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विषय ह द

िं ी
प्रश्न
पपत्रनसं.नएवंनशीर्षकन P5: भाषाविज्ञान
इकाईनसं.नएवंनशीर्षकन M27: आकृतिमूलक िर्गीकरण
इकाईनटै गन HND_P5_M27

तनमाािा समू
प्रमुखनअन्नवर्
ह कन प्रो. गर्गरीश्िर िम्र
कुलपति,नमहात्न
मानगां ीनअंिाााटन
रीय हिंनी हंिीनववश्न
ववव्य हिंालय हिं,नव ाषन(महाााटन
र)न442001
ईमहलन:नmisragirishwar@gmail.com
प्रश्पपत्र समन्न
वय हिंकनन डॉ. उमाशिंकर उपाध्याय
पूवनष प्रोफहसा,नभार्ानवव्य हिंापीठन
महात्न
मानगां ीनअंिाााटन
रीय हिंनी हंिीनववश्न
ववव्य हिंालय हिं,नव ाषन(महाााटन
र)न442001न
ईमहलन:नusupadhyay@gmail.comन न
इकाई लहखक प्रो. ठाकुर दास
पूवनष प्रोफहसा,नकेंद्रीय हिंनी हंिीनसंस्थाप,नआगाा
ईमहलन:नdassthakur@gmail.comन
इकाईनसमीक्षक डॉ. उमाशिंकर उपाध्याय
पूवनष प्रोफहसा,नभार्ानवव्य हिंापीठन
महात्न
मानगां ीनअंिाााटन
रीय हिंनी हंिीनववश्न
ववव्य हिंालय हिं,नव ाषन(महाााटन
र)न442001न
ईमहलन:नusupadhyay@gmail.comन न
भार्ा संपािकन प्रो. गर्गरीश्िर िम्र
कुलपति,नमहात्न
मानगां ीनअंिााार्र्न ीय हिंनी हंिीनववश्न
ववव्य हिंालय हिं,नव ाषन(महाााटन
र)न442001
ईमहलन:नmisragirishwar@gmail.com

पाठ का प्रारूप
1. पाठनकानउद्दहश्य हिं
2. प्रस्िावपा
3. आकृतिमूलकनवगीकाणनकहनआ ाान
4. तपटकर्ष

1. पाठ का उद्देश्य
इसनइकाईनमें नआपनय हिंहनपढें गहन–
o आकृतिमूलकनवगीकाणनक्य हिंानहै नऔानककपनआ ााोंनपानककय हिंानजािाननहैं?
o आकृतिमूलकनवगीकाणनकहनआ ाानपानभार्ाओंनकहनकौप-कौपनसहनभहि-प्रभहिनककएनजािहनहै ?
o आकृतिमल
ू कनवगीकाणनकहनअंिगषिनसंसाानकीनककप-ककपनभार्ाओंनकोनएकनसाथनाखानजानसकिानहै ?न
o क्य हिंानआकृतिमूलकनवगीकाणनकहनआ ाानपानवैज्ञातपकनतपटकर्षनतपकालहनजानसकिहनहै ?

HND : ह द
िं ी P5: भाषाविज्ञान
M27: आकृतिमल
ू क िर्गीकरण
2. प्रस्िािना
ऐतिहाससकन भार्ाववज्ञापन कहन अंिगषिन भार्ाओंन कान वगीकाणन अठााहवींन शिाब्िीन सहन ककय हिंान जािान ाहान है ।न य हिंहन वगीकाणन
ववसभन्पनआ ााोंनपानककएनगएनहैं।नमोटह निौानपानभार्ाओंनकहनवगीकाणनकहनिोनआ ाानमापहनगएनहैंन –नआकृतिमूलक और
पाररिाररक।

आकृतिमूलकन वगीकाणन कान ववकासन रूवपसमकन वगीकाणन पान आ ारािन है न जजसकान ववकासन 19वींन शिाब्िीन कहन जमषपन
भार्ावविोंन –न श्लहगल,न श्टाइपथाल,न हुंबोल्टन एवंन श्लाइखान ्वााान ककय हिंान गय हिंा।न अमहराकीन भार्ावव्न ऐडवडषन सपीान पहन इसहन
व्य हिंवजस्थिनकापहन कानप्रय हिंासनककय हिंा।नआगहन चलकानअमहराकीनभार्ावविनजोसहफ़नग्रीपबगष,नचहकनभार्ावव्नस्कासल्कानऔान
रूसीनभार्ावव्नउपें स्कीनपहनइसकानप्रय हिंोगनभार्ाओंनकहनरूवपसमकनय हिंानाचपात्मकनवगीकाणनकहनसलएनककय हिंा।

भार्ानमें निोनप्रकाानकहनित्वनहोिहनहैंन –नसंाचपानित्वनऔानअथषनित्व।नकहवलनसंाचपानकहनआ ाानपानककय हिंानगय हिंानवगीकाणन


आकृतिमल
ू कन वगीकाणन कहलािान है न जबककन संाचपान ित्वन औान अथषन ित्वन कहन सजममसलिन आ ाान पान ककय हिंान गय हिंान
वगीकाणनपारावाराकनय हिंानऐतिहाससकनवगीकाणनकहलािानहै ।नइसनप्रकाानभार्ानसंाचपानकहनककसीनभीनपक्षनकहनआ ाानपान
ककय हिंान गय हिंान वगीकाणन आकृतिमूलकन वगीकाणन कहलािान है ।न स्वतपसमकन ाचपा,न रूवपसमकन ाचपान य हिंान शब्िन अथवान पिन
ाचपा,नवाक्य हिंनाचपानकोनआ ाानबपाकानआकृतिमूलकनवगीकाणनककय हिंानजािानहै ।नय हिंन
ूूँ िोनां गोंनकीनशब्िावली,नस्वाोंनऔान
व्य हिंंजपोंन कीन संख्य हिंान कोन भीन आ ाान बपाकान वगीकाणन ककय हिंान जान सकिान है न औान वहन भीन आकृतिमूलकन वगीकाणन
कहलाएगा।नकहपहनकानिात्पय हिंषनय हिंहनककनजजपनभार्ाओंनमें नपिोंनय हिंानवाक्य हिंोंनकीनाचपानकानढं गनएकनजैसानहोिानहै ,नउन्हें नएकन
वगषनमें नाखानजािानहै ।न

3. आकृतिमूलक िर्गीकरण के आधार


‘’आकृतिमूलक’’नकहनपय हिंाषय हिंनकहनिौानपानरूपात्मक,नपिात्मकनय हिंानसंाचपात्मकनशब्िोंनकानभीनप्रय हिंोगनककय हिंानजािानहै ।नइसन
प्रकाान ववसभन्पन आ ााोंन पान आकृतिमल
ू कन वगीकाणन कापहन कहन प्रय हिंासन ककएन गएन हैं।न वगीकाणन कहन सलएन मख्
ु य हिंिय हिंान
तपमपसलखखिनिीपनप्रमुखनआ ााोंनकानप्रय हिंोगनककय हिंानजािानहै ।न

1. रूवपिमक या सिंरचनात्मक : इसनकहनअंिगषिनशब्िनकीनआंिराकनसंाचपानकहनआ ाानपानवगीकाणनककय हिंानजािानहै ।न


कुछन भार्ाओंन में न शब्िन कोन रूवपमोंन में न पहींन िोडान जान सकिा।न ऐसीन भार्ाएूँन अय हिंोगात्मकन भार्ाएूँन कहलािीन हैं।न इसकहन
ववपाीिन जजपन भार्ाओंन में न पिन ाचपान मल
ू न शब्िोंन कहन साथन पासगषन एवंन प्रत्य हिंय हिंन जोडकान कीन जािीन है ,न ऐसीन भार्ाओंन कोन
य हिंोगात्मकनभार्ाएूँनकहानजािानहै ।नन

2. िाक्यविन्यासीय: इसकहनअंिगषिनभार्ाओंनकोनप्रमुखनरूपनसहनशब्िक्रमनकहनआ ाानपानवगीकृिनककय हिंानजािानहै ।



3. स्ितनिमक:नइसकहनअंिगषिनभार्ानकीनध्वतपनव्य हिंवस्थानकहनआ ाानपानकईनपैाामीटाोंनपानवगीकाणनककय हिंानजािानहै ।न
ध्वतपय हिंाूँन िोनप्रकाानकीनहोिीनहैंन –नखंडीय हिंनऔानखंडहिा।नखंडहिानध्वतपय हिंोंनकहनआ ाानपानभार्ाओंन कहनवगीकाणनककएनगएन
हैं।

अबनइसहनववस्िाानसहनसमझपहनकानप्रय हिंासनकाें गहन–न

HND : ह द
िं ी P5: भाषाविज्ञान
M27: आकृतिमल
ू क िर्गीकरण
3.1 रूवपिमक या सिंरचनात्मक
रूवपसमकनय हिंानसंाचपात्मकनपैाामीटानकोनसमझपहन कहनसलएनशब्िनऔानपिनकीनाचपा-प्रकक्रय हिंानकोनसमझपानआवश्य हिंकनहै ।न
शब्िोंन कीन ाचपान कहन सलएन िोन ित्वन –न प्रकृतिन औान प्रत्य हिंय हिंन य हिंान अथष ित्वन औान ाचपा ित्वन ज़रूाीन होिहन हैं।न कभीन कभीन
िीसाानित्वन–नउपसगषन भीनकामनमें न लाय हिंानजािानहै ।नप्रकृतिनमूलनित्वनहै न जोनअथषन कोनआ ाानप्रिापनकािानहै ,नप्रत्य हिंय हिंन
उसकोनस्पटटनकापहन वालानअंशनहोिानहै ।नउपसगषन प्रकृति-प्रत्य हिंय हिंनकहनय हिंोगनसहन उत्पन्पनशब्िाथषन कानरूपांिाकनहोिानहै ।नइसन
प्रकाानशब्िोंनकीनतपटपजत्िनकहनसलएनपहलहनिोपोंनकानय हिंानिीपोंनकानहोपानजरूाीनहोिानहै ।
आकृतिमल
ू कनवगीकाणनमें न उपनभार्ाओंन कोनएकनवगषन में न ाखानजािानहै न जजपमें न पिों,नवाक्य हिंोंनय हिंानध्वतपय हिंोंनकीनाचपानकान
ढं गन एकन जैसान होिान है ।न आकृतिमूलकन वगीकाणन कहन रूवपसमकन आ ाान पान भार्ाओंन कहन िोन मुख्य हिंन भहिन ककएन जािहन हैंन –न
अय हिंोगात्मकनऔानय हिंोगात्मकनभार्ाएूँ।नन

3,1.1 अयोर्गात्मक भाषाएँ वहन होिीन हैंन जजपमें न प्रकृतिन –न प्रत्य हिंय हिंन जैसीन कोईन चीज़न पहींन होिी।न प्रत्य हिंहकन शब्िन कीन स्विंत्रन
सत्िान होिीन है ।न वाक्य हिंन में न प्रय हिंक्
ु िन होपहन पान उसमें न कोईन बिलावन पहींन होिान है ।न ऐसीन भार्ाओंन में न शब्िोंन कान ववभाजपन
व्य हिंाकाखणकनकोी टय हिंोंन–नसंज्ञा,नसवषपाम,नववशहर्ण,नकक्रय हिंानकक्रय हिंानववशहर्णनआी िनकहनरूपनमें न पहींन ककय हिंानजािानहै ।नएकनहीन
शब्िन स्थापन भहिन सहन संज्ञा,न ववशहर्ण,न कक्रय हिंान आी िन कुछन भीनहोन सकिान है ।न अय हिंोगात्मकन भार्ाओंन कान प्रतितपध त्व,न सहीन
माय हिंपहनमें ,नचीपीनऔानववय हिंिपामीनभार्ाएूँनकािीनहैं।न

चीपीनभार्ानमें न ‘जजप’नकानअथषन है न ‘मपटु य हिं’,न’िो’ननअपहकनय हिंानसमह


ू वाचकनप्रत्य हिंय हिंनहै ।निोपोंनकोनसमलाकान‘’िोजजप’’नशब्िन
बपा,न जजसकान अथषन है न ‘’बहुिन मपुटय हिं’’।न चीपीन में न बहुवचपन सूचकन ववभजक्िय हिंाूँन पहींन होिीं,न ककसीन समूहवाचकन शब्िन कहन
प्रय हिंोगनसहन बहुवचपनकानबो नहोनजािानहै । ी हंिीनमें न भीनइसकहनउिाहाणनसमलनजािहन हैं।नी हंिीनमें न लोगनय हिंानगणनशब्िनकहन
प्रय हिंोगनसहनबहुवचपनकानबो नहोिानहै ।नजैसहनहमनलोग,नअध्य हिंापकगण,नवक्िागणनआी ि।न

अय हिंोगात्मकन भार्ाओंन में न पिक्रमन कान ववशहर्न महत्वन होिान है ।न पिक्रमन में न पराविषपन सहन वाक्य हिंोंन कान अथषन बिलन जािान है ।न
अंग्रहजीनऔानी हंिीनभार्ानमें नभीनइसकहनकुछनउिाहाणनसमलनजािहनहैं। नअंग्रहजीनकहनइपनिोनवाक्य हिंोंनकोनिह खेंन–
Mohan hits Sohan
Sohan hits Mohan

इपन िोपोंन वाक्य हिंोंन मेंन शब्िोंन य हिंान पिोंन मेंन कोईन अंिान पहींन है ,नकहवलन उपकान स्थापन बिलन ी िय हिंान गय हिंान है ।न पहलहन वाक्य हिंनमेंन
मोहपनकिाषन है न औानसोहपनकमष।निस
ू ाह न वाक्य हिंनमें न स्थापनबिलनजापहन सहन सोहपनकिाषन औानमोहपनकमषन होनगएनहैं।नकिाषन
औानकमषन कानभहिकनकोईनभीनधचह्पनशब्िोंनकहनसाथनलगानहुआनपहींन समलिा।नी हिींन में न भीनकुछनउिाहाणनइसीनिाहनकहन
समलनजािहनहैं।नजैसहन–
नननननननननननननसाूँपनचूहानखािानहै ।
नननननननननननननचह
ू ानसाूँपनखािानहै ।

य हिंहाूँन भीनकिाषन औानकमषन कानतपणषय हिंनकहवलनस्थापनसहन हीनहोनाहानहै ।नपहलहन वाक्य हिंनमेंन साूँपनकिाषन है न औानचूहानकमष।निस
ू ाह न
वाक्य हिंनमें नचूहानकिाषनहै नऔानसाूँपनकमष।

HND : ह द
िं ी P5: भाषाविज्ञान
M27: आकृतिमल
ू क िर्गीकरण
अय हिंोगात्मकन भार्ाओंन में न एकन हीन शब्िन संज्ञा,न कक्रय हिंा,न ववशहर्णन आी िन कहन रूपन में न प्रय हिंुक्िन होिान है ।न य हिंहन उिाहाणन िह खेंन –नन
अंग्रहजीनकहनmailनशब्िनकोनलहिनह हैं।
1. Bring the mail immediately.
2. Mail these letters.
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इपनवाक्य हिंोंनमें नmailनशब्िनसंज्ञा,नकक्रय हिंानऔानववशहर्णनकहनरूपनमें न प्रय हिंुक्िनहुआनहै ।नअय हिंोगात्मकनभार्ाओंन मेंन एकनहीनशब्िन
ववसभन्पनव्य हिंाकाखणकनकोी टय हिंोंनकहनिौानपानकामनकािानहै ।न
ी हंिीनमें नभीनकुछनऐसहनउिाहाणनसमलनजािहनहैं।न
1. उसकानइसनिाहनजाना मुझनह अच्छानपहींनलगा।ननन(संज्ञा)
2. िुमनकलनसुबहनजाना।ननननननननन(कक्रय हिंा)ननननननननननन
अय हिंोगात्मकन भार्ाओंन में न चीपीन िथान ववय हिंिपामीन कहन अतिराक्िन तिब्बिी,न बमी,न स्य हिंामीन आी िन भार्ाएूँन भीन आिीन हैं।न
अय हिंोगात्मकनभार्ाओंनकीनकुछनववशहर्िाएूँनतपमपसलखखिनहैंन–
1. अय हिंोगात्मकनभार्ाओंनमें नपिक्रमनकानबहुिनमहत्वनहोिानहै ।नपिक्रमनमें नपराविषपनसहनवाक्य हिंनकानअथषनबिलनजािान
है ।नइसकहनकुछनउिाहाणनहमनिह खनचुकहनहैं।
2. शब्िोंनमें न अथषन पराविषपनकानआ ाानसुानहोिानहै ।नसुानभहिनसहन एकनहीनशब्िनकईनअथषन प्रकटनकािानहै ।नइसकहन
उिाहाणनचीपीनभार्ानमें नबहुिनसमलिहनहैं जजपमें नएकनशब्िनसाु नपराविषपनसहनकई-कईनअथषनिह िानहै ।न
3. अय हिंोगात्मकनभार्ाओंन में न प्रत्य हिंय हिंनऔानववभजक्िय हिंाूँन पहींन होिीं।नसमह
ू वाचकनशब्िनकानप्रय हिंोगनकाकहनबहुवचपनकान
बो नकााय हिंानजािानहै ।न
4. अय हिंोगात्मकनभार्ाओंनमें नएकनहीनशब्िनसंज्ञा,नकक्रय हिंा,नववशहर्णनआी िनकहनरूपनमें नप्रय हिंुक्िनहोिानहै ।
5. अध कांशनअय हिंोगात्मकनभार्ाओंनकहनशब्िनएकाक्षाीनहोिहनहैं।

3.1.2 योर्गात्मक भाषाएँन – इपनभार्ाओंन में न शब्िनतपमाषणनप्रकृतिनऔानप्रत्य हिंय हिंनकहनय हिंोगनसहन होिानहै ।नय हिंोगात्मकनभार्ाओंन
कहनिीपनप्रमुखनभहिनककएनजािहनहैं।न
1. अश्श्लष्ट योर्गात्मक भाषाएँ –न इपन भार्ाओंन में न प्रकृतिन कहन साथन प्रत्य हिंय हिंन य हिंान ववभजक्िन कान य हिंोगन होिान है न जोन स्पटटन
ी िखाईन पडिान है ।न इसन वगषन कीन प्रमुखन भार्ान कहन रूपन में न िुकीन कान उिाहाणन ी िय हिंान जािान है ।न ी हंिीन में न भीन इसकहन काफीन
उिाहाणनसमलनजािहन हैंन -नजैसहन ी हंिीनशब्िोंनमहन सजा-वट,नसी ा-पप,नकटु-िा,नसम-िा,नअ-समाप,नकु-पुत्र,नवव-य हिंोगनआी ि।न
िस
ू ाह न शब्िोंनमें न अजश्लटटनय हिंोगात्मकनभार्ाओंन मेंन प्रकृतिनऔानप्रत्य हिंय हिंनअलगन–नअलगनी िखाईनपडिहन हैं।नऐसीनभार्ाओंन मेंन
प्रकृतिनकहनसाथनप्रत्य हिंय हिंनय हिंानाचपाित्वनकभीनपहलहन जुडिानहै ,नकभीनमध्य हिंनमें ,नकभीनअंिनमें न औानकभीनपूवाांिनमेंन जुडिान
है ।नइसनप्रकाानअजश्लटटनय हिंोगात्मकनभार्ाओंनकहनचाानभहिनककएनजािहनहैंन –

पूिय
ा ोर्गन –न इसकहन उिाहाणन बंटून परावाान कीन काकफान िथान जुलून भार्ाओंन मेंन अध कन मात्रान में न समलिहन हैं।न ी हंिीन मेंन इसकहन
उिाहाणोंनकहनरूपनमें नअ-समय हिं,नवव-भाग,नप्र-काानआी िनशब्िोंनकोनसलय हिंानजानसकिानहै ।न

मध्ययोर्ग –नइसकहनउिाहाणनसंथालीनभार्ानमेंनप्राय हिं: समलनजािहनहैं।नजैसहन–न


मंखझनन=नननमुखखय हिंा
ननननन पननन =नननबहुवचपसूचकनप्रत्य हिंय हिंनननननन

HND : ह द
िं ी P5: भाषाविज्ञान
M27: आकृतिमल
ू क िर्गीकरण
ननननन मपंखझन=नननमुखखएन

अिंियोर्ग – िक
ु ीन भार्ान में न इसकहन पय हिंाषप्िन उिाहाणन समलिहन हें ।न भाािीय हिंन भार्ाओंन में न द्रववडन परावाान कीन भार्ाएूँन इसकहन
अपहकउिाहाणनप्रस्िुिनकािीनहैं।नजैसहन –नकन्पडनभार्ानमें न ‘’सहवक’’नशब्िनकहनववसभन्पनकााकोंनमें न इसनप्रकाानरूपनसमलिहन
हैं।नमलय हिंालमनमें नभीनववभजक्िय हिंाूँनशब्िनकहनअंिनमें नलगिीनहैं।
नकिाषन-नननसहवक-पुनननन(सहवकनपह)नननननसहवक-रुनन(सहवकोंनपह)
कमषनन-ननसहवक-पन्पुनन(सहवकनको)ननननसहवक-ान्पुन(सहवकोंनको)
काणन-ननसहवक-तपंिनन(सहवकनसह)नननननसहवक-रांिनन(सहवकोंनसह)नन
नसंप्रिापन–नसहवक-तपगहन(सहवकनकहनसलए)नन सहवक-रागहन(सहवकोंनकहनसलए)
नसंबं न-नननसहवक-पनन(सहवकनका)नननननन सहवक-ाननन(सहवकोंनका)न
नअध काण-नसहवक-पजल्लन(सहवकनपा)नननन सहवक-ाजल्लन(सहवकोंनपा)

पि
ू ाांियोर्ग – इसन वगषन कीन भार्ाओंन में न प्रकृतिन सहन पव
ू नष औान अंिन में न प्रत्य हिंय हिंन य हिंान ाचपान ित्वन लगिहन हैं।न पव
ू ाांिय हिंोगन कहन
उबाहाणनन्य हिंूधगपीनकीनपफीां नभार्ानमें नसमलिहनहैं।नजैसहन–
स्पफन=नसुपपा ननननजन–नस्पफन–नउन=नमैंनसुपिानहूूँ।न

2. श्श्लष्ट योर्गात्मक भाषाएँ –न इपमें न प्रत्य हिंय हिंन कहन जुडपहन सहन प्रकृतिन ित्वन में न कुछन पराविषपन होन जािान है ।न पीति+ इक=न
पैतिक,नभग
ू ोल +इक=भौगोसलक,निह व +इक=िै ववकनआी ि। य हिंहाूँनइकनप्रत्य हिंय हिंनकहनय हिंोगनसहनप्रकृतिनय हिंानअथषित्वनमें नपराविषपन
होनगय हिंानहै ।नइसीनप्रकाानअाबीनभार्ानमें नभीनइसकहनपय हिंाषप्िनउिाहाणनसमलिहनहैं।

अाबीनमेंन ािुन य हिंानप्रकृतिनित्वनक-ि-पनकानअथषन है न सलखपा।नइससहन कईनशब्िनबपिहन हैं।नजैसहन –नककिाबन(पुस्िक),नकुिुब


(ककिाबें),नकातिबन(सलखपहवाला),नमकिबन(जहाूँन सलखपानससखाय हिंानजािानहै ),नमकिूब (सलखखि)नआी ि। नइसीनप्रकाानक-
ि-लन ािन
ु सहनकत्ल,नकातिल,नइ-श-कनसहनइश्क,नआसशकनआी िनशब्िनजश्लटटनय हिंोगात्मकिानकहनउिाहाणनहैं।

भााोपीय हिंनपरावाानिथानसामीनपरावाानकीनभार्ाएूँन इसीनवगषन मेंन आिीनहैं।नसंस्कृिनकहनअतिराक्िनलैी टप,नग्रीक,नरूसीनआी िन


भार्ाओंनकीनाचपानव्य हिंवस्थानभीनएकनजैसीनहै । जश्लटटनय हिंोगात्मकनभार्ाओंनमेंनक्रमशनय हिंोगात्मकनसहनववय हिंोगात्मकनहोपहनकीन
प्रवजृ त्िन ी िखाईन पडिीन है ।न संस्कृिन सहन ी हंिी,न लैी टप,न फ्ांसीसीन िथान स्पैतपशन कान ववकासन इसकान प्रमाणन है ।न संस्कृिन
य हिंोगात्मकनथी,नववभजक्िय हिंाूँनशब्िोंनकहनसाथनसलखीनजािीनथीं,नककं िन
ु ी हंिीनमें न ववभजक्िय हिंाूँन शब्िोंनकहनसाथनपहींन लगिीं।नय हिंहीन
बािनफ्ांसीसीनिथानस्पैतपशनभार्ाओंनमें नभीनी िखाईनपडिीनहै ।

3. प्रश्श्लष्ट योर्गात्मक भाषाएँ – प्रजश्लटटन य हिंोगात्मकन भार्ाओंन में न प्रकृतिन औान प्रत्य हिंय हिंन (अथषित्वन औान ाचपाित्व)न कान
ऐसानसमश्रणनहोनजािानहै न ककनउन्हें न अलगनकापानसंभवनपहींन होिा।नअपहकनअथषित्वनससमटकानआपसनमेंन समलनजािहन हैंन
औानएकनशब्िनबपनजािानहैं।नय हिंहनशब्िनएकनशब्िनकानपहीं,नबजल्कनपाू ह नवाक्य हिंनकानअथषनिह िानहै ।

संस्कृिनमें नहमें नप्रजश्लटटनय हिंोगात्मकिानकहनउिाहाणनसमलिहनहैं।नतपमपसलखखिनकक्रय हिंारूपनसहनस्पटटनहोनजािानहै न–


ननननननजजगसमर्तिन=नवहनजापानचाहिानहै ।
ननननननवपपी ठय हिंासमन=नमैंनपढपानचाहिानहूूँ।

HND : ह द
िं ी P5: भाषाविज्ञान
M27: आकृतिमल
ू क िर्गीकरण
एजस्कमोनिथानबास्कनभार्ाएूँनइसीनकोी टनमेंनआिीनहैं।नबास्कनकहनइपनउिाहाणोंनसहनप्रजश्लटटिानी िखाईनिह िीनहै ।
ननननननिकककषओिन=ननमैंनइसहनउसनिकनलहनजािानहूूँ।
ननननननपकासनुष न=ननिूनमुझनह लहनजािानहै ।
ननननननहकािषनन=ननमैंनिुझनह लहनजािानहूूँ।

भार्ाववज्ञापीन य हिंहन मापिहन हैंन ककन भार्ान ववकासन कान चक्रन अय हिंोगात्मकिान सहन य हिंोगात्मकिान िथान य हिंोगात्मकिान सहन
अय हिंोगात्मकिानकीनओानचलिानाहिानहै ।नआजनकीनअपहकनअय हिंोगात्मकनभार्ाओंन कानप्राचीपनरूपनय हिंोगात्मकनथा।नी हंिी,न
फ्ांसीसी,नस्पैतपश,नअंग्रहजीनआी िनकईनभार्ाएूँनइसकानउिाहाणनहैं।न

अबन य हिंहन अपुभवन ककय हिंान जापहन लगान है न ककन आकृतिमूलकन वगीकाणन कहन आ ाान पान वैज्ञातपकन तपटकर्षन पहींन तपकालहन जान
सकिह।नसभीनभार्ाओंनमें न अय हिंोगात्मकिानऔानय हिंोगात्मकिानन(अजश्लटटिा,नजश्लटटिानऔानप्रजश्लटटिा)नकहनउिाहाणनसमलन
जािहनहैं।

3.2. िाक्यविन्यास
आकृतिमूलकनवगीकाणनकानिस
ू ाानप्रमुखनपैाामीटानवाक्य हिंववन्य हिंासनकहनस्िानपानशब्िक्रमनहै ।नवाक्य हिंनस्िानपानशब्िक्रमन
कहनतपमपसलखखिनछहनसाूँचनह संभवनहै नजजपनकहनआ ाानपानभार्ाओंनकानवगीकाणनककय हिंानजािानहै ।
1. नकिाषननननकक्रय हिंानननकमषनननननS V O न(अंग्रहजी,नफ्ेंच,नस्पैतपश)
2. नकिाषननननकमषननननकक्रय हिंाननननS O V न(ी हंिी िथानअन्य हिंनआय हिंषनभार्ाएूँ)
3. नकक्रय हिंानननकिाषननननकमषनननननV S Oन(अाबीनभार्ाएूँ)
4. नकक्रय हिंानननकमषननननकिाषनन नV O Sन(मालागास्कानकीनमालागासीनभार्ा)
5. नकमषननननकिाषनननकक्रय हिंाननननO S V (कौकहसशय हिंानकीनकबार्डषय हिंपनभार्ा)
6. नकमषननननकक्रय हिंानननकिाषननननO V S न( ब्राजीलनकीनी हस्कााय हिंापानभार्ा)

ववश्वनकीनअध कांशनभार्ाएूँन पहलहन िीपनशब्िक्रमनवालहन साूँचोंनकहनअंिगषिनआिीनहैं।नअंग्रहजीनप्र ापिय हिंानकिाषन -नकक्रय हिंान -न


कमषन शब्िक्रमन वालीन भार्ान है ।न ी हंिीन किाषन -न कमषन -न कक्रय हिंान शब्िक्रमन वालीन भार्ान है ।न ककं िुन संस्कृिन मेंन इसन प्रकाान कीन
जस्थतिनसंभवनपहींन है न क्य हिंोंककनसंस्कृिनमें न ववभजक्िय हिंोंनकानप्रय हिंोगनककय हिंानजािानहै ।नवाक्य हिंनमें नपिोंनकोनकहींन भीनउलट-पुलटन
िें निबनभीनअथषनमें नकोईनपराविषपनपहींनहोिा।नतपमपसलखखिनउिाहाणनिह खेंन -न
ननननननननिह वित्ि:नओिपम ्नपचति ।न(िह वित्िनचावलनपकािानहै )
ननननननननओिपमनिह वित्ि:नपचति ।न(िह वित्िनचावलनपकािानहै )
ननननननननपचतिन िह वित्ि:नओिपमन।न(िह वित्िनचावलनपकािानहै )
ननननननननपचतिनओिपम ्निह वित्ि:न।न(िह वित्िनचावलनपकािानहै )न

3.3. स्ितनिमक
आकृतिमूलकनवगीकाणनकानिीसाानआ ाानस्वतपसमकनाचपानहै ।नस्वतपमोंनमेंन खंडीय हिंनस्वतपमन(स्वानऔानव्य हिंंजपनआिहन
हैं।न कुछन भार्ाओंन जैसहन ी हंिीन में न स्वान िीर्षिान स्वतपसमकन है न जबककन अंग्रहजी,न फ्ेंच,न स्पहतपशन आी िन में न स्वान िीर्षिान

HND : ह द
िं ी P5: भाषाविज्ञान
M27: आकृतिमल
ू क िर्गीकरण
स्वतपसमकनपहींन होिी।नइसीनप्रकाानपाससक्य हिंनव्य हिंंजपोंनकीनसंख्य हिंा,नप्राणत्व,नमू न्
ष य हिंिानआी िनकहनआ ाानपानभीनवगीकाणन
ककय हिंानजानसकिानहै । ी हंिीनमें नप्राणत्वन(अल्पप्राण,नमहाप्राण)नस्वतपसमकनहै ,नअथषनमें नअंिानकापहनकानआ ाानबपिानहै ।ननननन
स्वतपसमकन आ ाान य हिंान पैाामीटान पान वगीकाणन कापहन कहन सलएन खंडीय हिंन स्वतपमोंन कीन अपहक्षान खंडि
ह ानस्वतपमोंन कान महत्वन
अध कन है ।न खंडहिान स्वतपमोंनमें न िाप,न बलार्ाि,न अपुपाससकिान आी िन प्रमुखनलक्षणन हैं,न जजपकहन आ ाान पान भार्ाओंन कान
वगीकाणनककय हिंानजािानहै ।नचीपी,नबमीनननआी िनभार्ाओंनमें निापनस्वतपसमकनहै ।नन

शब्िोंनमें नसाु नपराविषपनकोनिापनकहानजािानहै ।निापनवालीनभार्ाओंनमें नअपहकाथषकनशब्िोंनकहनअथषनतपणषय हिंनमें न सुानय हिंानिापन


कान प्रय हिंोगन ककय हिंान जािान है ।न जैसहन य हिंहप ्न शब्िन कहन कईन अथषन हैंन –न आ
ु ूँ,न पमक,न आूँख,न हं स।न इसीन प्रकाान अफ्ीकान कहन बंिनु
परावाानकीनभार्ाओंनमें नभीनसुानभहिनय हिंानिापनसहनअथषनभहिनहोिानहै ।नन

4. तनष्कषा
हमपहन आकृतिमूलकन वगीकाणन कहन आ ााोंन औान उसकहन भहिों-प्रभहिोंन कहन बााह न मेंन जापा।न ववसभन्पन भार्ाओंन में न प्राप्िन
उिाहाणोंनकहनबााह न में न पढानऔानउपकहनआ ाानपानभार्ाओंन कानवगीकाणनभीनिह खा।नआकृतिमल
ू कनवगीकाणनकहनआ ाान
पानववश्वनकीनभार्ाओंन कोनअय हिंोगात्मकनिथानय हिंोगात्मकनिोनभागोंनमें न बाूँटानजािानहै ।नकफानय हिंोगात्मकनभार्ाओंन कहनिीपन
भहिन ककएन जािहन हैंन –न अजश्लटट,न जश्लटटन औान प्रजश्लटटन य हिंोगात्मक।न इपन सभीन भार्ान भहिोंन कहन बााह न में न हमपहन इसन पाठन में न
ववस्िाानसहनजापा।नभार्ाओंनमें नसंाचपानकहनआ ाानपानववभाजकनाह खानखींचपानकाफीनमुजश्कलनहै नक्य हिंोंककनप्रत्य हिंहकनभार्ानमेंन
कुछनऐसहनअंशनसमलनजािहनहैंनजोनउपय हिंक्
ुष िनिोपोंनवगोंनमेंनपाएनजािहनहै ।न

आकृतिमूलकन वगीकाणन कहन आ ाान पान वैज्ञातपकन तपटकर्षन तपकालपान इससलएन भीन की ठपन है न क्य हिंोककन संसाान कीन सभीन
भार्ाओंन कान अभीन िकन अध्य हिंय हिंपन पहींन होन पाय हिंान है ।न संभवन है ,न उपकान अध्य हिंय हिंपन होपहन पान औान भीन आकृतिमूलकन
ववशहर्िाओंनकानपिानचलनसकहनऔानआकृतिमूलकनवगीकाणनकोनवैज्ञातपकिानप्राप्िनहोनसकह।नननननननन

HND : ह द
िं ी P5: भाषाविज्ञान
M27: आकृतिमल
ू क िर्गीकरण

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