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भारत के महान शहीदों से संबंधित जानकारी और तथ्‍य


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ऐसे क्रांतिकारों के कारनामों से भरा है जिन्होंने अपनी चिंगारी से युगों को रौशन किया है. यहां आप कु छ ऐसे ही कु छ शहीद
क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ेगे. जिन्होंने क्रांति और जनचेतना को जगाकर देश को एक नई दिशा दी थी.
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aajtak.in
नई दिल्‍ली, 01 सितंबर 2014, (अपडेटेड 04 सितंबर 2014, 3:07 PM IST)

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ऐसे क्रांतिकारों के कारनामों से भरा है जिन्होंने अपनी चिंगारी से युगों को रौशन किया है. यहां आप कु छ ऐसे ही कु छ
शहीद क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ेगे, जिन्होंने क्रांति और जनचेतना को जगाकर देश को एक नई दिशा दी थी. भारत के महान शहीदों से संबंधित
जानकारी इस प्रकार है:

नाम संबंधित घटनाएं सजा


खुदीराम बोस 1908 में सेशन जज किंग्‍जफोर्ड की गाड़ी पर बम फे कने के कारण बेणी 11 अगस्‍त, 1908 को फांसी दे दी गई
रेलवे स्‍टेशन पर गिरफ्तार हुए.
अशफाकउल्‍ला खां 19 अगस्‍त, 1925 को काकोरी डाकगाड़ी डकै ती के स के अभियोग में 18 दिसंबर 1927 ई. को फांसी दे दी गई
बंदी बनाया गया.
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ऊधम सिंह 13 मार्च 1940 ई. को सर माइकल-ओ-डायर को कै क्‍सटन हॉल लंदन में 12 जून 1940 को फांसी दी गई.
गोली मारने के कारण गिरफ्तार हुए.
भगत सिंह सान्‍डर्स की हत्‍या तथा 8 अप्रैल, 1929 को कें द्रीय विधानसभा में बम सान्‍डर्स की हत्‍या के के स में मौत की सजा हुई तथा 23 मा
फे कने के सिलसिले में गिरफ्तारी. फांसी पर चढ़कर शहीद हुए.
सुखदेव सान्‍डर्स की हत्‍या के के स में मौत की सजा हुई. 15 अप्रैल 1929 को 23 मार्च 1931 को भगत सिंह के साथ फांसी दी गई
गिरफ्तारADVERTISEMENT
हुए.
बटुके श्‍वर दत्त भगत सिंह के साथ्‍ज्ञ कें द्रीय असेम्‍बली में बम फें कने के आरोप में गिरफ्तार हुए. इन्‍हें आजीवन कारावास का दंड मिला.
चंद्रशेखर आजाद काकोरी डाकगाड़ी डकै ती के स के मुख्‍य अभियुक्‍त तथा अंग्रेजी सरकार ने इन्‍हें 23 फरवरी 1931 को एल्‍फ्रे ड पार्क (इलाहाबाद) में श
जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए तीस हजार रुपये पुरस्‍कार की घोषणा की.
मास्‍टर अमीचंद दिल्‍ली षड्यंत्र के प्रमुख क्रान्तिकारी अमीचंद फरवरी, 1914 में वायसराय 8 मई, 1915 को चार साथियों के साथ इन्‍हें फांसी दी
लॉर्ड हार्डिंग की हत्‍या करने के आरोप में बंदी बनाए गए. ADVERTISEMENT

अवध बिहारी दिल्‍ली षड्यंत्र के स और लाहौर बम कांड के आरोप में फरवरी, 1914 में 8 मई, 1915 को चार साथियों के साथ इन्‍हें फांसी दे
इन्‍हें बंदी बनाया गया.
मदन लाल धींगरा 1 जुलाई, 1909 में कर्नल विलियम कर्जन वाइली की हत्‍या करने के 16 अगस्‍त, 1909 ई. को इन्‍हें फांसी दे दी गई.
कारण गिरफ्तार हुए.
दामोदर चापेकर 22 जून, 1897 ई. को प्‍लेग कमिश्‍नर रैंड और लेफ्टिनेंट एयर्स्‍ट हत्‍या 18 अप्रैल, 1898 ई. को फांसी के तख्‍ते पर चढ़कर
सिलसिले में अपने भाइयों के साथ गिरफ्तार हुए. भाई बालकृ ष्‍ण चापेकर को 12 मई, 1899 तथा वासु
मई, 1899 को फांसी पर लटका दिया गया.
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राजगुरु 17 दिसंबर, 1928 को सौन्‍डर्स की हत्‍या में भाग लेने के कारण 30 23 मार्च, 1931 को कें द्रीय जेल लाहौर में भगत सिं
दिसंबर 1929 को पूना में एक मोटर गैराज में गिरफ्तार हुए. साथ फांसदी दे दी गई.
वासुदेव बलवंत फड़के एक सशस्‍त्र सेना बनाकर ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के कारण 21 कालापानी की सजा के सिलसिले में अदन में आमरण अन
जुलाई, 1879 को गिरफ्तार हुए. फरवरी,1883 को प्राण त्‍याग दिए.
करतार सिंह सराबा गदर पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता तथा लाहौर सैनिक षड्यंत्र के नेता की हैसियत 16 नवंबर, 1915 को फांसी के तख्‍ते पर झूलते हुए
ADVERTISEMENT से गिरफ्तार किए गए.

राजेंद्र लाहिड़ी दक्षिणेश्‍वर बम कांड तथा काकोरी डाक गाड़ी डकै ती कांड के सिलसिले में 17 दिसंबर, 1927 को गोंडा की जेल में इन्‍हें फांसी
गिरफ्तार हुए.
अनंत कान्‍हरे नासिक के जैक्‍सन हत्‍याकांड के प्रमुख अभियुक्‍त होने के कारण बंदी बनाए 19 अप्रैल 1910 को फांसी दे दी गई.
गए.
सुभाषचंद्र बोस 21 अक्‍टूबर, 1943 को सिंगापुर में आजाद भारत की अस्‍थाई सरकार 18 अगस्‍त 1945 को वायुसेना दुर्घटना में इनकी मौत
की स्‍थापना की घोषणा की तथा जापानी सेना की सहायता से अंडमान एवं हादसे को अभी तके प्रमाणिक नहीं माना गया है.
द्वीप समूह पर अधिकार करते हुए,
निकोबारADVERTISEMENT 1944 में भारतीय सीमा के
इम्‍फाल क्षेत्र में प्रवेश किया.
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विष्‍णु गणेश पिंगल 23 मार्च 1915 को विस्‍फोटक बमों के साथ गिरफ्तार कर लिए गए. 17 नवंबर 1915 को इन्‍हें फांसी दे दी गई.
ब्रजकिशोर चक्रवर्ती मिदनापुर के जिला मजिस्‍ट्रेट बर्ज पर गोली चलाने के आरोप में 2 सितंबर 26 अक्‍टूबर 1934 को फांसी दी गई.
1933 को गिरफ्तार कर लिए गए
कु साल कोंवर 9 अक्‍टूबर 1942 को ब्रिटिश सैनिक गाड़ी को पटरी से उतारने के संदेह में 16 जून 1943 को इन्‍हें फांसी दे दी गई.
गिरफ्तार हुए.
असित भट्टाचार्य 13 मार्च, 1933 को हबीबगंज में हुई डाक डकै ती तथा हत्‍या के अन्‍य 2 जुलाई 1934 को सिलहट जेल में इन्‍हें फांसी दे दी ग
मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए.
जगन्‍नाथ शिंदे शोलापुर थाने पर हुए हमले का अभियोग लगाकर इन्‍हें बंदी बनाया गया. 12 जनवरी 1931 में इन्‍हें फांसी दे दी गई.
हरकिशन 23 दिसंबर 1930 को पंजाब के गवर्नर पर गोली चलानेके आरोप में 9 जून 1931 को इन्‍हें फांसी दे दी गई.
गिरफ्तार हुए.
सूर्यसेन 18 अप्रैल 1930 में चटगांव स्थित ब्रिटिश शस्‍त्रागार पर आक्रमण में भाग 11 जनवरी 1934 को इन्‍हें फांसी पर लटका दिया ग
लेने के कारण गिरफ्तार हुए.

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लाला लाजपत राय 17 नवंबर 1928 के साइमन कमीशन का विराध करने पर पुलिस की लाठी प्रहार के एक महीने बाद उनका देहांत हो गया.
लाठियों का शिकार हुए
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