सबका िलया सहारा पर नर वयाघ सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ कब हारा ? कमाशील हो îरपु -समक तुम ह ये ि¤नत ि«तना ही दु P कîर¤î ने तुमको कायर समUा ¨तना ही¹ ¹तया¤ार सहन करने का कु 9ल यही होता ह पî¢9 का ¹तं क मनु« कोमल होकर Uोता ह ¹ कमा शो¬ती ¨स ¬ु«ं ग को ि«सके पास गरल हो ¨सको ¤या «ो दं तहीन ि¤9रिहत, ि¤नीत, सरल हो ¹ तीन िद¤स तक पं ° मां गते र°ुपित िस·धु िकनारे, बõे प{ते रहे F·द ¹नु नय के 'यारे - 'यारे ¹ ¨Vर म «ब (क नाद ¬ी ¨õा नहî सागर से ¨õी ¹धीर धधक पî¢9 कî ¹ग राम के शर से ¹ िस·धु देह धर ¬ािह-¬ािह करता ¹ िगरा शर7 म ¤र7 प¸« दासता ¹ह7 कî बँधा म¸{ ब·धन म¹ स¤ प¸ Fो , तो शर म ही बसती ह दीिP ि¤नय कî सि·ध- ¤¤न संप¸vय ¨सी का ि«सम शिक ि¤«य कî ¹ सहनशीलता, कमा, दया को त¬ी प¸ «ता «ग ह बल का दप ¤मकता ¨सके पीFे «ब «गमग ह ¹