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॥शशिव उवरच ॥
स सवरकरररशवधरशरनकी ।
ददशव तत्वं भक्तसशभद
स बबशहि रत्नततः॥
कशलौ शहि करररशसद्ध्यथ रमपररत्वं
स
॥ददववरच ॥
शश्रृण स ददव प्रवकरशम कशलौ सवरष्टसरधनम।म
स प्रकरशरतद ॥
द रप्यमरसशततः
मरर तववैव सदहिन
ओ त्वं अस्य शकीदुरररसप्तशशश्लोककीसश्लोत्रमन्त्रस्य नररररण ऋशषतः,
म
अनष्टस पस छनतः, शकीमहिरकरशकीमहिरशककीमहिरसरस्वतश्लो ददवतरतः,
शकीदुरररप्रकीतथर सप्तशश्लोककीदुरररपरठद शवशनरश्लोरतः।
शिरणररतदकीनरतरपशरत्ररणपरररणद ।
सवरस्यरशतरहिरद ददशव नररररशण नमश्लोऽस स तद ॥४॥
रश्लोररनशिदषरनपहित्वंशस तष्टस र
म
रुष्टर त स करमरन सकशरनभकीष्टरन ।म
तरमरशशतरनरत्वं न शवपन्नररणरत्वं
तरमरशशतर हरशरतरत्वं प्रररशन ॥६॥