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Must Know Verses (Unit-4) हिंदी
Must Know Verses (Unit-4) हिंदी
ईकाई -४ ( ी भि तरसामत
ृ स धु - अ याय १ से १९)
ी भि तरसामत
ृ स धु १.१.११ ी भि तरसामत
ृ स धु १.१.१२
ी भि तरसामत
ृ स धु १.२.२३३ ी भि तरसामत
ृ स धु १.२.२३४
भगवान के पिव नाम तथा सा ात् भगवान म कोई चूँ क कृ ण के नाम, प, गुण, लीला आ द सभी परम
अंतर नह है | फलतः पूणता, शु ता तथा िन यता म द है, अत: भौितक इि याँ उनक सराहना व अनुभव
नाम, भगवान के ही समान पूण है | पिव नाम न तो नह कर सकती है | जब एक ब जीव कृ ण भावनामृत
भौितक विन है न ही इसम कोई भौितक क मष है | म जागृत होता है और अपनी िज वा से भगवान के
पिव नाम के जप और भगवान के साद को हण
करने के ारा सेवा अ पत करता है, तो उसक िज वा
शु हो जाती है और ि धीरे -धीरे यह पहचान पाता
है क कृ ण वा तव म कौन है |
ी भि तरसामत
ृ स धु १.२.२५५ ी भि तरसामत
ृ स धु १.२.२५६