनम संयु त रा
संघ क भू मका अ प ट एवं असामा य प से प पाती रह है। मु ख प से संयु त रा
संघ पर अमर का के हाथ खलौना बनने का आरोप लगता रहा है। वयं अमर का के कई
रा प तय ने इस पर अ भावी एवं अ सां गक होने का आरोप लगाया है। 1994 म संयु त
रा संघ म अमर का के त न ध जान बो टन ने तो सार सीमाएं तोड़ते हु ए यह तक कह
दया क:- “ व व म संयु त रा जैसी कोई सं था नह ं है। यहां केवल एक व व समु दाय है
जो केवल व व के एकमा सु पर पावर अमर का के नेत ृ व म चल सकता है''।
इन आरोप के बाबजू द यह नह ं कहा जा सकता क संयु त रा व व म शां त एवं
सु र ा बहाल करने म ब कु ल असफल रहा है। स य तो यह है क कई वलंत मु पर संयु त
रा क म य थता के कारण यु के खतरे को बार-बार टाला जा सका है। अभी हाल ह म
ईरान क परमाणु प रयोजना को लेकर म य ऐ शया े म यु के बादल मंडराने लगे थे।
िजसको संयु त रा संघ के य न से ह टाला जा सका। इससे पूव उ तर को रया पर भी
अमर का के आ मण का खतरा मंडरा रहा था िजसे संयु ता रा ने कू टनी त से टाला। पर तु
यह एक स य है क फल तीन, क मीर, ईरान-ईराक, को रया, कांग एवं चेको लोवा कया के
मु पर संयु त रा भावी नह ं हु आ और यह मु े कसी न कसी प म व व के लये
खतरा बने हु ए ह।
ईराक यु से पूव संयु ता रा बुर तरह असफल हु आ और एक वत दे श पर
अमर का के वच व का तांडव सारे व व ने दे खा। थम ईराक यु के बाद ''आमल फार फूड''
ो ाम को यायपरक प से संचा लत करने म भी संयु त रा असफल रहा और इस
प र े य म संयु त रा अमर का के हाथ कठपुतला बन गया।
बोि नया एवं स बया के यु म वकरा नरसंहार को रोकने म संयु त रा संघ को
अपे त कामयाबी मल । ले कन यह दे र से उठाया हु आ एक कदम था िजस के लये संयु त
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रा को आलोचना का शकार होना पडा। हालां क बाद म संयु त रा क को शश से ह
बोि नया नरसंहार के मु य अ भयु त को याय या के अंतगत लाया जा सका।
20.8 अ यासाथ न
1. संयु त रा संघ के व भ न अंग का वणन क िजए।
2. संयु त रा संघ के काय एवं उपलि धय का मू यांकन क िजए।
3. व वशाि त म संयु त रा संघ क भू मका ल खए।
20.9 संदभ ंथ
1. ई.पी. चज 'द यूनाइटे ड नेश स इन ए शनप’
2. एस. लेर लयोनाड इ टरनेशनल ऑगनाईजेशन
3. पा गर ए ड प क स 'इ टरनेशनल रलेश स'
4. श शका त राय और शशांक होरवर 'आधु नक व व-एक आयाम'
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