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ब-अदालत उपभोग्ता फोरम,

सदर, हजारीबाग

उपभोग्ता संरक्षण अधिनियम, 1986

उपभोग्ता संरक्षण अधिनियम 19/19

किरण सिन्हा .......................................प्रथम पक्ष

बनाम

अजय कु मार सिन्हा ..............................द्वितीय पक्ष

शपथ-पत्र

वादी संख्या- 1

मैं सुबास चन्द्र सिन्हा ,पत्नी- किरण सिन्हा , निवास स्थान- बाबा पथ, लेन न o -1,
थाना- बड़ा बाजार, जिला-हजारीबाग शपथपूर्वक बयान देता हूँ कि:-

1. यह कि मैं द्वितीय पक्ष को जानता हूँ ।


2. यह कि किरण सिन्हा जयप्रभा नगर जनता सहकारी गृह निर्माण समिति
लिमिटेड, हजारीबाग (झारखंड) की स्थायी सदस्य है।
3. यह कि प्रथम पक्ष के नाम से सदस्यता शुल्क, शेयर पैसा, तीन इकाइयों
अर्थात ३६०० वर्गफीट भूमि के आवंटन के लिए जमीन की लागत और
विकास लागत सहित कु ल नौ हजार आठ सौ रुपये जमा किया गया है
जिसकी रशीद की छाया प्रति भी आवेदन में संलग्न किया गया है। समिति
द्वारा किरण सिन्हा को प्लाट संख्या B/35 आवंटित किया गया है, जो की
मात्र ३००० वार्धित भूमि का आवंटन मिला। जबकि मेरे द्वारा तीन यूनिट के
लिए राशि जमा की गयी थी ।
4. यह कि प्रथम पक्ष ने कई बार मौखिक व पत्रों के माध्यम से समिति के
तत्कालीन सचिव को इस घटना का विवरण दिया है | समिति द्वारा इस पर
कोई सुनवाई नहीं की गई और टालमटोल कर दिया जाता है |
5. यह कि सदस्यता शुल्क, शेयर-पैसा, तीन इकाइयों के लिए भूमि की लागत
और विकास लागत का विवरण नौ हजार-आठ सौ रुपये, (अनुलग्नक I, I A, II,
IIa, IIb, III) के रूप में चिह्नित है |
6. यह कि भूमि आवंटन के समय आम-सभा में यह निर्णय संसूचित किया
गया कि भूखण्ड आवंटित करते समय किसी भी आवंटी से विकास लागत के
नाम पर अतिरिक्त धनराशि नहीं ली जायेगी और उसी के अनुरूप आवंटियों
को भूखण्डों की रजिस्ट्री कर दी जायेगी ।
7. यह कि प्रथम पक्ष ने पत्र संख्या शून्य दिनांक 10/02/15, दिनांक 18/04/15,
एवं दिनांक 12/02/17 द्वारा भूमि की श्रेणी के सुधार के संबंध में सचिव को
पत्र के द्वारा तत्कालीन सचिव अजय कु मार सिन्हा से अनुरोध किया गया ।
सचिव द्वारा पत्र का कोई संज्ञान नहीं लिया गया और इस संबंध में कोई
कार्रवाई नहीं की गई, और की गई कार्रवाई के बारे में सूचित नहीं किया
गया।
8. यह कि पत्रों की फोटोकॉपी क्रमशः अनुबंध बी, सी और डी के रूप में संलग्न
की गई है और पुनः संलग्न की जा रही है।
9. यह कि मेरी पत्नी द्वारा सचिव से भूमि की श्रेणी के सुधार के संबंध में
अभ्यावेदन किया गया, परंतु सचिव द्वारा इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं
की गयी तथा सदस्य को कभी भी किसी कार्रवाई के बारे में और अभ्यावेदन
पर न तो कोई कार्रवाई की गई और न ही सूचित नहीं किया गया।
10. यह की मेरी पत्नी गंभीर बीमारी कैं सर से पीड़ित है, और दुर्घटना के कारण
समिति की बैठक तथा अन्य कार्यकलाप में भाग लेने में असमर्थ है, जिसकी
जानकारी मौखिक और लिखित समिति के सचिव को दिया हूँ |
11.यह भी अनुरोध किया गया कि है कि मेरी पत्नी के नाम की सदस्यता को
सुबास चन्द्र सिन्हा के नाम से स्थानान्तरित करने की कृ पा की जाय और
विहित प्रपत्र में आवेदन भी दिया गया | लेकिन तत्कालीन सचिव ने
मानवता को शर्मसार करते हुए पत्नी को कार्यालय में उपस्थित होने का
निर्देश दिया गया और अतिरिक्त राशी एक लाख रूपये की मांग की गई,
जिसके लिए वे बिलकु ल ही अधिकृ त नहीं हैं |

सत्यापन

मैं सुबास चन्द्र सिन्हा कहता हूँ कि उपर्युक्त लिखित बातें मेरे विश्वास में सत्य व
सही है, जिसे मैं पढ़कर व सही पाकर आज दिनांक .................................... को
हजारीबाग में अपना हस्ताक्षर कर रहा हूँ ।

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