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SSC Railway Capsule Hindi
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एसएससी एवं अन्य परीक्षाओं के लिए अर्थ शास्त्र कैप्सू ि 2019...................................................................... 3
मध्यकािीि भारत.................................................................................................................................. 86
आय िोच
आय में एक प्रनतशत पररवतथन के कारण मांग में प्रनतशत पररवतथन,
कैिररस पेररबस।
EI = (मांग में % ) / (आय में % )
EI = (Q/ I). (I / Q)
आवश्यकताएं (0< EI ≤ 1): उदाहरण, मूर्भत
ू खाद्य पदार्थ
एंिर् का ननयम: िैसे-िैसे आय में वद्
ृ र्ध होती है, वैसे भोिन पर व्यय
होने वार्ी आय का % घिता है।
मांि की आडी-िोच
एक वस्त्तु की कीमत में पररवतथन के कारण सम्बंगधत वस्त्तु की मांिी ियी
मारा में होने वािे पररवतथन के माप को मांग की आड़ी-र्ोच कहा िाता है ।
(संबंर्धत वस्त्तुओं ववकपप या पूरक सामान हो सकते हैं) दस
ू रे शब्दों में,
पूणत
थ या बेिोचदार मांि (Ed = 0) कमोडडिी y की कीमत में बदर्ाव के शर्ए वस्त्तु X की मांग का
िब वस्त्तु की मांग में, कीमत में पररवतथन की तुर्ना में कोई पररवतथन नहीं उत्तरदानय्व है।
आता, तो इस प्रकार की मांग पूणत
थ या बेर्ोचदार मांग कहर्ाती है । ec = वस्त्तु एतस की कीमत में प्रनतशत में पररवतथन, वस्त्तु वस्त्तु के मूपय
बेिोचदार (कम र्ोचदार) मांि (e < 1) में X / प्रनतशत पररवतथन
िब कीमत में पररवतथन के कारण मांगी गयी मारा में अनप
ु ानतक
पररवतथन की अपेक्षा से कम होता है, तो मांग कम र्ोचदार या बेर्ोचदार मांि की आडी-िोच के मापक
होता है । इष्न्र्ननिी - वस्त्तु x र्गभग और y के शर्ए एक आदशथ ववकपप है
शून्य - वस्त्तुएं x और y संबंर्धत नहीं हैं
इकाई िोचदार मांि (e = 1) नकारात्मक – वस्त्तुएं x और y पूरक हैं
िब मांग में प्रनतशत पररवतथन, कीमत में प्रनतशत पररवतथन के बराबर
होता है , तो वस्त्तु की मांग इकाई र्ोचदार कहर्ाती है । िैसा कक इस आपनू तथ का ननयम
आकृनत में ददखाया गया है , आयताकार हाइपरबोर्ा इस प्रकार का र्ोच
आपूनतथ का अर्थ है ननयत समय में ददये गये दाम पर उ्पादक या वविेता
दशाथता है ।
बािार में बेचने के शर्ए तैयार वस्त्तुए।ाँ यह ववशशटि कीमत पर बबिी के
िोचदार मांि (अगधक िोचदार) (e > 1) शर्ए मार् और सेवाओं का उ्पादन करने के शर्ए ननमाथता की क्षमता और
िब कीमत में हपका पररवतथन होने से मांग में कीमत की तुर्ना से अर्धक उद्दे श्य होता है । ककसी वस्त्तु के ककसी वस्त्तु की आपनू तथ को उस मूपय के
अनुपानतक पररवतथन होता है , तो र्ोचदार मांग की जस्त्र्नत उ्पन्तन होती है रूप में पररभावषत ककया िा सकता है िो वास्त्तव में उस कीमत पर प्रनत
इसका अर्थ है, कीमत में एक छोिे पररवतथन से ही मांग में अर्धक इकाई बबिी के शर्ए पेश ककया िाता है।
पररवतथन होता है। आपूनतथ का ननयम मूपय और आपनू तथ के बीच एक सीधा संबंध स्त्र्ावपत
करता है। फमथ कम कीमतों पर कम और अर्धक कीमतों पर अर्धक
पण
ू त
थ या िोचदार मांि (e = ∞) आपूनतथ करे गी। " िब वस्त्तु की कीमत बढ़ िाती है , अन्तय चीिें समान
िब ककसी वस्त्तु की कीमत में पररवतथन हुए बबना मांग में कमी या वद् ृ र्ध रहती हैं, िब कीमत र्गरती हैं, तो इसकी आपनू तथ ववस्त्तत
ृ हो िाती है,
होती है तो यह अवस्त्र्ा पण
ू त
थ या र्ोचदार होती है । इसमें जस्त्र्र कीमत पर इसकी आपनू तथ कम हो िाती है "
मांग बदर्ती रहती है। यह जस्त्र्नत पण
ू थ प्रनतयोर्गता की अवस्त्र्ा में पाई
िाती है , िब मांग वि र्ोचदार होती है।
पण
ू थ प्रनतयोगिता की ववशेषताएँ :
1. िेता और वविेता अर्धक संख्या में होते हैं।
2. सिातीय या समान उ्पाद होते हैं।
3. फामों का ननबाथध प्रवेश और बदहगथमन होता है ।.
4. उ्पाद की पण
ू थ िानकारी होती है ।
5. फमथ एक कीमत र्ेने वार्ी है और उद्योग कीमत ननधाथरक है ।
6. पण
ू त
थ या र्ोचदार मांग वि (AR=MR)
7. उ्पादन के कारक की पण
ू थ गनतशीर्ता होती है ।
8. पररवहन र्ागत का अभाव होता है।
आपूनतथ की िोच
9. बबिी र्ागत की अनप
ु जस्त्र्नत होती है ।
आपूनतथ का ननयम हमें आपूनतथ की मारा कीमत में बदर्ाव का िवाब दें गा।
आपूनतथ की र्ोच की अवधारणा मूपय में पररवतथन की विह से, आपनू तथ में एकागधकार बाजार की ववशेशताएँ :
पररवतथन की दर की व्याख्या करती है। यह नीचे उपर्ेखखत सूर द्वारा 1. ककसी एक वस्त्तु का एकमार वविेता होता है।
मापी िाती है । 2. उ्पाद के ननकितम स्त्र्ानापन्तन का अभाव होता है ।
आपूनतथ की र्ोच = आपनू तथ की मारा में आनप
ु ानतक पररवतथन / कीमत ने 3. एक नई फामथ के प्रवेश में कदठनाई होती है ।
आनुपानतक पररवतथन 4. नकारा्मक ढर्ान मांग वि (AR>MR)
5. कीमतों पर पूणथ ननयंरण होता है ।
6. कीमत ववभेदन या भेदभाव मौिूद होता है।
7. असामान्तय र्ाभ का अजस्त्त्व होता है ।
उत्पादन : उत्पाद प्राप्त करने के क्रम में आदानों के संयोजन को उत्पादन अवस्त्र्ा II / चरण II / एक कारक के लिए ह्रासमान प्रनतर्ि
कहते हैं। • TPP घिती दर से बढती है
उत्पादन र्िन : यह प्रौद्योर्गकी के ददए गए क्षेर के बीच, इनपि
ु और • MPP कम हो िाती है / र्गरता है
आउिपि
ु के बीच कायाथ्मक संबंध को दशाथता है। Q= f(L,K) यहााँ: Q • िब MPP शून्तय होता है और TPP अर्धकतम होता है तो यह अवस्त्र्ा
आउिपि
ु है , L: श्रम है , K: पूंिी है। समाप्त हो िाती है ।
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SSSSC CGL & Railway GA POWER CAPSULE 2019 |Polity|History|Eco|Geo
पैमाने में पररवतथन का एक पररणाम के रूप में उ्पादन में पररवतथन तीन
अवस्त्र्ा III / चरण III / एक कारक के लिए ऋणात्मक प्रनतर्ि
चरणों में अध्ययन ककया िा सकता है । वे हैं
• TPP कम / घि िाती है। उ्पादन में पररवतथन, पैमाने में पररवतथन के पररणाम में रूप में इसका
• MPP ऋणा्मक हो िाती है ।
तीन अवस्त्र्ाओं में अध्ययन ककया िा सकता हैं। ये इस प्रकार हैं-
(i)बढ़ता हुआ पैमाने का प्रनतफर् (ii) जस्त्र्र पैमाने का प्रनतफर् (iii)
एक कारक के लिए बढ़ते हुए प्रनतर्ि के कारण
ह्रासमान पैमाने का प्रनतफर्
• जस्त्र्र कारक का बहतर प्रयोग,
• अजस्त्र्र कारक की दक्षता में वद्
ृ र्ध होती है , बढ़ता हुआ पैमाने का प्रनतर्ि
• कारकों का इटितम संयोिन, यदद सभी साधनों में वद्ृ र्ध से, उ्पादन में आनप
ु ानतक वद्ृ र्ध अर्धक
होती है, तो यह ‘बढ़ता हुआ पैमाने का प्रनतफर्’ कहर्ाता है। उदाहरण के
एक कारक के लिए ह्रासमान प्रनतर्ि के कारण-
शर्ए-
• कारकों की अववभाज्यता,
यदद सभी आगतों में 5% की वद्
ृ र्ध होती है, तो उ्पादन में 5% से अर्धक
• अपूणथ स्त्र्ानापन्तन,
वद्
ृ र्ध होती है अर्ाथत 10%, इस जस्त्र्नत में सीमांत उ्पाद बढ़ता िायेगा।
• एक कारक के शर्ए ऋणा्मक प्रनतफर् के कारण
• स्त्र्ाई कारकों का पररसीमन, ष्स्त्र्र पैमाने का प्रनतर्ि
• अस्त्र्ाई और स्त्र्ाई कारकों के बीच खराब समन्तवय,
यदद हम ददए गए अनुपात में (अर्ाथत पैमाने में) सभी साधनों में वद्
ृ र्ध
• अस्त्र्ाई कारकों की दक्षता में कमी, करते हैं, तो उ्पादन समान अनुपात में बढ़े गा, अर्ाथत सभी साधनों में
5% की वद्ृ र्ध, उ्पादन में 5% की वद्
ृ र्ध के समानप
ु ाती होगी। यहााँ
MPP और TPP के बीच संबध
ं
सीमांत उ्पाद जस्त्र्र होता है।
• िब तक MPP बढ़ता है , TPP एक बढ़ती हुई दर से बढ़ती है।
• िब MPP घिती है , TPP घिती हुई दर से बढती है । ह्रासमान पैमाने का प्रनतर्ि
• िब MPP शून्तय होती है, तो TPP अर्धकतम होती है ।
यदद सभी साधनों में वद्
ृ र्ध से, उ्पादन में आनप
ु ानतक वद्ृ र्ध कम होती
• िब MPP ऋणा्मक होती है तो TPP घिना आरं भ हो िाती है ।
है , तो यह ह्रासमान पैमाने का प्रनतफर् कहर्ाता है अर्ाथत यदद सभी
साधनों में 5% की वद्
ृ र्ध होती है तो उ्पादन में 5% से कम वद्ृ र्ध होगी
अर्ाथत 3% की वद्ृ र्ध। इस अवस्त्र्ा में सीमांत उ्पादन में कमी आएगी ।
कुि िाित : ये वस्त्तुओं और सेवाओं के उ्पादन में साधनों और गैर- • AR= कीमत
• AR और मांग वि समान हैं। यह ववशभन्तन कीमतों पर मांगी गई मारा
साधन आगतों पर ककया िाने वार्ा कुर् व्यय है । यह उ्पादन के
ववशभन्तन स्त्तरों पर TFC और TVC के योग द्वारा प्राप्त होता है । को दशाथता है
साधन र्ागत पर सकर् राटट्रीय उ्पाद, बािार मूपय पर सकर् राटट्रीय Ans. GNP की जस्त्र्र कीमतों पर गणना (आधार वषथ मप
ू य) की वास्त्तववक
उ्पाद से अप्र्यक्ष कर घिाकर व सजब्सडी िोड़कर प्राप्त ककया िाता है िीएनपी कहा िाता है।
अर्वा साधन र्ागत पर सकर् घरे र्ू उ्पाद से ववदे शों से शद्
ु ध साधन
साधन भि
ु तान: साधन भग
ु तान, सामान और सेवाओं को उपर्ब्ध कराने
आय िोड़कर प्राप्त ककया िाता है।
के एवि में ककया गया भग
ु तान है। एक श्रशमक को श्रम का भग
ु तान
(9) ननजी आय:-
साधन भग
ु तान होता है, तयोंकक उसने इसके शर्ए काम ककया र्ा।
ननिी आय से अशभप्राय उस आय से होता है , िो ननिी क्षेर के र्ोगों को
ककसी भी स्त्रोत से प्राप्त होती है| इसके अंतगथत ननिी क्षेर को शमर्ने भुितान रांजेतशन: यदद भुगतान की वापसी में सेवा या वस्त्तुएं देने में
वार्ी सभी आय भग
ु तान (िैसे- वेतन व मिदरू ी, ककराया, ब्याि, र्ाभ, कोई बंधन नहीं हो, तो इसे भग
ु तान ट्रांिेतशन कहा िाता है । उदाहरण:
शमर्श्रत आय आदद) तर्ा गैर-आय भग
ु तान(िैसे सभी प्रकार के ट्रांित
े शन दान, बुिुगथ पेंशन, बेरोिगारी भत्ता, छारववृ त्त आदद।
भग
ु तान ) आते हैं| इसमें ववदे शों से प्राप्त शद्
ु ध आय भी शाशमर् है| ननिी
क्षेर की आय ज्ञात करने क शर्ए, ननिी क्षेर को घरे र्ू उ्पाद से प्राप्त आय राटरीय आय की िणना की ववगधयां
में, ववदे शों से प्राप्त शद्
ु ध साधन आय भी िोड़नी होगी| इसके अनतररतत I – उत्पाद ववगध (मूपय वगधथत ववगध):
ननिी आय में सरकार के चार्ु ट्रांिेतशन, शेष ववश्व से शद्
ु ध चार्ु • बबिी + स्त्िॉक में बदर्ाव = आउिपुि का मप
ू य
ट्रांिेतशन व राटट्रीय ऋणों पर ब्याि को सजम्मशर्त ककया िाता है| • स्त्िॉक में बदर्ाव = स्त्िॉक बंद – स्त्िॉक आरम्भ
• आउिपि
ु का मूपय - मध्यवती उपभोग = सकर् मप
ू य िोड़ा
(10) व्यैष्ततक आय:- (िीडीपीएमपी)
वह आय िो दे शवाशसयों को वास्त्तव में प्राप्त होती है, व्यैजततक आय को • NNP Fc (N.I) = GDPMp (-) ननजश्चत पूंिी की खपत(अवमप
ू यन)
ज्ञात करने के शर्ए राटट्रीय आय में से ननगम करों तर्ा सामाजिक सुरक्षा • (+) ववदे श से शुद्ध साधन आय (-) शुद्ध अप्र्यक्ष कर।
प्रावधानों के शर्ए ककये गए भग
ु तान घिाते हैं तर्ा सरकारी ह्सस्त्तान्ततरण
आय ववगध:
दि
ु भ
थ ता मद्र
ु ास्त्र्ीनत: दर्
ु भथ ता मुद्रास्त्फीनत, िमाखोरी के कारण होती है ।
स्त्वायत्त ननवेश: वह ननवेश, िो आय के स्त्तर के बाविद
ू ककया िाता है ।
िमाखोरी, बेकार व्यापाररयों और कार्े बािाररयों द्वारा बुननयादी वस्त्तुओं
यह आमतौर पर सरकारी क्षेर द्वारा चर्ाया िाता है , यह आय ननरर्थक
का अनतररतत संग्रहण होता है।
है । स्त्वायत्त ननवेश का दायरा आय के सभी स्त्तर पर समान है।
िाभ मुद्रास्त्र्ीनत: िब उद्यमी अपने र्ाभ माजिथन को बढ़ाने में रुर्च रखते
ननवेश िुणक और इसका कायथ
हैं, तो कीमतें बढ़ िाती हैं।
ननवेश गण
ु क, ननवेश में वद्
ृ र्ध और आय में पररणामी वद्
ृ र्ध के बीच संबध
ं
दशाथता है ।
ु ास्त्र्ीनत: वह मद्र
माँि प्रेररत मद्र ु ास्त्फीनत िो आय बढ़ने, िनसंख्या
ननवेश गुणक, ननवेश में पररवतथन के शर्ए आय में बदर्ाव का अनप
ु ात है ।
ववस्त्फोि आदद, िैसे ववशभन्तन कारकों के कारण उ्पन्तन होती है; और कुर्
गुणक (k) =Δy/ΔI.
मांग को बढ़ाती है और कुर् आपनू तथ से अर्धक हो िाती है , और तब
गुणक का मूपय उपभोग के शर्ए सीमांत प्रववृ त्त के मूपय पर ननभथर करता
वस्त्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ा दे ती है । यह मांग-प्रेररत या
है । (MPC).
अनतररतत मांग मद्र
ु ास्त्फीनत के रूप में िानी िाती है ।
k और MPC के मध्य सीधा सम्बन्तध है।
कॉस्त्ि -पुश मुद्रास्त्र्ीनत: िब मार् और सेवाओं के उ्पादन के बढ़ते रहने
मुद्रास्त्फीनत के प्रकार
के कारण कीमतें बढ़ती हैं, इसे कॉस्त्ि -पुश (सप्र्ाई-साइड) मुद्रास्त्फीनत के
रूप में िाना िाता है। उदाहरण के शर्ए,यदद मिदरू ों का वेतन बढ़ता है ,
तो उ्पादन की इकाई र्ागत भी बढ़ िाती है। पररणामस्त्वरूप, ननशमथत व
मद्र
ु ा आपनू तथ- कॉपोरे ि आयकर
भारतीय ररिवथ बैंक भारत का केन्तद्रीय बैंक है। यह हमारे देश की मौदद्रक यह कर, एक वषथ में ककसी कॉपोरे ि द्वारा अजिथत ककये गए र्ाभ पर
प्रणार्ी का प्रबंधन करता है। इसने हमारे देश में मद्र
ु ा आपनू तथ को चार र्गाया िाता है । भारत में कॉपोरे ि कर की दर, कम्पननयों से एकर ककया
घिकों में वगीकृत ककया है । गया कर है।
जो इस प्रकार हैं:
M1 = िनता के सार् मद्र प्रनतभूनत िेनदे न कर
ु ा। इसमें शसतके और मद्र
ु ा नोि + िनता की मांग
िमा। M1 को संकीणथ मद्र प्रनतभूनत र्ेनदे न कर को 2004 में प्रस्त्तुत ककया गया, िो इजतविी (यानी
ु ा के नाम से भी िाना िाता है ;
M2 = M1 + डाक घर बचत िमा; शेयर, डडबेंचरों या अन्तय कोई सरु क्षा) की बबिी और खरीद पर र्गाया
िाता है । दस
ू रे शब्दों में, ककसी व्यजतत पर शसतयोररिीि माकेि के िररए
M3 = M1 + बैंक के सार् िनता का समय िमा। M3 को व्यापक मद्र
ु ा के
रूप में भी िाना िाता है ; और उ्पन्तन होने वार्ी आय, शेयरों के माध्यम से या डडबेंचर के माध्यम से
भारत सरकार द्वारा कर र्गाया िाता है और उसी कर को शसतयोररिीि
M4 = M3 + कुर् डाक घर ऑकफस िमा।
ट्रांिैतशन िै तस या प्रनतभनू त र्ेनदे न कर कहा िाता है ।
नोि: बचत िमाओं के अर्ावा, र्ोग पोस्त्ि ऑकफस के सार् ववशभन्तन
पररपतवता अवर्ध की सावर्ध िमा रखते हैं।
बैंककं ि नकद िेनदे न कर
बैंककं ग र्ेनदे न कर, वह कर है जिसे बैंक खातों के डेबबि (और/या िेडडि)
कािजी मुद्रा: संचर्न में करें सी नोि सामान्तय रूप से कागिी मुद्रा के रूप
पर र्गाया िाता है। यह स्त्वचाशर्त रूप से समाशोधन या ननपिान की
में िाना िाता है । उदाहरण के शर्ए, भारत सरकार द्वारा िारी ककए गए
प्रकिया में एक केंद्रीय प्रनतपक्ष द्वारा स्त्वत: एकबरत ककया िा सकता है ।
एक रुपए का नोि कागिी मुद्रा है । आरबीआई द्वारा िारी ककए गए नोिों
को आम तौर पर बैंक नोट्स के रूप में संदशभथत ककया िाता है । वे प्रकृनत में
पूंजी िाभ कर:
प्रोशमसरी नोट्स होते हैं।
पूाँिी र्ाभ कर, िैसा कक नाम से पता चर्ता है कक यह पि
ूं ी में र्ाभ पर
कर है। यदद आप बबिी संपवत्त, शेयर, बांड और कीमती वस्त्तुओं आदद पर
भारत में कर संरचना
र्ाभ कमाते हैं, तो आप को पूाँिी र्ाभ कर का भुगतान करना चादहए।
कर, धन की वह राशश होती है जिसे सरकार द्वारा ककसी व्यजतत या
• संपवत्त कर
ननगमों पर सीधे या अप्र्यक्ष रूप से र्गाया िाता है ताकक रािस्त्व
• उपहार कर
उ्पन्तन हो जिससे कक भारत में ककसी भी कार्े धन की गनतववर्धयों की
• आवास कर
िांच कर सकें।
• व्यावसानयक कर
केंद्रीय सरकार द्वारा आय, सीमा शुपक, केंद्रीय उ्पाद शप
ु क और सेवा कर
• डीिीसी
पर कर र्गाया िाता है। राज्य सरकार, कृवष आयकर (केवर् बागानों से
आय), मप
ू यवर्धथत कर (वैि) / बबिी कर, स्त्िै म्प ड्यूिी, राज्य एतसाइि,
अप्रत्यक्ष कर
भूशम रािस्त्व, ववर्ाशसता कर और व्यवसायों पर कर र्गाती है । स्त्र्ानीय
आप सप
ु र बािार में वस्त्तुएं खरीदने िाते हैं या एक रे स्त्तरां में खाना खाने
ननकायों को संपवत्तयों, चग
ंु ी कर / प्रवेश कर और िर् आपनू तथ, िर्
िाते हैं, तो आप अतसर दे खते हैं कक आपने जितनी धनराशश का आनंद
ननकासी आदद िैसी उपयोर्गताओं के पर भी कर र्गाने का अर्धकार है ।
शर्या, उससे अर्धक धनराशश रे स्त्तरां द्वारा आपसे र्ी िाती है , यह
आयकर - अप्र्यक्ष कर :-
यह एक प्रकार का कर है, जिसे उन र्ोगों पर र्गाया िाता है जिनकी आय • बबिी कर
करयोग्य श्रेणी (2.5 र्ाख प्रनतवषथ) के अंतगथत आती है । भारतीय आयकर • वैि (मूपय योजित कर)
• सीमा शुपक
मप
ू य संवधथन कर
4. राजस्त्व प्राष्प्तयों के दो प्रकारों के नाम बताइए?
िब हम ग्राहक या खरीददार वस्त्तुओं और सेवाओं की कीमत के शर्ए
उत्तर: i) कर रािस्त्व ii) गैर-कर रािस्त्व
अनतररतत राशश का भग
ु तान करते हैं, तो इस अनतररतत राशश को वैि कहा
िाता है । अब इस कर को ‘वस्त्तु एवं सेवा कर से प्रनतस्त्र्ावपत कर ददया 5. कर के दो प्रकार कौन से हैं?
गया है । उत्तर: a)प्र्यक्ष कर : i) आय कर, ii) ब्याि कर, iii) संपवत्त कर
b) अप्र्यक्ष कर: i) सीमा-शुपक, ii) उ्पाद शुपक, iii) बबिी कर
सीमा शुपक
सीमा शुपक भारत में आयानतत होने वार्ी वस्त्तुओं के सार्, भारत से 6. पूंजी प्राष्प्तयों की मुख्य मदें तया हैं?
ननयाथनतत होने वार्ी वस्त्तुओं पर र्गने वार्ा एक प्रकार का अप्र्यक्ष कर उत्तर: a) बािार ऋण (िनता से सरकार द्वारा उठाए गए ऋण)
है । भारत में, सीमा शप
ु क के करारोपण और संचयन के शर्ए सीमा शुपक b) सरकार द्वारा उधारी
अर्धननयम, 1962 है । यह आयात और ननयाथत पर सीमा शुपक के c) ववदे शी सरकारों और अंतरराटट्रीय ववत्तीय संस्त्र्ाओं से प्राप्त ऋण.
करारोपण और संचयन को प्रदान करवाता है ।
7. ववकास संबंधी व्यय के दो उदाहरण दीष्जए?
सेवा कर- उत्तर: रे र्वे और डाक का योिना व्यय
भारत में सेवाओं को प्रदान करवाने पर भारत सरकार द्वारा सेवा कर
र्गाया िाता है । सेवा प्रदाता इस कर को एकर करके, सरकार को भग
ु तान 8. िैर-ववकास संबंधी व्यय के दो उदाहरण दीष्जए?
बबिी चर्ायमान वस्त्तुओं की बबिी पर र्गाया िाता है। उत्तर : एक बिि अर्धशेष वह है िहााँ अनुमाननत रािस्त्व, अनम
ु ाननत
व्यय से अर्धक होता हैं।
सीमा शप
ु क और चंि
ु ी (वस्त्तओ
ु ं पर):-
सीमा शप
ु क भारत में आयानतत वस्त्तुओं पर र्गाया िाने वार्ा अप्र्यक्ष 10. बजि घािे की चार अिि-अिि अवधारणाएं तया हैं?
कर है । भारत में ववदे शी दे शों से आयानतत वस्त्तुओं पर यह कर र्गाया उत्तर: a) बििीय घािा b) रािस्त्व घािा
उ्पाद शप
ु क :-
करों के दो प्रकार तया हैं।
उ्पाद शुपक दे श के भीतर वस्त्तुओं के उ्पादन पर र्गने वार्ा एक प्रकार
a) प्र्यक्ष कर: i) आय कर, ii) ब्याि कर, iii) संपवत्त कर
का कर है । इस कर का अन्तय नाम सेनवैि (CENVAT) (केन्तद्रीय मूपय
b) अप्र्यक्ष कर: i) सीमा-शुपक, ii) उ्पाद-शुपक, iii) बबिी कर
वर्धथत कर) है ।
पूंजी प्राष्प्तयों की मुख्य मदें तया हैं??
सरकारी बजि और अर्थव्यवस्त्र्ा
a) बािार ऋण (िनता से सरकार द्वारा उठाए गए ऋण)
1. बजि को पररभावषत कीष्जए?
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b) सरकार द्वारा उधार राशशयााँ d) प्रार्लमक घािा : - यह ववत्तीय घािा को ब्याि भग
ु तान से घिाने से
c) ववदे शी सरकारों और अंतरराटट्रीय ववत्तीय संस्त्र्ाओं से प्राप्त ऋण। प्राप्त होता है । सूर : P.D= F.D – I.P, P.D= प्रार्शमक घािा, F.D= ववत्तीय
घािा, I.P= ऋण भग
ु तान।
ववकास संबंधी व्यय के दो उदाहरण दीष्जए?
उत्तर: रे र्वे और डाक का योिना व्यय भुितान शेष : अर्थ और घिक
2. ववदे शी ववननमय बाजार का तया अर्थ है? 8. अग्रसर बाजार को पररभावषत कीष्जए?
उत्तर: ववदे शी ववननमय बािार, वह बािार है िहााँ अन्ततराथटट्रीय मद्र
ु ाओं का उत्तर: भववटय की सुपद
ु थगी के शर्ए ववदे शी ववननमय के बािार को अग्रसर
एक-दस
ू रे के शर्ए व्यापार ककया िाता है । बािार के रूप में िाना िाता है ।
3. ष्स्त्र्र ववननमय दर का तया अर्थ है?
उत्तर:जस्त्र्र ववननमय दर, वह दर है िो एक दे श की सरकार द्वारा जस्त्र्र 9. भुितान शेष से तया अलभप्राय है?
6. मुद्राओं के अगधमप
ू यन का तया अर्थ है?
उत्तर: मुद्राओं का अर्धमूपयन तब होता है िब अन्तय दे शों की मुद्राओं के
संबंध में ववननमय मान में वद्
ृ र्ध होती है ।
र्गे. संववधान ननमाथण ननकाय बनाने की बात की. तीन बब्दिश कैबबनेि मंरी
भारत की स्त्वतंरता के सवार् के हर् के शर्ए भारत भेिे गए. मंबरयों (र्ाडथ
d) कैबबनेि शमशन की संस्त्तुनतयों के आधार पर संववधान सभा की रचना
की गई र्ी जिसके सदस्त्यों का अप्र्यक्ष चुनाव प्रांतीय ववधानसभाओं पैर्र्क र्ारें स, सर स्त्िै फ़ोडथ किप्स, ए वी अर्ेतिेंडर) के इस समह
ू को
के सदस्त्यों द्वारा ककया गया र्ा. इसकी रचना ननम्नशर्खखत प्रकार कैबबनेि शमशन कहा गया. यह शमशन भारत में माचथ 1946 से मई 1946
तक रहा. कैबबनेि शमशन ने संववधान के
से र्ी :
(i) 292 सदस्त्य प्रांतीय ववधानसभाओं से चुने गए र्े
फ्रेमवकथ पर चचाथ की और संववधान ननमाथण तंर द्वारा अपनाये िाने वार्ी
(ii) 93 सदस्त्य भारतीय ररयासतों के प्रनतननर्ध्व र्े
प्रकिया के संबध
ं में कुछ ववस्त्तत
ृ वववरण ननधाथररत ककये. बब्दिश भारत के
(iii) 4 सदस्त्य चीफ कशमश्नर प्रान्ततों के प्रनतननर्ध र्े
प्रान्ततों के 296 सीिों के चुनाव िुर्ाई-अगस्त्त तक संपन्तन हो गए. सभा ने
इस प्रकार कुर् सदस्त्यों की संख्या 389 र्ी.
09 ददसम्बर 1946 को कायथ आरम्भ कर ददया.
e) हार्ााँकक 3 िून, 1947 की माउन्तिबिन योिना के तहत ववभािन के
पहर्ी बार, भारत में शशक्षा व्यवस्त्र्ा के शर्ए एक र्ाख रुपये की राशश
हस्त्तांतररत
की व्यवस्त्र्ा की गई.
इसमें ववधान पररषद् के प्रनत उत्तरदायी मंबरयों की सहायता से गवनथर
शासन करता र्ा.
1833 का चािथर एति :
चाय और चीन के सार् व्यापार में कंपनी के एकार्धकार को समाप्त आरक्षक्षत
कंपनी को अपनी व्यापाररक गनतववर्धयााँ बंद करने को कहा गया. शासन करता र्ा, िो ववधान पररषद् के प्रनत उत्तरदायी नहीं र्ी.
बंगार् के गवनथर िनरर् को भारत का गवनथर िनरर् बना ददया पहर्ी बार दे श में द्ववसदना्मक व्यवस्त्र्ा प्रारं भ हुई, हार्ााँकक
वास्त्तववक रूप में यह 1935 के अर्धननयम के बाद ही संभव हो पाया.
गया. (भारत के प्रर्म गवनथर िनरर् र्ाडथ ववशर्यम बेंदिक बने).
राज्य सर्चव को बब्दिश कोष से भग
ु तान ककया गया.
1853 का चािथर एति : भारत का आयुतत पद
इस एति ने कंपनी के अर्धकारों को नये शसरे से तय ककया और
भारत शासन अगधननयम, 1935:
बब्दिश िाउन के तहत भारतीय क्षेरों को अपने कब्िे में बनाये रखने
की अनुमनत दी. इसने अखखर् भारतीय संघ की स्त्र्ापना की, जिसमें शाशमर् र्े-
बब्दिश प्रान्तत
शसववर् सेवकों के भरती हे तु खुर्ी वावषथक प्रनतयोर्गता की व्यवस्त्र्ा
दे सी ररयासतें
की. (भारतीयों के शर्ए नहीं)
दे सी ररयासतों को संघ से िड़
ु ने का ननणथय स्त्वेच्छा से करना र्ा और
भारत सरकार अगधननयम ,1858: इसशर्ए यह संघ कभी अजस्त्त्व में आया ही नहीं तयोंकक संघ के शर्ए
भारत में कंपनी का शासन समाप्त कर बब्दिश िाउन के हार्ों में न्तयूनतम आवश्यक ररयासतों ने भी अपनी सहमती नहीं दी.
सौंपा गया. केंद्र में द्वैध शासन प्रणार्ी प्रारं भ की (िैसे- ववदे श मामर्ों का और
भारत के शर्ए राज्य सर्चव पद (बब्दिश कैबबनेि का एक सदस्त्य) का रक्षा ववभाग गवनथर िनरर् के पास आरक्षक्षत कर ददए गए)
सि
ृ न प्रान्ततों में द्वैध शासन प्रणार्ी समाप्त कर प्रांतीय स्त्वायत्ता दी गई.
वह ताि की शजततयों का प्रयोग करता र्ा. बमाथ (अब म्यांमार) को भारत से अर्ग कर ददया गया.
भारत सर्चव भारत पर गवनथर िनरर् के माध्यम से शासन करते र्े.
गवनथर िनरर् को वायसराय पदनाम ददया गया. वह भारत सर्चव भारतीय संववधान के भाि
पररषद् बनाई गई जिसमें सदस्त्य सरकार के उच्च अर्धकारी र्े. प्रवेश, स्त्र्ापना और नये राज्यों का ननमाथण
2. भाि II अनच्
ु छे द 5-11 नागररकता
वपट्स इंडडया एति 1784 द्वारा स्त्र्ावपत द्वैध शासन प्रणार्ी को
अंततः समाप्त कर ददया गया. 3. भाि III अनच्
ु छे द 12-35मर्
ू अर्धकार
केवर् एक बार 42वें संववधान संशोधन अर्धननयम 1976 के द्वारा 2. सम्मर्ेन की स्त्वतंरता
संशोर्धत ककया गया है. इसके िररये इसमें तीन नए शब्द – समािवादी, 3. संगम एवं संघ बनाने की स्त्वतंरता
ये न्तयायोर्चत हैं। इनके उपर्ंघन होने पर, मूर् अर्धकारों को सुननजश्चत 3. शोषण के ववरुद्ध अगधकार [अनुच्छे द 23-24].
कराने के शर्ए ये व्यजतत को न्तयायार्य िाने की अनुमनत देते हैं. 4. धमथ की स्त्वतंरता का अर्धकार
5. संस्त्कृनत और शशक्षा संबंधी अर्धकार
इन्तहें उच्चतम न्तयायार्य द्वारा गारं िी एवं सरु क्षा प्रदान की िाती है .
• अनुच्छे द 21: प्राण और दै दहक स्त्वतंरता का संरक्षण
हार्ााँकक पीडड़त व्यजतत सीधे उच्चतम न्तयायार्य िा सकता है. राटट्रीय
• अनुच्छे द 22: कुछ दशाओं में र्गरफ़्तारी और ववरोध से संरक्षण
आपातकार् की सकियता के दौरान अनच्
ु छे द 20 और 21 में प्र्याभत
ू
अर्धकारों को छोड़कर इन्तहें ननर्ंबबत ककया िा सकता है. अनच्
ु छे द 19 में 4. शोषण के ववरुद्ध अगधकार [अनुच्छे द 23-24].
उजपर्खखत 6 मर्
ू अर्धकारों को केवर् तब स्त्र्र्गत ककया िा सकता है , • अनुच्छे द 23 :- मानव के दव्ु याथपार और बर्ात श्रम का प्रनतषेध
िब यद्
ु ध या ववदे शी आिमण के आधार पर राटट्रीय आपातकार् की • अनुच्छे द 24 :- कारखानों आदद में 14 वषथ से कम आयु के बच्चों के
घोषणा की गई हो. ननयोिन का प्रनतषेध
नािररकता
नागररक वह व्यजतत होता है िो उस समद
ु ाय या राज्य की पूणथ सदस्त्य का
र्ाभ प्राप्त करता है , जिसमें वह रहता है या सामान्तयतः रहता है . राज्य
अपने नागररकों से कुछ अनतररतत कतथव्यों की मांग करता है िो गैर-
नागररकों से अपेक्षक्षत नहीं होते.
पुनः चन
ु े जाने के लिए योग्यता राटरपनत की ववधायी शष्ततयां
वह व्यजतत िो राटट्रपनत के पद पर हो या रहा हो, पुनः चुने िाने के शर्ए राटट्रपनत की ववधायी शजततयां ननम्न हैं:
योग्य होता है. 1. वह संसद का संयुतत अर्धवेशन बुर्ा सकता है और उसे स्त्र्र्गत कर
सकता है . वह प्रधान मंरी की अध्यक्षता वार्े मंबरपररषद की सर्ाह
राटरपनत पर महालभयोि प्रकक्रया [अनच्
ु छे द 61]
पर र्ोकसभा भंग कर सकता है .
(1) राटट्रपनत के कायथकार् समाप्त होने से पव
ू थ उनको महाशभयोग प्रकिया
2. वह प्र्येक नए चुनाव के बाद तर्ा प्र्येक वषथ संसद के प्रर्म
द्वारा हिाया िा सकता है .
अर्धवेशन को संबोर्धत कर सकता है .
(2) उन पर महाशभयोग केवर् तभी चर्ाया िाएगा िब उन्तहोंने संववधान
3. संसद द्वारा पाररत सभी ववधेयक राटट्रपनत की अनुमनत के बाद ही
का उपर्ंघन ककया हो.
कानून का रूप र्े सकते हैं. राटट्रपनत ककसी बबर् को संसद में
(3) यह एक अधथ न्तयानयक प्रकिया होती है.
पुनववथचार के शर्ए भेि सकता है , यदद वह धन ववधेयक या संववधान
(4) महाशभयोग प्रकिया संसद के ककसी भी सदन से शुरू की िा सकती है.
संशोधन ववधेयक न हो. पुनववथचार के बाद ववधेयक पास होकर िब
इस प्रस्त्ताव पर उस सदन के कुर् सदस्त्यों के न्तयूनतम ¼ सदस्त्यों के
राटट्रपनत के समक्ष रखा िाएगा तो उसे अनुमनत दे ना उनके शर्ए
हस्त्ताक्षर होने चादहए. ऐसा प्रस्त्ताव पाररत करने से पूवथ 14 ददन का
अननवायथ होगा.
नोदिस राटट्रपनत को दे ना आवश्यक होगा. यह प्रस्त्ताव उस सदन की
4. राटट्रपनत पॉकेि वीिो की शजतत का प्रयोग करते हुए ववधेयक को
कुर् सदस्त्य संख्या के कम से कम दो नतहाई बहुमत द्वारा पाररत
अपनी अनुमनत के शर्ए असीशमत समय के शर्ए अपने पास रोक
ककया गया हो.
सकता है .
(5) तब संसद का दस
ू रा सदन जिसे िााँच सदन कहा िाएगा, आरोपों की
5. संसद के दोनों सदनों की सरावसान की अवर्ध में सरकार को तुरंत
िााँच करे गा.
ककसी कायथ की आवश्यकता होती है तो राटट्रपनत अध्यादे श िारी कर
(6) राटट्रपनत को इसमें उपजस्त्र्त होने औ अपना प्रनतनर्ध्व करने का
सकता है िो उतना ही शजततशार्ी होता है जितना कक संसद से पास
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कोई अन्तय ववधेयक. राटट्रपनत भारत के सैन्तय बर्ों का सवोच्च सेनापनत होता है . वह संसद की
अनुमनत से युद्ध और उसकी समाजप्त की घोषणा करता है . सभी प्रमुख
राटरपनत की कायथकारी शष्ततयां संर्धयााँ और अनुबध
ं उसके नाम से ही होते हैं.
राटट्रपनत की कायथकारी शजततयां ननम्न हैं:
1. वह प्रधानमंरी और मंबरयों की ननयजु तत करता है और पीएम की आपातकािीन शष्ततयां
सर्ाह पर मंबरयों को उनके ववभाग का बंिवारा करता है . राटट्रपनत तीन प्रकार का आपातकार् घोवषत कर सकता है ,राटट्रीय-
2. राटट्रपनत ववशभन्तन मह्वपण
ू थ ननयजु ततयों के शर्ए जिम्मेदार होता है. राटट्रपनत शासन और ववत्तीय आपातकार्/राज्य
ये हैं:
राज्यों के राज्यपार्/मख् भारत का उपराटरपनत
ु य न्तयायाधीश, भारत के उच्चतम न्तयायार्य
और उच्च न्तयायार्य के अन्तय न्तयायाधीश/महान्तयायवादी/ननयंरक उपराटट्रपनत संसद के दोनों सदनों के सदस्त्यों के ननवाथचक मंडर् द्वारा
प्रधानमंरी की ननयष्ु तत सकता है अर्वा उन्तहें कैबबनेि मंरी के सार् र्गाया िा सकता है .
प्रधानमंरी के कायथ और शष्ततयां र्ोक सभा संसद का प्रशसद्द, चर्चथत सदन है तयोंकक इसके सदस्त्य भारत
पीएम के कायथ और शजततयां ननम्न हैं: के आम मतदाताओं द्वारा सीधे चुन कर आते हैं. इस सदन के सभी
• वह राटट्रपनत को शसफाररश करता है कक ककसे मंरी बनाया िाएगा. सदस्त्य ननवाथर्चत होते हैं, केवर् एंग्र्ो-भारतीय समुदाय से दो सदस्त्य
• वह ककसी भी समय र्ोकसभा ववघदित करने की शसफाररश राटट्रपनत से राटट्रपनत द्वारा ननवाथर्चत ककए िाते हैं. संववधान में र्ोकसभा सदस्त्यों के
कर सकता है . संबंध में अनुच्छे द 81 में प्रावधान ककया गया है. इसके सदस्त्यों की
• वह नीनत आयोग, राटट्रीय ववकास पररषद्, राटट्रीय एकता पररषद्, अर्धकतम संख्या 552 (530 राज्यों से, 20 केन्तद्रशाशसत प्रदे शों से और 2
अंतरराज्यीय पररषद् और राटट्रीय िर् संसाधन पररषद् का अध्यक्ष एंग्र्ो-भारतीय समुदाय से हो सकते हैं) ननधाथररत की गई है. 2001 में
होता है . सरकार ने 84वें संववधान संशोधन अर्धननयम 2001, द्वारा सीिों की इसी
व्यवस्त्र्ा को 2026 तक के शर्ए बाधा ददया है .
केंद्रीय मंबरपररषद
िोकसभा की ववशेष शष्ततयां
भारत के संववधान में सरकार की संसदीय व्यवस्त्र्ा बब्दिश मॉडर् पर
कुछ शजततयां ऐसी हैं िो संववधान द्वारा केवर् र्ोकसभा को ही प्रदान की
आधाररत है . हमारी रािनीनतक-प्रशासननक व्यवस्त्र्ा की मुख्य कायथकारी
गई हैं, राज्यसभा को नहीं.ये शजततयां हैं –
अर्धकारी मंबरपररषद् होती है जिसका नेत्ृ व प्रधानमंरी करता है .
अनुच्छे द 74 में मंबरपररषद के संबंध में और अनच् 1. धन और ववत्तीय ववधेयक केवर् र्ोकसभा में ही पुनस्त्र्ाथवपत ककया
ु छे द 75 में मंबरयों की
ननयजु तत, कायथकार्, उत्तरदानय्व, योग्यताएं, शपर् एवं वेत्तन और भत्तों के िा सकता है .
राज्यसभा सदस्त्यों का चन ववशेष अर्धकार है. ऐसा इसशर्ए तयोंकक उप-राटट्रपनत इसके अध्यक्ष होते
ु ाव राज्यों और केन्तद्रशाशसत प्रदे शों के ननवाथर्चत
सदस्त्यों द्वारा होता है . इसके सदस्त्यों का कायथकार् 6 वषथ होता है जिसमें हैं और उसी रूप में अपना वेतन पाते हैं.
वहां पाररत होकर िब यह राज्यसभा में आता है तो यहााँ इसे 14 ददन में (ii) राटट्रपनत द्वारा ववशेष अशभभाषण – प्र्येक आम चुनाव के बाद
पाररत करना होता है अर्वा यह स्त्वतः पाररत मान शर्या िाता है . प्रर्म सर के प्रारं भ में; प्रनत वषथ प्रर्म सर में (बिि सर)
नोि: “धन ववधेयक” और “संववधान संशोधन ववधेयक” संबध
ं ी गनतरोध
उच्च सदन के रूप में राज्यसभा के कायथ दरू करने के शर्ए संयत
ु त बैठक नहीं बर्
ु ाई िा सकती
राज्यसभा अनुच्छे द 249 के अंतगथत, राज्यसच
ू ी के ककसी ववषय को c) सरावसान
उपजस्त्र्त सदस्त्यों के दो नतहाई बहुमत से राटट्रीय मह्व का ववषय घोवषत पीठासीन अर्धकारी (स्त्पीकर या अध्यक्ष) सदन को सर के पण
ू थ होने पर
कर सकती है . इसके पश्चात संसद एक वषथ तक उस राज्य सूची के ववषय अननजश्चत कार् के शर्ए स्त्र्र्गत करता है . इसके कुछ ददनों में ही
पर कानून बना सकती है. राटट्रपनत सदन सरावसान की अर्धसच
ू ना िारी करता है. हार्ााँकक,
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राटट्रपनत सर के दौरान भी सरावसान कर सकता है . धन, ववत्तीय और संववधान संशोधन ववधेयक के अनतररतत सभी
d) स्त्र्िन ववधेयक साधारण ववधेयक कहर्ाते हैं. यह संसद के ककसी भी सदन में
यह सदन के सभापनत द्वारा संसद के सर में छोिे समय के शर्ए अवकाश प्रस्त्तुत ककया िा सकता है . इसे प्रस्त्तुत करने के शर्ए राटट्रपनत की
होता है. इसकी अवर्ध कुछ शमनि से र्ेकर कुछ घंिे, ददन या सप्ताह हो शसफाररश की िरुरत नहीं पड़ती (शसवाय अनुच्छे द 3 के अंतगथत र्ाये
सकता है . गए ववधेयक के). यह दोनों सदनों द्वारा साधारण बहुमत द्वारा पाररत
e) अननष्श्चत काि के लिए स्त्र्ित ककया िाता है . दोनों सदन साधारण ववधेयक पाररत करने के शर्ए
िब सदन पुनः बैठने के ददन की घोषणा के बबना ही स्त्र्र्गत कर ददया बराबर ववधायी शजतत रखते हैं. यदद कोई गनतरोध उ्पन्तन होता है तो
िाता है तो उसे अननजश्चत कार् के शर्ए स्त्र्गन कहते हैं. इसे संसद के दोनों सदनों की संयुतत बैठक से समाप्त ककया िा सकता
है .
संसद सदस्त्य की अयोग्यता के बबंदु
धन ववधेयक
संसद सदस्त्य को ननम्न आधारों पर अयोग्य ठहराया िा सकता है .
संववधान के अनच्
ु छे द 110 में धन ववधेयक की पररभाषा दी गई है .
• अनुच्छे द 102(1) (a): यदद वह भारत सरकार या ककसी राज्य इसके अनस
ु ार कोई ववधेयक तब धन ववधेयक माना िाएगा िब उसमें
सरकार के अधीन कोई र्ाभ का पद धारण करता है. संसद (सदस्त्य
ननम्न वखणथत एक या अर्धक या समस्त्त उपबंध होंगे:
की अयोग्यता संबंधी) अर्धननयम 1959 के अनुसार संसद द्वारा तय
(1) ककसी कर का अर्धरोपण, उ्सादन, पररहार, पररवतथन या ववननयमन
कोई पद या मंरी पद र्ाभ के पद नहीं हैं.
(2) केंद्रीय साकार द्वारा उधर शर्ए गए धन का ववननयमन
• अनुच्छे द 102(1) (b): यदद संसद सदस्त्य ववकृत र्चत्त है और
(3) भारत की संर्चत ननर्ध या आकजस्त्मकता ननर्ध की अशभरक्षा, ऐसी
न्तयायार्य ने ऐसी घोषणा की है .
ककसी ननर्ध में धन िमा करना या उसमें से धन ननकार्ना.
अनुच्छे द 102(1) (c): यदद वह न्तयायार्य द्वारा घोवषत ददवाशर्या
(4) भारत की संर्चत ननर्ध से धन का ववननयोग.
है . (5) भारत की संर्चत ननर्ध पर भाररत ककसी व्यय की उद्घोषणा या इस
अनुच्छे द 102(1) (d): यदद वह भारत का नागररक नहीं है या उसने
प्रकार के ककसी व्यव की राशी में वद्
ृ र्ध
ककसी ववदे शी राज्य की नागररकता स्त्वेच्छा से अजिथत कर र्ी है या (6) भारत की संर्चत ननर्ध या र्ोक र्ेखा में ककसी प्रकार के धन की
वह ककसी ववदे शी राज्य के प्रनत ननटठा को अशभस्त्वीकार ककये हुए है . प्राजप्त या अशभरक्षा या इनसे व्यय या इनका केंद्र या राज्य की ननर्धयों का
• अनुच्छे द 102(2): यदद वह संसद द्वारा बनाई गई ककसी ववर्ध
र्ेखा पररक्षण, या
द्वारा अयोग्य ठहरा ददया िाता है . (दसवीं अनुसूची) (7) उपरोतत ववननददथटिककसी ववषय का आनष
ु ांर्गक कोई ववषय.
भारत की संर्चत ननर्ध या र्ोक र्ेखा में ककसी प
संसद में ववधायी प्रकक्रया
ववननयोग – भारत की संर्चत ननर्ध से धन ववननयोग ववधेयक के द्वारा ही
ववधायी प्रकिया संसद के दोनों सदनों में संपन्तन होती है. प्र्येक सदन में
ननकार्ा िा सकता है.
हर ववधेयक समान चरणों के माध्यम से पाररत होता है . ववधेयक कानून
बनाने के शर्ए एक प्रस्त्ताव है और िब यह ववर्धवत अर्धननयशमत हो
धन ववधेयक केवर् र्ोकसभा में ही राटट्रपनत की शसफाररश से प्रस्त्तुत
िाता है तो यह अर्धननयम या कानून बन िाता है.
ककया िा सकता है . यह दोनों सदनों में साधारण बहुमत से पाररत ककया
संसद में पेश होने वार्े ववधेयक दो तरह के होते हैं: सरकारी ववधेयक एवं
िाता है . र्ोकसभा धन ववधेयक के संबंध में अर्धक ववधायी शजतत रखती
गैर सरकारी ववधेयक (इन्तहें िमशः सरकारी ववधेयक और गैर सरकारी
है और राज्यसभा अपनी ववधायी शजतत के तहत धन ववधेयक को ख़ाररि
सदस्त्यों के ववधेयक भी कहा िाता है ). यद्यवप दोनों समान प्रकिया के
या स्त्वीकार नहीं कर सकती. कोई ववधेयक धन ववधेयक है या नहीं, यह
तहत सदन में पाररत होते हैं ककन्ततु उनमें ववशभन्तन प्रकार का अंतर होता है .
ननणथय र्ोकसभा अध्यक्ष का होता है . यह ननणथय अंनतम ननणथय होता है
और उसे ककसी न्तयायार्य, संसद या राटट्रपनत द्वारा चुनौती नहीं दी िा
संसद में ववधेयक
सकती.
संववधान में ननम्न चार श्रेखणयों के ववधेयकों का वणथन है :
साधारण ववधेयक र्ोकसभा से पाररत होने के बाद यह राज्यसभा में भेि ददया िाता है .
धन ववधेयक राज्यसभा के पास ननम्न चार ववकपप होते हैं:
ववत्त ववधेयक (i) वह ववधेयक पाररत कर दे .
संववधान संशोधन ववधेयक (ii) वह सीधे ही ववधेयक को अस्त्वीकृत कर दे- ऐसे में ववधेयक को स्त्वतः
ही दोनों सदनों से पाररत मान शर्या िाएगा.
साधारण ववधेयक
(iii) यदद राज्यसभा ववधेयक को 14 ददनों में पाररत नहीं करती है तब
राज्य ववधानमंडर् के चुनाव कराना संभव नहीं है. 1. वह व्यजतत भारत का नागररक हो.
र्ेककन ककसी भी हार्ात में राटट्रपनत शासन 3 वषथ से अर्धक समय तक 2. 25 वषथ की आयु पण
ू थ कर चक
ु ा हो.
नहीं र्गाया िा सकता. इसे और अर्धक बढ़ाने के शर्ए संववधान संशोधन 3. वह मानशसक रूप से स्त्वस्त्र् होना चादहए और ददवाशर्या नहीं घोवषत
• नगर ननगम – एक बड़े शहरी क्षेर िहााँ िनसाँख्या 3 र्ाख से अर्धक सर में संसद ने यह संकपप पाररत ककया हो. अनुच्छे द 124(5) के अधीन
संसद ककसी आवेदन के रखे िाने की तर्ा न्तयायाधीश के कदाचार या
है , वहां नगर ननगम होते हैं.
संरचना: नगरपाशर्का के सभी सदस्त्यों का प्र्यक्ष चन असमर्थता की िााँच और साबबत करने की प्रकिया का ववर्ध द्वारा
ु ाव उस क्षेर की
ववननयमन कर सकेगी. न्तयायाधीश िााँच अर्धननयम (1968) के अनुसार
िनता द्वारा ककया िाएगा. इसके शर्ए प्र्येक नगरपाशर्का क्षेरों को वाडों
ककसी न्तयायाधीश को हिाने संबंधी प्रस्त्ताव संसद के ककसी भी सदन में
में ववभाजित ककया िाएगा. नगरपाशर्का के अध्यक्ष के चुनाव का ववधान
रखा िा सकता है.
राज्य ववधानमंडर् बनाएगा.
• इसका समर्थन कम से कम 100 र्ोकसभा सदस्त्यों द्वारा ककया
स्त्र्ानों का आरक्षण: नगरपाशर्का क्षेर की कुर् िनसाँख्या में अनर्ु चत
िानत/िनिानत की िनसाँख्या के अनुपात में स्त्र्ान आरक्षक्षत होंगे. ऐसे िाना चादहए.
• इसका समर्थन कम से कम 50 राज्यसभा सदस्त्यों द्वारा ककया िाना
ही, सुरक्षक्षत स्त्र्ानों की कुर् संख्या में 1/3 स्त्र्ान अनुसूर्चत
चादहए.
िानत/िनिानत की मदहर्ाओं के शर्ए सरु क्षक्षत होंगेऔर वयस्त्क
मतार्धकार के आधार पर भरे िाने वार्े स्त्र्ानों में 1/3 स्त्र्ान जिसमें • ककसी भी सदन में ननटकासन प्रस्त्ताव स्त्वीकार कर शर्ए िाने के बाद
सुरक्षक्षत स्त्र्ान भी शाशमर् हैं, मदहर्ाओं के शर्ए आरक्षक्षत होंगे. उस सदन के सभापनत को र्गाये आरोपों की िााँच और दव्ु यथवहार या
असमर्थता का सबत
ू उपर्ब्ध करने के शर्ए तीन सदस्त्यीय िााँच
निरपालिका का कायथकाि: प्र्येक नगरपाशर्का का कायथकार् 5 वषथ का
होगा. हार्ााँकक इसे समय पूवथ भी भंग ककया िा सकता है. सशमनत गदठत करनी होगी.
• न्तयानयक सशमनत के प्रमुख उच्चतम न्तयायार्य का कोई न्तयायाधीश
भारत का उच्चतम न्यायािय
भारत का उच्चतम न्तयायार्य सवोच्च न्तयानयक मंच है और अपीर् का होगा. दो अन्तय सदस्त्यों में एक ककसी उच्च न्तयायार्य का न्तयायाधीश
और एक कोई प्रनतजटठत न्तयायवादी होगा.
अंनतम न्तयायार्य है. भारतीय संववधान के अनुसार, “उच्चतम न्तयायार्य
की भूशमका एक संघीय न्तयायार्य और संववधान के संरक्षक की है .” • न्तयायार्य एक न्तयायाधीश को हिाने की परू ी प्रकिया को दो प्रमुख
भागों, न्तयानयक कायथवाही और रािनीनतक कायथवाही में ववभाजित
उच्चतम न्यायािय की संरचना
करता है.
अनुच्छे द 124(1) के अनुसार मूर्तः भारत के एक मुख्य न्तयायाधीश और
न्तयानयक भाग में शाशमर् हैं:
7 अन्तय न्तयायाधीशों की व्यवस्त्र्ा र्ी. संववधान, संसद को कानून द्वारा
1. पीठासीन अर्धकारी एक तीन सदस्त्यीय न्तयानयक सशमनत ननयुतत
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करता है. सेवाननवत्त
ृ न्तयायाधीश तदर्थ न्तयायाधीश के रूप में बैठ सकते हैं और
2. न्तयानयक सशमनत आरोपों का अन्तवेषण करती है . कायथ कर सकते हैं.
3. राटट्रपनत न्तयायाधीश को हिाने का आदे श देते हैं. d) केवर् व्ही व्यजतत तदर्थ न्तयायाधीश बन सकता है िो उच्चतम
िबकक रािनीनतक भाग में शाशमर् है : न्तयायार्य का स्त्र्ायी न्तयायाधीश बनने की योग्यता रखता हो.
1. संसद में प्रस्त्ताव प्रस्त्तुत करना. 3. मुख्य न्तयायाधीश राटट्रपनत के सम्मुख शपर् र्ेते हैं.
2. संसद के सदन का प्रस्त्ताव पाररत करना. 4. भारत के प्रर्म मख्
ु य न्तयायाधीश एच िे काननया र्े (1950 –
न्तयायार्य यह भी स्त्पटि करता है कक न्तयानयक सशमनत द्वारा दव्ु यथवहार 1951).
5. अब तक सबसे कम कायथकार् के मख् ु य न्तयायाधीश के एन शसंह रहे हैं.
और असमर्थता के सबूत भर्ी ही प्राप्त कर शर्ए िाएाँ र्ेककन इसके बाद
(नवम्बर 1991 – ददसम्बर 1991, यप
ू ी)
भी संसद प्रस्त्ताव पास करने को बाध्य नहीं है. हार्ााँकक यदद न्तयानयक
6. सबसे र्ंबे कायथकार् वार्े मख्
ु य न्तयायाधीश वाई.वी. चंद्रचड़
ू र्े (1978
सशमनत दव्ु यथवहार और असमर्थता के सबूत प्राप्त नहीं कर पाती है तो,
– 1985, बॉम्बे)
संसद प्रस्त्ताव को आगे नहीं बढ़ा सकती.
भारत में उच्चतम न्यायािय (क्षेरागधकार) उच्चतम न्यायािय का क्षेरागधकार
a) मि
ू क्षेरागधकार :
भारतीय संववधान के अध्याय 4, भाग 5 द्वारा भारत का उच्चतम a) मर्
ू क्षेरार्धकार से ता्पयथ है कक कुछ ववशेष प्रकार के मामर्े केवर्
न्तयायार्य सवोच्च न्तयानयक मंच है और अपीर् का अंनतम न्तयायार्य है . उच्चतम न्तयायार्य में ही ननपिाए िा सकते हैं.
अनच्
ु छे द 124 से 147 में इसकी संरचना और क्षेरार्धकार संबंधी प्रावधान b) उच्चतम न्तयायार्य का मर्
ू क्षेरार्धकार होता है -
हैं. c) केंद्र व एक या अर्धक राज्यों के बीच वववाद हो तो,
इसके क्षेरार्धकार हैं- मर्
ू क्षेरार्धकार, अपीर्ीय क्षेरार्धकार और d) वववाद जिसमें केंद्र और कोई राज्य या राज्यों का एक तरफ होना एवं
सर्ाहकार क्षेरार्धकार एक या अर्धक राज्यों का दस
ू री तरफ होना
यह सवोच्च अपीर्ीय न्तयायार्य है िो उच्च न्तयायार्य और रज्यों एवं e) दो या अर्धक राज्यों के बीच वववाद.
अन्तय क्षेरों के न्तयायार्यों के ननणथयों पर सन
ु वाई करता है. f) मर्
ू अर्धकारों के पार्न कराने से संबंर्धत वववाद
उच्चतम न्तयायार्य को यह अर्धकार है कक वह एक उच्च न्तयायार्य के
मामर्े को दस b) अपीिीय क्षेरागधकार:
ू रे में और यहााँ तककक ककसी एक राज्य के जिर्ा न्तयायार्य
अपीर्ीय क्षेरार्धकार से ता्पयथ है कक ननचर्ी अदार्तों के मामर्े
के मामर्े को दस
ू रे राज्य के जिर्ा न्तयायार्य में हस्त्तांतररत कर सकता है .
उच्चतम न्तयायार्य के पास संववधान की समीक्षा की शजतत है . भारत के उच्चतम न्तयायार्य में आते हैं तयोंकक यह अपीर् का सवोच्च और अंनतम
मंच है .
उच्चतम न्तयायार्य का उद्घािन 28 िनवरी 1950 को ककया गया.
वेतन- संववधान का अनुच्छे द 125, उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीशों के
c) सिाहकार क्षेरागधकार:
वेतन, भत्ते, अवकाश एवं पेंशन आदद ननधाथररत करने का अर्धकार संसद
1. सर्ाहकार क्षेरार्धकार उस प्रकिया को बताता है िब राटट्रपनत को
को दे ता है . हार्ााँकक संसद, न्तयायाधीशों की ननयुजतत के बाद उनके
ककसी ववर्धक मामर्े में न्तयायार्य की सर्ाह चादहए होती है .
ववशेषार्धकार और अर्धकारों में कमी नहीं कर सकती. वतथमान में
2. यदद राटट्रपनत उच्चतम न्तयायार्य से कोई सर्ाह मांगते हैं तो इसके
उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीश का वेतन 90,000 और मुख्य
शर्ए अपना मत दे ना अननवायथ है. हार्ााँकक, इस सर्ाह को स्त्वीकार
न्तयायाधीश का 1,00,000रु प्रनतमाह है .
करना राटट्रपनत के शर्ए अननवायथ नहीं है.
सकती.
संवैधाननक संस्त्र्ाएं
1) ननवाथचन आयोि
केन्द्रशालसत प्रदे श
ननवाथचन आयोग एक स्त्र्ायी और स्त्वतंर ननकाय है.इसका गठन
संववधान के भाग 8 के अनुच्छे द 239 से 241 में इस संबंध में
प्रावधान है . वैसे तो सभी केन्तद्रशाशसत प्रदे श एक ही श्रेणी के हैं ककन्ततु भारत के संववधान द्वारा दे श में स्त्वतंर और ननटपक्ष चुनाव संपन्तन
उनके प्रशासन में एकरूपता नहीं है. कराने के उद्दे श्य से ककया गया र्ा. संववधान के अनु 324 के
अनुसार संसद, राज्य ववधानमंडर्, राटट्रपनत व उप-राटट्रपनत के पदों
प्र्येक केन्तद्रशाशसत प्रदे श का शासन राटट्रपनत अपने ननयुतत
प्रनतननर्ध के माध्यम से करते हैं. वह राटट्रपनत का प्रनतननर्ध होता है , के ननवाथचन के शर्ए संचार्न, ननदे शन व ननयंरण की जिम्मेदारी
चुनाव आयोग की है .
राज्यपार् की तरह राज्य का मखु खया नहीं.
राटट्रपनत उस प्रशासक का पदनाम तय कर सकते हैं : ददपर्ी, चुनाव संवैधाननक प्रावधानों और संसद द्वारा बनाये गए ननयमों के
अनुसार होना कराए िायेंगे..
पुद्दच
ु ेरी, अंदमान और ननकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादरा और
नगर हवेर्ी, दमन और दीव एवं र्क्षद्वीप के मामर्े में यह र्ेजटिनेंि प्रमुख कानून िनप्रनतननर्ध्व अर्धननयम 1950 और 1951 है
जिसमें मतदाता की भूशमका, चुनाव कराने के ववशभन्तन पक्ष और
गवनथर है .
पुराने चुनाव वववाद हैं.
संसद केन्तद्रशाशसत प्रदे शों के शर्ए, तीनो सूर्चयों (राज्य सूची सदहत)
भारत में मतदान प्रणार्ी ग्रेि बब्िे न से र्ी गई है . वतथमान में
के ववषयों पर कानून बना सकती है . संसद की यह शजतत ददपर्ी और
ननवाथचन आयोग में एक मुख्य चन
ु ाव आयुतत और दो चुनाव
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आयुतत होते हैं.
संघ िोक सेवा आयोि
आयोग परू ी तरह मुख्य चुनाव आयुतत की दे ख रे ख में कायथ करता है.
मुख्य चुनाव आयत स्त्वतंन्तर भारत के शर्ए 26 िनवरी 1950 को नए संववधान र्ागू होने
ु त का कायथकार् 6 वषथ या 65 वषथ की आयु (िो भी
के सार् ही, संघीय र्ोक सेवा आयोग एक स्त्वतंर संवैधाननक ननकाय
पहर्े हो) ननधाथररत है .
बन गया और इसका नाम संघ र्ोक सेवा आयोग पड़ा.
मुख्य चुनाव आयुतत और चुनाव आयुतत के वेतन, भत्ते व दस
ू रे
इसकी स्त्र्ापना अनु 315 के तहत की गई है. आयोग में एक अध्यक्ष
अनुर्ाभ समान होते हैं िो उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीश के
बराबर होता है. और 10 सदस्त्य होते हैं.
अध्यक्ष और सदस्त्यों का कायथकार् 6 वषथ या 65 वषथ की आयु (िो भी
मुख्य चुनाव आयुतत की पुनननथयजु तत नहीं की िा सकती.
पहर्े हो) तक का होता है .
राज्यों में होने वार्े पंचायतों व ननगम चुनावों से चन
ु ाव आयोग का
इसका मख्
ु य कायथ प्रनतयोगी परीक्षाओं के माध्यम से संघ के अंतगथत
कोई संबंध नहीं है .
पदों के शर्ए भती करना है.
राज्यों की पंचायतों व ननगम चुनावों के शर्ए ‘राज्य चुनाव आयोग’
की व्यवस्त्र्ा की गई है.
राज्य िोक सेवा आयोि
मुख्य चुनाव आयुतत की स्त्वतंरता
राज्य र्ोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष और अन्तय सदस्त्य होते हैं िो
संववधान का अनु 324 में चुनाव आयोग के स्त्वतंर व ननटपक्ष कायथ करने
राज्य के राज्यपार् द्वारा ननयत
ु त ककये िाते हैं. र्ेककन वे केवर्
के शर्ए ननम्नशर्खखत उपबंध हैं :
राटट्रपनत द्वारा हिाए िा सकते हैं.
1. मुख्य चुनाव आयुतत की अपनी ननधाथररत पदावर्ध में काम करने की
यह एक स्त्वतंर संवैधाननक ननकाय है.
सुरक्षा है. उसे उन्तहीं रीनत व आधारों पर हिाया िा सकता है जिन
अध्यक्ष और सदस्त्यों का कायथकार् 6 वषथ या 62 वषथ की आयु (िो भी
आधारों पर उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीश को हिाया िाता है
पहर्े हो) तक का होता है .
अर्वा नहीं.
इसका प्रमुख कायथ राज्य सेवाओं में ननयजु तत के शर्ए परीक्षा
2. चुनाव आयुतत को मुख्य चुनाव आयुतत की शसफाररश पर ही हिाया
आयोजित करवाना है .
िा सकता है अर्वा नहीं.
संयुतत राज्य िोक सेवा आयोि
कायथ और शष्तत
संववधान में दो या अर्धक राज्यों के शर्ए संयत
ु त राज्य र्क सेवा
1. संसद के पररसीमन आयोग अर्धननयम के आधार पर समस्त्त भारत
आयोग की भी व्यवस्त्र्ा है.
के ननवाथचन क्षेरों के भू-भाग का ननधाथरण करना.
इसकी स्त्र्ापना संबंर्धत राज्य के ववधानसभाओं के आग्रह पर संसद
2. समय-समय पर ननवाथचक-नामावर्ी तैयार करना और सभी योग्य
द्वारा की िाएगी. हार्ााँकक यह एक वैधाननक ननकाय है न की
मतदाताओं को पंिीकृत करना
संवैधाननक.
3. ननवाथचन की नतर्र् और समय-सारणी ननधाथररत करना एवं नामांकन
इसके अध्यक्ष की ननयजु तत राटट्रपनत करते हैं.
परों का पररक्षण करना
ननयंरक एवं महािेखा परीक्षक
4. रािनीनतक दर्ों को मान्तयता प्रदान करना और उन्तहें चन
ु ाव र्चन्तह
भारतीय संववधान का अनु 148 एक स्त्वतंर, भारत के ननयंरक एवं
आवंदित करना
महार्ेखा पक्षथक की व्यवस्त्र्ा करता है .
5. रािनीनतक दर्ों को मान्तयता दे ने और उन्तहें चन
ु ाव र्चन्तह दे ने के
यह भारत का सवोच्च र्ेखा परीक्षक होता है.
मामर्े में हुए वववाद के समाधान के शर्ए न्तयायार्य की तरह काम
यह भारतीय र्ेखा परीक्षण और र्ेखा ववभाग का मखु खया होता है . यह
करना
राज्य एवं दे श के र्ोक ववत्त का संरक्षक होने के सार् ही सम्पण
ू थ
6. ननवाथचन के समय दर्ों व उम्मीदवारों के शर्ए आचार संदहता ननशमथत
ववत्तीय व्यवस्त्र्ा का ननयंरक होता है.
करना
7. संसद सदस्त्यों की ननहथरता के मामर्े पर राटट्रपनत को सर्ाह दे ना. ननयष्ु तत एवं कायथकाि
8. ववधानमंडर् के सदस्त्यों की ननरहथता के मामर्ों पर राज्यपार् को इसकी ननयजु तत राटट्रपनत करते हैं.
सर्ाह दे ना इसका कायथकार् 6 वषथ या 65 वषथ (िो भी पहर्े हो) तक होता है .
9. ररंर्गंग, मतदान केंद्र र्ि
ू ना, दहंसा व अन्तय अननयशमतताओं के वह राटट्रपनत के नाम कभ भ अपना ्यागपर दे सकता है . वह
आधार पर ननवाथचन रद्द करना. राटट्रपनत द्वारा, उच्चतम न्तयायार्य के न्तयायाधीश के समान ही
10. ननवाथचन के मद्दे निर रािनीनतक दर्ों को पंिीकृत करना तर्ा अपने पद से हिाया भी िा सकता है .
ननवाथचन में प्रदशथनों के आधार पर उसे राटट्रीय या राज्यस्त्तरीय दर् सीएजी के कायथ
का दिाथ दे ना 1. वह भारत की संर्चत ननर्ध, प्र्येक राज्य की संर्चत ननर्ध और
भारत का महान्यायवादी ननर्ध बनाये जिसे ‘भारत की आकजस्त्मकता ननर्ध’ कहा िाएगा. इसके
अनुसार, सरकार ने भारत की आकजस्त्मकता ननर्ध (ववववध उपबंध
अनु 76 के अनस
ु ार राटट्रपनत, उस व्यजतत को िो उच्चतम
न्तयायार्य का न्तयायाधीश बनने की योग्यता रखता हो, को भारत का अर्धननयम 1950, बनाया जिसने अर्धकतम 50 करोड़ रु के सार् भारत
की आकजस्त्मकता ननर्ध की स्त्र्ापना की. यह भारत सरकार की ननयशमत
महान्तयायवादी ननयत
ु त करे गा.
ननर्ध नहीं है और यह सरकार के अदृटि खचों के शर्ए प्रयोग की िाती है .
वह भारत का सवोच्च कानन
ू ी अर्धकारी होता है .
यह राटट्रपनत की ननगरानी में रखी िाती है िो आपात खचे के शर्ए राशश
संववधान में इसका कायथकार् तय नहीं है.
िारी कर सकते हैं.
वह राटट्रपनत के प्रसाद पयंत अपने पद पर बना रह सकता है . उसका
पाररश्रशमक राटट्रपनत ननधाथररत करते हैं. वह संसद का सदस्त्य नहीं
इस ननर्ध क अप्रयोग तब ककया िाता है िब संसद भारत की संर्चत ननर्ध
होता र्ेककन संसद के दोनों सदनों में की कारथ वाई में भाग र्े सकता है
से अदृटि खचे के शर्ए राशश िारी करने की जस्त्र्नत में नहीं होती. राटट्रपनत
और अपने ववचार रख सकता है र्ेककन मतदान नहीं कर सकता.
द्वारा यह राशश िारी करने से पूवथ इसे संसद के समक्ष अनुमनत के शर्ए
वह ककसी भी कानन
ू ी ववषय पर भारत सरकार को सर्ाह देता है .
रखा िाता है. यदद संसद का समर्थन शमर् िाता है तो उतनी राशश
राटट्रपनत द्वारा सौंपे गए ववर्धक कतथव्यों का पार्न करे .
आकजस्त्मकता ननर्ध से संर्चत ननर्ध में हस्त्तांतररत कर दी िाती है. संसद,
वह संववधान या राटट्रपनत द्वारा सौंपे गए ककसी कायथ से इनकार कर
ववर्ध द्वारा आकजस्त्मकता ननर्ध की अजह्सदकतम सीमा स्त्र्ायी या
सकता है .
अस्त्र्ायी रूप से बढ़ा सकती है.
अपने कायथ के शर्ए उसे भारत के ककसी भी क्षेर में ककसी भी अदार्त
में महान्तयायवादी को सुनवाई का अर्धकार है .
एक संसद सदस्त्य की तरह उसे सभी भत्ते एवं ववशेषार्धकार शमर्ते हैं. राजनीनतक दि
एक मान्तयता प्राप्त रािनीनतक दर् ‘राटट्रीय दर्’ और ‘राज्य स्त्तरीय दर्’
नोि: संववधान का अनु. 165 राज्य का महार्धवतता पद की व्यवस्त्र्ा में ववभाजित ककया िाता है . दर् को मान्तयता चन
ु ाव आयोग देता है .
करता है. वह राज्य का सवोच्च कानूनी अर्धकारी होता है. इस प्रकार वह
भारत के महान्तयायवादी का अनुपरू क होता है . वह राज्य के राज्यपार् राटरीय दि बनने के लिए शतें
द्वारा ननयत
ु त ककया िाता है . राटरीय दि के लिए एक दि को ननम्न अहताथएं परू ी करनी चाहहए:
1. यदद कोई दर् र्ोकसभा में 2% स्त्र्ान पाता है तर्ा ये सदस्त्य तीन
संसदीय ननगध ववशभन्तन राज्यों से चुने िाते हैं, या
भारत की संगचत ननगध 2. यदद कोई दर् र्ोकसभा अर्वा ववधानसभा के आम चन
ु ावों में 4
1. अनु. 266 भारत की संर्चत ननर्ध की व्यवस्त्र्ा करता है . अर्वा अर्धक राज्यों में वैध मत का 6% मत प्राप्त करता है तर्ा
2. यह एक संवध
ै ाननक ननर्ध है. इसके सार् वह ककसी राज्य या राज्यों में र्ोकसभा में 4 सीि प्राप्त
3. सरकार की सभी दे यताएं, प्राजप्तयां, र्ोन और भारत सरकार की आय करता है , या
इसमें िमा होती हैं. 3. यदद कोई दर् कम से कम चार राज्यों में राज्य स्त्तरीय दर् के रूप में
4. यह भारत सरकार की सबसे बड़ी ननर्ध है . मान्तयता प्राप्त हो.
5. यह भारत सरकार का एक ननयशमत फंड है.
6. सरकार के सभी खचे इसी ननर्ध से होते हैं. प्रमुख स्त्मरणीय बबंदु
7. यह संसद की दे ख रे ख में रखी िाती है . कोई भी राशश बबना संसद की 1. एक वैधाननक प्रस्त्ताव का प्रारूप- ववधेयक
अनुमनत के नहीं ननकार्ी िा सकती. अन.ु 266 प्र्येक राज्य के शर्ए 2. संसद के दोनों सदनों से पाररत और राटट्रपनत का अनुमनत प्राप्त
8. मांग अनुदान या ननजश्चत राशश में कमी के शर्ए प्रस्त्ताव - किौती यह कोई सदस्त्य तब रखता है िब उसे र्गता है ककककसी मंरी या ककसी
प्रस्त्ताव सदस्त्य की दिपण्णी से सदन के ववशेषार्धकारों का हनन हुआ हो.
9. किौती प्रस्त्ताव तीन प्रकार के होते हैं : नीनतगत किौती, आर्र्थक
बहुमत के प्रकार
किौती और िोकन किौती
1) साधारण बहुमत
10. र्ोकसभा द्वारा ववत्त वषथ के एक दहस्त्से के शर्ए सरकार के खचे के
इसका अर्थ है कक उपजस्त्र्त और मत दे ने वार्ों का 50% से अर्धक बहुमत
शर्ए अर्ग्रम अनुदान. र्ेखानुदान पर प्रस्त्ताव, मांग अनुदान की तरह
उदाहरण:
होता है – र्ेखानद
ु ान
• र्ोकसभा के कुर् सदस्त्य= 545
11. सदन का पहर्ा घंिा सामान्तयतः प्रश्न पूछने और उनके उत्तर के शर्ए
• मतदान के समय उपजस्त्र्त सदस्त्य = 500 उपजस्त्र्त और मत दे ने वार्े
होता है – प्रश्नकार्
सदस्त्य = 400
12. स्त्वयं-ननशमथत स्त्वतंर प्रस्त्ताव िो सदन के समर्थन के शर्ए रखा गया
इस मामर्े में साधारण बहुमत का अर्थ है 201 या अर्धक सदस्त्यों की
है – प्रस्त्ताव
सहमनत.
13. अध्यक्ष द्वारा मतदान में बराबर ककस जस्त्र्नत में ददया गया मत -
ननणाथयक मत साधारण बहुमत से पाररत प्रास्त्ताव:
14. यह प्रश्न अववर्ंबनीय र्ोक मह्व का होने के कारण इसका उत्तर 1. अववश्वास प्रस्त्ताव
मंरी को 10 ददन में देना पड़ता है – अपपसच
ू ना प्रश्न 2. ववश्वास प्रस्त्ताव
3. राटट्रपनत/राज्यपार् के अशभभाषण पर धन्तयवाद प्रस्त्ताव
संसद में प्रस्त्ताव
4. ननंदा प्रस्त्ताव
(1) Private Member’s business
प्र्येक सदस्त्य िो मंरी नहीं है , एक ननिी सदस्त्य कहर्ाता है . ननिी 5. स्त्र्गन प्रस्त्ताव
सदस्त्य कायथ में ननिी सदस्त्य ववधेयक और प्रस्त्ताव होते हैं. इसके शर्ए 6. अनु.352 के अंतगथत र्ोकसभा में प्रस्त्ताव
न्तयूनतम समय एक माह होता है . 7. र्ोकसभा में उपराटट्रपनत को हिाने संबंधी प्रस्त्ताव
8. धन ववधेयक
(2) प्रश्न काि 9. ववत्त ववधेयक और साधारण ववधेयक
सामान्तयतः सदन के कायथ का पहर्ा घंिा प्रश्न उत्तर का होता है . 10. राज्य ववधानसभा द्वारा संववधान संशोधन ववधेयक
(3) तारांककत और अतारांककत प्रश्न
ये मौखखक प्रश्न होते हैं जिसका उत्तर सदन में सबके सामने ददया िाता है. 2) पूणथ बहुमत
इसमें अन्तय सदस्त्यों द्वारा 5 परू क प्रश्न पूछे िा सकते हैं. अतारांककत इसका अर्थ है कक सदन के कुर् सदस्त्यों की संख्या का 50% से अर्धक का
प्रश्न शर्खखत प्रकृनत के होते हैं जिनका िवाब मंरी शर्खखत में दे ते हैं. पूरक समर्थन. संववधान में ऐसे बहुमत की अर्ग से बात नहीं की गई है .
आधनु नक भारत
यूरोवपयों का आिमन 4) 1690 तक इनका मुख्य केंद्र पुर्ीकि रहा जिसकी िगह बाद में
पुतथिािी नेगापट्िनम ने र्ी.
1) नए समुद्री मागों की खोि के दौरान, वास्त्को डी गामा ने यूरोप से 5) बेदार के युद्ध (1759) में अंग्रेिों से डचों की हार से डचों ने भारत में
भारत के शर्ए नए समुद्री मागथ, केप मागथ, की खोि की. वह 17 मई, अंग्रेिों की प्रधानता मान र्ी.
1498 को कार्ीकि के बंदरगाह पर पहुंचा और कार्ीकि के दहन्तदू
अंग्रेज
शासक (ज़मोररन की उपार्ध से र्ोकवप्रय) ने उसका स्त्वागत ककया.
भारत में बब्दिश ईस्त्ि इंडडया कंपनी के व्यापार स्त्र्ापना से पूव,थ
इसके बाद कार्ीकि, कोचीन और कन्तनरू में व्यापाररक केंद्र स्त्र्ावपत
1) भारतीय व्यापाररयों से व्यापार के उद्देश्य से र्र् मागथ से 1599 ई.
ककए. भारत में, प्रारं भ में कोचीन पत
ु थगाशर्यों की रािधानी र्ी र्ेककन
बाद में यह गोवा स्त्र्ानांतररत कर दी गई. में िॉन शमपडेनहार् भारत आने वार्ा पहर्ा अंग्रेि र्ा.
2) ‘इंजग्र्श ईस्त्ि इंडडया कंपनी’ के नाम से ववख्यात इस कंपनी की
2) अपफ़ान्सो-डी-अपबुककथ 1503 ई. में भारत आया र्ा और 1509 में
स्त्र्ापना ‘मचंि एडवेंचसथ’ नाम के व्यापाररयों के समह
ू ने 1599 में की
इसे पुतग
थ ाशर्यों का गवनथर (प्रर्म गवनथर 1503-09 के बीच
र्ी और 1600 ई. में रानी एशर्ज़ाबेर् प्रर्म द्वारा इसे पूवी दे शों में
फ्रांलसस्त्को-डी-अपमेडा र्ा) ननयत
ु त कर ददया गया. इसने 1510 में
व्यापार के अर्धकार ददए.
बीिापुर से गोवा छीन शर्या.
अन्तय गवनथर
सूरत में र्ैतरी खोिने का ननणथय
नीनो-डी-कुन्हा (1529-38) – इसने अपनी रािधानी कोचीन से गोवा
3) सूरत में फैतट्री खोर्ने के ननणथय (1608) की पूनतथ के शर्ए, कैप्िन
(1530) हस्त्तांतररत की और गुिरात के बहादरु शाह से दीव और बसीन
हाककं स िहााँगीर की अनुमनत प्राप्त करने के शर्ए उसके दरबार में
अपने अर्धकार में र्े शर्ए.
पहुंचा (1609 ई.). िहााँगीर ने सरू त में फैतिरी बनाने का फरमान
माहिथ न अपफ़ान्सो-डी-सूजा (1542-45) – प्रशसद्ध िुसुइि संत फ्रांशसस्त्को
िारी कर ददया (1613 ई.)
िेववयर इसके सार् भारत आया र्ा.
4) सर िॉमस रो, मुग़र् साम्राज्य के ववशभन्तन क्षेरों में फैजतट्रयां खोर्ने
इसके बाद पुतग
थ ार् शासन का पतन प्रारं भ हो गया और अंत में केवर्
और व्यापार करने के शर्ए अनुमनत प्राप्त करने हेतु, 1615 ई. में
गोवा, दमन और दीव 1961 तक इनके पास रहा.
िेम्स प्रर्म के रािदत
ू के रूप में िहााँगीर के दरबार में पहुंचा.
डच
डेननश
1) माचथ, 1602 ई. में डच संसद के एक आदेश द्वारा डच ईस्त्ि इंडडया
एक ईस्त्ि इंडडया कंपनी की स्त्र्ापना कर 1616 ई. में डेन भारत में आये,
कंपनी की स्त्र्ापना हुई. इस कंपनी को 21 वषों के शर्ए पव
ू ी दे शों के
उन्तहोंने रैंकोबर (तशमर्नाडु) में 1620 में और सेरामपुर (बंगार्) में 1676
सार् व्यापार करने, संर्धयााँ करने, आिमण करने और वविय करने
ई. मे व्यापाररक केंद्र स्त्र्ावपत ककए.
का अर्धकार प्राप्त हुआ.
1854 ई. में िोर िबरदस्त्ती के कारण उन्तहोंने सभी फैजतट्रयां अंग्रेिों को
र्ैष्तरयों की स्त्र्ापना
बेच दी.
2) डचों ने मसुर्ीपट्िनम (1605), पर्
ु ीकि (1610), सरू त (1616),
फ्रांसीसी
ववमर्ीपत्त्नम (1641), कररकर् (1645), र्चनसुरा (1653),
1) 1664 ई. में कॉर्बिथ द्वारा फ्रेंच ईस्त्ि इंडडया कंपनी की स्त्र्ापना की
काशसमबािार, बाड़ानागोर, बार्ासोर, पिना, नेगापट्िनम (1658)
गई. प्रर्म फ्रेंच फैतट्री फ्रांशसस कैरन द्वारा 1664 में सूरत में
और कोचीन (1653) में कारखाने/फैजतट्रयां स्त्र्ावपत की.
स्त्र्ावपत हुई.मसुर्ीपत्तम में 1669 में फैतट्री र्गाई गई.
3) भारत सदहत पूवथ के सार् यूरोपीय व्यापार की सबसे प्रमुख शजतत
2) भारत में फ्रेंच शजतत को 1720 से 1742 के बीच, र्ेनोइर और डुमास
पुतथगाशर्यों की िगह डचों ने र्े र्ी.
(गवनथर) के नेत्ृ व में मिबत
ू ी शमर्ी. उन्तहोंने मार्ाबार में माहे,
प्रमख
ु यद्
ु ध मद्रास की संगध
प्रर्म आंग्िलसख युद्ध- (1845-1846) यह संर्ध है दर अर्ी और कंपनी एवं उसके सहायकों तंिोर के रािा तर्ा
अंग्रेिों और शसखों के बीच प्रर्म यद्
ु ध मड
ु की में 18ददसम्बर, 1845 को मार्ाबार के शासक के मध्य हुई. इसके अनुसार करुर और उसके जिर्ों को
र्ड़ा गया. इसमें शसख हारे . 21 ददसम्बर को कफरोिपरु में पुनः अंग्रेि मैसूर शासक के अंतगथत छोड़कर शेष सभी ववजित क्षेर एक दस
ु रे को
िीते. हार्ााँकक 1846 में रणिीत शसंह मिीदठया के नेत्ृ व में बुदद्वार् में वापस कर ददए गए. भववटय में ककसी भी एक पर ककसी अन्तय शजतत
अंग्रेिों को शसखों ने पराजित ककया. र्ेककन अर्ीवार् में पुनः शसख हारे . द्वारा आिमण के समय दस
ू रा उसकी सहायता करने को बाध्य होगा.
ननणाथयक यद्
ु ध में सोबराअ में 1846 में हुआ जिसमें शसखों की बुरी तरह है दर अर्ी द्वारा मद्रास सरकार के पकडे गए सभी कमथचारी छोड़ ददए गए.
वापस बुर्ा शर्या गया और बाद में कंपनी ने 1806 में रािपुरघाि संर्ध र्गातार मराठों का हमर्ा होता रहा. उसने बंगार् में शांनत के बदर्े चौर्
द्वारा क्षेर का बहुत बड़ा दहस्त्सा वापस दे कर होपकर के सार् शांनत के रूप में 12 र्ाख रुपये सार्ाना और उड़ीसा का रािस्त्व दे ने की बात मान
र्ी.
स्त्र्ावपत कर र्ी.
उसने अंग्रेिों को अपने ववशेषार्धकारों के दरू
ु पयोग से रोका और उन्तहें एवं
तत
ृ ीय आंग्ि-मराठा यद्
ु ध (1817-1818) फ्रांस को कर्कत्ता और चंदननगर में अपनी फैजतट्रयों की ककर्ेबद
ं ी से
1817 में मराठों ने अपनी स्त्वतंरता और प्रनतटठा को पाने का अंनतम रोका.
ककन्ततु ननराशािनक प्रयास ककया. मराठा सरदारों का एक संयत
ु त मोचाथ उसने 1746 में मांग आने पर मग़
ु र् बादशाह को निराना दे ने से इनकार
बना जिसका नेत्ृ व पेशवा कर रहे र्े िो बब्दिश रे जिडेंि के कड़े ननयंरण कर ददया.
में अ्यंत व्याकुर् र्े. यद्यवप एक बार पन
ु ः मराठे कोई कायथ योिना
लसराजदौिा-उद-
बनाने में असफर् रहे. पेशवा ने 1817 में पूना में बब्दिश रे िीडेंसी पर
आिमण ककया, नागपरु के अप्पा साहे ब ने नागपरु रे िीडेंसी पर आिमण यह 1756 में सत्ता में आया. शसराि-उद-दौर्ा ने कर्कत्ता का नाम
बदर्कर अर्ीनगर रख ददया इसने ईस्त्ि इंडडया कंपनी की गनतववर्धयों
ककया और माधव राव होपकर ने युद्ध की तैयारी की.
को ननयंबरत करने की कोशशश की. उसने कर्कत्ता के गवनथर को,
मराठा संघ परू ी तरह समाप्त हो चुका र्ा, इसके अनेक सदस्त्यों के क्षेर र्े
अ्यर्धक ककर्ेबंदी को र्गराने और उसके खखर्ाफ़ गैरकानूनी
शर्ए र्े और वे अंग्रेिों के खखर्ाफ कुछ भी करने के शर्ए शजततशार्ी नहीं
गनतववर्धयों को रोकने के शर्ए पर शर्खा.
बचे र्े. र्ाडथ हेजस्त्िं ग्स ने 1818 में शेष कायथ भी पूरा कर ददया. अब भारत
में अंग्रेि सवोच्च शजतत बन गए र्े. अंग्रेिों ने उसकी आज्ञा मानने से इनकार कर ददया तब उसने
काशसमबािार और कफर कर्कत्ता की अंग्रेिों की फैकरी पर कब्ज़ा कर
मुशीद कुिी खां शर्या. 1757 में रोबिथ तर्ाइव के नेत्ृ व में अंग्रेिों ने उसके सैननकों पर
मुशीद कुर्ी खां औरं गज़ेब द्वारा बंगार् का दीवान के रूप में नायब हमर्ा ककया. इसके कारण नवाब को अंग्रेिों से संर्ध कर शांनत स्त्र्ावपत
सूबेदार और कफर बाद में फरुथ ख शसयर ने 1717 में सूबद
े ार ननयुतत ककया करनी पड़ी.
गया र्ा. उसे बादशाह फरुथ ख शसयर द्वारा 1719 में उड़ीसा की सूबेदारी भी
दी गई र्ी. उसने ढका की िगह मुशशथदाबाद में रािधानी बनाई. वह धीरे अिीनिर की संगध (1757)
संर्ध में ये इन बातों पर सहमनत बनी :
धीरे स्त्वतंर होता िा रहा र्ा हार्ााँकक उसने मुग़र् बादशाह के प्रनत ननटठां
• कंपनी द्वारा मांगों की एक सूची रखी गई
िताते हुए उन्तहें वावषथक कर और निराना दे ना िारी रखा र्ा.
उसने िागीर भूशम के बड़े दहस्त्से को खार्ीसा भशू म में पररवनतथत कर ववत्त• पूवथ की जस्त्र्नत स्त्र्ावपत करने के शर्ए एक समझौता
• नवाब द्वारा अनेक फरमान और दस्त्तक िारी ककये गए
व्यवस्त्र्ा को पुनगथदठत ककया. उसने कर कृवष प्रर्ा की शुरुआत की.
• िब तक नवाब इन समझौतों का पार्न करता रहेगा तब तक अंग्रेि
उसने ककसानों के ननिी प्रयोग के शर्ए और अकार् के समय कर चक
ु ाने
उसका समर्थन करते रहें ग.े
के शर्ए ततकवी ऋण ददया. उसने मुजस्त्र्मों और दहन्तदओ
ु ं को रािगार में
बराबर अवसर दे ने के शर्ए प्रशासन की पुनरथचना की. स्त्र्ानीय दहन्तदू
उसने अंग्रेिों को हिाकर डचों को र्ाने का प्रयास ककया र्ेककन 1759 में
तात्कालिक कारण : एनफीपड रायफर् का प्रयोग जिसके कारतूस के खोर्
बेदारा के युद्ध में डच, अंग्रेिों से पराजित हो गए.
में गाय और सुअर की चबी प्रयोग हुई र्ी, ववद्रोह को भड़काने वार्ा कारण
मीर कालसम (1760-63) बना. इसने दहन्तदू और मुसर्मान शसपादहयों दोनों को नाराि कर ददया
जिससे तुरंत ववद्रोह को िन्तम ददया.
मीर काशसम ने बदथमान, शमदनापरु और र्चट्िगााँव की ज़मींदारी अंग्रेि
अर्धकाररयों को दे दी. उसने उन्तहें 2.9 शमशर्यन रुपये भी अदा ककये. उसने
1.2 घिनाक्रम
अपनी जस्त्र्नत सुदृढ़ करने के शर्ए कुछ कर संबंधी और सैन्तय सुधार ककये.
• 29 माचथ, 1857 को 34 नेदिव इन्तफेंिी के एक भारतीय शसपाही मंगर्
इसके कार् को नवाब और बब्दिश शासन के बीच प्रभुसत्ता के शर्ए संघषथ
पाण्डेय ने दो बब्दिश अर्धकारीयों – वाघ तर्ा मेिर सािेंि ह्सयग्ु सन को
के रूप में दे खा िाता है . इसने अपनी रािधानी मशु शथदाबाद से मुंगेर
परे ड के दौरान बैरकपरु (कर्कत्ता) में गोर्ी मार दी.
स्त्र्ानांतररत कर दी. इसने कंपनी को ददए गए दस्त्तकों (फ्री पास) के
• वास्त्तव में ववद्रोह तीसरी नेदिव इन्तफैन्तिी द्वारा 10 मई, 1857 को मेरठ
दरू
ु पयोग पर रोक र्गा दी और आंतररक व्यापार पर सभी कर समाप्त
से शरू
ु हुआ. चबी वार्े कारतूसों के प्रयोग से मना करने पर कुछ
कर ददए.
शसपादहयों को सिा सन
ु ाई गई र्ी जिससे नाराि इन शसपादहयों ने ववद्रोह
कर ददया. शसपाही, नागररकों के अन्तय समह
ू ों के सार् ‘मारो कफरं र्गयों को’
बतसर का यद्
ु ध
मीर काशसम अपने सहयोर्गयों अवध के शुिा-उद-दौर्ा और शाह आर्म कहते हुए आगे बढ़े . उन्तहोंने िेर्ों को तोड़ ददया, यरू ोवपयों की ह्या कर दी
द्ववतीय के सार् अंग्रेिों से र्ड़ा. इस युद्ध में मेिर हे तिर मुनरो के और उनके घरों में आग र्गा दी और सय ू ोदय के बाद ददपर्ी की ओर कूच
कम्यन
ु ि अवाडथ (अिस्त्त 16,1932):
िाहौर अगधवेशन (1929)
िवाहरर्ार् नेहरु की अध्यक्षता में ददसम्बर 1929 में हुए अपने वावषथक • रै मिे मैतडोनापड द्वारा घोवषत ककये गए. यह अंग्रेिों की बांिो और
अर्धवेशन में कांग्रेस ने एक प्रस्त्ताव पाररत कर राटट्रीय आंदोर्न के शर्ए राि करो की नीनत दशाथता है .
“पूणथ स्त्वराि” को अपना र्क्ष्य घोवषत ककया. 31 ददसम्बर, 1929 को नया • मजु स्त्र्म, शसख, भारतीय ईसाई आंग्र्-भारतीय मदहर्ाएं और वपछड़े
वगों के प्रनतननर्ध्व पर ववचार ककया गया.
अपनाया गया नतरं गा ध्वि फहराया गया और 26 िनवरी को स्त्वतंरता
ददवस के रूप में ननधाथररत ककया गया जिसे प्रनतवषथ मनाया िाएगा और • गााँधी िी िो उस समय येरवदा िेर् में र्े, उन्तहोंने इसके खखर्ाफ
र्ोगों ने बब्दिश शासन के अंतगथत नहीं रहने की शपर् र्ी. आमरण अनशन शरू
ु कर ददया.
• पन
ू ा समझौता (शसतम्बर 25, 1932)
सववनय अवज्ञा आंदोिन
• कम्यन
ु र् अवाडथ की घोषणा के बाद और कफर गााँधी िी की भख
ू
सववनय अवज्ञा आंदोिन का प्रर्म चरण
1929 के र्ाहौर अर्धवेशन में कांग्रेस ने पूणथ स्त्वराि को अपना र्क्ष्य हड़तार् से हर िगह िनसभाएं होने र्गीं.
• रािनीनतक नेता िैसे मदन मोहन मार्वीय, भीम राव अम्बेडकर
घोवषत ककया र्ा. 31 िनवरी 1930 को गााँधी िी ने र्ाडथ इरववन को
और एम ्.सी.रािा सकिय हुए.
अपनी 11 सूरी मांगे मानने के शर्ए समय देते हुए चेतावनी दी. गााँधी ने
• अंत में पूना समझौता हुआ और गााँधी िी ने छठे ददन अपना अनशन
इरववन को कहा कक या उनकी मांगों को स्त्वीकार कीजिये अन्तयर्ा कांग्रेस
सववनय अवज्ञा आंदोर्न प्रारं भ करे गी. बब्दिश सरकार ने गााँधी िी की तोडा.
अिस्त्त प्रस्त्ताव (1940) • उषा मेहता एक गैरकानूनी रे डडयो स्त्िे शन चर्ा रहीं र्ीं.
• रािगोपार्ाचारी और वामपंर्र्यों ने भारत छोड़ो आंदोर्न का ववरोध
भारत में िनता की निरों में िीत हाशसर् करने के िम में शर्नशर्र्गो ने
ककया.
द्ववतीय ववश्व यद्
ु ध में राटट्रवाददयों का समर्थन पाने के शर्ए एक प्रस्त्ताव
• तीन समानांतर सरकारें बनाई गईं : 1. र्चत्तू पाण्डेय के नेत्ृ व में
रखा.
बशर्या में, 2. सतीश सामंत की तमकुर्-िदिया सरकार, 3. नाना
इसकी प्रमुख बातें र्ीं -
पादिर् के नेत्ृ व में सतारा-प्रनत सरकार
• एक अननददथटि भववटय में डोशमननयन स्त्िे िस का वादा
• युद्ध के बाद एक संववधान ननमाथती सभा बनाई िाएगी, हार्ााँकक यह
िाँधी जी का उपवास (10 र्रवरी – 7 माचथ, 1943)
बब्दिश संसद की अनुमनत के बाद ही होगा.
गााँधी िी ने िेर् में 21 ददन का उपवास रखा. 13 ददन बाद उनकी हार्त
• वायसराय की कायथकारी पररषद् में त्कार् वद्ृ र्ध
अ्यंत नािुक हो चर्ी र्ी और उनके िीववत बचने की सभी संभावनाएं
• एक युद्ध परामशथदारी पररषद् का गठन.
ख़्म हो चुकी र्ी. र्ेककन उनकी नैनतक बर् और अध्याज्मक शजतत के
व्यष्ततित सत्याग्रह सहारे वे िीववत भी रहे और 21 ददन का उपवास भी पूरा ककया. यह उस
अगस्त्त प्रस्त्ताव ने राटट्रवाददयों को चौंका ददया और कांग्रेस ने व्यजततगत सरकार के शर्ए उनका िवाब र्ा िो र्गातार उन्तहें भारत छोड़ो आंदोर्न
स्याग्रह शरू
ु ककया. ववनोबा भावे पहर्े स्याग्रही र्े िबकक नेहरु दस
ू रे . में र्ोगों की दहंसा की ननंदा करने के शर्ए रािी करने का प्रयास कर रही
र्ी.
कक्रप्स लमशन – 1942:
• ददसम्बर 1941 में िापान द्ववतीय ववश्व युद्ध में शाशमर् हुआ और सी. आर. र्ामि
ूथ ा (1944)
भारतीय सीमा तक बढ़ आया. 7 माचथ 1942 को रं गन ू हार गया और 1944 में, चिवती रािगोपार्ाचारी (सी. आर.) ने उत्तर-पजश्चम और पव
ू थ
पूरे दक्षक्षण पव
ू थ एशशया पर िापान का कब्ज़ा हो गया. के जिर्ों को पर्
ृ क करने के शर्ए, िहााँ मुसर्मानों की संख्या अर्धक र्ी,
• बब्दिश सरकार ने भारतीयों से सहयोग प्राप्त के शर्ए, भारतीय एक आयोग ननयुतत करने का प्रस्त्ताव रखा. कुछ क्षेरों में ववभािन के
नेताओं से शतें तय करने के शर्ए हाउस ऑफ़ कॉमन के नेता सर मुद्दे पर वयस्त्क मतार्धकार द्वारा मतदान होना र्ा. ककसी संप्रभु राज्य
स्त्िै फ़ोडथ किप्स को भेिा.
आईएनए रायि र्ीग इसमें नहीं शाशमर् हुई तयोंकक इसने कैबबनेि शमशन की अपनी पूवथ
• आईएनए बंददयों का पहर्ा ट्रायर् र्ार् ककर्े में हुआ. की स्त्वीकृनत को वापस र्े शर्या र्ा.
18. िाडथ लिनलिर्िो (1936 – 1944) : • इस एति ने कंपनी मामर्ों एवं भारत में उसके क्षेरों पर बब्दिश
a) भारत सरकार अर्धननयम प्रान्ततों में र्ागू. सरकार का सवोच्च ननयंरण स्त्र्ावपत कर ददया.
• शासन की द्वैध प्रणार्ी स्त्र्ावपत की गई. ववत्तीय कायों को दे खने के
b) 11 में से 8 प्रान्ततों में कांग्रेस के मंरार्य गदठत ककये गए. वे अतिूबर
1939 तक 2 वषों तक सत्ता में रहे र्ेककन द्ववतीय ववश्व युद्ध में भारत शर्ए 24 सदस्त्यों वार्ी कोिथ ऑफ़ डायरे तिसथ की ननयजु तत हुई.
को खींचने पर/शाशमर् करने पर ्यागपर दे ददया. मुजस्त्र्म र्ीग ने इसे • 6 संसदीय कशमश्नरों वार्े एक बोडथ ऑफ़ कण्ट्रोर् को ननयुतत ककया
मुजतत ददवस के रूप में मनाया. (22 December) गया िो भारत में शसववर्, सैन्तय और रािस्त्व मामर्ों को दे खता र्ा.
c) चर्चथर् मई, 1940 में बब्िे न के प्रधानमंरी बने. उसने ननणथय ककया कक • गवनथर िनरर् को शजततशार्ी बनाते हुए उसकी पररषद में संख्या
संप्रभुता प्राप्त करने के अर्धकारी होंगे) भारत पर र्ागू नहीं होगा. प्रेसीडेंसी को बंगार् के अधीनस्त्र् कर ददया गया.
• ईस्त्ि इंडडया कंपनी पर प्रभावी ननयंरण का पहर्ा प्रनतस्त्र्ापन.
d) 1939 में द्ववतीय ववश्व युद्ध का प्रकोप
आदद) पर प्रशासन करती र्ी िो ववधानयका के प्रनत ककसी भी तरह यंि बंिाि (1826-1832)
सत्य शोधक समाज • अस्त्पश्ृ य एवं अन्तय ननम्न िानतयों के खखर्ाफ भेदभाव और छुआछूत
• 1873 हिाने के शर्ए संगठन. अस्त्पश्ृ य र्ोगों को र्चकक्सा, शशक्षा और
• महाराटट्र तकनीकी सुववधाएाँ मुहैया कराना
• ज्योनतबा फुर्े
• छुआछूत, ब्ाम्हणवाद का ववरोध, सामाजिक समानता में ववश्वास और स्त्वतंर सेनानी
भित लसंह
छाबबर् दास और यशपार् के सार् पंिाब नौिवान भारत सभा की
स्त्र्ापना की.
रानी िाइहदनपयु
इन्तहोने नागा ववद्रोह का नेत्ृ व ककया. यदग
ु ग
ं ा एक अन्तय नेता र्े.
भूिोि कैप्सूि
• सबसे बडा उपग्रह : गनीमेड
सौर मंडि • सबसे छोिा उपग्रह : डीमॉस
सौर मंडर् में शाशमर् हैं: • नीिा ग्रह : पथ्ृ वी
• सूयथ • ग्रह • मोननिंि/ इवननंि स्त्िार : शुि
• बौने ने ग्रह, क्षुद्रग्रह, उपका, धम
ू केतु और ग्रहों के उपग्रह के अनर्गनत • पथ्ृ वी का जुडवां : शुि
िुकड़े (जिन्तहें सौर मंडर् के र्घु वपंड कहते हैं) • हरा ग्रह : नेप्च्यून
• बडे िाि धब्बे वािा ग्रह : बहृ स्त्पनत
सौर मंडि के कुछ तथ्य
• स्त्विथ का भिवान : बहृ स्त्पनत
• सबसे बडा ग्रह : बहृ स्त्पनत
• अगधकतम दै ननक तापान्तर : बुध
• सबसे छोिा ग्रह : बुध
• सूयथ के सबसे नजदीक का ग्रह : बुध अक्षांश एवं दे शांतर रे खाएं
• सबसे से सवाथगधक दरू ी पर ष्स्त्र्त ग्रह : बरुण
• पथ्ृ वी से ननकितम ग्रह : शुि पथ्ृ वी की अक्षांश रे खाएं
• चमकीिा ग्रह : शुि • भम
ू ध्य रे खा के समांतर खींची गई कापपननक रे खाएं हैं। इन्तहें एक
• सूयथ के बाद सबसे चमकीिा तारा : शसररअस कोण के रूप में मापा िाता है जिसका, शीषथ पथ्ृ वी के केंद्र पर मौिद
ू
• अगधकतम उपग्रहों वािा ग्रह : बहृ स्त्पनत होता है ।
• सबसे शीति ग्रह : नेपच्यून • भम
ू ध्य रे खा 0° अक्षांश को दशाथता है , िबकक उत्तरी ध्रव
ु 90° उत्तरी
• सबसे िमथ ग्रह : शुि अक्षांश और दक्षक्षण ध्रव
ु 90° दक्षक्षणी अक्षांश को दशाथता है।
• सबसे भारी ग्रह : बहृ स्त्पनत • 23½° उत्तर ककथ रे खा को दशाथता है िबकक 23½° द. मकर रे खा को
• िाि ग्रह : मंगर् दशाथता है ।
भू-पपथिी (क्रस्त्ि)
पथ्ृ वी के घरू ण
् न के पररण म -
पथ्ृ वी के ऊपरी भाग को भू-पपथिी कहते हैं। यह अन्तदर की तरफ़ 34
i. ददन व र त क होन
ककमी. तक का क्षेर है । यह मुख्यतः बेसापि चट्िानों से बना है । इसके दो
ii. दो दे श न ्तरों के मध ्य 1 घांटे क अांतर होत है , जो 15° दरू होते हैं;
भाग हैं-शसयार् और सीमा। शसयार् क्षेर में शसशर्कन एवं एर्ुशमना एवं
iii. पवन एवां मह स गरीय ध र ओां की ददश में पररवर्तन; ति
सीमा क्षेर में शसशर्कन एवं मैग्नीशशयम की बहुर्ता होती है । कस्त्िथ भाग
प ्रततददन ज्व र-भ ट क उठन व गगरन ।
का औसत घन्व 2.7ग्राम/सेमी.3 है। यह पथ्ृ वी के कुर् आयतन का
iv. उत ्तरी गोि द्ाध में सबसे िम्ब ददन 21 जन
ू है , जबकक सबसे छोट
0.5% भाग घेरे हुए है । पथ्ृ वी की सभी भू-आकृनतयााँ इस पर जस्त्र्त है
ददन 22 ददसम ्बर को होत है (इसी प ्रक र द क्षक्षणी गोि द्ाध में भी होत
िैसे; पवथत, पठार और मैदान। भू-पपथिी (िस्त्ि) और मेंिर् के बीच की
है ।)
सीमा रे खा को मोहो असम्बद्धता कहा िाता है।
• भम
ू ध ्य रे ख पर ददन व र त िगभग सम न हैं।
मेंिर्
कारण आता है , िो भक
ू ं प के केंद्र से चारों ददशाओं में ववककररत होती है। ये केवि ठोस म ध ्यम से ही गज
ु र सकती है अतः ये ब ह्य कोर से आगे
b) भक
ू ं प के उ्पन्तन होने का प्रारं शभक बबन्तदु केन्तद्र या हाईपो सेंिर नहीां बढ़ प ती है इनक औसत वेग 4 ककमी/सेकण ्ि होत है ये
कहर्ाता है। शब्द उपररकेंद्र का अर्थ है , पथ्ृ वी के सतह पर ठीक इसके अनुप ्रस ्ि तांरगें भी कहि ती है ये प्र िममक तरां गो की तुिन में अगधक
िाता है ।
सतही तरां गे (L-तरां गें):
c) िब भूकंप का मूर् समुद्र का सतह होता है तो इस कम्पन से समुद्र की
सतही तरां गों क वेग सबसे कम (1.5 से 3 ककमी/सेकण ्ि) होत है ये
िर्स्त्तर में ऊाँची ऊाँची तरं गे उठने र्गती है जिसे सन
ु ामी कहा िाता है।
धर ति पर सबसे अन ्त में पहुुँचती है स्जसक भ ्रमण पि उत ्ति होत
d) भूकंप का मापन भूकम्पमापी यंर (सीस्त्मोमीिर) से ककया िाता है ,
है यह सव गा धक ववन शक री तरां ग होती है ।
जिसे सीस्त्मोग्राफ भी कहा िाता है ।
• सतही तरां गें जि तरां गों के समरूप होती हैं और पथ्
ृ वी की सतह पर
e) भूकंप का पररमाण, और कम्पन की तीव्रता एक संख्या्मक मापक
चिती हैं। वे क य तरां गों की तुिन में धीमी गतत व िी होती हैं।
द्वारा मापा िाता है । मापक पर, 3 या उससे कम की तीव्रता को शायद
ही ध्यान अनुभव ककया िाता है , र्ेककन 7 या उससे अर्धक के पररमाण सतही तरां गें दो प ्रक र की होती हैं:
के भूकंप एक ववस्त्तत
ृ क्षेर पर तबाही र्ाता है । भूकंप के उ्पनत केंद्र को रे िी तरां गें (Rayleigh waves), स्जन्हें ग्र उां ि -रोि भी कह ज त है वे
भूकंप का मूर् कहा िाता है और पथ्ृ वी के सतह पर ठीक इसके ऊपर सतह तरां गें हैं जो प नी की सतह पर तरां गों के सम न िहरों के स ि गतत
जस्त्र्त बबंदु को एपीसेंिर कहा िाता है। करती हैं।
f) भूकंपीय तरं गो के गुिरने को शसस्त्मोग्राफ द्वारा अंककत ककया िाता िव तरां गें – िव तरां गें चट्ट नों के कणों को अपने िैि व की ददश से
है । तरं गो के पररमाण को ररतिर स्त्केर् द्वारा मापा िाता है । भूकंप की िम ्बवत ववथि वपत करती हैं और इन तरां गों में कोई िम ्बवत और
तीव्रता की माप के शर्ए ववकशसत मरकैर्ी स्त्केर् का उपयोग ककया िाता अनुप ्रस ्ि घटक नहीां होत है।
है । एस्िेनोस्िीयर पथ्ृ वी के अांतरतम में स ्ििमण ्िि के नीचे स्थित एक
भूकम्प का ववतरण- परत है , भप
ू र्पटी क ऊपरी दहथस मििोथिीयर कहि त है और इसके
a) प्रशांत महासागर के आसपास ज्वार्ामुखी की पट्िी जिसे ररंग ऑफ नीचे क ठोस भ ग एथिेनोथिीयर कह ज त है । मििोथिीयर धरती की
फायर कहा िाता है इस क्षेर में ववश्व का 68 प्रनतशत भूकंप आते हैं। ब हरी परत बन त है जो िोडी भांगरु है । स त मह द्वीप ववमभन ्न
b) मध्य एशशया से (दहमार्य, कैजस्त्पयन सागर) होते हुए भूमध्य सागर टे क्टोतनक प्िेटों य नी वववर्ततनक पट्दटयों में बांटे हैं। धर ति क 94
से होकर वेस्त्ि इंडीि तक के क्षेर में संसार के 21 प्रनतशत भूकंप दे खे प ्रततशत इन्हीां प्िेटों से बन है । भप
ू र्पटी ववमभन ्न ववश ि चट्ट नों से
िाते हैं। ममिकर बनी है। धरती की इन ववश ि चट्ट नों को प्िेटें कहते हैं।
इन्हें ही 'अवस दी चट्ट न' कहते हैं। अवस दी शैिों क तनम ाण जि, व यु िगभग 1.5 ककमी मोटी है ।
d) गहर समुद्री बेलसन- अटि दां टक मह स गर में उत ्तर और दक्षक्षण गोि द्ाध में पूरव
् से पस्चचम
यह समद्
ु र ति क दहथस है , जो मह द्वीपीय म स्जान और मह स गरीय की ओर भूमध ्य रे खीय ध र एुँ ति पस्चचम से परू व
् की ओर ववरूद्ध
कटक के बीच स्थित होत है। इसमें गहरी समुद्र के ख ईय ुँ, ववति भम
ू ध ्य रे खीय ध र एुँ बहती हैं।
मैद न, और बडे ज्व ि मुखीय चोदटय ुँ श ममि हैं। a) ववरूद्ध भूमध ्य रे खीय ध र को पस्चचम अफ्ीक के तट पर गगनी
I. गहरी- समद्र
ु ी ख ईय ां: ध र कहते हैं।
प ्रश ांत मह स गर
दहन ्द मह स गर क पररसांचरण
प ्रश ांत मह स गर ववश ्व के प ांच मह स गरों में सबसे बड है। रणनीततक
दहन ्द मह स गर की ध र ओां की प ्रववृ त्त प ्रश न ्त एवां अटि ांकक
रूप से महत ्वपरू ण
् पहुांच व िे जिम गों में ि पेर उस, त्सुगरु
ु , समु शम ,
मह स गरों से अिग है । इसके दो क रण हैं - (1) पहि , दहन ्द मह स गर
त इव न, मसांग पुर और टॉरे स थरे ट्स श ममि हैं।
के उत ्तर में स ्िि भमू म क अगधक होन , स्जसके क रण ध र ओां की
यह दक्षक्षणी मह स गर, एमशय , ऑथरे मिय और पस्चचमी गोि र्ध के
प ्रववृ त्त बदि ज ती है ति (2) दस
ू र , म नसन
ू ी हव क प ्रभ व, स्जससे
बीच जि तनक य है । इसमें ब िी स गर, बेररांग स गर, कोरि स गर, पूवी
ध र ओां की ददश पररवततात हो ज ती है । इसी क रण दहन ्द मह स गर के
चीन स गर, अि थक की ख डी, कििीवपन स गर, ज प न क स गर,
उत ्तरी क्षेत ्र में ग्रीष ्म एवां शीत ऋतु में ध र ओां की ददश मभन ्न-मभन ्न
ओहोट्सक क स गर, तथम न स गर और अन ्य सह यक जि तनक य
होती है ।
श ममि हैं।
तनम ्नतम बबांद:ु म ररय न रें च में चैिेंजर दीप।
यही स्थितत पथ्ृ वी के इस भ ग के बबल्कुि पीछे व िे भ ग में भी होती है । इसका मतर्ब है ‘बफथ का ननवास’। यह ववश्व में सबसे नए वशर्त पवथतों
पीछे के भ ग में जि के पीछे रहने एवां केन्द्र प ्रस री दि के सस्म्ममित की श्रंख
ृ र्ा है और मुख्य रूप से अवसादी चट्िानों से बने हुए हैं।
प ्रभ व से उबर आत है। इस प ्रक र एक ही समय में पथ्ृ वी पर दो ज्व र ये पजश्चम में शसंधु नदी से, पूवथ में ब्ह्समपुर नदी तक फैर्े हुए हैं। पूवी
भ ग में। चन्द्रम के स मने व उसके ववपरीत भ गों के बीच पर दो थि न ियंनतया पवथतों से ननशमथत हैं, सार् ही इस क्षेर को पव
ू ांचर् के रूप में भी
ऐसे भी होते हैं जह ुँ से जि र्खांचकर ज्व र व िे थि न पर आ ज त है । िाना िाता है ।
अतः इन थि नों पर जि सतह से नीच रहत है । इसे भ ट कहते हैं। ‘पामीर’ को ववश्व की छत के रूप में िाना िाता है , िो दहमार्य और
पथ्ृ वी व चांद्रम के पररभ ्रमण के क रण प ्रत्येक थि न पर ज्व रीय मध्य एशशया की उच्च पवथत श्रंख
ृ र्ाओं के बीच की कड़ी है । जिन्तहें 3
चक् र 24 घांटे व 52 ममनट िांब होत है। समानांतर या दे शांतर क्षेरों के रूप में प्र्येक को अर्ग ववशेषता के रूप
में ववभाजित ककया िा सकता है ।
ज्व र के क रण
• चांद्रम और पथ्ृ वी के बीच गुरुत्वीय आकर्षण दहमार्य या दहमाद्री
• सूरय
् और पथ्ृ वी के बीच गुरुत्वीय आकर्षण इसमें कुछ दरे हैं और इनमें से र्गभग सभी की ऊंचाई 4500 मी से
. पथ्ृ वी के केंद्र की ओर पथ्ृ वी क आकर्षण बि। अर्धक है । जिसमे से दहमाचर् प्रदे श में ‘शशपकी र्ा’ दराथ और ‘बारा
• ज्व र के मिए मुख ्य रूप से चांद्रम स्जम्मेद र है। र्ाचा र्ा’ है , कश्मीर में बजु िथर् और िोजिर्ा दराथ हैं, उतराखंड में नीनत
ज्व र के प ्रक र दराथ, शर्पर्
ु ेख और ‘र्ांग र्ा’ दराथ है तर्ा शसजतकम में ‘िेर्ेप र्ा’ और
• अद्ाधदै तनक ज्व रभ ट - 12½ घांटे के अांतर ि पर पुनर ववृ त्त ‘नार्ू र्ा’ दराथ शाशमर् है ।
पवथत और घादियााँ सभी ददशाओं में फैर्ी हुई हैं (पवथत 5000 मी. तक हैं गंगा के मैदानों में िर्ोड़क की मोिाई सवाथर्धक है और पजश्चम मैदानों
यह नवीनतम श्रंख
ृ र्ा है। खादर: नई िर्ोढ़ शमट्िी के मैदान और नदी क्षेर के ककनारे बाढ़ के
मैदान बनते हैं।
रांस - हहमािय क्षेर
यह श्रंख
ृ र्ा दहमार्य के उत्तर में है । इसमें कुछ मह्वपूणथ श्रंख
ृ र्ाएं हैं भारत के प्रायद्वीप पठार
िैसे-काराकोरम, र्द्दाख, िांस्त्कर आदद। इस क्षेर में सबसे ऊाँची चोिी यह तीन तरफ से समद्र
ु से नघरे शसंधु-गंगा के मैदानों के दक्षक्षण में फैर्ा
के2 या गॉडववन ऑजस्त्िन(8611मी.) िो पाक अर्धकृत कश्मीर में है । है । उत्तर में उसके आधार के सार् एक बरभुि के आकार में यह पठार है ।
अन्तय चोदियों में दहडन चोिी(8068मी.), ब्ॉड चोिी (8047 मीिर) पूवी घाि और पजश्चमी घाि, िमशः इसकी पव
ू ी और पजश्चमी सीमाएं हैं।
गशरब्ुम द्ववतीय (8035 मीिर) है । नमथदा, िो एक भ्रंश घािी से बहती है, वह इस क्षेर को दो भागों में
नुबरा घािी में शसयार्चन सबसे र्म्बा ग्र्ेशशयर है , िो 72 कक.मी से ववभाजित करती है: उत्तर में मार्वा के पठार और दक्षक्षण में दतकन के
अर्धक र्म्बा है (यह ववश्व में सबसे बड़ा ग्र्ेशशयर है )। इस क्षेर में पठार।
बबफो, बपतारो, दहस्त्पुर अन्तय मह्वपूणथ ग्र्ेशशयर हैं। ववंध्य पठार मार्वा पठार के दक्षक्षण में जस्त्र्त है ।
यह क्षेर, ध्रुवीय क्षेरों के बाहर सबसे बड़ा दहम-आच्छाददत क्षेर हैं। छोिा नागपुर पठार, बंगार् बेशसन के पजश्चम में है, िो रांची पठार का
उत्तर प्रदे श की सीमा को अर्धकतम 8 राज्य स्त्पशथ करते हैं (उत्तराखंड, दतकन का पठार भारत में सबसे बड़ा पठार है । यह ववदर ववस्त्फोि के
दहमाचर् प्रदे श, हरयाणा, रािस्त्र्ान, मध्य प्रदे श, छत्तीसगढ़, झारखंड माध्यम से िीिे शस-इयोसीन युग में र्ावा के प्रवाह से बना है।
लसंधु तंर सबसे बड़ा डेपिा बनाती है , िो 58,752 वगथ कक.मी के क्षेर में फैर्ा हुआ
इसकी कुर् र्म्बाई 2880 कक.मी है (भारत में 709 कक.मी)। नतब्बत है । इसका अर्धकतर भाग बांग्र्ादे श में है।
(चीन) में मानसरोवर झीर् के पास से ननकर्ती है। िम्मू और कश्मीर में ब्हमपर
ु नदी द्वारा असम में मािर्
ु ी नदी द्वीप है िो ववश्व में सबसे
इसकी दहमार्य सहायक नददयााँ हैं- िांस्त्कर, द्रास, गिथग, श्योक, शशगार, बड़ा नदी द्वीप है ।
नब ब्हमपुर या र्ार् नदी डडब्ूगढ़ तक 1384 कक.मी में िहाि चर्ाने योग्य
ु रा, र्गर्र्गत आदद। इसकी प्रमख
ु सहायक नददयााँ िो शसंधु नदी से
ववशभन्तन स्त्र्ानों पर शमर्ती है अर्ाथत- झेर्म, चेनाब (1800कक.मी), है और एक उ्कृटि अंतदे शीय िर् पररवहन मागथ के रूप में कायथ करता
स्रोत : झेर्म का उद्गम स्त्र्र् वेरीनाग है (दक्षक्षण पूवथ कश्मीर), रावी का भारत में प्रायद्वीपीय नहदयाँ
उद्गम स्त्र्र् दहमाचर् प्रदे श में रोहतांग दरे के पास कुपर्ू पहाडड़यााँ है ,
A. पूव-थ हदशा में बहने वािी भारत की नहदयाँ (या जो नहदयाँ डेपिा
ब्यास नदी का उद्गम स्त्र्र् दहमाचर् प्रदे श में रोहतांग दरे के पास है
बनाती हैं)
और सतर्ुि नदी का उद्गम स्त्र्र् पजश्चम बंगार् में राकस तार्-
मानसरोवर से है । महानदी (858 कक.मी) : यह नदी छत्तीसगढ़ के रायपरु जिर्े से ननकर्ती
. है । िोदावरी नदी(1465 कक.मी): गोदावरी नदी को ‘वद्
ृ ध गंगा’ या दक्षक्षण
िंिा तंर गंगा के नाम से भी िाना िाता है । यह सबसे र्ंबी प्रायद्वीपीय नदी है ,
उत्तराखंड और उत्तर प्रदे श में इसकी र्म्बाई 2525 कक.मी. है , बबहार में इसका उद्गम स्त्र्र् नाशसक है , इसकी प्रमुख सहायक नददयााँ-मंिरा,
445 कक.मी. है और पजश्चम बंगार् में 520 कक.मी है । गंगा दो मुख्य पेनगंगा, वधाथ, इन्तद्रावती, वेनगंगा आदद हैं।
बंगार् की खाड़ी के ऊपर बहता है और एक अरब सागर के ऊपर से होते का दक्षक्षण भाग, पव
ू थ उटणकदिबंधीय और उपोटणकदिबंधीय मैदान और
हुए आता है । यह मानसून दे श के अर्धकांश भाग में वषाथ होने का कारण उटणकदिबंधीय सवाना का उत्तरी भाग शाशमर् है। शीत कार् अ्यंत गंभीर
िबकक गशमथयों बेहद गमथ हैं होती हैं। वावषथक वषाथ 63.5 सेमी से 254 सेमी से
बनता है (तशमर्नाडु और रे र्गस्त्तानी क्षेर को छोड़ कर)। डेपिा क्षेर पार
अर्धक तक होती है , यह अर्धकतर दक्षक्षण पजश्चम मानसून के दौरान प्राप्त
करने के बाद बंगार् की खाड़ी शाखा मेघार्य में खासी घािी में प्रवेश
होती है । 63.5 सेमी से शभन्तन होता है इसमें से अर्धकांश दक्षक्षण-पजश्चम
करती है, यह इस क्षेर में कीप आकार के कारण आकर फस िाता है। यह
मानसन
ू के मौसम के दौरान प्राप्त।
एक ववशेष सीधी ददशा में चेरापूंिी में प्रहार करता है , जिसके कारण
पवथतीय जिवायु: इस प्रकार का मानसन
ू पवथतीय क्षेरों मे देखा िाता है िो
माननसराम में तेि वषाथ होती है (र्गभग 1400 से.मी)। शसतम्बर के
6,000 मी. से ऊपर या दहमायर् और काराकोरम श्रंखर्ा में होता है ।
मध्य से ददसम्बर के मध्य में मानसून पीछे हि िाता है। सरू ि की खड़ी
ककरणों का मकर रे खा की ओर स्त्र्ानांतरण होना शुरू हो िाता है , कम भारतीय जिवायु को प्रभाववत करने वािे तथ्य
दबाव क्षेर दक्षक्षण में बढ़ने र्गता है और हवाएं भशू म क्षेरों से समद्र
ु की अक्षांश:: भारतीय भूभाग समान रूप से ‘ककथ रे खा’ द्वारा समान रुप से
और बहना शुरू कर दे ती हैं। इसे पूवोत्तर मानसून कहा िाता है। मानसून ववभाजित है । इस प्रकार, भारत के आधे भाग में उटणकदिबंधीय िर्वायु
की वापसी इसके शुरू होने की तुर्ना में काफी अर्धक िशमक प्रकिया है । है और अन्तय आधे भाग उपोटणकदिबंधीय िर्वायु है ।
यह तशमर्नाडु में वषाथ होने का कारण बनता है और हवाएं बंगार् की ऊंचाई: तिीय क्षेरों में औसत ऊंचाई करीब 30 मीिर है , उत्तर में औसत
खाड़ी से कुछ नमी र्ेकर आती है। िब सम्पूणथ दे श में वषाथ होती है तब ऊंचाई र्गभग 6000 मीिर है। भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करने से
तशमर्नाडु में सुखा रहने की घिना को स्त्पटि करता है और िब मध्य एशशया से आने वार्ी ठं डी हवाओं को दहमार्य रोकता है। इस के
तशमर्नाडु में वषाथ होती है तो सम्पूणथ देश सुखा रहता है। कारण, उपमहाद्वीप तुर्ना्मक रूप से मध्य एशशया की तुर्ना में कम
ठं डा होता है।
भारत में जिवायु क्षेर
दबाव और हवायें : भारतीय उपमहाद्वीप उत्तर-पव
ू ी हवाओं के क्षेर में
भारत में जिवायु क्षेर को एक संख्या में ववभाष्जत ककया जा सकता है।
ननदहत है। ये हवाएं उत्तरी गोर्ाद्थध के उपोटणकदिबंधीय उच्च दबाव
भारत में ऊटण कहिबंधीय वषाथ वन: ये वन पजश्चम तिीय मैदानों में पाये
बेपि से ही शुरू होती हैं। इसके बाद, ये हवाएं दक्षक्षण की ओर चर्ती हैं। ये
िाते हैं, पजश्चमी घाि एवं असम के क्षेरों में। यह पूरे वषथ उच्च तापमान
‘कोररओशर्स बर्’ की विह से दायीं ओर मुड िाती हैं और कफर भूमध्य
को र्चबरत िरता है । यहााँ मई से नवम्बर के दौरान र्गभग 200 मौसमी
रे खा के पास कम दबाव क्षेर की ओर चर्ने र्गती हैं।
वषाथ होती है।
उटणकहिबंधीय सवाना जिवायु: अर्धकांश प्रायद्वीप क्षेरों में अद्थध शटु क
क्षेरों को छोड़ कर पजश्चमी घाि के अनुवात पक्ष में पाये िाते हैं। यहााँ । यह
सददथयों के दौरान और गशमथयों के आरंभ तर्ा उच्च तापमान के दौरान (18.2
डडग्री सेजपसयस से उपर) र्ंबे समय तक शुटक मौसम को र्चबरत करता है ।
इस क्षेर के पजश्चम में 76 से.मी और पव
ू थ में 150 से.मी वषाथ होती है ।
उटणकहिबंधीय अद्थध शटु क जिवायु मैदान: यह वषाथ छाया बेपि को प्रबर्
करता है, िो केंद्रीय महाराटट्र से दक्षक्षण की ओर पजश्चमी घाि और
इर्ायची की पहाडडयों के अनुवात पक्ष की ओर चर्ती हैं। यह 20 और 30 के
बीच उच्च तापमान में 38 से.मी से 80 से.मी वषाथ के रूप में र्चबरत होता
है ।
उटणकहिबंधीय और उपोटणकहिबंधीय मैदान : पंिाब का बड़ा क्षेर ,
हररयाणा और कच्छ का क्षेर। तापमान 12 से 35 डडग्री के बीच रहता है । लमट्हियाँ
अर्धकतम तापमान 49 डडग्री सेजपसयस तक पहुंचता है। वावषथक वषाथ, 30.5- 1. जिोढ़ लमट्िी (Alluvial Soil):
63.5 सेमी होती है , सार् ही यह अ्यर्धक अननजश्चत है। भारत में यह कुर् भूशम क्षेर का 40% भूभाग है । यह अ्यर्धक उपिाऊ
उटणकहिबंधीय मरुस्त्र्ि: यह िर्वायु रािस्त्र्ान के जिर्ों बैनर, िैसर्मेर
है और कृवष उपि के बहुत बड़े भाग का योगदान करती है। यह मुख्यतः
और बीकानेर जिर्ों के पजश्चमी भाग और कच्छ के भाग में फैर्ी है । यह
उत्तरी मैदानों में पायी िाती है , पजश्चम में पंिाब से आरं भ करते हुए, पूवथ
अपप वषाथ (30.5 सेमी) को र्चबरत करती है, िो अ्यर्धक अननजश्चत है ।
में पजश्चम बंगार् और असम तक ववस्त्तत ृ है ।
भारत सरकार ने ननम्नशर्खखत िर् मागों को राटट्रीय िर्मागथ के रूप में अयस्त्क के ववशार् भंडार हैं। र्ौह अयस्त्क बबहार में शसंहभूम और उड़ीसा
के मयूरभंि के खानों में पाया िाता है । िमशेदपरु , शभर्ाई, बोकारो,
मान्तयता प्रदान की है :
NW 1: इर्ाहाबाद से हजपदया - 1,629 ककर्ोमीिर दग
ु ाथपुर, राउरकेर्ा और भद्रावती में बहृ त ् इस्त्पात संयर
ं हैं।
ववशाखापत्तनम आंध्रप्रदे श
4. मैंिनीज:
चेन्नई तशमर् नाडु
मैंगनीि स्त्िीर् के ननमाथण में प्रयोग ककया िाता है। भारत दनु नया में
एन्तनोर तशमर् नाडु
मैंगनीि का सबसे बड़ा उ्पादक है। यह उड़ीसा, कनाथिक, मध्य प्रदे श
तूतीकोररन तशमर्नाडु और महाराटट्र में पाया िाता है ।
6 द्वीपसमूह -- मेडागास्त्कर, केप वडे द्वीप, द कॉमोरोस, मॉरीशस, 1 क्षेरफर् -- 7,830,682 वगथ ककमी
2 िर्डमरूमध्य – बास िर्सजन्तध
सेशेपस
7 पठार –सम्पूणथ महाद्वीप एक पठार है 3 पवथत –ग्रेि डडववडडंग रें ि
4 उच्चतम बबंदु – कोशूइश्को (2,228 मी)
8 मरूस्त्र्र् – कार्ाहारी, सहारा, नामीब
5 ननम्नतम बबंदु – आयर झीर् (-15.8 मी)
उत्तरी अमेररका 6 द्वीप समह
ू – तस्त्माननया
1 क्षेरफर् -- 24,235,280 वगथ ककमी 7 पठार—पजश्चमी पठार
2 िर्डमरूमध्य – बेररंग िर्संर्ध 8 मरूस्त्र्र्—र्गब्सन मरूस्त्र्र्, ग्रेि सैंडी मरूस्त्र्र्, ग्रेि ववतिोररया
3 पवथत—रॉकी, अप्पर्ेशशयन, ब्त
ु स, कुस्त्कोकववम, अर्ास्त्का रें ि, डेििथ , शसम्पसन मरूस्त्र्र्.
कास्त्केड रें ि, तिीय रें ि, शसएरा नेवादा, शसएरा माड्रे
यरू ोप महाद्वीप
4 उच्चतम बबंदु – मेककन्तर्ी (6,194 मी)
1) यरू ोप का छठवां स्त्र्ान है। इसकी सीमा पजश्चम में आकथदिक सागर
5 ननम्नतम बबंदु –मत
ृ घािी (-85.9 मी)
और दक्षक्षण में भम
ू ध्यसागर जस्त्र्त है । परू ब में, यह यरू ार् पवथत,
6 द्वीप समूह –ग्रीनर्ैंड, बेकफन, ववतिोररया, न्तयूफाउं डर्ैंड, तयूबा,
काकेशश पवथत तर्ा कैजस्त्पयन सागर द्वारा एशशया से अर्ग होता है।
िमैका, है ती
• ररतिाववक को ‘द स्त्मोककं ि बे’ के रूप में भी िाना िाता है ।
7 नददयााँ – शमशसशसपी, शमसौरी, सेंि र्ॉरें स, मकेन्तज़ी, कोर्ोराडो, हडसन,
• डेनमाकथ स्त्कैं डेनवे वया का सबसे छोिा दे श है।
पोिोमैक, ओदहयो
• ग्रीनर्ैंड दनु नया का सबसे बड़ा द्वीप है और फराओ आइर्ैंड्स भी
8 पठार -- कोर्ंबबया पठार, कोर्ोराडो पठार, मैजतसकन पठार, कनाडाई
डेनमाकथ से संबर्ं धत हैं।
शीपड
• डेनमाकथ की रािधानी कोपेनहे गन को बाजपिक की कंु िी के रूप में भी
9 मरूस्त्र्र्-- र्चहुआहुआन, कोर्ोराडो, मोिेव, सोनोरान
िाना िाता है ।
दक्षक्षण अमेररका • कफ़नर्ैंड वन और झीर्ों की भशू म के रूप में िाना िाता है।
1 क्षेरफर् -- 17,820,770 वगथ ककमी • कफ़नर्ैंड की रािधानी और सबसे बड़े शहर, हे र्शसंकी को उत्तर का
2 िर्डमरूमध्य – मैगेर्न िर्सजन्तध ‘व्हाइि शसिी’ के रूप में िाना िाता है।
3 पवथत –एंडीि • स्त्वीडन की रािधानी, स्त्िॉकहोम को सागर में सौंदयथ के रूप में िाना
4 उच्चतम बबंदु – अकांकागुआ (6,960 मी) िाता है ।
5 ननम्नतम बबंद-ु वापडेस पेननन (-39.9 मी) • शमर्ान को इिर्ी का मैनचेस्त्िर कहा िाता है ।
6 द्वीप समह
ू - गैर्ापागोस, फ़ॉकर्ैंड, िीएरा डेर् फ़्यूगो • रोम को सात पहाडड़यों का शहर कहा िाता है
7 नददयााँ -- अमेज़़ॅन, ओररननको, परागुए, पराना, उरुग्वे • • वैदिकन शसिी सबसे छोिा संप्रभु और स्त्वतंर दे श है िो परू ी तरह से
8 पठार -- बोशर्ववया का पठार, एतवाडोर का पठार इिर्ी से नघरा हुआ है।
मध्यकािीन भारत
750-1200 ईस्त्वी के मध्य भारत 5) शसंह वमाथ द्ववतीय के पर
ु , शसंह ववटणु ने 575 ई. में चोर्ों/कार्भ्र की
इस कार् को भारतीय इनतहास में पूवथ मध्यकार् के नाम से िाना िाता है . सत्ता को कुचर्कर अपने साम्राज्य की पुनस्त्र्ाथपना की.
पररचय 6) 670 में, परमेश्वर वमाथ प्रर्म गद्दी पर बैठा. उसने चार्ुतय रिा
इस कार् को ननम्न दो दहस्त्सों में बांिते हैं :- वविमादद्य प्रर्म को आगे बढ़ने से रोका. हार्ााँकक चार्ुतयों ने पपर्वों
(a) 750-1000 ईस्त्वी; (b) 1000-1200 ईस्त्वी के एक अन्तय प्रशसद्द शरु पांड्य रािा अररकेसरी मारवमाथ से हार् शमर्ा
शर्या और परमेश्वर वमाथ प्रर्म को पराजित कर ददया.
प्रर्म चरण को भारत में तीन मह्वपण
ू थ शजततयों के उदय के रूप में िान 7) 695 ई. में परमेश्वर वमाथ प्रर्म की म्ृ यु हो गई और एक शांनतवप्रय
िाता है . ये र्ीं – उत्तर भारत में गुिरथ प्रनतहार, पुवथ भारत में पार् और
शासक नरशसंह वमाथ द्ववतीय उसका उत्तरार्धकारी बना. उसे कांची में
दक्षक्षण भारत में राटट्रकूि. ये शजततयां उत्तर भारत के ‘गंगा के क्षेर’ पर प्रलसद्द कैिाशनार् मंहदर बनवाने के शर्ए िाना िाता है . 722 ई. में अपने
अपने आर्धप्य के शर्ए आपस में र्गातार संघषथ करती रहती र्ीं. इन
बड़े बेिे की अचानक म्ृ यु के दःु ख में उसकी म्ृ यु हो गई.
तीन महाशजततयों का संघषथ “बरपक्षीय संघषथ” के नाम से िान गया.
8) 722 ई. में उसका छोिा पर
ु परमेश्वर वमाथ द्ववतीय गद्दी पर बैठा. वह
730 ई. में बबना की वाररस के ही म्ृ यु को प्राप्त हो गया जिससे पपर्व
द्ववतीय चरण (1000-1200 ई.) में हम तीन शजततयों के बबखराव और
राज्य में एक अव्यवस्त्र्ा व्याप्त हो गई.
पतन को दे खते हैं. फर्स्त्वरूप, पूरे देश में ववशभन्तन छोिे साम्राज्यों का
9) साम्राज्य के कुछ अर्धकारीयों और ररश्तेदारों के सार् घरे र्ु युद्ध के
िन्तम हुआ. ये वे राज्य र्े जिन्तहोंने 11वीं और 12वीं शताब्दी में उत्तर-
बाद नंदी वमाथ द्ववतीय गद्दी पर बैठा. उसने राटट्रकूि रािकुमारी रीतादे वी
पजश्चम में महमूद गिनवी और मोहम्मद गोरी के नेत्ृ व वार्े तुकी
से वववाह ककया और पपर्व राज्य को पुनः स्त्र्ावपत ककया.
आिमण को रोका और संघषथ ककया, र्ेककन आिमणकाररयों के खखर्ाफ
10) उसका उत्तरार्धकारी दंतीवमाथ (796-846) बना जिसने 54 वषों तक
कोई संयुतत मोचाथ न बना पाने के कारण अंततः वे असफर् हुए.
शासन ककया. दंतीवमाथ पहर्े राटट्रकूि शासक दंतीदग
ु थ द्वारा और कफर
पपिव वंश पांड्य शासकोण द्वारा पराजित हुआ. 846 में नंदीवमाथ तत
ृ ीय उसका
1) दक्षक्षण भारत में पपर्व वंश का उदय उस समय हुआ िब सातवाहन उत्तरार्धकारी बना.
वंश अपने पतन की ओर र्ा. 11) नंदीवमाथ तत
ृ ीय का उत्तरार्धकारी नप
ृ तुंगवमाथ र्ा जिसके दो भाई
2) शशवस्त्कंदवमथन को पपर्व वंश का संस्त्र्ापक माना िाता है . अपराजितवमाथ और कंपवमाथ र्े.
3) पपर्व शासकों ने अपने शासनकार् में कांची को अपनी रािधानी चोर् रािा ने अपराजितवमाथ को पपर्व राज्य में गहृ युद्ध छे ड़ने के शर्ए
बनाया. भड़काया. बाद में अपराजित वमाथ शसंहासन पर बैठा.
4) इस कार् के प्रमुख शासक र्े : शसंघवमाथ प्रर्म, शशवस्त्कंदवमथन प्रर्म,
चािुतय
वीरकुचथ, शान्तदवमाथ द्ववतीय, कुमाववथटणु प्रर्म, शसंघवमाथ द्ववतीय, और
कनाथिक शासक, चार्ुतयों के इनतहास को तीन कार्ों में बांिा िा सकता है
ववटणुगोप.
:
ववटणुगोप के बारे में खा िाता है कक वह समुद्रगप्ु त से युद्ध में पराजित हो
1) प्रारं शभक पजश्चम कार् (छठी – 8वीं शताब्दी) बादामी (वातापी) के
गया र्ा जिसके बाद पपर्व कमिोर पड़ गए.
चार्ुतय;
5. 631 तक चार्ुतय साम्राज्य का ववस्त्तार इस समुद्र से उस समुद्र तक 5) रािराि प्रर्म (985-1014) के शासन के दौरान चोर् अपने शीषथ पर
र्े. उसने राटट्रकूिों से अपना क्षेर वापस छीन शर्या और चोर् शासकों में
हो चुका र्ा. हार्ााँकक 642 में पपर्व शासक नरशसंहवमाथ प्रर्म ने
चार्ुतय रािधानी बादामी पर आिमण कर ददया और पुर्केशशन सवाथर्धक शजततशार्ी बन गया. उसने तंिावुर (तशमर्नाडु) में भगवान
शशव का एक सन्त
ु दर बनवाया. यह उसके नाम से रािरािेश्वर कहर्ाया.
द्ववतीय को परास्त्त कर उसकी ह्या कर दी.
6) रािराि प्रर्म का पर
ु , रािेंद्र चोर् (1014-1044), इस वंश का एक
6. चार्ुतयों का उभार एक बार पुनः हुआ िब वविमादद्य प्रर्म (655-
अन्तय मह्वपण
ू थ शासक र्ा जिसने उड़ीसा, बंगार्, बमाथ और अंडमान एवं
681), ने अपने समकार्ीन पांड्य,पपर्व, चोर् और केरर् के शासकों
ननकोबार द्वीप पर अपना आर्धप्य स्त्र्ावपत कर शर्या. इसके
को परास्त्त कर उस क्षेर में चार्ुतयों की सवोच्चता स्त्र्ावपत की.
शासनकार् के दौरान भी चोर् वंश की प्रशसद्र्ध चरम पर र्ी.
7. वविमादद्य द्ववतीय (733-745) ने पपर्व साम्राज्य के एक बड़े क्षेर
इसने श्री र्ंका पर भी अपना कब्ज़ा ककया र्ा.
पर अपना अर्धकार िमाने के शर्ए पपर्व रािा नंदीवमाथ द्ववतीय को
7) कुर्ोत्तंग
ु प्रर्म (1070-1122) एक अन्तय मह्वपण
ू थ चोर् शासक र्ा.
परस्त्त ककया.
कुर्ोत्तंग
ु प्रर्म ने दो साम्राज्यों वेंगी के पव
ू ी चार्त
ु य और तंिावरु के चोर्
8. वविमादद्य द्ववतीय का पुर, कीनतथवमाथ द्ववतीय (745), राटट्रकूि
वंश के संस्त्र्ापक दं तीदग साम्राज्य को िोड़ ददया. आदद सदी के र्म्बे शासन के बाद 1122
ु थ द्वारा हर ददया गया.
ई.कुर्ोत्तंग
ु प्रर्म की म्ृ यु हो गई और उसका पर
ु वविम चोर्, जिसे
मदरु ई के पाण््य (छठी से 14वीं शताब्दी) ्यागसमद्र
ु भी कहते र्े, उसका उत्तरार्धकारी बना.
1) दक्षक्षण भारत में शासन करने वार्े सबसे परु ाने वंशों में से एक पाण्ड्य 8) चोर् वंश का अंनतम शासक रािेंद्र तत
ृ ीय (1246-79) र्ा. वह एक
भी र्े. इनका वणथन कौदिपय के अर्थशास्त्र और मेगस्त्र्नीि के इंडडका में कमिोर शासक र्ा जिसने पांड्यों के समक्ष समपथण कर ददया. बाद में
भी शमर्ता है . माशर्क काफूर ने 1310 में इस तशमर् राज्य पर आिमण कर ददया और
2) इनका सबसे प्रशसद्द शासक नेंडूिेशर्यन र्ा जिसने मदरु ई को अपनी चोर् साम्राज्य समाप्त हो गया.
रािधानी बनाया.
3) पाण्ड्य शासकों ने मदरु ई में एक तशमर् सादहज्यक अकादमी की राटरकूि
स्त्र्ापना की जिसे संगम कहा िाता है . उन्तहोंने ्याग के वैददक धमथ को 1) दं तीदग
ु थ (735-756) ने इस साम्राज्य की स्त्र्ापना की. राटट्रकूिों ने
अपनाया और ब्ाम्हण पुिाररयों का संरक्षण ककया. उनकी शजतत एक चार्ुतयों को उखड फेंका और 973 ई. तक शासन ककया.
4) छठी सदी के अंत में एक बार पुनः पांड्यों का उदय हुआ. उनका प्रर्म द्रववड़ शैर्ी के एर्ोरा के प्रशसद्द कैर्ाशनार् मंददर का ननमाथण करवाया.
3) इस वंश के अन्तय शासक र्े गोववन्तद द्ववतीय (774- 780), ध्रुव (780-
मह्वपूणथ शासक दन्तु दंग
ु न (590-620) र्ा जिसने कार्भ्रों को परस्त्त कर
790), गोववन्तद तत
ृ ीय (793-814) और अमोघवषथ नप
ृ तुंग प्रर्म (814-
पांड्यों के गौरव की स्त्र्ापना की.
887).
• प्रस्त्ताववत खरु ासान अलभयान: सुपतान ने ववश्व वविय का र्क्ष्य रखा. सैयद वंश
उसने खुरासान और इराक़ पर वविय का फैसर्ा ककया और इस हे तु एक • खखज्र खां (1414-21)
ववशार् सेना तैयार की. उसे उन खुरासानी अमीरों से उ्साह शमर्ा • मुबारक शाह (1421-34)
जिन्तहोंने उसके दरबार में शरण र्ी र्ी. द्स्त्स्त्र् ही खुरासान में अर्ोकवप्रय • मुहम्मद शाह (1434-43)
शासक अबू सैयद के कारण अजस्त्र्रता र्ी. खरु ासान में रािनीनतक जस्त्र्नत • आर्म शाह (1443-51)—यह अंनतम सैयद शासक र्ा जिसने ददपर्ी
में पररवतथन के कारण यह योिना स्त्र्र्गत करनी पड़ी. पर बहर्ोर् र्ोदी का दावा स्त्वीकार कर सत्ता उसे सौंप दी और र्ोदी वंश
की नींव पड़ी.
• करागचि अलभयान: यह अशभयान दहमार्यी क्षेर कुमाऊाँ की पहाडड़यों में िोदी वंश
चीनी आिमण के िवाब में ककया गया र्ा. ऐसा भी कहते हैं कक अशभयान
कुमाऊाँ-गढ़वार् क्षेर की कुछ घुमंतू िनिानतयों के खखर्ाफ र्ा ताकक उन्तहें बहिोि िोदी : 1451-88
ददपर्ी सपतनत के अंतगथत र्ाया िा सके. पहर्ा हमर्ा तो सफर् रहा • बहर्ोर् र्ोदी एक अफ़ग़ान सरदार र्ा जिसने तैमूर के आिमण के बाद
ककन्ततु वषाथ का मौसम प्रारं भ होने के बाद आिमणकारी हमर्ावर हो गए. खुद को पंिाब में स्त्र्ावपत कर शर्या र्ा.
• इसने र्ोदी वंश की स्त्र्ापना की.
अिुन
थ दे व को ववद्रोही रािकुमार को आशीवाथद दे ने के शर्ए फांसी (1606) के शर्ए संघषथरत र्े.
• सत्ता के शर्ए इस खींचतान में उसकी बेदियां भी ककसी न ककसी भाई के
दे दी गई.
• उसके अंनतम वषों में उसके बेिे खरु थ म (शाहिहााँ) ने (1622-25) और सार् र्ी. िहााँआरा डरा के समर्थन में र्ी. रोशन औरं गिेब के समर्थन में
र्ी और गह
ु ारा मरु ाद का समर्थन कर रही र्ी.
उसके सेनापनत महावत खां ने (1626-27) भी बगावत कर दी.
• औरं गिेब ऐसा इकर्ौता मग़
ु र् सम्राि र्ा जिसका दो बार राज्य
• उसने पारसी भाषा में अपनी आ्मकर्ा तुिुक-ए-िहांर्गरी शर्खी.
अशभषेक ककया गया.
• उसे र्ाहौर में दफ़नाया गया.
• ववदेशी यारी बननथयर ने दे वराई के यद्
ु ध में दारा की हार के बाद उसका
सावथिननक अपमान दे खा र्ा.
• अपने शासन के प्रारं शभक 23 वषों (1658-81) तक औरं गिेब का ध्यान
उत्तर भारत पर केजन्तद्रत रहा. इस दौरान शशवािी के नेत्ृ व में मराठा एक
बड़ी शजतत बनकर उभरे जिन्तहें औरं गिेब को बराबर की मान्तयता दे नी
पड़ी.
• इसके शासन में मग़
ु र्ों की सेवा में सवाथर्धक दहन्तदू मनसबदार र्े.
• औरं गिेब ने शसखों के नौंवें गरु
ु , गरु
ु तेगबहादरु को 1675 में र्गरफ़्तार
कर शर्या और उनके इस्त्र्ाम न स्त्वीकार करने पर उन्तहें क़्र् कर ददया.
• गरु
ु तेग बहादरु के पर
ु और दसवें एवं अंनतम शसख गरु
ु , श्री गरु
ु गोववन्तद
शसंह ने अपने अनय
ु ानययों को सैन्तय शजतत के रूप में संगदठत ककया जिसे
खार्सा कहा गया.
शाह जहाँ
• हार्ााँकक 1708 में दतकन में एक अफ़गान द्वारा गुरु गोववन्तद शसंह की
• इसका वास्त्तववक नाम खुरथम र्ा. यह िोधाबाई (रािा िगत शसंह) की
ह्या कर दी गई. र्ेककन गरु
ु गोववन्तद शसंह के सैननक शशटय बंदा बहादरु ने
पुरी के गभथ से पैदा हुआ र्ा.
मुघर्ों के खखर्ाफ़ युद्ध िारी रखा.
• अपने वपता की म्ृ यु के बाद 1628 में शाहिहााँ गद्दी पर बैठा.
• गद्दीनशीं होने के तीन वषों के बाद उसकी वप्रय प्नी मुमताि महर् औरं िजेब की धालमथक नीनत
(वास्त्तववक नाम अज़म
ुथ ंद बानो) की 1631 में म्ृ यु हो गई. उसकी यादों को • वो खुद को जज़न्तदापीर या जिंदा संत कहता र्ा.
स्त्र्ायी बनाने के शर्ए इसने 1632-53 में आगरा में तािमहर् का ननमाथण • ववशभन्तन ववषयों में नैनतक ननयमों के पार्न के शर्ए उसने मुहतशसब
करवाया. ननयुतत ककये र्े.
• इसने दरबार में चार-तस्त्र्ीम की शरु
ु आत की. • उसने दरबार में गायन आर प्रनतबंध र्गा ददया र्ेककन संगीत की
अनुमनत दी. वह स्त्वयं वीणा बिाता र्ा.
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• उसने अकबर द्वारा शुरू ककये गए झरोखा दशथन को समाप्त करवा • प्रान्ततों को सरकारों/जिर्ों में बांिा गया र्ा. जिर्ों को कई परगना और
ददया. कफर परगना ग्राम में ववभाजित र्ा.
• उसने आदे श पाररत ककया कक कोई भी नया दहन्तदू मंददर नहीं बनवाया
िाएगा.पुराने मंददरों के मरम्मत की अनुमनत र्ी. मुग़ि संस्त्कृनत
• िहााँगीर के शासनकार् में मग़
ु र् र्चरकर्ा अपने चरम पर र्ी िबकक
• उसने काशी का ववश्वनार् मंददर और मर्ुरा में वीर शसंह बुंदेर्ा का केशव
शाहिहााँ के समय में वास्त्तुकर्ा अपने सवोच्च स्त्र्ान पर र्ी.
मंददर नटि करवा ददया.
• 1679 में उसने िजज़या कर पुनः र्ागू कर ददया. • बाबर ने दो मजस्त्िद, एक पानीपत के काबुर्ीबाग में और दस
ू री
रोदहर्खंड के संभर् में बनवाई.
• हुमायूाँ का मकबरा उसकी ववधवा हािी बानू बेगम ने बनवाया र्ा.
मराठों से संघषथ • सीकरी में बने हुए मररयम पैर्ेस, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास
• शशवािी सवाथर्धक शजततशार्ी मराठा रािा र्े और औरं गिेब के सबसे भारतीय शैर्ी में ननशमथत हैं.
बड़े शरु र्े.
• बुर्ंद दरवाज़ा (गुिरात ववय के बाद बनवाया गया), फतेहपरु सीकरी का
• िब औरं गिेब उन्तहें पराजित करने में असफर् रहा तब उसने शशवािी मुख्य प्रवेशद्वार बना.
को पराजित करने के शर्ए 1665 में अम्बेर के रािपत
ू , रािा ियशसंह के • सर्ीम र्चस्त्ती का मक़बरा (िहााँगीर द्वारा संगमरमर से पुनः बनवाना)
सार् शमर्कर षड़यंर रचा. पूरी तरह संगमरमर में बनी पहर्ी मुग़र् ईमारत है. बीरबर् का महर् और
• ियशसंह के आश्वासन पर शशवािी औरं गिेब के दरबार में आये. शशवािी
तानसेन का महर् भी फतेहपुर सीकरी में ही है.
को धोखे से बंदी बना शर्या गया र्ेककन वे भाग ननकर्ने में सफर् रहे
• अकबर ने शसकंदरा में अपने मकबरे का ननमाथण खुद शुरू करवाया र्ा
और 1674 में स्त्वयं को एक स्त्वतंर रािा घोवषत कर ददया.
जिसे बाद में िहााँगीर ने परू ा ककया.
• 1680 में शशवािी की म्ृ यु के बाद उनका पुर संभािी शसंहासन पर बैठा
• फतेहपुर सीकरी की वास्त्तुकर्ा ‘र्ार् बर्ुआ प्र्र में महाकाव्य’ के रूप
जिसकी औरं गिेब ने 1689 में ह्या कर दी. संभािी के बाद उनके भाई में िानी िाती है .
रािाराम ने शासन संभार्ा और उनकी म्ृ यु के बाद उनकी ववधवा
• नरू िहााँ ने ए्मातउद्ददौर्ा या शमज़ाथ गयास बेग का संगमरमर का
ताराबाई ने आन्तदोर्न ककया.
मकबरा आगरा में बनवाया जिसे प्रर्म बार पेट्रा ड्यरू ा (अद्थधकीमती
प्र्रों का बना हुआ फूर्ों की नतकाशी) के प्रयोग के शर्ए िाना िाता है .
मुग़ि प्रशासन
• िहााँगीर ने र्ाहौर में मोती मजस्त्िद और शाहदरा (र्ाहौर) में अपनी
मनसबदारी व्यवस्त्र्ा:
समार्ध बनवाई.
• प्र्येक मुग़र् अर्धकारी को एक मनसब (पद) ददया गया र्ा. कुर् 66
• शाहिहााँ द्वारा आगरा में बनवाई गई प्रमख
ु इमारतें हैं – मोती मजस्त्िद
तरह के मनसबदार र्े.
(संगमरमर की इकर्ौती मजस्त्िद), ख़ास महर्, मस्त्
ु स्त्मम बज़
ु थ (चमेर्ी का
• िहााँगीर ने द-ु अस्त्पाह और शसह-अस्त्पाह प्रणार्ी की शुरुआत की जिससे
महर् िहााँ उसने अपना कारावास के अंनतम वषथ गि
ु ारे ) आदद.
ववशेष अमीरों के पास घुड़सवारों की संख्या दग
ु ुनी कर दी गई.
• इसने 1637 में शाहिहानाबाद की नींव रखी िहााँ इसने र्ार् ककर्ा और
केंद्रीय प्रशासन: तख़्त-ए-ताउस (मोर का शसंहासन) बनवाया.
वकीि: ये प्रारं भ में प्रधानमंरी होता र्ा र्ेककन बाद में इसे केवर् रािस्त्व • र्ार् ककर्ा में औरं गिेब द्वारा बनवाई गई एकमार ईमारत मोती
सर्ाहकार बना ददया गया. मजस्त्िद है .
मीर बतशी: यह सैन्तय ववभाग का प्रमुख होता र्ा. • औरं गिेब से सम्बंर्धत एकमार स्त्मारक बीबी का मकबरा है िो उसकी
बीवी राबबया-उड़-दौरा का मकबरा है .
प्रांतीय प्रशासन : • औरं गिेब ने र्ाहौर में बादशाही मजस्त्िद भी बनवाई.
• साम्राज्य को प्रान्ततों या सब
ू ों में बांिा गया र्ा. • हुमायूाँ ने अपनी सेवा में दो र्चरकार मीर सैयद अर्ी और अब्दस
ु समद
• 1580 में अकबर ने साम्राज्य को 12 प्रान्ततों में बााँि ददया र्ा. इसके को रखा र्ा.
शासन समाप्त होने तक इन सब
ू ों की संख्या बढ़कर 15 हो गई र्ी. • दसवंत और बासवान अकबर के दरबार में दो प्रशसद्द र्चरकार र्े.
• िहााँगीर के शासनकार् में सब
ू े बढ़कर 17 हो गए और कफर आगे • अब्दर्
ु हसन, उस्त्ताद मंसूर और बबशनदास िहााँगीर के दरबार में तीन
औरं गिेब के समय में इनकी संख्या 21 हो गई. प्रशसद्द र्चरकार र्े.
• नाजज़म या सब
ू ेदार, प्रान्तत का प्रमख
ु होता र्ा.
अकबर के शासन में घिी प्रमुख घिनाएं
स्त्र्ानीय प्रशासन : 1562 अिमेर का पहर्ी बार दौरा ककया
1562 युद्ध-बंददयों को ताक़त के दम पर गुर्ाम बनाना
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1563 तीर्थयारा कर की समाजप्त 8. मुग़र् वंश का अंनतम शासक कौन र्ा ?
1564 िजज़या कर की समाजप्त उत्तर. बहादरु शाह ज़फ़र
1571 फतेहपुर सीकरी की स्त्र्ापना 9. बहादरु शाह ज़फ़र को ददपर्ी से कहााँ ननवाथशसत ककया गया ?
1574 मनसबदारी प्रर्ा की शुरुआत उत्तर. रं गून
1575 इबादतखाना बनाया गया 10. बहादरु शाह ज़फ़र की म्ृ यु कहााँ हुई ?
1578 इबादतखाना में ववशभन्तन धमों की पररषद् उत्तर. रं गून में
1579 मज़हर की घोषणा (फैिी द्वारा शर्खखत) 11. तािमहर् का वास्त्तुकार कौन र्ा ?
1580 दह्सशार्ा बदोबस्त्त की शुरुआत उत्तरr: उज़्ताद इज़ा
1582 दीं-ए-इर्ाही/तौहीद-ए-इर्ाही 12. र्ार्ककर्े का द्वार ककस नाम से िाना िाता है ?
1584 इर्ाही संवत यानन पंचांग/कैर्ेंडर उत्तर: िाहौर िेि
1587 इर्ाही गि 13. भारत में सबसे बड़ी मजस्त्िद कौन सी है ?
उत्तर : हदपिी की जामा मष्स्त्जद
मुग़ि साहहत्य
• अकबर नाम – अबुर् फज़र् बहादरु शाह प्रर्म (1707-12)
• तोबकात–ए-अकबरी – ख्वाज़ा ननिामुद्दीन अहमद बतश • 1707 में औरं गज़ेब की म्ृ यु के बाद, मुअज्ज़म उसका उत्तरार्धकारी
• इकबार्नामा-ए-िहांर्गरी – मह
ु म्मद खां बना.
• आइन-ए-अकबरी – अबुर् फज़र् • इसने बहादरु शाह की उपार्ध धारण की.
• पादशाह नामा –अब्दर्
ु हाशमद र्ाहोरी • हार्ााँकक यह काफी वद्ृ ध (65 वषथ) र्ा और उसका शासन बहुत छोिा र्ा
• शाहिहााँ नामा – मुहम्मद सार्ेह कफर भी उसकी अनेक उपर्जब्ध र्ीं.
• शसरथ -ए-अकबर – दारा शशकोह • इसने औरं गज़ेब की संकीणथ और कट्िरपंर्ी नीनतयों को बदर् ददया.
• सफीनत-उर्-औशर्या –दारा शशकोह • रािपत ू राज्यों के सार् समझौते ककये.
• मिमा-उर्-बहरीन – दारा शशकोह • मराठों को सरदे शमख ु ी वसर्
ू ने की छूि दी र्ेककन चौर् की नहीं.
• रतक़त-ए-आर्मर्गरी –औरं गिेब • संभािी के परु साहूिी, जिसने बाद में ताराबाई से यद्
ु ध ककया को, िेर्
1. ककस मुग़र् बादशाह को भारतीय इनतहास में शाह-ए-बेखबर कहा िाता से ररहा कर ददया
है ? • गरु
ु गोबबंद शसंह को एक बड़ा मनसब दे कर उनके सार् मेर्-शमर्ाप
उत्तर. बहादरु शाह बनाया.
2. ककस मुग़र् शासक के समय में बंदा बहादरु के नेत्ृ व में पंिाब में शसख • गरू
ु िी की म्ृ यु के बाद, शसखों ने पन
ु ः बंदा बहादरु के नेत्ृ व में यद्
ु ध
शजतत का उदय हुआ ? आराम कर ददया जिससे शसखों के सार् दीघथकार्ीन संघषथ प्रारं भ हो
उत्तर. बहादरु शाह गया.
3. औरं गिेब द्वारा पन
ु ः र्गाये गए िजज़या कर को ककसने समाप्त कर • िाि नेता चड़
ू ामन और बंद
ु ेर्ा नेता छरसार् के सार् भी शांनत स्त्र्ावपत
ददया ? की.
उत्तर. िहांदार शाह • राज्य की ववत्त व्यवस्त्र्ा बेहद ख़राब हो गई.
4. अहमद शाह अब्दार्ी कौन र्ा ?
जहांदार शाह (1712-13)
उत्तर. वाह नाददर शाह का रक्षा मंरी र्ा.
• बहादरु शाह की म्ृ यु ने साम्राज्य को गहृ युद्ध की ओर धकेर् ददया.
5. पानीपत का तीसरा यद्
ु ध कब और ककसके बीच र्ड़ा गया ?
• इस कार् के दौरान अमीर/सरदार बेहद प्रभावी हो गए.
उत्तर. 1761 ई. में अहमदशाह अब्दार्ी और मराठों के बीच में.
• बहादरु शाह का पुर िहांदार शाह, ज़जु पफ़कार खां की सहायता से 1712
6. ककस मग़
ु र् शासक ने 1764 में, बंगार् के नवाब मीर काशसम और
में र्गद्दी पर बैठा.
अवध के नवाब शसरि-उद-दौर्ा के पक्ष में और बब्दिश शासन के खखर्ाफ
• यह सुख सवु वधाओं में डूबा रहे ने वार्ा अयोग्य व कमिोर शासक र्ा.
बतसर के यद्
ु ध में भाग शर्या र्ा ?
• इसका विीर, ज़जु पफ़कार खां वास्त्तववक प्रशासक बन बैठा र्ा.
उत्तर. शाह आर्म द्ववतीय.
• ज़ुजपफ़कार खां ने िजज़या समाप्त कर ददया.
7. ककस मग़
ु र् शासक ने बतसर के यद्
ु ध के बाद बंगार्, बबहार और उड़ीसा
• रािपूतों के सार् शांनत स्त्र्ावपत की; अम्बेर के ियशसंह को मार्वा का
की दीवानी अंग्रेिों को दे दी र्ी ?
और मारवाड़ के अजित शसंह को गुिरात का सूबेदार ननयुतत ककया
उत्तर. शाह आर्म द्ववतीय
गया.
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• दतकन की चौर् और सरदे शमुखी मराठों को इस शतथ पर दे दी गई कक • यह कमिोर ददमाग वार्ा, तुच्छ, अ्यर्धक शौक़ीन और सुववधाभोगी
इसकी वसूर्ी मुग़र् अर्धकारी करें गे और कफर मराठों को सौंप देंगे. र्ा.
• शसखों और बंदा बहादरु के दमन की नीनत िारी रखी. • प्रशासन के प्रनत र्ापरवाह र्ा.
• इिारा : भू-रािस्त्व की वसूर्ी को ठे के पर दे ददया गया जिसके तहत • अपने मंबरयों के खखर्ाफ ही साजिश रचता र्ा.
बबचौशर्ए को एक ननजश्चत रकम सरकार को दे नी होती र्ी िबकक वह • इसका वज़ीर, ननज़ाम-उर्-मुपक (र्चनककशर्च खां) अपना पद छोड़
ककसानों ने अपने मनमाकफ़क वसूर्ी करने के शर्ए स्त्वतंर र्ा. 1724 में हैदराबाद राज्य की स्त्र्ापना की.
• िहांदार शाह िनवरी 1713 में अपने भतीिे फरुथ ख शसयार द्वारा • “उसका िाना साम्राज्य से वफादारी और सदाचारों के उड़ िाने का
आगरा में हराकर मार ददया गया. प्रतीक र्ा”
• बंगार्, हैदराबाद, अवध और पंिाब में अनुवांशशक नवाबों की उ्पवत्त
र्रुथ तख लसयर (1713-19)
हुई.
• सैयद बंधुओं हुसैन अर्ी खां बराहा और अब्दप
ु र्ा खां की मदद से • मराठों ने मार्वा, गुिरात और बुंदेर्खंड पर अर्धकार कर शर्या.
ववियी हुआ.
• इसने अब्दप
ु र्ा खां को वज़ीर और हुसैन अर्ी को मीर बतशी का पद 1738 : नाहदर शाह का आक्रमण
ददया. • र्गातार ककए गए अशभयानों ने पशशथया को ददवाशर्या बना ददया र्ा.
• फरुथ खशसयर एक अयोग्य शासक र्ा. सैयद बंधू वास्त्तववक शासक बन नाददरशाह भारत की अकूत धन दौर्त से आकवषथत होकर यहााँ आया
गए र्े. र्ा.
• मुग़र् साम्राज्य भी कमिोर हो चर्ा र्ा.
• सैयद बंधू
• उत्तर-पजश्चमी सीमा र्म्बे समय तक ध्यान ण ददए िाने के कारण
1. भारतीय इनतहास में ककं गमेकर के नाम से िाने िाते हैं.
असरु क्षक्षत हो गई र्ी और ककसी ववरोध की सम्भावना नहीं र्ी.
2. धाशमथक सदहटणत
ु ा की नीनत अपनाई. पुनः िजज़या को समाप्त कर • दोनों सेनाएं 13 फरवरी 1739 ई. को कनथर् में शभड़ीं. मग़
ु र् सेना परू ी
ददया.
तरह परास्त्त हो गई और मह
ु म्मदशाह को बंदी बना शर्या गया.
3. अनेक स्त्र्ानों से तीर्थयारा कर समाप्त कर ददया गया.
• नाददर शाह ने ददपर्ी में 57 ददनों तक र्ि
ू -पाि ह्या की
4. मराठा : शाहू िी को स्त्वराज्य ददया और दतकन के 6 प्रान्ततों से चौर् • र्गभग 70 करोड़ रुपये की र्ि
ू हुई सार् ही मयरू शसंहासन (तख़्त-ए-
और सरदे शमुखी वसूर् करने का अर्धकार ददया.
ताउस) और कोदहनरू हीरा अपने सार् र्े गया.
5. ये ववद्रोदहयों को समाववटि करने और दबाने में असफर् रहे तयोंकक
• मह
ु म्मद शाह ने उसे शसन्तधु नदी के पजश्चम के सभी प्रान्तत दे ददए.
इन्तहें र्गातार रािनीनतक प्रनतद्वंददता, र्ड़ाई झगड़े और दरबारी
• मह्व : नाददर शाह के आिमण ने मराठा सरदारों और ववदेशी
षड्यंरों का सामना करना पड़ा.
व्यापाररक कंपननयों के शर्ए मग़
ु र् साम्राज्य की छुपी हुई कमिोरी से
6. ननज़ाम-उर्-मप
ु क और मुहम्मद अमीन खां के नेत्ृ व में अमीरों ने पदाथ हिा ददया.
इनके खखर्ाफ षड़यंर रचने शुरू ककये..
7. सैयद बंधओ
ु ं ने फरूखशसयर को अपदस्त्र् कर ह्या कर दी र्ी. 1719 अहमद शाह अब्दािी
में सैयद बंधू मार ददए गए. • नाददर शाह का एक सेनापनत
8. इससे पहर्े दो युवा रािकुमारों को एक के बाद एक सत्ता पर बैठाया • भारत में ददपर्ी और मर्ुरा के ननकि 1748 और 1761 के मध्य बार-
गया जिनकी बीमारी से म्ृ यु हो गई. बार आिमण ककया और र्ूिपाि मचाई. इसने भारत पर पांच बार
9. सम्रािों की ह्या ने सैयद बंधुओं के खखर्ाफ़ ववद्रोह की र्हर पैदा कर आिमण ककया.
दी. • 1761 : पानीपत का तीसरा युद्ध, मराठों की हार
10. उन्तहें ‘नमक हराम’ की तरह दे खा िाने र्गा. • नाददर शाह और अहमद शाह अब्दार्ी के आिमणों के फर्स्त्वरूप
11. अब उन्तहोंने 18 वषथ के मुहम्मद शाह को दहंदोस्त्तान का बादशाह मुग़र् साम्राज्य, अखखर् भारतीय साम्राज्य नहीं रह गया. 1761 तक
बनाया. यह केवर् ददपर्ी तक शसमि कर गया.
12. 1720 में अमीरों ने सैयद बंधओ
ु ं में छोिे , हुसैन अर्ी खां की ह्या कर
शाह आिम द्ववतीय (1759)
दी.
13. अब्दप
• अहमद बहादरु (1748-54), मुहम्मद शाह का उत्तरार्धकारी बना.
ु र्ा खां भी आगरा में पराजित हुआ.
• अहमद बहादरु का उत्तरार्धकारी आर्मगीर द्ववतीय (1754-59) र्ा.
मुहम्मद शाह ‘रं िीिा’ (1719-1748) • 1756 : अब्दार्ी ने मर्रु ा को र्ूिा
• अर्मगीर द्ववतीय का उत्तरार्धकारी शाहिहााँ तत
ृ ीय बना.
प्रश्न
शाहू : 1707-1749
1. मराठों को संगदठत करने वार्ा पहर्ा व्यजतत कौन र्ा ?
• मुग़र् सम्राि बहादरु शाह ने साहू को मुतत कर ददया.
उत्तर. शशवािी
• खेड़ के युद्ध (1700) में ताराबाई की सेना साहू द्वारा पराजित कर दी
2. मराठा साम्राज्य का संस्त्र्ापक कौन र्ा?
गई और साहू ने सतारा को हड़प शर्या.
उत्तर. शशवािी
• साहू के शासनकार् में, पेशवाओं का उदय और मराठा राज्य का संघ के
3. शशवािी का तया स्त्वप्न र्ा ?
शसद्धांत पर आधाररत एक साम्राज्य में पररवतथन, दे खने को शमर्ता है.
उत्तर. एक ववशार् मराठा साम्राज्य स्त्र्ावपत करना और ववदे शशयों को दे श
बािाजी ववश्वनार् (1714-20): प्रर्म पेशवा से बाहर खदेड़ना
• इसने अपना िीवन एक छोिे से रािस्त्व अर्धकारी के रूप में की र्ी और 4. शशवािी ककस्त्से सवाथर्धक प्रभाववत र्े ?
1708 में साह ने सेनाकते (सेना में गणना करने वार्ा) का पद ददया र्ा. उत्तर. उनकी माता िीिा बाई
• यह 1713 में पेशवा बना र्ा और इस पद को सवाथर्धक मह्वपण
ू थ एवं 5. शशवािी की पहर्ी सैन्तय उपर्जब्ध कौन सी र्ी ?
शजततशार्ी बना ददया इसके सार् ही यह पद पैतक
ृ बना ददया. उत्तर. उनकी पर्ी सैन्तय उपर्जब्ध 1446 ई. में बीिापुर के तोरणा का ककर्ा
• इसने सैयद बंधओ
ु ं-ककं ग मेकर (1719) से एक संर्ध की जिसके द्वारा पर वविय र्ी ?
मग़ ु र् सम्राि फरुथ खशसयर ने साहूिी को स्त्वराज्य का रािा की मान्तयता 6. शशवािी कब और कहााँ अपनी रािधानी बनाई ?
प्रदान की. उत्तर. 1665 ई. में रािगढ़
8. शशवािी ने बीिापुर राज्य के सार् युद्ध कब र्ड़ा ?
बाजीराव प्रर्म: 1720-40 उत्तर. 1659 ई. में, इस यद्
ु ध में बीिापुर का अफज़र् खान मारा गया और
• बार्ािी ववश्वनार् का बड़ा पुर, बािीराव 20 वषथ की आयु में उसका शशवािी को बड़ी मारा में धन प्राप्त हुआ.
उत्तरार्धकारी, पेशवा बना. 8. औरं गिेब ने शशवािी के खखर्ाफ युद्ध के शर्ए ककसे भेिा ?
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उत्तर. शाईश्ता खान को र्ेककन वह युद्ध के मैदान से भाग ननकर्ा. 26. शशवािी ने कौन सी उपार्ध धारण की और ब्ाम्हणों की रक्षा का
9. शशवािी ने गुिरात के ककस शहर को और कब र्ूिा ? संकपप शर्या ?
उत्तर. 1664 ई. में सरू त को. उत्तर. दहन्तदू पादशाही और धमथ का रक्षक
10. औरं गिेब ने अम्बेर के रािा िय शसंह को ककसे मारने के शर्ए भेिा 27. शशवािी की म्ृ यु कब हुई ?
र्ा ? उत्तर. शशवािी. रिा ियशसंह ने बहुत से मराठा ककर्ों पर कब्ज़ा उत्तर. 1680 ई. में
ककया और उन्तहें समझौते के शर्ए मिबरू कर ददया.
11. पुरंदर की संर्ध ककस ककसके बीच हुई र्ी ? भारत में िडे िए प्रमुख यद्
ु ध
हयदास्त्पीस का युद्ध (326 ईस्त्वी पव
ू )थ – पौरव रािा पोरस, शसकंदर द्वारा
उत्तर. शशवािी और औरं गिेब
पराजित हुआ. र्ेककन पोरस की वीरता से प्रभाववत होकर शसकंदर ने
12. शशवािी कब औरं गिेब में दरबार में गए ?
उसका राज्य उसे र्ौिा ददया.
उत्तर. 1666 ई. में
कलिंिा का युद्ध (261 ईस्त्वी पूव)थ – अशोक महान ने कशर्ंग के रािा को
13. शशवािी कब औरं गिेब के दरबार में कैद कर शर्ए गए ?
उत्तर. 1666 ई. में पराजित ककया. इस युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध पंर् अपनाया और
आिीवन उसी का प्रचार ककया.
14. शशवािी ने पुनः सूरत की र्ूि कब की ?
उत्तर. 1670 ई. में तराइन का प्रर्म युद्ध (1191 ई.)- यह युद्ध र्ानेश्वर के ननकि तराइन
में र्ड़ा गया. चौहान वंश के पथ्ृ वीराि चौहान ने मोहम्मद गोरी को हराया.
14. शशवािी ने अपना राज्याशभषेक कब करवाया ?
उत्तर. 1674 ई.. में तराइन का द्ववतीय यद्
ु ध (1192)- यह मोहम्मद गोरी द्वारा पथ्ृ वीराि
15. शशवािी ने अपने ककस बेिे को औरं गिेब की सेवा में भेिा ? चौहान के ववरुद्ध र्दा गया जिसमें पथ्ृ वीराि चौहान पराजित हुआ.
चंदवार का यद्
ु ध (1194)- मोहम्मद गोरी ने कन्तनौि के ियचंद को
उत्तर. शम्भािी
16. शशवािी की सहायता के शर्ए उनके ककतने मंरी र्े ? पराजित ककया.
पानीपत का प्रर्म यद्
ु ध (1526) – बाबर (मग़
ु र् वंश) ने इब्ादहम र्ोदी
उत्तर. आठ मंरी
को हराया.
17. शशवािी के आठ मंबरयों के समूह को ककस नाम से िाना िाता र्ा ?
खानवा का यद्
ु ध (17-March-1527) – मेवाड़ के राणा, राणा सांगा को
उत्तर. अटि प्रधान
बाबर ने पराजित ककया. यद्
ु धभशू म में राणा सांगा बरु ी तरह घायर् हो गए
18. शशवािी के पररषद् में सबसे मह्वपण
ू थ पद कौन सा र्ा ?
र्े.
उत्तर. पेशवा (प्रधानमंरी)
चौसा का यद्
ु ध (7-June-1539) – शेर शाह ने मग़
ु र्ों को पराजित ककया
19. शशवािी के पररषद् में दस
ू रा सबसे मह्वपूणथ पद कौन सा र्ा ?
र्ेककन रािा हुमायूाँ नदी पार कर भाग गया.
उत्तर. आमा्य (ववत्त मंरी)
कन्नौज या बबिग्राम का यद्
ु ध (17-May-1540) –शेर शाह पन
ु ः हुमायूाँ
21. शशवािी की कर प्रणार्ी तया र्ी ?
उत्तर. भशू म कर कुर् उ्पादन का 2/5 दहस्त्सा ननधाथररत र्ा. चौर् और के खखर्ाफ िीता. आगरा शहर पर कब्ज़ा
पानीपत का द्ववतीय यद्
ु ध (5-November-1556) – हे मचन्तद्र
सरदे शमुखी भी राज्य की आय का मुख्य श्रोत र्े.
22. चौर् तया र्ा ? वविमादद्य (हे मू), अकबर द्वारा पराजित.
उत्तर. शशवािी पड़ोसी राज्यों और छोिे ररयासतों पर चढ़ाई करते रहते र्े . तािीकोि का यद् ु ध (1564 - 65) – हुसैन ननज़ाम शाह के नेत्ृ व में
वे हमेशा शशवािी के आिमण के भय में रहते र्े. उन्तहोंने शशवािी से एक बीिापरु , बीदर, अहमदनगर और गोर्कंु डा के बीच गठबंधन और
ववियनगर साम्राज्य के राम रािा की हार
समझौता ककया और शशवािी ने चौर् कर के बदर्े उन पर आिमण न
करने का आश्वासन ददया. चौर् मानक रािस्त्व का ¼ भाग र्ा. हपदीघािी का यद्
ु ध (1576) – यह यद्
ु ध अकबर एवं मेवाड़ के राणा
प्रताप के बीच शुरू हुआ र्ा. हार्ााँकक मग़
ु र् िीते र्े र्ेककन राणा ने कभी
23. सरदे शमुखी तया र्ा?
भी मग़ ु र्ों की अधीनता स्त्वीकार नहीं की.
उत्तर. सरदे शमुखी भी राज्यों और क्षेरों द्वारा एक प्रकार का कर र्ा जिसके
प्रर्म कनाथिक युद्ध (1745–48) - यह यद्
ु ध बब्दिश और फ्रेंच सेनाओं
बदर्े शशवािी उन क्षेरों की अन्तय आिमणकाररयों से रक्षा में सहायता
करते र्े. सरदे शमुखी मानक रािस्त्व का ¼ होता र्ा. के बीच र्ड़ा गया. फ्रांसीशसयों ने मद्रास पर कब्ज़ा कर शर्या, बाद में
अंग्रेिों को र्ौिा ददया.
24. औरं गिेब ककसे पहाड़ी चूहा कहता र्ा ?
द्ववतीय कनाथिक युद्ध (1749–54) – डुप्र्े के नेत्ृ व में फ़्ांशससी अंग्रेिों
उत्तर. शशवािी
से र्ड़े ककन्ततु अंग्रेि ववियी रहे . 1755 में उन्तहोंने एक अस्त्र्ायी संर्ध की.
25. ककस यद्
ु ध कर्ा में मराठा अ्यंत ननपण
ु र्े ?
उत्तर. गरु रपर्ा यद् तत
ृ ीय कनाथिक यद्
ु ध (1756–63) - 1758 में फ्रांसीशसयों ने फोिथ सैंि
ु ध
डेववड पर कब्ज़ा कर शर्या र्ेककन 1760 में वंडीवाश खो बैठे. अंग्रेि िीते.
• रे डडयो काबथन डेदिंग के अनुसार, शसंधु घािी सभ्यता का कार् 2500 – दर्
ु भथ र्ा और घोड़े के बारे में कोई िानकारी नहीं र्ी।
1750 ई.पू. तक माना िाता है। • शसंधु घािी सभ्यता नगर ननयोिन:
• आर.बी. दयाराम साहनी ने 1921 में पहर्ी बार हड़प्पा (रावी पर) की • ववस्त्तत
ृ शहर की योिना र्ी। इसमें र्ग्रड प्रणार्ी का पार्न ककया गया
खोि र्ी। आर.डी बनिी ने 1922 में मोहनिोदड़ो या ‘मत
ृ को का िीर्ा’ र्ा। सड़कें अच्छी तरह से कािी गई र्ी। नगर एक बड़े आयत या वगथ के
(शसंधु पर) खोि की र्ी। सर िॉन माशथर् ने इन दोनों खोिों में एक खण्डों में ववभाजित र्े।
मह्वपूणथ भशू मका ननभाई। • ननमाथण सामग्री के रूप में अच्छी गुणवत्ता की पकी हुई ईंिों का
• हड़प्पा सभ्यता भारत के आद्य इनतहास के भागों के रूपों में है और यह इस्त्तेमार् ककया गया र्ा। समकार्ीन ववश्व में अन्तयर शमट्िी की ईंिों
• इस सभ्यता के र्ोग तांबा, पीतर्, चांदी, सोने के बारे में िानते र्े, • मोहनिोदड़ो में, एक बढ़ा स्त्नानागार (ववशार्) पाया गया, जिसकी माप
र्ेककन इन्तहें र्ोहे का ज्ञान नहीं र्ा। 12मी× 7मी एवं गहराई 2.4 मी र्ी। सतह के दोनों छोरों पर सीडडयां र्ीं