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समास

समास

• समास का सामान्य अर्थ है- संक्षिप्तीकरण - संक्षिप्त करना, कम होना, कं प्रेस करना
• समास की परिभाषा- दो या दो से अधिक पदों के मेल से नए शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं।
• जैसे - रस से भरा – रसभरा
• आनंद में मग्न – आनंदमग्न
• विद्या के लिए आलय – विद्यालय
• गंगा का जल – गंगाजल
• इस विधि से बने शब्दों को समस्त पद कहते हैं।
पूर्वपद - उत्तरपद

• जिन दो पदों के मेल से समस्त पद बना होता है उसके पहले शब्द को पूर्व पद और दूसरे को उत्तर पद कहा जाता है ।
• समस्त पद पूर्व पद उत्तर पद
• जैसे- देश के लिए भक्ति - देशभक्ति देश + भक्ति राजा का पुत्र -
राजपुत्र राज + पुत्र
• समास विग्रह समस्त पदों को वापस अलग अलग करने की क्रिया को समास विग्रह कहते हैं ।जैसे - सुख प्राप्त समस्त पद का विग्रह होगा - सुख
को प्राप्त प्रयोगशाला समस्त पद का विग्रह होगा - प्रयोग के लिए शाला
समास विग्रह

• समस्त पदों को वापस अलग अलग करने की क्रिया को समास विग्रह कहते हैं ।
• जैसे –
• सुख प्राप्त समस्त पद का विग्रह होगा - सुख को प्राप्त
• प्रयोगशाला समस्त पद का विग्रह होगा - प्रयोग के लिए शाला

• इस प्रकार इस समस्त पद के बीच में लुप्त पद को प्रकट रूप में लाकर उसे संपूर्ण रूप में प्रकट करना ही विग्रह कहलाता है।
थोड़ा खुद को जांचे

• गंगा का तट... वह जो मल रहित है अर्थात स्वच्छ गंगा का जल, जहां अंशु है मालाएं जिसकी अर्थात सूर्य देश में अटन
के लिए उदित हो रहा हो ...एवं महान है जो आत्माएं वहां विचर रही हो। ग्रंथ रूपी रत्न जिनके हाथों में हों और वचन
रूपी अमृत उनके मुख से बरस रहा हो। वचनों को सुनते - सुनते कब दो पहरों का समाहार हो जाए ज्ञात ही नहीं ।
कितना सुखद हो यदि प्रत्येक दिन ऐसा ही मनोरम हो। आचार और विचार में ही परिवर्तन हो जाए ।जीवन और मरण का ,
पाप और पुण्य का पाठ यदि हर दिन सहजता सरलता से प्राप्त हो जाए।
कु छ अन्य उदाहरण

• समस्त पद समास विग्रह


• पापापाप - पाप और अपाप
• सत्यासत्य - सत्य और असत्य
• लाभालाभ - लाभ और अलाभ
• धर्माधर्म - धर्म या और अधर्म
अब परखने का समय

• महामारी कोरोना के आने से कक्षाएं प्रत्यक्ष (ONLINE) से अप्रत्यक्ष (OFFLINE) होने लगी और जीवन शैली ही
परिवर्तित हो गई । चौराहा जो प्रतिदिन दिखता था चौमासे दिखने लगा । दशानन रुपी गूगल से अत्याधिक प्रेम हो गया ।
हस्तलिखित से कं प्यूटर कृ त हो गए, निसंदेह ज्ञान तो बड़ा ही, लेकिन धीरे धीरे हम बिस्तर पर महाराजा की तरह विद्या
धन प्राप्त करने लगे और उस बिस्तर को ही घर समझने की गलती पर माता पिता ने त्रिनेत्र निकालकर भरपूर खरी- खोटी
सुनाई, अच्छा -बुरा समझाया और न समझने पर क्रोधाग्नि दिखा सुमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित भी किया । हम
शोकाकु ल तो हुए किं तु नापसंद होते हुए भी ऐसा लगा जैसे ज्ञान प्राप्त हो गया।
• पाठ्य पुस्तक से लिए गए कु छ समास
• दुरुपयोग
• बेचैन • नौसिखिया
• लघु प्राण • विशालकाय
• मरणासन्न • भला मानस
• लाड- प्यार • महात्मा
• बेटा - बेटी • ताप-तप्त
• धर्म- ईमान • महामारी
• दान –दक्षिणा • भीतर- बाहर
• दुअन्नी- चवन्नी • खुशबू
• अनियमित • बदबू
• प्रतिदिन • सत्याग्रह

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