Professional Documents
Culture Documents
लोकगीत (भगवतशरण उपाध्याय ०
लोकगीत (भगवतशरण उपाध्याय ०
लोकगीत
भगवतशरण उपाध्याय
शब्दार्थ
शब्द अर्थ
हेय तुच्छ
उपेक्षा उचित ध्यान न देना
संग्रह एकत्र करना ,इकट्ठा करना
ओजस्वी प्रभावशाली,जोश पैदा करना
सिरजना सृजन करना, रचना करना
बखान वर्णन
अनंत जिसका अंत न हो
ह्रास पतन
पुट अंश
मर्द पुरुष
लोच लचीलापन
झांझ वाद्य यंत्र
हवाला प्रमाण
निबंध सार
लोकगीत –
लोकगीत सीधे जनता के संगीत घर गाँव और नगर की जनता के गीत हैं इनके गाने वाले
अधिकतर गाँव के लोग होते हैं| ये बाजों की मदद के बिना साधारण ढोलक, झाँझ,
करताल व बाँसुरी की सहायता से गाए जाते हैं|
उत्तर - ऊपर लिखी पंक्तियों में निहित भावों से मैं परू ी तरह से
सहमत हूँ | लोकगीत जन-जीवन में आनंद और उत्साह का
जीता-जागता सबत ू हैं | ‘बिदे सिया’ नामक लोकगीत से बिहार के
लोग बहुत आनंद प्राप्त करते हैं| ‘बिदे सिया’ नामक लोकगीत को
दे हातों में अनेक समूहों द्वारा गाया जाता है |भोजपुरी के
लोकगीत विशेषकर बिहार एंव अन्य प्रदे शों में बहुत लोकप्रिय हैं
लेकिन अन्य गीतों की अपेक्षा बिदे सिया लोकप्रिय है | बिदे सिया
बहुत लोकप्रिय है | बिदे सिया का लोकप्रिय होना इस सच्चाई को
प्रकट करता है कि वहाँ के जीवन में आनंद की कमी नहीं| इसमें
प्रेमी-प्रेमिकाओं की चर्चा रहती है , विशेषकर परदे शी प्रेमी की |
भाषा की बात
प्रश्न 1. ‘लोक’ शब्द में कुछ जोड़कर जितने शब्द तुम्हें सूझें, उनकी सूची
बनाओ | इन शब्दों को ध्यान से दे खो और समझों कि इनमें अर्थ की दृष्टि
से क्या समानता है | इन शब्दों से वाक्य भी बनाओ, जैसे- लोककला |
उत्तर ---
शब्द वाक्य प्रयोग