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GA POWER CAPSULE for

SSC CGL & Railway 2019

{Polity|History|Economics|Geography}

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SSC CGL & Railway GA POWER CAPSULE 2019 |Polity|History|Eco|Geography

Contents
एसएससी एवं अन्य परीक्षाओं के लिए अर्थ शास्त्र कैप्सू ि 2019...................................................................... 3

भारतीय राजव्यवस्र्ा कैप्सू ि ................................................................................................................... 16

आधु लिक भारत ..................................................................................................................................... 42

भूगोि कैप्सू ि ........................................................................................................................................ 61

मध्यकािीि भारत.................................................................................................................................. 86

प्राचीि भारत का इलतहास ..................................................................................................................... 102

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एसएससी एवं अन्य परीक्षाओं के लिए अर्थशास्त्र कैप्सूि 2019


मांि के ननयम: यदद सभी कुछ यर्ावत ् रहे तो वस्त्तु की मााँग उसके मूपय
पररचय
के घिने के सार्सार् बढ़ती िाएगी और वस्त्तु के मूपय में वद्
ृ र्ध के सार्-
अर्थशास्त्र: अर्थशास्त्र वह ववज्ञान जिसमें अन्त्य एवं दर्
ु भथ वस्त्तुओं के बीच
उसकी मााँग घिती िाएगी। यही मााँग का ननयम है।
सम्बंधो के रूप में मानव व्यवहारों का अध्ययन ककया िाता है, जिनका
वैकजपपक उपयोग होता है ”।
समष्टि अर्थशास्त्र: आर्र्थक ववश्र्ेषण की वह शाखा है , जिसमें समच्
ु चय
का ववश्र्ेषण सम्पूणथ अर्थशास्त्र के सन्तदभथ में ककया िाता है। समजटि
अर्थशास्त्र में समस्त्त आर्र्थक कियाओं का संपूणथ रूप से अध्ययन ककया
िाता है । मांि में पररवतथन
व्यष्टि अर्थशास्त्र: यह अर्थशास्त्र की एक शाखा है , िो यह अध्ययन करता इसके दो प्रकार हैं:
है कक ककस प्रकार अर्थव्यवस्त्र्ा के व्यजततगत अवयव, पररवार एवं फमथ, 1 ) मांग की गयी मारा में पररवतथन (एक ही मांग वि के सार् उतार-
ववशशटि रूप से उन बािारों में सीशमत संसाधनों के आवंिन का ननणथय चढ़ाव)
करते हैं, िहां वस्त्तुएं एवं सेवाएं खरीदी एवं बेचीं िाती हैं। 2) मांग में पररवतथन (मांग में बदर्ाव)
अर्थव्यवस्त्र्ा: अर्थव्यवस्त्र्ा एक ऐसी प्रणार्ी है जिसके द्वारा र्ोगों अपनी
िीववका प्राप्त करते हैं। 1) मांि की ियी मारा में पररवतथन: -
उत्पादन संभाव्यता वक्र (PPC): उ्पादन संभाव्यता वि दो वस्त्तुओं के वस्त्तु के मूपय में पररवतथन के कारण मांग में बदर्ाव, अन्तय कारक जस्त्र्र
सभी संभाववत समुच्चयों को दशाथता है , जिसे उपर्ब्ध संसाधनों व हों; ये दो प्रकार के होते हैं;
तकनीक की सहयाता से उ्पाददत ककया िा सकता है । A) मांग का ववस्त्तार: कम कीमत पर अर्धक मांग
सीमान्त उपयोगिता िाित(MOC): पीपीसी के सार् ववशेष रूप से B) मांग का संकुचन: उच्च कीमत पर कम मांग
एमओसी एक अन्तय वस्त्तु की अनतररतत इकाई है, जिसकी ककसी अन्तय
मांि की ियी मारा में पररवतथन
वस्त्तु की अनतररतत इकाई के उ्पादन हेतु हानन उठाई िाती है।
मप
ू य में पररवतथन के कारण → उतार-चढ़ाव होगा → ववस्त्तार और संकुचन
रूपांतरण की सीमान्त दर(MRT): MRT, उस वस्त्तु की इकाइयों का
अनुपात है जिसकी ककसी अन्तय वस्त्तु की अनतररतत इकाई के उ्पादन हे तु
मांि में पररवतथन
हानन उठाई िाती है।
मूपय में पररवतथन के अर्ावा अन्तय कारण → पररवतथन होगा → वद्ृ र्ध
और कमी
मांि की अवधारणा
मांि: वस्त्तु की वह मारा, जिसे उपभोतता ददए गए समय व ननयत
मप
ू य पर खरीदने में सक्षम और इच्छुक हो।
मांि अनस
ु च
ू ी: यह एक ताशर्काबद्ध प्रदशथन है, िो वस्त्तु के मप
ू य
और खरीदी गयी मारा के मध्य के सम्बन्तध दशाथता है ।
मांि वक्र: यह मान अनस
ु च
ू ी का एक सर्चर प्रदशथन है ।
व्यष्ततित मांि: व्यजततगत उपभोतता द्वारा की गयी मांग।

ककसी वस्त्तु की व्यष्ततित मांि को प्रभाववत करने वािे कारक / मांि के


ननधाथरक
1. स्त्वयं वस्त्तु की कीमत 2. उपभोतता की आय
3. सम्बंर्धत वस्त्तुओं की कीमत 4. पसंद एवं वररयता 5.
भववटय में कीमत में पररवतथन की प्र्याशा
मांि सूर: Dx = f( Px, Y, Pr, T)

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मांि में पररवतथन वेब्िेन वस्त्तुएं (उर्थ उपननवेशवादी वस्त्तुए)ं : अतसर र्गफेन वस्त्तुओं
वस्त्तु की कीमत के अर्ावा अन्तय कारकों में पररवतथन के कारण मांग में के सार् भ्रशमत करने वार्ी वेब्र्ेन वस्त्तुएं वे वस्त्तुएं हैं, जिसकी बढ़ी हुई
पररवतथन होते हैं, ये दो प्रकार के होते हैं: कीमतें, मांग की मारा में वद्ृ र्ध करती हैं। हार्ांकक, यह इसशर्ए नहीं है
A) मांि में वद्ृ गध :- अन्तय कारकों में पररवतथन के कारण मांग अर्धक कक उपभोतता को बििीय बाधाओं (र्गफेन वस्त्तुओं के मामर्े में) के
होना, मूपय जस्त्र्र रहते हैं। कारण अर्धक वस्त्तुएं खरीदनी पड़ती हैं। बजपक, वेब्र्ेन वस्त्तुएं उच्च-
B) मांि में कमी:- अन्तय कारकों में पररवतथन के कारण मांग कम होना, दिे वार्ी वस्त्तुएं हैं, िैसे- कीमती वाइन, ऑिोमोबाइर्, घडड़यां, या
मूपय जस्त्र्र रहते हैं। इर। ऐसी वस्त्तुओं की उपयोर्गता जस्त्र्नत को ननरूवपत करने की उनकी
क्षमता से िुड़ी हुई हैं। उनकी कीमत कम होने पर, मांग की मारा भी
मांि में वद्
ृ गध के कारण कम हो िाती है तयोंकक उनकी स्त्िे ट्स-डीनोदिंग उपयोर्गता
1. आय में वद्
ृ र्ध मध्यमागी बन िाती है ।
2. चयन और वरीयता में बढ़ोतरी / अनक
ु ू र् बदर्ाव।
3. वैकजपपक वस्त्तु की कीमत में वद्ृ र्ध। मांि के प्रकार
4. परू क वस्त्तु की कीमत में र्गरावि। आडी या नतरछी मांि: आड़ी मांग का अर्थ, ककसी वस्त्तु के शर्ए मांग
की उन माराओं के पररवतथन से है , िो उस वस्त्तु ववशेष की कीमत में
नोि : साधारण वस्त्तुओं के लिए मांि में वद्
ृ गध के कारण आय में वद्
ृ गध पररवतथन न होकर ककसी अन्तय संबर्ं धत वस्त्तु की कीमत में पररवतथन
होती है ।
के पररणामस्त्वरूप होती है। इस प्रकार की मांग प्रनतस्त्र्ापन वस्त्तओ
ु ं
अर्वा परू क वस्त्तुओं के संबंध में पाई िाती हैं। प्रनतस्त्र्ापन वस्त्तए
ु ं वे
मांि में कमी के कारण:
हैं, िो एक दस
ू रे के बदर्े में प्रयोग में र्ाई िाती हैं। िबकक परू क
1. आय में कमी
वस्त्तुएं वे वस्त्तए
ु ं होती हैं, िो ककसी उद्देश्य की पनू तथ के शर्ए, एक सार्
2. चयन और वरीयता में प्रनतकूर् / कमी
प्रयोग में र्ाई िाती हैं।
3. वस्त्तु के ववकपप की कीमत में कमी
आय मांि: प्रार्शमक रूप से आय पर ननभथर करने वार्ी मांग को आय
4. पूरक वस्त्तु की कीमत में वद्
ृ र्ध
मांग कहा िाता है।
नोि: आय के कारणों में कमी सामान्तय अच्छे के शर्ए मांग में कमी
प्रत्यक्ष मांि: अंनतम उपभोतताओं द्वारा अपनी इच्छाओं अर्वा
नोि: साधारण वस्त्तुओं के लिए मांि में कमी के कारण आय में कमी होती
आवश्यकताओं को पूरा करने के शर्ए वस्त्तुओं व सेवाओं के शर्ए मांग
है ।
को प्र्यक्ष मांग कहते हैं। उदाहरण के शर्ए, होिर् के अनतर्र्यों द्वारा
वस्त्तुओं के प्रकार भोिन की मांग करना।
वैकष्पपक वस्त्तुए:ं अन्तय वस्त्तु के मूपय में वद्ृ र्ध होने के कारण ककसी व्युत्पन्न मांि: िब ककसी वस्त्तु की मांग के कारण, अन्तय ककसी वस्त्तु
वस्त्तु के मूपय में भी वद्
ृ र्ध होना। उदाहरण, चाय और कॉफ़ी। की सेवा की मांग उ्पन्तन होती है , तो उसे व्यु्पन्तन मांग कहा िाता है।
पूरक वस्त्तुए:ं अन्तय वस्त्तु की मांग में कमी होने के कारण ककसी वस्त्तु तयोंकक श्रम की सहायता से अन्तय वस्त्तुओं का उ्पादन ककया िाता है।
के मूपय में भी वद्ृ र्ध होना। उदाहरण,पैट्रोर् और कार। संयुतत मांग: िब कभी एक उद्दे श्य की पूनतथ के शर्ए एक सार् दो
साधारण वस्त्तुएं: वे वस्त्तुए,ं जिनका आय के सार् सकारा्मक वस्त्तुओं की मांग की िाती है , तो उसे संयुतत मांग कहा िाता है।
सम्बन्तध होता है। इसका अर्थ है कक िब आय बढती है , तो साधारण उदाहरण के शर्ए बे ्रड और बिर की मांग, किकेि बैि और बॉर् की
वस्त्तुओं की कीमतों में भी वद्
ृ र्ध होती है । मांग।
िौण वस्त्तुए:ं वे वस्त्तुएं, जिनका आय के सार् नकारा्मक सम्बन्तध संलमश्र मांि: ववशभन्तन उद्दे श्य हे तु प्रयोग के शर्ए ककसी एकर् वस्त्तु
होता है । इसका अर्थ है कक िब आय बढती है , तो मांग में कमी आ की मांग करना संलमश्र मांि कहा िाता है ।
िाती है , और ठीक इसके ववपरीत भी यही होता है।
मांि की कीमत िोच (Ed)
ननम्नस्त्तरीय वस्त्तुएं: र्गफन वस्त्तुएं, वे गौण वस्त्तुएं होती हैं जिन्तहें
ककसी वस्त्तु की कीमत में होने वार्े पररवतथन के फर्स्त्वरूप उस वस्त्तु की
र्ोग कीमत बढ़ने पर अर्धक उपभोग करना शुरू कर देते हैं, मांग की
मााँगी गई मारा में होने वार्े पररवतथन की माप को मााँग की कीमत र्ोच
शसद्धांत का उपर्ंघन करते हैं। र्गफन वस्त्तुओं की जस्त्र्नत में, सस्त्ते
कहा िाता है ।
निदीकी ववकपप उपर्ब्ध नहीं हैं। ववकपपों की कमी के कारण, आय
Ed. = वस्त्तु की मााँगी गई मारा में होने वार्ा प्रनतशत पररवतथन/ कीमत में
का प्रभाव हावी हो िाता है , र्ोगों को अर्धक वस्त्तुएं खरीदनी होती है,
होने वार्ा प्रनतशत पररवतथन
यहां तक कक इसकी कीमत बढ़ िाने पर भी।
Ed. = P/q X Δq/Δp

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P = वास्त्तववक कीमत Q = वास्त्तववक मारा Δ = पररवतथन
कीमत िोच के ननधाथरक
ववकपप की उपर्ब्धता
खचथ की गयी आय का अनप
ु ात
समय सीमा

आय िोच
आय में एक प्रनतशत पररवतथन के कारण मांग में प्रनतशत पररवतथन,
कैिररस पेररबस।
EI = (मांग में % ) / (आय में % )
EI = (Q/ I). (I / Q)
आवश्यकताएं (0< EI ≤ 1): उदाहरण, मूर्भत
ू खाद्य पदार्थ
एंिर् का ननयम: िैसे-िैसे आय में वद्
ृ र्ध होती है, वैसे भोिन पर व्यय
होने वार्ी आय का % घिता है।

मांि की आडी-िोच
एक वस्त्तु की कीमत में पररवतथन के कारण सम्बंगधत वस्त्तु की मांिी ियी
मारा में होने वािे पररवतथन के माप को मांग की आड़ी-र्ोच कहा िाता है ।
(संबंर्धत वस्त्तुओं ववकपप या पूरक सामान हो सकते हैं) दस
ू रे शब्दों में,
पूणत
थ या बेिोचदार मांि (Ed = 0) कमोडडिी y की कीमत में बदर्ाव के शर्ए वस्त्तु X की मांग का
िब वस्त्तु की मांग में, कीमत में पररवतथन की तुर्ना में कोई पररवतथन नहीं उत्तरदानय्व है।
आता, तो इस प्रकार की मांग पूणत
थ या बेर्ोचदार मांग कहर्ाती है । ec = वस्त्तु एतस की कीमत में प्रनतशत में पररवतथन, वस्त्तु वस्त्तु के मूपय
बेिोचदार (कम र्ोचदार) मांि (e < 1) में X / प्रनतशत पररवतथन
िब कीमत में पररवतथन के कारण मांगी गयी मारा में अनप
ु ानतक
पररवतथन की अपेक्षा से कम होता है, तो मांग कम र्ोचदार या बेर्ोचदार मांि की आडी-िोच के मापक
होता है । इष्न्र्ननिी - वस्त्तु x र्गभग और y के शर्ए एक आदशथ ववकपप है
शून्य - वस्त्तुएं x और y संबंर्धत नहीं हैं
इकाई िोचदार मांि (e = 1) नकारात्मक – वस्त्तुएं x और y पूरक हैं
िब मांग में प्रनतशत पररवतथन, कीमत में प्रनतशत पररवतथन के बराबर
होता है , तो वस्त्तु की मांग इकाई र्ोचदार कहर्ाती है । िैसा कक इस आपनू तथ का ननयम
आकृनत में ददखाया गया है , आयताकार हाइपरबोर्ा इस प्रकार का र्ोच
आपूनतथ का अर्थ है ननयत समय में ददये गये दाम पर उ्पादक या वविेता
दशाथता है ।
बािार में बेचने के शर्ए तैयार वस्त्तुए।ाँ यह ववशशटि कीमत पर बबिी के
िोचदार मांि (अगधक िोचदार) (e > 1) शर्ए मार् और सेवाओं का उ्पादन करने के शर्ए ननमाथता की क्षमता और
िब कीमत में हपका पररवतथन होने से मांग में कीमत की तुर्ना से अर्धक उद्दे श्य होता है । ककसी वस्त्तु के ककसी वस्त्तु की आपनू तथ को उस मूपय के
अनुपानतक पररवतथन होता है , तो र्ोचदार मांग की जस्त्र्नत उ्पन्तन होती है रूप में पररभावषत ककया िा सकता है िो वास्त्तव में उस कीमत पर प्रनत
इसका अर्थ है, कीमत में एक छोिे पररवतथन से ही मांग में अर्धक इकाई बबिी के शर्ए पेश ककया िाता है।
पररवतथन होता है। आपूनतथ का ननयम मूपय और आपनू तथ के बीच एक सीधा संबंध स्त्र्ावपत
करता है। फमथ कम कीमतों पर कम और अर्धक कीमतों पर अर्धक
पण
ू त
थ या िोचदार मांि (e = ∞) आपूनतथ करे गी। " िब वस्त्तु की कीमत बढ़ िाती है , अन्तय चीिें समान
िब ककसी वस्त्तु की कीमत में पररवतथन हुए बबना मांग में कमी या वद् ृ र्ध रहती हैं, िब कीमत र्गरती हैं, तो इसकी आपनू तथ ववस्त्तत
ृ हो िाती है,
होती है तो यह अवस्त्र्ा पण
ू त
थ या र्ोचदार होती है । इसमें जस्त्र्र कीमत पर इसकी आपनू तथ कम हो िाती है "
मांग बदर्ती रहती है। यह जस्त्र्नत पण
ू थ प्रनतयोर्गता की अवस्त्र्ा में पाई
िाती है , िब मांग वि र्ोचदार होती है।

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d) अपपागधकार बाजार: यह एक बाजार संरचना है, ष्जसमे एक वस्त्तु के
कुछ बडे ववक्रेता होते हैं और क्रेता बडी संख्या में होते हैं।

पण
ू थ प्रनतयोगिता की ववशेषताएँ :
1. िेता और वविेता अर्धक संख्या में होते हैं।
2. सिातीय या समान उ्पाद होते हैं।
3. फामों का ननबाथध प्रवेश और बदहगथमन होता है ।.
4. उ्पाद की पण
ू थ िानकारी होती है ।
5. फमथ एक कीमत र्ेने वार्ी है और उद्योग कीमत ननधाथरक है ।
6. पण
ू त
थ या र्ोचदार मांग वि (AR=MR)
7. उ्पादन के कारक की पण
ू थ गनतशीर्ता होती है ।
8. पररवहन र्ागत का अभाव होता है।
आपूनतथ की िोच
9. बबिी र्ागत की अनप
ु जस्त्र्नत होती है ।
आपूनतथ का ननयम हमें आपूनतथ की मारा कीमत में बदर्ाव का िवाब दें गा।
आपूनतथ की र्ोच की अवधारणा मूपय में पररवतथन की विह से, आपनू तथ में एकागधकार बाजार की ववशेशताएँ :
पररवतथन की दर की व्याख्या करती है। यह नीचे उपर्ेखखत सूर द्वारा 1. ककसी एक वस्त्तु का एकमार वविेता होता है।
मापी िाती है । 2. उ्पाद के ननकितम स्त्र्ानापन्तन का अभाव होता है ।
आपूनतथ की र्ोच = आपनू तथ की मारा में आनप
ु ानतक पररवतथन / कीमत ने 3. एक नई फामथ के प्रवेश में कदठनाई होती है ।
आनुपानतक पररवतथन 4. नकारा्मक ढर्ान मांग वि (AR>MR)
5. कीमतों पर पूणथ ननयंरण होता है ।
6. कीमत ववभेदन या भेदभाव मौिूद होता है।
7. असामान्तय र्ाभ का अजस्त्त्व होता है ।

एकागधकारी बाजार की ववशेषताएँ :


1. िेताओं और वविेताओं की अर्धक संख्या र्ेककन पूणथ प्रनतयोर्गता से
कम होती है।
2. उ्पाद ववभेदन होता है ।
बाजार के प्रकार और मप
ू य ननधाथरण 3. व्यवसाय में प्रवेश और ननकास की स्त्वतंरता होती है ।
बाजार : बािार एक स्त्र्ान है िहााँ िेता और वविेता, वस्त्तुओं और सेवाओं 4. बबिी र्ागत होती है ।
को खरीदने और बेचने के शर्ए एकर होते हैं। 5. पूणथ िानकारी का आभाव होता है।.
बािार संरचना : एक उद्योग में सकिय कंपननयों की संख्या, उनके बीच 6. पररवहन र्ागत की अर्धकता होती है ।
प्रनतस्त्पधाथ की प्रकृनत और उ्पाद की प्रकृनत को संदशभथत करता है । 7. कीमत पर आंशशक ननयंरण होता है ।
बाजार के प्रकार
अपपागधकार बाजार की ववशेषताएँ:
a) पण
ू थ प्रनतयोर्गता, b) एकार्धकार बािार, c) एकार्धकारी बािार, d)
1. कुछ प्रमुख फमें होती हैं, िो आकार में बड़ी होती हैं।
अपपार्धकार बािार,
2. परस्त्पर ननभथरता होती है ।
a) पूणथ प्रनतयोगिता: एक बािार जस्त्र्नत को संदशभथत करती है, जिसमे 3. प्रवेश पर प्रनतबंध या रूकावि होती है ।
खरीदारों और वविेताओं की बड़ी संख्या होती है । फमें सिातीय उ्पादों को 4. सिातीय या अर्ग-अर्ग उ्पाद होते हैं।
एक समान कीमत पर बेचती हैं। 5. कीमत में जस्त्र्रता होती है ।
b) एकागधकार बाजार: एकार्धकार एक बािार जस्त्र्नत है , जिसमे एक
ववकंवपत मांि मॉडि (The Kinked Demand Model)
वविेता का बोर्बार्ा होता है, जिसका कीमत पर पूणथ ननयंरण होता है।
एक अपपार्धकार बािार में कीमत की जस्त्र्रता को व्यतत
c) एकागधकारी बाजार: एक बािार जस्त्र्नत को संदशभथत करता है, जिसमे
करता है।
अनेक फमें सम्बंर्धत वस्त्तुएं बेचती हैं, र्ेककन ये ववभेददत उ्पाद होते हैं।

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यह इसकी व्याख्या नहीं करता है कक कैसे कीमत वास्त्तववक रूप स्त्र्ाई कारक : वह कारक, ष्जसका उत्पाद के स्त्तर के सार् पररणाम ष्स्त्र्र
से ननधाथररत की गई र्ी। रहता है ।
अष्स्त्र्र कारक : वे आितें जो उत्पादन के स्त्तर के सार् पररवनतथत होती
हैं।

उत्पादन र्िन और समय की अवगध


1. उ्पादन फर्न एक र्ंबी अवर्ध का उ्पादन फर्न है, यदद सभी
इनपि
ु शभन्तन-शभन्तन है।
2. उ्पादन फर्न एक अपप अवर्ध उ्पादन फर्न है, यदद कुछ अजस्त्र्र
शुद्ध प्रनतयोगिता की ववशेषताएँ : कारक, कुछ स्त्र्ाई कारकों के सार् संयोजित होते हैं।
1. िेताओं और वविेताओं की बड़ी संख्या होती है ।
उत्पाद की अवधारणा :
2. सिातीय या समरूप उ्पाद होता है ।
कुि उत्पाद: ददए गए इनपट्
ु स की संख्या के सार्, ददए गए समय के
3. फमथ के प्रवेश और बदहगथमन की स्त्वतंरता होती है।
दौरान एक फमथ / उद्योग द्वारा उ्पाददत वस्त्तुओं की कुर् मारा।
ववक्रय िाित तया है? औसत उत्पाद = अजस्त्र्र इनपुि का प्रनत इकाई उ्पाद।
उत्तर: एक फमथ द्वारा बबिी के संवधथन या प्रचार के शर्ए ककए गए व्यय को APP = TPP / अजस्त्र्र कारक की इकाइयााँ
वविय र्ागत कहते हैं। (ववज्ञापन र्ागत) औसत उत्पाद को औसत वास्त्तववक उ्पाद के नाम से भी िानते हैं।
सीमांत उत्पाद (MP): िब अजस्त्र्र कारक की एक अनतररतत इकाई
उत्पाद ववभेदन तया है? कायथरत होती है , तो यह कुर् उ्पाद में वद्
ृ र्ध को संदशभथत करता है।
उत्तर : इसका अर्थ है कक ववशभन्तन उ्पादकों द्वारा ननकितम स्त्र्ानापन्तन MPn = TPn – TPn-1
वस्त्तओ
ु ं की पेशकश की िाती है ताकक उनका उ्पाद, बािार में उपर्ब्ध MPn = अजस्त्र्र कारक की nवीं इकाई का सीमांत उ्पाद,
अन्तय उ्पादों से पर्
ृ क र्गे। िेताओं को आकवषथत करने के शर्ए ववभेदन TPn = अजस्त्र्र कारक की n वीं इकाई का कुर् उ्पाद,
रं ग, आकार, पैककं ग, ब्ांड-नाम आदद में हो सकता है। TPn-1= अजस्त्र्र कारक की (n-1) इकाई का कुर् उ्पाद,
n= अस्त्र्ाई कारक की इकाइयों की संख्या
पेिेंि अगधकार से तया मतिब है? MP = ΔTP / Δn
उत्तर:- पेिेंि अर्धकार, एक ववशेष अर्धकार है या एक कंपनी को एक हम MP TP = ΣMP के संक्षेप द्वारा TP ननकार्ते हैं।
ववशशटि प्रौद्योर्गकी द्वारा एक ववशेष उ्पाद का उ्पादन करने का
अष्स्त्र्र समानप
ु ात का ननयम िघु अवगध उत्पादन र्िन या एक ष्स्त्र्र
र्ाइसेंस प्रदान करना है ।
कारक की वापसी
कीमत ववभेदन तया है ? अष्स्त्र्र समानप
ु ात के ननयम का कर्न: र्घु अवर्ध में, अन्तय कारक
उत्तर: - यह समान उ्पाद की ववशभन्तन इकाइयों के शर्ए अर्ग-अर्ग जस्त्र्र रखते हुए िब केवर् एक अजस्त्र्र कारक में वद्
ृ र्ध होती है , कुर्
ग्राहकों से ववशभन्तन कीमतें वसूर्ने को संदशभथत करता है। उ्पाद(TP) आरम्भ में एक वद्ृ र्ध दर से बढ़ता है , कफर एक घिती दर से
बढ़ता है और अंत में TP घिता है।
ववज्ञापन तया है? MPP आरं भ में बढ़ता है कफर र्गरता है र्ेककन सकारा्मक बनी रहती है
ववज्ञापन उ्पाद ववभेदन को प्राप्त करने का एक तरीका है । ववज्ञापन का तो तीसरे चरण में यह ऋणा्मक हो िाएगी।
उद्दे श्य मांग वि को दायीं ओर खखसकाना और मांग को कम र्ोचदार
बनाना है । अवस्त्र्ा I / चरण I / एक कारक के लिए बढ़ता हुआ प्रनतर्ि
• TPP एक बढ़ती हुई दर से बढ़ िाती है ।
उत्पादन • MPP भी बढ़ िाती है।

उत्पादन : उत्पाद प्राप्त करने के क्रम में आदानों के संयोजन को उत्पादन अवस्त्र्ा II / चरण II / एक कारक के लिए ह्रासमान प्रनतर्ि
कहते हैं। • TPP घिती दर से बढती है
उत्पादन र्िन : यह प्रौद्योर्गकी के ददए गए क्षेर के बीच, इनपि
ु और • MPP कम हो िाती है / र्गरता है
आउिपि
ु के बीच कायाथ्मक संबंध को दशाथता है। Q= f(L,K) यहााँ: Q • िब MPP शून्तय होता है और TPP अर्धकतम होता है तो यह अवस्त्र्ा
आउिपि
ु है , L: श्रम है , K: पूंिी है। समाप्त हो िाती है ।
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पैमाने में पररवतथन का एक पररणाम के रूप में उ्पादन में पररवतथन तीन
अवस्त्र्ा III / चरण III / एक कारक के लिए ऋणात्मक प्रनतर्ि
चरणों में अध्ययन ककया िा सकता है । वे हैं
• TPP कम / घि िाती है। उ्पादन में पररवतथन, पैमाने में पररवतथन के पररणाम में रूप में इसका
• MPP ऋणा्मक हो िाती है ।
तीन अवस्त्र्ाओं में अध्ययन ककया िा सकता हैं। ये इस प्रकार हैं-
(i)बढ़ता हुआ पैमाने का प्रनतफर् (ii) जस्त्र्र पैमाने का प्रनतफर् (iii)
एक कारक के लिए बढ़ते हुए प्रनतर्ि के कारण
ह्रासमान पैमाने का प्रनतफर्
• जस्त्र्र कारक का बहतर प्रयोग,
• अजस्त्र्र कारक की दक्षता में वद्
ृ र्ध होती है , बढ़ता हुआ पैमाने का प्रनतर्ि
• कारकों का इटितम संयोिन, यदद सभी साधनों में वद्ृ र्ध से, उ्पादन में आनप
ु ानतक वद्ृ र्ध अर्धक
होती है, तो यह ‘बढ़ता हुआ पैमाने का प्रनतफर्’ कहर्ाता है। उदाहरण के
एक कारक के लिए ह्रासमान प्रनतर्ि के कारण-
शर्ए-
• कारकों की अववभाज्यता,
यदद सभी आगतों में 5% की वद्
ृ र्ध होती है, तो उ्पादन में 5% से अर्धक
• अपूणथ स्त्र्ानापन्तन,
वद्
ृ र्ध होती है अर्ाथत 10%, इस जस्त्र्नत में सीमांत उ्पाद बढ़ता िायेगा।
• एक कारक के शर्ए ऋणा्मक प्रनतफर् के कारण
• स्त्र्ाई कारकों का पररसीमन, ष्स्त्र्र पैमाने का प्रनतर्ि
• अस्त्र्ाई और स्त्र्ाई कारकों के बीच खराब समन्तवय,
यदद हम ददए गए अनुपात में (अर्ाथत पैमाने में) सभी साधनों में वद्
ृ र्ध
• अस्त्र्ाई कारकों की दक्षता में कमी, करते हैं, तो उ्पादन समान अनुपात में बढ़े गा, अर्ाथत सभी साधनों में
5% की वद्ृ र्ध, उ्पादन में 5% की वद्
ृ र्ध के समानप
ु ाती होगी। यहााँ
MPP और TPP के बीच संबध

सीमांत उ्पाद जस्त्र्र होता है।
• िब तक MPP बढ़ता है , TPP एक बढ़ती हुई दर से बढ़ती है।
• िब MPP घिती है , TPP घिती हुई दर से बढती है । ह्रासमान पैमाने का प्रनतर्ि
• िब MPP शून्तय होती है, तो TPP अर्धकतम होती है ।
यदद सभी साधनों में वद्
ृ र्ध से, उ्पादन में आनप
ु ानतक वद्ृ र्ध कम होती
• िब MPP ऋणा्मक होती है तो TPP घिना आरं भ हो िाती है ।
है , तो यह ह्रासमान पैमाने का प्रनतफर् कहर्ाता है अर्ाथत यदद सभी
साधनों में 5% की वद्
ृ र्ध होती है तो उ्पादन में 5% से कम वद्ृ र्ध होगी
अर्ाथत 3% की वद्ृ र्ध। इस अवस्त्र्ा में सीमांत उ्पादन में कमी आएगी ।

कॉब - डििस उत्पादन र्िन


अर्थशास्त्र में सबसे सरर् और सबसे व्यापक रूप से जिस उ्पादन
फर्न का प्रयोग होता है वह कॉब - डगर्स उ्पादन फर्न है । यह
एक सांजख्यकीय उ्पादन फर्न है जिसे प्रोफेसरों ‘सी.वी कॉब’ और
पी.एच डगर्स ने ददया र्ा।
कॉब - डगर्स उ्पादन फर्न ननम्न प्रकार से अनुसरण करता है : Q
= bLaC1− a जिसमे Q = वास्त्तववक उ्पादन, L =श्रम, C = पूंिी, b =
श्रम की इकाइयों की संख्या, a = श्रम प्रनतपादक, 1-a = पूंिी का
प्रनतपादक,
ऊपर ददए गए उ्पादन फर्न के अनुसार, यदद उ्पादन के दोनों
दीघथकालिक उत्पादन र्िन – पैमाने के प्रनतर्ि साधनों (श्रम और पूंिी) में 1% की वद्
ृ र्ध होती है, तो उ्पादन (कुर्
दीघथकार् में, सभी साधन या कारक बदर् सकते हैं। पैमाने का प्रनतफर् उ्पाद) श्रम और पूंिी के प्रनतपादक के योग द्वारा बढ़ िायेगा अर्ाथत
उ्पाद में पररवतथन का अध्ययन करता है , िब सभी साधन या आगत (a+1-a) हो िायेगा। a+1-a =1 के बाद से, समीकरण के अनुसार, िब
पररवनतथत होते हैं। पैमाने में वद्
ृ र्ध का अर्थ है कक सभी आगतें और साधन आगतों में 1% की वद्ृ र्ध होती है, तो उ्पादन में भी 1% की वद्
ृ र्ध
समानुपात में बढ़ते हैं। होती है । इसप्रकार, कॉब - डगर्स उ्पादन फर्न केवर् जस्त्र्र पैमाने
के प्रनतफर् को वखणथत करता है।
पैमाने के प्रनतर्ि की तीन अवस्त्र्ाएं -
ऊपर ददए गए उ्पादन फर्न में, प्रनतपादकों का योग उ्पादन फर्न
में “पैमाने के प्रनतफर् की डडग्री को दशाथता है ।

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a + b >1 : बढ़ता हुआ पैमाने का प्रनतर्ि 4. TC और TVC वि एक दस
ू रे के समानांतर होते हैं।
a + b =1 : ष्स्त्र्र पैमाने का प्रनतर्ि
a + b <1 : ह्रासमान पैमाने का प्रनतर्ि औसत पररवती िाित
यह उ्पादन की पररवती र्ागत की प्रनत इकाई र्ागत है ।
िाित AVC = TVC / उ्पादन
उत्पादन की िाित:: वस्त्तुओं और सेवाओं के शर्ए ववशभन्तन आदानों पर AVC, आरं शभक उ्पादन में प्र्येक वद्
ृ र्ध के सार् र्गरता है ।
ककया िाने वार्ा व्यय । िब उ्पादन का इटितम स्त्तर प्राप्त होता है , तो AVC बढ़ना आरं भ हो
िाता है ।
िाित र्िन: िाित और उत्पादन के बीच कायाथत्मक संबध
ं । औसत कुि िाित (ATC) या औसत िाित (AC): यह उ्पादन की प्रनत
C=f(q) िहााँ f= कायाथ्मक संबंध, c= उ्पादन की र्ागत, q=उ्पाद की इकाई कुर् र्ागत को संदशभथत करता है ।
मारा सीमांत िाित : जब उत्पादन की एक अनतररतत इकाई का उत्पादन ककया
जाता है , तो यह कुि िाित में योि को बनाता है ।
िाित के प्रकार
MCn = TCn-TCn-1 or MC = ΔTC / ΔQ
निदी िाित: एक फमथ द्वारा वस्त्तु या सेवा के उ्पादन के शर्ए ककया नोि : MC, TFC द्वारा प्रभाववत नहीं होती है।
गया नगदी खचथ ।
स्त्पटि िाित: उ्पादन के साधनों को रखने में ककया गया वास्त्तववक AC और MC के बीच संबंध
भुगतान। उदाहरण के शर्ए-कायथ पर रखे गए मिदरु को मिदरू ी का • AC और MC दोनों, TC से उ्पन्तन होते हैं।
भुगतान, ककराए पर शर्ए गए आवास के शर्ए ककया गया भुगतान, • AC और MC दोनों, “U” आकृनत में होते हैं ( पररवती अनुपात का
कच्चे मार् की र्ागत आदद। ननयम)
अंतननथहहत िाित: स्त्वयं के स्त्वाशम्व वार्े उ्पादन के साधनों पर • िब AC र्गरता है तो MC भी र्गरता है और यह AC वि के नीचे होता
आने वार्े खचथ की र्ागत। उदाहरण के शर्ए – स्त्वामी की पूंिी पर है ।
र्गने वार्ा ब्याि, स्त्वयं की इमारत का ककराया, उद्यमी की सेवाओं • िब AC बढ़ता है तो MC भी बढ़ता है और AC वि के ऊपर होता है ।
के शर्ए वेतन आदद। • MC, AC को कािता है िब यह न्तयूनतम होता है , िहााँ MC = AC,
अवसर िाित: अगर्ा सबसे अच्छा पूवथ ननजश्चत ववकपप
राजस्त्व
स्त्र्ायी िाित: वह र्ागत िो उ्पादन के स्त्र्ायी साधनों पर खचथ की
राजस्त्व : एक फमथ द्वारा ददए गए उ्पाद की बािार में बबिी से प्राप्त धन
िाती है। िो कुछ भी उ्पादन के पैमाने तय ककए िा सकता है , ये
को रािस्त्व कहते हैं
र्ागतें स्त्र्ायी रहती हैं। ये र्ागतें सम दशाथती हैं िब उ्पादन शन्तू य
कुि राजस्त्व: ददए गए उ्पादन की बबिी से प्राजप्तयां या कुर् प्राजप्तयां।
होता है। ये र्ागतें अपपकार् के शर्ए उपजस्त्र्त होती हैं र्ेककन
TR = बेचीं गई मारा × कीमत (या) बेचा िया उत्पाद × कीमत
दीघथकार् में र्ुप्त हो िाती हैं।
औसत राजस्त्व: बेचे गए उ्पाद की प्रनत इकाई प्राप्त रसीद या रािस्त्व,
कुि पररवतथनीय िाित: TVC या पररवती/ अस्त्र्ायी र्ागत– वे र्ागतें
िो उ्पादन में परवतथन के सार् प्र्यक्ष रूप से अर्ग-अर्ग होती है । • AR = TR / बेचा गया उ्पादन
• AR और कीमत समान है।
ये र्ागतें उ्पादन के पररवती साधनों पर व्यय की िाती है । इन
• TR = बेचीं गई मारा × कीमत या बेचा िया उत्पादन × कीमत
र्ागतों को “प्रधान र्ागतें”, “प्र्यक्ष र्ागत” या “पररहायथ र्ागत” भी
कहते हैं। ये र्ागतें शून्तय होती हैं िब उ्पादन शून्तय होता है। • AR = (उ्पादन / मारा ×कीमत ) / उ्पादन / मारा

कुि िाित : ये वस्त्तुओं और सेवाओं के उ्पादन में साधनों और गैर- • AR= कीमत
• AR और मांग वि समान हैं। यह ववशभन्तन कीमतों पर मांगी गई मारा
साधन आगतों पर ककया िाने वार्ा कुर् व्यय है । यह उ्पादन के
ववशभन्तन स्त्तरों पर TFC और TVC के योग द्वारा प्राप्त होता है । को दशाथता है

सीमांत राजस्त्व: उ्पादन की एक अनतररतत इकाई को वविेता द्वारा


TC, TFC और TVC के बीच संबंध
1. TFC, x-अक्ष के क्षैनति होता है। बेचने पर प्राप्त अनतररतत रािस्त्व।
MRn = TR n - TR n-1 · TR = Σ MR
2. TC और TVC, पररवती अनप
ु ात के ननयम के कारण, S आकृनत(ये
आरम्भ ने ह्रासमान दर से बढ़ता है , कफर अंनतम रूप से बढ़ती हुई दर से AR और MR के बीच संबध
ं (िब कीमत जस्त्र्त बनी रहती है या पूणथ
बढ़ता है ) में होते हैं। प्रनतयोर्गता हो),
3. उ्पादन के शून्तय स्त्तर पर, TC, TFC के बराबर होता है।

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पूणथ प्रनतयोर्गता के तहत, वविेता कीमत र्ेने वार्ा होता है , बािार में 1. बािार मूपय पर सकर् घरे र्ू उ्पाद।
एकर् कीमत प्रचर्न में होती है । इस कारण से सभी वस्त्तुएं समरूप होती 2. बािार मूपय पर सकर् राटट्रीय उ्पाद।
हैं ओ समान कीमत पर बेचीं िाती हैं, AR = MR, पररणाम के अनुसार AR 3. बािार मूपय पर शद्
ु ध घरे र्ू उ्पाद।
और MR वि ox-अक्ष के क्षैनति समानांतर रे खा में हो िाएगा। (िब 4. बािार मूपय पर शद्
ु ध राटट्रीय उ्पाद।
कीमत जस्त्र्र या पूणथ प्रनतयोर्गता हो) 5. साधन र्ागत पर सकर् घरे र्ू उ्पाद।
6. साधन र्ागत पर शुद्ध राटट्रीय उ्पाद।
TR और MR के बीच संबध
ं (िब कीमत ननरं तर जस्त्र्र हो या पण
ू थ 7. साधन र्ागत पर सकर् घरे र्ू उ्पाद।
प्रनतयोर्गता हो)
8. साधन र्ागत पर सकर् राटट्रीय उ्पाद।
िब केवर् एक कीमत होती है, तब वविेता कोई भी मारा इस कीमत पर
9. ननिी आय।
बेच सकता है , कुर् रािस्त्व में जस्त्र्र दर से वद्
ृ र्ध होती है (MR x-अक्ष से 10. व्यैजततक आय।
क्षैनति है )
11. व्यय योग्य व्यैजततक आय।

एकागधकार और एकागधकारी बाजार के तहत, AR और MR के बीच संबंध( (1) बाजार मप


ू य पर सकि घरे िू उत्पाद (MP पर GDP):-
कीमत में पररवतथन या अपूणथ प्रनतयोगिता के तहत)
बािार मप
ू य पर सकर् घरे र्ू उ्पाद दे श के अपने क्षेर के भीतर ननशमथत
• दोनों बािारों में AR और MR वि का नीचे की और ढर्ान हो िाएगा।
अंनतम सामान और सेवाओं का कुर् धन मप
ू य है । इसशर्ए एमपी पर
• AR, MR के ऊपर है।
िीडीपी की गणना के शर्ए घरे र्ू क्षेर में
• AR ऋणा्मक कभी नहीं हो सकता।
उ्पाददत सभी वस्त्तओ
ु ं और सेवाओं को उनके संबर्ं धत मप
ू यों से गण
ु ा
• AR वि, एकार्धकार बािार में कम र्ोचदार होता है तयोकक इसका
ककया िाता है। प्रतीका्मक MP पर GDP = PXQ। िहां P, बािार मप
ू य
कोई स्त्र्ानापन्तन वस्त्तुएं नहीं होता है ।
है और Q अंनतम सामान और सेवाएं है।
• AR वि, एकार्धकारी बािार में अर्धक र्ोचदार होता है तयोकक यहााँ (2) बाजार मप
ू य पर सकि राटरीय उत्पाद (MP पर GNP):-
स्त्र्ानापन्तन वस्त्तुएं होती हैं।
बािार मप
ू य पर सकर् राटट्रीय उ्पाद एक व्यापक और ववस्त्तत

अवधारणा है । बािार मप
ू य पर सकर् राटट्रीय उ्पाद ववदे शों से प्रनत
TR और MR के बीच संबंध(िब कीमत उ्पादन की बबिी में वद्
ृ र्ध के
काउं िर प्र्स शद्
ु ध साधन आय में सार्ाना उ्पाददत सभी अंनतम उ्पादों
सार् र्गरती है )
के धन मूपय को मापता है । र्घु िीएनपी में िीडीपी और शद्
ु ध साधन
• अपूणथ प्रनतयोर्गता के तहत AR नीचे की ओर झुकेगा, िो अर्धक
आय ववदे शों से अजिथत की गई है। िीएनपी में दे शवाशसयों द्वारा देश के
इकाइयों को केवर् एक कम कीमत पर बेच सकता है ।
बाहर उ्पाददत वस्त्तुओं के मूपय भी सजम्मशर्त ककया िाता है।
• MR , AR/ कीमत के प्र्येक बार र्गरने के सार् र्गरता है और AR
(3) बाजार मूपय पर शुद्ध घरे िू उत्पाद (MP पर NDP):-
वि के नीचे आता है।
बािार मूपय पर शद्
ु ध घरे र्ू उ्पाद, बािार मूपय पर सकर् राटट्रीय
• िब तक TR में वद्
ृ र्ध होती है , MR सकारा्कम रहता है।
उ्पाद तर्ा ववदे श से सकर् शुद्ध साधन आय के मध्य का अंतर है।
• TR र्गरता है िब MR ऋणा्मक होता है।
(4) बाजार मूपय पर शद्
ु ध राटरीय उत्पाद (MP पर NNP):-
• TR अर्धकतम होता है िब MR शून्तय है।
शुद्ध राटट्रीय उ्पाद, ककसी दे श में एक वषथ में उ्पाददत अंनतम वस्त्तुओं व
ब्रेक-ईवन बबंद:ु यह उस बबंदु पर होता है िहााँ TR = TC या AR=AC होता सेवाओं की चार्ू कीमत पर शद्
ु ध धन मूपय का मापक है। बािार मूपय
है । फमथ सामान्तय र्ाभ प्राप्त करे गी। कम मूपयह्रास पर यह सकर् राटट्रीय उ्पाद है । इसे आउिपि
ु पूंिी
नीचे जाता बबंदु : एक जस्त्र्नत िब एक फमथ केवर् पररवती र्ागतों को पररसंपवत्तयों के उ्पादन में र्गातार उपयोग ककया िाता है। इस
बचाने में सक्षम होती है या TR = TVC, ननजश्चत पूंिी की खपत को मूपयह्रास कहा िाता है । मूपयह्रास ननयत
सूर एक नजर में : पूंिी के मूपय की हानन का गठन करता है । इस प्रकार शुद्ध राटट्रीय
• TR = कीमत या AR × बेचा िया उत्पादन या TR = Σ MR उ्पाद एक वषथ के दौरान उ्पाददत अंनतम वस्त्तुओं और सेवाओं का शुद्ध
• AR (कीमत) = TR ÷ बेची गई इकाइयााँ धन मूपय है। कुर् उ्पादन से मूपयह्रास भत्ते को छोड़कर शद्
ु ध धन मूपय
• MR n = MR n – MR n-1 प्राप्त ककया िा सकता है ।
(5) साधन िाित पर सकि घरे िू उत्पाद (FC पर NDP):-
MACRO ECONOMICS
साधन र्ागत पर सकर् घरे र्ू उ्पाद या घरे र्ू आय वह आय होती है ,
समष्टि अर्थशास्त्र जिसे उ्पादन के सभी साधनों द्वारा एक वषथ के दौरान ककसी राटट्र के
राटट्रीय आय की मह्वपूणथ अवधारणाएं: घरे र्ू क्षेर के भीतर वेतन,ब्याि,र्ाभ और ककराए के रूप में की गयी

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कमाई है | इस प्रकार, साधन र्ागत पर सकर् घरे र्ू उ्पाद प्रादेशशक भुगतानों, व्यापाररक भुगतानों तर्ा सरकार से प्राप्त शुद्ध ब्याि को िोड़
अवधारणा है| दस
ू रे शब्दों में, अन्तय साधन र्ागत पर सकर् घरे र्ू उ्पाद, दे ते हैं|
ववदे श से शुद्ध साधन आय से कम साधन र्ागत पर शुद्ध राटट्रीय
(11) व्यय योग्य व्यैष्ततक आय:-
उ्पाद के समान है|
व्यय योग्य व्यैजततक आय ज्ञात करने के शर्ए, व्यैजततक आय में से
(6) साधन िाित पर शुद्ध राटरीय उत्पाद (FC पर NNP)
व्यैजततक प्र्यक्ष करों को घिाया िाता है , अर्ाथत वह आय जिसे र्ोग
साधन र्ागत पर शद्
ु ध राटट्रीय उ्पाद को ही राटट्रीय आय कहते हैं|
राटट्रीय आय अर्वा साधन र्ागत पर शद् अपनी इच्छा से व्यय करने के शर्ए स्त्वतंर हो, व्यय योग्य व्यैजततक आय
ु ध राटट्रीय उ्पाद
या प्रयोज्य आय कहर्ाती है| अन्तय शब्दों में सभी प्रकार के प्र्यक्ष कर
मिदरू ी,र्गान, ब्याि और र्ाभ के रूप में उ्पादन के साधनों को ददए
चक
ु ता करने के बाद ककसी व्यजतत के पास, िो आय शेष रह िाती है उसे
िाने वार्े भुगतानों को संदशभथत करती है | संक्षप
े में, समस्त्त साधन
व्यय योग्य व्यैजततक आय कहते हैं|
भुगतानों की योग को ही राटट्रीय आय कहते हैं| ककसी एक िेखा वषथ में
ककसी दे श की घरे िू सीमा में अष्जथत कुि साधन आय
अवधारणा
(ििान+मजदरू ी+ब्याज तर्ा िाभ) तर्ा ववदे शों से शुद्ध साधन आय का
• NNP Mp = GNP mp –मूपयह्रास
योि साधन िाित पर शुद्ध राटरीय उत्पाद अर्वा राटरीय आय कहिाता
• NDP Mp = GDPmp – मूपयह्रास
है |
• NDP Fc = NDP mp – शद्
ु ध अप्र्यक्ष कर (अप्र्यक्ष कर – सजब्सडी)
अर्ाथत साधन िाित पर शुद्ध राटरीय उत्पाद एक वषथ में एक देश के
• GDP Fc = NDP fc + मप
ू यह्रास
सामान्य ननवालसयों द्वारा अष्जथत कुि साधन आय का जोड होता है |
• NNP Fc = GDP mp - मूपयह्रास + ववदे श से शद्
ु ध साधन आय -
(7) साधन र्ागत पर सकर् घरे र्ू उ्पाद (FC पर GDP):
शुद्ध अप्र्यक्ष कर
साधन र्ागत पर सकर् घरे र्ू उ्पाद का सम्बन्तध ककसी दे श के घरे र्ू क्षेर
के भीतर उ्पाददत सभी अंनतम वस्त्तुओं और सेवाओं की कीमत से है| यदद नाममार GNP को पररभावषत करें :
साधन र्ागत पर शुद्ध घरे र्ू उ्पाद को ननयत पूाँिी के मूपयह्रास या Ans. GNP को वतथमान बािार मप
ू य के संदभथ में िीएनपी को नाममार
खपत से िोड़ ददया िाए, तो इसे साधन र्ागत पर सकर् घरे र्ू उ्पाद िीएनपी कहा िाता है।
कहा िाता है |
(8) साधन र्ागत पर सकर् राटट्रीय उ्पाद (FC पर GNP):- वास्त्तववक GNP को पररभावषत करें :

साधन र्ागत पर सकर् राटट्रीय उ्पाद, बािार मूपय पर सकर् राटट्रीय Ans. GNP की जस्त्र्र कीमतों पर गणना (आधार वषथ मप
ू य) की वास्त्तववक
उ्पाद से अप्र्यक्ष कर घिाकर व सजब्सडी िोड़कर प्राप्त ककया िाता है िीएनपी कहा िाता है।

अर्वा साधन र्ागत पर सकर् घरे र्ू उ्पाद से ववदे शों से शद्
ु ध साधन
साधन भि
ु तान: साधन भग
ु तान, सामान और सेवाओं को उपर्ब्ध कराने
आय िोड़कर प्राप्त ककया िाता है।
के एवि में ककया गया भग
ु तान है। एक श्रशमक को श्रम का भग
ु तान
(9) ननजी आय:-
साधन भग
ु तान होता है, तयोंकक उसने इसके शर्ए काम ककया र्ा।
ननिी आय से अशभप्राय उस आय से होता है , िो ननिी क्षेर के र्ोगों को
ककसी भी स्त्रोत से प्राप्त होती है| इसके अंतगथत ननिी क्षेर को शमर्ने भुितान रांजेतशन: यदद भुगतान की वापसी में सेवा या वस्त्तुएं देने में
वार्ी सभी आय भग
ु तान (िैसे- वेतन व मिदरू ी, ककराया, ब्याि, र्ाभ, कोई बंधन नहीं हो, तो इसे भग
ु तान ट्रांिेतशन कहा िाता है । उदाहरण:
शमर्श्रत आय आदद) तर्ा गैर-आय भग
ु तान(िैसे सभी प्रकार के ट्रांित
े शन दान, बुिुगथ पेंशन, बेरोिगारी भत्ता, छारववृ त्त आदद।
भग
ु तान ) आते हैं| इसमें ववदे शों से प्राप्त शद्
ु ध आय भी शाशमर् है| ननिी
क्षेर की आय ज्ञात करने क शर्ए, ननिी क्षेर को घरे र्ू उ्पाद से प्राप्त आय राटरीय आय की िणना की ववगधयां
में, ववदे शों से प्राप्त शद्
ु ध साधन आय भी िोड़नी होगी| इसके अनतररतत I – उत्पाद ववगध (मूपय वगधथत ववगध):
ननिी आय में सरकार के चार्ु ट्रांिेतशन, शेष ववश्व से शद्
ु ध चार्ु • बबिी + स्त्िॉक में बदर्ाव = आउिपुि का मप
ू य
ट्रांिेतशन व राटट्रीय ऋणों पर ब्याि को सजम्मशर्त ककया िाता है| • स्त्िॉक में बदर्ाव = स्त्िॉक बंद – स्त्िॉक आरम्भ
• आउिपि
ु का मूपय - मध्यवती उपभोग = सकर् मप
ू य िोड़ा
(10) व्यैष्ततक आय:- (िीडीपीएमपी)
वह आय िो दे शवाशसयों को वास्त्तव में प्राप्त होती है, व्यैजततक आय को • NNP Fc (N.I) = GDPMp (-) ननजश्चत पूंिी की खपत(अवमप
ू यन)
ज्ञात करने के शर्ए राटट्रीय आय में से ननगम करों तर्ा सामाजिक सुरक्षा • (+) ववदे श से शुद्ध साधन आय (-) शुद्ध अप्र्यक्ष कर।
प्रावधानों के शर्ए ककये गए भग
ु तान घिाते हैं तर्ा सरकारी ह्सस्त्तान्ततरण
आय ववगध:

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1. कमथचाररयों का मुआवज़ा व्यापक मुद्रास्त्र्ीनत: िब अर्थव्यवस्त्र्ा में सभी वस्त्तुओं की कीमत में
वद्
ृ र्ध होती है।
2. पररचािन अगधशेष
संपवत्त से आय – ककराया व रोयपिी ब्याि नछिपि
ु मद्र
ु ास्त्फीनत: िब कुछ क्षेरों में केवर् कुछ वस्त्तुओं की कीमतें
उद्यशमता से आय - र्ाभ, कॉपोरे ि र्ाभांश, िै तस बचत (शद्
ु ध प्रनतधाररत बढ़ती हैं, यह प्रकृनत में अनुभागीय है।
कमाई)
मुतत मद्र
ु ास्त्र्ीनत: िब सरकार मुद्रास्त्फीनत को खाररि करने की कोशशश
3. स्त्व-रोजिार की लमगश्रत आय नहीं करती है , इसे मुतत मद्र
ु ास्त्फीनत के रूप में िाना िाता है । मुतत
• NDP fc = (1) + (2) + (3) बािार अर्थव्यवस्त्र्ा में अपनी कीमतों को स्त्वयं तय करने की अनम
ु नत है ,
• NNP fc = NDP fc (+) ववदे श से शुद्ध साधन आय तो मुतत मुद्रास्त्फीनत होती है।
• GNP mp = NDP fc + ननधाथररत पूंिी की खपत + शुद्ध अप्र्यक्ष
कर (अप्र्यक्ष कर - सजब्सडी) अवरुद्ध मुद्रास्त्र्ीनत: िब सरकार मूपय ननयंरण, राशननंग इ्यादद के
व्यय ववगध: माध्यम से कीमतों में वद्
ृ र्ध को रोकती है , तो इसे अवरुद्ध मुद्रास्त्फीनत के
1. सरकार अंनतम उपभोग व्यय रूप में िाना िाता है, इसे दमनकारी मुद्रास्त्फीनत के रूप में भी िाना िाता
2. ननिी अंनतम उपभोग व्यय है ।
3. शद्
ु ध ननयाथत
अनत मद्र
ु ास्त्र्ीनत: अनत मुद्रास्त्फीनत एक ऐसी जस्त्र्नत को संदशभथत करती है ,
4. सकर् घरे र्ू पि
ूं ी ननमाथण = सकर् घरे र्ू ननधाथररत पूंिी ननमाथण +
िहां कीमतें खतरनाक उच्च दर से बढ़ िाती हैं। दाम इतनी तेिी से बढ़ते
स्त्िॉक में पररवतथन
GDPmp = (1) + (2) + (3) + (4) हैं कक इसके पररमाण को मापना बहुत कदठन हो िाता है। हार्ांकक,
NNP fc = GDPmp - ननधाथररत पूंिी की खपत + NFIA- शुद्ध अप्र्यक्ष मारा्मक शब्दों में, िब कीमतें 1000% प्रनत वषथ (चौगुनी या चार अंक
कर मुद्रास्त्फीनत दर) से बढ़ती हैं, इसे अनत मुद्रास्त्फीनत कहा िाता है ।
नोि : यदद पूंिी ननमाथण को, शुद्ध घरे र्ू पूाँिी ननमाथण के रूप में ददया गया
घािा जननत मद्र
ु ास्त्र्ीनत: घािा िननत मद्र
ु ास्त्फीनत, ववत्तीय अवमप
ू यन के
है , तो हम NDPmp. पूंिी ननमाथण पर पहुाँचते हैं = ननवेश
कारण होती है।
समष्टि का पररचय
क्रेडडि मुद्रास्त्र्ीनत: िेडडि मुद्रास्त्फीनत अर्थव्यवस्त्र्ा में अ्यर्धक बैंक
स्त्वायत्त खपत: वह खपत िो आय शून्तय होने पर, आय या व्यय राशश पर
िेडडि या मुद्रा आपनू तथ की कारण िेडडि मुद्रास्त्फीनत होती है।
ननभथर नहीं करती है।

दि
ु भ
थ ता मद्र
ु ास्त्र्ीनत: दर्
ु भथ ता मुद्रास्त्फीनत, िमाखोरी के कारण होती है ।
स्त्वायत्त ननवेश: वह ननवेश, िो आय के स्त्तर के बाविद
ू ककया िाता है ।
िमाखोरी, बेकार व्यापाररयों और कार्े बािाररयों द्वारा बुननयादी वस्त्तुओं
यह आमतौर पर सरकारी क्षेर द्वारा चर्ाया िाता है , यह आय ननरर्थक
का अनतररतत संग्रहण होता है।
है । स्त्वायत्त ननवेश का दायरा आय के सभी स्त्तर पर समान है।

िाभ मुद्रास्त्र्ीनत: िब उद्यमी अपने र्ाभ माजिथन को बढ़ाने में रुर्च रखते
ननवेश िुणक और इसका कायथ
हैं, तो कीमतें बढ़ िाती हैं।
ननवेश गण
ु क, ननवेश में वद्
ृ र्ध और आय में पररणामी वद्
ृ र्ध के बीच संबध

दशाथता है ।
ु ास्त्र्ीनत: वह मद्र
माँि प्रेररत मद्र ु ास्त्फीनत िो आय बढ़ने, िनसंख्या
ननवेश गुणक, ननवेश में पररवतथन के शर्ए आय में बदर्ाव का अनप
ु ात है ।
ववस्त्फोि आदद, िैसे ववशभन्तन कारकों के कारण उ्पन्तन होती है; और कुर्
गुणक (k) =Δy/ΔI.
मांग को बढ़ाती है और कुर् आपनू तथ से अर्धक हो िाती है , और तब
गुणक का मूपय उपभोग के शर्ए सीमांत प्रववृ त्त के मूपय पर ननभथर करता
वस्त्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ा दे ती है । यह मांग-प्रेररत या
है । (MPC).
अनतररतत मांग मद्र
ु ास्त्फीनत के रूप में िानी िाती है ।
k और MPC के मध्य सीधा सम्बन्तध है।
कॉस्त्ि -पुश मुद्रास्त्र्ीनत: िब मार् और सेवाओं के उ्पादन के बढ़ते रहने
मुद्रास्त्फीनत के प्रकार
के कारण कीमतें बढ़ती हैं, इसे कॉस्त्ि -पुश (सप्र्ाई-साइड) मुद्रास्त्फीनत के
रूप में िाना िाता है। उदाहरण के शर्ए,यदद मिदरू ों का वेतन बढ़ता है ,
तो उ्पादन की इकाई र्ागत भी बढ़ िाती है। पररणामस्त्वरूप, ननशमथत व

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आपूनतथ ककये िा रहे अंनतम उ्पादों या अंनतम सेवाओं की कीमतों में ववभाग, CBDT द्वारा सावषत होता है तर्ा भारत सरकार के ववत्त मंरार्य
स्त्वत: वद्
ृ र्ध हुई है। के रािस्त्व ववभाग का एक भाग है।

मद्र
ु ा आपनू तथ- कॉपोरे ि आयकर
भारतीय ररिवथ बैंक भारत का केन्तद्रीय बैंक है। यह हमारे देश की मौदद्रक यह कर, एक वषथ में ककसी कॉपोरे ि द्वारा अजिथत ककये गए र्ाभ पर
प्रणार्ी का प्रबंधन करता है। इसने हमारे देश में मद्र
ु ा आपनू तथ को चार र्गाया िाता है । भारत में कॉपोरे ि कर की दर, कम्पननयों से एकर ककया
घिकों में वगीकृत ककया है । गया कर है।
जो इस प्रकार हैं:
M1 = िनता के सार् मद्र प्रनतभूनत िेनदे न कर
ु ा। इसमें शसतके और मद्र
ु ा नोि + िनता की मांग
िमा। M1 को संकीणथ मद्र प्रनतभूनत र्ेनदे न कर को 2004 में प्रस्त्तुत ककया गया, िो इजतविी (यानी
ु ा के नाम से भी िाना िाता है ;
M2 = M1 + डाक घर बचत िमा; शेयर, डडबेंचरों या अन्तय कोई सरु क्षा) की बबिी और खरीद पर र्गाया
िाता है । दस
ू रे शब्दों में, ककसी व्यजतत पर शसतयोररिीि माकेि के िररए
M3 = M1 + बैंक के सार् िनता का समय िमा। M3 को व्यापक मद्र
ु ा के
रूप में भी िाना िाता है ; और उ्पन्तन होने वार्ी आय, शेयरों के माध्यम से या डडबेंचर के माध्यम से
भारत सरकार द्वारा कर र्गाया िाता है और उसी कर को शसतयोररिीि
M4 = M3 + कुर् डाक घर ऑकफस िमा।
ट्रांिैतशन िै तस या प्रनतभनू त र्ेनदे न कर कहा िाता है ।
नोि: बचत िमाओं के अर्ावा, र्ोग पोस्त्ि ऑकफस के सार् ववशभन्तन
पररपतवता अवर्ध की सावर्ध िमा रखते हैं।
बैंककं ि नकद िेनदे न कर
बैंककं ग र्ेनदे न कर, वह कर है जिसे बैंक खातों के डेबबि (और/या िेडडि)
कािजी मुद्रा: संचर्न में करें सी नोि सामान्तय रूप से कागिी मुद्रा के रूप
पर र्गाया िाता है। यह स्त्वचाशर्त रूप से समाशोधन या ननपिान की
में िाना िाता है । उदाहरण के शर्ए, भारत सरकार द्वारा िारी ककए गए
प्रकिया में एक केंद्रीय प्रनतपक्ष द्वारा स्त्वत: एकबरत ककया िा सकता है ।
एक रुपए का नोि कागिी मुद्रा है । आरबीआई द्वारा िारी ककए गए नोिों
को आम तौर पर बैंक नोट्स के रूप में संदशभथत ककया िाता है । वे प्रकृनत में
पूंजी िाभ कर:
प्रोशमसरी नोट्स होते हैं।
पूाँिी र्ाभ कर, िैसा कक नाम से पता चर्ता है कक यह पि
ूं ी में र्ाभ पर
कर है। यदद आप बबिी संपवत्त, शेयर, बांड और कीमती वस्त्तुओं आदद पर
भारत में कर संरचना
र्ाभ कमाते हैं, तो आप को पूाँिी र्ाभ कर का भुगतान करना चादहए।
कर, धन की वह राशश होती है जिसे सरकार द्वारा ककसी व्यजतत या
• संपवत्त कर
ननगमों पर सीधे या अप्र्यक्ष रूप से र्गाया िाता है ताकक रािस्त्व
• उपहार कर
उ्पन्तन हो जिससे कक भारत में ककसी भी कार्े धन की गनतववर्धयों की
• आवास कर
िांच कर सकें।
• व्यावसानयक कर
केंद्रीय सरकार द्वारा आय, सीमा शुपक, केंद्रीय उ्पाद शप
ु क और सेवा कर
• डीिीसी
पर कर र्गाया िाता है। राज्य सरकार, कृवष आयकर (केवर् बागानों से
आय), मप
ू यवर्धथत कर (वैि) / बबिी कर, स्त्िै म्प ड्यूिी, राज्य एतसाइि,
अप्रत्यक्ष कर
भूशम रािस्त्व, ववर्ाशसता कर और व्यवसायों पर कर र्गाती है । स्त्र्ानीय
आप सप
ु र बािार में वस्त्तुएं खरीदने िाते हैं या एक रे स्त्तरां में खाना खाने
ननकायों को संपवत्तयों, चग
ंु ी कर / प्रवेश कर और िर् आपनू तथ, िर्
िाते हैं, तो आप अतसर दे खते हैं कक आपने जितनी धनराशश का आनंद
ननकासी आदद िैसी उपयोर्गताओं के पर भी कर र्गाने का अर्धकार है ।
शर्या, उससे अर्धक धनराशश रे स्त्तरां द्वारा आपसे र्ी िाती है , यह

प्रत्यक्ष कर – अनतररतत राशश ही अप्र्यक्ष-कर कहर्ाती है, िो बबचौशर्यों द्वारा एकर


की िाती है और िब बबचौशर्यों की आय पर सरकार ‘कर’ र्गाती है तो
ये कर प्र्यक्ष रूप से र्ोगों पर र्गाया िाता है | भारत में एकबरत होने यह अनतररतत धन सरकार के कोष में िाता है । अत: यह ज्ञात होता है कक
वार्े कर में ये र्ोग बड़ा योगदान देते हैं| यह कर आम नागररकों से अप्र्यक्ष रूप से शर्या िाता है ।

आयकर - अप्र्यक्ष कर :-
यह एक प्रकार का कर है, जिसे उन र्ोगों पर र्गाया िाता है जिनकी आय • बबिी कर
करयोग्य श्रेणी (2.5 र्ाख प्रनतवषथ) के अंतगथत आती है । भारतीय आयकर • वैि (मूपय योजित कर)
• सीमा शुपक

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• चुंगी उत्तर: यह ववत्तीय वषथ िो 1 अप्रैर् से 31 माचथ तक चर्ता है इसमें सरकार
• उ्पाद शप
ु क की प्राजप्तयों और व्यय के आंकर्नों का वावषथक वववरण होता है।
• एंिी डंवपंग ड्यूिी
2. बजि के दो व्यापक भािों के नाम बताइए?
• मनोरं िन कर
उत्तर: i) रािस्त्व बिि ii) पूंिी बिि
• पर्कर (TOLL TAX)
• सेवा कर
3. दो बजि प्राष्प्तयां तया हैं?
• िीएसिी- वस्त्तु एवं सेवा कर
उत्तर: i) रािस्त्व प्राजप्तयां ii) पूंिी प्राजप्तयां

मप
ू य संवधथन कर
4. राजस्त्व प्राष्प्तयों के दो प्रकारों के नाम बताइए?
िब हम ग्राहक या खरीददार वस्त्तुओं और सेवाओं की कीमत के शर्ए
उत्तर: i) कर रािस्त्व ii) गैर-कर रािस्त्व
अनतररतत राशश का भग
ु तान करते हैं, तो इस अनतररतत राशश को वैि कहा
िाता है । अब इस कर को ‘वस्त्तु एवं सेवा कर से प्रनतस्त्र्ावपत कर ददया 5. कर के दो प्रकार कौन से हैं?
गया है । उत्तर: a)प्र्यक्ष कर : i) आय कर, ii) ब्याि कर, iii) संपवत्त कर
b) अप्र्यक्ष कर: i) सीमा-शुपक, ii) उ्पाद शुपक, iii) बबिी कर
सीमा शुपक
सीमा शुपक भारत में आयानतत होने वार्ी वस्त्तुओं के सार्, भारत से 6. पूंजी प्राष्प्तयों की मुख्य मदें तया हैं?
ननयाथनतत होने वार्ी वस्त्तुओं पर र्गने वार्ा एक प्रकार का अप्र्यक्ष कर उत्तर: a) बािार ऋण (िनता से सरकार द्वारा उठाए गए ऋण)
है । भारत में, सीमा शप
ु क के करारोपण और संचयन के शर्ए सीमा शुपक b) सरकार द्वारा उधारी
अर्धननयम, 1962 है । यह आयात और ननयाथत पर सीमा शुपक के c) ववदे शी सरकारों और अंतरराटट्रीय ववत्तीय संस्त्र्ाओं से प्राप्त ऋण.
करारोपण और संचयन को प्रदान करवाता है ।
7. ववकास संबंधी व्यय के दो उदाहरण दीष्जए?
सेवा कर- उत्तर: रे र्वे और डाक का योिना व्यय
भारत में सेवाओं को प्रदान करवाने पर भारत सरकार द्वारा सेवा कर
र्गाया िाता है । सेवा प्रदाता इस कर को एकर करके, सरकार को भग
ु तान 8. िैर-ववकास संबंधी व्यय के दो उदाहरण दीष्जए?

कर देता है । यह सेवाओं की नकारा्मक सच


ू ी में सेवाओं को छोड़कर सभी उत्तर: i) रक्षा पर व्यय

सेवाओं पर शुपक शर्या िाता है। ii) ब्याि भुगतान

बबक्री कर:- 9. बजि अगधशेष को पररभावषत कीष्जए?

बबिी चर्ायमान वस्त्तुओं की बबिी पर र्गाया िाता है। उत्तर : एक बिि अर्धशेष वह है िहााँ अनुमाननत रािस्त्व, अनम
ु ाननत
व्यय से अर्धक होता हैं।
सीमा शप
ु क और चंि
ु ी (वस्त्तओ
ु ं पर):-
सीमा शप
ु क भारत में आयानतत वस्त्तुओं पर र्गाया िाने वार्ा अप्र्यक्ष 10. बजि घािे की चार अिि-अिि अवधारणाएं तया हैं?

कर है । भारत में ववदे शी दे शों से आयानतत वस्त्तुओं पर यह कर र्गाया उत्तर: a) बििीय घािा b) रािस्त्व घािा

िाता है । c) प्रार्शमक घािा d) ववत्तीय घािा


चंि
ु ी वह कर है िो एक राज्य से अन्तय राज्य में प्रवेश करने के शर्ए
बजि
वस्त्तओ
ु ं की खपत या बबिी के शर्ए र्ागू होता है। सामान्तय शब्दों में इसे
दो प्रकार की राजस्त्व प्राष्प्तयों के नाम बताइए?
प्रवेश कर करते हैं।
उत्तर: i) कर रािस्त्व ii) गैर कर रािस्त्व

उ्पाद शप
ु क :-
करों के दो प्रकार तया हैं।
उ्पाद शुपक दे श के भीतर वस्त्तुओं के उ्पादन पर र्गने वार्ा एक प्रकार
a) प्र्यक्ष कर: i) आय कर, ii) ब्याि कर, iii) संपवत्त कर
का कर है । इस कर का अन्तय नाम सेनवैि (CENVAT) (केन्तद्रीय मूपय
b) अप्र्यक्ष कर: i) सीमा-शुपक, ii) उ्पाद-शुपक, iii) बबिी कर
वर्धथत कर) है ।
पूंजी प्राष्प्तयों की मुख्य मदें तया हैं??
सरकारी बजि और अर्थव्यवस्त्र्ा
a) बािार ऋण (िनता से सरकार द्वारा उठाए गए ऋण)
1. बजि को पररभावषत कीष्जए?
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b) सरकार द्वारा उधार राशशयााँ d) प्रार्लमक घािा : - यह ववत्तीय घािा को ब्याि भग
ु तान से घिाने से
c) ववदे शी सरकारों और अंतरराटट्रीय ववत्तीय संस्त्र्ाओं से प्राप्त ऋण। प्राप्त होता है । सूर : P.D= F.D – I.P, P.D= प्रार्शमक घािा, F.D= ववत्तीय
घािा, I.P= ऋण भग
ु तान।
ववकास संबंधी व्यय के दो उदाहरण दीष्जए?
उत्तर: रे र्वे और डाक का योिना व्यय भुितान शेष : अर्थ और घिक

िैर- ववकास संबंधी व्यय के दो उदाहरण दीष्जए? अर्थ: एक दे श का भग


ु तान शेष, एक दी गई समय अवर्ध में एक देश के
उत्तर: i) रक्षा पर व्यय ii) ब्याि भुगतान नागररकों और ववदे शी दे शों के ननवाशसयों के बीच सभी आर्र्थक र्ेन-दे नों
का व्यवजस्त्र्त ररकोडथ होता है ।
बजि अगधशेष को पररभावषत कीष्जए?
उत्तर: एक बिि अर्धशेष वह है िहााँ अनुमाननत रािस्त्व, अनुमाननत व्यय व्यापर शेष और भुितान शेष
से अर्धक होता हैं। व्यापर शेष: व्यापर शेष, ननयाथत के मुद्रा मूपय और भौनतक वस्त्तुओं के
आयात के मप
ू य (दृश्य आइिम) के बीच अंतर है ।
बजि घािे की चार ववलभन्न अवधारणाओं को बताइए? भुितान शेष: एक दे श का भग
ु तान शेष, एक दी गई समय अवर्ध में एक
a) बिि घािा b) रािस्त्व घािा
दे श के नागररकों और ववदे शी दे शों के ननवाशसयों के बीच सभी आर्र्थक
c) प्रार्शमक घािा d) रािकोषीय घािा
र्ेन-दे नों का व्यवजस्त्र्त ररकोडथ होता है । इसमें दृश्य और अदृश्य मदें
शाशमर् हैं। अत: भग
ु तान शेष एक दे श के आर्र्थक र्ेन-दे नों का ववश्व के
राजस्त्व व्यय और पंज
ू ी व्यय का तया अर्थ है ? शेष दे शों के सार् व्यापार शेष का स्त्पटि र्चर प्रस्त्तुत करता है।
i) राजस्त्व व्यय:- यह सरकारी ववभागों को सामान्तय रूप से संचाशर्त करने
भुितान शेष की संरचना का िेखांकन
और ववशभन्तन सेवाओं के शर्ए प्रावधान िैसे ऋण पर ब्याि शुपक,
सजब्सडी आदद पर आने वार्ा व्यय है ।
एक भुगतान शेष वववरण एक दे श के कुर् आर्र्थक र्ेन-दे नों के
अन्ततराथटट्रीय र्ेखा का संक्षक्षप्त वववरण है । ये दो प्रकार के खाते होते हैं।
ii) पूंजी व्यय:- यह मुख्य रूप से भूशम, भवन, मशीनरी, उपकरण आदद
तरह की संपवत्तयों के अर्धग्रहण पर खचथ आदद और केंद्र सरकार और केंद्र
1. चािू खाता: ननम्नशर्खखत तीन मदों को इसमें ररकोडथ ककया िाता है ।
शाशसत प्रदे शों द्वारा ऋण और अर्ग्रम को मंिरू ी दे ने से सम्बंर्धत है ।
a) व्यापार की दृश्यमान वस्त्तुए:ं ननयाथत और आयात की वस्त्तुओं के शेष
को, दृश्यमान व्यापार का शेष कहते हैं।
बजि घािे की चार ववलभन्न अवधारणाओं को स्त्पटि कीष्जए?
b) अदृश्य व्यापार: सेवाओं के ननयाथत और आयात को अदृश्य व्यापार का
बिि घािे की चार ववशभन्तन अवधारणाएं इस प्रकार है -
शेष कहते हैं। उदाहरण- शशवपंग बीमा आदद।
a) बिि घािा:- यह सरकार के कुर् व्यय, मौिूदा रािस्त्व और शुद्ध
c) एकतरर्ा स्त्र्ानान्तरण: एकतरफा स्त्र्ानान्ततरण वे प्राजप्तयां है िो एक
आंतररक और बाह्सय पूंिी प्राजप्तयों के बीच अंतर है।
दे श के नागररक प्राप्त करते हैं या भुगतान करते हैं, िो एक देश के
सूर : B.D = B.E > B.R (B.D= बििीय घािा, B.E. =बििीय व्यय ,B.R= नागररकों को बबना की ककसी भुगतान के प्राप्त होती है , उदाहरण के शर्ए
बििीय रािस्त्व उपहार आदद।
b) ववत्तीय घािा:- यह सरकार के कुर् व्यय के बीच अंतर है , रािस्त्व दृश्यमान व्यापार ,अदृश्यमान व्यापार और एकतरफा स्त्र्ानान्ततरण के
प्राजप्तयां + वह पूंिी प्राजप्तयां िो सरकार से अंनतम रूप से उपाजिथत होती शेष का शुद्ध मान, चार्ू खाते पर शेष कहर्ाता है ।
हैं।
2. पूंजी खाता: यह उन सभी अंतराथटट्रीय र्ेन-देनों का ररकॉडथ है िो एक
सर
ू : F.D = B.E - B.R (B.E > B.R. उधारी से अर्ग) F.D=ववत्तीय घािा, दे श के नागररकों द्वारा उसकी पररसंपवत्तयों को एक ववदे शी नागररक के
B.E= बििीय व्यय, B.R. = बिि प्राजप्तयां सार् बदर्ने या एक ववदे शी नागररक के सार् उसकी दे यताओं को बदर्ना
c) राजस्त्व घािा : - इसमें सरकार का रािस्त्व व्यय, रािस्त्व प्राजप्तयों से शाशमर् है।
अर्धक होता है ।.
ववननमय
सूर : R.D= R.E – R.R., िब R.E > R.R., R.D= रािस्त्व घािा, R.E= रािस्त्व
व्यय, R.R. = रािस्त्व प्राजप्तयों,
1. ववदे शी ववननमय दर को पररभावषत कीष्जए?

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उत्तर: ववदे शी ववननमय दर, वह दर है जिस पर एक दे श की मद्र
ु ा को अन्तय उत्तर: स्त्पॉि ववननमय दर, उस दर को संदशभथत करता है जिस पर ववदे शी
दे श की मुद्रा से बदर्ा िा सकता है। मुद्राएाँ स्त्पॉि पर उपर्ब्ध होती हैं।

2. ववदे शी ववननमय बाजार का तया अर्थ है? 8. अग्रसर बाजार को पररभावषत कीष्जए?
उत्तर: ववदे शी ववननमय बािार, वह बािार है िहााँ अन्ततराथटट्रीय मद्र
ु ाओं का उत्तर: भववटय की सुपद
ु थगी के शर्ए ववदे शी ववननमय के बािार को अग्रसर
एक-दस
ू रे के शर्ए व्यापार ककया िाता है । बािार के रूप में िाना िाता है ।
3. ष्स्त्र्र ववननमय दर का तया अर्थ है?
उत्तर:जस्त्र्र ववननमय दर, वह दर है िो एक दे श की सरकार द्वारा जस्त्र्र 9. भुितान शेष से तया अलभप्राय है?

और ननधाथररत होती है और केवर् सरकार ही इसे पररवनतथत कर सकती है । उत्तर : भग


ु तान शेष एक दे श का, ववश्व के शेष दे शों के सार् ककए गए सभी
आर्र्थक र्ेन-दे नों के र्ेखा वववरण के ररकोडथ को संदशभथत करता है।
4. ववननमय की संतुिन दर तया है?
उत्तर: ववननमय की संतुर्न तब होती है िब आपनू तथ और ववदे शी मद्र
ु ा के
शर्ए मांग एक-दस
ू रे के बराबर हो।

5. िोचदार ववननमय दर को पररभावषत कीष्जए?


उत्तर: र्ोचदार ववननमय दर, वह दर है िो ववदेशी ववननमय बािार में
ववशभन्तन मद्र
ु ाओं की मांग और आपनू तथ को ननधाथररत करता है।

6. मुद्राओं के अगधमप
ू यन का तया अर्थ है?
उत्तर: मुद्राओं का अर्धमूपयन तब होता है िब अन्तय दे शों की मुद्राओं के
संबंध में ववननमय मान में वद्
ृ र्ध होती है ।

7. स्त्पॉि ववननमय दर को पररभावषत कीष्जए?

भारतीय राजव्यवस्त्र्ा कैप्सूि


संववधान का ननमाथण : कारण, पाककस्त्तान के शर्ए एक पर्
ृ क संववधान सभा बनाई गई और
a) भारत के संववधान का ननमाथण एक संववधान सभा द्वारा ककया गया कुछ प्रान्ततों के प्रनतननर्ध सभा के सदस्त्य नहीं बन पाए.
िो कैबबनेि शमशन योिना (1946) के अन्ततगथत स्त्र्ावपत की गई र्ी. पररणामस्त्वरूप संववधान सभा के सदस्त्यों की संख्या घिकर 299 रह
b) संववधान सभा ने स्त्वतंर भारत के शर्ए संववधान बनाने का यह गई.
ऐनतहाशसक कायथ र्गभग 3 वषों (2 वषथ, 11 महीने और 18 ददन) में
कैबबनेि लमशन
पूरा ककया.
यूरोप में द्ववतीय ववश्व युद्ध 09 मई 1945 को एक अंत पर आ चुका र्ा.
c) इस दौरान कुर् 165 ददनों के 11 सर आयोजित ककये गए. इसमें से
114 ददन तक संववधान के प्रारूप पर ववचार और चचाथ के ननशमत्त नई बब्दिश सरकार ने भारत संबंधी अपनी नीनत की घोषणा करते हुए

र्गे. संववधान ननमाथण ननकाय बनाने की बात की. तीन बब्दिश कैबबनेि मंरी
भारत की स्त्वतंरता के सवार् के हर् के शर्ए भारत भेिे गए. मंबरयों (र्ाडथ
d) कैबबनेि शमशन की संस्त्तुनतयों के आधार पर संववधान सभा की रचना
की गई र्ी जिसके सदस्त्यों का अप्र्यक्ष चुनाव प्रांतीय ववधानसभाओं पैर्र्क र्ारें स, सर स्त्िै फ़ोडथ किप्स, ए वी अर्ेतिेंडर) के इस समह
ू को

के सदस्त्यों द्वारा ककया गया र्ा. इसकी रचना ननम्नशर्खखत प्रकार कैबबनेि शमशन कहा गया. यह शमशन भारत में माचथ 1946 से मई 1946
तक रहा. कैबबनेि शमशन ने संववधान के
से र्ी :
(i) 292 सदस्त्य प्रांतीय ववधानसभाओं से चुने गए र्े
फ्रेमवकथ पर चचाथ की और संववधान ननमाथण तंर द्वारा अपनाये िाने वार्ी
(ii) 93 सदस्त्य भारतीय ररयासतों के प्रनतननर्ध्व र्े
प्रकिया के संबध
ं में कुछ ववस्त्तत
ृ वववरण ननधाथररत ककये. बब्दिश भारत के
(iii) 4 सदस्त्य चीफ कशमश्नर प्रान्ततों के प्रनतननर्ध र्े
प्रान्ततों के 296 सीिों के चुनाव िुर्ाई-अगस्त्त तक संपन्तन हो गए. सभा ने
इस प्रकार कुर् सदस्त्यों की संख्या 389 र्ी.
09 ददसम्बर 1946 को कायथ आरम्भ कर ददया.
e) हार्ााँकक 3 िून, 1947 की माउन्तिबिन योिना के तहत ववभािन के

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प्रर्म अंतररम राटट्रीय सरकार रूप से छोडे िए क्षेर के
संववधान सभा लिए उप
a) भारत के र्ोगों ने प्रांतीय ववधानसभाओं के सदस्त्यों का चुनाव ककया सलमनत
जिन्तहोंने कफर संववधान सभा का चुनाव ककया.
b) डॉ रािेंद्र प्रसाद, सरदार पिे र्, मौर्ाना अबुर् कर्ाम आिाद और डॉ बब्रहिश भारत में संवैधाननक सुधार

श्यामा प्रसाद मुखिी सभा में कुछ प्रमुख नेता र्े.


रे ग्युिहे िंि एति, 1773:
c) फ्रैंक एंर्नी एंग्र्ो-भारतीय समुदाय का प्रनतननर्ध्व कर रहे र्े.
द्वैध शासन की समाजप्त
d) पारशसयों के प्रनतननर्ध एच.पी. मोदी र्े.
बंगार् के गवनथर को ‘बंगार् का गवनथर िनरर्’ पद नाम ददया गया
e) अपपसंख्यक सशमनत के प्रमुख एक प्रनतजटठत ईसाई हीरे न्तद्र कुमार
जिसके अधीन सभी बब्दिश क्षेर ददए गए.
मुखिी र्े िो एंग्र्ो-भारनतयों के अनतररतत शेष सभी ईसाईयों का
कर्कत्ता में सप्र
ु ीम कोिथ की स्त्र्ापना
प्रनतननर्ध्व कर रहे र्े.
4 वषों के शर्ए कोिथ ऑफ़ डायरे तिसथ का ननवाथचन
f) सजच्चदानंद शसन्तहा संववधान सभा के प्रर्म अध्यक्ष र्े. बाद में, डॉ रािेंद्र
डायरे तिसथ की संख्या 24 सीशमत कर दी गई, जिसमें से एक चौर्ाई
प्रसाद संववधान सभाके अध्यक्ष चुने गए िबकक डॉ भीमराव अम्बेडकर
प्रनतवषथ सेवाननवत्त
ृ हो िाते र्े.
प्रारूप सशमनत के अध्यक्ष ननयत
ु त ककए गए
बंगार् में गवनथर िनरर् वारे न हेजस्त्िं ग्स और एवं उनकी सहायता के
सलमनतयां
शर्ए चार सदस्त्यीय कायथकारी पररषद् का गठन ककया गया. 4 सदस्त्य
1. प्रकक्रया ननयम सलमनत डॉ राजेंद्र प्रसाद
र्े – कफशर्प फ्रांशसस, तर्ावेररंग, मोंसोन और बारवेर्.
2. सञ्चािन सलमनत
3. ववत्त एवं संशोगधत अगधननयम : 1781
स्त्िार् सलमनत
4. राटर ध्वज संबंधी तदर्थ अपनी अर्धकाररक क्षमता में कंपनी के सरकारी कशमथयों के कायों को
सलमनत सप्र
ु ीम कोिथ के क्षेर से बाहर रखा गया.
सप्र
ु ीम कोिथ का अर्धकार क्षेर पररभावषत ककया गयाउसे अपनी .
5. राज्य सलमनत पंडडत जवाहरिाि नेहरु
. संघ शष्तत सलमनत प्रकिया एवं ननणथय देते समय भारतीयों के धाशमथक एवं सामाजिक
रीनत ररवािों और परम्पराओं को ध्यान में रखना र्ा है और उनका
. संघ संववधान सलमनत
सम्मान करना र्ा.
6. मि
ू अगधकारअपपसंख्यक , वपिभभाई पिे ि गवनथर िनरर् की पररषद् में ननशमथत ननयम एवं रे गुर्ेशंस सुप्रीम
जनजानतय एवं बहहटकृत कोिथ के सार् पंिीकृत नहीं होते र्े.
क्षेरों के लिए परामशथ
का वपट्िस इंडडया एति 1784:
सलमनत
कंपनी और संसदीय बोडथ ऑफ़ डायरे तिसथ के रूप में सरकार द्वारा
7. प्रारूप सलमनत डॉ बी आर अम्बेडकर
द्वैध शासन र्ागू हुआ.
8. सदन सलमनत बी पट्िालभ सीतारामैय्या
कंपनी के मामर्ों में बब्दिश सरकार को और अर्धक ननयंरण ददया
गया.
9. संववधान सभा के कायथ जीमाविंकर .वी.
संबंधी कंपनी, राज्य के अधीनस्त्र् एक सहायक ववभाग बन गई.

सलमनत गवनथर िनरर् की पररषद् के सदस्त्यों की संख्या घिाकर तीन कर दी


गई.
10. अपपसंख्यक उप एचमख
ु जी .सी.
सलमनत
1786 का एति :
गवनथर िनरर् को पररषद् से भी ऊपर प्रबर् बनाने के शर्ए अर्धक
11. मूि अगधकार जेकृपिानी .बी.
अर्धकार ददए गए और कमांडर इन चीफ बना ददया गया. यह
उपसलमनत-
कानथवाशर्स को भारत की गवनथर िनरर्शशप स्त्वीकारने के शर्ए
12. पूवोत्तर फ्रंहियर िोपीनार् बारदोिोई
ककया गया.
जनजातीय क्षेर एवं असम को
छोडकर तर्ा आंलशक 1793 का चािथर एति :

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कंपनी को और 20 वषों तक व्यापर करने का एकार्धकार ददया गया.
भारत पररषद् अर्धननयम, 1909 या मार्े-शमन्तिो सुधार:
कोिथ द्वारा व्याख्यानयत शर्खखत कानून द्वारा सरकार की नींव राखी
गई. इसमें मुजस्त्र्म के शर्ए पर्
ृ क प्रनतर्ध्व की व्यवस्त्र्ा की गई.

भारत शासन अर्धननयम, 1919 या मोंिे ग-चेम्सफोडथ सुधार:


1813 का चािथर एति :
चीन के सार् व्यापर एवं पव प्रान्ततों में द्ववशासन प्रणार्ी का प्रवतथन ककया गया.
ू ी दे शों के सार् व्यापर के अनतररतत
कंपनी का भारत में व्यापर करने का एकार्धकार छीन शर्या गया. प्रांतीय शासन के ववषयों को दो वगों में ववभाजित ककया गया :

पहर्ी बार, भारत में शशक्षा व्यवस्त्र्ा के शर्ए एक र्ाख रुपये की राशश
हस्त्तांतररत
की व्यवस्त्र्ा की गई.
इसमें ववधान पररषद् के प्रनत उत्तरदायी मंबरयों की सहायता से गवनथर
शासन करता र्ा.
1833 का चािथर एति :
चाय और चीन के सार् व्यापार में कंपनी के एकार्धकार को समाप्त आरक्षक्षत

कर ददया गया. आरक्षक्षत ववषयों पर गवनथर कायथपाशर्का पररषद् की सहायता से

कंपनी को अपनी व्यापाररक गनतववर्धयााँ बंद करने को कहा गया. शासन करता र्ा, िो ववधान पररषद् के प्रनत उत्तरदायी नहीं र्ी.

बंगार् के गवनथर िनरर् को भारत का गवनथर िनरर् बना ददया पहर्ी बार दे श में द्ववसदना्मक व्यवस्त्र्ा प्रारं भ हुई, हार्ााँकक
वास्त्तववक रूप में यह 1935 के अर्धननयम के बाद ही संभव हो पाया.
गया. (भारत के प्रर्म गवनथर िनरर् र्ाडथ ववशर्यम बेंदिक बने).
राज्य सर्चव को बब्दिश कोष से भग
ु तान ककया गया.
1853 का चािथर एति : भारत का आयुतत पद
इस एति ने कंपनी के अर्धकारों को नये शसरे से तय ककया और
भारत शासन अगधननयम, 1935:
बब्दिश िाउन के तहत भारतीय क्षेरों को अपने कब्िे में बनाये रखने
की अनुमनत दी. इसने अखखर् भारतीय संघ की स्त्र्ापना की, जिसमें शाशमर् र्े-
बब्दिश प्रान्तत
शसववर् सेवकों के भरती हे तु खुर्ी वावषथक प्रनतयोर्गता की व्यवस्त्र्ा
दे सी ररयासतें
की. (भारतीयों के शर्ए नहीं)
दे सी ररयासतों को संघ से िड़
ु ने का ननणथय स्त्वेच्छा से करना र्ा और
भारत सरकार अगधननयम ,1858: इसशर्ए यह संघ कभी अजस्त्त्व में आया ही नहीं तयोंकक संघ के शर्ए
भारत में कंपनी का शासन समाप्त कर बब्दिश िाउन के हार्ों में न्तयूनतम आवश्यक ररयासतों ने भी अपनी सहमती नहीं दी.
सौंपा गया. केंद्र में द्वैध शासन प्रणार्ी प्रारं भ की (िैसे- ववदे श मामर्ों का और
भारत के शर्ए राज्य सर्चव पद (बब्दिश कैबबनेि का एक सदस्त्य) का रक्षा ववभाग गवनथर िनरर् के पास आरक्षक्षत कर ददए गए)
सि
ृ न प्रान्ततों में द्वैध शासन प्रणार्ी समाप्त कर प्रांतीय स्त्वायत्ता दी गई.
वह ताि की शजततयों का प्रयोग करता र्ा. बमाथ (अब म्यांमार) को भारत से अर्ग कर ददया गया.
भारत सर्चव भारत पर गवनथर िनरर् के माध्यम से शासन करते र्े.
गवनथर िनरर् को वायसराय पदनाम ददया गया. वह भारत सर्चव भारतीय संववधान के भाि

का प्रनतननर्ध्व करता र्ा, उसकी सहायता के शर्ए एक कायथकारी 1. भाि I अनच्


ु छे द 1-4 भारत का राज्यक्षेर,

पररषद् बनाई गई जिसमें सदस्त्य सरकार के उच्च अर्धकारी र्े. प्रवेश, स्त्र्ापना और नये राज्यों का ननमाथण
2. भाि II अनच्
ु छे द 5-11 नागररकता
वपट्स इंडडया एति 1784 द्वारा स्त्र्ावपत द्वैध शासन प्रणार्ी को
अंततः समाप्त कर ददया गया. 3. भाि III अनच्
ु छे द 12-35मर्
ू अर्धकार

4. भाि IV अनुच्छे द 36-51 राज्य की नीनत के ननदे शक त्व


भारत पररषद् अगधननयम, 1861:
अब कायथकारी पररषद् को केंद्रीय ववधानपररषद कहा िाने र्गा. भाि IV A अनुच्छे द 51-क मूर् कत्तथव्य. यह 1976 में 42वें संशोधन
द्वारा िोड़ा गया.
गवनथर गवनथर िनरर् को अध्यादेश िारी करने के शर्ए अर्धकृत
ककया. 5. भाि V अनुच्छे द 52-151 संघ सरकार
6. भाि VI अनुच्छे द 152-237 राज्य सरकार
भारत पररषद् अगधननयम, 1892: 7. भाि VII अनच्
ु छे द 238 7वें संशोधन से ननरशसत में 1956
प्रांतीय ववधान पररषदों में भारतीयों के शर्ए भी रास्त्ता खुर्ा. 8. भाि VIII अनुच्छे द 239-241 संघ राज्य क्षेर
चुनाव के कुछ त्व प्रस्त्ताववत ककये गए. 9. भाि IX Article 242-243 पंचायतें

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10. भाि X अनुच्छे द 244-244क अनुसूर्चत और 9. नौंवीं अनुसूची- 1951 में पहर्े संशोधन से िोड़ी गई. इसमें भशू म
िनिानत क्षेर स्त्वाशम्व, भशू म कर, रे र्वे, उद्योग संबंधी अर्धननयम और आदे श
11. भाि XI अनुच्छे द 245-263 संघ और राज्यों के 10. दसवीं अनुसूची- 1985 में 52वें संशोधन से िोड़ी गई. दर् पररवतथन
बीच संबंध के बारे में ननरअहताथ के बारे में उपबंध
12. भाि XII अनुच्छे द 264-300 ववत्त,संपवत्त , 11. ग्यारहवीं अनुसूची- 1992 में 73वें संशोधन से िोड़ी गई. पंचायती
संववदाएं और वाद राि संबंधी उपबंध
13. भाि XIII अनुच्छे द 301-307 भारत के राज्यक्षेर के 12. बारहवीं अनुसूची- 1992 में 74वें संशोधन से िोड़ी गई. नगर पाशर्का
भीतर व्यापार वाखणज्य और समागम , संबंधी उपबंध
14. भाि XIV अनच्
ु छे द 308-323 संघ और राज्यों के अधीन
हमारे संववधान के स्रोत
सेवाएाँ
भाि XIV-क अनुच्छे द 323ए-323 ख 42वें संशोधन द्वारा में 1976
भारतीय संववधान, ववश्व के र्गभग सभी प्रमुख दे शों से शमर्कर बना है
िोड़ा गया और इसमें वववादों एवं अन्तय शशकायतों के शर्ए
र्ेककन कफर भी इसकी अपनी ववशशटि ववशेषताएं हैं. प्रमुख स्रोत हैं :
प्रशासननक अर्धकरण की व्यवस्त्र्ा
1. भारत शासन अगधननयम, 1935 – संघीय तंर, राज्यपार् का
15. भाि XV अनुच्छे द 324-329 ननवाथचन और ननवाथचन
कायाथर्य, न्तयायपाशर्का, र्ोक सेवा आयोग, आपातकार्ीन उपबंध व
आयोग
प्रशासननक वववरण
16. भाि XVI अनुच्छे द 330-342 एससी एसिी और एंग्र्ो/
2. बब्रहिश संववधान – संसदीय शासन, ववर्ध का शासन, ववधायी प्रकिया,
भारतीयों के शर्ए ववशेष प्रावधान
एकर् नागररकता, मंबरमंडर् प्रणार्ी, परमार्धकार र्ेख, संसदीय
17. भाि XVII अनुच्छे द 343-351 रािभाषा
ववशेषार्धकार और द्ववसदनवाद
18. भाि XVIII अनुच्छे द 352-360 आपात उपबंध
3. संयुतत राज्य अमेररका का संववधान – मूर् अर्धकार, न्तयायपाशर्का
19. भाि XIX अनुच्छे द 361-367 प्रकीणथ अर्ाथत ववशभन्तन
की स्त्वतंरता, न्तयानयक पुनरावर्ोकन का शसद्धांत, उपराटट्रपनत का
ववषयों से संबंध ववशभन्तन उपबंध
पद, उच्चतम न्तयायार्य और उच्च न्तयायार्य के न्तयायाधीशों का पद
20. भाि XX अनच्
ु छे द 368 संववधान का संशोधन
से हिाया िाना और राटट्रपनत पर महाशभयोग
21. भाि XXI अनच्
ु छे द 369-392 अस्त्र्ायी, संिमणशीर्
4. आयरिैंड का संववधान – राज्य के नीनत-ननदे शक शसद्धांत, राटट्रपनत
और ववशेष उपबंध
के ननवाथचन की पद्धनत और राज्यसभा के शर्ए सदस्त्यों का
22. भाि XXII अनुच्छे द 393-395 संक्षक्षप्त नाम, प्रारं भ, दहंदी में
नामांकन
प्रार्धकृत पाठ और संववधान का ननरसन
5. कनाडा का संववधान- सशतत केंद्र के सार् संघीय व्यवस्त्र्ा, अवशशटि
संववधान की सगू चयाँ
शजततयों का केंद्र में ननदहत होना, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपार्ों की
1. पहिी अनस
ु च
ू ी – राज्य और संघ राज्यक्षेर
ननयजु तत और उच्चतम न्तयायर्य का परामशी न्तयाय ननणथयन
2. दस
ू री अनस
ु च
ू ी – राटट्रपनत, राज्यपार्, मख्
ु य न्तयायाधीश, उच्चतम
6. ऑस्त्रे लिया का संववधान- समवती सूची, संसद के दोनों सदनों की
और उच्च न्तयायर्य के न्तयायाधीश, ननयंरक-महार्ेखापरीक्षक की
संयुतत बैठक, व्यापार, वाखणज्य और समागम की स्त्वतंरता
आय एवं उनके बारे में उपबंध
7. जमथनी का संववधान- आपातकार् के समय मूर् अर्धकारों का
3. तीसरी अनस
ु च
ू ी- शपर् या प्रनतज्ञान के प्रारूप
स्त्र्गन
4. चौर्ी अनस
ु च
ू ी- राज्य सभा में स्त्र्ानों का आवंिन
8. फ़्ांस का संववधान- गणतंरा्मक और प्रस्त्तावना में स्त्वतंरता,
5. पांचवी अनस
ु च
ू ी- अनस
ु र्ू चत क्षेरों और अनस
ु र्ू चत िनिानतयों के
समता और बंधत
ु ा के आदशथ
प्रशासन और ननयंरण के बारे में उपबंध
9. दक्षक्षण अफ्रीका का संववधान- संववधान में संशोधन की प्रकिया और
6. छठी अनस
ु च
ू ी- असम, मेघार्य, बरपरु ा, शमिोरम और अरुणाचर्
राज्यसभा के सदस्त्यों का ननवाथचन
प्रदे श राज्यों के िनिानत क्षेरों के प्रशासन के बारे में उपबंध
10. जापान का संववधान – ववर्ध द्वारा स्त्र्ावपत प्रकिया
7. सातवीं अनस
ु च
ू ी- संघ और राज्य के बीच शजततयों और कायों के
11. सोववयत संघ (पूव)थ का संववधान: मूर् कत्तथव्य और प्रस्त्तावना में
ववभािन संबध
ं ी सर्ू चयााँ. इसमें 3 सर्ू चयााँ – संघ सच
ू ी (केंद्र सरकार के
न्तयाय (सामाजिक, आर्र्थक एवं रािनीनतक) का आदशथ
शर्ए), राज्य सच
ू ी (राज्य सरकार के शर्ए) और समवती सच
ू ी (संघ
और राज्य दोनों) संववधान की प्रस्त्तावना
8. आठवीं अनस
ु च
ू ी- संववधान द्वारा मान्तय 22 भारतीय भाषाओं की हमारा संववधान प्रस्त्तावना से प्रारं भ होता है. पंडडत नेहरु द्वारा ददया गया
सच
ू ी उद्द्शेय प्रस्त्ताव अंततोग्वा प्रस्त्तावना बना. यह संववधान ाा सार अर्वा

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मूर्त्व है . यह 42वें संववधान संशोधन अर्धननयम (1976) द्वारा बदर्ा मूर्तः संववधान में सात मूर् अर्धकार ददए गए र्े:
गया और इसमें तीन नए शब्द िोड़े गए – समािवादी, पंर्ननरपेक्ष और 1. समानता का अर्धकार [अनुच्छे द 14-18]
अखंडता. 2. स्त्वतंरता का अर्धकार [अनच्
ु छे द 19-22]
3. शोषण के ववरुद्ध अर्धकार [अनुच्छे द 23-24].
वतथमान में प्रस्त्तावना इस प्रकार है :
4. धमथ की स्त्वतंरता का अर्धकार [अनुच्छे द 25-28]
“हम भारत के र्ोग, भारत को एक सम्पण
ू थ प्रभ्ु व संपन्तन, समािवादी, 5. संस्त्कृनत और शशक्षा संबंधी अर्धकार [अनुच्छे द 29-30]
पंर्ननरपेक्ष, र्ोकतंरा्मक गणराज्य बनाने के शर्ए और इसके समस्त्त 6. संपवत्त का अर्धकार [अनुच्छे द 31]
नागररकों को : 7. सांववधाननक उपचारों का अर्धकार [अनच्
ु छे द 32]
सामाजिक, आर्र्थक और रािनीनतक न्तयाय,
ववचार, अशभव्यजतत, ववश्वास, धमथ हार्ााँकक, ‘संपवत्त का अर्धकार’ 44वें संववधान संशोधन अर्धननयम, 1978
और उपासना की स्त्वतंरता, द्वारा मर्
ू अर्धकारों से हिा ददया गया. इसे संववधान में अनच्
ु छे द 300-क
प्रनतटठा और अवसर की समता के तहत एक कानन
ू ी अर्धकार बना ददया गया. इसशर्ए अब केवर् छः
प्राप्त कराने के शर्ए, मर्
ू अर्धकार हैं.
तर्ा उन सब में व्यजतत की गररमा और 1. समानता का अगधकार [अनच्
ु छे द 14-18]
राटट्र की एकता तर्ा अखंडता
• अनुच्छे द 14:- ववर्ध के समक्ष समानता एवं ववर्धयों का समान
सुननजश्चत करने वार्ी बंधत
ु ा बढ़ाने के शर्ए
संरक्षण
दृढ़ संकजपपत होकर अपनी इस संववधान सभा में आि ददनांक 26
• अनुच्छे द 15:- धमथ, मूर्, वंश, शर्ंग और िन्तम के भेदभाव का
नवम्बर, 1949 ईस्त्वी (शमनत मागथशीषथ शुतर् सप्तमी, संवत दो हिार छह
प्रनतषेध
वविमी) को एतद द्वारा इस संववधान को अंगीकृत, अर्धननयशमत और
• अनुच्छे द 16:- र्ोक ननयोिन के ववषय में अवसर की समता
आ्मावपथत करते हैं.”
• अनुच्छे द 17 :- छुआछूत का अंत
प्रस्त्तावना में संशोधन ? • अनुच्छे द 18 :- सेना या ववद्या संबंधी सम्मान के शसवाय सभी
तया संववधान के अनुच्छे द 368 के तहत प्रस्त्तावना में संशोधन ककया िा उपार्धयों पर रोक
सकता है ? यह प्रश्न पहर्ी बार ऐनतहाशसक केस केशवानंद भारती मामर्े 2. स्त्वतंरता का अगधकार [अनच्
ु छे द 19-22]
(1973) में उठा. यह ववचार सामने आया कक इसमें संशोधन नहीं ककया िा • अनच्
ु छे द 19 :- यह भारतीय नागररकों को ननम्न छः अर्धकार देता है
सकता तयोंकक यह संववधान का भाग नहीं है . र्ेककन उच्चतम न्तयायर्य :-
ने व्यवस्त्र्ा दी कक प्रस्त्तावना संववधान का भाग है . अब तक प्रस्त्तावना को 1. वाक् एवं अशभव्यजतत की स्त्वतंरता

केवर् एक बार 42वें संववधान संशोधन अर्धननयम 1976 के द्वारा 2. सम्मर्ेन की स्त्वतंरता

संशोर्धत ककया गया है. इसके िररये इसमें तीन नए शब्द – समािवादी, 3. संगम एवं संघ बनाने की स्त्वतंरता

पंर्ननरपेक्ष और अखंडता को िोड़ा गया.इस संशोधन को वैध ठहराया 4. सवथरसंचरण की स्त्वतंरता

गया. 5. ननवास की स्त्वतंरता


6. व्यापार, व्यवसाय और रोिगार की स्त्वतंरता
मूि अगधकार • अनुच्छे द 20 :- अपराधों के शर्ए दोषशसद्र्ध के संबंध में संरक्षण

ये न्तयायोर्चत हैं। इनके उपर्ंघन होने पर, मूर् अर्धकारों को सुननजश्चत 3. शोषण के ववरुद्ध अगधकार [अनुच्छे द 23-24].
कराने के शर्ए ये व्यजतत को न्तयायार्य िाने की अनुमनत देते हैं. 4. धमथ की स्त्वतंरता का अर्धकार
5. संस्त्कृनत और शशक्षा संबंधी अर्धकार
इन्तहें उच्चतम न्तयायार्य द्वारा गारं िी एवं सरु क्षा प्रदान की िाती है .
• अनुच्छे द 21: प्राण और दै दहक स्त्वतंरता का संरक्षण
हार्ााँकक पीडड़त व्यजतत सीधे उच्चतम न्तयायार्य िा सकता है. राटट्रीय
• अनुच्छे द 22: कुछ दशाओं में र्गरफ़्तारी और ववरोध से संरक्षण
आपातकार् की सकियता के दौरान अनच्
ु छे द 20 और 21 में प्र्याभत

अर्धकारों को छोड़कर इन्तहें ननर्ंबबत ककया िा सकता है. अनच्
ु छे द 19 में 4. शोषण के ववरुद्ध अगधकार [अनुच्छे द 23-24].
उजपर्खखत 6 मर्
ू अर्धकारों को केवर् तब स्त्र्र्गत ककया िा सकता है , • अनुच्छे द 23 :- मानव के दव्ु याथपार और बर्ात श्रम का प्रनतषेध
िब यद्
ु ध या ववदे शी आिमण के आधार पर राटट्रीय आपातकार् की • अनुच्छे द 24 :- कारखानों आदद में 14 वषथ से कम आयु के बच्चों के
घोषणा की गई हो. ननयोिन का प्रनतषेध

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5. धमथ की स्त्वतंरता का अगधकार [अनुच्छे द 25-28]
यह जापानी मॉडि पर आधाररत है . कतथव्यों पर एक अर्ग अध्याय िोड़ने
• अनुच्छे द 25 :- अंतःकरण की और धमथ के अबाध रूप से मानने,
आचरण करने और प्रचार करने की स्त्वतंरता का सुझाव स्त्वणथ शसंह सशमनत ने इस आर्ोक में सुझाया र्ा कक अर्धकार
और कत्तथव्य एक दस
ु रे के परू क हैं. इसके अर्ावा, बाद में संववधान (86वां
• अनुच्छे द 26 :- धाशमथक कायों के प्रबंध की स्त्वतरता
संशोधन) अर्धननयम, 2002 द्वारा 51 A (k) के रूप में 11वां कत्तथव्य िोड़ा
• अनुच्छे द 27 :- ककसी ववशशटि धमथ के ववकास के शर्ए करों से छूि की
गया. यह है :
स्त्वतरता
• अनुच्छे द 28 :-कुछ शशक्षा संस्त्र्ाओं में धाशमथक शशक्षा या उपासना में
"भारत के प्र्येक नागररक का यह कत्तथव्य होगा कक वह “6 से 14 वषथ तक
उपजस्त्र्त होने के बारे में स्त्वतंरता
की आयु के बीच अपने बच्चों को शशक्षा उपर्ब्ध कराए.”
• अनुच्छे द 29 :- अपपसंख्यक वगों के दहतों का संरक्षण
• अनुच्छे द 30 :- शशक्षा संस्त्र्ाओं की स्त्र्ापना और प्रशासन करने का मूि कत्तथव्य 11
अपपसंख्यक वगों का अर्धकार भारत के प्र्येक नागररक का यह कत्तथव्य होगा -
1. संववधान का पार्न करे और उसके आदशों, संस्त्र्ाओं, राटट्र ध्वि
6. संपवत्त का अगधकार [अनच्
ु छे द 31]
और राटट्र गान का आदर करें .
• अनच्
ु छे द 31 :- 44वें संशोधन द्वारा ननरशसत
2. स्त्वतंरता के शर्ए हमारे राटट्रीय आंदोर्न को प्रेररत करने वार्े उच्च
आदशों को ह्रदय में संिोये रखे और उनका पार्न करे .
7. सांववधाननक उपचारों का अगधकार [अनच्
ु छे द 32]
• अनुच्छे द 32 :- इस भाग द्वारा प्रदत्त अर्धकारों को प्रवनतथत कराने के 3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे
अक्षुण्ण रखें.
शर्ए अर्धकार
4. दे श की रक्षा करे और आह्सवान ककये िाने पर राटट्र की सेवा करे .
भाि-IV: राज्य की नीनत के ननदे शक तत्त्व [अनच्
ु छे द 36 to 51] 5. भारत के सभी र्ोगों में समरसता और समान भ्रात्ृ व की भावना का
ननमाथण करे और ऐसी प्रर्ाओं का ्याग करे िो जस्त्रयों के सम्मान के
राज्य की नीनत के ननदेशक तत्त्व की उजतत से यह स्त्पटि होता है कक
ववरुद्ध हों.
नीनतयों एवं कानूनों को प्रभावी बनाते समय राज्य इन त्वों को ध्यान में
6. हमारी सामाशसक संस्त्कृनत की गौरवशार्ी परं परा का मह्व समझें
रखेगा. इसमें केंद्र और राज्य सरकारों की ववधानयका और कायथपाशर्का के
और उसका परररक्षण करें .
सभी अंग, सभी स्त्र्ानीय ननकाय और दे श में सभी अन्तय र्ोक प्रार्धकरण
7. प्राकृनतक पयाथवरण की रक्षा करें और उसका संवधथन करें .
शाशमर् हैं. ननदे शक त्वों की प्रकृनत गैर न्तयायोर्चत है यानन कक उनके
8. वैज्ञाननक दृजटिकोण मानववाद और ज्ञानािथन तर्ा सुधार की भावना
हनन पर न्तयायार्य द्वारा उन्तहें र्ागू नहीं कराया िा सकता. अतः सरकार
का ववकास करें .
(केंद्र या राज्य) इन्तहें र्ागू करने के शर्ए बाध्य नहीं हैं. इनका उद्दे श्य
9. सावथिननक संपवत्त को सरु क्षक्षत रखें और दहंसा से दरू रहें .
र्ोगों को सामाजिक और आर्र्थक न्तयाय ददर्ाना है.
10. व्यजततगत और सामदू हक गनतववर्धयों के सभी क्षेरों में उ्कषथ की
और बढ़ने का सतत प्रयास करें .
11. 6 से 14 वषथ तक की उम्र के बीच अपने बच्चों को शशक्षा उपर्ब्ध
कराए.

नािररकता
नागररक वह व्यजतत होता है िो उस समद
ु ाय या राज्य की पूणथ सदस्त्य का
र्ाभ प्राप्त करता है , जिसमें वह रहता है या सामान्तयतः रहता है . राज्य
अपने नागररकों से कुछ अनतररतत कतथव्यों की मांग करता है िो गैर-
नागररकों से अपेक्षक्षत नहीं होते.

नािररकता अष्जथत करने के तरीके


भारत का संववधान, नागररकता अर्धननयम (संशोर्धत), 1986 के तहत
मूि कत्तथव्य
पांच तरीकों से भारत की नागररकता प्रदान करता है . ये हैं:
भारतीय संववधान में 42वें संववधान संशोधन अर्धननयम, 1976 द्वारा
a) जन्म से नािररकता
अनुच्छे द 51 क के रूप में 10 मूर् कतथव्यों की सूची िोड़ी गई. इसके शर्ए
26 िनवरी, 1950 को या उसके बाद भारत में िन्तमा प्र्येक व्यजतत
संववधान में एक नया भाग IV क को िोड़ा गया.

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भारत का नागररक होगा यदद उसके िन्तम के समय उसके माता e) क्षेर समाववष्टि द्वारा नािररकता
वपता में से कोई एक भारत का नागररक हो और 1 िुर्ाई 1947, से यदद कोई नया क्षेर भारत का दहस्त्सा बनता है तो सरकार उस क्षेर से
पूवथ भारत में िन्तमा प्र्येक व्यजतत अपने माता वपता की िन्तम की सम्बंर्धत व्यजततयों को भारत का नागररक घोवषत कर सकती है .
राटट्रीयता के बाविद
ू भारत का नागररक होगा. यद्यवप, वह भारत
राटरपनत
का नागररक नहीं होगा यदद उसके िन्तम के समय :
अनच्
ु छे द 52 – भारत का एक राटट्रपनत होगा.
उसके माता वपता ववदेशी रािननयक हों या
उसके माता वपता शरु दे श के हों अनच्
ु छे द 53 –संघ की कायथपाशर्का शजतत राटट्रपनत में ननदहत होगी और
वह इसका प्रयोग इस संववधान के अनस
ु ार स्त्वयं या अपने अधीनस्त्र्
b) वंश के आधार पर नािररकता
अर्धकारीयों के माध्यम द्वारा करे गा .
कोई व्यजतत जिसका िन्तम 26 िनवरी 1950 को या उसके बाद
परन्ततु 10 ददसम्बर 1992 से पव
ू थ हुआ हो वह वंश के आधार पर भारत
इस प्रकार राटट्रपनत है :
नागररक बन सकता है यदद उसके वपता उसके िन्तम के समय भारत
(1) गणतंर का कायथकारी प्रमुख
का नागररक हो.
(2) सभी शासन संबंधी कायथ उसके नाम पर ककये िाते हैं. कायथकारी
c) पंजीकरण द्वारा नािररकता
शजतत के संचार्न में सहयोग और सुझाव दे ने के शर्ए राटट्रपनत
कोई व्यजतत िो भारत का नार्गरक नहीं है और ननम्न में से ककसी
मंबरपररषद का गठन करता है [अनच्
ु छे द 74(1)]. 42वें और 44वें
श्रेणी से सम्बंर्धत है तो वह नागररकता के शर्ए आवेदन दे सकता है
संववधान संशोधन अर्धननयम के अनुसार राटट्रपनत मंबरपररषद की
(वह भारत में कम से कम पांच वषों से रह रहा हो):
सर्ाह मानने के शर्ए बाध्य है .
1) भारतीय मूर् का व्यजतत िो नागररकता आवेदन दे ने से ठीक पूवथ 5
(3) वह भारत का प्रर्म नागररक होता है और वरीयता अनुिम में प्रर्म
वषों तक भारत में रह चुका हो.
स्त्र्ान पाता है. वरीयता पर (Warrant of Precedence) राज्य के
2) मदहर्ाएं जिन्तहोंने भारतीय नागररकों से वववाह ककया हो.
ववशभन्तन सरकारी कायथिमों में गणमान्तय व्यजततयों का अनुिम
3) भारत के नागररक के नाबाशर्ग बच्चे.
दशाथता है .
4) अर्धननयम की पहर्ी अनुसूची में उजपर्खखत दे शों का नागररक िो
(4) वह सशस्त्र बार्ों का सवोच्च कमांडर होता है .
पूरी आयु तर्ा क्षमता का हो.
d) प्राकृनतक रूप से नािररकता राटरपनत का चुनाव
केंद्र सरकार आवेदन प्राप्त होने पर ककसी ववदे शी व्यजतत को नागररकता भारत के राटट्रपनत अप्र्यक्ष ननवाथचन से चुने िाते हैं. उनका चुनाव एक
दे सकती है. यदद वह ननम्नशर्खखत योग्यताएं रखता हो- ननवाथचन मंडर् द्वारा आनुपानतक प्रनतननर्ध्व के आधार पर एकर्
1) ऐसे दे श से सम्बंर्धत नहीं हो, िहााँ भारतीय नागररक प्राकृनतक रूप संिमणीय मत प्रणार्ी द्वारा ककया िाता है.
से नागररक नहीं बन सकते. अनुच्छे द 54 –
2) भारतीय नागररकता के शर्ए आवेदन करने पर अन्तय दे श की ननवाथचक मंडर् में ननम्न र्ोग शाशमर् होते हैं:
नागररकता ्याग दे. (a) संसद के दोनों सदनों के ननवाथर्चत सदस्त्य (मनोनीत सदस्त्य शाशमर्
3) आवेदन से ठीक 12 माह पव
ू थ से वह भारत में रह रहा हो या भारत नहीं)
सरकार की सेवा में हो. इन 12 माह से पव
ू ,थ 7 वषों तक वह भारत में (b) राज्यों के ववधानसभाओं के ननवाथर्चत सदस्त्य (राटट्रीय रािधानी क्षेर
रह रहा हो और/या भारत सरकार की सेवा में हो. यह 4 वषथ से कम ददपर्ी और केंद्र शाशसत प्रदे श पद्
ु दच
ु ेरी ववधानसभाओं के ननवाथर्चत
नहीं होना चादहए. सदस्त्य)
4) उसका चररर अच्छा होना चादहए. राटरपनत चुनाव की प्रकक्रया
5) भारतीय संववधान की आठवीं अनस
ु च
ू ी में उजपर्खखत भाषाओँ में से भारत के राटट्रपनत के चुनाव संबंधी उपबंध अनच्
ु छे द 55 में और राटट्रपनत
ककसी एक का अच्छा ज्ञाता हो. एवं उपराटट्रपनत (चुनाव) अर्धननयम, 1952 में ददए गए हैं िो बाद में
6) प्राकृनतक रूप से नागररकता शमर्ने के बाद भारत में रहने का इच्छुक 1974 में संशोर्धत हुआ. संववधान के अनच्
ु छे द 55 में सुझाई गई प्रकिया
हो. है :
7) हार्ााँकक भारत सारकार उपरोतत शतों के मामर्ों पर एक या सभी एक ववधायक के मत का मूपय = राज्य की कुर् िनसाँख्या/ (कुर्
दावों को हिा सकती है यदद व्यजतत की ववशेष सेवा ववज्ञानं, दशथन, ननवाथर्चत ववधायकों की संख्या) x 1000
कर्ा, सादह्य, ववश्व शांनत या मानव उन्तननत से संबध
ं हो. इस प्रकार इसका अर्थ यह है कक एक राज्य के ववधायक के मत का मूपय ककसी अन्तय
से नागररक बने हर व्यजतत को भारत के संववधान के प्रनत ननटठां की राज्य के ववधायक के मत के मूपय से अर्ग हो सकता है. यह िनसाँख्या
शपर् र्ेनी होगी. के संबंध में बराबर प्रनतननर्ध्व दे ने के शर्ए ककया गया.

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अर्धकार होगा.
इसी प्रकार एक सांसद के मत का मूपय होता है :
(7) यदद दस
ू रा सदन आरोपों को सही पाता है और महाशभयोग प्रस्त्ताव
एक सांसद के मत का मूपय = सभी राज्यों और दो केन्तद्रशाशसत प्रदे शों को दो नतहाई बहुमत से पाररत कर देता है तो राटट्रपनत को प्रस्त्ताव
(ददपर्ी और पद्
ु दच
ु रे ी) के ववधायकों के मतों का कुर् मप
ू य/ (ननवाथर्चत पाररत होने की नतर्र् से उसके पद से हिाना होगा.
सांसदों की कुर् संख्या)
नोि:
यह फामर्
ूथ ा, सांसदों और ववधायकों के बीच मतों में बराबरी र्ाने के (a) राज्यों की ववधानसभाओं के ननवाथर्चत सदस्त्यों की महाशभयोग
उद्दे श्य से अपनाया गया. प्रकिया में कोई भूशमका नहीं होती िबकक वे राटट्रपनत का चुनाव
संववधान का अनच्
ु छे द 62 यह व्यवस्त्र्ा दे ता है कक पद ररततता को भरने करते हैं.
के शर्ए जितना िपदी संभव हो चन
ु ाव करा शर्ए िाएाँ, और ककसी भी (b) संसद के मनोनीत सदस्त्यों को महाशभयोग प्रस्त्ताव की चचाथ के दौरान
हार्ात में पद ररतत होने की नतर्र् से इसमें छः महीने से अर्धक दे री नहीं
ववमशथ करने और मत दे ने का अर्धकार है िबकक राटट्रपनत के चुनाव
होनी चादहए (यह पद ररततता राटट्रपनत की म्ृ यु, पद्याग या पद से
में उनका मत नहीं होता.
हिाए िाने या अन्तय कारण से हो सकती है ). इसमें यह भी खा गया है कक
राटट्रपनत की पदावर्ध की समाजप्त से हुई ररजतत को भरने के शर्ए कायथकारी राटरपनत द्वारा पदररततता को भरना
ननवाथचन, पदावर्ध की समाजप्त से पहर्े ही पण
ू थ कर शर्या िाएगा. (1) उप राटट्रपनत की अनप
ु जस्त्र्नत में यदद राटट्रपनत की म्ृ य,ु पद्याग
या महाशभयोग के कारण पद खररतत हो िाता है तो सवोच्च
राटरपनत के लिए योग्यताएं
न्तयायर्य के मख्
ु य न्तयायाधीश और उनकी अनप
ु जस्त्र्नत में सवोच्च
(a) वह भारत का नागररक हो.
न्तयायर्य का वररटठतम न्तयायाधीश नए चन
ु ाव संपन्तन होने तक
(b) 35 वषथ की आयु पूरी कर चुका हो.
कायथवाहक राटट्रपनत के रूप में कायथ करे गा और उसके कतथव्यों का
(c) र्ोकसभा का सदस्त्य चुने िाने के योग्य हो.
ननवाथह करे गा.
(d) वह भारत सरकार या ककसी राज्य की सरकार के अधीन अर्वा ककसी (2) यदद वतथमान राटट्रपनत अनप
ु जस्त्र्नत, बीमारी या अन्तय कारणों से
सावथिननक प्रार्धकरण में र्ाभ के पद पर न हो. एक वतथमान
अपने पद पर कायथ करने में असमर्थ हों तो उपराटट्रपनत उसके पन
ु ः
राटट्रपनत, उपराटट्रपनत, ककसी राज्य का राज्यपार् और संघ अर्वा पद ग्रहण करने तक कायथवाहक राटट्रपनत के रूप में कायथ करे गा और
राज्य का मंरी ककसी र्ाभ के पद पर नहीं माना िाता. इस प्रकार वह वह संववधान में वखणथत राटट्रपनत के समान वेतन, भत्ते और
राटट्रपनत पद के शर्ए अहथक उम्मीदवार होता है.
ववशेषार्धकार के पर होगा.

पुनः चन
ु े जाने के लिए योग्यता राटरपनत की ववधायी शष्ततयां
वह व्यजतत िो राटट्रपनत के पद पर हो या रहा हो, पुनः चुने िाने के शर्ए राटट्रपनत की ववधायी शजततयां ननम्न हैं:
योग्य होता है. 1. वह संसद का संयुतत अर्धवेशन बुर्ा सकता है और उसे स्त्र्र्गत कर
सकता है . वह प्रधान मंरी की अध्यक्षता वार्े मंबरपररषद की सर्ाह
राटरपनत पर महालभयोि प्रकक्रया [अनच्
ु छे द 61]
पर र्ोकसभा भंग कर सकता है .
(1) राटट्रपनत के कायथकार् समाप्त होने से पव
ू थ उनको महाशभयोग प्रकिया
2. वह प्र्येक नए चुनाव के बाद तर्ा प्र्येक वषथ संसद के प्रर्म
द्वारा हिाया िा सकता है .
अर्धवेशन को संबोर्धत कर सकता है .
(2) उन पर महाशभयोग केवर् तभी चर्ाया िाएगा िब उन्तहोंने संववधान
3. संसद द्वारा पाररत सभी ववधेयक राटट्रपनत की अनुमनत के बाद ही
का उपर्ंघन ककया हो.
कानून का रूप र्े सकते हैं. राटट्रपनत ककसी बबर् को संसद में
(3) यह एक अधथ न्तयानयक प्रकिया होती है.
पुनववथचार के शर्ए भेि सकता है , यदद वह धन ववधेयक या संववधान
(4) महाशभयोग प्रकिया संसद के ककसी भी सदन से शुरू की िा सकती है.
संशोधन ववधेयक न हो. पुनववथचार के बाद ववधेयक पास होकर िब
इस प्रस्त्ताव पर उस सदन के कुर् सदस्त्यों के न्तयूनतम ¼ सदस्त्यों के
राटट्रपनत के समक्ष रखा िाएगा तो उसे अनुमनत दे ना उनके शर्ए
हस्त्ताक्षर होने चादहए. ऐसा प्रस्त्ताव पाररत करने से पूवथ 14 ददन का
अननवायथ होगा.
नोदिस राटट्रपनत को दे ना आवश्यक होगा. यह प्रस्त्ताव उस सदन की
4. राटट्रपनत पॉकेि वीिो की शजतत का प्रयोग करते हुए ववधेयक को
कुर् सदस्त्य संख्या के कम से कम दो नतहाई बहुमत द्वारा पाररत
अपनी अनुमनत के शर्ए असीशमत समय के शर्ए अपने पास रोक
ककया गया हो.
सकता है .
(5) तब संसद का दस
ू रा सदन जिसे िााँच सदन कहा िाएगा, आरोपों की
5. संसद के दोनों सदनों की सरावसान की अवर्ध में सरकार को तुरंत
िााँच करे गा.
ककसी कायथ की आवश्यकता होती है तो राटट्रपनत अध्यादे श िारी कर
(6) राटट्रपनत को इसमें उपजस्त्र्त होने औ अपना प्रनतनर्ध्व करने का
सकता है िो उतना ही शजततशार्ी होता है जितना कक संसद से पास
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कोई अन्तय ववधेयक. राटट्रपनत भारत के सैन्तय बर्ों का सवोच्च सेनापनत होता है . वह संसद की
अनुमनत से युद्ध और उसकी समाजप्त की घोषणा करता है . सभी प्रमुख
राटरपनत की कायथकारी शष्ततयां संर्धयााँ और अनुबध
ं उसके नाम से ही होते हैं.
राटट्रपनत की कायथकारी शजततयां ननम्न हैं:
1. वह प्रधानमंरी और मंबरयों की ननयजु तत करता है और पीएम की आपातकािीन शष्ततयां
सर्ाह पर मंबरयों को उनके ववभाग का बंिवारा करता है . राटट्रपनत तीन प्रकार का आपातकार् घोवषत कर सकता है ,राटट्रीय-
2. राटट्रपनत ववशभन्तन मह्वपण
ू थ ननयजु ततयों के शर्ए जिम्मेदार होता है. राटट्रपनत शासन और ववत्तीय आपातकार्/राज्य
ये हैं:
राज्यों के राज्यपार्/मख् भारत का उपराटरपनत
ु य न्तयायाधीश, भारत के उच्चतम न्तयायार्य
और उच्च न्तयायार्य के अन्तय न्तयायाधीश/महान्तयायवादी/ननयंरक उपराटट्रपनत संसद के दोनों सदनों के सदस्त्यों के ननवाथचक मंडर् द्वारा

एवं महार्ेखा परीक्षक/मख् आनुपानतक प्रनतननर्ध्व के आधार पर एकर् संिमणीय मत प्रणार्ी


ु य ननवाथचन आयत
ु त और अन्तय ननवाथचन
द्वारा गुप्त मतदान से चुना िाता है . इस ननवाथचक मंडर् में संसद के दोनों
आयत
ु त/संघ र्ोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व अन्तय सदस्त्य/ अन्तय
दे शों में रािदत सदनों के सभी सदस्त्य शाशमर् होते हैं.
ू एवं उच्चायत
ु त
उप राटट्रपनत न तो संसद का और न ही ककसी राज्य ववधानसभा का
3. राटट्रपनत भारत की सशस्त्र बार्ों का सवोच्च कमांडर होता है.
सदस्त्य होना चादहए. यदद वह संसद या ककसी राज्य ववधानसभा का
ववत्तीय शष्ततयां सदस्त्य है तो उसे उपराटट्रपनत का पद ग्रहण करते ही अपनी सीि खर्ी
1. धन ववधेयक राटट्रपनत की पव
ू ाथनुमनत से ही संसद में प्रस्त्तुत ककया िा करनी होगी.
सकता है .
एक व्यष्तत को उप राटरपनत ननवाथगचत नहीं ककया जा सकता जबतक कक
2. वह वावषथक बिि और पूरक बिि को संसद के समक्ष रखता है.
वह-
3. राटट्रपनत प्र्येक 5 वषथ पर एक ववत्त आयोग ननयुतत करता है.
• भारत का नागररक हो और 35 वषथ की आयु पूणथ कर चुका हो.
न्यानयक
• राज्यसभा सदस्त्य बन्तने की योग्यता रखता हो.
1. राटट्रपनत सवोच्च न्तयायार्य के मख्
ु य न्तयायाधीश की ननयजु तत
• वह केंद्र सरकार अर्वा राज्य सरकार अर्वा ककसी स्त्र्ानीय प्रार्धकरण
करता है और उसकी सर्ाह पर अन्तय न्तयायाधीशों को ननयत
ु त करता
या अन्तय ककसी सावथिननक प्रार्धकरण के अंतगथत ककसी र्ाभ के पद पर
है .
न हो.
2. वह न्तयायाधीश को पदच्युत कर सकता है यदद संसद के दोनों सदन
उपजस्त्र्त सदस्त्यों के दो नतहाई बहुमत से ऐसा प्रस्त्ताव पाररत करते
उपराटरपनत को हिाना
हैं.
संववधान के अनस
ु ार राटट्रपनत को, राज्य सभा में पण
ू थ बहुमत (कुर् सदस्त्य
3. उसे क्षमादान दे ने का अर्धकार है. राटट्रपनत ककसी व्यजतत के
संख्या के 50% से अर्धक) से संकपप प्रस्त्ताव पाररत कर हिाया िा सकता
म्ृ युदंड को ननर्ंबबत, माफ़ या पररवनतथत कर सकता है .
है और इसे र्ोकसभा की सामान्तय बहुमत (मत करने वार्े में से 50%) से
क्षमादान – अपराधी को पूणत
थ ः क्षमा
अनुमनत आवश्यक है .
स्त्र्िन आदे श – फांसी को अस्त्र्ायी रूप से स्त्र्गन
सजा को हपका करना – सिा का प्रकार बदर्ना िो हर्के प्रकृनत की सिा उपराटरपनत के कायथ और शष्ततयां
हो उप राटट्रपनत के कायथ दोहरे होते हैं:
घिाववविम्ब/ – ववशेष मामर्े में सिा कम करना या दे री करना 1. वह राज्यसभा के पदे न सभापनत के रूप में कायथ करता है . इस सन्तदभथ
घिाव – सिा की प्रकृनत बदर्े बबना उसे कम करना में उसकी शजततयां व ् कायथ र्ोकसभा अध्यक्ष की भांनत ही होते हैं.
2. िब राटट्रपनत का पद उसके ्यागपर, ननटकासन, म्ृ यु या अन्तय
कूिनीनतक शष्ततयां
कारणों से ररतत हो िाता है तो वह कायथवाहक राटट्रपनत के रूप में
सभी अंतराथटट्रीय संर्धयााँ और समझौते राटट्रपनत के नाम पर ककये िाते हैं.
कायथ करता है . वह राटट्रपनत के रूप में केवर् छः महीने ही कायथ कर
यद्यवप, वास्त्तव में, ये बातचीत सामान्तयतः पीएम द्वारा अपने मंबरमंडर्
सकता है , इस बीच नया राटट्रपनत चन
ु शर्या िाना चादहए. इसके
की सहायता (ववशेषकर ववदे श मंरी) से की िाती हैं. इनके शर्ए संसद की
नतररतत वतथमान राटट्रपनत अनप
ु जस्त्र्नत, बीमारी या अन्तय ककसी
अनुमनत अननवायथ है . वह औपचाररक कायथिमों में, अंतराथटट्रीय मंचों व
कारण से अपने कायों को करने में असमर्थ हो तो वह राटट्रपनत के
मामर्ों में भारत का प्रनतननर्ध्व करता है . वह रािदत
ू ों व उच्चायुततों को
पुनः कायथ करने तक उसके कतथव्यों का ननवाथह करता है.
भेिता है एवं बुर्ाता है .
3. कायथवाहक राटट्रपनत के रूप में कायथ करने के दौरान उपराटट्रपनत
सैन्य शष्ततयां

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राज्यसभा के सभापनत के रूप में कायथ नहीं करता है. इस अवर्ध में संबंध में उपबंध है.
उसके कायों का ननवाथह उपसभापनत द्वारा ककया िाता है.
4. प्रर्म बार, िून 1960 में डॉ रािेंद्र प्रसाद के 15 ददन के सोववयत संघ नोि:
पीएम सदहत मंबरपररषद के सदस्त्यों की कुर् संख्या, र्ोकसभा की कुर्
के दौरे के समय उपराटट्रपनत डॉ सवथपपर्ी राधाकृटणन ने कायथवाहक
संख्या के 15% से अर्धक नहीं होगी. [91वां संववधान संशोधन
राटट्रपनत के रूप में कायथ ककया र्ा.
अर्धननयम, 2003]
5. प्रर्म बार, िून 1969 में, िब राटट्रपनत डॉ िाककर हुसैन का ननधन
हो गया र्ा और उपराटट्रपनत वी.वी. र्गरी ने ्यागपर दे ददया र्ा तब मंबरपररषद र्ोकसभा के प्रनत सामदू हक रूप से उत्तरदायी होगी. कोई
व्यजतत िो संसद के ककसी भी सदन का सदस्त्य नहीं है वह भी मंरी बन
दे श के मुख्य न्तयायाधीश एम ्. दहदायतुपर्ाह ने राटट्रपनत के रूप में
सकता है र्ेककन उसे छः माह के भीतर संसद के ककसी भी सदन की
कायथ ककया र्ा
सदस्त्यता र्ेनी होगी (ननवाथचन या नामांकन द्वारा) [अनच्
ु छे द 75(5)]
प्रधानमंरी मंबरपररषद तीन श्रेखणयों की होगी: कैबबनेि मंरी, राज्य मंरी और उप मंरी.
संववधान द्वारा प्रदत्त सरकार की संसदीय व्यवस्त्र्ा में राटट्रपनत केवर्
नाममार का कायथकारी पमख कैबबनेि मंरी: इनके पास केंद्र सरकार के मह्वपूणथ मंरार्य िैसे गहृ ,
ु होता है तर्ा वास्त्तववक कायथकारी शजततयां
रक्षा, ववत्त और ववदे श व ् अन्तय मंरार्य होते हैं.
प्रधानमंरी में ननदहत होती हैं. राटट्रपनत राज्य का प्रमख
ु होता है िबकक
प्रधानमंरी सरकार का प्रमख
ु होता है .
राज्य मंरी: राज्य मंबरयों को मंरार्य/ववभगों का स्त्वतंर प्रभार ददया िा

प्रधानमंरी की ननयष्ु तत सकता है अर्वा उन्तहें कैबबनेि मंरी के सार् र्गाया िा सकता है .

अनुच्छे द 75 क अनुसार प्रधानमंरी को राटट्रपनत ननयुतत करे गा. राटट्रपनत


उप मंरी : उप मंबरयों को स्त्वतंर प्रभार नहीं ददया िाता है . उन्तहें कैबबनेि
र्ोकसभा में बहुमत प्राप्त दर् के नेता को पीएम ननयुतत करता है . र्ेककन
अर्वा राज्य मंबरयों को उनके प्रशासननक, रािनैनतक और संसदीय कायों
िब र्ोकसभा में कोई भी दर् स्त्पटि बहुमत में न हो तो राटट्रपनत पीएम
में सहायता के शर्ए ननयुतत ककया िाता है . वे कैबबनेि के सदस्त्य नहीं होते
के चयन और ननयजु तत में अपनी वैयजततक वववेक स्त्वतंरता का प्रयोग
और कैबबनेि की बैठक में भाग नहीं र्ेते.
कर सकता है .
कायथकाि एक मंरी को िो संसद के ककसी एक सदन का सदस्त्य है , दस
ू रे सदन की
पीएम का कायथकार् तय नहीं होता और वह राटट्रपनत के प्रसाद पयंत कायथवाही में भाग र्ेने और बोर्ने का अर्धकार है परन्ततु वह उसी सदन में
अपने पद पर बना रह सकता है . अतः िब तक पीएम र्ोकसभा में अपना मत दे सकता है जिसका वह सदस्त्य है. [अनच्
ु छे द 88]
बहुमत रखता है राटट्रपनत द्वारा उसे हिाया नहीं िा सकता. तर्ावप यदद
वह र्ोकसभा का ववश्वास खो दे ता है तो उसे अननवायथ रूप से ्यागपर भारतीय संसद
दे ना होगा या राटट्रपनत उसे हिा सकते हैं. िोिों का सदन (िोक सभा)

प्रधानमंरी के कायथ और शष्ततयां र्ोक सभा संसद का प्रशसद्द, चर्चथत सदन है तयोंकक इसके सदस्त्य भारत
पीएम के कायथ और शजततयां ननम्न हैं: के आम मतदाताओं द्वारा सीधे चुन कर आते हैं. इस सदन के सभी

• वह राटट्रपनत को शसफाररश करता है कक ककसे मंरी बनाया िाएगा. सदस्त्य ननवाथर्चत होते हैं, केवर् एंग्र्ो-भारतीय समुदाय से दो सदस्त्य

• वह ककसी भी समय र्ोकसभा ववघदित करने की शसफाररश राटट्रपनत से राटट्रपनत द्वारा ननवाथर्चत ककए िाते हैं. संववधान में र्ोकसभा सदस्त्यों के
कर सकता है . संबंध में अनुच्छे द 81 में प्रावधान ककया गया है. इसके सदस्त्यों की
• वह नीनत आयोग, राटट्रीय ववकास पररषद्, राटट्रीय एकता पररषद्, अर्धकतम संख्या 552 (530 राज्यों से, 20 केन्तद्रशाशसत प्रदे शों से और 2

अंतरराज्यीय पररषद् और राटट्रीय िर् संसाधन पररषद् का अध्यक्ष एंग्र्ो-भारतीय समुदाय से हो सकते हैं) ननधाथररत की गई है. 2001 में
होता है . सरकार ने 84वें संववधान संशोधन अर्धननयम 2001, द्वारा सीिों की इसी
व्यवस्त्र्ा को 2026 तक के शर्ए बाधा ददया है .
केंद्रीय मंबरपररषद
िोकसभा की ववशेष शष्ततयां
भारत के संववधान में सरकार की संसदीय व्यवस्त्र्ा बब्दिश मॉडर् पर
कुछ शजततयां ऐसी हैं िो संववधान द्वारा केवर् र्ोकसभा को ही प्रदान की
आधाररत है . हमारी रािनीनतक-प्रशासननक व्यवस्त्र्ा की मुख्य कायथकारी
गई हैं, राज्यसभा को नहीं.ये शजततयां हैं –
अर्धकारी मंबरपररषद् होती है जिसका नेत्ृ व प्रधानमंरी करता है .
अनुच्छे द 74 में मंबरपररषद के संबंध में और अनच् 1. धन और ववत्तीय ववधेयक केवर् र्ोकसभा में ही पुनस्त्र्ाथवपत ककया
ु छे द 75 में मंबरयों की
ननयजु तत, कायथकार्, उत्तरदानय्व, योग्यताएं, शपर् एवं वेत्तन और भत्तों के िा सकता है .

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2. धन ववधेयक के संबंध में राज्यसभा केवर् शसफाररश कर सकती है 3) अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को 14 ददन पूवथ नोदिस दे कर सदन द्वारा
और र्ोकसभा इन शसफाररशों को स्त्वीकार या अस्त्वीकार कर सकती प्रभावी बहुमत से उनके पद से हिाया िा सकता है .
है . एक धन ववधेयक उच्च सदन द्वारा 14 ददन में पास करना पड़ता 4) अपने पद की ननटपक्षता और गररमा बनाये रखने के शर्ए अध्यक्ष
है . अन्तयर्ा ववधेयक सदन से स्त्वतः पास मान शर्या िाएगा. इस केवर् मत बराबर होने की दशा में मत दे सकता है और यह ननणाथयक
प्रकार र्ोकसभा धन ववधेयक पास करने के संबंध में ववशेष ववशेष मत कहर्ाएगा.
ववधायी अर्धकार रखती है.
3. मंबरपररषद केवर् र्ोकसभा के प्रनत उत्तरदायी होती है . इसीशर्ए अध्यक्ष की ववशेष शष्ततयां

ववश्वास और अववश्वास प्रस्त्ताव केवर् इसी सदन में रखा िा सकता


कुछ ऐसी शजततयां हैं िो केवर् र्ोकसभा अध्यक्ष को ही प्राप्त हैं िबकक
है .
समान शजततयां उसके समकक्ष, उच्च सदन के अध्यक्ष को भी नहीं प्राप्त
4. अनुच्छे द 352 के तहत र्ोकसभा ववशेष बैठक में राटट्रपनत द्वारा
हैं. ये हैं -
घोवषत आअ्कर्ीन घोषणाओं को स्त्वीकार अर्वा रद्द कर सकती
1. ककसी ववधेयक के धन ववधेयक होने या न होने के ननणथय का
है .
अर्धकार अध्यक्ष को ही है .
2. अध्यक्ष, और उसकी अनुपजस्त्र्नत में उपाध्यक्ष, संसद के दोनों सदनों
िोकसभा की अवगध
के संयुतत अर्धवेशन में पीठासीन होगा.
सामान्तयतः र्ोकसभा की अवर्ध 5 वषथ है . र्ेककन राटट्रपनत द्वारा सामान्तय
3. संसदीय सशमनतयां अध्यक्ष के अंतगथत ही कायथ करती हैं और उन
अवर्ध के पव
ू थ भी सदन को भंग ककया िा सकता है. अनच्
ु छे द 352 के
सशमनतयों के अध्यक्ष भी यही ननयत
ु त या मनोनीत करता है.
तहत राटट्रीय आपातकार् के समय इसका कायथकार् बढाया भी सकता है .
राज्यसभा के सदस्त्य भी कुछ सशमनतयों के सदस्त्य होते हैं.
4. यदद र्ोकसभा अध्यक्ष ककसी सशमनत का सदस्त्य है तो वह उस
सशमनत का पदे न अध्यक्ष होगा.

अध्यक्ष का ववशेष स्त्र्ान


संववधान र्ोकसभा अध्यक्ष के शर्ए एक ववशेष स्त्र्ान की व्यवस्त्र्ा देता है
-
1. यद्यवप यह र्ोक सभा का एक ननवाथर्चत सदस्त्य होता है तब भी वह
नई र्ोकसभा की पहर्ी बैठक तक अपने पद पर बना रहता है. यह
इसशर्ए तयोंकक वह न केवर् सदन की संसद की कायथवाही की
अध्यक्षता करता है बजपक र्ोकसभा सर्चवार्य के प्रमुख के रूप में
भी कायथ करता है िो सदन के भंग होने के बाद भी कायथ करता रहता
िोकसभा सदस्त्य के लिए योग्यताएं है .
र्ोकसभा सदस्त्य बनने के शर्ए एक व्यजतत : 2. अध्यक्ष संसद के दोनों सदनों के संयुतत अर्धवेशन की अध्यक्षता
1. भारत का नागररक होना चादहए. करता है.
2. 25 वषथ से कम आयु का न हो. 3. ककसी ववधेयक के धन ववधेयक होने या न होने का ननणथय अध्यक्ष
3. भारत के ककसी भी संसदीय क्षेर का पंिीकृत मतदाता हो. करता है और इस संबंध में यह ननणथय अंनतम होता है .
4. भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन ककसी र्ाभ के पद पर न 4. वह भारतीय संसदीय समह
ू का पदे न अध्यक्ष होता है िो भारत में
हो. अंतर-संसदीय संघ के रूप में कायथ करता है .
5. पागर् या ददवाशर्या नहीं होना चादहए.
प्रोिे म स्त्पीकर
6. संसद की ककसी ववर्ध के अंतगथत अयोग्य न हो.
संववधान के अनुसार, वपछर्ी र्ोकसभा का अध्यक्ष, नई र्ोकसभा की
िोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पहर्ी बैठक से ठीक पहर्े अपना पद खार्ी कर देता है . कफर राटट्रपनत,
र्ोकसभा का अध्यक्ष - सामान्तयतः र्ोकसभा के सबसे वररटठ सदस्त्य को प्रोिे म स्त्पीकर ननयुतत
1) र्ोकसभा का सवोच्च पीठासीन अर्धकारी होता है . करते हैं. प्रोिे म स्त्पीकर को राटट्रपनत स्त्वयं शपर् ददर्ाते हैं.
2) वह सदन की बैठकों की अध्यक्षता करता है और सदन की कायथवाही प्रोिे म स्त्पीकर के पास अध्यक्ष की सभी शजततयां होती हैं. वह नव
पर उसके फैसर्े अंनतम होते हैं. ननवाथर्चत र्ोकसभा की पहर्ी बैठक की अध्यक्षता करता है . उसका प्रमुख

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कायथ नए सदस्त्यों को शपर् ददर्ाना और अध्यक्ष का चुनाव कराना होता यह प्रस्त्ताव संसद का ध्यान अपनी और खींचता है . प्रस्त्ताव की वैधता
है . केवर् एक वषथ होती है र्ेककन इसे ववस्त्तार दे कर एक और वषथ के शर्ए
बढाया िा सकता है.
राज्य सभा
राज्य सभा या राज्यों की सभा भारतीय संसद का उच्च सदन है . इसकी द्ववतीय, राज्य सभा अनुच्छे द 312के अंतगथत राटट्रीय दहत में ववशेष
सदस्त्यता 250 सीशमत है जिसमें से 12 सदस्त्य, कर्ा, सादह्य, ववज्ञान बहुमत द्वारा अखखर् भारतीय सेवाओं का सि
ृ न कर सकती है .
और समाि सेवा के क्षेर में अपने योगदान के शर्ए राटट्रपनत द्वारा
मनोनीत ककये िाते हैं. तत
ृ ीय, राज्य सभा को उप-राटट्रपनत को हिाने के शर्ए प्रस्त्ताव र्ाने का

राज्यसभा सदस्त्यों का चन ववशेष अर्धकार है. ऐसा इसशर्ए तयोंकक उप-राटट्रपनत इसके अध्यक्ष होते
ु ाव राज्यों और केन्तद्रशाशसत प्रदे शों के ननवाथर्चत
सदस्त्यों द्वारा होता है . इसके सदस्त्यों का कायथकार् 6 वषथ होता है जिसमें हैं और उसी रूप में अपना वेतन पाते हैं.

से एक नतहाई सदस्त्य प्र्येक दो वषथ पर सेवामत


ु त हो िाते हैं. राज्य सभा
संसद संबंधी शब्दाविी
के सरों का तो अंत होता है ककन्ततु ननचर्े सदन की तरह यह कभी भंग
a) आहूत करना
नहीं होती. भारत के उप-राटट्रपनत (वतथमान में वैंकेया नायडू) इसके पदे न
संसद के प्र्येक सदन को राटट्रपनत समय-समय पर समान िरी करता है ,
अध्यक्ष होते हैं और इसकी बैठकों की अध्यक्षता करते हैं. उपाध्यक्ष, िो
र्ेककन संसद के दोनों सरों के बीच अर्धकतम अंतरार् 6 माह से ज्यादा
राज्यसभा के ननवाथर्चत सदस्त्यों में से होता है , वह अध्यक्ष की अनप
ु जस्त्र्नत
नहीं होना चादहए. दस
ू रे शब्दों में, संसद को कम से कम वषथ में दो बार
में सदन के ददन प्रनतददन के कायथ संभार्ता है . राज्य सभा की प्रर्म बैठक
शमर्ना चादहए. सामान्तयतः वषथ में तीन सर होते हैं:-
13 मई 1952 में हुई र्ी.
• बिि सर (फरवरी से मई);
• मानसून सर (िुर्ाई से शसतम्बर) और
सदन का नेता • शीतकार्ीन सर (नवम्बर से ददसम्बर).
अध्यक्ष (भारत के उप-राटट्रपनत) और उपाध्यक्ष के सार् ही एक सदन का एक सर के सरावसान एवं दस
ू रे सर के प्रारं भ होने के मध्य की समयावर्ध
नेता भी होता है . यह एक कैबबनेि मंरी-प्रधान मंरी, यदद वह सदन का को ‘अवकाश’ कहते हैं.
सदस्त्य है तो, अर्वा कोई अन्तय मनोनीत सदस्त्य होता है . नेता की कुसी b) संयुतत बैठक
अध्यक्ष के बाद प्रर्म पंजतत में होती है . अनुच्छे द 108 के अंतगथत, संसद के दोनों सदनों की संयुतत बैठक बर्
ु ाने
का प्रावधान है .
सदस्त्य
र्ोकसभा अध्यक्ष संयुतत बैठक की अध्यक्षता करता है [अनच्
ु छे द.
एक व्यजतत को राज्यसभा का सदस्त्य बनने के शर्ए 118(4)].
(a) भारत का नागररक होना चादहए, भारतीय संसद के इनतहास में अब तक संयुतत बैठक के के.वर् तीन
(b) 30 वषथ या उससे अर्धक आयु होनी चादहए, अवसर हैं.ये ननम्न हैं :
(c) केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन ककसी र्ाभ के पद पर न हो (i) मई 1961 में दहे ज़ ननषेध ववधेयक, 1959.
और (ii) मई 1978, बैंककं ग सेवा आयोग ववधेयक 1977
(d) संसद द्वारा समय समय पर पाररत योग्यताओं को पूरा करता हो. (iii) 2002, पोिा (POTA-आतंकवाद ननवारण ववधेयक)

राज्य सभा की शष्ततयां दोनों सदनों की संयत


ु त बैठक ननम्न दो ववषयों के लिए बिु ाई जा सकती है
धन ववधेयक को छोड़कर अन्तय सभी ववधेयकों के संबंध में समान -
अर्धकार प्राप्त हैं. धन ववधेयक के ववषय में राज्य सभा को कोई अर्धकार (i) ककसी ववधेयक को पाररत करने में गनतरोध की जस्त्र्नत को दरू करने के

नहीं शमर्ा है. धन ववधेयक केवर् र्ोकसभा में प्रस्त्तत


ु ककया िा सकता है . शर्ए

वहां पाररत होकर िब यह राज्यसभा में आता है तो यहााँ इसे 14 ददन में (ii) राटट्रपनत द्वारा ववशेष अशभभाषण – प्र्येक आम चुनाव के बाद

पाररत करना होता है अर्वा यह स्त्वतः पाररत मान शर्या िाता है . प्रर्म सर के प्रारं भ में; प्रनत वषथ प्रर्म सर में (बिि सर)
नोि: “धन ववधेयक” और “संववधान संशोधन ववधेयक” संबध
ं ी गनतरोध
उच्च सदन के रूप में राज्यसभा के कायथ दरू करने के शर्ए संयत
ु त बैठक नहीं बर्
ु ाई िा सकती
राज्यसभा अनुच्छे द 249 के अंतगथत, राज्यसच
ू ी के ककसी ववषय को c) सरावसान
उपजस्त्र्त सदस्त्यों के दो नतहाई बहुमत से राटट्रीय मह्व का ववषय घोवषत पीठासीन अर्धकारी (स्त्पीकर या अध्यक्ष) सदन को सर के पण
ू थ होने पर
कर सकती है . इसके पश्चात संसद एक वषथ तक उस राज्य सूची के ववषय अननजश्चत कार् के शर्ए स्त्र्र्गत करता है . इसके कुछ ददनों में ही
पर कानून बना सकती है. राटट्रपनत सदन सरावसान की अर्धसच
ू ना िारी करता है. हार्ााँकक,
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राटट्रपनत सर के दौरान भी सरावसान कर सकता है . धन, ववत्तीय और संववधान संशोधन ववधेयक के अनतररतत सभी
d) स्त्र्िन ववधेयक साधारण ववधेयक कहर्ाते हैं. यह संसद के ककसी भी सदन में
यह सदन के सभापनत द्वारा संसद के सर में छोिे समय के शर्ए अवकाश प्रस्त्तुत ककया िा सकता है . इसे प्रस्त्तुत करने के शर्ए राटट्रपनत की
होता है. इसकी अवर्ध कुछ शमनि से र्ेकर कुछ घंिे, ददन या सप्ताह हो शसफाररश की िरुरत नहीं पड़ती (शसवाय अनुच्छे द 3 के अंतगथत र्ाये
सकता है . गए ववधेयक के). यह दोनों सदनों द्वारा साधारण बहुमत द्वारा पाररत
e) अननष्श्चत काि के लिए स्त्र्ित ककया िाता है . दोनों सदन साधारण ववधेयक पाररत करने के शर्ए
िब सदन पुनः बैठने के ददन की घोषणा के बबना ही स्त्र्र्गत कर ददया बराबर ववधायी शजतत रखते हैं. यदद कोई गनतरोध उ्पन्तन होता है तो
िाता है तो उसे अननजश्चत कार् के शर्ए स्त्र्गन कहते हैं. इसे संसद के दोनों सदनों की संयुतत बैठक से समाप्त ककया िा सकता
है .
संसद सदस्त्य की अयोग्यता के बबंदु
धन ववधेयक
संसद सदस्त्य को ननम्न आधारों पर अयोग्य ठहराया िा सकता है .
संववधान के अनच्
ु छे द 110 में धन ववधेयक की पररभाषा दी गई है .
• अनुच्छे द 102(1) (a): यदद वह भारत सरकार या ककसी राज्य इसके अनस
ु ार कोई ववधेयक तब धन ववधेयक माना िाएगा िब उसमें
सरकार के अधीन कोई र्ाभ का पद धारण करता है. संसद (सदस्त्य
ननम्न वखणथत एक या अर्धक या समस्त्त उपबंध होंगे:
की अयोग्यता संबंधी) अर्धननयम 1959 के अनुसार संसद द्वारा तय
(1) ककसी कर का अर्धरोपण, उ्सादन, पररहार, पररवतथन या ववननयमन
कोई पद या मंरी पद र्ाभ के पद नहीं हैं.
(2) केंद्रीय साकार द्वारा उधर शर्ए गए धन का ववननयमन
• अनुच्छे द 102(1) (b): यदद संसद सदस्त्य ववकृत र्चत्त है और
(3) भारत की संर्चत ननर्ध या आकजस्त्मकता ननर्ध की अशभरक्षा, ऐसी
न्तयायार्य ने ऐसी घोषणा की है .
ककसी ननर्ध में धन िमा करना या उसमें से धन ननकार्ना.
अनुच्छे द 102(1) (c): यदद वह न्तयायार्य द्वारा घोवषत ददवाशर्या
(4) भारत की संर्चत ननर्ध से धन का ववननयोग.
है . (5) भारत की संर्चत ननर्ध पर भाररत ककसी व्यय की उद्घोषणा या इस
अनुच्छे द 102(1) (d): यदद वह भारत का नागररक नहीं है या उसने
प्रकार के ककसी व्यव की राशी में वद्
ृ र्ध
ककसी ववदे शी राज्य की नागररकता स्त्वेच्छा से अजिथत कर र्ी है या (6) भारत की संर्चत ननर्ध या र्ोक र्ेखा में ककसी प्रकार के धन की
वह ककसी ववदे शी राज्य के प्रनत ननटठा को अशभस्त्वीकार ककये हुए है . प्राजप्त या अशभरक्षा या इनसे व्यय या इनका केंद्र या राज्य की ननर्धयों का
• अनुच्छे द 102(2): यदद वह संसद द्वारा बनाई गई ककसी ववर्ध
र्ेखा पररक्षण, या
द्वारा अयोग्य ठहरा ददया िाता है . (दसवीं अनुसूची) (7) उपरोतत ववननददथटिककसी ववषय का आनष
ु ांर्गक कोई ववषय.
भारत की संर्चत ननर्ध या र्ोक र्ेखा में ककसी प
संसद में ववधायी प्रकक्रया
ववननयोग – भारत की संर्चत ननर्ध से धन ववननयोग ववधेयक के द्वारा ही
ववधायी प्रकिया संसद के दोनों सदनों में संपन्तन होती है. प्र्येक सदन में
ननकार्ा िा सकता है.
हर ववधेयक समान चरणों के माध्यम से पाररत होता है . ववधेयक कानून
बनाने के शर्ए एक प्रस्त्ताव है और िब यह ववर्धवत अर्धननयशमत हो
धन ववधेयक केवर् र्ोकसभा में ही राटट्रपनत की शसफाररश से प्रस्त्तुत
िाता है तो यह अर्धननयम या कानून बन िाता है.
ककया िा सकता है . यह दोनों सदनों में साधारण बहुमत से पाररत ककया
संसद में पेश होने वार्े ववधेयक दो तरह के होते हैं: सरकारी ववधेयक एवं
िाता है . र्ोकसभा धन ववधेयक के संबंध में अर्धक ववधायी शजतत रखती
गैर सरकारी ववधेयक (इन्तहें िमशः सरकारी ववधेयक और गैर सरकारी
है और राज्यसभा अपनी ववधायी शजतत के तहत धन ववधेयक को ख़ाररि
सदस्त्यों के ववधेयक भी कहा िाता है ). यद्यवप दोनों समान प्रकिया के
या स्त्वीकार नहीं कर सकती. कोई ववधेयक धन ववधेयक है या नहीं, यह
तहत सदन में पाररत होते हैं ककन्ततु उनमें ववशभन्तन प्रकार का अंतर होता है .
ननणथय र्ोकसभा अध्यक्ष का होता है . यह ननणथय अंनतम ननणथय होता है
और उसे ककसी न्तयायार्य, संसद या राटट्रपनत द्वारा चुनौती नहीं दी िा
संसद में ववधेयक
सकती.
संववधान में ननम्न चार श्रेखणयों के ववधेयकों का वणथन है :
साधारण ववधेयक र्ोकसभा से पाररत होने के बाद यह राज्यसभा में भेि ददया िाता है .
धन ववधेयक राज्यसभा के पास ननम्न चार ववकपप होते हैं:
ववत्त ववधेयक (i) वह ववधेयक पाररत कर दे .
संववधान संशोधन ववधेयक (ii) वह सीधे ही ववधेयक को अस्त्वीकृत कर दे- ऐसे में ववधेयक को स्त्वतः
ही दोनों सदनों से पाररत मान शर्या िाएगा.
साधारण ववधेयक
(iii) यदद राज्यसभा ववधेयक को 14 ददनों में पाररत नहीं करती है तब

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ववधेयक प्राजप्त के 14वें ददन की समाजप्त के बाद ववधेयक को स्त्वतः ही सहमती न दे ने की सर्ाह दे.
दोनों सदनों से पाररत मान शर्या िाएगा. ननिंबनकारी वीिो
(iv) राज्यसभा ववधेयक में संशोधन सुझा सकती है तब ववधेयक ननम्न राटट्रपनत इस वीिो का प्रयोग तब करता है िब वह ककसी ववधेयक को
सदन में वापस आ िाता है . यदद र्ोकसभा एक या अर्धक संशोधनों को संसद के पन
ु ववथचार हेतु र्ौिता है. हार्ााँकक यदद संसद ववधेयक को पुनः
स्त्वीकार कर र्ेती है तब ववधेयक अपने नए रूप में पाररत माना िाएगा. ककसी संशोधन के बबना अर्वा संशोधन के सार् पाररत कर राटट्रपनत के
दस
ू री तरफ यदद र्ोकसभा संशोधन को अस्त्वीकार कर दे ती है तब पास भेिती है तो उस पर राटट्रपनत को अपनी स्त्वीकृनत देना बाध्यकारी है .
ववधेयक को स्त्वतः ही दोनों सदनों से अपने मूर् रूप में पाररत मान शर्या राटट्रपनत इस वीिो का प्रयोग धन ववधेयक के संबंध में नहीं कर सकता है .
िाएगा.
पॉकेि वीिो
इसमें दोंनो सदनों के बीच असहमनत का कोई अवसर नहीं होता. राटट्रपनत
इस मामर्े में राटट्रपनत ववधेयक पर न तो कोई सहमती देता है , न
द्वारा इसे अस्त्वीकृत या पाररत तो ककया िा सकता है ककन्ततु पुनववथचार के
अस्त्वीकृत करता है , और न ही र्ौिाता है परन्ततु एक अननजश्चत कार् के
शर्ए र्ौिाया नहीं िा सकता है .
शर्ए ववधेयक को र्ंबबत कर देता है . राटट्रपनत की ववधेयक पर ककसी भी
ववत्त ववधेयक प्रकार का ननणथय न दे ने की (सकारा्मक या नकारा्मक) शजतत, पॉकेि
एक या अर्धक धन संबंधी ववषय और यदद एक या अर्धक गैर-धन संबंधी वीिो के नाम से िानी िाती है . इस वीिो के अंतगथत ववधेयक पर राटट्रपनत
ववषय से अर्ग िो ववधेयक होता है वह धन ववधेयक कहर्ाता है. यह धन के ननणथय के शर्ए कोई समय सीमा नहीं है .
ववधेयक की तरह ही प्रस्त्तुत ककया िाता है . प्रस्त्तुत करने के बाद िब तक
भारत में आपातकािीन उपबंध
इसमें गैर-धन संबंधी ववषय है यह साधारण ववधेयक की तरह ही पाररत
भारत में आपातकार्ीन उपबंध िमथनी के संववधान से शर्ए गए हैं.
ककया िाएगा.
भारतीय संववधान में तीन प्रकार के आपातकार्ीन उपबंध हैं :
संववधान संशोधन ववधेयक (1) अनुच्छे द 352 – राटरीय आपातकाि
संववधान के एक या अर्धक प्रावधानों में संशोधन के शर्ए अनुच्छे द 368 (2) अनुच्छे द 356 – राटरपनत शासन
के अंतगथत र्ाये गए ववधेयक संववधान संशोधन ववधेयक कहर्ाते हैं. यह (3) अनुच्छे द 360 – ववत्तीय आपातकाि
संसद के ककसी भी सदन में प्रस्त्तुत ककया िा सकता है . इसे प्रस्त्तुत करने
राटरीय आपातकाि (अनुच्छे द 352)
के शर्ए राटट्रपनत की शसफाररश की भी आवश्यकता नहीं होती. यह
a) यदद राटट्रपनत समझे कक भारत की अर्वा इसके ककस भाग की
ववधेयक, प्र्येक सदन की कुर् सदस्त्य संख्या के बहुमत द्वारा तर्ा उस
सदन के उपजस्त्र्त और मत दे ने वार्े सदस्त्यों के कम से कम दो नतहाई सुरक्षा को यद्
ु ध अर्वा बाह्सय आिमण अर्वा सशस्त्र ववद्रोह के
कारण खतरा उ्पन्तन हो गया हो तो राटट्रपनत पूरे दे श में अर्वा
बहुमत द्वारा पाररत ककया िाना चादहए. संववधान संशोधन ववधेयक
इसके ककसी भाग में राटट्रीय आपात की घोषणा कर सकता है.
पाररत करने में बनी असहमनत या गनतरोध को दरू करने के शर्ए संववधान
दोनों सदनों की संयुतत बैठक की अनुमनत नहीं दे ता. राटट्रपनत राटट्रीय आपातकार् की घोषणा केवर् कैबबनेि की शर्खखत
सर्ाह पर ही कर सकता है .
राटरपनत की वीिो की शष्तत b) राटट्रपनत को आपात उद्घोषणा वापस र्ेने अर्वा उसमें पररवतथन का
संसद द्वारा पाररत कोई ववधेयक तभी अर्धननयम बनता है िब राटट्रपनत अर्धकार है. आपातकार् की सभी उद्घोषणाएं संसद की स्त्वीकृनत के
उसे अपनी सहमती देता है. हार्ााँकक राटट्रपनत के पास संसद द्वारा पाररत शर्ए भेिनी होगी और यह संसद के दोनों सदनों में एक माह के
ववधेयकों के संबंध में वीिो की शजतत होती है िैसके क वह ववधेयक पर अन्तदर सदन के बहुमत और उस सदन के उपजस्त्र्त तर्ा मत देने
अपनी स्त्वीकृनत को सुरक्षक्षत रख सकता है. वार्ों के दो नतहाई ववशेष बहुमत से पाररत करना होगा अन्तयर्ा
अत्यांनतक वीिो उद्घोषणा एक माह के पश्चात ् प्रवतथन में नहीं रहेगी. आपातकार्
a) इसका संबंध राटट्रपनत की उस शजतत से है , जिसमें वह संसद द्वारा स्त्वीकृनत के बाद 6 महीने से अर्धक समय तक नहीं र्ागू रहना
पाररत ककसी ववधेयक को अपने पास सुरक्षक्षत रखता है. यह ववधेयक चादहए.
इस प्रकार समाप्त हो िाता है और ववधेयक नहीं बन पाता है. c) 6 माह पश्चात ् इसे पुनः संसद से पाररत कराना होगा अन्तयर्ा यह
सामान्तयतः यह ववधेयक ननम्न दो मामर्ों में प्रयोग ककया िाता है: समाप्त हो िाएगी. यदद र्ोकसभा भंग हो िाती है तो यह अननवायथ
b) गैर-सरकारी सदस्त्यों के ववधेयक के संबध
ं में; और रूप से राज्यसभा द्वारा 1 माह में पाररत होना चादहए और नई
c) सरकारी ववधेयक के संबंध में िब मंबरमंडर् ्यागपर दे दे (िब र्ोकसभा भी 1 महीने में इसे पुनः पाररत करे .
ववधेयक पाररत हो गया हो और राटट्रपनत की अनुमनत शमर्ना शेष d) र्ोकसभा आपातकार् को ककसी भी समय समाप्त कर सकती है. इस
हो) और नया मंबरमंडर् राटट्रपनत को ऐसे ववधेयक पर अपनन मामर्े में यदद र्ोकसभा की कुर् सदस्त्य संख्या के 1/10 सदस्त्य

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स्त्पीकर/अध्यक्ष को अर्वा राटट्रपनत को (यदद सदन नहीं चर् रहा हो) आवश्यक है. एक बार स्त्वीकृनत शमर्ने के बाद यह राटट्रपनत द्वारा
शर्खखत रूप से नोदिस दें तो 14 ददन के अन्तदर उद्घोषणा के िरी वापस न शर्ए िाने तक बढ़ाई िा सकती है.
रहने के प्रस्त्ताव को अस्त्वीकार करने के शर्ए सदन की ववशेष बैठक ववत्तीय आपात के प्रभाव
ववचार-ववमशथ के उद्दे श्य से बुर्ाई िा सकती है. यदद र्ोकसभा (1) राटट्रपनत ववत्तीय संसाधनों के राज्यों के सार् बंिवारे पर रोक र्गा
आपातकार् को िरी रखने से मना कर दे ती है तो राटट्रपनत को सकते हैं.
आपातकार् समाप्त करना होगा. (2) राटट्रपनत ककसी राज्य को ववत्तीय और्च्य संबध
ं ी शसद्धांतों के पार्न
का ननदे श दे सकता है .
राटरपनत शासन (अनच्
ु छे द 356) (3) वह राज्य की सेवा में ककसी भी अर्वा सभी वगों के सेवकों के वेतन
अनच्
ु छे द के अंतगथत राज्यपार् की 356 सच
ू ना के आधार पर या दस
ू रे ढं ग एवं भत्तों में किौती के शर्ए कह सकता है.
से यदद राटट्रपनत आश्वस्त्त है कक राज्य सरकार संववधान के उपबंधों के
(4) राटट्रपनत राज्य ववधानयका द्वारा पाररत उसके ववचार हेतु र्ाए गए
अनरू
ु प नहीं चर् सकती तो वह ऐसा कर सकते हैं : सभी धन ववधेयकों अर्वा अन्तय ववत्तीय ववधेयकों को आरक्षक्षत रख
(a) राज्य का प्रशासन अपने हार् में र्े र्ेता है; और सकता है .
(b) यहााँ यह बात ध्यान दे ने योग्य है कक संसद राज्य से सम्बंर्धत ववषयों
(5) राटट्रपनत उच्चतम न्तयायार्य और उच्च न्तयायार्यों के न्तयायाधीशों
में राज्य ववधानयका की शजततयों का प्रयोग करे गी ककन्ततु राटट्रपनत को के वेतन एवं भत्तों में किौती के ननदे श िारी कर सकता है.
सम्बंर्धत उच्च न्तयायार्य की शजततयां प्राप्त नहीं होती हैं और वह उनसे
सम्बंर्धत संवैधाननक प्रावधानों को ननर्ंबबत नहीं कर सकता. राज्य ववधानमंडि
अनच्
ु छे द 356 के अंतगथत की गई प्र्येक उद्घोषणा संसद के प्र्येक सदन राज्य ववधानमंडि (ववधान सभा)
में दो माह के भीतर साधारण बहुमत के संकपप से पाररत करनी होगी, ववधान सभा, ववशभन्तन राज्यों और 2 केन्तद्रशाशसत प्रदे शों (ददपर्ी और
अन्तयर्ा उद्घोषणा अप्रभावी हो िाएगी. संसद द्वारा पाररत होने के पद्
ु दच
ु ेरी) के राज्य ववधानमंडर् का ननम्न सदन है . ववधानसभा के सदस्त्य
पश्चात ् उद्घोषणा की नतर्र् से आपातकार् अर्धकतम 6 महीने के शर्ए वयस्त्क मतार्धकार के अंतगथत उस राज्य के मतदाताओं द्वारा प्र्यक्ष
प्रभावी रहेगा. संसद से यह स्त्वीकृनत साधारण बहुमत द्वारा र्ी िा सकती चन
ु े िाते हैं. प्र्येक ववधानसभा 5 वषथ के शर्ए चन
ु ी िाती है और कफर
है . यदद र्ोकसभा ववघदित हो िाती है तो राज्यसभा को इसे 2 माह में सभी सीिों के शर्ए पन
ु ः चन
ु ाव कराए िाते हैं. ववधानसभा की अर्धकतम
स्त्वीकृनत दे नी होगी और र्ोकसभा के पन
ु गथठन के 1 माह में इसे पाररत संख्या 500 और न्तयन
ू तम संख्या 60 हो सकती है . हार्ााँकक संसद के एक
करना होगा. हार्ााँकक संसद इसे अर्धकतम 6 माह के शर्ए और बढ़ा अर्धननयम द्वारा ववधानसभा की सदस्त्य संख्या 60 से कम भी हो सकती
सकती है . है . गोवा, शसतकी और शमिोरम के ववषय में ऐसा ही है. राज्यपार्, एंग्र्ो-
यदद इस उद्घोषणा को 1 सार् से अर्धक के शर्ए बढ़ाना हो तो ननम्न रूप भारतीय समद
ु ाय के प्रनतननर्ध्व के शर्ए एक सदस्त्य मनोनीत कर
में आश्वस्त्त होना चादहए - सकता है यदद उसे र्गता है कक सदन में उस समद
ु ाय का पयाथप्त
• सम्बंर्धत राज्य के परू े क्षेर में या उसके ककसी भाग में राटट्रीय आपात प्रनतननर्ध्व नहीं है .
घोवषत हो.
• ननवाथचन आयोग यह प्रमाखणत कर दे कक त्कार्ीन पररजस्त्र्नतयों में ववधानसभा सदस्त्य बनने के लिए योग्यताएं

राज्य ववधानमंडर् के चुनाव कराना संभव नहीं है. 1. वह व्यजतत भारत का नागररक हो.

र्ेककन ककसी भी हार्ात में राटट्रपनत शासन 3 वषथ से अर्धक समय तक 2. 25 वषथ की आयु पण
ू थ कर चक
ु ा हो.

नहीं र्गाया िा सकता. इसे और अर्धक बढ़ाने के शर्ए संववधान संशोधन 3. वह मानशसक रूप से स्त्वस्त्र् होना चादहए और ददवाशर्या नहीं घोवषत

की आवश्यकता पड़ेगी. होना चादहए.


4. उसे यह शपर्पर दे ना होगा कक उसके खखर्ाफ कोई अपरार्धक
ववत्तीय आपातकाि कारथ वाई नहीं चर् रही है.
(a) अनुच्छे द 360 राटट्रपनत को ववत्तीय आपात की घोषणा की शजतत ववधानसभा बनाम िोकसभा
प्रदान करता है . यदद वह संतुटि हो की ऐसी जस्त्र्नत हो गई है , जिसमें उच्च सदन से संबंध के ववषय में ववधानसभा की जस्त्र्नत र्ोकसभा की
भारत अर्वा उसके ककसी क्षेर की ववत्तीय जस्त्र्नत अर्वा प्र्यय खतरे अपेक्षा अर्धक मिबत
ू है. ववधायी प्रकिया में ननम्नशर्खखत अंतर है :
में है तो वह ऐसी घोषणा कर सकता है . 1. धन ववधेयक के संबंध में ववधानसभा की जस्त्र्नत र्ोकसभा के समान
(b) ये घोषणाएं : ही है . केंद्र में या राज्य में उच्च सदन को संशोधन या ववधेयक को
(c) राटट्रपनत द्वारा वापस र्ी िा सकती हैं. रोकने के शर्ए अर्धकतम 14 ददन का समय ही शमर्ता है.
(d) ववत्तीय आपात उद्घोषणा के दो माह के भीतर संसद से स्त्वीकृत होना 2. धन ववधेयक के अनतररतत अन्तय ववधेयकों के संबंध में ववधानसभा

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की जस्त्र्नत र्ोकसभा की अपेक्षा मिबूत है . िहााँ संघीय संसद में राज्यपार् को हिाए िाने के शर्ए संववधान में कोई व्यवस्त्र्ा नहीं दी गई है
संयुतत बैठक द्वारा गनतरोध दरू ककया िाता है , राज्य में गनतरोध िैसाकक राटट्रपनत के संबंध में है .
दरू करने का ऐसा कोई प्रावधान नहीं है . ववधानसभा की इच्छा ही
राज्यपाि की शष्ततयां कायथकारी शष्ततयां
अंततः प्रबर् होती है . राज्य स्त्तर पर उच्च सदन अर्धकतम 4 माह
• वह उसे मुख्यमंरी ननयुतत करता है जिसके पास ववधानसभा में
तक ववधेयक पाररत करने में दे री कर सकता है जिसमें भी 3 माह
बहुमत हो.
प्रर्म बार में और 1 माह दस
ू री बार में.
3. राज्यसभा से एक ववधेयक (धन ववधेयक के अनतररतत) पाररत करने • ज्यपार् मख्
ु य मंरी की सर्ाह पर अन्तय मंबरयों की भी ननयजु तत
करता है और उन्तहें उनके ववभाग बांिता है .
की समय सीमा िहााँ 6 माह है वहीँ ववधानपररषद में यह केवर् 3
• वह राज्य के महार्धवतता और र्ोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं
मास है .
सदस्त्यों की भी ननयजु तत करता है.
ववधान पररषद् • ज्यपार् जिर्ा न्तयायार्यों के न्तयायाधीशों को ननयत
ु त करता है .
भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा की तरह ववधानपररषद एक
स्त्र्ायी ननकाय है िो कभी ववघदित नहीं होती. इसका प्र्येक सदस्त्य ववधायी शष्ततयां
• वह राज्य ववधानमंडर् के दोनों सदनों का सर आहूत कर सकता है
(एमएर्सी) छह वषथ के शर्ए अपनी सेवा देता है और इसके एक-नतहाई
और उन्तहें संबोर्धत कर सकता है .
सदस्त्य प्र्येक दो वषथ में सेवामत
ु त हो िाते हैं. वतथमान में भारत के छह
• वह ववधानमंडर् के प्र्येक चन
ु ाव के पश्चात पहर्े और प्रनतवषथ के
राज्यों में ववधानपररषद है :आंध्र प्रदे श, बबहार, िम्मू और कश्मीर,
पहर्े सर को सम्नोर्धत कर सकता है .
कणाथिक, महाराटट्र और उत्तर प्रदे श.
• वह ववधानसभा को ववघदित कर सकता है . यह औपचाररक शजततयां
ववधानपररषद् सदस्त्य बनने के लिए योग्यताएं हैं और इनके प्रयोग के समय राज्यपार् मुख्यमंरी के नेत्ृ व वार्ी
वह व्यजतत भारत का नागररक हो. मंबरपररषद की सर्ाह के अनुसार ही कायथ करे गा.
30 वषथ की आयु पूणथ कर चुका हो. • इन अवसरों पर राज्यपार् का संबोधन सामान्तयतः राज्य सरकार की
वह मानशसक रूप से स्त्वस्त्र् होना चादहए नई नीनतयों की रूपरे खा होती है.
वह ददवाशर्या नहीं घोवषत होना चादहए • राज्य ववधानमंडर् द्वारा पाररत कोई ववधेयक राज्यपार् के
वह उस राज्य की मतदाता सूची में पंिीकृत होना चादहए िहााँ से वह हस्त्ताक्षर के बाद ही कानून बन सकता है .
चुनाव र्ड़ रहा हो. • राज्यपार्, ककसी ववधेयक को, यदद वह धन ववधेयक नहीं है तो,
पुनववथचार के शर्ए भेि सकता है.
ववधानपररषद के सदस्त्यों का चुनाव
• िब राज्य ववधानमंडर् का सर न चर् रहा हो और ककसी कानून की
• एक-नतहाई सदस्त्य स्त्र्ानीय ननकायों िैस-े नगर ननगम,
आवश्यकता र्ग रही हो तो राज्यपार् औपचाररक रूप से अध्यादे श
नगरपाशर्का और जिर्ा पररषद्/बोडथ आदद द्वारा चन
ु े िाते हैं. की घोषणा कर सकता है .
• एक-नतहाई सदस्त्यों का चुनाव ववधानसभा के सदस्त्यों द्वारा ककया
िाता है ककन्ततु ये उम्मीदवार ववधानसभा के सदस्त्य नहीं होने चादहए. ववत्तीय शष्ततयां
• 1/12 सदस्त्यों का ननवाथचन राज्य में 3 वषथ से रह रहे स्त्नातक करते • धन ववधेयकों को राज्य ववधानसभा में उसकी पव
ू थ सहमती के बाद ही
हैं. प्रस्त्तुत ककया िा सकता है .
• 1/12 सदस्त्यों का ननवाथचन उस राज्य में 3 वषथ से अध्यापन कर रहे • वह सनु नजश्चत करता है कक वावषथक ववत्तीय वववरण (राज्य-बिि)
र्ोग चुनते हैं र्ेककन ये अध्यापक माध्यशमक स्त्कूर्ों (कॉर्ेि, राज्य ववधानमंडर् के सामने रखा िाए.
ववश्वववद्यार्य भी शाशमर्) से कम के नहीं होने चादहए. • बबना राज्यपार् की सहमनत के ककसी तरह के अनुदान की मांग नहीं
• शेष या 1/6 सदस्त्यों का नामांकन राज्यपार् द्वारा उन व्यजततयों में की िा सकती.
से ककया िाता है िो सादह्य, ज्ञान, कर्ा, सहकाररता आंदोर्न और • वह ककसी अप्र्याशशत व्यय के वहन के शर्ए राज्य की आकजस्त्मकता
समाि सेवा का ववशेष ज्ञान व व्यावहाररक अनभ
ु व रखते हों. ननर्ध से अर्ग्रम र्े सकता है .
राज्यपाि • वह ववत्त आयोग का गठन करता है .
राज्यपार् की ननयजु तत राटट्रपनत के मुहर र्गे आज्ञापर से होती है . इस
वववेकाधीन/न्यानयक शष्ततयां
प्रकार वह केंद्र की मंबरपररषद द्वारा मनोनीत होता है . राज्यपार्,
कभी कुछ ऐसी पररजस्त्र्नतयां बन िाती हैं िब राज्यपार् को अपने वववेक
राटट्रपनत के प्रसादपयंत कायथ करता है , उसके कायथकार् की कोई सुरक्षा
के अनुसार स्त्वयं ननणथय करना पड़ता है . ऐसी शजततयां वववेकाधीन
नहीं होती. वह राटट्रपनत द्वारा कभी भी वापस बुर्ाया िा सकता है.

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शजततयां कहर्ाती हैं : 73वें संशोधन अगधननयम के मुख्य प्रावधान
• िब ववधानसभा में ककसी दर् को बहुमत प्राप्त न हो तब राज्यपार् • इसने भारतीय संववधान में भाग 9 का उपबंध ककया.
सबसे बड़े दर् को अर्वा दो या अर्धक दर्ों के नेताओं को आम • इस भाग को “पंचायत” नाम ददया गया िो अनुच्छे द 243(क) से
सहमनत से सरकार बनाने को कह सकता है . तब राज्यपार् सबसे बड़े 243 (ण) तक है . इसे सुदृढ़ता प्रदान करने के शर्ए संववधान में 11वीं
दर् के नेता को मुख्यमंरी ननयुतत करता है. अनुसूची िोड़ी गई जिसमें पंचायतों से सम्बंर्धत 29 ववषयों का
• राज्यपार्, राटट्रपनत को सर्ू चत करते हुए ररपोिथ भेि सकते हैं कक राज्य वणथन ककया गया है.
का संवैधाननक तंर ववफर् हो चुका है और राटट्रपनत शासन र्गाने की • सभी स्त्तरों पर पंचायतों का कायथकार् 5 वषथ का है . समय से पूवथ भंग
शसफाररश कर सकते हैं. होने पर 6 महीने में चुनाव कराने होंगे.
• राज्यपार् को कुछ ववधेयकों को राटट्रपनत के शर्ए आरक्षक्षत रखने की • सभी स्त्तरों पर पंचायतों में 1/3 भाग (सदस्त्य और सरपंच दोनों)
शजतत होती है . (अनुच्छे द 200) जस्त्रयों के शर्ए आरक्षक्षत होंगें.
• यह अर्धननयम राज्यों में बरस्त्तरीय पंचायत की व्यवस्त्र्ा करता है
िवनथर की वीिो की शष्तत िो इस प्रकार है :
िब राज्य ववधानमंडर् से पाररत कोई ववधेयक राज्यपार् के समक्ष आता
है तो वे ननम्न कदम उठा सकते हैं: (i) ग्राम स्त्तर पर ग्राम पंचायत
1. वह ववधेयक को स्त्वीकार कर सकता है. (ii) ब्िाक स्त्तर पर पंचायत सलमनत/क्षेर पंचायत
2. स्त्वीकृनत के शर्ए उसे रोक सकता है . ष्जिा स्त्तर पर ष्जिा पंचायत/ष्जिा पररषद् पंचायती राज संस्त्र्ाओं के
3. ववधेयक को (यदद वह धन-संबंधी ववधेयक न हो) ववधानमंडर् के पास लिए अननवायथ प्रावधान
पुनववथचार के शर्ए भेि सकता है. 1. एक गााँव या गांवों के समह
ू में ग्राम सभा का गठन
4. ववधेयक को राटट्रपनत के ववचार के शर्ए आरक्षक्षत रख सकता है . 2. ग्राम, माध्यशमक और जिर्ा स्त्तर पर पंचायतों की स्त्र्ापना
राटट्रपनत के पास, राज्यपार् द्वारा उनके शर्ए आरक्षक्षत ववधेयकों के 3. पंचायतों में चन
ु ाव र्ड़ने के शर्ए न्तयन
ू तम आयु 21 वषथ होनी चादहए
संबंध में आ्यंनतक वीिो की शजतत होती है. राटट्रपनत ननम्न कायथवाही 4. सभी स्त्तरों पर (प्रमख
ु एवं सदस्त्य दोनों के शर्ए) अनस
ु र्ू चत िानत
कर सकते हैं : एवं िनिानतयों के शर्ए आरक्षण
1. धन ववधेयक के संबंध में राटट्रपनत अपनी स्त्वीकृनत दे सकते हैं अर्वा 5. सभी स्त्तरों पर (प्रमख
ु एवं सदस्त्य दोनों के शर्ए) एक नतहाई पद
आरक्षक्षत रख सकते हैं. मदहर्ाओं के शर्ए आरक्षक्षत
2. वह राज्यपार् को ननदे श दे सकता है कक वह ववधेयक (यदद धन 6. सभी स्त्तरों पर पंचायतों का कायथकार् 5 वषथ का ननधाथररत. समय से
ववधेयक नहीं है ) को राज्य ववधानयका के पास पन
ु ववथचार हे तु र्ौिा पूवथ पंचायत भंग होने पर 6 महीने में चुनाव कराने होंगे.
दे .यदद राज्य ववधानयका ककसी संशोधन के बबना अर्वा संशोधन 7. पंचायती राि संस्त्र्ानों में चुनाव कराने के शर्ए राज्य ननवाथचन
करके पुनः ववधेयक को पाररत कर राटट्रपनत के पास भेिती है तो आयोग की स्त्र्ापना
राटट्रपनत उसे सहमनत देने के शर्ए बाध्य नहीं है. इसका अर्थ है कक 8. पंचायतों की ववत्तीय जस्त्र्नत की समीक्षा करने के शर्ए प्र्येक 5 वषथ
राज्य ववधानयका राटट्रपनत के वीिो को ननरस्त्त नहीं कर सकती. बाद एक राज्य ववत्त आयोग की स्त्र्ापना की िनन चादहए.

स्त्र्ानीय स्त्वशासन सांिठननक ढांचा


पंचायती राज (i) िाँव के स्त्तर पर ग्राम पंचायत
• पंचायती राि व्यवस्त्र्ा र्ोकतांबरक सरकार की प्रर्म श्रेणी या स्त्तर ग्राम पंचायत के सदस्त्य ग्राम सभा द्वारा चुने िायेंगे. ग्राम सभा का प्रधान
है . (अध्यक्ष) ग्राम पंचायत का पदे न सदस्त्य होगा.
• भारत में ‘पंचायती राि’ शब्द का अशभप्राय ग्रामीण स्त्र्ानीय नोि: ग्राम सभा से ता्पयथ उस ननकाय से है जिसमें गााँव स्त्िार पर गदठत
स्त्वशासन पद्धनत से है . 1992 के 73वें संववधान संशोधन पंचायत क्षेर में ननवाथचक सूची में पंिीकृत व्यजतत होते हैं.
अर्धननयम द्वारा इसे संववधान में शाशमर् ककया गया.
(ii) ब्िाक िेवि पर पंचायत सलमनत
• स्त्वतंरता के बाद दे श के समक्ष गांवों के ववकास की त्काशर्क
पंचायत सशमनत के अंतगथत अनेक ग्राम पंचायत होते हैंउस ब्र्ाक के .
समस्त्या र्ी. अतः 1952 में सम्पण
ू थ ग्रामीण ववकास कायथ को ध्यान
.सभी ग्राम पंचायतों के प्रमुख पंचायत सशमनत के पदे न सदस्त्य होते हैं
में रखकर सामद
ु ानयक ववकास कायथिम प्रारं भ ककया गया.
(iii) ष्जिा स्त्तर पर ष्जिा पररषद्
• रािस्त्र्ान 1959 में पंचायती राि व्यवस्त्र्ा र्ागू करने वार्ा पहर्ा
जिर्ा पररषद्, पंचायती राि की सवोच्च संस्त्र्ा है . यह ववशभन्तन
राज्य बना. उसके बाद आंध्र प्रदे श ने इसे अपनाया.
पंचायत सशमनतयों की गनतववर्धयों को ननदेशशत करती है.

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जिर्ा पररषद् वास्त्तव में जिर्ा स्त्तर पर ववकास की योिनायें बनाती उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीशों की संख्या बढ़ाने के शर्ए अर्धकृत
है . करता है.
पंचायत सशमनत की सहायता से ये ग्राम पंचायतों के बीच धनराशश तदनुसार संसद ने उच्चतम न्तयायार्य (न्तयायाधीशों की संख्या) संशोधन
का ववननमय करती है. अर्धननयम, 2008 पाररत ककया और यह संख्या 31 (1 मुख्य
शहरी स्त्र्ानीय स्त्वशासन न्तयायाधीश+30 अन्तय न्तयायाधीश) हो गई.
भारत में ‘शहरी स्त्र्ानीय स्त्वशासन’ का अर्थ शहरी क्षेर के र्ोगों द्वारा
चुने प्रनतननर्धयों से बनी सरकार से है . उच्चतम न्यायािय के न्यायाधीश के लिए अहताथएं:
1. उस व्यजतत को भारत का नागररक होना चादहए.
1992 का 74वां संशोधन
2. उसे ककसी उच्च न्तयायार्य का कम से कम पांच सार् के शर्ए
इस अर्धननयम के द्वारा संववधान में एक नया भाग 9(क) िोड़ा गया
न्तयायाधीश होना चादहए, या उसे उच्च न्तयायार्य या ववशभन्तन
िोकक अनुच्छे द 243(त) से 243(यक्ष) तक है . सार् ही संववधान में इसके
न्तयायार्यों में शमर्कर 10 वषथ तक वकीर् होना चादहए.
कायों से सम्बंर्धत 12वीं अनुसूची िोड़ी गई.
1. संशोधन द्वारा संववधान में शहरी स्त्र्ानीय ननकायों से सम्बंर्धत 18 3. या राटट्रपनत के मत में उसे सम्माननत न्तयायवादी होना चादहए.

नए अनुच्छे द िोड़े गए.


उच्चतम न्यायािय के न्यायाधीशों को हिाना
2. स्त्वशासन की संस्त्र्ाओं को एक सामान्तय नाम “नगरपाशर्का” ददया
अनुच्छे द 124(4) उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीश को हिाने की
गया.
व्यवस्त्र्ा दे ता है . वह राटट्रपनत द्वारा हिाया िा सकता है िब संसद के
दोनों सदनों द्वारा उसी सर में ऐसा संबोधन ककया गया हो और उसे दोनों
निरपालिका के तीन प्रकार: अर्धननयम राज्यों में तीन प्रकार के
सदनों के ववशेष बहुमत यानन सदन की कुर् सदस्त्यता का बहुमत तर्ा
नगरपाशर्का की व्यवस्त्र्ा करता है :
सदन के उपजस्त्र्त एवं मत दे ने वार्े सदस्त्यों का दो-नतहाई समर्थन प्राप्त
• नगर पंचायत – यह ग्रामीण क्षेरों से नगरीय क्षेरों में पररवनतथत हो रहे
क्षेरों में होती है . होना चादहए. उसे हिाने का आधार उसका दव्ु यथवहार या कदाचार होना
चादहए.
• नगरपाशर्का – यह 20000 से 3 र्ाख तक की िनसाँख्या वार्े छोिे
शहरों के शर्ए होती है . राटट्रपनत को उसे हिाने का आदेश उसी सर में िारी करना पड़ेगा जिस

• नगर ननगम – एक बड़े शहरी क्षेर िहााँ िनसाँख्या 3 र्ाख से अर्धक सर में संसद ने यह संकपप पाररत ककया हो. अनुच्छे द 124(5) के अधीन
संसद ककसी आवेदन के रखे िाने की तर्ा न्तयायाधीश के कदाचार या
है , वहां नगर ननगम होते हैं.
संरचना: नगरपाशर्का के सभी सदस्त्यों का प्र्यक्ष चन असमर्थता की िााँच और साबबत करने की प्रकिया का ववर्ध द्वारा
ु ाव उस क्षेर की
ववननयमन कर सकेगी. न्तयायाधीश िााँच अर्धननयम (1968) के अनुसार
िनता द्वारा ककया िाएगा. इसके शर्ए प्र्येक नगरपाशर्का क्षेरों को वाडों
ककसी न्तयायाधीश को हिाने संबंधी प्रस्त्ताव संसद के ककसी भी सदन में
में ववभाजित ककया िाएगा. नगरपाशर्का के अध्यक्ष के चुनाव का ववधान
रखा िा सकता है.
राज्य ववधानमंडर् बनाएगा.
• इसका समर्थन कम से कम 100 र्ोकसभा सदस्त्यों द्वारा ककया
स्त्र्ानों का आरक्षण: नगरपाशर्का क्षेर की कुर् िनसाँख्या में अनर्ु चत
िानत/िनिानत की िनसाँख्या के अनुपात में स्त्र्ान आरक्षक्षत होंगे. ऐसे िाना चादहए.
• इसका समर्थन कम से कम 50 राज्यसभा सदस्त्यों द्वारा ककया िाना
ही, सुरक्षक्षत स्त्र्ानों की कुर् संख्या में 1/3 स्त्र्ान अनुसूर्चत
चादहए.
िानत/िनिानत की मदहर्ाओं के शर्ए सरु क्षक्षत होंगेऔर वयस्त्क
मतार्धकार के आधार पर भरे िाने वार्े स्त्र्ानों में 1/3 स्त्र्ान जिसमें • ककसी भी सदन में ननटकासन प्रस्त्ताव स्त्वीकार कर शर्ए िाने के बाद

सुरक्षक्षत स्त्र्ान भी शाशमर् हैं, मदहर्ाओं के शर्ए आरक्षक्षत होंगे. उस सदन के सभापनत को र्गाये आरोपों की िााँच और दव्ु यथवहार या
असमर्थता का सबत
ू उपर्ब्ध करने के शर्ए तीन सदस्त्यीय िााँच
निरपालिका का कायथकाि: प्र्येक नगरपाशर्का का कायथकार् 5 वषथ का
होगा. हार्ााँकक इसे समय पूवथ भी भंग ककया िा सकता है. सशमनत गदठत करनी होगी.
• न्तयानयक सशमनत के प्रमुख उच्चतम न्तयायार्य का कोई न्तयायाधीश
भारत का उच्चतम न्यायािय
भारत का उच्चतम न्तयायार्य सवोच्च न्तयानयक मंच है और अपीर् का होगा. दो अन्तय सदस्त्यों में एक ककसी उच्च न्तयायार्य का न्तयायाधीश
और एक कोई प्रनतजटठत न्तयायवादी होगा.
अंनतम न्तयायार्य है. भारतीय संववधान के अनुसार, “उच्चतम न्तयायार्य
की भूशमका एक संघीय न्तयायार्य और संववधान के संरक्षक की है .” • न्तयायार्य एक न्तयायाधीश को हिाने की परू ी प्रकिया को दो प्रमुख
भागों, न्तयानयक कायथवाही और रािनीनतक कायथवाही में ववभाजित
उच्चतम न्यायािय की संरचना
करता है.
अनुच्छे द 124(1) के अनुसार मूर्तः भारत के एक मुख्य न्तयायाधीश और
न्तयानयक भाग में शाशमर् हैं:
7 अन्तय न्तयायाधीशों की व्यवस्त्र्ा र्ी. संववधान, संसद को कानून द्वारा
1. पीठासीन अर्धकारी एक तीन सदस्त्यीय न्तयानयक सशमनत ननयुतत
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करता है. सेवाननवत्त
ृ न्तयायाधीश तदर्थ न्तयायाधीश के रूप में बैठ सकते हैं और
2. न्तयानयक सशमनत आरोपों का अन्तवेषण करती है . कायथ कर सकते हैं.
3. राटट्रपनत न्तयायाधीश को हिाने का आदे श देते हैं. d) केवर् व्ही व्यजतत तदर्थ न्तयायाधीश बन सकता है िो उच्चतम
िबकक रािनीनतक भाग में शाशमर् है : न्तयायार्य का स्त्र्ायी न्तयायाधीश बनने की योग्यता रखता हो.
1. संसद में प्रस्त्ताव प्रस्त्तुत करना. 3. मुख्य न्तयायाधीश राटट्रपनत के सम्मुख शपर् र्ेते हैं.
2. संसद के सदन का प्रस्त्ताव पाररत करना. 4. भारत के प्रर्म मख्
ु य न्तयायाधीश एच िे काननया र्े (1950 –
न्तयायार्य यह भी स्त्पटि करता है कक न्तयानयक सशमनत द्वारा दव्ु यथवहार 1951).
5. अब तक सबसे कम कायथकार् के मख् ु य न्तयायाधीश के एन शसंह रहे हैं.
और असमर्थता के सबूत भर्ी ही प्राप्त कर शर्ए िाएाँ र्ेककन इसके बाद
(नवम्बर 1991 – ददसम्बर 1991, यप
ू ी)
भी संसद प्रस्त्ताव पास करने को बाध्य नहीं है. हार्ााँकक यदद न्तयानयक
6. सबसे र्ंबे कायथकार् वार्े मख्
ु य न्तयायाधीश वाई.वी. चंद्रचड़
ू र्े (1978
सशमनत दव्ु यथवहार और असमर्थता के सबूत प्राप्त नहीं कर पाती है तो,
– 1985, बॉम्बे)
संसद प्रस्त्ताव को आगे नहीं बढ़ा सकती.
भारत में उच्चतम न्यायािय (क्षेरागधकार) उच्चतम न्यायािय का क्षेरागधकार
a) मि
ू क्षेरागधकार :
भारतीय संववधान के अध्याय 4, भाग 5 द्वारा भारत का उच्चतम a) मर्
ू क्षेरार्धकार से ता्पयथ है कक कुछ ववशेष प्रकार के मामर्े केवर्
न्तयायार्य सवोच्च न्तयानयक मंच है और अपीर् का अंनतम न्तयायार्य है . उच्चतम न्तयायार्य में ही ननपिाए िा सकते हैं.
अनच्
ु छे द 124 से 147 में इसकी संरचना और क्षेरार्धकार संबंधी प्रावधान b) उच्चतम न्तयायार्य का मर्
ू क्षेरार्धकार होता है -
हैं. c) केंद्र व एक या अर्धक राज्यों के बीच वववाद हो तो,
इसके क्षेरार्धकार हैं- मर्
ू क्षेरार्धकार, अपीर्ीय क्षेरार्धकार और d) वववाद जिसमें केंद्र और कोई राज्य या राज्यों का एक तरफ होना एवं
सर्ाहकार क्षेरार्धकार एक या अर्धक राज्यों का दस
ू री तरफ होना
यह सवोच्च अपीर्ीय न्तयायार्य है िो उच्च न्तयायार्य और रज्यों एवं e) दो या अर्धक राज्यों के बीच वववाद.
अन्तय क्षेरों के न्तयायार्यों के ननणथयों पर सन
ु वाई करता है. f) मर्
ू अर्धकारों के पार्न कराने से संबंर्धत वववाद
उच्चतम न्तयायार्य को यह अर्धकार है कक वह एक उच्च न्तयायार्य के
मामर्े को दस b) अपीिीय क्षेरागधकार:
ू रे में और यहााँ तककक ककसी एक राज्य के जिर्ा न्तयायार्य
अपीर्ीय क्षेरार्धकार से ता्पयथ है कक ननचर्ी अदार्तों के मामर्े
के मामर्े को दस
ू रे राज्य के जिर्ा न्तयायार्य में हस्त्तांतररत कर सकता है .
उच्चतम न्तयायार्य के पास संववधान की समीक्षा की शजतत है . भारत के उच्चतम न्तयायार्य में आते हैं तयोंकक यह अपीर् का सवोच्च और अंनतम
मंच है .
उच्चतम न्तयायार्य का उद्घािन 28 िनवरी 1950 को ककया गया.
वेतन- संववधान का अनुच्छे द 125, उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीशों के
c) सिाहकार क्षेरागधकार:
वेतन, भत्ते, अवकाश एवं पेंशन आदद ननधाथररत करने का अर्धकार संसद
1. सर्ाहकार क्षेरार्धकार उस प्रकिया को बताता है िब राटट्रपनत को
को दे ता है . हार्ााँकक संसद, न्तयायाधीशों की ननयुजतत के बाद उनके
ककसी ववर्धक मामर्े में न्तयायार्य की सर्ाह चादहए होती है .
ववशेषार्धकार और अर्धकारों में कमी नहीं कर सकती. वतथमान में
2. यदद राटट्रपनत उच्चतम न्तयायार्य से कोई सर्ाह मांगते हैं तो इसके
उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीश का वेतन 90,000 और मुख्य
शर्ए अपना मत दे ना अननवायथ है. हार्ााँकक, इस सर्ाह को स्त्वीकार
न्तयायाधीश का 1,00,000रु प्रनतमाह है .
करना राटट्रपनत के शर्ए अननवायथ नहीं है.

उच्चतम न्यायािय से सम्बंगधत महत्वपण


ू थ बबंदु
उच्च न्यायािय
1. उच्चतम न्तयायार्य की प्रर्म मदहर्ा न्तयायाधीश 1987 में फानतमा
उच्च न्तयायार्य, न्तयानयक व्यवस्त्र्ा में राज्य स्त्तर की सवोच्च संस्त्र्ा है .
बीवी बनी. यद्यवप अभी तक कोई मदहर्ा मुख्य न्तयायाधीश नहीं
1) संववधान के अनुच्छे द 214 के अनुसार संघ के प्र्येक राज्य में एक
बनी है .
उच्च न्तयायार्य होगा. र्ेककन भारतीय संसद एक या अर्धक राज्यों
2. तदर्थ न्तयायाधीश :
के शर्ए सााँझा उच्च न्तयायार्य की व्यवस्त्र्ा अर्वा ककसी उच्च
a) कोरम पूरा करने के शर्ए उच्च न्तयायार्य के न्तयायाधीशों को
न्तयायार्य के क्षेरार्धकार का ववस्त्तार ककसी केंद्र शाशसत प्रदे श तक
उच्चतम न्तयायार्य में तदर्थ न्तयायाधीश ननयुतत ककया िाता है.
कर सकती है . इसी प्रकार, संसद ककसी उच्च न्तयायार्य के
b) तदर्थ न्तयायाधीश की ननयजु तत, मुख्य न्तयायाधीश राटट्रपनत की
क्षेरार्धकार में कमी कर सकती है .
अनुमनत और सम्बंर्धत उच्च न्तयायार्य के मुख्य न्तयायाधीश के
2) उच्च न्तयायार्य ममें एक मुख्य न्तयायाधीश और कुछ अन्तय
परामशथ से करता है.
न्तयायाधीश होते हैं. यह संख्या समय-समय पर राटट्रपनत द्वारा
c) उच्चतम न्तयायार्य (और उच्च न्तयायार्य) के कायथरत और
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ननधाथररत की िाती है . क्षेरार्धकार के राज्यक्षेर की सीमाओं के अंदर बजपक इसके बाहर भी ररि
3) एक उच्च न्तयायार्य के न्तयायाधीश की ननयुजतत राटट्रपनत, संघ के (बंदी प्र्यक्षीकरण, परमादे श, प्रनतषेध, अर्धकार-पच्ृ छा और उ्प्रेषण ररि
मुख्य न्तयायाधीश और सम्बंर्धत राज्य के राज्यपार् के परामशथ स या इनमें से कोई एक) िारी कर सकता है.
करें गे. सम्बंर्धत राज्य के मुख्य न्तयायाधीश के परामशथ सदहत अन्तय 1) संसद सदस्त्यववधानसभा सदस्त्य या अन्तय स्त्र्ानीय ननकायों के ,
न्तयायाधीशों की ननयुजतत भी इसी प्रकार की िाएगी. उच्च न्तयायार्य चुनावों को चुनौती देतीचुनाव यार्चकाएं उच्च न्तयायार्य में दाखखर्
के न्तयायाधीश 62 वषथ की आयु तक अपने पद पर बने रहते हैं और की िा सकती हैं.
उच्चतम न्तयायार्य की प्रकिया के समान ही अपने पद से हिाए िा 2) अधीनस्त्र् न्तयायार्यों के आदे शों के ववरुद्ध दीवानी और अपरार्धक
सकते हैं. दोनों मामर्ों में यह अपीर्ीय न्तयायार्य है .
पयथवेक्षीय क्षेरार्धकार के तहत, उच्च न्तयायार्य ककसी भी न्तयायार्य के
योग्यताएं
ररकॉडथ अपने पास मंगवा सकता है ताकक वह संतुटि हो सके कक कानूनी
उच्च न्तयायार्य के न्तयायाधीश के शर्ए एक व्यजतत के पास ननम्न
प्रकिया ठीक चर् रही है. ऐसा वह ककसी पक्ष की यार्चका पर भी कर
योग्यताएं होनी चादहए- सकता है अर्वा स्त्वयं संज्ञान भी र्े सकता है .
(a) वह भारत का नागररक हो,
सशस्त्र बार्ों के प्रार्धकरणों को छोड़कर शेष सभी न्तयायार्य उच्च
(b) उसे भारत के न्तयानयक कायथ में 10 वषथ का अनभ
ु व हो, या न्तयायार्य की दे ख रे ख में अपना कायथ करते हैं.
(c) वह उच्च न्तयायार्य (या न्तयायार्यों में र्गातार 10 वषथ तक यह शजतत उसे संववधान का अनुच्छे द 227देता है . इस प्रकार राज्य
अर्धवतता रह चक
ु ा हो. न्तयायपाशर्का का प्रशासन उच्च न्तयायार्य का आवश्यक कायथ है .
उच्च न्तयायार्य का प्र्येक न्तयायाधीश अपना पद साँभार्ने से पव
ू थ
राटट्रपनत के समक्ष, संववधान में ननजश्चत रूप में शपर् र्ेता है . भारतीय संववधान में ररि
अनच्
ु छे द 32-35 में ददए गए संवैधाननक उपचारों के अर्धकार के अनस
ु ार
अपने मर्
ू अर्धकारों की सरु क्षा के शर्ए एक नागररक न्तयायार्य में िा
सकता है . अपने मर्
ू अर्धकारों का पार्न कराने के शर्ए वह उच्चतम या
उच्च न्तयायार्य में िा सकता है. यह न्तयायार्य को इस उद्दे श्य के शर्ए
ननदे श या आदे श या ररि िारी करने की शजतत देता है . मर्
ू अददह्सकारों का
पार्न कराने के शर्ए ररि केवर् उच्चतम या उच्च न्तयायार्य द्वारा ही
िारी ककये िा सकते हैं.

िेख : के प्रकार (ररि)


1. बंदी प्रत्यक्षीकरण िेख:
(a) इसका अर्थ होता है ‘को प्रस्त्तुत ककया िाए’
(b) यह सुननजश्चत करता है कक बंदी गैरकानूनी दहरासत से बाहर ककया
न्यायाधीशों को हिाना
िाए- अर्ाथत पयाथप्त सबत
ू ों और कारणों के अभाव में दहरासत
उच्च न्तयायार्य का न्तयायाधीश 62 वषथ की आयु तक अपने पद पर रहता
समाप्त की िाए.
है . वह शर्खखत रूप में राटट्रपनत को अपना ्यागपर दे सकता है . वह भारत
2. अर्धकार पच्ृ छा िेख:
के राटट्रपनत द्वारा दव्ु यथवहार और अक्षमता के आधार पर अपने पद से
(a) अर्धकार पच्ृ छा का अर्थ है ‘ककस अर्धकार से’
हिाया िा सकता है . इसके शर्ए संसद में प्रस्त्ताव र्ाया िाता है जिसे
(b) यह ररि केवर् तभी िारी ककया िाता है िब ककसी व्यजतत ने कानून
ववशेष बहुमत के सार् संसद के प्र्येक सदन का समर्थन (इस प्रस्त्ताव को
के ववरुद्ध ककसी सावथिननक पद या अर्धकार को प्राप्त कर रखा है .
उस सदन के कुर् सदस्त्यों के बहुमत का समर्थन और उस सदन में मौिद ू
(c) यदद कोई व्यजतत ककसी सावथिननक कायाथर्य में अनार्धकार हो, तो
और मतदान करने वार्े सदस्त्यों के दो-नतहाई समर्थन) शमर्ना आवश्यक
न्तयायार्य उसे कायाथर्य में ककसी गनतववर्ध से रोक सकता है या
है .
कायाथर्य छोड़ने का आदे श दे सकता है .
उच्च न्यायािय का क्षेरागधकार
3. परमादेश िेख:
कुछ मामर्ों में उच्च न्तयायार्य का मूर् क्षेरार्धकार है िैसे ररि और
(a) इसका अर्थ है ‘हम आज्ञा दे ते हैं’. इसे ककसी भी सावथिननक इकाई,
संबंर्धत राज्य में अपीर्ीय क्षेरार्धकार. संववधान के भाग 3 में वखणथत मूर्
ननगम, अधीनस्त्र् न्तयायार्यों, प्रार्धकरणों या सरकार के खखर्ाफ
अर्धकारों के पार्न कराने के शर्ए या अन्तय उद्दे श्य के शर्ए प्र्येक उच्च
अपने कत्तथव्य पनू तथ के शर्ए िारी ककया िा सकता है.
न्तयायार्य ककसी भी व्यजतत, प्रार्धकरण और सरकार को अपने
(b) यह वैधाननक प्रावधान के खखर्ाफ कुछ करने के शर्ए मिबूर करने
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के शर्ए िारी नहीं ककया िा सकता. पुद्दच
ु ेरी पर भी र्ागू होगी जिनकी अपनी राज्य ववधानसभा है. सार्
(c) उदाहरण के शर्ए, इसके द्वारा अधीनस्त्र् न्तयायार्य पर ककसी ही ददपर्ी और पुद्दच
ु ेरी की ववधानसभाएाँ भी राज्य सूची और
यार्चका को ख़ाररि करने या अर्धकृत करने का दबाव नहीं बनाया समवती सूची पर कानून बना सकती हैं. इसका अर्थ है कक
िा सकता, र्ेककन यदद न्तयायार्य उस पर ननणथय दे ने से मना कर दे केन्तद्रशाशसत प्रदे शों के शर्ए ववधानसभा बना ने बाद भी उनके शर्ए
तब इसके प्रयोग से उसे ननणथय दे ने को कहा िा सकता है. कानून बनाने की संसद की शजतत में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
4. उत्प्रेषण िेख:
(a) यह एक उच्च न्तयायार्य द्वारा अधीनस्त्र् न्तयायार्य को ककसी जम्मू और कश्मीर का ववशेष दजाथ
संववधान के भाग 10 का अनच्
ु छे द 370 इसे ववशेष दिाथ देता है. अनच्
ु छे द
मामर्े के सभी कागिात अपने पास भेिने का आदे श है तक वह
370 के अनस
ु ार भारतीय संववधान के सभी प्रावधान इस राज्य पर र्ागू
अधीनस्त्र् न्तयायार्य के आदे श को दे ख सके.
नहीं होंगे. यह भारतीय संघ का एकमार ऐसा राज्य है जिसका अपना
(b) यह एक प्रकार से न्तयानयक समीक्षा का र्ेख है .
संववधान है.
(c) यह ररि िारी करने का यह मतर्ब नहीं कक उच्चतम न्तयायार्य,
अधीनस्त्र् न्तयायार्य के ननणथय से असहमत है. इसका केवर् इतना राज्य के ववशेष दजे की प्रमख
ु ववशेषताएं ननम्नलिखखत हैं:
1. अन्तय राज्यों के ववपरीत, अवशशटि शजततयां राज्य ववधानमंडर् के
अर्थ है कक कम से कम चार न्तयायाधीश यह ननधाथररत कर र्ें कक
यार्चका में िो पररजस्त्र्नतयां बताई गई हैं वे समीक्षा के शर्ए पयाथप्त पास हैं (संसद के पास नहीं)

हैं. 2. राज्य का अपना संववधान है. यहााँ दोहरी नागररकता का शसद्धांत भी

5. प्रनतषेध िेख : र्ागू है .


3. भारतीय संववधान का भाग 4 (राज्य के नीनत ननदे शक तत्त्व) और
(a) यह ककसी अधीनस्त्र् न्तयायार्य को अपने न्तयायक्षेर से बहार कायथ
भाग 4(क) (मर्
ू कत्तथव्य) राज्य पर र्ागू नहीं होंगे.
करने या न्तयाय के नैसर्गथक शसद्धांत के ववरुद्ध कायथ करने से
रोकता है . िैसे- ककसी न्तयायाधीश को ऐसे मामर्े की सुनवाई से 4. यद्
ु ध या बाह्सय आिमण के आधार पर घोवषत राटट्रीय आपातकार्
स्त्वतः ही राज्य पर र्ागू होगा. र्ेककन सशस्त्र ववद्रोह के आधार पर
रोकना जिसमें वो व्यजततगत रूर्च र्ेता हो.
घोवषत आपातकार् राज्य पर र्गू नहीं होगा.
(b) ये ररि ‘वैकजपपक’ या ‘अनुपर्ंघनीय’ रूप में होते हैं. वैकजपपक ररि
5. राज्य पर ववत्तीय आपातकार् (अनु 360) र्ागू नहीं ककया िा सकता.
प्राप्तकताथ को तुरंत उसका पार्न करने का ननदे श देता है या पूछता है
6. अनु 19(1) और 31(2) इस राज्य में समाप्त नहीं ककये िा सकते
कक इन ननदे शों को स्त्र्ायी तयों न कर ददया िाए. एक अनुपर्ंघनीय
और संपवत्त का अर्धकार अभी भी यहााँ के र्ोगों के शर्ए र्ागू है .
ररि प्राप्तकताथ को तुरंत कारथ वाई का ननदे श देता है , या ननदे श के
7. िम्मू और कश्मीर के शर्ए संसद ककसी भी हार्ात में राज्य सच
ू ी के
अनुपार्न को सुननजश्चत करने के शर्ए कुछ समय मांगकर ररि
ववषयों पर कानून नहीं बना सकती.
वापस कर देता है.
8. राज्य में राज्यपार् मुख्यमंरी से परामशथ के बाद ही ननयुतत ककया
(c) यह ररि केवर् तभी िारी की िा सकती है िब न्तयायार्य में सुनवाई
चर् रही है , यदद मामर्े में ननणथय दे ददया गया है तो ररि नहीं दी िा िाएगा.

सकती.
संवैधाननक संस्त्र्ाएं
1) ननवाथचन आयोि
केन्द्रशालसत प्रदे श
ननवाथचन आयोग एक स्त्र्ायी और स्त्वतंर ननकाय है.इसका गठन
संववधान के भाग 8 के अनुच्छे द 239 से 241 में इस संबंध में
प्रावधान है . वैसे तो सभी केन्तद्रशाशसत प्रदे श एक ही श्रेणी के हैं ककन्ततु भारत के संववधान द्वारा दे श में स्त्वतंर और ननटपक्ष चुनाव संपन्तन

उनके प्रशासन में एकरूपता नहीं है. कराने के उद्दे श्य से ककया गया र्ा. संववधान के अनु 324 के
अनुसार संसद, राज्य ववधानमंडर्, राटट्रपनत व उप-राटट्रपनत के पदों
प्र्येक केन्तद्रशाशसत प्रदे श का शासन राटट्रपनत अपने ननयुतत
प्रनतननर्ध के माध्यम से करते हैं. वह राटट्रपनत का प्रनतननर्ध होता है , के ननवाथचन के शर्ए संचार्न, ननदे शन व ननयंरण की जिम्मेदारी
चुनाव आयोग की है .
राज्यपार् की तरह राज्य का मखु खया नहीं.
राटट्रपनत उस प्रशासक का पदनाम तय कर सकते हैं : ददपर्ी, चुनाव संवैधाननक प्रावधानों और संसद द्वारा बनाये गए ननयमों के
अनुसार होना कराए िायेंगे..
पुद्दच
ु ेरी, अंदमान और ननकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादरा और
नगर हवेर्ी, दमन और दीव एवं र्क्षद्वीप के मामर्े में यह र्ेजटिनेंि प्रमुख कानून िनप्रनतननर्ध्व अर्धननयम 1950 और 1951 है
जिसमें मतदाता की भूशमका, चुनाव कराने के ववशभन्तन पक्ष और
गवनथर है .
पुराने चुनाव वववाद हैं.
संसद केन्तद्रशाशसत प्रदे शों के शर्ए, तीनो सूर्चयों (राज्य सूची सदहत)
भारत में मतदान प्रणार्ी ग्रेि बब्िे न से र्ी गई है . वतथमान में
के ववषयों पर कानून बना सकती है . संसद की यह शजतत ददपर्ी और
ननवाथचन आयोग में एक मुख्य चन
ु ाव आयुतत और दो चुनाव
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आयुतत होते हैं.
संघ िोक सेवा आयोि
आयोग परू ी तरह मुख्य चुनाव आयुतत की दे ख रे ख में कायथ करता है.
मुख्य चुनाव आयत स्त्वतंन्तर भारत के शर्ए 26 िनवरी 1950 को नए संववधान र्ागू होने
ु त का कायथकार् 6 वषथ या 65 वषथ की आयु (िो भी
के सार् ही, संघीय र्ोक सेवा आयोग एक स्त्वतंर संवैधाननक ननकाय
पहर्े हो) ननधाथररत है .
बन गया और इसका नाम संघ र्ोक सेवा आयोग पड़ा.
मुख्य चुनाव आयुतत और चुनाव आयुतत के वेतन, भत्ते व दस
ू रे
इसकी स्त्र्ापना अनु 315 के तहत की गई है. आयोग में एक अध्यक्ष
अनुर्ाभ समान होते हैं िो उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीश के
बराबर होता है. और 10 सदस्त्य होते हैं.
अध्यक्ष और सदस्त्यों का कायथकार् 6 वषथ या 65 वषथ की आयु (िो भी
मुख्य चुनाव आयुतत की पुनननथयजु तत नहीं की िा सकती.
पहर्े हो) तक का होता है .
राज्यों में होने वार्े पंचायतों व ननगम चुनावों से चन
ु ाव आयोग का
इसका मख्
ु य कायथ प्रनतयोगी परीक्षाओं के माध्यम से संघ के अंतगथत
कोई संबंध नहीं है .
पदों के शर्ए भती करना है.
राज्यों की पंचायतों व ननगम चुनावों के शर्ए ‘राज्य चुनाव आयोग’
की व्यवस्त्र्ा की गई है.
राज्य िोक सेवा आयोि
मुख्य चुनाव आयुतत की स्त्वतंरता
राज्य र्ोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष और अन्तय सदस्त्य होते हैं िो
संववधान का अनु 324 में चुनाव आयोग के स्त्वतंर व ननटपक्ष कायथ करने
राज्य के राज्यपार् द्वारा ननयत
ु त ककये िाते हैं. र्ेककन वे केवर्
के शर्ए ननम्नशर्खखत उपबंध हैं :
राटट्रपनत द्वारा हिाए िा सकते हैं.
1. मुख्य चुनाव आयुतत की अपनी ननधाथररत पदावर्ध में काम करने की
यह एक स्त्वतंर संवैधाननक ननकाय है.
सुरक्षा है. उसे उन्तहीं रीनत व आधारों पर हिाया िा सकता है जिन
अध्यक्ष और सदस्त्यों का कायथकार् 6 वषथ या 62 वषथ की आयु (िो भी
आधारों पर उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीश को हिाया िाता है
पहर्े हो) तक का होता है .
अर्वा नहीं.
इसका प्रमुख कायथ राज्य सेवाओं में ननयजु तत के शर्ए परीक्षा
2. चुनाव आयुतत को मुख्य चुनाव आयुतत की शसफाररश पर ही हिाया
आयोजित करवाना है .
िा सकता है अर्वा नहीं.
संयुतत राज्य िोक सेवा आयोि
कायथ और शष्तत
संववधान में दो या अर्धक राज्यों के शर्ए संयत
ु त राज्य र्क सेवा
1. संसद के पररसीमन आयोग अर्धननयम के आधार पर समस्त्त भारत
आयोग की भी व्यवस्त्र्ा है.
के ननवाथचन क्षेरों के भू-भाग का ननधाथरण करना.
इसकी स्त्र्ापना संबंर्धत राज्य के ववधानसभाओं के आग्रह पर संसद
2. समय-समय पर ननवाथचक-नामावर्ी तैयार करना और सभी योग्य
द्वारा की िाएगी. हार्ााँकक यह एक वैधाननक ननकाय है न की
मतदाताओं को पंिीकृत करना
संवैधाननक.
3. ननवाथचन की नतर्र् और समय-सारणी ननधाथररत करना एवं नामांकन
इसके अध्यक्ष की ननयजु तत राटट्रपनत करते हैं.
परों का पररक्षण करना
ननयंरक एवं महािेखा परीक्षक
4. रािनीनतक दर्ों को मान्तयता प्रदान करना और उन्तहें चन
ु ाव र्चन्तह
भारतीय संववधान का अनु 148 एक स्त्वतंर, भारत के ननयंरक एवं
आवंदित करना
महार्ेखा पक्षथक की व्यवस्त्र्ा करता है .
5. रािनीनतक दर्ों को मान्तयता दे ने और उन्तहें चन
ु ाव र्चन्तह दे ने के
यह भारत का सवोच्च र्ेखा परीक्षक होता है.
मामर्े में हुए वववाद के समाधान के शर्ए न्तयायार्य की तरह काम
यह भारतीय र्ेखा परीक्षण और र्ेखा ववभाग का मखु खया होता है . यह
करना
राज्य एवं दे श के र्ोक ववत्त का संरक्षक होने के सार् ही सम्पण
ू थ
6. ननवाथचन के समय दर्ों व उम्मीदवारों के शर्ए आचार संदहता ननशमथत
ववत्तीय व्यवस्त्र्ा का ननयंरक होता है.
करना
7. संसद सदस्त्यों की ननहथरता के मामर्े पर राटट्रपनत को सर्ाह दे ना. ननयष्ु तत एवं कायथकाि
8. ववधानमंडर् के सदस्त्यों की ननरहथता के मामर्ों पर राज्यपार् को इसकी ननयजु तत राटट्रपनत करते हैं.
सर्ाह दे ना इसका कायथकार् 6 वषथ या 65 वषथ (िो भी पहर्े हो) तक होता है .
9. ररंर्गंग, मतदान केंद्र र्ि
ू ना, दहंसा व अन्तय अननयशमतताओं के वह राटट्रपनत के नाम कभ भ अपना ्यागपर दे सकता है . वह
आधार पर ननवाथचन रद्द करना. राटट्रपनत द्वारा, उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीश के समान ही
10. ननवाथचन के मद्दे निर रािनीनतक दर्ों को पंिीकृत करना तर्ा अपने पद से हिाया भी िा सकता है .
ननवाथचन में प्रदशथनों के आधार पर उसे राटट्रीय या राज्यस्त्तरीय दर् सीएजी के कायथ
का दिाथ दे ना 1. वह भारत की संर्चत ननर्ध, प्र्येक राज्य की संर्चत ननर्ध और

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प्र्येक संघशाशसत प्रदे श िहााँ ववधानसभा हो, से सभी व्यय संबंधी भी एक अर्ग संर्चत ननर्ध की व्यवस्त्र्ा देता है .
र्ेखों की र्ेखा परीक्षा करता है .
2. वह भारत की आकजस्त्मकता ननर्ध से व्यय और भारत के र्ोक र्ेखा भारत का िोक िेखा
अनु. 266 के तहत भारत सरकार की दे यता, प्राजप्त और र्ोन के
सदहत प्र्येक राज्य की आकजस्त्मकता ननर्ध और प्र्येक राज्य के
अनतररतत अन्तय कोई भी धन ‘भारत के र्ोक र्ेखा’ में िमा ककया िाएगा.
र्ोक र्ेखा से सभी व्यय का र्ेखा परीक्षा करता है.
यह राटट्रपनत के अधीन रहे गी. अन.ु 266 राज्यों में भी ऐसे ही राज्य र्ोक
3. वह राटट्रपनत या राज्यपार् के कहने पर ककसी अन्तय प्रार्धकरण के
र्ेखों की भी र्ेखा परीक्षा करता है . र्ेखा की व्यवस्त्र्ा करता है.

नोि: वह केंद्र सरकार के िेखों से सम्बंगधत ररपोिथ राटरपनत को और राज्य


भारत की आकष्स्त्मकता ननगध
सरकार के िेखों से सम्बंगधत रोिथ राज्यपाि को सौंपता है .
अनु. 267 संसद को यह अर्धकार देता है कक वह, कानून द्वारा, एक र्ोक

भारत का महान्यायवादी ननर्ध बनाये जिसे ‘भारत की आकजस्त्मकता ननर्ध’ कहा िाएगा. इसके
अनुसार, सरकार ने भारत की आकजस्त्मकता ननर्ध (ववववध उपबंध
अनु 76 के अनस
ु ार राटट्रपनत, उस व्यजतत को िो उच्चतम
न्तयायार्य का न्तयायाधीश बनने की योग्यता रखता हो, को भारत का अर्धननयम 1950, बनाया जिसने अर्धकतम 50 करोड़ रु के सार् भारत
की आकजस्त्मकता ननर्ध की स्त्र्ापना की. यह भारत सरकार की ननयशमत
महान्तयायवादी ननयत
ु त करे गा.
ननर्ध नहीं है और यह सरकार के अदृटि खचों के शर्ए प्रयोग की िाती है .
वह भारत का सवोच्च कानन
ू ी अर्धकारी होता है .
यह राटट्रपनत की ननगरानी में रखी िाती है िो आपात खचे के शर्ए राशश
संववधान में इसका कायथकार् तय नहीं है.
िारी कर सकते हैं.
वह राटट्रपनत के प्रसाद पयंत अपने पद पर बना रह सकता है . उसका
पाररश्रशमक राटट्रपनत ननधाथररत करते हैं. वह संसद का सदस्त्य नहीं
इस ननर्ध क अप्रयोग तब ककया िाता है िब संसद भारत की संर्चत ननर्ध
होता र्ेककन संसद के दोनों सदनों में की कारथ वाई में भाग र्े सकता है
से अदृटि खचे के शर्ए राशश िारी करने की जस्त्र्नत में नहीं होती. राटट्रपनत
और अपने ववचार रख सकता है र्ेककन मतदान नहीं कर सकता.
द्वारा यह राशश िारी करने से पूवथ इसे संसद के समक्ष अनुमनत के शर्ए
वह ककसी भी कानन
ू ी ववषय पर भारत सरकार को सर्ाह देता है .
रखा िाता है. यदद संसद का समर्थन शमर् िाता है तो उतनी राशश
राटट्रपनत द्वारा सौंपे गए ववर्धक कतथव्यों का पार्न करे .
आकजस्त्मकता ननर्ध से संर्चत ननर्ध में हस्त्तांतररत कर दी िाती है. संसद,
वह संववधान या राटट्रपनत द्वारा सौंपे गए ककसी कायथ से इनकार कर
ववर्ध द्वारा आकजस्त्मकता ननर्ध की अजह्सदकतम सीमा स्त्र्ायी या
सकता है .
अस्त्र्ायी रूप से बढ़ा सकती है.
अपने कायथ के शर्ए उसे भारत के ककसी भी क्षेर में ककसी भी अदार्त
में महान्तयायवादी को सुनवाई का अर्धकार है .
एक संसद सदस्त्य की तरह उसे सभी भत्ते एवं ववशेषार्धकार शमर्ते हैं. राजनीनतक दि
एक मान्तयता प्राप्त रािनीनतक दर् ‘राटट्रीय दर्’ और ‘राज्य स्त्तरीय दर्’
नोि: संववधान का अनु. 165 राज्य का महार्धवतता पद की व्यवस्त्र्ा में ववभाजित ककया िाता है . दर् को मान्तयता चन
ु ाव आयोग देता है .
करता है. वह राज्य का सवोच्च कानूनी अर्धकारी होता है. इस प्रकार वह
भारत के महान्तयायवादी का अनुपरू क होता है . वह राज्य के राज्यपार् राटरीय दि बनने के लिए शतें

द्वारा ननयत
ु त ककया िाता है . राटरीय दि के लिए एक दि को ननम्न अहताथएं परू ी करनी चाहहए:
1. यदद कोई दर् र्ोकसभा में 2% स्त्र्ान पाता है तर्ा ये सदस्त्य तीन
संसदीय ननगध ववशभन्तन राज्यों से चुने िाते हैं, या
भारत की संगचत ननगध 2. यदद कोई दर् र्ोकसभा अर्वा ववधानसभा के आम चन
ु ावों में 4
1. अनु. 266 भारत की संर्चत ननर्ध की व्यवस्त्र्ा करता है . अर्वा अर्धक राज्यों में वैध मत का 6% मत प्राप्त करता है तर्ा
2. यह एक संवध
ै ाननक ननर्ध है. इसके सार् वह ककसी राज्य या राज्यों में र्ोकसभा में 4 सीि प्राप्त
3. सरकार की सभी दे यताएं, प्राजप्तयां, र्ोन और भारत सरकार की आय करता है , या
इसमें िमा होती हैं. 3. यदद कोई दर् कम से कम चार राज्यों में राज्य स्त्तरीय दर् के रूप में
4. यह भारत सरकार की सबसे बड़ी ननर्ध है . मान्तयता प्राप्त हो.
5. यह भारत सरकार का एक ननयशमत फंड है.
6. सरकार के सभी खचे इसी ननर्ध से होते हैं. प्रमुख स्त्मरणीय बबंदु

7. यह संसद की दे ख रे ख में रखी िाती है . कोई भी राशश बबना संसद की 1. एक वैधाननक प्रस्त्ताव का प्रारूप- ववधेयक

अनुमनत के नहीं ननकार्ी िा सकती. अन.ु 266 प्र्येक राज्य के शर्ए 2. संसद के दोनों सदनों से पाररत और राटट्रपनत का अनुमनत प्राप्त

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ववधेयक - अर्धननयम
(4) अपपसूचना प्रश्न
3. एक ववत्त वषथ का भारत सरकार के खचों और प्राजप्तयों का वावषथक
ववत्तीय वववरण - बिि यह प्रश्न अववर्ंबनीय र्ोक मह्व के मामर्ों से िुड़े हैं और इनका िवाब
मंरी को 10 ददन में देना पड़ता है .
4. राटट्रपनत की शसफाररश से संसद के समक्ष अनुमनत के शर्ए एक
मंरार्य/ववभाग से सम्बंर्धत खचों का अनुमान िो संर्चत ननर्ध से
(5) स्त्र्िन प्रस्त्ताव
नहीं शर्या िाएगा - अनुदान मांग
यह सरकार के ववरुद्ध ननंदा प्रस्त्ताव होता है. यह ककसी सदस्त्य द्वारा
5. आगामी ववत्तीय वषथ के शर्ए सरकार के ववत्तीय प्रस्त्तावों से सम्बंर्धत
गंभीर सावथिननक मह्व के ववषयों की और मंरी का ध्यान ददर्ाता है .
प्रनतवषथ पेश ककया िाने वार्ा ववधेयक – ववत्त ववधेयक
6. संववधान के अन.ु 110 के खंड 1 के उपखंड (क) से उपखंड (छ) में (6) ध्यानाकषथण
वखणथत ककसी ववषय से सम्बंर्धत ववधेयक. (ऐसा ववधेयक जिसे यह एक नोदिस होता है जिसमें कोई सदस्त्य अध्यक्ष की पूवथ अनुमनत से
राटट्रपनत की शसफाररश के बबना नहीं प्रस्त्तुत ककया िा सकता और अववर्ंबनीय र्ोक मह्व के मामर्े में इन सूचनाओं के तहत मंरी से
जिसे राज्यसभा में नहीं प्रस्त्तुत ककया िा सकता) - धन ववधेयक दिपण्णी या वततव्य मांगता है . इसमें न मतदान होता है , ना पूरक प्रश्न.
7. भारत की संर्चत ननर्ध में से धन ननकार्ने के शर्ए र्ोकसभा में इसीशर्ए इसे कागिी प्रस्त्ताव कहा िाता है .
प्रनतवषथ (या वषथ में कई बार) र्ाया गया ववधेयक - ववननयोग
ववधेयक (7) ववशेषागधकार प्रस्त्ताव

8. मांग अनुदान या ननजश्चत राशश में कमी के शर्ए प्रस्त्ताव - किौती यह कोई सदस्त्य तब रखता है िब उसे र्गता है ककककसी मंरी या ककसी
प्रस्त्ताव सदस्त्य की दिपण्णी से सदन के ववशेषार्धकारों का हनन हुआ हो.
9. किौती प्रस्त्ताव तीन प्रकार के होते हैं : नीनतगत किौती, आर्र्थक
बहुमत के प्रकार
किौती और िोकन किौती
1) साधारण बहुमत
10. र्ोकसभा द्वारा ववत्त वषथ के एक दहस्त्से के शर्ए सरकार के खचे के
इसका अर्थ है कक उपजस्त्र्त और मत दे ने वार्ों का 50% से अर्धक बहुमत
शर्ए अर्ग्रम अनुदान. र्ेखानुदान पर प्रस्त्ताव, मांग अनुदान की तरह
उदाहरण:
होता है – र्ेखानद
ु ान
• र्ोकसभा के कुर् सदस्त्य= 545
11. सदन का पहर्ा घंिा सामान्तयतः प्रश्न पूछने और उनके उत्तर के शर्ए
• मतदान के समय उपजस्त्र्त सदस्त्य = 500 उपजस्त्र्त और मत दे ने वार्े
होता है – प्रश्नकार्
सदस्त्य = 400
12. स्त्वयं-ननशमथत स्त्वतंर प्रस्त्ताव िो सदन के समर्थन के शर्ए रखा गया
इस मामर्े में साधारण बहुमत का अर्थ है 201 या अर्धक सदस्त्यों की
है – प्रस्त्ताव
सहमनत.
13. अध्यक्ष द्वारा मतदान में बराबर ककस जस्त्र्नत में ददया गया मत -
ननणाथयक मत साधारण बहुमत से पाररत प्रास्त्ताव:
14. यह प्रश्न अववर्ंबनीय र्ोक मह्व का होने के कारण इसका उत्तर 1. अववश्वास प्रस्त्ताव
मंरी को 10 ददन में देना पड़ता है – अपपसच
ू ना प्रश्न 2. ववश्वास प्रस्त्ताव
3. राटट्रपनत/राज्यपार् के अशभभाषण पर धन्तयवाद प्रस्त्ताव
संसद में प्रस्त्ताव
4. ननंदा प्रस्त्ताव
(1) Private Member’s business
प्र्येक सदस्त्य िो मंरी नहीं है , एक ननिी सदस्त्य कहर्ाता है . ननिी 5. स्त्र्गन प्रस्त्ताव

सदस्त्य कायथ में ननिी सदस्त्य ववधेयक और प्रस्त्ताव होते हैं. इसके शर्ए 6. अनु.352 के अंतगथत र्ोकसभा में प्रस्त्ताव

न्तयूनतम समय एक माह होता है . 7. र्ोकसभा में उपराटट्रपनत को हिाने संबंधी प्रस्त्ताव
8. धन ववधेयक
(2) प्रश्न काि 9. ववत्त ववधेयक और साधारण ववधेयक
सामान्तयतः सदन के कायथ का पहर्ा घंिा प्रश्न उत्तर का होता है . 10. राज्य ववधानसभा द्वारा संववधान संशोधन ववधेयक
(3) तारांककत और अतारांककत प्रश्न
ये मौखखक प्रश्न होते हैं जिसका उत्तर सदन में सबके सामने ददया िाता है. 2) पूणथ बहुमत

इसमें अन्तय सदस्त्यों द्वारा 5 परू क प्रश्न पूछे िा सकते हैं. अतारांककत इसका अर्थ है कक सदन के कुर् सदस्त्यों की संख्या का 50% से अर्धक का

प्रश्न शर्खखत प्रकृनत के होते हैं जिनका िवाब मंरी शर्खखत में दे ते हैं. पूरक समर्थन. संववधान में ऐसे बहुमत की अर्ग से बात नहीं की गई है .

प्रश्न नहीं होता.

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3) प्रभावी बहुमत • अनुच्छे द 107 : ववधेयक के परु ःस्त्र्ापन और पाररत ककये िाने के
प्रभावी बहुमत से ता्पयथ है कक सदन की 50% से अर्धक प्रभावी संख्या संबंध में उपबंध
का समर्थन. • अनुच्छे द 108 : कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुतत बैठक
उदाहरण : राज्यसभा में कुर् सदस्त्य 245 हैं. अगर मानें की ककसी ददन 8 • अनुच्छे द 109 : धन ववधेयक के संबंध में ववशेष प्रकिया
सदस्त्य अनुपजस्त्र्त हैं और 2 स्त्र्ान ववशभन्तन कारण से खार्ी हैं. अब सदन • अनुच्छे द 110 : की पररभाषा ”धन ववधेयक“
की प्रभावी संख्या 235 है. अतः प्रभावी बहुमत 118 या उससे अर्धक होगा. • अनुच्छे द 111 : ववधेयक पर अनुमनत
• अनुच्छे द 112 : वावषथक ववत्तीय वववरण
ववशेष बहुमत
• अनुच्छे द 113 : संसद में प्रातकर्नों के संबंध में प्रकिया
साधारण, पण ू थ और प्रभावी बहुमत से अर्ग अन्तय बहुमत ववशेष बहुमत • अनुच्छे द 114 : ववननयोग ववधेयक
कहर्ाते हैं.
• अनुच्छे द 115 : अनुपूरक प्र्त्यायानुदान ,
ववलभन्न प्रकार के ववशेष बहुमत हैं -:-
• अनुच्छे द116:र्ेखानुदानप्र्ययानद
ु ान और अपवादानुदान,
(a) अन.ु 249 के तहत बहुमत • अनुच्छे द 117 : ववत्त ववधेयकों के बारे में ववशेष उपबंध
यह संसद को राटट्र दहत में राज्य सच
ू ी के ववषय पर कानन
ू बनाने का • अनुच्छे द 118 : प्रकिया के ननयम
अर्धकार देता है . इसके शर्ए उपजस्त्र्त और मतदान करने वार्े दो नतहाई • अनुच्छे द 119 : संसद में ववत्तीय कायथ संबध
ं ी प्रककया का ववर्ध
सदस्त्यों का बहुमत चादहए. द्वारा ववननयमन
(b) अन.ु 312 के तहत बहुमत (एक या अर्धक अखखर् भारतीय सेवाओं • अनुच्छे द 120 : संसद में प्रयोग की िाने वार्ी भाषा
का प्रारं भ)
• अनुच्छे द 121 : संसद में चचाथ पर ननबथन्तधन
यह प्रस्त्ताव आवश्यक रूप से राज्यसभा द्वारा पास ककया िाना चादहए.
• अनुच्छे द 122 : न्तयायार्यों द्वारा संददये कायथवाही की िांच न
इसके शर्ए उपजस्त्र्त और मतदान करने वार्े दो नतहाई सदस्त्यों का ककया िाना
बहुमत चादहए. उसके बाद बबर् र्ोकसभा में पेश ककया िा सकता है.
(c) अन.ु 368 के तहत बहुमत (संववधान संशोधन ववधेयक) भारतीय संववधान के महत्वपण
ू थ अनच्
ु छे द
ववधेयक कहीं भी पेश कर सकते हैं. सदन के कुर् सदस्त्यों का बहुमत (पण
ू थ अनच्
ु छे द प्रावधान
बहुमत), उपजस्त्र्त और मतदान करने वार्े दो नतहाई सदस्त्यों का बहुमत 2 नए राज्यों का प्रवेश या स्त्र्ापना
चादहए. 3 नए राज्यों का नाम और वतथमान राज्यों और पुराने राज्यों के
यह बहुमत ननम्न मामर्ों में चादहए: क्षेरफर्, सीमा व नाम पररवतथन
संववधान संशोधन ववधेयक के शर्ए. 5 संववधान के प्रारं भ पर नागररकता
राटट्रीय आपातकार् को िारी रखने के शर्ए 17 छुआछूत का अंत
18 उपार्धयों का अंत
ननम्नलिखखत पदागधकाररयों को हिाने के लिए प्रस्त्ताव पाररत करना होता
32 इस भाग द्वारा प्रदत्त अर्धकारों को प्रवनतथत करने के शर्ए
है :
उपचार
उच्चतम/उच्च न्तयायार्य का न्तयायाधीश
52 भारत के राटट्रपनत
भारत का ननयंरक एवं महार्ेखा परीक्षक
60 राटट्रपनत द्वारा शपर् प्रनतज्ञान
मुख्य चुनाव आयुतत
62 राटट्रपनत के पद में ररजतत को भरने के शर्ए चन
ु ाव करने का
राज्य चुनाव आयुतत
समय और आकजस्त्मकता ररजतत को भरने के शर्ए ननवाथर्चत
केंद्रीय और राज्य सूचना आयोग के सदस्त्य
व्यजतत की पदावर्ध
मुख्य सतकथता आयुतत
63 भारत के उप-राटट्रपनत
(d) अनु. 61 के तहत बहुमत (राटट्रपनत पर महाशभयोग) 64 उपराटट्रपनत राज्य सभा का पदे न सभापनत
उपजस्त्र्त और मतदान करने वार्े दो नतहाई सदस्त्यों का बहुमत, दोनों 65 राटट्रपनत के पद में आकजस्त्मक ररजतत के दौरान या उसकी
सदनों से यह अर्ग अर्ग पाररत होना चादहए. अनुपजस्त्र्नत में उपराटट्रपनत का राटट्रपनत के रूप में कायथ
2/3 x 545 = 364 (र्ोकसभा) करना या उसके कृ्यों का ननवथहन
2/3 x 245 = 164 (राज्यसभा) 74 राटट्रपनत को सहायता और सर्ाह दे ने के शर्ए मंबरपररषद
76 भारत के महान्तयायवादी
ववधेयकों से सम्बंगधत अनुच्छे द 78 राटट्रपनत को िानकारी आदद दे ने के संबंध में पीएम के कत्तथव्य

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79 संसद का गठन. में कायथ करने की उप सभापनत या अन्तय व्यजतत की शजतत
80 राज्यसभा की संरचना 185 िब सभापनत या उपसभापनत को पद से हिाने का कोई संकपप
81 र्ोकसभा की संरचना ववचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
83 संसद के सदनों की अवर्ध 197 धन ववधेयकों से शभन्तन ववधेयकों के बारे में ववधान पररषद् की
84 संसद की सदस्त्यता के शर्ए अहताथ शजततयों पर ननबथन्तधन
89 राज्यसभा के सभापनत और उपसभापनत 214 राज्यों के शर्ए उच्च न्तयायार्य
90 उपसभापनत का पद ररतत होना, पद्याग और पद से हिाया 215 उच्च न्तयायार्यों का अशभर्ेख न्तयायार्य होना
िाना 217 उच्च न्तयायार्य के न्तयायाधीश की ननयजु तत और उसके पद की
93 र्ोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष शतें
94 अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का ररतत होना, पद ्याग और हिाया 222 एक िि का एक हाईकोिथ से दस
ु रे में ट्रांसफर
िाना 231 दो या अर्धक राज्यों के शर्ए एक ही न्तयायार्य की स्त्र्ापना
101 स्त्र्ानों का ररतत होना 239 केंद्र शाशसत प्रदे शों का शासन
102 सदस्त्यता के शर्ए ननहथताथयें 239 A ददपर्ी के संबंध में ववशेष उपबंध
124 उच्चतम न्तयायार्य की स्त्र्ापना और गठन 240 कुछ संघ राज्यक्षेरों के शर्ए ववननयम बनाने की राटट्रपनत की
127 तदर्थ ििों की ननयजु तत शजतत
131 उच्चतम न्तयायार्य की आरं शभक अर्धकाररता 243 E पंचायत की कायाथवर्ध
132 कुछ मामर्ों में उच्च न्तयायार्यों से अपीर्ों में उच्चतम 244 अनुसूर्चत क्षेरों और िनिानत क्षेरों का प्रशासन
न्तयायार्य की अपीर्ी अर्धकाररता 252 दो या अर्धक राज्यों के शर्ए उनकी सहमती से ववर्ध बनाने की
133 उच्च न्तयायार्य से शसववर् ववषयों से संबंर्धत अपीर्ों में संसद की शजतत
उच्चतम न्तयायार्य की अपीर्ी अर्धकाररता 266 भारत और राज्यों की संर्चत ननर्धयां और र्ोक र्ेखे
134 दं शसक ववषयों में उच्चतम न्तयायार्य की अपीर्ी अर्धकाररता 267 आकजस्त्मकता ननर्ध
148 भारत के ननयंरक एवं महार्ेखा परीक्षक 280 ववत्त आयोग
149 कैग के कायथ और शजततयां 292 भारत सरकार द्वारा उधर र्ेना
153 राज्यों के राज्यपार् 293 राज्यों द्वारा उधर र्ेना
154 राज्य की कायथपाशर्का शजतत 300 क संपवत्त का अर्धकार
155 राज्यपार् की ननयुजतत 312 अखखर् भारतीय सेवाएाँ
156 राज्यपार् की पदावर्ध 315 संघ और राज्य के शर्ए र्ोक सेवा आयोग
157 राज्यपार् ननयत
ु त होने के शर्ए अहताथएं 320 र्ोक सेवा आयोग के कायथ
163 राज्यपार् को सहायता और सर्ाह दे ने के शर्ए मंबरपररषद 323A प्रशासननक अर्धकरण
165 राज्य का महार्धवतता 324 चुनावों के अधीक्षण , ननदे शन और ननयंरण का ननवाथचन
167 राज्यपार् को िानकारी दे ने के संबंध में मुख्यमंरी के कत्तथव्य आयोग में ननदहत होना
169 राज्यों में ववधान पररषदों का उ्सादन या सि 325 धमथ, मूर्वंश िानत या शर्ंग के आधार पर ककसी व्यजतत का
ृ न
170 ववधान सभाओं की संरचना मतदाता सच
ू ी से नाम नहीं हिाना
171 ववधान पररषदों की संरचना 338 एससी, एसिी के शर्ए राटट्रीय आयोग
178 ववधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष और उसके द्वारा ककस 343 संघ की रािभाषा
ववशेष मतदाता सूची में शाशमर् करने के शर्ए दावा न करना 345 राज्य की रािभाषा या रािभाषाएं
179 अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद ररतत होना, पद ्याग और पद 348 सुप्रीम और हाईकोिथ में और अर्धननयमों, ववधेयकों आदद के
से हिाया िाना शर्ए प्रयोग की िाने वार्ी भाषा
182 ववधान पररषद् के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष 352 आपात की उद्घोषणा (राटट्रीय आपातकार्)
183 सभापनत और उपसभापनत का पद ररतत होना पद्याग और 356 राज्य आपातकार् (राटट्रपनत शासन)
पद से हिाया िाना 360 ववत्तीय आपातकार्
184 सभापनत के पद के कतथव्यों का पार्न करने या सभापनत के रूप 361 राटट्रपनत और राज्यपार्ों और रािप्रमुखों का संरक्षण

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368 संववधान का संशोधन करने की संसद की शजतत और उसके दहि मिेस्त्ती के समक्ष र्ंबबत रहना
शर्ए प्रकिया 376 हाईकोिथ के ििों के बारे में उपबंध
370 िम्मू कश्मीर के संबध
ं में अस्त्र्ायी उपबंध 377 भारत के ननयंरक एवं महार्ेखा परीक्षक के बारे में उपबंध
371 महाराटट्र और गुिरात राज्य के संबध
ं में ववशेष उपबंध 394A दहंदी भाषा में प्रार्धकृत पाठ
374 संघीय न्तयायार्य के ििों और संघीय कोिथ में या सपररषद 395 ननरस्त्त

आधनु नक भारत
यूरोवपयों का आिमन 4) 1690 तक इनका मुख्य केंद्र पुर्ीकि रहा जिसकी िगह बाद में
पुतथिािी नेगापट्िनम ने र्ी.
1) नए समुद्री मागों की खोि के दौरान, वास्त्को डी गामा ने यूरोप से 5) बेदार के युद्ध (1759) में अंग्रेिों से डचों की हार से डचों ने भारत में
भारत के शर्ए नए समुद्री मागथ, केप मागथ, की खोि की. वह 17 मई, अंग्रेिों की प्रधानता मान र्ी.
1498 को कार्ीकि के बंदरगाह पर पहुंचा और कार्ीकि के दहन्तदू
अंग्रेज
शासक (ज़मोररन की उपार्ध से र्ोकवप्रय) ने उसका स्त्वागत ककया.
भारत में बब्दिश ईस्त्ि इंडडया कंपनी के व्यापार स्त्र्ापना से पूव,थ
इसके बाद कार्ीकि, कोचीन और कन्तनरू में व्यापाररक केंद्र स्त्र्ावपत
1) भारतीय व्यापाररयों से व्यापार के उद्देश्य से र्र् मागथ से 1599 ई.
ककए. भारत में, प्रारं भ में कोचीन पत
ु थगाशर्यों की रािधानी र्ी र्ेककन
बाद में यह गोवा स्त्र्ानांतररत कर दी गई. में िॉन शमपडेनहार् भारत आने वार्ा पहर्ा अंग्रेि र्ा.
2) ‘इंजग्र्श ईस्त्ि इंडडया कंपनी’ के नाम से ववख्यात इस कंपनी की
2) अपफ़ान्सो-डी-अपबुककथ 1503 ई. में भारत आया र्ा और 1509 में
स्त्र्ापना ‘मचंि एडवेंचसथ’ नाम के व्यापाररयों के समह
ू ने 1599 में की
इसे पुतग
थ ाशर्यों का गवनथर (प्रर्म गवनथर 1503-09 के बीच
र्ी और 1600 ई. में रानी एशर्ज़ाबेर् प्रर्म द्वारा इसे पूवी दे शों में
फ्रांलसस्त्को-डी-अपमेडा र्ा) ननयत
ु त कर ददया गया. इसने 1510 में
व्यापार के अर्धकार ददए.
बीिापुर से गोवा छीन शर्या.
अन्तय गवनथर
सूरत में र्ैतरी खोिने का ननणथय
नीनो-डी-कुन्हा (1529-38) – इसने अपनी रािधानी कोचीन से गोवा
3) सूरत में फैतट्री खोर्ने के ननणथय (1608) की पूनतथ के शर्ए, कैप्िन
(1530) हस्त्तांतररत की और गुिरात के बहादरु शाह से दीव और बसीन
हाककं स िहााँगीर की अनुमनत प्राप्त करने के शर्ए उसके दरबार में
अपने अर्धकार में र्े शर्ए.
पहुंचा (1609 ई.). िहााँगीर ने सरू त में फैतिरी बनाने का फरमान
माहिथ न अपफ़ान्सो-डी-सूजा (1542-45) – प्रशसद्ध िुसुइि संत फ्रांशसस्त्को
िारी कर ददया (1613 ई.)
िेववयर इसके सार् भारत आया र्ा.
4) सर िॉमस रो, मुग़र् साम्राज्य के ववशभन्तन क्षेरों में फैजतट्रयां खोर्ने
इसके बाद पुतग
थ ार् शासन का पतन प्रारं भ हो गया और अंत में केवर्
और व्यापार करने के शर्ए अनुमनत प्राप्त करने हेतु, 1615 ई. में
गोवा, दमन और दीव 1961 तक इनके पास रहा.
िेम्स प्रर्म के रािदत
ू के रूप में िहााँगीर के दरबार में पहुंचा.

डच
डेननश
1) माचथ, 1602 ई. में डच संसद के एक आदेश द्वारा डच ईस्त्ि इंडडया
एक ईस्त्ि इंडडया कंपनी की स्त्र्ापना कर 1616 ई. में डेन भारत में आये,
कंपनी की स्त्र्ापना हुई. इस कंपनी को 21 वषों के शर्ए पव
ू ी दे शों के
उन्तहोंने रैंकोबर (तशमर्नाडु) में 1620 में और सेरामपुर (बंगार्) में 1676
सार् व्यापार करने, संर्धयााँ करने, आिमण करने और वविय करने
ई. मे व्यापाररक केंद्र स्त्र्ावपत ककए.
का अर्धकार प्राप्त हुआ.
1854 ई. में िोर िबरदस्त्ती के कारण उन्तहोंने सभी फैजतट्रयां अंग्रेिों को
र्ैष्तरयों की स्त्र्ापना
बेच दी.
2) डचों ने मसुर्ीपट्िनम (1605), पर्
ु ीकि (1610), सरू त (1616),
फ्रांसीसी
ववमर्ीपत्त्नम (1641), कररकर् (1645), र्चनसुरा (1653),
1) 1664 ई. में कॉर्बिथ द्वारा फ्रेंच ईस्त्ि इंडडया कंपनी की स्त्र्ापना की
काशसमबािार, बाड़ानागोर, बार्ासोर, पिना, नेगापट्िनम (1658)
गई. प्रर्म फ्रेंच फैतट्री फ्रांशसस कैरन द्वारा 1664 में सूरत में
और कोचीन (1653) में कारखाने/फैजतट्रयां स्त्र्ावपत की.
स्त्र्ावपत हुई.मसुर्ीपत्तम में 1669 में फैतट्री र्गाई गई.
3) भारत सदहत पूवथ के सार् यूरोपीय व्यापार की सबसे प्रमुख शजतत
2) भारत में फ्रेंच शजतत को 1720 से 1742 के बीच, र्ेनोइर और डुमास
पुतथगाशर्यों की िगह डचों ने र्े र्ी.
(गवनथर) के नेत्ृ व में मिबत
ू ी शमर्ी. उन्तहोंने मार्ाबार में माहे,

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कोरोमंडर् के यनम और तशमर्नाडु के कररकर् (1739) पर अर्धकार परािय हुई. तब अंग्रेिों ने सतर्ि पार करके रािधानी र्ाहौर पर कब्ज़ा
कर शर्या. कर शर्या.
3) 1742 में भारत में फ्रांसीसी गवनथर के रूप में डुप्र्ेतस के आगमन से युद्ध का अंत 1846 में की गई र्ाहौर की संर्ध से हुआ. इस संर्ध ने
आंग्र्-फ्रेंच संघषथ (कनाथिक युद्ध) दे खने को शमर्ा जिसका पररणाम अंग्रेिों के खखर्ाफ संघषथ करने के शर्ए शसखों को शजततशार्ी नहीं छोड़ा.
भारत में फ्रांसीशसयों की हार र्ी. 1846 में ही एक अन्तय संर्ध हुई जिसे र्ाहौर की दस
ू री संर्ध या भैरोंवार्
की संर्ध के नाम से िाना िाता है .

द्ववतीय आंग्िलसख यद्


ु ध- (1848-1849)
शसखों के शर्ए पहर्े शसख यद्
ु ध में उनकी हार के सार् उनका अ्यर्धक
अपमान हुआ र्ा. रणिीत शसंह के समय में वे िीत के अभ्यस्त्त र्े और
इस हार ने उनके गौरव अ्यर्धक छानत पहुंचाई र्ी. वे अपने समाप्त होते
राज्य को पन
ु ः स्त्र्ावपत करना चाहते र्े. बब्दिश कमांडर र्ाडथ ग़फ पंिाब
की एक ववशार् सेना के सार् र्ाहौर पहुंचा. 1849 में मप ु तान ने समपथण
कर ददया और कुछ सप्ताह बाद र्चशर्यांवार्ा के यद् ु ध में शसखों को
परािय का मंह
ु दे खना पड़ा. अंनतम और ननणाथयक यद्
ु ध गि
ु रात में
अंग्रेिों ने िीता और परू े पंिाब ने समपथण कर ददया. फर्स्त्वरूप 1849 में
र्ाडथ डर्हौिी द्वारा पंिाब राज्य को हड़प शर्या गया और रािकुमार
ईस्त्ि इंडडया कंपनी द्वारा र्ैष्तरयों की स्त्र्ापना
ददर्ीप शसंह को पेंशनयाफ़्ता बनाकर उनकी मााँ रानी जिंदान के सार्
ईस्त्ि इंडडया कंपनी ने चापसथ द्ववतीय से, बंबई को र्ीि/पट्िे पर र्े शर्या.
इंग्र्ैंड भेि ददया गया. पंिाब का प्रशासन एक ‘बोडथ ऑफ कशमश्नसथ’ को
1669 से 1677 तक गेरापड औंर्गएर इसका पहर्ा गवनथर र्ा. पहर्ी
सौंप ददया गया. पंिाब के शमर्ाए िाने से भारत में बब्दिश क्षेर का
फैतट्री सूरत में (1605) बनाई गई. बाद में 1697 में पजश्चमी ति पर सूरत
ववस्त्तार उत्तर-पजश्चम में भारत की प्राकृनतक सीमा तक हो गई. शसख
की िगह बंबई, कंपनी का मुख्यार्य बना. 1639 में फ्रांशसस डे ने चंद्रर्गरी
शजतत के पतन के बाद ऐसी कोई शजतत नहीं बची िो भारत में अंग्रेिों की
के रािा से मद्रास पट्िे पर र्ेकर वहां एक फैतट्री बनाने की अनुमनत र्ी
सरु क्षा के शर्ए खतरा बन सके.
जिसे फोिथ सेंि िॉिथ नाम ददया गया. बाद में कोरोमंडर् ति पर
मसुर्ीपट्िनम कंपनी का मुख्यार्य बना. प्रर्म आंग्िमैसूर युद्ध- (1767-69)
1690 में िॉब चारनाक ने तीन गांवों सत
ु ानुती, कशर्काता और गोववंदपुर इस युद्ध का मुख्य कारण अंग्रेिों को कनाथिक से बाहर और कफर भारत से
की िमींदारी प्राप्त की और सत
ु ानुती में फैतट्री स्त्र्ावपत की. बाद में इन बाहर खदे ड़ने की है दर की इच्छा और अंग्रेिों को इस बात का आभास होना
गााँवो का कर्कत्ता शहर के रूप में ववकास हुआ. सत ु ानत
ु ी की फैतट्री को र्ा कक है दर उनके शर्ए एक बड़ा खतरा बन सकता है . है दर के खखर्ाफ़
1696 में सुदृढ़ ककया गया और 1700 में फोिथ ववशर्यम नाम ददया गया. अंग्रेिों, ननज़ाम और मराठों की एक बरपक्षीय संर्ध हुई. है दर इस संर्ध को
1694 में बब्दिश संसद ने पूवथ में सभी व्यापाररयों को व्यापार करने का तोड़ने में कामयाब रहा और अंग्रेिों के खखर्ाफ़ यद्
ु ध की घोषणा कर दी.
समान अर्धकार दे ने का प्रस्त्ताव पास ककया. एक नई कंपनी ‘इंजग्र्श युद्ध की समाजप्त अंग्रेिों की हार से हुई. आतंककत मद्रास सरकार ने
कंपनी ऑफ़ मचेंट्स ट्रे डडंग िू दी ईस्त्ि इंडीि’ (1698) बनाई गई. 1708 में 1769 में नतरस्त्कारपूणथ ‘मद्रास की संर्ध’ इस आधार पर की, कक दोनों ही
कंपनी का अंनतम एकीकरण हुआ और इसका नाम ‘दी यूनाइिे ड कंपनी एक दस
ू रे के क्षेरों को र्ौिा दें गें. सार् ही दोनों के बीच एक रक्षा समझौता
ऑफ मचेंट्स ऑफ इंग्र्ैंड ट्रे डडंग तो दी ईस्त्ि इंडीज़’ रखा गया जिसने हुआ कक हैदर अर्ी पर ककसी अन्तय शजतत के आिमण के समय अंग्रेि
1858 तक भारत में कायथ ककया. सरकार है दर अर्ी की सहायता करे गी.

प्रमख
ु यद्
ु ध मद्रास की संगध
प्रर्म आंग्िलसख युद्ध- (1845-1846) यह संर्ध है दर अर्ी और कंपनी एवं उसके सहायकों तंिोर के रािा तर्ा
अंग्रेिों और शसखों के बीच प्रर्म यद्
ु ध मड
ु की में 18ददसम्बर, 1845 को मार्ाबार के शासक के मध्य हुई. इसके अनुसार करुर और उसके जिर्ों को
र्ड़ा गया. इसमें शसख हारे . 21 ददसम्बर को कफरोिपरु में पुनः अंग्रेि मैसूर शासक के अंतगथत छोड़कर शेष सभी ववजित क्षेर एक दस
ु रे को
िीते. हार्ााँकक 1846 में रणिीत शसंह मिीदठया के नेत्ृ व में बुदद्वार् में वापस कर ददए गए. भववटय में ककसी भी एक पर ककसी अन्तय शजतत
अंग्रेिों को शसखों ने पराजित ककया. र्ेककन अर्ीवार् में पुनः शसख हारे . द्वारा आिमण के समय दस
ू रा उसकी सहायता करने को बाध्य होगा.
ननणाथयक यद्
ु ध में सोबराअ में 1846 में हुआ जिसमें शसखों की बुरी तरह है दर अर्ी द्वारा मद्रास सरकार के पकडे गए सभी कमथचारी छोड़ ददए गए.

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द्ववतीय आंग्िमैसरू युद्ध- (1780-1784) शर्हाि से बाहरी क्षेरों को अपने दहस्त्से में शर्या और मार्ाबार ति पर उत्तर
है दर अर्ी और अंग्रेि कंपनी के मध्य 1769 की संर्ध, अपनी प्रकृनत से में कन्तनरू से र्ेकर कुगथ के सार् पोन्तनानी नदी के दक्षक्षण तक का क्षेर
संघषथ ववराम अर्धक साबबत हुई और 1771 में िब मराठों ने हैदर अर्ी पर सुरक्षक्षत कर शर्या. इसमें वद्ृ र्ध करते हुए उन्तहोंने डडंडीगुर् और बड़ामहर्
आिमण ककया तो अंग्रेिों ने उसकी सहायता करने से इनकार कर संर्ध जिर्े पर अर्धकार कर शर्या.
कर पार्न नहीं ककया. हैदर ने फ्रांस को अंग्रेिों से अर्धक सहायता दे ने
चतुर्थ आंग्िमैसरू यद्
ु ध- (1799)
वार्ा पाया. बाद में 1778 में अंग्रेिों ने माहे समेत फ़्ांस के कुछ क्षेरों पर
कब्ज़ा कर शर्या, िो एक बंदरगाह र्ा और आपनू तथ के प्रवेश के शर्हाि से तीसरे आंग्र्-मैसरू यद्
ु ध में अपनी हार से िीपू बदर्े की आग में िर् रहा
र्ा. वह अपने क्षेरों को वापस पाना चाहता र्ा और काबर्
ु के ज़मान शाह
है दर अर्ी के शर्ए बहुत मह्वपण
ू थ र्ा. है दर अर्ी ने माहे बंदरगाह पर
और फ्रांसीशसयों के सार् की गई संर्धयों में कहे गए अपने उद्दे श्यों को परू ा
कब्ज़ा करने का ननरर्थक प्रयास ककया. उसने समान शरु अंग्रेिों के
करना चाहता र्ा. िीपू अंग्रेिों को ननटकाशसत करने के शर्ए सहयोगी
खखर्ाफ़ मराठों और ननज़ाम का संयुतत मोचाथ बनाया. यद्
ु ध 1780 से
चाहता र्ा. र्ाडथ वेर्ेिर्ी ने ननज़ाम के सार् सहायक गठबंधन बनाने के
1784 तक चर्ा. र्ेककन 1782 में उसकी म्ृ यु हो गई और उसका पुर िीपू
सुर्तान उत्तरार्धकारी बना. बाद िीपू को भी उसमें शाशमर् होने के शर्ए कहा र्ा ककन्ततु उसने मना कर
ददया. मैसरू पर दोतरफा हमर्ा हुआ. िनरर् हैररस के नेत्ृ व में मख् ु य
िीपू ने युद्ध िारी रखा ककन्ततु पूणथ सकर्ता ककसी को भी नहीं शमर्ी.
युद्ध से र्क िाने से दोनों पक्षों ने मंगर्ोर की शांनत संर्ध की. इस संर्ध सेना ने, आर्थर वेर्ेिर्ी के नेत्ृ व वार्ी ननिाम की सहायक सेना के सार्

के अनुसार यह तय हुआ कक अंग्रेि िीपू को श्रीरं गपट्िनम र्ौिा देंगे और मैसरू पर पव


ू थ ददशा से आिमण ककया िबकक अन्तय सेना बंबई से आगे

िीपू अंग्रेिों को बदनरू का ककर्ा अंग्रेिों को सौंप दे गा. बढ़ी.


िीपू पहर्े तो बंबई की सेना से हारा और बाद में मपर्ावपर्ी में िनरर्
मंििोर की संगध है ररस ने उसे हराया. िीपू वीरतापव
ू क
थ र्ड़ते हुए मारा गया. उसके पररवार
संर्ध के अनस
ु ार: के सदस्त्यों को वेपर्ोर में नज़रबंद कर ददया गया. मैसरू के पव ू थ शाही
• दोनों पक्ष एक दस
ू रे के शरु की प्र्यक्ष या अप्र्यक्ष सहायता नहीं करें गे पररवार के एक र्ड़के को मैसरू के एक छोिे से दहस्त्से के शासक के रूप में
और एक दस
ू रे के सहायकों पर आिमण नहीं करें गे. गद्दी पर बबठा ददया गया और एक सहायक संर्ध र्ागू कर दी गई. इस
• 1770 में है दर अर्ी द्वारा कंपनी को ददए गए व्यापार ववशेषार्धकार प्रकार 33 वषथ पव
ू थ हैदर अर्ी ने जिस मैसरू राज्य पर शासन प्रारं भ ककया
पन
ु स्त्र्ाथवपत ककये िायेंगे हार्ााँकक उससे कोई अन्तय र्ाभ नहीं होने वार्ा र्ा, चतुर्थ मैसरू यद्
ु ध ने उस मैसरू राज्य को नटि कर ददया.
र्ा.
• दोनों पक्ष एक दस प्रर्म आंग्ि-मराठा युद्ध (1775-82)
ू रे के कब्िाए गए क्षेरों को वापस दे ने पर रािी हो गए
मराठों की आन्ततररक समस्त्याएं और अंग्रेिों की मह्वकांक्षा आंग्र्-मराठा
(अम्बूरगढ़ और सतगढ़ ककर्ों को छोड़कर) और भववटय में कनाथिक पर
संघषथ का कारण बनी. प्रर्म यद्
ु ध का कारण अंग्रेिों द्वारा बंबई में मराठों
कोई दावा नहीं करे गा.
के आंतररक मामर्ों में हस्त्तक्षेप र्ा. 1772 में पेशवा माधव राव की म्ृ यु
• िीपू सभी युद्धबंददयों को छोड़ने पर रािी हो गया.
हो चुकी र्ी और उनके छोिे भाई नारायण राव उत्तरार्धकारी बने. उनके
• िीपू को फैतट्री पुनस्त्र्ाथवपत करनी पड़ी और 1779 तक कार्ीकि में
कंपनी को व्यापार ववशेषार्धकार देना पड़ा. चाचा राघोबा पेशवा बनना चाहते र्े और इसशर्ए उन्तहोंने उसकी ह्या
करवा दी. इसके बाद नारायण राव के पुर माधव नारायण राव को पेशवा
श्रीरं िपट्िनम की संगध बनाया गया. राघोबा ने अंग्रेिों से सहायता मांगी और बब्दिश सैननकों की
यह संर्ध िीपू और अंग्रेिों एवं उसके सहायकों (ननज़ाम और मराठा पेशवा) सहायता से गद्दी शमर्ने की आशा में सूरत की संर्ध की. इस संर्ध में
के बीच हुई. संर्ध से तय हुआ कक : उसने यह भी वादा ककया कक वह सार्सेि और बसीन का क्षेर अंग्रेिों को दे
• अंग्रेिों और मैसूर के बीच पूवथ की संर्धयााँ स्त्र्ायी रहें गी. दे हगा और सार् ही अंग्रेिों के शरओ
ु ं के सार् कोई संर्ध नहीं करे गा.
• िीपू को र्गभग अपना आधा राज्य दे ना पड़ा िो अर्ग-अर्ग िगह इस युद्ध में ककसी को भी कोई सफर्ता नहीं शमर्ी, दोनों पक्षों ने युद्ध
तीनों में बंिा. की ननरर्थता समझकरसार्बाई की संर्ध (1782) से उसे समाप्त ककया.
• िीपू को कुर् युद्ध हिाथने (3.6 करोड़) में से 1.6 करोड़ तुरंत दे ना र्ा सार्बाई की संर्ध के बाद, जस्त्र्नत िस की तस बनी रही जिससे अंग्रेिों
िबकक शेष 2 करोड़ तीन ककस्त्तों में दे ना र्ा. और मराठों के बीच 20 वषथ तक शांनत बनी रही. इस संर्ध ने अंग्रेिों को,
• िीपू को सभी युद्धबंददयों को छोड़ देने को कहा गया. है दर अर्ी से उनके क्षेर वापस र्ेने के शर्ए मराठों की सहायता से दबाव
• इन शतों के पूरी होने तक उसके दो बेिे अंग्रेिों के पास बंधक के रूप में बनाने में भी सक्षम बनाया.
रहें गे.
क्षेरों के संबंध में, ननज़ाम ने सबसे बड़ा दहस्त्सा शर्या िबकक मराठों ने भी द्ववतीय आंग्ि-मराठा यद्
ु ध (1803-1806)

अपनी सीमा तुंगभद्रा और कृटणा नदी तक कर र्ी. अंग्रेिों ने सुरक्षा के


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द्ववतीय मराठा युद्ध वेर्ेिर्ी के समय में हुआ िो चाहता र्ा की मराठे ज़मींदार और साहूकार ननयुतत करने की उसकी नीनत से बंगार् में एक
सहायक संर्ध स्त्वीकार कर र्ें. मराठों ने इसे स्त्वीकारने से मना कर ददया नए भूशम अशभिा्य वगथ का िन्तम और ववकास हुआ.
र्ेककन आपसी मतभेदों के कारण वेर्ेिर्ी उन्तहें बरगर्ाने में कामयाब उसने भारतीय और ववदे शी व्यापाररयों को सड़क और नददयों में सुरक्षा
रहा. बेसीन की संर्ध ने मराठों के सार् संघषथ को अपररहायथ बना ददया. उपर्ब्ध कराकर, अर्धकारीयों द्वारा ननिी व्यापार की िांच से उन्तहें
संर्ध की प्रमुख बातें र्ीं – पेशवा के पूना पर दावे को मान्तयता दे ना, प्रो्साहन ददया जिससे वाखणज्य एवं व्यापार को बढ़ावा शमर्ा.
बािीराव द्ववतीय द्वारा सहायक संर्ध में शाशमर् होना और सूरत के सभी उसने ववदे शी व्यापाररक कंपननयों की गनतववर्धयों पर शख्त ननयंरण
अर्धकार कंपनी को सौंपना. र्गाया; 1691 और 1717 में मग़
ु र् द्वारा कंपनी को ददए गए
मराठों के शर्ए बेसीन की संर्ध अपमानिनक र्ी. होर्कर और शसंर्धया ववशेषार्धकारों के कंपनी के कमथचाररयों द्वारा दरू
ु पयोग को रोका. उसने
ने र्ड़ना रोक ददया. शसंर्धया और भोंसर्े एक हो गए र्ेककन होर्कर और ववद्रोही ज़मींदारों को दबाकर सूबे में कानून एवं व्यवस्त्र्ा स्त्र्ावपत की.
गायकवाड़ अर्ग बने रहे . अंग्रेिों ने शसंर्धया और भोंसर्े से अपनी नमथदा
अिीवदी खां
के उत्तर को पीछे र्ौिाने के संबंध में पुछा र्ेककन इन्तहोने मना कर ददया
जिससे युद्ध हुआ. शसंर्धया और भोंसर्े दोनों ने अंग्रेिी प्रभुसत्ता स्त्वीकार अर्ीवदी खां 1740 में शसंहासन के उत्तरार्धकारी की ह्या कर गद्दी पर
बैठा. उसने 2 करोड़ रुपये मग़
ु र् बादशाह मह
ु म्मद शाह को को भेंि कर
की. अब अंग्रेिों ने अपना ध्यान होपकर की ओर ककया र्ेककन यशवंत राव
होपकर अंग्रेिों से एक मैच से ज्यादा साबबत हुए. वेर्ेिर्ी को भारत से स्त्वयं को कानन
ू ी रूप से मान्तय करवा शर्या. उसके शासनकार् में बंगार् में

वापस बुर्ा शर्या गया और बाद में कंपनी ने 1806 में रािपुरघाि संर्ध र्गातार मराठों का हमर्ा होता रहा. उसने बंगार् में शांनत के बदर्े चौर्

द्वारा क्षेर का बहुत बड़ा दहस्त्सा वापस दे कर होपकर के सार् शांनत के रूप में 12 र्ाख रुपये सार्ाना और उड़ीसा का रािस्त्व दे ने की बात मान
र्ी.
स्त्र्ावपत कर र्ी.
उसने अंग्रेिों को अपने ववशेषार्धकारों के दरू
ु पयोग से रोका और उन्तहें एवं
तत
ृ ीय आंग्ि-मराठा यद्
ु ध (1817-1818) फ्रांस को कर्कत्ता और चंदननगर में अपनी फैजतट्रयों की ककर्ेबद
ं ी से
1817 में मराठों ने अपनी स्त्वतंरता और प्रनतटठा को पाने का अंनतम रोका.
ककन्ततु ननराशािनक प्रयास ककया. मराठा सरदारों का एक संयत
ु त मोचाथ उसने 1746 में मांग आने पर मग़
ु र् बादशाह को निराना दे ने से इनकार
बना जिसका नेत्ृ व पेशवा कर रहे र्े िो बब्दिश रे जिडेंि के कड़े ननयंरण कर ददया.
में अ्यंत व्याकुर् र्े. यद्यवप एक बार पन
ु ः मराठे कोई कायथ योिना
लसराजदौिा-उद-
बनाने में असफर् रहे. पेशवा ने 1817 में पूना में बब्दिश रे िीडेंसी पर
आिमण ककया, नागपरु के अप्पा साहे ब ने नागपरु रे िीडेंसी पर आिमण यह 1756 में सत्ता में आया. शसराि-उद-दौर्ा ने कर्कत्ता का नाम
बदर्कर अर्ीनगर रख ददया इसने ईस्त्ि इंडडया कंपनी की गनतववर्धयों
ककया और माधव राव होपकर ने युद्ध की तैयारी की.
को ननयंबरत करने की कोशशश की. उसने कर्कत्ता के गवनथर को,
मराठा संघ परू ी तरह समाप्त हो चुका र्ा, इसके अनेक सदस्त्यों के क्षेर र्े
अ्यर्धक ककर्ेबंदी को र्गराने और उसके खखर्ाफ़ गैरकानूनी
शर्ए र्े और वे अंग्रेिों के खखर्ाफ कुछ भी करने के शर्ए शजततशार्ी नहीं
गनतववर्धयों को रोकने के शर्ए पर शर्खा.
बचे र्े. र्ाडथ हेजस्त्िं ग्स ने 1818 में शेष कायथ भी पूरा कर ददया. अब भारत
में अंग्रेि सवोच्च शजतत बन गए र्े. अंग्रेिों ने उसकी आज्ञा मानने से इनकार कर ददया तब उसने
काशसमबािार और कफर कर्कत्ता की अंग्रेिों की फैकरी पर कब्ज़ा कर
मुशीद कुिी खां शर्या. 1757 में रोबिथ तर्ाइव के नेत्ृ व में अंग्रेिों ने उसके सैननकों पर
मुशीद कुर्ी खां औरं गज़ेब द्वारा बंगार् का दीवान के रूप में नायब हमर्ा ककया. इसके कारण नवाब को अंग्रेिों से संर्ध कर शांनत स्त्र्ावपत
सूबेदार और कफर बाद में फरुथ ख शसयर ने 1717 में सूबद
े ार ननयुतत ककया करनी पड़ी.
गया र्ा. उसे बादशाह फरुथ ख शसयर द्वारा 1719 में उड़ीसा की सूबेदारी भी
दी गई र्ी. उसने ढका की िगह मुशशथदाबाद में रािधानी बनाई. वह धीरे अिीनिर की संगध (1757)
संर्ध में ये इन बातों पर सहमनत बनी :
धीरे स्त्वतंर होता िा रहा र्ा हार्ााँकक उसने मुग़र् बादशाह के प्रनत ननटठां
• कंपनी द्वारा मांगों की एक सूची रखी गई
िताते हुए उन्तहें वावषथक कर और निराना दे ना िारी रखा र्ा.
उसने िागीर भूशम के बड़े दहस्त्से को खार्ीसा भशू म में पररवनतथत कर ववत्त• पूवथ की जस्त्र्नत स्त्र्ावपत करने के शर्ए एक समझौता
• नवाब द्वारा अनेक फरमान और दस्त्तक िारी ककये गए
व्यवस्त्र्ा को पुनगथदठत ककया. उसने कर कृवष प्रर्ा की शुरुआत की.
• िब तक नवाब इन समझौतों का पार्न करता रहेगा तब तक अंग्रेि
उसने ककसानों के ननिी प्रयोग के शर्ए और अकार् के समय कर चक
ु ाने
उसका समर्थन करते रहें ग.े
के शर्ए ततकवी ऋण ददया. उसने मुजस्त्र्मों और दहन्तदओ
ु ं को रािगार में
बराबर अवसर दे ने के शर्ए प्रशासन की पुनरथचना की. स्त्र्ानीय दहन्तदू

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कंपनी में पव
ू थ में प्राप्त सभी ववशाशार्धकार यर्ावत बने रहे . सार् ही के अनुसार, यदद ककसी राज्य के शासक के पास सगा उत्तरार्धकारी नहीं है
संभाववत फ्रेंच आिमण से अपनी सुरक्षा के शर्ए कर्कत्ता को दग
ु ीकृत तो वह राज्य बब्दिश राज्य में शमर्ा शर्या िाएगा.
करने और अपने शसतके ढार्ने के शर्ए अंग्रेि अर्धकृत कर ददए गए.
आगर्थक – बब्दिश राि की आर्र्थक नीनत ने भारतीय अर्थव्यवस्त्र्ा को परू ी
प्िासी का युद्ध (23 जून 1757) तरह ध्वस्त्त कर ददया र्ा. ककसानों से उच्च ऋण दर, भारत में िमीनी
अंग्रेिों ने 1757 में चन्तदननगर पर कब्ज़ा कर संर्ध का उपर्ंघन ककया. हकीकत को समझे बबना नई भशू म कर व्यवस्त्र्ा र्ागू करना, बर्पव
ू क

शसराि-उद-दौर्ा ने फ्रांसीशसयों को सरु क्षा देकर इसका ववरोध ककया. ननटकासन और कर वसर्
ू ने के िूर तरीके से कृवषप्रधान अर्थव्यवस्त्र्ा
अंग्रेिों ने उसे षड़यंर से अपदस्त्र् करने का ननणथय शर्या. प्र्ासी का यद्
ु ध ध्वस्त्त हो गई.
23 िन ू , 1757 को हुआ. इस यद्ु ध में मीर िाफर एवं राय दर्
ु भथ की
गद्दारी, छोिी शजतत की वीरता और नवाब की सेना का खोखर्ापन दे खने सामाष्जक-धालमथक – अंग्रेिों द्वारा भारनतयों से नस्त्र्ीय भेदभाव,

को शमर्ा. मीर िाफर के पर बर्पूवक


थ ईसाई बनाना और सामाजिक सुधार िैसे 1829 में सती प्रर्ा की
ु ने शसराि-उद-दौर्ा को र्गरफ़्तार कर उसकी
समाजप्त; 1856 में ववधवा वववाह को कानूनी मान्तयता आदद से भारतीय
ह्या कर दी.
समाि के रुदढ़वादी त्वों ने अपमाननत महसस
ू ककया.
मीर जार्र (1757-60)
मीर िाफर ने 17.7 शमशर्यन युद्ध हिाथने के सार् अंग्रेिों को बंगार् में सैन्य – अंग्रेिों ने भारतीय सैननकों से भेदभाव करते र्े और सेवा शतों एवं
पदोन्तननत में इनके बदहटकार की नीनत अपनाई जिससे उच्च और प्रमुख
मुतत व्यापार एवं उड़ीसा, बबहार और 24 परगना की ज़मींदारी दे दी. उसके
कार् को भारत से बब्िे न में धन के ननटकासन के रूप में दे खा िाता है . पद यूरोवपयों के शर्ए आरक्षक्षत हो गए र्े.

उसने अंग्रेिों को हिाकर डचों को र्ाने का प्रयास ककया र्ेककन 1759 में
तात्कालिक कारण : एनफीपड रायफर् का प्रयोग जिसके कारतूस के खोर्
बेदारा के युद्ध में डच, अंग्रेिों से पराजित हो गए.
में गाय और सुअर की चबी प्रयोग हुई र्ी, ववद्रोह को भड़काने वार्ा कारण

मीर कालसम (1760-63) बना. इसने दहन्तदू और मुसर्मान शसपादहयों दोनों को नाराि कर ददया
जिससे तुरंत ववद्रोह को िन्तम ददया.
मीर काशसम ने बदथमान, शमदनापरु और र्चट्िगााँव की ज़मींदारी अंग्रेि
अर्धकाररयों को दे दी. उसने उन्तहें 2.9 शमशर्यन रुपये भी अदा ककये. उसने
1.2 घिनाक्रम
अपनी जस्त्र्नत सुदृढ़ करने के शर्ए कुछ कर संबंधी और सैन्तय सुधार ककये.
• 29 माचथ, 1857 को 34 नेदिव इन्तफेंिी के एक भारतीय शसपाही मंगर्
इसके कार् को नवाब और बब्दिश शासन के बीच प्रभुसत्ता के शर्ए संघषथ
पाण्डेय ने दो बब्दिश अर्धकारीयों – वाघ तर्ा मेिर सािेंि ह्सयग्ु सन को
के रूप में दे खा िाता है . इसने अपनी रािधानी मशु शथदाबाद से मुंगेर
परे ड के दौरान बैरकपरु (कर्कत्ता) में गोर्ी मार दी.
स्त्र्ानांतररत कर दी. इसने कंपनी को ददए गए दस्त्तकों (फ्री पास) के
• वास्त्तव में ववद्रोह तीसरी नेदिव इन्तफैन्तिी द्वारा 10 मई, 1857 को मेरठ
दरू
ु पयोग पर रोक र्गा दी और आंतररक व्यापार पर सभी कर समाप्त
से शरू
ु हुआ. चबी वार्े कारतूसों के प्रयोग से मना करने पर कुछ
कर ददए.
शसपादहयों को सिा सन
ु ाई गई र्ी जिससे नाराि इन शसपादहयों ने ववद्रोह
कर ददया. शसपाही, नागररकों के अन्तय समह
ू ों के सार् ‘मारो कफरं र्गयों को’
बतसर का यद्
ु ध
मीर काशसम अपने सहयोर्गयों अवध के शुिा-उद-दौर्ा और शाह आर्म कहते हुए आगे बढ़े . उन्तहोंने िेर्ों को तोड़ ददया, यरू ोवपयों की ह्या कर दी

द्ववतीय के सार् अंग्रेिों से र्ड़ा. इस युद्ध में मेिर हे तिर मुनरो के और उनके घरों में आग र्गा दी और सय ू ोदय के बाद ददपर्ी की ओर कूच

नेत्ृ व में अंग्रेिों द्वारा इन्तहें परास्त्त कर ददया गया. कर ददया.


• अगर्ी सब
ु ह (11 मई) ददपर्ी में माचथ करते आते हुए शसपादहयों का
1857 का ववद्रोह ददखना ददपर्ी के स्त्र्ानीय शसपादहयों के शर्ए एक संकेत र्ा, उन्तहोंने भी
1857 का ववद्रोह भारतीय इनतहास की एक प्रमख
ु घिना है . अंग्रेि ववद्रोह कर ददया, शहर अपर अपना ननयंरण स्त्र्ावपत कर शर्या और 82
इनतहासकारों के अनस
ु ार यह एक “शसपाही ववद्रोह” र्ा, यह “प्रर्म वषथ के वद्
ृ ध बहादरु शाह ‘ज़फ़र’ को, शहं शाह-ए-दहन्तदस्त्
ु तान (भारत का
स्त्वतंरता संग्राम” र्ा. सम्राि) घोवषत कर ददया.
• ववद्रोह के दौरान अंग्रेिों के सहायकों में शसंर्धया, है दराबाद का ननज़ाम
ववद्रोह के कारण और भोपार् की बेगम शाशमर् र्ीं.
राजनीनतक – र्ाडथ डर्हौिी के दौरान यह समस्त्या उ्पन्तन हुई. उसे
अनेक राज्यों को हड़प शर्या और भारतीय राज्यों को हड़पने में ‘व्यपगत 1857 के ववद्रोह के प्रभाव
का शसद्धांत’ उसका सबसे शजततशार्ी हर्र्यार र्ा. व्यपगत के शसद्धांत 1. ववद्रोह का सबसे बड़ा प्रभाव भारत में ईस्त्ि इंडडया कंपनी के शासन की
समाजप्त र्ी. भारत सरकार अर्धननयम, 1858 द्वारा, बब्दिश सरकार ने

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भारत का शासन अपने हार्ों में र्े शर्या. बब्दिश सरकार का एक मंरी, बरे िी – खान बहादरु
जिसे ‘भारत राज्य सर्चव’ कहा िाता र्ा, को भारत में शासन के शर्ए बबहार (आरा) – िगदीश के ज़मींदार, रािा कुंवर शसंह
जिम्मेदार बनाया गया. झांसी – रानी र्क्ष्मी बाई
2. भारत में बब्दिश गवनथर-िनरर् को अब वायसराय कहा िाने र्गा. इिाहबाद – शर्याक़त अर्ी

भारत में 1857 के ववद्रोह के प्रमख


ु नेता भारत के प्रमख
ु िवनथर जनरि
रोबिथ तिाइव (1757-60 और 1765-67):-
मंिि पाण्डेय - मंगर् पाण्डेय 1849 में 22 वषथ की आयु में ईस्त्ि इंडडया 1. इस दौरान बंगार् का गवनथर रहा.
कंपनी की सेना में भती हुआ र्ा. वह 34वीं बंगार् नेदिव इन्तफैं ट्री में र्ा और भारत में 1765 में द्वैध शासन की शरु
2. ु आत की.
मुख्य रूप से 29 माचथ 1857 को बैरकपरु में अपने बब्दिश अर्धकारी पर 3. यह बंगार् में ईस्त्ि इंडडया कंपनी की सेना और रािनीनतक सवोच्चता
आिमण करने के शर्ए िाना िाता है . इस घिना को 1857 के शसपाही स्त्र्ावपत करने वार्ा बब्दिश अफसर र्ा.
ववद्रोह या प्रर्म स्त्वतंरता यद्
ु ध की शुरुआत है . 4. ऐसा कहा िाता है कक भारत में बब्दिश साम्राज्य का संस्त्र्ापक रोबिथ
तर्ाइव र्ा. उसके प्रशंसक उसे “भारत का वविेता” कहते हैं.
नाना साहे ब – कानपूर में ववद्रोह का नेत्ृ व पेशवा बािीराव द्ववतीय के
5. तर्ाइव ने 1757 के प्रशसद्द प्र्ासी के यद्
ु ध में बंगार् के नवाब
दत्तक पुर नाना साहे ब ने ककया.
शसराि-उद-दौर्ा को पराजित ककया र्ा.
रानी िक्ष्मीबाई - रानी र्क्ष्मीबाई (मखणकखणथका) का वववाह झााँसी के रािा
6. तर्ाइव 1743 में भारत में ईस्त्ि इंडडया कंपनी के एक शसववर् सेवक
गंगाधर राव नेवार्कर से 1842 में हुआ र्ा और वह झााँसी की रानी बनीं.
के रूप में भारत आया र्ा; बाद में वह कंपनी की सैन्तय सेवा
अपने वववाह के बाद उन्तहोंने 1851 में एक पुर दामोदर राव को िन्तम
स्त्र्ानांतररत कर ददया गया और 1753 में इंग्र्ैंड वापस र्ौि गया.
ददया.
7. 22 नवम्बर 1774 को 49 वषथ की आयु में तर्ाइव ने र्न्तदन के अपने
तात्या िोपे – ता्या िोपे नाना साहे ब के करीबी सहायक और सेनापनत र्े. बकथर्े स्त्तवायर जस्त्र्त घर में आ्मह्या कर र्ी.
1857 में कानपरु की घेराबंदी के दौरान नाना साहे ब की सेनाओं ने बब्दिश
वेंलसिािथ (1760-65)
मोचे पर िून 1857 में आिमण कर ददया.
1. 23 अतिूबर 1764 का, बतसर का प्रशसद्द युद्ध हेतिर मुनरो के
वीर कंु वर लसंह – ये िगदीशपरु (वतथमान में भोिपरु जिर्ा, बबहार का नेत्ृ व वार्ी ईस्त्ि इंडडया कंपनी और बंगार् के नवाब मीर काशसम,
दहस्त्सा) के रािा र्े और इस ववद्रोह के एक प्रमख
ु भारतीय नेता र्े. अवध के नवाब शि
ु ा-उद-दौर्ा और मग़
ु र् बादशाह शाह आर्म
द्ववतीय की संयत
ु त मजु स्त्र्म सेना के मध्य वेंसीिािथ के समय में ही
शाह मि – शाह मर् उत्तर प्रदे श के बडौत परगना के एक बड़े गााँव में रहता र्ड़ा गया.
र्ा . इसने चौरासी देस के प्रधानों और ककसानों को इकठ्ठा कर, रात में
गााँव से गााँव तक िा िाकर, अंग्रेिों के खखर्ाफ ववद्रोह करने के शर्ए र्ोगों वारे न हेष्स्त्िं ग्स (1772-74)
को समझाया. 1. रोबिथ तर्ाइव द्वारा 1765 में प्रारं भ ककए गए द्वैध शासन की
घोषणा की.
मौिवी अहमदप
ु िाह शाह – यह उन मौर्ववयों में से एक र्ा जिन्तहोंने 2. 1772 में भशू म कर बंदोबस्त्त की उत्तम व्यवस्त्र्ा र्ागू की.
1857 के ववद्रोह में प्रमुख भशू मका ननभाई र्ी. है दराबाद में शशक्षक्षत, वह 3. कर्ेतिर और रािस्त्व अर्धकारी की ननयजु तत की.
युवावस्त्र्ा में ही मुजस्त्र्म धमोपदे शक बना. 1856 में, इसने गााँव-गााँव 4. दहन्तदू और मजु स्त्र्म कानून संदहताबद्ध ककये.
घूमकर अंग्रेिों के खखर्ाफ़ जिहाद (धाशमथक युद्ध) का उपदे श ददया और 5. 1775 में नन्तद कुमार पर ट्रायर् चर्ाकर उसकी न्तयानयक ह्या कर
ववद्रोह करने को कहा. 1856 में िब यह र्खनऊ पहुंचा तो इसे पशु र्स दी.
द्वारा शहर में उपदे श दे ने से रोक ददया गया. बाद में 1857 में, इसे 6. ववशर्यम िोंस की सहायता से 1784 में एशशयादिक सोसाइिी ऑफ़
फैिाबाद में िेर् में डार् ददया गया.
बंगार् की अस्त्र्ापना की.
7. 1785 में उसके इंग्र्ैंड र्ौिने के बाद, हाउस ऑफ र्ाडथ में उसके
हदपिी – मुग़र् बादशाह, बहादरु शाह, र्ेककन वास्त्तववक नेत्ृ व बख्त
खखर्ाफ महाशभयोग चर्ाया गया.
खान (सेना की बरे र्ी इकाई से र्ा) के हार् में र्ा.
8. बंगार् का पहर्ा गवनथर िनरर् वारे न हेजस्त्िं ग्स र्ा.
कानपुर – नाने साहेब (तां्या िोपे और अजज़मुपर्ाह खां के सार्)
9. जिर्ा स्त्तर पर दीवानी और फौिदारी अदार्तों की शुरुआत की.
िखनऊ – अवध की बेगम हज़रत महर् (अपने पुर को अवध का नावाब
10. 1774 में रोदहपर्ा युद्ध, प्रर्म आंग्र्-मराठा युद्ध (1776-82) और
घोवषत ककया)
द्ववतीय आगर्-मराठा युद्ध (1780-84) हुए.

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7. कानथवाशर्स दारा स्त्र्ावपत अपीर् कोिथ और सककथि व्यस्त्र्ा को समाप्त
िाडथ कानथवालिस (1786-93)
कर ददया.
1. 1793 में कानूनों को संदहताबद्ध करने वार्ा पहर्ा व्यजतत. इस 8. सर चापसथ मेिकापफ (1835-36) को प्रेस का मुजततदाता के रूप में
संदहता ने रािस्त्व प्रशासन को न्तयाय प्रशासन से अर्ग ककया. जिर्ा
िाना िाता है .
िि का पद सजृ ित ककया.
2. 1793 में स्त्र्ायी बंदोबस्त्त व्यवस्त्र्ा र्ाया. िाडथ डिहौजी (1849-1856)
3. कानथवाशर्स को “भारत में शसववर् सेवा का िनक” माना िाता है . 1. र्ाडथ डर्हौिी ने व्यपगत का शसद्धांत अपनाया जिससे 1848 में
4. इसने तीसरे आंग्र्-मैसरू यद्
ु ध में अंग्रेि सेनाओं का नेत्ृ व ककया सतारा को, 1849 में ियपरु और संभर्परु को 1850 में बघाि को,
और मैसरू के शासक िीपू सप
ु तान को पराजित ककया. 1852 में उदयपरु , 1853 में झााँसी और 1854 में नागपरु को हड़प
5. 1793 में माकथस की उपार्ध धारण करने के शर्ए यह इंग्र्ैंड र्ौि गया शर्या.
और वप्रवी कौंशसर् में पद शमर्ा. 1805 में इसकी म्ृ यु हो गई. 2. चापसथ वड
ु के वड
ु डडस्त्पैच, जिसे अंग्रेिी शशक्षा का ‘मैग्नाकािाथ’ माना
िाता है , को पाररत ककया. इसमें प्रार्शमक शशक्षा से र्ेकर
िाडथ वेिेजिी (1793-1798) ववश्वववद्यार्य स्त्तर तक की शशक्षा की व्यापक योिना बनाई गई.
1. स्त्वयं को “बंिाि िाइिर” कहता र्ा.
3. इसने 1853 में बंबई से ठाणे तक पहर्ी रे र् र्ाइन बबछाई और
2. सहायक संर्ध को प्रारं भ ककया.
कर्कत्ता से रानीगंि तक दस
ू री र्ाइन बबछाई.
3. इसके कार् में मद्रास प्रेशसडेंसी बनाई गई.
4. डाक एवं तार सेवा को अ्यर्धक प्रो्साहन ददया. तार र्ाइनें पहर्ी
4. सबसे पहर्े 1798 में है दराबाद संर्ध में शाशमर् हुआ और बाद में
बार कर्कत्ता से आगरा तक बबछाई गईं.
मैसूर, तंिोर, अवध, पेशवा, भोंसर्े, शसंर्धया, ियपुर, बद
ूं ी, भरतपरु 5. 1856 में दहन्तदू वववाह अर्धननयम पाररत हुआ.
इसमें शाशमर् हुए.
6. 1854 में डाक कायाथर्य अर्धननयम पाररत हुआ. डाक दिकिों का
5. बेसीन की संर्ध पर हस्त्ताक्षर ककये और दस
ू रा आंग्र्-मराठा युद्ध प्रचर्न पहर्ी बार हुआ.
र्ड़ा.
7. वह भारत का सबसे कम आयु का गवनथर िनरर् र्ा. उसने 36 वषथ की
6. 1842 में म्ृ यु हो गई. आयु में कायथभार संभार् शर्या र्ा. रूड़की में एक इंिीननयररंग कॉर्ेि
की स्त्र्ावपत ककया गया. पहर्ी बार एक पर्
ृ क र्ोक कायथ ववभाग
िाडथ लमन्िो-प्रर्म (1807-1813 )
बनाया गया, जिसने ग्रांड ट्रं क रोड़ पर कायथ प्रारं भ ककया और कराची,
1. 1809 में रणिीत शसंह और अंगेिों के मध्य अमत
ृ सर की संर्ध की.
बंबई और एवं कर्कत्ता में बंदरगाह ववकशसत ककया.
िाडथ हे ष्स्त्िं ग्स (1813-1823)
िाडथ केननंि (1856-62)
गवनथर र्ॉमस मुनरो द्वारा 1820 में मद्रास प्रेसीडेंसी में रै यतवाड़ी
यह भारत का अंनतम गवनथर िनरर् एवं प्रर्म वायसराय र्ा.
बन्तदोबस्त्त की शुरुआत की.
1. 1857 का ववद्रोह,
1. हस्त्तक्षेप और युद्ध की नीनत अपनाई.
2. रानी ववतिोररया की घोषणा और भारत पररषद् अर्धननयम, 1858
2. िेम्स र्ॉमसण द्वारा उत्तर पजश्चम प्रान्तत में भशू म कर की महार्वाड़ी
का पाररत होना.
(ग्रामीण समुदाय) प्रणार्ी शुरू की गई.
3. र्ाडथ डर्हौिी द्वारा प्रारं भ ‘व्यपगत के शसद्धांत’ को 1859 में वापस
िाडथ ववलियम बेंहिक (1828-1835) शर्या गया.
1. भारत सरकार अर्धननयम 1833 के अनस
ु ार भारत का प्रर्म गवनथर 4. कर्कत्ता, बंबई और मद्रास में 1857 में ववश्वववद्यार्य की नींव रखी
िनरर् र्ा. गई.
2. “उदार गवनथर िनरर्” के रूप में िाना िाता है . 5. 1859-60 में बंगार् में नीर् ववद्रोह
3. भारत का सबसे उदार और प्रबद्
ु ध गवनथर िनरर् र्ा और “भारत में 6. बहादरु शाह को रं गून भेिा गया.
आधनु नक पजश्चमी शशक्षा का िनक” के रूप में िाना िाता है. 7. आईपीसी और सीआर.पीसी को अर्धननयशमत ककया गया.
4. 1829 में सती प्रर्ा और कन्तया भ्रण
ू ह्या को प्रनतबंर्धत ककया. 8. 1858 में पहर्ी बार आयकर की व्यवस्त्र्ा की गई.
5. 1834 में आगरा को प्रांत बनाया. 9. भारतीय उच्च न्तयायार्य अर्धननयम 1861 अददननयाशमत ककया
6. इसने उच्च न्तयायार्यों में अंग्रेिी को अदार्त की भाषा बनाई र्ेककन गया.
ननचर्ी अदार्तों में पारसी ही िारी रही.
1885 के बाद आधनु नक इनतहास
भारतीय राटरीय कांग्रेस

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• एक अंग्रेि और सेवाननवत्त
ृ शसववर् सेवक ए. ओ. ह्सयूम द्वारा 1885 चाकी को करना र्ा. उन्तहोंने 30अप्रैर् 1908 को मजिस्त्ट्रे ि के घर से ननकर्े
में गठन. एक वाहन पर बम फेंका.
• 1885 में बंबई में डब्पयू. सी. बनिी की अध्यक्षता में पहर्ा
मािे-लमन्िो सध
ु ार (1909)
अर्धवेशन (72 प्रनतननर्धयों ने भाग शर्या)
मार्े-शमन्तिो सुधार 1909 में र्ाये गए िब र्ाडथ शमन्तिो भारत का
• प्रर्म दो दशकों (1885 – 1905) में, यह काफी नरम नीनतयों वार्ी
वायसराय र्ा और मार्े भारत राज्य सर्चव र्ा. इन सध
ु ारों ने पर्
ृ क
र्ी.
• र्ेककन अंग्रेिों के दमनकारी उपायों के कारण कांग्रेस में गरम ववचारों ननवाथचन मंडर् को र्ाकर बांिो एवं राि करो नीनत के तहत
साम्प्रदानयकता को संस्त्र्ागत बनाने की नींव रखी. सध
ु ारों के प्रावधानों के
वार्े नेताओं िैसे बबवपन चन्तद्र पर्, बार् गंगाधर नतर्क, र्ार्ा
अनस
ु ार मजु स्त्र्म केवर् मजु स्त्र्म उम्मीदवार के शर्ए वोि कर सकता र्ा.
र्ािपत राय (र्ार्, बार्, पार्) का उदय

बंिाि का ववभाजन : िाडथ हाडडिंि का आिमन (1910)


1910 से 1916 तक र्ाडथ हाडडंग भारत का वायसराय रहा. इसके शासन
• र्ाडथ कज़थन द्वारा 16 अतिूबर, 1905 को एक शाही घोषणा द्वारा
ककया गया, परु ाने बंगार् प्रांत को पव की मह्वपण
ू थ घिना 1911 का ददपर्ी दरबार र्ी.
ू ी बंगार् और शेष बंगार् बनाकर
उसका आकर घिा ददया गया.
हदपिी दरबार (1911)
• इसका उद्देश्य दहन्तदू और मस
ु र्मानों में एक सांप्रदानयक खाईं का
1910 में इंग्र्ैंड में ककं ग िॉिथ पंचम राज्याशभषेक हुआ. 1911 में वो भारत
ननमाथण र्ा.
प्रवास पर आये. ककं ग िॉिथ पंचम और तवीन मैरी की भारत के सम्राि और
स्त्वदे शी आंदोिन (1905): र्ार्, बार्, पार् और अरववन्तद घोष ने
साम्राज्ञी के रूप में राज्याशभषेक के शर्ए दरबार का आयोिन ककया गया
मह्वपण
ू थ भशू मका ननभाई.
र्ा. इस दरबार में, रािा ने भारत की रािधानी कर्कत्ता से ददपर्ी
• कांग्रेस ने िी. के. गोखर्े की अध्यक्षता में 1905 के बनारस के
स्त्र्ानांतररत करने की घोषणा की. इसी दरबार में बंगार् ववभािन के रद्द
अर्धवेशन में पहर्ी बार स्त्वदे शी का आह्सवान ककया. िगह-िगह
करने की घोषणा भी की गई.
ववदे शी वस्त्तओ
ु ं की होर्ी िर्ाई गई.
हदपिी षडयंर केस (1912)
मुष्स्त्िम िीि की स्त्र्ापना (1906)
ऐसा कहा िाता है कक ददपर्ी षड़यंर रासबबहारी बोस द्वारा रचा गया र्ा
आगा खां, ढाका के नवाब सर्ीमुपर्ाह, नवाब मोहशसन-उर्-मुपक के
र्ेककन यह कभी शसद्ध नहीं हो पाया. 23 ददसम्बर, 1922 को वायसराय
नेत्ृ व में ददसम्बर 1906 में आर् इंडडया मुजस्त्र्म र्ीग की स्त्र्ापना की
र्ाडथ हाडडंग पर उस समय बम फेंका गया र्ा िब चांदनी चौक से उनकी
गई. र्ीग ने बंगार् ववभािन का समर्थन और स्त्वदेशी आंदोर्न का ववरोध
शोभायारा ननकर् रही र्ी.
ककया और अपने समुदाय के शर्ए ववशेष सरु क्षा एवं एक पर्
ृ क ननवाथचन
क्षेर की मांग की.

कांग्रेस का किकत्ता अगधवेशन (1906)


ददसम्बर 1906 में दादाभाई नौरोिी के नेत्ृ व में कर्कत्ता अर्धवेशन में
कांग्रेस ने भारतीय र्ोगों के शर्ए ‘स्त्वराि’ के र्क्ष्य को अपनाया. अपने
अध्यक्षीय भाषण में नौरोिी ने यह घोवषत ककया कक कांग्रेस का र्क्ष्य
“यूनाइिे ड ककं गडम की तरह स्त्वराि का स्त्वशासन” है.

सूरत ववभाजन (1907)


1907 के सरू त अर्धवेशन में कांग्रेस का दो दर्ों, गरम दर् और नरम दर्,
में ववभािन हो गया. गरम दर् का नेत्ृ व नतर्क, र्ािपत राय और
बबवपन चन्तद्र पार् कर रहे र्े िबकक नरम दर् के नेता िी. के. गोखर्े र्े. ग़दर पािी (1913):
र्ार्ा हरदयार्, तारकनार् दास और सोहन शसंह भाखना द्वारा इसका
अिीपरु बम केस (1908)
गठन ककया. इसका मुख्यार्य सान फ्रांशसस्त्को र्ा.
1908 में मि
ु टफरपरु के मख्
ु य प्रेशसडेंसी िि डी. एच. ककन्तग्फोडथ की ह्या
का एक िांनतकारी षड़यंर रचा गया. यह कायथ खद
ु ीराम बोस और प्रफुपर्ा होम रूि आंदोिन (1915-16)

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बार् गंगाधर नतर्क 1914 में मांडर्े िेर् से मुतत ककये गए. 1915 में
जलियांवािा बाग़ जनसंहार (अप्रैि 13, 1919):
उन्तहोंने पुनः कांग्रेस में प्रवेश ककया. नतर्क ने 28 अप्रैर्, 1916 को पण
ु े में
इंडडयन होम रूर् र्ीग की शरु • 9अप्रैर्, 1919 को डॉ ककचर्ू और डॉ स्यपार् की र्गरटतारी के
ु आत की. एनी बेसि
ें ने आयररश ववद्रोदहयों
ववरोध में र्ोग प्रदशथन कर रहे र्े. िनरर् ओ डायर ने अमत
ृ सर के
से प्रेरणा र्ेकर शसतम्बर 1916 में होम रूर् आंदोर्न की शुरुआत की र्ी.
िशर्यांवार्ा बाग़ में इकठ्ठा हुए र्ोगों पर गोशर्यां चर्वा दी.
उन्तहोंने दो समाचारपरों यंग इंडडया और कामनववर् की शुरुआत की र्ी.
• फर्स्त्वरूप सैकड़ों परु
ु ष, मदहर्ाएं और बच्चे मारे गए और हिारों
र्ीग ने स्याग्रह और सववनय अवज्ञा का समर्थन ककया.
घायर् हुए.
िाडथ चेम्सर्ोडथ का आिमन 1916 • इसके ववरोध में रबबन्तद्रनार् ठाकुर ने अपनी नाइिहुड की उपार्ध
4 अप्रैर्, 1916 को र्ाडथ चेम्सफोडथ ने भारत के वायसराय का कायथभार र्ौिा दी. सर शंकरण नायर ने इसके बाद वायसराय की पररषद् से
संभार्ा. इस्त्तीफ़ा दे ददया.
• हं िर आयोग को इसकी िांच के शर्ए ननयत
ु त ककया गया.
िखनऊ समझौता या कांग्रेस-िीि समझौता (1916)
• माचथ 13, 1940 को सरदार उधम शसंह ने र्न्तदन के कैतसिन हॉर् में
दहन्तद-ू मुजस्त्र्म एकता को प्राप्त करने में र्खनऊ समझौता एक मह्वपूणथ एक सभा को संबोर्धत करते हुए ओ डायर की ह्या कर िशर्यांवार्ा
कदम र्ा. बब्िे न और तुकी के बीच युद्ध के कारण मुसर्मानों में अंग्रेिों
िनसंहार का बदर्ा शर्या.
के खखर्ाफ भावनाएं उभर रहीं र्ीं जिससे कांग्रेस और मजु स्त्र्म र्ीग
एकता का मागथ प्रशस्त्त हुआ. दोनों ने 1916 में र्खनऊ में अपने हं िर आयोि ररपोिथ
अर्धवेशन ककये और प्रशसद्द र्खनऊ समझौता हुआ. कांग्रेस ने पर् ृ क िशर्यांवार्ा बाग़ िनसंहार की िांच के शर्ए “कॉर्ेि ऑफ़ िजस्त्िस ऑफ़
ननवाथचन को स्त्वीकार कर शर्या और दोनों संगठनों ने संयुतत रूप से दे श स्त्कॉिर्ैंड” के सीनेिर र्ाडथ हंिर की अध्यक्षता में सरकार ने एक गैर-
के शर्ए “डोशमननयन स्त्िे िस”/उत्तरदायी शासन की मांग की. सरकारी िााँच सशमनत बनाई.

मोंिे ग्यू घोषणा (1917 की अिस्त्त घोषणा) खखिाफ़त आंदोिन (1919-20):


1917 में मोंिे ग्यू ने एक बयान ददया िो भारत में स्त्वशासन के संबध
ं में • प्रर्म ववश्व युद्ध के बाद हुई संर्ध में जिस प्रकार तुकी से व्यवहार
मीर् का प्र्र साबबत हुआ. उसने कहा कक भारत सरकार पर धीरे धीरे ककया गया उससे मुसर्मान अंग्रेिों से क्षुब्ध र्े.
भारतीय र्ोगों को ननयरण हस्त्तांतररत ककया िाएगा. यह र्खनऊ • दो भाइयों, मोहम्मद अर्ी और शौकत अर्ी ने यह आंदोर्न शरू

समझौते से हुए दहन्तद-ू मुजस्त्र्म एकता का पररणाम र्ा. ककया.

चंपारण सत्याग्रह (1917) असहयोि आंदोिन (1920-22)


यह महा्मा गााँधी का पहर्ा स्याग्रह र्ा. चंपारण और खेड़ा स्याग्रह वो गााँधी के नेत्ृ व में प्रारं भ ककया गया यह पहर्ा िन आंदोर्न र्ा.
घिनाएाँ र्ीं जिन्तहोंने बाद में गााँधी को भारतीय राटट्रीय स्त्वतंरता आंदोर्न असहयोग में ननम्नशर्खखत कायथिम शाशमर् र्े :
का सबसे प्रमुख नेता बना ददया और स्याग्रह को एक मह्वपूणथ 1. उपार्धयों को वापस र्ौिना
उपकरण बना ददया. 2. सरकारी शशक्षा संस्त्र्ाओं का बदहटकार
3. अदार्तों का बदहटकार
खेडा सत्याग्रह (1918) 4. ववदेशी वस्त्रों का बदहटकार
1918 में, सम्पण
ू थ गि
ु रात भीषण प्र्ेग का शशकार हुआ और अकेर्े खेड़ा 5. करों की अदायगी न करना
में र्गभग 17000 र्ोगों ने अपने प्राण गंवाए. आगे, कार्रा ने भी
स्त्र्ानीय र्ोगों को तोड़कर रख ददया. यह ववद्रोह का ता्काशर्क कारण चौरी-चौरा काण्ड (1922)
र्ा. ववद्रोह करों के ववरुद्ध र्ा. सरकार ने कहा कक यदद कर नहीं ददए गए 5 फरवरी, 1922 को उत्तरप्रदे श के गोरखपरु जिर्े के चौरी चौरा में एक
तो संपवत्त िब्त कर र्ी िाएगी. इस ववद्रोह ने भारत को एक सदृ
ु ढ़ नेता दख
ु द दघ
ु ि
थ ना के कारण गााँधी िी द्वारा असहयोग आंदोर्न वापस र्े
सरदार वपर्भभाई पिे र् ददया.सरदार पिे र् और उनके सार्र्यों ने एक शर्या गया. इस घिना में असहयोग आंदोर्न और खखर्ाफ़त आंदोर्न में
वहृ त कर ववद्रोह ककया जिसने क्षेर के सभी िानतयों और पंर्ों के र्ोगों को भाग र्े रही भीड़ का िर्
ु स
ू पशु र्स के सार् दहंसक हो गया. फर्स्त्वरूप भीड़
इकठ्ठा ककया. ने एक पशु र्स र्ाना में आग र्गा दी जिसमें 22 पशु र्सकमी मारे गए.

रौिेि एति (माचथ 18, 1919) स्त्वराज पािी (1922)


इसने सरकार को बबना ट्रायर् के ही, संददग्ध व्यजतत को र्गरटतार कर दो इस दौरान औपननवेशशक शासन के खखर्ाफ़ संघषथ को बढ़ावा दे ने के शर्ए
सार् तक कैद में रखने की असीशमत शजतत दी. सी आर दास और मोतीर्ार् नेहरु ने एक नई रािनीनतक रणनीनत की

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वकार्त की. इन्तहोने कांग्रेस के गया अर्धवेशन (1922) में रणनीनत में उपेक्षा की. अतः गााँधी ने सववनय अवज्ञा आंदोर्न प्रारं भ कर ददया. गााँधी
बदर्ाव की बात रखी. वहां कांग्रेस के नेता वपर्भभाई पिे र्, रािेंद्र प्रसाद ने इसकी शुरुआत दांडी माचथ से की. यह माचथ साबरमती से दांडी तक र्ा.
और सी. रािगोपार्ाचारी ने पररषद् में प्रवेश के इस बदर्ाव का ववरोध गााँधी िी ने अपने 78 अनुयानययों के सार् नमक कानून तोडा.
ककया. सी आर दास और मोतीर्ार् नेहरु ने ओंग्रेस से इस्त्तीफ़ा दे ददया
प्रर्म िोिमेज सम्मिेन (1930):
और स्त्वराि पािी बनाई.
• यह अंग्रेिों और भारतीयों के बीच बराबरी के स्त्तर पर प्रर्म
साइमन कमीशन (1927): सम्मर्ेन र्ा. यह नवम्बर 1930 में र्न्तदन में साइमन कमीशन से
• भारत में रािनीनतक जस्त्र्नत की समीक्षा के और आगामी सध
ु ारों एवं बातचीत के शर्ए ककया गया र्ा.
संसदीय र्ोकतंर के ववस्त्तार के शर्ए िॉन साइमन के अगव
ु ाई में • कांग्रेस ने इसका बदहटकार ककया िबकक मजु स्त्र्म र्ीग, दहन्तदू
बनाया गया. महासभा, उदारवादी और कुछ अन्तय प्रनतननर्ध वहां उपजस्त्र्त र्े.
• भारतीय नेताओं ने इसका ववरोध ककया तयोंकक इसमें कोई भी
िाँधी इरववन समझौता (1931):
भारतीय नहीं र्ा.
• र्ाहौर में र्ार्ा र्ािपत राय को एक र्ाठी चािथ में अर्धक पीता गया • दोनों (सरकार के प्रनतननर्ध इरववन और कांग्रेस के प्रनतननर्ध
गांधीिी) ने 5 माचथ 1931 को एक समझौते पर हस्त्ताक्षर ककया.
जिससे 1928 में उनकी म्ृ यु हो गई.
इसके अनुसार कांग्रेस ने सववनय अवज्ञा आंदोर्न वापस र्े शर्या
नेहरु ररपोिथ (1928) और दस
ु रे गोर्मेि सम्मर्ेन में शाशमर् होने पर रािी हो गई.
कंिवेदिव र्ाडथ बककथनहे ड िो राज्य सर्चव र्ा, उसने यह चुनौती दी कक सरकार ने रािनीनतक बंददयों को ररहा ककया और ति के सार् के
भारतीय इतने सक्षम नहीं हैं कक वे संवध
ै ाननक सुधारों की एक ठोस योिना गांवों को अपने उपभोग के शर्ए नमक बनाने का अर्धकार ददया.
बना सकें िो रािनीनतक दर्ों के बड़े तबका का समर्थन रखता हो. उसका
दस
ू रा िोिमेज सम्मिेन (1931):
मत र्ा कक एक रािनीनतक दर् द्वारा बनाई गई संवैधाननक ववकास की
• गााँधी िी कांग्रेस प्रनतननर्ध के रूप में बब्दिश पीएम रै मिे मैतडोनापड
कोई योिना का अन्तय दर् ववरोध करें गे और भारतीय रािनीनतक दर् ऍम
से शमर्ने र्न्तदन गए. हार्ााँकक िपद ही सम्मर्ेन अपपसंख्यक मुद्दे
सहमनत बनाने की क्षमता नहीं रखते. इस चुनौती से ननपिने के शर्ए
पर अिक गया और इस बार मजु स्त्र्मों के सार्-सार् दशर्त वगों,
1928 में सवथदर्ीय सम्मर्ेन हुआ. एक योिना बनाई गई जिसे “नेहरु
भारतीय ईसाईयों और आंग्र्-भारतीयों द्वारा भी पर्
ृ क ननवाथचन
ररपोिथ ” कहा िाता है तयोंकक मोतीर्ार् नेहरु इसके मुख्य वास्त्तुकार र्े.
क्षेर की मांग की गई.
ष्जन्ना के 14 सूरी मांिें (माचथ 9, 1929)
सववनय अवज्ञा आंदोिन का दस
ू रा चरण
मुजस्त्र्म र्ीग के नेता जिन्तना ने नेहरु ररपोिथ स्त्वीकार नहीं की. इसके बाद
दस
ू रे गोर्मेि सम्मर्ेन की असफर्ता के बाद, कांग्रेस की कायथसशमनत ने
उसने मांगों की एक सूची रखी जिन्तहें “जिन्तना की 14 सूरी मांगे” के नाम
सववनय अवज्ञा आंदोर्न को दब
ु ारा शरू
ु करने का फैसर्ा ककया.
से िाना िाता है .

कम्यन
ु ि अवाडथ (अिस्त्त 16,1932):
िाहौर अगधवेशन (1929)
िवाहरर्ार् नेहरु की अध्यक्षता में ददसम्बर 1929 में हुए अपने वावषथक • रै मिे मैतडोनापड द्वारा घोवषत ककये गए. यह अंग्रेिों की बांिो और

अर्धवेशन में कांग्रेस ने एक प्रस्त्ताव पाररत कर राटट्रीय आंदोर्न के शर्ए राि करो की नीनत दशाथता है .

“पूणथ स्त्वराि” को अपना र्क्ष्य घोवषत ककया. 31 ददसम्बर, 1929 को नया • मजु स्त्र्म, शसख, भारतीय ईसाई आंग्र्-भारतीय मदहर्ाएं और वपछड़े
वगों के प्रनतननर्ध्व पर ववचार ककया गया.
अपनाया गया नतरं गा ध्वि फहराया गया और 26 िनवरी को स्त्वतंरता
ददवस के रूप में ननधाथररत ककया गया जिसे प्रनतवषथ मनाया िाएगा और • गााँधी िी िो उस समय येरवदा िेर् में र्े, उन्तहोंने इसके खखर्ाफ

र्ोगों ने बब्दिश शासन के अंतगथत नहीं रहने की शपर् र्ी. आमरण अनशन शरू
ु कर ददया.
• पन
ू ा समझौता (शसतम्बर 25, 1932)
सववनय अवज्ञा आंदोिन
• कम्यन
ु र् अवाडथ की घोषणा के बाद और कफर गााँधी िी की भख

सववनय अवज्ञा आंदोिन का प्रर्म चरण
1929 के र्ाहौर अर्धवेशन में कांग्रेस ने पूणथ स्त्वराि को अपना र्क्ष्य हड़तार् से हर िगह िनसभाएं होने र्गीं.
• रािनीनतक नेता िैसे मदन मोहन मार्वीय, भीम राव अम्बेडकर
घोवषत ककया र्ा. 31 िनवरी 1930 को गााँधी िी ने र्ाडथ इरववन को
और एम ्.सी.रािा सकिय हुए.
अपनी 11 सूरी मांगे मानने के शर्ए समय देते हुए चेतावनी दी. गााँधी ने
• अंत में पूना समझौता हुआ और गााँधी िी ने छठे ददन अपना अनशन
इरववन को कहा कक या उनकी मांगों को स्त्वीकार कीजिये अन्तयर्ा कांग्रेस
सववनय अवज्ञा आंदोर्न प्रारं भ करे गी. बब्दिश सरकार ने गााँधी िी की तोडा.

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• इसमें दशर्त वगों के शर्ए पर्
ृ क ननवाथचन क्षेर को समाप्त कर ददया • उन्तहोंने एक प्रारूप का प्रस्त्ताव ददया जिसमें युद्ध के बाद डोशमननयन
गया र्ेककन प्रांतीय ववधानयकाओं में उनके शर्ए आरक्षक्षत सीिों में स्त्िे िस देने का सुझाव र्ा.
बढ़ोतरी की गई. • इसे कांग्रेस ख़ाररि कर ददया तयोंकक भववटय के वादों पर ववश्वास
नहीं ककया िा सकता र्ा.
तीसरा िोिमेज सम्मिेन (1932):
• गााँधी िी ने इसे “पोस्त्ि डेिेड चेक” करार ददया.
• यह भी ननरर्थक साबबत हुआ तयोंकक अर्धकतर राटट्रीय नेता
कारागार में र्े. यहााँ की चचे के बाद भारत सरकार अर्धननयम, 1935 भारत छोडो आंदोिन
पाररत हुआ. भारत छोड़ो आंदोर्न प्रारं भ करने के मख्
ु य कारण र्े :
• किप्स शमशन की असफर्ता राटट्रवाददयों की आाँख खोर्ने वार्ा र्ा.
भारत सरकार अगधननयम, 1935 ववश्व यद्
• ु ध में शमर राटट्रों का पीछे हिना और दक्षक्षण-पव
ू थ एशशया से
साइमन कमीशन द्वारा 1930 में सौंपी गई ररपोिथ भारत सरकार बब्िे न का पीछे हिना एवं बमाथ के ननवाशसयों को िापाननयों की रहम
अर्धननयम, 1935 के ननमाथण का आधार बनी. नए भारत सरकार
पर छोड़ देना.
अर्धननयम को 4 अगस्त्त 19935 को शाही मंिरू ी शमर्ी. पुराने संवैधाननक
सुधारों की वतथमान ववशेषताओं को िारी रखा और ववस्त्तार ददया गया. घिनाक्रम
र्ेककन कुछ ननजश्चत नए शसद्धांत भी िोड़े गए. इसने एक संघा्मक • भारत छोड़ो प्रस्त्ताव 8 अगस्त्त, 1942 को बंबई में पास हुआ.
प्रकार की सरकार प्रदान की. अंततः अर्धननयम है : • कांग्रेस ने वहृ त स्त्तर पर अदहंसा्मक िनसंघषथ प्रारं भ ककया.
1. प्रांतीय स्त्वायत्ता को र्ाया गया • यह स्त्पटि हो गया र्ा कक यदद कांग्रेस के नेताओं को र्गरफ़्तार कर
2. प्रान्ततों में द्ववशासन को समाप्त कर ददया शर्या िाएगा तो “प्र्येक भारतीय िो स्त्वतंरता की इच्छा रखता है
और इसके शर्ए प्रयासरत है वह स्त्वयं का नेत्ृ व करे गा.”
पाककस्त्तान प्रस्त्ताव /िाहौर प्रस्त्ताव (24 माचथ, 1940)
• गााँधी और कांग्रेस कायथसशमनत के अन्तय सभी सदस्त्य 9अगस्त्त, 1942
प्रस्त्ताव को पास कर ददया गया और संघीय योिना को अस्त्वीकार कर
की सुबह ही र्गरफ़्तार कर शर्ए गए.
ददया.
• भारत के स्त्िे शर्नग्राद, अहमदाबाद में 3 महीने की हड़तार् रही.

अिस्त्त प्रस्त्ताव (1940) • उषा मेहता एक गैरकानूनी रे डडयो स्त्िे शन चर्ा रहीं र्ीं.
• रािगोपार्ाचारी और वामपंर्र्यों ने भारत छोड़ो आंदोर्न का ववरोध
भारत में िनता की निरों में िीत हाशसर् करने के िम में शर्नशर्र्गो ने
ककया.
द्ववतीय ववश्व यद्
ु ध में राटट्रवाददयों का समर्थन पाने के शर्ए एक प्रस्त्ताव
• तीन समानांतर सरकारें बनाई गईं : 1. र्चत्तू पाण्डेय के नेत्ृ व में
रखा.
बशर्या में, 2. सतीश सामंत की तमकुर्-िदिया सरकार, 3. नाना
इसकी प्रमुख बातें र्ीं -
पादिर् के नेत्ृ व में सतारा-प्रनत सरकार
• एक अननददथटि भववटय में डोशमननयन स्त्िे िस का वादा
• युद्ध के बाद एक संववधान ननमाथती सभा बनाई िाएगी, हार्ााँकक यह
िाँधी जी का उपवास (10 र्रवरी – 7 माचथ, 1943)
बब्दिश संसद की अनुमनत के बाद ही होगा.
गााँधी िी ने िेर् में 21 ददन का उपवास रखा. 13 ददन बाद उनकी हार्त
• वायसराय की कायथकारी पररषद् में त्कार् वद्ृ र्ध
अ्यंत नािुक हो चर्ी र्ी और उनके िीववत बचने की सभी संभावनाएं
• एक युद्ध परामशथदारी पररषद् का गठन.
ख़्म हो चुकी र्ी. र्ेककन उनकी नैनतक बर् और अध्याज्मक शजतत के
व्यष्ततित सत्याग्रह सहारे वे िीववत भी रहे और 21 ददन का उपवास भी पूरा ककया. यह उस

अगस्त्त प्रस्त्ताव ने राटट्रवाददयों को चौंका ददया और कांग्रेस ने व्यजततगत सरकार के शर्ए उनका िवाब र्ा िो र्गातार उन्तहें भारत छोड़ो आंदोर्न

स्याग्रह शरू
ु ककया. ववनोबा भावे पहर्े स्याग्रही र्े िबकक नेहरु दस
ू रे . में र्ोगों की दहंसा की ननंदा करने के शर्ए रािी करने का प्रयास कर रही
र्ी.
कक्रप्स लमशन – 1942:
• ददसम्बर 1941 में िापान द्ववतीय ववश्व युद्ध में शाशमर् हुआ और सी. आर. र्ामि
ूथ ा (1944)
भारतीय सीमा तक बढ़ आया. 7 माचथ 1942 को रं गन ू हार गया और 1944 में, चिवती रािगोपार्ाचारी (सी. आर.) ने उत्तर-पजश्चम और पव
ू थ
पूरे दक्षक्षण पव
ू थ एशशया पर िापान का कब्ज़ा हो गया. के जिर्ों को पर्
ृ क करने के शर्ए, िहााँ मुसर्मानों की संख्या अर्धक र्ी,
• बब्दिश सरकार ने भारतीयों से सहयोग प्राप्त के शर्ए, भारतीय एक आयोग ननयुतत करने का प्रस्त्ताव रखा. कुछ क्षेरों में ववभािन के

नेताओं से शतें तय करने के शर्ए हाउस ऑफ़ कॉमन के नेता सर मुद्दे पर वयस्त्क मतार्धकार द्वारा मतदान होना र्ा. ककसी संप्रभु राज्य
स्त्िै फ़ोडथ किप्स को भेिा.

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में शाशमर् होने के शर्ए वे स्त्वतंर र्े. ववभािन को स्त्वीकारने पर, प्रनतरक्षा, • उनका दोषी होने का प्रश्न मुद्दा नहीं र्ा बजपक बब्िे न सरकार यह
वाखणज्य और संचार की सुरक्षा के शर्ए एक संयुतत समझौता होना र्ा. चाहती र्ी की यह स्त्पटि हो कक यह बब्िे न सरकार का अर्धकार है कक
मुजस्त्र्म र्ीग ने कांग्रेस की आज़ादी की मांग का समर्थन ककया और भारतीयों से सम्बंर्धत ववषय पर ननणथय र्े.
अस्त्र्ायी सरकार बनाने में सहयोग ककया. जिन्तना ने आपवत्त की तयोंकक
रॉयि इंडडयन नेवी का ववद्रोह (आरआईएन)
वो चाहता र्ा की कांग्रेस द्ववराटट्र का शसद्धांत स्त्वीकार कर र्े और वह
• फरवरी 1946 में, रॉयर् इंडडयन नेवी के गैर-कमीशंड अर्धकारीयों
चाहता र्ा कक उत्तर-पजश्चम एवं पूवथ के केवर् मुसर्मान मतदान करें . वी.
डी. सावरकर के नेत्ृ व में दहन्तदू नेताओं ने इस योिना की ननंदा की. एवं सैननकों जिन्तहें रे दिग्ि कहा िाता र्ा, उन्तहोंने एचएमआईएस
तर्वार पर अंग्रेिों के के खखर्ाफ ववद्रोह करते हुए हड़तार् कर दी.
वेवि
े योजना और लशमिा सम्मिेन (14 जन
ू – 14 जि
ु ाई, 1945) • नस्त्र्ीय भेदभाव और ख़राब भोिन ववद्रोह का ता्काशर्क कारण र्ा.
भारतीय समस्त्यापर बब्दिश सरकार के चचाथ के बाद भारत के वायसराय • बी. सी. दत्ता ने िहािों पर भारत छोड़ो शर्ख ददया र्ा.
र्ाडथ वेवर्
े ने एक वववरण िारी ककया जिसे वेवेर् योिना के नाम से िाना • कराची में भी एचएमआईएस दहन्तदस्त्
ु तान ने ववद्रोह कर ददया.
िाता है . इस योिना में, िो मख्
ु यतः वायसराय की कायथकारी पररषद् से • फरवरी के अंत तक दे श के सभी नौसैननक अड्डों तक यह ववद्रोह फ़ैर्
सम्बंर्धत र्ा, पररषद् की संरचना में कुछ बदर्ाव प्रस्त्ताववत र्े. एक मख्
ु य गया जिसमें र्गभग 20000 रे दिग्ि ने भाग शर्या.
प्रस्त्ताव यह र्ा कक पररषद् का संतशु र्त रूप से इस प्रकार गठन ककया िाए
कैबबनेि लमशन योजना (1946):
ताकक दहन्तदू और मजु स्त्र्मों सदहत सभी समद
ु ायों को समान प्रनतननर्ध्व
• वषथ 1945-46 में स्त्वतंरता के शर्ए संघषथ अपने ननणाथयक चरण में
शमर् सके. वेवेर् योिना के बाद शीघ्र ही कांग्रेस कायथसशमनत के नेता िेर्
आ गया र्ा. नए प्रधानमंरी र्ाडथ एिर्ी, िो र्ेबर पािी के र्े, ने
से ररहा कर ददए गए. वेवेर् योिना पर चचाथ के शर्ए 22 प्रमख
ु भारतीय
15माचथ 1946 को एक ननणथय शर्या कक बब्दिश कैबबनेि शमशन
नेताओं का शशमर्ा में एक सम्मर्ेन आयोजित ककया गया, िो ककसी
(जिसमें र्ाडथ पैर्र्क र्ॉरें स अध्यक्ष के रूप में, सर स्त्िै फ़ोडथ किप्स और
ननणथय पर नहीं पहुंचा. सम्मर्ेन जिन्तना की इस जिद के कारण ववफर् हो
गया कक कायथकारी पररषद् में मजु स्त्र्म र्ीग द्वारा अनम ए. वी. एर्ेकिेंडर शाशमर् र्े) भारत का दौरा करे गा.
ु ोददत मजु स्त्र्म ही
• शमशन कांग्रेस और मजु स्त्र्म र्ीग से उनके र्ाने वार्े प्रस्त्तावों पर
शाशमर् होना चादहए. इस प्रकार पन
ु ः संप्रदायवाद एक बड़ी बाधा बना.
तर्ावप, अंग्रेिों के शर्ए, कांग्रेस और मजु स्त्र्म र्ीग के बीच कर्ह ख़श स्त्वीकृनत के शर्ए चचाथ हे तु आया र्ा.
ु ी का
एक स्रोत र्ा. • 16 मई, 1946 को शमशन ने अपना प्रस्त्ताव रखा. इसमें पर्
ृ क
पाककस्त्तान की मांग अस्त्वीकार कर दी गई र्ी और एक भारतीय संघ
इंडडयन नेशनि आमी/आज़ाद हहंद फ़ौज: बनाने का सुझाव ददया गया र्ा जिसमें बब्दिश भारत और भारतीय
• कैप्िे न मोहन शसंह के सार् रासबबहारी बोस द्वारा स्त्र्ापना ररयासतें शाशमर् होंगी.
• 1941 में सुभाष चन्तद्र बोस नछपकर भारत से ननकर् गए और बशर्थन • कांग्रेस और मुजस्त्र्म र्ीग दोनों ने इसे स्त्वीकार कर शर्या.
पहुंचे. िुर्ाई 1943 में वे शसंगापरू में आईएनए में शाशमर् हो गए.
वहां, रासबबहारी बोस ने नेत्ृ व उनके हार्ों में सौंप ददया. सीधी कायथवाही (16 अिस्त्त, 1946):
कांग्रेस की सफर्ता से उत्तेजित होकर (संववधान सभा के शर्ए मतदान के
• अर्धकतर सैननक बब्दिश सेना के उन भारतीय सैननकों में से शर्ए
शर्ए), मुजस्त्र्म र्ीग ने 16 अगस्त्त, 1946 को सीधी कायथवाही मनाने का
गए र्े जिन्तहें िापान दक्षक्षण पूवथ एशशया पर अर्धकार करने के दौरान
ननश्चय ककया जिसके फर्स्त्वरूप दे श भर में भीषण सांप्रदानयक दं गे हुए.
बंदी बना शर्या र्ा.
• आईएनए के दो मुख्यार्य, रं गून और शसंगापरु र्ा.
अंतररम सरकार (2 लसतम्बर, 1946):
• आईएनए की तीन यद्
ु धक िुकडडयां र्ीं जिनके नाम गााँधी िी,
2 शसतम्बर, 1946 को एक अंतररम सरकार का गठन ककया गया. पंडडत
आज़ाद और नेहरु र्े. रानी झााँसी िुकड़ी एकमार मदहर्ा िुकड़ी र्ी.
िवाहरर्ार् नेहरु के नेत्ृ व में कांग्रेस इसमें शाशमर् हुई र्ेककन मुजस्त्र्म

आईएनए रायि र्ीग इसमें नहीं शाशमर् हुई तयोंकक इसने कैबबनेि शमशन की अपनी पूवथ

• आईएनए बंददयों का पहर्ा ट्रायर् र्ार् ककर्े में हुआ. की स्त्वीकृनत को वापस र्े शर्या र्ा.

• पी.के. सहगर्, शाह नवाज़ और गरु बतश शसंह दढपर्ों को अशभयुतत


संववधान सभा का िठन (9 हदसम्बर, 1946):
बनाया गया.
इस संववधान सभा की पहर्ी बैठक 9 ददसम्बर 1946 को हुई और डॉ
• इनके बचाव के शर्ए वकीर्ों में भूर्ाभाई दे साई, तेि बहादरु सप्रू
रािेंद्र प्रसाद इसके अध्यक्ष चन
ु े गए. मजु स्त्र्म र्ीग ने संववधान सभा में
िवाहरर्ार् नेहरु और आसफ अर्ी र्े.
भाग नहीं शर्या.
• यद्यवप सैन्तय न्तयायार्य ने आईएनए बंददयों को दोषी करार ददया,
र्ेककन सरकार ने उन्तहें मुतत करने में ही अपना र्ाभ दे खा.

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एििी की घोषणा (20 र्रवरी, 1947): 20 फरवरी 1947 कबब्दिश बोस, कन्तहै यार्ार् दत्त और स्येन्तद्रनार् बोस को फांसी की सिा दी
प्रधानमंरी तर्ीमेंि एिर्ीने घोषणा की कक अंग्रेि, 30 िून 1948 तक गई. (अर्ीपरु केस)
भारत छोड़ दें गे और र्ाडथ वेवर्
े की िगह र्ाडथ माउं िबेिन को भेिा गया. • 1912 में, रासबबहारी बोस और सर्चन्तद्र नार् सान्तयार् ने ददपर्ी में
र्ाडथ हाडडंग पर एक बम फेंका (ददपर्ी षड़यंर केस)
माउं िबेिन योजना (3 जून, 1947):
• अतिूबर 1924 में, कानपूर में भारत के सभी दहस्त्सों के िांनतकाररयों
• 3 िन
ू , 1947 को र्ाडथ माउं िबेिन ने अपनी योिना रखी जिसने की एक बैठक बुर्ाई गई. उन्तहोंने दहंदस्त्
ु तान ररपजब्र्क एसोशसएशन
भारतीय रािनीनतक समस्त्या के समाधान की रूपरे खा ननधाथररत की. का गठन ककया.
योिना की मख्
ु य बातें र्ीं : • उन्तहोंने 9 अगस्त्त 1925 को सहारनपरु -र्खनऊ रे र्वे र्ाइन पर
• भारत का ववभािन भारत और पाककस्त्तान में होगा.
काकोरी में एक ट्रे न डकैती की योिना बनाई.
• बंगार् और पंिाब ववभाजित होंगे और उत्तर-पजश्चम सीमा प्रान्तत एवं
• भगत शसंह ने अपने सार्र्यों के सार् 17 ददसम्बर 1928 को सांडसथ
असम के शसर्हि जिर्े में िनमत संग्रह कराया िाएगा.
(र्ाहौर का सहायक पशु र्स अधीक्षक जिसने र्ार्ा र्ािपत राय पर
• पाककस्त्तान के संववधान के शर्ए एक पर्
ृ क संववधान सभा बनेगी. र्ाठी चािथ का आदे श ददया र्ा) की गोर्ी मारकर ह्या कर दी.
• दे सी ररयासतें भारत या पाककस्त्तान में शाशमर् होने या अपनी
• कफर भगत शसंह और बिुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैर्, 1929 को केन्तद्रीय
स्त्वतंरता बनाये रखने के शर्ए स्त्वतंर र्ीं. सभा में बम फेंका. इस तरह भगत शसंह, रािगुरु और सुखदे व को 23
• 15 अगस्त्त 1947 की नतर्र् भारत एवं पाककस्त्तान को सत्ता माचथ 1931 को र्ाहौर िेर् में फांसी दे दी गई. (र्ाहौर षड़यंर केस)
हस्त्तांतरण के शर्ए ननधाथररत की गई. • 1929 में िनतन दास ने र्ाहौर िेर् में घखृ णत पररजस्त्र्नतयों के
• बब्दिश सरकार ने िर्
ु ाई 1947 में भारत स्त्वतंरता अर्धननयम 1947 खखर्ाफ़ 63 ददनों की भूख हड़तार् के बाद अपने प्राण ्याग ददए.
पाररत ककया जिसमें माउं िबेिन योिना द्वारा रखे गए मख्
ु य • बंगार् के िांनतकारी सूयस
थ ेन ने बंगार् में इंडडयन ररपजब्र्क आमी
प्रावधान र्े. का गठन ककया. 1930 में उन्तहोंने र्चट्िगााँव शस्त्रागार पर धावा
बोर्ने की योिना बनाई. उन्तहें 1933 में फांसी दी गई.
ववभाजन और स्त्वतंरता (अिस्त्त 1947):
• 1931 में चंद्रशेखर आज़ाद ने इर्ाहबाद के अपफ्रेड पाकथ में खुद को
सभी रािनीनतक दर्ों ने माउं िबेिन योिना को स्त्वीकार कर शर्या.
गोर्ी मार र्ी.
• स्त्वतंरता के समय भारत में 562 छोिी बड़ी दे सी ररयासतें र्ीं.
• पहर्े गहृ मंरी सरदार वपर्भभाई पिे र् ने इस संबंध में कठोर नीनत
भारत के अंग्रेज वायसराय
अपनाई. 1) िाडथ केननंि (1856 – 1862) :
15 अगस्त्त, 1947 तक कुछ अपवादों िैसे कश्मीर, है दराबाद और िन
ू ागढ़ a. अंनतम गवनथर-िनरर् और पहर्े वायसराय
को छोड़कर शेष सभी राज्यों ने ववर्य पर पर हस्त्ताक्षर कर ददए. गोवा
b. 1857 का ववद्रोह इनके समय में हुआ.
पुतथगाशर्यों और पांडडचेरीफ्रांसीशसयों के कब्िे में र्ा.
c. नवम्बर 1858 में शासन बब्दिश िाउन को सौंप ददया गया.
d. व्यपगत का शसद्धांत (र्ाडथ डर्हौिी द्वारा शुरू) वापस शर्या
e. कर्कत्ता, बंबई और मद्रास के ववश्वववद्यार्यों की 1857 में स्त्र्ापना.
f. 1861 में भारत पररषद् अर्धननयम पाररत हुआ.
2) िाडथ एष्पिन (1862 – 1863)

3. िाडथ िॉरे न्स (1864 – 1869) :


a) यूरोप के सार् तार संचार प्रारं भ हुआ.
b) कर्कत्ता, मंबई और मद्रास में उच्च न्तयायार्य स्त्र्ावपत ककये गए.
c) नहरों और रे र्वे के कायथ को बढाया गया.
d) भारतीय वन ववभाग का ननमाथण

4.िाडथ मेयो (1869 – 1872) :


क्रांनतकारी िनतववगधयाँ :
a) भारत में ववत्तीय ववकेंद्रीकरण की प्रकिया शुरू की.
• 1908 में, खुदीराम बोस और प्रफुपर् चाकी ने मुिटफरपुर के
b) भारतीय रािकुमारों के शर्ए कादठयावाड़ में रािकोि कॉर्ेि और
अर्ोकवप्रय िि ककं गफोडथ की बग्घी पर एक बम फेंका. खद
ु ीराम
अिमेर में मेयो कॉर्ेि की स्त्र्ापना की.
c) भारतीय इनतहास में पहर्ी बार 1871 में िनगणना की गई.

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d) भारतीय सांख्यकी सवेक्षण का आयोिन b) बंगार् का ववभािन (16 अतिूबर, 1905) दो प्रान्ततों, बंगार् (मख्
ु य)
e) एकमार ऐसे वायसराय जिनकी ह्या उनके कायार्य में हुई. 1872 में और पव
ू थ बंगार् एवं असम में ककया गया.
एक पठान अपराधी ने अंडमान में ह्या कर दी. c) प्र्येक प्रान्तत के पशु र्स प्रशासन की िांच पड़तार् के शर्ए सर एंड्रयू
फ्रेज़र की अध्यक्षता में एक पशु र्स आयोग ननयुतत ककया गया.
5.िाडथ नार्थब्रुक (1872 – 1876) :
d) 1897 – 98 में सीमाई िनिानतयों के उभार के कारण उत्तर पजश्चम
6.िाडथ लििन (1876 – 1880) :
सीमा प्रान्तत बनाया.
a) अर्ग चररर का वायसराय के रूप में िाना िाता र्ा e) भारत की सांस्त्कृनतक ववरासत के पुनस्त्र्ाथपना के शर्ए प्राचीन स्त्मारक
b) रानी ववतिोररया को कैसर-ए-दहंद की उपार्ध से सम्माननत करने के
संरक्षण अर्धननयम (1904) पाररत हुआ. इस तरह भारतीय पुराताज्वक
शर्ए 1877 में ववशार् ‘ददपर्ी दरबार’ का आयोिन
सवेक्षण की स्त्र्ापना हुई.
c) शस्त्र अर्धननयम (1878) – भारतीयों के शर्ए शस्त्र रखने के शर्ए
f) भारतीय शसतका और कागि मुद्रा अर्धननयम (1899) पाररत हुआ और
र्ाइसेंस अननवायथ बना ददया.
भारत में भी स्त्वणथ मानक बनाया गया.
d) अर्ोकवप्रय वनाथतयर्
ु र प्रेस एति (1878) पाररत ककया. g) रे र्वे का अ्यर्धक ववकास ककया.

7.िाडथ ररपन (1880 – 1884) :


12. िाडथ लमन्िो का इनतहास (1905 – 1910) :
a) उदार व्यजतत जिन्तहें भारनतयों के सार् सहानुभूनत र्ी.
इस समय भारत में रािनीनतक अशांनत र्ी. िांनतकारी गनतववर्धयों को
b) वनाथतयुर्र प्रेस एति (1882) को दोहराया
कुचर्ने के शर्ए अनेक अर्धननयम पाररत ककये गए. र्ार्ा र्ािपत राय
c) स्त्र्ानीय स्त्वशासन अर्धननयम पाररत ककया (1882)
और अिीत शसंह (मई, 1907 में) और बार् गंगाधर नतर्क (िर्
ु ाई, 1908
d) प्रार्शमक और माध्यशमक शशक्षा में सुधार के शर्ए कदम उठाये
में) िैसे अनतवाददयों को बमाथ में मांडर्े िेर् में भेि ददया गया. भारत
(ववशर्यम हंिर आयोग की शसफाररशों पर).
पररषद् अर्धननयम 1909 या मार्े-शमन्तिो सध
ु ार पाररत ककया गया.
e) बार् मिदरू ी को प्रनतबंर्धत करने के उद्देश्य प्रर्म कारखाना
अर्धननयम (1881) पाररत हुआ. 13. िाडथ हाडडिंि (1910 – 1916) :
f) इपबिथ बबर् पाररत हुआ (1883) जिससे भारतीय न्तयायाधीशों को a) ककं ग िॉिथ पंचम के राज्याशभषेक को मनाने के शर्ए ददसम्बर, 1911 में
यूरोपीय आरोवपयों पर ट्रायर् का अर्धकार शमर्ा र्ेककन बाद में यह वापस ददपर्ी दरबार का आयोिन ककया गया.
र्े शर्या गया. b) बंगार् ववभािन रद्द ककया गया. (1911)
c) रािधानी को कर्कत्ता से ददपर्ी हस्त्तांतररत ककया गया.(1912).
8. िाडथ डर्ररन (1884 – 1888) : भारतीय राटट्रीय कांग्रेस की स्त्र्ापना र्ाडथ हाडडंग पर एक बम फेंका गया र्ेककन वह घायर् होकर बाख गया.
इसके कायथकार् में हुई.
(23 ददसम्बर, 1912).
d) गााँधी िी दक्षक्षण अफ्रीका से भारत वापस र्ौिे . (1915).
9. िाडथ िैंसडाउन (1888 – 1894) :
e) एनी बेसि
ें ने होम रूर् आंदोर्न की घोषणा की.
a) द्ववतीय कारखाना अर्धननयम (1891) पाररत हुआ जिसमें एक
साप्तादहक अवकाश स्त्वीकार ददया गया और बच्चों एवं मदहर्ाओं के शर्ए 14. िाडथ चेम्सर्ोडथ (1916 – 1921) :
कायथ के घंिे ननधाथररत ककये गए. हार्ााँकक यह इस प्रकार की र्चंताओं को
a) 1917 की अगस्त्त घोषणा जिसमें भारतीय सरकार का ननयंरण
दरू करने में ववफर् रहा िैसे परु
ु षों के शर्ए कायथ के घंिे ननधाथररत करना. चरणबद्ध तरीके से भारतीय र्ोगों को सौंपे िाने की बात की गई र्ी.
b) शसववर् सेवाओं को इम्पीररयर्, प्रांतीय और सहयोगी में श्रेणीबद्ध b) 1919 में भारत सरकार अर्धननयम (मोंिे ग्यू चेम्सफोडथ सुधार) पाररत
ककया गया. हुआ.
c) भारत पररषद् अर्धननयम 1892 पाररत हुआ.
c) 1919 का रॉर्ेि एति; िशर्यांवार्ा बाग़ िनसंहार (13 अप्रैर्, 1919).
d) बब्दिश भारत और अफगाननस्त्तान के बीच सीमा रे खा के ननधाथरण हे तु d) असहयोग आंदोर्न
डूरं ड आयोग की ननयजु तत. e) एक भारतीय सर एस. पी शसन्तहा को बंगार् का गवनथर ननयुतत ककया
गया.
10. िाडथ एष्पिन द्ववतीय (1894 – 1899) : 1896 – 1897 का भयंकर
f) 1916 में पूना में एक मदहर्ा ववश्वववद्यार्य की स्त्र्ापना
अकार्. अकार्ों के संबंध में िांच के शर्ए ‘र्ायर् आयोग’ की ननयजु तत.
g) 1917 शशक्षा नीनत पर सैडर्र आयोग की ननयुजतत.
11. िाडथ कज़थन (1899 – 1905) :
15. िाडथ रीडडंि (1921 – 1926) :
a) भारतीय ववश्वववद्यार्य अर्धननयम (1904) पाररत जिसमें
a) 1910 के प्रेस एति के सार् रॉर्ेि एति को िारी रखा गया.
ववश्वववद्यार्यों में अर्धकाररक ननयंरण बढाया गया.

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b) असहयोग आंदोर्न को दबाया गया. e) 1942 में किप्स शमशन.
c) वप्रन्तस ऑफ वेपस ने नवम्बर 1921 में भारत का दौरा ककया. f) भारत छोड़ो आंदोर्न (8 अगस्त्त, 1942).
d) केरर् में मोपर्ा ववद्रोह (1921)
19. िाडथ वेवि
े (1944 – 1947) :
e) 1921 का अहमदाबाद अर्धवेशन
a) 25 िून, 1945 को कांग्रेस और मजु स्त्र्म र्ीग के नेताओं के सार्
f) स्त्वराि पािी की स्त्र्ापना
शशमर्ा सम्मर्ेन का आयोिन असफर् हो गया.
g) 1922 में ववश्वभारती ववश्वववद्यार्य ने कायथ करना प्रारं भ ककया.
h) 1921 में एम. एन. रॉय द्वारा कम्युननस्त्ि पािी की स्त्र्ापना. b) कैबबनेि शमशन योिना (16 मई, 1946).
c) संववधान सभा के शर्ए चन
ु ाव हुए और नेहरु के नेत्ृ व में एक अंतररम
i) 9 अगस्त्त, 1925 को काकोरी रे र् र्ि
ू ी गई.
सरकार की ननयजु तत.
j) 1923 का सांप्रदानयक दंगा, 1925 में मुपतान, ददपर्ी अमत
ृ सर आदद
में. प्रशसद्ध राटट्रवादी और आयथ समाि के र्ोकवप्रय नेता स्त्वामी श्रद्धानंद
20. िाडथ माउं िबेिन (माचथ 1947 – अिस्त्त 1947) :
की सांप्रदानयक अनतरे क में ह्या
a) बब्दिश भारत के अंनतम वायसराय और स्त्वतंर भारत के पहर्े गवनथर

16. िाडथ इरववन (1926 – 1931) : िनरर्


b) 3 िन
ू की योिना से भारत का ववभािन ननजश्चत हुआ,
a) साइमन आयोग भारत में 1928 में आया.
c) बब्दिश संसद द्वारा भारतीय स्त्वाधीनता अर्धननयम, 1947 पाररत
b) कांग्रेस ने 1929 में भारत प्रस्त्ताव पाररत ककया.
जिसके द्वारा 15, अगस्त्त 1947 को भारत स्त्वतंर हुआ.
c) दांडी यारा (12 माचथ, 1930).
d) सी. रािगोपार्ाचारी (स्त्वतंर भारत का प्रर्म एवं अंनतम गवनथर
d) सववनय अवज्ञा आंदोर्न (1930).
िनरर्) को पदभार सौंपकर िून, 1948 में सेवाननवत्त
ृ हुआ.
e) प्रर्म गोर्मेि सम्मर्ेन 1930 में इंग्र्ैंड में हुई.
f) गााँधी-इरववन समझौते (5 माचथ, 1931) पर हस्त्ताक्षर
अंग्रेजों द्वारा संवैधाननक ववकास
g) सववनय अवज्ञा आंदोर्न वापस शर्या गया
महत्वपूणथ अगधननयम
h) 64 ददन की भख
ू हड़तार् के बाद िनतन दास की शहादत (1929).
रे ग्युिहे िंि एति, 1773
• बब्दिश संसद द्वारा कंपनी मामर्ों के ननयंरण के शर्ए पहर्ा प्रयास.
17. िाडथ ववलिंग्डन (1931 – 1936) :
• द्ववशासन की समाजप्त
a) द्ववतीय गोर्मेि सम्मर्ेन 1931 में इंग्र्ैंड में हुई.
• भारत में कंपनी के क्षेरों के शर्ए प्रशासन का केन्तद्रीयकरण.
यहााँ से र्ौिकर गााँधी िी र्गरफ़्तार कर शर्ए गए और िनवरी 1932 में
उन्तहोंने सववनय अवज्ञा आंदोर्न दोबारा शुरू ककया. • बंगार् का गवनथर भारत में सभी बब्दिश क्षेरों के शर्ए गवनथर िनरर्
बनाया गया.
b) ववशभन्तन सम्प्रदायों के शर्ए स्त्र्ानों के आरक्षण के शर्ए कम्युनर्
• गवनथर िनरर् और 4 सदस्त्यों की पररषद् बंगार् के शर्ए ननयुतत की
अवाडथ की घोषणा (16 अगस्त्त, 1932) इस ववभािन के ववरोध में गांधीिी
अननजश्चतकार्ीन उपवास पर चर्े गए. गई.
• बंबई और मद्रास प्रेसीडेंसी को बंगार् प्रेसीडेंसी के अंतगथत र्ाया गया.
पूना समझौते पर हस्त्ताक्षर.
• कर्कत्ता में सुप्रीम कोिथ स्त्र्ावपत ककया गया.
c) तीसरा गोर्मेि सम्मर्ेन 1932 में हुआ.
d) भारत सरकार अर्धननयम (1935) पाररत
वपट्िस इंडडया एति, 1784

18. िाडथ लिनलिर्िो (1936 – 1944) : • इस एति ने कंपनी मामर्ों एवं भारत में उसके क्षेरों पर बब्दिश

a) भारत सरकार अर्धननयम प्रान्ततों में र्ागू. सरकार का सवोच्च ननयंरण स्त्र्ावपत कर ददया.
• शासन की द्वैध प्रणार्ी स्त्र्ावपत की गई. ववत्तीय कायों को दे खने के
b) 11 में से 8 प्रान्ततों में कांग्रेस के मंरार्य गदठत ककये गए. वे अतिूबर
1939 तक 2 वषों तक सत्ता में रहे र्ेककन द्ववतीय ववश्व युद्ध में भारत शर्ए 24 सदस्त्यों वार्ी कोिथ ऑफ़ डायरे तिसथ की ननयजु तत हुई.

को खींचने पर/शाशमर् करने पर ्यागपर दे ददया. मुजस्त्र्म र्ीग ने इसे • 6 संसदीय कशमश्नरों वार्े एक बोडथ ऑफ़ कण्ट्रोर् को ननयुतत ककया

मुजतत ददवस के रूप में मनाया. (22 December) गया िो भारत में शसववर्, सैन्तय और रािस्त्व मामर्ों को दे खता र्ा.

c) चर्चथर् मई, 1940 में बब्िे न के प्रधानमंरी बने. उसने ननणथय ककया कक • गवनथर िनरर् को शजततशार्ी बनाते हुए उसकी पररषद में संख्या

अिर्ांदिक चािथर (यूके और यूएस द्वारा संयत घिाकर 3 कर दी गई.


ु त रूप से िारी, जिसमें यह
कहा गया र्ा कक उनमें से जिन्तहें िबरदस्त्ती वंर्चत ककया गया है वे • युद्ध, कूिनीनत और रािस्त्व के सभी मामर्ों में बंबई एवं मद्रास

संप्रभुता प्राप्त करने के अर्धकारी होंगे) भारत पर र्ागू नहीं होगा. प्रेसीडेंसी को बंगार् के अधीनस्त्र् कर ददया गया.
• ईस्त्ि इंडडया कंपनी पर प्रभावी ननयंरण का पहर्ा प्रनतस्त्र्ापन.
d) 1939 में द्ववतीय ववश्व युद्ध का प्रकोप

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पररषद् बनाई गई (भारत पररषद्). वह िाउन की शजततयों का प्रयोग
1793 का चािथर एति
करता र्ा.
• कंपनी को 20 और वषों का व्यापर एकार्धकार ददया गया. • राज्य सर्चव,. गवनथर िनरर् के माध्यम से भारत पर शासन करता
• बोडथ ऑफ़ कण्ट्रोर् के खचे और वेतन भारतीय रािस्त्व से ददया िाने
र्ा. गवनथर िनरर् को वायसराय कहा िाने र्गा और वह भारत में
र्गा.
िाउन का प्र्यक्ष प्रनतननर्ध र्ा.
• गवनथर िनरर् अपनी पररषद रद्द कर सकते र्े.
• एक एका्मक और अ्यर्धक केंद्रीकृत प्रशासननक ढांचा बनाया गया.

1813 का चािथर एति भारत पररषद अगधननयम, 1861


• चाय एवं चीन के सार् व्यापर के अनतररतत कंपनी का भारत में व्यापर • भारतीयों को कानन
ू ननमाथण की प्रकिया में शाशमर् ककया िाने र्गा.
एकार्धकार वापस र्े शर्या गया. • वायसराय की कायथकारी पररषद में िि के रूप में एक पांचवा सदस्त्य
• सभी अंग्रेि कुछ शतों के सार् भारत के सार् व्यापर कर सकते र्े. िोड़ा गया.
• भारत के रािस्त्व के प्रयोग के शर्ए ननयम एवं प्रकिया बनाई गई.
• आपात समय में वायसराय अध्यादे श िारी कर सकता र्ा.
• शशक्षा के शर्ए 1 र्ाख की राशश ननधाथररत की गई. • ववधान बनाने के शर्ए कायथकारी पररषद को 6 से बढाकर 12 सदस्त्यों
वार्ी ककया गया जिसमें आधे गैरसरकारी सदस्त्य होंगे. इस तरह
1833 का चािथर एति
भारतीय ववधानयका की नींव पड़ी.
• चाय एवं चीन के व्यापर में भी कंपनी के एकार्धकार को समाप्त ककया
• 1833 में प्रेसीड़ेंसी सरकारों की समाप्त की गई वैधाननक शजततयां
गया.
वापस कर दी गईं.
• कंपनी को, जितना िपदी हो सके अपना व्यापर बंद करने के शर्ए कहा
गया.
भारत पररषद अगधननयम, 1892
• बंगार् का गवनथर िनरर्, भारत का गवनथर िनरर् हो गया. (भारत के
• यद्यवप सरकारी सदस्त्यों के बहुमत को बरक़रार रखा गया र्ेककन
प्रर्म गवनथर िनरर् र्ाडथ ववशर्यम बेंदिक र्े.)
भारतीय ववधान पररषद के गैर सरकारी सदस्त्य, बंगार् चैम्बर ऑफ़
• बंबई एवं मद्रास की सरकारें वैधाननक शजततयों से वंर्चत कर दी गईं.
कॉमसथ द्वारा नाशमत ककये िाने र्गे और प्रांतीय ववधानपररषदों के
• गवनथर-पररषद में कानूनी सदस्त्य के रूप में चौर्े सदस्त्य को िोड़ा
सदस्त्य कुछ ननजश्चत स्त्र्ानीय ननकायों िैसे ववश्वववद्यार्य, जिर्ा
गया.
बोडथ और नगरपाशर्काओं द्वारा नाशमत ककये िाने र्गे. भारत में
• सरकारी सेवाएं भारत के र्ोगों के शर्ए भी खोर् दी गईं.
प्रनतननर्ध्व प्रणार्ी की शुरुआत.
• सभी ननयम गवनथर िनरर् की पररषद द्वारा बनाए िाने र्गे और • पररषद को बिि पर चचाथ की शजतत दी गई और कायथपाशर्का से प्रश्न
अब इन्तहें ननयम या ववननयमन नहीं बजपक अर्धननयम कहा िाने
करने की शजतत दी गई.
र्गा. •
• भारत पररषद अगधननयम, 1909 (मािे-लमन्िो अगधननयम)
1853 का चािथर एति • मार्े राज्य सर्चव र्ा िबकक शमन्तिो भारत का वायसराय र्ा.
• अननजश्चत कार् तक के शर्ए कंपनी को कायथ करने का मौका ददया • केन्तद्रीय ववधान सभा में सदस्त्यों की संख्या 60 तक बढ़ा दी गई.
गया. • ववधान पररषद के शर्ए पहर्ी बार अप्र्यक्ष चुनाव कराए गए.
• पहर्ी बार 12 सदस्त्यों वार्ी ववधान पररषद् बनाकर, पर्
ृ क वैधाननक • मुसर्मानों के शर्ए पर्
ृ क ननवाथचन मंडर् र्ाया गया.
तंर खड़ा ककया गया. • गैर-सरकारी स्त्र्ान चुनाव द्वारा भरे िाने र्गे. वे इस प्रकार
• गवनथर-िनरर् की कायथकारी पररषद के कानूनी सदस्त्य को पण
ू थ ववभाजित र्े :
सदस्त्य बनाया गया.
• प्रांतीय ववधान पररषदों के गैर-सरकारी सदस्त्यों द्वारा
• शसववर् सेवाओं में भती, एक खुर्ी वावषथक प्रनतयोगी परीक्षा से होने 6 प्रान्ततों के भशू म माशर्कों द्वारा
र्गी. (भारतीयों सदहत) 5 प्रान्ततों के मुसर्मानों द्वारा
भारत सरकार अगधननयम, 1858
बारी बारी से यूपी/बंगार् के मुजस्त्र्म भशू म माशर्कों द्वारा और बंबई एवं
• भारत में कंपनी के शासन की समाजप्त और िाउन का शासन प्रारं भ. कर्कत्ता के चैम्बसथ ऑफ कॉमसथ द्वारा.
• द्वव शासन प्रणार्ी की समाजप्त. कोिथ ऑफ़ डायरे तिसथ और बोडथ ऑफ़
मुजस्त्र्म पर्
ृ क ननवाथचन से चुने िाते र्े.
डायरे तिसथ को समाप्त कर ददया गया. • बिि से पूवथ प्रस्त्ताव र्ाए िा सकते र्े और उन्तहें अंनतम प्रारूप में
• भारत के शर्ए राज्य सर्चव (बब्दिश कैबबनेि का एक सदस्त्य) का पद
शाशमर् ककया िा सकता र्ा.
सजृ ित ककया गया. उसकी सहायता के शर्ए 15 सदस्त्यों वार्ी एक
• पूरक प्रश्न पूछे िा सकते र्े.

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• कर्कत्ता
भारत सरकार अगधननयम, 1919
• रािा राम मोहन रॉय
• मोंिे ग्यू(राज्य सर्चव) – चेम्सफोडथ (वायसराय) सुधारों के नाम से • दहन्तदू समाि में सुधार के शर्ए
िाना िाता है .
वहाबी आंदोर्न
• “उत्तरदायी सरकार” के ववचार पर िोर ददया गया. • 1820-1828
• हस्त्तांतरण ननयम : • रूहे र्खंड
• प्रशासन के ववषयों को दो वगों में बांिा गया – “केन्तद्रीय” और “प्रांतीय” • रायबरे र्ी के सैयद अहमद
o अखखर् भारतीय मह्व के ववषयों (िैसे रे र्वे और ववत्त) केन्तद्रीय वगथ • वर्ीउपर्ाह के संदेशों का प्रचार, धमथ में व्यजततगत अंतरा्मा की
में रखे गए, भूशमका पर िोर ददया.
o िबकक प्रान्ततों के प्रशासन से सम्बंर्धत ववषय प्रांतीय वगों में रखे गए. ब्म्ह समाि
• प्रान्ततों में द्वैध शासन की शरु
ु आत की गई. प्रशासन के प्रांतीय ववषयों • रिा राममोहन रॉय, केशव चन्तद्र सेन, दे वेन्तद्रनार् िै गोर
को दो वगों में बांिा गया – ‘आरक्षक्षत’ एवं ‘हस्त्तांतरणीय’ ववषय. • मानव की श्रेटठता पर िोर ददया और सती िैसी सामाजिक कुप्रर्ाओं
• हस्त्तांतरणीय ववषयों पर ववधान पररषद् के प्रनत उत्तरदायी मंबरयों की की आर्ोचना की.
सहायता से गवनथर प्रशासन करता र्ा. गवनथर और उसकी कायथकारी • 1828
पररषद आरक्षक्षत ववषयों (रे र्, डाक, तार, ववत्त, कानन
ू एवं व्यवस्त्र्ा • कर्कत्ता

आदद) पर प्रशासन करती र्ी िो ववधानयका के प्रनत ककसी भी तरह यंि बंिाि (1826-1832)

उत्तरदायी नहीं र्ी. • कर्कत्ता

• र्न्तदन में भारतीय उच्चायत


ु त का एक कायाथर्य खोर्ा गया. • हे नरी ववववयन डेरोजज़यो
• Opposed vices in the society; believed in truth, freedom, &
• पहर्ी बार भारतीय ववधानयका “द्ववसदनीय” हुई.
reason; social reform
• सांप्रदानयक प्रनतननर्ध्व बढाकर शसखों को भी ददया गया. धमथ सभा
• अब ‘भारत के शर्ए राज्य सर्चव’ को बब्दिश रािकोष से वेतन ददया • 1830-कर्कत्ता-राधा कान्तत देव
िाने र्गा. • ब्म्ह समाि आंदोर्न के ववरोध के शर्ए स्त्र्ावपत और
• सती सदहत उदार और रुदढ़वादी सुधारों के खखर्ाफ़
भारत सरकार अगधननयम, 1935:
कूका/नामधारी आंदोिन
• एक संघ बनाने का प्रयास
• 1841-1871
• वैधाननक शजततयों का बर स्त्तरीय ववभािन – िैसे तीन सूर्चयााँ – • उत्तर पजश्चम सीमा प्रान्तत और र्र्ु धयाना
संघीय, प्रांतीय और समवती सूची. • भाई बार्क शसंह और बाबा राम शसंह
• अवशशटि शजततयां गवनथर िनरर् में ननदहत र्ीं • शसख मत की सच्ची भावना का प्रचार और सभी िानतगत भेदभाव का
• केंद्र में द्वैध शासन र्ाया गया ववरोध.
• प्रांतीय स्त्तर पर द्वैध शासन की िगह स्त्वायत्ता ने र्े र्ी. प्रार्थना समाज
• एक संघीय न्तयायार्य की स्त्र्ापना • 1867
• • बंबई
भारत स्त्वतंरता अगधननयम, 1947 • डॉ आ्माराम पांडुरं ग
• इस एति में भारत में प्रशासन के संबंध में कोई प्रावधान नहीं र्ा. • दहन्तदू धाशमथक ववचारों में सुधार और आधनु नक ज्ञान के अनुसार प्रर्ाए
• भारत का ववभािन और दो राज्यों भारत एवं पाककस्त्तान की स्त्र्ापना. भारतीय सुधार संघ
• दोनों राज्यों की संववधान सभा को अपने अनुसार अपना ककसी भी • 1870
प्रकार का संववधान बनाने और उसे अपनाने की असीशमत शजतत दी • कर्कत्ता
गई. • केशब चन्तद्र सेन
• भारतीय राज्यों पर िाउन के शासन को समाप्त कर ददया गया. • बार् वववाह के खखर्ाफ िनमत खड़ा करना और वववाह के ब्म्ह रूप
• भारत के शर्ए राज्य सर्चव के पद को समाप्त कर ददया गया. को क़ानूनी मान्तयता ददर्ाना
• ववद्वानों और समाि सेवा का प्रो्साहन
आधुननक भारत में सामाष्जक सध
ु ार आयथ समाज
आ्मीय सभा • 1875
• 1815-1828 • बंबई

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• स्त्वामी दयानंद सरस्त्वती • गोपार् कृटण गोखर्े
• उत्तर भारत में दहन्तदू धमथ में सुधार • समाि सुधार के कायथ करना और “भारत की सेवा के शर्ए राटट्रीय
गर्योसोकर्कि सोसाइिी शमशनररयों को तैयार करना”
• 1875 पूना सेवा सदन
• न्तयूयॉकथ • 1909
• मैडम एचपी ब्र्ावा्सकी और कनथर् एच.एस. आर्कि • पुणे
• प्राचीन धमों का पुनरुद्धार और सशजततकरण • िी. के. दे वधर और
• दहंद्ु व, दतकन का िरथ्रटु ि और बौद्ध • रमाबाई रानाडे
डेतकन एिुकेशन सोसाइिी • आर्र्थक उ्र्ान के शर्ए संस्त्र्ाओं की स्त्र्ापना और मदहर्ाओं के शर्ए
• 1884 रोिगार
• पणु े भारत स्त्री मंडि
• महादे व गोववन्तद रानाडे. • 1910
• पजश्चमी भारत में शशक्षा और संकृनत के शर्ए योगदान • कर्कत्ता
सेवा सदन • सरर्ाबार्ा दे वी चौधरानी
• 1885 • मदहर्ा शशक्षा के शर्ए कायथ करने वार्ी पहर्ी अखखर् भारतीय संस्त्र्ा
• बंबई इंडडया ववमेंस एसोलसएशन
• बेहरामिी और एम. मार्ाबारी • 1917
• बार् वववाह और िबरन ववधवापन के खखर्ाफ प्रचार और सामाजिक • मद्रास
शोवषत मदहर्ाओं की संभार् • एनी बेसि
ें
रामकृटण लमशन • भारतीय मदहर्ाओं के उ्र्ान के शर्ए कायथ और “उनके शर्ए एक
• 1887, कर्कत्ता स्त्वतंर र्ंबा िीवन सनु नजश्चतत करने के शर्ए”
• स्त्वामी वववेकानंद
मुष्स्त्िम समाज सुधार/संिठन
• सामाजिक कायथ और मानवतवाद को बढ़ावा देना
भारतीय राटरीय सामाष्जक सम्मिेन (भारतीय राटट्रीय कांग्रेस का समाि खद
ु ाई खखदमतगार आंदोर्न
• 1929.
सधु ार प्रकोटठ)
• उत्तर-पजश्चम सीमा प्रान्तत
• 1887
• खान अब्दर्
ु गटफार खां
• बंबई
• एम. िी. रानाडे और रघन • सीमा के र्ोगों का उन्तनयन और उन्तहें स्त्वतंरता के शर्ए तैयार करना.
ु ार् राव
दे वबंद आंदोर्न
• समाि सुधार से िुड़े मद्
ु दों पर ध्यान केजन्तद्रत करना.
(उत्तर प्रदे श के सहारनपरु में जस्त्र्त इस्त्र्ाशमक उपदे शों वार्ा एक
दे व समाज
• 1887 ववद्यार्य)
• र्ाहौर • 1867
• शशव नारायण अजग्नहोरी • दे वबंद
• मोहम्मद. काशसम ननौतवी और राशशद अहमद गगोही
• ब्म्ह समाि के निदीकी ववचार. इन्तहोने अपने अनुयानययों को
नैनतकता और सामाजिक ननयमों का पार्न करने को कहा िैसके क • भारतीय मजु स्त्र्मों की नैनतक और आध्याज्मक जस्त्र्नत में सुधार

द्दहे ि न र्ेना, िुआ नहीं खेर्ना आदद. अर्ीगढ आंदोर्न


• 1875
भारत धमथ महामंडि
• अर्ीगढ
• 1902
• सर सैयद अहमद खां
• वाराणसी
• पंडडत मदन मोहन मार्वीय • भारतीय इस्त्र्ाम को उदार बनाना और धाशमथक पुनव्याथख्या द्वारा

• रुदढ़वादी दहन्तदओ भारतीय मुजस्त्र्मों का आधुननकीकरण, समाि सुधार और आधनु नक


ु ं का संगठन, सनातनधमी के रूप में भी िाने िाते र्े,
शशक्षा
आयथ समाि की शशक्षाओं के ववरोध के शर्ए
अहमददया आंदोर्न
हद सवेन्ट्स ऑर् इंडडयन सोसाइिी
• 1905 • 1889-90
• फरीदकोि
• बंबई

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• शमज़ाथ गुर्ाम अहमद हररजन सेवक संघ
• सम्पूणथ मानवता का वैजश्वक धमथ, इस्त्र्ाशमक कट्िरता का ववरोध और • 1932
भारतीय मुसर्मानों में पजश्चमी उदार शशक्षा का प्रचार • पुणे

वंगचत विों के आंदोिन • महा्मा गााँधी

सत्य शोधक समाज • अस्त्पश्ृ य एवं अन्तय ननम्न िानतयों के खखर्ाफ भेदभाव और छुआछूत
• 1873 हिाने के शर्ए संगठन. अस्त्पश्ृ य र्ोगों को र्चकक्सा, शशक्षा और
• महाराटट्र तकनीकी सुववधाएाँ मुहैया कराना
• ज्योनतबा फुर्े
• छुआछूत, ब्ाम्हणवाद का ववरोध, सामाजिक समानता में ववश्वास और स्त्वतंर सेनानी

शशक्षा द्वारा ननम्न/दशर्त िानतयों का उन्तनयन िोकमान्य नतिक


1856-1920
अरववप्परु म आंदोिन
गणेश चतुर्ी और शशवािी राज्याशभषेक ददवस उ्सवों को प्रारं भ ककया.
• 1888
1916 में होर् रूर् आंदोर्न में भाग शर्या. अंग्रेिों द्वारा “सबसे बड़ा
• अरववप्परु म, केरर्
दे शद्रोही” और “भारतीय असंतोष का िनक” कहा िाता र्ा.
• श्री नारायण गरु

• ननम्न िानतयों के खखर्ाफ सामाजिक अक्षमताओं/भेदभाव का ववरोध,
शेर-ए-पंजाब िािा िाजपत राय
सामाजिक समानता में ववश्वास, ब्ाम्हणवाद पर आिमण और ननम्न
रािद्रोहा्मक आरोपों के सार् मांडर्े िेर् भेिे गए.
िानतयों को शशक्षक्षत करके उनका उन्तनयन.ननम्न िानतयों के र्ोगों के
मंददरों में प्रवेश की मांग श्री अरववन्द घोष
राटट्रीय शशक्षा के ववकास और बन्तदे मातरम के संपादन (बबवपन चन्तद्र पार्
हद डडप्रेस्त्ड तिासेज लमशन
द्वारा शुरू ककया गया) के उनके कायथ ने बंगार् ववभािन आंदोर्न को
• 1906
अ्यर्धक गनत दी. कर्कत्ता के नेशनर् कॉर्ेि में कायथ करने के शर्ए
• बंबई
बड़ौदा की अपनी अच्छी नौकरी छोड़ी.
• वी. आर. शशंदे
• ननम्न वगों के शर्ए शशक्षा सुववधाएाँ उपर्ब्ध कराने के शर्ए प्रार्थना
चापेकरबंधू – दामोदर चापेकर और बार्कृटण चापेकर ने दो अंग्रेि
समाि द्वारा शुरू ककया गया एक स्त्वतंर संगठन
अफसरों रैंड और आदिथ स्त्ि की ह्या कर दी.
बहुजन समाज
• 1910 सावरकर बंधू
• सतारा, महाराटट्र गणेश सावरकर, ववनायक दामोदर सावरकर और नारायण सावरकर. वी.
• मुकुंदराव पादिर्
दी. सावरकर ने र्न्तदन में न्तयू इंडडया एसोशसएशन का गठन ककया.
• उच्च िानत के र्ोगों द्वारा ननम्न िानत के र्ोगों के शोषण का ववरोध. श्यामिी कृटण वमाथ द्वारा स्त्र्ावपत इंडडया हाउस में भाषणों का आयोिन
ब्ाम्हण, िमींदार, व्यापारी और साहूकारों का ववरोध.
करते र्े. औरं गाबाद में िैतसन की ह्या से उनका िोड़ा गया. 1911-24
डडप्रेस्त्ड तिासेज सोसाइिी तक अंडमान में कैद की सिा दी गई. बाद में दो उम्रकैद की सिा और
• 1924
कार्ा पानी.
• बंबई
• डॉ भीमराव अम्बेडकर श्यामजी कृटण वमाथ
• दहन्तदू िानत और अस्त्पश्ृ य के बीच सामाजिक समानता का सन्तदेश इंडडया हाउस ववनायक दामोदर सावरकर, सरदार शसंह रना, मैडम भीकािी
प्रचाररत करना. दशर्त वगों के शर्ए संवैधाननक सुरक्षा की मांग. कामा और मदनर्ार् धींगरा का केंद्र हुआ करता र्ा. मैडम कामा ने िमथनी
आत्म-सम्मान आंदोिन के स्त्िुिग्राद में हुए अंतराथटट्रीय सम्मर्ेन में भारत का प्रनतननर्ध्व ककया
• 1925
र्ा.
• मद्रास (तशमर्नाडु)
• ई. वी. रामास्त्वामी मदन िाि धींिरा
• ब्ाम्हण-ववरोधी और दहन्तदू रुदढ़वाददता सध
ु ार आंदोर्न, बबना पुिारी इन्तहोने भारत राज्य सर्चव कज़थन वायर्ी के सहायक की गोर्ी मारकर
के शादी का समर्थन, मंददरों में िबरन प्रवेश, दहन्तदू सामाजिक ननयमों ह्या कर दी र्ी. गोपार् कृटण गोखर्े ने इसे भारत का नाम ख़राब करने
की पूणत
थ ः अवज्ञा करना वार्ा एक घखृ णत कायथ बताया र्ा.

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चंद्रशेखर आज़ाद अर्धवेशन में अध्यक्ष ननयुतत ककये गए. वे अपने शमर भगत राम के सार्
भगत शसंह, रािगुरु के सार् सांडसथ (जिस र्ाठी चािथ में र्ार्ा र्ािपत काबुर् चर्े गए और कफर वहां से दहिर्र से शमर्ने िमथनी चर्े गए. उन्तहें
राय की म्ृ यु हुई उसकी आज्ञा दे ने वार्ा अफसर) ह्या में शाशमर्. पहर्ी बार िमथनी में नेतािी संबोर्धत ककया गया र्ा.
इन्तहोने उस ट्रे न को उड़ाने की योिना बनाई र्ी जिसमें वायसराय र्ाडथ
उधम लसंह
इरववन यारा कर रहे र्े. इर्ाहबाद के अपफ्रेड पाकथ में एक पशु र्स
1940 में इंग्र्ैंड में रहते हुए, उधम शसंह ने पंिाब के पव
ू थ गवनथर माइकर्
एनकाउं िर में ये शहीद हो गए.
ओ डायर को गोर्ी मार दी.
हरककशन तिवार
पंिाब के गवनथर को गोर्ी मारी र्ेककन बाद में केवर् घायर् होने पर भाग
गए. बाद में इन्तहें फांसी पर चढ़ा ददया गया.

भित लसंह
छाबबर् दास और यशपार् के सार् पंिाब नौिवान भारत सभा की
स्त्र्ापना की.

रानी िाइहदनपयु
इन्तहोने नागा ववद्रोह का नेत्ृ व ककया. यदग
ु ग
ं ा एक अन्तय नेता र्े.

सुभाष चन्द्र बोस


1920 में शसववर् सेवा परीक्षा पास की र्ेककन दे श के कायथ को प्रार्शमकता
दी. 1923 में आप कर्कत्ता के महापौर ननवाथर्चत हुए र्ेककन शीघ्र ही
र्गरफ़्तार कर मांडर्े िेर् भेि ददए गए. 1938 में कांग्रेस के हररपुरा

भूिोि कैप्सूि
• सबसे बडा उपग्रह : गनीमेड
सौर मंडि • सबसे छोिा उपग्रह : डीमॉस
सौर मंडर् में शाशमर् हैं: • नीिा ग्रह : पथ्ृ वी
• सूयथ • ग्रह • मोननिंि/ इवननंि स्त्िार : शुि
• बौने ने ग्रह, क्षुद्रग्रह, उपका, धम
ू केतु और ग्रहों के उपग्रह के अनर्गनत • पथ्ृ वी का जुडवां : शुि
िुकड़े (जिन्तहें सौर मंडर् के र्घु वपंड कहते हैं) • हरा ग्रह : नेप्च्यून
• बडे िाि धब्बे वािा ग्रह : बहृ स्त्पनत
सौर मंडि के कुछ तथ्य
• स्त्विथ का भिवान : बहृ स्त्पनत
• सबसे बडा ग्रह : बहृ स्त्पनत
• अगधकतम दै ननक तापान्तर : बुध
• सबसे छोिा ग्रह : बुध
• सूयथ के सबसे नजदीक का ग्रह : बुध अक्षांश एवं दे शांतर रे खाएं
• सबसे से सवाथगधक दरू ी पर ष्स्त्र्त ग्रह : बरुण
• पथ्ृ वी से ननकितम ग्रह : शुि पथ्ृ वी की अक्षांश रे खाएं
• चमकीिा ग्रह : शुि • भम
ू ध्य रे खा के समांतर खींची गई कापपननक रे खाएं हैं। इन्तहें एक
• सूयथ के बाद सबसे चमकीिा तारा : शसररअस कोण के रूप में मापा िाता है जिसका, शीषथ पथ्ृ वी के केंद्र पर मौिद

• अगधकतम उपग्रहों वािा ग्रह : बहृ स्त्पनत होता है ।
• सबसे शीति ग्रह : नेपच्यून • भम
ू ध्य रे खा 0° अक्षांश को दशाथता है , िबकक उत्तरी ध्रव
ु 90° उत्तरी
• सबसे िमथ ग्रह : शुि अक्षांश और दक्षक्षण ध्रव
ु 90° दक्षक्षणी अक्षांश को दशाथता है।
• सबसे भारी ग्रह : बहृ स्त्पनत • 23½° उत्तर ककथ रे खा को दशाथता है िबकक 23½° द. मकर रे खा को
• िाि ग्रह : मंगर् दशाथता है ।

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• 66½° उ. आकथदिक वत्त
ृ को दशाथता है िबकक 66½° द. अंिाकथदिक क्षेत ्र को अपन य है , जो जीएमटी (ग्रीनववच मीन ट इम) से 5 घांटे
वत्त
ृ को दशाथता है। और 30 ममनट आगे है।
• भूमध्य रे खा सदहत कुर् 181 अक्षांश हैं। प्र्येक अक्षांश रे खा एक
अांतर ाष्ट्रीय ततथि रे ख
वत्त
ृ है , र्ेककन वे समान नहीं हैं।
• यह प ्रश त
ां मह स गर पर मौजूद 180° दे श ांतर रे ख है , यह
• ध्रुव की ओर ये वत्त
ृ छोिे होते िाते हैं। भूमध्य रे खा पथ्ृ वी के सतह
अल्यमू शयन द्वीप समूह, किजी, स मोआ और गगि ्बर्ट आइिैंड्स
पर खींचा िा सकने वार्ा 'सबसे बड़ा वत्त
ृ ’ है , जिसे पथ्ृ वी की सतह
पर खींचा िा सकता है। में अपने सीधे म र्ग से ववचमित हो ज त है। यह एक स़्िग-़िैग
रे ख है ।
• ककसी भी दो अक्षांश रे खा के बीच की दरू ी हमेशा समान होती है ।
• पस्चचम से पूरव
् की ओर ततगि रे ख को प र करने व िे य त्री
• 1 डडग्री अक्षांश = 111 ककमी.
(अि ात; ज प न से यए
ू सए) एक ददन दोहर ते हैं और इसे परू व
् से
पथ्ृ वी की दे शांतर रे खाएं पस्चचम की ओर (अि त
ा सांयक
ु ् त र ज ्य अमेररक से ज प न तक)
• यह पथ्ृ वी के बबर्कुर् केंद्र से कोणीय दरू ी है । ग्र्ोब पर, दे शांतर प र करने व िे व िे य त्री एक ददन खो दे त है।
रे खाओं को अधथवत्त
ृ ों की श्रंख
ृ र्ा के रूप में खींचा िाता है , िो उत्तरी
महत ्वपूरण
् अक् ांश रे ख एां
ध्रव
ु से भम
ू ध्य रे खा के माध्यम से दक्षक्षण ध्रव
ु तक ववस्त्तत
ृ होते हैं।
उन्तहें मध्याह्सन रे खाएं भी कहा िाता है।
1. कर्क रे ख : यह उत ्तरी गोि र्ध में भूमध ्य रे ख से 23
1
° (23 ° 30'
ककसी भी दो दे शांतर रे खा के बीच की दरू ी बराबर नहीं होती है ।
2

N) की कोणीय दरू ी पर स्थित है ।
• भम
ू ध्य रे खा पर, 1 डडग्री = 111 ककमी। 30 डडग्री N या S में, यह
2. मकर रे ख : यह दक्षक्षणी गोि र्ध में भूमध ्य रे ख से 23
1
°
96.5 ककमी है । यह इस प्रकार यह कम होता िाता है , िब तक कक 2
(23°30’S) की कोणीय दरू ी पर स्थित है ।
यह पोर् पर शन्त
ू य हो िाता है।
3. आर्कटिक वत
ृ ्त: यह भूमध ्य रे ख से उत ्तर में 66
1
° (66°30’N)
• कुर् 360 दे शांतर रे खाएं हैं। प्रधान मध्याह्सन 0° दे शांतर रे खा है , िो 2
की कोणीय दरू ी पर स्थित है ।
र्ंदन के पास ग्रीनववच के पर रॉयर् वेधशार्ा (Royal
4. अांि र्कटिक वत
ृ ्त: यह भूमध ्य रे ख से दक्षक्षण में 66
1
° (66°30’S)
Observatory) से होकर गि
ु रती है । 2
की दरू ी पर स्थित है ।
• भग
ू ोर्ववदों द्वारा पथ्ृ वी को पव
ू ी और पजश्चमी गोर्ाधों में
हर वर्ष दो अयन ांत होते हैं, स्जन्हें ग्रीष ्मक िीन अयन ांत और
ववभाजित करने के शर्ए इसे माना गया है।
शीतक िीन अयन ांत कह ज त है ।
• प्र्येक दे शांतर रे खा एक अद्थधवत्त
ृ है । 180 डडग्री देशांतर रे खा
ग्रीष ्मक लीन अयन ांत: 21 जन
ू के ददन जब सरू य
् कर्क रे ख पर (23 °
(अंतराथटट्रीय ददनांक रे खा) 0 डडग्री दे शांतर रे खा के ठीक ववपरीत
30' N) ऊर्धव ाधर होत है।
जस्त्र्त है। ऐसे बबंदओ
ु ं को प्रनतमुखी बबंदु (एंदिपोडर् पॉइंि) कहा
शीतक लीन अयन ांत: 22 ददसांबर के ददन जब सरू य
् मकर रे ख पर
िाता है ।
(23°30’S) पर ऊर्धव ाधर होत है ।
• पथ्ृ वी को 24 दे शत
ं ारीय क्षेरों में ववभाजित ककया गया है , प्र्येक एक
दस
ू रे से 15° की दरू ी पर है । प्र्येक 15° स्त्र्ानीय समय में एक घंिे दे श त
ां र रे ख एां
का अंतर हो िाता है । (4 शमनि / डडग्री)। उत ्तरी ध्रव
ु से दक्षक्णी ध्रव
ु की ओर य उत ्तर से दक्षक्ण की ओर चलने
व ले अर्ध-वत्त
ृ ों को मध्य ह्न रे ख य दे श त
ां र कह ज त है एवां इनके
दे श ांतर रे ख एां और समय
बीच की दरू ी को डिग्री में म प ज त है । 0° दे श ांतर म न के स ि
• एक ही दे श ांतर रे ख में स्थित थि नों क थि नीय समय (सूरय
् )
ग्रीनववच मध्य ह्न रे ख य प ्रध न मध्य ह्न रे ख अपने दोनों ओर परू व

सम न होत है। चकांू क पथ्ृ वी 24 घांटे में 360 डिग्री क एक चक् कर
और पश्चचम में सम न सांख्य में दे श त
ां र रे ख एां खीचने के ललए आध र
पूर करती है , यह एक घांटे में 15 डिग्री य 4 ममनट में 1 डिग्री घम
ू ती
प ्रद न करत है । प ्रध न दे श ांतर रे ख सटहत सटहत कुल 360 देश ांतर
है ।
रे ख एां हैं। प ्रत्येक डिग्री को स ठ बर बर भ गों में ववभ श्जत ककय ज त
• पथ्ृ वी पस्चचम से पूरव
् की ओर घूमती है , इसमिए ग्रीनववच के पूरव

है , श्जसे लमनि कह ज त है । प ्रत्येक लमनि को किर से बर बर भ गों में
में स्थित थि नों पर सूरय
् पहिे ददखत है और समय आगे होत है ,
ववभ श्जत ककय ज त है , सेकेण ्ि कह ज त है।
जबकक ग्रीनववच के पस्चचम में स्थित थि नों पर सूरय
् ब द में
स्ि नीय समय: ककसी भी थि न क थि नीय समय दोपहर 12 बजे क
ददखत है और समय पीछे होत है।
होत है जब सूरय
् ठीक उर्धव ाधर होत है । यह ग्रीनववच समय से देश ांतर
• भ रत, स्जसक दे श न्त रीय ववथत र िगभग 30 डिग्री है , ने म नक
की प ्रत्येक डिग्री पर च र ममनट की दर से मभन ्न होत है।
समय के मिए 82 ° पूरव
् देश ांतर को चुनकर केवि एक समय
1
2

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ग्रीनववच मीन ि इम: 0° दे श ांतर पर के समय को ग्रीनववच मीन ट इम पथ्ृ वी की पररभ ्रमण गतत
कह ज त है। यह इांग्िैंण ्ि के तनकट शन
ू ्य दे श न ्तर पर स्थित • यह सरू य
् के च रों ओर दीर्घवत्त
ृ क र कक्ष में पथ्ृ वी की गतत है। पथ्ृ वी
'ग्रीनववच' न मक थि न पर थि नीय समय पर आध ररत है । क औसत कक्षीय वेग 29.79 ककमी/से. है।
भ रतीय म नक समय: यह 82 ° परू व
् दे श त
ां र पर इि ह ब द के तनकट • पथ्
ृ वी को सूरय
् की एक पररक् रम पूरी करने में 365 ददन 5 घांटे 48
1
2
एक पर के थि नीय समय के आध र पर तय ककय गय है । यह ग्रीनववच ममनट 45.51 सेकेण ्ि (िगभग 365 ददन व 6 घांटे) क समय िगत है ।
मीन ट इम से 5 घांटे आगे है । इसी को भ रतीय म नक समय (IST-
1
पथ्ृ वी को सूरय
् की एक पररक् रम पूरी करने में िगे समय को सौर वर्ष
2
India Standard Time) कह ज त है । कह ज त है , स्जससे सौर वर्ष, कैिांिर वर्ष से िगभग 6 घांट बढ़ ज त
है । पररण मस ्वरूप, हर चौिे वर्ष में एक ददन बढ़ ज त है ।
पथ्ृ वी के ब रे में ति ्य
पथ्ृ वी की पररभ ्रमण गतत के पररण म
• पथ्ृ वी को नीि ग ्रह भी कह ज त है। यह सभी ग ्रहों में सघनतम है ।
• पथ्ृ वी पररथध: 40,232 ककिोमीटर i. ऋतु पररवर्तन
• पथ्ृ वी क क्ेत ्रिल: 510 मममियन वर्ग ककिोमीटर ii. वर्ष के अिग-अिग समय पर ददन व र तों की िम्ब ई में ववववधत
• सूरय
् से औसत दरू ी: 149 मममियन ककिोमीटर iii. पवन पेटीयों के थि न ांतरण
• उपसौर: सरू य
् से पथ्ृ वी की तनकटतम स्थितत है । पथ्ृ वी हर वर्ष 3 iv. अक्ष ांशों के तनध ारण
जनवरी को 147 मममियन-ककिोमीटर की दरू ी पर अपनी उपसौर की पथ्ृ वी के ग ्रहण
स्थितत पर पहुांचती है । चन्द्र ग ्रहण
• अपसौर: सूरय
् से पथ्ृ वी की अगधकतम दरू ी है। पथ्ृ वी अपने अपसौर की • जब पथ्ृ वी सूरय
् और चांद्रम के बीच आ ज ती है।
स्थितत पर 4 जुि ई को पहुुँचती है , जब पथ्ृ वी 152 मममियन ककिोमीटर • यह केवि पूर्णाम के ददन घदटत होत है । ह ि कां क, यह प ्रत्येक पूर्णाम
की दरू ी पर होती है। के ददन नहीां होत क्योंकक चांद्रम बहुत छोट है ति इसकी कक्ष क
• पथ्ृ वी क आक र चपट गोि क र य चपट दीर्घवत्त
ृ भ है (य नी ति, पथ्ृ वी की कक्ष के ति के सन ्दर्भ में िगभग 5° झुक हुआ है। इसी
िगभग गोि क र, केंद्र में म मूिी उभ र के स ि ध्रव
ु ों पर िोडी चपटी)। क रण से ग ्रहण प ्रत्येक महीने में नहीां घदटत होत है ।

पथ्ृ वी की गततयों के प ्रक र पथ्ृ वी सूरय


् ग ्रहण
1. घूरण
् न य दै तनक गतत सूरय
् ग ्रहण एक प ्रक र क ग ्रहण है , जब चन्द्रम , पथ्ृ वी और सरू य
् के
2. पररभ ्रमण य व वषाक गतत बीच आ ज त है ति पथ्ृ वी से दे खने पर सरू य
् पूरण
् अिव आांमशक रूप
से चन्द्रम द्व र आच्छ ददत हो ज त है ।
पथ्ृ वी की घरू ण
् न गतत
• अपने क ि ्पतनक अक् ष पर पस्चचम से परू व
् 23 घांटे, 56 ममनट और पथ्ृ वी की आांतररक सांरचन
40.91 सेकांि में एक चक् कर िग ती है । पथ्ृ वी के िेयररांग को स ्ििमांिि, दरु ब
् िमांिि, उपरी मेन ्टि, तनम ्न
• भूमध ्य रे ख पर घरू ण
् न वेग 1667 ककिोमीटर/घांट है और यह ध्रव
ु की मेटि, ब ह्य क्रोड आतांररक क्रोड में ववभ स्जत ककय गय है ।
ओर घटत ज त है , जह ां यह शून ्य है । पथ्ृ वी के आतांररक भ ग में तीन अिग-अिग परतें हैं; वो हैं
(I) भ-ू पर्पटी (II) मेन ्टि और (III) क्रोड

भू-पपथिी (क्रस्त्ि)
पथ्ृ वी के घरू ण
् न के पररण म -
पथ्ृ वी के ऊपरी भाग को भू-पपथिी कहते हैं। यह अन्तदर की तरफ़ 34
i. ददन व र त क होन
ककमी. तक का क्षेर है । यह मुख्यतः बेसापि चट्िानों से बना है । इसके दो
ii. दो दे श न ्तरों के मध ्य 1 घांटे क अांतर होत है , जो 15° दरू होते हैं;
भाग हैं-शसयार् और सीमा। शसयार् क्षेर में शसशर्कन एवं एर्ुशमना एवं
iii. पवन एवां मह स गरीय ध र ओां की ददश में पररवर्तन; ति
सीमा क्षेर में शसशर्कन एवं मैग्नीशशयम की बहुर्ता होती है । कस्त्िथ भाग
प ्रततददन ज्व र-भ ट क उठन व गगरन ।
का औसत घन्व 2.7ग्राम/सेमी.3 है। यह पथ्ृ वी के कुर् आयतन का
iv. उत ्तरी गोि द्ाध में सबसे िम्ब ददन 21 जन
ू है , जबकक सबसे छोट
0.5% भाग घेरे हुए है । पथ्ृ वी की सभी भू-आकृनतयााँ इस पर जस्त्र्त है
ददन 22 ददसम ्बर को होत है (इसी प ्रक र द क्षक्षणी गोि द्ाध में भी होत
िैसे; पवथत, पठार और मैदान। भू-पपथिी (िस्त्ि) और मेंिर् के बीच की
है ।)
सीमा रे खा को मोहो असम्बद्धता कहा िाता है।
• भम
ू ध ्य रे ख पर ददन व र त िगभग सम न हैं।
मेंिर्

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2900 ककमी. मोिा यह क्षेर मुख्यतः बैसापि चट्िानों के समूह से बना c) मध्य अिर्ांदिक किक िहााँ ववश्व के 11 प्रनतशत भूकंप आते हैं।
है । मेंिर् के इस दहस्त्से में मैग्मा चैम्बर पाया िाता है । इसका औसत
घन्व 3.5 ग्राम/सेमी.3 से 5.5 ग्राम/सेमी.3 है । यह पथ्ृ वी के कुर् भूकम्पीय तरां गों के प ्रक र
भक
ू म्पीय तरां गें (seismic waves) दो प ्रक र की होती हैं- क य तरां गें व
आयतन का 83% भाग घेरे हुए है । मैंिर् की मोिाई र्गभग 2895
सतही तरां गें:
ककमी. है। यह अद्थध-ठोस अवस्त्र्ा में है । पथ्ृ वी का यह परत गुिेनवगथ-
• क य तरां गें - क य तरां गें पथ्ृ वी के आांतररक भ ग से होकर गुजरती हैं। वे
ववचािथ असंबद्धता द्वारा िोड़ से अर्ग होता है ।
िोड़ ववमभन ्न घनत ्व और पथ्ृ वी के आांतररक भ ग की कठोरत के क रण रे
प ि क अनस
ु रण करती हैं, जो अपवततात त पम न, सांरचन और चरण
पथ्ृ वी के केन्तद्र को र्ोहा और ननकेर् से ननशमथत माना िाता है । यह पथ्ृ वी
के अनस
ु र मभन ्न होती हैं।
का 'केन्तद्रीय भाग' हैं। यह सबसे बड़ा क्षेर है। इसका औसत घन्व 13
क य तरां गों को इस प ्रक र ववभ श्जत ककय ज त है:
ग्राम/सेमी3 है। पथ्ृ वी का केन्तद्रीय भाग सम्भवतः द्रव अर्वा प्र्ाजस्त्िक
प्र िलमक तरां गें (P-तरां गे):
अवस्त्र्ा में है। यह पथ्ृ वी का कुर् आयतन का 16% भाग घेरे हुए है ।
पथ्ृ वी का औसत घन्व 5.5 ग्राम/सेमी.3 एवं औसत बरज्या र्गभग ये सबसे तीव ्र गतत व िी तांरगें है ति इनक औसत वेग 8
ककमी/सेकण ्ि होत है इनमे अणओ
ु क कम ्पन तरां गो की ददश में आगे
6370 ककमी0 है। पथ्ृ वी के नीचे िाने पर प्रनत 32 मीिर की गहराई पर
तापमान 1ºC बढ़ता िाता है । पीछे होत है , ये अनद
ु ै धय ्ा तरां गें भी कहि ती है , ये ठोस,द्रब एांव गैस
तीनो प ्रक र म ध ्यम से होकर गुजर सकती है ककन्तु इनक वेग ठोस में
भक
ू म्प अगधकतम व गैस में न्यन
ु त ्म होत है
a) भक
ू म्प पथ्ृ वी के स्त्र्र्मण्डर् (शर्र्ोस्त्फ़ीयर) में संपीडडत ऊिाथ के
अचानक मत
ु त हो िाने के कारण उ्पन्तन होने वार्ी भक
ू म्पीय तरं गों के टदतीयक तरां गें (S-तरां गे):

कारण आता है , िो भक
ू ं प के केंद्र से चारों ददशाओं में ववककररत होती है। ये केवि ठोस म ध ्यम से ही गज
ु र सकती है अतः ये ब ह्य कोर से आगे
b) भक
ू ं प के उ्पन्तन होने का प्रारं शभक बबन्तदु केन्तद्र या हाईपो सेंिर नहीां बढ़ प ती है इनक औसत वेग 4 ककमी/सेकण ्ि होत है ये

कहर्ाता है। शब्द उपररकेंद्र का अर्थ है , पथ्ृ वी के सतह पर ठीक इसके अनुप ्रस ्ि तांरगें भी कहि ती है ये प्र िममक तरां गो की तुिन में अगधक

ऊपर का बबन्तदु िहााँ पर सबसे पहर्े भक


ू ं पीय तरं गो का अनभ
ु व ककया क् षततक रक होती है

िाता है ।
सतही तरां गे (L-तरां गें):
c) िब भूकंप का मूर् समुद्र का सतह होता है तो इस कम्पन से समुद्र की
सतही तरां गों क वेग सबसे कम (1.5 से 3 ककमी/सेकण ्ि) होत है ये
िर्स्त्तर में ऊाँची ऊाँची तरं गे उठने र्गती है जिसे सन
ु ामी कहा िाता है।
धर ति पर सबसे अन ्त में पहुुँचती है स्जसक भ ्रमण पि उत ्ति होत
d) भूकंप का मापन भूकम्पमापी यंर (सीस्त्मोमीिर) से ककया िाता है ,
है यह सव गा धक ववन शक री तरां ग होती है ।
जिसे सीस्त्मोग्राफ भी कहा िाता है ।
• सतही तरां गें जि तरां गों के समरूप होती हैं और पथ्
ृ वी की सतह पर
e) भूकंप का पररमाण, और कम्पन की तीव्रता एक संख्या्मक मापक
चिती हैं। वे क य तरां गों की तुिन में धीमी गतत व िी होती हैं।
द्वारा मापा िाता है । मापक पर, 3 या उससे कम की तीव्रता को शायद
ही ध्यान अनुभव ककया िाता है , र्ेककन 7 या उससे अर्धक के पररमाण सतही तरां गें दो प ्रक र की होती हैं:
के भूकंप एक ववस्त्तत
ृ क्षेर पर तबाही र्ाता है । भूकंप के उ्पनत केंद्र को रे िी तरां गें (Rayleigh waves), स्जन्हें ग्र उां ि -रोि भी कह ज त है वे
भूकंप का मूर् कहा िाता है और पथ्ृ वी के सतह पर ठीक इसके ऊपर सतह तरां गें हैं जो प नी की सतह पर तरां गों के सम न िहरों के स ि गतत
जस्त्र्त बबंदु को एपीसेंिर कहा िाता है। करती हैं।
f) भूकंपीय तरं गो के गुिरने को शसस्त्मोग्राफ द्वारा अंककत ककया िाता िव तरां गें – िव तरां गें चट्ट नों के कणों को अपने िैि व की ददश से
है । तरं गो के पररमाण को ररतिर स्त्केर् द्वारा मापा िाता है । भूकंप की िम ्बवत ववथि वपत करती हैं और इन तरां गों में कोई िम ्बवत और
तीव्रता की माप के शर्ए ववकशसत मरकैर्ी स्त्केर् का उपयोग ककया िाता अनुप ्रस ्ि घटक नहीां होत है।
है । एस्िेनोस्िीयर पथ्ृ वी के अांतरतम में स ्ििमण ्िि के नीचे स्थित एक
भूकम्प का ववतरण- परत है , भप
ू र्पटी क ऊपरी दहथस मििोथिीयर कहि त है और इसके
a) प्रशांत महासागर के आसपास ज्वार्ामुखी की पट्िी जिसे ररंग ऑफ नीचे क ठोस भ ग एथिेनोथिीयर कह ज त है । मििोथिीयर धरती की
फायर कहा िाता है इस क्षेर में ववश्व का 68 प्रनतशत भूकंप आते हैं। ब हरी परत बन त है जो िोडी भांगरु है । स त मह द्वीप ववमभन ्न
b) मध्य एशशया से (दहमार्य, कैजस्त्पयन सागर) होते हुए भूमध्य सागर टे क्टोतनक प्िेटों य नी वववर्ततनक पट्दटयों में बांटे हैं। धर ति क 94
से होकर वेस्त्ि इंडीि तक के क्षेर में संसार के 21 प्रनतशत भूकंप दे खे प ्रततशत इन्हीां प्िेटों से बन है । भप
ू र्पटी ववमभन ्न ववश ि चट्ट नों से
िाते हैं। ममिकर बनी है। धरती की इन ववश ि चट्ट नों को प्िेटें कहते हैं।

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वह ज्व ि मुखी, जो िांबे समय से श ांत है , िेककन स्जसमें ववथिोट की
ज्व ि मख
ु ी सांभ वन है । जैसे ज प न में फ़ुस्जय म , इांिोनेमशय में क्र क टोआ,
ज्व ि मुखी आम तौर पर एक शांक्व क र आक र क पह डी य पर्वत अांिम न में बेरेंन द्वीप ज्व ि मुखी, आदद।
होत है , जो ि व प ्रव ह, और ज्व ि मख
ु ी र ख के सांचय द्व र तनममात ववश ्व में ज्व ल मुखी क ववतरण
होत है । िगभग 95% सकक्रय ज्व ि मुखी प्िेट सब ्िक् शन क्षेत ्र और
दतु नय के सकक्रय ज्व ि मुखी के िगभग 15% 'रचन त ्मक य अपस री'
मध ्य मह स गरीय कटक के नजदीक प ए ज ते हैं। सब ्िक् शन वह
प्िेट सीम ओां के स ि प ए ज ते हैं, जबकक 80% ज्व ि मख
ु ी
प ्रकक्रय है , जो अमभस री सीम ओां पर घदटत होती है , स्जसके द्व र एक 'ववन शक री य अमभस री' प्िेट सीम ओां से जुडे होते हैं।
टे क्टोतनक प्िेट एक अन ्य टे क्टोतनक प्िेट के नीचे गतत करती है और
जैसे-जैसे प्िेटे अमभसरण करती हैं, मेटि में िूबती ज ती हैं। स्जन क्षेत्रों पथ्ृ वी पर पर्वत
में यह प ्रकक्रय होती है उन्हें सब ्िक् शन क्षेत ्र के रूप में ज न ज त है । पर्वतों के प ्रक र- ववश ्व के वमित पर्वत: वमित पर्वतों क तनम ाण,
अन ्य 5% मििोस्थियररक हॉट थपॉट के स ि जुडे क्षेत्रों में होते हैं। ऐस विन न मक भग ू मभाक प ्रकक्रय के तहत हुआ है । प्िेट वववर्ततनकी के
म न ज त है कक हॉट थपॉट बढ़ते हुए मेग्म के उठने से हुए प ्िम के मसद्ध त
ां के ब द इनके तनम ाण के ब रे में यह म न ज त है कक
क रण होत है , स्जनक उद्गम एथिेनोथिीयर में स्थित होत है । भस
ू न ्नततयों में जम अवस दों के दो प्िेटों के आपस में टकर ने के
क रण दब कर मसकुडने और मसिवटों के रूप में उठने से हुआ है; जैसे,
ज्व ि मुखी के प ्रक र
सभी वहृ द् पर्वतम ि एां: आल्प ्स, दहम िय, एांिीज, रॉकी, एटिस
भग
ू र्भश स्थत्रयों ने जव ि मुखी को प ांच प ्रक र में ववभ स्जत ककय है । इत्य दद।
यह वगीकरण भआ
ु कृततक रूप, मैग्म की सांरचन और प ्रथिूटन की प्र चीन पर्वत: ये ववथि पन मसद्ध ांत के परू व
् से सांबगां धत हैं, इसके
ववथिोटकत पर आध ररत है। ज्व ि मख
ु ी के सबसे कम ववथिोटक रूप उपर ांत अन च्छ दन और उत्ि न के अधीन; अनेक टूट-िूट हुईं; जो आज
को बेस ि ्ट पठ र कह ज त है। ये ज्व ि मख
ु ी अत ्यगधक तरि अवमशष ्ट पर्वतों के रूप में हैं; जैसे, पेन इन (यरू ोप), अप ्पिेमशयन
बेसस्ल्टक मैग्म क क्षैततज िैि व उत ्पन ्न करत है । इस प ्रक र के (यूएस), अर विी (भ रत) ।
ज्व ि मुखी क जम व 1800 मीटर तक हो सकत है। कोिस्म्बय क
अवलशष ्ि पर्वत: अवमशष ्ट पर्वतों क तनम ण
ा पठ रों और उच ्च मैद नों
पठ र, दक् कन क पठ र बडे बेस ि ्ट पठ र के उद हरण हैं। के क् षरण के पररण मस ्वरूप होत है। उद हरण के मिए, थकॉटिैंि के
लसांिर शांकु एक छोि ज्व ल मख
ु ी है , जो 100 से 400 मीटर तक ऊुँचे होते ह इिैंड्स, थपेन के मसएर , न्यय
ू ॉर्क के कैट्सककि पर्वत और नीिगगरर,
हैं, जो ववथिोट के ब द ववदर से तनकिे चट्ट नी स मग्री से तनममात होते
प रसन ि, गगरन र, भ रत क र जमहि आदद।
हैं। कैमिफ़ोतनाय क मिदटि िेक ज्व ि मख
ु ी और मेस्क्सको क
परकट्टी ज्व ि मुखी मसांिर शांकु के उद हरण हैं। चट्ट नें व खतनज
लमथित ज्व ल मुखी क तनम ाण क् रलमक रूप से ल व के प ्रव ह एवां पथ्ृ वी के भूपटि क 98 प ्रततशत ऑक्सीजन, मसमिकॉन, एल्यूमीतनयम,
ज्व ल मुखी र ख एवां धुल के जम होने से होत है इनकी ऊँच ई 100 से िोह , कैस्ल्शयम, सोडियम, पोटे मशयम और मैग्नीमशयम, जैसे आठ तत्वों
3500 मीटर अक होती है । इनसे तनथसत
ृ मैग्म की सांरचन में पय ाप ्त से ममिकर बन है और शेष ट इटे तनयम, ह इड्रोजन, ि थिोरस, मैंगनीज,
मभन ्नत होती है जो बेस ि ्ट से िेकर ग्रेन इट तक होते है। सि ्िर, क र्बन, तनकि और अन ्य खतनजों द्व र गदठत है ।
अगधक ग्रेन इट युक्त मैग्म स पेक्षक्षक रूप से अगधक जिव ष ्प यक
ु ्त 1) तीन प ्रक र की चट्ट नें हैं
होने के क रण अगधक ववथिोटक होत है । उच ्च त प पर जि और दब व a) आग्नेय चट्ट न (प ्रत ्यक् ष रूप से तरि चट्ट नों से तनममात),
अत ्यगधक ववथिोटक हो ज त है। इटिी क ववसूववयस, ज प न क b) रूप त
ां ररत चट्ट न (मौजूद चट्ट नों के प ्रत ्यक् ष पररवर्तन से
िुस्जय म , व मशांगटन र ज ्य क म उां ट रे तनयर और सेंट हेिन
े ममगित तनममात), और
ज्व ि मुखी के उद हरण हैं। c) अवस दी चट्ट (अन ्य चट्ट नों के अपक् षरण से तनममात मिवे से
तनममात होत )
सव गा धक ववथिोटक प ्रक र क ज्व ि मुखी क ल्िेर है
a) आग्नेय चट्ि नें
1) आग्नेय चट्ट नों क तनम ण
ा ज्व ि मुखी से तनकिे मैग्म य ि व के
ववस्िोि की आवथधकत के आध र पर वगीकरण:
ठां िे होकर जमने से होत है , जब वह ठोस अवथि को प्र प ्त कर िेत है ,
सकिय ज्व ल मुखी:
तो इस प ्रक र की चट्ट नों क तनम ाण होत है । म न ज त है कक पथ्ृ वी
ज्व ि मुखी, जो समय-समय पर िूट पडते हैं, जैसे हव ई में मोन िोआ,
की उत ्पवत्त के पचच त ् सर्वप ्रिम इन चट्ट नों क ही तनम ाण हुआ ि ।
मसमसिी में एटन , इटिी में ववसवु वयस, भूमध ्य स गर में थरोंबोिी
ग्रेन इट व बेस ि ्ट आग्नेय चट्ट नों के उद हरण हैं। आग्नेय चट्ट नें को
आदद।
इस प ्रक र वगीकृत ककय ज त है -
तनश्ष्ट्िय ज्व ल मुखी:
a) बटहभेदी आग्नेय चट्ि नें -
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बदहभेदी आग्नेय चट्ट नें, वे चट्ट नें हैं जो मैग्म के पथ्ृ वी कक सतह के व युमांिि में त पम न एवां घनत ्व में मभन ्नत के स ि िगभग सांकेन्रीय
ऊपर तनकि कर ि व के रूप में आकर ठां ढे होकर जमने से बनती हैं। परते प ई ज ती है । व युमण ्िि क घनत ्व ऊांच ई के स ि-स ि घटत
स म न ्य बदहभेदी आग्नेय चट्ट नें हैं- ज त है । व यम
ु ण ्िि को 5 ववमभन ्न परतों में ववभ स्जत ककय गय है।
i) बेस ि ्ट,
क्ोभमण ्िल
ii) एांिेस ईट, व
• व यम
ु ांिि की सबसे तनचिी परत है
iii) ररयोि ईट
b) अभय त
ां ररक आग्नेय चट्ि ने: • क्षोभमण ्िि की ऊांच ई भम
ू ध ्य रे ख पर 16 ककमी और ध्रव
ु ों पर 10
ककमी होती है।
अभय त
ां ररक चट्ट न तरि मैग्म के भप
ू र्पटी के भीतर जमकर ठोस होने
• सभी मौसमी घटन एां (जैसे कोहरे , ब दि, ठां ढ, वष ा, तूि न आदद)
से होत है । अभय त
ां ररक िेणी के अांतर्गत ग्रेन इट एवां ि योर इट मख
ु ्य
क्षोभमण ्िि तक ही सीममत होत है ।
रूप से आते हैं।
• इस परत में ऊांच ई के स ि त पम न घटत है , त पम न में गगर वट
ii. अवस दी चट्ि नें
प ्रकृतत के क रकों द्व र तनममात छोटी-छोटी चट्ट नें ककसी थि न पर की दर प ्रतत 1000 मीटर की उां च ई पर िगभग 6.5 डिग्री सेंटीग्रेट
है , स्जसे स म न ्य त प पतन दर कह ज त है।
जम हो ज ती हैं, और ब द के क ि में दब व य र स यतनक प ्रततकक्रय
य अन ्य क रकों के द्व र परत जैसी ठोस रूप में तनममात हो ज ती हैं। • क्षोभमण ्िि की ऊपरी सीम को रॉपोपॉ़ि कह ज त है जो कक

इन्हें ही 'अवस दी चट्ट न' कहते हैं। अवस दी शैिों क तनम ाण जि, व यु िगभग 1.5 ककमी मोटी है ।

य दहम नी, ककसी भी क रक द्व र हो सकत है। समत पमण ्िल


• इसकी मोट ई 50 ककमी से 55 ककमी तक है । इस मण ्िि में
उद हरण - प ्रमुख अवस दी शैिें हैं- ब िुक पत ्िर, चीक शेि, चून
त पम न स्थिर रहत है ति इसके ब द ऊांच ई के स ि बढ़त ज त
पत ्िर, खडडय , नमक आदद।
iii. रूप त
ां ररत चट्ि नें है । समत प मण ्िि ब दि ति मौसम सांबांधी घटन ओां से मक
ु ्त
रहत है ।
रूप ांतररत चट्ट नें एक प ्रक र की चट्ट न होती हैं, जो ऊष्म , दब व, और
• ओजोन परत पथ्ृ वी की सतह से 15 से 35 ककमी की ऊांच ई पर
/ य तरि पद र्ि और गैसों के र स यतनक कक्रय से रूप ांतररत हो ज ती
समत प मांिि में ही स्थित है।
हैं। अवस दी एवां आग्नेय चट्ट न में त प एवां दब व के क रण पररवर्तन
• ओजोन परत एक सरु क्ष त ्मक कवर के रूप में क र्य करत है ,
य 'रूप ांतरण' हो ज ने से रूप त
ां ररत चट्ट न क तनम ाण ह त है। इस
क्योंकक यह सौर ववककरण के अल्र -वॉयिेट ककरणों को अवशोवषत
प ्रकक्रय में ि खों वर्ष िगते हैं, जो पथ्ृ वी के अांदर भ री दब व और गमी
कर िेत है ।
से पररवर्तन होत है।
• ओजोन के क् षय से पथ्ृ वी के सतह और तनम ्न व त वरण क
रूप ांतररत चट्ट नों के कुछ उद हरण इस प ्रक र हैं:
त पम न बढ़ सकत है।
• चूने पत ्िर क सांगमरमर में पररवर्तन
• शेि क थिेट में पररवर्तन • त पम न -60 डिग्री सेस्ल्सयस से ऊपरी सीम तक थरै टोस्थियर के
आध र पर उगत है क्योंकक यह अल्र -वॉयिेट ककरणों को
• ग्रेन इट क नीस में पररवर्तन
• बिआ अवशोवषत करत है।
ु पत ्िर क क्व र्टज इट में पररवर्तन।
• इस मण ्िि के तनचिे भ ग में जेट व युय न के उड न भरने के मिए
व युमांिि आदर्श दश एां हैं। इसकी ऊपरी सीम को 'थरै टोप ज' कहते हैं।
व युमण ्िि पथ्ृ वी के च रों ओर सैकडो ककमी मोटी गैसीय आवरण को • इस मण ्िि के तनचिे भ ग में ओ़िोन गैस बहुत य त में प यी ज ती
कहते हैं एवां इसक ववथत र पथ्ृ वी के सतह से हज रों ककमी की ऊांच ई है । इस ओ़िोन बहुि मण ्िि को ओ़िोन मण ्िि कहते हैं। ओ़िोन
तक होती है । पथ्ृ वी पर अगधक ांश जीवन क अस्थतत ्व व युमण ्िि के गैस सौतयाक ववककरण की ह तनक रक पर बैंगनी ककरणों को सोख
क रण ही है अन ्यि , पथ्ृ वी वीर न ही होती। व युमांिि ववमभन ्न गैसों िेती है और उन्हें भत
ू ि तक नहीां पहुांचने दे ती है ति पथ्ृ वी को
क ममश ्रण है जो पथ्ृ वी को च रो ओर से घेरे हुए है। तनचिे स ्तरों में अगधक गर्म होने से बच ती हैं।
व युमण ्िि क सांघटन अपेक्ष कृत एक सम न रहत है । व युमण ्िि की मध ्यमण ्िल
कुि म त्र के 99% भ ग में न इरोजन और ऑक्सीजन होती है । इसक ववथत र 50-55 ककमी से 80 ककमी तक है । इस मण ्िि में
व युमण ्िि में जिव ष ्प एवां गैसों के अततररक् त सक्ष
ू ्म ठोस कणों की त पम न ऊांच ई के स ि घटत ज त है ति मध ्यमण ्िि की ऊपरी
उपस्थितत भी प ई ज ती है। सीम मेसोप ज पर त पम न 80 डिग्री सेस्ल्सयस बत य ज त है ।
d) त पमांिल
व युमांिल की सांरचन

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• यह पथ्ृ वी के सतह के ऊपर 80 ककमी से 640 ककमी की ऊांच ई पर
स्थित है।
• इसे आयनमांिि भी कह ज त है ।
• इस मांिि में ऊांच ई के स ि त पम न में तीव ्र वद्
ृ गध होती है
• यह ववद्यत
ु आवेमशत परत है । सौर ववककरण और उपस्थित रस यनों
की अांतकक्राय के ििस ्वरूप इस परत क तनम ाण होत है। अतः
सूय ास ्त के स ि वविुप ्त हो ज त है ।
• त पमांिि में कई परते प ई ज ते हैं, D-परत, E-परत, F-परत और G-
परत.
• पथ्ृ वी के सतह से प्रेवषत रे डियो तरां गे इसी परत से पर वततात होती है।
e) ब ह्यमण ्िल
• यह व युमांिि क सबसे उपरी परत है स्जसक ववथत र आयनमांिि ववश ्व की व युद ब पेटीय ां
से आगे तक है ।
• इसक घनत ्व बहुत कम है और त पम न 5568°C तक पहुुँच ज त 1. ववषुवत रे खीय तनम ्न व यु द ब कटिबन ्ध
है . इसे ववषव
ु त रे ख के समीप प च
ुँ अांश अक्ष ांश तक म न ज सकत है ।
• यह परत ब ह्य अांतररक् ष में वविीन हो ज त है इस पेटी पर वर्षभर सरू य
् की ककरणें सीधी पडती हैं । इसके क रण ठण्िी
आयनमांिल- हव गर्म होकर ऊपर उठती है और ऊपर की ठण्िी हव भ री होने के
पथ्
ृ वी से िगभग 80 ककिोमीटर (50 मीि), के ब द क सांपूरण
् व युमिां ि क रण नीचे आ ज ती है। नीचे आने पर वह किर से गर्म होकर ऊपर
आयनमांिि कहि त है । आयतन में आयनमांिि अपनी तनचिी हव से ज ती है । यह क् रम वर्षभर चित रहत है । इसमिए यह ुँ व यु द ब
कई गुन अगधक है िेककन इस ववश ि क्षेत ्र की हव की कुि म त्र कम रहत है। इस क्षेत ्र में धर ति पर भी हव िगभग गततम न और
व युमांिि की हव की म त्र के 200वें भ ग से भी कम है । आयनमांिि की श न ्त होती है। इसमिए इस क्षेत ्र को ‘श न ्त कदटबन ्ध’ य ‘िोिड्रम ्स’
हव आयतनत होती है और उसमें आयनीकरण के स ि-स ि भी कहते हैं ।
आयनीकरण की ववपरीत कक्रय भी तनरां तर होती रहती हैं। आयनमांिि
2. उपोष ्ण-उच ्च द ब कटिबन ्ध
को D, E व F क्षेत्रों में ब ट
ां गय है। सौर ववककरण की पर बैंगनी (यव
ू ी),
इस पेटी क ववथत र दोनों गोि द्ाधों में 25° से िेकर 35° अक्ष ांशों के बीच
एक् स-रे और छोटी तरां ग दै धय ्ा व त वरण को आयतनत करती हैं।
है । ववषव
ु तरे खीय तनम ्न व यु द ब कदटबन ्ध की गर्म हव हल्की होकर
व युद ब व पवन पेिीय ां उत ्तरी एवां दक्षक्षणी ध्रव
ु ों की ओर बढ़ने िगती है। यही हव ठण्िी होकर
व युद ब को समुद्र ति पर प ्रतत इक ई क्षेत ्र के ऊपर व यु थतांभ के 25°-35° उत ्तर एवां दक्षक्षण अक्ष ांश पर उतरने िगती है । िितः यह ुँ
कुि भ र के रूप में पररभ वषत ककय ज त है । ककसी ववशेष बबांदु पर व यु व यु द ब उच ्च हो ज त है । यह ुँ उच ्च द ब प ये ज ने क क रण पथ्ृ वी
द्व र िग ए ज ने व िे द ब की म त्र त पम न और घनत ्व से तनध रा रत की दै तनक गतत भी है। पथ्ृ वी के घूमने के क रण ध्रव
ु ों के तनकट की व यु
होती है स्जसे प ्रतत इक ई क्षेत ्र पर िगने व िे बि के रूप में म प ज त इन अक्ष ांशों के बीच एकबत्रत हो ज ती है , स्जससे दब व बढ़ ज त है।
है । 3. उपध्रव
ु ीय तनम ्न द ब कटिबन ्ध
• एनेरोइि बैरोमीटर - यह घरों में इथतेम ि ककय ज ने व ि सबसे
दोनों गोि द्र्धों में 60° से 70° अक्ष ांश रे ख ओां के तनकट तनम ्न व यु
स म न ्य प ्रक र बैरोमीटर है।
द ब क क्षेत ्र प य ज त है । यद्यवप त पम न के अनुस र यह उच ्च द ब
क क्षेत ्र होन च दहए ि । परन्तु यह ुँ तनम ्न द ब प य ज त है । ऐस
पथ्ृ वी के घरु ण
् न बि के क रण होत है । पथ्ृ वी की गतत के क रण इन
अक्ष ांशों पर हव एुँ िैिकर ब हर की ओर चिी ज ती है , स्जससे यह ुँ
तनम ्न द ब बन ज त है ।
4. ध्रुवीय उच ्च द ब कटिबन ्ध

पथ्ृ वी के दोनों ध्रव


ु ों को औसतन 40 प ्रततशत ही सूय ातव प्र प ्त होत है ।
यह ुँ सूरय
् की करणें क िी ततरछी पडती हैं। ििस ्वरूप यह ुँ क त पम न

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बहुत कम रहत है और धर ति हमेश बर्ि से ढुँ क रहत है । इस प ्रक र प ्रव दहत होन च दहए, ककन्तु फ़ेरे ि के तनयम एवां कोरोऑमिस बि के
ठण्िी और भ री हव उच ्च द ब क्षेत ्र क तनम ाण करती है । क रण ये उत ्तरी गोि द्ाध में अपनी द यीां और ति दक्षक्षण गोि द्ाध में
अपनी ब यीां ओर ववक्षेवपत हो ज ती हैं।
कोररऑमिस बि
व्य पररक पवनों को अांग्ऱि
े ी में ‘रे ि ववांड्स’ कहते हैं। यह ुँ ‘रे ि’ शब ्द
इसक न म भूगोलवेत्त जी.जी. कोररऑललस के न म पर रख गय है ,
जर्मन भ ष से मिय गय है , स्जसक त त ्पर्य 'तनददाष ्ट पि' य
श्जन्दहोंने इसकी खोज की िी। इसे िेरे ल क तनयम भी कहते हैं। इस बल
'म र्ग' से है । इससे स ्पष ्ट है कक ये हव एुँ एक तनददाष ्ट पि पर वर्ष भर
के क रण उत ्तरी गोल ्ाध की हव एँ प ्रवर्तन की टदश से द ँयीां ओर एक ही ददश में बहती रहती हैं। उत ्तरी गोि र्ध में ये हव एुँ उत ्तर-पूरव

ति दक्षक्ण गोल ्ाध में ब यीां ओर मड़
ु ज ती हैं। ये गततशील पवन एवां से दक्षक्षण-पस्चचम की ओर बहती हैं। वहीां दक्षक्षणी गोि र्ध में इनकी
ध र एँ उत ्तरी गोल ्ाध में अपनी द टहने ओर ति दक्षक्ण गोल ्ाध में
ददश दक्षक्षण-परू व
् से उत ्तर-पस्चचम की ओर होती है।
अपनी ब यीां ओर ववक्ेवपत हो ज ती हैं। यही क रण है कक हव एँ िे ढे म र्ग
पर चलती हैं। यह तनयम बड़े क्ेत्रों पर चलने व ली स्ि यी पवनों, छोिे (b) पछुआ पवन-
चक् रव तों और प ्रततचक् रव तों पर ल गू होत है। इस तनयम क प ्रभ व पछुआ पवन पथ्ृ वी के दोनों गोि द्ाधों में प ्रव दहत होने व िी थि यी
मह स गरीय ध र ओां, ज्व रीय गततयों, र केिों, आटद पर भी दे ख ज त पवनें हैं। इन पवनों की पस्चचमी ददश के क रण ही इन्हें 'पछुआ पवन'
है । कह ज त है । पछुआ हव एुँ दोनों गोि द्ाधों, उपोष ्ण उच ्च व यद
ु ब
पवन कदटबन्धों से उपध्रुवीय तनम ्न व युद ब कदटबन्धों की ओर प ्रव दहत
पथ्ृ वी के सतह पर क्षैततज ददश में प ्रव दहत होने व िी व यु को पवन होती हैं। पछुआ पवनें उत ्तरी गोि द्ाध में दक्षक्षण-पस्चचम से उत ्तर-परू व

कहते हैं। पवनों की गतत प ्रत ्यक् ष रूप से व यद
ु ब द्व र तनयांबत्रत होती की ओर ति दक्षक्षणी गोि द्ाध में उत ्तर-पस्चचम से दक्षक्षण-परू व
् की
है । व यद
ु ब की ववषमत ओां को सांतमु ित करने की ददश में यह प ्रकृतत ओर प ्रव दहत होती हैं। इन हव ओां क सर्विेष ्ठ ववक स 35º से 65º 40
क एक थव भ ववक प ्रय स है। पथ्ृ वी की सतह पर क्षैततज रूप से पवन, डिग्री दक्षक्षणी अक्ष ांशों के मध ्य प य ज त है , क्योंकक यह ुँ जिर मश के
उच ्च द ब व यु क्षेत ्र से तनम ्न व यु द ब क्षेत्रों की ओर प ्रव दहत होती है , ववश ि ववथत र के क रण पवनों की गतत अपेक्ष कृत ते़ि होती ति
स्जसे व यद
ु ब केन्रों के पररवर्तन के मध ्य तनध ाररत ककय ज त है । ददश तनस्चचत रहती है। पथ्ृ वी के उत ्तरी गोि द्ाध में आसम न उच ्च
I. ग ्रहीय पवनें: द ब व िे ववश ि स ्िि खांि ति व यु द ब के पररवर्तनशीि मौसमी
प्र रूप के क रण इस पवन क स म न ्य पस्चचमी ददश से प ्रव ह
अस ्पष ्ट हो ज त है ।

(c) ध्रुवीय पवनें -


वे ठण्िे ध्रव
ु प ्रदे शों से ध्रव
ु -वत
ृ ीय कम द ब की मेखि ओां की ओर बहती
हैं। इनक क्षेत ्र 60° से 70° अक्ष ांशों तक ववथतत
ृ है। उत ्तरी गोि द्ाध में
ये उत ्तर-परू व
् की ददश से चिती हैं और दक्षक्षणी गोि द्ाध में इनकी
ददश दक्षक्षण-परू व
् होती है । ये पवनें अत ्यन ्त ठण्िी होती हैं, इसमिए
इनके सम ्पर्क में आने व िे क्षेत्रों क त पम न बहुत नीचे गगर ज त है ।
ग ्रहीय पवनें, हव के स म न ्य वैस्चवक पररसांचरण क प ्रमुख घटक हैं। पछुआ से ममिकर ये चक् रव तों और प ्रततचक् रव तों को जन ्म देती हैं।
इन्हें परू े ववश ्व में ववश ्व स ्तर पर अपने प ्रस र के क रण ग ्रहीय पवन स मतयक पवनें
के रूप में ज न ज त है। दतु नय भर में त पम न और दब व मभन ्नत क थि यी रूप से त पम न एवां व यद
ु ब की ववशेष दश ओां के क रण जब
क रण यही ग ्रहीय पवनें होती हैं। पवनें ककसी तनस्चचत अवगध में बहती हैं तो उन्हें अथि यी (Temporary)
ग ्रहीय पवनों के ब रे में चच ा इस प ्रक र है : य स मतयक (Seasonal) पवनें कह ज त है । ये पवनें तीन प ्रक र की
(a) व्य प ररक पवनें - वे हव एुँ, जो उपोष ्ण उच ्च द ब क्षेत्रों से भूमध ्य होती हैं-
रे खीय तनम ्न द ब की ओर, उत ्तरी गोि द्ाध में उत ्तर-परू व
् और दक्षक्षणी II. स मतयक पवनें:
गोि द्ाध में दक्षक्षण-पूरव
् ददश ओां से चिती हैं। इसमिए इनको उत ्तर- समुदी व स गरीय समीर एवां म नसून पवनें स मतयक पवनें कहि ती हैं।
पूवी व्य प ररक पवन और दक्षक्ण-पूवी व्य प ररक पवन कह ज त है। स ्ििीय व स गरीय समीर प ्रततददन बहती हैं, जबकक म नसन
ू की पवनें
स मतयक होती हैं। स मतयक पवनें तनम ्न प ्रक र की होती है:
इस प ्रक र की पवनें वर्ष भर एक ही ददश में तनरन ्तर बहती हैं।
(a) म नसून पवनें
स म न ्यतः इस प ्रक र की पवन को उत ्तरी गोि द्ाध में उत ्तर से
(b) स ्ििीय व स गरीय समीर
दक्षक्षण ददश में ति दक्षक्षण गोि द्ाध में दक्षक्षण से उत ्तरी ददश में
(c) पर्वतीय ति घ टी समीर
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ठां िी हव एां
स मतयक पवनें
ममथट्रि - थपेन और फ् ांस
1. समुदी य स गरीय समीर - ददन के समय सरू य
् की गमी से स ्िि बोर - एडड्रय दटक तट
भ ग जि भ ग की अपेक्ष अगधक गरम हो ज त है। अत: स ्िि भ ग पर
प म्पेरो - अजेंटीन
अगधक त प से उत ्पन ्न तनम ्न व युद ब ति जि भ ग पर कम
बुर न - स इबेररय
त पम न होने से अगधक व यद
ु ब थि वपत हो ज त है । पररण मस ्वरूप
ददन को स गर से स ्िि की ओर पवनें बहने िगती हैं। ये पवने ददन के जेट ध र एां
दस बजे से सय
ू ास ्त तक बहती हैं और कभी-कभी 30-40 ककमीां तक जेट ध र एां ऊपरी क्षोभमांिि (9 -14 ककमी) में चिती हैं, जो उच ्च गतत
स ्िि भ ग में भीतर प ्रवेश कर ज ती हैं। इस पवनों से स ्िि भ ग क हव ओां (95-190 ककमी/ घांट ) के बैंि हैं। यह शब ्द 1947 में क र्ि
त पम न गगर ज त है और कुछ वष ा भी होती है। इस प ्रक र मौसम की गथ
ु ट ि रॉथबी द्व र प ्रयोग ककय गय ि । इसकी औसत गतत सीम
दै तनक अवथि ओां पर इनक बड प ्रभ व पडत है । स गर से बहने के शीत ऋतु में उच ्चतम िगभग 120 ककमी/ घांट ति ग्रीष ्म ऋतु में
क रण इनको स गरीय समुदी) पवन कह ज त है । तनम ्नतम िगभग 50 ककमी/ घांट होती है । जेट ध र ओां के दो सबसे
2. स ्िलीय समीर - र बत्र के समय स ्िि भ ग में त पम न की कमी और महत ्वपरू ण
् प ्रक र पोिर जेट ध र एां और सबरॉवपकि जेट ध र एां हैं।
समर
ु ी भ ग पर त पक् रम की अगधकत (जि स ्िि की अपेक्ष धीरे -धीरे
चक् रव त
ठण्ि होत है ) के क रण स ्ििीय भ ग में अगधक व यद
ु ब ति समर
ु ी
चक् रव त कम व युमण ्ििीय द ब के च रों ओर गर्म हव ओां की ते़ि
भ ग पर न्यन
ू व यु भ र रहत है , इस क रण प्र यः समर
ु ी तटों पर
आुँधी को कह ज त है । दक्षक्षणी गोि द्ाध में इन गर्म हव ओां को
सय
ू ास ्त से प्र तः 8 बजे तक स ्िि की ओर से हव एुँ समद्
ु र की ओर
'चक् रव त' के न म से ज नते हैं और ये घडी की सुई के चिने की ददश में
बहती हैं। इनको स ्ििीय पवन कहते हैं।
चिती हैं। जबकक उत ्तरी गोि द्ाध में इन गर्म हव ओां को 'हररकेन' य
3. पर्वतीय ति घ िी समीर - ये भी त पम न के दैतनक पररवर्तन के
क रण उत ्पन ्न होती हैं। र बत्र के समय पर्वत मशखर से जो पवने घ टी 'ट इिून' कह ज त है । ये घडी की सुई के ववपरीत ददश में चिती हैं।

के ति की ओर चिती हैं, उन्हें पर्वतीय पवनें कह ज त है । ददन के


A. ऊष ्णकटिबांधीय चक् रव त
समय जो पवने घ टी के ति से पर्वत मशखर की ओर बहती हैं, उन्हें
उष ्णकदटबांधीय चक् रव त तीव ्र चक् रव त सांबांधी तूि न होते हैं, जो
घ टी पवनें कह ज त है । सय
ू ोदय के स ि सरू य
् की ककरणे सर्वप ्रिम
उष ्णकदटबांधीय के गर्म मह स गरों के ऊपर ववकमसत होते हैं।
पर्वत मशखरों क स ्पर्श करती हैं। इसी क रण घ टी की अपेक्ष वे शीघ ्र
उष ्णकदटबांधीय चक् रव तों के केंद्र में सतह पर व युमांििीय दब व बहुत
गर्म हो ज ते हैं ति सांव हन के क रण उनकी व यु ऊपर उठ ज ती है ।
कम होत है।
पररण मस ्वरूप घ टी के ति से अपेक्ष कृत ठण्िी पवनें मशखर की ओर
उष ्णकटिबांधीय चक् रव त की मुख ्य ववशेषत एां इस प ्रक र हैं: -
आने िगती हैं। इन्हें घ टी समीर कहते हैं जबकक र बत्र के समय तीव ्र
• 34 समुरी मीि (39 मीि/घांट ) से अगधक गतत की हव एां
ववककरण के क रण पर्वतमशखर शीघ ्र ठण्ि हो ज त है ति घ टी
• दक्षक्षणी गोि र्ध में दक्षक्षण वर्त चित है , और
अपेक्ष कृत गरम रहती है । िितः पर्वतमशखर की व यु सघन ति भ री
• उत ्तरी गोि र्ध में उनके केंरों के ब रे में व म वर्त ददश की
होने के क रण नीचे उतरती है , जबकक घ टी की व यु अपेक्ष कृत हल्की
ओर
होने के क रण ऊपर उठ ज ती है। इन्हें पर्वतीय समीर कहते हैं।
यह सबसे ववन शक री प्र कृततक आपद ओां में से एक है । इन्हें दहांद
मह स गर में चक् रव त, अटि ांदटक में तूि न, पस्चचमी प ्रश ांत और
III. स्ि नीय पवनें
दक्षक्षण चीन स गर में ट इिून और पस्चचमी ऑथरे मिय में वविी-वविीज
ये थि नीय पवनें ववश ्व के मभन ्न-मभन ्न क्षेत्रों में चिती हैं।
के रूप में ज न ज त है।
गर्म हव एां B. शीतोष ्ण कटिबांधीय चक् रव त
मसरोको - सह र मरुस ्िि शीतोष ्ण कदटबांधीय चक् रव त को गर्त चक् र अिव तनम ्न द ब क्षेत ्र
िेवेचे - थपेन भी कह ज त है । इनकी उत ्पवत्त दोनों गोि धों में 30° – 65° अक्ष ांशों
ख ममसन - ममस ्र के बीच होती है । इन अक्ष ांशों के बीच उष ्ण व यु र मशय ुँ एवां शीति
हरमट न - सह र िेजर्ट ध्रव
ु ीय व युर मशय ुँ जब ममिती है तो ध्रव
ु ीय तरां गों के क रण गर्त चक्रों
सेंट एन - यूएसए की उत्त ्पतत होती। इन चक् रव तों की उत ्पवत्त के सन ्दर्भ में वर्कनीम
जोंि - अजेंटीन द्व र ध्रुवीय मसद्ध त
ां क प ्रततप दन ककय गय । इस मसद्ध त
ां को
बिक िीि ्िर - ऑथरे मिय तरां ग मसद्ध त
ां के न म से भी ज न ज त है।

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एमशय के उत ्तर-पव
ू ी तटीय भ गों में उत ्पन ्न होकर उत ्तर-परू व
् ददश a) ये िांबी, सांकीर्ण होती हैं, जो समुद्र के सबसे गहरे दहथसे होते हैं।
में भ ्रमण करते हुए अल्यमु शयन व उत ्तरी अमेररक के पस्चचमी तटीय b) अगधक ांश ख ई प ्रश त
ां मह स गर में स्थित हैं।
भ गों पर प ्रभ व ि िते हैं। उत ्तरी अमेररक के उत ्तर-पूवी तटीय भ ग c) वे 10,000 मीटर गहरी तक हो सकते हैं
से उत ्पन ्न होकर ये चक् रव त पछुव हव ओां के स ि पूरव
् ददश में य त्र d) (म ररय न ख ई प ्रश ांत मह स गर में समद्
ु र स ्तर से 11,000 मीटर
करते हैं, ति पस्चचमी यूरोपीय दे शों पर प ्रभ व ि िते हैं। शीत ऋतु में नीचे है )
भम
ू ध ्य स गर पर शीतोष ्ण कदटबांधीय चक् रव त सक्रीय हो ज ते हैं. II. ववतल मैद न - यह एक प ्रक र से समुद्र क ति ही है। 3 हज र से 6
इसक प ्रभ व दक्षक्षणी थपेन, द. फ़् ांस, इटिी, ब ि ्कन प्र यद्वीप, टकी, हज र मीटर की गहर ई तक मह द्वीपीय उत्ि न के ब द ववति मैद न
इर क, अफ़ग़ तनथत न ति उत ्तर-पस्चचमी भ रत पर होत है । शुरु हो ज त है , जो 1300 ककमी से अगधक हो सकती है।
III. सी-म उां ि:
समुद्र ववज्ञ न
यह एक पि
ृ क ज्व ि मुखी मशखर है , जो गहरे समुद्र के ति से कम से
भवू वज्ञ न की एक श ख है जो समर
ु ों क अध ्ययन करती है। इसके कम 1000 मीटर (3300 िीट) ऊपर है। ये प ्रश ांत मह स गर में अगधक
अन ्तर्गत पह डों, पठ रों, मैद नों और ख इयों आदद श ममि हैं। स गर व्य पक हैं, जह ां सबिक् शन क्षेत ्र स म न ्य हैं। ये अांतर्समुरी
तिी में स्थित कुछ प ्रमख
ु ववशेषत ओां को नीचे वर्णात ककय गय है । ज्व ि मुखी, स मुदरक टीिों के आस-प स स्थित होते हैं। इनमें से कुछ
ज्व ि मुखी द्वीप के रूप में उभर सकते हैं।
a) मह ्वीपीय मग ्न ति -
1) भमू म क वह भ ग जो समुद्र के जि के नीचे िूब रहत है उसे
e) मह स गरीय घ टिय ां:
मह द्वीपीय मग ्नतट कह ज त है।
ये खडी ढि न की दीव रों के व िे अवस द हैं, स्जनक V आक र होत है ।
2) मह द्वीपीय मग ्न तट उिि होत है और इसकी गहर ई 200 मीटर
वे मह द्वीपीय ढि नों और मग ्नतट पर बने होते हैं। ये िांब ई में
से अगधक नहीां होती।
अगधकतम 16 ककमी प ए ज ते हैं।
3) मह स गरों के कुि क्षेत ्रिि क िगभग 7.5 प ्रततशत मह द्वीपीय
मग ्न तट द्व र कवर ककय गय है । समुरी ध र एां
ये शेि ्ि म नव के मिए बहुत उपयोगी होत हैं, क्योंकक: जब मह स गरों के जि की बहुत बडी म त्र एक तनस्चचत ददश में िम्बी
1. समर
ु ी भोजन िगभग परू ण
् तय यहीां से प्र प ्त होत है। दरू ी तक स म न ्य गतत से चिने िगती है , तो उसे मह स गरीय ध र एुँ
2. दतु नय के िगभग 20 प ्रततशत तेि और गैस यहीां से प्र प ्त होत है । कहते हैं। यह मह स गरों जैसी चौड ई व िी होकर थि नीय ध र ओां जैसी
3. ये मछिी पकडने के भी समद्
ृ धतम स ्िि हैं। छोटी भी हो सकती है । स म न ्यतय दो प ्रक र की मह स गरीय ध र एुँ हैं
- गर्म जि ध र एुँ और ठण्िी जि ध र एुँ। गर्म जि ध र एुँ वे ध र एुँ हैं,
जो तनम ्न ऊष ्ण कदटबांधीय अक्ष ांशों से उच ्च शीतोष ्ण एवां उप ध्रव
ु ीय
b) मह ्वीपीय ढ ल-
अक्ष ांशों की ओर बहती हैं। ठण्िी जि ध र एुँ वे हैं, जो उच ्च अक्ष ांशों से
मह द्वीपीय शेि ्ि की सम स्प्त के ब द ही मह द्वीपीय ढ ि शुरु हो
नीचे की ओर बहती हैं।
ज ती है । इस ढ ि की प ्रवणत 2-5 अांश तक होती है। मग ्नढ ि क
ववथत र 200-2000 मीटर की गहर ई तक होत है िेककन कभी-कभी यह मह स गरीय ध र ओां को प ्रभ ववत करने व िे क रक
औसत समद्
ु र ति से 3660 मीटर तक हो सकत है । कुि मह स गरीय 1. ग ्रहीय पवनें
क्षेत ्रिि के 8.5 प ्रततशत भ ग पर मह द्वीपीय मग ्नढ ि क ववथत र
2. त पम न
है । 3. लवणत
c) मह ्वीपीय उत्ि न- जैस-े जैसे ढ ि नीचे उतरती ज ती है , वैसे-वैसे वे 4. पथ्ृ वी क घरू ण
् न
अपनी ढ ि खोते ज ते हैं । जब इस ढ ि की प ्रवणत 0.5 से एक अांश के
5. भलू म।
मध ्य हो ज ती है , तो उसे मह द्वीपीय उत्ि न कहते हैं । इस उत्ि न की
सम स्प्त ववति मैद न पर हो ज ती है । अटि दां टक मह स गर क पररसांचरण

d) गहर समुद्री बेलसन- अटि दां टक मह स गर में उत ्तर और दक्षक्षण गोि द्ाध में पूरव
् से पस्चचम
यह समद्
ु र ति क दहथस है , जो मह द्वीपीय म स्जान और मह स गरीय की ओर भूमध ्य रे खीय ध र एुँ ति पस्चचम से परू व
् की ओर ववरूद्ध
कटक के बीच स्थित होत है। इसमें गहरी समुद्र के ख ईय ुँ, ववति भम
ू ध ्य रे खीय ध र एुँ बहती हैं।
मैद न, और बडे ज्व ि मुखीय चोदटय ुँ श ममि हैं। a) ववरूद्ध भूमध ्य रे खीय ध र को पस्चचम अफ्ीक के तट पर गगनी
I. गहरी- समद्र
ु ी ख ईय ां: ध र कहते हैं।

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b) फ्िोररि ध र - सांयुक्त र ज ्य अमेरीक के दक्षक्षण-पूवी तट पर दहन ्द मह स गर में बहने व िी मुख ्य ध र एुँ हैं - मोज स्म्बक ध र (गर्म
फ्िोररि अांतरीप से हटे रस अांतरीप की ओर बहने व िी ध र फ्िोररि ध र , अगुिह स ध र (ठण्िी ध र ), पूवी आथट्रमिय ई ध र (गर्म ध र )
ध र कहि ती है । ति दक्षक्षण ववषुवत रे खीय ध र (गर्म ध र )।
c) गि ्ि थरीम - फ्िोररि ध र ही जब हटे र स द्वीप से आगे बहती है ,
मह स गर
तो न्यू ि उिैण ्ि के प स स्थित ग्रैन ्ट बैंक तक इसे ही गि ्ि थरीम
आर्कदटक मह स गर - आर्कदटक मह स गर दतु नय के प च
ां मह स गरों
कहते हैं । यह गर्म जि ध र है ।
में से सबसे छोट है । नॉर्िवेस ्ट म र्ग (यए
ू स और कन ि ) और उत ्तरी
d) उत ्तरी अटि ांदटक ध र - यही गि ्ि थरीम ग्रेन ्ट बैंक से आगे पछुआ स गर रूट (नॉवे और रूस) दो महत ्वपरू ण
् मौसमी जिम र्ग हैं।
हव ओां के प ्रभ व में आकर परू व
् की ओर मड
ु ज ती है । यह ुँ से यह यह यरू ोप, एमशय और उत ्तरी अमेररक के बीच प नी क एक तनक य है ,
अटि ांदटक के आरप र उत ्तरी जो ज्य द तर आर्कदटक सर्कि के उत ्तर में स्थित है।
अटि ांदटक ध र के न म से ज नी ज ती है । तनम ्नतम बबांद:ु फ्ैम बेमसन
अटि ांदटक मह स गर में बहने व िी अन ्य प ्रमुख ध र ओां के न म हैं -
िेिोिोर ध र , ग्रीनिैंि ध र , ि ़िीि ध र , बेंगए अटि दां टक मह स गर - अटि ांदटक मह स गर दतु नय के प ांच मह स गरों
ु ि की ध र ति
में दस
ू र सबसे बड है। कीि नहर (जर्मनी), ओरे सांि (िेनम र्क-थवीिन),
िॉकिैंि ध र है। इनमें से ग्रीनिैंि ति िेिोिोर ध र चुँकू क आर्कदटक
बोथपोरस (टकी), थरे ट ऑि स्जि ि ्टर (मोरक्को-थपेन), और सेंट िॉरें स
मह स गर से चिती है , इसमिए ठण्िी होती हैं । ये दोनों ध र एुँ न्यू
सेवे (कन ि -यूएस) महत ्वपूरण
् स मररक महत ्व के जिम र्ग हैं।
ि उां िैंि के प स गि ्ि थटीम न म की गर्म जि ध र से ममि ज ती हैं ।
यह अफ्ीक , यरू ोप, दक्षक्षणी मह स गर और पस्चचमी गोि र्ध के बीच
इसके क रण यह ुँ ब रहों महीने कुहर छ य रहत है । इसी क रण यह
प नी क एक शरीर है । इसमें ब स्ल्टक स गर, क िी स गर, कैरे बबयन
क्षेत ्र मछिी पकडने के मिए सांस र क सबसे महत्त ्वपूरण
् क्षेत ्र बन गय
स गर, ड्रेक म र्ग क दहथस , मैस्क्सको की ख डी, भूमध ्य स गर और
है । बेंगए
ु ि ति ि किैंि, ये दोनों ही ध र एुँ ठां ढी जि ध र एुँ हैं ।
अन ्य सह यक जि तनक यों श ममि हैं।
प ्रश ांत मह स गर क पररसांचरण तनम ्नतम बबांद:ु पटो रीको रें च में ममल्वौकी दीप
दहांद मह स गर
प ्रश न ्त मह स गर ववश ्व क सबसे गहर और बड मह स गर है ।
दहांद मह स गर ववश ्व के प च
ां मह स गरों में से तीसर सबसे बड है ।
इसमिए थव भ ववक है कक यह ुँ ध र ओां की सांख्य भी सबसे अगधक
मुख ्य रूप से च र महत ्वपूरण
् जिम र्ग- थवेज नहर (ममस ्र), ब ब-अि
होगी। इस मह स गर में बहने व िी प ्रमुख ध र एुँ हैं -
मांिेब (स्जबत
ू ी-यमन), होमुज
ा जििमरूमध ्य(ईर न-ओम न) और
मिक्क जििमरूमध ्य (इांिोनेमशय -मिेमशय ) हैं।
a) क्यूरोलसओ ध र - यह ध र त इव न ति ज प न के तट के स ि
यह अफ्ीक के दक्षक्षणी मह स गर वे एमशय और ऑथरे मिय के मध ्य
बहती है । ब द में उत ्तरी अमेरीक के पस्चचमी तट पर पहुुँचने के ब द
एक जितनक य है , इसमें अांिम न स गर, अरब स गर, बांग ि की ख डी,
यह आि क्स ध र ति कैमििोतनाय ध र के रूप में बुँट ज ती है ।
फ्िोरे स स गर, अदन की ख डी, ओम न की ख डी, ज व स गर, ि ि
ककरोमसओ ध र गर्म प नी की ध र है ।
स गर, मिक्क के जिसांयोगी, ततमोर स गर और अन ्य उपनदी जि
b) ओय मसओ न म की ठण्िी ध र प ्रश न ्त मह स गर के उत ्तर में
तनक य श ममि हैं।
बहती है ।
तनम ्नतम बबांद:ु ज व रें च
c) इसी मह स गर में पेरु न मक ठां िी जिध र भी प ्रव दहत होती है ।

प ्रश ांत मह स गर
दहन ्द मह स गर क पररसांचरण
प ्रश ांत मह स गर ववश ्व के प ांच मह स गरों में सबसे बड है। रणनीततक
दहन ्द मह स गर की ध र ओां की प ्रववृ त्त प ्रश न ्त एवां अटि ांकक
रूप से महत ्वपरू ण
् पहुांच व िे जिम गों में ि पेर उस, त्सुगरु
ु , समु शम ,
मह स गरों से अिग है । इसके दो क रण हैं - (1) पहि , दहन ्द मह स गर
त इव न, मसांग पुर और टॉरे स थरे ट्स श ममि हैं।
के उत ्तर में स ्िि भमू म क अगधक होन , स्जसके क रण ध र ओां की
यह दक्षक्षणी मह स गर, एमशय , ऑथरे मिय और पस्चचमी गोि र्ध के
प ्रववृ त्त बदि ज ती है ति (2) दस
ू र , म नसन
ू ी हव क प ्रभ व, स्जससे
बीच जि तनक य है । इसमें ब िी स गर, बेररांग स गर, कोरि स गर, पूवी
ध र ओां की ददश पररवततात हो ज ती है । इसी क रण दहन ्द मह स गर के
चीन स गर, अि थक की ख डी, कििीवपन स गर, ज प न क स गर,
उत ्तरी क्षेत ्र में ग्रीष ्म एवां शीत ऋतु में ध र ओां की ददश मभन ्न-मभन ्न
ओहोट्सक क स गर, तथम न स गर और अन ्य सह यक जि तनक य
होती है ।
श ममि हैं।
तनम ्नतम बबांद:ु म ररय न रें च में चैिेंजर दीप।

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ज्व र-भ ट • म मसक ज्व रभ ट - चांद्रम की पररक् रम के क रण और इसकी भू-
ज्व रभ ट समुद्र जि की एक महत ्वपरू ण
् गतत है , इस गतत के म ध ्यम समीपक व चरमोत ्कर्ष की स्थितत में।
से स गर में जि-स ्तर की म त्र घटती-बढ़ती रहती है । अतः स गर की
बहृ त ् अिव दीर्घ ज्व र - ज्व र उत ्पन ्न करने में चन्द्रम की भमू मक
इस गतत के पररण मस ्वरूप जि के स ्तर में सदै व पररवर्तन होत रहत
महत ्वपूरण
् है , परन्तु सरू य
् क प ्रभ व भी ज्व र उत ्पन ्न करने में
है । मह स गरीय जि सूरय
् और चन्द्रम की आकर्षण शस्क्त से ऊपर
सह यत है । जव सरू य
् , पथ्ृ वी चन्द्रम तीनों एक सीध में होते हैं तो सरू य

उठत है और आगे की ओर बढ़त है। इस अवथि को ज्व र कहते हैं।
जि के नीचे उतरने अिव पीछे हटने को भ ट कह ज त है। और चन्द्रम की सांयक
ु ् त आकर्षण शस्क्त से वहृ त अिव दीर्घ ज्व र
उत ्पन ्न होत है। यह ुँ सरू य
् क प ्रभ व कम ददख यी देती है , क्योंकक
ज्व रभ ट के अन ्तर्गत स गरीय जि-स ्तर के उस पररवर्तन को ही
सरू य
् पथ्ृ वी से औसतन 14 करोड 85 ि ख ककिोमीटर दरू है जबकक
सस्म्ममित ककय ज त है जो सूरय
् और चन्द्रम की आकर्षण शस्क्त
चन्द्रम केवि 4,04,800 ककिोमीटर है।
द्व र होते हैं। सूरय
् , चन्द्रम और पथ्ृ वी की स्थितत ज्व र के समय
तनम ्नवत होती है -
मह स गरीय जि में सूरय
् ति चन्द्रम की आकर्षण शस्क्त के िघु ज्व र - परू ण
् म सी ति अम वस्य के मध ्य कृष ्ण पक् ष और
ििस ्वरूप ही ज्व र की उत ्पवत्त होती है । चन्द्रम के ठीक स मने क शुक्लु पक
ृ ् ष की सप ्तमी अिव अष ्िमी की ततथियों में सरू य
् और
पथ्ृ वी क धर ति चन्द्रम से सबसे नजदीक होत है , जबकक चन्द्रम के चन्द्रम पथ्ृ वी के स ि समकोण बन ते हैं। समकोणीय श्स्ितत के ्व र
धर ति से पथ्ृ वी क केन्द्र एवां उसक पष
ृ ्ट भ ग कहीां अगधक दरू होते सूरय
् और चन्द्रम , मह स गरीय जल को अपनी-अपनी ओर आकवषात
हैं। गरु
ु त्व कर्षण के प ्रभ व की गणन में यह दरू ी ववशेष महत ्वपूरण
् है । करते हैं। इस क रण मह स गरों में इस टदन प नी क उत र व चढ व
अत: पथ्ृ वी क वह भ ग जो चन्द्रम के स मने पडत है , चन्द्रम की सबसे कम रहत है ।
आकर्षण शस्क्त से सव गा धक प ्रभ ववत होत है ति इसके ठीक पीछे
व िे भ ग सबसे कम प ्रभ ववत होत है। स मने पडने व िे भ ग क जि भारत के पवथत
आकवषात होकर ऊपर की ओर उठत है , स्जससे स गर में ज्व र आत है । हहमािय

यही स्थितत पथ्ृ वी के इस भ ग के बबल्कुि पीछे व िे भ ग में भी होती है । इसका मतर्ब है ‘बफथ का ननवास’। यह ववश्व में सबसे नए वशर्त पवथतों
पीछे के भ ग में जि के पीछे रहने एवां केन्द्र प ्रस री दि के सस्म्ममित की श्रंख
ृ र्ा है और मुख्य रूप से अवसादी चट्िानों से बने हुए हैं।
प ्रभ व से उबर आत है। इस प ्रक र एक ही समय में पथ्ृ वी पर दो ज्व र ये पजश्चम में शसंधु नदी से, पूवथ में ब्ह्समपुर नदी तक फैर्े हुए हैं। पूवी

उत ्पन ्न होते हैं, एक तो चन्द्रम के स मने व दस


ू र उससे ठीक पीछे के दहमार्य पिकाई पवथत, नागा पवथत, शमिो पवथत और गारो, खासी एवं

भ ग में। चन्द्रम के स मने व उसके ववपरीत भ गों के बीच पर दो थि न ियंनतया पवथतों से ननशमथत हैं, सार् ही इस क्षेर को पव
ू ांचर् के रूप में भी
ऐसे भी होते हैं जह ुँ से जि र्खांचकर ज्व र व िे थि न पर आ ज त है । िाना िाता है ।

अतः इन थि नों पर जि सतह से नीच रहत है । इसे भ ट कहते हैं। ‘पामीर’ को ववश्व की छत के रूप में िाना िाता है , िो दहमार्य और
पथ्ृ वी व चांद्रम के पररभ ्रमण के क रण प ्रत्येक थि न पर ज्व रीय मध्य एशशया की उच्च पवथत श्रंख
ृ र्ाओं के बीच की कड़ी है । जिन्तहें 3
चक् र 24 घांटे व 52 ममनट िांब होत है। समानांतर या दे शांतर क्षेरों के रूप में प्र्येक को अर्ग ववशेषता के रूप
में ववभाजित ककया िा सकता है ।
ज्व र के क रण
• चांद्रम और पथ्ृ वी के बीच गुरुत्वीय आकर्षण दहमार्य या दहमाद्री

• सूरय
् और पथ्ृ वी के बीच गुरुत्वीय आकर्षण इसमें कुछ दरे हैं और इनमें से र्गभग सभी की ऊंचाई 4500 मी से
. पथ्ृ वी के केंद्र की ओर पथ्ृ वी क आकर्षण बि। अर्धक है । जिसमे से दहमाचर् प्रदे श में ‘शशपकी र्ा’ दराथ और ‘बारा

• ज्व र के मिए मुख ्य रूप से चांद्रम स्जम्मेद र है। र्ाचा र्ा’ है , कश्मीर में बजु िथर् और िोजिर्ा दराथ हैं, उतराखंड में नीनत
ज्व र के प ्रक र दराथ, शर्पर्
ु ेख और ‘र्ांग र्ा’ दराथ है तर्ा शसजतकम में ‘िेर्ेप र्ा’ और
• अद्ाधदै तनक ज्व रभ ट - 12½ घांटे के अांतर ि पर पुनर ववृ त्त ‘नार्ू र्ा’ दराथ शाशमर् है ।

• दै तनक ज्व र भ ट - 24 घांटों के अांतर ि पर पन


ु र ववृ त्त।
औसत ऊंचाई 6000 मीिर तक फैर्ी हुई है और दनु नया की सबसे ऊंची
• बहृ त ् अिव दीर्घ ज्व रभ ट - पखव डे में एक ब र, चांद्रम की
चोदियों में से कुछ यहां हैं:
पररक् रम के क रण और इसक घटन ।
• िघु ज्व रभ ट -पखव डे में एक ब र, चांद्रम की पररक् रम और घटने माउं ि एवरे स्त्ि (या सागरमार्ा या
के क रण। 8848 मी. (नेपार् में)
चोमो र्ांग्मा)
कंचनिंघा पवथत 8598 मी. (भारत में)

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मकार्ू पवथत 8481 मी. (नेपार् में) केंद्र शाशसत प्रदेश अंदमान और ननकोबार तर्ा र्क्षद्वीप केवर् द्वीपों से
धौर्ार्गरी पवथत 81 72 मी. (नेपार् में) ननशमथत हैं।
चो ओयु पवथत 8153 मी. (नेपार् में)
भारत के मैदानी क्षेर
नंगा पवथत 8126 मी. (भारत में)
दहमार्य के दक्षक्षण से और प्रायद्वीप के उत्तर के बीच उत्तर भारत के
अन्तनपूणाथ पवथत 8078 मी. (नेपार् में)
ववस्त्तत
ृ मैदान हैं। ये तीन प्रमख
ु नदी प्रणाशर्यों-शसंध,ु गंगा और ब्हमपर

नंदा दे वी पवथत 7817 मी. (भारत में)
द्वारा द्वारा ननशमथत होता है।

िघु हहमािय या हहमाचि उत्तर भारत के ववस्त्तत


ृ मैदान, प्रकृनत में िर्ोढ़ हैं और पजश्चम का
पवथतों की औसत ऊंचाई 3700 – 4500 मी है । अर्धकांश भाग ‘र्ार मरुस्त्र्र्’ से आच्छाददत है।

पवथत और घादियााँ सभी ददशाओं में फैर्ी हुई हैं (पवथत 5000 मी. तक हैं गंगा के मैदानों में िर्ोड़क की मोिाई सवाथर्धक है और पजश्चम मैदानों

और घादियााँ 1000 मी तक हैं) में सबसे कम है।

इसकी मह्वपूणथ पवथत श्रंख


ृ र्ाएं: धौर्ार्गरी, पीर पंिार्, नाग नतब्बा, मैदान चार भागों में ववभाजित हैं:

मसूरी। भाबर : शशवाशर्क की तर्हिी सार्। अ्यर्धक झरझरा

बाहरी हहमािय या लशवालिक तराई : धाराओं को पन


ु ः भरना और अ्यर्धक नमी वार्ा क्षेर है ।
न्तयूनतम पवथत श्रंख
ृ र्ा (औसत ऊंचाई 900-1200 मी. है ) बांिर: परु ानी िर्ोढ़ शमट्िी के मैदान। कैजपशयम यत
ु त संरचनाओं को
ये तर्हिी बनाते हैं और यह र्घु दहमार्य और मैदानों के बीच जस्त्र्त है । कंकर कहते हैं।

यह नवीनतम श्रंख
ृ र्ा है। खादर: नई िर्ोढ़ शमट्िी के मैदान और नदी क्षेर के ककनारे बाढ़ के
मैदान बनते हैं।
रांस - हहमािय क्षेर
यह श्रंख
ृ र्ा दहमार्य के उत्तर में है । इसमें कुछ मह्वपूणथ श्रंख
ृ र्ाएं हैं भारत के प्रायद्वीप पठार

िैसे-काराकोरम, र्द्दाख, िांस्त्कर आदद। इस क्षेर में सबसे ऊाँची चोिी यह तीन तरफ से समद्र
ु से नघरे शसंधु-गंगा के मैदानों के दक्षक्षण में फैर्ा
के2 या गॉडववन ऑजस्त्िन(8611मी.) िो पाक अर्धकृत कश्मीर में है । है । उत्तर में उसके आधार के सार् एक बरभुि के आकार में यह पठार है ।

अन्तय चोदियों में दहडन चोिी(8068मी.), ब्ॉड चोिी (8047 मीिर) पूवी घाि और पजश्चमी घाि, िमशः इसकी पव
ू ी और पजश्चमी सीमाएं हैं।
गशरब्ुम द्ववतीय (8035 मीिर) है । नमथदा, िो एक भ्रंश घािी से बहती है, वह इस क्षेर को दो भागों में

नुबरा घािी में शसयार्चन सबसे र्म्बा ग्र्ेशशयर है , िो 72 कक.मी से ववभाजित करती है: उत्तर में मार्वा के पठार और दक्षक्षण में दतकन के

अर्धक र्म्बा है (यह ववश्व में सबसे बड़ा ग्र्ेशशयर है )। इस क्षेर में पठार।

बबफो, बपतारो, दहस्त्पुर अन्तय मह्वपूणथ ग्र्ेशशयर हैं। ववंध्य पठार मार्वा पठार के दक्षक्षण में जस्त्र्त है ।

यह क्षेर, ध्रुवीय क्षेरों के बाहर सबसे बड़ा दहम-आच्छाददत क्षेर हैं। छोिा नागपुर पठार, बंगार् बेशसन के पजश्चम में है, िो रांची पठार का

महत्वपूणथ तथ्य सबसे बड़ा और ववशशटि भाग है।

उत्तर प्रदे श की सीमा को अर्धकतम 8 राज्य स्त्पशथ करते हैं (उत्तराखंड, दतकन का पठार भारत में सबसे बड़ा पठार है । यह ववदर ववस्त्फोि के

दहमाचर् प्रदे श, हरयाणा, रािस्त्र्ान, मध्य प्रदे श, छत्तीसगढ़, झारखंड माध्यम से िीिे शस-इयोसीन युग में र्ावा के प्रवाह से बना है।

और बबहार)। उत्तर प्रदे श के बाद असम आता है जिसके सार् 7 राज्यों की


भारत के द्वीप समूह
सीमा स्त्पशथ करती है ।
भारत का कुि तिीय क्षेर : 7516 कक.मी. है, सबसे र्ंबी तिीय रे खा
ककथ रे खा 8 राज्यों से गुिरती है : गि
ु रात, रािस्त्र्ान, मध्य प्रदे श,
गुिरात राज्य की है (दस
ू री सबसे र्ंबी तिीय रे खा आन्तध्रप्रदे श की है )।
छत्तीसगढ़, झारखंड, पजश्चम बंगार्, बरपरु ा, शमिोरम।
भारतीय प्रादेशशक सीमा में 248 द्वीप शाशमर् हैं:
भारतीय मानक दे शांतर रे खा 5 राज्यों से गुिरती है : उत्तर प्रदे श, मध्य
अंडमान और ननकोबार द्वीप समह

प्रदे श, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और आंध्रप्रदे श।
अंडमान में 204 द्वीपों का समूह है जिसमे सबसे बड़ा द्वीप मध्य
भारत में 10 राज्य तिीय रे खा बनाते हैं अर्ाथत- गुिरात, महाराटट्र, गोवा,
अंडमान है। अंदमान को देश के उत्तर-पूवथ में पवथत श्रंख
ृ र्ा के ववस्त्तार का
कनाथिक, केरर्, तशमर्नाडु, आंध्रप्रदे श प्रदे श, तेर्ग
ं ाना, उड़ीसा और
भाग मानते हैं।
पजश्चम बंगार्।
उत्तर अंडमान में सैडर् पीक (737 मी.) सबसे ऊाँची चोिी है।
2 केंद्र शाशसत प्रदे शों अर्ाथत ‘दमन और द्वीप’ तर्ा ‘पुदच
ु रे ी’ भी तिीय
ननकोबार 19 द्वीपों का एक समह
ू है, जिसमे सबसे बड़ा द्वीप ग्रेि
क्षेर पर हैं।
ननकोबार है। इनमें से अर्धकतर प्राकृनतक रूप से ज्वार्ामुखीय हैं।

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ग्रेि ननकोबार दक्षक्षणतम द्वीप है और यह इंडोनेशशया के सुमारा द्वीप से सबसे प्रमुख सहायक नदी है । यमुना नदी का उद्गम स्त्र्र् उतराखंड में
147 कक.मी. दरू है । यमुनोरी ग्र्ेशशयर हैं। यह 800 कक.मी तक गंगा के समानांतर चर्ती है
और इर्ाहाबाद में गंगा नदी से शमर् िाती है । यमुना नदी की सहायक
ज्वािामख
ु ीय द्वीप: बैरन और नाकोडम द्वीप। 200 वषों तक शशर्र्र् नददयााँ चम्बर्, बेतवा (480 कक.मी) और केन(सभी गंगा के दक्षक्षण से हैं)।
रहने के बाद अब यह ववस्त्फोि की प्रकिया में है ।
यमुना के अर्ावा, गंगा की अन्तय सहायक नददयों में घागरा(1080
कक.मी), सोन (780 कक.मी), गंडक (425 कक.मी), कोसी (730 ककमी),
अरब सािर समूह
गोमती (805 कक.मी) दामोदर (541 कक.मी)। कोसी नदी, बबहार के शोक
अरब सागर में सभी द्वीप (कुर् 25) प्रवार् द्वीप हैं और सिाविी
के रूप प्रशसद्ध है, िबकक दामोदर नदी को बंगार् का शोक कहा िाता है ,
चट्िानों से नघरे हैं (उत्तर में- र्क्ष्यद्वीप, दक्षक्षण में शमननकॉय)
तयोकक इन नददयों में बाढ़ आती रहती है । हुगर्ी, गंगा की एक सहायक
तया आप िानते हैं?
नदी है िो कोर्काता से बहती है।
10 डडग्री. चैनर्. अंडमान से ननकोबार को पर्
ृ क करता है (छोिा अंडमान,
कार ननकोबार से) ब्रहमपर
ु नदी तंर
डंकन पैसेि, दक्षक्षण अंडमान और छोिे अंडमान के बीच जस्त्र्त है । इस नदी की कुर् र्म्बाई 2900 कक.मी है । इसका उद्गम स्त्र्र्
9 डडग्री. चैनर्, शमननकॉय से कवारती को पर्
ृ क करता है। नतब्बत(चेमयन्त
ु ग्दं ग
ु ग्र्ेशशयर) है , िहााँ इसे सान्तग्पो कहते हैं और
8 डडग्री. चैनर्, शमननकॉय द्वीप(भारत) को मार्द्ववप से पर्
ृ क करता है । भारतीय क्षेर (अरुणाचर् प्रदे श) में प्रवेश करती है िहााँ इसे ददहांग के
नाम से िाना िाता है । इस नदी की प्रमुख सहायक नददयााँ सब
ु ानशसरी,
भारत की नहदयाँ
कामेंग, धनशसरी, मानस, तीस्त्ता हैं। बांग्र्ादे श में ब्हमपर
ु नदी को
भारत में, नददयों को दो मुख्य भागों में ववभाजित ककया िा सकता है।
िमन
ु ा के नाम से िानते हैं, िबकक बांग्र्ादे श में गंगा को पद्मा के नाम
दहमार्य की नददयााँ --1) शसंधु 2) गंगा 3) ब्हमपुर
से िानते हैं।
प्रायद्वीपीय नददयााँ --1) पूवथ की ओर बहने वार्ी, 2) पजश्चम की ओर
इसकी संयत
ु त धारा को केवर् पद्मा के नाम से िाना िाता है । बंगार्
बहने वार्ी
की खाड़ी में प्रवेश करने से पहर्े प्रमख
ु सहायक नदी मेघना है ।

भारत की हहमािय नहदयाँ गंगा और ब्हमपर


ु नददयों की संयत
ु त धारा, ‘संद
ु रवन’ के रूप में ववश्व में

लसंधु तंर सबसे बड़ा डेपिा बनाती है , िो 58,752 वगथ कक.मी के क्षेर में फैर्ा हुआ

इसकी कुर् र्म्बाई 2880 कक.मी है (भारत में 709 कक.मी)। नतब्बत है । इसका अर्धकतर भाग बांग्र्ादे श में है।

(चीन) में मानसरोवर झीर् के पास से ननकर्ती है। िम्मू और कश्मीर में ब्हमपर
ु नदी द्वारा असम में मािर्
ु ी नदी द्वीप है िो ववश्व में सबसे

इसकी दहमार्य सहायक नददयााँ हैं- िांस्त्कर, द्रास, गिथग, श्योक, शशगार, बड़ा नदी द्वीप है ।

नब ब्हमपुर या र्ार् नदी डडब्ूगढ़ तक 1384 कक.मी में िहाि चर्ाने योग्य
ु रा, र्गर्र्गत आदद। इसकी प्रमख
ु सहायक नददयााँ िो शसंधु नदी से
ववशभन्तन स्त्र्ानों पर शमर्ती है अर्ाथत- झेर्म, चेनाब (1800कक.मी), है और एक उ्कृटि अंतदे शीय िर् पररवहन मागथ के रूप में कायथ करता

रावी, व्यास और सतर्ि है ।


ु ।

स्रोत : झेर्म का उद्गम स्त्र्र् वेरीनाग है (दक्षक्षण पूवथ कश्मीर), रावी का भारत में प्रायद्वीपीय नहदयाँ

उद्गम स्त्र्र् दहमाचर् प्रदे श में रोहतांग दरे के पास कुपर्ू पहाडड़यााँ है ,
A. पूव-थ हदशा में बहने वािी भारत की नहदयाँ (या जो नहदयाँ डेपिा
ब्यास नदी का उद्गम स्त्र्र् दहमाचर् प्रदे श में रोहतांग दरे के पास है
बनाती हैं)
और सतर्ुि नदी का उद्गम स्त्र्र् पजश्चम बंगार् में राकस तार्-
मानसरोवर से है । महानदी (858 कक.मी) : यह नदी छत्तीसगढ़ के रायपरु जिर्े से ननकर्ती
. है । िोदावरी नदी(1465 कक.मी): गोदावरी नदी को ‘वद्
ृ ध गंगा’ या दक्षक्षण

िंिा तंर गंगा के नाम से भी िाना िाता है । यह सबसे र्ंबी प्रायद्वीपीय नदी है ,

उत्तराखंड और उत्तर प्रदे श में इसकी र्म्बाई 2525 कक.मी. है , बबहार में इसका उद्गम स्त्र्र् नाशसक है , इसकी प्रमुख सहायक नददयााँ-मंिरा,

445 कक.मी. है और पजश्चम बंगार् में 520 कक.मी है । गंगा दो मुख्य पेनगंगा, वधाथ, इन्तद्रावती, वेनगंगा आदद हैं।

नददयों भागीरर्ी और अर्कनंदा के संगम से एक प्रमुख धारा बनती है


कृटणा नदी नदी (1327 कक.मी) : इसका उद्गम स्त्र्र् महाबर्ेश्वर के
िो दे वप्रयाग से गंगा का रूप में संयुतत हो िाती है ।
ननकि पजश्चमी घाि है । इसकी प्रमुख सहायक नददयााँ-कोयना, दध
ू गंगा,
स्रोत: : गौमुख से भागीरर्ी, बद्रीनार् से अर्कनंदा, केदारनार् से
पंचगंगा, मार्प्रभा, भीमा, तंुगभद्रा आदद हैं।
मंदाकनी (सभी उतराखंड से हैं)। यमुना(1375 कक.मी) गंगा नदी की

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कावेरी नदी (805 कक.मी) : यह सबसे बड़ी नदी है (सबसे अर्धक पानी के मन्नार की खाडी (तलमिनाडु के दक्षक्षण पूवथ में): एशशया का पहर्ा समुद्री
संदभथ में)। यह एकमार प्रायद्वीपीय नदी है िो वषथ भर बहती है । इसका बायोस्त्फीयर ररिवथ।
उद्गम स्त्र्र् पजश्चमी घाि के ब्ह्समर्गर श्रंखर्ा से है। इसमी प्रमुख
भारत में प्रमख
ु नदी घािी पररयोजनाएं
सहायक नददयााँ- हे मवती, र्ोकपावनी, शशमसा हैं।
• भाखडा नांिि पररयोजना: : पंिाब में सतर्ुि नदी पर बना है, यह
स्त्वणथ रे खा नदी(395 कक.मी) और ब्राह्मणी नदी (705 कक.मी) इनका
भारत में सबसे ऊाँचा (226 मी) है। इसके िर्ाशय को गोबबंद सागर
उद्गम स्त्र्र् रांची के पठार से है ।
झीर् कहते हैं।
B. भारत में पष्श्चम हदशा में बहने वािी नहदयाँ • मंडी पररयोजना: दहमाचर् प्रदे श में ब्यास नदी पर,
नमथदा नदी (1057 कक.मी) : इसका उद्गम स्त्र्र् अमरकंिक पठार है • चम्बि घािी पररयोजना: मध्य प्रदेश और रािस्त्र्ान में चम्बर् नदी
और यह खंभात की खाड़ी में र्गरती है । यह िबर्परु के पास प्रशसद्ध पर जस्त्र्त है इस पर 3 बााँध है अर्ाथत-गााँधी सागर बांध, राणा प्रताप
‘धआ
ु ं धार’ िर्प्रपात बनाती है । इसकी प्रमख
ु सहायक नददयााँ- दहरन, सागर बांध और िवाहर सागर बांध।
बन
ु ेर, बंिर, शार, शतकर, तवा आदद। • दामोदर घािी पररयोजना: बबहार में दामोदर नदी पर जस्त्र्त है ।
• हीराकंु ड: उड़ीसा में महानदी पर जस्त्र्त है। यह ववश्व का सबसे र्ंबा
ताप्ती नदी (724 कक.मी) : इसका उद्गम स्त्र्र् महाराटट्र में बेतुर् जिर्े
बांध है । यह बांध 4801 मी र्ंबा है।
में है । सार् ही इसे नमथदा नदी की िुड़वााँ या किपुतर्ी नदी कहा िाता है ।
• ररहंद :शमिाथपरु में सोन नदी पर है । इस पर बने िर्ाशय का नाम
इसकी प्रमुख सहायक नददयााँ- पूणाथ, बेतुर्, अरुनावती, गंिर् आदद हैं।
गोववन्तद वपर्भ पन्तत है।
• मयरू काशी पररयोजना: पजश्चम बंगार् में मयरु काशी पर बना है ।
साबरमती नदी (416 कक.मी) : इसका उद्गम स्त्र्र् रािस्त्र्ान में
• काकरापारा पररयोजना : गि
ु रात में तापी नदी पर जस्त्र्त है ।
अरावर्ी से है ।
• ननजाम सािर पररयोजना: आंध्रप्रदेश में मंिरा नदी पर जस्त्र्त है ।
माही नदी (560 कक.मी) : इसका उद्गम स्त्र्र् महाराटट्र में ववंध्य से है । • नािाजन
ुथ सािर पररयोजना: आंध्रप्रदे श में कृटणा नदी पर जस्त्र्त है ।
• लशवसमद्र
ु म पररयोजना: कनाथिक में कावेरी नदी पर जस्त्र्त है।
िन
ू ी नदी (450 कक.मी) : इसका उद्गम स्त्र्र् अरावर्ी से है । इसे नमक • िािा हाइडि पररयोजना : महाराटट्र में भीमा नदी जस्त्र्त है।
नदी भी कहते हैं। यह अंत में कच्छ के रण में दर्दर्ी मैदान में खो िाती • शरावती हाइडि पररयोजना: कनाथिक में िोग िर्प्रपात पर जस्त्र्त
है । है ।
• कंु डा और पेररयार पररयोजना : तशमर्नाडु में,
शरावती नदी, सह्सयाद्री की पजश्चम में बहने वार्ी नदी है। यह प्रशसद्ध
• र्रतका पररयोजना: पजश्चम बंगार् मे गंगा नदी पर जस्त्र्त है। पावर
‘िोग या गेसोप्पा’ या ‘महा्मा गााँधी’ िर्प्रपात ननशमथत करती है, िो
और शसंचाई के आर्ावा यह आसन िहाि पररचार्न के शर्ए गाद को
भारत में सबसे ऊंचा िर्प्रपात है।
हिाता है।
नोि: भारत में मानव ननशमथत सबसे बड़ी झीर् इंददरा सागर झीर् है, िो • उकाइ पररयोजना: गुिरत मे ताप्ती नदी पर जस्त्र्त है ।
गुिरात-मध्यप्रदे श में सरदार सरोवर पररयोिना, ओंकारे श्वर पररयोिना • सर्ार् पररयोिना: िम्मू कश्मीर में चेनाब नदी पर जस्त्र्त है।
और महे श्वर पररयोिना का िर्ाशय है । • माता नतर्ा बहुउद्दे शीय पररयोिना –उत्तर प्रदे श और मध्य प्रदे श
उड़ीसा में र्चपका झीर्, भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झीर् है । वैसे में बेतवा पर जस्त्र्त है।
भी, यह भारत की सबसे बड़ी झीर् है । िम्मू कश्मीर में • र्ेन पररयोिना : पंिाब ने रावी नदी पर जस्त्र्त है।
वुर्र झीर्, भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झीर् है। ‘डर्’ झीर् भी • पोंग बांध : पंिाब में ब्यास नदी पर जस्त्र्त है ।
िम्मू कश्मीर में है। सांभर और डीडवाना झीर् रािस्त्र्ान में हैं, िहााँ
भारत की जिवायु
नमक उ्पाददत होता है । अन्तय प्रमुख नदी केरर् में वेम्बंद और
भारतीय िर्वायु उटणकदिबंधीय मानसून प्रकार की है ।
आंध्रप्रदे श में कोपर्ेरू और पशु र्कि हैं।

भारत में जिवायु मौसम


भारतीय क्षेर में तीन महत्वपूणथ खाडडयाँ :
भारत में, एक वषथ को चार मौसमों में ववभाजित ककया िा सकता है , िो
कच्छ की खाडी (िुजरात के पष्श्चम में) : ज्वारीय उिाथ उ्पादन की
मुख्यतः भूशम की उटणता की ववशभन्तनता एवं सूयथ की उध्वाथधर ककरणों
उचतम क्षमता का क्षेर।
की गनत के कारण होता है।
खम्बात की खाडी (िुजरात ) : इसमें नमथदा, ताप्ती, माही और साबरमती
दक्षक्षण में अर्धकतम तापमान अप्रैर् में होता है िबकक उत्तर में
नददयााँ आ कर शमर्ती हैं।
अर्धकतम तापमान मई और िून में होता है । कणाथिक में चैरी फुर् होते

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हैं िो कॉफ़ी की बागवानी के शर्ए र्ाभकारी होते हैं तर्ा दक्षक्षण भारत में बाररश बादर् फिने के रूप में ज्यादातर होती है। मीन माशसक औसत
आम्रवजृ टि होती है िो आम की फसर्ों के शर्ए र्ाभदायक है । तापमान समान रूप से 35 डडग्री सेजपसयस से अर्धक होता है ।
दक्षक्षण में- पजश्चमी मानसून दो धाराओं में दे श में प्रवेश करता है , एक आद्रथ शीत काि के सार् नम उपोटणकहिबंधीय जिवाय:ु इस क्षेर में दहमार्य

बंगार् की खाड़ी के ऊपर बहता है और एक अरब सागर के ऊपर से होते का दक्षक्षण भाग, पव
ू थ उटणकदिबंधीय और उपोटणकदिबंधीय मैदान और

हुए आता है । यह मानसून दे श के अर्धकांश भाग में वषाथ होने का कारण उटणकदिबंधीय सवाना का उत्तरी भाग शाशमर् है। शीत कार् अ्यंत गंभीर
िबकक गशमथयों बेहद गमथ हैं होती हैं। वावषथक वषाथ 63.5 सेमी से 254 सेमी से
बनता है (तशमर्नाडु और रे र्गस्त्तानी क्षेर को छोड़ कर)। डेपिा क्षेर पार
अर्धक तक होती है , यह अर्धकतर दक्षक्षण पजश्चम मानसून के दौरान प्राप्त
करने के बाद बंगार् की खाड़ी शाखा मेघार्य में खासी घािी में प्रवेश
होती है । 63.5 सेमी से शभन्तन होता है इसमें से अर्धकांश दक्षक्षण-पजश्चम
करती है, यह इस क्षेर में कीप आकार के कारण आकर फस िाता है। यह
मानसन
ू के मौसम के दौरान प्राप्त।
एक ववशेष सीधी ददशा में चेरापूंिी में प्रहार करता है , जिसके कारण
पवथतीय जिवायु: इस प्रकार का मानसन
ू पवथतीय क्षेरों मे देखा िाता है िो
माननसराम में तेि वषाथ होती है (र्गभग 1400 से.मी)। शसतम्बर के
6,000 मी. से ऊपर या दहमायर् और काराकोरम श्रंखर्ा में होता है ।
मध्य से ददसम्बर के मध्य में मानसून पीछे हि िाता है। सरू ि की खड़ी
ककरणों का मकर रे खा की ओर स्त्र्ानांतरण होना शुरू हो िाता है , कम भारतीय जिवायु को प्रभाववत करने वािे तथ्य
दबाव क्षेर दक्षक्षण में बढ़ने र्गता है और हवाएं भशू म क्षेरों से समद्र
ु की अक्षांश:: भारतीय भूभाग समान रूप से ‘ककथ रे खा’ द्वारा समान रुप से
और बहना शुरू कर दे ती हैं। इसे पूवोत्तर मानसून कहा िाता है। मानसून ववभाजित है । इस प्रकार, भारत के आधे भाग में उटणकदिबंधीय िर्वायु
की वापसी इसके शुरू होने की तुर्ना में काफी अर्धक िशमक प्रकिया है । है और अन्तय आधे भाग उपोटणकदिबंधीय िर्वायु है ।
यह तशमर्नाडु में वषाथ होने का कारण बनता है और हवाएं बंगार् की ऊंचाई: तिीय क्षेरों में औसत ऊंचाई करीब 30 मीिर है , उत्तर में औसत
खाड़ी से कुछ नमी र्ेकर आती है। िब सम्पूणथ दे श में वषाथ होती है तब ऊंचाई र्गभग 6000 मीिर है। भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करने से
तशमर्नाडु में सुखा रहने की घिना को स्त्पटि करता है और िब मध्य एशशया से आने वार्ी ठं डी हवाओं को दहमार्य रोकता है। इस के
तशमर्नाडु में वषाथ होती है तो सम्पूणथ देश सुखा रहता है। कारण, उपमहाद्वीप तुर्ना्मक रूप से मध्य एशशया की तुर्ना में कम
ठं डा होता है।
भारत में जिवायु क्षेर
दबाव और हवायें : भारतीय उपमहाद्वीप उत्तर-पव
ू ी हवाओं के क्षेर में
भारत में जिवायु क्षेर को एक संख्या में ववभाष्जत ककया जा सकता है।
ननदहत है। ये हवाएं उत्तरी गोर्ाद्थध के उपोटणकदिबंधीय उच्च दबाव
भारत में ऊटण कहिबंधीय वषाथ वन: ये वन पजश्चम तिीय मैदानों में पाये
बेपि से ही शुरू होती हैं। इसके बाद, ये हवाएं दक्षक्षण की ओर चर्ती हैं। ये
िाते हैं, पजश्चमी घाि एवं असम के क्षेरों में। यह पूरे वषथ उच्च तापमान
‘कोररओशर्स बर्’ की विह से दायीं ओर मुड िाती हैं और कफर भूमध्य
को र्चबरत िरता है । यहााँ मई से नवम्बर के दौरान र्गभग 200 मौसमी
रे खा के पास कम दबाव क्षेर की ओर चर्ने र्गती हैं।
वषाथ होती है।
उटणकहिबंधीय सवाना जिवायु: अर्धकांश प्रायद्वीप क्षेरों में अद्थध शटु क
क्षेरों को छोड़ कर पजश्चमी घाि के अनुवात पक्ष में पाये िाते हैं। यहााँ । यह
सददथयों के दौरान और गशमथयों के आरंभ तर्ा उच्च तापमान के दौरान (18.2
डडग्री सेजपसयस से उपर) र्ंबे समय तक शुटक मौसम को र्चबरत करता है ।
इस क्षेर के पजश्चम में 76 से.मी और पव
ू थ में 150 से.मी वषाथ होती है ।
उटणकहिबंधीय अद्थध शटु क जिवायु मैदान: यह वषाथ छाया बेपि को प्रबर्
करता है, िो केंद्रीय महाराटट्र से दक्षक्षण की ओर पजश्चमी घाि और
इर्ायची की पहाडडयों के अनुवात पक्ष की ओर चर्ती हैं। यह 20 और 30 के
बीच उच्च तापमान में 38 से.मी से 80 से.मी वषाथ के रूप में र्चबरत होता
है ।
उटणकहिबंधीय और उपोटणकहिबंधीय मैदान : पंिाब का बड़ा क्षेर ,
हररयाणा और कच्छ का क्षेर। तापमान 12 से 35 डडग्री के बीच रहता है । लमट्हियाँ
अर्धकतम तापमान 49 डडग्री सेजपसयस तक पहुंचता है। वावषथक वषाथ, 30.5- 1. जिोढ़ लमट्िी (Alluvial Soil):
63.5 सेमी होती है , सार् ही यह अ्यर्धक अननजश्चत है। भारत में यह कुर् भूशम क्षेर का 40% भूभाग है । यह अ्यर्धक उपिाऊ
उटणकहिबंधीय मरुस्त्र्ि: यह िर्वायु रािस्त्र्ान के जिर्ों बैनर, िैसर्मेर
है और कृवष उपि के बहुत बड़े भाग का योगदान करती है। यह मुख्यतः
और बीकानेर जिर्ों के पजश्चमी भाग और कच्छ के भाग में फैर्ी है । यह
उत्तरी मैदानों में पायी िाती है , पजश्चम में पंिाब से आरं भ करते हुए, पूवथ
अपप वषाथ (30.5 सेमी) को र्चबरत करती है, िो अ्यर्धक अननजश्चत है ।
में पजश्चम बंगार् और असम तक ववस्त्तत ृ है ।

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गुिरात का उत्तरी भाग और तिीय क्षेर में भी कुछ मारा में िर्ोढ़ गहन र्ीर्चंग के कारण, र्ेिराइि शमट्िी की उवथरता आम तौर पर कम
शमट्िी पाई िाती है। उपिाऊ होती है और फसर् उ्पादन के शर्ए कम मूपय की होती है ।
र्ेककन िब ननरं तर इसकी शसचाई आदद की िाती है तो यह चाय, कॉफी,
रे त, गाद और शमट्िी के महीन कणों िर्ोढ़क कहा िाता है ।
रबर, नाररयर्, सुपारी, आदद िैसे रोपण फसर्ों के उ्पादन के शर्ए
िर्ोढ़ शमट्िी को दो भागो में बांिा िा सकता है
उपयुतत हो िाती है ।
1. परु ानी िर्ोढ़, जिसे बांगड़ कहा िाता है।
5. पवथतीय लमट्िी (Mountain Soil):
2. नई िर्ोढ़क, जिसे खादर कहा िाता है। पवथतीय शमट्िी वनों के सार् पहाड़ी ढर्ानों पर आम तौर पर पायी िाती
िर्ोढ़ शमट्िी शसंचाई के अनक
ु ू र् है और इसमें चावर्, गेहूं, मतका,गन्तना, है ।
धान की बम्पर फसर्ों का उ्पादन कर सकते हैं।
यह शमट्िी पजश्चमी घाि और पूवी घाि में और प्रायद्वीपीय भारत के
2. कािी लमट्िी (Black Soil):
कुछ भागों में पायी िाती है । यह शमट्िी ह्सयूमस में समद्
ृ ध है , र्ेककन
कार्ी शमट्िी को स्त्र्ानीय स्त्तर पर ‘रे गरु शमट्िी’ भी कहा िाता है , यह
पोिाश, फास्त्फोरस और चुने की कमी होती है । दहमार्य क्षेर में गेहूं,
तेर्गु के एक शब्द रे गड
ु ा ' से व्य्ु पन्तन माना िाता है । मतका, िौ और शीतोटण फर् इस शमट्िी पर उगाए िाते हैं।
इसे कार्ी कपास भी कहा िाता है , तयोकक कपास की फसर् के शर्ए
यह शमट्िी मुख्यतः रोपण फसर्ों िैसे चाय, कॉफी, मसार्े और कनाथिक,
कार्ी शमट्िी अ्यंत मह्वपण
ू थ है । तशमर्नाडु और केरर् में उटणकदिबंधीय फर् के उ्पादन के शर्ए ववशेष
कार्ी शमट्िी ज्यादातर डेतकन ट्रै प में पायी िाती है , िो महाराटट्र, रूप से उपयुतत है ।
गि
ु रात और पजश्चमी मध्य प्रदे श के बड़े क्षेरों में फैर्ी है । 6. रे र्गस्त्तानी शमट्िी (Desert Soil):
कार्ी शमट्िी को नमी धारण करने की अपनी अच्छी क्षमता के शर्ए
रे र्गस्त्तान शमट्िी ज्यादातर अद्थध शुटक और शुटक क्षेरों में पायी िाती
िाना िाता है ।
है , इस मद
ृ ा क्षेर में वावषथक वषाथ 50 सेमी से कम होती है।
कार्ी शमट्िी को व्यापक रूप से कपास, गेहूं, अर्सी, बािरा, तंबाकू और इस तरह के क्षेर ज्यादातर रािस्त्र्ान और हररयाणा और पंिाब के
नतर्हन के उ्पादन के शर्ए इस्त्तेमार् ककया िाता है ।
आसपास के क्षेरों में पाए िाते हैं।
गुिरात में कच्छ के रन इसका एक ववस्त्तत
ृ क्षेर है।
3. िाि लमट्िी (Red Soil):
रे र्गस्त्तान शमट्िी में रे त (90 से 95 प्रनतशत) और शमट्िी (प्रनतशत 5
र्ार् शमट्िी भारत के क्षेरफर् के 10% क्षेर पर है , ज्यादातर भाग
प्रनत 10) है । रे र्गस्त्तान शमट्िी में गेहूं, ज्वार, बािरा, िौ, मतका, दार्ें,
प्रायद्वीपीय भारत के दक्षक्षण पव
ू ी क्षेर में है।
कपास, आदद फसर्ों की ककस्त्मों का उ्पादन कर सकते हैं।
र्ार् शमट्िी तशमर्नाडु, कनाथिक, महाराटट्र के कुछ दक्षक्षण-पूवथ के
दहस्त्सों में, आंध्र प्रदे श के पूवी भागों में, मध्य प्रदे श, उड़ीसा और
भारत में प्राकृनतक वनस्त्पनत
झारखण्ड में पायी िाती है । उटणकहिबंधीय नम सदाबहार वन –इस प्रकार के वन क्षेरों में 250से.मी.
इस शमट्िी का र्ार् रं ग र्ौह आतसाइड के उच्च प्रनतशत की विह से है ।
वषाथ होती है । ये क्षेर पजश्चमी घाि, उत्तर-पव
ू ी भारत के पहाड़ी क्षेर तर्ा
यह शमट्िी पोिाश में समद्
ृ ध है , र्ेककन इस शमट्िी में चूना, फॉस्त्फेि, अंदमान और ननकोबार द्वीप समह
ू हैं। इन वनों में शीशम, आबनस
ू ,
नाइट्रोिन और हुमस अपप मारा में है।
आयरनवड
ु आदद के वक्ष
ृ पाये िाते हैं।
र्ार् शमट्िी कपास, गेहूं, चावर्, दार्, बािरा, तंबाकू, नतर्हन, आदद की
उ्कृटि पैदावार दे सकती हैं। उटणकहिबंधीय नम पणथपाती वन- इस प्रकार के वन क्षेरों में 100 – 200
से.मी. वषाथ होती है । ये वन क्षेर प्रायद्वीपीय क्षेरों और दहमार्य की छोिी
4. िेिराइि लमट्िी: (Laterite Soil):
पहाडड़यों शशवाशर्क, भाभर और तराई में पाए िाते हैं। इस प्रकार के वनों
र्ेिराइि शब्द एक र्ेदिन शब्द से व्य्ु पन्तन है जिसका अर्थ ‘ईंि’ है ।
में बसंत और गशमथयों की शुरुआत के दौरान िब पयाथप्त नमी उपर्ब्ध
यह मुख्य रूप से पजश्चमी घाि, पूवी घाि, रािमहर् की पहाडड़यों, ववंध्य,
नहीं है तो पेड़ 6-8 सप्ताह के शर्ए अपने पत्ते छोड़ दे ते हैं।
सतपुड़ा एवं मार्वा पठार के शशखर पर पायी िाती है । यह अच्छी तरह
इस प्रकार के वनों में सागौन, सार्, बांस, चंदन, शीशम, आदद के वक्ष
ृ पाये
से दक्षक्षणी महाराटट्र, उड़ीसा, पजश्चम बंगार्, कनाथिक, आंध्र प्रदे श, केरर्,
िाते हैं।
बबहार, असम और मेघार्य में ववकशसत है।
कंिक वन
इस प्रकार की िर्वायु पररजस्त्र्नतयां शमट्िी की र्ीर्चंग बढ़ावा दे ती है ।
इस प्रकार के वन क्षेरों में 25- 80 से.मी. वषाथ होती है। ये वन क्षेर
र्ीर्चंग एक प्रकिया है जिसमें भारी बाररश शमट्िी के उपिाऊ दहस्त्से को
रािस्त्र्ान के शुटक क्षेरों, पंिाब, हरयाणा और गुिरात में पाये िाते हैं।
धो दे ती है। र्ेिराइि शमट्िी रं ग में र्ार् होती है और यह शमट्िी बर्ुआ
पेड़- खिूर, बबूर्, आदद हैं।
प्र्र और ज्यादा बिरी से बनती है।

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पहाडी वन –इस प्रकार के वन क्षेर दक्षक्षण भारत और दहमार्य में पाये इन फसर्ों को सददथयों की शुरुआत में बोया िाता है और गमी के मौसम
िाते हैं। की शुरुआत से पहर्े फरवरी और अप्रैर् के बीच कािा िाता है।
पेड के प्रकार पहाडी की ऊंचाई पर ननभथर हैं : सार् और बांस के वक्ष
ृ उदाहरण के शर्ए: गेहूं, िौ, नतर्हन, चना, आर्ू, आदद
1000 मी. की ऊंचाई से नीचे होते हैं, ओक, अखरोि और अन्तय फर्ों के
जायद र्सिें
पेड़ और चीड के वन 1000 – 2000 मी. की ऊंचाई पर होते हैं, पाइन,
ये फसर्ें अप्रैर् और िन
ू के बीच उगती हैं।
दे वदार, चांदी फनथ और स्त्प्रूस के वक्ष
ृ 1600 – 3300मी. की ऊंचाई पर
िैसे : खरबि
ू , तरबि
ू , ककड़ी, Toris, और अन्तय पत्तेदार सजब्ियों
होते हैं और 3600 से अर्धक ऊंचाई पर अपपाइन के वन हैं जिसमे
शसपवर कफसथ , पाइन और बचथ के वक्ष
ृ होते हैं। अपपाइन के वनों में घास भारत की निदी र्सिें (वाखणजज्यक फसर्ें)
के मैदान शमर्ते हैं।
इन फसर्ों को मुख्यतः बािार के शर्ए उगाया िाता है , इन फसर्ों के
कुर् उ्पादन का केवर् कुछ भाग ही ककसानों द्वारा उपभोग ककया िाता
ज्वार या सदाबहार वन
है और शेष फसर् को बािार में बेचने के उद्दे श्य से बोया िाता
इसके अर्ावा इन वनों को नदी के ककनारे या दर्दर् वन के रूप में िाना
है ।(गन्तना, कपास आदद)।
िाता है । ये वन समुद्र ति के ककनारे और नददयों के ज्वारनदमुख में पाए
िाते हैं, सुंदरवन और अंडमान में ववशेष रूप पाये िाते हैं। इसमें सद
ुं री नगदी फसर्ें
पेड़ सबसे मह्वपण
ू थ है । यह कठोर और दिकाऊ र्कड़ी प्रदान करता है िो
िन्ना यूपी, महाराटर, कनाथिक में
ननमाथण प्रयोिनों और इमारतों के सार् ही नाव बनाने के शर्ए इस्त्तेमार्
कपास महाराटट्र, गुिरात, आंध्र प्रदे श में
में र्ाई िाती है।
जुि और Mesta पजश्चम बंगार्, बबहार, असम में
महत्वपण
ू थ बबंदु चाय असम, पजश्चम बंगार्, दहमाचर् प्रदेश में
मध्य प्रदे श वनों के अंतगथत सबसे बड़ा क्षेर है। कुर् क्षेरफर् में से वन कॉर्ी Kamalaka, केरर्, तशमर्नाडु में
क्षेर के प्रनतशत के रूप में सबसे पहर्े अंडमान एवं ननकोबार द्वीपसमह
ू रबड केरर्, तशमर्नाडु, कनाथिक में
है बाद में शमिोरम है । सदाबहार वन में, पजश्चम बंगार् पहर्े स्त्र्ान पर रे शम कनाथिक, िम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदे श में।
है , उसके बाद गि
ु रात और अंडमान एवं ननकोबार द्वीपसमह
ू हैं। भारत में रे शम की सभी चार ककस्त्में उपर्ब्ध
वनों का सबसे कम प्रनतशत व्यापक कृवष की विह से, हररयाणा और हैं: शहतूत, िसर, इरी और मुगा। शहतूत
पंिाब में है । मुख्य ककस्त्म है िबकक िसर मख्
ु य रूप से
भारत बायोस्त्फीयर भंडार बबहार में पाया िाता है।
भारत में पहर्ा बायोस्त्फीयर ररिवथ - नीर्र्गरर बायोस्त्फीयर ररिवथ – .
दे श में 1986 में आरं भ हुआ, अब तक दे श में 14 रक्षक्षत िीवमंडर् तम्बाकू गुिरात, आंध्र प्रदे श, कनाथिक में
अजस्त्त्व में आ चकु े हैं।
झूम
राटरीय पाकथ और वन्य जीवन अभयारण्य
खेती का स्त्र्ानांतरण प्रकार िो असम, अरुणाचर् प्रदे श, शमिोरम और
भारत में 96 राटट्रीय उद्यान और 510 वन्तयिीव अभयारण्य हैं।
नागार्ैंड के पहाड़ी ढर्ानों में खेती के रूप में की िाती है। इस में पेड़ों या
मध्य प्रदे श और अंडमान एवं ननकोबार में राटट्रीय उद्यानों की
पौधों को र्गरा कर या काि कर उनमें आग र्गा दी िाती है। िर्े हुए
अर्धकतम संख्या(प्र्येक में 9) है िबकक अंडमान एवं ननकोबार में 96
पेड़ों और अन्तय वनस्त्पनतयों की राख शमट्िी की उवथरता में वद्
ृ र्ध करती
और महाराटट्र में वन्तयिीव अभयारण्य की संख्या 36 है (भारत में
है । यह भूशम 2-3 सार् के शर्ए प्रयोग में र्ायी िाती है और िब शमट्िी
अर्धकतम )।
की उवथरता समाप्त हो िाता है तो झूम छोड़ ददया िाता है ।
भारत में र्सि चक्र
भारत की खरीर् र्सिें
भारत में रे िवे
इन फसर्ों को गशमथयों में मई और िुर्ाई के बीच बोया िाता है और
भारतीय रे र्वे प्रणार्ी, एशशया में सबसे बड़ी प्रणार्ी है और यह ववश्व में
मानसून के बाद शसतम्बर और अततूबर में कािा िाता है।
चौर्ा सबसे बड़ा रे र् तंर है । यह दे श में सबसे बड़ा ववभागीय सावथिननक
उदाहरण के शर्ए: चावर्, ज्वार, बािरा, मतका, कपास, िूि, गन्तना,
उपिम है। पहर्ी ट्रे न 16 अप्रैर् 1853 को मुंबई और ठाणे के बीच चर्ाई
तंबाकू, मूंगफर्ी, दार्, आदद
गई र्ी, जिसकी दरू ी 34 कक.मी र्ी।
भारत में रबी र्सिें
1854 में दस ू री ट्रे न हावड़ा और हुगर्ी के बीच चर्ाई गई र्ी। भारतीय
रे र् का मुख्यार्य नई ददपर्ी में है।

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भारत में पहर्ी इर्ेजतट्रक ट्रे न 'डेतकन तवीन' र्ी। यह बंबई और पूना के कोचीन केरर्
बीच 1929 में शुरू की गई। न्तयू मंगर्ौर कनाथिक
भारतीय रे र्वे रूस के बाद दनु नया में दस
ू री सबसे बड़ी ववद्यत
ु ीकृत ममाथगोआ गोवा
प्रणार्ी है । भारत में सबसे तेिी से चर्ने वार्ी ट्रे न ‘शताब्दी एतसप्रेस’ है जवाहरिाि नहरु महाराटट्र
जिसकी अर्धकतम गनत 140 ककमी/घंिा है । भारतीय रे र्वे का सम्पूणथ
मुंबई महाराटट्र
मागथ क्षेर र्गभग 63,000कक.मी. है। भारत में रे र्वे स्त्िे शनों की कुर्
कांडिा गुिरात
संख्या 7,100 है ।
भारत में सबसे र्ंबा रे र्वे प्र्ेिफामथ उत्तर प्रदे श का गोरखपुर रे र्वे अंतराथटरीय सीमा रे खाएं
स्त्िे शन है, जिसकी र्म्बाई 1,366.33मी (4,483 फुि) है , यह ववश्व में डूरं ड रे खा पाककस्त्तान और अफगाननस्त्तान
सबसे र्ंबा है। मैकमोहन रे खा भारत और चीन
मुंबई वह गंतव्य स्त्र्ान है िहााँ के शर्ए भारत की सबसे ज्यादा ट्रे ने
रै डजतर्फ़ रे खा भारत और पाककस्त्तान
चर्ती हैं।
मैर्गनोि रे खा फ़्ांस और िमथनी
पहर्ी मेट्रो रे र् 24 अतिूबर 1984 को कोर्काता (पजश्चम बंगार्) में
आडथर नीस रे खा िमथनी और पोर्ैंड
चर्ाई गई र्ी, जिससे दो स्त्िे शन दमदम और बेपगार्चया िुड़े र्े।
दहंडन बगथ रे खा पोर्ैंड और िमथनी (प्रर्म ववश्व यद्
ु ध के
भारत का कोंकण रे िवे: यह महाराटट्र, गोवा और कनाथिक के बीच की दरू ी
दौरान)
कम करने के शर्ए एक पररयोिना है । अप्िा (महाराटट्र) और मैंगर्ोर
38 वीं समानांतर उत्तर और दक्षक्षण कोररया
(कनाथिक) के बीच समग्र मागथ की र्ंबाई 786 ककमी है ।
49 वीं समानांतर अमेररका और कनाडा
भारत में जि पररवहन
भारत में शाशमर् नददयां, नहरें , अप्रवाही िर् आदद, में नौगम्य िर्मागथ भारत में खननज
1. िौह:
की कुर् र्ंबाई 14,500 ककमी है , जिसमे से 3700 ककमी यंरीकृत
नौकाओं द्वारा नौगम्य योग्य मागथ है । भारत के बबहार, उड़ीसा, मध्य प्रदे श, कनाथिक और महाराटट्र में र्ौह

भारत सरकार ने ननम्नशर्खखत िर् मागों को राटट्रीय िर्मागथ के रूप में अयस्त्क के ववशार् भंडार हैं। र्ौह अयस्त्क बबहार में शसंहभूम और उड़ीसा
के मयूरभंि के खानों में पाया िाता है । िमशेदपरु , शभर्ाई, बोकारो,
मान्तयता प्रदान की है :
NW 1: इर्ाहाबाद से हजपदया - 1,629 ककर्ोमीिर दग
ु ाथपुर, राउरकेर्ा और भद्रावती में बहृ त ् इस्त्पात संयर
ं हैं।

NW 2: साददया से धुबारी (ब्ह्समपुर नदी पर) - 819 ककर्ोमीिर


NW 3: कोपर्म से कोट्िापुरम - 186 ककर्ोमीिर 2.कोयिा :
NW 4: काकीनाडा से मरतकनम (गोदावरी और कृटणा नदी के सार्) - यह ‘कार्े हीरे ’ के रूप में िाना िाता है। नायर्ॉन, रसायन, रं िक,
1,100 ककर्ोमीिर सुगंर्धत पदार्थ आदद िैसे उ्पाद कोयर्े के आसवन से प्राप्त होते हैं।
कोयर्ा बबहार, पजश्चम बंगार्, दामोदर घािी, उड़ीसा, आंध्र प्रदे श और
भारत में बंदरिाह
मध्य प्रदे श में पाया िाता है । बबहार में झररया और पजश्चम बंगार् में
भारत में िर्मागथ प्रार्धकरण तीन श्रेखणयों में भारतीय बंदरगाहों को
रानीगंि में भारत की सबसे बड़ी कोयर्ा खदानें हैं। अन्तय कोयर्ा खदानें-
ववभाजित करता है अर्ाथत- मुख्य(बड़े), छोिे और मध्यम आकर के
सुहागपुर (मध्य प्रदे श), धनबाद (बबहार), नेवेर्ी (तशमर्नाडु) और
बंदरगाह। भारत में बंदरगाहों की कुर् संख्या 190 है , जिसमे से 12 मख्
ु य
शसंगरानी (आंध्र प्रदेश) में जस्त्र्त हैं।
या बड़े बंदरगाह है और शेष छोिे या मध्यम आकार के बंदरगाह हैं।
12 मुख्य या बडे बंदरिाह : 3. पेरोलियम:
बंदरिाह राज्य पेट्रोशर्यम 'कार्े सोने' के रूप में िाना िाता है। पेट्रोशर्यम असम में
कोिकाता (हष्पदया सहहत ) पजश्चम बंगार् डडगबोई, गि
ु रात में अंकेश्वर और कर्ोर् तर्ा मंब
ु ई के ‘मंब
ु ई हाई’ में
पाराद्वीप उड़ीसा पाया िाता है ।

ववशाखापत्तनम आंध्रप्रदे श
4. मैंिनीज:
चेन्नई तशमर् नाडु
मैंगनीि स्त्िीर् के ननमाथण में प्रयोग ककया िाता है। भारत दनु नया में
एन्तनोर तशमर् नाडु
मैंगनीि का सबसे बड़ा उ्पादक है। यह उड़ीसा, कनाथिक, मध्य प्रदे श
तूतीकोररन तशमर्नाडु और महाराटट्र में पाया िाता है ।

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5. अभ्रक: • भारत की सबसे र्ंबी सहायक नदी – यमुना
भारत दनु नया में अभ्रक का सबसे बड़ा उ्पादक है। इसके ववशार् भंडार • सबसे बड़ी झीर् – वुर्र झीर्, कश्मीर
बबहार के ‘गया’, मग
ुं ेर और हिारीबाग जिर्ों में पाए िाते हैं। मीका आंध्र • सबसे बड़ी झीर् (खारे पानी की ) – र्चपका झीर्, उड़ीसा
प्रदे श और रािस्त्र्ान में भी बड़ी मारा में पाया िाता है । अभ्रक की एक • मानव ननशमथत सबसे बड़ी झीर् – गोववन्तद वपर्भ पन्तत सागर (ररहंद
बड़ी मारा अन्तय दे शों को ननयाथत की िाती है। बांध )
6. एपयूमीननयम: • सबसे ऊाँची झीर्- दे वतार्, गड़वार् (उत्तराखंड)
यह एक हपकी र्ेककन कठोर धातु है। अयस्त्क के रूप में िो • सबसे ऊाँची चोिी – काराकोरम-2 या k-2 (8,611 मीिर)
एपयूमीननयम उ्पाददत होता है उसे बॉतसाइि के नाम से भी िाना िाता • सबसे अर्धक िनसाँख्या वार्ा शहर- मब
ुं ई
है । बॉतसाइि के ववशार् भंडार बबहार, उड़ीसा, मध्य प्रदे श, आंध्र प्रदे श, • सबसे बड़ा राज्य (क्षेरफर् ) –रािस्त्र्ान
कनाथिक, तशमर्नाडु और महाराटट्र में पाए िाते हैं। • सबसे बड़ा राज्य (िनसंख्या) – उत्तर प्रदे श
7. तांबा: • सबसे अर्धक वषाथ - चेरापूंिी (426 इंच प्रनत वषथ )
यह ववद्यत
ु का अच्छा संचार्क है। यह जिंक के सार् शमर्श्रत होकर • राज्यों के अनुसार सबसे अर्धक वन आच्छाददत राज्य – मध्य प्रदे श
पीतर् के रूप में शमश्र धातु बनाता है और दिन के सार् शमर्श्रत होकर • सबसे बड़ा डेपिा – सुंदरबन डेपिा
कांस्त्य बनाता है। यह भारत में कम मारा में पाया िाता है । • सबसे र्ंबा नदी पुर् – महा्मा गााँधी सेतु, पिना
यह रािस्त्र्ान में खेतड़ी में पाया िाता है। कुछ तांबा आंध्र प्रदे श, उत्तर • सबसे बड़ा गुफा मंददर-एर्ोरा
प्रदे श और तशमर्नाडु में भी पाया िाता है। • सबसे र्ंबी सड़क –ग्रांड ट्रं क सड़क
8. स्त्वणथ: • सबसे र्ंबी नहर – इंददरा गााँधी नहर या रािस्त्र्ान नहर (रािस्त्र्ान )
स्त्वणथ कनाथिक में कोर्र और हुट्िी तर्ा आंध्रप्रदे श में अनंतपरु म की • सबसे बड़ा संग्रहार्य – भारत संग्रहार्य (कोर्काता )
खानों में पाया िाता है । • सबसे र्ंबा बांध – हीराकुंड बांध (उड़ीसा )
9. डायमंड: • सबसे ऊाँचा बांध –िे हरी बांध (260 मीिर, 850 फुि )
हीरा मध्य प्रदे श में ‘पन्तना’ की खानों में पाया िाता हैं • सबसे बड़ा जिर्ा – कच्छ जिर्ा
• सबसे र्ंबा - एन.एच -44 (एन.एच -7) िो वाराणसी से कन्तयाकुमारी
भारत का भूिोि और क्षेर सीमाएं तक है। एन.एच
1. भारत का भौगोशर्क भाग 32,87,263 वगथ कक.मी क्षेर में फैर्ा है । • सबसे छोिा राज्य (िनसाँख्या ) –शसजतकम
िो ववश्व के सम्पूणथ क्षेरफर् का 2.4% है और ववश्व की िनसंख्या • सबसे छोिा राज्य (क्षेरफर् ) – गोवा
में 16% िनसंख्या का प्रनतननर्ध्व करता है। • सबसे बड़ा राज्य (क्षेरफर् )- रािस्त्र्ान
2. भारत की मुख्य तिीय भूशम 6100 कक.मी है । ‘र्क्ष्यद्वीप’ तर्ा • सबसे बड़ा राज्य (िनसाँख्या) – उत्तर प्रदे श
‘अंडमान और ननकोबार’ की तिीय सीमा को सजम्मशर्त करने से • सबसे बड़ा गफ
ु ा मंददर – कैर्ाश मंददर, एर्ोरा (महाराटट्र)
भारत की कुर् तिीय सीमा र्गभग 7516.6 कक.मी है। • सबसे बड़ा बंदरगाह – मंब
ु ई
3. भारत में कुर् भूशम का आकार : • सबसे बड़ा चचथ - सेंि कैर्ेड्रर् (गोवा)
a. मैदानी भूगोर्ीय भाग: 43.3% • सबसे र्म्बा समद्र
ु ति – मरीना ति, चेन्तनई
b. पठार : 27.7% • पहाडड़यााँ : 18.6% • सबसे अर्धक ऊंचाई पर जस्त्र्त एयरपोिथ – र्ेह (र्द्दाख )
c. पवथतीय भौगोशर्क भाग: 10.7% • सबसे र्म्बा नदी द्वीप – मािर्
ु ी (ब्हमपर
ु नदी, असम )
4. दक्षक्षण में पूवी भाग की ददशा में मन्तनार की खाड़ी और पाक
िर्डमरूमध्य भारत और श्रीर्ंका को पर्
ृ क करते हैं। वववतथननक प्िेि (िे तिोननक प्िेि) लसद्धांत: -
5. सीमा से र्गे पड़ोसी दे शों की कुर् संख्या: 7 (पाककस्त्तान, यह शसद्धांत पथ्ृ वी के स्त्र्र्मंडर् का बड़े पैमाने पर गनत का वणथन
अफगाननस्त्तान, चीन, नेपार्, भूिान, बांग्र्ादे श और म्यांमार)। करता है । यह शसद्धांत र्ाखों वषों के दौरान महाद्वीपीय बहाव या
6. भारत में बंगार् की खाड़ी में अंडमान ननकोबार द्वीप तर्ा अरब खखसकाव के गठन की व्याख्या पर आधाररत है ।
सागर में र्क्ष्यद्वीप, शमननकॉय और अमनद्वीप शाशमर् हैं। प्र्ेि सीमाएं : दो वववतथननक प्र्ेिों (िे तिोननक प्र्ेि) के बीच संबर्ं धत
गनतववर्ध पर आधाररत है , यहााँ प्र्ेि सीमाओं के तीन प्रकार हैं। वे इस
भारत के महत्वपण
ू थ तथ्य प्रकार हैं:
• सवोच्च पुरस्त्कार – भारत र्न संसत
ृ सीमा: इस जस्त्र्नत में, दो आसन्तन वववतथननक प्र्ेिें एक दस
ू रे की
• सवोच्च वीरता परु स्त्कार - परम वीर चि ओर चर्ती हैं।

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शभन्तन सीमा: इस मामर्े में, दो आसन्तन प्र्ेिों एक दस
ू रे से दरू िाती हैं। • जैसमंद झीि : रािस्त्र्ान-रािस्त्र्ान की सबसे बड़ी तािे पानी की
रूपांतरण सीमा: इस मामर्े में, दो आसन्तन प्र्ेिें अपनी सीमाओं के सार् झीर्
चर्ती हैं। • नतकी झीि : राजस्त्र्ान – माउन्ति आबू के पास छोिी प्राकृनतक झीर्
भारत का िठन िो पहाडड़यों द्वारा नघरी है यह पयथिन के शर्ए मह्वपूणथ स्त्र्ान है।
भारतीय प्रायद्वीप उत्तर की ओर खखसका और अंत में यूरेशशयन प्र्ेि के • िोकिक झीि : मखणपुर
सार् िकरा गया है। इस िकराव के पररणामस्त्वरूप
तर्छिी चट्िानों के रूप में, पजश्चम एशशया और दहमार्य की पवथत खारे पानी की झीिें
सांभर झीि – रािस्त्र्ान- ियपरु और नागौर जिर्े की सीमा से र्गती
श्रंख
ृ र्ा संर्चत हुई, िो पहर्े िीओसतर्ाइन (िीर्र्स में रूप में िानते हैं)
यह रािस्त्र्ान की सबसे बड़ी झीर् है।
र्ा। िे र्र्स सागर में दहमार्य के उ्र्ान के कारण, भारतीय प्रायद्वीप के
डीडवाना झीि- रािस्त्र्ान
उत्तरी ददशा में र्म गया और गदठत होकर एक बड़ा बेशसन बना। यही
कारण है कक दक्षक्षण में प्रायद्वीप से और उत्तर में, पवथतों से आने वार्ी
हररत िांनत
नददयााँ अवसादों से भरी होती र्ीं। इस प्रकार, िर्ोढ़ शमट्िी की एक
भारत सरकार ने प्रनत है तिे यर उपि बढ़ाने के शर्ए एक कायथिम
व्यापक सपाि भशू म का गठन ककया गया िो भारत के उत्तरी मैदान के
आयोजित ककया जिसे हररत िांनत कहा िाता है ।
रूप में िाना िाता है।
हररत िांनत को 1967-68 में पहर्ी बार आरं भ ककया गया र्ा।
ववश्व में प्रमुख पवथत श्रंख
ृ िाएं
हररत िांनत के िनक –डॉ. नॉमथन बोरर्ॉग ।
✓ एंडीज - दक्षक्षण अमेररका
भारत में हररत िांनत के िनक - डॉ. एम.एस स्त्वामीनार्न।
✓ हहमािय – काराकोरम –दहन्तदक
ु ु श – दक्षक्षण मध्य एशशया
हररत िांनत अनाि की उच्च उपि ककस्त्मों के ववकास, शसंचाई के
✓ रॉकीस - उत्तर अमेररका
बुननयादी ढांचे के ववस्त्तार, और संकररत बीि का ववतरण, शसंर्दे िक
✓ ग्रेि डडवाइडडंि रें ज – पूवी ऑस्त्ट्रे शर्या
उवथरक, ककसानों के शर्ए कीिनाशक आदद पर ध्यान केजन्तद्रत र्ा।
✓ पष्श्चमी घाि – पजश्चमी भारत
✓ काकेशस यूरोप – एशशया स्त्वेत क्रांनत
✓ अिास्त्का – अमेररका दे श में श्वेत िांनत ‘ऑपरे शन टर्ड’ के साधन के रूप में प्राप्त ककया
✓ आपपस – यूरोप गया र्ा। यह तीन चरणों में ककया गया र्ा।
✓ अपेनाइन –यरू ोप ऑपरे शन टर्ड I .... 1970 - 1981
✓ यूराि –एशशया ऑपरे शन टर्ड II ... 1981 - 1985
✓ पेनाइन -यरू ोप ऑपरे शन टर्ड III ... 1985 - 1996.
✓ पेरेननज - यूरोप श्वेत िांनत को दध
ू और डेरी उ्पादों की गुणवत्ता में वद्
ृ र्ध करने के
✓ अप्िेलशया –उत्तर अमेररका शर्ए आरं भ ककया गया र्ा।
भारत में श्वेत िांनत के िनक ‘डॉ. वर्गथि कुररन’ हैं। इन्तहें भारत के
हहमािय
शमपकमैन के रूप में भी िाना िाता है ।
• पंजाब हहमािय –शसंधु और सतर्ुि के बीच
• कुमाऊ हहमािय – सतर्ुि और कार्ी के बीच स्त्मरणीय
• नेपाि हहमािय – कार्ी और तीस्त्ता के बीच • राटट्रीय पशु -रॉयर् बंगार् िाइगर
• असम हहमािय – तीस्त्ता और ददहांग के बीच • राटट्रीय िर्ीय िानवर -डॉजपफन
• राटट्रीय पक्षी -भारतीय मयरू
महत्वपूणथ िैिून और झीिें
• राटट्रीय पेड़ -बरगद का पेड़
• वेम्बनाद झीि – केरर्- बड़े आकार का र्ैगन

• कयापस – केरर् – केरर् में ठहरे हुए पानी के शर्ए प्रशसद्ध है। भारत में नहदयों के ककनारे ष्स्त्र्त निर
केरर् में ठहरे हुए पानी की शमट्िी को ‘कारी’ कहते हैं। • आगरा -यमन
ु ा, उत्तर प्रदे श
• गचपका झीि – उड़ीसा – महानदी डेपिा का दक्षक्षण-पजश्चम क्षेर • अहमदाबाद - साबरमती, गि
ु रात
• वुिर झीि: िम्मु और कश्मीर – भारत की सबसे बड़ी तािे पानी की • अयोध्या -सरयू, उत्तर प्रदे श
झीर् • बद्रीनार् - गंगा,उत्तराखंड
• कोपर्ेरू झीि : आंध्रप्रदे श • किक - महानदी, उड़ीसा
• पुलिकत झीि: आंध्रप्रदे श
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• ददपर्ी -यमुना, ददपर्ी 19. कच्चा तेर्—–गुिरात
• डडब्ग
ू ढ़ -ब्ह्समपुर, असम 20. प्राकृनतक गैस—–असम /नागार्ैंड
• हररद्वार -गंगा, उत्तरांचर्
• है दराबाद - मूसी, एपी
ववश्व के महाद्वीप
• िबर्पुर - नमथदा, एमपी
ववश्व के महाद्वीप
• कानपुर - गंगा, उत्तर प्रदे श
• एशशया, अफ्रीका, उत्तरी अमेररका, दक्षक्षण अमेररका, यरू ोप,
• कोर्काता - हुगर्ी, पजश्चम बंगार्
ऑस्त्ट्रे शर्या और अंिाकथदिका ववश्व के सात महाद्वीप हैं।
• कोिा - चंबर्, रािस्त्र्ान
• इन सात महाद्वीपों को पेंजिआ का भाग माना िाता है िो कक 250
• र्खनऊ - गोमती, उत्तर प्रदे श
शमशर्यन वषथ पहर्े एक ही भूखड
ं के रूप में र्ा।
• र्ुर्धयाना - सतर्ुि, पंिाब
• वववतथननक घिनाओं के कारण, भूखंड िूि गया और इसके भाग
• नाशसक - गोदावरी, महाराटट्र
अर्ग होकर शभन्तन ददशाओं अपनी वतथमान जस्त्र्नत में ववस्त्र्ावपत
• पंढरपरु - भीम, महाराटट्र
हो गये। यह परू ी प्रकिया पूरी होने में 1 शमशर्यन वषथ र्गे।
• पिना - गंगा, बबहार
ववश्व के महाद्वीप ये हैं
• रािामुंदरी -गोदावरी, आंध्र प्रदे श
• एशशया महाद्वीप
• संबर्पुर - महानदी, उड़ीसा
• अफ्रीका महाद्वीप
• श्रीनगर - झेर्म, िम्मू और कश्मीर
• उत्तरी अमेररकी महाद्वीप
• सूरत - ताप्ती, गि
ु रात
• दक्षक्षणी अमेररकी महाद्वीप
• नतरुचरापपर्ी - कावेरी, तशमर्नाडु
• यूरोप महाद्वीप
• वाराणसी -गंगा, उत्तर प्रदे श
• ऑस्त्ट्रे शर्या महाद्वीप
• ववियवाड़ा - कृटणा, आंध्र प्रदे श
• अंिादिथ का महाद्वीप

खननज सम्पदा की दृष्टि से प्रर्म स्त्र्ान प्राप्त राज्य (भारत)


एलशया
1. कोयर्ा —–झारखण्ड
1) क्षेरफर्: 44,485,900 वगथ ककमी
2. बॉतसाइि (एपयुमीननयम अयस्त्क)—–उड़ीसा
2) िर्डमरूमध्य: मार्तका िर्डमरूमध्य, बेररंग िर्डमरूमध्य
3. िोमाइि (िोशमयम अयस्त्क)—–उड़ीसा
3) पवथत
4. र्ौह अयस्त्क—–उड़ीसा
पामीर की गांठ, दहमार्य, काराकोरम, कुनर्ुन, नतएनशान, अपिाई,
5. मैगनीि—–उड़ीसा
दहन्तदू कुश, एपबुज़,थ पोंदिक, सुर्ेमान, ज़ग्रोस, तौरस, उरार्, योब्र्ोनोवोई,
6. सीसा एवं िस्त्ता—–रािस्त्र्ान
स्त्िे नवाय.
7. केपसाइि (संगमरमर का स्रोत)—–रािस्त्र्ान
4) उच्चतम बबंद:ु एवेरेस्त्ि (8,848 मी)
8. जिप्सम (उवथरक, प्र्ास्त्िर ऑफ़ पेररस आदद में उपयोगी)—–
5) ननम्नतम बबंदु मत
ृ सागर (396.8 मी)
रािस्त्र्ान
6) द्वीपसमूह --- कुररर्, सखाशर्न, होन्तशु, होतकाइडो, ताइवान, बोननथयो,
9. तवािथ ज़—–रािस्त्र्ान
सुमारा, िावा, सेर्ेब्स, न्तयू र्गनी, कफर्ीपींस, श्रीर्ंका, बहरीन, साइप्रस.
10. एस्त्बेस्त्िस—– आंध्र प्रदे श
7) नहदयाँ - यफ्र
ू े ट्स, िाइर्ग्रस, शसंधु, गंगा, ब्ह्समपुर, ह्सवांग-हो, यांग-
11. चूनाप्र्र—–आंध्र प्रदेश
िीएसई, सी-ककयांग, आमूर, र्ीना-यनेसी, ओब, इरावदी, सजपवन,
12. अबरख —– आंध्र प्रदे श
मेकांग
13. बैराइट्स (तेर् एवं गैस की खोि में डड्रशर्ंग तरर् पदार्थ के
8) पठार –अनातोशर्या, एनािोशर्या का पठार, ईरान का पठार, अरब का
भारोत्तोर्न एिेंि के रूप में उपयोग ककया िाता है , सीआर स्त्कैन में
पठार, नतब्बत का पठार, ताररम बेशसन, मंगोशर्या का पठार, युन्तनान का
बेररयम का उपयोग ककया िाता है )—– आंध्र प्रदे श
पठार, दतकन पठार।
14. हीरा —–मध्यप्रदे श
9) प्रायद्वीप— कामचिका प्रायद्वीप, कोररया का प्रायद्वीप, इंडो-चीन
15. तांबा अयस्त्क—– मध्यप्रदे श
का प्रायद्वीप, मर्य प्रायद्वीप भारतीय प्रायद्वीप, अरब प्रायद्वीप
16. सोना—–कनाथिक
10) मरुस्त्र्ि-अरब, र्ार
17. कोरं डम (रूबी और नीर्म का स्रोत)—–महाराटट्र
18. रॉक सापि —–दहमाचर् प्रदे श
अफ्रीका

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1 क्षेरफर्: 30,259,680 वगथ ककमी 7 नददयााँ -- वोपगा, डेन्तयब
ू , राइन, पो, नीपर, डोन, ववस्त्चुर्ा, एपब,
2 िर्डमरूमध्य –बाब-अर्-मान्तदेब िर्संर्ध, जिब्ापिर िर्संर्ध ओडर, सेन, र्ॉयर, गैरोन, डोरो, िै गस, उरार्
3 पवथत— एिर्स, ड्रैकेंसबगथ, ककशर्मंिारो 8 पठार –बोहे शमयां का पठार, स्त्पेन का पठार, सेंट्रर् मजस्त्सफ
4 उच्चतम बबंद:ु ककशर्मंिारो (5,894 मी)
5 ननम्नतम बबंदु -अस्त्साइ झीर् (-156.1 मी) ऑस्त्रे लिया

6 द्वीपसमूह -- मेडागास्त्कर, केप वडे द्वीप, द कॉमोरोस, मॉरीशस, 1 क्षेरफर् -- 7,830,682 वगथ ककमी
2 िर्डमरूमध्य – बास िर्सजन्तध
सेशेपस
7 पठार –सम्पूणथ महाद्वीप एक पठार है 3 पवथत –ग्रेि डडववडडंग रें ि
4 उच्चतम बबंदु – कोशूइश्को (2,228 मी)
8 मरूस्त्र्र् – कार्ाहारी, सहारा, नामीब
5 ननम्नतम बबंदु – आयर झीर् (-15.8 मी)
उत्तरी अमेररका 6 द्वीप समह
ू – तस्त्माननया
1 क्षेरफर् -- 24,235,280 वगथ ककमी 7 पठार—पजश्चमी पठार
2 िर्डमरूमध्य – बेररंग िर्संर्ध 8 मरूस्त्र्र्—र्गब्सन मरूस्त्र्र्, ग्रेि सैंडी मरूस्त्र्र्, ग्रेि ववतिोररया
3 पवथत—रॉकी, अप्पर्ेशशयन, ब्त
ु स, कुस्त्कोकववम, अर्ास्त्का रें ि, डेििथ , शसम्पसन मरूस्त्र्र्.
कास्त्केड रें ि, तिीय रें ि, शसएरा नेवादा, शसएरा माड्रे
यरू ोप महाद्वीप
4 उच्चतम बबंदु – मेककन्तर्ी (6,194 मी)
1) यरू ोप का छठवां स्त्र्ान है। इसकी सीमा पजश्चम में आकथदिक सागर
5 ननम्नतम बबंदु –मत
ृ घािी (-85.9 मी)
और दक्षक्षण में भम
ू ध्यसागर जस्त्र्त है । परू ब में, यह यरू ार् पवथत,
6 द्वीप समूह –ग्रीनर्ैंड, बेकफन, ववतिोररया, न्तयूफाउं डर्ैंड, तयूबा,
काकेशश पवथत तर्ा कैजस्त्पयन सागर द्वारा एशशया से अर्ग होता है।
िमैका, है ती
• ररतिाववक को ‘द स्त्मोककं ि बे’ के रूप में भी िाना िाता है ।
7 नददयााँ – शमशसशसपी, शमसौरी, सेंि र्ॉरें स, मकेन्तज़ी, कोर्ोराडो, हडसन,
• डेनमाकथ स्त्कैं डेनवे वया का सबसे छोिा दे श है।
पोिोमैक, ओदहयो
• ग्रीनर्ैंड दनु नया का सबसे बड़ा द्वीप है और फराओ आइर्ैंड्स भी
8 पठार -- कोर्ंबबया पठार, कोर्ोराडो पठार, मैजतसकन पठार, कनाडाई
डेनमाकथ से संबर्ं धत हैं।
शीपड
• डेनमाकथ की रािधानी कोपेनहे गन को बाजपिक की कंु िी के रूप में भी
9 मरूस्त्र्र्-- र्चहुआहुआन, कोर्ोराडो, मोिेव, सोनोरान
िाना िाता है ।
दक्षक्षण अमेररका • कफ़नर्ैंड वन और झीर्ों की भशू म के रूप में िाना िाता है।

1 क्षेरफर् -- 17,820,770 वगथ ककमी • कफ़नर्ैंड की रािधानी और सबसे बड़े शहर, हे र्शसंकी को उत्तर का
2 िर्डमरूमध्य – मैगेर्न िर्सजन्तध ‘व्हाइि शसिी’ के रूप में िाना िाता है।
3 पवथत –एंडीि • स्त्वीडन की रािधानी, स्त्िॉकहोम को सागर में सौंदयथ के रूप में िाना
4 उच्चतम बबंदु – अकांकागुआ (6,960 मी) िाता है ।
5 ननम्नतम बबंद-ु वापडेस पेननन (-39.9 मी) • शमर्ान को इिर्ी का मैनचेस्त्िर कहा िाता है ।
6 द्वीप समह
ू - गैर्ापागोस, फ़ॉकर्ैंड, िीएरा डेर् फ़्यूगो • रोम को सात पहाडड़यों का शहर कहा िाता है
7 नददयााँ -- अमेज़़ॅन, ओररननको, परागुए, पराना, उरुग्वे • • वैदिकन शसिी सबसे छोिा संप्रभु और स्त्वतंर दे श है िो परू ी तरह से
8 पठार -- बोशर्ववया का पठार, एतवाडोर का पठार इिर्ी से नघरा हुआ है।

9 मरूस्त्र्र् -- अिाकामा, पेिोगोननया उच्चतम बबंदु – माउन्ि एपब्रस


ु , रूस
सवाथगधक दक्षक्षणतम बबंदु – गवडोस,ग्रीस
Europe सबसे बडा झीि – र्डोगा झीर्, रूस
1 क्षेरफर् -- 10,530,750 वगथ ककमी
सबसे बडी नदी – वोपगा
2 िर्डमरूमध्य – जिब्ापिर िर्सजन्तध
• रूस की अन्तय चौदह दे शों के सार् सीमायें हैं एवं आठ समय क्षेरों से
3 पवथत -- आपप्स, वपरे नीि, ऐप्पेनाईन, ददनाररक आपप्स, कापेर्र्यन,
गि
ु रती है ।
ट्रांशसपवेननयाई पवथत, बापकन, काकेशस, यूरार्
• मास्त्को पांच सागर - बाजपिक सागर, र्डोगा झीर्, आकथदिक सागर,
4 उच्चतम बबंदु – एपब्ुि (5,663 मी) कार्ा सागर, और कैजस्त्पयन सागर का पत्तन है।
5 ननम्नतम बबंदु –कैजस्त्पयन सागर (-28.0 मी)
• माउं ि ब्र्ैंक आपप्स की सबसे ऊाँची चोिी है । (फ्रांस में)
6 द्वीप समह
ू -- बब्दिश द्वीप, आइसर्ैंड, सदीननआ, शसशसर्ी, िेते.

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• यूरोप के पांच मह्वपूणथ पवथतों में आपप्स, वपरे ननि, कापेर्र्यन, और • कोर्ोराडो नदी के ग्रांड कैननयन दनु नया में अपनी तरह का सबसे बड़ा
काकेशस शाशमर् हैं। है ।
• यूरोप की सबसे ऊाँची पवथतीय शशखर माउं ि एपब्ुि काकेशस पवथत • उत्तर अमेररका के आंतररक मैदानों में पाए िाने वार्े घास के मैदानों
पर है को प्रेरीज़ के रूप में िाना िाता है ।
• यूरोप के दक्षक्षण-पूवथ भाग में एक ववस्त्तत
ृ घास का मैदान है जिसे • झीर् सुपीररयर: कैजस्त्पयन सागर के बाद दनु नया की दस
ू री सबसे बड़ी
स्त्िे पी कहा िाता है झीर् है ।
• राईन यूरोप का सबसे व्यस्त्तम अंतदे शीय िर्मागथ है । • र्ेक शमशशगन: एकमार महान झीर् िो पूरी तरह से संयुतत राज्य
• बब्दिश आइपस यूरोप की मुख्य भशू म से इंजग्र्श चैनर् द्वारा अर्ग अमेररका के भीतर जस्त्र्त है ।
होता है । • ववश्व की प्रमुख कॉफी ननमाथता: ब्ाज़ीर्
• वपरे ननि पवथत फ्रांस को स्त्पेन से अर्ग करता है । • दक्षक्षण अमेररका का सबसे बड़ा शहर: साओ पाउर्ो, ब्ािीर्
• रूर (िमथनी) यूरोप का सबसे बड़ा और समद्
ृ ध कोयर्ा उ्पादक क्षेर • दनु नया का सबसे शुटक स्त्र्ान: एररका, र्चर्ी
है । • ववश्व का सबसे बड़ा तांबा शहर: चुकककमाता, र्चर्ी
• प्रशांत का पर्थ: ग्वायाककर्, इतवाडोर
उत्तरी अमेररका
• ववश्व का सबसे ऊाँचा िर्प्रपात: एंिेर् फ़ॉपस, वेनेिुएर्ा
• मध्य अमेररकी दे श बनाना ररपजब्र्क के रूप में िाने िाते हैं।
• दक्षक्षण अमेररका और अंिाकथदिका के बीच िर्संर्ध: ड्रेक मागथ
• है शमर्िन को कनाडा का पीट्सबगथ के रूप में िाना िाता है।
• दनु नया का सबसे ऊाँचा सकिय ज्वार्ामुखी: माउं ि, ओिस डेर्
• नोवा स्त्कोशशआ की रािधानी, हशर्फेतस, कनाडा का एक दहमरदहत
सर्ाडो, अिेंिीना
मह्वपण
ू थ पोिथ है ।
• दहमार्य के बाद ववश्व का ऊाँचा पवथत: एंडडि
• बब्दिश कोर्ंबबया, कनाडा के सबसे बड़े शहर, वैंकोवर फ्रेिर नदी के
• अमेज़़ॅन बेशसन रबर के पौधे का घर है ।
मह
ु ाने पर जस्त्र्त है।
• ‘कनाडा का बबशमंघम “– हैशमर्िन. ऑस्त्रे लिया
• ववश्व का सबसे बड़ा तेर्शोधन कारखाना साननथया, कनाडा में जस्त्र्त • ऑस्त्ट्रे शर्या सबसे छोिा महाद्वीप है।
है । • यह पूरी तरह से दक्षक्षणी गोर्ाधथ में जस्त्र्त है।
• यूएसए का सबसे छोिा राज्य : रहोड आइर्ैंड • ऑस्त्ट्रे शर्या ववश्व का एकमार दे श है िो पूरे महाद्वीप को कवर
• अमेररका के सबसे बड़ा राज्य : अर्ास्त्का करता है।
• प्रशांत महासागर में जस्त्र्त सबसे बड़ा बंदरगाह, जिसे शसिी ऑफ़ • इसे द्वीपीय महाद्वीप के रूप में भी िाना िाता है।
गोपडन गेि के नाम से भी िाना िाता है : सन फ्रांशसस्त्को, यूएसए • मकर रे खा महाद्वीप के र्गभग र्गभग बीच से गुिरता है।
• एक अंग्रेि समुद्रयारी, कप्तान िेम्स कूक ने 1770 में ऑस्त्ट्रे शर्या
उच्चतम बबंदु – उत्तरी अमेररका
की खोि की गई र्ी।
माउं ि मेककनर्े, अर्ास्त्का, यूएसए
• यह उत्तर-पजश्चम में नतमोर सागर, उत्तर में कापेंिररया की खाड़ी
ननम्नतम बबंदु
और अराफुरा सागर से, उत्तर-पूवथ में ग्रेि बैररयर रीफ और दक्षक्षण में
म्ृ युघािी, कैशर्फ़ोननथया
महान ऑस्त्ट्रे शर्याई बाईि से नघरा हुआ है ।
सबसे बडी झीि
सुपीररयर झीर्, कनाडा/यूएसए
उच्चतम बबंदु
• संयुतत राज्य अमेररका में सबसे बड़ा बंदरगाह, हडसन नदी के
माउं ि कोशशनयस्त्कू, ऑस्त्ट्रे शर्या
ककनारे जस्त्र्त - न्तयूयॉकथ शहर है ।
ननम्नतम बबंदु : आयर झीर्, ऑस्त्ट्रे शर्या
• संयुतत राज्य अमेररका के सवाथर्धक िनसंख्या वार्ा शहर न्तयूयॉकथ है
सबसे बडी झीि: Lake Eyre
जिसे गगन चुम्बी इमारतों का शहर के नाम से भी िाना िाता है।
• मरे एंड द डाशर्ंग ऑस्त्ट्रे शर्या की प्रमख
ु नददयां हैं।
• हवाई द्वीप में जस्त्र्त मोनाकीआ, सबसे ऊंची चोिी और एक सिीय
• उटणकदिबंधीय घास के मैदानों को सवाना और मरे डाशर्ंग बेशसन
ज्वार्ामुखी है । में पाए िाने वार्े समशीतोटण घास के मैदानों को डाउन्तस कहा
• हवाई की रािधानी, होनोर्ूर्ु को प्रशांत का िॉस रोड के रूप में िाना
िाता है ।
िाता है । शसडनी ऑस्त्ट्रे शर्या का सबसे बड़ा शहर और मह्वपण
• ू थ समद्र
ु ी
• सेंि र्ॉरें स उत्तर अमेररका में सबसे व्यस्त्त अंतदे शीय िर्मागथ है । बंदरगाह है ।

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• तस्त्मान सागर न्तयूिीर्ैंड से ऑस्त्ट्रे शर्या को अर्ग करता है । माउं ि इररबस --- अंिादिथ का
न्यूज़ीिैण्ड दो द्वीपों में ववभाष्जत है : उत्तरी द्वीप और दक्षक्षणी द्वीप, दहमार्य --- एशशया
कुक िर्सजन्तध दो द्वीपों को अर्ग करती है। ज्वािामुखी
रािधानी वेशर्ंगिन उत्तरी द्वीप में जस्त्र्त है । महत्वपुणथ ज्वािामुखी
ववसवू वयस --- इिर्ी
अंिाहिथ का
एिना --- इिर्ी
• अंिादिथ का पथ्ृ वी का सबसे दक्षक्षणतम महाद्वीप है , जिसमें दक्षक्षणी स्त्ट्राम्बोर्ी ---इिर्ी
ध्रव
ु भी जस्त्र्त है । बेरेन --- भारत (अंडमान ननकोबार)
• यह दक्षक्षणी गोर्ाधथ के अंिादिथ का क्षेर में जस्त्र्त है , परू ी तरह से
ककशर्मंिारो --- तंज़ाननया
र्गभग आकथदिक वत्त
ृ के दक्षक्षण में और दक्षक्षणी महासागर द्वारा कराकातोआ --- इंडोनेशशया
नघरा हुआ है।
वपना िुबो --- कफर्ीपींस
उच्चतम बबंदु : ववंसों मजस्त्सफ़, 4,897 मी • अर्धकांश ज्वार्ामुखी प्रशांत महासागर के निदीक पाये िाते हैं।
ननम्नतम बबंद:ु बेंिर्ी सब-ग्र्शसअर् ट्रें च -2,555 मी
• ररंग ऑफ़ फायर – प्रशांत
सबसे िम्बी नदी: ओननतस नदी, 25 ककमी • प्रशांत का प्रकाश स्त्तम्भ – एज़र्को
• भूमध्यसागर का प्रकाश स्त्तम्भ – स्त्ट्रोम्बोर्ी
तथ्य
अगधकतम कुि क्षेरर्ि ... रूस, 17,098,242 ककमी²
मरूस्त्र्ि
सवाथगधक भलू म क्षेर... रूस, 17,075,200 ककमी²
फ़ोजिर् रे र्गस्त्तान - कार्ाहारी
सवाथगधक जिक्षेर... कनाडा, 891,163 ककमी²
शर्दिर् सहारा - ऑस्त्ट्रे शर्या
सबसे िम्बी समद्र
ु ी सीमा ... कनाडा, 243,792 ककमी मौत की रे र्गस्त्तान - ठकर्ा मतकान
समुद्री सीमा से क्षेरर्ि का अगधकतम अनुपात ...माइक्रोनेलशया,
पेंिेड रे र्गस्त्तान - उत्तर अमेररका
8,706.553 मी/ककमी² सबसे ठं ढा रे र्गस्त्तान - गोबी
सवाथगधक दे शों से नघरा हुआ: ...रूस एवं चीन सबसे गमथ रे र्गस्त्तान - सहारा
सवाथगधक वन क्षेर ... रूस , 8,087,900 ककमी²
सबसे शुटक रे र्गस्त्तान - अिाकामा
ग्रेि इंडडयन डेििथ - र्ार
सबसे िमथ, सबसे ठं ढा, सबसे शुटक, सवाथगधक आद्र
सबसे िमथ स्त्र्ान : दर्ोर्, दे नाककर् गतथ, इर्र्योवपया, वावषथक औसत
महत्वपूणथ मरूस्त्र्ि
तापमान (93.2°F, 34°C)
रोब असवळी - एशशया
सबसे ठं ढा स्त्र्ान: पठार स्त्िे शन, अंिादिथ का, वावषथक औसत तापमान (- अिातकमा - दक्षक्षण अमेररका
56.7°C)
सहारा - अफ्रीका
सबसे आद्रथ स्त्र्ान: माशसनराम, मेघार्य, भारत वावषथक औसत वषाथ
कार्ाहारी - अफ्रीका
(11,873 शममी, 467.4")
नामीब - नामीबबया
सबसे शुटक स्त्र्ान: अिाकामा मरूस्त्र्र् , र्चर्ी वावषथक आधार पर न
ग्रेि सैंडी - ऑस्त्ट्रे शर्या
िानने योग्य वषाथ
ग्रेि ववतिोररया - ऑस्त्ट्रे शर्या
महत्वपण
ू थ पवथत श्रेखणयां िकर्ा मकान - चीन
एंडडि - दक्षक्षण अमेररका साहे र् - चीन
रॉकीज़ - उत्तरी अमेररका र्ार - भारत
एिर्स --- अफ्रीका द्वीप
ककशर्मनािारो --- अफ्रीका ज्वार्ामुखखयों का द्वीप - आइसर्ैंड
अपेर्ेशशयन --- अमेररका कछुए का द्वीप - गार्ापागोस
उरार् --- यरू ोप नाववकों का द्वीप - समोवा
आपप्स --- यरू ोप प्रेरणा का द्वीप - तासमाननया
कापथर्र्यन --- यरू ोप एंदिपस के मोती - तयूबा
फ्रेंडर्ी द्वीप - िोंगा
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जस्त्प्रंग द्वीप - िमैका
नेपोशर्यन का िन्तमस्त्र्ान - कोजज़स्त्कीका द्वीप
सबसे बड़ा द्वीप - ग्रीनर्ैंड
सबसे छोिा द्वीप राटट्र - नॉरू
फ़ॉपकर्ैंड द्वीप, कैनरी द्वीप, कोजजज़कका, सेंि हे र्ेना, बहामास और
बरमुडा द्वीप अिर्ांदिक महासागर में जस्त्र्त हैं।

मध्यकािीन भारत
750-1200 ईस्त्वी के मध्य भारत 5) शसंह वमाथ द्ववतीय के पर
ु , शसंह ववटणु ने 575 ई. में चोर्ों/कार्भ्र की
इस कार् को भारतीय इनतहास में पूवथ मध्यकार् के नाम से िाना िाता है . सत्ता को कुचर्कर अपने साम्राज्य की पुनस्त्र्ाथपना की.
पररचय 6) 670 में, परमेश्वर वमाथ प्रर्म गद्दी पर बैठा. उसने चार्ुतय रिा
इस कार् को ननम्न दो दहस्त्सों में बांिते हैं :- वविमादद्य प्रर्म को आगे बढ़ने से रोका. हार्ााँकक चार्ुतयों ने पपर्वों
(a) 750-1000 ईस्त्वी; (b) 1000-1200 ईस्त्वी के एक अन्तय प्रशसद्द शरु पांड्य रािा अररकेसरी मारवमाथ से हार् शमर्ा
शर्या और परमेश्वर वमाथ प्रर्म को पराजित कर ददया.
प्रर्म चरण को भारत में तीन मह्वपण
ू थ शजततयों के उदय के रूप में िान 7) 695 ई. में परमेश्वर वमाथ प्रर्म की म्ृ यु हो गई और एक शांनतवप्रय
िाता है . ये र्ीं – उत्तर भारत में गुिरथ प्रनतहार, पुवथ भारत में पार् और
शासक नरशसंह वमाथ द्ववतीय उसका उत्तरार्धकारी बना. उसे कांची में
दक्षक्षण भारत में राटट्रकूि. ये शजततयां उत्तर भारत के ‘गंगा के क्षेर’ पर प्रलसद्द कैिाशनार् मंहदर बनवाने के शर्ए िाना िाता है . 722 ई. में अपने
अपने आर्धप्य के शर्ए आपस में र्गातार संघषथ करती रहती र्ीं. इन
बड़े बेिे की अचानक म्ृ यु के दःु ख में उसकी म्ृ यु हो गई.
तीन महाशजततयों का संघषथ “बरपक्षीय संघषथ” के नाम से िान गया.
8) 722 ई. में उसका छोिा पर
ु परमेश्वर वमाथ द्ववतीय गद्दी पर बैठा. वह
730 ई. में बबना की वाररस के ही म्ृ यु को प्राप्त हो गया जिससे पपर्व
द्ववतीय चरण (1000-1200 ई.) में हम तीन शजततयों के बबखराव और
राज्य में एक अव्यवस्त्र्ा व्याप्त हो गई.
पतन को दे खते हैं. फर्स्त्वरूप, पूरे देश में ववशभन्तन छोिे साम्राज्यों का
9) साम्राज्य के कुछ अर्धकारीयों और ररश्तेदारों के सार् घरे र्ु युद्ध के
िन्तम हुआ. ये वे राज्य र्े जिन्तहोंने 11वीं और 12वीं शताब्दी में उत्तर-
बाद नंदी वमाथ द्ववतीय गद्दी पर बैठा. उसने राटट्रकूि रािकुमारी रीतादे वी
पजश्चम में महमूद गिनवी और मोहम्मद गोरी के नेत्ृ व वार्े तुकी
से वववाह ककया और पपर्व राज्य को पुनः स्त्र्ावपत ककया.
आिमण को रोका और संघषथ ककया, र्ेककन आिमणकाररयों के खखर्ाफ
10) उसका उत्तरार्धकारी दंतीवमाथ (796-846) बना जिसने 54 वषों तक
कोई संयुतत मोचाथ न बना पाने के कारण अंततः वे असफर् हुए.
शासन ककया. दंतीवमाथ पहर्े राटट्रकूि शासक दंतीदग
ु थ द्वारा और कफर
पपिव वंश पांड्य शासकोण द्वारा पराजित हुआ. 846 में नंदीवमाथ तत
ृ ीय उसका
1) दक्षक्षण भारत में पपर्व वंश का उदय उस समय हुआ िब सातवाहन उत्तरार्धकारी बना.
वंश अपने पतन की ओर र्ा. 11) नंदीवमाथ तत
ृ ीय का उत्तरार्धकारी नप
ृ तुंगवमाथ र्ा जिसके दो भाई
2) शशवस्त्कंदवमथन को पपर्व वंश का संस्त्र्ापक माना िाता है . अपराजितवमाथ और कंपवमाथ र्े.
3) पपर्व शासकों ने अपने शासनकार् में कांची को अपनी रािधानी चोर् रािा ने अपराजितवमाथ को पपर्व राज्य में गहृ युद्ध छे ड़ने के शर्ए
बनाया. भड़काया. बाद में अपराजित वमाथ शसंहासन पर बैठा.
4) इस कार् के प्रमुख शासक र्े : शसंघवमाथ प्रर्म, शशवस्त्कंदवमथन प्रर्म,
चािुतय
वीरकुचथ, शान्तदवमाथ द्ववतीय, कुमाववथटणु प्रर्म, शसंघवमाथ द्ववतीय, और
कनाथिक शासक, चार्ुतयों के इनतहास को तीन कार्ों में बांिा िा सकता है
ववटणुगोप.
:
ववटणुगोप के बारे में खा िाता है कक वह समुद्रगप्ु त से युद्ध में पराजित हो
1) प्रारं शभक पजश्चम कार् (छठी – 8वीं शताब्दी) बादामी (वातापी) के
गया र्ा जिसके बाद पपर्व कमिोर पड़ गए.
चार्ुतय;

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2) पश्चात ् पजश्चम कार् (7वीं – 12वीं शताब्दी) कपयाणी के चार्ुतय; 5) अंनतम पांड्य रािा परािमदे व र्ा िो दक्षक्षण में ववस्त्तार की प्रकिया में
3) पूवी चार्ुतय कार् (7वीं – 12वीं शताब्दी) वेंगी के चार्ुतय उसफ़ खान (मुह्सहमद-बबन-तुगर्क़ का वायसराय) द्वारा पराजित ककया
1. पुर्केशशन प्रर्म (543-566) बादामी चार्ुतय वंश का प्रर्म शासक गया.
र्ा जिसकी रािधानी बीिापुर में वातापी र्ी.
चोि (9वीं – 13वीं शताब्दी)
2. कीनतथवमाथ प्रर्म (566-596) उसका उत्तरार्धकारी र्ा. िब इसकी म्ृ यु
1) चोर् वंश दक्षक्षण भारत के सबसे प्रशसद्द वंशों में से एक है जिसने
हुई तब रािकुमार पर्
ु केशशन द्ववतीय बच्चा र्ा इसशर्ए शसंहासन
खार्ी रहा और रािा के भाई मंगर्ेश (597-610), को संरक्षक शासक तंिौर को अपनी रािधानी बनाकर तशमर्नाडु और कनाथिक के कुछ
दहस्त्सों पर शासन ककया.
के रूप में ननयुतत ककया गया. कई वषों तक उसने रािकुमार की ह्या
2) आरं शभक चोर् शासक काररकार् चोर् र्े जिन्तहोंने दस
ू री शताव्दी में
के कई असफर् प्रयास ककए ककन्ततु अंततः रािकुमार और उसक शमरों
शासन ककया.
द्वारा स्त्वयं की ह्या करवा र्ी.
3) 850 में पाण्ड्य-पपर्व युद्द के दौरान ववियार्य ने तंिौर पर अपना
3. पुर्केशशन प्रर्म का पुर, पुर्केशशन द्ववतीय (610-642), हषथवधथन
का समकार्ीन र्ा और चार्ुतय का सबसे प्रशसद्द रिा हुआ. उसका आर्धप्य िमा शर्या. अपने राज्याशभषेक को सफर् बनाने के शर्ए इसने
तंिौर में एक मंददर बनवाया. इस दौरान श्रवणबेर्गोर्ा में गोमातेश्वर की
शासनकार् कनाथिक के इनतहास का सवथश्रेटठ समय माना िाता है.
उसने नमथदा के ति पर हषथवधथन को पराजित ककया. एक ववशार् प्रनतमा भी स्त्र्ावपत कराई गई.
4) ववियार्य का पर
ु आदद्य प्रर्म (871-901)उसका उत्तरार्धकारी
4. कोसर् और कशर्ंग पर आर्धप्य के पश्चात ्, पुर्केशशन द्ववतीय के
भाई कुब्ि ववटणुवधथन द्वारा पूवी चार्ुतय वंश (वेंगी) की स्त्र्ापना हुई. बना.

5. 631 तक चार्ुतय साम्राज्य का ववस्त्तार इस समुद्र से उस समुद्र तक 5) रािराि प्रर्म (985-1014) के शासन के दौरान चोर् अपने शीषथ पर
र्े. उसने राटट्रकूिों से अपना क्षेर वापस छीन शर्या और चोर् शासकों में
हो चुका र्ा. हार्ााँकक 642 में पपर्व शासक नरशसंहवमाथ प्रर्म ने
चार्ुतय रािधानी बादामी पर आिमण कर ददया और पुर्केशशन सवाथर्धक शजततशार्ी बन गया. उसने तंिावुर (तशमर्नाडु) में भगवान
शशव का एक सन्त
ु दर बनवाया. यह उसके नाम से रािरािेश्वर कहर्ाया.
द्ववतीय को परास्त्त कर उसकी ह्या कर दी.
6) रािराि प्रर्म का पर
ु , रािेंद्र चोर् (1014-1044), इस वंश का एक
6. चार्ुतयों का उभार एक बार पुनः हुआ िब वविमादद्य प्रर्म (655-
अन्तय मह्वपण
ू थ शासक र्ा जिसने उड़ीसा, बंगार्, बमाथ और अंडमान एवं
681), ने अपने समकार्ीन पांड्य,पपर्व, चोर् और केरर् के शासकों
ननकोबार द्वीप पर अपना आर्धप्य स्त्र्ावपत कर शर्या. इसके
को परास्त्त कर उस क्षेर में चार्ुतयों की सवोच्चता स्त्र्ावपत की.
शासनकार् के दौरान भी चोर् वंश की प्रशसद्र्ध चरम पर र्ी.
7. वविमादद्य द्ववतीय (733-745) ने पपर्व साम्राज्य के एक बड़े क्षेर
इसने श्री र्ंका पर भी अपना कब्ज़ा ककया र्ा.
पर अपना अर्धकार िमाने के शर्ए पपर्व रािा नंदीवमाथ द्ववतीय को
7) कुर्ोत्तंग
ु प्रर्म (1070-1122) एक अन्तय मह्वपण
ू थ चोर् शासक र्ा.
परस्त्त ककया.
कुर्ोत्तंग
ु प्रर्म ने दो साम्राज्यों वेंगी के पव
ू ी चार्त
ु य और तंिावरु के चोर्
8. वविमादद्य द्ववतीय का पुर, कीनतथवमाथ द्ववतीय (745), राटट्रकूि
वंश के संस्त्र्ापक दं तीदग साम्राज्य को िोड़ ददया. आदद सदी के र्म्बे शासन के बाद 1122
ु थ द्वारा हर ददया गया.
ई.कुर्ोत्तंग
ु प्रर्म की म्ृ यु हो गई और उसका पर
ु वविम चोर्, जिसे
मदरु ई के पाण््य (छठी से 14वीं शताब्दी) ्यागसमद्र
ु भी कहते र्े, उसका उत्तरार्धकारी बना.
1) दक्षक्षण भारत में शासन करने वार्े सबसे परु ाने वंशों में से एक पाण्ड्य 8) चोर् वंश का अंनतम शासक रािेंद्र तत
ृ ीय (1246-79) र्ा. वह एक
भी र्े. इनका वणथन कौदिपय के अर्थशास्त्र और मेगस्त्र्नीि के इंडडका में कमिोर शासक र्ा जिसने पांड्यों के समक्ष समपथण कर ददया. बाद में
भी शमर्ता है . माशर्क काफूर ने 1310 में इस तशमर् राज्य पर आिमण कर ददया और
2) इनका सबसे प्रशसद्द शासक नेंडूिेशर्यन र्ा जिसने मदरु ई को अपनी चोर् साम्राज्य समाप्त हो गया.
रािधानी बनाया.
3) पाण्ड्य शासकों ने मदरु ई में एक तशमर् सादहज्यक अकादमी की राटरकूि

स्त्र्ापना की जिसे संगम कहा िाता है . उन्तहोंने ्याग के वैददक धमथ को 1) दं तीदग
ु थ (735-756) ने इस साम्राज्य की स्त्र्ापना की. राटट्रकूिों ने

अपनाया और ब्ाम्हण पुिाररयों का संरक्षण ककया. उनकी शजतत एक चार्ुतयों को उखड फेंका और 973 ई. तक शासन ककया.

िनिानत ‘कार्भ्र’ के आिमण से घिती चर्ी गई. 2) दं तीदग


ु थ का उत्तरार्धकारी कृटण प्रर्म (756-774) बना. कृटण प्रर्म ने

4) छठी सदी के अंत में एक बार पुनः पांड्यों का उदय हुआ. उनका प्रर्म द्रववड़ शैर्ी के एर्ोरा के प्रशसद्द कैर्ाशनार् मंददर का ननमाथण करवाया.
3) इस वंश के अन्तय शासक र्े गोववन्तद द्ववतीय (774- 780), ध्रुव (780-
मह्वपूणथ शासक दन्तु दंग
ु न (590-620) र्ा जिसने कार्भ्रों को परस्त्त कर
790), गोववन्तद तत
ृ ीय (793-814) और अमोघवषथ नप
ृ तुंग प्रर्म (814-
पांड्यों के गौरव की स्त्र्ापना की.
887).

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4) अमोघवषथ इस वंश का महान शासक र्ा. वह गोववन्तद तत
ृ ीय का पुर र्ा. 4) गोपार् का उत्तरार्धकारी धमथपार् बना जिसने पार् राज्य को महानता
अमोघवषथ के साम्राज्य के ववस्त्तार के ववषय में अरबी यारी ‘सुिेमान’ से पर पहुाँचाया. उसके नेत्ृ व में राज्य का ववस्त्तार हुआ और र्गभग समपूणथ
िानकारी शमर्ती है िो 851 ई. में उसके दरबार में आया र्ा और अपनी बंगार् एवं बबहार उसका दहस्त्सा बन गए.
पुस्त्तक में शर्खा है कक ”उसका साम्राज्य उस समय के दनु नया के चार बडे 5) 32 वषों के शासन के बाद धमथपार् की म्ृ यु हो ओ गई और वो अपना
साम्राज्यों में से एक र्ा”. ववस्त्तत
ृ साम्राज्य अपने पुर दे वपार् के शर्ए छोड़ गया.
5) इस दौरान भारत में आये अरबी यारी, अर्-माश्दी ने राटट्रकूि रािा को, 6) दे वपार् 810 में गद्दी पर बैठा और 40 वषों तक शासन ककया. उसने
‘भारत का महानतम रािा’ कहा है . प्रागज्योनतषपरु (असम), उड़ीसा के क्षेरों और आधुननक नेपार् के क्षेरों पर
कपयाणी का चार्ुतय वंश की स्त्र्ापना तेर् प्रर्म द्वारा 974-75 में अपना ननयंरण स्त्र्ावपत ककया.
राटट्रकूिों के पराभव के बाद हुई र्ी. 7) उसने प्रशसद्द बौद्ध र्ेखक हररभद्र को संरक्षण ददया. बौद्ध कवव और
6) उसके द्वारा स्त्र्ावपत रािवंश, जिसकी रािधानी कपयाणी (कनाथिक) र्ोकेश्वरशतक के र्ेखक वज्रदत्त, दे वपार् के रािदरबार में ववभवू षत होते
र्ी, बाद के कपयाणी के चार्ुतय कहर्ाये (प्रारं शभक चार्ुतय बादामी के र्े.
चार्ुतय र्े). तैर्प ने 23 वषथ (974-997) तक शासन ककया.
सेन (11वीं से 12वीं शताब्दी)
प्रनतहार (8वीं से 10वीं शताब्दी) 1) सेन वंश ने पार्ों के बाद बंगार् बंगार् पर शासन ककया.
a) प्रनतहारों को गुिरथ प्रनतहार भी कहा िाता र्ा. ऐसा शायद इसशर्ए र्ा 2) इसका संस्त्र्ापक सामंतसेन र्ा िो ‘ब्म्हक्षबरय’ कहर्ाया.
तयोंकक ये मूर्तः गुिरात या दक्षक्षण-पजश्चम रािस्त्र्ान से र्े. 3) सामंतसेन के बाद उसका पुर हे मत
ं सेन गद्दी पर बैठा. इसने बंगार् की
b) नागभट्ि प्रर्म, ने शसंध से रािस्त्र्ान में घुसपैठ करने वार्े अरबी अजस्त्र्र रािनीनतक जस्त्र्नत का र्ाभ उठाकर एक स्त्वतंर ररयासत के रूप
आिमणकाररयों से पजश्चम भारत की रक्षा की. में खद
ु को प्रमख
ु ता से स्त्र्ावपत ककया.
c) नागभट्ि प्रर्म, के बाद प्रनतहारों को र्गातार हार का सामना करना 4) हे मत
ं सेन का पुर ववियसेन (प्रशसद्द रािा) र्गभग सम्पूणथ बंगार् पर
पड़ा जिसमें इन्तहें सवाथर्धक राटट्रकूि शासकों ने पराजित ककया. ननयंरण स्त्र्ावपत कर अपने पररवार को प्रकाश में र्ाया. ववियसेन ने
d) प्रनतहार शजतत, शमदहरभोि, िो भोि के नाम से प्रशसद्द र्ा, की अनेक उपार्धयााँ र्ी िैसे – परमेश्वर, परमभट्िारक और महारािार्धराि.
सफर्ता के बाद अपना खोया गौरव पन
ु ः पा सकी. 5) प्रशसद्द कवव श्रीहषथ ने उसकी प्रशंसा में ववियप्रशजस्त्त की रचना की.
e) उसके ववख्यात शासन ने अरबी यारी सर्
ु ेमान को आकवषथत ककया र्ा. 6) ववियसेन का उत्तरार्धकारी उसका पर
ु बपर्ार्सेन बना. वह एक
f) शमदहरभोि का उत्तरार्धकारी महे न्तद्रपार् प्रर्म र्ा जिसकी प्रमख
ु प्रशसद्द ववद्वान र्ा.
उपर्जब्ध मगध और उत्तरी बंगार् पर अपना आर्धप्य र्ा. उसके दरबार 7) र्क्ष्मणसेन के शासन के दौरान ये साम्रज्य पतन की ओर आ गया र्ा.
का प्रशसद्द र्ेखक रािशेखर र्ा जिसने अनेक सादहज्यक रचनाएाँ शर्खी
- दे वगिरी के यादव (12वीं से 13वीं शताब्दी)
1) कपरूथ मंिरी, 2) बार्रामायण, 3) बार्ा और भरता, 4) काव्यमीमांसा a) इस वंश का प्रर्म सदस्त्य द्रीधप्रहर र्ा. हार्ााँकक द्रीधप्रहर का पुर
g) महेन्तद्रपार् की म्ृ यु के सार् ही शसंहासन के शर्ए संघषथ शुरू हो गया. स्त्योंनचन्तद्र प्रर्म वह पहर्ा व्यजतत र्ा जिसने अपने पररवार के शर्ए
भोि द्ववतीय ने गद्दी कब्ज़ा र्ी र्ेककन िपद ही, सौतेर्े भाई मदहपार् राटट्रकूिों से िागीरदार का पद प्राप्त ककया.
प्रर्म ने खुद को शसंहासन वाररस घोवषत कर ददया. b) शभपर्म ने यादव साम्राज्य की नींव रखी िो एक शताब्दी तक कायम
राटट्रकूि शासक इन्तद्र तत
ृ ीय के दतकन वापसी से मदहपार् को उसके रहा.
आिमण से र्गे घातक झिके से साँभर्ने का मौका शमर्ा. मदहपार् का c) शसहं न इस पररवार का सबसे शजततशार्ी शासक र्ा.
पुर और उत्तरार्धकारी, महे न्तद्रपार् प्रर्म अपने साम्राज्य को बनाये रखने d) दक्षक्षण में अपनी सफर्ता से उत्तेजित होकर शसंहन ने अपने वंशगत
में कामयाब रहा. शर,ु उत्तर में परमार और गुिरात में चार्ुतयों से युद्ध छे ड़ा.
e) उसने परमार रािा अिुन
थ वमथन को पराजित कर उसकी ह्या कर दी.
पाि (8वीं से 11वीं शताब्दी) इस तरह शसंहन के शासन में यादव राज्य अपने गौरव के चरम पर पहुंचा.
1) नौंवी शताब्दी में भारत आये अरबी व्यापारी सुर्म
े ान ने पार् साम्राज्य f) संगीत पर एक प्रमुख रचना ‘संगीतर्नाकर’ इसके दरबार में शर्खी गई.
को ‘रूमी’ कहा है . अनंतदे व और चांगदेव, दो प्रशसद्द खगोर्शास्त्री इसके दरबार में ववभूवषत
2) पार् साम्राज्य की स्त्र्ापना 750 ई. में गोपार् ने की र्ी. गोपार् एक होते र्े.
उ्कि बौद्ध र्ा. g) संभवतः रामचंद्रअंनतम यादव शासक र्ा.
3) उसने ओदंतपरु ी (बबहारशरीफ़ जिर्ा, बबहार) में बौद्ध बबहार की माशर्क काफूर ने आसानी से कंकरदे व को परास्त्त कर ह्या कर दी और
स्त्र्ापना की. यादव राज्य को अपने कब्िे में र्े शर्या.

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िजनवी के आक्रमणकारी शजततयां एक बार कफर तराइन के मैदान में आमने सामने र्ीं. रािपूत
सैननक, तुकी सैननकों से अर्धक संख्या में र्े ककन्ततु तुकी सैननकों के पास
महमूद िजनवी (997-1030) पूणत
थ ः व्यवजस्त्र्त त्पर घुड़सवार सेना र्ी. भारतीय शजततयों का तुकी
a) वह बत
ु -शशकन (मूनतथयों को तोड़ने वार्ा) के नाम से भी िाना िाता है घुड़सवार सेना से कोई मेर् नहीं र्ा. तुकी घुड़सवार दो तकनीकों का प्रयोग
तयोंकक उसने 1000 ई. से 1027 ई. के बीच भारत में सरह र्ूि अशभयान
कर रहे र्े. पहर्ी र्ी घोड़ों के ित
ू े िो उनके खरु ों की रक्षा कर रही र्ी और
चर्ाए.
दस
ू री तकनीक, र्ोके के रकाबों का प्रयोग र्ी िो घड़
ु सवारों को अच्छी
b) अपने पूवी प्रान्तत के रूप में पंिाब पर कब्ज़ा कर उसने दावा ककया कक पकड़ शजतत दे रही र्ी और युद्ध में बेहतर प्रहार शजतत दे रही र्ी. बड़ी
वह दो उद्दे श्यों से भारत में आया है , एक भारत में इस्त्र्ाम का प्रसार और
संख्या में भारतीय योद्धा मारे गए.पथ्ृ वीराि ने भागने का प्रयास ककया
दस
ू रा भारत से धन संपवत्त र्ूिकर स्त्वयं को अमीर बनाना. ककन्ततु सरसत
ु ी के ननकि पकड़ा गया. तुकी सेना ने हांसी, सरसत
ु ी और
c) 1025 ई. में उसने दहन्तदओ
ु ं के ववख्यात मंददर गुिरात के सोमनार् समाना के ककर्े अपने कब्िे में र्े शर्ए. कफर वे ददपर्ी और अिमेर की
मंददर पर आिमण ककया.
और बढ़े . तराइन के बाद गोरी गिनी र्ौि गया और भारत का शासन
d) अर्बरूनी जिसने ककताब-उर्-दहंद (तहकीक-ए-दहंद) शर्खी, कफरदौसी अपने ववश्वसनीय दस ् क़ुतुबुद्दीन एबक को सौंप गया.
जिसने शाहनामा शर्खा, ये महमूद गिनवी के दरबारी इनतहासकार र्े.
1194 ई. में मह
ु म्मद गोरी पुनः भारत र्ौिा. उसने 50,000 घुड़सवारों के
1010 से 1026, तक आिमणकारी मंददरों के शहरों र्ानेश्वर, मर्रु ा और सार् यमुना पार की और कन्तनौि की और बढ़ा. उसने कन्तनौि के शासक
कन्तनौि की और बढ़ते रहे और अंततः सोमनार् पर आिमण ककया.
ियचंद को चन्तदावर को पराजित ककया.
इस प्रकार, तराइन और चन्तदावर के युद्धों ने उत्तरी भारत में तुकी शासन
मह
ु म्मद िोरी (शहाबद्
ु दीन मह
ु म्मद)
की नींव रखी. 1206 ई. में गोरी की म्ृ यु हो गई र्ेककन इसका यह अर्थ
1173 ई. में शहाबुद्दीन मुहम्मद (1173–1206 ई.), जिसे मुहम्मद गोरी
कतई नहीं र्ा कक भारत में तुकी शासन समाप्त हो गया र्ा, वह अपने
भी कहते र्े, गिनी की गद्दी पर बैठा. गोरी इतना शजततशार्ी नहीं र्ा
पीछे अपने गर्
ु ाम सेनापनत कुतुबद्
ु दीन ऐबक को छोड़ गया र्ा िो ददपर्ी
कक वह ख्वाररज़मी साम्राज्य की बढ़ती शजतत का सामना कर पाता
सपतनत का पहर्ा सुर्तान बना.
इसशर्ए उसे एहसास हुआ कक मध्य ऐसा में उसके प्राप्त करने के शर्ए
कुछ नहीं है .
हदपिी सपतनत
मह
ु म्मद गोरी की ह्या के बाद, ददपर्ी का ननयंरण क़ुतुबद्
ु दीन ऐबक के
पंजाब और लसंध पर कब्ज़ा
हार्ों में आ गया.
a) मुहम्मद गोरी ने अपना पहर्ा अशभयान 1175 ई. में शुरू ककया. वह
इस कार् को पांच अर्ग-अर्ग कार्ों में बांिा िा सकता है . ये हैं:-
मुपतान की ओर बढ़ा और मप
ु तान पर अर्धकार कर शर्या. इसी समय
1. गर्
ु ाम वंश (1206-90)
उसने भानत रािपत
ू ों से उच्छ छीन शर्या.
2. खखर्िी वंश (1290-1320)
b) 3 वषथ बाद 1178 ई. में वह पन
ु ः गुिरात कब्िाने के शर्ए बढ़ा र्ेककन
3. तुगर्क़ वंश (1320-1414)
गुिरात के चार्ुतय शासक भीम द्ववतीय ने उसे अदहर्वाड़ा के युद्ध में
4. सैयद वंश (1414-51)
बुरी तरह पराजित ककया. र्ेककन 1190 ई. में इसने मुपतान, पंिाब और
5. र्ोदी वंश (1451-1526).
शसंह को सुरक्षक्षत कर गंगा के दोआब में एक िोरदार हमर्े के शर्ए मागथ
प्रशस्त्त ककया.
िुिाम वंश

हदपिी सपतनत की स्त्र्ापना और ववस्त्तार क़ुतुबुद्दीन ऐबक (1206-10)


• यह मूर्तः एक तुकी गुर्ाम र्ा, जिसे मुहम्मद गोरी ने ख़रीदा र्ा और
तराइन का प्रर्म युद्ध (1191ई.)
बाद में अपना गवनथर बना ददया र्ा.
1191ई. में तराइन में र्ड़े गए प्रर्म यद्
ु ध में गोरी की सेना बरु ी तरह
• गोरी की म्ृ यु के बाद, ऐबक ददपर्ी सपतनत का स्त्वामी बना और 1206
परास्त्त हुई और वह मरते मरते बचा.
ई. में गुर्ाम वंश की नींव रखी.
पथ्ृ वीराि ने भदिंडा पर अर्धकार तो िमा शर्या ककन्ततु उसने ककर्े में सेना
• इसके शासन कार् में रािधानी ददपर्ी नहीं बजपक िाहौर र्ी.
की पयाथप्त व्यवस्त्र्ा नहीं की. इसने गोरी को, अपनी सेना को पन
ु ः इकठ्ठा
• इसकी दानशीर्ता के कारण, इसे र्ाख बख्स की उपार्ध शमर्ी.
कर भारत पर एक और आिमण का मौका दे ददया.
• यह 1210 में चौगन या पोर्ो खेर्ते हुए मर गया.
तराइन का द्ववतीय यद्
ु ध (1192ई.) • इसने दो मजस्त्िद, ददपर्ी में कुव्वत-उर्-इस्त्र्ाम और अिमेर में अढ़ाई
यह युद्ध भारतीय इनतहास में एक ननणाथयक मोड़ साबबत हुआ. मुहम्मद ददन का झोपड़ा बनवाई.
गोरी इस यद्
ु ध के शर्ए परू ी तैयारी के सार् आया र्ा. तुकी और रािपूत
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• उसने प्रशसद्ध सूफी संत ख्वाज़ा कुनतबुद्दीन बजख्तयार काकी की याद • इपतुतशमश के वज़ीर िुनैदी ने उसके खखर्ाफ ववद्रोह कर ददया र्ेककन
में क़ुतुब मीनार का ननमाथण शुरू करवाया. वह परास्त्त हुआ.
• ऐबक सीखने में ववश्वास करता र्ा. उसने ‘ताि-उर्-मजस्त्सर’ के र्ेखक • भदिंडा में एक गंभीर ववद्रोह हुआ. भदिंडा के गवनथर अपतुननया ने रजज़या
हसन-उन-ननिामी और ‘ताररख-ए-मुबारक शाही’ के र्ेखक फखरुद्दीन का आर्धप्य मानने से इनकार कर ददया. रजज़या याकूत के सार्
का संरक्षण ककया. अपतुननया के खखर्ाफ र्ड़ने ननकर् पड़ी. हार्ााँकक ने याकूत की ह्या कर
दी और रजज़या को बंदी बना शर्या.
आराम शाह (1210) • बाद में, रजज़या ने अपतुननया से शादी कर र्ी और दोनों ने ददपर्ी की
• यह ऐबक का पर
ु र्ा िो िद
ु के युद्ध में इपतुतशमश द्वारा पराजित कर और माचथ ककया. इधर ददपर्ी में अमीरों ने इपतुतशमश के तीसरे बेिे
ददया गया.
बहराम शाह को गद्दी पर बैठा ददया.
शमशुद्दीन इपतुतलमश (1210-36)
• 1240 ई. में रजज़या एक षड़यंर का शशकार बनी और कैर्र् (हरयाणा) के
• यह ऐबक का एक गुर्ाम र्ा और ममर्ूक िनिानत का र्ा. इसने 1211
ननकि उसकी ह्या कर दी गई.
ई. में ददपर्ी में गद्दी पर कब्ज़ा कर शर्या.
• इपतुतशमश ने सर-ए-िहांदार के रूप में शरु
ु आत की र्ी जिसका अर्थ बहराम शाह (1240-42)
होता र्ा शाही रक्षक. • इपतुतशमश का तीसरा बेिा बहराम शाह, शजततशार्ी तुकी अमीरों के गुि
• वह एक सक्षम शासक र्ा और ‘ददपर्ी सपतनत का वास्त्तववक चार्ीसा द्वारा गद्दी पर बबठाया गया.
संस्त्र्ापक’ माना िाता है . • बाद में वह तुकी अमीरों द्वारा मार ददया गया.
• उसने र्ाहौर की बिाय ददपर्ी को अपनी रािधानी बनाया.
• उसने ख्वाररज्म शाह को शरण देने से इनकार कर, मंगोर् शासक चंगेज़
अिाउद्दीन मसूद शाह: 1242-46
खान से ददपर्ी सपतनत की रक्षा की, िो ख्वाररज्म का पीछा कर रहा र्ा.
• यह रुकनुद्दीन कफ़रोज़ का बेिा र्ा.
• उसने चांदी का शसतका (िं का) और तांबे का शसतका (जीति) चर्ाया.
• यह बर्बन और नाशसरुद्दीन महमूद की मााँ, मजपर्का-ए-िहााँ के
• उसने इकता प्रणार्ी की शरु
ु आत की और नागररक प्रशासन एवं सेना में
षड़यंर के बाद अपदस्त्र् कर ददया गया और नाशसरुद्दीन महमद
ू नया
सध
ु ार ककए जिनका वेतन भग
ु तान और भती अब केन्तद्रीय स्त्तर से की
सुपतान बना.
िाने र्गी र्ी.
• उसने गर्
ु ामों के एक अर्धकाररक गि
ु गठन ककया जिसे नालसरुद्दीन महमूद 1246-66
चहर्गानी/चार्ीसा (40 र्ोगों का समह
ू ) कहा िाता र्ा. • यह इपतुतशमश का बड़ा बेिा र्ा.
• उसने ऐबक द्वारा शरू
ु कराए गए क़ुतुब मीनार के ननमाथण को परू ा • शमनाि-उस-शसरि ने अपनी पुस्त्तक, तबाक़त-ए-नाशसरी इसे समवपथत
करवाया. की है .
• उसने ‘तबाक़त-ए-नाशसरी’ के र्ेखक ‘शमनाि-उस-शसरि’ को संरक्षण
ददया. ियासुद्दीन बिबन : 1266-87
• नाशसरुद्दीन के मौत के बाद; 1266 में बर्बन गद्दी पर बैठा.
रुकनुद्दीन : 1236 • इसने चार्ीसा की शजतत समाप्त कर दी और ताि की प्रनतटठा को
• वह इपतुतशमश का बेिा र्ा और अपनी मााँ, शाह तुकाथन द्वारा, पुनस्त्र्ाथवपत ककया. इसने इसने शासन प्रबंध को बेहतर बनाया.
इपतुतशमश की म्ृ यु के बाद गद्दी पर बैठाया गया र्ा. • बर्बन की शासन व्यवस्त्र्ा पारी दरबार मॉडर् से प्रभाववत र्ी. उसने
• वह इपतुतशमश की बेिी रजिया द्वारा अपदस्त्र् कर ददया गया. जिर्-ए-इर्ाही (ईश्वर की छाया) की उपार्ध र्ी.
• उसने लसजदा(सम्राि को साटिांि प्रणाम) और पैबोस (सम्राि के पैर
रष्ज़या सुिताना: (1236 – 40)
चम
ू ना) प्रर्ा शरू
ु करवाई.
• इपतुतशमश ने अपनी बेिी रजज़या को अपना उत्तरार्धकारी घोवषत ककया
• खुद को जिर्-ए-इर्ाही (ईश्वर की छाया) कहके रािा के अर्धकारों को
र्ा ककन्ततु कूच र्ोगों ने रुकनुद्दीन कफ़रोज़ को गद्दी पर बैठा ददया.
दै वी अर्धकार बताया.
• वह ‘पहर्ी और एकमार मजु स्त्र्म स्त्री’ र्ी जिसने अब तक भारत पर
• उसने न्तयाय और कानन
ू व्यवस्त्र्ा बनाने पर अ्यर्धक बर् ददया.
शासन ककया.
• उसने सैन्तय ववभाग दीवान-ए-अज़थ बनाया.
• उसने बबना परदे के शासन ककया.
• अपने अंनतम ददनों में, अपने बड़े और सबसे वप्रय पर
ु , मह
ु म्मद की मौत
• उसने अबीसीननयाई गुर्ाम माशर्क याकूत को उच्च पद दे कर अमीरों
के कारण वह सपतनत के कायों की अनदे खी करने र्गा. उसके निदीकी
को नाराि कर ददया.
और वप्रय गर्
ु ाम तग
ु ररर् के ववद्रोह ने भी उसे परे शान कर ददया. मह
ु म्मद,

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मंगोर्ों के खखर्ाफ र्ड़ते हुए 1285 में मारा गया और तुगररर् को पकड़ • अर्ाउद्दीन ने सम्पूणथ भशू म की पैमाइश का आदे श ददया और कफर
कर मौत की सिा दे दी गई. उसमें से राज्य का दहस्त्सा तय ककया.
• रािस्त्व उगाही में सुधार के शर्ए दीवान-ए-मुस्त्तखराि पद बनाया.
कैकुबाद : 1287-90 • उसने सभी वस्त्तुओं की कीमत तय करने का प्रयास ककया.
• यह बर्बन का पोता र्ा और ददपर्ी के कोतवार् फखरुद्दीन द्वारा
• सभी वस्त्तुएं बेचने के शर्ए खुर्े बािार में र्ायी िाती र्ीं जिसे सराय-
गद्दी पर बैठाया गया र्ा.
अर्-अदर् कहते र्े.
• र्ेककन कैकुबाद की ह्या अमीर कैमूर ने कर दी. • उसने अनेक ककर्े बनवाए जिसमें अर्ाई का ककर्ा सबसे मह्वपण
ू थ है.
• कैकुबाद का छोिा बेिा गद्दी पर 3 वषथ में बैठा.
उसने क़ुतुब मीनार का प्रवेश द्वार, अर्ाई का दरवािा भी बनवाया. इसने
• वह अंनतम इर्बरी शासक र्ा.
ददपर्ी में हिार खम्बों वार्ा महर् हजार सुतून बनवाया.
• खखर्िी अमीरों ने इसके खखर्ाफ िांनत कर दी इसे तीन महीने में मार
• वह कर्ा और ववद्वानों का संरक्षक र्ा. कवव-संगीतकार अमीर खुसरो
ददया.
उसके प्रशसद्द दरबारी कवव र्े.
• 1316 ई. में अर्ाउद्दीन की म्ृ यु के बाद मशर्क काफूर ने गद्दी कब्ज़ा
खखिजी वंश (1290-1320ई.)
र्ी.
जिािुद्दीन खखिजी • अपनी मौत से पहर्े मशर्क काफूर ने शशहाबुद्दीन (अर्ाउद्दीन का छः
• इसने खखर्िी वंश की स्त्र्ापना की. सार् का बेिा) को रािा ननयुतत ककया और सबसे बड़े रािकुमार मब
ु ारक
• यह एक उदार शासक र्ा और धाशमथक सदहटणत
ु ा की नीनत अपनाई. खान को िेर् में डार् ददया.
• उसका दामाद और भतीिा अर्ाउद्दीन खखर्िी र्ा. • काफूर अर्ाउद्दीन के शाही पररवार के वफादारों द्वारा मार ददया गया.

अिाउद्दीन खखिजी लशआबुद्दीन उमर (1316)


• यह ददपर्ी का पहर्ा तुकी सुर्तान र्ा जिसने रािनीनत से धमथ को • यह जिताईपार्ी, जिसे अर्ाउद्दीन की मौत के बाद गद्दी पर चढ़ाया
अर्ग ककया. इसने घोषणा की कक, ‘शासन कोई ररश्तेदारी नहीं जानता’ गया र्ा, का छोिा बेिा र्ा.
• िर्ार्ुद्दीन खखर्िी के शासन में यह कड़ा का गवनथर या सूबेदार र्ा. • यह दरबारी षड़यंर का शशकार बना और बाद में अाँधा कर ददया गया.
• इसने शसकंदर-ए-सैनी या दस
ू रा शसकंदर की उपार्ध धारण की.
मुबारक खखिजी (1316-20)
• अर्ाउद्दीन ने गि
ु रात (1298), रणर्ंभोर (1301), मेवाड़ (1303),
• इसने 18 हिार कैददयों को मुतत कर ददया.
मार्वा (1305) और िार्ोर (1311) को अपने अर्धकार में कर शर्या.
• इसने अर्ाउद्दीन खखर्िी के सभी प्रशासननक और बािारी सुधारों को
• दतकन में, मशर्क काफूर के नेत्ृ व में अर्ाउद्दीन की सेना ने, रामचन्तद्र
बदर् ददया.
यादव (दे वर्गरी का यादव शासक), प्रताप रुद्रदे व (वारं गर् का काकतीय
• इसके समय में देवर्गरी पर अर्धकार ककया गया.
शासक), वीर बपर्ार् तत
ृ ीय (द्वासथमुद्र का होयसर् शासक) और वीर
पाण्ड्य (मदरु ई का पाण्ड्य शासक) को पराजित ककया. तुििक़ वंश
• मशर्क काफूर को मशर्क नैयब के खख़ताब के नवािा गया.
गयासुद्दीन तुगर्क़
प्रशासननक और बाजार सुधार • कुराना िनिानत के गािी मशर्क या गयासुद्दीन तुगर्क़ ने तुगर्क़
• अमीरों द्वारा उ्पन्तन समस्त्याओं से बचने के शर्ए अपर्ाउदीन ने 4
वंश की स्त्र्ापना की.
अध्यादे श िारी ककये. ये र्े- • सुपतान बनने से पहर्े वह दीपार्पुर का सब
ू ेदार र्ा.
1. धनन व्यजततयों की संपवत्त छीनने का आदे श (इसका उद्देश्य धाशमथक • ददपर्ी के पास वविय मंडप के र्गरने से उसकी म्ृ यु हो गई.
ननर्ध और मफ़्
ु त भशू म का अनद
ु ान की िब्ती र्ा).
2. गुप्तचर ववभाग का गठन ककया गया. मोहम्मद-बबन-तुििक़ (1325-51)
3. शराब पर प्रनतबन्तध र्गाया गया. • 1325 ई. में गयासद्
ु दीन तुगर्क़ का पर
ु , रािकुमार िौना खां गद्दी पर
4. अमीरों के मेर्-शमर्ाप व आपसी वैवादहक संबंधों पर सर्
ु तान की बैठा.
अनम
ु नत अननवायथ कर दी गई. • इसने उर्घ
ु खां की उपार्ध धारण की. यह ददपर्ी सपतनत के सभी
• इसने दाग (घोड़ों को दागने) और चेहरा (सैननकों का हुशर्या रखने) की सप
ु तानों में सबसे पढ़ा शर्खा सर्
ु तान र्ा.
प्रर्ा प्रारं भ की. • इसने कृवष के ववकास के शर्ए दीवान-ए-अमीरकोही नमक ववभाग की
स्त्र्ापना की.

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• इसने सोनधार अर्ाथत बंिर भशू म पर कृवष के ववकास के शर्ए अर्ग्रम • वह र्ट्िा (शसंध) में अपने तुकी गुर्ाम तगी का पीछा करते हुए म्ृ यु को
उधार, ववतररत करवाया. प्राप्त हुआ.
• इसने अनाि के स्त्र्ान पर नगदी फसर्ों को प्रो्साहन ददया.
कर्रोज शाह तुििक़ (1351-88)
जिािुद्दीन एहसान शाह • वह मोहम्मद-बबन-तुगर्क़ का चचेरा भाई र्ा.
1336: हररहर और बत
ु का द्वारा ववियनगर साम्राज्य की स्त्र्ापना की • उसने अमीरों, सेना और उर्ेमाओं के तुजटिकरण की नीनत अपनाई.
स्त्र्ापना; और कन्तहै या के नेत्ृ व में वारं गर् स्त्वतंर हो गया. • रािस्त्व की नई व्यवस्त्र्ा कुरान के अनस
ु ार र्ी. कुरान द्वारा 4 तरह के
कर बताये गए हैं. ये हैं – खराि, ज़कात, िजज़या और खम्स. खराि भूशम
पांच प्रयोि कर र्ा िो भूशम से उ्पादन का 1/10 दहस्त्सा र्ा. ज़कात 2% संपवत्त कर
र्ा (िो केवर् मुसर्मानों पर व्यय ककया िाता र्ा), िजज़या गैर-
• दोआब में भू-राजस्त्व/कर : सुपतान ने गंगा और यमुना के दोआब में एक
मुसर्मानों पर र्गाया गया कर र्ा और खम्स युद्धे के दौरान र्ि
ू के
गर्त ववत्तीय प्रयोग ककया.उसने न केवर् रािस्त्व में वद्
ृ र्ध की बजपक कई
मार् पर 1/5 दहस्त्सा र्गने वार्ा कर र्ा.
अन्तय अबवाब या उपकार भी र्गा ददए.
• कफ़रोज़ ने कट्िरपंर्ी उर्ेमाओं द्वारा गैर इस्त्र्ाशमक बताये गए सभी
सुर्तान ने नया कृवष ववभाग दीवान-ए-कोही बनाया. इसका मुख्य
प्रर्ाओं को बंद कराने का प्रयास ककया. इसीशर्ए उसने संतों के कब्ों पर,
उद्दे श्य ककसान को सीधे मदद दे कर खेतीयोग्य भशू म में बढ़ोतरी करना
मदहर्ाओं को प्रार्थना करने पर प्रनतबंध र्गा ददया और महर् से सब
र्ा.
र्चरकारी शमिा दी गई.
• राजधानी पररवतथन : सुपतान बनने के बाद मुहम्मद-बबन-तुगर्क़ का • कफ़रोज़ के समय में ही िजज़या एक अर्ग कर र्ा.
सबसे वववाददत कदम ददपर्ी से दे वर्गरी रािधानी पररवतथन र्ा. इसने • कृवष को बढ़ावा दे ने के शर्ए सर्
ु तान शसंचाई पर बहुत ध्यान दे ता र्ा.
र्ोगों को ददपर्ी से दे वर्गरी िाने का आदे श दे ददया. दक्षक्षण भारत में तुकी कफ़रोज़ ने नहरों की मरम्मत करवाई और हक-ए-शबथ नमक शसंचाई कर
शासन के ववस्त्तार का आधार दे वर्गरी बन गया र्ा. ऐसा प्रतीत होता है कक र्गाया.
सुपतान दे वर्गरी को दस
ू री रािधानी बनाना चाहता र्ा ताकक वह दक्षक्षण • वह एक अच्छा भवन ननमाथता भी र्ा. उसने फतेहाबाद, दहसार, िौनपरु
भारत पर बेहतर ननयंरण स्त्र्ावपत कर सके. तब दे वर्गरी का नाम बदर् और कफ़रोज़ाबाद शहर बसाये.
कर दौर्ताबाद रखा गया. • अशोक के दो स्त्तंभ, एक िोपरा (हरयाणा) से और दस
ू रा मेरठ (उत्तर
• सांकेनतक मुद्रा का प्रचिन: मह
ु म्मद-बबन-तुगर्क़ ने पीतर् के शसतके प्रदे श) से ददपर्ी मंगवाए.
चर्ाने का फैसर्ा ककया.जिसकी कीमत चांदी के शसतकों के बराबर र्ी. • सर्
ु तान ने ददपर्ी में एक अस्त्पतार्, दार-उर्-शशफ़ा की स्त्र्ापना की.
संभवतः वह सफर् भी हो िाता अगर र्ोगों ने अपने घरों में शसतके बनाने • गरीब र्ड़ककयों के वववाह के शर्ए एक नए ववभाग दीवान-ए-खैरात की
न शुरू ककये होते. वह ऐसा करने में सफर् नहीं हो सका और बािार में इन स्त्र्ापना हुई.
शसतकों का भारी अवमूपयन हो गया. अंततः मुहम्मद-बबन-तुगर्क़ को ये • तर्ावप उसका शासनकार् शांनत का माना िाता है और इसका श्री उसके
शसतके वापस र्ेने पड़े. उसने पीतर् के शसतकों के बदर्े चांदी दे ने का वादा प्रधानमंरी खान-ए-िहााँ मकबर्
ू को िाता है.
ककया. • 1388 ई. में इसकी म्ृ यु हो गई.

• प्रस्त्ताववत खरु ासान अलभयान: सुपतान ने ववश्व वविय का र्क्ष्य रखा. सैयद वंश
उसने खुरासान और इराक़ पर वविय का फैसर्ा ककया और इस हे तु एक • खखज्र खां (1414-21)
ववशार् सेना तैयार की. उसे उन खुरासानी अमीरों से उ्साह शमर्ा • मुबारक शाह (1421-34)
जिन्तहोंने उसके दरबार में शरण र्ी र्ी. द्स्त्स्त्र् ही खुरासान में अर्ोकवप्रय • मुहम्मद शाह (1434-43)
शासक अबू सैयद के कारण अजस्त्र्रता र्ी. खरु ासान में रािनीनतक जस्त्र्नत • आर्म शाह (1443-51)—यह अंनतम सैयद शासक र्ा जिसने ददपर्ी
में पररवतथन के कारण यह योिना स्त्र्र्गत करनी पड़ी. पर बहर्ोर् र्ोदी का दावा स्त्वीकार कर सत्ता उसे सौंप दी और र्ोदी वंश
की नींव पड़ी.
• करागचि अलभयान: यह अशभयान दहमार्यी क्षेर कुमाऊाँ की पहाडड़यों में िोदी वंश
चीनी आिमण के िवाब में ककया गया र्ा. ऐसा भी कहते हैं कक अशभयान
कुमाऊाँ-गढ़वार् क्षेर की कुछ घुमंतू िनिानतयों के खखर्ाफ र्ा ताकक उन्तहें बहिोि िोदी : 1451-88
ददपर्ी सपतनत के अंतगथत र्ाया िा सके. पहर्ा हमर्ा तो सफर् रहा • बहर्ोर् र्ोदी एक अफ़ग़ान सरदार र्ा जिसने तैमूर के आिमण के बाद
ककन्ततु वषाथ का मौसम प्रारं भ होने के बाद आिमणकारी हमर्ावर हो गए. खुद को पंिाब में स्त्र्ावपत कर शर्या र्ा.
• इसने र्ोदी वंश की स्त्र्ापना की.

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• इसके शासन में िौनपुर ददपर्ी सपतनत में शमर्ा शर्या गया. • मेहराबों का सवथप्रर्म प्रयोग महरौर्ी (ददपर्ी) में गयासुद्दीन बर्बन के
मकबरे में दे खने को शमर्ता है.
लसकंदर िोदी : 1489-1517 • अर्ाउद्दीन खखर्िी ने क़ुतुब मीनार की बराबरी में अर्ाई मीनार का
• शसकंदर र्ोदी, बहर्ोर् र्ोदी का बेिा र्ा जिसने बबहार और पजश्चम ननमाथण प्रारं भ करवाया र्ेककन उसकी म्ृ यु के कारण यह काम पूरा न हो
बंगार् पर अर्धकार स्त्र्ावपत ककया.
सका.
• आगरा शहर की स्त्र्ापना इसी ने की र्ी.
• तुगर्क़ की कुछ प्रमुख इमारतें हैं; तुगर्काबाद का ककर्ा, गयासद्
ु दीन
• शसकंदर एक कट्िर मुसर्मान र्ा. उसने नगर कोि में ज्वार्ामुखी तुगर्क़ की कब् िो एक नई शैर्ी इंडो-इस्त्र्ाशमक शैर्ी का नमूना है.
मंददर की पववर मूनतथयों को नटि कर डार्ा और मर्ुरा के मंददर को ध्वस्त्त
करने का आदेश ददया. मुग़ि काि
• इसने गैर मुजस्त्र्मों पर पुनः िजज़या कर र्गा ददया.
• यह गुर्रुखी उपनाम से कववतायेँ शर्खता र्ा. बाबर
• भारत मग़
ु र् शासन की स्त्र्ापना बाबर ने 1526 ई. में रखी.
• इसने कृवष के ववकास में काफी रूर्च ददखाई. इसने उपि भूशम को मापने
के शर्ए 32 अंकों वार्े गि-ए-शसकंदरी (शसकंदर का गि) नाम से नए • वह वपत ृ पक्ष से तैमरू का वंशि और मात ृ पक्ष से चंगेज़ खां का वंशि
र्ा.
माप की शुरुआत की.
• वह इब्ादहम र्ोदी के खखर्ाफ, दौर्त खां र्ोदी और आर्म र्ोदी द्वारा
इब्राहहम िोदी : 1517-26 भारत बुर्ाया गया र्ा.
• यह र्ोदी वंश का अंनतम रािा और ददपर्ी सपतनत का अंनतम सर्
ु तान • उसने 21 अप्रैर्, 1526 ई. में इब्ादहम र्ोदी को पानीपत के प्रर्म यद्
ु ध
र्ा. में हराकर मग़
ु र् वंश की स्त्र्ापना की.
• यह शसकंदर र्ोदी का बेिा र्ा. • 1527 में उसने खानवा में मेवाड़ के राणा सांगा को हराया.
• पंिाब के सूबद
े ार दौर्त खां र्ोदी ने इब्ादहम र्ोदी को उखाड़ फेंकने के • 1528 में उसने चंदेरी के शासक मेददनी राय को चंदेरी के युद्ध में परास्त्त
शर्ए बाबर को आमंबरत ककया. ककया.
• बाबर ने सौदा मंिरू कर शर्या और 1526 ई. में पानीपत के प्रर्म युद्ध • 1529 में उसने मुहम्मद र्ोदी (इब्ादहम र्ोदी का चाचा) को घाघरा के
में र्ोददयों को बरु ी तरह परास्त्त कर ददया. युद्ध में परास्त्त ककया.
• यह यद्
ु धस्त्र्र् में मारा िाने वार्ा ददपर्ी सपतनत का एकमार सर्
ु तान • 1530 ई. में आगरा में उसकी म्ृ यु हो गई. उसकी कब् र्ाहौर में है .
र्ा. केवर् दो मुग़र् बादशाहों, बाबर और बहादरु शाह ज़फ़र की कब् वतथमान
भारत के बाहर है.
2.2 सपतनतकािीन प्रशासन
• वह भारत में बारूद और तोपों का प्रयोग करने वार्ा पहर्ा व्यजतत र्ा.
• सपतनत प्रशासन में चार ववभाग प्रमुख र्े :-
• दो प्रशसद्ध बंदक
ू ची मुस्त्तफा और उस्त्ताद अर्ी उसकी सेना में र्े.
दीवान-ए-वविारत या ववत्त ववभाग
• उसने अपनी आ्मकर्ा ‘तुिुक-ए-बाबरी’ तुकी में शर्खी है.
दीवान-ए-ररसार्त या धाशमथक मामर्ों और अपीर्ों का ववभाग
• तुिुक-ए-बाबरी का, बाबरनामा नाम से पारसी भाषा में अब्दरु रहीम
दीवान-ए-अज़थ या सैन्तय ववभाग खान-ए-खाना और अंग्रेिी में मदान बेबब्ि ने अनुवाद ककया गया है .
दीवान-ए-इंशा या शाही पर व्यवहार ववभाग
• उसने दो काव्यसंग्रह, तुकी भाषा में ‘दीवान’ और पारसी में ‘मुबइयान’
को कर्मबद्ध ककया. उसने ररसर्-ए-उसज़ या ख़त-ए-बाबरी की
2.3 ददपर्ी सपतनत के अंतगथत कर्ा एवं स्त्र्ाप्य
भीरचना की.
• तुकी वविेताओं द्वारा र्ायी गई नई ववशेषताएं र्ीं :
गुम्बद
हुमायूँ (1530 ई. से 1555-56)
बुर्ंद इमारतें • यह बाबर का पुर र्ा और 1530ई. में गद्दी पर बैठा. उसे अपने भाई
बबना बीम के सहारे की मेहराबें कामरान, दहंदार् और अस्त्करी द्वारा अफ़गानों से चुनौती शमर्ी.
मेहराब
• 1532 में उसने आगरा में तबर्-ए-अद्र् की स्त्र्ापना की.
• ऐबक ने िमी मजस्त्िद और कुव्वत-उर्-इस्त्र्ाम मजस्त्िद का ननमाथण • उसने शेरशाह से चौसा (1539) और कन्तनौि/बबर्ग्राम (1540) में दो
करवाया. उसने क़ुतुब मीनार का ननमाथण भी प्रारं भ करवाया. युद्ध र्ादे और दोनों में परास्त्त हुआ.
• ऐबक ने अिमेर में सफ़ेद संगमरमर की एक नतकाशीदार मेहराब से • वह ईरान भाग गया िहााँ उसने अपने िीवन के 12 वषथ ननवाथसन में
युतत एक खूबसरू त प्रार्थना सभा, अढ़ाई ददन का झोपड़ा भी बनवाया.
बबताये.

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• शेर शाह की म्ृ यु के बाद उसने 1555 में भारत पर आिमण ककया और • पानीपत का दस
ू रा युद्ध (5 नवम्बर 1556 ई.) हे मू (मुहम्मद आददर्
उसके अफ़गान भाइयों को हरा कर एक बार कफर भारत में शासक बना. शाह का दहन्तदू सेनापनत) और बैरम खां (अकबर का संरक्षक) के बीच हुआ.
• 1556 में पुस्त्तकार्य (ददन पनाह) की सीदढ़यों से र्गरकार उसकी म्ृ यु इसमें हे मू की परािय हुई और बैरम खां द्वारा उसकी ह्या कर दी गई.
हो गई और उसे ददपर्ी में दफ़नाया गया. • अपने शासन के प्रारं शभक वषों में अकबर अपने संरक्षक बैरम खां और
• अबुर् फज़र् ने उसे इंसान-ए-काशमर् कहा है . कफर अपनी मााँ माहम अंगा के प्रभाव में रहा.
• उसकी बहन, गुर्बदन बेगम ने उसकी िीवनी हुमायुनामा की रचना की. • अकबर पर माहम अंगा के प्रभाव कार्; 1560-62 को पेिीकोि सरकार
• उसने ददपर्ी में दीन पनाह को अपनी दस
ू री रािधानी बनाया र्ा. का कार् कहा िाता है .
• अकबर ने ववशभन्तन रािपूत राज्यों िैसे अम्बेर बीकानेर, िैसर्मेर और
सूरवंश (द्ववतीय अर्िान साम्राज्य) (1540-55)
िोधपुर से वैवादहक संबंध स्त्र्ावपत ककए.
• अकबर द्वारा ककये गए कुछ प्रमुख सुधार र्े :र्ड़कों और र्ड़ककयों के
शेरशाह सरू ी: 1540-45
वववाह के शर्ए न्तयूनतम आयुसीमा बढाकर िमशः 16 और 14 वषथ कर दी
• यह सासाराम के िागीरदार, हसन खान का बेिा र्ा.
गई.
• 1539 में इसने चौसा के यद्
ु ध में हुमायु को हराया और बादशाह के रूप
में शेरशाह की उपार्ध धारण की.
सती प्रर्ा पर प्रनतबंध
• एक बादशाह के रूप में, इसने मार्वा (1542), रणर्ंभोर (1542), • 24 वषथ की आयु में अकबर ने राज्य द्वारा भशू म कर इकठ्ठा करने के
रायसीन (1543), रािपत
ु ाना के मारवाड़ (1542), र्चत्तोड़ (1544) और शर्ए दशार्ा प्रणार्ी की शुरुआत की.
कशर्ंिर (1545) तक अपना साम्राज्य ववस्त्तार ककया.
• अकबर के शासनकार् में मनसबदारी व्यवस्त्र्ा के तहत मनसबदारों को
• पुराना ककर्ा इसके शासनकार् में ही बनवाया गया.
66 वगों में बााँि ददया गया. इस व्यवस्त्र्ा ने ननम्नशर्खखत सेवा शतें
• इसके 5 वषथ के छोिे शासनकार् में आर्र्थक हार्ात को सुदृढ़ करने के
ननधाथररत की :
शर्ए इसने एक बेहतर प्रशासन, भू-रािस्त्व नीनत और कुछ अन्तय मानक
स्त्र्ावपत ककये. पद और स्त्र्ान
• इसने रुपया नाम से शसतके चर्ाये जिनका परु े साम्राज्य में समान वेतन
मानक के मानदं ड र्ा. घुड़सवारों की संख्या
• उसने सुचारू संचार व्यवस्त्र्ा के शर्ए कई सड़कें बनवाएाँ. उसने ग्रांड ट्रं क • मुपर्ा-मौर्ववयों की धाशमथक कट्िरता और रूदढ़वाददता के खखर्ाफ़
रोड (िी.िी.रोड) का ननमाथण कराया िो कर्कत्ता से पेशावर तक िाती र्ी. ववद्रोह करते हुए 1851 में अकबर ने एक नए धमथ, दीं-ए-इर्ाही की घोषणा
उसके शासन में बनवाई गईं अन्तय सड़कें र्ीं : की. बीरबर् इकर्ौता दहन्तदू र्ा जिसने इस धमथ को अपनाया.
आगरा से मांडू • हार्ााँकक ददन-ए-इर्ाही र्ोकवप्रय नहीं हो सका.
आगरा से िोधपुर और र्चत्तोड़ • अकबर ने फतेहपुर सीकरी, आगरा का ककर्ा, र्ाहौर का ककर्ा,
र्ाहौर से मुपतान इर्ाहाबाद का ककर्ा और ददपर्ी में हुमायूाँ के मकबरे का ननमाथण करवाया.
• उसने साम्राज्य के ववशभन्तन दहस्त्सों में सैननक छावननयां बनवाईं और आगरा ए ननकि जस्त्र्त फतेहपरु सीकरी के बारे में कहा िाता है कक- र्म्बे
प्र्येक छावनी में बड़ी संख्या में सैननक रखे िाते र्े. समय तक अकबर के कोई पुर नहीं र्ा. एक सूफी संत शेख सर्ीम र्चस्त्ती
• अबुर् फज़र् के अनुसार शेर शाह का साम्राज्य 63 सरकार या जिर्ों में के आशीवाथद से अकबर को एक बेिा हुआ जिसका नाम सर्ीम/शेखो बाबा
ववभाजित र्ा. (िहााँगीर) रखा गया. सर्ीम र्चस्त्ती के सम्मान में, अकबर ने अपना
• भूशम मापने की इकाई ‘बीघा’ होती र्ी. दरबार ददपर्ी से स्त्र्ानांतररत कर फतेहपरु सीकरी में स्त्र्ावपत कर शर्या.
• अर्ाउद्दीन खखर्िी की तरह इसने भी दाग और सेना में चेहरा प्रर्ा का • तुर्सीदास (रामचररतमानस के र्ेखक) अकबर के समकार्ीन र्े.
सख्ती से पार्न ककया. • िब अकबर की म्ृ यु हुई तो उसे आगरा में शसकंदरा में दफ़नाया गया.
• ज़मींदारों को हिा ददया गया और करों की वसूर्ी सीधे तौर पर की िाने • युसुफिई िनिानत के सार् यद्
ु ध (1586) में बीरबर् की ह्या कर दी
र्गी. गई.
• इसे सासाराम में दफ़नाया गया. • अबुर् फज़र् की ह्या (1610) वीर शसंह बद
ुं े र्ा ने की र्ी.
• अकबर ने मग़
ु र् भारत को एक अर्धकाररक भाषा दी (पारसी).
अकबर
• हुमायूाँ का बड़ा बेिा अकबर, िर्ार्द्
ु दीन मुहम्मद अकबर बादशाह गािी जहाँिीर (1605-27)
की उपार्ध के सार् 14 वषथ की उम्र में गद्दी पर बैठा. • 1605 में अकबर की म्ृ यु के बाद उसका पुर सर्ीम गद्दी पर बैठा.
• उसका रािनतर्क कर्नौर में हुआ.

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• उसने शाही न्तयाय के शर्ए आगरा के ककर्े में ज़ंिीर-ए-अदर् (न्तयाय की • िहााँगीर के साम्राज्य का ववस्त्तार करते हुए, शाहिहााँ ने अहमदनगर की
ज़ंिीर) र्गवाई. ननज़ाम शाही को मुग़र् ननयंरण में र्ाने में (1633) सफर्ता हाशसर् की.
• 1611 में उसने, बंगार् के अशभयान पर भेिे गए एक पारसी अमीर, शेर • शाहिहााँ के शासन का वणथन फ़्ांशससी यारी बननथयर और ट्रै वननयर तर्ा
अफ़गान की ववधवा मेहर-उन-ननसा से वववाह कर शर्या. बाद में उसने उसे इिर्ी के यारी ननकोर्ी मनूची द्वारा ककया गया है. पीिर मुंडी ने शाहिहााँ
नूरिहााँ की उपार्ध दी. के समय हुए उत्तरार्धकार के युद्धों का वणथन ककया है .
• नरू िहााँ का राज्य के मामर्ों में अ्यर्धक प्रभाव र्ा. उसे अर्धकाररक • र्ार् ककर्ा, िामा मजस्त्िद और ताि महर् इसके शासन कार् में बनी
पादशाह बेगम बनाया गया. प्रमुख इमारतें हैं.
• िहााँगीर ने अपने और नूरिहााँ के नाम के संयुतत शसतके िारी ककये. • 1657 में शाहिहााँ के अचानक बहुत बीमार पड़ने से उसके चार बेिों के
• िहााँगीर ने मारवाड़ की िोधाबाई से भी वववाह ककया र्ा. बीच उत्तरार्धकार के शर्ए यद्
ु ध प्रारं भ हो गया.
• 1608 में ईस्त्ि इंडडया कंपनी का प्रनतननर्ध िॉन हाककन्तस िहााँगीर के • इस संघषथ में औरं गिेब वविेता बनकर उभरा और िुर्ाई, 1658 में उसने
दरबार में आया. 1615 में इंग्र्ैंड के ककं ग िेम्स प्रर्म का रािदत
ू सर अपना राज्याशभषेक करवाया. औरं गिेब ने शाहिहााँ को आगरा के ककर्े में
र्ॉमस रो भी उसके दरबार में आया. उसने सूरत में अंग्रेिों का एक िेर् में दार् ददया िहााँ 1666 में कारावास में ही उसकी म्ृ यु हो गई.
व्यापाररक बंदरगाह खोर्ने की अनुमनत प्राप्त की.
• इसका शासनकार् अनेक ववद्रोहों के शर्ए िाना िाता है. इसके बेिे औरं िजेब
• शाहिहााँ के शासन के अंनतम वषों में उत्तरार्धकार के शर्ए संहषथ हुआ.
खुसरो ने, जिसके बारे में कहा िाता है कक उसे, पांचवें शसख गरु
ु ‘गुरु अिन
ुथ
दे व’ का आशीवाथद प्राप्त र्ा, ने 1605 में ववद्रोह कर ददया. बाद में गुरु • उसके चार बेिे दाराशशकोह, औरं गिेब, शाह शुिा और मुराद र्े िो गद्दी

अिुन
थ दे व को ववद्रोही रािकुमार को आशीवाथद दे ने के शर्ए फांसी (1606) के शर्ए संघषथरत र्े.
• सत्ता के शर्ए इस खींचतान में उसकी बेदियां भी ककसी न ककसी भाई के
दे दी गई.
• उसके अंनतम वषों में उसके बेिे खरु थ म (शाहिहााँ) ने (1622-25) और सार् र्ी. िहााँआरा डरा के समर्थन में र्ी. रोशन औरं गिेब के समर्थन में
र्ी और गह
ु ारा मरु ाद का समर्थन कर रही र्ी.
उसके सेनापनत महावत खां ने (1626-27) भी बगावत कर दी.
• औरं गिेब ऐसा इकर्ौता मग़
ु र् सम्राि र्ा जिसका दो बार राज्य
• उसने पारसी भाषा में अपनी आ्मकर्ा तुिुक-ए-िहांर्गरी शर्खी.
अशभषेक ककया गया.
• उसे र्ाहौर में दफ़नाया गया.
• ववदेशी यारी बननथयर ने दे वराई के यद्
ु ध में दारा की हार के बाद उसका
सावथिननक अपमान दे खा र्ा.
• अपने शासन के प्रारं शभक 23 वषों (1658-81) तक औरं गिेब का ध्यान
उत्तर भारत पर केजन्तद्रत रहा. इस दौरान शशवािी के नेत्ृ व में मराठा एक
बड़ी शजतत बनकर उभरे जिन्तहें औरं गिेब को बराबर की मान्तयता दे नी
पड़ी.
• इसके शासन में मग़
ु र्ों की सेवा में सवाथर्धक दहन्तदू मनसबदार र्े.
• औरं गिेब ने शसखों के नौंवें गरु
ु , गरु
ु तेगबहादरु को 1675 में र्गरफ़्तार
कर शर्या और उनके इस्त्र्ाम न स्त्वीकार करने पर उन्तहें क़्र् कर ददया.
• गरु
ु तेग बहादरु के पर
ु और दसवें एवं अंनतम शसख गरु
ु , श्री गरु
ु गोववन्तद
शसंह ने अपने अनय
ु ानययों को सैन्तय शजतत के रूप में संगदठत ककया जिसे
खार्सा कहा गया.
शाह जहाँ
• हार्ााँकक 1708 में दतकन में एक अफ़गान द्वारा गुरु गोववन्तद शसंह की
• इसका वास्त्तववक नाम खुरथम र्ा. यह िोधाबाई (रािा िगत शसंह) की
ह्या कर दी गई. र्ेककन गरु
ु गोववन्तद शसंह के सैननक शशटय बंदा बहादरु ने
पुरी के गभथ से पैदा हुआ र्ा.
मुघर्ों के खखर्ाफ़ युद्ध िारी रखा.
• अपने वपता की म्ृ यु के बाद 1628 में शाहिहााँ गद्दी पर बैठा.
• गद्दीनशीं होने के तीन वषों के बाद उसकी वप्रय प्नी मुमताि महर् औरं िजेब की धालमथक नीनत
(वास्त्तववक नाम अज़म
ुथ ंद बानो) की 1631 में म्ृ यु हो गई. उसकी यादों को • वो खुद को जज़न्तदापीर या जिंदा संत कहता र्ा.
स्त्र्ायी बनाने के शर्ए इसने 1632-53 में आगरा में तािमहर् का ननमाथण • ववशभन्तन ववषयों में नैनतक ननयमों के पार्न के शर्ए उसने मुहतशसब
करवाया. ननयुतत ककये र्े.
• इसने दरबार में चार-तस्त्र्ीम की शरु
ु आत की. • उसने दरबार में गायन आर प्रनतबंध र्गा ददया र्ेककन संगीत की
अनुमनत दी. वह स्त्वयं वीणा बिाता र्ा.
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• उसने अकबर द्वारा शुरू ककये गए झरोखा दशथन को समाप्त करवा • प्रान्ततों को सरकारों/जिर्ों में बांिा गया र्ा. जिर्ों को कई परगना और
ददया. कफर परगना ग्राम में ववभाजित र्ा.
• उसने आदे श पाररत ककया कक कोई भी नया दहन्तदू मंददर नहीं बनवाया
िाएगा.पुराने मंददरों के मरम्मत की अनुमनत र्ी. मुग़ि संस्त्कृनत
• िहााँगीर के शासनकार् में मग़
ु र् र्चरकर्ा अपने चरम पर र्ी िबकक
• उसने काशी का ववश्वनार् मंददर और मर्ुरा में वीर शसंह बुंदेर्ा का केशव
शाहिहााँ के समय में वास्त्तुकर्ा अपने सवोच्च स्त्र्ान पर र्ी.
मंददर नटि करवा ददया.
• 1679 में उसने िजज़या कर पुनः र्ागू कर ददया. • बाबर ने दो मजस्त्िद, एक पानीपत के काबुर्ीबाग में और दस
ू री
रोदहर्खंड के संभर् में बनवाई.
• हुमायूाँ का मकबरा उसकी ववधवा हािी बानू बेगम ने बनवाया र्ा.
मराठों से संघषथ • सीकरी में बने हुए मररयम पैर्ेस, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास
• शशवािी सवाथर्धक शजततशार्ी मराठा रािा र्े और औरं गिेब के सबसे भारतीय शैर्ी में ननशमथत हैं.
बड़े शरु र्े.
• बुर्ंद दरवाज़ा (गुिरात ववय के बाद बनवाया गया), फतेहपरु सीकरी का
• िब औरं गिेब उन्तहें पराजित करने में असफर् रहा तब उसने शशवािी मुख्य प्रवेशद्वार बना.
को पराजित करने के शर्ए 1665 में अम्बेर के रािपत
ू , रािा ियशसंह के • सर्ीम र्चस्त्ती का मक़बरा (िहााँगीर द्वारा संगमरमर से पुनः बनवाना)
सार् शमर्कर षड़यंर रचा. पूरी तरह संगमरमर में बनी पहर्ी मुग़र् ईमारत है. बीरबर् का महर् और
• ियशसंह के आश्वासन पर शशवािी औरं गिेब के दरबार में आये. शशवािी
तानसेन का महर् भी फतेहपुर सीकरी में ही है.
को धोखे से बंदी बना शर्या गया र्ेककन वे भाग ननकर्ने में सफर् रहे
• अकबर ने शसकंदरा में अपने मकबरे का ननमाथण खुद शुरू करवाया र्ा
और 1674 में स्त्वयं को एक स्त्वतंर रािा घोवषत कर ददया.
जिसे बाद में िहााँगीर ने परू ा ककया.
• 1680 में शशवािी की म्ृ यु के बाद उनका पुर संभािी शसंहासन पर बैठा
• फतेहपुर सीकरी की वास्त्तुकर्ा ‘र्ार् बर्ुआ प्र्र में महाकाव्य’ के रूप
जिसकी औरं गिेब ने 1689 में ह्या कर दी. संभािी के बाद उनके भाई में िानी िाती है .
रािाराम ने शासन संभार्ा और उनकी म्ृ यु के बाद उनकी ववधवा
• नरू िहााँ ने ए्मातउद्ददौर्ा या शमज़ाथ गयास बेग का संगमरमर का
ताराबाई ने आन्तदोर्न ककया.
मकबरा आगरा में बनवाया जिसे प्रर्म बार पेट्रा ड्यरू ा (अद्थधकीमती
प्र्रों का बना हुआ फूर्ों की नतकाशी) के प्रयोग के शर्ए िाना िाता है .
मुग़ि प्रशासन
• िहााँगीर ने र्ाहौर में मोती मजस्त्िद और शाहदरा (र्ाहौर) में अपनी
मनसबदारी व्यवस्त्र्ा:
समार्ध बनवाई.
• प्र्येक मुग़र् अर्धकारी को एक मनसब (पद) ददया गया र्ा. कुर् 66
• शाहिहााँ द्वारा आगरा में बनवाई गई प्रमख
ु इमारतें हैं – मोती मजस्त्िद
तरह के मनसबदार र्े.
(संगमरमर की इकर्ौती मजस्त्िद), ख़ास महर्, मस्त्
ु स्त्मम बज़
ु थ (चमेर्ी का
• िहााँगीर ने द-ु अस्त्पाह और शसह-अस्त्पाह प्रणार्ी की शुरुआत की जिससे
महर् िहााँ उसने अपना कारावास के अंनतम वषथ गि
ु ारे ) आदद.
ववशेष अमीरों के पास घुड़सवारों की संख्या दग
ु ुनी कर दी गई.
• इसने 1637 में शाहिहानाबाद की नींव रखी िहााँ इसने र्ार् ककर्ा और
केंद्रीय प्रशासन: तख़्त-ए-ताउस (मोर का शसंहासन) बनवाया.
वकीि: ये प्रारं भ में प्रधानमंरी होता र्ा र्ेककन बाद में इसे केवर् रािस्त्व • र्ार् ककर्ा में औरं गिेब द्वारा बनवाई गई एकमार ईमारत मोती
सर्ाहकार बना ददया गया. मजस्त्िद है .
मीर बतशी: यह सैन्तय ववभाग का प्रमुख होता र्ा. • औरं गिेब से सम्बंर्धत एकमार स्त्मारक बीबी का मकबरा है िो उसकी
बीवी राबबया-उड़-दौरा का मकबरा है .
प्रांतीय प्रशासन : • औरं गिेब ने र्ाहौर में बादशाही मजस्त्िद भी बनवाई.
• साम्राज्य को प्रान्ततों या सब
ू ों में बांिा गया र्ा. • हुमायूाँ ने अपनी सेवा में दो र्चरकार मीर सैयद अर्ी और अब्दस
ु समद
• 1580 में अकबर ने साम्राज्य को 12 प्रान्ततों में बााँि ददया र्ा. इसके को रखा र्ा.
शासन समाप्त होने तक इन सब
ू ों की संख्या बढ़कर 15 हो गई र्ी. • दसवंत और बासवान अकबर के दरबार में दो प्रशसद्द र्चरकार र्े.
• िहााँगीर के शासनकार् में सब
ू े बढ़कर 17 हो गए और कफर आगे • अब्दर्
ु हसन, उस्त्ताद मंसूर और बबशनदास िहााँगीर के दरबार में तीन
औरं गिेब के समय में इनकी संख्या 21 हो गई. प्रशसद्द र्चरकार र्े.
• नाजज़म या सब
ू ेदार, प्रान्तत का प्रमख
ु होता र्ा.
अकबर के शासन में घिी प्रमुख घिनाएं
स्त्र्ानीय प्रशासन : 1562 अिमेर का पहर्ी बार दौरा ककया
1562 युद्ध-बंददयों को ताक़त के दम पर गुर्ाम बनाना
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1563 तीर्थयारा कर की समाजप्त 8. मुग़र् वंश का अंनतम शासक कौन र्ा ?
1564 िजज़या कर की समाजप्त उत्तर. बहादरु शाह ज़फ़र
1571 फतेहपुर सीकरी की स्त्र्ापना 9. बहादरु शाह ज़फ़र को ददपर्ी से कहााँ ननवाथशसत ककया गया ?
1574 मनसबदारी प्रर्ा की शुरुआत उत्तर. रं गून
1575 इबादतखाना बनाया गया 10. बहादरु शाह ज़फ़र की म्ृ यु कहााँ हुई ?
1578 इबादतखाना में ववशभन्तन धमों की पररषद् उत्तर. रं गून में
1579 मज़हर की घोषणा (फैिी द्वारा शर्खखत) 11. तािमहर् का वास्त्तुकार कौन र्ा ?
1580 दह्सशार्ा बदोबस्त्त की शुरुआत उत्तरr: उज़्ताद इज़ा
1582 दीं-ए-इर्ाही/तौहीद-ए-इर्ाही 12. र्ार्ककर्े का द्वार ककस नाम से िाना िाता है ?
1584 इर्ाही संवत यानन पंचांग/कैर्ेंडर उत्तर: िाहौर िेि
1587 इर्ाही गि 13. भारत में सबसे बड़ी मजस्त्िद कौन सी है ?
उत्तर : हदपिी की जामा मष्स्त्जद
मुग़ि साहहत्य
• अकबर नाम – अबुर् फज़र् बहादरु शाह प्रर्म (1707-12)
• तोबकात–ए-अकबरी – ख्वाज़ा ननिामुद्दीन अहमद बतश • 1707 में औरं गज़ेब की म्ृ यु के बाद, मुअज्ज़म उसका उत्तरार्धकारी
• इकबार्नामा-ए-िहांर्गरी – मह
ु म्मद खां बना.
• आइन-ए-अकबरी – अबुर् फज़र् • इसने बहादरु शाह की उपार्ध धारण की.
• पादशाह नामा –अब्दर्
ु हाशमद र्ाहोरी • हार्ााँकक यह काफी वद्ृ ध (65 वषथ) र्ा और उसका शासन बहुत छोिा र्ा
• शाहिहााँ नामा – मुहम्मद सार्ेह कफर भी उसकी अनेक उपर्जब्ध र्ीं.
• शसरथ -ए-अकबर – दारा शशकोह • इसने औरं गज़ेब की संकीणथ और कट्िरपंर्ी नीनतयों को बदर् ददया.
• सफीनत-उर्-औशर्या –दारा शशकोह • रािपत ू राज्यों के सार् समझौते ककये.
• मिमा-उर्-बहरीन – दारा शशकोह • मराठों को सरदे शमख ु ी वसर्
ू ने की छूि दी र्ेककन चौर् की नहीं.
• रतक़त-ए-आर्मर्गरी –औरं गिेब • संभािी के परु साहूिी, जिसने बाद में ताराबाई से यद्
ु ध ककया को, िेर्
1. ककस मुग़र् बादशाह को भारतीय इनतहास में शाह-ए-बेखबर कहा िाता से ररहा कर ददया
है ? • गरु
ु गोबबंद शसंह को एक बड़ा मनसब दे कर उनके सार् मेर्-शमर्ाप
उत्तर. बहादरु शाह बनाया.
2. ककस मुग़र् शासक के समय में बंदा बहादरु के नेत्ृ व में पंिाब में शसख • गरू
ु िी की म्ृ यु के बाद, शसखों ने पन
ु ः बंदा बहादरु के नेत्ृ व में यद्
ु ध
शजतत का उदय हुआ ? आराम कर ददया जिससे शसखों के सार् दीघथकार्ीन संघषथ प्रारं भ हो
उत्तर. बहादरु शाह गया.
3. औरं गिेब द्वारा पन
ु ः र्गाये गए िजज़या कर को ककसने समाप्त कर • िाि नेता चड़
ू ामन और बंद
ु ेर्ा नेता छरसार् के सार् भी शांनत स्त्र्ावपत
ददया ? की.
उत्तर. िहांदार शाह • राज्य की ववत्त व्यवस्त्र्ा बेहद ख़राब हो गई.
4. अहमद शाह अब्दार्ी कौन र्ा ?
जहांदार शाह (1712-13)
उत्तर. वाह नाददर शाह का रक्षा मंरी र्ा.
• बहादरु शाह की म्ृ यु ने साम्राज्य को गहृ युद्ध की ओर धकेर् ददया.
5. पानीपत का तीसरा यद्
ु ध कब और ककसके बीच र्ड़ा गया ?
• इस कार् के दौरान अमीर/सरदार बेहद प्रभावी हो गए.
उत्तर. 1761 ई. में अहमदशाह अब्दार्ी और मराठों के बीच में.
• बहादरु शाह का पुर िहांदार शाह, ज़जु पफ़कार खां की सहायता से 1712
6. ककस मग़
ु र् शासक ने 1764 में, बंगार् के नवाब मीर काशसम और
में र्गद्दी पर बैठा.
अवध के नवाब शसरि-उद-दौर्ा के पक्ष में और बब्दिश शासन के खखर्ाफ
• यह सुख सवु वधाओं में डूबा रहे ने वार्ा अयोग्य व कमिोर शासक र्ा.
बतसर के यद्
ु ध में भाग शर्या र्ा ?
• इसका विीर, ज़जु पफ़कार खां वास्त्तववक प्रशासक बन बैठा र्ा.
उत्तर. शाह आर्म द्ववतीय.
• ज़ुजपफ़कार खां ने िजज़या समाप्त कर ददया.
7. ककस मग़
ु र् शासक ने बतसर के यद्
ु ध के बाद बंगार्, बबहार और उड़ीसा
• रािपूतों के सार् शांनत स्त्र्ावपत की; अम्बेर के ियशसंह को मार्वा का
की दीवानी अंग्रेिों को दे दी र्ी ?
और मारवाड़ के अजित शसंह को गुिरात का सूबेदार ननयुतत ककया
उत्तर. शाह आर्म द्ववतीय
गया.
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• दतकन की चौर् और सरदे शमुखी मराठों को इस शतथ पर दे दी गई कक • यह कमिोर ददमाग वार्ा, तुच्छ, अ्यर्धक शौक़ीन और सुववधाभोगी
इसकी वसूर्ी मुग़र् अर्धकारी करें गे और कफर मराठों को सौंप देंगे. र्ा.
• शसखों और बंदा बहादरु के दमन की नीनत िारी रखी. • प्रशासन के प्रनत र्ापरवाह र्ा.
• इिारा : भू-रािस्त्व की वसूर्ी को ठे के पर दे ददया गया जिसके तहत • अपने मंबरयों के खखर्ाफ ही साजिश रचता र्ा.
बबचौशर्ए को एक ननजश्चत रकम सरकार को दे नी होती र्ी िबकक वह • इसका वज़ीर, ननज़ाम-उर्-मुपक (र्चनककशर्च खां) अपना पद छोड़
ककसानों ने अपने मनमाकफ़क वसूर्ी करने के शर्ए स्त्वतंर र्ा. 1724 में हैदराबाद राज्य की स्त्र्ापना की.
• िहांदार शाह िनवरी 1713 में अपने भतीिे फरुथ ख शसयार द्वारा • “उसका िाना साम्राज्य से वफादारी और सदाचारों के उड़ िाने का
आगरा में हराकर मार ददया गया. प्रतीक र्ा”
• बंगार्, हैदराबाद, अवध और पंिाब में अनुवांशशक नवाबों की उ्पवत्त
र्रुथ तख लसयर (1713-19)
हुई.
• सैयद बंधुओं हुसैन अर्ी खां बराहा और अब्दप
ु र्ा खां की मदद से • मराठों ने मार्वा, गुिरात और बुंदेर्खंड पर अर्धकार कर शर्या.
ववियी हुआ.
• इसने अब्दप
ु र्ा खां को वज़ीर और हुसैन अर्ी को मीर बतशी का पद 1738 : नाहदर शाह का आक्रमण
ददया. • र्गातार ककए गए अशभयानों ने पशशथया को ददवाशर्या बना ददया र्ा.
• फरुथ खशसयर एक अयोग्य शासक र्ा. सैयद बंधू वास्त्तववक शासक बन नाददरशाह भारत की अकूत धन दौर्त से आकवषथत होकर यहााँ आया
गए र्े. र्ा.
• मुग़र् साम्राज्य भी कमिोर हो चर्ा र्ा.
• सैयद बंधू
• उत्तर-पजश्चमी सीमा र्म्बे समय तक ध्यान ण ददए िाने के कारण
1. भारतीय इनतहास में ककं गमेकर के नाम से िाने िाते हैं.
असरु क्षक्षत हो गई र्ी और ककसी ववरोध की सम्भावना नहीं र्ी.
2. धाशमथक सदहटणत
ु ा की नीनत अपनाई. पुनः िजज़या को समाप्त कर • दोनों सेनाएं 13 फरवरी 1739 ई. को कनथर् में शभड़ीं. मग़
ु र् सेना परू ी
ददया.
तरह परास्त्त हो गई और मह
ु म्मदशाह को बंदी बना शर्या गया.
3. अनेक स्त्र्ानों से तीर्थयारा कर समाप्त कर ददया गया.
• नाददर शाह ने ददपर्ी में 57 ददनों तक र्ि
ू -पाि ह्या की
4. मराठा : शाहू िी को स्त्वराज्य ददया और दतकन के 6 प्रान्ततों से चौर् • र्गभग 70 करोड़ रुपये की र्ि
ू हुई सार् ही मयरू शसंहासन (तख़्त-ए-
और सरदे शमुखी वसूर् करने का अर्धकार ददया.
ताउस) और कोदहनरू हीरा अपने सार् र्े गया.
5. ये ववद्रोदहयों को समाववटि करने और दबाने में असफर् रहे तयोंकक
• मह
ु म्मद शाह ने उसे शसन्तधु नदी के पजश्चम के सभी प्रान्तत दे ददए.
इन्तहें र्गातार रािनीनतक प्रनतद्वंददता, र्ड़ाई झगड़े और दरबारी
• मह्व : नाददर शाह के आिमण ने मराठा सरदारों और ववदेशी
षड्यंरों का सामना करना पड़ा.
व्यापाररक कंपननयों के शर्ए मग़
ु र् साम्राज्य की छुपी हुई कमिोरी से
6. ननज़ाम-उर्-मप
ु क और मुहम्मद अमीन खां के नेत्ृ व में अमीरों ने पदाथ हिा ददया.
इनके खखर्ाफ षड़यंर रचने शुरू ककये..
7. सैयद बंधओ
ु ं ने फरूखशसयर को अपदस्त्र् कर ह्या कर दी र्ी. 1719 अहमद शाह अब्दािी
में सैयद बंधू मार ददए गए. • नाददर शाह का एक सेनापनत
8. इससे पहर्े दो युवा रािकुमारों को एक के बाद एक सत्ता पर बैठाया • भारत में ददपर्ी और मर्ुरा के ननकि 1748 और 1761 के मध्य बार-
गया जिनकी बीमारी से म्ृ यु हो गई. बार आिमण ककया और र्ूिपाि मचाई. इसने भारत पर पांच बार
9. सम्रािों की ह्या ने सैयद बंधुओं के खखर्ाफ़ ववद्रोह की र्हर पैदा कर आिमण ककया.
दी. • 1761 : पानीपत का तीसरा युद्ध, मराठों की हार
10. उन्तहें ‘नमक हराम’ की तरह दे खा िाने र्गा. • नाददर शाह और अहमद शाह अब्दार्ी के आिमणों के फर्स्त्वरूप
11. अब उन्तहोंने 18 वषथ के मुहम्मद शाह को दहंदोस्त्तान का बादशाह मुग़र् साम्राज्य, अखखर् भारतीय साम्राज्य नहीं रह गया. 1761 तक
बनाया. यह केवर् ददपर्ी तक शसमि कर गया.
12. 1720 में अमीरों ने सैयद बंधओ
ु ं में छोिे , हुसैन अर्ी खां की ह्या कर
शाह आिम द्ववतीय (1759)
दी.
13. अब्दप
• अहमद बहादरु (1748-54), मुहम्मद शाह का उत्तरार्धकारी बना.
ु र्ा खां भी आगरा में पराजित हुआ.
• अहमद बहादरु का उत्तरार्धकारी आर्मगीर द्ववतीय (1754-59) र्ा.
मुहम्मद शाह ‘रं िीिा’ (1719-1748) • 1756 : अब्दार्ी ने मर्रु ा को र्ूिा
• अर्मगीर द्ववतीय का उत्तरार्धकारी शाहिहााँ तत
ृ ीय बना.

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• 1759 में शाहिहााँ तत
ृ ीय का उत्तरार्धकारी शाह आर्म द्ववतीय बना. अफज़र् खान का वध कर ददया. प्रशसद्ध ‘बघनखा’ की घिना अफज़र्
• अपने वज़ीरों से भय के कारण शाह आर्म ने अपने प्रारं शभक कई वषथ खान के वध से ही सम्बंर्धत है .
भिकते हुए बबताये. • 1660 में औरं गिेब द्वारा दतकन का सूबेदार शाइस्त्ता खान मराठों को
• 1764 में इसने बंगार् के नवाब मीर काशसम और अवध के नवाब संभार्ने के शर्ए ननयुतत ककया गया. शशवािी ने 1663 में शाइस्त्ता खा
शसरि-उड़-दौर्ा के सार् अंग्रेिों के खखर्ाफ बतसर का युद्ध में भाग पर एक बड़े आिमण और सरू त की र्ूि से पहर्े पूना, कपयाण और
शर्या. चाकन खो ददया और कुछ िगह हार का भी सामना ककया.
• इर्ाहबाद में पेंशनयाटता • तब अम्बेर के रािा िय शसंह और ददर्ेर खान, 1665 में औरं गिेब
• 1772 में मराठों के संरक्षण में ददपर्ी वापस र्ौिा. द्वारा शशवािी की बढ़ती शजतत को कुचर्ने के शर्ए ननयुतत ककये गए.
• िय शसंह ने पुरंदर के शर्ए में शशवािी से घेरने में सफर्ता प्राप्त की.
मुग़ि साम्राज्य का पतन
फर्स्त्वरूप पुरंदर की संर्ध की गई जिसके अनुसार मुग़र्ोन को कुछ
• 1759 के बाद मुग़र् साम्राज्य एक सैन्तय शजतत के रूप में समाप्त हो ककर्े सौंपेंगे और एक बार ददपर्ी में मग़
ु र् दरबार में हाजिर होंगे.
गया. • 1666 में शशवािी आगरा गए ककन्ततु वहां उनका अपमान ककया गया.
• 1759 से 1857 तक दे श पर इसका ननयंरण केवर् इसशर्ए बना रहा • 1670 ई. में शशवािी ने परु ं दर की संर्ध के तहत ददए गए सारे ककर्े पन
ु ः
तयोंकक भारतीय िनमानस पर, देश की रािनीनतक एकता के रूप में िीत शर्ए.
मुग़र् वंश की सशतत छवव बनी हुई र्ी.
• 1674 ई. में रािधानी रायगढ़ में शशवािी का राज्याशभषेक हुआ और
• 1803 में ददपर्ी पर बब्दिशों ने कब्ज़ा कर शर्या. उन्तहोंने हैन्तदव धरमोद्धारक (दहंद्ु व के रक्षक) की उपार्ध धारण की.
• 1803 से 1857 तक, मुग़र् सम्राि अंग्रेिों का रािनीनतक चेहरा मार • उसके बाद शशवािी ने मुग़र्ों और शसद्ददयों (िंिीरा) के सार् सतत
बनकर रह गया र्ा.
संघषथ ककया. उन्तहोंने 16७७-80 के दौरान कनाथिक पर आर्धप्य
• मुग़र् साम्राज्य के पतन का सबसे मह्वपूणथ पररणाम रहा कक इन्तहोने स्त्र्ावपत कर शर्या.
बब्दिश शासकों के शर्ए भारत पर शासन करने का मागथ प्रशस्त्त ककया
• उनका अंनतम अशभयान जिंिी और वेपर्ोर के खखर्ाफ र्ा.
तयोंकक कोई अन्तय भारतीय शजतत, भारत को एक कर उस पर ननयंरण
करने के शर्ए शजततशार्ी नहीं र्ी. लशवाजी का प्रशासन
• स्त्वराज्य प्र्यक्षतः मराठों के ननयंरण में र्ा.
मराठा
• चौर्ा और सरदे शमख
ु ी मराठों द्वारा शर्ए िाने वार्े कर र्े.
2.1 लशवाजी (1627-80)
• मराठा आिमण से बचने के शर्ए चौर् ददया िाता र्ा.
• शशवािी, शाहिी और जििाबाई के पुर र्े जिनका िन्तम शशवनेर के • सरदे शमख
ु ी 10% का एक अन्तय कर र्ा िो महाराटट्र की उस भशू म पर
ककर्े में हुआ र्ा.
र्गता र्ा जिस पर पारं पररक और अनव
ु ांशशक रूप से मरार्े अपना
• शशवािी को 1637 में अपने वपता से पूना की िागीर प्राप्त हुई. दावा करते र्े र्ेककन िो मग़
ु र्ों के ननयंरण में र्ी.
• इनके गुरु, गरु
ु रामदास समर्थ र्े. • मराठी अर्धकाररक भाषा र्ी.
• 1647 ई. में अपने अशभभावक दादािी कोंडदे व की म्ृ यु के बाद शशवािी • शशवािी ने अपने साम्राज्य (स्त्वराज्य) के क्षेर को तीन भागों में
ने अपनी िागीर का शासन परू ी तरह संभार्ा.
ववभाजित ककया र्ा और प्र्येक में एक सरसब
ू ेदार र्ा. प्रांत, महार्ों में
• इन्तहोने अनेक ककर्ों पर अपना अर्धकार स्त्र्ावपत ककया िैसे :- ववभतत र्ा और महार् परगना या तफथ में ववभतत र्ा.
1. शसंह गढ़/कोंडाना (1643) • शशवािी की सहायता के शर्ए एक अटिप्रधान र्ी िो एक मंबरपररषद
2. रोदहंड और चाकन (1644-45)
िैसी र्ी, ककन्ततु इसकी कोई सामदू हक िवाबदे ही नहीं र्ी बजपक प्र्येक
3. तोरण (1646)
सीधे शशवािी के प्रनत उत्तरदायी र्ा.
4. पुरंदर (1648)
5. रािगढ़/रायगढ़ (1656) लशवाजी के अटिप्रधान
6. सूप (1656) 1. पेशवा (मुख्य प्रधान): ववत्त और सामान्तय प्रशासन, बाद में यह
7. पन्तहार्ा (1659). प्रधानमंरी बन गए और अ्यंत मह्वपण
ू थ पद हो गया.
• 1657 में शशवािी अहमदनगर और िुन्तनार पर आिमण के समय 2. सर-ए-नौबत (सेनापनत) : सैन्तय प्रमुख. यह एक मानद पद र्ा ककन्ततु
इनका पहर्ी बार मुगर्ों से सामना हुआ. कोई वास्त्तववक सैन्तय शजततयां नहीं र्ीं.
• 1659-60 में, बीिापरु की आददर्शाही द्वारा अफज़र् खान को • बाद में शशवािी के एक उत्तरार्धकारी रािाराम द्वारा, ‘प्रनतननर्ध’ नाम
शशवािी को दजण्डत करने हेतु ननयुतत ककया गया ककन्ततु शशवािी ने से नौंवें मंरी का पद बनाया गया.

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• शशवािी के अर्धकतर प्रशासननक सुधार मशर्क अम्बर (अहमदनगर) • शशवािी के बाद यह गरु रपर्ा पद्धनत का सबसे बड़ा प्रनतपादक माना
के सुधारों पर आधाररत र्े. िाता है . इसके अंतगथत मराठा शजतत अपने चरम पर पहुाँच गई र्ी.
• इसके अंतगथत अनेक मराठा पररवार प्रनतजटठत बनकर स्त्वयं को भारत
2.2 लशवाजी के उत्तरागधकारी के ववशभन्तन भागों में स्त्र्ावपत ककया.
शम्भाजी: 1680-1689
• इसने पत
ु थगाशर्यों से बसीन और सार्सेि छीन शर्या (1739)
• शशवािी के बड़े पुर संभािी ने शशवािी के छोिे पुर रािाराम को • इसने ननज़ाम-उर्-मुपक को भोपार् के ननकि पराजित ककया और
उत्तरार्धकार के युद्ध में पराजित ककया. दरु ई-सराय की संर्ध की जिससे बाद में (1738) ननज़ाम ने सम्पण
ू थ
• इसने औरं गिेब के ववद्रोही पुर अकबर द्ववतीय को सुरक्षा और समर्थन मार्वा और बद
ुं े र्खंड मराठों को सौंप दी.
प्रदान ककया.
• इसने मुग़र्ों के बारे में कहा र्ा, “हमें इस ििथर वक्ष
ृ के तने पर
• इसने एक मुग़र् अमीर को पराजित कर संगमेश्वर पर अर्धकार कर आिमण करना चादहए, शाखाएं तो स्त्वयं ही र्गर िाएाँगी.”
शर्ए और उसकी ह्या कर दी.
बािाजी बाजीराव: 1740-61
राजाराम : 1689-1700 • नाना साहे ब के नाम से र्ोकवप्रय यह 20 वषथ की आयु में अपने वपता
• इसने रािगढ़ के मंबरयों की सहायता से शसंहासन पर कब्ज़ा ककया. बािीराव प्रर्म का उत्तरार्धकारी बना.
• संभािी की प्नी और पर
ु साहू िी के सार् मग़ु र्ों द्वारा रािगढ़ पर • साहू की म्ृ यु (1749) के बाद सभी रािकीय कामकाि यही संभार्ता
आिमण और कब्िे से यह 1689 में रािगढ़ से जिंिी भाग गया.
र्ा.
• 1698 में जिंिी पर मग़
ु र्ों के कब्िे के बाद सतारा मराठों की रािधानी • मुग़र् बादशाह अहमद शाह अब्दार्ी के सार् हुई एक संर्ध (1752) के
बनी. यहीं पर रािाराम की म्ृ यु हो गई.
तहत, चौर् के बदर्े पेशवा मग़
ु र् साम्राज्य की आन्ततररक एवं बाह्सय
• रािाराम ने प्रनतननर्ध नाम से एक नया पद सजृ ित ककया. फर्तः शरओ
ु ं (अहमद शाह अब्दार्ी िैसे) से रक्षा करें गे..
मंबरयों की कुर् संख्या 9 (अटिप्रधान+प्रनतननर्ध) हो गई. • अहमद अब्दार्ी द्वारा पानीपत के तीसरे यद् ु ध (िन. 14, 1761) में
मराठों की परािय हुई और ववश्वास राव एवं सदाशशव राव भू मारे गए.
ताराबाई: 1700-1707
इससे पेशवा बार्ािी बािीराव को बहुत आघात पहुंचा और छह महीने
• रािाराम का सबसे छोिा पुर शशवािी द्ववतीय अपनी मााँ ताराबाई के
बाद उसकी भी म्ृ यु हो गई. इस यद्
ु ध ने मराठा शजतत को समाप्त कर
संरक्षण में उत्तरार्धकारी बना.
ददया.
• ताराबाई ने मग़
ु र्ों से संघषथ िारी रखा.

प्रश्न
शाहू : 1707-1749
1. मराठों को संगदठत करने वार्ा पहर्ा व्यजतत कौन र्ा ?
• मुग़र् सम्राि बहादरु शाह ने साहू को मुतत कर ददया.
उत्तर. शशवािी
• खेड़ के युद्ध (1700) में ताराबाई की सेना साहू द्वारा पराजित कर दी
2. मराठा साम्राज्य का संस्त्र्ापक कौन र्ा?
गई और साहू ने सतारा को हड़प शर्या.
उत्तर. शशवािी
• साहू के शासनकार् में, पेशवाओं का उदय और मराठा राज्य का संघ के
3. शशवािी का तया स्त्वप्न र्ा ?
शसद्धांत पर आधाररत एक साम्राज्य में पररवतथन, दे खने को शमर्ता है.
उत्तर. एक ववशार् मराठा साम्राज्य स्त्र्ावपत करना और ववदे शशयों को दे श
बािाजी ववश्वनार् (1714-20): प्रर्म पेशवा से बाहर खदेड़ना
• इसने अपना िीवन एक छोिे से रािस्त्व अर्धकारी के रूप में की र्ी और 4. शशवािी ककस्त्से सवाथर्धक प्रभाववत र्े ?
1708 में साह ने सेनाकते (सेना में गणना करने वार्ा) का पद ददया र्ा. उत्तर. उनकी माता िीिा बाई
• यह 1713 में पेशवा बना र्ा और इस पद को सवाथर्धक मह्वपण
ू थ एवं 5. शशवािी की पहर्ी सैन्तय उपर्जब्ध कौन सी र्ी ?
शजततशार्ी बना ददया इसके सार् ही यह पद पैतक
ृ बना ददया. उत्तर. उनकी पर्ी सैन्तय उपर्जब्ध 1446 ई. में बीिापुर के तोरणा का ककर्ा
• इसने सैयद बंधओ
ु ं-ककं ग मेकर (1719) से एक संर्ध की जिसके द्वारा पर वविय र्ी ?
मग़ ु र् सम्राि फरुथ खशसयर ने साहूिी को स्त्वराज्य का रािा की मान्तयता 6. शशवािी कब और कहााँ अपनी रािधानी बनाई ?
प्रदान की. उत्तर. 1665 ई. में रािगढ़
8. शशवािी ने बीिापुर राज्य के सार् युद्ध कब र्ड़ा ?
बाजीराव प्रर्म: 1720-40 उत्तर. 1659 ई. में, इस यद्
ु ध में बीिापुर का अफज़र् खान मारा गया और
• बार्ािी ववश्वनार् का बड़ा पुर, बािीराव 20 वषथ की आयु में उसका शशवािी को बड़ी मारा में धन प्राप्त हुआ.
उत्तरार्धकारी, पेशवा बना. 8. औरं गिेब ने शशवािी के खखर्ाफ युद्ध के शर्ए ककसे भेिा ?
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उत्तर. शाईश्ता खान को र्ेककन वह युद्ध के मैदान से भाग ननकर्ा. 26. शशवािी ने कौन सी उपार्ध धारण की और ब्ाम्हणों की रक्षा का
9. शशवािी ने गुिरात के ककस शहर को और कब र्ूिा ? संकपप शर्या ?
उत्तर. 1664 ई. में सरू त को. उत्तर. दहन्तदू पादशाही और धमथ का रक्षक
10. औरं गिेब ने अम्बेर के रािा िय शसंह को ककसे मारने के शर्ए भेिा 27. शशवािी की म्ृ यु कब हुई ?
र्ा ? उत्तर. शशवािी. रिा ियशसंह ने बहुत से मराठा ककर्ों पर कब्ज़ा उत्तर. 1680 ई. में
ककया और उन्तहें समझौते के शर्ए मिबरू कर ददया.
11. पुरंदर की संर्ध ककस ककसके बीच हुई र्ी ? भारत में िडे िए प्रमुख यद्
ु ध
हयदास्त्पीस का युद्ध (326 ईस्त्वी पव
ू )थ – पौरव रािा पोरस, शसकंदर द्वारा
उत्तर. शशवािी और औरं गिेब
पराजित हुआ. र्ेककन पोरस की वीरता से प्रभाववत होकर शसकंदर ने
12. शशवािी कब औरं गिेब में दरबार में गए ?
उसका राज्य उसे र्ौिा ददया.
उत्तर. 1666 ई. में
कलिंिा का युद्ध (261 ईस्त्वी पूव)थ – अशोक महान ने कशर्ंग के रािा को
13. शशवािी कब औरं गिेब के दरबार में कैद कर शर्ए गए ?
उत्तर. 1666 ई. में पराजित ककया. इस युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध पंर् अपनाया और
आिीवन उसी का प्रचार ककया.
14. शशवािी ने पुनः सूरत की र्ूि कब की ?
उत्तर. 1670 ई. में तराइन का प्रर्म युद्ध (1191 ई.)- यह युद्ध र्ानेश्वर के ननकि तराइन
में र्ड़ा गया. चौहान वंश के पथ्ृ वीराि चौहान ने मोहम्मद गोरी को हराया.
14. शशवािी ने अपना राज्याशभषेक कब करवाया ?
उत्तर. 1674 ई.. में तराइन का द्ववतीय यद्
ु ध (1192)- यह मोहम्मद गोरी द्वारा पथ्ृ वीराि

15. शशवािी ने अपने ककस बेिे को औरं गिेब की सेवा में भेिा ? चौहान के ववरुद्ध र्दा गया जिसमें पथ्ृ वीराि चौहान पराजित हुआ.
चंदवार का यद्
ु ध (1194)- मोहम्मद गोरी ने कन्तनौि के ियचंद को
उत्तर. शम्भािी
16. शशवािी की सहायता के शर्ए उनके ककतने मंरी र्े ? पराजित ककया.
पानीपत का प्रर्म यद्
ु ध (1526) – बाबर (मग़
ु र् वंश) ने इब्ादहम र्ोदी
उत्तर. आठ मंरी
को हराया.
17. शशवािी के आठ मंबरयों के समूह को ककस नाम से िाना िाता र्ा ?
खानवा का यद्
ु ध (17-March-1527) – मेवाड़ के राणा, राणा सांगा को
उत्तर. अटि प्रधान
बाबर ने पराजित ककया. यद्
ु धभशू म में राणा सांगा बरु ी तरह घायर् हो गए
18. शशवािी के पररषद् में सबसे मह्वपण
ू थ पद कौन सा र्ा ?
र्े.
उत्तर. पेशवा (प्रधानमंरी)
चौसा का यद्
ु ध (7-June-1539) – शेर शाह ने मग़
ु र्ों को पराजित ककया
19. शशवािी के पररषद् में दस
ू रा सबसे मह्वपूणथ पद कौन सा र्ा ?
र्ेककन रािा हुमायूाँ नदी पार कर भाग गया.
उत्तर. आमा्य (ववत्त मंरी)
कन्नौज या बबिग्राम का यद्
ु ध (17-May-1540) –शेर शाह पन
ु ः हुमायूाँ
21. शशवािी की कर प्रणार्ी तया र्ी ?
उत्तर. भशू म कर कुर् उ्पादन का 2/5 दहस्त्सा ननधाथररत र्ा. चौर् और के खखर्ाफ िीता. आगरा शहर पर कब्ज़ा
पानीपत का द्ववतीय यद्
ु ध (5-November-1556) – हे मचन्तद्र
सरदे शमुखी भी राज्य की आय का मुख्य श्रोत र्े.
22. चौर् तया र्ा ? वविमादद्य (हे मू), अकबर द्वारा पराजित.

उत्तर. शशवािी पड़ोसी राज्यों और छोिे ररयासतों पर चढ़ाई करते रहते र्े . तािीकोि का यद् ु ध (1564 - 65) – हुसैन ननज़ाम शाह के नेत्ृ व में

वे हमेशा शशवािी के आिमण के भय में रहते र्े. उन्तहोंने शशवािी से एक बीिापरु , बीदर, अहमदनगर और गोर्कंु डा के बीच गठबंधन और
ववियनगर साम्राज्य के राम रािा की हार
समझौता ककया और शशवािी ने चौर् कर के बदर्े उन पर आिमण न
करने का आश्वासन ददया. चौर् मानक रािस्त्व का ¼ भाग र्ा. हपदीघािी का यद्
ु ध (1576) – यह यद्
ु ध अकबर एवं मेवाड़ के राणा
प्रताप के बीच शुरू हुआ र्ा. हार्ााँकक मग़
ु र् िीते र्े र्ेककन राणा ने कभी
23. सरदे शमुखी तया र्ा?
भी मग़ ु र्ों की अधीनता स्त्वीकार नहीं की.
उत्तर. सरदे शमुखी भी राज्यों और क्षेरों द्वारा एक प्रकार का कर र्ा जिसके
प्रर्म कनाथिक युद्ध (1745–48) - यह यद्
ु ध बब्दिश और फ्रेंच सेनाओं
बदर्े शशवािी उन क्षेरों की अन्तय आिमणकाररयों से रक्षा में सहायता
करते र्े. सरदे शमुखी मानक रािस्त्व का ¼ होता र्ा. के बीच र्ड़ा गया. फ्रांसीशसयों ने मद्रास पर कब्ज़ा कर शर्या, बाद में
अंग्रेिों को र्ौिा ददया.
24. औरं गिेब ककसे पहाड़ी चूहा कहता र्ा ?
द्ववतीय कनाथिक युद्ध (1749–54) – डुप्र्े के नेत्ृ व में फ़्ांशससी अंग्रेिों
उत्तर. शशवािी
से र्ड़े ककन्ततु अंग्रेि ववियी रहे . 1755 में उन्तहोंने एक अस्त्र्ायी संर्ध की.
25. ककस यद्
ु ध कर्ा में मराठा अ्यंत ननपण
ु र्े ?
उत्तर. गरु रपर्ा यद् तत
ृ ीय कनाथिक यद्
ु ध (1756–63) - 1758 में फ्रांसीशसयों ने फोिथ सैंि
ु ध
डेववड पर कब्ज़ा कर शर्या र्ेककन 1760 में वंडीवाश खो बैठे. अंग्रेि िीते.

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प्िासी का युद्ध (June-1757) – रोबिथ तर्ाइव के नेत्ृ व में बब्दिश तत
ृ ीय आंग्ि-मैसूर यद्
ु ध (1790-92) – अंग्रेि और िीपू सुपतान (है दर
सेनाओं ने बंगार् के नवाब शसराि-उड़-दौर्ा से युद्ध ककया और ववियी अर्ी का पुर) के बीच युद्ध. िीपू सुर्तान को श्रीरं गपट्िनम की संर्ध पर
हुए. मीर िाफ़र को नया नवाब बनाया गया और शसरि-उड़-दौर्ा को हस्त्ताक्षर करने को मिबरू ककया गया.
फांसी दे दी गई. चौर्ा आंग्ि-मैसूर युद्ध (1799) – बब्दिश सेनाओं की (आर्थर वेर्ि
े र्ी
बतसर का युद्ध (1764) – मेिर मानरी के नेत्ृ व में बब्दिश सेना ने के नेत्ृ व में) वविय हुई और इप सुर्तान की ह्या कर दी गई.
बंगार् के नवाब मीर काशसम और अवध के नवाब शुिा-उद-दौर्ा और प्रर्म आंग्ि-बमाथ युद्ध (1824–1826) – ईस्त्ि इंडडया कंपनी और बमाथ
मुग़र् बादशाह शाह आर्म की संयुतत सेना को पराजित ककया. के बीच र्ड़ा गया. कंपनी की वविय.
प्रर्म आंग्ि-मैसूर युद्ध (1767–1769) – मैसूर सपतनत और ईस्त्ि प्रर्म आंग्ि-अफ़िान युद्ध (1839-42) – अंग्रेिों ने अफ़गान शासक
इंडडया कंपनी के बीच. अंग्रेि हारे . दोस्त्त मोहम्मद को हराया.
प्रर्म आंग्ि-मराठा युद्ध (1775–1782) – भारत में मराठा साम्राज्य चेलियांवािा का युद्ध (1849) – र्ाडथ हग ग़ाफके नेत्ृ व में ईस्त्ि इंडडया
और ईस्त्ि इंडडया कंपनी के बीच र्ड़ा गया. अंग्रेिों की हार और सार्बाई कंपनी और शेर शसंह के नेत्ृ व में र्ड़ा गया. शसखों की परािय.
की संर्ध हुई. परु ं दर की संर्ध के बाद अंग्रेिों द्वारा कब्िाए गए सभी क्षेर
मराठों को वापस ददए गए.
द्ववतीय आंग्ि-मराठा युद्ध (1803-1805) – अंग्रेि और मराठा के बीच
र्ड़ा गया. मराठों की हार हुई और अंग्रेिों का ववस्त्तार तंिोर, सूरत और
कनाथिक तक हुआ.
तत
ृ ीय आंग्ि-मराठा युद्ध (1817–1818) – अंग्रेि (गवनथर िनरर्
हे जस्त्िं ग्स) और मराठों के बीच र्ड़ा गया. अंग्रेिों ने मराठों को हराया,
अंततः मराठा साम्राज्य का अंत.
द्ववतीय आंग्ि-मैसूर युद्ध (1780) –है दर अर्ी, ननज़ाम और मराठा के
बीच संयुतत मोचे का गठन. अंग्रेिों को हराया. है दर अर्ी कनाथिक का
स्त्वामी बन गया.

प्राचीन भारत का इनतहास


प्राचीन भारतीय इनतहास • शसंधु-घािी र्ोग ‘कपास’ और ‘ऊन’ दोनों के उपयोग से अच्छी तरह से
भारत में लसंधु घािी सभ्यता पररर्चत र्े।
भारत में प्राचीन सभ्यताएँ
• शसंधु घािी सभ्यता एक प्राचीन सभ्यता है यह शसंधु नदी और घग्गर- जानवरों को पाितू बनाया:
हकरा नदी के ककनारे फर्ीफूर्ी र्ी, िो अब पाककस्त्तान और उत्तर • पशु पार्न शसंधु संस्त्कृनत में मह्वपूणथ र्ा। इसके आर्ावा भेड़ और
पजश्चम भारत है। बकरी, कुत्ते, कुबड़े वार्ी भैंस और हार्ी ननजश्चत रूप से पार्तू र्े। ऊंि

• रे डडयो काबथन डेदिंग के अनुसार, शसंधु घािी सभ्यता का कार् 2500 – दर्
ु भथ र्ा और घोड़े के बारे में कोई िानकारी नहीं र्ी।

1750 ई.पू. तक माना िाता है। • शसंधु घािी सभ्यता नगर ननयोिन:
• आर.बी. दयाराम साहनी ने 1921 में पहर्ी बार हड़प्पा (रावी पर) की • ववस्त्तत
ृ शहर की योिना र्ी। इसमें र्ग्रड प्रणार्ी का पार्न ककया गया
खोि र्ी। आर.डी बनिी ने 1922 में मोहनिोदड़ो या ‘मत
ृ को का िीर्ा’ र्ा। सड़कें अच्छी तरह से कािी गई र्ी। नगर एक बड़े आयत या वगथ के

(शसंधु पर) खोि की र्ी। सर िॉन माशथर् ने इन दोनों खोिों में एक खण्डों में ववभाजित र्े।

मह्वपूणथ भशू मका ननभाई। • ननमाथण सामग्री के रूप में अच्छी गुणवत्ता की पकी हुई ईंिों का
• हड़प्पा सभ्यता भारत के आद्य इनतहास के भागों के रूपों में है और यह इस्त्तेमार् ककया गया र्ा। समकार्ीन ववश्व में अन्तयर शमट्िी की ईंिों

कांस्त्य युग अंतगथत आता है। का इस्त्तेमार् ककया िाता र्ा।

• इस सभ्यता के र्ोग तांबा, पीतर्, चांदी, सोने के बारे में िानते र्े, • मोहनिोदड़ो में, एक बढ़ा स्त्नानागार (ववशार्) पाया गया, जिसकी माप
र्ेककन इन्तहें र्ोहे का ज्ञान नहीं र्ा। 12मी× 7मी एवं गहराई 2.4 मी र्ी। सतह के दोनों छोरों पर सीडडयां र्ीं

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जिसके सार् वस्त्र बदर्ने के कमरे र्े। सार् कमरे से बदर् रहा है। यह • 29 वषथ की आयु में स्य की खोि(महाभीननटिमण या महान ्याग भी
संभवतः धाशमथक स्त्नान से संबंर्धत हो सकता है। कहा िाता है ) के शर्ए इन्तहोंने ग्रह ्याग ककया( चन्तना सारर्र् और
अपने पसंदीदा घोड़े कंतक के सार्) और 6 वषों तक भिकते रहे ।
प्रमख
ु शहर और उनकी ववशेषताएं: • बुद्ध ने 35 वषथ की आयु में मगध (बबहार) “गया” में पीपर् वक्ष
ृ के नीचे
• मोहनिोदड़ो(शसंध) शसंधु नदी के दादहने ककनारे पर अवजस्त्र्त र्ा।
'ननवाथण' या ज्ञान प्राप्त ककया।
• चन्तहुदारो शसंधु नदी के बाएाँ ककनारे पर जस्त्र्त र्ा, िो मोहनिोदड़ो के
• सारनार् में पहर्ा धमोपदे श ददया िहााँ उनके पांच शशटय बने। उनके
दक्षक्षण में 130 ककमी. की दरु ी पर र्ा। पहर्े धमोपदे श को ‘धमथचिपररवतथन’ या कानून का धूमता हुआ चि
• कार्ीबंगा (रािस्त्र्ान) में घग्गर नदी के ककनारे जस्त्र्त र्ा, िो सददयों
कहा िाता है ।
पहर्े सख
ू चक
ु ी है। • मपर् गणराज्य में 483 ईसा पूवथ में, कुशीनगर में 80 वषथ की आयु में
• र्ोर्र्, खंभात की खाड़ी पर है।
महापररननवाथण प्राप्त ककया (उत्तरप्रदे श के दे वररया जिर्े में कशसया गांव
• बनावार्ी (हररयाणा) अब ववर्प्ु त हो चक
ु ी सरस्त्वती नदी के ति पर में)।
जस्त्र्त र्ा।
• सरु कोिड़ा (गि
ु रात) कच्छ के रण के मह
ु ाने पर है । बौद् सगिनतयाँ:
• धोर्ावीरा (गि
ु रात) कच्छ जिर्े में खद
ु ाई के दौरान खोिा गया। • शभक्षु, बद्
ु ध की म्ृ यु के बाद चार बार इकठ्ठे हुए और इन घिनाओं का
प्रभाव, बौद्ध धमथ पर पड़ा।
प्राचीन भारत में व्यापर एवं वाखणज्य:
• प्रर्म संर्गनत: रािगहृ में, मेहकस्त्सप की अध्यक्षता में (रािा अिातशरु
• ककसी भी धातु की मुद्रा का प्रचर्न नहीं र्ा और व्यापार, वस्त्तु ववननमय र्ा)। बद्
ु ध की शशक्षाओं को दो वपिकों में ववभाजित ककया गया अर्ाथत
प्रणार्ी के माध्यम से होता र्ा।
ववनय वपिक और सत्त
ु वपिक। उपार्ी ने ववनय वपिक और आनंद ने
• वज़न और मापने में सिीकता के उपाय हड़प्पा संस्त्कृनत (र्ोर्र् में पाया सत्त
ु वपिक सन
ु ाई।
गया) में ही अजस्त्त्व र्े। विन आम तौर पर चूना प्र्र, साबुन के • द्ववतीय संर्गनत: वैशार्ी में, 383 ईसा पव
ू थ में, सबकामी की अध्यक्षता
प्र्र आदद के र्े और ये घनीय आकार में हुआ करते र्े।
में (कर्ाशोक रािा र्ा) आयोजित की गई। इनके अनय
ु ायी दो भागों में
• 16 माप की इकाई (16, 64,160, 320) र्ी। बी बंि गए अर्ाथत अस्त्र्ाववरपादी और महासंनघका।
• र्ोर्र् में एक िहाि बनाने का स्त्र्ान(पोतगाह) की खोि की गई। • तत
ृ ीय संर्गनत: पािशर्परु में, 250 ईसा पव
ू थ में मोगार्ीपट्
ु ि तीसा की
रं गपरु , सोमनार् और बार्ाकोि बंदरगाहों के रूप में कायथ करते र्े।
अध्यक्षता में (सम्राि अशोक र्ा) आयोजित की गई। इन संर्गनत में
Sutkagendor & Sutkakoh functioned as outlets.
बरवपिक का तीसरा भाग पार्ी भाषा में कोडडत ककया गया र्ा।
लसंधु घािी सभ्यता लिवप: • चौर्ी संर्गनत: कश्मीर (कुन्तदपवन) में,वासुशमर की अध्यक्षता में, 72
• शर्वप वणथना्मक नहीं र्ी, र्ेककन र्चरशर्वप र्ी (र्गभग 600 अपदठत ईसवी में (रािा कननटक र्ा) आयोजित की गई। बौद्ध धमथ महायान
र्चरशर्वप)। और हीनयान सम्प्रदायों में ववभाजित हो गया।
• शर्वप को अभी तक नहीं पढ़ा िा सका है । र्ेककन ववश्र्ेषण करने से यह
बौद्ध साहहत्य:
पता चर्ा है कक यह पहर्ी पंजतत में दाएाँ से बाएाँ शर्खी गई है और दस
ू री
• बौद्ध ग्रंर् पार्ी में हैं िो सामान्तयतः बरवपिक में भेिा िाता है अर्ाथत
पंजतत में यह बाएाँ से दाएाँ शर्खी गई है। इस शैर्ी को सपथर्ेखन शैर्ी
‘तीन िोकरी' के रूप में।.
कहते हैं।
• ववनय वपिक : बौद्ध मठों में अनुशासन के ननयम।
भारत में बौद्ध धमथ • सुत्त वपिक : सबसे बड़ा, बुद्ध के उपदे श का संग्रह है ।
• बद्
ु ध का िन्तम नेपार् में (कवपर्वस्त्तु के ननकि) र्जु म्बनी में वैशाख • अशभधम्मवपिक: बौद्ध धमथ के दाशथननक शसद्धांतों की व्याख्या।
पखू णथमा के ददन 563 ईसा पव
ू थ में हुआ र्ा।
भारत में जैन धमथ
• उनके वपता सद्
ु धोदन ‘शक’ शासक र्े।
• ररषभनार् द्वारा स्त्र्ावपत।
• उनकी मााँ (महामाया, कोशर् वंश की) का, उनके िन्तम के 7 ददन बाद ही
• 24 तीर्ंकर हुए, सभी क्षबरय र्े।
ननधन हो गया। उनकी सौतेर्ी मााँ गौतमी ने उनका र्ार्न-पार्न
• पहर्े ररषभ नार् (प्रनतक – बैर्)
ककया।
• 23 वें तीर्थकर पाश्वथनार् (प्रनतक-सांप) बनारस के रािा अश्वसेन के पुर
• 16 वषथ की आयु में यशोधरा से इनका वववाह हुआ। इन्तहोने 13 वषथ तक
र्े। उनकी मुख्य शशक्षाएं र्ी दहंसा न करना, झूि न बोर्ता, चोरी न
वववादहत िीवन जिया और इनका एक पुर र्ा जिसका नाम राहुर् र्ा।
करना और अर्धकार या कब्ज़ा न करना।
• 24 वें और आखखरी तीर्ंकर वधथमान महावीर (शेर : प्रतीक) र्े।

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• बबजम्बसार का पुर, अपने वपता को मारने के बाद, शसंहासन पर कब्िा
वधथमान महावीर इनतहास:
ककया।
• वह 599 ई.प.ू में कुण्डग्राम ( बबहार में मुज़फरनगर जिर्े में) में पैदा • इसके शासनकार् के दौरान बुद्ध की म्ृ यु हो गई; इसने पहर्े बौद्ध
हुए र्े।
पररषद की व्यवस्त्र्ा की।
• उनके वपता शसद्धार्थ ज्नाबरका कबीर्े के प्रमुख र्े। उसकी मााँ बरशर्ा, • उदयन का इनतहास (460-444 ईसा पव
ू )थ का इनतहास: इसने पािशर्पुर
वैशार्ी, (शर्च्छवी) के रािकुमार चेतक की बहन र्ी।
में नई रािधानी की स्त्र्ापना की, िो गंगा और सन के संगम पर जस्त्र्त
• महावीर बबजम्बसार से संबंर्धत र्ा। र्ी।
• यशोदा से वववादहत र्े, इनकी पर
ु ी का नाम वप्रयदशेना र्ा, जिसका पनत
िमार्ी उनका पहर्ा शशटय बन गया र्ा। लशशुनाि वंश:
• 30 वषथ की आयु में, उनके माता-वपता की म्ृ यु के बाद, वह सन्तयासी • एक मंरी शशशन
ु ागा द्वारा स्त्र्ावपत ककया गया। वह कार्ासाओका
बन गया। (द्ववतीय बौद्ध पररषद) का उत्तरार्धकारी बना।
• अपने सन्तयास के 13 वें वषथ (वैशाख के 10 वें ददन) िजम्भकग्राम शहर • रािवंश केवर् दो पीदढ़यों तक चर्ा।
उन्तहें परम ज्ञान (कैवपय) की प्राजप्त हुई। • सबसे बड़ी उपर्जब्ध अवंती की शजतत का ववनाश र्ा।
• उन्तहें िैन, जितेन्तद्र और महावीर कहा िाता र्ा और उनके अनय
ु ानययों • नंद रािवंश:
को िैन नाशमत ककया गया। इसके अर्ावा, उन्तहें अररहं त की उपार्ध दी • संस्त्र्ापक महापद्म नंदा र्े।
गई अर्ाथत योग्य। • अर्ेतिेंडर ने अपने शासनकार् में भारत पर हमर्ा ककया। उस वतत
• 72 वषथ की आयु में, 527 ईसा पव
ू थ में, पिना के पास पावा में म्ृ यु को धन नंदा वहां र्े।
प्राप्त हो गए। • अर्ेतिेंडर का भारत पर आिमण
• नोि: िैन धमथ में, तीन र्न (बरर्न) ददए हुए हैं और उन्तहें ननवाथण के • अर्ेतिेंडर (356 ईसा पूवथ - 323 ईसा पूव)थ मैशसडोननया (ग्रीस) के
शर्ए रास्त्ता कहा िाता है । वे सही ववश्वास, सही ज्ञान और सही आचरण कफशर्प का पुर र्ा जिसने 326 ईसा पूवथ में भारत पर आिमण ककया
हैं। र्ा।
• उस समय एनडब्पयू इंडडया कई छोिे स्त्वतंर राज्यों में तब्दीर् हो गया
जैन संगिनतयों का इनतहास:
िैसे तक्षशीर्ा, पंिाब (पोरस राज्य), गांधार आदद।
• पहर्ी संर्गनत: तीसरी शताब्दी ईसा पूवथ की शुरुआत में सर्ुर्भाद्रा
• पोरस को छोड़कर जिसने अर्ेतिेंडर के सार् हाइडस्त्पेश (झेर्म के ति
द्वारा पािशर्पुर में आयोजित की गई। यह 12 अंग के संकर्न के
पर) की प्रशसद्ध र्ड़ाई र्ड़ी, अन्तय सभी रािाओं ने नम्र रूप से अधीनता
पररणामस्त्वरूप 14 पवथ को बदर्ने के शर्ए र्ी ।
स्त्वीकार कर र्ी।
• दस
ू री संर्गनत: यह दे वररधगनी के नेत्ृ व में पांचवीं शताब्दी ईस्त्वी में,
• िब अर्ेतिेंडर ब्यास पर पहुंचे, तो उसके सैननकों ने आगे िाने से मना
वपर्भी (गुिरात) में आयोजित की गई र्ी।
कर ददया, इसशर्ए उसे पीछे हिने के शर्ए मिबूर होना पड़ा।
• अपनी अग्रनेता को र्चजह्सनत करने के शर्ए, उसने ब्यास के उत्तरी ति
मिध साम्राज्य
पर 12 ववशार् प्र्र की वेददयां खड़ी की।
• मगध साम्राज्य की अवर्ध: 6 वीं सदी - 4 शताब्दी ई.पू. र्ी।
• 19 महीनों के शर्ए भारत में बना रहा और बेबीर्ोन में 323 ईसा पूवथ में
• मगध साम्राज्य का ववस्त्तार: मगध को पिना के पूवथ जिर्ों, गया और
उसकी म्ृ यु हो गई।
शाहाबाद के कुछ दहस्त्सों को शमर्ाने से उस समय के प्रमुख राज्य होने
की वद्
ृ र्ध हुई। मौयथ राजवंश
• हयथक वंश: मूर्तः 566 ईसा पव ू थ बबजम्बसार के दादा द्वारा, स्त्र्ावपत चन्द्रिप्ु त मौयथ का इनतहास (322 – 297 BC)
ककया गया र्ा र्ेककन वास्त्तव में ववजम्बसार द्वारा इसकी नींव रखी
• चाणतय की सहायता से, जिसे कौदिपय या ववटणग
ु प्ु त के रूप में िाना
गई।
िाता है , उन्तहोंने नंदों को उखाड़ ददया और मौयथ वंश के शासन की
• मगध के रािा बबजम्बसार (544 ईसा पूवथ - 492 ईसा पूव)थ : स्त्र्ापना की।
• बुद्ध के समकार्ीन। • एक ववशार् साम्राज्य का ननमाथण, जिसमें न केवर् बबहार और बंगार् के
• उसकी रािधानी रािगीर (र्गररवराि) र्ी। अच्छे भाग शाशमर् र्े बजपक पजश्चमी और उत्तर पजश्चमी भारत और
• उनकी रािधानी पााँच पहाडड़यों से नघरी र्ी िो सभी ददशाओं से प्र्रों दतकन भी शाशमर् र्े।
की दीवारों से ढका र्ा, इसी को रािगीर बनाया। • यह िानकारी मेगास्त्र्नीज़ (एक ग्रीक रािदत
ू जिसे सेपयूकस द्वारा
• अिातशरु का इनतहास (492 ईसा पूवथ - 460 ई.प.ू ): चंद्रगप्ु त मौयथ के दरबार मेमें भेिा गया र्ा) द्वारा रर्चत पस्त्
ु तक इंडडका

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में शमर्ती है। हमें कौदिपय के अर्थशास्त्र से भी वववरण प्राप्त हो सकता • कुशान साम्राज्य के खंडहर पर एक नया साम्राज्य उभर कर आया,
है । जिसने कुशानों और सतावहन दोनों के पूवथ सत्ता के अच्छे भागों पर
• चंद्रगुप्त ने िैन धमथ को अपनाया और भद्रबाहु के सार् श्रवणबेर्ागोर्ा अपना मागथ बनाया। रािवंश के पहर्े दो रािा श्रीगुप्त और घािोकच्च
(मैसूर के पास) के पास गए, िहां धीरे -धीरे भूख के कारण उनकी म्ृ यु र्े।
हो गई।
चन्द्रिप्ु त I (AD 319 – 335):
बबन्दस
ु ार का इनतहास (297 – 273 BC): • गुप्त रािवंश के पहर्े मह्वपूणथ शासक र्े।
• चन्तद्रगप्ु त मौयथ का उत्तरार्धकारी 297 ईसा पव
ू थ उनका पर
ु बबन्तदस
ु ारा • 319-320 ईस्त्वी में गप्ु त युग आरम्भ ककया।
बना। • उसने नेपार् के र्च््वी कबीर्े की रािकुमारी कुमार दे वी से वववाह
• कहा िाता है कक उसने '2 समद्र
ु ों के बीच की भशू म', अर्ाथत ् अरब सागर करके अपनी शजतत और प्रनतटठा को बढ़ाया।
और बंगार् की खाड़ी पर कब्िा कर शर्या।. • उसने महारािर्धराि का खखताब अजिथत ककया।
• र्च्छवी राटट्र के शसतकों में अपना और अपनी रानी का संयुतत नाम
अशोक का इनतहास (269 – 232 BC):
अंककत कराया, इसके द्वारा अपने वववाह के गठबंधन की स्त्वीकृनत को
• अशोक को तक्षशशर्ा और उज्िैन के वाइसराय उनके वपता, बबंदस
ु ारा
दशाथया।
द्वारा ननयत
ु त ककया गया र्ा।
• समुद्र्गप्त का इनतहास (AD 335 – 375):
• अशोक उपगुप्त के तहत बौद्ध बना।
• चंद्रगुप्त के पुर और उत्तरार्धकारी समुद्रगुप्त ने गुप्त साम्राज्य का
• कशर्ंग युद्ध इनतहास:
व्यापक रूप से ववस्त्तार ककया।
• (261 ईसा पूव,थ िो तेरहवीं रॉक कफतकी में वखणथत है ): इअने िीवन के
• समुद्रगुप्त युद्ध और वविय की नीनत में ववश्वास करता र्ा और उनकी
प्रनत उनके दृजटिकोण को बदर् ददया जिसके के बाद अशोक ने बौद्ध
बहादरु ी और िनशजतत के कारण उन्तहें भारत के 'नेपोशर्यन'
धमथ स्त्वीकार ककया।
(इनतहासकार वी.ए. जस्त्मर् द्वारा) कहा िाता है ।
• मौयथ साम्राज्य के पतन के कारण:
• कहा िाता है कक अशोक का बौद्ध धमथ और उनके बशर्- व्यवहार के चन्द्रिप्ु त – II का इनतहास (AD 380 – 413):
कारण ब्ाह्समणों की आय प्रभाववत हुई। इसशर्ए उन्तहोंने अशोक के • समुद्रगुप्त का उत्तरार्धकारी रामगप्ु त र्ा र्ेककन चंद्रगप्ु त द्ववतीय ने
खखर्ाफ प्रनतपक्ष ववकशसत ककया। उनकी ह्या कर दी और उनकी रानी ध्रव ु दे वी से वववाह कर शर्या कर
• कृवष क्षेर से रािस्त्व इतने बड़े साम्राज्य को बनाए रखने के शर्ए पयाथप्त र्ी।
नहीं र्ा तयोंकक यद् ु ध से र्ि
ू नगण्य र्ी। • वह चांदी के शसतके िारी करने वार्ा पहर्ा शासक र्ा, इसके अर्ावा
• अशोक के उत्तरार्धकारी इतने बड़े केंद्रीकृत साम्राज्य को एकिुि रखने उसने तांबे के शसतकों को भी िारी ककया।
के शर्ए बहुत कमिोर र्े। • उसका दरबार कार्ीदास, अमरशसंह, वरहशमदहर और धनवंर सदहत
नोि: 185 ईसा पूवथ में पटु यशमर शग
ंु (सेनाध्यक्ष) ने अंनतम मौयथ शासक नौर्नों से सस
ु जज्ित र्ा।
बहृ धत
ृ की ह्या कर दी, जिससे मगध में शग
ंु रािवंश का उदय हुआ। • चीनी तीर्थयारी फेदहयन इस समय भारत आया र्ा।

भारत में संिम यि


ु कुमारिुप्त – I का इनतहास (AD 413 – 455):
चोिों का इनतहास • उन्तहोंने महेंद्रदद्य का शीषथक ग्रहण ककया।
• इस रािवंश को चोर्मानंदर्म या कोरोमंडर् कहा िाता र्ा। मुख्य केंद्र • नार्ंदा ववश्वववद्यार्य (प्राचीन भारत का एक प्रशसद्ध
ऊररयरू र्ा, िो कपास के व्यापार के शर्ए प्रशसद्ध र्ा। पि
ूं ी ववश्वववद्यार्य) की स्त्र्ापना की
कवेरीपट्िणम/ पुहड़ र्ी। • वह भगवान कानतथकेय (भगवान शशव के पर
ु ) का भतत र्ा।
• एर्ारा नामक एक चोर् रािा ने श्रीर्ंका पर वविय प्राप्त की और 50 • उसके शासनकार् के अंनतम वषों में, तुकी आिमणों के कारण साम्राज्य
वषों तक शासन ककया। की शांनत और समद्ृ र्ध में बाधा उ्पन्तन हुई।
• कररकर्ा उनके प्रशसद्ध शासक र्े। • मंगोर् िनिानत, हुनस के सार् युद्ध के दौरान कुमारगुप्त का ननधन
• धन का मुख्य स्रोत सत ू ी कपड़े का व्यापार र्ा। उन्तहोंने एक कुशर् हो गया।
नौसेना बनाए रखी र्ी।
स्त्कंदिुप्त का इनतहास (AD 455 – 467):
िुप्त राजवंश • कुमारगुप्त-I का उत्तरार्धकारी स्त्कंदगुप्त र्ा।
िुप्त साम्राज्य भारत का स्त्वणथ युि • सुदशथन झीर् पनु : स्त्र्ावपत की।

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• उनकी म्ृ यु के बाद, गप्ु त के महान ददन समाप्त हो गए। साम्राज्य • रामायण और महाभारत र्गभग चौर्ी शताब्दी ईस्त्वी द्वारा र्गभग
िारी रहा र्ेककन केंद्रीय ननयंरण कमिोर हो गया और स्त्र्ानीय पूरा हो गए र्े।
राज्यपार् उत्तरार्धकारी अर्धकारों के सार् सामंती शासक बन गए।
अन्य राजवंश और शासक (7वीं शताब्दी –12 वी शताब्दीAD)
भारत में िुप्त साहहत्य: हषथवधथन का इनतहास (AD 606 – 647)
• काशर्दास, महान संस्त्कृत नािककार, इस अवर्ध के र्े। उनकी कृनतयााँ • पटु भनू त पररवार और प्रभाकर वधथन के पर
ु से संबर्ं धत
हैं: अशभज्ञानशुकन्ततम, (ववश्व में सबसे अच्छी सादहज्यक रचनाओं में • मर्
ू रूप से र्ानेश्वर का र्ा र्ेककन कन्तनौि में स्त्र्ानांतररत हो गया
से एक के रूप में माना िाता है और यूरोपीय भाषा में अनदु दत होने वार्े (हषथ की म्ृ यु के बाद कन्तनौि को हषथ की उत्तरार्धकाररयों से प्रनतहारों
सबसे पहर्े भारतीय सादह्य में से एक, बाद इसके भगवद्गीता का द्वारा िीता गया)।
अनुवाद हुआ)ऋतुसम्हारा, मेघदत
ू ुम, कुमारसंघवम, • चीनी तीर्थयारी, हे न ्सांग (रािकुमार यारी) ने इसके शासनकार् के
मार्ववकगननशमरम, रघुवंश, वविमोवथशी आदद। इनमें से, ऋतुसम्हारा, दौरान भ्रमण ककया।
मेघदत
ू , रघुवंश महाकाव्य हैं और शेष नािक हैं। • हषथ ने स्त्वयं तीन नािकों - वप्रयदशशथका, र्नावर्ी और नागानंद की
• ववशाखदत्त ने मुद्राक्षस और देववचंद्रगुप्त की रचना की। रचना की।
• ववटणु शमाथ ने पंचतंर और दहतोपदे श की रचना की। • 647 में हषथ की म्ृ यु के बाद साम्राज्य एक बार कफर छोिे राज्यों में
• गुप्त अवर्ध में पाखणनी और पतंिशर् पर आधाररत संस्त्कृत व्याकरण ववभाजित हो गया।
का ववकास भी दे खा गया। • इज्संग, एक अन्तय चीनी तीर्थयारी ने 670 ईस्त्वी में भ्रमण ककया।

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