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पूर्ति की धारणा (Concept of Supply)

ककसी वस्तु की पूर्ति से अर्िप्राय वस्तु की उन मात्राओं से है जिन्हें एक ववक्रेता


ववर्िन्न संिव कीमतों पर र्नजित समय में बेचने के र्िए तैयार होता है ।

पररिाषा

थॉमस के अनुसार, “वस्तु की पूर्ति वह मात्रा है िो एक बािार में ककसी र्नजित समय पर
ववर्िन्न कीमतों पर वबकने के र्िए प्रस्तुत की िाती है ”

ककसी वस्तु की पूर्ति तथा पूर्ति की मात्रा में अंतर

जिस तरह से मांग तथा मांगी गई मात्रा में अंतर होता है उसी प्रकार पूर्ति तथा पूर्ति
की मात्रा में िी अंतर होता है ।

पूर्ति की मात्रा (Quantity of Supply)

पूर्ति की मात्रा से अर्िप्राय ककसी वस्तु के उस ववशेष मात्रा से हैं िो एक र्नजित


समय में एक र्नजित कीमत पर वबक्री के र्िए प्रस्तुत की िाती है ।

एनातोि मुराद के अनुसार, “ककसी वस्तु की पूर्ति की मात्रा से अर्िप्राय ककसी वस्तु की उस
मात्रा से है जिसे उस व स्तु का ववक्रेता एक र्नजित कीमत पर एक र्नजित बािार में र्नजित
समय पर बेचने के र्िए तै यार है ।”

पूर्ति (Supply)

इसके ववपरीत पूर्ति से अर्िप्राय ककसी वस्तु की उन ववर्िन्न मात्राओं से हैं िो एक


र्नजित समय में ववर्िन्न कीमतों पर वबक्री के र्िए प्रस्तुत की िाती है

पाककिंग के अनुसार, “पूर्ति की धारणा से अर्िप्राय ककसी वस्तु की कीमत तथा आपूर्ति की िाने
वािी मात्रा में पाए िाने वािे कुि संबंध से है ।”

व्यविगत पूर्ति तथा बािार पूर्ति (Individual Supply and


Market Supply)
व्यविगत पूर्ति से अर्िप्राय ककसी वस्तु की एक ववक्रेता द्वारा बािार में की गई पूर्ति।
इसके ववपरीत बािार पूर्ति से अर्िप्राय है ककसी वस्तु के बािार में सिी ववक्रेताओं
द्वारा की गई पूर्ति िो उस वस्तु का उत्पादन या वबक्री करते हैं ।

उदाहरण के र्िए मान िीजिए बािार में ककसी वस्तु के केवि 2 ववक्रेता फमि A और
फमि B है । ककसी र्नजित कीमत पर फमि A एक वस्तु की 100 इकाइयों की पूर्ति करती है
तथा फमि B 200 इकाइयों की पूर्ति करती है तो बािार पूर्ति या उद्योग पूर्ति 300 इकाइयां
होंगी।

व्यविगत पूर्ति अनुसूची (Individual Supply Schedule)

व्यविगत पूर्ति अनुसूची/तार्िका से अर्िप्राय बािार में ककसी एक फमि या एक


ववक्रेता की पूर्ति अनुसूची से है । व्यविगत पूर्ति अनुसूची एक फमि द्वारा ववर्िन्न
कीमतों पर की िाने वािी ववर्िन्न पूर्ति को प्रकट करती है ।

इसे र्नम्न तार्िका द्वारा स्पष्ट ककया िा सकता है -

आइसक्रीम की कीमत मात्रा


5 0
10 10
15 20
20 30

तार्िका से स्पष्ट है कक िैसे-िैसे वस्तु की कीमत बढ़ रही है उसकी पूर्ति िी बढ़ रही
है । िब आइसक्रीम की कीमत ₹5 प्रर्त इकाई होती है तो उत्पादक आइसक्रीम की कोई
िी मात्रा बेचने के र्िए तैयार नहीं होता। कीमत के बढ़कर ₹10 प्रर्त आइसक्रीम होने
पर पूर्ति 10 इकाइयां हो िाती है । इसी प्रकार कीमत के बढ़ते िाने पर पूर्ति िी बढ़ती
िाती है । अतएव व्यविगत पूर्ति अनुसूची वह अनुसूची है िो अन्य बातें समान रहने पर, एक
फमि द्वारा ककसी वस्तु की कीमत तथा बेची िाने वािी मात्रा के संबंध को प्रकट करती है ।

बािार पूर्ति अनुसूची (Market Supply Schedule)

बािार पूर्ति अनुसूची से अर्िप्राय बािार में ककसी ववशेष वस्तुओं का उत्पादन की
आपूर्ति करने वािी सिी फ़मों की पूर्ति की मात्रा के िोड़ से है । ककसी वस्तु का उत्पादन
करने वािे सिी फ़मों के समूह को उद्योग कहते हैं । अतएव बािार पूर्ति अनुसूची, समस्त
उद्योग की पूर्ति अनुसूची होती है ।

इसे र्नम्न तार्िका से स्पष्ट ककया िा सकता है -

आइसक्रीम की फमि A द्वारा की गई फमि B द्वारा की गई बािार पूर्ति (A+B की


कीमत पूर्ति पूर्ति पूर्ति)
5 0 0 0
10 10 5 10+5=15
15 20 10 20+10=30
20 30 15 30+15=45

तार्िका से स्पष्ट है कक िैसे-िैसे कीमत बढ़ती िाती है , बािार पूर्ति बढ़ती िाती है ।
िब आईसक्रीम की कीमत ₹5 प्रर्त इकाई होती है तब कोई िी फमि आइसक्रीम की
पूर्ति नहीं करती है । कीमत के बढ़कर ₹10 प्रर्त आइसक्रीम हो िाने पर फमि A 10 इकाई
तथा फमि B 5 इकाइयों की पूर्ति करती है । अतः बािार पूर्ति 15 इकाई हो िाती है । इससे
स्पष्ट है कक अन्य बातें समान रहने पर बािार पूर्ति तार्िका ककसी वस्तु की कीमत तथा बेची
िाने वािी मात्रा के संबंध को प्रकट करती है ।

पूर्ति वक्र (Supply Curve)


पूर्ति अनुसूची या तार्िका का रे खीय प्रस्तुतीकरण पूर्ति वक्र कहिाता है । इसके द्वारा
ककसी वस्तु की कीमत तथा पूर्ति की मात्रा में धनात्मक संबंध प्रकट होता है ।

पूर्ति अनुसूची की तरह पूर्ति वक्र िी दो प्रकार का होता है

• 1. व्यविगत पूर्ति वक्र


• 2. बािार पूर्ति वक्र

1- व्यविगत पूर्ति वक्र (Individual Supply Curve)

व्यविगत पूर्ति वक्र, बािार में एक फमि या एक ववक्रेता की पूर्ति अनुसूची का


रे खार्चत्रीय या ग्राकफक प्रस्तुतीकरण है । इस वक्र के नीचे से ऊपर के ढिान से ज्ञात
होता है कक वस्तु की कीमत तथा उसकी पूर्ति में धनात्मक संबंध है । इसे र्नम्न
रे खार्चत्र से स्पष्ट ककया िा सकता है -

रे खार्चत्र में OX अक्ष पर वस्तु की मात्रा तथा OY अक्ष पर कीमत को दशािया गया है । SS
पूर्ति वक्र है तथा इसका ढिान धनात्मक है । इससे ज्ञात होता है कक कीमत के बढ़ने
पर पूर्ति बढ़ती है । रे खार्चत्र से यह िी ज्ञात होता है कक िब कीमत ₹5 या इससे कम
होगी तो कोई िी तो ववक्रेता वस्तु बेचने के र्िए तैयार नहीं होता है । जिस कीमत के
नीचे ववक्रेता वस्तु को बेचने के र्िए तैयार नहीं होता उसे सुरजक्षत कीमत अथवा न्यूनतम पूर्ति
कीमत कहते हैं ।

2- बािार पूर्ति वक्र (Market Supply Curve)

बािार पूर्ति वक्र, बािार पूर्ति अनुसूची का ग्राकफक या रे खार्चत्रीय प्रस्तुतीकरण है । यह


संपूणि उद्योग का पूर्ति वक्र होता है । इसे र्नम्न रे खा र्चत्र से स्पष्ट ककया िा सकता है -

रे खार्चत्र में दो फ़मों A और B के व्यविगत पूर्ति वक्र को प्रकट ककया गया है तथा इन
दोनों का योग बािार पूर्ति वक्र होता है । बािार पूर्ति वक्र बािार में ककसी एक वस्तु
का उत्पादन करने वािे सिी फ़मों के पूर्ति वक्रों का समस्तरीय िोड़ होता है ।

पूर्ति फिन या पूर्ति के र्नधािरक तत्व– (Supply function or


Determinants of Supply)
पूर्ति फिन, ककसी वस्तु की पूर्ति तथा उसके र्नधािरक तत्वों के मध्य गजणतीय संबंध
को प्रकट करता है । इससे प्रकट होता है कक ककसी वस्तु की पूर्ति, मुख्य रूप से फमि
के उद्दे श्य, वस्तु की कीमत, फमों की संख्या, उत्पादन के साधनों की कीमतों, तकनीक की
जस्थर्त तथा संिाववत कीमतों आकद कई तत्वों पर र्नििर करती है । पूर्ति फिन को
र्नम्न समीकरण के रूप में स्पष्ट ककया िा सकता है -

Sx = f (Px, Po, Nf, G, Pf, T, Ex, Gp)

(यहााँ Sx =वस्तु x की पूर्ति, Px= वस्तु x की अपनी कीमत, Po=अन्य वस्तुओं की कीमत, Nf=
फ़मों की संख्या, G= फ़मों का उद्दे श्य, Pf=उत्पादन के साधनों की कीमत, T=तकनीक, E x
=िववष्य में कीमत संिावना, G p =सरकारी नीर्त)
पूर्ति फिन या पूर्ति के र्नधािरक तत्व

• 1. वस्तु की अपनी कीमत-(Own price of the commodity)

ककसी वस्तु की अपनी कीमत और उसकी पूर्ति में प्रत्यक्ष संबंध होता है । सामान्यतः
ककसी वस्तु की अपनी कीमत बढ़ने से उसकी पूर्ति बढ़ती है और कीमत कम होने से
पूर्ति िी कम होती है ।

• 2. अन्य सिी वस्तुओं की कीमतें (Price of all other goods)

ककसी वस्तु की पूर्ति अन्य वस्तुओं की कीमतों पर िी र्नििर करती है । अन्य वस्तुओं
की कीमत में वृवि के फिस्वरूप वे वस्तुएं फ़मों के र्िए िािदायक हो िाएंगी। इस
कारण से फ़में उनकी अर्धक पूर्ति करें गी। इसके ववपरीत अन्य वस्तुओं की कीमत
कम होने से कम िािदायक होने की दशा में फ़में कम पूर्ति करें गी।

• 3. फमों की संख्या (Number of firms)

ककसी वस्तु की बािार पूर्ति फ़मों की संख्या पर िी र्नििर करती है । फ़मों की संख्या
अर्धक होने पर पूर्ति अर्धक और फ़मों की संख्या कम होने पर पूर्ति िी कम होती
है ।

• 4. फ़मि के उद्दे श्य (Goals of the firms)

यकद फमि का उद्दे श्य िाि अर्धकतम करना है तो बािार में उस वस्तु की पूर्ति कम
होती है । इसके ववपरीत यकद फ़मि का उद्दे श्य वबक्री अर्धकतम करना हो तो कम
कीमत पर िी अर्धक पूर्ति की िाएगी।

• 5. उत्पादन के साधनों की कीमत Price of the factors of production)

उत्पादन के साधनों की कीमत बढ़ िाने से उत्पादन िागत बढ़ िाती है । इसके
फिस्वरूप पूर्ति में कमी होती है । इसके ववपरीत उत्पादन के साधनों की कीमत कम
होने पर उत्पादन की िागत कम होने से उस वस्तु की पूर्ति में वृवि होती है ।

• 6. तकनीक में पररवतिन (change in technology)


उत्पादन की तकनीक में पररवतिन होने का िी ककसी वस्तु की पूर्ति पर प्रिाव पड़ता
है । उत्पादन की तकनीक में सुधार होने की दशा में प्रर्त इकाई उत्पादन िागत में
कमी आती है । इसके फिस्वरूप पूर्ति में वृवि होती है ।

• 7. िववष्य में संिाववत कीमत (Expected future price)

िववष्य में वस्तु की कीमतों में होने वािे पररवतिन की संिावना का वतिमान पूर्ति पर
प्रिाव पड़ता है । यकद िववष्य में कीमत बढ़ने की संिावना हो तो वतिमान में पूर्ति
घाट िाती है । इसके ववपरीत यकद िववष्य में कीमतों में कमी की संिावना हो तो
वतिमान पूर्ति बढ़ िाती है ।

• . सरकारी नीर्त (Government policy)

सरकार की कर तथा अनुदान संबंधी नीर्तयों का िी वस्तु की बािार पूर्ति पर प्रिाव


पड़ता है । अप्रत्यक्ष करों में वृवि होने पर सामान्यतः पूर्ति मे कमी होती है । इसके
ववपरीत अनुदानों के कारण पूर्ति में वृवि होती है ।

पूर्ति का र्नयम (Law of Supply)


पूर्ति के र्नयम के अनुसार, अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की अपनी कीमत बढ़ने पर पूर्ति
बढ़ िाती है तथा अप नी कीमत कम होने पर पूर्ति िी कम हो िाती है ।

डू िे के अनुसार, “पूर्ति का र्नयम यह बतिाता है कक अन्य बातें समान रहने पर जितनी कीमत
अर्धक होती है उतनी ही पूर्ति अर्धक होती है या जितनी कीमत कम होती है उतनी ही पूर्ति कम
होती है ।

पूर्ति के र्नयम की मान्यताएं (Assumptions of the law of


supply)
पूर्ति के र्नयम की मुख्य मान्यताएं र्नम्नर्िजखत हैं -

• 1. उत्पादन के कारकों की पूर्ति तथा कीमत में कोई पररवतिन नहीं होता।
• 2. उत्पादन की तकनीक में कोई पररवतिन नहीं होता।
• 3. फ़मि के उद्दे श्य में कोई पररवतिन नहीं होता।
• 4. अन्य वस्तुओं की कीमत में कोई पररवतिन नहीं होता।
• 5. िववष्य में वस्तु की कीमत में पररवतिन होने की संिावना नहीं होती।

पूर्ति के र्नयम के अपवाद (Exceptions to the law of


demand)
• • प्राकृ र्तक तत्व पर आधाररत कृ वष उत्पाद वस्तुओं पर यह र्नयम दृढ़ता से
िागू नहीं होता। गेहूं की कीमत बढ़ने पर िी उसकी पूर्ति कम रह सकती है
यकद प्राकृ र्तक प्रकोप के कारण गेहूं का उत्पादन ही सीर्मत हुआ हो।
• कुछ सामाजिक प्रर्तष्ठा की वस्तुओं की अर्धक कीमत र्मिने पर िी उनके
सीर्मत मात्रा में ही पूर्ति की िाती है । उदाहरण के र्िए महं गी कार, हीरे -
िवाहरात आकद।
• • नाशवान वस्तुओं िैसे फि-सब्िी, दध
ू आकद की कीमतें कम होने पर िी
ववक्रेता उनकी अर्धक से अर्धक मात्रा बेचने का प्रयत्न करते हैं ।

पूर्ति की मात्रा में पररवतिन तथा पूर्ति में पररवतिन (Extension


and contraction of supply or change in quantity
supplied)
अन्य बातें समान रहने पर पूर्ति की मात्रा में पररवतिन से अर्िप्राय ककसी वस्तु की
अपनी कीमत में वृवि या कमी के फिस्वरूप उस वस्तु की मात्रा में वृवि या कमी से
है । इसे पूर्ति वक्र पर संचिन के रूप में व्यि ककया िाता है ।

इसके ववपरीत पूर्ति में पररवतिन से अर्िप्राय वस्तुओं की अपनी कीमत के अर्तररि
पूर्ति के अन्य र्नधािररत तत्वों में पररवतिन के कारण पूर्ति की मात्रा में होने वािी कमी
या वृवि से है । इसे पूर्ति वक्र में के जखसकाव के रूप में व्यि ककया िाता है - आगे की
ओर जखसकाव या पीछे की ओर जखसकाव।

पूर्ति की मात्रा में पररवतिन (Change in quantity supplied)

िब वस्तु की अपनी कीमत में पररवतिन के फिस्वरूप इसकी पूर्ति में पररवतिन होता
है तो उसे पूर्ति वक्र पर ववर्िन्न वबंदओ
ु ं के रूप में व्यि ककया िाता है । इसे पूर्ति वक्र
पर संचिन या पूर्ति की मात्रा में पररवतिन कहा िाता है । वस्तु की अपनी कीमत में
वृवि के फिस्वरुप पूर्ति की मात्रा में वृवि होना पूर्ति का ववस्तार (Extension of supply)
कहिाता है और वस्तु की अपनी कीमत में कमी के फिस्वरूप पूर्ति की मात्रा में कमी
होना पूर्ति का संकुचन (Contraction of supply) कहिाता है ।

पूर्ति में पररवतिन (Change in supply)

इस जस्थर्त में नया पूर्ति वक्र प्रारजम्िक पूर्ति वक्र के बाई ओर ऊपर या दाई ओर
नीचे जखसक िाता है । पूर्ति वक्र का यह जखसकाव ककसी वस्तु की अपनी कीमत में
जस्थर रहने पर उसकी पूर्ति को प्रिाववत करने वािे अन्य तत्व िैसे तकनीक में
पररवतिन इत्याकद के फिस्वरूप उत्पन्न होता है । यह पररवतिन पूर्ति के स्तर में
पररवतिन कहिाता है । इसके फिस्वरूप पूर्ति वक्र बायीं या दाईं ओर जखसक िाता है ।
इस प्रकार के

पररवतिनों को पूर्ति में वृवि या कमी पूर्ति में कमी कहा िाता है यह कीमत के
अर्तररि अन्य तत्वों में पररवतिन के कारण होता है ।

पूर्ति की मात्रा में पररवतिन– (Change in quantity


supplied)
पूर्ति की मात्र में पररवतिन को दो वबंदओ
ु ं में बााँटा िाता है - 1) पूर्ति का ववस्तार तथा 2)
पूर्ति का संकुचन

1- पूर्ति का ववस्तार (Extension of supply)

अन्य बातें समान रहने पर, िब ककसी वस्तु की अपनी कीमत बढ़ने के फिस्वरूप
उसकी पूर्ति अर्धक हो िाती है तो इस बढ़ी हुई पूर्ति को पूर्ति का ववस्तार कहा िाता
है । इसे र्नम्न तार्िका और रे खार्चत्र द्वारा स्पष्ट ककया िा सकता है -

कीमत पूर्ति की मात्रा व्याख्या


1 1 कीमत में वृवि
5 5 पूर्ति की मात्रा का ववस्तार
तार्िका से ज्ञात होता है कक िब आइसक्रीम की कीमत ₹1 है तो एक आइसक्रीम की
पूर्ति की िाती है । कीमत बढ़कर ₹5 हो िाने पर पूर्ति का ववस्तार 5 इकाई हो िाता है ।

रे खार्चत्र में आइसक्रीम की कीमत ₹1 तथा उसकी पूर्ति एक इकाई को वबंद ु A द्वारा
दशािया गया है िब आइसक्रीम की कीमत बढ़ कर ₹5 हो िाती है तो उसकी पूर्ति का
ववस्तार 5 इकाई हो िाता है । इसे वबंद ु B से दशािया गया है । उत्पादक पूर्ति वक्र के A
वबंद ु से B वबंद ु पर पहुंच िाता है । अतः एक पूर्ति वक्र के नीचे वबंद ु से ऊंचे वबंद ु पर
पहुंचना पूर्ति का ववस्तार कहिाता है ।

2- पूर्ति का संकुचन (Contraction of Supply)

अन्य बातें समान रहने पर, िब ककसी वस्तु की अपनी कीमत के कम होने के
फिस्वरूप उसकी पूर्ति कम हो िाती है तो पूर्ति में होने वािे इस कमी को पूर्ति का
संकुचन कहा िाता है । इसे र्नम्न तार्िका और रे खार्चत्र की सहायता से स्पष्ट ककया
िा सकता है -

कीमत पूर्ति की मात्रा व्याख्या


5 5 कीमत में कमी
1 1 पूर्ति की मात्रा का संकुचन

तार्िका से ज्ञात होता है कक िब आइसक्रीम की कीमत ₹5 है तो आइसक्रीम की पूर्ति 5


इकाई होती है । आइसक्रीम की कीमत के कम होकर ₹1 हो िाने पर आइसक्रीम की पूर्ति
का संकुचन होकर एक इकाई हो िाता है । रे खार्चत्र में आइसक्रीम की प्रारं र्िक कीमत
₹5 और प्रारं र्िक पूर्ति 5 को वबंद ु ए द्वारा प्रकट ककया गया है । आइसक्रीम की कीमत के
कम होकर ₹1 हो िाने पर उसकी पूर्ति का िी संकुचन होकर एक इकाई हो िाता है
उत्पादक पूर्ति वक्र के एक वबंद ु से वबंद ु पर पहुंच िाता है । अतः एक पूर्ति वक्र के ऊंचे
वबंद ु से नीचे वबंद ु पर पहुंचना पूर्ति के संकुचन को प्रकट करता है ।

ज्यादा कीमत होने पर ककसी वस्तु की अर्धक पूर्ति क्यों होती है ? (Why more quantity is
offered at higher price)

ऊंची कीमत पर ककसी वस्तु की अर्धक पूर्ति के दो कारण होते हैं -


• अन्य बातें समान रहने पर ऊंची कीमत का अथि है उसका िाि। इस विह से
उत्पादन अर्धक उत्पादन करने तथा अर्धक मात्रा बेचने के र्िए प्रोत्साकहत
होता है ।
• • अर्धक उत्पादन प्राय घटते प्रर्तफि के र्नयम के अंतगित ककया िाता है
जिसका अथि है उत्पादन के बढ़ने पर सीमांत िागत का बढ़ना है विह से
कीमत िी बढ़े गी यकद अर्धक पूर्ति के र्िए उत्पादन को बढ़ाया िाता है

पूर्ति में वृवि तथा पूर्ति में कमी अथवा पूर्ति में पररवतिन
(Increase in supply and decrease in supply or
Change in supply)
िब ककसी वस्तु की अपनी कीमत के अर्तररि अन्य तत्व िैसे िववष्य की
संिावनाएं, तकनीक या फमि के िक्ष्य में पररवतिन होने के कारण उसकी पूर्ति में
पररवतिन होता है तो उसे पूर्ति की वृवि या कमी कहते हैं । पूर्ति में वृवि या कमी पूर्ति
वक्र के नीचे की ओर या ऊपर की ओर जखसकाव द्वारा प्रकट की िाती है ।

1- पूर्ति में वृवि (Increase in Supply)

वस्तु की अपनी कीमत के समान रहने पर यकद ककसी वस्तु की पूर्ति बढ़ िाती है
अथवा कीमत कम होने पर पूर्ति समान रहती है तो इसे पूर्ति में वृवि कहा िाता है ।
अतएव पूर्ति में वृवि दो प्रकार के हो सकते हैं -

• 1. समान कीमत अर्धक पूर्ति


• 2. कम कीमत पर समान पूर्ति

समान कीमत अर्धक पूर्ति और कम कीमत पर समान पूर्ति

इसे हम र्नम्न तार्िका से समझा सकते हैं -

आइसक्रीम की कीमत पूर्ति की इकाइयााँ


समान कीमत अर्धक पूर्ति
3 3
3 4
कम कीमत समान पूर्ति
3 3
2 3

पूर्ति में वृवि के कारण (Causes of increase in Supply)

• 1. िब तकनीक में प्रगर्त होती है ।


• 2. िब उत्पादन के साधनों की कीमतों में कमी के कारण उत्पादन की िागत में
कमी होती है ।
• 3. िब प्रर्तयोगी वस्तुओं की कीमतों में कमी होती है ।
• 4. िब बािार में फ़मों की संख्या में वृवि होती है ।
• 5. िब फ़मों को िववष्य में कीमतों के कम होने की संिावना होती है ।
• 6. िब फमि का उद्दे श्य िाि को अर्धकतम करने के स्थान पर वबक्री को
अर्धकतम करना होता है ।
• 7. अनुदानों में वृवि या करो में कमी।

पूर्ति में कमी (Decrease in Supply)

ककसी वस्तु की अपनी कीमत समान रहने पर यकद ककसी वस्तु की पूर्ति कम हो
िाती है अथवा अपनी कीमत बढ़ने पर िी पूर्ति समान रहती है तो इसे पूर्ति में कमी
कहा िाता है । पूर्ति में वृवि की तरह आपूर्ति में कमी िी दो प्रकार की होती है -

• • समान कीमत कम पूर्ति


• • अर्धक कीमत समान पूर्ति

इसे हम र्नम्न तार्िका और रे खा र्चत्र द्वारा समझा सकते हैं

समान कीमत कम पूर्ति और अर्धक कीमत पर समान पूर्ति

इसे हम र्नम्न तार्िका से समझा सकते हैं -

आइसक्रीम की कीमत पूर्ति की इकाइयााँ


समान कीमत कम पूर्ति
3 3
3 2
अर्धक कीमत समान पूर ्
3 3
4 3

पूर्ति में कमी के कारण- (Causes of decrease in Supply)

• 1. िब तक तकनीक के पुराने पड़ िाने के कारण उत्पादन की िागत में वृवि


हो िाती है ।
• 2. िब उत्पादन के कारकों की कीमत में वृवि के फिस्वरूप उत्पादन िागत में
वृवि होती है ।
• 3. िब प्रर्तयोगी वस्तुओं की कीमतों में वृवि हो िाती है ।
• 4. िब बािार में फमो की संख्या में कमी हो िाती है ।
• 5. िब फमि र्नकट िववष्य में कीमतों के बढ़ने की संिावना का अनुमान
िगाती हैं ।
• 6. िब फमि का उद्दे श्य वबक्री को अर्धकतम करने के स्थान पर िाि को
अर्धकतम करना होता है ।
• 7. अनुदानों में कमी या करो में वृवि।

पूर्ति वक्र का जखसकाव (Shift in supply curve)


पूर्ति में कमी या वृवि से पूर्ति वक्र में जखसकाव होता है । पूर्ति वक्र का दाएं ओर
जखसकाव पूर्ति में वृवि को प्रकट करता है । इसके ववपरीत पूर्ति वक्र का बायीं ओर
जखसकाव पूर्ति वक्र में कमी को प्रकट करता है ।

इसे हम र्नम्न रे खार्चत्र से स्पष्ट कर सकते हैं -

तकनीक में पररवतिन का पूर्ति वक्र पर प्रिाव (Effect of change in technology


on supply curve)

प्रौद्योर्गकी या तकनीक में सुधार होने से उत्पादन के समान तथा औसत िागत घटती
है , क्योंकक पहिे से कम साधन िगाकर अर्धक मात्रा में उत्पादन प्राप्त ककया िा
सकता है । अतः उत्पादक प्रचर्ित कीमत पर अर्धक पूर्ति करने के र्िए तैयार हो
िाएंगे। फिस्वरूप पूर्ति वक्र आगे को दाईं ओर जखसक िाता है यह पूर्ति की वृवि की
जस्थर्त को प्रकट करता है इसे हम र्नम्न रे खार्चत्र से समझा सकते हैं -
आगतों की कीमतों में पररवतिन का पूर्ति वक्र पर प्रिाव (Effect of change in
input price on supply curve)

आगतो या साधनों की कीमतों में वृवि अथवा कमी हो सकती है । आगतो की कीमतों में
वृवि के फिस्वरुप सीमांत तथा औसत िागत बढ़ती है । अतः उत्पादक प्रचर्ित कीमत
पर कम पूर्ति करते हैं । पूर्ति वक्र पीछे की ओर बाई ओर जखसक िाता है । यह पूर्ति में
कमी को प्रकट करता है । इसके ववपरीत यकद आगतों की कीमत र्गर िाती है तो
सीमांत तथा औसत िागत घट िाती है । पररणामस्वरूप उत्पादक प्रचर्ित कीमत पर
अर्धक पूर्ति करने के योग्य हो िाता है । इस जस्थर्त में पूर्ति वक्र आगे की ओर दायीं
ओर जखसक िाता है अथाित पूर्ति में वृवि हो िाती है । इसे र्नम्न रे खार्चत्र से स्पष्ट
ककया िा सकता है -

उत्पादन कर में पररवतिन का पूर्ति वक्र पर प्रिाव (Excise tax and supply curve)

उत्पादन कर वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन पर िगाया िाता है । सामान्यत: यह


फमि के उत्पादन की प्रर्त इकाई पर िगाया िाता है । इसके फिस्वरूप उत्पादक की
सीमांत तथा औसत िागत बढ़ िाती है । यकद उत्पादन करों में वृवि होती है तो एक
उत्पादक प्रचर्ित कीमत पर कम पूर्ति करे गा या वस्तु की पहिे जितनी मात्रा को
ऊंची कीमत पर बेचना चाहे गा। ऐसी जस्थर्त में पूर्ति में कमी होती है । इसके ववपरीत
उत्पादन करो में कमी से उत्पादक की सीमांत तथा औसत िागत घट िाती है ।
फिस्वरुप उत्पादक उसी कीमत पर अर्धक पूर्ति करने के योग्य हो िाता है अतः इस
से पूर्ति में वृवि होती है । इसे र्नम्न रे खा र्चत्र द्वारा स्पष्ट ककया िा सकता है -

संबंर्धत वस्तुओं की कीमत में पररवतिन का पूर्ति वक्र पर प्रिाव Price of related
goods and supply curve)

प्रर्तस्थापन वस्तुओं की कीमत में पररवतिन का वस्तु की पूर्ति पर ववशेष प्रिाव पड़ता
है । उदाहरण के र्िए यकद चाय के दाम बढ़ िाते हैं तो कॉफी के उत्पादक अपने
स्टॉक को रोक िेंगे और कॉफी की कीमत में वृवि की प्रतीक्षा करें गे। कॉफी की
प्रचर्ित कीमत पर वह इसकी कम मात्रा बेचेंगे इसके फिस्वरूप पूर्ति घट िाएगी और
पूर्ति वक्र पीछे की ओर जखसक िाता है । इसके ववपरीत चाय की कीमत घट िाने पर
उत्पादक अपने स्टाफ को िल्दी से िल्दी बेचना चाहें गे अन्यथा क्रेता कॉफी की अपेक्षा
चाय की मांग करने िगेंगे। अतः प्रचर्ित कीमत पर कॉफी के अर्धक मात्रा को वबक्री
के र्िए प्रस्तुत ककया िाएगा। इसके फिस्वरूप पूर्ति बढ़ िाएगी और पूर्ति वक्र आगे
की ओर जखसक िाता है इसे र्नम्न रे खार्चत्र द्वारा स्पष्ट ककया िा सकता है -

समय तत्व और पूर्ति का व्यवहार (time period and


supply behaviour)
अथिशाजियों ने समय अवर्ध को 3 प्रकारों में बांटा है -

अर्त अल्पकाि (Very Short Period/Market Period)

अर्त अल्पकाि जिसे बािार अवर्ध या बािार काि िी कहा िाता है । अर्त अल्प
काि या बािार अवर्ध समय की उस अवर्ध को कहते हैं जिसमें ककसी िी तरह
उत्पादन में पररवतिन नहीं ककया िा सकता। अतः पूर्ति को अर्धक से अर्धक उसके
वतिमान स्टॉक तक ही बढ़ाया िा सकता है ।

उदाहरण के र्िए एक मुगी-फामि में अर्त अल्पकाि में अंडों की पूर्ति उतनी ही होती
हैं जितने अंडे स्टॉक में होते हैं । ककसान के िाख र्नवेदन करने पर िी मुर्गियां अर्धक
अंडे नहीं दें गी। वास्तव में नाशवान वस्तुएं िैसे हरी सजब्ियां, दध
ू की अर्त अल्प काि
में पूर्ति पूणत
ि या बेिोचदार रहती है । इसे एक खड़ी रे खा द्वारा पूणत
ि या बेिोचदार पूर्ति के
रूप में प्रकट ककया िा सकता है ।

अल्पकाि (Short Period)

अल्पकाि समय की उस अवर्ध को कहते हैं जिसमें घटते-बढ़ते पररवतिनशीि साधनों


के अर्धक उपयोग द्वारा पूर्ति में वृवि की िा सकती है । इस अवर्ध में जस्थर साधनों
िैसे पिांट मशीनरी इत्याकद में पररवतिन नहीं ककया िा सकता। अतः बंधे साधनों की
जस्थर्त के कारण पूर्ति को केवि एक सीमा तक ही कीमतों में पररवतिन के साथ-साथ
पररवर्तित ककया िा सकता है । सरि शब्दों में अल्पकाि में पूर्ति को वतिमान उत्पादन
क्षमता तक ही बढ़ाया िा सकता है ।

दीघिकाि (Long Run)

दीघिकाि समय की उस अवर्ध को कहते हैं जिसमें उत्पादन के सिी साधनों में
पररवतिन ककया िा सकता है । तकनीक सुधार िी इसी अवर्ध में महत्वपूणि िूर्मका
र्निाते हैं । अतः पूर्ति वक्र मांग वक्र के अनुसार पररवर्तित हो सकता है । सरि शब्दों में
दीघिकाि समय कक वह अवर्ध है जिसमें पूर्ति को मांग के अनुसार,उत्पादन कारकों में
पररवतिन करके घटाया बढ़ाया िा सकता है ।

दीघिकाि में पूर्ति वक्र अल्पकाि की तुिना में कीमत के पररवतिन के प्रर्त बहुत
संवेदनशीि होती है । अल्पकाि की तुिना में पूर्ति वक्र में जखसकाव की बहुत अर्धक
प्रवृवि पाई िाती है । दीघिकाि पूर्ति वक्र की तुिना में अल्पकाि पूर्ति वक्र बहुत
अर्धक खड़ी ढाि वािे वक्र होती है । अतः कहा िा सकता है कक दीघिकािीन पूर्ति वक्र,
अल्पकािीन पूर्ति वक्र की तुिना में अर्धक चपटी वक्र है ।

पूर्ति की कीमत िोच (Price Elasticity of Supply)


पूर्ति की कीमत िोच ककसी वस्तु की कीमत में होने वािे पररवतिन के फिस्वरुप
उसकी पूर्ति में होने वािे पररवतिन का माप है । पूर्ति का र्नयम हमें यह बताता है कक
कीमत में पररवतिन होने के कारण पूर्ति में ककस कदशा में पररवतिन होगा अथाित कीमत
के घटने या बढ़ने से पूर्ति घटे गी या बढ़े गी। परं तु यकद हम यह िानना चाहे की कीमत
में 10% बढ़ने पर पूर्ति ककतने प्रर्तशत बढ़े गी अथाित पूर्ति में पररवतिन ककस अनुपात में
होगा तो यह हमें पूर्ति की कीमत िोच से ज्ञात होगा। अतएव पूर्ति की कीमत िोच,
कीमत में अनुपार्तक पररवतिन के फिस्वरुप पूर्ति में होने वािे अनुपार्तक पररवतिन
का माप है ।

सैमुअल्सन के अनुसार, “पूर्ति की िोच कीमत में होने वािे पररवतिन के फिस्वरुप पूर्ति में होने
वािे पररवतिन की प्रर्तकक्रया की मात्रा है ।”

प्रो. वबिास के अनुसार, “पूर्ति की िोच अर्िप्राय वस्तु की पूर्ति में होने वािे प्रर्तशत
पररवतिन को कीमत में होने वािे प्रर्तशत पररवतिन से िाग दे ने से है ।”

पूर्ति की कीमत िोच का माप (Measurement of Price


Elasticity of Suppy)
पूर्ति की कीमत िोच (संक्षेप में पूर्ति की िोच) मापने के दो प्रमुख ववर्धयां र्नम्न
प्रकार से है -
• 1. आनुपार्तक या प्रर्तशत ववर्ध
• 2. ज्यार्मतीय ववर्ध

1) आनुपार्तक या प्रर्तशत ववर्ध (Proportionate or percentage method)

इस ववर्ध के अनुसार पूर्ति की िोच वस्तु की पूर्ति की मात्रा में प्रर्तशत पररवतिन तथा
कीमत में प्रर्तशत पररवतिन का अनुपात है ।

पूर्ति की िोच (Es)=पूर्ति की मात्रा में प्रर्तशत पररवतिन/कीमत में प्रर्तशत पररवतिन

उपरोि सूत्र को र्नम्न प्रकार से िी र्िखा िा सकता है -

Es = (-) P/Q × ? Q/P?

2) ज्यार्मतीय ववर्ध (Geometric method)

इस ववर्ध के अनुसार पूर्ति की िोच पूर्ति वक्र के उद्गम पर र्नििर करती है । यह


मान्यता िेते हुए की पूर्ति वक्र सीधी और धनात्मक ढिान वािे होते हैं , हम पूर्ति की
िोच की 5 संिव जस्थर्तयों की कल्पना कर सकते हैं िो कक र्नम्नर्िजखत होती हैं -

1-पूर्ति की िोच इकाई के बराबर– (Unitary Elasticity of supply)

िब ककसी वस्तु की पूर्ति में पररवतिन उसी अनुपात में होता है जिस अनुपात में
उसकी कीमत में पररवतिन होता है तो उसे पूर्ति की इकाई िोच कहा िाता है ।
उदाहरण के र्िए यकद कीमत में 20% की वृवि होने से उसकी पूर्ति में िी 20% पररवतिन
हो िाए तो पूर्ति की िोच इकाई के बराबर होगी। इस जस्थर्त में पूर्ति वक्र मूि वबंद ु
(O) से 45 कडग्री का कोण बनाता है ।

इकाई से अर्धक िोचदार पूर्ति (Greater than unitary elasticity of supply or elastic
supply)

इकाई से अर्धक िोचदार पूर्ति उस समय होती है िब कीमत में जितना पररवतिन हो
पूर्ति में उससे ज्यादा पररवतिन होता है । उदाहरण के र्िए कीमत में 20% की वृवि होने
से पूर्ति में 30% की वृवि हो िाए तो यह इकाई से अर्धक िोचदार पूर्ति दशािता है । इस
जस्थर्त में पूर्ति वक्र OY अक्ष पर ककसी वबंद ु से शुरू होता है ।
3- इकाई से कम िोचदार/बेिोचदार पूर्ति (Less than unitary elasticity of supply or
inelastic supply)

िब कीमत में पररवतिन के अनुपात में पूर्ति में कम पररवतिन होता है तो इसे इकाई
से कम या बेिोचदार पूर्ति की जस्थर्त कहा िाता है । उदाहरण के र्िए कीमत में 20%
की वृवि होने पर पूर्ति में केवि 15% की वृवि हो तो इसे इकाई से कम िोचदार पूर्ति
कहा िाएगा। इस जस्थर्त में पूर्ति वक्र OX अक्ष पर ककसी वबन्द ु से शुरू होता है ।

4- पूर्ति की िोच का शून्य होना (Zero elasticity of supply)

इस जस्थर्त में पूर्ति वक्र को एक ऊध्वािधर रे खा द्वारा कदखाया िाता है । प्राय: कृ वष


पदाथों की पूर्ति की िोच शून्य होती है । क्योंकक कृ वष पदाथों की पूर्ति को कीमत के

अनुसार घटाया बढ़ाया नहीं िा सकता है । इस जस्थर्त में पूर्ति वक्र OY अक्ष के
समानांतर होता है ।

5-पूर्ति की िोच का अनंत होना (Infinite elasticity of supply)

इस जस्थर्त में पूर्ति वक्र को OX अक्ष के समानांतर होता है । सामान्यतः पूणि प्रर्तयोर्गता
बािार में पूर्ति वक्र इस प्रकार का होता है ।

पूर्ति की िोच को प्रिाववत करने वािे तत्व (Factors


affecting Elasticity of Supply)
• 1. आगतों की प्रकृ र्त (Nature of inputs)

यकद ककसी वस्तु के उत्पादन के र्िए आवश्यक आगत (कच्चा माि) सामान्य रूप से
उपिब्ध होते हैं तो उस वस्तु की पूर्ति िोचदार होती है । इसके ववपरीत यकद ककसी
वस्तु के उत्पादन के र्िए ववशेष आगतों की आवश्यकता होती है तो उसकी पूर्ति
बेिोचदार होती है ।

• 2. प्राकृ र्तक बाधाएं (Natural Constraint)

ककसी वस्तु की पूर्ति पर प्राकृ र्तक बाधाओं का िी प्रिाव पड़ता है । प्रकृ र्त से प्राप्त
आगतों पर प्राकृ र्तक प्रर्तबंध होते है । उदाहरण के र्िए इमारती िकड़ी के पेड़ तैयार
होने में कई वषि का समय िगने के कारण उसकी पूर्ति में वृवि आसानी से नहीं की
िा सकती है ।

• 3. िोजखम सहन करना (Risk Taking approach)

यकद ककसी वस्तु का उत्पादक िोजखम उठाने का इच्छुक है तो पूर्ति िोचदार होती है ।
इसके ववपरीत िोजखम न उठाने की दशा में पूर्ति बेिोचदार होती है ।

• 4. वस्तु की प्रकृ र्त (Nature of Commodity)

नाशवान वस्तुओं िैसे दध


ू , हरी सजब्ियााँ आकद की पूर्ति बेिोचदार होती है । क्योंकक
कीमत में पररवतिन होने पर िी उनकी पूर्ति को कम या ज्यादा नहीं ककया िा सकता
है । इसके ववपरीत कटकाऊ वस्तुओं की पूर्ति िोचदार होती है क्योंकक कीमत में
पररवतिन होने पर उनकी पूर्ति को आवश्यकतानुसार कम या अर्धक ककया िा सकता
है ।

• 5. उत्पादन िागत (Cost of Production)

यकद उत्पादन में बढ़ती िागतों का र्नयम िागू हो रहा होता है तो वस्तु की पूर्ति
बेिोचदार होती है ।

• 6. समय तत्व (Time Element)

पूर्ति की िोच पर समय तत्व का बहुत प्रिाव पड़ता है । अर्त अल्पकाि में पूर्ति में
कोई पररवतिन करना संिव नहीं होता, अतः पूर्ति की िोच बेिोचदार होती है । अल्पकाि
में उत्पादन को कुछ सीमा तक ही पररवर्तित ककया िा सकता है , अतः पूर्ति कम
िोचदार होती है । इसके ववपरीत दीघिकाि में उत्पादन के सिी कारक पररवतिनशीि
होने के कारण पूर्ति अर्धक िोचदार होती है ।

• 7. उत्पादन की तकनीक (Technique of production)

यकद ककसी वस्तु के उत्पादन की तकनीक िकटि और पूाँिी प्रधान होती है तो उस


वस्तु की पूर्ति कम िोचदार या बेिोचदार होती है । इसके ववपरीत उत्पादन तकनीक
सरि है तो पूर्ति अर्धक िोचदार होती है ।
पूर्ति की िोच का महत्व (Importance of Elasticity of
Supply)
• 1. कीमत र्नधािरण तथा पूर्ति की िोच– (Price determination and elasticity of
supply)

माशिि द्वारा प्रर्तपाकदत समय तत्व की धारणा वास्तव में पूर्ति की िोच पर आधाररत
है । अर्त अल्प काि में पूर्ति के अर्धक बेिोचदार होने के फिस्वरूप कीमत र्नधािरण
पर मांग का अर्धक प्रिाव पड़ता है । दीघिकाि में पूर्ति का अर्धक िोचदार होने के
फिस्वरूप कीमत पर पूर्ति का अर्धक प्रिाव पड़ता है ।

2) साधन कीमत र्नधािरण तथा पूर्ति की िोच– (Factor pricing and elasticity of
supply)

िगान के आधुर्नक र्सिांत के अनुसार एक साधन को िगान उस समय प्राप्त होता है


िब उसकी पूर्ति पूणत
ि या बेिोचदार होती है । इसर्िए िूर्म से प्राप्त सारी आय को िगान
कहा िाता है । िबकक उत्पादन के अन्य साधनों िैसे श्रम, पूंिी आकद की पूर्ति अल्पकाि के
र्िए बेिोचदार होती है तो इन साधनों की मांग बढ़ने पर इन्हें अपनी पररवतिनशीि िागत से
िो अर्धक आय प्राप्त होती है , वह िगान का ही एक रूप होती है । इसे अधि-िगान (Quasi
Rent) कहा िाता है । िब ककसी साधन की पूर्ति पूणत
ि या िोचदार होती है तो उसे िगान
के रूप में कोई अर्तररि आय नहीं प्राप्त होती है ।

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