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Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस - Printable - 1714229941005
Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस - Printable - 1714229941005
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Update 16
धर्मवीर यह सुनकर सोचने लगा कि पूजा तो वैसे भी देखने मे औरत ही नजर आती है पूजा पर चढ़ने के ये मौका अच्छा है ।
अब आगे _________
सुबह के 7 बीज चुके थे । पूजा की आंखे खुलीं जो अपनी उपासना दीदी के बराबर में सो रही थी । बाकी घर मे सब सोये हुए
थे।
पूजा ने एक नजर उपासना पर डाली तो उपासना पहले दिन जो धर्मवीर से जमकर चुदी थी उस वजह से ज्यादा थकी हुई
होने के कारण अभी सोई हुई थी ।
पूजा उठकर फ्रे श होने के बाद टूथपेस्ट करके सोचने लगी कि सब तो सोये हुए है क्या किया जाए ।
उसने सोचा कि पापा को जगा देती हूं ये सोचकर पूजा उनके फ्लोर की तरफ जाने लगी ।
जैसे ही पूजा धर्मवीर के रूम के पास जाकर दरवाजा खटखटाने को हुई तभी अचानक अंदर से उसे कु छ आवाज सुनाई दी ।
पूजा ठिठक गयी और चुपचाप गेट से कान लगाकर सुनने लगी ।
धर्मवीर - सोमनाथ जी प्लान तो हमने बना लिया लेकिन तय प्लान के आधार पर दोनों बहु और बेटियों को ये महसूस नही
होना चाहिए कि हमारे खुरापाती दिमाग मे ऐसा कु छ चल रहा है ।
सोमनाथ - समधी जी आप चिंता न करे । हम उनके सामने ऐसा कोई रियेक्ट नही करेंगे जिससे हमारे प्लान पर पानी फिर
जाए।
धर्मवीर - वैसे सोमनाथ जी बहु पर तो मुझे पूरा भरोसा है कि वो इस महासमारोह में पीछे हटने वाली चीज नही है । बस पूजा
की तरफ से थोड़ा परेशानी है कि वो अभी बच्ची है कहीं हार ना मान जाए । ऐसा ना हो पूजा हम दोनों अधेड़ों को देखकर डर
जाए ।
सोमनाथ - मुझे भी ऐसा ही लगता है समधी जी क्योंकि उपासना की तो शादी हो चुकी है उसे तो झेलने की आदत पड़ गयी है
। लेकिन देखा जाए तो पूजा के पिछवाड़े की चौड़ाई भी कम नही है उपासना से । और इतने भरे शरीर की लड़की औरत
बनने की कगार पर ही होती है ।
धर्मवीर - तो क्या सोच रहे हो सोमनाथ जी उसे औरत आप बनाएंगे या ये काम हमे सोपेंगे ।
सोमनाथ - समधी जी अपनी बहू के परखच्चे तो आप कल ही उड़ा चुके हैं । अब हमें भी मौका दीजियेगा और पूजा को औरत
आप ही बनाएगा ।
सोमनाथ - क्यों शर्मिंदा कर रहे है धर्मवीर जी । कल जब आपके साथ उसे देखा तो उसका पिछवाड़ा नजरो से हट नही रह है।
धर्मवीर - मेरी नजरो से भी पूजा का पिछवाड़ा नही हट रहा है । कल जब सीढ़ियों पर वो मेरे आगे चल रही थी तो उसके कू ल्हे
मैंने देखे थे । लंड खाने को बेताब नजर आरही थी पूजा की गांड ।
ये बाते सुनकर पूजा सोचने लगी कि धर्मवीर साला ठरकी है पूरा अपनी बेटी जैसी लड़की कल ही नजर डाल दी थी कु त्ते ने ।
अब दिखाती हूँ मेरा पिछवाड़ा बेताब है कि नही लंड खाने को । ऐसा सोचकर पूजा ने थोड़ा पीछे हटकर आवाज लगाई ।
पूजा ने इस वक्त सूटसलवार ही पहन रखे थे ।
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पूजा बिल्कु ल अनजान बनते हुए - पापा जी पापाजी गेट खोलिये सुबह हो गयी ।
पूजा की आवाज सुनकर दोनों चुप हो गए और सोमनाथ जी गेट खोलने के लिए उठे और गेट खोल दिया।
पूजा अंदर आते हुए - पापाजी सुबह हो गयी चलना नही है क्या घर ।
पूजा ने जैसे ही tv की तरफ देखा एकदम हैरान रह गयी । क्योंकि tv पर बताया जा रहा था कि पूरा देश 21 दिन के लिए
लौकडाउन हो गया है । कोई घर से बाहर नही जा सकता ।
धर्मवीर - hello अनवर बोलो क्या बात हुई और तुमने आज चाय भी नही बनाई अभी तक ।
अनवर - बाबूजी माफ कीजियेगा । रात 3 बजे मेरी आंखें खुली तो मैंने tv चलाकर देखा जिसमे लौकडाउन की खबर थी ।
मैने सोचा गांव में माँ अके ली है और बीमार है तो सोचा कि अब तो उनकी कोई देखभाल नही करेगा ऐसी स्थिति में । इसलिए
मैं तभी आपकी गाड़ी लेकर गांव के लिए निकल गया। बाबूजी मांफ कीजियेगा आपकी गाड़ी लेकर जाने के अलावा कोई
दूसरा चारा नही था ।
धर्मवीर बात को समझते हुए - ohh चलो कोई बात नही अनवर तुम अपनी मां का खयाल रखना वैसे भी मैं भी office या
बाहर नही जा पाऊं गा , तुमने गाड़ी लेजाकर ठीक किया। कम से कम तुम्हे तो परेशानी नही होगी । और तुमने पैसे भी नही
लिए मुझसे ।
अनवर - बाबूजी मैं आपकी नींद खराब नही करना चाहता था । कोई बात नही ।
धर्मवीर - चलो मैं तुम्हारे बैंक खाते में ट्रांसफर कर देता हूँ अगर कोई ATM खुला मिले तो निकाल लेना ।
इतनी बात करके धर्मवीर ने फ़ोन रख दिया । और अपने मोबाइल से तुरंत पैसे ट्रांसफर करने लगा । उसने तीन लाख रुपये
अनवर को ट्रांसफर कर दिए ।
धर्मवीर - लीजिये अब खाना कौन बनाएगा हमारा नोकर फिर चला गया ।
पूजा - कोई बात नही मौसा जी मैं और दीदी बना देंगे ऐसा कहकर पूजा जाने के लिए मुड़ने लगी ।
पूजा जैसे ही मुड़ी उसका पैर फिसल गया और वो फर्श पर इस तरीके से गिरी । पूजा के दोनों हाथ पीछे फर्श पर टिके हुए थे
और घुटने मुड़ गए थे । पूजा सीधी गिरी थी जिस वजह से सलवार में फसी उसकी मोटी मोटी जांघे जब धर्मवीर और
सोमनाथ को दिखीं तो उन दोनों की आंखे चौन्धिया गयी । पूजा की जांघो का गदरायापन उसकी गांड के फै लाव को बयान
कर रहा था ।
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पूजा शर्माते हुए उठी । और जैसे ही दोबारा जाने के लिए मुड़ी तो उसके चूतड़ों में उसकी कु र्ती फस गयी ।
दोनों चूतड़ों के बीच मे सलवार फसी होने के कारण अंदाजा लगाया जा सकता था कि उसके गोल गोल बड़े बड़े चूतड़ों वाली
गांड तगड़े से तगड़ा लंड खाने लायक हो गयी है ।
ऐसा कहकर पूजा ने एक हाथ पिछवाड़े पर लेजाकर चूतड़ों के बीच फसी सलवार निकाली और चली गयी ।
धर्मवीर - सोमनाथ जी सही कहा था अपने पूजा भी अब एक मस्त घोड़ी हो गयी है जो बिस्तर में बिल्कु ल आग लगा देगी ।
धर्मवीर - हम तो इसे तड़पाएँगे । और इतनी तड़पाएँगे की इसकी चूत का पानी रिसकर घुटनो तक आजायेगा ।
उधर पूजा जैसे ही वापस आयी तो उसने देखा उपासना भी जाग गयी है ।
पूजा ने अनवर से लेकर उसके फिसलने तक कि सारी बात उपासना को बता दी । जो उसने छु पकर सुना था दोनों के मुह से ।
पूजा - देखा दीदी पहले ससुर जी फिर आज पापाजी चढ़ने वाले है तुमपर ।
उपासना - अच्छा पूजा देखते है क्या होता है तूने तो अपना पिछवाड़ा दिखाकर सुबह सुबह ही पागल कर दिया होगा दोनों को
।
पूजा - हां दीदी दोनों मुह फाड़कर ऐसे देख रहे थे जैसे नजरो से ही चोद रहे हों ।
उपासना - अच्छा । पूजा ध्यान रखना हमे ये जाहिर नही होने देना है कि हमे सबकु छ पता है । इस खेल में तभी मजा आएगा
।
पूजा - आप फिक्र ना करे दीदी । हम दोनों इतनी संस्कारी बनकर रहेंगे की हमे नंगी देखकर भी उनकी चोदने की हिम्मत नही
होगी ।
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उपासना - क्या पहनने का मन है तेरा । मैं तो सोच रही थी कि रात कक तो वो लोग हमें वैसे भी नंगी ही रखेंगे । दिन में टाइट
कपड़े पहन लेते है ।
पूजा - नही दीदी ये तो कु छ ज्यादा हो जायेगा । वो दोनों तो हमारा रेप ही करदेंगे इन कपड़ो में देखकर ।
उपासना - पगली तभी मजा आता है जब मर्द का लंड खड़ा रहे और वो कु छ कर भी ना पाए ।
दोनों ने सेम pink कलर की लैगिंग पहनी और उसके ऊपर नीले रंग का शॉर्ट टॉप पहना।
टॉप इतना ज्यादा छोटा था की नाभि से 4 इंच ऊपर ऊपर इंच ऊपर ऊपर ही वह खत्म हो जाता था उसका गला भी भी बहुत
ज्यादा डीप था। कहने का मतलब है कि मोटे मोटे मोटे चूचे उसमें जैसे तैसे तैसे ही रुक पा रही थी और नीचे लैगिंग भी घुटनों
से थोड़ा सा नीचे ही खत्म हो जाती थी ।दोनों की 40 साइज की फै ली हुई गांड को संभालने में नाकामयाब सी प्रतीत होती
थी।
उपासना बोली पूजा से - पूजा तुझे तो मेरी लैगिंग बिल्कु ल फिट आगयी ।
उपासना - अरे ऐसे कै से । मैं तो शादी के बाद ऐसी हुई हूं पर तेरी गांड और चुचियां इतनी कै से गदरा गयी ।
पूजा - दीदी लड़की के शरीर की भी बात होती है । मेरी बॉडी ही कु छ आपसे बड़ी लगती है ।
उपासना - फिर तो तेरे जैसी भैंस को एक सांड की जरूरत होगी ।
पूजा - ये तो मैं भी बोल सकती हूं कि तुम भी किसी सांड के ही काबू में आ सकती हो दीदी ।
लगभग 10 मिनट बाद धर्मवीर और सोमनाथ नाश्ता करने नीचे आगये । उस वक्त दोनों बहन किचन में थीं ।
धर्मवीर - अरे नाश्ता तो तैयार है पर सोमनाथ जी लगता है हमे अके ले ही करना पड़ेगा आज नाश्ता ।
ऐसा कहकर दोनों बहन किचन से टेबल की तरफ आने लगी । जैसे ही धर्मवीर और सोमनाथ की नजर दोनों पर पड़ी दोनों
का कलेजा थम गया । सांसे लेना ही भूल गए ।
क्योंकि शरीर से दोनों बहन सेम ही लग रही थी सेम कपड़ो में । धीरे धीरे किसी मस्तानी हथिनी की तरह चलकर दोनों करीब
आरही थी। दोनों की जांघो को देखकर ही पता चल रहा था कि पीछे पिछवाड़ा कितना मटक रहा होगा।
धर्मवीर मन मे अपने आपसे कह रहा था कि इन दोनों को अभी बैड पर पटककर इनका मूत पी जाऊं और फिर ई दोनों
घोड़ियों को अपने लंड पर कु दाऊं । मैं तो सोचता था उपासना ही चूत की रानी है पर मुझे लग रहा है पूजा की चूत के मूत की
खुशबू भी नशीली होगी । दिखने में कुं वारी लगने वाली ये पूजा लंड पर उछल उछलकर चुदेगी ।
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दोनों को अपनी तरफ देखते हुए उपासना बोली - क्या हुआ पापाजी ऐसे क्या देख रहे हो।
सोमनाथ सपकपाते हुए - कु -कु छ नही बेटी देख रहा था कि दोनों बेटियां कितनी खूबसूरत है ।
धर्मवीर - मैं तो दोनों बेटियों में अंतर ही पता करने में असमर्थ हूँ ।
पूजा - नही कोई अंतर नही है । चलो दीदी जरा मेरे बराबर में खड़े होकर दिखाओ पापा को । ऐसा कहकर दोनों चेयर से
उठकर सामने खड़ी हो गयी ।
सोमनाथ - दोनों रंडियों को देखते हुए - नही बेटी आगे से तो दोनों में कोई अंतर नही है ।
इसबार उपासना बोली - अच्छा तो आगे से पापा को कोई अंतर नही लगा मतलब अब पापा पीछे से देखना चाहते हैं ।
दोनों अब अपना पिछवाड़ा करके खड़ी हो गयी धर्मवीर और सोमनाथ के सामने । दोनों की गांड अब धर्मवीर और सोमनाथ
के सामने लैगिंग में फसी हुई थीं ।
धर्मवीर का मन कर रहा था कि लैगिंग फाड़कर अभी पूजा की गांड पर ढेर सारा थूक दू ।
सोमनाथ का मन कफ रहा था कि उपासना की लैगिंग फाड़कर अभी उसकी गांड में लंड जड़ तक घुसेड़ दू ।
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सोमनाथ - नही बेटियों पीछे से भी कोई खास अंतर नही है बस इतना ही अंतर है कि पूजा थोड़ी कसी हुई है उपासना बेटी
थोड़ी ढीली हो गयी है ।
ये सुनकर उपासना और पूजा दोनों शर्माते हुए घूमकर बैठ गयी वापस चेयर पर ।
पूजा - नही पापाजी ऐसा नही है हम दोनों ने आज सेम साइज के कपड़े पहने है । दीदी की ही लैगिंग है ये और दोनों लैगिंग
का साइज 40 है ।
पूजा ये सुनकर धर्मवीर की आंखों में देखते हुए - मौसा जी आप भी ना मतलब कु छ भी बोलते हो । याब साधु बाबा बनोगे
क्या आज ।
धर्मवीर बोला -
अब तो पूजा की गांड बिल्कु ल ऐसे चौड़ी हो गयी फै लकर जैसे चाखी के पाट हो ।
एकबार तो धर्मवीर का मन हुआ कि पूजा की गांड में मुँह घुसा दे पर अपने आपपर नियंत्रण रखते हुए देखता रहा उस झुकी
हुई चुदासी कु तिया को ।
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फिर पूजा ने सीधी होकर एकबार धर्मवीर को देखा और सीधे उपासना के रूम में चली गयी ।
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Update : 17
दोस्तों आपको बहुत wait करना पड़ा update के लिए उसके लिए दिल से माफी चाहता हूं । आपके लिए जितना लिख
पाया हूँ आज वो post कर रहा हूँ ।
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दोपहर का समय था , धर्मवीर और सोमनाथ tv देख रहे थे तभी उपासना और पूजा दोनो ने आकर एकसाथ कहा - पापाजी
हम जरा कु छ शोपिंग करने जा रहे हैं ।
दोनों ने वन पीस पहना हुआ था जिसमें उनकी गदरायी हुई जांघे और चौड़े कू ल्हे धीरे धीरे हिल रहे थे।
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सोमनाथ और धर्मवीर ने एक दूसरे की तरफ देखा और धर्मवीर बोला - आज तो बाजार बंद है फिर यह कहां जा रही हैं दोंनो
।
उपासना और पूजा सबसे पहले ब्यूटी पार्लर गई जहां पर उन्होंने अपने बालों की कटिंग कराई और दोनों के बालों की लंबाई
एक जैसी ही हो गई , फिर दोनों ने घर आकर गर्म पानी में स्नान किया ।
शाम के 5:00 बजने को आए थे और अभी उपासना और पूजा एक 1 घंटे सो कर उठी थी उपासना ने अपने और पूजा के
लिए एक बहुत ही टाइट ड्रेस निकाली और पूजा की तरफ मुस्कु रा कर बोली- ले पहन ले मेरी घोड़ी ।
अब उन दोनों को थोड़ा तड़पा दें ताकि रात को हम दोनों की चूतों की धज्जियां बिखेरने में कोई कसर बाकी ना रहे।
उन दोनों के लंडों में ऐसी आग लगा दे कि रात भर भर इतनी कसकर , इतनी टीका कर गांड मारी गांड मारी कर गांड मारी
जाए हम दोनों की कि हमारे बस की चलना ना रहे ना रहे , और पूजा तुझे तो वैसे भी दोनों को एक साथ अपने ऊपर एक बार
चढ़वाना ही पड़ेगा तभी तेरा यह चुदा हुआ भोसड़ा गेंदा के फू ल की तरह खिलेगा ।
पूजा ड्रेस को हाथ में पकड़ते हुए बोली हुए बोली - दीदी यह कहां का इंसाफ है छोटी बहन की चूत में लोड़े भरकर आप
तड़पते रहो। चुदना दो आपको भी है । आपकी भी यह मोटी मोटी जांघे किसी का भी मुंह छु पाने के लिए, किसी के भी लोड़े
को छु पाने के लिए काफी है।
दोनों ने टाइट योगा पैंट पहनी उसमें तो वास्तव में ही ऐसा लग रहा था जैसे साक्षात चुदाई की रानियां हो ।
देखकर कोई भी कह सकता था इनकी चूतों में भरा हुआ रस पीने के लिए मैं कु छ भी कर सकता हूं तो बेचारे धर्मवीर और
सोमनाथ की क्या औकात ।
ऊपर से ड्रेस ऐसी थी कि अगर एक कदम भी आगे रखें तो पूरी गांड हिलने लगे आगे से चूत का शेप बिल्कु ल साफ दिखाई
दिखाई दे रहा था ।
ऐसा लग रहा था कि यह ड्रेस बदन छु पाने के लिए नहीं बल्कि दोनों घोड़ियां अपनी चूत और चुचों का प्रदर्शन करना चाहती
थी ।
नीचे हाई हील की सैंडल पहन कर कर दोनों अपने एक्सरसाइज रूम में गई जहां पर उपासना व्यायाम करती थी ।
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उपासना ने जानबूझकर धर्मवीर को कॉल किया और कहा - पापा जी हमें भी योगा सिखा दीजिए अगर आपके पास समय है
तो हम व्यायाम कक्ष में दोनों बहन व्यायाम कर रही हैं।
धर्मवीर फोन सुनकर कहने लगा सोमनाथ से - दोनों बेटियां एक्सरसाइज कर रही है चलो दोनों को योगा के कु छ स्टेप्स बता
दिए जाएं दिए जाएं ।
सोमनाथ कहने लगा कि वह सब तो ठीक है लेकिन योगा ड्रैस तो पहनने को बोलो उनको ।
धर्मवीर कहने लगा - आप मेरी बहू को कम मत समझना मुझे पूर्ण विश्वास है कि उसने अपने बाप के लिए वैसे ही कपड़े पहने
होंगे जैसे कपड़ों में देखने की इच्छा सोमनाथ जी कर रहे हैं ।
जैसे ही दोनों ने कक्ष में कदम रखा दोनों के मुंह खुले के खुले रह गए क्योंकि उपासना और पूजा गेट की तरफ अपना
पिछवाड़ा करके नीचे झुकी हुई थी और अपने हाथ को पैरों पर लगाने की कोशिश कर रही थी ।
हाथ पैरों तक नहीं पहुंच रहा था । इस तरह झुकी हुई कोई गदरायी लड़की देखकर इंसान वैसे ही अपना आपा खो देता है
और यहां तो दो दो रंडियां अपने बाप और ससुर ससुर के सामने अपना पिछवाड़ा इस तरह फै ला कर झुकी हुई थी जैसे कह
रही हूं कि अब अपना तगड़ा लोड़ा हमारी चूतों में फं सा कर हमारी बच्चादानी में अपना बीज डाल डाल दीजिए।
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सोमनाथ और धर्मवीर दोनों एक दूसरे के मुंह को देखने लगे।
सोमनाथ को यकीन ही नहीं हो रहा था कि सामने झुकी झुकी दो घोड़ियों उसी की बेटी हैं। आज तक उनका बदन उसे क्यों
नहीं दिखा इस बात का मलाल करते हुए सोमनाथ ने हंसते हुए कहा की दोनों बेटियां व्यायाम कर रही हैं ।
इतना सुनकर झुकी हुई उपासना और पूजा ने एक दूसरे की तरफ की तरफ देखा और दोनों अपने होठों पर मुस्कु राहट लाते
हुए खड़ी हुई और सोमनाथ और धर्मवीर की तरफ मुड़ी तरफ मुड़ी अपने ससुर और पापा के सामने खड़ी दोनों बेटियां जब
घूमी तो धर्मवीर और सोमनाथ की सोमनाथ की सांसे ही रुक गई गई गई ।
उनकी जांघों के बीच में चूत की बनावट उसके ऊपर पतली कमर और फिर पपीते जैसे मोटे मोटे चुचों को देखकर दोनों का
लंड पैंट में इस हालत में था जैसे पागल खाने में कोई पागल कै द हो ।
धर्मवीर बोला - उपासना बेटा तुम्हें व्यायाम की क्या जरूरत है तुम्हारी बॉडी तो ठीक है, मेंटेन है ।
धर्मवीर की बात काटते हुए पूजा बोली - कहां मेंटेन है मौसा जी जी जी मौसा जी जी देखिए तो दीदी मोटी होती जा रही है ।
उपासना शर्मा गई और पूजा की तरफ देख कर बोली कह तो ऐसे रही है जैसे खुद मोटी ना हो हो तू भी तो मोटी ही है ही है तो
मोटी ही है ही है।
धर्मवीर और सोमनाथ हंसते हुए कहने लगे किसने कहा तुम दोनों मोटी हो तुम मोटी नहीं हो।
उपासना बोली धर्मवीर से- कि पापा जी जी आप मुझे एक दिन योगा की स्टेप स्टेप सिखाने की बात कर रहे थे मैंने सोचा कि
आज पूजा भी आई हुई है तो क्यों ना हम दोनों ही आपसे स्टेप सीख ले सीख ले ले ।
तभी पूजा बोली सोमनाथ से- अच्छा पापा बताओ मैं और दीदी इस ड्रेस में कै से लग रहे हैं।
सोमनाथ बोला मेरी तो तुम दोनों ही बेटियां हो और अपने बच्चे हर मां बाप के लिए सबसे प्यारे होते हैं । तुम्हें यह पूछना ही है
तो अपने मौसा जी जी से पूछो मौसा जी से पूछो , धर्मवीर ही बताएंगे कि तुम कै सी लग रही हो ।
फिर पूजा ने बड़ी ही अदा से अपना एक हाथ अपने ढूंगे पर रखा और कू ल्हे पर हाथ रख कर खड़ी हो गई खड़ी हो गई और
बोली धर्मवीर से- बताइए मौसा जी जी हम दोनों आज कै सी लग रही है ?
धर्मवीर बोला --
पूजा ये सुनकर शर्मा गयी क्योंकि वो जानती थी कि किस प्यार की बात धर्मवीर कर रहा है, वो समझ गयी थी कि इतनी
रसीली चूतों का बिना लंड के क्या फायदा यही धर्मवीर का मतलब है ।
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शायरी सुनकर उपासना बोली शरमाते हुए - आपके शब्दों का भी कोई जवाब नहीं । अब हमें कोई स्टेप सिखाइए ।
धर्मवीर बोला - नहीं बेटी पहले तुम दोनों थोड़ा व्यायाम करो अपना पसीना निकालो जिससे कि तुम्हें हाथ और पैरों को मोड़ने
में ज्यादा तकलीफ ना हो, और तुम योगा के स्टेप सीख सको ।
इतना सुनते ही उपासना बोली - लीजिये हम दोनों अपना पसीना निकालते हैं हम दोनों ट्रेडमिल पर दौड़ लेते है ।
इतना कहकर उपासना ने पूजा से कहा- चल मेरी बहन निकाल ले पसीना । यह बात उसने बड़े ही कामुक अंदाज में कही ।
दोनों धीरे धीरे चलने लगी उनका चलना देख कर तो धर्मवीर से रहा नहीं जा रहा था दोनों के चूतड़ और चूची हिल रही थी ।
दोनों का पिछवाड़ा बराबर हिल रहा था अब धीरे-धीरे उपासना ने ट्रेडमिल की स्पीड बढ़ा दे स्पीड बढ़ा दे और उछल उछल
कर उस पर दौड़ने लगी जितनी वह उछलती उतनी ही उनकी गांड हिलती उनके चूतड़ ऊपर नीचे हो जाते और चुचे तो मानो
आगे दो पपीते उछल कू द कर रहे हो ।
दोनों का भारी कू ल्हों वाला शरीर दौड़ते दौड़ते 10 मिनट में ही थक गया । पसीने में लथपथ हो गयी थी दोनों ही ।
दोनों उतारकर धर्मवीर और सोमनाथ के सामने आई तो उनकी सांसे इतनी तेज चल रही थी कि दोनों के सीने पर पके पपीते
ऊपर नीचे हो रहे थे ।
उपासना - हांफते हुए - पापाजी इससे ज्यादा याब मेरे बसकी नही है दौड़ना ।
धर्मवीर - चलो तो अब योगा शुरू करते हैं । तुम दोनों इस लाइन पर खड़े हो जाओ (धर्मवीर ने एक लाइन खींचते हुए कहा )।
फिर धर्मवीर ने कहा याब तुम दोनों अपने हाथ ऊपर करो ।
धर्मवीर और सोमनाथ उनके सामने खड़े होकर देखने लगे । दोनों की गहरी नाभि के दर्शन हो रहे थे । चूचे बिल्कु ल तनकर
पर्वत की तरह खड़े थे ।
धर्मवीर - याब तुम दोनों बिना अपने पैर मोड़े अपने हाथों से पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करो ।
धर्मवीर ने सोमनाथ को इशारा किया और फिर दोनों सोमनाथ और धर्मवीर , पूजा और उपासना के पीछे आकर खड़े हो गए ।
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उपासना के हाथ पैर के अंगूठे तक नही पहुंच पा रहे थे । यही तो धर्मवीर चाहता था ।
धर्मवीर - अरे उपासना बहु तुम्हारे हाथ अभी पैरो तक नही पहुंचे है थोड़ा और झुको ।
और ऐसा कहकर धर्मवीर उपासना के पीछे आकर उसकी कमर पर दबाब डालने लगा। और ऐसा करते हुए धर्मवीर उसकी
गांड से सटकर खड़ा हो गया।
अब तो हालात कं ट्रोल से बाहर थी धर्मवीर के लिए उसकी बहु की चौड़ी गांड उसके लंड के आगे ऐसे खुली हुई प्रतीत हो रही
थी जैसे धर्मवीर का तगड़ा लंड एक बार मे ही कहा जाएगी ।
सोमनाथ धर्मवीर को ऐसा करते देखकर पूजा के पीछे उसके पिछवाड़े से सटकर खड़ा हो गया और पूजा की मदद करने लगा
।
नीचे झुकी दोनों कु तियाओं ने एकदूसरे की तरफ देखा उपासना ने पूजा की तरफ आंख मारी । और पूजा समझ गयी ।
पूजा और उपासना ने अपनी गांड के दवाब थोड़ा और बढ़ाया सोमनाथ और धर्मवीर के लंड पर।
पूजा और उपासना जो भी कर रही थी बड़ी सावधानी से कर रही थी ताकि सोमनाथ और धर्मवीर को उनपर शक न हो ।
कु छ देर झुके रहने के बाद उपासना खड़ी होने लगी ये कहते हुए - पापाजी पैरो में दर्द होने लगा है ऐसे तो ।
धर्मवीर - चली अब तुम दोनों घुटने मोड़कर कोहनी के बल फर्श पर बैठ जाओ ।
अब तो भारी भारी जांघो पर रखे मोटे मोटे चूतड़ दिखाकर पूजा और उपासना दोनों को तड़पा रही थी ।
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सोमनाथ ने सोचा कु छ बात ही कर ली जाए जिससे कि पूजा और उपासना से थोड़ा खुल पाएं ।
सोमनाथ कहने लगा धर्मवीर से - वैसे समधी जी देखो आपने हमारी बड़ी बेटी उपासना को ठीक से खिलाया पिलाया नही है ।
देखो हमारी पूजा भी उपासना से मोटी लगती है ।
उपासना अपनी कमर को और मोड़कर गांड को बाहर निकालते हुए - पापाजी आपको मैं पतली लगती हूँ क्या ?
सोमनाथ को अब उपासना की गांड ही दिखाई दे रही थी के वल उसके आगे कमर से मुह तक का शरीर तो उसके कू ल्हे
दिखने ही नही दे रहे थे ।
सोमनाथ - नही दुबली पतली तो नही हो उपासना तुम पर मुझे ऐसा लग रहा है कि पूजा तुमसे ज्यादा दमदार है ।
तभी बीच मे पूजा बोली - नही पापाजी दीदी की तरह मैं दमदार नही हूं । दीदी ज्यादा तगड़ी है मुझसे तो ।
अब पूजा और उपासना फर्श पर धीरे धीरे कु तियाओ की तरह फर्श पर चलने लगी। ऐसे चलने से जैसे ही दोनों रंडियां अपना
एक घुटना आगे करती फिर दूसरा उठाकर आगे रखती दोनों की गांड का मटकाना और कमर के लचकना
धर्मवीर - जहाँ तक मेरा मानना है तुम दोनों ही तगड़ी और टिकने वाली चीज हो ।
सोमनाथ - अरे बेटा समधी जी का ये मतलब है कि तुम दोनों ही हार मानने वाली नही हो किसी काम से ।
धर्मवीर अब पूजा के आगे आकर खड़ा हो गया और सोमनाथ उपासना के आगे । दोनों कु तिया बनी हुईं थीं ।
धर्मवीर - पूजा बेटी अपनी कमर को थोड़ा नीचे की तरफ दबाओ । और उसकी मदद के बहाने पूजा की कमर को अपने दोनों
हाथों से पकड़ लिया । जब धर्मवीर ने ऐसा किया तो उसे झुकना पड़ा जिस वजह से पूजा का मुँह बिल्कु ल धर्मवीर के लंड के
पास आगया । पैंट में तंबू बना वह लंड ऐसा लग रहा था जैसे धर्मवीर ने पैंट में कोई खीरा छु पा रखा हो।
दोनों रंडियां अपना मुह जान पूछकर पैंट की चैन वाली जगह पर लगा देतीं और फिर पीछे हटा लेतीं ।
धर्मवीर और सोमनाथ की तो हालत ही खराब थी अब धर्मवीर और सोमनाथ अपने हाथ पूजा और उपासना के चौड़े चौड़े
कू ल्हों पर ले गए ।
उपासना अपने सगे बाप सोमनाथ के हाथों का स्पर्श अपने मस्ताने नितंबों पर पाकर शर्म से लाल सुर्ख हो गयी ।
सोमनाथ ने फिर बात जारी रखते हुए कहा - हां उपासना बेटी ये तो तुमने ठीक कहा हारने वाली चीज तो नही हो तुम ।
पूजा - पापाजी सिर्फ दीदी की ही तारीफ करोगे मैं भी किसी काम मे हारने वाली नही हूँ ।
धर्मवीर - तुम दोनों में औरतों वाली नही बल्कि घोड़ियों वाली ताकत है ।
इस बात का मतलब दोनों चुद्दकड़ बेटियां समझ रही थीं पर अनजान बनते हुए बोली ।
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उपासना - क्या सभी औरतों से ज्यादा ताकत है मुझमे पापाजी जो आप हम दोनों बहनों को घोड़ी बोल रहे है ।
सोमनाथ - हां बेटी तुम दोनों को देखकर ऐसा ही लग रहा है जैसे तुममें घोड़ियों जैसी ताकत है ।
पूजा - तो पापाजी फिर आप हमें घोड़ी ही बोलिये ।
धर्मवीर बोला - चलो अब तुम दोनों इसी लाइन पर सीधी लेट जाओ ।
धर्मवीर बोला - अब तुम दोनों अपने हाथ पीछे लेजाकर फर्श पर सीधे कर लो योगा steps के लिए।
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भाइयों और बहनों जल्दी जल्दी में ये आधी अधूरी update कर पाया हूँ । आगे से निराश नही करूँ गा।
Update 18
उपासना और पूजा ने अपने दोनों घुटने अपनी छातियों से लगा लिए मोड़कर ।
कार ले लिया । पतली कमर के नीचे फै ली हुई गांड आमंत्रित कर रही थी एक ताबड़तोड़ चुदाई को ।
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अब धर्मवीर और सोमनाथ दोनों उनके मुंह को अपने गोद में लेकर बैठ गए फर्श पर और उनके पैरों को पकड़कर अपनी
तरफ खींचकर बिल्कु ल सीधा कर दिया ।
ऐसा करने से उपासना और पूजा के नितम्बो का उठान किसी को भी पागल करने के लिए काफी था ।
ऐसे बैठने से सोमनाथ और धर्मवीर का लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया और पूजा और उपासना के माथे से
टकराने लगा ।
धर्मवीर - पूजा की जांघों पर हाथ फे रते हुए बोला - सही कहा था सोमनाथ जी हमारी बेटियों ने की ये हार मानने वाली
घोड़ियां नही है ।
सोमनाथ - घुड़सवार की तुम चिंता ना करो बेटी घुड़सवार तो ऐसे ही कि घोड़ियों के मुह से हिनहिनाने की आवाज तक ना
निकले ।
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ऐसा बोलकर सोमनाथ ने अपने पैंट की चैन खोलकर अपना विशालकाय लंड उपासना के माथे पर रख दिया ।
जब उपासना ने अपने सगे बाप का लंबा लंड देखा तो उसके माथे से लेकर उसके होंठ सोमनाथ के आधे लंड पर ही आरहे
थे। इतना लंबा लंड देखकर उपासना ने आंखे बंद करली।
धर्मवीर ने भी ऐसा ही किया तो धर्मवीर का लंड तो सोमनाथ से मोटा था पूजा को दोनों होंठ ढक गए उसके लंड से ।
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ऐसा बोलकर दोनों खड़े हो गए पूजा और उपासना को फर्श पर पड़ी छोड़कर बाहर निकल गए ।
दोनों ने अपने लिए ट्रांसपेरेंट साड़ी निकाली लेकिन कु छ सोचकर दोनों ने सूट सलवार पहन लिए और फै सला किया कि पहले
पापाजी को चाय देकर आजाये फिर साड़ी पहनेंगे ।
ऐसा फै सला करके दोनों उपासना ने अपने हाथ मे चाय की ट्रे ली और पूजा ने कु छ स्नैक्स लिए और चल दिये धर्मवीर और
सोमनाथ वाले रूम की तरफ ।
जैसे ही गेट पर पहुंचीं दोनों तो अचानक ठिठक गयीं क्योंकि अंदर से कु छ बात करने की आवाजें आरही थी ।
गेट खुला हुआ था । सोमनाथ जी सोफे पर बैठे थे और धर्मवीर जी बैड पर बैठे दोनों बातें कर रहे थे ।
धर्मवीर - तो सोमनाथ जी आखिर करा ही दिए अपने अपनी बड़ी घोड़ी को अपने लंड के दर्शन ।
धर्मवीर - तो देर कै सी फिर चलो उन दोनों की चूतों के छेदों को और चौड़ा कर दिया जाए ।
सोमनाथ - जल्दबाजी ठीक नही समधीजी । चूतों को तो हम आज फाड़ेंगे ही लेकिन तब जब वो दोनों अपनी चूतों को हमारे
सामने हाथो से फै लाकर ये ना कहे कि पापाजी चोद दीजिये हमे और भर दीजिये हमारी चूतों को अपने मूसल जैसे लौड़ो से ।
धर्मवीर - तो फिर एक काम करते है दोनों को बुलाते है चाय के बहाने से और एक खेल खेलते है पत्तों से जो हारा उसे सजा
देंगे और जाहिर सी बात है कि हम तो हारेंगे नही ।
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उधर जैसे ही फोन लगाया उपासना ने तुरंत मोबाइल साइलेंट कर लिया । और पीछे जाकर कॉल उठायी ।
उपासना - जी पापाजी।
धर्मवीर - बेटा चाय लेकर आजाओ तुम्हारे पापाजी चाय के लिए बोल रहे है ।
उपासना - जी पापाजी हम तो चाय लेकर ही आरहे है लिफ्ट में है बस दो मिनट में आपके पास पहुंच जाएंगे।
फोन रखकर उपासना ने इशारा किया और दोनों एक मिनट गेट पर वेट करके चाय लेकर चली गयी अंदर ।
धर्मवीर - बेटी अगर तुम बोर हो रही हो तो क्यों ना कोई खेल खेला जाए तुम्हारे पापाजी का भी मन लग जायेगा।
धर्मवीर - लेकिन पत्ते तो हैं नही और अनवर भी छु ट्टियों पर है पत्ते तो खरीदकर लेन पड़ेंगे।
धर्मवीर - ठीक है हम दोनों पत्ते लेकर आते है तब तक तुम यहीं इंतजार करो ।
यह कहकर धर्मवीर और सोमनाथ पत्ते लेने चले गए और उपासना और पूजा एकदूसरे को देखकर मुस्कु राने लगीं ।
कु छ मिनट बाद ही धर्मवीर और सोमनाथ पत्ते लेकर आगये और जैसे ही कमरे की तरफ बढ़े तो उनके कदमो की आहट
सुनकर पूजा और उपासना दोनों एकदूसरे को इशारा करके जोर जोर से तेज आवाज में बातें करने लगी ताकि उनकी बातों
को उनके पापा सुन सके ।
पूजा - दीदी जिस तरह से दोनों बात कर रहे थे मुझे तो लग रहा है कि हमारी चूतों का आज ही सत्यानाश होने वाला है ।
उपासना - हां तभी तो देखो कितने चालाक है दोनों ने पत्ते खेलने का फै सला किया है ताकि हम हार जाए और बदले में उनकी
टांगो के नीचे आजाये ।
यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ का मुह खुला का खुला रह गया कि दोनों की पोल तो पहले ही खुल गयी।
तब सोमनाथ ने धीरे से धर्मवीर के कान में कहा - लो समधीजी इन्होंने ने तो सारी बातें सुन ली और ये तो खुद ही दोनों चुदने
को बेताब हैं। तो क्या पत्ते खेलना जाकर सीधे ही इनकी चुदाई कर देते है।
धर्मवीर - नही इसमे हमे ही शर्मिंदा होना पड़ेगा । अच्छा रहेगा कि ये खुद ही चुदने को बोले । तुम चुपचाप चलने दो ।
पूजा - मुझे तो दीदी तुम्हारे ससुर जी का लौड़ा बड़ा मोटा लगा । हाय मेरी तो चूत का बाजा बजा देगा ।
उपासना - मुझे भी अपने पापा का लंड बहुत लंबा लगा था जी चाह रहा था कि चुत को उनके लंड से सहला लूं ।
पूजा - लगता है दीदी आज तुम पापाजी के फनफनाते लंड से अपनी चूत की धज्जियां उड़वाने के लिए बेताब हो रही हो ।
उपासना - हंसते हुए - संस्कारी , आज तेरे संस्कार तब देखूंगी जब तू अपनी चूत को मेरे ससुर के मुंह पर उठा उठाकर मारेगी
।
पूजा - दीदी आप वो दोनों आने वाले होंगे तो चुपचाप उनकी संस्कारी बहु बेटियों की तरह बैठो ।
जैसे ही धर्मवीर और सोमनाथ ने ये सुना अपने लौडों को सैट करते हुए कमरे में घुसे।
फिर चारो बैड पर बैठ जाते है। सोमनाथ जी पत्ते बांटते है और खेल शुरू होता है।
खेल का नियम रखा गया कि जिसका पत्ता बड़ा होगा वो जीता माना जायेगा और जितने वाला हारने वालो को यानी बाकी
तीनो को कोई भी पनिशमेंट दे सकता है ।
पहली बाजी उपासना की थी । उसके पास सबसे बड़ा पत्ता हुकु म का बादशाह था उसने उसी की चाल की ।
धर्मवीर ने कहा - मैं अपनी बहू को कोई कड़ी सजा तो दे नही सकता । चलो एक काम करो उपासना तुम और पूजा नाचकर
दिखाओ । और सोमनाथ जी फै सला करेंगे कि किसने अच्छा डांस किया ।
उपासना मुस्कु राते हुए बोली मुझे तो नाचना आता भी नही पर सजा दी है तो नाचना ही पड़ेगा चलो पूजा ऐसा कहते हुए दोंनो
मुस्कु राते हुए खड़ी हो गयी ।
असल मे दोनों समझ गयी कि नाचना तो बहाना है असलियत में तो इन दोनों ठरकियों को अपनी गांड और चूचे दिखाने हैं ।
दोनों कमरे में नाचने लगी अपनी ढूंगे पर हाथ रखकर ।
पांच मिनट नाचने के बाद दोनों रुक गयी । सोमनाथ जी ने कहा कि धर्मवीर जी मेरी दोनों ही बेटियों ने गजब का डांस किया
है ।
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मेरे उन प्रिय पाठकों को दिल से धन्यवाद जो मुझे message करके इस स्टोरी के लिए सुझाव देते है ।
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Update : 19
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मेरे प्यारे प्यारे दोस्तों आज बड़े ही रोमांटिक मूड में है आपका ये दोस्त तो आज की update एक शायरी के साथ शुरू करते
है ।
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इस बार सोमनाथ जी जीत गए उन्होंने उपासना की तरफ देखते हुए कहा कि इस बार मैं चाहता हूं की उपासना धर्मवीर जी
को सवारी कराए ।
सोमनाथ जी ने कहा - तुमने ही तो कहा था कि तुम हारने वाली घोड़ी नहीं हो। तो बेटी अब धर्मवीर जी को अपने ऊपर बिठा
कर थोड़ी दूर उन्हें घुमाओ।
ऐसी खुल्लम-खुल्ला बातें सुनकर बातें सुनकर उपासना और पूजा शर्म से दोहरी हो गई ।
उपासना ने बेड से उतरते हुए कहा कि जब हारी हूं तो सजा तो माननी ही पड़ेगी और ऐसा कहकर वह नीचे फर्श पर घोड़ी बन
गई ।
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इस पर उपासना ने पलटवार करते हुए कहा - पापा जी इस तरह बोल कर आप मेरी बेइज्जती कर रहे हैं ।आप चिंता ना
करिए मैं आपका वजन आराम से झेल सकती हूं ।
मौके का फायदा उठाते हुए धर्मवीर ने कहा- हां बहू यह तो तुम्हें देखकर कोई भी कह सकता है कि तुम आराम से झेल सकती
हो।
यह सुनकर उपासना नजरें झुका कर शर्म से नीचे फर्श की तरफ देखने लगी ।
धर्मवीर उपासना की ऊपर बैठा जैसे ही उपासना चलने को हुई तो उसके दोनों चूतड़ ऊपर नीचे होने लगे ।
इतनी कामुक औरत को घोड़ी बना देखकर सोमनाथ जी अपने आप को बड़ी मुश्किल से कं ट्रोल कर पा रहे थे ।
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कु छ दूर चलने पर धर्मवीर ने गिरने का बहाना करते हुए अपने दोनों हाथ पीछे उपासना के कू ल्हों पर रख दिए।
अब सजा पूरी हो चुकी थी दोबारा पत्ते बांटे गए और इस बार पूजा जीत गई।
जैसा कि पूजा और उपासना को भलीभांति पता था कि यह कोई गेम नहीं बल्कि एक जोरदार ताबड़तोड़ चुदाई की
आधारशिला रखी जा रही है और इसी को समझते हुए पूजा ने अपने पापा सोमनाथ को सजा दी ।
यह सुनकर उपासना बोली कै सी बहन है अपनी ही बहन को पटकवाना चाहती है । मेरी तो कमर ही टूट जाएगी ।
सोमनाथ जी ने अपना एक हाथ उपासना की भारी भारी जागो जागो पर रखा और एक हाथ उसकी कमर में डाला और
उसको गोद में उठा लिया।
इस दृश्य को देखकर कोई नहीं कह सकता था एक बाप ने अपनी बेटी को गोद में उठा रखा है , बल्कि इस दृश्य को देखकर
यही कहा जा सकता था की एक चोदने लायक चुदासी औरत को एक तगड़े तंदुरुस्त ने मर्द ने अपनी बाहों में उठा रखा है ।
बैड के मोटे मोटे गद्दे पर जब उपासना गिरी तो हल्की सी उछलकर दोबारा से उसकी गांड गद्दों में धस गई ।
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धर्मवीर हंसते हुए कहने लगा कि अब आया है ऊं ट पहाड़ के नीचे । मैं सोच रहा हूं कि इनको क्या सजा दूं तो सोमनाथ जी
कहने लगे कि इनसे पोछा लगवा लिया जाए ।
सोचते सोचते धर्मवीर जी बोले कि तुम दोनों की यह सजा है कि तुम यह कपड़े बदलकर स्कू ल ड्रेस पहनो ।
धर्मवीर जी बोले मेरी शालीनी बेटी की कोई ड्रेस होगी चेक करो ।
उपासना बोली कि उसकी ड्रेस हमें कै से फिट आ सकती है, वह तो हमसे छोटी है ।
यह सुनकर सोमनाथ जी बोले की सजा तो सजा है माननी तो पड़ेगी, वह सजा ही क्या जिसमें परेशानी ना हो।
ऐसा सुनकर उपासना ठुनकते हुए और शालिनी की ड्रेस चेक करने लगी । लेकिन उसे कोई भी ड्रैस नहीं मिली।
फिर उपासना बोली कि शालिनी दीदी की तो इसमें स्कू ल की कोई ड्रेस नहीं है ।
धर्मवीर जी भी उठकर उपासना के साथ शालिनी के स्कू ल की ड्रेस ढूंढने लगे तभी उन्हें शालिनी के सूट और सलवार दिखाई
पड़े जो कि कि शालिनी के दसवीं क्लास के थे ।
यह कपड़े देखकर उपासना हैरानी से अपनी आंखें फै लाती हुई बोली कि यह सूट तो किसी भी कीमत पर नहीं आने वाला
क्योंकि यह शालिनी के दसवीं क्लास की ड्रेस है।
इस पर सोमनाथ जी बोले चलो इस सजा में तुम्हें थोड़ी ढील दी जा सकती है ऊपर सूट की जगह तुम शालनी का ही ही कोई
टॉप पहन सकते हो , लेकिन सलवार यही पहननी पड़ेगी ।
यह सुनकर धर्मवीर जी बोले बोले तुम दोनों एक एक करके यह ड्रेस पहन सकती हो ।
ऐसा सुनकर उपासना ने पूजा की तरफ देखा जैसे पूछ रही हो कि पहले तुम पहनोगी या मैं ।
उस वाइट कलर की सलवार को और ब्लैक कलर का एक टॉप लेकर उपासना दूसरे रूम में चली गई ।
जैसे ही वह शीशे के सामने खड़ी होकर उस ड्रेस को पहनने लगी तो उसे हैरानी हुई क्योंकि वह सलवार उसकी जांघों पर फस
गई थी ।
उपासना ने जैसे तैसे करके उस सलवार को अपनी चूतड़ों पर चढ़ाया अब तो नाड़ा बांधने की कोई जरूरत ही नहीं बची थी
,क्योंकि वह सलवार उसकी भारी-भरकम गांड पर चिपक गई थी ।
उसके ऊपर उसने टॉप पहना जिसमें उसके चूचे टॉप को फाड़ने को तैयार थे। अपने आप को शीशे में देखकर शर्मा के सोचने
लगी यह दोनों ठरकी पता नहीं क्या करवा कर मानेंगे ।
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धर्मवीर और सोमनाथ उपासना को इस रूप में देखकर अपनी आंखें झपकाना ही भूल गए ।
सोमनाथ - इसे मोटी होना नही गदराना बोलते है बेटी । ये तो तुम्हारी चढ़ती जवानी है जिसे तुम मोटा होना बोल रही हो ।
शर्म के कारण उपासना के पास बोलने को कोई शब्द नही थे । वह जल्दी जल्दी में इतना ही बोल पाई ।
उपासना - अब पूजा की बारी है और कमरे में चेंज करके आगयी । और पूजा पहनने के लिए चली गयी ।
जब पूजा ने वह ड्रैस पहनी तो उसे भी उतनी ही टाइट आयी क्योंकि उपासना की गांड फै ली हुई थी तो पूजा के नितम्ब उठे
हुए थे ।
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पूजा रूम में आई उसे देखकर भी सोमनाथ और धर्मवीर के मुह से लार बहने लगी ।
उपासना - पापाजी मैं तो शादी के बाद ऐसी दिखती हूं लेकिन पूजा की तो शादी भी नही हुई है फिर ये कै से ???
धर्मवीर जी ने मोर्चा संभाला यही मौका था उपासना को अपने बाप सोमनाथ के सामने थोड़ा खुलकर बोलने के लिए बेशर्म
बनाने के लिए।
उपासना - शर्माते हुए - पूजा कै से गदरा गयी अभी से मेरा ये मतलब था इसका पिछवाड़ा तो देखो ।
पूजा अपने बारे में ऐसे अश्लील शब्दो को सुनकर पानी पानी हो गयी ।
सोमनाथ - उपासना ये तो तुम ठीक कह रही हो पूजा का पिछवाड़ा तो बिल्कु ल औरतों जैसा हो गया है ।
पूजा - पापाजी मैं जा रही हूं ऐसा कहकर पूजा कमरे से निकल गयी ।
उन दोनों को देखकर यकीन हो गया था सोमनाथ को उसकी बेटी बिस्तर में पूरा मजा देगी।
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खेल चलता रहा अब इस खेल को उपासना जल्द ही खत्म करना चाहती थी तो आने वाली बाजी में वह जीत गई।
उपासना - मैं सोच रही हूं कि आपको अपनी दोनों बेटियों में क्या अंतर लगता है ।
सोमनाथ जी बोले यदि नहीं पहचाना गया तो जो सजा तुम दो मुझे मंजूर होगी ।
उपासना कहने लगी कि आप की यही सजा है कि आप अपनी दोनों बेटियों को आज पहचान कर दिखाओगे।
हम दोनों बहने एक जैसे कपड़े पहनेंगे और तुम ही नहीं मेरे ससुर जी के लिए भी यही सजा है ।
तुम दोनों हमें पहचान कर दिखाना ऐसा कहकर खेल खत्म हुआ और दोनों नीचे अपने कमरे में आ गई ।
पूजा कहने लगी दीदी यह क्या अब नया नाटक किया आपने मेरी तो कु छ समझ में नहीं आ रहा ।
उपासना - अब तो मजा ही आएगा हम दोनों एक जैसे कपड़े पहनेंगी और अपना चेहरा ढक लेंगी और फिर उन दोनों को
पहचानना होगा , देखते हैं कै से पहचानते हैं।
पूजा शर्मा गयी फिर दोनों ने स्नान किया और कमरे में आकर सोचने लगी कि क्या पहना जाए।
पूजा ने कहा कि दीदी हम अरबी लोगों की ड्रेस पहन लेते हैं। वही ड्रेस ऐसी ऐसी है जिसमें हमें पहचान नहीं पाएंगे।
उपासना कहने लगी ऐसी तो कोई ड्रेस नहीं है घर में । चलो देखती हूं तभी उसे एक ड्रेस मिली जो राके श ने उसे दिलाई थी।
एक साथ दो पीस खरीदे थे उपासना ने उस ड्रैस के ।
ड्रैस फु ल थी लेकिन साइड में पतली पतली डोरियां थी जिनमें से साफ-साफ दिखाई पड़ता था । वह बस बीच में ही ढक कर
रखती थी बाकी साइड से जांघे बिल्कु ल नंगी ही लगती थी ।
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दोनों ने होंठो पर डार्क red लिक्विड मैट लिपस्टिक लगाई , आंखों पर काजल और eyeliner किया , बालों का जूड़ा बनाकर
सर पर रख लिया । दोनों ने सेम मैकप किया ।
दोनों ने ड्रैस पहन ली उस ड्रेस में उनकी गांड भी पूरी तरीके से नहीं कवर हो पा रही थी। साइड में से उनकी गदरायी जांघो को
साफ देखा जा सकता था ।
उसे पहनने के बाद उन्होंने अपने मुंह पर एक ब्लैक कलर का दुपट्टे जैसा कपड़ा बांध लिया और दोनों ने एक दूसरे को देखा ।
फिर उपासना पूजा से कहने लगी यह ड्रेस पहन तो ली है लेकिन अब आगे देखो होता है क्या ?
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पूजा मुस्कु राते हुए कहने लगी - मैं समझ गई दीदी यह उतारी नहीं जाएगी बल्कि फाड़ दी जाएगी।
उपासना - बोल तो ऐसे रही है जैसे अपनी चूत किसी के सामने ना फै लाई हो और बात भी सही है असली लंड तो तुझे आज
मिलेंगे ।
यह सुनकर पूजा शर्माकर उपासना के कं धे पर मुक्का मारते हुए बोली कि दीदी आप भी ना हद करती हो ।
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उपासना - hello ।
उपासना - dinner तैयार हैं पापाजी । आप दोनों आजाओ खाना खाने के लिए।
उपासना - पर व- वो पापाजी ।
उपासना को समझ नहीं आरहा था कि कै से वो अपने ससुर से कहे कि उसकी बहु तैयार हो चुकी है फटी हुई चूत को और
ज्यादा फड़वाने के लिए ।
उपासना - पापाजी वो पनिशमेंट जो थी आप दोनों के लिए तो हम दोनों ने एक जैसे कपड़े पहन लिए है ।
उपासना ने फोन रख दिया और दोनों बहनें किचन में खड़ी होकर वेट करने लगीं ।
धर्मवीर और सोमनाथ डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए । धर्मवीर ने आवाज लगाई बहु खाना ले आओ ।
उपासना और पूजा अपने हाथ में एक एक थाली लेकर डाइनिंग टेबल की तरफ आने लगी ।
काले कपड़े से ढका हुआ उनका चेहरा और इतनी हॉट सेक्सी कपड़े पहने हुए अपनी बहू और उसकी बहन को देखकर
धर्मवीर का लंड खड़ा हो गया लेकिन अचंभे वाली बात यह थी कि दोनों एक ही जैसी लग रही थी । दोनों ने आकर थालियों
को टेबल पर रखा और बाकी का खाना लेने के लिए मुड़कर जाने लगी ।
जैसे ही उनका पिछवाड़ा धर्मवीर और सोमनाथ की तरफ हुआ उनका कलेजा मुंह को आ गया क्योंकि दोनों कू ल्हों का
मटकना और साइड में से दोनों की मोटी और गदरायी नंगी जांघे नजर आ रही थी ।
बाकी का बचा हुआ खाना लेकर दोनों साइड में खड़ी हो गई।
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इस पर उपासना ने अपना मोबाइल निकाला और मैसेज टाइप करने लगी उसने मैसेज में लिखा -
कि ये उपासना का मोबाइल है और ये मोबाइल जरूरी नही है कि उपासना के पास ही हो , हो सकता है पूजा के पास हो या
हो सकता है उपासना के पास हो , और हम खाना खा चुके हैं , और हम दोनों चुप ही रहेंगे बोलेंगे नहीं यदि बोलेंगे तो आप
पहचान लोगे । आप खाना खा लीजिए उसके बाद पहचान कर बताइए कौन सी आपकी बहू है और कौन सी आपकी बेटी ।
यह मैसेज धर्मवीर ने पढ़ा तो उसके जेहन में एक प्यारी सी लहर दौड़ गई उसने वह मैसेज पढ़कर सोमनाथ जी को सुनाया
और दोनों अपना खाना खाने लगे ।
जब वह खाना खा रहे थे तो पूजा और उपासना वहीं पर चहलकदमी करने लगी जब वह चलती तो दोनों के चूतड़ों का
मटकना तिरछी नजरों से देख ही लेते सोमनाथ और धर्मवीर ।
दोनों खाना खा चुके थे अब पूजा और उपासना ने अपने हाथ की उंगलियों से इशारा किया कि हमारे पीछे आजाओ।
धर्मवीर और सोमनाथ पूजा और उपासना की पीछे पीछे चलने लगे । दोनों ही बिल्कु ल एक जैसी लग रही थीं चारों चलकर
हॉल में आ गए ।
धर्मवीर ने बड़ी गौर से दोनों को देखा लेकिन उनकी आंखें ही दिखाई दे रही थी । सोमनाथ जी ने भी देखा लेकिन नहीं
पहचान पाए ।
धर्मवीर जी बोले सोमनाथ जी आप पहचानिए कि आपकी कौन सी बेटी छोटी है कौन सी बड़ी ।
सोमनाथ - समधीजी मैं तो समझ ही नहीं पा रहा हूं क्योंकि एक जैसे कपड़े दोनों ने पहने है ।दोनों की कमर भी बिल्कु ल एक
जैसी ही है ।
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धर्मवीर कहने लगाओ की कमर ही नहीं मुझे तो सारी की सारी एक जैसी ही लग रही है ।
दोनों चलकर उनके पीछे खड़े हो गए फिर सोमनाथ जी बोले समधी जी मुझे तो दोनों का पिछवाड़ा भी एक जैसा ही लग रहा
है ।
उपासना और पूजा खड़ी खड़ी शर्मा रही थी लेकिन मुंह ढका होने की वजह से वह ज्यादा परेशान नहीं थी ।
धर्मवीर ने उपासना की कमर पर हाथ रखा उपासना सिहर उठी । वैसा ही सोमनाथ ने किया लेकिन पता नहीं चल पा रहा था
नाही धर्मवीर को और ना ही सोमनाथ को कि उनका हाथ उपासना की कमर पर है यह पूजा की ।
सोमनाथ उपासना के पीछे धर्मवीर के साथ खड़ा हो गया। और धर्मवीर वहां से पूजा की पीछे खड़ा हो गया और दोनों ने
उनकी कमर पर सहलाना शुरू कर दिया
जब कु छ देर हो गई तब सोमनाथ जी ने कहा कि ऐसे तो नहीं पता चल रहा है कौन सी पूजा है और कौन सी उपासना।
दोनों ने अपने हाथ को कमर पर से आगे की तरफ करते हुए नाभि में उंगली डालकर घुमाने लगे ।
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फिर भी नहीं पहचान पाए तब सोमनाथ ने पूछा - क्या हम सूंघकर देख सकते हैं क्या पता ऐसे पहचान ले।
उपासना ने लिखा - कि आप बार-बार मत पूछिए, आपको पहचानना है अब जैसे आप अपनी बहू और बेटी को पहचान
सकते हो वैसे पहचानिए।
धर्मवीर बोला कि चलो दोनों को सूंघकर देखते हैं क्या पता महक से पता चल जाए ।
धर्मवीर और सोमनाथ जी ने उपासना और पूजा की बाजू को अपनी नाक से सूंघने लगे लेकिन दोनों में से एक ही जैसी महक
आ रही थी । इसी बहाने से सोमनाथ और धर्मवीर ने अपने होठों से उनकी बाहों को चूम लिया ।
श्री सोमनाथ जी ने पीछे खड़े होकर उपासना की कं धों को सूंघा और साथ ही साथ दोनों कं धों पर हाथ रख कर सहलाने लगे
।
ऐसा सुनकर सोमनाथ जी ने कहा- समधीजी अभी तो बेटी ने बताया है मैसेज करके कि बार-बार मत पूछो ।आप दोबारा
पूछोगे तो नाराज हो जाएगी ।अब तो जैसे भी पहचानना है पहचानना तो पड़ेगा ही । इसमें पूछना क्या वैसे भी बेटी ने कह
दिया है कि कै से भी पहचानो पर पहचानो ।
धर्मवीर ने अपना हाथ कमर से नीचे करते हुए पूजा के कू ल्हों पर रख दिया ।
सोमनाथ ने धर्मवीर को ऐसा करते देखा तो उसने भी उपासना के चूतड़ों पर अपने हाथ रख दिया ।
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अपने चौड़े चौड़े मतवाले नितंबों पर उनके हाथ पाकर दोनों की चूत पानी छोड़ने लगी ।
धर्मवीर पूजा के चूतड़ों को सहलाता हुआ बोला- सोमनाथ जी यह तो पता नहीं कि यह पिछवाड़ा बहु का है या पूजा का
लेकिन जिसका भी है बड़ा ही गद्देदार है।
सोमनाथ - समधीजी जी यहां पर भी ऐसा ही है मेरे तो हाथों में ये कू ल्हे आ ही नहीं रहे।
दोनों के मुंह से ऐसी बातें सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई उपासना और पूजा लेकिन मजबूरी थी कि कु छ बोल भी नहीं
सकती थी और चुप खड़ी रही ।
धर्मवीर और सोमनाथ ने उनकी गांड को खूब देर मसला लेकिन पहचान नहीं पाए ।
धर्मवीर कहने लगा सोमनाथ जी मुझे तो यह उपासना की जांघे लगती हैं देखो तो कितनी भारी और गदरायी हुई है।
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सोमनाथ - समधी जी और अगर यही बात मैं बोलूं तो देखो जरा ये जांघे भी इतनी मोटी और गदरायी हुई है ।
धर्मवीर ने अपने हाथ जांघो से ऊपर करते हुए पूजा के सीने पर पहाड़ की तरह तने हुए चूचों पर जब हाथ रखा तो पूजा के
मुंह से sssssssshhhhhiiiii की आवाज निकली लेकिन यह आवाज तो सबकी एक ही जैसी होती है ।
वैसा ही सोमनाथ ने किया लेकिन सोमनाथ भी नहीं पहचान पाया और दोनों घोड़ियां सिसकारी भर उठीं।
धर्मवीर ने कहा कि एक आईडिया है सोमनाथ जी उनके मुंह से आवाज निकलवाने का कि इनको थप्पड़ मारा जाए।
सोमनाथ कहने लगा नहीं समधीजी जी हम अपनी बेटियों के साथ मारपीट नहीं कर सकते ।
यह सुनकर धर्मवीर बोला मैं कौन सा गाल पर मारने के लिए बोल रहा हूं इनके पिछवाड़े पर मार कर देख लेते हैं ।
ऐसी बातें सुनकर उपासना और पूजा शर्म से मरी जा रही थी लेकिन उन्हें मजा भी आ रहा था ।
सोमनाथ ने कहा कि हां यह ठीक रहेगा, पहले मैं ही मार कर देखता हूं और सोमनाथ ने उपासना की भारी भरकम गांड वपर
एक चपत लगाई ।
नितंबों पर थप्पड़ लगते हैं हैं उपासना के मुंह से आउच निकलते निकलते रह गया क्योंकि उसने अपने दांतो से होठों को भींच
लिया था ।
फिर धर्मवीर ने अपने ढाई किलो के हाथ से पूजा के चूतड़ों पर थप्पड़ मारा लेकिन वह भी sssssssshhhhhiiiii कर पाई ।
जब दोनों के कू ल्हों पर थप्पड़ लगे तो दोनों की गांड हिलने लगी धर्मवीर और सोमनाथ ने दोबारा से थप्पड़ मारा लेकिन दोनों
के मुंह से sssssssshhhhhiiiii ही निकल पाती। और उनके चूतड़ थप्पड़ खा कर कु छ देर तक हिलते रहते।
धर्मवीर कहने लगा सोमनाथ जी यह तो आज पक्का इरादा करके आई हैं कि चाहे हम कु छ भी कर ले लेकिन ये बोलेंगीं नहीं
तो कै से पहचाने ।
सोमनाथ जी - समधी जी यह तो आपने ठीक कहा क्योंकि जितने थप्पड़ हमने उनके पिछवाड़े पर लगाए हैं इतने में तो ये
चिल्ला पड़ती लेकिन दोनों घोड़ियों को देखो तो बस सिसकारी भरती हैं ।
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अपने बारे में ऐसा सुनकर उपासना पूजा शर्म से दोहरी होती जा रही थी , लेकिन उनको अब मजा भी आने लगा था और इसी
मजे के लिए वह अपने मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी ।
श्री धर्मवीर और सोमनाथ जी ने पूजा और उपासना को गोद में उठाया और लंबे चौड़े बड़े बैड पर पटक दिया ।
यह सुनते ही उपासना और पूजा बेड पर उल्टी लेट गई अब तो उनकी मोटे चूतड़ों वाली गांड ऊपर की तरफ उभरकर आ गई
।
यह देख कर सोमनाथ बोला- समधी जी मुझे तो ऐसी भी पहचान नहीं हो पा रही देखो तो दोनों का पिछवाड़ा बराबर उठा
हुआ है ।
सोमनाथ और धर्मवीर उल्टी लेटी दोनों घोड़ियों के कं धों को सूंघने लगे और सूंघते सूंघते कमर तक आ गए लेकिन फिर भी
नहीं पहचान पाए । फिर दोनों ने उनके चूतड़ों पर हाथ फे रा और दोनों के चूतड़ों को पूरा खोल दिया और खुली हुई गांड में
अपना मुंह घुसा दिया ।
इसकी उम्मीद पूजा और उपासना को नहीं थी जैसे ही अपने चूतड़ों में दोनों का मुंह घुसा होना महसूस हुआ दोनों ने अपने
हाथ की मुट्ठियों में बेड की चादर को भींच लिया और sssssssshhhhhiiiii करने लगी ।
दोनों की चूत पानी बहाने लगी कु छ देर तक उनकी गांड में मुँह घुसा कर सूंघने के बाद भी पता नहीं चला फिर दोनों ने उनकी
गांड पर चार चार थप्पड़ लगाए और उन्हें सीधी लेटने को बोला ।
लेटी हुई दोनों की मोटी मोटी जांघे और फै ल गई चूत का उभार साफ दिख रहा था और दोनों की सांसें बहुत तेज गति से चल
रही थी ।
सांसे तेज चलने के कारण दोनों के चूचे ऊपर नीचे हो रहे थे।
फिर धर्मवीर और सोमनाथ उनके गले को सूंघने लगे लेकिन दोनों की पहचान नहीं हो पा रही थी तब सोमनाथ ने कहा कि
अब तो लगता है हम पहचान ही नहीं पाएंगे ।
यह सुनकर धर्मवीर ने कहा कि आप चिंता ना करो मैं कोई रास्ता निकालता हूं ऐसा कहकर धर्मवीर ने कहा कि तुम दोनों
अपनी टांग मोड़ कर अपने सीने से लगा लो।
यह सुनकर दोनों ने अपनी टांगों को अपनी छाती से लगा लिया पूजा और उपासना इतनी मस्ता गई थी कि वह कु छ भी करने
के लिए तैयार थी और उन्हें इस खेल में अलग ही आनंद मिल रहा था ।
जितना हो सकता था दोनों ने उतना अपने घुटनों को मोड़कर छाती से लगा लिया ।
इस अंदाज में उनकी गांड ने फे ल कर पूरा आकार ले लिया और मोटी मोटी जांघे एक जगह मिली होने के कारण सोमनाथ
और धर्मवीर के लिए कं ट्रोल से बाहर होता जा रहा था ।
धर्मवीर और सोमनाथ ने चूतड़ों के नीचे हाथ रखा और हल्का सा ऊपर उठा कर अपना मुंह उनकी जांघों के बीच में चूत वाले
हिस्से पर रख दिया।
उपासना और पूजा की हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि चूतों से बहता पानी उनकी ड्रेस को गीला कर रहा था । और उस
पानी को सोमनाथ और धर्मवीर चाटने लगे ।
धर्मवीर बोला सोमनाथ जी मुझे तो लगता है की उपासना और पूजा दोनों ने गीली ड्रेस पहन ली है।
सोमनाथ बोला- समधीजी मुझे भी यही लगता है देखिए तो यह भी पानी छोड़ रही है ।
दोनों की चूतों से उनके मूत की हल्की-हल्की महक सोमनाथ और धर्मवीर के नथुनों में आ रही थी ।
धर्मवीर और सोमनाथ ने उनकी गांड पर तीन चार थप्पड़ लगाए और अपने हाथ से चूतों को सहलाने लगे।
चूत पर हाथ लगते हैं दोनों मस्ती से भर उठी। दोनों की चूतों को खूब सहलाने के बाद सोमनाथ ना दोनों चूतड़ों के बीच में
अपनी उंगली घुसा दी । जिससे उनकी ड्रैस में एक छेद हो गया ।
और उसी छेद में अपनी दो उंगली घुसाकर सोमनाथ ने उपासना के ड्रेस को फाड़ दिया ।
यह देखकर धर्मवीर समझ चुका था कि यह पूजा ही है क्योंकि उपासना को तो पहली रात ही चोदा था उसने लेकिन उसने
बताया नहीं ।
वैसा ही सोमनाथ ने किया फिर दोनों ने अपना मुंह उनकी चूत के पास लाकर अपनी नाक को उनकी चूत पर रखा और एक
गहरी सांस ली जैसे ही सांस लेकर सूंघा तो उपासना और पूजा सहन ना कर सकीं और झड़ गई ।
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झड़ते ही उपासना के दिमाग मे पता नही क्या आया उसने फु र्ती से बैड पर सीधी होकर सोमनाथ की छाती में लात मारी
जिससे सोमनाथ उसका सगा बाप बैड से नीचे जा गिरा ।
ये देखकर धर्मवीर तुरंत हट गया पूजा की चूत से और मुह और आंखे फाड़कर उपासना के इस रूप को देखने लगा । बिल्कु ल
चंडी का रूप लग रही थी उपासना ।
उपासना ने अपने मुह पर से पर्दा हटाकर कपड़ा फें क दिया और पूजा का मुह भी बेपर्दा कर दिया ।
उपासना लगभग चीखती हुई - ये कौन सा खेल और कौन सी सजा है जिसमे एक सगा बाप अपनी बेटी की टांगो के बीच
अपना मुह तक घुसा बैठा ।
उपासना चिल्लाते हुए बोलने लगी - मैं मजबूर थी कल रात अपने ससुर के साथ सोने के लिए इनके वंश की वजह से । लेकिन
ये कै सा ढोंग है कि आज एक सगा बाप अपनी मान मर्यादा भूल गया । ये तक भूल गया कि मैं उसकी बेटी हूं ।
ऐसा कहकर उपासना पूजा का हाथ पकड़कर लगभग पूजा को खींचती हुई अपने साथ कमरे से निकल गयी ।
सोमनाथ की आंखों के सामने अंधेरा छा गया उसे समझ नही आया कि हुआ क्या । बिल्कु ल मौन होकर फर्श पर पड़ गया
सोमनाथ ।
धर्मवीर अभी भी समझने की कोशिश कर रहा था कि आखिर यह सब क्या था जो आंधी की तरह आया और तूफान की तरह
सबकु छ उजाड़कर चला गया ।
खैर दोस्तों मेरे प्रिय पाठकों आप तो धर्मवीर को अच्छी तरह से जानते हो कि वो कितना बिंदास और चालाक इंसान है सो
अपने स्वभाव अनुसार धर्मवीर ने इतना ही कहा - मार गयी बहन-की-लौड़ी खड़े लंड पर लात ।
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Comments करके हौसला जरूर देना और कहानी के बारे में अपनी अपनी राय जरूर देना । पूरे 3 घंटे की मेहनत लगी है
इस update को लिखने में ।
Update 20
चलो दोस्तो आगे की कहानी की शुरुआत फिर एक शायरी के साथ करते हैं
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धर्मवीर जोर से हसने लगा । यह देखकर सोमनाथ हैरान होते हुए धर्मवीर का मुह ताकते हुए कहने लगा ।
धर्मवीर - अरे मैं हालातों पर नही बल्कि तुम्हारे खड़े लंड पर हसा हूं , तुम्हारी बेटी तो खड़े लंड पर लात मार गयी भईया ।
hahahaha।
सोमनाथ - उड़ा लीजिये आप भी मेरी हंसी । क्योंकि आप तो पहले ही उपासना से मजे ले चुके है । अगर उसने आपके साथ
ऐसा किया होता तो पता चलता ।
धर्मवीर - हंसी तुम्हारी नही उड़ा रहा हूँ मेरे दोस्त । और मैं यही समझने की कोशिस कर रहा हूँ कि जब हमने उनकी बातें सुनी
थी तब तो वो चुदवाने के लिए मरी जा रही थीं दोनों फिर अचानक ये क्या हुआ ।
उधर उपासना जैसे ही अपने रूम में पहुंची तो रोने लगी । अभी तक पूजा को भी कु छ समझ नही आरहा था कि दीदी को
अचानक क्या हुआ ।
पूजा - दीदी आप अचानक इस तरह रोने क्यों लग गयी । मैं कु छ समझी नही ।
उपासना ने अपना मोबाइल पूजा को दिया पूजा ने देखा तो उसमें शालीनी का मैसेज था - Daddy Rakesh bhaiya ne
atmahatya kar li hai . Or ek note likhkar gye h vo .
यह पढ़कर पूजा के सर का आसमान घूम गया । नही जीजू कहते हुए वो भी रोने लगी ।
तभी 10 मिनट बाद धर्मवीर और सोमनाथ नीचे आये तो दोनों को रोता देखकर वो भागकर दोनों के पास आये ।
धर्मवीर सर झुकाकर - बेटा यदि हमसे और तुम्हारे पापा से इतनी बड़ी गलती हो गयी है तो हमे मांफ कर दो ।
सुबह के 7 बज रहे थे । धर्मवीर जी को होश आ चुका था । धर्मवीर जी के पास इस वक्त उपासना पूजा बैठे हुए थे ।
डॉक्टर - सर आप इस वक्त बिल्कु ल स्वस्थ हो । बस आपको किसी बात की चिंता या कोई भी ऐसी बात नही सोचनी है
जिससे आपके दिमाग पर जोर पड़े ।
तभी शालीनी की एंट्री होती है । शालीनी आते ही उपासना के गले लगकर रोने लगी ।
तभी रूम में एक नए किरदार की एंट्री होती है जिनका नाम बलवीर है । ये बलवीर भाई है धर्मवीर जी के जो अमेरिका में
सेटल है अपने परिवार के साथ।
इनकी उम्र अभी 45 साल है । अमेरिका में रहते है लेकिन फिर भी दिल है इनका हिंदुस्तानी ।
पूरे सात फीट इनकी हाइट है । तगड़े तंदरुस्त है पर रंग से काले है । कोई भी देखकर इन्हें इंडियन नही अफ्रीकन ही कहेगा ।
इनकी कद काठी अनुसार ही इनके लंड का साइज भी 14 इंच है जिनकी मोटाई लगभग हाथ की कलाई के बराबर होगी ।
इनकी एक ही खासियत है कि जिसे भी आजतक इन्होंने चोदा है फिर उसे किसी और के चोदने लायक नही छोड़ा , मतलब
सीधा और साफ है जिसे भी ये एकबार चोद लेते है उसकी चूत को भोसड़ा बना देते है । रहम नाम की चीज इनके अंदर है ही
नही । अब आगे पढ़िए ।
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उपासना ने तुरंत पर्दा किया । शालीनी चाचाजी के गले लगकर रोने लगी।
बलवीर - नही बेटा शायद हमारी किस्मत में ये ही लिखा था । कोई ऐसी बात जरूर थी जिसने हमारे बेटे को ऐसा करने पर
मजबूर कर दिया ।
तभी पूजा पानी लेकर आ चुकी थी पानी की प्यास किसको थी कु छ देर बैठने के बाद बलवीर जी अपने भाई धर्मवीर के पास
गए और गले से लिपट कर रो पड़े।
बलबीर ने मन ही मन सोचा यदि मैं ही भैया को नहीं संभालूंगा तो भैया को कौन संभालेगा ऐसा सोचकर उन्होंने अपने
आपको हिम्मत दी और अपने भाई धर्मवीर का हाथ अपने हाथों में लेकर उन्हें ढांढस बंधाया ।
तभी घर में आरती की एंट्री होती है आरती की आंखों से बहते आंसू को देखकर बलबीर ने अपनी बहन को गले से लगाया
और तीनों बहन भाई कु छ देर की खामोशी के बाद एक दूसरे की आंखों में देखकर एक दूसरे को हिम्मत देने लगे ।
उधर जापान में पुलिस वालों को नदी में एक बॉडी तैरती हुई दिखाई दी ।उन्होंने जल्दी से उस बॉडी को पानी से निकाला बॉडी
के पेट से खून निकल रहा था ।
उसे जल्दी से हॉस्पिटल ले जाया गया जहां जाकर पता चला कि इंसान के शरीर में चाकू से हमला हुआ है लेकिन दिल या
फे फड़ों में कोई घाव नहीं है।
पुलिस को उसकी जेब से उसका बटुआ मिला तो पता लगा कि वह राके श नाम का कोई इंडियन है ।
राके श को हॉस्पिटलाइज कर दिया गया जहां उसे अभी तक कोई होश नहीं था ।
ब्लड चढ़ाया गया शाम के वक्त राके श को होश आया उसमें अब इतनी जान नहीं बची थी कि वह खड़ा हो सके ।
दो-तीन दिन बीत गए जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे राके श की हालत में सुधार हो रहा था 4 दिन में राके श अपना खाना खुद खाने
लगा और आराम से उठने बैठने लगा इन 4 दिनों में राके श के दिमाग में कोहराम मचा रहा।
कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ? क्यों उसकी ही बहन ने उसकी यह हालत करदी ।
5 दिन बीत चुके थे । हॉस्पिटल से राके श को की छु ट्टी कर दी गई लेकिन राके श ने अभी तक अपने किसी भी मिलने वाले से
संपर्क नहीं किया था।
उसने हॉस्पिटल में भुगतान किया और कु छ दिन जापान में ही रहने की ठानी उसने एक होटल में रूम लिया और वहीं पर
सेटल होकर अपनी हालत सुधारने लगा ।
धीरे-धीरे एक सपना समझकर अपने बेटे को भुलाने की कोशिश करने लगा था धर्मवीर ।
बलवीर और आरती दिनभर धर्मवीर और उपासना को बिजी रखते जिससे की उन्हें याद ही ना आ सके ।
अब उस घर में 7 लोग रहते थे धर्मवीर बलवीर सोमनाथ उपासना आरती शालिनी और पूजा ।
बलबीर बोला - भैया जी मैं सोच रहा हूं कि काफी दिन हो गए हैं आपको कहीं घूम कर आना चाहिए ।
धर्मवीर - मैं तो यहां पर घूमता ही रहता हूं बलबीर एक काम करो तुम काफी सालों बाद इंडिया आए हो तुम घूम कर आओ ।
बलवीर - जी भैया जैसा आप कहें लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि आप मुझे अके ले ही घूमने भेज रहे हैं या कोई मुझे गाइड
करने वाला भी साथ है।
यह सुनकर धर्मवीर हंस पड़ा धर्मवीर बोला जिसे तुम ले जाना चाहो उन्हें अपने साथ ले जाओ ।
बलवीर पूछने लगा कि कोई है जो घूमना चाहता हो । वर्ल्ड टूर नहीं लेकिन इंडिया टूर तो जरूर ही घूम लेंगे ।
यह सुनते ही आरती खुश हो गई और एक साथ चहकते हुए बोली भैया आप चिंता क्यों करते हो मैं हूं ना । हम दोनों भाई
बहन चलते हैं घूमने ।
तभी बलवीर ने शालीनी से भी पूछा शालीनी ने पता नही क्या सोचकर हां करदी ।
आरती , शालीनी और बलवीर का प्लान फिक्स हो चुका था । अगले दिन सुबह को बलवीर, शालीनी और आरती अपने 6
दिन के टूर के लिए रवाना हो चुके थे । ड्राइवर उनको सुबह 7 बजे एयरपोर्ट लेकर पहुंच चुका था ।
सोमनाथ और धर्मवीर बिल्कु ल शांत बैठे हुए थे तभी रूम में पूजा चाय लेकर आती है ।
पूजा चाय रखकर चली गयी । सोमनाथ और धर्मवीर चाय की चुस्की लेने लगे ।
सोमनाथ जी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा - समधीजी , जो हुआ वो होना ही था । अब कितना भी हम सोच ले लेकिन अपने
भूतकाल को नही बदल सकते । मैं समझता हूं लेकिन राके श आपका ही बेटा नहीं हमारा भी दामाद था । और मैने तो कभी
दामाद समझा ही नही बेटा ही समझा था । पर होनी को कौन टाल सकता है ।
सोमनाथ - अब आगे की जिंदगी बच्चो के सहारे खुशियों के साथ गुजारिये और गम को भुलाने में ही हम सबकी भलाई है ।
उधर उपासना ने भी जिंदगी से संधि कर ली थी । अब वो भी सामान्य होने लगी थी । पूजा उसको दिन भर हसाती रहती ।
उनके कमरे में से भी अब चहकती आवाज और हँसने की आवाजें आने लगी थी ।
उपासना - अच्छा मतलब अब तुम हमे बताओगी की मैं ज्यादा मटक रही हूं ।
उपासना - अब तू बता पूजा की चलते में तू नही मटक रही थी क्या जो मुझे बोल रही थी । पिछवाड़ा तो तेरा भी ऊपर नीचे
हिल रहा था ।
उपासना - नीचे जो जंगल था वो साफ किया तूने या नही । जब तू आयी थी तब तो तेरी झांटों से ढका हुआ था सबकु छ ।
पूजा - क्या दीदी आप भी ना । बताया तो था कि वहां के बाल सेव नही करती और तबसे तो टाइम भी नही मिला है करने
का।
उपासना - मैं तो एक लड़की हूँ और तेरी बहन भी हूँ , मुझसे तो तू बड़ी शर्मा रही है और बेशक किसी दुसरे के सामने टांग
फै लाकर लेट जाएगी ।
उपासना ने पूजा की कोई बात ना सुनते हुए पूजा की सलवार का नाड़ा एक झटके में खोल दिया । नाड़ा खुलते ही सलवार
नीचे गिर गयी ।
उपासना ने देखा कि पूजा की मोटी जांघो के बीच मे उसकी चूत पैंटी से ढकी हुई है लेकिन चूत के साइड में से काले काले
बाल निकलते दिखाई पड़ रहे थे ।
फिर उपासना ने पूजा की पैंटी में अपनी उंगलिया फसाई और पैंटी घुटनों तक सरका दी ।
उपासना के मुह से देखकर इतना ही निकला - हाय रब्बा । और पूजा ने ऐसा कहते हुए अपने मुह पर हाथ रख लिया ।
उपासना ने देखा कि पूजा की चुत घनी काली काली झांटों से ढकी हुई है । झांटों के बाल उंगली से भी ज्यादा लंबे है ।
उपासना - तेरी चूत तो मुझे झांटों की वजह से दिख नही रही पर चूत के ऊपर फै ले इस घने जंगल को देखकर ही मैं कह
सकती हूं कि तेरी चूत तो लुगाइयों की चूतों को भी मात देती है ।
पूजा - दीदी अब ये तो सभी की ऐसी ही होती है ।
उपासना - नही पूजा तेरी चुत को देखकर यही कहा जा सकता है कि इस चूत का पानी निकालना हर किसी के बस की बात
नही ।
दोस्तो एक महीने से उपासना ने भी झांटों को साफ नही किया था । लेकिन उपासना की चूत पर पूजा की चूत के बराबर बाल
नही थे ।
पूजा की चूत पर बालों का जमावड़ा था जबकि उपासना की चूत पर बाल नाखून से थोड़े ही ज्यादा बड़े थे ।
यह देखकर पूजा कहने लगी- मैं मानती हूं कि मेरी चूत पूरी ढकी हुई है लेकिन कम तो आप भी नहीं हो दीदी , देखो तो
आपकी चूत को देखकर ऐसा लगता है जैसे यह चूत निगलना चाहती हो कु छ और निगलना ही क्या पूरा मोटा लंड खाना
चाहती है । तुम्हारी चूत को रौंदना भी कौन सा बच्चों का खेल है जो आप मुझे कह रही हो ।
यह सुनकर उपासना भी शर्मा दी । दोनों बहने एक दूसरे की चूतों को हाथ से सहलाने लगी और गर्म होने लगी ।
हाथ से सहलाते हुए उपासना बोली- पूजा तेरी चूत पर बाल ही लंबे नही बल्कि तेरी तो चूत भी मेरे पूरे हाथ में मुश्किल से आ
रही है । तेरी चूत के होंठ काफी मोटे मोटे हैं ।
पूजा भी सिसकारी भरते हुए बोली- दीदी चूत तो आपकी भी मेरे पूरे हाथ में नहीं आ रही है ।आपकी भी कचोरी जैसी चूत है
और इसके लिए कोई मोटा लंबा लौड़ा ही होना चाहिए ।आपकी चूत पर झंडा गाड़ना कोई बच्चों का खेल नहीं है
दोनों बहने काफी गर्म हो चुकी हो चुकी गर्म हो चुकी हो चुकी थी अब तो उनकी आंखों में लंड नाचने लगे थे
पूजा - दीदी अब दिल नहीं करता क्या आपका । कै से संभाल पाती हो अपने आप को । जिस औरत के पास तुम्हारे जैसी चूत
हो उसको तो सुबह-शाम लंड से खेलते रहना चाहिए ।
उपासना ने एक नजर उसको देखा और बोली - बहुत बोलना सीख गई है तू चल जब तू ने पूछा है तो बता ही देती हूं । किस
का मन नहीं करता लंड लेने को । सबका करता है और जैसा तूने कहा कि अगर औरत मेरे जैसी हो तो। हां पूजा यह बात
सही है मेरी जैसी औरत को दिनभर लंड पर चढ़े रहना चाहिए । लेकिन फिर भी मैं अपने आप को संभाल लेती हूं ।कोई चारा
भी तो नहीं क्या करूं ।
पूजा बोली- दीदी चारा तो है और आप जानती भी हैं , लेकिन पता नहीं क्यों आप इस तरह से बदली बदली रहने लगी है ।
उपासना बोली - पहले बात अलग थी अब मुझे नहीं लगता कि धर्मवीर मेरे ससुर या मेरे पापा सोमनाथ इस रिश्ते को कबूल
करेंगे ।
पूजा बोली - लेकिन फिर भी एक बार पता तो करना चाहिए कि उनके दिल में क्या है?
उपासना को यह बात थोड़ा जंची और उसने हामी भर दी ।
दोनों ने अपने बंगले के बगीचे में नहाने का प्लान बनाया और स्विमिंग पूल में चले गए।
दोस्तों धर्मवीर के बंगले में स्विमिंग पूल पार्किंग वाली जगह के साइड में बना हुआ था ।जहां से वह धर्मवीर के रूम से
बिल्कु ल साफ दिखाई देता था ।
पूजा ने दो बिकनी निकाली लेकिन उपासना ने बिकनी पहनने को मना कर दिया और उसने एक सलवार उसके ऊपर ब्रा
पहनने के लिए बोला ।
सलवार जो पहनी थी दोस्तों शालिनी की सलवार दोनों घोड़ियों ने पहन ली। जो कि चूतड़ों पर वैसे ही टाइट हो गई थी दोनों ने
अपने बालों का जुड़ा बनाकर सर पर रख लिया।
पीछे से कमर बिल्कु ल नंगी हो गई दोनों की और उस पतली कमर के नीचे तबले जैसे चूतड़ों पर पहनी हुई सलवार ।
किसी काम देवी की तरह दोनों स्विमिंग पूल की तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगी ।
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दोस्तों कहानी कै सी चल रही है मुझे कमैंट्स करके जरूर बताएं क्योंकि मुझे लिखने का कोई ज्यादा तजुर्बा नही है । इस 24
साल के नवयुवक से यदि कोई गलती हो लिखने में तो माफ कीजियेगा । यह शब्दो से खेलने की एक छोटी सी कोशिश है मेरी
।
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Update 21
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दोस्तों जैसे ही समय मिलता है मैं update कर देता हूँ plz अपना साथ बनाये रखें । ये बात पक्की है कि इस कहानी को पूरी
लिखूंगा तब तक कोई नई कहानी नही शुरू करूँ गा और इसे मैं XForum की सबसे longest story बना दूंगा । दोस्तों मैं
मोबाइल से type करता हूं तो मुझे एक update पूरा करने में 4 से 5 घंटे तक का समय लग जाता है और इस lockdown
में मैं फै मिली के साथ हूं तो आप समझ सकते है । आशा करता हूं आप मेरे हालातों को समझते हुए इस कहानी का मजा लेंगे
। तो चलिये बिना समय गंवाए खोल लीजिये अपनी जीन्स का हुक और ले जाइए अपना हाथ .... hahaha it's part of a
joke plz don't mind . Let's begin
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वैसे ही धर्मवीर की नजर उन पर पड़ी तो मैं देखता ही रह गया वह बस इतना ही बोल सका सोमनाथ जी देखिए जरा जरा
जैसे ही सोमनाथ ने देखा मानो स्वर्ग में विचरण करती दो अप्सराओं को उसने देख लिया हो ।
सोमनाथ और धर्मवीर अपनी आंखों को सेंकते हुए उनको खिड़की पर खड़े होकर देखने लगे ।
उधर उपासना और पूजा स्विमिंग पूल के पास पहुंचकर धीरे धीरे पानी मे उतर गयीं ।
धर्मवीर और सोमनाथ तक उनकी आवाज तो नही पहुंच पा रही थी लेकिन देखकर वो अंदाजा लगा सेकते थे कि दोनों बहनें
कितनी खुस नजर आरही है। दोनों हंसते हुए एकदूसरे को चिकोटी भी काट रहीं थीं ।
कु छ देर नहाने के बाद दोनों बाहर निकली । उनका ये रूप यदि कोई ऋषि मुनि भी देख लेते तो भी खड़े खड़े अपने आपको
झड़ने से नही रोक पाते ।
क्योंकि दोनों की जांघो पर सलवार चिपक चुकी थी पानी से । चोली में उनके मोटे मोटे चूचे नजर आरहे थे और उन चुचों से
टपकती पानी की बूंदे । बहुत ही ज्यादा मनमोहक और मादक दृश्य था जो धर्मवीर और सोमनाथ की आंखे देख रही थी ।
तभी उपासना ने तिरछी नजर से धर्मवीर के रूम की तरफ देखा (कु छ इस तरह कि धर्मवीर और सोमनाथ को पता ना चल
सके ) तो उसका ससुर और उसका सगा बाप उन्हें ही ताड़ रहे थे ।
उपासना - उधर मुह करके मत देखना पुजा पर वो दोनों हमे ही देख रहे है ।
तभी उपासना ने पूजा के पेट पर चिकोटी काटी और भाग ली। पीछे पीछे उपासना को पकड़ने के लिए पूजा भी भागी ।
भागते हुए उन दोनों के चूतड़ों ने तो धर्मवीर और सोमनाथ के दिल और लंड मे तूफान मचा दिया ।
धर्मवीर - सच बोलू तो मेरा दिल कह रहा है तुमने चूतों की रानियां पैदा की है सोमनाथ जी ।
धर्मवीर - मेरा तो मन कर रहा है कि दोनों को यहीं पटक कर चोद दूं बिना कोई रहम किये ।
सोमनाथ - इनपर रहम करना तो मूर्खता होगी समधीजी । ये तो हार्डकोर रंडियां लगतीं है मुझे ।
उधर पूजा ने भागते भागते जैसे ही उपासना को पकड़ा तो पूजा ने उपासना को खड़ी करके उसके चूतड़ों पर 8, 10 थप्पड़
खींच दिए ।
सोमनाथ बोला - इन दोनों का मटकना यह साबित करता है कि इन्हें एक ताबड़तोड़ चुदाई की जरूरत है ।
धर्मवीर बोला- तो क्यों ना आज इनकी चूतों में अपना सोमरस भर दिया जाए।
सोमनाथ - लेकिन समधी जी मैं सोच रहा हूं कि पहले हमें पता कर लेना चाहिए की उपासना चुदने के लिए रेडी है भी या
नहीं।
उधर उपासना और पूजा भी नहा कर वापस आ चुकी थी और आज कई दिनों के बाद उपासना और पूजा ने टाइट जींस
पहनी थी ।
ऊपर दोनों ने स्लीवलैस टॉप पहना हुआ था जो नाभि के काफी ऊपर था। पूजा ने अपने बालों को जुड़ा बनाकर सर पर रखा
हुआ था और उपासना ने अपने बाल खुले छोड़े हुए थे और उसके रेशमी बाल कमर पर लहरा रहे थे। और उसके नीचे जींस में
फं से हुए उसके चूतड़ जानलेवा लग रहे थे
धर्मवीर और सोमनाथ हॉल में आकर बैठ गए तभी उपासना और पूजा हॉल में आई ।
उपासना - पापा जी यदि आपका चाय पीने का मन कर रहा है तो आपके लिए चाय ले आयें।
सोमनाथ - बेटी चाय तो अभी पी थी थोड़ी देर पहले यदि कु छ और हो खाने के लिए हल्का-फु ल्का तो वह ले आओ ।
उपासना ने के ले पकड़ते हुए चाकू भी मांगा और चाकू से छोटे छोटे पीस करके उपासना के ले खाने लगी ।
इस तरह से के ले खाते हुए देखकर सोमनाथ बोला - बेटी के ले हमारी तरह छीलकर खाओ , क्या यह छोटे छोटे के ले काट कर
खा रही हो ।
यह सुनकर उपासना की नजरें सोमनाथ की नजरों से टकरा गई अपने बाप की नजरों में झांककर उपासना ने इस्माइल देते
हुए अपना चेहरा झुका लिया।
धर्मवीर - उपासना क्या हुआ बहू, खाओ ना के ले तुम्हारे पापा कितने प्यार से तुम्हें के ले खिला रहे हैं।
उपासना बोली धीमी आवाज में - बिना काटे नहीं खा सकती मैं के ले।
इतना ही सुनना था की पूजा बोली कै से नहीं खा सकती हो दीदी मैं खिलाती हूं तुम्हें के ले।
पूजा ने उपासना की गर्दन में हाथ डाला और एक हाथ में के ला पकड़ा। यह के ला सबसे मोटा था लेकिन गर्दन में एक हाथ
होने की वजह से एक हाथ से छीन वह छील नहीं सकती थी तो उसने सोमनाथ जी से कहा पापा जी के ला छीलिये दीदी को
मैं खिलाती हूं ।
सोमनाथ ने उठकर के ले को आधे से ज्यादा छील दिया ।
उपासना और पूजा की मोटी मोटी जांघे जींस में फं सी हुई थी और बड़ा ही मनमोहक दृश्य था जब पूजा उपासना को के ला
खिलाने वाली थी ।
उपासना ने हल्का सा मुंह खोला लेकिन के ला मोटा था और पूजा इस बात का फायदा उठाना चाहती थी।
उपासना यह सुनकर शर्म से लाल हो गई और उसने अपनी आंखें बंद कर ली। अब वह पूजा की बाहों में लेटी हुई प्रतीत हो
रही थी ।
उपासना ने शर्म से अपनी आंखें बंद किये हुए अपना मुंह और थोड़ा सा खोल दिया ।
उपासना ने के ला दांतो से काट कर खा लिया तब पूजा बोली ऐसे नहीं खाते हैं दीदी के ला । रहने दीजिए दीदी आप ने के ला
खराब कर दिया अब मैं दूसरा के ला लाती हूं क्योंकि यहां तो सारे के ले छोटे हैं ।
पूजा किचन में गई और के ला छांटने लगी तभी उसकी नजर एक के ले पर पड़ी जो सबसे ज्यादा मोटा था और लंबा भी हंसते
हुए पूजा ने वह अके ला उठाया और भाग कर वापस आई ।
लेकिन पूजा जब भागकर किचन में गई थी और जब भाग कर आई तो उसकी गदरायी जवानी छु पी ना रह सकी धर्मवीर और
सोमनाथ की नजरों से।
पूजा ने दोबारा से उपासना की गले में अपनी बाजू डाली और उसे मुंह खोलने को बोला ।उपासना सब समझ रही थी कि यह
क्या चल रहा चल रहा है और साथ में मजा भी ले रही थी ।उसने मजे लेने के लिए मुंह पर हाथ रख कर कहा - हाय रब्बा
इतना मोटा के ला में कै से खाऊं गी ।
उपासना ने थोड़ा सा और मुंह खोला पूजा ने आधा के ला उपासना के मुंह में डाल दिया।
यह सुनकर उपासना ने अपनी आंखें और तेजी से मीच ली शर्म से वह गढ़ी जा रही थी।
पूजा बोली सोमनाथ से - देखो पापा दीदी अपने मुंह में के ला ले रही है ।
धर्मवीर बोला- सोमनाथ जी आपको क्या लग रहा है उपासना ले पाएगी मुंह में या नहीं ।
सोमनाथ बोला- समधी जी देखो बेटी ले तो रही है मुंह में और कोई भी नहीं कह सकता की उपासना नहीं ले पाएगी यह तो
पूरा ले लेगी।
फिर पूजा ने उपासना के मुंह से के ला निकाला दोबारा से अंदर डाल दिया, जैसे लंड से मुंह को चोदा जाता है वैसे ही पूजा ने
चार पांच बार ऐसा किया।
तब उपासना का के ले से मुंह चोदन होने लगा तो उपासना ने पूजा को एक साथ धक्का दिया और मुंह से के ला निकल गया
साथ में उपासना का लारदार थूक के ले से होता हुआ नीचे टपकने लगा । उपासना को बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी उसने
अपने मुंह पर दोनो हाथ और वहां से भाग खड़ी हुई ।
भागते हुए उसके चूतड़ों को देखकर अपने लंड पर हाथ रख लिया सोमनाथ में और धर्मवीर ने।
के ला पूजा भी काटकर खाने लगी धर्मवीर बोला नहीं जैसे तुमने उपासना को खिलाया है वैसे ही खाओ ।
धर्मवीर उठा और पूजा के पीछे खड़ा हो गया उसने पूजा की गले में हाथ डाला और वही के ला टेबल से उठा लिया जिसे
उपासना को खिलाया जा रहा था।
यह देखकर पूजा बोली यह अके ला तो दीदी का झूठा है ऐसे कै से खा सकती हूं मैं ।
धर्मवीर बोला- मुँह खोलो पूजा लेकिन पूजा ने मुंह नहीं खोला।
पूजा ने भी शर्म से अपनी आंखें बंद कर ली और हल्का सा मुंह खोल दिया लेकिन के ला मोटा था जिस वजह से उसके होठों
में ही फस गया ।
धर्मवीर बोला बेटा पूजा और थोड़ा मुंह खोलो तभी तुम ले पाओगे अंदर। पूजा ने अपना मुंह खोल दिया और धर्मवीर ने आधा
अके ला पूजा के मुंह में डाल दिया।
के ले के चारों तरफ पूजा के होंठ बड़े ही कामुक लग रहे थे क्योंकि उपासना से मोटे थे पूजा के होट।
पूजा के लिए यह बहुत शर्म वाली बात थी। पूजा थोड़ा आगे को हुई लेकिन इस बार धर्मवीर ने अपना पूरा जोर लगाकर पूजा
के पिछवाड़े से चिपका दिया अपना लौड़ा और रहा-सहा के ला भी पूजा के मुंह में डाल दिया।
धर्मवीर बोला- देखिए सोमनाथ जी आपकी छोटी बेटी भी कम नहीं है उपासना से । यह भी पूरा के ला ले गई ।
सोमनाथ बोला हां समधी जी मेरी तो दोनों बेटियां ही एक समान है मेरे लिए।
धर्मवीर बोला- हां सोमनाथ जी यह तो आपने ठीक कहा कोई भी बेटी कम नहीं है । देखो तो इतना मोटा के ला इतने प्यार से
ले लिया मुंह मे ।
फिर धर्मवीर ने के ले को मुंह में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया बड़ी ही कामुक अंदाज में पूजा के ला चूसने लगी ।
के ले को अंदर बाहर बाहर करते हुए धर्मवीर ने पूजा के पिछवाड़े से अपना लंड रगड़ना शुरु कर दिया।
पूजा भी कहां कम थी उसने भी अपनी गांड पीछे की तरफ धके ल कर चूतड़ों को धर्मवीर के लंड पर रगड़ना जारी रखा।
5 मिनट तक यही सीन सीन चलता रहा फिर अचानक पूजा ने पूरा के ला दांतों से काट कर खा लिया ।
फिर पूजा चाय के कप उठाकर किचन में जाने लगी लेकिन जैसे ही उसने कप उठाया उसके हाथ से कप छू ट गया और नीचे
गिर गया कप नीचे गिर के टूट चुका था , पूजा उसे उठाने के लिए नीचे झुकी तो टाइट जींस में उसके चूतड़ सोमनाथ और
धर्मवीर के लंड पर कहर बरपाने लगे ।
धर्मवीर बोला- बेटी तुमने कप तोड़ा है इसकी पनिशमेंट तो तुम्हें मिलनी ही चाहिए ।
पूजा समझ गई उसने बड़े ही नशीली अंदाज में कि मैं हर पनिशमेंट के लिए रेडी हूं , मुझे जो सजा दोगे मंजूर है ।
धर्मवीर बोला नहीं पूजा तुम्हारे लिए दो ऑप्शन है या तो अब दो थप्पड़ एक एक गाल पर खाओ या अपने पिछवाड़े पर
खाओ ।
यह सुनते ही पूजा शर्मा गई और शर्मा कर अपना पिछवाड़ा धर्मवीर की तरफ करके खड़ी हो गई ।
धरमवीर समझ गया पूजा भी अपने पिछवाड़े पर ही स्लैपिंग चाहती है ।
धर्मवीर ने दूसरा थप्पड़ लगाया दोनों चूतड़ों पर एक थप्पड़ खाकर पूजा भागती हुई कमरे से निकल गई।
सोमनाथ जी भी बहुत गौर से देख रहे थे जब धर्मवीर पूजा के मतवाले नितंबो पर थप्पड़ मार रहे थे।
धर्मवीर सोमनाथ की तरफ चलते हुए बोला कु छ भी हो दोनों पूजा और उपासना का खाना पीना उनके पिछवाड़े पर ही लग
रहा है देखो तो ऐसी मादक घोड़ियों की तरह घूमती फिरती है ।
तभी सोमनाथ बोला - पूजा अभी भागकर उपासना के पास ही गई होगी चलो देखते हैं दोनों में क्या बातें चल रही है।
ऐसा कहकर उपासना और पूजा के रूम की तरफ चल दिए सोमनाथ और धर्मवीरजी । गेट के पास जाकर दोनों ने कान
लगाकर सुनना शुरू किया ।
पूजा बोली - होना क्या था आपके ससुर जी और हमारे पापा जी कम ठरकी थोड़ी ना है ,जो ऐसे ही आ जाने देते।
यह सुनकर उपासना शर्माते हुए बोली- बड़ी घोड़ी का भागकर आना ही ठीक था वरना वह दोनों पैंट में ही झड़ जाते पर मुझे
तो लगता है वह अधूरा काम तुम पूरा करके आई हो ।
पूजा ने उपासना को बताया कि कै से उसके हाथ से कप गिर गया था और कै से धर्मवीर ने उसके पिछवाड़े को लाल किया है ।
उधर धर्मवीर और सोमनाथ कान लगाकर सारी बातें सुन रहे थे और साथ ही साथ अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहे थे
।
उपासना बोली - तभी मैं कहूं छोटी घोड़ी इतनी लाल क्यों हो रही है वह इसलिए हो रही है क्योंकि मेरे ससुर जी ने उसकी गांड
पर थप्पड़ लगाये हैं।
यह सुनकर पूजा शर्माकर बोली - अपनी गांड को बचा कर रखिएगा कहीं ऐसा ना हो की बड़ी घोड़ी की गांड पर थप्पड़ की
जगह कु छ और ही लग जाए।
पूजा बोली- दीदी मैं तो यह कहना चाहती थी कहीं ऐसा ना हो कि आपकी गांड को फाड़कर ही रख दे ससुर जी ।
उपासना बोली- हाय अब बचा ही क्या है ससुर जी ने तो फाड़ कर रख दी थी मेरी अब तो अपने बाप से फड़वानी है ।अब मेरे
ससुर जी तो तेरी गांड फाड़कर रखेंगे ।
पूजा बोली- दीदी यह तो आगे बढ़ ही नहीं रहे हैं हमें ही कु छ करना होगा।
उपासना बोली- इसमें चिंता वाली क्या बात है, आज रात को उनका लंड तुम्हारी चूत में होगा अगर तुम कहो तो।
पूजा बोली- क्यों दीदी आप भी तो भरना चाहते हैं पापा का लंड अपनी चूत में । और मुझे डर लग रहा है कहीं ऐसा ना हो मैं
आपके ससुर जी का लंड ना ले पाऊं ।
उपासना मुस्कु राती हुई बोली - इसमे डरने वाली क्या बात है । आजकल की लड़कियां बड़े से बड़ा लौड़ा आसानी से खा
जाती है जाती है और तू तो फिर भी घोड़ी है ।अपने पिछवाड़े को देख ,अपनी जांघों को देख , लटकते इन पपीते जैसे चुचियों
को देख फिर तेरी यही फू ली चूत कहेगी कि ये लोड़ा हमारे लिए ही बना है। तेरे जैसी चुड़कड़ घोड़ी धर्मवीर जैसे लोड़े के ही
काबू में आ सकती हैं । वरना तू तो बेलगाम हो जाएगी।
पूजा हंसते हुए बोली - बड़ा तजुर्बा है दीदी आपको तभी आप बेलगाम नहीं हुई हो ।
उपासना बोली - क्या बताऊं मेरी तो ससुर जी ने टिकाकर मारी है । जब चोदते हैं तो हिलने भी नहीं देते ।
उपासना बोली - मुझे तो इंतजार है जब मेरे पापा अपने लंबा सा लोड़ा इस घोड़ी की चूत में उतारेंगे। पूरी तरह से नीच से गांड
उठाकर लूंगी अपने पापा का लंड । अपने पापा का लंड चाट चाट कर निहाल हो जाऊं गी । अपनी चूत को अपने पापा के मुंह
पर मारूं गी और कहूंगी पीलो पापा अपनी बेटी की चूत को ।
उधर धर्मवीर और सोमनाथ भी बातों को सुन सुनकर झड़ गए थे और एक दूसरे को देख कर मुस्कु रा रहे थे ।
पूजा बोली- चलो मार्के ट चलते हैं और कु छ खरीद कर ले आते हैं शाम और रात के लिए ।
जैसे ही ये बात कही पूजा ने तो धर्मवीर और सोमनाथ दबे पांव अपने कमरे में चले गए और जाकर बात करने लगे जैसे उन्हें
कु छ पता ही ना हो ।
पूजा और उपासना ने अपने होठों पर लिपस्टिक लगाई और जल्दी सोमनाथ और धर्मवीर के रूम की तरफ चल दीं ।
जीन्स में कसी हुई घोड़ियां जाकर धर्मवीर और सोमनाथ से बोलीं - पापा जी हमें मार्के ट जाना है यदि आप साथ चलेंगे तो
अच्छा रहेगा ।
धर्मवीर और सोमनाथ भी उनके साथ चल दिए चारों एक ही गाड़ी में मार्के ट की तरफ निकल पड़े । मार्के ट पहुंचकर गाड़ी को
पार्क किया धर्मवीर ने और एक कपड़े के शोरूम की तरफ चलने लगे।
चारों शोरूम में काउंटर पर पहुंचे तब काउंटर पर बैठे लड़के ने बताया कि लेडीस गारमेंट ऊपर है और जेंट्स गारमेंट नीचे ।
और जेंट्स को उपर जाने की अनुमति नहीं है ।
जब वह चलती हुई जा रही थी तभी शोरूम में चार पांच लोग और घुसे।
उपासना और पूजा ऊपर चली गई । और वह चार पांच लोग धर्मवीर और सोमनाथ जहां बैठे थे वहीं पर आकर बैठ गए ।
उनमे से एक बोला - अभी अभी ऊपर दो लड़कियां गयीं हैं इतनी मस्त लड़कियां आजतक तक नहीं देखीं ।
दूसरा बोला- अबे सीधा सीधा बोल ना कि ऐसी गांड आज तक नहीं देखी, क्या पिछवाड़ा था यार ।
अपनी बेटी और बहू के बारे में ऐसी बातें सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ गर्दन नीचे करके बैठे रहे ।
वह चार पांच लोग पूजा और उपासना के बारे में अश्लील बातें करते रहे।
कोई कह रहा था एक रात के लिए मिल जाए तो इन्हें चलने के लायक नहीं छोडूंगा । कोई कह रहा था कि मैं तो पूरी रात
अपना लंड फसा कर लेटा रहूंगा ।
पूजा के हाथ में एक बैग था और दोनों धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी ।
जींस में कसी हुई उनकी जांघें और टॉप में मोटे मोटे चूचे कहर बरपा रहे थे।
जैसे ही वह पेमेंट करके धर्मवीर और सोमनाथ की तरफ आईं तभी उन चार पांच लोगों में से बैठे हुए एक लफं गे ने कहा -
देखो तो कितनी भारी भारी गांड है दोनों की ।
तभी दूसरा बोला पक्का पूरी रात लंड से खेलती होंगी यह दोनों ।
तभी तीसरा बोला मेरा तो मन करता है इनकी गांड पर थप्पड़ लगाता रहूं।
चौथा बोला मेरा मन करता है इनके पिछवाड़े में अपना मुंह घुसा दूं ।
पांचवा बोला मेरा तो मन करता है कि इनके गले में कु तिया वाला पट्टा डालकर अपनी रंडी बना लो और बारी बारी से दोनों
को पूरी रात अपने वीर्य से नहलाते रहो । देखने से ही सस्ती रंडियां लगतीं हैं ये घोड़ियां ।
अब तो बेशर्मी की हद हो चुकी थी धरमवीर गुस्से से खड़ा हुआ और उसने उन में से एक के गाल पर एक तमाचा जड़ दिया ।
बाकी बचे दो जैसे ही वो धर्मवीर की तरफ लपके धर्मवीर ने एक के मुंह पर पूरी जान लगाकर एक मुक्का जड़ दिया और
दूसरे का पैर पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उछाल दिया ।
पुलिस ने आकर देखा तो इंस्पेक्टर ने धर्मवीर के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा- सर हमें माफ कीजिए हमारे होते हुए आप जैसे
शरीफ इंसानों के साथ ऐसा व्यवहार हुआ । हमें जैसे ही फोन पर सूचना मिली तुरंत ही हम पुलिस स्टेशन से दौड़ते दौड़ते
सीधे यहीं पर आए ।
वह चारों-पांचों लोग हैरानी से मुंह फाड़ कर कर पुलिस वालों की तरफ और धर्मवीर सोमनाथ की तरफ देखने लगे कि
आखिर यह हो क्या रहा है ।
तभी पुलिस वालों ने उन्हें पकड़ते हुए कहा कि तुम्हें अब पता चलेगा की शरीफ लोगों की घर की बहन और बेटी को छेड़ने का
अंजाम क्या होता है।
क्योंकि तुम जानते नहीं जिसे तुम ने छेड़ा है वह दिशा इंडस्ट्रीज की मालिक है । और ये हैं धर्मवीर जी फाउंडर ऑफ दिशा
इंडस्ट्रीज।
यह सुनकर चारों के पैरों से जमीन निकल गई और गिड़गिड़ा कर धर्मवीर के पैरों में माफी मांगने लगे । हमें माफ कर दीजिए
सर हमें पता नहीं था कि ये आपके साथ हैं वरना हम ऐसी गलती भूल कर भी नहीं करते
धरमवीर ने कहा- मेरे ही साथ में नहीं यदि कोई भी लड़कियां या औरत मिले तो उसकी इज्जत करना सीखो ।
धर्मवीर ने इंस्पेक्टर से कहा कि इनको माफ कर दीजिए उन्हें जेल मत भेजिएगा, लेकिन इनके घर वालों को बुलाकर उन्हें
बताइएगा और तभी इन्हें घर जाने दीजिएगा ।
यह सुनकर चारों खुश हो गये और धर्मवीर से कहने लगे सर हम आपका एहसान कभी नहीं भूलेंगे लेकिन आप हमारी गलती
भूल जाइएगा , हम माफी चाहते हैं और साथ ही वादा करते हैं कि दोबारा ऐसा किसी लड़की या औरत के साथ यह व्यवहार
नहीं करेंगे ।
धर्मवीर और सोमनाथ ने एक बार आखिरी निगाह उनकी तरफ डाली और बाहर की तरफ निकल गए ।
चारों गाड़ी में बैठकर घर वापस आगये थे कोई अभी तक कु छ नही बोला था । पूजा और उपासना के मन मे आज रात को
होने वाली चुदाई की कल्पना थी तो धर्मवीर के मन मे उस पांचवे गुंडे का चेहरा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उसने उस गुंडे
को पहले भी कही देखा है ।
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दोस्तों कहानी कै सी चल रही है बताते रहिएगा जिससे कि मुझे भी लिखने की excitement बनी रहे ।
Update : 22
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उपासना बोली - वह इतने भोले नहीं है वह समझ गए होंगे कि दोनों रंडियां चुदने को बेताब है ।
उपासना ने रिप्लाई किया - पापा जी हम आ रहे हैं आप चलिए डाइनिंग हॉल में ।
मार्के ट से आ कर उपासना और पूजा ने कपड़े चेंज कर लिए थे उन्होंने एक शॉर्ट कु र्ता पहना था और नीचे कसी हुई लेकिन
पहनी हुई थी । कु र्ता उनके चूतड़ों पर आकर खत्म हो जाता था कहने का मतलब सीधा और साफ है कि कु र्ता उनकी चौड़ी
चौड़ी गांड को छु पाने में नाकामयाब था और उनकी भरी हुई मोटी मोटी जांघे उस लेगिंग में लंड पर जलवे बिखेरने के लिए
काफी थी।
धर्मवीर के हाथ में बियर की बॉटल देखकर पूजा ने चौक ते हुए कहा- पापा जी आप ड्रिंक करेंगे क्या ?
धर्मवीर धीमी आवाज में बोला- यही एक रास्ता है तुम जैसी रंडियों को बेशर्म बनाने का ।
पूजा ने यह बात कु छ इस तरह कही जैसे उसे कु छ सुनाई ना दिया हो जबकि सच यह था की पूजा और उपासना दोनों यह
सुन लिया था और उन्हें साफ-साफ सुनाई दिया था ।
धर्मवीर एक साथ बोला- मैं यह कह रहा था की हल्की हल्की बीयर पी लेते हैं यदि तुम दोनों को कोई एतराज ना हो तो ।
पूजा और उपासना सुन चुकी थी और वह भी समझ रही थी कि सही ही तो कहा है वरना हमारी तो शर्म खत्म ही नहीं होगी ।
यह सोचते हुए उपासना बोली पापा जी हमें क्या एतराज हो सकता है यदि आप चाहते हैं तो ड्रिंक कर सकते हैं , और वैसे भी
तो एक ही बोतल है एक बोतल में तुम दो दो लोग हो आप कर लीजिए ड्रिंक ।
तभी सोमनाथ बोला नहीं बेटा हम ऐसे अपनी शरीफ बेटियों के सामने ड्रिंक नहीं कर सकते सिर्फ एक शर्त पर कर सकते हैं
कि यदि तुम भी इसमें से थोड़ा-थोड़ा पियो तो ।
पूजा बोली - इसमें ड्रिंक वाली क्या बात है पापा जी एक ही बीयर तो है आप पी लीजिए ।
धर्मवीर बोला- तभी तो हम कह रहे हैं पूजा की एक ही तो बीयर है चारों लोग पी लेते हैं ।
पूरे होशो हवास में चारों लोग बैठे थे लेकिन बहाना बनाते हुए धर्मवीर ने कहा- क्या बात है सोमनाथ जी इतने दिन हो गए मैंने
कोई नशा नहीं किया है आज तो पता नहीं मुझे यह पियर चढ़ने लगी है । मुझे कोई होश नहीं है कि मैं कहां हूं और क्या बोल
रहा हूं ।
जबकि सच्चाई ये थी दोस्तों दोनों को कु छ भी नहीं था उनको सिर्फ बहाना चाहिए था नशे का जो कि उन्हें मिल चुका था।
अपने पूरे होश हवास हवास में धर्मवीर और सोमनाथ बैठे हुए थे लेकिन बहाना नशे का बनाए हुए थे ।
पूजा और उपासना भी पूरे होशो हवास में सामने बैठी थी लेकिन लेकिन तभी पूजा बोली - दीदी मेरी आंखों में में नशा चढ़ने
लगा है मुझे भी नहीं पता मैं कहां हूं अगर मेरे मुंह से कु छ गलत निकल जाए तो मुझे माफ करना यह सोच कर कि मैं नशे में हूँ
।
धर्मवीर ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा - सोमनाथ जी आज वह गुंडे मार्के ट में हमारी बेटियों को क्या कह रहे थे ।
पूजा और उपासना समझ चुकी थी कि बात किस तरफ टर्न हो रही है लेकिन दोनों चुप बैठी रही ।
सोमनाथ बोला- समधी जी मुझे तो नशे में कु छ भी याद नहीं है बस इतना ही याद है कि वह हमारी बेटियों को कोई अश्लील
शब्द बोल रहे थे ।
धर्मवीर बोला - हां मैंने सुना था हमारी बेटियों को रंडियां बोल रहे थे ।
अब तो पूजा और उपासना के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात थी लेकिन उन्होंने भी नशे का बहाना करते हुए कहा उपासना
बोली - कौन कह रहा था पापा जी हमें तो कु छ याद नहीं है ।
सोमनाथ बोला - धर्मवीर जी क्या आपको लगता है कि हमारी बेटियां रंडियों की तरह दिखती है ।
यह सुनकर उपासना और पूजा शर्म से लाल हो गई लेकिन अपनी शर्म को छु पाते हुए और नशे का बहाना करते हुए बोली-
ऐसा कै से हो सकता है पापा जी हम तो बड़ी शरीफ है ।
धर्मवीर बोला - यही तो मैं सोच रहा हूं ऐसा कै से हो सकता है चलो तुम दोनों एक काम करो खड़ी होकर दिखाओ ।
उपासना पूजा खड़ी हो गई लेकिन नशे का बहाना करते हुए पूजा अपने पैर लड़खड़ा कर रखने लगी ।
यह मौका अच्छा था धर्मवीर के लिए धर्मवीर बोला - सोमनाथ जी हमारे घोड़ी तो तो लंगड़ाने लगी ।
सुनकर पूजा नशे का बहाना करते हुए बोली - यह घोड़ी लंगड़ाने वाली चीज नहीं है ।
सोमनाथ बोला - हमारी शरीफ बेटियां तो मुझे कहीं से भी रंडियों जैसी नहीं दिखी । आपको कु छ दिखा क्या संधीजी ।
धर्मवीर बोला मुझे भी कु छ ऐसा खास नहीं दिखा बस इनकी छातियां थोड़ा बाहर को निकली हुई है ।
यह सुनकर तो लजा गयी दोनों शर्मोहया कू ट कू टकर भरी हुई थी दोने में ।
फिर पूजा और उपासना अपना पिछवाड़ा सोमनाथ और धर्मवीर की तरफ घुमा दिया ।
दोनों के मोटे -मोटे फै ले फै ले कू ल्हों को देख कर धर्मवीर बोला - सोमनाथ जी मुझे तो लग रहा है कि उन गुंडों ने इनका
पिछवाड़ा देख कर ही रंडियां कहा होगा ।
उपासना अपनी गांड को बाहर की तरफ निकालती हुई बोली - पापा जी हमारा पिछवाड़ा रंडियों जैसा है क्या ?
दोनों का कलेजा मुंह को आ गया जब उपासना की गदरायी हुई जांघे और गांड मुंह खोल कर कर उनका स्वागत कर रही थी।
सोमनाथ बोला - नहीं बेटा रंडियों जैसा क्यों होगा तुम्हारा तो रंडियों से भी अच्छा है ।
पूजा भोलेपन का नाटक करते हुए करते हुए बोली- रंडियों का पिछवाड़ा कै सा होता है पापा जी ।
धर्मवीर बोला - बेटा कू ल्हे थोड़ा बाहर की तरफ निकले हुए होते हैं उनका पिछवाड़ा चलते वक्त मटकता है ऐसा होता है
रंडियों का पिछवाड़ा।
यह सुनकर उपासना बड़े कामुक अंदाज में बोली - तो फिर हमारा पिछवाड़ा रंडियों से भी अच्छा कै से हैं पापा जी ।
यह सुनकर सोमनाथ ने जवाब दिया - बेटी तुम्हारा पिछवाड़ा तो रंडियों से भी ज्यादा निकला हुआ है तुम्हारे कू ल्हों का फै लाव
गजब है और उसके नीचे नीचे मोटी मोटी जांघे तो रंडियों को पीछे छोड़ देती है।
धर्मवीर - तुमसे कोई अच्छा कै से हो सकता है फिर वो चाहे रंडियां हों या कोई और ।
उपासना भोली बनते हुए - पापाजी ये रंडियां क्या करती हैं वैसे ?
उपासना ने यह बात अपनी आंखें नचाते हुए कही ताकि सोमनाथ और धर्मवीर को ये लगे कि उपासना नशे में है ।
यह सवाल सुनकर तो धर्मवीर और सोमनाथ दोनों चुप हो गए उन्हें इस सवाल का कोई जवाब नही सूझ रहा था ।
फिर कु छ देर सोचने के बाद सोमनाथ बोला ।
धर्मवीर - अरे पूजा जी सोमनाथ का कहने का मतलब है कि रंडियां मर्दों के नीचे लेटती हैं बदले में लोग उन्हें पैसे देते है।
उपासना भोलेपन का नाटक करते हुए - अच्छा पापाजी सिर्फ लेटने के पैसे । ऐसे तो हम भी लेट जाती है लो बैड पर हमें भी
पैसे दो।
ऐसा कहकर उपासना पूजा का हाथ खींचते हुए बैड पर चढ़ गई । बैड पर दोनों लेट गयी । उनकी मोटी मोटी चुचियाँ बड़ी ही
कयामत लग रही थी ।
उपासना - लेटिये पापाजी हमारे ऊपर और फिर हमें ढेर सारे पैसे दीजिये ।
धर्मवीर ओर सोमनाथ के लिए ये एक सुनहरा मौका था । लेकिन सोमनाथ की फट भी रही थी क्योंकि उसे याद था जब
उपासना ने उसकी छाती में लात मारकर उसके चंगुल से निकल गयी थी ।दोनों को कदम फूं क फूं ककर रखने थे ।
पूजा नशे का बहाना करते हुए बोली - अब तुझे ये भी हम सिखाएंगी की लेटा कै से जाता है ।
अपनी छोटी बेटी के मुह से ऐसी भाषा सुनकर सोमनाथ को यकीन ही नही हुआ पर धर्मवीर ने बात संभालते हुए कहा -
सोमनाथ जी इन दोनों को नशा हो गया है बियर पीने से , शायद पहली बार पी है इसलिए ।
सोमनाथ और धर्मवीर जैसे ही बैड के पास आये तो उनके होश उड़ गए । और होश उड़ने लाजमी भी थे जब ऐसी गदरायी
घोड़ियां बैड पर सामने पड़ी हो और अपनी चुदाई का निमंत्रण दे रही हो तो अच्छे अच्छो के होश उड़ जाते है ।
उपासना ने अपनी आंखें बंद करली । सोमनाथ और धर्मवीर इस वक्त स्वर्ग जैसा आनंद अनुभव कर रहे थे । सोमनाथ ने
उपासना के कं धों को अपने हाथों से पकड़ लिया और धीरे धीरे अपना चेहरा उपासना के चेहरे के पास लाने लगा ।
उपासना की आंखे बंद हो चली थी थी थी सोमनाथ का चेहरा धीरे-धीरे उपासना के चेहरे की तरफ की तरफ बढ़ चुका था ।
उधर उपासना की दिल की धड़कन तेज हो चली थी ।
उपासना ने मन ही मन सोचा - क्या मैं भी इतनी गिरी हुई हूं कि अपनी हवस मिटाने के लिए अपने बाप के नीचे लेटी हुई हूं
और अपने आप को रंडी कह रही हूं जबकि मेरे ससुर भी इसी कमरे में है । ऐसा कै से हो सकता है क्या मैं अपनी मर्यादा भूल
चुकी हूं ।
इसी उधेड़बुन में लेटी हुई की उपासना ने जैसे ही सोमनाथ की सांसे अपने होठों पर महसूस हुई उसकी छातियों ऊपर नीचे
होना शुरू हो गए।
वही हाल पूजा का भी था पूजा भी धर्मवीर की सांसो को अपने होंटो पर महसूस कर रही थी ।
कमरे का दृश्य बड़ा ही लुभावना और मनमोहक का का देखकर ऐसा लग रहा था जैसे दो गदरायी हुई घोड़ियां बेड पर पड़ी
हुई है उनकी भारी गांड बेड के गद्दे में धंसी हुई है ।दोनों रांडो के ऊपर हट्टे कट्टे तगड़े तंदुरुस्त मर्द चढ़े हुए हैं ।
तभी अचानक उपासना को अपनी चूत पर कु छ चुभता सा महसूस हुआ इतनी अनजान नहीं थी उपासना वह समझ चुकी थी
कि है उसके बाप का लोड़ा है जो उसकी चुडक्कड़ बेटी के भोसड़ी पर टिका हुआ सोमनाथ ने देर ना करते हुए उपासना के
होठों पर अपने होंठ रख दिए।
जैसे ही सोमनाथ के उपासना के होठों से मिले वैसे ही उपासना ने अपनी आंखें खोल दी और आंखें कु छ इस तरह खुली जैसे
सोमनाथ की आंखों को घूर रही हो।
अपने होठों को अपनी बेटी के होठों से मिलाकर सोमनाथ उन आंखों में झांकने लगा ।
उपासना के होंठ किसी शरबत के प्याले से कम नहीं लग रहे थे सोमनाथ को। सोमनाथ आउट ऑफ कं ट्रोल होता चला गया
और धीरे-धीरे उसके होंठ को अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगा , चूसने क्या लगा था था चबाने लगा था ।
दूसरी तरफ धर्मवीर पूजा को तड़पाना चाहता था वह अपने होठों को पूजा के होंठो के पास नहीं ला रहा था और पूजा से यह
देखा नहीं गया उसने धर्मवीर का सर पकड़ा और खुद उसके होठों को पीने लगी ।
तकरीबन 5 मिनट तक चले इस सीन में में दोनों बहनों के हैं बहनों के होंठ इतनी बुरी तरह से चूसे गए थे की हल्के हल्के लाल
भी पड़ चुके थे उन शरबत के प्यालो को जी भर कर चूसने के बाद धर्मवीर और सोमनाथ ने अपना चेहरा हटाया और दोनों ने
उनके गालों को अपने मुंह में भर लिया।
उपासना और पूजा की चूत भी पानी छोड़ने लगेगी चूतों से बहता पानी और तनी हुए चूचियां एक चुदाई की गुहार लगा रही
थी लेकिन उपासना के मन में कु छ और ही था ।
सोमनाथ के हाथ उपासना की मोटी मोटी जांघों को सहलाने लगा और जांघो पर चलाते चलाते चलाते हाथ उपासना की
चुचियों पर आ गए दूसरी तरफ धर्मवीर के हाथ भी पूजा के पेट से होते हुए बिल्कु ल उसकी चूत पर पहुंचे। उसकी चूत पर
हाथ रखते ही धर्मवीर समझ गया की पूजा की चूत पर घने बाल हैं यह महसूस करते ही वह रोमांचित हो उठा उत्तेजित हो
उठा और उत्तेजना के इस सफर पर चलते हुए उसने पूजा की चूत को मुट्ठी में भर लिया।
अपनी चूत को इस तरह सहलाते देखकर पूजा सिसक उठी दोनों ही बहने मादक रंडियों की तरह सिसियाने लगी थी ।
तभी उपासना बोली - पापा जी रंडियां ऐसा काम करती हैं क्या ।
यह सुनकर सोमनाथ चुप हो गया लेकिन धर्मवीर बोला - हां बहू रंडियां यही काम करती हैं ।
उपासना बोली यह काम तो गलत है पापा जी और यह कहते हुए उसने सोमनाथ को अपने ऊपर से उठा दिया और खुद भी
बैड से खड़ी हो गई।
सोमनाथ का मन हुआ कि उपासना को बेड पर पटक कर चोद ही दें लेकिन उसने सोचा कि बना बनाया खेल कहीं बिगड़ ना
जाए इसी डर से वह चुप खड़ा हो गया ।
धर्मवीर ने कहा जैसा तुम ठीक समझो बेटी वह तो तुम पूछ रही थी इसलिए हम तुमको बता रहे थे लगता है । तुम्हारा नशा
ढीला हो गया है ऐसा कहकर सोमनाथ और धर्मवीर कमरे से निकलकर अपने कमरे में चले गए।
पूजा - अब क्या हुआ दीदी , आप पहले शुरुआत करती ही क्यों हो । मुझे तो कु छ समझ नही आता ।
उपासना मुस्कु राती हुई - देखो तो कितनी जल्दी है लंड लेने की मेरी शरीफ बहन को । अरे ऐसा मैने इसलिए किया क्योंकि
चुदने का प्रोग्राम तो आज रात का है ।
फिर दोनों नहाने के लिए चली गयी जाते जाते उपासना ने पूजा से कहा - अपने जंगल को काटना मत । बड़ा मस्त लग रहा है
तेरा फै ला हुआ जंगल ।
उधर कु छ मिनट बीत जाने के बाद धर्मवीर को अपने मोबाइल पर एक संदेश रिसीव हुआ ।
धर्मवीर ने अपना मोबाइल उठाया देखा तो मैसेज उपासना का था।
उपासना ने लिखा था - पापा जी क्या यह ठीक रहेगा जिस लाइन पर हम लोग चल रहे हैं क्या यह लाइन ठीक है, आखिर
आप चाहते क्या हैं।
इस पर कु छ देर सोचने के बाद धर्मवीर ने रिप्लाई दिया - इसमें जब दोनों तरफ से रजामंदी है तो फिर हर्ज ही क्या है ।
दोनों तरफ से रजामंदी का मतलब उपासना साफ-साफ समझ रही थी वह जान गई थी कि यह सोमनाथ और उसको लेकर
कही गई बात है फिर उपासना ने रिप्लाई किया ।
धर्मवीर ने मैसेज का रिप्लाई करते हुए कहा - बहु जब भी तुम्हारे पापा तुम्हारे नजदीक आते हैं तुम कोई ना कोई बहाना
करके निकल जाती हो ।
मैं समझ रहा हूं कि तुम्हारी मर्यादा तुम्हें खींच कर ले जाती है और रही बात आगे की तो इसका फै सला तुम ही कर सकती हो
क्योंकि यह सब तुम्हारे ही हाथ में है ।
इस पर उपासना ने रिप्लाई किया- ठीक है तो आज रात को 10:00 बजे हॉल में आ जाइएगा, लेकिन पापा जी को इस बारे में
कु छ मत बताना उनके लिए यह सरप्राइस ही रहने देना ।
यह मैसेज पढ़कर धर्मवीर खुशी से झूम उठा क्योंकि वह समझ गया था कि पूजा आज उसकी टांगों के नीचे आने से नहीं बच
सकती ।
उधर उपासना भी एक्साइटमेंट में कु छ ज्यादा ही मुस्कु रा रही थी पूजा और उपासना दोनों नहा कर निकली नहाने के बाद
उन्होंने दोनों हाथों में चूड़ियां पहनी , पैरों में झनकारो वाली पायल पहनी जिससे कि चलते वक्त छन छन की आवाज आये।
फिर कु छ समय बाद उपासना ने दो लॉन्ग स्कर्ट यानी घागरी टाइप में पहनने के लिए ड्रेस निकाली लेकिन यह चुन्नी के कपड़े
की बनी हुई ट्रांसपेरेंट घघरी थी, जिसमें से उनकी टांगे साफ साफ दिखाई दे रही थी, अंदर ब्लैक कलर का निक्कर निकाला
उपासना ने ।
निक्कर इसलिए निकाला क्योंकि घघरी ज्यादा पारदर्शी थी और उसमें से साफ साफ दिखाई देता था। ऊपर के लिए उसने
एक डिजाइनर ब्लैक कलर की चोली निकाली जो कि उनकी मोटी मोटी चुचियों को ढकने के लिए काफी छोटी थी।
दोनों ने चेहरे पर मेकअप किया और पैरों में हाई हील की सैंडल पहनली।
रात के 9:30 बज चुके थे आधा घंटा रह चुका था एक चुदाई समारोह होने में , चुदाई समारोह नहीं दोस्तों इसे नंगा नाच कहें
तो बेहतर होगा क्योंकि दोनों रंडियां धर्मवीर और सोमनाथ के लौड़ो पर नाचने वाली थी ।
और बाहर कॉल में आकर दोनों इंतजार करने लगी आपस में बात करते हुए टाइम निकल गया और अब के वल 5 मिनट बचे
थे ।
फिर सोते हैं ऐसा कहकर धर्मवीर सोमनाथ के साथ नीचे हॉल की तरफ आने लगा ।
पूजा उपासना से कह रही थी- दीदी आपने यह ड्रेस कोड कहां से चुना है मुझे तो लगता है इस ड्रेस कोड में कु छ छु पा ही नहीं
है देखो तो हमारी टांगे बिल्कु ल साफ दिख रहे हैं ।
उपासना - इसीलिए तो यह ड्रेस चुना है ताकि देख कर तुझे कोई भी कह सकें यह लड़की लंड मांग रही है देख तो तेरी गांड
कितनी बेपर्दा दिख रही है।
पूजा - दीदी पहना तो आपने भी यही ड्रेस है और गांड तो आपकी भी बेपर्दा है और रही बात लंड मांगने की तो आपको देख
कर हर कोई यही कहेगा की मुह से लेकर गांड तक हर छेद में लंड चाहिए इस कु तिया को।
उपासना पूजा के कं धे पर हाथ मारते हुए हंसते हुए बोली- देख तो अपनी बड़ी बहन को कु त्तिया बोल रही है तुझे पता है जब
तू चलती है तो किसी मस्तानी हथिनी की तरह तेरी भारी गांड गांड ऐसे हिचकोले लेती है जैसे रात भर लंड खाकर उठी हो।
तभी दरवाजे पर आहट हुई उपासना समझ गई कि वह दोनों आ चुके हैं उपासना ने जल्दी से पूजा को उठाया और किचन की
तरफ भागी ।
दोनों किचन में जाकर खड़ी हो गई ।
लेकिन अंदर उपासना को जब याद आया कि उसने चुन्नी तो ली नहीं है सर ढकने के लिए तो उसने धर्मवीर को मैसेज किया
कि हमारे कमरे से दुपट्टा लाकर दे दीजिए ।
धर्मवीर ने दुपट्टा ले जाकर किचन के खिड़की से अंदर फें क दिया और सोमनाथ की तरफ आते हुए बोले - हमारी बहू भी
कितना पर्दा करती है ऐसी संस्कारी बहु भगवान सबको दे ।
तभी दोनों की नजर किचन की तरफ से आती हुई उपासना और पूजा पर गई।
दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि दृश्य ही कु छ ऐसा था उपासना और पूजा के हाथ में एक गिलास दूध था दोनों ने
अपना मुंह ढक रखा था दुपट्टे से लेकिन उनकी पारदर्शी ड्रेस में से उनकी टांगे साफ दिख रही थी अपनी मोटी मोटी जांघो का
प्रदर्शन करते हुए दोनों बड़ी की मादक चाल चलते हुए सोमनाथ की तरफ बढ़ रही थी ।
धर्मवीर को सब पता था लेकिन सोमनाथ इस सबसे बेखबर बस मुंह फाड़े उनकी तरफ देखा जा रहा था ।
उपासना ने सोमनाथ की तरफ और पूजा धर्मवीर की तरफ़ जाकर दोनों ने दूध का गिलास धर्मवीर और सोमनाथ को पकड़ा
दिया।
चुपचाप सारा दूध पीने के बाद सोमनाथ बोला - बेटी इसकी क्या जरूरत थी। अभी अभी तो हमने खाना खाया था ।
उपासना बोली - ताकत तो हमारे अंदर भी है पापा जी और आपसे दो कदम कदम आगे हैं आप की बहु बेटियां ।
इस बात का का मतलब धर्मवीर और सोमनाथ दोनों समझ चुके लेकिन फिर भी धर्मवीर बोला- हमसे ज्यादा कै से हो सकती
है बहू।
पूजा बोली अभी फै सला हो जाएगा किस में ज्यादा ताकत है यदि आपमें ज्यादा ताकत है तो हमें उठा कर दिखाओ ।
यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ की बांछें खिल गई और दोनों कु र्सी से खड़े होते हुए बोले इसमें क्या बड़ी बात है लो अभी
उठा लेते हैं ।
धर्मवीर पूजा को अपनी गोद में उठाने के लिए आगे बढ़ा और सोमनाथ उपासना को अपनी गोद में उठाने के लिए ।
उपासना और पूजा दोनों की मोटी मोटी जांघो और कमर में हाथ डालते हुए दोनों को किसी फू ल की तरह अपनी गोद में उठा
लिया । वैसे भी दोनों देखने में ही सांड जैसे लगते थे।
दोनों की भारी भारी गांड उनकी बाजुओं में थी और पूजा और उपासना अपने चेहरे को ढके हुए उन दोनों को देख नहीं पा
रही थी लेकिन अंदर ही अंदर दोनों मुस्कु रा पड़ीं ।
जब दोनों ने दोनों घोड़ियों को गोद में उठा लिया तो शरमाते हुए पूजा ने कहा- पापा जी हमें बेडरूम में छोड़ आइए अगर
आपने उठा ही लिया है तो।
इतना सुनकर धर्मवीर बोला- हां हां क्यों नहीं हम तुम्हें तुम्हारे बेड पर छोड़ आते हैं ,
और दोनों उनके कमरों की तरफ बढ़ने लगे कमरे में बेड पर फै ले हुए गुलाब के फू ल देखकर सोमनाथ बोला - बेटी यह गुलाब
के फू ल क्यों बिछाए हैं तुमने ।
गोद में बैठी हुई उपासना बोली - पापा जी ऐसे ही बस कोई खास वजह नहीं थी।
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और हां एक दो लोगों ने कहा था कि ये कहानी चुराई हुई है तो दोस्तों अगर ऐसा है तो प्लीज ओरिजनल लेखक से मुझे
मिलवाये । अगर ये कहानी आप लोगो को कही और दिखे और उसके लेखक का नाम रचित नही है तो प्लीज मुझे लिंक
जरूर send करें । क्योकि अच्छा नही लगता जब कोई मेहनत पर पानी फे र दे क्योंकि बहुत मेहनत और टाइम खर्च कर रहा
हूँ मैं इस कहानी को लिखने में ।
UPDATE 23
चारों लोग कमरे में थे उपासना और पूजा बेड पर लेटी हुई थी।
चारों लोग मन ही मन सोच रहे थे की बात को आगे कै से बढ़ाया जाए , कै से पहल की जाए । यही उधेड़बुन चारों के दिमाग में
चल रही थी तभी सोमनाथ की नजर कमरे की दीवार पर लगे एक फोटो पर गई जिसमें उपासना ने एक पेटीकोट पहना हुआ
था और ऊपर एक चोली पहन रखी थी ।
यह देख कर सोमनाथ बोला- बेटी इस फोटो में तो तुम बहुत ही सुंदर दिख रही हो ।
यह सुनकर उपासना शर्मा गई सोमनाथ बोला बेटी जो तुमने यह पहनावा पहना हुआ है फोटो में । मैं इस पहनावे में तुम्हें
देखना चाहता हूँ।
उधर धर्मवीर मन ही मन सोचने लगा कि सोमनाथ को क्या हो गया है इतनी सेक्सी ड्रेस पहनकर दोनों लेटी हैं और यह इन्हें
दोबारा कपड़े पहनाने में लगा हुआ है ।
उधर उपासना बोली - पापा जी यदि आप चाहते हैं तो मैं आपको पहन कर कर दिखाती हूं ।
उधर धर्मवीर बोला पूजा से - तुम भी अपनी दीदी के साथ यही ड्रेस पहनो तुम भी सुंदर लगोगी।
यह सुनकर दोनों शर्माती हुई बेड से उतर गई और कमरे से बाहर जाने लगी।
दोस्तों उस पारदर्शी गगरी में उनके चूतड़ों की थिरकन कहर बरपा रही थी सोमनाथ और धर्मवीर पर और दूसरी तरफ पूजा
और उपासना अपने कू ल्हों को और भी ज्यादा मटका कर चल रही थी ।
अपनी गांड को हिलाते हुए दोनों कमरे से बाहर चली गई।
कमरे में जाकर दोनों ने कपड़े चेंज करने लगी उपासना ने पूजा को एक हरे रंग का पेटिकोट दिया और एक छोटा सा ब्लाउज
।
खुद के लिए उपासना ने एक नीले रंग का पेटिकोट निकाला और लाल रंग का छोटा सा ब्लाउज।
यह पेटिकोट और ब्लाउज दोनों ही उनके साइज के हिसाब से काफी छोटे थे जिस वजह से उनकी गांड पर पेटिकोट बिल्कु ल
फस गया ।
उनकी भारी-भारी कांड कांड उस पेटीकोट में निकल कर पीछे की तरफ उभर गई ।
ब्लाउज की बात करें तो ब्लाउज भी स्लीवलैस था , ब्लाउज की जगह चोली कहें तो बेहतर होगा क्योंकि कमर पर सिर्फ एक
डोरी थी जिसने इस ब्लाउज को संभाला हुआ था और आगे मोटे मोटे दो पपीते जिनको ब्लाउज ने कसकर जकड़ रखा था ।
दोनों ने अपने आप को शीशे में देखा तो शर्मा गयीं पर मस्तानी चाल चलती हुई उन दोनों के कमरे की तरफ बढ़ने लगी ।
कमरे के गेट पर जाकर दोनों ने देखा के अंदर सोमनाथ और धर्मवीर बैठे हुए हैं ।
उपासना ने पूजा को अंदर धक्का दिया, धक्का इतना तेज लगाया गया था की पूजा सीधा बीच रूम में जाकर रुकी ।
उपासना धीरे धीरे अंदर की तरफ आने लगी तो उसकी जवानी तो पूजा से भी ज्यादा गदरायी हुई थी।
दोनों कमरे में खड़ी हो गई।
धर्मवीर ऐसा सुनकर खड़ा हुआ और दोनों को निहारने लगा फिर धर्मवीर और सोमनाथ पीछे की तरफ घूम कर आए तो
उनकी आंखें चौड़ी हो गई।
क्योंकि उपासना और पूजा के कू ल्हे ऐसे लग रहे थे जैसे पीछे दो मोटे मोटे तबले हो और उनके नितंब उस पेटीकोट में कसे
हुए थे जिससे कि उनकी गांड और भी बाहर को उभरकर दिख रही थी ।
यह सुनकर पूजा बोली- रहने दीजिए क्यों झूठी तारीफ करने में लगे हो तुम दोनों ।
तभी धर्मवीर के दिमाग में एक शैतानी आईडिया आया और उसके चेहरे पर एक कु टिल मुस्कान फै ल गयी।
उसने सोमनाथ से कहा - चलो सोमनाथ जी नींद आ रही है , चलो सोने चलते हैं ।
ऐसा उसने सोमनाथ को आंख मारते हुए कहा था।
सोमनाथ उसका इशारा समझ गया और धर्मवीर के साथ ऊपर चला गया ।
पूजा और उपासना एक दूसरे का चेहरा ताकती हुई हैरानी से एक दूसरे को देखने लगीं ।
पूजा ने कहा - ऐसा कै से हो सकता है दीदी। तुमने तो कहा था कि ये दोनों हमें बिना चोदे नहीं छोड़ेंगे आज , लेकिन यहां तो
उल्टा ही हो रहा है ।
उपासना बोली- जहां तक मैं जानती हूं हम जैसी घोड़ियों को देखकर बिना चोदे तो यह मर्द रह नहीं पाएंगे । इसमें जरूर कोई
राज की बात है चलो चल कर देखते हैं ।
धर्मवीर बोला - सोमनाथ मैंने नोट किया था कि पूजा और उपासना हम दोनों के सामने शर्मा रही थी । इसका सीधा सा
मतलब है कि हमें अलग-अलग कमरे चुनने होंगे, अगर हम अलग अलग होकर उनकी चूतों को फाड़ेंगे तो वह चोदने में पूरा
मजा देंगी और खुलकर चुदवायेगी। इसलिए मैंने ऐसा किया । अब तुम मेरा प्लान सुनो।
तुम नीचे उपासना और पूजा के पास जाना और जाकर कहना की समधी जी का टीवी चल नहीं रहा है और मुझे टीवी देखना
है इसलिए मैं तो नीचे आ गया और समधी जी दूध मंगा रहे थे पीने के लिए, जब तुम जाकर ऐसा बोलोगे तो उपासना जरूर
पूजा को भेजेगी दूध लेकर और अपना काम बन जाएगा । तुम पूरी रात उपासना को रगड़ना और मैं यहां पूजा की चूत को
खोलकर उसे भोसड़ा बना दूंगा ।
यह सुनकर सोमनाथ बोला- तुम्हारे दिमाग की भी दाद देनी पड़ेगी समधी जी।
इतना सुनकर उपासना और पूजा की धड़कन तेज हो गई वह आने वाले वक्त के बारे में सोचने लगीं और उत्तेजित होने लगी ।
जल्दी से वह दोनों अपने कमरे में आकर बैठ गई और सोमनाथ का इंतजार करने लगी ।
सोमनाथ 10 मिनट बाद पूजा और उपासना के कमरे में गया तो यह देख कर उपासना और पूजा एक दूसरे को देख कर
मुस्कु रा पड़ी। लेकिन यह सब सोमनाथ की समझ में कु छ नहीं आया।
सोमनाथ में अपने प्लान के मुताबिक कहा- कि समधी जी का टीवी तो चल नहीं रहा है और मेरा मन आज टीवी देखने का
था।
उपासना बोली - हां हां पापा जी क्यों नहीं आप हमारे पास टीवी देख लीजिए।
सोमनाथ सोफे पर बैठ गया तभी सोमनाथ ने कहा - उपासना धर्मवीर जी दूध मंगा रहे हैं उनको दूध देकर आओ।
उपासना किचन की तरफ जाने लगी लेकिन तभी पूजा ने उसे रोका- दीदी आप पापा जी से बात कीजिए उनको दूध मैं देकर
आती हूँ ।
उपासना मुस्कु रा पड़ी और बदले में पूजा ने भी मुस्कान के साथ उसका साथ दिया ।
उधर सोमनाथ की हालत खराब हो चुकी थी क्योंकि जब उपासना और पूजा चहलकदमी कर रही थी तो पेटीकोट में फं सी
उनकी गांड इस तरह हिल रही थी जिसे देखकर सोमनाथ का कलेजा मुंह को आ गया ।
उपासना आकर सोमनाथ से पूछने लगी - पापा जी आपके लिए भी दूध कर दूं क्या ।
सोमनाथ बोला- नहीं बेटी अभी नहीं , अभी तो मुझे टीवी देखना है अपनी बेटी से ढेर सारी बातें करनी है फिर दूध पीना है ।
यह सुनकर उपासना बड़ी ही एक्टिंग के साथ बोली - ओके डैडी एस यू विश विश ।
उपासना ने पूछा - पापा जी यदि आप कहें तो आपका बिस्तर भी यहीं पर लगा दूं , आप भी यही सो जाना।
उपासना बोली- तो क्या हुआ पापा जी आप इसी पर सो जाना मैं दूसरी साइड सो जाऊं गी ।
तब सोमनाथ धीरे से बोला - यह बेड तो तुम्हारा ही वजन मुश्किल से संभाल पाता होगा ।
(यह वाक्य धीरे से बोला गया था लेकिन इतना भी धीरे नहीं था की उपासना सुन ना सके , उपासना ने सुन लिया और एक
साथ हैरानी से आंखे फै लाकर बोली ।
सोमनाथ बोला - नहीं बेटी बुराई कहां की मैंने , यदि तुमने सुन ही लिया है तो मैं तो यही कह रहा था कि यह बेड तो तुम्हारे
वजह से ही टूटने को हो जाता होगा।
उपासना - आपको मैं इतनी मोटी लगती हूं क्या ?
सोमनाथ बोला - नहीं बेटी मैंने कब कहा तुम मोटी हो लेकिन तुम भारी हो ।
उपासना ने बात को आगे बढ़ाते हुए सोमनाथ से कहा- फिर तो पापा जी आप भी टूट जाने चाहिए थे लेकिन आपने तो मुझे
शाम गोद में उठा लिया था । आप क्यों नहीं टूटे ?
सोमनाथ के पास अब इस बात का कोई जवाब नहीं था इसलिए उसके मुंह से उत्तेजना में निकल गया - तुम जैसी को सिर्फ
हम ही संभाल सकते हैं ।
यह सुनकर उपासना की नजरें शर्म से जमीन में गढ़ गयीं लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए बोली - तुम जैसी का
क्या मतलब है पापा जी, और इसका क्या मतलब है की हम ही संभाल सकते हैं के वल । क्यों और कोई नहीं संभाल सकता
क्या ?
सोमनाथ यह सुनकर सपकपा गया क्योंकि दो बार उपासना उसकी टांगों के नीचे आकर निकल चुकी थी अबबयह मौका
जाने नहीं देना चाहता था वह कदम फूं क-फूं क कर रखना चाहता था ।
लेकिन सोमनाथ यह भी जानता था की उपासना के अंदर जो आग भरी हुई है अगर उसे एक बार भड़का दिया जाए तो
उसका लंड उसकी चूत में गोते लगाने से कोई नहीं रोक सकता ।
और उसे यही काम करना था उसे उसके अंदर भरी हुई आग को भड़काना था ,
सोमनाथ- उपासना मेरे कहने का मतलब था कि तुम्हें संभालने के लिए किसी हल्के मोटे इंसान की बस की बात नहीं है तुम ।
जैसी का मतलब है कि बेटी तुम भारी-भरकम हो और तुम्हें संभालने के लिए किसी भारी भरकम आदमी की ही जरूरत
पड़ेगी अगर मैं आदमी ना कहकर सांड कहूं तो ज्यादा अच्छा होगा ।
यह सुनकर उपासना और ज्यादा शर्माकर बोली - पापा जी इतनी भी भारी नहीं हूं मैं ।
सोमनाथ - मेरे कहने का मतलब था सभी औरतों से तुम कितनी ज्यादा चौड़ी हो ।
यह सुनकर उपासना होंठ अपने दांतो से काटते हुए बोली - कहां से चौड़ी हो पापा जी मैं।
यह सुनकर उपासना शर्मा गयी लेकिन अनजान बनते हुए सोमनाथ से खुलते हुए बोली - मेरी समझ में कु छ नहीं आ रहा
पापा जी। बताइए ना कहां से चौड़ी हो गई है आपकी बेटी ।
उपासना ने यह कहते हुए आपकी बेटी पर ज्यादा जोर लगाया था।
जब सोमनाथ नहीं देखा की उपासना खुलने लगी है तो उसने कहा - बेटी तुम्हारी जांघे हैं पहले से काफी मोटी हो गई है ।
यह सुनकर उपासना शर्माते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली- और कहां से चौड़ी हो गई हूँ मैं पापा जी।
सोमनाथ उपासना को तरसाने की सोच रहा था इसलिए उसने कहा - और कहीं से नहीं बेटी।
उपासना यह सुनकर सोमनाथ की तरफ पीठ करके खड़े हो गई उसकी कसी हुई गांड सोमनाथ के सामने थी फिर उपासना ने
पूछा - और पापा जी कहां से चौड़ी हो गयी हूं।
इस पर उपासना को अपनी आशाओं पर पानी पीता हुआ दिखाई देने लगा तो उसने अपनी गांड को पीछे की तरफ निकालते
हुए बहुत ही कामुक आवाज में पूछा- ध्यान से देखिए ना पापा जी आपकी बेटी और कहीं से भी जरूर चौड़ी हो गयी होगी ।
सोमनाथ को अब लगने लगा था कि उसकी उपासना बेटी की आग भड़कने लगी है ,वह खुलने लगी है और धीरे-धीरे बेशर्म
भी पड़ने लगी है ।
और उसने उसे इस बात का फायदा उठाते हुए कहां - हां बेटी तुम्हारे नितंब दिख रहे हैं इन्होंने तो चौड़ाई की हद ही पार कर
दी हैं देखो तो बिल्कु ल फै ल गए हैं ।
उपासना ने जब यह सुना तो उसके जेहन में एक तेज लहर दौड़ गयी , उसका सीना जोरो से धड़कने लगा । वह समझ गई थी
अब रेल पटरी पर है।
अपना अगला वार करते हुए बोली - पापा जी कू ल्हे तो सभी औरतों के चौड़े ही होते हैं ।
सोमनाथ बोला- हां बेटी औरत के नितंब उम्र के हिसाब से चौड़े होते हैं लेकिन तुम्हारे कू ल्हे है तुम्हारी उम्र के हिसाब से बहुत
ज्यादा मोटे और चौड़े हैं। और सबसे खास बात कि तुम्हारे कू ल्हे बिल्कु ल कसे हुए हुए हैं ।
उपासना शरमाते हुए बोली हुए - पापा जी आपको शर्म नहीं आती अपनी बेटी के नितंबों को घूरते हुए ।
यह सुनकर सोमनाथ सपकपा गया और बोला- नहीं बेटे मैं तो तुम्हारी तारीफ कर रहा था ।
उपासना बोलो चलिए पापा जी मुझे नींद आ रही है यदि आपको टीवी देखना है टीवी देख लीजिए और मैं सो रही हूं ।
सोमनाथ समझ गया की उपासना शर्मआ रही है अभी। अभी उसे बेशर्म बनाना पड़ेगा इसलिए वह सोने का नाटक करने जा
रही है।
उपासना टीवी की तरफ पीठ करके करवट लेकर लेटी थी और सोमनाथ सोफे पर बैठ कर ही टीवी देख रहा था ।
आधा घंटा हो चुका था सोमनाथ को टीवी देखते देखते हैं लेकिन उसका ध्यान टीवी पर कम उपासना की गांड पर ज्यादा था
।
मन ही मन कह रहा था आज इस गांड को गोदाम ना बना दिया तो मेरा नाम भी सोमनाथ नहीं, इस कमरे में तुम्हारी चीखें नहीं
गूंजी तुम मेरा नाम सोमनाथ ।
उपासना की धड़कन तेज हो गई फिर सोमनाथ घूम कर बेड की तरफ आकर खड़ा हो गया ।
अब उपासना के चेहरे के बिल्कु ल सामने खड़ा था सोमनाथ ।
उपासना को समझ नहीं आया कि वह क्यों खड़े हैं लेकिन तभी सोमनाथ ने अपनी शर्ट के बटन खोलने स्टार्ट कर दिए ।
अपनी शर्ट और बनियान को उतार कर उसने सोफे पर फें क दिया ।
अब तो उपासना का दिल किसी इंजन की तरह धुक्क धुक्क करके धड़क रहा था। फिर सोमनाथ ने अपनी पेंट का हुक खोला
और पेंट को उतार कर कर फें क दिया।
अब सोमनाथ उसके सामने के वल एक अंडरवियर में खड़ा था अपनी आंखों को बहुत ही हल्का सा खोलकर उपासना यह
नजारा देख रही थी तभी सोमनाथ ने अपना अंडर वियर भी उतार दिया ।
सामने का नजारा देखकर उपासना की आंखें फै लने लगी लेकिन उसने अपनी आंखें बिल्कु ल मीच ली जिससे सोमनाथ को
लगे उपासना सो रही है।
उपासना ने फिर अपनी हल्की सी आंखें खोली देखा सामने तो उसके पापा अपने हाथ से लंड को सहला रहे थे ।
वह सोया हुआ लंड भी कम से कम 7 इंच का था। काले नाग की तरह लटका हुआ वह लौड़ा उपासना को उत्तेजित कर रहा
था।
फिर सोमनाथ ने घूमकर बेड की दूसरी तरफ चले गए अब उपासना को सोमनाथ दिखाई नहीं दे रहा था।
लेकिन तभी उसे एहसास एहसास हुआ जैसे उसके बेड पर कोई लेट रहा हो क्योंकि दोस्तों सोमनाथ बेड पर लेट चुका था ।
5 मिनट हो चुकेथे दोनों तरफ से कोई हलचल नहीं हुई तभी उपासना के कान के पास फिर एक तेज चुटकी बजी उपासना
फिर चुपचाप लेटी रही और गहरी नींद का नाटक करती रही।
फिर उपासना को को पीछे से कोई साया अपने शरीर से लगता हुआ महसूस हुआ । उपासना के तन बदन में एक झुर्झुरी सी
महसूस हुई जब उसने यह सोचा कि उसका पापा नंगे होकर उससे सट रहे रहे हैं तभी उसे सोमनाथ का हाथ आगे अपने पेट
पर महसूस हुआ ।उसकी सांसे भी तेज चलने लगी लेकिन वह अपनी सांसो पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही थी वो यह
नहीं जताना चाहती थी कि वह जाग रही है।
वह तो सोने का नाटक कर रही थी सोमनाथ ने उसके पेट पर कहलाते हुए उसकी नाभि में उंगली डालकर घुमाना चालू कर
दिया ।
उपासना का पिछवाड़ा अब सोमनाथ से बिल्कु ल सटा हुआ था
तभी सोमनाथ ने अपना हाथ धीरे से उपासना के मोटे मोटे चुचों पर रख दिया।
सोमनाथ ने इतने कसे हुए और गोल गोल चूचे पहली बार देखे थे।
सोमनाथ आराम आराम से उपासना की चुचियों को सहलाने लगा।
फिर धीरे से अपना हाथ नीचे की तरफ ले गया और उपासना के कू ल्हे पर पर अपना हाथ रख दीया । अपना हाथ पूरा फै ला
कर कर इस तरह से उपासना के नितंबों को सहलाया जैसे उनका नाप ले रहा हो अब उपासना भी भी गरम हो गई थी और
उसकी चूत पानी पानी होकर एक चिकना द्रव्य रिसाने लगी थी।
उपासना के पीछे से हट गया अब सोमनाथ ।
उपासना के मन में एक साथ कई सारे सवाल उठे कि उसका नंगा बाप उसके बदन से अभी तक चिपका हुआ था और
अचानक हट गया।
तभी जो हुआ उसने उपासना को मदहोश कर दिया क्योंकि तभी उसे अपनी गांड पर अपने बाप की गरम गरम सांसे महसूस
हुईं हालांकि उसने पेटीकोट पहना हुआ था लेकिन सोमनाथ की तेज सांसें उसे महसूस हो गई।
उसे महसूस हुआ कि जैसे धीरे धीरे उसके पिछवाड़े में जांघों के बीच कोई अपना मुंह घुसा राह है । उपासना को ऐसा महसूस
हो रहा था जैसे उसके पिछवाड़े से उसका बाप खेल रहा हो अपने गालों से उसके कू ल्हों को सहला रहा हो अपनी नाक को
उसके चूतड़ों के बीच में रखकर जैसे कोई उसका नंगा बाप कु छ गहरी सांस लेकर सूंघ रहा हो।
सोमनाथ ने अब अपने दोनों हाथों से उपासना के चूतड़ों को फै लाया लेकिन पेटीकोट की वजह से ज्यादा नहीं फै ला सका
और अपने मुंह को गांड की दरार में घुसाकर गहरी गहरी सांसे लेने लगा।
उसकी चूत की भीनी भीनी खुशबू लेने के बाद सोमनाथ ने उपासना का कं धा पकड़ कर हल्का सा दबाव देकर उसे सीधा
लिटाने की कोशिश करने लगा।
उधर उपासना समझ गई और उसने कोई विरोध नहीं किया अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और सीधी लेट गई । उसने अपनी
आंखें मींचे रखी थी
अपनी बेटी की जवानी को इस तरह एक पेटीकोट ब्लाउज में फं सी हुई देखकर सोमनाथ का लंड करंट पकड़ने लगा ।
उपासना के चूचे उस ब्लाउज से आजाद होने की गुहार लगा रहे थे ।
उपासना बेड पर सीधी पड़ी हुई थी सोमनाथ ने उसकी चुचियों के बीच में कैं ची रखी और उसके ब्लाउज को काट दिया ।
ब्लाउज के कटते ही उसके मोटे मोटे चूचे जिनकी निप्पल अब तक खड़ी हो चुकी थी, खुलकर सामने आ गए ।
अपनी बेटी की मोटी मोटी छातियों को देखकर सोमनाथ का लंड अब अपनी औकात में आना शुरू हो गया ।
फिर सोमनाथ ने उसके पेटीकोट को बीच में से काटना स्टार्ट किया और उसके पूरे पेटीकोट को काटकर जैसे ही दोनों पल्लों
को अलग अलग खोलकर फै लाया तो उसकी बेटी की नंगी जवानी उसकी आंखों के सामने थी।
सोमनाथ ने धीरे-धीरे अपना चेहरा उपासना की चूत की तरफ ले जाना शुरू किया तो उसकी चूत से उसे मादक खुशबू आई
और उपासना को भी अपनी झांटों भरी चूत पर गर्म गर्म सांसे महसूस हुई लेकिन तभी अचानक सोमनाथ का फोन पर
वाइब्रेशन शुरू हो गया।
सोमनाथ ने देखा कि उसके फोन पर धर्मवीर का कॉल आ रहा है।
फिर सोमनाथ ने रिप्लाई किया - पूजा नखरे कर रही है यह उसकी आदत है जब वह खुल जाएगी तो बेशर्मी पर उतर आएगी
।
यह सुनकर उपासना समझ गई कि धर्मवीर के रूम में पूजा नखरे कर रही है और धर्मवीर भी उसे चोदने की कोशिश कर रहा
है और एक मैं हूं कि बिल्कु ल भी नखरे नहीं कर रही हूं फिर भी अभी तक लंड नसीब नहीं हुआ।
तभी सोमनाथ ने फोन पर कहा - हां समधी जी जैसा आपने बताया था उपासना का जिस्म बिल्कु ल वैसा ही है।
धरवीर- ____________।
सोमनाथ - नहीं मैंने नंगी कर दिया है मेरे सामने बेड पर नंगी पड़ी है ।
धर्मवीर_____________।
सोमनाथ - आज तो उसकी चूत को पी जाऊं गा मैं। इस घोड़ी को चुदाई का असली रूप दिखा दूंगा आप चिंता ना करें।
धर्मवीर - ____________ ।
सोमनाथ - नहीं अभी तो नींद में है लेकिन कु त्तिया की जब नींद खुलेगी तब तक इस की चूत में लंड जा चुका होगा ।
धर्मवीर __________
सोमनाथ - क्या समधी जी 10:00 बजे तक चोदना है क्या पूजा को ओके । कोई बात नहीं उपासना की चूत को भी मैं सुबह
10:00 बजे तक ही बजाऊं गा ।
उपासना को यकीन नहीं हो रहा था कितनी बेशर्मी भरी बातें उसका बाप अपनी बेटियों के बारे में कर रहा है। अपने बाप और
ससुर के बीच हुई इस वार्तालाप का गहरा असर उसकी वासना पर हुआ ।
उसकी जांघों पर चुम्मा की बरसात करते हुए अब उसकी सांसे उपासना की चूत से टकराने लगी ।
सोमनाथ ने उपासना की जांघों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसकी चूत पर अपना मुंह लगाया।
जैसे ही सोमनाथ की नाक पूजा की चूत से टच हुई पूजा के मुंह से सिसकारी निकलते निकलते बची ।
चूत के दाने पर हुआ यह हमला उपासना के लिए कम नहीं था उसके हाथों ने बेडशीट को मुट्ठी में भर लिया और वह नियंत्रण
में रहने की कोशिश करने लगी।
उपासना की चूत को चाटते हुए जब सोमनाथ को 10 मिनट हो गए ।
जब जी भर के चूत को चाट लिया तब अपना मुह हटाया ।
उपासना की चूत के पानी से सना हुआ अपना चेहरा उसने उपासना की जांघो से पोंछकर साफ किया और बेड पर खड़ा हो
गया ।
फिर धीरे से सोमनाथ उपासना के चेहरे की तरफ अपना चेहरा लाया और उसके कान के पास अपने होठों को रखकर बहुत
ही धीरे से बोलने लगा उपासना के कान में बोल रहा था कि आज तो इस बैड पर मेरे लंड पर नाचेगी तू ।
उपासना की हालत आप समझ सकते हो दोस्तो जो सब सुनते हुए भी नींद का नाटक करते हुए अनसुना कर रही थी ।
सोमनाथ में फिर बोलना शुरू किया तेरी चूत का आज वह बढ़ता बनाऊं गा बनाऊं गा कि इस चुदाई की तो गुलाम तो गुलाम
की तो गुलाम तो गुलाम चुदाई की तो गुलाम तो गुलाम की तो गुलाम तो गुलाम हो जाएगी फिर तुझे हर वक्त लौड़ा ही दिखेगा
ही दिखेगा ही दिखेगा उपासना के शर्म से चेहरा लाल पड़ गया लेकिन उसने अपनी आंखें फिर भी बंद ही रखना उचित
समझा।
सोमनाथ ने फिर बोलना शुरू किया- आज देखता हूं कितनी गर्मी है तुझ में।
पूरा दिन अपनी गांड को मेरे आंखों के आगे मटकाकर घूमती है ना तू । आज निकालता हूं तेरी गांड की मस्ती। तुझे देख कर
ही मेरा लंड ही मेरा लंड अपना सर उठाने लगता है और आज तेरी चूत ने भी मेरे लंड की भी मेरे लंड की सुन ही ली ।
आज तो इस भोसड़े को बड़े इत्मीनान से फाड़कर तेरे अंदर अपना बीज डालूंगा।
आज तेरी वह हालत करूं गा कि तुझे देख कर कर एक रंडी भी शर्मा जाएगी और वैसे मैं जानता हूं ,मैं उसी दिन समझ गया
था जिस दिन तू धर्मवीर के लोड़े पर उछल उछल रही थी कि तू कितनी कितनी चुदक्कड़ कु तिया है ।
अपना ये कु तियापना दिखाना आज ।
रात भर मैं तेरी चूत चूत कू टने वाला हूं उपासना । आज पूरी रात मैं तेरे ऊपर चढ़ा रहूंगा और तू अपने बाप को अपनी टांगे
फै ला कर अपने ऊपर चढ़ाएगी । तेरी तो चूत में लौड़ा घुसा चूत में लौड़ा घुसा कर फिर तेरी गांड में अपनी उंगली घुसाउंगा ।
तुझे ऐसा चोदूंगा एक दम एक्सपर्ट रंडी बन जाएगी और रंडी तो तू है ही साली , बहन की लौड़ी, छिनाल कु तिया ।
उपासना यह सब सुनकर सहम गई । लेकिन उसे इसमे कु छ आनंद का अनुभव भी हो रहा था । तभी सोमनाथ हट गया वहाँ
से ।
इसलिए उसके होंठ धीरे-धीरे कांपने लगे उन थरथराते हुए होठों को देखकर अचानक सोमनाथ रुक गया, और उसके सीने पर
झुक कर उसके होंठो को ध्यान से देखने लगा।
अपनी शादीशुदा बेटी के लाल लिपस्टिक से रचे होंठ धीरे-धीरे कांप रहे थे । उपासना के होंठ सोमनाथ को बहुत ही प्यारे लगे
लेकिन उन होठों को चूसने से पहले उन होंठो पर अपना लंड रखना चाहता था सोमनाथ इसलिए उसने अपने लंड को
उपासना की चीन पर रखा।
उपासना अपने आप को नियंत्रण में रखने की भरपूर कोशिश कर रही थी।
फिर अचानक अपने बाप के लंबे लौड़े की गंध उपासना को अपने नथुनों में महसूस हुई वह मदहोश हो गई उस लैंड की गंद
लेकर।
उपासना समझ गई कि बिना मुंह में लंड डाले उसका बाप नहीं मानेगा।
और सोने का नाटक वह करे भी तो कब तक लेकिन उसने सोचा जब तक चलता है इस नाटक को चलने दो।
इस तरह दबने से उसके होंठ धीरे-धीरे खुल गए अब तो उपासना के दोनों होंठ लंड के सुपाड़े पर चढ़ चुके थे।
सोमनाथ में हल्का सा दबाव दबाव और बनाया तो उपासना का मुंह चौड़ा होता चला गया क्योंकि सोमनाथ के लोड़े सुपाड़ा
उपासना के मुंह में था।
यह बात सोमनाथ भी जानता था कि उपासना जगी हुई है लेकिन वह सोने का नाटक कर रही है इसलिए अब उसे कोई डर
नहीं था ।
उसने अपना लंड पर और दबाव बनाया तो आधा लंड उपासना के मुंह में चला गया और आधे लंड से ही उसका मुंह पूरा भर
गया था ।
अपने लंड को आधा ही उसके मुंह में अंदर-बाहर करने लगा और एक हाथ उपासना की चूत पर ले जाकर उसे सहलाने लगा।
सोमनाथ में देखा की उपासना की चूत का पानी जांघों से होते हुए उसके गांड के छेद तक गीला करता हुआ बेडशीट पर गिर
रहा है ।
सोमनाथ लगातार उपासना के चेहरे की देख रहा था इसलिए उपासना आंखें तो नहीं खोल सकती थी ।
उपासना ने अपनी आंखें बंद किए हुए ही हल्की सी गों-गों की आवाज की जिससे सोमनाथ समझ गया की लंड हलक तक
चला गया है लेकिन अभी भी आधे से थोड़ा कम लंड बाहर था।
सोमनाथ ने उपासना के गालों को सहलाया और आखिरकार लंड का एक झटका उसके मुंह में मार ही दिया।
पूरा लौड़ा उपासना के मुंह में चला गया लेकिन क्या कहने दोस्तों उपासना ने भी हद ही कर दी अपने बाप का लौड़ा हलक
तक मुंह में लेकर भी बंदी सोने का नाटक कर रही थी ।
उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे लेकिन आंखें कु तिया की तब भी बंद थी।
सोमनाथ ने 8-10 झटके उसके मुंह में मारे और उसके मुंह को चोद कर झटके से लंड बाहर कर दिया ।
उपासना के मुंह से थूक की लार लंड के साथ खींचती हुई चली गई।
अब सोमनाथ उपासना की दोनों जांघों के बीच आकर बैठा और उसकी जांघों को मोड़ कर उसकी छातियों से लगा दिया ।
क्या नजारा था दोस्तों चौड़ी चौड़ी गांड और मोटी मोटी जांघों के बीच खिला हुआ वह चूत का जंगल मानो पुकार रहा था
सोमनाथ के हल्लाबी लौड़े को।
सोमनाथ में जांघो को मोड़ कर चुचों से लगाया और अपने लंड का टोपा उपासना की चूत पर रखा ।
उपासना तो इस हमले के लिए तैयार थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि हमला कितना घातक होगा।
उपासना ने सोचा था कि सोमनाथ धीरे-धीरे लौड़ा लौड़ा उसकी चूत में सरकायेगा लेकिन हद तो तब हो गई दोस्तों जब
सोमनाथ ने अपनी पूरी जान लगा कर लंड को एक ही झटके में आधे से ज्यादा लौड़ा उपासना की चूत में उतार दिया ।
चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ आधे से ज्यादा लंड उपासना की चूत में, गर्म भट्टी भट्टी में फं सा हुआ सोमनाथ का लंड
और भी ज्यादा फू ल गया।
और जैसे ही यह झटका उपासना की चूत पर पड़ा उपासना के मुंह से बहुत ही जोर से चीख निकली , जिससे पूरा कमरा गूंज
गया । उसके मुंह से iiiiiiiiieeeeeeeeee mar gyi बहुत तेज चीख निकली थी दोस्तों जिसे सुनकर एक बार के लिए
सोमनाथ भी घबरा गया ।