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॥अथ सप्तशशश्‍लोककी दुररर ॥

॥शशिव उवरच ॥
स सवरकरररशवधरशरनकी ।
ददशव तत्वं भक्तसशभद
स बबशहि रत्नततः॥
कशलौ शहि करररशसद्ध्यथ रमपररत्वं

॥ददववरच ॥
शश्रृण स ददव प्रवकरशम कशलौ सवरष्टसरधनम।म
स प्रकरशरतद ॥
द रप्यमरसशततः
मरर तववैव सदहिन
ओ त्वं अस्य शकीदुरररसप्तशशश्‍लोककीसश्‍लोत्रमन्त्रस्य नररररण ऋशषतः,

अनष्टस पस छनतः, शकीमहिरकरशकीमहिरशककीमहिरसरस्वतश्‍लो ददवतरतः,
शकीदुरररप्रकीतथर सप्तशश्‍लोककीदुरररपरठद शवशनरश्‍लोरतः।

ओ त्वं जरशननरमशप चदतरत्वंशस ददवकी भरवतकी शहि सर।


बशरदरकश्रृ ष्य मश्‍लोहिरर महिरमररर प्ररच्छशत ॥१॥

दुरर सश्रृतर हिरशस भकीशतमशिदषजनश्‍लोतः


स्वसवैतः सश्रृतर मशतमतकीव शिभस रत्वं ददरशस।
मद
दरशरदरदुतःखभरहिरशरशण कर तदनर
सवर्वोपकररकरणरर सदरररशचतर ॥२॥

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सवरमङ्गशमरङ्गलद शशिवद सवररथ रसरशधकद ।
शिरणरद त्र्यमकद रलौशर नररररशण नमश्‍लोऽस स तद ॥३ ॥

शिरणररतदकीनरतरपशरत्ररणपरररणद ।
सवरस्यरशतरहिरद ददशव नररररशण नमश्‍लोऽस स तद ॥४॥

सवरस्वरूपद सवरशि द सवरशिशक्तसमशन्वितद।


भरदभ्यसरशहि नश्‍लो ददशव दुरर ददशव नमश्‍लोऽस स तद ॥५॥

रश्‍लोररनशिदषरनपहित्वंशस तष्टस र

रुष्टर त स करमरन सकशरनभकीष्टरन ।म
तरमरशशतरनरत्वं न शवपन्नररणरत्वं
तरमरशशतर हरशरतरत्वं प्रररशन ॥६॥

सवररबरधरप्रशिमनत्वं त्रवैशश्‍लोक्यस्य अशखशदश्वशर ।



एवमदव तरर करररमसदवैशरशवनरशिनम ॥७॥

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