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CompleteSatya Compressed
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अंतव तु
तावना
प रचय
अ याय भगवान
वै ा नक स ांत का व ेषण
ई र को समझने का सुर त तरीका
ई र क उप त को महसूस करने के लए अनुशं सत या
प व नाम का जाप
दल से ाथना
पव ान के दशन
दे व पूज ा
संत का संघ
अ याय वेद
अवलोकन
ान संचरण या
भगवत गीता का अवलोकन
वेद का वृ
ु त मृ त और याय
उप नषद और दशन
भा य
पुराण इ तहास और का
पंचरा
अ याय आ मा
वयं क रचना
ूल त व
सू म त व
दमाग
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बु म ा
म या अहंक ार
आ मा
या भूत का अ त व है
ओमस
अ याय पुनज म
मृ यु के समय आ मा क या ा
मृ यु से पहले के ल ण
पुर कार दं ड क या
तकद र
अगला जीवन मानदं ड
सफलता क कहानी
मु के कार
अ याय कम
कम या है
प व नाम क श
ोक का अथ कम ये व दका
अ याय ा ड
स ा यार
अ याय समय
वष क गणना
समय क सापे ता
वतमान समय
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ा ड और समय का सहसंबंध
ा क समयरेख ा
अ याय दे वता
दे वी गा
दे वी ल मी
गणेश जी
दे वता के वामी कृ ण
क पूज ा अपण करना सव कार क पूज ा या है
अ याय कृ ण
अवतार
भगवान
भगवान को य कट होना पड़ता है
पार रकता का मधुर
दयालु परमा मा
भ का ेमी
अ याय जा त व ा
या हम वग करण से बच सकते ह
मानव वभाव और भौ तक कृ त
वै दक वणा म
वाना
आ म
वणा म का उ े य
वणा म के पतन का ऐ तहा सक पथ
समाधान
ह रनाम संक तन क श
अ याय संदेह
एकल
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कण
कुं ती महारानी
सती था
ा समारोह
अ याय शां त
वासना काम
ोध ोध
लोभ लोभ
म मोह
अ भमान मादा
ई या मा सय
मूल कारण एवं समाधान
अ याय धम
धम का अथ
सव धम
व भ धम क समयरेख ा
धम का इ तहास और दशन
ह धम
य द धम
जैन धम
बु धम
ईसाई धम
इसलाम
सख धम
कौन सबसे अ ा है
नवीनतम पैगंबर
अ याय राजतं
वै दक स ाट
परी त
कु लशेख र
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छ प त शवाजी महाराज
मुख दे वता
भगवान जग ाथ
भगवान बालाजी
भगवान व ल
भु ीनाथजी
भगवान गु वायूर
भगवान उडु पी कृ ण
माँ गंगा क जय
साधू संत
ील भ स ा त सर वती ठाकु र
ीपाद माधवाचाय
प रचय
आधु नक जीवनशैली ने कई सुख सु वधा के साथ साथ अन गनत अनसुलझी सम या को भी ज म दया है। मानव समाज का ह सा
होने के नाते हम हमेशा अपने आसपास सभी को खुश दे ख ना चाहते ह। ले कन अपने आस पास क तय और प र तय को दे ख कर हम
भी नराश और असहाय महसूस करते ह। वशेष प से जब हम समाचार प को पढ़ते ह तो हम रा धम भाषा आ द क परवाह कए बना
मानव समाज म उ तर क गरावट दे ख ने को मलती है। साथ ही आधु नक श ा छा को बु नयाद सामा जक मू य भी दान करने म
वफल रही है। इसका माण तब है जब छा मासू मयत से कॉलेज म दा खला लेते ह और ेज ुएशन पूरा होने तक उनके हाथ म सगरेट और
शराब क बोतल होती ह। ठ क एक सद पहले ये चीज़ मुख नह थ ।
अचानक यह य और कहां से फू ल गया या इसके पीछे कोई है या हम एक शु और खुशहाल समाज बना सकते ह
कारण का पता लगाने पर हमने पाया क जीवन क अवधारणाएँ बदल गई ह। इस पु तक म मने उन वषय क ा या क है जो ब से
लेक र बूढ़ तक भोले भाले नाग रक से लेक र अनुभवी राजनी त तक भखारी से लेक र अमीर लोग तक के लए आव यक ह। यह उन सभी
लोग के लए आंख खोलने वाला होगा जो जीवन को के वल समय क बबाद और महज एक आक मक घटना मानते ह। यह घबराए और
मत लोग के लए मागदशक और पा पय के लए आशीवाद होगा। यह संक लन व भ अ धकृ त पु तक और ंथ से भ है ता क इसे
सवागीण बनाया जा सके । यह पु तक पाठक को इस तरह से मण पर ले जाने के लए डज़ाइन क गई है क वयं मक
बंधन र सी को हटा सके और बंधन से बाहर नकलकर हमेशा के लए खुशी से रह सके । ब सं यक और उपभो ा आधा रत जीवन शैली जीने वाले
समाज को ई र वहीन होने के कारण स य जानने क कोई आशा नह है।
सय सयम वषय शा मल ह जो एक सरे से संबं धत ह। ारं भक पाँच ई र आ मा कम पुनज म और वेद क ामा णकता क दाश नक
समझ पर आधा रत ह। म य चार म ांड व ान समय गणना और हमसे े ा णय हमारे जीवन म उनक भू मका और सव भगवान जो
वह ह और हमारे जीवन म उनके ह त ेप के बारे म वणन कया गया है।
दसवां और यारहवां समाज म जा त व ा और धम ंथ के बारे म मौजूदा गलतफह मय पर काश डालता है जसके कारण झगड़े और
झगड़े होते ह। अगले दो बारहव और तेरहव समाज म अशां त के वा त वक कारण और सभी धम के बीच समानता पर क त ह। चौदहवाँ
अ याय मानव जा त के लए एक समाधान है जो इस नया के साथ साथ अगली नया म भी शां तपूण जीवन जीना चाहता है एक ऐसी संरचना
जो ई र क त हो। अं तम अ याय आ या मक अथ म भारत भू म क म हमा को संबो धत करता है।
दलीप एफ म ा
authorofsatya@gmail.com
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तावना
हम अपने आस पास जो नया दे ख ते ह उसके बारे म चचा के असी मत वषय ह। कु छ ऐसे वषय से संबं धत ह ज ह हम अपनी भौ तक आँख
से मनार तुत करते समय मुझ े उस समय चुनौती का सामना करना पड़ा जब एक छा ने मुझ से एक ही बार म अ ाईस पूछे। मने उ ह लास बोड पर
लखवाया और उ र दे ना शु कया ले कन समय क कमी के कारण घंटे म के वल का उ र दे सका। जाने क तैयारी करते ए छा ने कहा
मेरे बाक सवाल का जवाब कौन दे गा और म ह का ब का रह गया। व ाथ ने मुझ से इन वषय पर एक पु तक संक लत करने का अनुरोध
तक भ भ थे। कताब लखने का बीज तो बोया गया ले कन सु ती से पार पाना एक और चुनौती थी। एक अ य अवसर पर वेद को न मानने वाला एक
कु छ वषय को तुत कर रहा था और वै दक ंथ क आलोचना करते ए अपने समुदाय के लोग को गुमराह कर रहा था। वै दक ंथ क उ चत संदभ
म उ चत समझ क कमी को मु य कारण मानते ए मने वषय को तुत करने और उ ह इस तरह से व तृत करने का वचार कया ता क कोई भी
यह पु तक मेरे व र और आ या मक गु से अ जत थोड़े से ान का सारांश है जनके त म सदै व आभारी ँ। आम तौर पर लोग को जीवन और अपने
अ तवक समझ नह होती है। वे उन अ य श य से अनजान ह जो उन पर काय करती ह य क वे पूरी तरह से वाथ काय म त ह। जैसे अँधेरे
म कोई वयं को और सूय को नह दे ख सकता परंतु दन म वयं को और सूय को दोन को दे ख सकता है। इसी कार द ान ा त करने के बाद
संबं धत वषय के साथ साथ उनके अंतसबंध भी शा मल ह। इस संक लन को पढ़ने के बाद जीवन ब त आसान हो जाएगा। हम आशा करते ह क पाठक इस
ई र
के तआ त ह। ना तक वचार वाले लोग म ऐसे लोग भी ह ज ह ने अपने जीवन म भावना को ठे स प ंचाई है और पाया है क कसी को उनक परवाह
नह है और भगवान भी अगर अ त व म है तो वह मदद करने के बजाय फरार हो गया है। इस वग को भ व य म कु छ आशा है य क यह प र तज य है।
साथ ही ऐसे ना तक भी ह जो वशु प से व ान म व ास करते ह और परमाणु अणु इसक अंतः या गुण आ द के मा यम से पदाथ
को व भ तरीक से समझने क को शश करते ह। जो लोग ई र म व ास करते ह उनम आ ा क ापक ंख लाएं ह जनम वशु प से ई र को
या ावसा यक उ े य के लए।
एक शानदार पुर कार दे ने का वादा कया। श क आ ा से ईसाई थे। उ ह ने पूछा क पूरी नया म सबसे मश र श सयत कौन है एक
य द ने हाथ उठाया और कहा मूसा. वह असहमत थी. तब इ लामी आ ा क एक छा ा ने हाथ उठाया और पैगंबर मोह मद के प म उ र दया और उसने
इनकार कर दया।
उसने पूछा क या कोई भारतीय इसे आज़माना चाहेगा और एक गुज राती छा ने खड़े होकर कहा अपने भु यीशु मसीह को याद करता ँ। अ यापक ने उ म
कहा और उसे पुर कृ त कया। फर उ ह ने पूछा क एक गुज राती होने के नाते आपने इस तरह से जवाब दे ना कै से चुना। उ ह ने उ र दया म दल से
भौ तक संप ई र से भी अ धक है।
इस संसार म लोग को व भ समय ान और प र तय का सामना करना पड़ता है जसके कारण ई र पर उनका व ास कमजोर या मजबूत हो
जाता है। इस अ याय का उ े य यह समझना है क या ई र वा तव म मौजूद है और य द हां तो वह खुद को हमसे य छपाता है। कोई पूछे क ई र है
या नह इससे हम या फक पड़ता है वैसे भी हम अपनी आजी वका कमानी है अपने प रवार का भरण पोषण करना है और जो करना है वह करना है।
मूलतः कसे परवाह है यह तक तभी ठ क है जब कोई जीवन क वा त वकता से अन भ हो। ठ क वैसे ही जैसे बूचड़खाने के बाहर बक रय
को र सय से एक कतार म बांधकर घास खाने के लए छोड़ दया जाता है और उ ह यह जानने क ज़रा भी परवाह नह होती क उनका दो त उ टा लटका
आ है। वह दन र नह जब इ ह भी इसी तरह फांसी द जाएगी. इसी तरह हम बुज ुग को मरते ए दे ख ते ह और सोचते ह क म ायी ं और म हमेशा
जैसा ं वैसा ही र ंगा ले कन कठोर वा त वकता यह है क इ तहास खुद को दोहराता है हम सभी को ज म बुढ़ापा बीमा रयां और मृ यु से
ह चं मा सूय उनक व श ग तयाँ हमारे मन म एक अचूक डालती ह आ खरकार इन सभी को कसने बनाया
भा य से ब त कम माता पता उ र दे ने का यास भी करते ह। उ चत समझ न होने के कारण वे यह कहने लगते ह क यह सब संयोगवश आ। चता
एक बार यूटन गु वाकषण क अवधारणा दे ने वाले वै ा नक के घर पर एक सौर मंडल का मॉडल था और एक ना तक म उनके पास आया
और उस का नाम और संपक पूछा जसने इसे डजाइन कया था। यूटन ने मजाक म कहा क यह संयोग से आया। यह सफ अपने दो त को यह
य द हम एक साधारण फू ल का अवलोकन करना है तो हम जान सकते ह क वह कतना कोमल सुगं धत और रंग बरंगा है।
मनु य के वल इसका अनुक रण कर सकता है फर भी इसक बराबरी नह कर सकता। आधु नक व ान म आगे बढ़ने के बाद हम के वल सूय पर
होने वाली त या या संलयन का ही अ ययन कर सकते ह। सूय को कोई नह बना सकता. अ धकतम सीमा तक हम हैलोजन लप सीएफएल
लडलाइट आ द हा सल कर लेते ह। हमने ऐसे रोबोट बनाए ह जो छ वय ंथ को कै न कर सकते ह बात कर सकते ह और अपने मा लक के
त और के वपरीत प के अनुसार पर र या करता है। अगर कल ये सु वधाएं जुड़ भी जाएं तो भी पु ष रोबोट और म हला
आइए यह सब भूल जाएं हमारे पास उन सभी लोग के लए एक सरल चुनौती है जो ई र को नकारते ह और सोचते ह क वे ांड के मामल को
चला रहे ह।
एक। या कोई ऐसी मशीन बना सकता है जसके एक सरे पर आप घास डाल और सरे सरे पर ध डाल
बी। कसी पेड़ के बीज क रासाय नक संरचना का अ ययन करना आसान है । या कोई के वल योगशाला म रसायन से बीज बना सकता है उ ह
कु छ अवलोकन हम यह वीकार करने के लए मजबूर करगे क हम सभी के जीवन म कोई चुपचाप ेमपूवक हमारा मागदशन कर रहा है। उदाहरण
के लए जब ब ा पैदा होता है तो उसे कोई श ण नह दया जाता क उसे पोषण कहाँ से मलेगा। ले कन जा हर है ब ा अपने आप ही अपनी मां
का तन चूसने लगता है। यह है क उसे सखाया कसने वा तव म ब े इसका सबसे अ ा उदाहरण ह य क वे आसपास के बारे म पूरी तरह
से अनजान होते ह। आइं ट न ने वयं वीकार कया क सभी ाकृ तक भौ तक नयम के पीछे एक प रपूण म त क था। यहां तक क यूटन ने भी
वीकार कया क संपूण समु तट पर रेत के कण क तरह उसका ान सी मत है। वा तव म आइं ट न ने भगवद गीता से सापे ता के स ांत क
अवधारणा सीखने के लए एक भारतीय को चुना। वैसे भी उ ह ने एक आलसी भारतीय को चुनकर अपने जीवन का मज़ाक उड़ाया जो यह
वेद म ई र से ांड के नमाण क या का ब त व तार से वणन कया गया है। इसे बाद के अ याय म समझाया जाएगा। टश शासन के समय
A. बग बग स ांत
यह स ांत ता वत करता है क अनंत ऊजा वाला एक अ यंत छोटा कण था। एक वशेष अवसर पर यह व ो टत हो गया और पूरा ांड
व त हो गया। इसे सुनने के बाद कसी को भी सुकू न महसूस होगा य क तुतकता एक अ ा लेज़ र पहनता है और अमे रक म अं ेज ी
बोलता है
उ ारण और उन श द का उपयोग करता है ज ह हम पहली बार सुनते ह। यान से दे ख ने पर कु छ बु नयाद अनु रत रह जाते ह।
यह स ांत ता वत करता है क कै से पहली जी वत को शका दाएं हाथ और बाएं हाथ के अमीनो ए सड के संयोजन से
बनी थी। जी वत को शका के बनने के बाद उसम अनुकू लन आ और व भ अ य जा तयाँ बन । उदाहरण के लए
इसम बताया गया है क कै से ज़ेबरा चरने गया और उसने पेड़ पर कु छ खाने क चीज़ दे ख ी और खाने का यास कया और उसक गदन
लंबी हो गई और वह जराफ़ म बदल गया। सरा उदाहरण यह है क जब ुवीय भालू समु के कनारे पर था और समु म गर गया
और बाहर नह नकल सका तो उसने हेल बनने का प ले लया। फर बाद म बंदर वक सत होकर इंसान बन गए।
टश व ान ने कु छ आलसी लालची भारतीय के साथ मलकर वेद पर पौरा णक कथा होने का ठ पा लगा दया और बाद म इन
स ांत को शै क पा म म शा मल कर दया। पौरा णक कथा का अथ है वाथ इ ा को शांत करने के लए कही गई परी
कथा। इस स ांत को सुनने के बाद कोई भी समझदार बता सकता है क डा वन का स ांत पौरा णक कथा है या नह । आइए
स ांत के भीतर कु छ पूछताछ कर।
iii च ड़याघर म हमने ज़ेबरा को चरते दे ख ा है और उनम से कोई भी जराफ़ नह बना है।
iv ुवीय भालू तैर सकते ह और य द वे डू बते ह तो मर जाते ह ले कन पांत रत नह होते। जैसे क डा वन ने अपनी
पु तक ओ र जन ऑफ ीशीज़ म कई चुटकु ले लखे ह कोई भी इसे कॉ म स के ान पर पढ़ना पसंद कर सकता
है।
v राजप रवार म लोग अपने वंश क त वीर जैसे वयं पता दादा आ द क त वीर रखते ह। शु आत म बंदर को
कोई नह रखता.
vi पुरात व सव ण से पता चलता है क लाख साल पहले बंदर और मानव खोपड़ी का अ त व था। आशा है क
डा वन इस बात से अन भ थे।
इ त म वा भज ते मा बु भव सम वता
म सभी आ या मक और भौ तक संसार का ोत ं और सब कु छ मुझ से ही नकलता है। जो बु मान इसे भली भां त जानते ह वे
पूरे दय से मेरी ेममयी भ म लगे रहते ह।
कसी भी कार का ान ा त करने के लए कसी आधार पर उसक क पना या क पना करनी पड़ती है या उसके बारे म सुनना पड़ता है। इ ह
य अनुमान और श द माण कहा जाता है। उदाहरण के लए हम पवत के बारे म जानना चाहते ह तो हम उनके पास जाकर उ ह दे ख
सकते ह या अपने घर पर बैठकर क पना कर सकते ह या कसी ऐसे से सुन सकते ह जो कई वष से वहां रह रहा हो। तो वा तव म हम
उ चत व से सुनकर ही समझते ह। ान ा त करने के इन तीन तरीक के अपने फायदे और नुक सान ह।
ए. य माण
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य का अथ है य बोध ारा अ जत ान। यह एक ब त ही सीधी सरल व ध तीत हो सकती है साथ ही सभी चीज को
सीधे नह दे ख ा जा सकता है जैसे व ुत चु बक य तरंग वायु आ द। हर कोई चार दोष से त है जो य धारणा ारा स य
को महसूस करने का यास अधूरा बनाता है।
II म गम के मौसम म तारकोल क सड़क पर पानी क मृगतृ णा दखाई दे ती है ऐसा तीत होता है जैसे पानी तो
है ले कन है ही नह ।
III गल तयाँ करना हम सभी समय समय पर गल तयाँ करते रहते ह। हम इसे टाल नह सकते. यहां तक क
महान वै ा नक भी ऐसा करते ह जनके पास योग के लए सभी उपकरण और मशीनरी ह। एक बार एक
वै ा नक यह दे ख ने के लए योग कर रहा था क व भ आकार के आलू को उबालने म कतना समय लगता है।
थोड़ी दे र बाद जब आलू उसके हाथ म थे तो उसने गलती से उबलने का इंतजार कर लया।
बी अनुमान माण
के वल एक कमरे म बैठकर हम शायद ही इस बारे म सही नणय ले सकते ह क बाहर या हो रहा है। य द हम समु तट क त वीर का
अवलोकन कर तो अ धकतम यही न कष नकाला जा सकता है क रेत ना रयल के पेड़ नीला पानी और आसपास कु छ आदमी
मौजूद ह। नैपशॉट से कोई भी पानी म मछली के अ त व का न कष नह नकाल सकता। ले कन जो कोई भी पानी म रहा है
वह पानी म जीवन के बारे म जानता है। इसी कार हम अपने वशेष कै मर के मा यम से ांड क त वीर ले सकते ह ले कन
यह न कष नकालना क अ य ह पर कोई जीवन नह है अधूरा होगा।
सी. श द माण
जब हम श क से रसायन व ान ग णत सीखते ह तो क ठन चीज सरल हो जाती ह। इसी कार जब हम ई र के बारे म ामा णक ोत से सुनते
ह तो हम आसानी से समझ सकते ह। वेद जीवन क नयमावली ह जो जीवन क वा त वकता का संपूण ववरण दे ते ह। इस पर यादा भरोसा
कया जा सकता है
दो से ऊपर. वेद क संरचना एवं मह व का व तृत अ ययन अगले अ याय म बताया गया है।
कसी के मन म यह हो सकता है क ई र कौन है हम आगामी अ याय म इस पर व तृत चचा करगे। भागवत पुराण म उ ल खत कु छ व धयाँ ह वण क तन
मरण व दना अचना पादसेवन दा य स य आ म नवेदन। उ ह भगवान क म हमा सुननी है उनक तु त करनी है उ ह याद करना है णाम करना है उनक पूज ा
करनी है उनके कमल चरण क सेवा करनी है सेवक क सेवा को वीकार करना है मै ीपूण संबंध रखना है और अंततः उनक इ ा के त पूण समपण करना है।
क प व नाम का जाप
क लयुग के इस युग म भगवान ह र के प व नाम क सफा रश क जाती है इसका उ लेख बृहन् नारद य पुराण म
कया गया है।
पाखंड और झगड़े के इस युग म मु का एकमा उपाय भगवान ह र कृ ण और व णु का प व नाम है। कोई भी कह भी कभी भी जप कर सकता है
यह व न कं पन है जो मन को मु दान करता है। सुख ी और शां तपूण जीवन जीने के लए हम वै दक शा म व णत व भ मं का जाप कर सकते ह।
ओम नमो नारायणाय
ी कृ ण शरणम मम ।
हरे कृ ण हरे कृ ण कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे
खरगोश ।
नान के बाद सुबह का समय सबसे अ ा है। जैसी नधा रत गनती से शु आत कर सकते ह
आ द ये नाम साधारण नह ह य क इनम वशेष श यां ह। यह समय परी त है।
सकती है
हमारी चेतना.
यह एक वे या शकारी के जीवन से अ तरह च त होता है जो एक ा ण प रवार म पैदा ई थी। दरअसल ज म से सभी असं कृ त होते ह श ण
सं कार से कोई सुसं कृ त बनता है। साल क उ म यह युवक भगवान व णु क पूज ा के लए कु छ फू ल और फल लेने के लए जंगल से जा रहा था।
वे या संभोग कर रही है और एक सरे को गले लगा रही है। इससे बालक का भ मय मन उ े लत हो गया। उ ह ने धम ंथ और
कहा नय को याद करने क को शश क जससे उ ह म से बाहर नकलने म मदद मलेगी। ले कन उसके मन म वे या को पाने
क चाहत हावी हो गई। अंततः उसने उससे शाद कर ली और अपनी प नी पता माँ को घर से नकाल दया और इस
म हला से कई ब े पैदा कए सबसे छोटे ब े का नाम नारायण रखा। जैसे ही उसने सुसं कृ त जीवन छोड़ा उसने अपनी आजी वका
कमाने के लए लोग को मारना लूटना धमकाना शु कर दया।
व णु त और उनके तेज को दे ख ने के बाद यम त को पीछे हटना पड़ा और अजा मल को कु छ आशा और सरा मौका मला। वह
ह र ार गया और भगवान के और नाम का जाप कया और वही व णुद उसे वापस भगवान के पास ले जाने के लए फर से आये।
भु का नवास एक ऐसा ान है जहाँ के वल खु शयाँ ह। ये है मं जाप क श
ख दय से ाथना करना
हमम से हर कसी ने दल से ाथना करने के बाद न त प से ई र क त या का अनुभव कया है। भगवान हमारे दय म परमा मा
के प म नवास करते ह अ याय म व तार से बताया गया है । वह हमारी इ ा को सुनता है और उन इ ा को पूरा करता है जनके
हम हकदार ह। भगवान के व ह प को वेद ारा ा धकृ त माना गया है य प कु छ मूख दाश नक इस त य से अन भ ह। भगवद गीता
. म भगवान क पार रकता क या के बारे म उ लेख कया गया है।
जैसे ही सभी मेरे त समपण करते ह म उ ह तदनुसार पुर कार दे ता ं। हे पृथा के पु हर कोई सभी कार से मेरे माग का अनुसरण
करता है।
य द कोई प ातापी दय और वन मनोवृ के साथ भगवान के पास आता है और ाथना करता है तो न त प से भगवान उसे तदान
दगे। ाथनाएँ कार क होती ह ेयस और ेयस। ेयसी का अथ है अ पका लक इ ाएँ उदाहरण के लए नौकरी पाना अ ा प त प नी
कु छ आ थक लाभ आ द।
ेयस का अथ है द घका लक लाभ जैसे आ या मक जीवन म उ त सभी ा णय का क याण आ द।
ेयस क ाथना अव य पूरी होगी य क परमा मा हमारी शु का बेस ी से इंतजार कर रहे ह। म
Machine Translated by Google
कसी भी त म भगवान के पास जाना बेहतर है य क वह वही दगे जो हमारे लए सबसे अ ा होगा। जैसा क भागवत पुराण . . म
कहा गया है
एक बार अवंती नाम का एक आदमी था। वह कं जूस था उसने कभी भी अपनी संप कसी को नह द या साझा नह क यहां तक क
अपने प रवार के सद य को भी नह । उनका वसाय फल फू ल रहा था ले कन उ ह ने यह सोचकर लोग के साथ कोई उदार वहार नह कया
क सरे उनका शोषण कर सकते ह। एक दन उसने दोषपूण ापा रक लेनदे न कर लया जसके कारण वह दवा लया हो गया।
उसक प नी और ब ने उसे यह सोचकर छोड़ दया क जब उसके पास पैसा था तो उसने हम नह दया अब जब उसके पास कु छ भी नह है तो
वह हमारा जीवन और अ धक खी कर दे गा। अवंती अके ली रह गई और अ यंत उदास अव ा म वह अके ला भटकता रहा। वह जंगल म ाथना कर
रहा था येक के पास एक समय होता है जब वह अके ला होता है और जीवन क पहे लय से अनु रत होता है । यह वह समय है जब
दय म परमा मा के प म भगवान ने उनक ईमानदारी को दे ख कर उ ह कट कया। भु मनु य क तरह भेदभाव नह करते। वह पौध जानवर
स हत सभी ा णय से यार करता है। तब अवंती का दय सभी के लए ेम से भर गया। इसके बाद उ ह ने अपने अ नयं त मन को
ही ख का कारण बताया यहां तक क अपने कम या दै व को भी नह । म कम का वशद वणन कया गया है
वां
अ याय . इस लए इसक अनुशंसा क जाती है
नय मत आधार पर ाथना कर. कसी को कम से कम ारं भक व ास होना चा हए और वह सव क सहायता का अनुभव कर सकता है।
हर ान का हम पर अपना भाव पड़ता है। ठ क वैसे ही जैसे एक कॉलेज का छा उ श ा के लए घर छोड़कर कॉलेज जाता
है। ारंभ म कोई भी उसे ब त धा मक आचरण वाला पा सकता है। वह द वार पर सभी धा मक त वीर लगाएगा और हर दन सुबह कु छ पूज ा
करेगा। कु छ समय बाद उसके दो त उसे नृ य के लए पब म ले जाते ह और अनजाने म भी वह लैश लाइट बमबारी क आवाज के भाव के
कारण शरा बय के साथ नृ य करना शु कर दे ता है। ान और वातावरण हमारे चार ओर एक आभामंडल बनाते ह और हम वशेष तरीके से
वहार करने के लए मजबूर करते ह। तकनीक प से इ ह कृ त क वधाएँ कहा जाता है। वे अथात् अ ान रजोगुण स वगुण और शु
स वगुण ह।
इस कार वयं को शु कर सकता है और ऐसे ान म सव स य क उप त महसूस कर सकता है। वृ दावन मथुरा अयो या
ह र ार ब नाथ के दारनाथ ज गनाथपुरी मायापुर ारका कु े त प त पंढुरपुर अहो बलम सहाचलम रामे रम म रै
गु वयूर उडु पी ना सक नाथ ारा जयपुर कांचीपुरम ीरंगम आ द ऐसे ान ह जहां एक छु य म अपनी या ा क योजना बना
सकते ह और प व नाम और संत का लाभ ले सकते ह। को सुर ा के भय से बचना चा हए य क भगवान ना तक का भी याल रखते
ह। जैसे ही हम प व ान क या ा करते ह हमारी सभी पापपूण त याएँ न हो जाती ह।
आम तौर पर लोग क कु छ सी मत धारणाएँ होती ह। वे सोचते ह क भगवान प र म कै से हो सकते ह। हाँ आधु नक वचारधारा वाले लोग के
लए यह और भी अ धक हत भ करने वाली बात है। खासकर जब गणेश तमाएं ध पीती ह तो वे व ान और त य के बीच फं स
जाती ह। फर उ ह लोग को शांत करने के लए तरह तरह के श द का इ तेमाल करना पड़ता है। वे कहते ह क सतह के तनाव के शका
भाव आ द म कु छ बदलाव ए। वैसे भी यह अना द काल से चला आ रहा मामला है। जैसे एक सामा य कागज का टु क ड़ा और पये का
नोट होता है. हालाँ क दोन कागज के टु क ड़े ह एक क ा प ा है और सरा सरकार ारा मू यवान के प म अ धकृ त है। नोट के ारा हम कोई
भी खरीददारी या लेनदे न कर सकते ह। इसी कार कई प र संगमरमर होते ह ले कन जब हम ाण त ा मं ारा भगवान क उप त
का आ ान क या करते ह तो यह अ धकृ त हो जाता है। ठ क वैसे ही जैसे सरकार ारा रखा गया मेल बॉ स संदेश को गंत तक प ंचाता
है न क वह बॉ स जो सड़क पर लावा रस पड़ा रहता है।
सामा य परंपरा यह है क भगवान को अपनी तैयारी अ पत करता है और फर उसे साद के प म हण करता है।
सनातन गो वामी नाम के इस संत ने भगवान को अपनी तैयारी अ पत क । भु ने उससे बात क और कु छ नमक क माँग क । सनातन गो वामी ने
कहा ओह आज तुम नमक मांग रहे हो कल तुम मीठे चावल मांगोगे इस लए चुप रहो और जो मने दया है उसे वीकार करो। यह भगवान और
उनके भ क पार रकता का तर है। जसे आज भी वृ दावनवासी याद करते ह
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सनातन गो वामी के अवसान दवस को गु पू णमा के प म मनाया जाता है और उस दन भारत म लाख लोग गोवधन पवत क
प र मा करते ह।
एक बार ासदे व वेद के संक लनकता के पता पराशर मु न कराड महारा से लगभग कलोमीटर र नृशमापुर नामक ान पर कृ णा नद
इस सब के बारे म सू चत कया और राजा खुदाई के बाद दे वता को दे ख कर खुश ए और अपने दरबार म ा पत करना चाहते थे ले कन भगवान ने नद
के कनारे पर ही रहने क इ ा क । यह मं दर आज भी भू मगत है कोई भी यहां जाकर पूज ा अचना कर सकता है।
हम जैसे लोग जो नौकरी प रवार फे सबुक टे टस आ द क चता म फं से ए ह उनके लए दे व पूज ा को ावहा रक प म कै से लागू कया जाए यह
एक बड़ा सवाल और चुनौती है। हम कम से कम नय मत आधार पर पास के मं दर म जा सकते ह। पारंप रक मं दर इ कॉन मं दर बड़ला मं दर आ द
व भ धम के कई सं दाय दे वता क पूज ा को कु छ भावना मक कृ य के प म नकारते ह। ले कन शंक राचाय जैसे महान व ने अपने
माधवाचाय ने उडु पी कृ ण क पूज ा क थी। रामानुज ाचाय ने भगवान रंगनाथ और बालाजी क पूज ा क । ी चैत य महा भु ने भगवान जग ाथ क पूज ा
ापना क । अ याय म हम वा तव म कु छ दाश नक कावट दे ख गे जो अ य धा मक सं दाय के पास ह जसके कारण वे दे वता पूज ा को वीकार
इ। संत का संघ
संत श द उन लोग के लए एक म या नाम है जो तुरंत दाढ़ या भगवा व या आधी बंद आंख वाले क क पना करते ह। वा तव म साधु वह है
एक बार एक साधु नद म नान कर रहे थे और उ ह ने एक ब ू को डू बते ए दे ख ा तो उ ह ने उसे अपनी हथेली पर रख लया। ब ू ने तुरंत संत को
काट लया और उ ह ब ू को छोड़ना पड़ा। संत के इरादे अ े थे जसे ब ू समझ नह सका। यह ई यालु लोग का वभाव है वे अ या मवाद को पूरी
तरह गलत समझते ह। बहरहाल साधु ने हार नह मानी और कु छ यास के बाद वह सफल हो गया। संत दान दे ने वाले वृ क तरह याग का जीवन जीते
ह
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उन सभी को छाया और आ य जो कटने के बाद भी वरोध नह चाहते। ी चैत य महा भु ने सभी भारतीय को आदे श दया है भारत
भू मते मनु य जय जय ज म या ज म साथक करे करो पर उपकार अब जब आपको भारत क प व भू म म ज म मल गया है तो कृ पया अपना
जब भी हम ऐसे लोग का साथ मलता है जो भगवद गीता क श ा के आधार पर ई र क त जीवन जी रहे ह तो हम पूण स य के बारे
म अ धक पूछताछ करनी चा हए और उन स ांत को जीवन म लागू करना चा हए। एक संत कभी भी अपने उपदे श के लए शु क नह लेगा।
आ या मक सा यवाद का नमाण कया जा सकता है। आज भा यवश समाज नेतृ व वहीन हो गया है। कोई न वाथ गु नह
लव मा साधु स े सव स हय
पास जाने के लए सू चत कर रहे ह। मृगारी नामक एक पशु शकारी के जीवन म एक महान प रवतन आ। मृगारी जानवर को आधा
मारता था और उ ह क दे क र आनंद लेता था। नारद मु न एक संत जो पूरे अंत र म या ा कर सकते ह अ याय समय और अंत र स ांत को
कवर कया जाएगा उनके पास आए और उ ह जानवर को पूरी तरह से मारने का आदे श दया। ऐसे आदे श से मृगारी मत हो गई। उसे अपनी
गल तय का एहसास आ ले कन उसने नारद मु न को सू चत कया क वह अपने अ त व के लए ऐसा कर रहा है। नारद मु न ने उनसे कहा
तुम बस धनुष तोड़ो और भगवान के प व नाम का जाप करो । नारद मु न पर व ास रखते ए मृगारी ने तुरंत धनुष तोड़ दया और
भगवान क त जीवन अपना लया। चम का रक ढं ग से उसने पाया क लोग उसे उपहार और भोजन साम ी दे रहे थे। उ ह नारद मु न के नदश क
च टयाँ मल जनके लए वे के और उ ह अपने ऊपरी व से ह के से साफ कया और फर णाम कया। आ या मक गु के आदे श का पालन
इस अ याय का उ े य भगवान और उनके भ पर हमारी आ ा को मजबूत बनाना था। हम नाई पर अंध व ास रखते ह जब क उसके हाथ
म चाकू होता है। आ या मक पथ पर थोड़ा सा व ास और यास हम बड़े खतरे से बचा सकता है।
इस यास म कोई हा न या कमी नह होती है और इस पथ पर थोड़ी सी ग त को सबसे खतरनाक कार के भय से बचा सकती है। बी.जी. .
भगवान को दे ख ने के लए आ या मक उ त क आव यकता है। नरंतर अ यास और धैय के साथ उस पर अमल करने से धीरे धीरे सफलता मलती है। कभी कभी
लोग क आ तक आ ा को न करने के लए रा सी लोग ारा मी डया का पयोग कया जाता है। वे भगवान के नाम पर फ म बना सकते ह और जो चाह दखा
सकते ह। हाँ न त प से आ या मक नेता ारा ग़लत वहार करने क तरह त य को नज़रअंदाज़ नह कया जा सकता। साथ ही हम ई र के करीब
जाने का यास भी नह छोड़ना चा हए। ठ क वैसे ही जैसे हम वमान घटना े न का पटरी से उतरना बम सुनना सुनते ह
धमाके फर भी हम हवाई जहाज़ े न से या ा करते ह। शाही सड़क पर और आ या मक पथ पर घटनाएँ होती ह ले कन इससे हम उस धम का पालन करने से नह
ई र।
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वेद का अवलोकन
भारत म पारंप रक लोग के बीच न के वल सं कृ त म ब क ान म भी कु छ समानताएँ मलगी। उदाहरणाथ य द कोई कोई नणायक व दे ता तो लोग
तुरंत पूछते क वेद म इसका उ लेख कहां है। वै दक काल म मनु य का जीवन तर यही था। जीवन जीने का मागदशन वै दक से लया जाता था। य द यह वै दक नणय
या नषेधा ा थी तो ववाद होने पर भी इसका पालन कया जाता था। जा हर तौर पर वे उ े य का पालन करने म सतक थे य क मानवीय वृ वाथ स
कोई कर सकता है क वेद का पालन करने क या आव यकता है म बस वही कर सकता ँ जो म चाहता ँ। दरअसल यह वाथ अ ानता और कम बु क सोच का
तीक है। जानवर भी अपने कम के प रणाम के बारे म सोचते ह। ापक कोण से जानवर और मनु य क जीवनशैली समान होती है। खाना
संभोग करना सोना और बचाव करना इंसान और जानवर के लए आम बात है। गौरैया भी दाना चुगने से पहले दाएं बाएं दे ख ती है। इससे पता चलता है क वे अपनी र ा
के लए अपनी बु का उपयोग कै से करते ह। वा तव म जानवर कु छ कौशल म इंसान से आगे नकल जाते ह जैसे कोई भी इंसान घोड़ क तरह लंबे समय तक खड़ा
नह रह सकता और दौड़ नह सकता। कोयल क मधुरता का वणन नह कया जा सकता। आधु नक फ म और व भ ए बम के भजन गायक वीकार करते ह क वे गले
म गीलापन बनाए रखने के लए शराब क थोड़ी खुराक लेते ह। दरअसल स ाई तो यह है क कोई भी जानवर धू पान नह करता या आ मह या नह करता जब क मनु य
बना कसी उ चत कारण के ऐसा करता है। थोड़ी सी हताशा असहनीय हो जाती है और वे अपना जीवन समा त कर लेते ह।
न ा का अथ है सोना आहार का अथ है खाना मैथुन का अथ है यौन जीवन या आनंद और भय का अथ है र ा । ये चार ग त व धयाँ मनु य और जानवर दोन
के लए सामा य ह। वह मनु य म जानवर क तुलना म धम अ धक है। मनु य के पास पूण स य के बारे म पूछताछ करने क श है। अगर हम कसी कु े को लात मारते ह
तो वह भाग जाता है ले कन कभी नह पूछता क वह मुझ े लात य मारता है ले कन एक इंसान यह पूछ सकता है क म य पी ड़त ं म कौन ं म वा तव म जीवन क
सम या से कहां से आया ं। सम या को हल करने म असमथ हमने जीवन म और अ धक संक ट पैदा कर दया है।
म इसे कै से हल क ं
सभी ने सोचा क कसम खाइए क हमारे पास बाइक कार हवाई जहाज़ ह अब हम पूरी नया म दौड़ सकते ह। ले कन षण
ने हमारी जीवन अव ध को आं शक प से कम कर दया है। कम उ के ब ेअ मा के मरीज बन गए ह। लालच के कारण अनेक क टनाशक और क टनाशक से आहार
वेद श द का अथ है पदाथ और आ मा दोन का ान। वेदांत सू म ज ासा कहा गया है। इस लए परम स य के बारे म पूछताछ कर। मानव अथातो
जीवन म पदाथ और आ मा के बीच अंतर को समझ सकता है। ान क कोई तारीख नह होती मूख तापूण ढं ग से कु छ व ान तारीख बताने क को शश कर
रहे ह क वेद क उ प कब ई। जैसे कोई मशीन बनाई जाती है तो उसका मैनुअ ल बनाया जाता है वैसे ही वेद सृ के आरंभ से मौजूद ह। इसका काल
नधारण करके कोई वयं को अ धक बु मान समझ सकता है ले कन वेद जीवन क अथाह वा त वकता और रह य के बारे म बताते ह जनके बारे म कोई
सामा य सोच भी नह सकता। एक और तरीका यह है क कु छ मूख वेद का यह कहकर उपहास कर रहे ह क यह पौरा णक कथा है और साथ ही फज
स ांत को त य के प म पेश कर रहे ह। बैटमैन और सुपरमैन पर व ास करने क तुलना म हनुमान पर व ास करना हमेशा बेहतर होता है। हमम से ब त से लोग
वेद और वृ क साम ी से अन भ ह
सृ क रचना के समय भगवान ीकृ ण ने ा को ान दया था। हम अ याय म ांड व ान और अ याय म समय के बारे म
चचा करगे। कोई यह भी पूछ सकता है क भगवान कृ ण सफ साल पहले आए थे ले कन वेद उनसे पहले मौजूद थे और ा का ज म ब त पहले
आ था। भगवान कृ ण और भगवान व णु के बारे म हमने अ याय म चचा क है। इसका उ लेख भागवत पुराण . . म कया गया है।
परम स य के बारे म यह ान ा को सृ के आरंभ म कट आ था और श द प या वण प म व मान था। चूं क पहले के युग म लोग ु तधर या ती
मृ त वाले लोग थे जो एक बार भी सुनी गई हर बात को याद रखते थे ान वण संबंधी रसे शन ारा सा रत कया जाता था। ले कन साल पहले
ासदे व ने आने वाली पी ढ़य म लोग क सु त मृ त श को समझते ए इन श ा को पु तक ा प म संक लत कया। व तुतः आधु नक मनु य को
सूचना को बा मेमोरी उपकरण म सं हत करना पड़ता है। इसके अलावा हम इतने भा यशाली ह क ासदे व ने हमारे लए वरासत के प म जो कु छ
छोड़ा है उसम हम कम से कम च है। वैसे भी यह जानना ब त दलच है क हमारे पास अभी भी वेद को अपने जीवन के मैनुअ ल के प म चुनने का
वक प है।
पहली रात को शु ाणु और डब का म ण होता है और पांचव रात को यह म ण एक बुलबुले म बदल जाता है। दसव रात को यह बेर के समान
आकार म वक सत हो जाता है और उसके बाद धीरे धीरे यह मांस के लोथड़े या अंडे जैसी भी त हो म बदल जाता है।
एक महीने के दौरान एक सर बनता है और दो महीने के अंत म हाथ पैर और अ य अंग आकार लेते ह। तीन महीने के अंत तक नाखून उं ग लयां
पैर क उं ग लयां शरीर के बाल ह यां और वचा दखाई दे ने लगती ह साथ ही जनन अंग और शरीर के अ य छ अथात् आंख नाक कान मुंह और
गुदा दखाई दे ने लगते ह।
गभधारण के चार माह के भीतर शरीर के सात आव यक त व प र मांस मेद अ म ा और वीय अ त व म आ जाते ह। पांच महीने के
अंत म भूख और यास अपने आप महसूस होने लगती है और छह महीने के अंत म ूण एम नयन से घरा आ पेट के दा हनी ओर चलना शु कर दे ता
है।
हर कोई जानता है क भारत म कसी भी घर के आंगन क ज़मीन पर गोबर का लेप कै से कया जाता था। गाय के गोबर म ब त सारे एंट से टक गुण होते ह और
यह लोग के जीवन म आ या मक शुभता लाता है। वा तव म भोपाल गैस ासद के बाद जहां हजार क सं या म लोग मारे गए उन घर म रहने वाले पु ष
जहां गाय के गोबर का मुख प से उपयोग कया जाता था जहरीले भाव से बच गए। इस े म शोध के बाद व ान ने भी गाय के गोबर के एंट से टक गुण
क सराहना क है और इसका उपयोग करना शु कर दया है।
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वेद पौध म जीवन के बारे म वणन करते ह और कु छ पौध तुलसी और पेड़ बरगद के बारे म बात करते ह जनम दे व व भी है। डॉ बोस हाल ही म उसी
अवलोकन के साथ आये। आधु नक च क सा म सजरी के लए मशीन उपकरण आ द क आव यकता होती है ले कन वै दक काल म जब शरीर का कोई
ह सा कट जाता था तो उसे कसी हबल दवा से चपका दया जाता था और कु छ ही दन म ठ क हो जाता था। न त प से वे भारी बल और धोखाधड़ी
से बचे रहे। यह तब दज कया गया है जब एक मुगल राजा ने ी वै णव के पूज ा ल ीरंगम त मलनाडु पर आ मण कया था उसने भ को मार
डाला था और कई के शरीर के व भ अंग काट दए थे। उस समय व भ हबल औष धय से वे ठ क हो गये। उपरो उदाहरण से यह है क व ान ने
ज टल समझ एवं समाधान दये ह।
अब वे गॉड पा टकल खोजने का दावा कर रहे ह और वै ा नक के सरे समूह ने यह कहकर इस अवधारणा को समा त कर दया है क वे गॉड पा टकल से भी
छोटे कण को जानते ह। खगोलीय अ ययन के वल ह क संरचना तक ही सी मत है और उनके अ ययन म अं तम ह लूटो को अ र बताया गया है।
हालाँ क व ान च क सा के े म ब त आगे बढ़ चुक ा है ले कन एड् स कसर आ द का कोई इलाज नह मल पाया है। प म के सभी डॉ टर कसर से बचाव
के लए मांस खाने से बचने क सलाह दे ते ह जब क वेद इसे आ या मक जीवन के पहले कदम के प म मांगते ह। वेद के वपरीत व ान ने अनुसंधान का
वसायीकरण कर दया है। जा हर तौर पर चूं क हम सभी आधु नक नया म रहते ह इस लए हम वेद म बताई गई सभी बात का लाभ नह उठा सकते और
न ही उनका अ यास कर सकते ह। कम से कम हम उनसे आ या मक आदे श सीख सकते ह और जतना संभव हो सके उन पर अमल कर सकते ह।
न त प से धम ंथ मानवीय मता से कह अ धक स य को उजागर करते ह। भौगो लक दशाएँ हमारे जीवन पर भाव डाल सकती ह और अ त व बड़े
पैमाने पर वतमान समाज के लए अ ात है। ले कन वा तु शा घर कायालय खेल के मैदान आ द के ान और दशा क सफा रश करता है। इससे
अनुया यय के जीवन म शुभता आती है। ठ क उसी तरह जैसे हमने अपने जीवन म शंसा क मता दे ख ी है जब कोई हमारी सराहना करता है तो हम अ त र
सश महसूस करते ह हालां क हम अपना काम वैसे भी जारी रख सकते ह। इसी तरह कोई भी घर म रह सकता है ले कन उ चत दशाएं अ त र
श दे ती ह और अशुभ घटना से बचाती ह।
सू म श य और शकु न के बारे म हम अ याय म चचा करगे। इसी कार वेद का एक भाग हमारे भ व य या भ व य को समझने के व ान क ा या
करता है। इसे यो तष शा भी कहा जाता है। ह तरेख ा व ान या हथेली पर रेख ा का अ ययन प ममब त स हो गया है। वदे श से लोग आ रहे ह और
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सीखना। कोई चालाक से पूछ सकता है या इसका मतलब यह है क कसी ऑपरेशन से हाथ क रेख ाएं बदलने से मेरी क मत बदल जाएगी। इसका उ र है
नह य क रेख ाएं हमारे कम के कारण होती ह और रेख ाएं ल णा मक होती ह। के वल कम ही बदला जा सकता है। कम को अ याय म व तृत
प से समझाया गया है। वेद जीवन के सभी े पर क जा करते ह यो ा जहाज तकनीक से लेक र राजन यक रणनी तय तक च क सा से लेक र
धनुवद धनु व ा का ान है। हमारे पास श शाली बं क और गोला बा द हो सकते ह ले कन उ ह ले जाना और प रवहन करना भारी है। इससे भी अ धक वे
अनाव यक बड़ी बड़ी आवाज नकालते ह। धनुवद म यो ा को मं क श के बारे म बताया गया है। कोई न तश य के तीर चला सकता है और बना
गलती श द भेद के ल य पर वार कर सकता है। हाल ही म जापान पर दो परमाणु बम गराए गए और भारी तबाही ई। पहले के समय म ा नाम का एक
ह थयार था। इसक खा सयत यह थी क यह के वल ल य पर वार करता था और बाक सभी चीज को ब दे ता था। इ तहास म अ ामा ारा अपनी
आयुवद हमारे शरीर क संरचना और लागू पौध और ाकृ तक औष धय क ा या करता है। हमारा शरीर मु य प से कफ वात प शा ीय श द से
बना है। इन तीन का संतुलन ही व शरीर का नमाण करता है। येक ऋतु के आहार का उ लेख कया गया है और आराम करने तथा जागने के समय का
भी उ लेख कया गया है। उदाहरण के लए सुबह के समय शरीर को आ या मक जीवन के लए शांत कया जाता है और दन के समय काम या म
कया जाता है और सूया त के बाद आराम कया जाता है। अ नय मत जीवनशैली के कारण शहरवा सय को अ सर वा य संबंधी सम याएं होती रहती ह। शरीर
को अ धकतम ऊजा रात म बजे से बजे तक मलती है और औसत ऊजा बजे से बजे तक मलती है और सुबह बजे के बाद जागने क
उ मीद होती है यहां तक क मुगा भी इसके बाद उठता है। यह भी बताया गया है क सूय क उप त म भोजन आसानी से पच जाता है। उस समय पाचन अ न
ती होती है। शहर म लोग दे र रात खाना खाते ह और रात को आराम भी ब त कम करते ह जससे बीमा रयाँ अ धक होती ह। सभी उ त दे श अब वा य को
नयं त करने के लए योग या शु कर रहे ह जसक उ प वेद म ई है। भा य से व ान अभी भी उपरो बात म आगे या ग त नह कर पाया है
व ान.
वेद भ व य पुराण म व के भ व य का सट क वणन कया गया है क कौन से राजा आएंगे और शासन करगे उनके नाम स हत। जैसे भागवत पुराण म
भगवान बु के ाक का उ लेख मलता है। उनके माता पता और ज म ान का ववरण उनके ज म का उ े य सभी का उ लेख कया गया है एसबी . . ।
बु ो ना न न सुतः ककत एस यू भ वस य त
आ तक से ई या करते ह।
मगध के शासन और श म आमूल चूल प रवतन क भ व यवाणी क गई थी जसे चाण य ने साकार कया। म
नव नंदन जः क त् प न् उ ा र य त
सा एव च गु ता वै जो राजये भने या त
एक न त ा ण चाण य राजा नंद और उनके आठ पु के व ास को धोखा दे गा और उनके राजवंश को न कर दे गा। उनक अनुप त म मौय नया
व भ अवतार भगवान के अवतार का उ लेख उनके समय अव ध के साथ कया गया है। क लयुग वतमान युग म लोग कै सा वहार करगे इसका भी एसबी .
म उ लेख कया गया है। इसम उ लेख कया गया है क कै से लोग स े धम म च खो दगे और सतही प से जएंगे। ववाह के वल मौ खक होगा और झील और तालाब म
पानी होने पर उ ह डरा आ माना जाएगा। हेयर टाइल को सुंदरता का मुख कारक माना जाएगा। यौन जीवन म वशेष ता क ताकत का नधारण करेगी और
धा मक आ ा बाहरी तीक पर आधा रत होगी। खगोलशा ी ांड क संरचना को समझने के लए उ सुक ह। वेद भू म जल नकाय तैरते ह घूण न क धुरी सूय क
ग त आ द क संरचना के साथ ांड व ान क व तृत ा या करते ह। एंट मैटर व या आ या मक नया जहां हर परमाणु और अणु क ायी कृ त होती है क
येक अपनी आजी वका बनाए रखने के लए ग त व धयाँ करता है। व तुतः जानवर भी इसी दशा म यास करते ह। ले कन धम ंथ हम जीवन क गहराई के साथ
समझ दे ते ह। कोई भी व व ालय या श ा णाली यह जानने के लए शोध नह करती क हम वा तव म कौन ह। वा तव म हम सभी अनंत वतं ता वाली आ माएं ह।
ले कन हम अपनी वतं ता के पयोग के कारण इस शरीर के पजर म बंधे ए ह। सुख और ःख का कारण या अनुभव शरीर के कारण होता है न क आ मा के कारण।
भौ तक कृ त आ मा को म क या ा पर ले जाती है। यहां मानक सम याएं ज म बुढ़ापा बीमारी और मृ यु ह। हमम से कोई भी इनम से कसी से बच नह सकता। माँ
के गभ से ब े का रोता आ बाहर आना यह स करता है क वह अ दर से खी था और अजीब त म था। मृ यु ही एकमा भय है जसका हम सभी इंतजार कर रहे
तथा दे हा तर ा तर धीरस त न मु त
एक शरीर से सरे शरीर म आ मा के ानांतरण से शांत आ माएं मत नह होती ह। ऐसी आ माएं पूण ता ा त करती ह। मृ यु और न द म के वल इतना ही अंतर है
कनदम उसी शरीर म जागता है और मृ यु म वह सरे शरीर को ा त कर लेता है। जो लोग भौ तक संसार से जुड़े ए ह और सोचते ह क उ ह ने जो कु छ भी
कमाया है वह ायी है वे मृ यु के समय तनावपूण हो जाते ह। वृ ाव ा दो कार क होती है एक शारी रक और सरी बौ क। शारी रक बुढ़ापे म का शरीर पर
से नयं ण ख म हो जाता है और अधूरी इ ाएं उसे परेशान करने लगती ह। कसी को प ज़ा खाने का मन हो सकता है ले कन चबाने के लए दांत नह ह।
बौ क बुढ़ापा थोड़े समय के लए होता है. यह मृ यु से पहले का समय है. कु छ लोग कम उ म ही मर जाते ह उससे पहले ही वे अपनी बु खो दे ते ह। रोग कु छ त व के
असंतुलन बुख ार सद आ द के कारण मौजूदा शरीर म होने वाली परेशानी है। रोग त अव ाम असहाय रहता है। ख का कारण हमारे कम या न कम ह। वे
आ दा मका लेसा आ ददै वक लेसा और आ दभौ तका लेसा के प म आते ह। आ या मक लेसा अपने मन और इं य के कारण होने वाली पीड़ा है।
आ दभौ तक लेश वह है जो उनके जी वत ा णय जैसे म र आतंक वाद आ द के कारण होता है। आ ददै वका लेश वह है जो ाकृ तक आपदा बाढ़
कई ज म और मृ यु के बाद जो वा तव म ान म है वह मुझ े सभी कारण और सभी का कारण जानकर मेरे त समपण करता है। ऐसी महान आ मा ब त
ही लभ होती है।
हे भगवान मुरारी कृ ण कृ पया मुझ े बार बार ज म और मृ यु के इस च से इस खी नया से मु दलाएं जहां मुझ े हर ज म म अपनी मां के गभ म
क सहना पड़ता है।
म सबके दय म वराजमान ं और मुझ से ही मृ त ान और व मृ त आती है। सम त वेद के ारा मुझ े जाना जाय। वा तव म म वेदांत का संक लनकता ं
और म वेद का ाता ं।
ान संचरण या
क लयुग म ब त सारे फज नेता ह जो खुद को गु बताते ह और च र हीन ह। तो ान ीण हो जाता है. इस लए हमारे लए ामा णक आ या मक
गु से शा सीखना मह वपूण है।
. स दाय
. ी ल मी स दाय
. कु मार स दाय
. स दाय
ी सनक वै णव त पावना
उपरो छं द बताते ह क य द कोई चार ामा णक श य उ रा धका रय अथात् ी ा और कु मार सं दाय म से कसी एक से जुड़ा नह
है तो वह जो भी मं जपता है वह वां छत प रणाम नह लाएगा। मूल प से भगवान कृ ण ने वेद का संदेश ी ल मी ा शव और
चार कु मार सनक सनातन सनत और सानंद को दया था और यह संदेश क लयुग म भी जारी रखा गया था। वतमान युग रामानुज ाचाय ी सं दाय
माधवाचाय सं दाय व णु वामी सं दाय और न बाक वामी कु मार सं दाय ारा। ये चार स दाय आ धका रक सं ान ह जो
वेद का शु शु संदेश दे ते ह य क इस ान का ोत कृ ण वयं भगवान के सव व ह जो सभी दोष या अपूण ता से मु ह। तो
एक आ या मक गु जसने इन चार सं दाय म से कसी एक का आ य लया है और वै दक ंथ क श ा के अनुसार रह रहा है वह एक
ामा णक आ या मक गु है। इस लए को के वल ऐसे ामा णक आ या मक गु से ही भगवद गीता सुननी चा हए।
सभी धम ंथ म भगवद गीता को सव माना जाता है य क इसम परम भगवान कृ ण वयं बोल रहे ह और अपने भ अजुन के का उ र दे रहे ह।
भगवद गीता पांच बु नयाद वषय से संबं धत है।
कम या और त या च ।
हमने अपनी पु तक म लगभग सभी वषय को एक एक करके शा मल कर लया है। इसके अलावा को यह सु न त करना चा हए क
वह भगवद गीता और उसके द अनु ह ए.सी. भ वेदांत वामी भुपाद ारा ल खत उसक ट प णयाँ पढ़ता है।
इसने नया म भ ां त और प रवतन लाया है।
वेद
वेद अपौ षेय ह जसका अथ है क वे मानव ान का संक लन नह ह। पहले के वल यजुर नाम का वेद था। वेद म व णत य ऐसे साधन थे जनके ारा लोग
को शु कया जा सकता था। या को सरल बनाने और उ ह अ धक आसानी से न पा दत करने यो य बनाने के लए ासदे व ने एक वेद को चार म
वभा जत कया ऋग ाथना यजुर आ त के लए भजन साम समान
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गायन के लए मीटर म ाथना और भजन अथव शरीर नया का रखरखाव और वनाश ता क उ ह पु ष के बीच व ता रत कया जा सके । वेद को
चार भाग म वभा जत करने के बाद पैला ऋ ष
ऋ वेद के ोफे सर बने जै मनी सामवेद के ोफे सर वैश ायन यजुवद के सुम तु मु न अं गरा अथववेद के और रोमहषण को पुराण और ऐ तहा सक अ भलेख
का कायभार स पा गया। इन सभी व ान ने बारी बारी से अपने स पे गए वेद को अपने कई श य भ श य और महान श य को दान कया और
इस कार वेद के अनुया यय क संबं धत शाखाएँ अ त व म आ ।
वेद के ंथ को सं हता के नाम से जाना जाता है। इन सं हता के भीतर मं के प म जाने जाने वाले अंश ह जनम व भ योजन के लए महान
ा को कट क गई श शाली व न यौ गक के प म ाथनाएँ शा मल ह।
ु त मृता और याय
वै दक ान के तीन अलग अलग ोत ह ज ह ान य कहा जाता है। उप नषद को ुत ान के प म जाना जाता है छह अंग वाले वै दक ान
वेदांग के स ांत का पालन करने वाले ंथ के साथ साथ महाभारत भगवद गीता और पुराण को मृ त ान और वेदांत सू के प म जाना
जाता है जो वै दक ान को तुत करते ह। तक और वतक के आधार को याय ान कहा जाता है। पारगमन के सभी वै ा नक ान को ु त मृ त और
एक ठोस ता कक आधार याय ारा सम थत होना चा हए। मृ त और याय सदै व ु त म कही गई बात क पु करते ह।
स सा व या मक व ान
ाकरण ाकरण
न संग नणायक अथ
कडस मीटर
यो तस समय व ान खगोल व ान और यो तष
क प अनु ान
वातानुकू लत चेतना के व भ तर के अनुसार वेद म व भ गंत तक प ँचने और इं य आनंद के व भ मानक का आनंद लेने के उ े य से व भ
नयं क क पूज ा के नदश ह।
ऊजा श स आगम
कम का ड पथ म बेहतर ह पर पदो त पाने के लए सकाम ग त व धयाँ शा मल ह। पहले पाँच वेदांग क प त का उपयोग करते ए क प सू इस
माग क ा या करते ह। उपासना का ड म अपने ह क उ त के लए व भ नयं क क पूज ा करना शा मल है। आगम इस माग क ा या
करते ह। ान का ड म उ े य के लए अवैय क प म पूण स य का बोध शा मल है
उप नषद का अथ है गु के पास बैठकर ान ा त करना। ये परम स य के वषय पर आ म सा ा कारी आ मा और उनके छा के बीच बातचीत ह।
वेद का अथ है ान और अंत का अथ है अंत। उप नषद को वेदांत ान का अंत कहा जाता है।
ेता तर
दशन का अथ है या । छह दाश नक ंथ ह
भा य वेदांत सू पर भा य
सू एक ऐसी सं हता है जो यूनतम श द म सम त ान का सार करती है। इसे अपनी भाषाई तु त म सावभौ मक प से लागू और दोषर हत
होना चा हए। वेदांत सू को न न ल खत व भ नाम से भी जाना जाता है
सू शरी रका सू ास सू
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वेदांत सू म चार अ याय ह। पहले दो अ याय भगवान के सव व के साथ जीव के संबंध पर चचा करते ह। इसे संबंध ान या र ते के ान के
प म जाना जाता है। तीसरा अ याय वणन करता है क कोई भगवान के सव व के साथ अपने संबंध म कै से काय कर सकता है। इसे
अ भदे य ान कहा जाता है। चौथा अ याय ऐसे काय के प रणाम का वणन करता है। इसे योजन ान के नाम से जाना जाता है। चूँ क वेदांत सू सं हता
म है जनम ब त सारा ान है इस लए इसम भा य क आव यकता होती है। शंक राचाय ने वेदांत सू पर अपनी ट पणी अ ै तवाद अ ै त अ ै त पर
आधा रत लखी। वै णव आचाय क अ य आ तक ट प णयाँ ह
व णु वामी शु ा ै त शु एकता
माधवाचाय ैत ै तवाद
इनम से येक ट पणी म भगवान के सव व को सभी कारण के कारण के पम ा पत कया गया है और भ सेवा का ब त प से
वणन कया गया है।
पुराण इ तहास और का
पुराण को संबं धत ऐ तहा सक त य से संक लत कया गया है जो चार वेद क श ा क ा या करते ह। छांदो य उप नषद . . पुराण और
महाभारत म ज ह आम तौर पर इ तहास के प म जाना जाता है
पाँचव वेद के प म उ ल खत ह।
दरअसल ऋग् यजुर् साम और अथव चार वेद के नाम ह। इ तहास और पुराण ह
पाँचवाँ वेद.
पंचरा
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पंचरा णाली भगवान के सव व ारा कही गई है ब कु ल भगवद गीता क तरह पंचरा पु तक ह जनम भगवान क उनके व ह
प म पूज ा क णाली को भ सेवा के महान अ धका रय जैसे भगवान ा भगवान शव दे वी ल मी आ द प पंचरा नारद पंचरा के मा यम
से समझाया गया है। हया सरसा पंचरा ल मी तं और महेश पंचरा पंचरा क कु छ सबसे मह वपूण पु तक ह।
ावहा रक प से एक ही जीवन म सभी वेद और उप नषद और पुराण को पढ़ना असंभव है। कु ल मलाकर हमारा जीवन काल ही छोटा है। इसके
ारा यह सलाह द जाती है क कम से कम भगवद गीता भागवत पुराण भ रसामृत सधु ईसोप नषद और चैत य च रतामृत पढ़ और अपने जीवन
को सव भगवान क भ म प रपूण कर।
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आ मा
सयक श यह है क इसे हर कोई महसूस करता है और हमम से कोई भी इसे छपा नह सकता। ठ क वैसे ही जैसे कोई आंख बंद कर ले और घोषणा
कर दे क आकाश म कोई सूरज नह है ले कन सूरज अभी भी मौजूद है। हम यहां एक ऐसे भाव के बारे म बात कर रहे ह जसे हम सभी ने महसूस कया है
ले कन यह नह समझ सके क इसक उ प कहां से ई है। उदाहरण के लए कसी को ऐसा लगता है क उसने कसी व म वतमान य दे ख ा है। भावना
का एक और त य यह है क जब भी हम कसी काय को करने क इ ा रखते ह तो हम व भ आंत रक य से अलग अलग राय मलती है और
मत और अ नणायक हो जाता है। इसके अलावा कभी कभी कसी को पहली बार दे ख ने के बाद हम ऐसा लगता है जैसे हम एक सरे से पहले
भी मल चुके ह और कोई भी ब त आसानी से अ े र ते बना सकता है। ऐसी त म जब कोई घर से र जाता है तो उसका दल अपने वतन वापस
जाने के लए तरसता है और जैसे ही वह वापस प ंचता है तो उसे बड़ी राहत महसूस होती है। ये तयाँ वा तव म हम प से संके त दे ती ह क हम न
के वल भौ तक े म ब क सू म तर पर भी मौजूद ह।
इस अ याय को पढ़ने से हम उन व भ श य क खोज करगे जो हमारे पास ह और हमने उ ह कभी नह पहचाना है। एक बार एक चोर ने
सुक रात एक प मी दाश नक को पकड़ लया और उससे फरौती क रकम मांगी अ यथा वह उसे मार डालेगा। सुक रात ने उसे सू चत कया क कोई भी उसे
कभी नह पकड़ सकता या उसे मार नह सकता य क सुक रात ने खुद को नह दे ख ा था यह दशाता है क वह यह शरीर नह ब क कु छ े है । चोर ने
हाल ही म डॉ टर ने पाया है क मृत शरीर को रासाय नक प से वघ टत और अलग करने पर उसक क मत लगभग से ही होगी। यह खद
तीत होता है य क य द इसे स य माना जाए
पु ष ने एक सरे को खरीद लया होगा। जब भी कोई हवाई जहाज़ घटना त होता है और लोग मर जाते ह तो उ ह बचाने के लए तुरंत
ए बुलस अ नशामक सेना के जवान मौके पर आते ह। इससे पता चलता है क लोग वमान से अ धक मह वपूण ह। सहानुभू त के अलावा मृतक और घायल
के प रजन को वा य लाभ के लए भारी मुआ वजा मला। अतः यह ब कु ल है क मू य क से मानव शरीर का रासाय नक व ेषण महज़ मूख ता
है।
दरअसल व ान ने आ मा क पारंप रक समझ के साथ खलवाड़ कया है। पूरी नया म जबरन श ा व ा यह सखा रही है क हम सफ शरीर ह और
यही जीवन है इस लए जतना हो सके अपना और सर का शोषण कर। वै ा नक घो षत करते ह क मृ यु म त क या दय के ठ क से काम न करने आ द के
कारण होती है। ऐसी त म वे इन अंग को बदल सकते ह या यां क मशीन क तरह उनक मर मत कर सकते ह और शरीर का संचालन फर
से शु कर सकते ह। वे मृ यु को रोकने म वफल रहे ह और जीवन वापस लाने म कभी सफल नह ए ह। उनम से कोई भी अब तक यह नह
समझ पाया है क वा तव म मृ यु या है
इ। आप कौन ह
सामा य ान का योग
कभी कभी सामा य ान से बड़े से बड़े स य काश म आ जाते ह। जैसे वै ा नक एक पेन तैयार करने क को शश कर रहे थे ता क यह अंत र यान
म काम करे जहां हवा का दबाव कम हो। ले कन एक ब े ने सुझ ाव दया क य
अनुसंधान पर पैसा बबाद कर बस एक प सल का उपयोग कर। इसके लए दमाग क उप त क आव यकता होती है य क यह ठ क ही कहा गया है क ब त अ धक व ेषण
प ाघात क ओर ले जाता है ।
उसने कहा मेरा । यह उ लेख नीय था. व ान ने आह भरते ए कहा ओह इसका मतलब है क आपके पास शरीर है और आप वीकार करते
ह क आप शरीर नह ह । कॉलेज खरीद त रह गया और न र रहा। हां हम सभी सहमत ह क हमारे पास ये अंग और शरीर
के अंग ह य क हम उनके बना भी काम कर सकते ह। जैसे कसी के पास हाथ न हो फर भी वह जी वत रहता है। कोई चाहे दोन पैर खो
दे फर भी जी वत रहता है। इसके अलावा हम आम तौर पर कहते ह आज मेरा मन शांत है जो इं गत करता है क हम अपने दमाग से परे ह।
भा य से हम अपने से बाहर क हर चीज़ का अ ययन कर रहे ह और यह जानना भूल गए ह क हम वा तव म कौन ह। जस पजरे म तोता रखा
जाता है उसम सफ पजरे को चमकाने और पजरे के असली मा लक तोते को भूख ा मारने से या फायदा। भौ तक ऐ य भी इसी कारण
है
एक बार एक लड़के क मुलाकात एक खूबसूरत लड़क से ई और उसने उससे शाद करने का फै सला कया। वह गया और उसे पोज कया
वह बु मान थी इस लए उसने कहा म के वल एक वै णव व णु के भ से ही शाद कर सकती ं। वह वै णव बनने के लए सहमत
हो गया और उसने या पूछ उसने उसे त दन व णुसह नाम व णु के नाम का पाठ करने और भ को घर पर अपने हाथ
से खाना पकाने के लए कहा। वह उसे पाने के पागलपन म ऐसा करने लगा। वह एक अमीर प रवार से थे और उ ह ने भ क सेवा करना शु
कर दया और ऐसा करते ए उ ह सव भगवान कृ ण के त आकषण महसूस होने लगा। वह कृ ण के प व नाम का जाप करने
अपने भ क सेवा करने उनक म हमा का चार करने म लीन हो गए।
धीरे धीरे वह शाद करना भूल गया। दरअसल लड़क उसके पास प ंची और उसे उसक इ ा याद दलायी।
कसी आ मा का परमे र क ओर आक षत होना ब त वाभा वक है जैसे लोहे का भराव चुंबक क ओर आक षत हो जाता है और शरीर
बी एक और सामा य ान यह है क लोग कसी शव के सामने रोते ए या कहते ह उसका नरी ण कर। अ सर उ रण होता है उसने हम छोड़
दया भगवान ने उसके साथ ऐसा य कया उसक आ मा को शां त मले
इस त य पर हर कोई सहमत है क कसी ने शरीर छोड़ दया है। जी वत शरीर म पदाथ के प रवतन के ल ण गोचर होते ह। जैसे एक
ब ा बड़ा होकर जवान हो जाता है और फर बूढ़ा हो जाता है और फर मर जाता है। इसका उ लेख भगवत गीता . म कया गया है। यहां तक
क प नी भी अपने प त के शव को गले नह लगाती य क वह जानती है क वह अब इस नया म नह है। हाँ कु छ मूख मुग़ल थे ज ह ने
आ मण के बाद राजपूत म हला के शव के साथ बला कार कया। वे जीवन क बु नयाद बात से कतने मूख और अन भ थे। भीतर का
आकषण और शारी रक त याएँ आ मा क उप त के कारण ही संभव ह।
ब त समय पहले जनक नाम का एक राजा था। उ ह ने ा ण पुज ारी पु ष के बीच एक बहस क व ा क ता क वे शा म
बताए अनुसार अपना जीवन सम पत करने के लए एक गु आ या मक गु चुन सक। महान मराठा यो ा और नायक शवाजी महाराज के
गु तुक ाराम महाराज और रामदास वामी थे। और जनक का गु बनना एक भा यशाली त थी जो पहले से ही आ म सा ा कारी थे। सभी
ा ण आये और अ तरह से अपना ान हण कर लया
वामी भुपाद ने कहा क य द हम सभी इस सरल त य को समझ ल क हम ये शरीर नह ह तो हम सभी के जीवन म ां त ला सकते ह।
ग जी वत और मृत के बीच अंतर करना आसान है। उदाहरण के लए हम सभी बैठकर कोई नाटक दे ख ते ह और एक वी डयो रकॉडर न के वल
लस ारा दे ख ता है ब क उसे बाद म चलाने के लए रकॉड भी करता है। ले कन दो पयवे क म बु नयाद अंतर है हम नृ य नाटक संगीत का
आनंद ले सकते ह और उस पर ट पणी कर सकते ह। कै मरा नह कर सकता. सोचने महसूस करने और इ ा के ल ण जी वत ा णय म होते ह और
मशीन और गैज ेट्स म अनुप त होते ह। यह चेतना का ल ण है. यह आस क अं तम व तु तक ा त है। उदाहरण के लए अगर हम खबर मलती
है क पा कग म खड़े वाहन को ै फक पु लस उठा ले गई है तो वे सभी लोग परेशान हो जाते ह जनके पास वाहन ह जब क अ य परेशान नह होते ह
इसका कारण यह है क चेतना अनजाने म ा त है।
हम रोजाना मौत घटना बाढ़ आ द क बुरी खबर सुनते ह ले कन हम ख तब होता है जब हमारा कोई करीबी और यजन उनम से एक होता है।
इसी कार हम अपने शरीर के त भी सचेत ह। दरअसल हम इस बात से अन भ ह क यह कै से बढ़ता है या बीमार कै से हो जाता है। चेतना आ मा
का ल ण है। जस कार कार म हेडलाइट हान इंज न आ द होते ह ले कन वह तब तक नह चलती जब तक उसे कोई नह चलाता उसी कार
हमारे शरीर म आंख हाथ पैर आ द होते ह ले कन वह तब तक चलता है जब तक उसम आ मा व मान है।
वै ा नक से व ेषण
ए यूरोजेने सस के एक योग म उ ह ने पाया क शरीर क कसी भी या के लए म त क म कु छ खास तरंग उ प होती ह। इस लए उ ह ने नाड़ी का अ ययन कया
और एक बाहरी ोत के मा यम से नाड़ी को म त क पर लागू कया और आ यजनक प से वही प रणामी या पाई जो यह सा बत करती है क शरीर म पछली त
म नाड़ी उ प करने के लए शारी रक सीमा से अलग शरीर के भीतर इसे उ प करने वाला कोई ोत होना चा हए। . शोधकता अभी भी ोत का पता लगाने म असमथ
कु छ लोग का दावा है क डॉ टर ने हाल ही म मर रहे एक मरीज को कांच के यूब म रखा था और आ मा के नकलने के लए यूब को एक ान पर तोड़ दया गया था।
ले कन यह भाव फज है य क आ मा एंट मैटर है और बना कसी बंधन को तोड़े गुज र सकती है जैसे व ुत चु बक य तरंग बड़ी बड़ी द वार को बना तोड़े पार कर
जाती ह।
बी ऑपरेशन से गुज रने वाले य म असाधारण ल ण दज कए गए ह। ऐसे लभ मामले ह ले कन च क सा व ान म अ तरह से अ ययन और द तावेज ीकरण कया
गया है। इसे ओबीई आउट ऑफ बॉडी ए सपी रयंस कहा जाता है। मरीज़ ने अपने शरीर क सजरी होते ए दे ख ी है। सट क ववरण मरीज ारा दए गए ह हालां क
उनका शरीर एने ी सया पर है। एक अ य ेण ी नयर डेथ ए सपी रयंस एनडीई क है। इन व को कु छ समय के लए शरीर छोड़ना पड़ा जैसे क मृत हो और वापस
उसी म मजबूर हो गए ह । ये घटना बुढ़ापे आ द के दौरान दे ख े जाते ह। अब यह े ब त स हो गया है और शोध म भी इसम गहरी च ली जा रही है।
डॉ. इयान ट वे सन ने ऐसे से अ धक मामले दज कए ह। फु ल ूफ रकाड के बाद ही द तावेज ीकरण कया जाता है। लोग अपने पछले ज म को याद करते ह
और उन ान और ान के बारे म बताते ह जो उ ह ने इस जीवन म नह दे ख े थे। ब म अ धक पाया जाता है। वे पछले जीवन म लोग और उनके साथ उनके
संबंध के बारे म बात करते ह। चूँ क आ मा मरती नह है इस लए यह है क उसे सरा शरीर मलेगा।
कहानी
ी तभा गुण वधना का ज म अ टू बर को आ था और वह चार साल और दो महीने क थ जब नवंबर म उनके माता पता के साथ कोलंबो से लगभग
मील द ण पूव म प प तया म उनके घर पर सा ा कार आ था। ी थभा ने अपने पछले जीवन के बारे म अपना पहला बयान तब दया था जब
वह दो साल से कु छ अ धक उ के थे जब उ ह एक स ताह तक तेज बुख ार आ था। तब से वह अ सर अपने पछले जीवन क याद के बारे म बात करते रहे ह।
ी थभा ने कहा क वह म य ीलंक ा के मु य शहर कडी सहली नाम महा नुवारा का उपयोग करके म रहते थे। उ ह ने अपना पूव नाम संथा मेगाहेथेन बताया
और कहा क वह नंबर पलागोडा रोड पर रहते थे। उनक कार म आग लग गई थी उनका दा हना पैर हाथ और मुंह जल गया था उ ह अ ताल ले जाया गया
और फर वह यहां आए मर गए ।
उनक माँ ने बताया क उ ह ने वशेष प से अ सर दो नाम का उ लेख कया एक बड़ा भाई साम ा
और एक बड़ी बहन सीता। उनके पता ने बाद म बताया क ी तभा अ सर कहती थ क वह दे ख ना चाहते ह
उ ह। उनक माँ के अनुसार वह घटना क तुलना म नाम के बारे म अ धक बात करते थे।
जब लड़के से पूछा गया क या वह कडी जाना चाहेगा तो उसने तुरंत हाँ कह दया। उ ह ने कहा क वह अपना घर ढूं ढ सकते ह ले कन जब उनसे पूछा गया क या
उ ह इसका पता पता है तो उ ह ने नह म जवाब दया। कडी म पलागोडा रोड और उससे मलते जुलते नाम के बारे म पूछताछ क गई। मेघाथेन नाम के
बारे म पूछताछ जसे ी थभा ने अपने पूव पा रवा रक नाम के प म बताया था। कु छ ीलंक ाई लोग उस गाँव के नाम का उपयोग प रवार के नाम के प म करते ह
फो बया
बचपन से ही लोग कसी वशेष वातावरण के त घृण ा दखाते ह। उदाहरण के लए कु छ लोग नद समु व मग पूल आ द जैसे जल नकाय म
वेश नह करते ह। वे भाग भी सकते ह जब क अ य बस तैरने और रोमांच का आनंद लेने के लए उतरते ह। कु छ लोग अ न पड से डरते ह और
अ नमय ान के नकट आने से कतराते ह।
ये सभी फो बया ह जो मन म अहसास के प म जमा होने वाले नकारा मक भाव के कारण उ प होते ह
अगले जीवन म आगे.
वाद
राय स के दौरान हमारा गत वभाव मुख होता है। जब भी कोई राय सामने रखनी होती है तो हम सभी अलग अलग राय रखते ह। ऐसा
इस लए है य क हम सभी अलग अलग व वाले ह। जैसे जब जुड़वाँ ब े पैदा होते ह तो एक जैसे दखते ह माँ ारा दया गया एक जैसा खाना
खाने पर भी उनक इ ाएँ अलग अलग होती ह। ऐसा उनके दो अलग अलग गत आ माएं होने के कारण है।
भगवान कृ ण ने प से उ लेख कया है क हम सभी हमेशा के लए मौजूद ह य क हम सभी गत आ माएं ह। हमारी यह आम धारणा है क एक
आवरण के कारण वकृ त प म इस नया म अ ह आगे बताया गया है । हम सदै व गत ह और वलय क या अपने आप म अ ायी है।
वयं क संरचना
यह एक दलच त य है क हर कोई अनोखा वहार करता है और अपने काय के तआ त होता है और ता कक प से उसे उ चत ठहरा सकता है। यह
आंत रक आवाज मलती ह। उदाहरण के लए छा अ ययन करने के लए पु तकालय जाते ह। एक बार जब वे वहां प ंचते ह तो वे अ ययन लॉट क योजना बनाते
ह। जैसे ही वे पढ़ना शु करते ह उनके मन म एक वचार आता है बाद म जब पूरा दन बाक होता है तो फर से एक वचार उठता है ता क अगले दन का सही
उपयोग कया जा सके । इसके साथ ही एक वचार उकसाता है यह सब पढ़ते ए सफ इस लए क माता पता चाहते ह क म प ं पढ़ाई य नह
तो म के ट खेलने जाऊं गा। वचार का नरंतर वाह उमड़ता रहता है और लगभग अ नणय बेहतर होगा क हम अभी पढ़ाई कर और ज द आराम कर
क त बन जाती है या य द हम कोई नणय भी लेते ह तो भी हम दल से खाली महसूस करते ह। भगवद गीता हमारे का या उपयोग है
भगवद गीता .
तथा दे हा तर ा तर धीरस त न मु त
जस कार दे हधारी आ मा नरंतर इस शरीर म लड़कपन से युवाव ा और बुढ़ापे तक गुज रती रहती है उसी कार मृ यु के समय
आ मा सरे शरीर म चली जाती है। एक शांत ऐसे प रवतन से हत भ नह होता।
. म कहा गया है
A ूल त व
पृ वी जल अ न वायु आकाश। ये त व हमारे बाहरी शरीर को हमारी आंख के सामने यमान बनाते ह। हमेशा
याद रख क हम जस शरीर से बने ह वह मु य प से पृ वी और पानी से बना है। दरअसल वायु हमारे शरीर को संतु लत करती है। वायु पांच कार क होती है जो
हमारे शारी रक काय को संतु लत करने म मुख भू मका नभाती है। योगी मु ा त करने के लए इन वायु को संतु लत करते ह।
ाण दय के नकट ाणवायु
य प अ न दखाई नह दे ती वह गु त प म व मान रहती है। यह जठर अ न पाचन क अ न के प म कट होता है। इसके अलावा जब हम अपने दोन हाथ को
रगड़गे तो हम गम का अहसास होगा। योगी मु से पहले बना कसी बाहरी अ न ोत के यान म अपने शरीर को जलाते ह। ईथर अंत र है. पांच त व का वा त वक रंग
ाण है जो आकाश जल और वायु से आता है। पृ वी वण जल टल अ न लाल वायु नीला आकाश धुआ ँ। जीव का ूल शरीर पांच त व से बना है वचा
बी तीन सू म त व
क मन सू म त व को के वल महसूस कया जा सकता है दे ख ा नह जा सकता। मन को अधूरी इ ा पूव सं कार और अनुभू तय तथा संवेग का भ डार
माना जाता है। एक ब जीव का मन यह सोचने के लए बा य है क वह यह शरीर है। ब अव ा म मन काय करता है और इं य को इस कार काय करने का आदे श दे ता है
जो आ मा के लए लाभकारी नह होता है। उदाहरण के लए मन परी ा से पहले के ट दे ख ने के लए मजबूर करेगा। य प कोई जानता है क यह अ ययन के लए
हा नकारक है फर भी मन से सहमत होने के लए वह उसे स करने के लए काय करता है। यहां तक क जो भ अपने मन को नयं त करने का यास करते ह उ ह ारं भक
चरण म सम या का सामना करना पड़ता है। जैसे छोटा ब ा अपने पता से वह सब मांगेगा जो वह बाजार म दे ख ेगा। पता यूनतम दगे ता क ब ा उनक माक टग को दयनीय
न बना दे । ब ा गु बारा खरीदने के बाद गु बारा फक दे ता है और कु छ और मांगता है इसी कार मन भी तुरंत अपनी माँग बदल दे ता है। अतः मन पर उपकार करना भी थ
यास है। मन एक पडु लम क तरह है जो भोग और याग यानी आनंद लेना और यागना पर वच करता है।
ारंभ म अनु ह ा त करने या इ ा पूरी करने से पहले मन याशा म आनंद क क पना करेगा।
एक अ नौकरी पाओ और एक यूट वीन से शाद करो। इसी आशा म उसे आन द मलता है। य प इनम से कु छ भी उसके सामने
उपल नह है फर भी वह के वल आन द मनाने क क पना करता है। जब वह जवान हो जाता है तो उसे कसी लड़क से यार हो जाता है
और वह दन रात उसी के बारे म सोचता रहता है। यहां तक क उसके बाल का एक कतरा भी जब मल जाता है तो उसक कॉलेज क
कताब म इस तरह अ तरह से रखा जाता है जैसे क वह पूज ा करने लायक हो। कु छ लड़के माल को भी खजाने क तरह रखते ह। हम
सभी इस बात से वा कफ ह क माल नाक के कतने करीब होते ह और इनका इ तेमाल कस काम के लए कया जाता है। वैसे भी वह म
म याशा क श है।
यह सब तभी तक चलता है जब तक वह उसे जीवन म हा सल नह कर लेता और शाद नह कर लेता। यह भोग तर है. यागा को शाद के पहले
दन क शु आत तब होती है जब उसे एहसास होता है क उसने उसके बारे म जो कु छ भी सोचा था वह गलत था। जब वह अंतहीन मांग रखती है
जसके लए ब त अ धक धन और समय क आव यकता होती है तो को वा त वकता समझ म आती है। मनो व ान का बेमेल समय
के साथ हो जाता है।
फर एक याग शु होता है. जैसे ही वह अपनी प नी को दे ख ता है वह भाग जाता है। वह घर पर यथासंभव कम समय बताते ह। ले कन यह कु छ समय तक चलता रहता है और
भोग और फर याग के पीछे भागता है। यह सबसे भा यपूण त है जसम मन आ मा को डाल दे ता है। इतना ही नह वह अपने कृ य के लए कसी और को
दोषी ठहराएगा और कभी भी दोष वीकार नह करेगा। जैसे य द कोई ना ते क कान के पास से गुज रता है तो उसका मन समोसा या मठाई खाने के लए खच जाता है और
वह आव यकता से अ धक भी खा सकता है य क मन म इसके बारे म अ राय और धारणा होती है। रात बीतने के बाद अगले दन जब क ज हो जाती है तो वही मन
च लाने लगता है और च लाने लगता है क तुमसे कसने कहा इतना लेने को। इस सामान को बाहर नकालना कतना क ठन है।
अपने मन के नदश का पालन करने के कारण हम शमनाक त म प ँच जाते ह जसके बारे म हम कसी को बता नह पाते। का शा वनोद म एक कहावत है
हमारा जीवन उस बंदर क तरह है जो एक इ ा से सरी इ ा क ओर छलांग लगाता है और पूरी होने पर भी अ र रहता है। ऐसे बंदर का या होगा जसने शराब पी ली
हमारी त ब कु ल उस बंदर जैसी है. जीवन म हम न जाने कतनी इ ा के पीछे भाग रहे ह भले ही वे पूरी ह या अधूरी हम खी और असंतु रहते ह। सबसे ऊपर
र तेदार दो त मन क मांग ह और उनके साथ ई या अहंक ार ोध आ द भी शा मल ह। यह ऐसा है जैसे इतने सारे खचाव के बीच को खुद को संतु लत करना होता
है।
यही कारण है क सफल लोग अलग नजर आते ह। ये वे लोग ह ज ह ने अपने मन को वश म कर लया है। इं याँ जो कान आँख नाक जीभ और वचा का नमाण करती ह मन
के नयं ण म ह। वे मन के आदे श पर काम करते ह। इस लए मन और इं य पर नयं ण मह वपूण है। उ चत आहार आराम और मनोरंज न ारा इं य को नयं त कया जा
हरे कृ ण हरे
कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । मानस
तायते इ त म जो मन का उ ार करे उसे म कहते ह। मन शांत रहना पसंद नह करेगा जैसे छोटे ब े का कमरा इधर उधर बखरी व तु खलौन कताब
कपड़ से अ त त रहता है। मन आनंद क तलाश करने का सरा तरीका नकारा मक वचार पर वचार करना या खी तय का व ेषण करना है। अपने आप को
हम मन का व तार से वणन इस लए कर रहे ह य क यही वह चीज़ है जो आपको बनाने या बगाड़ने क मता रखती है
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आप। आ या मक उ त के पथ पर चलने वाले मनु य के लए इं य पर नयं ण और नयमन करना ब त मह वपूण है। इस संबंध म
एक अ कहानी है। एक बार एक राजा था जसके पास एक बकरी थी जसे घास खाना पसंद था। इस लए राजा ने सभी नाग रक के सामने चुनौती
रखी क जो कोई भी इस बकरी को घास बनाकर भगा दे गा उसे मेरा आधा रा य मल जाएगा। असफल होने पर उसक जान भी जा सकती है. यह
एक अ ा इनाम था मेरा आधा रा य। कु छ लोग ने को शश क उ ह बकरी को घास न खाने क े नग दे ने के लए सात दन का समय दया
गया। जन लोग ने यास कया वे सभी असफल हो गए य क जैसे ही वे बकरी को घास के सामने लाते तो वह घास खा लेती। एक आदमी जसने
चुनौती वीकार कर ली थी वह सर क असफलता दे ख कर ब त च तत था। वह दे श भर म घूम रहा था. रा ते म उसे एक संत मले ज ह ने
इस को च तत त म दे ख ा। उसने अपनी सम या पूछ और सुनने के बाद उस आदमी से कहा क वह बकरी को उसके पास ले आए
और सात दन के बाद उसे वापस ले जाए। सात दन के बाद बकरे को राजा के सामने लाया गया और घास दखाई गई। बकरी घास छोड़कर
भाग गई। राजा को आ य आ. फर वे बकरी के पीछे घास लेक र दौड़े ले कन बकरी ने घास का एक तनका भी नह छु आ। आ यच कत होकर
राजा ने उस को अपना आधा रा य दे ने का आदे श दया। ले कन उ ह ने पूछा क वह ऐसा कै से कर सकते ह। उसने संत को बुलाया. संत ने
बताया दरअसल म बकरी को अपने आ म म ले गया और घास दखाई। जैसे ही उसने घास को छु आ मने उसे छड़ी से पीटा। यह श ण सात
दन तक चला. यह बकरी को घास न छू ने का सबक सीखने के लए काफ था।
इसी कार वै क तप या हमारे जीवन को नयं त करने के लए ब त फायदे मंद है भारत म म हला को कु छ दन पर उपवास रखने क
आदत है इसके अलावा व णु सव भगवान के भ एकादशी के दन उपवास रखते ह और नय मत प से उनके प व नाम का जाप
करते ह और उनक म हमा पढ़ और उनसे संबं धत ाथनाएं गाएं। जीवन क तेज र तार म हम कम से कम इतना तो हा सल कर ही सकते ह।
अजुन ने कृ ण से पूछा म अपने मन को नयं त करने म असमथ ं हालां क म श शाली मन को नयं त कर सकता ं। म कै से कं ोल कर
सकता ं. भगवान कृ ण ने उ र दया
अपने मन को सदै व मेरे च तन म लगाओ मेरे भ बनो मुझ े णाम करो और मेरी पूज ा करो। मुझ म पूरी तरह से लीन होने के कारण
मनु य को कृ ण का भ बनना चा हए उसके बारे म सोचना चा हए उसक पूज ा करनी चा हए उसके लए काम करना चा हए और उसक शु
भ सेवा म संल न रहना चा हए। इसी लए बुढ़ापे म कृ त भी इं य को कमजोर करने क व ा करती है ता क मन को ई र
चेतना म क त कर सके । भा य से आधु नक
स यता कसी तरह सांसा रक व तु का आनंद लेने के लए वण यं कृ म दांत वचा क सजरी श शाली च मे लगाती है।
एक छोट सी यु जो मन क श को बढ़ा सकती है वह है इसे सकारा मक काय म लगाना। जैसा क ठ क ही कहा गया है क न य दमाग
शैतान का घर है। अवसाद त लोग अ धक खाने लगते ह य क भोजन से दमाग मजबूत होता है। मन के पडु लम को संतु लत करने के लए
खान पान क आदत म नयमन और शु वातावरण का नरंतर जुड़ाव आव यक है।
ख बु मता
मन क तुलना म इसका काय भ है। यह तकसंगत है. हमने बचपन से जो कु छ भी सीखा है और सभी सां कृ तक मू य नै तक मू य आ द
बु ारा दज कए जाते ह। इस लए
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साधु लोग क संग त करके बु को ती करना चा हए। इसके अलावा महाभारत रामायण भगवत गीता भागवत पुराण आ द ंथ को पढ़ने से
बु को श शाली संवधन और श मलती है। एक बार ववेक क श बढ़ जाती है और नणय लेना अ धक और सट क हो जाता है।
महान स ाट और हदवी वरा य के सं ापक शवाजी महाराज को बचपन म उनक मां ने महाभारत और रामायण क श ा द थी। आधु नक
ब के पास काटू न नेटवक दे ख ने के अलावा कोई वक प नह है य क माँ यूट सैलून म पाँच त व को सजाने म त है। इस लए आज क
पीढ़ के ब े लगभग काटू न क तरह वहार और बातचीत करते ह। हमारे एक म ने ब को तैयार करने के लए अन गनत कहा नय वाली
एक अ कताब संक लत क है। कई माता पता लाभा वत हो रहे ह उ ह ने पालन पोषण पर कताब भी लखी ह। यह सु न त करना माता
पता क ज मेदारी है क उनके ब े को जीवन क सही समझ मले। नै तक मू य और आ या मक अ यास के वल सांसा रक श ा से कह
अ धक मह वपूण है जो कमोबेश एक कौशल है जसे जीवन म कसी भी समय हा सल कया जा सकता है।
ग म या अहंक ार
तीसरा सू म त व म या अहंक ार कहलाता है य क यह आ मा को शरीर से पहचान कराता है। शरीर को ही वयं मानने लगता है। और फर
शरीर से संबं धत वयं जैसे र तेदार दे श धम आ द। यह अहंक ार मृ यु के समय ब त आहत होता है जब यह शरीर पर नयं ण खो
दे ता है।
उदाहरण के लए हम सोचते ह क म पु ष ं म हला ं या भारतीय ं अमे रक ं चीनी ं म काला ं सफे द ं गरीब ं अमीर ं ये सब
शारी रक पहचान ह और बदलती रह सकती ह। कोई आज भारतीय हो सकता है और अमे रका का ीन काड हा सल कर अमे रक नाग रक बन
सकता है। यह शरीर क अ ायी अ भ है. इसके अलावा कु छ ऐसे भी ह ज ह ने अपना लग बदलने का यास कया है।
ये शारी रक पदनाम वयं न मत ह और इनक कोई वा त वक पहचान नह है इस लए इसे म या अहंक ार कहा जाता है। वा त वक अहंक ार यह
है क हम ई र के अंश ह और हमारे पास असी मत द गुण ह। शरीर के साथ तादा य ा पत करके हम वयं को सी मत कर रहे ह।
हमम यह सोचने क बल वृ है क हम कता ह। यह म के वल द ान और अनुभू त से ही टू ट सकता है। हमारे अ याय मस े कता
क पहचान क जाएगी।
ग आ मा
आ मा वह है जो हम ह। आ मा का वभाव ई र से ेम और सेवा करना है। यह वेदांत सू म कहा गया है आनंदमयोऽ यात्। यह येक
के जीवन म ब त है।
हर कोई अ नौकरी प नी प त वेतन पद पद स आ द चाहता है य क खुशी क तलाश म है। न त प से यह एक म है.
सोचता है क वह शरीर है और भौ तक संसार म आनंद खोजने क को शश करता है। आ मा उस पदाथ से कै से आनंद ा त कर सकती है जो
वभाव से ही नीरस है यह पानी से बाहर आने वाली मछली क तरह है इससे कोई फक नह पड़ता क आप पानी से बाहर मछली को या दे ते ह वह
तब तक फड़फड़ाती रहती है जब तक उसे वापस पानी म नह डाला जाता।
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यहां तक क जो पु ष बेहद अमीर ह और जनके पास पैसे और सामा जक त ा क कोई कमी नह है वे भी अके लेपन का शकार होते ह। यह आंत रक अके लापन है जहां कसी
के चेहरे पर काडबोड जैसी मु कान हो सकती है। यह जानकर ब त राहत मलती है क हम इस बाहरी नया से े ह। आ मा ःख चत् और आन द है। क यह शा त है ान
से प रपूण है और आनंद से प रपूण है। शा त का अथ है कोई मृ यु नह । महाभारत यु से पहले कु े के यु े म भगवान कृ ण ने अजुन को यह समझाया था। गीता म अ याय
के ोक से तक आ मा क शा त वशेषता बताई गई है। यह बताया गया है क आ मा को न तो टु क ड़ म काटा जा सकता है न जलाया जा सकता है न गीला कया जा
सकता है। आ मा वैसे ही शरीर बदलती है जैसे हम कपड़े खराब होने पर बदलते ह। आ मा अज मा है और इस शरीर के मा यम से कट होती है और मृ यु के समय फर से अ कट होती
है। यह हम कसी को मारने का लाइसस नह दे ता है यह उ चत ठहराता है क कोई भी नह मरता य क आ मा शा त है। कम वषय इस पर व तार से चचा करेगा। आ मा भी ान से
आ मा का वभाव सेवा करना है। मम अपने मन और इं य क सेवा करने लगता है। इस कार मम एक आभासी जीवन
जीता है अ याय म उदाहरण के साथ समझाया गया है । आ मा आ या मक नया से भौ तक नया म उतरती है और बना कसी अ े कारण
के अटक जाती है। आधु नक युग के युग धम यानी ह रनाम संक तन ारा आ मा अपने खोए ए र ते को पुनज वत कर सकती है। के वल भगवान
कृ ण के प व नाम का जाप करने से का ई र के त ेम पुनज वत हो जाएगा और वह आ या मक नया अनंत काल के ान म
वापस चला जाएगा। वेद म क ल संतराण उप नषद इस अंधकार युग के लए महामं बताते ह।
इ त षोडशकं ना नं क ल क मश नाशनम
ये सोलह श द हरे कृ ण महा मं ब ीस अ र से बने ह और क लयुग के बुरे भाव का तकार करने का एकमा साधन ह। सभी वेद म यह दे ख ा गया है क अ ान के सागर को
जैसा क काली संतराण उप नषद जारी है ऋ ष नारद फर जप के नयम के बारे म पूछते ह। ा ने उ र दया क कोई कठोर नयम नह ह। उ ह ने कहा भगवान का नाम
या भूत का अ त व है
हम बचपन से ही भूत ेत क कसी ेतवा धत क कु छ पेड़ क जहां अ या शत ग त व धयां होती ह कु छ न कु छ कहा नयां सुनते आए ह। ऊपर से वे हमारी आँख से दखाई नह
पुरानी इमारत जहां कोई नह जाता. रात के समय महल से चीखने च लाने क आवाज सुनाई दे ती ह। कसी ने अपना अनुभव हमारे साथ साझा कया. बचपन म वह अपनी दाद के घर पर द वार
के एक कोने पर सर रखकर सो रहा था। आधी रात को उसे व आया कोई उसका सर यू आकार क लोहे क छड़ पर रख रहा है और एक आदमी तलवार लेक र उसका सर काटने जा रहा है।
अ भभावक। बाद म उ ह ने उसे सू चत कया क जो कोई भी वहां सोता है उसे वही सपना आता है। तभी से वह
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मनु य पर इन सू म भाव के बारे म और अ धक जानने के लए ब त उ सुक था। भारत म ऐसे हजार तां क ह जो शरीर से भूत ेत को र करते ह।
यह है क ये कौन ाणी ह वे कहाँ मौजूद ह आधु नक व ान इसे असामा य भाव घो षत करता है और इस पर शोध शु नह कया है। शा के अनुसार भूत सू म ाणी होते ह जनके
पास अपने बुरे कम जैसे आ मह या असाम यक मृ यु आ द के कारण भौ तक शरीर नह होता है। वे कु छ इ ा को पूरा करना चाहते ह इस लए वे कसी कमजोर ाणी को परेशान करते ह
या उस पर हावी हो जाते ह और उसके शरीर का उपयोग इं य संतु के लए करते ह। ठ क वैसे ही जैसे कभी कभी दो त हमारी भावना पर हावी हो जाते ह और दबाव डालते ह क
वे जो चाहते ह वही कर भले ही हम पसंद न हो। इसक संभावना उन पु ष या म हला को अ धक होती है जो बाहरी प से अशु और मान सक प से डरपोक रहते ह। ूल शरीर
सर के लए भयावह त पैदा करना। जब कोई गहरी न द म सो रहा हो और उसके मुंह से लार बहती हो और वह अशु रहता हो तो भूत ेत इस त का फायदा उठाते ह।
शकटासुर एक भूत था जसने ठे ले का आ य ले रखा था और भगवान कृ ण को परेशान करने का अवसर ढूं ढ रहा था। भगवान ीकृ ण के ध के से शकटासुर का वनाश हो गया। रा स
भूत पशाच नामक सू म ा णय क व भ क म ह। ले कन अ खबर यह है क अगर हम शु जीवन जीते ह तो वे हम परेशान नह करते ह। य द कसी पर भूत ेत का साया है तो उसे
नहलाना चा हए और हनुमान चालीसा या हरे कृ ण मं का जाप करना चा हए। नर स हा तो का नय मत जाप कसी भी अ न से बचाता है
कभी हम छू ना.
अपने आसपास शु वातावरण बनाने के लए मांस खाने और सभी कार के नशे से बचना चा हए। कु छ लोग काला जा या काली कला को अ या म मानकर उसका अ यास करते ह। यह फज है
जो दे वता क पूज ा करते ह वे दे वता के बीच ज म लगे जो पतर क पूज ा करते ह वे पतर के पास जाते ह जो लोग भूत ेत क
पूज ा करते ह वे ऐसे ा णय के बीच ज म लगे और जो मेरी आराधना करगे वे मेरे साथ रहगे।
शकु न
भारत म यह सं कृ त का ह सा है क आप कसी या ा के लए घर से नकले लोग को कभी वापस न लौटाएँ इसे अशुभ माना जाता है। ऐसे कई शारी रक ल ण ह जो कभी कभी
कट होते ह या वे हमारी सफलता या वफलता का नधारण करते ह कई छा बताते ह क परी ा के दौरान वे ब त तनाव म रहते ह ले कन उ ह एक सीट मल जाती है जससे उ ह
अ ा और वशेष महसूस होता है। ऐसा लगता है क परी क अ े मूड म है आ द और पेपर आसान हो गया। संपूण तमान बदल जाता है। कई बार हम घटना से पहले ही संके त मल
जाते ह. जैसे भूकं प क भ व यवाणी कई बार उसके ल ण के कारण पहले से ही हो जाती है।
वै दक ंथ म व भ व क क पना करते ए उनके ऐ तहा सक अ भलेख मौजूद ह। उदाहरण के लए भगवान कृ ण के चाचा कं स जो उनसे डरता था कु ती मैच म अपनी
मृ यु से पहले हमेशा ब त ही असामा य शगुन दे ख ता था। जब उसने अपने त ब ब क ओर दे ख ा तो उसे अपना सर दखाई नह दया अकारण ही चाँद और तारे दोहरे दखाई दे ने लगे उसे
अपनी छाया म छ दखाई पड़ा वह अपनी ाणवायु क व न नह सुन सका वृ सुनहरे रंग से आ ा दत तीत हो रहे थे उसे दखाई नह दे रहा था उसके पैर के नशान दे ख ो. उसने सपना
दे ख ा क वह था
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हमारा कम.
वा तव म जब भगवान कृ ण आ या मक नया म चले गए तो महान यो ा यु ध र ने मौसमी अ नय मतताएं दे ख । उ ह ने पाया क आम तौर पर लोग ब त लालची ोधी और
धोखेबाज हो जाते ह। भा य से वतमान त वैसी ही है य क हम एक ई र वहीन स यता का नेतृ व कर रहे ह। नेता जीवन के सभी पहलु म जनता को धोखा दे रहे ह। हम
चीज को सामा य बनाने के लए ई र क त जीवन जीना शु करना होगा। यु ध र ने पाया क पता माता और पु के बीच गलतफहमी कै से बढ़ गई है। यहां तक क प त प नी
य द हम खराब पढ़ाई करगे तो न त ही हम परी ा म फे ल हो जायगे। तो बुरे प रणाम के लए शकु न को दोष य द सबसे अ ा है बेहतर तरीके से काय करना बस इतना ही। शकु न
इस बात के ल ण ह क हम या झेलने वाले ह जसे हमारी इ ा और काय को बदलकर बदला जा सकता है।
इस लए हमने वयं का आंत रक मण करने का यास कया है। सं ेप म हम संभा वत व ह जो खुद को शरीर और अशु दमाग के प म गलत पहचानते ह। हमारी
मूल वतं ता हमारे साथ है। हम जीवन म सही चुनाव करना होगा। सभी चीज सही जगह पर होती ह बशत हम भगवान को जीवन के क म रख।
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पुनज म
कसी क मृ यु क खबर सुनने के बाद या मशान े म वेश करते समय हम सभी के मन म एक सामा य अनु रत होता है। मृ यु के बाद
वा तव म या होता है मृत लोग के र तेदार को उस म त काल अंतर दे ख कर झटका लगता है जो अभी कु छ समय पहले बात कर रहा
था चल रहा था हंस रहा था और अब पार रक त या नह दे रहा है। असल म वे छाती को पंप करने क भी को शश करते ह और मृत
से कम से कम एक बार बोलने का अनुरोध करते ह। अब सवाल ये है क या ये आ खरी या ा थी या जाने वाले का कु छ और बाक है. या
मुद को दोबारा जदा कया जा सकता है
महान वै ा नक और शोधकता को बुलाया और उनसे कु छ दवा लाने और उसे वापस जीवन म लाने का अनुरोध कया।
ऐसी प रयोजनाएँ जहाँ वै ा नक कु छ थी सस लेक र आते ह। पूरी नया जानती है क चं मा पर उतरना कै से एक धोखा था और श शाली दे श
के भीतर शीत यु के कारण चा रत कया गया था। अपोलो मशन के फज वाड़े के बाद चं मा पर उतरने का कोई वी डयो नह है। भले ही
चं मा पर वजय ा त कर ली जाए षत मान सकता वाले लोग इसे के वल गड़बड़ ही करगे जैसा क उ ह ने पृ वी के साथ कया है।
कु छ त य जो हमने पहले अ याय म सीखे ह उ ह दोहराने से हम मृ यु के बाद के जीवन को आसानी से समझने म मदद मलेगी। हम सभी
वभाव से आ मा और आ या मक ह। भगवत गीता के अ याय म आ मा के ल ण का वशद वणन कया गया है। कहा गया है क आ मा को न
तो कभी जलाया जा सकता है न गीला कया जा सकता है न सुख ाया जा सकता है और न ही टु क ड़ म काटा जा सकता है। आ मा अज मा है
एक बार सकं दर एक यो ा जो नया पर वजय ा त करने के लए नकला था वृहद भारत पा क तान और अफगा न तान
स हत म आया। उस उ र प मी े का नाम त शला रखा गया जहाँ महान व ान और रदश चाण य पं डत ने श ा ा त क थी
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राजनी त व ान और अथशा पर. सकं दर ने उस भाग को जीत लया और भारत के शेष भाग से यु करना चाहता था। इस लए उ ह ने
त शला के येक नाग रक को यो ा के पम श त करने का नणय लया। ऑ याई लोग पर हटलर ारा भी यही रणनी त
अपनाई गई थी। वैसे भी मूख सकं दर को यह नह पता था क भारत या है और भारतीय कौन ह। वह जंगल से गुज र रहा था और उसने एक
ऋ ष को शां त से एक पेड़ के नीचे आराम करते ए और कु छ मं का जाप करते ए पाया इस य ने उसे उ े जत कर दया और उसने ऋ ष
पर च लाते ए कहा क यह या बकवास है अपना आराम बंद करो और यु के लए तैयार हो जाओ। मु कु राते ए ऋ ष ने उ सुक ता से पूछा
क सकं दर का वा त वक ल य या था। उसने उ र दया क वह व को जीतना चाहता है और भारत शेष है।
उपरो घटना से यह ब कु ल है क जो भी यास करता है स ी खुशी उसी म न हत होती है। कोई भी भौ तक सफलता हम
शां तपूण नह बना सकती। वा तव म यह हमारी आव यकता क सूची म और इजाफा करेगा जब क आ या मक अ यास शां त और खुशी
लाएगा। आधु नक प र य म शां त ा त करने के लए हरे कृ ण हरे कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का जाप करने
क सलाह द जाती है।
आधु नक शोध म ऐसे कई मामले सामने आए ह जो उनके लए सबसे बड़े रह य ह। पछले जीवन क याद दज क जाती ह जहां लोग वणन करते
ह क सैक ड़ और हजार साल पहले जब उनके पास सरे शरीर थे तो उ ह ने या दे ख ा और या कया। कई साल पहले पुनज वन वभाग के
मुख ला दमीर ज़तो का का जब प कार ने सा ा कार कया तो उ ह ने जीवन और मृ यु के बारे म कई आ यजनक त य उजागर कए। प कार
यह सुनकर हैरान रह गए क डॉ टर ने कहा क आ मा वा तव म अ त व म है और अपना गत जीवन जीती है।
इनम से एक मरीज इ रना लोकोबा गंभीर प से बीमार होने के बाद करीब एक महीने तक कोमा म थी
एक यातायात घटना म पी ड़त होना पड़ा. कोमा से उबरने के बाद उसने खुद को एक छोट लड़क के प म कसी द णी नद के कनारे
खड़े होकर अजीब भाषा बोलते ए दे ख ा। भाषाशा वभाग के वशेष ने इसे वा हली बो लय म से एक पाया। बाद म म हला ने इस बोली म
छं द क रचना शु क और उनका सी अं ेज ी और च म अनुवाद भी कया। इरीना ने कोमा म रहने के दौरान अ ताल म जो कु छ
भी घ टत आ उसे भी सरे श द म बताया। उसने कहा क उसने सब कु छ दे ख ा और सुना है य क वह अ ताल म चल सकती है। अब कई
रीएनीमैटोलॉ ज ट को ऐसे रो गय और सैक ड़ पु तक के अनुभव का सामना करना पड़ा है
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पुनज म पर का शत हो चुक है।. शरीर से बाहर जाते समय लोग ने या दे ख ा इसके संबंध म कई कहा नयां मेल खाती ह। इससे कहा नय म कसी भी तरह
द तावेज ीकरण नह कया जा सकता है। ले कन वै दक धम ंथ पर व ास रखकर हम असी मत श ाएँ और श ाएँ ा त कर सकते ह। अब हम दे ख गे क
क हम आ मा ह।
आ मा
मन बु म या अहंक ार
पृ वी जल अ न वायु और आकाश
यह खंड साहसी लोग के लए है य क मृ यु एक कठोर वा त वकता है। इस लए य द कोई भयभीत है तो उप वषय ने ट लाइफ ाइटे रया से बच सकता
है और पढ़ना जारी रख सकता है। संदभ भागवत पुराण ग ड़ पुराण उप नषद वेदांत सू और भगवद गीता से ह।
एक। मृ यु से पहले के ल ण
बी। बाहर नकलने से पहले आंत रक या
डी। तकद र
म मृ यु से पहले के ल ण
मृ यु से कई दन घंटे पहले अं तम चरण म वेश करता है। अ सर इसम ट मनल बेचैनी का एक प होता है। वह अपने मृत पूवज
और व श को दे ख ता है
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व और उनके साथ संवाद भी कर सकते ह। उसका शरीर चरम से शु होकर धीरे धीरे ठं डा हो जाता है। यह सू म शरीर
के भाग ाण और सू म इं य के ूल शरीर से अलग होने के कारण होता है।
तीय
बाहर नकलने से पहले आंत रक या
मृ यु व भ कारण से हो सकती है। मृ यु के समय को सबसे पहली चीज़ जो अनुभव होती है वह है पूण कालापन। सब
कु छ अंधकारमय है ले कन यह के वल एक ण के लए ही रहता है।
आ मा के ठ क बगल म त परमा मा एक छ को का शत करता है जो आ मा को सुरंग के अंत म एक काश के प
म दखाई दे ता है। वा तव म जो अंधकार दखाई दे ता है वह शरीर है ले कन अब जब वह मर चुक ा है तो उसम चेतना नह है
पहली बार उसे अंदर से दे ख ा जा रहा है।
लगभग अलग अलग माग ह जनके मा यम से कोई शरीर से ान कर सकता है। कोई भी मृ यु के समय
इनम से के वल एक से ही गुज़ र सकता है। इन माग को ना ड़याँ या चेतना के चैनल कहा जाता है। मृ यु तब होती है जब
इड़ा और पगला दोन ना ड़याँ काम करती ह। सामा य प र तय म वे बदल जाते ह।
कोई इ ह शरीर के भीतर ऊजा वाह के मुख तं का चैनल समझ सकता है ले कन सट क च क सा पयाय उपल
नह है। कसी भी तम इनम से कसी एक नाड़ी से अपने अगले गंत क ओर ान करेगा। हम जानते ह क जो
गुदा या जननांग से ान करता है वह नचले े म जाता है जब क जो शरीर के ऊपरी ह से से ान करता
है वह ऊं चे े म जाता है।
जो लोग अपनी खोपड़ी के शीष से रं नामक छ से जहां खोपड़ी क तीन ह यां मलती ह ान करते ह
वे के े को ा त करगे।
म।
आ या मक प से उ त व ये व अपनी आ या मक था के आधार पर वैकुं ठ या गोलोक वृ दावन
के नवास को ा त करते ह। ुव नाम के एक भ ने अपना शरीर यागने के बाद अपना आ या मक
प ा त कया और वैकुं ठ भगवान के नवास ान जाने वाले वमान म सवार हो गए।
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तीय.
पव व प व लोग शरीर से अ धक शां तपूण ान क उ मीद कर सकते ह। मृ यु के समय मृ यु को
उस ण के प म दशाया जाता है जब आ मा भौ तक ूल शरीर से ान करती है। उस समय आ मा मन
बु और म या अहंक ार के सू म शरीर से ढक ई शरीर छोड़ दे ती है। इस भौ तक संसार म जहां भी आ मा
जाती है सू म शरीर हमेशा उसके साथ या ा करता है और इस लए जीव को अपने व भ जीवनकाल म भौ तक
अनुभव क नरंतरता बनी रहती है।
पीड़ा के ऐसे ती और भयानक प के बाद जीव को उसके मानव जीवन म उसक पापपूण इ ा के अनुसार फर से
नचली यो न म फक दया जाता है।
चतुथ तकद र
ब लदान क या म जीव व श वग य ह को ा त करने के लए व श ब लदान करता है और प रणाम व प उन तक प ंचता
है। जब याग का पु य है
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थककर जीव वषा के प म पृ वी पर उतरता है और फर अनाज का प धारण कर लेता है और अनाज मनु य ारा खाया
जाता है और वीय म बदल जाता है जो एक म हला को गभवती करता है और इस कार जीव एक बार फर मानव को
ा त करता है। य करने के लए प धारण कर और उसी च को दोहराएँ। इस कार जीवा मा सदै व भौ तक पथ पर आती
जाती रहती है। हालाँ क कृ णभावनाभा वत ऐसे ब लदान से बचता है। वह सीधे कृ ण चेतना को अपनाता है और इस
तरह खुद को भगवान के पास लौटने के लए तैयार करता है। जो लोग भयानक नरक म कई वष बता चुके ह और उनके
अनुकू ल कोई वंशज नह है वे यमराज के त बनते ह।
जीवन च क नरंतरता इस बात पर आधा रत है क हम इस जीवन काल के दौरान कस चेतना का वकास करते ह और पछले जीवन क लं बत
त या पर नभर करते ह। भगवद गीता म कृ ण कहते ह
जो लोग गाय का मांस खाते ह उ ह असं य बार गभपात कराना पड़ता है जतनी बार गाय के शरीर पर बाल होते ह । इसके अलावा उ ह नजन
इलाक म ज म मलता है जहां वे पानी के लए मर जाते ह। यह आधु नक समाज म प से दे ख ा जाता है जहां दोन ग त व धयां च लत ह।
ऐसे धमा मा लोग होते ह जो काफ हद तक परोपकारी और न वाथ होते ह। वे अ य प से दे वता क तरह वहार कर रहे ह
और अगले ज म म वग ा त कर सकते ह। जो लोग कृ ण या व णु का यान करते ह और उनके नाम का जाप और उनक पूज ा करके
आ या मक जीवन का अ यास करते ह
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अपने जीवन के अंत म उनका नवास ा त कर। आ ख़रकार चुनाव हमारा है. हम वही ह जो हम चाहते ह। सर को दोष दे ने क कोई ज रत
सफलता क कहानी
हम आम तौर पर रा ते पर चलने और उसी प रणाम को ा त करने के लए सफलता क कहा नयाँ सुनना पसंद करते ह।
यह एक महान वीर राजा क कहानी है जसने एक समय म पूरे पृ वी ह पर शासन कया था। वह सभी के त उदार और दयालु थे। उनका झुक ाव
जंगल म वह परम भगवान कृ ण का यान करते थे और लगभग भाव अव ा को ा त कर लेते थे। यह मु का सरा अं तम चरण है जसका अं तम चरण
ेम है। वहाँ ऐसा आ क एक गभवती हरणी ने बाघ क दहाड़ के डर से अपने ब े को नद के कनारे छोड़ दया। हरण मर गया और ब ा असहाय
होकर रो रहा था। राजा भरत ज ह ने आ या मक मु के लए अपना पूरा रा य छोड़ दया था को इस हरण के ब े के भ व य के बारे म ब त
चता ई। चाण य पं डत ने अपने नी त शा म उ लेख कया है क एक प रवार को बचाने के लए एक सद य को छोड़ दो एक गांव को बचाने के लए
उसने ऐसा कया था ले कन फर से उसे ज मेदारी क भावना महसूस ई और उसने हरण के ब े क मदद क । ले कन धीरे धीरे वह हरण के ब े
से जुड़ गया और अपनी दै नक ग त व धय म ढ ला पड़ गया। इस मान सक वचलन ने उ ह अपनी पूज ा क व तु बदलने के लए े रत कया कृ ण
के बजाय उ ह ने लगातार हरण के ब े का यान करना शु कर दया। नतीजा यह आ क एक दन जब हरण कु छ दे र के लए नजर से ओझल
हो गया तो वह पागल हो गया और हरण के बारे म सोचते सोचते और चता करते करते उसक जान ही नकल गई।
अगले ज म म वह हरण बना। सौभा य से उनका ज म ऋ षय के आ म के पास आ जहाँ उ ह अपने पछले ज म का मरण हो आया। और अपने अगले
जीवन म उ ह ने भौ तकवाद म न उलझने का नणय लया। उनका ज म एक ा ण प रवार म आ। उनका नाम जड़ भरत था। उ ह ने
जानबूझ कर एक मूख और नीरस व क तरह वहार कया हालाँ क वे जीवन क वा त वकता से अ तरह प र चत थे। उ ह ने सर से
कसी भी कार के त त पद या मा यता से इनकार कया। वह सदै व परमे र का यान करता रहता था। इस जीवन म उ ह ने अपना अ त व पूण कया
और ई र का रा य ा त कया।
कसी को संदेह हो सकता है क हम सभी को अपने पछले ज म क याद य नह रहती उ र सरल है हम इसक आव यकता नह है। भरत के मामले
म।
सा य मु उन ह के जीव म समान वशेषताएं होती ह और कोई यह अंतर नह कर सकता क कौन भगवान है और कौन नह है।
तीय.
सायु य मु भगवान के न वशेष तेज यो त म वलीन हो जाना। हम इस अवधारणा पर बाद म चचा करगे। व को
वलीन करने और खोने का यास नह है
वी सामी य मु सदै व भगवान के साथ उनके सहयो गय म से एक के प म रहना। उदाहरण के लए अजुन सदै व
पुनज म एक ऐसी घटना है जो तभी के गी जब हम ज म और मृ यु के इस च से बाहर नकल जायगे। इस युग म एकमा साधन
भगवान को उनके प व नाम हरे कृ ण हरे कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का जप करके लगातार याद करना
है। महान शंक राचाय अपनी एक ाथना म कहते ह
हे मेरे य भगवान मुरारी कृ ण कृ पया मुझ े इस बार बार ज म और मृ यु से मु दलाएं और मुझ े बार बार गभ म जाने से बचाएं।
बड़े बड़े आचाय भी जानते ह क यह मामला कतना ग ीर है। हम सभी अनंत लूप वाले च म फं स गए ह। एकमा आशा सव भगवान
क दया है। हम छोट आ माएं ह जनका अपने आस पास क नया पर लगभग कोई नयं ण नह है। सव भगवान क दया को
कम
कम श द प मी नया म सबसे लोक य श द म से एक बन गया है। भारतीय इस श द का योग अ सर करते ह वशेषकर तब जब कोई अ या शत वप या बाधा आती है। आम
तौर पर ब त कम लोग इस श द ब क कम श द का वा त वक अथ जानते ह। आधु नक वचारक और दाश नक व ान मनो व ान इ तहास आ द क सहायता से जीवन क व भ
घटना को समझाने का यास करते ह ले कन वे जीवन के बु नयाद से मत ह। उदाहरण के लए उनम से कोई भी वा तव म यह नह समझा सकता है क य एक ब ा
एक अमीर प रवार म पैदा होता है जसक दे ख भाल कई नौकर करते ह और एक छोर पर कोई पैदा होता है और उसे मु कल से अपनी ज़ रत मल पाती ह। खोपड़ी म दमाग होते
ए भी सभी छा को समान अंक य नह मलते एक सु दर और सरा कु प य है सर का भला करने पर भी मनु य को क य होता है अथवा पापपूण जीवन जीने पर भी
मनु य के पास सारा धन और यश य रहता है य क सूची जारी रह सकती है. यह सोचने पर मजबूर करता है क यह सब कस आधार पर तय होता है हमारी क मत का फै सला
यह बताया गया क जब भारत के द णी भाग म चे ई और आसपास के समु तट पर सुनामी आई तो आसपास घूम रहे कई लोग समु क लहर म समा गए जब क एक कू बा
गोताखोर जो समु के भीतर था उसे फक दया गया। कोई भी बु मान यह समझेगा क येक के लए कोई न कोई कानून है जसका पालन करना होता है। कानून क
हमारा कम
कम या है
हमारे ारा कया गया काय और उसके प रणाम को कम कहा जाता है। उदाहरण के लए कोई कसी कं पनी या सरकारी कायालय म काम कर सकता है
और बदले म उसे अपना वेतन और अ त र लाभ ा त होता है। तो इस त म काम करना या नधा रत कत का पालन करना कम है और वेतन आ द कम का फल है। भगवद
त याएं.
प व कम को कम कहा जाता है या पाप कम को वकम कहा जाता है और सव सेवा के लए कए गए कम को अकम कहा जाता है। ऊपर से कृ ण अजुन को यह भी नदश दे ते
ह क यह लूप या जाल ब त गहराई से आपस म जुड़ा आ है और इसे समझना मु कल है। कोई कसी चीज़ को अ े या बुरे के प म कै से प रभा षत करता है भौ तक तर पर कए
आ या मक मंच के बारे म अ याय म अ धक बताया गया है। अ े या प व काय वे ह जो अ े इरादे को यान म रखते ए और शा ीय आदे श का पालन करते ए कए जाते ह।
जैसे दान तप या अ वाणी नः वाथ काय सामा जक सहायता स ा होना आ द प व काय माने जाते ह। और बुरे या अप व काय वे ह जो शा ीय आदे श क अवहेलना
करके वाथ उ े य से कए जाते ह। जैसे चोरी करना झूठ बोलना वाथ के लए ह या करना कमजोर जीव पर अ याचार करना ाकृ तक का पयोग करना
संसाधन आ द
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व तुतः इ ह मोटे तौर पर मशः पु य और पाप कम कहा जाता है। यह समझना आसान है क या पाप है और या पु य है। जो काय वेद म परमे र ारा
व हत नह है वह पाप है। कोई यह तक दे सकता है क उसने धम ंथ नह पढ़े ह और वह वा तव म नह जानता क या अ ा है और या बुरा है।
हमारे काय का मू यांक न करना ब त आसान है। उदाहरण के लए य द हम कायालय म एक हजार पये पड़े ए दे ख ते ह।
घर कॉलेज और हम मा लक का पता लगाने और उसे उसे स पने म अ त र परेशानी उठाते ह हम दल म अ त र खुशी और मन क शां त मलती है। इसके
वपरीत य द हम इसे अपनी जेब म रखकर भागने लग तो हम पाएंगे क को लगातार चता और तनाव रहने लगा है। जोर जोर से सांस लेने
लगता है और अपने पास आने वाले हर पर जासूस समझकर संदेह करने लगता है। इस मामले म कोई आनंद लेने के लए कसी और का कोटा लेने क
को शश करता है ले कन उसे नुक सान उठाना पड़ता है।
इसे कम का नयम कहा जाता है। येक या क समान एवं वपरीत त या होती है।
ज री नह क त या तुरंत आये ले कन न त तौर पर आयेगी। जैसे कोई गु से म आकर कसी को थ पड़ मार सकता है और हो सकता है क उसे तुरंत
इसका रटन मल जाए ले कन कई बार इसका रटन उसे बाद म मल सकता है। यह बाद म अगले जीवन को भी संद भत करता है। कभी कभी लोग क यह
गलत धारणा होती है क हम इस जीवन म जो कु छ भी करगे उसका प रणाम इसी जीवन म मलेगा। यह सच नह है। य द कोई चोर या ह यारा अपराध करता है
और यह मानकर भाग जाता है क म अपना ेस कोड हेयर टाइल बदल लूंगा और कोई मुझ े पहचान नह पाएगा ले कन जैसे ही पु लस उसे दे ख ती है तो
पहचान लेती है। इसी कार कोई आ मा कसी पाप या पु य कम क इ ा करती है और करती है कृ त के नयम आसानी से अगले ज म म उसका पता लगा
लेते ह भले ही वह शारी रक पोशाक बदल सकता है।
सूय अ न आकाश वायु दे वता चं मा शाम दन रात दशाएं जल भू म और वयं परमा मा सभी जीव क ग त व धय के सा ी ह।
एक बार एक आदमी सड़क के चौराहे पर खड़ा था। एक कसाई जो एक गाय को मारने के लए उसका पीछा कर रहा था वह गाय के पीछे भाग रहा था। जब
कसाई जं न पर प ंचा तो उसने इस आदमी से पूछा क गाय कस दशा म गई थी। उ चत दशा म अपना हाथ उठाकर उसने कसाई का मागदशन कया
जसने अंततः गाय को मार डाला। फर कु छ दशक के बाद एक ा ण घर घर जाकर भ ा माँगने लगा। उसने दरवाजा खटखटाया तो एक म हला
वहां दखाई द । वह ा ण से ब त भा वत ई और वासना से उ े जत होकर उसने ा ण से अपने साथ भोग वलास करने का अनुरोध कया। एक त त
होने के नाते उ ह ने इनकार कर दया ले कन म हला ो धत हो गई य क वह अपने प त से संतु नह थी और इन स न ने भी इस तरह के पापपूण
काय म शा मल होने से इनकार कर दया था। सर क प नय से भोग करना पाप है और मनु य को लंबे समय तक नरक म क भोगना पड़ता है। उ े जत
अव ा म उसने अपने प त क ह या कर द और सभी गाँव वाल को बुलाया और अपराध के लए इस ा ण को दोषी ठहराया। गु साए ामीण ने ा ण
का हाथ काट दया. ा ण अपनी जान बचाने के लए उड़ गया। वह अपने आ या मक गु के पास गया और पूछा क इतनी भारी त या य ई
जब उसने कु छ नह कया था. ऋ ष ने उ र दे ते ए बताया क वह अपने पछले ज म म जं न पर आदमी था म हला गाय थी और कसाई उसका प त था।
सभी को उ चत अनुपात म अपनी त याएँ मल ।
मनु य को गाय क र ा के लए गलत दशा दे नी चा हए थी जो क सच बोलने से उ स ांत था ले कन उसने न न स ांत को चुना और प रणाम व प उसे
भुगतना पड़ा। ऐसा पांडव म ये राजा यु ध र के साथ भी आ था। वह इतना स ा था क उसके श ु भी उसक बात पर व ास करते थे।
जैसा
पहले व णत पाप का अथ वह है जो भगवान को अ स करता है। अब यु के मैदान म भी म और ोणाचाय जैसे महान यो ा यु ध र और पांडव के खलाफ
लड़ रहे थे। ोणाचाय कोई साधारण ाणी नह थे वे पांडव के गु थे। ले कन भगवान कृ ण सेना म येक क ताकत और कमजोरी को जानते थे।
भगवान कृ ण ने दे ख ा क यु मअ ामा नामक हाथी मारा गया। अब अ ामा ोणाचाय का पु था जससे वह पूरी तरह जुड़ा आ था। ोण को
मनोवै ा नक प से कमजोर करने के लए कृ ण ने यु ध र को ोण को सू चत करने का आदे श दया क अ ामा मर गया है। ोणाचाय को न तो
कौरव पर और न ही पांडव पर ले कन यु ध र पर पूरा भरोसा था। य प वह झझकते ए ोण के पास गया और बोला अ ामा मर गया हाथी है
या मनु य यह म नह जानता। कृ ण जानते थे क यु ध र कु छ अ त र करगे य क उ ह सच बोलने का शौक था जो अं तम नह था। यु ध र के
अ ामा मर गया कहने पर कृ ण ने जोर से शंख बजाया। अब ोण ने के वल पूव भाग ही सुना। ले कन य क हमेशा यु ध र ने धम का पालन
कया यानी भगवान को स करने के लए और इस बार वह वफल रहे इस लए उनका रथ जो जमीन से फ ट ऊपर आ करता था तुरंत नीचे गर गया।
अतः पु र ज े त हा वण आ म वभागः
वनुस् त् हत य धम य सं स र ह र तोऽ अन ऍम
वा त वक धम या धम का अथ है भगवान क स ता और संतु के लए काम करना यानी अकम या भ पूवक काम करना। यह समझना ब त मह वपूण
है क हम जो भी काय करते ह उसक न के वल त या होती है ब क उसे दोबारा करने क हमारी वृ भी बढ़ती है। हम सभी वा तव म अपने दल से
पापपूण ग त व धय से मु होना चाहते ह ले कन कई बार हम अ न ा से पापपूण ग त व धयाँ करने के लए मजबूर हो जाते ह। इसम तकनीक प से
या और त या के च को समझाया गया है।
म ार ऐसी त याएँ ह जो कट होती ह। जैसे कसी को च कर आता है ले कन पहले से दवा नह लेता तो उ ट करते समय उसे
टाला नह जा सकता।
तीय अ ार अ त या है।
क बाद म ार के प म कट होना।
मूल कारण से लेक र ख तक काय के सभी कारण को शा मल करते ए सं ेप म इस कार तुत कया जा सकता है। ःख का मूल कारण अ व ा है
अथात् आ मा और ई र क स ी सेवक के प म हमारी वा त वक पहचान क अ ानता। अ ानता म हम भो ा के प म काय करते ह जब क ऐसा
करते समय हम पदाथ का आनंद लेने और वाथ उ े य के लए ग त व ध करने क इ ाएं पालते ह जसके प रणाम व प ार या अ
त याएं होती ह जो बाद म ार के प म कट होती ह। अ ारंभ से पाप कम करने क अ धक वृ कट होती है जो पापपूण इ ा
को बढ़ाती है।
लोग कम के नयम को नकारते ह और म म खुश रहते ह। जैसे शुतुरमुग बाघ को दे ख लेता है और यह मानकर गदन जमीन म दबा लेता है क अब बाघ
उसे नह दे ख पाएगा। ले कन बाघ शुतुरमुग को अ तरह से मार दे ता है।
अ ानता कोई अ ा बहाना नह है जैसे एक छोटा ब ा आग म हाथ डालता है और हाथ जल जाता है तो वह यह नह कह सकता क मुझ े नह पता था। वा तव
म वेद म उन नरक का वणन है जहां जीव को उनके कम क न त सीमा से अ धक होने पर दं ड दे ने के लए ले जाया जाता है। ऐसे नरक य ह ह।
उदाहरण के लए जो कोई कसी अ य क प नी ब और धन को लूटता है उसे मृ यु के बाद गर तार कर लया जाता है और त म नाम के नरक म
भेज दया जाता है।
जहां उसे भूख ा रखा गया और पीने के लए पानी भी नह दया गया। जो वाथ के लए सर को धोखा दे ता है उसे अंधता म नामक नरक म भेज ा जाता
है जहां गंभीर पीड़ा के कारण वह अपनी बु और खो दे ता है। जो लोग सर को क दे क र अपनी आजी वका चलाते ह उ ह रौरव नामक नरक म भेज ा
जाता है जहां जानवर उ ह ता ड़त करते ह और उनका मांस खाते ह। जो लोग आजी वका के लए अ य जानवर को पकाते ह उ ह कुं भीपाक नाम के
उबलते तेल म पकाया जाता है।
सभी अ ाईस कार के नरक का वणन पाठक के दय म भय उ प कर दे गा। दरअसल वतमान युग म हम के वल आजी वका कमाने के लए पाप कम करने
को मजबूर ह। हमारा मन इतनी सारी पापपूण इ ा से भरा आ है क हम खुद को रोक नह पाते ह। ले कन शा ने इसके अं तम समाधान के पमभ
का माग सुझ ाया है।
भागवत पुराण . . म
इसम कहा गया है क जस ान पर जुआ शराब पीना वे यावृ और पशु वध कया जाता है वहां पतन अ धक होता है। मूलतः यह ग त व धयाँ धम के स ांत तप या शु चता दया
और स यता का वरोध करती ह। ये ग त व धयाँ हमारे सामने चुर मा ा म मौजूद होती ह और हम आद होने के लए मजबूर भी कर सकती ह। ले कन जैसा क ऊपर चचा क गई है
अ ानता कोई बहाना नह है य क हमारे आस पास क प र तयाँ हमारी इ ा क अभ के अलावा और कु छ नह ह। अंततः हमारी वतं इ ा ही ज मेदार है।
आधु नक समय म कम स ांत को नकारना और जो अ ा लगता है उसी के साथ आगे बढ़ना एक चलन है। ले कन भौ तक कृ त और उसके नयम हम छोड़ने वाले नह ह। प पुराण म इस
बात का वणन है क कै से तोता अपने पछले जीवन को याद करता है। इसम कहा गया क वह वै दक मं का पाठ करने वाला एक व ान ा ण था। वह अपने कौशल और सं कृ त के ान
को दखाने के लए इस तरह से मं ो ार करते थे। वह व भ धुन के साथ मं का उ ारण करता था। अगले ज म म ा ण का ज म तोते के प म आ जहां वह के वल अपने आस
पास के लोग को भा वत करने के लए ही बोल सकता था। त या हमेशा अगले ज म म नह हो सकती यह इसी ज म म भी आ सकती है। उदाहरण के लए कोई नशीला पदाथ यु
सगरेट पी सकता है और उसक लत लग सकती है। साथ ही फे फड़ म टार जम जाता है जससे जीवन अव ध ढ़ संक प और उ साह कम हो जाता है।
कू ल कॉलेज ऑ फस घर और गांव हर जगह चचा का सामा य वषय यह है क अ े लोग के साथ कभी भी बुरी त कै से हो सकती है। यही वह समय है जब वयं को छोड़कर
बाक सभी को दोष दे ता है। जैसे कोई छा कम अंक लाता है या अपनी उ मीद से कम अंक लाता है तो त काल त या होती है क इस वष पेपर क ठन था मुझ े तैयारी के लए
प र य। बाइक मा लक कार चालक पर च लाएगा और इसके वपरीत भी। साथ ही कम का नयम भी इतना ज टल है
सट क कारण जानना लगभग असंभव है। फर हम अपने मन को शांत करने के लए सर पर दोष मढ़ने का यास करते ह।
छोटे ब े जब घर म खेलते ह तो कभी कभी जमीन पर गर जाते ह और रोने लगते ह। उ ह शांत करने के लए माता पता जमीन पीटना शु कर दे ते ह और ब े से कहते ह चता मत
करो म जमीन पीटता ं। कम को ख़ म करने क को शश करने के बजाय हम अ सर सर पर त या करके मन को शांत करने क को शश करते ह जसके प रणाम व प मूल
सम या ही ज टल हो सकती है।
गांव म अनाज को भ व य म उपयोग के लए सं हत करने क एक व ध होती है। कया यह जाता है क हर साल जो भी अनाज पैदा होता है उसे बैरल म सं हत कया जाता है। तो
यह अनाज का एक ढे र बनता है जसम नीचे सबसे पुराना अनाज होता है और ऊपर नवीनतम होता है। जब अनाज नकालने क आव यकता होती है तो दरवाजा नीचे होता है जसम सबसे
पुराना अनाज होता है। तो इस वष कोई भी गुण व ापूण अनाज भर सकता है ले कन जो ा त होता है वह पछले टॉक का अनाज है
जसक गुण व ा अ या शत है. इसी तरह हम अब अ ग त व धयाँ कर सकते ह ले कन या करगे इसक गारंट नह दे सकते
आम तौर पर लोग कसी ह तरेख ा वशेष को अपनी हथे लयाँ दखाने के लए ब त उ सुक रहते ह जो उ ह उनका भ व य बता सके ।
ह तरेख ा शा शारी रक ल ण का व ान है जो आपके भ व य म होने वाली घटना का संके त दे ता है। सरी व ध है यो तष शा जहां ज म त थ समय ान आ द के मा यम से
कसी का भ व य बताया जा सकता है। वा तव म वे सच भी होते ह। ले कन हम यह भूल जाते ह क हथेली क ये रेख ाएं या वशेष समय और ान पर हमारा ज म हमारे पछले कम के कारण
ही होता है इस लए के वल ह तरेख ा वशेष के पास जाने से हम अपना भ व य नह बदल सकते। ब क हम परेशान हो सकते ह य क हम जानते ह क हमने इस जीवन म या अ े कम कए
ह।
जैसे कोई आदमी अपराध करे और नये कपड़े पहनकर जेल म डाल दया जाये। भारतीय जेल म काली धा रय वाला सफे द कपड़ा होता है। यह पोशाक तो उसके अपराध का ल णा मक
प रणाम मा है। एक और उदाहरण उन सै य अ धका रय का दया जा सकता है ज ह ने बहा री के महान काय कए ह और अपनी वद पर एक वशेष बैच ा त करते ह। ये ल ण उनके
पछले कम क अ भ ह।
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य द हम वा तव म अपने कम को बदलने के लए गंभीर ह तो हम अपने जीवन का आचरण बदलना होगा। पतन के इस युग म शा हम मु और सुख ी जीवन के लए
कु छ उपाय सुझ ाते ह। पाप मु या पापी होना चुनाव हमारा है। पापी मनु य के ल ण यह ह क वह सफलता असफलता सब से डरता है।
स बदनामी अमीरी गरीबी। वह भौ तक प से वह सब कु छ हा सल करने के लए उ सुक हो जाता है जो वह चाहता है। पापपूण जीवन जीने के लए अ े
ववेक क भी ह या कर दे ता है। जैसे चोर पहली बार क मती सामान लूटते समय कांपते ह। दरअसल यह दज है क जब पु लस अ धकारी मुठभेड़ म पहले आतंक वाद को
पापमु का ल ण यह है क वह सदै व ई र के त सचेत रहता है। ये अपने ेमपूण वभाव से आसपास के लोग का दल जीत लेते ह। वह ई र से वतं होकर
भोग करने क इ ा से मु है। ब क वह अपने आस पास सजीव और नज व हर चीज को परम से जोड़कर दे ख ता है। पापी जीवन क तुलना म पाप मु जीवन
जीना आसान है। अब हम दे ख गे क पाप को कम करने और सव भगवान क आ ा मानने के लए हम अपने दै नक अ यास म ावहा रक प से या लागू कर सकते
ह।
व ता शु मान सक वचार सर क सराहना करना आ द वे आभूषण ह जो अ े लोग के पास होते ह। कहते ह जैसा बोओगे वैसा काटोगे। सर के
त दयालु होने से वतः ही हमारे त दयालुता आ जाएगी। कई बार हमारे आस पास के लोग के साथ हमारे र ते म हम नवेश करते ह।
अ ा करो अ ा करो वाली प त से सावधान रहना होगा। भगवान अपने भ से अन य समपण क अपे ा करते ह जहां कसी को उ उ े य के लए नै तक
हम जो कु छ भी पकाते ह वह भगवान ारा बनाई गई भौ तक कृ त ारा दया गया है। वाभा वक है क हम उ ह भट दे क र उनके त अपना आभार भी
भगवान के भ सभी कार के पाप से मु हो जाते ह य क वे ब लदान के लए सबसे पहले चढ़ाया गया भोजन खाते ह। सरे जो
गत इ य सुख के लए भोजन बनाते ह वे वा तव म पाप ही खाते ह।
भगवान हमसे कसी व तृत दावत क उ मीद नह करते ह ले कन कम से कम कसी को सव के हाथ को वीकार करना चा हए और खाने से पहले ाथना करनी
चा हए। हम जो कु छ भी खाते ह उसम ूल पोषक त व खाना पकाने या खलाने वाले क मंशा और चेतना और पेश कए जाने पर आ या मक श होती
है।
उपभोग के बाद जो ूल होता है वह हमारे शरीर म जाकर पोषक त व और शेष के प म वभा जत हो जाता है
मल के प म. जस चेतना म इसे पकाया और परोसा जाता है वह उपभो ा के मन पर भाव डालता है।
जो हम मीठ तैयारी कराता है और साथ ही बुरे श द बोलता है और घृण ा करता है उससे उ े जत हो जाएगा। वह भगवान को अ पत कए गए
साद आ या मक प से प व भोजन लेने का प रणाम यह होता है क त या से मु हो जाता है और उसे अगले ज म म मानव जीवन
ा त होता है।
एक बार एक संत थे जो आ या मक वषय म ब त आगे थे। लोग उ ह शा ीय ान दे ने और लोग को जाग क करने के लए घर म आमं त करते थे।
एक जम दार के घर म एक उ सव मनाया गया जहाँ उसने पूरे गाँव को ा यान और दावत के लए आमं त कया था। संत ने ा यान दया और
दावत के लए बैठे। उ ह सोने क थाली गलास और कटो रय म परोसा गया. संत ने ख़ुशी ख़ुशी दावत क और फर अपने आ म क ओर ान कया
रा ते म उ ह कु छ बतन क आवाज़ सुनाई द और उ ह ने अपना थैला खोला। काफ आ यच कत होकर उसने अपने बैग म सोने क लेट और गलास
पाया।
उसने यान करने क को शश क और आ त हो गया क उसने खुद ही उ ह अपने बैग म रखा है। वह सोच रहा था क यह कै से संभव है
मने पहले कभी कसी क थाली नह लूट फर ऐसा कै से हो गया। वह सीधे मकान मा लक के पास गया और पूछताछ क क या खाना पकाने
खरीदने या सलने म कोई चोर शा मल है। मकान मा लक आ त था और उसने कहा नह । ले कन संत ने कहा क मुझ े यक न है क पूरी या म
कु छ न कु छ चोरी शा मल है। जसने भी बेहतर कया है उसे वीकार कर या म शाप ं गा।
यह सुनकर मकान मा लक का बेटा तुरंत बोला क कै से उसने कल रात पड़ोसी से ई या करके उसके बगीचे से स जयाँ लूट ली थ ।
यह हमारी चेतना पर भोजन का भाव है। इसे आसानी से महसूस कया जा सकता है जब कोई ऐसे रे तरां म खाना खाता है जहां रसोइये
अ धक आ थक सोच वाले होते ह। रे टोरट म खूब खाने के बाद भी संतु महसूस नह होती. वह जब कोई मां के हाथ का बना खाना खाता है तो उसे
संतु मलती है य क इसम यार भी शा मल होता है। जब भोजन हण करने से पहले भगवान को भोजन अ पत करने म भगवान का ेम शा मल
होता है तो उ संतु ा त होती है।
जब हम रोग त अव ा म डॉ टर के पास जाते ह तो वह दवा दे ता है और कु छ तबंध का पालन करने का आदे श भी दे ता है। भ व य म पापपूण
त या से बचने के लए चार मुख काय ह जनसे हम बचना होगा। पुरानी पीढ़ डफ़ॉ ट प से उनका अनुसरण करती थी ले कन आजकल
हर कोई उन सभी का अनुसरण करने म वफल रहता है।
ये स ांत हम कम के मूल कारण अ व ा अ ान को काटने म मदद करगे। को वयं को न न ल खत याद दलाना चा हए।
म मांस न खाना
मांस खाने से ता का लक शारी रक सम या के साथ साथ भारी का मक त या भी होती है। मांस म वसा कोले ॉल कै लोरी ब त अ धक होती
है और पकाए जाने पर का सनोजे नक यौ गक पैदा होते ह। यह कोलन कसर को बढ़ाता है और पचाने म ब त क ठन होता है। यह हाम नल असंतुलन
का कारण बनता है जसके प रणाम व प खराब वा य होता है। मांस अंडा और डेयरी उ ोग ारा हर साल अरब जानवर मारे जाते ह।
आम तौर पर लोग अपने मांस खाने को धा मक कृ य के प म उ चत ठहराने क को शश करते ह ले कन हम अ याय म सभी धा मक वचार क
तुलना करने जा रहे ह। स ांत प म कोई भी धम मांस खाने क अनुम त नह दे ता है। मनु सं हता . और . के अनुसार यह कहा गया है
क जो जानवर को मारता है वह कभी वग म वेश नह करता है। साथ ही कसी जानवर क ह या करने वाले ह या म मदद करने वाले उसे
ले जाने बेचने खरीदने पकाने और खाने वाले सभी लोग उस जानवर क ह या के समान ही पापी ह।
कोई भी आसानी से यह तक दे सकता है क पौध म भी जीवन है तो फर हम पौधे य खाते ह। इसे वै दक आदे श से ब त आसानी से
समझा जा सकता है।
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जी वत रहने के लए भोजन क आव यकता है। तो वा तव म पौध को मारना भी पाप है ले कन मनु य के लए अनुशं सत भोजन है। पापमु होने
के लए भोजन को भगवान को अ पत करना चा हए और फर खाना चा हए।
भागवत पुराण . . म बताया गया है क कै से जड़ पदाथ ग तशील ा णय से हीन ह पौधे रगने वाले ा णय से हीन ह और क ड़े मकोड़े
चार पैर वाले पशु से हीन ह जो बदले म मनु य से हीन ह। यहां मु ा यह है क अंततः को ऐसा भोजन करना होगा जससे सर को
कु छ धमवा दय का तक है क उनके धम ने नया म जानवर क आबाद को संतु लत करने के लए असी मत मांस खाने क अनुम त द है। यह
मारे गए जानवर को मरने के बाद उ जीवन क ा त नह होती ब क उसे उसी जानवर का शरीर मलता है। यह एक अ य कार का पाप है जो मांस खाने वाले करते ह।
ii कोई नशा नह
नशा उन साम य के सेवन क या है जो वा त वक व क व मृ त पैदा करती है। इस भौ तक संसार म हम पहले से ही यह सोचकर नशे म ह क हम यह शरीर ह
नशीली दवा का सेवन शराब धू पान और त बाकू नशे के कारण ह। आ या मक जीवन म आगे बढ़ने के लए उपरो म से कसी से भी बचना चा हए। ब क वै ा नक
और डॉ टर ने धू पान और शराब के सेवन से होने वाली अन गनत बीमा रय का द तावेज ीकरण कया है। धू पान दल के दौरे और फे फड़ के कसर का कारण
है जब क शराब जगर क त और वचा रोग का कारण बनता है। ये चेताव नयाँ पैके ज पर भी उ ल खत ह।
वेद स हत नया भर के सभी धम ंथ हम भचार के त सचेत करते ह। भगवद गीता म कृ ण कहते ह कामो म हरतरशाभा म धा मक उ े य से े रत यौन जीवन
ं। कोई शाद कर सकता है और ब े पैदा कर सकता है। ब को ई र के त जाग क होने के लए भी श त कया जा सकता है। वैवा हक जीवन के दायरे म यौन
जीवन क अनुम त है ले कन इसके अलावा यह व जत है। कोई भी अवैध संबंध रोग क से खतरनाक है। कसी को एड् स हो सकता है. वा तव म डॉ टर ने
बताया है क शारी रक श बढ़ाने के लए दवा का उपयोग के वल बै ट रया और वायरल हमल के त तरोधक मता को कम करता है।
म हलाएं अपना अ ा नाम बबाद कर लेती ह और बचाव के लए गलत तरीक का इ तेमाल कर सकती ह। आ या मक से दोन नरक म मार खाते ए मलगे। साथ ही
अवैध यौन संबंध से बचने के लए या तो चारी रह सकता है या शाद करके प नी प त क ज मेदारी ले सकता है और संतु जीवन जी सकता है।
iv कोई जुआ नह
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जुए म पूण भा य शा मल होता है। साथ ही सब कु छ खो सकता है। अमे रका म एक पूरा शहर जुए को सम पत है। सभी मुख शहर म रेस कोस
है। कु छ घोड़ के दौड़ने और कु छ अमीर लोग के मनोरंज न के लए शहर के म य म बड़े बड़े मैदान पर क ज़ा कर लया गया। यह कहते ए खेद है क
कभी कभी घोड़े अगर जीत नह पाते तो उ ह गोली मार द जाती है। अ याय म पूंज ीवाद एवं लोकतां क व ा का व ेषण बताया गया
है। जुआ अहंक ार का मोह है। कोई आ खरी पैसा लेक र भी दांव लगाने को तैयार है. अमीर बनने के ऐसे वचार म डू बे से आ या मक प से आगे
बढ़ने क उ मीद कम ही होती है। यीशु ने ठ क ही कहा
एक अमीर आदमी के लए भगवान के पास जाने क तुलना म एक हाथी के लए सुई क आंख म वेश करना आसान है। पांडव क माता और
भगवान कृ ण क महान भ रानी कुं ती ने हम यही बात बताई।
व तुतः उपरो चार स ांत एक सरे से जुड़े ए ह। कोई कसी पर भी यान क त कर सकता है और अंत म सब कु छ कर सकता है। जैसे सुंदर
लड़क क तलाश करने वाले को अ त र पैसे कमाने के लए मजबूर होना पड़ेगा जो फर से एक आसान काम नह है। तब कोई अपनी ज रत
को पूरा करने के लए नवेश करने ऋण वीकार करने और र त णाली म शा मल होने के लए मजबूर हो जाएगा। जीवन म उतार चढ़ाव के दौरान
मांस खाने के साथ साथ धू पान और शराब पीना भी छोड़ दे गा। धा मक और प व जीवन जीने के लए इन सभी से स ती से बचने क सलाह द
जाती है।
डी। प व नाम
सभी कार के धम को याग दो और के वल मेरी शरण म आ जाओ। म तु ह सभी पाप से मु दलाऊं गा। डरना मत।
हरे कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । प व नाम क श यह है क यह दय पर अना द काल से जमा ई सारी धूल को साफ
कर दे ता है। हमारे मन म ब त सारी अवां छत इ ाएं होती ह ज ह छोड़ना मु कल होता है। भगवान का प व नाम उ ह न करने और हमारे कम को
न करने के लए पया त श शाली है। कमा ण नदह त कतु च भ भजम् । भ पूवक सेवा करने से सभी त या से मु हो
जाता है। ये अ ार त याएँ ह। य क ार अभी भी कट होता है य क हम यह शरीर पहले ही मल चुक ा है।
भगवान कृ ण हमारे यारे वामी ह और अगर हम अपनी वतं इ ा उ ह सम पत कर द ेम से उनक सेवा कर और उनके प व नाम का जाप कर
तो वे हमारे सभी पाप को माफ कर दगे। ब त सारा ान ा त करने या तप या करने से कोई मु नह हो सकता। ले कन भ मय सेवा से
भगवान का यान आक षत कर सकता है।
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यह ोक गीता के सबसे स ोक म से एक है। इसे अ सर कसी को कड़ी मेहनत करने के लए े रत करने के लए उ त कया जाता है जैसे क गीता
काम म त रहने का नदश दे ती है। यह गलत ा या क गई क वता लोग को कड़ी मेहनत करने और कम सोचने के लए े रत करती है। उस त म गध को सव
भ माना जाएगा। ब क अगर इस ोक का यान से अ ययन कया जाए तो यह को अपने बारे म गहराई से सोचने पर मजबूर कर दे गा।
म
कमा ण एव अ धकार ते
ii मा फलेसु कदकाना
आप इसके फल के हकदार नह ह.
iii मा कम फल हतुरबुर
iv मा ते संगो टु अकम न
भारत म हर कोई इसका पहला भाग उ त करता है। ले कन बाक तीन ह स के बारे म उ ह जानकारी नह है. यह कै से संभव है क हम काय कर और प रणाम से जुड़े न रह।
य द आप काय करते ह और प रणाम ा त करते ह तो कोई यह सोचने से कै से बच सकता है क वह कता नह है ठ क है कु छ समय के लए य द कोई प रणाम से बचता है और
सोचता है क वह कता है तो उसे अपने आगे के कत को पूरा करने के लए ेरणा कै से मल सकती है इस लए कोई भी काय करने से इनकार कर सकता है ले कन ब IV
बताता है
कै सी वधा है. यह लगभग एक पहेली है. द सी े ट नाम क एक कताब ाकृ तक अवलोकन पर आधा रत एक स ांत लेक र आई है क आकषण का नयम है। इसम कहा
अंततः आपके पास आएगा. लोग वा तव म इस अवधारणा से यह मानकर स हो जाते ह क उनक सभी इ ाएँ पूरी हो जाएँगी। ले कन अगर हम यान से दे ख तो कसी
ने भी कभी यह दावा नह कया क उसने अपनी सभी इ ाएं पूरी कर ली ह। ऐसे कई लोग ह जो पे ोल पंप पर काम करते ह और सपने दे ख ते ह क एक दन वह अंबानी क
तरह बजनेस मै नेट बन जाएंगे। ऐसी समृ कोई भी हा सल नह कर सकता भले ही वह सारी जदगी इसक चाहत रखता हो।
इससे पता चलता है क कु छ ऐसी वशेषता है जसका हम अभी तक एहसास नह आ है जसक हमारे जीवन म मह वपूण भू मका है।
उपरो ोक और पु तक द सी े ट के लु त लक क पहेली को नीचे दए गए च को समझकर हल कया जा सकता है। यह हमारे जीवन क वा त वक काय णाली है। यहां
आ मा या न हम जीव सदै व स य रहते ह। भगवत गीता म प से कहा गया है क आ मा कभी भी न य नह हो सकती। आ मा के वल इ ा ही कर सकती है।
यह भौ तक कृ त जो मेरी ऊजा म से एक है मेरे नदशन म काम कर रही है हे कुं ती के पु सभी ग तशील और अचर ा णय को
उ प कर रही है। इसके नयम के तहत यह अ भ बार बार बनती और न होती है।
इस घटना या या के दौरान जीव या आ मा को कतापन का झूठा एहसास होता है जब क वा तव म ऐसा नह होता है। य द इ ा अधूरी रह जाती है तो आ मा दोबारा यास कर सकती है
ले कन प रणाम के बारे म आ त नह हो सकती। ऐसा कहा जाता है क भगवान क आ ा के बना घास का एक तनका भी नह हलता। इस लए हम कता तो नह ह ले कन साथ ही हम
न य भी नह हो सकते।
पूरा आ. इस लए हमारे आसपास जो कु छ भी है वह अब के वल हमारी इ ा का त न ध व है। अपने अगले अ याय म हम अपने आभासी बंधन के मूल कारण पर चचा करगे। बशत
हम पूण स य को वीकार करते ह और उसके अनुसार जीते ह। ठ क वैसे ही जैसे कोई सूय से र जाने पर छाया दे ख ता है। गम न होने से सद और रोशनी न होने से अंधेरा महसूस होता है।
जीवन के ं द को तभी रोका जा सकता है जब हम अपनी चेतना को परम म र कर द या सरे श द म कृ णभावनाभा वत हो जाएं। जैसे ही
कोई स य को समझता है और उसके साथ जीता है वह इस संसार के क से अछू ता रहता है जैसे कमल तालाब क क चड़ से अछू ता रहता
है हालाँ क वह उसी से उ प होता है।
भूतः स ा मा न शोच त न कं स अ त
जो इस कार द प से त होता है उसे तुरंत परम का एहसास हो जाता है और वह पूरी तरह से आनं दत हो जाता
है। वह कभी शोक नह करता या कु छ पाने क इ ा नह रखता। वह येक जीव के त समान भाव रखता है। उस अव ा म उसे मेरी
शु भ ा त होती है।
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ांड
हम सभी को ांड क उ प इसक वा तुक ला और इसके उ े य के बारे म कोई जानकारी नह है। सामा य समझ यह है क ई र ने ा ड क रचना
कु छ लोग सोचते ह क भगवान ने इसे हमारी खुशी के लए बनाया है इस लए जब तक कोई जी वत है उसे अपनी मता के अनुसार इसका उपयोग करना चा हए। ऐसा
दे ख ा गया है क कू ल के श क उन छा से र भागते ह जो ांड के बारे म गहराई से पूछताछ करते ह। कोई वक प न बचने पर वे यह न कष नकालते ह
क यह एक बड़ा े है जसका वणन नह कया जा सकता। यह एक ऐसी खोज है जसके लए सैक ड़ वै ा नक और शोधकता ने सब कु छ छोड़ दया है
इस स य क खोज म.
ा ड व ान पर एक पूरी कताब लखी जा सकती है। वेद मुख ह उनक ग त और उ े य का व तृत ववरण और सू म ववरण दे ते ह। हम इस
ांड के उ े य और उ प पर यान क त करगे और सं ेप म वा तुक ला का भी अवलोकन करगे। जैसे जैसे हम आगे बढ़ते ह आधु नक ांड व ान क समझ
रखने वाले दशक के लए एक छोटा सा अनु मारक अवधारणाएँ नई दखाई दे सकती ह और कई ान पर आधु नक स ांत के वपरीत भी हो सकती ह।
शा उन लोग के लए कट होते ह जनके पास व ास है। हमने अ याय म अनुमान माण के फायदे और नुक सान के बारे म बताया है। त वीर और वी डयो से
सामा य घटना के बारे म भी न कष नकालना मु कल है फर हमारी शारी रक और मान सक प ंच से परे ह और ांड के बारे म तो बात ही या क
जाए। जस कार च टय के समूह पर जब हम पानी क एक बूंद डालते ह तो वे ाकु ल हो जाते ह। उ ह घटना क कोई जानकारी नह है. इसी कार हम सम त
सृ के सामने च टय के समान ह हमारी गत या सामू हक समझ शायद ही हम कसी नतीजे पर प ंचा सके । वेद पर भरोसा करना और व ान क गहराई
ांड का.
कभी कभी म वयं उ र होता है। हम सभी धन स त ा आ द के पीछे भाग रहे ह इससे पता चलता है क हम अपने भीतर कु छ खोज रहे ह। वह
या है जो हम इतनी मेहनत से यास कर रहे ह हाँ यह खुशी है. कोई फक नह पड़ता क कै से कहाँ जब वह हम मल जाता है तो हम उसे लपकने के लए उ सुक
रहते ह। कू ल जाने वाला ब ा क ा क घंट बजने का बेस ी से इंतजार कर रहा है ता क वह घर जाकर ट वी दे ख सके दो त के साथ मौज म ती कर सके आ द।
ले कन जब वह कू ल म होता है तो वह लंच ेक का बेस ी से इंतजार करता है। कोई यह तक दे सकता है क अ ययनशील ब के मामले म यह सच नह है। व तुतः वे
उपरो सा य से हम इस ांड को एक क ा के प म मान सकते ह जहां हम उ सुक ता से खुशी क तलाश म ह। इस सावभौ मक व ालय क पढ़ाई
समा त होने के बाद हम अपने शा त माता और पता के पास वापस जाते ह जो एक ऐसे ांड म रहते ह जो शा त और आनंद से भरा है।
दो संसार ह एक भौ तक संसार और सरा आ या मक संसार। हम सभी आ माएं आ या मक नया हमारे स े घर से संबं धत ह। हम इस भौ तक संसार म भगवान
कभी कभी शरारती ब को एक श क को स प दया जाता है ज ह उ ह नै तक सं हता आचरण और अनुशासन म श त करने के लए अ रकम द
जाती है। श क ब े का मन नह है ब क एक स त मागदशक है जो माता पता के बारे म गलतफह मय को र कर उसक जगह यार को ज म दे ता है
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उ ह। इस भौ तक कृ त का गुण वभावतः हीन है। यह सतोगुण रजोगुण और तमोगुण से संचा लत होता है। भगवत गीता म कहा गया है
मुझ े ा त करने के बाद महान आ माएं जो भ म योगी ह इस अ ायी नया म कभी नह लौटती ह जो ख से भरी है य क उ ह ने सव पूण ता
ा त कर ली है।
इस संसार को खालय या नरंतर ख का ान कहा जाता है। यह लोग के जीवन म ावहा रक प से दे ख ा जाता है क कै से लंबे समय तक संघष करने के बाद कोई
हमालय का अथ है वह ान जहाँ के वल बफ पाई जाती है वचनालय का अथ है वह ान जहाँ कोई के वल पढ़ सकता है। इसी कार खालय वह ान है जहां के वल ख
शा ने जीव क दयनीय त को बार बार व तार से समझाया है। फर भी जी वत ाणी मृत पदाथ म सुख खोजते ह। आशा पाशा शतैर बाधा आशा क र सी
से बंधा जीव और अ धक उलझता जाता है। इस भौ तक संसार को जेल या अजेय कले गा भी कहा जाता है। यह आ मा क अपनी वतं इ ा और वतं इ ा
जैसे ही कोई नयं क और भो ा होने का झूठा अहंक ार याग दे ता है मु ा त हो जाती है। एक बार एक बंदर क नजर काजू से भरे जार पर पड़ी तो उसने
हाथ डालकर काजू को अपनी मु म पकड़ लया। ट ट छोट होने के कारण वह जार से बाहर नह नकल सका। काजू को छोड़ना ही एकमा वक प बचा था। यही त
जीव और उसक ग़लत धारणा क भी है। स ा अहंक ार भगवान को नयं क और वयं को उसके अधीन समझना है
भु क इ ा.
एक बार तालाब के कनारे टहल रहे एक आदमी को तालाब के अंदर एक सोने का हार दखाई दया। पानी साफ होने के कारण वह उसम कू द गया ले कन जैसे ही वह
अंदर गया तो उसे कु छ नह मला। उसने पानी को शांत होने दया और फर से छलांग लगा द । इस कार वह थक तो गया परंतु आभूषण ा त करने म असफल रहा। एक
समझ गया क तालाब म सोने के हार के त बब के पीछे उस आदमी का हाथ था जब क असली हार पेड़ पर था। वह आदमी उसे पकड़ने के लए पेड़ पर दौड़ा। हमारी
खेल खेलते समय. ब त सारे कार रे सग गेम मल सकते ह। य द कोई अपनी पहचान कसी एक कार के चालक के प म करता है तो उसे आजीवन सहायता अ त र अंक
ऐसा करते समय को सुख और ख के म ण का अनुभव होता है यह इस बात पर नभर करता है क उसक कार कै से आगे जा
रही है या पीछे जा रही है। ये भावना मक भाव उस पर त ब बत होते ह जो याय य है
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बटन दबाना. भले ही कोई सीधे तौर पर कार म न बैठा हो ले कन यह मान लेने से ही क वह कार का मा लक है और उसे चला रहा है सभी ख
और सुख का अनुभव करता है।
दरअसल कई बार ऐसा पाया जाता है क ब े आभासी वा त वकता म खोकर खाना खाना और सोना भूल जाते ह। यह हमारे जीवन के लए भी
ब त ासं गक है। इस संसार म जी वत इकाई ने कु छ भू मकाएँ और ज मेदा रयाँ वीकार क ह और उ ह न पा दत करने और उसी के सुख
और ःख का अनुभव करने म त है। उदाहरण के लए एक प रवार वाला गृह वामी यह मानता है क वह दो ब का पता है और
अपनी प नी के लए प त है और अपने माता पता के लए बेटा है।
एक को अब कई भू मकाएँ और संबं धत ज मेदा रयाँ नभानी ह गी। ब के सामने वह अपने बारे म शेख ी बघारता है और प नी के साथ ऐसा
करने क ह मत नह कर पाता। अपने बॉस को रपोट करते समय वह वन हो जाता है और अपने अधीन के साथ वहार करते समय वह
अपनी श य और बंधक य कौशल को दखाता है। इसी कार येक जीव अपनी पहचान के भाव से बंधा आ है। कभी कभी
एका धक व वकार होता है जहां एक ढ़ता से कई व ल ण क पहचान करता है और उनके ल ण द शत
करता है।
कसी का जीवन तब तक एक खेल बनकर रह जाता है जब तक उसका शरीर समा त नह हो जाता य क उसे दया गया शरीर उसे एक वशेष
तरीके से सोचने के लए मजबूर करता है। शरीर के चले जाने पर आ मा स हत मन और अ य सू म त व अगली भू मका के लए मंडराते
रहते ह। खेल एक म है और यह तभी ख म होगा जब आ मा आ या मक े म अपनी मूल त पुनः ा त कर लेगी। सनेमाघर म कोई
वेश करता है और सीट वाला एक अंधेरा कमरा पाता है। जब फ म चल रही हो तो कोई भी नायक को पहचान सकता है और उसके पम
सभी भावना से गुज र सकता है और वा तव म जब अ भनेता ए न य कर रहा हो तो उसके चार ओर पैर भी मार सकता है। यह तभी तक
चलता है जब तक कोई थएटर म है। मजाल से बाहर नकलने के बाद सामा य वहार करने लगता है।
साठ के दशक क शु आत म जब फ म बनने के ारं भक चरण म थ तो उ ह दे ख ने वाले पु ष उ ह वा त वक मानते थे। वे नायक को बचाने के
लए भगवान को ध यवाद दगे। त आभासी नया के भीतर आभासी वा त वकता क तरह है एक और वचुअलाइजेशन के भीतर और इसी
तरह शु आत क अवधारणा क तरह।
इस संबंध म एक अ कहानी है. एक बार एक राजा था जसक हजार प नयाँ थ । सम या यह थी क उनम से कोई भी पु उ प नह कर
सकता था और वह चाहता था क कोई अगले राजा के प म सहासन पर बैठे। राजा ने भरसक यास कया ले कन कोई पु नह आ। बाद
म उनक मुलाकात एक महान ऋ ष अं गरा मु न से ई ज ह ने त ु त नामक अपनी एक प नी को एक पु होने का आशीवाद दया जसका
नाम हषशोक होगा जो राजवंश को ख और सुख दोन दे गा। जब बालक का ज म आ तो कृ त ु त क सहप नयाँ उससे ई या करने लग ।
राजा च के तु ारा उपे त महसूस करने के कारण उ ह ने बालक को जहर दे दया। पु क मृ यु हो गई और चार ओर हाहाकार मच गया।
अं गरा मु न नारद मु न के साथ मौके पर प ंचे और च के तु को दाश नक अंत से शांत करने का यास कया। राजा म या मोह म अंधा होकर
के वल वलाप कर रहा था।
नारद मु न ने उसे एक मं दया जससे वह सात दन म भगवान के आमने सामने दशन कर सकता था।
इसके साथ ही नारद मु न ने ब े म जान वापस ला द और उससे अपने प रजन से बात करने का अनुरोध कया। नारद मु न ने भी इ ा होने
पर बालक को शरीर म रहने क अनुम त दे द ।
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बालक के शरीर म त जीव बड़ी बु मानी से बोला। उ ह ने कहा अपनी सकाम ग त व धय के प रणाम के अनुसार म जी वत ाणी एक शरीर
से सरे शरीर म उ जा त से न न जा त म और कभी कभी मानव जा त म ानांत रत होता ं। अतः ये माता पता कस ज म के थे वा तव
म कोई भी मेरी माँ और पता नह है. म इन दो लोग को अपने माता पता के प म कै से वीकार कर सकता ं इस भौ तक संसार म जो नद
क तरह आगे बढ़ती है जो जी वत इकाई को बहा ले जाती है समय के साथ सभी लोग म र तेदार और मन बन जाते ह।
इन ानपूण श द को सुनकर च के तु पूरी तरह से म से बाहर हो गया। उ ह ने शी ही जीवन क पूण ता ा त कर ली। भौ तक जीवन
क यह अवधारणा हमारे मन म ब त गहराई तक जमी ई है और इसे लगातार याद दलाने क आव यकता है।
न त सूय भा त न च तारकम्
आ या मक जगत सृ का वाँ भाग है और भौ तक जगत् वाँ है। ऐसे असं य आ या मक ह ह ज ह वैकुं ठ कहा जाता है। वैकुं ठ का अथ
है ख से र हत ान। भगवान अपने व भ अंश म अपने असं य भ के साथ उन ह म नवास करते ह। भगवान और उनके व तार के
बारे म अ धक जानकारी अ याय म द गई है। आ या मक जगत का वणन वयं भगवान ा ने सं हता क अपनी ाथना म कया है।
के वल ा और ऐसी महान आ मा ारा ही हम कृ त को अपनी समझ से परे समझ सकते ह। हमारी अनुभू त क श ब त कम
है। शायद हम भा यशाली ह क हमारे पास यह वणन है जो त आ मा को आक षत करेगा।
म उस द आसन क पूज ा करता ं जसे ेत प के नाम से जाना जाता है जहां ेमपूण प नी के प म ल मी अपने शु आ या मक
सार म अपने एकमा ेमी के प म सव भगवान कृ ण क कामुक सेवा का अ यास करती ह जहां येक वृ एक पारलौ कक योजन
वृ है जहां म उ े यपूण र न है सारा पानी अमृत है हर श द एक गीत है हर चाल एक नृ य है बांसुरी पसंद दा सहायक है तेज वता
पारलौ कक आनंद से भरी है और सव आ या मक सं ाएं सभी सुख द और वा द ह जहां असं य ध दे ने वाली गाय सदै व ध के द
महासागर का उ सजन करती ह जहां पारलौ कक समय का शा त अ त व है जो सदै व वतमान है और अतीत या भ व य से र हत है और इस लए
आधे ण के लए भी न होने क गुण व ा के अधीन नह है। इस संसार म के वल कु छ ही आ म सा ा कारी आ माएं उस े को गोलोक
के नाम से जानती ह।
भागवत पुराण म वैकुं ठ ह और वहां के नवा सय क मनोदशा का भी वणन है। वैकुं ठ लोक म सभी नवासी परम भगवान के समान ह। वे सभी
भौ तक इ ा के बना भगवान क भ म लगे रहते ह। उन वैकु ठ लोक म अनेक वन ह जो अ यंत शुभ ह। उन वन म वृ क पवृ ह
और सभी मौसम म वे फू ल और फल से भरे रहते ह य क वैकुं ठ म सब कु छ है
ह आ या मक और गत ह।
वैकुं ठ ह म नवासी अपनी प नय और सहे लय के साथ अपने वमान म उड़ते ह और भगवान के च र और ग त व धय का अनंत काल
तक गायन करते ह जो हमेशा सभी अशुभ गुण से र हत होते ह। जब मधुम खय का राजा भगवान क म हमा गाते ए ऊँ चे वर म गुंज न
करता है तो कबूतर कोयल सारस हंस तोता और मोर के शोर म एक अ ायी शां त आ जाती है। ऐसे द प ी परम भगवान क म हमा सुनने
के लए अपना गायन बंद कर दे ते ह। वैकु ठ के नवासी प ा और सोने से बने अपने वमान म या ा करते ह। जन य क शारी रक
वशेषताएं परमानंद म बदल जाती ह और जो सव भगवान क म हमा सुनने के कारण जोर जोर से सांस लेते ह और पसीना बहाते ह
उ ह भगवान के रा य म पदो त कया जाता है। भगवान का रा य भौ तक ांड से ऊपर है और यह ा और अ य दे वता ारा वां छत है।
ठ क वैसे ही जैसे सरकार के कानून तोड़ने वाले सामा य नाग रक को सुधारने के लए जेल म डाल दया जाता है।
इसी कार जो आ माएँ भु से वतं ता चाहती ह उ ह भौ तक संसार म भेज दया जाता है। ले कन चूँ क आ मा का वभाव ेम करना और सेवा
करना है इस लए उसे तदनुसार मन और इं याँ दान क जाती ह। ले कन क णावश भगवान इस संसार म तीन प म व तार करते ह व भ
काय करते ह। तवता तं म इसका उ लेख है
व णो तु तृ ण पा ण पु षा या य अथो व ः
बाद म वह गभ द ायी व णु के प म व ता रत ए जहां वे येक ांड म व वधता पैदा करने के लए येक ांड म वेश करते ह।
तीसरा ीरोदा यी व णु के प म सभी आ मा को परमा मा के प म साथ लेक र उ ह आ या मक पथ पर मागदशन करते ह।
अनंत ांड. जब वह साँस छोड़ते ह तो सभी ा ड कट होते ह और जब वह साँस लेते ह तो सभी ा ड कट होते ह
अ . भारत म अनंत को ट ा ड नायक श द का योग अ सर कया जाता है। यह महा व णु ही ह जो अनंत ांड के वामी ह। महा व णु के लए ा ड गौण के
समान ह
बुलबुले.
सरा चरण वक प है। अपनी वचा के छ से ांड को कट करने के बाद महा व णु गभ द ायी व णु के प म व तार करते ह और येक ांड म वेश करते ह
जो उनके द शरीर के पसीने से बने पानी से आधा भरा होता है। उ ह नारायण भी कहा जाता है जो समु पर व ाम कर रहे ह। भगवान वयं से व भ कार के जीव को
गभ द ायी व णु क ना भ से एक कली नकलती है जो जीव क सकाम ग त व ध का संपूण प है। कमल धीरे धीरे ांड के अंधकार को र करते ए बढ़ता है।
कमल ा के शीष पर पहला जी वत ाणी कट होता है। शु आत म अपने मूल को खोजने म असमथ होने पर उसने चार दशा म दे ख ा और इस तरह उसे चार सर मले।
उसने कमल के तने के नीचे का दौरा कया और कु छ भी नह पाया और जब वह वापस आया तो उसने सुना क ता पा श द का अथ तप या है। यह सुनकर तुरंत ा ने
तीसरा चरण क प है यह वह है जसे ा त दन न द से उठने के बाद बनाते ह। अ याय म समय के बारे म अ धक बताया गया है। ांड के भीतर ीरोदा ायी व णु का
परमाणु.
आमतौर पर हमारे मन म मं जल वाली इमारत क पूवक पत धारणा होती है। ले कन ान पवत शखर मे पवत क मेज क चोट प आ द ह। एक सरे के तर तक
आसानी से प ंचा नह जा सकता य क जी वत इकाई को दए गए शरीर अलग अलग कार के होते ह और व भ उ े य के लए होते ह। अपनी समझ के लए हम अभी भी
हमारे ांड क वा तुक ला के बारे म हम पुराण से चुर जानकारी है ले कन डी मॉडल तैयार नह आ है। इन ह णा लय को भी े णय म वग कृ त कया
ऊपर वाले ह भू भुवर वर महार जन तपस स य और नीचे वाले ह तल अटल वटल नताला
तलातला महातला सुतला
संपूण नचले ह को पाताल के नाम से जाना जाता है। भू भुवर और वर वगलोक हो जाते ह और शेष म य। व भ ह पर कौन कौन
नवास करता है इसक चचा अ याय म क जाएगी।
जीव अपने कम के अनुसार न त ह पर रहने का हकदार है। जो लोग प व ह वे वग या बैकुं ठ जा सकते ह। पापी पाताल म भेज े जाते
ह। जो लोग हरे कृ ण हरे कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का जप करके भ करते ह वे अपने शरीर
को यागने के बाद आ या मक नया म जाते ह।
वग य ह का वणन कसी को भी प व भौ तकवाद बनने के लए े रत कर सकता है। दे वता बनने का मौका भी मल सकता है. जब कोई
ऐसे काय करता है क उसे भूलोक पर पुर कृ त नह कया जा सकता है तो उसे ऐसे ान पर भेज ा जाता है जहां वह भरपूर ऐ य
के साथ शां त से रह सके ।
ले कन चाहे वह सोने क बेड़ी हो या लोहे क बेड़ी वह बेड़ी ही है। वग य ह भी सुनहरे दखाई दे ने पर भी भौ तक बंधन ह। इस मोह के
बंधन को काटना होगा और भगवान और उनके भ के साथ लगाव बढ़ाना होगा। एक भ भगवान से उनक सेवा के लए ाथना करता है
चाहे वह कह भी त हो। एक बार एक ा ण अपने पु को ज म दे ने के बाद खो रहा था और इस लए वह मदद के लए उ सेन के
पास गया। अपनी जा क सहायता करना राजा का कत है। उ सेन इसक जाँच नह कर सके और अजुन को सू चत कया गया। अजुन
ने त ा क क वह अगले ब े क र ा करेगा। उसने अपने बाण से सुर ा का े बनाया और फर भी ब े क मृ यु को नह
रोक सका। अजुन ारा ा ण पु को पुनः ा त करने क त ा यह दे ख कर कृ ण अजुन क मदद करने के लए बा य हो गए और उसे
सभी उ ह के मा यम से ले गए और अंत म महा व णु के नवास पर ले गए। महा व णु ने अजुन क म हमा क और कृ ण के दशन कये
जसके लए उ ह ने ा ण के ब को चुराया था। अजुन ने सभी ब को ा ण को लौटा दया।
इसके अलावा इस बात का भी वणन है क जब रा स और दे वता के बीच लड़ाई होती थी तो कै से सांसा रक राजा को कई बार उ ह
णा लय म आमं त कया जाता था। भूलोक के ऊपर रा स का भी नवास है। उ ह रा स कहा जाता है और वे मनु य से े
ह।
आधु नक समय के वै ा नक रबीन अवलोकन के आधार पर नए स ांत ा पत कर रहे ह और यह न कष भी नकाल रहे ह क दो ह
के बीच म नवात है। ये ट प णयाँ शा ारा सम थत नह ह। ब क वे ह और तार उनके प र मण पथ आ द क समझ
दे ते ह। सूय चं मा चं हण सूय हण ह के बीच जमीनी री क गणना ह क ग त आ द के पथ पर एक और पु तक लखने का इरादा
रखते ह। हम यहां उन सबका ज करने से बच रहे ह। इस पु तक का उ े य जेल का वणन करने के बजाय जेल से बाहर नकलना है।
स ा यार
भौ तक जगत म जीव का अ त व मा एक व है। जैसे न द म कोई सपने म दे ख ता है क बाघ उसका पीछा कर रहा है और मदद
के लए च लाता है। न त ही जब वह जागता है तो उसी सपने पर हंसता है। इसी कार हम सभी यह सोचने के लए अ ानता से बंधे ह
क हम ये शरीर ह
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और जो कु छ भी य या परो प से इससे संबं धत है वह हमारा है। जस कार जल से बाहर मछली कभी भी कतने भी धन और मीठे वचन
से संतु नह हो सकती उसी कार जीव भी भौ तक जगत म खुश नह रह सकता। भगवान और उनके सहयो गय के संबंध म मछली पानी म
और आ मा आ या मक नया म ाकृ तक है।
कोई यह पूछ सकता है क कसी को पता य नह चला क वह आ या मक नया से कै से गर गया। ब त सरल भगवान ने हम श मदा न
करने के लए अ त र सावधानी बरती है। जब एक अमीर आदमी का बेटा अपने पता और माँ से लड़कर घर से चला जाता है तो वे उसे
उसक गलती बताने से बचते ह ता क मूल ेम फर से जी वत हो सके । य द कोई हम पर दोष लगाता है तो वृ अ धक व ोह करने क होती
है।
महान आचाय समझाते ह क हमारी त समु के बीच डू बते और मदद के लए च लाते ए क तरह है। इस समय यह बेहतर है क
मदद का हाथ उठाया जाए न क यह व ेषण कया जाए क समु म गरने का कारण या था।
आ मा का वभाव भु क ेममयी सेवा म लगे रहना है। य द ऐसा नह है तो यह आसपास के ा णय के साथ संबंध को ायी मानकर उनक
सेवा करने का यास करेगा। हमारे और हमारे आस पास के र ते अ ायी और नकली ह। एक पल म दो त मन बन जाते ह और
इसके वपरीत भी। जीवन का ल य भु के त ेम पैदा करना है और हमारे जीवन क सभी ग त व धयाँ इसी ओर नद शत होनी चा हए। अ यथा
हमारा सारा काय थ का यास मा बनकर रह जायेगा।
हम सभी म कृ ण के त सु त ेम है। यह उनक म हमा लीला लीला को पढ़ने उनके प व नाम का जप करने उनके और उनके
भ के बारे म सुनने और उन महान आ मा क सेवा करने से पुनज वत होता है ज ह ने अपने जीवन को पूण कया है। अना द काल से
हम अपनी इं य और मन क सेवा कर रहे ह। अब
भु क इ ा के त अपना जीवन सम पत करने म दे र नह ई है।
भौ तक कृ त के तीन गुण से यु मेरी इस द ऊजा पर काबू पाना क ठन है। ले कन ज ह ने मेरे त समपण कर दया है वे आसानी से
इससे आगे नकल सकते ह।
भगवान ने हम इस वशाल सृ से मु दलाने और अपने नवास म ले जाने का वादा कया है बशत हम उनक इ ा का पालन कर और अपनी
कृ ण चेतना को पुनज वत कर। कृ ण के लए यही एक जीवन काफ है. हम भ के माग पर यास करने क आव यकता है बस
इतना ही।
क लयुग म न तो यान योग संभव है और न ही ान योग के वल भ ही माग है। ी चैत य महा भु ने श ा क क अपनी ाथना
म उ लेख कया है
हे सवश मान भगवान मुझ े न तो धन संचय करने क इ ा है न ही सुंदर य का आनंद लेने क । ना ही मुझ े कोई सं या म फॉलोअस चा हए.
म के वल अपने जीवन म ज म ज मा तर तक आपक भ मय सेवा क अहैतुक कृ पा चाहता ँ।
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महान भ ने अपने उदाहरण से दखाया है क प व ता और याग का जीवन कै से जीना चा हए। हरे कृ ण महामं हमारे सु त ेम को
पुनज वत करता है और हमारी सभी शंक ा को र करता है। इस आ या मक व न कं पन का नय मत जप हम हमारे स े घर घर
वापस भगवान के पास ले जाएगा।
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समय
व ान ने समय को ड जटल बनाकर ब त ग त क है। दो व तु के बीच क री क गणना म सट कता काश या व न क या ा के समय के माप के
कारण होती है। उसी उदाहरण म हम समय या काल के नए पहलु से प र चत ह गे। हमारी समझ के वल घंटे मनट सेकं ड माइ ोसेकं ड तक ही सी मत है जब क
समय अक पनीय है। एक बार एक बूढ़ा आदमी अपने पोते से मलने गया और उसका हालचाल पूछा। वहां रहने के दौरान उ ह ने पोते के हाथ म एक महंगी घड़ी
दे ख ी. ान के दन बूढ़े ने अपने पोते को गव महसूस कराने के लए पूछा अभी या समय आ है और पोते ने उ र दया अब आपके जाने का समय हो
गया है। कहने क बात यह है क समय भी जीवन का एक चरण है जो सेकं ड घंटे दशक या कु छ भी हो सकता है जो कसी को वचार के दायरे म रखता है।
हम जानबूझ कर नई अवधारणा को पेश कर रहे ह ता क कोई भी जीवन क स ाइय को बेहतर ढं ग से दे ख सके । वै ा नक सापे ता के स ांत पर शोध
करने म त ह ले कन वेद म इसके बारे म व तार से बताया गया है। वेद म समय क सट क गणना भी द गयी है। सापे ता का स ांत आइं ट न के शासनकाल के
दौरान ता वत कया गया था जहां कई वै ा नक ने समय म सापे ता को समझाने और तैयार करने के लए कड़ी मेहनत क । उ ह ने टाइम डलेशन का अवलोकन
घ ड़याँ ै तज और ऊ वाधर दोन सापे ग त के कारण दखाई द । ऐसा पाया गया क जैसे
जब कोई पृ वी के तल से ऊपर जाता है तो उसे समय म कमी महसूस होती है। य द बा प से दे ख ा जाए तो एक ऐसा ान होना चा हए जहां समय का भाव
शू य हो जो अ य प से आ या मक े का संके त दे ता हो।
आइं ट न ने अपने उदाहरण म बताया क कै से समय कमोबेश एक ऐसी अनुभू त है जससे के वल घड़ी क माप से गुज रता है। उदाहरण के लए य द कोई एक
लड़के को ले जाता है और उसे उसक े मका के साथ बठाता है और वे लगभग घंटे तक एक सरे से बात करते ह। घंटे के बाद जब लड़क अपने घर जाना
चाहती है तो लड़के को अलगाव का एहसास होता है और ऐसा अनुभव होता है जैसे उनके पास ब त कम समय है। अगर उसी लड़के को एक सेकं ड के लए गम तवे पर
बैठा दया जाए तो वह साल तक बैठे रहने क तकलीफ बताते ए उछल पड़ेगा।
कॉलेज के छा को ा यान के दौरान अनुभव होता है। य द श क के पास वषय म वशेष ता और अ ा संचार कौशल है तो छा को लगता है क क ा घंटे और
चलनी चा हए। य द श क उबाऊ है तो छा अपना मनोरंज न करने के लए खड़क से बाहर झाँक ते ह आधी क ा सो रही है और जो जाग रहे ह उ ह लगता
है क घंट य नह बज रही है या चपरासी ने अपनी नौकरी छोड़ द है हो सकता है क घड़ी ने काम करना बंद कर दया हो। समय कटता नह और हर सेकं ड एक
घंटे जैसा तीत होता है। एक बार मं जल क इमारत म ल ट ठ क से काम नह कर रही थी और व मं जल से ऊपर रहने वाले नवा सय को ल ट म या ा
करने म घृण ा महसूस हो रही थी। वे रोज शकायत दज कराकर ब र को परेशान करते थे। ब र ने पाया क ल ट ठ क से काम कर रही थी ले कन ऊं ची मं जल के
नवासी अपना धैय नह रख सके और खाली समय म परेशान हो गए। इसके बाद उ ह ने ल ट म एक बड़ा शीशा लगा दया। इसके बाद हर ल ट म एक दपण होता है
य क लोग को बेक ार खड़े रहने के अलावा खुद को दे ख ने म कोई परेशानी नह होती है जससे समय का भाव कम हो जाता है।
ा या भागवत पुराण . और सूय स ांत पर आधा रत है और समझ को सरल बनाने के लए इसे भाग म वभा जत कया गया है। वे इस कार ह
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म।
समय क गणना करने क व ध
तीय.
दन रात महीने साल क गणना
पछले अ याय म हमने ा ड क संरचना का अवलोकन समझाया है। इसे समझना आव यक है य क यह खंड सीधे तौर पर पछले अ याय से संबं धत श द का उपयोग
करेगा।
ग का व तार या काश करण का एक लेट से सरी लेट पर परावतन। अलग अलग भौ तक तय के कारण भाव के अधीन होने के कारण
ये तकनीक अलग अलग प रणाम दे ती ह। एक बार एक डेटाबेस शासक के सामने रयल ए लके शन ल टर सवर को स ोनाइज़ करने क चुनौती थी
य क अलग अलग सवर म अलग अलग घड़ी क गणना थी। इस लए चौबीस घंट के बाद वे पछड़ जाएंगे और अपे ाकृ त एक सरे से
है जसे परमाणु कहा जाता है। वघटन के बाद भी परमाणु अ त व म रहता है। परमाणु का वणन कणाद के परमाणु वाद म दया गया है। साथ
परमाणु समय को कसी वशेष परमाणु ान को कवर करने के अनुसार मापा जाता है। समय
और ान दो सहसंबंधी श द ह। समय को परमाणु के एक न त ान को कवर करने के संदभ म मापा जाता है। मानक समय क गणना सूय क
ग त के आधार पर क जाती है। कसी परमाणु के ऊपर से गुज रने म सूय ारा तय कए गए समय क गणना परमाणु समय के प म क जाती है। सृ
के अंत तक कु ल ह णा लय के प रसंचरण के संदभ म मापी गई सृ पालन और वघटन के समय क पूरी गणना को सव कला के पम
जाता है
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सरे को खंडकाल या सी मत समय के प म जाना जाता है। सरी ेण ी को भाग म वभा जत कया गया है वा त वक
जसे ाण के प म मापा जाता है और अवा त वक को ाण के प म मापा जाता है
truti.
दो पखवाड़े का योग एक महीना होता है। ऐसे दो महीन म एक ऋतु होती है और छह महीन म सूय क द ण से उ र क ओर एक
पूण ग त होती है। पहले छह महीन के दौरान सूय द ण से उ र क ओर या ा करता है और इसे उ रायण के पम
जाना जाता है। सरे छह महीन के दौरान सूय उ र से द ण क ओर या ा करता है और इसे द णायन के प म जाना
जाता है। दो सौर ग तयाँ दे वता के एक दन और रात के बराबर होती ह। दन और रात का योग मनु य के लए एक पूण कै लडर
वष है। मनु य का जीवन काल सौ वष का होता है
साल।
युग युग सह ा दय का एक च होता है और यह च वयं को दोहराता है। येक युग का ववरण और अव ध नीचे
उ ल खत है।
ेता युग
ापर युग
क लयुग
कु ल द युग
उ ह णा लयाँ.
कभी कभी ओवरलै पग होती है. वैव वत मनु के शासनकाल के दौरान अ ाईसव द युग का अ त ापीकरण आ और तीसरे युग
ेता सरे ापर से पहले कट होता है। जब ऐसा होता है तो सभी अवतार का ोत कृ ण कट होते ह।
है। इसके अलावा सं या काल के दौरान कई धा मक ग त व धयां क जाती ह। स ययुग म धम के स ांत पूण तः काय करते ह ेता
युग म वे एक चौथाई के अंश से कम हो जाते ह ापर युग म वे घटकर आधे रह जाते ह और क लयुग म वे घटकर एक चौथाई रह
जाते ह धीरे धीरे शू य ब तक कम हो जाते ह और फर वनाश होता है। नया म ख़ुशी आनुपा तक प से गत या सामू हक
चार युग म आजी वका और आ या मक मु के लए अलग अलग वातावरण उपल ह। जस तरह कोई शहर के तनाव से उबरने के
लए प रवार के साथ स ताहांत म हल टे शन पर समय बताना चुनता है उसी तरह अलग अलग उ अलग अलग जीवन काल
दान करती है। यहां व भ युग क बु नयाद जानकारी का उ लेख कया गया है।
सय लोग शां तपूण गैर युग ह यान या अ ांग योग जसके आठ अंग ह।
ई यालु मलनसार और
वाभा वक प से कृ णभावनाभा वत। यम नयम
नयम तबंध
आसन बैठने क मु ाएँ
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ाणायाम ास ायाम
याहार इं य
तबंध
धारणा यान
यान अबा धत यान
यह यान रखना दलच है हालां क क लयुग वतमान युग ब त भयानक है आ या मक मु क या ब त सरल है। के वल हरे
कृ ण हरे कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का जाप करके कोई आ या मक नया म लौट सकता
है।
वे लगभग द युग तक शासन करते ह। द युग ा के घंटे के दन का समय बनाते ह। जसके बाद ा
न ा म चले जाते ह। अब येक मनु शासन के अंत म आं शक वनाश होता है जसक कु ल लंबाई होती है
सतयुग अथात वष। इसके अलावा ा के दन के अंत म यानी द युग के बाद एक और आं शक वनाश
वनाश महल क तक ह का ही होता है। इन ह के नवासी वयं को उ ह म ानांत रत कर लेते ह। दे ख ते ही दे ख ते तीन लोक जल से प रपूण हो
गए। संक षण के मुख से नकलने वाली अ न वष तक भड़कती रहती है। फर अगले वष तक हवा आ द के साथ मूसलाधार वषा होती
वष क ये त याएँ तीन लोक क आं शक तबाही क शु आत ह। जब ा सो जाते ह तो लोक के नीचे के तीन लोक वनाश के पानी म डू ब
ा क जीवन अव ध समा त होने के बाद पूण वनाश होता है। इसका कु ल योग वष है। यह वह समय है जब महा व णु ास लेते
ह और सभी ांड अ हो जाते ह। वनाश के समय जब भगवान अनंत पूरी सृ को न करने क इ ा रखते ह तो वे थोड़े ो धत हो जाते ह।
यारह . वह सृ का वनाश करता आ तीत होता है। यहां संपूण ांडीय अंडा न हो जाता है। होने वाली ग त व धय का व तृत म भागवत पुराण
. म व णत है।
एफ।
समय क सापे ता
हम जतना ऊपर जाते ह समय कम होता जाता है सरे श द म नचले ह म समय कम होता जाता है
उपरो स टम क तुलना म स टम तेज़ ह। शा म एक घटना का उ लेख है जहां एक राजा भगवान ा से मलने गया और जब वह लौटा तो उसे
पता अपनी बेट क शाद के लए च तत थे काकु दमी अपनी बेट रेवती के लए च तत थे। वह उसे लोक म भगवान ा के पास ले गए और
ा से सुझ ाव मांगा। जब काकु दमी वहां प ंचे तो भगवान ा गंधव ारा संगीत दशन सुनने म त थे। इस लए
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होती है। कु छ म खयाँ रात म ज म लेती ह और सुबह तक मर जाती ह ले कन वे अपनी सभी ग त व धयाँ करती ह जनक
अव ध भी वष होती है
उ ह।
इसी कार दे वता वग य सुख भोगते ह और जब उनक अव ध समा त हो जाती है तो उ ह संबं धत शरीर दान करके अ य ह पर
भेज दया जाता है। इस भौ तक संसार म समय का वनाशकारी वभाव है। भगवद गीता म कृ ण कालो म भरतषभा को
नदश दे ते ह समय म तीन लोक का वनाशक ं। वह हम एक सू म जीव के प म हमारी तु त क भी
याद दलाता है जसका ावहा रक प से समय पर कोई नयं ण नह है।
मनु य वग पाने के लए प व काय करने के लए आक षत होते ह कम से कम उ ह समय के भाव के बारे म पता नह होता है। यहां
तक क भगवान ा भी अपनी मृ यु से डरते ह
जीवन क पूण ता एक ण म ा त क जा सकती है। लोग सोचते ह क धम बुढ़ापे के लए है और युवाव ाइ यतृ त के लए है।
जब तक कोई अपनी जवानी का उपयोग ई र के त ेम पैदा करने के लए नह करता तब तक बुढ़ापे म भ म संल न होने क
या संभावना है जब सभी इं यां कमजोर हो जाती ह और मन कई अधूरी इ ा से भरा होता है
य प दे वता अ धक लाभ द प से उ तर म तह
ह मंडल उनके मन इं याँ और बु अभी भी भौ तक प र तय से उ े जत ह और इस कार वे दय के मूल म
त सव भगवान को समझने म वफल रहते ह। इस लए अब मुझ े बाहरी ऊजा क रचना के त सभी लगाव छोड़
दे ना चा हए और पूरी तरह से भगवान के त समपण कर दे ना चा हए। य प येक ब आ मा म इस भौ तक संसार के त
वाभा वक आकषण होता है य क यह जंगल म दे ख े गए एक का प नक शहर से बेहतर नह है को इसके त लगाव
छोड़ दे ना चा हए और भगवान के परम व के त समपण करना चा हए।
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वह हवाई जहाज से ह पर गया और घर लौट आया ता क वह पूरी तरह से सव भगवान क भ सेवा म संल न हो सके । इस तरह महाराजा
खट् वांगा ने सभी झूठ शारी रक पहचान को याग दया और इस तरह भगवान क शा त दासता क अपनी मूल त म खुद को बहाल करके पूण ता
ातक।
है द युग
रा स हत पूरा दन क प होता है
ा का जीवनकाल वष x x x द युग
ा का जीवनकाल. इसके अलावा मनु सं मण काल के साथ गुज र चुके ह और अब यह व मनु ह जनका नाम वैव वत मनु है और च
बीत चुके ह और च म से वां च चल रहा है। वतमान म क लयुग को लगभग वष बीत चुके ह।
हाल के दन म कु छ मूख ने यह चार कया क दसंबर को एक लय का दन होगा जहां नया समा त हो जाएगी। साथ ही सुर त रहने
वतमान मनु के शासन के अंत के बाद वनाश के लए इसे और द युग क ती ा करनी होगी जो कु ल
वष x और पयावरण प रवतन के लए वष ह।
समय उन सभी को नयं त कर सकता है जो सोचते ह क वे ये शरीर ह और तदनुसार काय करते ह। भौ तक संसार ांड का एक बुलबुला इं य
मील x है।
ईथर. येक पहले वाले से दस गुना अ धक मोटा है। पृ वी का आवरण ा ड से गुना अ धक है।
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इस आवरण के अ दर का ा ड एक परमाणु के समान अ य त तु तीत होता है। इस परमाणु के भीतर ह मंडल ह और जनम से एक ह मंडल
भूलोक है जनम से पृ वी एक ह है हमारा शहर उस नया का एक कोना है और हम घर के एक कोने म आ मा के प म शरीर के भीतर बैठे ह।
बाल क नोक का वाँ ह सा है हम वयं को संपूण सृ का नयं क मानते ह। यह आभासी वा त वकता है.
म। ा के जीवन क समयरेख ा
ा का जीवन
. लयन वष
म मम म
क प ा का दन
. अरब वष मनवंतर सं या
आं शक रचना आं शक तबाही
म म म म म म म म म म म म म म म
रात रात
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म व तर
. म लयन वष द युग
म म मम म म
द युग
. म लयन वष युग
म म म म म
सभी सं या क अव ध शा मल है
ऊपर बताए गए सभी ब को समझना और आ मसात करना ब त ही आ यजनक है। अपने जीवन म ावहा रक और भावी होने के लए हम
जीवन के अ पका लक और द घका लक दोन ल य को यान म रखते ए न न ल खत यु याँ हर समय अ धकतम दशन करने म मदद कर
सकती ह।
एक। ज दबाजी वाली जीवनशैली और नणय कम कर काय करने से पहले दो बार सोच।
सी। समय और तनाव से बचने के लए बेहतर होगा क वादे के तहत काम कया जाए और ओवर डलीवरी क बजाय ओवर डलीवरी क जाए
डी। खाने और सोने क आदत को नय मत करना। कभी कभी लोग दे र रात म फा ट फू ड खाने लगते ह और शरीर को हर जगह ऊजा क आपू त
के लए आराम क ज रत होती है जो पाचन तं म खच होती है। इससे घंटे क न द के बाद भी थकान महसूस होती है और समय और
ऊजा दोन बबाद होती है। जब सूय आसपास रहता है यानी सूय दय से सूया त तक पाचन या तेज होती है। यहां तक क योगी भी
आहार और मनोरंज न म नयमन का अ यास करते ह अ यथा शारी रक और मान सक प से उ े जत रहता है।
इ। अ त र समय का उपयोग नए कौशल सीखने के लए कया जा सकता है जससे अं तम ण के संक ट से बचा जा सकता है।
सट क यान के साथ ल य.
मानव जीवन लभ प से उपल है और को भगवान और उनक लीला का गुण गान करने के लए अ धकतम समय का उपयोग करना
चा हए। को धम ंथ को पढ़ने और भगवान कृ ण के प व नाम का जाप करने के लए समय नकालना चा हए। बड़े बड़े भ का अनुभव
है क उन पर काल का कोई भाव नह पड़ता। चाहे दन हो या रात भगवान के त ेम महसूस करता है और भगवान के पास वापस जाने
के लए अलगाव महसूस करता है। इसका च ण ी चैत य महा भु ने कया था। वो बताता है क
मेरे भगवान गो वद आपसे अलग होने के कारण म एक ण को भी एक महान सह ा द मानता ं। मेरी आंख से बा रश क मूसलाधार
बा रश क तरह आंसू बहते ह और मुझ े पूरा संसार शू य नजर आता है।
कई बार शतरंज के खलाड़ी अपने आस पास क हर चीज़ को भूल जाते ह और खेल पर यान क त करते ह। वे इतने त लीन हो जाते ह क
उ ह भूख यास का भी अहसास नह होता। इसी कार राजा परी त थे
जसे दन म मरने का ाप मला था और उसने परमे र के बारे म सुनने और अपने जीवन को प रपूण बनाने का फै सला कया। उ ह ने महान
ऋ ष शुक दे व गो वामी का संदेश सुना और भगवान क लीला म लीन हो गये। हम यह भी नह जानते क हमारी मृ यु कब होगी जीवन तेज ी
से आगे बढ़ रहा है और आसपास का वातावरण अ या शत है। यह अनुशंसा क जाती है क कृ ण के प व नाम का जाप कर और भ व य
के लाख ज म को बचाएं और उस नवास म लौट जाएं जहां समय नह है
वनाशकारी वशेषता.
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दे वता
दे वता श द हर कसी के लए ब कु ल नया है। शा म इ ह दे वता और अं ेज ी म डेमीगोड कहा गया है। नया भर म हर जगह भारतीय बसे ए
ह. भारतीय वशेष ह य क वे कई कौशल सीख सकते ह और खुद को कसी भी सं कृ त और वातावरण म ढाल सकते ह।
भौ तक प से उ त दे श म जाने के बाद भी भारतीय व भ दे वता और परमे र क पूज ा करना जारी रखते ह। यह उनके बीच गहरी जड़
जमा चुक श शाली वै दक सं कृ त का भाव है। अं ेज़ आधु नक श ा के मा यम से इसे ख़ म करना चाहते थे ले कन बुरी तरह असफल
भारतीय को भगवान गणेश भगवान शव दे वी गा दे वी ल मी दे वी सर वती राधा और कृ ण सीता और राम हनुमान भगवान बालाजी
आ द के मं दर बनाते ए पाया जाता है। प मी दमाग के लए यह एक नई वचारधारा है जसे उ ह वीकार करना होगा। यह बात इ लाम ईसाई
सारे भगवान य ह वह भी करोड़। वो भी कतने अजीब ह कसी का सर हाथी का है कसी का बंदर जैसा चेहरा है और कसी क
प नयाँ ह। पूज ा पूरी होने के बाद मू तयां पानी म इधर उधर घूम रही ह यह व भ धा मक आ ा के बीच बहस और टकराव का मु ा बन जाता
है।
जब तक कसी को आ या मक स य के बारे म पूरी समझ नह हो जाती वह बहस करता रह सकता है और कोई न कष नह नकाल सकता। जो
कोई भी इस अ याय को पढ़ता है वह आसानी से दे वता क भू मका और श और एकमा सव के साथ उनक अधीनता को समझ
जाएगा। इस अ याय को समझने के लए पहले के अ याय का अवलोकन करना ाथ मकता है जससे समझने म आसानी होगी। ह एक श द
है जसका उपयोग अरबी नया के लोग ारा सधु नद के पार रहने वाले और वै दक सं कृ त का पालन करने वाले लोग को
संद भत करने के लए कया जाता था। दरअसल साल पहले और उससे भी आगे पूरी पृ वी वै दक सं कृ त क अनुयायी थी इस लए एक
अथ म हर कोई ह है।
मण और से मनार तुत करते समय हमने पाया क जो लोग दे वता पर व ास करते ह और पूरे मन से उनक पूज ा करते ह वे वयं
दे वता क श य से अनजान ह। धम ंथ न पढ़ने के कारण वे पूज ा क व ध भी मनगढ़ं त बना लेते ह। उदाहरण के लए भगवान गणेश क
पूज ा करते समय जागरण करने क सलाह द जाती है जसका अथ है या दन तक जागते रहना जब तक क कोई भगवान गणेश को अपने
घर पर आमं त न कर ले। यह जागरण के वल धम ंथ को पढ़ने प व नाम का जाप करने और भगवान गणेश क सेवा करने के लए
है। इसके बजाय आजकल मनु य ताश खेलते ह और वा तव म भगवान के सामने जुआ खेलते ह।
सरा उदाहरण रंग के योहार होली का दया जा सकता है। इस उ सव क शु आत ही राधा और कृ ण से ई थी। इस दन बरसाना ीमती
राधारानी का शहर के लोग नंदगांव कृ ण क नगरी म वेश करते ह और रंग से खेलते ह। इस लए भ इस अवसर को याद करते ह और
राधा कृ ण दे वता को रंग चढ़ाते ह और फर यार और नेह के साथ एक सरे पर लगाते ह। ले कन वतमान समय म इसने एक अजीब
प ले लया है जहां लोग तेल लगाते ह
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रंग लगाते ह और भांग नशीला पदाथ पीते ह। इस अ ानता के कारण धा मक अनु ान मा एक खेल और तनाव मु का कारण बनकर रह जाता
है। साथ ही जन लोग म आ ा नह होती उ ह भ कने का मौका मल जाता है.
भारत म ही ऐसे कई प र क पूज ा क जाती है जनका कोई शा ीय संदभ नह है।
सं ेप म ये दे वता उ आयाम वाले ाणी ह पछले अ याय म हमने मनु य और च टय के बीच सापे ता क ा या क है। इसी कार
यह दे वता और मनु य के बीच है। वे वग लोक म नवास करते ह और लंबी आयु के साथ साथ उन सुख का आनंद लेते ह जो हमारे लए
अक पनीय ह। इन ह म वेश करने के लए को का मक यो यता क आव यकता होती है जैसे हम कसी वदे शी दे श म वेश
करने के लए वीजा क आव यकता होती है। अपनी आधु नक ग त से हम अंत र यान का उपयोग करके उनके ह तक नह प ँच
सकते। यह ान अरब मील ऊँ चा है और ग तमान भी है। उ ह सावभौ मक मामल क ज मेदारी स पी जाती है।
स ूण ा ड म एक उ चत संगठन एवं बंधन है। यो य होने के कारण दे वता को सावभौ मक शो चलाने क ज़ मेदा रयाँ द जाती ह। वे
वाय नह ह ब क परम भगवान कृ ण क दया पर नभर ह। जैसे गाँव म ब त से कु एँ मल जाते ह उनम से कु छ नहाने के काम आते ह
कु छ खाना पकाने के कु छ पीने के कु छ बतन धोने के काम आते ह। समझने के लए एक और उदाहरण सरकार का है इसम व भ वभाग ह
जल वभाग व ुत वभाग भवन वभाग कर वभाग आयकर वभाग और सहायता कर वभाग इ या द। इसी कार दे वता एक सरे
के साथ सम वय करते ह और सावभौ मक मामल म उ ह स पे गए वभाग को संभालते ह।
इ ा को पूरा कर सकते ह। कृ ण या व णु थोक ापारी ह और दे वता खुदरा ापारी ह। ये दे वता करोड़ अथात् क सं या
म ह। उनम से येक के अपने अलग अलग ह ह। कृ पया यान द क ये व ऊपरी ह णा लय के भीतर रहते ह। उनके पास वशेष
हवाई जहाज ह जो उ ह एक ान से सरे ान तक ले जा सकते ह। ये वे शोर शराबे वाले नह ह जो हमारे पास पृ वी पर ह। वा तव म कई
दे वता सुबह के समय पृ वी पर आते ह।
दे वता के पृ वी पर आने क कई घटनाएँ ह। एक बार वायंभुव मनु क पु ी दे व त महल क छत पर खेल रही थी और इसी बीच
व ावसु नाम का एक गंधव अपने वमान से गुज र रहा था। घुंघ क गुदगुद क व न से वह आक षत और मो हत हो गया और
अपने वमान से ही गर पड़ा। वभाग को संभालने के अलावा दे वता व भ इं य के भी भारी होते ह। ज ा को नयं त करने वाले दे वता
व ण ह वाणी को नयं त करने वाले दे वता अ न ह हाथ को नयं त करने वाले दे वता इं ह।
मन अनेक भौ तक इ ा से भरा आ है और कु छ दे वता के पास उ ह पूरा करने क श है। हर कोई अपनी इ ा को पूरा करने क
ज द महसूस करता है और इस कार ज द के लए दे वता के पास जाता है
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प रणाम। कसी को धन अ प नी प त संतान त ा सुर ा आ द क आव यकता होती है तो वह संबं धत दे वता के पास जाता है। यह
भगवद गीता . म कहा गया है
स तय ाय यु स त यराधनं इहते
ऐसी आ ा से संप होकर वह एक वशेष दे वता क पूज ा करने का यास करता है और अपनी इ ा को ा त करता है। परंतु वा तव म ये
लाभ मेरे ारा ही दान कये जाते ह।
ठ क वैसे ही जैसे कोई घरेलू व ुत अनु योग क मर मत के लए इले शयन के पास जा सकता है। य द कोई इसके बजाय डॉ टर
के पास जाता है तो वह आपक भावना का स मान तो कर सकता है ले कन आपक मदद करने से इनकार कर दे गा। इसी कार शा म
वभ योजन के लए दे वता का उ लेख कया गया है जनके पास जाने पर को वा त वक लाभ मल सकता है। जो न वशेष
यो त तेज म लीन होना चाहता है उसे वेद के वामी भगवान ा या बृह त व ान पुज ारी क पूज ा करनी चा हए जो श शाली से स
क इ ा रखता है उसे वग के राजा इं क पूज ा करनी चा हए और जो अ संतान क इ ा रखता है उसे दे वी क पूज ा करनी चा हए। महान
पूवज को जाप त कहा जाता है।
जो सौभा य क इ ा रखता है उसे भौ तक जगत क अधी का गादे वी क पूज ा करनी चा हए। अ य धक श शाली होने क
इ ा रखने वाले को अ न क पूज ा करनी चा हए और जो के वल धन क इ ा रखता है उसे वसु क पूज ा करनी चा हए। य द महान
वीर बनना चाहता है तो उसे भगवान शव के अवतार क पूज ा करनी चा हए। जसे अ का वशाल भ डार चा हए उसे अ द त क पूज ा
करनी चा हए। जो मनु य वगलोक ा त करना चाहता है उसे अ द त के पु क पूज ा करनी चा हए। जो सांसा रक रा य क इ ा
रखता है उसे व दे व क पूज ा करनी चा हए और जो सामा य जनसमूह के बीच लोक य होना चाहता है उसे सा य दे वता क पूज ा करनी
चा हए। जो लंबी आयु चाहता है उसे अ नी कु मार के नाम से जाने जाने वाले दे वता क पूज ा करनी चा हए और मजबूत शरीर क
इ ा रखने वाले को पृ वी क पूज ा करनी चा हए।
इं य संतु क इ ा रखने वाले को चं मा क पूज ा करनी चा हए। ले कन जसे भौ तक सुख क कोई इ ा नह है उसे भगवान क
पूज ा करनी चा हए।
. दे वता क पूज ा से जो भी अ ायी प रणाम ा त होता है वह वा तव म भगवान क अनुम त से ा त होता है। भगवान क अनुम त
के बना कोई भी सर को कोई लाभ नह प ंचा सकता।
जनक बु भौ तक इ ा ारा चुरा ली गई है वे दे वता क शरण म चले जाते ह और अपने अनुसार पूज ा के वशेष नयम और
व नयम का पालन करते ह
कृ त.
भौ तक कृ त के तीन गुण ह सतोगुण रजोगुण और तमोगुण । ये तीन अपने दे वता के साथ अलग अलग तरीक से वहार करते ह। वशेष
प से अ ानी लोग मांस खाते ह शराब पीते ह भांग आ द का सेवन करते ह। य प वे ऐसी नशे क त म होते ह फर भी शा उ ह पूज ा
करने क अनुम त दे ते ह य क उनके पास एक दन बदलने के अलावा और कोई आशा नह होती है। कभी कभी आशीवाद ा त करने के बाद वे
इतने कृ त न हो जाते ह क अपना वादा पूरा करना भी भूल जाते ह और पूज ा पाठ क भी उपे ा कर दे ते ह। यह भौ तक आशीवाद क कृ त है.
एक बार माँ काली का एक गरीब भ उनके पास आया और धन और ापार म सफलता मांगी। उ ह ने कठोरता और नय मतता के साथ पूज ा
क । एक महीने के बाद दे वी ने उसे सपने म बात क और वादा कया क एक स ताह के भीतर वह समृ हो जाएगा और भ ने वादा कया
क अगर ऐसा आ तो म तु ह एक बकरा चढ़ाऊं गा। अब स ताह बीत गया और यह गरीब आदमी अमीर ापारी बन गया। धन के मोह म पड़कर
वह माँ काली के त अपना तदान भूल गया। ले कन काली ने सपने म आकर उसे याद दलाया उसने कहा क बकरी ब त महंगी है या मुग
ठ क रहेगी वह मान गई। ले कन एक स ताह के बाद भी वह त था और अपनी त ा भूल गया। अब काली फर उसके सपने म आई और
मांग क जस पर उसने कहा क मुग भी महंगी है. वह बोला या यह ठ क है अगर म एक म र ं और उसने कहा ठ क है उसने जवाब
दया मं दर म आपके आसपास ब त सारे लोग ह आप उनम से एक को य नह चुन लेते
कभी कभी दे वता को भी ऐसे भ को सहन करना पड़ता है। साथ ही जो भ अपना और दे वता का संबंध परम भगवान से दे ख ते ह वे
वा त वक अथ म आदर के पा होते ह। जो लोग धम के माग पर चलते ह उ ह दे वता तुरंत आशीवाद दे ते ह। जस तरह एक आम नाग रक सर क
मदद करता है उसी तरह पु लस वभाग उसे मा यता दे गा और पुर कृ त करेगा। छ प त शवाजी महाराज पर मां तुलजाभवानी मां गा
क वशेष कृ पा थी। उसे गैर ध मय से लड़ने के लए उसके ारा एक तलवार स पी गई थी। महान वीरता स य न ा और य
राजा को इस ह ने कभी दे ख ा है उसे वयं दे वी का आशीवाद ा त था।
दे वता जी वत सं ाएँ ह ज ह ने अपने पछले ज म म ब त सारे प व काय कए ह। े णयां ह जीवंत श जीव त व शंभु त व व णु त व।
यो यो यस यस तनु भ ो ाय चतं इ त
त य त यचलाः ाः तम एव व ा य अहम्
म परमा मा के प म सबके दय म ं। जैसे ही कोई कसी दे वता क पूज ा करने क इ ा करता है म उसक आ ा को र कर दे ता ं ता क
वह खुद को उस वशेष दे वता के त सम पत कर सके ।
जब रा स और दे वता के बीच लड़ाई होती है जब वे यु हारकर ब त संक ट म होते ह तो वे भगवान ा को बुलाते ह। ऐसा लगता है क
स ाप और वप क सम या वग म भी है। दे वता के साथ ा भगवान व णु से मदद मांगने के लए पु ष सू क ाथना करते ह।
तब भगवान कट होते ह और उनक र ा के लए अवतार लेते ह। भगवान व णु न प ह साथ ही ांड पर उ चत नयं ण बनाए रखने
के लए वह दे वता का समथन करता है। दे वता के लए अ नवाय प से शु भ होना ज़ री नह है। वे आम तौर पर भौ तक इ ा
वाले म तभ व णु या कृ ण के भ होते ह। जब जीव कृ ण या उनके अवतार जैसे भगवान राम भगवान नृ सह के साथ पूण ेम म होता
है और भौ तक सुख का आनंद लेने क कोई अ य इ ा नह होती है तो ऐसी इकाई को शु भ कहा जाता है। वग य ह म शु भ का
अ यास करना ब त क ठन है य क समृ कसी को भी मो हत करने के लए पया त है। भगवान दयालु ह जैसे वह दे वता क र ा के लए
रा स से लड़ते ह उसी तरह वह उ ह शु करते ह य द वे म या अ भमान म आ जाते ह और खुद को ांड का नयं क मानते ह।
एक बार वग के राजा इं को अपने नयं ण पर घमंड हो गया था। भगवान कृ ण लगभग वष के छोटे बालक थे। इं वषा के दे वता ह। बरसात
से पहले ामीण इं को स करने के लए अ न य क तैयारी करते थे। तभी कृ ण वहाँ प ँचे और उ ह ने य का वरोध कया। उ ह ने
वही दशन बताया जैसा हम ऊपर बता चुके ह।
सभी ने बड़े हष के साथ गोवधन के लए साद तैयार कया। आज तक सभी भारतीय उस अवसर पर वशेष मठाइयाँ बनाते ह य क यह
दवाली क पूव सं या पर पड़ती है इस लए वे इसे दवाली मानते ह
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मठाइयाँ। अब इं को खबर मली क एक साल का लड़का इं क नय मत पारंप रक भट के त व ोह कर रहा है। उसने सखाया क वह
ामीण को सबक सखाएगा और संवतक नामक बादल को भेज ा ये बादल ांड के वनाश के दौरान जारी कए गए थे। कृ ण ने
पूरे गोवधन पवत को सहजता से उठा लया और बाएं हाथ क आ खरी उं गली पर रख दया जैसे एक हाथी अपनी सूंड से मश म को उठाता
है। सभी ामीण जो उनके भ थे उ ह ने पहाड़ी के नीचे शरण ली। इं ने तब तक अपनी पूरी को शश क जब तक उ ह एहसास नह आ
क यह वही व णु ह ज ह उ ह ने मदद के लए बुलाया था। अपनी गलती का एहसास होने पर वह अपने आ या मक गु के पास भागा। पहले
राजा रा य म भेष बदलकर यह दे ख ने के लए घूमते थे क उनके अ धकारी ठ क से काम कर रहे ह या नह । इसी कार कृ ण अपनी बनाई नया
म थे और यहां इं उस व पर अपनी श सा बत करने क को शश कर रहे ह जसने उ ह श दान क ।
जैसे ही इं बृह त के पास गए उ ह दं ड मला और बदले म उ ह ा के पास नद शत कया गया य क यह मामला गंभीर था। ा जानते
थे क कृ ण इस अपराध को तभी मा करगे जब इं कसी भ के साथ जाएंगे। फर उ ह ने इं से सभी गाय क मु खया सुर भ को अपने साथ
चलने के लए अनुरोध कया। गाय कृ ण को ब त य ह उ ह गाय और इं य का वामी गो वदा कहा जाता है। कृ ण ने इं को
अ धक श मदा महसूस नह कराया य क उ ह ने पहले ही उसे सखाया था
पाठ।
कोई भी दे वता भगवान से वतं होकर काय नह कर सकता। कभी कभी भगवान शव और भगवान ा अपने भ को आशीवाद दे ते
ह जो बाद म और अ धक रा सी हो जाते ह और इन व के नयं ण से बाहर हो जाते ह। यही वह समय है जब भगवान व णु या कृ ण
को अवतार लेना पड़ता है और सम या का समाधान करना पड़ता है। एक बार वृक ासुर नाम का एक रा स था जो नारद मु न के पास आया। वह
जानना चाहता था क कसक पूज ा से शी फल मलेगा और नारद मु न ने उसे भगवान शव क म हमा बताई। इसके बाद वह उ री पहाड़ी इलाके
म त एक प व ान के दारनाथ गए। उ ह ने भगवान शव को स करने के लए य अ न व लत क । शी प रणाम ा त करने के लए
उसने अपना मांस काटकर य म चढ़ाना शु कर दया। वह आमने सामने आशीवाद माँगने के लए दन तक चलता रहा।
यह भगवान शव को संतु करने के लए है। इस कार उसने पास क झील म नान कया और अपने शरीर और बाल को सुख ाए बना
अपना सर काटने के लए तैयार हो गया।
भगवान शव को लग कहा जाता है जो तीन भौ तक गुण का म ण है। इस लए उनक क णा क कृ त का कट करण अ ाई क गुण व ा का संके त
है। हालाँ क यह क णा हर जी वत इकाई म मौजूद है। भगवान शव क क णा इस लए नह जगी य क रा स अपना मांस य क अ न म अ पत कर रहा था
ब क इस लए य क वह आ मह या करने वाला था। यह वाभा वक क णा है. अगर कोई आम आदमी भी कसी को आ मह या करने क तैयारी करता दे ख ले तो वह उसे
बचाने क को शश करेगा. भगवान शव के श ने रा स को आ मह या करने से बचाया उसक शारी रक चोट तुरंत ठ क हो ग और उसका शरीर पहले जैसा हो गया। उसने
भगवान शव से ऐसी श का आशीवाद मांगा क जैसे ही वह कसी के सर को छू ए वह तुरंत टू ट जाए और वह मर जाए। हालाँ क रा स अपने हाथ के श
से सभी को मारकर अमर होना चाहता था। भगवान शव इसे समझ सकते थे ले कन य क उ ह ने वादा कया था उ ह ने उसे दे दया
आशीवाद.
उ ह ने तुरंत पावती को पाने के लए भगवान शव के सर पर हाथ रखने का फै सला कया। इस कार भगवान शव को एक अजीब त म डाल दया गया य क वह एक
रा स के त अपने आशीवाद के कारण खतरे म थे। भगवान शव एक ान से सरे ान क ओर भागते रहे ले कन रा स वृक ासुर उनका पीछा करता रहा।
भगवान शव भगवान व णु के पास प ंचे जो इस ांड के भीतर ेत प नामक ह पर त ह। यह ानीय वैकुं ठ ह है।
भगवान एक चारी के प म कट ए और र ान से उ ह लेने के लए गत प से भगवान शव के पास प ंचे। उनके शरीर से नकलने वाली तेज ने न के वल भगवान
को आक षत कया
भगवान ने स श द से वृक ासुर से बात क और उसे अपना दय कट करने के लए मना लया। ऐसा करने के बाद भगवान नारायण ने भगवान शव पर अपनी अ व ास
करते ए कहा भगवान शव ऐसे आशीवाद दे ते रहते ह ले कन वे काम नह करते ह आप वयं यास य नह करते इस कार उ ह ब त आसानी से अपने सर पर
हाथ रखने के लए राजी कर लया गया। जैसे ही रा स ने ऐसा कया उसका सर फट गया मानो व से मारा गया हो और वह तुरंत मर गया। वग से दे वता ने भगवान
नारायण पर फू ल क वषा क और सभी जय हो के नारे के साथ उनक तु त क । और सभी ध यवाद और उ ह ने यहोवा को द डवत् कया।
रावण भी भगवान शव का भ था अंततः भगवान राम को कट होकर उसका उ ार करना पड़ा। ऐसा ही एक मामला तब आ जब ा ने लंबे समय तक तप या करने
वाले हर यक शपु को आशीवाद दया। उसे यह पुर कार दया गया था क दन हो रात हो इंसान से जानवर से न बाहर से न अंदर से न मं से न ह थयार से इ या द।
हर यक शपु ने दे वता स हत पूरी सृ को आतं कत कर दया। भगवान नृ सहदे व उसे मारने के लए कट ए और हाद और ा का वादा भी नभाया। वह
एक खंभे से कट ए और दरवाजे पर हर यक शपु को अपनी गोद म बठा लया और सूया त का समय होने पर अपने नाखून से उसका पेट फाड़ दया। इस कार दे वता
न त प से दे वता सव नह ह ले कन उनम कसी को भौ तक सु वधाएं दान करने क श होती है। सं ेप म भौ तक संसार म सभी आ माएँ
इस लए ह य क वे पदाथ क इ ा करती ह। य द ये व सव के पास जाने से डरते ह और उनके पास कोई वक प नह बचता है तो
वे ना तक बन सकते ह और अ धक पाप कर सकते ह। इस पर वचार करते ए भगवान वयं उ ह अपने दे वता को अं तम और सव मानने के
लए मागदशन करते ह। कभी कभी शरा बय पर नज़र रखने या उन पर नयं ण रखने के लए सरकार लाइसस ा त शराब क कान क
अनुम त दे ती है। हालाँ क सरकार इसे ख़ म करना चाहती है ले कन उ ह पता है क यह असंभव है। चरम सीमा से बचने के लए व नयमन
दान कया जाता है।
अ ाई भगवान व णु
जुनून भगवान ा
अ ान भगवान शव
ब आ मा को धीरे धीरे अ ान से शु अ ाई क ओर बढ़ाने के लए उ ह इस कार वभा जत कया गया है। पुराण के तीन भाग को इस
कार संक लत कया गया है ता क उन लोग को इन संबं धत तरीक से आक षत कया जा सके और इस कार उ ह जीवन क पूण ता तक
प ंचाया जा सके ।
पुराण
कृ ण और सूय दे वता दा व त र
ल मी क प का वणन
भगवान शव
आव यकता होती है तो सव भगवान लगे रहते ह। माया के साथ मलकर भगवान शव के कई प ह जनक सं या सामा यतः यारह है। भगवान शव
जी वत सं ा म से एक नह ह वह कमोबेश वयं कृ ण ह। इस संबंध म अ सर ध और दही का उदाहरण दया जाता है दही ध से तैयार क जाने वाली चीज़
जस कार अ ल क या से ध दही म प रव तत हो जाता है परंतु फर भी दही का भाव न तो उसके कारण अथात ध के समान होता है और न ही उससे भ
होता है उसी कार म आ द भगवान गो वद क पूज ा करता ं जनम से शंभु क त एक है वनाश के काय के न पादन के लए प रवतन।
कृ ण का भौ तक कृ त से कोई लेना दे ना नह है। भागवत पुराण . . म कहा गया है क भगवान शव तीन कार क प रव तत चेतना
का संयोजन ह ज ह वैक ा रक कहा जाता है।
तैज स और तमसा।
भगवान शव हमेशा अपनी गत ऊजा भौ तक कृ त के साथ एकजुट रहते ह। कृ त के तीन गुण क ाथना के जवाब म खुद
को तीन वशेषता म कट करते ए वह इस कार भौ तक अहंक ार के तीन गुना स ांत अ ाई जुनून और अ ान का तीक है।
प पुराण म भगवान शव माता पावती को भगवत गीता क म हमा सुनाते ह। वह उसे भ के माग पर भी बु करता है।
य प वेद म दे वता क पूज ा का उ लेख है भगवान व णु क पूज ा सव है और अंततः अनुशं सत है। हालाँ क भगवान व णु क पूज ा से
ऊपर वै णव क सेवा करना है जो भगवान व णु से संबं धत ह।
भगवान ा नारद भगवान शव चार कु मार भगवान क पल वायंभुव मनु ाद जनक पतामह भी म ब ल महाराज शुक दे व
गो वामी और यमराज धा मक स ांत के ाता ह।
गलती से या अ ानतावश लोग दोन को एक समान मंच पर रखने क को शश करते ह इस डर से क तुलना करने पर दोन म से कोई भी नाराज
हो जाएगा। ले कन ऐसी अप रप वता अपराध का कारण बन सकती है। शा भगवान नारायण या व णु क सव ता ा पत करते
ह।
जो ा और शव जैसे दे वता को नारायण के समान तर पर मानता है उसे अपराधी और ना तक माना जाना चा हए।
भगवान शव भूत और पशाच को आ य दे ते ह। वह अ ानतावश भ के साद को दयापूवक वीकार करते ह। दरअसल उ ह ने समु मंथन के बाद नकला
सारा वष पी लया था। उस दन से उ ह नीले गले वाला व नीलकं ठ कहा जाने लगा। उ ह ने आशुतोष को बुलाया जो ब त ज द स हो जाते ह। प पुराण
म राम राम राम के प व नाम का जप करता ं और इस कार इस सुंदर व न का आनंद लेता ं। रामच का यह प व नाम भगवान व णु के एक हजार प व नाम
के बराबर है।
दे वी गा
गादे वी भगवान शव क प नी ह। उनके बारे म ब त कु छ बताया जा सकता है. उसका काय एवं नवास है
सं हता म व णत है.
बाहरी श माया जो क सट श क छाया क कृ त क है सभी लोग ारा गा के प म पूज ा क जाती है जो इस सांसा रक नया क नमाण
संर ण और वनाश करने वाली एजसी है। म आ द भगवान गो वद क पूज ा करता ं जनक इ ा के अनुसार गा अपना आचरण करती ह।
सबसे नीचे दे वी धाम सांसा रक संसार त है इसके बाद उसके ऊपर महेश धाम महेश का नवास है महेश धाम के ऊपर ह र धाम ह र का नवास रखा
गया है और उन सभी के ऊपर कृ ण का अपना े गोलोक त है। म आ द भगवान गो वद क पूज ा करता ं ज ह ने उन ेण ीब े के शासक को उनके
योगमाया आंत रक श या ा दनी श भौ तक जगत म गा के प म महामाया के प म व ता रत होती है। उसका कत भौ तक संसार का बंधन करना
है। चंडी म माकडेय पुराण यारहव अ याय म महामाया कहती ह वैव वत मनु के काल म अ ाईसव युग के दौरान म यशोदा क बेट के प म ज म लूंगी और व यचला
और उ ह उनक मौत क खबर द . बाद म दे वी गा अलग अलग ान पर कट और अ पूण ा गा काली और भ ा जैसे अलग अलग नाम से मनाई जाने लग ।
वह है
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अ सर उसे हाथ म ह थयार लए ए च त कया जाता है। उसके दस हाथ ह और येक हाथ म अलग अलग कार के ह थयार ह। इससे
पता चलता है क वह इस ांड क दस दशा पर शासन कर रही है।
वह रा स को दं डत करने के लए व भ ह थयार का उपयोग करती है। शेर के साथ संघष कर रहे एक रा स क एक स त वीर है
और दे वी गा रा स के बाल ख च रही ह और उसके सीने पर अपना शूल ठोक रही ह। य द हम इस च का अ ययन कर तो हम
यह नधा रत कर सकते ह क हम ह
रा स और वह शूल भौ तक अ त व के तीन गुना ख ह जनसे
हम हमेशा पी ड़त रहते ह. कु छ ःख अ य जीव ारा उ प होते ह कु छ ाकृ तक आपदा ारा उ प होते ह और कु छ वयं मन
और शरीर ारा उ प होते ह। कसी न कसी प म हम सदै व इन तीन कार के ख से संघष करते रहते ह।
दे वी ल मी
दे वी ल मी भगवान नारायण क प नी ह। वह हमेशा वैकुं ठ ह म भगवान क सेवा करती रहती है। सं हता म वणन है
म गो वदा क पूज ा करता ं आ द भगवान थम पूवज जो गाय को चराते ह सभी इ ाएं पूरी करते ह आ या मक र न से बने नवास म रहते
ह लाख उ े य वाले पेड़ से घरे ह जो हमेशा सैक ड़ हजार ल मय या गो पय ारा बड़ी ा और नेह के साथ सेवा करते ह। .
हर कोई उनक पूज ा करता है य क लोग हमेशा ब त सारा पैसा पाने के लए उ सुक रहते ह। भ नारायण के बना ल मी क पूज ा
करते ह। वे भगवान क ऊजा तो चाहते ह ले कन भगवान को नह । कोई भी प नी ऐसी जगह नह जाएगी जहां उसके प त को न बुलाया जाए।
इस लए भ के लए ल मी और नारायण क पूज ा करना मह वपूण है। वे असी मत आ या मक लाभ दान कर सकते ह।
धन को ल मी माना गया है जसे भु सेवा म लगाना चा हए। फर वही धन जीवन म शां त और समृ लाएगा।
दे वी सर वती
मां सर वती व ा क दे वी ह। वह अ त र बु म ा का पुर कार दे सकती है। वै दक े के सभी व ान उनक पूज ा करते ह और उनका आशीवाद
लेते ह। ले कन वह पूरी तरह से सव भगवान पर नभर है और अपने भ को कृ ण क पूज ा करने के लए मागदशन करती है। वह
वीणा बजाती है। उनके एक भ के शव क मीरी को घमंड हो गया और भगवान नमाई पं डत के प म कट ए और उसे हरा दया। हार
को पचा न पाने के कारण उ ह ने मां सर वती से ाथना क । तब उसने उससे कहा क मने तु ह ान का आशीवाद दया है और तुम सभी को हरा
सकते हो। ले कन आज आपका सामना एक ऐसे लड़के से आ जो वयं भगवान है। कृ पया जाकर उनक शरण ल और अपना जीवन उ म
बनाएं।
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गणेश जी
हमारे ांड म भगवान गणेश भगवान के शु भ ह। वे वेद के रच यता ह। ासदे व नदश दे रहे थे और गणेश आ मसात कर रहे थे और फर लख रहे थे।
लोग अपने रा ते से बाधा को र करने के लए भगवान गणेश क पूज ा करते ह। ले कन भगवान गणेश को अपनी श भगवान नृ सहदे व से ा त होती है। यह
म आ द भगवान गो वद क पूज ा करता ं। तीन लोक म ग त के माग म सभी बाधा को न करने के अपने काय के लए श ा त करने के लए गणेश हमेशा
व तु ड महाकाय सूय को ट सम भा
न व नं कु म दे वा सव कायषु सवदा
भारत के महारा म उनके वयं कट दे वता के वशेष ान ह। इ ह अ वनायक दशन के नाम से जाना जाता है।
वशेष प से कु छ दन तक दे वता क पूज ा करने क या भारत म ब त स है। उस त म वशेष दे वता का दे वता बनाया जाता है। दे वता को मं ारा
आमं त कया जाता है और धूप और अ न द प से पूज ा क जाती है। उ ह खा साम ी अ पत क जाती है जसे नैवे कहा जाता है। इस दौरान आ या मक
उ त के लए धम ंथ का पाठ और ह र क तन करना चा हए। दे वता उ सुक ता से आ मा क भ वीकार करने क ती ा कर रहे ह। दे वता क सभी ाथनाएँ या
फर नधा रत समय समा त होने के बाद सामा य तरीके से दे वता क पूज ा क जा सकती है। ले कन आजकल लोग ला टर ऑफ
पे रस क मू तयां बनाते ह और तय समय से यादा पूज ा नह कर पाते इस लए उ ह पानी म वस जत कर दया जाता है। दरअसल प व
व तु को सावधानी से रखना होता है
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नपटारा. इ ह दफनाया जा सकता है पानी म डु बोया जा सकता है या आग म डाला जा सकता है। ले कन लोग वसजन करना पसंद करते ह
पानी म।
उसके ारा बड़े बड़े ऋ ष मु न और दे वता भी म म पड़ जाते ह जैसे कोई अ न म दखाई पड़ने वाले जल या जल म दखाई दे ने वाली भू म क
ामक क पना से ाकु ल हो जाता है। के वल उ ह के कारण कृ त के तीन गुण क त या से अ ायी प से कट होने वाले
भौ तक ांड त या मक तीत होते ह हालां क वे अवा त वक ह।
ब त समय पहले कई ऋ ष वै दक वषय पर चचा करने के लए सर वती नद के तट पर एक ए थे। वे जानना चाहते थे क तीन मुख
दे वता म से सव कौन है परी ण और पु के लये भृगु मु न को नयु कया गया। इस कार नयु होकर मह ष भृगु मु न सबसे पहले
अपने पता के नवास लोक गये। उ ह ने जानबूझ कर अपने पता को न तो णाम करके और न ही ाथना करके अपना स मान अ पत
कया। पु या श य का यह कत है क जब वह अपने पता या आ या मक गु के पास जाए तो स मान दान करे और उ चत ाथना
पढ़े । ले कन इस लापरवाही पर भगवान ाक त या दे ख ने के लए भृगु मु न जानबूझ कर स मान दे ने म असफल रहे। भगवान ा अपने
पु क धृ ता पर ब त ो धत ए और उ ह ने ऐसे संके त दखाए जनसे न त प से यह बात स ई। वह भृगु को ाप दे क र उनक नदा
करने के लए भी तैयार थे ले कन य क भृगु उनके पु थे भगवान ा ने अपनी महान बु से उनके ोध को नयं त कया।
भगवान ा क परी ा लेने के बाद भृगु मु न सीधे कै लाश पवत पर गए जहाँ भगवान शव नवास करते ह। भृगु मु न भगवान शव के भाई थे।
इस लए जैसे ही भृगु मु न पास आए भगवान शव ब त स ए और गत प से उ ह गले लगाने के लए उठे । ले कन जब भगवान शव
उनके पास आये तो जब भृगु मु न ने अपने भाई को यह कहते ए गले लगाने से इनकार कर दया क भगवान शव अशु ह तो वे उन पर ब त
ो धत हो गये। ऐसा कहा जाता है क अपराध शरीर से मन से या वाणी से कया जा सकता है। भृगु मु न का पहला अपराध भगवान ा के त
कया गया मन से कया गया अपराध था। उनका सरा अपराध भगवान शव का अपमान करके उनक अशु आदत के लए
आलोचना करके कया गया था
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वाणी ारा अपराध. अ नयं त ोध के साथ उसने अपना शूल उठाया और भृगु मु न को मारने के लए तैयार हो गया। उस समय भगवान शव क प नी पावती
उप तथ।
भगवान शव के ोध से बचने के बाद भृगु मु न सीधे ेत प ह पर चले गए जहाँ भगवान व णु अपनी प नी भा य क दे वी जो उनके कमल पैर क मा लश
करने म लगी ई थी के साथ फू ल के ब तर पर लेटे ए थे। वहाँ भृगु मु न ने जानबूझ कर अपनी शारी रक ग त व धय से भगवान व णु को अपमा नत करके सबसे बड़ा पाप
कया।
ो धत होने या भृगु मु न को ाप दे ने के बजाय भगवान व णु तुरंत अपनी प नी भा य क दे वी के साथ अपने ब तर से उठ गए और उ ह आदरपूवक णाम कया।
ा ण.
भगवान ने भृगु मु न को इस कार संबो धत कया मेरे य ा ण यह मेरा सबसे बड़ा सौभा य है क तुम यहाँ आये हो। इस लए कृ पया कु छ मनट के लए बैठ। मुझ े
ब त खेद है क जब आप पहली बार मेरे घर म आये तो म आपका ठ क से वागत नह कर सका। यह मेरी ओर से ब त बड़ा अपराध था और म आपसे मुझ े मा
करने क वनती करता ँ। आप इतने प व और महान ह क आपके चरण धोने वाला जल तीथ को भी प व कर सकता है। इस लए म आपसे वैकुं ठ ह को शु करने का
अनुरोध करता ं जहां म अपने सहयो गय के साथ रहता ं। मेरे य पता हे महान ऋ ष म जानता ं क आपके पैर कमल के फू ल क तरह ब त कोमल ह और
मेरी छाती व के समान कठोर है। इस लये मुझ े डर है क मेरी छाती पर लात मारने से तु ह कु छ क आ होगा। आपने जो दद सहा है उससे राहत पाने के लए मुझ े आपके
पैर छू ने द जए। तब भगवान व णु भृगु मु न के पैर क मा लश करने लगे। इससे भृगु मु न का दय पघल गया। वह ऋ षय के पास लौटा और उ ह जो कु छ आ था वह
एक बार जब कृ ण ारका पर शासन कर रहे थे भगवान ा उनसे मलने आए और ारपाल ने तुरंत भगवान कृ ण को ा के आगमन क सूचना द । जब कृ ण को
इसक जानकारी ई तो उ ह ने तुरंत ारपाल से पूछा कौन सा ा इसका नाम या है इस लए ारपाल वापस लौटा और भगवान ा से कया।
जब दरबान ने पूछा कौन सा ा तो भगवान ा आ यच कत हो गए। उ ह ने ारपाल से कहा कृ पया जाकर भगवान कृ ण को सू चत कर क म चार
सर वाला ा ं
वणन और भगवान कृ ण ने उ ह वेश करने क अनुम त द । दरबान भगवान ा को अंदर ले गया और जैसे ही ा ने भगवान कृ ण को दे ख ा उ ह ने उनके कमल
ा जी ारा पूज न कये जाने पर भगवान ीकृ ण ने भी उ चत वचन से उनका स कार कया।
तब भगवान ीकृ ण ने उनसे पूछा तुम यहां य आये हो पूछे जाने पर भगवान ा ने तुरंत उ र दया बाद म म तु ह बताऊं गा क म य आया ं। सबसे पहले मेरे
मन म एक संदेह है जसे म चाहता ँ क आप कृ पया र कर द। आपने यह य पूछा क कौन सा ा आपसे मलने आया था ऐसी जांच का उ े य या है या इस ा ड
यह सुनकर ी कृ ण मु कु राये और तुरंत यानम न हो गये। असी मत ा तुरंत आ गए। इन ा के अलग अलग सं या म सर थे। कु छ के दस सर थे
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कोई बीस कोई सौ कोई हजार कोई दस हजार कोई सौ हजार कोई दस लाख और कोई सौ करोड़। क सं या कोई नह गन सकता
उनके पास जो चेहरे थे. वहां एक लाख दस लाख क सं या म व भ सर वाले कई भगवान शव भी प ंचे। अनेक इ भी आ गये। जब
इस ा ड के चतुमुख ा ने कृ ण के इन सभी ऐ य को दे ख ा तो वे ब त ाकु ल हो गये और वयं को कई हा थय के बीच एक खरगोश समझने
लगे।
कृ ण को दे ख ने आए सभी ा ने उनके कमल चरण म अपना स मान कया और जब उ ह ने ऐसा कया तो उनके हेलमेट उनके कमल
चरण को छू गए। कृ ण क अक पनीय श का अनुमान कोई नह लगा सकता। वहां मौजूद सभी ा कृ ण के एक शरीर म आराम कर रहे
थे। जब सभी हेलमेट कृ ण के कमल चरण म एक साथ टकराए तो एक कोलाहलपूण व न ई। ऐसा तीत आ क हेलमेट वयं
कृ ण के चरण कमल क पूज ा कर रहे थे। सभी ा और शव हाथ जोड़कर भगवान कृ ण क ाथना करने लगे और कहने लगे हे भगवान आपने
मुझ पर ब त बड़ी कृ पा क है। म आपके चरणकमल के दशन कर सका ं। भगवान कृ ण ने उ र दया चूँ क म आप सभी को एक साथ
दे ख ना चाहता था इस लए मने आप सभी को यहाँ बुलाया है।
तब भगवान कृ ण ने वहां सभी ा को वदा कया और णाम करके वे सभी अपने अपने घर लौट गए। इन सभी ऐ य को
दे ख ने के बाद इस ांड के चार सर वाले ा आ यच कत हो गए। वह फर से कृ ण के चरण कमल के सामने आये और उ ह णाम कया।
तब ा ने कहा मने अपने ान के बारे म पहले जो भी नणय लया था उसे मने अभी गत प से स या पत कया है। ऐसे लोग ह जो
कहते ह म कृ ण के बारे म सब कु छ जानता ं। उ ह उस तरह से सोचने द जए. जहां तक मेरी बात है तो म इस मामले पर यादा कु छ नह बोलना
चाहता. हे मेरे भु मुझ े इतना कहने दो। जहां तक आपके ऐ य का सवाल है वे सभी मेरे मन शरीर और श द क प ंच से परे ह।
कृ ण ने कहा आपके वशेष ांड का ास चार अरब मील है इस लए यह सभी ांड म सबसे छोटा है। प रणाम व प आपके पास के वल
चार सर ह। कु छ ा ड का ास एक अरब योजन कु छ का एक खरब कु छ का दस खरब और कु छ का ास एक सौ खरब योजन है। इस
कार इनका े फल लगभग असी मत है। ा ड के आकार के अनुसार ा के शरीर पर इतने सर ह। इस कार म असं य ा ड
का पालन करता ँ। भौ तक जगत म कट मेरी एक चौथाई ऊजा क लंबाई और चौड़ाई को कोई नह माप सकता। तो फर आ या मक जगत म
कट तीन चौथाई को कौन माप सकता है वराजा नद के पार आ या मक कृ त है जो अ वनाशी शा त अ य और
असी मत है। यह परमधाम है जसम भगवान क तीन चौथाई ऐ य समा हत है। इसे पर ोम आ या मक आकाश के प म जाना जाता है।
इस कार भगवान कृ ण ने इस ांड के चार सर वाले ा को वदाई द । हम इस कार समझ सकते ह क कोई भी कृ ण क ऊजा क सीमा
क गणना नह कर सकता है।
पूज ा का उ तम व प या है
य क भगवान कृ ण का भ इ ा र हत होता है वह शां तपूण होता है। सकाम कायकता भौ तक सुख चाहते ह ानी मु चाहते
ह और योगी भौ तक ऐ य चाहते ह इस लए वे सभी कामुक ह और शां तपूण नह हो सकते।
जस कार एक बु मान शाखा के बजाय पेड़ क जड़ को स चेगा और उ तम प रणाम ा त करेगा उसी कार एक को
कई पूज ा के पीछे अपना समय बबाद नह करना चा हए ब क सभी के ोत कृ ण क पूज ा करनी चा हए। जैसे व भ योजन के लए
अनेक कु क बजाय न दय का सभी योजन के लए उपयोग करना बु म ा का ल ण है।
सं ेप म को भौ तक आवरण के इस बंधन से बाहर नकलना और दे वता ारा दए गए अ ायी लाभ के पीछे भागना बंद करना
चा हए। को दे वता को णाम करना चा हए और परम भगवान क शा त सेवा क मांग करनी चा हए।
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ी कृ ण
एक मरणीय व ह। वह सरल क जगह सरल और ज टल क जगह ववादा द है। उनके भ ने उ ह नया भर म मश र कर दया है. सोशल साइट् स पर
होता तो होता
उनके या उनके भ के संपक म आने वाले सभी लोग इस संसार के ःख और सुख भूल जाते ह। पापी साधु हो जाते ह अधा मक धा मक हो जाते ह। कु छ लोग उनके
प व नाम का जाप करते ह कु छ उनके काय का गुण गान करते ए चार ओर घूमते ह। कु छ लोग उनक श ा को वीकार करते ह और उनका पालन करते ह नया
क नज़र म एक आम आदमी क तरह वहार करते ह हालाँ क अपना दल उनके साथ बनाए रखते ह। कु छ लोग जीवन म उसके हाथ का अनुभव करते ह और उसके बना
नह रह सकते। संभवतः वही एक ऐसा है जो बांसुरी बजाने का आनंद ले रहा है जब क अ य लोग को अभी भी कु छ करना बाक है। उनके राजा भ
कौन है ये वह या है जो हर कसी को उसक ओर आक षत करता है महापु ष सांसा रक ऐ य छोड़कर उसके पीछे य भागते ह या वह उ ह कु छ धा मक मशन रय क
जतने भी यु का द तावेज ीकरण और वणन कया गया है उनम से महाभारत यु सबसे स है य क इसम राजनी त भावनाएं ई यालु और धमपरायण लोग धा मक
भावनाएं शूरवीर यो ा और उनक वशाल सेनाएं शा मल थ । ये त व हर यु म पाए जाते ह तो फर महाभारत म या खास है यु भू म म करोड़ यो ा थे। फर भी
सारा यु कृ ण क ही व ा थी। कौरव के भाग थे और पांडव ज ह के वल रथ चालक के प म कृ ण का समथन ा त था कु ल एक त सेना के भाग थे।
कृ ण ने अजुन को जय थ से बचाया उ ह ने भावना को एक तरफ रखकर और जैसे को तैसा क नी त का उपयोग करते ए कण को मारने के लए मागदशन कया।
उ ह ने ही पांडव क प नी ौपद को भरी सभा म नव होने से बचाया था। उ ह ने भीम को य धन और जरासंध क कमजोरी बताई।
उ ह ने पांडव को तब श मदा होने से बचाया जब वासा मु न दोपहर के भोजन के लए बना बताए असं य श य के साथ प ंचे। वह महाभारत के नायक ह.
इ त म वा भज ते मा बु भव सम वता
म सभी आ या मक और भौ तक संसार का ोत ं। सब कु छ मुझ से ही नकलता है. जो बु मान इसे भलीभां त जानते ह वे मेरी भ म लगे रहते ह और अपनी संपूण श
दल.
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हम पहले ही चचा कर चुके ह क कै से कृ ण सभी भौ तक ांड के ोत ह। वह सम त जी वत एवं मृत श य का नयं क एवं पालक है। पहले
अ याय म यह कया गया है क कृ ण सभी दे वता मनु य जानवर और उन सभी के वामी ह ज ह हम दे ख और अनुभव कर सकते ह। यह
बात वे अपने अ भमान के कारण अजुन से नह कह रहे ह ब क इस लए कह रहे ह क यह स य है जसे छपाया नह जा सकता। वह यह भी
कहते ह क हमारे चार ओर क यह सृ जसे हम अपनी इ ा के अनु प बनाने क को शश करते ह उनके नदशन म काम करती है।
यह भौ तक कृ त जो मेरी ऊजा म से एक है मेरे नदशन म काम कर रही है हे कुं ती के पु सभी ग तशील और गैर ग तशील ा णय का नमाण कर
रही है। इसके नयम के तहत यह अ भ बार बार बनती और न होती है।
कोई कह सकता है नह गीता म उ ह सव बताया गया है ले कन बाइ बल और कु रान के बारे म या यीशु ने कहा क म ई र का पु ं कृ ण कहते ह
क म सभी का पता ं और हम सहमत ह। इसी कार पैगंबर मोह मद अ लाह को सवश मान घो षत करते ह और कृ ण कहते ह क वह सवश मान है
इस लए हम सहमत ह। अजुन भी यही बात कहता है और हम सहमत ह। अंततः अजुन को एहसास आ क मेरे रथ को चलाने वाला कोई सामा य
नह है ब क वह भगवान का परम व है जसे महान योगी यान म दे ख ने क को शश करते ह और तक वाले लोग समझने क को शश करते ह।
अवतार
भारत म ब त से लोग खुद को व णु या कसी अ य दे वता या दे वी का अवतार घो षत करते ए मल जाएंगे। इस कारण लोग मत ह और स े
अवतार से अन भ ह। अवतार का अथ है अवत रत होने वाला । ऐसे असं य आ या मक ह ह जहां भगवान अपने भ के साथ व भ प म
नवास करते ह। वह आ मा को आ या मक नया म वापस आक षत करने और इस नया म धा मक स ांत क ापना करने के लए हमारे ांडीय
म।
अवतार का उ लेख शा म उसके कट होने से पहले ही मलता है
तीय. अवतार व प को कट करने म स म है
भगवान का अवतार होने का दावा करने वाले कसी भी क जांच उपरो मापदं ड से क जा सकती है।
एक बार एक या ा के दौरान एक महान संत से मला और उसने भगवान होने का दावा कया। उ ह ने कहा क ठ क है जैसा क आपने गीता म बताया
संत ने इस या ी को एक गलास आम का रस पलाया और लगभग गलास तक ऐसा करते रहे। इसके बाद या ी का पेट जो पहले से ही बाहर नकला आ
जीव को ई र सू म नयं क कहा जाता है और भगवान को परमे र सव नयं क कहा जाता है। कु छ व ान का तक है य द कृ ण
भगवद गीता म कहते ह क वह अज मा अज थे धम ंथ म यह भी उ लेख है क वह दे वक से पैदा ए थे तो हम उन पर कै से भरोसा
कर इसे समझना ब त आसान है. जैसे सुबह सूरज पूव से उगता है और प म म डू ब जाता है फर भी यह हर समय मौजूद रहता है। यह कसी
को दखाई दे सकता है और कसी को गायब हो सकता है। इसी तरह सव भगवान हमेशा मौजूद रहते ह ले कन दे वक से कट होते ह
और अपनी वतं इ ा से गायब हो जाते ह बा प से वह कु छ कारण उ प कर सकता है बस इतना ही।
कभी कभी वै दक अनुयायी मत हो जाते ह क कौन सा अवतार सव है य क भगवान राम भगवान कृ ण से पहले कट ए थे
और भगवान नृ सह भगवान राम से पहले कट ए थे। शा म कहा गया है जैसे असं य मोमब याँ ह और एक मोमब ी अ य सभी मोमब याँ
जलाती है जसके बाद मूल मोमब ी स हत सभी मोमब याँ एक जैसी दखाई दे ती ह सभी अवतार
कृ ण से नकलता है.
भगवान
भगवान क प रभाषा व णु पुराण . . म ासदे व वेद के संक लनकता के पता पराशर मु न ारा द गई है।
कोई एक समय म इनम से कु छ ऐ य का दावा कर सकता है सभी का नह । उनम से कई एक साथ बीमार पड़ जाते ह. उदाहरण के लए धन और
याग एक साथ ा त कये जा सकते ह। कई बार म ान और सुंदरता का भी अ त व नह रहता। एक बार एक फै शन और यूट वीन
को एक शतरंज खलाड़ी से यार हो गया। उसने अपने भ व य के बारे म सपने दे ख े और एक बार शतरंज खलाड़ी से कहा हम शाद य नह
करते य क हमारे ब े मेरी तरह सुंदर और तु हारी तरह बु मान ह गे। इससे वह आदमी डर गया उसने कहा या होगा य द ब े मेरे
जैसे बदसूरत हो जाएं और तु हारे जैसी बु वाले हो जाएं
सभी ऐ य का होना असंभव है। ले कन भगवान के लए कु छ भी असंभव नह है। भगवान कृ ण के पास सभी ऐ य पूण प से
व मान ह। च लए एक एक करके दे ख ते ह.
. ान भगवद गीता . म कहा गया है क कृ ण वेद के संक लनकता ह और शा से उ ह जाना जाता है। उ ह ने यु के मैदान म
अजुन को और अपने महल म उ व को ान दया।
म सबके दय म वराजमान ं और मुझ से ही मृ त ान और व मृ त आती है। सम त वेद के ारा मुझ े जाना जाय। वा तव म म
वेदांत का संक लनकता ं और म वेद का ाता ं।
म आ द भगवान गो वद क पूज ा करता ं जो अपनी बांसुरी बजाने म मा हर ह कमल क पंख ु ड़य जैसी खली ई आंख वाले मोर के पंख
से सजा आ सर नीले बादल क छटा से सजी सुंदरता क आकृ त वाले और उनक अ तीय सुंदरता लाख लोग को मं मु ध
कसी भौ तक सु वधा पर नभर। उ ह ने नारा नारायण ऋ ष और ी चैत य महा भु के प म अवतार लया है जहां वे एक भ ुक
यह एक है जसे कोई भी आम आदमी पूछ सकता है। य द भगवान सब कु छ नयं त कर सकते ह तो उ ह नीचे आकर इस नया के
लोग के साथ बातचीत य करनी पड़ी एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा तु हारे ह भगवान को बार बार नीचे य आना पड़ता है बीरबल
न के वल उनके ं यपूण को ब क उनके इरादे को भी समझ गये। उ ह ने उनसे उ चत समय पर जवाब दे ने का वादा कया.
फर एक दन फ ट गहरी यमुना नद के कनारे नौका वहार करते समय अकबर और बीरबल के बीच कु छ बातचीत ई। नाव पर अकबर
बीरबल अकबर का बेटा र क और एक ना वक थे। अकबर के बेटे को सवारी पसंद आई और वह नाव के कोने पर पानी से खेल रहा था।
बीरबल ने ब े को पानी म धके ल दया। डू बते बेटे को बचाने के लए अकबर पानी म कू द रहे ब े क ओर बढ़े । अकबर आए और गु से म आकर
बीरबल को इस तरह का वहार करने के लए डांटा। बीरबल ने पूछा जब आप ताली बजाकर पहरेदार को आदे श दे सकते थे तो आपने
बचाया य अकबर ने कहा क यह एक आपातकालीन त थी। बीरबल ने उ र दया उसी तरह भगवान भी आ मा को ख और अ ान
के सागर म डू बा आ दे ख कर त परता महसूस करते ह। इस कार वह हमारे सामने उप त होकर वयं को सम पत कर दे ता है।
हे भरत के वंशज जब भी और जहां भी धा मक आचरण म गरावट आती है और अधम क धानता होती है उस समय म वयं अवत रत होता
ं।
धमा मा का उ ार करने और का नाश करने के साथ साथ धम के स ांत को फर से ा पत करने के लए म वयं सह ा दय के बाद
सह ा दय तक कट होता ँ।
इसी कार भगवान नृ सहदे व के प म कट होते ह। व तुतः भगवान अपने भ के वचन से बंधे ह।
जब ाद से उसके रा सी पता ने पूछा क या उसका भगवान खंभे म है तो उसने कहा वह हर जगह है इस लए वह न त प से
खंभे म भी है। अपने पु क भ से ो धत होकर हर यक शपु ने खंभे पर आ मण कर दया। भगवान नीचे उतरे बना ही इस
रा स को मार दे ते ले कन ाद के वचन का पालन करना उनके लए सव प र था।
पारलौ कक रस या भगवान के साथ संबंध को पाँच म वभा जत कया जा सकता है। कृ पया यान द क इन सभी चरण म भ भौ तक षण से मु ह।
इस ेण ी के उदाहरण.
. दा य रस इस अव ा म एक भ भगवान के संबंध म अपनी अधीन त का एहसास करते ए वन भाव से भगवान क सेवा करता है। हनुमान का उदाहरण
दया जा सकता है जो भगवान राम के स सेवक ह। हनुमान एक अवसरवाद थे जब भी उ ह सेवा का मौका मलता था तो वे उसे त परता और ेम से लेते
थे।
यार और इ ज़त। जैसे जैसे यह अव ा आगे वक सत होती है मजाक मजाक और हंसी मजाक आ द जैसे आरामदायक आदान दान होने लगते ह। सव
के साथ भाईचारापूण आदान दान होता है और सभी बंधन से मु हो जाता है। ावहा रक प से एक जी वत इकाई के प म अपनी
नन त को भूल जाता है ले कन साथ ही उसके मन म सव के त सबसे बड़ा स मान होता है। अजुन और ीदामा सबसे उपयु उदाहरण ह।
. वा स य रस यहां एक भ भगवान क दे ख भाल अपने ब े के प म करता है और भगवान के साथ माता पता के नेह का वहार करता है। माता यशोदा और नंद
महाराज कृ ण के साथ इसी कार वहार करते ह। वा तव म माता यशोदा ने तो अपराजेय कृ ण को तब लकड़ी के ओखली से बांध दया था जब वह म खन
ेमी और े मका के बीच यार. इसी अव ा म कृ ण और ज क सहे लयाँ एक सरे क ओर दे ख ते ह य क इस मंच पर ेमपूण आँख क
भगवान अपने भ से वैसा ही वहार करते ह जैसा भ को पसंद होता है। वह कसी भौ तक धन या ऐ य का भूख ा नह है। वह भ के ेम के लए उ सुक ह य क यह
वाभा वक है।
सफ इस लए क जीव ने उ ह छोड़ दया है कृ ण उ ह नह भूलते। वह आ मा क मदद करने और उसे आ या मक नया म वापस लाने के लए उसका अनुसरण करता है।
इसक तुलना एक ही पेड़ पर बैठे दो प य क तरह क जाती है जहां एक इस नया का आनंद ले रहा है और सरा दे ख रहा है और सरे का उसक ओर आने का इंतजार
इसक पु कर
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हालाँ क दोन प ी एक ही पेड़ पर ह ले कन खाने वाला प ी पेड़ के फल का आनंद लेने के कारण पूरी तरह से चता और उदासी म डू बा आ है। ले कन अगर
कसी तरह से वह अपना चेहरा अपने म क ओर कर दे ता है जो भगवान है और उसक म हमा को जानता है तो पी ड़त प ी तुरंत सभी चता से मु हो जाता
है।
कई बार ब े माता पता से झगड़कर कू ल चले जाते ह। भगवान को माता भी कहा जाता है। मराठ म वे भगवान व ल को मौली मातृ व कहते
ह। माँ वह है जो हमारे दल को अ तरह से जानती है। खासतौर पर वह सर के ोध से बचाती है भले ही कसी ने बड़ी से बड़ी गलती य न कर द हो। भले ही
ब ा सर से कम यो य हो फर भी वह उसे नह छोड़ती।
उसी तरह भगवान कृ ण ीरोद यी व णु के प म इस भौ तक संसार के भीतर सभी आ मा क या ा म उनका साथ दे ते ह और उ ह वैसे ही वीकार करते
ह जैसे वे ह। परमा मा हमारे दय े म नवास करते ह। भागवत पुराण . . म उनका सजीव वणन मलता है। अनुवाद इस कार है
भगवान का व दय के े म शरीर के भीतर रहता है और के वल आठ इंच मापता है जसके चार हाथ म मशः कमल रथ का प हया शंख
और गदा है। उनका मुख उनक स ता करता है। उनक आँख कमल क पंख ु ड़य क तरह फै ली ई ह और उनके व कदं ब फू ल के के सर
क तरह पीले ब मू य र न से सुस त ह। उसके सभी आभूषण सोने से बने ह र न से जड़े ए ह और वह एक चमकदार सर क पोशाक और बा लयाँ पहनता
है।
उनके कमल चरण महान मनी षय के कमल समान दय के ऊपर रखे गए ह। उनक छाती पर एक सुंदर बछड़े के साथ उ क ण कौ तुभ र न है और उनके
कं ध पर अ य र न भी ह। उनके पूरे धड़ को ताजे फू ल क माला पहनाई गई है। उनक कमर के चार ओर एक सजावट माला और उनक उं ग लय पर ब मू य
उनके पैर उनक चू ड़याँ उनके तेल से सने बाल नीले रंग के घुंघराले बाल और उनका सुंदर मु कु राता आ चेहरा सभी ब त मनभावन ह।
वह भ क वशेष प से मदद करते ह य क वे प ी ह जो धीरे धीरे कड़वे फल से बचने और भगवान क मठास के अमृत का वाद लेने क को शश म
उनक ओर ख करने लगे ह। इस संबंध म एक प रव तत वे या क कहानी है जो बाद म भगवान क एक महान भ बन गई। एक बार पगला नाम क एक वे या
अपने ेमी को अपने घर म लाने क इ ा से रात के समय बाहर ार पर खड़ी होकर अपना सुंदर प दखाती थी। वह सड़क पर खड़ी होकर वहां से गुज रने वाले
सभी पु ष का अ ययन करती थी और सोचती थी क शायद यह अमीर है या यह मुझ े संतु कर सकता है इ या द। जैसे ही वे या पगला ार पर खड़ी ई ब त से
थ आशा के साथ वह अपना काम पूरा करने म असमथ होकर दरवाजे के सामने झुक रही
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और सो जाओ। चता के मारे वह कभी बाहर सड़क क ओर चली जाती तो कभी अपने घर म वापस चली जाती। इस कार धीरे धीरे
आधी रात का समय आ गया।
यही त हम सबक है. एक कड़ी मेहनत करता है और र तेदार और दो त को खुश करने के लए दर दर भटकता है इस
उ मीद म क बदले म वे सभी उसे संतु करगे। इस वा त वकता से अन भ को के वल नराशा ही ा त होती है। उसी तरह पगला भी पूरी
तरह से परेशान और हतो सा हत थी य क वे यावृ ही उसके भरण पोषण का एकमा साधन था। य य रात होती गई उसे बड़ी
परेशानी के साथ साथ खुशी भी महसूस होने लगी। यह त उसी के साथ घ टत होती है जो जीवन क वा त वकता के बारे म भीतर से
बु होता है। वे या को अपनी भौ तक त से घृण ा होने लगी और वह इसके त उदासीन हो गई। फर वह खुद से बात करने लगी.
उसने खुद से बात क . उसने कहा जरा दे ख ो तो म कतनी बड़ी म म ं चूँ क म अपने मन को वश म नह कर सकता इस लए म मूख क भाँ त
एक तु मनु य से काम सुख क कामना करता ँ। म ऐसा मूख ं क मने उस क सेवा छोड़ द है जो मेरे दय म सदै व त रहकर
वा तव म मुझ े सबसे अ धक य है। वह सबसे य ांड का भगवान है जो वा त वक ेम और खुशी का दाता है और सभी समृ का ोत है।
य प वह मेरे दय म है फर भी मने उसक पूण तः उपे ा कर द है। इसके बजाय मने अ ानतापूवक तु पु ष क सेवा क है जो मेरी
वा त वक इ ा को कभी संतु नह कर सकते ह और ज ह ने मुझ े के वल ःख भय चता वलाप और म दया है।
ओह मने अपनी ही आ मा को थ ही कै से सताया है मने अपना शरीर कामुक लालची पु ष को बेच दया है जो वयं दया के पा ह। इस
कार वे या के सबसे घृ णत पेशे का अ यास करते ए मुझ े धन और यौन सुख मलने क आशा थी। यह भौ तक शरीर एक घर क तरह है
जसम म आ मा रह रहा ँ। मेरी रीढ़ पस लयां हाथ और पैर बनाने वाली ह यां घर के बीम ॉसबीम और खंभे क तरह ह और पूरी
संरचना जो मल और मू से भरी ई है वचा बाल और नाखून से ढक ई है। इस शरीर म वेश करने वाले नौ दरवाजे लगातार गंदे पदाथ
का उ सजन कर रहे ह। मेरे अलावा कौन सी म हला इतनी मूख हो सकती है जो खुद को इस भौ तक शरीर के त सम पत कर दे यह सोचकर
क उसे इस उपकरण म आनंद और यार मल सकता है
इस लए अब म पूण समपण क क मत चुक ाऊं गी और इस कार भगवान को खरीदकर म ल मीदे वी क तरह उनके साथ आनंद उठाऊं गी।
पु ष म हला को इ यतृ त दान करते ह ले कन इन सभी पु ष और यहाँ तक क वग के दे वता क भी शु आत और अंत होता है।
वे सभी अ ायी रचनाएँ ह ज ह समय ख चकर ले जाएगा। इस लए उनम से कोई भी कभी भी कतना वा त वक आनंद या खुशी पा सकता है
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उनक प नय को द य प म भौ तक संसार का आनंद लेने क सबसे अ धक आशा रखता था फर भी कसी न कसी कारण से
मेरे दय म वैरा य उ प हो गया है और इससे मुझ े ब त खुशी हो रही है।
इस लए भगवान व णु अव य मुझ पर स ह गे। यह जाने बना ही मने अव य ही उसे संतु करने वाला कोई काय कया होगा। जस म
वैरा य वक सत हो गया है वह भौ तक समाज म ता और ेम के बंधन को याग सकता है और जो अ य धक पीड़ा से गुज रता है वह
धीरे धीरे नराशा से बाहर आकर भौ तक संसार के त उदासीन और उदासीन हो जाता है। इस कार मेरे घोर क के कारण मेरे दय म ऐसा
वैरा य जाग उठा फर भी य द म वा तव म भा यशाली होता तो मुझ े इतनी दयालु पीड़ा कै से झेलनी पड़ती इस लए म वा तव म
भा यशाली ं और मुझ े भगवान क दया ा त ई है। वह कसी न कसी कार मुझ पर अव य स होगा।
भ के साथ म उस महान लाभ को वीकार करता ं जो भु ने मुझ े दान कया है। सामा य इ यतृ त के लए अपनी पापपूण इ ा को
यागकर अब म भगवान क शरण म जाता ँ। म अब पूरी तरह से संतु ं और मुझ े भगवान क दया पर पूरा भरोसा है। इस लए जो कु छ भी
अपनी इ ा से आएगा म उससे अपना भरण पोषण क ं गा। म के वल भगवान के साथ जीवन का आनंद लूंगा य क वह ेम और खुशी
का वा त वक ोत ह। जीव क बु इं यतृ त क ग त व धय ारा चुरा ली जाती है और इस कार वह भौ तक अ त व के अंधेरे कु एं म गर
जाता है। उस कु एं के भीतर वह समय के घातक सांप ारा पकड़ लया जाता है। भगवान के अलावा और कौन उस गरीब जीव को ऐसी नराशाजनक
त से बचा सकता है जब जीव दे ख ता है क पूरे ांड को समय के साँप ने पकड़ लया है तो वह शांत और व हो जाता है और उस
समय खुद को सभी भौ तक इं य संतु से अलग कर लेता है। उस त म जीव वयं अपना र क बनने के यो य है।
इस कार पगला को सारी अनुभू त हो गई और उसने तुरंत पूण ता ा त कर ली। ई र हमारा आदे श वाहक नह है वह हमारे कम के आधार
पर मंज ूरी दे ने वाला है। व तुतः छ अ या मवाद आ मा को परमा मा म वलीन करना ही जीवन का ल य मानते ह। वलय क यह अवधारणा
कोरी बकवास है।
आ मा सदै व आ मा है और परमा मा सदै व परमा मा है कोई उनका वलय नह कर सकता।
भ का ेमी
कृ ण को अपने भ का ेमी माना जाता है। हालाँ क वह प पाती नह है वह अपने भ का प लेता है य क वे हमेशा उसक
शरण चाहते ह। भागवत पुराण . . म भगवान अपनी भावनाएँ करते ह
अहा भ परधेनो अ त इव ज
साधु भर ा ता हदयो भ ै र भ जन यौ
धृतरा के भाई और ह तनापुर सा ा य के एक प रषद सद य व र भगवान के ब त बड़े भ थे और उनक प नी भी। जब कौरव ने पांडव से ह तनापुर
का रा य पूरी तरह से छ न लया तो पांडव क ओर से कृ ण ने प ीय वाता के लए य धन से संपक कया। पांडव भाइय के लए गांव लेक र संतु रहने को
तैयार थे। य धन ने उस ान को अ वीकार कर दया जो एक सुई के अं तम ब तक भी समा सकता था। ले कन सरी ओर य धन ने कृ ण को खलाने के
लए एक भ दावत क व ा क थी।
धृतरा के महल से नकलने के बाद वह व र और उनक प नी से मलने उनके घर गये। वे इतने स थे क वे अपने आँसू नह रोक सके । उ ह ने ेम से कृ ण को
बैठाया।
व रानी ने ेमवश के ले छ लना शु कर दया और छलका कृ ण को दे क र के ले को फक दया। यह इन भ के ेम और खुशी के आंसु के कारण था।
भगवान ने बड़े ेम से छलका खाना शु कया और वे तब तक खाते रहे जब तक व र को एहसास नह आ क या हो रहा है। उसने अपनी प नी को रोका और
उसे बाहरी चेतना म लाया। जब उसे एहसास आ तो उसने असली के ला दे ना शु कर दया और भगवान ने घोषणा क क उसका पेट भर गया है। भगवान को
भव ाही जनादन कहा जाता है जो भावना और ेम को वीकार करते ह न क के वल उनके सामने तुत व तु को। लोग म भु को धोखा दे ने क वृ होती
है। जब भी उ ह कोई नोट जगह जगह से फटा आ और काफ पुराना दखाई दे ता है तो वे उसे मं दर क दानपेट म डाल दे ते ह या जब कोई चीज उनके काम क
नह होती तो उसे मं दर म दान कर दे ते ह। इसे भु ेम नह माना जा सकता। परोपकारी वभाव क सराहना क जा सकती है और साथ ही अपना सव े
भी दे ना चा हए। व र गरीब थे और उ ह ने यार और नेह के साथ साथ अपना सव े भी दया। यह स ूण सृ भु क है उसे इस बात क परवाह नह है क
जो कोई भी कृ ण को जानता है उसने न त प से भगवान के गरीब ा ण भ सुदामा के बारे म सुना होगा। सुदामा अपनी प नी और ब के साथ
ा ण से गरीब होने क अपे ा क जाती है य क वा त वक ा ण वह है जो नः वाथ भाव से भगवान क म हमा का चार करता है और अपनी आजी वका के
लए दान वीकार करता है। य द दन भर के उपयोग के बाद कु छ अ त र बच जाता है तो वह उसे सर को दान म दे दे ता है। क लयुग म ा ण क पहचान यो यता
पा रवा रक तयाँ ब त नाजुक थ और भगवान के भ होने के कारण सुदामा ने उनसे भौ तक सु वधा क माँग नह क । उनक प नी ने उ ह कृ ण से मलने
और कु छ मदद मांगने के लए राजी कया। हालाँ क कृ ण के गु कु ल म सुदामा भौ तक लाभ के लए अपने म को परेशान नह करना चाहते थे फर भी उ ह ने
ारका जाकर कृ ण से मलने का फै सला कया। वह गरीब था और कृ ण ऐ यशाली थे। एक परंपरा है क कसी से मलने जाते समय खाली हाथ नह जाना
चा हए. मेज़ बान के लए भी यही सच है उसे भी अ त थ को खाली हाथ नह जाने दे ना चा हए। य द कोई कु छ भी वहन नह कर सकता तो कम से कम उसे कु छ
श द।
सुदामा ने एक कपड़े क थैली म कु छ चावल डाले और ारका क ओर ान कया। वह अपनी बांह के नीचे छले ए चावल से भरा कपड़ा लेक र भगवान और
उनके म क म हमा का जाप करते ए मील तक चला। जब वह महल म प ंचा तो पहरेदार ने उसे रोका और पूरी जानकारी पूछ
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बाद म कृ ण ने दे ख ा क सुदामा क बांह के नीचे कु छ उपहार था तो उ ह ने पूछा क या उनका म उनके लए कु छ लाया है। वशेषकर कृ ण
जस ऐ य म नवास कर रहे थे उसे दे ख ने के बाद सुदामा पूरी तरह से श मदा महसूस कर रहे थे। शु म उ ह ने इनकार कर दया और कृ ण ने
कपड़े क थैली छ न ली। कृ पया यान द क यह बैग कई दन तक उनक बगल म था जहां वे लगातार कड़ी धूप म या ा कर रहे थे।
कृ ण ने थैला खोला और नवाले खाए और मणी ने उ ह तीसरा खाने से रोक दया।
सामा य तौर पर अवैय कता को ऊजा के साथ जुड़ना और उस ऊजा क उपे ा करना कहा जा सकता है जो उन ऊजा का ोत
है। उदाहरण के लए एक कं पनी का मा लक एक वसाय ा पत कर सकता है और उसके सुचा संचालन के लए स टम को प रभा षत
कर सकता है। य द कोई कमचारी ठ क से काम करता है और मा लक के अ त व को अ वीकार करता है तो इसे अ वाद कहा जाता है।
इसी तरह जब जीव भगवान क ऊजा का उपयोग करने म संल न होता है और भगवान क उपे ा करता है तो उसे न वशेषवाद माना जाता
है। आ या मकता के माग पर चलने वाले लोग कृ ण क सव ता को नकारते ह और के वल उनक ऊजा भगवान के यो त तेज
को वीकार करते ह उ ह न वशेषवाद कहा जाता है।
ऐसे अ या सय क फज समझ का खंडन करते ए एक पूरी कताब लखी जा सकती है ले कन हमने सं ेप म स ाई बता द है। यो त और
कु छ नह ब क भगवान से नकलने वाला तेज है। ा ड के थम रच यता ा अपनी ाथना म इसक ा या करते ह।
णो ह तनोहाम् अमात य य य च
चा वत य च धम य सुख यैक ा तक य च
बार.
पर रा म ान क कमी के कारण कु छ लोग यह मनगढ़ं त कथा सुनाते ह क कृ ण ने गीता नह बोली। यह कोई दै वीय ऊजा थी जो उ ह
सश बनाने के लए उनम वेश कर गई थी। ले कन जब कृ ण ने पूछताछ क तो उ ह ने वही ान उ व को सुनाया इससे पता चलता
है क वह नह भूला। कृ ण भूत वतमान और भ व य को जानते ह। उसम कसी ऊजा के वेश क कोई ज रत नह है।
भ व यै च भूता न मा तु वेद न क न
ईसोप नषद मं मभ ारा अपने चेहरे से भगवान के तेज को र करने क ाथना है।
हे मेरे भगवान सभी ा णय के पालनकता आपका असली चेहरा आपक चमकदार चमक से ढका आ है।
माधवाचाय रामानुज ाचाय शंक राचाय जैसे महान आचाय कृ ण को ई र के सव व के प म म हमामं डत करते ह। इन वभू तय ने समाज का मागदशन
करने के लए अपना सब कु छ याग दया। य द कोई भ ु फे रारी छोड़ता है तो यह खबर बन जाती है ले कन यहां महान राजा और शासक और उनके श य ारा
कृ ण चेतना के सार के एकमा उ े य के लए इन व का अनुसरण कया गया था। ीपाद शंक राचाय गीता महा य म कहते ह
ग त व ध के प म काम कर।
क लयुग के लए संक तन य
आजकल ब त सारे मामले सामने आते ह जहां म हला पर अ याचार कया जाता है और उ ह मार दया जाता है आपका भगवान य नह आता यह
पांडव. वा तव म जो कोई भी पूरी उ सुक ता से मदद के लए भगवान को पुक ारता है भगवान उसक र ा के लए दौड़ पड़ते ह।
कई साधक जो पहले से ही भ माग का अ यास कर रहे ह संक ट के समय भगवान को बुलाना भूल जाते ह। भगवान ने पछले ज म म भी भ गज
वाथ लोग के वल भगवान को दोष दे ते ह जैसे क वह उनका आदे श वाहक हो। ब आ मा वयं कु छ त याएँ ा त करने क इ ा रखती है और काय
करती है तो उसके लए ई र को दोष य दया जाए। स ाभ संक ट म भगवान से के वल अपने व ास क र ा क याचना करता है। भु यीशु मसीह ने कई लोग
को ठ क कया ले कन जब उ ह ू स पर चढ़ाया गया तो वह आभारी थे ब क उ ह ने भु से उन लोग को माफ करने का अनुरोध कया ज ह ने अ ानतावश
उनक त को नह समझा।
माता कुं ती भगवान से ख के लए ाथना करती ह ता क वह भगवान को बुला सक और उ ह लगातार याद कर सक। ले कन भगवान ब त दयालु ह. वह
क लयुग म प व नाम के प म अवतार लेते ह। हमारे लए बेहतर है क हम अपनी भ को न त यान से शु कर और कृ ण क कृ पा सूची म शा मल हो जाएं।
क ल के इस युग म भगवान का प व नाम हरे कृ ण महा मं भगवान कृ ण का अवतार है। के वल प व नाम का जाप करने से सीधे भगवान
आइए हम नय मत प से हरे कृ ण हरे कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का जप कर और भगवान क दया आक षत कर।
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जा त था
जा त व ा के इस वषय पर बहस होती रहती ह। जब हमने वै दक कोण से शोध कया तो मुझ े यह ब त सरल लगा। जैसे कभी कभी कोई
गल ड अपना यार तोड़ दे ती है तो वह भी यह सु न त करती है क लड़के क छ व खराब हो ता क वह परेशान रहे। ये परेशानी ही उसे खुशी दे ती
है. बदले म लड़का भी ऐसा ही करता है. काला तर म कोई भी शा त नह रहता। मानव वभाव और इसके अलावा भौ तक कृ त को समझने म
गहराई से उतरने पर ज टलता और घृण ा का रह य जड़ स हत ब कु ल हो गया।
भारत म वशेषकर लोकतां क व ा के कारण लोग अपनी इ ानुसार कसी भी जा त म बदल जाते ह।
या इसका मतलब यह है क उ ह ने अपनी जा त बदल ली है उ जा त क श को सही ठहराने और जा त व ा का वरोध करने वाली
फ म भी तैयार क गई ह। आम आदमी रोजमरा क ज रत के लए हाथ पैर मार रहा है और उसे इन सबम कोई दलच ी नह है। वे
जानते ह क यह सब व भ समुदाय के वोट बक को आक षत करने के लए कया जाता है। उनके साथ कै सा वहार कया जाता है इसके
आधार पर लोग म हीन भावना और े ता भावना वक सत हो जाती है। इससे नफरत और हसा को बढ़ावा मलता है. यह बात
अना दकाल से है। एक त वीर पाने के लए हम कु छ अवधारणा को समझने क को शश करगे जो को खुशी क राह पर ले
जाएंगी।
या हम वग करण से बच सकते ह
कसी वशेष काय के लए उ मीदवार के एक समूह का चयन उनके कौशल सेट और मान सक और शारी रक मता के आधार पर कया जाता
है। आइए इसे सॉ टवेयर इंड के एक उदाहरण से समझते ह। अब सॉ टवेयर इंड शु करने के लए फं डग क ज रत होती है इस लए
बजनेस लास के लोग को शा मल करना होगा और नवेश के अनुसार उनका ह सा बांटना होगा। एक बार अथ व ा उपल हो जाने पर
संपूण वसाय सेटअप को संभालने और शा सत करने म स म ट म क आव यकता होती है। यह अपे ा क जाती है क उनके पास
जमीनी काय का अनुभव और बंधक य कौशल हो। यह सव ाथ मकता है ले कन जब तक सॉ टवेयर डेवलपस और ोजे ट लीड क भत
नह क जाती तब तक कोई उ पादन नह होगा। ब क वा त वक कायबल यह माना जाता है। इसके अलावा काय ल को साफ व और
याशील बनाए रखने के लए एक ट म के पम मक क एक ट म क आव यकता होती है। सुर ा णा लयाँ कानूनी सलाहकार और वक ल
सभी क आव यकता है। अब य द हम यान से दे ख तो सभी े णयाँ आव यक ह। उनम से कसी एक के बना काया मक ग त धीमी हो
जाएगी और अंततः व त हो जाएगी। बु मान वग यो ा वग उ पादक वग और मक वग इन चार े णय क सदै व आव यकता होती है।
य प एक सरे पर नभर होने के कारण वे एक सरे क भू मका और ज मेदा रय क अदला बदली नह कर सकते।
रसे शन डे क पर मौजूद को डग नह कर सकता जो सॉ टवेयर डेवलपर का कौशल सेट है। न ही बंध नदे शक ं ट ऑ फस
म बैठकर हा जरी लगा सकते ह। ऐसा नह
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उनक ग रमा के अनु प और इसके अलावा वह ं ट डे क पर बैठगे और के वल उप त दज करने के बजाय उप त का पाई चाट तैयार करगे। को अपनी वृ के
अनुसार काय करने के लए बा य कया जाता है। सबसे बड़ा घोटाला तो तब होगा जब सफाई कमचारी वग के को सीधे पद पर तैनात कर दया जाएगा
कसी भी स टम को चलाने के लए समान ेण ी के लोग क आव यकता होती है वे एक सरे पर नभर ह और अप रवतनीय भी ह। रा इसी स ांत से संचा लत होता है। हमारा
शरीर वयं एक आदश उदाहरण है। शरीर को इं य से मले इनपुट के आधार पर नणय लेने के लए सर क आव यकता होती है। हाथ को काया वत करने क आव यकता
होती है पेट को भोजन क आव यकता होती है जो अ य तीन को ऊजा दे ता है और पैर को कह भी आगे बढ़ने के लए आव यकता होती है। इनम से कसी के भी इनकार
हम कसी भी समय इन मतभेद को ख़ म नह कर सकते। भले ही सभी को सभी कौशल म श त कया गया हो फर भी पसंद बनी रहती है जो कमोबेश मनो मनोवै ा नक
पसंद होती है। मज र वग और शासक वग के बीच झगड़े कभी ख म नह ह गे। इ तहास म स दय से पूंज ीवाद और सा यवाद के बीच क लड़ाइयाँ दज ह। मूल स ांत
श है. यह उस खेल क तरह है जहां दो प र सी के दोन सर को पकड़ते ह और सरे को अपनी तरफ ख चने क को शश करते ह।
क यु न ट वे मक वग ह जो पूंज ीप तय के अनु चत वहार से असंतु ह। आ थक आव यकता का संघष चलता रहता है और पूँज ीप त वेतन बढ़ाने म असमथ रहते ह। कये
गये वादे पूरे नह होते. जब बंधन उनक आव यकता क उपे ा करता है तो उ ह यू नयन बनानी पड़ती है और व भ अवसर पर अपना वरोध घो षत करना पड़ता है। कई
बार उ ह अपने ही चुने ए यू नयन नेता ारा धोखा दया जाता है ज ह पूंज ीप त ारा र त द जाती है।
अब पूंज ीप तय क भी अपनी शकायत ह। पूंज ीप तय पर सरकार ारा भारी कर लगाया जाता है। मानक करण के नाम पर कं पनी मा लक को लैक मेल कर र त
क मांग क जाती है। कभी कभी नवेश अ धक हो जाता है और मुनाफा यूनतम हो जाता है ले कन इसका वपरीत संदेश मक तक जाता है जससे अ त र
परेशानी होती है। वह कु छ लालची पूंज ीप त मक क मासू मयत का पयोग करते ह और उनका शोषण करते ह। इसका शा ीय उदाहरण कोयला खदान ह जहां दशक
तक मज र को बाहर जाने क इजाजत नह है। मज र के पैदा ए ब े वह काम करने जीने और मरने को मजबूर ह।
जा हर है ये सभी लोकतां क सरकार क सम याएं ह राजतं ीय व ा म ये यूनतम ह। हम अ याय म लोकतं के ान पर राजतं के बारे म अ धक
चचा करगे।
चाहे कोई कसी भी वग म हो सम याएं ख म नह होत । जस कार कु के नीचे के छ से पानी क नरंतर आपू त होती रहती है इस लए कतना भी पानी नकाल दया जाए
मानव कृ त और भौ तक कृ त
कृ त अ ाई जुनून और अ ान। इनका मानव शरीर एवं मनो व ान पर अपना अपना भाव पड़ता है।
रजोगुण असी मत इ ा और लालसा से पैदा होता है और इसके कारण दे हधारी जीव भौ तक सकाम कम से बंधा होता है। जो
भोजन ब त कड़वे ब त ख े नमक न गम तीखे खे और जलन वाले होते ह वे रजोगुण ी लोग को य होते ह। ऐसे खा पदाथ संक ट
ख और बीमारी का कारण बनते ह।
कभी कभी रजोगुण और तमोगुण को परा त करते ए सतोगुण मुख हो जाता है। कभी कभी रजोगुण अ ाई और अ ान को हरा दे ता है कभी
कभी अ ान अ ाई और रजोगुण को हरा दे ता है। इस कार वच व क होड़ सदै व लगी रहती है। अब अ े को अ ान म और अ ानी को
अ ाई म लाना भी असंभव है। इस कार हम समझ सकते ह क कृ त के गुण से बंधा कोई ब त आसानी से अपना अ यास
नह छोड़ सकता है और वशेष प से वपरीत अ यास वाले पु ष के साथ आसानी से सहयोग नह कर सकता है। इसी लए हॉ टल म
शु आती कु छ दन तक म पाटनस से झगड़े होते रहते ह। वैसे भी बाद म वे सभी अ ानता म जीने के लए सहमत हो जाते ह। जैसा क ठ क
ही कहा गया है आदत बड़ी मु कल से जाती ह य द कोई एच हटा द तो थोड़ा अभी भी रहता है और ए हटा द तो बट अभी भी रहता है
और बी हटा द तो भी बट रहता है। कोई भी अपनी आदत को आसानी से नह बदल सकता। तो फर आसपास के सभी लोग को
बदलना और उ ह एक जैसा बनाना कै से संभव है
एक बार एक फु टबॉल ट म के पास उ चत गोलक पर क कमी थी। जैसे जैसे टू नामट नजद क आ रहे थे वे उ सुक ता से कसी क तलाश कर
रहे थे। उनका कै टन तरबूज़ से भरी एक गाड़ी के पास से गुज़ रा जसे डाउनलोड करके कान म रखा जाना था। ए
नीचे आदमी तरबूज़ को पकड़ रहा था और उ ह आसानी से पीछे फक रहा था। उसने तरबूज़ के पूरे क का उ चत तरीके से ढे र लगा दया।
क तान आ यच कत रह गया और उसने उस से पूछा क या वह फु टबॉल ट म म शा मल होना चाहेगा। वह आदमी सहमत हो गया और उसे
ठ क से श त कया गया और उसने कु छ मैच अ े से खेले। फाइनल मैच म एक बेईमानी ई जसे उ ह संभालना पड़ा य क त ं
को बोनस कक मली। सभी आशा वत थे य क गोलक पर का डाइ वग का अ ा रकॉड था। त ं ने कक मारी और गोलक पर
ने गोता लगाकर गद पकड़ ली ले कन उसने
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अनजाने म उसे पीछे फक दया। उसे ही आदत कहते ह. जब तक कोई ठान न ले कोई रात रात आदत और वभाव नह बदल सकता। तो सं ेप म वभाजन सदै व बने रहगे।
कोई भी अ धक से अ धक एक सरे के साथ सहयोग कर सकता है। वा तव म यह कहना मु कल है क कौन बेहतर है य क इसम व भ कोण शा मल ह।
कू ल म शेर और चूहे के बारे म एक अ कहानी पढ़ाई जाती है। एक बार चूहा सोते ए शेर के पास से गुज रा और उसने गलती से शेर क मूंछ को छू लया। शेर ने तुरंत चूहे
को पकड़ लया और खाने ही वाला था। जान ब दे ने के अनुरोध और भ व य म शेर क मदद करने का वादा करने पर चूहे को ब दया गया। बाद म एक दन एक शकारी
शेर हलने डु लने म असमथ था। इस बार चूहा आया और शकार करने के लए शकारी का जाल काट दया
शेर। यह कहानी एक परी कथा होते ए भी एक मह वपूण सीख दे ती है। भगवान ने हर कसी को कु छ न त तभाएँ द ह इस लए कोई भी अपनी तभा पर गव नह कर
सकता और सर के कौशल को नीचा नह दखा सकता। कसी क भी उपे ा नह क जा सकती. भगवान राम ने समु पर पुल बनाते समय एक गलहरी क सेवा वीकार
वभाजन इतने वाभा वक ह क कोई भी अपनी पसंद बनाने से बच नह सकता चाहे सरे कु छ भी चुन। जरा सो चए क लैपटॉप शो म म ब त सारे लोग आ रहे ह। वह
ान जहाँ व भ कार के लैपटॉप मॉडल दशन और ब के लए रखे जाते ह। जब कोई ईमानदार छा वेश करता है तो वह लैपटॉप क वशेषताएं पूछेगा और यह
जांचने का यास करेगा क कौन सा लैपटॉप पढ़ाई के लए उपयु है। एक औसत छा वी डयो और न ड ले के ान और संचालन क जांच करेगा।
एक बार एक ापारी ने अपने कपड़े के ापार से ब त लाभ कमाया। ले कन वह कभी भी कसी धा मक काय और ई रीय ग त व धय म शा मल नह ए। जैसे जैसे वह
बूढ़ा होता गया बेटे अपने पता क आ या मक भलाई के लए च तत रहने लगे। बूढ़े को एक ऐसी बीमारी हो गई जो लाइलाज थी। उ ह एक वष से अ धक जी वत न रहने क
घोषणा क गई। बेटे चाहते थे क उनके पता अब ावसा यक चता को भूल जाएं और आ या मक जीवन का अ यास करने म अ धक समय तीत कर। बूढ़े को इस
बात म जरा भी दलच ी नह थी क वह अब भी कान पर आएगा और अपना समय वह बताएगा। पु को पता चला क एक महान संत लोग के एक समूह को तीथ या ा
पु ने संत के पास जाकर अपने पता को ान दे ने का अनुरोध कया। ट म के साथ उनका एक बेटा भी था। अ न ा होते ए भी बूढ़ा तीथया ा पर जाने को तैयार हो गया।
इतने सारे ान का दौरा करने के बाद भी बूढ़ा धा मक भावना से भा वत नह आ और जब संत ने जीवन और मृ यु के बारे म गंभीरता से बात क तब भी बूढ़ा
लापरवाह था। ले कन जब उ ह बनारस म गंगा के घाट पर ले जाया गया तो एक महान प रवतन दे ख ने को मला।
इन घाट पर गंगा के कनारे शव को जलाया जाता है। इन शव को राख म जलते ए और जीवन के अं तम चरण म दे ख कर बूढ़ा अपने आंसु पर काबू नह रख सका।
पु और संत दोन खुश थे क आ खरकार बूढ़े को उ चत ववेक आ गया। वे उसके पास आये और बूढ़ा आदमी इस कार बोला मने अपने जीवन का ब मू य समय
बबाद कर दया है। मुझ से बड़ा मूख कोई नह है. मने जो ग़लती क है म नह चाहता क आप सब कर।
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आ म बोध क ये बात सुनकर बेटा ब त स आ और उसने फर पूछा पताजी आपको जो भी अनुभू त ई हो कृ पया मेरे साथ साझा
कर। बूढ़े ने उ र दया मने कपड़े के ापार म अपना समय बबाद कया है और अ प लाभ के साथ जीवन तीत कया है। मुझ े तो
बनारस म ही बस जाना चा हए था. यहां म लक ड़याँ जलाने का वसाय ा पत करता और सबसे अमीर बन जाता। वे यहां हर दन
मुद जला रहे ह और लक ड़य क ब त मांग है। यह सुनकर संत को समझ आ गया क वसायी के लए अपनी ावसा यक
मान सकता को रोकना क ठन है।
यही बेमेल तब दे ख ा जा सकता है जब प त प नी खरीदारी के लए जाते ह खासकर सा ड़याँ खरीदने के लए। पु ष को पैसे क चता है और
म हला को डज़ाइन क ।
म हला को सभी कार क वैरायट दे ख ने को मलगी और फर वे उसे खरीदने का नणय लगी। सरी तरफ का आदमी कई वक प से तंग आ
चुक ा है। जब प नी पूछती है म कौन सा ले लूं तो प त कहता है कोई भी लेलो शरीर ही तो ढकना है यानी अंततः अपना शरीर ढकने के
लए कोई भी ले लो बस इतना ही । पु ष तकसंगत होते ह और म हलाएं भावुक होती ह और इसे बदला नह जा सकता बदलना भी नह
चा हए नह तो एक और अनथ हो जाएगा।
ऊपर हमने जो कु छ बताया है उसे समझने के बाद हम वेद ारा बताए गए वणा म क समझ म उतरगे।
वै दक वणा म
पानी म जा तयाँ रहती ह। पेड़ पौधे जैसी ग तहीन जी वत सं ाएँ ह। क ट और सरीसृप क जा तयाँ और
प य क जा तयाँ ह। जहां तक चौपाय का सवाल है उनक क म ह और मानव जा तयां ह।
मनु य म भी चार लाख कार क े णयाँ ह। इस कार वै दक समाज व भ वण और आ म म वभा जत था। इसका एकमा कारण समाज
का सुचा प से काय करना और अंततः भगवान के पास आ या मक नवास पर वापस जाने क सु वधा दे ना है। ब आ मा के
पास एक शरीर और मन भी होता है जसे जुड़ाव क आव यकता होती है।
भौ तक कृ त के तीन गुण और उनसे जुड़े काय के अनुसार मानव समाज के चार वभाग मेरे ारा बनाए गए ह। और य प म इस व ा का नमाता ं फर
वण
मनु य के बु मान वग से शु होकर ज ह तकनीक प से ा ण कहा जाता है वे स वगुण म त ह। अगला है शास नक वग जसे रजोगुण म त होने के
कारण तकनीक प से य कहा जाता है। ापा रक पु ष ज ह वै य कहा जाता है रजोगुण और अ ान के म त गुण म त होते ह और शू या मज र वग
यह यान रखना दलच है क यह ाकृ तक वभाजन है और इसम ज म से वभाजन का कोई उ लेख नह है।
कभी कभी ा ण के ब े वयं को ा ण घो षत करते ह यह स य नह है
कृ ण इसका समथन नह करते. जाना त इ त ा ण जो पूण स य को जानता है और उसके आधार पर जीवन जीता है वह ा ण कहलाता है। सफ पये
नभर है और वफादार और वन रहेगा। जो कोई भी यह सोचता है क वह एक महान ा ण है वह घमंड के कारण गरा आ है और े ता क भावना का शकार है।
साथ ही संबं धत प रवार म ज म लेने से मलने वाले अ त र लाभ से भी इनकार नह कया जा सकता। जस कार एक डॉ टर का
बेटा भले ही डॉ टर न हो ले कन च क सा संबंधी शत को आसानी से समझ सकता है य क उसने अपने पता को च क सा के
े म ै टस करते दे ख ा है। एक सेना के जवान का बेटा वाभा वक प से सेना म शा मल होने का चयन करेगा य क उसने न त प
से ह थयार और गोला बा द के साथ काम करने और नाग रक क र ा करने क इ ा वक सत क है। इसी कार एक ा ण पु या पु ी
आसानी से वै दक अवधारणा को आ मसात कर सकता है और यही बात अ य वण के लए भी सच है।
कोई यह तक दे सकता है क य द सभी ा ण बन जाएंगे तो कौन लड़ेगा और कौन मैदान म काम करेगा।
दरअसल ऐसा कभी नह होने वाला है. ा ण बनने के लए को शा का अ ययन करना होगा और प व ता का जीवन
जीना होगा। सभी ऐसा नह कर सकते इस लए कु छ य बन जायगे और
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ा ण के लए
शां त आ म नयं ण तप या प व ता स ह णुता ईमानदारी ान बु और धा मकता ये ाकृ तक गुण ह जनके ारा ा ण काय
करते ह।
य के लए
वीरता श ढ़ संक प साधन संप ता यु म साहस उदारता और नेतृ व य के काय के वाभा वक गुण ह।
वै य और शू के लए
प रचया मक कम शू या प वभावजम्
भारत के लोग गव के कारण वयं को य या वै य या ा ण घो षत करते ह ले कन सभी वतमान म ऐसे वेतन पर काम कर रहे ह जससे
पता चलता है क वे शू ह। वा तव म सभी वण के सभी ई र पर व ास करते ह जब क वतमान समाज ई र वहीन जीवन और
अ यंत ख का जीवन तीत करता है। हमने इस सम या का अंत म समाधान दान कया है।
आ म
उसी कार लड़ कय को उनक माताएँ घर पर शा ो आ ाएँ समझाकर श त करती थ । आधु नक लोग क यह गलत धारणा
है क वै दक काल म म हला को कु छ भी सीखने क अनुम त नह थी। ये ब कु ल भी सच नह है. वे शा और ल लत कला यो ा
कौशल आ द म नपुण थे। जब राजा अशोक ने क लग पर क ज़ा करने क को शश क और सभी पु ष हार गए तो म हलाएं लड़ने के लए आगे
आ । मुगल ारा राजपूत पर आ मण करने के बाद म हला राजपूत ने भी त परता से बहा री से यु कया। उसी कार मंडन म क
प नी ने वै दक आदे श पर बहस के ारं भक चरण म शंक राचाय को हरा दया था। वतं ता सं ाम क लड़ाई लड़ने वाली झाँसी क महान
रानी स ह।
म हला को बचपन से लेक र बुढ़ापे तक वशेष सुर ा द जाती थी। बचपन म माता पता और र तेदार उनक र ा करते थे युवाव ामपत
और ससुराल वाले र ा करते थे और बुढ़ापे म बेटे के साथ साथ प रवार के अ य सद य उनक दे ख भाल करते थे। म हला को वभावतः
सुर ा क आव यकता होती है आज़ाद के नाम पर उ ह खुला नह छोड़ा जा सकता। समाज क संरचना और आवासीय ान भी भ थे।
यह आव यक है अ यथा इससे गलतफह मयां बढ़गी। जैसे सेना के वाटर नाग रक से अलग होते ह. पु लस वाटर नाग रक से र ह। इसका
कारण व भ वण और आ म के संबं धत य को अ धक बेहतर दशन करने म सहायता करना है।
एक क एक साथ दो भू मकाएँ होती थ एक वण जससे वह संबं धत होता था और सरा आ म। उदाहरण के लए कोई चारी
हो सकता है ले कन उसका झान वै य क ओर हो सकता है हालां क उससे ा णवाद गुण को वक सत करने क अपे ा क जाती है।
कोई गृह हो सकता है ले कन य या वै य या अ य दो क ट म म शा मल हो सकता है। जी वत इकाई के जीवन के दो पहलू ह एक
सशत कत शरीर और मन का कत और संवैधा नक कत आ मा का कत ।
इन भू मका को आपस म बदला नह जा सकता य क इससे गलत प रणाम सामने आएंगे। य द कोई वै य य करता है तो वह डाले गए
घी को दे ख ेगा और आ या मक लाभ का अनुमान लगाने के बजाय य क लागत का अनुमान लगाने का यास करेगा। य द कसी चारी को
ववाह करने के लए मजबूर कया जाता है तो ववाह के बाद वह नय मत प से प व ान पर भाग जाएगा और संत क संग त क तलाश
करेगा उसक प नी नराश हो जाएगी। उसी कार य द गृह वृ के को कठोर नयम के साथ चारी आ म म रहने के लए मजबूर
कया जाए तो आ म क चारद वारी जेलखाने के प म दखाई दे गी। इस लए कसी को नया को भा वत करने म समय बबाद
नह करना चा हए ब क झुक ाव को समझना चा हए और अपना पेशा चुनना चा हए।
कभी कभी जै वक च वाले छा पर माता पता इंज ी नयर बनने के लए दबाव डालते ह। जब वे वषय वशेषकर ग णत दे ख ते ह तो उनका मन
करता है क कताब फाड़ डालूँ। यह होना बेहतर है
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एक नराश और असंतु इंज ी नयर बनने क अपे ा एक छोटा सा डॉ टर बनना। क रयर का चयन छा के झान के आधार पर होना चा हए न क
झान के आधार पर। न त प से व र को यान म रखा जाना चा हए अ यथा हर कोई स चन के टर बनने का सपना दे ख ता है और
बेरोजगार रहना चाहता है या खेल के मैदान पर पानी क बोतल स लाई करना चाहता है य क के वल को ही चुना जा सकता है।
वणा म का उ े य
वानुनो हत य धम य स स र ह रतोणम्
जा त वभाजन और जीवन के म के अनुसार अपने वयं के वसाय के लए नधा रत कत का नवहन करके कोई भी सव पूण ता ा त
कर सकता है वह भगवान के व को स करना है।
भारत म आज भी यह सं कृ त व मान है। पूरे गांव के लए पूज ा का क एक मं दर होगा और वहां कानून और व ा होगी जसके लए एक
ब त ही भरोसेमंद होगा
नयु करना। कसान अपना अनाज और अ य उपज दे वता को अ पत करते ह और अ त र अनाज गरीब लोग को दान म वत रत करते ह।
सभी लोग योहार और भगवान के द जुलूस का ज मनाने के लए एक साथ आएंगे। यही जीवन का ल य है. सभी ग त व धयाँ इस कार क
जानी चा हए क वे हम भगवान क म हमा को पढ़ने और सुनने के लए े रत कर।
भगवान कृ ण को हमेशा याद रखना चा हए और कभी भी नह भूलना चा हए। शा म व णत सभी नयम और नषेध इ ह दो स ांत के
सेवक होने चा हए।
हे कुं ती पु तुम जो कु छ भी करते हो जो कु छ खाते हो जो कु छ चढ़ाते या दान करते हो और जो भी तप या करते हो उसे मुझ े अपण
करके करो।
आधु नक समय के इ तहासकार ने इस वषय पर शोध अव य कया है ले कन ठोस तु त दे ने म असफल रहे। उ ह ने घ टत ऐ तहा सक
घटना क जानकारी द है और समाज पर उनके मनोवै ा नक और आ या मक भाव को भुला दया है। हम इसका एक सं त
अवलोकन करगे। जैसा क शा म दज है क साल पहले और लगातार स दय तक पूरे ह पर वै दक राजा और परी त
जनमेज य आ द जैसे शासक का शासन था। ये राजा सामा य शासक नह थे उ ह ने अपने काय को भगवान क सेवा के प म काया वत कया
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भु का सेवक. जस कार बक म एक खजांची मु ा को बक और ाहक के साथ जोड़कर अपने वामी के प म दे ख ता है उसी कार
राजा ने कृ त के संसाधन का उपयोग सव और जा के साथ संबंध को पहचानते ए अपने वामी के प म कया।
जैसे जैसे वष आगे बढ़े क लयुग बढ़ता गया। जैसा क हमने पहले बताया है क यह युग धा मक स ांत के ास और पतन के लए है। आम जनता
म पाखंड और झगड़ा आम बात हो जाएगी। ा ण या समाज का मु खया वग आचरण म हो गया। उ ह ने आदर और आदर को ह के म
लया जससे य म अ व ास पैदा हो गया जो आँख मूँदकर उनके आदे श का पालन करते थे। तब वै य को जो हमेशा राजा को कर दे ने
से बचते थे ऐसा न करने का एक कारण मल गया। अ य सभी वग ारा शू का पयोग कया जाता था। धीरे धीरे सबके मन म वाथ घर
कर गया। इससे अराजक तयाँ पैदा हो ग ज ह महान चाण य ारा नद शत राजा चं गु त के शासनकाल के दौरान फर से नयं ण म
लाया गया।
यह मुगल के लए भारत म वेश करने के लए ऐ तहा सक प से फायदे मंद था। संयु य यास को न कर दया गया यही कारण है
क मराठा पूरी नया पर शासन करने के लए पया त मजबूत होने के बावजूद ऐसा करने म असमथ थे। इसके अलावा जब ा ण ने अपनी
श का पयोग कया तो य ने उनक मदद नह क और वे वेद के कम कांड अनुभाग का पयोग करने लगे। यह अनुभाग
अ यंत न न ेण ी के पु ष के लए है जो व भ य के मा यम से भौ तक लाभ ा त करना चाहते ह। य क परी ा पशुब ल से होती है। य द
य से पशु पुनः जी वत हो जाता है तो इसका अथ है क य सफल आ। ले कन धीरे धीरे यह वेद के नाम पर अ त र हसा म बदल गया।
कभी कभी कसी क आंख म मो तया बद हो जाता है इसका मतलब यह नह क आंख नकाल ली जाएं।
इसका इलाज उ चत दवा से करना होगा य क सम या मो तया बद है आंख नह । उसी कार वेद का पयोग अ ानता के कारण आ य प
वेद जीवन का बोध कराते ह। क लयुग म भगवान बु ऐसे पशु ब ल को समा त करने और सामा य प से लोग का यान भटकाने के लए
कट होते ह। भागवत पुराण . . ारा इस उ े य क भ व यवाणी इस कार क गई थी
फर भी कु छ पुरो हत वग के लोग ने े ता क भावना के कारण इनकार कर दया और असुर ा क भावना के कारण मज र वग के लोग के
साथ वहार कया। इससे कटु ता और घृण ा उ प ई। जब मुगल ने आ मण कया तो इ लामी दशन को जो वै दक दशन क तुलना म
ब त ही आ दम तीत होता है वेश मला। मुगल ने इसे एक अवसर के प म लया और ऐसे वग के लोग को इ लामी जीवन शैली म
प रव तत होने के लए मजबूर कया। इसी लए भारत म ब त से मुसलमान के उपनाम ह होते ह।
इससे समाज म और अ धक वभाजन बढ़ गया। अब समाज क सभी जा तय ब क छोटे मोटे काया मक वभाजन का अपना अपना एजडा था
और वे अपनी अपनी समझ के आधार पर शा ो री त रवाज क ा या करते थे जो भी दे वता चाहते थे उ ह ा पत करते थे और
अपनी पसंद के अनुसार पूज ा करते थे। ा ण और य े णय के लोग ने अपना आकषण और श खो द । वै य भी फल फू ल नह सके और
गरीबी के शकार हो गए और शू गुमराह और असमंज स क त म रहे। एक राजा थे ज ह ने इन सभी फज अवधारणा को समा त
कर दया और उ चत वणा म क ापना क ले कन वह लंबे समय तक शासन नह कर सके । वह कोई और नह ब क महान छ प त
शवाजी महाराज थे। इस महान आ मा को शत शत नमन जनक क णा क कोई सीमा नह थी और कसी भी अ याय के व तलवार उठ जाती
थी।
इसके अलावा शासन अं ेज के हाथ म चला गया ज ह ने फू ट डालो और राज करो क नी त का इ तेमाल कया। जैसे कौआ बैल क घायल पीठ
पर बैठता है जो तकार नह कर सकता उसी कार अं ेज ने भारतीय जा त व ा के वकृ त प को पकड़ लया। घाव पर चोट करते ए
इसने श शाली दे श को टु क ड़ म बांट दया जसे पूरा करने म सकं दर भी असफल रहा। या अभी भी जारी है और लोकतं
कायम होने तक जारी रहेगी। अब ऐसे अन गनत कारण ह जनक वजह से दे शवासी एक सरे से लड़ सकते ह धा मक पृ भू म आ थक पृ भू म
आर ण णाली और कई अ य मु े । ले कन सभी मतभेद को भुलाकर एकजुट होकर काम करने का एक ही कारण है क हम ई र
को क बनाकर सम या का समाधान कर सक और उनक बात पर चलकर पृ वी और रा का गौरव वापस ला सक।
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लगते ह ले कन इनम आ या मक समझ ब कु ल नह होती। समाज और संसार उ चत सर और टू टे ए हाथ पैर और उभरे ए पेट से वहीन है
समाधान
मनौ नानोहाने या य कृ त ा न कण त
इस ब जगत म जीव मेरे शा त अंश ह। वातानुकू लत जीवन के कारण वे छह इं य के साथ ब त क ठन संघष कर रहे ह जसम
मन भी शा मल है।
लड़ रहे ह। अंतर बाहरी ल ण ह जो अगले ज म म बदल सकते ह य द कोई आज राजा है तो वह अगले ज म म ब ू बन सकता है या
ये सब जीव पर उसक इ ा के आधार पर काल और कम का भाव है। अत इस जा त वषय पर चचा करने से भी या लाभ य क सभी
ी चैत य महा भु का न कष है क सेवक के सेवक क मनोदशा म भगवान और उनके भ क सेवा करने से जीवन का उ तम तर ा त होता है।
नाहा व ो ना च नर प त ना प वै यो ना शु ो
नाहा वरे न च गहा प तर नो वन ो य तर वा
क तु ो ान न खल परमान द पूण मता ेर
गोपे भतुः पद कमलयोर दास दासानुदासः
पालनकता भगवान ी कृ ण के चरण कमल के सेवक के सेवक के प म ही पहचानता ँ। वह अमृत के सागर के समान है और वह सावभौ मक
पारलौ कक आनंद का कारण है। वह सदै व तेज वता के साथ व मान रहता है।
भगवान मनु य क तरह भेदभाव नह करते। भगवान राम ने शबरी के हाथ से फल खाए थे
समाज के नचले तबके से. उसने वयं आधा चखकर फल दये। भगवान राम उनक भ म च रखते थे और बाहरी चीज क ब कु ल भी परवाह
नह करते थे। भगवान राम ने यह व ाम कया था
आ दवा सय के राजा गुहा का ान। उडु पी म भगवान कृ ण क मू त कनक दास को दशन दे ने के लए घूमी जो चरवाह के समुदाय से
थे। कनक दास को व र ारा ता ड़त कया गया था क वे उनके सामने अपनी भ न दखाएं और बेहतर होगा क वे अपनी भू म छोड़
द
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उडु पी े . ले कन उनके आ या मक गु ने उ ह वह रहने और भ सेवा क म हमा का चार करने का आदे श दया। घमंडी और असुर त ा ण ने उसे तब तक
पीटा जब तक क भगवान पलटे नह और द वार टू ट न गई। उनके गीत आज भी कनाटक और वै णव मंडल म गाए जाते ह।
भगवान कृ ण ने कु जा को शु कया जो बदसूरत दखती थी और कं स क दासी थी। वह वयं यशोदा और नंद महाराज के साथ रहे जो पेशे से वाले थे। भगवान अपने भ
ई र को जीवन का क ब मानने से जीवन क सभी सम या का समाधान हो सकता है। हम गौरवशाली दन वापस ला सकते ह। यह भ व यवाणी क गई है क अगले
वष शां त के लए व णम वष के प म च त कए जाएंगे और समृ धीरे धीरे बढ़े गी और काली का भाव यूनतम होगा और फर काली अपना भाव डालेगी।
ह रनाम संक तन क श
एक बार ी चैत य महा भु ह रनाम संक तन करते ए झारखंड के जंगल से गुज र रहे थे सभी जानवर एक ए और एक सरे को गले लगाने लगे। वे अपनी भूख यास भूल
गए और बड़े उ लास के साथ प व नाम क व न पर नृ य भी करने लगे। भगवान कृ ण के प व नाम को सुनने के बाद आ मा को आनंद क अनुभू त होना ब त वाभा वक है।
हमने उन मं दर म दे ख ा है जहां ह रनाम संक तन कया जाता है छोटे ब े ज ह कु छ समझ नह है वे भी प व नाम क व न पर नृ य करते ह।
शु ो शु ो न य मु ो भ वं नाम न मनोù
कृ ण का प व नाम द प से आनंददायक है। यह सभी आ या मक आशीवाद दान करता है य क यह वयं कृ ण ह जो सभी सुख के भंडार ह। कृ ण का नाम पूण
है और यह सभी द मधुरता का प है। यह कसी भी हालत म भौ तक नाम नह है और यह वयं कृ ण से कम श शाली नह है। चूँ क कृ ण का नाम भौ तक गुण
से षत नह है इस लए इसके माया से जुड़े होने का कोई सवाल ही नह है। कृ ण का नाम सदै व मु दायक और आ या मक है यह कभी भी भौ तक कृ त के नयम से बंधा
नह होता। यह है
कोई भी इन नाम का जाप कर सकता है और अपने जीवन को बेहतर बना सकता है। ह रनाम संक तन करने के लए कोई नयम कायदे नह ह। नया भर के लोग को
क सव श होने के कारण उनके भ क शरण लेक र शु कया जा सकता है। म उ ह सादर णाम करता ं।
अंतरा ीय कृ ण भावनामृत संघ के सं ापक आचाय उनके द अनु ह ए.सी. भ वेदांत वामी भुपाद ारा नया भर म
फै लाए गए प व नाम क श के कारण अब इस अ यास को लाख लोग ने वीकार कर लया है और इसक सराहना क है। हमारा
काम इस मशन को जहां भी संभव हो फै लाना है। आइए मतभेद को भुलाकर एक साथ आएं और अंधकार के इस युग के लए ह रनाम संक तन य
कर और इसी जीवन म भगवान के पास वापस लौट।
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संदेह
कु छ मानक उन लोग ारा पूछे जाते ह ज ह धम ंथ के बारे म आधी जानकारी होती है।
शायद उ ह ई र के व ान म श त करने क आव यकता है। आधु नक युग म इंडोलॉ ज ट व ान ने आ ा को कम करने और वेद
को पौरा णक कथा के पम ा पत करने के अपने उ े य के अनु प सं कृ त सीखी और धम ंथ का अनुवाद कया। टश व ान ने कु छ
वीर च र को बदनाम कया और रा सी च र को उ चत ठहराया। श ा व ा पर उनक पकड़ मजबूत होने के बाद ऐसा कया गया।
कई भारतीय लेख क ने आसुरी या पा पा को मु य आदश मानकर और उनके कृ य को उ चत ठहराने वाले तक पर जोर दे ते ए
उप यास लखना शु कर दया। हम यहां कु छ ऐसे वषय तुत कर रहे ह जो पैदा ए ववाद को सुलझाने म मदद करते ह।
एकल
एकल नषाद जनजा त के राजा हर य धनु का पु था। एकल ने यु और तीरंदाजी क व ा धनुवद सीखने के लए ोणाचाय
से संपक कया। ोणाचाय ने उसे अ वीकार कर दया। जस पर एकल ने अपने दम पर ोण का एक व ह तैयार कया और वयं ही
कौशल सीखना शु कर दया। एक दन पांडव जंगल म शकार खेलने गये। उनके साथ एक कु ा भी था जो अपना रा ता भूल गया और जंगल
म फं स गया।
कु ा एकल के पास आया और भ कने लगा। जैसे ही कु े ने उस पर भ कना जारी रखा एकल ने उसके मुंह म सात तीर मारे इतनी
तेज़ ी से क वे सभी एक ही बार म उड़ने लगे। अपने मुँह म बाण से भरा कु ा वापस पांडव क ओर दौड़ा। जब पांडु के वीर पु ने यह दे ख ा तो वे
ब त आ यच कत ए य क कु े के मुँह को बंद करने से पहले ही सभी सात बाण उसके मुँह म जा घुसे थे। उ ह ने इस असाधारण उपल क
सूचना ोणाचाय को द । ोणाचाय अजुन के साथ उनसे मलने गये। यह दे ख कर क मेरे आ या मक गु आये ह एकल स हो गया।
ोणाचाय ने गु द णा म उनके दा हने हाथ का अंगूठा मांगा। उसने ख़ुशी से तुरंत दे दया.
इसके वपरीत य द एकल एक स ा श य था तो उसे सबसे पहले अपने आ या मक गु के नदश का पालन करना चा हए था। ब क
उ ह ने आगे जाकर अपने गु को बना बताए यह व ा सीख ली। ऊपर से उसने एक कु े को मारा जो एक स े यो ा को शोभा नह दे ता।
एकल ने यह सा बत करने के लए क वह वफादार है अहंक ारवश तुरंत अपना अंगूठा छोड़ दया ले कन अपने आ या मक गु से
मा मांगना भूल गया।
कण
कण का ज म कुं ती के कान से आ था य क उ ह ने वासा मु न ारा दए गए वरदान को आज़माने का यास कया था। बाद म उसे ब े
का नपटान करना पड़ा य क वह समाज के त जवाबदे ह नह थी। कण का पालन पोषण राधा और एक बढ़ई अ थरथ ने कया था कण
श व ा सीखने के लए ह तनापुर आये। जब उसने भीम क ताकत अजुन क फु त यु ध र क बु म ा और जुड़वा ब क वन ता
दे ख ी तो वह ई या से जलने लगा। वह कृ ण और अजुन क म ता तथा सामा य जनता का यु ध र के त नेह सहन नह कर सका। फर
उसने य धन के वभाव और सभी पांडव के त उसक नफरत के कारण उससे दो ती कर ली। यह बात महाभारत के शां त पव म नारद मु न
ने कही है।
परशुराम ने गु से म कण से कहा हे मूख कोई भी ा ण इस तरह का दद नह सह सकता। आपका धैय एक यो ा क तरह है. तु ह मुझ े सच
सच बताना होगा क तुम कस जा त म पैदा ए हो।
कण ने डरते डरते अपनी पहचान और यहां आने का कारण बताया। परशुराम इस बात से ो धत ए क इस ने उनसे झूठ बोला है। उ ह ने
कण को इन श द म ाप दया चूं क तुमने मुझ से झूठ बोला है और झूठे दखावे के तहत मेरे पास आए हो म कहता ं क जब तुम अपने सबसे
बड़े श ु से लड़ रहे हो तो तुम ा ह थयार के मं को याद नह कर पाओगे। तु ह अब मेरा आ म छोड़ दे ना चा हए य क इस तरह के झूठे
वहार के लए यहां कोई जगह नह है।
परशुराम से श व ा ा त कर कण य धन क संग त म अपने दन गुज ारने लगा। एक समय क बात है ब त से राजा च ांगदा नामक राजा के
शासन वाले क लग दे श म गये। शहर का नाम राजापुरा रखा गया। यह सुनकर क राजा क बेट को पाने क आशा से कई राजा इस शहर म इक े
ए थे कण के साथ य धन भी समारोह म शा मल आ। जब इन राजा ने अपना उ चत ान हण कर लया तो राजा क बेट अपने र क
के साथ मैदान म दा खल ई। वह सचमुच सु दर थी और सभी राजा उसक ओर आक षत थे। जब उसे उप त राजकु मार और राजा के बारे
म बताया जा रहा था तब वह सुंदर युवती य धन के पास से गुज री और उसने उसे अ वीकार कर दया। अपनी अ वीकृ त को सहन न करते
ए और कण क श पर भरोसा करते ए य धन ने युवती को बलपूवक ले लया और उसे अपने रथ पर बठा लया। उप त सभी राजा
म बड़ा हंगामा मच गया और उन सभी ने तुरंत य धन से लड़ने के लए अपने कवच पहन लए। जैसे ही उ ह ने भागते ए राजा का पीछा
कया कण उ ह चुनौती दे ने के लए खड़ा हो गया। उ ह ने अके ले ही उनसे यु कया और उ ह हरा दया। उसने उनके धनुष भाल
भाल गदा और ला ठय को तोड़ डाला। उसने उनके घोड़ और सार थय को मार डाला पर तु उ ह उनके ाण के साथ छोड़ दया। इस
कार य धन ने श शाली कण क कृ पा से अपनी रानी ा त कर ली।
कुं ती ने महाभारत यु से पहले कण को पांडव के साथ अपने र ते के बारे म बताने क को शश क थी। उसने उसे अपनी मनी छोड़ने के लए
मनाने क को शश क । सूय दे व ने भी उनसे बात क ।
हालाँ क य धन के साथ अपनी घ न म ता के कारण उसने अपनी त नह बदली। वह है कु संग त क श । एक अ ा या
बुरा इस पर नभर करता है क वह कसके साथ जुड़ना चाहता है। य धन क संग त म कण झूठ बोलने लगा अधा मक काय म सहयोग दे ने
लगा।
तब कृ तवमन ने उसके घोड़ को मार डाला और कृ पा ने उसके प हय के र क को मार डाला। यु म अ यायपूवक परा जत होने पर अ भम यु
ोध से भड़क उठा। कण ने गलत तरीक का इ तेमाल कया वह भी एक युवा यो ा अ भम यु के साथ। अंततः बड़े यो ा को मलकर
अ भम यु का वध करना पड़ा।
जुए म जीत हा सल करने पर य धन ने आदे श दया क ौपद को महल म झाडू लगाना चा हए जब क कण जो अपनी सारी बु खो
चुक ा था ने उसे ऐसा करने का आदे श दया।
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पूरी सभा के सामने नंगा कर दया। यह वही कण है जसे धम क कोई समझ नह थी और वह बुरी संग त और ई या म अंधा हो गया था।
जब कण क मृ यु का समय आया तो काल समय वहां कट आ और उसने कण को बताया क उसक मृ यु नकट है। काला ने उससे कहा पृ वी तु हारे
अचानक कण को अपने द ह थयार को बुलाने के लए मं याद नह आए। वह अचानक भूल गया क जस ा अ से वह अजुन को मारना चाहता
था उसे कै से बुलाना है। कण के रथ का प हया तब धरती म धंस गया और आगे नह बढ़ा। जब ऐसा आ तो उ ह ने सोचा क नय त ही सव प र है।
इसी समय कण अपने रथ से उतरकर उसे पृ वी से छु ड़ाने का य न करने लगा। हालाँ क यह हलेगा नह । कण आँसू बहा रहा था और अजुन को अपने
ह थयार छोड़ने के बारे म दे ख कर उसने उससे अनुरोध कया हे पाथ जब तक म इस रथ को पृ वी से मु नह कर लेता तब तक एक ण को। मुझ े
कायर क तरह मत मारो ब क महान यो ा क था का पालन करो आप नया के सबसे बहा र आदमी ह और आपको पता होना चा हए क अब
कण क वनती सुनकर भगवान कृ ण ने कहा यह सौभा य है क अब तु ह पु य याद आ रहा है। यह आप ही थे ःशासन य धन और शकु न ज ह ने
ौपद को न न दे ख ने के वचार से राजा क सभा म लाने का आदे श दया था। तब पु य कहां था हे पापी जब यु ध र को धोखेबाज शकु न ने पासे म
अ यायपूवक हरा दया था तब तु हारे मन म पु य य नह आया जब भीम को पापी य धन ने जहर मला आ के क खलाया तब तु हारे मन म पु य य
नह आया बाहर जब पांडव को तेरह वष के लए वन म नवा सत कया गया था तब आपका पु य कहाँ था जब ौपद को राजा क सभा म घसीटा
स तापूवक दे ख ा।
उस समय आपका पु य कहाँ था जब अ भम यु छह महान यो ा ारा अनु चत प से परा जत हो रहा था तब आपके नै तक श द कहाँ थे य द ऐसे
समय म आपके मुँह से कभी स ण नह नकला तो फर अचानक आप धम क माँग य कर रहे ह हे पापी मनु य आज तू अपने ाण से बच नह पाएगा।
कमलनयन भगवान के वचन से सहमत होकर अजुन ने शी ता से कण के रथ का वज काट डाला। वह वज जससे कौरव सेना को बड़ी ेरणा
मली वह महान नायक क मृ यु का तीक होकर जमीन पर गर गया। तब अजुन ने अपने तरकश से एक अंज लका ह थयार नकाला जो इं के व के
समान था। यह तीर छह फु ट लंबा था और मौत क धधकती ई छड़ी जैसा दखता था। धनुष पर बाण चढ़ाते ही पृ वी कांपने लगी और आकाश
अ त व न से गूंज उठा। अजुन ने अपने धनुष को पूरी ल बाई तक फै लाकर व क व न के साथ उस बाण को छोड़ दया। आकाश को भेदकर
कुं ती महारानी
वह जीवन क शारी रक अवधारणा से र हत थी और कृ ण क सव ता के बारे म जानती थी। उसने अपनी एक ाथना म इसका उ लेख
कया है
हे ांड के भगवान ांड क आ मा हे ांड के प व कृ पया मेरे र तेदार पांडव और वृ णय के त मेरे नेह के बंधन
को तोड़ द।
वह ज म से वृ ण वंश क थी और राजा पांडु से ववाह के बाद वह पांडव के वंश से जुड़ गयी। फर भी वह इन शारी रक पदनाम के
साथ अपनी पहचान नह बनाना चाहती और भौ तक चेतना से छु टकारा पाना नह चाहती।
फर भी कभी कभी ा नय ारा उ ह गलत समझा जाता है जनम भ क उ चत समझ का अभाव है। ानी नै तकता को पारलौ कक
वषय से ऊपर रखते ह और े भ के जीवन क गलत ा या करते ह। तक ये है क उसने शाद से पहले ही ब े को ज म दे दया था. यहां
जीवन का ववरण सं ेप म दया गया है य क सभी घटना का व तार से उ लेख करने से महाभारत को फर से लखना पड़ेगा।
महाराजा पांडु बाद म पा रवा रक जीवन से सं यास लेक र सं यास जीवन अपनाना चाहते थे। कुं ती ने अपने प त को ऐसा जीवन अपनाने क
अनुम त दे ने से इनकार कर दया ले कन अंततः महाराज पांडु ने कु छ अ य उपयु य को बुलाकर उ ह पु क मां बनने क अनुम त दे द ।
कुं ती ने पहले तो इस ताव को वीकार नह कया ले कन जब पांडु ने वलंत उदाहरण तुत कये तो वह मान गयी। इस कार वासा मु न
ारा द मं के भाव से उसने धमराज को बुलाया
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और इस कार यु ध र का ज म आ। उसने दे वता वायु का आ ान कया और इस कार भीम का ज म आ। उसने वग के राजा इं को बुलाया और इस कार अजुन का
बाद म महाराज पांडु क कम उ म ही मृ यु हो गई जससे कुं ती इतनी खी क बेहोश हो ग । कुं ती और मा नामक दो सह प नय ने फै सला कया क कुं ती को पांच
नाबा लग ब पांडव के भरण पोषण के लए जी वत रहना चा हए और मा को अपने प त के साथ वै क मृ यु ा त करके सती था वीकार करनी चा हए।
बाद म जब य धन क सा जश के कारण पांडव को रा य से न का सत कर दया गया तो कुं ती ने अपने बेट का पालन कया और उन दन सभी कार
क क ठनाइय का समान प से सामना कया। वन जीवन के दौरान एक रा स क या ह ड बा भीम को अपने प त के प म चाहती थी।
भीम ने इनकार कर दया ले कन जब लड़क कुं ती और यु ध र के पास प ंची तो उ ह ने भीम को उसका ताव वीकार करने और उसे एक पु दे ने का आदे श दया। इस
संयोजन के प रणाम व प घदोतकाका का ज म आ और उसने कौरव के खलाफ अपने पता के साथ ब त बहा री से लड़ाई लड़ी। अपने वन जीवन म वे एक ा ण
प रवार के साथ रहते थे जो एक बकासुर रा स के कारण संक ट म था और कुं ती ने रा स ारा पैदा क गई परेशा नय से ा ण प रवार क र ा करने के लए भीम को
बकासुर को मारने का आदे श दया। उ ह ने यु ध र को पंचालदे श क ओर ान करने क सलाह द । ौपद को इसी पंचालदे श म अजुन ने ा त कया था ले कन कुं ती के
आदे श से पांच पांडव भाई समान प से ौपद के प त बन गए। ासदे व क उप त म उनका ववाह पांच पांडव के साथ आ था। कुं तीदे वी अपने पहले ब े कण को
महाराजा पांडु से ववाह से पहले उनका सबसे बड़ा पु । बाद म वह गांधारी के साथ घोर तप या के लए वन म चली ग । वह हर तीस दन के बाद भोजन करती थी। अंततः वह
आमचेयर स े बाज वा त वक त को समझ नह सकते ह और तय पर अपनी इ ानुसार ट पणी करते ह। भ के जीवन को भ से ही समझना होगा अ यथा जीवन
मैच फ संग क शु आत साल पहले य धन और शकु न क इ ा से आयो जत जुए के मैच से ई थी। जब य धन का पांव फसल गया और वह पानी म गर गया तो
उसे पांडव के महल म अपमा नत महसूस आ। बदला लेने के लए उसने अपने पता से ऐसा वहार करने का अनुरोध कया क पांडव अपना सब कु छ खो द। य धन के
पता धृतरा ने व र को जुआ मैच आयो जत करने क एक ामक योजना के बारे म सू चत कया।
जब शाही सभा म जुए क शु आत ई तो व र को यह एहसास आ क यह क लयुग क शु आत है। धृतरा ने व र को इं भेज ा और पांडव को आमं त
कया
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ह तनापुर. यु ध र के नमं ण को अ वीकार न कर पाने का एक कारण यह था क यह उनके चाचा धृतरा और राजा धृतरा क इ ा थी।
पांडव ज द ही कु क राजधानी ह तनापुर प ंचे जहां धृतरा ने उनका सतही वागत कया और सुंदर ढं ग से सुस त कमरे उपल कराए।
जब ऐसे कृ य म कोई नै तकता नह है तो आप जुए क इस कार शंसा य करते ह बु मान लोग पासे म मा हर के साथ खेलने क सलाह नह दे ते। हे
यो ा।
यह वजयी होने क इ ा से है शकु न ने उ र दया एक सरे के पास जुआ खेलने के लए जाता है। ले कन ऐसी इ ा वा तव म बेईमानी नह
है। जो जुए म मा हर है वह उस को हराने के लए सरे के पास जाता है। इसी तरह जो जुआ खेलने म मा हर है। ह थयार के इ तेमाल
म वशेष कमजोर मन को हराने के वचार से उसके पास जाता है। हर तयो गता म यही अ यास होता है। मकसद जीत है। अगर आपको लगता है क
शु आत म यु ध र ने खेलने से मना कर दया और अपनी चता क ले कन य धम का पालन करते ए उ ह चुनौती वीकार करनी पड़ी।
यु ध र को जुआ नह खेलना पड़ा। वह बु मान था और जानता था क या सही है और या गलत। वह भगवान का शु भ था। हालाँ क उ ह लगा क त
यु के लए चुनौती दे सकता था या वह शकु न के साथ जुआ खेलने से इनकार कर सकता था। ये सभी चीज करना तकसंगत तीत होता है। हालाँ क भगवान
सदै व पांडव के साथ थे। इसे स करने के लए उ ह ने राजसूय य म वन भू मका नभाई। जब तक पांडव शु भ नह थे उ ह भगवान का
इतना घ न सा न य कै से ा त हो सकता था
उनके पहले तपण से धृ ु न का ज म आ और सरे तपण से ौपद का ज म आ। इस लए वह धृ ु न क बहन है और उसका नाम पांचाली भी है।
पाँच पांडव ने उनसे एक सामा य प नी के प म ववाह कया और उनम से येक ने उनसे एक पु उ प कया। महाराज यु ध र को तभात नामक पु
ये शाद बेहद खास थी. शु आती दन म राजकु मारी वयंवर म अपने प त का चयन करती थ । वयंवर का उ े य राजकु मारी ारा द गई परी ा के आधार पर
व भ आमं त लोग का परी ण करना था। उसके वयंवर म नया भर से राजा आये थे। एक धनुष था और धनुष को उठाकर उस पर यंचा चढ़ानी पड़ती
थी। धनुष पर यंचा चढ़ाने वाले को भी मछली क आंख को सीधे दे ख कर नह ब क फश पर पानी के बतन म उसका त बब दे ख कर उसक आंख को छे दना
होता था। इसके अलावा मछली के सामने ब कु ल आंख के आकार के गैप वाली एक ड क घूम रही थी। यह चुनौतीपूण था.
कई राजा धनुष को उठाने म असफल रहे कु छ धनुष पर यंचा चढ़ाते समय जमीन पर गर पड़े ले कन कोई भी धनुष को उठा नह सका। जब कण ने वेश कया तो
ौपद ने उससे ववाह करने से इनकार कर दया। नयम के अलावा राजकु मारी को कसी ऐसे को अ वीकार करने क भी वतं ता थी जसके बारे म उ ह
लगे क वह यो य नह है।
जब कण नराश होकर वापस लौटा तो य धन ने उसे सां वना द । य धन धनुष उठा सकता था यंचा चढ़ा सकता था और तीर छोड़ सकता था ले कन नशाना
अब जब सभी य असफल हो गए तो पद को कसी भी ऐसे को मौका दे ना पड़ा जसने उसे सखाया हो क वह ल य बना सके । अजुन छ वेश म थे
य क वे अभी अभी वणावत क आग से बच गए थे। अखाड़े म य और ा ण अलग अलग बैठे। अजुन अपने साथ
हमारी क पना का ांगण ब क वशाल मता वाला टे डयम। के वल कृ ण और बलराम ही बता सकते थे क वे कौन थे।
अजुन चुनौती वीकार करते ए धनुष क ओर बढ़े । अब य श मदा महसूस कर रहे थे ले कन व र ा ण ने व ोह कर दया य क य द अजुन वे नह
जानते थे क वह अजुन था नह आ सका तो ा ण क त ा भी चली जाएगी। ले कन ा ण क युवा पीढ़ ने अजुन को वैसे भी आगे बढ़ने के लए पसंद कया
और उसका समथन कया। फर अजुन ने धनुष पर यंचा चढ़ायी और धनुष पर बाण चढ़ाया आँख मछली क आँख पर टक उसने धनुष छोड़ दया। न त
वहां अजुन का अ य य के साथ यु आ जसम अंततः वह वजयी आ। ले कन उ ह तुरंत ौपद और अ य भाइय के साथ उनक मां से मलने और उ ह
सू चत करने के लए जाना पड़ा। सबसे बड़े होने के कारण यु ध र माता कुं ती के पास गए और बताया क उ ह एक उपहार मला है। हम यह समझना होगा क कुं ती
हमेशा चता म रहती थी य क अगर उसके बेट को य धन ने पहचान लया तो उ ह गर तार कर लया जाएगा और मार दया जाएगा। वह लगातार उनक भलाई
के लए भगवान से ाथना कर रही थी। माँ होने के नाते कुं ती ने जब यु ध र को दे ख ा तो वह स हो गयी। उ ह ने तुरंत जवाब दया क जो भी आपको मला
बाद म जब उसे एहसास आ क उसने ज दबाजी म नणय दया है तो उसने यु ध र से उ चत नणय लेने का अनुरोध कया
फ़ै सला।
यु ध र के सामने सम याएँ थ पहली यह क वह अपनी माँ क बात रखना चाहता था और सरी यह क अजुन तब तक ववाह नह करना चाहता था जब तक
रस लीला
जब भी माता पता लड़ कय के पीछे छे ड़खानी करने वाले अपने बेट को डांटते ह तो पहला जवाब होता है भगवान भी ऐसा करता है तो हम य
नह कर सकते। लोग क यह समझ है क कृ ण का गो पय के साथ ेम संबंध एक सामा य लड़क और लड़के जैसा है। कृ ण ने साल क उ म
गोवधन उठाया था जब क आधु नक लड़के अपना कॉलेज बैग ठ क से नह उठा पाते उनक पीठ म दद होने लगता है।
हम पहले ही अपने पछले अ याय म दे ख चुके ह क कृ ण कौन ह। वह उन भौ तक बंधन से बंधा नह है जनसे अ य ब आ माएँ बंधी
ई ह। उ ह वराट वतं व कहा जाता है। उनसे अपनी तुलना करना महज़ मूख ता का तीक है.
दरअसल जब वह बांसुरी बजाते थे तो सभी गो पयां और गाय आक षत हो जाती थ । जब जीव बांसुरी क नकल करता है या बजाता है तो
आसपास के लोग बांसुरी बजाने वाले को भखारी समझकर कु छ स के फक दे ते ह।
यह रास लीला और कु छ नह ब क भगवान कृ ण का उनके अंतरंग भ उनके न वाथ े मय के साथ पार रक आदान दान है। गो पयाँ
भगवान से इतना ेम करती ह क उ ह यह भी नह पता क वह सव ह। गो पय ने कृ ण को स करने के लए अपना घर प रवार हर ऐ य
याग दया। यह भ क उ तम अव ा है। ारं भक अव ाम म र तेदार जमीन जायदाद बक बैलस से अपना लगाव बनाए
रखता है और कृ ण को भी अपने जीवन म शा मल कर लेता है। जैसे जैसे कोई समपण क ओर आगे बढ़ता है जैसे जैसे आ ा बढ़ती है वह
भौ तक इ ा को याग दे ता है और भगवान क ढ़ शरण लेता है। धीरे धीरे एक जीवन और आ मा के प म भगवान क सेवा करना
शु कर दे ता है। इस अव ाम को अपनी सु वधा और असु वधा क परवाह नह होती। भगवान और उनके भ क सेवा और
उ ह स करने के लए कोई र तेदार दो त कं पनी बॉस के वरोध और अपने अहंक ार से लेक र कसी भी हद तक जाने को तैयार रहता
है।
एक बार भगवान को सरदद आ। नारद मु न ने भगवान से उनके ठकाने के बारे म पूछा और महसूस कया क उ ह सरदद का सामना
करना पड़ रहा है। कृ ण ने कहा अगर कोई भ मेरे सर पर लगाने के लए अपने पैर क धूल दे दे तो म ठ क हो सकता ं। नारद ारका
के भीतर व भ भ के पास गए और उनसे भ के चरण क धूल माँगी। भगवान के सर पर पैर रखने का साहस कौन कर सकता है
उ व मणी स यभामा सभी ने खंडन कया। तब नारद ने वृ दावन जाकर गो पय को सम या और समाधान बताया गो पय ने तुरंत अपने पैर
क धूल एक क और नारद को स प द । यह दे ख कर नारद भी आ यच कत रह गए। उसने उ ह याद दलाया क वे अपराध कर रहे थे। उ ह ने
उ र दया य द हमारी धूल हमारे भु के सर पर रखने से वह एक ण के लए भी स हो जाते ह तो हम हमेशा के लए नरक म जाने के
लए तैयार ह।
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ये था गो पय का ेम. भौ तक जगत म ेम ने वासना का ही वकृ त प धारण कर लया है। कोई मानता है क दो शरीर को रगड़ना यार का
सव दशन है। इस संसार म ई र का ेम माँ और बेटे के बीच कु छ हद तक समझा जा सकता है। माँ लगातार ब े क दे ख भाल
करती है और ब ा माँ के आ लगन म आ य महसूस करता है। इसी कार कृ ण के त अ य धक ेम रख और कृ ण उनका ऋण कसी भी
भौ तक आशीवाद से नह चुक ा सकते। वे कसी भी आशीवाद को अ वीकार कर दे ते ह तो भगवान के पास वयं को उ ह सम पत करने के
अलावा कोई अ य वक प नह होता है।
इस नया के लोग कृ ण क तरह आनंद लेना चाहते ह ले कन वे अपने जीवन म एक म हला को ठ क से संभाल नह पाते ह। भौ तक कृ त
क रचना इस कार क गई है क य द कसी पु ष के जीवन म एक से अ धक म हलाएँ शा मल ह तो उसका भौ तक और आ या मक दोन
प से बबाद होना न त है। येक गरबा या डां डया उ सव म अवां छत झगड़े होते ह जहां भगवान के रास नृ य क याद म पु ष लड़ कय के
साथ नकल करते ह और नृ य करते ह। उस नृ य म ब त कम ववा हत पु ष पाए जाते ह य क वे जानते ह क शाद के बाद जीवन या होता
है।
जस भगवान के कारण हम इस भौ तक संसार म मौजूद ह उससे ई या करने के बजाय को भगवान के प व नाम का जप करना चा हए
और गो पय के न ेक दम पर चलते ए भगवान को अपने जीवन का क बनाना चा हए। को लगातार हरे कृ ण हरे कृ ण कृ ण
कृ ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का जाप करना चा हए और चेतना को षत करने के बजाय अपने अ त व को शु करना
चा हए।
सती
कसी प त ता ी का अपने मृत प त क अ न म वेश करना सती सं कार कहलाता है और यह या कसी ी के लए सबसे उ म अव ा
मानी जाती है। बाद के युग म यह सती था एक अ य आपरा धक मामला बन गई य क सती होने क अ न ु क म हला पर यह समारोह थोप
दया गया। इस प तत युग म कसी भी म हला के लए सती था का इतनी प व ता से पालन करना संभव नह है जैसा क गांधारी और बीते युग
क अ य म हला ारा कया गया था। एक प त ता प नी को अपने प त का वयोग आग म जलने से भी अ धक क दायी लगेगा। ऐसी म हला
वे ा से सती था का पालन कर सकती थी और उस पर कसी का कोई आपरा धक दबाव नह था। जब सं कार के वल औपचा रकता
बन गया और एक म हला पर स ांत का पालन करने के लए बल योग कया गया तो वा तव म यह आपरा धक हो गया और इस लए रा य के
कानून ारा समारोह को रोकना पड़ा।
इस युग म इस णाली का पालन करना आव यक नह है। वेद स ांत पर जोर दे ते ह न क येक ववरण पर। सती था का स ांत प त के
त ेम और प त के बना क महसूस करना है। प त आ या मक गु का अनुसरण करता है और प नी प त का अनुसरण करती है और सभी
अपने जीवन को प रपूण बनाते ह। आजकल ववाह वष क आयु म ही हो जाता है जहाँ दोन पु ष होते ह
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ा समारोह
प मी दे श म उन र तेदार के लए दफन ान के पास मोमब ी जलाने के अलावा कोई समारोह नह होता है। मृ यु के बाद के जीवन के त
जाग क आधु नक श ा मृतक के उ ार के लए कसी या क अनुशंसा नह करती है।
सकाम कम के वै दक नयम के अनुसार प रवार के पतर को समय समय पर भोजन और पानी दे ने क आव यकता होती है। यह साद
व णु क पूज ा करके कया जाता है य क व णु को चढ़ाए गए भोजन के अवशेष खाने से सभी कार के पाप कम से मु मल जाती है।
कभी कभी पतर व भ कार के पापी त या से पी ड़त हो सकते ह और कभी कभी उनम से कु छ ूल भौ तक शरीर भी ा त नह कर
पाते ह और भूत के प म सू म शरीर म रहने के लए मजबूर होते ह। इस कार जब साद के अवशेष
प व भोजन वंशज ारा पतर को दया जाता है पतर को ेत या अ य कार के क कारी जीवन से मु मल जाती है। पतर को
दान क गई ऐसी सहायता एक पा रवा रक परंपरा है और जो लोग भ मय जीवन म नह ह उ ह ऐसे अनु ान करने क आव यकता होती है।
जो भ मय जीवन म लगा आ है उसे ऐसे कम करने क आव यकता नह है। के वल भ पूवक सेवा करने से सैक ड़ हजार पतर
को सभी कार के क से मु दला सकता है। भागवत पुराण . . म कहा गया है
जसने भी सभी कार के दा य व को यागकर मु के दाता मुकुं द के चरण कमल क शरण ली है और पूरी गंभीरता से इस माग को अपनाया है
उसे दे वता ऋ षय सामा य जीव प रवार के त न तो कत करना है और न ही दा य व दे ना है। सद य मानव जा त या पूवज।
पतृलोक नामक एक ह है और उस ह के अ धप त दे वता को अयमा कहा जाता है। वह कु छ हद तक एक दे वता है और उसे संतु
करके कोई भी भूत ेत प रवार के सद य को ूल शरीर वक सत करने म मदद कर सकता है। जो लोग अ य धक पापी होते ह और अपने
प रवार घर गाँव या दे श से जुड़े होते ह उ ह भौ तक त व से बना ूल शरीर नह मलता है ब क वे मन अहंक ार और बु से बने सू म
शरीर म रहते ह। ऐसे सू म शरीर म रहने वाल को भूत कहा जाता है। यह ेत त ब त क कारी होती है य क ेत के पास बु मन और
अहंक ार होता है और वह भौ तक जीवन का आनंद लेना चाहता है ले कन य क उसके पास बु मन और अहंक ार नह होता है।
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ूल भौ तक शरीर वह के वल भौ तक संतु क चाह म अशां त पैदा कर सकता है। प रवार के सद य वशेषकर पु का कत है क वे दे वता
अयमा या भगवान व णु को तपण द। भारत म ाचीन काल से ही मृत का पु गया जाता है और वहां के एक व णु मं दर म अपने भू तया
पता के लाभ के लए तपण करता है। ऐसा नह है क हर कसी के पता भूत बन जाते ह ब क पडदान भगवान व णु के चरण कमल म अ पत
कया जाता है ता क य द प रवार का कोई सद य भूत बन जाए तो उसे ूल शरीर ा त हो सके । हालाँ क य द कसी को भगवान व णु
का साद लेने क आदत है तो उसके भूत बनने या इंसान से कमतर बनने क कोई संभावना नह है। वै दक स यता म ा नामक एक या
होती है जसके ारा ा और व ास के साथ भोजन अ पत कया जाता है। य द कोई आ ा और भ के साथ भगवान के चरण कमल म
आ त दे ता है
न कष म कोई यह समझ सकता है क धम ंथ का मू यांक न हमारी सांसा रक से नह कया जा सकता है कसी को भगवान के एक
स ेभ से सीखना होगा जो ई यालु नह है। अपनी बात को स करने के लए कम बु वाले मनु य अपनी ही मनगढ़ं त बात गढ़ लेते ह और
उसे इतनी बार दोहराते ह क लोग उसे ही स य मानने लगते ह। इस कार को शा म व णत च र को एक स ेभ से सीखना चा हए
जसने खुद को भगवान और उनके भ क सेवा और म हमा के लए सम पत कर दया है।
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शां त
हर कोई नया भर म शां त और समृ लाना चाहता है। इस ल य को पूरा करने के लए नई और नई स म तयाँ ा पत क ग व तुतः संयु रा क ापना
भी इसी उ े य से क गयी थी। सभी उस मानक छ व से प र चत ह जो शां त मंच के येक लोगो पर मु छोड़े गए कबूतर क दखाई जाती है। लोग समाज के
उ ान और जीवन तर को उ त करने के लए समय और पैसा खच करने से गुरेज नह करते। चरम सीमा क अराजक त का सा ी होना कसी भी वा त वक
को सहानुभू तपूण होने के साथ साथ असहाय भी महसूस कराता है। जैसे नया के कु छ ह स म पानी और भोजन क कमी और अ य ान पर
इसक बबाद अमीर को याय और समाज के कमजोर वग के त अ याय च र हीन को यश और स े तथा न ावान य को अपयश मलता है।
इसके अलावा य क ज टल इ ाएँ वचार और राय होती ह। कोई एक घंटे पहले कु छ करने का फै सला करता है और कु छ और ही कर बैठता है।
उदाहरण के लए छा कू ल के घंट के बाद पढ़ाई करने और कू ल क आ खरी घंट बजने के तुरंत बाद समान वचारधारा वाले दो त के साथ के ट मैदान पर
जाने क योजना बनाते ह। कॉप रेट पेशेवर के लए भी यही सच है वे स ताहांत के लए कु छ योजना बनाते ह और थकाऊ स ताह से उबरने के लए
ावहा रक प से लंबी न द लेते ह। आधु नक समय म कई य को वभा जत व क सम या का सामना करना पड़ता है। ये लोग खुद को कई
भू मका के साथ मजबूती से पहचानते ह जसम वे कई बार खुद का खंडन करते ह। ववाद को सुलझाने म असमथ होकर वे खुद से ही बात करने लगते ह।
उपरो ववरण से है क कस कार गत तर सामुदा यक तर तथा वै क तर पर भी अशां त ा त है। यह अ याय गड़बड़ी का व ेषण करने
और उसके मूल कारण का इलाज करने से संबं धत होगा जो अंततः इस नया म शां त लाएगा। समाधान के लए कसी स मेलन या वै क चचा क
यह भौ तक संसार ं का ान है जहाँ कसी को सुख मलता है तो कसी को क होता है। मीठ तैयारी कु छ लोग को पसंद आती है और कु छ लोग
अ वीकार कर दे ते ह। कसी भी समय कसी भी त को पूण नह माना जा सकता य क उसके साथ हमेशा ं जुड़ा रहता है। इसी कार अपनी
के सभी लोग ह क सुर ा के लए ाथना करने के लए एकजुट हो जाते ह। वही लोग स ा और संसाधन पर क ज़ा करने के लए रा के भीतर लड़ते ह।
जैसे खाड़ी यु भारत पाक यु इजराइल फ ल तीन यु इ या द। यह दे ख ना दलच है क लोग एक मकसद के लए एकजुट होते ह और तुरंत सरे
हालाँ क भारत और पा क तान ात त ं ह अकाल बाढ़ या भूकं प के दौरान एक सरे क मदद करते ह। वह यु के दौरान दोन म से कोई भी प
अ य। प र त बदलने से सरे के त नज रया बदल सकता है। साथ ही यु के दौरान सभी भारतीय तरंगे झंडे के बैनर तले लड़ने के लए एकजुट होते
ह। यही भारतीय भाषा या रा य के झंडे तले खुद को बांटते ह और खुद को सरे से े सा बत करने के लए लड़ते ह। यही बात सभी रा के लए
स य है।
इसके अलावा एक ही रा य के लोग खुद को जल या े म बांट लेते ह और सर पर वच व सा बत करने क को शश करते ह। कृ पया याद रख क ये वही
व ह जो कसी उ उ े य के लए एकजुट ए थे। एक ही े के अपने गांव को सबसे खास मानकर गांव म बंट जाते ह। यह वहा रक प
से दे ख ा जाता है जब लोग कायालय समय के दौरान खाली समय म एक सरे से मलते ह तो वे अपने गांव और पास म बहने वाली नद का इस तरह म हमामंडन
करते ह जैसे क यह वग हो। ये वही अपने प रवार और उसके वंश को एक ही गाँव के अ य लोग क तुलना म वशेष मानते ह। ऊँ चाई वह है जो वयं
ऊपर व णत येक त के मूल म यह है क हर ण अपना वाथ ही सोचता है। जीव हर ण अपनी धारणा के आधार पर म
और श ु बनाता है। कु छ फु टबॉल खला ड़य को सरे दे श ारा खरीदा जाता है और जो खलाड़ी रा से अ धक पैसे को मह व दे ते ह वे अपनी रा ीयता को
बेचने का वक प चुनते ह। व तुतः कोई हमारा म या श ु नह है। यह हम ही ह जो तय और धारणा के आधार पर नणय लेते ह। ापक
कोण और सकारा मक कोण वाले पु ष अ धक म और आशाजनक प र तयाँ बनाते ह। इसी लए शां त सं धयाँ करने के लए ापक सोच वाले
लोग को चुना गया। नः वाथ र ते ा पत करने और जीत जीत वाले समाधान नकालने से सभी संघष हल हो जाते ह।
जो वयं को बलगम प और वायु से बने जड़ शरीर के प म पहचानता है जो अपनी प नी और प रवार को ायी प से अपना मानता है जो म क
छ व या अपने ज म क भू म को पूज नीय मानता है या जो तीथ ान को पूज नीय मानता है के वल वहां का पानी ले कन जो आ या मक स य म बु मान
लोग के साथ कभी भी अपनी पहचान नह बनाता उनके साथ र तेदारी महसूस नह करता उनक पूज ा नह करता या यहां तक क उनसे मलने भी नह
ी पु ष के बीच आकषण ही भौ तक अ त व का मूल स ांत है। इसी ग़लतफ़हमी के आधार पर जो नर नारी के दल को एक एक करके बांधती है
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कभी कभी लोग नीला कांच का च मा पहनते ह और उनके चार ओर क नया नीली दखाई दे ती है और पीला च मा पहनने वाले को उसी तरह
पीला दखाई दे ता है। इसी कार हमारे मन म बनी धारणा के आधार पर नया को दे ख ा जाता है। यथा तथा सृ संसार
हमारी अपनी चेतना क छ व है। वेद म पु य के माग म आने वाली बड़ी बाधा के बारे म बताया गया है। इ ह अनथ कहा जाता है।
अनथ का अथ है जो मू यवान नह है अन अथ । ये काम ोध लोभ माया अहंक ार और ई या ह ज ह काम ोध लोभ मोह मद
मा सय भी कहा जाता है।
वासना काम
वासना का अथ है ई र से वतं भौ तक संसाधन का आनंद लेने या उनका शोषण करने क इ ा। जैसे जैसे जीवन के सभी आचरण
म वासना को बल होने दया जाता है समाज का अ धका धक पतन होता जाता है। आधु नक प र य म मुख फ म ेम संबंध और
पु ष और म हला के बेशम मु म ण क ओर उ मुख ह। यह आशावाद तीत होता है साथ ही कोई भी इससे भ व य म होने वाले
प रणाम से इनकार नह कर सकता है। ठ क वैसे ही जैसे लगातार वासना भड़काने वाली फ म दे ख ने के कारण युवा पीढ़ म ह या और बला कार
क आशंक ा अ धक है।
बई क या ा कर जहां व भ दे श के मक के क ह। ये कायकता ह
नारी मु क अवधारणा के कारण पु ष और म हलाएं उ मु प से घुल मल जाते ह जो बाद म ः व म बदल जाता है। कोई यह तक दे
सकता है क सम या या है हां सम या यह है क हर अवैध संबंध के बाद हसा होती है। वासना का वभाव तब होता है जब वह
पूरी न हो वह उ पादन करता है
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गु सा जो हसा और बेचैनी म बदल जाता है. बड़े बड़े यु वासना के कारण ही लड़े गये। इसका उदाहरण लयोपे ा जू लयस सीज़र और
माक एंटनी क कोणीय ृंख ला के कारण यु है साथ ही पेशवा ारा जीते गए पूरे रा य क हा न म तानी के कारण ई जसका दौरा
पेशवा ने अफगा न तान से पुण े तक कया था।
मनु य अवसाद से तभी गुज रते ह जब वे शा क इस आ ा का उ लंघन करते ह। य द म हलाएं इसक अव ा करती ह तो उ ह अपना च र
प व ता और प व ता खोनी पड़ती है। चाण य पं डत भी अपने नी त शा म इस कार सू चत करते ह नद तट पर वृ सरे पु ष के
घर म ी और सलाहकार के बना राजा न संदेह शी वनाश क ओर जाते ह। धम ंथ म कई ऐ तहा सक घटनाएं ह जहां महान व जो
पहले वासना के शकार थे बाद म महान आ म सा ा कारी आ मा बन गए। यया त नाम का एक राजा था जो अपने चार छोटे भाइय के साथ
संपूण पृ वी ह पर शासन करता था। उनके जीवन म प र तयाँ ई र क इ ा से नधा रत थ । श म ा और दे वयानी नाम क दो सहे लयाँ थ ।
श म ा वृषपवा नामक ानीय राजा क बेट थी और दे वयानी एक महान ा ण शु ाचाय क बेट थी।
एक बार अपने अ य दो त के साथ अपने बगीचे म खेलते समय उ ह ने पानी म खेलने का फै सला कया। पानी म रहते ए भगवान शव वहां से
गुज रे और शम के मारे वे सभी ज द से बाहर आ गए और खुद को ढकने के लए जो भी कपड़े उनके पास थे ले लए। जब दे वयानी को पता चला
क श म ा ने अपने कपड़े पहन लये ह तो वह ो धत हो गयी। उसने य पर ा ण से नीचे होने का आरोप लगाना शु कर दया और
म हला क अपे त कृ त के अनुसार श म ा ने भी जवाबी कारवाई करते ए ा ण पर भखारी होने का आरोप लगाया। श म ा सहन नह
कर पाई और न न दे वयानी को कु एं म फक दया। भगवान का शु है क फे सबुक और इंटरनेट नह था अ यथा वे एक सरे क
आलोचना करते ए अपने लॉग अनु चत छ वय से भर दे ते।
दे वयानी शु ाचाय क वा भमानी पु ी थी। उसने शु ाचाय के एक श य को उससे ववाह करने का ताव दया। श का क बेट को
बहन समान समझकर उसने इनकार कर दया।
इसके बाद उसने उसे सखाया गया सारा ान भूल जाने का शाप दया और श या ने उसे ववाह म कभी भी ा ण ा त नह करने का शाप दया।
राजा यया त उस जंगल से गुज र रहे थे जहाँ यह कु आँ था और उ ह यास लगी इस लए वे के और कु एँ म झाँक ने लगे। उ ह दे वयानी मली जो
हटाने क अपील कर रही थी. उ ह ने तुरंत शरीर को ढकने के लए अपना हाथ और ऊपरी व दए।
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दे वयानी ने राजा से उसे प नी के प म वीकार करने का अनुरोध कया य क उसे प त के प म कसी ा ण को न पाने का ाप मला
था। स दय से आक षत होकर और इसे सामा जक उ रदा य व मानकर यया त ने ताव वीकार कर लया। जब दे वयानी ने त के बारे म बताया
तो शु ाचाय तुरंत अपने प रवार को ाप दे ने के लए वृषपवा के पास गए। अपनी बेट क गलती का एहसास करते ए वृषपवा शु ाचाय के
चरण म गर गए और उनके ारा द गई कसी भी सजा को वीकार कर लया।
यया त से ववाह के बाद शु ाचाय ने श म ा से दे वयानी क दासी बनने क मांग क । साथ ही उ ह ने यया त को नजी तौर पर श म ा
का मनोरंज न न करने क चेतावनी भी द ।
ववाह के बाद दे वयानी के ब े ए और श म ा को ई या होने लगी। वह कु छ ब े पैदा करने के अनुरोध के साथ यया त के पास
प ंची। यया त ने अपनी इ ा पूरी करने का दा य व महसूस कया और जब दे वयानी को यह पता चला तो वह तुरंत अपने पता के पास
भागी।
शु ाचाय ने उसे बूढ़ा और अश हो जाने का ाप दे दया। ले कन जब उ ह एहसास आ क यह उनक अपनी बेट के लए एक अ य
अ भशाप होगा तो उ ह ने बुढ़ापे को कसी क जवानी से बदलने का आशीवाद दया। के वल सबसे छोटा पु पु ही व नमय के लए
सहमत आ। यया त ने बेशम से कई वष तक दे वयानी के साथ यौन जीवन का आनंद लया। आ ख़रकार उसे एहसास आ क यह तो
बस समय क बबाद थी। उ ह अपनी गलती का एहसास आ और उ ह ने भ सेवा और सव भगवान क पूज ा करना शु कर दया। इसके
अलावा उ ह ने दे वयानी को एक बकरी और एक बकरी क एक तीका मक कहानी सुनाकर इस बात के लए आ त कया जो फर
भी उनक अपनी कहानी से मलती जुलती थी।
साथ ही यया त ने अपने सबसे छोटे पु को बुलाकर उसक जवानी लौटा द और वयं बुढ़ापा वीकार कर लया। यया त और दे वयानी दोन ने
खुद को वासना से शु करने और मन को सव भगवान कृ ण या नारायण के आकषण से भरने के लए भ सेवा और तप या क ।
यया त इं य भोग के आद थे ले कन उ ह ने इसे एक ण म ही पूरी तरह याग दया जैसे पंख उगते ही प ी घ सले से उड़ जाता है। इस तरह
जीवन के अंत म वे दोन आ या मक नवास पर लौट आए जहां कोई वासना नह है ब क के वल शु ेम मौजूद है।
ोध ोध
कृ ण के साथ संवाद म अजुन पूछते ह क न चाहते ए भी पाप कम करने का या कारण है कृ ण ने उ ह भगवत गीता के तीसरे अ याय म
ोक से तक इस व ान के बारे म नदश दया । वह समझाते ह क काम और ोध का ज म रजोगुण से होता है। भगवत गीता .
के अनुसार
हे अजुन यह वासना ही है जो रजोगुण के संपक से पैदा होती है और बाद म ोध म बदल जाती है और जो इस संसार का सवभ ी पापी श ु
है।
इ ाएँ पूरी न होने पर ोध उ प होता है। कोई व भ तरीक से ोध कर सकता है जैसे कठोर श द बोलना शारी रक प
से हमला करना च लाना आ द। के ट मैच के दौरान खासकर जब दे श स े त ं होते ह हारते ए दे शवासी हार वीकार करने म असमथ
होकर अपने टे ली वजन सेट तोड़ दे ते ह। बाद म होश आने पर पछताते ह। ोध म क बु और ववेक क श ख म हो जाती है। यही
कारण है क खलाड़ी अ ा दशन करने वाले वरो धय को चढ़ाने और उनक भावना को ठे स प ंचाने क को शश करते ह। सभी
नणय भावना मक व ोट पर आधा रत होते ह और उनम अ पका लक होती है जो के वल अहंक ार को शांत करती है ले कन
द घका लक योजना को न कर दे ती है। बेहतर है क वह ान छोड़ द या उन प र तय को बदल द जो ोध लाती ह। यह अ ायी
समाधान है ले कन कई बार काम करता है.
जब कोई ो धत होता है तो वह के वल शरीर के व भ ह स से शारी रक ऊजा खोता है। वशेषकर वे जो तकार नह कर सकते कांपते ह और
अपने दाँत चबाते ह। राजनेता उन लोग से पानी क आपू त या अ य सु वधाएं रोककर बदला लेते ह जो उनके प म मतदान नह करते ह। ोध
गत शां त और मान सक रता को न कर दे ता है। जो इस संसार क अ ायी कृ त और समय और कम के भाव को
समझता है वह आसानी से हर पल ोध पर काबू पा सकता है। पूव अ याय म समय और कम क ठ क से ा या क जा चुक है।
उ ानपाद नाम के एक राजा थे जनक सु च और सुनी त नाम क दो प नयाँ थ । उन दोन के मशः उ म और ुव नामक एक एक पु ए।
सु च का पु राजा को ब त य था य क वह सुनी त से अ धक सु च से ेम करता था। उ ानपाद ने उ म को अपनी गोद म बठाया
और ुव क भी इ ा ई क वह भी अपने पता क गोद म रहे। जैसे ही ुव अपने पता क गोद म जाने क को शश कर रहा था उसक सौतेली माँ
सु च को ब े से ब त ई या होने लगी और वह बड़े गव के साथ बोलने लगी ता क राजा खुद सुन सके ।
उसने ुव से कहा न त प से तुम भी राजा के पु हो ले कन तुमने मेरी कोख से ज म नह लया है इस लए तुम अपने पता क गोद म
बैठने के यो य नह हो। इस लए आपको यह जान लेना चा हए क आपका यास वफल हो गया है। आप एक ऐसी इ ा पूरी करने क को शश
कर रहे ह जो असंभव है। य द तु ह राजा के सहासन तक प ँचने क जरा भी इ ा है तो तु ह कठोर तप या से गुज रना होगा। सबसे पहले आपको
भगवान नारायण को संतु करना होगा और फर जब ऐसी पूज ा के कारण आप पर उनक कृ पा हो जाएगी तो आपको अपना अगला ज म
मेरे गभ से लेना होगा।
जस कार छड़ी क मार पड़ने पर साँप ब त जोर जोर से साँस लेता है उसी कार ुव अपनी सौतेली माँ के कठोर श द से आहत होकर अ य धक
ोध के कारण ब त जोर जोर से साँस लेने लगा।
जब उसने दे ख ा क उसके पता चुप ह और कोई वरोध नह कर रहे ह तो वह तुरंत महल छोड़ कर अपनी माँ के पास चला गया। जब ुव अपनी
माँ के पास प ँचे तो उनके ह ठ ोध से काँप रहे थे और वह ब त ःखी होकर रो रहे थे। रानी सुनी त ने तुरंत अपने बेटे को अपनी गोद म उठा लया
जब क महल के नवा सय ने ज ह ने सु च के सभी कठोर श द सुने थे व तार से सब कु छ बताया। इस कार सुनी त को भी ब त ःख
आ। वह भी ब त ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी और वह इस ददनाक त का वा त वक इलाज नह जानती थी। उसे कोई उपाय नह मल रहा है
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बोले मेरे यारे बेटे सर के लए अशुभ क कामना मत करो। जो कोई सर को पीड़ा प ँचाता है वह वयं उस पीड़ा से पी ड़त होता है।
मेरे यारे बेटे सु च ने जो कु छ कहा है वह सच है य क राजा तु हारे पता मुझ े अपनी प नी या यहाँ तक क अपनी दासी भी नह मानते ह।
समाधान दान करते ए उ ह ने आगे कहा बना कसी दे री के तु ह वयं को भगवान के चरण कमल क पूज ा म संल न करना चा हए।
मेरे यारे लड़के तु ह भी भगवान क शरण लेनी चा हए जो अपने भ के त ब त दयालु ह। ज म और मृ यु के च से मु चाहने वाले
हमेशा भ म भगवान के चरण कमल का आ य लेते ह। अपने आवं टत काय को न पा दत करके शु होकर भगवान के
परम व को अपने दय म त कर और एक ण भी वच लत ए बना हमेशा उनक सेवा म लगे रह।
ुव अपने ोध को नयं त करने म असमथ थे और इस तरह भगवान क पूज ा के लए नकल पड़े। जंगल के रा ते म उनक मुलाकात नारद मु न
से ई जो ुव के साथ होने वाली घटना से अवगत थे। नारद मु न ने दाश नक अंत से ुव को शांत करने क को शश क ले कन वह भी
काम नह आया। उ ह ने समझाया हर आदमी को इस तरह वहार करना चा हए जब वह अपने से अ धक यो य से मले तो उसे ब त
स होना चा हए जब वह अपने से कम यो य से मले तो उसके त दयालु होना चा हए और जब वह अपने बराबर के कसी
से मले तो उससे दो ती कर लेनी चा हए। इस कार मनु य इस भौ तक संसार के वध ख से कभी भा वत नह होता।
ुव आवेश म होने के कारण नारद मु न ारा दए गए द ान को आ मसात नह कर सके । ुव ने खुलासा कया क वह तीन लोक म
यहां तक क अपने पता और दादा से भी अ धक ऊं चा पद पाना चाहता था। यह दे ख ते ए क ुव जंगल जाने पर आमादा थे और
भगवान नारायण को स करने के लए ढ़ थे नारद मु न ने उ ह मं और या द जसके ारा वह भगवान को आसानी से स कर सकते
थे। उ ह ने उसे यमुना नद के तट पर मधुवन क ओर नद शत कया और उसे मु क व तृत या बताई। ुव ब त ढ़ न यी थे उनक उ
मा पांच वष थी।
पहले महीने तक ुव ने अपने शरीर और आ मा को व रखने के लए हर तीसरे दन के वल फल और जामुन खाए। सरे महीने म ुव ने हर
छह दन म कु छ खाया और खाने के लए उसने सूख ी घास और प याँ ल । तीसरे महीने म वह हर नौ दन म के वल पानी पीता था। चौथे
महीने म ुव साँस लेने के ायाम म पूण नपुण हो गया और इस कार वह हर बारहव दन के वल हवा लेता था। इस कार वह अपने ान
पर पूरी तरह र हो गया और भगवान क पूज ा करने लगा। पांचव महीने तक ुव ने अपनी ास को इतनी अ तरह से नयं त कर लया था
क वह के वल एक पैर पर खड़ा हो सकता था जैसे एक तंभ खड़ा होता है बना ग त के और अपने दमाग को एका कर सकता था। उ ह ने
अपनी इं य और उनके वषय को पूरी तरह से नयं त कर लया और इस तरह उ ह ने अपने मन को कसी भी अ य चीज़ पर यान दए
बना भगवान के सव व पर क त कर दया। पूरे छह महीने तक वह लगातार नारद मु न ारा दए गए मं ओम नमो भगवते
वासुदेवाय का जाप करते रहे।
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नया पहले से कह यादा ख़तरे म है। मुख श शाली दे श के पास परमाणु ह थयार ह जो शहर दे श को न कर सकते ह और कु छ ही
समय म लाख लोग को मार सकते ह।
य द स ा म बैठे लोग को ोध पर नयं ण रखने के लए श त नह कया जाता है तो इससे गंभीर त हो सकती है और नया एक सरे के त
लोभ लोभ
पैसा एक ऐसी चीज़ है जो हर कसी को ब त य होती है। हर कोई दन रात कड़ी मेहनत कर रहा है और मुंह से झाग नकाल रहा है ता क यह
सु न त हो सके क उसके पास इस नया का आनंद लेने के लए पया त मा ा म धन हो। वशेष प से सॉ टवेयर पेशेवर अपनी
अथ व ाक त को अपडेट करने और जांचने के लए अ सर टॉक ए सचज साइट खोलते ह। धन नवेशक नय मत प से अपने ाहक
को कॉल करते ह और उ ह उनके शेयर और लाभ या हा न के बारे म बताते ह। वेतन के दन कमचारी यह सु न त करते ह क खाते म उ चत रा श
जमा हो जाए अ यथा वे अपने बंधक पर पलटवार करते ह। यहां तक क छोटे ब े भी बेहद खुश हो जाते ह जब उनके दादा दाद अपने पैतृक
शहर जाने के बाद उनके हाथ म कु छ पैसे दे ते ह। लोग पैसे पर इतने नभर हो गए ह क जब वे मु ा दे ख ते ह तो उनक आंख चौड़ी हो जाती ह।
शहर म आम शकायत ै फक जाम और ऊं ची इमारत क है। अगर यान से दे ख ा जाए तो मुख कार म अ धकतम दो लोग ही बैठे होते ह और
ऐसी सैक ड़ कार का जाम लगा रहता है।
इमारत और अपाटमट म दो या तीन कमरे होते ह जहां चार से अ धक लोग घंटे से कम नह कते ह य क बाक समय वे या ा करते ह या
कायालय म बताते ह। के वल कु छ जुआ रय क संतु के लए शहर के म य म एकड़ भू म रेस कोस और गो फ कोस के लए
रखी गई है। वन क कटाई बना कसी वचार के के वल गैर ज री और मह वहीन उ े य के लए लकड़ी ा त करने के लए क जाती है।
आ या मक जीवन क समझ के अभाव म ई र का ान धन ने ले लया है। नतीजा यह है क सभी अपना समय सफ पैसा कमाने के लए
श ा और नौक रय म बताते ह। इसका सबसे मजेदार ह सा यह है क लोग पैसे के आधार पर अपना व ास या धम बदल लेते ह। एक और
चरम है कृ पणता.
कु छ लोग अ धक हड़पने क को शश करते ह और कु छ अ धक खच करने से बचते ह। मु ा क कृ त यह है क यह वाह म बनी रहने पर सव म होती
गौरैया भी अनाज क बोरी से कु छ दाने नकाल कर अगले दन आ जाती है ले कन इंसान पूरी बोरी उठाकर रख दे ता है और फर भी सरी
बोरी क तलाश म रहता है। भंडारण का यह वसाय और अ धक सम याएं पैदा कर रहा है बांध म पानी का भंडारण कया जाता है और
नयं त कया जाता है और अमीर लोग को उ लागत पर दान कया जाता है अनाज का भंडारण कया जाता है बीज का भंडारण कया जाता
है जससे कसान को परेशानी होती है और फर उ ह राजनेता के चरण म गरना पड़ता है। पैसे के लए ाकृ तक संसाधन का भंडारण
करना अ ाकृ तक है और पाप भी है। जैसे नद बहती है और बना भेदभाव धन और ाकृ तक प से वषा होती है
पैसे और खुशी के ाफ का सां यक य अ ययन कया गया और पाया गया क खुशी तब अपने चरम पर होती है जब अथ व ा जीवन क
बु नयाद ज रत को पूरा करने के लए पया त होती है। उससे आगे क अथ व ा ख और चता क ओर ले जाती है। एक न त सीमा से
अ धक जमा कया गया धन के वल झूठे दो त और स े मन को करीब लाएगा जो मशः मीठे श द और कठोर वहार का फायदा उठाएंगे।
दरअसल धा मक उ े य के लए कु छ भी अ त र दान करना चा हए जससे आ या मक पु य भी मलता है और मान सक शां त भी मलती है।
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लालच उस असुर ा का तीक है जो कसी म सव म व ास क कमी के कारण होती है। परमे र अन त ा ड का पालन पोषण कर रहा है
वह ा णय का पालन पोषण य नह करेगा। को भय को यागकर धन क अपे ा भगवान क शरण लेनी चा हए और जीवन को उ कृ एवं द
बनाना चा हए।
म मोह
वयं को शरीर मानता है वह शरीर से जुड़े सभी पदनाम को लागू करने के लए बा य हो जाता है। वयं को भारतीय अमे रक चीनी काला सफे द
को नवास ान कू ल कॉलेज आ द से अ य धक लगाव हो जाता है। इसी लए यागी पु ष को एक ही ान पर अ धक समय तक रहने से बचना
चा हए। स य से अन भ ता म अपने प रवार और र तेदार से तादा य ा पत करने लगता है और ई र को वीकार कए बना ही उनक सेवा म ही
सारा जीवन तीत कर दे ता है। मृ यु के समय पता चलता है क प रजन कतने असहाय ह जो के वल शरीर का अं तम सं कार कर सकते ह आ मा को नह
बचा सकते।
मायावी भाव का योग कर समूची फ म इंड ने अपना बाजार बना लया है। तीन घंटे तक थएटर का नए न इमोशन रोमांस और
रोमांच से भरा रहता है जब क दशक कु छ दे र के लए उ ह भावना से गुज रते ह और उनका आनंद लेते ह हालां क इसम स ी जदगी से लेने दे ने के
लए कु छ नह होता।
ब आ मा मन के आदे श का पालन करती है। इस लए एक बु मान ाणी हमेशा उ और आ या मक समझ से मन को नयं त करता है और उसे ई र
के वचन का पालन कराता है जो क एकमा वा त वकता है। ठ क वैसे ही जैसे घने अंधेरे क त म जब रोशनी नह होती और कोई फं स जाता है
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आगे का रा ता न जानते ए भी उसे उस मागदशन का पालन करना चा हए जसे वह सुन सके । अंधकार से नकलकर मोह माया से मु हो
जाएगा। इसी कार जीव को म और मेरे के अ ान और म से बाहर आने के लए शा और ामा णक आ या मक गु का
मागदशन लेना चा हए।
येक मनु य का परम कत है क वह पूण स य क खोज करे और अपने जीवन को उ म बनाये। अ यथा कोई इस न र संसार म लाख
ज म तक खुश रहने क को शश करेगा और फर भी कु छ हा सल नह कर पाएगा।
भगवान कृ ण ारा तुत स य को पूरी तरह से जांचने और वन तापूवक आ मसात करने के बाद अंततः अजुन ने अपना सारा म र
कर लया। उ ह ने इसे भगवत गीता . म वीकार कया है
मेरे य कृ ण हे अ युत मेरा म अब र हो गया है। आपक कृ पा से मेरी मृ त पुनः ा त हो गयी है। म अब ढ़ और संदेह से मु ं और
आपके नदश के अनुसार काय करने के लए तैयार ं।
गौरव माडा
पछले कम के कारण कु छ कौशल और तभाएँ ा त करता है जनका उपयोग वह इस जीवन म आगे क ग त व धय को करने म कर
सकता है। सशत वृ सफलता पर इतराना और असफलता के लए भा य को दोष दे ना है। उदाहरण के लए क ा का टॉपर अ े अंक ा त
कर सकता है और शेख ी बघार सकता है क हाँ मेरा कौशल दे ख ो कोई भी मुझ े चुनौती नह दे सकता म इस क ा का सबसे बु मान
ँ। कोई एक अ ा एथलीट है तो वह अपनी दौड़ने और कू दने क मता और सर के साथ त धा करने क मता का घमंड करना शु
कर दे ता है।
इसी कार कसी का ज म अमीर प रवार या उ कु ल म होता है जससे अहंक ार म डू बा रहता है। कसी को होश तभी आता है जब
अमीरी छन जाती है। आ मा को अपने कम भोगने के लए शरीर और प रवेश म कु छ सु वधाएं मलती ह। वा तव म आ या मक कोण
से सभी भौ तक कौशल इस भौ तक संसार म बने रहने और आगे क सहने के बंधन मा ह।
भगवत गीता . म कृ ण कहते ह क अ ानी आ मा वयं को कता समझता है। इस अवधारणा को अ याय म प से समझाया
गया है। अ भमान आ मस मान का वकृ त प है। आ म स मान भगवान के परम व का अ भ अंग होना है। जब तक कोई सव
और सभी कौशल और संप य को ई र के उपहार के प म नह पहचानता तब तक वह आ मस मान के साथ नह रह सकता।
जैसे आधु नक समय म खेल म कई च पयन ह वैसे ही पुराने दन म भारत म कई व ान व ान थे जो सीखने म च पयन थे। ऐसे ही एक
थे के शव क मीरी जो क मीर रा य से आये थे। उ ह ने पूरे भारत क या ा क और अंत म वहां के व ान को चुनौती दे ने के लए
नव प आये।
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पू णमा क रात को भगवान चैत य महा भु अपने कई श य के साथ गंगा के तट पर बैठे थे और सा ह यक वषय पर चचा कर रहे थे। संयोगवश
के शव क मीरी पं डत वहां आये। मां गंगा क पूज ा करते समय उनक मुलाकात चैत य महा भु से ई। भगवान ने उनका आदरपूवक वागत कया
के श क ह उ ह ने कहा और आपका नाम नमाई पं डता है। लोग शु आती ाकरण के बारे म आपके श ण क ब त शंसा करते ह। मने सुना है क
ही वे मुझ े अ तरह से समझ सकते ह। मेरे य महोदय जब क आप सभी कार के शा के ब त बड़े व ान ह और क वता लखने म ब त अनुभवी
इस लए म का रचना म आपक कु शलता सुनने क इ ा रखता ँ। य द आप कृ पा करके माँ गंगा क म हमा का वणन कर तो हम इसे सुन सकते ह।
जब ा ण के शव क मीरी ने यह सुना तो वह और भी अ धक फू ला आ हो गया और एक घंटे के भीतर उसने माँ गंगा का वणन करते ए एक सौ
ोक क रचना क । भु ने उनक शंसा करते ए कहा सर पूरी नया म आपसे बड़ा कोई क व नह है। आपक क वता इतनी क ठन है क इसे
आपके और व ा क दे वी माँ सर वती के अलावा कोई नह समझ सकता। पर तु य द आप एक ोक का अथ समझा द तो हम सब आपके मुख से उसे सुन
सकगे और ब त स ह गे।
कया। जब भगवान चैत य महा भु ने उनसे इस ोक का अथ समझाने को कहा तो च पयन ने ब त आ यच कत होकर उनसे इस कार पूछताछ क ।
मने बहती हवा क तरह सभी छं द का पाठ कया। आप उन ोक म से एक भी पूरी तरह से कै से याद कर सकते ह । भगवान ने उ र दया भगवान
क कृ पा से कोई महान क व बन सकता है और इसी तरह उनक कृ पा से कोई और महान ु त धर बन सकता है जो तुरंत कु छ भी याद कर सकता है।
भगवान चैत य महा भु के कथन से संतु होकर ा ण ने उ त ोक क ा या क । तब भगवान ने कहा अब ोक म वशेष गुण और दोष
बताइये।
इससे ा ण के अहंक ार को ठे स प ंची उ ह ने घोषणा क क उनके ोक म कोई दोष नह है ब क उपमा और अनु ास जैसे अ े गुण ह। भगवान
ने कई दोष का हवाला दया उदाहरण के लए ी चैत य महा भु ारा उ त ोक क अं तम पं म भ अ र को कई बार दोहराया गया है जैसे क
भवानी भतुर वभावती और अदभुत श द म। ऐसी पुनरावृ को अनु ास या अनु ास कहा जाता है। एक युवा ाकरण श क ारा बताए गए दोष को
बाद म उ ह समझ आया क चैत य महा भु कोई और नह ब क भगवान के परम व ह। इस कार उ ह ने उनके त समपण कर दया और
बाद म न बाक सं दाय म शु वै णव बन गये। उ ह ने न बाक स दाय के वेदांत भा य पर एक भा य कौ तुभ भा लखा जसे
पा रजात भा य के नाम से जाना जाता है। के शव क मीरी व ा क दे वी मां सर वती के यभ थे ज ह ने उ ह ी चैत य महा भु क
सव ता के बारे म बताया। उनक कृ पा से वह एक अ यंत भावशाली व ान थे और दे श के चार कोन के सभी व ान म वह सबसे बड़े च पयन
थे। इस लए उ ह दग वजयी क उपा ध मली जसका अथ है जसने सभी दशा म सभी को जीत लया हो। वह क मीर के एक ब त
स मा नत ा ण प रवार से थे। बाद म ी चैत य महा भु के आदे श से उ ह ने च पयन शप जीतने का पेशा छोड़ दया और वै दक सं कृ त के
वै णव समुदाय म से एक नबाक सं दाय म शा मल होकर एक महान भ बन गए।
भगवान उस सारे ऐ य क घोषणा करते ह जसे कोई भी उनके वैभव क एक चगारी मा समझ सकता है। इस लए जब कोई उस सब का
उपयोग भगवान क सेवा म करता है तो वह अहंक ार से मु हो सकता है। इस नया म ऐसा कु छ भी नह है जो हमारे पास हो या ायी
प से हमारे पास हो फर घमंड य
ई या मा सय
ई यालु रवैया आ म वनाशकारी है यह अपने ही हाथ म लाल गम कोयला पकड़ने जैसा है।
व ापी यु और वनाशकारी योजनाएँ पड़ोसी दे श क ई यालु कृ त के कारण होती ह। यही बात प रवार समाज और
के तर पर भी लागू होती है। वयं क तुलना अपने आस पास के या त ध समुदाय से करने लगता है और कसी भी
तरह से वयं को बेहतर सा बत करने क योजना बनाता है।
कभी कभी सर क जीत को पचाने म असमथ होने पर वजयी क स और त ा को न करने के लए काय करने के
लए उकसाया जाता है। जा हर तौर पर ई या क कृ त यह है क वह उसी पर वापस लौटती है। इस संबंध म एक अ कहानी है.
एक तालाब म एक मढक रहता था। एक दन उसके बेटे को एक तालाब के पास एक हाथी दखाई दया। मढक का ब ा अपनी माँ के पास
लौटा और उ साह से उससे बोला माँ आज मने एक ब त बड़ा जानवर दे ख ा
यह ऐ तहा सक प से स य है. यहाँ तक क हटलर को भी य दय के त अपनी ई या क क मत चुक ानी पड़ी। धम ंथ भगवान के महान
भ खासकर न वाथ भाव से संदेश का चार करने वाल को ठे स प ंचाने के खलाफ स त चेतावनी दे ते ह य क सजा ब त गंभीर
है।
जब कोई ई र से वतं होकर जीवन का आनंद लेने क को शश करता है तो उसे न चाहते ए भी क सहने के लए मजबूर होना पड़ता है।
जब कोई कृ ण को जीवन का क बनाता है और अपने चार ओर जीवन क ग त व धय को व त करता है तो वह इस जीवन म और अगले
जीवन म खुश रहता है। ई र को जीवन का के बनाने से सारी ई या और ोध धीरे धीरे कम हो जायगे।
जब कोई यह समझ जाता है क भगवान भो ा ह और आ मा भगवान का शा त सेवक है तो पूरा म या अहंक ार न हो जाएगा। भगवत गीता
. म कृ ण अजुन को अपने सव भो ा होने के बारे म बताते ह
मेरे बारे म पूण चेतना वाला मुझ े सभी य और तप या का परम लाभाथ सभी ह और दे वता का सव भगवान और
सभी जीव का परोपकारी और शुभ चतक जानकर भौ तक ख क पीड़ा से शां त ा त करता है। .
जब कोई सेवक क भावना से काय करने का यास करेगा तो जीवन क सभी सम याएं हल हो जाएंगी।
ठ क उसी तरह जैसे पता अपने ब क दे ख भाल भगवान के उपहार के प म कर सकता है और ब े अपने माता पता क आ ा का पालन
करते ए समझते ह क वे उनके स े आ या मक शुभ चतक ह। उसी कार शासक को अगले वष तक शोषण के साधन के बजाय
भगवान क ओर से अपनी जा के भौ तक और आ या मक क याण पर वचार करना चा हए।
अपराध और जनता क ां तय से बचने के लए वशाल ह रनाम संक तन आयो जत करने चा हए और नःशु क साद वत रत करना चा हए।
इससे हर कोई शु हो जाएगा और आ मा को स ा आनंद मलेगा जो तब अ य ा णय के त अपनी नफरत और श ुता को भूल
जाएगा।
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धम
अगर कह भी धम श द आता है या बोला जाता है तो हर कोई डर जाता है और संवेदनशील हो जाता है। धा मक वचार टकराव और कई
बार झगड़े भी पैदा करते ह। आम तौर पर जनता को कु छ उ े य के लए धम के नाम पर े रत और उपयोग कया जाता है य क यह एकमा
उ कारण है जहां लोग को अपने धम क र ा करने वाल का समथन करने म कोई आप नह होती है। यह आ ा के सभी मुख और
छोटे समूह के लए सच है।
बाहरी तीक के आधार पर धम क आधु नक समझ अ धक सतही हो गई है। गले म ॉस लगाकर कोई क र ईसाई होने का दावा करता
है माथे पर लाल ट का लगाकर कोई क र ह होने का दावा करता है अधवृ ाकार टोपी पहनकर कोई इ लाम का क र अनुयायी होने का दावा
करता है ऊपर नीला झंडा लहराता है घर वाला खुद को बौ बताता है। हाँ धमवा दय ारा कया जाने वाला यह दखावा मु य प से
धम के सही अथ क उनक अ ानता के कारण है। साथ ही शा के जानकार भी इसे क लयुग के लोग का ल ण आसानी से समझ सकते ह।
धा मक समूह अपने व ास का पालन करने क बजाय सर के व ास को न करने म अ धक च रखते ह। भारत के रदराज के इलाक
म कई बार मशनरी जनजा तय को भारी रकम दे क र उ ह नया धम वीकार करने के लए कहते ह और साथ ही ह दे वता क सभी त वीर पर
मुहर लगाकर उ ह फक दे ते ह। गाजा प म भी यही सच है जहां फ ल तीनी व ास से इ लामी य दय ारा उ ह आतंक वाद
घो षत कए जाने से परेशान ह श त वग इस बात पर व ास नह करता है क यीशु क मृ यु ू स पर ई थी और कताब ऐसे
लखते ह जैसे क उ ह सही कारण पता हो। धम के सही अथ और उ े य को समझे बना और स े नेतृ व के अभाव म ऐसे आ ा वनाश
अ भयान का शकार हो जाता है।
इसके अलावा लोग अपने धम को महान सा बत करते समय प व ता क बजाय ब मत का प रचय दे ते ह। य द गनती को आधार बनाया जाता तो
ना तक पहले नंबर पर होते और उसके बाद अ य तीका मक धम क गनती होती। ई र के स े व ासी ु नाम और स के लए नह
लड़ते ह वे उस संदेश म व ास करते ह जो ई र ने प व ंथ के मा यम से दान कया है और उ ह अ यास म लाते ह।
धम
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धम का अथ है पदाथ का सहज वभाव। उदाहरण के लए म ी का वाद मीठा होता है इस लए मठास चीनी का धम है। अब अगर म ी को टु क ड़ म तोड़ दया
जाए तो म ी का सबसे बारीक कण भी मीठा ही रहेगा. उसी कार य द समु का पानी कनारे पर या बीच म पया जाए तो उसका वाद खारा होता है। यही धम
का अथ है. कोई भी उस पदाथ क सहज कृ त को नह बदल सकता जो वाभा वक प से उसम वहार करेगा
न त पैटन.
यही बात जीवा मा पर भी लागू होती है। सव पूण स य का अ भ अंग होने के नाते आ मा भी वभाव से सव के समान गुण व ा वाली है यानी सत्
चत आनंद। साथ ही आ मा परमा मा के त अधीन त बनाए रखती है। के वल तभी जब वह सव बनना चाहता है तभी वह म और ई या के वशीभूत होता
चैत य च रतामृत म य .
कृ ण का शा त सेवक होना जीव क संवैधा नक त है य क वह कृ ण क सीमांत ऊजा है और साथ ही भगवान से एक और अलग अ भ है जैसे धूप या
पर य णौ श तथेदं अ खल जगत्
जस कार एक ही ान पर त अ न क रोशनी चार ओर फै लती है उसी कार भगवान पर क श याँ भी चार ओर फै लती ह।
ांड।
चैत य च रतामृत म य .
भगवान कृ ण म वाभा वक प से तीन ऊजावान प रवतन होते ह और इ ह आ या मक श जी वत इकाई श और मायावी श के प म जाना जाता
है।
चैत य च रतामृत म य .
कभु वग उओहया कभु नरके उबया दै या जने राजा येना नादे ते कु बया
कृ ण को भूलकर जीव अना द काल से बाहरी वशेषता से आक षत होता रहा है। इस लए ामक ऊजा माया उसे उसके भौ तक अ त व म सभी कार के
ह मंडल और भौ तक समृ और कभी कभी नारक य त म डू ब जाते ह। उसक अव ा ब कु ल उस अपराधी के समान है जसे राजा पानी म
डु बाकर फर पानी से बाहर नकाल कर दं डत करता है।
जब जीव भौ तक ऊजा से आक षत होता है जो कृ ण से अलग है तो वह भय से अ भभूत हो जाता है। य क वह भौ तक ऊजा ारा भगवान
के परम व से अलग हो गया है जीवन क उसक अवधारणा उलट गई है। सरे श द म वह कृ ण का शा त सेवक होने के
बजाय कृ ण का त ध बन जाता है। इसे वपययो मृ तः कहा जाता है। इस गलती को ख म करने के लए जो वा तव म व ान और उ त
है वह अपने आ या मक गु पू य दे वता और जीवन के ोत के प म भगवान क पूज ा करता है। इस कार वह शु भ सेवा क
या ारा भगवान क पूज ा करता है।
इसी कार क उ त के तर के आधार पर को धीरे धीरे वयं को उ चेतना तक ले जाने का अ यास दान कया जाता है। आ तक
व के बीच अ त व के चार तर ह। सबसे नचले तर के वे लोग ह जो डर के कारण अ यास करते ह। डरे ए लोग सजा का डर ख म होते
ही भौ तकवाद बन जाते ह। लगभग सभी धा मक ंथ नरक के अ त व क घोषणा करते ह जो ई र के माग का अनुसरण नह करते ह इस लए
इस डर से क कसी को दं डत कया जाएगा कु छ अनु ान करते ह।
सव धम
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अ यास के सभी तर म सव अ यास वह है जो वा तव म वयं को संतु करता है और भागवत पुराण . . म सव का उ लेख कया
गया है।
सम त मानवता के लए सव वसाय धम वह है जसके ारा मनु य उ कृ भगवान क ेमपूण भ ा त कर सकते ह। ऐसी भ मय सेवा
होनी चा हए
व भ धम क समयरेख ा
साल
साल
य प सभी धम औपचा रक प से एक वशेष समय पर बने ह ले कन उनका सां कृ तक और दाश नक संबंध पहले के धम से है।
उनक एक सरे से तुलना करना ई र क म अपमानजनक है। जस तरह अलग अलग व व ालय म पढ़ने वाले छा का पा म
अलग अलग होने के बावजूद एक ही होता है उसी तरह उ त का तर उनक श ा के ल य पर आधा रत होता है। येक को अपने
वतमान अ यास क परवाह कए बना ऊपर उठने और उ श ा को वीकार करने का यास करना चा हए।
धम का इ तहास और दशन
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ोता क समझ और व भ संत के रह यो ाटन के आधार पर श ा का चार कया जाता है। कई समानता के साथ साथ भ ताएं भी ह। को मनोदशा और उ े य को
समझने के लए ापक दमाग वाला होना चा हए और कसी भी कार क भौ तक तुलना से बचना चा हए।
ह धम
वै दक सं कृ त को ह धम भी कहा जाता है। दशन और इ तहास को समझाने क यादा ज रत नह पड़ेगी य क पूरी कताब वेद ारा अपे त श ा और
जीवनशैली के आधार पर संक लत है। वेद इस ांड के तीय नमाता ा के लए स य का रह यो ाटन ह। उ ह से सम त वै दक ान ा त होता है। ह धम के अनुया यय
कु छ इंडोलॉ ज ट व ान ने यह घो षत करते ए आय आ मण के स ांत को सामने लाने क को शश क क ह या भारतीय सं कृ त वदे शय ारा लाई गई थी। उ ह ने कहा क
लगभग साल पहले म य ए शया क खानाबदोश गोरी चमड़ी वाली इंडो यूरोपीय जनजा तय ने भारत पर आ मण कया और उस पर क ज़ा कर लया ज ह ने पहले और
अ धक उ त काली चमड़ी वाली वड़ स यता को उखाड़ फका जहां से उ ह ने अ धकांश चीज ल जो बाद म ह सं कृ त बन ग । यह वचार भारत के इ तहास के लए पूण तः
वदे शी है। कोई ाथ मक सा य नह है. ऐसे आ मण के कसी भी नायक के मारक क खुदाई नह क गई है कसी भी संबं धत क तान का पता नह लगाया गया है
स ांत के संबंध म कोई यु े क पहचान नह क गई है कोई कला नह है सं ेप म भौ तक सा य के प म कु छ भी नह । वा तव म सधु घाट और ारका समु तल
वै दक सं कृ त म गौरवशाली बात यह है क सभी लोग को अलग अलग दे वता और था पर व भ व ास के साथ समायो जत कया जाता है। सां कृ तक थाएं
उ ह एक सरे से बांधती ह। आचाय या आ या मक नेता क सं या असी मत है और उ ह गना नह जा सकता। अं तम पैगंबर क अवधारणा त वीर म नह आती है य क
नय मत अंतराल पर यौहार कई सं दाय क एक और श शाली वशेषता है। भारत को योहार क भू म भी कहा जाता है। या ा करने के लए असं य प व ान और कई
प व न दयाँ भ को उनक शंक ा से मु करने के लए बहती ह। अ याय म भारत भू म क म हमा क अ धक चचा क जायेगी।
य द धम
य द धम का चार पैगंबर मूसा ारा कया गया था ज ह ने लोग को गुलामी से मु दलाई और मानवता और धम के माग पर मागदशन कया। यह इ ा नय क गुलामी के त
मूसा का ज म ऐसे समय म आ था जब उनके लोग इ ाएल के ब े सं या म वृ हो रही थी और म के फरौन राजा को चता थी क वे म के मन क मदद कर सकते ह। तो
राजा
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ने आदे श दया था क पैदा होने वाले सभी नर ह ू ब को नील नद म डु बो कर मार दया जाए ।
मूसा क ह ू मां जोचेबेद ने उसे छु पाया ले कन बाद म उसने उसे नील नद म बहा दया।
छोटा श प. वह उस ान पर प ँचा जहाँ फ़रऔन क बेट अपने सेवक के साथ नान कर रही थी। वह बड़ा आ और फरौन क बेट के पास
लाया गया और वह उसका बेटा और म के भावी फरौन का छोटा भाई बन गया।
मार डाला और उसके शरीर को रेत म दफना दया। इसके बाद वह सनाई ाय प भाग गया। म ान म वह एक कु एं पर का जहां उसने अस य
चरवाह के एक समूह से सात चरवाह क र ा क । उनके पता होबाब ने उ ह अपने बेटे के प म गोद लया था।
होबाब ने अपनी बेट का ववाह मूसा से कया और उसे अपने पशु का धान नयु कया। मूसा म ान म चरवाहे के प म चालीस वष
तक रहे। एक दन मूसा अपने झुंड को सनाई पवत पर ले गया। वहाँ उसने एक झाड़ी दे ख ी जो जल तो गई पर तु भ म नह ई। जब मूसा ने
परमे र को और करीब से दे ख ा झाड़ी से उसने अपना नाम बताते ए बात क मूसा को.
फरौन चाहता था क इ ाए लय को जंगल म जेवनार मनाने क आ ा दे । फरौन ने इनकार कर दया ले कन उ ह ने फरौन के साथ दोबारा
सुनवाई क और मूसा क छड़ी को एक साँप म बदल दया ले कन फरौन के जा गर ने अपनी छ ड़य के साथ भी ऐसा ही कया। वे नील
नद के तट पर फरौन से मले और नद को खून म बदल दया ले कन फरौन के जा गर भी ऐसा कर सकते थे। मूसा ने चौथी बैठक ा त क और
हा न को म पर वजय पाने के लए नील नद से मढक लाने को कहा ले कन फरौन के जा गर भी वही काम करने म स म थे। फरौन ने मूसा से
मढ़क को हटाने के लए कहा और वादा कया क वह इ ाए लय को जंगल म उनक दावत करने दे गा।
मूसा के परमे र ारा दस वप याँ भेज ने के बाद अंततः फरौन ने इ ा नय को जाने क अनुम त दे द म वा सय पर. तीसरा और चौथा
म र क महामारी थी और उड़ जाता है. पाँचवाँ भाग म वा सय के मवे शय बैल बक रय भेड़ ऊँ ट और घोड़ पर होने वाली बीमा रयाँ थ ।
छठा म वा सय क वचा पर फोड़े थे। सातवाँ भयंक र ओलावृ थी और गड़गड़ाहट. आठव वप थी ट याँ। नौव वप पूण अंधकार थी।
दसव वप म के पहले ज मे ब क ह या थी जसके बाद म वा सय पर ऐसा आतंक छा गया क उ ह ने इ ा नय को वहां से चले जाने
का आदे श दे दया। घटना को फसह के प म मनाया जाता है इस बात का ज करते ए क कै से लेग म य को पीड़ा दे ते ए इ ाए लय
के घर को पार कर गया ।
फर मूसा ने कनान क लंबी या ा शु करते ए अपने लोग का नेतृ व कया । इस बीच फरौन का दय प रवतन हो गया और वह एक बड़ी सेना
के साथ उनका पीछा करने लगा। इस सेना और समु के बीच म बंद इ ाएली नराश हो गए ले कन टोरा रकॉड करता है क भगवान ने पानी को
उ ह ने खुद को माउं ट सनाई पर आधा रत कया। मूसा दन और रात तक पहाड़ पर रहे इस अव ध म उ ह सीधे भगवान से दस आ ाएँ
ात । तब मूसा आ ाएँ दे ने के इरादे से पहाड़ से नीचे उतरे
उसक अनुप त म सोने क . भयानक ोध म मूसा ने आ ा क त तयाँ तोड़ द और अपने गो ले वय को आदे श दया श वर
के मा यम से जाने और प रवार और दो त स हत सभी को मारने के लए ले वय ने लगभग लोग को मार डाला जनम से कु छ
ब े थे। यह ई र का आदे श था हालाँ क मूसा ने उ ह मा करने का अनुरोध कया ले कन ई र ने फर भी उसे ऐसा करने क आ ा द । बाद म
परमे र ने मूसा को दो अ य त तयाँ लखने क आ ा द ज ह मूसा ने तोड़ दया था उनके ान पर मूसा दन और रात क एक और
अव ध के लए फर से पहाड़ पर चला गया और जब वह वापस लौटा तो अंततः आ ाएँ द ग । रे ग तान म वष तक भटकने के बाद
टोरा मूसा को नद शत कया गया था भगवान से। टोरा के दो भाग ह एक ल खत और सरा मौ खक।
ल खत के पाँच भाग होते ह।
म।
बेरे शट उ प या नमाण
य द कानून श बत को एक छु का दजा दे ता है येक स ताह के सातव दन मनाया जाने वाला आराम का दन। रोश चोदे श य द कै लडर के
येक महीने के पहले दन और साथ ही पछले महीने के आ खरी दन होने वाली एक छोट छु या अनु ान है अगर इसम तीस दन ह। रोश
हशाना मृ त या मरण का दन और याय का दन है। ई र येक का गत प से उसके कम के अनुसार याय करता है और अगले
वष के लए एक आदे श दे ता है।
योम क पुर य दय के लए वष का सबसे प व दन है। यह पूण उपवास के साथ साथ ाथना के मा यम से पूरा कया जाता है जसम सभी व
वय क ारा सभी भोजन और पेय पानी स हत से परहेज शा मल है। नान इ या कोलोन पहनना चमड़े के जूते पहनना और यौन संबंध योम
क पुर पर कु छ अ य नषेध ह ये सभी यह सु न त करने के लए डज़ाइन कए गए ह क कसी का यान पूरी तरह से और पूरी तरह से
भगवान के साथ ाय त क खोज पर क त है। सु कोट सात दवसीय योहार है इसे झोप ड़य के पव झोप ड़य के पव या के वल झोप ड़य
के पव के प म भी जाना जाता है।
य द धम पुनज म म व ास रखता है। ह ू म इसे गलगुल हा ने शामोट कहा जाता है जसका शा दक अथ आ मा का पुनच ण या
ानांतरण है। टोरा म ही इस वचार को दे उत म सू चत कया गया है।
Deut. और यशायाह । ऐसा माना जाता है क ऋ ष शामाई मोशे के अवतार थे और त नु डक ऋ ष हलेल हा न के
अवतार थे।
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दा न येल से दा न येल तक अलौ कक स ा के साथ मुठभेड़ का वणन कया गया है। यह वणन लगभग वै दक दे वता या
व णुद या वयं व णु से मेल खाता है। त मूड भी ई र के शरीर के व भ अंग जैसे ई र का हाथ ई र के पंख आ द के बारे म बात कर
और ईडन के बगीचे म ई र के चलने ई र के बछाने आ द का उ लेख कर। भजन सं हता म ई र को पता के प म संद भत कया
गया है। यशायाह म परमे र क तुलना हे से क गई है और उसके लोग क तुलना हन से क गई है। हाँ पु ष और कृ त
क यह वै दक अवधारणा। भगवान को पु ष माना जाता है और जी वत सं ाएं कृ त ह जो भगवान को स करने के लए बनाई गई ह।
यशायाह म ई र को सीधे संबो धत कया गया है और उसे हमारा पता कहा गया है और उसका नाम यहोवा रखा गया है। यह
भगवद गीता . के पताहम अ य जगतो माता धाता पतामहः के अनु प है जसका अथ है म इस ांड का पता माता आधार और पौ
ं।
मांस खाने के संबंध म य दय का मानना है क आदम और ह वा ने भी जानवर का मांस नह खाया था। उ प म कहा गया है और
परमे र ने कहा दे ख जतने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृ वी भर पर ह और जतने बीज वाले फल वाले पेड़ ह वे सब म ने तु ह दए ह
वे तु हारे भोजन के लथे ह गे। कई य द अनुया यय क समझ है क भगवान क मूल योजना मानव जा त को शाकाहारी बनाने क थी
और भगवान ने बाद म मनु य क कमजोर कृ त के कारण अ ायी रयायत के प म मनु य को मांस खाने क अनुम त द ।
यह मांस खाने से बचने और माँ काली को अ पत करने के बाद ही मांस खाने क वै दक अवधारणा के समान है। कसी भी धम म बूचड़खाने
चलाने क इजाजत नह है.
ईसाई और मु लम दोन ही मूसा और उनक श ा म व ास करते ह ले कन दावा करते ह क वतमान य द स ांत का ठ क से पालन
नह कर रहे ह इस लए वे दावा करते ह क यीशु और मोह मद मशः ई र ारा चुने गए उनके पैगंबर ह। ऐसा इस लए है य क व ा ववरण
आगामी भ व यव ा क भ व यवाणी करता है जो नया को मु दलाएगा और शां त और समृ लाएगा। दोन धम तक और
दलील के आधार पर दावा करते ह क उनका धम ई र ारा चुना गया है। पर तु य द अनेक तक का खंडन करते ह तथा ावहा रक
से असहमत ह य क ईसाई धम तथा इ लाम ने शां त ा पत करने क अपे ा के वल र पात ही कया है।
जैन धम
पहले तीथकर ऋषभदे व ह ज ह वै दक परंपरा म व णु का अवतार माना जाता है। उनक श ाएँ ब त ानवधक ह। भागवत पुराण के
और उनक श ा का उ लेख कया गया है। उ ह ने अवधूत क तरह न न होकर या ा क और भ सेवा क म हमा फै लाई। द ण
भारत म या ा करते ए कनाटक क का वका और कु टक ांत से होते ए भगवान ऋषभदे व कु टक के पड़ोस म प ंचे। अचानक जंगल
म आग लग गई जससे जंगल और भगवान ऋषभदे व का शरीर जलकर राख हो गया। एक मु आ मा के प म भगवान ऋषभदे व क लीला
को वहां के राजा ने जाना जनका नाम अहत था। बाद म मायावी श से मो हत होकर उ ह ने जैन धम के मूल स ांत को सामने रखा।
ऋषभदे व को जै नय ारा आ दनाथ भी कहा जाता है।
पा वाराणसी के राजा अ सेन और रानी वामा के पु थे। वह इ वाकु वंश के थे। उ ह ने एक कु लीन का जीवन जीया और कभी शाद
नह क । तीस वष क उ म उ ह ने सं यासी बनने के लए संसार याग दया। जस पहाड़ी क चोट पर उ ह ने म य ता क थी उसे अब
पा नाथ कहा जाता है। महावीर के माता पता ने उनक श ा का पालन कया।
महावीर का ज म भारत के पटना के नकट त कुं डा ाम म आ था। वह स ाथ और शला के पु थे। तीस साल क उ म महावीर ने
अपना रा य और प रवार याग दया अपनी सांसा रक संप छोड़ द और बारह साल एक तप वी के प म बताए। उ ह ने उपदे श दया क
अनंत काल से येक जी वत ाणी आ मा अ े या बुरे कम ारा सं चत कम त या के बंधन म है । कम संबंधी मक तम
भौ तक संप मअ ायी और ामक सुख चाहता है जो आ म क त हसक वचार और काय के साथ साथ ोध घृण ा लालच
और अ य बुराइय का मूल कारण है। इनके प रणाम व प कम का और अ धक संचय होता है। वयं को मु करने के लए महावीर ने सही
व ास स यक दशन सही ान स यक ान और सही आचरण स यक च र क आव यकता बताई।
तीय. स य हा नर हत स य ही बोलना
iii. अ तेय उ चत प से न द गई कोई भी चीज़ लेना
iv. चय कोई कामुक सुख नह लेना
v. अप र ह लोग ान और भौ तक चीज़ से पूरी तरह से अलग हो जाना।
बाद म जब कु मा रल भ और आ द शंक राचाय ने वै दक दशन का जोरदार चार कया तो कई जैन शैव और वै णव बन गये। कनाटक के बेलूर म
व णु मं दर का नमाण होयसल राजा व णुवधन ने कराया था। होयसला मूल प से प मी घाट क एक जनजा त थी पवत ृंख ला जो
गुज रात से भारत के द णी सरे तक प मी तट के साथ चलती है। राजा व णुवधन ने ीपाद रामानुज ाचाय ी सं दाय ारा सखाए
गए जैन धम से वै णव धम को वीकार कया लगभग उसी समय जब रामानुज ने सावज नक प से
जैन धम के तीथकर ारा चा रत जैन ंथ का सं ह। इन श ा को कं ठ कर लया गया और युग युग तक आगे बढ़ाया गया ले कन ये काफ कमजोर हो ग और भगवान
महावीर के नवाण मु के एक हजार साल के भीतर ही अकाल के कारण लु त हो ग । ेतांबर और दगंबर जैन धम के दो सं दाय ह। सं या सय के कपड़े
पहनने और म हला के नवाण ा त करने को लेक र उनके बीच बस कु छ मामूली मतभेद ह। दगंबर न न रहते ह और ेतांबर सादा सफे द कपड़ा पहनते ह और व
तीथकर म लनाथ का उदाहरण दे ते ए म हला के नवाण म व ास करते ह जो एक म हला थ । अ हसा या अ हसा क वै दक समझ के बारे म हमने अ याय म
बताया है।
बु धम
बौ धम क ापना व णु के अवतार भगवान बु ने क थी। उ ह ने वेद के नाम पर चल रही ापक पशु ब ल के कारण जैन धम के समान अ हसा के स ांत क
ापना क । जीवन का ल य व णु क पूज ा करना है और यह पर भगवान बु ने वेद के परम स ांत क ापना करके परो प से कई आ मा को अपनी ओर आक षत
साल क उ म स ाथ ने अपनी जा से मलने के लए अपना महल छोड़ दया। कहा जाता है क अपने पता ारा बीमार वृ और
पीड़ा को छु पाने क को शश के बावजूद स ाथ ने एक बूढ़े को दे ख ा था।
जब उनके सारथी च ा ने उ ह समझाया क सभी लोग बूढ़े हो गए ह तो राजकु मार महल से आगे क या ा पर चले गए। इन पर उनका सामना एक रोग त एक
म। खा का सच
तीय. खा क उ प का स य
iii. ःख समा त का स य
बौ धम क मुख शाखाएँ ह थेरवाद और महायान। थेरवाद का अथ है बुज ुग क श ा । यह अपे ाकृ त ढ़वाद है। महायान सभी
संवेदनशील ा णय के लाभ के लए पूण ान ा त करने के माग को संद भत करता है और आधे से अ धक बौ ारा इसका पालन कया
जाता है। महायान बौ का मानना है क असं य अ य बु हअय ांड म। इसे वै दक ंथ म काफ हद तक वीकार कया गया है
य क भगवान बु वभ ांड म कट ए ह जहां क लयुग क शु आत ई है। असं य ांड क अवधारणा को अ याय म समझाया
गया है। बौ धम एकमा ऐसा धम है जो आ मा के अ त व को वीकार नह करता है और जैन धम म शा मल हो जाता है यह घो षत करने के
लए क सृ म कोई ई र नह है।
प पुराण म भगवान शव ारा माता पावती को भगवान बु के बाद वै दक स ांत को पुनः ा पत करने के लए आगमन के बारे म
बताया गया है।
ईसाई धम
ईसाई धम यीशु के जीवन और श ा पर आधा रत एक धम है जैसा क सुसमाचार और अ य नए नयम के लेख म तुत कया गया है। यह
ह ू बाइ बल तोराह जसे ओ टे टामट के नाम से जाना जाता है को भी अपने व ास का ह सा मानता है। यीशु नाज़रेथ के यीशु के नाम
से भी स ह उनका ज म माता म रयम और जोसेफ से आ था। ईसाइय का ढ़ व ास है क यीशु का ज म व जन मैरी से आ था। नए
नयम म यीशु के ज म क तारीख या मौसम का कोई उ लेख नह है। वह ज म से य द था और जोसेफ बढ़ई था। यीशु को जॉन ारा बप त मा
दया गया था जो चार कर रहा था
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या आरंभ करने जैसा है। बाइ बल म ई रीय आवाज दज है जो यीशु को भु ारा सश घो षत करती है
त.
धम के नाम पर पशु क बल ावहा रक प से पूरी नया म हर ा पत धम म मौजूद है। ऐसा कहा जाता है क भु यीशु मसीह जब बारह वष के थे य दय को
णाली क शु आत क ।
से वष क आयु इ तहासकार के साथ साथ ईसाइय के लए भी अ ात है य क बाइ बल म इसका कोई उ लेख नह मलता है।
साल क उ म ईसा ने अपने अनुया यय क एक ट म बनाई और उपदे श दे ना शु कर दया। उ ह ने कई अनुया यय को इक ा करते ए
पहाड़ पर उपदे श दे ना शु कर दया। उ ह ने चम कार कए जससे उनके अनुया यय म व ास बढ़ गया जैसे हजार को खाना
खलाना और पानी पर चलना आ द। हालां क महान भ के पास श यां होती ह ले कन वे चम कार से अनुया यय को आक षत नह
करते ह ले कन यीशु को ऐसा करना पड़ा य क उनके अनुयायी आ दवासी थे और शायद ही उनके दशन को समझ सकते थे।
उ ह ने वे या को य द दं ड के कठोर नयम से मु दलाकर अपनी क णा भी कट क जसम दया क सै ां तक समझ का अभाव था। उ ह ने य द पुज ा रय को छोट
और श ा द कहा नय के मा यम से भगवान के दयालु वभाव के बारे म भी जानकारी द । उ ह ने उ ह याद दलाया क पुज ारी के प म उनक भू मका लोग के बीच
ई रीय चेतना को पुनज वत करना है न क के वल पुरो हती क सु वधा का आनंद लेना है। यीशु ने य शलेम म वेश कया और सराफ को म दर से बाहर नकाल दया
। उनके एक श य जुडास ने उ ह धोखा दे ने के लए चांद के स क का सौदा कया और पीटर ने उ ह तीन बार इनकार कर दया। इसक भ व यवाणी यीशु ने पछले भोज
के दौरान पहले ही कर द थी। बाद म उ ह सूली पर चढ़ा दया गया। ईसाइय का मानना है क यीशु दन बाद मृत अव ा म जी वत हो उठे थे।
हालाँ क यीशु ने कई बार खुद को ई र का पु घो षत कया ले कन कु छ ईसाई उ ह ई र समझने क गलती करते ह। ांत सुसमाचार म यीशु क श ा के एक मुख घटक
का त न ध व करते ह।
ये ांत तीत होने वाली सरल और यादगार कहा नयाँ ह जो एक ऐसी श ा दे ती ह जो आमतौर पर भौ तक नया को आ या मक नया से जोड़ती है। नया भर म
ईसाई धम के तीन सबसे बड़े समूह रोमन कै थो लक चच पूव ढ़वाद चच और ोटे टटवाद के व भ सं दाय ह। पुनज म यीशु क श ा म अंत न हत प से
पाया जाता है। मै यू मलाक माक म यह है क यीशु जॉन द बैप ट ट को ए ल याह का पुनज म घो षत कर रहे ह। साथ ही मृ यु के बाद का जीवन
उस पर व ास क कमी थी.
बाइ बल म मांस खाने का आदे श नह दया गया है. वा तव म यीशु मेमन को गले लगाते ए पाए जाते ह न क उ ह काटते ए। यशायाह म
कहा गया है जो बैल को मारता है मानो उसने मनु य को मार डाला। यीशु ने ई र को एक माना और उसे पता घो षत कया। उ ह ने ई र
के रा य का भी उ लेख कया
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जहाँ सभी आ माएँ मूल प से नवास करती ह। यूह ा परमे र के नाम पर व ास क मांग करता है। ए वे रयन गॉ ेल म कहा गया है क
भु यीशु मसीह जग ाथ मं दर म रहते थे। वह पुज ा रय के साथ मोटा और पतला था। एक उपदे शक ब त मलनसार था। और वह उनसे दाश नक
इसलाम
और उसक सेवा करना है। उनका यह भी मानना है क इ लाम एक आ दम व ास का पूण और सावभौ मक सं करण है जो पहले कई बार
पैगंबर मोह मद का ज म लगभग ई वी म म का शहर म आ था वह कम उ म अनाथ हो गए थे और उनका पालन पोषण उनके चाचा अबू
ता लब क दे ख रेख म आ था। बाद म उ ह ने यादातर एक ापारी के साथ साथ एक चरवाहे के प म काम कया और साल क उ म उनक
पहली शाद ई थी। कई रात के एकांत और ाथना के लए समय समय पर आसपास के पहाड़ म एक गुफ ा म जाने क आदत होने के कारण
उ ह ने बाद म बताया क यह था वहाँ वष क आयु म उ ह ई र से पहला रह यो ाटन ा त आ। इस घटना के तीन साल बाद मुह मद ने सावज नक
कु रान को सुर या अ याय म वभा जत कया गया है जसम कु ल मलाकर आयत या छं द ह। कालानु मक प से पहले के सुर
क ोतपु तक माना जाता है। मु लम याय वद हद स या पैगंबर मोह मद के ल खत रकॉड से परामश लेते ह
ज़दगी।
इ लाम के तंभ इ लाम म पाँच बु नयाद काय ह ज ह सभी व ा सय के लए अ नवाय माना जाता है।
कु रान उ ह पूज ा के लए एक परेख ा और व ास के त तब ता के संके त के पम तुत करता है। वे ह शहादत इ लाम वीकार
रह यो ाटन के समय म का म मुह मद ने लोग को उपदे श दया उनसे ब दे ववाद को यागने और एक ई र क पूज ा करने का आ ह कया। हालाँ क
कु छ लोग इ लाम म प रव तत हो गए मुह मद और उनके अनुया यय को मुख म का अ धका रय ारा सताया गया। इसके
प रणाम व प कु छ मुसलमान का ए ब स नया म वास आ। इ लाम म ारं भक धम प रवतन करने वाले कई लोग गरीब और पूव गुलाम थे।
वास कया गया। वहां मद ना म प रव तत लोग अंसार और म का वा सय मुहा ज न के साथ मुह मद ने मद ना म अपनी
राजनी तक ापना क । और धा मक अ धकार. इ लामी आ थक स ा के अनु प एक रा य क ापना क गई । मद ना का सं वधान तैयार
कया गया था जसम मद ना के मु लम य द ईसाई और बुतपर त समुदाय के लए कई अ धकार और ज मेदा रयां ा पत क ग
उ ह एक समुदाय उ माह के दायरे म लाया गया।
सु य का मानना है क पहले चार ख़लीफ़ा मुह मद के असली उ रा धकारी थे चूँ क भगवान ने अपने उ रा धकारी के लए कसी वशेष नेता
को न द नह कया था और उन नेता को चुना गया था।
जो कोई भी धम और याय य है वह ख़लीफ़ा हो सकता है ले कन उ ह कु रान और सु त हद स मुह मद के उदाहरण के अनुसार काय
करना होगा और लोग को उनके अ धकार दे ने ह गे। सु ी सीधे ई र के पास जाते ह और कोई संग ठत ल पक य पदानु म नह है। सु ी
कु रान का पालन करते ह फर हद स का। फर कु रान या हद स म नह पाए जाने वाले कानूनी मामल के लए वे चार वचारधारा का पालन
करते ह।
शया का मानना है क मुह मद क म का क अं तम तीथया ा के दौरान उ ह ने अपने दामाद अली इ न अबी ता लब को अपना उ रा धकारी
नयु कया था। मुसलमान का नेता ख़लीफ़ा कौन हो इस पर स ा संघष म अली क ह या कर द गई। उनके बेटे सैन और हसन ने भी
ख़लीफ़ा पर क ज़ा करने के लए संघष कया। सैन यु के मैदान म एक आगामी ख़लीफ़ा का वरोध करते ए मारे गए और माना जाता है क
हसन को ज़हर दया गया था। इन घटना ने शहादत के शया पंथ को ज म दया
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म का म मुख इबादतगाह काबा है। मु लम शासन ारा काबा पर पूण क ज़ा करने से पहले ानीय लोग व भ धम के से
अ धक दे वता क पूज ा करते थे। पैग बर ने एक को रखकर सभी दे वता को न कर दया जसे उसने चूमा। इस प र को हजरे अ वद कहा
जाता है।
वै दक मा यता के अनुयायी काबा म आज भी रखे इस प र को शव लग मानते ह य क पूरे व म के वल वै दक री त ही थी। इसके अलावा
म का म भगवान व णु क उप त का उ लेख ह रहरे र महा य म कया गया है जसम कहा गया है
तृतीयं ा पतं द ं मु यै शु ल य स धौ
इ लाम अ लाह के नाम के जाप पर जोर दे ता है। अ लाह उसके अलावा कोई भगवान नह है सबसे सुंदर नाम उसी के ह कु रान ।
ईद नया भर म अनुया यय ारा ैमा सक मनाई जाती है और मोहरम वह दन है जसे शया अपने शहीद को सम पत करते ह।
इ लाम के स े अनुयायी शां त के नेक रा ते पर चलते ह और फै सले के दन का इंतजार करते ह।
सख धम
तीन दन बाद यह घोषणा करते ए लौटा क कोई ह नह है कोई मुसलमान नह है तो म कसका रा ता अपनाऊं म भगवान के रा ते पर चलूंगा. भगवान न
तो ह ह और न ही मुसलमान और म जस रा ते पर चलता ं वह भगवान का है। नानक ने कहा क उ ह भगवान के दरबार म ले जाया गया है। वहां उ ह
अमृत से भरा याला दया गया और आदे श दया गया। यह पूरी तरह से समझ से परे है जैसा क हमने अ याय म आ मा के व ान को दे ख ा है जो वयं को
गु नानक ने पांच या ा उदा सय म ई र के ेम के इस संदेश का चार कया जसम अरबी दे श से लेक र असम और ीलंक ा तक क या ाएं
शा मल थ । उ ह ने अहंक ारवाद हौमाई म ं के खतर का वणन कया और भ से भगवान के नाम के मा यम से पूज ा म संल न होने का अनुरोध
कया। नाम का ता पय ई र वा त वकता रह यमय श द या सू गुरबानी म शबद दै वीय आदे श कम और ान पर दै वीय श क गु और गु के नदश
और भगवान के गुण का गायन इस या म संदेह को यागना है। . हालाँ क ऐसी पूज ा नः वाथ सेवा होनी चा हए। भगवान का प व नाम ऐसी पूज ा को
पाखंड और झूठ के खलाफ चेतावनी दे ते ए कहा क ये मानवता म ापक ह और धा मक काय भी थ हो सकते ह। यह भी कहा जा सकता है क उ ह
उपरो श ाएँ भगवद गीता क भ योग या से पूरी तरह मेल खाती ह जहाँ कृ ण कहते ह क सभी यो गय म एक भ योगी जो हमेशा मेरे प व
नाम का जाप करके मेरी म हमा करता है वह सव है बीजी . । य क प व नाम का जाप करने से का दय सभी अशु य से शु हो जाता है
तौर तरीक
• करत करो बना कसी शोषण या धोखाधड़ी के ईमानदारी से जी वकोपाजन करना कमाना
• नाम जपना प व नाम का जप करना और इस कार हर समय नरंतर भगवान को याद करना
भगवान क भ
गु नानक के बाद उनके उ रा धकारी अ य गु ने समाज म शां त और रता लाते ए ब त सारे सामा जक सुधार लाए। ले कन मुख ात गु गु
गु गो बद सह सख के दसव गु थे। उनका ज म म पटना बहार क राजधानी भारत म आ था। म भारत के क मीर से पं डत
आनंदपुर सा हब आए और गु तेग बहा र गु गो बद सह के पता से गुहार लगाई क औरंगज़ेब उ ह इ लाम म प रव तत होने के लए मजबूर कर रहा है। गु
तेग बहा र ने उनसे कहा क एक महान क शहादत क आव यकता है। उनके पु गु गो बद सह ने अपने पता से कहा आपसे बड़ा कौन हो सकता
है । गु तेग बहा र
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पं डत से कहा क वे औरंगजेब के आद मय से कह क य द गु तेग बहा र मुसलमान बन जायगे तो वे सभी बन जायगे। गु तेग बहा र को तब द ली म
शहीद कर दया गया था ले कन उससे पहले उ ह ने साल क उ म गु गो बद सह को व गु के प म नयु कया था। गु बनने के बाद उ ह ने सख
बाद म उ ह ने खालसा समूह बनाया और अ य धक सं या म मुगल सै नक से यु कया। उनके दो बड़े बेटे साल क उ म वह शहीद हो
गए। वज़ीर खान ने अ य दो उ को मार डाला। फर वह नांदेड़ महारा भारत गए। वहां से उ ह ने बाबा गुरब सह को अपना सेनाप त बनाया
और उ ह पंज ाब भेज दया। जस दन बाबा गुरब सह पंज ाब के लए रवाना ए उस दन शाम को दो मु लम सै नक गु गो बद सह से मलने आए।
हमलावर म से एक बशाल बेग गु के त बू के बाहर नगरानी कर रहा था जब क एक भाड़े के ह यारे जमशेद खान ने गु को दो बार चाकू मारा। हालाँ क
अ ायी अ धकार खालसा पंथ सख रा म न हत होगा। पहला सख प व ंथ ई. म पांचव गु गु अजन ारा संक लत और संपा दत कया
गया था हालाँ क पहले के कु छ गु को अपने रह यो ाटन का द तावेज ीकरण करने के लए भी जाना जाता है। यह नया के उन कु छ धम ंथ म से एक है
जसे कसी धम के सं ापक ने अपने जीवनकाल म ही संक लत कया है। गु ंथ सा हब प व ंथ म वशेष प से अ तीय है य क यह गु मुख ी
ल प म लखा गया है ले कन इसम पंज ाबी हद सं कृ त भोजपुरी अस मया और फारसी समेत कई भाषाएं शा मल ह। सख गु ंथ सा हब को अं तम
शा त जी वत गु मानते ह।
वत रत कया जाता है और लोग अमीर गरीब आ द के भेदभाव के बना एक साथ आते ह और गु नानक दे व क इ ा क सेवा करते ह। सख को संत
सै नक भी कहा जाता है जसका अथ है भगवान क सेवा के लए संत होना और कसी के व ास और सेवा क र ा के लए सै नक होना।
कौन सबसे अ ा है
यह तुलना मक आज तक उन अनेक लोग ारा अनु रत है जो अपने माग या आ ा को सर से े मानते ह। दरअसल भगवत गीता का पूरा वां
अ याय ा णय के दै वीय और आसुरी वभाव का वणन करता है। जहां कोई भी जी वत इकाई जसने प व ता का माग वीकार कर लया है उसे न त
प से अ े गुण ा त ह गे और जो लोग चुनने से इनकार करते ह वे ू र भौ तक कृ त का शकार बन जाते ह। परम भगवान कु छ जीव को अपना संदेश
फै लाने का अ धकार दे ते ह य क इस भौ तक संसार म जीव भगवान के त व ोही ह और उनसे वतं होकर आनंद लेना चाहते ह। ऐसा तभी होता है
जब उनम से कोई जसने स य को महसूस कया है बोलता है वह अपने मूल वभाव और सव के साथ संबंध को समझ सकता है। श ा और अ यास क
सावधानीपूवक अवलोकन करने पर कोई भी यह जान सकता है क कै से उपयु सभी धम ने मु के साधन के प म भगवान के प व नाम
का जाप करने पर यान क त कया। उ ह ने ब आ मा के लए एकमा सां वना के प म ई र के रा य और उसक सेवा क भी बात क ।
जो लोग माग पर चलते ह वे सफलता ा त करते ह और यह उनके संबं धत इ तहास से है। अब एकमा सम या यह होती है क जब दो
अलग अलग ती ता और क म वाले एक ही ल य को ल य करने वाले दशन एक साथ आते ह या एक सरे का सामना करते ह तो टकराव होता
है। आदश प से सहयोगा मक भावना के साथ शां तपूण बातचीत से सभी मु का समाधान हो सकता है ले कन भौ तक साधन से सर पर हावी
होने क इ ा धा मक संघष को ज म दे ती है। इसके अलावा आजकल लोकतं म स ा हा सल करने के लए धम का इ तेमाल कया जाता है
जससे लोग का प व ता के माग से व ास उठ जाता है।
भगवान चैत य ने कहा क व भ भाषा दे श और समाज के अनुसार भगवान के असं य नाम ह। और उनम से येक म वयं
ई रक श है। य द कोई ई र है तो ई र पूण है इस लए उनके नाम और वयं उनके नाम म कोई अंतर नह है। भौ तक जगत क तरह ही ैत
जगत म भी जल और पदाथ जल नाम म अंतर है। पानी का नाम अलग है
जल से. य द कोई यासा है य द वह के वल पानी पानी पानी पानी का जाप करता है तो उसक यास नह बुझ ेगी। आपको पदाथ
पानी क आव यकता है. यह भौ तक है ले कन आ या मक प से कृ ण नाम या अ लाह नाम या यहोवा नाम भगवान के सव व
के समान ही अ ा है।
नवीनतम पैगंबर
जैसा क व ा ववरण म उ लेख कया गया है यीशु ने एक ऐसे नेता के बारे म भी भ व यवाणी क थी जो सभी लोग को ई र के रा य
आ या मक नया म पता के पास वापस ले जाएगा।
फर यूह ा म पर तु सलाहकार अथात् प व आ मा जसे पता मेरे नाम से भेज ेगा तु ह सब बात सखाएगा और जो कु छ म ने तुम
से कहा है वह सब तु ह मरण कराएगा।
यूह ा जब तक म न जाऊं तब तक सलाहकार तु हारे पास न आएगा पर तु य द म जाऊं गा तो उसे तु हारे पास भेज ूंगा। वह आकर
जगत को पाप और धम के वषय म दोषी ठहराएगा। और याय पाप के संबंध म य क लोग मुझ पर व ास नह करते
धा मकता के संबंध म य क म पता के पास जाता ं जहां तुम मुझ े फर नह दे ख ोगे और याय के संबंध म य क अब इस संसार का राजकु मार
नदा क जाती है। मुझ े तुमसे और भी ब त कु छ कहना है उससे भी अ धक जो तुम अभी सहन कर सकते हो। पर तु जब वह स य क आ मा
आएगी तो वह तु ह सभी स य का मागदशन करेगा। वह वयं नह बोलेगा वह के वल वही कहेगा जो वह सुनेगा और वह तु ह बताएगा
जो अभी आना बाक है। वह मेरी म हमा करेगा और जो कु छ मेरा है उसे लेक र तु ह बताएगा। जो कु छ पता का है वह मेरा है। इसी लए
मने कहा क आ मा जो कु छ मेरा है उसम से उसे लेक र तु ह बताएगा।
इस लए यीशु ने टोरा व ा ववरण के मानदं ड को पूरा नह कया और मोह मद ने यीशु क भ व यवाणी को पूरा नह कया जसका अथ है
क वे सभी एक आने वाले पैगंबर क ती ा कर रहे थे जो मानव जा त को भौ तक बंधन से मु दलाएगा और उ ह मु का स ा और उ कृ
माग सखाएगा। . वैवत पुराण . म एक पैगंबर संत के आने का वणन है जो नया भर के लोग को मु दलाएगा
जससे वे भगवान कृ ण के प व नाम का जाप करना शु कर दगे।
भागीरथी उवाका
हे नाथ रमण े य स गोलोकम् उ मम्
अ माकं का ग तस च भ व य त कलौ युगे
ी भगवान उवाच
कालेह पंच सह ा ण वष न त भूतले
भगवान के परम व ने कहा पापी लोग तु हारे पास आएंगे और नान करने पर तु ह अपने पाप दे दगे। तु ह क लयुग के वष तक पृ वी
हे गंगा तब ब त से भ मेरे म से मेरी पूज ा करगे और उनके श तथा नान मा से वे सारे पाप तुरंत भ म हो जायगे।
जब भगवान चैत य ने साल पहले संक तन आंदोलन का उ ाटन कया था तो उ ह ने आगामी सेनाप त भ मुख कमांडर क भ व यवाणी
क थी जो सभी दे श का उ ार करेगा।
चैत य मंगल सू खंड गीत पाठ म भगवान चैत य ने प से उ लेख कया है क वह अपने मुख उपदे शक को
वदे श भेज गे
य द पापी च ढ़ धम रा दे से यया
मोरा सेनाप त भ यइबे तथाया
प व नाम के सामू हक जप क तेज़ तलवार लेक र म ब आ मा के दल म रा सी मान सकता को जड़ से उखाड़ फकूँ गा। य द कु छ पापी लोग
भाग जाएं और धा मक स ांत को यागकर र दे श म चले जाएं तो मेरे धान सेनाप त सेनाप त भ उनका पीछा करने और कृ ण चेतना
वत रत करने के लए कट ह गे।
कोई भी यह जानने के लए उ सुक होगा क यह व कौन है जो मूसा क इ ा के अनुसार सभी का मागदशन करेगा यीशु क इ ा के
अनुसार सभी को भगवान पता के करीब लाएगा और भगवान कृ ण क इ ा के अनुसार नया भर से आ मा को लाएगा और सेनाप त भ
बन जाएगा। भगवान चैत य. यह काय उनके द अनु ह ए.सी. भ वेदांत वामी भुपाद ारा पूरा कया गया ज ह ने उन वातानुकू लत
आ मा के उ ार के लए इंटरनेशनल सोसाइट फॉर कृ ण चेतना क ापना क जो स े आ या मक सुख के लए यासे ह और इस
न र नया म इसे पाने म असमथ ह। उनके अनुयायी उ ह ील भुपाद के नाम से भी जानते ह। ील भुपाद वष क आयु म अपने
आ या मक गु उनक द कृ पा भ स ांत सर वती ठाकु र के आदे श पर प मी दे श म चार करने गए और मं दर क ापना क जहां
राधा और कृ ण के सव दे वता क वै दक था के अनुसार पूज ा क जाती है। यह उ ह ने के वल म ही पूरा कया
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य द ईसाई मु लम और बौ पृ भू म से आने वाले चार ओर के दे श के हजार श य के साथ साल। वह वै ा नक को उनके तक को धूल चटाकर परा त कर
सके और आ तक दशन क ापना कर सके । हाँ उ ह ने पु तक लख जनम से मुख भगवत गीता और ीम ागवतम जैसे व भ मह वपूण वै दक ंथ पर अनुवाद
और ट प णयाँ थ । उ ह ने गु कु ल और कृ ष समुदाय क ापना क जससे सभी को आ या मक अ यास के करीब लाया जा सके जसके ारा ई र के त
उ ह ने कसी म भेदभाव नह कया और न ही कसी को अयो य मानकर याग दया ब क सभी को प व नाम का जाप करने और
भगवान के करीब आने का मौका दया। वह ब त वन थे और हमेशा उपल य का ेय अपने श य को दे ते थे और अपने आ या मक गु
को याद करते थे ज ह ने हमेशा उनका मागदशन कया। उनक जीवनी लखी जा चुक है और च रखने वाले लोग लेख क से कसी भी भाषा
म एक त के लए अनुरोध कर सकते ह। उ ह ने ई र और उनके व प उनके व उनके नवास आ द के बारे म व तार से बताया। जो
भी उनके संपक म आया उ ह ने उनम ई र के त ेम उ प कया।
वे आ माएँ भा यशाली ह जो सीधे उनके साथ जुड़ सक और अ धक भा यशाली वे ह जो अभी भी वयोग म सेवा कर रही ह।
ील भुपाद ने भ व यवाणी क थी क उनक पु तक आने वाली पीढ़ के लए कानून क पु तक बनगी और यह व णम काल वष तक चलेगा। हाँ इस संत क क णा
असीम है और वह एकमा वै दक संत थे ज ह ने नया भर के सभी पापी लोग को भगवान का संदेश दे ने के लए सभी महासागर को पार कया। वह हमारे बीच
सा ा य
पछले वषय के वपरीत यह सीधे दशन से संबं धत नह है ब क उस दशन के अनु योग से संबं धत है जस पर वै दक सं कृ त जोर दे ती है। वेद
जीवन का मैनुअ ल ह ले कन लोग ने एक साथ आकर भगवान और उनके श द क अवहेलना करते ए याय आ थक णाली धा मक शत
शै क पा म ावसा यक संरचना और संचार णा लय के अपने वयं के कानून तैयार कए ह जो बदले म उन पर तकू ल
भाव डाल रहे ह। इसका कारण यह है क के वल ई र ही स य को पूण प से जानता है और कोई के वल एक अंश को ही सव म प से समझ
सकता है। इस लए अपने तरीके अपनाने से बेहतर है वेद का अनुसरण करना। उदाहरण के लए कोई राजनी त और अथशा के बारे म तो
जानता है ले कन आ मा और धम के व ान से अन भ है तो लए गए नणय भौ तकवाद ही रहगे और जीवन के अंत म उनका कोई मू य नह
रहेगा।
भौ तक शासन के लए दो णा लयाँ बनाई जा सकती ह राजतं और लोकतं । तानाशाही एक कार क जबरन राजशाही है और
पूंज ीवाद लोकतं के भीतर छपी ई राजशाही है। इस लए पूंज ीप त को सा यवा दय को दबाने के लए राजनी तक चाल चलनी पड़ती ह और
सं ेप म कह तो स ा ा त करने के बाद सा यवाद भी पूंज ीवाद जैसी ही ग त व ध करते ह
सा यवाद पहले चरण म ई या और सरे चरण म लालच क अ भ है। आज नया मोटे तौर पर इन दो गुट म बंट ई है जो कसी भी तरह
से एक सरे पर स ा हा सल करने क को शश कर रहे ह।
यु छे ड़े जाते ह और बना कसी अ े कारण के लाख नद ष को मार दया जाता है वा तव म सेनाएँ धा मक सुर ा के लए नह ब क
अपनी अपनी ई या और लालच क सुर ा के लए बनाई जाती ह।
इन दशन के भाव म अंधी होकर डू बी जनता अपने अपने वामी के त अपनी वफादारी सम पत कर दे ती है और कु छ वेतन के लए अपने
मन शरीर और श द से समपण कर दे ती है जो उनक इ ा को पूरा करेगा।
जब क लोकतं म पता ही नह चलता क कसे दोष द। उदाहरण के लए य द कसी क ह या हो जाती है तो लोग को यह भी पता नह
चलता क ज मेदार कौन है पु लस आतंक वाद र ा मं ी या कोई और। ऐसे मामल म स ाट अपनी ट म को शी उ चत याय दे ने
के लए बा य कर सकता है अ यथा स ाट अपनी अ त ा खो दे गा जो भड़क उठे गा
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पड़ोसी राजा को स ा संभालने और शासन करने के लए नाग रक को भी भीतर से समथन मलेगा और यही नाग रक क स ीश है।
हर कोई आधु नक करण और इसके व रत प रणाम से मं मु ध है ले कन इसके लंबे समय तक चलने वाले और हा नकारक भाव को हल करने
म असमथ है। उदाहरण के लए औ ोगीकरण तैयार उ पाद का उ पादन कर रहा है ले कन वषा पदाथ का उ पादन कर रहा है जससे हवा
षत हो रही है और लाइलाज घातक बीमा रय के साथ साथ पानी भी षत हो रहा है। इसके अलावा उ पाद वे सभी सामान ह जो बु नयाद
आव यकता का ह सा नह ह य क अनाज का उ पादन धरती से होता है कारखान म नह । इस तरह के औ ोगीकरण से वन क कटाई
होती है जससे पानी क कमी होती है जससे अकाल और सूख ा पड़ता है और व य जीवन वलु त हो जाता है। यह उ ोग सेटअप उसके मा लक
ारा उ पाद पर एका धकार क ओर ले जाता है और मु य प से एक आदमी को लाभ कमाने के लए मजबूर करता है। इस कार एक अ य धक
लालची मा लक अपने लाभ के लए जंगल को काटने पानी को षत करने व यजीव को मारने कमचा रय का शोषण करने से कभी गुरेज नह
कर सकता। आज यही हो रहा है और कोई भी इसे रोक नह पा रहा है य क लालच क कोई सीमा नह होती।
ये पूंज ीप त आसानी से खुद को लोकतं क व ाम ा पत कर लेते ह और ऐसे ताव पा रत कर दे ते ह जो उनक मांग को पूरा करगे और
आम आदमी खुद को मूख बनाते ए अपना सर हलाते रहते ह और अपना भ व य अंधकारमय कर लेते ह। इसके अलावा इन
उ ोग को अपने अ त व के लए तेल और पे ो लयम क आव यकता होती है जो इन संसाधन क खोज के लए मजबूर करता है। भगवान ारा
द घोड़े बैल गाय जैसे ाकृ तक संसाधन को च से हटा दया गया है य क पे ोल और डीजल से चलने वाले वाहन बनाए जाते ह और
ै टर का उपयोग खेत जोतने के लए कया जाता है। इससे कागज के कु छ टु क ड़ ज ह मु ा कहा जाता है के लए इन गरीब जानवर क
ह या कर द जाती है।
दरअसल वै दक प त म बु नयाद उ पाद का इतना क करण नह कया गया था ब क हर शहर और गांव क अपनी व ा थी जसम
आ या मक गु से लेक र कसान मोची नाई आ द सभी वग के लोग रहते थे जससे वे आ म नभर हो जाते थे और अथ व ा
आसानी से अंदर अंदर घूमती रहती थी। वा तव म मत यता क आव यकता कम से कम थी य क मुख काय संबंध और सहायक वभाव
से पूरे होते थे। जैसे नाई को अपने काम के बदले म कु छ अनाज मलेगा और दै नक मक को उनके संबं धत जम दार ारा
प रवार के ह से के प म उनक सभी ज रत का याल रखा जाएगा।
यहां तक क श ा णाली का भी लोकतं के कारण पूंज ीकरण कया जा रहा है। श ा नःशु क होनी चा हए ले कन चूँ क श ा भौ तकवाद या
रोजगारो मुख ी है इस लए इसक संरचना भारी शु क से क गई है।
आजकल अ धक पैसा और मुनाफा कमाने के लए मं य के पास अपने कॉलेज और सं ान ह। फर छा अपने श क के त स मान कै से
रख सकते ह जो वयं वेतनभोगी ह और प पात के शकार ह इससे युवा पीढ़ धोखाधड़ी और चोरी क वृ से त हो जाती है। अ े
च र क कमी से व ास क कमी हो जाती है जसके प रणाम व प आ या मक वातावरण ख़राब हो जाता है। बुरे च र क तो
बात ही या यही छा अपनी श ा के बाद यह सु न त कर लेते ह क वे अपने से नीचे के लोग का शोषण कर और इस कार न न मनोबल
का जीवन तीत कर।
छा वषय म अपनी च खो दे ते ह और उन वषय पर यान क त करते ह जनसे अ आय हो सकती है और इस कार वे वयं छोटे
पूंज ीप त बन जाते ह। ब को अपने जीवन क खोज का उ र नह मलता है ब क ना तक वषय को सीखने के लए उनका म त क धोया
जाता है जससे अंत म उनका जीवन खाली हो जाता है।
पूरी पीढ़ गुमराह है और जीवन क स ाई और जीवन के ल य से कोस र है। उ ह जबरद ती सखाया जाता है क वे बंदर से आए ह और
इनका कोई भगवान नह है
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दशन उ ह पूंज ीवाद के लए एक बेहतर उ पाद बनाते ह। उदाहरण के लए एक इंज ी नयर अपने ब मू य वष तकनीक ान ा त करने म
बता दे ता है और अंत म अ नौकरी पाने के लए एमबीए करता है।
वष क आयु तक कोई के वल पैसा कमाने के यो य होने के लए पैसा खच करता है यह एक वा त वक दयनीय त है जहां
उसे पूंज ीवाद व ा के तहत कज लेना पड़ता है और कजदार होना पड़ता है।
गु क प नी को माँ के समान माना जाता था और वह उनक सम या को समझते ए ब के समान वहार करती थी। लेसमट क कोई
सम या नह थी य क समय के साथ सभी क वा त वक कृ त और पसंद का पता चल गया था और उ ह शा के आधार पर श त कया गया
था। यह के वल राजतं म ही संभव है य क लोकतं इस कार क आ या मक श ण प त को भय कारक मानता है। यही कारण है क जब
अं ेज भारत पर क ज़ा करना चाहते थे तो उ ह ने आ मण कया और दो संरचना गु कु ल और गोर ा को बदल दया जो वै दक
व ा क रीढ़ थ ।
अनाज और अनाज के लए भू म पर खेती क जा सकती है साथ ही गाय का ध भी नकाला जा सकता है जससे असी मत ध उ पाद ा त
होते ह और बैल को भू म क जुताई और बैलगा ड़य ारा प रवहन के लए नयो जत कया जाता है। न तेल पर नभरता न मु ा क
आव यकता। मु ा वण भंडार जैसी वा त वक मू यवान व तु पर आधा रत थी। आधु नक समय म वा त वक मु ा क अवधारणा का
अ य धक पयोग कया जाता है जससे कृ म मंद पैदा होती है और जनसं या को आ थक प से दबाना एक नय मत अ यास बन गया
है।
मु ा क अवधारणा ब त सरल है. उदाहरण के लए एक गाँव म आंत रक आव यकता का लेन दे न या तो र ते ारा या व तु व नमय णाली
ारा कया जाता था। जब अंतर ाम लेनदे न क बात आती थी तो वे अ धशेष का भुगतान न त मा ा म सोने के स क से करते
थे। ले कन बड़े लेन दे न के लए भारी मा ा म सोने क आव यकता होगी इस लए राजा सोने को आर त रखेगा और कु छ स क को
ाम सोने के बराबर घो षत करेगा। जैसे जैसे रजव बढ़ता गया रा ीय स के संबं धत रा के तीक के साथ ढाले जाने लगे। इस लए कसी भी
समय नकली मु ा का चलन नह होगा य क य द राजा ऐसा करता भी तो वह अपनी ही व ा म असंतुलन पैदा कर दे ता इस लए यह
कड़ी नगरानी म था। वतमान प र य म भंडार ब त कम है और मु ा भंडार से कह अ धक चलन म है। ऐसा इस लए है य क पूंज ीप तय के
पास लोकतां क व ा होती है जसम वे आ थक व ा के नयम को आसानी से पा रत कर दे ते ह
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जैसा वे चाहते ह. जो भी वरोध करेगा उसे जान से मारने का खतरा है य क सभी र ा वभाग उनके अधीन ह। पछली सद म एक एक करके
सभी राजा महाराजा क ह या कर द गई या उ ह ऐसी लोकतां क व ा को वीकार करने के लए मजबूर कया गया जो परो प से
आ थक वच व को बढ़ावा दे ती हो। यह खु फया एज सय का उपयोग करके ब त प र कृ त तरीके से कया जाता है जो रा म अशां त
और राजा के खलाफ हंगामा लाते ह। धीरे धीरे ब कग व ा लागू हो गई जससे ब े से लेक र बूढ़े तक सभी नभर हो गए। जब भी आव यकता
होती है तो बक को दवा लया घो षत कर दया जाता है और लोग के हाथ म कु छ भी नह होता है वे सब कु छ खो दे ते ह और य द वे याय
क मांग करते ह तो उ ह कई वष के बाद याय मलता है य क वह भी आ थक व ा के अंतगत है। कोई भी मंद अ नयो जत नह होती
सब कु छ पहले से ही योजनाब होता है। वतमान पीढ़ का यह ब त बड़ा भा य है क लोग भू म को उपजाऊ बनाने गाय चराने और
वणा म पर आधा रत सुख ी जीवन जीने के बजाय सॉ टवेयर कं प नय और बक म काम करके तनावपूण जीवन जी रहे ह और अवसाद से जूझ
रहे ह।
फू ट डालो और राज करो ऐसे लोग ारा लागू क गई मुख नी त है। वे ऐसे दशन लाते ह जो उनके पहले के व ास का खंडन करगे और उ ह
ढ़वाद और उदारवा दय म वभा जत करगे। कभी कभी उदारवा दय को फं डग करना और फर कभी कभी ढ़वा दय को फं डग
करना और लगातार र साकशी जारी रखना एक नय मत काय है जसे लोकतं को करना होता है। अ े और यो य लोग को चुनने के बजाय
चुनाव चार कया जाता है ता क पद और स ा के लालची लोग सामने आ जाएं और फर यो य लोग अनसुने रह जाएं। यो य के वल यही कर
सकता है क वह प का या समाचार प म लेख लखे और अपने वचार करे। य क कसी राजनी तक दल म सीट हा सल करने के लए
पाट आलाकमान को एक बड़ी रकम चुक ानी पड़ती है और यह बात सभी राजनी तक दल पर लागू होती है।
य क पाट का चाहे जो भी एजडा हो अंततः वे पैसे और स ा के लए चुनाव लड़ रहे ह। इस लए कसी भी पाट को वोट दे ने से कोई फक नह
पड़ता य क दन के अंत म कोई अ य पूंज ीप त ही जीतेगा। अनपढ़ लोग यो य का चयन कै से कर सकते ह
आदश स ाट
वतमान लोकतं का समाधान कसी मौजूदा व ा से ई या करना या उसे ख म करना नह है ब क ई र क त जीवन जीना और एक ऐसे राजा
का नमाण करना है जो समाज का उ चत तरीके से और कृ त के साथ सामंज य बठा सके । यह कोई र क कौड़ी नह है य क मोनाक वह
है जो वक सत होता है और
वह नह जो चुना गया हो. य प इस वषय को समझना और आ मसात करना क ठन है फर भी इसे कसी भी जानकार को जानना चा हए
जो वतमान णाली का व ेषण करने म मदद करेगा।
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राजा को आ या मक होना चा हए और अपने नाग रक को म के चंगुल से छु ड़ाने के लए कोई भी बोझ उठाने के लए तैयार रहना चा हए।
अ यथा इ यतृ तकता के समूह पर शासन करने का या लाभ ऐसे कई राजा ह ज ह ने अतीत म ब त धमपूवक शासन कया और सफलता
ा त क । यह मुख आव यकता म से एक है क नाग रक नयामक स ांत का पालन कर मांस न खाना नशा न करना अवैध यौन संबंध
न बनाना जुआ न खेलना। जीवनशैली क जाँच और नयमन के लए राजा ारा कु छ उपाय कये जा सकते ह।
. मशः चौबीस वष और सोलह वष क आयु ा त करने वाले युवा लड़के और लड़ कय का ववाह अ नवाय होना चा हए। कू ल और कॉलेज
म सह श ा म कोई बुराई नह है बशत क लड़के और लड़ कय का व धवत ववाह हो और य द कसी छा और छा ा के बीच कोई घ न संबंध
है तो अवैध संबंध के बना उनका ववाह उ चत तरीके से कया जाना चा हए। तलाक अ ध नयम वे यावृ को बढ़ावा दे रहा है और इसे ख़ म
कया जाना चा हए.
सभी कार का जुआ यहाँ तक क स ा ापार उ म भी अपमानजनक माना जाता है और जब रा य म जुए को ो सा हत कया
जाता है तो स ाई का पूरी तरह से गायब हो जाता है। युवा लड़क और लड़ कय को उपयु आयु से अ धक अ ववा हत
रहने क अनुम त दे ना और सभी कार के पशु वधशाला को लाइसस दे ना तुरंत तबं धत कया जाना चा हए। मांस खाने वाल को शा
म व णत अनुसार मांस लेने क अनुम त द जा सकती है अ यथा नह । हर तरह का नशा यहां तक क सगरेट पीना तंबाकू चबाना या चाय
पीना भी तबं धत होना चा हए।
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वै दक स ाट
परी त
अजुन के पोते राजा परी त एक ऐसे भ राजा थे ज ह ने रा य पर पूरी स ती से शासन कया और यह सु न त कया क हर कोई आ या मक उ त के लए लाभकारी
नयम और व नयम का पालन करे। गाय क ह या करने वाले को तुरंत सजा द जाएगी। उ ह ने वशेष ा ण के मागदशन म रा य पर शासन कया। राजा परी त ने
अपने आ या मक गु के प म मागदशन के लए कृ पाचाय को चुनने के बाद गंगा के तट पर तीन अ य कये। इ ह प रचारक के लए पया त पुर कार के साथ न पा दत
कया गया। और इन ब लदान म आम आदमी भी दे वता को दे ख सकता था। एक बार जब राजा परी त
जब वह नया पर वजय ा त करने के लए जा रहा था तो उसने क लयुग के वामी को दे ख ा जो एक शू से भी नीचे था एक राजा के पम था और एक गाय और
बैल के पैर को चोट प ँचा रहा था। पया त दं ड दे ने के लए राजा ने तुरंत उसे पकड़ लया। राजा सबसे मह वपूण जानवर गाय का अपमान बदा त नह कर सकता न ही वह
सबसे मह वपूण ा ण का अपमान बदा त कर सकता है। मानव स यता का अथ है ा णवाद सं कृ त के उ े य को आगे बढ़ाना और उसे कायम रखने के
लए गौ र ा आव यक है। ध म एक चम कार है य क इसम उ उपल य के लए मानव शारी रक तय को बनाए रखने के लए सभी आव यक वटा मन शा मल ह।
ा णवाद सं कृ त तभी आगे बढ़ सकती है जब मनु य को अ ाई के गुण वक सत करने के लए श त कया जाए और इसके लए ध फल और अनाज से बने
भोजन क मुख आव यकता है। राजा परी त को यह दे ख कर आ य आ क एक काला शू शासक क तरह कपड़े पहनकर मानव समाज म सबसे मह वपूण
राजा परी त काले घोड़ से जुते ए रथ पर बैठे। उनके वज पर सह का च ह अं कत था। इस तरह सुस त होकर और र थय घुड़सवार हा थय और पैदल सै नक से घरे
ए उ ह ने सभी दशा को जीतने के लए राजधानी छोड़ द । राजा परी त ने सुना क भगवान कृ ण ने जनक सव आ ा मानी जाती है अपनी अहैतुक कृ पा से
रथ चालक से लेक र रा प त त म रा हरी आ द पद को वीकार करके पांडु के लचीले पु को सभी कार क सेवाएँ दान क । पांडव क इ ा एक सेवक क तरह
उनक आ ा का पालन करना और वष से छोटे क तरह उ ह णाम करना। यह सुनकर राजा परी त भगवान के चरण कमल क भ से अ भभूत हो गये। भगवान कृ ण ने
कु लशेख र
कु लशेख र नाम के सबसे स राजा म से एक ने अपने शासनकाल के दौरान भ ां त लायी। कु लशेख र का ज म द ण के रल के ावणकोर म आ था। वह ी
सं दाय से जुड़े थे जो क भगवान नारायण क प नी माता ल मी से शु होने वाला ामा णक श य उ रा धकार था। कु लशेख र के पता ढ़ त भगवान नारायण के
भ थे। राजा जा पर ेम और आदर से शासन करता था। उनके दरबार म त दन ा ण आते थे और धम ंथ और रामायण पढ़ते थे जससे राजा कृ णभावनाभा वत रहते
थे।
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दरअसल राजा भगवान का सेवक होता है और उसे मा लक बनकर नह ब क सेवक का सेवक बनकर शासन करना चा हए। कु लशेख र ने यह भावना
रखी क जो कु छ भी मुझ े स पा गया है वह अनंत प नाभ वामी क संप है और म उनका सेवक ं। उसे जो भी सोना और जवाहरात मले उसने
उसे भगवान को दे दया। इसी लए आज भी मं दर म ब त सारा सोना मौजूद है जसे लोग ने हाल ही म खोजा है। यह सब कु लशेख र ने अपने समय
म दया था। मूख आधु नक शासक उन सोने के संसाधन का दोहन करना चाहते ह।
राजा कु लशेख र क भ पूण त लीनता के साथ थी और वै णव क दया पर उनका व ास समय परी णत था। एक बार एक ा ण जसे
शा को पढ़ने और भगवान राम क लीला का वणन करने के लए नयु कया गया था उसने सीता अपहरण का खंड पढ़ना शु
कया। यह खंड उस संग से संबं धत है जहां रा सी रावण माता सीता का अपहरण कर लेता है। यह सुनकर ही कु लशेख र को ब त ख आ और
उ ह ने तुरंत अपनी सेना को रावण को मारने के लए लंक ा क ओर बढ़ने का आदे श दया। यह दे ख कर मं ी उ ह यह समझाने म असमथ रहे क
यह तो लीला का वणन है जब क इस लीला को लाख वष बीत गये ह। इस लए उ ह ने एक योजना बनाई और अपनी सेना का एक समूह ब त
आगे भेज ा और उ ह वजय वज लेक र लौटने का आदे श दया। जब कु लशेख र लंक ा क ओर माच करगे तो उ ह वपरीत दशा से आकर
वजयी नारे लगाने चा हए और राजा को सू चत करना चा हए क वह अब वापस लौट सकते ह य क हमारी सेना ने सीता को भगवान राम को
वापस स प दया है। इसके बाद मं य ारा ा ण को वशेष प से नदश दया गया क वह ऐसे अनुभाग को न पढ़े जससे राजा ो धत हो
और यु क घोषणा कर दे । ले कन एक दन ा ण बीमार पड़ गया और उसने अपने बेटे से राजा के लए पढ़ने का अनुरोध कया। नयम
से अन भ उसने वही खंड दोबारा पढ़ा और इस बार कु लशेख र ब त ो धत हो गए और उ ह ने कहा क उनक सेना ने काम ठ क से नह
कया है इस लए इस बार वह वयं रावण को मारकर आएंगे।
अब मं य के पास अपने भ राजा के साथ शा मल होने का कोई वक प नह था। जैसे ही राजा आगे बढ़ा
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वे रामे वरम आये जहां उ ह ने दे ख ा क बीच म समु है। वह समु म चलने लगा जैसे जैसे वह आगे बढ़ा वह डू बने लगा ले कन उसने माता सीता को बचाने क ठान ली।
यह दे ख कर भगवान राम माता सीता और ल मण स हत कट ए और आशीवाद दे ते ए कहा क हम अभी सीता को वापस ले आये। कु लशेख र क भ दे ख कर सेना
आ यच कत रह गई।
तब कु लशेख र ने अपना रा य स पने और भौ तक जीवन से सं यास लेने और वै णव के साथ ीरंगम जाने का फै सला कया। ले कन मं य ने वै णव को रा य म आमं त कया
ता क राजा यह रह। समय के साथ वै णव सारा समय राजा के साथ बताते थे इस लए मं य ने वै णव पर चोरी का आरोप लगाने क सा जश रची ता क राजा
व ास खो द और शासन पर यान क त कर। कु लशेख र पहले से ही रा य क दे ख भाल ब त अ तरह से कर रहे थे ले कन ई यालु मं ी उनक भ भावना से खुश नह
थे। दे वता के मु य आभूषण चोरी हो गए और मं य ने वै णव को दोषी ठहराया य क उ ह पूज ा का अ धकार दया गया था। कु लशेख र को इतना व ास था क
उ ह ने कहा क मुझ े नाग से भरा एक बतन लाओ और म अपना हाथ अंदर डाल ं गा अगर वै णव ने आभूषण चुराए ह तो नाग
कु लशेख र ारा वै णव क बेगुनाही सा बत करना। इसके बाद कु लशेख र ीरंगम के लए रवाना ए और सं कृ त म मुकुं द माला तो लखा और त मल भजन ज ह बाद
छ प त शवाजी महाराज
राजतं कतना मह वपूण है यह तब हो गया जब छ प त शवाजी महाराज ने हदवी वरा य नामक रा य क ापना क । उसने धरती का चेहरा बदल दया। महान
ां त और मु भर भरोसेमंद यो ा ज ह मावल कहा जाता था के साथ उ ह ने कल पर वजय ा त क । उ ह ने याय वभाग राज व वभाग कर सं ह
णाली संचार णाली जासूसी णाली आ द स हत उ चत शासन क ापना क । वह मन के हाथ से आसानी से बच गए य क उ ह ने ग नमी
कावा नामक यु क तकनीक का इ तेमाल कया था जसम हमले कए जाते थे। जस तरह से त ं को यह पता नह चल पाया क शवाजी क सेना कहाँ से कब और
अ धक सं या
शवाजी महाराज कसी े को जीतने म नह ब क लोग का दल जीतने म व ास करते थे। उसने अपने हर साथी पर अपना दल और आ मा लगा द थी। वह उनसे इतना यार
करता था क उसने कले तो खो दये ले कन एक भी यो ा नह खोया। कई बार उ ह ने उन काय को पूरा करने के लए अपनी जान जो खम म डाल द जो अ य धक
क ठन थे उदाहरण के लए लाल महल म शाइ तेख ान को मारना जहां मु भर लोग ने क सेना को हरा दया और तेज ी से भाग नकले। अफ़ज़ल खान को मारना
एक और ऐसा कारनामा था जो उ ह ने खुद कया था। उनके नेतृ व ने उ ह एक ऐसा राजा बनाया जनका रा या भषेक समारोह और ज म दन आज भी मनाया जाता है।
वह दो महान संत रामदास वामी और तुक ाराम महाराज के मागदशन और आशीवाद म थे ज ह इ तहास भूल नह सकता।
वह भगवान व ल कृ ण और माँ भवानी गा के भ थे। माँ भवानी ने ही उ ह यु करने के लए तलवार द थी। वह उ च र वान और त त थे।
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एक बार उनके कु छ सै नक ने क याण के सूबेदार पर हमला कर दया और शवाजी के लए उपहार के प म उनक बेट ले आये। यह दे ख कर
शवाजी ने उनसे माफ़ मांगी और उ ह उ चत स मान के साथ वापस भेज दया और अपने लोग को ऐसा करने के लए दं डत कया। उ ह ने कहा
क म हर सरी म हला को अपनी मां क तरह मानता ं। उसने कभी भी म हला और ब पर हमला नह कया। उसके रा य म कोई भी
याय के बना नह रहेगा। उ ह ने यह सु न त कया क गाय सुर त रह। उ ह ने अपनी वयं क मु ा णाली ा पत क जससे यह सु न त
आ क ाचार से बचा जा सके । उनम यह संपूण सं कृ त उनक मां जीजामाता ने समा हत क थी ज ह ने उ ह बचपन से ही रामायण और
महाभारत क श ा द थी। संभवतः वह आ खरी य ह जनके बारे म यह पीढ़ जानती है।
स ाट वह है जो अपनी उदारता और लोग के त अपने यार से सा बत करता है क उसे चुना नह जा सकता ब क चुना जा सकता है।
यही कारण है क आधु नक काय णाली कसी नेता को ज म नह दे ती है ब क एक मूख और उ मीदवार को नेता के पम ा पत
करती है जसका आम जनता अनुसरण करती है और जैसा क लोक य प से कहा जाता है क अँधा अँधे के पीछे चलता है और दोन खाई म
गर जाते ह। न ही बजनेस कू ल नेता पैदा कर सकते ह य क वे सभी ना तक वचार पढ़ाते ह जो म के वल वाथ लाते ह। इससे
शोषणकारी मान सकता और तकनीक को बढ़ावा मलता है जहां पैसे और चीज को पु ष से अ धक मह व दया जाता है। लोग और संदेश
अ धक मह वपूण ह जब क स टम को लोग का अनुसरण करना चा हए न क लोग स टम का पालन कर और वकलांग बने रह। पैसा
के वल सुचा लेन दे न के लए है ब कु ल नह । यह वतमान शासक का कत है क वे यह सु न त कर क युवा पीढ़ म आ या मक मू य
को आ मसात कया जाए और ई रीय भावना वाले नेता का नमाण कया जाए।
कू ल म भगवद गीता अ नवाय प से पढ़ाई जानी चा हए जससे ापक वचारधारा वाले नेता सामने आएंगे। काटू न शो क जगह
महाभारत और रामायण दखाया जाना चा हए.
शवाजी जैसे महान राजा क कहा नयाँ और कहा नयाँ माताएँ अपने पु को सुना सकती ह जो य भावना को जी वत रखगी।
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भारत क गौरवशाली भू म
दे वभू म के पम स भारत क आ या मक वरासत उ है। आ या मक स य क खोज करने वाले असं य वदे शी इस भू म पर आते ह और
यह अपना रा ता खोजते ह। वै दक सं कृ त आज से साल पहले पूरी नया म फै ली ई थी ले कन धीरे धीरे क लयुग शु होने के
बाद नया भर म वै दक था का ास आ। जो कु छ भी शेष है वह भारत क सीमा के भीतर पाया जाता है। ऐसा इस लए है य क मुख
पव ान यहां त ह और मुख पूज नीय दे वता यहां नवास करते ह। प व ान पर पैर रखने और व णु दे वता के दशन करने क म हमा
से मनु य तुरंत अपने पछले पाप से मु हो जाता है। इसी भू म पर को कृ णभावनाभा वत होने के लए े रत कया जाता है। संत और
उनक श ाएँ हर जगह च लत ह और आम आदमी भी आ मा कम और भगवान के दयालु वभाव के व ान को जानता है। यौहार समय
समय पर बड़े धूमधाम से मनाए जाते ह और हर तरफ शुभता का आ ान करते ह। ई र ेमी लोग से भरे े भारत म रहना एक
महान सौभा य है।
मुख आहार
भगवान जग ाथ
कं द पुराण राजा इं ु न ारा नील माधव नामक एक सुंदर नीले दे वता के सपने दे ख ने के बाद कृ ण के एक दे वता प को खोजने क खोज से
संबं धत है। नाम दे वता के नीलम ण रंग का वणन करता है नीला का अथ नीला है और माधव कृ ण के नाम म से एक है। राजा इं ु न ने नील
माधव और एक ा ण को खोजने के लए सभी दशा म त भेज े
व ाप त नाम से सफल होकर लौटे । उ ह पता चला क सु र आ दवासी गाँव म एक सुअ र कसान सावरा व ावसु गु त प से नीला माधव
क पूज ा कर रहा था। हालाँ क जब व ाप त बाद म इं ु न के साथ उस ान पर लौटे तो नीला माधव जा चुके थे। राजा इं ु न ने
अपने सै नक के साथ गांव को घेर लया और व ावसु को गर तार कर लया।
तभी आकाशवाणी ई सावरा को मु करो और नीला पहाड़ी क चोट पर मेरे लए एक बड़ा मं दर बनाओ। वहां तुम मुझ े नीला माधव के पम
नह ब क नीम क लकड़ी से बने प म दे ख ोगे। नीला माधव ने लकड़ी दा के प म कट होने का वादा कया था और इस कार उ ह
दा ा कहा जाता है। इं ु न समु के कनारे ती ा कर रहे थे जहां भगवान समु तट क ओर तैरते ए एक वशाल ल े के प
म प ंचे। एक बूढ़े के वेश म दे वता के वा तुक ार व कमा
ती ज ासा ने उसे दरवाजे खोलने के लए े रत कया। व वकमा गायब हो गये थे। कमरे म जग ाथ बलदे व और सुभ ा के तीन दे वता
बना हाथ या पैर के अधूरे लग रहे थे और इं ु न यह सोचकर ब त परेशान हो गए क उ ह ने भगवान को नाराज कर दया है।
उस रात भगवान जग ाथ ने सपने म राजा से बात क और उ ह आ त करते ए कहा क वह अपनी अक पनीय इ ा से खुद को उस पम
कट कर रहे ह ता क नया को दखा सक क वह बना हाथ के साद वीकार कर सकते ह और बना पैर के घूम सकते ह। भगवान
जग ाथ ने राजा से कहा यह न त प से जान लो क मेरे हाथ और पैर सभी आभूषण के आभूषण ह ले कन अपनी संतु के लए
आप मुझ े समय समय पर सोने और चांद के हाथ और पैर दे सकते ह। भ अब पुरी और नया भर के मं दर म जग ाथ बलदे व और
सुभ ा के उ ह प क पूज ा करते ह। ये प उनक शा त लीला का ह सा ह।
कृ ण और बलराम ार पर आये और सुभ ा के दाय बाय खड़े हो गये। रो हणी ारा कृ ण क अंतरंग वृ दावन लीला का वणन सुनते समय
कृ ण और बलराम आनं दत हो गए और उनक आंत रक भावनाएँ बाहरी प से द शत होने लग । उनक आंख फै ल ग उनके सर
उनके शरीर म दब गए और उनके अंग पीछे हट गए। कृ ण और बलराम म इन प रवतन को दे ख कर सुभ ा भी स हो ग और उ ह ने वैसा ही
प धारण कर लया। इस कार वृ दावन म कृ ण क लीला के बारे म सुनकर कृ ण और बलराम ने बीच म सुभ ा के साथ जग ाथ बलदे व
और सुभ ा के अपने परमानंद प को द शत कया।
बड़ी फै ली ई आँख और सकु ड़े ए अंग वाला जग ाथ का प। इसे महाभाव काश कृ ण का परमानंद प कहा जाता है।
महाभाव का अथ है उ तम परमानंद और काश का अथ है अ भ इस लए जग ाथ व तुतः कृ ण का परमानंद प है।
रथ का एक बड़ा योहार है भगवान जग ाथ बलदे व और सुभ ा क रथया ा जसम दे वता को रथ पर बठाया जाता है और
लाख भ ारा यार क र सय से ख चते ए गुं डचा मं दर के मण पर ले जाया जाता है। भगवान के दशन के लए नया भर से भ उमड़ते
ह। आजकल के पुज ारी पंडा गैर ह को मं दर म वेश नह करने दे ते। इस लए वामी भुपाद ने पूरी नया म जग ाथ रथया ा शु क
ता क भगवान क शोभा या ा से हर कोई लाभा वत हो सके ।
भगवान बु के कट होने और बौ धम के सार के बाद उनके अनुया यय ने दावा कया क ये बु धम और संघ के दे वता ह जसका लोग
वरोध नह कर सके । उस समय पां वजय नाम का एक धमा मा राजा था जसने दे वे र नामक क र भ के मागदशन म वै णव धम क
ापना क जो कु मार सं दाय के आचाय महान व णु वामी के पता थे। राजा ने तब दे वता को रथ पर बठाया और उ ह वापस जग ाथ
पुरी या नीलाचल म रख दया। आज भी जब भगवान रथ पर चढ़ते ह तो उसे पहांडी या पांडु वजय के नाम से जाना जाता है यहां तक क पूज ा
करने वाल को भी पंडा कहा जाता है। अं ेज ारा पूज ा क था को व त करने के यास के बाद भी पूज ा जारी है। हाल ही म तथाक थत सबसे
बड़े धम के मशन रय ने वष म जग ाथ पर पूण वराम लगाने क धमक द है। नरपे ान से कम ान रखने वाले मनु य कतनी नीच
मान सकता वाले यास करते ह हम उनक भलाई के लए ाथना करते ह य क जग ाथ ऐसे हमल के आद ह जो उनक म हमा को बढ़ाते
ह।
जग ाथ पुरी म नया क सबसे बड़ी रसोई है जसम त दन नय मत अंतराल पर भगवान को व तुए ं चढ़ाई जाती ह। सामान बना गैस
कने न के म के बतन म तैयार कया जाता है। महा साद आनंद बाजार म वत रत कया जाता है जो के वल साद के लए बना
बाजार है।
भगवान बालाजी
व अ याय म हमने भगवान व णु क लीला पर चचा क जहां भृगु मु न ने ा शव और व णु के बीच े ता का परी ण कया। व णु क
छाती पर हार करने के बाद भगवान क सेवा करने वाली और भगवान के दय म शा त प से नवास करने वाली महाल मी
को ऐसा महसूस आ
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ो धत होकर तप या करने के लए तुरंत पृ वी ह पर चले गए इस ान को वतमान म को हापुर कहा जाता है। अपने भ के साथ आगे क
लीलाएँ करने के लए भगवान ने भी वैकुं ठ ह छोड़ दया और वकट पहाड़ी पर एक पु क रणी के बगल म एक इमली के पेड़ के नीचे एक च ट पहाड़ी
भगवान क ग त व धय म सहायता करने के लए भगवान ा और भगवान शव ने उनक सेवा करने के लए गाय और उसके बछड़े का प धारण
करने का नणय लया। सूय दे व ने महाल मी को इसक सूचना द और उनसे गाय चराने वाली का प धारण करने और गाय और बछड़े
को चोल दे श के राजा को बेचने का अनुरोध कया। चोल दे श के राजा ने गाय और उसके बछड़े को खरीद लया और उ ह अपने मवे शय के झुंड
के साथ वकट पहाड़ी पर चरने के लए भेज दया। भगवान व णु को च ट के ट ले पर पाकर गाय ने उ ह अपना ध दया और इस कार भगवान को
भोजन कराया। इस बीच महल म गाय ध नह दे रही थी जसके लए चोल रानी ने गाय चराने वाले को कड़ी सजा द । ध क कमी का कारण
जानने के लए गाय चराने वाले ने गाय का पीछा कया खुद को एक झाड़ी के पीछे छपा लया और दे ख ा क गाय च टय के झुंड के ऊपर अपना
थन खाली कर रही है। गाय के आचरण से ो धत होकर गाय चराने वाले ने गाय के सर पर अपनी कु हाड़ी से वार कर दया।
हालाँ क भगवान व णु झटका सहने और गाय को बचाने के लए च ट पहाड़ी से उठे । जब गाय चराने वाले ने दे ख ा क भगवान क कु हाड़ी के
वार से खून बह रहा है तो वह सदमे से गर पड़ा और मर गया।
गाय डर के मारे च लाते ए और पूरे शरीर पर खून के ध बे लेक र चोल राजा के पास लौट आई। गाय के आतंक का कारण जानने के लए राजा
उसके पीछे पीछे घटना ल तक गया। राजा ने गाय चराने वाले को च टय के ट ले के पास भू म पर मृत अव ा म पड़ा आ पाया। जब वह
खड़ा सोच रहा था क यह कै से आ भगवान व णु च ट क पहाड़ी से उठे और राजा को शाप दया क वह अपने नौकर क गलती के कारण रा स
बन जाएगा। राजा ने मा मांगी और भगवान ने उ ह यह कहकर आशीवाद दया क वह आकाश राजा के प म पुनज म लगे और शाप तब
समा त होगा जब भगवान प ावती के साथ ववाह के समय आकाश राजा ारा तुत मुकु ट से सुशो भत ह गे।
इसके बाद भगवान व णु ज ह ी नवास के नाम से भी जाना जाता है ने वराह े म रहने का फै सला कया और ी वराह वामी से अपने
रहने के लए एक ान दे ने का अनुरोध कया। उनके अनुरोध को तुरंत वीकार कर लया गया ी नवास ने आदे श दया क उनके मं दर क
तीथया ा तब तक पूरी नह होगी जब तक क उससे पहले पु क रणी म नान न कया जाए और ी वराह वामी के दशन न कए जाएं और पूज ा
और नैवे पहले ी वराह वामी को अ पत कया जाना चा हए। व णु ने एक आ म बनाया और वहां रहने लगे जहां वकु लादे वी उनक दे ख भाल
करती थ जो एक मां क तरह उनक दे ख भाल करती थ । वकु लादे वी कोई और नह ब क माता यशोदा ह ज ह ने ारका क रा नय के साथ
भगवान कृ ण का कोई भी ववाह नह दे ख ा था। इस लए भगवान ने यशोदा क इ ा पूरी करने के लए वशेष लीला क ।
कु छ समय बाद आकाश राजा नाम का एक राजा शासन करने आया ले कन उसका कोई उ रा धकारी नह था और इस लए वह एक ब लदान
करना चाहता था। य के एक भाग के प म वह खेत म हल चला रहा था जब उसके हल से जमीन म एक कमल का फू ल नकला। कमल क
जांच करने पर राजा को उसम एक क या दखाई द । राजा य करने से पहले ही एक ब े को पाकर खुश हो गया और उसे अपने ान पर ले
गया। उसी समय उसने एक आकाशवाणी सुनी जसम कहा गया था हे राजा इसे अपने ब े के प म सेवा करो और महान भा य तु हारे
साथ आएगा । चूँ क वह कमल म पाई गई थी इस लए राजा ने उसका नाम रखा
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उनक प ावती प ा का अथ है कमल। वह एक राजकु मारी के प म बड़ी होकर एक खूबसूरत युवती बन गई और उसक दे ख भाल कई
नौकरा नय ने क ।
एक दन भगवान ी नवास जो शकार कर रहे थे ने पहा ड़य के आसपास के जंगल म एक जंगली हाथी का पीछा कया। हाथी का पीछा करते
ए भगवान को एक बगीचे म ले जाया गया जहाँ राजकु मारी प ावती और उनक नौकरा नयाँ फू ल चुन रही थ । हाथी को दे ख कर राजकु मारी और
उसक दा सयाँ भयभीत हो ग । ले कन हाथी तुरंत पलटा भगवान को णाम कया और जंगल म गायब हो गया। भगवान ी नवास जो घोड़े
पर पीछे चल रहे थे ने भयभीत युव तय को दे ख ा और इस कार अपने घोड़े को छोड़कर ज दबाजी म पहा ड़य पर लौट आए। भगवान क
मनमोहक सुंदरता को दे ख कर प ावती बेहोश हो ग और सहायक उ ह महल म ले गए। भगवान ने वकु लादे वी से प ावती से ववाह करने क इ ा
क।
प ावती अपने पछले ज म म वेदवती थ ज ह ने ेतायुग म माता सीता का प धारण कया था ता क रावण वा त वक सीता के बजाय उनका
अपहरण कर ले। कू म पुराण और कं द पुराण म उ लेख है क जब माता सीता सं यासी के भेष म आए रावण को भ ा दे ने के लए
आगे आ तो ल मण ारा सीता क र ा के लए ख ची गई ल मण रेख ा से अ न अपनी वाहा नाम क प नी के साथ कट । सं मण म
वेदवती या माया सीता रावण के हाथ म कट । बाद म जब राम ने सीता को बचाया तो उ ह अ न परी ा से गुज रना पड़ा जसम स ी
सीता सामने आ और वेदवती वापस अ न म समा ग । इसी बीच वेदवती को भगवान राम से ेम हो गया वह उनसे ववाह करना चाहती थी
ले कन एक प नी का वचन लेने के कारण भगवान राम ने बाद म कसी अवतार म उससे ववाह करने का वादा कया। वही वेदवती भगवान
ी नवास क लीला म प ावती के प म कट ।
तब भगवान ने प ावती के पछले ज म क कहानी और उनसे ववाह करने के अपने वादे क कहानी सुनाई। ी नवास क कहानी सुनने के
बाद क कै से उ ह ने अगले ज म म प ावती के प म वेदवती से शाद करने का वादा कया था वकु लादे वी को एहसास आ क ी नवास
तब तक खुश नह ह गे जब तक वह उससे शाद नह कर लेते। उसने आकाश राजा और उसक रानी के पास जाने और ववाह क व ा
करने क पेशकश क ।
रा ते म उसक मुलाकात प ावती क दा सय से ई जो एक शव मं दर से लौट रही थ । उसे पता चला क प ावती को ी नवास से बड़ा
वयोग अनुभव हो रहा है। वकु लादे वी दा सय के साथ रानी के पास गय ।
इस बीच आकाश राजा और उनक रानी धरणीदे वी अपनी बेट प ावती के वा य को लेक र च तत थे। उ ह वकट हल के ी नवास के त
प ावती के ेम के बारे म पता चला। आकाश राजा ने ववाह के बारे म बृह त से परामश कया और बताया गया क ववाह दोन प के सव म
हत म था। कु बेर ने ववाह के खच को पूरा करने के लए भगवान ी नवास को धन उधार दया। भगवान ी नवास भगवान ा और
भगवान शव के साथ अपने वाहक ग ड़ पर सवार होकर आकाश राजा के नवास क या ा शु क । महल के वेश ार पर भगवान
ी नवास का आकाश राजा ने पूरे स मान के साथ वागत कया और ववाह के लए जुलूस के प म हाथी पर सवार होकर महल म ले गए। सभी
दे वता क उप त म भगवान ी नवास ने राजकु मारी प ावती से ववाह कया और इस कार आकाश राजा को आशीवाद दया। वे अनंत
काल तक एक साथ रहे जब क दे वी ल मी ने भगवान व णु क तब ता को समझते ए उनके दय म हमेशा के लए रहने का
वक प चुना।
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वकटे र का मं दर आज त माला म सात पहा ड़य क चोट पर त है। यह दोन के बीच ववाह क मृ त म एक वशेष ान के प म खड़ा है। हर दन क याण उ सव
एक साड़ी प ावती के नवास ान अलामेलु मंगापुरम भेज ी जाती है। भगवान को कई नाम से पुक ारा जाता है उनम से एक नाम है गो वदा जो इं य और गाय को
आनंद दे ते ह। जाप
दशन. भगवान को वहां बालाजी के नाम से भी जाना जाता है ज ह एक ब े क तरह माना जाता है। सभी भ उ ह अपने प रवार के सद य के प म मानते ह और उ ह
अपने पा रवा रक अवसर पर आमं त करते ह। भगवान बालाजी ने अपने उन भ के साथ अन गनत लीलाएं क ह जो अनंत आचाय रामानुज ाचाय हाथी बाबा आ द
जैसे अनंत काल तक उनक सेवा करते ह। वतमान भ क नरंतर भागीदारी यह है क वे जो कु छ भी उ ह दान करते ह वह सफ याज है जो वह कु बेर से अपने
ववाह का भुगतान कर रहे ह। . उ ह भ के पैसे म नह ब क उनके त उनके ेम म च है। भौ तकवाद मनु य भगवान बालाजी क स ी म हमा को नह जानते और
इस कार एक त धन से ई या करके अपराध करते ह। ई या का तकार उसक भ और उसक म हमा करके कया जा सकता है। त प त को पु प मंडपम कहा
जाता है जसका अथ है क भगवान बालाजी को फू ल क मालाएँ पसंद ह य द संभव हो तो कोई भी उनक सेवा के लए अ मालाएँ चढ़ा सकता है।
भगवान व ल
पंढरपुर महारा क प व भू म म भगवान व ल जो ट पर खड़े ह के सबसे दयालु दे वता रहते ह जो अपने भ के आने और दशन करने क ती ा कर रहे ह।
चं भागा नद के तट पर त पंढरापुर को द ण ारका के नाम से भी जाना जाता है। वा तव म यह भीमा नद का चं मा जैसा वाह है जस कार काशी म मां गंगा
बहती है। यह एकमा व णु दे वता है जसे कोई भी चाहे वह कसी भी जा त या पंथ का हो छू सकता है और आशीवाद ले सकता है। आषाढ़ एकादशी पर लगभग
लाख लोग बना कसी शकायत या शकायत के घंटे से अ धक समय तक कतार म खड़े होकर अपने भगवान के दशन करने के लए एक त होते ह। ऐसी
भ और ेम ब त कम दे ख ने को मलता है। पूरा वातावरण क तन और संत भाषण से भरा आ है यह एक लभ अवसर है जसे कोई भी दे ख सकता है।
इस ान पर भगवान के ाक क वशेष लीला है। कृ ण के वृ दावन छोड़ने के बाद वे मथुरा और बाद म ारका आये जहाँ वे प नय के साथ रहे। कृ ण से
अ य धक अलगाव महसूस करते ए ीमती राधारानी अपने य से मलने के लए ारका आ । राधारानी को दे ख कर भगवान भाव वभोर हो गये। दोन एक सरे
को दे ख ने और मलकर अपना यार बांटने के लए उ सुक थे। कृ ण ने राधारानी को अपने पास बैठाया और ारका क रानी मणी दे वी उसी ण महल म वेश
करने लग जससे मणी के मन म ब त असंतोष आ। मणी ने कृ ण को छोड़ने और तप या करने का फै सला कया य क यही एकमा रा ता बचा था य क
उनके भाई ने पहले ही कृ ण से यु कर लया था य क उ ह ने अपनी इ ा से कृ ण से ववाह कया था। वह तुरंत पंढरपुर के ड डरवन नामक जंगल म चली
ग । भगवान कृ ण मणी दे वी क खोज म पंढरपुर आए जो महान आ या मक मह व का ान है। भगवान व णु के व तार से ड डरवन नाम
का रा स मारा गया
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म लकाजुन नाम दया गया। मरते समय रा स ने ह र ह र का जाप कया जससे भगवान व णु वयं उसके सामने कट हो गये। इस कार इस े के
मणी को स करने के बाद भगवान पंढरपुर म रहने वाले पुंड लक नामक अपने एक महान भ को स करना चाहते थे। दे वता के लए भगवान
भु क दया से उनके जीवन म महान प रवतन आया। वह पंढरपुर म रहने वाले जा दे व नामक ा ण का पु था। वह बुरी संग त के कारण नय मत प
से अपने माता पता का अपमान करता था और उ ह ठे स प ँचाता था। एक बार उनके माता पता ने उनसे या ा के लए काशी बनारस चलने का अनुरोध
कया। उ ह ने इनकार कर दया और माता पता को अके ले जाना पड़ा। ले कन उनके जाने के बाद कु छ और लोग काशी जाने क चचा कर रहे थे. कसी तरह
उ ह भी ेरणा मल गयी क काशी म ऐसा या है जो सभी उधर जा रहे ह। वह अपनी प नी को घोड़े पर बैठाकर बनारस क ओर चल दया।
भ और तप वी कृ त के ऋ ष थे। उनक द ता से स होकर तीन न दयाँ गंगा यमुना और सर वती त दन सुबह आती थ और आ म क
सफाई करती थ । कं द पुराण म उ लेख है क इनम नान करने वाले लोग के पाप एक त होकर वे कु प हो जाएंगे और कु कु ट मु न क सेवा करने के बाद
वे अपनी चमक पुनः ा त कर लगे। पुना लका ने कु कु ट मु न से उनके आ म से काशी क री के बारे म पूछा। कु कु ट मु न ने कहा क वे कभी काशी
नह गये। यह सुनकर पुना लका ने फर से संत को अपमा नत करना शु कर दया। जैसे ही सूय अ त हो रहा था तीन बदसूरत चेहरे वाली म हलाएं कट
और आ म म झा लगाना शु कर दया और सुंदर बन ग । यह दे ख कर पुंड लका आ यच कत हो गई और उनसे उनके ठकाने के बारे म पूछताछ क । उ ह ने
कहा हे पापी तू अपराधी है और अपने माता पता का अपमान करता है। यह सुनकर पुंड लक को ब त ला न महसूस ई और वह तुरंत उनके चरण
म गर गया और मु क ाथना क । फर उ ह ने उसे कु कु ट मु न क म हमा भगवान ह र और भ माता पता क भ क म हमा बताई। अपने
माता पता को परम भगवान के महान भ के प म दे ख कर पुंड लक शांत हो गया और सेवा करने लगा
पुंड लक अपने पछले ज म म मुचकुं द नाम का राजा था। मुचकुं द ने दे वता का समथन करते ए रा स और दे वता के बीच एक महान यु लड़ा था।
वजय के बाद दे वता ने उनसे वरदान माँगने का अनुरोध कया। मुचकुं द ने अ न द क मांग क और अगर कोई परेशान करेगा तो वह जलकर राख हो
जाएगा। मुचकुं द एक गुफ ा म आराम कर रहे थे और भगवान कृ ण जो जरासंध से यु से भाग गए थे और उनके पीछे कालयवन भी था वहां आए। मुचकुं द
को सोते ए दे ख कर भगवान ने अपना ऊपरी व अपने शरीर पर रख लया और वयं पीछे छप गए। क यवन ने सोचा क कृ ण आराम कर रहे ह और
उसने मुचकुं द क छाती पर हार कया और क यवन का अंत हो गया। तब भगवान ने मुचकुं द को पूरी कहानी समझाई इस कार शांत होकर उसने
भगवान से हमेशा वह खड़े रहने क मांग क । भगवान ने अगले ज म म उसक इ ा पूरी करने का वचन दया।
इस कार महान पुंड लक भगवान से ेम करते थे और इस कार भगवान ने अपने भ को दशन दे ने और उसे आशीवाद दे ने का नणय लया। जब भगवान
दरवाजे पर प ंचे तो पुंड लक अपनी मां के पैर धो रहे थे। उस तेज को कट होते दे ख वह आ यच कत हो गया और गहराई म चला गया
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परमानंद. उ ह ने भगवान से कहा क जब तक वह अपने माता पता क सेवा पूरी नह कर लेते तब तक वे कु छ दे र खड़े रह। उसने भगवान को
खड़ा करने के लए एक ट फक । यह ट कोई और नह ब क दे वता के राजा इं थे ज ह एक रा स को चालाक से मारने के
कारण शाप दया गया था जो इं के पद के लए त धा कर रहा था ले कन कृ ण ारा वीकार कए जाने के बाद उसे दया जा रहा था।
भगवान ने पुंड लक से वरदान मांगने का अनुरोध कया। पुंड लक ने उ र दया हे भगवान जब आप वयं यहाँ उप त ह तो कसी वरदान
क या आव यकता है म आपसे यह नवास करने का अनुरोध करता ं। इस ान को सभी नवास म सबसे प व बनाइये। कृ पया बना
कसी भेदभाव के सभी को आशीवाद द। वनती सुनकर भगवान ने कहा यभ भीमा नद तु हारे आ म के बगल से बहेगी और म
आ या मक जगत म नवास करते ए वण म नवास क ं गा । इस कार भगवान तब से प तत ब आ मा का उ ार करने के लए अपने
शा त प म यहाँ उप त ह। कु ल लाख भ के साथ दो वशाल जुलूस आलंद और दे से शु होकर दन तक चलकर आषाढ़
एकादशी पर संक तन करते ए पंढरपुर आते ह और अपने य भगवान व ल के दशन करते ह।
भगवान ीनाथजी
ी चैत य महा भु के भ आ या मक गु माधव पुरी वृ दावन क या ा करते समय गोवधन नामक पहाड़ी पर आए। वह भगवान के ेम के
आनंद म लगभग पागल हो गया था और उसे नह पता था क यह दन था या रात। कभी वह खड़ा होता तो कभी जमीन पर गर जाता। पहाड़ी क
प र मा करने के बाद वह यामा कुं ड पर गए और नान कया और फर शाम को आराम करने के लए एक पेड़ के नीचे बैठ गए।
जब वह एक पेड़ के नीचे बैठे थे एक अ ात चरवाहा लड़का ध का बतन लेक र आया उसके सामने रखा और मु कु राते ए उ ह इस कार
संबो धत कया। हे माधव पुरी कृ पया जो ध म लाया ँ उसे पी लो। आप य नह पीते खाने के लए कु छ माँग आप कस कार का यान
कर रहे ह जब उ ह ने उस बालक क सु दरता दे ख ी तो माधवे पुरी ब त संतु हो गये। उनके मधुर वचन सुनकर वह सारी भूख
यास भूल गया और बोला आप कौन ह आप कहाँ रहते ह और आपको कै से पता चला क म उपवास कर रहा ँ लड़के ने उ र दया
सर म एक चरवाहा लड़का ं और म इस गांव म रहता ं। मेरे गांव म कोई भी उपवास नह करता है। इस गांव म एक सर से भोजन
मांग सकता है और खा सकता है। कु छ लोग के वल ध पीते ह ले कन य द मनु य कसी से भोजन नह मांगता म उसके खाने का सारा सामान
उसे दे दे ता ं। जो यां यहां पानी लेने आती थ उ ह ने तु ह दे ख ा और उ ह ने मुझ े यह ध दे क र तु हारे पास भेज दया।
लड़के ने आगे कहा मुझ े गाय का ध नकालने के लए ज द ही जाना होगा ले कन म वापस आऊं गा और आपसे यह ध का बतन वापस ले
लूंगा। इतना कहकर लड़का वहां से चला गया. दरअसल वह अचानक नजर नह आए और माधव पुरी का दल आ य से भर गया। ध
पीने के बाद उसने बतन को धोकर एक तरफ रख दया। उसने रा ते क ओर दे ख ा ले कन लड़का कभी वापस नह लौटा। माधव पुरी को
न द नह आ रही थी. उ ह ने बैठकर हरे कृ ण महामं का जाप कया और रात के अंत म उ ह थोड़ी न द आई और उनक बाहरी ग त व धयां
बंद हो ग । सपने म उसने वही लड़का दे ख ा। लड़का उसके सामने आया और उसका हाथ पकड़कर जंगल म एक झाड़ी के पास ले गया।
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लड़के ने उसे झाड़ी दखाई और कहा म इस झाड़ी म रहता ं और इसके कारण मुझ े भयंक र ठं ड बा रश हवा और चल चलाती गम से ब त
परेशानी होती है। कृ पया गांव के लोग को बुलाएं और मुझ े बाहर ले जाएं। इसके बाद वे मुझ े पहाड़ी क चोट पर अ तरह से ा पत
कर। कृ पया उस पहाड़ी क चोट पर एक मं दर का नमाण कर और मुझ े उस मं दर म ा पत कर। इसके बाद मुझ े ब त सारे ठं डे पानी से धोएं
ता क मेरा शरीर शु हो जाए। . मेरा नाम गोपाल है। म गोवधन पवत को उठाने वाला ं। मुझ े व ने ा पत कया था और म यहां का अ धकारी
ं। जब मुसलमान ने हमला कया तो मेरी सेवा करने वाले पुज ारी ने मुझ े जंगल म इस झाड़ी म छपा दया। फर वह भाग गया हमले के डर
से र चला गया। जब से पुज ारी चला गया है तब से म इसी झाड़ी म रह रहा ँ। ब त अ ा आ क तुम यहाँ आ गये। अब बस मुझ े सावधानी से
हटाओ। इतना कहकर वह लड़का गायब हो गया। तभी माधवे पुरी जाग गये और अपने व पर वचार करने लगे। वह वलाप करने लगा मने
भगवान कृ ण को य दे ख ा ले कन म उ ह पहचान नह सका इस कार वह ेम म वभोर होकर भू म पर गर पड़ा।
जब दे वता क ापना क जा रही थी तो गो वदा कुं ड से नौ सौ घड़े पानी लाया गया था। बगुल ढोल क संगीतमय व नयाँ और
य का गायन चल रहा था।
उ सव के दौरान ापना समारोह म कु छ लोग ने गाना गाया तो कु छ ने नृ य कया। गाँव का सारा ध दही और घी उ सव म लाया गया। व भ
खा पदाथ और मठाइयाँ साथ ही अ य कार क तु तयाँ भी वहाँ लाई ग । ामीण बड़ी मा ा म तुलसी के प े फू ल और व भ कार
के व लाए। तब ी माधव पुरी ने गत प से अ भषेक शु कया।
पूरे काय म के बाद सभी इक े ए भ के लए एक शानदार दावत का आयोजन कया गया। एक अ ायी मं दर का नमाण कया गया।
जब पूरे दे श म यह चार कया गया क भगवान गोपाल गोवधन पवत पर कट ए ह तो पड़ोसी गाँव के सभी लोग दे वता के दशन करने
आए। एक के बाद एक गाँव माधवे पुरी से अ कू ट समारोह करने के लए एक दन आवं टत करने क ाथना करने म स थे। इस कार
दन ब दन कु छ समय के लए अ कू ट समारोह कया जाता था। गाँव के नवासी गोपाल दे वता के लए उतना ही अनाज घी दही और ध
लाते थे जतना उनके गाँव म था।
राजपूत. प रवहन के दौरान गाड़ी नाथ ारा म फं स गई जहां भगवान को रखा गया था और अब उनक पूज ा क जाती है।
भगवान गु वायूर
गु वयूर मं दर लगभग वष से अ त व म है हालाँ क ऐसा कहा जाता है क दे वता ब त पुराना है। यह प व मं दर म रखे गए ताड़ के
प क पु तक म लखा है क दे वता क पूज ा सबसे पहले दे वता ा ारा प क प क शु आत म क गई थी।
येक अवतार म दे वता भी पुनः कट ए और उनक पूज ा क गई। कृ ण अवतार के दौरान दे वता क पूज ा ारका के एक मं दर म वष
तक क जाती थी। जब आ या मक नया म कृ ण के आरोहण का समय आया तो कृ ण ने दे वता के आ या मक गु बृह त और वायु के
दे वता वायु को दे वता क पूज ा का भार लेने का नदश दया। जब बृह त और वायु ारका प ंचे तो शहर पहले ही समु से जलम न हो
चुक ा था। अशांत लहर के नीचे खोजते ए वे दे वता को बचाने म स म ए और उसे समु से उठाने के बाद वे द ण क ओर चले गए।
लंबी री तय करने के बाद बृह त और वायु समु तट के पास एक एकांत झील पर प ंचे। दोन द सं ाएँ बैठ ग और यान करने
लग बाद म भगवान
शव झील क गहराई से नकले। कु छ चचा के बाद उन तीन द ा णय ारा यह नणय लया गया क तीथ के नाम से जाना जाने वाला
झील का कनारा एक नए मं दर के नमाण के लए सबसे अ ा ान होगा। तभी से यह ान इस नाम से जाना जाने लगा
भारत के मुख मं दर क लोक यता म कई वशेषताएं योगदान करती ह। उड़ीसा रा य का सूय मं दर कोणाक अपनी अनूठ वा तुक ला के लए
स है। त मलनाडु म कावेरी नद पर त ी रंगम अपनी ाचीनता के लए जाना जाता है। हमालय क ऊं चाई पर त ब नाथ अपनी
अ तीय भौगो लक त के कारण लोक य है और बंगाल क खाड़ी पर त जग ाथ पुरी से अ धक वष से तवष आयो जत होने
वाले अपने पौरा णक रथ उ सव के लए स है।
ये सभी कारक द ण भारतीय रा य के रल के गु वयूर म मलते ह जससे गु वयूर पूरे भारत म सबसे आकषक और गौरवशाली
मं दर म से एक बन जाता है।
गु वयूर शहर म कोई मूवी थएटर नह ह। कोई शराब क कान नह . कोई नाइट लब नह . और वहां मांस नह खाया जाता. गु वायूर एक प व
शहर है जहाँ लोग आ या मक उ त के लए आते ह। वा तव म गु वायुर म ातभ का वातावरण इतना उ कृ और मनमोहक है
क इस प व ान पर जाने पर आसानी से पारगमन का अनुभव कर सकता है।
गु वयूर क या ा हालां क भारत के लोग के लए आम है ऐसा ब त कम प मी लोग ने अनुभव कया है। शहर के क म ठे ठ
के रल शैली म एक बड़ा लकड़ी का मं दर है जो पूरी तरह से आकषक सु चपूण और शां तपूण है। हालाँ क बारीक से जांच करने पर कोई भी
मं दर से नकलने वाली एक रह यमय ऊजा को महसूस कर सकता है जो रोजाना हजार तीथया य को अपने दरवाजे से ख चती है। यह दे ख कर
आ य होता है क हर दन तीथया य क भारी सं या मं दर म आती है जैसे क वे कसी ऐसी अ तरो य श से आक षत होते
ह जो आंख से नह दखती और वै ा नक उपकरण ारा पहचानी नह जा सकती फर भी इतनी श शाली है क लाख लोग इससे
मो हत हो जाते ह। वह श या है मं दर के एक ा ण पुज ारी कहते ह यह सव रह यवाद है। यह द ेम क श है या
अ धक सट क प से स दय आकषण और मठास।
वेश करने के बाद का सामना व णु के राजसी दे वता से होता है जो ब मू य र न से सुस त है और एक शानदार सोने और चांद
के सहासन पर त है। या प र ेम स दय आकषण और मठास उ प कर सकता है कसी भी तकसंगत वचारक के लए
यह एक क ठन है ले कन जा हर तौर पर यह हो सकता है य क यही वह उ लेख नीय श है जसका सामना गु वायुर म होता है।
भगवान उडु पी कृ ण
उडु पी से लौटने के एक दन बाद ीपाद माधवाचाय ने समु म नान करने जाते समय भगवान कृ ण को सम पत ाथना के सं ह के
अ याय क रचना क । समु तट पर प ँचकर उसने दे ख ा क अनेक कार का सामान ले जा रही एक नाव रेत म फँ स गई है और सभी लोग
मलकर उसे हलाने म असफल हो रहे ह। ीपाद माधवाचाय ने अपने हाथ से कु छ इशारा कया जैसे क नाव को हला रहे ह और सभी को
आ य आ क वह अचानक पानी क सतह पर चलने लगी। नाव के क तान जो पास के गाँव उडु पी से थे ने माधवाचाय से शंसा के तीक के
प म कु छ लेने का अनुरोध कया। ीपाद माधवाचाय ने गोपी चंदन का वह बड़ा टु क ड़ा लया जो ारका म गोपी सरोवर से लया गया
था। लॉक लाते समय यह बड़ाभांडे र नामक ान और एक सुंदर दे वता के पास टू ट गया
बालकृ ण कट ए.
दे वता का इ तहास यह है क ापरयुग के अंत म भगवान कृ ण के पोते व नाभ ने ज मंडल म भगवान कृ ण के तीन दे वता को ा पत
कया था। उससे ब त पहले भगवान कृ ण क कट उप त के दौरान बालकृ ण के व ह को भगवान कृ ण ने गत प से ारका
म ा पत कया था। इस संसार म कृ ण क लीला समा त होने के बाद अजुन ने उस दे वता को समु के कनारे गोपी सरोवर म रख दया।
बालकृ ण के व ह के एक हाथ म पीसने क छड़ी है और सरे हाथ म पीसने क र सी है। दे वता बनने के बाद ीपाद माधवाचाय ने तुरंत
अपनी स ादश तो ाथना के शेष सात अ याय क रचना क । ब ीस मजबूत शरीर वाले दे वता को उठाने म असमथ थे तब ीपाद
माधवाचाय जो आ या मक नया के हनुमान भीमसेना और वायु के अवतार ह ने सहजता से दे वता को उठाया और अपने मठ म रखा। बाद
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नान कराकर और बचे ए चंदन को हटाकर भगवान को वह ा पत कर दया गया। यह सेवा उनके सं यासी श य को स पी गई ज ह ने
दो वष के अंतराल म यह सेवा स पी।
माँ गंगा क जय
ब ल महाराज को मु दलाने के लए भगवान व णु वामनदे व के प म कट ए। ब ल महाराज ने भगवान वामन को तीन पग दान म दये।
ऊपरी ह मंडल को लेते समय भगवान ने अपने बाएं पैर को ांड के अंत तक बढ़ाया और अपने बड़े पैर के नाखून से इसके आवरण म एक
छे द कर दया। छे द के मा यम से कारण महासागर वरजा का शु पानी गंगा नद के प म इस ांड म वेश कया। लाल पाउडर से ढके
भगवान के चरण कमल को धोने के बाद गंगा के पानी ने एक ब त ही सुंदर गुलाबी रंग ा त कर लया। येक ाणी गंगा के द जल का श
करके तुरंत अपने मन के भौ तक क मष को शु कर सकता है फर भी इसका जल सदै व शु रहता है। य क गंगा इस ांड म उतरने
से पहले सीधे भगवान के चरण कमल को छू ती है इस लए उ ह व णुपद के नाम से जाना जाता है। बाद म उ ह जाह वी और भागीरथी जैसे अ य
नाम भी मले। एक हजार सह ा दय के बाद गंगा का पानी इस ांड के सबसे ऊपरी ह ुवलोक पोल टार पर उतरा।
इस लए सभी व ान ऋ ष और व ान ुवलोक को व णुपद घो षत करते ह।
गंगा के पानी को प तत पावनी कहा जाता है जो सभी पापी जीव का उ ारकता है और गंगा म नान करने से बाहरी और आंत रक दोन
तरह से शु हो जाता है। भौ तक शरीर रोग से तर त हो जाता है और आंत रक प से भगवान के तभ भाव का मक वकास होता
है। उनके ाक दवस के सबसे शुभ अवसर पर पूज ा करने से दस ज म म अ जत पाप न हो जाते ह।
पूरे भारत म हजार लोग गंगा के तट पर रहते ह और नय मत प से उसके पानी म नान करके वे न संदेह आ या मक और भौ तक
दोन तरह से शु हो रहे ह। शंक राचाय स हत अनेक ऋ ष मु नय ने गंगा क तु त म तु त क है और भारत भू म इस लए गौरवशाली हो गई
है य क वहां गंगा यमुना गोदावरी कावेरी कृ णा और नमदा जैसी न दयां बहती ह। इन न दय के नकट क भू म पर रहने वाला कोई भी
वाभा वक प से आ या मक चेतना म उ त होता है।
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भगवान के परम भ ुव महाराज ने बड़ी भ के साथ उस जल को अपने सर पर हण कया। सात महान ऋ ष ुवलोक के नीचे ह पर
नवास करते ह। गंगाजल के भाव से भलीभां त प र चत होने के कारण आज भी वे अपने सर पर बाल के गु पर गंगाजल रखते ह।
ुवलोक के नकट सात ह को शु करने के बाद गंगा जल को अरब द वमान म दे वता के अंत र माग के मा यम से ले जाया
जाता है। फर यह चं ह चं लोक को जलम न कर दे ता है और अंत म मे पवत के ऊपर भगवान ा के नवास तक प ंचता है
जसे सुमे पवत के नाम से जाना जाता है। इस कार गंगा का पानी अंततः नचले ह और हमालय क चो टय तक प ंचता है और
वहां से यह ह र ार और भारत के मैदानी इलाक म बहता है और पूरी भू म को शु करता है।
वह ान जहाँ गंगा बंगाल क खाड़ी के खारे पानी म गरती है आज भी गंगा सागर या गंगा और बंगाल क खाड़ी के मलन ल के पम
जाना जाता है। मकर सं ां त पर जनवरी फरवरी के महीने म मु क आशा म हजार लोग आज भी वहां नान करने जाते ह। जो
लोग कसी भी समय गंगा म नान करते ह उनके लए अ मेध और राजसूय य जैसे महान य का फल ा त करना ब कु ल भी क ठन
नह होता है। याग इलाहाबाद म जनवरी के महीने म गंगा और यमुना के संगम पर नान करने के लए हजार लोग इक ा होते ह। इसके बाद
उनम से कई लोग बंगाल क खाड़ी और गंगा के संगम पर नान करने के लए जाते ह। इस कार यह भारत के सभी लोग के लए एक
वशेष सु वधा है क वे इतने सारे तीथ ान पर गंगा के पानी म नान कर सकते ह।
चैत य च रतामृत नाम का ंथ मां गंगा क आ या मक पहचान आ या मक नया म उनके मूल नाम त और प को कट करता है जब वह
गोलोक वदावन के द जोड़े ी ी राधा कृ ण क शा त प से य ेमपूण भ सेवा कर रही ह। माँ गंगा को राधा कृ ण के ेम के तरल
सार के प म भी दे ख ा जाता है जो पूरे ांड म बहती है। न य वह अ य मंज रय के बीच वरप ेमा मंज री के प म दे ख ी जाती है जो नधुवन
के वन उपवन म ी कृ ण के बगल म त है। मां गंगा के व प का वणन व भ ंथ म मलता है। अ न पुराण . म कहा गया है क
ी गंगादे वी का साकार प सफे द रंग का है जसके शीष पर एक मकर मगरम बैठा है और उसके हाथ म एक बतन और कमल है। प
पुराण म गंगादे वी का वणन है जो मकर पर वराजमान ह और कुं द फू ल चं मा या शंख क तरह सफे द ह और सभी आभूषण से सुशो भत ह। इसी
कार क द पुराण तथा नारद पुराण म भी इसका वशद वणन उपल है। आ या मक नया और इस भौ तक ांड के भीतर उनक उ प के
आ यान असं य ह और व भ वै दक सा ह य वशेषकर पुराण म भ भ ह। नीचे द गई लीला म से एक यह दशाती है क कै से राधा कृ ण
ने मलकर गंगा का नमाण कया।
वैवत पुराण म महान ऋ ष नारद नारायण ऋ ष से उन लीला के बारे म पूछते ह जब भगवान शव के संगीत के कारण ी ी राधा कृ ण के
शरीर पघल गए थे।
नारायण ऋ ष ने उ र दया एक बार का तक क पू णमा पर ीमती राधारानी के स मान म एक उ सव अ तरह से मनाया जा रहा था।
गोलोक म ीकृ ण अपने रस मंडल एक एकांत े जहां भगवान अपनी लीला का आनंद लेते ह म राधारानी क पूज ा कर रहे थे जब चार
कु मार दे वता दे वय ऋ षय संत और कई अ य महान व शा मल थे।
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अ य लोग भी भगवान कृ ण के य क पूज ा करने के लए प ंचे सर वती दे वी ने भगवान कृ ण और ीमती राधारानी के लए खूबसूरती से गाना और अपना वीणा तार वाला
वा बजाना शु कर दया।
स होकर भगवान ा ने सर वती को एक ब मू य र न का हार दान कया जब क शव ने उ ह एक सुंदर आभूषण दान कया।
भगवान ा के ो साहन के कारण भगवान शव ने भगवान कृ ण क खुशी के लए गीत गाना शु कर दया जसम येक श द शु अमृत से भरा आ था। शव का म हमामय
गायब आ। भगवान ा समझ गए क द जोड़े ने खुद को उस पानी म बदल लया है जसे गंगा के नाम से जाना जाता है। ी ी राधा कृ ण के शरीर से नकला जल शु
भ दान करता है यही कारण है क पूरा ांड गंगा क पूज ा करता है।
साधू संत
तुक ाराम के पूवज व र भगवान व ल के अन य भ थे। भगवान क सुंदरता से आक षत होकर उ ह ने महीने क अव ध म पंढरपुर क या ाएँ क । उनक भ से
अ भभूत होकर भगवान वयं दे गांव म कट ए और तब से दे म त एक मं दर म उनक पूज ा क जाती है। तुक ाराम के माता पता बो हेबा पता और कं कई मां
तुक ाराम महाराज को बचपन से ही भगवान व ल क भ म श त कया गया था। वह लगातार संत लोग के साथ जुड़े रहे और वन तापूवक भगवान के वषय के बारे
कु छ समय बाद उनके माता पता ने अपना शरीर छोड़ दया और बड़े भाई ने सांसा रक मामल को याग दया। जब वह वष के थे तब उ ह एक बड़ा एहसास आ
और पूरे े म भयंक र सूख ा पड़ गया। सभी मवेशी मर गए हर जगह लोग परेशान थे सबसे ऊपर उनक पहली प नी रखुमाबाई और बेटे संतोबा क भूख से मृ यु हो गई। उ ह
इस संसार क अ ायी कृ त का एहसास आ जो ख से भरा है। के वल भगवान उनके भ और भ ही मू यवान ह। उस समय से उ ह ने भगवान पर नभर रहना और
उ ह ने वे सभी द तावेज़ जो कमाई के साधन थे इं ायणी नद म बहा दए और भगवान व ल पर पूण नभरता क घोषणा कर द । यह समपण क सव अव ा है
जसे भगवान कृ ण ने भगवद गीता . म अजुन से कहा है। उनक सरी प नी का नाम जीजाबाई था ज ह अवद भी कहा जाता था। वह तुक ाराम के भ पूण जीवन और
था क आलोचना करती थ ।
हालाँ क वह परेशान थी और उसे ढूँ ढने और दोपहर का भोजन समय पर प ँचाने से नह चूक ती थी ले कन उसका नेह दल को छू लेने वाला था। तुक ाराम
और आम लोग को भ मय सेवा सखाना। उ ह ने उ ह संक लत कया उ ह ानीय प से अभंग के नाम से जाना जाता है। येक अभंग शा
का स ा न कष और ान से भरा संदेश था। जा त और पंथ से ऊपर उठकर सभी लोग ने अभंग का जाप करना शु कर दया और
अपना जीवन बदल दया। इससे उ जा त के वा भमानी ा ण को ठे स प ँच रही थी
वे अपनी श ा चाहते थे और चाहते थे क लोग उनक सलाह का पालन कर। म बाजी उनके नेता थे उ ह ने त कालीन ा ण के मु खया
और वेद के व ान व ान रामे र शा ी को रपोट कया।
व ान होते ए भी रामे र शा ी म भ मय जीवन का अभाव था। तब उ ह ने तुक ाराम महाराज को अपने अभंग को इं ायणी नद म डु बाने का
आदे श दया। इसे े तुक ाराम महाराज का आदे श मानकर भारी मन से उ ह नद म वा हत कर दया। यहां तक क उसक प नी भी
इस हरकत से नाराज थी. उनका पूरा प रवार इं ायणी नद के तट पर दन तक बना भोजन और पानी के बैठा रहा व दन अभंग
बना कसी नुक सान के तैरते ए आ गए। इस बीच रामे वर शा ी एक भ को अपमा नत करने क त या से गुज र रहे थे और उनका
पूरा शरीर जलन से भर गया था। ऐसा तभी आ जब तुक ाराम महाराज ने उ ह गले लगा लया शा ी को राहत महसूस ई और उ ह ने तुरंत महान
संत क शरण ली।
तुक ाराम महाराज ने हर जगह भ सेवा क म हमा का चार करने पर यान क त कया जो ब आ मा के लए एकमा सां वना है।
उ ह ने अपने अभंग म चार नयामक स ांत क श ा द मांस न खाना नशा न करना अवैध यौन संबंध न बनाना जुआ न
खेलना। महान मराठा राजा छ प त शवाजी महाराज तुक ाराम महाराज क श ा से भा वत थे और पूरी तरह से उनके चरण कमल म
आ मसमपण करना चाहते थे। तुक ाराम महाराज ने धा मक स ांत क र ा के लए एक श शाली य शासक क आव यकता को
समझते ए शवाजी को एक यो ा के प म बने रहने और भगवान व ल क सेवा म मन क त रखते ए लड़ते रहने का अ धकार दया।
भगवान पांडुरंग कृ ण का सरा नाम ने गत प से तुक ाराम महाराज के जीवन म ह त ेप कया य क उ ह शारी रक
आव यकता और पीड़ा क परवाह नह थी। एक बार जब वे क तन के लए पास के ान पर जा रहे थे और जंगल से गुज र रहे थे
तो म र झुंड म तुक ाराम महाराज क ओर आये। उ ह र करने के बजाय महाराज को बड़ी दया आई और उ ह ने अपने शरीर को इन
म र क सेवा का साधन समझा। कोई भी मदद करने म स म नह था य क म र क सं या ब त अ धक थी तब भगवान पांडुरंग ने वयं पेड़
क एक शाखा ली और मीठे वर म उन सभी को भगाया। कोई भी सामा य क णा के अवतार वै णव के वहार को नह समझ सकता।
एक बार एक गरीब ा ण म हला जसके शरीर पर के वल एक फटा आ कपड़ा था उसने तुक ाराम महाराज से संपक कया क या वह एक
पोशाक के लए मदद कर सकते ह। वयं गरीब होने के कारण उनक प नी के पास भी ब त कम कपड़े थे।
उनक प नी नान कर रही थी और उ ह ने कपड़े का एक सेट बाहर रखा था उनक ओर इशारा करते ए तुक ाराम ने म हला से उ ह लेने का
अनुरोध कया। इस उदार दान के प रणाम को तुक ाराम जानते थे इस लए वे क तन करने के लए इं ायणी के तट पर चले गए। नहाने
के बाद उसक प नी को कपड़े नह मले और उसे पूरा मामला पता चला तो वह ऐसे प त और उसके काले भगवान से शाद करने के लए
अपने भा य और बुरे कम को कोसने लगी। हालां क वह बाहर नह आ सक य क अ य म हलाएं एक ववाह समारोह म उनके साथ जाने के
लए बाहर इंतजार कर रही थ । हालत दे ख कर भगवान ने एक वशेष पोशाक उतारी जो वैकुं ठ आ या मक नवास से थी। तब उसके पास इसे
वीकार करने के अलावा कोई वक प नह था। उसके सभी दो त उसे चढ़ाने लगे
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यह कहना क आपका प त वा तव म अमीर है उसने तु ह ब त उ गुण व ा वाली पोशाक द है। वह आगे या कह सकती थी य कस ाई के वल
वही जानती थी
तुक ाराम महाराज क भ और वै णव गुण ने भगवान शव को भी आक षत कया जो एक बार उनके हाथ से पकाए गए साद को खाने के लए
भेष बदलकर आए थे। संक तन का उनका अ यास ी चैत य महा भु के अनुया यय से मेल खाता है। उ ह ने अपने अभंग म लखा है क उ ह सपने
म राघव चैत य के शव चैत य ने द ा द थी। उनके उ रा धकार के वतमान अ धकारी न त नह ह क यह व कौन है ले कन वामी भुपाद
ने ीम ागवत पुराण क अपनी ट पणी के प रचय म उ लेख कया है क भगवान चैत य ने तुक ाराम महाराज को सपने म द ा द थी। तुक ाराम महाराज
ग ड़ पर सवार हो गये जो उ ह लेने आये थे। क तन करते ए सभी लोग से वदा लेते और आशीवाद दे ते ए वे शा त आ या मक जगत क ओर
ान कर गये। यह अनोखा मामला है जहां भ अपने सांसा रक प म भगवान के पास वापस लौट आया। उसक प नी इस बात से अन भ
थी य क उसे लगा क उसका प त मजाक कर रहा है क वह कह जा रहा है। सभी भ क आँख म आँसू आ गए यहाँ तक क ना तक का दय
भी पघल गया। अपने य तुक ाराम महाराज क आ या मक या ा को मनाने के लए हर साल इस दन उनके अनुया यय क बड़ी भीड़ होती है।
मीराबाई
रणजीत सह राठौड़ नाम का एक राजा था जसक मीरा नाम क एक और इकलौती बेट थी। बचपन से ही उनका झान भगवान कृ ण क भ
क ओर था। एक बार एक साधु
जनके पास ग रधरलाल नाम के भगवान कृ ण के दे वता थे उ ह मीरा के प रवार ने आमं त कया था। दे वता से आक षत होकर मीरा जो वष क
थी ने भ ु से उसे आजीवन दे वता क पूज ा करने क अनुम त दे ने का अनुरोध कया। भ ु ने उसके भ भाव से स होकर दे वता को स प दया। वह
ववाह समारोह म मीरादे वी ने भगवान ग रधरलाल का व ह धारण कया। जैसा क वै दक री त के अनुसार ववाह के दौरान प त प नी य े के
सामने प र मा करते ह और दे वता तथा परमे र दं प ारा ली गई त ा के सा ी होते ह। मीराबाई ने के वल कृ ण से ववाह करने क
त ा क थी ज ह उ ह ने प त के प म वीकार कया था। के वल मीरा क माँ ही जानती थी क उसक बेट के कृ य के इरादे या थे। ससुराल म भी
वह भगवान को अपने साथ रखती थी। ससुराल वाले इतनी खूबसूरत लड़क को अपनी ब पाकर ब त खुश थे। ले कन भ का जीवन कांट से
भरा होता है और मीरा का भी यही हाल था। प त का प रवार दे वता का उपासक था और मीरा सभी दे वता के वामी कृ ण के अलावा कसी और
क पूज ा नह करती थी। दे वता क पूज ा करने से साफ़ इनकार करने के कारण उसके ससुराल के सभी लोग और नौकर चाकर उससे ब त नाखुश थे
राजपूत म अ ेपतक ा त या मौजूदा प त क लंबी उ के लए गौरी क पूज ा करने क परंपरा है। मीराबाई ने इनकार कर दया य क उ ह ने
मीरा नाखुश थ ले कन भोजराज ने उनक भ भावना और क वता क सराहना क जो उ ह ने भगवान के लए गाई थ । उ ह ने तुरंत
ग रधरलाल के लए एक मं दर बनवाया। य प मीरा लगातार अपने भगवान क सेवा करती थी साथ ही उसने भोजराज क सेवा पर भी उ चत
यान दया ज ह ने भ सेवा म उसक सहायता क । उनक उ चत अनुम त से भोजराज ने सरा ववाह कर लया।
संत पु ष के साथ मीराबाई क संग त बढ़ने लगी और उनम भगव ेम के भावपूण ल ण कट होने लगे। कभी कभी वह वरह म रोती
कभी हँसती और कई कई दन तक खाना नह खाती। ववाह के वष बाद राजा भोजराज क मृ यु हो गई।
इस कार राजग भोजराज के छोटे भाई राजा व माजीत सह राणा को स प द गई। मीराबाई के कारण महल म भ भ ु के
आने का तांता लगा रहता था जसके साथ नरंतर क तन और धम ंथ पर ा यान भी होते थे। राणा को यह पसंद नह आया इस लए
उ ह ने मीराबाई को समझाने क को शश क और वशेष नौकरानी नयु क जो उ ह यह सब रोकने के लए मनाने क को शश करत । ब क मीरा
क भ से सेवक भ बन गये
भाव।
रानी मीराबाई को सामा य लोग के साथ नृ य करते दे ख राणा अपना ोध नह रोक सके । उसने उसे चरणामृत दे वता को नान कराने के
बाद पानी ध आ द का म ण म जहर दे ने क योजना बनाई। यह राणा के लए आ य क बात थी क वह जहरीला चरणामृत पीने के बाद भी
जी वत थी। ई यालु लोग भगवान के भ को परेशान करने के लए कसी भी हद तक जा सकते ह। मीराबाई मं दर बंद करके भगवान के
पास बैठ जात और बात करत । कु छ ई यालु लोग ने राणा को बताया क मीराबाई मं दर म ताला लगा दे ती है और हम कसी अ य पु ष को
उसके साथ बातचीत करते ए सुनते ह। ो धत राणा ने दरवाज़ा खोला और के वल मीरा को उसके दे वता के साथ दे ख ा ले कन फर भी उसे
कसी को ढूं ढने का व ास था उसने हर कोने को खोजा ले कन असफल रहा। ल त होकर वह चला गया।
उ ह भगवान क शु भ के बजाय के वल भावुक म हला मानते ए एक नकली साधु ने महल म वेश कया और मीराबाई से मुलाकात क और
दावा कया क भगवान ग रधरलाल ने उ ह भेज ा था।
उसके साथ मलन करो. मीरा ने नकली साधु से दोपहर का भोजन करने और फर उस ब तर पर आने का अनुरोध कया जो उसने क तन कर
रहे अ य सभी साधु क उप त म आंगन के बीच म तैयार कया था। दोपहर के भोजन के बाद नकली साधु ने मीरा से कहा क इस तरह क
हरकत सावज नक प से नह क जा सकत । मीरा ने उ र दया क इस संपूण सृ म ऐसी कोई जगह नह है जहाँ भगवान ने गवाही न द
हो इसके अलावा दे वता शरीर म नवास करते ह और यम त पा पय क सजा का हसाब लगाने के लए चार ओर घूमते ह। ये द वचन सुनकर
नकली आदमी तुरंत होश म आ गया और मीरा के चरण म गर पड़ा और अपने पागलपन को माफ करने क ाथना क ।
मीराबाई क म हमा और उनके भ गीत को सुनकर राणा के त ं अकबर ने अपना वै णव वेश बदल लया और तानसेन के साथ
क तन म शा मल ए। उ ह ने ग रधरलाल को मो तय का एक ब मू य आभूषण भी भट कया। इससे राणा ो धत हो गए और उ ह ने मीरा को
नगलने के लए एक ब से म रखा एक कोबरा भेज ा और बताया क उसके भीतर एक शा ल ाम शला भगवान व णु क प र क मू त है। जब
उसने ब सा खोला तो उसे वहां शला मली। राणा क बढ़ती मनी को दे ख ते ए उसने वृ दावन जाने का फै सला कया। वहाँ वृ दावन म उ ह ने
जीव गो वामी ी चैत य महा भु के श य से मलने का अनुरोध कया। जीव गो वामी एक सं यासी और महान व ान और भगवान कृ ण
के भ थे। जीवा गो वामी ने श य के प म उनका मागदशन कया
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और उनसे ारका म भ सेवा का अ यास करने का अनुरोध कया जहां ऐ य भाव या ऐ य म भगवान क पूज ा मुख थी। मीराबाई अपने गीत म भगवान चैत य
जब वह ा रका म थी राणा को अपने रा य म शां त खोने लगी। इस लए वह ारका गए और उनसे वापस आने का अनुरोध कया ले कन
उ ह ने इनकार कर दया और अपना जीवन वह अपने भगवान के साथ बताया। उ ह ने कई क वताएँ लख जो स ह और उ ह सुनने
वाले के मन म भ पूण ां त ला दे ती ह। उ ह ने आने वाली सभी पी ढ़य के लए एक आदश ा पत कया।
नरो म दास ठाकु र आजीवन भगवान चैत य महा भु क इ ा क सेवा करने वाले चारी थे। नरो म के पता गोपालपुर े के जम दार राजा कृ णानंद द थे।
उनक माता का नाम नारायणी दे वी था। यह दखाने के लए क उनके साथी कसी भी जा त म ज म ले सकते ह कृ ण ने नरो म को काय प रवार म ज म
दलाया। जब ी चैत य महा भु कनाई नताशाला से गुज रे तो वे क तन म आनं दत होकर नृ य कर रहे थे उ ह ने नरो म नाम पुक ारना शु कर दया जससे संके त मलता
था क ब त ज द उनके शा त सहयोगी यहां कट ह गे। भ से परमानंद का वाद चखने के बाद नरो म घर छोड़कर वृ दावन जाना चाहते थे। नरो म ने अपने पता क मृ यु
के बाद तक वृ दावन जाने का इंतजार कया जब तक क उनके चचेरे भाई संतोष को इसक ज मेदारी नह द गई
जम दारी.
नरो म दास ठाकु र ने लोकनाथ गो वामी क छोट मोट सेवा क और गौड़ीय वै णव धम क द ा लेक र अपनी दया वापस ले ली। ब त ज द ी नवास आचाय और यामानंद
पं डत क संग त म उ ह ने जीवा गो वामी के अधीन अ ययन करना शु कर दया। अ ययन के बाद उन सभी को आदे श दया गया क वे गो वामी धम ंथ को
गो वा मय के ब मू य ंथ को अपने साथ लेक र वे बंगाल क या ा पर नकल पड़े। रा ते म चलते चलते वे धीरे धीरे वन व णुपुर प ँचे। वन व णुपुर म ी बरह बर नामक
डाकु और चोर का राजा रहता था। रात म उसने धम ंथ को कसी कार का खजाना समझकर चुरा लया। ातः उठकर शा को चोरी आ
दे ख कर उन तीन को ऐसा लगा मानो उनके सर पर व पात हो गया हो। वणन से परे खी होकर उन तीन ने ंथ के लए चार दशा क खोज शु कर द जब तक क अंततः
उ ह खबर नह मली क राजा बरह बीर ने कताब चुरा ली थ और उ ह अपने शाही भंडार म छपा कर रखा था। इस पर ी यामानंद भु उ कल के लए रवाना ए और नरो म
खेतु र ाम के लए रवाना ए जब क ी नवास आचाय पीछे रह गए यह सोचकर क कसी तरह गो वामी क कताब राजा के पास से प ंचा द जाएंगी।
भंडारगृह.
नरो म दास ठाकु र ने भगवान चैत य के कई सहयो गय से मुलाकात क और उनके साथ भगवान क लीला पर चचा क । नरो म ठाकु र ने संतोष अपने चचेरे भाई को
राधा कृ ण से द ाद
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मं । राजा संतोष द पहले चाहते थे क एक मं दर बनाया जाए और एक दे वता ा पत कया जाए। अब उ ह ने नरो म ठाकु र के चरण कमल म उनक अनुम त
के लए वनती क । नरो म ने सहष अपनी वीकृ त दे द । कु छ ही महीन के भीतर राजा संतोष द ने यह सु न त कर लया क एक बड़ा मं दर बनाया जाए। भगवान
चैत य के कट होने के अवसर पर ऐ तहा सक खेतुरी उ सव उनके मागदशन म मनाया गया। उ सव म भ के आवास भोज क ापक व ा क गई थी।
एक दन नरो म ठाकु र और ी रामच क वराज नान करने के लए प ावती नद पर गए और उस समय उ ह ने दो युवा ा ण को कई बक रय और भेड़ को चराते
ए दे ख ा। उ ह ने अपना प रचय दे ते ए कहा हम गोयसा ाम गांव से आते ह और हम एक जम दार के बेटे ह। हमारे घर पर वतमान म गा पूज ा आयो जत क जा रही
है और हमारे पता के आदे श पर हम इन सभी बक रय को ला रहे ह। और भेड़ का वध कया जाना है। कृ पया हम कु छ सलाह द क हम या करना चा हए। नरो म ने
बताया क कम कांड अ सर रजोगुण और अ ान के गुण म कै से कया जाता है और कै से जनके मन न न गुण से षत होते ह वे नरक के उ मीदवार होते ह। सभी
आ माएँ कृ ण क श ह। जो हर जगह परमा मा को दे ख ता है जो सर क हसा से मु है जसके पास कोई झूठा अहंक ार नह है और जो हमेशा सव भगवान क
पूज ा करता है वह बार बार ज म और मृ यु से मु हो जाता है और भगवान के चरण कमल म द सेवा क मु त ा त करता है . इस पर युवा ा ण लड़क
ने बक रय और भेड़ को आज़ाद कर दया प ा नद म नान कया और उनके साथ मं दर गए और पूण स य के व भ पहलु के बारे म सुना। अगले
दन सर मुंडवाने के बाद दोन युवा ा ण ने राधा कृ ण मं क द ा ली। उनके पता शवानंद गु से से आग बबूला हो गये। कु छ दन बाद दोन भाई घर
लौट आये। उनके माथे को एक वै णव के तलक से च त कया गया था उनके गले को तुलसी माला से सजाया गया था उनके शरीर के बारह ह स को व णु
तलक से च त कया गया था उनके सर मुंडाए गए थे उ ह ने कृ ण के भ क शखा पहनी ई थी। उ ह हराने के लए शवानंद मुरारी नामक एक म थला
वै णव क त के बारे म बताया।
पारलौ कक और ा ण से ऊपर।
दो महान ा ण गंगानारायण च वत और जग ाथ आचाय ने नरो म दास क शरण ली जससे माट ा ण म ई या पैदा ई जो असुर त महसूस करते थे।
उनम से एक बड़ा गुट राजा नृ शग के पास गया और उनसे नवारण के लए ाथना क । उ ह ने उनसे कहा महाराज य द आप ा ण को नह बचाएंगे तो
आपक त ा बबाद हो जाएगी और आपक मृ यु सु न त हो जाएगी। राजा कृ णानंद द का पु नरो म ठाकु र एक शू है और फर भी वह श य बनाने का
साहस करता है ा ण। य द ऐसा ही चलता रहा तो हम सभी य वंश के सद य क तरह डू ब जायगे। राजा नर सह ने कहा म तु हारी र ा क ं गा। ले कन
ा ण ने कहा क हम सभी महान और स व वजेता व ान महा द वजय पं डत ी प नारायण के साथ खेतुरी ाम जाएंगे और नरो म को हराएंगे।
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कु मारपुरा के उस बाज़ार म गए और उन दोन ने दो अलग अलग कान खोल । ी रामच क वराजा ने म के बतन बेचने के लए एक टाल लगाया
और गंगानारायण च वत ने वयं पान और सुपारी बेचने के लए एक टाल लगाया। इस तरह राजा नर सगा के साथ माट पं डत कु मारपुरा के
बाज़ार म प ंचे और कान के पास अपना श वर ा पत कया। पं डत के श य खाना पकाने के लए कु छ म के बतन खरीदने गए और म के
बतन क कान पर गए। कु हार जो रामच क वराजा थे उनसे शु सं कृ त म बात करने लगे। पं डत के श य भी सं कृ त म बोलने लगे और ज द
ही वे सं कृ त म आगे पीछे बहस करने लगे और हार गए। इसी कार जब छा पानवाले गंगनारायण च वत क कान से पान और
सुपारी खरीदने जाते थे तो वह उनसे शु सं कृ त म बात करते थे। वे भी बहस करने लगे. धीरे धीरे उनके श क उस ान पर प ंचे जहां बहस
चल रही थी और उ ह ने खुद को पान वाले और म के बतन वाले के तक का उ र दे ने म असमथ पाया। अंत म राजा राजा नर सह
महान पं डत प नारायण घटना ल पर प ंचे। उस समय चार दशा म तक वतक का महान कोलाहल मच गया। राजा क उप तम
कु हार और पानवाले ने प नारायण स हत सभी माट ा ण को हरा दया। राजा नृ शग ने कु छ पूछताछ क और पता चला क पानवाला
और कु हार नरो म दास के श य थे। उस समय उ ह ने पं डत से कहा क जब आप स ांत के मामले म नरो म के एक सामा य साधारण श य
मात पं डत चुप थे. अपनी हार का एहसास होने पर उ ह ने अपने अपने गाँव लौटने क तैयारी कर ली। उस शाम राजा राजा नर सह और ी प
नारायण ने एक सपने म गादे वी को दे ख ा। उसने उनसे कहा य द आप नरो म के कमल चरण क शरण वीकार नह करते ह तो म
आप सभी को अपनी तेज तलवार से टु क ड़े टु क ड़े कर ं गी। अगली सुबह राजा नर स हा और पा नारायण नरो म ठाकु र के यहाँ प ँचे। नरो म
ठाकु र ने बड़े नेह से और पूरे स मान और सौहाद के साथ उनका वागत कया और उ ह बैठने क जगह द । उ ह ने कहा म ब त भा यशाली
वहार से अ भभूत हो गए और अपने अपराध के लए मा माँगते ए उनके कमल चरण म गर पड़े। अंततः गा दे वी ने जो घोषणा उ ह द थी
नरो म का आशीवाद लेक र ी रामच क वराजा ी वृ दावन धाम चले गये। वहां कु छ महीन के बाद उ ह ने ी राधा और गो वदा क
शा त लीला म वेश कया। यह अ यंत भयानक और असहनीय समाचार ी नवास आचाय को मला और
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अपने य श य से अलगाव को सहन करने म असमथ होने के कारण वह भी इस धरती से चले गए और राधा और गो वदा क शा त लीला म वेश कर गए। यह सब
भयानक समाचार सुनकर ील नरो म वरह के सागर म गर पड़े और डू बने लगे। नरो म ने भ को क तन करने का आदे श दया और नद के कनारे गये और आँख म आँसू
भरकर गंगा के दशन कये। उस समय उ ह ने गंगा के पानी म वेश कया और इस सब के बीच ठाकु र ने भ से कहा मेरे शरीर पर गंगा का पानी डालो। जैसे ही क तन चल
रहा था वे ी नरो म ठाकु र के शरीर पर गंगा जल डालने के लए तैयार ही थे तभी उसी ण ील नरो म दास ठाकु र जो संक तन म प व नाम का जाप करने म लीन थे
गंगा के जल म वलीन हो गए। और सांसा रक से गायब हो गया। उनका लु त दवस का तक माह क कृ ण पंचमी के दन मनाया जाता है। उनके लखे गीत कसी भी स े
भ के दल को छू जाते ह।
गो वदा फरवरी के महीने के अंधेरे चं पखवाड़े के पांचव दन बमला साद द ज ह बाद म ील भ स ांत सर वती ठाकु र के नाम से जाना गया ने उड़ीसा
जग ाथ. वह ील भ वनोद ठाकु र और भगवती दे वी के चौथे पु थे और उनके ज म के समय एक अनुभवी यो तषी ने एक महापु ष एक महान व के सभी ब ीस
शारी रक ल ण बताए थे। इसके अलावा लड़का एक ा ण के धागे क तरह अपनी नाल को गले म लपेटकर पैदा आ था। जब ब ा छह महीने का था तो भगवान जग ाथ
क रथया ा महो सव चल रहा था और गाड़ी तीन दन के लए भ वनोद ठाकु र के घर के सामने क थी। भ वनोद ठाकु र के नदश का पालन करते ए भगवती
दे वी ब े को गाड़ी के सामने ले आ और अ पत क गई माला भगवान के गले से गर गई जससे लड़के को घेर लया गया। इसे उप त सभी लोग ारा वशेष अनु ह
के संके त के प म लया गया। इस समय गाड़ी पर अनाज समारोह मनाया जाता था और इसे जग ाथ साद के साथ कया जाता था।
जब वह एक छोटा लड़का था शायद दो या तीन साल का था भ वनोद ठाकु र बाजार से कु छ पके ए आम लाए थे। बमला साद ने यह कहते ए एक खाने के लए
भ वनोद ठाकु र उठे और गंभीर वर म कहा यह या है घर म नया फल आया है। इसे ग रधारी को अ पत नह कया गया है और आपने इसे पहले ले लया है याद
रख नया फल पहले भगवान को दया जाना है। . भु को पहला भाग दये बना कु छ भी नह लेना है। ब े को ब त प ाताप आ और उसने कहा ओह मेरे मन म कतने
बुरे वचार आए म जीवन भर इ ह दोबारा नह खाऊं गा। लालच से शा सत के लए यह सही सजा है। उ ह ने वादा कया और जीवन भर उसका पालन कया। ील
भ स ांत सर वती के श य उनके द अनु ह एसी भ वेदांत वामी भुपाद इस घटना पर ट पणी करते ह जब भी हमने उ ह आम दया तो उ ह ने कहा नह म
एक अपराधी ं। म आम नह ले सकता। वह सोच रहा था क मने बचपन म दे वता का आम लेक र भगवान को नाराज कया है। तो यह आचाय का ल ण है। वे
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अपने जीवन के कम से सखाएं इतना ढ़ न यी होना चा हए। एक ब े ने आम ले लया इसम कोई बुराई नह है ले कन उसने यह त ा कर ली
है।
जब बमला साद सात साल के थे तो उनके पता को एक नया घर बनाते समय कू म दे वता मले और इस तरह उ ह ने अपने बेटे को उस
उपा ध से स मा नत कया गया। म अठारह वष क आयु म उ ह ने वेश परी ा द और कलक ा के सं कृ त कॉलेज म वेश लया। पहले क
तरह उ ह ने नधा रत पु तक पर ब त कम यान दया ले कन उ ह पु तकालय म मौजूद सभी दाश नक पु तक को पढ़ने का समय मल गया। म
उ ह ने चातुमा य के त का स ती से पालन करना शु कया जसम उनके लए त दन एक बार भोजन पकाना जमीन से भोजन लेना और बना कसी
ब तर या त कये के पृ वी पर लेटना शा मल था। म उ ह ने पता के साथ बनारस याग और गया का दौरा कया और ी रामानुज ाचाय क पं के
पर कई लेख का शत कये।
बाद म उ ह गौर कशोर दास बाबाजी महाराज ने गौड़ीय वै णव सं दाय म द त कया। उ ह ने ा ण के साथ वै णव क बहस म वेश
कया और उ ह आ त कया
लोग ी चैत य महा भु को भगवान के प म वीकार नह करते थे। स ांत सर वती ने ु त वशेष प से अथववेद के चैत योप नषद से माण उ त
कया
सा होवाचा रह या ते वा द य म जा वे तेरे नव पे
करते ह उस संबंध म कई ोक ह।
अ य सा य ेता तर उप नषद के साथ साथ मृ त तं पुराण और वशेष प से ीम ागवतम से उ त कए गए थे। स ांत सर वती ने नव प के
बड़ा अखाड़ा हॉल म एक बड़ी सभा को संबो धत कया जहां कई व ान व ान एक ए थे। उ ह ने बलपूवक और शानदार ढं ग से ी चैत य
महा भु के नाम प गुण आ द क शा तता और म हमा को सा बत कया। उ ह ने संपूण गौड़ीय वै णववाद के अ यास को बढ़ाने के लए गौड़ीय मठ क
महा भु प म म थे इस लए उ ह ने अपने श य को प म म जाकर उपदे श दे ने का अ धकार दया। उनम से उनके द अनु ह ए.सी. भ वेदांत वामी
भुपाद अ य धक सफल थे ज ह ने कृ ण चेतना के संदेश का चार करने के लए एक अंतररा ीय समाज इ कॉन क ापना क ।
भ स ांत सर वती ने चार मुख सं दाय ारा साझा कए गए समझौते के ब पर जोर दे क र व भ वै णव सं दाय पर एक एक कृ त भाव
लेख न को का शत कया और उनके जीवन के वृ ांत भी का शत कए। पूरे भारत और वशेष प से द ण भारत म अपनी या ा के दौरान
कू ल के व भ समथक उनका सामना करने के बजाय सड़क पार कर जाते थे और वह ऐसे व ान से संपक करने और झूठे दशन के साथ
नद ष जनता को धोखा दे ने के लए उ ह दं डत करने के लए जाने जाते थे। उ ह ने अपने अनुया यय को अपने अं तम दो बयान के साथ संबो धत करते
ए ह छोड़ दया यार और टू टना दोन का अंत एक ही होना चा हए। ठाकु र नरो म प रघुनाथ के स ांत पर रहते थे। उस रा ते पर चलना
अ ा है। कृ पया उप त और अनुप त आप सभी के लए मेरा आशीवाद वीकार कर। कृ पया यान रख हमारा एकमा कत और
कां तमती ी रंगम म रहने वाले यमुनाचाय के श य ी शैलपूण क बहन थ । बालक के ज म क खबर पाकर ी यमुनाचाय उससे मलने आये
भाई ल मण.
वरदराज कांचीपुरम म भगवान व णु के दे वता क सेवा के लए जाते समय त दन ल मण के घर के पास से गुज रते थे। कांचीपूण के वै णव वहार
को दे ख कर वह युवा लड़का उनक ओर आक षत हो गया और एक दन अपने माता पता से अनुम त लए बना उ ह दोपहर के भोजन के लए आमं त
कया। ल मण ने वयं कांचीपूण ा को वा द भोजन तैयार कया और खलाया। ल मण क और परी ा लेने के लए कांचीपूण ने उ ह सू चत कया
आ या मक गु होता है। तर पन क तरह अलयोरा शू प रवार म पैदा होने के बावजूद ा ण ारा पूज नीय था।
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माता पता क खुशी के लए ववाह करके ल मण ने गृह आ म म वेश कया। उसके बाद के शवाचाय इस संसार से चले गये। माँ और प नी के साथ
क माना जाता था। बढ़ते समय ने धीरे धीरे ल मण ीपाद रामानुज ाचाय क गौरवशाली त को उजागर कया। कांचीपुरम के राजा क बेट के
शरीर म एक भूत का साया था और यादव काश से अनुरोध कया गया था क वे आएं और इसे र कर य क वह मं जप क कला म वशेष थे। ऐसा
करने का यास करते समय भूत ने यादव काश को डरा दया और सू चत कया क वह राजकु मारी को छोड़ दे गा बशत क वह भगवान के महान भ ल मण
ल मण ने दया करके राजकु मारी और भूत का उ ार कया। इसके बाद परेशान यादवाचाय के मन म अपने ही श य के त े ष हो गया।
एक दन ल मण यादवाचाय के शरीर पर तेल से मा लश कर रहे थे और कु छ छा वेद के पाठ क ा या के लए उनके पास आये। छांदो य
उप नषद म कहा गया है त य यथा क यसं पुनरीकं एवं अ न। यादव काश ने उ र दया क कप यम् श द का अथ बंदर का गुदा है। इस कार ोक
का अथ यह होगा क तेज वी व के ने ब दर क गुदा के समान लाल होते ह। ल मण भगवान के ब त बड़े भ थे और भगवान क न दा सुनकर उनका
अपमान सहन नह कर पाते थे। उनक आंख से आंसू बहने लगे जो अंततः यादव के शरीर पर गरे और यादव ने ल मण से इसका कारण पूछा जसम
ल मण ने उ चत ा या दे ते ए कहा क कप याम का अथ है सूरज ारा खलना । इस कार मं का अथ होगा सूयलोक के भीतर त भगवान
एक अ य अवसर पर ल मण ने तै रीय उप नषद पर यादव क ट पणी को हराकर वाद क ापना क स यम ानम अनंत । इस कार यादव
काश ने क ा म नय मत हार को सहन करने म असमथ ल मण को मारने क योजना बनाई। उ ह ने उ ह याग इलाहाबाद क या ा पर ले जाने क
योजना बनाई जहाँ तीन प व न दयाँ गंगा यमुना सर वती मलती ह। ट म म उनके चचेरे भाई गो वदा भी थे ज ह ने ल मण को यादव क बुरी योजना के
बारे म सू चत कया था। इस लए ल मण रा ते म ही भाग नकले और यादव ने उ ह खोजा ले कन वे उ ह नह पा सके । भागते भागते थककर वह
एक पेड़ के नीचे बैठ गया और दे ख ा क एक शकारी जोड़ा उसक ओर आ रहा है। शकारी द त के साथ वह आगे बढ़ा। शकारी क प नी ने कु छ पानी क
मांग क और ल मण कु एं म गए और अपनी हथे लय म पानी लेक र आए और चौथी बार जब वह बाहर आए तो उ ह ने दे ख ा क जंगल गायब हो गया था और
यह उनका गृहनगर कांचीपुरम था। बाद म कांचीपूण ने बताया क वह जोड़ा ल मी नारायण था जो उसे बचाने के लए कट आ था
ले कन उसे पढ़ते ए दे ख कर उ ह ने उसे परेशान नह कया और ीरंगम वापस चले गये। बाद म ल मण को अपने आ या मक गु यमुनाचाय
के गायब होने क खबर मली। ीरंगम क ओर भागते ए उ ह ने दे ख ा क यमुनाचाय के हाथ क तीन उं ग लयाँ बंद थ इससे उ ह एहसास आ क उनक
तीन इ ाएँ ह। तब ल मण ने सावज नक प से त ाएँ क जससे एक एक करके यमुनाचाय क उं ग लयाँ खुल ग जससे पता चला
क ये उनक इ ाएँ थ ।
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इसके बाद उ ह ीपाद रामानुज ाचाय के नाम से जाना जाने लगा ज ह ने बड़े पैमाने पर चार कया और मं दर पूज ा के मानक ा पत कए
और लोग को बु करने के लए धम ंथ पर ट प णयाँ लख । महापूण ने रामानुज को भगवान के एक महान भ गो श तपूण से
आ या मक वषय और मं के बारे म सुनने का आ ह कया। हालाँ क रामानुज ने अपने ढ़ संक प का परी ण करने के लए गो ीपूण से
संपक कया ले कन रामानुज ने बार यास करने के बावजूद श ण वीकार करने से इनकार कर दया। फर उ ीसव बार उ ह ने उसे म
के साथ उनके गोपनीय अथ दान कये और यह बात कसी को भी बताने से मना कया। पूण स य से वं चत जीव पर दया करके रामानुज ने
गो ीपूण के आदे श के बावजूद सभी को मं दए। पूछने पर रामानुज ने उ र दया क य द यह मं हजार पु ष और म हला को
भगवान के पास वापस जाने म मदद करता है तो वह अनंत काल तक नरक म जाने के लए तैयार ह। क णा को समझते ए गो ीपूण ने बाद म
रामानुज को आशीवाद दया और अपने पु सौ य नारायण को रामानुज से द ा लेने का आदे श दया। समय आने पर उनके पहले श क
यादव काश ने रामानुज को अपना आ या मक गु वीकार कया और वै णववाद का म हमामंडन करते ए गीत क रचना क ।
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कु छ वाथ लोग रामानुज क म हमा को बदा त नह कर सके और पुज ा रय के मा यम से उ ह जहर दे ने क को शश क ले कन दो यास वफल हो गए।
एक बार धान पुज ारी क प नी ने उ ह संके त दया और सरी बार चरणामृत दया ले कन उ ह कु छ नह आ।
रामानुज व श ा ै त दशन के वतक थे। उनक ट प णय से स होकर भगवान नृ सहदे व ने उ ह भा यकार क उपा ध दान क । उनके श य के समपण क
असी मत लीलाएँ ह ज ह ने बना कसी तरोध के भगवान और अपने आ या मक गु क म हमा का चार कया। इस कार ी वै णववाद सभी दशा
और े म वक सत और व ता रत आ
अब भी मजबूत.
ीपाद माधवाचाय
जब भगवान परशुराम अपनी लीलाएँ करने के लए कट ए तो उ ह ने वमान ग र पवत को तोड़ दया और चार कुं ड बनाए। धनुषतीथ उनम से एक
है जसे बाद म पजाक े के नाम से जाना गया। उनके ान पर म यगेह प रवार का नारायण भ नामक एक गरीब ा ण रहता था। वह अपनी प नी वेदवती या
वेद व ा के साथ रहते थे और भगवान व णु क पूज ा करते थे। इस जोड़े को दो बेटे ए ले कन दोन क असाम यक मृ यु हो गई। बाद म उ ह ने अमर पु क
भारतवष के वातावरण से ढके ए बौ धम के कोहरे को हटाने और ब आ मा म कृ ण चेतना का संचार करने के लए वायु दे वता ने भगवान व णु क इ ा
नारायण भ के इस पु का नाम वासुदेव रखा गया। थोड़े ही समय म वासुदेव ने अपनी ाथ मक श ा पूरी क और आठ वष क आयु म प व धागा ा त कया।
बाद म पास के गाँव म एक ा ण से वेद सीखने गये। ऐसा करते समय वह खेलने म त था और पढ़ाई म ब कु ल भी यान नह दे रहा था। श क ारा दं डत कए
जाने पर वासुदेव ने बना के वेद के मह वपूण वषय का पाठ कया दोन जो श क ने पढ़ाया था और जो नह पढ़ाया गया था।
कुं आ।
एक दन वासुदेव ने एक छड़ी उठाई और अपने पता के पास प ंचे। उ ह ने अपने समय म च लत न वशेषवाद के दशन को परा जत करने क इ ा क।
नारायण भ ने उ र दया क य द एक ब ा मायावाद को हरा सकता है तो छड़ी भी एक वशाल पेड़ म बदल सकती है। उ ह ने यह बात परो प से यह संके त दे ने
के लए कही क ऐसा करना असंभव है। ब े ने कहा क यह भगवान क दया से संभव हो सका और उसने तुरंत छड़ी जमीन पर रख द जो एक वशाल पेड़ म बदल
गई। आज भी यह बरगद का पेड़ पजाक े म ीपाद माधवाचाय क म हमा क याद दलाता आ दखाई दे ता है।
वासुदेव ने बारह वष क आयु म ी अ युता े ा से सं यास ले लया। ऐसी कहानी है क कै से दय से क र वै णव होने के बावजूद अप रहाय कारण से अ युता े ा
को मायावा दय का वेश धारण करना पड़ा। वासुदेव को सं यास नाम आनंद तीथ या त पय माधव मला। मधु श द का अथ है खुशी और व का अथ
है ान इस कार मा व
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का अथ है आनंदमय ान । इसके बाद वे माधवाचाय के नाम से स ए। ीपाद माधवाचाय ने सभी जगह मण कया और शा
के तक से मायावा दय को परा त कया और भ को सव या और ल य के पम ा पत कया।
इसके बाद ीपाद माधवाचाय कु छ श य के साथ ब का म गये। एक दन वचन सुनते समय उ ह ने दे ख ा क एक तेज पुंज आकाश से आ
रहा है और ीपाद माधवाचाय के मुख म वेश कर रहा है। संयम ा त करने के बाद माधवाचाय ने खुद को ासदे व वेद के संक लनकता और
भगवान के सव व के सा ह यक अवतार के प म पाया। माधवाचाय को वेद वेदांत सू महाभारत और ीम ागवत के अ धकृ त
न कष के संबंध म नदश ा त ए। उ ह ने नारा नारायण ऋ ष से भी मुलाकात क और उ ह णाम कया। इसके बाद उ ह ने वेदांत सू पर भा य
दया जसका संक लन उनके श य स य तीथ ने कया। माधव ने अपनी ट का म सभी फज दशन को परा त कया और वै णव धम क
ापना क । इसके बाद ब का म से लौटते समय उ ह भगवान कृ ण का व ह ा त आ जसे उ ह ने उडु पी म ा पत कया।
ीपाद माधवाचाय ने सभी सा ह य को तांबे क प य पर अं कत कया था और उ ह उडु पी से लगभग मील र कट तला े म रखा था।
यहां तांबे से बनी कृ ण क मू त ा पत है और इसक पूज ा के वल स या सय ारा क जाती है। कृ ण के दे वता म खन का बतन पकड़े
ए ह।
आज भी एक काला साँप उस वेद पर रहता है जो आचाय माधव क ब मू य रचना क र ा करता है। माधवाचाय ने नडर होकर उपदे श
दया यहां तक क मोह मद शासक भी उनके भाषण से भा वत ए। ऐसे ही एक राजा ने उ ह आधा रा य दे ने क पेशकश क ले कन माधवाचाय
ने इनकार कर दया। कई ान पर माधवाचाय ने अपने श य को बाघ और लुटेर के हमले से बचाया।
माधवाचाय क म हमा चार ओर फै ल गई और इससे ृंगेरी मठ के शंक राचाय च तत हो गए। बहस के लए उ ह ने सा ह य चुराने क
सा जश रची ले कन कु ला के राजा जय सह क मदद से उ ह ने अपनी ल पयाँ पुनः ा त कर ल । माधवाचाय को पूण के नाम से भी
जाना जाता था। एक बार लोग क ताकत रखने वाले एक ने घमंड कया और माधव को चुनौती द ।
आचाय ने उसके पैर का अंगूठा दबाया और वह पैर का अंगूठा भी नह उठा सका। एक बार ालु नद के वाह को रोकने के लए
सामू हक प से एक वशाल लैब ले जा रहे थे य क बाढ़ के कारण भू म का एक बड़ा ह सा कट रहा था। ले कन कु छ दे र बाद वे लोग
थक गए और लैब को और आगे नह ले जा सके । ीपाद माधवाचाय ने सहजता से एक हाथ से प र क प टया उठाई और उसे वहां रख दया
जहां लोग ने इशारा कया था।
एक बार ऐतरेय उप नषद पर वचन दे ते समय के नेतृ व म सभी दे वता आकाश म कट ए और भगवान अनंते र के सामने आये।
दे वता ने उनसे स होकर आचाय क म हमा के लए द पु प क वषा क । ीपाद माधवाचाय अनंते र मं दर म ऐतरेय उप नषद पर
अपनी ा या समझाते ए गायब हो गए। इस नया म ै त स ांत के चार के लए आचाय ने लगभग क सं या म कई सा ह य
संक लत कए कई मठ क ापना क और दे वता पूज ा क शु आत क ।
भारत के प व ान और यौहार
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भारत क प व भू म पूज नीय ान से प रपूण है। कु छ का उ लेख कर तो ह र ार बनारस इलाहाबाद रामे रम ना सक मायापुर वृ दावन
गया च कोट सहाचलम ारका। इन सभी ान को धाम कहा जाता है जहां भगवान और उनके सहयो गय ने ब आ मा को
आक षत करने के लए लीलाएं क ह। इन ान पर जाने मा क म हमा यह है क अपनी भ शु कर दे ता है भले ही यह अनजाने म
ही य न कया गया हो। को भगवान और उनके भ के बारे म सुनने का अवसर मलता है जससे उसक चेतना शु होती है। इन
ान पर जाने के बाद से यह अपे ा क जाती है क वह शा ीय आदे श को सुनेगा और भ भाव को बढ़ाएगा जो जीवन का अं तम ल य
है। हर साल कुं भ मेले म लाख अ या मवा दय का जमावड़ा होता है जो उस शुभ अवसर पर नान करने के लए उ सुक होते ह जब वग से अमृत
याग के संगम म गरने क उ मीद होती है। वहां असी मत संत एक होते ह और धम ंथ से स य साझा करते ह और उन लोग को बु करते ह
जो अंधेरे म रहने के आद ह।
भारत भी योहार से भरी भू म है जसम हर कोई स ी आ या मक खुशी मनाने के लए एक साथ आता है। उ सव का माहौल आ या मक माहौल
जैसा होता है य क यह आ या मक नया क एकमा ग त व ध है। लोग आ या मक जीवन को शु क और क ठन समझते ह इसके वपरीत यह
आनंदमय और आ या मक मह व से भरपूर है। होली राधा और कृ ण के बीच क लीला को याद करने के लए मनाई जाती है जो मशः कृ ण
और राधारानी के गांव नंदगांव और बरसाना के बीच ई थ । इसके अलावा एक दन पहले भगवान नृ सहदे व के महान भ ाद को
उसके रा सी पता हर यक यप ारा जलाने के लए आग म डाले जाने पर भी उसक र ा क गई थी। इन दोन अवसर पर भगवान को रंग
अ पत कए जाते ह और फर भ क जीत का ज मनाते ए एक सरे के बीच बांटे जाते ह।
पुराण. इस माह म भगवान कृ ण के दामोदर प क पूज ा करने से वशेष कृ पा ा त होती है जस प म माता यशोदा कृ ण को ेम क
र सय से बांधती ह। मकर सं ां त भारत के व भ ह स म अलग अलग नाम से मनाई जाती है ले कन हर जगह भ सूय के उ री गोलाध
म वेश करने के अवसर को च त करने के लए मठाइय का आदान दान करते ह जसे उ रायण कहा जाता है। नए अनाज को
सव भगवान को चढ़ाया जाता है और उससे बनी वशेष मठाइयाँ वत रत क जाती ह जैसे प गल तलगुल आ द। अ य तृतीया
वह दन है जब गणेश ने शा लखना शु कया था जब क वेद ास उपदे श दे रहे थे। यह भगवान परशुराम का ाक दवस है और जस
दन भारत क सबसे प व नद गंगा वग से पृ वी पर अवत रत ई थी। और भी कई मह व के साथ इस दन को कसी भी काय क शु आत
के लए शुभ माना जाता है। वै दक परंपरा के अनुयायी इस दन व भ प रयोजनाएं शु करते ह।
सबसे अ ा ोजे ट भगवान कृ ण के प व नाम हरे कृ ण हरे कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे का जप करके अपना
आ या मक जीवन शु करना है।
खरगोश।
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सभी योहार प व ान आ द भगवान के साथ हमारे खोए ए र ते को पुनज वत करने और भगवान के पास हमारे शा त घर म वापस
लौटने के लए ह। भारत क यह भू म जसक सं कृ त म वै दक थाएं अंत न हत ह भगवान के सेवक के प म कसी क स ी संवैधा नक
त क याद दलाती है। मनु य को अ या म व ा सीखकर अ धक से अ धक लाभ उठाना चा हए। चैत य च रतामृत आ द लीला . म कहा
गया है
जसने भारत भू म भारत वष म मनु य के प म ज म लया है उसे अपना जीवन सफल बनाना चा हए और अ य सभी लोग के लाभ के
लए काम करना चा हए।
प व भू म म स ते म रहने का मौका लेने के बजाय कोई पूण स य के बारे म पूछताछ कर सकता है और जीवन को प रपूण बना सकता है। इस
कार यह नया भर के येक का कत है क वह वै दक सं कृ त को बढ़ाए जो जी वत इकाई को सही गंत तक ले जाती है।