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नर्स (कला प्रकाश)

कक्षा-10

(I) निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर एक या दो पंक्ततयों में दीक्िए -


प्रश्ि 1. महे श ककतिे साि का था ?
उत्तर - महे श छ: साि का था ।
प्रश्ि 2. महे श कहााँ दाखिि था ?
उत्तर- महे श अस्पताि में दाखिि था ।
प्रश्ि 3. अस्पताि में मि
ु ाकानतयों के लमििे का समय तया था ?
उत्तर- अस्पताि में मि
ु ाकानतयों के लमििे का समय शाम चार से छः बिे का था ।
प्रश्ि 4. वार्ड में कुि ककतिे बच्चे थे ?
उत्तर- वार्ड में कुि बारह बच्चे थे ।
प्रश्ि 5. सात बिे कौि सी दो िसें वार्ड में आईं ?
उत्तर- सात बिे मरींर्ा और मांिरे कर िाम की दो िसें वार्ड में आईं थीं ।
प्रश्ि 6. महे श ककस लसस्टर से घि
ु लमि गया था ?
उत्तर- महे श लसस्टर सस
ू ाि से घि
ु -लमि गया था ।
प्रश्ि 7. महे श को अस्पताि से ककतिे ददि बाद छुट्टी लमिी ?
उत्तर- महे श को तेरह ददि बाद अस्पताि से छुट्टी लमिी ।
(II) निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर तीि – चार पंक्ततयों में दीक्िए -
प्रश्ि 1.सरस्वती की परे शािी का तया कारण था ?
उत्तर- सरस्वती का बेटा अस्पताि में दाखिि था। उसका ऑपरे शि हुआ था।सरस्वती उससे लमििे अस्पताि आई थी तो वह उससे
लिपट कर रोिे िगा।वह उसे वहााँ से िािे िहीं दे रहा था और उसकी कोई बात िहीं सि
ु रहा था। बेटे का इस प्रकार रोिा सरस्वती की
परे शािी का कारण था।
प्रश्ि 2. सरस्वती िे िौ िंबर वािे बच्चे से तया मदद मांगी ?
उत्तर- सरस्वती को िौ िंबर बैर् वािा बच्चा ज़्यादा समझदार िग रहा था। वह दस वर्ड का होगा। सरस्वती िे उसे पास बि
ु ा कर कहा
कक वह उसके बेटे महे श को बातों में िगाए और उसे कोई कहािी आदद सि
ु ाए ताकक वह वहााँ से बाहर िा सके। िड़के िे सरस्वती की बात
माि िी और उसकी मदद को तैयार हो गया। वह महे श के पास िाकर बात करिे िगा और इसी बीच सरस्वती वहााँ से बाहर आ गई ।
प्रश्ि 3. लसस्टर सस
ू ाि िे महेश को अपिे बेटे के बारे में तया बताया ?
उत्तर- िब लसस्टर सस
ू ाि िे महे श को रोते दे िा था तो उसिे महे श को बताया कक उसका बेटा भी उसी की भााँनत रोता है । वह बहुत शैताि
है । उसका िाम भी महे श है । वह अभी तीि महीिे का है ।बबल्कुि छोटा सा है ।उसिे महे श को यह भी बताया कक आया िब उससे िेिती
या गािा गाती है तो वह िुशी से हाथ पैर ऊपर िीचे करिे िगता है िैसे िाच रहा हो । महे श को पछ
ू िे पर वह उसे बताती है कक उसके बेटे
को अभी बोििा िहीं आता इसलिए वह अभी अंग-ू अंगू .....ग-ंू गंू ... बोिता है ।
प्रश्ि 4. दस
ू रे ददि महे श िे मााँ को घर िािे की इजाित िश
ु ी-िुशी कैसे दे दी ?
उत्तर- महे श िे अपिी मााँ को घर िािे की इजाित िुशी-िश
ु ी दे दी थी तयोंकक लसस्टर सस
ू ाि के छोटे से बेटे की बातें सि
ु कर उसिे अपिी
मााँ के बारे में सोचा था।उसे अपिी छोटी बहि मोिा के रोिे की चचंता थी क्िसे मम्मी पास बािे रािू के घर छोड़ आई थी । वह िहीं चाहता
था कक उसके रोिे से मााँ को ककसी प्रकार की परे शािी हो।
प्रश्ि 5. सरस्वती द्वारा लसस्टर सस
ू ाि को गि
ु दस्ता और उसके बबिू के लिए चगफ्ट पेश करिे पर लसस्टर सस
ू ाि िे तया कहा ?
उत्तर- सरस्वती द्वारा लसस्टर सस
ू ाि को गि
ु दस्ता और उसके बबिू के लिए चगफ्ट दे िे पर लसस्टर सस
ू ाि िे रं ग बबरं गे फूिों वािा
गि
ु दस्ता तो िे लिया पर अपिे बबिू के लिए चगफ्ट िहीं लिया।उसकी अभी ि तो शादी हुई थी और ि ही उसके कोई बच्चा था।उसिे
महे श को बहिािे के लिए झठ
ू कहा था कक उसका छोटा-सा बबिू है ।
(III) निम्िलिखित प्रश्िों के उत्तर छह-सात पंक्ततयों में दीक्िए-
प्रश्ि 1. लसस्टर सस
ू ाि का चररत्र-चचत्रण अपिे शब्दों में लिखिए।
उत्तर- लसस्टर सस
ू ाि 'िसड' कहािी की दस
ू री प्रमि
ु पात्रा है । आधी से ज़्यादा कहािी उसी के इदड -चगदड घम
ू ती है । वह एक िसड है । एक िसड
होिे के सभी गण
ु उसमें ववद्यमाि हैं। वह अपिा कायड बहुत ही मेहित तथा ईमािदारी से करती है । सस
ू ाि सरि हृदय वािी िारी है ।
उसका चररत्र ममतामयी िारी का चररत्र है । कहािीकार िे उसे सरि हृदया,कमडठ तथा वववेकशीि िारी के रूप में चचबत्रत ककया है । उसके
चररत्र में सहिता तथा स्वाभाववकता है । वह अस्पताि के बच्चों को एक मााँ के समाि प्यार करती है । उसमें क्स्थनतयों को समझिे और
उसके अिस
ु ार स्वयं को ढाििे की शक्तत है । वह महे श को रोता दे ि उसकी पीड़ा को समझकर उसकी मिोव्यथा को दरू करती है । वह
बाि मिोववज्ञाि को समझती है । अतः सस
ू ाि सही अथों में एक ममतामयी, सेवाभाव से यत
ु त तथा ममत्व से पररपण
ू ड िारी है । वह
ईमािदार है । यदद ऐसा ि होता तो महे श की मााँ से उपहार भी िे सकती थी िेककि उसिे ऐसा िहीं ककया।
प्रश्ि 2. 'िसड' कहािी का उद्दे श्य अपिे शब्दों में लिखिए ।
उत्तर- कहािीकार का उद्दे श्य उसकी रचिा में ही समादहत है । उसिे एक िसड के सेवाभाव और ममत्व का गण ु गाि करते हुए उसकी
ववशेर्ताओं पर प्रकाश र्ािा है कक ककस प्रकार िसड सस
ू ाि बच्चों को चचककत्सा के अनतररतत अपिी ममता, स्िेह, दि
ु ार, सौहादड तथा
भावों से भरी बातचीत से कैसे बच्चों का ददि िीत िेती है । उिका इिाि करती है । मााँ ि होते हुए भी उन्हें मााँ की कमी महसस
ू िहीं होिे
दे ती। कहािीकार िे एक बच्चे के मिोभावों तथा मााँ के हृदय की पीड़ा को बड़े ही सशतत शब्दों में प्रस्तत
ु ककया है ।

(ि) भार्ा-बोध

निम्िलिखित पंिाबी गद्याशों का दहंदी में अिव


ु ाद कीक्िए-
(1) ਅੱ ਠ ਵਜੇ ਸਿਿਟਰ ਿੁਿਾਨ ਦੇ ਵਾਰਡ ਸਵੱ ਚ ਆਉਂਦੇ ਹੀ ਕਈ ਬੱ ਸਚਆਂ ਦੇ ਸਚਹਰੇ ਤੇ ਮੁਿਕਾਨ ਛਾ ਗਈ। ਇਕ ਤੋ ਨੌ ਨੰਬਰ ਵਾਲੇ ਬੱ ਚੇ ਤਾਂ ਉਿਦੇ ਿੁਆਗਤ
ਲਈ ਸਬਿਤਰ ਤੋਂ ਉੱਠ ਕੇ ਬੈਠ ਗਏ। ਸਿਿਟਰ ਨੇ ਉਨਹਾਂ ਵਲ ਹੱ ਥ ਸਹਲਾਇਆ।
उत्तर-आठ बिे लसस्टर सस
ू ाि के वार्ड में आते ही कई बच्चों के चेहरे पर मस्
ु काि छा गई। एक से िौ िंबर वािे बच्चे तो उसका स्वागत
करिे के लिए बबस्तर से उठकर बैठ गए। लसस्टर िे उिकी तरफ हाथ दहिाया।
(2) ਰੰ ਗ ਸਬਰੰ ਗੇ ਿੁੰ ਦਰ ਫੁੱ ਲਾਂ ਵਾਲਾ ਇਹ ਗੁਲਦਿਤਾ ਤਾਂ ਮੈਂ ਖੁਸੀ ਨਾਲ ਲੈ ਰਹੀ ਹਾਂ ਬਾਕੀ ਇਹ ਸਗਫਟ ਸਕਿੀ ਇਹੋ ਸਜਹੀ ਔਰਤ ਨੰ ਦੇ ਦੇਣਾ ਸਜਿਦਾ ਕੋਈ
ਬਬਲ ਹੋਏ। ਮੇਰਾ ਤਾਂ ਕੋਈ ਬਬਲ ਹੈ ਹੀ ਨਹੀਂ। ਮੈਂ ਤਾਂ ਹਾਲੇ ਤਕ ਸਾਦੀ ਹੀ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਹੈ।

उत्तर – रं ग बबरं गे सद
ुं र फूिों वािा यह गि
ु दस्ता तो मैं िुशी से िे रही हूाँ। शेर् यह चगफ़्ट ककसी ऐसी औरत को दे िा क्िसका कोई बबिू
हो। मेरा तो कोई बबिू है ही िहीं। मैंिे तो अभी तक शादी ही िहीं की है ।

pRáquqkqw~: िोधक संयोजक


किरण विनोद कुमार चन्र शेिर
ह दिं ी हिहिका डी.एम.ह द
िं ी डी.एम.ह द
िं ी
र्.मि.स्कूल भि
ू ाल(लधु ियाना) लधु ियाना रूपिगर

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