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64 Limbs of Bhakti
64 Limbs of Bhakti
हरे कृ ण हरे कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे | हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ॥
हरे कृ ण हरे कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे | हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ॥
हरे कृ ण हरे कृ ण कृ ण कृ ण हरे हरे | हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ॥
भि त सेवा क च सठ अंग म हमारे शर र, मन
और वाणी क सभी काया शा मल होनी चा हए
हमार सभी इं य को भगवान क सेवा म नयोिजत कया जाना
चा हए। वा तव म उ ह कस कार से नयोिजत कया जा
सकता है, इसका वणन भि त के 64 अंग म कया गया है ।
साध-ु व मानुवतनम ्
• आ याि मक गु के नदशन म महान आचाय के न शेकदम पर चलना
• आचाय वारा अनुमो दत शा के नयम और व नयम का पालन करना
स -धम- छ
• आ याि मक गु से पूछना क कृ ण भावनामत
ृ म कैसे आगे बढ़ा जाए
• आ याि मक गु के पास वन तापूवक और आ ाका रतापूवक जाकर स य जानने का यास कर
Cc. Madhya 13.80 :शु ध भ त क सहायता के
बना कसी को भि त और वैरा य का ान ीम भागवतम ् (2.7.46) पारं प रक भ त क सेवा
नह ं हो सकता भि त क पहल शत है
गु -पादा यस ् य?
Source :https://prabhupada.io/compile/smd/1
ह र-भि त- वलास (2.6) :जब तक कसी को कसी
भि त-संदभ (283) :द ा वह या है िजसके
ामा णक आ याि मक गु से द ा नह ं मलती,
वारा कोई यि त अपने द य ान को जागत
ृ
उसक सभी भि त ग त व धयाँ बेकार ह। िजस
कर सकता है और पापपण
ू ग त व ध के कारण
यि त क द ा ठ क से नह ं हुई वह पन
ु ः पशु
होने वाल सभी त याओं को दरू कर सकता है ।
यो न म जा सकता है ।
द ा य?
Source : https://vedabase.io/en/library/cc/madhya/15/108/